Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
06-28-2019, 02:00 PM,
#31
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
वो क्रोध में भभकते हुए कहे जा रही थी " कोई अहसान नही करते मुझे इस घर में खाना दे कर , मेंरा परिवार कितना ही गरीब क्यों न हो तुम्हारे परिवार के सामने लेकिन कभी दो वक्त की रोटी के लिये तरसना नहीं पड़ा हमें . किसी पराये पुरुष के सामने नग्न खड़े रहने से भी ज्यादा शर्म आती है मुझे तुम्हारी बातों से , अरे इंसान कुत्ता भी पालता है तो उसे रोटी देता है खाने के लिये , लेकिन तू तो जानवरों से भी गया गुजरा है कि अपने ही घर में ब्याह कर लाई अपनी भाभी की रोटियां गिनता है। अपने पूरे समाज को ले कर आये थे बारात में ले कर और शादी कर के लाये हो मुझे इस घर में , मैं कोई भाग कर नहीं आई हूं तेरे इस घर में और ना ही तेरे अहसानों तले दबी हुई हूं। छी धिक्कार है तुझे और तेरे घटिया संसकारो पर।

सनी धैर्य पूर्वक नेहा की बातों को सुनता रहा और उसकी नंगी जवानी को देखता रहा . नेहा के नंगे जिस्म का जादू फ़िर से उसके सर पर चढ़ कर बोलने लगा था और उसका गुस्सा भी उतर चुका था। वैसे भी सनी ने जब उसके रुम में बने रहने का फ़ैसला लिया था तभी उसने ठान लिया कि या तो आज इसके नंगे जिस्म को जी भर के चोदुंगा या हमेंशा के लिये बदनाम हो जाउंगा, वो दोनों ही बातों के लिये पूरी तरह से मानसिक रुप से तैयार था।

अब सनी ने बोलना चालू किया "नेहा मैं मानता हूं कि मैं गुस्से में कुछ ज्यादा बोल गया और मुझे ऐसा नही कहना चाहिये था मैं खाने वाली बात के लिये तुमसे माफ़ी चाहता हूं लेकिन एक बात मैं तुमको साफ़ साफ़ बता देना चाहता हूं कि नीता में मेंरी कोई दिलचस्पी नहीं है और ना ही मैं उससे प्यार करता हूं मेरे दिल में केवल तुम ही बसी हो और तुम्हारे लिये ही मैंने उससे सगाई की बात स्वीकार की है। तुम्हें जो करना है वो कर लो लेकिन ये बात तुम भी कान खोल कर सुन लो कि यदि नेहा नहीं तो नीता भी नहीं और ये सगाई भी नहीं। यदि तुम मेंरे साथ रिश्ते से खुश नहीं तो इतना तुम भी समझ लो कि नीता के साथ रिश्ते से मैं भी खुश नहीं रह सकता।

अब सनी को लगने लगा कि इस तरह बातों मे वक्त जाया करने से कुछ हासिल नहीं होगा बल्कि ये "सोन चिरैया" हाथ से निकल सकती है सो उसने अब अंतिम धमाका करने का फ़ैसला कर लिया . अब उसने फ़िर से बोलना चालू किया "नेहा तुझ से जो बन सकता है वो तू कर मेंरे खिलाफ़ और तुझसे प्यार करने की जो सजा तू मुझे देना चाहती है वो तू दे मुझे लेकिन तू इतना याद रखना कि तू जो भी कदम मेंरे खिलाफ़ उठायेगी वो एक ऐसे इंसान के खिलाफ़ उठायेगी जो तुमसे बेइंतिहा प्यार करता है।

उसने कहना जारी रखा "मेरी हरकते मेंरे परिवार की बेइज्जती का करण बने या ना बने लेकिन तेरी हरकतें मेंरी मौत का कारण जरुर बनेंगे। बस नेहा अब मैंने तय कर लिया है कि यदि मेंरे जीवन मे तू नही तो फ़िर मुझे कुछ भी नहीं चाहुये ये जीवन भी नहीं . मेंरा मरना तय है चाहे तू किसी को बता या ना बता। आज कुछ तो होगा या तो मैं अपने प्यार को हासिल करुंगा या फ़िर आज का दिन मेंरे जीवन का आखीरि दिन है। अब उसने नेहा को तनिक धमकाते हुए कहा "लेकिन यदि तुमने मेंरे बारे में किसी को भी बताया तो समझ लेना मैं तो मरुंगा ही लेकिन तेरे चरित्र पर ऐसा दाग लगा कर जाउंगा कि तेरे दोनों बहनों की शादी इस जीवन में तो कम से कम नहीं हो पायेगी , और तेरा भी इस घर में रहना मुश्किल हो जायेगा और तू जीते जी समाज में किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह पायेगी। और जब तेरी वजह से ही तेरी दोनों बहनों की शादी नहीं हो पायेगी तो क्या तेरा परिवार तुझे रखेगा अपने साथ? संजय को तो तुझ से कोई लगाव है ही नहीं सो उसे तो यदि ये बातें पता चल जायेगी तो वो तत्काल ही तुझे इस घर के बाहर का रास्ता दिखा देगा। न तू घर की रहेगी ना घाट की फ़िर तो तेरे पास भी मर कर मेंरे आने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।

उसने बोलना जारी रखा "अगर तू जीना भी चाहेगी तो वो जिंदगी तेरे लिये मौत से भी बदतर होगी , ना तो तुझे अपने घर का सहारा मिलेगा ना ही तुझे अपने ससुराल का . तू एक कटी पतंग की भांती दिशाहीन लहराते रहेगी। और तुझे इतना तो पता है न कि कटि पतंग को लूटने अनेंक लोग उसके पिछे दौड़्ते है और आखिरकार कोई ना कोई उसे पकड़ ही लेता है। उसने बोलना जारी रखा "नेहा अकेली जवान औरत के लिये समाज में सुरक्षित रह पाना बहुत कठिन है तुझे समाज में कदम कदम पर कई सनी से भी खतरनाक लोग मिलेंगे। अब तू सोच तुझे क्या फ़ैसला लेना है ? मैने तो फ़ैसला ले लिया है और मुझे अंजाम की कोई परवाह नहीं , मैने तय कर लिया है अगर तू नहीं मिली तो ये मेंरे जीवन का अंतिम दिन है।अब मेंरी जिंदगी और दोनों परिवारों की खुशियां तेरे हाथ में है।
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06-28-2019, 02:00 PM,
#32
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सनी के मुंह से इस तरह की बात सुन कर नेहा एकदम से सकते में आ जाती है। शर्म और भीरुता का आपस में चोली दामन का साथ होता है। जो भीरु याने ड़रपोक होते हैं वो अक्सर शर्म को अपना सहारा बनाते हैं खुद को ड़रपोक कहलाने से बचने के लिये, नेहा भी वास्तव में ड़रपोक ही थी। सनी की बातों ने उसके मन और मस्तिष्क में गहरा असर ड़ाला और वो मन ही मन बुरी तरह से ड़र गई। उसे अब अपनी बदनामी का ही ड़र सताने लगा और वो सोचने लगी यदि इसने ऐसा कुछ कर दिया
तो दोनों ही परिवारों के सभी सदस्यों की चौतरफ़ा बदनामी होगी, और मेंरी दोनो बहनों की तो क्या? इसकी अपनी बहन की दिया की शादि में समस्या खड़ी हो जायेगी। सनी की बातों ने उसे बुरी तरह से झकझोर दिया था और वो अपनी वर्तमान नग्न अवस्था को भूल कर सनी की बातों का ही मंथन करने में उलझ गई।

इधर सनी नेहा की तरफ़ बारीकि से देख रहा था और अपने शब्दों की उस पर प्रतिक्रिया की थाह लेने की कोशिश कर रहा था . उसने देखा कि नेहा पूरी तरह से विचार मग्न है और बुरी तरह से चिंतित भी है। वो समझ गया कि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा है। नेहा को इस तरह शांत बैठे देख वो मुस्कुरा दिया , इसी तरह जब दो, तीन मीनट तक वो इसी तरह प्रतिक्रिया विहीन बैठी रही तो वो समझ गया कि अब इसके तरकश में तीर नहीं बचे है और एक प्रकार से इसने हथियार ड़ाल दिये है।

वो कुछ देर फ़िर रुका रहा ये देखने के लिये कि शायद कुछ सामान्य होने के बाद ये फ़िर कुछ प्रतिक्रिया दे लेकिन अब नेहा कुछ बोल नहीं पा रही थी केवल फ़र्श पर नंगी बैठी हुई अपनी किस्मत और दुविधा दोनों पर आंसू बहा रही थी। ये बात एकदम सही थी कि यदि सनी ने जो बोला था वो कर दे तो वाकई एक बड़ा धमाका हो सकता था और दोनों ही परिवारों की प्रतिष्ठा समाज में धूमिल हो जाती। लेकिन सनी बड़ा ही कमीना और मक्कार था उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था, वो तो केवल नेहा को ड़राने के लिये ऐसा बोल रहा था। और इसी ड़र की आड़ ले कर वो अपनी भाभी की बुर हासिल करना चाहता था। लेकिन बेचारी नेहा तो नादान थी वो कोई ईश्वर की तरह अन्तर्यामी तो थी नहीं कि वो सनी के मन की बात समझ सकती लिहाजा एक इंसान के रुप में उसका ड़रना और भयभीत होना लाजिमी था।

नेहा उठ कर अपने कपड़ों तक जाना चाहती थी और कपड़े पहन किसी तरह रुम से बाहर निकल जाना चाहती थी, लेकिन अपनी नग्नता के अहसास ने उसे जमीन पर चिपका कर रखा था। उसे यूं सनी के सामने नंगी चल कर जाने में बेहद लज्जा का अनुभव हो रहा था। वो इसी उहापोह मे पड़ी थी कि उसे उठ कर जाना चाहिये या नहीं इसी बीच सनी उसके पास आ कर बैठ गया और उसकी नंगी पीठ पर हौले हौले हाथ घुमाने लगा। नेहा का कलेजा जोर जोर से धक धक करने लगा, उसे लगने लगा कि यदि तत्काल कुछ नहीं किया तो इसके हाथों से अब बचना मुश्किल होगा। घबराहट के मारे उसकी रुलाई छूट पड़ी और वो फ़फ़कने लगी उसकी आंखों से आंसू की मोटी मोटी धारा निकलने लगी। वो कुछ कहने के लिये मुंह खोलना चाहती ही थी कि उसे सनी की आत्महत्या की धमकी याद आ गई। उसके मस्तिष्क में एक के बाद एक अनेंक विचार आने लगे लेकिन वो किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही थी। यही नेहा की सबसे बड़ी कमजोरी थी कि मुश्किल घड़ी में वो कभी ना तो सही सोच पाती थी और ना ही सही निर्णय ले पाती थी।
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06-28-2019, 02:01 PM,
#33
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सनी समझ चुका था अब ये ज्यादा विरोध करने की स्थिती में नहीं है, विरोध के नाम पर ये रोने के अलावा और कुछ नहीं करने वाली। सनी की धमकी से वो इतना ड़र गई थी की उसके हाथ पैर ने हरकत करना ही बंद कर दिया था। उसने सनी की बातों को सच मानते हुए उसकी मौत के बाद की स्थिती की ऐसी कल्पना अपने मन में करी कि उसके विरोध करने रही सही ताकत भी खतम हो गई, और नेहा केवल अपनी झूठी कल्पना के भंवर जाल में फ़ंस कर रह गई।

अब सनी उसकी पीठ से अपना हाथ घुमाते हुए उसके सीर पर ले गया और उस पर उसके सर और बालों से खेलने लगा . वो उसके सर पर उसी अंदाज में हाथ घुमा रहा था जिस अंदाज मे एक कुत्ते का मालिक अपने कुत्ते के उपर घुमाता है। ऐसा कर के वो अपने कुत्ते से प्यार तो जताता ही है लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से उसे ये भी बता देता है कि तू मेंरा पालतू है और मैं तेरा मालिक तुझे अंतत: मेरे ही इशारों पर नाचना है। सनी भी नेहा के सर पर हाथ फ़ेर कर प्यार तो कर ही रहा था लेकिन साथ ही साथ ये भी जता रहा था कि अब मैं ही तेरे इस खूबसूरत नंगे जिस्म का मालिक हूं और तेरी मर्जी मेंरे लिये कोई अहमियत नहीं रखती।

सनी अब अपना होंठ उसके गालों पर ले जाता है और उसे चूमने लगता है, नेहा अपना मुंह शर्म के मारे नीचे करने की कोशीश करती है लेकिन सनी उसकी ठोड़ी को पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों से अपना होंठ लगा देता है और उसके मीठे मीठे, नरम और रसीले होठों को चूसना शुरु कर देता है। नेहा के लिये ये सब नितांत नये अनुभव थे और वो धीरे धीरे वासना के नशें ड़ूबती जा रही थी। उसका मन कह रहा था कि ड़ूब जा इस नशें में लेकिन दिमाग इंकार कर रहा था। लेकिन ऐसा लग रहा था कि नेहा मन जीत रहा था और दिमाग हार रहा था। उसके मन से दिमाग का नियंत्रण खतम होते जा रहा था।

लगभग ३-४ मीनट तक अपनी भाभी के होठों चूसने के बाद वो धीरे से उसको उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता है और अपना दांया पांव उपर उठा लेता है और उसका तकिया बना कर नेहा का सर उसमें रख देता है। अब नेहा का सर पीछे की तरफ़ लटक जाता है और उसके दोनों विशाल स्तन आगे की ओर उभर जाते हैं, सनी हौले हौले उसके स्तनों को मसलना चालू कर देता है। नेहा के मुंह से एक हल्की सी अवाज निकलती है आआआहहहहह , सनी उसके स्तनों को मसलाना जारी रखता है। स्तनों को मसलते हुए वो अब उसकी नरम चूंचियों को भी मसलने लगता है। चूंचियों को मसलने से उसकी चूंची कुछ ही क्षणों में कड़क हो जाती है। सनी समझ जाता है कि ये गदराई हसीना भी अब जवानी के मजे लूटने लगी है।अन्जाने ही सही या अनचाहे ही सही लेकिन स्त्री और पुरुष के शरीर के मिलने पर काम का सुख तो दोनों को ही मिलता है, और नेहा के साथ भी यही हो रहा था।अब सनी बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसने उसके दूध को मसलना छोड़ कर अब उसके निप्पल पर अपना मुंह लगा दिया . अब नेहा का बांया स्तन और उसकी निप्पल सनी के मुंह मे था और वो उसे जोर जोर से चूस रहा था और दूसरा हाथ उसके दायें स्तन को बुरी तरह से मसल रहे थे। सनी ने पागलों की तरह उसके एक स्तन पर अपना मुंह लगा रखा था और उसे चूस रहा था और इधर नेहा की सांसे तेज होती जा रही थी और उसका पेट भी बुरी तरह से हिल रहा था। नेहा ने अपने दोनो पैर जमीन पर फ़ैला दिये और उत्तेजना के मारे वो उसे इधर उधर फ़ेंकने लगी। अब उसका खुद से नियंत्रण समाप्त हो रहा था और उसके मुंह से अवाज निकलने लगी थी आह आह अह्ह आह उईमां ओफ़ ओफ़ आई आह।

अब सनी ने उसके दांए स्तन को मसलना बंद किया और अपना बांया उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और वो उस्का छेद तलाशने लगा। कुछ ही क्षणों मे उसने अपनी उंगली उसकी चूत के छेद पर रख दी और उसे मसलने लगा . नेहा को मानो करंट लग गया और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। महीनों से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब जागने लगी थी। थोड़ी देर में सनी अपना मुंह नेहा के कान के पास ले जाता है और धीरे से उसके कान में कहता है "तेरे इसी छेद में मैं अभी अपना ड़ालूंगा और जीवनभर इसको अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था नेहा तेरी इस चूत को पाने के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह कितनी नरम है रानी तेरी ये चूत, मैं तो धन्य हो गया रस्मी तुझे नंगी पा कर। कितनी खूबसूरत नंगी है तू नेहा आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कैसा गदराया बदन है तेरा मेंरी जान।

आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ला अब तेरी इस रसीली चूत को चूम लूं।

जैसे है सनी नेहा की चूत पर अपना मुंह लगाता है तभी दरवाजे पर किसी के खटखटाने की अवाज आती है। दोनो बुरी तरह से चौंक जाते है खासतौर पर नेहा . नेहा का चेहरा भय से पीला पड़ जाता है। औ वो ड़र के कभी दरवाजे की तरफ़ तो कभी अपने नंगे जिस्म की तरफ़ देखती है। वो घबराह के मारे उठ कर बैठ जाती है , इधर सनी की पकड़ भी उसके बदन से खतम हो जाती है . दरअसल वो भी बुरी तरह से ड़र गया था। तभी दरवाजे से उसकी मां की अवाज सुनाई देती है वो जोर जोर से दरवाजे खटखटाते हुए नेहा को अवाज लगा रही थी।
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06-28-2019, 02:01 PM,
#34
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
बाहर से नेहा की सास उसे अवाज लगा रही थी " नेहा, ओ नेहा कितनी देर हो गई तुम्हें उपर आये अभी तक नहाया नहीं तुमने ? क्या कर रही हॊ?

अन्दर दोनों की फ़टी पड़ी थी और नेहा तो मारे ड़र के थरथराने लगी थी उसके मुंह से कुछ बोल ही नहीं फ़ूट रहा था। इधर सनी को काफ़ी समय बाद ये याद आया कि वो दरअसल उपर आया क्यों था।
नेहा मारे ड़र के सनी की तरफ़ देखती है, वो मानो नजरों से ही उसे कह रही हो कि बचाव इस मुसीबत से वर्ना दोनों की खास तौर से मेरी तो इज्जत गई। सनी उसे चुप रहने का इशारा करता है और कुछ क्षण सोचता है फ़िर तत्काल ही अपने सामने खड़ी नंगी नेहा को अपने दोनों हाथों से उठाता है और बाथरुम की तरफ़ उसे ले जाता है। उसने नेहा को ऐसे उठाया था कि उसकी पूरी गांड़ सनी के बांए हाथ में और उसका दाहिना स्तन सनी के दांये पंजो मे था।

वो उसे उसी तरह उठा कर बाथरुम में ले जाता है और वहीं खड़ी कर देता है और खुद बाल्टी को नल के नीचे रख कर उसे थोड़ा खोल देता है . अब पानी की अवाज कमरे के बाहर जाने लगती है जिससे उसकी सास को ऐसा लगता है कि वो अभी तक नहा रही है। वो बाहर से फ़िर चिल्ला कर कहती है " अभी तक नहाया नही क्या नेहा तुमने?

नेहा अभी तक घबराई हुई थी उसे कुछ सूझ नहीं रहा था , तभी सनी उसके कान में फ़ुसफ़ुसा कर कहता है "बोलो नहा रही हूं , तबियत ठीक नहीं लग रही थी इस्लिये उपर आ कर थोड़ा लेट गई थी"
नेहा ने घबराहट में सनी की बात को दोहरा दिया।

अब उसकी मम्मी फ़िर उसे कहती है " कोई बात नहीं बेटा रात को नींद ठीक से नही होने की वजह से ऐसा हुआ होगा। तुम चाहो तो और अराम कर कर के नीचे उतरना। अब नाश्ता बनाने की कोई
जरुरत नही है तुम्हारे पापा आज सबके लिये होटल से नाश्ता ले कर आये हैं। नीचे आ कर खा लेना। और सुनो मैं तुम्हे ये बताने के लिये उपर आयी हूं कि आज दोपहर लग्भग ११:३० बजे हम सभी
एक साथ बाजार जायेंगे और सनी की सगाई के लिये जो भी खरीदी करनी है कर लेंगे। फ़िर कल संजय और उसका बास भी आ जायेंगे तो समय नही मिलेगा . और उसके एक दिन बाद सगाई है न।

अब नेहा जरा संभल जाती है और अंदर से जवाब देती है " जी,मम्मी जी मैं नहा कर नीचे आती हूं और सबका खाना बना देती हूं , मुझे थोडी हरारत जैसा है लेकिन ठीक हो जायेगा।

मम्मी : अरे नहीं बेटा खाना वाना बनाने की कोई जरुरत नही है तुम्हारे पापा कह रहे थे कि आज दोपहर का खाना भी किसी होटल में ही खा लेंगे, समझी . तुम चाहो तो ११:३० तक अराम से तैयार हो कर
नीचे आ जाना .
नेहा: जी, मम्मी जी . (सनी उसके कान में कहता है उसको बोलो की तुम थोड़ा अराम कर के नीचे आओगी) लेकिन वो नहीं बोलती . सनी तनिक गुस्से में जरा जोर से फ़ुसफ़ुसा कर नेहा से बोलता है
"बोलती या मैं बोलूं" और वो मुंह खोल कर बोलने का नाटक करता है। नेहा तुरंत उसका मुंह दबा कर जोर से उसकी कही बात दोहरा देती है। उसकी सास कहती ठीक है बेटा तुम ११:३० तक आराम कर के
नीचे आ जाना , अच्छा मैं जा रही हूं नीचे तुम्हारे पापा नाश्ते के लिये अवाज लगा रहे हैं तुम अराम कर के समय से नीचे पहुंच जाना। ऐसा बोल कर वो वहां से चली जाती है। सनी और नेहा दोनों ने उसके
पैरों कमरे से दूर होती अवाज को सुनी और जब उसकी सीढीयों से उतरने की अवाज उसे आने लगी तो सनी समझ जाता है कि उसकी मां गई और उसका चेहरा खिल उठता है।

अब वो बाथरुम में ही नंगी खड़ी नेहा को ताबड़्तोड़ चूमना शुरु कर देता है। नेहा ने जिस तरह से उसकी मां से झूठ बोलने में सनी का साथ दिया था और उसकी कही बातों को दोहराया था उससे सनी को समझ आ गया कि इसे अपनी इज्जत बहुत प्यारी है और इसके लिये वो चुद जायेगी लेकिन अपने चुदने का संजय किसी को नहीं बतायेगी।
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06-28-2019, 02:01 PM,
#35
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
अब सनी नेहा को पीछे की तरफ़ घुमा देता है और उसकी गांड़ सनी की तरफ़ हो जाती है , सनी उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था . पिछले कई महीनों से जिस हसीना को चोदने के लिये वो तरह तरह
की योजना बना रहा था उसकी वही गदराई हसीना आज उसके सामने पूरी तरह से नतमस्तक खड़ी थी सनी उसके तमाम अंगो से खिलवाड़ कर रहा था और अब उसे रोकने वाला कोई नहीं था। नेहा पूरी
तरह से उसके कब्जे में थी। सनी नीचे बैठ जाता है और उसकी गांड़ो को चूमने लगता है , नेहा की नरम नरम उत्तेजक गांड़ को चूमने से सनी उत्तेजना की नई उचांईयो में पहुंच जाता है। नेहा की गांड़ो को उसने पिछले दिनो कई बार छुआ था और उसके स्पर्श का आनंद लिया था लेकिन उसकी मादकता का अहसास उसे आज पहली बार हो रहा था।

वो नेहा की गांड को चूमते जा रहा था और बीच बीच में उत्तेजना के कारण उसे अपने दांतो से काट भी लेता था। अब सनी ने उसकी गांड को चूमना छोड़ कर पूरी तरह से अपना मुंह नीचे फ़र्श तक ले जाता है और उसको नीचे चूमना शुरु करता है पहले नंगी खड़ी नेहा की ऐड़ी फ़िर टखने उसके बाद उसकी पीड़्ली फ़िर जांघ ,कमर और पीठ और आखिरी में उसकी गर्दन वो अब पूरी तरह से नंगी खड़ी नेहा के पिछे खड़ा हो जाता है और उसे पिछे से दबोच लेता है अब उसक लंड़ उसकी गाम्ड़ से चिपक जाता है और वो अपने दोनों हाथ आगे की तरफ़ ले जा कर उसके दोनो विशाल स्तनों को पकड़ लेता है।

अपना मुंह उसके गालों से लगा कर वो उसके गालों को चूमने लगता है। अब वो उसको कहता है " रानी अभी पता है तुमको कितने बजे है? " नेहा कोई उत्तर नहीं देती है तो सनी कहता है " साढे़ आठ बजे है अभी और तुमको ११:३० तक नीचे जाना है यानी अभी हमारे पास तीन घंटे है, नेहा मेंरी जान इन तीन घंटो में मै कम से कम दो बार तेरी चूत में अपना ड़ालुंगा। ऐसा बोलते हुए वो अपना एक हाथ उसकी चूत के उपर ले आता है और उसको मसलने लगता है दूसरे हाथ से वो उसका स्तन बुरी तरह से मसल रहा था और अपना लंड़ उसने बड़ी जोर से उसकी गांड़ मे दबा कर रखा हुआ था।

नेहा को इस तरह अपने बदन को मसले जाने से उत्तेजना होने लगी थी लेकिन सनी आखिर उसका पति तो था नहीं और वो जो भी कर रहा था वो बलात ही कर रहा था इसलिये नेहा की आंखो में आंसू भी भरे हुए थे। वो कभी रो पड़्ती थी और कभी उसके मुंह से सिसकियां निकल पड़ती थी आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो सनी मुझे जाने दो।

सेक्स के दौरान स्त्री के आंसू,सिसकियां और इंकार से शायद ही किसी पुरुष का मन पिघला हो बल्कि ये तो पुरुष की उत्तेजना को और भी बढाने का काम करते है। और नेहा की सिस्कियां और आंसू भी सनी की वासना की भूख को और भी बढा रहे थे। और वो पागलों की तरह से उसके पूरे बदन को बेदर्दी से मसलने लगता है।

अब वो नेहा को ढीला छोड़ देता है और बाथरुम से बाहर आ जाता है , बाहर आ कर वो नेहा को भी उसका हाथ पकड़ कर बाहर खींच लेता है। नग्न नेहा बाथरुम से बाहर आती है और सनी फ़िर से उसे अपने सीने से लगा लेता है और उसके बदन को मसलना चालू कर देता है। कुछ देर तक उसे इसी तरह से मसलने के बाद वो उसे अलग करता है, उसका चेहरा शर्म से झुका हुआ था और आंखे बंद थी . सनी उसकी ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा उपर उठाता है और उसके होठों को चूम लेता है। अब सनी के लिये बर्दाश्त करना काफ़ी कठीन हो जाता है और वो अपने कपड़े उतारने लगता है। पहले शर्ट फ़िर बनियान फ़िर अपनी पेन्ट को वो उतार के फ़ेंक देता .

सनी के इस तरह कपड़े उतारने से नेहा की धड़्कन तेज हो जाती है और वो समझ जाती है कि अब आगे क्या होने वाला है।अब वो आंखे बंद किये आने वाले तूफ़ान का इंतजार करने लगती है।

सनी ने अब अपना अंतिम वस्त्र भी उतार कर फ़ेंक दिया और अब वो भी नेहा के सामने उसी की तरह नंगा हो जाता है। सनी का लंड़ उत्तेजना के मारे झटके मार रहा था। नेहा में इतना साहस नहीं था कि वो उसके नंगे बदन को देख सके इसलिये वो आंखे बंद किये खड़ी थी। नंगे खडे सनी ने नेहा को फ़िर से अपने पास खिंचा और उसके बदन से चिपक गया। नेहा ने पहली बार उसके बदन की गर्मी को मह्सूस किया। पहली बार दोनो पूरी तरह से नग्न हो कर आलिंगनबद्द थे। नेहा ने साफ़ मह्सूस किया कि सनी इस वक्त काम के नशे में इस कदर डूबा हुआ है कि उसका पूरा बदन किसी भट्टी की तरह गरम हो चुका है।

कुछ देर तक नेहा को अपने नंगे बदन से चिपका कर रखने और उसकी नंगी काया की गर्मी का सुख लेने के बाद वो उससे अलग होता है और उसे खीच कर पलंग के पास लाता है और एक हल्का सा धक्का दे कर उसे पलंग पर बैठा देता है, नेहा के दोनों पैर पलंग पर लटक रहे थे और वो पलंग पर बठी थी। उसके पास खड़े सनी ने अब उसका एक हाथ उठाया और उसकी हथेली पर अपना लंड़ रख दिया और उसकी मुठ्ठी को बंद कर दिया। सनी का लंड़ अब नेहा के मुठ्ठी में था और वो उसके हाथों को पकड़ अपनी मुठ्ठ मरवाने लगा।नेहा के लिये एक नितांत नवीन अनुभव था उसने पहली बार किसी मर्द का लंड़ अपने हाथों मे पकड़ा था, उसने मह्सूस किया कि सनी का लंड़ फ़ौलाद की तरह कड़क और किसी भट्टी में तपाये लोहे की तरह गरम है। हालंकि शादी के बाद संजय ने उसे चार,पांच बार चोदा था लेकिन उसने कभी भी नेहा को अपना लंड़ नहीं पकड़ाया था।उसे तो उसकी चूत के अंदर अपना लंड़ ड़ाल कर अपना माल उसमें टपकाने की जल्दी रहती थी
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06-28-2019, 02:01 PM,
#36
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
नेहा के नरम नरम हाथ जब सनी के लंड़ पर आगे पिछे सरक रहे थे तो उसे एक अजीब आनंद का अनुभव हो रहा था। उसे कभी गुमान भी न था कि नेहा के हाथों में ऐसा जादू छिपा है। सनी का लंड़ अब बुरी तरह से कड़्क हो गया था और उसे निचे करना संभव नहीं था इसलिये नेहा अब उसके लंड़ को उपर से नीचे की तरफ़ सहला रही थी। सनी अब बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और लंड में अत्यधिक तनाव के कारण अब वो दुखने लगा था। तनाव और उत्तेजना के कारण उस अब ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्द ही इसकी चूत में ना ड़ाला तो ये अब फ़ट जायेगा।

उसने नेहा के हाथों को अपने लंड़ से अजाद किया और वो नेहा के और भी सामने आ कर खड़ा हो गया, अब सनी का लंड़ नेहा के एकदम मुंह के सामने था . उसने अपना लंड़ नेहा के गालों में लगाया और वहां उसे रगड़ने लगा। वो नेहा के पूरे जिस्म में अपना लंड़ रगड़ना चाहता था, अब उसने अपना लंड़ उसके गालों से हटा कर उसके पूरे चेहरे में घुमाने लगा। नेहा बेहद शर्मसार थी और आंखे बंद किये हुए सनी की अपने नंगे जिस्म के साथ खिलवाड़ को महसूस कर रही थी।

सनी अब अपने लंड़ को उसके होठों पर घुमाने लगा मानो वो अपने लंड़ से उसके होठों लिपिस्टिक लगा रहा हो। नेहा ने अपने मुंह को को जोर से भीच लिया और अपने होठोंं को भी जोर से बंद कर लिया कहीं गलती से सनी का लंड़ उसके मुंह मे ना घुस जाय। किसी मर्द के लंड़ का अपने मुंह से खिलवाड़ उसके साथ पहली बार हो रहा था , उसे ऐसा लग रहा था कि अभी उसे उबकाई आ जायेगी और वो उल्टी कर देगी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं और कुछ ही क्षणों में वो उसके लंड़ की की अभ्यस्त हो गई।

सनी ने अपने बांये हाथ से नेहा के जबड़ो को पकड़ा और उसे तनिक दबाया तो नेहा का मुंह थोड़ा सा खुल गया और अब सनी उसके खुले मुंह में अपना लंड़ डालने की कोशीश करने लगा।लेकिन नेहा ने पूरी तरह से अपना मुंह नहीं खोला था इस्लिये उसे अपना लंड़ उसके मुंह मे डालने में परेशानी हो रही थी। उसने थोड़ा और उसके मुंह को दबाया तो तो उसका मुंह पूरी तरह से खुल गया अब उसने अपना लंड़ उसके मुंह में हौले से ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे काफ़ी गहराई तक उसके मुंह में घुसेड़ दिया . अब नेहा गॊं गॊं की अवाजे अपने मुंह से निकालने लगी , वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि सनी का मोटा लंड़ उसके मुंह में था।

सनी ने अब उसके सर को पिछे से पकड़ा और धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगा और अपना लंड़ उसके मुंह में अंदर बाहर करने लगा, नेहा की आंखे फ़टने लगी क्योंकी सनी के धक्कों से उसका लंड़ नेहा के गले तक चला जा रहा था। नेहा के लिये ये एक बिल्कुल नया और विचित्र अनुभव था , आज से पहले उसने कभी भी किसी पुरुष के लंड़ का स्वाद नहीं चखा था।कुछ देर तक इसी तरह से अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड़ नेहा के मुंह में ड़ालने के बाद उसने अपनी कमर हिलाना बंद किया और उसने उसके सर के बालों को पिछे से पकड़ लिया और धीरे धीरे उसका सर आगे पिछे करने लगा .

नेहा के लिये हालांकि ये बिल्कुल नया खेल था जो उसने आज से पहले कभी नही खेला था इसीलिये पुरुष के लंड़ के बारे में उसके मन में काफ़ी भ्रांतियां थी लेकिन आज सनी ने जबरन ही सही लेकिन जब उसके मुंह मे अपना लंड़ ड़ाल ही दिया तो शुरुआत में थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अब उसे भी सनी के लंड़ का स्वाद अच्छा लगने लगा था और उसे भी इस खेल में मजा आने लगा था। और
अब अनजाने में ही कब उसका मुंह थोड़ा और खुल गया और उसने सनी के लंड़ के लिये अपने मुंह में
और जगह कर दी ताकी वो असानी से उसे अपने मुंह में ले सके उसे खुद को पता नहीं चल पाया। लेकिन सनी ने इसको तुरंत महसूस कर लिया और उसने अप उसके सर को पिछे से हिलाना बंद कर दिया लेकिन नेहा का सर आगे पिछे हिलना बंद नहीं हुआ वो उसी तरह अपने सर को आंखे बंद किये हिलाते रही और उसके लंड़ को चूसते रही।

नेहा की आंखे बंद थी और उसने अब इतनी जोर से उसके लंड़ को चूसना शुरु कर दिया कि उसके मुंह पच पच की अवाजे भी आने लगी इतनी जोर से लंड़ को अपने मुंह में भीच लेने के कारण उसके दोनों गालों मे गड्ढे पड़ने लगे थे। पच पच की अवाज के बीच में उसके मुंह से उं उं आह आह की अवाजे निकल रही थी और इधर सनी आंखे बंद किये अपनी गदराई हसीना के मुख मैथुन का आनंद ले
रहा था उसके मुंह से सी सी की अवाजे निकल रही थी वो प्यार से नेहा के बालों और पीठ में हाथ फ़ेरने लगा और अत्यन्त कामोत्तेजना में आह आह वाह नेहा सक इट बेबी बडबड़ाने लगा .

नंगी नेहा ड़ागी स्टाइल में पलंग मे थी और सनी पलंग के नीचे खड़ा था नेहा के दोनों विशाल स्तन झूल रहे थे सनी बीच बीच में अपने हाथों से उसकी पीठ को सहलाते हुए उसकी गांड को सहलाने लगा और अपनी एक उंगली को उसकी गांड़ और उसकी चूत के छेद मे मसलने लगा इससे नेहा की उत्तेजना और बढ़ गई और वो और भी जोरों से उसके लंड़ को चूसने लगी
और अब वातावरण में दोनॊं जवान
जिस्मॊ के मुंह से निकलने वाली सिसकियां गुंजने लगी . अ़चानक नेहा को होश आया कि सनी ने उसका सर कभी का छोड़ दिया है और वो खुद ही उसका लंड़ चूसे जा रही है वो हड़्बड़ा कर उसका लंड़ चूसना छोड़ देती है लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी और सनी के सामने उसकी हकीकत जाहिर हो चुकी थी . उसने मारे शर्म के अपनी आंखे बंद कर ली और पलंग पर ही बैठी रही।
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06-28-2019, 02:02 PM,
#37
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सनी ने अब उसकी तरफ़ गौर करने बजाय उसे हौले से धक्का दिया और उसे पलंग पर धकेल दिया नेहा अब पलंग पर पीठ के बल पड़ी थी उसका सर एक तरफ़ झुका हुआ था और दाहिना हाथ उपर की तरफ़ उठते हुए उसके सर के पास पड़ा था और दूसरा हाथ उसके स्तन के ठीक नीचे और पेट के ठोड़ा उपर पड़ा था , उसकी आंखे बंद थी और उसके विशाल स्तन उत्तेजना के मारे जोर जोर से हील रहे थे .
किसी कामतुर मर्द के सामने ऐसी समर्पित बेबाक नग्न सुंदरी पड़ी हो तो उसका उत्तेजना के मारे पागल होना लाजिमी है। सनी भी नेहा को इस तरह पड़े देख पागल हो जाता है और वहीं पलंग के पास नीचे बैठ जाता है , वो उसकी दोनों टांगो को फ़ैलाता है और अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है।अब सनी नेहा चूत को चूसना शुरु कर देता है उसके मुंह से चप चप चपड चपड की अवाज आने लगती है . नेहा के मुंह से उत्तेजना के मारे आह निकलने लगती है और वो अपना सर पलंग में इधर उधर घुमाने लगती है अपने दोनों हाथों को उपर कर के वो तकिये के कोनों को जोर से पकड़ लेती है और उसे मसलने लगती है।

सनी अपने दोनों हाथों को उसकी गांड के नीचे ले जा कर उसे थोड़ा जोर लगा कर उपर उठा देता है अब उसकी चूत और भी असानी से उसके मुंह मे आ जाती है ,सनी अपने मुंह में ढेर सारा थूक भर कर नेहा चूत में उंड़ेल देता है इससे उसकी चूत और भी चिकनी हो जाती है |

अब वो उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता है और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता है . नेहा मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब सनी के लिये उसकी चूत मे मुंह लगाये रखना कठिन हो जाता है तो वो और भी ताकत से अपना मुंह उसकी चूत में लगा देता है और अपनी जीभ उसकी जवान चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता है।

इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से नेहा थरथराने लगती और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो जाती है। वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगती है, उसकी बदहवासी ने सनी को और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया तथा वो और भी अधिक जोश से नेहा की बुर को चूसने लगता है .

चूत के के इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण नेहा का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगता है, उसके बुर के मादक पानी ने सनी की उत्तेजना को और भी अधिक बढा दिया . उसके लिये अब अपना लंड़ नेहा की चूत से बाहर रखना संभव नहीं हो पा रहा था वो अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था, सनी को ऐसा लगने लगा था कि यदि इसे जल्दी से नेहा भाभी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।

सनी, नेहा की जवान बुर के रस का अभी और मजा लेना चाहता था , उसका मन अभी उसकी चूत से भरा नहीं था वो उसे और भी कुछ देर तक चूसना चाहता था लेकिन वो भी अपने लंड़ की बगावत के आगे मजबूर हो जाता है और ना चाहते हुए भी अपना मुंह नेहा की रसीली चूत से अलग करता है . सनी पलंग पर चढ़ जाता है और लाल सुर्ख आंखों से अपने सामने पड़ी नंगी पड़ी अपनी नेहा भाभी के जिस्म कामुक निगाहों से देखने लगता है ,उसके देखने का अंदाज ऐसा था मानो वो उसे अपनी नजरों से ही उसे चोद देना चाहता हो। उसके संपूर्ण शरीर पर भरपूर निगाह ड़ालने के बाद उसकी निगाहें अब नेहा की उभरी हुई चूत पर जा टिकती है , बिना बालों वाली उसकी चिकनी सलोनी चूत जिसे अभी कुछ ही क्षणों पहले सनी चूस चूस कर उससे नेहा की जवानी का रस पी रहा था , वो चूसे जाने के कारण फूल कर बाहर की तरफ उभर रही थी और उसकी दरार साफ़ दिखाई दे रही थी।

नेहा की चूत अभी भी गीली थी और उसके मन की कामवासना चिकने पानी के रुप में उसकी चूत से बाहर आ रही थी , सनी ने जैसे ही उसे चूसना बंद किया नेहा को अपनी चूत में एक अजीब सा खालीपन महसूस होने लगा . उसे महसूस होने लगा कि उसकी चूत में कुछ होना चाहिये जो इस
वक्त नहीं है , चूत के इस खालीपन को भरने के लिये उसकी चूत में एक अजीब सी खुजली होने लगी और उसकी वजह से नेहा की चूत अपने आप झटके मारने लगी।

नेहा ने आंखे खोल कर सनी की तरफ़ देखा तो उसे अपनी चूत को घूरते हुए पाया , सनी को इस तरह अपनी चूत को घूरते और अपनी चूत के लगातार झटके मारने के कारण वो शर्मा जाती है , उसका चेहरा मारे शर्म के लाल सुर्ख हो जाता है और वो फ़िर से अपनी आंखों को बंद कर अपना चेहरा घुमा लेती है।

नेहा की शर्म भले ही ना खतम हुई हो लेकिन लगातार कई देर से सनी के सामने नंगी पड़ी रहने से उसकी झीझक खतम हो चुकी थी और अपनी चूत के झटको से बचने के लिये व्प अब अपने दोनों पैर बिस्तर पर इधर उधर बार बार फ़ैला रही थी इससे उसके नग्न शरीर की मादकता और भी बढ़ रही थी जो सनी को और भी उत्तेजित कर रही थी .

अब सनी ने नेहा के बिस्तर पर फ़ैले दोनो पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे उसे दांए बांए फ़ैला दिया अब उसे नेहा की चूत साफ़ दिखाई देने लगी , वो अपनी कमर को नेहा की जांघो के बीच में ले जाता है और अपना लंड़ उसकी चूत पर रगड़्ने लगता है। सनी का गरम लंड़ अपनी चूत से टकराते ही नेहा के दिल की धड़्कन तेज हो जाती है, आखिर कई महीनों के बाद उसे किसी मर्द के लंड़ का स्वाद जो मिलने वाला था।
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06-28-2019, 02:02 PM,
#38
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
अपना लंड़ नेहा की चूत में ड़ालने से पहले वो अपना मुंह नेहा के गालों के पास ले जाता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है, और फ़िर काम की उत्तेजना में उससे कहता है " नेहा जान आज से तुम सदा सदा के लिये मेंरी हो जाओगी, आज मैं तुम्हें वो सुख दूंगा और ऐसी दुनिया की सैर कराउंगा जिसे पाने के लिये तुम बार बार मेरे पास आओगी। तेरे इस खूबसुरत जिस्म की जरुरत "संजय" जैसा इंसान कभी नहीं समझ सकता .

तुम्हे आज इस बात का अफ़सोस होगा कि तुम इतए महीनों तक इस सुख से वंचित क्यों रही? (अब वो उसे संजय के खिलाफ़ भड़्काने से नहीं चूकता था, क्योंकि उसे नेहा का जिस्म एक दो दिनों के लिये नहीं बल्की जीवन भर के लिये हासिल करना था।) वो आगे बोलना जारी रखता है " कल "संजय" आ रहा है न नेहा तो देख लेना तुम अपने प्रति उसका रवैया .

नेहा के गालों को चूमने और उसे "संजय" के प्रति भड़्काने के बाद वो वाहां से उठता है और फ़िर से अपना लंड़ उसकी चूत में रगड़्ने लगता है। उसका एक हाथ नेहा की जांघो और उसकी गांड को सहला रहे थे और दूसरे हाथ से वो नेहा की छातियों को मसल रहा था . अब सनी के सहन शक्ति जवाब दे जाती है और वो अपना लंड़ नेहा की चूत में लगा देता है।

लंड़ के चूत में लगते ही नेहा सतर्क हो जाती है और आगे होने वाली घटना का अनुभव करते हुए अपनी आंख और होठों को बुरी तरह से भींच लेती है। इधर सनी भी बेहद उत्तेजित और खुश था आखिर पिछले कई महिनों की उसकी हसरत अब पूरी जो होने वाली थी। वो अपने लंड़ में थोड़ा सा दबाव ड़ालता है और हल्का सा धक्का देता है और अपने लंड़ का सुपाड़ा उसकी चूत में घुसेड़ देता है। कई महीनों के बाद नेहा की चूत में लंड़ घुसा था सो य्सकी चूत अंदर से सकरी हो गई थी, लंड़ के अंदर जाते ही उसके अंदर एक खलबली मच जाती है और दर्द से उसके मुंह से एक आह निकल जाती है।

कुछ क्षणों तक इसी तरह नेहा को दर्द से कराहते देख सनी उसका मजा लेता है फ़िर थोड़ा और धक्का वो अपने लंड़ मे लगाता है तो वो लगभग आधा उसकी चूत में चला जाता है। लंड़ के आधा अंदर जाते ही नेहा दर्द से बिलबिलाने लग जाती है और कराहने लगती है आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उईईईईई मां , मर गई मै तो , मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ, बस करो सनी सहन नहीं हो रहा है, प्लीज छोड़ दो मुझे , निकलो न उसे बाहर , . उसे इस तरफ़ फ़ड़्फ़ड़ाते हुए देख सनी को मजा आने लगता है , वो कुछ क्षणों तक उसे इस तरह देखने के बाद अचानक एक जोर का धक्का लगाता है और उसका पूरा का पूरा मोटा लंड़ उसकी चूत में समा जाता है और नेहा के मुंह से एक चीख निकल जाती है आईईईईईईईईई मांऽऽऽऽऽऽऽऽऽ बचाओ मुझे , उसकी आंखो में दर्द के मारे आंसू आ जाते है लेकिन इन आंसूओं का मर्दों पर कोई कभी असर नहीं पड़्ता।

लंड़ को पूरी तरह से नेहा की चूत मे उतार देने के बाद सनी नेहा के नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है और उसे अपनी बाहों मे जकड़ लेता है और अपना मुंह नेहा के होठों पर लगा देता है , अब वो अपनी कमर को हौले हौले हिलाने लगता जिससे उसका लंड़ नेहा की चूत में अंदर बाहर होने लगता है

पराया धन, पराई स्त्री और मुफ़्त में मिली लाचार स्त्री सनी जैसे अधिकांश पुरुषों की चाहत होती है , मर्द शुरु से ही स्त्री के शरीर को भोगने के लिये उसे पूरे दमखम के साथ और अधिकार से हासिल करना चाहता है। सनी अपने मकसद में कामयाब हो चुका था और नेहा के नंगे जिस्म पर बलात ही सही लेकिन अब वो लाचार स्त्री उसके अधिकार में थी।

नेहा के बेपनाह खूबसूरत नंगे लाचार जिस्म के अपने अधिकार में होने की कल्पना से सनी की उत्तेजना और भी बढ़ जाती है और उसका लंण्ड़ लोहे के समान कड़्क हो जाता है। अपने ल्ण्ड़ के और भी कड़क हो जाने से वो और भी उत्तेजित हो जात है और नेहा को बुरी तरह से अपनी बाहों में भीच लेता है और जोर जोर से अपनी कम्रर को हिलाने लगता है।

वो अपना ल्ण्ड़ इतनी जोर जोर से उसकी चूत में ड़ाल रहा था कि चूत और लण्ड़ की इस टक्कर में फ़च फ़च बद बद की आवजे कमरे में गूंजने लगती है और हर झटके के साथ नेहा के मुंह के एक आह निकल जाती थी . आहह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह उइईईईई मांम्म्म्मां बस्स्स्स्स्स ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ नेहा के मुंह के से निकलने वाली कराहों से सनी और भी ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और वो पूरी मस्ती में झूम झूम कर नेहा को चोदने लगता है।

दोनों की आखें बंद थी और दोनो एक दूसरे से बुरी तरह से लिपटे हुए थे , दोनों के मुह से थोड़ी थोडी देर में उह्ह आह्ह ओफ़्फ़ की हल्की से आवाजे निकल रही थी और कमरे के वतावरण को कामुक बना रही थी। नेहा का हाथ अब सनी के पीठ पर था और वो आहिस्ता आहिस्ता उसकी पीठ पर अपना हाथ घुमाने लगी थी।

तभी सनी हौले से अपना सर उपर उठाता है और धीरे से अपनी आंख खोल कर नेहा की तरफ़ देखता है, उसकी आंखे काम की उत्तेजना के कारण लाल सुर्ख थी . वो देखता है कि नेहा हौले हौले अपना सर कभी दाएं तो कभी बांए घुमा रही थी वो बार बार अपने होठों को अपने दातों से दबा लेती थी। उसके ऐसा करने का मतलब साफ़ था कि वो भी चुदाई के खेल का भरपूर मजा ले रही थी।

नेहा को इस तरह करते हुए देख सनी उत्तेजना के आवेग में दो तीन जोर का झटका उसकी चूत में लगा देता है तो नेहा के मुंह से जोर से चीख निकल जाती है आह्ह्ह्ह तो सनी उसे जोर भीच कर ताबड़्तोड़ उसके गालों को चूमना शुरु कर देता है। इस तरह चूमने से नेहा भी उत्तेजित हो जाती है और वो उसे जोर से भींच लेती है और वो और भी तेजी से उसकी पीठ पर हाथ घ्माने लगती है।

कुछ देर तक इसी तरह से नेहा भाभी को चोदने के बाद सनी थोडा उपर उठता है और अपना बांया हाथ पलंग पर रख कर उसी के सहारे थोडा उंचा हो जाता है अब वो नेहा को असानी से हरकते करते हुए देख सकता था . वो उसी अवस्था में अपनी कमर लगातार हिला रहा था और अपना लंड नेहा की चूत में अंदर बाहर कर रहा था। अब वो अपना एक हाथ नेहा के नंगे जिस्म पर घुमाने लगता है .
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06-28-2019, 02:02 PM,
#39
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
उसके हाथ अब नेहा के चेहरे पर घुम रहे थे कभी वो अपना हाथ उसके गालों पर घुमाता तो कभी उसके होठों पर तो कभी वो उसके बालों में अपना हाथ घुमाता इसी तरहअपने हाथों को घुमाते हुए अब वो अपना हाथ धीरे से उसकी जवानी के रस से भरी हुई उसकी छातियों पर रख देता है और उसके दोनों स्तनो को बारी बारी से मसलने लगता है।

उफ़, औरत की ये छातियां हमेंशा ही मर्दों के आकर्षण का केन्द्र रही है , इन्हें पाने और भोगने के लिये ये मर्द हमेंशा ही बड़ा से बड़ा कुकर्म करने के लिये तैयार रहते हैं। कभी सनी भी नेहा की छाती के क्लिवेज देखने के लिये तरसता था और उसे देखने के लिये उसके आगे पिछे घुमता रहता था आज उसी रशमी की गदराई छातियां उसके सामने एकदम नंगी खुली पड़ी थी और वो उसे जोर जोर से मसले जा रहा था।

अत्यधिक मसले जाने के कारण नेहा की छातिय़ां लाल हो गई थी और उसमे सनी की उंगलियों के लाल निशान साफ़ तौर पर दिख रहे थे। अब सनी नें थोडा निचे झुकते हुए उसके बाएं बूब्स के निप्पल को अपने मुंह में ले लिया और उसे जोर जोर से चूमने लगा और अपने दूसरे हाथ से उसका दायां दूध मसलने लगा और निचे अपने लंड़ के धक्के उसने नेहा की चूत में लगाने जारी रखे .

इस तरह बूब्स को दबाने और चूसने और अपनी चूत में लगातार लंड़ के झटके पड़ने से नेहा भी काम उत्तेजना में झूम जाती है और अपनी कमर को हौले हौले झटके देने लगती है एक दूसरे की बाहों में नग्न नेहा और सनी लगातार अपनी कमर को झटके दे कर चुदाई में इतने तल्लीन हो चुके थे कि कि वो दोनों ही अपनी सुध बुध खो चुके थे उन्हें खुद का भी खयाल नहीं था वे तो बस एक दूसरे में इतने तल्लीन हो चुके थे मानों संभोग करते हुए उन्हें समाधी लग गई हो।

कुछ देर तक इसी तरह अपनी सुध बुध खो देने वाली चुदाई के बाद सनी तनिक उपर उठता है और उसका बूब्स चूसना छोड़ कर अब वो नेहा के उपर उकडू बैठ जाता है उसका लन्*ड़ अभी भी नेहा की चूत में था , अब वो उसके दोनों बूब्स को फ़िर अपने दोनों हाथों ले लेता है और उसे बुरि तरह्से मसलने लगता है और अपने लंड़ को और भी जोर जोर से उसकी चूत में पेलना शुरु कर देता है तो नेहा का चेहरा आनंद से खिल उठता है सनी की इस हरकत से उसे इतना आनंद मिलता है कि उसके मुंह से आहह्ह्ह्ह आहह्ह्ह्ह आहह्ह्ह्ह आउच्च्च्च्च्च्च्च ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ की अवाज निकलने लगती है और वो वासना के समुन्दर में गोते लगाने लगती है।

नेहा को इतनी मजबूती से संजय ने कभी नहीं चोदा था इसीलिये सनी द्वारा उसकी ऐसी चुदाई करने से वो अपना सुध बुध को बैठी और अपने और सनी के बीच के रिश्ते को भी भूल बैठी,पिछले कई महिनों से उसकी दमित वासना को सनी ने न केवल भड़काया था बल्कि उसे उतनी ही खूबसरती से शांत भी कर रहा था। नेहा आज काफ़ी हल्का महसूस कर रही थी और वो अब तक की अपनी सारी हिचक और शरम को छोड़ उन्मुक्त भाव से सनी का साथ दे रही थी और अपनी हवस शांत करने के लिये अपना नंगा शरीर उसे सौंप चुकी थी। अपना शरीर पूरी तरह से निढाल कर दिया था कहीं से कोई प्रतिरोध नहीं था और अपने सम्पूर्ण शरीर को ढीला छोड़ के सनी के हवाले कर दिया था और उसे अपने नंगे जिस्म के साथ मनमानी करने और उससे खिलवाड़ करने की पूरी छूट दे दी थी।

नेहा के इस उन्मुक्त समर्पण ने सनी को और भी हब्शी बना दिया वो और भी कमातुर हो कर नेहा को चोदने लगा , वो और जोरों से उसकी चूत में झटके मारने लगा नेहा के पहाड़ के जैसे विशाल स्तनों को उसने और भी जोरों पकड़ लिया और उसे इस तरह से मसलने लगा मानों वो उसे उसकी छातीयों से उखाड़ कर निकालना चाहता था।

नेहा अपना सर बड़ी ही तेजी से इधर उधर घुमा रही थी अपनी ऐसी चुदाई से अब वो हांफ़ने लगी थी और अब वो लंबी लंबी सांसे ले रही थी। सनी उसकी इस अवस्था को देख उत्तेजना के सागर में डूबता चला जाता है और उसके दोनों विशाल स्तनों को छोड़कर अब अपने दोनों हाथ उसकी पीठ के नीचे ले जाता है और उसे आहिस्ता से उठा कर अपनी गोद में बिठा लेता है फुरी तरह से निढाल नेहा के दोनों हाथ दाएं बाएं झूल जाते है और वो एक झटके में उसकी गोद में समा जाती है। सनी का लंड़ नेहा की चूत में था और नंगी नेहा सनी की गोद में उसके दोनों हाथ झूल रहे थे और गर्दन पिछे की तरफ़ झुकी हुई थी। चूंकी वो उसकी गोद में बैठी थी इसलिये उसके दोनों विशाल स्तन उसके मुंह के पास झूल रहे थे , सनी ने मारे उत्तेजना के उसके विशाल स्तन को अपने मुंह से लगा लिया और उसमें भरे जवानी के रस को पीने लगा।
सनी ने अब अपना एक हाथ उसकी पीठ से हटा कर उसकी चिकनी गांड़ पर रखा और उसे हल्के हल्के से उपर उठाने और चोदने लेगा नेहा अब उसकी गोद में उपर निचे होने लगी और सनी की गोद में बैठे हुए ही उससे चुदने लगी। किसी मर्द की गोद में बैठ कर चुदने का नेहा का ये पहला अनुभव था उसे ये अभास भी नही था कि मर्द की गोद में बैठ कर भी उसका लंड अपनी चूत में लिया जा सकता है, ये नया अनुभव उसके लिये काफ़ी रोमांचक था और वो इस रोमांच का भरपूर मजा ले रही थी उसने अपने दोनों लटके हुए हाथ अब सनी के कंधो पर रख लिये और वो खुद भी अपने पैरों के पंजो के सहारे थोड़ा थोड़ा उपर नीचे होने लगी इससे सनी को काफ़ी रोमांच होने लगा और उसका हाथ थोड़ी देर के लिये खाली हो गया .
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06-28-2019, 02:03 PM,
#40
RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
अब वो नेहा को उपर नीचे करना छोड़ कर उसकी गांड़ को सहलाने लगा क्योंकि नेहा खुद ही उसकी गोद में बैठ कर उसके लंड़ पर उपर नीचे हो रही थी और झटके मार रही थी। अपने हाथों से वो नेहा की चिकनी गांड को सहलाते हुए उसकी गांड़ का छेद तलाशने लगता है और अपना हाथ उसकी गांड़ के छेद पर रख देता है।

अपनी गांड़ के छेद पर सनी का हाथ लगते ही नेहा के शरीर में एक सनसनी दौड़ जाती है और वो तनिक जोर से उसके कंधो को पकड़ लेती है। इधर सनी अब हौले हौले उसकी गांड़ के छेद को अपनी उंगली से रहड़ने लगता है। अपने शरीर के दोनों छेदों पर एक साथ घर्षण से नेहा थरथरा जाती है।उसके जिस्म में ऐसी उत्तेजना होने लगती है जिसे सहन करना अब उसके बस में नहीं था।

नेहा की गांड़ मारने की सनी की बहुत इच्छा थी लेकिन इससे पहले वो उसे अपने मोटे लंड़ के लिये तैयार करना चाहता था। कुछ देर तक उसकी गांड़ के छेद में अपनी उंगली रगड़्ने के बाद वो हौले से अपनी पहली उंगली को थोड़ा सा धक्का देते हुए उसकी गांड़ मे घुसा देता है और धीरे धीरे अन्*दर बाहर करने लगता है।

गांड़ में सनी की उंगली और चूत में उसका लंड़ अपने दोनों छेदों की इस तरह से एक साथ चुदाई से नेहा इससे एकदम बदहवास हो जाती है और वो सनी को जोर से भींच लेती है और उसे ताबड़ तोड़ चूमने लगती है। उसे ऐसा लगा कि अब वो झड़ जायेगी। सनी तेजी से उसकी गांड़ में उंगली से अंदर बाहर करने लगता है।थोडी देर तक इसी तरह अपनी उंगली अन्*दर बाहर करने के बाद वो अपनी उंगली को थोडा और अंदर धक्का देता है, और अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ में घुसा देता है।और गांड़ में ही
उसे हिलाने लगता है। कुछ देर तक अपनी आधी उंगली उसकी गांड़ मे रखने के बाद वो एक और धक्का देता है और अब उसकी पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे समा जाती है।

अब सनी अपनी पूरी की पूरी उंगली ही उसकी गांड़ मे अंदर बाहर करने लगता है, नेहा जैसे अपना आपा खो बैठती है और अपनी कमर को जोर जोर से हीलाने लगती है और वो सनी को बुरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लेती है।आज तो सनी जैसे जन्नत की सैर कर रहा था . नेहा की चूत में उसका लन्*ड़ उसकी छाती सनी के मुंह में और नेहा की गांड़ मे सनी की उंगली उसकी तो जैसे पांचो उंगलियां घी में थी।

लग्भग दस मीनट तक नेहा को इसी तरह से चोदने के बाद वो फ़िर से नेहा को लिटा देता है और खुद उसके नंगे जिस्म पर लुड़क जाता है। सनी अपने जिस्म की हवस तो नेहा के नंगे जिस्म से मिटा रहा था लेकिन उसके दिमाग में भी वासना की हवस भरी हुई थी और इसी लिये वो अब नेहा के साथ कामुक बातें करना चाहता था। नेहा की चूत में लंड़ डालने से उसके शरीर को आराम मिल रहा था और उसके लंड़ की प्यास बुझ रही थी लेकिन कामुक बातें करने से उसके दिमाग को सुकुन मिल रहा था .
सनी नेहा से कहता है बहुत खूबसूरत नंगी हो तुम नेहा, तेरा ऐसा नंगा जवान जिस्म पाकर तो मैं धन्य हो गया . वो प्रतुत्तर में कुछ नहीं कहती के हूं कह के रह जाती है लेकिन सनी अपनी बात कहना जारी रखता है:-

सनी : अब रोज ड़ालुंगा तेरे अंदर डार्लिग, बोलो दोगी न रोज डालने के लिये?
नेहा : ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउं
सनी : क्या ऊउउउउं ? बोलो न कुछ अपने मुंह से
नेहा : हां
सनी : अरे ऐसे नही फुरा बोलो " हां मै रोज डालने दूंगी" बोलो न ऐसा प्लीज।
नेहा : मुझे शरम आती है मैं नही बोल सकती।
सनी : अब क्या शरमाना ? मेंरा पूरा लंड़ आधे घंटे से तेरी चूत में घुसा हुआ है , और फ़िर खाली
मुझे ही तो कहना है और कौन सुनेगा तेरी बात को? अब बोल दो प्लीज। मेंरे कान तरस रहे
है ये सुनने के लिये तेरे मुंह से।
नेहा थोड़ी ना नुकुर और शरमाने के बाद) हां मै रोज डालने दूंगी।
सनी : कभी मना तो नहीं करोगी?
नेहा : कभी मना नहीं करुंगी , तुम्हारी जब मरजी हो ड़ाल लेना?
सनी : जब मर्जी हो तभी? याने ?
नेहा : जब मर्जी याने " जब मर्जी" जब तुम कहोगे तुमको ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।
सनी : क्या ड़ालने दोगी?
नेहा : जो तुम्हारी इच्छा हो।
सनी : जैसे?
नेहा : जो अभी ड़ाल के रखा हुआ है।
सनी : क्या ड़ाल के रखा हुआ है?
नेहा : (उसकी पीठ पर चपत लगाती हुई तनिक जोर से कहती है) ऊउउउउउउउउउउउउउउउउउउउं
सनी : फ़िर वो ही बात , बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?
नेहा : मुझे नहीं पता
सनी : देखो,, मजाक मत करो बोलो न क्या ड़ाल के रखा हुआ है?
नेहा : सच मुझे नहीं पता इसका नाम।
सनी :अच्छा!!! लो मैं बताता हूं इसका नाम . इसे "लंड़" कहते है नेहा जो अभी तेरे अंदर मैंने
डाल रखा हुआ है। अब बोलो।
नेहा : नहीं नहीं मैं नही बोल सकती।
सनी : (नेहा की गांड़ में हल्की चपत लगाते हुए) बोओओओओल प्लीज।
नेहा: (थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं तुमको रोज ल्ल्ल्ल्लंड़ ड़ालने दूंगी कभी मना नहीं करुंगी।
सनी : कहां ड़ालने दोगी लंड़ को?
नेहा : (तनिक गुस्से से) तुम भी न, मैं और नहीं बोलूंगी
सनी : (प्यार से) बोल न प्लीज, अब ये मत बोलना तुझे ये भी नहीं पता की मैंने कहां ड़ाल के रखा हुअ है? ले मैं उसका भी नाम बता देता हुं उसेको "चूत"
कहते हैं नेहा जहां मेंरा लंड़ घुसा हुआ है अभी।
नेहा फ़िर थोड़ा हुचकते और शरमाते हुए) मैं रोज तुमको ल्ल्ल्लंड़ च्च्च्च्च्चूत में ड़ालने दूंगी कभी मना नही करुंगी।
सनी : और पिछे?
नेहा : अब मैं और कुछ नहीं बोलुंगी जो बोलना था सो बोल दिया?

सनी उस्स्को और परेशान नहीं करता और उसको चूमने लगता है। दरासल वो ये चाहता था कि तन के साथ नेहा उसके साथ मन से भी खुल जाय तो उसे चोदने में और भी मजा आयेगा।

वो फ़िर से अपने धक्के तेज कर देता है और नेहा की बुर में अपना लंड़ पेलने लगता है। कुछ देर तक अपना लंड़ नेहा की बुर में पेलने के बाद अचानक नेहा जोर से सनी को पकड़ लेती है फ़िर एकदम से निढाल पड़ जाती है और अपने दोनों हाथों को सर के उपर ले जा कर ढीला छोड़ देती है और अपना सर एक तरफ़ लुड़का देती है। उसकी आंखो में आंसू की बुंदे टपक जाती है। कई महिनों के बाद दमित इच्छा पूरी होने से खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू निकल जाते हैं।

सनी भी उसे देख कर समझ जाता है की अब ये झड़ चुकी है। कुछ ही क्षणों मे वो सनी से कहने लगती है प्लीज अब बस करो छोड़ दो मुझे . सनी भी काफ़ी थक चुका था वो नेहा को जोर से भींच कर अपने धक्के तेज कर देता है और उसे तेजी से चोदने लगता है। कुछ ही क्षणों में उसका वीर्य भी बाहर आने लगता है, जैसे ही वो स्खलित होता है वो अपना लंड़ तुरंत नेहा की चूत से बाहर निकालता है और नेहा का हाथ पकड़ कर अपना लंड़ नेहा के हाथ में रख देता है और उसे हिलाने लगता है। कुछ ही क्षणों में उसके लंड़ से वीर्य की एक पिचकारी निकलती है जिसे वो नेहा के मुँह में उंड़ेल देता है और हांफ़ता हुआ पलंग में नेहा के बगल में लेट जाता है और नेहा के नंगे बदन से लिपट जाता है।
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