Antarvasnasex दीदी का दीवाना
06-20-2017, 10:12 AM,
#11
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
दीदी का दीवाना पार्ट-6

मैंने कांपते हाथो से उनके ब्रा का हूक खोल दिया. दीदी फिर सामने की तरफ घूम गई. दीदी के घूमते ही मेरी आँखों के सामने दीदी की मदमस्त, गदराई हुई मस्तानी कठोर चूचियां आ गई. मैं पहली बार अपनी दीदी के इन गोरे गुब्बारों को पूरा नंगा देख रहा था. इतने पास से देखने पर गोरी चूचियां और उनकी ऊपर की नीली नसे, भूरापन लिए हुए गाढे गुलाबी रंग की उसकी निप्पले और उनके चारो तरफ का गुलाबी घेरा जिन पर छोटे-छोटे दाने जैसा उगा हुआ था सब नज़र आ रहा था. मैं एक दम कूद कर हाय करते हुए उछला तो दीदी मुस्कुराती हुई बोली "अरे, रे इतना उतावला मत बन अब तो नंगा कर दिया है आराम से देखना....ले...देख..." कहती हुई मेरे पास आई. मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो निचे खड़ी थी इसलिए मेरा चेहरा उनके चुचियों के पास आराम से पहुँच रहा था. मैं चुचियों को ध्यान से से देखते हुए बोला "हाय...दीदी पकड़े..."

"हाँ...हाँ....पकड़ ले जकड़...ले अब जब नंगा कर के दिखा रही हूँ तो...छूने क्यों नहीं दूंगी....ले आराम से पकड़ कर मजा कर......अपनी बड़ी बहन की नंगी चुचियों से खेल...." मैंने अपने दोनों हाथ बढा कर दोनों चुचियों को आराम से दोनों हाथो में थाम लिया. नंगी चुचियों के पहले स्पर्श ने ही मेरे होश उड़ा. उफ्फ्फ दीदी की चूचियां कितनी गठीली और गुदाज थी, इसका अंदाजा मुझे इन मस्तानी चुचियों को हाथ में पकड़ कर ही हुआ. मेरा लण्ड फरफराने लगा. दोनों चुचियों को दोनों हथेली में कस हलके दबाब के साथ मसलते हुए चुटकी में निप्पल को पकड़ हलके से दबाया जैसे किशमिश के दाने को दबाते है. दीदी के मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई. मैंने घबरा कर चूची छोड़ी तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ फिर से अपनी चुचियों पर रखते हुए दबाया तो मैं समझ गया की दीदी को मेरा दबाना अच्छा लग रहा है और मैं जैसे चाहू इनकी चुचियों के साथ खेल सकता हूँ. गर्दन उचका कर चुचियों के पास मुंह लगा कर एक हाथ से चूची को पकड़ दबाते हुए दूसरी चूची को जैसे ही अपने होंठो से छुआ मुझे लगा जैसे दीदी गनगना गई उनका बदन सिहर गया. मेरे सर के पीछे हाथ लगा बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चुचियों पर जोर से दबाया. मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उनकी चुचियों के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उनकी चुचियों को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुमलाया तो दीदी सिसयाते हुए बोली "आह....आ...हा....सी...सी....ये क्या कर रहा है...उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़.....मार डाला....साले मैं तो तुझे अनारी समझती थी....मगर....तू....तो खिलाड़ी निकला रे.....हाय...चूची चूसना जानता है.....मैं सोच रही थी सब तेरे को सिखाना पड़ेगा....हाय...चूस भाई...सीईई....ऐसे ही निप्पल को मुंह में लेकर चूस और चूची दबा....हाय रस निकाल बहुत दिन हो गए....." अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और दीदी की चुचियों को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा. कभी बाई चूची को कभी दाहिनी चूची को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था. चुचियों के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से दीदी की चूची को पकड़ कर दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए दीदी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली "हाय राजू....सीईई...ई...उफ्फ्फ्फ्फ्फ....चूस ले.....पूरा रस चूस.....मजा आ रहा है....तेरी दीदी को बहुत मजा आ रहा है भाई.....हाय तू तो चूची को क्रिकेट की गेंद समझ कर दबा रहा है....मेरे निप्पल क्या मुंह में ले चूस....तू बहुत अच्छा चूसता है....हाय मजा आ गया भाई....पर क्या तू चूची ही चूसता रहेगा.....बूर नहीं देखेगा अपनी दीदी की चुत नहीं देखनी है तुझे.....हाय उस समय से मरा जा रहा था और अभी....जब चूची मिल गई तो उसी में खो गया है....हाय चल बहुत दूध पी लिया.....अब बाद में पीना" मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी चूची पर मुंह मारे जा रहा था. इस पर दीदी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी चूची से मेरा मुंह अलग किया और बोली "साले....हरामी....चूची...छोड़....कितना दूध पिएगा....हाय अब तुझे अपनी निचे की सहेली का रस पिलाती हु....चल हट माधरचोद....." गाली देने से मुझे अब कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि मैं समझ गया था की ये तो दीदी का शगल है और शायद मार भी सकती है अगर मैं इसके मन मुताबिक ना करू तो. पर दुधारू गाये की लथार तो सहनी ही परती है. इसकी चिंता मुझे अब नहीं थी. दीदी लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी. मैं पीछे हट गया और दीदी के पेट पर चुम्मा ले कर बोला "हाय दीदी बूर का रस पिलाओगी...हाय जल्दी से खोलो ना..." दीदी पेटिको़ट के नाड़े को झटके के साथ खोलती हुई बोली "हा राजा मेरे प्यारे भाई....अब तो तुझे पिलाना ही पड़ेगा...ठहर जा अभी तुझे पिलाती अपनी चुत पूरा खोल कर उसकी चटनी चटाऊंगी फिर...देखना तुझे कैसा मजा आता है...." पेटिको़ट सरसराते हुए निचे गिरता चला गया पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के निचे गिरते ही दीदी पूरी नंगी हो गई. मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच के तिकोने पर गई. दोनों चिकनी मोटी मोटी रानो के बीच में दीदी की बूर का तिकोना नज़र आ रहा था. चुत पर हलकी झांटे उग आई थी. मगर इसे झांटो का जंगल नहीं कह सकते थे. ये तो चुत की खूबसूरती को और बढा रहा था. उसके बीच दीदी की गोरी गुलाबी चुत की मोटी फांके झांक रही थी. दोनों जांघ थोड़ा अलग थे फिर भी चुत की फांके आपस में सटी हुई थी और जैसा की मैंने बाथरूम में पीछे से देखा था एक वैसा तो नहीं मगर फिर भी एक लकीर सी बना रही थी दोनों फांके. दीदी की कमर को पकड़ सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की तो दीदी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली "हाय...भाई ऐसे नहीं....ऐसे ठीक से नहीं देख पाओगे....दोनों जांघ फैला कर अभी दिखाती हूँ...फिर आराम से बैठ कर मेरी बूर को देखना और फिर तुझे उसके अन्दर का माल खिलाउगीं...घबरा मत भाई...मैं तुझे अपनी चुत पूरा खोल कर दिखाउंगी और....उसकी चटनी भी चटाउगीं...चल छोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी. पीछे मुड़ते ही दीदी गुदाज चुत्तर और गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गए. दीदी चल रही थी और उसके दोनों चुत्तर थिरकते हुए हिल रहे थे और आपस में चिपके हुए हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे बात कर रहे हो और मेरे लण्ड को पुकार रहे हो. लौड़ा दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था. दीदी ड्रेसिंग टेबल के पास रखे गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली "हाय...भाई...आ जा तुझे मजे करवाती हूँ....अपने मालपुए का स्वाद चखाती हूँ....देख भाई मैं इस कुर्सी के दोनों हत्थों पर अपनी दोनों टांगो को रख कर जांघ टिका कर फैलाऊंगी ना तो मेरी चुत पूरी उभर कर सामने आ जायेगी और फिर तुम उसके दोनों फांको को अपने हाथ से फैला कर अन्दर का माल चाटना....इस तरह से तुम्हारी जीभ पूरा बूर के अन्दर घुस जायेगी....ठीक है भाई...आ जा....जल्दी कर....अभी एक पानी तेरे मुंह में गिरा देती हूँ फिर तुझे पूरा मजा दूंगी...." मैं जल्दी से बिस्तर छोर दीदी की कुर्सी के पास गया और जमीं पर बैठ गया. दीदी ने अपने दोनों पैरो को सोफे के हत्थों के ऊपर चढा कर अपनी दोनों जांघो को फैला दिया. रानो के फैलते ही दीदी की चुत उभर कर मेरी आँखों के सामने आ गई. उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....क्या खूबसूरत चुत थी. गोरी गुलाबी....काले काले झांटो के जंगल के बीच में से झांकती ऐसी लग रही थी जैसे बादलो के पीछे से चाँद मुस्कुरा रहा है. एक दम पावरोटी के जैसी फूली हुई चुत थी. दोनों पैर कुर्सी के हत्थों के ऊपर चढा कर फैला देने के बाद भी चुत के दोनों होंठ अलग नहीं हुए थे. चुत पर ऊपर के हिस्से में झांटे थी मगर निचे गुलाबी कचौरी जैसे होंठो के आस पास एक दम बाल नहीं थे. मैं जमीन पर बैठ कर दीदी के दोनों रानो पर दोनों हाथ रख कर गर्दन झुका कर एक दम ध्यान से दीदी की चुत को देखने लगा. चुत के सबसे ऊपर में किसी तोते के लाल चोंच की तरह बाहर की तरफ निकली हुई दीदी के चुत का भागनाशा था.
Reply
06-20-2017, 10:12 AM,
#12
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
कचौरी के जैसी चुत के दोनों फांको पर अपना हाथ लगा कर दोनों फांको को हल्का सा फैलाती हुई दीदी बोली "राजू....ध्यान से देख ले....अच्छी तरह से अपनी दीदी की बूर को देख बेटा....चुत फैला के देखेगा तो तुझे....पानी जैसा नज़र आएगा....उसको चाट का अच्छी तरह से खाना....चुत की असली चटनी वही है...." दीदी के चुत के दोनों होंठ फ़ैल और सिकुर रहे थे. मैंने अपनी गर्दन को झुका दिया और जीभ निकल कर सबसे पहले चुत के आस पास वाले भागो को चाटने लगा. रानो के जोर और जांघो को भी चाटा. जांघो को हल्का हल्का काटा भी फिर जल्दी से दीदी की चुत पर अपने होंठो को रख कर एक चुम्मा लिया और जीभ निकाल कर पूरी दरार पर एक बार चलाया. जीभ छुलाते ही दीदी सिसया उठी और बोली "सीईई....बहुत अच्छा भाई...तुम्हे आता है...मुझे लग रहा था की सिखाना पड़ेगा मगर तू तो बहुत होशियार है....हाय….बूर चाटना आता है.... ऐसे ही....राजू तुने शुरुआत बहुत अच्छी की है....अब पूरी चुत पर अपनी जीभ फिराते हुए.....मेरी बूर की टीट को पहले अपने होंठो के बीच दबा कर चूस...देख मैं बताना भूल गई थी....चुत के सबसे ऊपर में जो लाल-लाल निकला हुआ है ना....उसी को होंठो के बीच दबा के चूसेगा....तब मेरी चुत में रस निकलने लगेगा....फिर तू आराम से चाट कर चूसना....सीईईई.....राजू मैं जैसा बताती हूँ वैसा ही कर...." मैं तो पहले से ही जानता था की टीट या भागनाशा क्या होती है. मुझे बताने की जरुरत तो नहीं थी पर दीदी ने ये अच्छा किया था की मुझे बता दिया था की कहाँ से शुरुआत करनी है. मैंने अपने होंठो को खोलते हुए टीट को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. टीट को होंठो के बीच दबा कर अपनी दांतों से हलके हलके काटते हुए मैं उस पर अपने होंठ रगर रहा था. टीट और उसके आस पास ढेर सारा थूक लग गया था और एक पल के लिए जब मैंने वह से अपना मुंह हटाया तो देखा की मेरी चुसाई के कारण टीट चमकने लगी है. एक बार और जोर से टीट को पूरा मुंह में भर कर चुम्मा लेने के बाद मैंने अपनी जीभ को करा करके पूरी चुत की दरार में ऊपर से निचे तक चलाया और फिर चुत के एक फांक को अपने दाहिने हाथ की उँगलियों से पकर कर हल्का सा फैलाया. चुत की गुलाबी छेद मेरी आँखों के सामने थी. जीभ को टेढा कर चुत के मोटे फांक को अपने होंठो के बीच दबा कर चूसने लगा. फिर दूसरी फांक को अपने मुंह में भर कर चूसा उसके बाद दोनों फांक को आपस में सटा कर पूरी चुत को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा. चुत से रिस रिस कर पानी निकल रहा था और मेरे मुंह में आ रहा था. चुत का नमकीन पानी शुरू में तो उतना अच्छा नहीं लगा पर कुछ देर के बाद मुझे कोई फर्क नहीं पर रहा था और मैं दुगुने जोश के साथ पूरी चुत को मुंह में भर कर चाट रहा था. दीदी को भी मजा आ रहा था और ..................................
Reply
06-20-2017, 10:13 AM,
#13
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुत्तारो को ऊपरउछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली "हाय राजू....बहुत अच्छा कर रहा है....राजा.....हाय......सीईई....बड़ा मजा आ रहा है....हाय मेरी चुत के कीड़े....मेरे सैयां.....ऊऊऊउ...सीईईइ.....खाली ऊपर-ऊपर से चूस रहा है.... बहनचोद....जीभ अन्दर घुसा कर चाट ना.....बूर में जीभ पेल दे और अन्दर बाहर कर के जीभ से मेरी चुत चोदते हुए अच्छी तरह से चाट....अपनी बड़ी बहन की चुत अच्छी तरह से चाट मेरे राजा....माधरचोद....ले ले.....ऊऊऊऊ......इस्स्स्स्स्स...घुसा चुत में जीभ....मथ....दे......." कविता दीदी बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चुत में पेल दिया. जीभ को चुत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा. दीदी की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकर कर चुत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर दीदी जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकर कर अपनी चुत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. दीदी मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी "हाय....राजा...जीभ बाहर मत निकालो....हाय बहुत मजा आ रहा है...ऐसे ही.... बूर के अन्दर जीभ डाल के मेरी चुत मथते रहो....हाय चोद....दे माधरचोद....अपनी जीभ से अपनी दीदी की बूर चोद दे....हाय सैयां....बहुत दिनों के बाद ऐसा मजा आया है....इतने दिनों से तड़पती घूम रही थी....हाय हाय....अपनी दीदी की बूर को चाटो….मेरे राजा….मेरे बालम.... तुझे बहुत अच्छा इनाम दूंगी.... भोसड़ीवाले.....तेरा लौड़ा अपनी चुत में लुंगी....आजतक तुने किसी की चोदी नहीं है ना....तुझे चोदने का मौका दूंगी....अपनी चुत तेरे से मरवाऊगीं....मेरे भाई.....मेरे सोना मोना....मन लगा कर दीदी की चुत चाट....मेरा पानी निकलेगा....तेरे मुंह में....हाय जल्दी जल्दी चाट....पूरा जीभ अन्दर डाल कर सीईई.....". दीदी पानी छोरने वाली है ये जान कर मैंने अपनी पूरी जीभ चुत के अन्दर पेल दी और अंगूठे को टीट के उ़पर रख कर रगरते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करने लगा. दीदी अब और तेजी के साथ गांड उछल रही थी और मैं लप लप करते हुए जीभ को अन्दर बाहर कर रहा था. कुत्ते की तरह से दीदी की बूर चाटते हुए टीट को रगरते हुए कभी कभी दीदी की चुत पर दांत भी गरा देता था, मगर इन सब चीजों का दीदी के ऊपर कोई असर नहीं पर रहा था और वो मस्ती में अब गांड को हवा में लहराते हुए सिसया रही थी "हाय मेरा निकल रहा है....हाय भाई...निकल रहा है मेरा पानी....पूरा जीभ घुसा दे....साले.....बहुत अच्छा....ऊऊऊऊऊ.....सीईईईईईइ....मजा आ गया राजा...मेरे चुत चाटू सैयां....मेरी चुत पानी छोर रही है...........इस्स्स्स्स्स्स्स्स......मजा आ गया....बहनचोद....पी ले अपनी दीदी के बूर का पानी....हाय चूस ले अपनी दीदी की जवानी का रस.....ऊऊऊऊ.......गांडू......" दीदी अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झरने लगी और उनकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा. मैंने अपना मुंह दीदी की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए दीदी को देखा. वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी. उनकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसाई के कारण लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी. दीदी आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी. मैं वही जमीन पर बैठा रहा और दीदी की चुत को गौर से देखने लगा. दीदी को सुस्त परे देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा. चूँकि दीदी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और दीदी की गांड मेरा मतलब है चुत्तर आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी. ऐसे बैठने के कारण उनके गांड की भूरी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी भूरे रंग की सिकुरी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था. मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को दीदी की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के चुत्तरों के दरार में ले गया. दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा. धीरे धीरे ऊँगली को गांड की छेद पर लगा कर हलके-हलके केवल छेद की मालिश करने लगा. कुछ देर बाद मैंने थोरा सा जोर लगाया और अपनी ऊँगली के एक पोर को गांड की छोटी सी छेद में घुसाने की कोशिश की. ज्यादा तो नहीं मगर बस थोड़ी सी ऊँगली घुस गई मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं लगाया और उतना ही घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए गांड की छेद का मालिश करने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. मेरे दिल की तम्मना पूरी हो गई. बाथरूम में नहाते समय जब दीदी को देखा था तभी से सोच रहा था की एक बार इस गांड की दरार में ऊँगली चलाऊंगा और इसकी छेद में ऊँगली डाल कर देखूंगा कैसा लगता है इस सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद में ऊँगली पेलने पर. मस्त राम की किताबों में तो लिखा होता है की लण्ड भी घुसेरा जाता है. पर गांड की सिकुरी हुई छेद इतनी टाइट लग रही थी की मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की लण्ड उसके अन्दर घुसेगा. खैर दो तीन मिनट तक ऐसे ही मैं करता रहा. दीदी की बूर से पानी बाहर की निकल कर धीरे धीरे रिस रहा था. मैंने दो तीन बार अपना मुंह लगा कर बाहर निकलते रस को भी चाट लिया और गांड में धीरे धीरे ऊँगली करता रहा. तभी दीदी ने मुझे पीछे धकेला "हट...माधरचोद....क्या कर रहा है....गांड मारेगा क्या....फिर अपने पैर से मेरी छाती को पीछे धकेलती हुई उठ कर खड़ी हो गई. मैं हड़बड़ाता हुआ पीछे की तरफ गिरा फिर जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए लप-लप कर रहा था मगर दीदी के इस अचानक हमले ने फिर एक झटका दिया. मैं डर कर दो कदम पीछे हुआ. दीदी नंगी ही बाहर निकल गई लगता था फिर से बाथरूम गई थी. मैं वही खड़ा सोचने लगा की अब क्या होगा. थोड़ी देर बाद दीदी फिर से अन्दर आई और बिस्तर पर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा फिर मेरे लपलपाते लण्ड को देखा और अंगराई लेती हुई बोली "हाय राजू बहुत मजा आया....अच्छा चूसता है...तू.... "मुझे लग रहा था की तू अनारी होगा मगर तुने तो अपने बहनोई को भी मात कर दिया....उस साले को चूसना नहीं आता था...खैर उसका क्या...उस भोसड़ीवाले को तो चोदना भी नहीं आता था....तुने चाट कर अच्छा मजा दिया... इधर आ,……आ ना...वहां क्यों खड़ा है भाई.....आ यहाँ बिस्तर पर बैठ...." दीदी के इस तरह बोलने पर मुझे शांति मिली की चलो नाराज़ नहीं है और मैं बिस्तर पर आ कर बैठ गया. दीदी मेरे लण्ड की तरफ देखती बोली "हूँ....खड़ा हो गया है....इधर आ तो पास में....देखू...." मैं खिसक कर पास में गया तो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई सक-सक ऊपर निचे किया. लाल-लाल सुपाड़े पर से चमरी खिसका. उस पर ऊँगली चलाती हुई बोली "अब कभी हाथ से मत करना.....समझा अगर मैंने पकड़ लिया तो तेरी खैर नहीं.....मारते मारते गांड फुला दूंगी....समझा...." मैं दीदी के इस धमकी को सुन नासमझ बनने का नाटक करता हुआ बोला "तो फिर कैसे करू....मेरी तो शादी भी नहीं हुई है...." फिर गर्दन झुका कर शरमाने का नाटक किया. दीदी ने मेरी ठोडी पकड़ गर्दन को ऊपर उठाते हुए कहा "जानता तो तू सब कुछ है.....फिर कोई लड़की क्यों नहीं पटाता अभी तो तेरी शादी में टाइम है.....अपने लिए कोई छेद खोज ले...." मैं बुरा सा मुंह बनाता हुआ बोला "हुह…मुझे कोई अच्छी नहीं लगती...सब बस ऐसे ही है…..” दीदी इस पर थोड़ा सा खुंदक खाती हुई बोली "अजीब लड़का है...बहनचोद...तुझे अपनी बहन के अलावा और कोई अच्छी नहीं लगती क्या.....". मैं इस पर शर्माता हुआ बोला "…मुझे सबसे ज्यादा आप अच्छी लगती हो......मैं....."

"आये....हाय...ऐसा तो लड़का ही नहीं देखा....बहन को चोदने के चक्कर में....भोसड़ीवाले को सबसे ज्यादा बहन अच्छी लगती है.... मैं नहीं मिली तो……मुठ मारता रह जायेगा.....” दीदी ने आँख नाचते हुए भौं उचका कर प्रश्न किया. मैंने मुस्कुराते हुए गाल लाल करते हुए गर्दन हिला कर हाँ किया. मेरी इस बात पर रीझती हुई दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी छाती से लगाती हुई बोली "हाय रे मेरा सोना....मेरे प्यारे भाई.... तुझे दीदी सबसे अच्छी लगती है....तुझे मेरी चुत चाहिए....मिलेगी मेरे प्यारे भाई मिलेगी....मेरे राजा....आज रात भर अपने हलब्बी लण्ड से अपनी दीदी की बूर का बाजा बजाना......अपने भैया राजा का लण्ड अपनी चुत में लेकर मैं सोऊगीं......हाय राजा.....अपने मुसल से अपनी दीदी की ओखली को रात भर खूब कूटना.....अब मैं तुझे तरसने नहीं दूंगी....तुझे कही बाहर जाने की जरुरत नहीं है.....चल आ जा.....आज की रात तुझे जन्नत की सैर करा दू....." फिर दीदी ने मुझे धकेल कर निचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठो को चूसती हुई अपनी गठीली चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ते हुए मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए चूमने लगी. मैं भी दीदी के होंठो को अपने मुंह में भरने का प्रयास करते हुए अपनी जीभ को उनके मुंह में घुसा कर घुमा रहा था. मेरा लण्ड दीदी की दोनों जांघो के बीच में फस कर उसकी चुत के साथ रगड़ खा रहा था. दीदी भी अपना गांड नाचते हुए मेरे लण्ड पर अपनी चुत को रगड़ रही थी और कभी मेरे होंठो को चूम रही थी कभी मेरे गालो को काट रही थी. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मेरे होंठो को छोर का उठ कर मेरी कमर पर बैठ गई. और फिर आगे की ओर सरकते हुए मेरी छाती पर आकर अपनी गांड को हवा में उठा लिया और अपनी हलके झांटो वाली गुलाबी खुश्बुदार चुत को मेरे होंठो से सटाती हुई बोली "जरा चाट के गीला कर... बड़ा तगड़ा लण्ड है तेरा...सुखा लुंगी तो…..साली फट जायेगी मेरी तो.....”
Reply
06-20-2017, 10:13 AM,
#14
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
एक बार मुझे दीदी की चुत का स्वाद मिल चूका था, इसके बाद मैं कभी भी उनकी गुदाज कचौरी जैसी चुत को चाटने से इंकार नहीं कर सकता था, मेरे लिए तो दीदी की बूर रस का खजाना थी. तुंरत अपने जीभ को निकल दोनों चुत्तरो पर हाथ जमा कर लप लप करता हुआ चुत चाटने लगा. इस अवस्था में दीदी को चुत्तरों को मसलने का भी मौका मिल रहा था और मैं दोनों हाथो की मुठ्ठी में चुत्तर के मांस को पकड़ते हुए मसल रहा था और चुत की लकीर में जीभ चलाते हुए अपनी थूक से बूर के छेद को गीला कर रहा था. वैसे दीदी की बूर भी ढेर सारा रस छोड़ रही थी. जीभ डालते ही इस बात का अंदाज हो गया की पूरी चुत पसीज रही है, इसलिए दीदी की ये बात की वो चटवा का गीला करवा रही थी हजम तो नहीं हुई, मगर मेरा क्याबिगर रहा था मुझे तो जितनी बार कहती उतनी बार चाट देता. कुछ ही देर दीदी की चुत और उसकी झांटे भी मेरी थूक से गीली हो गई. दीदी दुबारा से गरम भी हो गई और पीछे खिसकते हुए वो एक बार फिर से मेरी कमर पर आ कर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे तनतनाये हुए लण्ड को अपनी मुठ्ठी में कस हिलाते हुए अपने चुत्तरों को हवा में उठा लिया और लण्ड को चुत के होंठो से सटा कर सुपाड़े को रगड़ने लगी. सुपाड़े को चुत के फांको पर रगड़ते चुत के रिसते पानी से लण्ड की मुंडी को गीला कर रगड़ती रही. मैं बेताबी से दम साधे इस बात का इन्तेज़ार कर रहा था की कब दीदी अपनी चुत में मेरा लौड़ा लेती है. मैं निचे से धीरे-धीरे गांड उछाल रहा था और कोशिश कर रहा था की मेरा सुपाड़ा उनके बूर में घुस जाये. मुझे गांड उछालते देख दीदी मेरे लण्ड के ऊपर मेरे पेट पर बैठ गई और चुत की पूरी लम्बाई को लौड़े की औकात पर चलाते हुए रगड़ने लगी तो मैं सिस्याते हुए बोला "दीदी प्लीज़....ओह....सीईई अब नहीं रहा जा रहा है....जल्दी से अन्दर कर दो ना.....उफ्फ्फ्फ्फ्फ......ओह दीदी....बहुत अच्छा लग रहा है....और तुम्हारी चु...चु....चु....चुत मेरे लण्ड पर बहुत गर्म लग रही है....ओह दीदी...जल्दी करो ना....क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा है....." अपनी गांड नचाते हुए लण्ड पर चुत रगड़ते हुए दीदी बोली "हाय...भाई जब इतना इन्तेजार किया है तो थोड़ा और इन्तेजार कर लो....देखते रहो....मैं कैसे करती हूँ....मैं कैसे तुम्हे जन्नत की सैर कराती हूँ....मजा नहीं आये तो अपना लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ देना.....माधरचोद....अभी देखो मैं तुम्हारा लण्ड कैसे अपनी बूर में लेती हूँ.....लण्ड सारा पानी अपनी चुत से पी लुंगी...घबराओ मत.....राजू अपनी दीदी पर भरोसा रखो....ये तुम्हारी पहली चुदाई है....इसलिए मैं खुद से चढ़ कर करवा रही हूँ....ताकि तुम्हे सिखने का मौका मिल जाये....देखो...मैं अभी लेती हूँ......" फिर अपनी गांड को लण्ड की लम्बाई के बराबर ऊपर उठा कर एक हाथ से लण्ड पकड़ सुपाड़े को बूर की दोनों फांको के बीच लगा दुसरे हाथ से अपनी चुत के एक फांक को पकड़ कर फैला कर लण्ड के सुपाड़े को उसके बीच फिट कर ऊपर से निचे की तरफ कमर का जोर लगाया. चुत और लण्ड दोनों गीले थे. मेरे लण्ड का सुपाड़ा वो पहले ही चुत के पानी से गीला कर चुकी थी इसलिए सट से मेरा पहाड़ी आलू जैसा लाल सुपाड़ा अन्दर दाखिल हुआ. तो उसकी चमरी उलट गई. मैं आह करके सिस्याया तो दीदी बोली "बस हो गया भाई...हो गया....एक तो तेरा लण्ड इंतना मोटा है.....मेरी चुत एक दम टाइट है....घुसाने में....ये ले बस दो तीन और....उईईईइ माँ.....सीईईईई....बहनचोद का....इतना मोटा.....हाय...य य य.....उफ्फ्फ्फ्फ़...." करते हुए गप गप दो तीन धक्का अपनी गांड उचकाते चुत्तर उछालते हुए लगा दिए. पहले धक्के में केवल सुपाड़ा अन्दर गया था दुसरे में मेरा आधा लण्ड दीदी की चुत में घुस गया था, जिसके कारण वो उईईई माँ करके चिल्लाई थी मगर जब उन्होंने तीसरा धक्का मारा था तो सच में उनकी गांड भी फट गई होगी ऐसा मेरा सोचना है. क्योंकि उनकी चुत एकदम टाइट मेरे लण्ड के चारो तरफ कस गई थी और खुद मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था और लग रहा जैसे लण्ड को किसी गरम भट्टी में घुसा दिया हो. मगर दीदी अपने होंठो को अपने दांतों तले दबाये हुए कच-कच कर गांड तक जोर लगाते हुए धक्का मारती जा रही थी. तीन चार और धक्के मार कर उन्होंने मेरा पूरा नौ इंच का लण्ड अपनी चुत के अन्दर धांस लिया और मेरे छाती के दोनों तरफ हाथ रख कर धक्का लगाती हुई चिल्लाई "उफ्फ्फ्फ्फ़....बहन के लौड़े....कैसा मुस्टंडा लौड़ा पाल रखा है....ईई....हाय....गांड फट गई मेरी तो.....हाय पहले जानती की....ऐसा बूर फारु लण्ड है तो....सीईईईइ.....भाई आज तुने....अपनी दीदी की फार दी....ओह सीईईई....लण्ड है की लोहे का राँड....उईईइ माँ.....गई मेरी चुत आज के बाद....साला किसी के काम की नहीं रहेगी....है....हाय बहुत दिन संभाल के रखा था....फट गई....रे मेरी तो हाय मरी...." इस तरह से बोलते हुए वो ऊपर से धक्का भी मारती जा रही थी और मेरा लण्ड अपनी चुत में लेती भी जा रही थी. तभी अपने होंठो को मेरे होंठो पर रखती हुई जोर जोर से चूमती हुई बोली "हाय....माधरचोद....आराम से निचे लेट कर बूर का मजा ले रहा है....भोसड़ी....के....मेरी चुत में गरम लोहे का राँड घुसा कर गांड उचका रहा है....उफ्फ्फ्फ्फ्फ...भाई अपनी दीदी कुछ आराम दो....हाय मेरी दोनों लटकती हुई चूचियां तुम्हे नहीं दिख रही है क्या...उफ्फ्फ्फ्फ़...उनको अपने हाथो से दबाते हुए मसलो और....मुंह में ले कर चूसो भाई....इस तरह से मेरी चुत पसीजने लगेगी और उसमे और ज्यादा रस बनेगा...फिर तुम्हारा लौड़ा आसानी से अन्दर बाहर होगा....हाय राजू ऐसा करो मेरे राजा....तभी तो दीदी को मजा आएगा और....वो तुम्हे जन्नत की सैर कराएगी....सीईई..." दीदी के ऐसा बोलने पर मैंने दोनों हाथो से दीदी की दोनों लटकती हुई चुचियों को अपनी मुठ्ठी में कैद करने की कोशिश करते हुए दबाने लगा और अपने गर्दन को थोड़ा निचे की तरफ झुकाते हुए एक चूची को मुंह में भरने की कोशिश की. हो तो नहीं पाया मगर फिर भी निप्पल मुंह में आ गया उसी को दांत से पकड़ कर खींचते हुए चूसने लगा. दीदी अपनी गांड अब नहीं चला रही थी वो पूरा लण्ड घुसा कर वैसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई अपनी चूची दबवा और निप्पल चुसवा रही थी. उनके माथे पर पसीने की बुँदे छलछला आई थी. मैंने चूची का निप्पल को दीदी के चेहरे को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर उनका माथा चूमने लगा और जीभ निकल का उनके माथे के पसीने को चाटते हुए उनकी आँखों को चुमते हुए नाक पर जीभ फिरते हुए चाटा दीदी अपनी गांड अब नहीं चला रही थी वो पूरा लण्ड घुसा कर वैसे ही मेरे ऊपर लेटी हुई अपनी चूची दबवा और निप्पल चुसवा रही थी. उनके माथे पर पसीने की बुँदे छलछला आई थी. मैंने चूची का निप्पल को दीदी के चेहरे को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर उनका माथा चूमने लगा और जीभ निकल का उनके माथे के पसीने को चाटते हुए उनकी आँखों को चुमते हुए नाक और उसके निचे होंठो के ऊपर जो पसीने की छोटी छोटी बुँदे जमा हो गई थी उसके नमकीन पानी को पर जीभ फिराते हुए चाटा और फिर होंठो को अपने होंठो से दबोच कर चूसने लगा. दीदी भी इस काम में मेरा पूरा सहयोग कर रही थी और अपने जीभ को मेरे मुंह में पेल कर घुमा रही थी. कुछ देर में मुझे लगा की मेरे लण्ड पर दीदी की चुत का कसाव थोड़ा ढीला पर गया है. लगा जैसे एक बार फिर से दीदी की चुत से पानी रिसने लगा है. दीदी भी अपनी गांड उचकाने लगी थी और चुत्तर उछालने लगी थी. ये इस बात का सिग्नल था का दीदी की चुत में अब मेरा लण्ड एडजस्ट कर चूका है. धीरे-धीरे उनके कमर हिलाने की गति में तेजी आने लगी. थप-थप आवाज़ करते हुए उनकी जान्घे मेरी जांघो से टकराने लगी और मेरा लण्ड सटासट अन्दर बाहर होने लगा. मुझे लग रहा था जैसे चुत दीवारें मेरे लण्ड को जकड़े हुए मेरे लण्ड की चमरी को सुपाड़े से पूरा निचे उतार कर रागड़ती हुई अपने अन्दर ले रही है. मेरा लण्ड शायद उनकी चुत की अंतिम छोर तक पहुच जाता था. दीदी पूरा लण्ड सुपाड़े तक बाहर खींच कर निकाल लेती फिर अन्दर ले लेती थी. दीदी की चुत वाकई में बहुत टाइट लग रही थी. मुझे अनुभव तो नहीं था मगर फिर भी गजब का आनंद आ रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे किसी बोत्तल में मेरा लौड़ा एक कॉर्क के जैसे फंसा हुआ अन्दर बाहर हो रहा है. दीदी को अब बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था ये बात उनके मुंह से फूटने वाली सिस्कारियां बता रही थी. वो सीसियते हुए बोल रही थी "आआआ.......सीईईईइ.....भाई बहुत अच्छा लौड़ा है तेरा.....हाय एक दम टाइट जा रहा है.......सीईईइ हाय मेरी....चुत.....ओह हो....ऊउउऊ....बहुत अच्छा से जा रहा है...हाय....गरम लोहे के रोड जैसा है....हाय....कितना तगड़ा लौड़ा है..... हाय राजू मेरे प्यारे...तुमको मजा आ रहा है....हाय अपनी दीदी की टाइट चुत को चोदने में...हाय भाई बता ना....कैसा लग रहा है मेरे राजा....क्या तुम्हे अपनी दीदी की बूर की फांको के बीच लौड़ा दाल कर चोदने में मजा आ रहा है.....हाय मेरे चोदु....अपनी बहन को चोदने में कैसा लग रहा है....बता ना….अपनी बहन को....साले मजा आ रहा...सीईईई....ऊऊऊऊ...." दीदी गांड को हवा में लहराते हुए जोर जोर से मेरे लण्ड पर पटक रही थी. दीदी की चुत में ज्यादा से ज्यादा लौड़ा अन्दर डालने के इरादे से मैं भी निचे से गांड उचका-उचका कर धक्का मार रहा था. कच कच बूर में लण्ड पलते हुए मैं भी सिसयाते हुए बोला "ओह सीईईइ....दीदी....आज तक तरसता....ओह बहुत मजा.....ओह आई......ईईईइ....मजा आ रहा है दीदी....उफ्फ्फ्फ्फ़...बहुत गरम है आपकी चुत....ओह बहुत कसी हुई....है…बाप रे....मेरे लण्ड को छिल....देगी आपकी चुत....उफ्फ्फ्फ्फ़....एक दम गद्देदार है....” चुत है दीदी आपकी...हाय टाइट है....हाय दीदी आपकी चुत में मेरा पूरा लण्ड जा रहा है....सीईईइ.....मैंने कभी सोचा नहीं था की मैं आपकी चुत में अपना लौड़ा पेल पाउँगा....हाय….. उफ्फ्फ्फ्फ़... कितनी गरम है….. मेरी सुन्दर...प्यारी दीदी....ओह बहुत मजा आ रहा है....ओह आप....ऐसे ही चोदती रहो...ओह....सीईईई....हाय सच मुझे आपने जन्नत दिखा दिया....सीईईई... चोद दो अपने भाई को…." मैं सिसिया रहा था और दीदी ऊपर से लगातार धक्के पर धक्का लगाए जा रही थी. अब चुत से फच फच की आवाज़ भी आने लगी थी और मेरा लण्ड सटा-सट बूर के अन्दर जा रहा था. पुरे सुपाड़े तक बाहर निकल कर फिर अन्दर घुस जा रहा था. मैंने गर्दन उठा कर देखा की चुत के पानी में मेरा चमकता हुआ लौड़ा लप से बाहर निकलता और बूर के दीवारों को कुचलता हुआ अन्दर घुस जाता. दीदी की गांड हवा लहराती हुई थिरक रही थी और वो अब अपनी चुत्तरों को नचाती हुई निचे की तरफ लाती थी और लण्ड पर जोर से पटक देती थी फिर पेट अन्दर खींच कर चुत को कसती हुई लण्ड के सुपाड़े तक बाहर निकाल कर फिर से गांड नचाती निचे की तरफ धक्का लगाती थी. बीच बीच में मेरे होंठो और गालो को चूमती और गालो को दांत से काट लेती थी. मैं भी दीदी के दोनों चुत्तरों को दोनों हाथ की हथेली से मसलते हुए चुदाई का मजा लूट रहा था. दीदी गांड नचाती धक्का मारती बोली "राजू....मजा आ रहा है....हाय....बोल ना....दीदी को चोदने में कैसा लग रहा है भाई....हाय बहनचोद....बहुत मजा दे रहा है तेरा लौड़ा.....मेरी चुत में एकदम टाइट जा रहा है....सीईईइ....माधरचोद….इतनी दूर तक आज तक…..मेरी चुत में लौड़ा नहीं गया....हाय...खूब मजा दे रहा है.... बड़ा बूर फारु लौड़ा है रे…तेरा....हाय मेरे राजा....तू भी निचे से गांड उछाल ना….हाय....अपनी दीदी की मदद कर....सीईईईइ.....मेरे सैयां.....जोर लगा के धक्का मार...हाय बहनचोद....चोद दे अपनी दीदी को....चोद दे....साले...चोद, चोद....के मेरी चुत से पसीना निकाल दे...भोसड़ीवाले…. ओह आई......ईईईइ…” दीदी एकदम पसीने से लथपथ हो रही थी और धक्का मारे जा रही थी. लौड़ा गचा-गच उसकी चुत के अन्दर बाहर हो रहा था और अनाप शनाप बकते हुए दाँत पिसते हुए पूरा गांड तक का जोर लगा कर धक्का लगाये जा रही थी. कमरे में फच-फच...गच-गच...थप-थप की आवाज़ गूँज रही थी. दीदी के पसीने की मादक गंध का अहसास भी मुझे हो रहा था. तभी हांफते हुए दीदी मेरे बदन पर पसर गई. "हाय...थका दिया तुने तो.....मेरी तो एक बार निकल भी गई.
Reply
06-20-2017, 10:13 AM,
#15
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
.साले तेरा एक बार भी नहीं निकला....हाय....अब साले मुझे निचे लिटा कर चोद...जैसे मैंने चोदा था वैसे ही....पूरा लौड़ा डाल कर....मेरी चुत ले....ओह...." कहते हुए मेरे ऊपर से निचे उतर गई. मेरा लण्ड सटाक से पुच्च की आवाज़ करते हुए बाहर निकल गया. दीदी अपनी दोनों टांगो को उठा कर बिस्तर पर लेट गई और जांघो को फैला दिया. चुदाई के कारण उनकी चुत गुलाबी से लाल हो गई थी. दीदी ने अपनी जांघो के बीच आने का इशारा किया. मेरा लपलपाता हुआ खड़ा लण्ड दीदी की चुत के पानी में गीला हो कर चमचमा रहा था. मैं दोनों जांघो के बीच पंहुचा तो मुझे रोकते हुए दीदी ने पास में परे अपने पेटिकोट के कपड़े से मेरा लण्ड पोछ दिया और उसी से अपनी चुत भी पोछ ली फिर मुझे डालने का इशारा किया. ये बात मुझे बाद में समझ में आई की उन्होंने ऐसा क्यों किया. उस समय तो मैं जल्दी से जल्दी उनकी चुत के अन्दर घुस जाना चाहता था. दोनों जांघो के बीच बैठ कर मैंने अपना लौड़ा चुत के गुलाबी छेद पर लगा कर कमर का जोर लगाया. सट से मेरा सुपाड़ा अन्दर घुसा. बूर एक दम गरम थी. तमतमाए लौड़े को एक और जोर दार झटका दे कर पूरा पूरा चुत में उतारता चला गया. लण्ड सुखा था चुत भी सूखी थी. सुपाड़े की चमरी फिर से उलट गई और मुंह से आह निकल गई मगर मजा आ गया. चुत जो अभी दो मिनट पहले थोरी ढीली लग रही थी फिर से किसी बोतल के जैसे टाइट लगने लगी. एक ही झटके से लण्ड पेलने पर दीदी कोकियाने लगी थी. मगर मैंने इस बात कोई ध्यान नहीं दिया और तरातर लौड़े को ऊपर खींचते हुए सटासट चार-पॉँच धक्के लगा दिए. दीदी चिल्लाते हुए बोली "माधरचोद...साले दिखाई नहीं देता की चुत को पोछ के सुखा दिया था...भोसड़ी के सुखा लौड़ा डाल कर दुखा दिया.....तेरी बहन को चोदु....हरामी…. साले...अभी भी....चोदना नहीं आया...ऊपर चढ़ के सिखाया था....फिर साले तुने...." मैं रुक कर दीदी का मुंह देखने लगा तो फिर बोली "अब मुंह क्या देख रहा है....मार ना....धक्का....जोर लगा के मार...हाय मेरे राजा...मजा आ गया...इसलिए तो पोछ दिया था....हाय देख क्या टाइट जा रहा है...इस्स्स्स्स….” मैं समझ गया अब फुल स्पीड में चालू हो जाना चाहिए. फिर क्या था मैंने गांड उछाल उछाल कर कमर नचा कर जब धक्का मरना शुरू किया तो दीदी की चीखे निकालनी शुरू हो गई. चुत फच फच कर पानी फेंकने लगी. गांड हवा में लहरा कर लण्ड लीलने लगी “ हाय पेल दे.....भाई ऐसे ही बेदर्दी से….. चोद अपनी कविता दीदी की चुत को....ओह माँ....कैसा बेदर्दी भाई है....हाय कैसे चोद रहा है....अपनी बड़ी बहन को....हाय माँ देखो....मैंने मुठ मारने से मना किया तो साले ने मुझे चोद डाला......चोदा इसके लिए कोई बात नहीं....मगर कमीने को ऐसे बेदर्दी से चोदने में पता नहीं क्या मजा मिल रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़.......मर गई....हाय बड़ा मजा आ रहा है.....सीईईईई.....मेरे चोदु सैयां...मेरे बालम....हाय मेरे चोदु भाई.....बहन के लौड़े...चोद दे अपनी चुदक्कड़ बहन को...सीईईईई...." मैं लगातार धक्के पर धक्का लगता जा रहा था. मेरा जोश भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चूका था और मैं अपनी गांड तक का जोर लगा कर कमर नचाते हुए धक्का मार रहा था. दीदी की चूची को मुठ्ठी में दबोच दबाते हुए गच गच धक्का मारते हुए मैं भी जोश में सिसिया हुए बोला " ओह मेरी प्यारी बहन ओह....सीईईईइ....कितनी मस्त हो तुम....हाय...सीईईई तुम नहीं होती तो...मैं ऐसे ही मुठ मारता...हो सीईई...दीदी बहुत मजा आ रहा है...हाय सच में दीदी आपकी गद्देदार चुत में लौड़ा डाल कर ऐसा लग रहा है जैसे.....जन्नत....हाय...पुच्च..पुच्च ओह दीदी मजा आ गया....ओह दीदी तुम गाली भी देती हो तो मजा आता है....हाय...मैं नहीं जानता था की मेरी दीदी इतनी बड़ी चुदक्कड़ है....हाय मेरी चुदैल बहना....सीईईईई हमेशा अपने भाई को ऐसे ही मजा देती रहना....ऊऊऊऊउ....दीदी मेरी जान....हाय....मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे लिया खड़ा रहता था....हाय आज....मन की मुराद.....सीईईई....” मेरा जोश अब अपने चरम सीमा पर पहुँच चूका था और मुझे लग रहा था की मेरा पानी निकल जायेगा दीदी भी अब बेतहाशा अंट-शंट बक रही थी और गांड उचकाते हुए दांत पिसते बोली " "हाय साले....चोदने दे रही हूँ तभी खूबसूरत लग रही हूँ....माधरचोद मुझे सब पता है.....चुदैल बोलता है....साले चुदक्कड़ नहीं होती...मुठ मारता रह जाता.....हाय जोर....अक्क्क्क्क.....जोर से मारता रह माधरचोद.... मेरा अब निकलेगा...हाय भाई मैं झरने वाली हूँ....सीईईईई....और जोर से पेल....चोद चोद....चोद चोद.... राजू....बहनचोद....बहन के लौड़े.....” कहते हुए मुझे छिपकिली की तरह से चिपक गई. उनकी चुत से छलछला कर पानी बहने लगा और मेरे लण्ड को भिगोने लगा. तीन-चार तगड़े धक्के मारने के बाद मेरा लण्ड भी झरने लगा और वीर्य का एक तेज फौव्वारा दीदी की चुत में गिरने लगा. दीदी ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपका लिया और आंखे बंद करके अपनी दोनों टांगो को मेरे चुत्तरों पर लपेट मुझे बाँध लिया. जिन्दगी में पहली बार किसी चुत के अन्दर लण्ड को झारा था. वाकई मजा आ गया था. ओह दीदी ओह दीदी करते हुए मैंने भी उनको अपनी बाँहों में भर लिया था. हम दोनों इतनी तगड़ी चुदाई के बाद एक दम थक चुके थे मगर हमारे गांड अभी भी फुदक रहे थे. गांड फुद्काती हुई दीदी अपनी चुत का रस निकल रही थी और मैं गांड फुद्काते हुए लौड़े को बूर की जड़ तक ठेल कर अपना पानी उनकी चुत में झार रहा था. सच में ऐसा मजा मुझे आज के पहले कभी नहीं मिला था. अपनी खूबसूरत बहन को चोदने की दिली तम्मन्ना पूरी होने के कारण पुरे बदन में एक अजीब सी शान्ती महसूस हो रही थी. करीब दस मिनट तक वैसे ही परे रहने के बाद मैं धीरे से दीदी के बदन निचे उतर गया. मेरा लण्ड ढीला हो कर पुच्च से दीदी की चुत से बाहर निकल गया. मैं एकदम थक गया था और वही उनके बगल में लेट गया. दीदी ने अभी भी अपनी आंखे बंद कर रखी थी. मैं भी अपनी आँखे बंद कर के लेट गया और पता नहीं कब नींद आ गई. सुबह अभी नींद में ही था की लगा जैसे मेरी नाक को दीदी की चुत की खुसबू का अहसास हुआ. एक रात में मैं चुत के चटोरे में बदल चूका अपने आप मेरी जुबान बाहर निकली चाटने के लिए...ये क्या...मेरी जुबान पर गीलापन महसूस हुआ. मैं ने जल्दी से आंखे खोली तो देखा दीदी अपने पेटिकोट को कमर तक ऊँचा किये मेरे मुंह के ऊपर बैठी हुई थी और हँस रही थी. दीदी की चुत का रस मेरे होंठो और नाक ऊपर लगा हुआ था. हर रोज सपना देखता था की दीदी मुझे सुबह-सुबह ऐसे जगा रही है. झटके के साथ लण्ड खड़ा हो गया और पूरा मुंह खोल दीदी की चुत को मुंह भरता हुआ जोर से काटते हुए चूसने लगा. उनके मुंह से चीखे और सिसकारियां निकलने लगी. उसी समय सुबह सुबह पहले दीदी को एक पानी चोदा और चोद कर उनको ठंडा करके बिस्तर से निचे उतर बाथरूम चला गया. फ्रेश होकर बाहर निकला तो दीदी उठ कर रसोई में जा चुकी थी. रविवार का दिन था मुझे भी कही जाना नहीं था. कविता दीदी ने उस दिन लाल रंग की टाइट समीज और काले रंग की चुस्त सलवार पहन रखी थी. नाश्ता करते समय पैर फैला कर बैठी तो मैं उसकी टाइट सलवार से उसके मोटे गुदाज जांघो और मस्तानी चुचियों को देखता चौंक गया. दोनों फैली हुई जांघो के बीच मुझे कुछ गोरा सा, उजला सफ़ेद सा चमकता आया नज़र आया. मैंने जब ध्यान पूर्वक देखा तो पाया की दीदी की सलवार उनके जांघो के बीच से फटी हुई. मेरी आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मैं सोचने लगा की दीदी तो इतनी बेढब नहीं है की फटी सलवार पहने, फिर क्या बात हो गई. तभी दीदी अपनी जांघो पर हाथ रखते अपने फटी सलवार के बीच ऊँगली चलाती बोली "क्या देख रहा है बे....साले.....अभी तक शान्ती नहीं मिली क्या....घूरता ही रहेगा....रात में और सुबह में भी पूरा खोल कर तो दिखाया था...." मैं थोरा सा झेंपता हुआ बोला "नहीं दीदी वो...वो आपकी...सलवार बीच से...फटी..." दीदी ने तभी ऊँगली दाल फटी सलवार को फैलाया और मुस्कुराती हुई बोली "तेरे लिए ही फारा है....दिन भर तरसता रहेगा...सोचा बीच-बीच में दिखा दूंगी तुझे..." मैं हसने लगा और आगे बढ़ दीदी को गले से लगा कर बोला "हाय...दीदी तुम कितनी अच्छी हो....ओह...तुम से अच्छा और सुन्दर कोई नहीं है....ओह दीदी....मैं सच में तुम्हारे प्यार में पागल हो जाऊंगा..." कहते हुए दीदी के गाल को चूम उनकी चूची को हलके से दबाया. दीदी ने भी मुझे बाँहों में भर लिया और अपने तपते होंठो के रस का स्वाद मुझे दिया. उस दिन फिर दिन भर हम दोनों भाई बहन दिन भर आपस में खेलते रहे और आनंद उठाते रहे. दीदी ने मुझे दिन में दुबारा चोदने तो नहीं दिया मगर रसोई में खाना बनाते समय अपनी चुत चटवाई और दोपहर में भी मेरे ऊपर लेट कर चुत चटवाया और लण्ड चूसा. टेलिविज़न देखते समय भी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलते रहे. कभी मैं उनकी चूची दबा देता कभी वो मेरा लण्ड खींच कर मरोर देती. मुझे कभी माधरचोद कह कर पुकारती कभी बहनचोद कह कर. इसी तरह रात होने पर हमने टेलिविज़न देखते हुए खाना खाया और फिर वो रसोई में बर्तन आदि साफ़ करने चली गई और मैं टीवी देखता रहा थोड़ी देर बाद वो आई और कमरे के अन्दर घुस गई. मैं बाहर ही बैठा रहा. तभी उन्होंने पुकारा "राजू वहां बैठ कर क्या कर रहा है...भाई आ जा....आज से तेरा बिस्तर यही लगा देती हूँ...." मैं तो इसी इन्तेज़ार में पता नहीं कब से बैठा हुआ था. कूद कर दीदी के कमरे में पहुंचा तो देखा दीदी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी और फिर परफ्यूम निकाल कर अपने पुरे बदन पर लगाया और आईने अपने आप को देखने लगी. मैं दीदी के चुत्तरों को देखता सोचता रहा की काश मुझे एक बार इनकी गांड का स्वाद चखने को मिल जाता तो बस मजा आ जाता. मेरा मन अब थोरा ज्यादा बहकने लगा था. ऊँगली पकड़ कर गर्दन तक पहुचना चाहता था. दीदी मेरी तरफ घूम कर मुझे देखती मुस्कुराते हुए बिस्तर पर आ कर बैठ गई. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी.
Reply
06-20-2017, 10:13 AM,
#16
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
बिस्तर पर तकिये के सहारे लेट कर अपनी बाँहों को फैलाते हुए मुझे प्यार से बुलाया. मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी को बाँहों में भर उनके होंठो का चुम्बन लेने लगा. तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अँधेरा फ़ैल गया. मैं और दीदी दोनों हसने लगे. फिर उन्होंने ने कहा "हाय राजू....ये तो एक दम टाइम पर लाइट चली गई...मैंने भी दिन में नहीं चुदवाया था की....रात में आराम से मजा लुंगी....चल एक काम कर अँधेरे में बूर चाट सकता है....देखू तो सही.....तू मेरी चुत की सुगंघ को पहचानता है या नहीं....सलवार नहीं खोलना ठीक है...." इतना सुनते ही मैं होंठो को छोर निचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनकी फटी सलवार के पास उनके चुत के पास पहुँच गया. सलवार के फटे हुए भाग को फैला कर चुत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा. थोड़ी देर चाटने पर ही दीदी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चुत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी " हाय राजू....बूर चाटू.....राजा....हाय सच में तू तो कमाल कर रहा है....एक दम एक्सपर्ट हो गया है....अँधेरे में भी सूंघ लिया....सीईईईइ बहनचोद....साला बहुत उस्ताद हो गया....है.....है मेरे राजा.....सीईईईइ" मैं पूरी चुत को अपने मुंह में भरने के चक्कर में सलवार की म्यानी को और फार दिया, यहाँ तक तक की दीदी की गांड तक म्यानी फट चुकी थी और मैं चुत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उनकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था. तभी लाइट वापस आ गई. मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे.होंठो पर से चुत का पानी पोछते हुए मैं बोला "हाय दीदी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है...जल्दी से कपरे खोलो...." दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली "हाँ बहुत गर्मी है....उफ्फ्फ्फ्फ्फ....लाइट आ जाने से ठीक रहा नहीं तो मैं सोच रही थी.....साली ..." कहते हुए अपने समीज को खोलने लगी. समीज खुलते ही दीदी कमर के ऊपर से पूरी नंगी हो गई. उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी. क्यों की दिन भर उनकी समीज के ऊपर से उनके चुचियों के निप्पल को मैं देखता रहा था. दोनों चूचियां आजाद हो चुकी थी और कमरे में उनके बदन से निकल रही पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई. मेरे से रुका नहीं गया. मैंने झपट कर दीदी को अपनी बाँहों में भरा और निचे लिटा कर उनके होंठो गालो और माथे को चुमते हुए चाटने लगा. मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पुरे चेहरे को गीला कर रहा था. दीदी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी. चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और चुचियों को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने दीदी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया. उनकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई. कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे. हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुश्बू आने लगी. मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गार दिया. कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा. कांख में जमा पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था. मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था. मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भींगा दिया था. दीदी चिल्लाते हुए गाली दे रही थी "हाय हरामी....सीईईइ...ये क्या कर रहा है.....चूतखोर.....सीई....बेशरम.....कांख चाटने का तुझे कहा से सूझा.....उफ्फ्फ्फ्फ्फ....पूरा पसीने से भरा हुआ था....साला मुझे भी गन्दा कर रहा है..... हाय पूरा थूक से भींगा दिया....हाय माधरचोद....ये क्या कर रहा है....उफ्फ्फ्फ्फ्फ....हाय मेरे पुरे बदन को चाट रहा है.....हाय भाई......तुझे मेरे बदन से रस टपकता हुआ लगता है क्या.....हाय…… उफ्फ्फ्फ्फ्फ...." मुझे इस बात की चिंता नहीं थी की दीदी क्या बोल रही है. मैं दुसरे कांख को चाटते हुए बोला "हाय दीदी...तेरा बदन नशीला है...उम्म्म्म्म्म्म्म.....बहुत मजेदार है....तू तो रसवंती है....रसवंती....तेरे बदन को चाटने से जितना मजा मुझे मिलता है उतना एक बार बियर पी थी तब भी नहीं आया था....हाय.....दीदी तुम्हारी कान्खो में जो पसीना रहता है उसकी गंध ने मुझे बहुत बार पागल किया है.....हाय आज मौका मिला है तो नहीं छोरुगा....तुम्हारे पुरे बदन को चाटूंगा.....गांड में भी अपनी जुबान डालूँगा...हाय दीदी आज मत रोकना मुझे....मैं पागल हो गया हूँ.....उम्म्म्म्म्म्म्म्म...." दीदी समझ गई की मैं सच में आज उनको नहीं छोड़ने वाला. उनको भी मजा आ रहा था. उन्होंने अपना पूरा बदन ढीला छोर दिया था और मुझे पूरी आजादी दे दी थी. मैं आराम से उनके कान्खो को चाटने के बाद धीरे धीरे निचे की तरफ बढ़ता चला गया और पेट की नाभि को चाटते हुए दांतों से सलवार के नारे को खोल कर खीचने लगा. इस पर दीदी बोली "फार दे ना....बहनचोद...पूरी तो पहले ही फार चूका है....और फार दे...." पर मैंने खींचते हुए पूरी सलवार को निचे उतार दिया और दोनों टांग फैला कर उनके बीच बैठ एक पैर को अपने हाथ से ऊपर उठा कर पैर के अंगूठे को चाटने लगा धीरे धीरे पैर की उँगलियों और टखने को चाटने के बाद पुरे तलवे को जीभ लगा कर चाटा. फिर वहां से आगे बढ़ते हुए उनके पुरे पैर को चाटते हुए घुटने और जांघो को चाटने लगा. जांघो पर दांत गाराते हुए मांस को मुंह में भरते हुए चाट रहा था. दीदी अपने हाथ पैर पटकते हुए छटपटा रही थी. मेरी चटाई ने उनको पूरी तरह से गरम कर दिया था
Reply
06-20-2017, 10:13 AM,
#17
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
वो मदहोश हो रही थी. मैं जांघो के जोर को चाटते हुए पैर को हवा में उठा दिया और लप लप करते हुए कुत्ते की तरह कभी बूर कभी उसके चारो तरफ चाटने लगा फिर अचानक से मैंने जांघ पकर कर दोनों पैर हवा में ऊपर उठा दिया इस से दीदी की गांड मेरी आँखों के सामने आ गई और मैं उस पर मुंह लगा कर चाटने लगा. दीदी एक दम गरमा गई और तरपते हुए बोली "क्या कर रहा है...हाय गांड के पीछे हाथ धो कर पर गया....है....सीईईई गांड मारेगा क्या....जब देखो तब चाटने लगता है...उस समय भी चाट रहा था....हाय हरामी....कुत्ते....सीईई...चाट मगर ये याद रख मारने नहीं दूंगी......साला आज तक इसमें ऊँगली भी नहीं गई है.....और तू कुत्ता.....जब देखो...उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....हाय चाटना है तो ठीक से चाट.....मजा आ रहा है....रुक मुझे पलटने दे......" कहते हुए पलट कर पेट के बल हो गई और गांड के निचे तकिया लगा कर ऊपर उठा दिया और बोली "ले अब चाट....कुत्ते....अपनी कुतिया दीदी की गांड....को.....बहनचोद.....बहन की गांड....खा रहा है.....उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बेशरम......" मेरे लिए अब और आसन हो गया था. दीदी की गांड को उनके दोनों चुत्तरों को मुठ्ठी में कसते हुए मसलते हुए खोल कर उनकी पूरी गांड की खाई में जीभ डाल कर चलाने लगा. गांड का छोटा सा भूरे रंग का छेद पकपका रहा था. होंठो को गांड के छेद के होंठो से मिलाता हुआ चूमने लगा. तभी दीदी अपने दोनों हाथो को गांड के छेद के पास ला कर अपनी गांड की छेद को फैलाती हुई बोली "हाय ठीक से चाट...चाटना है तो....छेद पूरा फैला कर....चाट...मेरा भी मन करता था चटवाने को.....तेरी जो वो मस्तराम की किताब है न उसमे लिखा है....हाय राजू.....मुझे सब पता है...बेटा....तू क्या क्या करता है....इसलिए चौंकना मत....बस वैसे ही जैसे किताब में लिखा है वैसे चाट.....हाय...जीभ अन्दर डाल कर चाट....हाय सीईईईईई....." मैं समझ गया की अब जब दीदी से कुछ छुपा ही नहीं है तो शर्माना कैसा अपनी जीभ को करा कर के उनकी गांड की भूरी छेद में डाल कर नचाते हुए चाटने लगा. गांड को छेद को अपने अंगूठे से पकर फैलाते हुए मस्ती में चाटने लगा. दीदी अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर मेरे जीभ पर नचा रही थी और मैं गांड को अपनी जीभ डाल कर चोदते हुए पूरी खाई में ऊपर से निचे तक जीभ चला रहा था. दीदी की गांड का स्वाद भी एक दम नशीला लग रहा था. कसी हुई गांड के अन्दर तक जीभ डालने के लिए पूरा जीभ सीधा खड़ा कर के गांड को पूरा फैला कर पेल कर जीभ नचा रहा था. सक सक गांड के अन्दर जीभ आ जा रही थी. थूक से गांड की छेद पूरी गीली हो गई थी और आसानी से मेरी जीभ को अपने अन्दर खींच रही थी. गांड चटवाते हुए दीदी एक दम गर्म हो गई थी और सिसकते हुए बोली "हाय राजा...अब गांड चाटना छोड़ो....हाय राजा....मैं बहुत गरम हो चुकी हूँ.....हाय मुझे तुने....मस्त कर दिया है...हाय अब अपनी रसवंती दीदी का रस चूसना छोड़ और.......उसकी चुत में अपना मुस्लंड लौड़ा डाल कर चोद और उसका रस निकाल दे.....हाय सनम....मेरे राजा....चोद दे अपनी दीदी को अब मत तड़पा...." दीदी की तड़प देख मैंने अपना मुंह उनकी गांड पर से हटाया और बोला " हाय दीदी जब आपने मस्तराम की किताब पढ़ी थी तो...आपने पढ़ा तो होगा ही की....कैसे गांड....में...हाय मेरा मतलब है की एक बार दीदी....अपनी गांड...." दीदी इस एक दम से तड़प कर पलटी और मेरे गालो पर चिकोटी काटती हुई बोली "हाय हरामी....साला.....तू जितना दीखता है उतना सीधा है नहीं....सीईईईइ....माधरचोद....मैं सब समझती हूँ....तू साला गांड के पीछे पड़ा हुआ है.....कुत्ते मेरी गांड मारने के चक्कर में तू....साले...यहाँ मेरी चुत में आग लगी हुई है और तू....हाय....नहीं भाई मेरी गांड एक दम कुंवारी है और आज तक मैंने इसमें ऊँगली भी नहीं डाली है....हाय राजू तेरा लौड़ा बहुत मोटा है....गांड छोड़ कर चुत मार ले...मैंने तुझे गांड चाटने दिया....गांड का पूरा मजा ले लिया अब रहने दे...." मैं दीदी की चिरौरी करने लगा. "हाय दीदी प्लीज़....बस एक बार...किताब में लिखा है कितना भी मोटा.....हो चला जाता है...हाय प्लीज़ बस एक बार...बहुत मजा...आता है...मैंने सुना है....प्लीज़....” मैं दीदी के पैर को चूम रहा था, चुत्तर को चूम रहा था, कभी हाथ को चूम रहा था. दीदी से मैं भीख मांगने के अंदाज में चिरौरी करने लगा. कुछ देर तक सोचने के बाद दीदी " बोली ठीक है भाई तू कर ले....मगर मेरी एक शर्त है....पहले अपने थूक से मेरी गांड को पूरा चिकना कर दे....या फिर थोड़ा सा मख्खन का टुकड़ा ले आ मेरी गांड में डाल कर एक दम चिकना कर दे फिर....अपना लण्ड डालना...डालने के पहले…. लण्ड को भी चिकना कर लेना....हाँ एक और बात तेरा पानी मैं अपनी चुत में ही लुंगी खबरदार जो.... तुने अपना पानी कही और गिराया....गांड मारने के बाद चुत के अन्दर डाल कर गिराना....नहीं तो फिर कभी तुझे चुत नहीं दूंगी… और याद रख मैं इस काम में तेरी कोई मदद नहीं करने वाली मैं कुर्सी पकर कर खड़ी हो जाउंगी…..बस….” मैं राजी हो गया और तुंरत भागता हुआ रसोई से फ्रीज खोल मख्खन के दो तीन टुकड़े ले कर आ गया. दीदी तब तक सोफे वाली चेयर के ऊपर दो तकिया रख कर अपनी आधे धर को उस पर टिका कर गांड को हवा में लहरा रही थी. मैं जल्दी से उनके पीछे पहुँच कर उनके चुत्तरो को फैला कर मख्खन के टुकड़ो को एक-एक कर उनकी गांड में ठेलने लगा. गांड की गर्मी पा कर मख्खन पिघलता जा रहा था और उनकी गांड में घुस कर घुलता जा रहा था. मैंने धीरे धीरे कर के सारे टुकड़े डाल दिए फिर निचे झुक कर गांड को बाहर से चाटने लगा. पूरी गांड को थूक से लथपथ कर देने के बाद मैंने अपने लण्ड पर भी ढेर सारा थूक लगाया और फिर दोनों चुत्तरों को दोनों हाथ से फैला कर लण्ड को गांड की छेद पर लगा कर कमर से हल्का सा जोर लगाया. गांड इतनी चिकनी हो चुकी थी और छेद इतनी टाइट थी की लण्ड फिसल कर चुत्तरों पर लग गया. मैंने दो तीन बार और कोशिश की मगर हर बार ऐसा ही हुआ. दीदी इस पर बोली "देखा भाई मैं कहती थी न की एक दम टाइट है....कुत्ते....मेरी बात नहीं मान रहा था...किताब में लिखी हर बात.....सच नहीं....हाय तू तो....बेकार में....उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ कुछ होने वाला नहीं....दर्द भी होगा.....हाय.....चुत में पेल ले....ऐसा मत कर...." मगर मैं कुछ नहीं बोला और कोशिश करता रहा. थोड़ी देर में दीदी ने खुद से दया करते हुए अपने दोनों हाथो से अपने चुत्तरों को पकड़ कर खींचते हुए गांड के छेद को अंगूठा लगा कर फैला दिया और बोली "ले माधरचोद अपने मन की आरजू पूरी कर ले....साला हाथ धो के पीछे पड़ा है....ले अब घुसा....लण्ड का सुपाड़ा ठीक से छेद पर लगा कर उसके बाद....धक्का मार...धीरे धीरे मारना...हरामी....जोर से मारा तो गांड टेढा कर के लण्ड तोड़ दूंगी....." मैंने दीदी के फैले हुए गांड के छेद पर लण्ड के सुपाड़े को रखा और गांड तक का जोर लगा कर धक्का मारा. इस बार पक से मेरे लण्ड का सुपाड़ा जा कर दीदी की गांड में घुस गया. गांड की छेद फ़ैल गई. सुपाड़ा जब घुस गया तो फिर बाकी काम आसान था क्योंकि सबसे मोटा तो सुपाड़ा ही था. पर सुपाड़ा घुसते ही दीदी की गांड परपराने लगी.
Reply
06-20-2017, 10:13 AM,
#18
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
वो मदहोश हो रही थी. मैं जांघो के जोर को चाटते हुए पैर को हवा में उठा दिया और लप लप करते हुए कुत्ते की तरह कभी बूर कभी उसके चारो तरफ चाटने लगा फिर अचानक से मैंने जांघ पकर कर दोनों पैर हवा में ऊपर उठा दिया इस से दीदी की गांड मेरी आँखों के सामने आ गई और मैं उस पर मुंह लगा कर चाटने लगा. दीदी एक दम गरमा गई और तरपते हुए बोली "क्या कर रहा है...हाय गांड के पीछे हाथ धो कर पर गया....है....सीईईई गांड मारेगा क्या....जब देखो तब चाटने लगता है...उस समय भी चाट रहा था....हाय हरामी....कुत्ते....सीईई...चाट मगर ये याद रख मारने नहीं दूंगी......साला आज तक इसमें ऊँगली भी नहीं गई है.....और तू कुत्ता.....जब देखो...उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....हाय चाटना है तो ठीक से चाट.....मजा आ रहा है....रुक मुझे पलटने दे......" कहते हुए पलट कर पेट के बल हो गई और गांड के निचे तकिया लगा कर ऊपर उठा दिया और बोली "ले अब चाट....कुत्ते....अपनी कुतिया दीदी की गांड....को.....बहनचोद.....बहन की गांड....खा रहा है.....उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बेशरम......" मेरे लिए अब और आसन हो गया था. दीदी की गांड को उनके दोनों चुत्तरों को मुठ्ठी में कसते हुए मसलते हुए खोल कर उनकी पूरी गांड की खाई में जीभ डाल कर चलाने लगा. गांड का छोटा सा भूरे रंग का छेद पकपका रहा था. होंठो को गांड के छेद के होंठो से मिलाता हुआ चूमने लगा. तभी दीदी अपने दोनों हाथो को गांड के छेद के पास ला कर अपनी गांड की छेद को फैलाती हुई बोली "हाय ठीक से चाट...चाटना है तो....छेद पूरा फैला कर....चाट...मेरा भी मन करता था चटवाने को.....तेरी जो वो मस्तराम की किताब है न उसमे लिखा है....हाय राजू.....मुझे सब पता है...बेटा....तू क्या क्या करता है....इसलिए चौंकना मत....बस वैसे ही जैसे किताब में लिखा है वैसे चाट.....हाय...जीभ अन्दर डाल कर चाट....हाय सीईईईईई....." मैं समझ गया की अब जब दीदी से कुछ छुपा ही नहीं है तो शर्माना कैसा अपनी जीभ को करा कर के उनकी गांड की भूरी छेद में डाल कर नचाते हुए चाटने लगा. गांड को छेद को अपने अंगूठे से पकर फैलाते हुए मस्ती में चाटने लगा. दीदी अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर मेरे जीभ पर नचा रही थी और मैं गांड को अपनी जीभ डाल कर चोदते हुए पूरी खाई में ऊपर से निचे तक जीभ चला रहा था. दीदी की गांड का स्वाद भी एक दम नशीला लग रहा था. कसी हुई गांड के अन्दर तक जीभ डालने के लिए पूरा जीभ सीधा खड़ा कर के गांड को पूरा फैला कर पेल कर जीभ नचा रहा था. सक सक गांड के अन्दर जीभ आ जा रही थी. थूक से गांड की छेद पूरी गीली हो गई थी और आसानी से मेरी जीभ को अपने अन्दर खींच रही थी. गांड चटवाते हुए दीदी एक दम गर्म हो गई थी और सिसकते हुए बोली "हाय राजा...अब गांड चाटना छोड़ो....हाय राजा....मैं बहुत गरम हो चुकी हूँ.....हाय मुझे तुने....मस्त कर दिया है...हाय अब अपनी रसवंती दीदी का रस चूसना छोड़ और.......उसकी चुत में अपना मुस्लंड लौड़ा डाल कर चोद और उसका रस निकाल दे.....हाय सनम....मेरे राजा....चोद दे अपनी दीदी को अब मत तड़पा...." दीदी की तड़प देख मैंने अपना मुंह उनकी गांड पर से हटाया और बोला " हाय दीदी जब आपने मस्तराम की किताब पढ़ी थी तो...आपने पढ़ा तो होगा ही की....कैसे गांड....में...हाय मेरा मतलब है की एक बार दीदी....अपनी गांड...." दीदी इस एक दम से तड़प कर पलटी और मेरे गालो पर चिकोटी काटती हुई बोली "हाय हरामी....साला.....तू जितना दीखता है उतना सीधा है नहीं....सीईईईइ....माधरचोद....मैं सब समझती हूँ....तू साला गांड के पीछे पड़ा हुआ है.....कुत्ते मेरी गांड मारने के चक्कर में तू....साले...यहाँ मेरी चुत में आग लगी हुई है और तू....हाय....नहीं भाई मेरी गांड एक दम कुंवारी है और आज तक मैंने इसमें ऊँगली भी नहीं डाली है....हाय राजू तेरा लौड़ा बहुत मोटा है....गांड छोड़ कर चुत मार ले...मैंने तुझे गांड चाटने दिया....गांड का पूरा मजा ले लिया अब रहने दे...." मैं दीदी की चिरौरी करने लगा. "हाय दीदी प्लीज़....बस एक बार...किताब में लिखा है कितना भी मोटा.....हो चला जाता है...हाय प्लीज़ बस एक बार...बहुत मजा...आता है...मैंने सुना है....प्लीज़....” मैं दीदी के पैर को चूम रहा था, चुत्तर को चूम रहा था, कभी हाथ को चूम रहा था. दीदी से मैं भीख मांगने के अंदाज में चिरौरी करने लगा. कुछ देर तक सोचने के बाद दीदी " बोली ठीक है भाई तू कर ले....मगर मेरी एक शर्त है....पहले अपने थूक से मेरी गांड को पूरा चिकना कर दे....या फिर थोड़ा सा मख्खन का टुकड़ा ले आ मेरी गांड में डाल कर एक दम चिकना कर दे फिर....अपना लण्ड डालना...डालने के पहले…. लण्ड को भी चिकना कर लेना....हाँ एक और बात तेरा पानी मैं अपनी चुत में ही लुंगी खबरदार जो.... तुने अपना पानी कही और गिराया....गांड मारने के बाद चुत के अन्दर डाल कर गिराना....नहीं तो फिर कभी तुझे चुत नहीं दूंगी… और याद रख मैं इस काम में तेरी कोई मदद नहीं करने वाली मैं कुर्सी पकर कर खड़ी हो जाउंगी…..बस….” मैं राजी हो गया और तुंरत भागता हुआ रसोई से फ्रीज खोल मख्खन के दो तीन टुकड़े ले कर आ गया. दीदी तब तक सोफे वाली चेयर के ऊपर दो तकिया रख कर अपनी आधे धर को उस पर टिका कर गांड को हवा में लहरा रही थी. मैं जल्दी से उनके पीछे पहुँच कर उनके चुत्तरो को फैला कर मख्खन के टुकड़ो को एक-एक कर उनकी गांड में ठेलने लगा. गांड की गर्मी पा कर मख्खन पिघलता जा रहा था और उनकी गांड में घुस कर घुलता जा रहा था. मैंने धीरे धीरे कर के सारे टुकड़े डाल दिए फिर निचे झुक कर गांड को बाहर से चाटने लगा. पूरी गांड को थूक से लथपथ कर देने के बाद मैंने अपने लण्ड पर भी ढेर सारा थूक लगाया और फिर दोनों चुत्तरों को दोनों हाथ से फैला कर लण्ड को गांड की छेद पर लगा कर कमर से हल्का सा जोर लगाया. गांड इतनी चिकनी हो चुकी थी और छेद इतनी टाइट थी की लण्ड फिसल कर चुत्तरों पर लग गया. मैंने दो तीन बार और कोशिश की मगर हर बार ऐसा ही हुआ. दीदी इस पर बोली "देखा भाई मैं कहती थी न की एक दम टाइट है....कुत्ते....मेरी बात नहीं मान रहा था...किताब में लिखी हर बात.....सच नहीं....हाय तू तो....बेकार में....उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ कुछ होने वाला नहीं....दर्द भी होगा.....हाय.....चुत में पेल ले....ऐसा मत कर...." मगर मैं कुछ नहीं बोला और कोशिश करता रहा. थोड़ी देर में दीदी ने खुद से दया करते हुए अपने दोनों हाथो से अपने चुत्तरों को पकड़ कर खींचते हुए गांड के छेद को अंगूठा लगा कर फैला दिया और बोली "ले माधरचोद अपने मन की आरजू पूरी कर ले....साला हाथ धो के पीछे पड़ा है....ले अब घुसा....लण्ड का सुपाड़ा ठीक से छेद पर लगा कर उसके बाद....धक्का मार...धीरे धीरे मारना...हरामी....जोर से मारा तो गांड टेढा कर के लण्ड तोड़ दूंगी....." मैंने दीदी के फैले हुए गांड के छेद पर लण्ड के सुपाड़े को रखा और गांड तक का जोर लगा कर धक्का मारा. इस बार पक से मेरे लण्ड का सुपाड़ा जा कर दीदी की गांड में घुस गया. गांड की छेद फ़ैल गई. सुपाड़ा जब घुस गया तो फिर बाकी काम आसान था क्योंकि सबसे मोटा तो सुपाड़ा ही था. पर सुपाड़ा घुसते ही दीदी की गांड परपराने लगी.
Reply
06-20-2017, 10:14 AM,
#19
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
वो एक दम से चिल्ला उठी और गांड खींचने लगी. मैंने दीदी की कमर को जोर से पकड़ लिया और थोड़ा और जोर लगा कर एक और धक्का मार दिया. लण्ड आधा के करीब घुस गया क्योंकि गांड तो एक दम चिकनी हो रखी थी. पर दीदी को शायद दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ चिल्लाते हुए बोली "हरामी....कुत्ते...कहती थी....मत कर....माधरचोद....पीछे पड़ा हुआ था.....साले....हरामी....छोड़..... हाय...मेरी गांड फट गई...उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....सीईईईई....अब और मत डालना....हरामी....तेरी माँ को चोदु.....मत डाल..... हाय निकल ले...निकल ले भाई....गांड मत मार....हाय चुत मार ले....हाय दीदी की गांड फार कर क्या मिलेगा....सीईईईईइ...आईईईईईइ........मररररर....गईइइइ ....." दीदी के ऐसे चिल्लाने पर मेरी गांड भी फट गई और मैं डर रुक गया और दीदी की पीठ और गर्दन को चूमने लगा और हाथ आगे बढा कर उनकी दोनों लटकती हुई चुचियों को दबाने लगा. मेरी जानकारी मुझे बता रही थी की अगर अभी निकल लिया तो फिर शायद कभी नहीं डालने देगी इसलिए चुप-चाप आधा लण्ड डाले हुए कमर को हलके हलके हिलाने लगा. कुछ देर तक ऐसे करने और चूची दबाने से शायद दीदी को आराम मिल गया और आह उह करते हुए अपनी कमर हिलाने लगी. मेरे लिए ये अच्छा अवसर था और मेल भी धीरे धीरे कर के एक एक इंच लण्ड अन्दर घुसाता जा रहा था. हम दोनों पसीने पसीने हो चुके थे. थोड़ी देर में ही मेरी मेहनत रंग लाइ और मेरा लण्ड लगभग पूरा दीदी की गांड में घुस गया. दीदी को अभी भी दर्द हो रहा था और वो बड़बड़ा रही थी. मैं दीदी को सांत्वना देते हुए बोला "बस दीदी हो गया अब....पूरा घुस चूका है...थोड़ी देर में लौड़ा....सेट हो कर आपको मजा देने लगेगा....हाय...परेशान नहीं हो....मैं खुद से शर्मिंदा हूँ की मेरे कारण आपको इंतनी परेशानी झेलनी पड़ी....अभी सब ठीक हो जाएगा....” दीदी मेरी बात सुन कर अपनी गर्दन पीछे कर मुस्कुराने की कोशिश करती बोली "नहीं भाई...इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है...हम आपस में मजा ले रहे है....इसलिए इसमें मेरा भी हाथ है......भाई तू ऐसा मत सोच....मेरे भी दिल में था की मैं गांड मरवाने का स्वाद लू....अब जब हम कर ही रहे है तो....घबराने की कोई जरुरत नहीं है....तुम पूरा कर लो पर याद रखना....अपना पानी मेरी चुत में ही छोड़ना...लो मारो मेरी गांड...मैं भी कोशिश करती हूँ की गांड को कुछ ढीला कर दू....” ऐसा बोल कर दीदी भी धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगी. मैं भी धीरे धीरे कमर हिला रहा था. कुछ देर बाद ही सक सक करते हुए मेरा लण्ड उनकी गांड में आने-जाने लगा. अब जाकर शायद कुछ ढीला हो रहा था. दीदी के कमर हिलाने में भी थोड़ी तेजी आ गई, इसलिए मैंने अपनी गांड का जोर लगाना शुरू कर दिया और तेजी से धक्के मारने लगा. एक हाथ को उनकी कमर के निचे ले जाकर उनकी बूर के टीट को मसलने लगा और चुत को रगड़ने लगा. उनकी चुत पानी छोड़ने लगी. दीदी को अब मजा आ रहा था. मैं अब कचाकाच धक्का लगाने लगा और एक हाथ उनके चुचियों को थाम कर लण्ड को गांड के अन्दर-बाहर करने लगा. चुत से चार गुना ज्यादा टाइट दीदी की गांड लग रही थी. दीदी अपनी गांड को हिलाते हुए बोली " हाय भाई मजा आ रहा है.....सीईईईई....बहुत अच्छा लग रहा है......शुरुर में तो दर्द कर रहा था.....मगर अब अच्छा लग रहा है.....सीईईईई.....हाय राजा....मारो धक्का...जोर जोर से चोदो अपनी दीदी की गांड को......हाय सैयां बताओ अपनी दीदी की गांड मारने में कैसा लग रहा है.....मजा आ रहा है की नहीं.....मेरी टाइट गांड मारने में.... बहन की गांड मारने का बहुत शौक था ना तुझे.... तो मन लगा कर मार....हाय मेरी चुत भी पानी छोड़ने लगी है....हाय जोर से धक्का मार....अपनी बहन को बीबी बना लिया है....तो मन लगा कर बीबी की सेवा कर....हाय राजा सीईईईईईइ.....बहनचोद बहुत मजा आ रहा है.....सीईईईईइ....उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....." मैं भी अब पूरा जोर लगा कर धक्का मारते हुए चिल्लाया " हाय दीदी सीईईई....बहुत टाइट है तुम्हारी गांड....मजा आ गया....हाय एक दम संकरी छेद है....ऊपर निचे जहाँ के छेद में लौड़ा डालो वही के छेद में मजा भरा हुआ है....हाय दीदी साली....मजा आ गया....सच में तुम बहुत मजेदार हो….. बहुत मजा आ रहा है....सीईईईई....मैं तो पागल हाय....मैं तो पूरा बहनचोद बन गया हूँ.....मगर तुम भी तो भाईचोदी बहन हो मेरी डार्लिंग सिस्टर.....हाय दीदी आज तो मैं तुम्हारी बूर और गांड दोनों फार कर रख दूंगा....." तभी मुझे लगा की इतनी टाइट गांड मारने के कारण मेरा किसी भी समय निकल सकता है. इसलिए मैंने दीदी से कहा की "दीदी...मेरा अब निकल सकता है...तुम्हारी गांड बहुत टाइट है....इतनी टाइट गांड मारने से मेरा तो छिल गया है मगर.....बहतु मजा आया....अब मैं निकाल सकता हूँ....हाय बोलो दीदी क्या मैं तुम्हारी गांड से निकल कर चुत में डालू या फिर.....तुम्हारी गांड में निकल दू....बोलो न मेरी लण्डखोर बहन....साली मैं तुम्हारे चुत में झारू या फिर....गांड में झारू.....हाय मेरी रंडी दीदी....." दीदी अपनी गांड नाचते हुए बोली " माधरचोद....मुझे रंडी बोलता है....साले अगर नहीं दिया होता तो मुठ मारता रह जाता....हाय अगर निकलने वाला है तो भोसरी के पूछ क्या रहा है.....जल्दी से गांड से निकल चुत में डाल...." मैंने सटक से लौड़ा खिंचा और दीदी भी उठ कर खड़ी हो गई और बिस्तर पर जा कर अपनी दोनों टांग हवा में उठा कर अपने जन्घो को फैला दिया. लगभग कूदता हुआ उनके जांघो बीच घुस गया और अपना तमतमाया हुआ लौड़ा गच से उनकी चुत में डाल कर जोर दार धक्के मारने लगा. दीदी भी निचे से गांड उछल कर धक्का लेने लगे और चिल्लाने लगी " हाय राजा मारो....जोर से मारो...अपनी बहन बीबी की...हाय मेरे सैयां...बहुत मजा आ रहा है...इतना मजा कभी नहीं मिला....मेरे भाई मेरे पति....अब तुम्ही मेरे पति हो...हाय राजा मैं तुमसे शादी करुँगी....हाय अब तुम्ही मेरे सैयां हो....मेरे बालम....माधरचोद....ले अपनी दीदी की की चुत का मजा....पूरा अन्दर तक लौड़ा डाल कर...चुत में पानी छोरो....माधरचोद..." मैं भी चिल्लाते हुए बोला " हा रंडी मैं तेरे से शादी करूँगा...मेरे लण्ड का पानी अपनी चुत में ले....हाय मेरा निकलने वाला है....हाय सीईईईईइ.........ले ले...." और दीदी को कस कर अपनी बाँहों में चिपका झरने लगा. उसी समय वो भी झरने लगी.

End
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,298,152 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,117 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,150,276 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,455 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,541,340 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,986,097 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,795,417 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,511,352 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,823,971 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,020 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)