Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
03-31-2019, 10:59 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
"चलो जो होगा, अच्छा ही होगा, अब चल कर नहा लेते हैं और लंच कर लेते हैं.” धीरज बोला.

धीरज और तान्या ने शवर लेने के बाद, लंच किया और फिर बीच हाउस की तरफ ड्राइव करते हुए लौटने लगे.

"आइ'म नर्वस," तान्या बोली.

"हां नर्वस होना नॉर्मल है, तुमको होना भी चाहिए" धीरज हँसते हुए बोला. "तुम वो ही करो जो मैं कर रहा हूँ. हम को कुछ नही पता कि हमारे पीछे उन भाई बेहन के बीच क्या कुछ हुआ है."

बीच हाउस पहुँच कर उन्होने देखा कि राज और डॉली बीच के किनारे बैठे हुए थे, धीरज और तान्या भी उन दोनो के पास जाकर बैठ गये. 

"तो फिर कैसा रहा, एंजाय किया हमारे पीछे तुम दोनो ने?" धीरज ने डॉली को चूमते हुए उस से पूछा. धीरज ने महसूस किया कि डॉली के चेहरे पर एक अलग ही चमक थी.

"वंडरफुल!" डॉली ने आँख मारते हुए जवाब दिया, "और तुम दोनो ने एंजाय किया?" 

"हां... ," धीरज ने संक्षिप्त जवाब दिया. डॉली ने धीरज के चेहरे की तरफ देखा, मानो पूछ रही हो उसके कहने का क्या मतलब है. 

तान्या अपने पति राज के पास बैठी हुई थी, लेकिन राज एक तक किनारे से टकरा कर दम तोड़ रही लहरों को देख रहा था. तान्या ने पास रखी सनस्क्रीन लोशन की बॉटल में से कुछ बूँद अपनी हथेली पर निकाल कर राज की पीठ पर मलने लगी. राज ने एक पल को तान्या को तो देखा, लेकिन वो धीरज और डॉली को बिल्कुल इग्नोर कर रहा था. राज अभी भी अपनी दीदी की ताबड तोड़ चुदाई करने के बाद, बाकी सब से नज़रें चुरा रहा था. ख़ास तौर से वो धीरज से नज़रें मिलाने से बच रहा था, क्यूंकी एक धीरज ही था जिस को सब कुछ मालूम था.

किसी तरह शाम को सब लोग डिन्नर करने के बाद, अपने अपने रूम में शाम को जल्दी 9 बजे ही सोने के लिए चले गये, कोई किसी से ज़्यादा बात नही कर रहा था, सारे बीच हाउस में एक अन्मनि सी शांति छाइ हुई थी.

रूम में आने के बाद धीरज ने डॉली को अपनी बाहों में भरते हुए और किस करते हुए पूछा, "तो फिर कैसा रहा आज तुम दोनो के बीच?"

"क्या पूछना चाहते हो, तुमको सब कुछ पहले से मालूम है?" डॉली धीमे से बोली. "वो ही सब कुछ हुआ जो हम दोनो करना चाहते थे, शायद जो कुछ तुमने जिस तरह से अपनी बेहन संध्या के साथ किया था वो ही सब आज मैने और राज ने किया, तुम को तो सब कुछ मालूम ही है, तुम क्या पूछना चाहते हो, सॉफ सॉफ पूछो?"

"नही, मैने सोचा तुम दोनो भाई बेहन की चुदाई में कुछ यूनीक हुआ होगा, जो मैने संध्या के साथ ना किया हो. सब अलग अलग तरीके से चुदाई करते हैं, राज को मज़ा आया?"

"हां, बहुत," डॉली मुस्कुरा कर हँसते हुए बोली. "सुबह जब वो उठा, और मैं.... तुम समझ रहे हो ना." धीरज ने हामी में गर्दन हिलाई. "शुरू में तो उसके कुछ समझ में नही आया. लेकिन तुम सही कह रहे थे, हम दोनो के बीच बहुत कुछ होना बाकी है, और हम दोनो ही उसके लिए बेकरार थे."

"मुझे इस बात की खुशी है," धीरज बोला, और बात करते हुए अपनी बीवी के चेहरे पर आ रही चमक को देख कर मुस्कुरा उठा. 

"सच में, तुम खुश हो?" डॉली को धीरज के इस रिक्षन पर एक बार को विश्वास नही हुआ. 

"तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है," धीरज बोला.

"तुमने और तान्या ने सारे दिन क्या किया?" डॉली ने बात बदलने के इरादे से पूछा, जिस से धीरज उसकी और राज की चुदाई की और ज़्यादा डीटेल ना पूछ ले.

"वही जो तुमने और राज ने किया," धीरज ने जवाब दिया, और ये सुनने के बाद डॉली के चेहरे पर आ रहे एक्सप्रेशन्स को देखने लगा.

"क्या? तुम्हारा मतलब? नही, तुम और तान्या?" डॉली के चेहरे पर ल्यूक अलग तरह के परेशानी भरे एक्सप्रेशन्स आने लगे. 

"ये सब कुछ ही महीने पहले शुरू हुआ है," धीरज शांत स्वर मे बोला. "जिस तरह से तुमको मेरे साथ चुदाई में वो मज़ा नही आता था, उसी तरह राज भी तान्या की ढंग से चुदाई नही कर पाता था, उनकी और हमारी दोनो कपल्स की सेक्स लाइफ में कुछ मिस्सिंग था. तान्या अपनी मॅरीड सेक्स लाइफ से असंतुष्ट थी, और बात आगे बढ़ती गयी और...,”धीरज की बात करते करते ज़बान लड़खड़ाने लगी, और वो अपनी बीवी के रिक्षन का इंतेजार करने लगा.
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03-31-2019, 10:59 PM,
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ये सब तुमने मुझे पहले या कल रात को क्यों नही बताया?" डॉली ने पूछा.



"मैं बताने ही वाला था," धीरज ने जवाब दिया. "लेकिन मैं नही चाहता था कि ये सब सुनकर तुम्हारे या राज के मन में कोई दुर्भावना आ जाए.



"तुम और तान्या?" वो फिर से बोली. "क्या राज को इस बारे में मालूम है, या उसको शक़ है?"



"तान्या उसको आज इस समय सब कुछ बता रही होगी," धीरज ने जवाब दिया. "फिर कल सुबह हम चारों बैठ कर डिसाइड करेंगे कि अब आगे कैसे और क्या करना है.



"क्या तुम को सचमुच लगता है कि हम आपस में एक दूसरे के पार्ट्नर्स को शेर कर सकते हैं, क्यों?" डॉली ने पूछा, और तान्या की तरह मन ही मन सोचने लगी कि यदि ऐसा होता है, तो कितना अच्छा होगा. ऐसा सोचते हुए उसके गाल सुर्ख गुलाबी हो उठे.



"सच कहूँ, तो मुझे भी नही पता," धीरज ने जवाब दिया.



"लेकिन तुमने तान्या को मेरे और राज के बारे में सब कुछ बता दिया है ना?"



"उसको तो पहले से ही तुम दोनो पर शक़ था, जिस तरह से तुम दोनो एक दूसरे के साथ अटपटे ढंग से बिहेव कर रहे थे, लेकिन वो असलियत से अंजान थी. मैने किसी तरह मेरे और मेरी बेहन संध्या के रिश्तों का हवाला देते हुए समझाया कि ऐसा होना कोई बहुत बड़ी बात नही है, कयि भाई बेहन आपस में चुदाई कर अपनी शारीरिक भूख मिटाते हैं."



"उसके समझ में आ गया?" डॉली ने खिसियाते हुए पूछा.



"हां, क्योंकि उसके तो कोई भाई है नही, इसलिए शायद वो समझ गयी कि दबे छुपे कयि घरों में ऐसा होना आम बात है."



"लेकिन फिर भी इन्सेस्ट की बात पर थोड़ा सर्प्राइज़ होना तो नॉर्मल ही है," धीरज बोला.



"हां, देखते हैं अब आगे क्या होता है. ये थोड़ा अटपटा तो है, लेकिन फिर भी शायद मेरे लिए ओके है, पर शायद राज को ये सब नॉर्मल ना लगे."



"हां, उसको अपनी सग़ी बड़ी बेहन को चोदना तो नॉर्मल लगता है, अपनी बेहन को चोदे बिना उस से रहा नही जाता, तो ये नॉर्मल क्यों नही लगेगा?" धीरज ने पूछा. "क्या तुम दोनो एक दूसरे को चोदे बिना रह सकते हो."



"हां, तुम सही कह रहे हो." डॉली गहरी साँस लेते हुए बोली.



"बस एक और सवाल मुझे अभी परेशान कर रहा है," धीरज बोला.



"वो क्या?"



"मेरे लिए भी तुमने कुछ बचा कर रखा है, या अपने छोटे भाई से ही मन भर गया?" वो हंसते हुए बोला, और अपने कपड़े उतारने लगा.



"तुम ऐसा क्यों सोचते हो हो जानेमन, तुम तो मुझे जब चाहे तब चोद सकते हो?" डॉली मुस्कुराते हुए बोली, और अपना नाइट्गाउन उतारने लगी.



बगल वाले रूम में, बातचीत इतनी शांति से नही चल रही थी.



"क्या तुमने सचमुच धीरज के साथ चुदाई की है?" राज चीखते हुए बोला, और तान्या उसके बेतुके सवाल पर अचंभित होकर उसको देखने लगी.



"तुमने भी तो अपनी सग़ी बड़ी बेहन के साथ की है," तान्या अपना बचाव करते हुए बोली. राज निरुत्तर होकर तान्या के पास से तरफ करवट लेकर उस ने दूसरी तरफ मूँह कर लिया.



"वेट! आइ'म सॉरी, प्लीज़ इधर मेरी तरफ देखो, राज," तान्या ने उसकी बाँह पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा. "हम इस बारे में बात कर सकते हैं." तान्या के इस बात के शुरू करने से पहले ही अपने कपड़े उतार चुके थे, और दोनो एक दम नंगे थे.



"क्या बात करनी है? तुम कहना क्या चाहती हो?" राज को जैसे कुछ समझ में नही आ रहा था. "भाई बेहन के बीच इन्सेस्ट, बेवफ़ाई... क्या इस बारे में बात करनी है तुमको?"



"एग्ज़ॅक्ट्ली!" तान्या अपनी कोहनी का सहारा लेकर बैठते हुए बोली, उसने राज के सार्कॅज़म को इग्नोर कर दिया. "तुम्हारी फीलिंग्स डॉली दीदी के लिए कभी नही बदल सकती," तान्या बोली.



राज ने झिझकते हुए अपनी बीवी की आँखों में देखा. क्या वो सचमुच जानती है कि उसकी अपनी दीदी के प्रति क्या फीलिंग्स हैं?



"और तुम्हारे और धीरज के बीच का क्या?"राज ने पूछ ही लिया.



"धीरज और मेरे बीच जो कुछ हुआ, वो शायद इसलिए.... कि हम दोनो ही अपनी अपनी सेक्स लाइफ से सॅटिस्फाइड नही थे. जिस तरह से तुमने कल रात बहुत लंबे टाइम बाद मुझे ढंग से चोदा था,” तान्या मुस्कुराते हुए बोली.



राज मन ही मन सोचने लगा किस तरह कल रात बगल के रूम से दीदी की चुदाई की आहह ऊहह की आवाज़ें सुनकर वो बेहद उत्तेजित हो गया था, और उसने तान्या की ताबड़तोड़ चुदाई की थी. और फिर वो सोचने लगा किस तरह उसने और डॉली दीदी ने आज दिन में चुदाई की थी, ये सोच कर ही उसका लंड में अपने आप हरकत होने लगी.



"आइ लव यू," तान्या उसके चेहरे को देखते हुए बोली. "इस बात से कोई फरक नही पड़ता कि हम को क्या चीज़ एग्ज़ाइट करती है." जब तान्या ये सब बोल रही थी, तभी बगल वाले रूम से चुदाई की आहह ऊहह की आवाज़ें आने लगी, और तान्या ने अपना चेहरा नीचे ले जाकर अपने पति राज के थोड़ा सा खड़े हुए लंड को अपने मूँह में भर लिया.



"क्या कर रही हो तान्या," राज उसको रोकते हुए बोला. तान्या उसके लंड को जो अब तक पूरी तरह खड़ा हुआ था, उसको उपर नीचे कर के मुठियाने लगी, और बगल वाले रूम से आ रही आवाज़ों का वॉल्यूम धीरे धीरे बढ़ने लगा.



"अपनी आँखें बंद कर लो," तान्या ने उसको इनस्टरक्ट किया. "चुप चाप लेटे रहो."



अपनी दीदी की चुदाई की आवाज़ें उसके दिमाग़ में हलचल मचा रही थी, और अपनी बीवी की गरम गरम चूत उसके लंड को अपने अंदर समाते हुए उपर नीचे हो रही थी, अब राज के बस में कुछ नही था. कल क्या होगा, कल ही देखेंगे, और वो अपनी बीवी की चूत में अपने लंड को गान्ड उछाल उछाल कर अंदर तक पेलने लगा, अपनी दीदी की चुदाई की आवाज़ें उसके लंड को चुदाई करने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी.



अगली सुबह, बातचीत के दौरान राज के तीखे व्यंगा बाणों को सुनकर, धीरज को लगा कि बातचीत शायद सही दिशा में नही जा रही है.



राज तीखा व्यंग बान छोड़ते हुए बोला, “ऐसा लगता है, हमाम में हम सभी नंगे हैं.” दोनो कपल्स ब्रेकफास्ट टेबल पर जो कुछ हुआ था उस पर डिस्कशन करने के लिए बैठे थे. धीरज, डॉली और तान्या अपने अपने पार्ट्नर्स को एक दूसरे के साथ शेर करने के लिए तय्यार थे, बस राज को ही ये बात समझ में नही आ रही थी.



"राज..." तान्या ने राज की बात का जवाब देना शुरू ही किया था, तभी धीरज ने उसकी बात काट दी.



"नही, राज सही कह रहा है. अभी शांति से सभी को इस बारे में सोचने की ज़रूरत है."



डॉली और तान्या दोनो ने धीरज की तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देखा.



“अभी हमको यहाँ तीन दिन और रहना है,” वो टेबल पर आगे की तरफ झुकते हुए बोला. “हम सभी इस बारे में सॅटर्डे को बात करेंगे. सभी को इस बारे में सोचने के लिए सफिशियेंट टाइम मिल जाएगा.”



धीरज की बात सुनकर डॉली और तान्या दोनो के चेहरे पर शिकन आ गयी.



"अभी और सॅटर्डे के बीच क्या डिफरेन्स आ जाएगा?" डॉली ने पूछा.



"देखो, अभी हमारे पास तीन और रात हैं. मेरी मानो तो हम हर रात अपने अपने स्लीपिंग पार्ट्नर चेंज कर लेते हैं. कल रात हम अपने अपने मियाँ बीवी के साथ सोए थे, तो आज रात तान्या मेरे साथ और डॉली राज के साथ सोएगी.” धीरज ये बोलकर राज के चेहरे पर आ रहे एक्सप्रेशन्स को देखने लगा.



“सॅटर्डे तक हम लोग घर जाने से पहले डिस्कशन करने के लिए रेडी होंगे.” डॉली और तान्या दोनो उम्मीद भरी नज़रों से राज की तरफ देखने लगी.



जैसे ही धीरज ने डॉली के राज के साथ सोने की बात कही, राज के लंड में सुरसुराहट होने लगी. जैसे ही उसने अपनी डॉली दीदी की आँखों में याचना देखी, उसके दिमाग़ में दीदी को चोदने के ख्याल आने लगे. हल्का सा मुस्कुराते हुए राज ने हामी में अपनी गर्दन हिला दी.



"हम सभी को इस की ज़रूरत है, यू नो," राज बोला और सभी ने एक गहरी लंबी साँस ली.



धीरज को एक बार को तो मानो विश्वास ही नही हुआ. एक वीक पहले जिसका अपनी सलहज के साथ सीक्रेट अफेर चल रहा था, और अब सबको इस के बारे में पता है, उसकी बीवी अपने भाई से चुदवा रही है, और सब लोगों ने अगले तीन दिनों तक अपने अपने पार्ट्नर्स स्वप करने के लिए मजूरी दे दी थी.



डॉली तो अपने पति धीरज से भी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड थी, और राज के साथ होने के लिए जल्दी से रात होने का इंतेजार कर रही थी. लेकिन तान्या ने तो रात का भी इंतेजार नही किया, और लँचे करते हुए उसने डेटाइम सेक्स की बात शुरू कर दी.





"तो फिर इस की शुरुआत कब से करेंगे?" तान्या ने डेक पर लंच करते हुए तंदूरी रोटी का एक टुकड़ा तोड़ते हुए पूछा.



"मैं समझा नही, तुम पूछना क्या चाहती हो?" धीरज ने पूछा.



"मेरा मतलब, जैसे कि आज रात मैं और जीजा जी साथ होंगे, तो फिर ये क्या केवल रात के लिए ही होगा या फिर पूरे 24 घंटों के लिए? मान लो, फॉर एग्ज़ॅंपल अगर हम दोनो दोपहर में कहीं गायब हो जायें तो?” तान्या ने अपनी आइब्रो उपर चढ़ाते हुए पूछा.



"माइ गॉड, तान्या!" राज के मूँह में रोटी का गस्सा मानो फँस ही गया, लेकिन डॉली उत्सुकता से धीरज के उत्तर की प्रतीक्षा कर रही थी. उसने तो इस बारे में सोचा ही नही था.



"मैं बस वैसे ही पूछ रही थी?" तान्या ने मुस्कुराते हुए कहा.



"मेरे ख्याल से ये तब से लागू होगा जब हम सुबह उठेंगे," धीरज ने अपनी नेतागिरी दिखाते हुए कहा, शायद बाकी तीनों इस मसले पर उसको अपना नेता मान चुके थे. “हम लोग सुबह उठने के बाद से हर 24 घंटे बाद पार्ट्नर्स की अदला बदली किया करेंगे.”



"मुझे तो लंच के बाद थोड़ी देर सोने का मन कर रहा है,” तान्या ने धीरज का हाथ पकड़ कर उठाते हुए कहा.



डॉली देख रही थी कि राज अपनी बीवी के धीरज से चुदने की इस बेकरारी पर कैसे रिएक्ट करता है, लेकिन राज ने चुपचाप अपना लंच फिनिश किया और धीरज और तान्या को सीढ़ियाँ चढ़कर रूम की तरफ जाते हुए देखता रहा. हालाँकि राज भी अपनी डॉली दीदी को चोदने के लिए बेकरार था, लेकिन वो इस वक़्त दिन में जब की धीरज और तान्या बगल वाले रूम में हो तब ऐसा नही करना चाहता था.



जब कि उनके पति पत्नी उपर रूम में ना जाने क्या कर रहे होंगे, डॉली और राज दोनो सोफे पर एक दूसरे से चिपक कर बैठ गये. दोनो ने एक दूसरे की बाँहों में बाँहें डाल रखी थी, और बीच बीच में एक दूसरे को किस भी कर लेते थे, दोनो इस बात को अब समझ चुके थे कि जो कुछ उन दोनो के बीच शादी से पहले ही शुरू हो गया था, ये सब उसी का नतीजा है. डॉली अपने छोटे भाई राज को बता रही थी कि कैसे वो अब भी उन दिनों की उन दोनो की चुदाई के सपने देखती है, और राज उसको कह रहा था कि वो तो बस उन पलों को याद कर के ही जिंदा है. कुछ घंटों के बाद जब धीरज और तान्या अपने बेडरूम से निकल कर बाहर आए, डॉली और राज ने हालाँकि सारे कपड़े पहने हुए थे, लेकिन दोनो ने एक दूसरे को बाँहों में भर रखा था, दोनो ने सोफे के उपर पैर रखे हुए थे और दोनो के होंठ एक दूसरे से चिपके हुए थे.



"हे, चलो रूम में चले जाओ दोनो!" धीरज ने सीढ़िीयों से उतरते हुए मजाकिया लहजे में कहा. "तान्या आंड मैं बीच पर जा रहे हैं, तुम दोनो चलोगे?"
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03-31-2019, 10:59 PM,
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राज ने सवालिया नज़रों से डॉली की तरफ देखा, दोनो की साँसें तेज़ी से चल रही थी. डॉली ने ना में अपनी गर्दन हिला दी.



"नही, तुम दोनो चले जाओ," डॉली ने अपने भाई से नज़र ना हटाते हुए कहा. जैसे ही वो दोनो बाहर निकले, डॉली ने अपने छोटे भाई के कपड़े उतारने शुरू कर दिए.



जैसे ही डॉली ने राज के गले में से टी-शर्ट को निकाला, राज ने पूछा, "उपर बेडरूम में चलें, दीदी ?”



"उनको अभी वापस लौट कर आने में थोड़ा वक़्त लगेगा,” डॉली ने हान्फते हुए कहा, और राज की टी-शर्ट को दूसरे सोफे पर फेंक दिया, और अपनी ब्रा को खोलने लगी. राज अपनी दीदी की मस्त चूंचियों को देखने लगा, और डॉली खड़े होकर अपनी ट्रॅक पॅंट को उतारने लगी. टॅक पॅंट और पैंटी को डॉली ने एक साथ उतार दिया, और एक पल को अपने छोटे भाई के सामने पूरी नंगी होकर खड़ी हो गयी. राज अपनी दीदी के नग्न बदन को निहार रहा था, और उसका लंड पूरा टाइट खड़ा होकर छत को देखते हुए सलामी मार रहा था.



डॉली अपने भाई के लंड को चूसना चाहती थी लेकिन उसकी चूत में आग लगी हुई थी. वो थोड़ा आगे बढ़ी और राज के उपर सवार हो गयी, और अपने भाई के लोहे की रोड के समान लंड को अपनी पनिया रही चिकनी चूत में अंदर घुसा लिया.



"ओह गॉड! आइ लव यू, डॉली दीदी!" राज बोला, और फिर डॉली के होंठों ने उसको खामोश कर दिया, और डॉली की जीभ उसके मूँह में घुस गयी. डॉली के घुटने सोफे के चुचियों में धन्से हुए थे, और उसने सोफे के पिछले सहारे को हाथों से पकड़ रखा था, वो अपने भाई को अपनी चूत में घुसाकर, गान्ड को उपर नीचे उछालने लगी. राज उसके लेफ्ट निपल को मुँह में लेकर चूस रहा था, और उसके हाथ दीदी की कमर को पकड़ कर उसको उपर नीचे होने में मदद कर रहे थे. राज अपनी दीदी को कमर से पकड़ कर उपर उठाता, और फिर डॉली नीचे आते हुए उसके फन्फनाते हुए लंड को अपनी चूत में अंदर तक घुसा लेती.



"ओह हां, ऐसे ही!" डॉली के मूँह से चीख निकल गयी, जैसे ही उसके भाई के लंड ने उसकी चूत की दीवार को चीरते हुए चूत में आनंद की लहर का संचार कर दिया. खिड़की में से वो धीरज और तान्या को बीच पर टहलते हुए देख रही थी, और मन ही मन सोच रही थी कि ये सब क्या हो रहा है. एक महीने पहले वो एक सीधी साधी पति व्रता भारतीय नारी थी जिसकी सेक्स लाइफ बोरिंग हो चुकी थी, और आज वो अपने सगे छोटे भाई से लिविंग रूम में दिन की रोशनी में चुदवा रही है, और वो भी जब उन दोनो के पति पत्नी आपस में चुदाई कर के टहल रहे थे.



"ओह, डॉली दीदी!" राज के मूँह से चीख निकल गयी, और उसके हाथों की उंगलियों ने दीदी की कमर को कस कर पकड़ लिया, और वो दीदी को अपने लावा उगलने के तय्यार लंड पर उछालने लगा. डॉली हाँफ रही थी, और वो भी अपने चरम के नज़दीक पहुच चुकी थी.



डॉली के मूँह से कराह निकल गयी, "ओहाआहह!" जैसे ही राज के लंड ने उसकी चिकनी गीली चूत में अपना गरम गरम लावा उगलना शुरू किया. डॉली की चूत ने भी तुरंत उसके बाद अपना पानी छोड़ दिया, और दोनो परम आनंद को प्राप्त कर एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए किस करने लगे.



अगले तीन दिनों तक दोनो कपल्स सेक्स क्रेज़ी टीनेजर्स की तरह दिन और रात, पार्ट्नर्स बदल बदल कर चुसाइ और चुदाई करते रहे, कभी बीच पर चिपक जाते तो कभी दिन में ही लंच करने के बाद चुदाई करने लगते. राज भी अब अपनी बीवी तान्या में पहले से ज़्यादा इंटेरस्ट लेने लगा था, और वो तान्या को भी उसी जोश के साथ चोदता था जैसी को अपनी डॉली दीदी को. तान्या और डॉली दोनो के लंड को चूसति और धीरज और राज भी उनकी चूत का स्वाद लेते. पहली रात को धीरज ने तान्या को दो बार झडने पर मजबूर कर दिया, और फिर तान्या के कहने पर ही उसकी गान्ड भी मारी.



सॅटर्डे मॉर्निंग तक सभी की वो शरम और झिझक ख़तम हो चुकी थी, जिसको लेकर वो गोआ के इस बीच हाउस में आए थे.



अगले दिन धीरज के उठाने से पहले ही तान्या उठ गयी, और धीरे से बेड से नीच उतर आई. उसने कपड़ों को ज़मीन पर फैले हुए देखा, और फिर धीरज को देख कर मुस्कुरा उठी, जो अभी भी नंगा ही सो रहा था और वो मन ही मन कल रात की जबरदस्त चुदाई के बारे में सोचने लगी, सोचते हुए उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगी. जो कपड़े उसने कल पहने थे, उनको दोबारा पहनने का उसका मन नही किया, और उसने अपने बेडरूम से नये फ्रेश कपड़े लाने का डिसाइड किया. तान्या बिना कोई कपड़ा पहने बिना कोई आवाज़ किए, धीमे से धीरज के बेडरूम से निकल कर राज और अपने बेडरूम की तरफ बढ़ने लगी. लेकिन तभी लिविंग रूम में बैठे हुए शक्स की नज़र उस पर पड़ गयी.



रेलिंग से नीचे की तरफ झाँक कर देखने पर उसने देखा कि राज सोफे पर हाथ में कॉफी का मग लेकर बैठा हुआ है. तान्या ने सोचा कि डॉली दीदी अब भी सो रही होंगी, और यदि वो अपने कपड़े लेने रूम के अंदर घुसती है तो कहीं डॉली दीदी की नींद ना खुल जाए. तान्या ने अपने कंधे उन्च्काये और सीढ़ियाँ उतार कर नीचे आ गयी.



"और कॉफी है क्या?" तान्या ने राज से नीचे उतरते हुए पूछा.



"तान्या!" राज फुसफुसाते हुए बोला, "तुम नंगी ही यहाँ आ गयी?"
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03-31-2019, 10:59 PM,
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मैं कल रात चेंज करने के लिए अपने कपड़े ले जाना भूल गयी थी, और अब इसलिए नही लाई कि कहीं डॉली दीदी की नींद ना खुल जाए," उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, और झुक कर किस करते हुए राज को गूडमॉर्निंग विश किया. “तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो?” राज ने बतरोब पहना हुआ था, जो कि कमर तक खुला हुआ था.



"मुझे नींद ही नही आ रही थी, और मैं....... तुम्हारे बारे में सोच रहा था... जो कुछ हुआ है..."



"हां, मुझे भी विश्वास नही होता," तान्या उसके सामने घुटनों के बल बैठती और अपने हाथों से राज की जांघों का अन्द्रुनी हिस्से पर सहलाती हुई बोली. अपनी बीवी को नंगा देखकर और उसके इस तरह सहलाने से राज के लंड में हलचल होने लगी. तान्या ने उसके बातरोब की बेल्ट को खोल दिया, और उसके साइड्स को दोनो तरफ पीछे की तरफ कर दिया.



"तान्या!" राज धीमे से बोला, "धीरज और डॉली किसी भी वक़्त उठ सकते हैं.”



"हां, मुझे पता है, लेकिन तुम तो पहले से उठ चुके हो," वो मुस्कुराते हुए बोली, और वो उसके पूरी तरह खड़े हो चुके लंड को अपनी अपनी मुट्ठी में भरने लगी. “इसको थोड़ा सा चूस लूँ?” उसने पूछा, और राज की आँखों में देखते हुए अपनी जीभ से लंड को पूरी लंबाई तक चाटने लगी.



"म्‍म्म्ममम," राज कराह उठा, जैसे ही उसने अपनी बीवी को अपने लंड को चूसते और चाटते हुए देखा, और फिर तान्या ने उसके लंड के सुपाडे को अपने मूँह में भर लिया. इस से पहले की वो कुछ प्रतिरोध कर पाता, तान्या अपने सिर उपर नीचे करते हुए उसके लंड का मुख मैथुन कर रही थी.



उसके बाद डॉली उठ गयी, और उसने भी लास्ट डे के कपड़े पहनने की जगह वो ही डिसाइड किया जो तान्या ने किया था, और वो अपने और धीरज के रूम में चुपके से अपने कपड़े लेने के लिए अपने रूम से नंगे ही बाहर निकल आई. जैसे ही वो राज और तान्या के रूम से बाहर आई, उसको राज के कराहने की आवाज़ सुनाई दी, और उसने बाल्कनी में से नीचे लिविंग रूम में झाँक कर देखा. सोफे का मूँह दूसरी तरफ था, इसलिए राज उसको नही देख पा रहा था, और तान्या उपर देख नही रही थी. अपनी भाभी को अपने भाई के मोटे लंड को चूसते हुए देख कर डॉली के मूँह से आहह निकल गयी.



डॉली ये सब देख कर थोड़ा सकपका गयी और एक कदम पीछे हो गयी. उसने अपने बेड रूम की तरफ दो कदम ही बढ़ाए होंगे, फिर ना जाने क्या सोचकर वो फिर से रेलिंग के पास आ गयी. वो थोड़ा आगे झुक कर, इस तरह से खड़ी हो गयी कि रेलिंग के उपर से अब बस उसकी आँखें ही थी. डॉली ने आज से पहले बस धीरज और उसकी बेहन संध्या को ही सेक्स करते हुए देखा था, या फिर पॉर्न वीडियो में चुदाई देखी थी. उसको मालूम था कि इस तरह चोरी छुपे किसी की चुदाई देखना ग़लत बात है, लेकिन उसको अपने उपर कंट्रोल नही हो रहा था, और उसकी नज़र वहाँ से हट ही नही रही थी, उसकी चूत में भी खुजली मचने लगी थी. डॉली ने एक हाथ से रेलिंग पकड़ रखी ही, और उसको पता ही नही चला कि कब उसका दूसरा हाथ अपने आप उसकी चूत को सहलाने लगा.




जैसे ही धीरज अपने रूम से बाहर निकाला, उसने देखा कि उसकी बीवी रेलिंग के उपर झुक कर अपने एक हाथ से अपनी चूत को मसल रही है, और उसकी गान्ड आगे पीछे हो रही है. राज की ही तरह धीरज ने भी टवल के कपड़े का बातरोब पहन रखा था. वो थोड़ा आगे बढ़ा और रेलिंग के उपर से उसने तान्या को अपने पति राज के लंड की सवारी करते हुए देखा.



"चोरी चोरी चुपके चुपके," धीरज अपनी बीवी डॉली की गान्ड पर हाथ फिराते हुए उसके कान में फुसफुसाकर बोला. एक बार को तो डॉली चौंक गयी, लेकिन फिर भी उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा. डॉली ने अपनी आइब्रो चढ़ाकर अपने पति की तरफ देखा.



"कुछ मदद करूँ?" धीरज ने बातरोब की बेल्ट को कमर पर से खोल कर, अपनी बीवी की गान्ड के पीछे पोज़िशन बनाते हुए पूछा.



"म्‍म्म्ममम," डॉली ने हां में अपनी गर्दन हिला दी. धीरज अपने लंड को उसकी पनिया रही चूत की सीध में ले आया, और डॉली ने अपनी चूत पर से अपने हाथ की उंगलियों को हटा लिया. शुरू में तो धीरज ने धीरे से आराम से अपना लंड अपनी बीवी की गरम गरम चुदने को बेकरार चूत में घुसाया, लेकिन फिर कुछ ही देर बाद वो उसको ताबड तोड़ चोदने लगा, जिस की वजह से डॉली के मूँह से निकल रही कराह की आवाह तेज होने लगी.



"ये क्या ?" तान्या ने लंड के उपर अपनी चूत को उछालना बंद कर दिया और डॉली दीदी की तरफ देखा. “आप क्या छुप छुप कर हम को देख रही हो?” तान्या ने पूछा, उसने बाद में देखा कि डॉली रेलिंग का सहारा लेकर अपनी गान्ड को आगे पीछे कर रही है. “क्या जीजा जी भी आपके साथ हैं?” तान्या ने मुस्कुराते हुए पूछा.



"आज तो पकड़ ही लिया तुम दोनो को," धीरज ने डॉली के कंधे के उपर से रेलिंग के उपर आते हुए तान्या को जवाब दिया.



"चलो नीचे आ जाओ दोनो!" तान्या ने कहा.



"हम दोनो अब बेशरम हो गये हैं," डॉली ने हँसते हुए कहा, ऐसा कहते हुए उसके गाल लाल हो उठे.



"एग्ज़ॅक्ट्ली!" तान्या बोली, "अगर तुम दोनो हम को देख रहे थे, तो हम भी तुम को देख रहे थे.” डॉली के पास इस बात का कोई जवाब नही था, इसलिए उसने बस अपनी गर्दन हिला दी. धीरज ने उसकी पानी छोड़ चुकी चूत में से अपना लंड बाहर निकाला, और अपनी चूत के पानी से भीग रहे लंड को पकड़े हुए डॉली के पीछे सीढ़ियाँ उतरकर नीचे आ गया.



"हे भगवान," राज ने अपनी दीदी और जीजा को इस हालत में सीढ़ियाँ उतरते हुए देख कर कहा.



तान्या फिर से उसके लंड पर अपनी चूत को उछालने लगी, और राज अपनी दीदी के नंगे शरीर को निहारने लगा.



राज जब अपनी दीदी की कड़क होकर खड़े हुए निपल्स और चूत से टपक कर डॉली की जाँघ पर लगे पानी को निहार रहा था, तभी तान्या ने उसके कान में फुसफुसाया, “मज़ा आ रहा है ना?” डॉली ने धीरज को सोफे के दूसरे कोने पर ज़बरदस्ती बिठा दिया और तान्या की तरह उसके उपर बैठकर, धीरज के लंड को अपनी चूत में घुसाकर उसकी सवारी करने लगी. दोनो कपल्स डॅन्स स्टेप्स के तरह ताल से ताल मिलाते हुए चुदाई का आनंद ले रहे थे. बिना किसी शरम के वो एक दूसरे के नंगे बदन को चुदाई करते हुए देख रहे थे, और ये सब माहौल को और ज़्यादा उत्तेजक कर रहा था.



धीरज ने भी कभी सपने में भी नही सोचा था, कि हालात यहाँ तक पहुँच जाएँगे. इसकी तो उसने कल्पना भी नही की थी कि वो चारों एक ही रूम में एक साथ नंगे होंगे. लेकिन जिस तरह डॉली उसके लंड की सवारी कर रही थी, और वो राज को तान्या की उछल रही चूंचियों के निपल्स चूसते हुए देख रहा था, उसके बाद वो मन ही मन तान्या और डॉली को एक साथ बेड पर लिटाकर उनकी चुदाई करने की कल्पना करने लगा.



जब चुदाई की आवाज़ों में चरम के पास पहुँचने के सिग्नल मिलने लगे, तब तान्या ने अपना बाँया हाथ डॉली की तरफ बढ़ा दिया. कुछ झिझक के बाद, इस से पहले की वो चरम पर पहुँच कर पागल होते, डॉली ने तान्या के हाथ को कस कर पकड़ लिया. जैसे ही राज और धीरज ने अपने लंड से वीर्य की पिचकारी अपनी अपनी बीवी की चूत में छोड़ी, तान्या और डॉली ने एक दूसरे की हथेली को और ज़्यादा कस कर पकड़ लिया, मानो वो बिना कुछ कहे अपने निस्वार्थ शेरिंग और एकजुटता का प्रदर्शन कर रही हो.



वो सभी उसी तरह कुछ मिनट्स तक उसी पोज़िशन में बने रहे, एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए, और अपनी साँसों को काबू करने का प्रयास करते हुए, और फिर तान्या ने डॉली का एक बार हाथ ज़ोर से दबा कर उसको छोड़ दिया. राज के लंड के उपर से उठते हुए, वो निढाल होकर पास वाले सोफे पर बैठ गयी. डॉली ने भी सेम वैसा ही किया, और वो अपने पति और राज के बीच में बैठ गयी.



"मुझे तो टार्जन जैसा महसूस हो रहा है, जिसको पहली बार अपने नंगे होने का एहसास हुआ हो.” राज सब के पसीने में तर बतर हो चुके नंगे बदन को देखकर बोला. राज को अपने सिंकूड कर छोटे हो चुके लंड को बाकी सब को दिखाने में थोड़ी शरम आ रही थी.



"लेकिन उस मूवी में तो टार्जन के पास बस एक ही लड़की थी," तान्या उसको चिढ़ाते हुए बोली, और प्यार से उसके गालों को चूम लिया.



"हां, ये बात तो सही है," डॉली ने राज के दूसरे गाल पर किस करते हुए कहा. “तुम्हारे पास तो दो-दो लड़कियाँ हैं.” एक तरफ से बीवी और दूसरी तरफ से दीदी की इस प्यार की बरसात ने राज के लंड में फिर से हलचल मचा दी, और उसका चेहरा शरम से लाल हो गया.
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03-31-2019, 10:59 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
"लेकिन उस मूवी में तो टार्जन के पास बस एक ही लड़की थी," तान्या उसको चिढ़ाते हुए बोली, और प्यार से उसके गालों को चूम लिया. 

"हां, ये बात तो सही है," डॉली ने राज के दूसरे गाल पर किस करते हुए कहा. “तुम्हारे पास तो दो-दो लड़कियाँ हैं.” एक तरफ से बीवी और दूसरी तरफ से दीदी की इस प्यार की बरसात ने राज के लंड में फिर से हलचल मचा दी, और उसका चेहरा शरम से लाल हो गया. 

"एम्म्म. तुमको मज़ा आ रहा है, है ना?" डॉली ने कहा, उसका हाथ स्वतः ही उसके खड़े हो चुके लंड की तरफ चला गया. जब डॉली के हाथ की उंगलियों ने राज के गीले लंड को पकड़ा, तान्या मुस्कुरा उठी और उसने अपनी जीभ राज के मूँह में घुसा दी. डॉली ये सब देख कर बेहद उत्तेजित हो रही थी, और उस वक़्त जब तान्या राज को किस कर रही थी, वो बेसब्र होकर अपने छोटे भाई का लंड चूसने के लिए लालायित हो रही थी. डॉली ने नज़र घुमा कर आसवस्त होने के लिए, अपने पति की तरफ देखा, ताकि पता चल सके कहीं उसको कोई आपत्ति तो नही है. डॉली ने देखा धीरज के लंड में भी राज को उत्तेजित होते हुए देख कर हलचल होने लगी थी. 

“तुम अपने आप को अकेला तो महसूस नही कर रहे हो ना?” डॉली ने अपने दूसरा हाथ धीरज के लंड की तरफ ले जाते हुए पूछा. हे भगवान! डॉली के दिमाग़ में कहीं से आवाज़ सुनाई दी, ये ही तो उसका सपना था! एक हाथ में अपने पति का लंड हो और दूसरे में अपने छोटे भाई का, डॉली का सपना आज साकार हो रहा था, और वो दोनो के लंड को हिलाकर बेहद रोमांचित हो रही थी. ये तो सर्व विदित था कि उसका पति धीरज इस शेरिंग से बेहद उत्तेजित हो रहा था, और डॉली ने भी अपनी सहमति जताते हुए, उसके लंड को अपने हाथ से छोड़ा, और सोफे पर ही घोड़ी बन गयी. अपने घुटने और हथेली को सोफे पर टिकाते हुए, डॉली ने अपने छोटे भाई के लंड को अपने मूँह में भरने के लिए अपना सिर नीचे कर लिया, और अपनी गान्ड को अपने पति के लिए हवा में उपर उठा दिया. धीरज उसकी गान्ड की गोलाईयों को सहलाने लगा, और मन ही मन उसकी वीर्य से भरी चूत के चाटने के बारे में सोचने लगा. 

राज बेहद गरम हो चुका था, और जैसे ही उसकी दीदी ने उसके लंड को अपने मूँह में भरकर चूसने और चाटना चालू किया, वो मन ही मन सोचने लगा, कि वो सभी किस हद तक जा रहे हैं. हे भगवान, एक तरफ राज अपनी बीवी को किस कर रहा था, और दूसरी तरफ उसकी डॉली दीदी.....राज अपनी गान्ड को उछालने लगा, और अपने लंड को अपनी दीदी के मूँह में और ज़्यादा अंदर तक पेलने लगा.

अपने पति को गहरी साँसें लेते हुए सुनकर, तान्या ने किस को तोड़ दिया, अपनी ननद की इस बोल्डनेस को देखकर वो अचंभित थी. उसने धीरज की तरफ देखा, वो अपनी बीवी की गान्ड के साथ खेल रहा था. 

जैसे ही धीरज ने उसकी तरफ देखा, तान्या ने उसको कहा "फक हर,फक हर आस." धीरज ने नज़र उठा कर उपर देखा, और फिर सोफे पर अपनी बीवी के पीछे उसने पोज़िशन बना ली. अपने लंड को डॉली की गीली पनिया रही चूत की सीध में ले आया, और फिर उसकी गान्ड की गोलाईयों को पकड़ कर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया.

"म्ंम्प्प्पफह!" डॉली अपने छोटे भाई राज के लंड को मूँह में लिए हुए कराह उठी, और अपने सिर को उपर नीचे कर उसको चूसने लगी. जिस तरह से उसका पति उसकी चूत में अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था, उसके कारण वो और ज़्यादा जोश से अपने भाई के लंड को चूसने लगी, और अपनी जीभ को लंड पर गोल गोल घुमाने लगी. राज कराह उठा, और वो खींच कर तान्या के होंठों को अपने होंठों के पास ले आया, और आवेश में अपनी जीभ उसके मूँह में घुसा दी. तान्या को किस से कहीं ज़्यादा कुछ और ज़रूरत महसूस हो रही थी, और उसको लगा ये सही मौका है जब राज आउट ऑफ कंट्रोल हो चुका है, उसको भी अपनी चूत राज से चटवा लेनी चाहिए.

“तुम अपनी जीभ वहाँ घुसाओ ना प्लीज़,” तान्या ने राज के सिर को पीछ धकेलते हुए, और खुद सोफे पर खड़े होते हुए कहा. अपनी एक टाँग को डॉली और सोफे की बॅक के बीच, राज के पेट की दूसरी तरफ ले जाते हुए, तान्या ने अपनी पनिया रही चूत को राज के चेहरे के सामने ले आई, और अपनी चूत को उसके मूँह के उपर रख दिया.

"राज अपनी जीभ अंदर घुसाओ, अपनी जीभ," वो धीरे से बुदबुदाई. तान्या की चूत की मादक खुसबू का नशा राज पर चढ़ने लगा, और वो पागलों की तरह अपनी बीवी की पनिया रही गीली चूत में अपनी जीभ घुसाने लगा, और साथ ही साथ अपनी डॉली दीदी की मूँह में अपने लंड को हर झटके के साथ और ज़्यादा अंदर तक पेलने लगा. 

डॉली की साँसें तेज तेज चल रही थी, वो चाहते हुए भी अपने भाई का लंड को मूँह से बाहर नही निकाल पा रही थी. उसके पति ने उसकी चूत में लंड को पेलते हुए उसको ना जाने कितनी बार झडने पर मजबूर कर दिया था. अपने एक हाथ से अपने भाई के लंड को उपर नीचे कर मुठियाते हुए, जैसे ही एक बार डॉली ने अपना सिर थोड़ा उपर किया, उसका चेहरा तान्या की गान्ड से जा टकराया, एक बार को डॉली को कुछ समझ में नही आया???

एक बार को डॉली की समझ में नही आया कि उसके भाई राज के चेहरे की जगह, यहाँ तान्या की गान्ड क्या कर रही है, लेकिन फिर वो समझ गयी कि वो दोनो क्या कर रहे हैं. हे भगवान. अपने कंधे के उपर से उसने धीरज को देखा, और फिर जिस तरहा वो चारों इंटर-कनेक्टेड थे, वो देख कर सब कुछ समझ गयी. भगवान भला करे, उसने ये सब पहले पॉर्न वीडियोस में ही देखा था, और सोचा करती थी, कि ये सब वीडियोस में ही होता होगा. उसने कभी सपने में भी नही सोचा था, कि असल जिंदगी में भी लोग ऐसा कुछ करते होंगे, लेकिन आज वो उसको अपनी आँखों के सामने होता हुआ दिखाई दे रहा था.

डॉली को महसूस हुआ उसकी चूत ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया है, और उसने फिर से अपना मूँह नीचे कर के अपने भाई राज का लंड अपने मूँह में भर लिया. धीरज को महसूस हुआ कि उसकी बीवी पूरी तरह गरम हो चूक है, तो उसने अपनी एक उंगली को मूँह में डाल कर थूक से गीला किया, और उसको डॉली की गान्ड के छेद में घुसाने लगा. वो बार बार पानी उंगली को थूक से गीला कर के डॉली की गान्ड में तब तक घुसाता रहा, जब तक कि डॉली की गान्ड का छेद उसके थूक से पूरी तरह गीला नही हो गया, और उसमें उसकी उंगली आसानी से अंदर बाहर ना होने लगी. धीरज ने अपनी मिड्ल फिंगर को डॉली की गान्ड में घुसा दिया, और उसमे पेच्कस की तरह घुमाते हुए अंदर बाहर करने लगा, साथ ही साथ वो डॉली की चूत में अपने लंड को पेले जा रहा था. 

जैसे ही धीरज ने डॉली की गान्ड में उंगली के साथ छेड़ छाड़ शुरू की, डॉली आनंद में कराह उठी, और इस आनंद की तरंगें उसकी चूत तक जा रही थी, डॉली मस्ती में डूब गयी और उसकी दोनो टाँगें अपने आप और ज़्यादा फैल कर चौड़ी हो गयी. अपने भाई का लंड चूसते हुए उसको यकायक एहसास हुआ मानो एक लंड तो उसकी चूत में घुसा हुआ है, और दूसरा उसकी गान्ड में घुसा हुआ हो, वो धीरज की उंगली के उपर अपनी गान्ड को उछालने लगी. डॉली मन ही मन सोचने लगी शायद दो मर्दों से एक साथ चुदने में ऐसा ही मज़ा आता होगा. 

धीरज अपनी किस्मत पर प्राउड फील कर रहा था, और मन ही मन डॉली के इस तरह गान्ड उछालने से खुश भी हो रहा था. अब जबकि डॉली फुल मूड में आ चुकी थी, तभी उसने दोनो छेदों में से उंगली और लंड को बाहर निकाला और फिर लंड को डॉली की थूक से चिकनी हो रही गान्ड की सीध में ले आया. चूत के पानी से चिकने हो रहे लंड के सुपाडे को गान्ड के छेद पर दबाते हुए, उसने गान्ड की गोलाईयों को अपने हाथों से कस कर पकड़ा और फिर झटके से अपना लंड डॉली की गान्ड में घुसा दिया.

जैसे ही अपने छोटे भाई राज के लंड ने डॉली के मूँह में वीर्य की पिचकारी छोड़े, डॉली ज़ोर से चीखी , “आगगगगगघह!. डॉली ने अपनी गान्ड पर से ध्यान हटाकर, अपने छोटे भाई के लंड से निकल रहे वीर्य को चाटना और निगलना शुरू कर दिया, राज के लंड से वीर्य की दना दन पिचकारी निकले जा रही थी, और डॉली वीर्य की हर बूँद को चाट कर निगल रही थी. कुछ देर बाद राज निढाल होकर सोफे पर बैठ गया. डॉली ने उसके मुरझा रहे लंड को अपने मूँह से निकाल दिया, और अपने आप को धीरज के प्रहारों के लिए तय्यार करने लगी.

अब तक डॉली की गान्ड काफ़ी लूज हो चुकी थी, और डॉली को गान्ड मरवाने में मज़ा भी आने लगा था, लेकिन उसकी चूत के दाने को कुछ भी घिस नही रहा था, वो इस चीज़ को मिस कर रही थी. वो अपने मन ही मन अपने दोनो छेदो में दो दो लंड की कल्पना कर रही थी, उसके भाई राज का लंड उसकी चूत में हो, और उसके पति धीरज का लंड उसकी गान्ड में. डॉली ने एक गहरी लंबी साँस ली, लेकिन दूसरे लंड को मिस करते हुए, वो अपना ही हाथ अपनी जांघों के बीच अपनी चूत को सहलाने के लिए ले गयी.

झडने के बाद राज के दिमाग़ में खुराफात शुरू हो गयी, और वो सोचने लगा कि अपनी जीभ से कुछ अलग किया जाए. लेकिन ये क्या? जैसे ही उसने अपना सिर थोड़ा पीछे किया, तान्या उसके सिर को अपने हाथों से पकड़ कर, और अपनी चूत उसके मूँह पर लाकर, उसके उपर घिसते हुए ज़ोर से बोली, “प्लीज़ जानू, ऐसे ही करते रहो.” तान्या कोशिश करने लगी कि राज की जीभ फिर से उसकी चूत के दाने को छू जाए. राज ने अपनी जीभ को अपनी बीवी की चूत में अंदर तक घुसा दिया, और वो वही करने लगा, जो तान्या चाहती थी. 

तान्या उसकी जीभ को अपनी चूत में घुस्वाकर उसकी सवारी करने लगी, लेकिन वो कुछ और चाहती थी. वो अपना एक हाथ अपनी चूत पर ले जाकर, चूत के बाहरी होंठ को अपने लंबे नाख़ून से घिसते हुए, जैसे ही उसने अपनी चूत के दाने को थोड़ा सा घिसा, उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. झडते हुए जैसे ही उसने अपनी गान्ड को हिलाया, उसकी गान्ड की गोलाइयाँ डॉली के चेहरे से जा टकराई, और डॉली ने प्यार से उसकी गान्ड को अपने दाँतों से काट लिया, तान्या तो सातवें आसमान पर पहुँच गयी.

अपने दाँतों से काटने से तान्या के शरीर को ऐंठता हुआ देखने के बाद डॉली ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत को सहलाते हुए, अपनी चूत का पानी निकाल दिया, और तभी धीरज ने भी उसकी गान्ड में लंड से वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.

चारों ने अपने अपने हाथ पैर सीधे किए, और अपनी साँसें संयत करने लगे, सबको इस अवस्था में देखकर धीरज को हँसी आ गयी.
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03-31-2019, 10:59 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
“मुझे नही लगता अब यहाँ से वापस जाने के बाद, हम लोगों के बीच डिसकस करने के लिए कुछ बचा है, क्यों?” सोफे पर सबके नंगे बदन पर एक निगाह डालते हुए धीरज बोला. डॉली और तान्या दोनो उसकी बात सुनकर हंस दी, लेकिन राज बस मुस्कुरा कर रह गया. 

“फिर भी हम लोगो को कोई टाइम टेबल तो बनाना ही पड़ेगा,” तान्या बोली. “मुझे कयि बार ऑफीस के काम से बाहर भी जाना पड़ता है, मैं नही चाहती कि मैं कोई भी चीज़ मिस करूँ.”

“जब तुम बाहर जाया करोगी, तो क्या राज और धीरज दोनो मेरे हुआ करेंगे?” डॉली ने उसको चिढ़ाते हुए पूछा, लेकिन ये सोच कर ही उसके मन में हलचल होने लगी.

“दीदी, आप को एक साथ दोनो के साथ करने में मज़ा आया होगा?” तान्या ने पूछा. “लेकिन मुझे तो चारों जब एक साथ किया करेंगे उसमें ज़्यादा मज़ा आएगा,” मुस्कुराते हुए तान्या बोली, और अपनी गान्ड पर डॉली के काटने के निशान को देखने लगी.

“जिस तरह से तुम दोनो राज का ख़ास ख्याल रख रही थी, उस से मुझे कोई परेशानी नही है,” धीरज मुस्कुराते हुए बोला, और राज की तरफ देखते हुए उसकी सहमति की प्रतीक्षा करने लगा. राज बस मुस्कुरा कर रह गया. 

"मुझे लगता है, अगर हम लोग टाइम टेबल बना लें तो बेहतर रहेगा, लेकिन कभी कभी यदि बिना टाइम टेबल के अचानक किया करेंगे, तो उसका मज़ा भी अलग ही होगा, क्यों तुम्हारा क्या कहना है तान्या,” धीरज ने पूछा, और सोफे से उठ कर खड़ा हो गया. 

“चलो, सब की सहमति से कुछ ना कुछ फाइनल कर ही लेंगे,”डॉली मुस्कुराते हुए बोली, और वो भी अपने पति के साथ उठ कर खड़ी हो गयी. “लेकिन अभी तो नहा लेते हैं.” डॉली धीरज के हाथ में हाथ डाल कर सीढ़ियाँ चढ़ने लगी, और राज अपनी डॉली दीदी की गान्ड पर हर सीढ़ी चढ़ते हुए पड़ रहे डिंपल को देखने लगा. 

"चेक आउट करने से पहले अभी हम लोगों के पास 2 घंटे हैं," तान्या ने मज़ाक करते ऊए अपने पति राज से कहा.

"तो चलो हम भी उन दोनो के साथ ही शवर ले लेते हैं?" राज ने जब ये कहा तो तान्या एक बार को तो चौंक ही गयी.

राज ने अपनी पत्नी तान्या का हाथ पकड़ा, उसको अपने साथ सीढ़ियों पर खींचते हुए, डॉली और धीरज को सर्प्राइज़ देने के लिए तेज़ी से बढ़ चला. तान्या की चूंचियाँ सीढ़ियाँ चढ़ते हुए मादक रूप से उछल रही थी, और अंतिम सीढ़ी पर पहुँच कर राज ने तान्या को अपनी बाहों में भर लिया, और उसकी चूंचियों को अपनी छाती से दबा दिया. 

"मस्त रही ये गोआ ट्रिप, मज़ा आ गया, लंबे समय तक याद रहेगी ये ट्रिप," राज ने कहा.

"लंबे समय तक नही, जिंदगी भर याद रहेगी," तान्या मुस्कुराते हुए बोली, और डॉली और धीरज के बेडरूम में घुसने से पहले उसने राज को सेक्सी अंदाज में, प्यार दिखाते हुए, एक जोरदार किस कर लिया. 
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03-31-2019, 10:59 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
बॅक टू प्रेजेंट


राज - तो ये थी मेरी अपनी कहानी जहाँ सिर्फ़ और सिर्फ़ सेक्स है मस्ती है अब मेरी दुनिया में तुम भी शामिल हो चुकी हो क्योंकि जो एक बार मेरा लंड ले लेती है वो हमेशा के लिए मेरी रांड़ बन जाती है

मैं - हाँ अब मैं तुम्हारे बगैर नही रह पाउन्गी.....
और मैंने उसके लिंग को हाथों में भर कर जोर से मसलना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में वो दुबारा सख्त होने लगा।
वो मेरे स्तनों से खेलने में मगन हो गया और मैं उसके लिंग को दुबारा सम्भोग के लिए तैयार करने लगी।
मैंने उसके लिंग को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में वो एकदम कड़क हो गया।
राज ने मेरी योनि में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और कुछ ही पलों में मैं सम्भोग के लिए फिर से तड़पने लगी।

उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर चढ़ा लिया, मैंने भी अपनी टाँगें फैला कर उसके लिंग के ऊपर अपनी योनि को सामने कर दिया और उसके ऊपर लेट गई।

अमर ने हाथ से अपने लिंग को पकड़ कर मेरी योनि में रगड़ना शुरू कर दिया। मैं तड़प उठी क्योंकि मैं जल्द से जल्द उसे अपने अन्दर चाहती थी।

मैंने अब उसे इशारा किया तो उसने अपने लिंग के सुपाड़े को योनि की छेद में टिका दिया और अपनी कमर उठा दी, उसका लिंग मेरी योनि में सुपाड़े तक घुस गया, फिर मैंने भी जोर लगाया तो लिंग पूरी गहराई में उतर गया।

मैंने मजबूती से अमर को पकड़ा और अमर ने मुझे और मैंने धक्कों की प्रक्रिया को बढ़ाने लगी। कुछ पलों में अमर भी मेरे साथ नीचे से धक्के लगाने लगा

करीब 10 मिनट में मैं झड़ गई, पर खुद पर जल्दी से काबू करते हुए मैंने अमर का साथ फिर से देना शुरू कर दिया।
हम पूरे जोश में एक-दूसरे को प्यार करते चूमते-चूसते हुए सम्भोग का मजा लेने लगे।

हम दोनों इस कदर सम्भोग में खो गए जैसे हम दोनों के बीच एक-दूसरे को तृप्त करने की होड़ लगी हो। हम भाभी को भी भूल चुके थे कि वो भी कमरे में हैं

मैं अब झड़ रही थी मैंने अपनी पूरी ताकत से अमर को अपने पैरों और टांगों से कस लिया और कमर उठा दी।
मेरी मांसपेसियाँ अकड़ने लगीं और मेरी योनि सिकुड़ने लगी, जैसे अमर के लिंग को निचोड़ देगी और मैं झटके लेते हुए शांत हो गई।
उधर अमर भी मेरी योनि में लिंग को ऐसे घुसा रहा था, जैसे मेरी बच्चेदानी को फाड़ देना चाहता हो।
उसका हर धक्का मेरी बच्चेदानी में जोर से लगता और मैं सहम सी जाती।
उसने झड़ने के दौरान जो धक्के मेरी योनि में लगाए उसे बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था।
करीब 10-12 धक्कों में वो अपनी पिचकारी सी तेज़ धार का रस मेरी योनि में छोड़ते हुए शांत हो गया और तब जा कर मुझे थोड़ी राहत मिली।
अमर झड़ने के बाद भी अपने लिंग को पूरी ताकत से मेरी योनि में कुछ देर तक दबाता रहा। फिर धीरे-धीरे सुस्त हो गया और मेरे ऊपर लेट गया।
कुछ पलों के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और वो मेरे बगल में सो गया। मैं बाथरूम चली गई और जब वापस आई तो उसने मुझे फिर दबोच लिया और हम फिर से शुरू हो गए।
हमने फिर से सम्भोग किया और मैं बुरी तरह से थक कर चूर हो चुकी थी।
मैं झड़ने के बाद कब सो गई, पता ही नहीं चला।

जब मेरी आँख खुली, मैंने देखा कि शाम के 5 बज रहे थे।
मेरा मन बिस्तर से उठने को नहीं कर रहा था, फिर भी बाथरूम गई, खुद को साफ़ किया और वापस आकर चाय बनाई।
मैंने अमर को उठाया और उसे चाय दी। अमर चाय पीने के बाद बाथरूम जाकर खुद को साफ़ करने के बाद मेरे साथ बैठ कर बातें करने लगे। भाभी शायद घर जा चुकी थी

उसने कहा- आज का दिन कितना बढ़िया है.. हमारे बीच कोई नहीं.. हम खुल कर प्यार कर रहे हैं और किसी का डर भी नहीं है।
मैंने कहा- पर आज कुछ ज्यादा ही हो रहा है… मेरी हालत ख़राब होने को है।

अमर ने कहा- अभी कहाँ.. अभी तो पूरी रात बाकी है और ऐसा मौका कब मिले कौन जानता है।
यह कहते हुए उसने मुझे फिर से अपनी बांहों में भर लिया और चूमने लगा।

अभी नही रात में उसके सोने के बाद जो मर्ज़ी सो करना।

पर अमर मेरी कहाँ सुनने वाला था, अमर मेरी बात को कहाँ मानने वाला था, वो तो बस मेरे जिस्म से खेलने के लिए तड़प रहे थे।
उसने मुझे तुरंत नंगा कर दिया और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगा
मैं बैठी थी और अमर मेरे स्तनों को चूसने लगा। वो बारी-बारी से दोनों स्तनों को चूसने लगा 
मैंने अमर से विनती की कि मुझे छोड़ दे.. पर वो नहीं सुन रहा था। उसने थोड़ी देर में मेरी योनि को चूसना शुरू कर दिया और मैं भी गर्म होकर सब भूल गई।
मैंने भी उसका लिंग हाथ से सहलाना और हिलाना शुरू कर दिया। फिर अमर ने मुझे लिंग को चूसने को कहा, मैंने उसे चूस कर और सख्त कर दिया।
उसने मुझे आगे की तरफ झुका दिया और मैं अपने घुटनों तथा हाथों के बल पर कुतिया की तरह झुक गई, अमर मेरे पीछे आकर मेरी योनि में लिंग घुसाने लगा।
अमर ने लिंग को अच्छी तरह मेरी योनि में घुसा कर मेरे स्तनों को हाथों से पकड़ा और फिर धक्के लगाने लगा।
मैंने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया और आधे घंटे तक सम्भोग करने के बाद हम झड़ गए।
अमर को अभी भी शान्ति नहीं मिली थी, उसने दुबारा सम्भोग किया।
मेरी हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी और मेरे बदन में दर्द होने लगा था।
मैंने अमर से कहा- रात का खाना कहीं बाहर से ले आओ.. क्योंकि मैं अब खाना नहीं बना सकती… बहुत थक चुकी हूँ।
अमर बाहर चले गए और मैं फिर से सो गई, मैं बहुत थक चुकी थी।
हमने अब तक 6 बार सम्भोग किया था, पर अभी तो पूरी रात बाकी थी।
कहते हैं कि हर आने वाला तूफ़ान आने से पहले कुछ इशारा करता है। शायद यह भी एक इशारा ही था कि हम दिन दुनिया भूल कर बस एक-दूसरे के जिस्मों को बेरहमी से कुचलने में लगे थे।
लगभग 9 बजे के आस-पास अमर वापस आया फिर हमने बिस्तर पर ही खाना खाया और टीवी देखने लगे।

रात के करीब 11 बजे मैंने अमर से कहा- मैं सोने जा रही हूँ।
अमर ने कहा- ठीक है.. मैं थोड़ी देर टीवी देख कर सोऊँगा।
मैं अभी हल्की नींद में ही थी, तब मेरे बदन पर कुछ रेंगने सा मैंने महसूस किया।
मैंने आँख खोल कर देखा तो अमर का हाथ मेरे बदन पर रेंग रहा था।
मैंने कहा- अब बस करो.. कितना करोगे.. मार डालोगे क्या?
अमर ने कहा- अगर प्यार करने से कोई मर जाता, तो पता नहीं कितने लोग अब तक मर गए होते, एक अकेले हम दोनों ही नहीं हैं इस दुनिया में.. जो सेक्स करते हैं।
फिर उसने मेरे बदन से खेलना शुरू कर दिया, हम वापस एक-दूसरे से लिपट गए।
हम दोनों ऐसे एक-दूसरे को चूमने-चूसने लगे जैसे कि एक-दूसरे में कोई खजाना ढूँढ रहे हों।
काफी देर एक-दूसरे को चूमने-चूसने और अंगों से खेलने के बाद अमर ने मेरी योनि में लिंग घुसा दिया।
अमर जब लिंग घुसा रहा था तो मुझे दर्द हो रहा था, पर मैं बर्दास्त करने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी।
काफी देर सम्भोग के बाद अमर शांत हुआ, पर तब मैंने दो बार पानी छोड़ दिया था। बिस्तर जहाँ-तहाँ गीला हो चुका था और अजीब सी गंध आनी शुरू हो गई थी।
इसी तरह सुबह होने को थी, करीब 4 बजने को थे। हम 10 वीं बार सम्भोग कर रहे थे। मेरे बदन में इतनी ताकत नहीं बची थी कि मैं अमर का साथ दे सकूँ, पर ऐसा लग रहा था जैसे मेरे अन्दर की प्यास अब तक नहीं बुझी थी।
जब अमर मुझे अलग होता, तो मुझे लगता अब बस और नहीं हो सकता.. पर जैसे ही अमर मेरे साथ अटखेलियाँ करता.. मैं फिर से गर्म हो जाती।
जब हम सम्भोग कर रहे थे.. मैं बस झड़ने ही वाली थी इसलिए अमर को उकसाने के लिए कहा- तेज़ी से करते रहो.. मुझे बहुत मजा आ रहा है.. रुको मत।
यह सुनते ही अमर जोर-जोर से धक्के मारने लगा
मैंने फिर सोचा ये क्या कह दिया मैंने, पर अमर को इस बात से कोई लेना-देना नहीं था.. वो बस अपनी मस्ती में मेरी योनि के अन्दर अपने लिंग को बेरहमी से घुसाए जा रहा था
मैंने अमर को पूरी ताकत से पकड़ लिया, एक तरफ मैं झड़ने को थी और दूसरी तरफ अमर ने मुझे और ताकत से पकड़ लिया और धक्के मारते हुए कहा- बस 2 मिनट रुको.. मैं झड़ने को हूँ।
अब मैं झड़ चुकी थी और अमर अभी भी झड़ने के लिए प्रयास कर रहा था।
मैंने उससे कहा- अब सो जाओ.. कितना करोगे.. मेरी योनि में दर्द होने लगा है।
उसने कहा- हां बस.. एक बार मैं झड़ जाऊँ.. फिर हम सो जायेंगे।
उसने मुझे कहा- तुम धक्के लगाओ।
पर मैंने कहा- मेरी जाँघों में दम नहीं रहा।
तो उसने मुझे सीधा लिटा दिया और टाँगें चौड़ी कर लिंग मेरी योनि में घुसा दिया.. मैं कराहने लगी। 
उसने जैसे ही धक्के लगाने शुरू किए… मेरा कराहना और तेज़ हो गया।
तब उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- बस अब छोड़ दो.. दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
तब उसने लिंग को बाहर निकाल लिया मुझे लगा शायद वो मान गया, पर अगले ही क्षण उसने ढेर सारा थूक लिंग के ऊपर मला और दुबारा मेरी योनि में घुसा दिया।
मैं अब बस उससे विनती ही कर रही थी, पर उसने मुझे पूरी ताकत से पकड़ा और प्यार से मेरे होंठों को चूमते हुए कहा- बस कुछ देर और मेरे लिए बर्दाश्त नहीं कर सकती?
मैं भी अब समझ चुकी थी कि कुछ भी हो अमर बिना झड़े शांत नहीं होने वाला.. सो मैंने भी मन बना लिया और दर्द सहती रही।
अमर का हर धक्का मुझे कराहने पर मजबूर कर देता और अमर भी थक कर हाँफ रहा था।
ऐसा लग रहा था जैसे अमर में अब और धक्के लगाने को दम नहीं बचा, पर अमर हार मानने को तैयार नहीं था।
उसका लिंग जब अन्दर जाता, मुझे ऐसा लगता जैसे मेरी योनि की दीवारें छिल जायेंगी। 
करीब 10 मिनट जैसे-तैसे जोर लगाने के बाद मुझे अहसास हुआ कि अमर अब झड़ने को है.. सो मैंने भी अपने जिस्म को सख्त कर लिया.. योनि को सिकोड़ लिया.. ताकि अमर का लिंग कस जाए और उसे अधिक से अधिक मजा आए।
मेरे दिमाग में यह भी चल रहा था कि झड़ने के दौरान जो धक्के अमर लगाएगा वो मेरे लिए असहनीय होंगे.. फिर भी अपने आपको खुद ही हिम्मत देती हुई अमर का साथ देने लगी।
अमर ने मेरे होंठों से होंठ लगाए और जीभ को चूसने लगा साथ ही मुझे पूरी ताकत से पकड़ा और धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी।
उसका लिंग मेरी योनि की तह तक जाने लगा, 7-8 धक्कों में उसने वीर्य की पिचकारी सी मेरे बच्चेदानी पर छोड़ दी और हाँफता हुआ मेरे ऊपर ढेर हो गया।
उसके शांत होते ही मुझे बहुत राहत मिली, मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और हम दोनों सो गए।
एक बात मैंने ये जाना कि मर्द जोश में सब कुछ भूल जाते हैं और उनके झड़ने के क्रम में जो धक्के होते हैं वो बर्दाश्त के बाहर होते हैं।
मेरे अंग-अंग में ऐसा दर्द हो रहा था जैसे मैंने न जाने कितना काम किया हो
अमर ने मुझे 7 बजे फिर उठाया और मुझे प्यार करने लगा।
मैंने उससे कहा- तुम्हें काम पर जाना है तो अब तुम जाओ.. तुम्हें इधर कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी।
अमर ने कहा- तुमसे दूर जाने को जी नहीं कर रहा।
उसने मुझे उठाते हुए अपनी गोद में बिठा लिया और बांहों में भर कर मुझे चूमने लगा।
मैंने कहा- अभी भी मन नहीं भरा क्या?
उसने जवाब दिया- पता नहीं.. मेरे पूरे जिस्म में दर्द है, मैं ठीक से सोया नहीं, पर फिर भी ऐसा लग रहा है.. जैसे अभी भी बहुत कुछ करने को बाकी है।
मैंने उसे जाने के लिए जोर दिया और कहा- अब बस भी करो.. वरना तुम्हें देर हो जाएगी।
पर उस पर मेरी बातों का कोई असर नहीं हो रहा था, वो मुझे बस चूमता जा रहा था और मेरे स्तनों को दबाता और उनसे खेलता ही जा रहा था।
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03-31-2019, 10:59 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai भाभी का बदला
मेरे पूरे शरीर में पहले से ही काफी दर्द था और स्तनों को तो उसने जैसा मसला था, पूरे दिन उसकी बेदर्दी की गवाही दे रहे थे.. हर जगह दांतों के लाल निशान हो गए थे।
यही हाल मेरी जाँघों का था, उनमें भी अकड़न थी और कूल्हों में भी जबरदस्त दर्द था। मेरी योनि बुरी तरह से फूल गई थी और मुँह पूरा खुल गया था जैसे कोई खिला हुआ फूल हो।
अमर ने मुझे चूमते हुए मेरी योनि को हाथ लगा सहलाने की कोशिश की.. तो मैं दर्द से कसमसा गई और कराहते हुए कहा- प्लीज मत करो.. अब बहुत दर्द हो रहा है।
तब उसने भी कहा- हां.. मेरे लिंग में भी दर्द हो रहा है, क्या करें दिल मानता ही नहीं।
मैं उससे अलग हो कर बिस्तर पर लेट गई, तब अमर भी मेरे बगल में लेट गया और मेरे बदन पे हाथ फिराते हुए मुझसे बातें करने लगा।
उसने मुझसे कहा- मैंने अपने जीवन में इतना सम्भोग कभी नहीं किया और जितना मजा आज आया, पहले कभी नहीं आया।
फिर उसने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- मजा तो बहुत आया.. पर मेरे जिस्म की हालत ऐसी है कि मैं ठीक से खड़ी भी नहीं हो सकती।
तभी मेरी योनि और नाभि के बीच के हिस्से में उसका लिंग चुभता हुआ महसूस हुआ.. मैंने देखा तो उसका लिंग फिर से कड़ा हो रहा था।
उसके लिंग के ऊपर की चमड़ी पूरी तरह से ऊपर चढ़ गई थी और सुपाड़ा खुल कर किसी सेब की तरह दिख रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे सूज गया हो।
अमर ने मुझे अपनी बांहों में कसते हुए फिर से चूमना शुरू कर दिया, पर मैंने कहा- प्लीज अब और नहीं हो पाएगा मुझसे.. तुम जाओ।
लिंग अन्दर घुसते ही मुझे बड़ा आनन्द महसूस हुआ, उनके लिंग का चमड़ा पीछे की ओर खिसकता चला गया।
मुझे बड़ी ही गुदगुदी सी महसूस होने लगी। मैंने अपने घुटनों को मोड़ा, उसके सीने पर हाथ रख दिया, उसने भी मेरी कमर को पकड़ लिया और तैयार हो गया
मैंने पहले धीरे-धीरे शुरू किया फिर जब मुझे उसके ऊपर थोड़ा आराम मिलने लगा तो मैंने अपनी गति तेज़ कर दी। 
मैं पूरे मस्ती में थी तभी मैं एक तरफ सर घुमाया तो मुझे सामने आइना दिखा जिसमें मैं पूरी दिख रही थी मगर उनका सिर्फ कमर तक का हिस्सा दिख रहा था। 
मैंने अपने कमर को पहले कभी ऐसा नहीं देखा था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई मस्त हिरणी अपनी कमर लचका रही हो।
मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सम्भोग के समय मेरी कमर ऐसे नाचती होगी।
मैं यही सोच कर और भी मस्ती में आ गई और बहुत ही मादक अंदाज़ में अपनी कमर को नचाते हुए धक्के लगाने लगी और उसकी तरफ देखा।
राज चेहरे से साफ़ जाहिर था कि उसको मेरी इस हरकत से कितना मजा आ रहा था।
वो इसी जोश में मेरी कमर पकड़े हुए कभी-कभी नीचे से मुझे जोर के झटके भी देता, जिससे मुझे और भी मजा आता था। 
मैंने करीब 10 मिनट किया होगा कि फिर से मुझे मस्ती चढ़ने लगी और मैं झटके खाने को तैयार थी, पर मैंने सोचा कि खुद को रोक लूँ सो मैंने लिंग को बाहर निकालने के लिए अपनी कमर उठाई।
पर उसने मेरी कमर पकड़ रखी थी और मुझे खींचने लगा और नीचे से धक्के लगाने लगा 
मैं किसी तरह अपनी कमर उठा कर लिंग बाहर करने ही वाली थी कि सुपाड़े तक आते-आते ही मैंने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
मैंने देखा कि मेरे पानी की पेशाब की धार की तरह 3-4 बूँद उनकी नाभि के पास गिरीं और मैं खुद को संभाल न सकी और राज के लिंग के ऊपर अपनी योनि रगड़ने लगी, जब तक मैं पूरी झड़ न गई।
मैं उनके ही ऊपर लेट गई और लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी।
लिंग मेरी योनि के बाहर था, तभी राज अपना एक हाथ बीच में डाला और लिंग को वापस मेरी योनि में घुसा दिया।

मुझे फ़िलहाल धक्के लगाने की न तो इच्छा थी न ही दम, सो मैं ऐसे ही साँसें लेती रही।
मुझे पता नहीं आज क्या हो गया था, पहले तो मैं राज मना कर रही थी, पूरी ताकत इनसे अलग होने में लगा रही थी और अब उतनी ही ताकत के साथ सम्भोग कर रही थी और मैं बार-बार झड़े जा रही थी, वो भी जल्दी जल्दी।
मुझमें एक अलग सी खुमारी और मस्ती छाई हुई थी, मैंने पहली बार गौर किया था कि मेरी कमर कैसे नाचती है और इसीलिए शायद मेरे साथ सम्भोग करने वालों को काफी मजा आता था।
मैंने पहली बार यह भी देखा कि मेरा पानी निकला।
इससे पहले ऐसे ही निकला था या नहीं मुझे नहीं पता, ऐसा यह मेरा पहला अनुभव था।
शायद राज अपना लिंग घुसेड़ कर इंतज़ार कर रहा था कि मैं धक्के लगाऊँगी इसलिए उसने 2-3 नीचे से धक्के लगाए, पर मैं तो उसे पकड़ कर उनके सीने में सर रख लेटी रही।
तब राज कहा- क्या हुआ… रुक क्यों गईं..? करती रहो न!
मैंने कहा- अब मुझसे नहीं होगा।
तब राज खुद ही नीचे से अपनी कमर उछाल कर मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं फिर ‘आह-आह’ की आवाजें निकालने लगी।
थोड़ी देर में राज उठा और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया, फिर मेरे चूतड़ों को पकड़ कर वो घुटनों के बल खड़ा हो गया मैं भी उसके गले में हाथ डाल लटक सी गई।
हालांकि वो पूरे पैरों पर नहीं खड़ा था, पर मेरा पूरा वजन उसके हाथों में था, मेरे पैर नाम मात्र के बिस्तर पर टिके थे और फिर वो धक्के लगा-लगा कर मुझे चोदने लगे।
मैं इतनी बार झड़ चुकी थी कि अब मेरी योनि में दर्द होने लगा था, पर कुछ देर में मैं फिर से वो सब भूल गई और मुझे पहले से कहीं और ज्यादा मजा आने लगा था।
अब तो मैं खुद उसके धक्कों का जवाब अपनी कमर नचा कर देने लगी थी।
मुझे यह भी महसूस होने लगा था कि मैं अब फिर से झड़ जाऊँगी।
मैंने सोच लिया था कि इस बार पानी नहीं छोडूंगी, जब तक राज झड़ने वाला न हों।
तो जब मुझे लगा कि मैं झड़ने को हूँ मैंने तुरंत उसको रोक दिया और इस बार खुद कह दिया- अभी नहीं.. रूको कुछ देर.. वरना मैं फिर पानी छोड़ दूंगी।
उसे मेरी यह बात बहुत अच्छी लगी शायद सो तुरंत अपना लिंग मेरी योनि से खींच लिया और मुझे छोड़ दिया, मैं नीचे लेट गई और अपनी साँसें रोक खुद पर काबू पाने की कोशिश करने लगी।
उधर मेरी योनि से लिंग बाहर कर वो खुद अपने हाथ से जोरों से हिलाने लगा था 
थोड़ी देर में वो बोला- अब चोदने भी दो.. मेरा भी निकलने वाला है। 
मैंने तुरंत अपनी टाँगें फैला उसको न्यौता दे दिया और वो मेरे ऊपर झुक मेरी टांगों के बीच में आकर लिंग को घुसाने लगा, पर जैसे ही उसका सुपारा अन्दर गया, मुझे लगा कि मैं तो गई। 
पर मैंने फिर से खुद को काबू करने की कोशिश की, पर तब तक वो लिंग घुसा चुका था और मेरे मुँह से निकल गया- हाँ.. पूरा अन्दर घुसाओ, थोड़ा जोर से चोदना
राज ने मुझे पकड़ा और तेज़ी से धक्के लगाने लगा, मैंने भी उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी।
हम दोनों की साँसें बहुत तेज़ चलने लगी थीं और बिस्तर भी अब हमारे सम्भोग की गवाही दे रहा था, पूरा बिस्तर इधर-उधर हो चुका था और अब तो धक्कों के साथ वो भी हिल रहा था।
मैं भी अपनी कमर उठा-उठा कर राज साथ देने लगी थी, बस अब मैं पानी छोड़ने से कुछ ही पल दूर थी और उसके धक्कों से भी अंदाजा हो गया था कि अब वो भी मेरी योनि में अपना रस उगलने को हैं।

थोड़ी देर के सम्भोग के बाद हम दोनों ही पूरी ताकत से धक्के लगाने लगे, फिर कुछ जोरदार झटके लेते हुए वो शांत हो गए।
मैंने राज गर्म वीर्य मेरी योनि में महसूस किया, पर मैं अभी भी उसको पकड़े अपनी कमर को उनके लिंग पर दबाए हुए रगड़ रही थी।
हालांकि उसका लिंग अब धीरे-धीरे ढीला पड़ रहा था, पर मैं अभी भी जोर लगाए हुए थी और उनका लिंग इससे पहले के पूरा ढीला पड़ जाता, मैं भी झड़ गई और अपने चूतड़ों को उठाए उनके लिंग पर योनि को रगड़ती रही, जब तक कि मेरी योनि के रस की आखरी बूंद न निकल गई।
मुझे खुद पर यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि मैं अपनी ही भाभी के यार के साथ यूँ सम्भोग में मस्त हो गई थी। मैं उसको पकड़े हुए काफी देर ऐसे ही लेटी रही।
राज भी जब जोश पूरी तरह ठंडा हुआ तो मेरे ऊपर लेट गया मैंने थोड़ी देर बाद उसे अपने ऊपर से हटने को कहा फिर दूसरी और मुँह घुमा कर सो गई।
सुबह करीब 6 बज रहे थे कि मुझे कुछ मेरी कमर पर महसूस होने लगा।
मैंने गौर किया तो वो मेरे बदन को सहला रहा था
हम दोनों अभी नंगे थे, शीशे की खिड़की से रोशनी आ रही थी, तो हमारा बदन साफ़ दिख रहा था। राज ने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने कोई प्रतिरोध नहीं किया।
कुछ देर बाद उसका हाथ स्तनों से सरकता हुआ नीचे मेरे पेट और नाभि से होता हुआ मेरी योनि में जा रुका, पहले तो उसने मेरी झान्टों को छुआ फिर धीरे-धीरे मेरी योनि के दाने को सहलाने लगा
मेरा दिल नहीं कर रहा था पर पता नहीं मैं उसे मना भी नहीं कर रही थी।
थोड़ी देर में मुझे मेरे चूतड़ों के बीच में उसका लिंग महसूस हुआ, जो थोड़ा खड़ा हो चुका था।
मेरी टाँगें आपस में सटी हुई थीं फिर भी जैसे-तैसे उन्होंने मेरी योनि में एक उंगली डाल दी और गुदगुदी सी करने लगा
अब मुझे भी कुछ होने लगा था।
रात के लम्बे सम्भोग के बाद मेरी टांगों स्तनों और कमर में दर्द सा था फिर भी न जाने क्यों मैं उसे मना नहीं कर रही थी।
उसने कुछ देर मेरी योनि में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर किया जिससे मेरी योनि रसीली हो गई, फिर उसने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया, मेरी एक टांग को अपनी कमर पर ऊपर चढ़ा लिया, फिर मेरे चूतड़ों के पीछे से हाथ ले जाकर मेरी योनि को सहलाने लगा
मैंने उसे देखा और उसने मुझे फिर मुझे थोड़ी शर्म सी आई तो मैंने उसका सर पकड़ कर अपने स्तनों पर रख दिया और हाथ से एक स्तन के चूचुक को उनके मुँह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगा 
फिर मैंने एक हाथ ले जाकर उसका लिंग पकड़ लिया और हिलाने लगी, कुछ देर हिलाती रही और उसका लिंग मेरी योनि में जाने के लायक एकदम खड़ा और सख्त हो गया।
उधर मेरी योनि भी उसकी उंगलियों से तैयार हो चुकी थी, जिसका अंदाजा मुझे हो चुका था क्योंकि योनि बुरी तरह से गीली हो चुकी थी।
बस अब राज ने मुझे सीधा किया फिर मेरी टाँगें मोड़ कर फैला दीं और उसे पकड़ कर हवा में लटका दिया फिर अपनी कमर को आगे-पीछे करके लिंग को योनि के ऊपर रगड़ने लगा
थोड़ी देर बाद राज ने लिंग को योनि के छेद में टिका दिया और धक्का दिया, लिंग बिना किसी परेशानी के मेरी योनि में अन्दर तक दाखिल हो गया।
उसने मेरी टांगों को पकड़ हवा में फैलाईं और अपनी कमर को आगे-पीछे करके मेरी योनि को चोदना शुरू कर दिया था। मैं अपने हाथ सर के पीछे कर तकिये को पकड़ लेटी हुई, उसे और उसके लिंग को देख रही थी।
ऐसा लग रहा था जैसे काले-काले जंगलों में एक सुरंग है और एक मोटा काला चूहा उसमें घुस रहा और निकल रहा है।
करीब 10 मिनट हो चुके थे और मेरी टांगों में दर्द बढ़ने लगा था, सो मैंने अपनी टांगों में जोर दिया और उसे नीचे करना चाहा तो वो समझ गया उन्होंने मेरी टाँगें बिस्तर पर गिरा दीं और मेरे ऊपर लेट कर मुझे पकड़ लिया।
मैंने भी उनके गले में हाथ डाल कर उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया।
अब राज ने मुझे धक्के लगाना शुरू कर दिए और उसका लिंग ‘छप-छप’ करता मेरी योनि में घुसने और निकलने लगा, मैं तो पूरी मस्ती में आ गई थी।
मैंने भी कुछ देर अपनी टांगों को बिस्तर पर रख कर आराम दिया, फिर एड़ी से बिस्तर पर जोर लगा कर अपनी कमर उठा-उठा कर राज का सहयोग करने लगी।
मुझे सच में इतना मजा आ रहा था कि क्या कहूँ.. मैं कभी अपने चूतड़ों को उठा देती, तो कभी टांगों से उसको जकड़ लेती और अपनी ओर खींचने लगती।
मुझे इस बात का पक्का यकीन हो चला था कि उसे भी बहुत मजा आ रहा है।
तभी मेरी नजर खिड़की की ओर गई मैंने देखा कि धूप निकल आई है, सो मैंने उसे कहा- अब हमें चलना चाहिए।
राज ने कहा- बस कुछ देर में ही हो जाएगा।
तो मैंने भी सहयोग किया।
मेरी योनि में अब पता नहीं हल्का-हल्का सा दर्द होने लगा था, मैं समझ गई कि इतनी देर योनि की दीवारों में रगड़न से ये हो रहा है, पर मैं कुछ नहीं बोली बस ख़ामोशी से राज का साथ देती रही।
मेरी योनि में जहाँ एक और पीड़ा हो रही थी, वहीं मजा भी काफी आ रहा था।
जब तक राज धक्के लगता रहा, मैं हल्के-हल्के सिसकारियाँ लेती रही।
वो कभी अपनी कमर को तिरछा करके धक्के लगता तो कभी सीधा, वो मेरी योनि की दीवारों पर अपने लिंग को अन्दर-बाहर करते समय रगड़ रहा था, जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था।
मैं खुद अपने चूतड़ उठा दिया करती थी।
हम दोनों अब पसीने से तर हो चुके थे, मुझे अब अजीब सी कसमसाहट होने लगी थी।
तभी राज ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा, मैंने बिना देर किए उसके ऊपर आकर सम्भोग शुरू कर दिया।
कुछ ही देर के धक्कों से मेरी जाँघों में अकड़न सी होने लगी थी, पर फिर भी मैं रुक-रुक कर धक्के लगाती रही।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद राज ने मेरे चूतड़ों को पकड़ा और नीचे से अपनी कमर तेज़ी से उछाल-उछाल कर मुझे चोदने लगा
अब उसके धक्के इतने तेज़ और जोरदार थे कि कुछ ही पलों में मैं अपने बदन को ऐंठते हुए झड़ गई और निढाल हो कर उसके ऊपर लेट गई।
उसे अब मेरी और से कोई सहयोग नहीं मिल रहा था सिवाय इसके कि मैं अब भी उसका लिंग अपनी योनि के अन्दर रखे हुए थी।
तब राज ने मुझे फिर से नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर धक्कों की बारिश सी शुरू कर दी। मैं तो बस सिसक-सिसक कर उसका साथ दे रही थी।
करीब 10 मिनट के बाद राज के जबरदस्त तेज धक्के पड़ने लगे और उन्होंने कराहते हुए, अपने बदन को कड़क करते हुए मेरे अन्दर अपना गर्म लावा उगल दिया।
उनके वीर्य की आखिरी बूंद गिरते ही वो मेरे ऊपर निढाल हो गए और सुस्ताने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने राज को अपने ऊपर से हटाया और गुसलखाने में चली गई, सबसे पहले तो मैंने अपनी योनि से वीर्य साफ़ किया।
यह 3 बार के सम्भोग में पहली बार मैंने खुद से वीर्य साफ़ किया था फिर पेशाब किया।
पेशाब के साथ-साथ मुझे ऐसा लगा जैसे बाकी बचा-खुचा वीर्य भी बाहर आ गया।
फिर बाकी का काम करके मैं नहाई और बाहर आकर कपड़े पहने और राज को भी जल्दी से तैयार होने को कहा।
वो भी जब तैयार हो गया तो मैंने उसको कहा- मुझे मेरे घर छोड़ दो 
फिर राज ने मुझे मेरे घर छोड़ दिया 
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