antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
12-01-2018, 01:25 AM,
#31
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
अंदर एंटर होते ही स्मृति चारो तरफ देखती है लेकिन उसे कहीं से भी आइडिया नही लगता कि वो लाइयन है यहाँ. वो धीरे धीरे आगे बढ़ती है और एक बार काउंटर की खाली चेर पे जाकर बैठ जाती है. वो अभी भी देख रही थी कि आख़िर ये लाइयन है कहाँ.

" यू नीड एनितिंग मॅम?" वो बार गर्ल की आवाज़ से शॉक्ड हो जाती है और मूड कर देखती है.

" यस..... यस....... वन विस्की वित कोक प्लीज़...." स्मृति उस लड़की को बोलती है

" वन फॉर मी ऑल्सो". ये आवाज़ स्मृति के पीछे से आती है. स्मृति पीछे मूड कर देखती है तो एक इंसान उसकी आँखो पे अपना हाथ रख देता है. स्मृति उसका हाथ हटाती है और उसकी तरफ देखती है.

उसका फेस मास्क से ढका हुआ था, उसने बाकी बाय्स की तरह फुल मास्क पहना हुआ था. वो स्मृति की तरफ अपना हाथ मिलाने के लिए बढ़ता है. स्मृति एक बार उसे और एक बार उसके हाथ को देखती है. फाइनली उससे से शेक हॅंड करती है.

" हाई, आइ आम लाइयन....." स्मृति तो जैसे अपनी चेर से खड़ी हो जाती है. वो स्मृति के कंधो को पकड़ कर उसे फिर से उसकी राउंड चेर पे बिठाता है.

स्मृति -" तो तुम ही हो वो...."

लाइयन -" वो कौन.....?"

स्मृति -" वो ही जिससे मे चॅट करती रही"

लाइयन -" जी हम ही वो नाचीज़ है". लाइयन अपनी गर्दन झुकाता हुआ बोलता है.

इतने मे वो बार गर्ल दोनो के पेग बना कर ले आती है और उन्हे दे देती है.

" क्यू ना हम उस फ्री स्पेस मे बैठे". लाइयन स्मृति को वो खाली स्पेस दिखाता है जहाँ एक टेबल और दो चेर खाली पड़ी थी.

" हाँ ये सही रहेगा". स्मृति उसकी बात को मानते हुए बोलती है.

वो दोनो अब उन चेर पे जाकर बैठ जाते है. उस टेबल पे दो चेर थी जो कि एक ही डाइरेक्षन मे थी. यानी कि दोनो एक ही रो मे बैठ गये थे.

" हाँ जी मिस्टर. लाइयन, अब बताइए कि क्यू मिलना चाहते थे आप हम से?". स्मृति लाइयन से स्माइल करते हुए पूछती है.

लाइयन -" इस गजब की खूबसूरती को मैं पास से देखना चाहता था". लाइयन की ये बात सुनकर स्मृति शरमा जाती है.

स्मृति -" लेकिन कैसी खूबसूरती देख रहे हो जब ये फेस मास्क है". स्मृति का इशारा अपने फेस मास्क की तरफ था.

लाइयन -" फेस मास्क तो बस आपकी आइज़ पर है लेकिन अभी भी बहुत सुंदरता कवर्ड नही है. हम तो उसी से गुज़ारा चला लेंगे". लाइयन अपना फेस झुकाते हुए स्मृति के बूब्स की ओर इशारा करता है.

स्मृति - " तुम सुधरोगे नही. वैसे क्या तुम मुझे अपना फेस दिखा सकते हो, पता नही क्यू तुम्हारी आवाज़ कुच्छ पहचानी सी लग रही है. "

लाइयन -" मैं अपनी खूबसूरती की देवी से मिलने आया हू, मैं नही चाहता कि मुझे सेक्यूरिटी धक्के देकर बाहर निकाल दे. फेस मास्क हटाना सेफ नही है"

स्मृति -" जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. और सूनाओ". स्मृति अपने पेग का सीप लेते हुए बोलती है.

लाइयन -" आज आपका दिन है. आप हमरी गेस्ट है, इतनी खूबसूरत गेस्ट जो हम से पुछेगि वो मैं बताउन्गा." लाइयन फिर से अपना चेहरा झुकाते हुए बोलता है

स्मृति -" एज क्या है तुम्हारी?"

लाइयन -" अभी कुच्छ महीने पहले ही 18 का हुआ हू?"

स्मृति तो जैसे ये बात सुनकर शॉक्ड ही हो जाती है लेकिन शो नही करती.

स्मृति -" तो 18 साल की उम्र मे ही ये सब शुरू कर दिया है. ड्रिंक भी कर रहे हो, मेरी एज पता है तुम्हे?"

लाइयन -" आपकी हर चीज़ पता है मुझे ". लाइयन फिर से स्मृति के बूब्स की तरफ गर्दन करते हुए बोलता है

स्मृति -" तो बताओ क्या है.....". अपने पेग का सीप लेते हुए स्मृति बोलती है

लाइयन -" 36 ड्ड" लाइयन अभी भी उसके बूब्स की तरफ ही देख रहा था

स्मृति - " क्या कहा तुमने....."

लाइयन -" मैने.. मैने कहा कि आपकी एज 40 के करीब होगी".

स्मृति -" तो लगभग मे तुम्हारी मा की उम्र की हू. और जो तुमने मेरे साथ स्केरी हाउस मे किया क्या वो सही था".

लाइयन -" आपकी उम्र होगी लेकिन लगती तो आप अभी भी पूरी जवान है तो मुझसे ग़लती हो गयी". अपनी तारीफ फिर से सुन कर स्मृति शरमा जाती है.

स्मृति -" अभी तो तुम्हे ठीक तरीके से दाढ़ी मूंछ भी नही आई होंगी"

लाइयन -" हर जगह आ चुकी है...". लाइयन ने फिर से अपना पेग पीते हुए डबल मीनिंग बात कही.

स्मृति अपने बॅग को खोल कर उसमे से एक सिगरेट बॉक्स निकालती है. और पेग को साइड मे रखकर सिगरेट को लाइटर से जलाती है. स्मृति धीरे धीरे खुल रही थी.

लाइयन -" क्या आप स्मोकिंग भी करती हैं?".

स्मृति -" कभी कभी.....".

लाइयन -" मुझे आपके बारे मे ये बात नही पता थी कि आप स्मोकिंग भी करती है".

स्मृति -" ये बात तो मेरे घर मे भी नही पता है. कभी कभी अपने हज़्बेंड की पी लेती हू. तुम ये छोड़ो और बताओ".

लाइयन -" आप बहुत सेक्सी है......"
स्मृति को उसकी ये बात काफ़ी अच्छी लगी. वो अपनी तारीफ से खुश हो रही थी लेकिन शो नही कर रही थी.

स्मृति -" तुम जैसे लड़को को तो हर लेडी सेक्सी लगती है..." स्मृति अपने पेग को ख़तम करते हुए बोलती है.

लाइयन -" ऐसा नही है. यहाँ मे चाहता तो कोई भी लड़की मेरे साथ हो सकती थी लेकिन मुझे बस आप सेक्सी लगती हो".

स्मृति -" तुम्हे इतना यकीन है कि तुम्हारे साथ कोई भी हो सकती थी"

लाइयन -" मेरे पास वो सब कुच्छ है जो लड़कियो को अच्छा लगता है..."

स्मृति -" क्या है तुम्हारे पास....?"

लाइयन -" हाइट, बॉडी, मनी..... और....."

स्मृति -" और क्या......."

लाइयन -" लंड......"

स्मृति उसकी इस बात को फिर से इग्नोर करते हुए अपने ग्लास को उठाती है और बार की तरफ चल देती है.

" मैं एक पेग और लेकर आती हू". जैसे ही वो चेर से उठ कर चलती है, लाइयन उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचता है. स्मृति आकर उसकी गोद मे गिर जाती है और स्मृति की पीठ लाइयन मे सीने से टकराती है. लाइयन उसके कान मे कहता है-

" आप यहीं बैठिए, ज़्यादा गांद मटकाओगि तो नज़र लग जाएगी". और वो उठ कर पेग लेने चला जाता है. स्मृति उसकी इस बद तमीज़ी को देखती रह जाती है.

जब वो पेग लेकर आ रहा होता है तो स्मृति उसे ध्यान से देखती है. अच्छी हाइट, चौड़े कंधे, मजबूत जिस्म. कुल मिलाकर अच्छी पर्सनॅलिटी थी.

" ये लीजिए आपका पेग". लाइयन ऑफर करता है

" थॅंक यू......". स्मृति उसे रिप्लाइ करती है.

जैसे जैसे टाइम बढ़ रहा था, उस ग्राउंड मे लोग थोड़े थोड़े कम होते जा रहे थे.

स्मृति -" यहाँ का माहौल मुझे अच्छा लगा. लेकिन ये सोशियल और प्राइवेट क्या है".

लाइयन -" अब धीरे धीरे लोग प्राइवेट मे ही जा रहे है. अभी जहाँ हम बैठे है ये जगह सोशियल है"

स्मृति -" तो प्राइवेट मे क्या होता है"

लाइयन -" वो सब भी होता है जो स्केरी हाउस मे नही हुआ". लाइयन की इस बात से चुप्पी हो जाती है.

स्मृति अपना दूसरा पेग भी ख़तम कर चुकी थी. और उसके साथ सिगरेट का असर तो वो थोड़ी थोड़ी रंग मे आने लगी थी.

स्मृति -" अब मुझे चलना चाहिए..."

लाइयन -" इतनी जल्दी.... क्या अपना ये दोस्त इतना बुरा लगा. या अपने दोस्त का कुच्छ बुरा लगा..."

तभी ठीक स्मृति के सामने एक लड़की अपनी ब्रा उतारती है, और सामने खड़े लड़के के मूँह मे अपना राइट बूब्स चूसने को दे देती है.

स्मृति -" छ्हि, कितनी गंदी लड़की है.....". माहौल खराब कर रही है."

लाइयन -" जैसे जैसे टाइम बढ़ेगा, यहाँ पर लड़कियो के कपड़े कम ही होते जाएँगे. क्यूँ ना हम प्राइवेट मे चले".

स्मृति -" क्या पता तुम फिर से कुच्छ बदतमीज़ी करो...."

लाइयन -" आप जैसा माल साथ मे हो और बदतमीज़ी ना हो तो सब सोचेंगे कि मैं मर्द नही गे हू..."

स्मृति -" ठीक है तो बैठो यहीं ....."

लाइयन -" नही नही. प्रॉमिस कोई बदतमीज़ी नही होगी".

स्मृति -" मैं कैसे यकीन करू?"

लाइयन -" मैं बस बोल हो सकता हू और कुच्छ तो नही कर सकता.". लाइयन बड़ा मासूम बनते हुए बोलता है.

दोस्तो सोचो ये साला लाइयन कौन है शायद आज स्मृति की खैर नही,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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12-01-2018, 01:26 AM,
#32
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
कुशल -" अच्छा !!!! फिर से धमकी. अब आप बताइए पापा को. मैं भी देखता हू कि आप क्या बताती है. क्या बोलेंगी आप उन्हे कि आप लाइयन से चुदि और जब पता चला कि वो कुशल है तो गुस्सा आ गया? या ये बोलेंगी कि मैने ज़बरदस्ती चोद दिया आपको."

स्मृति उसकी बात सुनकर तोड़ा घबरा जाती है. वो उससे नज़रे चुरा कर बोलने लगती है -" मैं तुझसे कोई और बात नही करना चाहती हू."

कुशल आगे बढ़ कर अपनी मा का हाथ फिर से पकड़ लेता है. " छोड़ मेरा हाथ कमिने......". लेकिन कुशल उसकी एक बात नही सुनता और उसे खींच कर अपनी बाँहो मे फिर से भर लेता है.

" मैने कहा छोड़ मुझे...." स्मृति छटपताती है. उसकी पीठ कुशल के सीने मे गढ़ रही थी. कुशल अपना एक हाथ ले जाकर फिर से उसकी गान्ड पर रख देता है.

" लगता है आज इस ऑडियो सीडी को दोनो साइड से बजाना पड़ेगा". कुशल का इशारा अब स्मृति की गान्ड की तरफ था.

स्मृति पूरी ताक़त लगा कर फिर से कुशल की पकड़ से बच निकल जाती है. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी " तू..... तू ....... क्या सोचता है कि जो तू चाहेगा वो कर सकता है...." स्मृति गिड गीडाती है.

" झूठ से प्यार माँगा तो चूत मिली. लेकिन सच से सिर्फ़ गालियाँ मिल रही है. क्यूँ आपको मेरा लंड पसंद नही आया...." कुशल बोलता है

स्मृति -" मुझसे ऐसी बाते मत कर........."

कुशल -" मैं भी एक यंग अडल्ट हू. आपसे ऐसी बात कर सकता हू. आप मुझे बताइए कि क्या इस लंड मे जान नही है. आपकी चूत क्या सही नही चोदि मैने...." आगे बढ़ कर फिर स्मृति का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता है.

स्मृति अपना हाथ झटक कर फिर से पीछे की तरफ हो जाती है. लेकिन कुशल चुप नही होता -

" आप की चूत मे जो रस है , इस गान्ड मे जो दम है वो इस पूरे फार्म हाउस मे किसी लड़की के पास नही होगा. आपकी गदराई जवानी को देख कर मैं पागल हो रहा था. प्लान बनाया और वो सफल भी हुआ लेकिन ग़लती से लाइट जल गयी नही तो आप इस लाइयन से दोबारा मिलती...."

" मैं दोबारा नही मिलती............" स्मृति बोलती है

" खाना अपने हज़्बेंड की कसम..." कुशल उससे पुछ्ता है.

" इस घटिया लाइयन के लिए मे अपने हज़्बेंड की कसम नही खा सकती..." स्मृति बोलती है.

" लाइयन घटिया है. मे जानता हू लेकिन क्या उसका लंड भी घटिया है? क्या आप उससे सॅटिस्फाइ नही हुई?" कुशल पुछ्ता है

स्मृति चुप खड़ी हो जाती है और वो कुच्छ नही बोलती. कुच्छ सेकेंड्स के लिए रूम मे साइलेन्स हो जाता है. लेकिन कुशल फिर से बोलना शुरू करता है -

" मोम, बिलीव मी. हम एंजाय कर सकते है लेकिन किसी को पता भी नही चलेगा. आप को देख कर कोई भी नही कह सकता कि आप मेरी मा है. यहाँ तक कि जवान लड़किया भी आपके सामने पानी नही माँगेंगी. और आप अपने बेटे की हालत का तो सोचिए. भगवान ने मुझे इतना बड़ा लंड दिया है- किसलिए. सिर्फ़ सुबह उठ कर मूतने के लिए. इससे भला हो सकता है. मैं दिन रात आपकी सेवा करूँगा, बदले मे मुझे कुच्छ भी नही चाहिए. किसी और लड़की की तरफ नज़रे उठा कर के भी नही देखूँगा. प्लीज़ मुझे अपना पूरा प्यार दे दो". और कुशल अपना सर स्मृति के कंधो पे रख देता है.

" कुच्छ और कहना है या मैं जाउ...". स्मृति अपना कंधा हटाते हुए बोलती है.

" ट्राइ टू अडनरस्टॅंड मोम.... अब सब हो चुका है. हम इस रिलेशन्षिप को कंटिन्यू कर सकते है. मैने आपको टेस्ट कर लिया है और हमे एक ही घर मे रहना है. सोचिए कि मैं कैसे कंट्रोल करूँगा. आप अपने इस बेटे पे थोड़ा सा तो रहम करिए...." कुशल रिक्वेस्ट करता है.
स्मृति -" तेरे बाप से बोल कर सबसे पहले तेरी शादी करा दूँगी. फिर सब सही हो जाएगा...."

कुशल -" मैं सही कह रहा हू कि मेरा लंड भी खड़ा नही होगा चाहे पूरी रात कोई ट्राइ भी कर ले. अब ये बस मेरी मा के लिए ही खड़ा होगा.."

स्मृति -" बस बहुत हुआ.... अब मैं जा रही हू..." और कह कर वो बाहर निकलने लगती है

कुशल -" क्या आप मुझे साथ लेकर नही चलेंगी......"

स्मृति -" क्यू तू मेरे साथ आया था...."

कुशल -" मैं तो आ जाता लेकिन आप को लाइयन से मिलने मे थोड़ी परेशानी होती, इसीलिए नही आया...."

स्मृति -" मुझे नही पता और मैं जा रही हू..." और ये कह कर वो उस फ्लॅट से बाहर निकल कर ग्राउंड मे आ जाती है.


कुशल उसके पीछे पीछे चल रहा था. कुशल की निगाहे बस उसकी मतकती हुई गांद पर ही थी. कुशल पूरी बेशर्मी वाले मोड पर था. वो पीछे से ही सीटी बजाता हुआ बोलता है -" क्या मस्त गांद है............. वन इन आ मिलियन". स्मृति रुक जाती है. पीछे मुड़ती है और कहती है -

" क्या कहा अभी तुमने......."

कुशल -" मैने..... मैने कहा कि घर कैसे जाउ मे......"

स्मृति -" लुक..... कुशल!! अगर अबसे तूने कुच्छ बोला तो मुझसे बुरा कोई नही होगा.." स्मृति उंगली दिखा कर कुशल से बोलती है और फिर से आगे चल देती है

कुशल अभी भी पीछे पीछे चल रहा था लेकिन कुच्छ बोल नही रहा था. धीरे धीरे स्मृति उस फार्म हाउस से बाहर निकल जाती है. कुशल भी उसके पीछे पीछे बाहर आ जाता है. स्मृति अपनी गान्ड को मॅटकाति हुई फिर पार्किंग मे अपनी कार लेने चली जाती है.

कुशल बाहर आकर रोड पे बैठ जाता है. स्मृति वहाँ से कार लेकर आती है और कुशल को बैठते हुए देखती है. एक जोरदार ब्रेक के साथ गाड़ी उसके पास रुक जाती है. स्मृति विंडो ग्लास खोलती है और बोलती है. "यहीं मरने का इरादा है"

कुशल -" आप रहने दीजिए. मैं कैसे भी चला जाउन्गा.... अगर नही भी आया तो रात को रोड पर ही सो जाउन्गा....." कुशल बहुत मासूम बनते हुए बोलता है.

स्मृति गुस्से मे विंडो डोर बंद करती है और तेज़ी के साथ कार आगे ले जाती है. गाड़ी थोड़ी डोर ही चली थी कि एक बार फिर तेज़ी से ब्रेक लगती है और कार रिवर्स आने लगती है. कार फिर से कुशल के पास आकर रुक जाती है. लेकिन स्मृति कुच्छ बोलती नही.... हॅपी मूड के साथ कुशल खड़ा होकर गेट खोलता है और कार मे बैठ जाता है.

" आइ लव यू मोम....." कुशल स्मृति की तरफ देख कर बोलता है लेकिन तब तक स्मृति कार आगे बढ़ा चुकी थी.

कार एक सुनसान रास्ते से गुजर रही थी. स्मृति ने फुल स्पीड की हुई थी.

" मोम....... मोम......" कुशल बोलता है

" भोंक..... क्या बात है....." स्मृति बोलती है

" वो मोम..... वो.... पेशाब लगा है......." कुशल बोलता है.

पूरी ताक़त के साथ स्मृति फिर से ब्रेक लगाती है. " जा जल्दी कर के आ......" स्मृति बोलती है

कुशल गेट के बाहर निकल कर कार के ठीक सामने अपनी पॅंट खोलने लगता है. कार की हेडलाइट जली हुई थी.

" क्या यही जगह मिली है तुझे.... स्मृति चिल्लाति है

" मोम मुझे डर लगता है....." तब तक वो पॅंट खोल कर अपना लंड बाहर निकाल लेता है. और बाहर निकल कर एक स्माइल देता है.

" तो कम से कम मूँह तो दूसरी साइड कर ले...." स्मृति फिर से चिल्लाति है

ये सुनकर कुशल अपना मूँह दूसरी डाइरेक्षन मे कर लेता है.

कुशल काफ़ी देर तक ऐसे ही पेशाब करता रहता है. स्मृति भी जल्दी मे थी और बार बार उसे हॉर्न दिए जा रही थी. फाइनली कुशल अपनी ज़िप बंद करके भाग कर कार मे आकर बैठ जाता है.

स्मृति फिर से गुस्से मे तेज़ी के साथ गियर डाला और कार फिर से उस सुनसान रोड पे भागने लगी. लेकिन स्मृति का चेहरा तम तमाया ही हुआ था

" इतना टाइम लगता है तुझे पेशाब करने मे..... क्या सालो से रोक रखा था..." स्मृति गुस्से मे बोलती है.

" मोम... क्या आप तो हर बात पर ही गुस्सा हो रही है. मैने कोई टाइम वेस्ट तो किया नही. जितनी देर आया उतनी ही देर तक किया. अगर मुझे पता होता कि आप इतना गुस्सा हो जाएँगी तो मैं जाता ही नही." कुशल बोलता है

" चल अब अपने ड्रामे बंद कर..... " स्मृति कार चलाते हुए सामने देखकर बोलती है.

कार चल रही थी और दोनो शांत थे. कुशल तिर्छि निगाहो से बार बार स्मृति को देखे जा रहा था.

" मोम एक बात कहु....." कुशल बहुत ही पोलाइट स्टाइल मे स्मृति से बोलता है

" नही.... मुझे कुच्छ नही सुन ना....." स्मृति रिप्लाइ करती है

कुशल चुप होकर कार मे साद अंदाज़ मे कॉर्नर मे मूँह करके बैठ जाता है. अब कुशल का मूँह बाहर की तरफ था, स्मृति भी उसे तिर्छि निगाहो से देखती है.

" भोंक जल्दी क्या बात है....." स्मृति उसे थोड़ा सा सॅड देख कर बोलती है.

कुशल खुश होकर अपनी मा की तरफ घूमता है. और बोलता है -

कुशल -" मोम, चाहे जो भी बात है लेकिन एक बात कहु... चलो कही देता हू. आज मैने अपनी वर्जिनिटी खो दी. आज मैं कुँवारा नही रहा." कुशल सॅड स्टाइल मे अपने माथे पे हाथ मारते हुए बोलता है.

स्मृति -" तू फिर शुरू हो गया. मैने कहा ना तुझे कि मुझे ये बकवास पसंद नही है. और वैसे भी तेरा क्या भरोसा....... भूल गया वो बाते... आज मैने पार्टी मे एक लॅडीस के साथ ये किया और ये किया. फिर भी आज तक कुँवारा था तू. पता नही इतना फ्रॉड कैसे हो गया तू". स्मृति उसे वो बाते याद दिलाती है जो वो लाइयन बन कर बोलता था


कुशल -" मोम, चाटिंग मे ऐसा तो चलता ही है. लेकिन सच मे आज तक मैने किसी के साथ ..... नही किया था. आज पहली बार ऐसा हुआ."

स्मृति -" तुझे ये फार्म हाउस किसने बताया था?"

कुशल -" मेरा एक फ्रेंड है. उसका नाम सन्नी है, उसने बताया था यहाँ के बारे मे....."

स्मृति -" तो क्या तूने उसे ये भी बता दिया कि तू आज यहाँ किसके साथ आ रहा है....?"

कुशल -" मोम आप तो मुझे बिल्कुल पागल समझती है. भला ये बाते भी बताने की होती है, ऐसा तो कभी कोई नही बता सकता...."

स्मृति -" इससे पहले भी यहाँ किसी के साथ आया है तू.?" स्मृति कार चलाते हुए ये सारी बाते कर रही थी.

कुशल -" मोम मैने कहा ना कि आज पहली बार आया हू यहाँ. आप कहेंगी तो दोबारा भी आ जाउन्गा.... हाहहहाहा..."

स्मृति उसकी तरफ गुस्से भरी निगाहो से देखती है और ये देख कर कुशल की हँसी फिर से बंद हो जाती है.

थोड़ी देर बाद कुशल फिर से बात करना शुरू करता है-

" मोम एक बात पुच्छू ...." कुशल बोलता है

" हाँ बोल...." स्मृति का बिहेवियर इस बार थोड़ा पोलाइट था

" क्या आपको मेरे साथ...... यानी जो हमारे बीच हुआ अगर हम उस मे रीलेशन शिप को भूल जाए तो क्या आपको अच्छा नही लगा.... प्लीज़ प्लीज़ गुस्सा मत होना. ये एक सिंपल सवाल है" कुशल अपनी मा से पुछ्ता है.
स्मृति गाड़ी चलाने मे बिज़ी थी. उसने कुशल की इस बात का जवाब देना उचित नही समझ. लेकिन कुशल चुप हो ही नही रहा था और वो फिर से बोलता है -

" आप जितनी सेक्सी दिखती है.... उससे कहीं ज़्यादा सेक्सी आप उस दौरान हो जाती हैं जब आप..... जब आप सेक्स करती हैं...." कुशल बोलता जा रहा था लेकिन स्मृति उसकी किसी बात का जवाब देना उचित नही समझ रही थी.

लेकिन कुशल को तो जैसे भूत ही सवार था कि आज वो चुप नही होगा.

" किचन मे काम करते हुए देख कर नही लगता कि आप इतनी आक्टिव हो सकती है सेक्स के दौरान.... रियली यू आर ग्रेट मोम. हर बार मैं आपका ही बेटा बन कर पैदा होना चाहता हू."

" देख कुशल... मुझे एक और ग़लती का अहसास हो गया है कि तुझे मैं साथ लेकर आई. उससे पहले मैं एक ग़लती कर ही चुकी थी, अब मुझसे और ग़लतियाँ मत करा. मैं नही चाहती कि तू मेरे हाथो से एक थप्पड़ और खा ले" स्मृति उसे समझाती है.

" लेकिन आप इतना तेज गाड़ी क्यूँ चला रही है... मुझे डर लग रहा है..." कुशल बोलता है

" क्यूंकी मैं घर जल्दी पहुँचना चाहती हू." स्मृति रिप्लाइ करती है

" आज तक तो कभी आपको इतना तेज गाड़ी चलाते हुए नही देखा. आख़िर बात क्या है."

" क्यूंकी...... क्यूंकी...... मुझे भी बहुत तेज पेशाब लगा है.... अब समझा". स्मृति बहुत तेज चिल्ला कर कुशल से कहती है

" तो मोम, अभी तो घर पहुँचने मे बहुत टाइम लगेगा. और अगर आप ऐसे ही चलाएंगी तो शायद पहुँचनगे ही नही. अभी रोड खाली है, आप चाहे तो आप भी कर सकती है.." कुशल उसे एक आइडिया देता है

" मुझे रोड पर करना अच्छा नही लगता..." स्मृति बोलती है

कुशल -" मोम अच्छा तो किसी को नही लगता. लेकिन मजबूरी मे तो काम चलाना ही पड़ता है. प्लीज़ आप कार रोकिए, मैं वादा करता हू कि कोई परेशानी नही होगी." कुशल उसके हाथ पर हाथ रख कर बोलता है.

स्मृति - " तेरे जैसी बेशर्म नही हू. मुझसे नही होगा ये सब रोड पे. और कितनी घनी झाड़ियाँ है रोड के दोनो साइड, पता नही इनमे क्या होगा. ". स्मृति रोड के दोनो साइड देखती हुई बोलती है

कुशल -" मोम आपको झाड़ियो मे जाने की ज़रूरत ही नही है. आराम से कार के सामने जाकर कर लीजिए वैसे भी रोड पे और कोई गाड़ी दिख नही रही है. ये रोड बस उस फार्म हाउस ही जाती है जहाँ से लोग इतनी जल्दी नही आते...." कुशल सीरीयस होकर उसे समझाता है

स्मृति भी गाड़ी की स्पीड को कम कर चुकी थी, शायद वो कुशल की बातो से अग्री थी. और वैसे भी पेशाब वग़ैरा ऐसी बाते है कि जब कोई करता है तो और आता है.

वो कार को रोड के साइड मे लगा देती है. कुशल समझ जाता है कि उसको बहुत तेज पेशाब लगा है. वो कार को ऑफ करती है, हेडलाइट्स को भी ऑफ करती है.

" अच्छा तू यहीं बैठ....." स्मृति बोल कर कार का गेट खोलती है और बाहर चली जाती है. कुशल ये सब देख रहा था. स्मृति बाहर निकल कर चारो तरफ देखती है, ड्रेस को थोड़ा उपर करके अपने हाथ पैंटी तक ले जाती है और एक झटके मे पैंटी को नीचे कर देती है. कुशल कार मे बैठा ये सब देख रहा था, इस सेक्सी सीन को देख कर उसके हाथ खुद ब खुद अपने लंड पर पहुँच जाते है. स्मृति को भी आइडिया था कि शायद कुशल देख रहा होगा लेकिन वो जल्दी से पैंटी नीचे करके बैठ जाती है. उसकी गान्ड कुशल की तरफ थी, वो बैठते ही ऐसे पेशाब करती है कि उसकी आवाज़ कार मे बैठा कुशल भी सुन सकता था. कुशल समझ जाता है कि वाकई मे उसे बहुत तेज लगा है. कुशल अपने राइट हॅंड पर टर्न होमर गाड़ी की हेडलाइट ऑन कर देता है.

स्मृति की गदराई मस्त गांद, कार की दूधिया रोशनी मे बिल्कुल विज़िबल हो जाती है. लेकिन स्मृति का कोई रियेक्सन नही था, शायद वो पेशाब करने तक कुच्छ नही करना चाहती थी. थोड़ी देर बाद स्मृति खड़ी होती है, उसकी मस्त गान्ड को कुशल एक बार फिर से देखता है. स्मृति खड़े होते ही अपनी पैंटी उपर करती है और ड्रेस नीचे करती है. और वापिस मूड कर कार की तरफ तेज तेज कदमो से आने लगती है.

" कमीनेपन की सारी हदों जो तोड़ दे तू. कुत्ते कुच्छ तो लिहाज कर...." स्मृति कार मे बैठते हुए बोलती है

कुशल -" मोम जब मैं पेशाब करने गया तब भी तो लाइट ऑन थी. मैने तो नही कहा कि आप लिहाज करो. आपने तो मेरा लंड तक भी देखा...." कुशल भी एक झटके मे बोल जाता है

स्मृति -" मैने तेरा.... देखा? अबे जब तू बेशर्मो की तरह खुद ही कार के सामने आकर खड़ा हो गया तो क्या करती मैं..."

कुशल -" मोम चाहे लडो या कुच्छ भी कहो. आपकी गांद 200 आउट ऑफ 100 है. डॅड की तो निकल पड़ी है. ही ईज़ सो लकी..." कुशल अभी भी अपनी बदतमीज़ी वाली बातो से पीछे नही हट रहा था.

स्मृति ( कार को चलाते हुए) - " तेरे डॅड तेरे जैसे नही है. वो कभी मुझे इस नज़र से नही देखते..."

कुशल -" तो क्या आप अभी तक बॅक साइड से......... कुँवारी हो?"

स्मृति कुशल की तरफ देखती है गुस्से मे लेकिन कुच्छ बोलती नही. कुशल फिर से पुछ्ता है

" मोम बताइए ना कि आपको गान्ड को पापा ने चोदा है या नही...."

स्मृति का पारा एक दम से हाइ हो जाता है.

" नही...... नही ....... नही...... और कुच्छ पुच्छना चाहता है तो भोंक जल्दी"

कुशल -" सॉरी मोम... गुस्सा मत होइए प्लीज़. आप बहुत स्वीट है...." कुशल अपनी मम्मी के गालो को पकड़ते हूर बोलता है.

स्मृति -" हाँ सवाल ही ऐसे करेगा.... कि गुस्सा आता ही है"

कुशल -" नही सच मे मोम... यू आर अमेज़िंग. मैने आपको एक मर्द की निगाहो से देखा है..."

स्मृति को उसकी ये बात सुनकर थोड़ी सी हँसी आ जाती है.

" अबे ओ मर्द... अब चुप हो जा. घर आने वाला है.." स्मृति उसे बोलती है

कुशल -" मोम दूध पिलाओगी ना...घर चल कर." कुशल की निगाहे स्मृति के बूब्स पे थी.

स्मृति -" जूते खिलाउंगी.... खाएगा?"

इसी नोक झोंक मे कुच्छ ही देर मे घर पहुँच जाते है. स्मृति गाड़ी पार्क करती है और कुशल वो दोनो फाइनली गाड़ी के बाहर आ जाते है. दोनो घर के अंदर जाने लगते है - सबसे पहली एंट्री स्मृति करती है और उसके पीछे पीछे कुशल.

हॉल मे प्रीति और पंकज दोनो बैठे हुए थे.

पंकज -" क्या दोनो साथ गये थे...?"

पंकज स्मृति की तरफ देखते हुए पुछ्ता है. कुशल की तो जैसे जान ही निकल जाती है. उसके चेहरे पे डर के भाव सॉफ थे.

स्मृति -" नही ये तो आते टाइम रास्ते मे मिल गया था तो इसे भी ले आई...." और स्मृति एक स्माइल देती है कुशल को.

पंकज -" बहुत जल्दी आ गयीं, क्या मन नही लगा पार्टी मे...."

स्मृति -" नही पार्टी मे कुच्छ ऐसी आक्टिविटीस हो गयी कि मैं थक गयी और जल्दी आ गयी.".

" मोम लेकिन ऐसी कौन सी पार्टी थी जिसमे आप इतनी सेक्सी बन कर गयी थी..." प्रीति स्माइल करके अपनी मोम से पूछती है और फिर कुशल की तरफ देखती है.

" अबे क्या बाप बेटी पीछे पड़ गये हो. सेक्सी तो मैं हू ही तो बन कर क्या जाउ..... ला एक ग्लास पानी पिला." स्मृति प्रीति से बोलती है और उसे उठा कर खुद सोफे पे बैठ जाती है.

कुशल सीधा उपर चला जाता है. प्रीति की निगाहे कुशल पर ही थी जाते हुए. प्रीति पानी पिलाती है और खुद भी उपर चली जाती है.

कुशल अपनी टी-शर्ट उतार रहा था. प्रीति उसके रूम मे घुसती है और उसके मूँह के पास अपना मूँह लाती है और फिर दूर कर लेती है.

" मोम भी ड्रिंक करके आई है और तू भी. कहाँ से आ रहे हो तुम दोनो...." प्रीति कुशल से पूछती है.

कुशल -" तुझसे मतलब...... तू डिस्टर्ब मत कर मुझे. वैसे ही आज मूड इतना फ्रेश है और तू आ गयी मेरे रूम मे..."

प्रीति -" तो आज जनाब अपना मूड फ्रेश कर कर आए है. वैसे भी तेरे चेहरे की खुशी बता रही है कि तू कुच्छ करके आ रहा है...." प्रीति साइड मे मूँह करके बोलती है

कुशल -" क्या करके आ रहा हू.... चुदाई?"

प्रीति -" शायद........." प्रीति कुशल की आँखो मे देखती हुई बोलती है.

कुशल -" हा हा हा हा हा...... अबे लंड है मेरे पास. अगर चुदाई ना करू तो क्या गांद मराऊ. वैसे तू निकल यहाँ से अपनी चूत को लेकर...." कुशल उसे अपने डोर का रास्ता दिखाते हुए बोलता है.
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12-01-2018, 01:26 AM,
#33
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
प्रीति उसे अपनी उंगली दिखाती हुई बोलती है -" बता कि तुम दोनो कहाँ से आ रहे हो. कहाँ गयी थी मोम आधी नंगी होकर, और तू कहाँ गया था. दोनो ने ड्रिंक कहाँ करी. जल्दी बता नही तो पापा से जाकर पुछ्ना पड़ेगा". प्रीति के मूँह से पापा की बात सुन कर कुशल थोड़ा घबरा जाता है और प्यार से प्रीति को समझाता है.

" देख मेरी प्यारी बहना.... मैं तो अपने दोस्त के साथ पी रहा था. आते टाइम रोड पे मोम मिल गयी तो उसके साथ आ गया. तू इतना टेन्षन क्यू ले रही है. तू मस्त रह..." कुशल प्रीति के गालो पर चिकोटी काट ते हुए बोलता है.

प्रीति -" इससे पहले तो तू कभी बाहर पी कर नही आया, और ये तेरे गालो पे ये निशान कैसे है". प्रीति कुशल के गालो पर हाथ लगा कर उससे पूछती है. दर असल आज कुशल बहुत थप्पड़ खा चुका था अपनी मा के हाथ तो ये उसी के निशान थे.

कुशल फिर से एक बार घबरा जाता है कि कहीं प्रीति को शक ना हो जाए. वो फिर से एक नयी स्टोरी बनाता है.

" प्रीति अब तुझसे क्या च्छुपाना. मेरी एक फ्रेंड बनी थी, आज उसने मुझे अपने फ्लॅट पर बुलाया था. हम दोनो ने मिल कर ड्रिंक करी, और साली को जब चोदना चाहा तो उसने मुझे एक थप्पड़ मार दिया..."

प्रीति -" हे हे हे हे हे.... सही हुआ. तो इसीलिए तू इतने भाव खा रहा था मेरे लिए.". ये बोल कर प्रीति अपनी बाँहे कुशल के गले मे डाल देती है.

कुशल उन बाँहो को अपने गले से हटाते हुए बोलता है -

" प्रीति मुझे नींद आ रही है. प्लीज़ तू जा यहाँ से".

प्रीति उसके और करीब आते हुए बोलती है -" आख़िर ऐसी कैसी नींद है तेरी जो तू इतना गुस्सा हो रहा है......." और कस कर अपने बूब्स उसकी पीठ मे गढ़ा देती है.

" स्टॉप इट प्रीति ......." कुशल गुस्से मे उसे अपनी पीठ से हटाता हुआ बोलता है.

प्रीति -" आख़िर बात क्या है..... तू बताता क्यूँ नही"

कुशल -" साली मेरा दिमाग़ खराब मत कर...... बच्ची है तू अभी. एक दिन ज़बरदस्ती चोद दूँगा फिर रोती फ़िरेगी. मैं तुझे पहले भी समझा चुका हू कि मुझसे दूर रहा कर....." कुशल प्रीति को अपनी उंगली दिखाता हुआ बोलता है.

" कुशल.... कुशल" तभी नीचे से तेज तेज आवाज़े आती है जो कि स्मृति की थी. ये आवाज़े सुन कर कुशल जैसे भागा चला जाता है नीचे की तरफ और प्रीति रूम मे अकेले रह जाती है.

प्रीति को अभी भी कुच्छ समझ नही आ रहा था कि आख़िर बात क्या है. खैर वो अपने रूम मे चली जाती है और गेट बंद कर लेती है.

कुशल नीचे पहुँचता है, पंकज हॉल मे बैठा था और स्मृति किचन मे थी. कुशल सीधा किचन मे भागता हुआ जाता है - " जी मोम......."

स्मृति -" खाना खाएगा......?"

कुशल -" मोम मैं तो दिन रात ख़ाता रहू आप खिलाओ तो सही.." कुशल फिर से डबल मीनिंग बाते करता है

स्मृति थाली पटकते हुए उसे देती है और बोलती है कि उपर ले जा और खा ले. मैं सोने जा रही हू.

कुशल अपसेट माइंड से उपर आ जाता है. खाना ख़ाता है और सो जाता है.

नेक्स्ट मॉर्निंग.....

पंकज हॉल मे बैठ कर चाइ पी रहा है. उसे ऐसी आवाज़ सुनाई देती है जैसे कोई उपर से हाइ हील पहन कर उतर कर आ रहा हो -" ख़त खत...." वो उपर निगाहे करता है तो जैसे..... ओह्ह्ह्ह वो आराधना थी जिसने एक डिफरेंट टाइप की ड्रेस पहनी हुई थी. खुले बाल वो भी स्ट्रेट करे हुए, शॉर्ट ड्रेस जिसमे क्लियर दिख रहा था कि आज उसने अंदर ब्रा नही पहनी है. लाइट मेक अप किया हुआ था, पंकज का मूँह खुला का खुला रह जाता है ये सब देख कर लेकिन वो किसी तरह कंट्रोल करता है.

पंकज के लिए वाकई मे ये एक गुड मॉर्निंग थी. आराधना धीरे धीरे नीचे उतर आती है.

आराधना -" गुड मॉर्निंग डॅडी..." एक स्माइल के साथ वो डॅड को ग्रीट करती है

पंकज -" गुड मॉर्निंग बेटा. क्या आज बिल्कुल डिफरेंट लुक, नया अंदाज़. क्या बात है भाई..."

पंकज के मूँह से अपनी तारीफ सुनकर वो शरमा जाती है. और आप जान कर पंकज के टेबल के सामने रखे एक ग्लास को झुक कर उठाती है. उफफफफफ्फ़..... उसके कयामत जैसे बूब्स बाहर निकलने को तैयार हो जाते है. और वैसे भी उसने ब्रा नही पहनी थी. पंकज ये सब देख कर शॉक्ड रह जाता है. उसके अंदर का आदमी बाहर आने को तैयार हो जाता है लेकिन आराधना सीधा खड़ा होती है और कहती है.

" ओके डॅडी... कॉलेज जा रही हूँ...." और ये बोलते बोलते वो गेट तक आ जाती है. पंकज की निगाहे अब तक नही हटी थी. वो पीछे मूड कर देखती है और पंकज की निगाहे फिर से आराधना से मिल जाती है. आराधना को हँसी आ जाती है.

" आरू बेटी........" पंकज पीछे से बोलता है.

" जी डॅडी......" आराधना बिना मुड़े बोलती है.

" आज कॉलेज से कितने बजे तक आएगी...." पंकज आराधना से पूछता है.

आराधना की खुशी का ठिकाना नही था क्यूंकी पहली बार पंकज ने ऐसे पुछा था.
" जी बहुत जल्दी आ जाउन्गि....." और ये कह कर वो एक स्माइल के साथ बाहर चली जाती है.

पंकज की निगाहे गेट पर ही थी. किसी को पता नही कि उसके दिमाग़ मे क्या चल रहा था.

प्रीति रात भर सही सो नही पाई. उसको समझ नही आ रहा था कि आख़िर क्या हो रहा है. वो सुबह उठ कर नहाई और नॉर्मल कपड़े पहन कर बैठी है. उसके बाल गीले थे क्यूंकी अभी थोड़ी देर पहले ही वो नहा कर आई थी.

कुशल ब्रश करते करते अपने रूम से बाहर निकलता है. और साइड मे से प्रीति के रूम मे से झाँकता है. उसे एक दम फ्रेश प्रीति बैठी हुई दिखाई देती है. वो साइड मे से देख रहा था और ये प्रीति भी देख चुकी थी लेकिन प्रीति ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे कि उसको पता नही कि कुशल देख रहा है.

" ओह्ह ये कपड़े अच्छे नही है. मुझे चेंज कर लेने चाहिए.." प्रीति अपने आप से बात करते हुए कुशल को ये बात सुनाती है. कुशल प्रीति के ये बात सुनकर और साइड मे हो जाता है और दरवाजे की दरार मे से देखने लगता है.

प्रीति को पता था कि कुशल देख रहा है. वो उसी जगह पर बैठे हुए घूम जाती है. सब से पहले अपना पयज़ामा नीचे करती है और उसके थोड़ी देर बाद स्लो मोशन मे अपनी पैंटी को भी.

ऊफ्फ क्या सीन था..... कुशल का लंड तो जैसे दीवार तोड़ने के लायक हो गया था. अब प्रीति का पयज़ामा भी नीचे था और पैंटी भी.

प्रीति जिस हालत मे थी वो हालत किसी भी जवान मर्द को भड़का सकती थी. भड़का क्या आग लगा सकती थी सो वैसा ही कुशल के साथ भी हो रहा था लेकिन पता नही क्यू वो अभी भी बाहर दरवाजे के किनारो मे से देख रहा था. प्रीति अब नीचे से बिल्कुल नंगी थी और उसकी गान्ड सॉफ दिखाई दे रही थी कुशल को.

प्रीति को पता था कि कुशल बाहर खड़ा है और आप जान कर वो लड़की होने के सारे फ़ायदे उठा रही थी. प्रीति अब एक हाथ अपनी चूत के नीचे से ले जाते हुए अपनी गान्ड तक ले जाती है. फिर उस हाथ को वापिस लाकर उस की एक उंगली अपने मूँह मे देती है और उसे अच्छे से गीला कर के फिर से पीछे लाती है. उस सीधी गीली उंगली को वो अपनी चूत पर मसलती है. और फ़चककक...... और सीधा अपनी गीली चूत मे घुसती है. कुशल पर तो जैसे अटॅक पर अटॅक हो रहे थे, वो फिर से इधर उधर देखता है कि कहीं और कोई तो नही है फ्लोर पर लेकिन पूरा फ्लोर खाली पड़ा था.

कुशल भाग कर पीछे की साइड जाता है और देखता है कि कहीं आराधना दीदी तो अपने रूम मे नही है. लेकिन वो रूम खाली पड़ा था, कुशल वापिस भाग कर आता है और फिर से दीवार के किनारो मे से झाँक कर देखने लगता है. उसकी कुँवारी चूत को देख कर वो एक बार फिर से पागल हो जाता है. प्रीति कुच्छ कर सके या नही लेकिन उसने कुशल को ऐसा तो कर दिया था कि उसका लंड उसके शॉर्ट से बाहर आने को फड़ फाडा रहा था. कुशल अपनी निगाहे और गढ़ा देता है उस दरवाजे के किनारो मे. वो क्लियर देखता है कि प्रीति अपनी पूरी उंगली चूत मे घुसाती है और बाहर निकालती है.

कुशल का चेहरा लाल हो चुका था. और ब्लड प्रेशर हाइ हो चुका था. उसने शायद लास्ट मोमेंट तक वेट किया लेकिन जब उससे नही रहा गया तो उसने अपना लंड शॉर्ट के बाहर निकाल लिया.

" काश मैने इसकी इन्सल्ट ना की होती तो आज इसे चोद देता...... कसम से इसकी चूत कितनी मस्त है." कुशल अपने आप मे बड़बड़ाता है.

कुशल अपने विशाल लंड को बाहर निकाल कर उसे आगे पीछे करने लगता है. एग्ज़ाइट्मेंट जवानी मे अँधा कर देती है और यही रीज़न था कि खुले आम गॅलरी मे वो अपना लंड निकल कर खड़ा था.

" साली क्या खाती है.... इतनी पटाखा चूत तो किसी की भी नही देखी आज तक मैने..." वो फिर से बड़बड़ाता है.

" कुशल................" बहुत तेज़ी से एक आवाज़ कुशल के कानो से टकराती है. कुशल की तो जैसे जान ही निकल जाती है. वो नज़रे फिरा कर देखता है -" मोम.............."

सीढ़ियो से उपर आकर स्मृति खड़ी थी और जैसे ही वो कुशल को देखती है कि वो खुले आम अपने लंड को ऐसे बाहर निकाल कर खेल रहा है तो वो उसे आवाज़ लगाती है.

कुशल को तो जैसे काटो तो खून नही. स्मृति तेज तेज चल कर कुशल के पास आती है. कुशल अपने लंड को तेज़ी से अपने शॉर्ट के अंदर डाल लेता है लेकिन खड़ी हालत मे इतना बड़ा लंड आख़िर कैसे समाए उसमे. लंड का उपरी हिस्सा अभी भी बाहर ही था और उसे बार बार कुशल अंदर करना चाह रहा था.

स्मृति पास आती है और कस के एक और तमाचा - "चटककक..........."

" बद तमीज़. तेरी हिम्मत इतनी बढ़ गयी कि आज तू खुले आम घर मे ये काम कर रहा है. क्या देख रहा था यहाँ से....." स्मृति फिर प्रीति के गेट के अंदर झान्कति है लेकिन वहाँ कोई नही होता. कुशल भी भगवान का शुक्रिया अदा करता है.

कुशल अपने कान पे हाथ लगाए खड़ा था. शायद थप्पड़ की गूँज अभी तक उसके कान मे थी.

" सच बता क्या कर रहा था यहाँ...." स्मृति उसे फिर से वॉर्निंग देती है

कुशल -" मोम.... मोम....वो........."

स्मृति -" क्या मोम मोम लगा रखा है. जल्दी बोल नही तो अभी तेरे डॅडी को बुलाती हू......"

कुशल -" मोम वो..... वो आपकी याद ज़्यादा आ रही थी तो ......." कुशल को उस टाइम जो ठीक लगा उसने वो बोल दिया.

ये बात सुन कर स्मृति की भी एक बार को हँसी छूट गयी लेकिन उसने कुशल को अहसास नही होने दिया.

" देख कुशल मैं तुझे पहले ही समझा चुकी हू. कल रात मुझे ये लगा कि तू नादान है और तू सुधर जाएगा लेकिन तू तो यहाँ खुले आम अपनी मा को याद कर रहा है. तेरी दो जवान बहने भी है, अगर वो देख लेती तो उन्हे कैसा लगता बता....." स्मृति उसे समझाते हुए बोलती है.

" सॉरी मोम....... अबसे अपने रूम मे ही आपको याद कर लिया करूँगा....." कुशल भी बहुत इनोसेंट बनते हुए बोलता है.
" फिर वोही बात..... देख तेरे जैसे लड़के गर्ल फ्रेंड बनाते है. तेरी उमर है, लेकिन तुझे शोभा नही देता कि तू अपनी मोम के बारे मे सोचे...." स्मृति उसे फिर समझाती है

" मोम... मैं सच बोल रहा हू. मेरी क्लास मे एक लड़की ने ट्राइ किया लेकिन मेरा लंड किसी और के साथ खड़ा नही होता लेकिन जैसे ही आपके बारे मे सोचता हू तो वैसे ही देखो खड़ा हो जाता है..". कुशल एक बार फिर से अपने लंड के दर्शन अपनी मा को करा देता है.

स्मृति -" ओह माइ गॉड. ये लड़का तो पागल हो गया है." और स्मृति नीचे जाने लगती है.

कुशल उपर वाले का शुक्र माना रहा था कि सारी सिचुयेशन कंट्रोल हो गयी. नही तो लेने के देने पड़ जाते. वो फिर से एक बार दरवाजे के अंदर झाँक कर देखता है लेकिन वहाँ कोई नही था. कुशल वापिस अपने रूम मे आता है और नहाने लगता है.

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इधर आराधना कॉलेज पहुँचती है, आज उसे सब डिफरेंट आइज़ से देख रहे थे. उसने कभी अपनो बॉडी को इतना शो ऑफ नही किया था. कॉलेज के एंट्रेन्स गेट से लेकर अंदर की कॅंटीन तक उसे सब लड़को ने ऐसे देखा जैसे इससे पहले कभी हॉट आइटम देखा ही ना हो. लड़कियो की भी हालत खराब थी, क्यूंकी उनके बाय्फरेंड्स की नज़रे आराधना से हट नही रही थी. आराधना के चेहरे पे एक अलग ही स्माइल भी थी, लड़की होने का अहसास उसे होने लगा था औट उसका कॉन्फिडेन्स भी बढ़ रहा था. चाल मे एक बात आती जा रही थी.

कॅंटीन मे जैसे ही एंट्री लेती है, एक पल के लिए तो उसे सिमरन पहचान भी नही पाती. वो एक नज़र हटा कर जब दोबारा देखती है तो उसे समझ आता है कि वाकई मे ये आराधना है. सिमरन अपनी चेर से खड़ी हो जाती है.

" मेरी जान, सारी लड़कियो की दुकान बंद कराएगी तू तो"...... सिमरन जाकर हग करती है आराधना को

आराधना " क्या मतलब है तेरा दुकान से....".

सिमरन -" तू छोड़ लेकिन बाइ गॉड यार क्या लग रही है. कॉलेज के क्लीनर से लेकर प्रोफेसर तक की निगाहे रहेंगी तुझ पर. और क्या ब्रा भी नही पहनी. मेरी जान इन अनटच बूब्स को आज कहीं कोई टच ना कर दे..."

आराधना -" किसी की हिम्मत है जो टच करे.... लेकिन सब छोड़ ये बता कि तू घर से क्यू भाग गयी थी....?"

सिमरन -" अबे यार मत पुच्छ.... मेरे डॅड की गर्ल फ्रेंड घर पर थी और मेरी मा आ गयी. मेरे डॅड घबरा गये थे तो मेरी हेल्प माँग रहे थे. इसीलिए जल्दी जाना पड़ा."

आराधना( शॉक्ड होते हुए)-" तेरे डॅड की गर्ल फ्रेंड? ओर तुझे पता भी है कि उनकी गर्ल फ्रेंड है. वो तो मॅरीड है, फिर उनकी गर्ल फ्रेंड क्यू? क्या कहा तेरी मोम ने..."

सिमरन -" अबे तू जानती नही है, आज कल तो सभी के डॅड की गर्ल फ्रेंड होती है. अपने डॅड की सेट्टिंग तो मैने ही कराई.... सिमी से. बस 19 साल की मस्त लड़की है. बिंदास रहती है एक दम मेरी तरह. वो डॅड के साथ थी तो मोम शॉपिंग करके जल्दी आ गयी, मोम ने तो बस आते ही सवाल शुरू कर दिए और डॅड को बोलना पड़ा कि ये सिमरन की फ्रेंड है."

आराधना -" 19 साल की लड़की? यार उसे क्या तेरे डॅड ही मिले बस बॉय फ्रेंड बनाने के लिए?"

सिमरन - " अब सारे सवाल अभी करेगी. तू बता कि उस रात गाड़ी कुच्छ आगे बढ़ी या नही."

आराधना शरमा जाती है और कुच्छ नही बोलती.

" ओये होये मेरी जान के लाल गाल तो देखो. शरम से एक दम लाल हो चुकी है.... बता ना कि रात को क्या हुआ?" सिमरन उसे ज़ोर देते हुए पूछती है

आराधना-" चल कैसी बाते करती है....."

सिमरन -" मेरी जान एक बात कहु?"

आराधना ( नज़रे झुकाते हुए) -" हाँ बोल?"

सिमरन -" लंड लेने के लिए थोड़ा बेशर्म बन ना पड़ता है. ये जमाना ही ऐसा है, गोल्ड मिल जाता है लेकिन लंड नही मिलता. तो मेरी जान शरमाना छोड़ और अपनी इस फ्रेंड की अगर हेल्प चाहिए तो सॉफ सॉफ बता..."

आराधना ( गुस्से मे)- "कुच्छ भी नही हुआ.... पूरी रात वेट किया लेकिन वो उपर नही आए.... ओके".

सिमरन -" तो गुस्सा क्यू होती है. सब सही हो जाएगा. लेकिन एक बात का ख्याल रख. लड़कियो को ज़ुबान से ज़्यादा बॉडी के मध्यम से बोलना होता है...."

आराधना -" देख मेरा मूड खराब मत कर. अगर हेल्प करनी है तो सॉफ सॉफ बता...."

सिमरन -" अबे तो क्या अपने डॅड से जाकर ये बोल सकती है कि मुझे चोद दो.... "

आराधना -" यार तू जो ना..... जा मुझे तुझसे बात नही करनी." और वो उठ कर चल देती है. तभी सिमरन उसका हाथ पकड़ती है और बोलती है

सिमरन -" मेरी जान, बैठ. सुन अब मेरी बात, लड़की जितनी सादगी मे रहे उतना अच्छा है. तेरे डॅड एक दम मस्त आदमी है लेकिन एक अच्छे इंसान भी. हो सकता है कि वो तुझे चोदना ना चाहते हो. तो तेरा काम है कि उनके अंदर के मर्द को इतना जगाना कि वो मजबूर होकर तुझे खुद ही चोद दे. और जहाँ उन्होने एक बार तुझे चोदा, मुझे पूरा यकीन है कि तेरी मम्मी की चूत मे उन्हे मज़ा नही आएगा फिर. लेकिन तुझे मेहनत पूरी करनी पड़ेगी. लेकिन मुझे तेरी बॉडी पे पूरा भरोसा है कि वो जल्दी ही फिसल जाएँगे...". अपनी तारीफ सुनकर आराधना शरमा जाती है.

सिमरन फिर बोलना शुरू करती है - " तेरे साथ सबसे बड़ी प्राब्लम ये है कि तेरी मोम भी बहुत सेक्सी है. हो सकता है कि वो खूब प्यार देती हो तेरे डॅड को".

आराधना -" यार मेरी मोम एक दम हॉर्नी है. वो पापा का पीछा नही छोड़ती. दिन मे भी उनके पीछे लगी रहती है..." आराधना थोड़ा एग्ज़ाइटेड होकर बोलती है

सिमरन -"ओये होये मेरी जान. मोम को पहले से ही अब्ज़र्व कर रही है. वैसे बता कि तुझे ऐसा क्यू लगा कि वो हॉर्नी है...?

आराधना -" क्या बताऊ लेकिन मैने एक बार देखा कि मॉर्निंग मे ही ....."

सिमरन -" मॉर्निंग मे ही क्या?"

आराधना -" मॉर्निंग मे ही.... मॉर्निंग मे ही प्यार कर रहे थे...."

सिमरन -" साली खुल कर नही बता सकती कि क्या कर रहे थे वो...." सिमरन गुस्से मे बोलती है

आराधना -" गाली? तूने मुझे गाली दी....."

सिमरन -" मेरी बुलबुल ये तो प्यार की गाली है.... अब बता कि कैसा प्यार कर रहे थे वो?"

आराधना -" मोम डॅड का वो पार्ट चूस रही थी.."

सिमरन -" ओये कितनी लकी है मेरी दोस्त. लंड देख भी चुकी है? कैसा है?"

आराधना -" अबे यार पुच्छ मत. ऐसा लगा जैसे नकली है. एक दम मोटा और लंबा. "

सिमरन ( एग्ज़ाइटेड होते हुए)- " तेरी तो लाइफ बन गयी. आज कल तो साले लड़के उच्छलते है बहुत और जब बेड मे पहुँचो तो पता चलता है कि 6 इंच की लुल्ली."

आराधना " क्यूँ तेरे बॉय फ्रेंड का छोटा है क्या?"

सिमरन -" देख मैं फेक लाइफ नही जीती. और झूठ भी नही बोलती. मेरा बॉय फ्रेंड अच्छा प्यार करता है बेड मे लेकिन साले का लंड बस 6 इंच होगा. लड़की को ड्रामा करना लड़ता है कि वो हॅपी है लेकिन यार उससे खुजली नही मिट ती है"

आराधना -" हे हे हे हे हे. यू आर फन्नी गर्ल."

सिमरन -" तुझे एक बात बताऊ?"

आराधना " हाँ बता."

सिमरन -" पता है मैं तेरे घर पर मिली ना उसके साथ. तो वो मेरे उपर था, उसने लंड मेरी चूत मे घुसाया. मैं बहुत एग्ज़ाइटेड थी तो मैने उसे बोला कि बेबी मोर इनसाइड, मोर इनसाइड. वो बेचारा शर्मा कर मुझसे बोला कि सिमरन मैं पूरा अंदर कर चुका हू..."

आराधना -" हा हा हा हा हा हा. व्हाट अ जोक. ग्रेट , एनीवे आज मुझे घर जल्दी जाना है.

सिमरन -" क्यू?"

आराधना -" ये मैं तुझे बाद मे बताउन्गि...."

सिमरन -" ओके जैसी तेरी मर्ज़ी...."

दोपहर हो चुकी थी. पंकज घर मे ही था तो उसे एक फोन कॉल आता है जिसे सुनकर पंकज बहुत एग्ज़ाइटेड हो जाता है. और भागा भागा स्मृति के रूम मे जाता है.

पंकज -" डार्लिंग...... डार्लिंग.....?"

स्मृति -" क्या बात है, क्यू इतना एग्ज़ाइटेड हो रहे हो?" स्मृति बेड पे बैठ कर काम कर रही थी.

पंकज -" डार्लिंग मेरा बिज़्नेस प्रपोज़ल देल्ही मे पास हो गया है." ऑर वो भाग कर स्मृति को हग कर लेता है.

स्मृति -" सच मे..... ये तो बहुत अच्छी खबर है ". स्मृति भी पंकज को हग करते हुए बोलती है.

पंकज -" मुझे आज ईव्निंग ही देल्ही जाना पड़ेगा वो भी 15 दिनो के लिए. प्लीज़ मेरे कपड़े पॅक कर देना"

स्मृति -" मैं भी साथ चलूंगी आपके.."

पंकज -" नही स्वीटी, बच्चो को अकेला नही छोड़ सकते. और वैसे भी मैं 15 दिनो के लिए ही तो जा रहा हू."

स्मृति -" लेकिन मेरा मन नही लगेगा आपके बिना." स्मृति भी उसे टाइट्ली हग करते हुए बोलती है

पंकज -" मेरी जान अगर ये प्रॉजेक्ट सक्सेस्फुल हो गया ना तो अपना अगला घर देल्ही मे ही बनेगा. चल अब टाइम कम है मेरी पॅकिंग शुरू कर दे. आज ईव्निंग मे ही निकलना पड़ेगा". पंकज उससे अलग होते हुए बोलता है
स्मृति वहाँ से उठ कर बॅग वग़ैरा निकालने लगती है. और पंकज बाहर आ जाता है, वो सोचते सोचते सोफे तक आया ही था कि तभी -

" हाई डॅडी......." आराधना भाग कर अपने डॅड को हग कर लेती है. वो कॉलेज से आ गयी थी और पूरी ताक़त से अपने डॅड के सीने से लग जाती है. उसके हार्ड स्टोन टाइप बूब्स अपने डॅड के सीने मे गढ़ रहे थे. उसके डॅड अपने हाथ उसके पीछे ले जाते है और उसकी नंगी पीठ पर पहुँच जाते है. क्यूंकी उसकी ड्रेस बॅक लेस थी. किसी भी जवान मर्द का एरेक्षन पासिबल था, कुच्छ ही सेकेंड्स मे पंकज का लंड बाहर निकल कर आराधना के पेट को टच करने लगा. आराधना को इस बात का अहसास हो चुका था और वो तुरंत अलग हो जाती है. आराधना की एक नज़र नीचे और फिर अपने डॅड के चेहरे पे जाती है. आराधना के चेहरे पे एक हल्की सी स्माइल आ जाती है. और वो बिल्कुल अलग हो जाती है. दोनो मे से अब कोई कुच्छ नही बोल रहा था, पंकज की तो जैसे हार्ट बीट ही रुक गयी थी और उसका मूँह भी खुला हुआ था.

आराधना फिर से स्टाइल मे अपने रूम की तरफ जाने लगती है. सीढ़ियो पे चढ़ने से पहले एक कॉर्नर मे वो अपनी ड्रेस को थोड़ा सा उपर कर लेती है. उफ़फ्फ़ आराधना ने भी जैसे पंकज को बिल्कुल टीज़ करने का फ़ैसला कर लिया था. सीढ़ियो पे चढ़ते टाइम, जैसे आराधना की हाफ गान्ड और पैंटी पंकज को विज़िबल हो गयी थी. 

पंकज की निगाहे जैसे पत्थर की बन चुकी थी और वो अपनी नज़रे हिला नही रहा था. आराधना एक बार फिर से पीछे मूँह कर के देखती है और पंकज को अपनी गान्ड की तरफ घुरती हुई पाती है. वो फिर से एक स्माइल देती है और उपर चली जाती है. अपने रूम मे आकर चेंज करने लगती है.

थोड़ी देर बाद वो नीचे खाना खाने के लिए आती है.

आराधना -" डॅड, मोम कहाँ है मुझे खाना खाना है," आराधना अपने डॅड से पूछती है

लेकिन पंकज तो जैसे कहीं और ही खोया था. आराधना उसके चेहरे के पास जाकर चुटकी बजाती है -" डॅड..... डॅड?

पंकज -" यस.... यस बेटा...." वो होश मे आता है

आराधना -" मोम कहाँ है, मुझे भूख लगी है तो खाना चाहिए"

पंकज -" वो पॅकिंग कर रही है...."

आराधना ( बहुत हॅपी होते हुए)- " क्यू मोम कहीं जा रही है?"

पंकज -" नही मैं जा रहा हू...." पंकज उसे रिप्लाइ करता है

आराधना की तो जैसे पाँव तले से ज़मीन खिसक जाती है. उसके चेहरे से तो जैसे हँसी ऐसे गायब हो जाती है जैसे पर झाड़ मे पत्ते. फिर भी वो कंट्रोल करते हुए अपने चेहरे को दूसरी और घुमाती है और बोलती है-

" आप..... आप कहाँ जा रहे......?" आराधना पूछती है

पंकज -" वो.... वो एक बिज़्नेस डील है. देल्ही जाना है....."

आराधना -" कितने दिन के लिए.....?" आराधना की आवाज़ बहुत डाउन हो चुकी थी.

पंकज -" मिनिमम 15 डेज़ के लिए..."

आराधना की तो जैसे आँखो मे से आँसू निकलने को तेय्यार हो जाते है. वो बिना टाइम वेस्ट किए सीधा अपने रूम की तरफ भागती है. अपना रूम भड़ाक से बंद करती है और बेड पे लेट जाती है. गेट इतनी तेज बंद हुआ था कि उसकी आवाज़ नीचे पंकज भी सुन सकता था. यूँ ही टाइम बीत रहा था और उसने खाना भी खाया.

अब ईव्निंग हो चुकी थी. पंकज भी अच्छे तरह से फ्रेश होकर और खाना वाना खाकर जाने के लिए तैयार था. स्मृति का मन भी उदास था.

" मैं बच्चो को बुला कर ले आती हू...." स्मृति पंकज के बॅग को बाहर लाते हुए बोलती है.

पंकज -" ठीक है?"

स्मृति उपर जाती है. सबसे पहले आराधना का रूम पड़ता है. उसका गेट बंद था, स्मृति उसे नॉक करती है -" आरू...... आरू बेटा. " आराधना अंदर ही थी लेकिन कोई रिप्लाइ नही करती, वो तुरंत वॉशरूम मे भागती है क्यूंकी वो अपनी मा को अपने आँसू नही दिखाना चाहती थी. वो वॉशरूम मे से ही अपनी मोम को कहती है -"

" यस मोम..... मैं वॉशरूम मे हू.... बोलो क्या बात है...?"

स्मृति -" बेटे नीचे आ जा. तेरे डॅड देल्ही जा रहे है..."

आराधना -" आप चलिए मैं आ रही हू...."

स्मृति ठीक है बोल कर आगे की तरफ चली जाती है. उसके बाद कुशल का रूम पड़ता है, स्मृति उसके रूम मे जाने ही वाली थी कि पता नही क्या सोच कर रुक जाती है और सीधा चल कर प्रीति के रूम मे चली जाती है. प्रीति बेड पर बैठ कर गेम खेल रही थी.
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12-01-2018, 01:26 AM,
#34
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
" प्रीति ....." स्मृति उसके रूम मे घुस कर उसे आवाज़ लगाती है

प्रीति -" यस मोम...." वो बेड से खड़े होते हुए बोलती है

स्मृति -" बेटे नीचे आ जा और कुशल को भी बुला ला. तेरे डॅड देल्ही जा रहे है...."

प्रीति -" मोम आप बुला लीजिए ना कुशल को...."

स्मृति -" मैं जल्दी मे हू. तू प्लीज़ बुला ला...." और ये कह कर वो वहाँ से चली जाती है.
प्रीति थोड़ा फ्रेश होकर कुशल को बुलाने जाती है लेकिन उसका रूम बंद था और शायद वो सो रहा था. काफ़ी देर नॉक करने के बाद प्रीति भी नीचे चली जाती है. उसके थोड़े पीछे पीछे आराधना भी नीचे चली जाती है लेकिन कुशल का कहीं पता नही होता.

नीचे ग्राउंड फ्लोर पे पंकज जाने को जैसे तैयार ही खड़ा था. उसके पास स्मृति उसके थोड़ी दूरी पर प्रीति खड़ी थी. सबसे पीछे आराधना खड़ी थी. वो तो हाथ बाँध कर ऐसे खड़ी हुई थी जैसे आज उसकी जिंदगी का आख़िरी डे है.

प्रीति -" डॅडी, आप वहाँ रहेंगे कहाँ." प्रीति अपने डॅड से पूछती है

पंकज -" बेटे मेरा होटेल बुक हो चुका है. 15 दिन वहीं रहूँगा....."

प्रीति -" डॅड प्लीज़ देल्ही से कुच्छ ड्रेस लेकर आना. सुना है वहाँ बहुत हाइ फॅशन स्टोर्स है." प्रीति रिक्वेस्ट करते हुए बोलती है. उसकी आँखो मे चमक थी.

पंकज -" ज़रूर लेकर आउन्गा...." और वो बाहर आ जाता है. अपने बॅग को अपनी गाड़ी मे डालता है. आराधना तो पता नही कैसे अपने एमोशन्स को कंट्रोल कर रही थी. इसीलिए वो सबसे पहले खड़ी थी ताकि प्रीति और स्मृति उसको इस हालत मे ना देखे.

पंकज गाड़ी मे बैठने से पहले सबको हग करता है. आराधना भी इस बार भाग कर साइड मे उसे पूरी जान से हग करती है. अपने बूब्स को उसकी छाती मे जैसे बुरी तरीके से गढ़ा देती है. और लो वाय्स मे कहती है -" प्लीज़ जल्दी आना, मैं वेट करूँगी...."

और फिर सब पंकज से अलग हो जाते है. पंकज गाड़ी स्टार्ट करता है, सबको हाथ हिलाता है.

" उस सोतू कुशल से बोल दियो कि मुझे फोन करे...." पंकज जाते हुए बोलता है. कार मे गियर डालता है और कार आगे बढ़ जाती है. पंकज साइड मिरर से देखता है कि स्मृति और प्रीति अंदर जा रही है लेकिन आराधना की निगाहे अभी भी पंकज की कार पर ही थी. धीरे धीरे कार घर से बाहर चली जाती है. आराधना बहुत अपसेट थी.

प्रीति अंदर आकर उपर चली जाती है. वो अपने रूम मे जा ही रही थी कि फिर सोचती है कि एक बार फिर से कुशल को चेक कर लू अगर जगा हो तो. वो फिर से उसके गेट को नॉक करती है...." कुशल..... कुशल......."

थोड़ी देर तक कोई आवाज़ नही आती लेकिन फिर गेट खुलता है. सामने कुशल खड़ा था वो भी बस फ्रेंची मे, उसकी हालत बता रही थी कि वो सो रहा था. प्रीति की निगाहे नीचे उसकी फ्रेंची पर जाती है --" ऊप्स सॉरी ब्रो..... मोम ने बोला था तुझे जगाने को........." प्रीति नीचे उसकी फ्रेंची को देखते हुए बोलती है

कुशल -" क्यू..... मोम क्यू बुला रही है....." कुशल अपनी आँखे मलता हुआ बोलता है.

प्रीति -" वो डॅड देल्ही गये है ना 15 डेज़ के लिए......"

कुशल -( बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड होकर)- " क्या कहाँ तूने..........."

प्रीति -" डॅड 15 दिनो के लिए देल्ही गये है. यानी 15 दिनो तक वो घर पर नही है......."

कुशल ये बात सुनकर इतना एग्ज़ाइटेड हो जाता है कि प्रीति को हग करता है और उसके गाल पे एक किस करता है.

प्रीति उसे थोड़ा पीछे जाते हुए बोलती है -" ब्रो..... कुच्छ पहन ले. और डॅड गये तो तू इतना खुश क्या हो रहा है."

कुशल -" मस्ती और बस मस्ती........." कुशल घूमते हुए बोलता है.

प्रीति -" ये लड़का तो पागल है" और ये कह कर अपने रूम मे जाने लगती है. प्रीति के माइंड मे भी पता नही क्या चल रहा था लेकिन थी बहुत हॅपी आज वो.

आराधना बहुत धीमे धीमे कदमो के साथ अपने रूम मे आ जाती है और रूम बंद कर लेती है. बेड पे लेट ते ही उसकी आँखो से आँसुओ की नादिया बह जाती है. पता नही उसने क्या प्लान बनाए थे और वो सब पानी मे मिल जाते है.

कुशल अपने रूम मे डॅन्स सॉंग्स पे थिरक रहा था. अच्छा सा म्यूज़िक चला कर वो बाथरूम मे जाता है, आज उसको बिल्कुल फ्री फील हो रहा था. वो अपना रेज़र उठाता है और अपने लंड के आस पास के बालो को क्लीन करने लगता है. " आज रात तेरी सारी भूख मिटा दूँगा...... तू परेशान ना हो....." कुशल अपने लंड पर हाथ फिराता हुआ बोलता है. 

कुशल अपने लंड के आस पास की जगह अच्छे से शेविंग करने के बाद, उस पर कस कर आयिल की मालिश करता है. क्या गजब लंड लग रहा था उसका. एक अलग ही शाइनिंग थी उसके लंड मे. उसके लंड की नसें क्लियर दिख रही थी. अब तक पता नही था कि आख़िर उसके माइंड मे क्या प्लान चल रहे थे लेकिन आज बहुत हॅपी था वो.इधर प्रीति भी अपनी चरम सीमा पे थी. उसके भी दिल मे पता नही क्या चल रहा था लेकिन हॅपी बहुत थी वो. उसने भी अपने रूम मे घुसते ही सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए. बाथरूम मे जाती है और फ्रेश होती है. अपनी चूत को उसने पहले ही क्लीन किया हुआ था और वो एक वर्जिन चूत थी. एक दम मस्त..... खुशी के मारे जैसे उसकी छाती और भी बाहर आ गयी थी. एक अच्छी सी खुसबु वाला पर्फ्यूम लगाती है और एक मस्त लिप ग्लॉस. उसके होंठो मे एक अलग शाइनिंग आ जाती है. वो ब्रा पहन ने ही वाली थी कि पता नही क्या सोच कर वो अपनी ब्रा को साइड मे फेंक देती है. एक बहुत ही ट्रॅन्स्परेंट टी- शर्ट पहनती है, जो कि उसके शोल्डर्स तक थी. और नीचे एक शॉर्ट पहनती है.

आराधना के दिल मे कोई एग्ज़ाइट्मेंट नही था. वो तो अपने रूम मे पड़े पड़े रो रही थी. ऐसे ही करीबन रात के 10 बज चुके थे. स्मृति ने भी कोई सफाई वग़ैरा नही की क्यूंकी कुच्छ परिवार मे किसी मर्द के बाहर जाने बाद उस ईव्निंग सफाई नही करते. वो भी फ्रेश हो चुकी थी. वो उसी सोफे पे बैठी हुई थी जिस पर अक्सर पंकज बैठा रहता था. उसने एक बहुत ही थिन मेटीरियल की रेड कलर की नाइटी पहनी हुई थी, बाल खुले हुए थे और सबसे खास बात ये कि उसके कपड़ो मे भी ब्रा का अहसास नही था.

स्मृति के हाथ मे एक विस्की का पेग था औट वो बहुत ही मस्त स्टाइल मे बैठी हुई पता नही क्या सोच रही थी. शायद उसे अपने हज़्बेंड की याद आ रही थी. लेकिन कभी उसने खुले आम ऐसी नाइटी नही पहनी थी जैसी आज पहनी हुई थी. घर मे अक्सर वो पूरे कपड़े पहन कर ही रहती थी.

सिर्फ़ एक इंसान के जाने से सभी के दिमाग़ मे पता नही क्या क्या चलने लगा था. सभी फॅमिली मेंबर्ज़ के दिल मे अलग अलग प्लान थे लेकिन क्या थे ये किसी को नही पता.

कुशल एक स्लीव्ले टी- शर्ट आंड जीन्स शॉर्ट मे बाहर आता है. वो पहले नीचे जाने की सोचता है लेकिन पता नही क्या सोच कर प्रीति के रूम की तरफ चल देता है.

कुशल जैसे ही गेट पर पहुँचता है तो दोनो एक दूसरे को देख कर शॉक्ड रह जाते है. दोनो ही काफ़ी सेक्सी लग रहे थे, प्रीति के तो बूब्स जैसे झलक दिखला रहे थे.

कुशल -" आज क्या तेरा बॉय फ्रेंड आ रहा है जो इतनी बिजलिया गिरा रही है?". कुशल उसे छेड़ने वाले अंदाज़ मे बोलता है

प्रीति -" मुझे बॉय फ्रेंड का शोक नही है....." प्रीति स्टाइल मे बोलती है

कुशल -( बहुत लो वाय्स मे)-" बॉय फ्रेंड का नही बस लंड का शोक है....."

प्रीति -" क्या कहा तूने अभी....."

कुशल -" मैने...... मैं तो पुच्छ रहा था कि सच बता कि अगर डॅड चले गये है. कहीं मज़ाक तो नही कर रही."

प्रीति -" तू क्या मेरा जीजा लगता है जो तुझसे मज़ाक करूँगी.... डॅड चले गये और उन्होने तुझे बोलने को बोला तो तुझे बता दिया......"

कुशल -" अच्छा बोल ना कि आज कहाँ जा रही है. बहुत ही गजब लग रही है."

प्रीति -" गजब तो मैं हमेशा ही लगती हू...." और वो स्टाइल मे एक वॉटर बॉटल उठाती है.

कुशल -" आज कल अंडर गारमेंट्स पहन ने छोड़ दिए है?"

प्रीति -" मुझे गर्मी बहुत लगती है................." और इसके बाद प्रीति ने वो किया जो कुशल ने सोचा भी नही था. वो उस वॉटर बॉटल से पानी अपनी टी- शर्ट पे गिरा लेती है. उफ्फ ये क्या हो रहा था. प्रीति के टॉप पे पानी गिरते ही वो कुच्छ ऐसी दिख रही थी. ये एक ऐसा सीन था कि कोई सेक्सीयेस्ट से सेक्सीयेस्ट हेरोयिन भी प्रीति से शरमा जाए......

कुशल का लंड फिर से ऐसा हो गया जैसे गरम लोहा. कुशल को कुच्छ समझ नही आ रहा था, और प्रीति तो उसे ऐसे देख रही थी की जैसे कब से प्यासी है.

दोस्तो ऐसा लगता है कि इन 15 दिनो मे खूब धमा चौकड़ी होने वाली है ................................................
कुशल के साथ तो जैसे किस्मत पता नही कैसे मज़ाक कर रही थी. प्रीति की निगाहे बस कुशल के उभरते लंड पे ही थी. कुशल एक पागल घोड़े की तरह होता जा रहा था, लेकिन पता नही क्यू अभी भी वो प्रीति की तरफ नही बढ़ रहा था. प्रीति की आँखो मे वासना सॉफ दिखाई दे रही थी.

कुशल के तो पाँव जैसे पत्थर के हो गये हो. वो अपनी जगह पर खड़ा पता नही क्या सोच रहा था.

प्रीति अब और भी एरॉटिक होती जा रही थी. उसके बूब्स और टिट्स दोनो क्लियर दिख रहे थे उसकी टीशर्ट मे. कुशल को एक जगह खड़े हुए देख कर प्रीति बहुत ही सेक्सी स्टाइल मे बोलती है -

प्रीति -" क्या सोच रहा है?????" प्रीति अपना एक हाथ अपने बूब्स पे रखते हुए बोलती है.

कुशल को तो जैसे होश ही नही था. और पता नही कि वो प्रीति की बात सुन भी रहा था या नही. तभी प्रीति दोबारा तेज आवाज़ मे वही बात बोलती है.

कुशल चोंक जाता है -" क्या...... क्या..... वो मैं तो कुच्छ नही सोच रहा......" कुशल घबराते हुए बोलता है.

प्रीति -" तो इतनी........ इतनी गौर से मुझे क्यू देख रहा है......?" प्रीति अपनी निगाहे नीचे करते हुए बोलती है.

कुशल -" कसम से प्रीति, तूने चाहे जो भी किया लेकिन जवानी फूट फूट कर आ रही है तेरे उपर..... तेरा पति तो मस्त हो जाएगा......."

प्रीति -" ऐसा..... ऐसा क्या है मुझमे......." प्रीति अपनी निगाहे नीचे करके बड़ी स्टाइल मे पूछती है.

कुशल उसकी ये अदा देख कर तेज़ी से दो कदम आगे बढ़ाता है. वो इतनी तेज़ी से आगे बढ़ता है कि जैसे उसे खा जाएगा लेकिन पता नही क्या सोच कर रुक जाता है.

प्रीति उसे फिर देखती है और बहुत ही सेक्सी वाय्स मे बोलती है -

" रुक क्यूँ गया............?" ये बात बोलते बोलते प्रीति अपनी टीशर्ट उतारने लगी थी. लेकिन कुशल के मन मे पता नही क्या चल रहा था. वो वहीं खड़े खड़े दरवाजे की तरफ घूम जाता है. अब उसकी पीठ प्रीति की तरफ थी.

कुशल -" मैं नही चाहता कि मेरा डिन्नर फिर से अधूरा रह जाए....." और ये बोल कर वो दो कदम फिर से बाहर की तरफ बढ़ाता है. बाहर की तरफ यानी प्रीति के रूम के दरवाजे की तरफ.

प्रीति बीच मे ही बोलती है. वो वहीं खड़ी हुई थी जहाँ पहले -"

" ग़लतियाँ होती रहती है. लेकिन अबकी बार डिन्नर तो डिन्नर तेरा ब्रेकफास्ट और लंच भी डेली कराउन्गि वो भी मक्खन मार के...." प्रीति ने इनडाइरेक्ट्ली सारी बात बोल दी

कुशल -" अच्छा.... भाई कितना भूखा है ये तुझे आज दिखाई दे रहा है. लेकिन तबसे कितना तडपा है उसका हिसाब. कौन करेगा......" कुशल अभी भी उल्टा ही खड़ा हुआ था, उसकी पीठ प्रीति की तरफ थी.

प्रीति -" हाई, तेरा ये मर्दाना स्टाइल. कह तो रही हू कि डेली तुझे इतना खाना खिलाउन्गि की तेरा पेट हमेशा भरा रहेगा..... और हाँ फ्रेश आंड अनटच खाना है मेरे पास....". कुशल पीछे मूड कर देखता है तो प्रीति का इशारा अपनी चूत की तरफ था.

कुशल फिर से प्रीति की तरफ बढ़ता है. वो चलते चलते प्रीति के बहुत करीब पहुँच जाता है. दोनो की नज़रे एक दूसरे से मिलती है. कुशल की निगाहे प्रीति के जुवैसी लिप्स पे और प्रीति की निगाहे कुशल की निगाहो पर थी. प्रीति कुशल को बड़े प्यार से देखे जा रही थी, धीरे धीरे कुशल अपने आप को झुकाता है और अपने लिप्स प्रीति के बूब्स की तरफ ले जाता है. सीन ऐसा था जैसे वो प्रीति के बूब्स को किस करने जा रहा है. प्रीति ने भी बेजीझक होकर अपने दोनो बूब्स को और थोड़ा बाहर की तरफ कर दिया जिससे कुशल उन्हे सही के चूस पाए. लेकिन कुशल फिर से सीधा खड़ा होता है और उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कान थी.

प्रीति भी उसके चेहरे के भाव को समझ नही पाती. प्रीति के दिमाग़ मे हज़ारो सवाल उमड़ रहे थे उन सेकेंड्स मे...

प्रीति -" क्या हुआ.....?" प्रीति कुशल की आँखो मे देखती हुई बोलती है

लेकिन कुशल फिर से कुच्छ नही बोलता और तेज़ी से मूड कर बाहर जाने लगता है. प्रीति के साथ तो पता नही किस्मत अब कैसा खेल खेल रही थी. जैसे जैसे कुशल के कदम बाहर की तरफ बढ़ रहे थे वैसे वैसे प्रीति के दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी. प्रीति ने सेकेंड के हजारवे हिस्से मे डिसिशन लिया- और भाग कर वो कुशल की पीठ से चिपक जाती है. प्रीति के नंगे बूब्स अब कुशल की पीठ से चिपके हुए थे-

प्रीति -" क्या हुआ राजा..... कहाँ जा रहा है..... अपनी मर्दानगी की दो बूँद हमारी ज़मीन पर भी गिरा दे...." प्रीति तो जैसे अपना कंट्रोल खो चुकी थी.
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12-01-2018, 02:42 PM,
#35
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
कुशल उसकी तरफ मुड़ता है और एक गहरी मुस्कान के साथ कहता है -" सोचूँगा...."

प्रीति को तो जैसे काटो तो खून नही - " तू मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है......" प्रीति उससे रिक्वेस्ट करती है.

लेकिन कुशल को तो पता नही क्या भूत सवार था. वो उसे अपनी पीठ से हटाता है और सीधा रूम से बाहर.

प्रीति ने हिम्मत तो नही हारी लेकिन वो समझ गयी कि उसको सज़ा अपने पिच्छले करमो की मिल रही है. लेकिन उसके इरादे पक्के थे. फिलहाल वो अपना गेट बंद करती है.

कुशल सीधा नीचे आता है. जैसा कि आपने देखा कि वहाँ स्मृति एक रेड ट्रॅन्स्परेंट नाइटी मे बैठी थी. कुशल नीचे आकर अपनी मा को इस सेक्सी स्टाइल मे बैठे हुए देखता है -

" उफफफफ्फ़.... मोम कहाँ बिजलिया गिरा रही हो. यू लुक्स वेरी सेक्सी...." कुशल अपनी मा के सामने बैठते हुए बोलता है.

स्मृति -" तुझसे मतलब....." और वो वैसे ही बैठ कर अपनी विस्की के पेग को पीए जा रही थी.

कुशल -" मोम ऐसी नाइटी तो मैने पहले कभी नही देखी. आप ऐसी नाइटी पहना करो ना हमेशा...."

स्मृति -" आज सारे कपड़े धोने को वॉशिंग मशीन मे डाले है. बहुत दिनो से नही धोए थे तो बस यही बची हुई थी तो पहन ली."

कुशल -" क्या सारी ब्रा भी धो दी है क्या आपने....?" कुशल अपनी माँ के ट्रॅन्स्परेंट बूब्स की तरफ देखते हुए बोलता है

स्मृति -" नाइट मे मुझे ब्रा पहन ना पसंद नही है........". कुशल को ऐसे रिप्लाइ की उम्मीद नही थी. आज स्मृति ने जिस तरीके से रिप्लाइ किया उससे तो कुशल भी उसकी हिम्मत मान गया

कुशल -" नाइट मे पैंटी पहन ना कैसा लगता है......?" कुशल फिर से एक क्वेस्चन करता है स्मृति से.....

स्मृति -" मुझे....... पैंटी पहन ना भी पसंद नही है." इस बार स्मृति ने अपनी एक टाँग उठा कर दूसरी टाँग पे इस स्टाइल मे रखी कि कुशल को उसकी थाइस के अंदर तक का खाली नज़ारा दिख गया. लेकिन चूत दिखाई नही दी वहाँ तो बस अंधेरा सा दिखाई दिया.

कुशल का तो जैसे गला सूख जाता है और वो अपने अंदर थूक गटक ता है. कुशल बात को टालते हुए पुछ्ता है -

" मोम, पापा दिखाई नही दे रहे है?" कुशल अंजान बनते हुए पुछ्ता है जैसे उसे कुच्छ पता ही नही है

स्मृति -" बाहर है गार्डेन मे अभी आ रहे है....." स्मृति भी कुशल से झूठ बोलती है

कुशल -" मोम.... लेकिन प्रीति तो बता रही थी कि पापा देल्ही गये है?""

स्मृति -" तो फिर ज़्यादा स्मार्ट क्यू बन रहा है. हाँ वो गये है देल्ही 15 दिनो के लिए....."

कुशल ( मुस्कुराते हुए)- " तो आपका गुज़ारा कैसे होगा इतने दिन....."

स्मृति - " मुझे तेरी ये बकवास बिल्कुल पसंद नही......" और स्मृति उठ कर अपने रूम की तरफ जाने लगती है

कुशल उठ कर उसका हाथ पकड़ लेता है. स्मृति उसे गुस्से मे ऐसे देखती है जैसे उसे खा जाएगी.

" देख कुशल..... मेरा हाथ छोड़...." स्मृति उसे समझाती है

" मोम...... ऐसा मौका बार बार नही आएगा. ऐसे गोलडेन चान्स हमेशा नही मिलते है. आपके इस संगमरमरी बदन का मज़ा एक बार फिर से चखा दो.....". कुशल स्मृति का हाथ खींच उसे अपने सीने से लगा देता है

अब स्मृति की पीठ कुशल के सीने से चिपकी हुई थी.
" कुशल..... कुत्ते.... छोड़ मुझे..... अभी तेरे डॅड को फोन मिलाती हू....... आअह.... छोड़ मुझे....." स्मृति छॅट्पाटा रही थी

" रात को सोता हू या सुबह जागता हू.... बस एक वोही चूत दिखाई देती है. इस चूत के लिए तो चाहे मुझे पोलीस के हवाले कर दो......." कुशल अपना एक हाथ उसकी थाइस से उपर करता हुआ उसकी गान्ड पे ले जाता है.

स्मृति मे जितनी ताक़त थी उतनी ताक़त से वो छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन कुशल की ताक़त के सामने वो मजबूर थी.

कुशल ने अपना एक हाथ स्मृति की पैंटी तक पहुँचाया और फटक से एक हाथ अंदर घुसा दिया. अब उसका हाथ स्मृति की मखमली गान्ड पर था.

" कामीने छोड़ मुझे......... तेरा वो हाल करूँगी कि या करेगा तू......" स्मृति से जितना हो रहा था उतना वो कर रही थी छूटने के लिए

" कैसी मा हो तुम, बच्चा पैदा किया और आज जब उसका लंड फड़फदा रहा है तो नखरे दिखा रही हो....." कुशल भी उसे जवाब देता है.

" आहह........." कुशल अपनी एक उंगली स्मृति की गान्ड मे घुसा देता है जिससे कि स्मृति की चीख निकल जाती है

" कुशल मैं तुझसे रिक्वेस्ट करती हू.... मुझे छोड़ दे... जल्दी ही तेरी शादी बहुत सुंदर लड़की से करा दूँगी........." स्मृति कुशल को बहला फुसला रही थी लेकिन कुशल अपनी उंगली स्मृति की गान्ड मे चलाए जा रहा था.....

" शादी?...... मोम चूत की कमी नही है लेकिन आपके जैसी कहाँ. वैसे भी आज कल की लड़कियो मे वो नज़ाकत नही है जो आप मे है." कुशल तो जैसे दीवाना हुआ जा रहा था

स्मृति को समझ आने लगा था कि उसे ताक़त के ज़रिए नही समझाया जा सकता. स्मृति को अहसास हो गया था कि वो अपने पापा की गैर मोजूदगी का पूरा फ़ायदा उठाएगा.

" कुशल मैं तेरे जज़्बात समझ सकती हू लेकिन ये सही जगह नही है. प्लीज़ छोड़ मुझे......"

कुशल -" मोम, अब तो 15 रात आपके बेडरूम मे ही गुज़ारुँगा..... हर दिन आपका रस पीना है." कुशल अपनी मा को पूरी तरीके से गिरफ़्त मे ले चुका था

स्मृति -" सुन ये जगह सही नही है. तू मेरे साथ बेड रूम मे चल...." स्मृति रिक्वेस्ट करती है, लेकिन स्मृति के दिमाग़ मे भी कुच्छ और ही चल रहा था.

कुशल -" मोम..... मैं तो कब से तड़प रहा हू आपके बेड रूम मे जाने के लिए. लेकिन प्लीज़ कोई धोखा मत देना...."

स्मृति -" तू अपना हाथ बाहर निकाल.... और बेड रूम मे चल... प्लीज़...." स्मृति फिर से रिक्वेस्ट करती है

जैसे तैसे कुशल अपने हाथ बाहर निकालता है. स्मृति अपना हाथ कुशल के हाथो मे देकर वो धीरे धीरे बेड रूम की तरफ बढ़ती है. बीच बीच मे वो मूड कर कुशल को एक अच्छी सी स्माइल भी दे रही थी.

कुशल को तो जैसे आज स्वर्ग मिल गया हो. स्मृति बेड रूम मे घुसती है और उसे अपने सीने के करीब खींच कर बोलती है -" अब बता तुझे क्या चाहिए......?" स्मृति उसकी आँखो मे झाँकते हुए बोलती है.

कुशल -" चूत.... वो भी डेली. आइ लव यू मोम. यू आर वेरी सेक्सी.......". कुशल अपनी मोम को हग कर लेता है

स्मृति -" यू आर वेरी हॉट ऑल्सो... पर बेटा मैं एक शादीशुदा औरत हू. जिस चीज़ को तू माँग रहा है वहाँ तेरे डॅड का हक है. आज मैं तुझे वो मज़ा दूँगी जो तुझे कभी नही मिला होगा....". स्मृति धीरे धीरे नीचे की तरफ बैठ जाती है.

कुशल समझ चुका था कि उसका लंड स्मृति के मूँह मे जाने वाला है. कुशल ने भी टाइम ना लगाते हुए अपने जीन्स शॉर्ट को उतार देता है

स्मृति -" ये मेरा फ़र्ज़ है कि सब कुच्छ मैं उतारू........" स्मृति एक बार फिर से खड़ी होकर उसकी स्लीवलेस टीशर्ट को भी उतार देती है.

अब कुशल बिल्कुल नंगा है. स्मृति का बेडरूम ग्राउंड फ्लोर पर किचन के बराबर मे था. स्मृति नीचे बैठती है है और अपने मस्त लिप्स कुशल के लंड पे रख देती है.

" ओह मोम यू आर ग्रेट........ सक मी ब्यूटिफुल........ आआअहह...." स्मृति के रूम मे एक सकिंग सेशन स्टार्ट हो जाता है.

ईव्निंग से लेटे लेटे आराधना का सर अब दर्द करने लगा है. उसकी आँखो के आस पास का एरिया भी थोड़ा मोटा सा हो गया था जैसे स्वेल्लिंग आ गयी हो. वो खड़ी होती है कि कहीं बीमार ना पड़ जाए. अपने बाथरूम मे जाती है और अपने फेस को देखती है. अपने फेस को अच्छे से वॉश करने के बाद वो उसे टवल से पोंछती है.

उसको कुच्छ भी समझ नही आ रहा था. लेकिन वो फिर भी फ़ैसला करती है कि हेल्त के साथ कॉंप्रमाइज़ करने से कुच्छ नही होगा. वो नीचे आने का फ़ैसला करती है ताकि वहाँ पे,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


KONG
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12-01-2018, 02:43 PM,
#36
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
वो धीरे धीरे कदमो से अपने रूम से बाहर आती है. वो ऐसे चल रही थी जैसे कोई बीमार लड़की चल रही हो.

" अयाया..... मोम...... ओह..... यू सक वेरी वेल....... प्लीज़ सक मी मोर........". स्मृति अपने एक्सपीरियेन्स का पूरा फ़ायदा उठा रही थी. उसको पता था कि मर्द के लंड को कैसे चूसा जाना है. स्मृति का टारगेट था ही यही कि वो कैसे भी कुशल का वीर्यपात करा कर अपने रूम मे भेजे. कुशल के विशाल लंड को अपने मूँह मे लिए पूरी जान से आगे पीछे हो रही थी.

अब आराधना सीढ़ियो तक पहुँच चुकी थी. धीरे धीरे वो नीचे आना शुरू करती है.

" मेरी किस्मत ने ये क्या खेल खेला. क्या उपरवाले से मेरी ख़ुसीया नही देखी गयी?" वो अपने आप मे ही बड़बड़ा रही थी. अब वो सीढ़ियो से नीचे हॉल मे आ चुकी थी.

" वाउ..... ग्रेट..... आहह......... व्हाट आ नाइट....... लव....... आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......... प्लीज़ अपनी....... ये नाइटी उतार दो ना........ " कुशल अपनी मोम से रिक्वेस्ट करता है.

स्मृति भी जानती थी कि जितना ये एग्ज़ाइटेड होगा उतना ही जल्दी इसका वीर्य बाहर आएगा. वो एक झटके मे अपनी नाइटी उतार देती है और नाइटी के नीचे उसने कुच्छ नही पहना था. अब वो एक दम नंगी थी, नाइटी उतरते ही बिना टाइम वेस्ट किए स्मृति फिर से उसका लंड चूसने मे लग जाती है. स्मृति अपना जितना मूँह खोल सकती थी उतना उसने खोला हुआ था. कुशल के लंड का साइज़ भी काफ़ी बड़ा था जिस वजह से स्मृति को अपना पूरा मूँह खोलना पड़ रहा था.

आराधना हॉल मे सोफे के पास पहुँच चुकी थी. लेकिन आज वहाँ डॅडी नही थे, उसके दिल पे जैसे अटॅक हो रहे थे. वो अपने डॅडी को मिस कर रही थी. उसने उस एरिया से जल्दी आगे बढ़ने की सोची और वो किचन मे पहुँच गयी. उसने किचन मे देखा लेकिन कुच्छ नही मिला.

" मोम से पूछती हू कि अगर कुच्छ बनाया है तो..." वो अपने आप मे बोलते हुए मोम के बेडरूम की तरफ बढ़ती है.

ऑम्ग......... वो कैसे ही अपने आपने को चीखने से रोकती है. वो देखती है कि उसकी मा किसी के विशाल लंड को चूस रही है. आराधना को तो जैसे चक्कर आ गये हो, वो तुरंत एक साइड मे आ जाती है. उसकी साँसे उपर नीचे हो रही थी. उसको वो सब ड्रीम के जैसा लगा. वो कुशल को सामने से नही देख पाई क्यूंकी उसकी पीठ थी बाहर की तरफ. आराधना फिर से एक बार झुक कर देखती है " हे भगवान........ " वो अपने मूँह पर हाथ रखती है और उपर की तरफ भाग जाती है.

उससे वो सीन नही देखा गया. एक तरफ वो लंड के लिए तरस रही थी और दूसरी तरफ उसने अपनी मोम को किसी पराए मर्द के विशाल लंड को चुसते हुए देखा. वो भाग कर अपने रूम मे पहुँच गयी और बेड पर लेट कर बहुत ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है.

नीचे स्मृति अभी भी उसके लंड को चूसने मे लगी हुई थी. लेकिन उसका वीर्य बाहर निकलने का नाम ही नही ले रहा था.

" मोम..... क्या मैं भी आपकी चूत को चाटु? आअहह......." कुशल पुछ्ता है

स्मृति अपना मूँह हटाती है और बोलती है. " बेटा..... वो... वो आज सही नही है. आज दिन मे ही तुम्हारे डॅडी ने मेरी दो बार ली है. अगर तुम मुझे वहाँ किस करोगे तो ये हाइगियेनिक नही है...."

स्मृति फिर से उसके लंड को चूसने मे बिज़ी हो जाती है. स्मृति का माइंड पूरा काम कर रहा था, वो जानती थी कि अगर थोड़ी देर उसका वीर्य नही निकला तो वो उसे चोदे बगैर नही मानेगा...

आराधना अपने आँसुओ को पोंछती है और अपना फोन उठाती है. वो सिमरन को फोन कर रही थी. सिमरन फोन उठाती है-

" हेलो"

आराधना - सिमरन कहाँ पर है?

सिमरन - मैं तो घर पर हू, क्यू क्या हुआ?

आराधना - अबे साली तेरे प्लान से कुच्छ भी नही हुआ. आज मॉर्निंग ही मैने ड्रेस पहनी और ईव्निंग मे डॅड देल्ही चले गये 15 डेज़ के लिए. मैं बहुत अपसेट हू. एक बात और है जो तुझे बता नही सकती.

सिमरन - बता ना मेरी जान. फिर तेरी प्राब्लम का सल्यूशन भी मैं बता दूँगी.

आराधना - सच बता. क्या अभी भी तू मेरी कुच्छ हेल्प कर सकती है.

सिमरन - मेरा नाम सिमरन है और अपनी आराधना के लिए मैं कुच्छ भी कर सकती हू. तू बात बता कि क्या हुआ.

आराधना - यार किसी से कुच्छ कहना मत. लेकिन मेरी मा एक मर्द के साथ है वो भी नंगी. डॅड आज ही गये है क्या वो एक दिन भी नही रुक पाई.

सिमरन - मेरी जान शरीर की भूख ऐसी ही चीज़ है. वैसे देख आज के टाइम मे अगर तेरी मोम का बॉय फ्रेंड है तो तुझे उन्हे परेशान नही करना चाहिए. आज तो तेरी मा को मस्त कर देगा वो. कैसा लंड है उसका.

आराधना - तू फालतू की बात मत कर और प्लीज़ मुझे कोई सल्यूशन बता.

सिमरन - बहुत सिंपल है यार. बता बोलू?

आराधना- यार कुच्छ भी कर लेकिन मेरी हेल्प कर.

सिमरन - देख उपर वाला जो भी करता है अच्छे के लिए करता है. तेरी मा भी तड़प रही होगी अपने बॉय फ्रेंड के लिए तो उपर वाले ने उसे मौका दिया. और तेरे लिए बेस्ट मौका है अब तू देल्ही जा और 

15 दिन वहीं रह अपने डॅड के साथ. दिखा अपने लड़की होने का सबूत उन्हे और सच बता रही हू कि ये हनीमून तू लाइफ भर नही भूलेगी.

आराधना ( एग्ज़ाइटेड होते हुए)- ओह क्या ये पासिबल है. बता ना कैसे? क्या बोलू मैं घर पे? किसी को शक तो नही होगा.

सिमरन - शक तो आज कल कोई बॉय फ्रेंड गर्ल फ्रेंड पर नही करता. तुझ पर कोई क्या करेगा. और वैसे भी तेरी मा को तो खाली घर चाहिए जहाँ वो अपने बॉय फ्रेंड से रेग्युलर मिल सके, वो तुझे भेज देगी. तुझे बस इतना बोलना है कि कॉलेज की तरफ से जाना है. तेरी हाँ मे हाँ मैं मिला दूँगी.

आराधना - सिमरन यू आर ग्रेट. यार मुझे कल ही जाना है.

सिमरन - मेरी डार्लिंग. सब्र रख और तरीके से चल. कल कॉलेज मे से ही भूमिका बना लेते है. लेकिन अगर चाहती है कि तू देल्ही जाए तो अपने मा के बॉय फ्रेंड को डिस्टर्ब मत कर.
आराधना - लेकिन कितनी ग़लत बात है ना. वो मेरे डॅड से सॅटिस्फाइ नही है क्या?

सिमरन - चूत ऐसी ही चीज़ है जिसकी आग कभी नही बुझती. अब टेन्षन ना ले और मस्त सो जा. कल ईव्निंग तू देल्ही मे और सेम होटेल मे होगी.

आराधना - सिमरन आइ लव यू. मुआअहह. बाइ

सिमरन - बाइ.....

और कॉल डिसकनेक्ट हो जाता है.

स्मृति इधर अपना मूँह आगे पीछे करके थक गयी तो. कुशल सूपर एग्ज़ाइटेड हो चुका था लेकिन वीर्य नही निकला था.

" मोम...... आआआअहह. प्लीज़ अपनी चूत दिखा दो. आआअहह मुझे चोदना है पूरी रात. आआहह यू आर सो ग्रेट......"

स्मृति अपना मूँह उसके लंड से हटाती है और उसकी तरफ बहुत गौर से देखती है. पता नही स्मृति के माइंड मे क्या चल रहा था.

वो बेड की तरफ बढ़ती है. पंकज की निगाहे उसकी गान्ड की तरफ जाती है, उसकी मस्त गान्ड पे निगाह पड़ते ही जैसे कुशल को अपना टारगेट मिल जाता है.

वो भाग कर जाता है और अपनी मा को कस कर पकड़ लेता है.

दोस्तो यहाँ तो मामला बिगड़ता ही जा रहा है.....................................................

कुशल का लंड अपने एग्ज़ाइट्मेंट के सातवे आसमान पे था. कितना मोटा हो चुका था वो उसे देख कर खुद स्मृति भी हैरान थी.

कुशल का ध्यान बस स्मृति की गान्ड पर था. वो अपनी मा की कमर को कस कर पकड़ लेता है.

" ओह्ह्ह कुशल क्या कर रहा है बेटा. थोड़ा तो रहम कर........." स्मृति उससे रिक्वेस्ट करती है.

" जब रेगिस्तान मे पानी दिखाई देता है ना मोम, तो हर इंसान वैसे ही पेश आता है जैसी कि मैं आ रहा हू. आआअहह....... यू आर वेरी सॉफ्ट मोम". कुशल ये बोलते हुए अपना हाथ स्मृति की मखमली गान्ड पे रख देता है.

" यू नॉटी बेबी...... ये सही जगह नही है......" स्मृति घूमने की कोशिश करती है लेकिन कुशल ने उसे बहुत जोरो से जकड़ा हुआ था.

" कुशल बेटा प्लीज़...... ऐसा वैसे कुच्छ मत सोच........" स्मृति का इशारा था कि बेटा गान्ड के बारे मे तो सोच भी मत.

लेकिन कुशल अब तक स्मृति को आगे की तरफ झुका चुका था. स्मृति अब डॉगी स्टाइल मे आगे की तरफ झुकी हुई थी और कुशल उसकी गान्ड के बहुत करीब था. कुशल देर ना करते हुए थोड़ा सा थूक स्मृति की गान्ड पे गिरा देता है और तुरंत अपनी एक उंगली उसकी गान्ड मे घुसा देता है.

" आआहह..... दर्द हो रहा है कुशल. प्लीज़ रुक जा........ कुच्छ करना है तो आगे से कर बेटा........... ये सही नही है. प्लीज़ रुक जा आआआअहह......." स्मृति रिक्वेस्ट करती है.

लेकिन अब तक तो कुशल ने उस छेद को और फेला दिया था और अपनी एक उंगली को अंदर बाहर किए जा रहा था. कुशल को ये सीन सूपर एग्ज़ाइटेड कर रहा था.

" मोम...... डॅड को लाख बार थॅंक यू बोलूँगा........ कि उन्होने इस कीमती चीज़ को मेरे लिए छोड़ दिया......." कुशल एग्ज़ाइटेड होते हुए स्मृति की गान्ड की तारीफ करता है.

" कुशल....... आआहहह.... प्लीज़ ये ग़लत है. ये...... नॅचुरल नही है जो तू कर रहा है..........."

" मोम....... आप जैसी सेक्सी लेडी के शरीर मे तो जितने भी छेद है मैं सबको चोद दू......... और ये तो वैसे भी इतना खूबसूरत है......" कुशल रूकने का नाम नही ले रहा था.

स्मृति अपने मन ही मन थोड़ी अपसेट थी. धीरे धीरे उसे अहसास हो गया था कि वो आज रात नही बच पाएगी. लेकिन वो क्या करे..... क्या 15 दिन वो ऐसे ही परेशान करेगा.... स्मृति के दिल मे हज़ारो सवाल चल रहे थे.

इधर कुशल अपने हाथ को स्मृति की गान्ड से हटाता है और अपने मूँह के पास ले जाकर ढेर सारा थूक भर लेता है. स्मृति झुकी होने के कारण ते अब देख तो नही सकती थी लेकिन उसे अहसास हो रहा था कि वो क्या कर रहा है.

कुशल उस ढेर सारे थूक से भरे हुए हाथ को अपने लंड के पास लेकर आता है और सारा थूक उस लंड पर मसल देता है. थूक से उसका लंड भीग चुका था.

" कुशल मेरी बात मान....... मैं तुझसे कभी बात नही करूँगी अगर तूने मेरे साथ कुच्छ ग़लत किया. बेटा लुक अट माइ पुसी, सारा पानी तेरी याद से ही टपक रहा है. पीछे कुच्छ मत कर, और देख अपने टूल को, ये पीछे नही फिट होगा." स्मृति झुके झुके फिर से रिक्वेस्ट करती है.

" मोम...... वो लंड ही क्या जो जगह ना बना पाए. आपके इस छेद को इतना खोल दूँगा कि फ्यूचर मे कोई प्राब्लम ही नही होगी......." कुशल अपना मूसल जैसे लंड स्मृति की गान्ड पर रखता हुआ बोलता है.

स्मृति की कमर को कस कर कुशल ने पकड़ा हुआ था. कुशल का लंड थूक से भीगा हुआ कुशल अपने आप को झुकाता है और ढेर सारा थूक स्मृति की गान्ड पे भी गिरा देता है. थोड़ा सा थूक उस च्ष्ड के अंदर भी जाने लगता है क्यूंकी वो झुकी हुई थी. कुशल अपने मोटे लंड को फिर से स्मृति की गान्ड पे टिकाता है............ कमर को कस कर पकड़ता है और.............: ढ़चह........." एक साउंड के साथ लंड का अगला हिस्सा सीधा गान्ड के छेद को फाड़ता हुआ अंदर.

आआआआआआआआआआऐययईईईईईू....................." स्मृति की चीख घर मे गूँज जाती है जिसे ऑफ कोर्स आराधना भी सुनती है. लेकिन एक चीख के बाद जैसे स्मृति की तो जान निकल जाती है. उसका शरीर अकड़ सा जाता है. खुद स्मृति को भी आइडिया नही था कुशल का लंड अभी कितना मोटा होकर उसकी गान्ड मे जा रहा है. एक पल के लिए तो जैसे स्मृति के माइंड ने काम करना बंद कर दिया था.

इससे पहले कि स्मृति को कुच्छ राहत मिलती, कुशल अपना लोहे जैसा लंड फिर से बाहर निकालता है और पूरी ताक़त के साथ फिर से एक धक्का- खचह......

पूरा घर स्मृति की चीख से फिर भर जाता है. स्मृति की आँखे दर्द से बंद हो चुकी थी, अभी आधा लंड भी अंदर नही गया था. कुशल के लंड मे तो जैसे सारी ताक़त आ गयी थी.

स्मृति समझ चुकी थी कि अब तो काम हो चुका है तो समझदारी इसी मे है कि जल्द से जल्द कुशल का वीर्य बाहर निकलवाए और फिर सोचे की आगे क्या करना है.

स्मृति टाइम ने लगाते हुए और अपने दिमाग़ पे ज़ोर डालते हुए अपने दोनो हाथ पीछे ले जाती है और अपनी गान्ड को अपने दोनो हाथो स
स्मृति अब पूरा कॉपरेट करने लगी थी. वो अपनी गान्ड को हिला भी रही थी कि जिससे कुशल अच्छे से स्ट्रोक्स लगा सके.

" आआहह...... इतना मजबूत मर्द कैसे बन गया तू............. यू आर आ हॉट गाइ.......... आआअहह......... एस्स........... फक माइ आस्स्स्स्सस्स....... " स्मृति ने अपनी ज़ुबान का यूज़ करना शुरू कर दिया था.

आराधना नीचे आ चुकी थी और चुपके चुपके से उसी जगह फिर से पहुँच जाती है जहाँ वो पहले थी. सीन देख कर उसकी तो जैसे ...... हाई फट ही गयी.

आश्चर्य के मारे उसका हाथ फिर से एक बार अपने मूँह पर चला जाता है. " ओह....... " कुशल की पीठ थी उसकी तरफ तो अभी भी वो नही देख पाई उसे लेकिन अपनी मा को अपने हाथो से गान्ड फेलाते हुए और गंदी गंदी आवाज़े निकालते हुए देख लिया था.

" ओह माइ गॉड......... मोम ऐसा कैसे कर सकती है. शी ईज़ वेरी हॉर्नी........" आराधना खुद शॉक्ड थी.

कुशल ने अपने स्ट्रोक्स की स्पीड बढ़ा दी थी. उसके हिलते हिप्स से ही आराधना को आइडिया हो रहा था क़ी किस स्पीड से आज उसकी मा की गान्ड मारी जा रही है.

" फक मी...... तू गजब है......... ऐसा लंड कभी नही देखा............ प्लीज़ और तेज...... और तेज........ आअहह......आआऊऊ......" स्मृति भी अपने शब्दो के पूरे फ़ायदे उठा रही थी.

ये सीन आराधना के रोम रोम को भड़का रहा था. वो खुद गरम होती जा रही थी..... उसके गाल लाल हो चुके थे. बूब्स आंड टिट्स भी टाइट हो चुके थे. चूत से पानी आना शुरू हो गया था. ऐसे सीन की तो उसने कभी आशा भी नही करी थी.

उसकी मा ऐसे घोड़ी बन कर अपनी गान्ड मरा रही थी कि बस पुछो मत. स्मृति की अलग ही इमेज पेश हो रही थी आज. आराधना का ना चाहते हुए भी हाथ अपनी सलवार के उपर पहुँच गया था. उसे डर भी लग रहा था लेकिन अपने कदम नही हिला पा रही थी वो.

कुशल अपनी एग्ज़ाइट्मेंट की चरम सीमा पर था. स्मृति ने अपनी गान्ड हिला हिला कर उसे मस्त कर दिया था.

आराधना को ये डर था कि उसे कोई भी देख सकता है. ना चाहते हुए भी उसने फिर से वापिस अपने रूम मे जाने का फ़ैसला किया. और धीरे धीर वो उपर आ जाती है. उसके बूब्स ऐसे उपर नीचे हो रहे थे जैसे कोई ट्रॅन्स्परेंट पॉवर ये सब कर रही हो. वो अपने खुद के घर मे, खुद अपनी मा को ऐसे खुले आम एंजाय करते हुए देख कर मस्त हो चुकी थी. उसे लग रहा था जैसे वर्ल्ड बस सेक्स के लिए ही बना है और चुदना सबसे बड़ी अचीव्मेंट है. वो अपने रूम मे पहुँची और परेशान हो गयी कि आख़िर क्या करे. बिना कुच्छ सोचे समझे एक बार फिर वो सिमरन को फोन मिला देती है. काफ़ी देर की रिंग के बाद सिमरन फोन उठाती है

सिमरन -" अरे अब क्या हुआ, क्यूँ इतनी रात को परेशान कर रही है?" आक्च्युयली सिमरन सोने की तैयारी कर चुकी थी.

आराधना -" अबे सिमरन यार नीचे का सीन तो बहुत वाइल्ड हो चुका है...."

सिमरन -" क्यूँ ऐसा क्या तूफान आ गया...."

आराधना-" यार वो इंसान मोम को.... मोम को ... मोम को....."

सिमरन -" बोलना है या कल बोलेगी.... अगर कल बोलेगी तो मैं फोन काट देती हू कल मिल कर बता दिओ कि क्या तो तेरी मोम को......"

आराधना -" यार सुन तो सही.... वो मेरी मोम को बॅक साइड से फक कर रहा है. और उसका वो बहुत ही मोटा है".

सिमरन -" वो क्या???? लंड?"

आराधना -" हाँ यार. लेकिन वो ऐसा क्यू कर रही है. और मेरी मा बहुत गंदी लॅंग्वेज यूज़ कर रही है सेक्स के दौरान. यार शी ईज़ आ बिच रियली...."

सिमरन -" एक कड़वा सच मेरी जान. मर्दो को ये बिचस ही पसंद आती है तो जो खुल कर एंजाय करे. गंदी लॅंग्वेज नॅचुरल है जो हर लेडी यूज़ करती है मर्द की मर्दानगी जगाने को. अगर नही यूज़ करेगी तो मर्द लोग उसे ठंडी लुगाई बुलाते है."

आराधना -" यार कमाल है दुनिया भी लेकिन मेरी मोम बॅक साइड से क्यू करा रही है."

सिमरन -" मेरी जान ये गिव आंड टेक रिलेशन्षिप है. मर्द लोग चूत से जल्दी बोर हो जाते है, और वैसे भी वो तेरे डॅड की वाइफ है- चूत का तो भोसड़ा बना पड़ा होगा. तो एक बार अगर तेरी मा चूत मराएगी तो एक बार गान्ड भी मरानी ही पड़ेगी. मर्दो को औरत की गान्ड ज़्यादा पसंद होती है. और सुन अगर लाइफ मे जीतना है तो गान्ड को मजबूत करके चल.

आराधना -" चल तू भी कैसी बाते कर रही है...."

सिमरन -" डार्लिंग मेरे जैसा कोच तुझे कभी ढूँढने से भी मिलेगा. सच बोल रही हू तुझे. देल्ही जा रही है तो मेंटली प्रिपेर होकर जा."

आराधना -" यार लेकिन वाकई मे बड़ा पेन होता होगा..."

सिमरन -" कुच्छ पाने के लिए कुच्छ खोना तो पड़ता ही है स्वीटी. लेकिन मेरी जान आज कल गोल्ड मिल जाता है लेकिन सही लंड नही मिलता. तो तू मस्त रह और सो जा, तेरी लाइफ मस्त करवा दूँगी तू भरोसा रख मेरे उपर...."

आराधना -" मुझे तुझ पे भरोसा है लेकिन प्लीज़ मुझे कल ही देल्ही जाना है. प्लीज़ कुच्छ कर.

सिमरन -" कल ईव्निंग तू देल्ह 
देल्ही मे होगी. ये मेरा प्रॉमिस है. बाकी ये तेरे गट्स है कि तू कितनी जल्दी उन्हे अपनी जवानी से इंप्रेस कर पाए. बस एक बात का ख्याल रख पहल तुझे नही करनी क्यूंकी तेरे वो डॅड है."
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12-01-2018, 02:43 PM,
#37
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
आराधना -" लेकिन यार अगर उन्होने पहल नही की तो क्या होगा?"

सिमरन -" जवानी की गर्मी से कोई मर्द ना पिघले ऐसा हो ही नही सकता. लेकिन हाँ जैसे मैने पहले कहा कि तुझमे इतने गट्स होने चाहिए. शरीफ आज कल वो है जिसको शरीफ बन ने की आक्टिंग करनी आती है नही तो सब हरामी है. तू बस अपनी बॉडी पे ट्रस्ट कर और देल्ही जाने की तैयारी कर."

आराधना -" यार तू मेरी बहुत अच्छी दोस्त है. तूने मेरी बहुत हेल्प की है."

सिमरन -" चल अब ये फॉरमॅलिटी बाद मे. सो जा अब....."

आराधना -" चल टेक केर बाइ...."

सिमरन-" बाइ....."

दूसरी तरफ...

" कम ओन डियर........... लाइक...... दट.......... आआहह........ " स्मृति अब सच मे एंजाय करने लगी थी.

" मोम........ आइ ........ लव .....यू...... प्लीज़ ....... आअहह.... मुझसे डेली....... चुदना....... आआहह....आआआहह.......आअहह............

स्मृति की गान्ड मे उसका गरम गरम लावा गिर जाता है. कुशल को पसीने आ चुके थे और स्मृति को भी राहत मिलती है. कुशल वहीं के वहीं अपनी मोम की पीठ को किस करता है. धीरे धीरे वो अपने लंड को बाहर निकालता है. लंड जैसे बाहर आता है तो क्लियर दिख रहा था कि कुशल ने अच्छे से आज स्मृति की गान्ड की चुदाई कर दी है.

छेद भी क्लियर दिख रहा था. इससे पहले कि वो कुच्छ देर और बैठता, स्मृति कुशल का हाथ पकड़ती है और उसे प्यार से रूम से बाहर लेकर चलती है. वो स्माइल कर रही थी, कुशल खुद एग्ज़ाइटेड था कि आख़िर अब क्या है स्मृति के माइंड मे.

दोनो धीरे धीरे चल कर बाहर आते है. कुशल जैसे ही स्मृति के बेड रूम से बाहर कदम रखता है - धदामम्म्ममम. दरवाजा बंद

कुशल को समझ नही आया कि आख़िर ये क्या हुआ. वो गेट को नॉक करता है

" साले कुत्ते भाग जा यहाँ से.... और मुझे सोने दे....." स्मृति अंदर से चिल्लाति है

कुशल " मोम दिस ईज़ चीटिंग..... मैं रात को आपके साथ ही रहूँगा... प्लीज़ गेट खोलो....."

स्मृति -" अभी भाग जा यहाँ से. आराधना या प्रीति कोई भी आ जाएगा और फिर तेरी खैर नही...."

कुशल -" मोम..... क्या.... क्या आपको अच्छा नही लगा?"

स्मृति -" मुझे बहुत अच्छा लगा....ओके. लेकिन अब जा यहाँ से नही तो एक भी दिन कुच्छ नही करने दूँगी.

कुशल को यही ठीक लगता है. वो अपने रूम की तरफ चल देता है. स्मृति सीधा वॉश रूम मे जाती है और अपने आप को फ्रेश करती है.

वॉशरूम से बाहर आकर वो अपना मोबाइल उठाती है और कोई नंबर मिलाती है.

" हेलो?"

अदर साइड -" आप कौन?"

स्मृति -" यार मेरा नंबर सेव नही है क्या. स्मृति बोल रही हू....."

अदर साइड - "स्मृति...... व्हाट आ सर्प्राइज़. कितने दिनो बाद याद किया और सुना कैसे है बहन"

आक्च्युयली मे स्मृति ने ये फोन अपनी बड़ी बहन को किया था जिसका नाम छवि था.

स्मृति -" बस ऐसे ही और बताओ क्या कर रही हो....."

छवि-" कुच्छ नही स्मृति. बच्चो की छुट्टियाँ है तो ऐसे ही इधर उधर घूमते रहते है."

स्मृति -" कैसे है नीतीश और रीमा?"

नीतीश और रीमा, स्मृति की बड़ी बहन के बच्चे थे.

छवि - " दोनो मस्त है. रीमा तो भोली है लेकिन इस नीतीश ने नाक मे दम कर रखा है. आए दिन शिकायत आती रहती है. जवानी की उम्र होती ही ऐसी है"

स्मृति -" क्या उम्र हो गयी बच्चो की?"

छवि -" नीतीश 23 साल का हो गया है और रीमा 20 साल की".

स्मृति -" अरे बहन बच्चे को काफ़ी बड़े हो गये है. भेज दे उन्हे हमारे यहाँ. कुच्छ दिन रहेंगे तो जान पहचान भी हो जाएगी..."

छवि -" इससे अच्छी बात तो कोई बात हो ही नही सकती. वैसे भी शादी के बाद से मौसी उनसे नही मिली है. लेकिन पहले बता देती हू कि ये नीतीश बड़ा शरारती है"

स्मृति -" बहन बच्चे तो होते ही शरारती है. मेरा कुशल भी बहुत शैतान हो गया है. "

च्चवि -" अरे अब तो कुशल और बाकी बच्चे भी खूब जवान हो गये होंगे तो शैतानी तो करेंगे ही. लेकिन हाँ ये सही रहेगा. मैं कल ही दोनो बच्चो को भेज दूँगी. तू रेलवे स्टेशन उन्हे पिक करने चली जाना..."

स्मृति -" ये भी कोई कहने की बात है. मैं चली जाउन्गि. चल फिर कल बात करते है."

च्चवि -" ओके चल अपना ख्याल रख...."

फोन कट जाता है और इस फोन के बाद स्मृति के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है. दर असल उसका प्लान उन बच्चो को बुलाना और फिर कुशल के साथ नीतीश को सुलाना था जिससे वो स्मृति को परेशान ना कर पाए जैसे कि आज किया था. उसका दूसरा प्लान ये भी था कि रीमा खुद उसके साथ उसके रूम मे सो जाएगी जिससे कि कुशल रूम से दूर ही रहे. उसको उसका प्लान सक्सेस्फुल होता नज़र आ रहा था.
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12-01-2018, 02:43 PM,
#38
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
कुशल को सिचुयेशन समझ नही आई कि आख़िर ये क्या हुआ. सब ठीक चल रहा था और वो श्योर था कि उसके डिसचार्ज होने से पहले उसकी मोम भी फुल मस्ती मे थी.

वो बाहर वहीं बैठ जाता है जहाँ अक्सर उसके पापा बैठते थे. सबसे कमाल बात ये थी कि जब उसे रूम से भगाया गया तो वो बिल्कुल नंगा था और उसके कपड़े अंदर रह गये थे. उसको उपर जाने मे भी थोड़ा डर लग रहा था कि अगर कोई बहन जाग रही होगी तो क्या सोचेगी. बिल्कुल कन्फ्यूज़ हो चुका था वो, ऐसे मे उसने डिसाइड किया कि क्यूँ ना एक बार फिर से वो मोम से जाकर कहे कि कम से कम कपड़े तो दे दो.

वो आगे बढ़ता है. और गेट नॉक करता है- ठक.... ठक....

" कौन है.......?" स्मृति को शायद ये लगा था कि कुशल तो उपर जा चुका है. इसीलये वो रूम के अंदर से ही पूछती है.

" मोम मैं हू. दर असल मुझे मेरे कपड़े चाहिए." कुशल बहुत ही पोलाइट वाय्स मे बोलता है.

" अब तुझे कुच्छ नही मिलेगा. जहाँ जाना है जा लेकिन ये गेट अब सुबह ही खुलेगा..." स्मृति उसे समझाती है.

" मोम.... आप ऐसा रिक्ट क्यू कर रही है. सब कुच्छ होने के बाद आप हमेशा ऐसे पेश आती है जैसे मैने ही कोई ग़लती कर दी हो." कुशल फिर से अपना बिहेवियर चेंज करता है

स्मृति -" क्या आज जो तूने किया, मैं उसके लिए अग्री थी? तूने तो आज वो भी कर दिया जो तेरे डॅड ने भी नही किया..... यू आर आ बस्टर्ड रियली.... चला जा कोई कपड़े नही है"

कुशल - " मोम नाइट मे भी आपकी गान्ड के ख्याल आते थे. आज जवानी के जोश मे आकर ये कर दिया, कोशिश करूँगा कि फिर से ऐसी ग़लती ना हो. मुझे नादान समझ कर माफ़ कर दो. आप तो समझ ही सकती है कि जवानी का जोश क्या होता है. मेरी तो कोई गर्ल फ्रेंड भी नही जिसके साथ मैं अपनी फिज़िकल नीड्स पूरी कर लेता." कुशल भी पूरी तरीके से मक्खन लगाने पे लगा हुआ था.

स्मृति -" जवानी के जोश मे? तेरी ज़रूरत उस रात फार्म हाउस मे पूरी की थी ना, फिर कैसे जोश जाग गया तेरा दोबारा कुशल. कैसे तूने अपनी मोम को बॅक साइड से फक किया और वो थी तब जब तेरा साइज़ नॉर्मल से थोड़ा सा ज़्यादा है. नादान कैसे समझ लू तुझे जबकि तूने इतनी तेज तेज धक्के लगाए कि अभी तक चक्कर आ रहे है...." स्मृति भी अपने दिल का पूरा गुस्सा निकाल रही थी.

कुशल -" मोम, उस रात फार्म हाउस मे हाँ मेरी ज़रूरत पूरी हुई लेकिन मुझे आप हमेशा बॅक साइड से ज़्यादा पसंद रही हो. लेकिन फिर भी कह रहा हू कि ग़लती हो गयी, आगे से ऐसा नही करूँगा. अब तो गेट खोलो मेरी प्यारी मोम...." कुशल पूरी ताक़त लगा रहा था गेट खुलवाने के लिए.

स्मृति -" कुशल मैं चाहती तो तुझे कभी अपने पास भी ना आने देती उस फार्म हाउस वाले इन्सिडेंट के बाद. लेकिन मुझे ये अहसास नही था कि तेरी नज़रे मेरी...... खैर छोड़, मैं कपड़े बाहर फेंक रही हू लेले"

कुशल -" मोम बस मैं तो इतना ही कहूँगा कि किसी पागल दीवाने ने एक पागल हरकत कर दी, यही सोच कर माफ़ कर देना. और हाँ प्रॉमिस... अब से बॅक साइड के बारे मे कभी सोचूँगा नही अगर आप मुझे फ्रंट साइड से पूरा प्यार देने को तैयार है."

स्मृति -" सोचूँगी..." और ये बोलते ही गेट एक झटके से खुलता है.

इससे पहले कि कुशल कुच्छ समझ पाता. स्मृति उसके कपड़े बाहर फेंक देती है और एक झटके से गेट बंद कर लेती है.

कुशल को कुच्छ समझ नही आता. लेकिन जितना वो कर सकता था उतना कर चुका था, उसका और टाइम वेस्ट करने का इरादा नही था और वैसे भी इतनी मेहनत करने के बाद वो थक चुका था.

हॉल मे वो आकर अपने कपड़े पहनता है. वो सोच सोच कर पागल हो रहा था कि कितनी मस्त गान्ड थी स्मृति की. और हॅपी भी था कि आज उसके लंड ने एक और अचीव्मेंट हासिल कर ली. अपने कपड़े पहन ने के बाद वो हॉल मे रखे सोफे पे आराम से बैठता है, पता नही क्यूँ आज उसका मन ग्राउंड फ्लोर से जाने का नहीं कर रहा था. सोफे पे बैठने के बाद कॉर्नर मे उसे अपने डॅड का सिगरेट बॉक्स दिखाई देता है. आज वो मस्त मूड मे था तो बॉक्स उठाता है और उसमे से एक सिगरेट निकाल कर अपने मूँह मे लगाता है और फिल्मी स्टाइल मे जलाता है. अब से पहले उसने कभी स्मोकिंग नही करी थी लेकिन आज उसके लिए कुच्छ खास ही दिन था तो आज अपनी लाइफ की सारी बाउंडेशन को तोड़ना चाहता था. उसकी नज़रो के सामने स्मृति का नंगा बदन अभी भी घूम रहा था, उसके ख्यालो मे आने लगा था कि कैसे उसने स्मृति के बदन के सामने मजबूर होकर लाइयन बन ने का फ़ैसला किया था. वो सब कुच्छ सोचने लगा था कि किन किन सिचुयेशन ने स्मृति को उसकी फन्तसि की हेरोयिन बना दिया था. थोड़े ही टाइम मे उसने हॉल को अपनी सिगरेट के स्मोक से भर दिया था, उसकी नज़रे बस आसमान जी तरफ ही थी. उसके माइंड मे सबसे पहली पिक्चर आई कि स्मृति की किस सेक्सी अदा ने उसको घायल करा, उसकी आँखे बंद हो रही थी और वो अपनी सोच मे आगे बढ़ रहा था की तभी -
" कुशल......," कुशल के कानो से एक आवाज़ टकराती है. वो घबरा कर आँखे खोलता है और घबरा कर इधर उधर देखता है. वो घबरा कर अपनी सिगरेट बुझाता है, इससे पहले कि वो सिगरेट बुझ पाती उसके सामने दो टांगे आ जाती है. वो अपनी नज़रे उठाता है -

" तू यहाँ क्या कर रहा है और तूने स्मोकिंग भी शुरू कर दी???" जैसे ही कुशल की नज़रे उपर होती है, सामने आराधना खड़ी थी.

आक्च्युयली आराधना देखने आई थी कि क्या अभी भी सेक्षुयल गेम चल रहा है या बंद हो गया. लेकिन उसको हॉल मे बैठा हुआ कुशल मिल गया, आराधना को ये भी डर था कि कहीं कुशल कुच्छ ना देख ले.

" दीदी..... वो..... वो.... स्मोकिंग....." कुशल घबरा रहा था

" क्या वो वो कर रहा है.. पूरा हॉल तूने स्मोकिंग से भर दिया. कब से बैठा है तू यहाँ?" आराधना चेक करना चाहती थी कि कुशल वहाँ कब आया और उसने कुच्छ देखा तो नही.

कुशल -" दीदी मैं तो अभी आया था. नींद नही आ रही थी तो सोचा नीचे घूम आउ?" कुशल थोड़ा रिलॅक्स भी हुआ कि आराधना दीदी है

आराधना-" अभी आया के बच्चे. चल उपर भाग, मिडनाइट मे यहाँ बैठ कर स्मोकिंग कर रहा है. पापा से शिकायत कर दूँगी....". आराधना बस यही चाहती थी कि वो जल्दी से जल्दी उपर जाए क्यूंकी उसे डर था कि कहीं कुच्छ अभी भी ना हो रहा हो और कुशल को कुच्छ आवाज़ आ जाए.

कुशल खड़ा होता है और चुप चाप उपर जाने लगता है. जाते जाते कुशल पीछे मूड कर फिर से देखता है लेकिन आराधना उसकी तरफ अभी भी देख रही थी तो वो डर कर फिर से आगे मूँह कर लेता है.

" पीछे मत देख और सीधा चल......" आराधना चिल्ला कर उसे डाँट लगाती है

" दीदी आख़िर लड़कियो को पीछे...... देखने से परेशानी क्या होती है." कुशल सीढ़ियाँ चढ़ते हुए बोलता है. उसने पीछे शब्द पे कुच्छ ज़्यादा ही गौर दिया था लेकिन वो डबल मीनिंग बात कर रहा था.

आराधना को जैसे ही उसकी बात का मतलब समझ आता है, वो बहुत तेज कदमो से कुशल की तरफ बढ़ती है. उसके भारी भारी बूब्स के हिलने से तो जैसे घर मे भूकंप आ जाता है.

" क्या कहा अभी तूने...." आराधना फिर से चिल्ला कर कुशल से पूछती है

कुशल -" मैने कहा कि मैं उपर जा रहा हू. आपको क्या सुना.......?" कुशल बाते बनाने मे तो माहिर हो ही चुका था.

" मैं सब समझती हू..... सीधा उपर जा और सो जा." आराधना ज़्यादा बहस नही करना चाहती थी क्यूंकी वो सबसे पहले कुशल को उपर भेजना चाहती थी.

" जा रहा हू... क्यूंकी मिडनाइट है. है ना दीदी?". कुशल दो कदम आगे बढ़ने के बाद फिर से बोलता है

" हाँ हाँ मिडनाइट है.... अब बाते ना बना और भाग उपर......" आराधना आँखे दिखाती है कुशल को

धीरे धीरे कुशल लगभग सारी सीढ़ियाँ पार कर चुका था. आराधना उपर देखती है और अब उसे कुशल दिखाई नही दे रहा था.

वो तेज कदमो के साथ आगे की तरफ बढ़ती है और तुरंत ही उसे स्मृति के रूम को देखती है, वो बंद था. वो टेन्षन मे भी थी क्यूंकी उसको ये लग रहा था कि उसकी मा ने गेट बंद कर लिया और उसका आशिक अभी अंदर ही है लेकिन थोड़ी रिलॅक्स भी थी कि अब अगर कुशल या प्रीति मे से कोई नीचे आएगा तो कोई ख़तरा नही है.

वो तो वैसे ही कल देल्ही जाने के प्लान से एग्ज़ाइटेड थी, तो उसने उपर जाकर पॅकिंग करने का प्लान बनाया और जल्दी जल्दी आगे बढ़ कर उपर जाने लगती है.

वो सीढ़ियो पे तेज कदम बढ़ा रही थी, आज उसका एनर्जी लेवेल काफ़ी अच्छा था क्यूंकी वो इंटर्नली हॅपी थी. वो निगाहे नीचे किए तेज तेज कदमो के साथ आगे बढ़ती जा रही थी.

" आऐईयईई......" वो जैसे ही लास्ट सीढ़ी पर पहुँचती है तो कुशल को देख कर डर जाती है. आराधना को ये आइडिया था कि अब तक वो अपने रूम मे जा चुका होगा

उसका सीना उपर नीचे हो रहा था, पहले तो सीढ़ियाँ चढ़ने की वजह से और दूसरा अचानक कुशल को देखने की वजह से. लेकिन कुशल को देख कर वो फिर से रिलॅक्स होती है और अपनी ब्रेस्ट पर हाथ रख कर-

" ओह्ह्ह्ह ..... तू है.... आराधना बोलती है

कुशल -" आपने कौन सोचा दीदी?" कुशल फर्स्ट फ्लोर की सीढ़ियो के साइड मे खड़ा था

आराधना -" पागल मे तुझे देख कर डर गयी...." आराधना आगे अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए कहती है

कुशल -" मुझसे डर गयी? दीदी मुझसे डरने की क्या ज़रूरत है...." कुशल मुस्कुराते हुए कहता है

आराधना -" अब बाते ना बना. रात हो चुकी है, सो जा जाकर..." आराधना अपने रूम के गेट पर पहुँच चुकी थी

कुशल -" दीदी अगर रात इतनी ही हो गयी है आप नीचे क्या करने गयी थी...?" कुशल के इस सवाल से आराधना अपने रूम मे अंदर जाते जाते रुक जाती है. वो साइड पोज़ मे थी कुशल के सामने, उसके बूब्स अभी भी उपर नीचे हो रहे थे, वो इसी पोज़ मे रहते हुए कुशल की तरफ देखती है और कहती है

आराधना -" बहुत बाते बनाने लगा है तू. मैं तो नीचे ऐसे ही घूमने गयी थी. " आराधना को ऐसे लगा जैसे की कुशल ने उसकी कोई चोरी पकड़ ली हो लेकिन फिफिर भी वो नॉर्मल बिहेव कर रही थी

कुशल -" दीदी मैने एक सिगेरेट पी ली तो आपने कितनी डाँट लगा दी मुझे. लेकिन आप खुद भी तो घूम रही है...."

आराधना -" कुशल... मेरे भाई अभी तेरी उम्र नही है ये सब करने की....." आराधना कुशल को समझाने की कोशिश करती है

कुशल -" अडल्ट हो चुका हू मैं. सब करने के लायक हो चुका हू....."
" बड़ा बोलने लगा है... सब करने के लायक हो गया है तू... हमारे लिए तो बच्चा ही रहेगा." आराधना उसे समझाते हुए बोलती है

कुशल -" दीदी ये बात तो सच है कि हर बच्चा कभी ना कभी बड़ा होता है. मुझे लगता है कि मैं भी बड़ा हो चुका हू. स्मोकिंग तो आज कल बच्चे भी करते है. डॅड स्मोकिंग करते है तो मोम उन्हे कभी नही रोकती...."

आराधना -" तेरी मोम डॅड की क्या लगती है?"

कुशल -" वाइफ..."

आराधना -" लेकिन मैं तेरी वाइफ नही हू. मेरा फ़र्ज़ है कि तुझे अच्छी बाते सिखाऊ...." आराधना अपने रूम के करीब खड़े होकर उसे समझा रही थी.

कुशल -" आप मुझे अच्छी बाते सिखाती हो तो क्या मोम गंदी बाते सिखाती है डॅड को....." कुशल इनोसेंट सा बनते हुए बोलता है.

आराधना ( साइड मे मूँह करके)- " बहुत गंदी गंदी...." और ये बोल कर वो हँसने लगती है

कुशल -" क्या कहा आपने..." आराधना ने इतनी धीमी आवाज़ मे बोला था कि कुशल को कुच्छ सॉफ सुनाई नही दिया था

आराधना -" मैने कहा जाकर सो जा.... और आज के बाद स्मोकिंग करी तो डॅड और मोम दोनो को बता दूँगी..." आराधना उसे बनावटी गुस्स दिखाती है और बोलकर अपने रूम मे जाने लगती है.

कुशल -" दीदी मैने तो सुना है कि गर्ल्स को स्मोकिंग करते हुए मेन बहुत सेक्सी लगते है......" कुशल ने एक झटके मे ये बात बोल दी.

आराधना रूम मे अंदर लगभग घुस चुकी थी लेकिन कुशल की बात सुनकर वो रुक जाती है. उसे ख्याल आता है वो दिन जब उसने नाइटी पहनी थी और उसके डॅड उसके रूम मे आए थे. वो सीन याद करके तो जैसे वो पागल हो गयी लेकिन उसने कुशल को कुच्छ भी शो नही होने दिया.

आराधना -" हे राम.... देखो तो सही कि लड़का कितनी बाते बनाने लगा है. भाग जा यहाँ से नही तो पिटाई कर दूँगी. " और हंस कर आराधना अपने रूम का गेट बंद कर लेती है.

कुशल अब अकेला गॅलरी मे खड़ा था, आज वो काफ़ी हॅपी भी था. वो घूम कर अपने रूम की तरफ जाने लगता है तो उसे प्रीति अपने रूम के गेट पर खड़ी हुई दिखाई देती है.

वो चुप था और कुच्छ नही बोलता. लेकिन प्रीति की आँखो मे से तो अंगारे बरस रहे थे, शायद वो अपने गेट पर काफ़ी टाइम से खड़ी थी.

कुशल बिना बोले अंदर जाने लगता है तभी प्रीति अपने रूम के गेट पर खड़े खड़े उससे बोलती है-

" दाल गली या नही...."

कुशल रूम के अंदर जाते जाते रुक जाता है-

कुशल -" क्या कहा तूने?"

प्रीति -" मैने कहा कि तेरी दाल गली या नही......" प्रीति गुस्से मे कुशल की तरफ देखते हुए बोलती है

कुशल -" कौन सी दाल? क्या बकवास कर रही है?

प्रीति -" वही दाल जो तू आराधना दीदी के साथ गलाना चाह रहा है लेकिन गल नही रही......" प्रीति की ये बात सुनकर तो जैसे कुशल के होश ही उड़ जाते है

कुशल गुस्से मे अपने रूम से हट कर प्रीति की तरफ तेज तेज कदमो से चलता है. और उसके ठीक पास जाकर बोलता है

" दोबारा बोल......." कुशल उसे उंगली दिखाते हुए बोलता है

" हाँ हाँ चिल्ला मत. मैं वही बोल रही हू जो तू सुन रहा है. तभी तो आराधना दीदी की पीछे पड़ा हुआ...."

कुशल का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है लेकिन रात मे वो कोई ड्रामा नही करना चाहता था इसलिए ज़्यादा ड्रामा नही करना चाहता था-

" अगर मैने तेरी चूत नही मारी तो अब मैं आराधना दीदी के पीछे भाग रहा हू?..... यही कहना चाहती है ना तू...." कुशल दबी आवाज़ मे बोलता है ताकि कोई सुन ना ले

प्रीति - " ओये मिस्टर. अपनी हद मे रह.... हर टाइम मे बस एक ही बात नही सुनूँगी. समझा....." प्रीति भी गुस्से मे रिप्लाइ करती है

कुशल गुस्से मे प्रीति के रूम मे अंदर जाता है और उसका हाथ पकड़ कर खींचता है.

" अब बोल क्या बोलना है... मैं ये नही चाह रहा हू कि रात मे कोई परेशान हो और तू है कि ड्रामे पे ड्रामे किए जा रही है...." कुशल की वाय्स मे अब थोड़ा दम आता है

प्रीति -" एक ही बात..... तुझे कितनी बार बोल चुकी हू कि क्यूँ लाइन मार रहा था आराधना दीदी पे......"

कुशल -" आराधना दीदी... आराधना दीदी.... आराधना दीदी..... पागल कर दिया है एक ही बकवास करके तूने. हाँ ले चोदुन्गा आराधना दीदी को, वो भी कस कस कर. घान्ड भी मारूँगा उनकी और अपना लंड भी चुसाउन्गा... तू क्या कर लेगी...." कुशल गुस्से मे सब कुच्छ बोल देता है

प्रीति -" मैं तो पहले ही समझ गयी थी..... कि तेरे दिल मे कोई बात है और वो सामने आ गयी आज."

कुशल -" अपना ये ड्रामा बंद कर.... और सोने जा रहा हू मैं. दिमाग़ खराब मत कर....."

प्रीति -" नही तो क्या कर लेगा......". गुस्से मे दोनो इतने करीब थे कि दोनो के सीने आपस मे टच हो रहे थे.

कुशल -" साली तुझे भी चोद दूँगा........" कुशल तो जैसे आंग्री यंग मॅन बन चुका था

प्रीति -" तुझे जैसे कुत्ते बस भोंकना जानते है......." अब प्रीति के चेहरे पे एक मुस्कान थी, वो भी बहुत शरारती

कुशल -" कुत्ता बोलती है मुझे...." कुशल प्रीति को
कंधे से पकड़ लेता है

प्रीति -" तेरे कान तो है ही खराब, ले फिर से सुन ले... तुझ जैसे कुत्ते बस भोंकना जानते है काटना नही." प्रीति का इशारा था कि बस तू बोल सकता है लेकिन चोद नही सकता

कुशल -" जब काटुन्गा ना...... तो देखियो तू..." और ये बोल कर वो उसके कंधो को एक झटके मे छोड़ देता है और रूम से बाहर जाने लगता है

प्रीति पीछे से फिर बोलती है, पता नही जैसे आज प्रीति क्या फ़ैसला करके बैठी थी.

" अगर काटने का इतना ही शोक है तो रात मे काट ना. या फिर..... या फिर..... तू काटने के लायक ही नही रहा..." प्रीति ने अपना आख़िरी हथियार भी यूज़ कर लिया. उसको ऐसी आशा थी कि शायद ऐसे चॅलेंज तो कुशल शायद कुच्छ डिसिशन ले.

कुशल रुकता है.... मूड कर पीछे देखता है.... वो गुस्से मे था और प्रीति की भी साँसे तेज चल रही थी. प्रीति कुशल को प्यासी निगाहो से देखे जा रही थी.

लेकिन कुच्छ सेकेंड्स के बाद कुशल तेज़ी से मुड़ता है और सीधा गेट से बाहर चला जाता है. प्रीति उसे देखती रह जाती है और टेन्षन मे आ जाती है.

वो अपने ड्रेसिंग टेबल के सामने आकर खड़ी हो जाती है और अपने आप को गौर से देखती है. अपने चेहरे, अपने लिप्स, चीक्स, बूब्स सब को वो गौर से देखती है. कभी साइड पोज़ मे कभी फ्रंट पोज़ मे, तो कभी अपने पेट को अंदर कर के.

" कहीं ऐसा तो नही कि अब मैं ही इंट्रेस्टिंग नही दिखती हू. कहीं ऐसा तो नही कि अब किसी लड़के को मुझमे सेक्सी जैसी कोई चीज़ नही दिखाई देती..... आख़िर मुझे क्या हो गया है......." प्रीति अपने आप से ही बात कर रही थी. उसकी टेन्षन बढ़ती जा रही थी.

उसको लग रहा था कि ऐसे टाइम पे कोई तो होना चाहिए जो उसकी हेल्प कर पाए और गाइड कर पाए. नही तो वो लड़की होने का सारा बेनेफिट धीरे धीरे खोती जा रही थी ऐसा उसे लग रहा था.

बहुत टेन्षन के साथ वो अपने बेड मे लेट जाती है और काफ़ी देर के बाद नींद के आगोश मे आ जाती है.

नेक्स्ट मॉर्निंग -

स्मृति उठ चुकी थी और घर की सफाई वग़ैरा मे लगी हुई थी. उसको देख कर ऐसा लग नही रहा था कि वो किसी टेन्षन मे हो. नॉर्मली डेज़ की तरह वो सॉंग गुनगुनाए जा रही थी, कुच्छ भी चेंज नही था डे मे सिवाय पंकज के क्यूंकी वो वहाँ नही था. उसने मॅक्सी ड्रेस पहनी हुई थी, जो उसकी बॉडी पे काफ़ी लूज थी.

ग्राउंड फ्लोर पे सफाई करते मे उसको अहसास होता है कि कोई उपर से नीचे आ रहा है लेकिन सफाई के दौरान वो उपर होकर नही देखती है. उसको लगा कि शायद आराधना होगी, क्यूंकी उसकी कॉलेज होने का टाइम हो रहा था.

" मोम छाई मिलेगी...." स्मृति के कानो मे आवाज़ टकराती है और वो नज़रे उठा कर देखती है. ये कुशल की आवाज़ थी.

इस आवाज़ को सुनते ही, स्मृति सीधा खड़ा होती है और अपनी मॅक्सी ड्रेस के गले पे हाथ रखते हुए बोलती है-

" तुझे दिखता नही है कि मैं काम कर रही हू....."

कुशल -" मोम, तो आप चाइ नही दोगि तो कौन देगा मुझे...."

स्मृति -" कोई भी नही देगा तुझे. अब नखरे कम कर और बैठ जा, जैसे ही काम ख़तम होगा तो मैं बना दूँगी... आज इतनी जल्दी उठ कैसे गया तू....?"

कुशल -" मोम उठना क्या, मैं तो रात को सही से सो ही नही पाया. वो मेरी..... मेरी..... भूख ख़तम नही हुई और खाना कम मिला था." कुशल एक शैतानी मुस्कान के साथ मुस्कुराता हुआ बोलता है.

स्मृति अपने माथे पे हाथ मारती है और फिर से काम पे लग जाती है. कुशल की निगाहे तो जैसे स्मृति पे ही चिपक गयी थी. वो इधर उधर कहीं नही देख रहा था.

स्मृति काफ़ी अनकंफर्टबल थी क्यूंकी वो कुशल की निगाहो को अपने बूब्स और अपनी आस पर फील कर सकती थी. लेकिन मजबूर थी कि कुच्छ नही कह सकती थी.

तभी सीढ़ियो पे से फिर से फुट स्टेप्स की आवाज़े आती है. ये साउंड काफ़ी करिप्सी था, स्मृति उपर देखती है. कुशल देख तो नही सकता था कि आख़िर कौन आ रहा है लेकिन फिर भी अपनी नज़रे सीधी कर लेता है क्यूंकी उसकी नज़रे अब तक बस स्मृति पे ही थी.

" मोम, मैं कॉलेज जा रही हू...." ये आवाज़ आराधना की थी. आज उसने सूट पहना था जो बॉडी पे टाइट तो था लेकिन फिर भी कोई एक्सपोज़ नही था. लाइट मेक अप किया हुआ था, काफ़ी खूबसूरत लग रही थी वो. लेकिन आज के कपड़े बहुत ही ट्रडीशनल और रेस्पेक्टफुल थे.

" कुच्छ खाएगी नही.....?" स्मृति पूछती है

" मेरा मन नही करता कुच्छ खाने का...." आराधना बिना स्मृति के मूँह की तरफ देखते हुए ये बात बोलती है. वो सीधा चलते जा रही थी, दर असल उसका आटिट्यूड और हर्ष हो गया था नाइट इन्सिडेंट के बाद कि कैसे उसकी मा बड़ा लंड अपनी गान्ड मे ले रही थी.

स्मृति उसकी तरफ देखती ही रह जाती है. उसके मन मे सिर्फ़ यही आ रहा था कि जैसे जैसे आराधना बड़ी हो रही तो बदतमीज़ भी होती जा रही है. लेकिन वो इसे आगे के नॉर्मल रिक्षन्स समझते हुए इग्नोर कर रही थी.

आराधना तेज स्पीड के साथ आगे बढ़ रही थी. तभी उसे अहसास होता है कि सोफे पे कोई बैठा है. वो अपने कदमो को रोकती है, और वहीं खड़े खड़े पीछे मूड कर देखती है. वो जिस तरीके से अपने बालो को पीछे झटकते हुए देखती है वो अदा काफ़ी नशीली थी. अब उसका चेहरा पीछे था और बॉडी सामने की तरफ, पूरी बात ये थी कि उसकी मस्त गांद कुशल के ठीक सामने थी.

वो देखती है कि वहाँ कुशल बैठा है. वो अपने हाइ हील सॅंडल्ज़ मे पीछे मुड़ती है और खत खत अपने सॅंडल्ज़ की आवाज़ के साथ कुशल की तरफ बढ़ती है.

" तू यहाँ क्या कर रहा है? आज बड़ी जल्दी उठ गया तू....?" आराधना अपनी सेक्सी आइज़ को कुशल से मिला कर बोलती है.

कुशल इधर उधर देखता है और बड़े आराम से बोलता है -" देखने आया था कि मेरी दीदी कॉलेज जाते हुए कैसी दिखती है......." आराधना उसकी बात सुन कर जैसे शॉक्ड हो जाती है औट चुप वहीं खड़ी रहती है.

कुशल आराधना के सारे रिक्षन्स को देख रहा था कि तभी- " हा हा हा हा हा हा...... क्या हुआ दीदी. मज़ाक कर रहा था, मैं तो नीचे चाइ पीने आया था." कुशल बात को चेंज करते हुए बोलता है.

" चाइ पीने या सिगरेट? रात की तरह......" आराधना भी उसका मज़ाक उड़ाते हुए बोली

" दीदी लड़के तो करते है ही. अगर लड़के स्मोकिंग नही करेंगे तो क्या लड़किया करेंगी...." कुशल फिर से अपनी बात को प्रूव करना चाहता था. वो इतनी लो वाय्स मे बात मार रहे थे कि स्मृति भी आवाज़ नही सुन सकती थी. वैसे भी स्मृति तो सफाई मे दोबारा बिज़ी हो चुकी थी.

आराधना फिर से कॉलेज जाने के लिए मुड़ती है और जाते जाते कहती है -" चल एंजाय कर..... वैसे ये लड़को का ही राइट नही है, लड़किया भी कर सकती है ये सब...." अब तक आराधना मूड चुकी थी जाने के लिए.

" दीदी लड़किया स्मोकिंग नही सकिंग करती हुई अच्छी लगती है......" कुशल ने फिर से लो वाय्स मे एक और झटका दे दिया.

आराधना के पाँव फिर से रुक जाते है. उसको अपने कानो पे यकीन नही होता कि उसने अभी क्या सुना है. वो फिर से मुड़ती है और फिर से धीरे धीरे उसके पास आती है.

" क्या कहाँ तूने अभी.....?" आराधना के चेहरे पे बिल्कुल भी हँसी नही थी

" मैने..... मैं तो कह रहा था कि आज आप बहुत अच्छी लग रही हो......." कुशल बात पलट देता है.

तभी बाहर से हॉर्न की आवाज़ आने लगती है. आक्च्युयली सिमरन आ चुकी थी आराधना को पिक करने

" नही तूने कुच्छ और कहा...." आराधना उसको फिंगर दिखाते हुए बोलती है.

इससे पहले की कुशल कुच्छ बोलता फिर से हॉर्न की आवाज़ आती है. जिससे आराधना कुशल की तरफ देखते देखते ही मूड जाती है. वो अभी तक कन्फ्यूज़ थी कि जो उसने सुना वो सही था या उसका डाउट.

उसको एक डाउट और भी था कि आज कल उसके माइंड मे सिर्फ़ सेक्स घूम रहा है टू दट मे बी दा रीज़न कि उसको ये बात सुनाई दी. वो कुशल की तरफ देखते देखते घर से बाहर चली जाती है.

कुशल अब आज़ाद था क्यूंकी आराधना जा चुकी थी और प्रीति को तो जागने मे अभी टाइम था. वो फिर से खड़ा होता है और धीरे धीरे स्मृति के पास पहुँच जाता है.

स्मृति सफाई करते करते अपने बेड रूम के करीब पहुँच चुकी थी.

" मोम छाई मिलेगी या नही आपने बताया नही...." कुशल फिर से बहुत मासूमियत से पुछ्ता है.

स्मृति अब अपनी सफाई को बीच मे छोड़ कर सीधी खड़ी होती है, वो सफाई करते करते पसीने मे भीग चुकी थी.

" कुशल कसम से तू मुझे बहुत परेशान कर चुका है. अब मैं तुझे सहने के और मूड मे नही हू, तू क्या चाहता है कि मैं तेरी डॅड को फोन करू...." स्मृति बहुत सीरीयस लग रही थी

" मोम, प्लीज़ आप मुझे ग़लत मत समझिए. मैं तो आपको हेल्प करने आया था, खैर छोड़ो ये बताओ कि आज का क्या प्लान है...." कुशल भी एक डिफरेंट अंदाज़ मे पुछ्ता है

" प्लान से क्या मतलब है तेरा..." स्मृति और भी ज़्यादा सीरीयस होते हुए बोलती है

" मतलब आज कहीं आना जाना है या घर मे ही रहना है...." कुशल पुछ्ता है

" तुझ से मतलब... अगर मुझे कहीं जाना है या नही जाना है..." स्मृति फिर से आगे बढ़ कर काम मे लग जाती है

" मोम, क्या आप हमेशा गुस्सा रहती हो. मैं कल रात भी आपसे कह चुका हू कि ग़लती हो गयी लेकिन आप हो कि मान ने को तैयार नही हो." कुशल फिर से अपना माइंड गेम खेल रहा था.

" ठीक है, ठीक है. अभी बना दूँगी चाइ तेरे लिए अब ज़्यादा मक्खन मत लगा. और मुझे जल्दी से तैयार होने दे...."

कुशल -" क्यू मोम कहाँ जाना है?"

स्मृति -" मैने फिटनेस क्लब जाय्न कर लिया है और आज मेरा पहला दिन है....."

कुशल -" लेकिन मोम आपसे तो फिट मुझे कोई और दिखता नही है फिर आपने क्यूँ जाय्न किया..." कुशल स्मृति के बूब्स की तरफ देखते हुए बोलता है
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12-01-2018, 02:43 PM,
#39
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
स्मृति भी कुशल के इरादे समझ जाती है कि वो कैसे मक्खन लगा रहा है.

" हाँ मैं फिट तो हू लेकिन अब मुझे लगने लगा है कि बॉडी मे वो बात नही है जो पहले थी. अब फिटनेस क्लब मे थोड़ी एक्सर्साइज़ और स्विम्मिंग करूँगी तो मुझे लगता है कि और फिट हो पाउन्गि..." स्मृति बोलती है

कुशल -" मोम आप जैसी फिगर तो बॉलीवुड आक्ट्रेस की भी नही है. लेकिन फिर भी आप जाय्न करना चाहती है तो कर सकती है....."

स्मृति -" अच्छा इतनी अच्छी दिखती हू मैं तुझे....?" स्मृति कुशल की आँखो मे देखती हुई बोलती है

कुशल -" मोम सच बोल रहा हू कि मैं तो आपकी बॉडी का फन हू. मुझसे कोई ग़लती ना हो अगर टाइम टू टाइम आप मुझे अपनी बॉडी दिखाती रहे......."

स्मृति उसकी ये बात सुनकर शर्मा जाती है -" चुप कर बदमाश......."

" नही मोम सच मे..... आपके सेक्सी बदन को देखने के लिए पता नही क्या क्या पापड बेले है मैने. आप मेरी ये हेल्प करेंगी ना, रेग्युलर अपना बॉडी शो कराएँगी ना मुझे... कसम से परेशान नही करूँगा फिर...." कुशल सारी बात बोल देता है

" चुप हो जा बदमाश....." स्मृति हंस कर बोलती है

" मोम वैसे कल रात के लिए मैं सॉरी बोलना चाहता हू. मुझे ऐसे ज़बरदस्ती नही करनी चाहिए थी...." और ड्रामा मेकर कुशल अपनी नज़रे झुका लेता है.

" चल जब तू अपनी ग़लती मान ही रहा है तो मैं इतनी पत्थर दिल नही हू. लेकिन हाँ कभी भी किसी औरत को बिना उसकी मर्ज़ी से कुच्छ नही करना चाहिए. मैं तेरी मा हू लेकिन एक अडल्ट भी तो मेरा फ़र्ज़ है कि मैं तुझे अच्छी बाते सिखाऊ. लॅडीस की नज़रो मे हमेशा उस आदमी की इमेज कम हो जाती है जो ज़बरदस्ती करता है या बिना मर्ज़ी के कुच्छ करता है...." स्मृति कुशल को समझाती है

कुशल -" मोम, यू आर ग्रेट. थॅंक यू. आपने मुझे अच्छी बात सिखाई है लेकिन पता नही वो... वो.... दर असल...... आपकी बॅक साइड का मैं फन रहा हू पिच्छले कई सालो से... कल रात डॅड नही थे तो मैं बहक गया. मुझे लगा कि आप अग्री नही होंगी तो ही ग़लती हो गयी....."

स्मृति -" मैं तेरी जवानी का जोश समझ सकती हू. और वैसे भी तेरे हथियार को देख कर ही पता चल जाता है कि कितनी गर्मी है तुझमे. लेकिन बेटा असली मर्द वो है जो लड़की को उसकी मर्ज़ी से तैयार करे.... नाकी ज़बरदस्ती से." कुशल की गैर मोजूदगी मे स्मृति भी खुल कर पेश आ रही थी.

कुशल -" क्यू मोम, मेरा लंड सही नही है....?"

स्मृति -" फिर से बदतमीज़ी और फिर से वो कर रहा है जो मुझे पसंद नही...."

कुशल -" सॉरी मोम... मैं जान ना चाहता था कि .. वो मेरा... मेरा हथियार कैसा है.... क्या वो सही है या कुच्छ कमी है. आपको तो एक्सपीरियेन्स है तो ऐसे ही जान ना चाहता था... प्लीज़ गुस्सा मत होना...."

स्मृति मुस्कुराती है और कहती है - " मस्त है एकदम. लेकिन अगर ज़बरदस्ती ना करे तो..... जो लड़की एक बार तेरे पास आएगी वो दोबारा भी ज़रूर आएगी...." स्मृति कुशल की आँखो मे आँखे डालती हुई कहती है

कुशल -" अगर ना आए तो.....?"

स्मृति -" बेटा भरोसा रखो और मेहनत करते रहो. फल ज़रूर मिलता है. अब चल मुझे काम करने दे क्यूंकी आफ्टरनून मे मुझे फिटनेस क्लब जाना है..." और ये कह कर स्मृति किचन मे घुस जाती है

कुशल -" मोम क्या मैं लेकर चलु आपको वहाँ.....?"

स्मृति( गॅस को ऑन करते हुए)- " बेटा वहाँ लॅडीस स्विम्मिंग करेंगी और एक्सर्साइज़ करेंगी. पता नही कैसा माहौल हो वहाँ पे..."

कुशल -" मोम मैं तो आपका बच्चा हू, तो बाकी सबका भी हुआ ना. तो मुझसे क्या परेशानी. प्लीज़ मुझे भी ले चलो...." और ये बोलते हुए वो मोम को रिक्वेस्ट करने लगता है.

" ओके....ओके, अब बाहर जा मैं चाइ ला रही हू. आफ्टरनून मे चलेंगे वहाँ पर....". और कुशल हॅपी होकर बाहर बैठ जाता है.
दूसरी तरफ

आराधना और सिमरन कॉलेज पहुँच चुकी थी. जाते ही दोनो कॅंटीन पहुँचती है और एक कॉर्नर मे जाकर बैठ जाती है.

" अब बता ना कि क्या प्लान है. प्लीज़ मुझे जल्दी से दिल्ली भिजवा दे...." आराधना बातो की शुरुआत करती है

सिमरन -" तो सुन प्लान ये है कि तू आज आफ्टरनून घर जाएगी और कहेगी कि एक प्रॅक्टिकल सेशन के लिए कॉलेज के कुच्छ बच्चे दिल्ली जा रहे है और उनमे तेरा भी नाम है ..."

आराधना -" अगर मोम ने मना कर दिया तो....?"

सिमरन -" मेरी जान पेरेंट्स की मेनटॅलिटी को पढ़ना सीख. तुझे ऐसे पेश आना है जैसे तुझमे कोई एग्ज़ाइट्मेंट नही है और तू खुद भी नही जाना चाहती. लेकिन तुझे ऐसे दिखाना है जैसे कि ये इस कोर्स के लिए बहुत ज़रूरी है. "

आराधना-" लेकिन अगर उन्हे कॉलेज से पता चल गया तो....?"

सिमरन -" मेरी जान तू वो मुझपे छोड़ दे. वो मैं सब संभाल लूँगी..."

आराधना- " अच्छा देल्ही पहुँचने के बाद क्या प्लान है?"

सिमरन-" फिर से तुझे थोड़ा आक्टेर बन ना पड़ेगा. देल्ही पहुँचने के बाद तुझे अपनी मोम को बोलना है कि कॉलेज वाले जहाँ रहने के लिए बोल रहे है वो जगह अच्छी नही तो तू वापिस आना चाहती है..."

आराधना -" ओह्ह्ह्ह.... लेकिन अगर उन्होने कह दिया कि बेटे आजा वापिस फिर क्या होगा..." आराधना शॉक्ड होते हुए बोलती है.

सिमरन -" मेरी जान तेरे डॅड ऐसा नही होने देंगे. वो तुझे अपने होटेल मे ही कहीं रूम दिला देंगे, और यही सजेशन तेरी मोम देगी तुझे...."

आराधना-" यार माइंड कमाल का है तेरा..... लड़की गजब है तू. आज लग रहा है कि तुझे फ्रेंड बनाना सही डिसीजन था." आराधना सिमरन के गले मे हाथ डालते हुए बोलती है

सिमरन -" अरे मेरी जान अब जब तक तुझे चुदवा ना दू तो तब तक मैं शांत नही रहूंगी.... " सिमरन आँख मारते हुए बोलती है.

आराधना -" चल तू भी बड़ी बदमाश है......"

सिमरन -" बदमाश तो लड़के होते है... अगर मैं होती तो मैं ही चोद देती तुझे... बता मुझसे चुदवा लेती या नही?"

आराधना उसकी ये बात सुन कर शरमा जाती है. उसके गाल लाल हो जाते है.

" तू भी कितनी गंदी बाते करती है... " आराधना शरमाते हुए बोलती है

सिमरन -" ओये होये..... मैं गंदी बाते करती हू और जब तेरे डॅड तुझे घोड़ी बना कर चोदेन्गे तो वो अच्छी बाते..... लेकिन तुझ जैसे मस्त माल को पाकर तेरे डॅड की तो लॉटरी लग जाएगी. अच्छा बता क्या पहन कर जा रही है तू देल्ही?"

आराधना -" एक शॉर्ट ड्रेस है... उसको. वो मेरे घुटनो तक है. "

सिमरन -" मेरी जान धीरे धीरे बिजलिया गिरा नही तो बिजली फैल हो जाएगी. मेरी बात मान और पूरे कपड़े पहन कर जा. टाइम बाइ टाइम अपने डॅड को अपनी बॉडी का दीदार करती रहियो...... जिससे वो एरॉटिक सेडक्षन फील करे..."

आराधना -" तो क्या पहन कर जाउ...?"

सिमरन -" मेरा मान ना है कि कोई सूट सलवार पहन कर चली जा. जिससे तेरे घर मे भी कोई शक ना करे. और देल्ही पहुँचते ही आइटम नंबर बन जा बस..."

आराधना -" चल कह तो सही रही है. तो अब बता क्या करना है. "

सिमरन -" फोन मिला अपनी मोम को और उन्हे बता कि कॉलेज की तरफ से देल्ही जाना है..."

आराधना -" ओके..."

आराधना अपने पर्स से फोन निकालती है और अपनी मोम को फोन मिलाती है.

" ट्रिंग ट्रिंग.... ट्रिंग ट्रिंग......"

" हेलो आरू........" स्मृति फोन उठाती है

आराधना -" हेलो मोम.... कैसी हो?"

स्मृति -" सही हू बेटा... बता कैसे फोन किया.."

आराधना-" मा वो मूड ऑफ है. कॉलेज वाले देल्ही भेजने की बात कर रहे है 10 दिन के लिए. लेकिन मेरा मूड नही है. "

स्मृति -" बेटे जब कॉलेज मे अड्मिशन लिया है तो कोर्स तो पूरा करना ही पड़ेगा. वैसे भी तेरे कोर्स मे देल्ही काफ़ी हेल्पफुल रहेगा.... तुझे ज़रूर जाना चाहिए..." सिमरन भी फोन पे बात सुन रही थी तो वो थंब अप करके आराधना को इशारा करती है

आराधना-" लेकिन मोम आपको तो पता है कि आज तक मैं घर से कहीं दूर नही गयी हू. पता नही अगर मैं वहाँ गयी तो वहाँ रह भी पाउन्गि या नही...." आराधना और सिमरन एक दूसरे की तरफ इशारो मे हंस रहे थे.
स्मृति -" लड़की की लाइफ मे तो एक ना एक दिन तो घर से जाना ही लिखा है. और वैसे भी देल्ही जाना तो हर किसी का सपना है. अभी तो तेरे डॅड भी वहीं है तो टेन्षन ना ले और जाने की तैयारी कर... वैसे जाना कब है...?"

आराधना -" आज ईव्निंग ही मोम..."

स्मृति -" तो लेट मत कर और जल्दी घर आजा. जिससे कि तू ईज़िली पॅकिंग कर सके. मैं अभी तेरे डॅड से भी बात कर लेती हू ताकि वो तेरी हेल्प कर दे...."

आराधना -" ठीक है मोम आप कहती है तो मैं चली जाती हू नही तो मूड तो नही है......."

स्मृति -" चल टेन्षन ना ले और जल्दी घर आजा... बाइ..."

आराधना -" बाइ मोम." आराधना ऐसे बोल रही थी जैसे वो बहुत अपसेट है.

फोन डिसकनेक्ट होते ही आराधना और सिमरन गले मिलती है.

" साली तुझे तो आक्टिंग का अवॉर्ड मिलना चाहिए... क्या मस्त ड्रामा किया है. अब मुझे यकीन हो गया है कि तू अपने इरादे मे पक्की है...." सिमरन गले मिलते हुए बोलती है.

आराधना -" थॅंक यू यार. चल अब एक क्लास अटेंड कर ले नही तो अगले 10 दिन कोई क्लास नही होगी...." दोनो हंसते हंसते क्लास रूम की तरफ चल देते है.

दूसरी तरफ घर पर सारा काम हो चुका था. कुशल नहा कर रेडी था और स्मृति अपने फिटनेस क्लब जाने के लिए तैयार हो रही थी. उसने एक स्पोर्ट ट्राउज़र और एक टीशर्ट पहनी हुई थी. उसकी ड्रेसिंग की वजह से वो काफ़ी यंग लग रही थी आज.

कुशल अपनी जीन्स टीशर्ट पहन कर नीचे आने के लिए अपने रूम से निकलता है. और फिर से वही सेम स्टोरी क्यूंकी प्रीति उसे अपने गेट पर खड़ी हुई मिल जाती है.

" कहाँ जा रहा है आज बन ठन कर...." प्रीति कुशल की तरफ आँखे मटकाते हुए कहती है.

" चुदाई करने जा रहा हू.... तू भी आजा......" कुशल चलते चलते फिर से बेशर्मो की तरह पेश आता है.

लेकिन इस बार प्रीति ने भी जवाब दिया -" तो तैयार हो जाउ....."

कुशल -" कहाँ के लिए....?"

प्रीति -" वहीं जहाँ तू अभी जाने के लिए कह रहा था...." प्रीति अपने नज़रे दूसरी तरफ करते हुए बोलती है.

कुशल ( एक जगह रुक कर)-" कहाँ कहा मैने जाने के लिए... बता तो सही......."

प्रीति -" चल जा भी मुझे नही जाना.... गंदी बाते करवाते रहो..... मुझे तेरे साथ जाने का शोक नही है..." प्रीति भी आटिट्यूड दिखाती है.

कुशल -" जैसी तेरी मर्ज़ी...." और ये बोल कर वो नीचे की तरफ जाने लगता है. प्रीति अब फर्स्ट फ्लोर की रेलिंग पर आकर खड़ी हो जाती है जहाँ से उसे ग्राउंड फ्लोर क्लियर दिख रहा था. वो देखती है कि स्मृति भी कहीं के लिए तैयार है.

कुशल नीचे पहुँचता है और अपनी मोम को उस स्पोर्ट बॅग मे बिकिनी रखते हुए देखता है.

" मोम इसका क्या करोगी...." कुशल का इशारा बिकिनी की तरफ था

स्मृति हंसते हुए बोलती है -" सर पर टोपी बाँधूंगी. अबे पागल बिकिनी स्विम्मिंग के लिए ही पहनते है ना...."

कुशल -" ओह्ह्ह समझ आया...." प्रीति उपर से ये सब देख रही थी.

" तो मोम के साथ जा रहा है वहीं....." प्रीति उपर से चिल्ला कर बोलती है. कुशल उसकी ये बात सुन कर घबरा सा जाता है.

" चल भाग अपने रूम मे, मैं तो मोम को फिटनेस क्लब छोड़ने जा रहा हू." कुशल प्रीति को इशारा करते हुए बोलता है.

" अच्छा अबसे थोड़ी देर पहले तो कहीं और जा रहा था तू और अब फिटनेस क्लब... बड़ा झूठा है तू......" प्रीति फिर से सिचुयेशन का फ़ायदा उठती है

स्मृति बीच मे बोलती है -" क्यूँ कहाँ जाने के लिए कह रहा था ये..." स्मृति प्रीति से पूछती है.

इससे पहले कि प्रीति कुच्छ बोले, कुशल अपनी मोम का हाथ पकड़ कर बाहर ले जाने लगता है -" मोम ये तो पागल है आप इसकी बात पर ध्यान ना दो....."

" बता दू कुशल...." और प्रीति ज़ोर से हँसने लगती है

स्मृति -" अच्छा प्रीति अब अपने भाई से लड़ना बंद कर. मैं फिटनेस क्लब जा रही हू और जल्दी आ जाउन्गि. आराधना दीदी कॉलेज से आती ही होंगी तो घर का ख्याल रखियो..

ये बात बोलकर स्मृति घर से बाहर चली जाती है.

" क्या बोल रहा था तू प्रीति को...." स्मृति अपने बॅग को कार मे रखते हुए बोलती है

कुशल -" मोम.... उसकी तो आदत है मज़ाक करने की..... आप उसकी बात पर ध्यान ना दो और कार मे बैठो...."

दोनो अब कार मे बैठ चुके थे. आज ड्राइविंग कुशल ने करनी थी, सो ड्राइविंग सीट पर बैठ कर कार को घर के बाहर निकालता है.
थोड़ी दूर चलने के बाद वो फिर से बात स्टार्ट करता है -" मोम आज तो फिटनेस क्लब मे बिजलिया गिरेगी... इतनी सेक्सी मोम बिकिनी पहन कर स्विम्मिंग करेंगी...."

स्मृति -" बेवकूफ़ वो एक लॅडीस फिटनेस क्लब है. वहाँ बिकिनी तो क्या बिना बिकिनी के भी स्विम्मिंग हो रही होगी....."

कुशल -" वाउ मोम.... प्लीज़ मुझे भी अंदर ले जाना.. " कुशल एग्ज़ाइटेड होते हुए बोलता है

स्मृति -" कोशिश करूँगी बट नो शरारत. नही तो सेक्यूरिटी से बोल कर बाहर करा दूँगी. "

और दोनो मे एक हेल्ती चॅट होती रहती है.

आराधना अपनी क्लास ख़तम करके घर पहुँच जाती है. सिमरन उसे ड्रॉप करती है और कहती है -" चल जल्दी से बॅग तैयार कर और मैं ईव्निंग मे तुझे पिक करके बस स्टॉप पर ड्रॉप कर दूँगी....."

आराधना " थॅंक यू सिम... तू ना होती तो पता नही क्या होता." आराधना कार से उतरते हुए बोलती है

सिमरन -" चल एमोशनल मत हो. ख्याल कर सेक्सी लिंगेरिएस, नाइट ड्रेस आंड लॉट ऑफ मेक अप आइटम्स भी पॅक करियो. वहाँ तुझे बहुत मेहनत करनी है अपना टारगेट पाने ले लिए..."

आराधना -" चल ठीक है.. " और ये बोलकर आराधना अपने घर के अंदर आ जाती है

वो ग्राउंड फ्लोर पर चेक करती है लेकिन उसे कोई दिखाई नही देता. " मोम..... मोम....." आराधना आवाज़ लगा कर देखती है

" वो यहाँ नही है क्यूंकी जिम गयी है कुशल के साथ...." प्रीति उपर रेलिंग से आवाज़ लगाते हुए बोलती है

" तो अब नौबत यहाँ तक आ गयी है कि बॉडी को और सेक्सी करने के लिए जिम भी जाय्न कर लिया है..." आराधना अपने मन मे सोचती है.

और धीरे धीरे उपर जाने लगती है. उसे उपर प्रीति दिखाई देती है. प्रीति ने आज ब्लॅक टॉप आंड शॉर्ट स्कर्ट पहनी हुई थी.

" वाउ.. क्या बात है. आज तो बड़ी स्टाइलिश लग रही है." आराधना उसे कॉंप्लिमेंट देती है

" कहाँ स्टाइलिश दीदी... मुझे तो लगता है कि कहीं मेरा ढाँचा बिगड़ता जा रहा है. क्या आपको लगता है कि मैं सेक्सी हू?" प्रीति भी सवालिया निगाहो से आराधना से पूछती है

आराधना -" इतना सीरीयस क्यू हो रही है. सेक्सी क्या सूपर सेक्सी है तू....."

प्रीति -" ओये होये मेरी प्यारी दीदी तो आज बड़ी मेहरबान है. क्या बात है..." प्रीति भी खुश होते बोलती है

आराधना -" मैने तो तुझे तेरी बात का जवाब दिया बस...."

प्रीति -" नही दीदी... मुझे नही लगता कि मैं सेक्सी हू..... आप प्लीज़ मेरी हेल्प करिए और मुझे बताइए कि क्या वाकई मे मैं सेक्सी हू...?"

आराधना -" यार अभी परेशन मत कर. मुझे देल्ही जाना है...."

प्रीति ( आराधना के करीब आते हुए)- " ओये दीदी आप देल्ही जा रही हो.... ग्रेट. क्या करने जा रही हो देल्ही मे..."

आराधना -" कुच्छ नही कॉलेज की तरफ से जा रही हू 10 दिनो के लिए....."

प्रीति -" क्या कोई फॅशन शो है वहाँ पर...." प्रीति एग्ज़ाइटेड होते हुए बोलती है.

आराधना -" हाँ है. लाइनाये फॅशन शो है. तू भाग लेगी उसमे....?" आराधना मज़ाक मे कहती है

प्रीति -" क्या दीदी... फर्स्ट प्राइज़ जीत कर लाउन्गि...."

आराधना -" अच्छा ऐसा तो लगता नही तुझे देख कर..." आराधना प्रीति को उपर से नीचे तक देखती है और उसे टीज़ करते हुए बोलती है.
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प्रीति को इसी मौके की तलाश थी क्यूंकी वो अपने उपर हुए डाउट्स को मिटाना चाहती थी. और वैसे भी वो एक ओपन माइंडेड लड़की थी.

" आप कहो तो दिखाऊ कि मैं कैसे दिखा सकती हू..... " प्रीति आराधना की तरफ देखते हुए बोलती है.

आराधना एक जगह रुक जाती है और अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोलती है -" दिखा कि ऐसा क्या है तुझमे." आराधना भी ऐसे पेश आ रही थी जैसे वो बोर हो रही है.

प्रीति एक कॉर्नर मे जाकर खड़ी हो जाती है. 

तभी वो आराधना की तरफ देखते हुए अपने टॉप का एक साइड अपने शोल्डर से हटाती है.

वो आराधना को हैरान कर देती है जब वो अपना टॉप उतार देती है. वो सिर्फ़ अब एल ब्लॅक लेस वाली ब्रा मे थी. उसके बूब्स कितने मस्त थे वो बस आराधना ही जानती थी. उसकी आइज़ भी बहुत सेक्सी थी और उसकी स्माइल उसे और क्यूट बना रही थी.

ठीक उसके बाद प्रीति अपने दोनो हाथ अपनी स्कर्ट पे ले जाती है. और सबसे पहले अपनी स्कर्ट का बटन खोलती है और फिर ज़िप. किसी सेक्सी हेरोयिन की तरह वो अपनी स्कर्ट उतारती है.

और फाइनेली वो अपनी स्कर्ट भी उतार देती है. आराधना उसकी बॉडी को देख कर हैरान हो जाती है. उसको आशा नही थी कि प्रीति इतना डेवेलप हो चुकी है. उसका मूँह खुला का खुला रह जाता है.

" क्यूँ दीदी, क्या लगता है कि मैं जीत सकती हू या नही...." प्रीति ब्रा और पैंटी मे खड़े खड़े ही पूछती है.

" प्रीति अब तो मुझे और भी यकीन हो गया कि तू सूपर सेक्सी है. तेरा हज़्बेंड बहुत लकी होगा..." चल अब मेरी पॅकिंग मे हेल्प करा दे. आराधना के माइंड मे तो जैसे बस देल्ही जाना ही बसा हुआ था

" दीदी सच मे आपको अच्छी लगी मैं....." प्रीति हॅपी होते हुए बोलती है

" अबे सच बोल रही हू. अगर लड़का होती तो आज तो तू गयी थी काम से......" आराधना ऐसी बाते करती नही थी लेकिन आज अच्छे मूड मे थी.

प्रीति अपने मन मे सोचती है कि एक लड़का ऐसा भी है जिसे वो पिघला नही पा रही है. खैर वो दोबारा कपड़े पहन कर आराधना की पॅकिंग मे हेल्प करने चली जाती है.

दूसरी तरफ... स्मृति फिटनेस क्लब पहुँच चुकी थी. कुशल कार को पार्किंग मे लगाने जाता है और स्मृति फिटनेस क्लब मे एंट्री ले लेती है. क्यूंकी पार्किंग बॅक साइड मे थी तो कुशल को थोड़ा टाइम लग गया. कार को खड़ी करके कुशल अंदर जाता है, जब तक वो अंदर पहुँचा स्मृति चेंजिंग रूम मे अपने कपड़े चेंज कर के बिकिनी मे आ चुकी थी. ओह माइ गॉड क्या मस्त लग रही थी वो...... वो कुशल की तरफ देखते हुए स्टाइल मे आगे बढ़ती है. उसकी आइज़ बता रही थी कि वो एक सेक्सी लेडी है. उसकी चाल मे एक अलग ही बात थी, कुशल को फील हो रहा था कि स्मृति की बिकिनी ब्रा ज़्यादा टाइट है तभी तो उसके बूब्स जैसे उसे फाड़ कर आ जाने को तैयार थे.

स्मृति जैसे जैसे स्विम्मिंग पूल की तरफ बढ़ती जा रही थी, वैसे वैसे उसकी चाल और भी मस्तानी होती जा रही थी. कुशल अब उसे इशारा करता है कि उसकी बिकिनी ब्रा बहुत टाइट है. और उसे मज़ाक मे इशारा भी करता है कि उसे उतार दे. कुशल तो ये मज़ाक कर रहा था लेकिन स्मृति ने वो किया जिसकी आशा भी नही थी कुशल को. वो अपनी बिकिनी ब्रा की बॅक स्ट्रीप को खोल देती है. ओह माइ गॉड क्या सीन था. अब उसने ब्रा पहनी तो हुई थी लेकिन बूब्स आज़ाद थे,

कुशल एक बार फिर से एग्ज़ाइट्मेंट के सातवे आसमान पर था.

कुशल फिर से के बार कन्फ्यूज़ था कि कभी स्मृति उसे घास नही डालती जब वो उसे चोदता है और कभी उसके एक इशारे पर अपनी ब्रा की स्ट्रिपेस खोल कर अपने हेवी बूब्स के दर्शन के करा देती है. कुशल वाकई मे नही समझ पा रहा था कि स्मृति के माइंड मे चल क्या रहा था.

एक्स सेक्सी कॅट वॉक स्टाइल मे स्मृति स्विम्मिंग पूल की तरफ बढ़ती है लेकिन उसकी नज़रे बस कुशल पर ही थी. कुशल स्विम्मिंग पूल से थोड़ी दूरी पर एक चेर लेकर बैठ जाता है. स्मृति का गथीला बदन उसकी नज़रो के सामने ही था. स्मृति धीरे धीरे पूल मे उतरने लगती है, उस स्विम्मिंग पूल मे और भी लॅडीस थी लेकिन शायद कोई स्मृति के आस पास भी नही थी बॉडी की तुलना मे. स्मृति का आधा बदन पानी मे जा चुका था लेकिन अभी भी उसकी नज़रे कुशल पे ही थी. कुशल अभी नया नया जवान हुआ था, ऐसी मादकता वो हॅंडल नही कर पा रहा था, उसे खुद भी समझ नही आ रहा था कि आख़िर उसकी बॉडी मे ये क्या उथल पुथल हो रही है. स्मृति की शार्प आइज़ जैसे X रे कर रही थी कुशल का, दोनो की निगाहे बस एक दूसरे पर ही थी.

कुशल का टेंट तन चुका था. उसकी जीन्स मे कोई भी देख कर अंदाज़ा लगा सकता था कि अंदर कुच्छ मचल रहा है. स्मृति ये देख कर एक स्माइल देती है और अपने आप को स्विम्मिंग पूल की गहराइयो मे ले जाकर स्विम्मिंग करने लगती है.

कुशल को समझ नही आ रहा था कि कैसे वो अपने जवान लंड को शांत करे. उसने इधर उधर देखा तो काफ़ी लॅडीस थी. वो समझ गया कि यहाँ माहौल सही नही है तो वो बाहर जाने लगता है. उठ कर जब वो चलता है तो स्मृति की आवाज़ उसे चौंका देती है.

" कुशल.... कुशल...... कहाँ जा रहा है......."

कुशल पीछे मूड कर देखता है तो स्मृति स्विम्मिंग पूल की बाउंड्रीस पर अपने बूब्स टिका कर उससे पुछ रही थी. ऊफ्फ उसके बूब्स तो जैसे पागल ही कर देते है कुशल को....

कुशल अपनी एक फिंगर का इशारा करता है जिसमे वो ये कहना चाह रहा था कि वो पेशाब करने जा रहा है. स्मृति ये देख कर हँसने लगती है और फिर से स्विम्मिंग करने लगती है.

कुशल बाहर आकर पार्किंग मे जाता है और अपनी कार के करीब आ जाता है. वो इधर उधर देखता है और अपनी कार के गेट को खोल कर अंदर चला जाता है. वो अपनी जीन्स के बटन को ऐसे खोलता है जैसे पता नही कितना उतावला हो रहा हो. जीन्स का बटन खोला, ज़िप ओपन करी, फ्रेंची मे हाथ डाला और लंड बाहर. ओह..... उसने राहत की साँस ली, उसका लंड ऐसे हो रहा था जैसे कोई हाइ केपॅसिटी इंजेक्षन.

वो अपने लंड पर हाथ फिराता है और ख्यालो मे खो जाता है कि क्या ये इतना लकी है कि स्मृति जैसी सेक्सी लेडी को वो फक कर चुका है. उसके एग्ज़ाइट्मेंट की अब कोई सीमा नही थी, लंड सेकेंड बाइ सेकेंड फूलता जा रहा था. कुशल की आँखे बंद हो चुकी थी.

वो अपने लंड की उपरी खाल को उपर नीचे करके मास्टरबेट करने लगता है. वो अपने हाथ को इतनी पवर से आगे पीछे कर रहा था कि कार भी हिल रही थी. स्मृति की सेक्सी आइज़, जुवैसी लिप्स, क्रीमी चीक्स, मोटे मोटे बूब्स, चिकनी कमर, पतला पेट, फूली हुई पुसी और मस्त गान्ड उसे पागल कर रही थी.

" आअहह...... ओह..... आइ...... लव...... यू...... मोम......." वो अपने आप से ही बाते करके एग्ज़ाइटेड होता जा रहा था. लंड ऐसा रूप ले चुका था जैसे कोई मिज़ाइल हो और कुशल उसके मंथन मे पूरे दिलो जान से लगा हुआ था.

स्मृति भी स्विम्मिंग मे लगी हुई थी. उसकी स्विम्मिंग स्टाइल से तो यही लग रहा था कि वो एक अच्छी स्विम्मर है. ईवन बाकी लॅडीस भी स्मृति को देख रही थी, यंग गर्ल्स भी. इस फिटनेस क्लब मे स्मृति का फिरट इंप्रेशन काफ़ी पॉज़िटिव रहा था अभी तक तो. थोड़ी देर के बाद वो स्विम्मिंग पूल से बाहर आती है और अपने बिकिनी टॉप को पीछे से टाइ करती है. वो और भी वॉर्म अप एक्सर्साइज़ कंटिन्यू करना चाहती थी लेकिन उससे पहले उसने कुशल को फोन करने का प्लान बनाया क्यूंकी वो पेशाब करने की बोल कर गया और काफ़ी देर होने के बाद भी वो लौट कर नही आया.

स्मृति फिर अपने पर्स से मोबाइल निकाल कर कुशल को फोन मिलाती है. लेकिन कुशल को इधर कहाँ सुनाई दे रही थी मोबाइल की बेल, वो तो अपने लंड को पकड़ कर अपने ख्यालो की दुनिया मे खोया हुआ था.

स्मृति उसे दो बार फोन मिलाती है लेकिन वो पिक नही करता. आख़िर स्मृति एक मा थी तो उसके अंदर चिंता जाग जाती है. वो तुरंत कपड़े पहनती है और बाहर जाने का प्लान बनाती है. लकिन वो भीगे हुए कपड़ो पे ही टॉप पहन लेती है मीन भीगे हुए बिकिनी टॉप और पैंटी को चेंज नही करती है. क्यूंकी उसमे टाइम ही वेस्ट ही होना था.

चेक आउट रिजिस्टर पे साइन करके वो फिटनेस क्लब से बाहर आती है. और पार्किंग की तरफ चल देती है, जैसे उसके अंदर के कपड़े गीले थे तो वो भी थोड़ा तेज स्पीड मे चल रही थी क्यूंकी उसके अंदर के कपड़ो की शेप उसके उपरी कपड़ो पे आ रही थी.

थोड़ी ही दूरी पे उसे अपनी कार दिख जाती है. पार्किंग एरिया काफ़ी बड़ा था तो आस पास और कोई कार थी भी नही थी.

" आज समझाती हू इसे....." स्मृति भी गुस्से मे कार की तरफ बढ़ती है.

तेज स्पीड से स्मृति आगे बढ़ती है और कार का गेट खोलती है.....

" ओह्ह्ह्ह.....नो......नो........मोम.....आप इतनी........." कुशल के तो पाँव तले से जैसे ज़मीन खिसक जाती है. वो अपने मास्टरबेशन की फाइनल स्टेज पे था लेकिन स्मृति उससे पहले ही आ गयी थी. वो अपने लंड को फिर अपनी जीन्स मे छुपाने की कोशिश करता है लेकिन सेम इश्यू कि उस लंड को प्यार से तो जीन्स मे छुपाया जा सकता था लेकिन खड़े हुए हालत मे नही.

" ओह नो!!! अगेन......" और ये बोलकर वो अपने मूँह को दूसरी तरफ फिरा लेती है.

थोड़ी देर के लिए बिल्कुल साइलेन्स था. कुशल अपने लंड को जीन्स मे अंदर करने मे लगा हुआ था.

" क्या कर रहा है अभी तक.... " स्मृति दूसरी तरफ रहते हुए ही चिल्ला कर पूछती है.

" मोम... एक मिनिट...... हाँ अब आप आ सकती हो...." कुशल अपने लंड को अंदर कर चुका था और जीन्स की ज़िप बंद कर रहा था.

स्मृति अपने आप को फिर से कार की तरफ घुमाती है और कार का गेट खोल कर अपना बॅग कार की बॅक सीट पर फेंकते हुए कार मे बैठ जाती है. इतनी देर मे कुशल अपनी ज़िप भी बंद कर लेता है.

अब दोनो कार मे ही है. लेकिन दोनो के बीच साइलेन्स है. कुशल स्मृति की तरफ और स्मृति कार से बाहर की तरफ देख रही थी. कुच्छ सेकेंड जब कोई रेस्पॉन्स नही आता तो कुशल स्मृति से पुछ्ता है.

" मोम..... कहाँ घर चले.......?".

स्मृति -" नही तो क्या मुझे होटेल लेकर जाएगा.....". स्मृति अपने सनग्लास को लगाते हुए फिर से चिल्ला कर बोलती है

कुशल कार मे गियर डालता है और धीरे धीरे आगे बढ़ जाता है.

" मोम... काफ़ी जल्दी आपने स्विम्मिंग ख़तम करदी.... मुझे लगा कि आपको टाइम लगेगा...." कुशल बड़े प्यार से अपनी मोम से पुछ्ता है

स्मृति -" इसीलिए तू यहाँ आकर इसे हिलाने मे लगा हुआ था......." स्मृति उसकी आँखो मे आँखे डालकर पूछती है

कुशल -" मोम वो.... मुझे लगा कि आपको टाइम......"
इससे पहले कि कुशल की बात ख़तम होती कि स्मृति बीच मे ही बोल पड़ती है-

" तू मुझे एक बात बता. तेरी अंदर इतनी आग क्यूँ लगी हुई है. रात को ही तूने किया था और अब फिर से इसे हिलाने लगा.... ऐसी क्या मजबूरी आ गयी थी..."

कुशल -" मोम... वो.... वो.... आपके बूब्स की झलक से मैं पागल सा हो गया और रहा नही गया......"

स्मृति को उसकी ये बात सुनकर थोड़ी सी हँसी आ जाती है लेकिन अपने आप पर कंट्रोल करती है.

" देख कुशल... तेरे लिए अब मैं बुर्क़ा पहन कर तो रख नही सकती. कभी ना कभी तो नज़र पड़ ही जाती है लेकिन इसका क्या मतलब कि तू हमेशा ऐसे ही...." स्मृति का इशारा मास्टरबेशन की तरफ था.

" मोम.... सॉरी...... पता नही ऐसे क्यूँ होता है. अरे मोम आपके तो कपड़ो से पानी टपक रहा है..." कुशल का ध्यान फिर से स्मृति के टॉप पर जाता है.

स्मृति -" जब तूने फोन नही उठाया तो मुझे टेन्षन हो गयी और मैने गीली बिकिनी के उपर ही कपड़े पहन लिए..."

कुशल -" क्या आप मुझे इतना प्यार करती है....."

स्मृति -" गाड़ी चलाने पर ध्यान दे....." स्मृति मुस्कुराते हुए कहती है.

कुशल -" लेकिन मोम गीले कपड़े से तो आपको स्किन मे आलर्जी हो सकती है." कुशल थोड़ा सीरीयस होते हुए बोलता है.

स्मृति -" यही मैं सोच रही हू कि और वैसे भी अब थोड़ा अनकंफर्टबल लग रहा है...."

कुशल -" मोम..... अगर आप चाहे तो बॅक सीट पे जाकर अपने कपड़े चेंज कर सकती है. रोड पे ट्रॅफिक भी कम है."

स्मृति -" रोड के ट्रॅफिक से नही मुझे परेशानी इस कार के ट्रॅफिक से है...."

कुशल -" मोम, आप टेन्षन ना ले. मैं परेशान नही करूँगा... मैं नही चाहता कि मेरी मोम को कोई परेशानी हो...." कुशल फिर से सीरीयस होते हुए बोलता है

स्मृति को उसकी ये बात सुनकर कुशल पर बड़ा प्यार आता है और वो उसके गालो को किस करने के लिए थोड़ा सा आगे बढ़ती है कि तभी इतिफाक से कुशल अपना मूँह स्मृति की तरफ घुमा देता है और ----- पुचह......

दोनो के बीच लिप किस हो जाती है...... स्मृति के गीले होठ फिर से कुशल के मूँह मे आ जाते है और कुशल भी सेकेंड्स मे उनका रस चूस लेता है. स्मृति उसको एक धक्का दे कर अलग हो जाती है....

" आहह... ईडियट ड्राइविंग पर ध्यान दे......" स्मृति अपने होंठो को सॉफ करते हुए कहती है

कुशल -" मोम आप ही तो मुझे किस करने के लिए आगे बढ़ी..."

स्मृति -" बेवकूफ़ मैं तो गाल पे किस करना चाहती थी. लेकिन बाते ना बना अब...."

कुशल -" लेकिन मोम सच मे... आप कपड़े चेंज कर लीजिए नही तो मेरा ध्यान भंग हो रहा है. कुशल अपनी मा के बूब्स को घूरते हुए बोलता है. जो कि बिकिनी गीली होने की वजह से सॉफ दिखाई देने लगे थे
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12-01-2018, 02:44 PM,
#40
RE: antervasna फैमिली में मोहब्बत और सेक्स
स्मृति की निगाहे कुशल की जीन्स की तरफ जाती है और उसे भी अहसास हो जाता है कि कुशल की जीन्स की ज़िप हिस्सा फूल रहा है. वो अपनी नज़रे हटाती है और बोलती है

" ठीक है गाड़ी साइड मे लगा और मुझे बॅक सीट पर जाने दे....." ये सुनते ही कुशल साइड मे कार लो रोक देता है

स्मृति कार का गेट खोल कर उतरती है और पीछे वाले गेट से अंदर हो जाती है. " चल अब मैं कपड़े बदल रही हू, रोड तो लगभग खाली है तो कार चलाता रह और बॅक मिरर मे देखने की ज़रूरत नही है......"

कुशल फिर से गियर डालता है और आगे बढ़ जाता है. स्मृति सबसे पहले अपना टॉप उतारती है....... और उतार कर आगे वाली सीट पे फेंक देती है यानी कुशल की साइड वाली सीट पे.....

अब वो बस बिकिनी मे थी...... कुशल की हिम्मत नही हो रही थी कि वो पीछे देखे लेकिन साइड मे पड़े हुए टॉप को देख कर वो आइडिया लगा लेता है कि स्मृति अब किन हालत मे है.

स्मृति अपने बॅग से ब्रा निकालती है और और अपनी बिकिनी ब्रा को अपने से अलग कर देती है. अब उसके बूब्स बिल्कुल नंगे थे.... वो अपनी बिकिनी ब्रा को उतार कर फिर से आगे की तरफ फेंक देती है. कुशल उसे देखता है और फिर से एक और झटका. अब कुशल को पता था कि स्मृति पीछे बिना ब्रा के है लेकिन अभी भी गाड़ी चलाने मे बिज़ी था.

स्मृति अपनी दूसरी ब्रा पहन ना चाह रही थी लेकिन पता नही क्यू उसका हुक नही लगा पा रही थी. कुशल अपने सब्र के इम्तिहान मे फैल होता है और मिरर मे झाँक कर देख ही लेता है. उफफफफ्फ़.....क्या सीन था. स्मृति अपनी पीठ पर हाथ ले जाकर अपनी ब्रा के हुक को बंद करना चाह रही थी लेकिन शायद कोई परेशानी थी. उसके आधे से ज़्यादा बूब्स बाहर की तरफ झाँक रहे थे.....

" हेल्प चाहिए मोम......." कुशल मिरर मे देखते हुए बोलता है.

स्मृति अपनी निगाहे उठती है -" नो थॅंक्स....... तू बस आगे ध्यान दे......" और फिर वो और भी ज़्यादा ताक़त के साथ हुक लगाती है. फाइनली सक्सेस मिल ही जाती है उसे

अब स्मृति टॉप पहनती है और एक चैन की साँस लेती है. " तुझे मना किया था ना कि मिरर मे नही देखना है.... एक बार मे बात समझ नही आती है तुझे....." स्मृति अपने बालो को कोंब करते हुए बोलती है

" मोम... मैं तो पीछे ट्रॅफिक देख रहा था कि आप दिख गयी ....." कुशल भी मासूमियत के साथ बोलता है

"मैं इस कार को दो थप्पड़ लगाउन्गि कहीं तुझे ना लग जाए....." स्मृति हंसते हुए बोलती है. वो दोनो अब घर पहुँच गये थे.

आराधना की पॅकिंग प्रीति करा चुकी थी. काफ़ी काफ़ी मॉडर्न क्लोदिंग रखी थी उसने.

" दीदी आपने तो कुच्छ ज़्यादा ही एक्सपोसिंग क्लॉत रखे है....." प्रीति आराधना से बोलती है

आराधना -" आज कल फॅशन का मतलब ही एक्सपोज़ है. और ये तू बोल रही है जो खुद कम कपड़े पहनती है."

प्रीति -" हा हा हा हा. ग्रेट पॉइंट, लेकिन आप पहन कर क्या जाओगी?...." आराधना अपने बेड पर रखा हुआ सूट दिखाती है, ये एक येल्लो कलर का टाइट फिट स्लीव्ले सूट था.

" वाउ दीदी ये तो बड़ा प्यारा है." प्रीति उस सूट की तरफ देखते हुए बोलती है

" हाँ वो तो है और वैसे भी मैने एक भी बार नही पहना है...." आराधना भी हॅपी होते हुए बोलती है

" लेकिन दीदी आप सेक्सी क्लोद्स लेकर जा रही हो और पहन कर ये सूट जा रही हो ऐसा क्यू......" प्रीति उससे क्वेस्चन पूछती है.

" पागल, सेक्सी कपड़े तो मुझे फॅशन लाइन की वजह से पहन ने पड़ेंगे लेकिन मेरी पसंद तो ये नॉर्मल सूट सलवार ही है....." आराधना ने ये बात इसलिए बोली ताकि प्रीति को कोई शक ना हो.

" क्यूँ दीदी..... कहीं ये ट्रिप किसी बॉय फ्रेंड के साथ तो नही है.........?" प्रीति बड़े ही नॉटी अंदाज मे आराधना से पूछती है.

" चल नालयक. कुच्छ भी बोलती है, मेरा कोई बॉय फ्रेंड नही है. और ना मुझे शोक है.............." आराधना भी बहुत मासूम बनते हुए बोलती है.

इतने मे कुशल स्मृति को नीचे ड्रॉप कर के उपर आ जाता है. वो अपने रूम की तरफ जाते हुए देखता है कि प्रीति और आराधना पॅकिंग कर रहे है. वो आराधना के रूम मे जाता है.

" दीदी...... कहाँ की तैयारी चल रही है...." कुशल साइड मे रखे आपल मे से एक आपल उठाते हुए बोलता है.

" कुच्छ नही कुशल.... कॉलेज की तरफ से देल्ही जा रही हू 10 दिन के लिए....."

" दीदी ये तो ग्रेट न्यूज़ है....." कुशल एग्ज़ाइटेड होते हुए बोलता है.

" ये वाकई मे ग्रेट न्यूज़ है......" प्रीति भी कुशल की तरफ देखते हुए बोलती है लेकिन कुशल कोई रिप्लाइ नही करता.

" क्या तुम दोनो के झगड़े कभी ख़तम नही होते. चलो अब मेरी पॅकिंग ख़तम हो चुकी है और मुझे तैयार होने दो".... आराधना दोनो से रिक्वेस्ट करती है.

" तो हो जाइए तैयार.... हम क्या मना कर रहे है आपको......" कुशल समझ नही पाया था कि आख़िर आराधना क्यू बोल रही है.

कुशल की बात सुन कर प्रीति को हँसी आ जाती है.
" कुशल.... मैं एक लड़की हू. और लड़की का तैयार होना थोड़ा अलग होता है तो तू अपने रूम मे जा." आराधना फिर से समझाती है उसे

" थॅंक यू दीदी..... मुझे ये बताने के लिए कि आप लड़की हो. मैं तो बचपन से आपको लड़का ही समझता था...... हा हा हा हा हा हा....." स्मृति की तरफ से मिले थोड़े से पॉज़िटिव रेस्पॉन्स की वजह से आज कुशल थोड़ा हॅपी था.

कुशल की बात सुन कर प्रीति को फिर से हँसी आ जाती है.

" तुझे लड़का कहाँ से दिखाई देने लगी मैं......" आराधना बनावटी गुस्से मे पूछती है

कुशल अपनी निगाहे उपर से नीचे तक ले जाता है और आराधना के बूब्स पर रोक देता है.

" नही दीदी... अब तो आप लड़की ही लगती हो...." कुशल फिर से आराधना की बूब्स की तरफ देखते हुए बोलता है.

आराधना कुशल की तरफ भागती है उसे मारने के लिए लेकिन कुशल अपने रूम से भाग जाता है. लेकिन आराधना ने इस मज़ाक को ज़्यादा सीरीयस नही लिया.

अब फिर से रूम मे बस आराधना और प्रीति थे.

" ये तो वाकई मे बड़ा बदतमीज़ हो गया है...." आराधना ने हंसते हुए कहा. और अपने सूट को उठाते हुए वॉशरूम मे जाने लगती है

" दीदी वैसे कह तो सच ही रहा था. पहले तो आपने अपने आपको एक लड़की की तरह दिखाया ही नही. अभी बस कुच्छ दिनो से ही आपने अपने अंदर की लड़की को बाहर निकाला है ...." प्रीति आराधना से बोलती है

" अब तू भी शुरू हो गयी... चल भाग यहाँ से और मुझे नहाने दे...". आराधना भी अच्छे मूड मे थी क्यूंकी वो आज देल्ही जा रही थी.

प्रीति रूम से बाहर आ जाती है. और आराधना अपने बाथरूम मे घुस जाती है. प्रीति बाहर आकर देखती है कि कुशल अभी भी गॅलरी मे ही खड़ा हुआ है. वो उसके पास जाकर खड़ी हो जाती है. वो गाने गुन गुना रही थी, ऐसा लग रहा था कि बहुत हॅपी है.

" बड़ी चहक रही है क्या बात है..." कुशल प्रीति की तरफ देखते हुए बोलता है.

प्रीति ने भी आज एक डीप नेक टीशर्ट पहनी हुई थी. बड़े ही अंदाज़ मे हिलते हिलते अपने आपको थोड़ा सा नीचे झुकते हुए वो बोलती है

" नही वो आराधना दीदी जा रहीं है ना....." वो क्यूट और सेक्सी दोनो का पर्फेक्ट मिक्स्चर लग रही थी.

" तो तू इतना खुश क्यू हो रही है...." कुशल दूसरी तरफ मूँह रखते हुए ऐसे ही बोलता है.

प्रीति अब और भी ज़्यादा हिल डुल रही थी " नही अब तो बस तू और मैं ही रह जाएँगे ना यहाँ पर....." प्रीति बहुत ही रोमॅंटिक अंदाज़ मे बोलती है.

" क्यू मोम नही हैं यहाँ पर, जो ये बोल रही है कि बस तू और मैं रह जाएँगे यहाँ पर......" कुशल फिर से गुस्से मे देखते हुए बोलता है

" डफर मेरा मीनिंग है फर्स्ट फ्लोर पे.........." प्रीति सीरीयस होते हुए बोलती है.

कुशल प्रीति की तरफ बढ़ता है और वो भी बहुत ही सीरीयस स्टाइल मे. प्रीति अपनी जगह खड़ी हुई है, वो कन्फ्यूज़ है कि कुशल का अगला स्टेप क्या होगा....... वो प्रीति की पतली सी कमर पर हाथ रखता है...... आआअहह...... प्रीति की आँखे बंद हो जाती है............

" क्या कर रहे हो ब्रदर सिस्टर......." इस आवाज़ से दोनो चोंक जाते है. कुशल अपने हाथ हटा लेता है और घबरा कर सामने देखता है. वहाँ पर सिमरन आ चुकी थी, मस्त जीन्स और टी शर्ट मे. प्रीति आवाज़ से समझ चुकी थी कि ये सिमरन है. सिमरन पीछे से चलती आ रही थी और प्रीति की पीठ थी उसकी तरफ.

प्रीति का तो जैसे मूड ही खराब हो गया था. काफ़ी टाइम के बाद उसे कुशल ने टच किया था......." फक्किंग बस्टर्ड..." प्रीति मन ही मन बड़बड़ाती है...........

इतने मे सिमरन उन दोनो के पास आ जाती है.

" क्या बात है भाई, क्या नाप तोल चल रही है......" सिमरन अपने बालो मे हाथ फिराते हुए बोलती है

" कुच्छ नही सिमरन दीदी...... प्रीति बोल रही थी कि उसकी कमर दिन पे दिन बढ़ती जा रही है तो देख रहा था कि कितनी बढ़ गयी........." कुशल बात को टालते हुए बोलता है.

" हे हे हे हे हे हे......." सिमरन हँसने लगती है.

" आप हंस क्यूँ रही है....." प्रीति सीरीयस होते हुए पूछती है.

" क्यूंकी तू कुशल का पागल बना रही है..... तेरी कमर नही कुच्छ और चीज़ बड़ी हो रही है, वो चेक करवा कुशल से......." सिमरन प्रीति के बूब्स की तरफ देखते हुए बोलती है और एक शरारती मुस्कान अभी भी उसके चेहरे पे थी. आक्च्युयली सिमरन एक ओपन माइंडेड लड़की थी तो वो कुच्छ भी बोलने मे घबराती नही थी.

इससे पहले की कोई कुच्छ बोलता -" छोड़ो ये बाते और ये बताओ कि आराधना कहाँ है..?" सिमरन पूछती है

" दीदी वो नहा रही है.... देल्ही जा रही है ना......." कुशल रिप्लाइ करता है

" ये तो मुझे मालूम है कि वो देल्ही जा रही है. और मैं ही उसे स्टॅंड छोड़ने जा रही हू..... वैसे अब तक नहा लेना चाहिए था उसे....." सिमरन आराधना के रूम की तरफ देखते हुए बोलती है

" हाँ काफ़ी देर से नहा रही है वो... अगर जाना ही है तो जल्दी निकल जाना चाहिए नही तो लेट ईव्निंग ट्रॅवेल करना सही नही है......" प्रीति भी सिमरन की हाँ मे हाँ मिलाती है.

" ओये होये बड़ी जल्दी है अपनी बहन को भेजने की..... कूडीए क्या बात है. कोई बॉय फ्रेंड साय फ्रेंड तो नही आ रहा है......." सिमरन प्रीति के गालो को खींचते हुए बोलती है.

" अभी तो मैं बच्ची हू.........." प्रीति बनावटी शरम के साथ कहती है.

सिमरन आश्चर्य से प्रीति को उपर से नीचे तक देखती है और कहती है -" नही बॉय फ्रेंड बनाने लायक तो तू हो गयी है........" सिमरन का कहने का अंदाज़ ऐसा था जैसे वो कह रही हो कि नही चुदने के लायक तो तू हो गयी है.

सभी हंस पड़ते है सिमरन की इस बात पर.

" कुशल तू इतना चुप क्यू खड़ा है......" सिमरन कुशल की तरफ देखते हुए बोलती है.

" नही दीदी वो दो लड़कियो की आपसी बात मे मैं क्या बोलू इसीलिए चुप हू....." कुशल भी ड्रामा करते हुए बोलता है.

" तो थोड़े टाइम के लिए तू भी लड़की बन जा..........." सिमरन फिर से हंसते हुए बोलती है.

" दीदी आप भी क्या मज़ाक करती हो..... लड़की बन ने के लिए तो बहुत कुच्छ चाहिए." कुशल सिमरन के मस्त बूब्स की तरफ देखते हे बोलता है. सिमरन के बूब्स उसकी टीशर्ट मे बेहद टाइट फँसे हुए थे.

सिमरन कुशल की इस आक्टिविटी से चोंक जाती है. वो आश्चर्य से मूँह पे हाथ रख लेती है -" तो हमारा कुशल अब इतना बड़ा हो गया है........" सिमरन फिर कुशल के गाल खींचने को आगे बढ़ती है लेकिन तभी सिमरन का पाँव प्रीति के पाँव से टकराता है और सीधा धप्प्प..... वो कुशल के सीने से जाकर टकराती है. सिमरन को संभालने के लिए कुशल अपने हाथ सीधे उसकी कमर पर ले जाता है. कुशल ने एक्सपेक्ट भी नही किया था कि सिमरन के बूब्स इतने मस्त होंगे......

" ओह्ह्ह्ह...... सोररय्ययी....." और सिमरन ये बोल कर सीधा खड़ा होने लगती है.

" इट ईज़ ओके दीदी..... नो प्राब्लम...." कुशल रिप्लाइ करता है.

कुशल का मर्दाना लंड सिमरन के टच से जागने लगता है और धीरे धीरे कुशल की ज़िप बाहर की तरफ फूलने लगती है. प्रीति को ये देख कर गुस्सा आ जाता है और वो गुस्से मे अपने रूम मे भाग जाती है. सिमरन और कुशल ये सब देखते ही रह जाते है.

" इसे क्या हुआ.........." सिमरन आश्चर्य से कुशल से पूछती है.

" आप लड़की हो आपको बेहतर पता होगा कि क्या हुआ...." कुशल भी रोमॅंटिक अंदाज़ मे सिमरन की तरफ देखते हुए बोलता है.

" तेरा मतलब पीरियड्स की तरफ है क्या....." सिमरन ने भी हंसते हुए उसे तपाक से जवाब देती है. कुशल को ये आइडिया नही था कि सिमरन इतनी बिंदास लड़की है.

" मुझे तो पता ही नही कि पीरियड्स क्या होता है....." कुशल भी मासूमियत मे बोलता ह

" हाँ लग रहा है कि तुझे नही पता....." सिमरन कुशल की ज़िप की ओर देखते हुए बोलती है जो कि अभी तक फूली हुई थी.

" और सूनाओ दीदी..... क्या चल रहा है....." कुशल बात को फिनिश करते हुए बोलता है.

" सब मस्त चल रहा है.... तू सुना. काफ़ी बड़ा हो गया है तू तो, कोई गर्ल फ्रेंड मिली या नही......" सिमरन उसे उपर से नीचे तक देखते हुए बोलती है.

" हमारे नसीब मे कहाँ गर्ल फ्रेंड दीदी...." कुशल फिर से मासूम बनते हुए बोलता है

" तो हाथ से ही गुज़ारा चला रहा है......" सिमरन साइड मे फेस करके बहुत स्लो वाय्स मे बोलती है.

" क्या कहा आपने........"? कुशल ठीक से सुन नही पाया था

" मैने.... मैने कहा कि जल्दी ही मिल जाएगी........." सिमरन अपनी सेक्सी आइज़ उसकी आइज़ मे डालते हुए बोलती है

" क्या......??????" कुशल फिर से सवाल करता है

" नॉटी बॉय.... गर्ल फ्रेंड और तूने क्या सोचा...." सिमरन फिर से स्माइल करते हुए बोलती है.

" दीदी मुझे एक दम सेक्सी गर्ल फ्रेंड चाहिए........" कुशल भी और फ्रॅंक होते हुए बोलता है

" बिल्कुल प्रीति जैसी मिलेगी तुझे... तू टेन्षन ना ले...." सिमरन फिर से मज़ाक करते हुए बोलती है

कुशल -" प्रीति जैसी झल्ली....... मुझे नही चाहिए. मुझे तो एक दम पटाखा और मस्त.... चाहिए..." कुशल अपनी आइज़ बंद करते हुए बोलता है

सिमरन -" प्रीति जैसी झल्ली....? ओये अभी तुझे पता ही नही है कि सेक्सी लड़की क्या होती है. लुक अट हर फेस, लिप्स, और गाल देख उसके. उपर से नीचे तक कयामत है कयामत......." सिमरन भी प्रीति का वर्णन करती है.

इससे पहले कि कुशल कुच्छ बोलता प्रीति फिर से आ जाती है वहाँ पे....

" क्या बात है प्रीति, ऐसे क्यू चली गयी थी......?" सिमरन पूछती है

" टाय्लेट जाना था इसीलिए गयी थी......" प्रीति थोड़े आटिट्यूड मे बोलती है

" हा हा हा हा हा.... गयी तो ये गुस्से मे थी लेकिन किसी ने भाव नही दिए तो फिर आ गयी......" कुशल प्रीति का मज़ाक उड़ाते हुए फिर से बोलता है.

" देखा दीदी... मेरे साथ कैसे पेश आता है ये....." प्रीति सिमरन से कंप्लेंट करते हुए कहती है.

" अरे बाबा अब ये लड़ाई बंद करो और प्यार से रहा करो...." सिमरन दोनो को समझाती है

" दीदी इसे पता भी है प्यार क्या होता है....." प्रीति कुशल की तरफ इशारा करती है

सिमरन भी कोई बच्ची नही थी. वो समझ गयी थी कि कोई तो केमिस्ट्री चल रही है. फाइनल कन्फर्म करने के लिए वो एक प्लान बनाती है ---

" आआहह..... मेरा पाँव दूख रहा है. शायद मेरी हील मे कोई प्राब्लम है". ये बोलते हुए सिमरन झुकती है. इसका डबल एफेक्ट होता है- एक तो उसके बड़े बड़े बूब्स कुशल के सामने बाहर झाँकने को तैयार हो जाते है और दूसरा उसकी लो वेस्ट जीन्स होने के कारण उपर से उसकी पैंटी दिख जाती है.

ये एक ऐसा सीन था जिससे कोई भी जवान भड़क सकता था. उसकी ब्लॅक लेस ब्रा और ट्रॅन्स्परेंट पैंटी विज़िबल थी कुशल को और ये सीन प्रीति भी बड़े गौर से देख रही थी.

कुशल तो जैसे पागल ही हो गया था. सिमरन एक एक्सपर्ट गर्ल थी जिसे पता था कि ह्यूमन एमोशन्स को कैसे भड़काना है. कुशल का लंड फिर से जीन्स की ज़िप के टॉप लेवेल पे पहुँच चुका था. शरम के मारे कुशल अपनी पॉकेट मे हाथ डालता है और उसे वहीं से कंट्रोल करने की कोशिश करता है.

अब सिमरन फिर से खड़ी होती है और चुपके से प्रीति के चेहरे को देखती है. जिससे आग बरस रही थी और गुस्से मे अपना चेहरा लाल कर चुकी थी. वो एक टक कुशल की तरफ देखे जा रही थी जैसे कुशल ने कोई बहुत बड़ी ग़लती कर दी हो...

सिमरन समझ गयी थी कि दाल मे कुच्छ तो काला है. लेकिन इससे पहले कि कुच्छ होता कि तभी बाथरूम का गेट खुलने की आवाज़ आती है. आक्च्युयली आराधना नहा कर बाहर आ चुकी थी.

" ये लो मेडम आ गयी ......" सिमरन ये बोल कर आराधना के रूम की तरफ बढ़ती है.

उसके पीछे कुशल इशारे मे प्रीति से पुछ्ता है कि क्या हुआ.... ऐसे आँखे क्यूँ दिखा रही है.

प्रीति कुशल के पास जाती है और धीरे से बोलती है -" बड़ी आँखे फाड़ फाड़ के देख रहा था इस गुंडी के बूब्स को....."

जब प्रीति बोल रही थी तो सिमरन पीछे मूड कर देखती और एक स्माइल के साथ बोलती है -" अरे अब क्या पर्सनल बाते होने लगी दोनो की, आ जाओ और अपनी बहन की हेल्प कर दो...."

प्रीति का चेहरा बता रहा था कि वो परेशान है लेकिन फिर भी वो दोनो आराधना के रूम की तरफ बढ़ जाते है.

आराधना के बाल अभी भी गीले थे और टवल उसके बूब्स से बस थोड़ा उपर बँधा हुआ था. उसके बूब्स के बीच की लाइन क्लियर दिख रही थी.

" दीदी मुझे भी देल्ही ले चलो ना......." कुशल रिक्वेस्ट करता है आराधना से जोक स्टाइल मे.....

" वहाँ मे कोई घूमने नही जा रही हू...." आराधना अपने बालो को कोंब करते हुए कहती है.

" तुम्हे पता नही है लेकिन ये टूर उसकी लाइफ का बहुत इंपॉर्टेंट टूर है..." सिमरन बीच मे ही बोलती है.

आराधना और सिमरन हँसने लगती है जब उन्हे उस सेंटेन्स का रियल मीनिंग समझ आता है.

" और वैसे भी तेरी ज़रूरत है यहाँ कुशल..... तू यहीं पर रह...." सिमरन प्रीति की तरफ देखते हुए बोलती है. वो डबल मीनिंग बाते कर रही थी.

" नही अरू दीदी... आप ले जाओ कुशल को. वो यहाँ रहे या नही कुच्छ फ़ायदा तो है नही....." प्रीति भी एक झटके मे सारी बातो का रिप्लाइ दे देती है और बोलने के बाद इमीडीयेट्ली सिमरन की तरफ देखती है.

" तू देख रही है, कितने बड़े हो गये है फिर भी लड़ाई बंद नही है...." आराधना सिमरन से कंप्लेंट करते हुए बोलती है.

" अब ये बड़े हो गये है यही तो लड़ाई है..." सिमरन फिर से हंसते हुए बोलती है.

" क्या मतलब...." आराधना रुक कर बोलती है

सिमरन -" अब स्वीटी जल्दी तेयार हो जा. मतलब वत्लब छोड़... ओके. " सिमरन उसे डाँट लगाते हुए बोलती है.

" बस अब फाइनल टच बाकी है आंड देन आइ आम रेडी....." आराधना अपने सूट को उठाती है और फिर से बाथरूम मे भाग जाती है.


करीब 5 मिनिट के बाद वो बाहर निकल कर आती है. स्ट्रेट हेर, लाइट लिपस्टिक, लाइट लीप ग्लॉस, शार्प आइ लाइनर. काफ़ी सुंदर लग रही थी आराधना....

हाइ हील सॅंडल्ज़ पहन ने के बाद उसकी पर्सनॅलिटी मे एक सेक्सी टच भी आ गया था. कुशल आराधना का बॅग उठाता है और नीचे लाने लगता है.

स्मृति नीचे वेट कर रही थी. आराधना के नीचे आते ही वो खड़ी होती है और बताना शुरू करती है

" बेटा तेरे पापा से बात हो गयी. देल्ही आइएसबीटी पहुँचने से पहले उनको फोन कर दियो और वो तुझे पिक करने आ जाएँगे.... "

"थॅंक यू मोम...." और आराधना स्मृति को हग करती है.
कुशल सिमरन की गाड़ी मे बॅग रखने के लिए आगे चल देता है. और पीछे पीछे बाकी सब लोग चल देते है.

" ठीक है मोम आप अपना ख्याल रखना..... और इन दोनो का भी..." आराधना का इशारा कुशल और प्रीति की तरफ था.

" तू टेन्षन ना ले और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे......" स्मृति आराधना के गालो पर किस करते हुए बोलती है.

अब सब बाहर आ चुके होते है और आराधना कार मे बैठ चुकी थी.

वो सब को बाइ बोलती है और कार आगे की तरफ बढ़ जाती है. आराधना अपना सनग्लॅस लगाती है और म्यूज़िक ऑन करती है.

" मेरी रानी कहीं तेरे डॅड स्टेशन पर ही शुरू ना हो जाए तेरे साथ, इतनी प्यारी लग रही है तू......." सिमरन मज़ाक मे बोलती है

" चल तू भी ना हमेशा मज़ाक के मूड मे ही रहती है. अब कार थोड़ा तेज चला और जल्दी से पहुँचा दे मुझे...." आराधना भी मस्ती मे बोलती है

" काश मैं लड़का होती तो तुझे देल्ही भेजने की ज़रूरत ही ना होती. यहीं कार मे पीछे लिटा कर तेरा काम कर देती....." सिमरन फिर से एक तीर चलाती है

" तुझे क्या लगता है कि और मैं तुझसे करवा लेती..... लड़के तो हज़ार है लेकिन .........." आराधना रिप्लाइ करती है

" लेकिन तुझे तो बस अपने डॅड का ही लेना है. है ना....?"

" फालतू की बाते ना बना और ध्यान दे ड्राइविंग पे......" आराधना हंसते हुए बोलती है

सिमरन -" मेरी जान लेकिन जल्दी ही गुड न्यूज़ दे दियो...."

आराधना -" ये तो प्रॉमिस है कि सबसे पहले तुझे ही बताउन्गि........"

सिमरन -" और बाद मे.....?"

आराधना -" ये तो मैने सोचा ही नही..... तू ही तो है बस मेरी राज दार......."

सिमरन " तू टेन्षन ना ले. तेरे सारे राज मेरे साथ ही रहेंगे. बस एक बात का ख्याल रखना कि लड़कियो को थोड़ी शरम भी करनी ज़रूरी है. तो खुद ही अपनी चूत खोल के मत बैठ जइयो अपने डॅड के सामने....."

आराधना " तू कितनी गंदी बाते करती है. इतनी गंदी बाते तो लड़के भी नही करते. मैं ऐसा क्यू करने लगी....... ये तो उनकी चाय्स है कि अगर वो मुझे पसंद करेंगे तो......" आराधना शर्मा के चुप हो जाती है

सिमरन -" तो क्या......?"

आराधना -" तो कर लेंगे जो करना है....." आराधना हंसते हुए बोलती है.

सिमरन -" चल उपर वाला तेरी जल्दी सुने...." सिमरन साइड मे कार पार्क करते हुए बोलती है क्यूंकी बस स्टॅंड आ चुका था.

आराधना अपना बॅग निकालती है कार से और इतने मे सिमरन अपनी कार से बाहर निकलती है. दोनो एक दूसरे को हग करती है

" चल अपना ख्याल रख आंड रियली थॅंक यू सो मच......" आराधना उससे अलग होते हुए बोलती है

" मारूँगी एक अगर थॅंक यू बोला तो....... पागल तू मेरी बेस्ट फ्रेंड है. चल अब एमोशनल मत हो, जल्दी जा और अच्छी तरीके से चुद कर आ....." सिमरन अभी भी मज़ाक के मूड मे ही थी.

" सुधर जा......" आराधना अपना बॅग उठती है और अंदर जाने लगती है. सिमरन उसे बाइ बोलती है और अंदर जाने तक उसे देखती रहती है.

दूसरी तरफ

आराधना को छोड़ने के बाद सभी लोग अंदर जा चुके थे. कुशल अंदर हॉल मे आकर बैठ जाता है और स्मृति किचन मे जाकर चाइ बनाने लगती है.

प्रीति अभी भी कुशल के आस पास ही घूमे जा रही थी औट फाइनली सोफे पे उसके सामने आकर बैठ जाती है. लेकिन कुशल तो अपने ही ख्यालो मे खोया हुआ था, वो सोफे पे बैठा कम और लेटा ज़्यादा था. उसका चेहरा सीलिंग की तरफ था और वो कुच्छ सोचने मे लगा हुआ था.

" क्या सोच रहा है......." प्रीति एक प्यारी सी स्माइल के साथ उससे पूछती है. कुशल अपनी निगाहे प्रीति की तरफ घूमता है. वो प्यारी सी स्माइल के साथ कुशल की तरफ देखे जा रही थी.

कुशल प्रीति की तरफ देखता रहता है लकिन कुच्छ बोलता नही है. प्रीति एक बार किचन की तरफ देखती है और बड़ी ही अदा मे ठीक ऐसे नीचे झुकती है जिससे उसके मस्त बूब्स कुशल को दिखने लगते है. वो अपने पाँव की उंगली को ऐसे टच करती है जैसे कोई दर्द हो रहा हो वहाँ. और इसी पोज़िशन मे वो फिर से कुशल की तरफ देखती है

" क्या देख रहा है........?" बहुत ही अंदाज़ मे वो पूछती है.

" प्रीति.......... देख जब मैं तेरे पास आता हू तो तेरी फट जाती है.......... तो ये ड्रामे बंद कर......" कुशल गुस्से मे उसे रिप्लाइ करता है.

प्रीति सोफे से खड़ी होती है और सेक्सी चाल के साथ कुशल के पास आती है. वो कुशल पे ऐसे झुकती है कि जैसे अपने बूब्स उसके मूँह मे ही दे रही हो. अपने चेहरे को वो कुशल के चेहरे के बहुत करीब ले जाती है और - " पहले फटने से डर लगता था लेकिन अब नही............." उसकी आँखो मे झाँकते हुए प्रीति भी मस्त अंदाज़ मे बोलती है. उसकी साँसे धीरे धीरे तेज होती जा रही थी.

कुशल को तो जैसे साँप सूंघ गया था इस सिचूएशन से. वो कुच्छ बोलने ही वाला था कि तभी उसे साइड आइज़ से ये दिख गया कि स्मृति चाइ लेकर किचन से बाहर आ रही है. कुशल मा चाहते हुए भी वहाँ से अलग हो गया और साइड मे हो गया.

" ये लो बच्चो चाइ पी लो......" स्मृति चाइ सोफे के पास रखी टेबल पे रखती हुई बोलती है.

प्रीति के तो जैसे सारे अरमानो पे अटॅक हो रहे थे लेकिन फिर भी वो कड़वे घूँट पीकर सोफे पर सीधी होकर बैठ जाती है. चाइ रखने के बाद स्मृति सामने वाले सोफे पे बैठ जाती है. अब प्रीति और कुशल एक सोफे पर थे और स्मृति उसके सामने वाले सोफे पे थी.

प्रीति चाइ उठाती है और कुशल को देती है. स्मृति भी अपनी चाइ उठाती है

" आराधना के जाने के बाद तो जैसे घर बिल्कुल खाली हो गया है...." स्मृति चाइ का सीप लेते हुए बोलती है.

" मोम.... क्यू ना मैं आपके रूम मे ही सो जाउ.... आराधना दीदी के जाने से तो मुझे भी डर लगेगा....." कुशल भी चाइ की सीप लेते हुए बोलता है

" तू तो बस उपर ही रह.... नही तो प्रीति अकेली हो जाएगी....... हाँ अगर प्रीति और तुम दोनो मेरे रूम मे सोना चाहते हो तो आ जाओ....." स्मृति ने भी अपना माइंड गेम खेलते हुए बोला

" मोम.... प्रीति का तो मन नीचे लगता ही नही है. और वैसे भी वो तो बहुत बहादुर है..... क्यूँ प्रीति...?" कुशल फिर से प्रीति की तरफ देखते हुए बोलता है.

" मुझे नीचे सोना अच्छा नही लगता और मोम अगर कुशल भी नीचे आ गया तो मुझे उपर डर लगेगा. तो आप कुशल को उपर ही रहने दीजिए...." प्रीति भी हर मान ने वालो मे से नही थी.
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