Behen Chudai Kahani बहन का दांव
10-06-2018, 01:58 PM,
#11
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
मोनू मन ही मन खुश हो रहा था...उसे तो जैसे पूरा विश्वास था की इस बार या तो 8 आएगा, जिसकी वजह से 7,8,9 का सीक़वेंस बन जाएगा...या फिर एक और हुक्म का पत्ता आएगा जिसकी वजह से कलर बन सकेगा...अगर दोनो मे से कुछ भी नही आया तो पेयर बनाने के लिए 7 या 9 में से कुछ भी आ जाएगा..
पर जैसे ही रश्मी का तीसरा पत्ता देखा, उसका दिल धक से रह गया..वो ईंट का 4 था..
ये तो हद ही हो गयी...ऐसे बेकार पत्ते तो उसके पास भी नही आते थे...और ये अब रश्मी के पास आ रहे हैं...ऐसा कैसे हो सकता है...क्यों कल की तरह रश्मी के पास अच्छे पत्ते नही आ रहे...क्यों वो हार रही है...
उसने अपने दाँत पीस लिए और रश्मी को पेक करने के लिए कहा..
रश्मी ने पत्ते फेंक दिए..और मोनू से धीरे से बोली : "मैने कहा था ना...कल शायद कोई इत्तेफ़ाक था...तुम बेकार मे मुझसे खिलवा रहे हो और हार भी रहे हो...''
और इतना कहकर वो भागती हुई सी किचन मे चली गयी...ये कहकर की चाय बना कर लाती हूँ सबके लिए..
मोनू कुछ नही बोल पाया..
इसी बीच रिशू और राजू चाल पर चाल चल रहे थे...दोनो ही झुकने को तैयार नही थे...मोनू भी समझ गया की दोनो के पास अच्छे पत्ते आए होंगे...
बीच मे लगभग 8 हज़ार रुपय इकट्ठे हो चुके थे...आख़िर मे जाकर राजू ने शो माँगा..रिशू ने अपने पत्ते दिखाए...उसके पास सीक़वेंस आया था..5,6,7
और रिशू के पास कलर था, ईंट का..उसने अपना माथा पीट लिया...वो जीते हुए पैसो के अलावा अपनी जेब से भी 3 हज़ार हार चुका था..
रिशू ने हंसते हुए सारे पैसे समेत लिए..
रिशू : "हा हा हा ...सो सुनार की और एक लोहार की ...''
मोनू बोला : "मैं ज़रा रश्मी को देखकर आता हू, उसे शायद लग रहा है की उसकी वजह से मैं हार गया...''
रिशू : "हाँ भाई...जाओ ...मना कर लाओ उसको ...ऐसे दिल छोटा नही करते....मैं भी तो इतनी गेम हारने के बाद जीता हूँ ..वो भी जीतेगी..जाओ बुला लाओ उसको...तब तक हम इंतजार करते है...''
मोनू भागकर किचन मे गया...रश्मी रुंआसी सी होकर चाय बना रही थी..
मोनू : "क्या दीदी...आप भी ना....ऐसे अपना मूड मत खराब करो...''
रश्मी एक दम से रो पड़ी और मोनू से लिपट गयी : "मैने कहा था ना, मुझसे नही होगा ये...तुमने बेकार मे अपने इतने पैसे बर्बाद किए मेरी वजह से...ऐसे ही चलता रहा तो कल वाले सारे पैसे हार जाओगे...माँ का इलाज कैसे करवाएँगे...''
मोनू उसकी पीठ सहलाता हुआ बोला : "ऐसा मत सोचो दीदी ....चलो चुप हो जाओ...कोई ना कोई बात तो ज़रूर है...मेरा अंदाज़ा खाली नही जाता ऐसे...''
और फिर कुछ देर चुप रहकर वो बोला : "दीदी...ये टोटके बाजी वाला खेल होता है...अगर तुम जीत रहे हो तो तुमने क्या पहना था ये याद रखो..किस सीट पर बैठे थे वो याद रखो....''
रश्मी : "मतलब ??"
मोनू : "मतलब ये की तुम शायद उन्ही चीज़ो की वजह से जीत रही थी जो उस वक़्त वहाँ मोजूद थी...जैसे तुम्हारे कपड़े...तुमने कल रात को अपना नाइट सूट पहना हुआ था..वही पहन कर आओ...शायद उसकी वजह से तुम जीत रही थी कल...''
रश्मी : "तू पागल हो गया है...तेरे सामने अलग बात थी..पर इन दोनो के सामने मैं नाइट सूट क्यो पहनू ....नही मैं नही पहनने वाली....मुझसे नही होगा..''
अब भला वो अपने भाई से क्या बोलती की वो नाइट सूट क्यो नही पहनना चाहती..उसका गला इतना चोडा है की उसकी क्लीवेज साफ दिखाई देती है उसमे...और उसकी कसी हुई जांघों की बनावट भी उभरकर आती है उसमे क्योंकि उसका पायज़ामा काफ़ी टाइट है...
मोनू : "दीदी ...आप समझने की कोशिश करो...मैने कहा ना, इनसे घबराने की ज़रूरत नही है...इन्हे भी अपना भाई समझो...जाओ जल्दी से पहन कर आओ...मैं चाय लेकर जाता हुआ अंदर...''
और रश्मी की बात सुने बिना ही वो चाय लेकर अंदर आ गया...बेचारी रश्मी बुरी तरह से फँस चुकी थी...वो बड़बड़ाती हुई सी उपर अपने कमरे मे चल दी...अपना नाइट सूट पहनने...
अगली गेम से पहले सभी चाय पीने लगे...रिशू ने पत्ते बाँटने के लिए गड्डी उठाई ही थी की मोनू बोला : "रूको ...रश्मी को भी आने दो...वो बेचारी समझ रही है की उसकी वजह से मैं हार गया...एक-दो गेम और खेलने दो बेचारी को...शायद जीत जाए...वरना रोती रहेगी की उसकी वजह से मैं हार गया.."
उन दोनो को भला क्या परेशानी हो सकती थी...वो तो खुद रश्मी के हुस्न को देखते हुए खेलना चाहते थे...
राजू बोला : "पर रश्मी आएगी कब ?"
तभी उसके पीछे से आवाज़ आई : "आ गयी मैं ...''
और सभी की नज़रें रश्मी की तरफ घूम गयी...और उसे उसकी नाइट ड्रेस मे देखकर सभी की आँखे फटी रह गयी...
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10-06-2018, 01:58 PM,
#12
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
छोटी सी नाईटी में दीदी सेक्स बॉम्ब जैसी लग रही थी...वो दोनो तो आँखो ही आँखो मे उसे चोदने लगे...
और मोनू अगली गेम में जीतने वाले पैसों के बारे मे सोचने लगा..
अब तो मोनू को पूरा भरोसा था की अगली गेम रश्मी ही जीतेगी..उसने रश्मी को अपनी सीट पर बिठाया और बोला : "चलो ....अब आप खेलो दीदी .....देखना , इस बार आप जीतकर रहोगी...''
बैठने के साथ ही उसकी दोनो बॉल्स झटके से उपर नीचे हुई...और उसकी क्लिवेज और भी ज़्यादा उभरकर बाहर आ गयी..मोनू की नज़रें तो पत्तो पर थी पर रिशू और राजू के मुँह से तो पानी ही टपकने लगा बाहर...उन्होने अपनी जीभ को होंठों पर फेर कर सारा रस निगल लिया..
अगली गेम शुरू हो गयी
सबने बूट के बाद 3-3 ब्लाइंड भी चल दी..
अगली ब्लाइंड की बारी रश्मी की थी...मोनू ने 100 के बदले सीधा 500 की ब्लाइंड चल दी..
हैरान होते हुए रिशू ने भी 500 की ब्लाइंड चल दी..
पर राजू इस बार डर सा गया...उसने अपने पत्ते उठा कर देखे...10 नंबर था उसका सबसे बड़ा...उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए पॅक कर दिया.
मोनू ने फिर से 500 की ब्लाइंड चली..अब तो रिशू ने भी अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बादशाह था...उसने रिस्क लेना सही नही समझा और पेक कर दिया..
उसके पेक करते ही मोनू खुशी से चिल्ला उठा : "देखा रश्मी, मैने कहा था...आप जीत गयी...''
पैसे भले ही ज़्यादा नही आए थे...पर पहली जीत थी वो रश्मी की, दोनों मन ही मन खुश हो गए की उनका टोटका काम कर गया
अब तो रश्मी भी मोनू की कपड़े बदलने वाली बात को सही मान रही थी, उसने कल भी यही कपड़े पहने थे और जीत रही थी...और अभी से पहले दूसरे कपड़े मे वो हार रही थी, पर कल वाले कपड़े पहनते ही वो फिर से जीत गयी...
मोनू ने बीच मे रखे सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए..
और साथ ही साथ सारे पत्ते भी उठा कर वापिस गड्डी में लगा दिए..अभी तक किसी ने भी रश्मी के पत्ते देखे नही क्योंकि सामने से शो ही नही माँगा गया था..
मोनू ने रश्मी के पत्ते उठाए और गड्डी में डालने से पहले उन्हे देखा.
वो थे 2,5, 7
इतने छोटे पत्ते और वो भी बिना कलर के...उसने उपर वाले का शुक्र मनाया की सामने से किसी ने शो नही माँगा , वरना ये गेम भी वो हार जाते...क्योंकि उसे पूरा विश्वास था की दोनो में से किसी ना किसी के पत्ते तो उससे बड़े ही होते...
पर ऐसा क्यों हुआ....वो तो समझ रहा था की रश्मी के कपड़े बदल लेने के बाद वो जीतेगा ...पर उसका ये टोटका काम क्यो नही आया...ये उसकी समझ में नहीं आ रहा था .
उसने मन ही मन कुछ सोच लिया और अगली गेम शुरू हुई.
और पत्ते बाँटने के बाद 2-2 ब्लाइंड चली गयी , पर इस बार मोनू ने तीसरी ब्लाइंड चलने से पहले ही रश्मी के पत्ते उठा कर देख लिए. रश्मी के पास थे 9,गुलाम और बादशाह
वो भी बिना कलर के..
पर फिर भी उसने रिस्क लेते हुए 200 की चाल चल दी.
राजू : "क्या हुआ मोनू...पिछली बार तो 500 की ब्लाइंड चल रहा था...और अब जीतने के बाद 100 से आगे ही नही बड़ा...सीधा चाल चल दी...''
मोनू कुछ नही बोला...वो तो अपनी केल्कुलेशन मे लगा हुआ था.
पर चाल बीच मे आ चुकी थी, इसलिए राजू ने अपने पत्ते उठा कर देखे...और देखने के साथ ही चाल चल दी.
रिशू ने अपने पत्ते देखे और उसने भी मंद-2 मुस्कुराते हुए चाल चल दी.
मोनू ने तो ब्लफ खेला था..उसके पास वैसे भी चाल चलने लायक पत्ते नही थे...उसने फ़ौरन पेक कर दिया..
अब खेल शुरू हुआ रिशू और राजू के बीच...दोनो चाल पर चाल चल रहे थे...और आख़िर मे जब बीच मे लगभग 6 हज़ार रुपय इकट्ठे हो गये तो रिशू ने शो माँग लिया...
राजू ने अपने पत्ते सामने फेंके..
वो थे 3,4,5 की सीक़वेंस..
उसे देखते ही रिशू ठहाका लगाकर हंस दिया...उसने अपने पत्ते सामने फेंक दिए
उसके पास थे 9,10,11 की सीक़वेंस.
वो जैसे ही सारे पैसे अपनी तरफ करने लगा, राजू ने रोक दिया और बोला : "मेरे पत्ते दोबारा देख भाई...इतना खुश मत हो अभी...''
रिशू और मोनू ने फिर से राजू के पत्तो की तरफ देखा..वो थे तो 3,4,5 पर साथ ही साथ वो कलर मे भी थे...लाल पान का कलर..यानी प्योर सीक़वेंस.
रिशू बुदबुदाया : "साला...हरामी...आज तो इसकी किस्मत अच्छी है..''
और अब ठहाका लगाने की बारी राजू की थी...उसने सारे पैसे बीच में से अपनी तरफ खिसका लिए.
अगली गेम शुरू होने को ही थी की मोनू बोल पड़ा : "यार...अभी और रहने देते हैं...माँ को दवाई भी देनी है और उन्हे इंजेक्शन भी लगाना है...बाकी कल खेलेंगे..''
रश्मी बोलने ही वाली थी की दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हैं...पर मोनू ने उसे इशारे से चुप करवा दिया.
अब वो दोनो भी क्या बोल सकते थे...मन मसोस कर दोनो वहाँ से चले गये.अगले दिन आने का वादा करके
उनके जाते ही रश्मी बोली : "तुमने ऐसा क्यो बोला...माँ को दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हो..और हम एक गेम भी तो जीत ही चुके थे..''
मोनू : "दीदी...वो गेम जो हमने जीती थी, उसमे पत्ते बड़े ही बेकार आए थे...वो तो शुक्र है की उन दोनो ने भी पेक कर दिया, वरना वो गेम भी हम हार जाते...''
रश्मी : "पर तुमने तो कहा था की कल वाले कपड़े पहन कर आओ, तो जीत जाएँगे...मैने तो पहले ही कहा था की ये सब तुक्का था...कल और बात थी...आज खेलने में सब सामने आ गया...''
मोनू उसकी बाते सुनता रहा...और कुछ देर चुप रहने के बाद बोला : "दीदी .... वो .....आपने ये कल वाले ही कपड़े पहने है ना..''
रश्मी : "हाँ ....ये वही है....''
मोनू (झिझकते हुए) : "और अंदर....''
उसकी आवाज़ बड़ी ही मुश्किल से निकली उसके मुँह से....नज़रें ज़मीन पर थी उसकी.
रश्मी : "अंदर...? मतलब ....''
पर अगले ही पल उसका मतलब समझ कर वो झेंप सी गयी...मोनू उसके अंडरगारमेंट्स के बारे मे पूछ रहा था..
रश्मी ने अपने दिमाग़ पर ज़ोर दिया , उसने अभी ब्लेक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ...पर कल....कल तो मोनू के साथ खेलते हुए उसने अंदर कुछ भी नही पहना था..
अब ये बात वो मोनू को कैसे बोलती..पर शायद ये वजह भी हो सकती है उसके हारने की..शायद कल वो बिना अंडरगारमेंट्स के थी, इसलिए जीत रही थी...
रश्मी : "तुम्हारे टोटके के हिसाब से क्या कल वाले कपड़े सेम तो सेम वही होने चाहिए...तभी मैं जीतूँगी क्या ??''
मोनू ने हाँ में सिर हिला दिया.
रश्मी : "चलो...वो भी देख लेते हैं ....तुम यही बैठो...मैं अभी आई...''
और इतना कहकर वो भागकर उपर अपने कमरे मे चली गयी..
अब मोनू उसे क्या बोलता, वो तो अच्छी तरह जानता था की कल रश्मी ने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था...उसके खड़े हुए निप्पल उसे अभी तक याद थे...आज तो उसने ब्रा पहनी हुई थी...उसकी बगल मे बैठकर वो ये तो अच्छी तरह से देख चुका था...पर उस वक़्त उसके मन मे ये बात नही आई थी..पर लास्ट गेम जो उसने जीती थी, उसके बाद उसके दिमाग़ मे वो बात कोंधी थी..पर उनके सामने ये कैसे बोलता, इसलिए आज के लिए अपने दोस्तों को भगा दिया था उसने...और उनके जाने के बाद बड़ी ही मुश्किल से उसने रश्मी को ये बोला...अपनी बड़ी बहन को उसके अंडरगारमेंट्स के लिए बोलना आज मोनू के लिए बड़ा मुश्किल था...पर अपनी तसल्ली के लिए वो ये देख लेना चाहता था की जो वो सोच रहा है वो सही है तो शायद कल वाली गेम में वो जीत जाएँ.
तभी उपर से रश्मी वापिस नीचे आती हुई दिखाई दी मोनू को...और उसकी नज़रें सीधा उसकी ब्रेस्ट वाली जगह पर जा चिपकी...और उसकी आशा के अनुरूप वहाँ ब्रा का नामोनिशान नही था ...उसकी गोल मटोल छातियाँ उस छोटी सी टी शर्ट मे अठखेलियाँ करती हुई उछल कूद मचा रही थी..और साथ ही साथ उसके खड़े हुए निप्पल उनकी सुंदरता मे चार चाँद लगा रहे थे..
रश्मी आकर मोनू के सामने बैठ गयी, और बोली : "चलो...अब एक बार फिर से पत्ते बाँटो ...मैं भी देखना चाहती हू की तुम्हारी बात मे कितनी सच्चाई है..''
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10-06-2018, 01:58 PM,
#13
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
मोनू ने बड़ी ही मुश्किल से अपना ध्यान उसकी छातियों और खड़े हुए निप्पल्स से हटाया..और पत्ते बाँटने लगा...पत्ते बाँटने के बाद उसने पहले अपने पत्ते उठा कर देखे, उसके पास 5 का पेयर आया था..यानी चाल चलने लायक थे वो..और फिर उसने रश्मी के पत्ते पलट कर देखे...
रश्मी के पास बादशाह का पेयर आया था.
मोनू की आँखो मे चमक आ गयी, वो बोला : "देखा....मैने कहा था ना...''
रश्मी : "ये भी शायद इत्तेफ़ाक से आ गये हो...एक बार और बाँटो..''
मोनू : "अब तो मुझे पूरा विश्वास है, जितनी बार भी बँटवा लो ये पत्ते, हर बार तुम ही जीतोगी कल की तरह..''
उसने फिर से पत्ते बाँटे...और इस बार भी रश्मी ही जीती...उसके पास चिड़ी का कलर आया था..
मोनू ने गड्डी रश्मी को दी और उसे पत्ते बाँटने के लिए कहा...रश्मी ने पत्ते बाँटे और इस बार भी वही जीती...मोनू के पास सबसे बड़ा पत्ता इक्का था...और रश्मी के पास इकके का पेयर..
अगली 4 गेम्स भी रश्मी ही जीती...मोनू ने जगह बदल कर भी देखि..गड्डी को अच्छी तरह से फेंटकर भी पत्ते बांटे ..हर तरह से बदलाव करके देख लिया, पर वो रश्मी से हर बार हार ही रहा था...उसने चार जगह पत्ते बांटकर भी देखे,पर उसमे भी सिर्फ रश्मी के पत्ते बड़े निकले और हर बार हारने के बाद उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी आ जाती..
अंत मे मोनू बोला : "देखा लिया ना दीदी...मेरी बात बिल्कुल सही निकली...आज जब आप कपड़े बदल कर आई तो उसी वक़्त अगर ब्रा -पेंटी उतार कर आ जाती तो शायद आज हम बहुत पैसे जीत जाते...''
यानी उसका भाई ये अच्छी तरह से नोट कर रहा था की कल उसने अंदर कुछ नही पहना हुआ था..अपने भाई के मुँह से सीधा अपनी ब्रा पेंटी का शब्द सुनकर उसका चेहरा शर्म से लाल सुर्ख हो उठा...और उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की मुस्कान आ गयी..पर वो कुछ बोली नही. मोनू समझ गया की शायद उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया है
मोनू : "सॉरी दीदी....वो मुझे शायद ऐसे नही बोलना चाहिए था..''
और इतना कहकर वो अपनी जगह से उठा और लगभग भागता हुआ सा उपर अपने कमरे की तरफ चल दिया.ऐसे भागकर जाने की एक वजह और भी थी , रश्मी से इस तरह बात करते हुए वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड टेंट बना चुका था उसके पायजामे में. वो सीधा अपने कमरे में गया और अपने बेड पर बैठकर पायजामे को नीचे किया और लंड हाथ मे पकड़ कर ज़ोर से मसलने लगा...
''ओह....... दीदी .................क्या करते हो आप................अहह ....... क्या चीज़ हो यार..............''
और उसकी बंद आँखो के सामने उसकी बहन की नंगी छातियाँ घूम रही थी..
और वो ज़ोर-2 से अपने लंड को मसलते हुए मूठ मारने लगा.
रश्मी कुछ देर तक वहीं बैठी रही और फिर उपर की तरफ चल दी...उसने अपनी माँ को देखा तो वो गहरी नींद में सो रही थी...वो निश्चिंत हो गयी...उसने अपना मोबाइल उठाया...आज वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित थी...और अपने वी चेट और ऍफ़ बी फ्रेंड्स के साथ कुछ ख़ास करने के मूड में थी...वो अपनी माँ की बगल मे लेटने ही वाली थी की उसे मोनू के कमरे से कोई आवाज़ आई..
उसने देखा की उसके कमरे की लाइट जल रही है..और शायद दरवाजा भी खुला है..
उसने गोर से सुना तो वो आवाज़ फिर से आई....और इस बार की आवाज़ सुनकर वो समझ गयी की वो क्या है...और अगले ही पल उसके होंठों पर एक शरारत भरी मुस्कान आ गयी...और वो बिल्ली की तरह दबे पाँव से अपने भाई के कमरे की तरफ चल दी..
एक अलग ही तरह का रोमांच महसूस कर रही थी रश्मी...उसके दिल की धड़कने उसे अपने कानों तक सुनाई दे रही थी..अंदर से तो वो पूरी नंगी पहले से ही थी..इसलिए उसके खड़े हुए निप्पल टी शर्ट से रगड़ खाकर उसमे ड्रिल करने लायक पैने हो चुके थे..
वो मोनू के कमरे के बाहर जाकर खड़ी हो गयी...और उसने खुले हुए दरवाजे की झिर्री में से झाँककर अंदर देखा..
उसका भाई मोनू नीचे से नंगा होकर लेटा था और अपनी आँखे बंद करके बड़ी ही तेज़ी से अपने लंड को रगड़ रहा था..ऐसा सेक्सी सीन तो उसने आज तक नही देखा था...और ना ही सोचा था..उसकी आँखे तो मोनू के लंड के उपर जम कर रह गयी..वो आज सुबह भी उसके लंड को देख चुकी थी..जब वो रुची की चुदाई करने जा रहा था..पर अभी वो रुची को सोचकर मूठ मार रहा है या उसे सोचकर ये जानने की उत्सुकतता थी रश्मी के मन मे..
भले ही वो उसका सगा भाई था...पर अगर वो उसके बारे मे सोचकर मूठ मार रहा है तो उसे अंदर से अलग ही खुशी का एहसास होना था..शायद रश्मी को भी अपने भाई मे अब इंटरस्ट आने लगा था...भाई होने से पहले वो एक मर्द था...और वो भी बड़े लंड वाला..ऐसे लंड को देखकर ही रश्मी की टाँगो के बीच कुछ-2 हो रहा था..जब वो वहाँ जायेगा तो पता नही क्या होगा..
रश्मी ने अपनी जांघे भींच ली और अंदर देखने लगी...उसका एक हाथ उपर रेंगता हुआ आया और अपनी ब्रेस्ट को पकड़ कर धीरे-2 भींचने लगा.
वो लगातार ये भी सोच रही थी की ऐसे कब तक चलता रहेगा...उसके और मोनू के बीच के बीच जो शर्म का परदा था वो तो गिर ही चुका है...कुछ और परदे गिराने बाकी हैं,पर वो छोटा है इसलिए अपनी तरफ से पहल करने मे शायद शरमा रहा है...और उसने खुद भी अपनी तरफ से कुछ ज़्यादा नही किया..एक लड़की होने के नाते इतनी अकल तो थी उसको...और उपर से दोनो का रिश्ता भी तो ऐसा था की कुछ भी करने से पहले सब कुछ सोचना पड़ रहा था..पर यहाँ कौन है उन्हे देखने वाला..सारी दुनिया सो रही है...उनकी माँ भी दूसरे कमरे मे खर्राटे मार रही है..ऐसे मे अगर थोड़ी बहुत मस्ती कर भी ले तो क्या बिगड़ेगा..
और ये सब सोचते-2 उसने अचानक से ही दरवाजे को एक ही झटके मे खोल दिया..
और दरवाजा खुलने की आवाज़ से मोनू ने अपनी आँखे एकदम से खोली और रश्मी को सामने खड़ा पाकर एकदम से उसने पास ही पड़ा तकिया उठाकर अपने लंड के ऊपर लगा लिया..
मोनू : "दी ...दीदी ...आप .....ये दरवाजा ......शिट .....मैं समझा मैने बंद कर दिया .....''
वो नज़रें भी नही मिला पा रहा था रश्मी से..पर रश्मी तो जैसे सोच ही चुकी थी की अब ये बेकार की ड्रामेबाजी को बीच मे से निकाल देना चाहिए.
वो आगे आई और सीधा आकर मोनू के साथ ही पलंग पर एक टाँग रखकर बैठ गयी..
रश्मी : "अरे कोई बात नही...ये तो सब करते हैं...मैं भी करती हू अपने कमरे मे...जब माँ सो जाती है...वो तो अभी जाग रही थी..इसलिए मैने सोचा कुछ देर इंतजार कर लेती हू...और फिर तुम्हारा दरवाजा खुला हुआ देखा तो यहाँ चली आई...पर तुम तो यहाँ पहले से ही... ही ही ही ..''
और वो शरारत भरी हँसी हँसने लगी..
और उसके व्यवहार से साफ़ पता चल रहा हा की मोनू को ऐसी अवस्था मे देखने के बाद उसे कोई फ़र्क ही नही पड़ता...वो बिल्कुल नॉर्मल सा बिहेव कर रही थी.
एक टाँग मोड़कर बैठने की वजह से उसका घुटना मोनू की नंगी जाँघ से टच कर रहा था..रश्मी का तो पता नही पर मोनू के जिस्म मे जैसे कोई करंट प्रवाह कर रहा था.
उसे तो पहले लगा की एक ही दिन मे लगातार दूसरी बार अपनी बहन के हाथो ऐसे पकड़े जाने के बाद वो पता नही उससे कभी नज़रें भी मिला पाएगा या नही...पर रश्मी का दोस्ताना व्यवहार देखकर उसमे भी थोड़ी बहुत हिम्मत आ गयी.
मोनू : "आई एम सॉरी दीदी...मुझे ये सब ...ऐसे नही करना चाहिए था...आज सुबह भी आपके सामने...''
रश्मी : "अरे मुझे बिल्कुल भी बुरा नही लगा तेरी इन बातों का...तेरी उम्र ही ऐसी है...हो जाता है ये सब...और सुबह वाली और अब वाली बात पर तो मुझे सॉरी बोलना चाहिए तुझे...दोनो बार ही मेरी वजह से तू बीच मे लटका रह गया..''
और ये कहकर वो अपने मुँह पर हाथ रखकर हँसने लगी..
मोनू भी उसे शरारत मे हंसते देखकर बोला : "हाँ , ये बात तो सही कही आपने...अब आप क्या जानो, हम लड़कों की ये कितनी बड़ी प्राब्लम है...जब तक अंदर से वो निकलता नही ,बड़ी टेंशन् सी फील होती है..''
रश्मी : "क्या नही निकलता ??"
मोनू एकदम से झेंप सा गया...उसने बोल तो दिया था,पर रश्मी के सवाल का जवाब देने मे उसका चेहरा लाल हो उठा.
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10-06-2018, 01:58 PM,
#14
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
रश्मी ये देखकर फिर से हँसने लगी, और बोली : "तू तो एकदम लड़कियो की तरह से शरमाता है...सीधा बोल ना, माल जब तक अंदर से बाहर नही निकलता, परेशानी होती है..''
अपनी बहन को ऐसे बेशार्मों की तरहा बोलता देखकर मोनू का मुँह खुला रह गया
रश्मी : "ऐसे क्या देख रहा है तू...तुझे क्या लगा, मुझे ये सब नही पता...लगता है तुझे रुची ने कुछ भी नही बताया...की हम दोनो के बीच कैसी-2 बातें होती थी पहले..''
मोनू : "नही...उसके साथ ऐसी बातें करने का टाइम ही नही मिला कभी...''
रश्मी (आँखे घुमाते हुए) : "हाँ , उसके साथ तो तुझे बस एक ही काम करने का टाइम मिलता होगा...और उसमे भी मैं बीच मे टपक पड़ती हू .. ही ही''
मोनू भी हंस दिया..
रश्मी : "अच्छा एक बात तो बता...अभी भी तू उसके बारे मे सोचकर ही ये कर रहा था ना..''
अब मज़ा लेने की बारी मोनू की थी.
मोनू : "मैं ...मैं क्या कर रहा था अभी ?''
रश्मी : "अच्छा ...अब मुझसे छुपाने का क्या फायदा ...अभी मेरे आने से पहले तू वो कर रहा था ना...''
मोनू : "नही दीदी...मैं तो बस कपड़े चेंज कर रहा था..मैने पायज़ामा नीचे उतारा ही था की आप आ गयी...''
रश्मी : "झूठ मत बोल...मैं सब देख रही थी दरवाजे के पीछे से...तू अपना वो रगड़ रहा था...माल निकालने के लिए...बोल ...''
मोनू : "क्या रगड़ रहा था दीदी...खुल कर बोलो ना...''
अब रश्मी भी समझ चुकी थी की उनके बीच का एक और परदा गिर चुका है...अब खुलकर वो सब बोल सकते हैं..
रश्मी : "अपना लंड रगड़ रहा था तू...यही सुनना चाहता था ना ...बोल, रगड़ रहा था या नही...''
अपनी सेक्सी बहन के मुँह से लंड शब्द सुनकर तकिया थोड़ा सा और उपर हो गया...उसके लंड ने अंदर ही अंदर झटके मारने शुरू कर दिए थे.
मोनू कुछ नही बोला...बस मुस्कुराता रहा...
उसकी नज़रें फिर से उसकी टी शर्ट मे उभरे निप्पल्स को घूरने लगी.....मोनू की जलती हुई आँखे उसके जिस्म मे जहाँ-2 पड़ रही थी, उसे ऐसे लग रहा था की वो हिस्सा जल रहा है..उसकी छातियाँ...उसकी नाभि...उसके होंठ...उसके कान...आँखे..और चूत भी बुरी तरह से सुलग रही थी उसकी.
रश्मी : "बोल ना....उसके बारे मे ही सोच रहा था ना तू...''
वो पूछ तो अपनी सहेली के बारे मे रही थी...पर मोनू के मुँह से अपना नाम सुनना चाहती थी.
मोनू : "नही...उसके बारे मे सोचकर नही...किसी और के बारे मे सोचकर..''
इतना सुनते ही रश्मी का मन हुआ की मोनू से लिपट जाए...उसके होंठों को चूस ले...और एकदम से नंगी होकर उसके लंड पर सवार हो जाए.
उसके दिल ने फिर से धाड़-2 धड़कना शुरू कर दिया.
रश्मी : "तो फिर किस …… किसके...बारे मे....सोचकर....ये ...कर रहा था..''
उसके होंठ काँप से रहे थे...उसके कान लाल हो उठे...जैसे अपना नाम सुनने की तैयारी कर रहे हो..
मोनू भी अब गेम में आ चुका था...वो भी रश्मी को तड़पाना चाहता था, जैसे वो अभी उसको तडपा रही थी..
मोनू : " है कोई...उससे भी सुंदर...उससे भी हसीन...उसकी आँखे तो कमाल की हैं...और उसके बूब्स...वो तो जैसे नाप तोलकर बनाए हुए हैं...और उसके निप्पल्स,वो तो कहर भरपा दे,उन्हे चूसने भर से ही शायद सारी प्यास बुझ जाए मेरी..''
मोनू का हर शब्द रश्मी की चूत से रिस रहे पानी को और तेज़ी से बाहर धकेल रहा था...जो शायद मोनू के बिस्तर पर आज की रात धब्बे के रूप मे रहने वाला था.
रश्मी : "नाम तो बता मुझे....ऐसे नही समझ आ रहा ....''
उसकी आँखों मे लाल डोरे तैरने लगे थे..हल्का पानी भी आने लगा था उनमे...
मोनू : "उसका नाम तुम मेरे दोस्त से पूछ लो...''
और मोनू ने ग़जब की हिम्मत दिखाते हुए अपना तकिया नीचे गिरा दिया...और अपना विशालकाए लंड अपनी सग़ी बहन रश्मी की आँखो के सामने लहरा दिया.
रश्मी की आँखे फैल गयी उसके लंड को इतने करीब से देखकर.... पास से देखने से वो और भी बड़ा लग रहा था...उसके सिरे पर प्रिकम की बूँद उभर कर चिपकी पड़ी थी...
रश्मी तो सम्मोहित सी होकर उसे देखे जा रही थी...जैसे आँखो ही आँखो मे उसे निगल रही हो...
मोनू ने अपने लंड को हिलाते हुए उपर नीचे किया और उसे रश्मी की तरफ करते हुए बोला : "लो दीदी...पूछ लो मेरे दोस्त से...मैं किसके बारे मे सोचकर इसे रगड़ रहा था...''
रश्मी का दाँया हाथ कांपता हुआ सा आगे की तरफ बड़ा...उसके मुँह से साँसे तेज़ी से बाहर निकलने लगी...छातियाँ उपर नीचे होने लगी...और उसने अपने ठंडे हाथों से मोनू के गरमा गर्म लंड को पकड़ लिया...
और जैसे ही रश्मी के ठंडे और नर्म हाथ उसके लंड से टकराए, उसने ज़ोर से सिसकारी मारते हुए कहा : "ओह.......रश्मी ............''
मोनू के दोस्त ने तो नही,पर उसने वो नाम खुद ही बता दिया अपनी बहन को ...
और अपना नाम सुनते ही रश्मी का पूरा बदन झनझना उठा...और उसने अपने प्यासे होंठ तेज़ी से अपने भाई की तरफ बड़ा दिए..
तभी बाहर से उनकी माँ की आवाज़ आई : "रश्मी ......मोनू....कहाँ हो तुम दोनो....''
रश्मी का तो चेहरा ही पीला पड़ गया अपनी माँ की आवाज़ सुनकर...उनके रूम का तो दरवाजा भी खुला हुआ था..रश्मी ने भी आते हुए मोनू के रूम का दरवाजा बंद नही किया था..अभी तो उनकी तबीयत खराब है , इसलिए वो बेड से उठ नही सकती...वरना अगर वो ऐसे वक़्त पर उस कमरे मे आ जाती तो उन दोनो को रंगे हाथों पकड़ लेती..
रश्मी ने एक ही झटके मे मोनू के लंड को छोड़ दिया और भागती हुई सी अपने कमरे की तरफ गयी
''आईईईई माँ ...''
और वहाँ पहुँचकर देखा तो वो बेड से उठने की कोशिश कर रही है..
रश्मी : "रूको माँ ...अभी उठो मत...बोलो क्या चाहिए..''
मान : "तू इतनी रात को कहाँ थी...मैं कितनी देर से तुझे आवाज़ें लगा रही थी..''
रश्मी : "वो ....मोनू अभी-2 आया था...उसके लिए खाना गर्म कर रही थी..''
उसने बड़ी ही सफाई से झूठ बोलकर खुद को और मोनू को बचा लिया..
कुछ ही देर मे उसकी माँ के खर्राटे गूंजने लगे कमरे में..पर उसके बाद रश्मी की हिम्मत नही हुई की वापिस मोनू के कमरे मे जाए..बस अपनी चूत को मसल कर वो वहीं सो गयी..
मोनू ने भी अपने लंड को रगड़ -2 कर अपने माल से दीवार पर रश्मी लिख दिया..
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10-06-2018, 01:59 PM,
#15
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
अगले दिन मोनू के उठने से पहले रश्मी स्कूल के लिए निकल गयी..मोनू भी लगभग 11 बजे उठा और नाश्ता वगेरह करके माँ के पास बैठा रहा , उन्हे खाना भी खिलाया, दवाई भी दी और पास ही के डॉक्टर को बुलवा कर वो इंजेक्शन भी लगवा दिया.
उसके बाद पूरी दोपहर वो रात के बारे मे सोचता रहा...उसे अब पूरी उम्मीद हो चुकी थी की वो अपनी सेक्सी बहन रश्मी के साथ हर तरह के मज़े ले सकता है...पर उसे जो भी करना था वो सब काफ़ी सोच समझ कर ही करना था.
उसने एक चीज़ नोट की, वो ये की रश्मी उसकी हर बात मान लेती है...चाहे वो उसके दोस्तों के सामने कपड़े बदलकर आने वाली हो, उनके साथ जुआ खेलने वाली..या फिर कल रात को उसके कमरे मे कही गयी सारी बातें..
उसे लग रहा था की शायद रश्मी काफ़ी दिनों से यही सब कुछ चाहती है..और शायद इसलिए वो उसकी बात एक ही बार मे मान लेती है..उसने मन में सोच लिया की आज वो इस बात का इत्मीनान करके रहेगा की वो जो बात सोच रहा है वो सही भी है या नही...अगर है तो उसके तो काफ़ी मज़े होने वाले हैं..और उसके दिमाग़ के घोड़े काफ़ी दूर तक भागने लगे.
खैर, इन सब बातों के अलावा उसने अपने दोस्तों को भी फोन करके बोल दिया आज की रात को दोबारा आने के लिए...रिशू और राजू तो कल भी वापिस जाना नही चाहते थे...सेक्सी रश्मी के साथ 3 पत्ती खेलने का मज़ा ही कुछ और था.
शाम को 7 बजे के आस पास रश्मी भी आ गयी..मोनू ने दरवाजा खोला तो दोनों के चेहरों पर एक अलग ही स्माइल थी ...मोनू का तो मन कर रहा था की वहीं के वहीं उसके गले लग जाए..पर वो पहले ये यकीन भी कर लेना चाहता था की कल वाली बात से वो नाराज़ तो नही है.
रश्मी उपर अपने कमरे मे चली गयी...कुछ देर माँ के पास बैठी...अपने कपड़े बदले और नीचे आकर किचन मे चाय बनाने लगी.
मोनू अंदर बैठा टीवी देख रहा था...रश्मी ने किचन से ही आवाज़ लगाई : "मोनू...तूने भी चाय पीनी है क्या..''
मोनू सीधा उठकर किचन मे ही चला गया और बोला : "आप पिलाओगी तो कुछ भी पी लूँगा...''
रश्मी उसकी बात का दूसरा मतलब समझकर मंद-2 मुस्कुराने लगी...मोनू ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया..और बोला : "दीदी...वो कल रात वाली बात से...आप नाराज़ तो नही है ना..''
रश्मी एकदम से उसकी तरफ पलटी...वो इतना पास खड़ा था की पलटते हुए रश्मी के बूब्स उसकी बाजुओं से छू गये..
रश्मी : "तू पागल है क्या...हम छोटे बच्चे हैं जो इन बातों की समझ नही है हमें...आजकल सब कुछ ओपन है...सब चलता है...हम दोनो ही अगर एक दूसरे की हेल्प नही करेंगे तो कौन करेगा...''
मोनू : "यानी....आप भी यही चाहती हैं...थैंक गॉड ...मैं तो पूरी रात सो नही पाया...ये सोचकर की पता नही आप क्या सोच रही होंगी ...''
रश्मी ने उसके दोनो हाथ अपने हाथों मे पकड़ लिए : "रिलेक्स ....ज़्यादा मत सोचा करो...''
और फिर उसने मोनू को अपने गले से लगा लिया...मोनू ने भी अपनी बाहें उसकी कमर मे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया...और आज की ये हग और दिनों से कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से थी और कुछ ज़्यादा ही लंबी..
मोनू के हाथ उसकी कमर पर उपर नीचे हो रहे थे..उसके दोनो बूब्स को वो अपनी छाती पर महसूस कर पा रहा था..उसके जिस्म से आ रही खुश्बू को वो सूंघ कर मदहोश सा हुए जा रहा था..
उसका लंड खड़ा होकर रश्मी के नीचे वाले दरवाजे पर दस्तक दे रहा था...रश्मी को फिर से वही रात वाला सीन याद आ गया...जब वो उसके लंड को पकड़कर हिला रही थी..और उसे चूमने भी वाली थी.
रश्मी ने एकदम से उसके लंड के उपर हाथ रख दिया...और धीरे-2 सहलाने लगी..
रश्मी : "इसको थोड़ी तमीज़ नही सिखाई तुमने...अपनी बहन को देखकर भी खड़ा हो रहा है ये तो...''
मोनू : "बहन तो मेरी हो तुम...इसकी नही...ये तो मेरा दोस्त है...और आजकल अपने दोस्त की बहन पर ही सबसे ज़्यादा लोग लाइन मारते हैं...''
रश्मी : "अच्छा जी...इसका मतलब है की तुम भी अपने दोस्तों की बहन पर लाइन मारते हो...या फिर हो सकता ही की वो मुझपर लाइन मारते हो..''
मोनू : "मैं तो बस तुम्हारी फ्रेंड पर लाइन मारता हू...वो तो आपको पता चल ही चुका है...और रही बात आपके उपर लाइन मारने की तो सबसे पहला हक मेरे इस दोस्त का है आपके उपर..उसके बाद किसी और का..''
रश्मी ये सोचने मात्र से ही सिहर उठी की उसके भाई के अलावा उसके सारे दोस्त भी उसे चोदने लिए तैयार बैठे हैं.. एकदम से चाय उबल गयी
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10-06-2018, 01:59 PM,
#16
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
रश्मी : "ओहो ...चलो छोड़ो मुझे...अंदर जाओ...मैं चाय लेकर आती हू...''
मोनू ने बेमन से उसे छोड़ दिया...और अंदर जाकर बैठ गया..कुछ ही देर मे रश्मी चाय लेकर आ गयी और दोनों चुस्कियाँ लेते हुए चाय पीने लगे...और बातें करने लगे.
रश्मी : "आज भी आ रहे हैं क्या वो दोनों ...रात को खेलने''
मोनू : "वो तो कल भी जाना नही चाहते थे...मैने उन्हे दिन में ही फोन कर दिया था...वो ठीक 9 बजे आ जाएँगे..''
अभी 7:30 बज रहे थे..
रश्मी : "ओहो ....मुझे थोड़ा जल्दी करना होगा...खाना भी बनाना है..माँ को दवाई भी देनी है बाद मे...उन लोगो के आने से पहले माँ को सुला देना है...वरना उन्हे बेकार की परेशानी होगी.
मोनू समझ गया की अभी कुछ नही हो सकता...अंदर किचन मे ही एक-दो किस्सेस ले लेनी चाहिए थी उसको...
चाय पीने के बाद रश्मी फटाफट काम पर लग गयी...खाना बनाकर उसने माँ को खिलाया और मोनू को भी..और बाद मे खुद ऊपर कमरे में चली गयी .ये सब करते-करते 9 बज गये और ठीक 9 बजे उनके घर की बेल बजी...मोनू ने जाकर दरवाजा खोला तो दोनो बाहर खड़े थे...उनके मुँह से शराब की भी महक आ रही थी..शायद शाम से ही दोनो पीने मे लगे थे..रश्मी के बारे मे सोच-सोचकर..
मोनू ने उन्हे अंदर बिठाया और भागकर उपर गया, माँ सो चुकी थी और रश्मी अपना खाना खा रही थी.
मोनू : "दीदी ...वो लोग आ गये हैं...आप जल्दी से चेंज करके नीचे आ जाओ..''
ये मोनू का इशारा था की वो अपने वही वाले कपड़े पहन कर नीचे आ जाए, जिसमें वो जीत रही थी.
और फिर वो नीचे आकर बैठ गया और पत्ते बाँटने लगा..
वो पहली बार मे ही रश्मी को गेम खिलाकर उनके मन मे शक़ पैदा नही करना चाहता था.
जब पत्ते बंट गये और सभी की बूट के बाद 2-2 चाल भी आ गयी तो मोनू ने सबसे पहले पत्ते उठा कर देख लिए..उसके पास सिर्फ़ एक इक्का था और दो छोटे पत्ते...उसने पेक कर दिया.
राजू और रिशू खेलने लगे..
खेलते-2 राजू बोला : "आज रश्मी नही खेलेगी क्या...?"
वो दोनो शायद काफ़ी देर से वो बात पूछना चाहते थे...मोनू भी मन ही मन मे उनकी बात सुनकर हंस दिया..
मोनू : "पता नही....मैने बोला तो था...पर शायद कल वो काफ़ी बार हार गयी थी...इसलिए मना कर रही थी...शायद आ भी जाए..''
रिशू : "अरे, ये तो खेल है...कोई ना कोई तो हारता रहता है...इसमे दिल छोटा करने वाली क्या बात है..''
मोनू कुछ नही बोला और दोनो की गेम चलती रही...वो गेम रिशू जीता , उसके पास पेयर आया था.
जैसे ही रिशू ने पत्ते बाँटने शुरू किए, उन्हे रश्मी के नीचे उतरने की आवाज़ आई...सभी के सभी सीडियों की तरफ देखने लगे..रिशू भी पत्ते बाँटकर उसी तरफ देखने लगा.
और जैसे ही अपनी गेंदे उछालती हुई वो नीचे उतरी , उसके अलग ही अंदाज मे डांस करते हुए मुम्मे देखकर वो दोनो हरामी समझ गये की उसने अंदर कुछ नही पहना है...और सभी की तेज नज़रें टी शर्ट के पतले कपड़े के नीचे उसके निप्पल ढूँढने लगे और उन्हे एक ही बार मे सफलता भी मिल गयी, एक तो उसने अंदर ब्रा नही पहनी थी और उपर से उसके निप्पल आम लड़कियों के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही मोटे थे...इसलिए नन्ही-2 चोंच सॉफ दिख रही थी.
रश्मी : "मोनू ..मुझे खेलने दो ना...''
मोनू हंसता हुआ उठ गया...और रश्मी को सामने देखकर दोनो के मुँह से पानी टपकने लगा..
मोनू : "रिशू...अब रश्मी आ गयी है, इसलिए पत्ते दोबारा बाँटो...''
रिशू को कोई परेशानी नही थी, उसने ताश दोबारा फेंटी और फिर से पत्ते बाँटने लगा..
रश्मी की तरफ से चाल चलने और पत्ते देखने का काम मोनू का ही था...इसलिए 2-2 ब्लाइंड के बाद मोनू ने एकदम से डबल ब्लाइंड चल दी..उसकी देखा देखी रिशू और राजू ने भी डबल ब्लाइंड चल दी..वो तो बस रश्मी को घूरने में लगे थे...
मोनू ने फिर से ब्लाइंड का अमाउंट बड़ा दिया और 600 रुपय बीच मे फेंक दिए...अब राजू की फटने लगी..उसने अपने पत्ते उठा लिए..और फिर कुछ सोचकर उसने 1200 बीच मे फेंके और चाल चल दी..
अब चाल बीच मे आ चुकी थी, इसलिए राजू ने भी अपने पत्ते देख लिए..वो काफ़ी देर तक सोचता रहा और आख़िर मे जाकर उसने पेक ही कर दिया..
अब बारी थी रश्मी की...उसने मोनू की तरफ़ देखा तो मोनू ने 600 की ब्लाइंड फिर से चल दी..
रिशू ने भी 1200 की चाल रिपीट कर दी..
अब थी असली इम्तिहान की घड़ी...रश्मी के इम्तिहान की घड़ी...उसकी किस्मत के इम्तिहान की घड़ी..
मोनू ने पत्ते उठाए ...उन्हे चूमा...और फिर एक-एक करते हुए उन्हे देखा..
पहला हुकुम का पत्ता था 10 नंबर..
दूसरा भी हुकुम का ही निकला ...बेगम...
अब तो मोनू को पक्का विश्वास हो गया की उसके पास हुकुम का कलर आया है..
पर जैसे ही उसने तीसरा पत्ता देखा, लाल रंग देखकर उसका दिल टूट गया...
पर अगले ही पल वो खुशी से उछाल पड़ा...क्योंकि वो लाल रंग मे ही सही पर गुलाम था...
यानी उसके पास सीक़ुवेंस आया था...10,11,12..
उसने वो सब शो नही होने दिया...और बड़े ही आराम से रिशू की चाल से डबल चाल चलते हुए 2400 रुपय बीच मे फेंक दिए..
अब रिशू भी समझ चुका था की मोनू के पास बाड़िया वाले पत्ते आए हैं...इसलिए उसने एकदम से डबल की चाल चली है...पर उसके पास भी पत्ते चाल चलने लायक थे, इसलिए वो अभी तक खेल रहा था...वो आगे चाल तो चलना नही चाहता था पर शो ज़रूर माँग लिया उसने...
मोनू ने शो करते हुए अपने पत्ते सलीके से उसके सामने फेंक दिए...
उन्हे देखकर एक दर्द सा उभर आया रिशू के चेहरे पर...जैसे अक्सर जुआ हारने वाले के चेहरे पर आ जाता है..
उसने भी अपने पत्ते फेंक दिए..
उसके पास 9 का पेयर था..
और मोनू ने हंसते हुए सारे पैसे अपनी तरफ खिसका लिए..
इतने सारे पैसे अपने सामने देखकर रश्मी खुशी से चिल्ला पड़ी..
वो लगभग 10 हज़ार थे , जो एक ही बार मे उनके पास आ गये थे..
हारने का गम मनाते हुए रिशू को रश्मी के उछलते हुए मुम्मो को देखकर कुछ देर के लिए सांत्वना ज़रूर मिली...पर उसका मूड खराब हो चुका था.
एकदम से रश्मी बोली : "मैं कुछ खाने के लिए लाती हूं अंदर से...''
और वो उठकर अंदर चली गयी..
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10-06-2018, 01:59 PM,
#17
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
उसके जाते ही मोनू उसकी सीट पर आकर बैठ गया...ये सोचकर की एक गेम वो भी खेल ले, और हार जाए, ताकि वो खेलने के लिए बैठे रहे...वरना जुआरियों को हमेशा यही लगा रहता है की अगर कोई बड़ी गेम हार जाते हैं तो उसके बाद निकलने की सोचते हैं..
पर उसके बैठते ही रिशू एकदम से बोला : "अब तुम रश्मी को ही खेलने दो...ऐसे बीच मे बदल-2 कर मत खेलो...''
मोनू चुपचाप उठ गया...और वापिस सोफे के हत्थे पर बैठ गया..
रिशू और राजू एक तरफ ही बैठे थे...दोनो एक दूसरे के पास मुँह लेजाकर ख़ुसर फुसर करने लगे..
रिशू : "यार...ये तो मेरा बैठे-2 निकलवा कर रहेगी आज...साली बिना ब्रा के बैठी है सामने...मन तो कर रहा है की इसके मोटे-2 निप्पल पकड़कर ज़ोर से दबा दूं...''
राजू फुसफुसाया : "हाँ यार...साली बिल्कुल सामने बैठकर ऐसे हिला रही है अपने दूधों को की मन कर रहा है उन्हे दबोचने का...साली रंडी लग रही है बिल्कुल....एक बार बस मिल जाए इसकी...ये सारे पैसे हारने का भी गम नही रहेगा...''
और दोनो खी-2 करते हुए हँसने लगे...
मोनू उनकी बातें सुनने की कोशिश कर रहा था पर उसे कुछ सुनाई ही नही दे रहा था..
पर ये तो वो समझ ही चुका था की वो दोनो रश्मी के बारे मे ही बात कर रहे हैं..
तभी रश्मी की आवाज़ आई अंदर से : "मोनू...वो बेसन वाली मूँगफली कहाँ रखी है...मिल नही रही मुझे...''
मोनू उठकर अंदर चला गया...
अब राजू और रिशू थोड़ा खुलकर बाते करने लगे रश्मी के बारे मे...
मोनू जैसे ही अंदर पहुँचा, रश्मी ने उसे अपनी तरफ खींचकर उसे अपने सीने से लगा लिया..
एकदम से रश्मी की इस हरकत पर वो बोखला सा गया...क्योंकि उन दोनो के बाहर बैठे हुए रश्मी से ऐसी हरकत की उम्मीद नही थी उसको पर उसके नर्म मुलायम मुम्मो के एहसास को अपनी छाती पर महसूस करके उसे मज़ा बहुत आया...और वो एक ही पल मे ये भूल गया की उसके दोनो दोस्त कुछ ही दूर यानी बाहर बैठे हैं. रश्मी की खुशी देखते ही बनती थी
रश्मी : "मोनू....तुमने बिल्कुल सच बोला था...हम जीत गये...वो भी इतने सारे पैसे एक साथ....वाव....आई एम सो हैप्पी ......''
और इतना कहते हुए उसने एकदम से उपर होते हुए मोनू के होंठों को चूम लिया...वो स्मूच तो नही था पर उसके नर्म और ठन्डे होंठों के एहसास को एक पल के लिए ही सही, महसूस करते ही उसके तन बदन मे आग सी लग गयी...उसने भी रश्मी के चेहरे को पकड़ कर उसे चूमना चाहा पर तभी बाहर से रिशू की आवाज़ आई
''अरे भाई...मूँगफली मिली या नही....''
रश्मी एकदम से मोनू से अलग हो गयी...पर उसकी आँखो की शरारत साफ़ बता रही थी की वो भी मोनू के लिए अभी उतनी ही उतावली हो रही थी ,जितना की वो हो रहा था उसके लिए..
अचानक मोनू ने उसके दोनो मुम्मों को दबोच लिया और ज़ोर से दबा दिया...
रश्मी एक दम से चिहुंक उठी...ये उसके भाई का सीधा और प्रहार था उसके स्तनों पर...जिसे महसूस करके उसका बदन भी ऐंठने लगा..
रश्मी फुसफुसाई : "छोड़ो मोनू....वो बाहर ही बैठे हैं...कोई अंदर ना आ जाए ...छोड़ो ना...ये कर क्या रहे हो तुम....''
मोनू ने भी शरारत भरी मुस्कान से कहा : "मूँगफली ढूँढ रहा हू ...''
और इतना कहते-2 उसने रश्मी के दोनो निप्पल पकड़ कर ज़ोर से भींच दिए..
और बोला : "मिल गयी मूँगफलियाँ....''
रश्मी कसमसाकर बोली : "कमीने हो तुम एक नंबर के....जाओ अभी बाहर...ये मूँगफलियाँ रात को मिलेंगी...''
मोनू बेचारा बेमन से बाहर निकल आया..पर ये सांत्वना भी थी की आज रात को ज़रूर कुछ ख़ास होकर रहेगा..
मोनू के आने के एक मिनट के अंदर ही रश्मी भी आ गयी...और आदत के अनुसार रिशू और राजू की नज़रें फिर से एक बार उसके निप्पल्स पर चली गयी...और इस बार उन्हे ये देखकर और भी आश्चर्य हुआ की वो तो पहले से भी बड़े दिख रहे थे...ऐसा क्या हो गया रश्मी को एकदम से...ऐसा तो तब होता है जब लड़की पूरी तरह से उत्तेजित होती है...
तो क्या रश्मी उन्हे देखकर ही उत्तेजित हो रही है...
क्योंकि मूँगफली की प्लेट नीचे रखते हुए वो जिस तरीके से उन्हे देख रही थी...सॉफ पता चल रहा था की वो भी उनमे इंटरस्ट ले रही है...
उन दोनो के लंड तो खड़े होकर बग़ावत करने लगे...
खेल की माँ की चूत ...उन्हे तो बस रश्मी मिल जाए इस वक़्त, वो अपने सारे पैसे ऐसे ही उसे देने के लिए तैयार थे...
पर रश्मी तो अलग ही दुनिया में थी...उनके मन मे क्या चल रहा है इस बात से भी अंजान..
और इस बार रश्मी ने पत्ते बाँटने शुरू किए...और वो बेचारे बेमन से अगली गेम खेलने लगे..
रश्मी के चेहरे की हँसी जाने का नाम ही नही ले रही थी...ऐसा अक्सर होता है, नये-2 जुआरियो के साथ...
अगली गेम के लिए बूट और ब्लाइंड की राशि 500 कर दी गयी...और 3-3 ब्लाइंड चलने के बाद जब एक बार और रश्मी की तरफ से मोनू ने ब्लाइंड चली तो राजू और रिशू का मन हुआ की पत्ते उठा कर देख ले...पर फिर ना जाने क्या सोचकर दोनो एक-2 बाजी और ब्लाइंड की खेल गये...यही तो मोनू भी चाहता था..क्योंकि उसे तो पक्का विश्वास था की रश्मी के पत्ते तो अच्छे होंगे ही...इसलिए उसने इस बार ब्लाइंड की रकम भी दुगनी करते हुए 1000 कर दी.
अब तो सबसे पहले रिशू की फटी...क्योंकि पिछली गेम में वो काफ़ी पैसे हार चुका था...और ये ग़लती वो इस बार नही करना चाहता था..
उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास 2 का पेयर आया था...पत्ते तो काफ़ी छोटे थे...पर चाल चलने लायक थे...उसका एक मन तो हुआ की पेक कर दे..पर फिर रिस्क लेते हुए उसने 2000 बीच मे फेंक कर चाल चल दी.
राजू की बारी आई तो उसने झट से अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास इक्का और बादशाह आए थे...साथ में था 7 नंबर...कोई मेल ही नही था...चाल चलने का तो मतलब ही नही था. उसने पेक कर दिया..
अब एक चाल बीच मे आ ही चुकी थी...पर फिर भी मोनू ने रश्मी के पत्ते देखे बिना एक और ब्लाइंड चल दी...और हज़ार का नोट बीच मे फेंक दिया..
इतनी डेयरिंग तो आज तक इनमे से किसी ने नही दिखाई थी...ऐसा लग रहा था की मोनू को पूरा विश्वास था की वो ही जीतेगा...इतना कॉन्फिडेंस कही उसका ओवर कॉन्फिडेंस ना बन जाए..
अब रिशू के सामने चुनोती थी...पर एक तरह से देखा जाए तो उसका पलड़ा ही भारी था अब तक ...मोनू ने पत्ते देखे नही थे...और उसके पास पेयर था 2 का...ऐसे में उसके मुक़ाबले के पत्ते होना एक रिस्क ही था मोनू के लिए...पर फिर भी वो चाल के उपर ब्लाइंड खेल गया...शायद ये सोचकर की अगर जीत गया तो तगड़ा माल आएगा हाथ...और अगर हार भी गया तो कोई गम नही..क्योंकि पिछली गेम में वो काफ़ी माल जीत ही चुका था..
रिशू की नज़रें रश्मी के उपर थी...तो थोड़ी टेंशन मे आ चुकी थी अपने भाई को ऐसे ब्लाइंड पर ब्लाइंड चलते देखकर..
रिशू ने फिर से एक बार रिस्क लेते हुए 2000 की चाल चल दी...अब तो रश्मी की टेंशन और भी बढ़ गयी....टेंशन के मारे उसके निप्पल उबल कर बाहर की तरफ निकल आए...और उसने जाने अंजाने मे ही अपने दाँये निप्पल को पकड़कर ना जाने क्यो उमेठ दिया...
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10-06-2018, 01:59 PM,
#18
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
वैसे ये उसकी हमेशा की आदत थी...जब भी वो उत्तेजित होती थी...यानी रात के समय या फिर फ़िन्गरिंग करते समय...वो अपने खड़े हुए निप्पल्स की खुजली को मिटाने के लिए उन्हे ज़ोर-2 से उमेठ देती थी...ऐसा करने में उसकी खुजली भी मिट जाती थी और उसे अंदर तक एक राहत भी मिलती थी..
पर आज वो भले ही उत्तेजित नही थी..पर उसके निप्पल्स मे हो रही खुजली ठीक वैसी ही थी जैसी रात के समय हुआ करती थी....और इस टेंशन वाली खुजली को भी उसने अपनी उंगलियों के बीच दबोच कर मिटा दिया...
भले ही ये सब करते हुए उसका खुद पर नियंत्रण नही था..पर उसकी इस हरकत को देखकर सामने बैठे दोनो ठरकियों के लौड़े कबूतर की तरह फड़फड़ाने लगे..
अभी कुछ देर पहले ही मूँगफली की प्लेट नीचे रखते हुए जिस अदा के साथ रश्मी ने उन दोनो को देखा था और स्माइल किया था...अब उसे फिर से खुले आम अपने निप्पल को मसलते देखकर उन्हे पूरा विश्वास हो गया की वो उन्हे लाइन दे रही है...एक तो पहले से वो बिन ब्रा के और ऊपर से ऐसी रंडियों वाली हरकतें...उन्होने मन ही मन ये सोच लिया की एक बार वो भी अपनी तरफ से ट्राइ करके रहेंगे...शायद उनका अंदाज़ा सही हो और रश्मी जैसा माल उन्हे मिल जाए
मोनू इन सब बातो से अंजान अपने गेम को खेलने मे लगा था...उसका एक मन तो हुआ की वो एक और ब्लाइंड चल दे...पर कही कुछ गड़बड़ हो गयी तो सारे पैसे एक ही बार मे जाएँगे..
ये सोचते हुए उसने अपने पत्ते उठा लिए..
और अपने पत्ते देखकर एक पल के लिए तो उसके माथे पर भी परेशानी का पसीना उभर आया..
उसके पास 3 का पेयर आया था.
अब देखा जाए तो वो जीत ही रहा था रिशू से...लेकिन उसे तो ये बात पता नही थी ना..
पत्ते भले ही मोनू के पास चाल चलने लायक थे..पर वो और चाल चलकर खेल को आगे नही बढ़ाना चाहता था...क्योंकि सामने से रिशू 2 चालें चल ही चुका था...यानी उसके पास भी ढंग के पत्ते आए होंगे...मोनू को चिंता सताने लगी की कहीं वो ये बाजी हार ना जाए...या फिर हारने से पहले वो पेक कर दे तो कम से कम शो करवाने के 2000 और बच जाएँगे...
वो कशमकश मे पड़ गया..
फिर उसने एक निश्चय किया....रश्मी को उसने वो पत्ते दिखाए...और धीरे से पूछा.. : "दीदी...आप बोलो...शो माँग लू या पेक कर दू ...''
अब रश्मी इतनी समझदार तो थी नही जो इस खेल को इतनी अंदर तक समझ पाती...पर उसने जब देखा की उनके पास 3 का पेयर है...और मोनू ने यही सिखाया था की पेयर ज़्यादातर गेम्स जीता कर ही जाते हैं...उसने हाँ में सिर हिलाकर शो माँगने को कहा ...और मोनू ने उसके बाद बिना कुछ सोचे समझे 2000 बीच मे फेंकते हुए शो माँग लिया...
अब ये गेम अगर वो हार जाते तो अभी तक के सारे जीते हुए पैसे एक ही बार मे चले जाने थे...पर ऐसा होना नही था..क्योंकि रिशू ने जैसे ही अपने पत्ते उन्हे दिखाए...मोनू ने बड़े ही जोशीले तरीके से 2 के पेयर 3 का पेयर फेंकते हुए सारे पैसे अपनी तरफ करने शुरू कर दिए..
और इतने सारे पैसे एक बार फिर से अपनी तरफ आते देखकर रश्मी तो झल्ली हो गयी...और उसने खुशी के मारे उछलते हुए अपने भाई को गले से लगा लिया....
उसके दोनो मुम्मे बुरी तरह से बेचारे मोनू के चेहरे से रगड़ खाते हुए पिस गये...
और उसकी ये हरकत देखकर रिशू और राजू मोनू की किस्मत को फटी हुई आँखो से देख रहे थे...
वो बड़े ही जोशीले तरीके से मोनू के चेहरे को दबोच कर चिल्लाती जा रही थी : "हम जीत गये....याहूऊऊऊओ....हम जीत गये....''
मोनू ने बड़ी ही मुश्किल से अपने आप को उसके नर्म मुलायम मुम्मे के हमले से छुड़वाया ...वो ऐसा करना तो नही चाहता था पर अपने दोस्तों को ऐसे मुँह फाड़कर उसे और अपनी बहन को हग करता देखकर वो खुद को छुड़वाने पर मजबूर हो गया.
अब मोनू लगभग 20-25 हज़ार जीत चुका था...
रश्मी ने सारे नोटो को सलीके से एक के उपर एक रखकर गड्डी बनानी शुरू कर दी...और एक मोटी सी गड्डी बनाकर उसे अपने कुल्हों के नीचे दबा कर बैठ गयी..
उफफफ्फ़....काश...हम नोट होते...बस यही सोचते रह गये रिशू और राजू.
आज काफ़ी पैसे हार चुके थे वो दोनो...और उन दोनो की जेबें लगभग खाली हो चुकी थी.
रिशू : "मोनू भाई....आज के लिए यहीं ख़त्म करते हैं....अगर गेम लंबी चली गयी तो ज़्यादा चाल चलने के पैसे नही है आज....कल आएँगे हम...वैसे भी कल छोटी दीवाली है...और परसो दीवाली....अब तो उसके हिसाब से ही आएँगे...बस इन दो दिनों का ही खेल रह गया है अब तो...उसके बाद तो फिर से अपने धंधे पानी की तरफ देखना पड़ेगा...''
राजू : "हाँ भाई....आज के लिए तो मैं भी चलूँगा...आज काफ़ी माल हार गया...पर कोई गम नही इसका...इसी बहाने रश्मी तो खुश हुई ना...''
वो जैसे रश्मी को मक्खन लगाने के लिए ये सब कह रहा था.
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10-06-2018, 01:59 PM,
#19
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
रश्मी भी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी...वैसे भी राजू उसको शुरू से ही आकर्षक लगता था...उसकी डील डोल सबसे अलग थी...और शायद ये सोचकर की उसका लंड भी ऐसा होगा...वो अंदर से सिहर उठी.
जाते-2 रिशू एकदम से पलटा और बोला : "मोनू...अगर तू कहे तो कल हम लाला को भी लेते आए....उसका फोन आया था आज सुबह और बोल रहा था खेलने के लिए...मैने तो बोल दिया की आजकल हम मोनू के घर बैठते है...पर वो अगर कहेगा तभी आने के लिए कहूँगा ..''
मोनू कुछ देर के लिए सोच मे पड़ गया..
लाला उनका पुराना साथी था...और एक नंबर का हरामी भी...लड़कियों को चोदने और उनके बारे मे बात करना, बस यही काम था उसका...एक-दो बार मोनू ने उसके मुँह से रश्मी के बारे में सुन लिया था, कहासुनी भी हुई थी दोनों में, तबसे वो उसके साथ दूरी बनाकर रखता था...और ये बात सभी को मालूम थी..
पर जुआ खेलने मे वो एक नंबर का अनाड़ी था..चाल कब और कैसे चलनी है, इसका उसे अंदाज़ा नही था...उसे बस उपर के खेल की जानकारी थी..जैसी जानकारी रश्मी को थी..ठीक वैसी ही...
पर वो खुलकर पैसे लगाता था अपनी हर गेम में ...और आज जिस तरह से मोनू के हाथ जुआ जीतने का मंत्र हाथ लगा था, उसके बाद तो ऐसे ही जुआरियों के साथ जुआ खेलने का मज़ा आता है
उसने हां दी...
उनके जाने के बाद रश्मी ने पूछा : "ये लाला कौन है...?''
मोनू : "वो कल ही देख लेना...इनकी तरह ही एक दोस्त है वो भी...पर ज़्यादा खेलना नही आता उसको..''
रश्मी : "पर आज मज़ा बहुत आया मोनू...इतने पैसे जीत गये हम....ये देखो...''
उसने अपनी गांड के नीचे से नोटो की गड्डी निकाल कर दिखाई...जो अच्छी तरह से दबने के बाद सीधे हो चुके थे..मोनू भी उन नोटो की गर्मी से ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रहा था की ये असल मे कौनसी गर्मी है...उसकी बहन की गांड की या हरे-2 नोटों की..
सारे पैसे मोनू ने रश्मी को रखने के लिए दे दिए...वो पलटकर जैसे ही उपर अपने कमरे मे जाने लगी , मोनू एकदम से बोला : "मूँगफली...''
और वो शब्द सुनकर रश्मी को एकदम से वो बात याद आ गयी जो किचन मे उसने मोनू से बोली थी...की रात को वो अपनी मूँगफली खिलाएगी उसको..और वो याद करते ही उसकी दोनो मूंगफलियां यानि निप्पल्स टाइट हो गयी...वो गहरी साँसे लेने लगी...और उसका दिल ज़ोर-2 से धड़कने लगा..
अगर इस वक़्त मोनू उसको पीछे से पकड़कर उसकी दोनो चुचियाँ ज़ोर से दबा देता तो वो वहीं के वहीं पिघल जाती...लिपट जाती उसके साथ...नोच फेंकती अपने और उसके कपड़े...और खिला देती अपने भाई को अपनी मूँगफलियाँ..
उसने हकलाते हुए कहा : "क....क्या कहा.....तुमने....''
मोनू : "ये मूँगफलियाँ तो अंदर रख दो दीदी...बाहर पड़ी हुई सील जाएँगी....इनका करारापन चला जाएगा...''
उसने प्लेट मे रखी मूँगफलियों की तरफ इशारा किया.
रश्मी : "ओह्ह्ह .......मैं समझी......उम्म्म्मम..... ओक ...रख देती हू....''
और इतना कहकर उसने जल्दी से वो प्लेट उठाई और भागकर किचन मे चली गयी...फिर वो बाहर निकल कर जैसे ही अपने कमरे मे जाने लगी...पीछे से मोनू ने धीरे से कहा : "और दीदी....उन मूँगफलियों का क्या...जो मुझे खिलाने वाली थी आज आप ....''
एक बार फिर से सुलग उठी रश्मी, अपने भाई की ये बात सुनकर...
उसने धीरे से पीछे देखा और बोली : "फ़िक्र मत करो...उनका करारापन नही जाएगा....''
मोनू : "जब तक चेक ना कर लू...मुझे विश्वास नही होगा...''
रश्मी : "बदमाश.....तो तू नही मानेगा....''
रश्मी तो खुद यही चाह रही थी की आज वो ना ही माने...
मोनू ने ना मे सिर हिला दिया...ऐसा मौका भला वो क्यो छोड़ता ...
रश्मी : "अभी माँ को चेक करके आती हूँ ...सोना मत....ह्म्म्म्म...''
और वो अपनी बड़ी सी गांड मटकाती हुई उपर चली गयी....और मोनू खुशी-2 अपने कमरे की तरफ...
अपने कमरे मे जाते ही मोनू ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके..और अगल-बगल डियो लगा लिया...और फिर सिर्फ़ एक निक्कर और टी शर्ट पहन कर अपने बेड पर लेट गया..वो और उसका लंड बड़ी ही बेसब्री से रश्मी का इंतजार करने लगे...रात के 12 बजने वाले थे...उसकी आँखो मे नींद भरी हुई थी..पर वो सोना नही चाहता था...बस अपनी आँखो को बंद करके वो रश्मी के आने के बाद क्या-2 करेगा यही सोचने लगा...और ये सोचते -2 कब उसकी आँख लग गयी, उसे भी पता नही चला.
''मोनू.....मोनू....सो गये क्या....''
दूर से आती आवाज़ सुनकर मोनू की नींद खुल गयी....वो तो सपनों की दुनिया मे था...ठंडी बर्फ मे...पूरा नंगा...और रश्मी के पीछे भाग रहा था...उसके बचे खुचे कपड़े उतारने के लिए...और वो भागे जा रही थी...भागे जा रही थी...
''मोनू....उठो.....मैं आ गयी...''
रश्मी की आवाज़ सुनते ही वो एकदम से अपने सपने की दुनिया से बाहर निकला...वो उसकी बगल मे ही बैठी थी...और उसका हाथ मोनू के माथे पर आए पसीने को पोंछ रहा था.
रश्मी : "क्या हुआ....कोई सपना देख रहे थे क्या......बोलो ...''
मोनू ने हाँ में सिर हिलाया.
रश्मी : "बताओ....क्या देख रहे थे...''
वो शायद जानती थी की वो उसके बारे मे ही सोच रहा था सपने मे...पर फिर भी उसके मुँह से सुनना चाहती थी.
मोनू : "वो मैने बता दिया तो आप शरमा जाएँगी...बहुत कुछ हो रहा था सपने में तो...''
और मोनू की ये बात सुनकर वो सच मे शरमा गयी..
मोनू की नज़रें उसके चेरहरे से होती हुई नीचे तक आई....उसकी क्लिवेज उफन कर बाहर आ रही थी...इतना गहरा गला तो उसने आज तक नही देखा था अपनी बहन का...ऐसा लग रहा था जैसे उसने जान बूझकर अपने मुम्मे बाहर की तरफ निकाले हैं, ताकि मोनू उन्हे देख सके.
रश्मी ने उसकी नज़रों का पीछा किया और बोली : "एक नंबर के बदमाश हो तुम....मैने तो पहले सोचा भी नही था की तुम ऐसे होगे...पर पिछले 2-3 दिनों से जो भी तुम्हारे बारे मे पता चल रहा है,उसके हिसाब से तो तुम बड़ी पहुँची हुई चीज़ हो...''
मोनू ने अपना हाथ आगे करते हुए रश्मी की कमर को लपेटा और उसे अपनी तरफ करते हुए खींच लिया...वो आगे की तरफ होती हुई उसकी छाती पर गिर गयी...और अब रश्मी का चेहरा सिर्फ़ 2-3 इंच की दूरी पर ही था...दोनों की साँसे टकरा रही थी आपस मे..रश्मी के दोनो मुम्मे उसके उपर गिरकर पिचक चुके थे...और रश्मी की पीठ पीछे मोनू का लंड अपना पूरा रूप ले चुका था.
मोनू के हाथ धीरे-2 रश्मी की टी शर्ट के अंदर घुसने लगे..उसकी कमर के कटाव से होकर जैसे ही मोनू का हाथ अंदर दाखिल हुआ...रश्मी एकदम से बोली : "ये....क्या कर रहे हो मोनू....मुझे शर्म आ रही है...''
उसकी आँखो मे गुलाबी लकीरें उतर आई...हल्का पानी भी आने लगा...
मोनू : "दीदी...आपने ही तो कहा था की मूंगफलियां खिलाएँगी...अब हमने इतनी गेम्स जीती हैं...उनके बदले सिर्फ़ यही एक चीज़ तो माँग रहा हू...''
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10-06-2018, 01:59 PM,
#20
RE: Behen Chudai Kahani बहन का दांव
रश्मी ने सिसक कर उसकी आँखों मे देखा...जैसे कहना चाहती हो की 'यही से तो शुरुवात होगी बाकी के खेल की...इसके बाद तो रुक नही पाऊँगी ..'
पर वो कुछ बोल ना सकी...
और मोनू के हाथ धीरे-2 सरकते हुए अंदर जाने लगे...और जैसे ही उसकी बीच वाली उंगली ने रश्मी के स्तन का निचला भाग छुआ, दोनो के शरीर सिहर उठे...रश्मी ने अपने होंठ अपने दांतो तले दबा लिए..ताकि उसकी सिसकी ना निकल जाए...और मोनू के मुँह से जो साँसे निकल रही थी उससे रश्मी के बाल पीछे की तरफ उड़ते चले जा रहे थे..
मोनू ने अपनी उंगलियों को रश्मी के पर्वतों के उपर चढ़ाना शुरू कर दिया...टी शर्ट काफ़ी ढीली थी..इसलिए उसके हाथ आराम से उसके मुममे की चिकनी दीवारों से होते हुए मैन पॉइंट तक पहुँच गये...और मोनू ने धड़कते दिल से अपने अंगूठे और बीच वाली उंगली के बीच उसकी मूँगफली को लेकर ज़ोर से दबा दिया..
''अहह ....... मोनू ................... धीरेएsssssssssssssssssss ...............''
उसके बाद तो मोनू से सब्र ही नही हुआ...उसने रश्मी के मुम्मे को अपनी पूरी हथेली मे भरा और ज़ोर-2 से दबाने लगा...ऐसा नर्म एहसास तो उसने आज तक नही लिया था...और उसके निप्पल्स यानी मूँगफलियाँ तो सच मे बड़ी ही करारी थी...उन्हे वो जितना ज़ोर से दबाता वो और भी ज़्यादा उभरकर बाहर निकल आती...और निप्पल के चारों तरफ के घेरे मे छोटे-2 दाने जो थे..उन्हे भी मोनू अपनी उंगलियों से रगड़ रहा था..
मोनू ने रश्मी को पीछे की तरफ करते हुए फिर से सीधा बिठा दिया...और अब उसकी निकली हुई छातियों को वो टी शर्ट के उपर से ही दबाने लगा...
दोनो हाथों से दोनो बॉल्स को मसल रहा था वो...रश्मी तो पागल सी हुई जा रही थी...किसी मर्द का पहला स्पर्श जो था उसके जिस्म पर इस तरह से...उसने जो भी आज तक सोचा हुआ था, वो सब महसूस कर रही थी अपने शरीर पर...
मोनू ने अपनी उंगलियाँ सीधा लेजाकर उसके निप्पल्स पर रख दी...
रश्मी ने एक गहरी साँस ली...और उसकी दोनो छातियाँ थोड़ी और बाहर निकल आई.
मोनू ने आदेश सा दिया : "उतारो अपनी टी शर्ट..''
रश्मी का सीना उपर नीचे होने लगा ये सुनकर...पर ना जाने क्या जादू था मोनू की आवाज़ में ...उसके दोनो हाथों ने टी शर्ट के निचले हिस्से को पकड़ा और धीरे-2 उपर सरकाना शुरू कर दिया..
ज़ीरो वॉट का हल्का बल्ब जल रहा था ठीक मोनू के सिर के पीछे...और हल्की मिल्की रोशनी रश्मी के शरीर पर पड़ रही थी...जो धीरे-2 नंगा हो रहा था.
उसका सपाट पेट जैसे ही ख़त्म हुआ, उसके उभारों ने उजागर होना शुरू कर दिया...और धीरे-2 करते हुए एक के बाद एक दोनो पक्क की आवाज़ करते हुए उछलकर बाहर निकल आए...और रश्मी ने उस टी शर्ट को सिर से घुमा कर बाहर निकाल दिया.और अब वो बैठी थी अपने छोटे भाई मोनू के सामने टॉपलेस होकर...अपनी गोल-मटोल छातियाँ लेकर...मोनू ने अपने हाथ ऊपर किये और उन्हें दबाने लगा
मोनू उसकी सुंदरता को बड़ी देर तक निहारता रहा ...और फिर उसने एक और आदेश दिया अपनी बड़ी बहन को..
''खिलाओ...मुझे अब ये मूँगफलियाँ...''
उसका इशारा लाल रंग के निप्पल्स तरफ था, जो भुनी हुई मूंगफली जैसा लग रहा था
रश्मी धीरे से आगे खिसकी...अपनी एक ब्रेस्ट को अपने हाथों मे पकड़ा और मोनू के चेहरे के उपर झुक कर अपने निप्पल से उसके होंठों पर दस्तक दी...
पर वो अपना मुँह बंद किए लेटा रहा...
रश्मी ने अपने पैने निप्पल से उसके होंठों को रगड़ना शुरू कर दिया...पर वो तो जैसे भाव खा रहा था...मज़ा भी उसको लेना था और भाव भी खुद ही खाने लगा..
पर इतना कुछ होने के बाद अब रश्मी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी...अब कोई फ़र्क नही पड़ता था की वो पहल करे या मोनू...बस दोनो किसी भी तरह से पूरा मज़ा लेना चाहते थे...
मोनू ने जब अपना मुँह नही खोला तो रश्मी ने दूसरी ब्रेस्ट को पकड़ा और उसके निप्पल से मोनू के होंठों को रगड़ा...और इस बार उसने थोड़ा ज़ोर लगाया तो उसका खड़ा हुआ निप्पल उसके होंठों की दीवार भेदता हुआ अंदर दाखिल हो गया...पर उसने अपने दाँत आपस मे भींच रखे थे
रश्मी ने सिसक कर कहा : "खोलो अब....वरना ये मूँगफलियाँ सील जाएँगी...इनका करारापन चला जाएगा...''
मोनू अपनी बहन की बात एक ही बार मे मान गया...और जैसे ही उसने अपना मुँह खोला, रश्मी ने पूरा भार उसके उपर डालते हुए अपना पूरा का पूरा मुम्मा उसके मुँह में ठूस दिया....मूँगफली के साथ-2 प्लेट भी अंदर घुसेड दी...मोनू का मुँह काफ़ी बड़ा था...उसने बड़ी ही कुशलता से उसके पूरे मुम्मे को अपने मुँह मे एडजस्ट किया और उसे ज़ोर-2 से चूसना शुरू कर दिया..जैसे कोई दूध पीता है
और अपने भाई के दूध निकालने की इस कला से वो निहाल सी होकर सिसकारियाँ मारने लगी..
''आआययययययययययययययीीईईईईईईईईईई .,........ उम्म्म्ममममममम....... काटो भी इन्हे...... दर्द सा होता है इनमें .......''
रश्मी ने डॉक्टर मोनू को अपनी परेशानी बताई, और वो उसका इलाज करने में जुट गया
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