Chudai Kahani गाँव का राजा
06-24-2017, 11:49 AM,
#1
Chudai Kahani गाँव का राजा
हेलो दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी गाँव का राजा लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे दोस्तो
गाओं का माहौल बड़ा ही अज़ीब किस्म का होता है. वेहा एक ओर तो सब कुच्छ ढका छुपा होता है तो दूसरी ओर अंदर ही अंदर ऐसे ऐसे कारनामे होते है कि जान जाओ तो दन्तो तले उंगली दबा लो. थोड़ा सा भी झगड़ा होने पर लोग ऐसी मोटी मोटी गलिया देंगे मगर, अपनी बहू बेटियो को दो गज का घूँघट निकालने के लिए बोलेंगे. फिर यही लोग दूसरो की बहू बेटियों पर बुरी नज़र रखेंगे और ज़रा सा भी मौका अगर मिल जाए तो अपने अंदर की सारी कुंठा और गंदी वासना निकाल देंगे. कहने का मतलब ये कि गाओं में जो ये दबी छुपी कामुक भावनाए है वो विभिन्न अव्सरो पर भिन्न भिन्न तरीक़ो से बाहर निकलती है. खेत, खलिहान, आमो का बगीचा आदि कई ऐसी जगहे है जहा पर छुप छुप के तरह तरह के कुकर्म होते है कभी उनका पता चल जाता है कभी नही चल पाता. गाओं के बड़े बड़े घरो के मर्द तो बकाएदा एक आध रखैले भी रखते है, जिनकी रखैल ना हो उनकी इज़्ज़त कम होती थी. ये अलग बात है कि इन बड़े घरो की औरते पयासी ही रह जाती थी क्यों कि मर्द तो किसी और ही कुआँ का पानी पी रहा होता था. दूसरो के कुए का पानी पीने के बाद अपने घर के पानी को पीने की उनकी इच्छा ही नही होती थी. और अगर किसी दिन पी भी लिया तो उन्हे मज़ा नही आता था. इन औरतो ने भी अपनी प्यास भुझाने के लिए तरह तरह के उपाए कर रखे थे. कुच्छ ने अपने नौकरो को फसा रखा था और उनकी बाँहो में अपनी सन्तुस्ति खोज़ती थी कुच्छ ने चोरी छुपे अपने यार बना रखे थे और कुच्छ यू ही दिन रात वासना की आग में जल कर हिस्टीरिया की मरीज़ बन चुकी थी. खैर ये तो हुआ गाओं के माहौल का थोड़ा सा परिचय. अब आपको गाओं की ही एक बड़े घर की कहानी सुनाता हू. वैसे तो सभी समझ गये होंगे कि ये गाओं की कोई वासनात्मक कहानी है, फिर इसको बताने की क्या ज़रूरत है जब इसमे कुच्छ भी नया नही है, तो दोस्तो इसमे बताने के लिए एक अनोखी बात है जो उस गाओं में पहले कभी नही हुई थी इसलिए बताई जा रही है. तो फिर सुनो कहानी.

गाओं के एक सुखी संपन्न परिवार की कहानी है. घर की मालकिन का नाम शीला देवी था. मलिक का नाम तो पता नही पर सब उसे चौधरी कहते थे. शीला देवी, जब शादी हो के आई थी तो देखने में कुच्छ खास नही थी रंग भी थोड़ा सावला सा था और शरीर दुबला पतला, छरहरा था. मगर बच्चा पैदा होने के बाद उनका सरीर भरना शुरू हो गया और कुच्छ ही समय में एक दुबली पतली औरत से एक अच्छी ख़ासी स्वस्थ भरे-पूरे शरीर की मालकिन बन गई. पहले जिस की तरफ एक्का दुक्का लोगो की नज़रे इनायत होती थी वो अब सबकी नज़रो की चाहत बन चुकी थी. उसके बदन में सही जॅघो पर भराव आ जाने के कारण हर जगह से कामुकता फूटने लगी थी. छ्होटी छ्होटी छातियाँ अब उन्नत वक्ष स्थल में तब्दील हो चुकी थी. बाँहे जो पहले तो लकड़ी के डंडे सी लगती थी अब काफ़ी मांसल हो चुकी थी. पतली कमर थोड़ी मोटी हो गई थी और पेट पर माँस चढ़ जाने के कारण गुदजपन आ गया था. और झुकने या बैठने पर दो मोटे मोटे फोल्ड से बन ने लगे थे. चूतरो में भी मांसलता आ चुकी थी और अब तो यही चूतर लोगो के दिलोको धड़का देते थे. जंघे मोटी मोटी केले के खंभो में बदल चुकी थी. चेहरे पर एक कशिश सी आ गई थी और आँखे तो ऐसी नशीली लगती थी जैसे दो बॉटल शराब पी रखी हो. सुंदरता बढ़ने के साथ साथ उसको सम्भहाल कर रखने का ढंग भी उसे आ गया और वो अपने आप को खूब सज़ा सॉवॅर के रखती थी. बोल चाल में बहुत तेज तर्रार थी और सारे घर के काम वो खुद ही नौकरो की सहयता से करवाती थी उसकी सुंदरता ने उसके पति को भी बाँध कर रखा हुआ था. चौधरी अपनी बीबी से डरता भी था इसलिए कही और मुँह मारने की हिम्मत उसकी नही होती थी. बीबी जब आई थी तो बहुत सारा दहेज ले के आई थी इसलिए उसके सामने मुँह खोलने में भी डरता था, बीबी भी उसके उपर पूरा हुकुम चलाती थी. उसने सारे घर को एक तरह से अपने क़ब्ज़े में कर के रखा हुआ था. बेचारा चौधरी अगर एक दिन भी घर देर से पहुचता था तो ऐसी ऐसी बाते सुनाती कि उसकी सिट्टी पिटी गुम हो जाती थी. काम-वासना के मामले में भी वो बीबी से थोड़ा उननिश ही पड़ता था. शीला देवी कुच्छ ज़यादा ही गरम थी. उसका नाम ऐसी औरतो में शुमार होता था जो खुद मर्द के उपर चढ़ जाए. गाओं की लग भग सारी औरते उसका लोहा मानती थी और कभी भी कोई मुसीबत में फस्ने पर उसे ही याद करती थी. चौधरी बेचारा तो बस नाम का चौधरी था असली चौधरी तो चौधरायण थी. उन दोनो का एक ही बेटा था नाम उसका राजेश था प्यार से सब उसे राजू कहा करते थे. देखने में बचपन से सुंदर था, थोरी बहुत चंचलता भी थी मगर वैसे सीधा साधा लड़का था. थोड़ा जैसे ही बड़ा हुआ तो शीला देवी को लगा की इसको गाओं के माहौल से दूर भेज दिया जाए ताकि इसकी पढ़ाई लिखाई अच्छे से हो और गाओं के लड़को के साथ रह कर बिगड़ ना जाए. चौधरी ने थोडा बहुत विरोध करने की भी कोशिश की "हमारा तो एक ही लड़का है उसको भी क्यों बाहर भेज रही हो" मगर उसकी कौन सुनता, लड़के को उसके मामा के पास भेज दिया गया जो कि शहर में रह कर व्यापार करता था. मामा की भी बस एक लड़की ही थी. शीला देवी का ये भाई उस से उम्र में बड़ा था और वो खुशी खुशी अपने भानजे को अपने घर रखने के लिए तैय्यार हो गया था. दिन इसी तरह बीत रहे थे चौधरैयन के रूप में और ज़यादा निखार आता जा रहा था और चौधरी सुखता जा रहा था. अब अगर किसी को बहुत ज़यादा दबाया जाए तो वो चीज़ इतना दब जाती है कि उतना ही भूल जाती है. यही हाल चौधरी का भी था. उसने भी सब कुच्छ लगभग छ्चोड़ ही दिया था और घर के सबसे बाहर वाले कमरे में चुप चाप बैठा दो-चार निथल्ले मर्दो के साथ या तो दिन भर हुक्का पीता या फिर तास खेलता. शाम होने पर चुप चाप सटाक लेता और एक बॉटल देसी चढ़ा के घर जल्दी से वापस आ कर बाहर के कमरे में पर जाता. नौकरानी खाना दे जाती तो खा लेता नही तो अगर पता चल जाता की चौधरायण जली भूनी बैठी है तो खाना भी नही माँगता और सो जाता. लड़का छुट्टियों में घर आता तो फिर सब की चाँदी रहती थी क्यों की चौधरायण बहूत खुश रहती थी. घर में तरह के पकवान बनते और किसी को भी शीला देवी के गुस्से का सामना नही करना पड़ता था.

ऐसे ही दिन महीने साल बीत ते गये, लड़का अब सत्रह बरस का हो चुका था. थोड़ा बहुत चंचल तो हो ही चुका था और बारहवी की परीक्षा उसने दे दी थी. परीक्षा जब ख़तम हुई तो शहर में रह कर क्या करता, शीला देवी ने बुलवा लिया. एप्रिल में परीक्षा के ख़तम होते ही वो गाओं वापस आ गया. लोंडे पर नई नई जवानी चड़ी थी. शहर की हवा लग चुकी थी जिम जाता था सो बदन खूब गठिला हो गया था. गाओं जब वो आया तो उसकी खूब आव-भगत हुई. मा ने खूब जम के खिलाया पिलाया. लड़के का मन भी लग गया. पर दो चार दिन बाद ही उसका इन सब चीज़ो से मन उब सा गया. अब शहर में रहने पर स्कूल जाना टशन जाना और फिर दोस्तो यारो के साथ समय कट जाता था पर यहा गाओं में तो करने धरने के लिए कुच्छ था नही, दिन भर बैठे रहो. इसलिए उसने अपनी समस्या अपनी शीला देवी को बता दी. शीला देवी ने कहा की "देख बेटा मैने तो तुझे गाओं के इसी गंदे माहौल से दूर रखने के लिए शहर भेजा था, मगर अब तू जिद्द कर रहा है तो ठीक है, गाओं के कुच्छ अच्छे लड़को के साथ दोस्ती कर ले और उन्ही के साथ क्रिकेट या फुटबॉल खेल ले या फिर घूम आया कर मगर एक बात और शाम में ज़यादा देर घर से बाहर नही रह सकता तू". राजू इस पर खुश हो गया और बोला "ठीक है मम्मी तुझे शिकायत का मौका नही दूँगा". राजू लड़का था, गाओं के कुच्छ बचपन के दोस्त भी थे उसके, उनके साथ घूमना फिरना शुरू कर दिया. सुबह शाम उनकी क्रिकेट भी शुरू हो गई. राजू का मन अब थोड़ा बहुत गाओं में लगना शुरू हो गया था.

घर में चारो तरफ खुशी का वातावरण था क्यों की आज राजू का जनम दिन था. सुबह उठ कर शीला देवी ने घर की सॉफ सफाई करवाई, हलवाई लगवा दिया और खुद भी शाम की तैय्यारियों में जुट गई. राजू सुबह से बाहर ही घूम रहा था. पर आज उसको पूरी छूट मिली हुई थी. तकरीबन 12 बजे के आस पास जब शीला देवी अपने पति को कुच्छ काम समझा कर बाजार भेज रही थी तो उसकी मालिश करने वाली आया आ गई. शीला देवी उसको देख कर खुश होती हुई बोली "चल अच्छा किया आज आ गई, मैं तुझे खबर भिजवाने ही वाली थी, पता नही दो तीन दिन से पीठ में बड़ी अकड़न सी हो रखी है". आया बोली "मैं तो जब सुनी कि आज मुन्ना बाबू का जनम दिन है तो चली आई कि कही कोई काम ना निकल आए". काम क्या होना था, ये जो आया थी वो बहुत मुँह लगी थी चौधरायण के. आया चौधरायण की कामुकता को मानसिक संतुष्टि प्रदान करती थी. अपने दिमाग़ के साथ पूरे गाओं की तरह तरह की बाते जैसे की कौन किसके साथ लगी है कौन किस से फसि है और कौन किस पे नज़र रखहे हुए है आदि करने में उसे बड़ा मज़ा आता था. आया भी थोड़ी कुत्सित प्रवृति की थी उसके दिमाग़ में जाने क्या क्या चलता रहता था. गाओं, मुहल्ले की बाते खूब नमक मिर्च लगा कर और रंगीन बना कर बताने में उसे बरा मज़ा आता था. इसलिए दोनो की जमती भी खूब थी. तो फिर चौधरायण सब कामो से फ़ुर्सत पा कर अपनी मालिश करवाने के लिए अपने कमरे में जा घुसी. दरवाज़ा बंद करने के बाद चौधरैयन बिस्तेर पर लेट गई और आया उसके बगल में तेल की कटोरी ले कर बैठ गई. दोनो हाथो में तेल लगा कर चौधरायण की साडी को घुटनो से उपर तक उठाते हुए उसने तेल लगा शुरू कर दिया. चौधरायण की गोरी चिकनी टॅंगो पर तेल लगाते हुए आया की बातो का सिलसिला शुरू हो गया था. आया ने चौधरायण की तारीफो के पूल बांधना शुरू कर दिए था. चौधरायण ने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए पुचछा "और गाओं का हाल चाल तो बता, तू तो पता नही कहा मुँह मारती रहती है मेरी तारीफ तू बाद में कर लेना". आया के चेहरे पर एक अनोखी चमक आ गई "क्या हाल चाल बताए मालकिन, गाओं में तो अब बस जिधर देखो उधर ज़ोर ज़बरदस्ती हो रही है, परसो मुखिया ने नंदू कुम्हार को पिटवा दिया पर आप तो जानती ही हो आज कल के लड़को को.. उँछ नीच का उन्हे कुच्छ ख्याल तो है नही, नंदू का बेटा शहर से पढ़ाई कर के आया है पता नही क्या क्या सीखके के आया है, उसने भी कल मुखिया को अकेले में धर दबोचा और लगा दी चार पाँच पटखनी, मुखिया पड़ा हुआ है अपने घर पर अपनी टूटी टांग ले के और नंदू का बेटा गया थाने" "हा रे, इधर काम के चक्कर में तो पता ही नही चला, मैं भी सोच रही थी कि कल पोलीस क्यों आई थी, पर एक बात तो बता मैने तो ये भी सुना है कि मुखिया की बेटी का कुच्छ चक्कर था नंदू के बेटे से" "सही सुना है मालकिन, दोनो में बड़ा जबरदस्त नैन मत्तक्का चल रहा है, इसी से मुखिया खार खाए बैठा था"
Reply
06-24-2017, 11:49 AM,
#2
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"बड़ा खराब जमाना आ गया है, लोगो में एक तो उँछ नीच का भेद मिट गया है, कौन किसके साथ घूम फिर रहा है ये भी पता नही चलता है, खैर और सुना, मैने सुना है तेरा भी बड़ा नैन मत्तक्का चल रहा है आज कल उस सरपंच के छ्होरे के साथ, साली बुढ़िया हो के कहा से फसा लेती है जवान जवान लोंडो को"

आया का चेहरा कान तक लाल हो गया था, छिनाल तो वो थी मगर चोरी पकड़े जाने पर चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ गई. शरमाते और मुस्कुराते हुए बोली "अर्रे मालकिन आप तो आज कल के लोंडो का हाल जानती ही हो सब साले च्छेद के चक्कर में पगलाए घूमते रहते है"

"पगलाए घूमते है या तू पागल कर देती है,,,,,,,,,,,अपनी जवानी दिखा के"

आया के चेहरे पर एक शर्मीली मुस्कुराहट दौड़ गई, "क्या मालकिन मैं क्या दिखौँगी, फिर थोड़ा बहुत तो सब करते है"

"थोड़ा सा....साली क्यों झूट बोलती है तू तो पूरी की पूरी छिनाल है, सारे गाओं के लड़को को बिगाड़ के रख देगी,,,,,,,,,,

"अर्रे मालकिन बिगड़े हुए को मैं क्या बिगाड़ूँगी, गाओं के सारे छ्होरे तो दिन रात इसी चक्कर में लगे रहते हैं".

"चल साली, तू जैसे दूध की धूलि है"

"अब जो समझ लो मालकिन, पर एक बात बता दू आपको कि ये लोंडे भी कम नही है गाओं के तालाब पर जो पेड़ लगे हुए है ना उस पर बैठ का खूब तान्क झाँक करते है"

"अक्चा, पर तुम लोग क्या भगाती नही उन लोंडो को..........."

"घने घने पेड़ है चारो तरफ, अब कोई उनके पिछे छुपा बैठा रहेगा तो कैसे पता चलेगा, कभी दिख जाते है कभी नही दिखते"

"बड़े हरामी लोंडे है, औरतो को चैन से नहाने भी नही देते"

"लोंडे तो लोंडे, लड़कियाँ भी कोई कम हरामी नही है"

"क्यों वो क्या करती है"

"अर्रे मालकिन दिखा दिखा के नहाती है"

"अच्छा, बड़ा गंदा माहौल हो गया है गाओं का"

"जो भी है मालकिन अब जीना तो इसी गाओं में है ना"

"हा रे वो तो है, मगर मुझे तो मेरे लड़के के कारण डर लगता है, कही वो भी ना बिगड़ जाए"

इस पर आया के होंठो के कमान थोड़े से खींच गये. उसके चेहरे की कुटिल मुस्कान जैसे कह रही थी की बिगड़े हुए को और क्या बिगाड़ना. मगर आया ने कुच्छ बोला नही.

शीला देवी हँसते हुए बोली "अब तो लड़का भी जवान हो गया है, तेरे जैसी रंडियो के नज़रो से तो बचाना ही पड़ेगा नही तो तुम लोग कब उसको हाज़ाम कर जाओगी ये भी पता नही लगेगा"

"अब मालकिन झूठ नही बोलूँगी पर अगर आप सच सुन सको तो एक बात बोलू"

"हा बोल क्या बात"

"चलो रहने दो मालकिन" कह कर आया ने पूरा ज़ोर लगा के चौधरायण की कमर को थोड़ा कस के दबाया, गोरी खाल लाल हो गई, चौधरायण के मुँह से हल्की सी आह निकली गई, आया का हाथ अब तेज़ी से कमर पर चल रहा था. आया के तेज चलते हाथो ने चौधरायण को थोरी देर के लिए भूला दिया कि वो क्या पुच्छ रही थी. आआया ने अपने हाथो को अब कमर से थोड़ा नीचे चलाना शुरू कर दिया था. उसने चौधरायण की पेटिकोट के अंदर ख़ुसी हुई साडी को अपने हाथो से निकाल दिया और कमर की साइड में हाथ लगा कर पेटिकोट के नाडे को खोल दिया. पेटिकोट को ढीला कर उसने अपने हाथो को कमर के और नीचे उतार दिया. हाथो में तेल लगा कर चौधरायण के मोटे-मोटे चूतरो के मंसो को अपने हथेलियो में दबोच दबोच कर दबा रही थी. शीला देवी के मुँह से हर बार एक हल्की सी आनद भरी आह निकल जाती थी. अपने तेल लगे हाथो से आया ने चौधरायण की पीठ से लेकर उसके मांसल चूतरो तक के एक-एक कस बल को ढीला कर दिया था. आया का हाथ चूतरो को मसल्ते मसल्ते उनके बीच की दरार में भी चला जाता था. चूतरो के दरार को सहलाने पर हुई गुद-गुडी और सिहरन के कारण चौधरायण के मुँह से हल्की सी हसी के साथ कराह निकल जाती थी. आया के मालिश करने के इसी मस्ताने अंदाज की शीला देवी दीवानी थी. आया ने अपना हाथ चूतरो पर से खींच कर उसकी सारी को जाँघो तक उठा कर उसके गोरे-गोरे बिना बालो के गुदाज़ मांसल जाँघो को अपने हाथो में दबा-दबा के मालिश करना शुरू कर दिया. चौधरायण की आँखे आनंद से मुंदी जा रही थी. आया का हाथ घुटनो से लेकर पूरे जाँघो तक घूम रहे थे. जाँघो और चूतरो के निचले भाग पर मालिश करते हुए आया का हाथ अब धीरे धीरे चौधरायण के चूत और उसकी झांतो को भी टच कर रहा था. आया ने अपने हाथो से हल्के हल्के चूत को छुना शुरू कर दिया था. चूत को छुते ही शीला देवी के पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई थी. उसके मुँह से मस्ती भरी आह निकल गई. उस से रहा नही गया और पीठ के बल होते हुए बोली "साली तू मानेगी नही"
Reply
06-24-2017, 11:50 AM,
#3
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"मालकिन मेरे से मालिश करवाने का यही तो मज़ा है"

"चल साली, आज जल्दी छोड़ दे मुझे बहुत सारा काम है"

"अर्रे काम-धाम तो सारे नौकर चाकर कर ही रहे है मालकिन, ज़रा अच्छे से मालिश करवा लो इतने दीनो के बाद आई हू, बदन हल्का हो जाएगा"

चौधरायण ने अपनी जाँघो को और चौड़ा कर दिया और अपने एक पैर को घुटनो के पास से मोड़ दिया, और अपनी चूचियों पर से साडी को हटा दिया. मतलब आया को ये सीधा संकेत दे दिया था कि कर ले अपनी मर्ज़ी जो भी करना है मगर बोली "हट साली तेरे से बदन हल्का करवाने के चक्कर में नही पड़ना मुझे आज, आग लगा देती है साली...............चौधरायण ने अपनी बात अभी पूरी भी नही की थी और आया का हाथ सीधा साड़ी और पेटिकोट के नीचे से शीला देवी के चूत पर पहुच गया था. चूत की फांको पर उंगलिया चलाते हुए अपने अंगूठे से हल्के से शीला देवी की चूत के क्लिट को आया सहलाने लगी. चूत एकदम से पनिया गई. आया ने चूत को एक थपकी लगाई और मालकिन की ओर देखते हुए मुस्कुराते हुए बोली "पानी तो छोड रही हो मालकिन". इस पर शीला देवी सिसकते हुए बोली "साली ऐसे थपकी लगाएगी तो पानी तो निकलेगा ही" फिर अपने ब्लाउस के बटनो को खोलने लगी. आया ने पुचछा "पूरा कर्वाओगि क्या मालकिन".

"पूरा तो करवाना ही पड़ेगा साली अब जब तूने आग लगा दी है..."

आया ने मुस्कुराते हुए अपने हाथो को शीला देवी की चुचियों की ओर बढ़ा दिया और उनको हल्के हाथो से पकड़ कर सहलाने लगी जैसे की पूछकर कर रही हो. फिर अपने हाथो में तेल लगा के दोनो चूचियों को दोनो हाथो से पकड़ के हल्के से खीचते हुए निपपलो को अपने अंगूठे और उंगलियों के बीच में दबा कर खीचने लगी. चुचियों में धीरे-धीरे तनाव आना शुरू हो गया. निपल खड़े हो गये और दोनो चूचियों में उमर के साथ जो थोड़ा बहुत थुल-थुलापन आया हुआ था वो अब मांसल कठोरता में बदल गया. उत्तेजना बढ़ने के कारण चुचियों में तनाव आना स्वाभाविक था. आया की समझ में आ गया था कि अब मालकिन को गर्मी पूरी चढ़ गई है. आया को औरतो के साथ खेलने में उतना ही मज़ा आता था जितना मज़ा उसको लड़को के साथ खेलने में आता था. चुचियो को तेल लगाने के साथ-साथ मसल्ते हुए आया ने अपने हाथो को धीरे धीरे पेट पर चलना शुरू कर दिया था. चौधरायण की गोल-गोल नाभि में अपने उंगलियों को चलाते हुए आया ने फिर से बाते करनी शुरू कर दी.

"मालकिन अब क्या बोलू, मगर मुन्ना बाबू (चौधराईएन का बेटा) भी कम उस्ताद नही है

मस्ती में डूबी हुई अधखुली आँखो से आया को देखते हुए शीला देवी ने पुच्छा

"क्यों, क्या किया मुन्ना ने तेरे साथ"

"मेरे साथ क्या करेंगे मुन्ना बाबू, आप गुस्सा ना हो एक बताउ आपको. चौधरायण ने अब अपनी आँखे खोल दी और चोकन्नि हो गई

"हा हा बोल ना क्या बोलना है"

"मालकिन अपने मुन्ना बाबू भी काम नही है, उनकी भी संगत बिगड़ गई है"

"ऐसा कैसे बोल रही है तू"

"ऐसा इसलिए बोल रही हू क्यों की, अपने मुन्ना बाबू भी तलब के चक्कर खूब लगते है"

"इसका क्या मतलब हुआ, हो सकता है दोस्तो के साथ खेलने या फिर तैरने चला जाता होगा"

"खाली तैरने जाए तब तो ठीक है मालकिन मगर, मुन्ना बाबू को तो मैने कई तालाब किनारे वाले पेड़ पर चढ़ कर छुप कर बैठे हुए भी देखा है".

"सच बोल रही है तू........"

"और क्या मालकिन, आप से झूट बोलूँगी, कह कर आया ने अपना हाथ फिर से पेटिकोट के अंदर सरका दिया और चूत से खेलने लगी. अपनी मोटी मोटी दो उंगलियों को उसने गचक से शीला देवी के चूत में पेल दिया. चूत में उंगली के जाते ही शीला देवी के मुँह से आह निकल गई मगर उसने कुच्छ बोला नही. अपने बेटे के बारे में जानकर उसके ध्यान सेक्स से हट गया था और वो उसके बारे और ज़यादा जान ना चाहती थी. इसलिए फिर आया को कुरेदते हुए कहा

"अब मुन्ना भी तो जवान हो गया है थोड़ी बहुत तो उत्सुकता सब के मन में होती, वो भी देखने चला गया होगा इन मुए गाओं के छोरो के साथ"

"पर मालकिन मैने तो उनको शाम में अमिया (आमो का बगीचा) में गुलाबो के चुचे दबाते हुए भी देखा है"

चौधरैयन का गुस्सा सातवे आसमान पर जा पहुचा, उसने आया को एक लात कस के मारी, आया गिरी तो नही मगर थोड़ा हिल ज़रूर गई. आया ने अपनी उंगलिओ को अभी भी चूत से नही निकलने दिया. लात खाकर भी हस्ती हुई बोली "मालकिन जितना गुस्सा निकालना हो निकाल लो मगर मैं एक दम सच-सच बोल रही हू. झूट बोलू तो मेरी ज़ुबान कट के गिर जाए मगर मुन्ना बाबू को तो कई बार मैने गाओं की औरते जिधर दिशा-मैदान करने जाती है उधर भी घूमते हुए देखा है"
Reply
06-24-2017, 11:50 AM,
#4
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"हाई दैया उधर क्या करने जाता है ये सुअर"

"बसंती के पिछे भी पड़े हुए है छ्होटे मलिक, वो भी साली खूब दिखा दिखा के नहाती है,,,,,, साली को जैसे ही छ्होटे मालिक को देखती और ज़यादा चूतर मटका मटका के चलने लगती है, छ्होटे मलिक भी पूरा लट्तू हुए बैठे है"

"क्या जमाना आ गया है, इतना पढ़ाने लिखाने का कुच्छ फ़ायदा नही हुआ, सब मिट्टी में मिला दिया, इन्ही भंगिनो और धोबनो के पिछे घूमने के लिए इसे शहर भेजा था"

दो मोटी-मोटी उंगलियों को चूत में कच-कच पेलते, निकालते हुए आया ने कहा,

"आप भी मालकिन बेकार में नाराज़ हो रही हो, नया खून है थोड़ा बहुत तो उबाल मारेगा ही, फिर यहा गाओं में कौन सा उनका मन लगता होगा, मन लगाने के लिए थोड़ा बहुत इधर उधर कर लेते है"

"नही रे, मैं सोचती थी कम से कम मेरा बेटा तो ऐसा ना करे"

"वाह मालकिन आप भी कमाल की हो, अपने बेटे को भी अपने ही जैसा बना दो"

"क्या मतलब है रे तेरा"

"मतलब क्या है आप भी समझती हो, खुद तो आग में जलती रहती हो और चाहती हो की बेटा भी जले"

नज़रे छुपाते हुए चौधरायण ने कहा

"मैं कौन सी आग में जलती हू री कुतिया....."

"क्यों जलती नही हो क्या, मुझे क्या नही पता की मर्द के हाथो की गर्मी पाए आपको ना जाने कितने साल बीत चुके है, जैसे आपने अपनी इच्च्छाओ को दबा के रखा हुआ है वैसा ही आप चाहती हो छ्होटे मालिक भी करे"

"ऐसा नही है रे, ये सब काम करने की भी एक उमर होती है वो अभी बच्चा है"

"बच्चा है, आरे मालकिन वो ना जाने कितनो को अपने बच्चे की मा बना दे और आप कहती हो बच्चा है".

"चल साली क्या बकवास करती है"

आया ने चूत के क्लिट को सहलाते हुए और उंगलियों को पेलते हुए कहा "मेरी बाते तो बकवास ही लगेंगी मगर क्या आपने कभी छ्होटे मलिक का औज़ार देखा है"

"दूर हट कुतिया, क्या बोल रही है बेशरम तेरे बेटे की उमर का है"

आया ने मुस्कुराते हुए कहा- "बेशरम बोलो या फिर जो मन में आए बोलो मगर मालकिन सच बोलू तो मुन्ना बाबू का औज़ार देख के तो मेरी भी पनिया गई थी" कह कर चुप हो गई और चौधरायण की दोनो टाँगो को फैला कर उसके बीच में बैठ गई. फिर धीरे से अपने जीभ को चूत की क्लिट पर लगा कर चलाने लगी. चौधरायण ने अपने जाँघो को और ज़यादा फैला दिया, चूत पर आया की जीभ गजब का जादू कर रही थी.

आया के पास 25 साल का अनुभव था हाथो से मालिश करने का मगर जब उसका आकर्षण औरतो की तरफ बढ़ा तो धीरे धीरे उसने अपने हाथो के जादू को अपनी ज़ुबान में उतार दिया था. जब वो अपनी जीभ को चूत के उपरी भाग में नुकीला कर के रगड़ती थी तो शीला देवी की जलती हुई चूत ऐसे पानी छोड़ती थी जैसे कोई झरना छोड़ता है. चूत के एक एक पेपोट को अपने होंठो के बीच दबा दबा के ऐसे चुस्ती थी कि शीला देवी के मुँह से बरबस सिसकारिया फूटने लगी थी. गांद हवा में 4 इंच उपर उठा-उठा के वो आया के मुँह पर रगड़ रही थी. शीला देवी काम-वासना की आग में जल उठी थी. आया ने जब देखा मालकिन अब पूरे उबाल पर आ गई है तो उसको जल्दी से झदाने के इरादे से उसने अपनी ज़ुबान हटा के फिर कचक से दो मोटी उंगलिया पेल दी और गाचा-गच अंदर बाहर करने लगी. आया ने फिर से बातो का सिलसिला शुरू कर दिया......

"मालकिन, अपने लिए भी कुच्छ इंतज़ाम कर लो अब,

"क्या मतलब है रीए तेराअ उईईईई सस्स्स्स्स्स्सिईईईई जल्दी जल्दी हाथ चला साली"

"मतलब तो बड़ा सीधा साधा है मालकिन, कब तक ऐसे हाथो से करवाती रहोगी"

"तो फिर क्या करू रे, साली ज़यादा दिमाग़ मत चला हाथ चला"

"मालकिन आपकी चूत मांगती है लंड का रूस और आप हो कि इसको ..........खीरा ककरी खिला रही हो"

"चुप साली, अब कोई उमर रही है मेरी ये सब काम करवाने की"

"अच्छा आपको कैसे पता की आपकी उमर बीत गई है, ज़रा सा छु देती हू उसमे तो पनिया जाती है आपकी और बोलती हो अब उमर बीत गई"

"नही रे,,, लड़का जवान हो गया, बिना मर्द के सुख के इतने दिन बीत गये अब क्या अब तो बुढ़िया हो गई हू"

"क्या बात करती हो मालकिन, आप और बुढ़िया ! अभी भी अच्छे अछो के कान काट दोगि आप, इतना भरा हुआ नशीला बदन तो इस गाओं आस-पास के चार सौ गाओं में ढूँढे नही मिलेगा.

"चल साली क्यों चने के झाड़ पर चढ़ा रही है"
Reply
06-24-2017, 11:50 AM,
#5
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
"क्या मालकिन मैं क्यों ऐसा करूँगी, फिर लड़का जवान होने का ये मतलब थोड़े ही है की आप बुढ़िया हो गई हो क्यों अपना सत्यानाश करवा रही हो"

"तू मुझे बिगाड़ने पर क्यों तुली हुई है"

आया ने इस पर हस्ते हुए कहा, "थोड़ा आप बिगड़ो और थोड़ा छ्होटे मालिक को भी बिगड़ने का मौका दो"

"छ्हि रनडिीई ....कैसी कैसी बाते करती है ! मेरे बेटे पर नज़र डाली तो मुँह नोच लूँगी"

"मालकिन मैं क्या करूँगी, छ्होटे मलिक खुद ही कुच्छ ना कुच्छ कर देंगे"

"वो क्यों करेगा रे.......वो कुच्छ नही करने वाला"

"मालकिन बड़ा मस्त हथियार है छ्होटे मलिक का, गाओं की छोरियाँ छोड़ने वाली नही"

"हराम जादि, छोरियो की बात छ्चोड़ मुझे तो लगता है तू ही उसको नही छोड़ेगी, शरम कर बेटे की उमर का है"

"हाई मालकिन औज़ार देख के तो सब कुच्छ भूल जाती हू मैं"

इतनी देर से अपने बेटे की बराई सुन-सुन के शीला देवी के मन में भी उत्सुकता जाग उठी थी. उसने आख़िर आया से पुच्छ ही लिया.....

"कैसे देखा लिया तूने मुन्ना का". आया ने अंजान बनते हुए पुचछा "मुन्ना बाबू का क्या मालकिन". एक फिर आया को चौधरैयन की एक लात खानी पड़ी, फिर चुधरायण ने हस्ते हुए कहा "कमिनि सब समझ के अंजान बनती है". आया ने भी हस्ते हुए कहा "मालकिन मैने तो सोचा की आप अभी तो बेटा बेटा कर रही थी फिर उसके औज़ार के बारे में कैसे पुछोगि?". आया की बात सुन कर चौधरैयन थोड़ा शर्मा गई. उसकी समझ में ही नही आ रहा था कि क्या जवाब दे वो आया को, फिर भी उसने थोड़ा झेप्ते हुए कहा.

"साली मैं तो ये पुच्छ रही थी की तूने कैसे देख लिया"

"मैने बताया तो था मालकिन की छ्होटे मालिक जिधर गाओं की औरते दिशा-मैदान करने जाती है उधर घूमते रहते है, फिर ये साली बसंती भी उनपे लट्तू हुई बैठी है. एक दिन शाम में मैं जब पाखाना करने गई थी तो देखा झारियों में खुशुर पुसुर की आवाज़ आ रही है. मैने सोचा देखु तो ज़रा कौन है, देखा तो हक्की-बक्की रह गई क्या बताउ, मुन्ना बाबू और बसंती दोनो खुसुर पुसुर कर रहे थे. मुन्ना बाबू का हाथ बसंती की चोली में और बसंती का हाथ मुन्ना बाबू के हाफ पॅंट में घुसा हुआ था. मुन्ना बाबू रीरयते हुए बसंती से बोल रहे थे एक बार अपना माल दिखा दे और बसंती उनको मना कर रही थी". इतना कह कर आया चुप हो गई और एक हाथ से शीला देवी की चुचि दबाते हुए अपनी उंगलिया चूत के अंदर तेज़ी से घूमने लगी.

शीला देवी सिसकरते हुए बोली "हा फिर क्या हुआ, मुन्ना ने क्या किया". चौधरैयन के अंदर अब उत्सुकता जाग उठी थी.

"मुन्ना बाबू ने फिर ज़ोर से बसंती की एक चुचि को एक हाथ में थाम लिया और दूसरी हाथ की हथेली को सीधा उसकी दोनो जाँघो के बीच रख के पूरी मुठ्ठी में उसकी चूत को भर लिया और फुसफुसाते हुए बोले 'हाई दिखा दे एक बार, चखा दे अपना लल्मुनिया को बस एक बार रानी फिर देख मैं इस बार मेले में तुझे सबसे मह्न्गा लहनगा खरीद दूँगा, बस एक बार चखा दे रानी', इतनी ज़ोर से चुचि डबवाने पर साली को दर्द भी हो रहा होगा मगर साली की हिम्मत देखो एक बार भी छ्होटे मलिक के हाथ को हटाने की उसने कोशिश नही की, खाली मुँह से बोल रही थी 'हाई छोड़ दो मालिक छोड़ दो मालिक' मगर छ्होटे मालिक हाथ आई मुर्गी को कहा छोड़ने वाले थे" . शीला देवी की चूत पसीज रही थी अपने बेटे की करतूत सुन कर उसे पता नही क्यों गुस्सा नही आ रहा था. उसके मन में एक अजीब तरह का कौतूहल भरा हुआ था. आया भी अपने मालकिन के मन को खूब समझ रही थी इसलिए वो और नमक मिर्च लगा कर मुन्ना की करतूतों की कहानी सुनाए जा रही थी.

"फिर मालकिन मुन्ना बाबू ने उसके गाल का चुम्मा लिया और बोले 'बहुत मज़ा आएगा रानी बस एक बार चखा दो, हाई जब तुम गांद मटका के चलती हो तो क्या बताए कसम से कलेजे पर छुरि चल जाती है, बसंती बस एक बार चखा दो' बसंती शरमाते हुए बोली 'नही मालिक आपका बहुत मोटा है, मेरी फट जाएगी' इस पर मुन्ना बाबू ने कहा 'हाथ से पकड़ने पर तो मोटा लगता ही है जब चूत में जाएगा तो पता भी नही चलेगा' फिर बसंती के हाथ को अपनी निक्केर से निकाल के उन्होने झट से अपनी निक्केर उतार दी, है मालकिन क्या बताउ कलेजा धक से मुँह को आ गया, बसंती तो चीख कर एक कदम पिछे हट गई, क्या भयंकर लंड था मलिक का एक दम से काले साँप की तरह, लपलपाता हुआ, मोटा मोटा पहाड़ी आलू के जैसा नुकीला गुलाबी सुपरा और मालकिन सच कह रही हू कम से कम 10 इंच लंबा और कम से कम 2.5 इंच मोटा लॉडा होगा छ्होटे मलिक का, अफ ऐसा जबरदस्त औज़ार मैने आज तक नही देखा था, बसंती अगर उस समय कोशिश भी करती तो चुदवा नही पाती, वही खेत में ही बेहोश हो के मर जाती साली मगर छ्होटे मलिक का लंड उसकी चूत में नही जाता"
Reply
06-24-2017, 11:51 AM,
#6
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
चौधरैयन एक टक गौर से अपने बेटे की काली करतूतो का बखान सुन रही थी. उसका बदन काम-वासना से जल रहा था और आया की वासना भारी बाते जो कहने को तो उसके बेटे के बारे में थी पर फिर भी उसके अंदर एक अनोखी कसक पैदा कर रही थी. आया को चुप देख कर उस से रहा नही गया और वो पुच्छ बैठी "आगे क्या हुआ".

आया ने फिर हस्ते हुए बताया "अर्रे मालकिन होना क्या था, तभी अचानक झारियों में सुरसूराहट हुई, मुन्ना बाबू तो कुच्छ समझ नही पाए मगर बसंती तो चालू है, मालकिन, साली झट से लहनगा समेत कर पिछे की ओर भागी और गायब हो गई. और मुन्ना बाबू जब तक संभालते तब तक उनके सामने बसंती की भाभी आ के खड़ी हो गई. अब आप तो जानती ही हो कि इस साली लाजवंतीको ठीक अपने नाम की उलट बिना किसी लाज शर्म की औरत है. जब साली बसंती की उमर की थी और नई नई शादी हो के गाओं में आई थी तब से उसने 2 साल में गाओं के सारे जवान मर्दो के लंड का पानी चख लिया होगा. अभी भी हरम्जादी ने अपने आप को बना सॉवॅर के रखा हुआ है". इतना बता कर आया फिर से चुप हो गई.

" फिर क्या हुआ, लाजवंती तो खूब गुस्सा हो गई होगी"

"अर्रे नही मालकिन, उसे कहा पता चला की अभी अभी 2 सेकेंड पहले मुन्ना बाबू अपना लंड उसकी ननद को दिखा रहे थे. वो साली तो खुद अपने चक्कर में आई हुई थी. उसने जब मुन्ना बाबू का बलिश्त भर का खड़ा मुसलान्ड देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया और मुन्ना बाबू को पटाने के इरादे से बोली 'यहा क्या कर रहे है छ्होटे मालिक आप कब से हम ग़रीबो की तरह से खुले में दिशा करने लगे'. छोटे मलिक तो बेचारे हक्के बक्के से खड़े थे, उनकी समझ में नही आ रहा था कि क्या करे, एक दम देखने लायक नज़ारा था. हाफ पॅंट घुटनो तक उतरी हुई थी और शर्ट मोड़ के पेट पर चढ़ा रखा था, दोनो जाँघो के बीच एक दम काला भुजंग मुसलांड लहरा रहा था".

"छ्होटे मालिक तो बस "उः आह उः" कर के रह गये. तब तक लाजवंती छ्होटे मालिक के एक दम पास पहुच गई और बिना किसी जीझक या शर्म के उनके हथियार को पकड़ लिया और बोली 'क्या मालिक कुच्छ गड़बड़ तो नही कर रहे थे पूरा खड़ा कर के रखा हुआ है. इतना क्यों फनफना रहा है आपका औज़ार, कही कुच्छ देख तो नही लिया'. इतना कह कर हस्ने लगी".

"छ्होटे मालिक के चेहरे की रंगत देखने लायक थी. एक दम हक्के-बक्के से लाजवंती का मुँह तके जा रहे थे. अपना हाफ पॅंट भी उन्होने अभी तक नही उठाया था. लाजवंती ने सीधा उनके मूसल को अपने हाथो में पकड़ लिया और मुस्कुराती हुई बोली 'क्या मालिक औरतो को हगते हुए देखने आए थे क्या' कह कर खी खी कर के हस्ते हुए मुन्ना बाबू के औज़ार को ऐसे कस के मसला साली ने की उस अंधेरे में भी मालिक का लाल लाल मोटे पहाड़ी आलू जैसा सुपरा एक दम से चमक गया जैसे की उसमे बहुत सारा खून भर गया हो और लंड और फनफना के लहरा उठा".

" बड़ी हरम्खोर है ये लाजवंती, साली को ज़रा भी शरम नही है क्या"

"जिसने सारे गाओं के लोंडो का लंड अपने अंदर करवाया हो वो क्या शरम करेगी"

"फिर क्या हुआ, मेरा मुन्ना तो ज़रूर भाग गया होगा वाहा से बेचारा"

"मालकिन आप भी ना हद करती हो अभी 2 मिनिट पहले आपको बताया था कि आपका लाल बसंती के चुचो को दबा रहा था और आप अब भी उसको सीधा सीधा स्मझ रही हो, जबकि उन्होने तो उस दिन वो सब कर दिया जिसके बारे में आपने सपने में भी नही सोचा होगा"

चौधरायण एक दम से चौंक उठी "क्या कर दिया, क्यों बात को घूम फिरा रही है"

"वही किया जो एक जवान मर्द करता है"

"क्यों झूट बोलती हो, जल्दी से बताओ ना क्या किया"

"छ्होटे मालिक में भी पूरा जोश भरा हुआ था और उपर से लाजवंती की उकसाने वाली हरकते दोनो ने मिल कर आग में घी का काम किया. लाजवंती बोली "छोरियो को पेशाब और पाखाना करते हुए देख कर हिलाने की तैय्यारि में थे क्या, या फिर किसी लौंडिया के इंतेज़ार में खड़ा कर रखा है' मुन्ना बाबू क्या बोलते पर उनके चेहरे को देख के लग रहा था कि उनकी साँसे तेज हो गई है. उन्होने ने भी अबकी बार लाजवंती के हाथो को पकड़ लिया और अपने लंड पर और कस के चिपका दिया और बोले "हाई भौजी मैं तो बस पेशाब करने आया था' इस पर वो बोली 'तो फिर खड़ा कर के क्यों बैठे हो मालिक कुच्छ चाहिए क्या' मुन्ना बाबू की तो बाँछे खिल गई. खुल्लम खुल्ला चुदाई का निमंत्रण था. झट से बोले 'चाहिए तो ज़रूर अगर तू दे दे तो मेले में से पायल दिलवा दूँगा'. खुशी के मारे तो साली लाजवंती का चेहरा च्मकने लगा, मुफ़्त में मज़ा और माल दोनो मिलने का आसार नज़र आ रहा था. झट से वही पर घास पर बैठ गई और बोली 'हाई मालिक कितना बड़ा और मोटा है आपका, कहा कुन्वारियो के पिछे पड़े रहते हो, आपका तो मेरे जैसी शादी शुदा औरतो वाला औज़ार है, बसंती तो साली पूरा ले भी नही पाएगी' छ्होटे मालिक बसंती का नाम सुन के चौंक उठे कि इसको कैसे पता बसंती के बारे में. लाजवंती ने फिर से कहा ' कितना मोटा और लंबा है, ऐसा लंड लेने की बड़ी तमन्ना थी मेरी' इस पर छ्होटे मालिक ने नीचे बैठ ते हुए कहा 'आज तमन्ना पूरी कर ले, बस चखा दे ज़रा सा, बड़ी तलब लगी है' इस पर लाजवंती बोली 'ज़रा सा चखना है या पूरा मालिक' तो फिर मालिक बोले 'हाई पूरा चखा दे मेले से तेरी पसंद की पायल दिवा दूँगा'.
Reply
06-24-2017, 11:51 AM,
#7
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
आया की बात अभी पूरी नही हुई थी कि चौधरैयन ने बीच में बोल पड़ी "ओह मेरी तो किस्मत ही फुट गई, मेरा बेटा रंडियों पर पैसा लूटा रहा है, किसी को लहनगा तो किसी हरम्जदि को पायल बाँट रहा है, कह कर आया को फिर से एक लात लगाई और थोड़े गुस्से से बोली "हरम्खोर, तू ये सारा नाटक वाहा खड़ी हो के देखे जा रही थी, तुझे ज़रा भी मेरा ख्याल ना आया, एक बार जा के दोनो को ज़रा सा धमका देती दोनो भाग जाते". आया ने मुँह बिचकाते हुए कहा "शेर के मुँह के आगे से नीवाला छीनने की औकात नही है मेरी मालकिन मैं तो बस चुप चाप तमाशा देख रही थी". कह कर आया चुप हो गई और चूत की मालिश करने लगी. चौधरैयन के मन की उत्सुकता दबाए नही दब रही थी कुच्छ देर में खुद ही कसमसा कर बोली "चुप क्यों हो गई आगे बता ना"

"फिर क्या होना था मालकिन, लाजवंती वही घास पर लेट गई और छ्होटे मालिक उसके उपर, दोनो गुत्थम गुत्था हो रहे थे. कभी वो उपर कभी मालिक उपर. छ्होटे मालिक ने अपना मुँह लाजवंती चोली में दे दिया और एक हाथ से उसके लहंगे को उपर उठा के उसकी चूत में उंगली डाल दी, लाजवंती के हाथ में मालिक का मोटा लंड था और दोनो चिपक चिपक के मज़ा लूटने लगे. कुच्छ देर बाद छ्होटे मालिक उठे और लाजवंती के दोनो टांगो के बीच बैठ गये. उस छिनाल ने भी अपने साड़ी को उपर उठा दिया और दोनो टाँगो को फैला दिया. मुन्ना बाबू ने अपना मुसलांड सीधा उसकी चूत के उपर रख के धक्का मार दिया. साली चुड़क्कड़ एक दम से मिम्याने लगी. इतना मोटा लंड घुसने के बाद तो कोई कितनी भी बड़ी रंडी हो उसकी हेकड़ी तो एक पल के लिए गुम हो ही जाती है. पर मुन्ना बाबू तो नया खून है, उन्होने कोई रहम नही दिखाया, उल्टा और कस कस के धक्के लगाने लगे"

"ठीक किया मुन्ना ने, साली रंडी की यही सज़ा है" चौधरैयन ने अपने मन की खुंदक निकाली, हालाँकि उसको ये सुन के बड़ा मज़ा आ रहा था कि उसके बेटे के लंड ने एक रंडी के मुँह से भी चीखे निकलवा दी.

"कुच्छ धक्को के बाद तो मालकिन साली चुदैल ऐसे अपनी गांद को उपर उच्छालने लगी और गपा गॅप मुन्ना बाबू के लंड को निगलते हुए बोल रही थी 'हाई मालिक फाड़ दो, हाई ऐसा लंड आज तक नही मिला, सीधा बच्चेदानी को छु रहा है, लगता है मैं ही चौधरी के पोते को पैदा करूँगी, मारो कस कस्के', मुन्ना बाबू भी पूरे जोश में थे, गांद उठा उठा के ऐसा धक्का लगा रहे थे कि क्या कहना, जैसे चूत फाड़ के गांद से लंड निकाल देंगे, दोनो हाथ से चुचि मसल रहे थे और, पका पक लंड पेल रहे थे. लाजवंती साली सिसकार रही थी और बोल रही थी 'मलिक पायल दिलवा देना फिर देखना कितना मज़ा कर्वौन्गि, अभी तो जल्दी में चुदाई हो रही है, मारो मालिक, इतने मोटे लंड वाले मालिक को अब नही तरसने दूँगी, जब बुलाओगे चली आउन्गि, हाई मालिक पूरे गाओं में आपके लंड के टक्कर का कोई नही है'. इतना कह कर आया चुप हो गई.

आया ने जब लाजवंती के द्वारा कही गई ये बात की पूरे गाओं में मुन्ना के लंड के टक्कर का कोई नही है सुन कर चौधरैयन के माथे पर बल पड़ गये. वो सोचने लगी कि क्या सच में ऐसा है. क्या सच में उसके लरके का लंड ऐसा है जो की पूरे गाओं के लंडो से बढ़ कर है. वो थोड़ी देर तक चुप रही फिर बोली "तू जो कुच्छ भी मुझे बता रही है वो सच है ना"

"हा मालकिन सो फीसदी सच बोल रही हू"

"फिर भी एक बात मेरी समझ में नही आती कि मुन्ना का इतना बड़ा कैसे हो सकता है जितना बड़ा तू बता रही है"

"क्यों मालकिन ऐसा क्यों बोल रही हो आप"

"नही ऐसे ही मैं सोच रही हू इतना बड़ा आम तौर पे होता तो नही, फिर तेरे मलिक के अलावा और किसी के साथ.................." बात अधूरी छ्होर कर चौधरैयन चुप हो गई. आया सब समझ गई और धीरे से मुस्कुराती हुई बोली "आरे मालकिन कोई ज़रूरी थोड़े ही है कि जितना बड़ा चौधरी साहब का होगा उतना ही बड़ा छ्होटे मालिक का भी होगा, चौधरी साहब का तो कद भी थोड़ा छ्होटा ही है मगर छ्होटे मालिक को देखो इसी उमर में पूरे 6 फुट के हो गये है". बात थोड़ी बहुत चौधरैयन के भेजे में भी घुस गई, मगर अपने बेटे के अनोखे हथियार को देखने की तमन्ना भी शायद उसके दिल के किसी कोने में जाग उठी थी.
Reply
06-24-2017, 11:51 AM,
#8
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
मुन्ना उसी समय घर के आँगन से मा ......मा पुकारता हुआ अपनी मा के कमरे की ओर दौड़ता हुआ आया और पूरी तेज़ी के साथ भड़ाक से चुधरैयन के कमरे के दरवाजे को खोल के अंदर घुस गया. अंदर घुसते ही उसकी आँखे चौधिया गई. कलेजे पर जैसे बिजली चल गई. मुँह से बोल नही फुट रहे थे. चौधारायन लगभग पूरी नंगी और आया अधनंगी हो के बैठी थी. मुन्ना की आँखों ने एक पल में ही अपनी मा का पूरा मुआयना कर डाला. ब्लाउस खुला हुआ था दोनो बड़ी बड़ी गोरी गोरी नारियल के जैसी चुचिया अपनी चोंच को उठाए खड़ी थी , साडी उपर उठी हुई थी और मोटे मोटे कन्द्लि के खम्भे जैसे जंघे ट्यूब लाइट की रोशनी में चमक रही थी. काले घने झांतो के जंगल में घिरी चूत तो नही दिख रही थी मगर उन झांतो के उपर लगा चूत का रस अपनी कहानी बयान कर रहा था. .ना तो आया ना ही चौधरैयन के मुँह से कोई कुच्छ निकला. कुच्छ देर तक ऐसे ही रहने के बाद आया को जैसे कुच्छ होश आया उसने जल्दी से जाँघो पर साड़ी खींच दी और साड़ी के पल्लू से दोनो चुचियों को धक दिया. अपने नंगे अंगो के ढके जाने पर चौधरैयन को जैसे होश आया वो झट से अपने पैरो को समेटे हुए उठ कर बैठ गई. चुचियों को अच्छी तरह से ढकते हुए झेंप मिटाते हुए बोली "क्या बात मुन्ना, क्या चाहिए". मा की आवाज़ सुन मुन्ना को भी एक झटका लगा और उसने अपना सिर नीचे करते हुए कहा, कुच्छ नही मैं तो पुच्छने आया था की शाम में फंक्षन कब शुरू होगा मेरे दोस्त पुच्छ रहे थे"

शीला देवी अब अपने आप को संभाल चुकी थी और अब उसके अंदर ग्लानि और गुस्सा दोनो भाव पैदा हो गये थे. उसने धीमे स्वर में जवाब दिया "तुझे पता नही है क्या जो 6-7 बजे से फंक्षन शुरू हो जाएगा. और क्या बात थी"

"वो मुझे भूख भी लगी थी"

"तो नौकरानी से माँग लेना था, जा उस को बोल के माँग ले"

मुन्ना वाहा से चला गया. आया ने झट से उठ कर दरवाजा बंद किया और चौधरैयन ने अपने कपड़े ठीक किए. आया बोलने लगी की "दरवाजा तो ठीक से बंद ही था मगर लगता है पूरी तरह से बंद नही हुआ था, पर इतना ध्यान रखने की ज़रूरत तो कभी रही नही क्यों की आम तौर पर आपके कमरे में तो कोई आता नही"

"चल जाने दे जो हुआ सो हुआ क्या कर सकते है" इतना बोल कर चौधरैयन चुप हो गई मगर उसके मन में एक गाँठ बन गई और अपने ही बेटे के सामने नंगे होने का अपराध बोध उस हावी हो गया.

अब सुनिए अपने मुन्ना बाबू की बात:-------

मुन्ना जब अपने मा के कमरे से निकला तब उसका दिमाग़ एक दम से काम नही कर रहा था. उसने आज तक अपनी मा का ऐसा रूप नही देखा. मतल्ब नंगा तो कभी नही देखा था. मगर आज शीला देवी का जो सुहाना रूप उसके सामने आया था उसने तो उसके होश उड़ा दिए थे. वो एक बदहवास हो चुका था. मा की गोरी गोरी मखमली जंघे और अल्फान्सो आम के जैसी चुचियों ने उसके होश उड़ा दिए थे. उसके दिमाग़ में रह रह कर मोटी जाँघो के बीच की काली-काली झांते उभर जाती थी. उसकी भूख मर चुकी थी. वो सीधा अपने कमरे में चला गया और दरवाजा बंद कर के तकियों के बीच अपने सिर को छुपा लिया. बंद आँखो के बीच जब मा के खूबसूरत चेहरे के साथ उसकी पलंग पर अस्त-वयस्त हालत में लेटी हुई तस्वीर जब उभरी तो धीरे-धीरे उसके लंड में हरकत होने लगी.
Reply
06-24-2017, 11:51 AM,
#9
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
वैसे अपने मुन्ना बाबू कोई सीधे-सादे संत नही है इतना तो पता चल गया होगा. मगर आपको ये जान कर असचर्या होगा की अब से 2 साल पहले तक सच मुच में अपने राजा बाबू उर्फ राजेश उर्फ राजू बड़े प्यारे से भोले भाले लड़के हुआ करते थे. जब 15 साल के हुए और अंगो में आए प्रिवर्तन को स्मझने लगे तब बेचारे बहुत परेशान रहने लगे. लंड बिना बात के खड़ा हो जाता था. पेशाब लगी हो तब भी और मन में कुच्छ ख्याल आ जाए तब भी. करे तो क्या करे. स्कूल में सारे दोस्तो ने अंडरवेर पहनना शुरू कर दिया था. मगर अपने भोलू राम के पास तो केवल पॅंट थी. कभी अंडरवेर पहना ही नही. लंड भी मुन्ना बाबू का औकात से कुच्छ ज़यादा ही बड़ा था, फुल-पॅंट में तो थोड़ा ठीक रहता था पर अगर जनाब पाजामे में खेल रहे होते तो, दौड़ते समय इधर उधर डोलने लगता था.जो कि उपर दिखता था और हाफ पॅंट में तो और मुसीबत होती थी अगर कभी घुटने मोड़ कर पलंग पर बैठे हो तो जाँघो के पास के ढीली मोहरी से अंदर का नज़ारा दिख जाता था. बेचारे किसी कह भी नही पाते थे कि मुझे अंडरवेर ला दो क्योंकि रहते थे मामा मामी के पास, वाहा मामा या मामी से कुच्छ भी बोलने में बड़ी शरम आती थी. गाँव काफ़ी दीनो से गये नही थे. बेचारे बारे परेशान थे.

सौभाग्या से मुन्ना बाबू की मामी हासमुख स्वाभाव की थी और अपने मुन्ना बाबू से थोड़ा बहुत हसी मज़ाक भी कर लेती थी. उसने कई बार ये नोटीस किया था कि मुन्ना बाबू से अपना लंड सम्भाले नही स्म्भल रहा है. सुभह-सुभह तो लग-भग हर रोज उसको मुन्ना के खड़े लंड का दर्शन हो जाता था. जब मुन्ना को उठाने जाती और वो उठ कर दनदनाता हुआ सीधा बाथरूम की ओर भागता था. मुन्ना की ये मुसीबत देख कर मामी को बड़ा मज़ा आता था. एक बार जब मुन्ना अपने पलंग पर बैठ कर पढ़ाई कर रहा था तब वो भी उसके सामने प्लन्ग पर बैठ गई. मुन्ना ने उस दिन संयोग से खूब ढीला ढाला हाफ पॅंट पहन रखा था. मुन्ना पालती मार कर बैठ कर पढ़ाई कर रहा था. सामने मामी भी एक मेग्ज़ीन खोल कर देख रही थी. पढ़ते पढ़ते मुन्ना ने अपना एक पैर खोल कर घुटने के पास से हल्का सा मोड़ कर सामने फैला दिया. इस स्थिति में उसके जाँघो के पास की हाफ-पॅंट की मोहरी नीचे ढूलक गई और सामने से जब मामी जी की नज़र पड़ी तो वो दंग रह गई. मुन्ना बाबू का मुस्टंडा लंड जो की अभी सोई हुई हालत में भी करीब तीन चार इंच लंबा दिख रहा था अपने लाल सुपरे की आँखो से मामी जी की ओर ताक रहा था.

उर्मिला जी इस नज़ारे को ललचाई नज़रो से एकटक देखे जा रही थी. उसकी आँखे वहाँ से हटाए नही हट रही थी. वो सोचने लगी की जब इस छ्होकरे का सोया हुआ है, तब इतना लंबा दिख रहा है, जब जाग कर खड़ा होता होगा तब कितना बड़ा दिखता होगा. उसके पति यानी कि मुन्ना के मामा का तो बमुश्किल साढ़े पाँच इंच का था. अब तक उसने मुन्ना के मामा के अलावा और किसी का लंड नही देखा था मगर इतनी उमर होने के कारण इतना तो ज्ञान था ही मोटे और लंबे लंड कितना मज़ा देते है.
Reply
06-24-2017, 11:51 AM,
#10
RE: Chudai Kahani गाँव का राजा
गाँव का राजा पार्ट -3 लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे

अचानक राजू की नज़र अपनी मामी उर्मिला देवी पर पड़ी वो बड़े गौर से उसके पेरॉं की तरफ देख रहीं थी तब राजू को अहसास हुआ मामी उसके लॅंड को ही देख रही है राजू ने अपने पैर को मोड़ लिया ओर मामी की तरफ देखा उर्मिला देवी राजू को अपनी ओर देखते पाकर हॅडबड़ा गई और अपनी नज़रें मेग्ज़ीन पर लगा ली

कुच्छ देर तक दोनो ऐसे ही शर्मिंदगी के अहसास में डूबे हुए बैठे रहे फिर उर्मिला देवी वाहा से उठ कर चली गई.

उस दिन की घटना ने दोनो के बीच एक हिचक की दीवार खड़ी कर दी. दोनो अब जब बाते करते तो थोड़ा नज़रे चुरा कर करते थे. उर्मिला देवी अब राजू को बड़े गौर से देखती थी. पाजामे में उसके हिलते डुलते लंड और हाफ पॅंट से झाँकते हुए लंड को देखने की फिराक में रहती थी. राजू भी सोच में डूबा रहता था कि मामी उसके लंड को क्यों देख रही थी. ऐसा वो क्यों कर रही थी. बड़ा परेशान था बेचारा. मामी जी भी अलग फिराक में लग गई थी. वो सोच रही थी क्या ऐसा हो सकता है कि मैं राजू के इस मस्ताने हथियार का मज़ा चख सकु. कैसे क्या करे ये उनकी समझ में नही आ रहा था. फिर उन्होने एक रास्ता खोज़ा.

अब उर्मिला देवी ने अब नज़रे चुराने की जगह राजू से आँखे मिलाने का फ़ैसला कर लिया था. वो अब राजू की आँखो में अपने रूप की मस्ती घोलना चाहती थी. देखने में तो वो माशा अल्लाह शुरू से खूबसूरत थी. राजू के सामने अब वो खुल कर अंग प्रदर्शन करने लगी थी. जैसे जब भी वो राजू के सामने बैठती थी तो अपनी साड़ी को घुटनो तक उपर उठा कर बैठती, साडी का आँचल तो दिन में ना जाने कितनी बार ढूलक जाता था (जबकि पहले ऐसा नही होता था), झाड़ू लगाते समय तो ब्लाउस के दोनो बटन खुले होते थे और उनमे से उनकी मस्तानी चुचिया झलकती रहती थी. बाथरूम से कई बार केवल पेटिकोट और ब्लाउस या ब्रा में बाहर निकल कर अपने बेडरूम में समान लाने जाती फिर वापस आती फिर जाती फिर वापस आती. नहाने के बाद बाथरूम से केवल एक लंबा वाला तौलिया लपेट कर बाहर निकल जाती थी. बेचारा राजू बीच ड्रॉयिंग रूम में बैठ ये सारा नज़ारा देखता रहता था. लरकियों को देख कर उसका लंड खड़ा तो होने लगा था मगर कभी सोचा नही था की मामी को देख के भी लंड खड़ा होगा. लंड तो लंड है वो कहा कुच्छ देखता है. उसको अगर चिकनी चमड़ी वाला खूबसूरत बदन दिखेगा तो खड़ा तो होगा ही. मामी जी उसको ये दिखा रही थी और वो खड़ा हो रहा था.

राजू को उसी दौरान राज शर्मा की सेक्सी कहानियो की एक किताब हाथ लग गई. किताब पढ़ कर जब लंड खड़ा हुआ और उसको मुठिया कर जब अपना पानी निकाला तो उसकी तीसरी आँख खुल गई. उसकी स्मझ में आ गया की चुदाई क्या होती है और उसमे कितना मज़ा आ सकता है. जब किताब पढ़ के कल्पना करने और मुठियाने में इतना मज़ा है तो फिर सच में अगर चूत में लंड डालने को मिले तो कितना मज़ा आएगा. राज शर्मा की कहानियों में तो रिश्तो में चुदाई की कहानिया भी होती है और एक बार जो वो किताब पढ़ लेता है फिर रिश्ते की औरतो के बारे में उल्टी सीधी बाते सोच ही लेता है चाहे वो ऐसा ना सोचने के लिए कितनी भी कोशिश करे. वही हाल अपने राजू बाबा का भी था. वो चाह रहे थे कि अपनी मामी के बारे में ऐसा ना सोचे मगर जब भी वो अपनी मामी के चिकने बदन को देखते तो ऐसा हो जाता था. मामी भी यही चाह रही थी. खूब छल्का छल्का के अपना बदन दिखा रही थी.

बाथरूम से पेशाब करने के बाद साडी को जाँघो तक उठाए बाहर निकल जाती थी. राजू की ओर देखे बिना साडी और पेटिकोट को वैसे ही उठाए हुए अपने कमरे में जाती और फिर चूकने की आक्टिंग करते हुए हल्के से मुस्कुराते हुए साडी को नीचे गिरा देती थी. राजू भी अब हर रोज इंतेज़ार करता था की कब मामी झाड़ू लगाएँगी और अपनी गुदाज़ चुचियों के दर्शन कराएँगी या फिर कब वो अपनी साडी उठा के उसे अपनी मोटी-मोटी जाँघो के दर्शन कराएँगी. राज शर्मा की कहानियाँ तो अब वो हर रोज पढ़ता था. ज्ञान बढ़ाने के साथ अब उसके दिमाग़ में हर रोज़ नई नई तरकीब सूझने लगी कि कैसे मामी को पटाया जाए. साड़ी उठा के उनकी चूत के दर्शन किए जाए और हो सके तो उसमें अपने हलब्बी लंड को प्रविष्ट कराया जाए और एक बार ही सही मगर चुदाई का मज़ा लिया जाए. सभी तरह के तरकीबो को सोचने के बाद उनकी छ्होटी बुद्धि ने या फिर ये कहे की उनके लंड ने क्योंकि चुदाई की आग में जलता हुआ छ्होकरा लंड से सोचने लगता है, एक तरकीब खोज ली.................
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,444,099 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 538,016 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,209,293 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 914,227 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,620,560 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,053,604 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,905,788 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,906,017 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,973,495 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,576 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)