Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:19 PM,
#51
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--51
गतांक से आगे ...........
तभी कामवाली अंदर आई।
मैं जा रही हूं, मेमसाहब, शाम को आ जाउंगी,,, कामवाली ने कहा।
हां ठीक है, अगर जरूरत हुई तो मैं फोन कर दूंगी,, तुम्हारा नम्बर तो है ना यहां पर,,, कोमल ने हाथ हटाते हुए कहा।
मेरे पास फोन नहीं है मेमसाहब,,, कामवाली ने कहा।
ठीक है तुम रहने देना, आज कोई है भी नहीं, तो मैं बाहर ही खा लूंगी,, कोमल ने कहा।
ओके मेमसाहब,, कामवाली ने मेरी तरफ देखते हुए मुस्करा कर कहा और बाहर चली गई।
कोमल उठकर बाहर गई और कुछ देर बाद वापिस आई।
कहां गई थी, मैंने पूछा।
दरवाजा बंद करके आई हूं, कोमल ने कहा और दूसरे दरवाजे से बाहर बाथरूम की तरफ निकल गई।
मैं उसे जाते हुए देखने लगा। सफेद झिन्नी पायजामी में से लाल पेंटी की हल्की सी झलक मिल रही थी।
उसके बाहर जाने के बाद मैं दरवाजे की तरफ ही देखता रहा।
कुछ देर बाद वो वापिस आई और मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी।
आकर वो चेयर पर बैठ गई और अपना हाथ मेरी चेयर पर गर्दन के पास रख लिया। उसके हाथ की उंगलिया मेरी गर्दन पर टच हो रही थी।
मैं काम करने लगा, और कोमल बैठे बैठे मुझे देखती रही। मुझे उसकी उंगलियां अपनी गर्दन पर ज्यादा टच होती हुई महसूस होने लगी।
उसकी उंगलिया धीरे धीरे मेरी गर्दन पर बढ़ती जा रही थी। मुझे उसके अपने हाथ पर उसके बूब्स का हल्का हल्का स्पर्श महसूस हुआ। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था और उसकी सांसे तेज चल रही थी।
मैं उसकी तरफ देखकर मुस्करा दिया। उसे तो जैसे सिग्नल मिल गया हो। उसने अचानक से मेरा मुंह पकड़ा और अपने तपते हुए होंठ मेरे होंठों पर रख दिये।
एक बार तो मैं शॉक रह गया, पर फिर मेरे हाथ भी उसके सिर के पिछे चले गये और मैं उसके लबों को चूसने लगा।
तभी दरवाजे पर मुझे कोई खड़ा हुआ महसूस हुआ।
मैंने दरवाजे की तरफ देखा तो कामवाली खडी थी। उसका मुंह खुला हुआ था और वो शाक्ड होकर हमें ही देखी जा रही थी।
मैंने हाथ से उसे जाने का इशारा किया तो उसने अपने हाथ में पकड़ी चाबी दिखाई, मैंने साइड में रखने का इशारा किया।
वो बिना कोई आवाज किये चाबी को पास वाली टेबल पर रखकर चली गई।
कोमल तो पागलों की तरह मुझे किस्स्ससस किये जा रही थी, उसे तो पता भी नहीं चला कि कामवाली आई थी।
जब हमारी सांसे उखड़ने लगी तो मैंने उसको खुद से अलग किया।
मैं तुमसे आखिरी बार पूछ रही हूं, तुम अपूर्वा से प्यार नहीं करते ना,,, कोमल ने बदहवासी में कहा।
मैंने अपने हाथ उसके सिर के पिछे रखे और उसको खींचकर उसके लबों को अपने लबों में फिर से कैद कर लिया और जोर जोर से चूसने लगा।
कोमल मेरे होंठों को काटने लगी। उसके हाथ मेरी शर्ट पर पहुंच गये और वो मेरे बटन खोलने लगी। बटन खोलकर उसने शर्ट को साइड में कर दिया और कभी मेरी छाती और कभी मेरी कमर में हाथ घुमाने लगी। उसके हाथ घुमाने से मुझे गुदगुदी हो रही थी।
मेरे हाथ उसके उरोजों पर पहुंच गये। आहहहह क्या अहसास था एकदम नरम नरम और तने हुए उरोज। मेरा लिग बाहर निकलने के लिए छटपटाने लगा।
कोमल कभी मेरे निप्पल्स को अपनी उंगलियाें बीच लेकर मसल देती थी कभी मेरी नाभि में अपनी उंगली डालकर हलके हलके घुमाने लगती थी।
मैं पागलों की तरह उसके उरोजों को दबाये जा रहा था, बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था। इस मजे के कारण लिंग ने पी्रकम की कुछ बूंदे भी अंडरवियर के हवाले कर दी थी, शायद बाहर निकलने के लिए रिश्वत दे रहा था, या डरा-धमका रहा था।
कोमल का हाथ मेरी जींस पर आया और वो बेल्ट खोलने लगी।
मैंने उसे अपने से दूर किया। वो प्रश्नवाचक दृष्टि से मेरी आंखों में देखने लगी, मानो पूछना चाह रही हो ‘क्या हुआ’?
मैम कब तक आयेगी, मैंने उससे पूछा।
वो तो देर से आयेंगे रात को, कोमल ने कहा और अपने हाथ मेरे सिर के पिछे रखकर मेरे सिर को अपनी तरह खिंचने लगी।
तुम अंदर जाओ, मैंने कोमल से कहा।
कोमल आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी।
क्यों, मुझे करना है, मैं कहीं नहीं जा रही, कोमल ने कहा और मेरे होंठों पर टूट पड़ी।
मैंने कुछ देर उसके होंठ चूसकर उसे अलग किया।
यहां कहां करोगी फिर, अंदर आराम से करेंगे, मैंने कहां
मेरी बात सुनकर कोमल मुस्कराई और मेरे गालों को भींचते हुए खड़ी हो गई और बाहर की तरफ चल दी।
दरवाजे के पास जाकर उसने अदा के साथ पिछे गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और अपनी उंगली से पिछे पिछे आने का इशारा किया।
उसके इस इशारे से तो मैं घायल ही हो गया।
तुम चलो मैं अभी आ रहा हूं, मैंने कहा और उसकी तरफ आंख दबा दी।
मेरे साथ आओ ना, कोमल ने मेरी तरफ मुड़ते हुए कहा।
कहा ना आ रहा हूं, तुम चलो,,,, मैंने कहा।
मैं नहीं चाहता था कि पड़ोसी हमें साथ-साथ अंदर जाते हुए देखे। इसलिए मैं बाद में जाने के लिए कह रहा था।
कोमल चली गई। कुछ देर बाद मैं उठा और ऑफिस से बाहर आ गया। कोमल जा चुकी थी।
मैं इधर उधर देखते हुए अंदर आ गया। कोमल दरवाजे के पास ही खड़ी थी। जैसे ही मैं अंदर आया उसने मुझे कसकर बाहों में भींच लिया और मेरे लबों पर टूट पड़ी।
मैंने उसे बाहों में उठा लिया और मैम के बेडरूम की तरफ चल पड़ा। उसके हाथ मेरी छाती में मेरे निप्पल से छेड़छाड़ कर रहे थे।
बेडरूम में आकर मैंने उसे बेड पर पटक दिया।
आउचचचच, आराम से नहीं लेटा सकते थे,,, कोमल ने अपनी कमर में हाथ रखकर सहलाते हुए कहा।
अगले ही पल वो बेड पर घुटनों के बल हुई और मेरी शर्ट को पकड़कर मुझसे अलग कर दिया और फिर मेरी बेल्ट को निकाल कर जींस को हुक भी खोल दिया।
मैंने उसे उपर की तरफ खींचा और उसकी टी-शर्ट को पकड़कर उसके शरीर से अलग कर दिया। टी-शर्ट निकलते ही उसके दूध से सफेद उरोज मेरी आंखों के सामने आ गये। पूरी तरह से उन्नत, एकदम तने हुए, मेरे होंठों को आमंत्रित कर रहे थे।
उसका गोरा सपाट पतला सा पेट, पूरी तरह से चर्बी रहित, और उस पर सुशोभित लम्बी नाभि तो जुल्म ही ढा रही थी।
जब तक मैंने उसकी टी-शर्ट निकाली उसने मेरी जींस को सरकाकर घुटनों तक कर दिया था और मेरा कड़क तना हुआ लिंग उसके हाथों में पहुंच चुका था।
उसने मुझे पकड़कर बेड पर खिंच लिया और फिर धक्का धेकर लेटा दिया और मेरी जींस और अंडरवियर को मेरे पैरों से अलग करके घुटनों के बल ही खडे हुए मेरे लिंग को घूरघूर कर देखने लगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपने उपर खिंच लिया। वो झटके से मेरे उपर आ गिरी। उसके उरोज मेरी छाती में दबने से उसके मुंह से एक दर्द भरी आह निकली।
पर उस दर्द में उसको जो मजा आया होगा, क्योंकि उसने सीधे मेरे लबों को अपने लबों में कैद कर लिया और जोर जोर कभी उपर वाले होंठ को तो कभी नीचे वाले होंठ को चूसने लगी।
वो सरककर पूरी तरह से मेरे उपर हो गई। मेरा लिंग उसकी योनि पर पजामी के उपर से ही दब गया। उसके मुंह से आह निकल कर मेरे मुंह में समा गई।
उसने अपनी योनि को मेरे लिंग पर जोरों से रगड़ना शुरू कर दिया। पजामी इतनी मखमली और झिन्नी थी कि ऐसा लग रहा था कि मेरा लिंग सीधा उसकी योनि पर ही रगड़ रहा है। मैंने अपने हाथ उसके नितम्बों पर रख दिये और जोर जोर से मसलने लगा। मैं नीचे से कमर उठाकर लिंग को उसकी योनि पर दबा देता और साथ ही उसके नितम्बों को कसकर नीचे की तरफ दबा देता। दोनों के मुंह से मजे में आह निकलकर एक दूसरे में मुंह में समा जाती।
मैंने कोमल को झटका देकर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके उपर आ गया। कुछ देर तक उसके होंठों को चुसता रहा और लिंग से उसकी योनि पर हल्के हल्के धक्के मारता रहा। जैसे ही मैं लिंग को उपर उठाता उसके साथ साथ कोमल के कुल्हें भी हवा में उठकर मेरे लिंग से योनि को चिपकाने की कोशिश करते।
मैं उससे अलग हुआ और उसकी पजामी को उसके शरीर से अलग कर दिया।
कोमल वासना के ज्वर में बुरी तरह तप रही थी। उसने अपने कुल्हों को उपर उठाकर पजामी निकालने में हैल्प की और जैसे ही मैंने पजामी निकाल कर साइड में रखी उसने मुझे पकड़ कर अपने उपर खिंच लिया और अपनी नंगी योनि को मेरे लिंग पर जोरों से मसलने लगी।
मैंने अपने होंठ उसके उरोजों पर रख दिये और उसके निप्पल को होंठों के बीच लेकर चुसने लगा। कोमल मचल उठी और, और भी जोर से अपनी योनि को उछाल-उछाल कर मेरे लिंग पर मारने लगी। मेरा लिंग उसकी जांघों के बीच में घुस गया और उसकी योनि छिद्र पर ठोकरें मारने लगा।
मैं उसके उभारों को चुसे जा रहा था और वो पागल होती जा रही थी। उसके हाथ मेरे सिर को अपने उभारों पर दबा रहे थे। उसके मुंह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थी।
उसके उभारों को चुस चुस कर जब मेरा मुंह दुखने लगा तो मैंने अपना मुंह हटाया और उसके मस्त पेट को चुमते हुए नीचे की तरफ आने लगा।
कोमल के पैर मेरे पैरों से बुरी तरह जंग लड़ रहे थे, जिससे मेरे पैरों के बात खिंचने के कारण मुझे दर्द हो रहा था। पर जो मजा आ रहा था उसके सामने ये दर्द कुछ भी नहीं था।
मेरे नीचे की तरफ आने के कारण मेरा लिंग उसकी योनि से दूर हो गया था, जो उसे सहन नहीं हुआ और उसने मुझे वापिस अपने उपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी।
उसने अपने हाथ हमारे जांघों के बीच में किए और लिंग को अपनी योनि पर सैट करने लगी। मैं समझ गया कि अब ये नहीं रूकने वाली। मैंने थोडा उपर होकर लिंग सैट करने में उसकी हैल्प की और जैसे ही लिंग उसके योनी छिद्र पर लगा मैंने एक हल्का सा धक्का मार दिया।
कुछ तो उसकी योनि से बहते यौवन रस की चिकनाई और कुछ उसके हाथों का सपोर्ट जिससे लिंग इधर उधर नहीं फिसला और सुपाडा उसकी योनि में प्रवेश कर गया।
उसके मुंह से दर्द के मारे जोर की चीख निकली। मैंने तुरंत उसके मुंह को अपने होंठों से बंद कर दिया और उसकी बाकी की चीख मेरे मुंह में गुम हो गई।
उसने अपनी योनि को इधर उधर करके लिंग को बाहर निकाल दिया। उसकी आंखों में आंसू थे। मैंने उसके आंसुओं को अपने होंठों से पिया और उसकी आंखों में देखने लगा।
बहुत दर्द हो रहा है, उसने सुबकते हुए कहा।
पहली बार तो होगा ही, पर ज्यादा देर नहीं होगा, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
मैंने ऐसे ही अपने लिंग को उसकी योनि के उपर सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद वो वापिस अपने हाथों को जांघों के बीच लाई और मेरे लिंग को अपनी योनि पर सैट किया।
अबकी बार एक बार में ही पूरा डाल देना, बार बार दर्द तो नहीं होगा, उसने कहा।
मैंने हल्का सा दबाव डाला तो मेरा सुपाड़ा उसकी योनि में घुस गया। उसकी आंखें दर्द से फैल गई। परन्तु अबकी बार उसने लिंग को बाहर नहीं निकाला। उसके हाथ अभी भी मेरे लिंग को पकड़े हुए थे।
कुछ देर ऐसे ही रहकर मैंने एक जोर का झटका मारा और मेरा लिंग उसकी योनि की दीवारों को चीरता हुआ दो इंच तक अंदर घुस गया।
उसका शरीर दर्द से कांप उठा और उसकी मुट्ठी मेरे लिंग पर कस गई। ऐसा लग रहा था कि वो भींच कर मेरे लिंग को फोड़ देगी। बहुत ज्यादा दर्द हुआ लिंग में। पर मैंने सह लिया।
मैंने थोड़ा सा उपर उठते हुए अपने हाथ उसके उभारों पर कस दिये और मसलने लगा। उसके दूसरे उभार को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा। कुछ देर में वो शांत हुई और नीचे से अपने कुल्हों केा थोड़ा थोड़ा उठाने लगी।
अभी तो पूरा बाहर ही है, जब इतने से में इतना ज्यादा दर्द हो रहा है तो, फिर पूरा अंदर जायेगा तो कितना दर्द होगा, कोमल ने मेरे लिंग को अपने हाथ से नापते हुए कहा।
उसके चेहरे पर डर साफ दिखाई दे रहा था, पर उस डर में मजे के चिह्न भी दिखाई दे रहे थे।
मैंने उसके हाथों को बीच में से निकाला और लिंग को हल्का सा बाहर खींचा, परन्तु साथ साथ कोमल के कुल्हे भी उपर उठे। मैंने फिर से एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लिंग सीधा उसकी गहराईयों में उतरकर उसके गर्भाश्य से जा टकराया। उसकी चीख निकले उससे पहले ही मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को सील कर दिया।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:19 PM,
#52
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--52
गतांक से आगे ...........
उसकी आंखों से झर-झर पानी बहने लगा और उसके मुंह से घुटी घुटी चीख निकलकर मेरे मुंंह में समाने लगी। उसका शरीर अकड़ गया और उसके हाथ बेड पर चद्दर पर कस गये और उसकी योनि ने इतने दर्द के बाद भी अपना लावा उगल दिया।
इस दर्द में शायद उसे मजा कहीं ज्यादा आया था, क्योंकि उसकी योनि पानी छोउ़े जा रही थी। मैं कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा और उसके होंठों को चूसता रहा। मेरा लिंग उसकी योनि में बुरी तरह फंसा हुआ था।
जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो वो नोर्मल होकर बेड पर लेट गई। उसके लेटने के कारण मेरा लिंग थोड़ा सा बाहर निकल आया।
मैंने लिंग को और आधा बाहर निकाला और फिर से एक जोर दार धक्का मारा। लिंग सीधा गर्भाश्य से जाकर टकराया। उसका शरीर एक बार फिर से हवा में उठ गया, परन्तु अगले ही पल वापिस बेड पर जा गिरा।
वो अपने कुल्हों को उपर उठाकर मेरे लिंग को और अंदर लेने की कोशिश करने लगी। उसके पैर मेरी कमर पर लिपट गए और उसके हाथ मेरे बालों को सहलाने लगे और वो मेरे होंठों को काटने लगी। बार बार वो अपने उभारों को मेरी छाती पर मसल रही थी।
अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया और मैंने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये। जल्दी ही वो भी अपने कुल्हे उठा उठा कर मजे लेने लगी।
उसकी योनि की इतनी ज्यादा कसावट और गर्मी मैं सह न सका और दो मिनट में ही मेरे लिंग ने उसके अंदर पिचकारियां मारनी शुरू कर दी। मेरी पिचकारियों महसूस करते हुए उसका शरीर भी अकड़ गया और उसने भी अपना रस मेरे रस में मिला दिया।
कुछ सैकंड तक उसका शरीर अकड़ा रहा और उसकी योनि मेरे लिंग को कभी छोड़ती और फिर जकड़ लेती। छोउ़ने का अहसास बस हलका सा हो रहा था, क्योंकि लिंग योनि में बुरी तरह से फंसा हुआ था और अंदर बिल्कुल भी जगह नहीं थी।
जब चरम की लहरें थमी तो मैं उसके उपर गिर गया। अब मुझे लिंग में हल्का हल्का दर्द भी महसूस हो रहा था।
मैं उसके उपर ऐसे ही लेटा रहा और वो मेरे बालों और कमर को सहलाती रही।
कुछ देर बाद उसने मेरे चेहरे को पकड़कर उपर उठाया और मेरे माथे, गालों और फिर होंठों पर छोटी-छोटी चुम्मी देने लगी। उसे मुझपर बहुत ही प्यार आ रहा था शायद।
मेरा लिंग जो हल्का हल्का सुस्त हो गया था, उसकी चुम्मीयों के कारण फिर से अकड़ गया। मेरे लिंग को अकड़ता महसूस करके उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कान तैर गईं और उसने अपने कुल्हों को उपर की तरफ उठा दिया। मैं ऐसे ही लेटा रहा।
वो बार बार अपने कुल्हों को उपर उठाने लगी, परन्तु मैं कुछ नहीं कर रहा था। आखिरकार उसने हार मानकर मेरी पीठ में मुक्के मारने शुरू कर दिए।
करो ना, क्यों तड़पा रहे हो, उसके मुक्के मारते हुए बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा और मेरे गालों को चुमने लगी।
मैंने लिंग को पूरा बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे करके पूरा अंदर डाल दिया। कोमल उसी तरह मेरे गालों को चूमती ही जा रही थी।
मैंने फिर से अपने लिंग को पूरा बाहर निकाला और जैसे ही धीरे धीरे अंदर करने लगा, कोमल ने नीचे से अपने कुल्हों को उपर उछाल दिया और मेरा लिंग सीधा उसकी गहराईयों में उतर गया। उसके मुंह से आनंद भरी आह निकली।
फिर तो ऐसे ही शुरू हो गया, मैं लिंग को पूरा बाहर निकालता और जब धीरे धीरे अंदर करता तो वो नीचे से अपने कुल्हें उछाल देती और लिंग एकदम से पूरा अंदर पहुंच जाता।
अबकी बार ये मिलन कुछ ज्यादा देर तक चला, पर बहुत ज्यादा देर न चल सका। जल्दी ही कोमल ने मुझे अपनी बाहों में जोरों से कस लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर कस दिये। उसके पैर मेरे कुल्हों पर बुरी तरह जकड़ गये और उसकी योनि ने मेरे लिंग को जकड़ लिया। उसकी ये जकड़न मैं भी सहन नहीं कर सका और फिर से अपना प्रेम रस उसके प्रेम रस में मिलाना शुरू कर दिया।
चरम आनंद को प्राप्त करने के बाद हम ऐसे ही लेट गये और कब हमारी आंख लगी पता ही नहीं चला।
जब मेरे मोबाइल की घंटी बजी तो कोमल ने मुझे झकझोर कर उठाया। मैंने आंखें खोलते हुए उसकी तरफ देखा।
मोबाइल बज रहा है, उसने कहा।
कोमल के चेहरा पर परम संतुष्टि दिखाई दे रही थी। मेरा लिंग सिकुड कर छोटा सा होकर उसकी योनि से बाहर आ चुका था।
मैं जैसे ही उठने लगा कोमल भी मेरे साथ ही उपर उठ गई। उसकी योनि रस और मेरे रस के कारण हमारे अंग हल्के से आपस में चिपक गये थे, जिसके कारण मेरे उठने पर उसे दर्द हुआ। हल्का सा मुझे भी हुआ। खिंचाव महसूस होते ही हमारे अंग अलग हो गये।
इनका तो अलग होने का मन ही नहीं कर रहा, चिपके बैठे थे,, कहकर कोमल हंसने लगी।
उसकी बात सुनकर मैं भी हंसने लगा। मैंने जींस में से मोबाइल निकाल कर देखा तो सोनल का फोन था।
हाय, मैंने कॉल पिक करके कहा।
हाय, कितनी देर में आ रहे हो,,, सोनल ने कहा।
हूं,,, साढ़े पांच बजे तक आ जाउंगा, मैंने कहा।
कहां खोये हुये हो मिस्टर 6 बज चुके हैं,, कोमल ने हंसते हुए कहा।
क्या,,, मेरे मुंह से आश्चर्य से निकला।
मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो 6 बजकर 10 मिनट हो चुके थे।
बस निकल रहा हूं, कुछ देर में पहुंच जाउंगा,, मैंने कहा और बाये करके कॉल काट दी।
तभी मुझे याद आया कि अपूर्वा के घर भी जाना था।
मर गया यार, अपूर्वा के घर भी जाना था।
मैं उठकर जल्दी से कपड़े उठाकर बाथरूम में गया और फ्रेश होकर कपड़े पहन लिए।
कोमल भी उठ गई थी और अपने कपड़े पहन चुकी थी।
जब मैं बाथरूम से बाहर आया तो कोमल बेड की चदद्र को उठा रही थी जो उसके और मेरे रस से भीगी हुई थी।
उसने एकबार मेरी तरफ देखा और फिर शरमाकर नीचे देखने लगी।
मैं उसके पास गया और उसके माथे पर एक किस्सस की।
ओके मैं अब चलता हूं, बहुत लेट हो गया हूं, अपूर्वा भी इंतजार कर रही होगी, सुबह कहकर आया था कि ऑफिस से सीधा आउंगा और सोनल का फोन भी आया था, मैंने उसे कहा और उसके होंठों को चूसने लगा।
अब लेट नहंी हो रहे, कोमल ने मुझे धक्का देकर अलग किया।
ओके बाये, चलता हूं, कहते हुए मैं बाहर की तरफ चल दिया।
अचानक कोमल ने मुझे पिछे से पकड़ लिया और मुझसे लिपट गई।
थैंक्स, उसने कहा।
मैंने उसके हाथों को अलग किया और उसकी तरफ घूमते हुए उसके गालों पर किस करते हुए कहा - थैंक्स तो मुझे तुम्हें कहना चाहिए।
मैं उसके होंठों पर एक किस लेकर बाहर आ गया और बाइक उठाकर चल दिया। कोमल दरवाजे पर खड़ी हुई मुझे जाते हुए देख रही थी।

मैं सीधा अपूर्वा के घर पहुंचा। पहुंचकर मैंने बैल बजाई।
कुछ देर बाद दरवाजा खुला, सामने नवरीत खड़ी थी।
हाय, कहते हुए मैं अंदर जाने लगा।
जैसे ही मैं अंदर घुसा नवरीत ने मेरे गाल पर एक तमाचा जड़ दिया। मैं तो वहीं पर एक दम सुन्न हो गया, मेरा हाथ मेरे गाल पर पहुंच गया और आंखे नवरीत को देखने लगी।
सॉरी, ज्यादा तेज लग गया, मैं तो बस हल्का सा मारना चाहती थी, नवरीत ने अपना हाथ मेरे गाल पर मेरे हाथ के उपर रखकर सहलाते हुए कहा।
पर क्यों मारना चाहती थी, मैंने क्या किया है?, मैंने अपना हाथ उसके हाथ के नीचे से निकालते हुए कहा।
उसका हाथ अब सीधा मेरे गाल को सहला रहा था।
मेरी बात सुनकर उसने मेरा हाथ पकड़ा और खिंचते हुए मुझे उपर ले गई अपूर्वा के रूम में। अंकल आंटी नीचे ही सोफे पर बैठे हुए थे। मैंने उन्हें गुड इवनिंग कहा। पर नवरीत तो मुझे खींचे ही ले जा रही थी। रूम में जाते ही मैंने देखा कि अपूर्वा बेड पर औंधी लेटी हुई है।
लो ले आई हूं पकड़ कर, अब सम्भहाल लेना अपने सैया को, कहते हुए नवरीत ने मुझे हाथ से खिंच कर बेड की तरफ धकेल दिया।
उसके मुंह से सैंया सुनकर मैं तो हक्का-बक्का ही रह गया था, अपूर्वा भी उसकी बात सुनकर एकदम से उठकर बैठ गई।
उसकी आंखे एकदम से लाल थी और गालों पर सूखे आंसुओं की पट्टी दिखाई दे रही थी। उसको इस तरह देखकर नवरीत की कही बात तो हवा हो चुकी थी।
अपूर्वा मुझे देखते उठने लगी। मैं उसकी ये हालत देखकर सीधा उसके पास पहुंचा।
क्या हुआ, तबीयत तो ठीक है ना, ज्यादा तो खराब नहीं हो गई, मैंने बेड पर बैठकर उसके गालों को अपने हाथों में लेते हुए कहा।
अपूर्वा ने अपने हाथ मेरे हाथों पर रख दिये और फिर अगले ही पल घुटनों के बल उठकर मेरे गले लग गई।
मैं बेड पर पैर नीचे करके बैठा था और वो बेड पर घुटनों के बल खडी थी, तो गले मिलने पर बस हमारी गर्दन ही एक दूसरे को टच हो रही थी। उसके हाथ मेरे कमर में कस गये।
ओह,, बेबी,, कया हुआ,, तुम रो क्यों रही हो,, मैंने उसकी कमर को सहलाते हुए कहा।
मेरी नजर बेड पर रखे तकिये पर पड़ी, जो काफी गीला था। शायद नवरीत ने मुझे तकीये की तरफ देखते हुए देख लिया था।
पूरे एक घण्टे से आंसु बहा रही है, गीला तो होना ही था, नवरीत ने कहा।
हम काफी देर तक ऐसे ही गले लगे रहे। जब अपूर्वा कुछ शांत लगने लगी तो मैंने उसे अपने से अलग किया और उसके चेहरे को हाथों में लेकर उसकी आंखों में देखने लगा। उसने एक बार तो मेरी आंखों में देखा, और फिर अपनी पलकें झुका ली।
क्या हुआ बेबी, बताओ तो, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
ये नहीं बतायेगी, मैं बताती हूं, नवरीत ने बेड पर बैठते हुए कहा।
अपूर्वा ने उसकी तरफ घूरकर देखा और ना के इशारे में गर्दन हिला दी।
ना की बच्ची, फिर रो क्यों रही थी, नवरीत ने उसकी नाक को दबाते हुए कहा।
कुछ बताओगे भी क्या हुआ, या ऐसे ही पहेलियां बुझाते रहोगे,, मैंने परेशान होते हुए कहा।
देखो जी, बात ऐसी है, ये मेरी बहन अपूर्वा,,, आपसे,,,, नवरीत के मुंह से इतना ही निकला था, कि अपूर्वा ने उसे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और उसके मुंह को अपने हाथ से बंद कर लिया।
नवरीत ने उसे बेड पर एक तरफ धकेला और उठकर थोड़ी दूर जाकर अपूर्वा की तरफ जीभ निकालने लगी। अपूर्वा खड़ी होकर उसके पिछे भागी।
जीजू,,, देख लो इसको,,, कहते हुए वो बाहर की तरफ भाग गई और अपूर्वा उसके पिछे पिछे।
इस ‘जीजू’ शब्द ने और दिमाग खराब कर दिया। अभी अपूर्वा रो क्यों रही थी वो टैंशन तो खत्म नहीं हुई थी और उपर से ये ‘जीजू’ शब्द।
देख लो आंटी, ये आपकी लाडली को, मेरे को मार रही है, नीचे से नवरीत की हल्की हल्की आवाज आई।
क्यों लड रहे हो बेटा, और तुम आराम क्यों नहीं कर रही, कहीं गिर-विर जाओगी तो, चलो उपर जाकर आराम करो, आंटी की आवाज आई।
और समीर भी तो आया था अभी, फिर से आंटी की आवाज आई।
इधर ही आंटी, इनको तो लड़ने की पड़ी हुई है, तो मैं अपना आराम से बेड पर बैठ गया, बाहर आकर ग्रिल के सहारे खड़े होते हुए मैंने कहा।
मम्मी देख लो इसको, ये मुझे परेशान कर रही है, अपूर्वा ने नवरीत का हाथ पकड़कर आंटी की तरफ देखते हुए कहा।
मैं तो बताउंगी, नवरीत ने फिर उसे जीभ निकाल कर चिड़ाते हुए कहा।
अरे तो मैं भी तो कब से सुनने के लिए बेताब हूं, बताउंगी, बताउंगी कर रही हो, बता कुछ रही नहीं हो, मैंने उपर से ही कहा।
जीजू,, वो ये,, ये,,, उउहहह,,, अभी नवरीत बात पूरी कर भी नही पाई थी कि अपूर्वा ने फिर से उसके मुंह को हाथ से बंद कर दिया।
छोड़ो सबकुछ, पहले ये ‘जीजू’ का चक्कर समझाओ मुझे, इस ‘जीजू’ शब्द ने दिमाग खराब कर रखा है, मैंने सीढ़ियों की तरफ आते हुए कहा।
तभी नवरीत अपूर्वा से हाथ छुड़ाकर उपर की तरफ भागी और अपूर्वा उसके पिछे-पिछे।
मान जाओ तुम मरजानियों,,,,, गिर गई तो चोट लग जायेगी,,, आंटी ने उन्हें डांटते हुए कहा, पर किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
जीजू,,, कहते हुए नवरीत आकर मेरे पिछे खड़ी हो गई।
जब भी ये जीजू शब्द सुनाई देता, दिमाग टेंशन में आ जाता। नवरीत के मेरे पिछे आने से अपूर्वा वहीं खड़ी हो गई।
मैं उसके पास गया और उसके बालों को ठीक करके उसका हाथ पकड़ कर अंदर की तरफ चल दिया। अंदर आकर मैंने उसको बेड पर बैठाया।
पहले तो तुम ये बताओ कि रो क्यों रही थी, मैंने उसके पास बैठकर उसके बाल संवारते हुए कहा।
आप नहीं आये इसलिए, नवरीत ने जल्दी से कहा और मेरे साइड में होकर खडी हो गई।
अपूर्वा ने अपना चेहरा नीचे कर लिया और अपने पैर के अंगूठे से चद्दर को कुरेदने लगी।
मैं आ तो गया, मैंने अपूर्वा के चेहरे को पकड़ते हुए उपर उठाते हुए कहा।
अरे तो लेट आये हो ना, कहकर गये थे कि ऑफिस से सीधे आओगे, पर टाइम देखिये साढे छः बज गये हैं, इतने लेट आओगे तो इतने सोचा कि वैसे ही कहकर चले गये, आओगे ही नहीं, नवरीत ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
अरे तो इसमें रोने की क्या बात है, बस लेट हो गया, ऑफिस से लेट निकला था, मैंने अपूर्वा के गालों को सहलाते हुए कहा।
तो इसमें रोने की बात ये है कि आप झूठे हो, आपने फोन भी नहीं किया कि लेट हो जाउंगा, बस इसलिए दीदी रो रही थी, नवरीत ने मेरे कंधे को दबाते हुए कहा।
हूंह,,, प्याली बेबी,,, कहते हुए मैंने अपूर्वा का सिर अपने सिने में रख लिया और अपूर्वा भी सरक कर मेरी बाहों में समा गई।
आप एकदम बुद्धु हो, इतना भी नहीं समझ सकते,, नवरीत ने मेरे कंधे पर मुक्का मारते हुए कहा।
क्या नहीं समझ सकता, मैंने कहा और समझने की बात आते ही मुझे ‘जीजू’ शब्द याद आ गया, परन्तु फिर भी मैं पहले नवरीत के जवाब का इंतजार करने लगा।

क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:19 PM,
#53
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बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--53
गतांक से आगे ...........
हे भगवान, पता नहीं तुने कुछ दिमाग-विमाग भी दिया है कि नहीं इनको, निरे ठूंठ महाराज है, नवरीत ने कहा और आकर सामने बेड पर बैठ गई और अपूर्वा के बालों में हाथ फिराने लगी।
दीदी, आपने तो एकदम बुद्धू को चुना है, नहीं तो कोई स्मार्ट लड़का होता तो, इतने में तो बारात लेके आ जाता, नवरीत ने अपूर्वा को छेड़ते हुए मेरी तरफ बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा।
अब इसमें बारात की क्या बात आ गई, मैंने नवरीत की तरफ देखते हुए कहा।
अपूर्वा ने अपने हाथ मेरी कमर पर कस दिये थे, और मेरे सीने में दुबक सी गई थी। अब वो अपनी कमर मेरे पैरों के सहारे लगाकर अपना चेहरा मेरे सीने में छुपाये हुई बैठी थी।
हे भगवान, क्या करूं इस लड़के का, निरा है एकदम,,, कुछ अक्ल-वक्ल भी है या नहीं, नवरीत ने अपने माथे में हथेली मारते हुए कहा।
उधर दीवार पर सही तरह से फूटेगा, मैंने हंसते हुए नवरीत को छेड़ा।
आपकी तो मैं, नवरीत ने मेरी तरफ मुक्का दिखाते हुए दांत भींचकर कहा।
आंटी, कहां इनके चक्कर में पड़े हो आप, कोई अच्छा सा लड़का देखकर अपूर्वा की शादी कर दो, यहां मुझे कुछ फायदा नहीं दिख रहा, नवरीत ने चिल्लाते हुए बाहर की तरफ मुंह करते हुए कहा और फिर अपूर्वा को गुदगुदी करने लगी।
अपूर्वा ने उसका हाथ एक तरफ झटक दिया और, और भी ज्यादा मुझसे चिपक गई। मेरे हाथ उसके बालों को सहला रहे थे।
दीदी, मैं साफ साफ बता रही हूं, फिर मत कहना, नवरीत ने अपूर्वा की तरफ घूरते हुए कहा।
पर अपूर्वा तो मेरी बाहों में गुम हो गई थी। उसने कोई जवाब नहीं दिया।
तुम्हारे बस का नहीं है, मैं बताती हूं, आवाज सुनकर हमने दरवाजे की तरफ, आंटी अंदर आती हुई कह रही थी।
क्या बात है आंटी, कोई सीरियस बात है क्या, मैंने थोड़ा गंभीर चेहरा बनाते हुए कहा।
बेटी, अपूर्वा, चलो दूर हटो, मुझे बात करनी है समीर से, आंटी ने अपूर्वा के बालों में हाथ फेरते हुए कहा।
अपूर्वा अपनी नजरें झुकायें हुए मुझसे दूर होकर बैठ गई। उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर तुरंत ही अपने हाथों में अपना चेहरा छिपा लिया और अपने घुटने मोड कर चेहरा उनमें छिपा लिया।
आओ बेटा, आपसे कुछ बातें करनी हैं, नीचे तुम्हारे अंकल भी बैठे हैं, आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैं कन्फयूज चेहरे से उन्हें देखते हुए खड़ा हो गया और आंटी के साथ साथ नीचे आ गया।
आओ बेटा, बैठो, अंकल ने सोफे की तरफ इशारे करते हुए कहा।
मैं सोफे पर बैठ गया, आंटी अंकल के पास बैठ गई।
देखो बेटा, वैसे तो ये बातें बड़े आपस में तय करते हैं, पर अब तुम्हारे मॉम-डैड यहां पर है नहीं, तो तुमसे ही बात कर लेते हैं, अंकल ने कहा और फिर गला साफ करने लगे।
अपूर्वा तुमसे बहुत प्यार करती है, और तुमसे शादी करना चाहती है, अंकल ने कहा और फिर मेरी तरफ देखने लगी।
अंकल की बात सुनते ही मेरा मुंह खुला का खुला रह गया, मेरा दिमाग एकदम से झनझना गया। समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूं, बस मुंह खोले कभी अंकल को तो कभी आंटी को देखता रहा।
मक्खी घुस जायेगी, ऐसे मुंह खोले बैठे रहोगे तो, नवरीत ने मेरी ठुड्डी के नीचे हाथ लगाकर मेरे मुंह को बंद करते हुए कहा।
मैंने गर्दन घुमाकर देखा, नवरीत मेरे पिछे सोफे का सहारा लेकर खड़ी थी, परन्तु अपूर्वा कहीं नहीं दिखाई दी।
फिर मैंने अंकल-आंटी की तरफ देखा, वो अभी भी मेरे से कुछ सुनने के लिए उसी तरह मेरी तरफ देख रहे थे।
आज पहली बार शादी की बात सुनकर मेरे दिल में कहीं एक गहरा, बहुत ही मीठा सा अहसास हुआ था, नहीं तो आज से पहले जब भी मेरी शादी की बात आती थी तो मैं टाल-मटोल करता रहता था।
मेरा मानना है कि पहले बढ़िया तरह से लाइफ में सैटल हो जाओ, और उसके बाद ही शादी करो, नहीं तो बाद में फिर दुखी ही होना पड़ता है। इसलिए मैं हमेशा शादी की बातों को टाल दिया करता था। परन्तु आज कुछ अलग ही बात थी, मेरे मन में बहुत खुशी हो रही थी।
और हो भी क्यों ना, अपूर्वा जैसी खूबसूरत, प्यारी-सी, एकदम मासूम, केयरिंग, और इन सबके साथ साथ चंचल भी, उसकी आंखों से झलकती चंचलता हमेशा ही मुझे उसकी तरफ आकर्षित करती थी, परन्तु मैं हमेशा एक अच्छे दोस्त की तरह उसे देखता था।
परन्तु आज जब अंकल आंटी ने हमारी शादी की बात की तो, मन में लड्डू से फूट रहे थे। मेरी नजर बार बार उपर अपूर्वा के कमरे की तरफ जा रही थी।
अंकल, पर मैं,, उसे,, उसने,,, मेरा मतलब उसने कभी बताया नहीं, बड़ी मुश्किल से मुझे कहने के लिए कुछ शब्द मिले और कहकर मैं फिर उपर की तरफ देखने लगा।
बेटा वो तो पगली है, हमें सब कुछ बताती रही, पर आपको कुछ नहीं बताया,,, और हमें भी मना कर देती थी, आंटी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा।
आज 5 बजे से तुम्हारा इंतजार कर रही थी, तुम नहीं आये तो रोना शुरू कर दिया, इसलिए आज हमने तुमसे बात करनी ही ठीक समझी, आंटी ने कहा।
मैं तो जैसे ख्वाबों की दुनिया में पहुंच चुका था और बस अंकल-आंटी की बातें सुने जा रहा था।
आज अपूर्वा के साथ शादी की बात सुनकर जो अहसास जागा था, वो मुझे चैन नहीं लेने दे रहा था। अपूर्वा मुझसे प्यार करती है और मैं बेवकूफ समझ नहीं पाया, ये सोचकर मुझे खुदपर गुस्सा भी आ रहा था और हंसी भी।
किसी बात की कोई जल्दी नहीं है बेटा, बस अब आपको पता चल गया है कि वो आपसे प्यार करती है, हमारा काम अब तुम्हारी हां होने के बाद शुरू होगा, तब तक वो जाने और तुम जानो, आंटी ने कहा।
हमें तुम पसंद हो, और इससे बड़ी बात हमारी बेटी को भी पसंद हो, अब रह जाते हैं तुम और तुम्हारे घरवाले, तो उनसे भी बात कर लेते हैं, अंकल ने कहा।
अंकल की बात सुनकर मैं सोचने लगा और मेरा हाथ अपने आप मेरे सिर पर जाकर खुजलाने लगा।
जी, जैसी आपकी मर्जी, पर मैं पहले अपूर्वा से बात करना चाहूंगा, और वैसे भी मैं अभी शादी नहीं करना चाहता तो, मुझे कुछ टाइम चाहिए सोचने के लिए, बस मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि अपूर्वा मुझसे,,,, मैंने सिर खुजाते हुए कहा।
हां-हां क्यों, नहीं, आप बातें करो, आराम से उपर बैठकर, आंटी ने उपर की तरफ इशारा करते हुए कहा।
नहीं, नहीं, आंटी, अभी तो टाइम नहीं है, आज गांव जा रहा हूं, परसों तक वापिस आ जाउंगा, फिर आने के बाद बात करूंगा, मैंने सिर खुजाते हुए कहा।
मैं रिश्ते वाली बात नहीं बताना चाहता था।
हां, अपूर्वा ने बताया था, तुम्हारा कोई रिश्ता वगैरह की बात चल रही है, उसके सिलसिले में जा रहे हो, बस इसीलिए हमनें अभी बात करनी ठीक समझी, अंकल ने कहा।
अपूर्वा की बच्ची, सब कुछ बता रखा है और मुझसे इतनी बड़ी बात छुपा रखी है, मैंने मन ही मन सोचा।
अब तक मेरा दिमाग शुन्य से कुछ बाहर आ गया था और सोचने समझने की स्थिति में आ गया था।
जी वो मम्मी पिछे पड़ी हुई है शादी के, पर मैं अभी नहीं चाहता, पर फिर भी जाना तो पड़ेगा, बस इसलिए, नहीं तो वहां तो मैं मना ही करने वाला था, मैंने कहा।
फिर भी बेटा कुछ पता नहीं होता, वहां पर जाकर लड़की तुमको पसंद आ जाये, और तुम हां कर दो, तो इसलिए, आंटी ने कहा।

तभी मेरा मोबाइल बजने लगा। मैंने जेब से मोबाइल निकाला, सोनल का था। मैंने साइलेंट करके वापिस जेब में डाल लिया।
जी आंटी अब वो भी देखते हैं, क्या होता है, रब जो चाहेगा, वही होगा, उसकी रजा के बगैर तो पत्ता भी नहीं हिल सकता, मैंने कहा।
एकदम सही बात भई, जैसी रब की मर्जी होगी, वैसा ही होकर रहेगा, उसकी मर्जी को कोई नहीं टाल सकता, अंकल ने कहा।
अब तुम आराम से घर जाओ, वहां पर क्या होता है, आकर हमें बताओ, फिर हम अपनी तरफ से कार्यवाही करते हैं, अंकल ने कहा।
जी अंकल, मैंने कहा।
अच्छा अंकल अब मैं चलता हूं, फिर गांव के लिए भी निकलना है तो, लेट हो जाउंगा, मैंने कहा।
ओके बेटा, धयान से जाना, अंकल ने कहा।
मैंने उठकर अंकल-आंटी के पैर छूए और नवरीत को बायें कहते हुए उपर की तरफ देखा।
एक मन तो कर रहा था कि उपर जाकर अपूर्वा से मिलूं और फिर दूसरा मन कह रहा था कि अभी नहीं, उससे बाद में बात करता हूं।
फिर मैं कुछ सोचकर उपर की तरफ चल दिया। नवरीत भी मेरे पिछे पिछे चल दी।
नवरीत, इधर आ बेटा, उपर पहुंचने से पहले ही नीचे से आंटी की आवाज आई और नवरीत वापिस नीचे चल दी।
अंदर आकर मैंने देखा, अपूर्वा बेड पर औंधी लेटकर कोहनियां बेड पर टिकाकर अपना चेहरा उपर उठा रखा था।
मुझे देखते ही उसने अपने पलकें झुका ली और उसका चेहरा लाल हो गया।
मैं उसके पास जाकर खडा हो गया और उसके देखता रहा। जब कुछ देर तक मैं कुछ नहीं बोला तो उसने अपना चेहरा उपर उठा कर देखा, और मुझे खुदको घूरते हुए पाकर तकिये में अपना चेहरा छुपा लिया।
मैं बेड पर बैठ गया, और उसका बालों को सहलाते हुए उसके चेहरे को पकड़कर उपर उठाया। उसकी आंखे बंद थी।
अपूर्वा, मैंने कहा।
हूं,,, उसने बस इतना ही कहा।
आंखे खोलो, मैं तुम्हारी आंखों में देखना चाहता हूं कि इनमें कितना प्यार है मेरे लिये, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
मुझे शर्म आ रही है, कहते हुए अपूर्वा ने अपने चेहरे को अपने हाथों से छुपा लिया।
मेरे दिमाग में बहुत ज्यादा हलचल मची हुई थी। मैं अपूर्वा से प्यार नहीं करता था, परन्तु फिर भी ये सब जानकर दिल में बहुत ही ज्यादा खुशी महसूस हो रही थी। शायद किसी के द्वारा चाहे जाने का जो आनंद होता है, वो दुनिया की सबसे बड़ी खुशी देता है।
वैसे भी अपूर्वा इतनी प्यारी है कि कोई भी उसे देखते ही प्यार करने लग जाए, बस हमारी पहले दोस्ती हो गई और मैं अभी तक उस दोस्ती में ही बंधा हुआ था। पर अपूर्वा मुझसे इतना प्यार करती है, और मैं उसे सिर्फ दोस्ती समझता रहा।
मेरे दिमाग में वो सारी बातें घूम रही थी, अपूर्वा का बार बार मेरी बाहों में समा जाना, मेरे गले लगना, मुझे प्यार से देखते रहना, वो मेरे कंधे पर सिर रखकर बैठे रहना, और कभी कभी मुझ पर झुंझला पड़ना।
वो आंटी और नवरीत का जीजू कहना। मतलब सबको पहले से पता था, बस एक मैं ही हूं जिसे नहीं पता,,,,,,,।
अब मेरी समझ में आ रहा था कि उसने कितने बार अपना प्यार मुझे दिखाना चाहा, पर मैं ही समझ नहीं पा रहा था। अगर पहले मुझे पता चल जाता कि अपूर्वा मुझसे प्यार करती है, तो अब तक तो मैं भी उसके प्यार में गिरफ्रतार हो चुका होता।
वैसे भी अभी तक मैं किसी और के प्यार में चक्कर में नहीं पड़ा हूं, तो अपूर्वा के द्वारा चाहे जाने का वो सुख, वो आनंद, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझमें उसके प्रति प्यार जगा गया। प्यार तो उससे मैं पहले भी करता था, परन्तु एक दोस्त की तरह, अब वो प्यार दोस्त की तरह ना रहकर, प्रेमिका की तरह हो चुका था, परन्तु मैं अभी भी पूरी तरह से नहीं समझ रहा था।
बस दिल में एक अहसास सा था, जिसको दिमाग को समझने में शायद अभी समय लगना था।
अपूर्वा, ओके मैं जा रहा हूं, परसों सुबह तक वापिस आउंगा, कहकर मैंने एक बार फिर से उसके चेहरे को देखा।
एकदम लाल चेहरा जिसे वो अपने हाथों से छुपाने का प्रयास कर रही थी।
मैं खड़ा हो गया और उसके चेहरे केा देखता रहा। कुछ देर के बार अपूर्वा ने अपना चेहरा उपर उठाया और आंखे खोलकर देखा तो मैं सामने ही खड़ा था।
मुझे देखते ही उसने फिर से अपना चेहरा तकिये में छुपा लिया।
उठो ना, देखों कैसे शर्मा रही हो, अब तक तो नहीं शर्माती थी, तो अब क्यों शर्मा रही हो, कहते हुए मैंने उसकी कमर को पकड़कर उसे पलटते हुए अपनी तरफ खींच लिया।
अपूर्वा एक बेल की तरह मुझसे लिपट गई और अपने हाथों को मेरी कमर पर कस दिया। उसकी गरम सांसे मुझे अपनी कानों पर महसूस हो रही थी।
उसकी उभार मेरी छाती में दब गये थे, और उसकी तेज चलती सांसों के साथ बार बार दबाव बढ़ा रहे थे।
उसके इस तरह एकदम मुझसे लिपटने से मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं बेड पर पिछे की तरफ लुढ़कर गया। अपूर्वा साथ साथ मेरे उपर। अब मैं नीचे बेड पर था और अपूर्वा मुझसे लिपटी हुई मेरे उपर।
उसने एक बार चेहरा उठाकर मेरी आंखों में देखा और फिर मुझे मुस्कराता हुआ पाकर वापिस अपना चेहरा छुपा लिया।
‘आई लव यू’ मेरे कानों में बहुत ही धीमी सी, मधुर आवाज गूंजी, और जैसे चारों तरफ संगीत की धुन घुल गई हो, ऐसा एहसास दिला गई।
इतना कहकर उसने अपने गालों को मेरे गालों से सटा लिया।
‘आई लव यू टू’ प्यार के उस सागर में मैं बह चुका था। बेशक मैं हमारे रिश्ते को दोस्ती का नाम देता रहा था, परन्तु उसमें कहीं ना कहीं प्यार तो छुपा ही हुआ था, जो आज उसके इजहार करते ही निकल कर सामने आ गया और मैं उसमें बह चुका था।

ये प्यार का अहसास मेरे दिलों दिमाग में भर चुका था और मैं इस लम्हें को भरपूर जीना चाहता था। मैंने अपने हाथ उसकी कमर पर अच्छी तरह से कस दिये और अपने सीने से चिपका लिया।
मुझे अपने गालों पर कुछ गीला सा महसूस हुआ, मैंने तुरंत अपूर्वा का चेहरा उपर उठाया, उसकी आंखों में आंसु थे।
उसके आंसु देखकर मैं परेशान हो उठा। मैं उठकर बैठ गया और उसको अपनी गोद में बैठा लिया।
क्या हुआ बेबी, रो क्यों रही हो, मैंने उसके आंसु साफ करते हुए पूछा।
उसका अपना सिर मेरी छाती में रख दिया। उसका एक गाल मेरी छाती पर टिक गया और वो मुझे अपनी बाहों में भरकर उस पल को जीने लगी।
मैंने कबसे इस पल का इंतजार किया है, कितना तड़पी हूं मैं इस पल के लिये, उसने रूंधे हुए गले से कहा।
मुझे माफ कर देना बेबी, मुझे तुम्हारे प्यार को समझने में देर लगी, मैंने उसके आंसुओं को पौंछते हुए कहा।
मेरा एक हाथ उसके बालों को सहला रहा था।
क्रमशः.....................
Reply
06-09-2018, 02:19 PM,
#54
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--54
गतांक से आगे ...........
कुछ तो शर्म करो, यहां घर पर और भी लोग हैं, कैसे बेशर्मों की तरह चिपके हुए हो, नवरीत मुस्कराते हुए अंदर आई और आकर बेड पर बैठ गई।
तो जीजू.............................. मुझे लगता है जिस तरह से आप दोनों एक दूसरे से चिपके हुए हैं तो मैं अब बेखटके जीजू कह सकती हूं, है ना, नवरीत ने आंखे नचाते हुए कहा।
क्यों नहीं, बिल्कुल....... एक ही तो साली साहिबा है हमारी....... वो जीजू ना कहेगी तो कौन कहेगा,,, मैंने हंसते हुए कहा।
तो फिर कब हमें लड्डू खाने को मिलेंगे........ नवरीत ने अपनी पूरी चंचलता को अपने चेहरे पर लाते हुए कहा।
बस इतनी सी बात, अभी ले आता हूं, ये भी क्या बात कही आपने, हमारी साली को लड्डू खाने हैं, तो बोलो कौनसे हलवाई के ज्यादा पसंद है,,, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
मुझे किसी हलवाई-वलवाई के लड्डू नहीं खाने, मैं तो आपकी शादी के लड्डू की बात कर रही हूं हां,,,, नवरीत ने थोड़ा नाराज होते हुए कहा।
अरे शादी के लड्डू तो पुरानी बात हो गई, अब तो शादियों में रसगुल्ले, गुलाब जामुन, बर्फी वगैरह बनती हैं, मुझे उसे छेड़ने में मजा आ रहा था।
तो कब खिला रहे हो गुलाब जामुन, नवरीत ने अपूर्वा की कमर में चिकोटी काटते हुए कहा।
आइइइइइइइ,,,,,,,,, अपूर्वा ने नवरीत के हाथ को झटक दिया।
आज आप घर जा रहे थे ना, नवरीत ने कहा।
जा रहा था नहीं, जा रहा हूं, मैंने कहा।
अब रात में, नवरीत के चेहरे पर हल्के से आश्चर्य के भाव थे और उसकी उंगली मेरी तरफ उठ गई थी।
जी साली साहिबा बिल्कुल,,, रात का सफर मुझे बहुत पसंद है, मैंने कहा।

हम्मममम,,,, नवरीत ने इतना ही कहा।

तभी फिर से मेरा मोबाइल बजने लगा। मैंने जेब से मोबाइल निकाल कर देखा, सोनल का था। मैंने कॉल पिक की।
कहां हो अब तक, कब से फोन कर ही हूं, आना नहीं है क्या,,, सोनल की गुस्से से भरी आवाज मेरे कानों में पड़ी।
आ रहा हूं, अपूर्वा की तबीयत ठीक नहीं थी तो ऑफिस से सीधा इधर आ गया था, पूछने के लिए, मैंने धीरे से कहा।
क्या हुआ अपूर्वा को, सुबह तो एकदम ठीक थी, उसका लहजा अब नरम हो चुका था।
वो दिन में ऑफिस में फिर से बुखार हो गया था, मैंने कहा।
अब कैसी है, सोनल ने पूछा।
अब ठीक है, मैंने कहा।
आप कितनी देर में आ रहे हैं, सोनल ने पूछा।
बस अभी निकल रहा हूं, दस मिनट में पहुंच जाउंगा, कोई खास बात, मैंने कहा।
हां, बहुत खास बात है, आप जल्दी से आ जाओ, बाये, कहकर सोनल ने फोन काट दिया।
मुझे थोड़ा डाउट हुआ कि ऐसी क्या खास बात हो गई, पर फिर ज्यादा धयान नहीं दिया।
मैंने अपूर्वा के चेहरे को पकड़कर अपने सामने किया। वो तो मुझसे दूर होने को तैयार ही नहीं हो रही थी, मुझे कसकर अपनी बाहों में भर रखा था।
चेहरे को सामने करके मैंने उसके माथे पर एक चुम्मा दी, उसकी आंखें बंद थी। वो बस उस पल को महसूस किये जा रही थी।
ओके अब मैं चलता हूं, नहीं तो फिर लेट हो जाउंगा, मैंने कहते हुए अपूर्वा को खुद से दूर किया।
ऐसे कैसे जीजू, अब तो आप इस घर के दामाद हो गये हो, नवरीत ने आंखें नचाते हुए कहा।
तो फिर जाने नहीं दोगी क्या, मैंने कहा।
वैसे अगर मेरा बस चले तो जाने ही नहीं दूं, पर जाने से कौन रोक रहा है, नवरीत ने कहा।
तो फिर, मैंने शंकित होते हुए कहा।
खाना तैयार हो रहा है, खाना खाकर जाना है, नवरीत ने कहा।
अरे,,,,,,,, मेरी बात पूरी होने से पहले ही नवरीत ने अपने होंठों पर उंगली रखकर शााससससससससससस कर दिया।
हम्ममम,, अब साली साहिब का आदेश है तो, मना भी नहीं किया जा सकता, जी तो लाइये खाना, मैंने कहा।
बस अभी तैयार हो जायेगा,,,,, आप तब तक दीदी के साथ बातें कीजिए, मैं अभी लगाती हूं, कहते हुए नवरीत उठ गई और बाहर चली गई।
उसके जाते ही अपूर्वा ने लेट कर अपना सिर मेरी गोद में रख लिया। उसकी आंखें तो रोने के कारण लाल थी ही, परन्तु उसका चेहरा भी शरम से लाल था। वो अपनी आंखें तो खोल ही नहीं रही थी। मैंने उसके बालों में हाथ डालकर उनसे खेलने लगा। और दूसरे हाथ से उसके गालों को सहलाने लगा।
अब घर जाने की क्या जरूरत है, अपूर्वा ने इजहार करने के बाद पहली बार आंखें खोलकर मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।

अरे, जो रिश्ते वाले आ रहे हैं उनको मना करना है और फिर तुम्हारी रिश्ते की बात भी तो बतानी है घर वालों को, मैंने झुक कर उसके माथें को चूमते हुए कहा।
हम्मममम,,,, अपूर्वा ने इतना ही कहा।
सोनल का फोन किसलिए आया था, वो क्यों बुला रही है, अपूर्वा ने कहा।
उसकी आंखें फिर से बंद हो चुकी थी और उसका हाथ उसके बाल पर रखे मेरे हाथ पर आ चुका था।
पता नहीं, कह रही थी कि जरूरी काम है, बाकी कुछ बताया नहीं, मैंने कहा।
अच्छा आपके घर वाले मान जायेंगे इस रिश्ते के लिए, अपूर्वा ने चेहरे पर थोड़े शंका के भाव लाते हुए कहा।
क्यों नहीं मानेगे,,, मैंने उसके चेहरे पर आई बालों की एक लट को संवारते हुए कहा।
नहीं, जाति अलग अलग है ना, अपूर्वा ने कहा।
अरे तो क्या हुआ, न तो मैं इन सब चीजों को मानता हूं और न ही मेरे घर वाले,,,,, मैंने उसके गाल को भींचते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा के चेहरे पर खुशी छा गई।
चलिए अब बहुत हो गई बातें, खाना लग गया है, नवरीत ने अंदर आते हुए कहा।
अपूर्वा उठकर बैठ गई।
महारानी जी, अब बैठी ही रहेंगी या चलेंगी भी, नवरीत ने उसका हाथ पकड़कर खींचते हुए कहा।
अपूर्वा बेड से नीचे उतर गई और उसके साथ साथ मैं भी खड़ा हो गया। नवरीत अपूर्वा को खींचते हुए बाहर ले आई।
ठहर तो मैं फ्रेश तो हो लूं, अपूर्वा ने कहा।
नवरीत ने एक बार उसकी तरफ देखा, और फिर हंसते हुए बोली, अच्छा तो चल जा जल्दी से आंसु साफ कर आ जा।
अंकल आंटी पहले ही खाने की टेबल पर पहुंच चुके थे। हम आकर बैठ गये।
तो क्या बातें हो रही थी, चुपके-चुपके,,, अंकल ने सब्जी डालते हुए कहा।
जी कुछ नहीं, बस ऐसे ही,,, मैंने थोड़ा सा शरमाते हुए कहा।
लिजिए, आज अपनी साली के हाथ से खाइये,,, नवरीत ने एक निवाला मेरी तरफ करते हुए कहा।
मैं मुस्कराया और फिर अपना मुंह खोल दिया। नवरीत ने निवाला मेरे मुंह में ठूंस दिया।
पर जैसे ही मैंने उसमें अपने दांत लगाये, मैं सीधा बाथरूम की तरफ भागा। मैंने उस निवाले को थूंका और अच्छी तरह से कुल्ला करके वापिस आया।
आपको तो मैं देख लूंगा, बदला लेकर रहूंगा, मैंने चेहरे पर नकली गुस्से के भाव लाते हुए कहा।
लीजिए देख लिजिए, आपके सामने ही तो हूं, नवरीत ने खिलखिलाते हुए कहा।
दरअसल उसने उस निवाले में बहुत ही ज्यादा नमक और मिर्च डाल रखी थी। शायद पहले से ही तैयार कर रखा होगा। जैसे ही वो मेरे मुंह में गया, तो मुंह में आग तो लगी ही, साथ ही साथ खारापन घुल गया।
अब सालियां तो ऐसे ही मजाकर करती हैं बेटा, बुरा मत मानना, आंटी ने हंसते हुए कहा।
खाने के दौरान अंकल मेरे घरवालों के बारे में पूछते रहे और अपने बारे में बताते रहे।
जीजू,,, और नहीं खाओगे अपनी साली के हाथ से,,,, बीच-बीच में ये बात कहकर नवरीत मुझे चिढ़ाती रही।
मैं बस उसकी तरफ देखकर मुस्करा देता। अपूर्वा चुपचाप खाना खाये जा रही थी। उसकी नजरें मुझ पर ही थी।
खाना खाकर मैंने अंकल आंटी से विदा ली, और अपूर्वा व नवरीत बाहर तक मुझे छोड़ने आई। जब मैं गेट से बाहर आने लगा तो अपूर्वा आकर मुझे लिपट गई।
ओए होए,,, देखों कैसे तड़प रही है, अब बस भी कर, जाने देगी तभी तो लौट कर आयेंगे, नवरीत ने उसे छेंड़ते हुए कहा।
अपूर्वा कुछ देर तक ऐसे ही मुझसे लिपटी रही, मैंने भी उसे बाहों में भर लिया। पिछे खड़ी रीत ने मेरी तरफ हाथ से परफेक्ट का इशारा किया।
मैंने अपूर्वा को खुद से अलग किया और उसका माथे चूमते हुए बाये कहा और बाइक स्टार्ट करके चल दिया।
बाये जीजू, जल्दी आना, मेरी दीदी इंतजार में कमजोर ना हो जायें कहीं, नवरीत ने पिछे से चिल्लाते हुए कहा।

घर आकर मैं बाईक खड़ी करके सीधा उपर आ गया। सोनल उपर ही थी। पूनम भी उसके साथ ही खड़ी थी।
तो जनाब को हमारी सुद आ ही गई, सोनल ने मुझे देखते ही कहा।
क्या हुआ, क्या काम था जो इतनी जल्दी हो रही थी, मैंने उससे कहा और पूनम से हाथ मिलाया। पूनम तो सीधे गले ही आ लगी।

पूनम से गले मिलकर मैं लॉक खोलकर अंदर आ गया और फोन करके बस की टिकट बुक करवाई।
कहां जा रहे हो, सोनल ने मेरे फोन रखते ही पूछा।
घर जा रहा हूं, शायद बताया तो था तुम्हें, मैंने टाइम देखते हुए कहा।
9 बज गये थे, साढ़े दस बजे तक मुझे जाकर टिकट लेनी थी।
हम्मम,,, तो रिश्ते के लिए जा रहे हो, सोनल कहा।
कल मैं भी चली जाउंगी, सोनल कहकर मेरी तरफ देखने लगीं
कहां, मैंने पूछा।
बुधवार को ज्वाइन करना है, सोनल ने कहा।
ओहहह,,, ये तो बढ़िया है, जूते उतारते हुए मैंने कहा।
अभी शुरू के कुछ महीने तो हैदराबाद ही रखेंगे, उसके बाद शायद नोयडा आ जाउं, सोनल ने कहा।
नोयडा आने के बाद तो फिर हर वीकेंड पर घर आ जाया करूंगी, सोनल ने मुस्कराते हुए कहा और अपनी बांहे मेरे गले में डाल दी।
ये तो बहुत अच्छी बात है, नहीं तो आंटी अकेली रह जायेगी, कहते हुए मैं उठ गया और कपड़े उतारने लगा।
ओके मैं अब तैयार हो लेता हूं, नहीं तो फिर लेट हो जाउंगा, कपड़े उतार कर बाथरूम की तरफ जाते हुए मैंने कहा।
क्या है, मैं कब से इंतजार कर रही हूं, और तुम हो कि ठीक से बात भी नहीं कर रहे हो, सोनल ने झुंझलाते हुए कहा।
बस मैं एक बार तैयार हो जाता हूं, फिर बातें ही करते हैं, कहते हुए मैं बाथरूम में घुस गया।

नहा धोकर मैं बाथरूम से निकला तो सोनल बेड पर लेटी हुई लैपटॉप पर गाने देख रही थी। मेरे बाहर आते ही वो उठ कर बैठ गई। मैं कपड़े पहनने लगा।
सोनल उठकर मेरे पास आई और मेरे हाथ में पकड़ी शर्ट को छीन लिया और मेरी आंखों में देखने लगी।
अचानक उसने शर्ट को साइड में रख दिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मैं इतनी देर से जिस बात से बचना चाह रहा था वो हो ही गई।
मैंने उसे खुद से दूर किया। वो मेरी तरफ प्रश्नवाचक दृष्टि से देखने लगी।
क्या हुआ, मन नहीं है, सोनल ने वैसे ही मेरी तरफ देखते हुए कहा।
बस पूरे दिन की भाग-दौड़ से थक गया हूं, मैंने कहा।
पर कल मैं चली जाउंगी, और फिर पता नहीं कब मिल पायेंगे, उसने मासूम सा चेहरा बनाते हुए कहा।
मैंने उसे सच्चाई से अवगत करवाना ही ठीक समझा, इसलिए उसे आराम से बेड पर बैठाकर सारी बात समझाई।
मेरी सारी बात वो आराम से सुनती रही और जैसे ही मैंने बोलना बंद किया उसने मेरे चेहरे को पकड़ कर एक किस्सस मेरे होंठों पर दी और फिर पिछे हटकर मेरी तरफ देखकर मुस्कराने लगीं
मैं तुम्हारे लिए बहुत खुश हूं, मैं ब्यान नहीं कर सकती, मुझे इतनी खुशी हो रही है, मुझे पहले से ही पता था कि अपूर्वा आपसे प्यार करती है, और ये भी अंदाजा कुछ कुछ मुझे हो गया था कि आप भी उससे प्यार करते हैं, परन्तु आपके बारे में मैं स्योर नहीं थी, सोनल बस कहे जा रही थी।
थैंक्स सोनल, तुम मेरी जिंदगी में आई पहली लड़की हो, तुमने मुझे जो खुशियां दी हैं, उनका एहसान मैं जिंदगी भर नहीं उतार सकूंगा, कहते हुए मेरी आंखें थोड़ी भीग गई थी।
सोनल ने मेरा चेहरा पकड़ा और मेरी आंखों से ढुलकें उस एक आंसु को टपकने से पहले ही अपने होंठों से पी गई।
मैं चाहूंगी कि हम पूरी जिंदगी ऐसे ही दोस्त बने रहें, क्योंकि मैं तुमसे बहुत ज्यादा अटैच हो चुकी हूं, और मैं तुम्हारी दोस्ती को खोना नहीं चाहूंगी,,, सोनल की आंखों में थोड़ा सा गम भी दिखाई दिया अबकी बार मुझे।
सोनल तुम मेरे सबसे अच्छी दोस्त हो, तुम्हारे अलावा जो मेरी सबसे अच्छी दोस्त थी वो अब मेरी वाइफ बनने वाली है, इसलिए तुम ही मेरी दोस्त बची हो, तो मैं तुम्हें कैसे खोने दे सकता हूं, हम पूरी जिंदगी ऐसे ही दोस्त रहेंगे, तुम परेशान होओ,,, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
कोमल ने मेरी शर्ट उठाई और मुझे पहनाने लगी। शर्ट पहनने के बाद जींस मैंने खुद ही पहन ली। फिर हम चेयर लेकर बाहर आ गये और बैठे बैठे बातें करते रहे। बीच में ही मैंने फोन करके टैक्सी को बुला लिया जो ठीक सवा दस बजे पहुंच गई।
मैंने रूम को लॉक किया। लॉक करने के बाद मैंने सोनल को अपनी बाहों में कस लिया और उसके माथे को चूमते हुए उसे बाये बोला और नीचे की तरफ चल दिया। सोनल भी मेरे साथ साथ नीचे आ गई। टैक्सी में मेरे बैठने से पहले उसने एक बार फिर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगी, सोनल ने धीरे से मेरे कान में कहा।
मैं भी, मैंने कहा।
फिर मैं उसे बाये करके टैक्सी में बैठ गया और डायवर को चलने के लिए कहा।
पौन ग्यारह बजे मैं टरेवल एजेंसी के ऑफिस पहुंच गया। वहां से मैंने टिकट ली और बस के बारे में पूछा।
बस को आने में अभी दस मिनट बाकी थे, मैंने एक पानी की बोतल ली और कुछ स्नैक्स लेकर बस का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद बस आ गई। मैंने अपनी सीट ढूंढी, सिंगल स्लीपर बुक करवाई थी। सीट ढूंढकर मैं आराम से लेट गया और आज पूरे दिन भर में घटी घटनायें मेरे दिमाग में चलने लगी।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:19 PM,
#55
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--55
गतांक से आगे ...........
वाकई में आज पूरे दिन में मेरे साथ काफी कुछ हो चुका था। कोमल की याद आते ही मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। कोमल शायद वो आखिरी लडकी थी जिसके साथ मैंने आज ही शाश्वत सत्य को भोगा था। अब तो सिर्फ अपूर्वा ही थी, उसके अलावा किसी और के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था।
अपूर्वा के घर का धयान आते ही नवरीत की वो छेड़खानी और उसकी खिलखिलाती हंसी की सोचते ही मेरे चेहरे पर भी हंसी छा गई।
बस कब चल पडी मुझे पता ही नहीं चला। कंडेक्टर की आवाज सुनकर मेरा धयान टूटा, वो टिकट दिखाने के लिए कह रहा था। मैंने उसे टिकट दिखाई। जब इन सुनहरी यादों का सिलसिला टूटा तो बस जयपुर से बाहर पहुंच चुकी थी। ठण्डी ठण्डी हवा सर्दी का एहसास दिला रही थी।
तभी मुझे धयान आया कि मैं तो चदद्र या कम्बल कुछ भी नहीं लेकर आया। पर अब क्या हो सकता था। अब तो इस बस में ठण्डी ठण्डी हवा के साथ ही रात गुजारनी थी।
मैंने जूते उतारकर बॉक्स में रख दिये और फिर प्यास महसूस हुई तो मैंने पानी पीया और फिर आराम से लेट कर आंखे बंद कर ली। आंखें बंद करते ही अपूर्वा का वो मासूम चेहरा सामने आ गया। और उसे देखते हुए कब मैं नींद के आगोश में समा गया, पता ही नहीं चला।
सुबह आंख खुली तो, बस रूक चुकी थी। मैंने आंख मसलते हुए बाहर की तरफ देखा, तो बस की छत पर से सामान उतारा जा रहा था, मतलब जहां मुझे उतरना से उससे आगे आ चुका था। परन्तु मैटरो होने से कोई चिंता की बात नहीं थी। मैंने पानी पीया और जूते पहन कर बस से उतर गया। पास में ही मैटरो स्टेशन था, मैंने वहां से घेवरा के लिए मैटरो का टिकट लिया और प्लेटफॉर्म पर आकर टरेन का इंतजार करने लगा। कुछ ही देर में टरेन आ गई। सुबह का टाइम था, तो ज्यादा भीड़ भाड नहीं थी, बस दो-चार पैंसेजर ही प्लेटफॉर्म पर थे। मैंने टाइम देखा तो 6 बज चुके थे।
इंद्रलोक पहुंचकर मुझे टरेन चेंज करनी थी, तो वहां पहुंचने पर मैं उतर गया और घेवरा की तरफ जाने वाली लाइन पर आकर प्लेटफॉर्म पर खड़ा हो गया। कुछ ही देर में टरेन आई और आधे घंटे बाद मैं घेवरा में जीप में बैठा हुआ था। जीप यहां से बहादुरगढ़ तक ले जाती थी। उसके आगे मैक्स में सांपला और वहां से गांव के लिए ऑटो में।
आज मैं छः महीने के बाद गांव आया था। ऑफिस में काम की वजह से छुटटी ही नहीं ले पा रहा था, इसलिए इतने दिनों बाद गांव आना हुआ, और ये भी अगर मम्मी डांट ना लगाती तो शायद अब भी मुश्किल ही था आना।
गांव में आकर ही एक अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी। शहर की भागदौड भरी लाइफ में इतना बिजी हो जाते हैं कि कुछ भी याद नहीं रहता।
गांव में आते ही दोस्तों की याद सताने लगी।
ओये समीर, तू कब आया, अभी मैं ऑटो से उतर कर उसे पैसे देकर आगे चला ही था कि मेरे कानों में मेरे बचपन के दोस्त सोनू की आवाज पड़ी।
मैंने आवाज की तरफ देखा तो वो शहर की तरफ से ही आया था। उसके पिछे बाइक पर उसकी भाभी बैठी थी।
उसने मेरे पास आकर बाइक रोक दी।
बस अभी आ ही रहा हूं यार, मैंने उसे गले लगते हुए कहा। फिर मैंने भाभी को नमस्ते की।
चल जल्दी से बैठ जा, सोनू ने कहा। भाभी नीचे उतर चुकी थी।
अरे यार क्यों भाभी को परेशान करते हो, मैं पैदल ही पहुंच जाउंगा, दो मिनट तो लगनी नहीं, मैंने कहा।
चुपचाप बैठता है या नहीं, भाभी ने थप्पड़ दिखाते हुए कहा।
थप्पड़ ना, मैं तै बैठ ए ज्यांगा,, (थप्पड़ नहीं, मैं तो बैठ ही जाउंगा), मैंने बैठते हुए कहा।
मेरे बैठने के बाद भाभी मेरे पिछे बैठ गई।
बैठ गये ना सब, कदै कोई रह ज्यां, मेरी कोई जिम्मेदारी नी होवैगी,,, (बैठ गये ना सब, कहीं कोई रह ना जा, मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी), सोनू ने हंसते हुए कहा।
चाल, बैठगे, (चल, बैठ गये),, मैंने उसके कंधे पर हाथ मारते हुए कहा।
दो मिनट में ही हम अपने घर के सामने थे।
पकड़ लाई सूं, थारे लाड़ले नै,,,, (पकड़ लाई हूं, तुम्हारे लाड़ले को),, भाभी ने गली में सामने खडी मेरी मम्मी से कहा।

मुझे देखते ही मम्मी के चेहरे पर आई खुशी देखने लायक थी। मैंने मम्मी के पांव छूए, मम्मी ने मुझे सीने से लगा लिया और जैसे ही सीने से हटाया गाल पर एक करारा जड़ दिया।
आरी काकी, यो के करा तने, इतने दिना में तै छोरा आया सै, अर आत्या के साथ धर दिया, (आरी काकी, ये क्या किया आपने, इतने दिनों में तो छोरा आया है, और आते ही के साथ धर दिया), भाभी ने अपने मुंह पर हाथ रखते हुए कहा।
आया सै, कितनी मुसीकिला तै बुलाया सै, यो तै उडे काए हो के रहग्या, फोन भी 10-10 दिन में करै सै (आया है, कितनी मुश्किल से बुलाया है, वहीं का हो के रह गया, फोन भी दस-दस दिन में करे है), मम्मी ने मेरे गाल को सहलाते हुए कहा।
अंदर आकर मैं बेड पर (जो कि बाहर बरामदे में था) पसर (लेट) गया। नींद भी ठीक से पूरी नहीं हुई थी तो मैं सोने की कोशिश करने लगा।
ओए, याड़ै मेरा मोबाइल धरा था, (ओए यहां पर मेरा मोबाइल रखा था) छूटकू (मेरा छोटा भाई) ने अंदर आते हुए कहा।
कित सै, याडै कोन्या, (कहां है, यहां पर नहीं है) मैंने कमर के नीचे हाथ फेरकर देखते हुए कहा।
यौ रया अर, (ये रहा अर) छूटकू ने मेरी कमर के नीचे से मोबाइल निकालते हुए कहा।
थोड़ी देर में ही मम्मी चाय बनाकर ले आई।
पाग्या भाई तनै घर का रस्ता, (मिल गया तुझे घर का रास्ता) पापा ने बाहर से आते हुए कहा।
मैं चाय को साइड में रखकर खड़ा हुआ और पापा के पैर छुए।
घर का रस्ता भी कोए भूलन की चीज सै, (घर का रास्ता भी कोई भूलने की चीज होती है) मैंने कहा।
चाल पानी घाल दे, नहावें फेर, जब देखों ई मोबाइल में बड़ा रवै सै, (चल पानी डाल दे, फिर नहाते हैं, जब देखों मोबाइल में घुसा रहता है) पापा ने छूटकू की कमर में धोल जमाते हुए कहा।
हम्मममम, कहते हुए छूटकू उठकर बाथरूम में गर्म पानी रखने चला गया।
मम्मी पापा के लिए भी चाय ले आई। नींद सही तरह से पूरी नहीं हुई थी तो बार बार आंख बंद हो रही थी।
किमै खाया-पिया भी करै सै अक ना, (कुछ खाता-पीता भी है या नहीं) पापा ने मेरी बाजु को पकडकर नापते हुए कहा।
खा-खा कै इतना मोटा हो ग्या, अर आप कवो सो अक किमै खाया करै सै अक ना, (खा-खा कर इतना मोटा हो गया हूं और आप कह रहे हो कि कुछ खाता-पीता भी है या नहीं) मैंने उंघते हुए कहा।
हमनै तै कितै तै मोटा कौन्या लागता, कतई सूख कै आया सै, (मैंने तो कहीं से मोटा नहीं लगता, एकदम सूख के आया है) मम्मी ने मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए कहा।
घाल दिया, नहालो अब, ना तै फिर ठंडा हो ज्यागा तै कवोगे अक ठण्डा घाल दिया (डाल दिया, नहालो अब, नहीं तो फिर ठंडा हो जायेगा तो कहोगे कि ठण्डा पानी डाल दिया),,, छूटकू ने आते हुए कहा और आकर बेड पर बैठ गया।
अरे भाई, उडै किमै घर-घार बसा लिया कै तनै, जो घर की याद कौन्या आती (अरे भाई, जयपुर में घर-बार तो ना बसा लिया तुने, जो घर की याद ही नहीं आती) ,,,, सोनू ने अंदर आते हुए कहा।
रोज तै फोन कर लूं सू, याद क्यूकर ना आती, मैंने कहा।
म्हार धौरे तै तैरा कदे फोन ना आता, सोनू ने कहा।
इसका इब ब्याह-ब्यूह कर दो काकी, नू कौन्या रवै यो थारे धौरे (इसका ब्याह कर दो काकी, ऐसे कोन्या रह यो आपके पास) सोनू ने मेरी मम्मी से कहा।
ब्याह करन ताइ ए बुलाया सै, आन लागरै सैं आज इसके ससुराडियें (ब्याह करने के लिए ही बुलाया है, आ रहे हैं इसके ससुराल वाले आज),,, मम्मी ने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए कहा।
पापा जी नहाने चले गए।
ऐसे ही काफी देर तक बातें होती रहीं। तब तक पापा भी नहाकर आ गये।
इब तू भी नहाले, नहाके बढिया नींद आयेगी (अब तू भी नहाले, नहाकर बढ़िया नींद आयेगी), मम्मी ने कहा।
मैं नहाने जाने के लिए उठा ही था कि मेरा मोबाइल बजने लगा। देखा तो अननॉन नम्बर पर से था।
हाय, मेरे फोन उठाते ही दूसरी तरफ से आवाज आई।
हाय, कौन,, आवाज पहचान में न आने पर मैंने कहा।
बहुत जल्दी भूल गये, दूसरी तरफ से आवाज आई। अबकी बार में आवाज पहचान गया था, परन्तु स्योर नही था।
कोमल, मैंने पहले स्योर करने के लिए इतना ही कहा।
हम्मम,,, लगता है भूलने की आदत है जवाब को, कोमल ने कहा।
अरे नहीं, अननॉन नम्बर था ना, इसलिए, मैंने कहा।
हम्मम, उठ गये, नींद कैसी आई रात को, कोमल ने कहा।
हां बस नींद तो ऐसी ही आई, मैंने कहा।
कल कोमल के साथ गुजारे वो हसीन पलों के बारे में याद आते ही मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई।
क्यों, कोमल ने कहा।
क्यों क्या, बार बार तुम आकर परेशान करती रही, सोने ही नहीं दिया, मैंने कहा।
मैं--------, मैं कब आई थी, झूठे, कौन थी रात को बिस्तर में, बताओ, कोमल ने कहा।
मैं बात करते करते बाथरूम तक आ गया था।
सच्ची कह रहा हूं यार, मैंने कहा।
हम्मम, यार तुम्हारी बहुत याद आ रही है, कोमल ने कहा।
याद तो मुझे भी आ रही है, मैंने कहा।
तो आ जाओ ना, जीजू और दीदी भी किसी के यहां गये हुए हैं, कोमल ने कहा। उसकी आवाज से ही पता चल रहा था कि वो काफी एक्साइटेड हो चुकी है।
आठ घण्टे तो वहां पहुंचते-पहुंचते लग जायेंगे, तब तक तुम्हारे जीजू और दीदी आ जायेंगे, मैंने हंसते हुए कहा।
क्यों, आठ घण्टे क्यों, कहां पर हो, कोमल ने कहा।
गांव, मैंने कहा।
गांव कब गये, कल तो यहीं पर थे, झूठे, कोमल ने कहा।
रात को ही आया हूं, तुम्हें बताया तो होगा, मैंने कहा।
मुझे तो नहीं बताया, अच्छा आओगे कब।
शायद 2-3 दिन में आउंगा, मैंने कहा।
तब तक तो मैं चली जाउंगी, कोमल की आवाज में थोड़ी उदासी सी थी।
हम्मम, तो क्या हुआ, फिर कभी मिलेंगे ना, मैंने कहा।
अच्छा ओके, मैं नहा लेता हूं, बाद में बात करते हैं, मैंने कहा।
क्या है, ओके बाये, नहा लो, थोड़ी देर बाद फोन करती हूं, कहकर कोमल ने फोन काट दिया।
मैं नहाने लगा।
नहाकर आया, तब तक मम्मी ने नाश्ता तैयार कर दिया था।
सभी ने नाश्ता किया। नाश्ता करते हुए मम्मी और पापा जयपुर के बारे में पूछते रहे।
नाश्ता करके मैं सोने की सोच रहा था, परन्तु तभी सोनू आ गया और कुछ देर तक हम बातें करते रहे। अब नींद गायब सी हो चुकी थी, तो हम सोनू के घर आ गये।
बड़े दिनों में दर्शन दिये, म्हारी याद कौन्या आती दिखै (हमारी याद नहीं आती लगता है),,, सामने बैठी चूल्हे पर रोटियां बना रही भाभी ने मुझे देखकर कहा।
थामनै कौन याद करे, बुढ़ियां नै, जवान छोरियां की कमी सै, (बुढ़ियों को कौन याद करेगा, जवान छोरियां की के कमी है) भाई ने बाथरूम में से निकलते हुए कहा।
बूढ़ी होगी तेरी मां, मैं क्यूं बूढ़ी, भाभी ने रोटियां सेकते हुए कहा।
अभी तो मैं जवान हूं, सोनू ने चटकारा लेते हुए कहा।
और नही तो कै, देख, इबै तो मैं जवान हूं, (और नहीं तो क्या, देख अभी तो मैं जवान हूं) भाभी ने अपनी छाती को उभारकर दिखाते हुए कहा।
मैं और सोनू बाहर बिछी हुई चारपाई पर बैठ गये।
मनै तो कितै तै जवान कौन्या दिखती (मुझे तो कहीं से जवान नहीं लग रही), मैंने भाभी को छेड़ते हुए कहा।
या, वा देख, परसोंए तोड़ी सै इसने कूद-कूद कै, (या, वो देख, परसों ही तोड़ी है इसने कूद-कूद कर) भाई ने दीवार के पास रखी टूटी हुई चारपाई की तरफ इशारा करते हुए कहा।
कूद-कूद कै (कूद-कूद कर), मैंने आश्चर्य से पूछा।
रात नै, (रात में) भाई ने कहा।
मैंने भाभी की तरफ देखा तो उनका चेहरा एकदम लाल हो गया था शरम से। उन्होंने एकबार हमारी तरफ देखा और फिर अपनी नजरें झुका ली।
आप भी ना कुछ भी बोलते रहते हो, भाभी ने शरमाते हुए कहा।
कुछ भी कै बोलता रहूं सू, बता दे ना तोड़ी हो तै तनै, (कुछ भी क्या बोलता रहता हूं, बता दो नहीं तोड़ी हो तो तुमने) भाई ने कपड़े पहनते हुए कहा।
वाह भाभी, फिर तो वाकई में अभी जवान हो, मैंने भाभी की तरफ आंख मारते हुए कहा।
डट जा बेशर्म, तनै तो मैं बताउं,, (रूक जा बेशर्म, तुझे तो मैं बताती हूं,) भाभी ने बेलन दिखाते हुए कहा।
कुछ देर और ऐसे ही बातें चलती रही। भाई खाना खाकर फैक्ट्री में चले गये। उनकी कभी कभी सण्डे की छूट्टी नही होती थी। भाभी भी रोटियां बनाकर हमारे पास आ कर बैठ गई।
कितनी छोरी पटा रखी हैं जयपुर में, भाभी ने मेेर कंधे के पिछे से हाथ मेरे दूसरे कंधे पर रख लिया।
एक भी नहीं, मैंने कहा।
झूठे, सच्ची सच्ची बता, भाभी ने कहा और मेरे गाल को पकड़कर खिंच लिया।
मैंने अपने हाथ का थोड़ा सा दबाव उनके बूब्स पर बढ़ा दिया और फिर हाथ को वापिस खींच लिया।
मेरे हाथ वापिस खींचते ही भाभी मुझे और सट कर बैठ गई। उनके बूब्स मेरी हाथ पर दब गये। बहुत ही नरम नरम थे। भाभी की उम्र 26 के आस-पास थी। 2 साल पहले ही भाई की शादी हुई थी। अभी कोई बच्चा नहीं हुआ था। चूंकि भाई हमारे पड़ोस में रहते थे तो भाभी से जल्दी ही मेरी अच्छी पटने लगी थी, और थोड़ा बहुत हंसी-मजाक और छेडछाड होती रहती थी। भाई भी थोड़े खुले विचारों के हैं तो कभी कभी उनके सामने ही मैं भाभी के कुल्हों को पकड़कर भींच देता था। उनके कुल्हें एकदम गोल और नरम नरम थे, अगर दोनों हाथों में दोनों कुल्हों को पकड़ो तो शायद हाथों में समा जायें।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:20 PM,
#56
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--56
गतांक से आगे ...........

शादी समय तो उनका शरीर एकदम कर्वी था, परन्तु अब थोड़ी चर्बी चढ़ गई थी और थोउ़ा सा पेट भी निकल आया था। भाभी अपने शरीर पर ज्यादा धयान नहीं देती हैं तो उनकी त्वचा थोड़ी सांवली सी भी पड़ गई है, नहीं तो वो शादी के वक्त बहुत ही गोरी थी, एकदम दूध जैसी। मेरा उनके साथ कभी ज्यादा मामला नहीं बढ़ा और ना ही मैंने कभी उन्हें बुरी नजर से देखा, बस थोउ़ी बहुत छेड़छाड़ जो देवर भाभी में होती है, वहीं तक सीमित थे हम।
क्यों, जयपुर में मेरे देवर की पसंद की एक भी लड़की नहीं है, भाभी ने अपना हाथ मेरी जांघों पर रखते हुए कहा।
मैंने सोनू की तरफ देखा, वो वहां पर नहीं था, मैंने इधर उधर देखा पर कहीं नहीं दिखाई दिया।
कया देख रहे हो, किसी कि टैंशन नहीं है यहां पर, भाभी ने मेरी जांघों को सहलाते हुए कहा।
सोनू को देख रहा था, पता भी नहीं चला कब चला गया, मैंने कहा।
वो तो तेरे भाई के जाने के बाद ही चला गया था, भाभी ने कहा।
हम्म,, मैंने कहा।
तो बताया नहीं तुने, जयपुर में कोई भी लडकी पसंद नहीं आई क्या, भाभी ने कहा।
हमारा दिल तो आपके पास है, तो कोई और कैसे पसंद आयेगी, मैंने भी भाभी से मजाक करते हुए कहा।
अच्छा जी, मुझे तो कहीं नहीं मिला यहां पर, ऐसा कहां पर रखकर गये थे, भाभी ने मुस्कराते हुए कहा।
मैंने तो आपको ही दिया था, अब आपने कहां पर रखा है मुझे क्या पता, मैंने भाभी की चूचियों पर कोहनी से दबाव देते हुए कहा।
बदमाश, मेरे को कब दिया था, मुझे तो बताया भी नहीं कि दिल छोउ़कर जा रहा हूं, नहीं तो एकदम संभाल कर रखती, भाभी ने मेरी जांघों को जोर से सहलाते हुए कहा।
भाभी के मखमली शरीर का एहसास और उपर से उनका मेरी जांघों को यूं सहलाना, मेरा लिंग तो कबका चौक्कना हो चुका था।
ये लो, एक ही तो दिल था मेरे पास, और उसको भी पता नहीं कहां गुमा दिया आपने, अब दूसरा दिल कहां से लाउं, किसी को देने के लिए, मैंने कहा।
भाभी ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी छाती पर रख दिया और दबाते हुए कहने लगी, ‘देख कहीं ये तो नहीं है’।
हम्मम, अब ऐसे थोड़े ही पता चलेगा, वो तो अच्छी तरह से चैक करने के बाद ही पता चलेगा।
वो अच्छी तरह से कैसे चैक करते हैं मेरे देवर राजा, भाभी ने मेरे गाल को खिंचते हुए कहा।
तभी छूटकू ने आजकर बताया कि रिश्ते वाले आ गये हैं। मैंने उठते हुए भाभी की जांघों को जोर से पकड़कर भींच दिया, भाभी की आह निकल गई।
ओके भाभी, आता हूं शाम को, फिर ढूंढूंगा अपना दिल, कहते हुए मैं बाहर निकल गया।
घर आकर देखा सामने बरामदे में सोफे पर चार लोग बैठे थे, एक आंटी, शायद वो लडकी की मां थी, उनके साथ ही एक अंकल यानि के लड़की के पिता ओर एक लड़का बैठा था, शायद लड़की का भाई हो। दूसरे सोफे पर पापा जी बैठे उनसे बातें कर रहे थे।
मैंने जाकर अंकल आंटी के पैर छूए। उस लड़के से मैंने हाथ मिलाया।
ये है मेरा लड़का समीर, पापा ने कहा। मैं भी पापा के साथ सोफे पर बैठ गया।
तभी मम्मी चाय और मिठाई ले आई। मैंने टेबल लाकर बीच में रखी। सबने चाय ली और पीने लगे।
चाय पीते हुए इधर उधर की बातें होती रही। कुछ देर बाद मम्मी भी वहीं आकर बैठ गई। सोनू और छूटकू बेड पर बैठे थे।
मैंने उन्हें अपनी पढ़ाई और नौकरी के बारे में बताया तो उनकी नाक-भौंहे कुछ सिकुड़ी। अंकल और उनके बेटे पर तो ज्यादा कुछ असर नहीं हुआ, परन्तु आंटी ने बुरा सा चेहरा बना लिया।
अब मैंने सही सही बता दिया है, आगे आपको देखना है, मैंने कहा।
मुझे पूरा यकीन था कि मेरी पढ़ाई की बात जानकर ये शादी की बात नहीं करेंगे। परन्तु अगले ही पल मेरा यकीन चकनाचूर हो गया।
लड़का अच्छा होना चाहिए, पढ़ा लिखा से कोई खास फर्क नहीं पड़ता, अंकल ने कहा।
अब लड़का पढ़ा लिखा हो, और नौकरी भी बढ़िया लगा हुआ हो, पर लड़की को परेशान रखे तो उसका क्या फायदा है, अंकल ने थोड़ा सोचते हुए फिर कहा।
मुझे मेरा प्लान फेल होता नजर आया तो मैं अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगा। अब सीधा तो मना कर नहीं सकता था, तो कुछ तो बात बनानी थी। इसलिए मैं आगे के स्टैप्स सोचने लगा कि कैसे पिछा छुड़ाना है।
काफी देर तक बातें होती रही, बीच बीच में हंसी के ठहाके भी लगते रहे, पर मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि कैसे मना करूं।
मम्मी उठकर वापिस रसोई में चली गई थी।
अब तक हुई बातों से मुझे ये तो पता चल ही गया था कि वो चण्डीगढ़ के रहने वाले हैं और इनकी एक ही लड़की है, निशा। जो सॉफ्रटवेयर इंजीनियर है और अभी नोएडा में एचसीएल में जॉब करती है। 20 लाख का पैकेज लेती है। जो साथ में लडका आया था, प्रवीण,, वो उसका ममेरा भाई है। लड़की अंकल-आंटी की इकलौती संतान है। अंकल का प्रोपर्टी का बिजनेस है।
मतलब काफी मालदार पार्टी है, मैंने मन ही मन सोचा। एकबार तो मेरे मन में आया कि पूछूं कि फोटो वगैरह तो लायें ही होंगे, पर फिर मैं चुप ही रह गया।
जिस तरह से वो लड़की की तारीफ कर रहे थे मेरे मन में कुछ लड्डू फूट रहे थे। पर जैसा कि नोएडा में सॉफ्रटवेयर इंजीनियर है और अकेली रहती है तो मन में तरह तरह की शंकाएं भी उठ रही थी।
पर मुझे कौनसा उससे शादी करनी है, अपूर्वा से शादी करनी है मुझे तो, फिर क्यों खामखां इतना सोच रहा हूं उस लड़की के बारे में, मैंने मन में उठ रही शंकाओं को दबाते हुए कहा।
तभी मम्मी ने कहा कि खाना लगा दिया है, खा लिजिए।
हम खाना खाने के लिए डायनिंग टेबल पर आकर बैठ गये। मैंने सभी को खाना लगाया और रसोई से गरम गरम रोटियां लाकर देने लगा। खाना खाकर सभी बाहर आकर बैठ गये।
मैं प्रवीण से बातें करने लगा और मम्मी पापा, अंकल-आंटी से। मैं और प्रवीण बेड पर बैठे थे। जबकि मम्मी-पापा और अंकल-आंटी, सोफे पर।
मैं और छूटकू प्रवीण से बातें करते रहे, और मम्मी-पापा अंकल आंटी से।
तभी पापा ने मुझे एक फोटो पकड़ाते हुए कहा, ‘ले भाई देख ले, अर बता दे के करना है’।
मैंने फोटो देखी, लडकी बहुत ही सुंदर और सैक्सी थी। फुल साइज फोटो था, पटियाला सलवार और कुर्ती में बहुत ही गजब की लग रही थी। एकबार तो मैं फोटो देखने में ही खो गया।
मेरे को भी दिखा भाभी की फोटो, छूटकू ने फोटो मेरे हाथ से लेते हुए कहा।
क्या लग रही है यार, एकदम पटाका है, फोटो देखकर मेरा मन मचलने लगा। परन्तु अगले ही पल अपूर्वा का धयान आते ही मैंने खुद को झटका।
बात ये फाइनल हुई कि मैं पहले लड़की से मिलूंगा, फिर कुछ आगे बताउंगा।
मैं चाह तो रहा था कि मना कर दूं, और सच सच बता दूं, पर कैसे बताउं ये समझ में नहीं आ रहा था।
अभी मैं विचारों में ही गुम था कि अंकल की आवाज सुनकर मेरे विचारों का ताना-बाना टूटा।
लो बेटा, निशा है, बात करलो और डिसाइड कर लो, कैसे, कब, कहां मिलोगे, कहते हुए अंकल ने फोन मुझे पकड़ा दिया।
मेरा प्लान तो पूरी तरह से फ्रलॉप हो गया था, मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी पढ़ाई की बात जानकर भ्ाी ये इस रिश्ते के लिए तैयार हो जायेंगे। इसीलिए मैंने ज्यादा कुछ सोचा नहीं था कि कैसे मना करना है। और अब तुरंत की तुरंत समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या कहूं।

मैंने फोन लिया।
हैल्लो, मैंने कहा।
निशा: हैल्लो, कौन बोल रहा है?
समीर बोल रहा हूं।
ओह, हाय, सॉरी, मैंने सोचा कोई और नहीं हो,,, निशा की आवाज में थोड़ी हकलाहट थी।
हेहेहेहेहेहे,,,,, जब मेरे से बात करने के लिए फोन दिया है तो कोई और कैसे होगा,,,, मैंने हंसते हुए कहा।
क्या हुआ, हो क्या, कुछ पल तक दूसरी तरफ से कोई आवाज न आने पर मैंने पूछा।
मैं उठकर बाहर आ गया, ताकि आराम से बात कर सकूं।
हम्ममम, कुछ नहीं, आप बोलिये कुछ, निशा की आवाज आई।
कैसी हो।
ठीक हूं, आप कैसे हो,,, निशा ने पूछा।
मैं तो मजे में हूं, एकदम से,,, और सुनाओ क्या कर रही थी।
टी-वी- देख रही थी कि आपका फोन आ गया,,, निशा ने कहा।
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या बात करूं,, पर बात आगे तो बढ़ानी थी, इसलिए मैंने सीधे ही कह दिया।
आपकी शादी की बात हो रही है मुझसे,,, मैंने कहा।
हां,,, पता है, वो पापा ने बताया।
तो आपको कैसा लड़का पसंद है,,, मैंने पूछा।
जैसा मम्मी-पापा को पसंद है, निशा ने कहा।
तुम्हारे मम्मी-पापा ने तो मुझे पसंद किया है, मैंने कहा।
हूं,,,, उधर से आवाज आई।
और मैं तो बहुत ही बुरी शक्ल का हूं, और साथ में एकदम काला भी हूं, मैंने चुटकी लेते हुए कहा।
कया,,,, नहीं,,, नहीं,,,, ऐसा नहीं हो सकता,,,, मम्मी-पापा मेरे लिए ऐसा लड़का नहीं देखेंगे,,,,।
अब ये तो देख चुके हैं, और शादी की बात को आगे भी बढ़ा रहे हैं, मैंने कहा।
अगर मम्मी-पापा ने आपको पसंद किया है तो आप बुरी शक्ल के हो ही नहीं सकते, निशा ने कहा।
क्यों नहीं हो सकता,,,, मेरी शक्ल तो इतनी बुरी है कि मैं किसी लड़की की तरफ नोर्मली भी देखूं तो वो नाक-भौंह सिकोडने लगती है, मैंने कहा।
हे भगवान, ये मम्मी-पापा को क्या हो गया, ऐसा लड़का मेरे लिए कैसे ढूंढ लिया,,,, उसकी आवाज में थोड़ी निराशा सी झलक रही थी।
अब मुझे उसे छेड़ने में मजा आने लगा था।
सोच लो, कोई मेरी शक्ल देखना भी पसंद नहीं करता, और फिर तुम्हें तो पूरी जिंदगी देखनी पड़ेगी,,,, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
नहीं, नहीं, मैं तुमसे बिल्कुल भी शादी नहीं करूंगी,,,,, मैं मना कर दूंगी,,,,, मैंने तो सोचा था कि मम्मी-पापा मेरे लिए सोहना सा लड़का देखेंगे, इसलिए मैंने सब कुछ उनपर छोड़ दिया था, पर मुझे क्या पता था कि वो मेरे साथ ऐसा करेंगे,,,,, निशा ने कहा।
हेहेहेहेहेहेहहेहे,,,, बहुत बुरा किया है तुम्हारे साथ, अब तो कुछ हो भी नहीं सकता,,, मैंने कहा।
क्यों, क्यों,, कुछ नहीं हो सकता, निशा ने घबराते हुए पूछा।
अब तो बात पक्की भी हो गई, और सगाई का मुहूर्त भी निकाल लिया है,,, मैंने मस्का लगाते हुए कहा।
नहीं नहीं,,, ऐसा नहीं हो सकता,,,, मैं लूट जाउंगी,,, बरबाद हो जाउंगी,,,, मैं ये शादी नहीं कर सकती,,,, निशा ने कहा।


प्लीज आप मना कर दो ना,,,,, प्लीज प्लीज,,,, मैंने बहुत हंसीन सपने देखे हैं अपनी मैरीड लाइफ के,,,, प्लीज आप मना कर दो, कि आपको मैं पसंद नहीं हूं,,,, निशा ने कहा।
ये लो, मैं क्यों मना कर दूं, और फिर मुझे तो तुम बहुत पसंद हो,,,,, इतनी सुंदर लड़की मिलेगी, मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था, फिर मैं क्यूं मना करूं,,, मैंने हंसते हुए कहा।
नहीं प्लीज,,,,,, ऐसा मत करना,,, प्लीज,,, निशा ने कहा।
चलो ठीक है, आप मम्मी से बात करवा दो मेरी,,, मैं खुद ही मना कर दूंगी,,, निशा ने कहा।
ठीक है, करवाता हूं,, कहते हुए मैं अंदर आ गया और आंटी को बात करने के लिए कहा।
हैल्लो,,, हां बेटा,, क्या हुआ,,, पर क्यों, क्या हुआ,,,,,, पर बताओ तो क्या हुआ,,,,,,।
आंटी की बातें सुनकर अंकल के चेहरे पर भी थोड़े असमंझस के भाव आ गये।
पागल,,,, मजाक कर रहा था तुम्हारे साथ,,,, इतना सोहना तो है,,,, कहकर आंटी हसंने लगी।
काश मैं उसके पास होता उसके चेहरे के एक्सप्रेशन देखने के लिए तो कितना मजा आता।
आंटी ने एकबार मेरी तरफ देखा और मुस्करा दी।
नहीं बेटा,,,,, बहुत सोहना है, तू डर मत,,,,, हम तेरे लिए अच्छा ही लड़का ढूंढेंगे ना,,,, आंटी ने कहा।
अच्छा ठीक है, रूक,,,, मैं करती हूं,,, कहते हुए आंटी ने फोन काट दिया।
क्या हुआ,,,,, अंकल ने पूछा।
बताती हूं, रूको,,, आंटी ने कहा और फिर से नम्बर डायल करने लगी।
हां, लो बात करो, आंटी ने उधर से फोन उठने पर कहा, फोन स्पीकर पर था।
लो बेटा, बात करो, आंटी ने फोन मेरी तरफ करते हुए कहा।
ओह माई गोड, फोन की स्करीन पर देखते ही मेरे मुंह से निकला।
अबकी बार आंटी ने विडियो कॉल की थी, और स्करीन पर जो चेहरा था मैं तो उसे देखते ही उसकी मासूमियत, उसकी सुदंरता में खो गया। बड़ी बड़ी कजरारी आंखे,,,,,, एकदम गोरा रंग,,,,, तीखे नयन नक्श,,,,,लम्बा चेहरा,,,,, और इन सबसे बढ़कर नीली आंखें,,, जो मुझे फोटो में देखने पर भी ऐसा लगा था, परन्तु उसमें इतनी साफ नहीं दिख रही थी।
मैं तो उसे देखने में ही खो गया।
हे, ऐसे क्या देख रहे हो, उसने शरमाते हुए कहा।
बहुत ही प्यारी लग रही थी,,,,, वो पलकें उठाती, पर मुझे ऐसे ही देखते हुए पाकर वापिस झुका लेती।
प्यारी ही इतनी लग रही हो, मैंने कहा।
आप झूठ क्यों बोल रहे थे,,,, आपने तो मुझे सच में डरा दिया था, होंठ ऐसे खुले जैसे, गुलाब की पंखुड़ियां खिली हों।
क्यों मैंने क्या झूठ बोला,,, देख लो खुद ही,, मेरा चेहरा कितना बेकार सा है, और रंग भी काला है,, मैंने मुसकराते हुए कहा।
झूठे,,,, इतना गोरा तो है और कितना सोहना मुखड़ा है, मन कर रहा है कि---- उसने इतना ही कहा और अपनी पलकें झुका लीं।
क्या मन कर रहा है,,,, मैंने पूछा।
कुछ नहीं,,,, उसने पलकें उठाते हुए कहा और फिर से पलकें झुका लीं।
अच्छा फिर कब मिल रही हो,, मैंने कहा।
क्यों,,,,, निशा ने पलकें उठाते हुए कहा और मेरी आंखों में देखने लगी।
अरे यार, तुमसे मिलकर बातें करनी हैं, तुम्हें जानना है, तभी तो बात कुछ आगे बढ़ेगी, मैंने कहा।
मैं बात में बताती हूं, उसने कहा।
ठीक है, पर जल्दी ही बताना, ओके बाये, मैंने कहा और अंदर की तरफ चल दिया।
बाये, उसने कहा।
क्रमशः.....................
Reply
06-09-2018, 02:20 PM,
#57
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--57
गतांक से आगे ...........
अंदर आकर मैंने फोन अंकल को दे दिया। कुछ देर अंकल ने उससे बातें की। फिर मम्मी पापा से बातें होती रहीं।
लगभग पांच बजे वो लोग चले गये।
आदमी तो अच्छे हैं,,, उन्हें छोड़कर आने के बाद मम्मी ने अंदर आते हुए कहा।
हम्मम,,,, पापा ने कहा।
मैं आकर बेड पर लेट गया।
कैसी लगी लड़की तुझे,,, मम्मी ने मेरे पास बैठते हुए कहा और छूटकू के पास से फोटो ले लिया, जिसे वो अभी भी देख रहा था।
मिलने के बाद बताउंगा, मैंने कहा।
मुझे नींद आ रही थी, तो मैं लेट गया। तभी सोनू आ गया और हम खेतों में घूमने चल दिये। 7 बजे हम वापिस आये। बॉस को फोन करके बता दिया कि अभी एक-दो दिन नहीं आउंगा। काफी थक गया था मैं इसलिए आते ही लेट गया और कब आंख लग गई पता ही नहीं चला।
9 बजे मम्मी ने उठाया। खाना खाकर मैं कुछ देर छत पर टहलता रहा। सोनल को फोन किया पर उसका फोन स्विच ऑफ आ रहा था। कुछ देर टराई करने के बाद मैंने अपूर्वा को फोन मिलाया, पर उसका फोन भी नहीं मिल रहा था। काफी देर परेशान होता रहा, पर जब नहीं मिला तो आकर सो गया।
अगले दिन सुबह 7 बजे आंख खुली। मैं ऐसे ही बेड पर लेटा रहा। तभी मेरा मोबाइल बजा।
सोनल का फोन था। हम बहुत देर तक बात करते रहे। वो आज हैदराबाद के लिए जा रही थी। शाम को दिल्ली से उसकी टरेन थी। उससे बात करके मैं घूमने फिरने चला गया और वापिस आकर नहा धोकर फ्रेश हो गया।
मम्मी ने नाश्ता लगा दिया। नाश्ता करके मैं दोस्तों से मिलने चला गया। 2 बजे के आसपास वापिस आया। लंच दोस्तों ने ही करवा दिया था। घर आकर मैं लेट गया। पापा शहर गये हुए थे। छूटकू और मम्मी से बातें होती रही।
मैं सोनल के बारे में सोचता रहा। आज वो चली जायेगी, फिर पता नहीं कब मिलेंगे।
मैंने आज ही वापिस जाने का प्लान बना लिया। मम्मी बहुत नाराज हुई। पापा को फोन करके बताया तो पापा भी नाराज हुए पर मैंने किसी तरह दोनों को मनाया।
सोनल की टरेन चलने से आधे घंटे पहले ही मैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंच पाया। मैंने सोनल को फोन मिलाया। वो टरेन में बैठ चुकी थी। टरेन 9 बजे की थी।
जब मैंने सोनल को बताया कि मैं स्टेशन पर ही हूं, तो फोन पर उसकी आवाज में झलक रही खुशी अलग ही पता चल रही थी।
मैं प्लेटफॉर्म पर आया। सोनल बाहर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी। पास आते ही वो मुझसे लिपट गई। मैंने भी उसे बाहों में भर लिया।
मैं तुम्हें बहुत मिस करूंगी, सोनल ने ऐसे ही गले लगे हुए कहा।
मैं भी तुम्हें बहुत मिस करूंगा, मैंने धीरे से उसके कान में कहा।
हम अलग हुए। उसकी आंखे नम थी।
हे, क्या हुआ, मैंने उसके चेहरे को हाथों में भरते हुए कहा।
कुछ नहीं, बस खुशी से आंखे नम हो गई, सोनल ने अपनी आंखों की नमी को अपने रूमाल से साफ करते हुए कहा।
बहुत ही प्यारी लग रही हो तुम सलवार सूट में, मैंने कहा।
सोनल ने इधर उधर देखा और फिर मेरा हाथ पकड़कर टरेन में ले गई। फर्स्ट ए-सी- में रिजर्वेशन था। अंदर आते ही मुझे सर्दी लगने लगी। हम उसकी बर्थ पर आकर बैठ गये। उसके सामने वाली बर्थ पर एक दूसरी लड़की थी। उपर वाली बर्थ पर दो आंटी थी।
हम बैठे बैठे बातें करते रहे। टरेन चलने की उदघोषणा होने पर मैं बाये कहकर बाहर आने के लिए चल दिया।
मैं टरेन से नीचे आने ही वाला था कि सोनल ने पिछे से मुझे पकड़ लिया। वो पिछे से मुझसे लिपट गई थी।
हे, क्या हुआ, मैंने उसे पकड़कर सामने किया। सामने आते ही उसने मेरे चेहरे को पकड़ा, और मेरी आंखों में देखा और फिर मेरे लबों पर अपने लब रख दिये।
वो बहुत ही प्यार से मेरे होंठों का रस पी रही थी। मेरे हाथ उसके सिर पर चले गये और हम किस्सस में गहरे उतर गये। तभी टरेन का हॉर्न सुनाई दिया। मैंने उसे खुद से अलग किया।
तुम्हारी बहुत याद आयेगी, उसने अपनी सांसे नोर्मल करते हुए कहा।
मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आयेगी, मैंने उसकी आंखों में आये आंसुओं को पौंछते हुए कहा।
टरेन धीरे धीरे चलने लगी थी। मैं सोनल के माथे पर किस करके नीचे उतर गया। सोनल दरवाजे में खड़ी होकर मुझे देख कर हाथ हिलाती रही। मैं वहीं खड़ा उसकी तरफ हाथ हिलाता रहा।
टरेन जाने पर मैं बाहर आया। दस बजने वाले थे। मतलब टरेन काफी लेट चली थी।
मैटरो से मैं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन आया, क्योंकि टूरिस्ट बस वहीं से चलती है। आकर मैंने टिकट ली। बस आने में अभी टाइम था तो मैं घूमने के लिए चांदनी चौक की तरफ आ गया। अभी मैं ऐसे ही घूम रहा था कि मुझे निशा दिखाई दी। उसके साथ एक लड़का भी था। उस लड़का का हाथ निशा की कमर में था और निशा उससे चिपक कर चल रही थी। निशा का सिर उसके कंधे पर टिका था।
उसे देखते ही मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। इतनी बड़ी टेंशन जा सॉल्व हो गई थी। मैंने तुरंत अपने कैमरे से उनकी एक फोटो ली। मैं मुडने ही वाला था कि निशा कि नजर मुझ पर पड़ गई। वो एकदम से सकपका गई और उस लड़के से दूर हो गई।
उसने तो सपने में भी नहीं सोचा होगा कि मैं इस तरह सामने आ जाउंगा।
वैसे तो मैं उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था, पर अब जब दोनों की नजरें मिल ही चुकी थीं, तो मैं उसके पास आया।
हाय, मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।
वो लड़का मुझे घूर घूर कर देख रहा था।
हाय, निशा ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया। उसका चेहरा उतर गया था।
आप यहां पर कैसे, मैंने पूछा।
कोई हमारा भी इंटरोडक्शन करवा दो, लड़के ने निशा की तरफ देखते हुए कहा।
हाय, मैं समीर, आपको शुभ नाम, मैंने लड़के की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।
मैं आनंद, लड़के ने मेरी तरफ हाथ बढ़ाया, परन्तु उसकी नजर निशा को देख रही थी और उसके चेहरे पर थोड़ी असमंझस दिख रही थी।

आपसे मिलकर अच्छा लगा, मिस्टर आनंद, मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा।
मैं चलता हूं, आपको डिस्टर्ब कर दिया, मैंने निशा की तरफ देखते हुए कहा।
प्लीज, निशा के मुंह से इतना ही निकला।
क्या हुआ, बोलिए, मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा।
निशा ने उस लड़के की तरफ देखा, उनके बीच आंखों से कुछ इशारे हुए।
ओह, मुझे पास में ही कुछ काम है, अभी आता हूं दस मिनट में, तब तक आप दोनों बातें कीजिए, आनंद ने कहा और चला गया।
कहीं बैठते हैं, मैंने आनंद के जाते ही निशा से कहा।
जी,, निशा ने इतना ही कहा।
हम एक रेस्टोरेंट में आ गये।
मैंने कॉफी ऑर्डर की।
आप कुछ कह रही थी, मैंने कहा।
निशा की आंखों में आंसु आ गये।
हे, क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो, मैंने उसके आंसु पौंछते हुए कहा।
मुझे माफ कर दीजिए, कहकर निशा रोने लगी।
हे, देखो पहले रोना बंद करो, मैंने उसके चेहरे को हाथों में लेते हुए कहा।
तभी वेटर कॉफी ले आया। वो कॉफी रखकर चला गया।
लो कॉफी पीओ, फिर बात करते हैं, मैंने एक कप उसे देते हुए कहा।
उसने अपने आंसु पौंछे और कप लेकर कॉफी पीने लगी।
उससे प्यार करती हो तुम,,, मैंने कॉफी पीते हुए कहा।
नहीं, हम बस दोस्त हैं, उसने कहा।
देखकर लगता तो नहीं, मैंने कहा।
निशा प्रश्नवाचक नजरों से मेरी तरफ देखने लगी।
जिस तरह से तुम उससे चिपककर चल रही थी, उसे देखकर, मैंने कहा।
उसने कोई जवाब नहीं दिया।
देखो, अभी हमारा रिश्ता कुछ भी नहीं है, और यहां से पिछे हटना बहुत ही आसान है, मैंने कहा।
प्लीज, ऐसा मत कहिए, निशा ने कहा।
मैंने कुछ नहीं कहा, बस कॉफी पीते हुए उसे देखता रहा।
(अब मुझे तो इस रिश्ते को खत्म ही करना था, तो इससे अच्छा मौका तो कोई हो ही नहीं सकता था)
देखो, तुम अपने मम्मी पापा से मेरे बारे में कुछ भी कहकर शादी से मना कर देना, मुझे कोई एतराज नहीं है, मैंने कॉफी खत्म करके कप को टेबल पर रखते हुए कहा।
निशा मुझे देखती रही।
मेरी बस का समय हो रहा है, मैं चलता हूं, आप आनंद जी को फोन कर दीजिए, मैंने कहा।
वेटर बिल ले आया। मैंने बिल पे किया और उठ गया।
निशा के चेहरे पर बहुत ही उदासी दिखाई दे रही थी। उसकी आंखें नम थी।
(मुझे बहुत बुरा लग रहा था, परन्तु इस रिश्ते से छूटकारा तो पाना ही था)
देखिये ज्यादा निराश होने की आवश्यकता नहीं है, आप बहुत खूबसूरत हैं, और आपको बहुत ही स्मार्ट और हैंडसम लड़के मिल जायेंगे, या फिर आनंद से आप प्यार करती हों, मैंने कहा।
ओके मैं निकलता हूं, कहकर मैं बाहर की तरफ चल दिया। निशा भी मेरे साथ साथ बाहर आ गई।
आप आनंद जी को फोन कर दीजिए वो आ जायेंगे, अकेले रहना ठीक नहीं है, मैंने कहा।
उसने आनंद को फोन कर दिया। कुछ ही देर में मुझे वो आता हुआ दिखाई दिया।
मैं निशा को बाय बोलकर चल दिया। मैंने रिक्शा पकड़ा और टूरिस्ट ऑफिस आ गया। बस लग चुकी थी। मैं आकर अपनी सीट पर बैठ गया।
कुछ ही देर में बस चल पडी। मैं लेटकर निशा के बारे में सोचता रहा, और सोचते सोचते कब आंख लग गई पता ही नहीं चला।
सुबह कंडेक्टर की आवाज सुनकर मेरी आंख खुली। बस छोटी चौपड़ पर पहुंच चुकी थी। मैं नारायणसिंह सर्किल पर उतरा और ऑटो पकड़कर रूम पर आ गया।
7 बज चुके थे। आते ही मैंने अपूर्वा को फोन किया, पर उसका फोन नहीं मिला। तैयार होकर मैं ऑफिस के लिए निकल पड़ा।
मैम बाहर ही मिल गई। मैंने गुड मॉर्निग की। ओर ऑफिस में आ गया।
अपूर्वा नहीं आई थी। पर अभी थोड़ा टाइम था, पौने नौ ही हुए थे। मैंने अपना सिस्टम स्टार्ट किया और काम करने लगा।
कुछ देर बाद मैम चाय लेकर आई, मैंने टाइम देखा, 11 बजने वाले थे। अपूर्वा नहीं आई थी।
कैसे हो समीर, कल नहीं आये, मैम ने चाय टेबल पर रखते हुए कहा।
घर गया हुआ था मैम, मैंने कहा।
मैं कोमल के बारे में भी जानना चाहता था, पर मैम से पूछने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
हम्म, कोमल भी आज सुबह ही गई है, मैम ने चेयर सरका कर बैठते हुए कहा।
अपूर्वा नहीं आई, मैंने मैम से पूछा।
वो बाहर गई है कहीं, चार-पांच दिन की छूट्टी पर है, मैम ने बताया।
सुनकर मैं उदास हो गया। उसका मोबाइल भी नहीं मिल रहा था।
चाय पीने के बाद मैम कप लेकर चली गई। तीन बजे के आसपास बॉस आये। सी-स्कीम वो ऑफिस का काम पूरा हो गया था, तो ऑफिस को उधर शिफट करना था।
शाम तक सिस्टम्स को ऑफिस में शिफट कर लिया। मैंने सभी एम्प्लोईज को फोन करके अगले दिन ऑफिस आने के लिए सूचित कर दिया।
दो ने कहीं और नौकरी पकड़ ली थी। सुमित अभी गोवा से वापिस नहीं आया था। मैंने उसे जल्दी वापिस आने को कह दिया।
ऑफिस से निकलते निकलते छः बज गये थे। मैं सीधा अपूर्वा के घर पहुंचा, परन्तु वहां पर कोई नहीं मिला। निराश होकर घर आ गया। एकदम से बहुत ही खालीपन महसूस हो रहा था। कुछ दिन पहले की ही बात है जब पहली बार सोनल के साथ मेरा रिश्ता जुड़ा था और उसके बाद तो जैसे सारी खुशियां मुझे ही दे दी गई थी, परन्तु अब एकदम से वो सारी खुशियां छिन गई हों ऐसा महसूस हो रहा था।
मैं बेड पर औंधा लेटा था, चेहरा तकिये में छुपा हुआ था। ऐसे ही लेटे लेटे कब नींद आई पता ही नहीं चला।
सुबह 5 बजे वाला अलार्म बजने पर आंख खुली। अलार्म बंद करके मैं ऐसे ही लेटा रहा। मुझे फिर से नींद आने लगी थी कि तभी मेरा मोबाइल बजने लगा। उठाकर देखा तो नया नम्बर था।
मैंने कॉल पिक की।
हैल्लो, मैंने उंघते हुए कहा।
हैल्लो, सो रहे हो अभी तक, उधर से आवाज आई।
हूं,, बस अभी उठा ही हूं, मैंने कहा।
पहचान तो लिया ना, उधर से आवाज आई।
हम्मम, शायद, याद करने दो ये आवाज,,, मैंने कहा।
ओहहह सिसट्,,, मम्मी आ गई, मैं रख रही हूं, बाद में करती हूं, उधर से आवाज आई और फोन कट गया।
सही तरह से तो नहीं पहचाना पाया, पर शायद कोमल थी।
मैं उठा और बाहर चेयर लेकर बैठ गया। सामने की छत पर वो विदेशी लड़की टहल रही थी। मैंने उससे जान-पहचान बढाने की सोची और उठकर मुंडेर का सहारा लेकर खड़ा हो गया। बीच में बस गली थी, तो वो ज्यादा दूर नहीं थी, इसलिए बातें करने में कोई ज्यादा प्रॉब्लम नहीं होने वाली थी।
क्या नाम था उसका,,, हम्मम,, नाम याद नहीं आ रहा,,, ये बड़ी प्रॉब्लम है मेरे साथ,,, नाम बड़ी जल्दी भूल जाता हूं, मैंने मन ही मन सोचा, पर उसका नाम याद ही नहीं आया।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:20 PM,
#58
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--58
गतांक से आगे ...........
मैं उसका नाम याद करने की कोशिश करते हुए उसकी तरफ देखे जा रहा था। अचानक उसकी नजर मुझपर पड़ी और मुझे खुदको ही घूरते हुए पाकर वो मुस्करा दी। मैं भी मुस्करा दिया।
हाये,,, उसने मुंडेर के पास आकर खड़ी होकर कहा।
हाये,,,, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
कई दिन से दिखे नहीं आप, उसने कहा।
ओहहह,,, घर चला गया था, मैंने कहा।
हम यहां पर नये आये हैं, किसी को जानते नहीं हैं, तो बोर हो जाती हूं पूरे दिन घर पर ही,,,, उसने कहा।
बाहर घूमने चले जाया करिये,,, फिर बोर नहीं होंगी।
अकेली जाकर क्या करूंगी, कोई साथ में जाने वाला तो हाेना ही चाहिए।
आपके साथ वो है ना, मैंने कहा।
कौन, उसने मेरी तरफ आश्चर्य से देखते हुए कहा।
वो लड़का था ना, कुछ दिन पहले देखा था, कया नाम था उसका, हां अभि,,, मैंने कहा।
अरे वो,,, वो तो मुझे छोउ़ने के लिए आया था, पापा के दोस्त का लड़का था, उसने कहा।
आपकी हिंदी काफी अच्छी है, मैंने कहा।
हां, मम्मी इंडियन है तो इसलिए, उसने कहा।
काफी देर हम बातें करते रहे। जब नींद आने लगी तो मैं अंदर आकर सो गया।
ऐसे ही कई दिन गुजर गये। मैं हर रोज ऑफिस जाते समय और ऑफिस से आते समय अपूर्वा के घर पर जाता था, परन्तु अभी तक वो वापिस नहीं आये थे।
इसी बीच अनन्या से बातें होती रही और अब हम एक दूसरे से काफी खुल गये थे और एक बार अनन्या मेरे रूम पर भी आई थी। आंटी कुछ दिन के लिए अपने भाई के घर चली गई थी।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे पूरी तरह से झकझोर के रख दिया और मैं अंदर से टूट गया। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि मेरे साथ ये सच में ही हुआ है। कोई ऐसा भी कर सकता है, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि दिमाग की नसें फट जायेंगी। मैं घर आकर सर दर्द की गोली लेकर आंखे बंद करके लेट गया।
आंखे बंद करते ही कुछ देर पहले की सारी बातें मेरे दिमाग में घूमने लगी।

तभी कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे पूरी तरह से झकझोर के रख दिया और मैं अंदर से टूट गया। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि मेरे साथ ये सच में ही हुआ है। कोई ऐसा भी कर सकता है, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि दिमाग की नसें फट जायेंगी। मैं घर आकर सर दर्द की गोली लेकर आंखे बंद करके लेट गया।
आंखे बंद करते ही कुछ देर पहले की सारी बातें मेरे दिमाग में घूमने लगी।
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तुम जैसे लड़कों की फितरत मैं अच्छी तरह से समझता हूं,,, ऐसा लगा था जैसे किसी ने सिर पर बहुत जोर से हथौड़ा मार दिया हो।

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आज मंगलवार था। सुबह जल्दी उठने की आदत सी हो गई थी कुछ दिनों से, इसलिए मैं अब हर रोज पार्क में टहलने जाने लगा था। आज भी हर दिन की तरह मैं सुबह पार्क में घूमने चला गया। मोनी आज भी दिखाई नहीं दी। पार्क से आकर मैं नाश्ते की तैयारी करने लगा। अभी मैं नाश्ता बना ही रहा था कि अनन्या रूम पा आ गई। अकेला पड़ने से मैं परेशान तो रहता था ही, इसलिए अनन्या को देखकर हल्की सी खुशी हुई। पिछले कुछ दिनों से हमारी दोस्ती गहराती जा रही थी। अभी कुछ दिन पहले ही उससे पहली बार मेरी बात हुई थी, परन्तु इन कुछ दिनों में ही हम काफी करीब आ गये थे। इन चंद दिनों में ही हमारे बीच फॉर्मेलटी जैसी चीज खत्म हो चुकी थी।
उसने मेरे साथ मिलकर नाश्ता तैयार करवाया। फिर कुछ देर तक हम बातें करते रहे।
उसे कॉलेज जाना था तो कुछ देर बाद वो चली गई। मैं भी नहा-धोकर ऑफिस के लिए तैयार हो गया। नाश्ता करके मैं ऑफिस के लिए निकल पड़ा। जैसा कि हर दिन का रूटिन हो गया था, पहले मैं अपूर्वा के घर पर गया, अभी भी वहां पर ताला ही लगा हुआ था। निराश होकर मैं ऑफिस के लिए निकल गया। बाइक पार्क करते वक्त मुझे सुमित की बाइक दिखाई दी।
मन में कुछ खुशी हुई कि आज पूरा दिन अकेले बोर नहीं होना पड़ेगा। अंदर आकर देखा, सुमित काम कर रहा था। बॉस अपने केबिन में ही थे। मैं धीरे से सुमित के पास गया, जिससे उसे पता ना चले।
कैसा है बे, ले आया मजे गोवा के,,, मैंने सुमित के कंधे पर हाथ मारते हुए कहा।
सुमित एकदम से चौका पर फिर मुझे देखकर मुस्करा दिया।
ठीक हूं यार, रात को ही आया हूं, सफर की थकान महसूस हो रही है, सुमित ने मेरे से हाथ मिलाते हुए कहा।
तो तेरे पास पहलवान भेजे थे किसी ने, जो आज ही उठा लाये, आज आराम करता, कल आता मजे से,,, मैंने कहा।
चल अब आ गया है तो चुपचाप काम कर,,, मैंने कहा और बॉस के केबिन की तरफ चल दिया।
गुड मॉर्निग बॉस, मैंने केबिन में आते हुए कहा।
गुड मॉनिंग, बॉस ने अपनी घड़ी में टाइम देखते हुए कहा।
टाइम से आया हूं बॉस, लेट नहीं हूं, मैंने कहा।
हम्मम,,,,, मैं अभी एक मीटिंग के लिए निकल रहा हूं, कोई इंटरव्यू के लिए आये तो उसका इंटरव्यू ले लेना,,, बॉस ने कहा।
मैं,,,, मैंने आश्चर्य से कहा।
और क्या मैं,,,,, बॉस ने कहा।
मैं कैसे इंटरव्यू लूंगा,,, मुझे खुद इंटरव्यू देते हुए तो डर लगता है, दूसरों का इंटरव्यू लूंगा,,, मैंने कहा।
ठीक है उनका रिज्यूम देख लेना,,, कोई ढंग का हो तो बैठा लेना, मैं 2-3 घण्टें में आ जाउंगा।
ठीक है बॉस, मैंने कहा।
मैं बाहर आकर अपना सिस्टम चालू किया और काम करने लगा। कुछ देर बाद बॉस चले गये।
12 बजे के आसपास दो लड़कियां इंटरव्यू देने के लिए। मैंने उनका रिज्यूम देखा, मेरे से तो बहुत ही ज्यादा बेहतर था। मैंने उनको इंतजार करने के लिए कहा और पियोन को चाय के लिए कह दिया।
वो एंट्री के पास रखे वेटिंग सोफों पर बैठ गई। पियोन चाय लेकर आया। चाय पीते हुए मैंने उन लड़कियों पर नजर डाली। एक का रंग थोड़ा सांवला था, परन्तु नयन-नक्श बहुत ही तीखे। फॉर्मल ड्रेस में बाकी के शरीर का अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल था, परन्तु मस्त फिगर ही लग रहा था।
दूसरी लड़की एकदम गोरी-चिटी थी, रूप भी बहुत ही आकर्षक था और सबसे ज्यादा अटरेक्टिव उसकी नोज रिंग थी, छोटी सी रिंग उसके चेहरे को और भी आकर्षक बना रही थी।
रिज्यूम में एक का नाम मनीषा था और दूसरी का नाम रामया। मैंने दोनों के रिज्यूम एक साथ ले लिए थे, इसलिए ये मालूम नहीं हो सका कि कौनसी का नाम मनीषा है और कौनसी का नाम रामया।
चाय पीते हुए समीर से गपशप भी होती रही और मैं उन लड़कियों को ताड़ता भी रहा। उनकी नजर मुझपर पड़ती तो मैं स्माईल कर देता। वो भी मुस्करा देती।
चाय पीकर मैं अपना काम करने लग गया। थोड़ी देर बाद बॉस आ गये। मैंने उन लड़कियों के बारे में बताया, बॉस ने उन्हें अपने केबिन में बुला लिया।
काफी लम्बे इंटरव्यू के बाद जब वो बाहर आई तो उनके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि जैसे बात बन गई हो।
पांच बजे हम घर के लिए निकल पड़े। हर रोज की तरह मैं अपूर्वा के घर पहुंचा। वहां पहुंचकर मेरी खुशी का ठीकाना ना रहा। मेन गेट का लॉक खुला हुआ था। बाईक खडी करके मैंने बैल बजाई। कुछ देर इंतजार के बाद भी कोई नहीं आया तो मैं दोबारा बैल बजाने ही वाला था कि मुझे किसी के आने की आवाज आई। दरवाजा अंकल ने खोला।
मैंने अंकल के पैर छुए। अंकल ने मेरे सिर पर हाथ रखा।
हां कहो कैसे आना हुआ, मेरे सीधा खड़े होते ही अंकल ने पूछा।
मुझे हैरानी तो हुई, परन्तु खुशी इतनी ज्यादा थी कि इस बात पर कोई खास धयान नहीं दिया।
घर से आया तो यहां पर कोई मिला ही नहीं, अपूर्वा का फोन भी नहीं मिल रहा था, मैंने कहा।
तो,,, अंकल ने कहा।
अंकल के इस रूखे से जवाब ने मुझे चिंता में डाल दिया। अंकल गेट में खड़े रहे। मुझे आश्चर्य तो हो रहा था, पर मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।
अंकल वो अपूर्वा से----- मैंने कहा और अंकल के चेहरे की तरफ देखने लगा।
हां बोलो, क्या काम है, अंकल ने वैसे ही बेरूखी से कहा।
मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था। परन्तु फिर भी मैंने थोड़ी हिम्मत करके कह ही दिया।
अंकल बहुत दिन हो गये, अपूर्वा से बात भी नहीं हुई, मैं उससे मिलना चाहता हूं, कहकर मैं थोड़ा आगे बढ़ा, ताकि अंकल साइड में होकर अंदर आने का रास्ता दें।
ओह तो ये बात है, आओ अंदर आओ,,, अंदर बात करते हैं,,, कहते हुए अंकल अंदर की तरफ चल दिए।
उनके गेट से हटते ही मैं भी अंदर आ गया।
बैठो, अंकल ने सोफे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मैं बहुत ही बैचेन हो उठा था, अंकल की ये बेरूखी उनकी पहले वाले व्यवहार से बहुत ही अलग थी। दिल जोर जोर से धड़क रहा था। पता नहीं क्या बात है जो अंकल इस तरह से व्यवहार कर रहे हैं।
अंकल अंदर गये और कुछ देर बाद मेरे पास आकर बैठ गये।
तो कहिये, क्या कह रहे थे आप, अंकल ने मेरे सामने वाले सोफे पर बैठते हुए कहा।
जी वो अपूर्वा ऑफिस भी नहीं आ रही, सब ठीक तो है, बैचेनी में मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या कहूं।
हां, सब ठीक-ठाक है, पर उसने नौकरी छोड़ दी है।
मैं तो पहले ही उसके नौकरी करने के खिलाफ था, पर उसकी जिद्द थी तो, अंकल ने थोड़ा रूककर कहा।
वो उपर ही है क्या, मैं मिल लेता हूं, मैं अपनी बैचेनी को रोक नहीं पा रहा था।
एक मिनट, कहीं उस दिन वाली बातों को तुमने सीरियस तो नहीं ले लिया,,, अंकल ने कहा।
जी मैं कुछ समझा नहीं, आप क्या कहना चाहते हैं, मेरे चेहरे से बैचेनी और हैरानी शायद साफ साफ झलक रही होगी।
देखिए बर्खुदार, कहते हुए अंकल खडे हो गए और बाहर की तरफ मुंह कर लिया।
उस दिन जो भी हमने कहा था, तुम्हारे और अपूर्वा के बारे में, तुम्हारी शादी के बारे में, वो बस ऐसे ही कहा था।
अंकल, ये आप क्या कह रहे हो, मैं हैरानी से खडा हो गया।
तुम्हारे जैसे लड़कों की फितरत मैं अच्छी तरह से समझता हूं, अंकल ने कहा।
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे सिर पर बहुत जोर से हथौड़ा मार दिया हो।
किसी अमीर बाप की इकलौती बेटी को अपने प्यार के जाल में फंसाओ और अमीर बन जाओ,,, अंकल ने मेरी तरफ घूमते हुए कहा।
अंकल की बात सुनकर मैं अंदर तक हिल गया। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कुछ दिन पहले इतने प्यार से मेरी और अपूर्वा की शादी की बात की जा रही थी और आज इस तरह की बात की जा रही हैं।
ये आप कैसी बात कर रहे हैं अंकल, ऐसा कुछ नहीं है, कहते हुए मेरी आवाज भर्रा गई।
मैं सब समझता हूं बर्खुदार, दुनिया देखी है मैंने।
अंकल आप ऐसा कैसे कर सकते हैं, मैं अपूर्वा से प्यार करता हूं, अभी तक हैरत से फटी हुई मेरी आंखे नम हो चुकी थी।
अपूर्वा भी मुझसे प्यार करती है, आप अपनी बेटी के साथ ऐसा नहीं कर सकते।
भोली-भाली लड़कियों को अपने जाल में फंसाना तुम जैसो को अच्छी तरह आता है, अंकल ने कहा।
आप अपूर्वा को बुलाइये ना, वो आपको बता देगी कि मैं ऐसा लड़का नहीं हूं,,, मेरी नजर अब बार बार उपर अपूर्वा के रूम की तरफ जा रही थी।
वो अब तुमसे नहीं मिलना चाहती, उसे सब समझ आ गया है कि तुम उससे प्यार-व्यार नहीं करते, उसकी दौलत से प्यार करते हो,,,, अंकल ने कहा।
अब आप जाइये, मुझे आपसे ज्यादा बहस नहीं करनी,,, अंकल ने कहा।
आप मेरा यकीन कीजिए अंकल, आप एक बार अपूर्वा को बुला लीजिए, मेरे पैर कांपने लगे थे और अब खड़ा रहना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था।
आंखों से आंसु लुढकने लगे थे और दिल बैठता जा रहा था।
मैंने कहा ना आपसे कि मुझे आपसे ज्यादा बहस नहीं करनी, अब आप आराम से चले जाइये, नहीं तो मुझे जबरदस्ती निकालना पडेगा,,, अंकल ने दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मेरा दिमाग एकदम सुन्न सा पड़ता जा रहा था। एकदम से सबकुछ लुटता हुआ नजर आ रहा था।
मैं अपूर्वा से बात किये बिना नहीं जाउंगा, कहते हुए मैं उपर की तरफ चल दिया।
वहां कहां जा रहे हो, वो घर पर नहीं है, अंकल ने चिल्लाते हुए कहा।
कहां पर अपूर्वा, आप उसे बुला क्यों नहीं रहे, मैं उसके मुंह से सुनना चाहता हूं कि उसने भी मुझे ऐसा समझ लिया है जैसा आप समझ रहे हैं, मैं उसके मुंह से सुनना चाहता हूं कि वो मुझसे प्यार नहीं करती,, मैंने लड़खड़ाती आवाज में कहा।
तुम्हारे समझ में नहीं आ रहा मैं क्या कह रहा हूं, अंकल ने कहा।
गार्ड,, अंकल ने आवाज लगाई।
एक गार्ड अंदर आया। अंकल ने उसे मुझे बाहर निकालने को कहा। गार्ड ने मुझे पकड़कर बाहर निकाल दिया।
मैं अपूर्वा से मिलना चाहता था, इसलिए बाहर ही बैठ गया। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे शरीर में से जान निकाल ली हो। मैं काफी देर तक वहीं अपनी बाईक पर बैठा रहा। परन्तु कोई भी बाहर नहीं आया। रात को जब घर की सारी लाइट्स बंद हो गई और कोई उम्मीद नहीं रही तो मैं अपने घर के लिए चल पड़ा।
इस सब ने मुझे पूरी तरह से झकझोर के रख दिया और मैं अंदर से टूट-सा गया। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा था कि मेरे साथ ये सच में ही हुआ है। कोई ऐसा भी कर सकता है, मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। मेरा सिर दर्द से फटा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि दिमाग की नसें फट जायेंगी। मैं घर आकर सर दर्द की गोली लेकर आंखे बंद करके लेट गया।
बैचेन मुझे लेटे हुए भी नहीं रहने दे रही थी। कुछ देर बाद मैं उठा और अपूर्वा का नम्बर मिलाया। कॉल जाते ही मेरे दिल में एक खुशी की लहर दौड़ गई। परन्तु अगले ही पल निराशा ने वापिस घेर लिया। पूरी घण्टी जाने पर भी किसी ने फोन नहीं उठाया।
मैं वापिस से लेट गया और तकिये में मुंह छुपा लिया। एक दर्द, एक टीस मुझे चैन नहीं पड़ने दे रही थी। कई बार अपूर्वा का फोन मिलाया, परन्तु किसी ने भी नहीं उठाया।

ऐसे ही कब आंख लग गई मुझे पता ही नहीं चला।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:20 PM,
#59
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--59
गतांक से आगे ...........
सुबह जब आंख खुली तो सिर में हल्का हल्का दर्द महसूस हो रहा था। मैं सीधा होकर लेट गया और खाली-खाली आंखों से छत की तरफ देखता रहा। पता नहीं कितनी ही देर ऐसे ही पड़ा रहा। अपूर्वा के साथ बिताये पल बार बार याद आ रहे थे और बार बार आंखों से आंसुओं की एक-दो बूंद गाल पर से होती हुई नीचे लुढक रही थी।अपूर्वा के साथ बिताये पल याद करके कभी तो चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती परन्तु अगले ही पल वो गायब भी हो जाती। ऐसे ही लेटे लेटे पता नहीं कितना टाइम निकल गया।
हाय,,,, आज ऑफिस नहीं गए।
आवाज सुनकर मैंने दरवाजे की तरफ देखा, अनन्या थी। मैंने टाइम देखा तो 12 बजने वाले था। मैं एकदम से खड़ा हुआ।
श्श्शिााट्,,,, आज तो लेट हो गया।
लेट हो गये, आधा दिन निकल चुका है, अनन्या ने हंसते हुए कहा।
हे, चेहरे पर ये उदासी क्यों छाई हुई है,,, अनन्या ने मेरे पास आकर मेरे चेहरे को पकड़ते हुए कहा।
हम्मम,,, नहीं तो ऐसा तो कुछ नहीं है, शायद देर तक सोता रहा इसलिए ऐसा लग रहा है, मैंने थोड़ा मुस्कराने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा।
तुम बैठो मैं अभी नहा-धोकर ऑफिस के लिए तैयार हो जाता हूं, कहते हुए मैं उसे बेड पर बैठा कर बाथरूम में घुस गया।
श्श्शिााट्,, नहाने के बाद धयान आया कि कपड़े तो लाया ही नहीं। अब बाहर अनन्या बैठी होगी। ये तो बड़ी किरकिरी हो गई। पर अब क्या किया जा सकता था। मैं टॉवेल लपेटा और हल्का सा दरवाजा खोलकर देखा, अनन्या दिखाई नहीं दी। मैंने बाहर आकर देखा, तो अनन्या रूम में नहीं थी। शायद चली गई होगी बोर होकर, मैंने सोचा और टॉवल खोल कर सिर पूंछने लगा और फिर टॉवल को पास में रखी चेयर पर रख दिया और अलमारी से कपड़े निकालने लगा।
तभी दरवाजा खुला। मैंने दरवाजे की तरफ देखो तो अनन्या दरवाजे पर खड़ी हुई मुझे देख रही थी। मैं सिर्फ जॉकी में खडा था। मैंने जल्दी से टॉवल उठाकर लपेट लिया।
हेहेहेहेहेहे,,,, तुम तो लड़कियों की तरह शर्मा रहे हो, कहते हुए अनन्या अंदर आकर बेड पर बैठ गई और मुझे देखने लगी।
नाइस बॉडी,,, अनन्या ने अपने हाथ पर कंधे से नीचे हाथ मारते हुए कहा।
हम्मम, मैंने कहा और कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गया।
तैयार होकर मैं बाहर आया।
चलें, मैंने बेड पर से बाइक की चाबी उठाते हुए कहा।
अनन्या मेरे चेहरे को घूरने लगी।
ओह,,, मैंने पूछा ही नहीं, आप किसी काम से तो नहीं आई,,, मैंने अपने सिर में हाथ मारते हुए कहा।
नहीं, बस वो आपकी बाईक नीचे खड़ी देखी तो सोचा कि आप यहीं पर होंगे, घर पर बोर हो रही थी, इसलिए मिलने आ गई।
ओह,,, आज कॉलेज नहीं गई।
आज छुट्टी थी, अनन्या ने उठते हुए कहा।
हम्मम,,, शाम को मिलते हैं, अभी तो जल्दी से निकलना पड़ेगा,, कहते हुए मैं बाहर की तरफ चल पड़ा।
अनन्या भी मेरे पिछे पिछे बाहर आ गई। मैंने रूम को लॉक किया और हम दोनों नीचे आ गये।

ऑफिस पहुंचकर मैंने बाइक पार्क की और अंदर आ गया।
रामया और मनीषा ने ज्वाइंन कर लिया था।
गुड आफटरनून सर,,, मुझे देख कर मनीषा ने कहा।
उसकी आवाज सुनकर रामया ने भी गुड आफटरनून किया।
गुड आफटरनून,,, और हां मैं कोई सर-वर नहीं हूं, तुम्हारी तरह काम करता हूं यहां,, मैंने कहा और अंदर बॉस के केबिन की तरफ चल दियां
अंदर आकर बॉस को गुड आफटरनून कहा।
आज तो खूब लेट आये हो, बॉस ने टाइम देखते हुए कहा।
वो तबीयत कुछ खराब सी थी, मैंने कहा।
अब कैसी है, बॉस ने पूछा।
कुछ ठीक है।
ये लो, इसको समझ लो, कुछ प्रॉब्लम आये तो मुझसे पूछ लेना, बॉस ने एक फाइल मुझे देते हुए कहा।
फाइल लेकर मैं बाहर आ गया और अपनी डेस्क पर आकर बैठ गया।
क्या हुआ, चेहरा इतना उदासी से भरा हुआ क्यों है, सुमित ने मेरी तरफ घूमते हुए पूछा।
बस तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है, मैंने कहा और फाइल खोलकर देखने लगा।
पूरे दिन ऐसे ही फाइल को उलट-पुलट कर देखता रहा पर कुछ भी समझ में नहीं आया। दिमाग में तो बस अपूर्वा ही घूम रही थी। बार बार आंखें नम हो जाती थी।
अभी इधर ही हो, बॉस की आवाज सुनकर मेरी आंख खुली।
मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैं डेस्क पर सिर रखकर सो गया।
उंहहहहह,,,, आंख लग गई थी शायद,,, मैंने आंखें मलते हुए कहा।
मुझे सुमित और मनीषा औ रामया दिखाई नहीं दी। मैंने टाइम देखा तो 6 बजने वाले थे।
तबीयत तो ठीक है ना, बॉस ने मेरा हाथ चैक करते हुए कहा।
हां,,, तबीयत तो ठीक ही लग रही है, मैंने कहा।
दवाई ले लेना जाकर, कहीं ज्यादा खराब ना हो जाये, बॉस ने कहा और बाहर की तरफ चल पड़े।
मैंने फाइल ड्रावर में रखी और सिस्टम बंद करके बाहर आ गया। बाइक लेकर घर की तरफ चल दिया।
जो शहर कभी अपना-सा लगता था, मस्ती करते हुए जिन रास्तों से मैं गुजरता था, आज वो सब पराये से लग रहे थे। ऐसा लग रहा था कि मैं इस शहर में पहली बार आया हूं।
घर पहुंच कर बाइक खड़ी की और उपर आ गया।
उपर आकर देखा तो सोनल मुडेर के सहारे खड़ी हुई थी। उसे देखकर मैं इतना हैरान हो गया कि सीढ़ियों की आखिरी पौढ़ी पर ही खड़ा रह गया।
सोनल को शायद मेरे आने की आहट हो गई थी। वो मेरी तरफ पलटी और एक बार मुस्कराई परन्तु अगले ही पल उसके चेहरे पर कुछ टेंशन के भाव आ गये। वो मेरे पास और मेरे चेहरे की तरफ देखने लगी।
हे, क्या हुआ बेबी, इतने उदास क्यों हो।
तुमने तो मुझे चौंका ही दिया, मैंने चेहरे पर मुस्कराहट लाते हुए कहा।
सच कहूं तो वो जबरदस्ती लाई गई मुस्कराहट नहीं थी। सोनल को देखकर दिल को कुछ सुकून मिला था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी अनजानी जगह पर भटकते हुए कोई अपना मिल गया है।
पर तुम इतने उदास क्यों हो बेबी, क्या हुआ।
नहीं कुछ नहीं, शायद तबीयत खराब है, मैंने कहा।
सोनल ने मुझे बाहों में भर लिया। उसकी बांहों में जाते ही मैं टूट गया और मेरी आंखाें से आंसु, जो कल से रूक रूक कर आंखों को नम कर रहे थे, बहनें लगे।
सोनल की बाहों में बहुत ही सुकून महसूस हो रहा था। मैंने अपनी बांहें उसकी कमर पर लपेट दी। सोनल ने अलग होना चाहा, परन्तु मैंने उसे ऐसे ही अपनी बांहों में जकड़े रखा।

अब अंदर भी चलो, यहां कब तक खड़े रहोगे,,, सोनल ने धीरे से मेरे कान में कहा।
हूं, मैंने कहा और अपने आंसु पौंछ लिए और सोनल से अलग हुआ।
हे हे हे,,, तुम्हें जुकाम हो गया है,,, देखो कैसे नाक में से पानी बह रहा है, सोनल ने मेरे चेहरे की तरफ देखते हुए कहा।
हम्मम, मैंने जेब में से हैंकी निकाल कर नाक साफ की।
हे, तुम रो क्यों रहे हो, क्या हुआ बेबी,,, सोनल ने मेरे गालों पर अपने हाथ रखते हुए कहा।
नहीं तो, मैं क्यों रोउंगा, मैंने थोड़ा सम्भलते हुए कहा परन्तु मेरे गले ने मेरा साथ नहीं दिया और आवाज भर्रा गई।
लाओ चाबी दो रूम की,,, सोनल ने मेरा हाथ पकड़ा और दरवाजे की तरफ मुझे खींचते हुए कहा।
लॉक खोलकर वो मुझे खींचते हुए अंदर ले आई।
अंदर आकर उसने मुझे बेड पर बैठा दिया और मेरे चेहरे को अपने हाथों के बीच लेकर मेरी आंखों में देखने लगी।
सोनल ने मेरे माथे को चूमा और बेड पर बैठते हुए मेरे चेहरे को अपनी तरफ कर लिया। मैं खुद को सम्भाल न सका और फिर से मेरी आंखों से आंसु बहने लगे।
सोनल ने मुझे कसके बाहों में भर लिया और मेरे चेहरे को अपनी छाती में छुपा लिया। वो शायद समझ चुकी थी कि कुछ बड़ी गड़बड़ है।
काफी देर तक वो मुझे ऐसे ही बाहों में भरे हुए बैठे रही और मेरे बालों को सहलाती रही। जब मैं कुछ नोर्मल हुआ तो मैंने की बाहों से निकला।
अलग होेते ही उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और मेरी आंखों में देखने लगी।
ये,,, ये,,, तुम्हारी आंखों में इतना सुनापन क्यों है, क्या हुआ, मुझे बताओ,,,, सोनल के चेहरे पर शिकन आ चुकी थी।
उसकी बात सुनकर फिर से मेरे आंसु बहने लगे और सोनल ने फिर से मुझे अपनी बाहों में छुपा लिया।
पता नहीं कितनी देर वो मुझे अपनी बाहों में लिए हुए मेरे बालों को सहलाती रही। शायद ये शाम और फिर रात ऐसे ही गुजर जाती, अगर अनन्या ना आती तो।
ओहहहह,, सॉरी,, शायद मैं गलत वक्त पर आ गई,,, अनन्या ने अंदर आते ही कहा और वापिस मुडने लगी।
नहीं, आप आइये,,, वक्त कभी गलत नहीं होता, सोनल ने उसे रोकते हुए कहा।
अनन्या की आवाज सुनकर मैं अपने आंसु पौंछता हुआ सोनल से अलग हुआ।
हाय,,,, मैंने अनन्या की तरफ देखकर उससे कहा।
वो तो वहीं खड़े हुए आंखें फाड़ें मुझे देखे जा रही थी।
क्या हुआ, तुम,,, तुम,,, रो क्यों रहे हो, अनन्या ने हमारी तरफ आते हुए कहा।
जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो सोनल की तरफ देखने लगी।
पता नहीं, कुछ बता ही नहीं रहे,,, सोनल ने उसका आशय समझते हुए कहा।
मैं दिन में आई थी तब भी बहुत उदास-उदास लग रहे थे, मुझे कुछ गड़बड़ तो लग रही थी, पर फिर इन्होंने कहा कि देर तक सोता रहा इसलिए है,,, अनन्या ने सोनल की तरफ देखते हुए कहा।
12 बजे उठे थे, सुबह,,, वो भी मैं आ गई थी, नहीं तो पता नहीं पूरे दिन कमरे में ही बंद रहते,,, अनन्या ने कहा।
सोनल उसकी तरफ प्रश्न की मुद्रा में देख रही थी।
ओहह,, मैं अनन्या,,, सामने वाले घर में रहती हूं, रेंट पर।
ओहहह,,, मैं सोनल, सोनल ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा।
सोनल का एक हाथ अभी भी मेरी कमर सहला रहा था।
बेबी, बताओ ना क्या हुआ, देखों मैं बहुत परेशान हो गई हूं,,,, सोनल ने मेरे गाल को अपने हाथ में पकड़ कर सहलाते हुए मेरी तरफ देखते हुए कहा।
ओ माई गोड,,,,, आपका टॉप तो पूरा भीग गया है, क्या ये इनके आंसुओं से भीगा है,,,, अनन्या ने सोनल के टॉप की तरफ इशारा करते हुए आश्चर्य से कहा।
सोनल ने अनन्या की तरफ घूर कर देखा, तो अनन्या चुप हो गई। सोनल ने अनन्या को जाने का इशारा किया।
मैं बाद में आती हूं, सुबह,,, बाये समीर,, बाये सोनल,,,, अनन्या ने हमारी तरफ वेव करते हुए कहा।
बाय,,, मैंने भर्राई हुई आवाज में कहा।
अनन्या चली गई। अनन्या के जाते ही सोनल बेड से उठी और मेरे सामने आकर घुटनों के बल नीचे बैठ गई और मेरे चेहरे को अपने हाथों में भर लिया।
बेबी, मुझे बताओ क्या हुआ था, कुछ बताओगे नहीं तो कैसे हल निकलेगा,,, सोनल ने मेरे बालों को संवारते हुए बहुत ही प्यार से कहा।
शायद मेरे आंसु ही खत्म हो चुके थे, नहीं तो इतने प्यार भरे शब्दों पर तो खुशी में भी आंसु छलक आयें।
मैं आंखों में सुनापन लिए सोनल को देखता रहा और फिर अचानक ही खड़ा हुआ, सोनल भी खड़ी हो गई और मैंने सोनल को कसके बांहों में भर लिया।
सोनल का एक हाथ मेरी कमर में पहुंच गया और एक हाथ कमर से होता हुआ मेरे सिर को सहारा दे रहा था।
कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में समाए रहे। सोनल का हाथ लगातार मेरे बालों में चल रहा था।
बेबी, कोई बात नहीं, अभी नहीं बताना, कोई बात नहीं, कहते हुए सोनल ने मुझे खुद से अलग किया और बेड पर बैठा दिया। उसने मेरे शूज उतारकर साइड में रख दिये। फिर वो किचन में चली गई।
मैं ऐसे ही बेड पर बैठे हुए उसे देखता रहा। कल से लेकर अब तक जिस दुख को मैंने अपने अंदर दबा रखा था, सोनल के सम्भालने से वो रूक रूक कर पिघल कर बाहर आ रहा था।
लो पानी पीओ, सोनल ने पानी का गिलास मेरे मुंह के सामने करते हुए कहा।
मैंने गिलास को पकड़ा, परन्तु सोनल ने मेरे हाथ पर हल्का सा मारा और मेरा हाथ दूर हटा दिया। उसने गिलास को मेरे होंठों से लगा दिया। मैंने उसकी आंखों में देखते हुए पानी पीया।
मैं अभी आई, कहकर वो पानी का गिलास रसोई में रखकर बाहर चली गई।
कुछ देर बाद वो आई और मेरे पैर पकडकर उपर बैठ पर कर दिये और फिर खुद बैड पर चढकर दीवार के सहारे कमर लगाकर अपने पैर फैला कर बैठ गई और मुझे अपनी गोद में गिरा लिया। मेरा सिर अपनी गोद में लेकर वो मेरे गालों और बालों को सहलाती रही। मैं आंखें बंद करके सिमट कर उसकी गोद में लेट गया। काफी देर तक हम ऐसे ही बैठे रहे।
आज अगर सोनल नहीं आई होती तो शायद धीरे धीरे मैं टूट कर बिखर गया होता। सोनल ने मुझे एक बच्चे की तरह संभाल लिया था। मैं सोनल जैसी दोस्त पाकर खुद पर गर्व महसूस कर रहा था।
बेबी, भूख लगी होगी ना,,, सोनल ने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा।
शायद गम ऐसी ही चीज होती है, जो भूख प्यास सब भूला देती है। मुझे धयान आया कि कल शाम से मैंने कुछ नहीं खाया है, और ये धयान आते ही जोरों की भूख महसूस हुई।
मैंने अपना सिर उठाकर सोनल की तरफ देखा, वो बहुत ही प्यार से मुझे ही देख रही थी। मैंने अपना सिर हां में हिला दिया।
कुछ देर तक वो ऐसे ही मुझे अपनी गोद में समाये रही।
ओके,,, आज बाहर खाकर आते हैं, सोनल ने कहा।
हम्मम,,, मैंने कहा और उठकर बैठ गया।
क्रमशः.....................
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06-09-2018, 02:20 PM,
#60
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--60
गतांक से आगे ...........
मैंने टाइम देखा तो 9 बज चुके थे। उठकर मैंने कपड़े चेंज किये और हम लॉक लगाकर नीचे आ गये।
‘‘पर तुम ऐसे अचानक कैसे आ गई, कोई गड़बड़ तो नहीं’’ मन काफी हल्का हो गया था, और थोड़ा बहुत फ्रेश महसूस हो रहा था, परन्तु असली दर्द तो अभी अंदर ही दहक रहा था।
दीवाली की छुट्टियां,,, सोनल ने मेरे गाल को भींचते हुए मुस्कराते हुए कहा।
सोनल ने अपनी स्कूटी निकालने लगी।
पैदल ही चलते हैं ना, इधर दाना-पानी पर ही चलते हैं, मैंने कहा।
नहीं, जी-टी- चलेंगे, दाना-पानी पर बढ़िया नहीं मिलता, सोनल ने कहा और स्कूटी बाहर निकाल लाई।
मैं उसके पिछे बैठ गया और हम जी-टी- के निकल पड़े। तभी मुझे धयान आया कि मैं पर्स तो लेकर ही नहीं आया।
रूको,,, मैंने जोर से कहा।
क्या हुआ, सोनल ने एकदम से ब्रेक लगा दिये।
मैं पर्स तो लाना ही भूल गया,,, मैंने कहा।
पर मैं नहीं भूली, मैं ले आई हूं, सोनल ने कहा और स्कूटी फिर से भगा दी।
मैंने उसकी कमर पर चेहरा रख लिया और अपने हाथ उसके पेट पर कस दिए।
आंटी आ गई, मैंने पूछा।
नहीं, वो दो-तीन दिन बाद आयेंगी, सोनल ने कहा।
3 दिन बाद दीदी भी आ रही हैं, सोनल ने फिर कहा।
वॉव, फिर तो दीवाली पर खूब धमाल होगा,,,, मैंने अपना चेहरा उठाते हुए कहा।
हम्ममम,,, दीदी जब भी घर पर होती है तो बहुत मजा आता है,,, सोनल ने कहा।
तुम तो घर नहीं जा रहे ना दीवाली पर,,,, सोनल ने कहा।
देखो, वैसे अभी जाकर आया हूं, तो शायद ना जाउं,,, मैंने कहा।
तुम चले जाओगे तो कुछ मजा ही नहीं आयेगा,,, सोनल ने कहा।
देखता हूं, मैंने कहा।
ऐसे ही बातें करते हुए हम जी-टी- (गौरव टॉवर) पहुंच गये। सोनल मुझे सीधे मोचा (मल्टीक्यूजिन) में ले आईं। अंदर आकर हम बैठ गये।
आज मैं अपनी पसंद का खिलाउंगी, सोनल ने कहा और वेटर को ऑर्डर दे दिया।

सोनल पूरी कोशिश कर रही थी कि मेरे चेहरे से उदासी गायब हो जाये, परन्तु उसे कहां पता था कि मेरे साथ हुआ क्या है।
कुछ देर में वेटर डिनर ले आया। हमने खाना खाया। सोनल बार बार मेरे उदास चेहरे को देख देख कर परेशान हो रही थी। खाना खाने के बाद हम कुछ देर वहीं बैठे रहे। सोनल ने बिल पे किया और हम बाहर आ गये।
चलो आइसकरीम खाते हैं, सोनल कहते हुए मुझे आइसकरीम पार्लर की तरफ ले आई।
सोनल ने आइसकरीम ली और हम स्कूटी पर आकर बैठ गये। मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा था, सोनल मेरा इतना ख्याल रख रही है और मैं ऐसे ही चुपचाप रहकर उसे परेशान कर रहा हूं। परन्तु मैं बोलने की कोशिश करता तो गला साथ नहीं दे रहा था।
हम कुछ देर तक उधर ही बैठे रहे, आइसकरीम खत्म होने पर सोनल हम घर के लिए चल पडे। रस्ते में सोनल ने एक जगह स्कूटी रोकी और सामने की दुकान से कुछ सामान ले आई। मैं इतना खोया हुआ था कि मुझे पता ही नहीं चला कि वो क्या लेकर आई है और कब हम घर पहुंच गये हैं।
घर आकर उसने स्कूटी अंदर खडी की, उसने कब गेट खोला, मुझे कुछ होश नहीं था। जब मुझे धयान आया कि घर पहुंच गये हैं तो देखा कि सोनल मेरे सिर पर हाथ रखकर बालों को सहला रही थी, उसकी छाती मेरे कंधे पर दबी हुई थी। मैंने उसकी तरफ देखा। उसके चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी।
चलें, मुझे खुद की तरफ देखता पाकर सोनल ने प्यार से कहा।
हम्मममम,,, कहते हुए मैं स्कूटी से उतरा और हम उपर की तरफ चल दिये। हम सीधे मेरे कमरे में आ गये।
सोनल ने बाहर चेयर लगा दी और हम उधर बैठ गये। बहुत देर तक मैं ऐसे ही खोया खोया बैठा रहा। सोनल मेरे चेहरे को देखती रही।

‘‘बहुत उदास है कोई उसके चले जाने से,
हो सके तो लौटा लाओ उसे किसी बहाने से,
वो लाख खफा सही मगर एक बार तो देखे,
कोई टूट गया है उसके चले जाने से,’’

पता नहीं कैसे मेरे गले से बस इतना ही निकल पाया और इतनी देर से सुन्नी आंखों में एकबार फिर आंसुओं की धारा बहने लगी।
ये सुनकर तो सोनल एकदम से हैरान रह गई। वो एकदम से उठकर मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई और मेरे आंसुओं को पौंछने लगी। उसका स्पर्श पाते ही मैं उसकी बाजुओं में टूट गया। सोनल मुझे अंदर ले आई और बेड पर बैठकर मुझे अपनी गोद में लेटा लिया।
क्या हुआ था,,,, सोनल ने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा।
कुछ देर तक तो मैं ऐसे ही सुन्नी आंखों से छत की तरफ देखता रहा।
पता नहीं क्यों, उसने ऐसा किया मेरे साथ,,,, मैंने कहा और फिर बहते हुए आंसुओं के साथ उसे सारी बात बताई।
सोनल ने मुझे अपनी छाती से चिपका लिया और मेरे सिर के पिछे हाथ लगाकर कसकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
अपूर्वा से बात हुई तुम्हारी,,, कुछ देर बाद सोनल ने पूछा।
नहीं-------
सुबह मैं बात करती हूं, उनसे,,, सोनल ने कहा।
काफी देर तक वो मुझे ऐसे ही अपने सीने से चिपकाए बैठी रही। किसी ने सही ही कहा है कि दिल का दर्द अपनों को बताने से दिल हलका हो जाता है। अब आंखें खोलना मेरे लिये मुश्किल हो रहा था और कब मैं नींद के आगोश में समा गया मुझे पता ही नहीं चला।
सुबह जब मेरी नींद खुली तो काफी हल्का सा महसूस हो रहा था। मैंने आंखें खोली। सोनल वैसे ही दीवार के साथ कमर लगा कर सो रही थी। मैं वैसे ही उसकी गोद में सिर रखे सो गया था। मैं उठा और सोनल को अपनी बाहों में उठाकर सही तरह से बेड पर लेटा कर उसका सिर अपनी गोद में रख लिया। पता नहीं रात को कब सोई होगी, तभी तो इतना हिलने पर भी नींद नहीं खुली। मैं उसके सिरहाने बैड से कमर लगाकर बैठ गया और उसका सिर अपनी गोद में रखकर उसके माथे और बालों में हाथ फेरने लगा।
अगर तुम ना आई होती तो पता नहीं मेरा क्या होता सोनल,,, मैं टूट गया था, किसी के सहारे के लिये तड़प रहा था, और देखो तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो, तुम तुरंत आ गई, मैंने धीरे से कहा, जैसे उसको सुना रहा हों, परन्तु वो तो नींद के आगोश में थी। उसके मासूम चेहरे को सोते हुए देखना एक अलग ही अहसास दे रहा था।

‘‘काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूं हमें रूसवा ना किया होता,
उनकी ये बेरूखी जुल्म भी मंजूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझा तो दिया होता।

मैं ख्यालों में इतना खो गया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब सोनल मेरी गोद में करवट लेकर लेट गई थी और मेरे हाथ से खेलने लग गई थी।

एक तुम ही तो मेरे इतने अजीज हो, तुमको मैं कैसे अकेले तड़पते हुए छोड़ सकती हूं,,, सोनल की ये बात सुनकर मेरे ख्यालों का सिलसिला टूटा।
उठ गई तुम,,,
हम्ममम,,, सोनल ने उठते हुए कहा।
उठ कर सोनल मेरे सामने बैठ गई और मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया। मैं उसकी आंखों में देखे जा रहा था।
गुड मॉर्निंग, उसने मेरे लबों को थोड़ा सा चूमकर अलग होते हुए कहा।
गुड मॉर्निंग,, कहते हुए मैंने उसके माथे को चुम लिया।
मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा है, उस बूढउ पर, पर पहले मिलकर बात करती हूं, ऐसा क्यों किया उसने,,,, सोनल ने उठते हुए कहा।
मैंने उसका हाथ पकड़कर उसको वापिस खींच लिया और वो मेरे उपर आ गिरी।
उंहहह क्या है बाबा, टॉयलेट जाकर आ रही हूं,,,, सोनल ने कहते हुए मेरी तरफ देखा।
कुछ देर तक तो वो असमंझस के साथ मेरी तरफ देखती रही और मैं उसे देखता रहा और फिर अचानक उसने मेरे चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। उसका हाथ मेरे सिर के पिछे पहुंच गया और वो बुरी तरह से मेरे होंठों को चुमने लगी। उसके चुम्बन में इतना प्यार, इतना अपनापन था कि मैं पिघल कर उसमें गुम हो गया।
जब वो मुझसे दूर हुई तो दोनों की सांसे बहुत ही तेज चल रही थी। उसका इतना प्यार देखकर मेरी आंखें नम हो गई।
मुझसे तुम्हें इस तरह नहीं देखा जा रहा है, प्लीज,,,, कहते हुए सोनल ने मुझे अपने सीने से लगा लिया।
हम्मममम,,, कहते हुए मैंने अपने आंसु पौंछू।
तुम्हे टॉयलेट नहीं जाना, मैंने हंसते हुए कहा।
जा रही हूं,, सोनल ने हंसते हुए मेरे गालों पर चिकोटी काट ली और बाथरूम में घुस गई।
उसके जाते ही मेरे चेहरे पर फिर से उदासी छा गई।
2 मिनट बाद वो वापिस आई।
चलो पहले अपूर्वा के घर पर चलते हैं, सोनल ने कहा और मेरा हाथ पकड़कर उठाने लगी।
हम्ममम, कहते हुए मैं खड़ा हो गया।
हम रूम की कुंडी लगाकर नीचे आ गये। सुबह टरेफिक बहुत ही कम थी, इसलिए हमें अपूर्वा के घर पहूंचने में ज्यादा टाइम नहीं लगा।
परन्तु वहां पहुंचकर हमारे चेहरे उदास हो गई। गेट पर ताला लगा हुआ था।
इस बुढ़उ की तो मां की आंख,,,, कहां मर गया अब ये,,, सोनल ने गुस्से में कहा।
तुम्हारे पास अपूर्वा का नम्बर तो हैं ना,,,, सोनल ने कहा।
हां,,,,
मुझे दो,,,,
मैंने अपूर्वा का नम्बर डायल किया। परन्तु स्विच ऑफ था।
मैं नवरीत से बात करती हूं,,, कहते हुए सोनल ने अपना मोबाइल निकाला और नवरीत को फोन लगाया।
पूरी घंटी चली गई पर किसी ने फोन नहीं उठाया। सोनल ने एक बार फिर टराई किया परन्तु किसी ने नहीं उठाया।
नवरीत के घर चलते हैं,,, सोनल ने कहा।
हम वापिस नवरीत के घर के लिए चल पड़े। आते वक्त थोड़ा टाइम लगा। नवरीत के घर पर पहुंचकर सोनल ने बैल बजाई। मैं स्कूटी पर ही बैठा रहा। नवरीत के पापा ने गेट खोला।
जी बोलिये, अंकल ने कहा, परन्तु अगले ही पल उनकी नजर मुझपर पड़ी और उनके चेहरे पर कुछ शिकन आ गईं
आओ बेटा, अंदर आओ, अंकल ने हमसे कहा।
हम अंदर आ गये। अंदर आकर अंकल ने हमें डराइंग रूम में बैठा दिया।
मैं अभी आया बेटा, कहते हुए अंकल रूम से बाहर चले गए।
मैंने सोनल की तरफ देखा। सोनल ने मुझे सांत्वना दी। लगभग 15-20 मिनट बाद अंकल वापिस आये, साथ में आंटी भी थी।
सोनल खड़ी हो गई। मुझे तो कोई होश ही नहीं था, अगर सोनल मेरा हाथ पकड़कर नहीं उठाती तो।
बैठो, बैठो, बेटा, कहते हुए आंटी और अंकल हमारे सामने वाले सोफे पर बैठ गये।
अंकल आपको शायद पता ही होगा कि अपूर्वा की शादी की बात समीर से हुई थी, नवरीत ने शायद आपको बताया होगा, सोनल ने कहा।
हां बेटा, खुद भाईसाहब ने ही बताया था हमें,,, आंटी ने कहा।
तो फिर शायद बाद में क्या हुआ, वो भी बताया होगा, हम अभी उनके घर पर ही गये थे, पर वहां पर लॉक था, सोनल ने कहा।
बेटा, हमारी भी समझ में नहीं आ रहा उन्होंने ऐसा क्यों किया, मैंने उन्हें समझाने की कोशिश भी की थी, परन्तु वो मानने को तैयार ही नहीं हो रहे थे, अंकल ने कहा।
उन्होंने कुछ तो बताया होगा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं, सोनल ने कहा।
बेटा, मैंने बहुत पूछा था उनसे, पर उन्होंने कुछ बताया नहीं, अंकल ने कहा।
अब वो कहां पर हैं, आपको तो पता होगा, सोनल ने पूछा।
वो सभी इंडिया से बाहर गये हुए हैं, अभी भाईसाहब एक दिन के लिए आये थे, कुछ जरूरी काम था, इधर, फिर वापिस चले गए हैं, आंटी ने कहा।
उनका वहां का कॉन्टैक्ट नम्बर तो होगा ही आपके पास, सोनल ने कहा।
बेटा, मेरी उनके साथ थोड़ी कहासुनी हो गई थी इस बारे में, तो अभी तो उनका कोई कॉन्टैक्ट मेरे पास नहीं है, अंकल ने कहा।
अंकल आपके चेहरे के हाव-भाव से मुझे ऐसा लग रहा है कि आप कुछ छुपा रहे हैं, सोनल ने खड़े होते हुए कहा।
ऐसा कुछ नहीं है बेटा,,, अंकल और आंटी भी खड़े हो गए।
तभी नवरीत चाय लेकर आ गई। नवरीत ने मेरी तरफ देखा। मेरी तरफ देखते ही वो कुछ विचलित सी हो गई।
बेटा चाय पीकर जाना आराम से,,, कहते हुए अंकल बाहर चले गए।
क्रमशः.....................
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