Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
06-19-2017, 10:30 AM,
#1
Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
सास हो तो ऐसी 


मै सुजाता . मेरी शादी जब मै18 साल कि थी तभी हुई. जब मै 22 साल कि हुई तब मै २ बच्चो कि मा बनी थी. मेरा पती एक छोटी कंपनीमे क्लेर्क थे. बाद मे धीरे-धीरे उनकी प्रमोशन हुई और आज वो म्यनेजर बने है. आज मै मेरी उमर के ** साल मे एक दामाद कि सांस बनी हु. मेरी बेटी बडी है और बेटा छोटा है. बेटी के शादी को १ साल हुआ है और वो पेटसे है. शादी के बाद वो ३-४ बारहि मायके आई थी. वो और उसका पती मेरे गावसे काफी दूर रहते है. इसीकारण उनका ज्यादा आना-जाना नही हूआ. लेकिन हर एक बार उसने संभोग के दरमियान तकलीफ कि शिकायत मुझसे की. आमतौर लडकीया शुरू के कुछ दिन शिकायत करते है इसीलिये मैने उसपार ज्यादा ध्यान नाही दिया थामेरी बेटी मुझसे कुछ केहना चाहती थी पर मै हमेशा उसकी बात को टाल जाती थी. उसकी प्रोब्लेम क्या थी ये मैने जानना चाहिये था पर मुझसे गलती हुई. जब उसे सातवा महिना शुरू हो गया तभी मेरे पती कि फिरसे ट्रान्स्फर हुई और हमने घर शिफ्ट न करते हुए हमारे दामादजी को कुछ दिन के लिये बुला लिया. दामादजी को पत्नी से दूर रहकर काफी दिन हुए थे इसी लिये उन्होने भी ख़ुशी-ख़ुशी हमारा न्योता स्वीकार किया. पुरे रात का सफर तय करके दामाद जब ससुराल आये तो उनके स्वागत मे मैने कोई कमी नही रखी थी. मेरा बेटा कोलेज के लिये दुसरे गाव रहता है इसीकारण मुझे बहोत भागदौड करनी पडी पर बेटी के लिये किसी मा को ये ज्यादा नही लगता. . दामाद आनेके बाद तो जैसे जिंदगीहि बदल गयी थी. सुबह उनकी चाई फिर नाश्ता, सारा दिन उनकी तबियत खुश रखना मेरा कार्य बन गया था.
एक दिन ऐसेही सुबह दामाद- उनका नाम रवि है, रवीको चाई देने के बाद वो नहाने गया. उसने कहा वो आज बाथरूम कि खुलेमे नहायेंगे. मैने कहा ठीक है. मेरे पती और बेटाभी अक्सर खुले मे ही नहाते है. और मैने पानी खुले मे रखा. रवि नहाने लगा और मै किचेन चली गयी. किचेन से सामने नाहता हुआ रवि नजर आ रहा था. बदन पे सिर्फ कच्छी थी. शरीर बिल्कुल भरापुरा. वो नीचे बैठके नहा रहा था. उसका उपरका नंगा बदन देखके मेरे तन-मन मे कुछ-कुछ होणे लगा था. मै अपनेही मन को समझा रही थी. जो मेरे तन-मन मे हो रहा है वो गलत है. मेरा दमाद याने कि मेरे बेटी का पती. सब गालात था फिर भी बार बार नैन उसकी तरफ जा रहे थे. ध्यान उधरही जा रहा था. वो बदन पे साबुन मल रहा था. चेहरा - छाती -पेट -पीठ धीरे-धीरे उसने कच्चे मे हात डाला और रगड के साबुन लगा रहा था. पानी कि बालटी बीचमे होनेसे उसकी कच्छी ढंग से नही दिखती ठी पर वो मजा ले रहा है ये समझ मे आ रहा था. आखिर उसने पुरी बाल्टी अपने उपर ले ली और वो खडा हुआ. अनायास हि मेरी नजर उसके कछेपर गयी तो सामनेवाला पोर्शन बहोत हि आगे आया था- बहोत बडा दिख रहा था। उसने तोउलियेसे बदन पोछा और तोउलिया लंपटके कच्छा उतारने लगा. मन का विरोध ना मानते मै भी सब देखने लगी. उसने एक पैर निकाली और जैसेही दुसरे पैर से निकालने लगा अचानक टॉवेल उसके हाथ से छूटा और बाजूवाले बबुलके पेडमे अटक गया. मेरी नजर उसके हतियार पे गयी तो मै सुन्न हो गयी. इतना बडा हतियार मैने पहलीबार देखा था. वो हतियार मेरे जीवन मे आये सभी मर्दोमे सबसे बडा था. क्या बताऊ कितना प्यारा-सुंदर -फिर भी इतना बडा शायदहि होता है.


मेरी शादी के समय,जैसा मैंने बताया मेरी उम्र सिर्फ 18 साल थी। स्त्री-पुरुष सम्बधो के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी। किंतु स्कूल में बाकी लडकिया बाते करती थी वो सुनने में आती थी। दसवी की परीक्षा होते-होते मेरी शादी हो गयी। सेक्स के मामले में मेरे पती शुरू-शुरू में काफी उत्तेजीत होते थे। रोज रातको हमारा सम्भोग होता था। मेरे दोनों प्रेग्नन्सी के दरमियान भी हमारा सेक्स रेग्युलर था। मेरे शादी के बाद मेरा पतीके अलावा किसी और से संबध आने का चांस बिलकुल नहीं था। वैसे भी शादी से पहेले भी कम उम्र की वजह से ये संभाव्यता कभी नहीं थी।
मेरी दूसरी डिलिवेरी के बाद मेरे पति की पहली प्रमोशन हो गयी थी इसीलिए मै रेस्ट के लिए मायके में थी। उसी समय मेरा स्कूल का साथी, हमारे पंडितजी का बेटा कोलेज को छुट्टी लगनेसे गाव आया था। स्कूल में था तब वो साथवाले लड़कोके मुकाबले बहोत छोटा लगता था इसीलिए मै उसे छोटू नामसे बुलाती थी। जब मैंने उसे छोटू कहकर बार-बार पुकारा तो वो चिढने लगा। मुझसे कहने लगा, सुजाता मै अब छोटा नहीं हु, बड़ा हो गया हु। मैंने कहा , कैसे साबित करोगे की तुम अब छोटे नहीं हो। थोड़ी देर सोचने के बाद वो बोला , वक्त आनेपर मै दिखा दूंगा की मै कितना बड़ा हुआ हु। इतना कहके वो चला गया। कुछ दिन बाद मेरे बेटे को बुखार आया था, उस समय मुझे छोटू ने बहोत मदद की। चार दिन बाद जब सब ठीक ठाक हुआ तबतक मै छोटू के काफी करीब आ चुकी थी। हर दिन तीन-चार बार हम लोग मिलते थे।
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06-19-2017, 10:31 AM,
#2
RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
एक एक दिन हमें एक-दुसरे के करीब लानेवाला दिन होता था। ऐसेमें एक दिन हम दोनों बाहर घुमने गए थे के अचानक बारिश आई। हम दोनों भीग गए थे। मेरा पूरा बदन काप रहा था। छोटू मुझे घुर के देख रहा था। उसकी नजर में वासना साफ़ दिख रही थी। बार-बार वो मेरे छाती को देखता था। हवा सर्द थी। मुझे ठण्ड लग रही थी। वो मेरे करीब आया और अपने आगोश में मुझे लिया। शर्म तो आ रही थी पर समय ऐसा था की मै ना चाहते हुए भी उसके करीब जानेपर मजबूर हो रही थी। धीरे धीरे सब सीमाए टूटने लगी थी। उसका हात मेरे बदन पे फिरने लगा और बारिश में भी पिघलने लगी। जैसे ही उसने मेरे नितम्बो पर अपना हात घुमाना शुरू किया मै अन्दर ही अन्दर गरम होने लगी।पुरुष का स्पर्श मेरे बदन पे काफी दिनों बाद हो रहा था। उसका हात अब मेरा ब्लाउज पे था। कब मेरा ब्लाउज मेरे बदन से अलग हुआ इसका पता ही नहीं चला। मेरी साड़ी और बाकी कपडे सब मेरे बदन से अलग हुए थे। मै पूरी तरह नग्न उसके सामने खड़ी थी और वो मुझे आँखे फाड़ के देख रहा था। उसे खुदपर कंट्रोल करना मुश्किल हुआ था। उसने भी अपने सारे कपडे उतारे और वो नंगा हुआ। पानीसे उसका बदन चमक रहा था। उसका तना हुआ लंड मुझे सलामी दे रहा था। जैसेही उसने अपने कपडे उतारे मुझे शर्म आने लगी।छोटू मेरे करीब आके मेरे वक्ष को सहलाने लगा। निचे झुकके वो मेरे वक्ष को मुह में लेकर चूसने लगा साथ-साथ वो मेरे नितम्बोको सहलाने लगा। छोटू काफी अनुभवी खिलाडी जैसे बर्ताव कर रहा था। कभी मेरे ओंठ तो कभी वक्ष मुह में लेके चूसता था। उसका काम एक रिदम में चल रहा था के अचानक वो मेरे नाभी से होकर मेरे योनि पे अपना मुह रगड़ने लगा। मै एकदम सिहरसी गयी। मेरा मन अपना आपा खो रहा था। धीरे-धीरे मई उसकी बाहों में समाने लगी थी। मेरी योनि को काफी समयसे वो चूस रहा था। मै आनंदलोक में विहार कर रही थी की वो हाथ में अपना लंड लेके घुटनेपे बैठा और मेरे पैर अलग करके उसने मेरे योनिमें अपना लंड डालना प्रारंभ किया। काफी अरसे के बाद मेरी योनिमे लंड का प्रवेश हो रहा था। थोड़ी तकलीफ जरुर हुई पर छोटू बड़े आरामसे चोद रहा था। उसका लंड मेरे पति के मुकाबले काफी जवान था। उसमे गर्मी ज्यादा थी। तनाव ज्यादा था। साइज भी बड़ा था। दो बच्चोंको को जन्म दे चुकी मेरी योनि काफी दिनोसे प्यासी थी। छोटू का चोदना मुझे बहोत अच्छा लगा। मै भी उसे नीचेसे साथ देने लगी। मेरी योनि के अन्दर सभी तरफ टच करता हुआ मुझे आनंद मिल रहा था। कितना समय वो मुझे चोद रहा था इसका पता ही नहीं चला। मेरे जीवनमें चुदाई का ऐसा सुख मुझे शायद पहलीबार मिल रहा था। चुदवाते-चुदवाते मै थक जा रही थी की अचानक छोटू का स्पीड बढ़ा। वो जोर-जोर से चोदने लगा। करीब ५/७ मिनट जोर से चोदने के बाद वो निहाल हुआ। उसका पानी छुट गया। वो मेरे बदन पे गिरकर अपनी सांस कंट्रोल करने लगा।
मेरे जीवन में पति के आलावा पहली बार किसी मर्द का प्रवेश हुआ था। मै बाद में सोचने लगी की क्या ये मैंने पाप किया? ये गलत था ? किसे पता। लेकिन उस समय तो मैंने काफी एन्जॉय किया ये सही।

एक पल में मै मेरी जिंदगीका का एक खुशनुमा- सुहाना अतीत का सफ़र तय करके आई। सामने देखा तो रवि- मेरा दामाद तौलिया लपेटके मेरी बेटीके बेडरूम की तरफ जा रहा था। मेरे मनमें उसे थोडा सतानेका आयडिया आया। मै फुर्तीसे कपडे सुखाने की डोरी की तरफ भागी। मैंने रवि की कच्छी और बनियन निकाली। कल धोई थी, अब तक पूरी सुखी थी। मैंने वो बाथरूम में आजके धोनेके कपड़ोमें डाल दी। फिर चुपकेसे दिवारकी छेदसे देखने लगी। बेटी बिस्तरपे बैठी थी और रवि उसके सामने टॉवल खोलके खड़ा था। कमरेका दरवाजा बंद था। बेटी उसके हतियार से खेल रही थी। यह दृश्य मुझे काफी नजदिकिसे दिख रहा था। रवि का इतना बड़ा औजार बेटी अन्दर कैसे लेती थी यही सवाल मेरे मन में बार-बार आ रहा था। उसे तकलीफ तो जरुर हुई होगी। मुझे याद आया जब वो मायके आती थी तब वो मुझे कुछ बतानेकी कोशिश कर रही थी। शायद यही बात वो कहना चाहती थी। रवि उसे मुह में लेने के लिए जिद कर रहा था और वो ना कर रही थी।
बाद में मैंने रवि को बताया की उसके कपडे गिले है और उसे आज अन्दरसे कुछ पहने बिनही सिर्फ लुंगी पहनके दिनभर रहना पड़ेगा तो वो परेशान हो गया। मै खुश थी क्योंकी मुझे आज दिनमें और कई बार मजा मिल सकता था।खानेके बाद मैंने दोनोंको बेडरूम में जाकर आराम करनेको कहा। दोनों रूम में गए और मै गयी मेरे दिवार के छेद को आँख लगाने। दोनोंमें मस्ती शुरू हो गयी थी। रवि बेटी का गाऊन ऊपर करके उसके पेट को देख रहा था। मेरी बेटी बहोत गोरी है। पेट्से होनेसे उसके पेटकी हर एक नस हरे रंगमें साफ़ नजर आ रही थी। रवि का हाथ नीचे आया। वो बेटी के योनिसे खेल रहा था। गर्भावस्था के कारन योनिमुख थोडा था। एक हाथ योनिपर और दुसरे हाथ में खुदका लंड लेके वो बेटीसे बिनती कर रहा था पर वो मान नहीं रही थी। आखिर उसने अपना लंड मुहमें लेने के लिए कहा। मेरी बेटी ने इसकेलिए साफ़ मना किया। रवि बेचारा हाथसे लंडको मलने लगा। उसकी तकलीफ मेरे समझ में आ रही थी। मेरे लिए शायद ये मौका मिल रहा था।
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06-19-2017, 10:31 AM,
#3
RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
रवि का लंड चूसनेके लिए कहना और बेटीका उससे मुकराना मुझे हमारे फिरसे बीते दिनों की याद दिला रहा था। हम लोग उस समय नागपुरमें थे। मेरे पति ऑफिसर थे। उन्हें बार-बार टूरपे जाना होता था। तब हम शर्माजी के मकानमें किरायेदार थे। शर्माजी ट्यूशन लेते थे और उनकी पत्नी स्टेट बैंक में थी। उनके भी दो बच्चे थे, हमारे बच्चोंके उमरके। बच्चे साथ-साथ खेलते थे और शर्माजीके क्लासमें पढ़ते थे। अच्छी फॅमिली मिलनेसे हम काफी खुश थे। वहीपर मेरा शर्माजीके साथ अफेअर हुआ।

शर्माजी का साथ मिलना मेरे लिए सौभाग्यकी बात थी।उस समय उन्होंने मुझे इतनी मदद की जिसका मुझे आजभी एहसास है। नागपुर हमारे लिए बिलकुल नया था। वहां जब हमलोग आये तब हमारी वहांपे कोई पहचान नहीं थी।ऐसेमे मेरे पतीकी मुलाकात शर्माजिसे हुई। अपने घरमे किरायेपर जगह दी। हमारे बच्चोको अपने बच्चोंके साथ स्कूलमे एडमिशन दिलवाया।हमारे बच्चे भी उनके साथही आते-जाते थे। बच्चोंके स्कूलके पेरेंट्स मिट में मुझे जाना पड़ता था। शुरुमे मै अकेली बससे जाती थी। मगर एक दिन स्कूल में पेरेंट्स मिट ख़तम होनेके बाद उन्होंने मुझसे कहा- भाभीजी दोनोंका मुकाम एक ही है , वैसेभी मै अकेला मोटर-साइकलपे जा रहा हूँ। आप भी आएँगी तो ज्यादा पेट्रोल जानेवाला नहीं है। जब मैंने लोग देखनेकी बात आगेकी तो उन्होंने कहा- जमाना बदल गया है , किसको फुर्सत है जो बाकी लोगोंको देखेगा। और वैसेभी मुझे यहाँ कौन जानता था। रही बात पति की ,तो वोतो टूर पे गए थे। मै उनके साथ गाडीपे पीछे बैठी।रस्तेमे मेरी कोशिश उनका स्पर्श टालनेकी थी। शायद ये बात उनके भी समझ में आई थी। वो थोडा संभलके बैठे। ट्राफिक और गड्ढे अपना काम कर रहे थे। जाने-अनजाने उनके पीठपर मेरी छाती रगड़ जाती थी। शर्माजी रंगमें आ रहे थे।थोडा सा चांस मिलनेपर ब्रेक लगते थे। दो मिनट के बाद मै भी फ्री हो गयी। खुद उनके पीठ पर मेरे बूब्स रगदने लगी। 

रास्तेमे शर्माजी मुझपे बहोत मेहरबान थे। मेरे ना-ना बोलनेपरभी उन्होंने मुझे ज्यूस पिलाया। कहने लगे- भाभीजी नागपुर जैसा संत्रेका ज्युसे आपको पुरे भारतमे और कहीं मिलनेवाला नहीं। थोडा खट्टा- थोडा मिठा, एक बार चखोगी तो जिंदगीभर मांगोगी। मगर ये कहते समय वो मंद-मंद क्यों मुस्कुरा रहे थे यह मेरी समझ में तब नहीं आया।
हम वापस घर आये। शर्माजीकी ट्यूशन सिर्फ सुबह ६ से १ ० तक होती थी। इसीलिए वो दिनभर खाली रहते थे। मै भी दोनों बच्चोके स्कूल जानेके बाद खाली रहती थी। उन्होंने मुझे सुझाव दिया क्यों न मै उनके ट्यूशन का कुछ काम करू। मेरा भी टाइमपास हो जायेगा। मैंने भी उचित समझा और उनका काम बटाने लगी। ये सभी हमारे बीच नजदीकीया बढ़ाने में सहायक हुई। ऐसेमें एक दिन मिसेस शर्माजी बहोत खुशीसे नाचते हुई बैंक से घर आई। वो ऑफिसर का प्रमोशन पाने में कामयाब हुई थी। उसी शाम एक छोतीसी पार्टी उन्होंने घर पे दी। उनके ऑफिसके करीब बीस लोग आनेवाले थे। पार्टी अर्रंज करनेमें मैंने बहोत मदद की। रातको करीब दस बजे सभी गेस्ट गए। उसके बाद सब बाकि काम निपटाते हमें ग्यारह बज गए। सभी बच्चे सो गए थे। दोनों बच्चोको एक साथ ऊपर मेरे घर ले जाना मुझे कठिन था इस लिए शर्माजी मेरे साथ आये। बच्चोको बेडपर सुलाने के बाद वो निकल गए। जाते-जाते कह गए- भाभीजी आप की वजह से ये सभी इतना आसान हुआ वर्ना मेरी पत्नी को ये सब मुश्किल था। मैंने हसके हसीमेही इसका स्वीकार किया और उनसे पूछा- भैय्याजी, ऑफिसके लोगोमें एक नीला शर्ट पहना हुआ जो आदमी था वो कौन था। शर्माजी हसके बोले- यानेकी आपके भी समझमें आया। वो मिसेस शर्मा के पुराने और खास दोस्त है। इतना कहके वो चले गए। दुसरे दिन मैंने दोपहरमें फिरसे यही पूछा तब उन्होंने कहा मिसेस शर्मा और वो आदमी- कुमार बचपनके दोस्त है और शायद उन दोनोमे कुछ संबध भी है। मैंने सवाल किया आप ऐसे कैसे कह सकते है? तब उन्होंने बताया पिछले ६-७ सालोंसे शर्मा पति-पत्नी में सिर्फ समाजको दिखनेके संबध है। ये बात मेरे लिए एक धक्का था। पति -पत्नी एक घरमें रहकर भी अलग-अलग सोना कैसे मुमकिन है? खैर छोडो, वैसेभी हम मिया -बीबीमें भी कहा इतना शारीरिक प्रेम बचा था। मेरे पति तो महीने में एक-दो बारही मेरे करीब आते थे। दोनों, मै और शर्माजी एक ही दवाई के मरीज थे। लेकिन हमारे बीच शारीरिक संबध शुरू होने के लिए कारन बना नागपुर की ट्राफिक . हुआ ऐसे, एक दिन मै और शर्माजी उनके गाडीपे डबलसीट आ रहे थे। नागपुर के सीताबर्डी इलाकेमें ओवरब्रिज का निर्माण हो रहा था। रास्तेमे भीड़ बहोत थी,अचानक एक स्कूली बच्चा अपनी साईंकिल लेके पिछेसे आया और मेरे पैरसे टकराया। मुझे जोरसे लगा। मै चिल्लाई। शर्माजी तुरंत मुझे डॉक्टरके पास लेके गए। डॉक्टरने पेन किलर और तेल दिया। हम वापस घर आये।
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06-19-2017, 10:31 AM,
#4
RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
घर वापस आने के बाद शर्माजीने मुझे मेरे घरकी सीढिया चढ़नेमें मदत की। पैर काफी दुख रहा था। एक-एक स्टेप उपर चढ़ना मुश्किल था। मेरा पूरा बदन शर्माजीने सम्हाला था। मेरी पीठ उनके छातीपे और नितंब उनके लैंडपे रगड़ रहे थे। उनके सहारेसे मै अपने घर आई। मुझे मेरे बेडरूम में बेडपे उन्होंने बिठाया और लेटनेकेलिए कहा। उनके सामने मुझे शर्म आ रही थी। मगर बोल ना सकी। मै लेट गयी। शर्माजीने मुझे दवाई दी और तेल की शीशी लेकर मेरे पैरकी तरफ बैठे। मैंने शर्मसे कहा- रहने दो, मै खुद लगा लुंगी। वो बोले- भाभीजी घुटनेके उप्पर और पीछे मार लगी है। आपका हाथ वहा पहुचेगा नहीं। गोली ली है साथमें तेल की मालिश होगी तो पैर जल्दी ठीक होगा। उन्होंने हाथमे तेल लेके मालिश शुरू की। उनका स्पर्श होतेही मेरे मनमें तरंग उठने लगे पैरका दर्द कम हो रहा था मगर मन की चाहत बढ़ रही थी। मनमें द्वंद्व चल रहा था। मन के विकारने जीत हासिल की और मैंने आँखे मूंद ली। शर्माजिका हाथ धीरे-धीरे मेरे जांघोकी तरफ जा रहा था। मैंने कोई विरोध नहीं दर्शाया। मेरा मौन उनके समझमे आया। हाथ ऊपर लेके वो मेरे निकरके ऊपरसे मेरी योनि सहला रहे थे। मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मेरे मुहसे -आह निकली। उन्होंने मेरी निकर निकाली और मेरे योनिको किस किया। अपने जीभसे वो मेरी योनिको जैसे चोद रहे थे। एक तरफ मेरी योनि चूसते- चूसते उन्होंने मेरे कपडे निकाले और खुदकेभी कपडे उतारे। मेरे दोनों बूब्स सहलातेहुए वो ऊपर आये और अपने इशारोमे मुझे अपना लंड चूसनेको कहा। इससे पहेले मैंने कभी लंड चूसा नहीं था मगर उस वक्त मुझे क्या हुआ था पता नहीं। मैंने झटसे उनका लंड मुहमे लेके चूसने लगी। थोड़ी देर लंड चूसनेके बाद मुझसे रहा नहीं गया। मै अपनी गांड उठाके उन्हें इशारा करने लगी। शर्माजीने अपना लंड हाथमें लिया और उन्होंने धीरेसे मेरे चूतमें डाल दिया। फिर उन्होंने पहले स्लो और बादमें फ़ास्ट गाडी चलाई। मैभी नीचेसे उनका साथ दे रही थी। शर्माजी शानदार चुदाई कर रहे थे। काफी देर चोदके उन्होंने अपना पानी छोड़ा। दोनों एक- दुसरे के आगोशमें काफी देर पड़े रहे। फिर मैंने उठके चाय बनाई और हम बात करते रहे।
इसके बाद जब तक हम नागपुरमें थे तब तक हमारा रिश्ता रहा। बाद में हम नागपुर छोडके चले गए , साथमे शर्माजिका साथ भी गया। पर शर्माजीने लंड चूसने का स्किल सिखाया वो लाजवाब था। शायद येही स्किल मुझे मेरे दामाद-रवि के करीब ले जा सकती है इसका अंदाजा मुझे आ गया था।

आज का दिन मेरे दामाद रवि के लिए अबतक तो अच्छा नहीं था। एक तो उसे दिनभर बिना चड्डीके सिर्फ लुंगीपे रहना पड़ा और मेरी बेटी- उसकी पत्नीने दोपहरमें उसको मजा देनेसे इंकार किया। उसके लिए एक बात अच्छी हुई थी। वो कहे तो उसकी सांस उसके बड़े लंडपे फ़िदा हुई थी मगर रविको इस बात का पता नहीं था। मेरी चाहत उसे कैसे बताऊ ये मेरी समझमें नहीं आ रहा था। शामके चाय के वक्त मेरी बैटरी चार्ज हुई। मै झटसे तैयार हुई। पिली साडी-पिला ब्लाउज अंदरसे काली ब्रा पहनी। मेरा ये ब्लाउज पीठपे काफी -काफी खुला था। पीठपे सिर्फ एक छोटीसी पट्टी थी। कपडा काफी पतला था। ब्रा सीधी नजर में आती थी। बालोको चमेलीका दो बूंद तेल लगाके बस एक बो लगाकर खुला छोड़ा। साडीभी नाभिसे नीची पहनी। मुझे मालूम था ऐसे रुपमे मै रविको बड़े आरामसे पटा सकती हु। पल्लू दोनों कंधेपे लेके मै बेटीके बेडरूम गयी और रविको मेरे साथ बाजार चलनेके लिए कहा। चड्डी न होनेसे वो ना कर रहा था मगर मैंने बेटी से कहकर उसे तैयार किया। जीन्स और टी-शर्ट में रवि बहोत स्मार्ट लग रहा था। मैंने मेरी स्कूटी निकाली। पेट्रोल कॉक चालू किये बिना मैंने गाड़ी बाहर लायी। मेरे अनुमानके मुताबिक मेरी बेटी बाय करने दरवाजे पहुंची थी और रविभी मेरे और उसके दरमियान फासला रखके बैठा था। हमने बेटीको बाय करके गाड़ी रास्तेपे थोड़ी आगे ली तभी पेट्रोल बंद होनेसे गाड़ी बंद पड़ी। मै गाडीसे उतरी। रविभी उतरा। कॉक ओन करके मैंने गाड़ी चालू की और गाड़ीपे बैठ गयी। मैंने रविको आरामसे बैठनेको कहा। वो रिलैक्स हुआ तो मैभी पीछे सरक गयी। मेरे नितम्ब अपनेआप उसके दोनों पैरोके बीच आ गए। और रस्तेकी ट्राफिक और बार-बार ब्रेक लगाकर मै उसके लंडको मेरी गांडसे टच कर रही थी।
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06-19-2017, 10:31 AM,
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RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
जवान लंड था और न जाने कितने दिनसे उसे सेक्स मिला नहीं था - टच होतेही लंड अपनेआप सलामी देने लगा। रवीने थोडा पीछे हटनेकी कोशिश की तो मै उसपे चिल्लाई- अरे बाबा थोडा स्थिर बैठो। हिलो मत। और मैंने उसके दोनों हाथ अपने कमरपे रखवाया। मेरे कमरपे हाथ रखतेही वो चुप हो गया। मै समझ गयी वो एन्जॉय कर रहा है।बीचमे उसने अपना लंड एडजस्ट किया। अब उसका लंड मेरे दोनों चुतड के बीच फसा था। इस बात से ना-समझ हु ऐसे दिखाके मै गाड़ी चलाने लगी। अब वो मेरे बहोत करीब था।मेरे पीठसे उसकी नाक दो-तीन इंचकी दुरीपे थी। उसकी सास मेरे पीठपे महसूस होती थी। उसका हाथ, जो मेरे कमर पे था वो वायब्रेट हो रहा था। उसकी उंगलिया मचल रही थी। अचानक मैंने एक दुकान के सामने गाड़ी रुकवाई। उतरतेही मैंने देखा रवि के चेहरेपे नाखुशी दिख रही थी। थोडा सामान लेके हम फिर गाड़ीपे बैठ गए। फिरसे खेल शुरू हो गया। फिर मैंने एक दुकानसे सामान लेनेका बहाना बनाके खेल शुरू-बंद किया। आखिरमें सब्जी मार्किटसे सब्जी लेके हमारा खेल फिरसे शुरू हुआ। मार्केट में मैंने जाना- रवि मेरे बदनसे स्पर्श करनेका कोई मौका हाथसे जाने नहीं दे रहा था। सब्जी लेते समय जहा भीड़ होती थी वहा वो मुझे चिपकके साइडमें या मेरे पीछे रुकता था। केला लेते वक्त मैंने उसे सीधे कहा- मुझे तो बड़े केले पसंद है। बड़ा एक हो तो पेट भर जाता है छोटे दो-तीन एक साथ हो तो भी कम लगते है। बादमें उसने मुझे आइस-क्रीम के लिए पूछा तो मैंने कहा-मुझे चोकोबार पसंद है। चूसनेमें ज्यादा मजा आता है। रवि भी अब लाइनपे था- उसने कहा उसे कटोरी में आइसक्रीम लेके जीभसे कुदेरके खानेमें मजा आता है।
घर वापस आते समय मै थोड़ी हवामे थी। मेरा निशाना अचूक लगा था। अब बस मुझे इशारा करनेकी जरुरत थी। रवि तो नंगा होकर अपना बड़ा लंड हाथ में लेकर तैयार था। अब तो बस मुहूरत मुझेही निकालना था।
शामको जब मै खाना बनाने लगी तो मेरा दामाद मुझे किचेनमें मदद करनेके बहाने मेरे इर्दगिर्द रहने लगा। कई बार उसने मुझे टच किया। जब मै सब्जी काटने लगी तो वो मुझे चिपकके बैठा था। रोटी बनाते वक्त जनाब मेरे पिछेसे इतना चिपका था के मुझे लगा वो शायद मुझे वही चोदनेकी कोशिश करेगा। मैही डरके उसे बोली- रवि, मेरी बेटी यानेकी तेरी पत्नी घरमें है। वो अचानक आएगी तो क़यामत आएगी।ये सुनानेके बाद रवि थोडा सम्हाल के रहने लगा। खाना खाते वक्त मेरी बेटीने कहा भी- आज सांस और दामादमें कुछ ज्यादाही बाते चल रही है। रवि और थोडा सहम गया। उसके बाद उसने शांतिसे खाना खाया। बाद में थोडा गपशप करके हम सोने गए। रूम में जाते वक्त उसकी आंखोमे मुझे एक बिनती नजर आई। मगर मैंने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। मै उसे थोडा और तडपाना चाहती थी। इतने सस्तेमें अपनी सांस मिलती नहीं ये उसके समझमे आना जरुरी था।
रातको बेडपे मुझे नींद आना मुश्किल हो रहा था। रविकी कटोरिमे आइसक्रीम जीभसे कुदरने की बात मेरे दिमागमें घूम रही थी। बिलकुल इसी शब्दोमे इन्दोरमें मेरे योगा ग्रुपके साथी कपल नीता और निलेश चूत चुसनेकी बात करते थे। उन दोनोंनेही मुझे चूत चुसनेसे कितना मजा मिलता है इसकी जानकारी दी थी। क्या वो भी दिन थे। एक ही वक्त स्त्री और पुरुष दोनोसे सेक्स का मजा अलगही था।
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06-19-2017, 10:31 AM,
#6
RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
इन्दोरमें हमारा आना महज इत्तेफाक नहीं था। नागपुरमें मै पति और शर्माजी दोनोंके साथ बहोत खुश थी। मुझे दो मर्दोसे सुख मिल रहा था। मेरे पति सीधे-सादे इन्सान है। सेक्स याने कभी-कभार जब जरुरत लगे तो करने की चीज ऐसा उनका मानना था। इसीलिए वो सेक्स् में नया कुछ नहीं लाते थे या मै अगर कहू सेक्स में नया क्या होता है ऐसा उनका ख्याल था।मगर शर्माजी मुझे विभिन्न आसनोंमें चुदाई का आनंद देते थे। बेडपर सो कर- कुर्सीमे बैठकर - टेबलपे मुझे झुकाके पीछेसे चूतमें लंड डालकर -यहाँ तक की उन्होंने मुझे एक बार किचेनमें गैस-स्टोव के बाजूमें बिठाकर, खुद खड़े होकर, मुझे चोद दिया था। इसी लिए मै वहा बहोत खुश थी।मेरे पति वहा बहोत परेशान थे। उन्हें बार-बार टूर जानेसे तकलीफ होने लगी। उनका पेट ख़राब होने लगा। उन्हें शुगरकी बीमारी शुरू हुई। वो मेरेसे दस साल बड़े थे। अभी ४0 केही थे मगर हमेशा बाहर खाना, रोज नए जगह रुकना इसी कारन उन्हें शुगर की बीमारी लगी। फिर उन्होंने कंपनीको रिक्वेस्ट करके इन्दोर में तबादला मांग लिया।
इंदौर हम आ तो गए। कंपनी ने उन्हें फिर प्रमोशन देके मेनेजर बनाया और इंदौर तथा भोपाल दोनों ऑफिस का इनचार्ज बनाया। हमने फॅमिली शिफ्ट की। मै बच्चोके साथ इंदौर में रहने लगी और मेरे १५ दिन इंदौर और १५ दिन भोपाल रहने लगे। इससे उनके जीवनमें कुछ स्थिरता आई। हमारे नजदीक दूसरी कोलोनी में योगा क्लास चलता था। हमने उनके शुगर को दवाई के साथ योग का भी सहारा ले कर शुगर कम करने की कोशिश शुरू की।
शुरू के १५ दिन हम साथ-साथ गए। वहा कुछ लोगोसे परिचय हुआ। उनमे एक थे नीता और निलेश। निलेश की एक छोटीसी प्लास्टिक की फैक्ट्री थी और नीता जूनियर कॉलेजमें लेक्चरर थी। १६ वे दिन जब मेरे पति मेरे साथ नहीं थे तब नीता खुद आगे आके मुझसे बात करने लगी।उसने मुझसे हर एक सब्जेक्ट पे बात की। मगर उसका ज्यादा जोर मेरे फिजिक पे था। उसने मुझे मेरे और कुछ काम/डाइट और व्यायाम के बारे में पूछा। जब मैंने उसे सब कुछ बताया तो वो हैरान हो गयी। वो मेरे कमरपे हाथ रखके बोली भाभीजी , आइ डोंट बिलीव इट। आप कुछ भी नहीं कंट्रोल नहीं रखती फिर भी आप कितनी मेन्टेन है। यु कहू तो बुरा मत मानो के आप बहोत सेक्सी है। मै शर्मा के बोली, निताजी, झूट मत बोलो। आप भी बहोत स्लिम और मेन्टेन है। नीता बोली, भाभीजी मै योगा-डाइट सब करके ऐसी हु। फिर भी आप तो कमाल है। आपकी कमर बिलकुल पतली है और आपके बूब्स- वो तो मै औरत हो के इसे हाथ लगाना चाहती हु मर्द तो मर जायेंगे। और ऐसा कहके उसने मेरे चूचीके पॉइंट को दो ऊँगली से मरोड़ा। मेरे चूची को पहली बार किसी औरत ने हाथ लगाया था। मै एकदमसे चार्ज हो गयी। इतनेमें निलेश आये। आतेही उसने हम दोनोको छेड़ा - इंदौर की सबसे हसीन दो औरतोमें क्या खिचड़ी पाक रही है। मै चुप बैठी। नीता ही बोल उठी, कुछ नहीं निलेश, भाभीजी कितना मेन्टेन है न। मै उनसे इसी बात का राज पूछ रही थी। निलेश हसने लगा और मुझसे कहने लगा- भाभीजी फ्री में कोई सलाह मत दो। और फिर नितासे बोला-यार , तुम भी कमाल करती हो। भाभीजी को अपने घर बुलाओ, चाय-नाश्ता हो जाए फिर इनसे जानेंगे इनके फिटनेस का राज।
हा हा क्यों नहीं। नीता बोली - भाभीजी बुधवार को आप हमारे घर आइये। मैंने कहा -सोचके बताती हु कल।
फिर गुड बाई करके निलेश और निता निकले। जाते-जाते नीताने मेरे निताम्बोपे हाथ घुमाया और मुझे आँख मारके वो चले गए।
अगले दिन निलेश नहीं आया था। नीता अकेली टू-व्हीलर लेके आई थी। आज भी उसने मेरे शारीर को बार बार स्पर्श किया। पर ये सब मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने उसका सपोर्ट नहीं किया था पर ये भी सच है की मैंने कोई विरोध भी नहीं जताया। इसी से उसका साहस बढ़ गया। आखिर में वो मुझे छोड़ने मेरे घर तक आई। अब उसे घर के अन्दर तो बुलाना जरुरी था इसी लिए मैंने उसे अन्दर बुलाया और चाय बनाई। चाय पिने के बाद वो निकली। जैसे ही मै दरवाजा खोलने कड़ी हुई वो तेजी से आगे आई और उसने मुझे अपने आगोश में लिया और उसके होठ मेरे होठपे रखे। मेरे कुछ समझमें आता इस से पहले वो मेरे फ्रेंच किस ले रही थी। मुझे अपनी बाहोमे बड़ी जोर से बाँध लिया था। उसके बूब्स जो मेरे मुकाबले कुछ भी नहीं थे वो मेरे चूची पे दबे थे। धीरे धीरे उसका हाथ मेरे चुतड पे घूम रहा था। मैंने भी उसको रिस्पांस देना शुरू किया। मै भी उसके पीठ को सहलाने लगी। उसकी चुतड दबाने लगी। करीब ५ मिनट लंबा किस करने के बाद हम दोनों सम्हल गए।किन्तु उसने मुझे अपनी बाहों से अलग नहीं किया। कुर्सी की तरफ मुझे लेके वो कुर्सी पे बैठ गयी और उसने मेरा ब्लाउज उतरा। फिर ब्रा के ऊपर अपना मुह लेके ब्रा के उपर्सेही मेरे चुचिके पॉइंट्स चूसने लगी। फिर अपने हाथ पीछे लेकर उसने मेरे ब्राको उतारा। फिर मेरे चूची को बच्चे जैसा चूसने लगी। धीरे धीरे उसने मेरे साडीपे हाथ दाल कर पहेले साडी और बादमे बाकि बचे कपडेभी उतारे। फिर वो धीरे धीरे अपना मुह चूची से लेकर निचे लाती हुई मेरे चूत तक पहुंची। थोडा देर मेरी चूत चूसने के बाद वो रुकी। फिर कड़ी उसने मुझे चारो और घुमाके देखा। उसकी आंखोमे अजीब सा नशा और वासना थी। उसने अपने कपडे उतारे। मेरे बदन के सामने वो बिलकुल दुबली पतली सी थी। उसके चुचे बहोत छोटे थे मेरे ख्याल से उसको ३० नंबर ब्रा चलती होगी। उसके चुतड भी बड़े नहीं थे। शायद उसे ८५ नंबर चलता होगा। मुझे 38 डी लगता है और मेरे निकर का नंबर 95 है। शायद इसी लिए वो मुझे इतना गौर से देखती थी। हम दोनों बेड पर गए। ये खेल मेरे लिए नया था पर वो इसकी उस्ताद थी। उसने मुझे बाहोमे लेके फिरसे गरम किया पहले एक ऊँगली मेरे चूत में डाली और मेरे चूत को रगदने लगी। फिर धीरे धीरे दो उंगली और फिर तीन उंगली मेरे चूत में डाली। दुसरे हाथ से वो चूची दबाती थी। फिर जैसे ही मेरी चूत गीली ही गयी उसने मेरे चूत के उपरी तरफ उंगली ले कर दो उंगली में मेरी चूत की क्लियोरिट्स रगदने लगी। उसने अपना मुह चूत के निचेवाले हिस्से (जहासे लंड अन्दर जाता है ) पे जमाया और अपनी जीभसे मेरे चूत को चोदने लगी। कभी जीभ चूत के अन्दर तक डालती तो कभी ऊपर चारो और घुमती। उंगली से उसका चूत के छेद में ऊपर की तरफ छेडना चालू था। मै इस कदर satisfied हो गयी की मुझे मै कब मेरा पूरा पानी छोड़ चुकी इसका पता ही नहीं लगा। नीता को भी शायद मेरा पानी पिने के बाद ओर्गाजम मिला। वो भी निहाल हो के पड़ी थी। थोड़ी देर बाद हम उठे। कपडे पहने। फिर नीता ने मुझे पूछा -कैसा लगा। मै बोली जिंदगी में पहली बार इतना आनंद आया है। पर तुम ये सब कैसा जानती हो ? नीता बोली वो छोड़ दो तुम्हे ये पसंद आया की नहीं। मैंने कहा - बहोत, बहोत पसंद आया। तुरंत नीता ने कहा फिर हम कल और एक बार मिलेंगे? मैंने जवाब दिया हा-हा क्यों नहीं। मगर कल मै आपको सर्विस दूंगी। नीता ने कहा- जरुर, मुझे तो मर्द अच्छे लगते ही नहीं। मै तो औरत से ही संतुष्ट होती हु।
और फिर कल मिलनेका वादा दोहराके नीता चली गयी। मगर मेरे दिमाग में एक सवाल उठा- इसे अगर मर्द की जरुरत नहीं है तो इसका पति निलेश अपना सेक्स कहा पूरा करता होगा। वो भी तो जवान और सुन्दर है।
यही सवाल मन में लिए मै कल का इंतजार करने लगी।
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06-19-2017, 10:31 AM,
#7
RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
जिंदगी हमें कैसे मोड़ पर लाती है इसका अंदाजा किसे होता है। मै मेरी जिंदगीका मेरे दामादसे जुडा हुआ पन्ना आपके सामने खोलना चाहती थी पर बाकि पन्ने भी अपनेआप खुल गए। बीती यादे जब सुनहरी होती है तो मौका मिलतेही वर्तमान को भुला देती है। कुछ ऐसाही मेरे साथ हुआ। नीता और निलेश- दोनोके साथ गुजरे थे वो मेरे लिए बहोत अनमोल थे इसीलिए जब मेरे दामादका इतना तगडा और बड़ा लंड मैंने देखा तो मेरे दिमागमें दामाद से चुदवानेकी इच्छा अपने आप जगी। मै कोई सती-सावित्री नहीं हु। मगर पतिको छोडके किसी और से सेक्स करनेमें कोई पाप नहीं ये मेरे दिमाग में नीता और निलेशनेही बिठाया था। पति छोडके बाकी मर्दोसे मैंने चुदवा लिया उनके किस्से मेरे दिमाग में इसीलिए आये।खैर छोड़ो।
दुसरे दिन नीता आई। आतेही हम दोनों रोमांसपे उतर आये। दोनों एक दुसरेके बाहोमे समां गए। एक दुजेके मुह में मुह डालकर हम किस कर रहे थे। दोनोंके के कपडे कब अलग हुए इसका पताही नहीं चला। एक दुसरेके बदन को हम चूम रहे थे, सहल रहे थे। नीता मेरे चूची को मुह में लेकर चूस रही थी। बीच-बीचमें कांट रही थी। उसके काटनेसे मै सिहरसी जाती। मेरा रोम-रोम बोल उठ रहा था। मेरे मुह से आवाज नहीं आ रही थी। मै बस आ-ऊँ -ओं करती रही। नीता सचमें सेक्सके इस हिस्सेमें मास्टर थी।मेरे पुरे बदनको वो चाट रही थी। इसका अंदाजा मुझे था इसीलिए मैंने सुबह बच्चे स्कूल जातेही मेरे चूत साफ़ की थी। मेरी चूत बिलकुल बाल-विरहित और चिकनी थी। नाभिपे जीभ घुमाते-घुमाते नीता मेरी चूत की तरफ जा रही थी। जैसेही उसने मेरे चूतको अपने जीभसे स्पर्श किया मै चिहुंक उठी। नीता ने मुह ऊपर करके मुझसे पूछा-भाभी, चूत के बाल अभी-अभी साफ़ किये है क्या ? चूतकी स्किन छोटी बच्ची जैसे नरम लग रही है। मैंने कहा- हा, उसे तुम्हारा स्वागत जो करना था।
अचानक मुझे याद आया। आज तो मै उसे सुख देनेवाली थी। मैंने नीता से कहकर पोझिशन बदली। अब मै उसके बदन से खेल रही थी। मुझे ये खेल बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने जैसेही मेरा मुह उसके चूत पे लाया, मुझे उसके चूतसे बड़ी अच्छी खुशबू आई। इस खुशाबुसे मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा। मै उसके चूतके अन्दर अपनी जीभ डालके चाटने लगी। मेरे नाकमें खुशबू और मुहमें मीठा-मीठा पानी भर जा रहा था। नीता अपने चूत को क्या लगाके साफ़ रखती थी ये उसे पूछना जरुरी था। ५ मिनटके अन्दर नीता अपने दोनों पैर जोड़ने लगी। मेरा मस्तक दोनों जान्घोमे दबाने लगी। मेरे समझमें आया। नीता की संतुष्टी अब दूर नहीं थी। बस दो मिनट बाद नीता जोर से अपना बदन उठाके अस्फुट चिल्लाई और शांत हो गयी। कुछ देर दोनों ऐसेही पड़े रहे। फिर थोड़ी देर बाद नीताने फिरसे मेरे जान्घोमे अपनी उंगलिया घुमाने शुरू किया। मै तो पहलेसेही गरम थी। जैसेही उसने मेरे चूत में जीभ लगाई मै मेरा पानी छोड़ने लगी। उतनेमें अपना खेल रोकके नीता ने अपने बैगमेसे डिल्डो निकाला और अपने कमर को डिल्डो बांधके वो मुझपे चढ़ गयी। एक मर्द जैसे उसने वो लंड मेरे चूतमें डाला और जोर-जोरसे चोदने लगी। थोडीही देर में नीता थक गयी। वो निचे उतरके आराम करने लगी। उसके चूत चाटनेसे मै संतुष्ट हो रही थी मगर बिचमेही डिल्डोसे चुदवाना मुझे और प्यासा कर गया। मर्द का लंड छोटा हो या बड़ा, उसकी बात ही अलग होती है। वो लंड की मजा ये लंड में नहीं आती। मै प्यासी नजरोसे नीता की देखने लगी। नीता की समझ में बात आ गयी। उसने धीरेसे मुझे पूछा की वो मुझे अगर किसी लंड का प्रबंध करेगी तो मुझे स्वीकार्य होगा क्या? मै हैरान होकर उसकी तरफ देखने लगी।

फिर मेरे पास आकर मुझे बाहोमे लेकर उसने मुझे समझाया। उसने कहा वो जिस मर्द का प्रबंध करेगी वो एक अच्छा इन्सान है वो बाहर कही मस्ती करनेवाला नहीं। वो कोई कॉलेजकुमार नहीं तो एक शादी शुदा आदमी है। फिर बादमे उसने धीरेसे कहा वो आदमी कोई और नहीं तो उसका पति ही है। नीता को मर्द से ज्यादा औरत के साथ सेक्स में मजा आता था इसलिए बेचारा भूका ही रहता था। मैंने भी सोचा ये सेफ गेम होगा। दोनों ही प्रतिष्ठित लोग थे इसीलिए अगर इनसे मेरे संबध होगा तो वो दोनों तो कही बाहर ये बात नहीं खोलेंगे।सभी तरफसे सोचानेके बाद मैंने हां कर दी।
दुसरेही दिन नीता और निलेश दोनों मिलके मेरे घर आये। दोनों के लिए ये बात ज्यादा नयी नहीं थी। पर मुझे निलेश से बात करने में शर्म आ रही थी। चाय बनाने के बहाने मै किचेनमें आई। मैंने अन्दरसेही निताको आवाज दी। वो उठके चली आई। उसे मेरी प्रॉब्लम समझमें आई थी। नीता खुद ही कहने लगी- भाभी, तुम चिंता मत करो। मैंने निलेश को सब समझा दिया है। वो भी आपके बारेमे सोचकर बहोत खुश है। आप वैसेभी उसे काफी पसंद हो। आपसे मिलने के बाद उसने दस बार आपके चूची के बारेमे मुझसे मुझसे बात की है। वो तो आपको चोदने के ख्यालसही पानी छोड़ रहा है। फिर मै चाय लेके बाहर हॉल में गयी। निलेश थोडा बेचैन नजर आ रहा था। नीता ने हम दोनोसे छेड़खानी शुरू की। उसने निलेश से सीधा पूछा के वो मुझे कैसे चोदना पसंद करेगा। निलेश इस सवाल के लिए तैयार नहीं था।
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06-19-2017, 10:31 AM,
#8
RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
मै भी अचंभे में पड़ गयी। हम दोनों को हैरान देखके नीता खुद ही उठ के मेरे पास आ गयी। और मुझे बाहोमे लेके चूमने लगी। उसके इस डायरेक्ट अटैकसे हमारी शर्म कम हो गयी और हम तीनो एक दुसरे से लिपटने लगे। निलेश मुझे बाहोमे लेकर किस करने लगा।साथ ही साथ वो मेरे चूचीको दबा रहा था। उधर नीता हम दोनोके कपडे उतारने लगी उसने पहले निलेश और बादमे मेरे कपडे उतारे। मगर उसने खुद के कपड़ोको हाथ नहीं लगाया। एक हाथ से निलेश का लंड और दुसरे हाथसे मेरी चूत सहलाने लगी। निलेशके लंड को हाथ में लेकर किस करने लगी। दुसरे हाथ की उन्गलिसे वो मेरे चूतमें उंगली चुदाई करने लगी। हम दोनों गरम लगे थे। मै भी निलेश के चुताड़ोंको दबाने लगी। वो मेरे चुतड ऐसे रगड़ रहा था जैसे कोई खाना बनाने से पहले आटा मिलाता हो। नीता निलेश का लंड मुह में लेकर चूस रही थी। उसका लंड बड़ा होने लगा। वो ज्यादा लम्बा लंड तो नहीं था पर जाड़ा बहोत था। उसको मैंने हाथ में लिया तो एक हाथ की मुठी में नहीं समाया। निलेश के लंड की टोप बहोत बड़ी थी। मै और निलेश दोनों पुरे गर्माहट पे थे। नीता की कृपा से मेरी चूत गीली हुई थी और लंड चुसनेसे गिला था। मुझे बेड पे सुलाके मेरे दोनों पैरो के बीच में निलेश आ बैठा। उसने धीरे से मेरे चूत में अपना मुह लगाके और गिला किया और धीरे धीरे मेरे पैर दोनों तरफ तानके अपना लंड का सर मेरे योनिमुख पे रखा। कोई शोला मेरे चूत के द्वार पे रखा हो ऐसा मुझे लगा। फिर धीरेसे उसने अपना लंड अन्दर डालना शुरू किया। इतनी चुदी-चुदाई मेरी चूत थी फिर भी मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही थी। उसका लंड इतना हैवी था। धीरे धीरे उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर डाला। थोडा आरामसे उसने मुझे चोदना शुरू किया। उसका चोदने का तरीका शर्माजिसे बिलकुल अलग था। शर्माजी पहले स्लो करते थे और धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाते थे। चोदते समय शर्माजी पूरा लंड बहार नहीं निकालते थे। आधा लंड बाहर करके फिर अन्दर पेलते थे। मगर निलेश का स्टाइल अलग था। धक्के लगाते समय वो करीब करीब पूरा लंड बाहर निकालके फिर जोर से अन्दर डालता था। इससे चूत और चूत के ऊपर छे इंच (निचला पेट- जहा सेन्सीटीविटी ज्यादा होती है) जोर से प्रहार होता था। लम्बाई में छोटा होने के बावजुद जोर से प्रहार करनेकी स्टाइल से मेरा बदन जवाब देने लगा। आमतौर पे इतनी जलती मै satisfy नहीं होती। आज निलेश के इतने जोर से चोदने से मै जल्दी ही झड गयी। मेरे झड जाने के बाद भी निलेश के धक्के चालू ही थे। उसका धक्के का स्पीड बढ़ता गया। थोड़ी ही देर में उसने लंड मेरे चूत से निकाला। उसका बम फटनेवाला था। नीता तुरंत आगे आई। उसने निलेश लंड अपने मुह में लिया। लंड मुह में समां नहीं रहा था। वैसेही निलेश ने निताके मुह को चोदना जारी रखा और फिर फट से उसके लंड में से वीर्य आना शुरु हुआ। नीता ने लंड अपने मुह से निकाला नहीं। वो अपनी पति का तीर्थ पूरा का पूरा निगल गयी। मै परेशान होकर देख रही थी। किसी मर्द का वीर्य निगल जाना मेरे लिए नयी बात थी। निताने वीर्य का एक एक बूंद पि लिया। वीर्य पीनेसे वो बहोत खुश नजर आ रही थी। निलेश कभी मेरी ओर तो कभी नीता की ओर देख रहा था। उसके मुख पे प्रसन्नता दिख रही थी। एक साथ मर्द और औरत से चुदवाके मुझे भी बहोत आनंद आया। हमारा ये खेल जब तक हम इंदौर में थे तब तक चला। पति की नोकरी की वजह से हमें इंदौर छोड़ना पड़ा और फिर हम इस नए नए गाव में आये। बच्चे भी अब बड़े हो गए थे। बेटी अब शादी लायक हुई थी इस लिए जब रवि का रिश्ता आया तो हमने स्वीकार किया। रवि की फॅमिली जॉइंट फॅमिली है। और फॅमिली बिज़नेस भी अच्छा है। रवि अनुभव के लिए नोकरी करता था। शादी के बाद उसने नोकरी छोड़ दी और वो अभी पूरी तरह बिज़नेस में लगा। इसीलिए उसे हमारे यहाँ बिज़नेस से छुट्टी लेके आनेको मैंने कहा।

जब रवि आया तब मुझे कहा मालूम था की वो इतने बड़े लंड का स्वामी होगा और मै उसका लंड मेरे चूत में लेने के लिए इतनी दीवानी हो जाउंगी।
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06-19-2017, 10:31 AM,
#9
RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
सुबह करीब छे बजे मै नींदसे जागी। मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था। कल का पुरा दिन मेरा अलागसा रहा था। कल सुबह मैंने रवि को नहानेके बाद नंगा क्या देखा मै उसकी दीवानी बन चुकी थी। कल दिनमे और रातमे रविने मेरे बीते दिनोकी यादोंको तरो ताज़ा कीया था। मेरी यादों ने मुझे बेहाल किया था।रातभर मै ढंगसे सोई नहीं थी। मेरे योनि के ओठ तड़प रहे थे। सुबह होनेसे मजबूरन मुझे उठना पड़ा। बदन के दर्द होते हुए भी मैंने नित्यकर्म निपटाए। चाय बनानेके बाद मैंने बेटीको आवाज दी। रोज आवाज देतेही पहले रवि उठ जाता था। मगर आज पहले बेटी उठी। हमने मिलके चाय पी। फिर मैंने रवि के बारेमे पुछा। मेरी बेटीने बताया के रवि रात में काफी देर जगा था। फिर शरमाते हुए उसने बताया की कैसे रवि उसे लंड चूतमें नहीं तो मुहमें लेनेके लिए जिद कर रहा था। मैंने जब बेटीसे पूछा क्या उसने रवि का लंड मुह में लिया? तो वो तपाक से बोली की उसे लंड मुह में लेने बिलकुल पसंद नहीं। फिर उसमे बताया की उसने अपने चुचे रवि को चूसने दिए और बेचारे रवि को उसी पर संतुष्ट होना पड़ा। मैंने बेटी को समझाया अगर उसे मुहमें लंड लेना पसंद नहीं तो कमसे कम हाथ से तो उसे सहलाना था। फिर मैंने बताया मर्दको चोदनेको नहीं मिलता है तो वो चिढ़ता है। ऐसेमें उसे अगर औरत अपने हाथसे लंड हिलाकर वीर्यपतन करा देती है तो भी कुछ समय के लिए वो चुप हो जाता है।
फिर मैंने बेटी को मालिश करके नहाने के लिए बाथरूम भेजा। मुझे पता था मेरी बेटी को नहानेके लिए एक घंटा तो आरामसे लगेगा। इसीलिए मै रविके रूममें घुस गयी।
रवि बेडपे सोया था। मैंने उसे जगानेके लिए उसके बदनसे चद्दर खिंची। अन्दर साहब नंगेही सो रहे थे। मेरे चद्दर खींचने के बाद भी वो उठा नहीं था। उसका सांवला बदन चमक रहा था। वो पेट के बल सोया था। उसकी पीठ और नितम्ब खुले थे। मुझसे रहा नहीं गया। मै बेडपर बैठ गयी। मैंने धीरे से उसके चुताडोपे अपना हाथ घुमाया। वो नींद में कसमसाया। फिर मैंने उसके जान्घोपे अपने नाख़ूनसे डिजाईन बनाने की कोशिश की। वो नींद में बडबडाया- नेहा, अब सोने दे ना। नेहा मेरी बेटी का नाम था। और वो पेट से मोड़कर बाये बदनपे सो गया। मै भी बेड के दुसरे साइड उठके गयी। और मैंने देखा तो एक साइड होने से रवि लंड खड़ा होके दे रहा था। मैंने बहोत शांति से हाथ लगाया। मुझे डर था कही रवि जाग न जाये। मैंने अब उसके लंड को हाथ में लिया। मेरे हाथ लगतेही लंड और फूलने लगा। मेरे हिसाब से रवि का लंड आठ-नौ इंच लम्बा आराम से था। निश्चिततौर से कह नहीं सकती मगर वो जादा भी हो सकता है। और जाड़ा इतना के मेरे एक हथेलीमें समां नहीं रहा था। उसकी टोपी अनोखी थी। किसी पाइप के ऊपर बड़ा टमाटर रखा हुआ लग रहा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने हाथ से उसे हिलाना शुरू किया। थोड़ी देर हिलाती रही। फिर मेरे मन से डर हटाते हुए मैंने रविका लंड मुह में लिया। जवान लंड था। एकदम गरम था। मेरे मुह में समां नहीं रहा था। मैंने उसे गले तक अन्दर लिया। और अपना मुह आगे-पीछे करना शुरू किया। थोड़ी देर बाद बाहर निकाल के देखा तो उसपे दो बूंद पानी आया था। शायद वो प्री-कम था। मुझे उसकी नमकीन टेस्ट अच्छी लगी। मैंने लंड को फिर मुहमे लिया और जोर जोर से चूसने लगी। मुझे लग रहा था के शायद रवि उठा हुआ है। क्योंकि कोई मर्द औरत अगर उसका लंड चुसे तो सो नहीं सकता। मगर मै रवि खुद क्या करता है ये देखना चाहती थी। मै जोर जोरसे लंड चूस रही थी। पुरे रूम में चुसनेकी आवाज गूंज रही थी। थोडीही देर में रवि का बदन अकडने लगा। उसका लंड और भी ज्यादा तनने लगा। लंड पे एक एक नस फूलने लगी। उसका बम फूटनेका समय आया ये मैंने पहचाना और मैंने उसका लंड मुह से अलग किया। जैसेही मैंने मुह से लंड को निकलकर बेडसे उठने कोशिश की रवि ने मुझे पकड़ लिया और मुझे बाहोमे लेकर मेरेसे गिडगिडाया - सासुजी खेल आधा मत छोड़ो। सही कहो तो उसने जब मुझे पकड़ा तब मै घबरा गयी थी मगर जैसेही उसने खेल आधा ना छोदनेकी बिनती की तो मैंने पहचाना के खेल तो मेरे हाथमे में है। खेल और रवि दोनों मेरे मर्जीसे आगे चलनेवाले है। और ऐसा मौका मै मेरे हाथसे थोडेही जाने देती।
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06-19-2017, 10:32 AM,
#10
RE: Antarvasnasex सास हो तो ऐसी
दुनिया जानती है, खेल के सूत्र जब औरत के हाथ होते है तब वो मर्दको कैसा नचाती है। मै भी मेरे दामादको मेरे तालपर नचाना चाहती थी। इसी लिए रवीने मुझसे खेल आधा न छोड़नेकी गुजारिश की तो मैंने उसे नेहा बाथरूमसे कभीभी बाहर आ सकती है ऐसा बताया। हालांकि मै जानती थी नेहा को बाहर आनेमें अभी और आधा घंटा लगेगा। मगर मै रविसे याचना चाहती थी। इसीलिए रवि बार बार जब जिद करने लगा तब मैंने उसे अपने हाथसे लंड हिलानेकी बात की। मरता क्या न करता। वो मान गया। फिर मैंने रवि को प्यारसे अपनी बाहोमे लिया। उससे किस करते हुए मै उसके पीठ और चुतड पे हाथ फिराने लगी। मैंने जैसेही उसके गांडको स्पर्श किया उसका लौड़ा एकदम तैयार हुआ। अपना तना हुआ लौड़ा लेके वो मेरे सामने खड़ा हुआ। थोड़ी देर मैंने उसके लंडको अपने मुहमे लेकर चुसा। मुहसे लंडको चूसते हुए मै अपने हाथोसे उसकी गांड दबाने लगी। एक हाथसे मैंने उसकी दोनों आंडगोटी सहल रही थी। फिर बीचमेही मैंने उसकी दोनों गोटिया बारी बारिसे चुसी। रवि का उन्माद बढ़ानेके लिए मै एक उंगली उसके गांडमें थोड़ी थोड़ी घुसा रही थी। यह सब रवीको सहन करना मुश्किल हो रहा था। अखिरमे उसकी सहनशक्ति जबाब दे गयी। उसने अपने दोनों हाथोसे मेरा सिर पकड़ा और जोर जोरसे मेरे मुह्को चोदने लगा। वो बहोत ताकतसे अपनी गांड हिला रहा था। उसकी तेजी मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही थी। मगर उसकी ये क्रिया मुझे जता रही थी के मेरा दामाद कितने दिनोसे भूका है। इसका ये भी मतलब था के वो मेरी बेटी छोडके किसी और औरतसे चुदाई या बाकि मजे नहीं लेता था। ये बात मेरे समझमें आनेके बाद मुझे भी मेरे दामादपे नाज आया। मन ही मन मैंने उसे माना। उसके धीरजकी सराहना की। मेरे दामादके प्रति मेरा प्यार और भी ज्यादा हुआ।
वो मेरे मुहसे काफी जोरसे चुदाई कर रहा था। खड़े खड़े अपनी कमर हिलाते हुए अपने लौडेको मेरे मुह को चूत समझकर मेहनतसे चोद रहा था। उसके लंडके आकारसे मेरा मुह खुला हुआ था। उसका लंड मेरे गलेतक उतर रहा था। फिर भी मैंने कोशिश करके मेरे लिप्ससे रविका लौड़ा पकडा। रवि ज्यादाही खुश हुआ। उसकी गति और बढ़ी। जैसेही वो फुटनेकी कगारपे आया मैंने रविको इशारा करके उसका लंड मुहसे निकालकर हाथमे लिया। रवि थोडा निराश हुआ। मगर मैंने उसपे ज्यादा ध्यान न देते हुए अपने हाथोसे उसका लंड हिलाना शुरू किया। दो मिनटमेही रवि का लावारस उबल पड़ा। मै लंड को आगे पीछे कर रही थी और रवि के लंड्से वीर्य निकल रहा था। कितने दिनोका स्टॉक उसने सम्हालके रखा था ये रविकोही मालूम। मै अगले करीब पांच मिनट हिल रही थी और उसके लंड्से वीर्य निकलही रहा था। जब सब ख़तम हुआ तब मैंने फिर उसका लंड मुहमे लेकर साफ़ किया। पगला लौड़ा था। मैंने सफाई के लिए मुह में लिया तो भी टाइट होने लगा। मैंने रवि के लंडका किस लेकर रविसे कहा- दामादजी, अब तो इसकी शांति हुई ना? इसे अब सम्हालके रखो। रवि बोल उठा- सासुजी, इसकी शांति कहा हुई है। अब तो यह और भी कुछ मांग रहा है। इसे हमारी सासुजी पसंद जो आई। मेरी तक़दीर अच्छी है इसीलिए इतनी अच्छी और सेक्सी सासुजी मिली। मैंने गंभीरतासे रवि से कहा-देखो दामादजी, आपकी पत्नी नेहा घरमे है। उसे शक हो जाये ऐसा कुछभी बोलो मत और उसको नजर आये ऐसा कुछभी करो मत।
आपको क्या चाहिए ये मै जानती हु। जैसेही समय मिलेगा मै आपको वो सब दूंगी जो आपने मेरे बारेमे सोचा है। और वो भी आपको मिलेगा जो आपने सोचाही नहीं है। मगर इसके लिए आपको सही समयका इंतजार करना पड़ेगा। रवि मेरे बाहोमे आकर कहने लगा- सासुजी ऐसा कुछ तो करो जिससे ये मुहूरत जल्दी आये। मेरी तो जान निकल रही है। मै तड़प रहा हु इसके लिए।
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