bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:52 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
स्नेहा बिना कुछ बोले उसके कंधे को सॉफ करने लगी. उसकी आँखे गर्दन से होते हुए चौड़े सीने पर आ गयी और वहाँ से शॉर्ट्स के अंदर बने तंबू पर.

"आइ'म सॉरी..(गल्प).." उसने मुड़ते हुए कहा. उसके हाथ से साबुन छुटकर फर्श पर गिर पड़ा. "मैं बस.." उसने कुछ बोलना चाहा लेकिन शब्द उसके गले मे ही घुट कर रह गये.

बात को बीच मे छोड़ कर वो झुकी और साबुन को उठाने लगी. उपर उसकी ओर देखकर उसने अपने होंठो को चाटा और दोबारा उसके सीने पर साबुन लगाने लगी.

"दी, आपके कपड़े भीग रहे हैं," अरुण ने नीचे देखकर कहा. उसकी टी-शर्ट सीने से चिपक चुकी थी जिसमे से उसकी निपल सॉफ चमक रहे थे. "आप टॉप निकाल क्यूँ नही देती." उसने बिना जवाब का इंतजार किए अपने हाथो को नीचे किया और टॉप को उपर करने लगा.

स्नेहा उसे रोकने की कोशिश करने लगी और उसके हाथ हटाने लगी, वो बस सीधी बनने का नाटक नही छोड़ना चाहती थी. लेकिन तब तक अरुण के हाथ दूधो के नीचे पहुच चुके थे. अरुण ने दोबारा शर्ट पकड़कर एक ही झटके मे उतार दी. उसके नंगे शरीर पर पानी की बूंदे पड़ने लगी तो निपल और शख्त हो गये.

"गॉड.." अरुण ने थूक निगलकर बहुत ही धीमे से कहा.

स्नेहा के चेहरे पर लाली छा गयी. "क्या हुआ?"

"सॉरी," उसने नीचे देखते हुए कहा. "आप मेरी दी हो लेकिन यू'आर सो सेक्सी."

स्नेहा ने अपने होठ काट लिए. अरुण के हाथ अब उसके शॉर्ट्स पर पहुचे तो स्नेहा हटकर दीवार से सट गयी. उसने खुद पर कंट्रोल किया खुद को अरुण पर टूट पड़ने से. अरुण ने भी पैंटी सहित शॉर्ट्स को नीचे कर दिया तो उसकी सिसकी छूट गयी. फिर उसने खुद का बॉक्सर भी उतार दिया.

अरुण ने खड़े होकर उसके हाथ मे साबुन दे दिया.

"दी, मेरे पैर पर लगा दोगि? झुकने मे दिक्कत होती है," अरुण ने मासूम बन के कहा.

"स्योर," स्नेहा ने खुद को संभालते हुए कहा.

घुटनो के बल बैठकर उसने अरुण को सामने खड़ा किया. वो बेमन से उसके पैरो पर साबुन लगाने लगी. उसका ध्यान तो उसके सामने झूलते लंड पर था. उसके हाथ जब दूसरे पैर पर पहुचे तो लंड कुछ ज़्यादा ही नज़दीक आ गया उसके चेहरे के. इस बार उसकी आँखें लंड से हटने का नाम नही ले रही थी. आख़िरकार उसने उपर अरुण की आँखो मे देखा तो वो भी उसी की ओर देख रहा था.

अरुण की आँखो को देखते ही उसने अपनी नज़रे दोबारा नीचे कर ली और उसकी एडी पर हाथ चलाने लगी.

"दी, आइ'म सॉरी अबाउट माइ एग्ज़ाइट्मेंट. काफ़ी दिनो से मुझे सुकून नही मिला है ना, इसलिए."

"कोई बात नही," उसने कहा और धीरे धीरे खड़ी होने लगी. खड़े होने पर लंड कंधे, फिर दूध और पेट से टकराता चला गया. वो अपने होठ काटकर कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी. जब वो पूरे तरीके से खड़ी हो गयी तो अरुण का लंड उसके साइड मे टकरा रहा था.

कुछ सेकेंड्स तक दोनो उसी पोज़िशन मे खड़े रहे फिर स्नेहा ने नीचे देखा.

"सॉरी," उसने लंड को अपने चूतड़ से टकराते हुए देख कहा. उसने लंड को पकड़कर बीच मे कर दिया जिससे वो उसके पेट से टकराने लगा.

स्नेहा आँखे बंद करके अपने होठ को चबाने लगी.

"क्या मैं बाल भी धो दूं?" उसने अरुण की आँखो को अपने शरीर पर घूमते हुए देख पूछा.

अरुण ने सिर हिला दिया तो उसने शॅमपू को लगाने के लिए अपने पंजो पर खड़ी हो गयी. जिसकी वजह से उसका लंड उसके जाँघो के बीच पहुच गया और उसकी चूत पर दस्तक देने लगा.

"ओह्ह्ह..श..श..अम." उसके मूह से अनायास ही निकल गया और आँखें बंद होने लगी.

वो अपने सिर को हिलाकर इन विचारो को मन से निकालने लगी और खुद पर काबू करने की कोशिश करने लगी. अरुण ने अचानक अपने हाथ उसके चुतड़ों पर रख दिए और आगे झुककर एक सिड्दत भरा किस उसके होंठो पर कर दिया. किस करते हुए उसने अपनी कमर को आगे किया तो उसका लंड पहले से ही भीगी चूत मे आसानी से चला गया. स्नेहा की साँस रुक गयी और वो आँखे खोलकर उसे देखने लगी और अगले ही पल उसकी बाहों मे पिघलती चली गयी. उसका शरीर वही पर झड़ने लगा. गहरी साँसें, काँपते होंठो के साथ वो उसके कंधे पर सिर रखके उस पल का मज़ा लेने लगी और अरुण हल्के हल्के धक्के उसकी चूत मे लगाता रहा.

कुछ पॅलो बाद उसने अपनी नज़रे अरुण की नज़रो से मिलाई तो अरुण ने उसे पलटकर दीवार से सटा दिया और अपने दोनो हाथ उसके दूधो पर रख दिए और तेज़ी से लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा. जैसे ही अरुण को महसूस हुआ कि वो दोबारा झड़ने जा रही है तो वो उसकी गर्दन को चूमने लगा.

"दी, नाराज़ मत होना तो एक बात बताऊ. मेरी याददाश्त थोड़े दिन पहले ही वापस आ गयी थी," उसने तेज़ी से उसके दूधो को मसल्ते हुए कहा.

स्नेहा ने कुछ नही कहा बस अपना सिर हिला दिया.

"मैं बस सबके साथ ईक्वल टाइम चाहता था और वैसे भी तुम सबको थोड़े टॉर्चर की ज़रूरत थी. अब सिर्फ़ सोनिया को बताना बाकी है बाकी सब को पता है. और जब तक मैं नही कहता तब तक आप इस बात को सीक्रेट रखोगी." अरुण ने तेज़ी से पूरा लंड अंदर पेलते हुए कहा.

"ओके, लेकिन अब अगर ये लंड मुझसे दो पल के लिए भी दूर हुआ तो तुम्हारी खैर नही," स्नेहा की मदहोश आवाज़ उसके कानो मे पड़ी.

अरुण ने झटके और लंबे कर दिए तो स्नेहा आहें भरने लगी. वो हल्के से मूडी तो अरुण ने उसकी जाँघ को उठा दया और लंड से चूत को चोदने लगा. कुछ देर बाद वो उस पोज़ीशन से हटी और नीचे बैठकर एक ही बार मे पूरे लंड को मूह मे भरके चूसने लगी. अरुण ने नीचे देखा तो उसका खूबसूरत चेहरा बड़े प्यार से उसके लंड को चूसने मे मगन था. उसके भीगे बाल उसके चेहरे पर चिपके हुए था.

कुछ ही देर मे लंड ने अपना पानी उसके गले मे छोड़ना शुरू कर दिया और वो पूरे पानी को गटक गयी. खड़े होकर उसने एक बार उसके होंठो को चूमा फिर खुद को दूर करके एक चाँटा उसके गाल पर मारा.

"ये मुझे इतने दिन तड़पाने के लिए, कमिने.."

"ओके, आइ डिज़र्व्ड दट," अरुण ने हंसते हुए कहा.

"यॅ, यू डिड." स्नेहा ने दोबारा उसके होंठो को अपने गिरफ़्त मे लेते हुए कहा.

"यॅ,"

"अब मुझे मेरा पूरा वक़्त चाहिए," वो उसकी गर्दन को चूमते हुए बोली.

"डॉन'ट वरी," अरुण ने उसकी गान्ड को दबाते हुए कहा.

स्नेहा मुड़कर अपने कपड़े पहेनने लगी तो अरुण उसके दूधो को देखता रहा. स्नेहा ने जब उसे ऐसे देखते पाया तो पूछने लगी. "क्या?"

अरुण ने सिर हिला दिया. "कुछ नही. बस आपको देख रहा था."

स्नेहा ने एक आइब्रो उठा दी. "ग़लत ढंग से कपड़े पहेन रही थी मैं?"

अरुण हँसने लगा. "नही, आप जो करती हो अच्छा ही करती हो." वो भी शवर के नीचे से हटकर खुद को पोछने लगा.

बाहर जाने से पहले स्नेहा ने पलटकर उसे देखा. "आइ'म ग्लॅड यू'आर बॅक. अब जल्दी से मुझे चोदना, ओके."

अरुण हंस पड़ा. "न्यू फॅवुरेट?" उसने आवाज़ से पूछा.

"यू नो, मैं चारो का फन हूँ." आवाज़ ने जवाब दिया

कपड़े पहेन कर अरुण बाहर आया और डॉक पर गया तो आरोही एश को फिशिंग सिखा रही थी. रोहित और निशा साथ मे कॅबिन की ओर जा रहे थे. और देखकर कोई नही बता सकता था कि दोनो सेक्स करके आए हैं.

अरुण पास मे पहुचा तो एश उसे पुरानी बातें बता रही थी. तब तक पीछे से रोहित भागता हुआ आया और जाके सीधे पानी मे कूद पड़ा तो दोनो उस पर चिल्लाने लगी. अरुण भी हंसते हुए उसके पीछे पानी मे कूद पड़ा जबकि अभी वो शवर लेकर आया था.

कुछ देर बाद स्नेहा अपनी सेक्सी सी बिकिनी मे आई जिसमे से उसके दूध मुस्किल से ही छिपते थे. 

रोहित तो खुल्लम खुल्ला आँखे फाड़कर उसे देखने लगा जबकि अरुण कनखियों से उसे देख रहा था.

"लुकिंग गुड, दी." रोहित शरारती मुस्कान के साथ बोला.

स्नेहा ने हंसकर सिर हिला दिया और पानी मे उतर आई. उसे देखकर आरोही और एश ने भी अपने टॉप्स उतारे पानी मे आ गयी.

"क्यू फिशिंग नही करनी अब?" अरुण ने हंसकर पूछा तो जवाब मे पानी मिला.

कुछ देर तैरकर वो लोग मस्ती करते रहे. ऐसे ही दोपहर हो गयी. दोपहर मे खाना खाकर सभी ऐसे ही गेम्स वग़ैरह खेलते रहे. शाम हुई तो अरुण सुप्रिया की फिश बनाने मे मदद करने लगा जाके.

खाते वक़्त रोहित कभी प्लेट की ओर देखता कभी निशा की ओर. काफ़ी देर ये करने के बाद उसने फिर प्लेट पर ही ध्यान रखा. आरोही ने अरुण को इशारे से बताया तो अरुण हंस दिया हल्के से.

कॅंपफाइयर के चारो ओर बैठकर सब बातें करने लगे खाने के बाद.

"तो अभी तक कुछ भी याद नही आया?" निशा ने अरुण से पूछा.

अरुण ने कंधे उचका दिए और सोचने लगा कि कैसे डिस्क्राइब करे.

"नही अभी पूरे तरीके से नही," उसने बोला और तुरंत ही उसके मन मे एक आवाज़ गूँज़ पड़ी. "फक,". उसे तभी ध्यान आया कि एश के साथ डेट पर उसने कहा था कि उसे सब याद आ गया है.

उसने एश की ओर देखा तो वो कन्फ्यूषन से उसे देख रही थी. वो कुछ कहने ही जा रही थी कि फिर रुक गयी.

"वेल, जल्दी ही आ जाएगी, आइ होप."
Reply
01-25-2019, 12:52 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
आरोही ने टॉपिक चेंज करना ही ठीक समझा. "अरे निशा, मैने तुझे और रोहित को परसों मूवी हॉल मे देखा था."

रोहित की आँखे चौड़ी हो गयी. "ऐसा क्या?"

"हां, लेकिन तुम लोग जल्दी ही चले गये थे. मूवी अच्छी नही लगी क्या?" उसने पूछा.

निशा ने गला सॉफ किया और रोहित की ओर देखा. "हां, बेकार मूवी थी. वेस्ट ऑफ टाइम."

"और उपर से तुमने देखा था कि हॉल मे लोग क्या क्या हरकते कर रहे थे?" रोहित बोला.

"यॅ, आइ वाज़ सो शॉक्ड!" आरोही मुस्कुरा कर बोली. "मतलब पब्लिक मे ये सब करना! गॉड."

निशा अब थोड़ी रिलॅक्स हुई. रोहित तभी दोबारा टॉपिक को चेंज करने के लिए जोक सुनाने लगा. ऐसे ही सभी अपने जोक्स, पुराने किस्से सुनाने लगे. रात गहरी होती गयी तो बाकी लोग अंदर चले गये और बाहर ये तीनो सोने लगे सिवाय अरुण के. कुछ देर बाद जब उसे कन्फर्म हो गया कि रोहित सो गया है तो वो चुपके से उठा और कॅबिन के अंदर चला गया. अंदर जाके वो कुछ देर खड़े होकर अपनी आँखो को अंधेरे का आदि बनाने लगा. खिड़कियाँ खुली थी तो चाँद की रोशनी अंदर आ रही थी. उसने पहले रूम धीरे से खोला तो अंदर सोनिया और सुप्रिया एक साथ सो रही थी. उसने दरवाजे को वापस बंद कर दिया. दूसरे मे पहुचा तो स्नेहा और निशा सो रहे थे. निशा अपने भाई की ही तरह बहुत तेज़ी से खर्राटे भर रही थी. 

अरुण चुपके से रूम मे दाखिल हुआ और स्नेहा की साइड पर जाके बैठ गया जिधर स्नेहा क्यूट से फेस के साथ अपनी तकिये पर सो रही थी. उसने आराम से उसके मूह पर हाथ रखते हुए उसी वक़्त कान मे कहा. उसकी आवाज़ सुनते ही स्नेहा एक दम से कूद पड़ी लेकिन तभी शांत भी हो गयी.

"दी, मैं हूँ, अरुण, घबराओ मत. अब जितना शांति से हो सके उठो और मेरे साथ चलो." 

वो अभी भी नींद मे थी लेकिन बैठकर उसकी ओर देखनी लगी. वो धीरे से उठी और पंजो के बल उसके साथ चलने लगी लेकिन बाहर निकलने से पहले ही अरुण ने उसे अंधेरे कोने मे दीवार से सटा दिया. उसके हाथ तुरंत ही उसके गाउन के बटन खोलने लगे.

आगे झुककर उसने अपना मुँह उसके कान के पास किया और बहुत ही धीमी आवाज़ से कहा,"अगर आपने ज़रा सी भी आवाज़ की तो निशा जाग जाएगी. अब मैं आपको बहुत ही जबरदस्त ऑर्गॅज़म महसूस करवाने वाला हूँ लेकिन आप बिल्कुल भी आवाज़ नही निकाल सकती."

स्नेहा तो उसकी बात सुनके ही चूत गीली करने लगी और उपर से पकड़े जाने का डर, इन सब के कारण उसके उपर वही सेक्स वाला नशा चढ़ने लगा. उसने अपने दाँत पीस लिए और हां मे सिर हिला दिया, वो ये बिल्कुल भूल ही गयी थी कि दोनो अंधेरे मे खड़े हैं तो अरुण को कुछ नही दिखेगा.

अरुण ने उसकी ब्रा से एक दूध आज़ाद किया और तुरंत ही सिर नीचे करके उसे मूह के अंदर कर लिया. स्नेहा ने होठ काटते हुए अपने मूह पर हाथ रख लिए. उसने दूसरा बटन खोला और अपना हाथ उसकी पैंटी के अंदर डाला तो स्नेहा बहुत ही धीमे से सिसक पड़ी. उससे कंट्रोल नही हुआ तो उसने अपने हाथ नीचे किए और अरुण के शॉर्ट्स से छेड़खानी करने लगी. उसके शॉर्ट्स गिरते ही उसका दूसरा दूध भी आज़ाद हो गया. अरुण ने देर ना करते हुए दूसरे वाले पर भी अपनी जीभ फेरी तो जीभ के छूते ही निपल खड़ा हो गया. अंडरवेर नीचे ही उसका लंड उपर नीचे झूलने लगा था. 

अरुण ने उसको और अपने करीब कर लिया और धीमे से उसकी गर्दन चूमते हुए कान को चूमने लगा और नीचे बढ़कर कंधे पर अपने होंठो की छाप छोड़ता चला जा रहा था. स्नेहा जितना हो सकता था उतनी आवाज़ रोकने की कोशिश मे लगी हुई थी और धीरे धीरे उसके लंड को सहला रही थी.

अरुण ने उसके उपर के हर हिस्से अपने होंठो से चूमा और एक हाथ से उसके निपल को उमेठ दिया तो स्नेहा मचलने लगी. अरुण ने फिर एक बार किस किया और खड़े होकर अपना लंड सीधे उसकी चूत पर घिस दिया जिससे स्नेहा वही सिसक पड़ी. अपना चेहरा उसके करीब करके उसने एक उंगली उसके होंठो पर रखी और चुप रहने का इशारा करके उंगली को मूह मे डाल दिया, उंगली को चूस्ते ही लंड भी उसकी चूत के अंदर पहुच गया. स्नेहा की आँखें मस्ती मे बंद होने लगी. दीवार से लगे लगे ही अरुण धीमे धीमे लंबे धक्के मारता रहा. अरुण ने उसके दोनो चुतड़ों को पकड़कर सहारा दिया और दीवार से सटकर झटके पर झटके मारता रहा. उसके होंठो अरुण के होंठो को ढूढ़ते रहे और दोनो का मिलन होने पर उसके बदन मे चिंगारियाँ फूटने लगी.

अरुण ने उसकी जाँघ को पकड़कर अपनी कमर की ओर लपेट लिया और लंड को वैसे डाले डाले ही बिना आवाज़ के रूम से बाहर निकालकर लिविंग रूम मे काउच पर आ गया. उसके दूध अरुण के सीने पर दबे हुए थे और दाँत उसके कंधे पर काट रहे थे. लेकिन तभी एक दम से कॅबिन का दरवाजा खुला तो दोनो वही जम गये और नीचे होगये. एक साया अंदर आया घर के.

अपने आप को कंट्रोल ना कर पाने के कारण स्नेहा हल्के से उठी और दोबारा अपनी चूत को लंड पर पेल दिया. उस साए ने उनकी तरफ ध्यान ही नही दिया और फ्रिड्ज की तरफ जाके उससे पानी की बॉटल निकाल ली.

हल्की रोशनी मे जब स्नेहा ने देखा कि कौन है तो उसकी आँखें चौड़ी हो गयी. अरुण का लंड तो रुकने का नाम नही ले रहा था, उसने एक बार हल्का झटका और लगाया तो दोनो साथ मे ही झड़ने लगे. अरुण की कमर खूदबखुद धक्के लगाते हुए उसकी चूत मे कामरस उडेलने लगी. 

एश ने बॉटल का कॅप खोलकर पानी पिया. फिर फ्रिड्ज बंद करके पहला रूम खोला और अंदर देखकर फिर बंद कर दिया. फिर वो दूसरे दरवाजे की ओर बढ़ी और अंदर चली गयी.

उसके अंदर जाते ही स्नेहा एक दम से अरुण के उपर से उतरी और उसके लंड को अंधेरे मे ही हाथ से ढूँढ कर मूह मे भरकर चूसने लगी. उन दोनो के मिले जुले रस का स्वाद उसे काफ़ी अच्छा लग रहा था. कुछ देर तक शांति से अच्छे से चूसने के बाद उसने अपने होठ अरुण के होंठो की ओर बढ़ाए.

"दट वाज़ अवेसम," उसने धीमे स्वर मे कहा. "एश के आने से और मज़ा आ गया."

अरुण हल्के से हंस दिया और अंधेरे मे ही सिर हिलाने लगा. "मुझे लगा आज तो पकड़े गये.."

स्नेहा ने उसे आख़िरी बार किस किया और अंधेरे मे ही बाइ बोलकर जाने लगी. "मैं वही जा रही हूँ सोने. बस मेरे हाथ कुछ हरकत ना कर दे."

अरुण हल्के से हँसने लगा. फिर स्नेहा ने अंदर जाके उसके शॉर्ट्स को बाहर फेक दिया और धीमे से दरवाजा बंद कर दिया. 

अरुण बिना आवाज़ के कपड़े पेहेन्कर बाहर चला गया.

**************

स्नेहा ने अपनी पैंटी पहनी और गाउन के बटन लगाए और बिना ज़्यादा शोरगुल के निशा और एश के पास जाके लेट गयी. उसने हल्के से एश को हिलाया जो कुछ देर बाद मुड़कर उसे देखने लगी.

"मैं हूँ, स्नेहा, साइड मे बढ़ो ना."

एश बिना कुछ बोले साइड मे हो गयी और स्नेहा उसके पास ही लेट गयी. दोनो एक ही चादर मे हो गयी और एश उसके उपर हाथ रख के सोने लगी.

स्नेहा बाद मे उसी रात जागी तो एश के हाथ उसके दूध दबा रहे थे. "ओह जेसी," एश बोली और उसकी गर्दन को चूमने लगी.

स्नेहा ने पहले एक मिनिट तो कुछ नही कहा फिर हल्के से खांस दी और उसे हल्के से हिला दिया.

"हुह? क्या हुआ..ओह..ओह...दी..सॉरी..सॉरी!" एश धीरे से कहने लगी.

स्नेहा ने मुड़कर उसे गले लगा लिया. "इट'स ओके, एशू. सपना था..कोई बात नही..सो जा अब."

एश कुछ देर और माफी मांगती रही लेकिन फिर स्नेहा के समझाने से उसके साथ शांति से सोगयि.
Reply
01-25-2019, 12:52 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
सुबह की ठंडी हवा ने बाहर तीनो को जगाया. तीनो उठकर अपना अपना समान उठाने लगे. फिर फ्रेश होकर सब लोग समान कार मे रखने लगे.

जब सब कुछ रख लिया उसके बाद सभी घर की ओर चल दिए.

कार मे एश बार बार आरोही और अरुण को देख रही थी. आरोही ने जब ये देखा तो पूछ ही बैठी.

"क्या?"

"मैं बस सोच रही हूँ?" एश बोली.

"किस बारे मे?" आरोही ने पूछा.

"यही कि तुम दोनो कब से साथ मे सेक्स कर रहे हो?"

आरोही की आँखें चौड़ी होती चली गयी और उसने तुरंत ही अरुण की ओर देखा.

"आइ न्यू इट!" एश हंसते हुए बोली. "अब बताओ ये सब कैसे हुआ?"

काफ़ी देर की खामोशी के बाद आरोही ने अपना गला सॉफ किया. "वेल..."

आरोही जब तक बोलती रही तब तक एश शांति से उसकी बात सुनती रही. बात करते करते वो लोग घर पहुचे, घर से अंदर और अंदर एश और आरोही उसके रूम मे चले गये और दोनो ने अरुण के मूह पर ही दरवाजा बंद कर दिया.

"हद हो गयी," अरुण बोला.

"तू मत जा उनकी बात सुनने बिगड़ जाएगा..हाहाहा." आवाज़ ने हँसते हुए कहा

"नाइस पंच."

तभी दरवाजा खुला और आरोही का सिर बाहर आया. "गिव अस अवाइल. आइ'ल्ल मेक हर अंडरस्टॅंड."

अरुण ने कंधे उचका दिए और नीचे आके कार मे से समान निकालने लगा. तब तक पीछे से बाकी तीनो भी आ गयी और उसकी मदद करने लगी.

"ओये मुझे कुछ पूछना है?" आवाज़ ने कहा.

"ओके.." अरुण ने सोचा.

"मैं बस सोच रहा था कि तूने ये बात सबसे छुपाई क्यूँ कि तेरी याददाश्त वापस आ गयी है?"

"वेट आ सेकेंड, तुम्हारा आइडिया था."

"हां, लेकिन अब मैने इसके बारे मे काफ़ी सोचा. मतलब ये अच्छी बात है कि स्नेहा को भी चोदना शुरू कर दिया लेकिन मुझे लगता है कि अब तुझे जल्दी से सोनिया को भी चोदना शुरू कर देना चाहिए. कहीं बाद मे बात बिगड़ ना जाए उपर से वो है भी थोड़ी अकड़ू."

अरुण अंदर कुछ रखके वापस आया ही था कि सोनिया सामने से आई और उसे स्माइल दिखाते हुए अंदर चली गयी. अरुण भी उसे देख मुस्कुरा दिया.

"पॉइंट तो है, लेकिन फिर भी मैं अभी स्नेहा दी पर ध्यान देना चाहता हूँ. उनका भी हक़ बनता है. और टेन्षन किस बात की, सोनिया को भी उसके हिस्से का टाइम मिलेगा."

"मुझे किसी बात की टेन्षन नही है. मैं तो बस.."

अरुण जब अंदर आया तो सुप्रिया किचन मे थी और स्नेहा का कही नामोनिशान नही था. आरोही और एश, आरोही के ही रूम मे थे और सोनिया सोफे पर बैठ टीवी देख रही थी. अरुण ने उसके सिर को चूमा और उपर अपने कमरे मे सोने चला गया.

************
आरोही ने दरवाजा लॉक किया और जाके एश के साथ बेड पर बैठ गयी.

"ओके, तो ये सब बस अपने आप ही हो गया?" एश ने पूछा.

आरोही ने सिर हिला कर हां कह दिया. "मतलब, कुछ कॉंप्लिकेटेड पार्ट्स भी हैं जैसे अभी तक अरुण ने सोनिया को नही बताया है कि उसकी याददाश्त वापस आ गयी है. उसका रीज़न है कि वो सबके साथ ईक्वल टाइम स्पेंड करना चाहता है."

"तो फिर मुझे क्यूँ साथ मे ले गये तुम लोग?"

आरोही ने अपना गला सॉफ किया. "लिसन एश, अरुण केर्स अबाउट यू. हम लोग भी. उसे पता है कि इस एक साल भी तुमने काफ़ी कुछ देखा है और वो तुम्हे किसी भी वजह से तक़लीफ़ नही पहुचना चाहता था. तो उसे समझ नही आ रहा था कि तुम्हे कैसे बताए."

"कि वो पहले से ही कमिटेड है?" एश ने कहा.

आरोही ने हां मे सिर हिला दिया. "पहले हम लोग तुम्हे और रोहित को सेट करवाने वाले थे. माना कि थोड़ी ईडियट साउंड होता है लेकिन पहले भी एक लड़की के उपर कम कर चुका है."

"आरोही, अरुण और मैं सबसे पहले दोस्त हैं. और मैं अभी नयी रिलेशन्षिप स्टार्ट करने के लिए रेडी भी नही हूँ. हां, अरुण की बात अलग थी. तुम लोगो के मेरे बारे मे परेशान होने की ज़रूरत नही है. आंड आइ'म ग्लॅड कि तुम लोगो ने मेरे बारे मे सोचा.

"यॅ अब जब मैं उस प्लान के बारे मे सोच रही हूँ तो मुझे भी बेवकूफी भरा लग रहा है. आइ'एम सॉरी," आरोही ने एश के हाथ को पकड़कर कहा.

"इट्स ओके."

आरोही अगले कुछ पल अपना अगला सवाल कैसे पूछे ये सोचती रही.

"तो तुम्हे पता कैसे चला?" उसने पूछा.

एश मुस्कुरा दी. "कोई भी अगर एक दिन तुम लोगो के साथ टाइम स्पेंड कर ले तो समझ जाएगा मेरे हिसाब से. या फिर हो सकता है कि मैं तुम लोगो को काफ़ी टाइम से जानती हूँ तो मैने बिना रंगे हाथ पकड़े ये बात नोटीस कर ली. जब 2 लोग जो सच मे एक दूसरे से प्यार करते हैं तो वो एक दूसरे के साथ अलग ही बिहेव करते हैं. और मैने तुम लोगो के साथ काफ़ी टाइम स्पेंड किया है पहले. मैं देखकर ही समझ गयी थी कि तुम लोगो के बीच कुछ तो चेंज हुआ है. और सही भी था क्यूकी तुम लोगो की फीलिंग्स एक भाई बहेन से बढ़कर हो गयी है. कोई भी इंसान जो अरुण को जानता होगा देखकर बता सकता है कि वो तुमसे और तुम्हारी सिस्टर्स से कितना प्यार करता है. इट्स आक्च्युयली प्रेटी ब्यूटिफुल हाउ ही केर्स अबाउट यू ऑल."

आरोही की आँखो मे पहली बार बिना वजह के आँसू आ गये. "ही'स रियली आ ग्रेट बाय्फ्रेंड टू हॅव" उसने मुस्कुरा कर आँसू पोछते हुए कहा.

"आइ नो," एश ने भी मुस्कुरा कर कहा. "और मैं अभी इतनी भी बुरी नही बनी कि इतनी प्यारी रिलेशन्षिप तोड़ दूं."

आरोही उसे गले लगाने लगी. "आइ'म सो ग्लॅड यू अंडरस्टॅंड, वो जो पहली लड़की रिया उसे तो समझना ही मुश्किल पड़ गया था."

उसके कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही बातें करती रही फिर एश जाने के लिए खड़ी हुई. "थॅंक यू फॉर एक्सप्लेनिंग ऑल दिस टू मी," उसने कहा.

"थॅंक्स फॉर अंडरस्टॅंडिंग," आरोही ने जवाब दिया.

दोनो नीचे चली गयी उसके बाद.

********

दरवाजे पर तेज आवाज़ ने अरुण को नींद से जगाया. उसने घड़ी की ओर देखा तो वो 3 घंटे से सो रहा था.

दरवाजा खुला और आरोही अंदर झाँक रही थी. "हे," उसने दरवाजा बंद करते हुए बोला.

अरुण उठकर अंगड़ाई लेने लगा. "हे,"

आरोही आकर उसके पास बैठ गयी. "तो मैने एश से बात की,"

अरुण खड़ा होने लगा. "क्या कहा उसने?"

आरोही अपने भाई के सीने और चुतड़ों को घूर्ने लगी. "अच्छी बात ये है कि उसने तुम्हे हम मे से किसी के साथ सेक्स करते टाइम नही देखा, बस उसने ये नोटीस कर लिया."

"अच्छा हम लोग इतने ऑब्वियस हैं?"

आरोही ने कंधे उचका दिए. "उसने बताया कि पहले के बदले अब हम लोग काफ़ी अलग बिहेव करते हैं एक दूसरे के साथ."

अरुण सिर हिलाने लगा. "आइ गेस इस चीज़ पर काम करना पड़ेगा,"

आरोही उठकर उसकी पीठ पर हाथ घूमने लगी.

"उसने ये भी कहा कि हमे उसके लिए नया बाय्फ्रेंड ढूढ़ने की ज़रूरत नही है. उसने कहा कि वो समझ सकती है कि तुम सिर्फ़ हम लोगो के बाय्फ्रेंड हो. उपर से उसने कहा कि वो अभी किसी रिलेशन्षिप के लिए तय्यार नही है." वो उसकी पीठ पर हल्के हल्के दबाव बनाती जा रही थी.

अरुण उसकी मसाज से मस्त होने लगा.

"उन्ह..दट'स गुड," उसने कहा.

आरोही दूसरे हाथ से उसकी पीठ दबाने लगी.

"आइ'म ग्लॅड शी अंडरस्टॅंड्स," उसने काफ़ी देर बाद कहा. "मैं उसकी फीलिंग्स को हर्ट नही करना चाहता था."

"शी नोस बेबी," आरोही ने उसकी पीठ को चूमकर अपना सिर उसके कंधे पर रख दिया और पीछे से उसे हग करने लगी.

अरुण कुछ सेकेंड्स बाद पलटा और अपनी जुड़वा बहेन के होंठो को चूमने लगा. कुछ देर तक उसके रसीले होंठो को चूमने के बाद वो अलग हुआ और उसकी आँखो मे झाँकने लगा. "आइ लव यू, आरू,"

आरोही के दिल मे तितलियाँ उड़ने लगी. "आइ लव यू टू, अरुण," उसने किस करते हुए जवाब दिया. फिर वो किस तोड़कर नीचे झुकने लगी. "ब्लोवजोब चाहिए?" उसने नॉटी स्माइल के साथ कहा.

अरुण दाँत दिखाते हुए हां मे सिर हिलाने लगा.

आरोही ने अपने हाथ उपर करके उसके बॉक्सर्स को नीचे कर दिया और उसके लंड के सुपाडे पर जीभ फिराने लगी. जीभ टच होते ही लंड कूदकर खड़ा होने लगा.

तभी दरवाजा खुला और दोनो एक दम से हड़बड़ा गये, अरुण जल्दी से अपना लंड बॉक्सर के अंदर डालने लगा और आरोही खड़ी होने लगी.

सुप्रिया का सिर अंदर आया और दोनो को घबराते देखा हँसने लगी. "आज तो रंगे हाथ पकड़े गये तुम दोनो," उसने अंदर घुसकर पीछे से दरवाजा लॉक करते हुए कहा.

वो अंदर आई और अरुण को अपनी धड़कन संभालते हुए देखने लगी. "आप ने तो जान ही निकाल दी थी,"

सुप्रिया हंसते हुए आगे बढ़ी और उसको किस करके नीचे झुकने लगी. "मेरा इरादा डिस्टर्ब करने का नही था," वो भी नशीली आँखो से उसे देखने लगी.

आरोही भी हंसते हुए अपनी बड़ी बहेन के साथ नीचे बैठ गयी और उसके बॉक्सर्स को दोबारा नीचे करके खड़े लंड को निहारने लगी.

"आहा, टू इन वन..." आवाज़ ने मस्ती मे कहा

दोनो उसे देखने लगी और उसकी आँखो मे देखते हुए ही आरोही ने उसके सुपाडे को मूह मे रख लिया और सुप्रिया उसके खुट्टो को चाटने लगी. उसका हाथ लंड को सहलाने लगा और आगे के हिस्से पर आरोही का मूह आगे पीछे हो रहा था. अरुण दोनो के इस क्रिया कलाप से मस्त होने लगा.

आरोही ने मुस्कुरा कर सुप्रिया को देखा फिर अरुण की ओर देखकर दूसरा खुट्ता भी अपने मूह मे डाल लिया. जब सुप्रिया ने उसका लंड अपने मूह मे रखा और उसकी जीभ उसके लंड पर थूक लगाने लगी तो अरुण सिसक पड़ा. दोनो एक एक बार बारी बारी से लंड को चूस रही थी.

"ऐसे मैं ज़्यादा देर नही रुक पाउन्गा," अरुण ने आँखें बंद करते शुए कहा.

सुप्रिया हंस पड़ी. "यही तो प्लान है, डफर. खाना तय्यार ही है अगर थोड़ी और देर करी तो सोनिया बुलाने आ ही जाएगी."

अरुण ने एक हाथ आरोही के सिर पर रखा और उसे अपने लंड पर दबाने लगी. उसके हटते ही सुप्रिया ने लंड को मूह मे रख लिया. अरुण ने उसके सिर पर भी हाथ रख दिया और तेज़ी से उसके मूह मे लंड को पेल दिया. सुप्रिया ने उसे और अंदर ले जाने की कोशिश की.

"मेरे पास एक आइडिया है?" सुप्रिया ने आरोही को मौका देते हुए कहा. "हम दोनो के चेहरे पर एक साथ झड़ो.." उसने लंड को आरोही के मूह से निकालकर कहा.

अरुण कुछ कहने की स्थिति मे नही थी उसने बस हां मे सिर हिला दिया.

दोनो बहने साथ मे उसके लंड को चूमने चाटने लगी. दोनो के होठ मिलकर उसके लंड को चूसने मे लगे हुए थे. और दोनो नशीली आँखो से उसकी आँखो मे देख रही थी.

"फक" अरुण के मूह से निकला जैसे ही सुप्रिया ने उसके लंड को तेज़ी से आगे पीछे करना शुरू किया.

"दी, मेरा निकला.." अरुण ने बड़ी मुश्किल से कहा.

दोनो अपने गाल जोड़े जोड़े सामने हो गयी और उसके लंड से निकलती धार को अपने मूह पर लेने लगी. पहला शॉट आरोही की जीभ पर गिरा दूसरा दोनो के गाल पर एक साथ और तीसरा उन दोनो के बालों और माथे पर. दोनो बारी बारी से लंड के एक दूसरे के चेहरे पर निशाना बनाने मे लगी हुई थी. आरोही की एक आँख पर वीर्य टपक रहा था, सुप्रिया के गाल से होता हुआ होंठो पर आ रहा था. अरुण की आँखें मस्ती मे बंद होने लगी जब उसने दोनो को इस हालत मे देखा. सुप्रिया और आरोही दोनो उसके लंड को अच्छे से सॉफ कर रही थी.

फिर आरोही ने सुप्रिया का चेहरा पकड़ा और अपने होठ उसके होंठो से जोड़ दिए. दोनो की वीर्य से भरी जीभें एक दूसरे के मूह मे रस घोलने लगी. सुप्रिया ने किस तोड़ा अपनी जीभ से आरोही के चेहरे पर जितना वीर्य लगा था सब चाट लिया. आरोही ने भी हंसते हुए वही किया.

जब दोनो एक दूसरे को सॉफ कर चुकी तो खड़ी होने लगी.

"तेरी दोनो बहनें महान हैं,"

"यप."
Reply
01-25-2019, 12:53 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
खाना खाते वक़्त अरुण के चेहरे पर से हँसी उतर ही नही रही थी. वो जब किचिन मे आया तो स्नेहा के खाने की महक से ही उसकी भूख बढ़ गयी.

"नींद अच्छी आई?" स्नेहा ने उसके चेहरे पर हँसी देख कहा.

"यप." अरुण ने उसे हग करते हुए कहा.

फिर जाके टेबल पर बैठ गया. स्नेहा जब उसके सामने प्लेट रखने आई तो उसके कान मे बोलने लगी. "मुझे बहुत जल्द ही ये लंड चाहिए,"

अरुण ने सिर हिलाकर आँख मार दी. तब तक पीछे से तीनो भी आ गयी. सुप्रिया और आरोही मूह धोकर आई थी. खाते वक़्त सभी हँसी मज़ाक करते रहे.

खाना ख़ाके अरुण टीवी देखता रहा. सोनिया कुछ देर उसके साथ बैठी फिर उपर जाने लगी.

"गुड नाइट भाई," सोनिया ने उसके गाल पर किस करते हुए कहा.

अरुण एक पल के लिए भूल गया कि वो नाटक कर रहा है और उसके होठ सोनिया के होंठो की दिशा मे मूड गये लेकिन होंठो जुड़ते ही उसे ध्यान आया तो तुरंत ही वो पीछे हट गया और उसके माथे पर किस कर दिया. सोनिया कुछ देर उसे देखती रही फिर मुस्कुरा कर उपर चली गयी. अरुण काफ़ी देर तक सबके सोने के इंतजार मे टीवी देखता रहा.

कुछ घंटे बाद जब सभी अपने अपने रूम मे जा चुके थे, अरुण खड़ा हुआ. पूरे घर मे सन्नाटा था. वो उपर गया और आरोही के कमरे मे झकने लगा तो सोनिया आरोही के साथ सो रही थी, दोनो एक दूसरे से चिपके पड़े थे. अरुण हल्के से मुस्कुरा दिया और नीचे आ गया.

नीचे आकर वो स्नेहा के रूम मे गया. तो वो बिना चादर के बिस्तर पर सो रही थी. उसकी हमेशा से आदत थी, सोती वो चादर डाल के थी लेकिन नींद मे ही सब कुछ उपर से उठा देती थी. आज उपर से उसने कुछ भी पहना हुआ नही था. अरुण का लंड उसे नंगे सोते देखकर ही खड़ा होने लगा.

उसकी गोरी काया चाँद की रोशनी मे नीली लग रही थी और उसकी पर्फेक्ट बूब्स सामने थे. वो बिना आवाज़ के उसकी ओर बढ़ा. स्नेहा ने शायद वापस आते ही शेव कर ली थी क्यूकी उस की चूत बिल्कुल चिकनी चाँदनी मे चमक रही थी. अरुण आगे बढ़कर उसके बदन की भीनी खुसबू अपने अंदर समेटने लगा.

अरुण ने बेड के पास ही जल्दी से अपने शॉर्ट्स और टी-शर्ट निकाल दी. फिर उसके पैरो की तरफ से उसने अपना मूह बस उसकी चूत से 2 इंच की दूरी पर रखा और जीभ को उसकी चूत के पूरे हिस्से पर रख के गहरा चुंबन जड़ दिया.

***********

स्नेहा डिन्नर करके शवर लेने चले गयी और सोचने लगी की शायद अरुण आज रात उससे मिलने आएगा. उसने जल्दी से कपड़े निकले और नंगे ही शवर के नीचे खड़ी हो गयी. तभी दरवाजा खुला और आरोही अंदर आ गयी.

"ओहो, तो आज तो तय्यारी चल रही है." आरोही हंसते हुए बोली.

स्नेहा शरमा गयी. "टेन्षन मत लो दी मैं आप दोनो को डिस्टर्ब नही करने वाली."

"मुझे पता नही था कि उसने तुम्हे बता दिया है, आंड थॅंक्स" स्नेहा बोली.

"बताया नही दी बस मुझे पता चल गया. ट्विन आइंटूयीशन. हेल्प करूँ नहलाने मे?" आरोही आँख मार कर बोली.

स्नेहा हंस पड़ी. "अच्छा ऑफर है लेकिन अभी नही,"

आरोही बच्चे जैसी शक्ल बना के उसे देखने लगी लेकिन फिर तुरंत ही हँसने लगी. "रात मे ज़्यादा शोर मत करना."

स्नेहा उसकी बात सुन हंस दी. आधे घंटे बाद वो अपने रूम मे अरुण का इंतजार कर रही थी. उसने सोचा देर ना हो इसलिए बिना कपड़ो के ही बिस्तर पर लेट कर आने वाले पलों का इंतजार करने लगी.

पहले तो उसने टाइम काटने के लिए किताब उठाई लेकिन किताब मे उसका ध्यान ही नही लगा. उसने सोचा कि मास्टरबेट कर ले लेकिन फिर कुछ सोचकर वो विचार भी मन से निकाल दिया. आख़िरकार वो ज़्यादा देर तक खुद को जगा के नही रख पाई और उसकी नींद तब खुली जब उसे अपनी चूत पर कुछ गीला गीला चलता महसूस हुआ.

उसकी मस्ती मे आह निकल गयी, उसने मुड़कर देखा तो अरुण का हंसता चेहरा उसके पैरो के बीच पड़ा था.

"म्म्म्मममम," वो बोली.

अरुण ने और सिद्दत से जीभ चूत पर फिरा दी. अरुण ने अपना हाथ आगे करके उसकी चूत की फाकॉ को खोल दिया और अंदर तक जीभ डाल का उसका लुफ्त उठाने लगा. उसकी क्लाइटॉरिस पर पट जीभ रखके उसने तेज़ी से अंदर खिचा तो स्नेहा की कमर खुद उसकी मूह पर दबाती चली गयी.

अरुण ने उसकी चुतड़ों को अपने हाथो से पकड़ लिया और उसको उठाकर उपर नीचे करते हुए चूत को जीभ से चोदने लगा.
उसकी जीभ उसके जी स्पॉट को छूकर आती तो स्नेहा के शरीर मे करेंट दौड़ जाता.

कुछ ही देर मे स्नेहा झड़ने की कगार पर पहुचि तो उसने दोनो हाथो से अरुण के बालो को पकड़ लिया और कस के अपनी चूत पर दबाने लगी. उसके बदन मे करेंट की लहरें एक के बाद एक दौड़ने लगी और उसे मस्ती मे डुबोने लगी.

अरुण ने कुछ देर बाद उपर देखा और उसे देखकर हंस पड़ा. स्नेहा भी आनंद के सागर मे गोते खाते हुए उसे देख हँसने लगी. अरुण उपर आया तो स्नेहा ने जल्दी से उसका पूरा चेहरा चाट डाला और अपनी चूत के पानी का स्वाद चखने लगी. अरुण दोबारा हिला और इस बार उसके सीने पर बैठ गया लेकिन पूरा वजन नही डाला. उसने सीधे ही अपना लंड उसके होंठो पर रख दिया जिसे देख स्नेहा ने तुरंत ही अपने होठ खोल दिए. उसे लंड चूसने मे पिछले दिनो से कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था. और जब इतने दिनो बाद ढंग से वो चीज़ मिली थी तो स्नेहा दीवानी होती जा रही थी. अरुण ने उसके सिर को पकड़ लिया और उठाकर अपना लंड गले के काफ़ी अंदर डाल दिया. स्नेहा भी उसके झटको का साथ देने की कोशिश करने लगी. उसके गले ने थूक की नदी बहाकर लंड को गीला कर दिया. और जब लंड उसके मूह से बाहर आया तो उसकी थूक के धागे लंड से होटो से चिपके हुए थे. 

उसे फिरसे महसूस होने लगा कि कोई उसपर कब्जा कर रहा है और उसकी चूत मे चीटियाँ रेगने लगी. उसने एक बार गुर्रा के लंड को चूसा,.

अरुण मस्ती मे सिसक पड़ा. "दी थोड़ा रुकने दो, नही तो मैं झड जाउन्गा," अरुण ने उसके मूह से लंड छुड़ाते हुए कहा.

स्नेहा ने उसके चुतड़ों को पकड़ लिया और उसे दूर नही जाने दिया. "कोशिश भी मत करा. मुझे पता है एक बार झड़ने के बाद तुम्हारा लंड जल्दी ही खड़ा हो जाएगा. और अगर नही हुआ तो मैं चूस चूस्कर खड़ा कर दूँगी."

उसने अरुण की झुरजुरी महसूस की. उसने ये पढ़ा था कि सेक्स के वक़्त गंदी गंदी बातें करने पर मज़ा बढ़ता है लेकिन देख आज पहली बार रही थी. उसने महसूस किया कि अरुण की पकड़ उसके बालो पर और हो गयी और उसने ताक़त से लंड को गले मे उतार दिया.

"एक चीज़ ट्राइ करने दो, मैने अभी कुछ ही दिन पहले पढ़ा इसके बारे मे," स्नेहा ने एक नॉटी स्माइल के साथ कहा और उसे नीचे उतारकर खुद बेड पर लेट गयी और सिर को बेड से नीचे कर दिया.

"अब इधर आकर खड़े हो जाओ," उसके कहते ही अरुण पीछे आकर खड़ा हो गया. उसके लंड को होंठो से जुड़ते ही वो मुस्कुराने लगी. "मैने पढ़ा है कि ऐसे चूसने मे काफ़ी मज़ा आता है."

अरुण ने तुरंत ही ज़ोर लगाकर लंड को अंदर कर दिया. और अपनी कमर को धीरे धीरे चला कर उसके मूह को चोदने लगा. स्नेहा एक हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए उंगली करने लगी और एक हाथ से अपने दूध मसलने लगी. अरुण हर धक्के के साथ लंड को और गहराई मे उतार रहा था.

"इस बार मैं पूरा डालने वाला हूँ," अरुण ने लंड को बाहर निकालकर कहा.

"जल्दी," स्नेहा मस्ती से बोली.

अरुण ने एक ही झटके मे लेकिन थोड़ा कंट्रोल के साथ अपना बड़ा लंड उसके मूह तक तक पेल दिया. स्नेहा अपने गले को उसके लंड के हिसाब से अड्जस्ट करने लगी और अपनी उंगली को पूरा चूत मे डालने लगी. "ओह..दी,सीयी.." अरुण बोला और थोड़ा बाहर निकालने लगा तो स्नेहा ने उसके चूतड़ पर मार दिया और उसकी कमर को अपने उपर धक्के देने लगी. तुरंत ही उसके लंड से गर्म गाढ़ा रस निकलकर उसके गले के अंदर जाने लगा. अरुण के घुटने काँपने लगे. स्नेहा भी मस्ती से वही झड़ने लगी लेकिन उतनी तेज़ी से नही जितना कि अरुण.

जब तक वीर्य की आख़िरी बूँद उसने लंड से निकाल नही ली तब तक वो अरुण को वैसे ही पकड़े खड़ी रही फिर पास मे लिटा लिया. स्नेहा ने 2 3 बार मे पूरा का वीर्य निगला और उसके पेट को चूमने लगी. अरुण गुदगुदी के कारण हंस पड़ा. स्नेहा से अब रुका नही जा रहा था. उसने नीचे पहूचकर उसकी ओर देखा और लंड को हाथ से पकड़ लिया.

उसने लंड की साइड्स को चाटा और सुपाडे पर होठ रख के चूस लिया फिर दूसरे साइड भी वही किया. वो कुछ देर यही करती रही फिर पलटकर अपनी चूत उसके मूह पर रख दिया. उसने अरुण की जीभ को चूत पर महसूस करके एक सिसकी भरी और अपना ध्यान उसके लंड पर रखा. कुछ ही देर मे लंड अपने पूरे आकार मे आने लगा. लंड को खड़ा होते देख स्नेहा की आँखे चमक उठी और उसकी चूत और गीली होने लगी. उसने होंठो को गोल गोल घूमाकर तेज़ी से लंड को चूसना शुरू कर दिया. फिर जब उसे तसल्ली हो गयी कि लंड ढंग से खड़ा हो गया है तो जल्दी से पलट गयी.

अरुण ने उसे रुकने को कहा और पलटकर घुटनो के बल कर दिया. अरुण ने अपने दोनो हाथ उसके चुतड़ों पर रखे.

"आइ लव यू, दी," उसने कहा.

स्नेहा हंस पड़ी. "आइ लव यू टू, बेबी. अब जल्दी से ये लंड मेरी चूत मे डाल दो. मैं कब से इसे महसूस करने को तड़प रही थी. चोदो मुझे..."

अरुण ने हाथ साइड मे करके उसके दूध को आगे खीच दिया और लंड को चूत मे डालने लगा.

"अहयहह..फुक्कक...यवेस....." उसने अपनी कमर को उससे जोड़ते हुए कहा. अरुण ने निपल को उमेठते हुए और कस्के धक्का मारा तो स्नेहा तेज़ी से चीख पड़ी. स्नेहा को महसूस हुआ कि उसका लंड हर धक्के के साथ उसकी ताक़त खिच रहा हो.

"मेरे बाल..हा.म्म्म्मकम...खिचो..आहह," स्नेहा बोली. अरुण ने और गहराई मे लंड डाला और अपने हाथ उसकी पीठ पर घूमाते हुए उसके बाल पकड़ लिए और खिच दिए.

"और तेज, चोदो मुझे..आहमम्म्मम.." वो बोली तो अरुण ने पकड़ और मजबूत कर दी. हर धक्के के साथ स्नेहा की आवाज़ बढ़ रही थी. और बाल अरुण की गिरफ़्त मे होने से वो अपने मज़े के चरम पर पहुच रही थी. अरुण ने उसकी आवाज़ रोकने के लिए अपना दूसरा हाथ उसके मूह पर रखा तो वो उसकी उंगलियो को चूसने लगी.

दोनो की कमर एक दूसरे से टकरा कर थप ठप की आवाज़ें निकाल रही थी. अरुण की स्पीड हर धक्के के साथ बढ़ने लगी और स्नेहा मस्ती मे डूबती चली गयी. उसकी चूत फिरसे झड़ने लगी लेकिन अरुण ने के पल के लिए भी स्पीड को कम नही किया.

"ओह्ह.,..फक्क....अहहह....फक..फक.." वो लंड को बार बार अपनी दीवारो पर महसूस करके बोल उठी. उसका चेहरा पसीने से भीग गया था और बाल चिपक गये थे. अरुण की उंगलियाँ अभी भी उसके मूह पर थी जिसे वो किसी लॉलिपोप की तरह मूह मे रखे पड़ी थी.

कुछ देर बाद अरुण ने लंड को चूत से निकाला और सीधा करके उसकी जाँघो को और फैला दिया और फिरसे लंड को अंदर डाल दिया.

"आइ लव यू, दी..." उसने लंड को अंदर डालते हुए कहा.

"आइ लव यू टू," उसने कहा "और तेज चोदो अपनी दी को...अहहह.."

स्नेहा के दूध उसके सीने से टकरा रहे थे और लंड गहराई मे जाकर उसे मज़ा दे रहा था. कुछ ही धक्को के बाद स्नेहा फिर से झड़ने के करीब पहुच गयी.

"मेरे दूध पर झडोगे या मेरी चूत के अंदर आहह..?" उसने पूछा.

अरुण ने मुस्कुराते हुए तेज़ी से धक्का मारा और और अपने होठ उसके होंठो से जोड़ दिए. स्नेहा के मन से सारे विचार गायब होने लगे बस था तो मदहोशी और अपनी चूत मे उसके लंड का अहसांस. उसकी चूत कुलबुलाकर और पानी छोड़ने लगी. अरुण का लंड बार बार उसे मस्ती मे डुबो रहा था. स्नेहा ने महसूस किया कि उसका लंड भी शख्त हो गया है और अगले ही पल उसका गर्म गाढ़ा रस चूत के पानी मे मिलने लगा. उसकी चूत उस गर्मी के अहसांस से और पानी छोड़ते हुए दोबारा झड़ने लगी. 

अरुण मस्ती मे गहरी सांसो के साथ लंबे लंबे स्ट्रोक मार रहा था. उसका लंड बस पिचकारी पर पिचकारी छोड़ रहा था. दोनो के बदन पसीने से लथपथ एक दूसरे से गुथे पड़े थे. और दोनो की जीभ एक दूसरे के मूह मे नाच रही थी.

स्नेहा का सिर घूमने लगा और आँखो के आगे धुन्ध छाने लगी इतनी बार झड़ने की वजह से. अरुण ने लंड निकालना शुरू किया तो स्नेहा ने उसके दोनो चुतड़ों पर हाथ रखके रोक दिया.

"वही छोड़ दो, बस मेरे उपर लेटे रहो ऐसे ही," स्नेहा साँस संभालते हुए बोली.

अरुण ने वही किया और आराम से उसके उपर लेट गया. स्नेहा के दूध उसके सीने के वजन से धँस गये थे. दोनो फिरसे किस करने लगे और अरुण ने अपने होठ उसकी गर्दन की ओर मोड़ दिए. पसीने का नमकीन स्वाद उसे और मज़ा दे रहा था.

कुछ देर बाद जब लंड उसकी चूत से निकला तो स्नेहा थोड़ी शांत हुई लेकिन उसे पकड़े रही और उसके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान आ गयी. अरुण ने उसके चेहरे पर मुस्कान देखी तो खुद को उसे किस करने से रोक नही पाया.

"तो कैसा लगा?" उसने पूछा.

अरुण उसके कंधे को चूम रहा था. "ग्रेट,"

"अरे बुद्धू, मतलब गले मे झड़ना ज़्यादा अच्छा लगा कि चूत मे?" अरुण उसके कंधे से दूधो की ओर बढ़ रहा था प्यारे किस करते हुए.

उसकी बात सुन हंस पड़ा. "आपको पता है सिर्फ़ यही सोचकर कि आप चुसोगी मेरा लंड खड़ा हो जाता है. और हां, मुझे काफ़ी मज़ा आया. लेकिन आपको तो दिक्कत नही हुई ना," अरुण उसके कान को चूम रहा था. स्नेहा उसके बालो को धीरे धीरे सहला रही थी.

"थोड़ी दिक्कत हुई थी लेकिन मज़ा भी उतना ही आया जब मैं उसी वक़्त झड़ी."

अरुण के मूह ने उसके निपल को अपने अंदर कर लिया और चूसने लगा. 

"दट वाज़ गुड," वो दूसरे निपल की ओर बढ़ते हुए बोला.

"मैं कब्से वो ट्राइ करने की सोच रही थी. और आगे मैं काफ़ी प्रॅक्टीस करूँगी जिससे तुम्हे मज़ा दे पाऊ," उसने कहा तो अरुण उसके दूध पर जीभ फिराने लगा.

"तुम सुन भी रहे हो?" स्नेहा ने पूछा.

अरुण ने उसकी तरफ मुस्कुरकर देखा. "दी आप पहले से ही बहुत अच्छा कर रही हो. आपको और प्रॅक्टीस की ज़रूरत नही है."

"तुम्हारे साथ प्रॅक्टीस करती डफर," तब अरुण दोबारा उसके दूध को चूमने लगा था.

अरुण ने एक बड़ी स्माइल के साथ उसे देखने लगा. "हां प्रॅक्टीस से किसी को नुकसान भी क्या है."

स्नेहा ने हंसकर उसका चेहरा अपने पास खिचा और चूमने लगी. "वैसे सोनिया को कब बता रहे हो?"

"दी बता दूँगा. आइ नो वो थोड़ा गुस्सा होगी लेकिन मैं उसे मना लूँगा, अभी मैं सिर्फ़ आपके साथ टाइम स्पेंड करना चाहता हूँ."

"आइ गेस यू हॅव युवर रीज़न्स."

फिर दोनो कुछ देर तक किस करते रहे फिर अरुण बिस्तर से उठ गया. कपड़े पेहेन्कर उसने दोबारा किस किया और दरवाजा खोलकर चला गया.

स्नेहा हंसते हुए तकिये पर सर रखके सो गयी.
Reply
01-25-2019, 12:56 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण चुप चाप अपने रूम की ओर चला जा रहा था.

"सॅटिफाइड?" उसने आवाज़ से पूछा.

"कभी नही, लेकिन अभी के लिए चलेगा." आवाज़ ने कहा

अरुण ने अपना सिर हिला दिया और बिस्तर पर पड़ के बिना दरवाजा बंद किए सो गया.

अगली सुबह अलार्म बजने से उसकी आँख खुली. उसने गुस्से से उसे बंद किया. लेकिन उसके बाद नींद तो आई नही तो आँखें मल्ता हुआ बिस्तर से उठ खड़ा हुआ. 

नीचे गया तो किचन से काफ़ी अच्छी स्मेल आ रही थी. "एम्म्म," उसने कहा. बाथरूम जाके वो फ्रेश हुआ और रूम से कपड़े चेंज करके नीचे आया तो स्नेहा काफ़ी चीज़े बना रही थी.

सुप्रिया आराम से टेबल पर बैठी उसे देख रही थी. अरुण गया और पहले स्नेहा के फिर सुप्रिया के गाल पर किस कर दिया, फिर सुप्रिया के पास ही बैठ गया.

"तो रात मे कुछ ज़्यादा ही मज़े उड़ाए तभी तो सुबह से इतनी उछल रही है हमारी स्नेहा." सुप्रिया बोली.

अरुण हंस पड़ा. "हां अच्छी नींद आई होगी." और आँख मार दी.

स्नेहा हंस दी. तब तक पीछे से सोनिया और आरोही रन्निंग करके आए. खुसबू को अपने अंदर समेट के सोनिया देखने लगी. 

"क्या बात है आज तो बड़ी अच्छी डिशस बनी हैं.." सोनिया बोली.

सभी हँसने लगे. अरुण ने जब सोनिया पर ध्यान दिया तो वो उसे ही देखने लगा. रन्निंग के कारण सोनिया पूरे तरीके से पसीने से भीगी थी जिसकी वजह से उसके टॉप से निपल सॉफ दिख रहे थे. सोनिया को यू ताड़ते देखा तो आरोही ने हल्के से खांस दिया. अरुण तुरंत ही दूसरी तरफ देखने लगा.

आख़िरकार कुछ देर बाद स्नेहा ने गॅस ऑफ की और सबके लिए डिशस टेबल पर लगा दी.

अरुण तो तुरंत ही खाने पर टूट पड़ी और उसके साथ बाकी लोग भी.

कार मे बैठते वक़्त अरुण ने आरोही की ओर देखा.

"तो तुम्हारी रात कैसी बीती?" उसने पूछा.

"यम्मी," वो आँख मार कर बोली. "सोनिया काफ़ी टेस्टी है."

अरुण हंस पड़ा. "यप, आइ नो."

वो लोग रास्ते मे ही थे कि आरोही के मोबाइल पर मेसेज आया. मेसेज पढ़ते ही आरोही एक दम से अपने मूह पर हाथ रख के हँसने लगी. 

"ओह माइ गॉड..." वो बोली.

"क्या हुआ?"

आरोही पहले तो काफ़ी देर हँसती रही. फिर जब उसकी हँसी थमी तब वो बोली.

"रिया का मेसेज था. वो लोग अपनी मोम के हाथो पकड़ते पकड़ते बचे."

अरुण भी हंस पड़ा.

"वो लोग बेड्सम ट्राइ कर रहे थे. रिया बेड से बँधी हुई थी और रोहन शवर ले रहा था. उसने सोचा कि नहा कर खोल देगा लेकिन तब तक उनकी मोम जल्दी आ गयी. रोहन जैसे तैसे रिया को ही उठाकर अपने साथ शवर मे ले गया रस्सी सहित."

"ओह माइ गॉड!"

"ये तो अच्छा है कि उनकी मोम ने ज़्यादा कुछ शक नही किया.

"दे आर ईडियट्स, रियली."

तब तक वो लोग कॉलेज पहुच गये.

***********

रात के वक़्त आरोही रिया के घर से आ रही थी. उसने रेडियो ऑन किया और अपना फॅवुरेट स्टेशन लगाकर ठंडी हवा के साथ गानो का मज़ा लेने लगी. उसने फ़्यूल गेज की ओर देखा तो पता चला कि अगले स्टेशन पर ही फ़्यूल की ज़रूरत पड़ेगी. उसने अगले स्टॉप पर कार रोकी और फ़्यूल डलवाने लगी. उसने सोचा रुकी ही है तो बाथरूम यूज़ कर ले. बाथरूम से वापस आकर उसने पे किया और कार मे बैठ गयी. इन सब मे उसने ये नही देखा कि वही एक कार मे बैठा एक लड़का उसे देख रहा है. 

रोड पर दोबारा कार चलने लगी तो एक और कार पीछे से उसके पीछे हो ली. उसने सोचा लंबा रास्ता ले लेती हूँ क्यूकी उस लंबे वाले पर ट्रॅफिक नही होता तो जल्दी पहुच जाएगी. वो उस रास्ते पर पहुचि तो वहाँ ज़्यादा ट्रॅफिक नही था. कुछ एक ट्रक थे और 2 3 कार्स साथ मे चल रही थी.

वो सोचने लगी कि आज जाकर अरुण के साथ अच्छे से सोएगी. अरुण ने प्रॉमिस भी किया था कि अगर हो सका तो अनल ट्राइ करेंगे और हो सका तो स्नेहा दी को भी साथ मे बुला लेंगे.
ये बातें सोचकर उसके पेट मे गुदगुदी होने लगी.

उसके पीछे जो कार चल रही थी वो कुछ ज़्यादा ही पास आती जा रही थी, तो आरोही ने भी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी.

वो आगे के पलों को सोचकर मुस्काये जा रही थी.

पीछे वाली कार फाइनली पास से गुज़र रही थी, लेकिन आगे जाने की बजाए वो कार उसके साथ मे ही चलने लगी. आरोही को अजीब लगा कि कोई कार उसके साथ साथ क्यू चलेगी. उसने साइड मे देखा तो उसके हाथ पैर वही ठंडे होने लगे.

**************

इनस्पेक्टर कामेश ने एक कार को दूसरी कार के पीछे पीछे चलते देखा तो कुछ नही सोचा. लेकिन उसने ध्यान दिया तो वही कार फिर आगे बढ़के साथ मे हो गयी थी और दूसरी कार से आगे निकलने का नाम नही ले रही थी.

उसने तुरंत ही अपनी गाड़ी उसके पीछे लगा दी.

उसकी आँखो के सामने ही साइड वाली कार ने पास वाली कार मे धक्का मारा जिससे वो कार साइड मे बॅरियर से टकरा गयी और थोड़ी दूर रगड़ते हुए जाके रुकी. जबकि दूसरी कार तेज़ी से आगे निकल गयी.

उसने देखा कि कार का आगे का हिस्सा काफ़ी बुरे तरीके से टूट गया है तो वो मन मे दुआ करते हुए कि उसका ड्राइवर सही हो वहाँ पहुचा.

************

अरुण अपने बेड पर ही लेटा था. बाहर दरवाजे पर एक तेज नॉक हुई. अरुण तुरंत ही सीधा बेड पर बैठ गया. काफ़ी रात हो गयी थी. उसे अच्छा भी नही लग रहा था शाम से. और अब इतनी रात को इतनी तेज़ी से दरवाजे पर नॉक.

उसने सुना सुप्रिया को दरवाजे का लॉक खोलते हुए. उसने जल्दी से अपने रूम का दरवाजा खोला और नीचे देखा तो सुप्रिया उसी की ओर देख रही थी.

उसने उसके पास देखा तो उसका दिल बैठने लगा. कुछ पोलीस वाले खड़े हुए थे.

"आरोही," उसने सोचा क्यूकी सिर्फ़ वही घर पर नही थी.

"आप ही आरोही मेहता की गार्जियन हैं?" पोलीस वाले ने सुप्रिया से पूछा.

अरुण के पैरो के नीचे से ज़मीन निकलने लगी थी.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
"माना कि मैं काफ़ी बकवास करता हूँ, लेकिन थोड़ा ध्यान से! तू पागलो की तरह गाड़ी चला रहा है! मुझे भी उसकी चिंता है."

अरुण एक क्रॉसिंग से निकला तो ब्रेक पर तो उसके पैर गये ही नही.

"अगर उसे कुछ भी हो गया तो..." वो उस सेंटेन्स को पूरा करने की सोच भी नही सकता था.

"भाई, टेन्षन मत ले. ठीक होगी वो."

"यॅ, सही होगी. हे भगवान प्लीज़..प्लीज़." वो सोच रहा था.

"तुझे क्या लगता है क्या हुआ होगा? वैसे भी तू रुका कहाँ कि पोलीस की बात सुनता."

अरुण ने एक मोड़ पर गाड़ी धीमे करी और फिरसे फुल स्पीड पकड़ ली.

"मैं सोचना भी नही चाहता," अरुण ने सोचा. पोलीस ने सिर्फ़ इतना कहा कि आरोही का आक्सिडेंट हुआ है और वो लोग उसे हॉस्पिटल ले गये हैं. अरुण ने और देर नही करी और तुरंत ही अपनी कार मे बैठा और हॉस्पिटल की तरफ जाने लगा."

"मैं सबको लेकर आती हूँ," पीछे से सुप्रिया की आवाज़ आई थी.

उसका फोन वाइब्रट हुआ तो उसने उठा कर देखा. मेसेज था सुप्रिया का: अरुण ध्यान से जाना. ड्राइव सेफ, लव यू." उसने फोन को साइड मे डाल दिया.

"मुझे अब भी याद है कि वो किस तरीके से हमें देखकर मुस्कुराती थी. किस तरीके से उसके होठ कर्ल होते थे."

"यू'आर नोट हेल्पिंग."

"सॉरी," आवाज़ बोली.

"शांत रहो बस."

अरुण अगले मोड़ पर गाड़ी घुमाने लगा तो सामने ही हॉस्पिटल नज़र आ गया. अरुण जल्दी से गाड़ी पार्क करके एमर्जेन्सी रूम की ओर चल पड़ा.

"जल्दी, जल्दी, जल्दी..." आवाज़ कहे जा रही थी.

अरुण लगभग दरवाजो से टकराते टकराते ही बचा. जल्दी से रिसेप्षन पर पहूचकर उसने पीछे बैठी लड़की से पूछा. "आरोही मेहता," वो लड़की फोन पर थी और कंप्यूटर पर टाइप कर रही थी लेकिन उसने फिर वही से कुछ देख के अरुण को रूम नंबर बता दिया.

अरुण जल्दी से वहाँ पहुचा तो वहाँ कॉमपार्ट्मेंट्स बने हुए थे जो कर्टन्स से बंद थे. और इधर उधर कुछ डॉक्टर और नर्सस बात कर रहे थे. एक नर्स ने उसे देखा. "मे आइ हेल्प यू?" उसने पुछा.

अरुण ने उसकी तरफ बढ़ते हुए सिर हिला दिया. तभी एक अलार्म बजा और वो डॉक्टर और नर्स एक दम से हरकत मे आ गये. "शी'स कोडिंग!" उसने आवाज़ सुनी. सभी एक कॉमपार्टमेंट की ओर चलने लगे.

"व्हाट!? फक!"

अरुण का दिल जोरो से धड़क रहा था, आँसू बस कगार पर आए हुए थे. उसके पैर जैसे सेमेंट मे जम गये थे. लेकिन उसने मुश्किल से अपना पैर आगे किया. उसका वही डर जो मम्मी पापा के आक्सिडेंट के वक़्त था वो वापस आने लगा. उसके कानो मे सुप्रिया की आवाज़ आने लगी जब वो उनको बता रही थी उनके मोम डॅड के साथ क्या हुआ था. और अगले ही पल उसने सुना कि स्नेहा उसे बता रही थी कि आरोही अब नही रही.

"नही..नही..नही.." आवाज़ एक दम से बोली.

अरुण ने अगला कदम उठाया. अरुण को लग रहा था कि अगले ही पल वो गिर पड़ेगा. उसने अगला कदम उठाया तो अपने घुटनो के बल हो गया और आँखे बंद कर ली. "नो," उसने मूह से निकला.

उसकी आँखे आँसुओ से भर गयी. उसने अपने दोनो हाथो को देखा तो उनमे आँसू टपक रहे थे. "नो," उसने तेज़ी से कहा. उसकी पूरी दुनिया उसकी आँखो के सामने ख़त्म होने लगी.
तभी दूर से एक आवाज़ उसके कानो मे पड़ी.

"अरुण?"

वो कन्फ्यूज़ होने लगा. "वेट, मैं जानता हूँ इस आवाज़ को."

वो खड़े होकर तुरंत ही पलटा, आँसू के कारण उसे सब कुछ धुँधला दिख रहा था. उसने आँसू पोछे तो सामने कोने मे एक कर्टन साइड मे था और उसमे से उसने देखा. सामने एक बेड पर लेटी थी आरोही जिसके प्यारे से गाल पर एक बॅंडेज थी. एक पैर पर प्लास्टर था और काफ़ी कुछ जिंदा ही लग रही थी.

"हुह...येस्स्स...वोहूऊओ!"

अरुण के पैर दोबारा काँपने लगे जब उसने आगे बढ़ने की कोशिश की. वो फिर से ज़मीन पर गिर पड़ा और अपने हाथो से अपने चेहरे को छुपाने लगा. "थॅंक यू भगवान.." उसने तेज़ी से कहा और आँसू के पीछे उसके चेहरे पर एक मुस्कान उभर आई. अपनी ताक़त दोबारा पाकर वो आगे बढ़ा और पर्दे हटा दिए.

"टेल मी यू'आर ओके!" वो बोला.

आरोही ने आँखो मे आँसू भरे हुए उसी तरफ हाथ बढ़ाया तो अरुण ने उसके हाथ को पकड़ लिया. "आइ'म ओके," आरोही बोली.

अरुण ने तुरंत ही आगे बढ़कर उसे अपनी बाहों मे भर लिया. वो कस के उसे गले लगाए रहा. "आइ लव यू सो मच," उसने कहा.

अरुण अपनी आवाज़ को संभालने की कोशिश मे था. "आइ लव यू टू," अरुण ने उसे खुद से अलग किया फिर उसके पैर को देखने लगा.

वो हल्के से मुस्कुरा दी. "छोटा सा फ्रॅक्चर है."

अरुण हल्के से हंस दिया.

"क्या हम लोग इसे अब चोद नही सकते? अनल का क्या?" आवाज़ ने कहा
Reply
01-25-2019, 12:58 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
"दी को बता दो कि मैं ठीक हूँ. मेरा फोन तो कार मे ही था," आरोही बोली.

अरुण ने अपना फोन निकाल लिया और मेसेज टाइप करने लगा. "शी'स ओके! पैर मे फ्रॅक्चर है, एक दो कट्स हैं, आराम से आना."

"थॅंक गॉड!" उधर से रिप्लाइ आया.

वापस फोन रखके अरुण उसका हाथ पकड़े बैठा रहा.

"मुझे कितनी टेन्षन हो रही थी, पता है," वो बोला.

वो मुस्कुरा दी. "आइ नो. सॉरी."

अरुण तभी पास से चेयर ले आया और उसके पास बैठ गया. "तो हुआ क्या?"

आरोही का चेहरा उतर गया और वो नीचे देखने लगी. "वो-" वो बोलते बोलते रुक गयी. फिर एक गहरी साँस लेकर उसे देखा. "वही लड़का था."

अरुण का चेहरा सख़्त हो गया और हाथो मे मुट्ठी बन गयी.

"मैं रिया के घर से आ रही थी. मैं स्टेशन पर फ़्यूल डलवाया. और जब वापस रोड पर आई तो मैने नोटीस किया कि कोई मेरा पीछा कर रहा है. मैने स्पीड थोड़ी धीमी की तो मेरे पास ही आ गया. मैने साइड मे देखा तो कार मे वो ही था. उसकी आँखो मे वही गुस्सा था. और फिर उसने अपनी कार को मेरी कार से भिड़ा दिया."

"उसके बाद काफ़ी कुछ धुधला है. मुझे याद है कि कोई इनस्पेक्टर था और आंब्युलेन्स मे मुझे भेजा. अगली बात जो अच्छे तरीके से याद है वो ये कि मैं यहाँ बैठी हूँ और नर्स मेरे साथ ये सब कुछ कर रही हैं. कोई अन्द्रुनि चोट नही है, मुझे ये पता है. एक दो चेकप और एक्स रे हुए हैं. अभी मैने किसी को कोडिंग के बारे मे चीखते हुए सुना. और उसके बाद मैने तुम्हारी आवाज़ सुनी."

अरुण ने सिर हिला दिया. "तुम टेन्षन मत लो, मैं सब संभाल लूँगा,"

आरोही सिर हिलाने लगी. "अरुण, पोलीस को ही सब देखने दो,". तो अरुण थोड़ा शांत हुआ.

"कुछ चाहिए?" उसने पूछा.

"आइ'म ओके..बस थोड़ा दर्द है."

"पेनकिलर दी गयी?"

"हां."

तभी पीछे से एक नर्स आई. "आप इनके साथ हैं?"

अरुण ने हां कह दिया.

"मैं बस एक दो चेकप और कर लूँ फिर आप लोग जा सकते हैं."

वो नर्स उसके गाल को सॉफ करके उसका इलाज़ करने लगी. उसे गुस्सा तो काफ़ी आ रही थी जिसकी वजह से ये हुआ लेकिन वो गुस्से को दबाए बैठ था.

अरुण बाहर जाने ही वाला था कि उसे हॉल मे जानी पहचानी आवाज़ें सुनाई पड़ी.

"मैं किसी नर्स से पूछती हूँ," सोनिया बोली.

अरुण ने परदा हटाया और बुलाने लगा. "यहाँ,"

सोनिया, सुप्रिया और स्नेहा तीनो जल्दी से वहाँ आ गयी. सुप्रिया और सोनिया रोने लगे थे हल्के से. लेकिन तीनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी उसे देख कर. अरुण थोड़ा हट गया तो तीनो आरोही को गले लगाने लगी.

"मैने कहा था कि ठीक होगी,"

"हां हां," अरुण ने सोचा.

अरुण की तरह वो लोग भी उससे वही क्वेस्चन पूछ रही थी. क्या हुआ? कुछ चाहिए?

"किसने किया ये?" स्नेहा ने पूछा.

आरोही चुप होके अरुण की ओर देखने लगी.

अरुण ने सिर हिला दिया. कुछ देर बाद उसने अपनी बहनों की ओर देखा और कहा. "रॉकी था."

स्नेहा अपना सिर हिलाने लगी, उसे समझ नही आया कि वो किसकी बात कर रहा है.

"वही जिसने मेरी कार पे गोली मारी थी, और जिससे उस क्लब मेरी लड़ाई हुई थी, जिसने सोनिया के साथ ज़बरदस्ती करने की कोशिश करी थी."

"फक," आवाज़ तुरंत ही बोली, उसे कुछ याद आ गया था जो अरुण के होश से बाहर था.

सोनिया एक दम उसकी ओर देखने लगी. "भाई..."

अरुण उसकी ओर देखने लगा.

"आपने कहा था कि आपको कुछ याद नही है."

अरुण का चेहरा लाल पड़ने लगा और बस एक ही ख़याल उसके मन मे आने लगा. "फक,"

वो खड़े होकर अपने हाथ आगे करने लगा. "सोनिया.."

"तुम्हारी याददाश्त वापस आ गयी?"

"सोनिया..मेरी बात सुन.."

"तुम्हारी याददाश्त वापस आ गयी?" सोनिया तेज़ी से चीखी.

अरुण शांत हो गया.

"सोनिया, गुस्सा मत कर..अरुण बस सबके साथ.." आरोही ने बोलना शुरू किया.

"डॉन'ट." सोनिया का चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था. उसने आरोही की तरफ उंगली कर दी. "तुम कुछ मत बोलो."

वो वापस अरुण की तरफ गुस्से से देखने लगी. "कब से?"

अरुण अपना सिर हिलाने लगा. "सोनिया,"

सोनिया का चेहरा वैसा का वैसा ही रहा. "मैने पूछा कब्से?"

अरुण नीचे देखने लगा. कुछ देर की खामोसी के बाद उसने बोलना शुरू किया. "मेरी बात तो सुनो."

"कब से?" सोनिया गुस्से मे विफर्ते हुए बोली.

कुछ सेकेंड्स तक चुप रहने के बाद अरुण बोला. "जिस रात मैं दूसरी बार एश के साथ डेट पर गया था."

सोनिया के चेहरे पर दर्द और गुस्से के भाव उभर आए.

सुप्रिया और स्नेहा चुप ही थे.

आरोही ने बोलने की कोशिश की तो दोबारा सोनिया ने गुस्से से उसे देखा.

काफ़ी देर तक शांति रही.

"तुम्हे पता भी है कि मैं कितनी परेशान थी तुम्हारी याददाश्त की वजह से? तुम इतनी बड़ी बात मुझसे छुपाने के बारे मे सोच भी कैसे सकते हो? हाउ डेर यू भाई."

उसकी आँखो से आँसू गिरने लगे.

"सोनिया, प्लीज़!"

वो आरोही की तरफ मदद के लिए देखने लगा. 

तभी सोनिया एक दम से आगे बढ़ी और अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया.

चट की आवाज़ पूरे हॉल मे गूँज़ गयी और अरुण के चेहरा दूसरी तरफ मूड गया. उसे लगा जैसे उसका गाल जलते तवे से छू गया हो.

सोनिया ने पर्दे साइड मे किए और गुस्से से बाहर चली गयी.

अरुण कुछ देर अपने गाल पर हाथ रखे रहा फिर नीचे कर दिया. "आइ डिज़र्व्ड दट," वो बोला.

फिरसे वहाँ शांति छा गयी. अरुण फिर खड़ा हुआ. "मैं बाथरूम जा रहा हूँ," वो बाहर जाते हुए बोला.

"आउच..काफ़ी तेज मारा यार." आवाज़ बोली.

"थॅंक्स फॉर टेल्लिंग मी."

अरुण हॉल से निकलकर बाथरूम की ओर गया. वहाँ उसने गाल पर देखा तो गाल लाल हो गया था और आराम से पाँच उंगलियाँ गाल पर दिख रही थी. वो फिर वहाँ से फ्रेश होकर निकला तो सोनिया और सुप्रिया पोलीस के पास खड़ी थी. अरुण जब तक पहुचा तब तक इनस्पेक्टर अपनी बात ख़तम कर चुके थे.

"....और वो वही मर गया."

अरुण सोनिया के साथ खड़ा हुआ जिसने उसे इग्नोर कर दिया.

"क्या हुआ?" अरुण ने पूछा.

सोनिया तो दूसरी तरफ देखने लगी लेकिन सुप्रिया बोल पड़ी. "रॉकी'स डेड, ये मेरा भाई है." उसने इनस्पेक्टर को बताया.

इनस्पेक्टर ने सिर हिला दिया. "जहाँ तक हम लोगो को पता है कि उसने तुम्हारी बहेन पर हमला किया था. उसने सही वक़्त पर ब्रेक लगा लिए नही तो काफ़ी नुकसान हो जाता. वो कुछ ज़्यादा ही स्पीड से मुड़ा था तो आगे जाके कार पलटी और उसका सिर टकराने से वही मर गया."

अरुण बिल्कुल सन्न रह गया.

"तुम्हारी बहेन कैसी है अब?" इनस्पेक्टर ने पूछा.

"सही है. पैर मे फ्रॅक्चर है और चेहरे पर कट है," सुप्रिया बोली. "आप ही वहाँ पहले पहुचे थे?"

इनस्पेक्टर ने सिर हिला दिया.

"थॅंक यू सर," अरुण ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा. इनस्पेक्टर ने उसका हाथ मिलाया और फिर पलटकर चला गया.

"ओये हिलना मत, साँस भी मत लेना. शायद यहीं माफ़ कर दे."

"सोनी.." अरुण ने कहा.

उसने उसे इग्नोर कर दिया और दूर जाके सीट पर बैठ गयी.

अरुण ने काफ़ी कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही हुआ. आख़िरकार वो वहाँ से अंदर गया और आरोही से मिलने लगा. सुप्रिया और स्नेहा वहाँ से निकल रही थी.

"वो टाँके लगा रहे हैं, जब हो जाएगा हमे बता देंगे," स्नेहा बोली.

"सोनिया कैसी है?" सुप्रिया ने पूछा.

"अभी भी नाराज़ है."

दोनो उसे देखने लगे. "हम लोगो से भी उतनी ही नाराज़ होगी, आइ बेट." स्नेहा बोली. 

अरुण एक लंबी साँस लेकर बाहर चला गया. वो लोग जाके सोनिया के पास बैठ गया. अरुण के बहुत कहने पर स्नेहा और सोनिया घर चले गये.

"आप एक बार डॉक्टर से मिल लीजिए फिर आप लोग जा सकते हैं," नर्स बोली.

इस बार जब अरुण अंदर गया तो आरोही के गाल पर दूसरा बॅंडेज था. वो जाके पास मे बैठ गया.

"तो कैसी है हमारी प्यारी, स्वीट सोनिया?" आरोही ने पूछा.

"गुस्से मे." अरुण मायूसी से बोला.

"अरुण, आइ'म श्योर कि मुझ पर भी वो उतना ही गुस्सा होगी. वो सोच रही होगी कि कम से कम मुझे तो उसे ये बात बतानी ही थी.

अरुण सिर हिलाने लगा. "मेबी."

"मैने भी उससे झूठ बोला हमारा सीक्रेट रखने के लिए," आरोही बोली.

"मेरा सीक्रेट," उसने ठीक करते हुए कहा.

"अगर हम दोनो झूठ बोल रहे थे तो हमारा सीक्रेट हुआ."

"ओके. ओके. लेकिन कुछ तो करना ही पड़ेगा."

आरोही एक लंबी आह भरके उसे देखने लगी.

अरुण ने उसे देखा तो वो भी उसे देखने लगी. "व्हाट?" आरोही ने पूछा. "अब ऐसा भी नही था कि हम लोग उसे परेशान करने के लिए ये बात छुपा रहे थे. अब ये भी है कि वो खुद इस बात को भूलना चाहती है कि नही. मैं ये नही कह रही की जो हम ने किया वो बिल्कुल ठीक किया लेकिन इतनी बड़ी बात भी नही है यार."

"फर्स्ट, ये ठीक नही था और सेकेंड ये उसके लिए बड़ी बात है." अरुण ने कहा.

"आइ गेस." आरोही बोली.

काफ़ी देर तक फिर वहाँ खामोशी छाई रही. आधे घंटे बाद आरोही को रिलीस कर दिया गया. अरुण और सुप्रिया ने पेमेंट करी फिर आराम से आरोही को कार मे बिठाया और सुप्रिया आगे बैठ गयी और वो लोग घर की ओर चलने लगे.

"अरे हां," अरुण गाड़ी चलाते हुए बोला. "000000 आगे जाके ही मर गया. उसकी कार बॅरियर से टकरा कर पलट गयी और उसके चलते उसके सिर मे चोट लग गयी थी."

आरोही कुछ पल कुछ नही बोली. "मैं...उः..वाउ," उसने कहा. उसके चेहरे पर एक ख़ुसी भी थी और फिर एक अजीब सा चेहरा बना लिया.

"आरू, इट्स ओके. वो था इस लायक. उसने मेरी जान लेने की कोशिश की, तुम्हारी और रोहित की भी साथ मे..."

आरोही हां मे सिर हिलाने लगी. "आइ नो. बट.."

अरुण और सुप्रिया ने उसे प्यार से देखा. "स्वीटी अगर तुम खुस हो कि वो मार गया तो इससे तुम बुरे इंसान नही बन जाते. यही बात प्रूव करती है कि तुम अच्छे इंसान हो कि ये सोचकर तुम्हे दुख हो रहा है." सुप्रिया उसे समझाते हुए बोली.

बाकी के रास्ते सभी खामोशी की आवाज़ सुनते रहे.

घर पहूचकर सब उतरे. अरुण ने आरोही की मदद करते हुए उसे हॉल मे सोफे पर बिठा दिया. पप्पीस वही थे और आरोही को देख कर कुन..कुन करते हुए चाटने लगे.

उसने इधर उधर देखा तो सिर्फ़ स्नेहा थी. "दी, क्या हुआ?" 

"अपने रूम मे है, जबसे हम लोग आए हैं. डोर लॉक कर लिया है."

"कम ऑन, तुम सोने चलो," सुप्रिया आरोही से बोली.

तीनो उसे उसके कमरे मे ले गये और बेड पर लिटा दिया. जब सब को तस्सली हो गयी कि उसे और किसी चीज़ की ज़रूरत नही है तो सब नीचे आ गये. अरुण बाहर आकर सोनिया के रूम के बाहर रुका. अंदर लाइट्स बंद थी. वो नीचे गया और पानी पीने लगा.

"आज तो कुछ नही हो सकता," उसने सोचा और उपर जाने लगा.
Reply
01-25-2019, 12:58 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
सुबह की किरणें उसके कमरे मे पड़ी तो उसने घड़ी की ओर देखा.

"तो आज अनल?"

"नोप."

"तो क्या दिन भर खुद की गान्ड मारनी है."

"नही, मेरा मूड नही है."

"हहा फन्नी. अरे बता ना, अनल ट्राइ करे चलके?"

अरुण ने उसे इग्नोर कर दिया और नीचे चला गया. स्नेहा नीचे टेबल पर कुछ पढ़ रही थी और मिल्कशेक पी रही थी. उसने नीचे जाने से पहले सोनिया का रूम देखा तो दरवाजा खुला था और अंदर कोई नही था.

नीचे उसने स्नेहा से पूछा.

"सुबह सुबह ही कहीं गयी है, शायद रन्निंग के लिए."

अरुण एक लंबी साँस लेकर अपने लिए कुछ ढूढ़ने लगा.

"इसी को चोद दे." आवाज़ ने कहा

तब तक आरोही नीचे आ रही थी, हल्के हल्के. अरुण उसकी मदद करने पहुचा तो उसने मना कर दिया. "नही, मुझे खुद करने दे, जब तुम लोग नही होगे तो मुझे खुद ही करना पड़ेगा ना."

अरुण उसकी बात समझ कर उससे 3 सीढ़ियाँ नीचे रहता जिससे अगर वो लड़खड़ाई तो तुरंत ही पकड़ ले.

"तो आज कॉलेज की छुट्टी," अरुण उसे देख बोला.

"यस, चोदने के लिए पर्फेक्ट डे." आवाज़ ने खुश होते हुए कहा

आरोही फिर नीचे आकर हान्फते हुए चेयर पर बैठ गयी. सुप्रिया आके उन लोगो के लिए ब्रेकफास्ट बनाने लगी.

स्नेहा ने मिल्कशेक आरोही को दे दिया. 

"तो सोनिया कहाँ है?" आरोही ने पूछा.

"दी ने बताया कि उठने से पहले ही कहीं गयी थी."

"हद होती है. तुम उसके साथ भी उतना ही टाइम स्पेंड करने वाले थे जितना कि हम लोगो के साथ." आरोही बोली.

"वो इसलिए नाराज़ है क्यूकी वो मेरे लिए परेशान थी और मैने उसे परेशान रहने दिया बेवजह." अरुण बोला.

"मुझे नही लगता कि यही रीज़न है." आरोही बोली.

"और क्या वजह हो सकती है?" अरुण ने पूछा.

"हां, मुझे भी तो पता चले," पीछे से आवाज़ आई. सामने दरवाजे पर सोनिया खड़ी हुई थी. देखकर लग रहा था कि जॉगिंग करके आई थी.

अरुण को कमरे मे तनाव महसूस होने लगा. "सोनिया, बाहर चलो और मेरी बात सुनो प्लीज़."

"नही मुझे भी जानना है कि मुझे इतना गुस्सा क्यूँ आ रहा है?"

आरोही कुछ देर उसे देखती रही. 

"जैसे तुझे पता ही नही है," आरोही बोली.

"तुम दोनो, चुप अभी के अभी." सुप्रिया भी किचन से आकर बोली.

"नही बताओ मुझे," सोनिया चिल्लाते हुए बोली.

"आरू, सोनिया प्लीज़..." अरुण बोलने लगा.

"सिंपल है ना, तुम्हे बस वो अपने लिए ही चाहिए," आरोही हल्के से बोली और उसके शब्द हवा को चीरते हुए उनके कानो तक पहुचे.

"वाउ...और कुछ.."

"आक्सिडेंट से पहले भी तुम्हारे साथ ही हर वक़्त रहता था वो. एक रात भी अगर तुम्हारे साथ अगर नही होता तो तुम्हारी तो शक्ल उतर जाती. 'ओह भाई नही आया.'" आरोही गुस्से से बोली.

"ओह रियली..." सोनिया भी चिल्ला रही थी.

"क्या ये सच नही है कि तुम्हे हर रात उसके साथ सोने को नही मिलता था?" आरोही गुस्से से बोली.

"तो?"

"तो अगर हम लोगो को थोड़ा ज़्यादा वक़्त उसने दे दिया तो क्या दिक्कत है?" आरोही बोली.

"यू नो व्हाट, फक यू," सोनिया बिल्कुल पुरानी सोनिया बनते हुए बोली.

"लो आ गयी असली सोनिया औकात पे. सच कड़वा जो लग गया." आरोही बोली. 

सोनिया ने भी गाली बकनी शुरू कर दी. अरुण कुछ देर खड़ा रहा. फिर एक गहरी साँस ली और उपर जाकर नीचे आया तो उसके हाथ मे कार की चाभी थी. सोनिया और आरोही अभी एक दूसरे से लड़ने मे लगे हुए थे.

"अरुण कहाँ जा रहे हो?" स्नेहा ने उनलोगो को रोकते हुए पूछा.

"बाहर," अरुण चिल्ला के बोला. "मैं परेशान हो गया इस घर मे लड़ाइयों की वजह बन कर." वो मुड़ा और तेज़ी से बाहर निकल गया.

**********

"खुश?" स्नेहा ने दोनो से पूछा.

"दी, आप बीच मे मत बोलो," सोनिया बोली.

"सोनिया डोंट बी सो मीन.."

"हां अब तो सब मेरी ही ग़लती है.."

आरोही हल्के से हंस दी. तो सोनिया उसे देखने लगी.

"और क्या ग़लती तो तुम्हारी ही है. युवर सो कॉल्ड आटिट्यूड ना होता तो उस वक़्त भी अरुण को चोट नही लगती, लेकिन नही सोनिया तो अपनी मर्ज़ी की करती है. वो क्यूँ किसी की बात सुनने लगी. उस वक़्त भी तुमने उसकी बात सुने बिना उसे थप्पड़ मारा था और आज भी यही कर रही हो..." आरोही बोले जा रही थी, तो सुप्रिया ने उसे रोक दिया.

"लिसन सोनिया, वो बस हम सब लोगो के साथ थोड़ा अकेला वक़्त चाहता था, जिससे हम सब को ईक्वल टाइम दे सके," सुप्रिया उसे समझते हुए बोली.

"तो आप सब लोगो को बता दिया मुझे छोड़कर. आइ गेस मुझे ये एक्सपेक्ट करना चाहिए था," सोनिया रूखे अंदाज से बोली.

"गेट ओवर यौर्सेल्फ्त, सोनिया. हम सब लोग उसे शेयर करते हैं, तुम मे ऐसा स्पेशल क्या है कि तुम्हे ही सारा वक़्त मिले?" आरोही चिल्ला कर बोली.

"मैने कभी नही कहा कि मैं स्पेशल हूँ. बस मुझे दुख इस बात का है कि उसने मुझे ये बात नही बताई. कम से कम वो मुझे ये तो बता ही सकता था कि वो ठीक है. मैं जो परेशान रही इतने दिन उसका क्या?"

आरोही अपने आँखें घूमने लगी.

"फक यू, आरोही." सोनिया चिल्लाते हुए रोने लगी. फिर मुड़कर तेज़ी से अपने रूम मे चली गयी.

"तुझे क्या हो गया है आरू?" स्नेहा ने सोनिया के पीछे जाते हुए आरोही को देखा.

********

अरुण कार मे बैठा और स्टार्ट करके रोड पर चलाने लगा. उसके मन मे कोई खांस जगह नही थी, बस ऐसे ही गाड़ी चलाए जा रहा था.

"बिचस?" आवाज़ ने कहा

"शट उप,"

"काफ़ी सीरीयस फाइट थी और मेबी हो रही होगी." आवाज़ ने कहा

"मैने इससे भी भयंकर देखी है. अगर आरोही और सोनिया चाहे तो काफ़ी आगे बढ़ सकती है. तूने अभी कुछ नही देखा, हाथापाई तक हो जाती है."

"तो फिर तू ऐसे चला क्यूँ आया?" आवाज़ ने पूछा

"क्यूकी मेरी वजह से ही हो रहा है ये सब,"

"वैसे अपन लोग चल कहाँ रहे हैं?" आवाज़ ने बात बदलते हुए पूछा

"पता नही.."

"ओके..." आवाज़ ने जबाब दिया

"शिट," अरुण तेज़ी से चिल्लाया.

"टेक इट ईज़ी, ब्रो." आवाज़ ने उसे सांत्वना दी

अरुण ने एक गहरी साँस ली और गाड़ी पर ध्यान दिया. कुछ घंटे तक वो ऐसे ही इधर उधर घूमता रहा. "मुझे किसी से बात करनी पड़ेगी," उसने आख़िरकार कहा.

"मैं हमेशा यही हूँ भाई." आवाज़ ने कहा

"नो अफेन्स लेकिन एक असली इंसान से," उसने सोचा.

आवाज़ शायद ये बात समझ गयी और शांत हो गयी.

अरुण के मन मे एक आइडिया आया.

***********

एश नैल्पोलिश लगा रही थी जब उसका फोन वाइब्रट होने लगा. उसने फोन उठाकर जवाब दिया तो अरुण था दूसरी तरफ.

कुछ देर तक उसने बात की फिर कपड़े पहनने लगी.

20 मिनिट बाद अरुण उसके घर पर बैठा हुआ था और गुस्से और थकान से भरा हुआ लग रहा था.

"तो क्या हुआ?" एश ने पूछा.

"तुम्हारे डॅड तो नही है?" उसने पूछा.

"ऑफीस मे हैं,"

"थोड़ा पर्सनल मॅटर है." अरुण रिलॅक्स होकर बोला.

एश उसकी तरफ देख मुस्कुरा दी. "आइ'म लिसनिंग."

"कल आरोही का आक्सिडेंट हुआ."

"ओह माइ गॉड!" एश बोली.

अरुण ने उसे शांत रहने का इशारा किया. "शी'स ओके. एक दो कट्स हैं और पैर मे फ्रॅक्चर है बस."

"ओह माइ गॉड..व्हाट हॅपंड?"

"वो उसी लड़के ने हमला किया जिसने मेरी कार पर गोली चलाई थी."

"ओह नो!"

"पोलीस ने बताया कि उसकी गाड़ी आगे जाके पलट गयी और उसकी वही डेत हो गयी."

"वेल, आरोही से कहना कि उसे किसी चीज़ की ज़रूरत है तो मैं हूँ."

"आइ विल," अरुण बोलकर शांत हो गया.

एश ने टेन्षन को भाँप लिया.

"व्हाट?" उसने पूछा.

"मैं इसलिए नही आया."

"ओह, तो फिर?"

और नर्वस होकर अपनी चेयर मे इधर उधर हुआ.

"चाइ या कॉफी.." एश ने पूछा.

"कॉफी विल डू," अरुण ने कहा तो दोनो के लिए कॉफी बना के ले आई.

अरुण बोलने की बजाए कप के रिम पर उंगली घूमने लगा.

"अरुण, यू कॅन टेल मी एनितिंग. रिमेंबर, मैने तुम्हे हर चीज़ बताई है जो कुछ मैने किया. मुझे किसी चीज़ से प्राब्लम नही होगी."

"मैने कभी इन चीज़ो के बारे मे किसी से बात नही की है बस," उसने कहा.

"कोई नही, जब तुम्हे ठीक लगे तुम बोलना."

अरुण काफ़ी पलों तक खामोशी से बैठा रहा. फिर उसने अपना गला सॉफ किया और उसकी ओर देखा.

"तुम्हे तो पता ही है कि मेरे और मेरी सिस्टर्स के बीच क्या चल रहा है?"

एश मुस्कुरा दी. "यॅ, आइ फिगर्ड."

अरुण हल्का सा शरमा गया. "वेल, इट्स नाउ..फक्ड अप."

"व्हाट..कौन आरोही?"

"क्या?" अरुण कन्फ्यूज़ होकर बोला.

"प्रेग्नेंट! कौन?"

"ओह गॉड" अरुण सिर हिलाने लगा. "नही..नही. कोई प्रेग्नेंट नही है जहाँ तक मुझे पता है."

"ओह. सॉरी."

फिर दोनो हल्के से हंस पड़े. अरुण अपने बालो मे उंगलियाँ फिराने लगा.

"ओके, जब मैं और तुम साथ मे गये थे तब मुझे कुछ भी याद नही था पिछले साल का. लेकिन जब दूसरी बार हम दोनो किस कर रहे थे ये सब चीज़े एक दम से मेरे दिमाग़ मे आगयि." उसने कॉफी की सीप लेते हुए बताया.

"घर पहुच कर मैने सिर्फ़ सुप्रिया दी को बताया और किसी को नही."

एश उसे देखने लगी. "ओके..लेकिन पहले मैं कुछ पूछ सकती हूँ?"

अरुण ने सिर हिला दिया.

"तो हर किसी को पता है कि तुम हर किसी के साथ सेक्स करते हो?" उसने हां मे सिर हिला दिया. "वो लोग ईक्वली शेयर करते हैं तुम्हे या कोई शेड्यूल बना रखा है."

अरुण हंस दिया. "वेल," वो मुस्कुराते हुए बोला. "मैं डाइयग्रॅम से बता सकता हूँ."

एश भी हंसते हुए सिर हिलाने लगी. "ओवरव्यू ही काफ़ी रहेगा."

"वेल, सोनिया को लगभग हर रात मिलती है. शुरुआत मे तो बस वो मेरे पास इसलिए सोती थी क्यूकी उसे अकेले नींद नही आती थी और डरावने सपने आने लगे थे. आइ डॉन'ट रियली नो कि ये सब हो कैसे गया. खैर वो लोग शेयर करते हैं, लेकिन कोई रूल्स नही हैं. मैं कोशिश तो यही करता हूँ कि सबको बराबर का टाइम दे पाऊ लेकिन दिन मे 24 घंटे ही होते हैं."

"तो उन लोगो को शेरिंग से कोई प्राब्लम नही है?"

"मोस्ट्ली नही, आइ गेस. आइ मीन इट्स काइंड ऑफ अन ओपन रिलेशन्षिप. या फिर लाइक प्लुरल मॅरेज जबकि हम लोगो की शादी नही हुई है. मुझे तो पता भी नही है कि है क्या ये," वो हाथ खड़े करते हुए बोला.

"तो तुमने सुप्रिया दी को बताया और किसी को नही, फिर" एश बोली.

"मुझे पता है तुम्हे ये सुनने मे कैसा लग रहा होगा. बिलीव मी आइ हॅड गुड इंटेन्षन्स. काइंड ऑफ. देखो मैं बस सबके साथ बराबर का टाइम स्पेंड करना चाहता था एक एक करके सबके साथ."

"उसके बाद मैने आरोही को बताया फिर अभी परसो कॅबिन पर स्नेहा को. आक्सिडेंट तक मैने सोनिया को कुछ नही बताया था. वहाँ हॉस्पिटल मे मेरे मूह से निकल गयी और अब वो काफ़ी गुस्से मे है."

"अगर मैं होती तो मैं भी होती. बाकी लोगो ने तुमसे कहा नही था कि वो गुस्सा होगी?"

"कहा था एक दो बार," अरुण डरते हुए बोला.

एसा मुस्कुरा दी. "आब्वियस्ली तुम अल्फा हो इस रिलेशन्षिप मे,"

"मतलब?"

"वेल, सुप्रिया, स्नेहा और आरोही के साथ इंटिमेसी थोड़ी अलग होती होगी सोनिया से. मतलब सोनिया इस लाइक युवर बेबी आंड सिस्टर ऑल्सो."

"मैने कभी ऐसे सोचा नही."

"कोई नही तुम बात आगे बताओ पहले."

अरुण ने दोबारा सीप लिया. "तो ये बात पता चलते ही उसने हॉस्पिटल मे ही मेरे थप्पड़ मारा और जब इस सुबह मैं जगा तो वो घर पर नही थी. मैं नीचे आया और आरोही कुछ कह रही थी जो थोड़ी अच्छी बात नही थी..यही कि वो बस पूरा टाइम अपने लिए चाहती है."

"सही कहा कि ग़लत?"

अरुण कुछ देर सोचने लगा. "नही, लेकिन वो सब इसी तरह हैं"

एश दाँत दिखाने लगी. "पूअर गाइ,"

अरुण भी हल्के से हंस दिया. "आइ नो. आइ नो. लेकिन मैं सीरीयस हूँ. ये उतना बुरा भी नही है, सोनिया है थोड़े इस टाइप की. मुझे बस समझ नही आ रहा कि इसका सल्यूशन क्या है. मुझे तो अपने आप पर गुस्सा आती है कि मेरी वजह से मेरी फॅमिली मे इतनी प्रॉब्लम्स हो रही हैं."

"शायद तुम्हे अपनी बहनों के साथ सेक्स नही करना चाहिए था," एश हँसी रोकते हुए बोली.

"प्लीज़, यार एशू." 

"और क्या चाहते हो? सोचो अगर तुम चार लड़कियो के साथ डेटिंग कर रहे हो और उन सबको बाकी तीनो के बारे मे पता हो, तो तुम्हे क्या लगता है कि क्या होगा? लड़कियों का दिमाग़ काफ़ी कॉंप्लेक्स ढंग से काम करता है, अरुण."

"यॅ, आइ नो नाउ."

"तो मैं कुछ सलाह दूं?"

अरुण ने सिर हिला दिया.

"जस्ट बी ऑनेस्ट. उन्हे बताओ की तुम्हारे दिल मे क्या है. प्रॉब्लम्स से दूर भागने से काम नही चलने वाला. बात करो, यही सल्यूशन है. और जहाँ तक मैं उम्मीद करती हूँ, तुम्हारी बहने कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेंगी. सोनिया गुस्से मे है और उसे होना भी चाहिए लेकिन वो मान जाएगी."

"पक्का?"

एश ने सिर हिला दिया. "आख़िर वो भी एक लड़की ही है और पागल तो है ना. जब तक तुम उसके बारे मे नही भूलते वो जल्दी ही वापस आ जाएगी."

अरुण को तुरंत ही रियलाइज़ हुआ कि बात करके कितना अच्छा फील हो रहा था. 

"तो वो अल्फा से क्या मतलब था?"

"देखो जैसे बेडरूम मे या किसी पब्लिक प्लेस मे तुम्हारी बात मानते हैं वो लोग. फॉर एग्ज़ॅंपल, जब तुम लोग सेक्स कर रहे होते हो, तो तुम जो कहते होगे वही करती होंगी वो लोग?"

अरुण कुछ पल सोचने लगा. "यॅ, काफ़ी हद तक. सुप्रिया दी और सोनिया काफ़ी कुछ वैसी ही हैं. स्नेहा दी थोड़ी अग्रेसिव हो जाती हैं. आरोही उसका कोई भरोसा नही."

एश हँसने लगी ये बात सुनके. 

"यही मेरे कहने का मतलब है. तुम उन्हे बताते हो तो वो कुछ करती है. मेरे केस मे थोड़ा अलग था, शॉन और मैं दोनो उतने एक्सपीरियेन्स्ड नही थे तो हम दोनो ईक्वल थे लेकिन धीरे धीरे मैं अल्फ़ा होती गयी."

अरुण सिर हिलाने लगा. "मैने कभी तुम्हे ऐज आ अल्फ़ा नही देखा."

"यप, वो प्यारी, स्वीट डरने वाली एश कभी हो भी नही सकती थी.." फिर दोनो हँसने लगे.

फिर अरुण खड़ा हो गया. "थॅंक्स फॉर लिसनिंग और हेल्प करने के लिए."

एश मुस्कुरकर आगे बढ़ी और उसके गले लग गयी. फिर दोनो अलग हुए और साथ मे बाहर चलने लगे.

"थॅंक्स अगेन, एशू," अरुण बाहर जाते हुए बोला.
Reply
01-25-2019, 12:58 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण जब घर पहुचा तो काफ़ी देर हो गयी थी. उसने सोनिया को नही देखा लेकिन उसकी कार थी गेराज मे तो पक्का होगी. वो किचन मे गया और अपने लिए सॅंडविच बनाने लगा फिर हॉल मे आकर टीवी देखने लगा. कुछ देर बाद वो टीवी बंद करके उपर गया तो आरोही का दरवाजा खुला हुआ था. अंदर देखा तो आरोही अपने पैर पर शॉर्ट्स चढ़ाने की कोशिश मे लगी हुई थी. मुस्कुराते हुए वो मदद के लिए आगे बढ़ा.

"इधर," अरुण बोला.

उसे ढंग से शॉर्ट्स पहनाने के बाद वो उसी के साथ कुछ देर लेट गया.

काफ़ी देर तक दोनो ऐसे ही लेटे रहे फिर आरोही उसकी ओर मूडी.

"गुस्सा हो?"

"क्यूँ भला.."

"क्यूकी आइ वाज़ आक्टिंग लाइक आ बिच."

"किसने कहा?"

आरोही उसके गले लग गयी. "मुझे खुद विस्वास नही हो रहा है कि मैने वो बातें सोनिया से कही. सॉरी."

अरुण मुस्कुरा दिया."कोई नही, आरू. और अगर सॉरी कहना है तो सोनिया से कहना. और वैसे भी तुम्हारा भी मूड खराब था जस्ट लाइक सोनिया. जितना आक्सिडेंट का गुस्सा था तुमने उस पर उतार दिया. बस अब उसे सॉरी कह देना."

"ओके."

कुछ देर ऐसे ही लेटने के बाद जब आरोही हल्के हल्के सोने लगी तो अरुण उठा और अपने रूम मे जाके सो गया.

*********

अरुण अगली सुबह आँख मलते हुए उठा. वो फ्रेश होने के लिए रूम से बाहर निकला तो सोनिया के रूम का दरवाजा खुला था और वो फिर वहाँ नही थी. उसने एक ठंडी आह भरी और नीचे गया. बाहर देखा तो उसकी कार भी नही थी. कुछ देर बाद आरोही नीचे आई. ब्रेकफास्ट करके वो क्लास के लिए चेंज करने चला गया.

क्लासस से लौटकर आया तब भी सोनिया घर पर नही थी. उसने सुप्रिया से पूछा तो उसने बताया कि वो अपने एक फ्रेंड के घर पर है उसने बात की थी.

वो मन मार कर अपने रूम मे चला गया. टेस्ट थे आगे तो पढ़ते पढ़ते ही डेस्क पर सो गया. वो जगा तो नीचे से काफ़ी तेज आवाज़ें आ रही थी.

"भाग जल्दी और देख अब क्या हुआ. पता चले खून हो जाए किसी का." आवाज़ ने कहा

अरुण जल्दी से नीचे गया तो स्नेहा चेयर पर बैठी और अपना सिर हाथो मे छुपाए हुए थी.

"हाई," स्नेहा ने अरुण को देखकर कहा.

"हाई. अभी भी चालू हैं." आवाज़ ने कहा

वो सिर हिलाने लगी. "अभी जब सुप्रिया दी ने सोनिया से कहा कि इतनी देर तक कहाँ थी, पूरे दिन भी नही थी और आरोही पास मे ही बैठी थी तो फिर शुरू हो गयी."

"तुम्हे छूने की ज़रूरत नही दी," सोनिया की तेज आवाज़ उसके कानो मे पड़ी जब अरुण वहाँ पहुचा.

"गाइस," उसने कहा. "गाइस," अरुण इस बार चिल्ला का बोला. उन लोगो के कान मे जूँ तक नही रेंगी.

"शट दा फक अप!" अरुण गिलास को ज़मीन मे फोड़ कर बोला. 

सभी उसकी तरफ चौंक के देखने लगे.

"तुम दोनो यहाँ बैठो," अरुण ने आरोही और सोनिया को सामने चेयर पर बैठाया. दोनो एक दूसरे की तरफ गुस्से से देखते हुए बैठ गयी.

"ओके, दिस ईज़ ऑल माइ फॉल्ट, ऑल ऑफ इट. ये कुछ नही होता अगर मैने तुम्हे पहले ही बता दिया होता." वो सीधे सोनिया की आँखो मे देखके बोला.

"मैने बेवकूफी करी, आंड आइ अग्री, कि यू डिज़र्व बेटर क्यूकी मैं तुम्हारा बाय्फ्रेंड ही नही भाई भी हूँ."

पूरे घर मे खामोशी थी.

"मेरे सिर मे आवाज़ है," अरुण बोला.

"शट अप." आवाज़ ने कहा

"ये कोई सबकॉन्षियस माइंड की तरह नही है. बल्कि ऐसे जैसे कि कोई अलग इंसान मेरे सिर मे रहता है जिसके साथ मे बहस कर सकता हूँ. तो यही मुझे आइडिया देता है कि सेक्स करो, ब्लोवजोब के लिए कहो वग़ैरह वग़ैरह. एक दिन मैं सुबह शवर मे मास्टरबेट कर रहा था और इसी आवाज़ की वजह से मेरे मूह से "सोनिया" निकल गया." वो आरोही की ओर देख कर बोला.

"माना कि मैं सोच रहा था तुम्हारे बारे मे लेकिन इस आवाज़ की वजह से तुम्हारा नाम मेरी ज़ुबान पर आया. उसी दिन मैं तुम सबको पूल के किनारे देख रहा था, मुझसे रहा नही गया तो मैं अंदर जाने लगा दोबारा मास्टरबेट करने के लिए. वही दी ने मुझे कपड़े उतारने के लिए कहा तो उसी के चक्कर मे मेरा वो उनके चेहरे पर टकरा गया. बाइ आक्सिडेंट."

सुप्रिया पीछे हंस दी. अरुण ने अपनी बात जारी रखी. "उसके बाद इन्होने मुझे मास्टरबेट करते हुए पकड़ लिया और एक चीज़ से दूसरी चीज़ होती चली गयी और फिर ये सब शुरू हो गया.."

"मैने सुना कि अभी आप कह रही थी कि आप ये सब नही चाहती थी पहले. ये कुछ भी नही हुआ होता अगर मेरे मन मे ये आवाज़ नही होती, मेबी इट्स आ गुड थिंग ऑर बॅड थिंग आइ डोंट नो."

"मेरे कहने का कुछ ग़लत मतलब नही है लेकिन अगर मम्मी पापा का आक्सिडेंट नही हुआ होता तो ये आवाज़ कभी मेरे मन मे नही आती. मैं कभी तुम लोगो के साथ सेक्षुयली इन्वॉल्व नही हुआ होता. आंड आइ लव यू ऑल."

"कोई बाहर वाला मुझे कह सकता है कि मैं कितना बड़ा ठर्की हूँ कि चार चार गर्लफ्रेंड रखता हूँ लेकिन मैं अब तुम लोगो के बिना अपनी लाइफ इमॅजिन भी नही कर सकता. तुम सब एक जैसी होते हुए भी अलग अलग हो."

"सोनिया, मेरा और तुम्हारा अलग कनेक्षन है. मैं जानता हूँ, चाहे जो कुछ भी हो जाए, हम कभी दूर नही हो सकते. जब मैं तुम्हारे साथ प्यार करता हूँ मेरी सारी दुनिया तुम्हारे अंदर समा जाती है. लेकिन इसका मतलब ये नही है कि मुझे बाकी सब के साथ कुछ महसूस ही नही होता. मुझे सबके साथ अपनी दुनिया पूरी होती नज़र आती है. और मुझे मेरे फ्यूचर के बारे मे भी चिंता नही है क्यूकी जब तक मेरी लाइफ मे मेरी बहनें और मेरी गर्लफ्रेंड साथ मे हैं मेरी दुनिया खुशियों से भरी रहेगी."

अरुण ने सोनिया के हाथ पकड़ लिए. "आइ'म सो, सो सॉरी दट आइ हर्ट यू. मुझे तुम्हे पहले ही बता देना चाहिए था. मैं बस सबके साथ कुछ वक़्त अकेले मे बिताना चाहता था. सबके साथ खुल के टाइम स्पेंड करना चाहता था. आइ लव यू ऑल, सो मच. आइ कॅन नेवेर थिंक ऑफ हरटिंग एनी ऑफ यू."

चारो लोग उसे ऐसे देख रहे थे जैसे वो चॉक्लेट का बन हो गया. उसने सोनिया के हाथ छोड़े और बिना एक भी शब्द बोले उपर चला गया.

नीचे चारो बहनें एक दूसरे की तरफ खामोशी से देखने लगी.
"आइ रियली होप कि वो स्पीच ने काम करा हो." आवाज़ ने कहा

अरुण बिना कुछ सोचे सीधे बिस्तर पर गिर पड़ा और सोने की कोशिश करने लगा. जल्दी ही उसे नींद आने लगी.

वो जगा और प्यास लगी तो नीचे गया. नीचे स्नेहा के कमरे से आवाज़ें आ रही थी. वो गया और अंदर देखा तो सुप्रिया और स्नेहा लगी हुई थी एक दूसरे को मज़ा देने मे. उसने मुस्कुराते हुए दरवाजा चुपके से बंद किया और किचिन मे गया तो सोनिया और आरोही बातें कर रही थी.

अरुण दोनो को देख मुस्कुरा दिया.

"हाई," आरोही बोली.

"हाई," अरुण ने दोनो के सिर को चूमते हुए कहा. "तो?"

सोनिया ने आरोही का हाथ पकड़ लिया. "वी'आर गुड."

"मैने माफी माँग ली जो कुछ मैने कहा था उसके लिए," आरोही बोली.

"और मैने भी. और ये सही कह रही थी मैं थोड़ी सेल्फिश बन रही थी. लेकिन हम लोग उस पर काम कर सकते हैं."

अरुण सिर हिला देता है हां मे. "आइ अग्री."

"ग्रेट, अब चोदना चालू कर." आवाज़ ने कहा

"तो आप मेरा नाम लेकर मास्टरबेट कर रहे थे?"

"यॅ यॅ..अब भूल जाओ."

दोनो हँसने लगी लेकिन फिर शांत भी हो गयी.

वो लोग कुछ देर ऐसे ही बातें करते रहे फिर साथ मे टीवी देखने लगे. कुछ देर मे स्नेहा और सुप्रिया भी आकर उन लोगो के साथ टीवी देखने लगे.

"तो प्लास्टर रहते हुए सेक्स कैसे होगा?" स्नेहा ने पूछा.

"पता नही, अभी ट्राइ नही किया," आरोही हंसते हुए बोली और बाकी सब भी हँसने लगे.

फिर काफ़ी देर बाद सब अपने अपने रूम मे चले गये. अरुण इस बार आरोही और सोनिया दोनो के साथ सो गया. सुबह उठा तो उसके पास सिर्फ़ आरोही थी. वो उठा और नीचे गया तो सोनिया किचेन से कुछ उठा रही थी.

अरुण उसके पीछे गया और प्यार से उसकी गर्दन चूमने लगा.

"उम, गुड मॉर्निंग भाई.."

"गुड मॉर्निंग..पुच.." अरुण उसके कंधे को चूमते हुए बोला.

अरुण को तभी कुछ सूझा और वो अपने हाथ आगे करके उसके दूध मसल्ने लगा.

"उम्म्म, भाई क्या कर रहे हो, सभी आने वाले हैं.."

अरुण ने उसकी एक ना सुनी और उसे पलटकर किस करते हुए टेबल पर ले गया और उसे टेबल पर बिठाकर उसका टॉप उतार दिया और एक हाथ से दूध को पकड़ लिया और दूसरे पर अपना मूह लगा दिया. वो उसकी ताक़त के आगे हार मानकर आहें भरने लगी. अरुण का हाथ उसकी पैंटी मे पहुच कर चूत को सहलाने लगा.

चूत पर उंगली पड़ते ही सोनिया सिसकने लगी. अरुण ने उसे पीछे करके एक ही झटके मे पैंटी फाड़ दी. और एक उंगली चूत मे डाल दी. सोनिया की चीखे घर मे गूंजने लगी. तभी सोनिया और स्नेहा भी वहाँ आ गये और हंस कर उसे देखने लगी. अरुण निपल को चूस्ते हुए चूत मे उंगली अंदर बाहर कर रहा था. स्नेहा ने हंसते हुए अपने लिए मिल्कशेक बनाया और सोनिया को दिखाकर पूछने लगी. "मिल्कशेक?" तो सुप्रिया हँसने लगी. तब तक आरोही भी आ गयी और सामने चेयर पर बैठकर उसकी मस्ती देखने लगी. 

अरुण को निपल चूस्ते हुए एक आइडिया आया. उसने सोनिया की टाँगो को अपनी कमर पर लपेटा और उठाते हुए सुप्रिया के रूम की ओर चलने लगा. उसने दरवाजे पर पहुच पर पीछे देखा. और आँख मार कर सब को अंदर बुलाने लगा. स्नेहा तो तुरंत ही कूदते हुए खड़ी हुई और अंदर आने लगी. पीछे से सुप्रिया आरोही के साथ धीरे धीरे अंदर जाने लगी.

अरुण ने अंदर पहूचकर उसे बिस्तर पर डाला और तुरंत ही उसकी चूत को सूंघने लगा. पीछे से स्नेहा आई तो अरुण ने उसे देखा.

"दी, कपड़े उतारो अभी."

उसकी जीभ तुरंत ही काम पर लग गयी और सोनिया को मज़ा देने लगी. स्नेहा ने जल्दी से अपने कपड़े निकाल डाले, पीछे से सुप्रिया और आरोही आई तो उनसे भी अरुण ने कपड़े निकालने को कहा. स्नेहा कपड़े निकालकर उन दोनो के पास आ गयी. सोनिया और स्नेहा ने एक दूसरे को देखा और स्नेहा तुरंत ही उसके होंठो पर टूट पड़ी. सोनिया भी मस्त होकर उसके होंठो को चूसने लगी. सोनिया अपना हाथ अपने दूध पर ले गयी तो किसी ने उसके हाथ हटा दिए उसने देखा कि सुप्रिया ने उसके हाथ हटाकर खुद का मूह उसके निपल पर रख दिया. सोनिया के शरीर पर चीटियाँ रेगञे लगी. इतनी मस्ती उसे कभी नही चढ़ि थी. एक तरफ एक बहेन उसे किस कर रही थी, दूसरी बहेन उसके दूध को चूस रही थी और भाई चूत चाट रहा था. उन तीनो के हमले से उसका शरीर कुलबुलाने लगा था.
Reply
01-25-2019, 12:58 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
तभी अरुण उठा और चेयर पास मे डाल कर आरोही को बिठा दिया और सोनिया को थोड़ा आगे करके आरोही का चेहरा उसकी चूत पर लगा दिया और खुद भी साथ मे चाटने लगा. स्नेहा उसकी गर्दन को चूमने लगी तो पूरे कमरे मे सोनिया की सिसकी गूंजने लगी.

"आहमम्म्म.उः..........आइ लव यू..आ.ल्ल्ल्ल्ल...अहः..." वो कह रही थी. कुछ ही देर मे सोनिया का शरीर काँपने लगा और उसकी चूत से पानी छूटने लगा जिसे अरुण और आरोही झट से पी गये फिर एक दूसरे को किस करके बचा खुचा भी चाट लिया. अरुण वहाँ से हटा और अपने कपड़े निकाल दिए और लंड को आरोही के चेहरे के पास ले गया. आरोही ने इशारा समझते ही तुरंत ही लंड को मूह मे भर लिया. कुछ देर चूसने के बाद अरुण ने लंड को उसके मूह से हटाया और सोनिया के दूधो पर रगड़ने लगा जहाँ स्नेहा और सुप्रिया दोनो उसके निपल सहित लंड को चूमने लगी. जब दोनो ने भी अच्छे से उसे तर कर दिया तो अरुण ने कुछ देर के लिए लंड को सोनिया के मूह मे रखा फिर नीचे आके लंड को उसकी चूत पर सेट करने लगा. स्नेहा भी उठी और अपनी चूत को सोनिया के मूह पर रख दिया. अरुण ने देर ना करते हुए लंड को अंदर डाला तो सिसकी लेने के लिए सोनिया का मूह खुला और स्नेहा की चूत उसके मूह मे आ गयी. वो बड़े चाव से उसकी चूत को चाटने लगी और स्नेहा की सिसकी कमरे मे गूँज रही थी. सुप्रिया कभी उसके दूधो को चूमती तो कभी उसके पेट को. अरुण उसकी चूत मे धक्के दे रहा था और आरोही लंड के साथ गान्ड को भी चूम रही थी.

पूरे कमरे मे सेक्स की महक समा गयी थी और उन सबकी सिसकियाँ गूँज़ रही थी. चार तरफ़ा हमले से सोनिया फिर झड़ने लगी तो उसकी जीभ स्नेहा की चूत पर और कस्के हमला करने लगी. स्नेहा चीखते हुए काँपने लगी और झड कर साइड मे हो गयी और धीरे धीरे सोनिया की गर्दन को चूमती रही. अरुण ने तब भी लंड की स्पीड को कम नही किया. उधर सुप्रिया स्नेहा के पास पहुचि और स्नेहा से अपनी चूत चटवाने लगी. 

अरुण ने आगे बढ़कर सोनिया का निपल मूह मे भर लिया और कुछ देर चूसने के बाद लंड को भी बाहर निकाल लिया. तब तक सुप्रिया भी चीखते सिसकते हुए झड़ने लगी. अरुण ने पहले हाथ देकर आरोही को पास किया और किस करते हुए उसे तीनो के पास बिठा दिया बेड पर खड़े होकर उनके सामने लंड कर दिया. आरोही तुरंत ही सुपाडे पर टूट पड़ी और सोनिया उसके बाकी हिस्से को चाटने लगी. सुप्रिया और स्नेहा दोनो उसके आंडो को मूह मे भरके चूसने लगी. 

"आअहह...अहह..यस..." अरुण सबको देख सिसक रहा था. चारो बारी बारी उसके लंड को चूसने मे लगी हुई थी. अरुण को लगा कि वो झड़ने वाला है तो वो और सिसकने लगा.

"ओम्म..." अरुण एक तेज आवाज़ के साथ झड़ने लगा. स्नेहा के हाथो ने लंड को पकड़ा और पहले सोनिया की तरफ किया फिर, बारी बारी सबके मूह पर वीर्य डाल दिया. जब लंड ने पिचकारी छोड़ना बंद कर दी. तो अरुण ने नीचे देखा तो सोनिया के गाल और होठ पर थोड़ा वीर्य था, आरोही के माथे पर, और सुप्रिया और स्नेहा के चिन पर थोड़ा थोड़ा वीर्य पड़ा हुआ था. आरोही ने पकड़कर लंड सोनिया के मूह मे रख दिया जिसने आख़िरी बूँद भी अच्छे से चाटी. फिर चारो हंसते हुए एक दूसरे के चेहरे को चाटने लगी. अरुण का दिल तो उन सबकी हरकते देख कूदने ही लगा. अच्छे तरीके से सबके चेहरे सॉफ होने पर उन लोगो ने अपने बीच अरुण के लिए जगह बना दी, जहाँ अरुण लेट गया. पाँचो कुछ देर तक एक दूसरे को ऐसे ही जगह जगह सहलाते हुए किस करते रहे, फिर सोनिया और स्नेहा ने अपना सिर उसके कंधो पर रख दिया और पीछे से सुप्रिया और आरोही उनसे चिपक गयी. अरुण अपनी चारो बहनों के साथ आराम से लेटे लेटे सोने लगा.

"हाहह,,दट वाज़ गुड..." आवाज़ ने खुश होते हुए कहा
..........................................................
अरुण उठकर अपने बिस्तर पर ही अंगड़ाई लेकर अपने बालो मे उंगली घुमाने लगा. उसे लग रहा था जैसे कि सीने पर हज़ारो वार एक साथ हो रहे थे. दिल टूटने पर ऐसा ही लगता है, सुप्रिया दी ने कहा था उससे. "जिसका बीज डालोगे उसका पेड़ काटोगे,"

वो उसकी बात सुनके बिल्कुल खुश नही हुई थी. कोई भी नही हुआ था. लेकिन वो जानता था कि वो क्या कर रहा है जो वो लोग नही समझ पा रहे थे. उसने एक ठंडी आह ली और बाथरूम की ओर चल दिया.

चलते चलते वो फिरसे पुरानी बातो के बारे मे सोचने लगा.

ऐसा भी नही था कि उसके पास कोई ऑर ऑप्षन्स थे. कोई ज़रिया ही नही था कि चीज़े उसी हिसाब से चलती रहती. उसका मन वहाँ पहुच गया जब उसे सही मे रियलाइज़ हुआ कि उसके पास अपनी बहनों के साथ टाइम सीमित ही था. माना कि सबको मरना ही है एक दिन, लेकिन ये बात अलग थी. ये ख़याल उसके मन मे आए और फिर वही बस गये. उसे लगा था कि जैसे किसी ने उसका हाथ पकड़कर उससे ये करवाया हो.

ये ख़याल 6 महीने पहले ही आए उसके मन मे, आरोही के आक्सिडेंट के 3 साल बाद. 

अरुण और उसकी बहनों को रोहित के घर पर उनके पेरेंट्स की अन्निवर्सरी के लिए जाना था. वो लोग पहुचे और तुरंत ही उन्हे लगा कि कुछ तो ग़लत हुआ है. रोहित और निशा के बीच चीज़े सही नही थी.

अरुण कार से उतर कर आरोही और स्नेहा के साथ चल रहा था. रोहित ने दरवाजा खोला और तभी गुस्से से निशा उसे धकेलते हुए चली गयी.

"गेट आउट ऑफ माइ वे," वो अपने भाई को गुस्से से देखते हुए बोली.

रोहित ने कुछ नही कहा और उन लोगो को अंदर आने को कहा. "सॉरी अबाउट हर," उसने धीमे से कहा.

खाना काफ़ी अच्छा था लेकिन टेबल पर उस दिन बीते सालो की तरह बातें उतने ढंग से नही हो रही थी. रोहित के पेरेंट्स को छोड़ कर हर किसी को कुछ अजीब लग रहा था. रोहित का तो खाने के दौरान चेहरा ही लटका रहा, जो कभी हर वक़्त हँसी और शरारत से भरपूर रहता था.

रोहित और निशा ने काफ़ी पहले सेक्स शुरू कर दिया था एक दूसरे के साथ, बाद मे अरुण को पता चला. अरुण ने आख़िर रोहित को बता ही दिया था कि उसने उन दोनो को कॅबिन मे एक साथ देख लिया था और उसने ये भी अड्मिट किया कि वो भी अपनी बहनों के साथ सेक्षुयल रिलेशन्षिप्स मे इन्वॉल्व्ड है.

जब रोहित ने निशा को ये बात बताई तो वो विफर पड़ी.

अरुण खुद को दोषी ठहराता रहा जो कुछ हुआ आगे. अगले दिन वो जब कॉलेज मे रोहित से मिला तो वो समझ गया कि कुछ ज़्यादा ही गड़बड़ है. काफ़ी मशक्कत के बाद रोहित ने उसे बात बताई. "निशा घर मे नही रहना चाहती, वो आज नया अपार्टमेंट देखने गयी है. मोम डॅड को उसने कन्विन्स कर लिया है कि वो घर पर नही रहना चाहती," रोहित बोला.

अरुण को बुरा लगा. लेकिन उसने ज़्यादा फोर्स नही किया, उसे पता था कि रोहित का जब मन होगा तब वो उसे सब कुछ बता देगा. वैसे भी रोहित को टाइम की ज़रूरत थी.

ग्रॅजुयेशन उसी साल कंप्लीट हो गयी थी. तो दोनो एमबीए करने लगे थे. आरोही भी उनके साथ ही थी. वो लोग उसके बाद खुद का बिज़्नेस स्टार्ट करने की सोच रहे थे जिसके लिए कॅपिटल इनकम रोहित के डॅड देने को तय्यार थे.

पिछली बातें याद करके एक कसक सी उठी अरुण के दिल मे. 
वो बाथरूम मे पहुचा और शवर चालू करके ठंडे पानी के नीचे खड़ा हो गया.

उसे इस प्राब्लम का बहुत पहले ही सल्यूशन ढूंड लेना चाहिए था. जब उसने फाइनली अपनी बहनों को बताया था कि वो क्या करने की सोच रहा है तो काफ़ी बवाल हुआ था. उसे ये सब पहले ही समझ जाना चाहिए था. उसे याद आने लगा कि क्या बात हुई थी रोहित से.

लग रहा था जैसे कि बहुत पहले की बात हो लेकिन अभी बस 2 महीने ही हुए थे उस बात को जिसने उसे इस मोड़ पर लाके खड़ा कर दिया था.

वो कॅंटीन मे बैठा हुआ था. रोहित आया और हाई बोलकर बैठ गया. वो आजकल उदास ही रहता था, हँसी मज़ाक, उछलना वग़ैरह सब बंद कर दिया था.

अरुण ने उसके लिए कोक ओर ऑर्डर करी तो वो मना करने लगा. 

"कम ऑन यार. कब तक?" अरुण ने पूछा. "6 महीने हो गये उस बात को.."

"तू नही समझेगा..और मुझे उस बारे मे बात करनी भी नही है."

"मैं नही समझूंगा? मैं भी एक तरीके से सेम पोज़िशन मे हूँ जिसमे तू है. देख तुझे किसी से तो बात करनी ही पड़ेगी और मुझसे बेटर कौन मिलेगा?"

रोहित कोक पीने लगा.

"कुछ तो बोल. चल निशा के बारे मे मत बोलना बस."

कुछ देर बाद रोहित बोला. उसने दो तीन बार कुछ बोलने की कोशिश की लेकिन फिर चुप होने लगा. अरुण ने भी उसे रोका नही.

"फाइन. लेकिन जो मैं कहने वाला हूँ, वो तुझे पसंद नही आने वाला."

"तू मुझे उससे अच्छे तरीके से जानता है. तू जानता है मैं कभी तुझे जज नही करूँगा. तू मेरे भाई की तरह है यार, अब बता."

रोहित ने सिर हिला दिया. "बात सिर्फ़ ये नही है कि निशा चली गयी. ये भी नही कि मैं उसे मिस नही करता. मुझे पता है कि जिस लड़की के साथ मैं सेक्स करता था वो चली गयी है, लेकिन वो मेरी बहेन भी थी. तू समझ रहा है ना, मेरी जिंदगी का वो हिस्सा मुझसे दूर हो गया है. मेरा मतलब है, कि अगर हम दोनो अलग हो जाते तो चलता लेकिन अब मैने अपनी बहेन को भी खो दिया है. वो आती है तो सिर्फ़ मोम डॅड से मिलने, मुझे कंप्लीट्ली इग्नोर कर रही है. मोम डॅड ने पूछा भी लेकिन उसने बात घुमा दी. आज पूरे चार महीने हो गये कि उसने मुझसे डाइरेक्ट्ली बात की हो. और सब मेरी ग़लती है. आंड आइ मिस माइ सिस्टर." रोहित का गला भर आया था.

अरुण ने उसके कंधे पर हाथ रखके दबा दिया.

"आइ मीन, वी वर सो क्लोज़ ऐज ब्रदर सिस्टर. मुझे लगा कि हम लोग हमेशा वैसे ही रहने वाले थे."

"तो एग्ज़ॅक्ट्ली हुआ क्या था?"

रोहित ने अपनी आँख से आँसू पोछे और एक सीप ली कोक की.

"जब तूने मुझे बताया कि तू भी..."

अरुण ने सिर हिला दिया.

"तो काफ़ी टाइम तक मैने उसे नही बताया. लेकिन वही एनिवर्सरी से एक दिन पहले हम लोग ऐसे ही बातें कर रहे थे सेक्स के बाद तो तेरी बात चली आंड आइ टोल्ड हर. और वो खुश नही थी कि तुम लोगो को हम दोनो के बारे मे पता चल गया है. मुझे तो ये भी मौका नही मिला बताने का कि तू भी अपनी सिस्टर्स के साथ इन्वॉल्व्ड है. वो मुझ पर चिल्लाने लगी और कमरे से निकलने के लिए कहने लगी. तक़लीफ़ मुझे तब हुई जब वो रोते हुए मेरे उपर चीज़े फेक रही थी."

अरुण उसकी बात खामोशी से सुन रहा था.

"मैने उसे शांत करने की कोशिश की, लेकिन उसने ज़बरदस्ती मुझे रूम से निकाल दिया और अंदर से लॉक कर लिया. एनिवर्सरी के अगले दिन मैने देखा कि उसने सब समान पॅक कर लिया था. उसने कहा कि उसने अपनी एक फ्रेंड से बात कर ली है और वो उसके साथ अपार्टमेंट मे रहने वाली है. वो अब इस घर मे मेरे साथ नही रह सकती. उसे थोड़े स्पेस की ज़रूरत है. मैने उसके पैर पकड़कर रोकने की कोशिश की आंड आइ सेड दट आइ'म सॉरी फॉर लेट्टिंग ऑल दिस हॅपन और मैं कुछ भी करूँगा ये सब कुछ ठीक करने के लिए. लेकिन उसने नही सुना और चली गयी."

रोहित की आँख से फिरसे 2 आँसू निकलकर गाल पर आ गये.

"मोम डॅड के पूछने पर उसने सिंप्ली कह दिया कि उसे घर मे नही रहना जब तक उसका मन नही करता. उन्होने भी ज़्यादा फोर्स नही किया. वो वेकेंड्स पर आती है लेकिन सिर्फ़ मोम डॅड से मिलने. शुरुआत मे मैने बात करने की कोशिश की लेकिन शी जस्ट टोल्ड मी टू कीप डिस्टेन्स. मैने फोन करने की कोशिश की तो वो फोन रिसीव ही नही करती थी. मैने ये तक कहा कि मैं घर छोड़ कर बाहर रह लूँगा वो घर आ जाए लेकिन कोई फ़ायदा नही."

"आख़िरकार उसने एक दिन मेरी कॉल रिसीव की आंड देन मी होल वर्ल्ड क्रंबल्ड अपॉन मी. उसने कहा कि वो कभी मुझसे बात नही करना चाहती. वो घर आती है तो सिर्फ़ मोम डॅड से मिलने. उसने कहा कि जो कुछ हम दोनो के बीच हुआ वो एक ग़लती थी. और अगर मैने उससे ज़्यादा बात करने की कोशिश की तो वो कभी घर वापस भी नही आएगी. दट वाज़ लास्ट टाइम आइ लिसंड हर टॉकिंग टू मी."

रोहित ने अपना चेहरा अपने हाथो मे छुपा लिया. अरुण ने भी उसके आँसू रोकने की कोशिश नही की. वो जानता था कि महीनो से ये दर्द अपने सीने मे दबाए बैठा है उसे निकलना ज़रूरी है.

कुछ सेकेंड्स बाद उसने अपना चेहरा पोछा.

"मैने उससे पूछा, प्लीज़ निशा मैं क्या कर सकता हूँ ठीक करने के लिए सब कुछ. वो कुछ देर खामोश रही फिर बोली कि वो जिंदगी भर पछताने वाली है ये सोच के कि उसने अपने ही भाई के साथ ये किया और अगर मोम डॅड की बात ना होती तो वो जिंदगी मे कभी मेरा चेहरा भी नही देखना चाहती. उसने कहा..(गल्प) कि कभी कभी वो सोचती है की हम दोनो मे से कोई एक मर जाता तो ज़्यादा बेटर रहता."

आख़िरी लाइन कहते ही रोहित के आँसुओ का बाँध फिर टूट गया. काफ़ी देर तक उसकी आँख से आँसू गिरते रहे.

अरुण तो चौंक गया ये सुनके. "ऐसा कैसे कह सकती है यार?"

"बिकॉज़ आइ फक्ड इट अप. मैने अपनी फॅमिली को तोड़ दिया यार. और मैं कभी खुद को माफ़ नही कर पाउन्गा कि मेरी वजह से निशा घर छोड़ के चली गयी है. आंड आइ कॅन'ट गेट माइ सिस्टर बॅक."

"रोहित.."

"अरुण, यू नीड टू बी केर्फुल," रोहित ने आँख पोछ कर उसकी तरफ देखते हुए कहा.

"मतलब?"

"तुझे क्या लगता है कि तू अपनी फॅमिली को कब तक जोड़े रख सकता है? मैने सिर्फ़ एक लड़की के चक्कर मे मेरी फॅमिली तोड़ दी और तू चार के साथ है. यू आर सिट्टिंग ऑन ए टाइम बॉम्ब दट इस गोयिंग टू एक्सप्लोड वन डे, फॉर श्योर."

अरुण अपना सिर हिला रहा था. "मेरी फॅमिली का इस चीज़ से कोई लेना देना नही है."

"तू समझ नही रहा है, भाई. हर चीज़ एक ना एक दिन ख़त्म होती है. एक ना एक दिन तेरी किसी बहेन को रियल रिलेशन्षिप की ज़रूरत पड़ने वाली है या फिर बच्चे. तू वो नही कर सकता. तू जानता है ना क्या दाँव पर लग जाएगा. और मैं जानता हूँ, अगर तेरी वजह से तेरी फॅमिली टूटी तो तू जिंदा नही रह पाएगा क्यूकी तेरा इस दुनिया मे उनको छोड़कर कोई भी नही है. यू नो आइ'म राइट. या तो तेरी वजह से तेरी फॅमिली टूटेगी अगर तूने कुछ नही किया या फिर रिया की तरह कोई बाहर वाला सब बर्बाद कर देगा."
Reply
01-25-2019, 12:59 AM,
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
रिया की फ्रेंड ने रोहन और रिया को एक दिन साथ मे देख लिया था. शुरुआत मे तो उसने ये बात छुपा के रखी लेकिन उसके पेट मे बात रुकी नही. एवेंच्युयली, रोहन को घर छोड़ कर जाना पड़ा. अब दोनो बहुत ही कम बात करते थे.

"थिंक अबाउट इट," रोहित बोला. "मैं तुझे उस कंडीशन मे नही देखना चाहता जिसमे मैं हूँ."

अरुण चुपचाप उसकी बात सुनता रहा. फिर कॅंटीन का बिल पे करके बिना कुछ कहे वहाँ से जाने लगा.

वो सीधे अपनी कार मे बैठा और रोड पर तेज़ी से जाने लगा. "फक इट," वो बार बार स्टियरिंग पर हाथ मारते हुए बोलता रहा.

आवाज़ तुरंत ही भीख माँगने लगी कि ये बातें ना सोचे.

अरुण के लिए उसकी दुनिया टूट रही थी.

उसके बाद 15 दिनो तक अरुण ने रोहित से बात नही की. वैसे भी उसने कॉलेज जाना कम कर दिया था. आख़िर उसने फिर डिसाइड कर ही लिया कि उसे ये बात ख़त्म करनी ही पड़ेगी.

"आइ थिंक यू'आर राइट," अरुण ने उससे कहा जब वो कॅंटीन मे था. "मैं उस टाइम मानने के लिए तय्यार नही था, लेकिन अब मैं देख सकता हूँ कि क्या हो सकता है. मैं कभी अपनी फॅमिली को तोड़ने का जिम्मा नही उठा पाउन्गा. मैने कभी ये बात नोटीस नही करी लेकिन जबसे ये सब शुरू हुआ तबसे जब भी कोई बहस होती है, चाहो छोटी से छोटी बात पर हो, सेक्स बीच मे आ जाता है, और वो लोग एक तरीके से एक दूसरे को मारने पर उतारू हो जाती हैं. मुझे खुद विस्वास नही हो रहा ये कहते हुए दट आइ नीड टू ब्रेकप विद ऑल ऑफ देम."

"तुझे समझ नही आ रहा. ऐसा कुछ नही होने वाला, किस चूतिए की बातों मे आ गया है तू. मैं कभी ऐसा नही होने दूँगा." आवाज़ ने कहा

"तुम्हारा डिसीजन नही है."

"मुझे क्या कोई भूत समझ रखा है जिसने तेरे मन पर कब्जा कर रखा है. मैं तेरा ही हिस्सा हूँ...जो तुझे बता रहा है कि तू ग़लत कर रहा है."

"हां तुम मेरे मन का हिस्सा हो जो ये मानना ही नही चाहता कि सच क्या है. ये इस बात की सच्चाई नही बदल देगा क़ि मैं धीरे धीरे अपनी फॅमिली को तोड़ता जा रहा हूँ."

उसके बाद वो कयि दिनो तक ढंग से नही सो सका. रातो को देर तक जागता रहता और सोचता रहता. एक शाम उसने अपनी सभी बहनों को हॉल मे बुलाया. उसकी शक्ल देख कर ही सब समझ गये कि कुछ सीरीयस बात है.

"लिसन," उसने अपने दिल के भारीपन को इग्नोर करते हुए कहा.

"मत कर भाई. प्लीज़. डॉन'ट डू दिस. अगर तूने किया तो मैं चला जाउन्गा."

उसने एक गहरी साँस ली और नीचे देखा तो आँख से एक आँसू बहता हुआ गाल पर आ गया. "तो मैने आख़िर रोहित से बात कर ही ली कि उसके और निशा के बीच क्या हुआ था?"

अरुण ने उन चारो को बताया कि क्या हुआ और आख़िर मे जब उसने उनकी तरफ देखा तो सभी की आँखो मे आँसू थे.

"डॉन'ट" सुप्रिया आँसू बहाते हुए बोली. "डॉन'ट से इट." सुप्रिया को लग रहा था कि कुछ होने जा रहा है.

"दी..."

बाकी तीनो सुप्रिया की ओर फिर अरुण की ओर देखकर सब चीज़े जोड़ रहे थे. अरुण ने आँख से आँसू पोछा.

"ये मेरे लिए आसान नही है," उसने अपने आँसुओ के बाँध को थामते हुए कहा. उसके शरीर का हर हिस्सा उसे ये काम करने से मना कर रहा था.

"ये बस तुम्हारा मन है जो नही चाहता कि तुम्हे दुख पहुचे, यू हॅव टू बी स्ट्रॉंग, यू हॅव टू बी स्ट्रॉंग, फॉर देम."

"रोहित सही कह रहा था. हम लोग ये हमेशा नही कर सकते."

सोनिया के पैरो के नीचे से जैसे ज़मीन खिसक गयी. उसके चेहरे को देख कर लग रहा था कि हज़ारो खंजर उस पर चल रहे हों.

"अरुण.." आरोही बोली, एक आँसू उसके गाल पर रास्ता बना रहा था.

"मुझे शिफ्ट होना चाहिए, और मुझे नही लगता हमें सेक्स जारी रखना चाहिए."

"मेरा तो काम ही ख़त्म हो गया है. बाइ. डू फक्किंग व्हाट यू वान्ट."

सुप्रिया सिर नीचे कर के रोने लगी सेम आरोही की तरह. स्नेहा बिल्कुल चुप होके रो रही थी और सोनिया को पकड़े हुए थे.

"फक यू," सुप्रिया गुस्से मे लाल होकर बोली.

"आपको क्या लगता है हम लोग ये कब करते रह पाते?" अरुण ने सबसे पूछा. "हमारे फ्यूचर का क्या. तुम लोगो ने उसका सोचा? बच्चे? शादी?"

आरोही ने उसकी ओर देखा. "जब वो चीज़े आई होती तो हम लोगो ने उनके सल्यूशन्स भी निकाल लिए होते, साथ मे."

अरुण सिर हिलाने लगा. "निशा ने रोहित से कहा कि वो चाहती है कि उन दोनो मे से कोई एक मर जाए. मैने उसको जिंदगी मे केवल एक बार रोते हुए देखा है और वो दिन था कल. उसकी जिंदगी तबाह हो गयी है. अभी चाहे जितनी भी तक़लीफ़ क्यूँ ना हो, मैं अपनी फॅमिली को उस मोड़ पर नही लाना चाहता. आइ कॅन'ट. आइ लव यू टू मच टू डू दट टू यू."

"हम लोग उनकी तरह नही हैं, अरुण." आरोही बोली.

"रियली?" अरुण ने पूछा.

"अरुण सही कह रहा है," स्नेहा बीच मे बोली.

"व्हाट?" आरोही एक दम पलटकर उसकी ओर देखने लगी. सोनिया तो उसके पास से ऐसे हटी जैसे उसमे काटे लगे हों. "दी मुझे विस्वास नही हो रहा कि आप ये बात कह रही हो."

"ही'ज राइट. इट मेक्स सेन्स. मेरा मतलब है ध्यान से देखो हमें, हम लोग अपने ही भाई के साथ सेक्स कर रहे हैं. और इतने सालो मे हम ने कितनी बार देखा है कि हम शेरिंग के मामले मे बिल्कुल बेकार हैं. हम लोग कर क्या रहे हैं? कभी सोचा कि सेक्स को लेकर कितनी लड़ाई हो चुकी हैं घर मे? कितनी बार उसने हम लोगो को जोड़ा लेकिन हम लोग हर बार छोटी से छोटी बात पर उसे तोड़ते रहे."

"आपके लिए कहना आसान है, दी, आप तो ---------- जा रही हो ना," आरोही बोली.

"फक यू, आरोही, मेरे लिए भी ये आसान नही है. मैं भी अरुण से उतना ही प्यार करती हूँ, जितना कि तुम, लेकिन मैं अपनी फॅमिली को उससे ज़्यादा चाहती हूँ. एक बार सोचो ये जो हम कर रहे हैं उससे हमारी पूरी फॅमिली बिखर सकती है और फिर कभी कोई भी इसे जोड़ नही पाएगा. और मेरी जाने की बात तो मैं सिर्फ़ 4 महीने के लिए जा रही थी. फिर तो मैं वापस ही आ रहीं हूँ ना. तो ये मुझे भी उतनी ही तक़लीफ़ दे रहा है जितना कि तुम्हे."

"ओह बुलशिट!" सुप्रिया गुस्से स्नेहा की ओर चलते हुए बोली. "मुझे विस्वास नही हो रहा, स्नेहा कि तू इसकी बात मान रही है. आरू ने ठीक कहा, तू तो चली जाएगी -----------. सिर्फ़ इसलिए कि तुझे तक़लीफ़ हो रही है उसका लंड छोड़ने मे तो इसका मतलब ये तो नही कि हम लोग भी ये दर्द उठाएँ."

स्नेहा कन्फ्यूज़ दिखने लगी. "मेरे जाने का इस चीज़ से क्या लेना देना है?" उसने चीख कर पूछा.

सुप्रिया ने उसे देखा और एक दम से उसके चेहरे पर झापड़ मारा और बाल पकड़कर धक्का दे दिया. "तूने ही उसके मन मे ये ख़याल डाल है ना?"

स्नेहा दर्द से बिलख रही थी. अरुण तुरंत ही आगे बढ़ा और उसे अपनी बाहों मे ले लिया और पास मे बैठकर सहलाने लगा.

"दी....." अरुण ज़ोर से सुप्रिया की ओर देख कर चीखा.

"आपको लगता है कि ये मेरे लिए आसान है?" स्नेहा चीखते हुए बोली. "जब तुम तीनो उसके बिस्तर मे घुसने की कोशिश कर रही थी तब वो किसके पास आता था? आख़िर मे अरुण किसे मिला? सबसे कम टाइम किसे मिला उसके साथ जबसे ये सब शुरू हुआ? मुझे! मेरे पास आता था वो बात करने. मेरा शरीर था जिसने उसे पागल किया हुआ था, टेबल पर, घर पर, पूल मे सब जगह. और सबसे बड़ी बात जब आपको चोद रहा होता है ना तो मेरे बारे मे सोचता है वो.." स्नेहा चिल्लाते हुए बोली.

"फक यू!" सुप्रिया भी पलट कर चिल्लाई.

"मैं इसी के बारे मे बात कर रहा था," अरुण थोड़ा तेज आवाज़ मे बोला. "दी," उसने स्नेहा के गालो को पकड़कर कहा,"आपको ये बात नही कहनी चाहिए. आप भी जानती हो कि ये सच नही है. जब ये तीनो मुझे सिड्यूस करने की कोशिश कर रही थी तब मैं आपके पास आया क्यूकी आप ऐसा नही कर रही थी. हां, आपकी बॉडी बहुत अच्छी है, सेक्सी है और मुझे उत्तेजित करती है लेकिन सेम केस सुप्रिया दी, आरू और सोनिया के साथ भी है."

स्नेहा अभी भी गुस्से से कांप रही थी. उसका पूरा चेहरा लाल था और बाल बिखरे पड़े थे. उसने गुस्से से सुप्रिया की ओर देखा तो दोनो एक दूसरे को खा जाने वाली नज़रो से देखने लगे.

अरुण सुप्रिया की ओर मुड़ा. "दी आपको ये नही करना चाहिए था. आंड आइ नो अब मुझसे इस वक़्त नफ़रत कर रही होगी. तो मैं अभी जा रहा हूँ, कुछ देर के लिए." अरुण खड़ा होकर बोला. "इसी वीक मैं बाहर जाके एक अपार्टमेंट देखने वाला हूँ. टेक केयर आंड प्लीज़ इफ़ एनी ऑफ यू एवर लव्ड मी प्लीज़ डोंट फाइट ओवर दिस."

"भाई, कह दो ना कि आप मज़ाक कर रहे हो. प्लीज़ डॉन'ट डू दिस टू मी. टू अस."

अरुण की आँखो से फिरसे आँसू निकलने लगे जब वो उसके पास आई. उसने अरुण के सीने मे मूह रखा और अपनी बाहें पीछे कर दी. अरुण ने भी उसे प्यार से हग किया और उसके बालों को सहलाने लगा.

"सोनिया, आइ लव यू सो मच, बट आइ कॅन'ट स्टे. मैं तुम मे से किसी को तक़लीफ़ मे नही देख सकता. अगर यही चलता रहा तो एक दिन तुम लोग एक दूसरे का मूह देखना तक पसंद नही करोगी. लेकिन मैं मर जाउन्गा. ट्राइ टू अंडरस्टॅंड. मैं समझ सकता हूँ कि तुम लोग इसके बाद मुझे देखना नही चाहोगे लेकिन कम से कम तुम लोग तो हो एक दूसरे के लिए."

सोनिया लगातार उसके सीने मे आँसू बहा रही थी और ना जाने के लिए भीख माँग रही थी. उसने नीचे देखा और उसके चेहरे को पास मे लाया. "प्लीज़, आइ लव यू ऑल, सो मच."

और वो सोनिया से दूर हट गया. सोनिया वही सोफे पर लेट के रोने लगी.

आरोही आगे बढ़ी और उसका सिर खुद की गोद मे रख लिया और उसके साथ हल्के हल्के रो रही थी.

सुप्रिया ने आँखो से आँसू पोछे और अरुण ने देखा कि आँसुओ की जगह उनमे अब गुस्सा था. वो आगे बढ़ी और तीन पर कस्के उसके चेहरे पर थप्पड़ मारे.

एक ठंडी आह भरके अरुण स्नेहा की ओर मुड़ा. वो भी रो रही थी. "आइ लव यू," स्नेहा ने धीरे से कहा.

अरुण ने उसे गले लगा लिया. "आइ लव यू टू," उसने जवाब मे कहा.

मुड़कर वो बाहर गया और अपनी कार मे बैठकर बाहर चला गया. सोनिया अभी भी आरोही की बाहों मे रो रही थी, सुप्रिया गुस्से से उसे जाते हुए देखती रही और स्नेहा अपने रूम मे चली गयी. वो कार को एश के घर ले गया. और उसे सब कुछ बताते हुए रोने लगा. एश ने उसे गले से लगा लिया और काफ़ी देर तक उसे रोने दिया जब तक उसका मन हल्का नही हो गया.

उस दिन शाम को वो रोहित के घर पर था और उसके कमरे मे बैठकर बियर पी रहा था. दोनो खामोशी से टीवी देख रहे थे. कोई मूवी चल रही थी.

"कुछ भी हो जाए, चाहे कितने भी दूर हो, कितना भी वक़्त लगे मैं तुम्हे हमेशा ढूंड लूँगा..हमेशा..." हीरो अपनी प्रेमिका को बाहों मे लिए हुए कह रहा था.

अरुण हल्के से हंस दिया और बाहर आके बालकनी मे खड़ा हो गया. वो हाथ मे एक बॅंड से खेल रहा था. उसमे सभी के इनिशियल्स थे हार्ट्स के साइन के साथ. चारो बहनों ने साथ मे मिलकर उस बॅंड को उसके लिए बनाया था, ये जताने के लिए कि वो चारो उसे हमेशा प्यार करेंगी. पिछले साल, उसके जन्मदिन पर चारो ने एक साथ उसे ये दिया था. रोहित भी आके उसके पास खड़ा हो गया और अपने दोस्त को धीरे धीरे आँसू बहाते हुए देखता रहा. दोनो काफ़ी देर तक खामोसी से सूरज को डूबते हुए देखते रहे फिर अंदर जाके काफ़ी देर तक टीवी देखते रहे. अरुण उस रात घर नही गया.

अगले तीन दिन बाद ही अरुण को ढंग का अपार्टमेंट मिल गया. घर पर ज़्यादा बातचीत नही हो रही थी. स्नेहा को छोड़कर कोई उससे बात नही कर रहा था. जब वो शिफ्ट हुआ तो सब अपने कमरे से उसे देखते रहे. कोई नीचे छोड़ने तक नही आया. वो पहले आरोही के कमरे मे गया तो उसने दरवाजा ही नही खोला, सोनिया भी वही थी. वो आजकल आरोही के साथ ही रह रही थी. उसने बाहर से ही दोनो को बाइ बोला और नीचे आकर सुप्रिया के कमरे को नॉक किया तो उसने भी कुछ नही कहा. उसे भी बाइ किया, लेकिन स्नेहा उसे बाहर तक छोड़ने आई.

5 दिन बाद ही स्नेहा गुडबाइ कहने आई.

"तो मैं जा रही हूँ, मेरी शाम की फ्लाइट है. मैने सोचा कि अपने छोटे भाई को गुडबाइ तो कह ही दूं,"

"थॅंक्स दी," अरुण ने दूसरो के बारे मे खुद को रोकते हुए कहा.

उन दोनो ने उसके अरेंज्मेंट्स के बारे मे बात की, कहाँ रहेगी जाके और क्या करेगी.

"वो सब अभी भी तुमसे काफ़ी गुस्सा हैं. सुप्रिया दी का गुस्सा अभी भी वैसा है लेकिन कुछ कुछ शांत हो रहा है. सोनिया हर वक़्त रोती रहती है, आरोही के कमरे मे. फिर भी वो भी ठीक हो रही है. काश मैं कह सकती कि तुम उनसे मिल आओ लेकिन अभी वक़्त लगेगा उन लोगो को तुमसे मिलने मे."

अरुण ने मुस्कुरा कर उसे गले लगा लिया. स्नेहा ने अपना चेहरा उपर किया और अपने होठ उसके होंठो पर रख दिए. 2 मिनिट तक अच्छे से उसके होंठो का स्वाद अपने मूह मे बसाने के बाद वो दूर हुई. "आइ'म रियली गोयिंग टू मिस मेकिंग लव वित यू," उसने दो आँसू बहाते हुए कहा. "मुझे याद है शुरुआत मे मुझे इसकी कितनी ज़रूरत होती थी.."

अरुण मुस्कुराते हुए नम आँखो से सिर हिलाने लगा. "कितनी बार मैने खुद को रोका आप पर बाथरूम मे हमला करने से."

स्नेहा ने एक सॅड स्माइल दिखाई. "आइ'म ग्लॅड यू वर माइ फर्स्ट."

अरुण ने उसे कस कर गले लगा लिया.

"जाने से पहले मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है."

उसने अपने पर्स से एक बुक निकाली. उसने मुस्कुराते हुए उसे दी. "ये कलेक्षन है उन पलों का जो मैने तुम्हारे साथ बिताए, ग्रॅफिक डीटेल मे. मैं पहले तो इसे तब देने वाली थी जब मैं जा रही होती और मेरी याद दिलाने के लिए, लेकिन यही सही वक़्त लग रहा है."

अरुण ने मुस्कुरा कर उसे चूम लिया. "सेफ रहना, और मुझे डेली कॉल करना. ओके. आंड थॅंक्स फॉर दिस नॉटी नॉवेल."
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,494,525 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 543,649 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,228,943 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 929,588 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,649,877 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,077,141 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,945,305 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,037,522 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,024,741 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 284,245 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)