Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
01-18-2019, 02:25 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
वो दोनों आफ्रिकन्स की नजर भी अब कामया की जाँघो की ओर उठ गई थी और गुरुजी के हाथों के साथ-साथ उनकी नजर भी ऊपर-नीचे की ओर हो रही थी कामया की नजर में एक मस्ती सी छा गई थी उसकी नजर अब उन आफ्रिकन्स की ओर घूमी थी, और बड़े ही अंदाज से उनकी ओर देखते हुए गुरुजी को कहा था 

कामया- जी गुरुजी जैसा आप कहे, 

गुरुजी- सो डियर वांत आई विल साजेस्ट ईज़ यू पीपल हव डिनर वित अस दॅन कामया देवी विल अरेंज फार फार युवर रेस्ट आंड अदर थिंग्स प्लीज महसूस फ्री टूअस्क एनी हेल्प यू वॉंट फ्रॉम हर 
कहते हुए वो उठ खड़े हुए और मुस्कुराते हुए कामया की कमर पर हाथ रखते हुए आगे की ओर बढ़ चले थे वो दोनों आफ्रिकन्स भी अपनी नजर में लालसा लिए और एक भूखी निगाहे कामया की ओर डालते हुए उनके पीछे-पीछे चल दिए थे गुरुजी के हाथ कामया की पीठ पर कपड़े से खाली जगह पर बिंदास घूम रहे थे और कभी-कभी तो उसके कपड़ों के अंदर तक चले जाते थे 

पीछे से वो दोनों आफ्रिकन्स गुरुजी की हरकत को देखते हुए अपने आप पर नियंत्रण रखते हुए उनके पीछे पीछे चल दिए थे खाने की ओर 

कामया का शरीर तो सुलग रहा था पर गुरुजी के होते वो कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहती थी कि जिससे उन्हें बुरा लगे वो जानती थी, कि आज की रात वो उन आफ्रिकन्स के साथ गुजर सकती है गुरुजी ने तो कह ही दिया था पर एकदम आपरिचित थे वो लोग उनकी आखों में जो भूख वो देख रही थी और उनकी कद काठी को जो वो देख पा रही थी उससे एक अंदाजा तो उसने लगा ही लिया था कि आज की रात बहुत कुछ होने वाला है 

गुरुजी के साथ सभी उठे और एक ओर आके खड़े हो गये गुरुजी अपने पास खड़ी हुई कामया के कंधे पर हाथ रखे हुए उन आफ्रिकन्स से कहते है 

गुरुजी- सो जेंटलमेन नाउ यू कन रेस्ट अंड रिलीस युवर टेन्शन 
और गुरु जी ने एक बार कामया के नंगे कंधो पर हाथ फेरते हुए उसकी ओर देखा और बोले 
गुरुजी- बॅट वन थिंग ईज़ देयर जेंटलमेन शी ईज़ आ लेडी टू बी टेकन एक्सट्रा केर शी ईज़ आ लेडी टू वारशिप यू हव तो वर्कशिप हर वारक्षिप हर बाडी हर सौल आंड ईच आंड एवेरी कार्नर आफ हर शी इज आ डेलिकेट आंड प्राइड आड और अश्राम बी देयर शी विल जाय्न यू इन फ्यू मोमेंट डियर 

और कामया के साथ-साथ उन दोनों आफ्रिकन्स की ओर देखकर उन्हें जाने को कहा इतने में दो बहुत ही खूबसूरत महिलाए उनके पास आके खड़ी हो गई थी दिखने में रूपसा और मंदिरा जैसे ही थी पर थोड़ी मोटी थी उन हबशियो के लायक गुरुजी सबकुछ जानते थे और किसी को क्या चाहिए वो भी कामया के कंधे से उसके हाथ अब साइड से उसकी चूचियां सहला रहे थे कामया अब बहुत उत्तेजित थी उसे अपने शरीर पर काबू रखना मुश्किल सा हो गया था पर गुरुजी का आगे का प्रोग्राम जानने को उत्सुक थी उन आफ्रिकन्स के जाने के बाद कामया गुरुजी से थोड़ा सा चिपक कर खड़ी हो गई थी और 
कामया- मेरे लिए क्या आदेश है गुरुजी 

हँसते हुए गुरुजी- बोलो अपने हाथों में नहीं लेना चाहोगी देश में आने आली एकानमी को ऐसा खेल खेलो सखी कि यह दोनों तुम्हारे दीवाने हो जाए और हर बार जब भी देश के बाहर देखे तो यही देखे और कही नहीं तुम जानती हो यह कैसे होगा बिना कोई शरम और हया के इनको अपने बस में करो जाओ

कहते हुए गुरु जी ने कामया की पीठ थपथपाई और उसे जाने का इशारा किया कामया मुस्कुराती हुई आगे बढ़ी और मूड कर एक लंबा सा चुंबन गुरुजी के होंठों पर किया और वापस अपने खेल को अंजाम देने के लिए चल पड़ी थी 

कामया अपने कमरे में गई और थोड़ा सा अपने आपको मिरर में देखकर अपने हुश्न को निहारा था कमर में बँधे उस गोल्डन बेल्ट को उतार दिया था और एक बार फिर से अलट पलटकर अपने आपको निहारा था गजब की लग रही थी कपड़े के अंदर से उसका शरीर हर कोने से दिख रहा था वो जानती थी कि उसे क्या करना है और वो चाहती भी थी एक मुस्कुराहट अपने होंठों पर लगाती हुई कामया अपने कमरे से बाहर निकली थी 

जब वो उन आफ्रिकन्स के कमरे के बाहर पहुँचि तो एक अजीब सी सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई थी अंदर से कोई आवाज नहीं आ रही थी पर डोर खुलते ही अंदर से उन महिलाओं की हँसी की आवाज के साथ-साथ उन आफ्रिकन्स की गुर-राने की आवाज भी उसके कानों में भिड़ गया था 

कामया की नजर जब बेड पर पड़ी तो वो दोनों महिलाए उन आफ्रिकन्स के नीचे थी और एक आदमी एक महिला की योनि को चाट रहा था और दूसरा अपने लिंग को एक के मुँह में डाले हुए अपना सिर उठा कर गुरा रहा था कमरे में किसी के दाखिल होते ही थोड़ा सा सन्नाटा छा गया पर कामया ने कहा
कामया- डोंट बाइ शाइ प्लीज केर्रि ऑन आई म हियर टू अस्क इफ एनी हेल्प फ्रॉम माइ साइड 

वो दोनों आफ्रिकन्स ने एक बार एक दूसरे की ओर देखा और झट से बिना कपड़ों के ही एक छलाँग में बेड से नीचे उतर आए और घुटनों के बल बैठकर कामया के आगे हाथ जोड़ कर कहने लगे 
ड्षन- प्लीज देवी जी हेल्प अस वी आर फसिनटिंग अबाउत यू ससेंसे वी केम हियर प्लीज फर्गिव अस प्लीज हेल्प अस 
सम ऽ यस देवी जी प्लीज वी आर यू आर स्लेव आंड रिमेन स्लेव्स थ्रू आउट और लाइफ और माओने आंड एवेरी थिंग ईज़ युवर्ज़ प्लीज हेल्प अस 

कामया हँसते हुए थोड़ा सा उनके पास चली गई थी और अपने कोमल हाथ उनके सिर पर रखते हुए बोली 
कामया- ओह्ह… यस डियर यू आर माइन डोंट बॉदर यू आर सेल्फ़ प्लीज एंजाय युवर स्टे हियर आर लडीस् यू कन यूज देम ऐज पर यू आर विल बी नाइस टू देम आई म हियर प्लीज रिलीस युवर सेल्फ़ आंड दॅन कम टू मी आई म हियर टू हेल्प यू इट’स आन आर्डर टू मी बाइ माइ गुरुजी 

उन आफ्रिकन्स ने एक बार कामया की ओर देखा उसकी गोरी गोरी मसल जांघे उनकी आखों के सामने चमक रही थी बड़ी हिम्मत करते हुए ड्षन ने अपने हाथों को कामया की जाँघो पर रखा था और कामया ने मुस्कुराते हुए उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उसे उठाकर खड़ा किया और बेड की ओर इशारा किया 

कामया- गो आई म हियर 
और सम को भी थोड़ा सा सहारा देकर उठाया था और मुस्कुराते हुए बेड की ओर इशारा किया था सम ने झट से अपनी हथेलयो को उसकी जाँघो से रगड़ते हुए उसकी कमर तक ले आया था शायद अपने आपको और नहीं रोक पाया था झट से लिपट जाना चाहता था वो पर कामया की मुश्कान और एक अलग तरीके का निमंत्रण को वो भी ठुकरा नहीं पाया था और मूड कर बेड की ओर चल दिया था पर दोनों की नजर अब भी कामया की ओर ही थी जो की बलखाती हुई चाल में पास में पड़े हुए आसान पर जम गई थी 

उसकी आखें बेड पर होने वाले खेल पर थी बेड पर चढ़ते ही उन महिलाओं ने झट से उन दोनों को पकड़कर अपने से चिपका लिया था और वो दोनों भी घूतम गुत्था होने लग गये थे बिना अपनी नजर हटाए वो उन महिलाओं के साथ खेलते रहे और कामया की ओर देखते हुए अपनी आग को शांत करते रहे उनकी हालत को देखकर यह लगता था कि जैसे वो कामया के साथ ही वो सब कर रहे है उन महिलाओं के साथ नहीं वो महिलाए उन्हें और भी उत्तेजित करने की कोशिश कर रही थी और हर एक धक्के के साथ ही चिल्लाकर उनको प्रोत्साहित करती जा रही थी 

कामया एकटक उन्हें देखकर अपने आपको उत्तेजित कर रही थी और थोड़ी देर बाद जब वो आफ्रिकन्स थक कर गिर गये तो उठी और उन महिलाओं से कहा 
कामया जाओ और इन्हें नहलाकर यहां लाओ गो वित दीज लडीस आई म हियर वेटिंग फार यू 

थके हारे दोनों आफ्रिकन्स जल्दी से उठे और उन महिलाओं के साथ बाथरूम में घुस गये थे थोड़ी देर बाद जब वो आए थे तो फ्रेश थे कमर पर एक तौलिया बँधा हुआ था पर चेहरे को देखकर लगता था कि बाथरूम में भी एक बार सेक्स का खेल खेलचुके है कामया एक मंद सी मुश्कान लिए अपने आसान पर जमी हुई थी टांगों को क्रॉस करते हुए और अपने ड्रेस को जितना ऊपर हो सके ऊपर करते हुए बैठी हुई कामया कोई अप्सरा का रूप लग रही थी गोरा रंग और साँचे में ढला शरीर तो था ही उसका पर आखों और होंठों की भंगिमा ऐसी थी कि सम और ड्षन अपने आप पर काबू नहीं रख पाए और लगभग दौड़ते हुए ही कामया के करीब पहुँच गये थे आसान पर बैठी कामया ने अपने हाथों को बढ़ाकर उनको अपने पास आने का न्योता भी दिया था 
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01-18-2019, 02:25 PM,
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दोनों कामया के पैरों के पास आके बैठ गये थे हल्के हाथों से उसकी जाँघो को छूते हुए एक अजीब सी दृष्टि लिए हुए वो कामया की ओर देखते हुए उसकी जाँघो को हल्के हाथों से सहलाते जा रहे थे उनकी आखों में एक भूख जो कि अब उनके शरीर के हर हिस्से पर काबू पाती जा रही थी उसके हाथों के ऊपर-नीचे होते हुए और उनकी जुबान को बाहर निकलते हुए देखकर कामया ने भी उन्हें और उत्तसाहित करने के लिए अपनी जाँघो को खोलकर अलग कर लिया था दोनों महिलाए खड़ी हुई कामया के जलवे को देख रही थी इतने में कामया ने उनसे कहा 

कामया- अब तुम दोनों जाओ में देख लूँगी इन्हें 

और वो दोनों दासिया बिना कुछ कहे कमरे से बाहर निकल गई थी 

कामया की जाँघो के खुलने से दोनों ने अपने हिस्से में एक-एक टाँग को कर लिया था 

उनके हाथों के साथ-साथ अब उनके होंठों ने भी कामया की जाँघो से लेकर उसके पैरों तक कब्जा जमाते हुए उसे गीलाकरते जा रहे थे कामया दीवानो की तरह उनके सिर को प्यार से सहलाते हुए थोड़ा सा और आगे की ओर हो गई थी उसे पता था कि अब आगे वो क्या चाहती है 

कामया के थोड़ा सा आगे होने से उसकी योनि उनके सामने एकदम साफ दिखने लगी थी उन आफ्रिकन्स की आखों में एक चमक साफ देखने को मिलती थी अपने हाथों को आगे करते हुए उंगलियों से एक साथ दोनों ने उसकी योनि को छुआ था एक हल्की सी सिसकारी कामया के होंठों से निकलकर उस कमरे में फेल गई थी कामया सिर उठाकर अपने उत्तेजना को जाहिर कर रही थी या संतुलित कर रही थी यह नहीं मालूम पर अपने सांसों को छोड़ने के लिए उसने अपने सिर को उँचा उठा लिया था अपने हाथो से उन दोनों के सिर को सहलाते हुए अपने आपको उनके सपर्पित करती जा रही थी सुबह से जलती हुई कामया अपने शारीर पर किसी मर्द की हाथो के स्पर्श से ही इतनी उत्तेजित हो उठी थी कि बस अब तो उसे लगने लगा था कि उन दोनों हबशियो के लिंग उसके अंदर समा जाए 

वो दोनों भी अपनी उत्तेजना को नहीं रोक पाए थे अपनी हवस को नहीं थाम पाए थे सुबह से जब से आए थे कामया के रूप के दीवाने दोनों अपने हाथों में आई उस अप्सरा के हर अंग को चाट कर उसका स्वाद लेते जा रहे थे उसके हाथ कामया की कमर से होते हुए उसकी चुचियों तक पहुँच गये थे और धीरे-धीरे मसलते हुए उसके आकर का जाएजा ले रहे थे उनकी हथेलियाँ इतनी बड़ी थी कि कामया की पूरी चूचियां उनकी हथेलियों में आ जाती थी पर एक रफनेस था उनके स्पर्श में एक मर्दानगी थी उनके स्पर्श में उनकी जीब कामया की जाँघो के साथ-साथ उसकी योनि को छेड़ते हुए एक दूसरे से कब्जा जमाने की होड़ में भी लगी थी कामया एक-एक करके अपने शरीर को मोड़कर उन दोनों को उनका हिस्सा देने की कोशिश में लगी थी कामया अपनी जाँघो को अब तक बहुत ज़्यादा फैला चुकी थी और लगभग बिना कपड़ों के थी उनके हाथ अब कामया की चुचियों को अच्छे से दबाते हुए उसकी पीठ से लेकर उसके हर हिस्से को सहलाते जा रहे थे कामया उत्तेजित स्वर में 
कामया- यस प्लीज गो ऑन आई लाइक इट डान’त स्टॉप ् हव मी हव माइ ऐज यू लाइक टेक मी टू बेड 

दोनों ने कोई देरी नहीं की किसी फूल की भाँति एक ही बार में उठा लिया था कामया को और बेड की ओर ले चले थे दोनों ने एक-एक जाँघ पर कब्जा जमाया हुआ था और अपने दोनों हाथों से पीठ के बल उठाकर उसे बेड पर ले चले थे

कामया मचलते हुए अपने माथे को इधर-उधर करने लगी थी अपने हवस को शांत करने का जरिया जो मिल गया था उनके होंठों ने वो आग भड़का दी थी कि अब उसे बेड की जरूरत पड़ ही गई थी उनके हाथों का खिलोना बनने को तैयार जैसे ही बेड पर पहुँचि थी अपनी बाहों के घेरे में लिए दोनों को खींचकर अपने होंठों को एक-एक कर उनके सुपुर्द करने लगी थी उनके हाथों में उठी हुई कामया को पता भी नहीं चला कि कब उसके कपड़े उतर गये थे वो अब बिल्कुल बिना कपड़ों के बेड पर चित लेटी हुई अपनी टांगों को फैलाकर अपने होंठों को उनके होंठों से जकड़े हुए अपनी अग्नि शांत करने की कोशिश कर रही थी 


वो दोनों भी अपनी मन चाही चीज के हाथों में आने से बेकाबू हो उठे थे, अपने होंठों से कामया को एक-एक कर चूमते हुए उसके शरीर के हर हिस्से को सहलाते हुए आगे बढ़ते रहे ड्षन ने अचानक ही अपने हाथ को आजाद किया और नीचे होते हुए उसकी चुचियों पर अपना कब्जा जमालिया था उसके होंठ कामया के निपल्स को चूस रहे थे और धीरे-धीरे अपनी शक्ति बढ़ाता जा रहा था और जीब और होंठों को जोड़े इतनी जम के चूस रहा था कि कामया का एक हाथ उसके सिर पर आही गया और वो उसे खींचते हुए अपने चुचों पर कसकर पकड़ लिया था अपने आपको संभाल नहीं पा रही थी कामया दो-दो होंठ और ओक्तॉपास से भी ज्यादा हाथों की संख्या जहां भी वो चाहती थी वहां एक हाथ से उसे मसलते हुए ऊपर-नीचे हो जाते थे कामया का पूरा शरीर भट्टी की तरह जल रहा था सम जो की अब तक उसके होंठों के सुपुर्द ही था अब ड्षन के साथ नीचे का रुख कर चुका था अपने हाथों से सहलाता हुआ वो भी अपने होंठों को उसके शरीर पर चलाता हुआ और जीब से गीलाकरता हुआ वो भी हर अंग का स्वाद लेने में मस्त हो उठा था अपने अपने हिस्से के शरीर का स्वाद लेते हुए दोनों अपने हाथों को उसकी योनि और उसके गुदा द्वार तक पहुँचा कर अंदर का जाएजा लेने में लगे थे कामया चिहुक कर थोड़ा सा ऊपर उठी थी पर उनकी शक्ति के आगे हार कर अपने शरीर को मोडते हुए अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगी थी गुदा द्वार पर अचानक हमले के लिए तैयार नहीं थी वो सब योनि तक तो ठीक था पर वहाँ थोड़ा सा परेशान हो उठी थी वो पर उनके होंठों और हाथों के आगे अपना सपर्पण जारी रखा था उसने अपनी हाथ को एक-एक कर उनके सिर पर फेरा था और थोड़ा सा नीचे की ओर देखा था वो दोनों उसकी योनि को चाट-ते हुए उसकी कमर को उठा चुके थे ड्षन धीरे से पीछे की ओर हो गया था और अपनी जीब से उसके गुदा द्वार को चाटने लगा था सम अब भी अपनी जीब से उसकी योनि को चाट रहा था सम कभी-कभी अपनी उंगली को भी उसकी योनि में डालता था और फिर अपनी जीब से चाटता जा रहा था तो कभी अपने होंठों को जोड़ कर उससे रस्स पीने के लिए जोर से अपनी ओर खींचता था कामया उत्तेजना के शिखर पर थी उसके गुदा द्वार को इस तरह आज तक किसी ने नहीं चाटा था और ना ही उसको इतने अंदर तक जीब को घुसाया था कामया कभी-कभी चिहुक कर उठ जाती थी पर दोनों के हाथों ने उसे इतना जोर से जकड़ रखा था कि अपने को छुड़ाने की हिम्मत उसमें नहीं थी काम अग्नि में जलती हुई कामया से आखिर रहा ही नहीं गया 
कामया- ऊऊऊऊऊह्ह प्लीज ईईईईई फफफफफफफफफफुऊऊुुुुुुुुऊउक्कककककककककककककककककककककक में 
प्लेआस्ीईईईईई 

पर उन दोनों पर कोई फरक नहीं पड़ा वैसे ही अपने काम में लगे रहे 
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01-18-2019, 02:25 PM,
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कामया- प्लीज फक मी प्लीज डू इट 
ड्षन जो कि उसके गुदा द्वार पर कब्जा जमाए हुए था अपने चहरे को उसके पीछे से निकाल कर आया और उसके मुँह के सामने अपने लिंग को झूलाकर उसे् दिखाने लगा था कामया अब भी सम की पकड़ में थी उसने उसकी कमर को कसकर पकड़ रखा था और उसकी योनि को चाटता जा रहा था कामया उत्तेजना के चलते अपने हाथों को बढ़ा कर ड्षन के लिंग को कस कर अपने हाथों में कस लिया और अपने होंठों को खोलकर उसके लिंग को अपनी जीब के सुपुर्द कर दिया ड्षन का लिंग उसके मुँह में समा नहीं रहा था अपनेहोंठों को पूरा खोलने के बाद भी वो उसके होंठों से टकरा रहा था लंबाई में भी कुछ ज्यादा ही था पर कामया इस खेल में अब निपुण थी अपनी जान लगा थी उसने ड्षन के लिंग को चूसने में 

कामया- उूुउऊह्ह म्म्म्ममममममममममममम करती हुई अपनी योनि को उचका देती थी बीच बीच में अपने होंठों में दबे हुए ड्षन के लिंग को कस कर अपनी उंगलियों के बीच में लिए कामया की एक नजर ड्षन पर भी थी ड्षन नीचे उसी की ओर देखकर अपनी कमर को एक हल्का सा धक्का देता था और उसके सिर को पकड़कर अपनी जीब को बाहर निकलने से रोकता भी था कामया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वो एकदम से उठकर नीचे बैठ गई सम के चहरे पर चढ़ गई थी सम जब तक कुछ समझता तब तक तो कामया की योनि उसके चहरे पर फेल कर उसके अंदर के रस्स से उसका चेहरा भिगो चुकी थी कामया की कमर अब एक लहर की भाँति सम के चेहरे पर चल रही थी ड्षन अब भी अपने लिंग को लिए उसके सामने हिलाते हुए फिर से उसके मुख में डालने को बेताब था कामया ने भी एक बार उसकी ओर देखते हुए उसे अपने हाथों के बीच में लिया और अपने होंठों के अंदर ले गई थी अपनी योनि को सम के चेहरे पर मलते हुए और ड्षन के लिंग को चूसते हुए कामया अब धीरे-धीरे अपने शिखर की और बढ़ने लगी थी 


तभी सम ने अपने आपको उसके चुंगल से आजाद कर लिया और पलटकर कामया के पीछे की ओर हो गया और उसकी कमर को कस कर पकड़कर उसे घोड़ी जैसा बनाकर अपने लिंग को उसकी योनि में डालने लगा कामया खुद भी यही चाहती थी अपनी जाँघो को खोलकर एक मादक नजर सम पर डाली और अपनी कमर को थोड़ा और ऊँचा उठा लिया था कामया के कमर को उठाते ही सम को उसकी योनि साफ दिखने लगी थी अपने लिंग को अड्जस्ट करते ही उसने एक जबरदस्त धक्का दिया और आधे से ज्यादा लिंग उसकी योनि में समा दिया कामया उत्तेजित तो तो ही और योनि के गीले होने से इतने जार का धक्का सह गई थी अपने आपको थोड़ा सा और अड्जस्ट करते हुए एक बार फिर से पीछे की ओर सम को देखा था जैसे उसे चिढ़ा रही है सम भी आवेश में आ गया था और बिना रुके दूसरे धक्के में ही अपना पूरा लिंग कामया के अंदर तक पहुँचा दिया कामया की योनि उसके लिए थोड़ी टाइट थी उसका लिंग पूरा का पूरा फँसा हुआ था और कामया सिसकारी भारती हुई अपने कंधों के बल लेट गई थी अपनी कमर को ऊँचा करते हुए पर ड्षन भी तो था उसने कामया के सिर को उठाकर अपने लिंग को फिर से उसके होंठों पर घिसते हुए अंदर तक पहुँचा दिया अब कामया दोनों और से फँस गई थी मुख में ड्षन और योनि में सम दोनों थोड़ी देर को रुके थे पर जाने क्या हुआ कि एक साथ ही दोनों ने कामया को मजबूती से अपने हाथों में जकड़ लिया और अपने लिंग को आगे पीछे करने लगे थे कामया अब उनके रहमो करम पर थी उन्होंने उसपर अपना पूरा कब्जा जमा लिया था अब वो उनके लिए कोई देवी या आश्राम की रानी नहीं थी थी तो सिर्फ़ एक औरत और उनके लिए ही थी सो जो मन में आया करते जा रहे थे अपनी पकड़ को ड्षन ने बहुत ही मजबूती से उसके बालों को पकड़कर अपने लिंग पर आगे पीछे कर रहा था और सम उसकी कमर को पकड़े हुए अपने लिंग को बहुत ही दर्दनाक तरीके से अपनी हवस को मिटाने में लगा था कामया अपने मुँह से सिर्फ़ ...... 
कामया- उूुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममममम उउंम्म उउंम उउउंम्म कर पा रही थी आखें खोलकर ऊपर भी क्या देखती अगर ड्षन थोड़ा ढीला छोड़े तो ना उसके बाल सब अस्तव्यस्त हो गये थे उन्हें थोड़ा भी रहम नहीं आरहा था अपने हाथों में आई उस हसीन औरत के साथ वहशीपन की सी हरकत करते हुए उन्हें मजा आ रहा था और अपने लिंग को जो जहां था अंदर और अंदर तक घुसाने की कोशिश करते जा रहे थे सम ने अचानक ही कामया की कमर को अपनी बाहों में भर लिया और उसके ऊपर वजन देते हुए अपनी कमर को तेजी से चलाने लगा कामया उसके वजन को सह ना पाई थी और धम्म से नीचे बेड पर गिर पड़ी थी ड्षन का लिंग उसके मुँह में थोड़ा सा फँसा रह गया था पर उसके बाल अब भी ड्षन के हाथो में ही थे ड्षन भी कम नहीं था बिना सोचे ही अपने आपको बेड पर लिटा लिया और फिर एक झटके से उसके बालों को खींचते हुए उसके माथे को उठाया था और फिर से अपने लिंग को उसके मुँह में डालकर अपनी कमर को उठा कर उसके मुँह को भेदने लगा था पीछे से कोई रहम नहीं दिख रहा था कामया को जब तक सम उसे नहीं बखसता कामया को हर झटका इतना तीव्र लगता था कि वो ड्षन के लिंग को अपने गले के अंदर तक जाने से नहीं रोक पाती थी खाँसती हुई जब तक कामया कुछ और करती या अपने मुँह को उससे दूर करती तब तक दूसरा धक्का पड़ जाता था इतने में सम ने उसके ऊपर अपने वजन को बढ़ा दिया और अचानक ही उसके बूस्ब् पर अपना कब्जा जमा लिया था इतनी जोर से पकड़ा था कि कमाया 


कामया-, ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई करते हुए मचल उठी थी अपने मुँह से ड्षन का लिंग निकालने में सफल भी हुई थी पर सम की पकड़ इतनी मजबूत थी कि उसे लग रहा था कि उसके रिब्स ही टूट जाएँगे लगातार तीव्र धक्के के साथ एक नया एहसास उसके अंदर जाग गया था उसकी योनि के अंदर अचानक ही एक तीव्र हलचल मचने लगी थी एक बड़ा सा उफ्फान जनम ले चुका था और जो लगातार उसकी योनि के मुँह की ओर चल पड़ा था 

कामया- ऊऊऊऊओह्ह… प्पलीई यू आर हरटिंग मीईईईईईईई 
और क्या कहती कामया अपने शरीर को उनके हाथों में देने के बाद और अपनी योनि के आगे मजबूर कामया अपने अंदर उठ-ते समुंदर को योनि की ओर बढ़ते हुए देखकर अपनी कमर को थोड़ा सा और उँचा कर लिया था ताकि सम की आखिरी चोट भी उसकी अंतर आत्मा को तृप्त कर दे और हुआ भी वही 


कमाया- उूुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममम ऊऊऊऊओह्ह…करती हुई ढेर हो गई थी सम भी दो चार धक्के के बाद उसपर ढेर हो गया था और लंबी-लंबी सांसें भरता हुआ हुंकार भरता हुआ उसपर लेट गया था 


कामया लेटी हुई झटके लेती रही और अपनी योनि के अंदर गिरे हुए सम के वीर्य को अपनी योनि से बाहर रिस्ते हुए महसूस कर रही थी उसके अंदर से भी ढेर सारा रस्स निकलकर जाँघो के बीच में जमा होने लगा था कि तभी ड्षन उठकर पीछे की ओर हट गया था सामने जगह मिलने से कामया एकदम से फैल कर लेट गई थी सम भी धीरे से उसके ऊपर से लूड़क कर साइड में हो गया था पर फिर से उसकी कमर पर एक जोड़ी हाथों ने कब्जा जमा लिया था वो ड्षन था उसकी कमर को ऊँचा करके उसने कामया के गुदा द्वार पर अपनी जीब रख दी थी कामया लेटे लेटे अपने गुदा द्वार को उसे चाटने दे रही थी वो इतना थक गई थी कि कुछ कहना तो दूर की बात हिल तक नहीं पा रही थी ड्षन के जीब लगते ही उसके शरीर ने एक दो झटके लिए थे पर फिर कमर को वही रख हुए कामया ने आखें बंद कर ली थी

इतने में ड्षन की जीब उसके गुदा द्वार से हट गई थी और फिर से एक मोटा सा लिंग उसके गुदा द्वार पर आके रुक गया था कामया आखें खोलकर कुछ कहती या अपने आपको बचाती इससे पहले ही वो लिंग सनसनाते हुए उसके अंदर समा गया था 

कामया---- ईईईईईईईईईईईईईईईईई प्लीईईईईईई 

एक लंबी सी चीख उसके गले से निकली थी छटपटा कर रह गई थी कामया जितना जोर था उसने लगा दिया था अपने आपको छुड़ाने के लिए पर साथ में लेटे हुए सम ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया था और उसकी आवाज को उसने गले में ही दबा लिया था 

कामया गगगगगगगगगग करती हुई उस आमानुष की हरकत को अपने गुदा द्वार पर झेलने को मजबूर हो गई थीउसमें इतनी ताकत नहीं थी कि वो कुछ कर सके ड्षन तो सम से भी ज्यादा दरिन्दा था बिना कुछ कहे आया रुके वो लगातार धक्के लगता हुआ कामया के गुदा द्वार के अंदर तक उतरता चला गया था हर एक चोट कामया के अंदर किसी धारदार और पैने हथियार की तरह उतर रही थी दर्द के मारे कामया की जान जा रही थी और विविसता के चलते वो कुछ भी नहीं कर पा रही थी ड्षन उसकी जाँघो को और खोलकर अपने आपको उसकी जाँघो के बीच में अड्जस्ट करता हुआ उसके ऊपर गिर गया था पर उसके धक्के इतने तीव्र थे कि कामया उन दोनों के बीच में एक संडविच बन गई थी सम्म ने भी उसके होंठों को इतना जोर से चूमते हुए उसके अंदर अपनी जीब को घुसाया हुआ था कि कामया को सांस लेना दूभर हो उठा था पर कामया किसी तरह से जिंदा भर थी उसकी अंतर आत्मा मर चुकी थी और वो लगभग निढाल सी हो चुकी थी 

हर धक्के के साथ ड्षन अपनी हवस को शांत करता जा रहा था और हर धाक्के के साथ कामया की स्थिति ऐसी बनती जा रही थी उसका शरीर अब उसके काबू में नहीं था जो हो रहा था वो उसे बहुत दूर से दिखाई पड़ रहा था ड्षन और सम कामया को अपनी तरफ से निचोड़ने में लगे थे उन्हें चिंता नहीं थी कि नीचे पड़ी हुई कामया के अंदर भी जान है नहीं कुछ नहीं बस अपनी भूख को मिटाने की जद्दो जहद में लगे थे सम तो शायद उसके होंठो को काट कर खाने के मूड में था और उसके अंदर तक जीब को घुसाए हुए उसके गले तक पहुँचने में लगा था 


कामया अपने दर्द को भूल गई थी और अपने ऊपर हर प्रहार को सिर्फ़ झेल रही थी उसे नहीं पता था कि यह कब रुकेगा और क्या करेगी वो पर अब उसे दर्द नहीं हो रहा था उसे सांसें लेने की जरूरत थी बहुत जोर लगाकर उसने अपने होंठों को सम के होंठों से आजाद किया या यूँ कहें कि थोड़ा सा साइड में किया और एक लंबी साँस लेते हुए उसके मुँह से निकला 

कामया- ओह्ह… लीव मीईईईईई प्लीईईईईईईई 

पर कहाँ कुछ भी रहम नहीं था फिर से सम उसके होंठों को चुबलते हुए अपने हाथों को उसके माथे के पीछे ले गया था और ड्षन धक्के पर धक्के लगाते हुए अपनी आग को शांत करने में लगा था इतने में ड्षन शायद अपने शिखर पर पहुँचने वाला था उसने भी झट से कामया के पीछे से हाथ करते हुए उसके चुचों को कस कर निचोड़ते हुए कस लिया था 

कामया- उूुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममम न्न्नननननणणनूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ इट हूर्त्त्त्टटटटटटटटटटत्त्ट्सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स 
ड्षन अपनी बाहों को कस्स कर जकड़े हुए क्रॉस में उसकी चूचियां को मसलते हुए अपनी आग को शांत करने में लगा हुआ उसके ऊपर लेटा किसी सांड़ की तरह हुंकार भरते हुए थोड़ी देर में ही ढेर हो गया था सम ने भी कामया ढीला छोड़ दिया था उस कमरे में ड्षन की हुंकार के साथ कामया के रोने की आवाज भी आने लगी थी कुछ देर बाद सबकुछ शांत हो गया था 

सिसकती हुई कामया अपने आपको उन दरिंदो की चुगल से रात भर ना बचा पाई थी लगता था कि उन दोनों को शांत करना उसके बस में नहीं था एक के बाद एक उसके मुँह से लेकर योनि और गुदाद्वार को रात बाहर भेद-ते रहे कामया उठकर एक बार बाथरूम तक ना जा पाई थी निढाल और थकी हुई कामया के हाथ पाँव सुन्न पड़ गये थे दोनों के निचोड़ते रहने की वजह से अब उसके शरीर में इतना भी जोर नहीं बचा था कि थोड़ी बहुत हिल सके या मना कर सके, 
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01-18-2019, 02:25 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
कामया रात भर उन हब्शियों की हवस का शिकार बनती रही और अपने हर छेद के अंदर उनके लिंग, जीब और उंगलियों को झेलती रही कामया अपनी काम अग्नि को कब का भूल चुकी थी, बस अब सोना चाहती थी पर जब भी थोड़ा सा शांत होता कुछ मिनट बाद फिर से शुरू हो जाता कामया का पूरा शरीर सिथिल पड़ गया था हाथ पाँव लटक गये थे कोई हरकत अपनी ओर से नहीं कर पा रही थी बस उनके उठाने और पलटने से ही वो पलट-ती थी और उठाने से उठती थी जैसा चाहे वैसा उन दोनों ने उसे रात बाहर भोगा था कामया का पूरा शरीर लाल नीले धब्बो से भर गया था सुबह उसकी जब 
नींद खुली तो अपने आपको नहाने के कुंड मे पाया था वही महिलाए उसके शरीर को मल मल कर नहला रही थी बड़ी मुश्किल से आखें खोली थी उसने अपनें चारो ओर धुंधली सी तस्वीर देखकर फिर अपनी आखें बंद कर ली थी किसी ने उसके होंठों पर उसी पेय का ग्लास लगा दिया था गले के अंदर जाते ही उसे थोड़ा सा होश आया था पड़े पड़े कल रात के बारे में सोचने लगी थी अब भी उसके शरीर में जान नहीं थी जिस तरह से उन दोनों ने उसके साथ रात भर वहशीपन का खेल खेला था उसके जीवंत उदाहरण उसके शेर एपर लाल नीले काले निशान के रूप में उभरे हुए थे कामया लेटे हुए अपने शरीर पर उन महिलाओ के हाथों का स्पर्श महसूस कर रही थी और एक शरम और हया ने उसे घेर लिया था क्या इन महिलाओं को उसके शरीर
पर वो दाग नहीं दिख रहे होंगे क्या वो नहीं समझ पा रही होंगी कि यह दाग कैसे और क्यों बने यही महिलाए तो उसे रोज नहलाती है मालिश करती है उबटान लगाती है इनसे क्या छुपा होगा क्या सोच रही होंगी यह शरम से दोहरी होती कामया ने एक बार आखें खोलकर अपने पास खड़ी महिला की ओर देखा था जो कि उसके चुचों को अपने नरम हाथों से अच्छे से सहलाते हुए उसकी ओर ही देख रही थी नजर मिलते ही वो महिला थोड़ा सा मुस्कुरा दी 

वो महिला- कैसा लग रहा है रानी साहिबा 

कामया सिर्फ़ सिर ही हिला पाई थी 

वो महिला- लीजिए यह पेय पी लीजिए आपको ताजगी मिलगी 
और एक ग्लास उसकी ओर बढ़ा दिया कामया ने भी कोई ना नुकर नहीं की और उस पेय को झट से गले के नीचे उतार लिया बहुत देर उसके शरीर को उन महिलाओ ने तेल से मालिश किया नहलाया उबटन लगाया और फिर नहलाया तब तक कामया 6 7 ग्लास पेय पी चुकी थी एक नई उर्जा और ताजगी उसके अंदर फिर से जाग गई थी दोपहर तक कामया एक दम फ्रेश थी रात की कोई थकान अब उसके अंदर नहीं थी खाने के बाद जब कामया सोई तो सीधी शाम को ही उठी जब उन दसियो ने उसे फिर से नहाने और शरीर की मालिश के लिए ले गई थी उसे अजीब सा लग रहा था किसी के चहरे पर कोई शिकन नहीं था नहीं गुरुजी ने ही उसे कॉंटक्ट किया था कहाँ है वो कल तो बड़ा कह रहे थे एकानमी अपने हाथों में लेलो फिर पालिटिक्स को अपने साथ बाँध लेना 

हिहिहहा एकानमी क्या एकानमी है बात ठीक ही है अगर उनके माइन्स का हर कतरा उसके इशारे पर ही उठेगा और उसके अलावा कही नहीं जाएगा तो गोल्ड और डायमंड तो एकोनिमी ही हुआ ना हाँ… 
फिर पालिटिक्स यह गंदे सड़े नेता लोग नहीं यह नहीं होगा उससे ............चलो देखेंगे 
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01-18-2019, 02:26 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
नहाने धोने के बाद कामया एकदम तरो ताजा सजधज कर तैयार थी बहुत खूबसुरात लग रही थी वो शरीर तनकर उठा हुआ था सभी अंग बिल्कुल तराशे हुए लग रहे थे कपड़ों पर तो अब उसने ध्यान देना बिल्कुल बंद कर दिया था अब वो ध्यान देती थी तो सिर्फ़ अपने अंगो के निखार पर स्नान, मालिश उबटान के चलते आज उसका शरीर एकदम निखार उठा था दिन में दो-दो बार मालिश के साथ उबटान और फिर सबसे बड़े निखार की बात तो थी सेक्स 


हां वो भी एक इंपार्टेंट फक्टर था दिन रात जो सेक्स का खेल नहाने से लेकर सोने तक उसने खेला था हर अंग में एक ऐसी भूख जाग उठी थी कि, , हमेशा किसी ना किसी के साथ सट कर बैठने की या अपने शरीर पर किसी के हाथों के स्पर्श का एहसास उसे रहने लगा था खेर कामया तैयार थी और यही सोच रही थी कि गुरुजी कब याद करेगे पर गुरु जी का जब कोई मेसेज उसे नहीं मिला तो दासी को बुलाकर पूछ ही लिया 

कामया- गुरुजी कहाँ है 

दासी- जी वो कुछ धरम गुरु लोग आए हुए है उनसे चर्चा कर रहे है 

कामया- धरम गुरु … 

दासी- जी 5 लोग है अलग अलग धरम के असल में गुरुजी का समान भी तो पैक हो रहा है ना उनके जाने का वक़्त हो गया है अब तो आप ही इस अश्राम की कामयानी देवी बनकर राज करेंगी 

क्यों रानी साहिबा कुछ काम है आपका संदेश पहुन्चाऊ उन तक 

कामया- नहीं रहने दो जब वो लोग चले जाएँ तो बताना गुरुजी से मिलना है मुझे 

दासी- जी 
कहते हुए दासी चली गई थी कामया अपने कमरे में बैठी गुरुजी के अगले कदम और अपने बारे में सोचने लगी कामया को नहीं मालूम था कि आगे उसके लिए गुरुजी ने क्या सोच रखा है हाँ एक बात और कल या परसो तो शायद गुरुजी देश छोड़ कर चले जाएँगे फिर अरेहाँ… यह तो वो भूल ही गई थी जैसे ही उसके मन में यह बात आई वो थोड़ा सा व्याकुल हो उठी थी अपने घर वाले याद आने लगे थे उसे एक अकेलेपन का एहसास उसके मन में घर कर गया था 

कामया अपने जीवन के कुछ पहलू याद करते-करते कहा खो गई थी उसे पता भी नहीं चला पर कुछ देर में जब एक दासी ने उसे आवाज दी तो 
दासी- रानी साहिबा गुरुजी ने आपको याद किया है 

झट से उठ खड़ी हुई थी कामया जल्दी से बिना अपने आपको देखे हुए कामया लगभग दौड़ती हुई गुरुजी के कमरे में पहुँच गई थी 

गुरुजी ने जैसे ही कामया को देखा 
गुरुजी- आओ सखी आओ कैसी हो 

कामया - जी बस आशीर्वाद है आपका गुरुजी 

गुरुजी- कुछ परेशान लग रही हो सखी कुछ बात है 

कामया- जी वो बस थोड़ा सा अकेलापन सा लग रहा था आप भी जाने वाले है बस इसलिए थोड़ा सा मन विचलित था 
कहते हुआ कामया गुरुजी के आगोश में अपने आप ही जाकर लेट गई थी अपने आपको थोड़ा सा सेफ महसूस करने लगी थी वो गुरुजी ने भी कामया को अपने से सटा कर लिटा लिया था कामया के कपड़ों के अंदर से गुरुजी उसके मांसल अंगो को अपने हाथों से सहलाते हुए बोले 

गुरुजी- यह तो संसार का नियम है सखी इंसान के जीवन में परिवर्तन आते ही रहते है नये लोग जुड़ेंगे पुराने लोग जाएँगे किस किसका ध्यान रखोगी हाँ… मेरा तुम्हारा संबंध कभी नहीं टूटेगा मैं भले ही यहां से चला जाऊँगा पर तुम हमेशा ही मेरे मन में राज करोगी तुम जब चाहो मेरे पास आ सकती हो 

कामया थोड़ा सा और गुरुजी से सट कर लेट गई थी गुरुजी के हाथ उसकी चुचियों को धीरे-धीरे मसल रही थी पर पता नहीं क्यों उसे सेक्स की गर्मी अपने अंदर महसूस नहीं हो रही थी वो वैसे ही सिथिल पड़ी रही गुरुजी उसे हल्के हाथों से सहलाते हुए 

गुरुजी- कल कुछ लोग आएँगे धरम गुरु है इस देश के सारा पॉलिटिक्स उनके इशारे पर चलता है तुमसे मिलना चाहते है मिलॉगी . 

कामया- … चुप रही 

गुरुजी- मिल लो अच्छा रहेगा कल के बाद यही लोग तुम्हारी हर संभव मदद करेंगे इस लोगों के पास सबकुछ है और जो नहीं है वो उन्हें यहां से मिलता है इसलिए तुम्हें उनको अपने साथ रखना है और उन्हें अपने वश में करना जरूरी है 

कामया सट कर गुरुजी के साथ लेटी हुई थी आखें बंद थी और शायद सोने की कोशिश कर रही थी गुरुजी ने भी उसे सहलाते हुए अपनी आग को शांत ना करने की कोशिश की हल्के हाथों से सहलाते भर रहे और कामया कब सो गई पता नहीं 

सुबह जब उठी तो गुरुजी बेड पर नहीं थे पर एक सुखद सा अनुभव वो कर रही थी शरीर एकदम तरोताजा था एक उमंग थी उसके अंदर खुश भी बहुत थी क्यों नहीं मालूम अंगड़ाई लेकर जब वो उठी तो कुछ दासिया उसे नहाने धोने को ले गई सुबह का स्नान लेते ही वो एक बार फिर से उत्तेजित थी इतने हाथों की उसे अब आदत पड़ गई थी शरीर हमेशा ही सनसनाता रहता था नहाने के बाद तो बहुत और ना जाने वो क्या क्या होता था की अंदर जाते ही वो सेक्स के लालायित हो उठ-ती थी एक अजीब सी सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ जाती थी रहरहकर अपने अंगो को मड़ोड़ने की इच्छा और अंगड़ाई लेने की इच्छा होती थी हर अंग में नशा सा छा जाता था मदहोशी का आलम यह होता था कि आखें अधखुली सी किसी मर्द को तलाशने लगती थी उस शारीरिक सुख के लिए जिसके बिना यह संसार अधूरा था 

कामया का जीवन सेक्स की भेट चढ़ चुका था जो एक जिग्याशा और अनुभूति उसके अंदर जिंदा थी वो थी बस अपने शरीर का सुख और कुछ नहीं अपने जीवन में आए बहुत से मर्द और फिर उनसे पाए हुए सुख उसके अंदर जिंदा थे और हर कोई उसे उसकी ओर धकेलते थे कामया अपने जीवन के अतीत को अपने आप में समेटे बहुत सी बातें सोच रही थी कल के बाद वो इस अश्राम की मालकिन होगी गुरुजी भी चले जाएँगे यह सबकुछ उसका होगा कोई टोकने वाला नहीं होगा अपने परिवार के साथ वो यहां रहेगी बहुत सी बातें सोचते हुए कामया नहाने धोने के बाद एक बार फिर से तरोताज़ा होकर गुरुजी के पास पहुँचा दी गई थी 

कामया को गुरुजी ने बहुत सी बातें समझाई थी उसके लिए ऊपर का फ्लोर रिजर्व था वहाँ उसके अलावा कुछ दासियों के सिवा किसी को भी आने की इजाजत नहीं थी उसके परिवार को तो बिल्कुल भी नहीं बहुत सी मान्यताए गुरुजी ने उसे बताई थी पैसे कहाँ और कैसे रखे जाते है कौन कौन उसके ख़ास होंगे और कौन कौन क्या-क्या करता है कामया सबकुछ बड़े ध्यान से सुन रही थी एक-एक कर उसे सारे कमरो से परिचित करा दिया गया बहुत सी बातें जो अब तक नहीं जानती थी वो सब भी उसे बताया था गुरुजी ने दोपहर तक कामया थक गई थी गुरुजी ने उसे अग्या दी कि खाना खाकर सो जाए शाम को धरम गुरुओं के साथ एक मीटिंग है उसे भी आना है अच्छे से तैयार होकर आए वो . 

कामया होंठों में मुश्कान लिए अपने कमरे में चली आई थी शाम को नहाने धोने के बाद कामया फिर से तैयार होने में लग गई थी आज की रात के लिए दासिया जब कपड़े लेकर आई तो थोड़ा सा चोकी थी वो यह कपड़े उसके अपने लग रहे थे दासी की ओर देखा तो थोड़ा सा मुस्कुराई थी वो 

दासी- गुरुजी का कहना है कि अब से आप इस तरह के कपड़े पहनेंगी सिले हुए जैसे गुरुजी पहनते है आपकी दीक्षा खतम हुई और कल से आप इस अश्राम की मालकिन है अब आपके लिए कोई नियम नहीं है आप ही नियम है जो कहेंगी वही होगा हिहीही 

हँसती हुई दासी ने कामया के सामने उसकी बहुत से साड़ियाँ और ड्रेस फैला दी थी उस दासी ने रूपसा और मंदिरा भी वही खड़ी थी बड़े ही उत्सुकता से कामया के ड्रेस को अपने हाथों में लिए देख रही थी पूरा अश्राम सजने सँवरने में लगा था बस कमरे के अंदर ही शांति थी और सब जगह हलचल मची हुई थी 

कामया- पर गुरुजी ने हमें तो कुछ नहीं कहा … 

रूपसा- आपको इससे क्या रानी साहिबा आपको तो बस यह सब अब पहनना है अगर मन नही तो नहीं तो आपको वही कपड़े हम पहना देते है 

कामया- नहीं नहीं, यह ही अच्छे है कहो कौन सी साड़ी पहनु 

मंदिरा- यह वाली 

एक ब्लैक और रेड कॉंबिनेशन पर स्टार्स से चकमक करती हुई साड़ी उसके हाथों में थी महीन सी और पारदर्शी साड़ी कामया थोड़ा सा मुस्कुराती हुई मंदिरा के पास पहुँच गई थी उसके सिर पर हाथ फेरते हुए खड़ी हो गई थी 

मंदिरा - आपके पास बहुत अच्छी साड़ियाँ है रानी साहिबा 

कामया- तुम्हें पहननी है … 

मंदिरा- नहीं नहीं बाप रे … 

कामया- क्यों क्या हुआ में हूँ ना तो डर कैसा और कल से तो जो में कहूँगी वोही ना 

रूपसा और मंदिरा की आखें चमक उठी थी एक नई आशा उनकी आखों में जाग उठी थी 

दोनों मिलकर कामया निहारने लगी थी कामया अब जाकर मिरर के सामने बैठ गई थी और अपने रूप को सवारने को तैयार थी एक अजीब सी उत्तेजना उसके अंदर जाग उठी थी शायद अपने कपड़े वापस पाकर एक नशा सा छाने लगा था उसके हर अंग में एक तरंग सा उठ रही थी उसके हर अंग में 
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01-18-2019, 02:26 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
कामया उन कपड़ों को देखकर एक बार अपने पुरानी जिंदगी में डूब गई थी वही उत्तेजना और वही सजना सवरना उसे याद आ गया था काफी दिनों से उसने अपने आपको संवारा नहीं था और नहीं कोई मेकप ही किया था आश्राम की जिंदगी में उसे जो दिया था वो उसने किया था और जो कुछ भी पहनाया गया था वो उसने पहना था पर आज इस तरह के कपड़े देखकर वो एक बार फिर से लालायित हो उठी थी बड़े ही चुन कर खरीदे थे उसने वो सारी और मचिंग ब्लाउस सूट वग़ैरह आज जब उसके घर का पूरा समान यहां शिफ्ट हो रहा था तो शायद उसके कपड़े भी मम्मी जी ने या घर के किसी ने उसे भेजे थे 

कामया उन कपड़ों में अपने आपको ढालने को तैयार थी रूपसा और मंदिरा भी उन कपड़ों को उठाकर अपने हाथों से छूते हुए उन कपड़ों को एक-एक कर देख रही थी कामया ने उसके पास जाकर कहा
कामया- तुम्हें पहनने है यह कपड़े … 

रूपसा- अरेनहीं नहीं रानी साहिबा यह आपके लिए है हम तो ऐसे ही ठीक है 

कामया- क्यों क्या हुआ तुम चाहो तो पहन सकती हो यह कपड़े जो चाहे लेलो 

मंदिरा- नहीं रानी साहिबा हमें इजाज़त नहीं है 

कामया- हाँ… पर कल से तो में इस आश्राम की मालकिन हूँ चाहू तो में कुछ चेंजस तो ला सकती हूँ और अगर में कहूँ तो तुम लोग यह कपड़े पहन सकती हो क्यों 

रूपसा और मंदिरा के चहरे पर एक चमक आ गई थी हाँ यह तो ठीक बात है अगर कामयणी देवी कहेंगी तो नियम बदल सकते है हाँ यह ठीक है एक उम्मीद की लहर दौड़ गई थी उनके मन में कामया के सामने एक सारी उसके साथ मचिंग ब्लाउस निकलकर उन्होंने सामने रख दिया था कामया एक मुश्कान बिखेरती हुई उसके पास से हट गई थी चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ और मुझे भी तैयार करो गुरुजी ने बुलाया है वो धरम गुरुजी के साथ मीटिंग मे है 

सभी दासिया जल्दी से कामया को तैयार करने में जुट गई थी ब्लैक लिंगरी के साथ बड़े ही सफाई से उसने ब्लाउस पहना था लो कट ब्लाउस जो कि अब थोड़ा सा कसा हुआ लगता था छोटा हो गया था बहुत ही टाइट फिट हो रहा था हुक भी बड़े मुश्किल से लगे थे मालिश और उबटान और कुछ दिनों से अपने शरीर को फ्री रखा हुआ था इसकारण यह कपड़े उसे तंग से लग रहे थे नाभि के नीचे सारी पहनते वक़्त उसने एक बार अपनी नाभि को भी देखा था बहुत ही गहरी हो चली थी और कुछ मास भर गया था उसके शरीर में कुछ ज्यादा ही कपड़े में कसे अपने शरीर को बाहर निकलने से नहीं रोक पाई थी उसने 
साड़ी पहनने मे उसने बहुत टाइम लिया था बहुत ही तरीके से और सलीके से एक-एक प्लेट जमाई थी नाभि के नीचे बहुत नीचे पहनी थी उसने साड़ी नजाने क्यों उसे आज यह सब करते समय एक अजीब सी उत्तेजना हो रही थी दिल धड़क रहा था बहुत जोर-जोर से एक अजीब सी खुशी उसके अंदर उठ रही थी 

एक अंजानी खुशी के चलते वो थोड़ा-थोड़ामुस्कुरा भी उठ-ती थी पास खड़ी दासिया उसकी ओर देखती हुई उसकी खुशी में शामिल थी रूपसा और मंदिरा भी अपने आपको सवारने में लगी थी पर कामया की बात कुछ और थी ब्लाउस और पेटीकोट पहनते ही एक बार उसने अपने आपको मिरर में देखा था लाजवाब लग रही थी सबकुछ कसा हुआ था ईवन पेटीकोट भी शेप लिए हुए था उसके शरीर का घुटनों के थोड़ा सा नीचे तक था वो पेटीकोट लंबा नहीं था पूरी साड़ी उसके शरीर पर लगते ही एक अजीब सी सनसनाहट दौड़ गई थी उसके शरीर में 


दासिया की ओर देखते हुए थोड़ा सा मुस्कुरा उठी थी वो पलटकर मंदिरा और रूपसा की ओर देखा था वो लोग भी अपने आपको सवारने में लगी थी 

कमरे में एक अजीब सा महाल था दासिया और सभी कोई अपने हाथों में आए हुए हुश्न को सजाने लगे थे और वो भी बड़े तरीके से पूरा आश्रम तो वैसे ही सजा धजा था हर कोई अपनी तरह से सजाने में लगे थे पर इस कमरे के अंदर का माहौल कुछ अलग ही था सबकुछ सजा सजा और उत्तेजना से भरा हुआ कामया की उत्तेजना तो देखते ही बनती थी और उससे ज्यादा रूपसा और मंदिरा की तो अलग ही बात थी शायद ही उन्होंने कभी सोचा होगा कि इस तरह के कपड़े भी वो पहन सकती है कुछ ज्यादा ही उत्सुक थी वो दोनों बड़े उत्तावाले ढंग से एक-एक प्लेट्स को जमाते हुए वो साड़ी को पहन रही थी कमर के नीचे नाभि के नीचे शायद साड़ी पहनते वक़्त अपने शरीर को दिखाने की कोशिश ज्यादा थी उन्हें शरीर का हर अंग साड़ी और ब्लाउससे बाहर की ओर दिख रहा था बल्कि कहिए दिखाने की ज्यादा कोशिश थी रूप और रंग की मिसाल थी वो दोनों और कामया तो थी ही खूबसुरात चलिए समझ में तो आ ही गया होगा कि किस तरह से तैयार हो रही थी सभी 


इसी तरह तैयार होकर तीनों गुरुजी के कमरे की ओर चल दी थी कामया जानती थी कि आज वो बला की खूबसूरत लग रही है उत्तेजना और एक नये अनुभव की और चल दी थी कामया अपने दोनों साइड में रूपसा और मंदिरा को लिए हुए पीछे कुछ और दासिया भी चल रही थी गुरुजी के कमरे की ओर

कमरे में पहुँचकर वो सभी एक माडेल की तरह डोर के पास खड़ी हो गई थी बीच में कामया और आजू बाजू मंदिरा और रूपसा अंदर बैठे लोगों की नजर जैसे ही डोर पर पड़ी एकदम से सन्नाटा छा गया था उस रूम में एक मादक हँसी और कटु मुश्कान लिए कामया और रूपसा मंदिरा ने एक बार बरी बारी से सभी लोगों की ओर देखा था जैसे निमंत्रण था उसकी ओर आने का और देखने का अंदर बैठे पाँचो धरम गुरु की तो सांसें रुक सी गई थी इन परम सुंदरियो को देखकर पर गुरुजी नार्मल थे 


गुरुजी- अरे आओ सखी आओ आज तो कमाल की लग रही हो और तुम लोग भी रूपसा और मंदिरा आज से पहले तो भाई हमने तुम लोगों को साड़ी में नहीं देखा आओ


गुरुजी उठकर खड़े हो गये थे कामया और दोनों के स्वागत के लिए धरम गुरुओं की तो जैसे सांसें ही रुक गई थी अपने सामने इन रूप की देवियो को देखकर तालुओं में जबान चिपक गई थी और एकटक उनको देखते हुए खड़े भर हो पाए थे 
कामया आगे की ओर बढ़ी थी गुरुजी के साथ लग कर खड़ी हो गई थी वही अदा वही नजाकत वही अंगड़ाई लेते हुए रूपसा और मंदिरा भी गुरुजी के पास आके खड़ी हो गई थी थोड़ा सा दूर गुरुजी ने अपने आगोश में कामया को समा लिया था और धीरे से अपने गले लगाकर उसके नितंबों को और पीठ पर हाथ फेरते हुए 

गुरुजी- कयामत लग रही हो सखी आज तो और इन दोनों को भी क्या बना दिया है तुमने मेरा निर्णय सही था तुम ही इस अश्राम की असल मालकिन हो आओ तुम्हें इन लोगों से मिलवाऊ और गुरुजी ने कामया की कमर को कस कर जकड़ लिया था और धीरे-धीरे उसकी कमर को सहलाते हुए उन धरम गुरुओं की ओर बढ़े थे गुरु लोग एकटक सखी की ओर देख रहे थे आखें फटी की फटी रह गई थी उनकी गुरुजी के साथ सटने की वजह से कामया के सीने से साड़ी हट गई और बस एक ओपचारिकता भर रह गई थी और कंधे पर पड़ा हुआ पल्लू आखिरी सांसें भर रहा था उसका अस्तित्व खतम था क्योंकी ब्लाउज के अंदर से उसकी चुचियों की शेप और ब्रा की रंगत साफ-साफ दिखने लगी थी कामया की सांसों के साथ साथ उसके सीने का उठना और बैठना उन धरम गुरुओं की हालत खराब कर रहा था गुरुजी के हाथों का अनुसरण करने से तो और भी गुरुजी के हाथ जिस तरह से कामया की कोमल और मुलायम कमर पर घूम रहे थे वो एक अजीब तरह की उत्तेजना भर रहा था उन गुरु लोगों के अंदर 

गुरुजी- आइए आपलोगों को हमारी सखी से मिलवाए यही कल से हमारी इस आश्रम की सर्वे सर्वा होंगी और अब आप लोगों कीदेख भाल और जरूरतो का ध्यान रखेंगी यह है कामयानी देवी 

और कहते हुए गुरुजी ने अपने हाथों जो कि उसकी कमर के चारो ओर घेरा बना हुआ था धीरे से उठकर कामया की चूचियां पर आ गई थे और उन गुरु लोगों के सामने ही कामया की चूचियां धीरे से मसल दी थी उन्होंने कामया ने एक मुश्कान बिखेरते हुए उन गुरु लोगों की ओर देखा था गुरुजी आगे बढ़े थे 

एक- (एम नाम रखते है )- वाह गुरु जी आपने तो कमाल कर दिया यह कहाँ से लाए है आप वाह क्या उत्तराधिकारी चुना है आपने 

दो- (एच नाम रखते उनका )- गजब कर दिया गुरु जी आपने 
और कहते हुए वो दोनों आगे बढ़े थे और आगे बढ़ कर कामया देवी के हाथों को अपने हाथों में लेकर थोड़ा सा दबाते रहे और एक ललचाई हुई नजर से गुरुजी के हाथों को देखने लगे थे जो कि कामया के चुचियों पर थे 

कामया मुस्कुराती हुई बोली 
कामया- जी बैठिए गुरु लोग आपका स्वागत है इस अश्राम में 
कहते हुए कामया की नजर उनपर एक बार घूम गई थी बड़ी ही कातिल नजर से जो कामया ने उन्हें देखा था वो उन लोगों के दिल को भेद गई थी 

एम और एच ने आगे बढ़ कर एक बार कामया को छूने की कोशिश भी की थी पर गुरुजी ने आगे बढ़ कर एस और क्राइ और जाई के पास खींच लिया था कामया को . कामया गुरुजी के साथ खिचते हुए उन बाकी के लोगों से मिलने लगी थी उनका भी यही हाल था पीछे से कामया को अपने नितंबों में एक या दो हाथ महसूस हुए थे शायद 
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01-18-2019, 02:26 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
एम और एच थे वो अपने को रोक नहीं पाए थे उसे छूने से बड़े ही नजाकत और धीरे से हाथ फेरा था उन्होंने एक एहसास भर ले पाए थे कामया की कोमलता का एक बड़ा ही सुखद और सुख दाईं एहसास कामया और उन लोगों के अंदर समा गया था कामया गुरुजी की आगोश में ही उन लोगों से मिलकर गुरुजी के पास सट कर बैठ गई थी मंदिरा और रूपसा भी उनके पास खड़ी होकर सामने बैठे उन गुरुओं को अपने हुश्न का जलवा बिखेर रही थी और उन गुरुओं की हालत देखने लायक थी एक हवस से भरी हुई दृष्टि उन महिलाओं पर डाली किसी तरह से अपने आपको संभाले हुए बैठे थे लगता था कि अगर जरा भी मौका मिले तो चीर फाड़ कर रख दे अभी इन तीनों को 

गुरुजी- तो धरम के ठेकेदारो यह है हमारी सखी जो कि कल से आप लोगों की सेवा में इस देश को अपना दर्शन देगी और आज आप लोगों के लिए यह सिर्फ़ कामया है पर कल से आप लोगों को यही सभी आदेश और मार्ग दर्शन देगी बस आपलोग इनका साथ देते रहिए और इस अश्राम की उन्नति के लिए जो भी करेंगे वो इन्हें मान्य होगा हाँ और एक बात आज के बाद से जो भी आपकी इच्छा या फिर डिमँड होगी वो भी कामया देवी ही पूरा करेंगी और आपलोगों को इनसे ही मिलना होगा हम तो भाई कल से परदेसी हो जाएँगे हिहिहीः 

कहते हुए अपने पास बैठी हुई कामया के शरीर पर अपना हाथ को घुमा लिया था उसके पीठ और फिर थोड़ा सा पास खींचते हुए उसकी छाती पर भी 

क्राइ- गुरुजी वो तो ठीक है पर हम पर भी थोड़ा दया कीजिए प्लीज वी आर आल्सो इन लाइन 

गुरुजी- हाहाहा क्यों नहीं क्राइ यू पीपल आर कोल्ड हियर फार हविंग फन आंड वी आल नो वाइ वी आर हियर फार प्लीज वेट लेट्स हव डिनर दॅन वी आल कन टुगेदर हव और मीटिंग वी आर हविंग आल नाइट डियर सो डान’त गेट उत्तेजित सेव इट फार दा लेटर हिहिहीः 

एस- अरे सर जी बहुत हो गया अब तो हमें भी थोड़ा सा मौका दीजिए क्यों भाई लोग 

बाकी के लोगों ने भी सर का साथ दिया था और एक साथ चल दिए थे हाँ… हाँ… 

गुरुजी ने इशारे से रूपसा और मंदिरा को आगे बढ़ने को कहा और मंदिरा और रूपसा इठलाती हुई उन लोगों के पास पहुँच गई थी और जाकर उनके सामने खड़ी हो गई थी एस और क्रिस तो साथ बैठे थे एक झटके से रूपसा को अपने पास खींच लिया था और अपने बीच में बिठा लिया था और अपने हाथ उसके शरीर पर घुमाने लगे थे एक मादक हँसी उस कमरे में फैल गई थी 
एम का भी यही हाल था बस जाई थोड़ा सा अलग पड़ गया था वो भी कहाँ चुप रहने वाला था वो भी दौड़ कर मंदिरा पर टूट पड़ा था नीचे ही बैठ गया था और अपने हाथ उसकी जाँघो और पेट तक ले गया था लगता था कि किसी तरह से बस अपनी हवस को शांत कर लेना चाहते थे और कुछ नहीं बाहर की दुनिया के यह चेहरे जो कि धरम और नाटकीयता का पाठ पढ़ाने वालों की तरह के होंगे यह कोई नहीं जानता था आज यह कमरा शायद उनके नंगे पन का एक गवाह बन सकता था 


यह तो तय था कामया बैठी हुई गुरुजी के हाथों का मजा ले रही थी और सामने हो रहे खेल को बड़े मजे से देख रही थी उसके अंदर का शैतान अब धीरे-धीरे जाग उठा था हवस का वो खेल का हिस्सा बनने को तैयार थी वो एक अजीब सा एहसास उसके अंदर उठने लगा था गुरुजी के हाथों का स्पर्श उसके अंदर एक अजीब सी हलचल मचा रहा था सामने मंदिरा और रूपसा की साड़ी तो कब की हवा हो चुकी थी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउसमें वो दोनों उनकी गोद में बैठी हुई अपने होंठों का रस पान करा रही थी कोई उनकी जाँघो को किस कर रहा था तो कोई ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूचियां चूस रहा था कोई अपने लिंग को उनसे सटाने की कोशिश में था तो कोई, अपने हाथों में जितना हो सके उनके रूप को समेट लेना चाहता था 

कामया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी उसके सामने इस खेल को वो और नहीं देख पाई थी और एक झटके से उठ गई थी गुरुजी के हाथों से फिसल कर गुरुजी को कुछ कहती इससे पहले ही 

कामया- चलिए अब खाना खा लेते है गुरु लोग आप लोग तो अभी से ही उत्तावाले हो गये है अभी तो पूरी रात बाकी है और 
कहते हुए उसने अपनी बात आधी ही छोड़ दी और अपने सीने से आचाल हटा दिया और अपने रूप की एक झलक उन गुरु लोगों को दिखाकर मुस्कुराती हुई खड़ी रही रूपसा और मंदिरा को छोड़ सबसे पहले जाई उठा था और दौड़ कर कामया से चिपक गया था और अपनी हथेली को उसकी कमर पर रखते हुए उसकी नर्मी और कोमलता को महसूस करने लगा था एक-एक कर सभी अपने पास आई इस सुंदरता की देवी की ओर आग्रसर हो गये थे और कामया घेर कर उसके शरीर पर अपने हाथों को घुमाने लगे थे एक उत्तेजित करने वाली हँसी के साथ एक लंबी सी आह उस कमरे में गूँज गई थी कामया ने भी आगे हाथ बढ़ा कर पहले जाई फिर एक-एक करके सभी को अपने सीने से लगाया था और उनके होंठों पर अपने होंठों का रखकर उन्हें वो अमृत पान कराया था जिसकी जरूरत उनसे ज्यादा उसे थी 

कामया को इस तरह से करते देखकर गुरुजी भी एक बार स्तब्ध रह गये थे पर एक मुश्कान उनके चहरे पर भी दौड़ गई थी वो जानते थे कि कामया अब उनके हाथों की कठपुतली नहीं है वो अब इस अश्राम की मालकिन हो गई है और वो भी अब उसके इशारे पर ही चलेंगे हाँ क्यों नहीं आज तक तो वो सभी को आपने इशारे में छल्लते रहे है तो आज इस हसीना के सामने झुकने में क्या हर्ज है गुरु जी अपने सामने हो रहे इस खेल को देख रहे थे और उठकर इस खेल में शामिल होने लगे थे खड़े होकर वो भी आगे बढ़े थे और अपने सामने आए कौन था नहीं पता हटाकर अपना हाथ कामया के पेट पर रखते हुए उसे अपनी ओर घुमा लिया था उसके होंठों को झट से अपने होंठों में समेट लिया था और कस कर उसे पकड़कर, एक लंबा सा चुंबन उसके होंठों पर कर लिया था हान्फते हुए कामया उनसे अलग हुई थी तब तक उसे किसी और ने अपनी ओर खींच लिया था पर कामया हँसती हुई इठलाती हुई सभी को उनका हिस्सा देने में व्यस्त थी कौन कहाँ हाथ लगा रहा था उसे नहीं पता था पर एक साथ इतने सारे हाथ और हर एक का कुछ अलग अंदाज . मजे ही मजे हो गये थे कामया के तो आखें बंद किए कमाया उन लोगों का लुफ्त ले ही रही थी कि अचानक ही उसके हाथों में गरम-गरम लिंग का स्पर्श होने लगा था आँखे खोलने की जरूरत नहीं थी हाँ पर झट से हाथों में आए हुए लिंग को पकड़ जरूर लिया था गरम-गरम और कड़ा सा वो लिंग उसे अच्छा लगा था 


उसकी साड़ी का कही पता नहीं था नीचे भी शायद कोई बैठा था एक नहीं दो थे या पता नहीं वो नहीं जानती थी पर हाँ… दो जोड़ी हाथ उसके पेटीकोट के अंदर जरूर घूमते हुए उसकी योनि और जाँघो को छू रहे थे फिर होंठों ने भी साथ देना शुरू कर दिया था पैंटी के अंदर तक उंगलियां घूमने लगी थी थोड़ा सा जाँघो को खोला था कामया ने होंठों पर टूटे हुए किस को मना नहीं किया था पीठ की ओर से घूमे हुए हाथ उसकी चूचियां निचोड़ रहे थे कमर के नीचे से एक हलचल मचाने वाली उंगलियां और हर कही हाथ और गीला पन एक अजीब सी उत्तेजना से भरी हुई कामया हाथों में आए हुए लिंग को कुचल देना चाहती थी कि अचानक ही उसके हाथों को गीलाकरते हुए एक लिंग मुरझाने लगा था और फिर दूसरे लिंग की बारी आई थी फिर दोनों हाथों में एक-एक और नीचे की ओर से, एक के बाद एक करते हुए जीब से उसकी योनि को चाट-ते हुए उसकी अंदर की उत्तेजना को बढ़ाने लगे थे कामया होंठों को अलग करते हुए अजीब सी चीत्कार करती हुई अपने हाथों में आए हुए लिंग को निचोड़ देना चाहती थी और कर भी रही थी आगे पीछे करती हुई कामया अपनी जाँघो को पूरा खोलकर उनकी जीब को पूरा स्वाद देने को कोशिश करती जा रही थी और अपने हठो को आगे पीछे करती हुई उनके लिंग को भी पूरा सम्मान दे रही थी 

पीछे से हाथों ने उसकी चूचियां निचोड़ना जो शुरू कर दिया था और उसके कानों में कुछ कहने की भी आवाज आ रही थी पर ध्यान नहीं दिया था उसने वो ज़रूर उत्तेजना में ही कह रहा था वो जो भी था पीछे क्या फरक पड़ता है पड़ता है तो सिर्फ़ अपनी हवस को शांत करने की कोशिश बस थोड़ा सा और उसके हाथों में आए हुए लिंग भी धीरे-धीरे शांत हो गये थे और फिर उसकी चीत्कार उस कमरे में गूंजने लगी थी नीचे बैठे हुए लोग अब धीरे धीरे उसकी योनि को चाटते हुए आगे बढ़ते कि अचानक ही एक सक्स उठा और कामया को कसकर पकड़ लिया और उसे खींचने लगा पर नीचे बैठे हुए सक्स ने नहीं छोड़ा कामया खिंचते हुए नीचे की ओर बैठ गई थी 


वो सक्स ज्यादा बलवान था होंठों पर ऐसे टूट हुआ था कि अपनी उत्तेजना को शांत नही कर पा रहा था आखें खोला तो तो एस था दाढ़ी और बाल खुल गये थे पर था पूरा सांड़ जोर इतना था कि निचोड़ कर रख दे पर जैसे ही कामया की उंगलियां उसके लिंग पर कसी कि वो एकदम से शांत हो गया था एक झटके से उसके लिंग के अंदर से उठता हुआ ज्वार उसके बाहर आ गया था कामया कुछ करती इससे पहले ही वो कामया से लिपट कर झड़ने लगा था नीचे बैठा हुआ सक्स भी तब तक अपनी हवस को शांत करने की कोशिश करने लगा था अब तक चार जने शांत हो गये थे और शायद कही होंगे पर कामया की चीत्कार अब पूर जोश में थी जैसे ही उस सक्स ने उसे छोड़ा था कामया आतुर हो उठी थी और अपनी योनि को फिर से उसके होंठों पर रखने को लालायित हो उठी थी

मगर कामया कुछ कहती इससे पहले ही वो सक्स अपने लिंग को झूलाए हुए उसके सामने खड़ा हो गया था कामया ने भी कोई देर नहीं की झट से अपने होंठों के अंदर कर लिया था उसके लिंग को और जोर-जोर से अपनी जीब से उसे चूसने लगी थी तभी गुरुजी को अपनी ओर आते देखा था उसने और बिना कुछ कहे ही कामया ने बैठे ही अपनी जाँघो को खोल दिया था खड़े हुए गुरुजी को अपनी योनि के दर्शन देते हुए और आखों से उन्हें इशारा भी किया कि आओ और मुझे सुख दो बिना कुछ कहे सिर्फ़ मुख निमंत्रण में ही गुरुजी कामया की जाँघो को खोलकर धीरे से उसके अंदर समा गये थे एक लंबी सी आह भरती हुई कामया और आगे बढ़ी थी और एक झटके से अपने मुख में लिए हुए लिंग को अपने दाँतों से काट लिया था और हाथो को कस कर आँडकोष पर दबाते हुए अपनी जीब को इस तरह से उसके लिंग में फेरा था कि वो और नहीं रुक पाया झट से ढेर सारा वीर्य छोड़ कर हाँफने लगा था 

कामया मुँह घुमाकर गुरुजी की ओर देखने लगी थी गुरुजी जो कि उत्तेजित तो थे ही कामया का खेल देखकर वो और ज्यादा उत्तेजित हो गये थे कामया की भी हां ही थी और जैसे ही गुरुजी का लिंग उसकी चूत के अंदर गया था एक बार भी उसने अपने आपको रोकने की कोशिस नहीं की थी और पूरे जोर से एक ही झटके में पूरा का पूरा लिंग अंदर समा लिया था और गुरुजी के हर धक्के का जवाब भी देने लगी थी हाथों में मुख में और शायद ब्लाउज के ऊपर बालों में हर कही वीर्य के कुछ निशान उसके ऊपर दिख रहे थे पर गुरुजी के साथ-साथ कामया भी कोई फरक नहीं पड़ता था वो तो बस अपनी अग्नि को शांत करना चाहते थे और उन्होंने वो किया भी एक साथ दो आवाज उस कमरे में फेल गई थी आअह्ह 
हाँफने की आवाज एक परम शांति की आवाज और एक शांत सा वातावरण हो गया था उस कमरे में
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01-18-2019, 02:26 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
कामया नीचे लेटे हुए अपने आपको व्यवस्थित करती हुई धीरे से गुरुजी को एक साइड किया और उठकर फ्रेश मुद्रा में एक बार रूपसा और मंदिरा की और देख जो की अब भी उन गुरुओं के गोद में आटखेलिया कर रही थी उसे हँसी की आवाज अब भी उस कमरे में गूँज रही थी 

कामया- रूपसा मंदिरा चलो आओ 
एक हुकुम जैसी उसकी आवाज उस कमरे में गूँज उठी थी थोड़ी सी शांति छा गई थी पर फिर 

कामया- आप लोग को खाने की टेबल पर मिलती हूँ चलो आ जाओ तुम दोनों 
कहती हुई कामया उठकर अपने पेटीकोट को झड़ती हुई खड़ी हुई थी पेटीकोट ब्लाउस अस्त व्यस्त थे पर कसे हुए थे अपनी जगह पर साड़ी उठा-ती हूँ कामया खड़ी हुई और साइड बाहर की ओर चल दी थी पीछे-पीछे वो दोनों भी लगभग दौड़ती हुई कामया के पीछे हो ली थी 

कामया ने साड़ी नहीं पहनी थी बल्कि सिर्फ़ कंधे पर रखती हुई कमरे से बाहर निकल आई थी बला की चाल थी उसकी एक कान्फिडेन्स था एक लचक थी एक बलखाती हुई चाल की मालकिन थी वो पीछे रही रूपसा और मंदिरा भी उसकी चल को देखकर एक बार जल उठी थी कमरे में पहुँचकर रूपसा और मंदिरा भी जल्दी से अपने कपड़े ठीक करने लगी थी पर 
कामया ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और दासियों को आवाज दी 

कामया- चलो मुझे कुछ और दो पहनने को यह नहीं और कहती हुई बाथरूम में घुस गई थी पीछे-पीछे दासिया भी दौड़ी थी अपनी रानी को तैयार करने को जब कामया बाहर आई तो टेबल पर बहुत से कपड़े पड़े हुए थे उन में से कामया ने घाघरा चोली चुना था लाल पीले और नीले रंग की मिक्स्ड चोली थी जो कि सिर्फ़ डोरी से बँधा हुआ और घाघरा घुटनों से थोड़ा नीचे आता था बिना ब्रा के कामया ने वो पहना था पैंटी या कहिए थॉंग पहना था और फिर से एक कयामत सी सज कर तैयार थी कामया को देखकर वहां खड़ा हर कोई बस देखता ही रह गया था रूप की रानी तो वो थी ही पर एक-एक करके जो ड्रेस वो चुनती थी वो कमाल का लगता था उसपर रूपसा और मंदिरा तो अपनी इस मालकिन की फॅन थी ही और अब तो सारी दुनियां भी उसकी फॅन हो जाएगी 


कामया जब सज कर तैयार हुई तो एक कयामत से कम नहीं लग रही थी शरीर के साथ-साथ अब उसकी आखें होंठ और हर अंग कुछ कहता था चलने से जो लचक पैदा होती थी एक-एक अद्भुत अनुभव था देखने वाले के सीने को चीर कर रख दे ऐसी बात थी उसमें हर अंग से सेक्स झलकता था हर अंग एक निमंत्रण देता था हर अंग सामने वाले को अपनी ओर खींचता था 
कामया के तैयार होते ही रूपसा और मंदिरा भी उसके साथ खाने के रूम की ओर बढ़े थे उन्होंने भी चेंज कर लिया था ल़हेंगा और लाचा पहना था एक दूसरे को मात देने की मुद्रा में थे तीनों पर कामया तो कामया ही थी एक कान्फिडेन्स था एक विस्वास था और एक अहम था उसके चहरे पर वो अब इस आश्राम की मालकिन थी और यह सब उसके दास दासिया सुप्रीमो वाला कान्फिडेन्स अगर किसी के अंदर आ जाए तो बनी बात है कि उसके चहरे पर वो बात दिखती है वही बात चलते समय कामया के चहरे पर दिख रही थी 

खाने के कमरे जब वो पहुँचे तो गुरुजी के साथ सभी लोग मौजूद थे अपने अपने चेयर पर बैठे हुए कामया का ही वेट कर रहे थे कमरे में जाते ही 
कामया- सारी आई अम लेट 
और एक मादक मुस्कुराहट बेखेरती हुई गुरुजी के पास जाकर खड़ी हो गई थी गुरुजी जो की चेयर पर बैठे हुए कामया को ही देख रहे थे अपनी बाँहे फैलाकर उसे अपनी आगोश में ले लिया था अपनी बाँहे फैलाकर उसकी कमर के चारो औरओर घेरा बनाते हुए उसे अपने पास खींचते हुए उसकी कमर पर एक लंबा सा चुंबन जड़ दिया था 

गुरु जी- आओ सखी बहुत खूबसूरत लग रही हो और क्या बना दिया है तुमने रूपसा और मंदिरा को 

कामया- हिहीही यह तो कुछ भी नहीं हुआ गुरुजी अभी आप देखना मेरे साथ-साथ हमेशा अब इन्ही दोनों को रहना है जो आपने तैयार किया है बस उसे थोड़ा सा सँवार रही हूँ 

कहती हुई कामया थोड़ा सा झटके से अपने पेट को गुर जी के हाथों पर फिर से सटा दिया था सामने बैठे हुए धरम गुरु लोग एक लालायत नज़रों से कामया और साथ आई रूपसा और मंदिरा की ओर देख रहे थे कामया थोड़ा सा मचलते हुए आगे बढ़ी थी और अपने हाथों से एक-एक कर उन गुरु लोगों के सिर को सहलाती हुई आगे बढ़ती हुई अपने चेयर पर बैठ गई थी बैठना क्या अपने शरीर का हर हिस्सा दिखाने की होड़ में लगी थी कामया की चोली थी तो टाइट और उसमें से बाहर निकलते हुए उसके चुचे एक गजब का नजारा पेश कर रहे थे 

कामया बैठकर खाने में जुट गई थी पर धरम गुरुओं की नजर उसके शरीर को भेदने में लगी थी कामया जानती थी मंद मंद मुस्कुराती हुई खाती रही और उन धरम गुरुओं को अपनी और आकर्षित करती रही जानती थी कि खाने के बाद क्या होगा वो भी तैयार थी 

कामया- तुम दोनों भी खा लो रूपसा मंदिरा और जल्दी आओ रात अभी बाकी है 

रूपसा - जी हिहिहीः 
करती हुई खाने को चली गई थी कमरे में बस एक स्त्री और 6 हवस के पुजारी रह गये थे 

खाने के बाद एक बार फिर वही खेल की तैयारी थी सभी में रात के खाने के बाद पूरा महल शांत सा हो गया था सबसे ऊपर के माले में यह खेल खेला जाना था जो कि कामया का निजी कक्ष होगा कामया के कुछ चहेते और खास लोगों को ही एंट्री होगी यहां बाकी किसी को भी नहीं आने दिया जाएगा इस फ्लोर पर उसके घर वाले को भी नहीं यहां कामयानी देवी अपने दस दसियो के साथ रहेंगी जो प्राइवेट होगा बस वही यह रंग जमना था 


एक बड़े से कमरे में धरम गुरु लोग और गुरुजी भी साथ बैठे हुए हुक्का का सेवेन कर रहे थे शायद कोई नशा भी था धुँआ और एक अजीब सी गंध उस कमरे में फेल गई थी पर कामया को कोई फरक नहीं पड़ता था एक उत्तेजित और मोहक माहॉल सा लगा था उसे कामया अपने दोनों दासियों के साथ उस कमरे में एक बलखाती सी चाल लिए दाखिल हुई थी होंठों पर मादक मुश्कान और आखों में निमंत्रण लिए आज की रात को स्वपनीले रंगों में उतारने को तैयार थी वो कमर की लचक ऐसी थी की देखने वाले देखते रह गये थे आखों की गहराई इतनी थी कि दिल को चीर कर रख दे और होंठों की लालिमा इतनी थी कि 
कोई भी मर्द अपने को रोक सके मुश्किल था लहराती हुई कामया रूम के बीचो बीचो में रखे हुए उस गोल बेड की ओर बढ़ी थी रूपसा और मंदिरा भी उसके साथ थी कामया बेड के पास पहुँचकर नीचे झुकी थी और एक स्विच को ओन किया था बहुत ही धीरे से वो बेड घूमने लगा था पाँचो धरम गुरु और गुरुजी का पूरा ध्यान कामया की ओर ही था रूपसा और मंदिरा मूड कर उनकी ओर ही देख रही थी जैसे कह रही हो आओ और देवी का भोग लगाओ 
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01-18-2019, 02:27 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
हल्का सा कामया उस बेड पर चढ़ गई थी और एक घुटनों को मोड़कर धीरे से पीठ के बल लेट गई थी अपने हाथों को अपने आस-पास फैलाकर घूमते हुए बॅड पर कामया लेटे हुए अपने शरीर का दर्शन करा रही थी उन गुरुओं को घुटना मुड़ा होने की वजह से जाँघो के अंदर तक का कुछ हिस्सा दिख रहा था पर बाकी अंधेरा था कामया जान बूझ कर अपनी एक के बाद एक जाँघो को मोड़ कर उन्हें उत्तेजित करने की कोशिश कर रही थी या उत्साहित करने की कोशिश कर रही थी रूपसा और मंदिरा खड़ी हुई गुरुजी को ओर चल दी थी बेड पर पड़ी हुई कामया अब भी वैसी ही थी तब तक रूपसा और मंदिरा गुरुजी लोगों तक पहुँच गई थी और हाथों और आखों से इशारे से बेड की ओर चलने का इशारा कर रही थी जब तक वो गुरु लोग बेड के पास पहुँचे तो कामया एकदम स्थिर थी ना कोई हलचल और ना कोई घराहट बस इंतजार था अपने शरीर के खुश होने का अपने शरीर के हर अंग को मसलने देने का अपनी हर सेक्स की इच्छा पूरी कर लेने का मुस्कुराती हुई कामया ने अपने सीने पर पड़ी हुई चुननी को एक ओर उछाल दिया और मुस्कुराती हुई उस घूमते हुए बेड पर से अपनी बाँहे ऊपर कर दी कि आओ और इस शरीर से खेलो और खुश हो जाओ या खुश कर दो 


एक गजब का नजारा था घुटनों तक उसकी घाघरा उठ गया था बल्कि कहिए जाँघो तक पहुँच गया था पेट साफ और चमक दार सीने पर कसा हुआ ब्लाउस और उसके अंदर से बाहर की ओर दिख रहे मस्त गोल गोल चूचियां एक गजब का उत्साह पैदा करने के लिए काफी थे एक-एक कर सभी गुरुओं ने अपने हाथों को आगे बढ़ाकर कामया के हाथों को पकड़ने की कोशिश की पर घूमते हुए बेड पर वो लेटी हुई उनके सामने से निकल गई थी बस एक स्पर्श सा ही हो पाया था मुस्कुराती हुई कामया लेटी हुई एक-एक कर सामने से गुजरते हुए उन गुरु लोगों की आखों में उत्तेनजा और भूख को साफ देख सकती थी 
अपने हाथो से छूती हुई कामया एक बार उनके सामने घूम गई थी, पर कोई भी उसे रोक नहीं पाया घूमते हुए बेड पर लेटी कामया की बाँहे अब थोड़ा सा और ऊपर की ओर उठी थी जैसे कह रही हो आओ रुके क्यों हो 


सबसे पहले गुरुजी आगे बढ़े थे और झट से बेड पर चढ़ने लगे थे पर घूमते हुए बेड पर स्थिर नहीं रह सके और रुक गये थे सामने से घूमते हुए कामया की अध खुली जाँघो को देखकर ही शांत हो गये थे फिर से उसके चहरे को अपने पास आने की राह देखते हुए अपने हाथों को बढ़ाकर उन्होंने भी अपनी उत्तेजना को दिखा ही दिया था अपनी सखी की गोरी गोरी जाँघो को स्पर्श करने की चाह को वो रोक नहीं पाए थे कोमल और बेदाग गोरी गोरी जाँघो का एक हल्का सा स्पर्श भर पाए थे पास खड़े हुए बाकी के गुरुओं का भी यही हाल था एक-एक करके कामया को किस करने की कोशिश करते और अपने हाथों से उसके घूमते हुए शरीर को छूने की ललक उसके चहरे पर साफ देखी जा सकती थी कामया की एक मोहक और मादक हँसी उस कमरे में गूँज उठी थी जब कोई थोड़ा सा साहस करके कोई नई बात या कोई आगे की ओर बढ़ता था सबसे पहले बेड पर चढ़ने वालों में थे एस 


खुले बाल और दाढ़ी को लिए वो झट से बेड पर चढ़ गये थे और कामया के पेट के पास बैठ गये थे और नीचे झुक कर उसकी गहरी नाभि पर अपने होंठ रख दिए थे मचल उठी थी कामया और हँसी के साथ साथ एक लंबी सी अंगड़ाई ली थी और घूम गई थी बाकी के लोग भी एस की देखा देखी झट से बेड पर चढ़ गये थे अब तो जैसे, खेल का चालू होना तय था पर कामया कोई ऐसी वैसी खिलाड़ी नहीं थी आज एक कान्फिडेन्स और एक उत्साह था उसके अंदर एक गजब का आत्मविश्वास था उसके अंदर अपने चारो ओर दाढ़ी और खुले बालों के इंसानी जानवरों को देखकर एक बार तो लगा था कि भूतों के घर में फस गई है कामया पर उसके मचलने का और अंगड़ाई लेने के तरीके से और जिस तरीके से अलट पलटकर अपने शरीर के दर्शन दे रही थी कामया उससे तो लगता था कि गुरु लोगों से ज्यादा कामया को उनकी जरूरत है 

हर अंग कुछ कह रहा था हर अंग उन बंधन से बाहर आने की कोशिश करता था पेट पर आ चुका एस अपनी जीब को लगता था की उसकी नाभि की गहराई तक उतार देना चाहता था और बाकी के लोग भी उसके ऊपर झुके हुए थे एक-एक कर अपने हिस्से में आए उसके शरीर के उस हिस्से को अपनी जीब और होंठो से गीलाकरने में लगे थे मचलती हुई कामया इधर से उधर हो रही थी किसी ने भी उसे रोका नहीं था बस हिस्से में आए शरीर के उस अंग को प्यार कर रहे थे चाट रहे थे उसमें से शहद चूसने की कोशिश कर रहे थे मचलने से अपने होंठों को अलग होते ही वो थोड़ा सा आगे बढ़ते और फिर से अपने होंठों को उसके शरीर के उस हिस्से पर रख देते अपने हाथों को उसके शरीर पर घूमने से भी नहीं रोके थे वो लोग हर हिस्से को छू लेने की कोशिश कर रहे थे उन लोगों में घूमते हुए बेड से बाहर खड़ी हुई रूपसा और मंदिरा भी कुछ कम नहीं थी एक-एक करके सामने से गुजर रहे गुरुलोगों के कपड़े को खींचती थी वो और उतारने की कोशिस मे लगी थी काफी हद तक वो सफल भी थी कामया उन्हें दिख नहीं रही थी पर उत्तेजित आवाजें उनके कानों में गूँज रही थी उत्तेजित आवाजें ना सिर्फ़ कामया की बल्कि उन गुरु लोगों की भी थी


चूमने की आवाज चाटने की आवाज और फिर तेज-तेज सांसें लेने की आवाज उस कमरे में गूंजने लगी थी घूमते हुए बेड का हर हिस्सा अब भरा हुआ लगता था बीच में मचलते हुए कामया का शरीर था और तड़पते हुए गुरु जन 


कामया की चोली के अंदर एक साथ दो-दो हाथ घुसे हुए थे जाँघो को पूरा कवर लिया गया था चार या छः हाथ थे पता नहीं पर दो या कभी एक चहरा झुका हुआ दिखता था मचलती हुई कामया कब पलट गई पता ही नहीं चला अपने हाथों को खींचकर अलग करते हुए अपने सामने आए इस नये तरफ की हिस्से पर फिर से टूट पड़े थे गुरुजन 

कामया- हिहहिहीही उूुुुुुुुुुुउउम्म्म्मममममममममममममम आआआआआआह्ह ईईईईईईईईईईईईईईईई धीरीईईईई 
उूुुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफ्फ़
बाकी सिर्फ़ सांसों की आवाज थी उस कमरे में एक साथ बहुत सी साँसे भागने से या हाँफने सेजो भारी हुई साँसे गरम और उत्तेजित सांसों की आवाज बीच बीच में कामया और कही कही रूपसा और मंदिरा की मिली जुली हँसी की आवाज उूउउफफ्फ़ आप सोच सकते है कि क्या नजारा होगा 


कामया ईईीीइसस्स्स्स्स्सस्स उतार दो ना चोली को हिहिहीः आआआआआह्ह 
और फिर एक के बाद एक उंगलियां उसकी चोली के पीछे बँधी हुई डोरी को खोलने में जुट गई थी एक-एक करते हुए हर डोरी को उसके लूप से बाहर निकाल रहे थे पर कामया के शरीर में स्थिरता नहीं थी बल्कि मचलने से हर बार उनके हाथों में आई डोरी छूट जाया करती थी हँसती हुई कामया इधर-उधर होती हुई कभी किसी के घुटनों पर अपना चहरा रख देती तो कभी किसी के होंठों को अपने होंठों पर रखने देती अपनी जाँघो पर घूमते हुए हाथों का ध्यान रखा था उसने अपने शरीर को मोड़कर हर अंग को छूने देना चाहती थी वो कामया का शरीर उस बेड पर मचल रहा था एक के बाद एक हाथ उसके शरीर पर फिसल कर हट जाया करते थे और एक खिलखिलाती हुई हँसी उस कमरे में गूँज जाया करती थी कामया की चोली तो पीछे से खुल चुकी थी पर अब तक कंधे पर ही टिकी हुई थी पीठ के खाली होते ही कई होंठ एक साथ उसके गोटी और कोमल और चिकनी पीठ का रस पीने को झुके थे और कामया एक बार फिर खिलखिलाती हुई हँसती हुई मचल उठी थी 
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01-18-2019, 02:27 PM,
RE: Bahu Ki Chudai बड़े घर की बहू
कामया की हरकत उन गुरु जनों को पागलकर देने को काफी थी अपने हाथों को इधर-उधर घुमाते हुए वो लोग कामया के हर अंग को छूकर और मसलकर देख रहे थे पीछे खड़े हुए घूमते हुए बेड के बाहर रूपसा और मंदिरा अब तक उन गुरुजन की धोती अंग रखा और सबकुछ खींचकर उतर चुके थे लगभग नंगे से वो गुरुजन कामया देवी के ऊपर झुके हुए अपने जीवन का आनंद ले रहे थे कामया का घाघरा उसके पेट तक आ गया था और नीचे पहने हुए तोंग के बीच में फँसे हुए उसके गुप्त अंगो को थोड़ा बहुत ही छुपा पा रहा था 

कामया के पलटने से एक बार फिर ऊपर बैठे गुरुजन ने अपना हाथ उसकी चोली के अंदर घुसा दिया था 
कामया ने अपनी बाँहे ऊपर करते हुए 

कामया- इसे उतार दो अच्छा नहीं लगता किसी ने देर नहीं की एक ही झटके से उतर गई थी उसकी चोली अपनी कमर को उँचा करते हुए 
कामया इसे भी आआआआअह्ह प्लेआस्ीईईईईईईईई 
कहती पर बीच में ही उसकी चुचियों पर दो जनों के कब्जा कर लिया था और अपने होंठों को उसके निपल्स पर रखते ही उसके मुख से निकला था नीचे के लोगों ने भी देर नहीं की और जल्दी ही कामया सिर्फ़ तोग में बेड पर मचलती हुई सी लेटी थी 

गुरुजन अपनी हवस की पूर्ति के लिए कामया के शरीर को जहां मन करता था वही छूकर और चूमकर उसके शरीर को गीलाकर रहे थे लेटी हुई कामया के हाथों में एक के बाद एक करते हुए दो लिंग आ गये थे कामया ने अपनी कमरा को उँचा करते हुए अपनी तोंग को भी उतारने का इशारा कर दिया था अपने हाथों में कसे हुए दो लिंग किसके थे पता नहीं था पर थे मसबूत और टाइट एकदम तैयार एकदम गरम एक मीठा सा एहसास उसके अंदर तक उतर गया था एक अंजानी खुशी के साथ-साथ एक अजीब सी खुशी और एक अंतरात्मा की संतुष्टि की चाहत उसके अंदर अब और तेजी से जीवित हो उठी थी कामया के हाथों में आए हुए उन लिंगो को वो खींचने लगी थी पास बैठे हुए गुरुजन ने शायद स और एच थे वहाँ एक बार उसकी ओर देखा जो कि उसके चुचियों पर झुके हुए थे और एक-एक कर एक-एक चुंबन लिया था और सरक कर उसके चेहरे तक आ गये थे उन्हें पता था कि आगे क्या सँजो रखा है देवी ने दोनों लिंगो को अपने चहरे के सामने लाकर एक नजर भर के देखा था उसने और झट से अपनी जीब निकाल कर हल्के से उन्हें छुआ था 

एस- उूुुुुुउउम्म्म्ममममममममममममम चूसो देवी हम बस तैयार है 

एच- जल्दी करो देवी 

कामया- हिहिहीः उउउम्म्म्मम छम छम उूउउम्म्म्म करती हुई उसके लाल लाल होंठों के अंदर-बाहर होने लगे थे वो दोनों लिंग कामया के सिर के पास शायद गुरु जी ही थे जो की अपने हाथों को बढ़ाकर उसके चुचों तक जाते थे अपनी आखों के सामने कामया को इस थार से लिंग को चूसते देखकर उनसे भी रहा ना गया अपने आपको थोड़ा सा उठाकर अपने लिंग को भी उसके सामने लटका दिया था कामया हँसती हुई बिना उसे पकड़े अपने होंठों को खोलकर एक के बाद एक करते हुए तीन लिंगो को एक के बाद एक करते हुए चुस्ती जा रही थी पैरों के बीच में गंगा जमुना बह रही थी वहां के हाल और बुरे थे तीनों एक के बाद एक करके उसकी योनि के अंदर उंगलियों के साथ-साथ अपनी जीब को भी डाल देते थे और इतना जोर से चूसते थे कि कामया की सिसकी निकल जाती

कामया आआआआआआआह्ह उम्म्म्मममममममम 
करती हुई उन लिंगो पर अपने दाँत तक गढ़ा देती थी कामया की सांसें अब नियंत्रण से बाहर थी एक के बाद एक अटेक इस तरह से हो रहे थे कि उसे रहा नहीं जा रहा था 

पर कोई भी उसके अंदर अब तक नहीं उतरा था कामया ने अपनी जाँघो को पूरा खोल दिया था पर नीचे बैठे कर जाई और एम शायद अपने होंठों से ही उसे खुश करने की जिद में थे पर कामया अपनी कमर को उठाकर उन्हें मूक निमंत्रण दे रही थी पर कोई नहीं समझा 

कामया- उूुउउफफफ्फ़ जल्दी करो प्लेआस्ीईईईईईईई अंदर करो प्लेआस्ीईईईईई 

कामया का कहना था कि होड़ लग गई थी नीचे की और एम सबसे पहले जो कि बीच में ही था एक झटके से बीच में आया पर उसके लिंग के घुसने से पहले ही जाई ने उसे धकेलते हुए एक तरफ किया और जल्दी से कामया की कमर को पकड़ लिया और उस पर लेट गया था कामया अपने हाथों में पकड़े हुए लिंग को अपने गालों में घिसते हुए गुरुजी के हवा में लटके हुए लिंग को चूस रही थी झटके से अपनी कमर को उछाल कर अपने योनि को उसके लिंग तक ले गई थी कामया के ऐसा करने भर से झट से जाई का लिंग उसकी योनि एक अंदर हल्के से प्रवेश कर गया था 

कामया ऽ, उूुुुुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममम आआआआआआआआआअह्ह और जोर से जल्दी करो और तेज 
ऊपर लेटे हुए जाई तो जैसे पागल ही हो उठा था इस तरह से उत्तेजित आवाज में शायद ही किसी ने उसे इतना बड़ा निमंत्रण दिया होगा वो जल्दी में था साथ में बैठे लोगों को वो भी भूल गया था उसे याद था तो सिर्फ़ कामयानी देवी का आग्रह 
वो तेजी से अपनी कमर चलाता जा रहा था और कामया को कस कर अपनी बाहों में भरने की कोशिश करता जा रहा था पर कामया तो सबकी थी वो एक अकेले की कैसे बन सकती थी 

वो अपने हाथों में लिए लिंगो पर भी पूरा ध्यान दे रही थी और अपनी टाँगों को उठाकर नीचे बैठे हुए गुरुजन को भी खुश करने की कोशिश कर रही थी जो उनके हिस्से में आई हुई टांगों पर ही वो खुश थे और अपने हाथों से और होंठों से जितना हो सके उसे प्यार कर रहे थे 

कामया- और करो और जोर-जोर से प्लेऐसीए आआआआअह्ह उूुुुउउम्म्म्ममम 
लिंगो को चूसती हुई कामया के होंठों से बस इतना ही निकला था 

जितना तेज जाई चल रहा था उससे कही ज्यादा तेजी से कामया अपनी कमर उच्छाल रही थी कामया का हर झटका जाई के झटके से ज्यादा तेज और ज्यादा जोरदार होता था जाई की तेज चलती साँसे इस बात की गवाह थी कि वो ज्यादा देर तक कामया को खुश नहीं कर पाएगा कामया सिसकारी भरती हुई अपने सामने आए हर लिंग को पूरा सम्मान दे रही थी 


इतने में शायद, जाई झड़ने वाला होगा एक जोर दार तरीके से उसने कामया को अपनी बाहों में जकड़ लिया था और उन लिंगो के बीच में ही उसने कामया के होंठों तक पहुँचने की कोशिश करते हुए उसके होंठों को कस कर अपनी होंठों मे कस लिया था कामया ने भी थोड़ी देर के लिए उन लिंगो को हटाया था पर छोड़ा नहीं था ऊपर लटके लिंग को भी थोड़ा सा पीछे हटते देखा था पर जाई के सिर से टकरा रहा था और जाई अपनी बाहों में भरे हुए कामया के होंठों को चूस्ते हुए झड़ गया था 
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