Behen ki Chudai बहन का दांव
09-25-2018, 01:28 PM,
#41
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
''उम्म्म्ममममममममममम येस्स्स्स ............ ओह मोनू ...... बहुत अच्छा लग रहा है ............ हहsssssssssssssssssssssss ...क्या फीलिंग है .......... आई एम लविंग इट ................ उम्म्म्मममममममम .....करते रहो .... ऐसे ही ....''
पहली बार में ही जैसे रश्मी को चस्का लग गया चुदाई का...उसका मन कर रहा था की वो जिंदगी भर ऐसे ही लेटी रहे और मोनू पीछे से उसकी चूत मारता रहे... पर ऐसा हो सकता तो दुनिया के सारे लड़के-लड़कियाँ इसी काम मे लगे रहते...उपर वाले ने आख़िर झड़ने का भी रूल बनाया है...अगर सेक्स करने के बाद कोई झड़े नही तो कितने भी घंटे या दिनों तक लगे रहते ये कोई नही जानता... और इस समय अपने लंड पर झड़ने का दबाव मोनू महसूस कर रहा था...क्योंकि रश्मी की करारी चूत थी ही इतनी कसी हुई की वो उसके लंड को निचोड़ सा रही थी...
इसलिए वो हर एंगल से मज़े लेना चाहता था....उसने रश्मी की चूत से लंड बाहर खींच लिया...रश्मी को तो लगा जैसे किसी ने उसकी जान ही निकाल ली है...वो उसको वापिस अंदर लेने के लिए तड़प सी उठी... मोनू ने उसको पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोनो टांगे खोल दी...और अपने लंड को बीच मे रखकर उसके उपर झुक गया...मोनू का लंड एक बार फिर से सरसराता हुआ उसके अंदर प्रवेश कर गया...और आनंद मे भरकर रश्मी की आँखे अपने आप बंद हो गयी...उसने अपनी दोनो टांगे फेला दी..और अपने हाथ भी दोनो दिशा मे फेला कर अपने आप को मोनू के सामने पूरा खोल कर रख दिया..[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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09-25-2018, 01:28 PM,
#42
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
मोनू भी उसके सेक्स से भरे चेहरे को देखता हुआ, उसे चूमता हुआ, ज़ोर-2 से झटके मारने लगा... ऐसी कामुक चुदाई तो उसने रुची के साथ भी नही की थी...रश्मी के हिलते हुए मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे..इसलिए वो एक झटका धीरे और दूसरा तेज मारता जिसकी वजह से वो मुम्मे थोड़ा रुकते और फिर उपर उछलते...
मोनू : "ओह दीदी ................... सच मे ................. कमाल हो आप........... ऐसा मज़ा तो मुझे रुची के साथ भी नही मिला आज तक ................ आई लव यू दीदी ..................''
अपनी ऐसी तारीफ सुनकर रश्मी भी खुश हो गयी और उसने उपर होकर मोनू को चूम लिया, चूम क्या लिया उसे चूस सा लिया..
और फिर रश्मी ने उसको नीचे पटका और खुद उसके लंड पर चढ़ गयी....उसका चेहरा इस बार मोनू के पैरों की तरफ था...इसलिए मोनू के सामने उसकी भरी हुई गांड थी....जिसे हाथ मे लेकर वो उसे अपने लंड जोरों से पटक रहा था ...
और काफ़ी देर से चुदाई करने की वजह से अब वो झड़ने के बिल्कुल करीब था...अब वो खुद को रोकना नही चाहता था...इसलिए उसने रश्मी को पीछे करते हुए अपना लंड बाहर निकालना चाहा...पर रश्मी ने उसे रोक दिया और बोली : "नही ......मत निकालो ...अंदर ही करो ...... मैं गोली ले लूँगी ..... पहली बार मे मैं तुम्हे पूरा महसूस करना चाहती हू .....''
वो भी झड़ने के बिल्कुल करीब थी.....इसलिए वो ज़ोर-2 से उसके लंड पर कूदने लगी...
और फिर उसे अपने अंदर एक गोली सी छूटती हुई महसूस हुई...जो मोनू के लंड से निकली थी....उसके लंड का रस किसी गोली की तरह महसूस हुआ उसे अपने अंदर...और उसे महसूस करते ही उसकी चूत की दीवारों ने भी नमी छोड़नी शुरू कर दी...और वो भी मोनू के साथ-2 झड़ने लगी..
''अहह ..... ओह मोनू ............. वॉट ए फीलिंग ................ उम्म्म्मममममममममममममममम .....मज़ा आ गया ................... अहह ...''
मोनू के लंड से मिलकर उसका रस भी इतना अधिक हो गया की झटके के साथ-2 वो भी बाहर निकलने लगा.... सारा का सारा रस निकल कर उसी वक़्त मोनू की जांघों पर आ गिरा....और वो भी हाँफती हुई सी उसके पैरों पर गिर पड़ी... थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद वो पलटी और खिसक कर उसकी छाती से लग गयी...और कुछ ही देर में सो भी गयी... मोनू के लंड से और उसकी चूत से रस निकल कर ना जाने कितनी देर तक नीचे पड़े नोटों पर गिरता रहा... सुबह रश्मी की नींद जल्दी खुल गयी..और उसने अपने कपड़े पहने, और अपनी माँ के पास जाकर लेट गयी.. दीवाली का दिन था, इसलिए सोई नही वो उसके बाद...पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई की...मोनू के कमरे में गयी और उसे नहाने के लिए भेजा...बिस्तर की हालत देखकर उसे खुद ही बड़ी शर्म आई...काफ़ी नोट फट चुके थे..कई नोटों पर खून की बूंदे और कई पर उनके प्यार की मिली जुली निशानी चमक रही थी...उसने उन ख़ास नोटों को अलग रख लिया निशानी के तोर पर और बाकी नोटों को समेट कर अलमारी में रख दिया...
अब दोनो को शाम का इंतजार था.. दीवाली का दिन था इसलिए पूरे दिन घर में कोई ना कोई मेहमान या गली में रहने वाले लोग आते-जाते रहे...दीवाली की शुभकामनाए और मिठाई के साथ... रश्मी ने भी काफ़ी गिफ्ट और मिठाइयाँ ली और अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाकर दे आई...ये सब करते-2 कब शाम हो गयी उसको भी पता नही चला..मोनू घर पर ही था..सुबह से माँ की तबीयत ठीक नही लग रही थी इसलिए वो उनके साथ ही रुका हुआ था. शाम को जब तक रश्मी घर पहुँची, डॉक्टर उनके घर से निकल रहा था..जिसे देखकर रश्मी घबरा गयी..वो भागती हुई उपर के कमरे में गयी, मोनू अपनी माँ के पास बैठा था. पूछने पर पता चला की उन्हे साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है...शायद नजला जम गया है और उसकी वजह से उनके हार्ट पर भी ज़ोर पड़ रहा है..इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी की इन्हे एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कर दो और नेबोलाइस करवा लो...साथ ही साथ हार्ट पर जो दबाव पड़ रहा है उसकी भी जाँच हो जाएगी...
प्रोसिज़र तो सिंपल था और सिर्फ़ एक ही दिन का था..पर मुसीबत ये थी की त्योहार का दिन था..पर माँ की तबीयत पहले है, इसलिए दोनो भाई बहन उसी वक़्त माँ को हॉस्पिटल ले आए...वैसे भी उनके पास अब पैसों की कमी तो थी ही नही ..माँ को एडमिट करवाया , मोनू ने कहा की वो उनके साथ ही रुकेगा..और रश्मी को वापिस घर भेज दिया...और साथ ही साथ उसने रुची को भी फोन करके बोल दिया की वो आज रात के लिए उसके घर पर ही रुक जाए, क्योंकि रश्मी को वो अकेला नही छोड़ना चाहता था.[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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09-25-2018, 01:28 PM,
#43
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
रश्मी करीब 9 बजे घर वापिस पहुँची..और थोड़ी ही देर मे रुची भी आ गयी..उसकी माँ छोड़ने आई थी उसको..दोनो ने मिल कर खाना खाया.. रश्मी ने टाइम देखा, लाला और दूसरे जुआरियों के आने का टाइम होने वाला था...वो दुविधा में थी की क्या करे..उसने मोनू को फोन किया, उसने रश्मी को निश्चिंत होकर खेलने की सलाह दी...माँ तो ठीक ही थी..और रश्मी के साथ रुची भी थी, इसलिए मोनू ने बिना डरे उसे आज भी खेलने के लिए कहा..क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की आज दीवाली का दिन है, और अगर आज रश्मी की किस्मत ने साथ दिया तो काफ़ी पैसे जीत सकती है वो..रश्मी के मन में भी लालच था..पर पैसों का नही , किसी और चीज़ का..
खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे की आज की रात रश्मी अकेली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कैसे मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने लगे.. आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.
रुची को भी ये सब देखकर काफ़ी रोमांच का एहसास हो रहा था..पिछली बार भी उसे बड़ी उत्सुकतता थी की कैसे रश्मी इस खेल को खेलती है...आज वो उसके साथ पूरी रात यही रहने वाली थी, इसलिए पूरी गेम को देखकर वो भी कुछ नया सीखना चाहती थी...पर उसे क्या पता था की रश्मी किस तरह के खेल खेलती है.. रश्मी के कहने पर रुची ने किचन संभाल ली और सबके लिए कुछ स्नेक्स का इंतज़ाम करने लगी..और बाकी सभी लोग टेबल के चारों तरफ बैठ गये और खेल शुरू कर दिया.
लाला तो कल रश्मी के हुस्न का दीदार कर ही चुका था..उसे पूरा नंगा देखकर...उसे चूस्कर...बस चुदाई की कमी रह गयी थी..वो ये बात भी जान चुका था की रश्मी अभी तक कुँवारी है..पर बेचारे को ये बात नही पता थी की कल रात ही मोनू ने उसकी चुदाई करके उसे कली से फूल बना दिया है.. और रिशू और राजू भी अपनी ललचाई हुई नज़रों से रश्मी के जिस्म को देख रहे थे..आज त्योहार का दिन था इसलिए उसने काफ़ी सेक्सी रेड कलर का टॉप पहना हुआ था..जिसमे से उसकी क्लीवेज साफ़ दिख रही थी 
रुची भी कम नही लग रही थी...उसने भी डोरी वाला येल्लो टॉप पहना था और स्लीवलेस होने की वजह से उसकी गोरी और सुडोल बाहें काफ़ी सेक्सी लग रही थी..नीचे की जीन्स मे उसकी फंसी हुई गांड , जिसे मोनू ने मार-मारकर इतना टेंप्टिंग कर दिया था की हर लोंडे की नज़र उसके मोटे उभारों से पहले नीचे की फेलावट पर जाती थी.. कुल मिलाकर आज की रात दोनो सहेलियाँ कयामत ढा रही थी..
खेल शुरू हुआ..आज की रात लाला अकेला ही आया था..जीवन किसी बड़े क्लब में अपनी किस्मत आज़माने गया हुआ था..आख़िर दीवाली पर जुआ खेलने का मौका रोज-2 तो आता नही है ना.. लाला ने पत्ते बाँटे...और पहली बाजी शुरू हुई..रुची भी तब तक सबके लिए कबाब तल कर ले आई और रश्मी की बगल मे बैठकर खेल को समझने की कोशिश करने लगी..
आज पहले ही तय हो चुका था की 500 की ब्लाइंड होगी, इसलिए सबने एक के बाद एक ब्लाइंड फेंकनी शुरू कर दी..4 ब्लाइंड चलने के बाद रिशू ने अपने पत्ते उठाए और उसने खुशी -2 दो हज़ार की चाल चल दी.. उसकी चाल आते ही राजू ने भी पत्ते उठा लिए और काफ़ी सोचने के बाद उसने भी चाल चल ही दी.. पर रश्मी ने अपने पत्ते नही उठाए और एक हज़ार की ब्लाइंड चल दी...और उसकी देखा देखी लाला ने भी हज़ार की ब्लाइंड चल दी..
अब दो लोग चाल पर थे और दो ब्लाइंड पर.. रिशू ने बड़े ही आराम से एक बार फिर से चाल को डबल किया और 4 हज़ार की चाल चल दी..राजू के पास पेयर था 4 का..इसलिए उसकी फटने लगी थी...उसे पता चल गया की हो ना हो रिशू के पास 3 पत्तों वाला कुछ आया है...कलर या सीक़वेंस..इसलिए उसने पेक कर दिया .. अब रश्मी ने अपने पत्ते उठा ही लिए...पर बड़े ही बेकार से थे वो...इसलिए उसने भी पेक कर दिया..
और वो इस पहली हार मे ही समझ चुकी थी की हर बार की तरह अभी उसका लक क्यो काम नही कर रहा ...क्योंकि उसने आज अंडरगार्मेंट्स पहने हुए थे...कल वो देख ही चुकी थी की अंदर के कपड़े उतारने के बाद ही उसका टोटका काम कर रहा था..इसलिए वो उठी और उपर के कमरे की तरफ चल दी..ये बोलकर की बस 1 मिनट में आई... रुची पीछे से बैठकर उन लोगो का खेल देखने लगी..[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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09-25-2018, 01:28 PM,
#44
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
लाला ने जब देखा की रश्मी ने पेक कर दिया है तो उसकी रूचि भी खेल मे ख़त्म हो गयी और उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास 9 का पेयर आया था...पर फिर भी रिशू का कॉन्फिडेंस देखकर उसने शो माँग लिया.. रिशू ने अपने पत्ते दिखाए , उसके पास सीक़वेंस था..और वो भी 1,2,3 का..
उसने मुस्कुराते हुए सारे पैसे समेट लिए..करीब 15 हज़ार आए उसके पास.. तभी रश्मी भी वापिस आ गयी..और किसी ने तो नही पर लाला ने उसके हिलते हुए मुम्मे देखकर ये अंदाज़ा लगा ही लिया की वो ब्रा उतारकर आई है...वो भी लाला की आँखो मे देखकर मुस्कुराती हुई अपनी सीट पर बैठ गयी..
रुची वापिस सोफे के हत्थे पर चड़कर बैठ गयी...और अचानक उसने नोट किया की वो रश्मी के गले में काफ़ी अंदर तक देख पा रही है...जबकि पहले ऐसा नही था..उसकी ब्रा गायब थी... उसने रश्मी के कान मे फुसफुसाते हुए कहा : "तेरी ब्रा कहाँ गयी...सब सॉफ-2 दिख रहा है..''
रश्मी (धीरे से) : "वो मैने उतार दी...चुभ रही थी निगोडी..''
रुची : "पर ये सब देख रहे हैं...लाला को देख ज़रा..तेरे बूब्स को कैसे घूर रहा है..''
रश्मी : "तभी तो उतारी है...ताकि ये घूर सके मुझे...''
रश्मी के मुँह से ऐसी बेशर्मी भरी बात सुनकर रुची चोंक गयी...वो बेचारी नही जानती थी की ये गेम आगे चलकर किस लेवल तक जाने वाली है...
अगली गेम शुरू हुई,और 3 ब्लाइंड के बाद इस बार रश्मी ने अपने पत्ते उठा लिए..और फिर उसने वो किया जिसकी उम्मीद लाला को तो थी पर और किसी को नही..उसने अपने पत्ते दाँये हाथ मे पकड़े हुए थे...और अचानक उसी हाथ को अपनी टॉप के गले से अंदर डालकर अपने मुम्मों पर रगड़ डाला और जब सभी उसकी इस हरकत को देखकर आँखे फाड़ने लगे तो वो बोली : "उफफफफ्फ़.... ये मच्छर भी ना....''
रुची का तो मुँह खुला का खुला रह गया...रश्मी ने जिस बेशर्मी से अपनी गहरे गले की टॉप में हाथ डालकर अपने मुम्मो को रगड़ा था, सामने बैठे हर इंसान ने वो हरकत देखी थी...पहले तो वो ब्रा उतार आई और उसके बाद इतनी बेशर्मी से वो हाथ अंदर डालकर अपने बूब्स रगड़ रही थी जैसे उन्हे नोच डालेगी..
अब उसे क्या पता था की वो तो अपना टोटका बैठाने की कोशिश कर रही थी...अपने मुम्मों पर अपने पत्ते रगड़कर वो उनकी किस्मत बदल देना चाहती थी..और अपनी भी..
और उसके मुम्मों से रगड़ खाकर जैसे उन पत्तों की किस्मत सच मे बदल चुकी थी...उसके पास पान के पत्तों का कलर आया था..उसने मुस्कुराते हुए 2 हज़ार डाल दिए बीच में और चाल चल दी..और वो भी हल्के से अपनी चूत से रगड़कर ...जिसे लाला के अलावा किसी और ने नोट ही नही किया...रिशू और राजू तो अभी तक उसके बिना ब्रा के मुम्मों के उपर लगे निप्पल के इंप्रेशन को देखकर सकते में थे...
लाला ने भी अपने पत्ते उठाए...और टोटके पर टोटका चलाते हुए उसने भी उतनी ही बेशर्मी से अपने लंड के उपर उन्हे रगड़ा और पत्ते देखे.. उसके पास भी कलर आया था...और वो भी पान का...पर जाहिर सी बात थी , दोनो के नंबर्स अलग थे...और ये बात तो तब साबित होती जब दोनो का शो होता..
राजू ने पत्ते उठाए और देखते ही पेक कर दिया..रिशू का भी यही हाल था...उसके पास भी सिर्फ़ इक्का आया था और दो छोटे पत्ते...सामने से दो चाल आ चुकी थी, इसलिए उसने भी पेक कर दिया.. अब बचे थे सिर्फ़ लाला और रश्मी...

लाला सोचने लगा की काश कल की ही तरह वो लोग आज भी अकेले में होते तो इतने नाटक ना करने पड़ रहे होते अभी तक..सीधा अपने वाले खेल में आ चुके होते दोनो..जिसमे जीतने के बाद रश्मी खुश होकर खुद ही अपने कपड़े उतार कर उसके साथ मज़े ले रही थी..
मज़े लेने के मूड में तो वो आज भी थी..और वो तो हमेशा से ही तैयार रहता था..पर रिशू और राजू के सामने वो कैसे करे, यही पंगा था..और उपर से रुची भी साथ मे थी ...ऐसे मे आज की रात कुछ भी कल जैसा होना मुश्किल सा लग रहा था उसे..
पर वो नही जानता था की रश्मी के दिमाग़ में क्या चल रहा है..पैसे जीतना आज रश्मी की मंशा नही थी..आज की रात तो वो कल की रात से भी ज़्यादा मज़े लेना चाहती थी..और वो भी सब के साथ..क्योंकि कल की ताज़ा चुदी चूत में एक बार फिर से खुजली होनी शुरू हो चुकी थी...और वो ये सोच रही थी की जब मोनू के अकेले लंड ने उसे इतने मज़े दिए हैं तो इन तीनो के लंड मिलकर उसे कितना मज़ा देंगे..
इसलिए उसने अपनी योजना को अंजाम तक ले जाने के लिए अपने जलवे बिखेरने शुरू कर दिए.. और उसने हज़ार के 2 नोट लेकर एक बार फिर से अपनी टॉप के अंदर डाला और अच्छी तरह से घुमा कर उन्हे नीचे फेंक दिया.. रुची एक बार फिर से बेहोश होती-2 बची... राजू और रिशू भी समझ चुके थे की वो रश्मी का कोई टोटका है..क्योंकि ऐसे खेल के खिलाड़ी सब जानते हैं..और ये जानकार की रश्मी का टोटका इतना सेक्सी है , उनकी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी..
रश्मी बड़े ही कामुक तरीके से लाला को देखते हुए वो सब कर रही थी...इसलिए रिशू और राजू को ये समझते भी देर नही लगी की कल उपर वाले कमरे में क्या-2 हुआ होगा...जब उनके सामने बैठकर ही रश्मी इतनी बेशर्मी दिखा रही है तो उपर उसने क्या नही किया होगा.. रुची एक बार फिर से फुसफुसाई : "रश्मी, तू पागल हो गयी है क्या...ये क्या बेशर्मी है...कर क्या रही है तू...''
उसकी बात पास बैठे रिशू ने सुन ली, और बोला : "ये शायद इसका टोटका है...और ऐसे टोटके करने से बाजी जीती जाती है...क्यो लाला भाई, सही कहा ना मैने...''
और ये सुनकर तीनो बड़े ही भद्दे तरीके से ठहाका लगाकर हँसने लगे...
लाला : "हाँ रिशू, तूने बिल्कुल सही पकड़ा...और मैने कल उपर देखा था, रश्मी के ऐसे टोटकों की वजह से ही मैं पूरा नंगा हो गया था कल..''
सबने उसकी तरफ घूर कर देखा
लाला : "मेरा मतलब , मेरे सारे पैसे लूट लिए थे इसने...सच मे बड़े कमाल के टोटके होते हैं इसके...''
वो एक बार फिर से उसके मोटे-2 मुम्मों को घूरता हुआ बोला .. रुची की तो कुछ समझ मे नही आ रहा था...वो सोच रही थी की जब इस बात का मोनू को पता चलेगा तो वो कैसे रिएक्ट करेगा...उसकी बहन उसके दोस्तों के सामने कितनी बेशर्मी से पेश आ रही है.. और रुची को ये बात पता नही थी की ऐसे टोटके अपनाने के लिए उसे मोनू ने ही उकसाया था.. लाला की बारी आई...और वो तो था ही एक नंबर का हरामी..उसने भी 2 हज़ार रुपय उठाए और उन्हे अपने लंड से रगड़ने लगा...इतना रगड़ा की पेंट के नीचे से उसका उभार खड़ा होकर सॉफ दिखाई देने लगा...उसकी लंबाई का अंदाज़ा सॉफ लगाया जा सकता था.. रिशू और राजू भी उसकी बेशर्मी पर एक दूसरे को आँख मारकर मज़े लेने लगे... और रश्मी अगली चाल के लिए फिर से अपने मुम्मों पर नोट रगड़ने लगी.. पर इन सबके बीच रुची की हालत खराब थी...उसे वैसे ही मोनू की बड़ी याद आ रही थी..और अपने सामने लाला को इतनी बेशर्मी से अपने लंड को रगड़ते देखकर और फिर उसके लंड की लंबाई को देखकर उसके अंदर धुंवा सा उठने लगा था..चूत की भट्टी में कोयले सुलगने लग गये थे..वहाँ से आँच निकलनी शुरू हो गयी...और उसकी जांघों के बीच चिपचिपाहट महसूस होने लगी उसे.. अपने मुम्मों से रगड़ने के बाद रश्मी ने एक और डेयरिंग दिखाई और उन्ही पैसों को अपनी चूत वाले हिस्से से भी रगड़कर एक ही झटके में नीचे फेंक दिया...[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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09-25-2018, 01:28 PM,
#45
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
उसका डबल अटैक था ये...मुम्मे और चूत की रगड़ाई एक साथ... अब ये काम लाला तो कर नही सकता था...लड़कियों की तरह लड़कों के पास 2-3 चीज़ें तो होती नही है, यानी मुम्मे ,चूत और गांड ...उनके पास तो ले देकर सिर्फ़ और सिर्फ़ लंड ही है...वो उसी पर फिर से पैसे रगड़कर अपनी चाल चलने की तैयारी करने लगा..और इस बार वो भी एक कदम और आगे बड़ गया...उसने पेंट की जीप खोली और पैसे अंदर डालकर उन्हे नंगे लंड से रगड़ दिया..
रिशू और राजू ने ऐसा मुँह बनाया जैसे उन्हे वो देखकर घिन्न आ रही है...पर रश्मी और रुची ही जानते थे की लाला की इस हरकत से उनकी चूत से कितनी चिंगारियाँ निकली हैं... रश्मी तो कल वो सब अच्छी तरह से महसूस कर ही चुकी थी, पर फिर भी आज एक नये सिरे से और वो भी सबके सामने महसूस करने का एहसास अलग ही था...वो कल से भी ज़्यादा उत्तेजित महसूस कर रही थी अपने आप को. और रुची का तो पूछो ही मत...वो तो सोफे के कुशन वाले हत्थे पर दोनो तरफ टांगे करके ऐसे बैठ गयी जैसे घोड़ी पर बैठी है...और धीरे-2 हिलते हुए उसपर अपनी चूत रगड़ने लगी...और रश्मी को तो क्या , उस रूम मे बैठे हर इंसान को उसकी चूत से निकल रही खुश्बू आ रही थी...इतना तेल निकल रहा था उसकी चूत की फैक्टरी से...
उसकी हिलने की स्पीड काफ़ी स्लो थी, इसलिए पास बैठी रश्मी ही महसूस कर पा रही थी,क्योंकि दोनो सट कर बैठी हुई थी.....और रश्मी खुश थी की रुची भी इस खेल के मज़े ले रही है...उसका मज़े लेना ज़रूरी था, क्योंकि वो अगर साथ नही देगी तो आज की रात वो सब नही कर पाएगी,जो उसने सोच रखा था... रश्मी के टॉप का गला काफ़ी नीचे आ चुका था...और उसके मुम्मे आधे से ज़्यादा दिखाई दे रहे थे... अगली चाल चलने के लिए उसने 4 हज़ार रुपय निकाले और उन्हे फिर से उनपर रगड़ने लगी...और अचानक उसे घूर-2 कर देख रहे रिशू को उसका निप्पल दिखाई दे गया..रश्मी ने आवेश मे आकर शायद कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से अपनी टॉप के गले को नीचे खींच दिया था..पर जब तक वो राजू को इशारे से बता पाता ,उसका पिंक निप्पल अंदर जा चुका था..पर वो खुश था अपनी किस्मत पर की उसने वो मोटा सा निप्पल देख लिया...वो ये सोचने लगा की जब वो अपने दाँतों के बीच रखकर उसे चबायेगा और रश्मी सिसकारियाँ मारकर उसे अपनी छाती से दबा लेगी, कितना मज़ा आएगा...
इतना सोचते हुए उसके मुँह से लार निकल कर उसकी शर्ट पर गिर गयी...शायद सोचते-2 वो अपना मुँह बंद करना भूल गया था.. लाला भी समझ चुका था की गेम फँस चुकी है...दोनो के पास बड़िया पत्ते ही आए हैं.. पर उसे पैसे हारने की नही बल्कि जल्द से जल्द कल वाले खेल को पूरा करने की चिंता थी...इसलिए एक बार फिर से रश्मी को उकसाने के लिए वो बोला : "तुम चाहे जीतने भी जतन कर लो..अपने हुस्न का इस्तेमाल करके,चाहे जो भी टोटके अपना लो, मुझसे आगे नही निकल पाओगी ...''
अपनी पेंट की जीप तो वो खोल ही चुका था, और उसके लंड का उभार सिर्फ़ अंडरवीयर में क़ैद होकर सॉफ दिखाई दे रहा था..इस बार उसने अपने अंडरवीयर को नीचे खींचा और लंड को नंगा कर दिया...उसका काला नाग फ़ुफ़कारता हुआ सा सबकी नज़रों के सामने आ गया.. रश्मी वो देख चुकी थी, पर फिर भी उसके मुँह से आह निकल ही गयी...रिशू और राजू के लिए ये कोई नया नही था, उन सबने मिलकर पहले भी कई रंडियों को चोदा था, इसलिए एक दूसरे का लंड देखना आम बात थी उनके लिए.. पर रुची का क्या, वो तो नयी थी इन सबके लिए...उसने तो आज तक अपनी लाइफ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ मोनू का 6 इंची लंड ही देखा था..उसके लिए ऐसा 8 इंची लंड देखकना किसी बड़े झटके से कम नही था...और उपर से लाला ने उसे वापिस अंडरवीयर में धकेलने की भी कोई जहमत नही उठाई...पेंट की जीप की लंबाई के पीछे उसका लंड किसी खीरे जैसा लग रहा था..बस फ़र्क ये था की उसपर मोटी-2 नसें चमक रही थी..जिसे देखकर घोड़ी पर बैठी रुची की स्पीड थोड़ी और तेज हो गयी और इस बार सबने उसकी हिलने की हरकत को नोट किया और समझ भी लिया की वो कर क्या रही है..
रश्मी ने उसे ऐसा ना करने के लिए कहा, क्योंकि सबकी नज़रें रुची पर ही थी इस वक़्त.. रश्मी ने इस बार 4 हज़ार रुपय फेंक कर शो माँग ही लिया..क्योंकि उसे अंदर से लगने लग गया था की वो ये गेम हारने वाली है.. उसके पास पान का कलर था, और नंबर थे 4,5 और गुलाम...
लाला ने अपने पत्ते फेंके, उसके पास भी पान का कलर था था, और नंबर थे 2,9, और बेगम... यानी लाला वो गेम जीत गया...उसने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..और उनमे से कुछ नोट उठा कर अपनी खड़े हुए लंड से छुआ दिए...और इस बार अपने लंड को पूरा बाहर खींचकर...और उसमे से निकल रहा प्रीकम उन नोटों पर लगाकर... उसकी हँसी मे रिशू और राजू भी उसका साथ दे रहे थे...शायद तीनों ने आँखों ही आँखों मे ये डिसाईड कर लिया था की आज की रात वो क्या करने वाले हैं.. और लाला को अपने लंड की कलम से लाल नोटों पर कुछ लिखता देखकर रुची तो बावली हो गयी...उसने पहली बार उसकी लंबाई को पूरी तरह से देखा...वो काफ़ी लंबा था...मोनू के मुक़ाबले काफ़ी लंबा..उसक तो दिल कर गया उसे अपने अंदर लेने का..
उसका तो मन किया की लाला के लंड को हाथ में लेकर उसकी मुठ मार दे , और उसकी खुली आँखों के सामने वो दृशय एकदम से आ गया जिसमे उसके कोमल हाथों में लाला का कड़क लंड था और वो उसे आगे पीछे कर रही थी और ऐसा सोचते ही उसका हाथ अपने आप अपनी चूत की तरफ चला गया...और तब उसे पता चला की उसने वहाँ कितना कीचड़ फेला रखा है...
एक तो पहले से ही रश्मी ने आतंक मचा रखा था, अपने मुम्मे दिखाकर..उपर से रुची को ऐसी हरकत पर उतरता देखकर सबकी आँखों की चमक और बढ़ गयी...ये सोचकर की शायद आज की रात इन दोनो को रंडियों की तरह चोदने का मौका मिलेगा.. पर वो कैसे होगा और कब होगा , इसके लिए पूरी योजना बनाने कि जरूरत थी... और इसके लिए रिशू के पास एक प्लान था 
रिशू : "यार, तुम लोग जिस तरह से कर रहे हो, वैसा तो मैने एक क्लब में भी होते हुए देखा है... और उस गेम को कहते हैं स्ट्रीप पोकर ...''[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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09-25-2018, 01:28 PM,
#46
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
स्ट्रीप पोकर का नाम सुनकर सभी चोंक गये...वो समझ गये की वो क्या कहना चाहता है..यानी खेलते-२ हारने वाला अपने कपड़े भी उतारता जाता है 
रिशू : "देखो, इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नही है, लाला और रश्मी तो पहले से लगभग वही खेल खेलने में लगे हैं..और जैसा की सभी जानते हैं की इस खेल मे जो हारता जाएगा वो अपने पैसों के साथ-2 एक कपड़ा भी निकालता जाएगा..जब ये दोनो मज़ा ले रहे हैं तो हम लोग क्यो ना ले..बोलो..''
सभी उसके चेहरे को देखने लगे..राजू और लाला को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...वैसे रश्मी भी तो वही सोच कर बैठी थी , पर खुलकर नही बोल सकती थी वो..और रही बात रुची की तो उसे तो ऐसी ठरक चढ़ी हुई थी की इस वक़्त उससे तो कुछ भी करवा लो, वो मना नही करने वाली थी..
लाला : "मुझे कोई प्राब्लम नही है...ऐसे खेलने में मज़ा भी आएगा और जुआ भी चलता रहेगा..पर मेरी एक शर्ट है..इसमे रुची भी हिस्सा लेगी..वो ऐसे बैठकर हम लोगो को नंगा होते देखकर मज़े नही ले सकती...उसे भी इस खेल मे उतरना होगा...''
रुची तपाक से बोली : "मुझे कोई प्राब्लम नही है...''
उसकी उत्सुकतता देखकर सभी हंस दिए...और समझ भी गये की लोंडिया गरम है...वैसे भी खेल देखकर वो भी थोड़ा बहुत सीख ही चुकी थी बस फिर क्या था...अगली गेम की तैयारी होने लगी...
लाला ने पत्ते बाँटने शुरू किए...रुची उसकी बगल मे बैठी थी और उसके दूसरी तरफ राजू था..जिसकी जांघे रुची से टच कर रही थी.. सबने बूट के 500 डाल दिए..रुची को रश्मी ने अपनी तरफ से पैसे उधार दे दिए थे ,ताकि वो सबकी तरह खेल सके .. रुची अंदर से बड़ी ही रोमांचित थी...और वो खुशी उसके चेहरे पर सॉफ देखी जा सकती थी. लाला, राजू और रिशू तो जल्द से जल्द खेल के आख़िरी पड़ाव पर जाना चाहते थे, इसलिए किसी ने भी अगली ब्लाइंड का वेट ही नही किया, क्योंकि हार कर वो खुद नंगे होते और जीत कर उनको नंगा करते...दोनो ही सूरत मे उन्हे ही मज़ा मिलना था..
इसलिए सबसे पहले रिशू ने पत्ते उठा लिए..उसके पास 2,5,8 नंबर आए थे..बड़े ही बेकार थे वो..इसलिए उसने पेक कर दिया..और रूल के अनुसार उसे अपना एक कपड़ा उतारना था...उसने अपनी टी शर्ट उतार दी..और अब वो बनियान और पेंट मे बैठ था..उसका शरीर गोल मटोल सा था..पर था बड़ा ही गोरा, उपर से उसने अपनी बाजुओं और छाती के बालों को शेव करा रखा था..इसलिए चिकना और गोरा शरीर काफ़ी आकर्षित लग रहा था रश्मी और रुची को..
अगली बारी रश्मी की थी, उसने तो ब्लाइंड ही चली..और 500 को पिछली बार की तरह ही मुम्मों से रगड़ कर नीचे फेंक दिया.. फिर राजू की बारी आई, वो भी पहले से ही अपने पत्ते उठा चुका था..उसने झट से हज़ार का नोट नीचे फेंक दिया और वो भी अपने लंड से रगड़कर .. उसे ऐसा करते देखकर लाला बोला : "साले , तुझे भी अपने टोटके दिखाने की पड़ी है..''
वो अपनी खीँसे निपोरता हुआ बोला : "भाई, जब टोटका इतना बड़ा हो तो करने में क्या बुराई है...''
''बड़ा'' शब्द सुनते ही रश्मी और रुची एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दी...रश्मी सोचने लगी की क्या लाला से भी बड़ा होगा इसका..और रुची ये सोचने लगी की मोनू से भी बड़ा होगा क्या..
अब राजू की बारी थी...उसके पत्ते भी बेकार थे...उसने भी अपनी शर्ट उतार दी...उसने तो नीचे बनियान भी नही पहनी थी...इसलिए टॉपलेस होकर बैठ गया वो...वैसे भी उसका कसरती जिस्म था...इसलिए अपने मसल्स दिखाकर वो दोनो को इंप्रेस भी कर रहा था...और वो हो भी रही थी.. वैसे भी लड़की को हमेशा कसरती जिस्म वाले या जिम मे बनी बॉडीस पसंद आती है...
अब रुची की बारी थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सिर्फ़ बादशाह आया था, बाकी के दोनो पत्ते छोटे थे...वो थोड़ी परेशान सी हो गयी...रिशू पेक कर चुका था, इसलिए वो उठकर उसके पास आया और बोला : "कोई कनफुसन है तो मुझे दिखा दो...मैं बता दूँगा...''
उसने पत्ते दिखा दिए...और देखने के साथ ही वो बोला : "पेक कर दे...बेकार पत्ते हैं..''
वो इसलिए भी बोला की वो जल्द से जल्द उन दोनो को नंगा देखना चाहता था..और इसकी शुरूवात रुची से कर दी..
रुची का चेहरा शर्म से लाल हो गया...ये सोचकर की वो घड़ी आ गयी है जिसके बारे मे वो कुछ देर पहले सोच रही थी.. उसने तो एक येल्लो कलर का टॉप पहना हुआ था...और नीचे ब्रा थी..और नीचे उसने जीन्स पहनी थी.. अब वो सोच मे पड़ गयी की क्या उतारे...जीन्स तो सीधा उतार नही सकती थी वो...इसलिए उसने सकुचाते हुए अपने टॉप की डोरियाँ खोलनी शुरू कर दी.. कंधे पर बँधी दोनो डोरियों को जैसे ही उसने खोला, उसके टॉप का गला नीचे खिसक गया..और उसकी वाइट ब्रा में क़ैद कसे हुए मुम्मे सबके सामने प्रकट हो गये.
और एक पल के लिए पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया...सिर्फ़ ठरकियों की गहरी साँसे सुनाई दे रही थी कमरे में
रश्मी : "अरे भई, चाल भी चलो अगली....''
तब जाके सभी को होश आया...लाला की बारी थी..उसने अपने पत्ते देखे..उसके पास इकके का पेयर आया था....उसकी आँखे चमक उठी..उसने 2 हज़ार की चाल चली और पैसे लंड से रगड़ कर डाल दिए नीचे.. अब फिर से रश्मी की बारी थी, जिसने अपने पत्ते भी नही देखे थे अभी तक... उसने अपने पत्ते उठाए..और उसके पास बादशाह का पेयर आया...उसने भी खुश होते हुए पैसे दोबारा अपने मुम्मों से रगडे और नीचे फेंक दिए..
अब लाला ने पैसे फिर से डबल किए और चार हज़ार की चाल चल दी.. रश्मी के पास वैसे तो बड़ा पेयर था, पर उसे लगने लग गया की लाला के पास ज़रूर तीन पत्तों वाली कोई चीज़ आई है...उसने भी पैसे अपने मुम्मों और चूत से रगडे और उन्हे नीचे फेंक दिया..और शो माँग लिया.. रश्मी ने अपने पत्ते सामने रख दिए... और उन्हे देखकर लाला ने भी मुस्कुराते हुए अपने पत्ते उजागर कर दिए.. बादशाह के पेयर पर इकके का पेयर भारी था.. वो जीत गया था.. और गेम के रूल के अनुसार वो हारने वाली रश्मी से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सकता था.. और वो ये भी अच्छी तरह से जानता था की उसने कल की तरह आज भी अंडरगार्मेंट्स नही पहने हुए.. इसलिए उसने सबसे पहले उसे अपने सूट का टॉप उतारने को कहा..[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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09-25-2018, 01:28 PM,
#47
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
रश्मी तो उसके सामने खुल ही चुकी थी...बस थोड़ी बहुत झिझक दूसरो के सामने कपड़े उतारने की थी..और वैसे भी ये आज की रात तो होना ही था... इसलिए उसने एक गहरी साँस ली और आँखे बंद करके एक ही झटके में अपने सूट की कमीज़ को पकड़ा और उसे सिर से घुमा कर उतार दिया.. और अब रश्मी थी सबके सामने...उपर से नंगी. राजू और रिशू ने तो सोचा भी नही था की उसने अंदर ब्रा भी नही पहनी हुई...रश्मी ने अपने बालों से उन्हें छुपाने की कोशिश की आर उसके बालों की चादर के पीछे उसके मुम्मे उभरकर और भी सेक्सी लग रहे थे 
उसके मोटे और लचीले मुम्मे देखकर उन दोनो की तो आँखे ही फटी रह गयी...जिन्हे देखकर उन्होने ना जाने कितनी बार मूठ मारी थी...और राजू ने तो अपनी बीबी की चूत भी कितनी बार ये सोचकर मारी थी की उसके सामने रश्मी नंगी लेटी है...वही रश्मी आज अपने मुम्मों की नुमाइश लगाकर उनके सामने बैठी थी... उसके तने हुए बूब्स देखकर उन दोनो के मुँह मे पानी और लंड के सिरे पर पानी की बूँद उभर आई.. जो जल्द ही एक लावे का रूप लेकर उसपर बरसने वाली थी...
अभी तो खेल शुरू ही हुआ था. एक गेम में ही एक टॉपलेस होकर और दूसरी सिर्फ़ ब्रा में उनके सामने थी.. अगली 2-3 बाजियों मे तो पूरी नंगी करने का प्लान था उनको.. उन सभी चुप देखकर रश्मी से रहा नहीं गया 
रश्मी : "अरे, तुम तो ऐसे देख रहे हो जैसे कभी किसी के बूब्स देखे नही है...''
वो शायद थोड़ा मज़े लेने के मूड में आ चुकी थी...जब इतना कुछ खुलकर हो ही रहा था तो ऐसे चुप होकर क्यो बैठे..वैसे भी रश्मी ने तो सोचा था की उसे और रुची को ऐसे देखकर वो ज़रूर अपने दिल की ठरक निकाल कर बाहर रख देंगे..पर वो तो गूंगे कुत्तों की तरह अपनी जीभ निकाले उन्हे आँखे फाड़ कर देखने में लगे थे..
रिशू संभलता हुआ बोला : "जितने भी बूब्स देखे है रश्मी, तुम जैसे नही थे वो...ये जो तुम्हारे बूब्स है ना, इन्हे हम सभी ने अपनी आँखो के सामने बड़े होते हुए देखा है...पहले नींबू जैसे थे, छोटे-2 ...और शुरू में तो तुम उनपर ब्रा भी नही पहनती थी..इसलिए ये तुम्हारे लाल निप्पल दूर से ही दिखाई देते थे..फिर ये और बड़े हुए..मौसम्मी जितने ...पर ब्रा पहनने के बाद भी तुम्हारे ये नुकीले निप्पल हमें दूर से ही दिख जाते थे...और पता है, हम सभी चौराहे पर खड़े होकर हमेशा यही बात करते थे की तुम हो तो चुपचाप रहने वाली पर अंदर से तुम बड़ी गर्म होगी, क्योंकि ये खड़े हुए निप्पल निशानी होती है अंदर की आग की...और देख लो, हमारी बातें सच साबित हुई, आज जिस तरह से तुम हमारे सामने बैठी हो, वो यही साबित करता है की तुम शुरू से ही काफ़ी घुन्नी किस्म की लड़की थी, जो अब उभर कर सामने आई है..''
वो साला एक ही साँस में सब कहता चला गया...जो सही भी था.. रश्मी उसकी बात सुनकर मुस्कुराती रही...उसकी उंगलियाँ अपने आप अपने निप्पल्स को दबा कर उन्हे सुलाने की असफल कोशिश कर रही थी,पर हमेशा की तरह आज भी वो नाकाम थी. ये तो उसकी प्राब्लम थी,जब से उसके नींबू उगने शुरू हुए थे, उसने भी अपने अंदर आ रहे बदलाव महसूस किए थे, और उन माँस से भरे लचीले हिस्से को वो अकेले मे बैठकर दबाती रहती थी, और रुची के संपर्क मे आने के बाद जब उसे पता चला फिंगरिंग के बारे में तो नीचे से चूत को और उपर से अपने नींबुओं को मसलने में जो असीम आनंद उसे प्राप्त होता था, उसे तो वो आज भी शब्दों में बयान नही कर सकती थी...रोजाना नहाते हुए, शावर के नीचे नंगी खड़े होकर, गरमा गर्म पानी को अपने बदन पर महसूस करते हुए वो जब उपर और नीचे की ताल मिलाती थी तो वो एक आग का शोला बन जाती थी...और भरभराकर झड़ती थी उस गर्म पानी के नीचे..
और उन्ही ख़यालों मे डूब कर वो स्कूल जाती, और शायद तभी से इन ठरकियों की नज़र उसपर थी, क्योंकि स्कूल या कहीं भी जाते हुए उसके निप्पल्स हमेशा खड़े ही रहते थे.. और फिर उन नींबुओं को दबा-दबाकर उसने मौसम्मी बना दिया...और रसीला भी...और आज भी उसकी वो आदत बरकरार है, सोते हुए और नहाते हुए वो आज भी उन्हे दबाना और मसलना नही भूलती.. पर अब उसकी इस परेशानी से उसे छुटकारा मिल चुका था...पहले तो मोनू के द्वारा और अब शायद इनके हाथों का कमाल चलने वाला था उसके बूब्स पर...क्योंकि जिस तरह का खेल चल रहा था , उसके हिसाब से तो जल्द ही उन सबके हाथ रेंगने वाले थे उसपर.. खैर, अगली गेम शुरू हुई और पत्ते बाँटे गये...
लाला की बारी थी पहले, उसके पास इक्का ही आया था बस, उसने फ़ौरन पेक कर दिया..और साथ ही अपनी पेंट भी उतार दी, जुर्माने के तौर पर..
अब वो सिर्फ़ टी शर्ट और अंडरवीयर में बैठा था...और अंडरवीयर में उसका खड़ा हुआ लंड दूर से ही चमक रहा था, जिसे देखकर रुची और रश्मी के मुँह में पानी आ गया..
अगली बारी रिशू की थी...और लगातार दूसरी बार भी उसके पास बेकार पत्ते ही आए...उसने तो सोचा था की शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए और जीत जाए ताकि हारने वाली रश्मी या रुची से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सके या कुछ और करवा सके..
उसने पत्ते फेंक दिए और अपनी पेंट उतार दी..अब वो जोक्की और बनियान में ही था बस..
रुची ने पत्ते देखे, उसके पास 2 का पेयर था...अब इतना तो वो समझ ही चुकी थी की एक जैसे दो पत्ते आने पर वो चाल चलने लायक होते हैं, इसलिए उसने फ़ौरन हज़ार का नोट लिया और चाल चल दी..अपनी ब्रा से ढके मुम्मों से रगड़कर ..[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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09-25-2018, 01:28 PM,
#48
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
राजू ने पत्ते देखे, उसके पास भी कुछ खास नही था..सिर्फ़ इक्का , बादशाह और 7 नंबर थे...खेलने को वो इनपर भी खेल सकता था, पर जल्दी नंगा होकर शायद वो अपने लंड को उन सुंदरियों के सामने रखना चाहता था, इसलिए उसने भी पेक कर दिया और नीचे से पेंट उतार दी...बनियान तो उसने पहनी नही थी, इसलिए वो अब टॉपलेस होकर सिर्फ़ अपने अंडरवीयर में था..उसके कसरती जिस्म को देखकर रश्मी और रुची के जिस्म से गर्मी निकल रही थी...शायद ये सोचकर की उसके मसल्स को वो अपने नाज़ुक हाथों से रगडेंगी..
अब बारी थी रश्मी की, सारे लड़के तो पेक हो चुके थे और सिर्फ़ रुची की चाल आई थी...अब उसके साथ भला वो क्या मुकाबला करती,इसलिए उसने ब्लाइंड चलने के बदले पत्ते उठाना सही समझा..और पत्ते उठाते ही उसकी आँखे चमक उठी..उसके पास कलर आया था, ईंट यानी डायमंड का, नंबर थे 3,8 और बादशाह..
इतने बाड़िया पत्तों से तो वो अच्छे ख़ासे पैसे जीत सकती थी..पर अपनी ही सहेली से भला क्या खेले वो..फिर भी उसने एक चाल चल ही दी..2 हज़ार बीच मे फेंक कर.. अब अपने छोटे से पत्तों के उपर दूसरी चाल आते देखकर रुची समझ चुकी थी की रश्मी के पास भी बढ़िया पत्ते आए हैं...वैसे भी चाल चलने लायक पत्तों में सबसे छोटे पत्ते 2 का पेयर ही होते हैं...इसलिए उसने सरेंडर करना ही बेहतर समझा और 2 हज़ार फेंकते हुए अपने पत्ते नीचे कर दिए और शो माँग लिया..
और दूसरी तरफ रश्मी को पता था की रुची जैसी कच्ची खिलाड़ी उसके सामने टिक नही पाएगी...और उसके मुक़ाबले के पत्ते रुची के पास आना तो नामुमकिन ही था...इसलिए उसकी जीत तो सुनिश्चित थी..और हारने के बाद वो अगर रुची की जीन्स उतरवाती तो उसमे वो मज़ा नही आता जो वो काम करवाने से आने वाला था जो वो सोच रही थी...
रुची के पत्ते देखकर वो मुस्कुरा दी और अपने पत्ते सामने रख दिए...उसके पत्तों की सबने तारीफ की और रुची की तरफ आस भारी नज़रों से देखने लगे..शायद उसकी सुडोल जांघे और नंगी टांगे देखने का टाइम आ गया था...
लड़की जब एक-2 करके अपने जिस्म के कपड़े उतारती है तो उसे देखकर क्या मज़ा मिलता है वो एक लड़का ही समझ सकता है...और यही मज़ा लेने के लिए इस वक़्त सभी हरामी अपनी आँखे फाड़े बैठे थे वहाँ...वरना जिस तरह की बेशर्मी शुरू हो चुकी थी, उसके बाद तो वहाँ कब का ग्रूप सेक्स शुरू हो चुका होता..उन सभी को पता था की आख़िर में होना वही है,कोई रोकने वाला भी नही है, लड़कियाँ भी तैयार ही हैं...तो क्यों ना पहले मज़े ले-लेकर उनके जिस्म से परत दर परत कपड़े उतरने का मज़ा ले और बाद में पूरे मज़े..
पर रश्मी के दिमाग़ में जो शैतानी आ चुकी थी, उसके बारे में तो शायद उन्होने सोचा भी नही था रुची जैसे ही शरमाती हुई उठी और अपनी जीन्स के बटन खोलने लगी, रश्मी ने उसे रोक दिया और बोली : "नही रुची, ये नही...मुझे तुमसे कुछ और करवाना है..'' ये सुनकर रुची के साथ-2 सभी चोंक गये..
रुची ने कांपती आवाज़ में पूछा : "क ... क्या करना होगा मुझे ....''
वो सोच रही थी की शायद वो मेरी जीन्स के बदले पहले ब्रा उतारने को कहेगी...ताकि वो भी उसकी तरह टॉपलेस हो जाए और देखने वालों को मज़ा आए..
पर ऐसा कोई विचार नही था रश्मी के मन में .
रश्मी बोली : "तुम्हे मेरी स्लेव बनना पड़ेगा...''
रुची : "स्लेव ???? यानी तुम्हारी गुलाम ....??''
उसकी बात सुनकर सभी हैरत से एक दूसरे की तरफ देखने लगे...आख़िर रश्मी कहना क्या चाह रही थी...अच्छा भला, सीधा साधा सा खेल चल रहा था...स्ट्रीप पोकर में एक दूसरे को नंगा करने का...फिर ये स्लेव बनाने से क्या होगा...इससे अच्छा तो नंगा ही कर दो उसको...
पर जीती वो थी इसलिए मर्ज़ी भी उसकी ही चलनी थी, लाला ने सभी को चुप रहकर आगे का तमाशा देखने का इशारा किया..क्योंकि वो शायद समझ चुका था की रश्मी का दिमाग़ किस तरफ जा रहा है...और अगर वो सही है तो, रश्मी जो भी कर रही है, उसमे बहुत मज़ा आने वाला था..
रश्मी ने रुची को अपने साथ उपर चलने के लिए कहा..वो बेचारी अपनी आँखों में हज़ारों सवाल लेकर उसके पीछे -2 उपर वाले कमरे की तरफ चल दी.. और उनके जाते ही सभी एक दूसरे से ख़ुसर फुसर करने लगे...और उनके नीचे आने का इंतजार भी और करीब 10 मिनट के बाद उनके नीचे आने की आवाज़ सुनाई दी. सभी टकटकी लगाकर सीढ़ियों की तरफ देखने लगे.. और उन्हे देखकर सभी अपने खड़े हुए लंड के साथ - 2 खुद भी अपनी सीट से उठ खड़े हुए ... नज़ारा ही कुछ ऐसा था उनके सामने..
रश्मी ने सच मे रुची को अपनी स्लेव बना लिया था..उन दोनो ने कुछ अजीब से कपड़े भी पहन लिए थे...जिसमे रश्मी एक मास्टर और रुची उसकी स्लेव लग रही थी.. रुची को रश्मी ने एक चैन से बाँध रखा था...और वो अपने घुटनो और हाथों के बल किसी कुत्तिया की तरह चल रही थी उसके पीछे.. उन दोनो को ऐसे सेक्सी कपड़ों मे ऐसे मास्टर-स्लेव के किरदार मे आता हुआ देखकर सभी के लंड फटने वाली हालत में आ गये..
रश्मी ने काफ़ी इंग्लीश मूवीस देखी हुई थी और उसे बचपन से ही साइट्स पर इंग्लिश स्टोरीस पड़ने का भी शोंक था, और शायद ये आइडिया उसके दिमाग़ में वहीं से आया था, जो शायद वो कब से करना चाहती थी..और आज तो मौका भी था और दस्तूर भी... ऐसे मौके का फायदा उठाकर वो खेल-2 में सबका मनोरंजन भी कर रही थी और अपने -2 जिस्म की नुमाइश भी... रश्मी ने हील वाले सेंडिल पहने हुए थे और उपर से उसकी सेक्सी टांगे नंगी थी...और उसने रुची को एक सफेद शर्ट पहनाई हुई थी...जिसमें उसके लटक रहे मुम्मों पर चिपके निप्पल काफ़ी ख़तरनाक लग रहे थे.. रश्मी अपनी स्लेव को लेकर सोफे तक आई
रश्मी : "दोस्तों....ये है मेरी स्लेव....रुची ....''
रुची की शर्ट के 2 बटन खुले होने की वजह से उसके गोरे-2 बूब्स सभी को साफ़ नज़र आ रहे थे...लाला, रिशू और राजू तो पागल से हो चुके थे...
और उससे भी बड़ी और मज़े की बात ये थी की रुची को भी उन सबमे बड़ा मज़ा आ रहा था..
जब उपर जाकर रश्मी ने रुची को बताया की वो क्या करना चाहती है तो रुची को विश्वास ही नही हुआ की उसकी भोली सी दिखने वाली सहेली इतनी ख़तरनाक सोच रखती है...वो नीचे बैठे ठरकियों को पूरी तरह से तडपा-तड़पाकर मजे लेना चाहती थी...और साथ ही उनके पैसे भी...जिसका प्लान रश्मी ने उसे समझा दिया..
वैसे भी ऐसा रोल प्ले करके उन दोनो को अंदर से काफ़ी मज़ा आ रहा था...वो जब पक्की सहेलियाँ थी तो ऐसे ही रोल प्ले करके वो बंद कमरे में काफ़ी मज़े लेती थी...कभी वो टीचर स्टूडेंट बन जाती थी और कभी इंस्पेक्टर मुजरिम...और आज उसी रोल प्ले वाली गेम को सबके सामने पेश करके वो खुद तो मज़े ले ही रही थी उनकी हालत भी खराब कर रहीं थी..[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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09-25-2018, 01:29 PM,
#49
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
क्योंकि जो चाल रश्मी के दिमाग़ में थी, उसके हिसाब से अगली गेम अगर उसके हिसाब से चली तो सबके लंड के साथ-2 वो उनके पैसे भी अंदर ले लेगी..
रश्मी ने रुची से कहा : "चलो, जाकर सभी को विश करो...''
रश्मी किसी मालकिन की तरह उस स्लेव बनी रुची पर अपना हुक्म चला रही थी..
रुची अपने हाथों और पैरों पर चलती हुई लाला की तरफ बढ़ने लगी...उसकी शर्ट से झाँक रहे मुम्मे देखकर पहले से ही लाला की हालत खराब थी, उसे ऐसे अपनी तरफ आता देखकर वो तो सुध बुध खोकर उसकी गहरी आँखो में देखता रह गया.
वो धीरे-2 चलती हुई उसकी टाँगो के बीच पहुँची..और उसके खड़े हुए लंड के ठीक सामने जाकर उसने अपने होंठों की गर्म हवा छोड़ी और बोली : "हैल्लो मास्टर....कैसे है आप...''
जवाब मे सिर्फ़ उसके अंडरवीयर में क़ैद लंड ने एक जोरदार झटका मारा...जिसे रुची ने बड़े ही करीब से महसूस किया...उसका तो मन कर रहा था की उसके अंडरवीयर को नीचे खिसकाए और चूस ले उसे ..पर अभी उसकी मास्टर यानी रश्मी का ये हुक्म नही था.. इसलिए वो वापिस पीछे आई और उसी तरह रिशू और राजू की टाँगों के बीच जाकर उन्हे भी विश किया.
रिशू ने तो उसके सिर पर हाथ रखकर उसे अपने खड़े हुए लंड पर झुकाने की भी कोशिश की पर तभी रश्मी ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ एक हंटर टाइप का डंडा उसके हाथों पर मारा और बोली : "जब तक मैं नही कहूँगी, वो कुछ भी तुम्हारी मर्ज़ी का नही करेगी...'' खेल सच मे काफ़ी रोचक होता जा रहा था...
उनके मायूस चेहरों को देखकर रश्मी की हँसी निकल गयी और साथ ही निकला उसकी योजना का अगला चरण.... 
वो बोली : "अच्छा ठीक है...अगर तुम सभी इससे अपनी मर्ज़ी का कुछ करवाना चाहते हो तो इसके लिए तुम्हे पैसा खर्च करना पड़ेगा...'' सभी की आँखे चमक उठी...अपनी मर्ज़ी से वो उसके साथ कुछ भी कर सकते थे...
सभी एक साथ चिल्ला पड़े...पहले मैं...पहले मैं..
रश्मी : "पर वो जो भी करेगी , दूर से ही ...तुम इसको हाथ नही लगा पाओगे...''
सभी एक बार फिर से मायूस हो गये..पर फिर भी, जितना मिल रहा था उसे भी वो खोना नही चाहते थे..रश्मी ने हर एक्ट की कीमत भी उन्हे बता दी, दस हज़ार रूपए ...जिसे देने में उन्हे कोई परेशानी नही थी.. सबसे पहले लाला ने अपने दिल की बात बताई : "रुची को बोलो की ये तुम्हे पालतू कुतिया की तरह प्यार करे...तुम्हे चाटकार..अपनी जीभ से...''
शायद ये उसकी फेंटसी थी, उसने भी एक मूवी में ऐसे देखा था, और रश्मी और रुची को ऐसा करता देखकर उसके मन में वो बात फिर से उभर आई...वैसे तो वो अपने आप को चटवाना चाहता था रुची से..पर उसके लिए रश्मी ने मना कर दिया था...इसलिए उसने रश्मी ऐसा करने को कहा..
रश्मी भी मुस्कुरा दी...और रुची की तरफ देखकर उसे अपनी तरफ खींचा..
रुची की चूत तो पहले से ही पनिया गयी थी ये सुनकर...वो चलती हुई उसके पास आई और सीधा अपनी जीभ उसकी मोटी जाँघ पर रख दी... पुर कमरे मे एक नही कई सिसकियाँ गूँज उठी.. एक तो रश्मी की और बाकी उन तीनों की.. रुची ने उसकी जाँघ को अच्छी तरह से चाटा ...और फिर धीरे-2 वो नीचे की तरफ जाने लगी...और उसके मखमली घुटनों के बाद उसकी सॉलिड पिंडलियों पर भी उसने अपनी लार से गीलापन छोड़ दिया.. और वो वहीं नही रुकी...उसने रश्मी के पैरों पर भी अपनी जीभ की कलाकारी दिखाई...ये सब करते हुए उसको खुद भी काफ़ी मज़ा आ रहा था... और फिर उसने धीरे-2 अपनी जीभ से उसके लेदर के सेंडिलस को भी चाटा ...जैसा की असली स्लेव करती है...वो तो पूरी कैरेक्टर में घुस चुकी थी...खुद भी मज़े ले रही थी और देखने वालो को भी मज़े दे रही थी...
सभी उसकी ऐसी परफॉर्मेंस देखकर तालियाँ बजाने लगे... अब रिशू की बारी थी... उसने दस हज़ार रूपए दिए और बोला : "मुझे तो उसको नंगा देखना है...''
वो तो वैसे भी वो हो ही जाती, शायद अगली 2-3 गेम्स में ..पर उसका उतावलापन अपनी जगह सही भी था... रुची के जवान जिस्म को नंगा देखने की चाहत उसे कब से थी...आज वो पूरी होने जा रही थी..
रश्मी ने उसे इशारा किया और रुची अपने पैरों पर खड़ी हो गयी..
वो रिशू के सामने आकर बैठ गयी...और अपनी शर्ट को दोनो तरफ से पकड़कर उसने दोनो तरफ खींचना शुरू कर दिया...और एक-2 करते हुए उसकी शर्ट के बटन टूट कर नीचे बिखरने लगे...
अब रुची सिर्फ़ ब्रा मे बैठी थी उसके सामने... रिशू तो इतनी पास से उसकी ब्रा में क़ैद मुम्मों को देखकर फिर से बावला हो गया.. और फिर रुची ने हंसते हुए अपनी ब्रा के हुक भी खोले और उसे एक ही झटके मे उतार कर फेंक दिया... और कमरे मे हर शख्स ने पहली बार उसे टॉपलेस देखा.. एकदम कड़क थे उसके बूब्स...सामने की तरफ तने हुए...भरे हुए, दोनो हाथों मे मुश्किल ही आए..पर ज़्यादा बड़े भी नही...इतने रसीले और बड़े रसगुल्लों को अपने सामने देखकर सभी के मुँह में पानी आ गया.. पर कोई कुछ कर तो नही सकता था ना..
और फिर रुची ने अपनी पेंटी को पकड़ा और उसे भी उतार दिया.. और एक ताजी चूत का झोंका रिशू के नथुनों से आ टकराया...ऐसा लगा उसे की उसकी चूत से गर्म भाप छोड़ी गयी है ख़ास उसके लिए..जिसकी खुश्बू में अपनी सुध बुध खोकर उसने अपनी आँखे बंद कर ली... रुची पूरी की पूरी नंगी खड़ी थी सबके सामने...क्या तराशा हुआ जिस्म था उसका...उपर से नीचे तक माल थी वो लड़की..
सबने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को रोका हुआ था...भले ही वो कुछ नही कर पा रहे थे, पर इस खेल में उन्हे मज़ा बहुत आ रहा था. अब राजू की बारी थी.. उसने दस हज़ार रश्मी को सौंप दिए और अपने दिल की इच्छा बताई..
राजू : "रश्मी, तुमने जो हंटर पकड़ा हुआ है अपने हाथ मे, उससे तुम इसकी गांड की पिटाई करके इसको लाल कर दो...''
ये सुनकर सभी चोंक गये...
रुची : "ऐसा क्यो कर रहे हो तुम....मेरे से ऐसी क्या दुश्मनी है जो मेरी लाल करने पर तुले हो...''
वो हंस भी रही थी, की ऐसा क्यो बोल रहा है वो.
राजू : "अब ये तो मुझे नही मालूम, पर यहाँ जब सभी अपनी - 2 इच्छा बता रहे हैं तो मैने भी बोल दी, वैसे ये काम मैं अपनी बीबी के साथ कब से करना चाहता हू...उसे नंगा करके अपनी गोद में लेकर उसकी भरी हुई गांड पर चपेटें लगाकर उसे लाल करना चाहता हू...और फिर उसे चूमना चाहता हू..पर वो मेरी इस बात को आज तक नही मान सकी...बोलती है की मैं पागल हू...ऐसा कौन करता है भला ...अब वो मना कर देती है तो उसकी मर्ज़ी, ये तो मना नही करेगी ना, इसको तो पैसे दे रहा हू मैं ...''
यानी अपने पैसे के बल पर वो अपने दिल की इच्छा को पूरा करवाना चाह रहा था...लाला और रिशू की तो जायज़ सी डिमांड थी, पर ये थोड़ी ख़तरनाक सी थी.. पर अपनी गांड पर हंटर पड़ने की बात सुनकर रुची काफ़ी गर्म हो चुकी थी...मोनू भी अक्सर उसे घोड़ी बनाकर जब चोदता था तो उसकी गांड पर बेतहाशा थप्पड़ मारकर उसे लाल कर देता था..उसे काफ़ी मज़ा आता था उसके हाथों की मार अपनी गांड पर खाकर...इसलिए उसने झट से वो पैसे लिए और अपनी गांड को रश्मी की तरफ करके खड़ी हो गयी..
जब उसको ही कोई प्राब्लम नही थी तो भला किसी और को क्या हो सकती थी...रश्मी ने उसे उसी सोफे के हत्थे पर उल्टा लिटाया, जिसपर बैठकर वो पहले खेल देख रही थी और हल्के हाथों से उसकी गोरी गांड पर हंटर बरसाने शुरू कर दिए... हल्की डोरियाँ लगी थी हंटर के आगे...जो एक रेशमी सा एहसास छोड़ रही थी रुची की मखमली गांड पर...और वो हर प्रहार से कराह उठती...दर्द से नही, मज़े से...क्योंकि उसे उसमें काफ़ी मज़ा मिल रहा था.. और धीरे-2 उसकी गोरी गांड लाल सुर्ख हो गयी...जिसे चूमकर रश्मी ने उसकी गर्मी को शांत किया.. और इस तरहा से उसका ये मास्टर-स्लेव वाला खेल वहीं ख़त्म हुआ.. सभी को काफ़ी मज़ा आया था..[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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09-25-2018, 01:29 PM,
#50
RE: Behen ki Chudai बहन का दांव
अब बेकार का परदा करना बेकार था...देखा जाए तो ये खेल भी एक जुए की तरह ही खेला था रश्मी ने, सबसे बोली लगवाई और पैसे जीत कर ले गयी..
लाला : "रश्मी, छोड़ो अब ये सब, असली बात पर आओ..पैसों की चिंता ना करो...''
रश्मी और रुची उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी..बाकी के दोनो दोस्त भी उन्हे देखने लगे..सभी समझ गये की आख़िरी बाजी की तैयारी हो रही है..
रश्मी : "कितने पैसे हार सकते हो आख़िरी गेम में ..''
लाला ने अपनी जेब के सारे पैसे निकाल कर सामने रख दिए...और उसकी देखा देखी रिशू और राजू ने भी अपनी जेबें खाली कर दी...
टेबल के उपर नोटों का ढेर सा लग गया...करीब 70 हज़ार रुपय थे वो...रुची तो पहले के जीते हुए पैसे उपर वाले कमरे में रख चुकी थी..उन्हे कहाँ रखेगी, यही सोचकर उसकी आँखे चौड़ी होती चली गयी..
रश्मी ने जैसे ही वो पैसे उठाने चाहे, लाला ने रोक दिया और बोला : "इन्हे ले जाओ..पर अब जो हम कहेंगे वो करोगे तुम दोनो..हमारी मर्ज़ी का...''
रश्मी ने रुची की तरफ देखा..और आँखो ही आँखो मे रुची ने अपनी स्वीकृति दे दी..लाला ने अपने हाथ हटा लिए..और रश्मी ने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए.. यानी बिना खेल खेले वो बाजी रश्मी और रुची जीत गयी. उसने सारे पैसे उपर लेजाकर रख दिए और वापिस आकर खड़ी हो गयी उनके सामने... सभी एक साथ उठे और सबने मिलकर रश्मी को घेर लिया... सभी ने एक-2 करके उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए.. राजू ने वो हंटर उसके मुँह मे ठूस दिया...और पीछे खड़े रिशू ने उसके मुम्मे के उपर की ब्रा निकाल कर नीचे कर दी..
वो तीनो उसके जिस्म से जोंक की तरहा चिपके हुए थे...रुची बेचारी अकेली खड़ी हुई अपनी चूत मसल रही थी..और सोच रही थी की उसका नंबर कब आएगा.. रिशू और राजू ने उसके कपड़े निकालते हुए उसके चेहरे को पकड़ा और उसके और लाला के मुँह को आपस मे मिला दिया...और फिर वो रुची की तरफ चल दिए, उन्हे एक गहरी स्मूच मे डूबा कर.. लाला ने अपनी उंगलियाँ रश्मी के मुँह मे डाली , जिसे वो प्यासी चुड़ैल की तरह चूसने लगी..फिर उसने झुक कर उसके मुम्मों पर अपना मुँह रख दिया और उन्हे चूसने लगा...वो तड़प उठी..अपनी जीभ से उसके बदन को चाट्ता हुआ वो उपर आया और ज़ोर से स्मूच कर लिया..
रिशू और राजू ने रुची को घेर लिया, वो तो पागलों की तरह उसे नोचने लगे..उसके मुम्मों पर रिशू ने ऐसा हमला बोला जिसे महसूस करके वो चीखे मारने लगी..और राजू तो सीधा उसके पीछे गया और मार के कारण लाल सुर्ख गांड पर अपनी जीभ रखकर उसे चाटने लगा...शायद आज उसकी दबी हुई इच्छा पूरी हुई थी.. फिर वो आगे की तरफ आया और उसकी चूत पर मुँह लगाकर ज़ोर-2 से सक्क करने लगा..
रुची तो हवा ही हवा में अपनी चूत चुस्वाकार डांस करने लगी.. ऐसा मज़ा तो उसने आज तक नही लिया था.. एक से करवाने का मज़ा अलग होता है, पर ऐसे 2-2 के साथ मज़े लेना उसके लिए बिल्कुल नया था, उसके अंदर की रंडी जाग उठी और वो ज़ोर -2 से चीखें मारती हुई चिल्लाने लगी..
''अहहsssssssssssssssssssssssssssss .... और ज़ोर से चूस साले ..... अंदर तक डाल जीभ को....''
रिशू : "साली, इससे चुसवाती ही रहेगी क्या....चल मेरा लंड चूस, बड़ी देर से रोका हुआ है मैने...''
और वो दीवार के सहारे खड़ा हुआ और अपना लंड निकाल कर रुची के सामने रख दिया... रुची ने पहले उसके लंड को अपने मुम्मे पर रगड़ा... उसपर थूक डाल कर अच्छी तरह से गीला किया.. अपने मुम्मों की दीवारों से उसे अच्छी तरह से रगड़ा.. और फिर एक ही झटके मे उसे अपने मुँह मे लेकर चाट लिया.. रिशू सिहर उठा..और अपने पंजों पर खड़ा हो गया.. रुची ने उसके लंड को चाटा ,चूसा और फिर झुक कर उसकी बॉल्स को भी चाट लिया.. ये बिल्कुल नया था रिशू के लिए.. फिर तो रुची रुकी ही नही...उसने चूस - कर उसके लंड को पूरी तरह खड़ा कर दिया.. फिर उसने राजू की तरफ देखा...उसका तो पहले से ही खड़ा था.. उसे भी उसने एक बार चूसा और फिर उसे वहीं ज़मीन पर लिटा कर उल्टी होकर उसके उपर बैठ गयी. और अपनी चूत में उसके लंड को लेकर नाचने लगी...
''अहह....उम्म्म्मममममममममममममम''
और फिर रुची ने राजू के पैर पकड़े और अपनी गाण्ड उपर नीचे करती हुई चुदवाने लगी....रिशू भी साइड में आकर खड़ा हो गया और अपना लंड मसलने लगा उसके चेहरे के पास आकर..इतने करीब से रिशू के लंबे लंड को देखकर रुची का मन उसके लिए ललचा गया...वो उसके लंड को अंदर लेने के लिए तड़प उठी...और एक ही झटके से वो राजू के ऊपर से उठ खड़ी हुई और नीचे लेट गयी...और रिशू की तरफ बाहें करके उसे अपनी तरफ बुलाया..वो भागता हुआ सा आया और अपने खड़े हुए लंड को सीधा लेजाकर उसकी चूत में घोंप दिया..
''आआआआआआआआआआहह ..... ऊऊऊऊऊऊओह य्ाआआआआआआअ ...... उम्म्म्ममममममम ...कितना बड़ा है तेरा ................... अहह ....''
और उसके लम्बे लंड को अंदर महसूस करते हुए उसने पीछे खड़े राजू के गीले लंड को अपने हाथ मे पकड़ा और मसलना शुरू कर दिया.. एक साथ दो लंड उसकी गिरफ़्त में थे..एक उसकी चूत में और दूसरा उसके हाथ मे.. दोनो के साथ वो पूरे मज़े लेने के मूड में थी.. पुर कमरे मे सिसकारियाँ गूँज रही थी.. सही मानों में कहे तो ग्रुप सेक्स चल रहा था. चारों तरफ नंगे जिस्म बिखरे पड़े थे.. रश्मी से भी अब रहा नही जा रहा था.
अपनी सहेली को लंड के मज़े लेती देखकर उसने लाला को नीचे पटका, और उसके उपर सवार हो गयी... और लाला ने उसकी नशीली आँखो मे देखते-2 नीचे से अपना लंड लेजाकर उसकी मखमली चूत पर लगा दिया और एक ही झटके मे उसके अंदर दाखिल हो गया.
''आआआआआआआआआआआआआआहह उूुुुुुुुुुुुुउउफफफफफफ्फ़ ढीईईरीई..... ''
ये सिर्फ़ दूसरा लंड था उसकी लाइफ का जो वो अंदर ले रही थी...अभी कल ही तो ताज़ा-2 चुदाई करवाई थी उसने...पर मोनू के लंड से काफ़ी बड़ा था लाला का लंड ..इसलिए थोड़ी तकलीफ़ भी हुई उसे... पर धीरे-2 उसकी तकलीफ मजेदार सिसकारियों मे बदल गयी. लाला ने उसके हाथ को उसकी कमर पर रखकर अपने हाथ का दबाव दिया और बाँध सा दिया और नीचे से तेज और लगातार धक्के मारकर ज़ोर-2 से उसकी चुदाई करने लगा..
'ऊऊऊओ फक ....अहह उम्म्म्ममममममम ...येस्स....... ओह ... अहह ..... उम्म्म्मममममममम और ज़ोर से ...... अंदर तक .............अहह ....सस्स्स्स्सस्स....''
वहाँ रुची की चूत बज रही थी और यहाँ रश्मी का बेंड............ और दोनो सहेलियाँ लंड के डंडो की मार पर अपनी कमर थिरका कर क़ेबरे कर रही थी.. रुची अपने चरम पर थी...और रिशू भी....उसने आख़िरी मे जाकर जोरदार झटके मारते हुए अपना सारा माल उसकी चूत के अंदर निकाल दिया..
''आआआआआआआअहह ओह ...मैं तो गया .................... उम्म्म्मममममममम''
रुची भी उसके गर्म पानी को महसूस करते हुए ढेर हो गयी.. राजू भी उठकर जल्दी से उसके आगे आया और रुची के संभलने से पहले ही अपने लंड को उसकी गीली सुरंग मे डाल कर धक्के मारने लगा... एक बार फिर से वो मालगाड़ी की तरह हिचकोले खाने लगी..और उसका माल यानी बड़े-2 मुम्मे उपर नीचे हिचकोले खाने लगे..
''ऊऊऊऊऊऊऊहह ......मार डालोगे तुम दोनो मुझे तो .................उम्म्म्मममममम ....अहह ...... ''
पर उसकी शिकायत का कोई असर नही हुआ राजू पर और उसने धक्के चालू रखे और जल्द ही वो भी हांफता हुआ उसकी चूत में अपने रस का योगदान देते हुए उसके रुई जैसे मुम्मों पर लुडक गया... उधर लाला की ट्रेन तो पूरी गति से भागी जा रही थी.. और रश्मी भी हारने का नाम नही ले रही थी.. उसके हर झटके मे इतना ज़ोर था की हर बार ऐसा लगता की पहली बार लंड अंदर गया है उसके. रुची खिसक कर उसी सोफे पर आ गयी, जिसपर रश्मी की चुदाई चल रही थी...
शायद ये सोचकर की शायद दो लड़कियों को देखकर लाला जल्दी झड़ जाए और अगले राउंड की तैयारी हो.. रश्मी ने अपनी बगल मे लेटी हुई रुची के मुम्मे चूसना शुरू कर दिया..और रुची अपनी चूत मे इकट्ठे हुए माल को रगड़ती हुई फिर से सिसकने लगी.. लाला अब पूरी तेज़ी से रश्मी की चूत में अपना लंड पंप कर रहा था...बगल मे लेटी हुई रुची को देखते हुए.. और जल्द ही उसने भी हार मान ली...
एक जोरदार झटके से उसके लंड की पिचकारियाँ भी रश्मी के अंदर जाने लगी
और वो बुरी तरह से झड़ता हुआ उसके नंगे बदन से लिपट गया..
''अहह ..... ओह ररररश्मी मेरी जाआआअन.............. उम्म्म्मममममममममम ... मैं तो गया................ ....''
और फिर वो भी अपने सुस्ता रहे दोस्तों के पास जाकर सिगरेट के सुट्टे मारने लगा.. और दोनो सहेलियाँ एक दूसरे की गुल्लक मे हाथ डालकर ये जाने की कोशिश करने लगी की किसमे कितना माल इकट्ठा हुआ है.. अभी तो पूरी रात पड़ी थी.. पूरी रात मे कैसे-2 वो चुदाई करवाएँगी..ये सोचते-2 दोनो के चेहरे पर एक अलग ही हँसी आ गयी.. और ये सिलसिला पूरी रात चला.. बाहर लोग दीवाली के पटाखे जला कर सो चुके थे पर अंदर इन तीनो ने इन पटाखो को पूरी रात बजाया.. और दीवाली के पूरे मज़े लिए..
समाप्त.[url=http://rajsharmastories.com/memberlist.php?mode=viewprofile&u=32926][/url]
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