Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
07-14-2017, 12:30 PM,
#1
Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
ये कैसा परिवार !!!!!!!!! पार्ट--1

ये है देल्ही देश का सबसे व्यस्त सिटी आबादी लगभग 1.5 करोड़ से भी ज़्यादा ... यहा सभी धर्म सभी प्रांत के लोग रहते है यहा कभी कोई लड़ाई झगड़ा न्ही होता यहा के लोग के काम {चुदाई या जॉब डिसाइड युवर सेल्फ़ आफ्टर रेड} मैं विश्वास रखते है ...यहा एक एरिया पड़ता है महरौली.... अधिकतर पंजाबी फॅमिलीस रहती है और किराए पर अप्प्ना घर उठाते है एसे ही एक घर मैं एक परिवार किराए पर रहने आया फॅमिली मैं केवल 2 लोग ही थे मियाँ {सुरेश} और बीवी {रत्ना}. मकान मालकिन एक 50 वर्षीया विधवा थी जिसके पति की डेथ कोई 10 साल पहले हो गई थी उसका एक लड़का था टीटू जो कुछ करना ही न्ही चाहता था एज करीब 18 साल ....मा अपने घर को किराए पर उठा कर घर का खर्चा चलाती थी...अभी तो शुरुआत है देखिए कितने आए लोग मिलते है इस परिवार मैं और किसका कैसा नेचर है ...........

सुरेश को रिलाइयन्स मैं सेल्स टीम लीडर है इसलिए कोई वर्किंग टाइम फिक्स न्ही है पोलीस की तरह 24 अवर सर्विस मैं उपलब्ध रहता है रात के 1 बजे हो 2 बजे हो कोई फ़र्क न्ही पड़ता बस उठो और पीसी पर रिपोर्ट तैयार करके भेजो कभी कभी तो हेड अपने घर पर बुला लेते है...

सुरेश की एज कोई 28 साल की थी हाइट 5.9 हैल्थि सुंदर था और रत्ना भी 5.4 के आसपास्स थोड़ा फॅट एक्सट्रा था लेकिन पूरी हाउस वाइफ टाइप थी हमेशा मॅक्सी और साडी पहनना पसंद करती थी....

सुरेश को काम पर जाने के लिए डेली रूटीन से गुज़रते हुए खाना ज़रूर खाना पड़ता था क्योंकि रत्ना उन्हे बिना खाना खाए न्ही जाने देती थी क्योंकि सुरेश बहुत चोदु किस्म के थे और लिए बिना न्ही मानते थे इसलिए रत्ना का मानना था कि कुछ ना कुछ खाते रहो तो निकलने से ज़्यादा असर न्ही होगा...खाना बनाते बनाते पसीने से भीग चुकी थी रत्ना और पसीने की वज़ह से जो खुसबू वाहा फैली थी उसने सुरेश को मदहोश कर दिया सुरेश धीरे से रत्ना के पीछे जा कर खड़ा हो गया और पीछे से अपपना लॅंड उसके टच करने लगा रत्ना बोली

उफ्फ तुम भी ना हर समय ये सब क्या है कभी तो चैन से रहने दिया करो यार्र हर वक़्त ठुकाई तुम्हारा मन न्ही भरता क्या कभी

सुरेश : यार्र शादी किसलिए की थी ..तुम्हारे घर गया था 5 लाख खर्चा किए है तुम्हारे बाप न्ही फिर इतनी खूबसूरत बीवी भी किसी किसी को मिलती है आओ एक राउंड होज़ाये..

रत्ना : अरे ऑफीस का टाइम हुआ है अभी 5 बजे ही तो ली थी तुमने अब्ब फिर

सुरेश : अरे आ जाओ यार्र

रत्ना : न्ही, काम करवाने के बाद मैं बहुत थक जाती हूँ और फिर मैं खाना न्ही ब्ना पाउन्गी

सुरेश : कोई बात न्ही यार्र मैं ऑफीस की कॅनटिन मैं ले लूँगा तुम आओ

रत्ना : न्ही

सुरेश वही पर उसकी मॅक्सी उठा कर उसकी पॅंटी से खेलने लगता है और रत्ना मदहोश होने लगती है फिर धीरे धीरे सुरेश अप्प्ना काम निपटा कर ऑफीस चला जाता है लेकिन रत्ना पॅंटी पहनना भूल जाती है ...अब्ब देखो क्या होता है.........

सुरेश ने जी भर कर ली थी इसलिए थक कर रत्ना बेहाल हो गयइ थी और गहरी नींद मैं सो गयइ थी. ऑफीस से दो बार सुरेश ने कॉल किया लेकिन फोन रिसीव न्ही किया सुरेश समझ गया कि रत्ना सो रही है हमेशा ये ही होता था इसमे कोई असचार्य की बात न्ही थी.शाम के चार बजे रतना उठी टाय्लेट गयइ और वाहा जा कर अपपनी प्यारी सी चूत देखी जिसका दीवाना था सुरेश ... जो हरदम हाथ डालना तो ज़रूरी ही समझता था ....रत्ना की चूत बिल्कुल प्यारी चिकनी सुन्दर सी थी..जो अब्ब रत्ना को भी अच्छी लगती थी....

रत्ना फ्रेश हो कर किचन मैं गयइ और अप्प्ने लिए 1 कॉफफी बना कर लाई और अप्प्नि डाइयरी पढ़ने लगी आज उसे हिमांशु की बहुत याद आ रही थी...

हिमांशु..रत्ना का एक्स-बाय्फ्रेंड रत्ना ने अप्प्नि खूब रातें रंगीन की थी हिमांशु के साथ कभी पिक्चर हॉल मैं कभी होटेल मैं कभी पिक्निक मैं ...रत्ना सोचते सोचते बहुत पीछे चली गयइ...जब वो इंटर की स्टूडेंट थी और बोर्ड एग्ज़ॅम्स चल रहे थे आज केमिस्ट्री का एग्ज़ॅम था और रत्ना अप्प्नि तैयारीओं मैं व्यस्त थी ....पढ़ाई की ..अरे न्ही आज वो स्कूल बंक करके हिमांशु के साथ डेट पर जा रही थी घर से प्राची ने अपपनी स्कूटी ली और निकल पड़ी मा ने टीका लगा कर दही खिला कर भेजा ...

मा- बेटा अच्छा पेपर करके आना

रत्ना-ठीक मा अब जाउ देर हो जाएगी आज सीट्स भी चेंज हो गयइ होंगी

मा- ठीक से जाना बेटा स्कूटी धीरे चलाना

रत्ना- ठीक है मा बाइ...

रत्ना से स्कूटी ले कर रेव पहुचि जहा पर अप्प्नि स्कूटी पार्किंग मैं लगा कर वो हुमान्शु की कार मैं बैठ गयइ और वो दोनो लोंग ड्राइव पर निकल गये रास्ते मैं हिमांशु ने स्मूचिंग और किस्सिंग का मौका न्ही छ्चोड़ा फिर वो अप्प्ने पेट होटेल मैं पहुचे जहा का वेटर उन्हे ठीक से पहचानता था हिमांशु से उसे 200 रुपये दिए ओर वो अप्प्ने रूम मैं चले गये....रत्ना एक कली थी बिल्कुल खिली हुई कली..दूध सी रंगत ...गुलाबी गाल फिट और स्कूल ड्रेस मैं वो कोई छ्होटी बच्ची लग रही थी अंदर जाते ही हिमांशु ने उसे अप्प्नि गोद मैं खीच लिया और शर्ट के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा..

रत्ना: हिमांशु पागल हो क्या मुझे घर भी जाना है शर्ट पर दाग लग जाएँगे

हिमांशु: तो उतार दो ना इसे

रत्ना: न्ही पागल हो क्या , हम न्ही उतारेंगे

हिमांशु: तो यहा क्या हम तुमहरि आरती उतारेंगे

रत्ना: तो उतारो

हिमांशु:क्या ?

रत्ना: क्या उतारना है

हिमांशु : स्कर्ट

रत्ना : न्ही वो ऊपर करके काम कर लेना. शर्ट उतार दो

हिमांशु:न्ही मुझे तुम्हारी देखनी है

रत्ना: अरे हर बार देखना देखना है करते हो हमेशा तो देखते हो, बदल थोड़े ना गयइ है

हिमांशु: तुम दिखओगि कि हम जाए , और आज के बाद बुलाना मत मुझे

रत्ना: अरे बाबा गुस्सा मत हो उतार लो, तुम बहुत वो हो अप्प्नि बात मनवा लेते हो..

रत्ना : हिमांशु देखो ये अच्छी बात न्ही है हर बार तुम ये ही करते हो

हिमांशु: क्या ?

रत्ना :मुझे न्ही मालूम क्या कहते है इसे ?

हिमांशु: किसे ?

रत्ना: मुझे शरम आती है

हिमांशु : मेरे सामने नगी चूत ले के खड़ी हो तब शरम न्ही आ रही है

ये सुन कर रत्ना नाराज़ हो जाती है

रत्ना: रहने दो कपड़े दो

हिमांशु: नाराज़ हो गई क्या

रत्ना: न्ही मुझसे बात ना करो

हिमांशु: अरे मैने मज़ाक किया था यार्र फिर क्या ग़लत कहा , नंगी खड़ी हो झांते तक न्ही बनाती हो और "चुदाई" कहने मैं शरम आ रही है

रत्ना: ठीक है अब्ब तुम खुद देखो आज के बाद मुझसे बात मत करना....

रत्ना इतना ही सोच रही थी कि किसी ने दरवाज़ा खटखटाया तो रत्ना जैसे होश मैं आ गई..........दरवाज़ा खटखटाया जा रहा था इसका मतलब कोई अंदर ही है डोर ओपन किया तो देखा कि मकान मालकिन का पागल लड़का था

लड़का : आंटी 1 ठंडी बोटेल दे दो पानी की

रत्ना: {मन मैं घोनचू पागल मैं आंटी दिखती हूँ इसे अभी ठोक दे तो 3 बच्चो का बाप बन जाए} ये लो पानी

पानी दे कर गेट बंद कर लेती है , लेकिन तभी कोई काम याद आ जाता है और वो मकान मालकिन के रूम की तरफ जाती है और बेड पर बैठ जाती है. बेड पर रत्ना कुछ इस तरह से बैठी होती है कि उसकी मॅक्सी उप्पेर उठ जाती है और पॅंटी तो रत्ना ने सुबह से ही न्ही पहनी थी..

रत्ना :चाची कहा हो ?

मकान मालकिन{म्म} : अब क्या हो गया रत्ना बोल बेटा .

रत्ना: चाची कल वो आपको किराया दिया था उसमे 500 रुपये ज़्यादा आ गये थे आपने कहा था सुबह वापस ले लेना सुबह से सो रही थी याद न्ही रहा

: हाँ , हाँ लाती हूँ अब्बी रुक्क जा तू

मकान मालकिन जाती है एक 500 का नोट ले कर आती है तभी उसकी नज़र रत्ना की उप्पर उठी मॅक्सी पर पड़ती है अंदर का भी हल्का नज़ारा दिखता है

: आज कल फ़ुर्सत भी मिल पाती होग्गी तुज्झे

रत्ना: किस बात की चाची ,

: कपड़े भी तो न्ही पहने का मौका मिल पाता

रत्ना : तुम भी चाची

: क्या तुम भी देख तेरी चूत दिख रही है , झांते न्ही साफ करती क्या कभी , इसे साफ रखा कर न्ही तो इन्फेक्षन हो जाएगा

रत्ना मकान मालकिन के मूह से ये सुनकर हैरान हो गयइ , शायद छ्होटे सहर का असर था आगे आगे देखो होता है क्या ................

आख़िर लड़की तो लड़की ही होती है वो तो नॉर्माली अप्प्नि मा के आगे भी कपड़े न्ही बदलती फिर एक अंजान औरत उसकी बेहद प्राइवेट पार्ट के बारे मैं कॉमेंट पास करे तो ये तो उसके लिए एक दोसरे मर्द से चुदवा लेने के बराबर बात हुई...

रत्ना : क्या चाची आंट शॅंट बोल रही हो इतने गंदे वर्ड्स कोई यूज़ करता है

मालकिन: अब्ब बाई चूत को पुसी कह देगी तो क्या वो चुदवाना छ्चोड़ कर चोदने लगेगी

रत्ना तो हक्का बक्का रह जाती है एसे शब्द सुनकर और वापस कमरे मैं आ जाती है

और याद करती है कि जब हिमांशु को उसने किस तरह से डांटा था चूत शब्द का यूज़ करने पर ..शायद रत्ना को आक्चुयल पता न्ही था कि योनि को चूत भी कहते है क्योंकि हाइह्क्लास सोसिटी का असर भी हो सकता है कि वो चूत कहने मैं हीनता महसूस कर रही थी क्योंकि चूत तो ग़रीबो की होती है.

लेकिन उसने तय कर लिया कि अब कल ही यहा से रूम शिफ्ट कर देंगे चाहे जो कुछ भी हो अगर इस बुढ़िया का एसा ही बहाविएर रहा तो किसी दिन इसका लड़का मुझ पर ना चढ़ जाए ... उसने तुरंत सुरेश को कॉल किया

रत्ना: सुरेश आज ही न्या अड्रेस ले कर आओ हम कल ही शिफ्ट करेंगे

सुरेश: अरे जानू क्या हुआ इतना गुस्सा किसी ने कुछ कहा

रत्ना: तुम आज ही रूम देखो न्ही तो मैं पापा से कह कर पापा का कोई गुड़गाँवा वाला बंग्लो ले लेती हू तुम्हे पसंद हो या ना हो

सुरेश: रत्ना तुम जानती हो ना कि मैं भीख न्ही लेता इसलिए मैने तुम्हारी शादी मैं दहेज़ भी न्ही लिया था क्योंकि मैं कुछ भी बिना मेहनत के न्ही लेना चाहता

रत्ना : प्लीज़ सुरेश प्लीज़ फिर वाहा तुम मुझे अपने हिसाब से रखना सारा दिन बिना कपड़ो के रहूंगी जैसा तुम सोचते हो लेकिन किराए के घर मैं एसा कैसे हो पाएगा बोलो

सुरेश : ठीक है लेकिन तुम्हे मेरा मूह मैं भी लेना पड़ेगा क्योंकि तुम हमेशा कहती हो "छि ये केवल पिक्चर मैं होता है इसे कोई मूह मैं डालता है " समझी कि न्ही

रत्ना : ठीक है बाबा वो भी करूँगी

सुरेश : क्या ?

रत्ना: अरे वो ही लूँगी मूह मैं

सुरेश : वो क्या ?

रत्ना : तुम्हारा लंड बस खुश...

लंड शब्द रत्ना इतनी उत्तेजना मैं बोल देती है आवाज़ बाहर पागल लड़के तक चली जाती है और वो गेट खटखटाने लगता है ....

क्रमशः..............................................
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07-14-2017, 12:30 PM,
#2
RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
ये कैसा परिवार !!!!!!!!! पार्ट--2

गेट खटखटाने की आवाज़ सुनकर रत्ना घबरा जाती है कि क्या हो गया....और गेट खोलती है तो देखती है कि सामने 18 साल का लंबा तगड़ा लड़का खड़ा है शायद वो बहुत उत्तेजित हो गया था लंड शब्द ने उसको पागल कर दिया था ...

हे- आंटी अभी आपने क्या कहा था लंड ये लंड क्या होता है आंटी
रत्ना - क्या कहा मैने तो कुछ न्ही कहा तुम क्या कह रहे हो
हे- न्ही मैने मम्मी के मूह से भी सुना है बिट्टू {हिज़ नेम} अप्प्ना लंड मेरे इस छेद {होल} मैं डाल मेरे इस डंडे को ममी लॅंड कहती है क्या आपके पास भी है दिखाओ आंटी दिखाओ
रत्ना को समझ ही न्ही आ रहा था कि ये पागल क्या कह रहा है अप्प्नि मा के बारे मैं एसा होता तो है लेकिन पागल पड़के के साथ रत्ना को अप्प्ना समय फिर याद आने लगा कि कैसे उसके घर मैं क्या सब होता था लेकींन वो बाद मैं..


बिट्टू- आंटी दिखाओ अप्प्ना लंड कैसा होता है लंब बाल {हेर्स} वालो का लंड मैने आज तक न्ही देखा केवल मेरे दोस्तो का देखा है जो सब घर पर आते है और मम्मी को दिखाते है
अब रत्ना को थोडा मज़ा आने ल्गा उस पागल की बाते सुनकर
रत्ना - अच्छा कोन कोन से दोस्त आते है मम्मी के पास
बिट्टू- अनिल, महेश , किशोर और हाँ आपके सुरेश अंकल भी तो आते थे पहले अब यही रहने लगे
रत्ना को काटो तो खून न्ही वो सोचने लगी ये क्या सुरेश का चक्कर इस बुद्धिया [ओल्ड लेडी] से कोई जावन् चूत न्ही मिली थी क्या सुरेश को लेकिन उसने फिर पूचछा

रत्ना- बिट्टू ठीक से याद करो सुरेश अंकल न्ही हो सकते
बिट्टू- न्ही आंटी वो सुरेश अंकल ही थे .अब आप मुझे अपना लंड दिखाओ
रत्ना ने उसे बहलाने के लिए उसे ज़्यादा बोलना स्टार्ट कर दिया
रत्ना- हाँ दिखौन्गि लेकिन ये ब्ताओ सुरेश अंकल क्यों और कैसे आते थे
बिट्टू- अंकल आते थे और मम्मी मुझे सुला देती थी और दूसरे कमरे मैं चली जाती थी मम्मी ने अंकल को एक कार भी दिलवाई थी .अंकल उसी कार से आते थे

अब रत्ना को समझ आ रहा था कि जब रत्ना के पापा ने उसे अपना आलीशान घर रहने को दिया तो सुरेश ने क्यों इनकार कर दिया था और कई बार रात को सुरेश 5 से 20 मिनूट के लिए गायब हो जाता था

रत्ना - अच्छा बिट्टू किसी से कुछ मत बताना जो तुमने मुझे बताया है
बिट्टू - न्ही हा बता दूँगा
रत्ना- क्या ?
बिट्टू- हाँ अब अगर आपने मुझे अपना लंड न्ही दिखाया तो मैं सभी को बता दूँगा

रत्ना सन्न रह गई कि क्या कोई पागल लड़का भी ब्लॅकमेलिंग कर सकता है !!लेकिन शायद सेक्स मैं इतनी ही ताक़त है जो अच्छे अच्छे पागलो को समझदार ब्ना देता है . रत्ना को इस बात का बिल्कुल भी अंदाज़ न्ही था कि सुरेश के संबंध इस ओल्डलेडी से हो सकते है इसलिए उसका रात मैं अचानक गायब हो जाना उसे समझ न्ही आता था लेकिन बिट्टू की बातो ने हलचल मचा दी थी उसके सीने मैं. चोर कभी अपने बच्चे को चोर न्ही देखना चाहता ये ही हॉल रत्ना का था रत्ना की टीन एज जिन कार्नो से भरी थी वो जानने मैं तो काफ़ी वक़्त है लेकिन रत्ना को या किसी भी चूत वाली मालकिन को ये कैसे बर्दास्त होता कि उसस्के हिस्से का लंड कोई और खाए ..रत्ना इस बात की सच्चाई परखना चाहती थी लेकिन बिट्टू की ब्लॅकमेलिंग उसे परेशान कर थी कि कही इस पगले ने सब कुछ बता दिया तो दोनो सतर्क हो जाएँगे और फिर सक्चाई कभी पता न्ही चल पाएगी इसलिए रत्ना ने एक त्वरित निर्णय लिया कि वो बिट्टू को वो जगह दिखाएगी और समझाएगी कि वाहा कोई लंड जैसी चीज़ न्ही होती.

रत्ना - ठीक है बिट्टू लेकिन किसी से कुछ मत कहना और चूना मत जब मैं दिखाउ समझे
बिट्टू- ठीक है
रत्ना - तो दरवाज़ा बंद करो
बिट्टू ने जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया और रत्ना ने सर्माते हुए मॅक्सी थोडा उपर की लेकिन फिर गिरा दी शायद नारी लज़्ज़ा उसे और उपर न्ही जाने दे रही थी 5 बार इस तरह करने से शायद बिट्टू का सबर जवाब दे गया
बिट्टू- ये क्या कर रही है दिखाओ ना चलो हटो मैं खुद देख लेता हूँ
और रत्ना को बिना मौका दिए उसने मॅक्सी उपेर कर दी ओए वाहा चिकनी सपाट जगह देख कर वो चौक गया . रत्ना का शरम से बुरा हॉल था आप लोग तो जानते ही होंगे कि घरेलू लड़की चाहे जितने अलग अलग मर्दो से चुदवाये लेकिन हर नये मर्द के सामने वो कुँवारी कन्या ही बनती है कॉलेज हूर रत्ना का नेचर भी कुछ वैसा ही था

बिट्टू- ये क्या अप्प्के तो बॉल न्ही है ममी के तो खूब सारे बाल है और मम्मी की सिकुड़ी सिकुड़ी लंड है. आपकी तो बहुत अच्छी है ये कहते हुए उसने रत्ना की चूत मैं उंगली डाल दी .

अचानक हुए इस वार से रत्ना बौखला गई क्योंकि उसने साफ मना किया था बिट्टू को कि वो च्छुएगा न्ही लेकिन ये वो समझ न्ही सकी कि मर्द तो मर्द होता था गढ्ढा देख कर डंडा कब मानता है अगर एसा होता तो शायद भारत की आबादी इतनी ना होती हमारे हिन्दुस्तान मैं अनपढ़ हो या पागल वो 2 काम ज़रूर जानते है पैसे गिनना और चूत मारना ...मज़बूत हाथ पड़ने से रत्ना बुरी तरह भीग गई थी क्योंकि पागल ही सही लेकिन था तो लंड वाले का ही हाथ ना......


उस पागल बिट्टू के हाथ ने जैसे जादू कर दिया पागल ही सही था तो एक मर्द ही और रत्ना जैसी कमतूर लड़की को सिग्नल ही काफ़ी होता है लेकिन यहा तो कॉनट्रॉल रूम ही हाथ आ गया था और ये पागल उसकी कामभावना शांत कर सकता था रत्ना ने धीरे से पागल का हाथ पकड़ कर अप्प्नि चिकनी चूत पर फिराया अबकी बार चौकने की बारी बिट्टू की थी बिट्टू ने तुरंत अप्प्ना हाथ पीछे खींच लिया ...छी कितना गीला है

रत्ना - ये गीला होता है जब अच्छा होता है तो गीला होता है
बिट्टू - अच्छा ,, लेकिन मम्मी की तो गीली न्ही होती है है
रत्ना- अरे वो बूड्दी है उसकी क्या गीली होगी उसका सारा पानी सूख गया है
इस तरह के उल्टे सीधे ज्वाबो के उत्तर देती रही रत्ना और अपना काम भी करवाती रही तभी बिट्टू की मम्मी की आवाज़ आगाई

एमेम- बिट्टू कहा है. रत्ना बिट्टू तुम्हारे पास है क्या
रत्ना- बिट्टू किसी से कुछ मत ब्ताना फिर कुछ और बताउन्गी और दिखाउन्गी समझे
बिट्टू- ठीक है न्ही बताउन्गा
एमेम- बिट्टू..........................
बिट्टू- हाँ मम्मी
एमेम- कहा हो बेटा
रत्ना- कुतिया कितनी बड़ी रॅंडी है साली अपने लड़के से छी छी.......
बिट्टू - मैं टाय्लेट मैं हूँ
एमेम- जल्दी से आ जाओ जल्दी से {अभी तो इसका खड़ा होगा थोड़ा मज़ा ले ले}
बिट्टू- आता हूँ
एमेम- आओ बेटा आओ रूम मैं
एमेम- चलो बेटा सो जाओ समय हो गया है
बिट्टू- न्ही अभी मुझे दोस्तो के पास जाना है
एमेम- [धीरे से लंड पर हाथ ल्गा कर साइज़ चेक कर लेती है] न्ही बेटा अभी लेट जा फिर जाना मैं लाइट बंद कर देती हूँ
बिट्टू - ठीक है
मकान मालकिन लाइट बंद कर देती है और दोनो एक ही बिस्तर पर लेट जाते है.
एमेम- बिट्टू पॅंट उतार दो अप्प्नि न्ही तो पैर मैं दर्द होगा
बिट्टू - ओके लो............
ये कह कर बिट्टू पॅंट उतार देता है और बिट्टू का बड़ा सा लॅंड अंडरवेर मैं महसूस करती है फिर लेट जाती है

मकन्मल्किन धीरे से उसका लॅंड सहलाने लगती है और जैसे ही पूरा खड़ा होता है उसकी पॅंट अंडरवेर नीचे उतार कर 69 की पोज़िशन मैं आ जाती है और बहुत एक्शिटेड होकर लंड चूस्ति है 2 मिनूट मैं ही बिट्टू झाड़ जाता है और एमेम उसका पूरा वीर्या मलाई की तरह गटक जाती है और दोनो सो जाते है एक पति और पत्नी की तरह ......
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07-14-2017, 12:30 PM,
#3
RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
रत्ना के दिल मैं तूफान उठ रहा था कि "आख़िर एसा क्यों" ? उसका पति किसी और का क्यों ?
जबकि अपनी कहानिया लड़कियाँ तुरंत भुला देती है खैर इन सब बातों का क्या मतलब रात को सुरेश के आते ही रत्ना ने दिन भर के गुस्से को ना जाने कैसे काबू कर लिया था कि लग ही न्ही रहा था कि सुबह से वो सुरेश पर भड़क रही थी ... कि आने दो ये करूँगी वो कहूँगी...
सुरेश ने आते ही कहा ..

लो मैं नये फ्लॅट की चाभी ले आया
रत्ना- हम न्ये घर मैं न्ही चलेंगे
सुरेश- लेकिन सुबह तो तुम गरम हो रही थी
रत्ना- गरम तो मैं अभी भी हू छ्छू कर देख लो

इतना कह कर रत्ना ने सुरेश का हाथ अप्प्नि चूत पर रख दिया
सुरेश ने बड़े प्यार से सहलाया और कहा

सुरेश- क्या बात है जान बहुत गरम हो रही हो आज क्या तुम्हारा भाई आया था
रत्ना- भाई का इससे क्या मतलब क्या भाई मुझे गरम करता है
सुरेश- क्या यार मैने तो एसे ही कहा है केवल
रत्ना- ये कोई कहने की बात है
सुरेश- तो क्या तुम्हारे भाई ने कभी कोशिश न्ही की तुम्हारे साथ करने की
रत्ना- सुरेश मैं तुम्हारे रोज़ के नाटक से थक गई हूँ तुम्हे एसि घरेलू संबंधो की बात करने मैं ज़्यादा मज़ा आता है क्या. मैं तो हूँ तुम्हारे पास फिर क्यों तुम अनैतिक सेक्स की बातें करते हो
सुरेश- क्योंकि मुझे अच्छा लगता है
रत्ना- तुम्हे केवल अप्प्नि फिकर है
सुरेश- एसी बात न्ही है मेरी जान अगर तुम ही न्ही हो तो मैं तो अकेला हूँ ना
रत्ना- तो फिर बार बार मेरे भाई और पापा की बाते क्यों करने लगते हो क्या तुम्हे अप्प्नि रत्ना पर भरोसा न्ही है ..
सुरेश- यार रत्ना देख मैने कई बार तेरे भाई को तुम्हारी पॅंटी सूंघते हुए और तुम्हारे बाथरूम मैं झाँकते हुए देखा है इसलिए कहता हूँ
रत्ना- धत्त्तत्त.........झूट
सुरेश- कसम से जान
रत्ना- मेरा भाई एसा न्ही है चलो भाई को देखा और पापा
सुरेश- उसकी तो पूछो न्ही , बुड्ढ़ा अप्प्नि लड़की के बारे मैं...
रत्ना- सुरेश ये ठीक न्ही है मेरे घर वाले एसे न्ही है
सुरेश- तो पूछ के देख लो अगर मुझ पर विश्वास न्ही है
रत्ना- ये कैसे पूछा जा सकता है
सुरेश- तो मेरी बात पर भरोसा करो ना जान
इतना कह कर सुरेश बाथरूम फ्रेश होने चला जाता है

रत्ना सोचती है " क्या सुरेश सच कह रहा है मेरे घर वाले मुझे चोदना चाहते है " छीईइ सुरेश कितना गंदा है

सुरेश वापस आकर पीछे से रत्ना को दबोच लेता है और पीछे से अप्प्ना खोंटा चुभाने लगता है
रत्ना- लगता है आज इरादे ठीक न्ही है ..पीछे से हटो वाहा नो एंट्री.
सुरेश- सब करवाती है ..केवल तुम्हे ...
रत्ना- कोन करवाती है और कितने लोगो के साथ कर चुके हो...

सुरेश ग़लती से जो बोल गया उसे दबाता है
सुरेश- अरे भाई मैं तो पॉर्न मूवीस की बात कर रहा था..

फिर सुरेश पीछे से मॅक्सी उठा कर पॅंटी नीचे करने को हाथ बदाता है लेकिन पॅंटी थी ही न्ही.
सुरेश- तो आज पूरी तैयारी के साथ हो
इतना कह कर बेड पर ले जाता है
और मॅक्सी उपर उठा देता है और उसकी कोमल नाज़ुक जगह देख कर पागल हो जाता है और मूह लगा कर चाटना स्टार्ट कर देता है... क्लाइटॉरिस को जीभ से सहलाने से रत्ना उततजीत हो जाती है
रत्ना- मुझे पेशाब लगा है हटो अभी वापस आती हूँ
सुरेश- न्ही मुझ पर कर दो
रत्ना- पागल हो क्या हटो
सुरेश- रानी मेरा आज बहुत मन है तुम्हारा पेशाब पीने का प्लीज़ मुझ पर पेशाब करो
रत्ना- तुम्हारा दिमाग़ खराब हो गया है कितना गंदा सेक्स चाहते हो
सुरेश- ये मेरी चाहत है पूरा करो मुझ पर मेरे मूह पर मूतो मैं पीऊंगा
रतना- गंदा लगेगा
सुरेश- लगने दो तुम करो बस
फ़ि सुरेश ज़मीन पर लेट जाता है और रत्ना को इस तरह मूह पर बैठाता है कि क्लाइटॉरिस उसके होंट पर आ जाती है रत्ना के गरम पानी से सुरेश तर हो जाता है और उस रात पूरा 4 बजे तक चुदाई चलती है फिर दोनो थक कर सो जाते है
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07-14-2017, 12:30 PM,
#4
RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
ये कैसा परिवार !!!!!!!!!--paart --3

गतांक से आगे .........................................

सुरेश के मोबाइल से आती रिंग से रत्ना की आँख खुली ...घड़ी देखा तो

9 बज रहे थे ...उफ्फ आज इतनी देर तक कैसे सो. रह गई रत्ना..शायद

कल रात का खुमार एसा था कि देर तक सोती रह गई रत्ना उसने सुरेश को

देखा सुरेश का "पप्पू" अभी जगा था ..शायद सुबह के नाश्ते का वेट

कर रहा था .. यू तो रत्ना को सुबह के वक़्त ये सब पसंद न्ही था लेकिन

कल के आक्षन से वो "कामुक शेरनी" बन गई थी जिसे अब केवल लंड

चाहिए था और शेरनी ने ताज़ा शिकार देख लिया था उसने धीरे से

सुरेश के अंडरवेर के उपेर से पप्पू को सहलाया जैसे कह रही हो "आज

तुझे भी नाश्ता दूँगी" लेकिन वो उठी और टाय्लेट चली गई वाहा उसने

जाकर पेशाब करने के लिए बैठा. की सोच. ही थी कि पीछे से सुरेश भाद्बाड़ा. कर

पहुच गया और बैठे बैठे ही दबोच लिया रत्ना को और कोई दिन होता

तो रत्ना इनकार कर देती लेकिन सुरेश के पप्पू के निमंत्रण को स्वीकार

करके बाथरूम मैं ही ठोकने का मन ब्ना लिए था रत्ना के बाथ रूम का

कोमोड़े वेस्टर्न स्टाइल का था लेकिन रत्ना उस पर देसी स्टाइल से ही बैठी

थी ब्तानने. की ज़रूरत न्ही है कि कैसे बैठी होगी. सुरेश ने उसे

टाय्लेट के कोमोड़े पर बैठा दिया और बाथरूम के फर्श पर खुद बैठ

गया फिर उसने रत्ना से कहा

सुरेश: रत्ना अब तुम पेशाब करो

रत्ना: मुझे शरम आती है

सुरेश: मुझसे ? शरम ????? क्या कह रही हो !!! अरे मेरी जान तुम्हारे

बाप से माँग कर लाया हूँ तुम्हे चोदने के लिए

रत्ना जो इस बातों की आदि हो चुकी थी इसलिए ध्यान दिए बिना बोली

"इससे तुम्हे क्या मज़ा आएगा"

सुरेश: जब लड़की की चूत से पेशाब निकलता है जो सीन देखने के

लिए मैं पागल रहता हूँ

रत्ना : कितनी लड़कियों की चूत देख चुके हो इस तरह

सुरेश : गुस्सओगि तो न्ही ना

रत्ना: पहले ब्ताओ तो

सुरेश : न्ही मैं बिना मतलब की महाभारत न्ही चाहता ?

रत्ना को भी एसी बात मैं मज़ा आने लगा था इसलिए बोली "न्ही गुस्सौन्गि

तुम ब्ताओ"

सुरेश : मैने तुम्हारी मम्मी , तुम्हारी छ्होटी बहन शिल्पा और शिव

की शालि विभा को पेशाब करते हुए देखा है

रत्ना की आँखें अस्चर्य से फटी रह गई वो समझ न्ही पा रही थी

सामने सुरेश है या कोई शैतान !!

रत्ना: क्या अंट शॅंट बोल रहे हो होश मैं न्ही हो क्या

पेशाब की सीटी {मूतने की आवाज़} को सुनकर मस्त सुरेश बोला "हाँ मेरी जा
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07-14-2017, 12:30 PM,
#5
RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
मैं सच कह रहा हूँ

रत्ना ; लेकिन कब , कैसे, कहा,?

सुरेश: सब ब्ताउन्गा ..

रत्ना: तो ज़रूर तुमने अप्प्नि मम्मी और बहिन की भी देखी होगी?

क्वेस्चन सुनकर थोड़ी देर के लिए सुरेश सन्नाटे मैं आ गया........

सुरेश को सूझ ही न्ही रहा था कि क्या कहे . क्या अप्प्ने गुनाहो को कबूल कर ले या फिर उन्हे मानव इच्छाओ का नाम देकर अप्प्नि ग़लतियों को छुपा जाए लेकिन ज़्यादा देर तक चुप रहना भी मुमकिन न्ही था क्योंकि उत्तेजित रत्ना के प्रश्नो का ज्वाब देना उसके लिए पहाड़ साबित हो रा था.

रत्ना: बोला मेरी जान क्या तुमने मेरी सासू मा और ननद जी की भी देखी है?

बोलो , बोलो बोलो, बोलो ना राजा क्या हुआ ज़ुबान न्ही है क्या मूह मैं

सुरेश : हाँ देखी है .

शायद इस जवाब की उम्मीद न्ही थी रत्ना को ये सुनकर वो शोक्ड रह गई लेकिन उस वक़्त उत्तेजना का एसा खुमार था कि उल्टसीधा सब सही है. बस बोलते रहो

रत्ना: कैसे देखी और कितने बार

सुरेश: हज़रो बार !!!!!!!!1

रत्ना : क्याआआआअ

सुरेश: हाँ , हज़ारो बार देखी है.

रत्ना: उन लोगो ने कभी देखा न्ही

सुरेश: मैं न्ही जानता लेकिन मैने उन्हे देखने की पूरी व्यवस्था कर रखी थी

रत्ना: कैसे ?

सुरेश: मैने स्कूल टाइम मैं अप्प्नि पॉकेट मनी बचा कर एक स्पाइ केमरा खरीद रखा था और उसे अप्प्ने घर के टाय्लेट मैं लगा रखा था. सारे दिन की क्लीपिंग उसमे रेकॉर्ड होती थी और मैं रात मैं उन्हे आराम से अप्प्ने कंप्यूटर पर देखता था

रत्ना: मुझे बिलिव न्ही होता . तुम्हे स्पाइ केमरा के बारे मैं पता कैसे चला और कैसे खरीद सके .

सुरेश: तुम तो जानती ही हो कि मैं बचपन से ही कंप्यूटर का खिलाड़ी रहा हूँ जब लोग इंटरनेट का नाम भी बहुत कम जानते थे मैं तब से इसका शौकीन हूँ और पॉर्न साइट देख देख कर बहुत एक्शिटेड हो जाता था उसके बाद मे न्यूज़ साइट ओपन कर लेता था और लाइट ना आने पर नॉवेल्स रेड करता था उसमे भी मुझे सेक्स और स्पाइ एजेंट्स की नॉवेल्स ही अच्छी लगती थी जिसकी वजह से ये केमरा व्गारह के बारे मे मैं जान गया था

रत्ना: ओह माइ गॉड !!!!!!!!1, क्या तुम्हारे पास वो क्लिप्स अभी भी है

सुरेश : शादी के बाद मैने सारी क्लिप्स ख़तम कर दी थी क्योंकि अब मुझे इस सब कोई ज़रूरत न्ही थी

रत्ना: तो तुमने ननद जी की ली भी थी कभी ?

सुरेश: क्या जवाब दूं इस बात का !!!!

रत्ना : तुम्हारे इनकार ना करने को मैं तुम्हारा जवाब मान लूँ

सुरेश: कह सकती हो , लेकिन वो मैने उसे ब्लॅकमेल कर के ली थी

रत्ना: ब्लॅकमेल किस बात के लिए

सुरेश: एक बार मैने उसे अप्प्ने ड्राइवर के साथ बात करते हुए देख लिया था और हमारे घर मैं बात करना ही बहुत होता था. दीदी का क्या हाल होना था ये मैं बहुत अच्छी तरह से जानता था . क्योंकि मेरे दिमाग़ मैं तो बचपन से ही शैतान बसा था इसलिए मैने इस हरकत को भी अपने हक़ मैं इस्तेमाल किया और उसके साथ सेक्स किया .

रत्ना: दीदी ने इनकार न्ही किया ?

सुरेश : पहले तो मना करती रही लेकिन मेरे बहुत ज़ोर डालने पर तैयार ही गई

रत्ना: तुमने कैसे ली

सुरेश: तुम्हे सुननी है पूरी कहानी

रत्ना: हाँ अभी

सुरेश : लेकिन अभी मेरा ऑफीस जाने का टाइम है, रात मैं बात करेंगे

रत्ना: न्ही आज ऑफीस मत जाओ

सुरेश: आज मैं भी इसी मूड मैं हूँ लेकिन तुम जानती हो आज बहुत बड़ी डील होनी है ऑफीस मैं इसलिए मीटिंग मैं मुझे रहना होगा क्योंकि अगर ये डील सक्सेज हो गई तो मेरा सेलेक्षन "बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स" मैं हो जाएगा और 5 लाख मोन्थलि सल्लरी और सारे इन्सेंटीव्स मिलेंगे इसलिए आज प्लीज़ मैं जल्दी से जल्दी आने की कोशिस करूँगा और फिर रात को हम घूमने चलेंगे.

रत्ना: ओके

सुरेश: चलो एक बार फिर से मेरे मुँह पर पेशाब करो तुम्हारी अमृत धारा के स्वाद से तर होकर मैं शुभह काम पर निकलता हूँ.

इतना कहकर उसने रत्ना को अप्प्ने होंठ पर बैठा लिया जिससे रत्ना के चूत के लिप्स सुरेश के होठ पर आ टीके और रत्ना ने ज़ोर लगा लेकिन पेशाब तो प्रेशर पर ही निकलता लेकिन 2-4 बूंदे निकल ही आई

रत्ना- तुम्हारे लिए अभी प्रेशर न्ही बन पाया है जानू साम को तुम्हे अमृत धारा का टेस्ट कर्वौन्गि

फिर दोनो तैयार हुए सुरेश ऑफीस चला गया और रत्ना घर के छ्होटे मोटे काम निपटाने लगी.

.........................
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07-14-2017, 12:31 PM,
#6
RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
चलो गुरु देखते है सुरेश की मीटिंग कैसी चल रही है

सुरेश अपपनी कंपनी की सीईओ रीता पटेल के आलीशान कॅबिन मैं पहुचा कॅबिन एसी आंड साउंड प्रूफ था इसलिए सुरेश काफ़ी नर्व्स लग रहा था ....

रीता: प्लीज़ सीट डाउन मिस्टर सुरेश

सुरेश: जी मेडम

रीता: तुम जानते हो मैने किसलिए तुम्हे बुलाया है , मैने 2 हफ्ते पहले भी तुम्हे ऑफर किया था कि ले लो...ले लो.... बोलो क्या कहते हो

सुरेश: मैडम मैं लेना तो चाहता हूँ लेकिन लेना न्ही चाहता

रीता: मैं समझी न्ही कि क्या लेना चाहते हो और क्या लेना न्ही चाहते

सुरेश: मैं प्रमोशन लेना चाहता हूँ लेकिन वो न्ही लेना चाहता जिसके बदले प्रमोशन मिलेगी

रीता: एसी क्या बात है क्या खराबी है मुझमे पैसा है , सुंदरता है सब कुछ तो है और उस बुढ़िया से तो लाख गुना अच्छी हूँ

सुरेश : न्ही मैं आपके साथ वो सब न्ही करना चाहता

रीता: सुरेश तुम मेरी इन्सल्ट कर रहे हो , एक औरत से कह रहे हो एक औरत के लिए दुनिया पागल होती है और तुम इनकार कर रहे हो

सुरेश : हाँ

रीता : लेकिन क्यों ?

सुरेश: क्योंकि जो मैं करता हूँ वो तुम्हे पसंद न्ही आएगा

रीता : क्या तुम मूह मे आइ मीन ओरल......

सुरेश : वो भी

रीता : उसके अलावा !!!!!!!!!!!

सुरेश : तुम सोच भी न्ही सकती रीता

रीता : मैं तैयार हूँ प्लीज़ सुरेश मेरी प्यास बुझा दो अब मैं तुम्हारे बिना न्ही रह सकती

सुरेश धीरे धीरे मुस्कुरा रहा था फिर सुरेश धीरे से उठा और रीता की चेर के पीछे जाकर खड़ा हो गया और रीता के कंधे पर हाथ रख दिया . रीता को मानो मन की मुराद मिल गई.. फिर सुरेश ने धीरे हाथ नीचे लाया और हाथ टॉप के अंदर डाल दिया नरम मुलायम बूब्स के स्पर्श से एक बार तो लगा कि वो बहक जाएगा लेकिन उसने खुद को कॉनट्रॉल किया और प्यार से बूब्स दबाने ल्गा ... अप्प्नि उंगली एरॉटिक अंदाज मैं रीता के होंठ पर फिराने लगा ..रीता मदहोश होती जा रही थी फिर उसने रीता को चेर से खड़ा किया और दीवार की तरफमूह करके खड़ा कर दिया रीता मशीनी अंदाज़ मैं सब करती जा र्ही थी जैसी की सुरेश की गुलाम हो.. फिर सुरेश ने लोंग स्कर्ट के उपेर से उसकी योनि महसूस की जो थोडा गरम लग रही थी...फिर उसने नीचे से स्कर्ट मैं हाथ डाला और पॅंटी के उप्पेर हाथ रखा तो हाथ गीला हो गया उसका पतन हो चुका था लेकिन अगले राउंड के लिए वैसे ही तैयार थी फिर उस गीली रसीली योनि को उपेर से महसूस करने के बाद उसने पेट की तरफ से पॅंटी मैं हाथ डाल दिया .उसकी उंगलिया रीता जी झांतो मैं फंसकर रह गई लेकिन किसी तरह हाथ वो अंदर ले गया और दोनो फांको को अलग किया उसकी चूतइतनी गीली थी कि उसने हाथ निकाल कर उंगलियाँ चूस ली फिर पॅंटी उतार दी और रीता को आगे की ओर झुका दिया जिससे उसकी चूत के होंठ खुलकर सामने आ गये थे सुरेश ने अप्प्ने होंठ से उन्हे पाँच मिनूट चूसा ..रीता अब तक पागल हो चुकी थी...सुरेश प्लीज़ डॉल दो जल्दी अब सहन न्ही होता प्ल्ज़्ज़ तुम जो कहोगे मैं करूँगी...

सुरेश: न्ही रीता अभी मुझे जाना है अब कल ही मिलूँगा

रीता: प्ल्ज़ मुझे एसे छ्चोड़ कर मत जाओ मैं मर जाउन्गि

सुरेश: सॉरी रीता मैने कहा था ना कि तुम्हारे साथ न्ही कर पाउन्गा

रीता: प्ल्ज़ आज कर लो बाकी मैं याद रखूँगी

सुरेश: न्ही रीता बाइ..........

इतना कह कर सुरेश बाहर निकल गया और रीता ने जल्दी से ड्रॉयर मैं पड़े वाइब्रटर को निकाल कर योनि द्वार पर रखा और सत्त्‍त से नोक अंदर और स्विच ऑन करने के साथ ही रीता का काम हो गया....शांत हो कर रीता सोचने लगी
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07-14-2017, 12:31 PM,
#7
RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
सुरेश ने एसा क्यों किया क्या वो प्लेबाय है ... क्या वो मुझसे कुछ चाहता है ..लेकिन मेरे पास सब कुछ है मैं उसे सब दूँगी...........

सुरेश घर वापस आ गया तो पता चला कि कल उसकी साली जी आ रही है . इंटरव्यू देने के लिए . सुनकर तो जैसे थोड़ी देर के लिए सुरेश का चेहरा कमल के समान खिला नज़र आने लगा था. और मुस्कुराहट को रत्ना देख न्ही पाई..

सुरेश : चलो यार आज कुछ समान खरीद लाते है और बाहर ही खाना भी खा लेंगे कल तो साली साहिबा आ रही है उनके लिए भी कुछ चीज़े खरीद लाएँगे

रत्ना: वाह जी साली की बात सुनते ही तुम एसे उच्छल रहे हो जैसे कि मेरी न्ही तुम्हारी बहन आ रही है

सुरेश: अरे अभी मेरी बहन से तुमने पूछा ही कहा है वो जो चीज़ है तुम्हारी बहन तो उसके आसपास्स भी न्ही है

रत्ना: अब तुम मुझे गुस्सा दिला रहे हो

सुरेश; मैं सच कह रहा हूँ

रत्ना: मेरी बहन ज़्यादा सुंदर है

सुरेश: ये तो अप्प्नि बहन से कहो कि मेरे सामने कपड़े उतार कर दिखाए फिर मैं अप्प्नि बहिन की तस्वीर से मिला कर देखूँगा की कोन ज़्यादा सुंदर है

रत्ना: चलो देख्नेगे , अभी चले !!!!!!!!!!!!!1

सुरेश: हाँ चलो...

रत्ना और सुरेश बस स्टॅंड पहुच कर न्यू देल्ही के लिए बस मैं बैठ जाते है रात के 9.00 बज चुके थे और ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ा दी थी..अंदर की लाइट बंद कर देने के कारण अंदर पूरा अंधेरा था रत्ना को तो लॅडीस होने के कारण सीट मिल गई थी लेकिन सुरेश को भीड़ मैं उस डीटीसी मैं खड़ा ही रहना था यू तो वो बाइक से ही जाते थे कही लेकिन आज रत्ना की ज़िद थी कि हम बस से चलेंगे.

सुरेश रत्ना पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि रत्ना को सीट दे दी थी उस बूढ़े आदमी ने जिसकी एज लगभग 70 साल थी हाथ कांप रहे थे लेकिन चेहरे से खूब गोरा था.. सुरेश सामने देख रहा था.. लेकिन अंधेरे मैं 1 हाथ रत्ना की जाँघ [थाइ] सहला रहा था रत्ना को तो समझ न्ही आ रहा था कि ये कैसे हो सकता है सैकड़ो लोगो से भरी बस मैं एक पापा की उमर का आदमी उसके साथ कैसे एसा कर सकता था लेकिन सुरेश ने जब देखा तो जैसे उसके अंदर का कामी पुरुष जाग उठा . रत्ना उससे कुछ कहना चाहती थी लेकिन सुरेश जैसे मज़ा ले रहा था इस सीन का और इशारे मैं उसने कहा कि "होने दो जो रहा है" . बुड्दे ने धीरे धीरे अप्प्ने हाथ का दबाव बढ़ा दिया था जो कि अब साफ तौर पर रत्ना को महसूस रहा था . वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन सुरेश के इशारे ने उसे चुप करा रखा था. बुड्दे ने अंधेरे का फ़ायदा उठा कर एक हाथ अब रत्ना की जाँघो के बीच रख दिया और अप्प्नि उंगली चलाने लगा सुरेश को मज़ा आ था... तभी मेडिकल आ गया और एक शॉर्ट स्कर्ट पहने हुए अल्ट्रा मॉडर्न गर्ल बस मैं चढ़ि सारी सीट्स फुल थी तो सीधी बात कि उसे खड़ा होना था और वो खड़ी हुई भी तो सुरेश के " इकके " के सामने .. लेकिन रत्ना का अब बहुत बुरा हॉल था हाथ ज़रूर बुड्ढे थे लेकिन स्पर्श ने उसे गीला कर दिया था और अब उसे चुदाई की ज़रूरत थी...इधर वो लड़की सुरेश के समान से अपनी दुकान लगा के खड़ी थी सुरेश लोड हो चुका था अंधेरे का फ़ायदा उठना ज़रूरी था उनके लिए सुरेश ने अप्नी 2 उंगलियाँ उसकी स्कर्ट मे डाल दी. लड़की बिल्कुल भी न्ही चौकी जैसे कि वो तो आदि थी उसकी और सुरेश के लिए समझना बिल्कुल मुस्किल न्ही था कि "लाइन क्लियर है" सुरेश ने अप्प्नि 2 उंगलियाँ साइड से होते हुए उसकी पॅंटी मैं घुसा दी . लड़की बहुत बुरी तरह से चौंक गयी . शायद आज तक नितंब तो बहुत सहलाए गये थे उसके लेकिन गॅंड मैं उंगली किसी ने भी न्ही की थी. लड़की ने पीछे मूड कर देखा लेकिन सुरेश की मुस्कुराहट से वो जैसे मान गई थी और सुरेश से चिपक कर खड़ी हो गई फिर सुरेश ने धीरे से पॅंटी नीचे कर दी और उंगलिसे चूत को सहलाने लगा लड़की मदहोश होने लगी.. और 2 मिनूट बाद सुरेश को महसूस हुआ की लड़की झाड़ चुकी थी सुरेश का हाथ पूरा गीला हो चुका था . और लड़की की सिसकारिया बस के महॉल को अजीब ब्ना ही थी. कुछ लोगो की नज़रे भी घूमी लेकिन लड़की ने तुरंत कॉंटरोल किया और अगले ही स्टॉप पर उतर गई सुरेश बड़बड़ाया " साली खड़े लुक्ड़ पर धोखा दे गई"

बूढ़े ने रत्ना को इतना गरम कर दिया था कि रत्ना की साडी भीग गई थी स्टॉप आ चुका था और ड्राइवर ने लाइट ओन की लेकिन उससे बहुत पहले ही बस खाली हो गई थी और रत्ना देख ही न्ही सकी कि किस की उंगलिया उसे इतनी देर तक चोदती रही .कोन था वो.... रत्ना और सुरेश भी उतर का बाहर आ गये

सुरेश: मज़ा ले रही थी

रत्ना : मैं ?????

सुरेश : न्ही तो क्या वो मेरी गंद मैं उंगली कर रहा था?

रत्ना: मैं तुम्हारी वज़ह से चुप थी न्ही तो एसा तमाचा मारती उसके कि जिंदगी भर याद रखता

सुरेश: अच्छााआआ........

रत्ना : और न्ही तो क्या

सुरेश : तुम तो मज़ा ले रही थी पूरी भीगी हुई हो

रत्ना: अब मैं क्या करू कोई करेगा तो गीली तो हो ही जाउन्गि चाहे गुस्से से ही कोई गुड खाएगा तो क्या वो कड़वा लगेगा गुड तो मीठा ही होता है ना

सुरेश : खूब गुड खाने लगी हो लौटते हुए भी बुड्दे के बगल मैं बैथोगी

रत्ना: न्ही अभी हम लोग मूवी देखेंगे फिर घर चलेंगे

रत्ना इस "गूची" इस वक़्त बिल्कुल भट्टी की तरह तप रही थी और उसे शांत करना रत्ना को बहुत भारी पड़ रहा था राह चलते रत्ना अपपनी चूत को साडी के उप्पेर से सहलाती जा रही थी लेकिन लोग सड़क पर थे और रत्ना शरम की वज़ह से 1 या 2 बार से ज़्यादा न्ही खुज़ला पा रही थी .इसलिए उंगली लगते ही उसकी भूक और भी बढ़ गई थी लेकिन आब इतनी जल्दी घर पहुचना मुमकिन न्ही था क्योंकि कमला नगर {न्यू देल्ही } से महरौली तक पहुचने मैं 2 घंटे तो लग ही जाने थे .इसलिए रत्ना ने सजेस्ट किया कि सुरेश चलो हम मूवी देखते है ..सुरेश मूवी देखने के लिए हॉल तक गया बट अनफॉर्चुनॉट्ली शो स्टार्ट हो चुक्का था और नो एंट्री का बोर्ड लग चुका था ... लेकिन रत्ना की गर्मी भयानक हो चुकी थी जैसी की रत्ना ने एक साथ कई वियाग्रा ले ली थी और अब उसके लिए चलना भी मुस्किल हो रहा था तभी उसे एक पब्लिक टाय्लेट दिख गया और रत्ना " महिला सौचलय" की साइड चली गई सुरेश भी पीछे से " पुरुष प्रसाधन" की तरफ गया और वही से होते हुए अंदर रत्ना के टाय्लेट मैं पहुच गया और रत्ना तो जैसे पागल ही थी उसने बुरी तरह से सुरेश को झींझोड़ डाला और उसकी पॅंट का हुक लगभग उखाड़ दिया " और हाथ डॉल कर लिंग को बाहर खींच लिया और अपपने नरम होंठो से चूवसने लगी..
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07-14-2017, 12:31 PM,
#8
RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
सुरेश को तो स्वर्ग मिल गया था करीब 3 मिनूट चूसने के बाद सुरेश को लगा कि वो झड़ने वाला है तो उसने रत्ना के मूह को बाहर की तरफ हटाने की कोशिस की .क्योंकि रत्ना कभी कम स्वॉलो न्ही करती थी उसे उल्टियाँ हो जाती थी इसलिए सुरेश उसका मूह बाहर हटा रहा था लेकिन रत्ना को समझ न्ही आ रहा था और उसने अपपना मूह न्ही हटाया और सुरेश उसके मूह के अंदर ही झाड़ गया और रत्ना को 1 सेसेंड के लिए अजीब लगा लेकिन वो उसे निगल गई और फिर आहिस्ते से लिंग चूसने लगी लेकिन सुरेश का प्रेशर अब न्ही बन रहा था 10 मिनूट तक ठीक से चूसने के बाद कही जाकर वो फिर से सुरेश को तैयार कर चुकी थी और अबबकी बार अपपना मूह दीवार की ओर करके खड़ी हो गई लगभग 100 डिग्री के आंगल पर इस तरह रत्ना की फुददी सुरेश के पप्पू पर आकर छू रही थी और सुरेश ने 2 बार धीरे धीरे रत्ना के चूत द्वार पर छुआ रत्ना पागल हो गई और बोली सुरेश पागल मत बनाओ प्लीज़ कर दो .. मुझसे सहा न्ही जाता प्ल्ज़.. लेकिन सुरेश को सुनाई न्ही पड़ रहा था.. रत्ना फिर गिड़गिदई सुरेश मैं सब कुछ कर दूँगी तुम जो कहोगे मैं करूँगी मैं विभा का रोल प्ले करके तुमसे कर्वौन्गि लेकिन प्लीज़ अभी कर दो..

सुरेश को मन माँगी मुराद मिल रही थी वो तो हमेशा से विभा के सपने देखता था और उससे कहता था कि मैं तुम्हे विभा समझ करके चोदना चाहता हूँ लेकिन रत्ना इनकार करदेटी थी करना हो तो मेरे साथ करो न्ही तो जाओ विभा को ले लाओ...

लेकिन आज रत्ना खुद ही ऑफर दे रही थी

सुरेश : लेकिन मैं एक चीज़ और भी चाहता हूँ

रत्ना; क्या ?

सुरेश : जब विभा नहाएगी तो तुम मुझे छिप्कर देखने दोगि !!

रत्ना: हाँ हाँ देखने दूँगी, अभी करो प्लीज़

सुरेश ने तरस खाकर ही सही उसके लिप्स ओपन किए और सरका दिया . फुददी इतनी गीली थी रखते ही सटाक से अंदर और रत्ना को लगा जैसे की लोहा चला गया है अंदर. सुरेश के धक्के धीरे धीरे उसे हवा की सैर करवा रहे थे और एक पल एसा आया जब "फ्लाइट लॅंड" कर गई. दोनो लोग आराम से फारिग हुए और रत्ना "महिला साइड " और सुरेश 2 मिनूट बाद "पुरुष साइड" से निकल आया .

उसके बाद उनलोगो ने कुछ समान खरीदा और घर पहुच गये ..आज विभा को आना था इंटरव्यू के लिए और सुरेश की खुशी का ठिकाना न्ही था विभा की बॉडी क्या मस्त थी 5.3 कुल मिलकर एक मॉडेल जैसी थी अगर हाइट थोड़ा सा और होती तो..

चलिए अब अगले पार्ट मैं देखते है सुरेश जी क्या करेंगे विभा का..............

क्रमशः........................
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07-14-2017, 12:31 PM,
#9
RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
-4

गतांक से आगे ...............................................

कल के वायियूर एक्सपीरियेन्स से तो जैसा रत्ना की सेक्षुयल डिज़ाइर्स मैं निखार आ गया था. अब तो रात भाई उसने सुरेश को सोने ही न्ही दिया .. आलम ये था कि सुरेश जैसा काम पिसाच भी थक कर सो गया था .. रात के सुनहरे सपने मैं जिसमे वो अप्प्नि ड्रीम गर्ल को देखना चाहता था . आज सनडे का दिन और सनडे को क्या होना है सुबह 5 बजे के टाइम ही आँख खुल गई और रेल-पेल स्टार्ट हो गई जो करीब 20 मिनूट चल पाई और दोनो फिर से सो गये और कब 11.00 बज गये पता ही न्ही चला ..

रत्ना: अफ आज क्या हो गया है . विभा भी आने वाली होगी और हम लोग अभी तक सो ही रहे है

सुरेश: अरे यार आने दो विभा को क्या करेगी मेरी साली साहिबा

रत्ना: अरे तुम फिर सुरू हो गये

सुरेश: लगता है तुम कल का वादा भूल गई हो

रत्ना: वादा कोन सा वादा

सुरेश: हुम्म... तो तुम मुझे बताना चाहती हो कि मैं विभा की न्ही देख सकता

रत्ना: देखिए ये सब मैं न्ही जानती लेकिन मैं अपपकी कोई हेल्प न्ही करने वाली

सुरेश: तुम अपपनी बात से मुकर रही हो

रत्ना: इसमे कैसा मुकरना

सुरेश: मैने कल तुम्हारी ज़रूरत पूरी की थी

रत्ना: वो तो तुम्हारी ज़िम्मेदारी है. तुम न्ही करोगे तो किसी ना किसी को पकड़ लाउन्गी

सुरेश: मुझे क्या प्राब्लम है डॉरलिंग मुझे तो टेस्ट बदलने की आदत है मैं तो चाहता हूँ कि तुम अपपने भाई को भी बुला लो और सुरू हो जाओ

रत्ना: आप न्ही सुधरेंगे !!!!!!!!!!!!

सुरेश: जो सुधर जाए वो सुरेश न्ही

तभी दरवाजे की बेल बज़ी और रत्ना ने गेट ओपन किया तो बाहर अप्सरा सी एक लड़की खड़ी थी जो थी तो थोड़ा सा मांसल {मीट फुल} लेकिन इतनी खूबसूरत थी कि हर कोई देखता ही रह जाए .. उसने एक ट्रॅन्स्परेंट सलवार पहना हुआ था . जिसमे उसकी ब्लू पॅंटी दिख रही थी. सुरेश की नज़र देख कर रत्ना बोली

रत्ना: जाओ विभा फ्रेश हो जाओ और चेंज कर लो ये क्या कपड़े पहनती हो देखो पॅंटी दिख रही है

विभा: अरे दीदी डरो न्ही मैं जीजू को देने न्ही आई हूँ यार "वाइ आर यू सो स्केर्ड " . 1 दिन मैं कुछ न्ही हो पाएगा कल तो चली ही जाउन्गी

रत्ना: बहुत बोनले लगी है तू अच्छा ये बता कि कंपनी के लिए आई है

विभा: दी मैं यहा पर "प्ले बॉय" की न्यू ऑफीस के लिए आई हूँ

रत्ना: "प्ले बॉय " तू वाहा क्या करेगी फोटू खिचवाएगी क्या नंगी नगी

विभा: अरे न्ही दीदी मैं तो मॅनेजर पोस्ट के लिए आई हूँ

रत्ना: देख कोई उल्टा सीधा काम मत करना, चल फ्रेश हो जा मैं नाश्ता तैयार करती हूँ सबके लिए

विभा: ओके दी......जीजू कहा गये

रत्ना : टाय्लेट गये होंगे जा तू बाथरूम मैं फ्रेश हो जा

विभा: जीजू ना आ जाए पीछे से

रत्ना: अरे तो क्या तू नगी होकर फ्रेश होती है

विभा: तो क्या चेंज कपड़े के उपर से ही कर लूँ..

रत्ना: भाई तू समझ ... वेट कर ले 5 मिनट

विभा: मुझे भूख लगी है मैं तो चली तुम कुछ ब्नाओ जल्दी से

इतना कह कर विभा टाय्लेट से जॉइंट बाथरूम मैं चली जाती है और फासएवाश करने लगती है तभी उसे टाय्लेट से सू-सू की तेज़ धार सुनाई पड़ती है .

विभा: हुम्म ., जीजू सू-सू कर रहे है लगता है.

उँची आवाज़ मैं..............
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07-14-2017, 12:31 PM,
#10
RE: Chudai Kahani ये कैसा परिवार !!!!!!!!!
विभा: जीजू क्या कर रहे है , बहुत आवाज़ आ रही है

सुरेश: सर्विस कर रहा हूँ क्या है कि रात मैं मशीन ज़्यादा चलाई थी

विभा: कोन सी मशीन, आज कल रात मैं भी काम करने लगे क्या

सुरेश: रात मैं ही तो काम करता हूँ तेरी दीदी की मशीन पर

विभा: जीजू तुम फिर सुरू हो गये

सुरेश: क्या करू यार तुम्हे देख कर रोक न्ही पाता हूँ

विभा: तो पापा ने दी तो है एक अब क्या सब हमारे घर से ही लोगे

सुरेश: पापा ने अच्छी मशीन किसी और को दे दी मुझे ये दी है

विभा: जो मिला उसी मैं खुश रहा करो

सुरेश: यार मैं भी आ जाउ

विभा:छीईईईईईइ......................

ये कह कर विभा बाहर निकल आती है

विभा : आज सनडे है जीजू कहा ले चलेंगे . हम लोगो को PVऱ ले चलिए

सुरेश: ओके चलो तैयार हो जाओ साकेत चलते है

ओके.................................................................

सुरेश रत्ना और विभा तैयार होकर बस स्टॉप पहुचे और देखा तो कोई भी बस न्ही लगी हुई थी. टाइम भी हो रहा था साकेत की दूरी तो केवल 2 किलोमीटर थी लेकिन पैदल जाना मुश्किल था . सुरेश ने पास खड़े ऑटो वाले को बुलाया डेल्ली का ऑटोवाला भी दिलदार आदमी..

सुरेश : ऑटो , खाली हो क्या..

औूतोवला : हाँ भाई साब ब्ताओ कहा तक जाना है अपपको

सुरेश: यार साकेत तक चलना है PVऱ

ऑटो: आइए ...

सुरेश: पैसे बोलो कितने लोगे

औूतोवला : 150 रुपये दे देना भाई साब

सुरेश: यार साकेत यही बगल मे तो है ....150 रुपये..............

ऑटो वाला: पास मैं है तो एसे ही चले जाओ भाई साब

सुरेश: यार 100 ले लेना.चलो..........

ऑटो वाले बड़े गौर से विभा और रत्ना की ओर देखा , और प्यार से मुस्कुराया चलिए बैठिए..

ऑटो वाला भी कोई ड्राइवर न्ही लग रहा था गोरा चितता स्मार्ट था फिर वो ऑटो घुमा कर बोला बैठिए

सुरेश ने पहले रत्ना को बिठाया और फिर विभा की गंद मैं हाथ लगाते हुए बोला कि तुम भी बैठो यार ...नरम गंद पर स्पर्श पाते ही विभा मचल उठी. लेकिन हालत की नज़ाकत समझते हुए खामोश ही थी.

ऑटो वाला विभा और रत्ना को देखकर कुछ ज़्यादा ही मस्ती मैं आ गया था और इसलिए ट्रॅफिक रूल्स की मा चोद्ता चला जा रहा था ना सिग्नल ना ओवर्टेक ना साइड इसी आपाधापी मैं जब साकेत PVऱ सामने दिख रहा था वो एक बार विभा को देख लेने के लिए वो पीछे घूमा और उतनी देर मैं सामने से एक साइकल वाला आ गया जिसके ऑटो वाले ने टक्कर मार दी वाहा बवाल होने लगा और भीड़ बढ़ गई थी लोग ड्राइवर के साथ मारपीट करने लगे थे भीड़ मैं ही मौका उठा कर किसी ने विभा की गंद मैं उंगली डॉल थी . विभा तिलमिला उठी उस उंगली से . लेकिन लड़कियों के लिए जैसे नॉर्मल सी बात थी सुरेश ने किसी तरह उसे भीड़ से छुड़ाया और पिकेट पर बैठे पोलीस वालो को सूचना दी और पोलीस उसे पकड़ के ले गई . फिर सुरेश टिकेट विंडो पर चला गया टिकेट लेने के लिए और बिना किसी प्राब्लम के 3 टिकेट ले आया फिर वो तीनो हॉल मैं पहुचे और अपपनी सीट पर जाकर बैठ गये थोड़ी देर के बाद लाइट्स ऑफ हो गई और सुरेश को जैसे इसका ही इंतज़ार था

रत्ना सबसे किनारे थी फिर सुरेश फिर विभा .. इसलिए सुरेश विभा के साथ क्या कर रहा है ये रत्ना न्ही जान सकती थी और रत्ना के साथ क्या कर रहा है ये विभा को न्ही दिख सकता था हॉल बिल्कुल खाली था गिनती के 9 लोग थे ए++ क्लास मैं जिसमे 3 कपल थे और और 3 ये लोग मूवी स्टार्ट होते ही हॉल मैं डार्कनेस का साम्रज़या छा गया था कपल्स को तो शायद इसी का इंतज़ार था और पूरे हॉल मैं जैसे सब के सब गएब हो गये था कुछ भी न्ही दिख रहा था था लेकिन प्रोजेक्टर की लाइट से जो हल्की सी लाइट हुई थी उसमे रत्ना ने देखा कि सभी सिर अपपस मैं जुड़े थे . रत्ना को समझते देर न्ही लगी कि लोग क्या कर रहे है उसने भी अंधेरे का फ़ायदा उठाया और सुरेश के पॅंट पर हाथ रख दिया सुरेश तो जैसे इसी का वेट कर रहा था उसने रत्ना के हाथ को दबा दिया और दूसरा हाथ विभा के हाथ पर रख दिया. रत्ना ने उत्तेजना मैं भरकर सुरेश की पॅंट की ज़िप खोल दी और अंडरवेर के उपेर से महसूस किया कि सुरेश का पप्पू बहुत उततेज़ीत है उसने धीरे से अंदर हाथ डाला और सहलाने लगी. सुरेश रत्ना के हाथ पर हाथ रख कर उसे सहलाने मैं बिजी था
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