Chudai Kahani गाँव का राजा
06-24-2017, 11:53 AM,
#21
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"हा मामी पहली बार देखी है, बहुउउउउउत खूबसूरत है" राजू को लग रहा था जैसे की उसका लंड में से कुच्छ निकल जाएगा. लंड एक दम से अकड़ कर उप डाउन हो रहा था और सुपरा तो एक दम पहाड़ी आलू के जैसा लाल हो गया था.


"देख तेरा औज़ार कैसे फनफना रहा है, थोड़ी देर और देखेगा तो फट जाएगा"

"ही मामी फट जाने दो, थोड़ा सा और पॅंटी खोल के भीईइ............"

इस पर उर्मिला देवी ने उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में थाम लिया और दबाती हुई बोली "अभी तो ये हाल है पॅंटी खोल दिया तो क्या होगा"

"हाई मामी ज़रा सा बस खोल के.......", इस पर उर्मिला देवी ने उसके लंड को अपनी मुठ्ठी में और कस के दबोच लिया और उपर नीचे करने लगी. लंड के सुपाडे से चमड़ी पूरी तरह से हट जाती थी और फिर जब मुठ्ठी उपर होती तो चमड़ी फिर से ढक जाती थी. इतनी ज़ोर से तो मुन्ना ने भी कभी अपने हाथो से मूठ नही मारी जितनी ज़ोर से आज मामी मूठ मार रही थी. सनसनी के कारण राजू की गांद फट रही थी. उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे. सब कुच्छ भूल कर सिसकारी लेते हुए मामी के हाथो से मूठ मराई का मज़ा लूट रहा था. लंड तो पहले से ही पके आम के तरह से हो रखा था. दो चार हाथ मरने की ज़रूरत थी, फट से पानी फेंक देता मगर कयामत तो तब हो गयी जब उर्मिला देवी ने आगे झुक कर लंड को अपने मुँह में ले लिया. अपने पतले गुलाबी होंठो के बीच लंड को दबोच कर जैसे पीपे से पानी चूस कर निकालते हैं वैसे ही कस के जो चुसाइ शुरू की तो आँखे बंद होने लगी, गला सुख गया ऐसा लगा जैसे शरीर का सारा खून सिमट कर लंड में भर गया है और मामी उसको चूस लेना चाहती है. मज़े के कारण आँखें नही खुल रही थी. मुँह से केवल गोगियाने हुई आवाज़ में बोलता जा रहा था "हाई चूस लो चूस लो ओह मामी चूस लो............."


तभी उर्मिला देवी ने चूसना बंद कर अपने होंठो को लंड पर से हटा लिया और फिर से अपने हाथो से मूठ मारते हुए बोली "अब देख तेरा कैसे फल फला के निकलेगा जब तू मेरी पॅंटी की सहेली को देखेगा" चुसाइ बंद होने से मज़ा थोड़ा कम हुआ तो राजू ने भी अपनी आँखे खोल दी. मामी ने एक हाथ से मूठ मारते हुए दूसरे हाथ से अपने पेटिकोट को पूरा पेट तक उपर उठा दिया और अपनी जाँघो को खोल कर पॅंटी के किनारे (मयनि) को पकड़ एक तरफ सरका कर अपनी झांतो भरी चूत के दर्शन कराए तो राजू के लंड ने भल-भला कर पानी छोड़ना शुरू कर दिया. राजू के मुँह से एकदम से आनंद भरी ज़ोर की सिसकारी निकली और आँखे बंद होने लगी और "ओह मामी ओह मामी" करता हुआ अपने लंड का पानी छोड़ने लगा. उर्मिला देवी ने उसके झाड़ते लंड का सारा माल अपने हाथो में लिया और फिर बगल में रखे टॉवेल में पोछ्ति हुई बोली "देखा मैं कहती थी ना कि देखते ही तेरा निकल जाएगा". राजू अब एक दम सुस्त हो गया था. इतने जबरदस्त तरीके से वो आजतक नही झाड़ा था. उर्मिला देवी ने उसके गालो को चुटकी में भर कर मसल्ते हुए एक हाथ से उसके ढीले लंड को फिर से मसला. राजू अपनी मामी को हसरत भारी निगाहो से देख रहा थ.दोस्तो आपके राज शर्मा का भी बुरा हाल हो रहा है बाकी कहानी अगले भाग मे
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06-24-2017, 11:53 AM,
#22
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
गाँव का राजा पार्ट -5

हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी गाँव का राजा लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे
उर्मिला देवी राजू की आँखो में झाँकते हुए वही पर कोहनी के बल राजू के बगल में अढ़लेटी सी बैठ कर अपने दूसरे हाथ से राजू के ढीले लंड को अपनी मुट्ठी में उसके आंडो समेत कस कर दबाया और बोली "मज़ा आया.....". राजू के चेहरे पर एक थकान भरी मुस्कुराहट फैल गई. पर मुस्कुराहट में हसरत भी थी और चाहत भी थी.

"मज़ा आया" उर्मिला देवी ने पुछा.

"हाँ मामी बहुत………"

"पहले हाथ से करता था"

"कभी कभी"

"इतना मज़ा आया कभी"

"नही मामी इतना मज़ा कभी नही आया,….."

मामी ने राजू के लंड ज़ोर से दबोच कर उसके गालो पर अपना दाँत गढ़ाते हुए एक हल्की सी पुच्चि ली और अपनी टाँगो को उसकी टाँगो पर चढ़ा कर रगड़ते हुए बोली "पूरा मज़ा लेगा". राजू थोड़ा सा शरमाते हुए बोला "हाँ मामी, हा". उर्मिला देवी की गोरी चिकनी टाँगे राजू के पैरो से रगड़ खा रही थी. उर्मिला देवी का पेटिकोट अब जाँघो से उपर तक चढ़ चुका था.

"जानता है पूरे मज़े का मतलब!" राजू ने थोड़ा सकुचाते हुए अपनी गर्दन हा में हिला दी. इस पर उर्मिला देवी ने अपनी नंगी गदराई जाँघो से राजू के लंड को मसल्ते हुए उसके गालो पर फिर से अपने दाँत गढ़ा दिए और हल्की सी एक प्यार भरी चपत लगाते हुए बोली "मुझे पहले से ही शक़ था, तू हमेशा घूरता रहता था".फिर जब तूने बताया था कितू राज शर्मा की सेक्सीकहानियाँ पढ़ता है तो मुझे पूरा यकीन हो गया फिर प्यार से उसके होंठो को चूम लिया और उसके लंड को दबोचा. राजू को थोड़ा सा दर्द हुआ. मामी के हाथ को अपनी हथेली से रोक कर सिसकते हुए बोला "हाई मामी. राजू को ये मीठा दर्द सुहाना लग रहा था. वो सारी दुनिया भूल चुक्का था. उसके दोनो हाथ अपने आप मामी के पीठ से लग गये और उसने उर्मिला देवी को अपनी बाँहो में भर लिया. मामी की दोनो बड़ी बड़ी चुचियाँ अब उसकी छाती से लग कर चिपकी हुई थी. उर्मिला देवी ने फिर से राजू के होंठो को अपने होंठो में भर लिया और अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल कर घूमाते हुए दोनो एक दूसरे को चूमने लगे. औरत के होंठो का ये पहला स्पर्श जहा राजू को मीठे रसगुले से भी ज़यादा मीठा लग रहा था वही उर्मिला देवी एक नौजवान कमसिन लंड के होंठो का रस पी कर अपने होश खो बैठी थी. उर्मिला देवी ने राजू के लंड को अपने हथेलियो में भर कर फिर से मसलना शुरू कर दिया. कुच्छ ही देर में मुरझाए लंड में जान आ गई. दोनो के होंठ जब एक दूसरे से अलग हुए तो दोनो हाँफ रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे मिलो लंबी रेस लगा कर आए है. अलग हट कर राजू के चेहरे को देखते हुए उर्मिला देवी ने राजू के हाथ को पकड़ कर अपने चुचियों पर रखा और कहा "अब तू मज़ा लेने लायक हो गया है" फिर उसके हाथो को अपने चुचियों पर दबाया. राजू इशारा समझ गया.उसने उर्मिला देवी के चुचियों को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया. उर्मिला देवी ने भी मुस्कुराते हुए उसके राजू के लेंड को अपने कोमल हाथो में थाम लिया और हल्के हल्के सहलाने लगी. आज मोटे और दस इंच के लंड से चुदवाने की उसकी सालो की तमन्ना पूरी होने वाली थी. उसके लिए सबसे मजेदार बात तो ये थी की लंड एक दम कमसिन उमर का था. जैसे मर्द कमसिन उमर की अनचुदी लरकियों को चोदने की कल्पना से सिहर उठते है शायद उर्मिला जी के साथ भी ऐसा ही हो रहा था, मुन्ना बाबू के लंड को मसालते हुए उनकी चूत पासीज रही थी और इस दस इंच के लंड को अपनी चूत की दीवारो के बीच कसने के लिए बेताब हुई जा रही थी.

राजू भी अब समझ चुका था कि आज उसके लंड की सील तो ज़रूर टूट जाएगी. दोनो हाथो से मामी की नंगी चुचियों को पकड़ कर मसल्ते हुए मामी के होंठो और गालो पर बेतहाशा चुम्मिया काटे जा रहा था. दोनो मामी भानजे जोश में आकर एक दूसरे से लिपट चिपेट रहे थे. तभी उर्मिला जी राजू के लंड को कस कर दबाते हुए अपने होंठ भीच कर राजू को उकसाया "ज़रा कस कर". राजू ने अपनी हथेलियों में दोनो चुचियों को भर कर ज़ोर से मसल्ते हुए निपल को चुटकी में पकड़ कर आगे की तरफ खीचते हुए जब दबाया तो उर्मिला देवी के मुँह से आह निकल गई. दर्द और मज़ा दोनो ही जब एक साथ मिला तो मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी. पैर की एडियो से बिस्तर को रगड़ते हुए अपने चूतरो को हवा में उच्छालने लगी. राजू ने मामी को मस्ती में आते हुए देख और ज़ोर से चुचियों को मसला और अपने दाँत गाल पर गढ़ा दिए. उर्मिला देवी एक्दुम से तिलमिला गई और राजू के लंड को कस कर मरोड़ दिया "उईईईईईई माआआआआआ सीईई धीरे से……". लंड के ज़ोर से मसले जाने के कारण राजू एक दम से दर्द से तड़प गया पर उसने चुचियों को मसलना जारी रखा और मामी की पप्पियाँ लेते हुए बोला "अभी तो बोल रही थी ज़ोर से और अभी चिल्ला रही हो……..ओह मामी". तभी उर्मिला देवी ने राजू के सिर को पकड़ा और उसे अपनी चुचियों पर खींच लिया और अपनी बाई चुचि के निपल को उसके मुँह से सटा दिया और बोली "इतनी सारी राज शर्मा की सेक्सीकहानियाँ पढ़ कर क्या खाली चुचि दबाना ही सीखा है, चूसना नही सिखाया क्या उसमे. राजू ने चुचि के निपल को अपने होंठो के बीच कस लिया. थोड़ी देर तक निपल चुसवाने के बाद मामी ने अपनी चुचि को अपने हाथो से पकड़ कर राजू के मुँह में ठेला, राजू का मुँह अपने आप खुलता चला गया और निपल के साथ जितनी चुचि उसके मुँह में समा सकती थी उतनी चुचि को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. दूसरे हाथ से दूसरी चुचि को मसल्ते हुए राजू अपनी मामी के मुममे चूस रहा था. कभी कभी राजू के दाँत भी उसकी मुम्मो पर गढ़ जाते, पर उर्मिला देवी को यही तो चाहिए था-----एक नौजवान जोश से भरा लौंडा जो उसको नोचे खसोटे और एक जंगली जानवर की तरह उसको चोद कर जवानी का जोश भर दे. चुचि चूसने के तरीके से उर्मिला देवी को पता चल गया था कि लौंडा अभी अनाड़ी है पर अनाड़ी को खिलाड़ी तो उसे ही बनाना था. एक बार लौंडा जब खिलाड़ी बन जाता तो फिर उसकी चूत की चाँदी थी. राजू के सिर के बालो पर हाथ फेरती हुई बोली "………धीरे धीरे चुचि चूस और निपल को रब्बर की तरह से मत खीच आराम से होंठो के बीच दबा के धीरे-धीरे जीभ की मदद से चुँला और देख ये जो निपल के चारो तरफ काला गोल घेरा बना हुआ है ना, उस पर और उसके चारो तरफ अपनी जीभ घूमाते हुए चूसेगा तो मज़ा आएगा". राजू ने मामी के चुचि को अपने मुँह से निकाल

दिया और मामी के चेहरे की ओर देखते हुए अपनी जीभ निकाल कर निपल के उपर रखते हुए पुछा "ऐसे मामी"
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06-24-2017, 11:53 AM,
#23
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"हा इसी तरह से जीभ को चोरो तरफ घूमाते हुए, धीरे धीरे". चुदाई की ये कोचैंग आगे जा कर राजू के बहुत काम आने वाली थी जिसका पता दोनो में से किसी को नही था. जीभ को चुचि पर बड़े आराम से धीरे धीरे चला रहा था निपल के चारो तरफ के काले घेरे पर भी जीभ फिरा रहा था. बीच बीच में दोनो चुचि को पूरा का पूरा मुँह में भर कर भी चूस लेता था. उर्मिला देवी को बड़ा मज़ा आ रहा था और उसके मुँह से सिसकारिया फूटने लगी थी "ऊऊउउउईई....आअहह... ..सस्स्सिईईई... .राजू बेटा... ......आहह..... ऐसे ही मेरे राजा,,,,,,,,,,सीईईईईईईईईईई एक बार में ही सीख गया, हाई मज़ा आ रहा है"

"हाई मामी, बहुत मज़ा है, ओह मामी आपकी चुचि……..सीईई कितनी खूबसूरत, हमेशा सोचता था कैसी होगी आज……

"उफफफ्फ़ सस्स्स्स्स्स्स्सिईईईईई……., आअराआअम से आराम से, उफ्फ साले खा जा तेरी मा का भेजा हुआ लंगड़ा आम है भोसड़ी के…….चूस के सारा रस पी जा ".

मामी की गद्देदार मांसल चुचियों को राजू, सच में शायद लंगड़ा आम समझ रहा था. कभी बाई चुचि मुँह में भरता तो कभी ढहिनी चुचि को मुँह में दबा लेता. कभी दोनो को अपनी मुट्ही में कसते हुए बीच वाली घाटी में पुच...प्यूच करते हुए चुममे लेता, कभी उर्मिला देवी की गोरी सुरहिदार गर्दन को चूमता.


बहुत दीनो के बाद उर्मिला देवी की चुचियों को किसी ने इस तरह से माथा था. उसके मुँह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी, आहे निकल रही थी, चूत पनिया कर पसिज रही थी और अपनी उत्तेजना पर काबू करने के लिए वो बार-बार अपनी जाँघो को भीच भीच कर पैरो को बिस्तेर पर रगड़ते हुए हाथ पैर फेंक रही थी. दोनो चुचिया ऐसे मसले जाने और चूसे जाने के कारण लाल हो गई थी. चुचि चूस्ते-चूस्ते राजू नीचे बढ़ गया था और मामी के गुदाज पेट पर अपने प्यार का इज़हार करते हुए पुच्चिया काट रहा था. उर्मिला देवी की चूत एक दम गीली हो कर चुहने लगी. भगनासा खड़ा होकर लाल हो गया था. इतनी देर से राजू के साथ खिलवाड़ करने के कारण धीरे-धीरे जो उत्तेजना का तूफान उसके अंदर जमा हुआ था वो अब बाहर निकलने के लिए बेताब हो उठा था. एकद्ूम से बेचैन होकर सीस्याते हुए बोली "कितना दूध पिएगा मुए, उई…सीईई…..साले, चुचि देख के चुचि में ही खो गया, इसी में छोड़ेगा क्या भोसड़ी के". राजू मामी के होंठो को चूम कर बोला "ओह मामी बहुत मज़ा आ रहा है सच में, मैने कभी सोचा भी नही था, , मामी आपकी चूची को चोद दू……" उर्मिला देवी ने एक झापड़ उसके चूतर पर मारा और उसके गाल पर दाँत गढ़ाते हुए बोली "साले अबी तक चुचि पर ही अटका हुआ है". राजू बिस्तर पर उठ कर बैठ गया और एक हाथ में अपने तमतमाए हुए लंड को पकड़ उसकी चमड़ी को खींच कर पहाड़ी आलू के जैसे लाल-लाल सुपरे को मामी की चुचियों पर रगड़ने लगा. उत्तेजना के मारे राजू का बुरा हाल हो चुक्का था, उसे कुच्छ भी समझ में नही लग रहा था. खेलने के लिए मिले इस नये खिलौने के साथ वो जी भर के खेल लेना चाहता था. लंड का सुपरा रगड़ते हुए उसके मुँह से मज़े की सिसकारिया फुट रही थी "ओह मामी, सस्स्स्स्स्सीईई मज़ा आ गया मामी, सस्स्स्सीईई और लो मामी.

उर्मिला देवी की चूत में तो आग लगी हुई थी उन्होने झट से राजू को धकेलते हुए बिस्तर पर पटक दिया और उसके उपर चढ़ कर अपने पेटिकोट को उपर किया एक हाथ से लंड को पकड़ा और अपनी झांतदार पनियाई हुई चूत के गुलाबी छेद पर लगा कर बैठ गई. गीली चूत ने सटाक से राजू के पहाड़ी आलू जैसे सुपरे को निगल लिया. राजू का क्यों की ये पहली बार था इसलिए जैसे ही सुपरे पर से चमड़ी खिसक कर नीचे गई राजू थोड़ा सा चिहुनक गया.

"ओह मामी,"
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06-24-2017, 11:54 AM,
#24
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"पहली बार है ना, सुपरे की चमड़ी नीचे जाने से………" और अपनी गांद उठा कर कचक से एक जोरदार धक्का मारा. गीली चूत ने झट से पूरे लंड को निगल लिया. पूरा लंड अपनी चूत में लेकर, पेटिकोट को कमर के पास समेट कर खोस लिया और चूतर उठा कर दो तीन और धक्के लगा दिए. राजू की समझ में खुच्छ नही आ रहा था. बस इतना लग रहा था जैसे उसके लंड को किसी ने गरम भट्टी में डाल दिया है. गर्दन उठा कर उसने देखने की कोशिश की. मामी ने अपने चूतर को पूरा उपर उठाया, चूत के रस से चमचमता हुआ लंड बाहर निकला, फिर तेज़ी के साथ मामी के गांद नीचे करते ही झांतो के जंगल में समा गया.

"सीईए मामी आप ने तो अपनी नीचे वाली ठीक से देखने भी नही………."

"बाद में……अभी तो नीचे आग लगी है"

"हाई मामी…………दिखा देती तूऊऊऊऊ"

"अभी मज़ा आ रहा है……"

"हाँ, हा आ रहा हाईईईईईईईई……."

"तो फिर मज़ा लूट ना भोसड़ी के, देख के अचार डालेगा…………"

"उफ्फ मामी…………..सीईई ओह आपकी नीचे वाली तो एकद्ूम गरम………."

"हा………बहुत गर्मी है इसमे, अभी इसकी सारी गर्मी निकाल दे फिर बाद में……भट्टी देखना…….अभी बहुत खुजली हो रही थी, ऐसे ही चुदाई होती है समझा, पूरा मज़ा इसी को सीईए……….जब चूत में लंड अंदर बाहर होता है तभी……….हाई पहली चुदाई है ना तेरीईईईईई"

"हा मामी………ही सीईईईई"
"क्यों क्या हुआ……….सस्स्स्सीईईई"

"ऐसा लग रहा है जैसे उफफफफफफ्फ़………जैसे ही आप नीचे आती है एकद्ूम से मेरे लंड की चमड़ी नीचे उतर जाती है…………..उफफफफफफफ्फ़ माआआमीईईईई बहुत गुदगुदी हो रही है"

"तेरा बहुत मोटा है ना………इसलिए मेरी में एकदम चिपक कर जा रहा है……"


इतना कह कर उर्मिला देवी ने कचक-कचक धक्के लगाना शुरू कर दिया. चूत में लंड ऐसे फिट हो गया था जैसे बॉटल में कॉर्क. उर्मिला देवी की चूत जो की चुद चुद के भोसड़ी हो गई थी, आज 10 इंच मोटे लंड को खा कर अन्चुदी चूत बनी हुई थी और इठला कर, इतरा कर पानी छोड़ रही थी. लंड चूत की दीवारो से एकद्ूम चिपक कर रगड़ता हुआ पूरा अंदर तक घुस जाता था और फिर उसी तरह से चूत की दीवारो को रगड़ते हुए सुपरे तक सटाक से निकल कर फिर से घुसने के लिए तैय्यार हो जाता था. चूत के पानी छोड़ने के कारण लंड अब सटा-सॅट अंदर बाहर हो रहा था. राजू ने गर्दन उठा कर अपनेलंड देखने की कोशिश की मगर उर्मिला देवी के धक्को की रफ़्तार इतनी तेज और झटकेदार थी की उसकी गर्दन फिर से तकिये पर गिर गई. उर्मिला देवी के मुँह से तेज तेज सिसकारियाँ निकल रही थी और वो गांद उठा उठा के तेज-तेज झटके मार रही थी. लंड सीधा उसकी बछेदानि पर ठोकर मार रहा था और बार बार बस उसके मुँह से चीख निकल जाती थी. आज उसको बहुत दीनो के बाद ऐसा अनोखा मज़ा आ रहा था. दोनो मामी भांजा कुतिया कुत्ते की तरह से हाँफ रहे थे और कमरे में गछ-गछ, फॅक-फॅक की आवाज़ गूँज रही थी.

"ऑश……सस्स्स्सीईई……राजू बहुत मस्त लंड है तेरा तो हाई…….उफफफफफफफफफ्फ़"

"हा……..मामी…….बहुत मज़ा आ रहा है……….चुचीईईईई"

"हा, हा दबा ना, चुचि दबा…………बहुत दीनो के बाद ऐसा मज़ा आ रहा है…"

"सच माआमी……आअज तो आपने स्वर्ग में पहुचा दिया………"

"हाई तेरे इस घोड़े जैसे लंड ने तो…….आआअजजजज मेरी बार्षो की प्यास भुजाआअ…"

कच-कच, करता हुआ लंड, चूत में तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. उर्मिला देवी की मोटी-मोटी गांद राजू के लंड पर तेज़ी से उच्छल कूद कर रही थी. मस्तानी मामी की दोनो चुचिया राजू के हाथो में थी, और उनको अपने दोनो हाथो के बीच दबा कर मठ रहा था.

"ओह हो ऱजुउउउउउउउउ बेटॅयायेयीययाया…….मेरा निकलेगा अब सस्स्स्स्स्स्सीईई ही निकल जाएगा…………ऊऊऊऊगगगगगगगगगग………(फॅक-फॅक-फॅक) …….सीईई ही रीईईईईई कहा था त्त्त्त्त्त्त्त्तुउउउउउउ……मज़ा आआआअ गयाआआआ रीईई, गई मैं ……हाई आआआआअज तो चूत फाड़ के पानी निकल दियाआआआ तुनीई…उफफफफ्फ़"
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06-24-2017, 11:54 AM,
#25
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"हाई मामी और तेज मारो….मारो और तेज……और ज़ोर सीईई, उफफफफफ्फ़ बतूत गुद्गुदीईइ हूऊऊओ……."


तभी उर्मिला देवी एक ज़ोर की चीख मारते हुए……सीईईई करते हुए राजू के उपर ढेर हो गई. उसकी चूत ने फॉल्फला कर पानी छोड़ दिया. चूत की छेद पकड़ते हुए लंड को कभी अपनी गिरफ़्त में कस रही थी कभी छोड़ रही थी. राजू भी सयद झरने के करीब था मगर उर्मिला देवी के रुकने के कारण चुदाई रुक गई थी और वो बस कसमसा कर रह गया. उर्मिला देवी के भारी शरीर को अपनी बाँहो में जकड़े हुए नीचे से हल्के हल्के गांद उठा उठा कर अपने आप को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहा था. मगर कहते है की थूक चाटने से प्यास नही भुजती. राजू का लंड ऐसे तो झरने वाला नही था. हा अगर वो खुद उपर चढ़ कर चार पाँच धक्के भी ज़ोर से लगा देता तो सयद उसका पानी भी निकल जाता. पर ये तो उसकी पहली चुदाई थी, उसे ना तो इस बात का पता था ना ही उर्मिला देवी ने ऐसा किया. लंड चूत के अंदर ही फूल कर और मोटा हो गया था. दीवारो से और ज़यादा कस गया था. धीरे धीरे जब मामी की साँसे स्थिर हुई तब वो फिर से उठ कर बैठ गई और राजू के बालो में हाथ फेरते हुए उसके होंठो से अपने होंठो को सटा कर एक गहरा चुंबन लिया.

"हाई,………..मामी रुक क्यों गई……..और धक्का लगाओ ना…….."

"मुझे पता है…….तेरा अभी निकला नही………..मेरी तो इतने दीनो से पयासी थी…….ठहर ही नही पाई…………." कहते हुए उर्मिला देवी थोड़ा सा उपर उठ गई. पक की आवाज़ करते हुए राजू का मोटा लंड उर्मिला देवी की बित्ते भर की चूत से बाहर निकल गया. उर्मिला देवी जो की अभी भी पेटिकोट पहने हुई थी ने पेटिकोट को चूत के उपर दबा दिया. उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और पेटिकोट को चूत के उपर दबाते हुए उसके उपर कपड़े को हल्के से रगड़ते हुए पानी पोछ रही थी. अपनी दाहिनी जाँघ को उठाते हुए राजू की कमर के उपर से वो उतर गई और धडाम से बिस्तर पर अपनी दोनो जाँघो को फैला कर तकिये पर सर रख कर लेट गई. पेटिकोट तो पूरी तरह से उपर था ही, उसका बस तोड़ा सा भाग उसकी झांतो भरी चूत को ढके हुए था. वो अब झड़ने के बाद सुस्त हो गई थी. आँखे बंद थी और साँसे अब धीरे धीरे स्थिर हो रही थी.


राजू अपनी मामी के बगल में लेटा हुआ उसको देख रहा था. उसका लंड एक दम सीधा तना हुआ छत की ओर देख रहा था. लंड की नसे फूल गई थी और सुपरा एक दम लाल हो गया था. राजू बस दो चार धक्को का ही मेमहमान था लेकिन ठीक उसी समय मामी ने उसके लंड को अपनी चूत से बेदखल कर दिया था. झरने की कगार पर होने के कारण लंड फुफ्कार रहा था मगर मामी तो अपना झाड़ कर उसकी बगल में लेटी थी.
दोस्तो कैसा लगा ये पार्ट लिखना ना भूलें कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त इंतजार करो
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06-24-2017, 11:57 AM,
#26
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
गाँव का राजा पार्ट -6 लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे

सुबह से तरह तरह के आग भड़काने वाले करम करने के कारण उर्मिला देवी बहुत ज़यादा चुदास से भरी हुई थी राजू का मोटा लंड अपनी चूत में लेकर झर गई पर राजू का लंड तो एक बार चूस कर झार चुकी थी इसलिए नही झारा. उर्मिला देवी अगर चाहती तो चार पाँच धक्के और मार कर झार देती मगर उसने ऐसा नही किया. क्योंकि वो राजू को तड़पाना चाहती थी वो चाहती थी की राजू उसका गुलाम बन जाए. जब उसकी मर्ज़ी करे तब वो राजू से चुडवाए अपनी गांद चटवाए मगर जब उसका दिल करे तो वो राजू की गांद पे लात मार सके और वो उसकी चूत के चक्कर में उसके तलवे चाटे लंड हाथ में ले कर उसकी गांद के पिछे घूमे.

उर्मिला देवी की आँखे बंद थी और सांसो के साथ धीरे धीरे उसकी नंगी चुचिया उपर की ओर उभर जाती थी. गोरी चुचियों का रंग हल्का लाल हो गया था. निपल अभी भी खड़े और गहरे काले रंग के भूरे थे, सयद उनमे खून भर गया था, राजू ने उनको खूब चूसा जो था. मामी की गोरी चिकनी मांसल पेट और उसके बीच की गहरी नाभि……..राजू का बस चलता तो लंड उसी में पेल देता. बीच में पेटिकोट था और उसके बाद मामी की कन्द्लि के खंभे जैसी जंघे और घुटना और मोटी पिंदलियाँ और पैर. मामी की आँखे बंद थी इसलिए राजू अपनी आँखे फाड़ फाड़ कर देख सकता था. वो अपनी मामी के मसताने रूप को अपनी आँखो से ही पी जाना चाहता था, राजू अपने हाथो से मामी की मोटी मोटी जाँघो को सहलाने लगा. उसके मन में आ रहा था कि इन मोटी-मोटी जाँघो पर अपना लंड रगड़ दे और हल्के हल्के काट काट कर इन जाँघो को खा जाए. ये सब तो उसने नही किया मगर अपनी जीभ निकाल कर चूमते हुए जाँघो को चाटना ज़रूर शुरू कर दिया. बारी-बारी से दोनो जाँघो को चाट ते हुए मामी के रानो की ओर बढ़ गया. उर्मिला देवी ने एक पैर घुटनो के पास मोड़ रखा था और दूसरा पैर पसार रखा था. ठीक जाँघो के जोड़ के पास पहुच कर हल्के हल्के चाटने लगा और एक हाथ से धीरे से पेटिकोट का चूत के उपर रखा कपड़ा हल्के से उठा कर चूत देखने की कोशिश करने लगा.

तभी उर्मिला देवी की आँखे खूल गई. देखा तो राजू उसकी चूत के पास झुका हुआ आँखे फाड़ कर देख रहा है. उर्मिला देवी के होंठो पर एक मुस्कान फैल गई और उन्होने अपनी दूसरी टाँग को भी सीधा फैला दिया. मामी के बदन में हरकत देख कर राजू ने अपना गर्दन उपर उठाई. मामी से नज़र मिलते ही राजू झेंप गया. उर्मिला देवी ने बुरा सा मुँह बना कर नींद से जागने का नाटक किया "उऊहह उः क्या कर रहा है" फिर अपने दोनो पैरो को घुटने के पास से मोड़ कर पेटिकोट के कपड़े को समेत कर जाँघो के बीच रख दिया और गर्दन के पिछे तकिया लगा कर अपने आप को उपर उठा लिया और एकद्ूम बुरा सा मुँह बनाते हुए बोली "तेरा काम हुआ नही क्या………नींद से जगा दिया……सो जा". राजू अब उसके एकद्ूम सामने बैठा हुआ था. उर्मिला देवी की पूरी टांग रानो तक नंगी थी. केवल पेटिकोट समेट कर रानो के बीच में चूत को ढक रखा था. राजू की समझ में नही आया की मामी क्या बोल रही है. वो घिघ्याते हुए बोला "मामी……वो……मैं बस ज़रा सा देखना……"

"हा क्या देखना………चूत….?

"हा हा मामी वही……."

उर्मिला देवी मुँह बिचकाते हुए बोली "क्या करेगा……झांट गिनेगा…"

राजू चौंक गया, हार्बराहट में मुँह से निकल गया "जी. जी मामी……."

"हरामी…….झांट गिनेगा"

"ओह नही मामी……..प्लीज़ बस देखने है………अच्छी तरह से…"
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06-24-2017, 11:57 AM,
#27
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
चूत पर रखे पेटिकोट के कपड़े को एक बार अपने हाथ से उठा कर फिर से नीचे रखा जैसे वो उसे अच्छी तरह से ढक रही हो और बोली "पागल हो गया है क्या……..जा सो जा". उर्मिला देवी के कपड़ा उठाने से चूत की झांतो की एक झलक मिली तो राजू का लंड सिहर उठा, खड़ा तो था ही. उर्मिला देवी ने सामने बैठे राजू के लंड को अपने पैर के पंजो से हल्की सी ठोकर मारी.

"बहनचोड़………खड़ा कर के रखा है..." राजू ने अपना हाथ उर्मिला देवी के जाँघो पर धीरे से रख दिया और जाँघो को हल्के हल्के दबाने लगा जैसे कोई चमचा अपना कोई काम निकलवाने के लिए किसी नेता के पैर दबाता है और बोला "ओह मामी………बस एक बार अच्छे से दिखा दो……सो जाउन्गा फिर.." उर्मिला देवी ने राजू का हाथ जाँघो पर से झटक दिया और झिरकते हुए बोली "छोड़…..हाथ से कर ले…….खड़ा है इसलिए तेरा मन कर रहा……निकाल लेगा तो आराम से नींद आ जाएगी…….कल दिखा दूँगी"

"हाई नही मामी……..अभी दिखा दो ना"

"नही मेरा मन नही…….ला हाथ से कर देती हू"

"ओह मामी…..हाथ से ही कर देना पर……..दिखा तो दो….." अब उर्मिला देवी ने गुस्सा होने का नाटक किया.

"भाग भोसड़ी के……..रट लगा रखी है दिखा दो…दिखा दो….

"हाई मामी मेरे लिए तो…… प्लीज़……" अपने पैर पर से उसके हाथो को हटाते हुए बोली

"चल छोड़ बाथरूम जाने दे"

राजू ने अभी भी उसके जाँघो पर अपना एक हाथ रखा हुआ था. उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या करे. तभी उर्मिला देवी ने जो सवाल उस से किया उसने उसका दिमाग़ घुमा दिया.

"कभी किसी औरत को पेशाब करते हुए देखा है……."

"क क क्क्या मामी…."

"चूतिया एक बार में नही सुनता क्या……..पेशाब करते हुए देखा है……किसी औरत को……."

"न न्न्नाही मामी……अभी तक तो चूत ही नही…..तो पेशाब करते हुए कहा से……"

"ओह हा मैं तो भूल ही गई थी…..तूने तो अभी तक……चल ठीक है….इधर आ जाँघो के बीच में…..उधर कहा जा रहा है…" राजू को दोनो जाँघो के बीच में बुला मामी ने अपने पेटिकोट को अब पूरा उपर उठा दिया, गांद उठा कर उसके नीचे से भी पेटिकोट के कपड़े को हटा दिया अब उर्मिला देवी पूरी नंगी हो चुकी थी. उसकी चौड़ी चकली झांतदार चूत राजू की आँखो के सामने थी. अपनी गोरी रानो को फैला कर अपनी बित्ते भर की चूत की दोनो फांको को अपने हाथो से फैलाती हुई बोली "चल देख …"

राजू की आँखो में भूके कुत्ते के जैसी चमक आ गई थी. वो आँखे फाड़ कर उर्मिला देवी की खूबसूरत डबल रोटी के जैसी फूली हुई चूत को देख रहा था. काले काले झांतो के जंगल के बीच गुलाबी चूत.

"देख ये चूत की फांके है और उपर वाला छ्होटा छेद पेशाब वाला और नीचे वाला बड़ा छेद चुदाई वाला………यही पर थोड़ी देर पहले तेरा लंड…….

"ओह मामी कितनी सुंदर चूत है……एकद्ूम गद्देदार फूली हुई.."

"देख ये गुलाबी वाला बड़ा छेद…..इसी में लंड…..ठहर जा हाथ मत लगा…."

"ओह बस ज़रा सा च्छू कर……."

"बहनचोड़…अभी बोल रहा था दिखा दो…..दिखा दो और अब छुना है…." कहते हुए उर्मिला देवी ने राजू के हाथो को परे धकेला. राजू ने फिर से हाथ आगे बढ़ते हुए चूत पर रख दिया और बोला "ओह मामी प्लीज़ ऐसा मत करो….अब नही रहा जा रहा प्लीज़…….." उर्मिला देवी ने इस बार उसका हाथ तो नही हटाया मगर उठ कर सीधा बैठ गई और बोली "ना….रहने दे, छोड़ तू आगे बढ़ता जा रहा है…..वैसे भी मुझे पेशाब लगी"
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06-24-2017, 11:57 AM,
#28
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"उफफफफफफ्फ़ मामी बस थोड़ा सा……."

"थोड़ा सा क्या……मुझे बहुत ज़ोर पेशाब लगी है……"

"वो नही मामी मैं तो बस थोड़ा छु कर……."

"ठीक है चल छु ले….पर एक बात बता चूत देख कर तेरा मन चाटने का नही करता…….."

"चाटने का…….."

"हा चूत चाटने का………देख कैसी पनिया गई है…..देख गुलाबी वाले छेद को…..ठहर जा पूरा फैला कर दिखाती हू…….देख अंदर कैसा पानी लगा है…इसको चाटने में बहुत मज़ा आता है……….चाटेगा…..चल आ जा.." और बिना कुच्छ पुच्छे उर्मिला देवी ने राजू के सिर को बालो से पकड़ कर अपनी चूत पर झुका दिया. राजू भी राज शर्मा की सेक्सी कहानियों को पढ़ कर जानता तो था ही कि चूत छाती और चूसी जाती है और इनकार करने का मतलब नही था क्या पता मामी फिर इरादा बदल दे इसलिए चुपचाप मामी के दोनो रानो पर अपने हाथो को जमा कर अपना जीभ निकाल कर चूत के गुलाबी होंठो को चाटने लगा. उर्मिला देवी उसको बता रही थी की कैसे चाटना है

"हा पूरी चूत पर उपर से नीचे तक जीभ फिरा के चाट…..हा ऐसे ही सस्स्स्स्स्स्स्सीईई ठीक इसी तरह से हाआअ उपर जो दाना जैसा दिख रहा है ना चूत की भग्नाशा है……..उसको अपनी जीभ से रगड़ते हुए हल्के हल्के चाट……सीईई शाबाश……बहनचोड़ टीट को मुँह में लीईए". राजू ने चूत के भग्नाशे को अपने होंठो के बीच ले लिया और चूसने लगा. उर्मिला देवी की चूतकी टीट चूसा वह मस्त हो कर पानी छोड़ने लगी. पहली बार चूत चाटने को मिली थी तो पूरा जोश दिखा रहा था. जंगली कुत्ते की तरह लफ़र लफ़र करता हुआ अपनी खुरदरी जीभ से मामी की चूत को घायल करते हुए चाटे जा रहा था. चूत की गुलाबी पंखुरियों पर खुरदरी जीभ का हर प्रहार उर्मिला देवी को अच्छा लग रहा था. वो अपने बदन के हर अंग को रगड़वाना चाहती थी, चाहती थी कि राजू पूरी चूत को मुँह में भर ले और स्लूर्र्ररर्प स्लूर्र्रप करते हुए चूसे. राजू के सिर को अपने चूत पर और कस के दबा कर सिस्याईीई "ठीक से चूस…..राजू बेटा……पूरा मुँह में ले कर………हा ऐसे ही…….सीईई मदारचोद्द्द्दद्ड….बहुत मज़ा दे रहा है………आआआआहााअ……सही चूस रहा है कुत्तीईई हाआअ ऐसे ही चूऊवस………..आआआअसस्स्स्सीई"

राजू भी पूरा ठर्की था. इतनी देर में समझ गया था कि उसकी मामी एक नंबर की चुदैल रंडी मदर्चोद किस्म की औरत है. साली छिनाल चूत देगी मगर तडपा तडपा कर. वैसे उसको भी मज़ा आ रहा था ऐसे नाटक करने में. उसने चूत के दोनो फांको को अपने उंगलियों से फैला कर पूरा चौड़ा दिया और जीभ को नुकीला कर के गुलाबी छेद में डाल कर घुमाने लगा. चूत एकद्ूम पासीज कर पानी छोड़ रही थी. नुकीली जीभ को चूत के गुलाबी छेद में डाल कर घुमाते हुए चूत की दीवारो से रिस रहे पानी को चाटने लगा. उर्मिला देवी मस्त हो गांद हवा में लहरा रही थी. अपने दोनो हाथो से चुचियों को दबाते हुए राजू के होंठो पर अपनी फुददी को रगड़ते हुए चिल्लाई

"ओह राजू…… मेरा बेटेयाआया…….बहुत मज़ा आ रहा है रे…..ऐसे ही चाट…पूरी चूत चाट ले……..तूने तो फिर से चुदास से भर दिया…….हरामी ठीक से पूरा मुँह लगा कर चाट नही तो मुँह में मूत दुन्गीईईइ……..अच्छी तरह से चाट टत्तत्ट……"

ये अब एकद्ूम नये किस्म की धमकी थी. राजू एक दम असचर्यचकित रह गया. अजीब कंजरफ, कमिनि औरत थी. राजू जहा सोचता अब मामला पटरी पर आ गया है, ठीक उसी समय कुच्छ नया शगूफा छोड़ देती. चूत पर से मुँह हटा दिया और बोला "ओह मामी……..तुमको पेशाब लगी है तो जाओ कर आओ…" चूत से मुँह हटा ते ही उर्मिला देवी का मज़ा किरकिरा हुआ तो उसने राजू केबालो को पकड़ लिया और गुस्से से भनभनाते हुई उसको ज़ोर से बिस्तर पर पटक दिया और छाती पर चढ़ कर बोली "चुप मादर्चोद…….अभी चाट ठीक से…….अब तो तेरे मुँह में ही मुतुँगी….पेशाब करने जा रही थी तब क्यों रोका…….."कहते हुए अपनी चूत को राजू के मुँह पर रख कर ज़ोर से दबा दिया. इतनी ज़ोर से दबा रही थी की राजू को लग रहा था की उसका दम घूट जाएगा. दोनो चूतर के नीचे हाथ लगा कर किसी तरह से उसने चूत के दबाब को अपने मुँह पर से कम किया मगर उर्मिला देवी तो मान ही नही रही थी. चूत फैला कर ठीक पेशाब वाले छेद को राजू के होंठो पर दबा दिया और रगड़ते हुए बोली "चाट ना…चाट ज़रा मेरी पेशाब वाले छेद को….नही तो अभी मूत दूँगी तेरे मुँह पर…….हरामी……कभी किसी औरत को मूत ते हुए नही देखा है ना….अभी दिखाती हू तुझे" और सच में एक बूँद पेशाब टपका दिया…….अब तो राजू की समझ में नही आ रहा था की क्या करे कुच्छ बोला भी नही जा रहा था. राजू ने सोचा साली ने अभी तो एक बूँद ही मूत पिलाया है पर कही अगर कुतिया ने सच में पेशाब कर दिया तो क्या करूँगा चुप-चाप चाटने में ही भलाई है, ऐसे भी पूरी चूत तो चटवा ही रही है. पेशाब वाले छेद को मुँह में भर कर चाटने लगा. चूत के भग्नाशे को भी अपनी जीभ से छेड़ते हुए चाट रहा था. पहले तो थोड़ा घिंन सा लगा था मगर फिर राजू को भी मज़ा आने लगा. अब वो बड़े आराम से पूरी फुददी को चाट रहा था. दोनो हाथो से गुदाज चूतरों को मसलते हुए चूत का रस चख रहा था. उर्मिला देवी अब चुदास से भर चुकी थी "उफफफफफफफफफ्फ़…सीई बहुत…मज़ा…..हाई रीईईई तूने तो खुजली बढ़ा दी कंजरे…….अब तो फिर चुदवाना ही पड़ेगा…..भोसड़ी के लंड खड़ा है कि……." राजू जल्दी से चूत पर से मुँह हटा कर बोला "ख खड़ा है मामी……एकद्ूम खड़ा हाईईईईईईईई"
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06-24-2017, 11:57 AM,
#29
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"कैसे चोदना है…….चल छोड़ मैं खुद……"

"हाई नही मामी….इस बार…..मैं………"

"फिर आजा मा के लॉड……..जल्दी से…….बहुत खुजली हो……." कहते हुए उर्मिला देवी नीचे पलंग पर लेट गई. दोनो टांग घुटनो के पास से मोड़ कर जाँघ फैला दिया, चूत की फांको ने अपना मुँह खोल दिया था. राजू लंड हाथ में लेकर जल्दी से दोनो जाँघो के बीच में आया और चूत पर लगा कर कमर को हल्का सा झटका दिया. लंड का सुपरा उर्मिला देवी की भोसड़ी में घुस गया. सुपरा घुसते ही उर्मिला देवी ने अपनी गांद उचका दी. मोटा पहाड़ी आलू जैसा सुपरा पूरा घुस चुका था. मामी की फुददी एकद्ूम गरम भट्टी की तरह थी. चूत की गर्मी को पाकर राजू का लंड फनफना गया. राज शर्मा को याद करते हुए उसने पानी छोड़ रही चूत में लंड को गांद तक का ज़ोर लगा कर ठेला. लंड कच से मामी की चूत में फिसलता चला गया.

कुँवारी लौडिया होती तो शायद रुकता, मगर यहा तो उर्मिला देवी की सैकड़ो बार चुदी चूत थी, जिसकी दीवारो ने आराम से रास्ता दे दिया. उर्मिला देवी को लगा जैसे किसी ने उसकी चूत में मोटा लोहे का डंडा गरम करके डाल दिया. लंड चूत के आख़िरी कोने तक पहुच कर ठोकर मार रहा था.

"उफफफफ्फ़..हरामी आराम से नही डाल सकता था…….एक बार में पुर्र्रराआआअ….."

आवाज़ गले में ही घुट गई क्योंकि ठर्की राजू अब नही रुकने वाला था. गांद उच्छाल उच्छाल कर पका-पक लंड पेले जा रहा था. मामी की बातो को सुन कर भी उनसुनी कर दी. मन ही मन उर्मिला देवी को ग़ाली दे रहा था…साली, कुतिया इतना नाटक करवाया है…….बेहन की लॉडी ने…..अब इसकी बातो को सुन ने का मतलब है फिर कोई नया नाटक खड़ा कर देगी……जो होगा बाद में देखूँगा……पहले लंड का माल इसकी चूत में निकाल दू…….सोचते हुए दना-डन गांद उच्छाल-उच्छाल कर पूरे लंड को सुपरे तक खींच चूत में डाल रहा था. कुच्छ ही देर में चूत की दीवारो से पानी का सैलाब बहने लगा. लंड अब सटा-सॅट फुच फुच की आवाज़ करते हुए अंदर बाहर हो रहा था. उर्मिला देवी भी बेपनाह मज़े में डूब गई. राजू के चेहरे को अपने हाथो से पकड़ उसके होंठो को चूम रही थी, राजू भी कभी होंठो कभी गालो को चूमते हुए चोद रहा था. उर्मिला देवी के मुँह से सिसकारिया निकल रही थी…

"सेसिईईईईईई……आईईईईईई…और ज़ोर सीईईईई राजू…….उफफफफफ्फ़ बहुत मज़ा आआअक्कककककक…….फ़ाआआअर दीईईगाआआअ…..उफफफफफफ्फ़ मधर्च….."

"उफफफफफफ्फ़ मामी बहुत मज़ा आ रहा हाईईईईईईई……."

"हा राजू बहुत मज़ा आ रहा है…….ऐसे ही धक्के मार….बहुत मज़ा दे रहाहै तेरा हथियार……हाई सीईई चोद्द्द….अपने घोड़े जैसे……लंड सेयीई"

तभी राजू ने दोनो चुचियों को हाथो में भर लिया और खूब कस कर दबाते हुए एक चुचि को मुँह में भर लिया और धीरे धीरे गांद उच्छालने लगा. उर्मिला देवी को अच्छा तो लगा मगर उसकी चूत पर तगड़े धक्के नही पड़ रहे थे.

"मादरचोड, रुकता क्यो है, दूध बाद में पीना पहले गांद तक का ज़ोर लगा के चोद"

"हाई मामी थोडा दम तो लेने दो…….पहली बार………"

"चुप हरामी…….गांद में दम नही……तो चोदने के लिए क्यों मर रहा था……..मामी की चूत में मज़ा नही आ रहा क्या……."

"ओह मामी मेरा तो सपना सच हो गयाआ…….हर रोज सोचता था कैसे आपको चोदु……आज…….मामी……..ओह मामी…….बहुत मज़ा आ रहा हाईईईईईईईईई…..बहुत गरम हाईईईईईई आपकी चूत"

"हा गरम और टाइट भी है…. चोदो….आह…..चोदो अपनी इस चुदासी मामी को ओह…..बहुत तडपी हू……….मोटा लंड खाने के लिए……तेरा मामा, बेहन का लंड तो बसस्स्सस्स……..तू……अब मेरे पास ही रहेगा…..तेरी मा चाहे गांद मरा ले मगर उसके पास नही भेजने वाली……यही पर अपनी जाँघो के बीच दबोच कर रखूँगी……"

"हा मामी अब तो मैं आपको छोड़ कर जाने वाला नहियीईईईई…….ओह मामी सच में चुदाई में कितना मज़ा है……गाओं में मा के पास कहा से ऐसा मज़ा मिलेगा…. मामी देखो ना कितने मज़े से मेरा लंड आपकी चूत में जा रहा और आप उस समय बेकार में चिल्ला….."

"भोसड़ी के लंड वाला है ना, तुझे क्या पता……..इतना मोटा लंड किसी कुँवारी लौंडिया में घुसा देता तो……अब तक बेहोश…..मेरे जैसी चूत्मरानि औरत को भी एक बार………बहुत मस्त लंड है ऐसे ही पूरा जड़ तक थेल थेल कर चोद आआआआ……..सीईईई बहनचोद्द्द्द्दद्ड….तू तो पूरा खिलाड़ी हो,,,,,"
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06-24-2017, 11:57 AM,
#30
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
लंड फॅक फॅक करता हुआ चूत के अंदर बाहर हो रहा था. उर्मिला देवी गांद उच्छाल उच्छाल कर लंड ले रही थी. उसकी बहकी हुई चूत को मोटे 10 इंच के लंड का सहारा मिल गया था. चूत इतरा-इतरा कर लंड लील रही थी. राजू का लंड पूरा बाहर तक निकल जाता था और फिर कच से चूत के गुलाबी दीवारो को रौन्द्ता हुआ सीधा जड़ तक ठोकर मारता था. दोनो अब हाँफ रहे थे. चुदाई की रफ़्तार में बहुत ज़यादा तेज़ी आ गई थी. चूत की नैया अब किनारा खोज रही थी. उर्मिला देवी ने अपने पैरो को राजू के कमर के इर्द गिर्द लपेट दिया था और गांद उच्छालते हुए सिसकते हुए बोली "ओह सीई राजा अब मेरा निकल जाएगा………ज़ोर ज़ोर से चोद……पेलता रह……तेरी मा को चोदु……मार ज़ोर सीई…….निकाल दे अपना माआआल्ल अपनी मामी की चूत के अंदर……..ओह ओह"

"ही ममिीईई मेरा भी निकलेगा सीईईई तुम्हारी बूऊऊररररर में डाल दूंगाआआअ……मेरे लंड कययाया पनीईईई……..ओह ममिीईईईईई….हीईीई……मामी चूत्मरानि……उफफफफफफफ्फ़."

"ही मैं गैिईईईईईईईईईई ओह आआअहहााआ सीईए" करते हुए उर्मिला देवी ने राजू को अपनी बाहों में कस लिया, उसकी चूत ने बहुत सारा पानी छ्चोड़ दिया. राजू के लंड से तेज फ़ौव्वारे की तरह से पानी निकलने लगा. उसकी कमर ने एक तेज झटका खाया और लंड को पूरा चूत के अंदर पेल कर वो भी हान्फ्ते हुए ओह करते हुए झरने लगा. लंड ने चूत की दीवारो को अपने पानी से सारॉबार कर दिया. दोनो मामी भांजा एक दूसरे से पूरी तरह से लिपट गये. दोनो पसीने से तर-बतर एक दूसरे की बाहों में खोए हुए बेशुध हो गये.

करीब पाँच मिनिट तक इसी अवस्था में रहने के बाद जैसे उर्मिला देवी को होश आया उसने राजू को कंधो के पास से पकड़ कर हिलाते हुए उठाया "राजू उठ…मेरे उपर ही सोएगा क्या". राजू जैसे ही उठा पक की आवाज़ करते हुए उसका मोटा लंड चूत में से निकल गया. वो अपनी मामी के बगल में ही लेट गया. उर्मिला देवी ने अपने पेटिकोट से अपनी चूत पर लगे पानी कोपोच्छा और उठ कर अपनी चूत को देखा तो उसकी की हालत को देख कर उसको हसी आ गई. चूत का मुँह अभी भी थोडा सा खुला हुआ था. उर्मिला देवी समझ गई की राजू के हाथ भर के लंड ने उसकी चूत को पूरा फैला दिया है. अब उसकी चूत सच में भोसड़ा बन चुकी है और वो खुद भोस्डेवाली. माथे पर छलक आए पसीने को वही रखे टवल से पोच्छने के बाद उसी टवल से राजू के लंड को बड़े पायर से साफ कर दिया. राजू मामी को देख रहा था. उर्मिला देवी की नज़रे जब उस से मिली तो वो उसके पास सरक गई और राजू के माथे का पसीना पोछ कर पुचछा "मज़ा आया….." राजू ने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया "हा मामी…..बहुत". अभी ठीक 5 मिनिट पहले रंडी के जैसे गाली गलौज़ करने वाली बड़े प्यार से बाते कर रही थी.

"थक गया क्या……..सो जा, पहली बार में ही तूने आज इतनी जबरदस्त मेहनत की है जितनी तेरे मामा ने सुहाग रात को नही की होगी" राजू को उठ ता देख बोली "कहा जा रहा है"

"अभी आया मामी…..बहुत ज़ोर की पेशाब लगी है"

"ठीक है मैं तो सोने जा रही हू…….अगर मेरे पास सोना होगा तो यही सो जाना नही तो अपने कमरे में चले जाना…….केवल जाते समय लाइट ऑफ कर देना"

पेशाब करने के बाद राजू ने मामी के कमरे की लाइट ऑफ की और दरवाज़ा खींच कर अपने कमरे में चला. उर्मिला देवी तुरंत सो गई, उन्होने इस ओर ध्यान भी नही दिया. अपने कमरे में पहुच राजू धड़ाम से बिस्तर पर गिर पड़ा उसे ज़रा भी होश नही था.

सुबह करीब सात बजे के उर्मिला देवी की नींद खुली. जब अपने नंगेपन का अहसास हुआ तो पास में पड़ी चादर खींच ली. अभी उसका उठने का मन नही था. बंद आँखो के नीचे रात की कहानी याद कर उनके होंठो पर हल्की मुस्कुराहट फैल गई. सारा बदन गुद-गुदा गया. बीती रात जो मज़ा आया वो कभी ना भूलने वाला था. ये सब सोच कर ही उसके गालो में गड्ढे पड़ गये की उसने राजू के मुँह पर अपना एक बूँद पेशाब भी कर दिया था. उसके रंगीन सपने साकार होते नज़र आ रहे थे. उपर से उर्मिला देवी भले ही कितनी भी सीधी साधी और हासमुख दिखती थी अंदर से वो बहुत ही कामुक कुत्सित औरत थी. उसके अंदर की इस कामुकता को उभारने वाली उसकी सहेली हेमा शर्मा थी. जो अब उर्मिला देवी की तरह ही एक शादी शुदा औरत थी और उन्ही के शहर में रहती थी. हेमा, उर्मिला देवी के कॉलेज के जमाने की सहेली थी. कॉलेज में ही जब उर्मिला देवी ने जवानी की दहलीज़ पर पहला कदम रखा था तभी उनकी इस सहेली ने जो हर रोज अपने चाचा-चाची की चुदाई देखती थी उनके अंदर काम वासना की आग भड़का दी. फिर दोनो शहेलिया एक दूसरे के साथ लिपटा चिपटि कर तरह-तरह के कुतेव करती थी, गंदी-गंदी किताबे पढ़ती थीउनकी सबसे पहली पसंद राज शर्मा की सेक्सीकहानियाँ थी और शादी के बाद अपने पतियों के साथ मस्ती करने के सपने देखा करती. हेमा का तो पता नही मगर उर्मिला देवी की किस्मत में एक सीधा साधा पति लिखा था जिसके साथ कुच्छ दीनो तक तो उन्हे बहुत मज़ा आया मगर बाद में सब एक जैसा हो गया. और जब से लड़की थोड़ी बड़ी हो गई राजू का मामा हफ्ते में एक बार नियम से उर्मिला देवी की साड़ी उठाता लंड डालता डाकम पेल करता और फिर सो जाता. उर्मिला देवी का गदराया बदन कुच्छ नया माँगता था. वो बाल-बच्चे घर परिवार सब से निसचिंत हो गई थी सब कुच्छ अपनी रुटीन अवस्था में चल रहा था. ऐसे में उसके पास करने धरने के लिए कुच्छ नही था और उसकी कामुकता अपने उफान पर आ चुकी थी. अगर पति का साथ मिल जाता तो फिर…… मगर उर्मिला देवी की किस्मत ने धोखा दे दिया. मन की कामुक भावनाओ को बहुत ज़यादा दबाने के कारण, कोमल भावनाए कुत्सित भावनाओ में बदल गई थी. अब वो अपने इस नये यार के साथ तरह-तरह के कुतेव करते हुए मज़ा लूटना चाहती थी.
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