Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
09-21-2018, 01:59 PM,
#61
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
"हां पापा, हम एक ही कम्बल में सो जाएंगे, वैसे भी देखो न ये कम्बल कितनी बड़ी है" कनिका ने कम्बल खोलते हुए कहा

"ठीक है बेटी, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी" जयसिंह बोला

अब जयसिंह और कनिका बेड पर आ गए, जयसिंह ने कम्बल को अच्छे से खोलकर अपने और कनिका के ऊपर ले लिया, पर कनिका ने तो जैसे जयसिंह पर कहर ढाने का पूरा प्लान बना रखा था, वो कम्बल के अंदर से सिमटकर जयसिंह के बिल्कुल करीब आ गयी और जयसिंह को अपनी बाहों में समेट लिया, कनिका के बदन से आती खुशबू जयसिंह के नथूनों में घुस रही थी, जयसिंह अजीब उहापोह की स्थिति में फंसा था, एक तो पहले ही उसकी बड़ी बेटी मनिका की चित ने उसके लंड में गदर मचा रखा था और ऊपर से अब छोटी बेटी की नवयौवन चुत भी उसे अपने पास आने का निमंत्रण सी दे रही थी,

पर कनिका तो जयसिंह के लंड में भूचाल लेन का काम करे जा रही थी, उसने जयसिंह से टेबल लैंप की लाइट बन्द करने को कहा और फिर वो कसकर उससे चिपक गयी, इतनी की अब उन दोनों के बीच हवा भी बड़ी मुश्किल से पास हो रही थी
कमरे में अब हल्का अंधेरा हो चुका था, बस पड़ोस के घर से आती हल्की रोशनी उनकी खिड़की में से होकर कमरे को हल्का सा उजागर कर रही थी, पर सिर्फ इतना कि वो दोनों बस एक दूसरे का चेहरा थोड़ा थोड़ा देख सके, 

कनिका ने जयसिंह से चिपककर अपनी आंखें बंद कर रखी थी, लगभग 1 घण्टे तक दोनों ने कोई हलचल नही की , जयसिंह को लगा कि शायद कनिका सो गई है, पर जयसिंह की आंखों से नींद कोसो दूर थी, जयसिंह कनिका के मासूम से चेहरे को देखकर सोच में पड़ गया

जयसिंह के हाथ में कनिका के रूप में ऐसा लड्डू आया हुआ था जिसको ना खाते बन रहा था ना छोड़ते , उसने कनिका के चेहरे की ओर दोबारा देखा, दुनिया जहाँ की मासूमियत उसके चेहरे से झलक रही थी, कितने प्यारे गुलाबी होंट थे उसके , दूध जैसी रंगत उसके बदन को चार चाँद लगा रही थी , वो बैठ गया और कनिका की तरफ प्यार से देखने लगा, 

उसकी नज़र कनिका की चुचियों पर पड़ी, जैसे मनिका की चुचियों का छोटा वर्षन हो , बंद गले का टॉप होने की वजह से वो उनको देख तो नही पाया, पर उनके आकर और कसावट को तो महसूस कर ही सकता था, केले के तने जैसी चिकनी टाँगे उसके सामने नंगी
थी, कितनी प्यारी है कनिका.... उफफ... जयसिंह के अंदर और बाहर हलचल होने लगी ,उसने लाख कोशिश की कि कनिका से अपना दिमाग़ हटा ले पर आगे पड़ी कयामत से उसका ईमान डोल रहा था, लाख कोशिश करने के बाद भी जब उससे रहा ना गया तो उसने धीरे से कनिका को पुकार कर देखा,"कनिका!" पर वो तो सपनों की दुनिया में थी ,

जयसिंह ने दिल मजबूत करके उसकी छातियो पर हाथ रख दिया , क्या मस्त चुचियाँ पाई हैं इसने, जो भी इस फल को पकने पर खाएगा, कितना किस्मतवाला होगा वो , जयसिंह ने चुचियों पर से हाथ हटा लिया और धीरे-धीरे करके उसके स्कर्ट को उपर उठा दिया, जयसिंह का दिमाग़ भन्ना सा गया, पतली सी सफेद कच्छि में क़ैद कनिका की चिड़िया मानो जन्नत का द्वार थी , जयसिंह से इंतज़ार नही हुआ और उसने लेट कर उसकी प्यारी सी चूत पर कच्छी के ऊपर से ही अपना हाथ रख दिया , ऐसा करते हुए उसके हाथ काँप रहे थे ,जैसे ही उसने कनिका की चूत पर कच्छि के उपर से हाथ रखा वो नींद में ही कसमसा उठि, जयसिंह ने तुरंत अपना हाथ वापस खीच लिया, कनिका ने एक अंगड़ाई ली और जयसिंह के मर्दाने जिस्म पर नाज़ुक बेल की तरह लिपट गयी उसने अपना एक पैर जयसिंह की टाँगों के उपर चढ़ा लिया, इस पोज़िशन में जयसिंह का हाथ उसकी चूत से सटा रह गया ,


बढ़ती ठंड के कारण कनिका उससे और ज़्यादा चिपकती जा रही थी, जयसिंह के मन में खुरापात घर करने लगी, वो पलटा और अपना मुँह कनिका की तरफ कर लिया,
कनिका गहरी नींद में थी, कनिका की छाति उसके हाथ से सटी हुई थी, उसने कनिका पर अपने शरीर का हल्का सा दबाव डालकर उसको सीधा कर दिया, अब जयसिंह ने कनिका की छाति के उपर दोबारा हाथ रख दिया, उसकी चुचियाँ उसके सांसो के साथ ताल मिला कर उपर नीचे हो रही थी ,उसके होंट और गाल कितने प्यारे थे! और एक दम पवित्र, जयसिंह ने कनिका के होंटो को छुआ. मक्खन जैसे मुलायम थे

जयसिंह ने आहिस्ता-आहिस्ता उसके टॉप में हाथ डाल कर उसके पेट पर रख लिया , इतना चिकना और सेक्सी पेट आज तक जयसिंह ने नही छुआ था, जयसिंह ने हाथ थोड़ा और उपर किया और उसकी अनछुई गोलाइयों की जड़ तक पहुँच गया ,उसने उसी पोज़िशन में हाथ इधर उधर हिलाया; कोई हरकत नही हुई, उसने हाथ को उसकी बाई चूची पर इस तरह से रख दिया जिससे वो पूरी तरह ढक गयी उसने उन्हे महसूस किया, एक बड़े अमरूद के आकार में उनका अहसास असीम सुखदायी था,

जयसिंह का तो जी चाहा कि उन मस्तियों को अभी अपने हाथों से निचोड़ कर उनका सारा रस निकाल ले और पीकर अमर हो जाए, पर कनिका के जागने का भी डर था ,उसने कनिका के निप्पल को छुआ, छोटे से अनार के दाने जितना था , हाए; काश! वो नंगी होती


अचानक उसने नीचे की और देखा, कनिका का स्कर्ट उसके घुटनों तक था, जयसिंह ने उसको उपर उठा दिया पर नीचे से दबा होने की वजह से वो उसकी जांघों तक ही आ पाया , जयसिंह ने कनिका को वापस अपनी तरफ पलट लिया, कनिका ने नींद में ही उसके गले में हाथ डाल लिया ,कनिका के होंट उसके गालों को छू रहे थे, 


जयसिंह ने कनिका के स्कर्ट को पिछे से भी उठा दिया, कनिका की चिकनी सफेद जाँघ और गोल कसे हुए चूतड़ देख कर जयसिंह धन्य हो गया ,उसके चूतड़ो के बीच की दरार इतनी सफाई से तराशि गयी थी कि उसमें कमी ढूंढना नामुमकिन सा था, जयसिंह कुछ पल के लिए तो सबकुछ भूल सा गया, वो एकटक उसके चूतड़ो की बनावट और रंगत को देखता रहा ,फिर उसने होले से उन पर हाथ रख दिया, एकदम ठंडे और लाजवाब! वो धीरे-धीरे उन पर हाथ फिराने लगा ,जयसिंह ने उसके चूतड़ो की दरार में उंगली फिराई; कही कोई रुकावट नही, बिल्कुल कोमल सी

जयसिंह का लंड अब तक अपना फन उठा चुका था डसने के लिए, उसने कनिका के चेहरे की और देखा, वो अपनी ही मस्ती में सो रही थी, जयसिंह ने उसको फिर से पहले वाले तरीके से सीधा लिटा दिया, उसकी टाँगें फैली हुई थी, स्कर्ट जांघों तक थी, मोक्षद्वार से थोड़ा नीचे तक, स्कर्ट उपर करते वक़्त जयसिंह के हाथ काँप रहे थे ,आज से पहले ऐसा शानदार अनुभव उसका कभी नही रहा, शायद किसी का भी ना रहा हो, स्कर्ट उपर करते ही जयसिंह के लंड को जैसे 440 वॉल्ट का झटका लगा ,जयसिंह का दिमाग़ ठनक गया, ऐसी लाजवाब चूत की लकीरें जो फूलकर कच्छी के ऊपर से ही लाजवाब शेप बना रही थी, 
नही! उसको चूत कहना ग़लत होगा. वो तो एक बंद कमल की पंखुड़ीया थी; नही नही! वो तो एक बंद सीप थी, जिसका मोती उसके अंदर ही सोया हुआ है, जयसिंह का दिल उसकी छाति से बाहर आने ही वाला था ,क्या वो मोती मेरे लिए है! जयसिंह ने सिर्फ़ उसका जिस्म देखने भर की सोची थी, लेकिन देखने के बाद वा उस मोती को पाने के लिए तड़प उठा, उस सीप की बनावट इस तरह की थी कि शेक्स्पियर को भी शायद शब्द ना मिले , उस अमूल्य खजाने को तो सिर्फ़ महसूस ही किया जा सकता है

जयसिंह ने उसकी जांघों के बीच भंवर को देखते ही उसको चोदने की ठान ली.... और वो भी आज ही....आज नही; अभी. उसने कनिका की सीप पर हाथ रख दिया पूरा! जैसे उस खजाने को दुनिया से छुपाना चाहता हो ,उसको खुद की किस्मत और इस किस्मत से मिलने वाली अमानत पर यकीन नही हो रहा था , आ। उसने हल्के से कनिका की कच्ची को उसकी चुत के ऊपर से ही साइड कर दिया, वाह क्या पल था वो उसके लिए, उससे सब्र करना अब नामुमकिन हो रहा था

अब उसने बड़े प्यार से बड़ी नजाकत से कनिका की सीप की दरार में उंगली चलाई, अचानक कनिका कसमसा उठी! अचेतन मन भी उस खास स्थान के लिए चौकस था; कही कोई लूट ना ले! जयसिंह ने अपना हाथ तुरंत हटा लिया ,कनिका के चेहरे की और देखा, वह तो सोई हुई थी, फिर से उसकी नज़र अपनी किस्मत पर टिक गयी, जयसिंह ने अपने शरीर से कनिका को इस कदर ढक लिया की उस पर बोझ भी ना पड़े और अगर वो जाग भी जाए तो उसको लगे कि पापा का हाथ नींद में ही चला गया होगा, इस तरह तैयार होकर उसने फिर कोशिश की कनिका का मोती ढूँढने की, उसकी दरार में उंगली चलाते हुए उसको वो स्थान मिल गया जहाँ उसको अपना खूटा गाढ़ना था ,ये तो बिल्कुल टाइट था, इसमें तो पेन्सिल भी शायद ना आ सके! 



जयसिंह को पता था टाइम आने पर तो इसमें से बच्चा भी निकल जाता है... पर वो उसको दर्द नही दे सकता था, बदहवास हो चुके जयसिंह ने अपनी छोटी उंगली का दबाव उसके छेद पर हल्का सा बढ़ाया; पर उस हल्के से दबाव ने ही कनिका को सचेत सा कर दिया ,कनिका का हाथ एकदम उसी स्थान पर आकर रुका और वो वहाँ खुजलाने लगी ,फिर अचानक वो पलटी और जयसिंह के साथ चिपक गयी जयसिंह समझ गया 'असंभव है' ऐसे तो बिल्कुल कुछ नही हो सकता मायूस होकर उसने कनिका का स्कर्ट नीचे कर दिया और उसके साथ उपर से नीचे तक चिपक कर सो गया


पर जयसिंह अभी तक इस बात से अनभिज्ञ था कि जिस कनिका को वो अब तक सोई समझकर ये सब हरकते कर रहा था दरअसल ये सब खजरफत उसी के शैतानी दिमाग की थी, उसे पता था कि इस तरह अपने पापा से चिपट कर सोने से उसके पापा खुद को कंट्रोल नही कर पाएंगे और जरूर कुछ न कुछ करेंगे, वो बस आंखे मुंदे इंतेज़ार कर रही थी, और जब जयसिंह का हाथ उसके कच्चे बदन पर गिरने लगा तो उसे अपने मकसद में कामयाबी हासिल होती नजर आने लगी थी

लर ये क्या जयसिंह तो सब हथियार डालकर दोबारा सो गया, अब वो क्या करे, कनिका को कुछ समझते नही बन रहा था, वो बड़ी असमंजस में थी, मन तो करता कि जिस तरह उसके पापा ने उसके बदन पर हाथ फिराकर उसकी चुत को गर्म कर दिया और उसकी चुत से टसुए बहा दिए, वो भी उसका बदला ले, उनके पंत को खोलकर उस फ़ंनफ़नाते लंड को अपने मुंह मे गुप्प से ले ले, इसे जी भरकर चूसे चाटे, और उसे अपने चुत के छोटे से तंग छेद में लेकर आज की रात लड़की से औरत बन जाये, पर शर्म और डर का एक पहरा भी तो था, जो हिम्मत उसके पापा ने दिखाई वो कैसे दिखाए, वो भी जब कि उसके पापा अभी सोये नही, उसे कुछ समझ नही आ रहा था, मन मे उथल पुथल और चुत में घमासान मचा था

आखिर में उसने जयसिंह वाली तरकीब ही इस्तेमाल करने की सोची, यानी वो भी जयसिंह के सोने के बाद उनके लंड को अपने मुंह मे लेगी , उसे प्यार करेगी, जी भर के

ये सब सोचकर ही उसकी चुत से पानी की हल्की सी बून्द बहकर उसकी गोरी चिकनी जांघो पर लकीर सी खींचने लगी, उसे बस अब इंतेज़ार करना था, पर ये इंतेज़ार तो बड़ा मुश्किल था, हर पल एक एक बरस के समान गुज़र रहा था, कनिका से समय कटे नही कट रहा था

रात के तकरीबन 1 बजने वाले थे, चारो तरफ घनघोर अंधेरा छाया था, रह रहकर कुत्तों के भोंकने की आवाज़े सुनाई पड़ती थी, मालूम होता जैसे यहां सदियों से कोई रहता ना हो, ऐसे में कनिका को अपने धड़कते दिल की आवाज़ बड़ी साफ साफ सुनाई दे रही थी, उसे लगने लगा था कि शायद अब समय आ गया है, उसके हाथ पांव फूलने लगे थे, उसे समझ आ गया था कि जितना उसने सोचा उता आसान काम नही होने वाला

फिर भी उसने हिम्मत ना हारी, पूरी ताकत लगाकर अपने गले से हल्की सी आवाज़ निकली " पापाआआआ...... सो गए क्या" 
पर जयसिंह तो सचमुच सो चुका था, इसलिए उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नही आई, कनिका ने दोबारा एक बार आवाज़ दी पर इस बार भी कोई प्रतिक्रिया नही
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09-21-2018, 01:59 PM,
#62
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
कनिका को विश्वास हो चला था कि उसके पापा अब सचमुच सो गए है, अब उसे अपने मैन मिशन को पूरा करना था, 

उसके कांपते हाथ धीरे धीरे जयसिंह के लोअर की तरफ बढ़ने लगे, उसे लग रहा था जैसे वो जयसिंह से कोसो दूर है तभी उसके हाथों को वहां तक पहुंचने में इतना समय लग रहा है, पर आखिर कर उसके हाथ जयसिंह के लोअर के ठीक ऊपर आ पहुंचे थे, मनिका ने लोअर के ऊपर से ही जयसिंह के लंड वाली जगह को टटोला तो उसे जयसिंह का अर्धसोया लंड अपनी हथेलियों में महसूस होने लगा, उसकी उत्तेजना अब पल पल बढ़ती जा रही थी, उसे लगने लगा था कि अगर उसने जल्दी नही की तो कही उसका इरादा बदल न जाये, ओर ये सोचते ही ना जाने उसमे कहा से इतनी हिम्मत आ गयी कज उसमे पलक झपकते ही जयसिंग के लोअर के इलास्टिक को पकड़ा और झटपट नीचे कर दिया, जयसिंग की एक आदत थी, वो सोते समय अंडर वियर कम ही पहनता था, और आज भी उसने अंडर वियर नही पहनी थी, कनिका को लगा था कि अभी उसे दूसरी बाधा यानी जयसिंग की अंडर वियर को पर करना है पर उसे क्या पता था कि उसकी किस्मत आज उस पर बड़ी मेहरबान है, 
जैसे ही उसने लोअर को खींचकर थोड़ा नीचे किया, जयसिंग का लंड पूरी तरह से नंगा उसकी आँखों के सामने आ गया, हालांकि वो उसे देख नही पा रही थी पर उसकी कल्पना मात्र से ही कनिका के बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी


अब कनिका के हाथ धीरे धीरे अपनी अंतिम मंजिल की ओर बढ़ने लगे और जल्द ही उसने अपनई नरम हथेलियों को जयसिंग के अर्धसोये लंड से मिलाप करवा दिया, कनिका जयसिंग के लंड को अपने हाथों में महसूस कर गनगना उठी, उसे भरोसा ही नही हो रहा था की आखिर उसने अपने पापा के लंड को छू लिया था, 

वो धीरे धीरे अपनी कोमल हथेलियों से लंड के चारो ओर फंदा से बनाकर उसे होले होले ऊपर नीचे करने लगी, थोड़ी देर में ही उसकी मेहनत का असर नज़र आने लगा, जयसिंग के लंड ने अपना आकार बढ़ाना शुरू कर दिया था, पर कनिका इतने में खुश नही थी, उसे तो पुरा टाने हुआ लंड चाहिए था , इसलिए वो हल्के से उठी और पल भर के ही उसने अपने होठों को जयसिह के लन्द के सुपडे से छुआ दिया, 

कनिका का बदन बुरी तरह से गरमा चुका था, उसके होठों की तपन से जयसिह के लंड में हलचल होनी शुरू हो गयी, कनिका ने अब आने वाले वक्त को किस्मत के भरोसे छोड़ दिया और उसने लपककर जयसिंह के लंड को जितना हो सके अपने मुंह मे ले लिया, अब तो जैसे अपने होश खो चुकी थी, उसे परिणाम की परवाह न थी, वो तो अब मज़े से जयसिंह के लंड को जोर जोर से चूस रही थी
इस तरह लंड पर गर्म अहसास से जयसिंह नींद में ही कसमसाने लगा, उसकी नींद अब हल्की हल्की टूटने लगी थी, उसका लंड अब लोहे की रॉड की तरह सख्त हो चुका था, इधर कनिका बेपरवाह होकर लंड चुसाई में तल्लीनता से लगी थी, पर तभी अचानक उसे अपने बालों पर किसी के हाथों का अहसास हुआ, वो घबरा गई, उसने अपना चेहरा ऊपर उठाना चाहा पर उन हाथों ने अपना ज़ोर लगाकर दोबारा कनिका को लंड चूसने पर मजबूर कर दिया

अब कनिका समझ चुकी थी कि उसके पापा जग चुके है और अब वो भी इस सब का मज़ा ले रहे है, कनिका को अपने प्लान की कामयाबी पर बड़ी खुश हुई, वो और ज़ोर लगाकर जयसिंग का लंड चूसने लगी, इधर जयसिंह भी कनिका के चेहरे को संचालित कर रहा था

लगभग 5 मिनट तक कनिका ने जमकर जयसिंह का लंड चूसा, जयसिंह को अपने आप पर बड़ा गर्व महसूस हो रहा था, अब जयसिंह ने कनिका के चेहरे को ऊपर उठाया और फिर कनिका की अपनी बाहों में भर लिया


जयसिंह - कनिका मैं कब से तुम्हारी प्यारी सी फुद्दि के लिए तरस रहा था बेटी

कनिका: (अपने होंठो को जयसिंह के होंठो के तरफ बढ़ाते हुए) सच….पापा.... .कनिका ने जयसिंह की आँखो में झाँकते हुए कहा, और फिर अपने होंठो को जयसिंह के होंठो से लगा दिया

कनिका की ये बात सुनते ही, जयसिंह ने टीशर्ट के ऊपर से ही कनिका की चुचि को मसल दिया…कनिका तो जैसे पागल हो गई….उसने पागलो की तरह जयसिंह के होंठो को चूसना शुरू कर दिया…जयसिंह भी उसके होंठो पर टूट पड़ा….दोनो के होंठो में मानो जैसे कोई जंग छिड़ गई हो…

दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे…कनिका के मुँह से उंह उंह की आवाज़ें आ रही थी…जब दोनो का साँस लेना मुस्किल हो गया था, तो कनिका ने अपने होंठो को जयसिंह के होंठो से अलग किया…और फिर अपनी अधखुली नशीली आँखों से जयसिंह की आँखो में झाँकते हुए बोली..

कनिका - वाह पापाआआआ.... आप तो एक्सपर्ट हो पूरे

जयसिंह - वो तो मैं हूँ

कनिका अब कोई बात करके समय नही गवाना चाहती थी….वो फिर से जयसिंह के होंठो को चूसने लगी. इस बार उसने कुछ देर जयसिंह होंठो को चूसने के बाद, अपने होंठो को अलग कर दिया….और जयसिंह के सर को अपनी गर्दन पर झुकाते हुए बोली.

कनिका: पापा मुझे प्यार करो ना…मुझे किस करो. मेरे बदन के हर हिस्से को चुमो, चाटो….खा जाओ मुझे….

जयसिंह जैसे ही कनिका के ऊपर आया…कनिका ने अपनी टाँगे खोल ली, जिससे जयसिंह की टाँगें उसकी जाँघो के दरमियाँ आ गई…और उसका तना हुआ लंड उसके लोअर में से कनिका की स्कर्ट के ऊपर से उसकी चूत से जा टकराया..

"आह पापाआआआ उंह “ कनिका अपनी स्कर्ट के ऊपर से ही जयसिंह के लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए सिसक उठी….

उसने अपनी टाँगो को कैंची की तरह जयसिंह की कमर पर लपेट लिया…जयसिंग ने भी उसके मम्मो को मसलते हुए अपने होंठो को उसकी सुरहीदार गर्दन पर लगा दिया….और उसके गर्दन को चाटने लगा…..कनिका मस्ती में फिर से सिसक उठी, उसने जयसिंह के सर के इर्द गिर्द घेरा बना कर उससे अपने से और चिपका लिया….

कनिका- ओह्ह्ह पापा हां खा जा मुझे आज पूरा का पूरा आहह…सीईइ पापा आज मेरी आग को बुझा दो पापाआआआ प्लीज़….

जयसिंह भी अब पूरी तरह मस्त होकर उसकी चुचियों को मसलते हुए, उसके गर्दन को चूम रहा था….और कनिका उसके सर को सहला रही थी…और बार बार अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा कर अपनी चूत को स्कर्ट के ऊपर से ही, जयसिंह के लंड पर दबा रही थी….

"ओह्ह्ह पापा आहह और ज़ोर से दबाओ ना मेरे मम्मे अह्ह्ह अह्ह्ह्ह…" मनिका सिसकी

फिर जयसिंह उसकी गर्दन को चूमता हुआ नीचे की ओर आने लगा….और उसके टीशर्ट से बाहर झाँक रहे मम्मो के ऊपरी हिस्से को अपने होंठो में भर कर चूसने के कोशिश करने लगा…

"आह हां चुस्ससो अह्ह्ह्ह पापा आह” ये कहते हुए, कनिका ने अपने हाथो को जयसिंह के सर से हटाया, और फिर अपने दोनो हाथों को नीचे ले जाकार अपनी टीशर्ट को पकड़ कर ऊपर करने लगी….ये देख जयसिंह जो कि अपना सारा वजन कनिका के ऊपर डाले लेटा हुआ था, वो अपने घुटनो के बल कनिका के जाँघो के बीच में बैठ गया….


कनिका ने अपनी टीशर्ट को पकड़ कर ऊपर करते हुए उतार दिया….और फिर बेड पर बैठते हुए अपनी ब्रा के हुक्स खोल कर उसे भी जिस्म से अलग कर दिया….ब्रा को अपने बदन से अलग करने के बाद, उसने जयसिंह की ओर देखा, जो उसकी छोटी छतों अधपकी चुचियों को खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था.

" ये आपको बहुत पसन्द है ना ?" कनिका ने मुस्कुराते हुए जयसिंह की ओर देखकर कहा, जयसिंह ने भी हां में सर हिला दिया

जयसिंह का लंड अब पूरी तरह तन गया था…जो अब सीधा कनिका की चूत की फांको के ठीक ऊपर था…..

कनिका ने फिर से उन्हे बाहों में भरते हुए, उनके सर को अपनी चुचियों पर दबा दिया…

"आह पापा चूसो ईससी अहह” जयसिंह भी पागलो की तरह कनिका की चुचियों पर टूट पड़ा….और उसकी एक चुचि को मुँह में भर कर उसके अंगूर के दाने के साइज़ के निप्पल को अपनी ज़ुबान से दबा -2 कर चूसने लगा…. कनिका ने उसके सर को फिर से सहलाना शुरू कर दिया…..

कनिका: आह चुस्स्स्स लो आह पापा खा जा मेरे मम्मो को अहह उंह सीईईईई आह हाईए मा ओह हां चुस्स्स्स्स पापा और ज़ोर ज़ोर सी से चूसो

कनिका की आवाज़ में अब मदहोशी साफ झलक रही थी….उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था…उसके गाल लाल होकर दिखने लगे…फिर कनिका को अपनी चूत की फांको पर जयसिंह के लंड का गरम सुपडा रगड़ ख़ाता हुआ महसूस हुआ. कनिका एक दम से सिसक उठी, उसने जयसिंह के सर को दोनो हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया, उसका निपल खींचता हुआ जयसिंह के मुँह से पक की आवाज़ से बाहर आ गया….

कनिका: (मस्ती में सिसकते हुए) हाय कितने जालिम हो आप….

कनिका की आँखें अब वासना के नशे में डूबती हुई बंद हुई जा रही थी, उसने अपनी नशीली अध खुली आँखों से एक बार जयसिंह की तरफ देखा, फिर उसके होंठो से अपने होंठ सटा दिए, जयसिंह ने भी कनिका के नीचे वाले होंठ को अपने होंठो में दबा-2 कर चूसना शुरू कर दिया….

"उंह अहह उंघह" कनिका घुटि आवाज़ में सिसक रही थी….

उसने अपना एक हाथ नीचे लेजाकार जयसिंह के लंड पर रखा, और उसे अपनी मुट्ठी में भर लिया, जयसिंह के बदन में तेज सरसराहट दौड़ गई, कनिका ने अपने होंठो को जयसिंह के होंठो से अलग किया और अपनी टाँगो को फेला कर घुटनो से मोड़ कर ऊपर उठा लिया, जयसिंह तो जैसे इस पल का इंतजार में था….वो अपने घुटनो के बल कनिका की जाँघो के बीच में आ गया, जैसे ही उसकी नज़र कनिका की फूली हुई चूत पर पड़ी, उसका लंड फिर से झटके खाने लगा, जो उस वक़्त कनिका के हाथ में था, कनिका जयसिंह के लंड की फुलति नसों को अपने हाथ में सॉफ महसूस कर रही थी…..

उसने जयसिंह के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर दबाया, तो जयसिंह के लंड का सुपडा उसकी चूत की फांको को फेलाता हुआ, छेद पर जा लगा, कनिका की कुँवारी चूत की फाँकें जयसिंह के लंड के सुपाडे के चारो तरफ फैेलाते हुए कस गई, अपनी चूत के छेद पर जयसिंह के लंड का गरम सुपडा महसूस करते ही उसके बदन में मानो हज़ारो वॉट की बिजली कोंध गई हो, उसका पूरा बदन थरथरा गया….
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09-21-2018, 01:59 PM,
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RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
उसने जयसिंह के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर दबाया, तो जयसिंह के लंड का सुपडा उसकी चूत की फांको को फेलाता हुआ, छेद पर जा लगा, कनिका की कुँवारी चूत की फाँकें जयसिंह के लंड के सुपाडे के चारो तरफ फैेलाते हुए कस गई, अपनी चूत के छेद पर जयसिंह के लंड का गरम सुपडा महसूस करते ही उसके बदन में मानो हज़ारो वॉट की बिजली कोंध गई हो, उसका पूरा बदन थरथरा गया….

कनिका की चूत उसकी चूत से निकल रहे कामरस से एक दम गीली हो चुकी थी, कनिका ने अपनी आँखो को बड़ी मुस्किल से खोल कर जयसिंह की तरफ देखा, और फिर काँपती आवाज़ में बोली…

कनिका: पापा धीरे-धीरे ही अंदर करना, मैं ये सब पहली बार कर रही हूँ, इसलिए मुझे दर्द होगा, पर आप चिंता मत करना , चाहे मुझे कितना भी दर्द हो, आप अपना लंड मेरी फुद्दि में पूरा घुसाना

अब जयसिंह ने धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को कनिका की चूत के छेद पर दोबारा दबाना शुरू किया, जैसे ही उसके लंड का सुपडा कनिका की गीली चूत के छेद में थोड़ा सा घुसा, कनिका एक दम सिसक उठी, जयसिंह के लंड का सुपाडा कनिका की चूत की सील पर जाकर अटक गया, जयसिंह भी इस रुकावट को सॉफ महसूस कर पा रहा था….

कनिका की चूत की झिल्ली, जयसिंह के लंड के सुपाड़े से बुरी तरह अंदर को खिच गई, जिसके कारण कनिका के बदन में दर्द की एक तेज लहर दौड़ गई, उसके चेहरे पर उसके दर्द का साफ पता चल रहा था

जयसिंह: क्या हुआ बेटी ? ज्यादा दर्द हो रहा है क्या ?

कनिका: आहह हां पापा…दर्द हो रहा है…..


जयसिंह: बाहर निकाल लूँ…..

कनिका: नही पापा बाहर मत निकालना….ये दर्द तो हर लड़की को जिंदगी में एक ना एक बार तो सहन करना ही पड़ता है….पापा आप बस ज़ोर से घस्सा मारो….और एक ही बार मे मेरी फुद्दी फाड़ दो

जयसिंह: अगर तुम्हे दर्द हुआ तो ?

कनिका: मैं सह लूँगी……आप मारो न धक्का

जयसिंह ने अपनी पूरी ताक़त अपनी गान्ड में जमा की, और अपने आप को अगला शाट मारने के लिए तैयार करने लगा, कनिका ने अपने दोनो हाथों से जयसिंह के बाजुओं को कस के पकड़ लिया, और अपनी टाँगों को पूरा फैला लिया..

कनिका - पापा…पापा फाड़ दो अब…..

जयसिंह ने कुछ पलो के लिए कनिका के चेहरे की तरफ देखा, जो अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी हुई थी, उसने अपने होंठो को दांतो में दबा रखा था. जैसे वो अपने आप को उस दर्द के लिए तैयार कर रही हो, उसके माथे पर पसीने के बूंदे उभर आई थी, जयसिंह ने एक गहरी साँस ली, और फिर अपनी पूरी ताक़त के साथ एक ज़ोर दार धक्का मारा



जयसिंह के लंड का सुपाडा कनिका की चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया, जयसिंह का आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार मे अंदर जा चुका था…

" हाए मम्मी मर गई हाईए अहह पापाआआआ बहुत दर्द हो रहा है….” कनिका छटपटाते हुए, अपने सर को इधर उधर पटक रही थी, उसे अपनी चूत में दर्द की तेज लहर दौड़ती हुई महसूस हो रही थी….

कनिका के इस तरह से दर्द के कारण बिलबिलाने से जयसिंह भी घबरा गया, उसने कनिका की ओर देखा, उसकी बंद आँखो से आँसू बह कर उसके गालो पर आ रहे थे

"बेटी मैं बाहर निकाल लेता हूँ" जयसिंह ने कनिका की ओर देखते हुए कहा….

कनिका: (अपनी आँखो को खोलते हुए) नही नही पापा बाहर मत निकालना…पूरा अंदर कर दो….मेरी फिकर मत करो…..

जयसिंह: पर बेटी…

कनिका: मैंने कहा ना मेरी परवाह मत करो….आप अपना लंड पूरा मेरी फुद्दि में डाल दो…..

जयसिंह ने अपने लंड की तरफ देखा, जो कनिका की टाइट चूत के छेद में घुस कर फँसा हुआ था, और फिर उसने एक बार फिर से पूरी ताक़त के साथ झटका मारा, इस बार उसके लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारो को फैलाता हुआ पूरा का पूरा अंदर जा घुसा



"उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ…योर डिक पापा…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो बिग…पापा…….." कनिका ने दर्द से छटपटाते हुए अपने हाथों से जयसिंह के बाजुओ को इतनी कस के पकड़ा कि उसके नाख़ून जयसिंह के बाजुओ में गढ़ने लगे, जयसिंह को अपने लंड के इर्द गिर्द कनिका की टाइट चूत की दीवारे कसी हुई महसूस हो रही थी, उसके लंड में तेज गुदगुदी सी होने लगी, 

दोनो थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहे, जयसिंह अब धक्के लगाने को उतावला हो रहा था, पर कनिका ने उसकी कमर में अपनी टाँगो को लपेट रखा था, जिसकी वजह से जयसिंह हिल भी नही पा रहा था, कुछ लम्हे दोनो यूँ ही लेटे रहे, फिर धीरे-धीरे कनिका का दर्द कुछ कम होने लगा, और उसे अपनी चूत में अजीब सी सरसराहट होने लगी, अब उसे मज़ा आने लगा था, और उसने अपनी टाँगो को जो कि उसने जयसिंह की कमर पर कस रखी थी, को ढीला कर दिया, जैसे ही जयसिंह की कमर पर कनिका की टाँगों की पकड़ ढीली हुई, जयसिंह ने अपना आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में कनिका की चूत से बाहर खींचा, और फिर से एक झटके के साथ कनिका की चूत में पेल दिया, 
धक्का इतना जबरदस्त था कि कनिका का पूरा बदन हिल गया

"आह शीईइ पापा उंह धीरे उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽ" कनिका ने फिर से अपने पैरो को जयसिंह के चुतड़ों के ऊपर रख कर उसे अपनी तरफ दबा लिया

जब उसे अपनी चूत की दीवार पर जयसिंह के लंड के सुपाडे की रगड़ महसूस हुई तो वो एक दम से मस्त हो गई, फिर थोड़ी देर रुकने के बाद कनिका ने जयसिंह को धीरे से कहा

"पापा अब धीरे से बाहर निकालो…मुझे कुछ देखना है" ये कहते हुए उसने फिर से अपने पैरो की पकड़ ढीली की और जयसिंह ने घुटनो के बल बैठते हुए धीरे-2 अपने लंड को बाहर निकालना शुरू किया, फिर से वही मज़े की लहर कनिका के रोम-रोम में दौड़ गई, उसे जयसिंह के लंड का सुपाडा अपनी चूत के दीवारो पर रगड़ ख़ाता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था

"ओह्ह पापा मेरी फुद्दि आह आह बहुत मज़ा आ रहा है..ओह्ह उम्ह्ह." कनिका बोली

जयसिंह ने जैसे ही अपना लंड कनिका की चूत से बाहर निकाला, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गई, उसका लंड खून और कनिका के चूत से निकल रहे कामरस से सना हुआ था

मनिका ने अपने पास रखे एक कपड़े को अपनी चूत पर दबा दिया…ताकि उसमे से खून निकल कर, बेड शीट पर ना गिरे…..


फिर उसने अपनी चूत को उस कपड़े से रगड़ कर साफ किया, और फिर जयसिंह की तरफ देखा, जो हैरत से उसकी तरफ देख रहा था

कनिका: क्या हुआ पापा आप ऐसे क्या देख रहे हो ?

जयसिंह: बेटी तुम तो काफी समझदार हो

"हाँ जानती हूँ" कनिका खिलखिलाकर बोली

फिर कनिका उठ कर बैठी और जयसिंह के लंड को हाथ में लेकर उसे कपड़े से अच्छे से साफ किया, फिर उस कपड़े को साइड में रखते हुए, बेड पर लेट गई , कनिका ने अपनी बाहों को खोल कर जयसिंह को आने का इशारा किया

जयसिंह उसके ऊपर झुक गया, कनिका ने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके आँखो में झाँकते हुए बोली "आइ लव यू पापा" और फिर दोनो के होंठ फिर से आपस में गुथम गुत्था हो गए, फिर से वही उम्ह्ह आहह उन्घ्ह की आवाज़े उनके मुँह से आने लगी

जयसिंह का लंड अब उसकी चूत की फांको पर रगड़ खा रहा था, जयसिंह भी मस्ती में उसके होंठो को चूस्ता हुआ उसके निपल्स को अपनी उंगलियों से भिचते हुए उसकी चुचियों को दबा रहा था, कनिका की चूत में कुलबुली सी होने लगी, वो नीचे से अपनी गान्ड को हिलाते हुए जयसिंह के लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने की कोशिश कर रही थी

थोड़ी देर के बाद अचानक से जयसिंह के लंड का सुपाडा कनिका की चूत के छेद पर अपने आप जा लगा, कनिका का पूरा बदन एक दम से थरथरा गया, उसने अपने होंठो को जयसिंह के होंठो से अलग किया और फिर जयसिंह की आँखो में देखते हुए मुस्कुराने लगी,फिर उसने अपने आँखे शरमा कर बंद कर ली, उसके होंठो पर मुस्कान फेली हुई थी….

जयसिंह ने भी बिना देर किए, धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को कनिका की चूत के छेद पर दबाना शुरू कर दिया….

"उंह पापा सीईईईई अहह बहुत माजा आ रहा है….." कनिका बोली

जयसिंह के लंड का सुपाडा कनिका की चूत के छेद और दीवारो को फेलाकर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बढ़ने लगा, कनिका के बदन में मस्ती के लहरे उमड़ रही थी, उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था, उसकी चूत की दीवारे जयसिंह के लंड को अपने अंदर कस कर निचोड़ रही थी


धीरे-2 जयसिंह का पूरा लंड कनिका की चूत में समा गया, कनिका ने सिसकते हुए जयसिंह को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी टी-शर्ट ऊपर उठा कर उसकी पीठ को अपने हाथो से सहलाने लगी

"आह पापा करो ना उंह आ सीईईई आह पापा मुझे बहुत मज़ा आ रहा है….”

जयसिंह ने कनिका के फेस को अपनी तरफ घुमाया, और फिर अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया, कनिका ने अपने होंठो को खोल दिया, जयसिंह ने थोड़ी देर कनिका के होंठो को चूसा, और फिर अपने होंठो को हटाते हुए, उसकी जाँघो के बीच में घुटनो के बल बैठते हुए, अपनी पोज़िशन सेट की, और अपने लंड को धीरे-2 आगे पीछे करने लगा


जयसिंह के लंड के सुपाडे को कनिका अपनी चूत की दीवारो पर महसूस करके एक दम मस्त हो गई, और अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी पहली चुदाई का मज़ा लेने लगी

"अह्ह्ह्ह पापा हाईए मेरे फुद्दि आह मारो और ज़ोर से मार आह फाड़ दो अह्ह्ह्ह ऑश”

धीरे-2 जयसिंह अपने धक्कों की रफतार को बढ़ाने लगा, पूरे रूम में कनिका की सिसकारियो और बेड के हिलने से चर-2 की आवाज़ गूंजने लगी, कनिका पूरी तरह मस्त हो चुकी थी, कनिका की चूत उसके काम रस से भीग चुकी थी, जिससे जयसिंह का लंड चिकना होकर कनिका की चूत के अंदर बाहर होने लगा था, कनिका भी अपनी गान्ड को धीरे-2 ऊपर की ओर उछाल कर चुदवा रही थी….

"हाई ओईए अहह मेरी फुद्दि अह्ह्ह्ह पापा बहुत मज़ा आ रहा है.आह चोदो मुझे अह्ह्ह्ह और तेज करो सही…मैं झड़ने वाली हूँ आह उहह उहह उंघह ह पापा ममैं गाईए अहह…." कनिका धीरे धीरे आहे भर रही थी

जयसिंह के जबरदस्त धक्को ने कुछ ही मिनट में कनिका की चूत को पानी -2 कर दिया था, उसका पूरा बदन रह-2 कर झटके खा रहा था, जयसिंह अभी भी लगातार अपने लंड को बाहर निकाल-2 कर कनिका की चूत में पेल रहा था, कनिका झड़ने के बाद एक दम मस्त हो गई थी, उसकी चूत से इतना पानी निकाला था कि, जयसिंह का लंड पूरा गीला हो गया था

अब कनिका अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी थी,और लंबी -2 साँसे ले रही थी, कनिका ने अपनी आँखें खोल कर जयसिंह की तरफ देखा, जो पसीने से तरबतर हो चुका था, और अभी भी तेज़ी से धक्के लगा रहा था,अब रूम में सिर्फ़ बेड के चर्मार्ने से चू-2 की आवाज़ आ रही थी….जैसे -2 जयसिंह झटके मारता, बेड हिलता हुआ हल्की हल्की चू-2 की आवाज़ करता, कनिका बेड के हिलने की आवाज़ सुन कर शरमा गई, और अपने फेस को साइड में घुमा कर मुस्कराने लगी…

जयसिंह: (अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए) क्या हुआ…?

कनिका: (मुस्कुराते हुए) कुछ नही…..

जयसिंह: फिर मेरी तरफ देखो ना…

कनिका: नही मुझे शरम आती है…..
जयसिंह ने अपने दोनो हाथों से कनिका के चेहरे को अपनी तरफ घुमाया, पर कनिका ने पहले ही अपनी आँखे बंद कर ली, उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान फेली हुई थी, जयसिंह ने कनिका के होंठो को अपने होंठो में लेकर चुसते हुए अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और फिर कुछ ही पलो में उसके लड में तेज सुरसुरी हुई, उसका लंड कनिका की चूत में झटके खाने लगा, और फिर वो कनिका के ऊपर निढाल हो कर गिर पडा, कनिका और जयसिंह दोनों एक साथ झड़ कर शांत हो चुके थे, ओर फिर गहरी नींद में सो गए
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09-21-2018, 02:00 PM,
#64
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
रात को दोनों बाप बेटी अपनी इच्छाओं से तृप्त हो सम्पूर्ण संतुष्टि से नींद के आगोश में चले गए थे, जयसिंग के लिए तो ये किसी सपने के सच होने जैसा था, कहाँ तो कुछ दिन पहले वो सिर्फ और सिर्फ मनिका के बारे में ही सोच पाता था, और अब तो उसके हाथ मे मनिका और कनिका के रूप में दो बेशकीमती खजाने थे जो खुद उस पर लूटने को तैयार पड़े थे, जयसिंग को अपनी किस्मत पर बड़ा गर्व महसूस हो रहा था, मनिका और कनिका को वो जब चाहे चोद सकता था, पर अब उसकी इच्छा थोड़ी और बढ़ गयी थी, उसके मन मे दोनों को एक साथ चोदन कि इच्छा घर करने लगी थी, पर उसे ये भी पता था कि ये बहुत मुश्किल है, वो रात भर इसी उधेड़बुन में लगा था और हारकर सो गया था,

सुबह के लगभग 5.30 बजने वाले थे, दरवाज़े पर खटपट की हल्की सी आवाज़ सुनकर जयसिंह की नींद टूटी गयी, उसे पता था कि इस समय मधु ही हो सकती है, इसलिए वो उठकर दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगा पर तभी कुछ सोचकर उसके कदम एकाएक वही रुक गए, उसके हाथ पांव फूलने लगे, क्योंकि दरवाज़ा खोलने के चक्कर मे वो भूल गया था कि वो तो बिल्कुल नंगा था और तो और कनिका भी बिल्कुल नंगी मस्त नींद की गहराइयों में डूबी पड़ी थी, उनका बिस्तर सुहागरात के बाद पड़े बिस्तर की तरह उथल पुथल था, जयसिंह के कदम वही के वही ठिठक गए, 


उसके होश फाख्ता होने लगे, पर उसने कोशिश करके अपने आपको सम्भाला ओर तुरंत ज़मीन पर पड़े अपने पजामें को अपने पैरों में फंसाया, साथ ही ऊपर से टीशर्ट भी डाल ली, 

फिर जयसिंह ने बिस्तर पर बेसुध लेटी कनिका के नंगे बदन को पास पड़ी चद्दर से ढक दिया

अब जयसिंह दरवाज़ा खोलने के लिए आगे बढ़ा पर ज्यों ही उसने दरवाज़ा खोला उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, सामने उसकी प्यारी सी बेटी मनिका नाईट ड्रेस में खड़ी थी, मनिका को इस समय वहां देखकर जयसिंह के आश्चर्य का ठिकाना ही न रहा और साथ ही साथ उसके मन मे एक अजीब सा डर भी बैठ गया

"अगर मनिका ने कनिका को इस हालत में देख लिया तो, नही नही मैं उसे नही देखने दूंगा, पर अगर इसे शक हो गया तो, कहीं बनी बनाई बात बिगड़ न जाये, कहि मनिका मुझसे चुदवाना बन्द न कर दे, कितनी मेहनत के बाद ये मेरे हाथ आयी है, मैं इसे ऐसे ही नही जाने दे सकता , मैं मनिका की प्यारी सी चुत को अपने हाथों से नही जाने दूंगा" जयसिंग इन्ही ख्यालो में खोया था कि उसके कानो में मनिका की मधुर आवाज खनकने लगी

"कहाँ खो गए पापा, मुझे अंदर लीजिये ना" मनिका को जयसिंह को हिलाते हुए बोली

"ओह आई एम सॉरी बेटा, वो मेरा ध्यान कहीं ओर था" जयसिंह ने बोलते हुए मनिका को कमरे के अंदर ले लिया
"पर तुम इस समय यहाँ क्या कर रही हो, ओर इतनी जल्दी कैसे उठ गई" जयसिंह ने अंदर घुसते ही मनीका पर अपना सवाल दागा

"अरे पापा मैं तो बस यूं ही उठ गई, वैसे भी कल रात आपके बगैर मुझे नींद ही कहाँ आयी , इसलिए आंखे खुल गयी जल्दी, और उठते ही बस आपसे मिलने की इच्छा हुई, सो यहां आ गई" मनिका ने एक सांस में सब कुछ कह दिया

दरअसल मनिका की चुत रात से ही जयसिंह के लंड के लिए कुलबुला रही थी, और जब सुबह उसकी आंखें खुल गयी तो उसे अब ओर बर्दास्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था, इसलिए किसी के भी उठने से पहले ही वो 5.30 बजे ही जयसिंह के कमरे की तरफ चल पड़ी, बाकी घरवाले वैसे भी 6 बजे के बाद ही उठते थे

मनिका की बात सुनकर जयसिंह को उस पर प्यार आ गया, उसे तो यकीन ही नही हो रहा था कि जो मनिका कुछ दिनों पहले उसकी शक्ल भी देखना नही चाहती थी वो आज उसके लिए इतनी तड़प रही है, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई, 

जयसिंह के लंड में अब हल्का सा तनाव आना शुरू हो गया था, अब उसने वक्त गंवाना बिल्कुल भी उचित नही समझा और बिना किसी चेतावनी के सीधे दरवाज़े के पास ही खड़ी मनिका के होंठो पर हमला कर दिया

इस अचानक हमले से मनिका सम्भल नही पायी और नीचे की तरफ गिरने को हुई पर जयसिंह ने अपने हाथ मनिका की गांड पर सटाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया और फिर जोर जोर से उसके होंठ चूसने लगा, मनीका भी अब पूरे जोश में आ गयी थी, उसने भी अब जयसिंह के हमले का जवाब देना शुरू कर दिया और भर भरकर अपने गुलाबी होठो से जयसिंग के होठो को चूमने लगी


धीरे धीरे उनका ये चुम्बन और ज्यादा गहराता जा रहा था, मनिका तो सुध बुध खोकर इस चुम्बन का मजा लेने में डूबी थी, पर जयसिंह को ये पता था कि उनके पास ज्यादा से ज्यादा 20 या 25 मिनट है, इतने समय मे वो कनिका के रहते मनीका को चोद तो नही सकता, पर उससे अपना लंड तो चुसवा ही सकता है, ये सोचते ही उसके लंड ने एक जोरदार तुनकी मारी

जयसिंग ने तुरंत मनिका के एक हाथ को पकड़कर अपने फ़ंफ़नाते लंड पर रख दिया, मनिका भी किसी समझदार शिष्य की भांति उसके लंड को पाजामे के ऊपर से ही मसलने लगी , जयसिंह और मनिका की हवस अब सारी सीमा लांघने को तैयार ओर बेकरार थी, परन्तु जयसिंह को कनिका का भी थोड़ा ध्यान रखना जरूरी था

इधर मनिका धीरे धीरे जयसिंह के पाजामे को नीचे खिसकाने लगी, उसे ये देखकर और भी ज्यादा खुसी हुई कि जयसिंह ने पाजामे के नीचे कुछ नही पहना था क्योंकि वो खुद भी सिर्फ अपना लोअर ही पहन कर आई थी और अपनी कच्छी पहले ही कमरे में उतार आयी थी, अब मनिका ने जयसिंह के लंड को अपने कोमल हाथों से पकड़ लिया, जयसिंह तो मनिका के स्पर्श मात्र से ही और भी ज्यादा उत्तेजित हो उठा,

मनिका को जयसिंह के लंड पर कुछ लगा हुआ महसूस हुआ पर उसने ज्यादा ध्यान न देते हुए उसके लंड को सहलाना जारी रखा
अब मनिका ने जयसिंह के लंड को थाम दुसरे हाथ से उसके सुपाडे को बहुत कोमलता से सहलाया , 
“आआह्ह्ह्ह... मनिका" जयसिंह के मुंह से एक हल्की सिसकारी निकल गयी

मनिका ने एक बार लंड की त्वचा को देखा और फिर जयसिंह के चेहरे की तरफ देखते हुए नीचे झुककर अपने नर्म मुलायम होंठ उसके खड़े लंड के सुपाडे पर रख दिए

“उंहहहहह्ह्ह्हह” जयसिंह धीमे से आहे भरने लगा

मनिका के नाज़ुक होंठ बहुत ही कोमलता से लंड की नर्म त्वचा को जगह जगह चूम रहे थे , धिमे धीमे लंड की कोमल त्वचा पर कुछ पुच पुच करती वो चुम्बन लेने लगी, जयसिंह को अपनी बेटी के नाज़ुक होंठों का स्पर्श उस संवेंदनशील जगह पर बहुत ही प्यारा महसूस हो रहा था

“हाँ .......बेटी....... बहुत अच्छा लग रहा है” जयसिंह की बात सुन मनिका के होंठों पर भी मुस्कान फ़ैल गयी, जयसिंह की बात से थोडा उत्साहित होकर मनिका और भी तेज़ी से लंड के सुपाडे को चूमने लगी, कुछ ही पलों में जयसिंह अपनी बेटी के होंठों के स्पर्श के उस सुखद एहसास में डूबने लगा,



“आआहह... बेटी... प्लीज बेटी ऐसे ही करते रहो” मनिका तो जैसे यही सुनना चाहती थी , उसने लंड को ऊपर उठाया और जड़ से लेकर टोपे तक लंड पर चुम्बनों की बरसात कर दी , फिर उसके होंठ खुले और उसकी जीभ बाहर आई , उसने जीभ की नोंक से लंड की त्वचा को सहलाया , गीली नर्म जीभ का एहसास होते ही जयसिंह के मुख से खुद ब खुद सिसकारी निकल गयी, मनिका की जीभ उस सिसकी को सुन और भी गति से लंड की निचली त्वचा पर रेंगने लगी, परन्तु उसे थोड़ा सा अजीब सा भी महसूस हो रहा था, उसे लग रहा था कि मानो जयसिंग के लंड पर कोई द्रव लगा था जो बाद में सुख गया था और उसका अजीब सा पर अच्छा स्वाद मनिका को अपनी जीभ पर महसूस हो रहा था, पर उसने इसकी ओर ज्यादा ध्यान नही दिया और लंड चुसाई में लगी रही

“अह्ह्हह्ह्ह्ह ............बेटी बहुत अच्छा लग रहा है.. बहुत........बहुत मज़ा आ रहा है” जयसिंह के मुख से लम्बी लम्बी सिसकारियां निकलनी शुरू हो गयी थी, अपने पापा के मुख से आनंदमई सिसकी सुन मनिका के होंठों की मुस्कान उसके पूरे चेहरे पर फ़ैल गयी, उसकी जीभ अब सिर्फ सुपाडे पर ही नहीं बल्कि उसके आस पास तक घूम रही थी , मनिका बेपरवाह अपनी जीभ लंड की जड़ से लेकर सिरे तक घुमा रही थी 
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09-21-2018, 02:00 PM,
#65
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
जयसिंह के लिए तो ये एक जबरदस्त मज़ा था , इस मज़े से उसकी हालत खराब होती जा रही थी , पूरे जिस्म में गर्मी सी महसूस होने लगी थी , उसके लंड का तनाव पल पल बढ़ता ही जा रहा था , 


जैसे जैसे लंड का आकार बढ़ता जा रहा था, वैसे वैसे मनिका की जीभ की स्पीड बढती जा रही थी , लंड का कठोर रूप अब उसके सामने था और वो रूप उसके तन बदन में आग लगा रहा था , उसके पूरे बदन में होने वाली झुरझुरी उसकी हवस को बयां कर रही थी , उसका अंग अंग फड़कने लगा था

उसके नुकीले निप्पल कड़े होकर उसकी झीनी सी टी शर्ट के ऊपर से अपना एहसास देने लगे थे, और ये साफ महसूस हो रहा था कि उसने टीशर्ट के नीचे कुछ नही पहना, धीरे धीरे उसकी चूत में रस बहना चालू हो चूका था , वो अपने आप पर काबू खोती जा रही थी , उसकी सांसें गहरी होती जा रही थी और उसका सीना उसकी साँसों के साथ तेज़ी से ऊपर निचे हो रहा था , बदन में कम्कम्पी सी दौड़ रही थी ,

इधर जयसिंह का लंड पूरा कड़क हो चूका था, अब मनिका ने और बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था और उसने अगले ही पल झट से जयसिंह के लंड के सुपाडे को अपने रसीले होंठों में भर लिया और अपनी जीभ उस पर रगडते हुए उसे जोर जोर से चूसने लगी ,जयसिंह के आनंद में कई गुना बढ़ोतरी हो गई थी, अपने पापा के मुख से निकलती ‘अह्ह्ह्ह- अह्ह्ह्ह’ ‘उफ़’ ने मनिका को और भी उतेजित कर दिया , धीरे धीरे उसके होंठ लंड के ऊपर की और जाने लगे , जैसे जैसे मनिका के होंठ ऊपर को बढ़ रहे थे, दोनों बाप बेटी की साँसे और सिसकियाँ गहरी होती जा रही थीं ,
मनिका के होंठ अब सुपाड़े के नीचे वाले हिस्से की भी सवारी करना शुरू कर चुके थे, 
अगले ही पल वो हुआ जिसकी आशा में जयसिंह और मनिका दोनों का बदन कांप रहा था, बुखार की तरह तप रहा था , मनिका के होंठ अपने पापा के लंड के चारों और बुरी तरह कस गए , और जयसिंह के लंड का आधे से ज्यादा हिस्सा मनिका की गले की गहराइयों में ओझल हो चुका था,


जयसिंह को लगा शायद वो गिर जाएगा और उसके बदन ने एक ज़ोरदार झटका खाया ,


“आहह्ह्ह... म..उफफ्फ्फ्फ़” जयसिंह सुपाड़े की अति संवेदनशील त्वचा पर अपनी बेटी की खुरदरी जीभ की रगड़ से कराहने लगा , उसके हाथ ऊपर उठे और अपनी बेटी के सर पर कस गए ,

मनिका तो जैसे पूरे जोश में आ गई , उसने होंठ कस कर अपनी जीभ तेज़ी से चलानी शुरू कर दी , उसका एक हाथ अपने पापा की कमर पर चला गया और दुसरे से वो उनके अंडकोष सहलाने लगी ,

अब मनिका का मुंह भी लंड पर आगे पीछे होने लगा था , उसके गिले मुख में धीरे धीरे अन्दर बाहर होते लंड ने जयसिंह को जोश दिला दिया , वो अपनी बेटी के सर को थामे अपना लंड उसके मुंह में जोर जोर से आगे पीछे करने लगा , हर शॉट में अब उसका लंड मनिका के गले की गहराइयों को नाप रहा था, और अब जयसिंह तेज़ी से अपने लंड को आगे पीछे करते हुए गहराई तक अपनी बेटी का मुख चोदने लगा , जब जयसिंह का लंड मनिका के गले को टच करता तो उसके मुख से ‘गुन्न्न्न –गुन्न्नन्न’ की आवाज़ निकलती , 
उधर जयसिंह तो जैसे किसी और ही दुनिया में था , आँखें बंद किए वो अपनी बेटी के मुंह में अपना लंड घुसेड़ता जा रहा था ,
मनिका को हालाँकि लंड के इतने तेज़ तेज़ धक्कों से थोड़ी दिक्कत हो रही थी मगर वो हर संभव प्रयास कर रही थी अपने पापा के लंड की ज़बरदस्त चुसाई करने का , उसकी जीभ अन्दर बाहर हो रहे लंड के सुपाड़े को रगडती तो उसके होंठ सुपाड़े से लेकर लंड के मध्य भाग तक लंड को दबाते , लंड अन्दर जाते ही उसके गाल फूल जाते और बाहर आते ही वो पिचकने लगते ,

जल्द ही जयसिंह को अपने अंडकोष दवाब सा बनता महसूस होने लगा , उसे एहसास हो गया वो झड़ने के करीब है , उसने अब अपनी बेटी के मुख को और भी तीव्रता से चोदना शुरू कर दिया , उधर मनिका के लिए अब इस गति से अन्दर बाहर हो रहे लंड को चुसना संभव नही था , वो तो बस अपने होंठो और जीभ के इस्तेमाल से जितना हो सकता लंड को सहलाने की कोशिश कर रही थी , 

खुद वो अपनी टांगें आपस में रगड़ कर उस सनसनाहट को कम करने की कोशिश कर रही थी , जो उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी , चुत से रस निकल निकल कर उसकी पजामी और जांघें गीली कर चुका था , 

तकरीबन 10 मिनट की भीषण चुसाई के बाद अचानक जयसिंह को लगने लगा जैसे उसकी शक्ति का केंद्र बिंदु उसका लंड बन गया है , वो झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था , पर वो चाहता था कि उसके पानी की हर एक बूंद मनिका की गले की गहराइयों में उतार जाए, इसलिए अब उसके धक्के और भी ज्यादा आक्रामक होते जा रहे थे,

मनिका को भी ये अहसास होने लगा था था कि अब शायद उसके पापा झड़ने वाले हैं इसलिए उसने अपने आपको पूरी तरह उनके सुपुर्द कर दिया, जयसिंह मनिका के सिर को पकड़कर जोर जोर से अपना लंड उसके मुंह मे घुस रहा था


और फिर अगले ही पल जयसिंह के बदन में एक तेज़ लहार उठी और वो भलभला कर झड़ने लगा, उसके लंड से वीर्य की बौछार होने लगी जो मनिका के गले मे जाकर हसे तृप्त कर रही थी, 

मनिका भी एक मझे हुए खिलाड़ी की तरह जयसिंह के पानी की आखिरी बून्द भी पी लेना चाहती थी, जब जयसिंह पूरी तरह झाड़कर शांत हो ज्ञाबतो मनिका उपज ने जीभ की नोंक से सुपाड़े के छेद से निकल रही आखिरी बूँद को भी चाट लिया,


“ .उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह मनिका उम्ह्ह्ह्ह्ह.” जयसिंह लगातार सिसकता ही जा रहा था ,

मनिका की जीभ आखिरी बार पूरे लंड पर घूमने लगी और वो उसे चाट कर साफ़ करने लगी , लंड पूरा साफ़ होने के बाद उसने सुपाड़े को अपने होंठो में एक बार फिर से भरकर चूसा और फिर अपने होंठ उसपे दबाकर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया,

दोनों बाप बेटी अब पूरी तरह शांत हो चुके थे, उनका खोया हुए होश अब वापस लौटने लगे था, मनिका ने खड़ी होकर अपने कपड़े ठीक किये और जयसिंह के गालों पर एक पप्पी देकर उन्हें थैंक्स बोलते हुए कमरे से बाहर चली गयी

जयसिंह ने भी अपने बिखरी सांसो को समेटा और लोअर को ऊपर किया, फिर जाकर बेड पर कनिका के साथ सो गया

जयसिंह बेसुध से सोया अपने खूबसूरत सपनो की दुनिया मे सैर कर रहा था, इसके लिए तो एक हाथ मे लड्डू था और एक मे बर्फी, मनिका ओर कनिका के रूप में ऐसा खजाना मिल गया था जिसकी कल्पना मात्र से ही उसके रोम रोम में आनंद की लहर उठ जाती थी, रात को कनिका को कली से फूल बना दिया और सुबह सुबह मनिका के प्यारे मुंह को अपने हलब्बी लंड से भरकर जयसिंग अब चैन की नींद सो रहा था
मनिका भी नीचे जाकर चुपचाप अपने रूम में सो गई, परन्तु एक चीज़ जिससे वो दोनों बेखबर थे, वो ये कि जब वो दोनों आराम से लंड चुसाई के खेल में लगे थे, दो खूबसूरत आंखे बड़ी कौतूहल से उनके इस खेल को निहार रही थी , जी हां ये कनिका थी, जो उनकी आहे सुनकर अपनी गहरी नींद से जग चुकी थी

जब जयसिंह मनिका के मुख को अपने लंड से भर रहा था और बुरी तरह उसके कोमल मुख को चोद रहा था तब मनिका की गन्न गन्न की आवाज़ से कनिका जग चुकी थी, और जब उसने अपनी आँखें खोली तो सामने का नज़ारा देख वो पूरी तरह आश्चर्य चकित रह गयी, जयसिंह मनिका अपने खेल में लगे थे और कनिका उधर अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी पर वो इस तरह नंगी उनके खेल को बिगाड़ने नही चाहती थी, वो ये तो जान चुकी थी कि उसके पापा और दीदी का ये खेल काफी समय से चल रहा है तभी तो उसकी दीदी इतनी सुबह सुबह आकर पापा कर लंड को इतनी तल्लीनता से चूस रही है, जल्द ही कनिका की चुत भी इस नज़ारे को देख टेसुए बहाने लगी, एक बार तो उसे लगा कि वो जाकर उनके खेल में शामिल हो जाये और जिस तरह मनिका पापा का लंड चूस रही है वो भी जी भरकर चूसे, परन्तु उसे लगा कि अब शायद उचित समय नही है, पर उसके शैतानी दिमाग मे एक योजना पनपने लगी जिसकी मदद से वो जल्द ही अपने पापा और दीदी के साथ खुलकर इस खेल का आनंद उठा सके,

तकरीबन 7 बजे पूरे घर मे चहल पहल होने लगी थी, सभी लोग उठकर अपने दैनिक क्रियाओं से निवृत हो रहे था, जयसिंह आज बड़ा खुश था, आखिर उसने अपनीं दोनों बेटियों को अपने लंड का गुलाम जो बना लिया था, बीच बीच मे वो नारे छुपाकर मनिका ओर कनिका को आंखों ही आंखों में सेक्सी इशारे भी कर रहा था,
कनिका को हालांकि जयसिंह और मनिका की सच्चाई पता सीगल चुकी थी पर वो कोई भी ऐसा काम नही करना चाहती थी जिससे उन दोनों को शक हो

दोपहर तक जयसिंह, मनिका और कनिका घर जाने को तैयार थे, हितेश मधु के साथ 2 दिन बाद आने वाला था, इसलिए जयसिंह ने मनिका और कनिका को साथ ले जाना ही सही समझा, करीब 1 बजे वो तीनो अपनी गाड़ी से घर की तरफ रवाना हो चुके थे

कार में तीनों लोग बिल्कुल नार्मल रहे, करीब 6 बजे तक वो तीनो घर पहुंच चुके थे, 

जयसिंह ने कार पार्क की और फिर अपनी दोनों जवान बेटियों के साथ घर के अंदर आ गया, तीनो ने कुछ देर में ही अपने अपने कमरे में जाकर रेस्ट किया और फिर हल्का शावर लिया

नहाने केे बाद तीनो बड़े फ्रेश फील कर रहे थे, अभी वो हॉल में आकर बैठे ही थे कि बेल की आवाज़ सुनाई दी, मनिका ने जाकर गेट खोल तो सामने उसकी स्कूल की बेस्ट फ्रेंड काव्या खड़ी थी, काव्या को इस टाइम पर वहां देखकर पहले तो उसे सरप्राइज हुआ पर जल्द ही उसने काव्या को गले लगाया और उससे बातो में मशगूल हो गयी

काव्या - अच्छा सुन न मनिका, चल आज कहीं बाहर घूम के आते है, बाहर ही खाना भी कहा लेंगे, क्या बोलती है तू


मनिका भी इतने दिनों बाद काव्या से मिलकर बड़ी खुश थी इसलिए उसने भी मन नही किया, वो जल्दी से अपने रूम में गयी और तैयार होकर अपने पापा से बाहर जाने की परमिशन ली, जयसिंह ने भी मन नही किया और 10 बजे से पहले घर आने के लिए बोल दिया

मनिका और काव्या अपनी अपनी स्कूटी से घूमने के लिए निकल पड़े, इस समय तकरीबन 8 बज रहे थे

इधर कनिका को जब पता चला कि मनिका बाहर गयी है और 10 बजे तक वापस नही आएगी तो उसकी आँखों मे एक अजीब सी चमक आ गयी थी

वो सीधा भागकर अपने पापा के रूम में चली गयी, जयसिंह नहाने के बाद रेस्ट करने के लिए अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था, उसे पता था की अपनी दोनों बेटियों के साथ रहते वो किसी के साथ भी सेक्स नही कर सकता इसलिए वो आराम से अपने बेड पर लेट था, पर जब मनिका अपनी फ्रेंड के साथ बाहर जाने की परमिशन मांगने उसके रूम में आई थी तब उसके चेहरे पर भी मुस्कान फैल गयी थी, उसे भी यकीन हो गया था कि आज की रात सुखी नही निकलेगी

वो बस कुछ देर में कनिका के रूम की तरफ जाने ही वाला था पर उससे पहले ही उसे कनिका अपने रूम में दाखिल होती दिखाई दी, कनिक को देखकर तो उसके सोये लंड ने एक जोरदार अँगड़ाई ली मानो वो कह रहा हो कि बेटा खड़ा हो जा, अब काम करने का वक्त आ गया

जयसिंह के लंड का तनाव उसके पाजामे में अब उ हर बनाने लगा था जो कनिका की आंखों से भी छिपा नही था
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09-21-2018, 02:00 PM,
#66
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
कनिका भी अपना ऐसा जोरदार स्वागत देखकर खुश हो गयी, और उसकी हवस में और भी इजाफा हो गया, वो तेज़ कदमो से आगे बढ़ते हुए जयसिंह के पास जा पहुंची, और इससे पहले की जयसिंह कुछ बोल पाता, कनिका उसके होंठों पर टूट पड़ी,ऐसा लग रहा था की वो पागल सी हो चुकी है,अपनी ब्रेस्ट को उसकी छाती पर रगड़ते हुए वो उसके बालों में उंगलियाँ फेराती हुई जयसिंह के होठों को बुरी तरह से चूस रही थी,

जयसिंह ने भी अब मौके पे चौके मारने का सोचा और कनिक को अपनी बाहों में भरकर अपने हाथों से उसकी गांड को सहलाना शुरू कर दिया, तब उसे पता चला की कनिका तो अपनी पेंटी भी उतार आई है,जयसिंह ने अपनी उंगलियाँ उसकी छोटी सी पजामी के अंदर दाखिल करते हुए उसकी गांड की दरार में उतार दी..

''आआआआअहहssssssssssssssssssssssssssssss .,,, उम्म्म्मममममम,''

उसकी सुलगती हुई सी आवाज़ ने जयसिंह के अरमानो को और भड़का डाला,और उसने कनिका को बेड पर पटक कर अपना मुँह सीधा उसके मुम्मों पर रख दिया और नाइट सूट के उपर से ही उसकी ब्रेस्ट पर लगे बटन को मुँह में लेकर चूसने लगा..

''ऊऊऊऊऊऊओह पापा .,,,,, माई डार्लिंग ,,,,,, उम्म्म्मममममममम,,''

और उसने खुद ही धीरे-2 अपनी कुरती की चैन को खोलकर अपनी नंगी ब्रेस्ट जयसिंह के मुँह में ठूस दी..

ये दूसरा मौका था जयसिंह के लिए,उसने जी भरकर उन प्यारी सी ब्रेस्ट को देखा और फिर धीरे-2 अपनी जीभ से उन्हे चाटने लगा
,

उसकी जीभ जैसे चुभ सी रही थी कनिका को,.उसने ज़बरदस्ती अपना एक मुम्मा उसके मुँह में ठूसा और ज़ोर से चिल्लाई .. : "बाईट करो पापा ,,,,,खा जाओ इनको ,,,,,''

जयसिंह तो ऐसी गर्म बेटी पाकर खुद को धन्य सा समझने लगा,उसने तो सोचा भी नही था की ऐसी चुप-चाप सी रहने वाली उसकी बेटी बेड पर इतनी गर्म दिखेगी,

जयसिंह ने धीरे-2 उसकी नाइट ड्रेस उतार कर साइड में फेंक दी,अब वो बिस्तर पर पूरी नंगी पड़ी थी, और जयसिंह खुद भी पलक झपकते ही नंगा हो गया

कनिका ने जयसिंह के लंड की तरफ देखा और शरमाते हुए अपनी नज़रें झुका ली,वो काफी बड़ा था 

जयसिंह उसके पास पहुँचा और अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया,वो उसे उपर नीचे करने लगी..फिर जयसिंह ने उसके सिर पर दबाव डालकर उसे नीचे जाने के लिए कहा, जयसिंह ने कनिका के मुंह का निशाना साधकर अपना लंड सीधा इसके प्यारे से छोटे से मुंह मे डाल दिया, कनिका भी किसी मंझी हुई खिलाड़ी की तरह अपने पापा का लंड जोर जोर से चूसने लगी, जल्द ही जयसिंह का लंड अपनी पूरी औकात में आ गया, और वो पूरी तरह तनकर कनिका के गले की गहराइयों को नाप रहा था, 

तकरीबन 10 मिनट तक जयसिंह अपना लंड चुसवाता रहा, अचानक उसे लगा कि वो झड़ने वाला है, पर वो ये नही चाहता था कि वो कनिका की चुदाई करने से पहले झड़े , इसलिए उसने तुरंत अपना लंड कनिका के मुंह से निकाल लिया, कनिका को ऐसा लगा जैसे उसका प्यारा सा खिलौना किसी ने छीन लिया हो, उसने हसरत भरी निगाहों से अपने पापा की ओर देखा, मानो वो पूछ रही हो कि आपने ऐसा क्यों किया


पर अगले ही पल उसे इसका जवाब मिल गया, जयसिंह ने कनिका को पकड़कर उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और फिर उसकी टांगे चौड़ी करके उनके बीच लेट गया..अब उसकी आँखो के सामने थी कनिका की प्यारी सी और सफाचट चूत .. जयसिंह ने धीरे से उसने अपनी जीभ को उसकी भाप छोड़ती चूत से टच करवाया..

जयसिंह को ऐसा लगा जैसे उसने किसी गर्म मलाई से भरे डिब्बे में मुँह डाल दिया है....गरमा गरम मलाई के साथ -2 गर्म हवा के भभके निकल रहे थे उसकी चूत में से.

जैसे-2 वो कनिका की चुत को चूस रहा था...वैसे -2 उसकी सिसकारियाँ और भी तेज होती जा रही थी...ऐसा लग रहा था जैसे जयसिंह अपनी जीभ और दाँतों से उसके जिस्म पर कब्जा करता जा रहा है और कनिका अपने होशो हवस खोकर पागलों की तरह चिल्लाती जा रही थी.

''आआआआआआआहह..........माआआआआआअर डालोगे आप तो...................आआआआआआअहह एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स बैबी ...............सक्क मिईीईईईईईईईईईईईईई....और ज़ोर से....................उम्म्म्ममममममममममममम पापाआआआ''

और एक वक़्त तो ऐसा आया की कनिका उसके सिर को ज़ोर लगाकर दूर हटाने लगी...शायद उसकी चूत को चूसते हुए वो उसे झड़ने के उस मुकाम तक ले आया था जिसके बाद जरा सा टच भी दर्दनाक लगता है , और लास्ट में आकर जो सेंसेशन महसूस होता है, वो कनिका को होने लग गया था..

पर जयसिंह भी ठान कर बैठा था की आज वो उसकी चूत की गर्मी को पूरी तरह से दूर करके रहेगा, इसलिए वो भी डटा रहा...चूसता रहा उसकी गर्म चूत को...अपने होंठों के बीच उसके निचले लिप्स को दबाकर जोरों से स्मूच करता रहा ...और तब तक करता रहा जब तक कनिका की आँखे नही फिर गयी...वो बेहोशी जैसी अवस्था में पहुँच गयी ,अत्यधिक उत्तेजना के शिखर तक पहुँचकर ....और उसी बेहोशी में जब वो झड़ी तो उसके शरीर में ऐसे कंपन हुआ जैसे उसके शरीर पर कब्जा की हुई कोई आत्मा बाहर निकल गयी हो...और जोरदार तरीके से झड़ने के बाद वो निढाल सी होकर नीचे गिर पड़ी.

''आआआआआआआआहह .,,,,,, म्*म्म्मममममममममम ,, पापा ,,,,''

वो अपनी टांगो को पकडे जयसिंह को अपनी चूत में डुबकी लगाते हुए देखने लगी 


जयसिंह ने अपने होंठ खोलकर उसकी चूत को पूरा अपने कब्ज़े में ले लिया और उसके साथ फ्रेंच किस्स करने लगा..इतना मज़ा मिल रहा था उसे, बड़ी भीनी-2 सी महक आ रही थी उसकी चूत से,जयसिंह ने अपनी जीभ को जितना हो सकता था बाहर निकाला और उसकी चूत की परतें खोलकर जीभ को अंदर धकेल दिया..

कनिका को लगा जैसे कोई खुरदरी नुकीली चीज़ उसके अंदर जा रही थी,वो सिसक उठी,और अपनी टांगे उसने जयसिंह की गर्दन में लपेट कर उसे बुरी तरह से जकड़ लिया,जैसे रेसलिंग चल रही हो दोनों के बीच,


जयसिंह ने अपना मुँह बाहर निकाला और बोला : "कैसा लग रहा है.,''

कनिका ने बेड की चादर को पकड़ा और चिल्लाई ''आआआआआआअहह पापा ,,,,,, उम्म्म्ममममममममममम ., बहुत अच्छा .,और करो.,,,''

जयसिंह फिर से उसकी चूत की खुदाई करने में जुट गया..

और कुछ ही देर में उसने अपने मुँह से उसकी चूत को पूरा सींच दिया,अब वो अगले कदम के लिए तैयार थी..

जयसिंह थोड़ा उपर उठा और घुटनो के बल बैठ गया, उसकी नज़रो के सामने कनिका की रसीली चुत पानी और थूक में लथपथ होकर चमक रही थी, जयसिंह से अब बर्दास्त करना मुश्किल था , इसलिए उसने अपने रॉड की तरह सख्त हो चुके लंड को पकड़ा और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा, कनिका को ये अहसास बहुत भाH रहा था, उसकी सांसे भारी होने लगी थी, इधर जयसिंह लगातार अपना लंड कनिका की कोमल चुत पर रगड़ रहा था, कनिका से अब बर्दास्त नही हुआ और वो खुद ही बोल पड़ी, पापाआआआ प्लीज़ अब डाल दीजिए आपका ये मूसल लंड मेरी चुत में , उड़ा दीजिये मेरी चुत की धज़्ज़िया, प्लीज़ पापाआआआ जल्दी कीजिये

जयसिंह ने भी अब उसे और तड़पाना ठीक नही समझा और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चुत के छोटे से छेद में फंसाया और हल्का सा धक्का मारकर अंदर दाखिल हो गया 


''आआआआअहह उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"
ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ… करो प्लीज पापाआआआ,,''

कनिका के इतना कहने की देर थी की जयसिंह ने एक जोरदार झटका मारा,और उसका लंड कनिका की चूत के अंदर पूरी तरह दाखिल हो गया..

''आआआआआआययययययययययीीईईईईईईईईईईईई ,,, मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी ..,,,, अहह ,''

वो दर्द से बिलख उठी, हालांकि उसकी सील तो पहले ही टूट चुकी थी पर दर्द अब तक था

जयसिंह थोड़ा सा रुक गया,कनिका को सच में थोड़ा दर्द हो रहा था,..पर उसके नंगे जिस्म की खूबसूरती देखकर जयसिंह का लंड बागी सा हो गया..उसने सोच लिया की आज तो कम से कम 3 बार वो उसकी चुदाई करेगा,

जयसिंह अब कनिका की चुत में ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा, हर धक्के में उसका हलब्बी लंड कनिका की चुत की जड़ तक पहुंच जाता, अपनी चुत की इस जबरदस्त कुटाई से कनिका के जिस्म में लगातार सिहरन सी पैदा हो रही थी, और उसकी चुत लगातार पानी बहा रही थी, कनिका की चुत से निकल रहे पानी की वजह से जयसिंह का लंड चिकना होकर सरपट कनिका की चुत की गहराइयों को नाप रहा था , दोनों एक दूसरे में पूरी तरह मगन होकर जोर जोर से आहे भर रहे थे, क्योंकि उन्हें पता था कि मनिका तो अपने दोस्त के यहां गयी है और उन्हें देखने वाला कोई नही है, इसलिए वो दोनों दुनिया से बेखबर होकर दमदार चुदाई में लगे पड़े थे

पर उनका ये सोचना शायद उनकी भूल थी, मनिका अपनी दोस्त से मिलकर जल्दी ही फ्री हो गयी थी, और उसने सोचा कि बाहर खाने की बजाय घर पर खाना ले जाती है ताकि सब लोग मिलकर खा सके, उसने एक अच्छे से रेस्टोरेंट से खाना पैक कराया और जल्द ही अपनी स्कूटी से घर की तरफ रवाना हो चुकी थी

घर पहुंचकर उसने स्कूटी खड़ी की और खाना के पैकेट्स निकालकर गेट की तरफ चल पड़ी, चूंकि उसके पास घर की डुप्लीकेट चाबी रहती थी इसलिए उसने बिना दरवाज़ा खटखटाये सीधे ही घर मे एंटर कर लिया,

घर मे घुसते ही वो सीधा किचन की तरफ गयी और खाना वही रख दिया , अब उसने कपड़े चेंज करने का सोचा, ये सोचकर वो सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगी पर तभी अचानक उसे अपने पापा के कमरे से हल्की आहों की आवाज़े सुनाई दी, 

आहों की आवाज़ सुनकर मनिका को बड़ा आश्चर्य हुआ, पर उसे समझते देर न लगी कि ये जयसिंह की आहें है,

"शायद पापा कोई पोर्न मूवी देख रहे हैं, और साथ मे मुठ भी मर रहे है, तभी उनके मुंह से ऐसी आवाज़े निकल रही है, पर.......कनिका के घर मे होते हुए?.......कही कनिका ने उनकी आवाज़ सुन ली तो " ये सोचकर मनीका कनिका के रूम की तरफ बढ़ी, उसने सोचा कि शायद कनिका सो रही होगी तभी पापा ऐसा कर रहे है, वो तेज़ तेज़ कदमो से कनिका के रूम की तरफ बढ़ी जा रही थी, और फिर जैसे ही उसने कनिका के रूम का दरवाजा खोला, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई, रूम में कोई नही था, 

" कहीं पापा कनिका के साथ तो........" उसके मन मे एक विचार कौंधा और अगले ही पल जैसे उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी, क्योंकि जयसिंह के रूम से लड़की के कराहने की आवाज़ भी आ रही थी, और अब तो मनिका को पूरा भरोसा हो गया था कि कमरे में पापा के साथ कनिका ही है, और उनके कराहने की आवाज़ से लगता है कि पापा इस समय कनिका की चुदाई कर रहे है


मनिका अब भारी कदमो से जयसिंह के रूम की ओर बढ़ने लगी थी , वो आखिरी बार ये पूरी तरह कन्फर्म कर लेना चाहती थी कि ये कनिका ही है या कोई और,

मनिका धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाये जा रही थी, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी, उसे कुछ समझ नही आ रहा था, अगर वो सचमुच कनिका हुई तो मैं क्या करूंगी, मनिका को कुछ पता नही चल रहा था वो बस आगे बढ़ी जा रही थी, और जल्द ही वो अपने पापा के रूम के दरवाजे के सामने खड़ी थी

उसने हल्के से दरवाज़े को अंदर की तरफ धकेला, और ये देखकर उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना ना रहा कि दरवाज़ा खुला हुआ ही है,
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09-21-2018, 02:00 PM,
#67
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
मनिका धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाये जा रही थी, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी, उसे कुछ समझ नही आ रहा था, अगर वो सचमुच कनिका हुई तो मैं क्या करूंगी, मनिका को कुछ पता नही चल रहा था वो बस आगे बढ़ी जा रही थी, और जल्द ही वो अपने पापा के रूम के दरवाजे के सामने खड़ी थी

उसने हल्के से दरवाज़े को अंदर की तरफ धकेला, और ये देखकर उसके आश्चर्य का कोई ठिकाना ना रहा कि दरवाज़ा खुला हुआ ही है,

दरअसल ये कनिका के शैतानी दिमाग की खुराफात थी, उसने ये पहले ही प्लान कर रखा था, की अगर मनिका जल्दी घर आती है तो वो किसी तरह उसे अपने और जयसिंह की चुदाई का नज़ारा दिखा देगी, और उसकी ये तरकीब अब काम भी आ रही थी

मनिका ने धीरे से दरवाज़े को थोड़ा सा खोला और फिर तो अंदर का नज़ारा देखकर उसके होश ही उड़ गए,

अंदर जयसिंह कनिका को घोड़ी बनाकर पीछे से अपना लंड अपनी बेटी की चुत में पेल रहा था और कनिका भी किसी रंडी की तरह उछल उछल कर उसका साथ दे रही थी, मनिका को तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसकी कोई सौतन उसके पति के साथ चुदाई कर रही है,
एक बार तो उसने वहां से हट जाने का सोचा पर ना जाने क्या सोचकर वो वही डटी रही और ये उसकी बड़ी भूल थी, क्योंकि धीरे धीरे ही सही पर अब उसका बदन भी अंदर की चुदाई देखकर गरम होने लगा था, उसकी चुत में चींटिया से रेंगने लगी थी, उसकी हवस अब बढ़ती ही जा रही थी

अंदर के घमासान को देखकर अब उसके हाथ खुद ब खुद अपनी स्कर्ट के अंदर से होते हुए पेंटी के अंदर छुपी उसकी चुत पर चले गए और वो उसे जोर जोर से मसलने लगी, अंदर जयसिंह कनिका की चुत ठोखने में बिजी था, तो इधर मनिका ये सोचकर अपनी चुत मसले जा रही थी कि काश कनिका की जगह वो होती वहां पर

गज़ब का गरम नज़ारा था वो, एक बेटी अंदर अपनी चुत मरा रही थी तो दूजी बाहर खड़ी अपनी चुत मसल रही थी

करीब 20 मिंट ही हुए थे कि दोनों तरफ तूफान से उमड़ पड़ा, जयसिंह भलभलाता हुआ कनिक के साथ ही उसकी चुत में झाड़ गया और बाहर मनिका भी बुरी तरह से झाड़ गयी

थोड़ी देर बाद जब मनिका को होश आया तो उसने अपने रुमाल से अपनी चुत साफ की और नीचे फर्श पर पड़े अपने पानी को भी साफ किया, और भागकर किचन में गयी, वहां से खाने का पैकेट लिया और घर से बाहर आ गयी, 2 से 3 मिंट बाद उसने बेल बजाई


इधर जयसिंह और कनिका ने जब बेल की आवाज़ सुनी तो वो हड़बड़ा गए, कनिक ने अपने कपड़े उठाये और भागकर अपने रूम में आ गयी, जयसिंह ने भी झटपट कपड़े पहने ओर दरवाज़ा खोलने की लिए चल पड़ा

दरवाज़ा खोलते ही सामने मनिका खड़ी थी

" अरे मनिका, तुम इतनी जल्दी कैसे आ गयी, तुम तो 10 बजे आने वाली थी ना" जयसिंह बोला

"वो पापा मैंने काव्य को बोला कि घर पर मोम नही है सो खाना मैं ही ले जाऊंगी बाहर से, उससे 2 -3 दिन बाद मिल लुंगी" मनिका ने कहा

"कोई नही बेटी, आओ अंदर, चलो खाना तो तुम ले ही आयी, मैं कनिक को बुला लेता हूं, हम सभी खाना खा लेते है, और वैसे भी मुझे कल ऑफीस जाना पड़ेगा तो जल्दी सोना है आज" जयसिंह बोला

"ओके पापा" मनिका बोली

थोड़ी देर बाद ही तीनो लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे कहना खा रहे थे, कोई कुछ भी नही बोल रहा था, मनिका तो थोड़े गुस्से में थी , वो कनिका से थोड़ा जल भी रही थी, पर ये भी नही समझ पा रही थी कि वो उत्तेजित क्यों हुई" 

जल्द ही तीनो ने खाना खत्म किया और अपने अपने रूम में सोने के लिए चले गए, तीनो अलग अलग सपने संजोते हुए गहरी नींद के आगोश में जा चुके थे

सुबह जयसिंह जल्दी उठकर तैयार हुआ और आफिस के लिए निकल गया, दरअसल उसे अगले दिन सिंगापुर जाना था पर उसने ऑर्गनाइजर्स से बात करवाके अपना प्रोग्रम 6 की बजाय 10 को करवा लिया, क्योंकि मधु भी घर पर नही थी

इधर मनिका और कनिका के बीच सुबह से ही अजीब सी खामोशी थी, पर मनिका ने रात में कनिका की छोटी सी गुलाबी चुत भी देखी थी, और वो न चाहते हुए भी उसकी ओर आकर्षित हो रही थी

दोपहर को दोनों बहनें हॉल में बैठी टीवी देख रही थी, टीवी पर टाइटैनिक मूवी आ रही थी, और तभी अचानक मूवी में वो सेक्स सीन आ गया गाड़ी वाला, उस सीन को देखकर मनिका ने चैनल चेंज करने के लिए रिमोट उठाया पर तभी कनिका बोली

"रहने दो ना दीदी, कितना अच्छा सीन है" कनिका बोली

"अच्छा बताऊ तुझे, तू अभी इनके लिए छोटी है" मनिका बोली

"अरे दीदी, आपको क्या पता मैं कितनी बड़ी हो गयी" कनिका मुस्कुरा कर बोली



"हां मुझे सब पता है" मनिका उसकी तरफ देखकर बोली और रिमोट उठाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि कनिका ने उससे पहले रिमोट उठा लिया और रिमोट लेकर अपने रूम की तरफ भाग गई,मीका भी उसके पीछे दौड़ी, और तभी अचानक कनिका ने आकर उसके उपर छलांग लगा दी..और वो जोरों से डर कर चीख पड़ी..

कनिका उसकी हालत देखकर ज़ोर से हँसने लगी.

और मनिका मुँह बनाती हुई कनिका को मारने दौड़ पड़ी.

और उसे पकड़कर उसने बेड पर पटक दिया..और कनिका के दोनों हाथ सिर से उपर की तरफ रखकर उसे नीचे लिटा कर उसके पेट पर बैठ गयी..

कनिका अभी तक बेतहाशा हँसती जा रही थी...

कनिका को ऐसे हंसते देखकर मनिका भी गुस्सा भूल गयी और वो भी मुस्कुराने लगी..

दोनो बहने मस्ती के मूड में आ चुकी थी,...



मनिका : "अब बोल कनिका की बच्ची ...करेगी मेरे साथ ऐसा मज़ाक....बोल...''

वो झुककर उसके काफ़ी करीब आ चुकी थी...और इसी बीच अपने को छुड़वाने के लिए कनिका ने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया..

मनिका को ऐसा लगा जैसे नीचे से कोई उसकी चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा है...क्योंकि दोनो की चूत इस वक़्त एक दूसरे बिलकुल ऊपर थी .

और अपनी चूत पर वो नमकीन सा दबाव महसूस करते ही उसकी चूत को पसीना आ गया...सेल्फ़ लुब्रीकेशन स्टार्ट हो गया अचानक उसमें से..और उसने भी कनिका की लचीली कमर को पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ा और उसे ऊपर से ऐसे धक्के मारने लगी जैसे वो उसकी चुदाई कर रही हो.



कनिका जो अभी तक हंस रही थी, मनिका के ऐसे झटकों को समझकर वो भी हँसना भूल गयी और सीरियस सी होकर उसने अपनी बहन से पूछा : "दी....दीदी ....ये...ये ...क्या कर रहे हो.....ऐसा तो....ऐसा तो लड़का और लड़की करते है...''

पर मनिका ने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया...और अपने हाथ धीरे-2 उसने कनिका की टी शर्ट में डाल दिए और ऊपर की तरफ खिसकाने शुरू कर दिए....

जैसे-2 मनिका की उंगलियाँ सरककर उपर की तरफ आ रही थी...वैसे-2 कनिका के माथे पर पसीना बढ़ने लगा था...वो चाहकर भी उसके हाथों को रोक नहीं रही थी , आज से पहले उसने ऐसा कभी भी महसूस नही किया था...एक अजीब सा सेंसेशन हो रहा था उसे अपनी चूत पर...मनिका की घिसाई से...और अब उसकी उंगलियों की थिरकन से भी उसे गुदगुदी महसूस होने लगी थी..

उसने ब्रा नही पहनी हुई थी...और जल्द ही मनिका की दोनो हथेलियां उसके नन्हे उरोजों से आ टकराई और उसने बड़े ही प्यार से उसके नन्हे चूजों को अपने हाथों में भर लिया..

कनिका की तो आँखे बंद हो गयी उस एहसास से जब मनिका ने होले से अपने हाथ के दबाव से उसकी ब्रेस्ट को दबाया..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....आआआआहह....दीदी......ये क्या कर रहे ........उम्म्म्ममममममममम....''

वो शिकायत थी या प्रश्न ...ये तो नही पता चल सका...पर कनिका के हाथों ने अगले ही पल उपर की तरफ आते हुए टी शर्ट के उपर से ही मनिका के हाथों को पकड़ लिया..मनिका को लगा की वो हटाने के लिए कह रही है...पर वो धीरे से बुदबुदाई..

''दीदी.....प्लीज़ .......ज़ोर से दबाओ ना......ऐसे....''

और उसने अपने हाथों से मनिका के हाथों को जोर से दबा दिया...और मनिका के हाथों के नीचे उसकी नन्ही गोल गोल टमाटर भी उस दबाव में आकर नीचुड़कर रह गयी.

मनिका तो भभक उठी उसके बाद....उसने कनिका की ब्रेस्ट को इतनी बेदर्दी से दबाना शुरू कर दिया की उसपर लाल निशान बनते चले गये...पर वो रुकी नही..

कनिका के नुकीले निप्पल भी मनिका के जालिम हाथों को रोकने में असमर्थ थे..भले ही वो काँटों की तरह उभरकर ब्रेस्ट की रक्षा कर रहे थे पर ऐसे काँटों से शायद इस वक़्त मनिका को कोई असर ही नही पड़ रहा था...वो तो उन काँटों को भी बीच-2 में ऐसे मसल रही थी जैसे उनमे से दूध निकलने वाला हो..

दूध तो नही निकला..पर उसकी हर उमेठन से कनिका की सिसकारियाँ ज़रूर निकल रही थी.



अब तो साफ़ हो चुका था की आज ये दोनो बहने अपनी सारी सीमाएँ लाँघने की तैयारी कर रही है..

मनिका तो अभी तक जैसे किसी नशे मे ये सब कर रही थी...ऐसा नशा जो उसके शरीर को अपने बस में करने में असमर्थ था...वो ये भी भूल चुकी थी की ये उसकी वही छोटी बहन है जिसने उसके प्यार उसके पापा पर डाका डाला ...कनिका तो अपनी जवानी के उस पड़ाव पर थी जहाँ उसे ऐसी बातों में मज़ा मिलता था जो सैक्स से जुड़ी हो...अपने घर से बाहर निकलकर और जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद कनिका में काफ़ी खुलापन आ चुका था.

कनिका के अंदर एक अजीब सी चाहत ने जन्म ले लिया था...सेक्स के बारे में वो दूसरों से कुछ ज़्यादा ही सोचने लगी थी..पर अपनी बहन के डर के मारे और शर्म की वजह से वो अपनी भावनाओं को उसके सामने बाहर नही आने देती थी..


पर अब उसे रोकने वाला कोई नही था.

जैसे ही मनिका के हाथों ने उसकी नन्ही ब्रेस्ट को छुआ...वो अपने हाथों के दबाव को उनपर डालकर और ज़ोर से दबाने की गुज़ारिश करने लगी मनिका से..

उसकी ब्रेस्ट ही उसके शरीर का सबसे सेंसेटिव हिस्सा थी..

इसलिए उसपर हाथ लगते ही वो भी अपनी सुधबुध खो बैठी और फिर शुरू हुआ उस छोटे से कमरे में दो बहनो के जिस्म के बीच उत्तेजना और सेक्स का वो सिलसिला जो शायद अब थमने वाला नही था.

कनिका ने एक मादक सी अंगड़ाई लेते हुए अपनी टी शर्ट उतार कर दीवार पर दे मारी..

और उसकी साँवली और नन्ही छातियाँ देखकर मनिका के मुँह में पानी भर आया.



उसके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे...और उसके निप्पल के घेरे पर भी महीन से दाने उगे हुए थे..मनिका तो उसके निप्पलों की कारीगरी देखकर अचंभित रह गई...क्योंकि उसके दानों पर भी इतनी महीन कारीगरी नही की थी ऊपर वाले ने...वो बिल्कुल सादे से थे...पर उसकी ब्रेस्ट कनिका के मुक़ाबले काफ़ी बड़ी थी..कनिका की तो अभी -2 आनी शुरू हुई थी..पर एक बार जब ये भर जाएगी तो कयामत ढाएगी ये लड़की..

और ये तभी भरेंगी जब इनके उपर मेहनत की जाएगी...ये सोचते हुए मनिका का सिर उसकी छातियों पर झुकता चला गया..और अपने होंठ,दाँत और जीभ रूपी ओजरों से उसने कनिका के बूब्स पर मेहनत करनी शुरू कर दी..
सबसे पहले अपनी गर्म जीभ से उसने कनिका के निप्पल्स को छुआ....जो कनिका के शरीर पर पहला स्पर्श था किसी लड़की का...ज़्यादातर लड़कियों के शरीर पर पहला स्पर्श किसी लड़के का होता है..पर लड़की के स्पर्श में भी कोई बुराई नही थी इस वक़्त...कनिका ने एक तड़प भरी किलकारी मारते हुए अपनी दीदी के सिर को पकड़कर ज़ोर से दबा लिया अपनी छातियो पर...और चीख पड़ी वो..

''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......आआआआआअहह दीदी............. ...उफफफफफफफफफफफफ फफफ्फ़.........क्या फीलिंग है ......माय गॉड ..... आआआआआआआअहह........ज़ोर से सक्क करो ना....दीदी............प्लीईईईईस......काट लो इन्हे......जोरों से...............दांतो से..................आआआआआआहह उूुुुउउफ़फ्फ़ एसस्स ऐसे ही................. उम्म्म्ममममममममममममममममममममम आआआआआआआहह दीदी..........यार .....कहाँ थी आप ......पहले क्यों नही किया ये सब..................उम्म्म्मममममममममममममम.......''

कनिका तो भाव विभोर सी हुई जा रही थी अपने शरीर को मिल रहे इतने उत्तेजक मज़े को महसूस करते हुए...उसे पता तो था की ऐसा ही कुछ होता होगा..पर अभी जो कुछ भी हो रहा था उसके साथ वो उसे शब्दों मे व्यक्त कर ही नही सकती थी...ऐसा मज़ा ...इतना आनद....उत्तेजना का इतना संचार...ऐसी तड़प...उसने आज तक सोचा भी नही था की लड़की के साथ सेक्स के खेल में भी इतना मज़ा आता है.


मनिका के सिर को कभी एक पर तो कभी दूसरी ब्रेस्ट पर वो लट्टू की तरह घुमा रही थी...उसकी लार से उसने अपनी छातियों की पुताई करवा ली...उसके लंबे और नुकीले निप्पल अपने पुर शबाब पर आ चुके थे...

वो बेड पर पड़ी हुई किसी मछली की तरह तड़प रही थी.



उसने अपनी नशीली आँखो से मनिका की तरफ देखा..और फिर अपने हाथ उपर करते हुए उसने मनिका की ब्रैस्ट को पकड़ लिया...

मनिका को तो ऐसा लगा जैसे उसके दिल की धड़कन रुक जाएगी..जब कनिका ने उन्हे टी शर्ट के उपर से ही मसलना शुरू किया..

''उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उऊहह ...............आआआआआआअहह कनिका..................उम्म्म्ममममममममम...... .एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......''

और फिर धीरे-2 कनिका ने उसकी टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया...और अंत में आते-2 उसे उतार कर अपनी ही टी शर्ट के उपर फेंक दिया..मनिका ने तो ब्रा पहनी हुई थी...जिसे उसने खुद ही अपने हाथ पीछे करते हुए खोल दिया..



और जैसे ही उसके बूब्स कनिका की नज़रों के सामने आए, अपने आप ही उसका मुँह उनकी तरफ खींचता चला गया..और उसने एक जोरदार झटके के साथ उसकी बड़ी सी ब्रेस्ट को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया..

किसी बच्चे की तरह वो उसके लम्बे निप्पल का दूध पीने लगी..

और अपनी नन्ही बहन को अपनी छाती से चिपका कर मनिका ने एक रस भरी सिसकारी मारकर उसे और अंदर घुसा लिया..

''आआआआआआआआआअहह ओह्ह्ह्ह माय बैबी .................. सकक्क मी......सक्क.....इट ......बैबी.....''



बैबी तो पहले से ही उत्तेजना के शिखर पर थी...अपनी बहन की दर्द भरी पुकार सुनकर वो और ज़ोर से उसके दानों को अपने पैने दांतो से कुतरने लगी...किसी चुहिया की तरह...और हर बार काटने पर मनिका के शरीर से एक अजीब सी तरंग उठ जाती..जिसे कनिका सॉफ महसूस कर पा रही थी..

ये खेल दोनों के लिए नया था...आज से पहले उन्होने किसी लड़की के साथ ऐसा कुछ भी नही किया था...पर सेक्स भी अजीब तरह का खेल है..इसे सीखना नही पड़ता, ये अपने आप आता चला जाता है..

और यही हो रहा था दोनो के साथ...कनिका के साथ तो कुछ ज़्यादा ही...वो छुटकी कुछ ज़्यादा ही उछल रही थी इस खेल में ...

इसलिए जब अच्छी तरह से उसने मनिका की ब्रेस्ट का जूस पी लिया तो वो तुरंत खड़ी हुई और उसने अपनी केप्री भी उतार कर फेंक दी...और अब वो मनिका के सामने बेशर्मों की तरह पूरी तरह से नंगी होकर बैठी थी..



कनिका की देखा देखी मनिका ने भी अपना पायज़ामा उतार दिया...और अब वो दोनो नंगी बैठी थी एक दूसरे के सामने..पर आगे क्या करना है ये किसी को नही मालूम था..क्योंकि किसी लड़की के साथ ये उन दोनों का ही पहला एक्सपीरियंस था


मनिका की नंगी ब्रैस्ट देखने में काफी यम्मी लग रही थी , वो कनिका के मुकाबले काफी बड़ी भी थी,इसलिए मनिका उनको हाथों में लेकर खुद ही दबाने लगी, और अपनी मोटी छातियों में और उभार ले आई 


अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनकर दोनो ने एक दूसरे की ब्रेस्ट को अच्छी तरह से चूस डाला था..पर अब क्या करे ,शायद यही सोचे जा रही थी वो दोनो...

उत्तेजना के नशे में कनिका को सिर्फ़ वही याद आ रहा था की कैसे वो खुद,जब पापा उसकी चुत चूस रहे थे तो ज़ोर-2 से आहे भरकर मज़े ले रही थी..

बस,कनिका ने भी वही ठान लिया..

उसने धीरे से धक्का देकर मनिका को बेड पर लिटा दिया..

पहले तो अपनी उँगलियों को मनिका की चूत में डालकर कनिका ने अंदर के टेंप्रेचर और चिकनाई का अंदाजा लिया 



और फिर धीरे -२ नीचे झुककर वो अपना चेहरा चूत के करीब ले गयी 

मनिका का शरीर भी काँप उठा,ये सोचकर की उसके साथ क्या होने वाला है अब...उसके होंठ थरथरा कर रह गये, पर उनमे से ना नही निकल पाया...और उसने अपने आप को अपनी छोटी बहन के सुपुर्द करते हुए अपनी आँखे बंद कर ली.

और फिर कनिका नीचे झुकी और उसने अपने होंठों से उसकी गुलाब जैसी चूत की फेली हुई पंखुड़ियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
पहला नीवाला मुँह में लेते ही उसका स्वाद पता चल गया कनिका को...जो उसे काफ़ी मजेदार लगा..

और मनिका तो बिफर गयी अपनी चूत की चुसाई से...

''ऊऊऊऊऊऊऊहह कनिका.............मेरी ज़ाआाआन्न................सस्स्स्स्स्स्सस्स..... ये क्या कर दिया............आआआआहह .....बहुत मज़ा आ रहा है ............उम्म्म्ममममममममम..... एसस्स्स्स्सस्स...... अहह.....''

और फिर तो वो बावली कुतिया की तरह उसकी चूत के उपर लगे अखरोट के दाने पर और संतरे की फाँक जैसी चूत को खाने में लग गयी...

अपनी लंबी और गर्म जीभ को उसने अंदर भी धकेला..उसकी मलाई को चाटा ...चूसा...और अंत में पी गयी.



ऐसा स्वाद लगा उसे उसकी चूत का की वो उसे तब तक चूसती रही जब तक मनिका झड़ने के करीब नही पहुँच गयी..

और मनिका को तो अपनी चूत चुस्वाते हुए अपने पापा ही याद आ र्हे थे..और याद आ रहा था उस रात का दृश्य

.और उसी सीन को याद करते हुए मनिका को ऐसा फील हुआ की इस वक़्त कनिका नही बल्कि उसके पापा उसकी चूत को चूस रहे हैं..

और झड़ने के करीब तो वो वैसे ही थी...इसलिए जैसे ही उसकी चूत से ताज़ा नारियल पानी निकल कर कनिका के मुँह में गया...उसने उसके बालों को पकड़ कर अपनी फूली हुई चूत पर घिस डाला और ज़ोर से चिल्लाई....

''आआआआआआअहह.................ओह..... पापा.................... सकककककक मिईीईईईई.......''



भावनाओ में बहकर उसके मुँह से पापा निकल तो गया...पर अगले ही पल वो यथार्थ के धरातल पर आ गयी...और उसने डरते-2 कनिका की तरफ देखा..

पर शायद उसने सुना नही था....क्योंकि वो बड़े ही प्यार से उसकी चूत में से बूँद-2 करके निकल रहा रस अपनी जीभ में समेट कर अंदर लेने में लगी हुई थी..

और जब पूरी तरह से उसकी चूत के रस को उसने पी लिया तो अपना मुँह सॉफ करते हुए वो मुस्कुराती हुई उपर आई...

''अक्चा....तो पापा के उपर नज़र है आपकी....आप तो बड़े चालू निकले दीदी....''

उसकी ये बात सुनकर मनिका का शरीर सुन्न होता चला गया
..



पर कनिका के होंठों पर अलग ही तरह की मुस्कान आ चुकी थी अब.

जिसे देखकर मनिका समझ नही पा रही थी की उसके दिमाग़ में आख़िर चल क्या रहा है..

पर उसके बाद जो हुआ, उसे देखकर तो मनिका के भी होश उड़ गये..उसने तो सोचा भी नही था की इस चुहिया के दिमाग़ में इतना गंद भरा पड़ा है

मनिका से कुछ बोलते नही बन रहा था...रंगे हाथो पकड़ी गयी थी वो .

जिस कनिका को वो अपने प्यारे पापा से दूर करना चाहती थी, उसके सामने ही उसके और पापा के बीच का परदा उठ गया...अब उसे उस हद तक तो नही मालूम था पर जिस अंदाज में वो पकड़ी गयी थी..यानी अपनी चूत को चुसवाते हुए और झड़ते हुए जिस अंदाज में उसने अपने पापा को पुकारा था, उसे देखकर तो कोई बेवकूफ़ भी बता देगा की मनिका के मन में उसके पापा के लिए क्या चल रहा है.

मनिका ने अपना चेहरा नीचे कर लिया.

कनिका : "ओहो दीदी...आप प्लीज़ ऐसे एम्बेरेस मत होवो ...इनफेक्ट मुझे तो इस बात की खुशी है की आप पापा को उस नज़र से देखते हो,जिस नज़र से उन्हे मैं देखकर अपने अरमानो को दबाया करती थी..''

कनिका के मुँह से सीधी बात सुनकर मनिका भी चोंक गयी...पर उसने कुछ ज़्यादा रिएक्ट नही किया..आख़िर कनिका की भी क्या ग़लती है इसमे...एक तो उनके पापा इतने चार्मिंग है,वो खुद उनसे चुदाई करती है , ऐसे में कनिका को किसी भी बात का दोष देना सही नही था.

मनिका ने भी अब कनिका को कल रात के बारे में उसे बता देना उचित समझा, और फिर उसने कहा

मनिका- सुन कनिका, वो मैं तुझे कल रात के बारे में कुछ बताना चाहती हूं

कनिका - यही ना कि कल आपने मुझे और पापा को चुदाई करते देख लिया था

मनिका तो कनिका की बात सुनकर दंग रह गयी, उसे तो अब सूझ ही नही रहा था कि वो क्या बोले
कनिका - दीदी आप शर्माओ मत प्लीज़, दरअसल मैंने और पापा ने तो गांव में उस रात ही पहली चुदाई कर ली थी जब हम साथ सोये थे, और कल रात भी मैने ही जानबूझकर कमरे का दरवाजा खुला रखा था

मनिका के ऊपर तो जैसे एक के बाद एक बम फूट रहे थे, वो पूछना चाहती थी कि ये सब हुआ कैसे पर उसके पूछने से पहले ही कनिका ने उस पर एक और बम फोड़ दिया

कनिका - दीदी वो उस दिन सुबह मैंने आपको भी पापा का लंड चूसते हुए देख लिया था, आपको लग रहा था मैं सो रही थी पर आपकी आवाज सुनकर मैं जग गयी थी और आप दोनों के खेल का आनंद उठा रही थी

मनिका के चेहरे की हवाइयां उड़ चुकी थी, कहाँ तो वो सोच रही थी कि वो ही उन दोनों के बारे में जानती है पर यहां तो ये छुटकी उसकी माँ निकली

कनिका - अच्छा दीदी, प्लीज़ आप मुझसे शर्माओ मत, आपने और मैंने दोनों ने ही पापा के साथ चुदाई कर ली है तो हमे एक दूसरे से कुछ नही छुपाना चाहिए, अच्छा दीदी प्लीज़ बताओ ना आप दोनों के बीच ये सब कैसे शुरू हुआ

मनिका भी अब थोड़ी नार्मल हो चुकी थी, फिर उसने कनिका को अपने और अपने पापा के बीच हुए पूरे वाकये को शुरू से लेकर अंत तक मिर्च मसाला लगाकर सुना दिया, कैसे पहली बार दिल्ली में ये सब शुरू हुआ था, कैसे जयसिंह ने अपनी बेटी को फंसाने के लिए चले चली, कैसे फिर वो उनसे नाराज़ हुई, कैसे धीरे धीरे वो उन्हें चाहने लगी, और कैसे उस बरसात की रात वो सब कुछ हुआ
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09-21-2018, 02:00 PM,
#68
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
कनिका तो बड़ी तल्लीनता से उसकी कहानी सुन रही थी, और फिर उसने भी अपने और अपने पापा की उस सुहागरात की कहानी मनिका को सुना दी

दोनों बहनें एक दूसरे के सीक्रेट शेयर कर बड़ी खुश थी, पर अब दोनों ही बहुत गर्म हो चुकी थी

कनिका : "देखो दीदी...आज जो कुछ भी हमने एक दूसरे के साथ किया है..वो सिर्फ़ एक हद तक ही कर सकते है...असली मज़े के लिए तो हमे किसी मर्द की ज़रूरत पड़ेगी ना..और पापा के होते हुए हम किसी दूसरे मर्द के बारे में क्यो सोचे...ठीक है ना...''

कनिका अपने हिसाब से तर्क दे रही थी...जो अभी के लिए मनिका को भी सही लग रहा था..

कनिका : "ओफफो....अब छोड़ो भी ये सब....इस मूमेंट का मज़ा लो बस...आपने तो मज़ा ले लिया...अब मेरी बारी है...''

इतना कहकर कनिका ने एक झटके से मनिका को अपने उपर खींचा और उसके होंठों पर टूर पड़ी...शायद पापा का ज़िक्र आने के बाद उसमे एक नयी उर्जा का संचार हो चुका था..कुछ नयी पॉसिबिलिटीस दिख रही थी उसे अब इस खेल में .

वो अपनी नन्ही मगर गोल मटोल गांड को अपनी बहन की तरफ करके बोली : "अब आप बनॉगे मेरे लिए....पापा...और वो सब करोगे जो आप मुझे पापा समझकर करवा रहे थे...''

मनिका का तो दिमाग़ ठनक गया ये सुनकर...अब परदा तो उठ ही चुका था उनके बीच से...इसलिए कनिका सारे मज़े खुलकर लेना चाहती थी...जिस तरह मनिका ने अपने पापा को इमेजीन करते हुए कनिका से अपनी चूत चुस्वाई थी और बाकी के सारे काम करवाए थे,वही सब अब वो उससे करवाना चाहती थी..
कनिका काफ़ी उत्तेजना में भर चुकी थी...वो अपने हाथ को पीछे लेजाकर अपनी गांड के नीचे नज़र आ रही संतरों की फांको को ज़ोर से मसलने लगी...और ज़ोर से चिल्लाई : "अब और कितनी बार बोलना पड़ेगा आपको....पापा....आओ ना प्लीईईईईस.....और सक्क करो मुझे....यहाँ से....''

वो अपनी पतली उंगलियों को पाव रोटी जैसी चूत के अंदर घुमाते हुए बुदबुदाई..



मनिका के सामने अब कोई चारा बचा ही नही था...उसने उसकी दोनो टाँगो को फेलाया और अपनी जीभ निकाल कर उसका मक्खन निकालने में लग गयी.

दोनो जांघों को उसने दोनो दिशाओं में फेलाकर अपनी नुकीली जीभ से अंदर का अनारदाना कुरेदना शुरू कर दिया.

कनिका ने अपनी बहन के सिर को अपने हाथों से पकड़कर अपनी चूत पर ज़ोर से दबा लिया..और ज़ोर से चिल्लाई

''ऊऊऊऊऊऊऊहह पापा...............मेरे प्यारे पापा......आआआआआआआहह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... ऐसे ही चूसो....अपनी बेटी की चूत को................आआआआआआअहह''

मनिका की तो हँसी निकल गयी उसकी बात सुनकर....पर कनिका पर तो कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था...वो तो बस अपनी आँखे बंद किए हुए अपने पापा को इमेजीन कर रही थी..

ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले तक मनिका कर रही थी.

मनिका ने भी सोचा की अब इतना कुछ तो हो ही चुका है उनके बीच तो इस बात पर उसे टोकना सही नही है...लेने दो उसे भी मज़े..
और वो भी पूरे ज़ोर शोर के साथ उस खेल में कूद पड़ी..

और उसकी रसीली चूत से निकले गाड़े रस से अपने भीगे चेहरे को निकाल कर वो बुदबुदाई : "हाँ मेरी जान.....आज तुझे ऐसा चुसूंगा की तू भूल ही नही पाएगी....''

कनिका की उत्तेजना तो सांतवे आसमान पर पहुँच गयी ये सुनकर...और उसने अपने प्यारे ''पापा'' के सिर को वापिस काम पर लगाते हुए उसे फिर से अंदर दबा लिया.

और सिर्फ़ एक मिनट के अंदर ही वो भरभराकर झड़ गयी...और ढेर सारा गीलापन उसने अपने बिस्तर पर छोड़ दिया..

ये तो सिर्फ़ पहली बार ही था...अभी तो ना जाने और कितनी बार झड़ना था उसने..

कनिका के शरीर से तरंगे निकल रही थी झड़ने के बाद...मनिका उन तरंगो से ताल मिलाकर उसकी चूत से बची हुई ओस की बूंदे चूस रही थी..



उसकी चूत पर अभी तक हलके रोँये थे...जिन्हे उसने काटा नही था...यानी उसने अभी तक अपनी चूत की सफाई नही की थी...ऐसी खूबसूरत एक बार चुदी चूत को चूस्कर पापा को कितना मज़ा आएगा...यही सोचकर मनिका मुस्कुरा दी.

और उसने अपनी जीभ के नुकीले सिरे को उसके मटर दाने पर रगड़ना शुरू कर दिया.




''आआआआहह दीदी..................धीरे -2 क्यो कर रहे हो....ज़ोर से सक्क करो ना...............पहले की तरह....''

मनिका समझ गयी की वो जंगली तरीके से प्यार करने वालो में से है...और उसने सुना हुआ था की ऐसी ही लड़कियां अक्सर मर्दों को पसंद आती है जो बेड पर उधम मचाते हुए वाइल्ड तरीके से सेक्स करे..

इस खेल में उसे भी बहुत कुछ सीखने को मिल रहा था..जिसका प्रयोग वो बाद में अपनी रियल लाइफ पर करके और भी ज़्यादा मज़े ले सकती थी.

मनिका : "अच्छा ...तो तुझे ज़ोर से करवाने में मज़ा मिलेगा....अब देख तू....मैं कितने ज़ोर से करती हूँ ....''

इतना कहते हुए मनिका ने अपना चेहरा ज़ोर से उसकी चूत पर दे मारा...और सड़प -2 करते हुए उसकी चूत को ऐसे चूसने लगी जैसे बर्फ का मीठा गोला चूसते है ....

कनिका तो छटपटा कर रह गयी ....उसने मनिका के बालों को पकड़कर उसके चेहरे को अपनी टाँगो के बीच ऐसे फिक्स कर लिया जैसे वो उसे अब कभी छोड़ेगी ही नही...

''आआआआआआआआअहह .............ओह येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स पापा.................मेरे प्यारे पापा.................ऐसे ही सक्क करो................ज़ोर ज़ोर से................... अहह...''



और इस बार मनिका ने उसकी पूरी की पूरी चूत को अपने मुँह में भर लिया...यानी उसकी चूत की दोनो संतरे जैसी फांको को मुँह में लेकर चूस डाला..मनिका के मुँह में एकदम से इतना रस भर गया जैसे उसने कोई स्पंज रसगुल्ला मुँह में लेकर दबा दिया हो...

और ऐसा और ना जाने कितना रस और भर रखा था इस छोटी सी चुहिया ने अपनी चूत के अंदर ..


उसकी चूत को अच्छी तरह से चूसने के बाद मनिका को ऐसा लगा जैसे उसने कोई शक्तिवर्धक टॉनिक पी लिया है...एक नशा सा चड गया था उसे पीकर ...और उसी नशे में डूबकर वो उपर की तरफ चल दी..

और उसके नुकीले निप्पल को अपने मुँह में लेकर उसने ज़ोर से काट लिया..

''आआआआआआआआआआआआआआअहह...........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....


भले ही कनिका तड़प उठी थी इतने ज़ोर से काटने पर..लेकिन उसने कोई शिकायत नही की

बल्कि मनिका के चेहरे को पकड़कर अपने दूसरे बूबे पर ले आई और आँखो ही आँखो में उसे भी उतनी ही ज़ोर से काटने की गुज़ारिश कर डाली..
Reply
09-21-2018, 02:01 PM,
#69
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
भले ही कनिका तड़प उठी थी इतने ज़ोर से काटने पर..लेकिन उसने कोई शिकायत नही की

बल्कि मनिका के चेहरे को पकड़कर अपने दूसरे बूबे पर ले आई और आँखो ही आँखो में उसे भी उतनी ही ज़ोर से काटने की गुज़ारिश कर डाली..

और उसकी बात को मानते हुए मनिका ने उस निप्पल को भी नही बक्शा और अपने पैने दांतो से उसके कोमल माँस को अंदर दबा कर मसल डाला..

दर्द और मज़े से भरी सिसकारियाँ गूँज उठी पूरे कमरे में ..

और उस चीख को भी मनिका ने अपने मुँह से दबा दिया ....अपने होंठ रख दिए उसके लरज रहे अधरों पर...और पी लिया सारा का सारा मीठा रस.

मनिका की चूत में फिर से खुजली होने लगी थी..

वो धीरे-2 किसी नागिन की तरह चलती हुई कनिका के उपर चड़ती चली गयी..

और अपने ही आनंद में डूबी हुई कनिका को पता भी नही चला की कब मनिका की रस टपकाती हुई चूत उसके मुँह के ठीक उपर आ लगी..

मनिका ने अपनी चूत को नीचे करते हुए उसके होंठों से छुआया ,और जैसे ही कनिका को उसकी चूत का अंदाज़ा हुआ, उसने लपक कर अपनी जीभ बाहर निकाल ली और उसे चाटना शुरू कर दिया.



मनिका बड़े ही मादक अंदाज में अपनी कमर हिला-हिलाकर उस से अपनी आइस्क्रीम चुस्वा रही थी.


एक के बाद दूसरी बार झड़ने के बहुत करीब पहुँच चुकी थी अब वो.

कनिका तो जैसे हर पल के साथ सेक्स में मास्टर होती चली जा रही थी.


उसकी जीभ अब पहले से ज़्यादा अंदर और पहले से ज़्यादा हमला करती हुई उसकी सेवा कर रही थी.

पर अब सिर्फ़ उसकी जीभ के कुरेदने से कुछ होने वाला नही था..

दोनो के सिर पर उत्तेजना का ज्वार पूरी तरह से चढ़ चुका था.

मनिका ने अपनी चूत को नीचे लाते हुए उसकी टाँगो के बीच में से अपनी टांगे क्रॉस करी जिससे दोनो की चूतें आपस में मिल गयी..

और फिर दोनो एक दूसरे की आँखो में देखते हुए धीरे -2 अपने-2 शरीर को हिलाने लगे



और उस थिरकन ने जल्द ही रफ़्तार पकड़ ली

ऐसा लग रहा था जैसे दोनो को एक दूसरे से पहले झड़ने की जल्दी है..

कनिका ने तो उसके चेहरे को अपने करीब लाकर उसे फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया..
और साथ ही साथ उसकी गोल मटोल बूब्स बॉल्स को भी अपने हाथों से मसलने लगी

एक साथ अपने सभी सेंसेटिव पायंट्स पर हमला होता देखकर मनिका तो बावली हो गयी.

उसके होंठों को वो किसी वहशी की तरह चूस रही थी...बिल्कुल वैसे ही जैसे उसके पापा ने चूसा था उसे उस दिन बरसात में .

और स्तनों को तो ऐसे मसल रही थी जैसे वो रबड़ के बने हो...पर इस वक़्त दर्द से ज़्यादा मज़ा मिल रहा था.

और अपनी चूत के उपर उसकी चूत की घिसाई महसूस करते हुए तो उसका बुरा हाल था.

घर्षण से इतनी गर्मी निकल रही थी अंदर से की अगर कोई कागज रख दो तो वो भी आग पकड़ ले..

मनिका से वो सब बर्दाश्त नही हुआ और उसने कनिका को नीचे पटक दिया

और खुद उसके उपर चढ़ बैठी.

किसी मर्द की तरह

और अपनी चूत को फिर से उसकी चूत पर लगाकर ऐसे झटके मारने लगी जैसे वो अपने लंड से उसकी चुदाई कर रही हो



कनिका के सेक्सी जिस्म और नशीली आँखो मे देखते हुए उसने अपनी चोदने की स्पीड तेज कर दी.

दोनो की चूतें एक दूसरे से घिसाई करने के बाद चाशनी से तर बतर हो चुकी थी.

चादर तो भीग ही चुकी थी बुरी तरह से

और फिर वो वक़्त आ ही गया,जिसके लिए दोनो इतनी मेहनत कर रही थी..झड़ने का 

और आख़िर मे बुरी तरह से कराहती हुई दोनो झड़ने लगी..ढेर सारा पानी निकला था उन दोनों बहनों की फूल जैसी चुतो से

आखिर कई देर की मशक्कत के बाद मिले इस जन्नत जैसे आनंद की प्राप्ति के बाद वो दोनों बहनें एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर सो गई,

शाम के 5 बजने वाले थे, कनिका की आंखे पहले खुल चुकी थी, उसने अपने साइड में देखा तो मनिका बिल्कुल निश्चिन्त होकर सोई पड़ी थी, अपनी दीदी को इस तरह देखकर कनिका से रह नही गया और उसने आगे बढ़कर अपने होठों को मनिका के होठों से सटा दिया, और उनका जूस चूसने लगी

मनिका भी कनिका की इस हरकत से उठ गई, और कनिका को इस तरह अपने होठ चूसते देख उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी, थोड़ी देर के चुम्बन के बाद दोनों बहनें खड़ी हुई और फ्रेश होकर हॉल में आ गई और बाते करने में मशगूल हो गयी

कनिका - दीदी अब तो हम पापा के साथ मिलकर सेक्स कर सकते है ना, कितना मज़ा आएगा, आप मैं और पापा

मनिका - हाँ छुटकी, बहुत मज़ा आएगा, पर पापा को ये बताएंगे कैसे कि अब हम साथ मे सेक्स करने के लिए पूरी तरह से तैयार है

कनिका - उसकी चिंता आप मत करो दीदी, आज हम दोनों उनको वो जलवे दिखएँगे कि वो खुद हमे साथ मे चोद देंगे

मनिका - धत्त तू बहुत शैतान हो गयी है छुटकी, पर मेरी एक शर्त है

कनिका - शर्त कैसी शर्त

मनिका - तुम दोनों ने मुझे बिना बताए सेक्स किया इसलिए उसकी सजा मैं तुम्हे दूंगी

कनिका - सज़ा कैसी सज़ा

मनिका - यही की पापा को ये बताने के बाद कि अब हम दोनों उनसे साथ सेक्स कर सकते है, पर आज की रात पहले सिर्फ मैं ही उनसे चुदाई करवाउंगी, और तुम सिर्फ पास बैठकर देखोगी, ताकि तुम्हे भी पता चले कि कल रात तुम दोनों को चुदाई करते देख मेरी क्या हालत हुई थी, और पापा भी तुन्हें पास में बैठा देखे पर कुछ कर न सके

कनिका - पर दीदी ये तो बहुत बड़ी सज़ा दी रही हो आप, मैं कैसे खुद को कंट्रोल कर पाऊंगी

मनिका - मुझे नही पता, तू मेरी बहन है ना, मेरी इतनी बात नही मान सकती

कनिका - चलो ठीक है दीदी, आपके लिए मैं सब कीच करूंगी ,पर आपके एक बार चुदाई के बाद हम आज ही मिलकर उनसे चुदाई करवाएंगे पक्का

मनिका - हाँ ठीक है


यह कहकर दोनों बहनें एक दूसरे से गले लग गयी, और फिर दोनों मनिका के रूम में आ गयी और बहुत ही सेक्सी तरीके से खुद को सजाने लगी

आज तो दोनों बहनें इस कदर सेक्सी लग रही थी जैसे वो आज जयसिंह पर कहर ही ढाना चाहती थी

शाम को जयसिंह अपने घर पहुंचा, घर की बेल बजाई तो सामने कनिका खड़ी थी, आज तो इतनी सेक्सी लग रही थी कि जयसिंह तो बस उसे देखता ही रह गया

कनिका - क्या हुआ पापाआआआ, ऐसे क्या देख रहे हो मुझे

जयसिंह - बेटी आज तो तुम इतनी सेक्सी लग रही हो कि मन कर रहा है कि यही पटककर छोड़ दूं तुम्हे

कनिका - क्या पापाआआआ, आप भी ना, कल रात ही तो आपने मेरी चुत की जबरदस्त कुटाई की है

जयसिंह - अरे तेरी जैसी चुत को तो जितना चोदा जाए उतनी ही इच्छा और भी बढ़ती जाती है, वैसे मनिका कहाँ है, बाहर गयी है क्या, चलो न अभी एक राउंड कर लेते है

कनिका - अरे अरे रुको पापा, दीदी अंदर ही है, टीवी देख रही है

जयसिंह ये सुनकर थोड़ा सा दुखी हुए और अंदर आ गया, पर उसे क्या पता था कि आज उस पर क्या कहर ढहने वाला है


जयसिंह ने जब हॉल में मनिका को देखा तो उसके हाथ मे जो सूटकेस था वो वही गिर गया, वो एकटक मनिका को निहारने लगा, उसकी प्यारी सी रंडी बेटियां आज उसके लंड पर कहर ढाए जा रही थी, मनिका ने तो इतनी छोटी सी स्कर्ट पहनी थी कि उसमें से उसकी गुलाबी कच्छी की झलक साफ साफ दिखाई दे रही थी

उसकी तन्द्रा तब भंग हुई जब कनिक ने पीछे से उसे आवाज़ दी, क्या हुआ पापाआआआ ,आप रुक क्यों गए

जयसिंह सकपकाया और जल्दी से अपना बैग उठाकर अपने रूम में दौड़ गया, उसको इस तरह हड़बड़ाते देखकर दोनों बहनें हसने लगी, उन्हें अपनी पहली चाल कामयाब होती दिख रही थी

कमरे में आकर जयसिंह को ऐसा लग रहा था जैसे वो 100 मीटर की दौड़ में हिस्सा लेकर आया है, उसका बदन आग की तरह सुलग रहा था, रह रहकर उसकी आँखों के सामने उसकी बेटियों का वो रूप आ रहा था


"आज क्या हो गया इन दोनों को, कोसे छोटे छोटे कपड़े पहन मेरे इस लंड पर कहर ढा रही थी, पूरी रंडी लग रही थी दोनों, मन कर रहा था कि वही पटककर दोनों को छोड़ दूं, हाय्य .....और वो मनिका तो अपनी पूरी कच्छी के दर्शन करवा रही थी मुझे, मन कर रहा था कि उसे वही लिटाकर उसकी गर्म चुत में अपना मोटा लंड घुसेड़ दूँ" जयसिंह इसी तरह की बातों में उलझा था

थोड़ी देर बाद वो फ्रेश होकर अपने पाजामे और टीशर्ट में बाहर आया, अभी भी दोनों बहनें टीवी देखने मे बिजी थी

जयसिंह आकर उनके साथ ही सोफे पर बैठ गया

"और पापा, कैसा रहा दिन ऑफिस में आज" कनिका ने पूछा

"अच्छा रहा बेटी, तुम दोनों बताओ कैसा गुज़रा आज का दिन" जयसिंह बोला

"अरे पापाआआआ आज तो हम दोनों बहनें बेस्ट फ्रंड्स भी बन चुकी है, बहुत अच्छा रहा हमारा दिन" कनिका चहकती हुई बोली

"क्यों इस क्या हो गया आज" जयसिंह ने आश्चर्य से पूछा

पर कनिका तो बस इसी सवाल का इंतेज़ार कर रही थी, उसके शैतानी दिमाग ने इस पल के लिए कुछ सोच रखा था, उसने पहले ही प्लान बना रखा था, और अपने प्लान पर अमल करती हुई वो बेबाकी से बोल पड़ी

"आज हम दोनों बहनों का बदन एक हो गया है पापाआआआ" कनिका बोली

"क्या मतलब........" जयसिंह के गले की सांस उसे रुकती हुई सी महसूस हुई

"मतलब ये मेरे भोले पापा की आज हम दोनों बहनों ने एक दूसरे की चुत से निकली मस्त मलाई चख ली हैं" कनिका बेबाकी से जवाब दिए जा रही थी


"ये ....ये...तुम कैसी गन्दी बाते कर रही हो मेरे सामने" जयसिंह थोड़ा हकलाता हुआ बोला

"अच्छा जी आप गंदे काम कर सकते है और हम बोल बजी नही सकते" इस बार मनिका बीच मे बोल पड़ी

"गंदे काम मैने क्या किया है" जयसिंह सचमुच काफी डर गया था ,उसकी ऐसी हालत देखकर दोनों बहनें हंसी जा रही थी

"गंदे काम, मैं बताती हूं कि आपने क्या किया, आपने मेरे साथ दो बार दमदार चुदाई की और बिना मुझे बताए अपनी छोटी बेटी को भी छोड़ दिया" मनिका झुटमुट के गुस्से में बोली

" क्याआआआआ....." अब तो जयसिंग की सिटी पिट्टी गुम हो चुकी थी, उसका भांडा फुट चुका था, उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे

"क्यों पापाआआआ, अब बोलो क्या हुआ" मनिका बोली

"वो बेटी वो वो म मम्मम...." जयसिंह हकला रहा था

"पापा अब तो आपको सज़ा जरूर मिलेगी" मनिका बोली

"सज़ा कैसी सज़ा" जयसिंह डरता हुआ बोला, उसे तो लग रहा था कि उसके हाथ मे आयी हुई उसकी दोनों बेटिया उसके हाथों से निकलने वाली है, काश वो एक मे ही खुश रहता, वो अपनी किस्मत को दोष दे रहा था, पर उसे क्या पता था कि आज की रात उसकी किस्मत बदलने वाली है

"मैं बताती हूँ कि आपको क्या सज़ा मिलेगी, आपकी सज़ा ये है कि आज हम मैं आपके इस अहंकारी बड़े से लंड को कच्चा कहा जाऊंगी" मनिका हस्ते हुए बोली

दोनों बहनों को हस्ते देख जल्द ही जयसिंह को भी सारा माजरा समझ आ गया, वो भी अब हल्के हल्के मुस्कुराने लगा

"अरे रुको अभी तो पूरी सज़ा सुननी बाकी है" मनिका बोली

"बोलो क्या सजा दोगी मुझे" जयसिंह भी अब इस खेल का मजा ले रहा था

"आपकी सजा ये है कि आज की रात आपके इस लंड को मेरी चुत को 3 बार काम से कम शांत करने होगा, और आप सिर्फ मेरी ही चुदाई करोगे, कनिका पास में खड़ी होकर नंगी हमे देखेगी, पर आप उसे छू नही सकते" मनिका बोली

ये तो सचमुच एक सजा से कम नही थी, कनिका जैसी खूबसूरत रांड बेटी सामने नंगी खड़ी हो तो वो कैसे खुद पर काबू रखता, पर वो मनिका को मना भी नही कर सकता था

उसने भारी मन से हाँ भर दी, उसके हां भरने की देर थी कि मनिका ने तुरंत जयसिंग के होठो पर हमला कर दिया,
मनिका अपने मुँह से अजीब-2 सी आवाज़ें निकाल रही थी...और जयसिंह को अपने होंठों के ज़रिए पिये जा रही थी.
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09-21-2018, 02:01 PM,
#70
RE: Baap Beti Chudai बाप के रंग में रंग गई बेटी
ये तो सचमुच एक सजा से कम नही थी, कनिका जैसी खूबसूरत रांड बेटी सामने नंगी खड़ी हो तो वो कैसे खुद पर काबू रखता, पर वो मनिका को मना भी नही कर सकता था

उसने भारी मन से हाँ भर दी, उसके हां भरने की देर थी कि मनिका ने तुरंत जयसिंग के होठो पर हमला कर दिया,
मनिका अपने मुँह से अजीब-2 सी आवाज़ें निकाल रही थी...और जयसिंह को अपने होंठों के ज़रिए पिये जा रही थी.

जयसिंह ने मनिका को अपनी गोद मे उठा लिया और कनिका के साथ अपने रुम में आ गया

कनिका ने भी दरवाजा बंद कर दिया.

जयसिंह ने इतनी ज़ोर वाली सकिंग पावर आज तक महसूस नही की थी...उसने भी अपने आप को मनिका के हवाले छोड़ दिया..और आराम से खड़ा होकर उसकी स्मूच का लुत्फ़ उठाने लगा.

उसकी आँखे खुली हुई थी और वो पीछे खड़ी कनिका को बिल्कुल करीब से देख पा रहा था...उसने अपनी बाहें मनिका के चारों तरफ लपेट दी और मनिका को उतनी ही तेज़ी से चूमने लगा जितनी ज़ोर से वो चूम रही थी.



कनिका उन्हे किस्स्स करते हुए देखकर यही सोच रही थी की ना जाने किस जन्म का बदला ले रहे है एक दूसरे से जो इतनी ज़ोर से चूम रहे है...कनिका भी उनके बिल्कुल पास खड़ी थी, मनिका की पीठ उसकी तरफ थी

जयसिंह ने अपना हाथ पीछे की तरफ बढ़ाकर कनिका के बूब्स पर रख दिया...और इस तरह से मनिका के साथ-2 कनिका को भी अपने लपेटे में ले लिया जयसिंह ने...कनिका तो अपने पापा के सख़्त हाथों को अपनी कोमल और नन्ही छाती पर महसूस करते ही भलभला उठी...और अपने होंठों को दांतो तले दबाकर अंदर ही अंदर सिसक पड़ी..


कुछ देर तक चूमने के बाद मनिका को जैसे होश आया...उसने आँखे खोली और जयसिंह को बेड पर बैठने को कहा..

मनिका की आँखे खुलते ही जयसिंह ने तुरंत कनिका के बूब्स छोड़ दिए...कनिका को तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था की जयसिंह ने हाथ झटक लिए..उसे बहुत बुरा लगा..पर वो कर भी क्या सकती थी...आज उसका दिन नही था...इसलिए ऐसे में उसे आज जो भी मिल रहा था उसके लिए वही बहुत था..

जयसिंह भी जानता था की मनिका को अच्छा प्यार देने की खातिर आज उसे कनिका से दूर ही रहना होगा..


मनिका को चूमते-2 जयसिंह के हाथ उसके बूब्स पर चले गये...मनिका को हमेशा से ही अपने बूब्स पर हाथ लगने के बाद गुदगुदी सी महसूस होती थी...उसने जयसिंह के हाथ वहां से हटाना चाहा पर वो तो शैतान पापा की तरह अपनी बेटी की कमज़ोरी जानने के बाद उसके पीछे ही पड़ गया...और अपना मुँह नीचे करते हुए उसने टी शर्ट के उपर से ही उसके उभरे हुए निप्पल को अपने दांतो में दबोच लिया और ज़ोर से काट लिया.



''आआआआआआआआआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....पापाआआआ .....''

एक साथ दो सिसकारियाँ गूँजी थी....मनिका के साथ-2 कनिका भी कसमसा उठी थी.

दोनो ने एकदम से अपनी किस्स तोड़कर कनिका की तरफ देखा तो वो थोड़ा डर सी गयी...कि कहीं उसे कमरे से बाहर जाने के लिए ना बोल दे...वो चुपचाप जाकर कोने में पड़ी चेयर पर जाकर बैठ गयी.
मनिका और जयसिंह मुस्कुरा दिए और एक बार फिर से अपने काम पर लग गये.मनिका उसे चूमने में और जयसिंह उसके बूब्स को दबोचने में ..

अब मनिका अपने जंगली रूप में आने लगी थी...जयसिंह जिस अंदाज से उसके बटन्स को छेड़ रहा था,मनिका अपनी उत्तेजना की सीमा के करीब पहुँचती जा रही थी.

जयसिंह ने अपनी टी शर्ट उतार दी और अपना कसरती बदन मनिका को दिखाया.



जवाब मे मनिका ने भी उतनी ही बेशर्मी से अपनी टी शर्ट को उतार फेंका...जयसिंह ने उसकी टी शर्ट उतारने में मदद की और उतारने के बाद उसे हवा में उछाल दिया .... अब वो सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में खड़ी थी.



ऐसा लाजवाब हुस्न देखकर जयसिंह का लंड उसके पाजामे में खड़ा हो गया....जिसे आगे बढ़कर मनिका ने अपने हाथो में पकड़ा और ज़ोर से दबा दिया...जयसिंह ने अपना हाथ उसकी कमर पर लेजाकर उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए और अपनी आँखो का इशारा करके उसे नीचे जाने को कहा...

मनिका ने अपने हाथ उसके पाजामे पर रखे और जयसिंह ने उसकी ब्रा पर..और जैसे ही मनिका नीचे बैठी, उसकी ब्रा जयसिंह के हाथ में रह गयी...और नीचे बैठते-2 जयसिंह के पाजामे को मनिका ने नीचे कर दीया..इस तरह से दोनो एक ही साथ नंगे हो गये

जयसिंह का लंड मनिका के चेहरे से किसी डंडे की तरह टकराया..जिसे पकड़कर उसने बड़े प्यार से देखा लेकिन जैसे ही वो उसे चूसने के लिए आगे हुई, जयसिंह ने उसे रोक दिया, बेचारी के मुंह का पानी अंदर ही रह गया..


जयसिंह : "ऐसे नहीं ... पहले रिक्वेस्ट करो, इसे चूसने की परमिशन मांगो ''.

मनिका भी जयसिंह की ये बात सुनकर सोचने लगी की ये क्या हो गया है पापा को, ऐसे मौके पर आकर ये कैसी हरकत कर रहे है, जब वो चूसने के लिए तैयार है ही तो इस तरह की मिन्नतें करवाकर उन्हें क्या मिलेगा.

पर वो बेचारी नहीं जानती थी की आज की रात के लिए जयसिंह ने क्या-२ सोच कर रखा हुआ था, और ये भी उसी सोच का हिस्सा था, जयसिंह जानता था की ये मनिका की तीसरी ही चुदाई है, इसलिए उसकी चुदाई की हर मूमेंट को वो यादगार बना देना चाहता था, ताकि वो उसे उम्र भर याद रखे, इसलिए कदम-२ पर उसने इस तरह के छोटे-२ खेल सोच कर रखे हुए थे.

मनिका ने भी बहस करना सही नहीं समझी , वो उसके मोटे लंड को देखते हुए प्यार भरे स्वर में बोली : "प्लीज , लेट मी सक इट, चूसने दो मुझे ''



जयसिंह (मुस्कुराते हुए) : "यस, सक्क इट , चूसो इसे, मेरे लंड को,मेरी बॉल्स को, चाटो , खा जाओ इन्हे ....."



मनिका ने महसूस किया की ये सब सुनकर उसके शरीर में अजीब-२ सी तरंगे उठने लगी है, वो पहले से ज्यादा उत्तेजित महसूस करने लगी, जयसिंह के लंड को चूसने की अभिलाषा और जोर से उभरने लगी, अब वो समझ गयी थी की पापा ने ये सब किसलिए किया , वो मन ही मन उन्हें थेंक्स बोलते हुए आगे बड़ी और टूट पड़ी जयसिंह की टांगो के बीच ..
.कुछ देर तक उसकी बॉल्स को अच्छी तरह चूसने के बाद एक ही बार में उसके मोटे लंड को अपने मुँह के अंदर निगल गयी.



मनिका ने इस पल का ना जाने कितने पलो से इंतजार किया था...जब से कनिका और मनिका ने सीक्रेट शेयर किये थे तब से ही मनिका के दिमाग़ में बस यही चल रहा था की जब पापा घर पर दोबारा मिलेंगे तो कैसे चुसेगी...कैसे मसलेगी उनके लंड को.

क्योंकि एक बात तो वो समझ ही चुकी थी की उसके पापा को लंड चुसवाना बहुत पसंद है.

अब इस पगली को कौन समझाए की ये काम तो हर मर्द की पहली पसंद है.

मनिका ने पिछले 2 दिनों से इकट्ठी की हुई लार को चाशनी की तरह अपने पापा के लंड पर लपेट कर उसे नहला दिया और ज़ोर -2 से जयसिंह का मीठा लंड चूसने लगी.

ये सब देखकर कनिका का क्या हाल हो रहा था ये बताने की ज़रूरत नही थी.

वो तो अपनी चूत को अपनी जाँघो के बीच दबाकर अपनी संतरे की फांको को आपस में बुरी तरह से मसल रही थी.. और साथ ही साथ अपनी उंगली खुद ही चूस्कर अपने दिल को तसल्ली दे रही थी की वो भी किस्स कर रही है...और दूसरे हाथ से अपनी छातियों को लाल करने में लगी हुई थी.

जयसिंह तो नीचे मुँह करके मनिका की छातियाँ देखकर पागल हुए जा रहा था, उसकी इन्ही तनी हुई कुँवारी छातियो ने ही उसकी तरफ आकर्षित किया था उसे हमेशा से...और अब वही छातियाँ उसके सामने थी...और वो भी पूरी नंगी.

जयसिंह के मुँह मे पानी भर आया...और उसे मालूम था की इस पानी को कहाँ उड़ेलना है...उसने मनिका की बगल में हाथ डालकर उसे किसी बच्चे की तरह उठाकर बेड पर पटक दिया और उसके मुम्मो पर टूट पड़ा...ऐसा लग रहा था जैसे वो दो मीठे स्पॉंज केक खा रहा था जिनपर लगी चेरी को वो मुँह में लेजाकर चुभलाता और अपने दांतो से उसे उखाड़ने की कोशिश भी करता.
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