bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
03-30-2019, 11:35 AM,
#21
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
आधे रास्ते तक हम दोनो मे ही कोई बात नही हुई मिली शायद अभी भी उसी चुदाई के बारे मे सोच रही थी जबकि मैं उस घटना से उबर चुका था

"क्यों मिली मैने सच कहा था ना" मैं बोला

"हुउम्म्म्म...." मिली ने हुंकारा भरा

"अब तो यकीन हो गया ना कि बाय्फ्रेंड गर्लफ्रेंड का रिश्ता सिर्फ़ इसीलिए होता है" मैने एक चोट और की

"ऐसा कुछ नही है बहुत से गर्लफ्रेंड बाय्फ्रेंड ऐसे है जो सच्चा प्यार करते है, लेकिन राजू क्या ऐसी पथरीली जगह मे करने से लड़की की पीठ नही छिलती" मिली बोली

"वो तो मुझे पता नही लेकिन शायद उस मज़े के आलम मे कुछ मालूम ही नही पड़ता होगा शायद, वैसे तू अपनी उस सहेली से पूछ सकती है जो नीचे लेट कर चुदवा रही थी" मैने जवाब दिया

"हुउंम्म.." मिली के मूह से निकला

"लेकिन यार मिली मैं बहुत गरम हो गया हूँ वो सब देख कर, क्या तू मेरे लिए कुछ कर सकती है जिससे मेरे लंड को शांति मिले" मैं बोला

"अभी नही हम शाम को बात करते है, तब पक्का मैं तेरे लिए कुछ ना कुछ करूँगी कि तुझे बहुत शांति मिल जाए" मिली मेरी नाक पकड़ कर हिलाते हुए बोली तब तक रेस्ट हाउस आ चुका था और लंच का टाइम भी हो चुका था हम दोनो अलग हो चुके थे तभी मेरी नज़र पीछे की तरफ गई जहाँ वो चारो ही जोड़े वापस चले आरहे थे और सभी के चेहरे चमक रहे थे सिर्फ़ मैं अकेला ही प्यासा था हमारे ग्रूप के लड़को मे लेकिन मिली ने मुझे शाम को बहुत शांति देने की बात कही थी इसलिए मैं उतना भी निराश नही था और शाम होने का इंतज़ार कर रहा था....

सभी लोग लंच कर चुके थे चूँकि गर्मी का मौसम था इसलिए दोपहर मे कहीं घूमने जाना नही था शाम को ही कहीं बाहर जा सकते थे इसलिए हर कोई आराम कर रहा था मैं भी अपने दोस्तो के साथ टेंट मे आकर सो गया था

शाम को 5 बजे मेरी नींद खुली और मैं फ्रेश होकर मिली को ढूँढने लगा लेकिन बहुत ढूँढने के बाद वो मुझे अपनी एक सहेली के साथ सबसे दूर एक तरफ जाते दिखी मैं भी उनके पीछे चल दिया

वो लोग थोड़ा आगे जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई मैं भी थोड़ा घूम कर उन के पीछे की तरफ पेड़ के तने की ओट मे खड़ा हो गया सोचा देखु तो सही दोनो क्या बात करती है क्योंकि ये वो ही लड़की थी जो दोपहर मे अपने बाय्फ्रेंड से चुदवा रही थी

"तू दोपहर मे जंगल मे अपने बाय्फ्रेंड के साथ क्या कर रही थी सोना जब हम घूमने गये थे" मिली बोली

"कुछ नही यार बस हम तो घूमते ही रहे" सोना ने जवाब दिया

"झाड़ियो के अंदर घूम रहे थे क्या?" मिली बोली

अब सोना की आँखे सिकुड गई थी
"तूने क्या देखा?" सोना बोली

"वही जो तुम दोनो कर रहे थे, और तू भी कितनी मस्ती मे थी उस वक्त चुदाई करवाते हुए" मिली बोली

"ऊहह...तो तूने देख लिया था हमे वो क्या है ना यार रॉनी बहुत दिनो से पीछे पड़ा था चुदाई के लिए तो आज मौका देख कर मैने भी उसे मज़े करवा दिए" अब सोना खुलते हुए बोली

"तुझे दर्द नही हुआ चुदवाने मे?" मिली ने पूछा

"उसमे कैसा दर्द वो तो पहली बार होता है हर बार थोड़े ही ना होता है" सोना ने बताया

"तो क्या तू पहले भी चुदवा चुकी है" मिली हैरत से बोली

"हां बहुत बार अब तो मैं गिनती भी भूल गई हूँ कि कितनी बार चुदवाया है और कितने लड़के मुझे चोद चुके है, लेकिन क्या तू अभी भी वर्जिन है?" अब सोना हैरत मे थी

"पीछे से तो करवा चुकी हूँ लेकिन अभी तक मेरी चूत की सील नही टूटी है" मिली बोली
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03-30-2019, 11:35 AM,
#22
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
"तो क्या तेरा बाय्फ्रेंड तुझसे चूत चोदने को नही कहता क्या" सोना ने पूछा

"मैने ही उससे कह रखा है कि पीछे से कर लिया करे आगे से मैं नही दूँगी इसलिए वो ज़िद नही करता है, वैसे तू ये बता कि इतनी पथरीली जगह मे चुदवाने से तेरी पीठ नही छिली" मिली बोली

"अरे यार हम चादर ले कर गये थे ना बॅग मे जिससे ज़्यादा फरक नही पड़ा लेकिन तू भी निरि पागल है पीछे से चुदवाने मे क्या मज़ा है असली मज़ा तो तब आता है जब चूत मे लंड घुसता है" सोना बोली

"मुझे नही लेना अपनी चूत मे लंड मैं ऐसे ही ठीक हूँ अब चल शायद सभी लोग घूमने जाने की तैयारी कर रहे है" कह कर मिली उठ गई और वो दोनो वापस जाने लगी मेरी समझ नही आया कि मिली क्या चाहती है और मैं भी उन दोनो के पीछे चल दिया.......

अब हम सभी घूमने के लिए निकल पड़े

मिली ने इस वक्त एक बॅग भी साथ रखा था जो सवेरे उसके पास नही था मुझे मिली और उसकी सहेली की बात याद आई 'कहीं इस बॅग मे चादर तो नही है' मैने सोचा

मुझे अब विश्वास होने लगा था कि शायद आज मिली मुझे अपनी नन्ही सी बिना चुदि चूत देने वाली है और मेरा लंड और मेरा दिल खुशी से उछल्ने लगे लंड पूरी तरह टाइट हो कर पेंट मे टॅंट बना चुका था हम इस बार भी बाकी के सभी जोड़ो से पीछे चल रहे थे शाम के 5.30 बज चुके थे चूँकि गर्मियो का मौसम था इस लिए 7.30 से पहले अंधेरा नही होता था


चलते चलते अचानक मिली की नज़र मेरे लंड के बनाए तंबू पर पड़ी तो वो मुस्कुरा दी और बोली "लगता है तेरा पप्पू बहुत उतावला हो रहा है"

"हां यार सुबह उन दोनो की चुदाई देख कर मैं अपने आप पर कंट्रोल नही कर पा रहा हूँ और वैसे भी तूने कहा था कि शाम को तू मुझे ठंडा करेगी यही सब सोच सोच कर ये बेचारा उम्मीद लगाए उच्छल रहा है" मिली की बात सुन मैं झैन्पते हुए बोला

"तो समझा दे उसे कि आज उसे भूखा नही रहना पड़ेगा आज मैं उसका इंतज़ाम कर दूँगी, वैसे यार राजू चूत की पहली चुदाई मे भी क्या उतना ही दर्द होता है जितना पहली बार गान्ड मरवाने मे होता है?" मिली बोली

"नही यार चूत मे तो चिकनाई होती है बस सील टूटने से थोड़ा दर्द होता है लेकिन दो मिनट बाद वो भी ख़तम हो जाता है" मैं उसे लाइन पर लाता हुआ बोला

"हूंम्म..." उसके मूह से निकला और वो कुछ सोचने लगी

अब धीरे धीरे हमारे सामने चलते जोड़े एक एक कर रोड छोड़ कर जंगल की तरफ जाने लगे . लगता है सुबह की चुदाई से उनका मन नही भरा था या फिर वो सभी सिर्फ़ चुदाई करने ही इस ट्रिप पर आए थे

हमे भी चलते चलते आधा घंटा से ज़्यादा हो गया था और अब हम उन सभी से बहुत आगे आचुके थे

"हम कब तक ऐसे ही चलते रहेंगे मिली थोड़ी ही देर मे अंधेरा हो जाएगा फिर अभी मुझे तेरे 'पीछे' भी तो लगना है और वापस भी जाना है" मैं बोला

मिली मुस्कुराइ और बोली "ठीक हम इससे आगे नही जाते लेकिन मेरे 'पीछे' लगने के लिए कोई अच्छी सी जगह तो देखले"

मिली की बात सुनकर मैं खुश हो गया और उसकी गान्ड मारने के लिए कोई जगह देखने लगा लेकिन मुझे समझ नही आरहा था कि कॉन सी जगह सही रहेगी लेकिन 5 मिनट बाद ही मुझे बहुत ही अच्छी जगह मिल गई कुछ पेड़ो के बीच चार मोटी मोटी लकड़ियो के उपर एक मचान बना हुआ था शायद वो फोरेस्ट वालो ने निगरानी के लिए बनाया हुआ था जिससे जंगल का एक बहुत बड़ा हिस्सा दिखाई दे जाता था क्योंकि वो मचान लगभग 30 फुट उँचा था और पेड़ो के झुर्मुट के बीच बने होने से उस पर चढ़ने मे परेशानी भी नही होती थी
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03-30-2019, 11:35 AM,
#23
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मैं उस मचान पर चढ़ा और उसके अंदर का जायज़ा लिया मचान अच्छी हालत मे था और उसकी फर्श पर घास फूस बिछा हुआ था 'चलो मिली की एक परेशानी तो दूर हुई इस घास फूस की वजह से उसे रगड़ या चोट तो नही लगेगी' मैने सोचा और मचान से नीचे उतर कर मिली के पास आ गया

"कोई अच्छी सी जगह मिली" उसने पूछा

"बहुत अच्छी जगह मिली है एकदम घर जैसी है चल" मिली का हाथ पकड़ कर उसे मचान की तरफ ले जाते हुए मैं बोला

"घर जैसी? मैं कुछ समझी नही" वो बोली

मैने उसे मचान के बारे मे बताया तब तक हम मचान के पास पहुच गये

"लेकिन जिन लोगो ने इसे बनाया है वो आ गये तो" मिली बोली

"अरे पगली ये रात मे निगरानी के लिए होगा और अभी सिर्फ़ 6 बजे है अगर कोई आएगा भी तो रात 9 के बाद ही आएगा तू चिंता मत कर और उपर चढ़" कहते हुए मैने मिली से बॅग ले लिया और मिली उपर चढ़ने लगी

थोड़ी देर बाद हम दोनो मचान मे थे वहाँ से जंगल का नज़ारा देख कर मिली बहुत खुश हुई वहाँ से वो रेस्ट हाउस भी नज़र आरहा था जहाँ हम ठहरे हुए थे

5 मिनट तक मिली यही सब देखती रही तो मुझसे रहा नही गया

"यही सब देखना है या फिर कुछ करना भी है" मैं खीजते हुए बोला

"अले मेला सोना भाई, नाराज़ क्यों होता है ले बुझा ले अपनी प्यास" कहते हुए मिली अपने कपड़े निकालने लगी

मैं भी झट से नंगा हो गया मिली भी अब तक पूरी नंगी हो गई थी

"इस घास फूस से तुझे परेशानी तो नही होगी" मैं बोला

"बॅग खोल मैं एक चादर भी लाई हूँ वो हमारे काम आएगी" मिली कुटिल मुस्कान के साथ बोली

मैने चादर निकाल कर बिछा दी और मिली को खीच कर उस पर लिटा कर उसके उसके शरीर के साथ खेलने लगा लगभग 10 मिनट तक अच्छे से उसके बूब्स दबाए और होठ चूस्ते हुए उसकी चूत मे उंगली की


मिली अब पूरी तरह मस्त हो गई थी उसकी चूत लगातार पानी बहा रही थी और अब मुझसे भी नही रहा जा रहा था मैं उसे गान्ड मारने की पोज़िशन मे करने लगा तो वो बोली "भाई चूत चुदवाने मे बहुत मज़ा आता है क्या?"

"ये तो लड़कियों को ही पता होगा वैसे उंगली मे तुझे मज़ा आता है क्या?" मैं बोला

"हां"

"तो लंड से तो पक्का उससे सौ गुना ज़्यादा मज़ा आएगा" मैं बोला

"राजू तू मेरी चूत चोदेगा?" मिली बोली

मिली की बात सुन कर मैं हक्का बक्का रह गया मुझे मेरे कानो पर यकीन ही नही हो रहा था..






मिली की बात सुनकर मैं हक्का बक्का रह गया था मुझे उम्मीद नही थी कि वो इतनी आसानी से मुझे अपनी चूत सौंप देगी मेरा मूह खुला का खुला रह गया और मेरे मूह से निकला "क्याअ..."

"हां राजू बताना क्या तू मेरी चूत चोदेगा?" मिली बोली

"लेकिन तूने ही तो कहा था कि तू मुझे अपनी चूत कभी नही देगी" मैं बोला

"वो बात पुरानी हो गई है तू अभी की बात कर क्या तुझे मेरी चूत पसंद है? इसे चोदना चाहेगा?" मिली बोली
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03-30-2019, 11:35 AM,
#24
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
"इतनी प्यारी चूत को भला कॉन नही चोदना चाहेगा मिली मैं तो इसे चोदने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ, लेकिन अचानक ही तूने अपना इरादा कैसे बदल लिया" मैने पूछा

"सुबह उन दोनो की चुदाई देख कर मुझे अहसास हुआ कि लंड की सही जगह चूत ही है और बगैर लंड लिए चूत किसी काम की नही है फिर मैने सोचा कि जब मैं तेरे साथ इतना आगे बढ़ गई हूँ तो तुझी से अपनी चूत भी चुदवा लूँ और वैसे भी शादी के बाद कोई अंजाना मेरी चूत की सील तोड़े इससे अच्छा तो ये है कि मेरा भाई ही ये शुभ काम करे, बोल राजू करेगा अपनी बहन की चूत का उद्घाटन?" मिली मेरे लंड को मसल्ते हुए बोली जो अब अपनी बहन की चूत मारने के ख़याल से पहले से कहीं ज़्यादा फूल गया था


"हां मिली मैं ज़रूर करूँगा लेकिन यहाँ कैसे हो सकता है ये काम क्योंकि पहली बार मे तुझे दर्द होगा और चिकनाई के लिए हमारे पास कोई तेल या क्रीम भी नही है अभी" मैने चिंता जताई

मेरी बात सुनकर मिली हँसी और बोली "मुझे पता था कि आज मेरी चूत खुल कर रहेगी इसलिए मैं क्रीम साथ मे लाई हूँ बॅग मे रखी है निकाल ले और अपना काम शुरू कर दे आज मैं कली से फूल बन जाना चाहती हूँ" मिली अपनी आँखे बंद करती हुई बोली

मैं झट से उठा और बॅग से क्रीम निकाल ली मैं ज़्यादा देर नही करना चाहता था क्योकि मिली कब अपने कहे से पलट जाए इसका कोई भरोसा नही था

अब मैने मिली की दोनो टाँगे फैला दी आज पहली बार उसकी चूत मेरे सामने इतनी पास थी क्या नज़ारा था उसकी चूत के होंठ आपस मे जुड़े हुए थे और बार बार कंपकपा रहे थे उसकी चूत का मूह पानी छोड़े जा रहा था मैने धीरे से अपनी एक उंगली उसकी चूत के अंदर घुसा दी और आगे पीछे करने लगा

"ये क्या कर रहा है मैने तुझे लंड डालने को कहा है उंगली नही" मिली मेरा हाथ अपनी चूत से अलग करती हुई बोली

"क्रीम तो लगानी पड़ेगी ना" मैं बोला और क्रीम निकाल कर अच्छे से उसकी चूत पर लगाने लगा

जब उसकी चूत पूरी तरह चिकनी हो गई तो मैने लंड पर भी क्रीम लगा ली और मिली की टाँगो के बीच आ गया और अपनी पोज़िशन लेकर बोला "मिली तैयार हो ना"

"हान्णन्न्...लेकिन थोड़ा आराम से करना" वो आँखे बंद किए बोली उसके चेहरे से डर और रोमांच दोनो के भाव झलक रहे थे

अब मैने मिली के टाँगे अच्छे से फैलाई और अपने लंड को उसकी चूत की दरार पर रगड़ने लगा मिली के मूह से 'आहह...उऊहह...हाईए..' जैसे सिसकारिया छूटने लगी

"उउफ़फ्फ़..राजू ज़्यादा मत तडपा करले जो करना है" मिली बोली

अब मुझसे भी रहा नही जा रहा था मैने उसकी चूत के छेद पर लंड लगाया और ज़ोर का धक्का लगाया जिससे मेरे लंड का सुपाडा उसकी चूत मे समा गया और मैने अपना सारा ज़ोर लगाते हुए पूरा दबाव मिली की चूत पर डाल दिया जिससे मेरा लंड धीरे धीरे चूत की गहराई मे उतरने लगा जबकि मिली पहले धक्के से ही बहाल हो कर चीखने लगी थी और अपने आपको मुझसे छुड़ाने के लिए हाथ पैर मारने लगी थी लेकिन मैं जानता था कि अभी नही तो कभी नही इसलिए मैने उसे बुरी तरह जकड रखा था और मेरा लंड उसकी सील को तोड़कर लगातार आगे बढ़ता जा रहा था जब मेरा आधा लंड मिली की चूत मे घुस गया तब मैं रुका और मिली को देखा वो अभी भी दर्द से तड़पति हुई रो रही थी और उसकी आँखो से आँसुओं का झरना बह रहा था मुझसे नज़र मिलते ही वो कातर स्वर मे बोली "छोड़ दे राजू मुझे छोड़ दे नही तो मैं मर जाउन्गी मुझे नही चुदवानी अपनी चूत प्लीज़ राजू छोड़ दे मुझे"

"अब दर्द का टाइम ख़तम हो गया मिली तेरी सील टूट चुकी है और मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड तेरी चूत मे है अब थोड़ी ही देर मे तुझे भी मज़ा मिलना शुरू हो जाएगा"

"क्या सच में तेरा आधा लंड अंदर जा चुका है?" वो बोली

"हां ये देख" कहते हुए मैने मिली को देखने की जगह दी और उसने भी उठ कर देखा उसकी चूत के मूह का छल्ला फैला हुआ था जिसमे मेरा लंड फँसा पड़ा था लेकिन वो अपनी चूत से बहता हुआ खून नही देख पाई वरना पक्का वो मेरा लंड बाहर निकाल कर ही मानती

अब मैं मिली को वापस लेटा चुका था और जितना मेरा लंड घुसा था उतनी ही जगह मे धीरे धीरे लंड आगे पिछे करने लगा अब मिली का दर्द भी कम हो गया था और उसकी कमर भी अब थिरकने लगी थी जिससे मेरा जोश भी बढ़ गया और मैने अपना पूरा लंड बाहर खिचते हुए दो जोरदार धक्के लगाए जिससे मेरा पूरा का पूरा लंड मिली की चूत मे उतर गया मिली के मूह से एक हल्की चीख और निकली लेकिन उसमे दम नही था क्योंकि उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी


5-7 धक्के और लगने के बाद शायद मिली का सारा दर्द जाता रहा था क्योंकि अब वो भी कमर उठा उठा कर मेरे धक्को का जवाब देने लगी थी

"क्यों मिली अब मज़ा आरहा है ना" मैं अपने धक्को की स्पीड बढ़ाता हुआ बोला

"हां भाई बहुत मज़ा आरहा है अगर मुझे पहले पता होता कि चुदवाने मे इतना मज़ा आता है तो शायद तू कभी भी मेरी गान्ड नही मार पाता मैं पहले ही तुझसे चुदवा लेती, चल अब ज़रा ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा" मिली मेरी पीठ सहलाते हुए बोली

अब मेरे धक्को की स्पीड लगातार बढ़ती जा रही थी और मेरे लंड की ठोकर मिली के गर्भाशय पर पड़ रही थी 'पच..पच' की आवाज़ सारे मचान मे गूँज रही थी और हम दोनो भाई बहन अपनी पहली चुदाई को एंजाय कर रहे थे

लगभग 10 मिनट बाद मिली भल भल कर के झड गई और मुझे जोरो से जकड लिया मैं भी मिली की गर्मी सहन नही कर पाया और मैं भी झड़ने की कगार पर पहुच गया

"मैं झड़ने वाला हूँ मिली क्या अपना लंड बाहर निकाल लूँ" मैं बोला

"नही राजू मेरे अंदर ही झड़ो मैं महसूस करना चाहती हूँ कि कैसा लगता है" मिली मुझसे और भी ज़्यादा चिपकते हुए बोली

अब मुझसे और नही संभाला गया और दो ही धक्को मे मेरा लंड अपना माल मिली की चूत मे उगलने लगा और 6-7 पिचकारियाँ छोड़ने के बाद मैं निढाल हो कर मिली के उपर ढेर हो गया

कोई 10 मिनट तक हम दोनो ऐसे ही हान्फते हुए पड़े रहे फिर उठ कर अपने कपड़े पहने मैने टाइम देखा 6.50 हो चुके थे और उजाला ख़तम होने लगा था

"चल मिली हम बहुत लेट हो गये है" मैं बोला और हम दोनो ही मचान से उतर कर रेस्ट हाउस की तरफ बढ़ गये मिली की चाल मे थोड़ी लंगड़ाहट थी लेकिन ज़्यादा परेशानी नही थी उसे
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03-30-2019, 11:35 AM,
#25
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
7.30 के आस पास हम रेस्ट हाउस पहुच गये थे मैने मिली को किस किया और हम दोनो अपनी अपनी जगह चले गये

अगले दो दिनो मे मैने मिली को जंगल मे 5 बार और चोदा अब उसे भी चुदाई करवाने मे बहुत मज़ा आने लगा था

घर वापस आकर तो हमारी मौज हो गई थी पापा मम्मी दिन मे तो घर पर होते ही नही थे जिससे जिस दिन भी हमे कॉलेज नही जाना होता सारा दिन ही हम चुदाई करते कभी कभी मैं मिली की गान्ड भी मार लिया करता था हम दोनो ही एक दूसरे से बहुत खुश थे

एक दिन कालेज से लौटते टाइम रास्ते में बारिश आ गई और हम दोनो भीग गये . मिली बारिश में भीगने का मज़ा लेने लगी . हम दोनो बारिश में भीगते हुए घर पहुँचे 

ठंड सी लग रही थी इसीलिए घर आते ही मैने कपड़े चेंज किए मिली ने कहा
“तुम टीवी देखो, मैं बुरी तरह भीग गई हूँ… चेंज करके आती हूँ।” 
वह चली गई और मैं बैठ कर टीवी देखने लगा… करीब दस मिनट बाद वो वापस अवतरित हुई तो सिर्फ सिल्क के गाउन में थी और ऐसी सेक्सी लग रही थी कि मेरे पप्पू को सर उठाना ही पड़ गया। मैं टीवी से निगाहें हटा कर उसे देखने लगा। वो मेरे पास ही आकर बैठ गई। 
“कैसी लग रही हूँ?” 

“बहुत खूबसूरत… पर मेरे ख्याल से इन कपड़ों के बगैर ज्यादा अच्छी लगोगी।” 

उसने मुस्कराते हुए गाउन को अपने जिस्म से अलग कर दिया… एक पल के लिए भी ऐसा न लगा वो असहज हुई हो। मेरी आँखें चमक कर रह गई… कुंदन सा बदन आवरण रहित होकर मेरी आँखों को चुन्धियाने लगा… पूरा जिस्म जैसे संगमरमर की तरह तराशा हुआ था। दिलकश चेहरा, खुली घनेरी जुल्फें, पतली सुराहीदार गर्दन, गोल मांसल कंधे, भरी और कसे हुए वक्ष, जिनके अग्रभाग पे गुलाबी सी नोक और आसपास बड़ा सा कत्थई घेरा, उनके नीचे नाज़ुक सी कमर और पेडू के नीचे बेहद हल्के रोयें जैसे अभी परसों ही शेव की हो और उनकी घेराबंदी में वो ज्वालामुखी का दहाना… जिसके गहरे रंग का ऊपरी हिस्सा मुझे मुँह चिढ़ा रहा था। 

“बेचारा परेशान हो रहा है।” उसने मेरे पप्पू की तरफ इशारा किया जो पैंट में तम्बू की तरह तन गया था। 

मैंने उसका आशय समझ कर अपने कपड़े उतारने में देर नहीं लगाई। मैं उसके पास ही बैठ गया। 

“कुछ खाओगे?” 

इस हालत में भी खाना? 

“हाँ ! तुम्हें।” 
उत्तर तो देना ही था और सुन कर वो मादक अंदाज़ में हंस पड़ी। 

अब मेरा एक हाथ उसके एक कंधे पर था और दूसरा स्पंजी चूचियों को सहला रहा था और उसने मेरे पप्पू को अपने हाथ से पकड़ कर अंगूठे से टोपी को रगड़ना शुरू कर दिया था। 

“मैं अभी आती हूँ।” कह कर मिली उठी और चली ही गई। 
लेकिन दो मिनट में ही वापस लौट आई, अब उसके हाथ में एक फाइबर का कटोरा था जिसमें कोई लिक्विड था। 
“यह क्या है?” 
“लिक्विड चॉकलेट है… यह मस्त है, मेरी बनाई।” 

और उसने उंगली से थोड़ी लेकर मेरे होंठों पर फिराई, मैंने उसकी उंगली अन्दर ले ली और उसे चूसने लगा। फिर उसने उंगली से थोड़ी और लेकर अपने एक चुचूक पर लगाई और मुझे उसे मुँह में लेने के लिए और पास खिसकना पड़ा। एक हाथ मैंने दूसरी चूची के साथ लगा दिया और होंठों से दूसरे के निप्पल से चॉकलेट का स्वाद लेने लगा। उसके मीठे स्वाद के साथ उसके जिस्म से उठती भीनी भीनी खुशबू भी रल-मिल रही थी। 
इधर की चॉकलेट ख़त्म हुई तो मिली ने दूसरे निप्पल पर लगा दी। मैं उसका रसपान करने लगा… अब मैं खाली पड़ा हाथ उसकी ऊपर से लकीर सी दिखती मुनिया पे ले गया और उसे उंगली से खोदने लगा जो पानी से चिपचिपी हो रही थी। वो अपने हाथ से मेरा सर सहला रही थी। दोनों चूचियाँ इस चुसाई से कठोर हो गई थीं और उनकी घुन्डियाँ भी तन कर कड़ी हो गई थीं। 

कुछ देर बाद उसने मुझे आहिस्ता से अलग किया और मेरे एकदम टाईट खड़े पप्पू को सहलाने लगी.. फिर खुद पीछे खिसक कर अधलेटी सी हो गई और कटोरे से चॉकलेट लेकर मेरे लंड को उसमें लपेट दिया और जब लंड पूरी तरह लिक्विड से सन गया तो उसने मुँह खोल कर सुपारे को अन्दर ले लिया और बड़े मस्त अंदाज़ में चूसने लगी। 

मैंने सोफे की पुष्ट से टेक लगाई, अपना हाथ उसकी मस्त उभरी हुई गाण्ड पर फिराने लगा और उंगली से उसके छेद को खोदने लगा। 

कुछ मिनट की चुसाई में लंड बिल्कुल साफ़ तो हो गया लेकिन इस ज़बरदस्त अनुभव के बाद ऐसा लगा जैसे पानी अब छूटा कि अब छूटा। 

“सॉरी ! लगता है निकल जाएगा।” मैंने कराहते हुए कहा। 

“हम्म… ऐसे न वेस्ट करो… एस-होल में निकाल दो.. वो भी गीला होता रहेगा। मुझे अच्छा लगता है जब तुम्हारा रस योनि या एस-होल से धीरे धीरे बहता रहता है।” कहते हुए वो सोफे पे ही घुटने के बल बिल्ली जैसी पोजीशन में आ गई और उसने अपने चूतड़ मेरे सामने कर दिए। 

इस रगड़ा-रगड़ी से और मेरे खोदने से गुदा का छेद भी दुपदुपाने लगा था। मैंने ढेर सा थूक उसमें डाला और छेद को अंगूठों के दबाव से फैलाया, थोड़ा थूक अन्दर गया और थोड़ा बाहर फैल गया। 

मैंने सुपारे को छेद पे टिका के दबाया, उसकी चटाई से वो गीला और चिकना हो चुका था… चुन्नटें फैली और वो आराम से गहराई में उतर गया। मिली मुँह से एक मस्ती भरी धीमी सिसकारी छूटी। 
“अभी गेम बाकी है, थोड़ा कंट्रोल करके !” उसने गर्दन घुमा कर मुझे देखा। 

मुझे पता था, मैंने दो चार धक्के लगाये, अन्दर के कसाव और गर्मी ने एकदम से निचोड़ना चाहा और मैंने ध्यान ऐसा हटाया कि पहली पिचकारी में ही बस हो गया। फिर कुछ बुज्जे छूटे… वो पैर सीधे करके औंधी ही लेट गई और मैं भी उसी पोजीशन में लंड घुसाए घुसाए उस पर लेट गया। 

दो मिनट में लंड ढीला होकर बाहर निकल आया और फिर हम उठ बैठे। 

उसने लंड को खास अंदाज़ में भींचना शुरू किया और चूंकि वो पूरी तरह स्खलित नहीं हुआ था इसलिए वापस खड़ा होने लगा तो उसने चॉकलेट का कटोरा मुझे थमा दिया। 

उसका मंतव्य समझ कर मैंने उसमें से चॉकलेट लेकर उसके पेट, नाभि और योनि पे लगा दी… उसकी कलिकाएँ छोटी ही थी और गीली हो चुकी कली जैसी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी। वो सोफे पर ही सुविधाजनक अंदाज़ में टाँगे फैलाये लेट गई और मैं उसके जिस्म से चॉकलेट को चाटने लगा… चूत चाटते वक़्त मैंने बीच की उंगली अन्दर डाल दी जो पानी पानी हो रही थी और क्लिटारिस हुड को जुबां से छेड़ते वक़्त उंगली से उसे बाकायदा चोदने लगा। 
मिली बुरी तरह ऐंठने लगी। 

जब मिली को लगा कि वो झड़ जायेगी तो उसने दोनों हाथों से मेरे सर को अपनी बुर पर ऐसे दबा दिया कि मेरे लिए सांस लेना मुश्किल हो गया। वो जोर से कांपी और बुर से नमकीन पानी उबल कर बाहर आया पर मैंने उसे भी ग्रहण कर लिया और फिर वो ढीली पड़ गई तो मैं ऊपर आ गया। 

उसने मेरा इशारा समझा और लंड को फिर मुँह में ले लिया और सिर्फ दो मिनट में खास अंदाज़ में चाट कर तैयार कर दिया। 
फिर सोफे पे ही अधलेटी अवस्था में आकर उसने एक टांग नीचे लटका ली और दूसरी पुष्ट पर चढ़ा ली। प्यार से अपनी चूत को थपथपाया और मैं उसकी टांगो के बीच में आ गया, लंड को चूत के छेद पर सटाया तो उसे गीली और चिकनी चूत में अन्दर जाने में बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ी… आराम से अन्दर उतरता चला गया। 

मिली सेक्सी अंदाज़ में होंठ चबाते हुए मुस्कराई और मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिया। 

उसकी ‘आह… ओह्ह… आह… आह…’ चालू हो गई जो मेरे कानों में रस घोल रही थी। 

थोड़ी देर के धक्कों के बाद उसने मुझे रोक दिया और मुझे अलग करके सोफे से टिकते नीचे फर्श से पीठ टिका ली और दोनों खुली टांगें हवा में फैला दी… इस तरह उसकी ताज़ी चुदी बुर हल्के फ़ैलाव के साथ अब मेरे सामने थी और मुझे उसे चोदने के लिए अपना लंड नीचे करके उसमे घुसाना पड़ा। एकदम नया स्टाइल था मगर मैं छोटे लंड की वजह से इस आसन को ज्यादा एन्जॉय नहीं कर सका और जल्दी ही वो भी सीधी हो गई। 

“एक काम करो… पीछे से करो !” 

और वो सोफे पे ही चौपाये की तरह हो गई और कमर अन्दर दबाते हुए अपने चूतड़ ऐसे उभारे कि उसकी चूत निकल कर जैसे मेरे सामने आ गई… मैंने लंड टिका कर अन्दर सरकाया, वो आराम से अन्दर चला आया और मैंने उसके गोरे नितम्ब थपथपाते हुए तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा। वो हर धक्के पर जोर जोर से सिस्कार रही थी। साथ ही लंड के अन्दर जाने के वक़्त अपनी मांसपेशियों को सिकोड़ लेती और बाहर निकलने के वक़्त ढीला छोड़ देती। 

“कैसा लग रहा है?” मिली ने सिसकारियों के बीच में पूछा। 

“अमेजिंग !” मेरे मुँह से निकला। 

“फक्क माय एस !” उसने मुझे आदेश दिया। 

ओह ! यह तो मेरा फेवरिट आइटम है, मैंने ख़ुशी ख़ुशी लंड बाहर निकाल कर मेरे ही वीर्य से गीले हो कर बह रहे गुदा द्वार में ठेल दिया… लंड आराम से अन्दर उतरता चला गया और अन्दर की चिकनाहट में ज़रा भी परेशानी नहीं हुई और आराम से अन्दर बाहर होने लगा। 

अब वो कुतिया सी बनी हुई थी और मैं उसकी कमर पकड़े जोर जोर जोर से उसे चोद रहा था। 
हाल में जैसे गर्म बेतरतीब सांसों का तूफ़ान आ गया और उसकी उत्तेजक सिसकारियों के साथ हमारे संगम की फच्च-फच्च की आवाजें आग भर रही थीं। वो चरम पर पहुँचने लगी तो जोर जोर से गन्दी गन्दी गलियों के साथ मुझे उकसाने लगी, मैं और भी उत्तेजित होकर उसके साथ ही गालियाँ बकते हुए उसे और तेज़ चोदने लगा। 

और जल्दी ही एक तेज़ कराह के साथ वो अकड़ गई… अंतिम पलों में उसने अपनी मांसपेशियों को ऐसे सिकोड़ा कि मेरे पप्पू का दम भी साथ ही निचुड़ गया और मैंने उसे कस कर थाम कर पूरी ट्यूब अन्दर ही खाली कर दी। 
फिर दोनों अलग हो कर सोफे ही पर पड़े पड़े बुरी तरह हांफने लगे। 
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03-30-2019, 11:36 AM,
#26
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
अगले दिन मिली कॉलेज नही गई शायद उसकी तबीयत कुछ खराब थी इसीलिए मैं अकेले ही कॉलेज के लिए निकल गया और कालेज पहुँच अपने लेक्चर अटेंड करने लगा . अभी कॉलेज आए हुए 2 घंटे ही हुए थे कि मेरा मोबाइल बाज उठा मैने नंबर देखा तो मिली का फ़ोन था मैने फ़ोन उठाया और पूछा हाँ मिली क्या हुआ
मिली ने उधर से जबाव दिया -राजू तुम अभी घर आ जाओ और फ़ोन काट दिया 

मैने दुबारा मिली को फ़ोन मिलाया पर उसका नंबर स्विचऑफ आने लगा मुझे चिंता होने लगी कि कही मिली की तबीयत ज़्यादा खराब तो नही हो गई . मैं फ़ौरन घर के लिए निकल पड़ा . और जल्दी ही घर पहुँच गया

घर की कॅाल बेल बजाते ही मिली ने दरवाजा खोला तो मैं उस को देखता ही रह गया. वो सफेद रंग की नाईटी में हूर की परी तो नहीं पर गजब तो लग ही रही थी. नाईटी के अंदर मिली ने ब्रा-पेंटी भी नहीं पहनी थी… आगे से खुलने वाली नाइटी डोरी से कमर में लिपटी हुई थी.

उस पल जब वो मुस्कराई तो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी.

मिली का गोरा चेहरा सफेद नाईटी में चमक रहा था, उसका व्यक्तित्व अब मुझे आकर्षित कर रहा था।

मुझे अंदर बुलाकर मिली ने झट से दरवाजा बंद किया और चिटकनी लगाकर झट से गले लगा लिया और आने के लिए थैंक यू कहने लगी.

मिली ने अंदर कुछ पहना तो था नहीं तो उसके नर्म मुलायम मम्मों को अपनी छाती पर पाकर मेरा जोश बढ़ गया और तभी मिली ने मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और मेरी आंखों में देखते हुए मेरे लबों पर अपने गुलाबी होंठ मिला कर चूमने लगी.
मिली की साँसें तेज हो गई थीं और उनकी गर्मागर्म साँसें मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी.

हमारे होंठ कुछ यूं मिले कि पंद्रह मिनट तक अलग होने का नाम ही नहीं लिया… वो और मैं सिर्फ सांस लेने के लिए अलग होते और अगले ही पल फिर हमारे लब एक दूसरे से चिपक जाते.
वो मुझसे अलग होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

मेरा एक हाथ अब उसकी गर्दन और दूसरा उसके मम्मों को सहला रहा था. तभी मैंने उन्हें होंठों पर चूमना छोड़ा और उसकी गर्दन और चेहरे के आसपास सब जगह चूमने लगा पर वो मुझे फिर चूमने लगी।

आज मिली का किस करने का तरीका काफी अलग था… सेक्सी और समर्पित चुम्बन के साथ वो इतनी मादक आवाज निकाल रही थी कि मेरा भी उसके होंठों को छोड़ने का मन नहीं हुआ.

मैं इतना उत्तेजित हुआ कि मैंने वहीं उसे दीवार से सटाया और एक ही झटके में उसकी कमर में बंधी नाईटी की डोरी खोल कर उसकी नंगी कमर में हाथ डाला और उसकी छाती को जोर से अपनी ओर खींच लिया और उसकी नाईटी उतार फेंकी.

हम एक दूसरे को छोड़ ही नहीं रहे थे, तभी उसने अपना हाथ मेरी टी शर्ट के अंदर किया और अपने मुलायम हाथों से मेरी कमर को सहलाते हुए मेरी टीशर्ट उतार फेंकी.

अब मिली पूरी नंगी थी और मैं सिर्फ जींस में था.

उसने मेरे होंठ चूमना छोड़ कर मेरी छाती को चूमना शुरू कर दिया. मेरा हथियार अब मेरी जींस को फाड़ने पर आमादा था और मुझे वहां दर्द भी होने लगा था.

तभी जैसे उसने मेरा दर्द समझा और मेरी जींस का बटन खोल कर मेरी जींस और चड्डी उतार दी और फिर मेरे होठों को अपने होंठों में लेकर चूमने लगी.

अब हम दोनों आदमजात नंगे होकर चुम्बनरत थे.

मैंने उसकी पीठ को सहलाते हुए उसके चूतड़ों को दबाया और अपना एक हाथ मिली की चूत पर लगाया तो पूरी गीली थी… मैंने उसको चूमना नहीं छोड़ा और अपने हाथ से मिली की गुलाबी चूत को सहलाने लगा.

वो सिहर गई और उसने मेरा लंड पकड़ा, उसे सहलाने लगी.

मेरा एक हाथ चुची को मसल रहा था और दूसरा मिली की चूत को रगड़ रहा था. उसकी सिसकारियाँ तेज होने लगी थी.

मैंने मिली की चुची को अपनी हथेली में भरा और उनकी निप्पल को अपने अंगुलियों से मसलने लगा.

मैं अभी भी उसकी आग को और भड़काना चाहता था, मैं नीचे सरका और उसकी नाभि के आसपास उसके पेट को चूमना शुरू कर दिया और उसके चूतड़ों को अपनी हथेली में भरा और दबा दिया.
वो चिल्लाई…

मैं मिली की चूत से बहने वाले कामरस की भीनी भीनी खुशबू को सूंघने लगा. मैंने संतरे की फांक सी मिली की चूत को अपने दोनों हाथों से फैलाया और उसमें अपनी लपलपाती जीभ लगाई और उसको चूमने लगा।

वो कांपने लगी और उनका कामरस मिली की चूत से बहने लगा. 
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाया वो उछली और अंदर डालने का इशारा किया. उसकी चूत कुछ टाईट जरूर थी पर वो इतना पानी छोड़ चुकी थी की मेरा लंड बड़ी आसानी से अंदर घुसता चला गया.

उसने एक लंबी और जोर की आह भरी और अपना एक पैर मेरी कमर पर लपेट लिया. मैंने भी धीरे से अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और फिर से उसकी चूत पर टिकाते हुए धक्के लगाना शुरू कर दिए.

आहहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफफ… की चीख और मादक आवाजों के बीच उसके रसीले होंठों का रसपान करते हुए, उसकी मुलायम चुची से खेलते हुए मिली की चुदाई करने में बड़ा मजा आ रहा था. मिली भी अपनी कमर हिला हिला कर चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी.

एक ओर तो हर धक्के के साथ कमरे में फच फच की चुदाई की सरगम गूंज रही थी तो दूसरी ओर हम दोनों की उम्हहह… आहहह… की आवाज भी हमारी कामवासना को परवान चढ़ा रही थी. अपनी आदत के अनुसार मैं निप्पल को उमेठने लगा तो उसने भी मुझे छेड़ते हुए मेरे होंठ पर हल्का सा काट लिया.

मैंने भी अचानक से अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और तेजी से फिर उसकी चूत में डालकर 3-4 जोरदार धक्के लगा दिए, जिससे उसकी चीख निकल गई और वो मुझसे और कस के लिपट कर जोर जोर से चुदने लगी कि तभी अचानक दरवाजे पर घंटी की आवाज आई.

हम दोनों चौंक गए कि यह अचानक कौन आ गया, पर चुदाई का नशा हम दोनों पर कुछ ऐसा था कि 2-3 बार घंटी बजने के बाद ही हम अलग हो पाए.

मैं अपने कपड़े लेकर अंदर के बेडरूम की ओर गया और वो अपनी नाईटी पहनने लगी।

बैडरूम में आकर मैंने अपने कपड़े पहने और परदे के पीछे से झाँक के देखने लगा कि कौन आया है।
मिली ने खुद को व्यवस्थित करके दरवाज़ा खोला।

सामने एक 17-18 साल की सुन्दर सी पड़ोस की लड़की खड़ी थी।

मिली- अरे कनक तुम… कैसी हो?

कनक- मैं बिल्कुल ठीक हूँ मिली, तुम्हारी तबीयत ठीक है? तुम इतनी पसीना पसीना क्यों हो रही हो?

मिली- अरे वो मैं थोड़ी साफ़ सफाई कर रही थी न। तो बस… तुम बताओ कुछ काम था?

कनक- दरअसल मैं बाजार जा रही थी तो मैंने सोचा तुमसे भी पूछ लूँ।

मिली- यार, अभी तो ढेर सारा काम पड़ा है।

कनक- ठीक है आप काम निपटाओ, शाम को मिलते हैं, बाय!

मिली- ठीक है, बाय!
कनक के जाते ही मिली ने दरवाज़ा बंद किया और जल्दी से बैडरूम में आई।

मेरे पूछने पर उसने बताया कि ये कनक थी जो उसकी अच्छी दोस्त है।

मिली- सॉरी, राजू मेरी सहेली की वजह से मज़ा खराब हो गया 
मैने कहा यार ये घर की खेती है जब चाहे हाल चला लो 
और हमारे होंठ दोबारा मिल गए। चुम्मा-चाटी करते हुए हमने एक दूसरे के कपड़े फिर से उतार दिए और मैंने उसे बेड पे पटक दिया, उसकी गर्दन पे चूमते हुए मैं नीचे उतरने लगा।

उसकी चिकनी चूत जो उसने आज सुबह ही साफ़ की थी, फिर से गीली होने लगी और जैसे ही मैंने अपना मुँह वहाँ रखा, वो एकदम से मचल उठी।

यह एक बिल्कुल नया अनुभव था जिस वजह से वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित हो रही थी।
मैं मिली की चूत की फाँकों को अलग करते हुए अपनी जीभ को अंदर तक डालते हुए मिली की चूत चाट रहा था और वो एक हाथ से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी और दूसरे हाथ से चादर को कस कर पकड़े हुए थी।

मिली की मादक सीत्कारें बता रही थी कि उसे कितना मजा आ रहा है… और उसे मदहोश होता देख मुझे भी मजा आने लगा।
सच कहूँ तो सेक्स का असली मजा तब ही है जब औरत को मजा आए क्योंकि एक बार उसे मजा आने लगे और वो गर्म हो जाए तो वो आपके मजे को सौ गुना बढ़ा सकती है।
और वैसे भी औरत को मजा देना ही तो पुरुष का मुख्य काम है।

तो मिली की मादक सीत्कारों के बीच मैं उसकी चूत चाटते हुए उसके मम्मे भी दबाने लगा। उसकी चूत काफी गीली हो गई थी और अब मैं उसके मम्मे चूसते हुए उसकी चूत को उंगली से चोदने लगा।

कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और मुझे कस के पकड़ते हुए वो झड़ने लगी।
मैंने अपनी उंगलियों की रफ़्तार बढ़ा दी और तेज़ी से उन्हें अंदर बाहर करते हुए चूत पे हल्के हल्के चांटे मारते हुए उसे मसलने लगा, जिससे उसकी चूत से फव्वारे की तरह रस निकलने लगा। वो अपनी कमर को तेज़ी से झटके देते हुए झड़ रही थी और उसकी चूत से 4-5 छोटी छोटी धार निकली और वो हाँफने लगी।

उसका चूत रस मैं अपनी उंगली पर लेकर उसे चटाने लगा और वो मुझे अपने ऊपर लेकर चूमने लगी।
फिर करवट बदल कर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे गले पर और छाती पर चूमते हुए नीचे उतरने लगी, मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए उसका
मुँह चोदने लगा।
फिर मैंने उसे जल्द ही दोबारा ऊपर खींच लिया और उसके होंठ चूमने लगा।
फिर किस करते हुए ही करवट बदल के उसे अपने नीचे लिया और उसकी चूत पर अपना लंड घिसने लगा। वो अपनी कमर को ऊपर उठा कर लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी पर मैं उसे चूत पर ही घिसते हुए उसे तड़पाने लगा।
वो कुछ मिसमिसाने लगी, उसकी चूत दोबारा काफी गीली हो गई थी और उसकी कामाग्नि काफी भड़क चुकी थी। तो मैंने उसके होंठ चूमते हुए धीरे धीरे अपना पूरा लंड उसकी चिकनी चूत में उतार दिया।

उसके मुँह से एक लम्बी सी उऊऊँन्नहहह… निकली और वो गहरी साँस लेते हुए मेरी आँखों में देखने लगी।

अगले कुछ पल न वो हिली न मैं… हम एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे और हमारी साँसें आपस में टकरा रही थी।
फिर एकदम से एक ज़ोरदार चुम्बन के साथ हम दोनों अपनी कमर चलाने लगे और ताबड़तोड़ चुदाई शुरू हो गई। न जाने हम दोनों में कहा से एक नया सा जोश आ गया था।

मैं कभी उसके गले पर चूम रहा था तो कभी उसके होंठों पर… साथ ही साथ उसके निप्पल भी मसलने लगा।
उसकी चूत बहुत ज़्यादा गीली हो चुकी थी जिस वजह से लंड फिसलते हुए अंदर बाहर हो रहा था और मस्त फच-फच की आवाजें आ रही थी। उसकी मादक सीत्कारें और हमारे गीले चुम्बन माहौल को और भी गर्म बनाते जा रहे थे।

करीब 15 मिनट की इस ताबड़तोड़ और प्यार भरी चुदाई के बाद मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है… पर तभी उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और वो फिर से झड़ने लगी, उसका गर्म गर्म चूतरस मेरे लंड पर लग रहा था और मैं भी खुद को रोक नहीं पाया और अंदर ही झड़ गया।
तो उस धुंआधार चुदाई के बाद हम दोनों बेड पर पड़े थे, मिली बड़ी प्यार भरी नजरों से मुझे देख रही थी।
फिर वो उठी और बाथरूम में जाने लगी।

मैं भी उनके पीछे पीछे बाथरूम में गया और उन्हें पीछे से पकड़ लिया, मेरा एक हाथ उनकी कमर में था और दूसरा उसके स्तनों पर… उनके मम्मे मसलते हुए मैं उनकी गर्दन के साइड वाले हिस्से को चूमने लगा जिससे वो फिर से उत्तेजित होने लगी।
मेरा एक हाथ उनके निप्पल मसल रहा था और दूसरा हाथ उनकी चूत से खेलने लगा। उनकी सांसें तेज़ होने लगी, मेरा खड़ा लंड उनकी गांड की दरार में घिसने लगा। उनकी चूत फिर से गीली होने लगी और मैंने अपनी एक उंगली उसमें डाल कर फिर से उन्हें उंगली से चोदने लगा।
थोड़ी जगह बनते ही मैंने दो उंगलियाँ अंदर डाल दी और वो भी कमर हिला हिला के मेरी उंगली से चुदने लगी। मिली ने अपना मुँह पीछे घुमाया और हम किस करने लगे।

फिर अचानक से मैंने उसे घुमा कर सीधा किया और सामने से उसे जकड़ते हुए ज़बरदस्त वाला स्मूच किया।
हम दोनों अगले राउंड के लिए तैयार थे। 

मैंने उससे अलग होकर शावर चालू किया और उसके नीचे हम दोनों दोबारा चुम्बनरत हो गए। वो अपने मम्मे मेरी छाती पर घिसने लगी और मैं अपना लंड उसकी चूत पर… वो अपनी कमर को नीचे करके लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी, पर मैंने सोचा इन्हें थोड़ा और तड़पाया जाए तो मैंने लंड अंदर नहीं घुसाया और चूत की दरार पर ही उसे घिसने लगा।

मदहोशी में मिली की आंखें बंद थी और मुँह से आहें निकल रही थी। जब मैंने लंड अंदर नहीं किया तो वो आँखें खोल मुझे बड़े सेक्सी अंदाज़ से देखने लगी। जैसे उसकी आंखें मुझसे विनती कर रही हो कि अंदर डालो न!

किस करने के लिए वो आगे बढ़ी पर मैंने अपना मुंह पीछे खींच लिया। उसने 3-4 बार कोशिश की पर मैंने उसे किस नहीं करने दिया। इससे उसकी तड़प और बढ़ गई और उसने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए। वो मुझे ज़बरदस्त स्मूच करने लगी और मैंने भी देर न करते हुए मिली की चूत में लंड डाल ही दिया।
उसके मुंह से हल्की सी चीख निकली जो कि मेरे मुंह मे दब गई।

अब हम दोनों शावर के ठंडे पानी के नीचे किस करते हुए चुदाई के आनन्द के सागर में गोते लगाने लगे। उसका एक पैर मेरी कमर पे लिपटा हुआ था और मादक सीत्कारों के साथ अपनी कमर हिलाते हुए वो बड़े प्यार से चुद रही थी।

मैं कभी उसकी गर्दन, कभी गाल तो कभी होंठ चूम रहा था। साथ ही उसके मम्मे भी मसल रहा था तो कभी निप्पल पे काट रहा था।
मिली के मुँह से ऊह आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह आह आआहा जैसी मादक सीत्कारें बहुत ही सेक्सी आवाज़ में निकल रही थी और मेरा जोश बढ़ा रही थी।

उसकी चूत से लबालब झरना बह रहा था, अब तक वो दो बार झड़ चुकी थी और थोड़ा थकने लगी थी।
मैंने उसका दूसरा पैर भी अपनी कमर में डालते हुए उसे अपनी गोदी में ले लिया और दीवार से टिका कर और ज़ोर से चोदने लगा। उसकी गर्म सांसें मेरी सांसों से टकरा रही थी और उसकी हर आह के बीच उसे किस करते हुए मेरा जोश आसमान छूने लगा। मुझसे कंट्रोल करना मुश्किल हो गया और ज़ोरदार धक्कों के साथ मैं उसकी चूत में झड़ने लगा।

मेरा हो जाने पर मेरी कमर तो रुक गई पर उसकी कमर रुक नहीं रही थी। मैं समझ गया कि ये भी झड़ने के करीब है तो मैंने झट से अपनी उंगलियों से उसे चोदना जारी रखा। उसकी आंखें बंद थी और दोनों हाथ ऊपर थे। मेरा एक हाथ उसकी गर्दन को पीछे से पकड़े हुए था और उसकी गर्दन और होंठों को चूमते हुए मैं दूसरे हाथ से उसे तेज़ तेज़ फिंगरिंग कर रहा था।

तभी अचानक अपने दोनों हाथों से मुझसे लिपटते हुए वो झमाझम झड़ने लगी। मैंने उसकी चूत पे थपकी लगाते हुए उसे अच्छे से झड़ाया।

लेकिन उसकी इन मदहोश अदाओं से मेरा लंड फिर खड़ा हो चुका था।
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03-30-2019, 11:36 AM,
#27
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
वो बॅड पर लेटी थी, उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी, होंठ जीभ से चाटने के कारण और भी हसीन हो गए थे।
मैं उसके ऊपर जाकर उस पर झुक गया, उसे देखता रहा और फिर उसे बाँहों में भर लिया, जितना जोर लग सकता था, मैंने उतने जोर से उसे भींच लिया। उसकी चुची के निप्पल मेरे गड़ रहे थे जो मुझे आपे से बाहर करने के लिए काफी थे।

मैं उठा और अपना हाथ उसके टॉप के नीचे से अंदर डाला और उसकी मुलायम चुची को पकड़ लिया. उसकी चुची काफी गर्म हो रही थी कुछ तनी भी हुई थी।
मैंने उसके खड़े निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे में लिया और धीरे धीरे मसलने लगा.
मैं जैसे ही उसकी चुची की घुंडी को मसलता, मिली वासना में एक कदम और आगे बढ़ जाती और मुझे जोर से चूम लेती, अपनी जीभ को मेरे मुँह में चारों ओर घुमाती।
मिली को शायद यह महसूस हो गया था कि मेरा खड़ा लंड उसकी चूत को कपड़ों के ऊपर से टटोल रहा था. उसने अपनी जाँघों को थोड़ा खोल दिया मैं उनके बीच में सैट हो गया। 
मैंने अब अपना दूसरा हाथ भी उसकी दूसरी चुची पर रख दिया. मैं उसकी दोनों चुची को पकड़ अपनी ओर खींचते हुए मसलने लगा, मिली के मुँह से हल्की सी सिसकारी फूटने लगी, उसकी चूत उत्तेजना में गीली हो चुकी थी.
‘ऑश राअज…’ मिली से अब सहन नहीं हो रहा था. उसकी चूत काफी गर्म हो चुकी थी. उसने अपने काँपते हाथ मेरी जीन्स के बटन की ओर बढ़ाए और खोलने लगी. फिर उसने मेरी ज़िप को नीचे खिसकाया और मेरे अंडरवीयर में हाथ डाल अपना हाथ मेरे गर्म लंड पर रख दिया.
‘ओह…’ हाथ की गर्माहट पा मेरा लंड और जोश में आ गया।
‘ओओओओ राजू… कितना अच्छा लग रहा है!’ कहकर मेरी बहन अपनी उंगलियाँ मेरे लंड के ऊपर से नीचे फिराने लगी.
उसे महसूस हुआ कि मेरा लंड और तनता जा रहा है साथ ही और लंबा भी हो रहा था. उसकी मोटाई को मापते हुए उसने अपनी हथेली लंड के चारों ओर जकड़ ली, फिर नीचे की ओर करते हुए उसकी गोलियों से खेलने लगी.
मेरे हाथ उसकी चुची से होते हुए उसके लोअर के बटन खोलने लगे थे। मैंने बटन को खोला और लोअर को नीचे सरकाने लगा जिसमें मिली ने अपने चूतड़ ऊंचे उठा कर मेरी हेल्प की।
मैंने उसकी लोअर को निकाल कर उसकी पेंटी को देखा जो चूत के पानी के कारण काफी गीली हो गई थी।
मैंने उसकी जांघ पर पप्पियों की बौछार कर दी, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
अब उसके चूतड़ों को अपने हाथों में भर कर उसकी चूत पर मुँह रख दबाने लगा. मेरी जीभ ने उसकी चूत में अपनी जगह बना ली थी।
‘ओह राआआअज ओह आआआ…’ मिली सिसकारते हुए मेरे लंड को और जोर से भींच दिया।
मैंने अपनी उंगलियों से अपनी बहन की चूत को खोला और अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दी. चूत गीली होने से मेरी उंगलियाँ आसानी से अंदर चली गई. मिली का शरीर कांप उठा. जैसे ही मेरी उंगलियों ने उसकी चूत के अन्दरूनी हिस्सों को सहलाया, वो सिहर उठी.
‘ओह राजू… अब नहीं रआहा जाता… प्लीज़ मेरी चूत में लंड डाआआआल दो… प्लीज़ राजू!’
‘आआआआऊनो मिली जान… मेरी बहना…’ मैं उसकी चूत को और जोरों से भींचते हुए बोला 
मिली ने मुझे उठाया और मेरी जीन्स और मेरे अंडरवीयर को नीचे खिसका दिया और मेरे लंड को आज़ाद कर दिया. मिली मेरे लंड के पानी को देखने लगी और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई।
उसने मेरे लंड की चमड़ी को पीछे खींचा जो गीली होने के कारण आसानी से पीछे हो गई।
मेरे लंड के लाल सुपारे को मिली ने अपनी जीभ से चाटा.
‘ओआईई आआआ…’ मेरे शरीर में एक अलग ही आग लग गई, मेरी आँखें बंद हो गई थी।
मिली ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया था और आगे पीछे करने लगी मिली लंड को पूरा कंठ के आखरी हिस्से तक ले जा रही थी।
मैं भी मदहोश होकर उसके मुँह को ही चोदने लगा। मेरा एक हाथ उसकी चुची पर अपना काम कर रहा था।
मिली ने मेरे लंड को बाहर निकाला और लंड पर काफी सारा थूक डाल दिया फिर उसे चाटने लगी।
मेरे लिए अब रुकना मुश्किल था क्योंकि उसकी जीभ हद से ज्यादा चल रही थी… मैंने उसके मुँह से लंड निकाला और उसको लिटा दिया, उसकी चुची को बनियान से आजाद कर दिया.
उसकी चुची इतनी सफ़ेद थी कि दूध भी सफ़ेद न लगे।
उसकी चुची मेरे हाथों में भी नहीं आ रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके निप्पल पर रख चाटने लगा, वो मेरे सर को दबा रही थी अपनी चुची पर!
मैंने जोर जोर से उनका दूध पीना शुरु किया, कम से कम 15 मिनट मैंने उसकी चुची पर से मुँह नहीं हटाया। 
नीचे मेरा लंड मेरे कहे में नहीं था, मेरा लंड अब उसकी चूत को मसलने में लगा था जो रस से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी.
मैंने अपने लंड को पकड़ा और अपनी अपनी प्यारी बहना की मुलायम और गीली चूत पर रगड़ने लगा.
लंड और चूत के संगम ने मिली के तन मन में आग लगा दी- ऑश राआाज ओह… ऊऊऊऊईई शशश…

खड़े खड़े मिली की चूत में लंड नहीं घुस सकता था फिर भी मैं अपने लंड को मिली की चूत पर घिसते हुए उसकी जांघों में अंदर करता और फिर बाहर खींचता. लंड का चूत के ऊपर घिसर से मिली की चूत और पानी छोड़ने लगी थी- ऑ आआऑ जान अब मत तडपाओ ना… नहीं रहा जाता! प्लीज़ घुसा दो ना… नहीं तो मैं मर जाऊंगी!
मिली की बात मेरे अंदर और जोश भर रही थी। मैंने उसे बाहों में उठा कर खिड़की के पास खड़ा कर दिया क्योंकि मुझे डोगी स्टाइल बहुत पसंद था. खिड़की के पास ले जा कर उसके हाथ उस पर टिका दिए, फिर उसे खिड़की पर झुकाते हुए उसकी टांग को थोड़ा उठाया और उसकी चूत को मसला।
मिली ने अपने सिर को खिड़की में लगे शीशे पर टिका दिया और अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठा कर मेरे लंड लेने के लिए तैयार हो गई.
मैंने पहले तो अपने लंड को उसकी चूत पर थोड़ा घिसा जिससे लंड गीला हो जाए फिर उसकी चूत की पंखुड़ियों को थोड़ा फैलाया और धीरे से उसकी चूत में अपने लंड को अंदर घुसा दिया.
‘ओह आआआआ आईई… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उन्नन्नाआ…’ मिली सिसक पड़ी.
‘तुम ठीक तो हो ना जान?’ मैंने पूछा.
‘म्म्म्म मम रूको मत!’
यह सुन मैंने एक और जोर का धक्का मारा और मिली की चूत में मेरा लंड चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
‘ओह राजू हाआआं ओह…’ दर्द और खुशी के मिश्रित आँसू उसकी आँखों से बह नीचे गिरने लगे जिन्हें मैं देख सकता था।
मैंने अपने लोहे जैसे लंड पर थोड़ा ज़ोर लगाया तो और अंदर तक चीरते हुआ सीधे मिली की चूत की गहराई में मेरा लंड तक पहुँच गया. मिली की चूत की दीवारों ने मेरे लंड को जगह देते हुए अपनी पकड़ में जकड़ लिया.

मैं भी उत्तेजना की लौ में बह चला था. मिली की चूत किसी आग की भट्टी से कम नहीं थी. उसकी चूत की गर्मी और चूत की पकड़ मेरे लंड को और सख्त किए जा रही थी.
मैं अपनी प्यारी बहन को प्यार से कर रहा था ना कि उस तरह जिस तरह से सपनों में करता था। मैंने उसकी चुची को हाथ में भर लिया और उनमें हवा भरने लगा।
मेरे हर धक्के पर मिली प्यार में सिसकार उठती और उसकी चूत में लंड को और अंदर तक ले लेती.
हम दोनों के इन प्यार भरे लम्हों को शब्दों में नहीं लिखा जा सकता… सिर्फ़ एहसास किया जा सकता था.
जब मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों को छूता तो उसकी आँखें खुशी से उबल पड़ती. 
मिली अपनी आँखों से बहे नमकीन आँसुओं को अपनी जीभ से चाटते हुए वो मेरे हर धक्के का साथ देने लगाई. अपनी कमर को मेरे हर धक्के के साथ मिलाने लगी.
मेरे लंड की नसें तनने लगी थी और गोलियों में उबाल उठ रहा था.
करीब 15-20 मिनिट हमारी चुदाई चलती रही। मुझसे अब अपने आपको रोकना मुश्किल हो रहा था, मैंने अपनी बहन की आँखों में झाँका.
‘बस करीब हूँ जान!’ वो धीरे से फुसफुसाई।
मैं और जोरों से धक्के मारने लगा, हर धक्का पहले धक्के से ज़्यादा तेज और प्यार भरा होता.
मिली का शरीर अकड़ा और उसकी चूत जैसे किसी लावे की तरह फट पड़ी, पानी छोड़ने लगी, उसकी सिसकारियाँ अब हल्की सुबकियों में बदल गई, खुशी और उत्तेजना में उसके शरीर को जकड़ लिया. प्रेम का रस चूत से बह रहा था.
मेरा भी छूटने वाला था, मिली की कमर को पकड़ मैं और जोरों से धक्के लगा रहा था. मैं मिली की चूत में से अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सुपारा अंदर रह जाता तो ज़ोर से उसे फिर चूत की गहराइयों तक पेल देता.
‘हाआँ जान… ऐसे ही अंदर तक पेलओ… ओह आआआअ…’
मेरा भी अब निकलने वाला था पर मैं मिली की चूत में नहीं छोड़ सकता था क्योंकि मैं मिली को लेकर किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं ले सकता था। मैंने अपनी प्यारी बहना के चूतड़ों पर एक थथप्पड़ मारा और उससे कहा- मैं अपना वीर्य तुम्हारे मुँह में छोड़ना चाहता हूँ.
उसने मुस्करा कर हामी भर दी।
‘मेरा छुटने वाला है!’ मैं फुसफुसाया।
मैंने एक और धक्का मारा और मेरा वीर्य मेरी नसों को और तनाता हुआ निकल पड़ा. लंड से ऐसी पिचकारी निकली कि निकलते वक्त कुछ तो नीचे ही गिर गया। पर मैं समय रहते मिली के मुँह तक पहुँचने में कामयाब हो गया, मैं अपना वीर्य उसकी जीभ पर गिरा रहा था, वो मुझे एकटक देख रही थी।
मेरा वीर्य उसकी जीभ से नीचे गिरने लगा, उसकी चुची पर पड़ने लगा। उसने मेरे लंड को मुँह में भर लिया और आखरी बून्द भी निचोड़ने में कामयाब रही। 
अब मुझे कुछ होश आना शुरू हुआ। 
मैंने प्यार से अपनी बहन की आँखों में देखा और ‘आई लव यू…’ कहा।
‘आइ लव यू टू भैया!’ मिली ने शरारती भरी नजरों से मुझे देखा। शायद पहली बार उसने मुझे हमारे रिश्ते से पुकारा था।
खुशी से उसकी आँखें नम थी.
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03-30-2019, 11:36 AM,
#28
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मम्मी-पापा के आ जाने के बाद मिली घर के कामों में व्यस्त हो गई और मैं ऐसे ही घर में घूमता रहा। घूम तो क्या रहा था.. बस जल्दी से रात होने का इन्तजार कर रहा था।

यह मेरा दिल ही जानता है कि मैं कैसे समय निकाल रहा था, मिली के साथ दोपहर में जो कुछ हुआ था, मैं बस उसे ही सोच सोच कर अपने आप उत्तेजित हो रहा था।
इस दौरान मेरी और मिली की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा मिली से सामना होता.. तो मिली मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं।

मैं भी मिली की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता। 
खैर.. कैसे भी करके रात हो गई, मैंने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा।

पढ़ाई तो कहाँ हो रही थी, बस मैं तो मिली के कमरे में आने का इन्तजार कर रहा था। 
करीब दस बजे मिली घर के काम निपटा कर कमरे में आई। मिली ने अभी भी दिन वाले ही कपड़े पहने हुए थे। मिली के आते ही मेरे शरीर का तापमान अचानक से बढ़ गया और दिल जोरों से धड़कने लगा।

मिली मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपने कपड़े निकालने लगी। मैं बस चोर निगाहों से मिली को देख रहा था। 

मिली लेटते हुए एक बार फिर मुझे देखकर मुस्कुराईं और हँसते हुए मुझसे कहा- सोते समय लाईट बन्द कर देना। 
मैं कौन सा पढ़ाई कर रहा था, मिली के बोलते ही मैंने तुरन्त किताबें बन्द कर दीं और लाईट बन्द करके मिली के बगल में जाकर लेट गया।

कुछ देर तक मैं और मिली ऐसे ही लेटे रहे क्योंकि शायद मिली सोच रही थीं कि मैं पहल करूँगा.. मगर मुझसे पहल करने की हिम्मत नहीं हो रही थी। 

फिर भी मैंने करवट बदलकर मिली की तरफ मुँह कर लिया और इसी बहाने धीरे से एक पैर भी मिली के पैरों पर रख दिया। पैरों पर तो क्या रखा था बस ऐसे ही छुआ दिया था।

मेरे करवट बदलते ही मिली ने भी करवट बदलकर मेरी तरफ मुँह कर लिया और थोड़ा सा मेरे नजदीक भी हो गई.. जिससे हम दोनों के शरीर स्पर्श करने लगे। 

वो खिसक कर मेरे बिल्कुल पास आ गई, मिली का चेहरा अब मेरे बिल्कुल पास आ गया था और हम दोनों की गर्म साँसें एक-दूसरे के चेहरे पर पड़ने लगी। 

मिली ने अपने नाजुक होंठों को मेरे होंठों से छुआ दिया। मुझसे अब रहा नहीं गया इसलिए मैंने अपने होंठों को खोलकर धीरे से मिली का एक होंठ अपने होंठों के बीच थोड़ा सा दबा लिया और अपने होंठों से ही उसे हल्का-हल्का सहलाने लगा। 

मुझे अब भी थोड़ा डर लग रहा था, मगर फिर तभी मिली ने एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगी। 

मुझमें भी अब कुछ हिम्मत आ गई थी। इसलिए मैं भी मिली के होंठों को चूसने लगा और साथ ही अपना एक हाथ मिली के नितम्बों पर रख कर नाइटी के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनके भरे हुए माँसल नितम्बों व जाँघों को सहलाने लगा।

मिली की मखमली जाँघों व नितम्बों पर मेरा हाथ ऐसे फिसल रहा था जैसे कि मक्खन पर मेरा हाथ घूम रहा हो। 

मिली के होंठों को चूसते हुए मुझे लगा जैसे कि मिली की जीभ बार-बार मेरे होंठों के बीच आकर मेरे दांतों से टकरा रही हो।
पहले एक-दो बार तो मैंने ध्यान नहीं दिया.. मगर जब बार-बार ऐसा होने लगा तो इस बार मैंने अपने दांतों को थोड़ा सा खोल दिया। मेरे दाँत अलग होते ही मिली की जीभ मेरे मुँह में अन्दर तक का सफर करने लगी। मिली की गर्म लचीली जीभ मेरे होंठों के भीतरी भाग को तो, कभी मेरी जीभ को सहलाने लगी। 

मैंने भी मिली की नर्म जीभ को अपने होंठों के बीच दबा लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया, मिली के मुँह का मधुर रस अब मेरे मुँह में घुलने लगा और मिली के इस मधुर रस के स्वाद में मैं इतना खो गया कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरी जीभ मिली की जीभ का पीछा करते हुए उनके मुँह में चली गई। 

अब मिली की बारी थी। मिली ने जोरों से मेरी जीभ को दांतों तले दबा लिया और बहुत जोरों से उसे चूसने लगी.. जिससे मुझे दर्द होने लगा। 

मैंने मिली से दूर होकर अपनी जीभ को छुड़ाने का प्रयास भी किया मगर मिली ने अपना दूसरा हाथ भी मेरी गर्दन के नीचे से लेकर मेरे सिर को पकड़ लिया। मिली का पहले वाला हाथ जो कि मेरे सिर पर था.. वो अब मेरी कमर पर आ गया और मिली ने मेरे सिर व कमर को पकड़ कर मुझे जोरों से अपनी तरफ खींच लिया। साथ ही मिली ने खुद भी मुझसे चिपक कर अपने दोनों उरोजों को मेरी छाती में धंसा दिए। 
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03-30-2019, 11:36 AM,
#29
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
मेरी जीभ को मिली इतने जोरों से चूस रही थी कि मुझे अपनी जीभ खींच कर मिली के मुँह जाती सी महसूस हो रही थी। दर्द के कारण मैं छटपटाने लगा मगर मिली छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी मैंने मिली के एक होंठ को दांतों से काट लिया.. जिससे कि मिली ने छटपटा कर मेरी जीभ को छोड़ दिया और मुझसे अलग होकर मेरे कपड़े खींचने लगी। 

मुझसे भी अब अपने शरीर पर कपड़े बर्दाश्त नहीं हो रहे थे इसलिए मैं जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया। 
अब की बार मैंने मिली को पकड़ कर जोरों से भींच लिया.. जिससे उनके दोनों उरोज मेरे सीने से पिस से गए और उनकी योनि मेरे उत्तेजित लिंग से चिपक गई। 

तभी मिली मेरी कमर को जोर से पकड़ कर सीधी हो गई.. जिससे कि मैं भी उनके साथ-साथ खींचकर मिली के ऊपर आ गया और मिली का मखमली नर्म मुलायम शरीर मेरे भार से दब गया। 

मिली के नर्म मुलायम उरोज अब मेरी छाती से दब रहे थे और मेरा उत्तेजित लिंग ठीक मिली की योनि पर लग गया था, जो कि मेरे लिंग को अपनी गर्मी का अहसास करवा रही थी। 

मिली अब भी मेरे होंठों को जोरों से चूम चाट रही थीं। मगर मैं मिली के होंठों को चूसते हुए अब नाइटी के ऊपर से ही उनके दोनों उरोजों को भी सहलाने लगा था। 

मिली ने ब्रा नहीं पहन रखी थी इसलिए नाइटी के ऊपर से ही मुझे उनकी मखमली नर्मी का अहसास हो रहा था। उनके चूचुक कठोर होकर अपनी मौजूदगी का अलग ही अहसास करवा रहे थे। 

मिली के होंठों को छोड़कर मैं अब उनके गालों व गर्दन पर से होते हुए उनके उरोजों पर ऊपर आ गया और धीरे-धीरे उनके उरोजों को चूमने लगा। मगर मिली के उरोजों व मेरे प्यासे होंठ के बीच उनका ब्लाउज आ रहा था। 
और तभी..

जैसे कि मिली ने मेरी मन की बात पढ़ ली हो.. उन्होंने एक ही झटके में ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपने दोनों उरोजों को आजाद कर दिया। ब्लाउज के बटन खुलते ही मैं भी उन पर ऐसे टूट पड़ा जैसे कि जन्मों के प्यासे को आज पहली बार कुंआ मिल गया हो। 

मैं मिली के दोनों उरोजों को बारी-बारी से चूमने-चाटने लगा, साथ ही हाथों से उन्हें मसल भी रहा था। 
मिली अब हल्का-हल्का कराहने लगी थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उनके दोनों चूचुक खड़े हो कर तन गए थे जो कि मेरे गालों पर चुभ से रहे थे, मैं भी मिली एक चूचुक को मुँह ने भरकर गप्प कर गया जिससे मिली के मुँह से सिसकी सी निकल गई और उसने मेरे सिर को अपने सीने पर जोरों से दबा लिया। 

मैं भी मिली के चूचुक को अपनी जीभ व दांतों से कुरेद-कुरेद कर चूसने लगा। इससे मिली के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियां फूटने लगी। 

मिली ने अपने पैरों को फैलाकर मुझे अपनी जाँघों के बीच दबा लिया और अपने नितम्बों को आगे-पीछे करके अपनी योनि को मेरे लिंग से रगड़ने लगी।

तभी मेरे दिमाग में मिली की योनि का ख्याल आया, मैं मिली के ऊपर लेटा हुआ था और मैं इस स्थिति में तो मिली की योनि को नहीं छू सकता था.. इसलिए मिली के उरोजों को चूसते हुए ही मैं थोड़ा सा खिसक कर मिली के शरीर पर से नीचे उतर गया, मैं अपना एक हाथ मिली के उरोजों पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुए उनकी योनि पर ले आया जबकि मेरा दूसरा हाथ अभी भी मिली के उरोजों को ही सहलाने में व्यस्त था।

नाइटी के ऊपर से ही मैंने मिली की योनि का मुआयना किया, मिली ने पेंटी पहन रखी थी, उनकी पेंटी योनि रस से भीग कर इतनी गीली हो चुकी थी कि मिली का नाइटी का कपड़ा भी योनिरस के कारण हल्का सा नम हो गया था। 

नाइटी के ऊपर से ही मैं धीरे-धीरे मिली की योनि को सहलाने लगा.. जिससे कुछ ही देर में मिली की नाइटी का आगे का भाग.. जहाँ पर मैं उनकी योनि को सहला रहा था वो गीला होकर योनि से चिपक गया। 

मिली की योनि को सहलाते हुए ही मैंने धीरे-धीरे उनके नाइटी को भी ऊपर खींचकर उनके पेट तक उलट दिया और अब मेरा हाथ मिली की नंगी योनि को छू गया।

जैसे ही मैंने मिली की नंगी योनि को छुआ.. मिली के मुँह से एक हल्की सीत्कार सी फूट पड़ी और स्वतः ही उनकी दोनों जाँघें एक-दूसरे से चिपक गई… मगर फिर जल्दी ही वो खुल भी गई। 

मिली की योनि को निर्वस्त्र करने के बाद मैंने मिली के उरोजों को छोड़ दिया और धीरे-धीरे मिली के पेट को चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा।

मिली के पेट पर से होते हुए जैसे ही मेरे होंठ मिली की नंगी योनि के पास पहुँचे.. मिली ने ‘इईईई.. श्श्शशशश..’ की आवाज करके दोनों जाँघों को बन्द करके अपनी योनि को छुपा लिया।

मैंने भी बस योनि के ऊपरी भाग को एक-दो बार चूमा और फिर नीचे जाँघों की तरफ बढ़ गया क्योंकि योनि काफी गीली व चिपचिपी सी थी, उसमें से एक अजीब सी गंध भी आ रही थी। 

उस समय मुझे नहीं पता था कि ये क्या था, इसलिए मैं सीधा मिली की मांसल भरी हुई जाँघों पर से होते हुए उनके कोमल पैरों पर पहुँच गया।
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03-30-2019, 11:36 AM,
#30
RE: bahan sex kahani मेरी बिगडेल जिद्दी बहन
कुछ देर मिली के पैरों को चूमने के बाद एक बार फिर मैं ऊपर की तरफ बढ़ने लगा।
मिली की नर्म मुलायम पिण्डलियों व मखमली जाँघों को चूमते सहलाते हुए फिर से उनकी योनि की तरफ बढ़ने लगा। जैसे-जैसे मैं ऊपर की तरफ बढ़ रहा था.. वैसे-वैसे मिली की जाँघें धीरे-धीरे फैलती जा रही थीं।

इस बार भी मैं मिली की जाँघों को चूमते हुए सीधा उसके पेट की तरफ बढ़ने लगा।
मगर इस बार जैसे ही मैं योनि को छोड़कर ऊपर की तरफ बढ़ने लगा.. मिली ने मेरे सिर को पकड़ लिया और खींचकर अपनी दोनों जाँघों के बीच दबा लिया। मिली की योनि के पास का हिस्सा काफी गीला और चिपचिपा हो रखा था.. इसलिए मेरा दिल तो नहीं कर रहा था। मगर फिर भी मिली का दिल रखने के लिए मैं योनि के पास चूमने लगा.. जिससे मेरे होंठ भी चिपचिपे से हो गए। 

मुझे ज्यादा कुछ नहीं पता था इसलिए मैं बेमन से और बस ऊपर-ऊपर से ही योनि को चूम रहा था। कुछ देर ऐसे ही मिली की योनि को बस ऊपर-ऊपर से ही चूमने के बाद मैं फिर ऊपर की तरफ बढ़ने लगा। मगर फिर से मिली ने मेरे सिर को पकड़ लिया।
इस बार मिली ने अपने दोनों घुटने मोड़कर फैला लिए और मेरे सिर को पकड़ कर मेरे होंठों को योनि की दोनों फाँकों के ठीक ऊपर रखवा लिया.. जो गीली व चिपचिपी थी, उसमें एक अजीब व तीखी गंध थी। 

मैं सोच रहा था कि जहाँ पर मुझे अपना लिंग डालना चाहिए.. वहाँ पर मिली मुझे चूमने के लिए उकसा रही हैं। 
खैर.. मैं मिली का इशारा समझते हुए मिली की योनि कि फाँकों को चूमने लगा.. जिससे कि मेरे मुँह का स्वाद बिल्कुल नमकीन और चिकना सा हो गया। 

मुझे ये अजीब तो लग रहा था.. मगर मेरे योनि को चूमने पर मिली के मुँह से हल्की-हल्की कराहें फूटने लगी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… जो कि मुझे भी उत्तेजित कर रही थीं, इसलिए मैं मिली की योनि को चूमता रहा। 

मिली कुछ बोल नहीं रही थीं.. मगर अपनी हरकतों से मुझे क्या कुछ करना है.. ये सब समझा रही थीं। मिली ने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ रखा था और धीरे-धीरे मेरे सिर को नीचे दबा रही थीं।

मैं भी अब योनि की फांकों को हल्के-हल्के धीरे-धीरे चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा।
मिली ने घुटने मोड़कर दोनों पैरों को फैला रखा था इसलिए योनि की दोनों फाँके अलग-अलग होकर फैली हुई थीं। मैं दोनों फांकों के बीच चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ रहा था। 

तभी मिली का शरीर जोरों से झनझना गया और उन्होंने जोरों से ‘इइईईईई.. श्श्श्शशशश.. अअहहह..राजूऊऊऊऊऊ’ की आवाज करके मेरे सिर को योनि के नीचे की तरफ दबा दिया। 

मुझे नहीं पता था कि ये क्या हुआ.. मगर मेरे होंठों ने कुछ छुआ था, जिससे मिली इतनी जोरों से सिसक उठी थीं। दरअसल मेरे होंठ योनि के अनारदाने (क्लिट) को छू गए थे जोकि योनि का सबसे संवेदनशील अंग होता है। 

मैं भी योनि की फांकों के बीच चूमता हुआ सीधा नीचे की तरफ बढ़ गया। 
थोड़ा सा और नीचे बढ़ते ही मेरे होंठ भीगकर बिल्कुल तर हो गए और मिली के मुँह से आहों और कराहों की मादक ध्वनियाँ आने लगी ‘इईईई.. श्श्श्शशशश.. अआह..राजूऊऊऊऊऊऊऊ करते रहो’

मैं फिर से ऊपर बढ़ना चाहता था.. मगर मिली ने वहीं पर मेरे सिर को दबा लिया। मिली का इशारा समझकर मैं वहीं पर चूमने लगा। पहले तो मुझे मिली की योनि को चूमना अजीब लग रहा था मगर अब मुझे भी मजा आने लगा था। 

मैं मिली के योनिद्वार को जोरों से चूसने लगा, साथ ही अपनी जीभ निकाल कर योनि को चाटने भी लगा.. मिली की सिसकारियां भी अब तेज हो गई थीं। मिली को इस तरह उत्तेजित होता देखकर मुझे मजा आ रहा था।

पहले ही मिली की योनि काफी गीली थी, मगर अब तो उसमें मानो बाढ़ सी आ गई थी। जिससे मेरा सारा चेहरा गीला हो गया और मेरे होंठ व जीभ की चपलता और भी अधिक बढ़ गई। 

मुझ पर एक खुमार सा छा गया था और मैं अपनी पूरी जीभ निकाल कर मिली की योनि को चूमने चाटने लगा।
तभी मिली ने एक बार फिर से मेरे सिर को पकड़ लिया। अबकी बार मिली ने मेरे सिर को पकड़ कर थोड़ा सा नीचे किया.. जिससे मेरी जीभ सीधी मिली के योनिद्वार में घुस गई और मिली जोरों से मचल उठीं ‘इईईई.. श्श्श्शशशश.. अआहहहह..’ 

उसकी कामुक आवाज ने उनके शरीर को अकड़ा दिया और वे अपनी पूरी योनि को मेरे चेहरे पर घिसने लगी। मैं भी मिली का इशारा समझ गया और अपनी जीभ को मिली के योनिद्वार में डालकर हरकत करने लगा। 

मिली अब सिसकारियां भरते हुए मेरी जीभ के साथ-साथ अपनी कमर को हिलाने लगी और फिर अचानक से मिली ने ‘अआआहह… आआह.. इईई.. श्श्श्शश… की आवाज करके मेरे सिर को दोनों जाँघों के बीच जोरों से दबा लिया। 

उसका पूरा शरीर कमान की तरह तन गया और उनकी योनि ने मेरे चेहरे पर योनिरस की बौछार सी कर दी। 
एक बार तो मैं घबरा गया कि ये क्या हो गया.. मगर फिर जल्दी ही मेरी समझ में आ गया कि मिली अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँच गई हैं।

कुछ देर तक तो मिली ने मुझे ऐसे ही अपनी जाँघों के बीच दबाये रखा और फिर आजाद कर दिया। मिली अभी भी लम्बी-लम्बी व गहरी साँसें ले रही थीं। मिली के छोड़ते ही मैं मिली के नंगे शरीर पर लेट गया और उनके गर्दन व गालों पर चूमने लगा। मगर मिली ने करवट बदलकर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मेरे लिंग को अपने हाथ से पकड़ कर धीरे-धीरे सहलाने लगी। 
मिली के कोमल हाथों के स्पर्श से मुझे मजा तो आ रहा था.. मगर इससे तो मेरी आग बढ़ती जा रही थी। एक बार फिर मैंने मिली पर लेटने की कोशिश की.. मगर फिर से मिली ने मुझे पकड़ लिया और खुद उठकर मेरी बगल में बैठ गई।

अभी तक मेरा लिंग मिली के हाथ में ही था.. जिसे वो धीरे-धीरे सहला रही थीं। उत्तेजना से मेरी हालत खराब हो रही थी और मिली का ये व्यवहार मुझे अजीब लग रहा था।

मुझे नहीं पता था कि मिली मुझे किसी अलग ही दुनिया की सैर कराने वाली है।
खैर.. उस समय मुझे मिली पर खीज सी आने लगी थी.. मगर फिर तभी मिली मेरे लिंग को पकड़े-पकड़े ही मेरी जाँघों पर झुक गई.. और मेरी जाँघों व मेरे लिंग के चारों तरफ चूमने लगी। 

मिली के नर्म होंठों की छुवन से मेरा सारा शरीर कंपकंपा गया और मैंने मिली के सिर को जोरों से अपनी जाँघों पर दबा लिया, जिससे मिली के नर्म मुलायम गाल मेरी जाँघों पर लग गए और उनके नाजुक होंठ मेरे लिंग को छू गए।

अब तो मेरी भी समझ में आ गया था कि मिली के इरादे क्या हैं।
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