Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
08-18-2017, 10:44 AM,
#1
Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग 

बात यूँ थी की हमारे मामा का घर हाज़ीपुर ज़िले में था.ज़िला सोनपुर

में हर साल ,माना हुआ मेला लगता है. हर साल की भाँति इस साल

भी मेला लगने वाला था. मामा का खत आया की दीदी और वीना बिटिया

को भेज दो. हम लोग मेला देखने जाएँगे. यह लोग भी हमारे साथ

मेला देख आएँगे. पेर पापा ने कहा कि तुम्हारी दीदी [यानी की मेरी मम्मी] का आना तो मुश्किल है पर वीना को तुम आकेर ले जाओ,उसकी मेला घूमने की

इच्छा भी है. तो फिर मामा आए और मुझे अपने साथ ले गये. दो

दिन हम मामा के घर रहे और फिर वहाँ से में यानी की वीना, मेरी

मामीजी , मामा और भाभी मीना[कज़िन'स वाइफ] आंड सेरवेंट रामू,

इत्यादि लोग मेले के लिए चल पड़े.

सनडे को हम सब मेला देखने निकल पड़े. हमारा प्रोग्राम 8 दिन का

था.. सोनपुर मेले में पहुँच कर देखा कि वहाँ रहने की जगह नही

मिल रही थी. बहुत अधिक भीड़ थी. मामा को याद आया कि उनके ही

गाओं के रहने वेल एक दोस्त ने यहाँ पर घर बना लिया है सो सोचा

की चलो उनके यहाँ चल कर देखा जाए. हम मामा के दोस्त यानी की

विश्वनथजी के यहाँ चले गये. उन्होने तुरंत हमारे रहने की

व्यवस्था अपने घर के उपर के एक कमरे में कर दी. इस समय

विश्वनथजी के अलावा घर पर कोई नही था. सब लोग गाओं में अपने

घर गये हुए थे. उन्होने अपना किचन भी खोल दिया,जिसमे खाने-

पीने के बर्तनो की सुविधा थी.

वहाँ पहुँच कर सब लोगों ने खाना बनाया और और विश्वनथजी को

भी बुला कर खिलाया. खाना खाने के बाद हम लोग आराम करने गये.

जब हम सब बैठे बातें कर रहे थे तो मैने देखा कि

विश्वनथजी की निगाहें बार-बार भाभी पर जा टिकती थी. और जब भी

भाभी की नज़र विश्वनथजी की नज़र से टकराती तो भाभी शर्मा

जाती थी और अपनी नज़रें नीची कर लेती थी. दोपहर करीब 2

बजे हम लोग मेला देखने निकले. जब हम लोग मेले में पहुँचे तो

देखा कि काफ़ी भीड़ थी और बहुत धक्का-मुक्की हो रही थी. मामा बोले

कि आपस में एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलो वरना कोई इधर-उधर

हो गया तो बड़ी मुश्किल होगी. मैने भाभी का हाथ पकड़ा, मामा-मामी

और रामू साथ थे.

मेला देख रहे थे कि अचानक किसी ने पीछे से गांद में उंगली

कर दी. में एकदम बिदक पड़ी, कि उसी वक़्त सामने से क़िस्सी ने मेरी

चूची दबा दी. कुच्छ आगे बढ़ने पर कोई मेरी चूत में उंगली कर

निकल भागा. मेरा बदन सनसना रहा था. तभी कोई मेरी दोनो

चूचियाँ पकड़ कर कान में फुसफुसाया - 'हाई मेरी जान' कह कर

हू आगे बढ़ गया. हम कुच्छ आगे बड़े तो वोही आदमी फिर आक़र

मेरी थाइस में हाथ डाल मेरी चूत को अपने हाथ के पूरे पंजे से

दबा कर मसल दिया. मुझे लड़की होने की गुदगुदी का अहसास होने

लगा था. भीड़ मे वो मेरे पीछे-पीछे साथ-साथ चल

रहा था,और कभी-कभी मेरी गांद में उंगली घुसाने की कोशिश कर

रहा था, और मेरे छूतदों को तो उसने जैसे बाप का माल समझ कर

दबोच रखा था. अबकी धक्का-मुक्की में भाभी का हाथ छ्छूट गया

और भाभी आगे और में पीछे रह गयी. भीड़ काफ़ी थी और में

भाभी की तरफ गौर करके देखने लगी. वो पीछे वाला आदमी

भाभी की टाँगों में हाथ डाल कर भाभी की चूत सहला रहा था.

भाभी मज़े से चूत सहल्वाति आगे बढ़ रही थी. भीड़ में किसे

फ़ुर्सत थी कि नीचे देखे कि कौन क्या कर रहा है. मुझे लगा कि

भाभी भी मस्ती में आ रही है. क्योकि वो अपने पीछे वाले आदमी

से कुच्छ भी नही कह रही थी. जब में उनके बराबर में आई और

उनका हाथ पकड़ कर चलने लगी तो उनके मुह्न से हाई की सी आवाज़ निकल

कर मेरे कनों में गूँजी. में कोई बच्ची तो थी नही, सब

समझ रही थी. मेरा तन भी छेड़-छाड़ पाने से गुदगुदा रहा था.

तभी किसी ने मेरी गांद में उंगली कर दी. ज़रा कुच्छ आगे बढ़े तो

मेरी दोनो बगलों में हाथ डाल कर मेरी चूचियों को कस कर पकड़

कर अपनी तरफ खींच लिया. इस तरह मेरी चूचियों को पकड़ कर

खींचा कि देखने वाला समझे कि मुझे भीड़-भाड़ से बचाया है.

शाम का वक़्त हो रहा था और भीड़ बढ़ती ही जा रही थी. इतनी

देर में वो पीछे से एक रेला सा आया जिसमे मामा मामी और रामू

पीछे रह गये और हम लोग आगे बढ़ते चले गये. कुच्छ देर बाद

जब पीछे मूड कर देखा तो मामा मामी और रामू का कहीं पता ही

नही था. अब हम लोग घबरा गये कि मामा मामी कहाँ गये. हम लोग

उन्हे ढूँढ रहे थे कि वो लोग कहाँ रह गये और आपस में बात

कर रहे थे कि तभी दो आदमी जो काफ़ी देर से हमे घूर रहे थे और

हमारी बातें सुन रहे थे वो हमारे पास आए और बोले तुम दोनो

यहाँ खड़ी हो और तुम्हारे सास ससुर तुम्हें वहाँ खोज रहे हैं.

भाभी ने पूचछा , कहाँ है वो? तो उन्होने कहा कि चलो हमारे

साथ हम तुम्हे उनसे मिलवा देते है. {भाभी का थोड़ा घूँघट था.

उसी घूँघट के अंदाज़े पर उन्होने कहा था जो क़ि सच बैठा} हम

उन दोनो के आगे चलने लगे. साथ चलते-चलते उन्होने भी हमे छ्चोड़ा नही बल्कि भीड़ होने का फायेदा उठा कर कभी कोई मेरी गांद पेर हाथ फिरा देता तो कभी दूसरा भाभी की कमर सहलाते हुए हाथ ऊपेर तक ले जकेर उसकी चूचिओ को छू लेता था. एक दो बार जब उस दूसरे वाले आदमी ने भाभी की चूचियों को ज़ोर से भींच दिया तो ना चाहते हुए भी भाभी के मुँह से आह सी निकल गयी और फिर तुरंत ही संभलकेर मेरी तरफ देखते हुए बोली कि इस मेले में तौ जान की आफ़त हो गयी है , भीड़ इतनी ज़्यादह हो गयी है कि चलना भी मुश्किल हो गया है.

मुझे सब समझ में आ रहा था कि साली को मज़ा तो बहुत आरहा है पर मुझे दिखाने के लिए सती सावित्री बन रही है. पर अपने को क्या गम, में भी तो मज़े ले ही रही थी और यह बात शायद भाभी ने भी नोटीस कर ली थी तभी तो वो ज़रा ज़्यादा बेफिकर हो कर मज़े लूट रही थी. वो कहते है ना कि हमाम में सभी नंगे होते हैं. मैने भी नाटक से एक बड़ी ही बेबसी भरी मुस्कान भाभी तरफ उच्छाल दी.इस तरह हम कब मेला छ्चोड़ कर आगे निकल गये पता ही नही चला.
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08-18-2017, 10:45 AM,
#2
RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
काफ़ी आगे जाने के बाद भाभी

बोली ' वीना हम कहाँ आ गये, मेला तो काफ़ी पीछे रह गया. यह

सुनसान सी जगह आती जा रही है, तुम्हारे मामा मामी कहाँ है?'

तभी वो आदमी बोला कि वो लोग हमारे घर है, तुम्हारा नाम वीना

है ना, और वो तुम्हारे मामा मामी है, वो हमे कह रहे थे कि

वीना और वो कहाँ रह गये. हमने कहा कि तुम लोग घर पर बैठो

हम उन्हें ढूँढ कर लाते हैं. तुम हमको नही जानती हो पर हम

तुम्हे जानते हैं. यह बात करते हुए हम लोग और आगे बढ़ गये थे.

वहाँ पर एक कार खड़ी थी. वो लोग बोले कि चलो इसमे बैठ जाओ,

हम तुम्हे तुम्हारे मामा मामी के पास ले चलते हैं. हमने देखा कि

कार में दो आदमी और भी बैठे हुए थे[ और मुझे बाद में यह

बात याद आई कि वो दोनो आदमी वही थे जो भीड़ मे मेरी और

भाभी की गंद में उंगली कर रहे थे और हमारी चूचियाँ दबा

रहे थे}. जब हमने जाने से इनकार किया तो उन्होने कहा की घबराओ

नही देखो हम तुम्हे तुम्हारे मामा-मामी के पास ही ले चल रहे है और

देखो उन्होने ने ही हमे सब कुच्छ बता कर तुम्हारी खबर लेने के

लिए हमे भेजा है अब घबराओ मत और कार में बैठ जाओ तो जल्दी

से तुम्हारे मामा- मामी से तुम्हें मिला दे. कोई चारा ना देख हम लोग

गाड़ी में बैठ गये. उन लोगों ने गाड़ी में भाभी को आगे की सीट

पर दो आदमियों के बीच बैठाया और मुझे भी पीछे की सीट पर

बीच में बिठा कर वो दोनों मुशटंडे मेरी अगल-बगल में बैठ

गये. कार थोड़ी दूर चली कि उनमे से एक आदमी का हाथ मेरी चूची

को पकड़ कर दबाने लगा, और दूसरा मेरी चूची को ब्लाउस के ऊपेर

से ही चूमने लगा. मैने उन्हे हटाने की कोशिश करते हुए कहा ' हटो

यह क्या बदतमीज़ी है.' तो एक ने कहा 'यह बदतमीज़ी नही है मेरी

जान, तुम्हे तुम्हारे मामा से मिलाने ले जा रहे हैं तो पहले हमारे

मामाओ से मिलो फिर अपने मामा से. जब मैने आगे की तरफ देखा तो

पाया कि भाभी की ब्लाउस और ब्रा खुली है और एक आदमी भाभी की

दोनो चूचियाँ पकड़े है और दूसरा भाभी दोनो टाँगे फैला कर

सारी और पेटिकोट कमर तक उठा कर उनकी चूत में उंगली डाल कर

अंदर बहेर कर रहा है भाभी इन दोनो की पकड़ से निकलने की कोशिश

कर रही है पर निकल नही पा रही है. उनके लीडर ने कहा कि '

देखो मेरी जान, हम तुम्हे चोदने के लिए लाए हैं और चोदे बिना

छ्चोड़ेंगे नही,तुम दोनो राज़ी से चुदओगि तो तुम्हे भी मज़ा आएगा

और हमे भी, फिर तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा देंगे. अगर तुम

नखरा करोगी तो तुम्हे ज़बरदस्ती चोद के जान से मार कर कहीं डाल

देंगे. और मेरी भाभी से कहा कि' तुम तो चुदाई का मज़ा लेती ही

रही हो, इतना मज़ा किसी और चीज़ में नही है, इसलिए चुपचाप खुद

भी मज़ा करो और हमे भी करने दो.

इतना सुन कर और जान के भय से भाभी और मैं दोनो ही शांत पड़

गये. भाभी को शांत होते देख कर वो जो भाभी की टांग पकड़े

बैठा था वो भाभी की चूत चाटने लगा, और दूसरा कस-कस कर

भाभी की चूचियाँ मसल रहा था. भाभी सी-सी करने लगी.

भाभी को शांत होते देख मैं भी शांत हो गयी और चुपचाप उन्हे

मज़ा देने लग गयी[?] मेरी भी चूत और चूची दोनो पर ही एक साथ

आक्रमण हो रहा था. मैं भी सीस्या रही थी.तभी मुझे जोरों का

दर्द हुआ और मैने कहा ' हाई ये तुम क्या कर रहे हो?'

क्यों मज़ा नही आ रहा है क्या मेरी जान? ऐसा कहते हुए उसने मेरी

चूचियों की घूंड़ी[निपल} को छ्चोड़ मेरी पूरी चूची को भोंपु

की तरह दबाने लग गया. मैं एकदम से गन्गना कर हाथ पावं सिकोड

ली. दूसरा वाला अब मेरे नितंबो[बट्स} को सहलाते हुए मेरी गंद के

छेद पर उंगली फिरा रहा था.

'चीज़े तो बड़ी उम्दा है यार', टाँग पकड़ कर मौज करने वाले ने

कहा .

'एकदम प्योर् देहाती माल है' दूसरे ने कहा

मैं थोडा हिली तो दूसरा वाला मेरी चूचियों को कस कर दबाते हुए

मेरे मूह से हाथ हटा कर ज़बरदस्ती मेरे होंटो पर अपने होन्ट रख

कर ज़ोर से चुंबन लिया कि मैं कसमसा उठी. फिर मेरे गालों को

मूह में भर कर इतनी ज़ोर से दन्तो से काटा कि मैं बूरी तरह से

छॅट्पाटा उठी. ऐसा लग रहा थी कि मेरी मस्त जवानी पा कर दोनो

बूरी तरहा से पागला गये थे. मैं बूरी तरह छॅट्पाटा रही थी

तभी दूसरे ने मेरी चूत में उंगली करते हुए कहा कि ' बड़ी

जालिम जवानी है, खूब मज़ा आएगा. कहो मेरी बुलबुल क्या नाम है

तुम्हारा?
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08-18-2017, 10:45 AM,
#3
RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
तभी दूसरे वाले ने कहा अर्रे बूढू इसका नाम वीना है. उन दोनो

में से एक मेरे नितंबों में उंगली करे बैठा था, और दूसरा मेरी

चूचियों और गालों का सत्यानाश कर रहा था और मैं डरी-सहमी

से हिरनी की भाँति उन दोनो की हरकतों को सहन कर रही थी. वैसे

झूठ नही बोलूँगी क्योंकि मज़ा तो मुझे भी आ रहा था पर उस वक़्त

डर भी ज़्यादा लग रहा था. मैं दोहरे दबाव में अधमरी थी. एक

तरफ़ शरारत की सनसनी और दूसरी तरफ इनके चंगुल में फँसने

का भय-.वो मस्त आँखो से मेरे चेहरे को निहार रहे थे और एक साथ

मेरी दोनो गदराई चूचियों को दबाते कहा चुपचाप हम लोगों को

मज़ा नही डोगी तो हम तुम दोनो को जान से मार देंगे.तेरी जवानी तो

मस्त है. बोल अपनी मर्ज़ी से मज़ा देगी कि नही?

कुच्छ भी हो मैं सयानी तो थी ही, उनकी इन रंगीन हरकतों का असर

तो मुझ पर भी हो रहा था.फिर मैने भाभी की तरफ देखा, . आगे

वाले दोनो आदमियों में से एक मेरी भाभी के गाल पर चूमी- बॅट्क

भर रहा था और जो ड्राइवर था वो उनकी चूत में उंगली कर रहा

था. उन दोनो ने मेरी भाभी की एक एक थाइ अपनी थाइस के नीचे दबा

रखी थी और साडी और पेटिकोट कमर तक उठाया हुआ था. और

भाभी दोनो हाथों में एक-एक लंड पकड़ के सहला रही थी. उन दोनो

के खड़े मोटे-मोटे लंडो को देख कर मैं डर गयी कि अब क्या होगा.

तभी उनमे से एक ने भाभी से पूचछा' कहो रानी मज़ा आ रहा है ना?

और मैने देखा कि भाभी मज़ा करते हुए नखरे के साथ बोली 'उन्ह हाँ'

तब उसने कहा ' पहले तो नखरा कर रही थी, पर अब तो मज़ा आ

रहा है ना, जैसा हम कहेंगे वैसा करोगी तौकसम भगवान की

पूरा मज़ा लेकर तुम्हे तुम्हारे घर पहुँचा देंगे. तुम्हारे घर किसी

को पता भी नही लगेगा कि तुम कहाँ से आ रही हो. और नखरा

करोगी तो वक़्त भी खराब होगा और तुम्हारी हालत भी और घर भी

नही पहून्च पाओगि. जो मज़ा राज़ी-खुशी में है वो ज़बरदस्ती

में नही.

भाभी - ठीक है हुमको जल्दी से कर के हमे घर भिजवा दो.

भाभी की ऐसी बात सुन कर मैं भी ढीली पड़ गयी. मैने भी कहा

कि हमे जल्दी से करो और छ्चोड़ दो.

इतने में ही कार एक सुनसान जगह पर पहुँच गयी और उन लोगों ने

हमे कार से उतारा और कार से एक बड़ा सा ब्लंकेट निकाल कर थोड़ी

समतल सी जगह पर बिच्छाया और मुझे और भाभी को उस पर लिटा

दिया. अब एक आदमी मेरे करीब आया और उसने पहले मेरी ब्लाउस और

फिर ब्रा और फिर बाकी के सभी कपड़े उतार कर मुझे पूरी तरह से

नंगा किया और मेरी चूचियों को दबाने लगा. मैं गनगना गयी

क्योंकि जीवन में पहली बार किसी पुरुष का हाथ मेरी चूचियों पर

लगा था. मैं सीस्या रही थी. मेरी चूत में कीड़े चलने लगे थे.

मेरे साथ वाला आदमी भी जोश में भर गया था, और पागलों के समान

मेरे शरीर को चूम चाट रहा था.मेरी चूत भी मस्ती में भर

रही थी. वो काफ़ी देर तक मेरी चूत को निहार रहा था.. मेरी चूत

के ऊपेर भूरी-भूरी झांटेन उग आई थी. उसने मेरी पाव-रोटी जैसी

फूली हुई चूत पर हाथ फेरा तो मस्ती में भर उठा और झूक कर

मेरी चूत को चूमने लगा, और चूमते-चूमते मेरी चूत के टीट

{क्लाइटॉरिस} को चाटने लगा.अब मेरी बर्दाश्त के बाहर हो रहा था और

मैं ज़ोर से चीत्कार रही थी. मुझे ऐसी मस्ती आ रही थी कि मैं

कभी कल्पना भी नही की थी.

वो जितना ही अपनी जीभ{टंग} मेरी कुँवारी चूत पर चला रहा

था उतना ही उसका जोश और मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था. मेरी चूत

में जीभ घुसेड कर वो उसे चक्कर घिन्नी की मानिंद घुमा रहा था,

और मैं भी अपने चूतड़ ऊपेर उचकाने लगी थी. मुझे बहुत मज़ा आ

रहा था. इस आनंद की मैने कभी सपने मैं भी नही कल्पना की

थी. एक अजीब तरह की गुदगुदी हो रही थी

फिर वो कपड़े खोल कर नंगा हो गया. उसका लंड भी खूब लंबा और

मोटा था लंड एकद्ूम टाइट होकेर साँप की भाँति फुंफ़कार रहा था.और

मरी चूत उसका लंड खाने को बेकरार हो उठी. फिर उसने मेरे छूतदों

को थोडा सा उठा कर अपने लंड को मेरी बिलबिलती चूत में कुच्छ इस

तरह से चांपा की मैं तड़प उठी, चीख उठी और चिल्ला

उठी 'हॅयियी मेरी चूत फटी, हाईईईईईई मैं मारीईई अहहााआ

हाए बहुत दर्द हो रहा है जालिम कुच्छ तो मेरी चूत का ख्याल

करो. अर्रे निकालो अपने इस जालिम लंड को मेरी चूत में से

हाऐईईइन मैं तो मरी आज' और मैं दर्द के मारे हाथ-पेर पटक

रही थी पर उसकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि मैं उसकी पकड़ से छ्छूट

ना सकी. मेरी कुँवारी चूत को ककड़ी की तरह से चीरता हुआ उसका

लंड नश्तर की तरह चुभता गया. आधे से ज़्यादा लंड मेरी चूत

में घुस गया था. मैं पीड़ा से कराह रही थी तभी उसने इतनी ज़ोर

से ठप मारा कि मेरी चूत का दरवाज़ा ध्वस्त होकेर गिर गया और उसका

पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया. मैं दर्द से बिलबिला रही थी

और चूत से खून निकल कर बह कर मेरी गांद तक पहुँच गया.

वो मेरे नंगे बदन पर लेट गया और मेरी एक चूची को मुँह मैं

लेकर चूसने लगा. मैं अपने छूतदो को ऊपेर उच्छलने लगी, तभी

वो मेरी चूचियों को छ्चोड़ दोनो हाथ ज़मीन पेर टेक कर लंड को

चूत से टोपा तक खींच कर इतनी ज़ोर से ठप मारा कि पूरा लंड जड़

तक हमारी चूत में समा गया और मेरा कलेज़ा थरथरा उठा.यह

प्रोसेस वो तब तक चलाता रहा जब तक मेरी चूत का स्प्रिंग ढीला

नही पड़ गया. मुझे बाहों में भर कर वो ज़ोर-ज़ोर से ठप लगा

रहा था. में दर्द के मारे ओफफ्फ़ उफफफफफफ्फ़ कर रही थी. कुच्छ देर

बाद मुझे भी जवानी का मज़ा आने लगा और मैं भी अपने चूतड़

उच्छाल-उच्छाल कर गपगाप लंड अंदर करवाने लगी. और कह रही

थी 'और ज़ोर से रज़्ज़ा और ज़ोर से पूरा पेलो , और डालो अपना लंड'

वो आदमी मेरी चूत पर घमसान धक्के मारे जा रहा था. वो जब

उठ कर मेरी चूत से अपना लंड बाहर खींचता था तो मैं अपने

चूतड़ उचका कर उसके लंड को पूरी तारह से अपनी चूत मैं लेने की

कोशिश करती.और जब उसका लंड मेरी बछेदानि से टकराता तो मुझे

लगता मानो मैं स्वर्ग मैं उड़ रही हूँ. अब वो आदमी ज़मीन से दोनो

हाथ उठा कर मेरी दोनो चूचियों को पकड़ कर हमे घापघाप पेल

रहा था. यह मेरे बर्दाश्त के बाहर था और मैं खुद ही अपना मुह्न

उठा कर उसके मुह्न के करीब किया कि उसने मेरे मुह्न से अपना मुह्न

भिड़ा कर अपनी जीभ मेरे मुह्न में डाल कर अंदर बाहर करने

लगा.इधेर जीभ अंदर बहेर हो रही और नीचे चूत मे लंड अंदर

बहेर हो रहा था . इस दोहरे मज़े के कारण में तुरंत ही स्खलित हो

गयी और लगभग उसी समय उसके लंड ने इतनी फोर्स से वीर्यापत किया

की मे उसकी छाती चिपक उठी. उसने भी पूर्ण ताक़त के साथ मुझे

अपनी छाति से चिपका लिया.
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08-18-2017, 10:45 AM,
#4
RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
तूफान शांत हो गया. उसने मेरी कमर से हाथ खींच कर बंधन

ढीला किया और मुझे कुच्छ राहत मिली, लेकिन मैं मदहोशी मे पड़ी

रही. वो उठ बैठा और अपने साथी के पास गया और बोला ' यार ऐसा

ग़ज़ब का माल है प्यारे मज़ा आ जाएगा. ऐसा माल बड़ी मुश्किल से

मिलता है.

मैने मूड कर भाभी की तरफ देखा. भाभी के ऊपेर भी पहले वाला

आदमी चढ़ा हुआ था और उनकी चूत मार रहा था.भाभी भी सी हाई-हाई

करते हुए बोल रही थी ' हाई राजा ज़रा ज़ोर से चोदो और ज़ोर से

हय्य्यीइ चूचिया ज़रा कस कर दबाओ हाईईईईई मैं बस झड़ने वाली

हूँ और अपने छूतदों को धड़धड़ ऊपेर नीचे पटक रही थी.

हॅयियी मैं गयी राजा कह कर उन्होने दोनो हाथ फैला दिए तभी वो

आदमी भी भाभी की चूचियाँ पकड़ कर गाल काट ते हुए बोला ' मज़ा

आ गया मेरी जान' और उसने भी अपना पानी छ्चोड़ दिया.कुच्छ देर बाद

वो भी उठा और अपने कपड़े पहन कर साइड मैं हट गया.भाभी उस

आदमी के हटने के बाद भी आँखे बंद किए लेटी थी और मैने देखा

कि भाभी की चूत से उन दोनो का वीर्य और रज बह कर गंद तक आ

पहुँचा था.

अब उनका दूसरा साथी मेरे करीब बैठ कर मेरी चूचियों पर हाथ

फिराने लगा और बचा हुआ चौथ आदमी अब मेरी भाभी पर अपना

नंबर लगा कर बैठ गया. उसके बाद हम भाभी नंद की उन दो

आदमियों ने भी चुदाई की. अबकी बार जो आदमी मेरी भाभी पर चढ़ा

था उसका लंड बहुत ही ज़्यादा मोटा और लंबा{ करीब 11'} का था. पर

मेरी भाभी ने उसका लंड भी खा लिया.

चुदाई का दूसरा दौर पूरा होने पर जब हम उठ कर अपने कपड़े

पहनने लगे तो उन्होने कहा की पहले तुम दोनो नंद भाभी अपनी नंगी

चूचियों को आपस में चिपका के दिखाओ. इस पर जब हम शरमाने

लगी तो कहा कि जितना शरमाओगी उतनी ही देर होगी तुम लोगों को. तब

मेरी भाभी ने उठ कर मुझे अपनी कोली मैं भरा और मेरी चूचियों

पर अपनी चूचियाँ रगड़ी और निपपलोन से निपल मिला कर उन्हे आपस

मे दबाया. वो चारों आदमी इस द्रिश्य को देख कर अपने लुंडों पर

हाथ फिरा रहे थे. मुझे कुच्छ अटपटा भी लग रह था और कुच्छ

रोमांच भी हो रहा था.

उसके बाद हमने कपड़े पहने और वो लोग हमे अपनी कार में वापस

मेले के मेन गाउंड तक ले आए. उन्होने रास्ते मे फिर से हमे

धमकाया कि यदि हमने उनकी इस हरकत के बारे मे किसी से कुच्छ कहा

तो वो लोग हमे जान से मार देंगे. इस पर हमने भी उनसे वादा किया

कि हम किसी को कुच्छ नही बताएँगे.जब हम लोग मेले के ग्राउंड पर

पहुँचे तो सुना कि वहाँ पर हमारा नाम अनाउन्स कराया जा रहा

था और हमारे मामा-मामी मंडप मे हमारा इंतेज़्ज़र कर रहे थे. वो

चारों आदमी हमे लेकर मंडप तक पहुँचे. हमारे मामा हमे देख

कर बिफर पड़े कि कहाँ थे तुम लोग अब तक , हम 4 घंटे से तुम्हे

खोज़ रहे थे. इस पर हमारे कुच्छ बोलने से पहले ही उन चार मे से

एक ने कहा आप लोग बेकार ही नाराज़ हो रहें है, यह दोनो तो आप

लोगों को ही खोज रही थी और आपके ना मिलने पर एक जगह बैठी रो

रही थी, तभी इन्होने हमे अपना नाम बताया तो मैने इन्हे बताया कि

तौंहारे नाम का अनाउन्स्मेंट हो रहा है और तुमहरे मामा मामी

मंडप मे खड़े है. और इन्हे लेकर यहाँ आया हूँ.तब हमारे मामा

बहुत खुश हुए ऐसे शरीफ{?} लोगों पर और उन्होने उन अजन्बीयो का

शुक्रिया अदा किया. इस पर उन चारों ने हमे अपनी गाड़ी पर हमारे

घर तक छ्चोड़ने की पेशकश की जो हमारे मामा-मामी ने तुरंत ही

कबूल कर ली. हम लोग कार में बैठे और घर को चल दिए. जैसे

ही हम घर पहुँचे कि विश्वनथजी बहेर आए हमसे मिलने के

लिए. संयोग की बात यह थी कि यह लोग विश्वनथजी की पहचान वाले

थे. इसलिए जैसे ही उन्होने विश्वनथजी को देखा तो तुरंत ही

पूचछा ' अर्रे विश्वनथजी आप यहाँ, क्या यह आपकी फॅमिली है तो

विश्वनथजी ने कहा अर्रे नही भाई फॅमिली तो नही पर हमारे परम

मित्रा और एक ही गाओं के दोस्त और उनका परिवार है यह.फिर

विश्वनथजी ने उन लोगों को चाइ पीने के लिए बुलाया और वो सब लोग

हमारे साथ ही अंदर आ गये.वो चारों बैठ गये और विश्वनथजी

चाइ बनाने के लिए किचन पहुँचे तभी मेरे ममाजी ने कहा बहू

ज़रा मेहमानों के लिए चाइ बना देने और मेरी भाभी उठ कर किचन

मे चाइ बनाने के लिए गयी. भाभी ने सबके लिए चाइ चढ़ा दी और

चाइ बनाने के बाद वो उन्हे चाइ देने गयी, तब तक मेरे मामा एर

मामी ऊपेर के कमरे में चले गये थे और नीचे के उस कमरे उस

वक़्त वो चारों दोस्त और विश्वंतजी ही थे. कमरे में वो पाँचों

लोग बात कर रहे थे जिन्हे मैं दरवाज़े के पीछे खड़ी सुन रही

थी. मैने देखा कि जब भाभी ने उन लोगों को चाइ थमायी तो एक ने

धीरे से विश्वनथजी की नज़र बचा कर भाभी की एक चूची दबा

दी.भाभी हाई कर के रह गयी और खाली ट्रे लेकर वापस आ गयी.वो

लोग चाइ की चुस्की लगा रहे थे और बातें कर रहे थे, .

विश्वनथजी- आज तो आप लोग बहुत दिनों के बाद मिले हैं,क्यों

भाई कहाँ चले गये थे आप लोग? क्यों भाई रमेश तुमहरे क्या हाल

चाल है.

रमेश- हाल चाल तो ठीक है, पर आप तो हम लोगों से मिलने ही

नही आए, शायद आप सोचते होगे कि हमसे मिलने आएँगे तो आपका

खर्चा होगा.

विश्वनथजी- अर्रे खर्चे की क्या बात है.अर्रे यार कोई माल हो तो

दिलाओ , खर्चे की परवाह मत करो, वैसे भी फॅमिली बहेर गयी है

और बहुत दिन हो गये है किसी माल को मिले.अर्रे सुरेश तुम बोलो ना

कब ला रहे हो कोई नया माल?

सुरेश- इस मामले मे तो दिनेश से बात करोमाल तो यही साला रखता

है.

दिनेश- इस समय मेरे पास माल कहाँ? इस वक़्त तौमहेश के पास माल

है.

महेश _ माल तो था यार पेरकाल साली अपने मैके चली गयी है.पर

अगर तुम खर्च करो तो कुच्छ सोचें.

विश्वनथजी- खर्चे की हमने कहाँ मनाई की है. चाहे जितना

खर्चा हो जाए, लेकिन अकेले मन नही लग रहा है यार कुच्छ जुगाड़

बनवओ.

मैं वहीं खड़े-खड़े सब सुन रही थी मेरे पीछे भाभी

भी आकेर खड़ी हो गयी और वो भी उन लोगों की बातें सुन ने लगी.

सुरेश- अकेले-अकेले कैसे तुम्हारे यहा तो सब लोग है.

विश्वनथजी- अर्रे नही भाई यह हमारे बच्चे थोड़ी ही है, हमारे

बच्चे तो गाओं गये है,यह लोग हमारे गाओं से ही मेला देखने आए

है.

महेश- फिर क्या बात है. बगल मे हसीना और नगर ढिंढोरा.अगर

तुम हमारी दावत करो तो इनमे से किसी को भी तुमसे चुदवा देंगे.

विश्वनथजी- कैसे?

महेश- यार यह मत पूच्छो की कैसे, बस पहले दावत करो.

विश्वनथजी- लेकिन यार कहीं बात उल्टी ना पड़ जाएँ , गाओं का

मामला है, बहुत फ़ज़ईता हो जाएगा.

सुरेश- यार तुम इसकी क्यों फ़िक्र करते हो सब कुच्छ हमारे ऊपेर छोड़

दो

रमेश- यार एक बात है, बहू की जो सास {मीन्स माइ मामी} है उस पर

भी बड़ा जोबन है. यार मैं तो उसे किसी भी तरह चोदुन्गा.

विश्वनथजी- अर्रे यार तुम लोग अपनी बात कर रहे या मेरे लिए बात

कर रहे हो

महेश- तुम कल दोपहर को दावत रखना और फिर जिसको चोदना चोहेगे

उसी को चुदवा देंगे, चाहे सास चाहे बहू या फिर उसकी ननद

विश्वनथजी- ठीक है फिर तुम चारों कल दोपहर को आ जाना.

क्रमशः......................
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08-18-2017, 10:45 AM,
#5
RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
MELE KE RANG SAAS,BAHU AUR NANAD KE SANG-1

Baat yun thi ki hamare mama ka ghar hazipur zile mein tha.zila sonpur

mein har saal ,mana hua mela lagta hai. Har saal ki bhanti is saal

bhi mela lagne wala tha. Mama ka khat aaya ki didi aur veena bitiya

ko bhej do. Hum log mela dekhne jaayenge. Yeh log bhi hamare sath

mela dekh aayenge. Per papa ne kaha ki tumhari didi [yani ki meri mummy] ka aana tau mushkil hai per veena ko tum aaker le jaao,uski mela ghoomne ki

icchhha bhi hai. Tau phir mama aaye aur mujhe apne saath le gaye. Do

din hum mama ke ghar rahe aur phir wahan se mein yaani ki veena, meri

mamiji , mama aur bhabhi meena[cousin's wife] and servent ramu,

ityadi log mele ke liye chal pade.

Sunday ko hum sab mela dekhne nikal pade. Hamara programme 8 din ka

tha.. sonpur mele mein pahunch ker dekha ki wahan rehne ki jagah nahi

mil rahi thi. Bahut adhik bheed thi. Mama ko yaad aaya ki unke hi

gaon ke rahne wale ek dost ne yahan per ghar bana liya hai so socha

ki chalo unke yahan chal ker dekha jaaye. Hum mama ke dost yani ki

vishwanathji ke yahan chale gaye. Unhone turant hamare rehane ki

vyvastha apne ghar ke upar ke ek kamre mein kar di. Is samay

vishwanathji ke alawa ghar per koi nahi tha. Sab log gaon mein apne

ghar gaye hue the. Unhone apna kitchen bhi khol diya,jisme khane-

peene ke bartano ki suvidha thi.

Wahan pahunch ker sab logon ne khana banya aur aur vishwanathji ko

bhi bula ker khilaya. Khana khane ke baad hum log aaram karne gaye.

Jab hum sab baithe baatein kar rahe the tau maine dekha ki

vishwanathji ki nigahen bar-bar bhabhi per ja tikti thi. Aur jab bhi

bhabhi ki nazar vishwanathji ki nazar se takrati tau bhabhi sharma

jaati thi aur apni nazaren neechi kar leti thi. Dopahar kareeb 2

bAze hum log mela dekhne nikale. Jab hum log mele mein pahunche tau

dekh ki kafi bheed thi aur bahut dhakka-mukki ho rahi thi. Mama bole

ki aapas mein ek doosre ka hath pakad ker chalo warna koi idhar-udha

ho gaya tau badi mushkil hogi. Maine bhabhi ka hath pakda, mama-mami

aur ramu sath the.

Mela dekh rahe the ki achank kisi ne peechhe se gaand mein ungli

kar di. Mein ekdum bidak padi, ki usi waqt sammne se kissi ne meri

choochi daba di. Kuchh aage badne per koi meri choot mein ungli ker

nikal bhaga. Mera badan sansana raha tha. Tabhi koi meri dono

choochiyan pakad ker kaan mein phusphusaya - 'hai meri jaan' keh kar

who aage badh gaya. Hum kuchh aage bade tau wohi aadmi phir aaker

meri thighs mein hath dal meri choot ko apne hath ke poore panje se

daba ker masal diya. Mujhe ladki hone ki gudgudi ka ahasaas hone

laga tha. Bheed meein woh mere pechhe-peechhe sath-sath chal

raha tha,aur Kabhi-kabhi meri gaand mein ungli ghusane ki koshish kar

rahatha, aur mere chootadon kau tau usne jaise baap ka maal samajh ker

daboch rakha tha. Abki dhakka-mukki mein bhabhi ka hath chhoot gaya

aur bhabhi aage aur mein peechhe rah gayi. Bheed kafi thi aur mein

bhabhi ki taraf gaur karke dekhne lagi. Who peechhe wala aadmi

bhabhi ki tangon mein hath dal ker bhabhi ki choot sehla raha tha.

Bhabhi maze se choot sahalwati aage badh rahi thi. Bheed mein kise

fursat thi ki neeche dekhe ki kaun kya kar raha hai. Mujhe laga ki

bhabhi bhi masti mein aa rahi hai. Kyoki who apne peechhe wale aadmi

se kuchh bhi nahi keh rahi thi. Jab mein unke baraber mein aayi aur

unka hath pakad ker chalne lagi tau unke muhn se hai ki si awaz nikal

ker mere kanon mein goonji. Mein koi bachchi tau thi nahi, sab

samazh rahi thi. Mera tan bhi chhed-chhad pane se gudguda raha tha.

Tabhi kisi ne meri gaand mein ungli kar di. Jara kuchh aage bade tau

meri dono baglon mein hath dal ker meri choochiyon ko kas ker pakad

ker apni taraf kheench liya. Is tarah meri choochiyon ko pakad ker

kheencha ki dekhne wala samjhe ki mujhe bheed-bhad se bachaya hai.

Sham ka waqt ho raha tha aur bheed badhti hi jaa rahi thi. Itni

der mein who peechhe se ek rela sa aaya jisme mama mami aur ramu

peechhe reh gaye aur hum log aage badhte chale gaye. Kuchh der bad

jab peechhe mud ker dekha tau mama mami aur ramu ka kahin pata hi

nahi tha. Ab hum log ghabra gaye ki mama mami kahan gaye. Hum log

unhe dhoondh rahe the ki woh log kahan reh gaye aur aapas mein baat

ker rahe the ki tabhi do aadmi jo kafi der se hame ghoor rahe the aur

hamari baaten sun rahe the woh hamare paas aaye aur bole tum dono

yahan khadi ho aur tumhare saas sasur tumhen wahan khoj rahe hain.

Bhabhi ne poochha , kahan hai who? Tau unhone kaha ki chalo hamare

sath hum tumhe unse milwa dete hai. {Bhabhi ka thoda ghoonghat tha.

Usi ghoonghat ke andaze per unhone kaha tha jo ki sach baitha} hum

un dono ke aage chalne lage. Sath chalte-chalte unhone bhi hume chhoda nahi balki bheed hone ka faayeda utha ker kabhi koi meri gaand per hath phira deta tau kabhi dusra bhabhi ki kamar sahlte hue hath ooper tak le jaker uski choochioyon ko chhoo leta tha. Ek do baar jab us dusre wale aadmi ne bhabhi ki choochiyon ko jor se bheench diya tau na chahte hue bhi bhabhi ke munh se aah si nikal gayi aur phir turant hi sambhalker meri taraf dekhte hue boli ki is mele mein tau jaan ki aafat ho gayi hai , bheed itni jyadah ho gayi hai ki chaln bhi mushkil ho gaya hai.

Mujhe sab samajh mein aa raha tha ki saali ko maza tau bahut aaraha hai per mujhe dikhane ke liye sati savitri ban rahi hai. Per apne ko kya gam, mein bhi tau maze le hi rahi thi aur yeh baat shayad bhabhi ne bhi notice kar li thi tabhi tau woh jara jyada befikar ho ker maze loot rahi thi. Woh kehte hai na ki ki HAMMAM MEIN SABHI NANGE HOTE HAIN. maine bhi natak se ek badi hi bebasi bhari muskan bhabhi taraf uchhal di.Is tarah hum kab mela chhod ker aage nikal gaye pata hi nahi chala.

Kafi aage jaane ke baad bhabhi

boli ' veena hum kahan aa gaye, mela tau kafi peechhe reh gaya. Yeh

sunsan si jagah aati jaa rahi hai, tumhare mam mami kahan hai?'

tabhi who aadmi bola ki who log hamare ghar hai, tumhara naam veena

hai na, aur woh tu tumhare mama mami hai, who hame keh rahe the ki

veena aur who kahan reh gaye. Hamne kaha ki tum log ghar per baitho

huam unhen dhoondh ker late hain. Tum hamko nahi jaanti ho per hum

tumhe jaante hain. Yeh baat karte hue hum log aur aage badh gaye the.

Wahan per ek car khadi thi. Who log bole ki chalo isme baith jaao,

hum tumhe tumhare mama mami ke paas le chalte hain. Hamne dekha ki

car mein do aadmi aur bhi baithe hue the[ aur mujhe baad mein yeh

baat yaad aayi ke woh dono aadmi wahi the jo bheed mei meri aur

bhabhi ki gand mein ungli ker rahe the aur hamari choochiyan daba

rahe the}. Jab humne jane se inkar kiya tau unhone kaha ki ghabarao

nahi dekho hum tume tumhare mama-mami ke paas hi le chal rahe hai aur

dekho unhone ne hi hame sab kuchh bata ker tumhari khabar lene ke

liye hume bheja hai ab ghabrao mat aur car mein baith jaao tau jaldi

se tumhare mama- mami se tumhen mila de. Koi chara na dekh hum log

gaadi mein baith gaye. Un logon ne gfaadi mein bhabhi ko aage ki seat

per do aadmiyon ke beech bethaya aur mujhe bhi pecche ki seat per

beech mein bitha ker woh donon mushtande meri agal-bagal mein baith

gaye. Car thodi ddor chali ki unme se ek aadmi ka hath meri choochi

ko pakad ker dabane laga, aur doosra meri choochi ko blouse ke ooper

se hi choomne laga. Maine unhe hatan ki koshish karte hue kaha ' hato

yeh kya badtamizi hai.' Toh ek ne kaha 'yeh badtamizi nahi hai meri

jaan, tumhe tumhare mama se milane le jaa rahe hain tau pehle hamare

mamaon se milo phir apne mama se. jab maine aage ki taraf dekha tau

paya ki bhabhi ki blouse aur bra khuli hai aur ek aadmi bhabhi ki

dono choochiyan pakde hai aur doosra bhabhi dono tange faila ker

saree aur petticoat kamar tak utha ker unki choot mein ungli dal ker

andar baher ker raha hai bhabhi in dono ki pakad se niklne ki koshish

ker rahi hai per nikal nahi paa rahi hai. Unke leader ne kaha ki '

dekho meri jaan, hum tumhe chodne ke liye laaye hain aur chode bina

chhodenge nahi,tum dono razi se chudaogi tau tumhe bhi maza aayega

aur hame bhi, phir tumhe tumhare ghar pahuncha denge. Agar tum

nakhra karogi tau tumhe jabardasti chod kerjaan se maarker kahin daal

denge. Aur meri bhabhi se kaha ki' tum tau chudai ka maza leti hi

rahi ho, itna maza kisi aur cheez mein nahi hai, isliye chupchap khud

bhi maza karo aurhame bhi karne do.

Itna sun ker aur jaan ke bhay se bhabhi aur main dono hi shant pad

gaye. Bhabhi ko shant hote dekh ker who jo bhabhi ki tang pakde

baitha tha who bhabhi ki choot chatne laga, aur doosra kas-kas ker

bhabhi ki choochiyan masal raha tha. Bhabhi si-si karne lagi.

Bhabhi ko shant hote dekh main bhi shant ho gayi aur chupchap unhe

maza dene lag gayi[?] meri bhi choot aur choochi dono per hi ek saath

akraman ho raha tha. Main bhi sisya rahi thi.tabhi mujhe joron ka

dard hua aur maine kaha ' hai yrh tum kya ker rahe ho?'

Kyon maza nahi aa raha hai kya meri jaan? Aisa kehte hue usne meri

choochiyon ki ghoondi[nipple} ko chhod meri poori choochi ko bhonpu

ki tarah dabane lag gaya. Main ekdum se gangana ker hath paon sikod

li. Doosra wala ab mere nitambo[butts} ko sahlate hue meri gand ki

chhed per ungli phira raha tha.

'cheeze tau badi umda hai yaar', taang pakad ker mauj karne wale ne

kaha .

'ekdum pure dehati maal hai' doosre ne kaha

main thoda hili to doosra wala meri choochiyon ko kas ker dabate hue

mere muhn se hath hata ker jabardasti mere honto per apne hont rakh

ker jor se chumban liya ki main kasmasa uthi. Phir mere galon ko

muhn mein bhar ker itni jor se danto se kanta ki main boori tarah se

chhatpata uthi. Aisa lag raha thi ki meri mast jawani paa ker dono

boori tarha se pagla gaye the. Main boori tarah chhatpata rahi thi

tabhi doosrewale ne meri choot mein ungli karte hue kaha ki ' badi

jaalim jawani hai, khoob maza aayega. Kaho meri bulbul kya naam hai

tumhara?

Tabhi doosre wale ne kaha arre budhhu iska naam veena hai. Un dono

mein se ek mere nitambon mein ungli karte baitha tha, aur doosra meri

choochiyon aur gaalon ka satyanash ker raha tha aur main dari-sahmi

se hirni ki bhanti un dono ki harkaton ko sahan ker rahi thi. Waise

jhooth nahi bolungi kyonki maza tau mujhe bhi aa raha tha per us waqt

dar bhi jyada lag raha tha. Main dohre dabav mein adhmari thi. Ek

tarf shararat ki sansani aur doosri taraf inke changul mein phansne

ka bhay.who mast aankho se mere chehre ko nihar rahe the aur ek sath

meri dono gadrayi choochiyon ko dabate kaha chupchap hum logon ko

maza nahi dogi tau hum tum dono ko jaan se maar denge.teri jawani tau

mast hai. Bol apni marzi se maza degi ki nahi?

Kuchh bhi ho main sayani tau thi hi, unki in rangeen harkaton ka asar

tau mujh per bhi ho raha tha.phir maine bhabhi ki taraf dekha, . aage

wale dono aadmiyon mein se ek meri bhabhi ke gaal per chumee- batke

bhar raha tha aur jo driver tha who unki choot mein ungli ker raha

tha. Un dono ne meri bhabhi ki ek ek thigh apni thighs ke neeche daba

rakhi thi aur sadi aur petticoat kamar tak uthaya hua tha. Aur

bhabhi dono hathon mein ek-ek lund pakad kersahla rahi thi. Un dono

ke khade mote-mote lundo ko dekh ker main der gayi ki ab kya hoga.

Tabhi unme se ek ne bhabhi se poochha' kaho rani maza aa raha hai na?

Aur maine dekha ki bhabhi maza karte hue nakhare ke sath boli 'un hoo'

Tab usne kaha ' pehle tau nakhra kar rahi thi, per ab tau maza aa

raha hai naa, jaisa hum kahenge waisa karogi taukasam bhagwan ki

poora maz aekar tumhe tumhare ghar pahuncha denge. Tumhare ghar kisi

ko pata bhi nahi lagega ki tum kahan se aa rahi ho. Aur nakhra

karogi tau waqt bhi kharab hoga aur tumhari halt bhi aur ghar bhi

nahi pahoonch paogi. Jo maza raji-khushi mein hai who jabardasti

mein nahi.

Bhabhi - theek hai humko jaldi se ker ke hame ghar bhijwa do.

Bhabhi ki aisi baat sun ker main bhi dheeli pad gayi. Maine bhi kaha

ki hame jaldi se karo aur chhod do.

Itne mein hi car ek sunsaan jagah per pahunch gayi aur un logon ne

hame car se utara aur car se ek bada sa blanket nikal ker thodi

samtal si jagah per bichhaya aur mujhe aur bhabhi ko us per lita

diya. Ab ek aadmi mere kareeb aaya aur usne pehle meri blouse aur

phir bra ur phir baki ke sabhi kapde utar ker mujhe poori tarah se

nanga kiya aur meri choochiyon ko dabane lagha. Main ganagan gayi

kyonki jeevan mein pehli baar kisi purush ka hath meri choochiyon per

laga tha. Main sisya rahi thi. Meri choot mein keede chalne lage the.

Mere sath wala aadmi bhi josh mein bhar gaya tha, aur paglon ke saman

mere sharir ko choom chaat raha tha.meri choot bhi masti mein bhar

rahi thi. Who kafi der tak meri choot ko nihar raha tha.. meri choot

ke ooper bhoori-bhoori jhanten ug aayi thi. Usne meri pav-roti jaisi

fooli hui choot per hath phera tau masti mein bhar utha aur jhook ker

meri choot ko choomne laga, aur choomte-choomte meri choot ke teet

{clitoris} ko chatne laga.ab meri bardasht ke bahar ho raha tha aur

main jor se chitkar rahi thi. Mujhe aisi masti aa rahi thi ki main

kabhi kalpana bhi nahi ki thi.

Who jitna hi apnee jeebh{tongue} meri kunwari choot per chala raha

tha utna hi uska josh aur mera maza badhta jaa raha tha. Meri choot

mein jeebh ghused ker who use chakarghinni ki manind ghuma raha tha,

aur main bhi apne chootad ooper uchkane lagi thi. Mujhe bahut maza aa

raha tha. Is aanand ki manine kabhi sapne main bhi nahi kalpna ki

thi. Ek ajeeb tarah ki gudgudee ho rahi thi
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08-18-2017, 10:45 AM,
#6
RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
Phir who kapde khol ker nanga ho gaya. Uska lund bhi khoob lamba aur

mota tha lund ekdum tight hoker saanp ki bhanti funfkar raha tha.aur

mri choot uska lund khane ko bekrar ho uthi. Phir usne mere chootadon

ko thodasa utha ker apne lund ko meri bilbilati choot mein kuchh is

tarah se chanpa ki main tadap uthi, cheekh uthi aur chilla

uthi 'haiii meri choot phati, haiiiiiii main mariiiiii ahhhhhaaaaaa

haye bahut dard ho raha hai jaalim kuchh tau meri choot ka khyal

karo. Arre nikalo apne is jaalim lund ko meri choot mein se

haaaiiiiiin mai tau mari aaj' aur mai dard ke maare hath-per patak

rahi thi per uski pakad itni mazboot thi ki mai uski pakad se chhoot

na saki. Meri kunwarei choot ko kakdi ki tarah se cheerta hua uska

lund nashtar ki tarah chubhta gaya. Aadhe se jyada lund meri choot

mein ghus gaya tha. Mai peeda se karah rahi thi tabhi usne itni jor

se thap mara ki meri choot ka darwaza dhwast hoker gir gaya aur uska

poora lund meri choot mein ghus gaya. Mai dard se bilbila rahi thi

aur choot se khoon nikal ker bbah ker meri gaand tak pahunch gaya.

Who mere nange badan per let gaya aur meri ek choochi ko munh mei

lekar choosne laga. Mai apne chootado ko ooper uchhalne lagi, tabhi

who meri choochiyon ko chhod dono hath jameen per tek ker lund ko

chut se topa tak kheench ker itni jor se thap mara ki poora lund jad

tak hamari choot mein sama gaya aur mera kaleza tharthara utha.yeh

process who tab tak chalta raha jab tak meri choot ka spring dheela

nahi pad gaya. Mujhe bahon mein bhar ker who jor-jor se thap laga

raha tha. Mein dard ke mare offf ufffffff kar rahi thi. Kuchh der

baad mujhe bhi jawani ka maza aane laga aur mai bhi apne chootad

uchhal-uchhal ker gapagap lund ander karwane lagi. Aur keh rahi

thi 'aur jor se razzaa aur jor se poora pelo , aur dalo apna lund'

Who aadmi meri choot per ghamsan dhakke mare ja raha tha. Who jab

uth ker meri choot se apna lund bahar kheenchta tha tau mai apne

chootad uchka ker uske lund ko poori tarh se apni choot mai lene ki

koshish karti.aur jab uska lund meri bachhedani se takrata tau mujhe

lagta mano mai swarg mai ud rahi hoon. Ab who aadmi jameen se dono

hath utha ker meri dono choochiyon ko pakad ker hame ghapaghap pel

raha tha. Yeh mere bardasht ke bahar tha aur mai khud hi apna muhn

utha ker uske muhn ke kareeb kiya ki usne mere muhn se apna muhn

bhida ker apnee jeebh mere muhn mein dal ker ander bahar karne

laga.idher jeebh ander baher ho rahi aur neeche choot mei lund ander

baher ho raha tha . is dohre maze ke karan mei turant hi skhalit ho

gayi aur lagbhag usi samay uske lund ne itni force se veeryapat kiya

kimai uski chhati chipak uthi. Usne bhi purn takat ke saath mujhe

apni chhati se chipke liya.

Toofan shant ho gaya. Usne meri kamar se hath kheench ker bandhan

dheela kiya aur mujhe kuchh rahat mili, lekin mei madhoshi mei padi

rahi. Who uth baitha aur apne sathi ke paas gaya aur bola ' yaar aisa

gazab ka maal hai pyare maza aa jayega. Aisa maal badi mushkil se

milta hai.

Maine mud ker bhabhi ki taraf dekha. Bhabhi ke ooper bhi pehle wala

aadmi chadha hua tha aur unki choot mar raha tha.bhabhi bhi si hi-hi

karte hue bol rahi thi ' hai raza jara jor se chodo aur jor se

hayyyiii choochiya jara kas ker dabaona haiiiiii mai bas jhadne wali

hoon aur apne chootadon ko dhaddhad ooper neeche patak rahi thi.

Haiii mai gayi raza keh ker unhone dono hath phaila diye tabhi who

aadmi bhi bhabhi ki choochiyan pakad ker gaal kat te hue bola ' maza

a gaya meri jaan' aur usne bhi apna paani chhod diya.kuchh der baad

who bhi utha aur apne kapde pehan ker side mai hat gaya.bhabhi us

aadmi ke hatne ke baad bhi ankhe band kiye leti thi aur maine dekha

ki bhabhi ki choot se un dono ka veerya aur raj beh ker gand tak aa

pahunch tha.

Ab unka doosra sathi mere kareeb baith ker meri choochiyon per hath

phirane laga aur bacha hua chauth aadmi ab meri bhabhi per apna

number laga ker baith gaya. Uske bad hum bhabhi nand ki un do

aadmiyon ne bhi chudai ki. Abki bar jo aadmi meri bhabhi per chadha

tha uska lund bahut hi jyada mota aur lamba{ kareeb 11'} ka tha. Per

meri bhabhi ne uska lund bhi kha liya.

Chudai ka doosra daur poora hone per jab hum uth ker apne kapde

pehanne lage tau unhone kaha ki pehle tum dono nand bhabhi apni nangi

choochiyon ko aapas mein chipka ke dikhao. Is per jab hum sharmane

lagi tau kaha ki jitna sharmaogi utni hi der hogi tum logon ko. Tab

meri bhabhi ne uth ker mujhe apni koli mai bhara aur meri choochiyon

per apni choochiyan ragadi aur nipplon se nipple mila ker unhe aapas

amein dabaya. Who charon aadmi is drishya ko dekh ker apne lundon per

hath phira rahe the. Mujhe kuchh atpata bhi lag rah tha aur kuchh

romanch bhi ho raha tha.

Uske baad humne kapde pehane aur who log hame apni car mein wapas

mele ke main gound tak le aaye. Unhone raaste mei phir se hame

dhamkaya ki yadi humne unki is harket ke baare mei kisi se kuchh kaha

tau who log hame jaan se maar denge. Is per hamne bhi unse wada kiya

ki hum kisi ko kuchh nahi batayenge.jab hum log mele ke ground per

pahunch tau suna ki wahan per hamara naam announce karaya jaa raha

tha aur hamare mama-mami mandap mei hamara intezzar ker rahe the. Who

charon aadmi hame lekar mandap tak pahunche. Hamare mama hame dekh

ker bifar pade ki kahan the tum log ab tak , hum 4 ghante se tumhe

khoz rahe the. Is per hamare kuchh bolne se pehle hi un char mei se

ek ne kaha aap log bekar hi naraz ho rahen hai, yeh dono tau aap

logon ko hi khoj rahi thi aur aapke naa milne per ek jagah baithi ro

rahi thi, tabhi inhone hame apna naam bataya tau manie inhe bataya ki

taumhare naam ka announcement ho raha hai aur tumahre mama mami

mandap mei khade hai. Aur inhe lekar yahan aaya hoon.tab hamare mama

bahut khush hue aise sharif{?} logon per aur unhone un ajanbeeyon ka

shukriya ada kiya. Is per un charon ne hume apni gaadi per hamare

ghar tak chhodne ki peshkash ki jo hamare mama-mami ne turant hi

kabool ker li. Hum log car mein baithe aur ghar ko chal diye. Jaise

hi hum ghar pahunche ki vishwanathji baher aaye haumse milne ke

liye. Sanyog ki baat yeh thi ki yeh log vishwanathji ki pehchan wale

the. Isliye jaise hi unhone vishwanathji ko dekha tau turant hi

poochha ' arre vishwanathji aap yahn, kya yeh aapki family hai tau

vishwanathji ne kaha arre nahi bhai family tau nahi per hamare param

mitra aur ek hi gaon ke dost aur unka pariwar hai yeh.phir

vishwanathji ne un logon ko chai peene ke liye bulaya aur who sab log

hamare sath hi ander aa gaye.who charon baith gaye aur vishwanathji

chai banane ke liye kitchen pahunche tabhi mere mamaji ne kaha bahu

jara mehmanon ke liye chai bana dene aur meri bhabhi uth ker kitchen

mei chai banane ke liye gayi. Bhabhi ne sabke liye chai chadha di aur

chai banane ke bad who unhe chai dene gayi, tab tak mere mama ayr

mami ooper ke kamre mein chale gaye the aur neeche ke us kamre us

waqt who charon dost aur vishwanthji hi the. Kamre mein who panchon

log baat ker rahe the jinhe mei darwaze ke peechhe khadi sun rahi

thi. Manie dekha ki jab bhabhi ne un logon ko chai thamayi tau ek ne

dhhere se vishwanathji ki nazar bacha ker bhabhi ki ek choochi daba

di.bhabhi hi ker ke reh gayi aur khali trey lekar wapas aa gayi.who

log chai ki chuski laga rahe the aur baatein ker rahe the, .

Vishwanathji- aaj tau aap log bahut dinon ke baad mile hain,kyon

bhai kahan chale gaye the aap log? Kyon bhai ramesh tumahre kya haal

chal hai.

Ramesh- hal chall tau theek hai, per aap tau hum logon se milne hi

nahi aaye, shayad aap sochte hoge ki humse milne aayenge tau aapka

kharcha hoga.

Vishwanathji- arre kharche ki kya baat hai.arre yaar koi maal ho tau

dilao , kharche ki parwah mat karo, waise bhi family baher gayi hai

aur bahut din ho gaye hai kisi mall ko mile.arree suresh tum bolo na

kab laa rahe koi naya maal?

Suresh- is mamle mei tau dinesh se baat karomaal tau yehi sala rakhta

hai.

Dinesh- is samay mere paas maal kahan? Is waqt taumahesh ke paas maal

hai.

Mahesh _ maal tau tha yaar perkal sali apne maike chali gayi hai.per

agar tum kharch karo tau kuchh sochen.

Vishwanathji- kharche ki haumne kahan manai ki hai. Chae jitne

kharcha ho jaaye, lekin akele man nahi lag raha hai yaar kuchh jugad

banwao.

Mai wahin khade-khade sab sun rahi thitabhi mere peechhe bhabhi

bhi aaker khadi ho gayi aur who bhi un logon ki batein sun ne lagi.

Suresh- akele-akele kaise tumhare yahen tau sab log hai.

Vishwanathji- arre nahi bhai yeh hamare bachhe thodi hi hai, hamare

bachhe tau gaon gaye hai,yeh log hamare gaon se hi mela dekhne aaye

hai.

Mahesh- phir kya baat hai. Bagal mei hasina aur nagar dhindhora.agar

tum hamari dawat karo tau inme se kisi ko bhi tumse chudwa denge.

Vishwanathji- kaise?

Mahesh- yaar yeh mat poochho ki kaise, bas pehle dawat karo.

Vishwanathji- lekin yaar kahin baat ulti naa pad jaayen , gaon ka

mamla hai, bahut fazita ho jaayega.

Suresh- yaar tum iski kyon fikr karte ho sab kuchh hamare ooper chood

do

Ramesh- yaar ek baat hai, bahu ki jo saas {means my mami} hai us per

bhi bada joban hai. Yaar mai tau use kisi bhi tarah chodunga.

Vishwanathji- arre yaar tum logapni baat ker rahe ya mere liye baat

ker rahe ho

Mahesh- tum kal dophar ko dawat rakhna aur phir jisko chodna chohege

usi ko chudwa denge, chahe saas chahe bahu ya phir uski nanad

Vishwanathji- theek hai phir tum charon kal dopahar ko aa jana.

kramshah...........................
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08-18-2017, 10:46 AM,
#7
RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
मेले के रंग सास, बहू और ननद के संग-2 

गतान्क से आगे.................

मैने सोचा कि अब हमारी खैर नही पीछे मुड़केर देखा तो भाभी खड़े-खड़े अपनी चूत खुज़ला रही है.

मैने कहा –क्यों भाभी चूत चुदवाने को खुज़ला रही हो.

भाभी- हाँ ननद रानी अब आपसे क्या च्छुपाना, मेरी चूत बड़ी खुज़ला रही है. मन कर रहा कि कोई मुझे पटक कर छोड़ दे.

मैने कहा --पहले कहती तो किसी को रोक लेती जो तुम्हे पूरी रात चोद्ता रहता. खैर कोई बात नही कल शाम तक रूको तुम्हारी चूत का भोसड़ा बन जाएगा. उन पाँचों के इरादे है हमे चोदने के और वो सला रमेश तो ममीज़ी को भी चोदना चाहता है.अब देखेंगे मामी को किस तरह से चोद्ते है यह लोग.

अगली सुबह जब मैं सो कर उठी तो देखा कि सभी लोग सोए हुए थे सिर्फ़ भाभी ही उठी हुई थी और विश्वनथजी का लंड जो की नींद में भी तना हुआ था और भाभी गौर से उनके लंड को ही देख रही थी.

उनका लंड धोती के अंदर तन कर खड़ा था, करीब 10’’ लंबा और 3’’ मोटा, एकद्ूम रोड की तरह. भाभी ने इधर-उधर देख कर अपने हाथ से उनकी धोती को लंड पर से हटा दिया और उनके नंगे लंड को देख कर अपने होंटो पर जीभ फिराने लगी. में भी बेशार्मो की तरह जाकेर भाभी के पास खड़ी हो गयी और धीरे से कहा "उईइ मा ".

भाभी मुझे देख कर शर्मा गयी और घूम कर चली गयी. में भी भाभी के पीछे चली और उनसे कहा देखो कैसे बेहोश सो रहे हैं.

भाभी- चुप रहो

में – क्यों भाभी, ज़्यादा अच्छा लग रहा है

भाभी- चुप भी रहो ना.

में- इसमे चुप रहने की कौन सी बात है जाओ और देखो और पकड़ कर मुह्न मे भी ले लो उनका खड़ा लंड, बड़ा मज़ा आएगा.

भाभी- कुच्छ तो शर्म करो यू ही बके जा रही हो.

में- तुम्हारी मर्ज़ी, वैसे उपेर से धोती तौ तुमने ही हटाई है.

भाभी- अब चुप भी हो जाओ, कोई सुन लेगा तो क्या सोचेगा.

फिर हम लोग रोज़ की तरह काम में लग गये. करीब दस बज़े विश्वनथजी कुच्छ समान लेकर आए और हमारे मामा के हाथ में समान थमा कर कहा नाश्ते के लिए कहा. और कहा आज हमारे चारों दोस्त आएँगे और उनकी दावत करनी है यार.इसलये यह समान लाया हूँ भैया, मुझे तो आता नही है कुच्छ बनाना इसलये तुम्ही लोगों को बनाना पड़ेगा.और हां यार तुम पीते तो हो ना? विश्वनथजी ने ममाजी से पूचछा.[ मीन्स दारू पीते हो ना?]

मामा- नही में तो नही पीटा हूँ यार

विश्वनथजी- अर्रे यार कभी-कभी तो लेते होगे

मामा-हाँ कभी-कभार की तो कोई बात नही

विश्वनथजी- फिर ठीक है हमारे साथ तो लेना ही होगा.

मामा- ठीक है देखा जाएगा.

हम लोगों ने समान वग़ैरह बना कर तैय्यार कर लिया. 2 बज़े वो लोग आ गये.में तो उस फिराक में लग गयी कि यह लोग क्या बातें करते है.

मामा मामी और भाभी ऊपेर के कमरे में बैठे थे. में उन चारों की आवाज़ सुन कर नीचे उतर आई. वो पाँचो लोग बहेर की तरफ बने कमरे मे बैठे थे. मैं बराबर वाले कमरे की किवाडो के सहारे खड़ी हो गयी और उनकी बातें सुनने लगी.

विश्वनथजी- दावत तो तुम लोगों की करा रहा हूँ अब आगे क्या प्रोगराम है?

पहला- यार ये तुम्हारा दोस्त दारू-वारू पीएगा कि नही?

विश्वनथजी- वो तो मना कर रहा था पेर मैने उसे पीने के लिए मना लिया है

दूसरा- फिर क्या बात है समझो काम बन गया. तुम लोग ऐसा करना कि पहले सब लोग साथ बैठ कर पीएँगे फिर उसके ग्लास में कुच्छ ज़्यादा डाल देंगे. जब वो नशे में आ जाएगा तब किसी तरह पटा कर उसकी बीवी को भी पीला देंगे और फिर नशे में लेकर उन सालियों को पटक-पटक कर चोदेन्गे,

प्लान के मुताबिक उन्होने हमारे मामा को आवाज़ लगाई.

हमारे मामा नीचे उतर आए और बोले राम-राम भैया.

मामा भी उसी पंचायत में बैठ गये अब उन लोगों की गुपशुप होने लगी. थोड़ी देर बाद आवाज़ आई की मीना बहू ग्लास और पानी देना.

जब भाभी पानी और ग्लास लेकर वहाँ गयी तो मैने देखा की विश्वनथजी की आँखे भाभी की चूचियों पर ही लगी हुई थी. उन्होने सभी ग्लासस में दारू और पानी डाला पर मैने देखा कि ममाजी के ग्लास में पानी कम और दारू ज़्यादा थी. उन्होने पानी और मँगाया तो भाभी ने लोटा मुझे देते हुए पानी लाने को कहा. जब में पानी लेने किचन में गयी तो महेश तुरंत ही मेरे पीछे-पीछे किचन मे आया और मेरी दोनो मम्मों को कस कर दबाते हुए बोला- इतनी देर में पानी लाई है चूत्मरानि, ज़रा जल्दी-जल्दी लाओ. मेरी सिसकारी निकल गयी

विश्वनथजी ने ममाजी से पूच्छ वो तुम्हारा नौकेर कहाँ गया.

मामा-वो नौकेर को यहाँ उसके गाओं वाले मिल गये थे सो उन्ही के साथ गया है जब तक हम वापस जाएँगे तब तक मे वो आ जाएगा.

फिर जब तक हम लोगों ने खाना लगाया तब तक में उन्होने दो बॉटल खाली कर दी थी. मैने देखा कि मामा कुच्छ ज़्यादा नशे में है, मैं समझ गयी कि उन्होने जान बुझ कर मामा को ज़्यादा शराब पिलाई है. हम लोग खाना लगा ही चुके थे. ममीज़ी सब्ज़ी लेकर वहाँ गयी मे भी पीछे-पीछे नमकीन लेकर पहुँची तो देख की रमेश ने ममीज़ी का हाथ थाम कर उन्हे दारू का ग्लास पकड़ना चाहा. ममीज़ी ने दारू पीने से मना कर दिया. मे यह देख कर दरवाज़े पर ही रुक गयी. जब ममीज़ी ने दारू पीने से मना किया तो रमेश ममाजी से बोला- अरे यार कहो ना अपनी घरवाली से वो तो हमारी बे-इज़्ज़ती कर रही है.

मामा ने मामी से कहा –रजो पी लो ना क्यों इन्सल्ट करा रही हो.

ममीज़ी- में नही पीती

रमेश- भाय्या यह तो नही पी रही है, अगर आप कहें तो में पीला दूँ.

मामा- अगर नही पी रही है तो साली को पकड़ कर पिला दो.

ममाजी का इतना कहना था कि रमेश ने वहीं ममीज़ी की बगल में हाथ डाल कर दोसोरे हाथ से दारू भरे ग्लास को ममीज़ी के मुह्न से लगा दिया और ममीज़ी को ज़बरदस्ती दारू पीनी पड़ी. मैने देखा कि उसका जो हाथ बगल में था उसी से वो ममीज़ी की चूचियाँ भी दबा रहा था.और जब वो इतनी बेफिक्री से ममीज़ी के बॉब्बे दबा रहा था तो बाकी सभी की नज़रें[ एक्सेप्ट ऑफ कोर्स ममाजी] उसके हाथ से दब्ते हुए ममीज़ी के बोब्बों पर ही थी. यहाँ तक की उनमे से एक ने तौ गंदे इशारे करते हुए वहीं पर अपना लंड पॅंट के उपेर से ही मसलना शुरू कर दिया था. ममीज़ी के मुह्न से ग्लास खाली करके मामीजी को छ्चोड़ दिया. फिर जब ममीज़ी किचन मे आई तो मैने जान बुझ कर मेरे हाथ मे जो समान था वो ममीज़ी को पकड़ा दिया.

ममीज़ी ने वो समान टेबल पर लगा दिया. फिर रमेश ने ममीज़ी के मना करने पेर भी दूसरा ग्लास ममीज़ी को पीला दिया. ममीज़ी मना करती ही रह गयी पर रमेश दारू पीला कर ही माना.और इस बार भी वोही कहानी दोहराई गयी यानी कि एक हाथ दारू पीला रहा था और दूसरा हाथ मम्मे दबा रहा था और सब लोग इस नज़ारे को देख कर गरम हो रहे थे. मामाजी की शायद किसी को परवाह ही नही थी क्योंकि वो तो वैसे भी एक दम नशे मे तुन्न हो चुके थे.

अब ग्लास रख कर रमेश ने ममीज़ी के चूतदों पर हाथ फिराया और दूसरे हाथ से उनकी चूत को पकड़ कर दबा दिया. ममीज़ी सिसकी लेकर रह गयी.

ममीज़ी को सिसकारी लेते देख कर मेरी भी चूत में सुरसुरी होने लगी. हम लोग ऊपेर चले गये. फिर नीचे से पानी की आवाज़ आई. ममीज़ी पानी लेकेर नीचे गयी.तब तक रमेश किचन में आ पहुँचा था. ममीज़ी जो पानी देकर लौटी तो रमेश ने ममीज़ी का हाथ पकड़ कर पास के दूसरे कमरे में ले जाने लगा. ममीज़ी ने कहा, अर्रे ये क्या कर रहे तो बोला, चलो मेरी रानी उस कमरे चल कर मज़ा उठाते हैं. ममीज़ी खुद नशे में थी इसलिए कमज़ोर पड़ गयी और ना-ना करती ही रह गयी पर रमेश उन्हे खींच कर उस कमरे में ले गया.मेरी नज़र तो उन दोनो पर ही थी इसलिए जैसे ही वो कमरे में घुसे मैं तुरंत दौड़ते हुए उनके पीछे जाकेर उस कमरे के बहेर छुप कर देखने लगी कि आगे क्या होता है.

रमेश ने ममीज़ी को पकड़ कर पलंग पर डाल दिया और उनके पेटिकोट में हाथ डाल कर उनकी चूत में उंगली करने लगा.

ममीज़ी- है यह क्या कर रहे हो. छ्चोड़ो मुझे नही तो में चिल्लाउंगी.

रमेश- मेरा क्या जाएगा, चिल्लओ ज़ोर से ,बदनामी तो तुम्हारी ही होगी. नही तो चुपचाप जो मैं करता हूँ वो करवाती रहो.

ममीज़ी : पर तुम करना क्या चाहते हो.

रमेश " चुप रहो, तुम्हे क्या मालूम नही है कि में क्या करने जा रहा हूँ. साली अभी तुझे चोदून्गा. चिल्लाई तो तेरे सभी रिश्तेदार यहाँ आके तुझे नंगी देखेंगे और सोचेंग कि तू ही हमे यहाँ अपनी चूत मरवाने बुलाई हो".

डर के मारे ममीज़ी चुपचाप पड़ी रहीं और रमेश ने अपने सारे कपड़े उतार कर अपने खड़े लंड का ऐसा ज़ोर का ठप मारा की उसका आधा लंड ममीज़ी की चूत में घुस गया.

ममीज़ी- उईईई मा में मरी.

ममीज़ी नशे में होते हुए भी सिसकियाँ ले रही थी. तभी रमेश ने दूसरा ठप भी मारा कि उसका पूरा लंड अंदर घुस गया.

ममीज़ी उईईईईईईइइम्म्म्मममा अरे जालिम क्या कर केर्रहा है थोड़ा धीरे से कर कहती ही रह गयी और वो एंजिन के पिस्टन की तरह ममीज़ी की चूत [जो की पहले ही भोसड़ा बनी हुई थी} उसके चीथड़े उड़ाने लगा. इतने में मैने विश्वनथजी को ऊपेर की तरफ जाते देखा. में भी उनके पीछे ऊपेर गयी और बहेर से देखा की भाभी जो कि अपना पेटिकोट उठा कर अपनी चूत में उंगली कर रही तो उसका हाथ पकड़ कर विश्वनथज ने कहा 'है मेरी जान हम काहे के लिए हैं, क्यों अपनी उंगली से काम चला रही, क्या हमारे लंड को मौका नही दोगि.

अपनी चोरी पकड़े जाने पर भाभी की नज़रें झुक गयी थी और वो चुपचाप खड़ी रह गयी.

विषवनथजी ने भाभी को अपने सीने से लगा कर उनके होंटो को चूसना शुरू कर दिया. साथ ही साथ वो उनकी चूचियों को भी दबा रहे थे.भाभी भी अब उनके वश में हो चुकी थी.उन्होने अपन धोती हटा कर अपना लंड भाभी के हाथो में पकड़ा दिया भाभी उनके लंड को, जो की बाँस की तरह खड़ा हो चुका था, सहलाने लगी.

उन्होने भाभी की चूचियाँ छ्चोड़ कर उनके सारे कपड़े उतार दिए, और भाभी को वहीं पर लेटा दिया और उनके चूतड़ के नीचे तकिया लगा कर अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा.

पर कुच्छ विश्वनथजी का लंड बहुत बड़ा था और कुकछ भाभी की चूत बहुत सिकुड़ी थी इसलिए उनका लंड अंदर जाने के बज़ाय वहीं अटक कर रह गया.इस पर विश्वनथजी बोले लगता है कि तेरे आदमी का लंड साला बच्चों की लुल्ली जितना है तभी तो तेरी चूत इतनी टाइट है कि लगता है जैसे बिन चुदी चूत मे घुसाया है लंड" और फिर इधेर उधेर देख कर वहीं कोने मे रखी घी की कटोरी देख कर खुश हो गये और बोले "लगता है साली चट्मरेनी ने पूरी तय्यारि कर रखी थी और इसीलिए यहाँ पर घी की कटोरी भी रखी हुई है जिस से की चुद्वने मे कोई तकलीफ़ ना हो" इतना कह कर उन्होने तुरंत ही पास रखी घी की कटोरी से कुच्छ घी निकाला और अपने लंड पर घी चुपद कर तुरंत फिर से लंड को चूत पर रख कर धक्का मारा. इस बार लंड तो अंदर घुस गया पर भाभी के मुँह से जोरो की चीख निकल पड़ी ' अहह मैईज़ञ मरी, हाई जालिम तेरा लंड है या बाँस का खुट्टा'

इसके बाद विश्वनथजी फॉर्म में आ गये और और ताबड़तोड़ धक्के मारने लगे. भाभी ' हाई राजा मर गयी, उईईइमा , थोड़ा धीमे करो ना केरती ही रह गयी और वो धक्केपे धक्के मारे जा रहे थे. रूम में हचपच हचपच की ऐसी आवाज़ आ रही थी मानो 110 किमी की रफ़्तार से गाड़ी चल रही हो. कुच्छ देर के बाद भाभी को भी मज़ा आने लगा और वो कहने लगी ' हाई राजा और ज़ोर से मारो मेरी चूत, हाई बड़ा मज़ा आ रहा है, आअहहााआ बस ऐसे ही करते रहो आहहााअ औक्ककककककचह और ज़ोर से पेलो मेरे राजा , फाड़ दो मेरी बुर को आअहहााआ , पर यह क्या मेरी चूचियों से क्या दुश्मनी है , इन्हे उखाड़ देने का इरादा है क्या, है ज़रा प्यार से दबओ मेरी चूचियों को.
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08-18-2017, 10:46 AM,
#8
RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
मैने देखा की विश्वनथजी मेरी भाभी की चून्चियो को बड़ी ही बेदर्दी से किसी हॉर्न की तरह दबाते हुए घचघाच पेले जा रहे थे.

तब पीछे से सुरेश ने आकेर मेरे बगल में हाथ डाल कर मेरी चूचियाँ दबाते हुए बोला, अरी छिनाल तुम यहाँ इनकी चुदाई देख कर मज़े ले रही और में अपना लंड हाथ में लिए तुम्हे सारे घर में ढूँढ रहा था. इधेर मेरी भी चूत भाभी और ममीज़ी की चुदाई देख कर पनिया रही थी. मुझे सुरेश बगल वाले कमरे में उठा ले गया और मेरे सारे कपड़े खींच कर मुझे एकद्ूम नानी कर दिया, और खुद भी नंगा हो गया. फिर मुझे बेड पर लेटा कर मेरी दोनों चूचिया सहलाने लगा, और कभी मेरे निपल को मुँह मे लेकर चूसने लगता.इन सबसे मेरी चूत में चीटिया सी रेंगने लगी, और बुर की पूतिया [क्लाइटॉरिस] फड़फड़ने लगी. उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने खड़े लंड पर रखा और में उसके लंड को सहलाने लगी. मैं जैसे-जैसे उसके लंड को सहला रही थी वैसे ही वो एक आइरन रोड की तरह कड़क होता जा रहा था. मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था और में उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा रही थी कि किसी तरह से ये जालिम मुझे चोदे, और वो था कि मेरी चूत को उंगली से ही कुरेद रहा था.

शरम छ्चोड़ कर में बोली हाईईइ राजा अब बर्दाश्त नही हो रहा है, जल्दी से करो ना. मेरे मुँह से सिसकारी निकल रही थी. अंत में मैं खुद ही उसका हाथ अपनी बुर से हटा कर उसके लंड पर अपनी चूत भिड़ा कर उसके ऊपेर चढ़ गयी और अपनी चूत के घस्से उसके लंड पर देने लगी. उसके दोनो हाथ मेरे मम्मो को कस कर दबा रहे थे और साथ में निपल भी छेड़ रहे थे.अब में उसके ऊपेर थी और वो मेरे नीचे. वो नीचे उचक-उचक कर मेरी बुर में अपने लंड का धक्का दे रहा था और में ऊपेर से दबा-दबा कर उसका लंड सटाक रही थी.

कभी कभी तो मेरी चूचियों को पकड़ कर इतनी ज़ोर से खींचता कि मेरा मुँह उसके मुँह तक पहुँच जाता और वो मेरे होन्ट को अपने मुँह में लेकर चूसने लगता. मैं जन्नत में नाच रही थी और मेरी छूट में खुजलाहट बढ़ती ही जा रही थी. मैं दबा दबा कर चुद रही थी और बोल रही थी, है मेरे चोदु सेयियैयेयाया और जोरो से चोदो मेरी फुददी, भर दो अपने मदन रस से मेरी फुददी, आआआअह्ह्ह्ह्ह्हाआआ बड़ा मज़ा आ रहाहै, बस इसी तरह से लगे रहो, हाआआईईईइ कितना अच्छा चोद रहे हो, बस थोडा सा और, में बस झड़ने ही वाली हू और थोड़ा धक्का मारो मेरे सरताज.................... अह्हाआआ लो मे गयी, मेरा पानी निकला...

और इस तरह मेरी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. मुझे इतनी जल्दी झड़ते देख , सुरेश खूब भड़क गया और, " साली छूटमरनी, मुझसे पहले ही पानी छ्चोड़ दिया, अब मेरा पानी कहाँ जाएगा.

सुरेश - अब तेरी पिलपीली चूत में क्या रखा है, क्या मज़ा आएगा भैरी चूत में पानी निकलने का अब तो तेरी गंद में पेलुँगा. और उसने तुरंत अपने लंड को मेरी बुर से बहेर खींचा और मुझे नीचे गिरा कर कुत्ति बनाया और मेरे उपर चढ़ कर मेरी गंद को पकड़ कर अपना लंड गंद के छेद पर रख कर ज़ोर का ठप मारा. बुर के रस में भीगे होने के कारण उसके लंड का टोपा फट से मेरी गंद में घुस गया और में एकदम से चीख पड़ी. उउउउउउउईईईईईईइ माआआ मर गयी, है निकालो अपना लंड मेरी गंद फट रही है हहााआ

तब उसने दूसरी ठप मेरी गंद पर मारी और उसका आधे से ज़्यादा लंड मेरी गंद में घुस गया. और में चिल्ला उठी ' आरीई राम , थोड़ा तो रहम खाओ, मेरी गंद फटी जा रही हएरए जालिम थोडा धीरे से , आरीईए बदमाश अपना लंड निकाल ले मेरी गंद से नही तो मैं मर जाऊंगी आज ही,

सुरेश- अररी च्छुप्प, साली च्चिनाल, नखरा मत कर नही तो यहीं पर चाकू से तेरी चूत फाड़ दूँगा, फिर ज़िंदगी भर गंद ही मरवाते रहना, थोड़ी देर बाद खुद ही कहेगी कि है मज़ा आ रहा है, और मारो मेरी गंद.

और कहते के साथ ही उसने तीसरा ठप मारा कि उसका लंड पूरा का पूरा समा गया मेरी गंद में. मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे और में दर्द को सह नही पा रही थी. मैं दर्द के मारे बिलबिला रही थी. मैं अपनी गंद को इधर-उधर झटका मार रही थी किसी तरह उसका हल्लाबी लंड मेरी गंद से निकल जाए.लेकिन उसने मुझे इतना कस के दबा रखा था कि लाख कोशिशों के बावज़ूद भी उसका लंड मेरी गंद से निकल नही पाया.

अब उसने अपना लंड अंदर-बाहर करना हुरू किया. वो बहुत धीरे-धीरे धक्का मार रह था, और कुच्छ ही मिनूटों में मेरी गंद भी उसका लंड आराम से अंदर करने लगी. धीरे-धीरे उसकी स्पीड बहती ही जा रही थी, और अबवो थपथाप किसी पिस्टन की तरह मेरी गंद में अपना लंड पेल रहा था.मुझे भी सुख मिल रहा था, और अब में भी बोलने लगी, है आज़ाज़ा आ रहा है, और ज़ोर से मारो, और मारो और बना दो मेरी गंद का भुर्ता, और दबओ मेरे मम्मा, और ज़ोर दिखाओ अपने लंड का और फाड़ ओ मेरी गंद. अब दिखो अपने लंड की ताक़त.

सुरेश- हाईईईई जानी अब गया, अब और नही रुक सकता, ले साली रंडी, गंदमारानी, ले मेरे लंड का पानी अपनी गंद में ले. कहते हुए उसके लंड ने मेरी गंद में अपने वीर्य की उल्टी कर दी.वो चूचियाँ दबाए मेरी कमर से इस तरह चिपक गया था मानो मीलों दौड़ कर आया हो. थोड़ी देर बाद उसका मुरझाया हुआ लंड मेरी गांद में से निकल गया और वो मेरी चूचियाँ दबाते हुए उठ खड़ा हुआ, और मुझे सीधा करके अपने सीने से सटा कर मेरे होंटो की पप्पी लेने लगा. तभी महेश आकेर बोला ‘ आबे किसी और का नंबर आएगा आ नही, या सारा समय तू ही इसे चोद्ता रहेगा.

महेश- नही यार तू ही इसे संभाल अब में चला.

यह कह कर सुरेश ने मुझे महेश की तरफ धकेला और बहेर चला गया.

महेश ने तुरंत मुझे अपनी बाहों में समा लिया और मेरे गाल चूमने लगा. और एक गाल मुँह में भर कर दाँत गाड़ने लगा., जिससे मुझे दर्द होने लगा और में सीस्या उठी.

वो मेरी दोनो चूचियों को कस कर भोंपु की तरह दबाने लगा. कहा मेरी जान मज़ा आ रहा है कि नही.

और मुझे खींच कर पलंग पर लेटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे पास आया, और वहीं ज़मीन पर पड़ा हुआ मेरी पेटिकोट उठा कर मेरी बुर् पोंचछते हुए कभी मेरे गालो पर काटने लगा और मेरी चूचियाँ जोरो से दबा देता.जैसे-जैसे वो मेरे मम्मों की पंपिंग कर रहा था, वैसे ही उसका लंड खड़ा हो रहा था मानो कोई उसमे हवा भर रहा हो.
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08-18-2017, 10:46 AM,
#9
RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा और मुझे अपने लंड सहलाने का इशारा किया.मैने अपना हाथ उसके लंड से हटा लिया तो उसने पूचछा ' मेरी जान अच्छा नही लगा रहा है क्या?'

में इनकार करते हुए बोली' नही यह बात नही है पर हुमको शर्म आ रही है.' वो बोला ' चूत मरेनी, भोसदीवाली, दो दिनों से चूत मरवा रही है , और अब कहती है कि शर्म आ रही है. मादार-चोद , चल अच्छे से लंड सहला नही तो तेरी बुर में चाकू घोंप कर मार डालूँगा.

मैं डर कर उसके लंड को सहलाने लगी. जैसे-जैसे लंड सहला रही थी मुझे आभास होने लगा कि महेश का लंड सुरेश के लंड से करीब आधा इंच मोटा अओर 2 इंच लंबा है. मैने भी सोच जो होगा देखा जाएगा. उसका लंड एक लोहे के रोड की तरह कड़ा हो गया था.

अब वो खड़ा होकेर पास पड़ा तकिया उठा कर मेरे छूतदों के नीचे लगाया और फिर ढेर सारा थूक [स्पिट] मेरी बुर के मुहाने पर लगा कर अपना लंड मेरी चूत के मुँह पेर रख कर ज़ोर का धक्का मारा. उसका आधे से ज़्यादा लंड मेरी बुर में घुस गया. में सीस्या उठी. जबकि में कुच्छ ही देर पहले सुरेश से चूत और गंद दोनों मरवा चुकी थी फिर्र भी मेरी बुर बिलबिला उठी.उसका लंड मेरी बुर में बड़ा कसा-कसा जा रहा था. फिर दुबारा ठप मारा तो पूरा लंड मेरी बुर में समा गया.

मैं जोरो से चिल्ला उठी ' हाईईईईईई में दर्द से मारी, ............. दर्द हो रहा है, प्लीज़ थोड़ा धीरे डालो , मेरी बुर फटी जा रही है

महेश - अर्रे चुप साली, तबीयत से चुदवा नही रही है और हल्ला कर रही है, मेरी फटी जा रही है, जैसे की पहली बार चुदवा रही है.अभी- अभी चुदवा चुकी है चुटमारानी और हल्ला कर रही है जैसे कोई सील बंद कुँवारी लड़की हो.

अब वो मुझे पकड़ कर धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर बहेर करने लगा.मेरी बुर भी पानी छ्चोड़ने लगी. बुर भीगी होने के कारण लंड बुर में आराम से अंदर बहेर जाने लगा, और मुझे भी मज़ा आने लगा.

महेश ने मुझे पलटी देकर अपने ऊपेर किया और नीचे से मुझे चोदने लगा. जब वो नीचे से उपर उचक कर अपने लंड को मेरी बुर में ठासता था तो मेरी दोनो चूचियाँ पकड़ कर मुझे नीचे की ओर खींचता था जिस से लंड पूरा चूत के अंदर तक जा रहा था. इस तरह से वो चोदने लगा और साथ-साथ मेरे मम्मे भी पंपिंग कर रहा था, और कभी मेरे गालों पर बॅट्का भर लेता था तो कभी मेरे निपल अपने दाँतों से काट ख़ाता था.पर जब वो मेरे होंटो को चूस्ता तो में बहाल हो जाती थी और मुझे भी खूब मज़ा आता था.

मैं मज़े में बड़बड़ा रही थी - है मेरे रज़ाआआअ मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से चोदो और बना दो मेरी चूत का भोसड़ा..............

और साथ ही मैने भी अपनी तरफ से धक्के मारने शुरू कर दिया, और जब उसका लंड पूरा मेरी बुर के अंदर होता था तो में बुर को और कस लेती थी, जब लंड बहेर आता था तौ बुर को ढेला छ्चोड़ देती थी.वो कुच्छ रुक-रुक कर मुझे चोद रहा था.

में बोली ' हाई राजा ज़रा जल्दी-जल्दी करो ना, और मज़ा आएगा, इतना धीरे क्यों मार रहे हो मेरी चूत.

जब मुझसे रहा नही गया तो में खुद ही उपेर से अपनी कमर के धक्के उसके लंड पर मारने लगी

इतनी देर में देखा की दूसरे रूम से विश्वनथजी नंगे ही [ मेरी प्यारी भाभी की चूत, जिसे भोसड़ा कहना ज्याद ठीक होगा, चोद कर } हमारे रूम में घुसे और मुझे चूड्ता हुआ देखा कर बोले ' यहाँ चूत मरा रही , साली नंद रानी, इसकी भाभी को तो पेल कर आ रहा हूँ चलो इस से भी लंड चुस्वा लूँ, क्या याद रखेगी कि एक साथ दो-दो लंड मिले थे इसे.'

और इतना कह कर तुरंत मेरे पास आकर खड़े हुए और अपना लंड, जो कि तब पूरी तरह से खड़ा नही था , मेरे मुँह में घुसा दिया. मैने भी पूरा मुँह खोल कर उसके लंड को अंदर किया और फिर धक्को की ताल पर ही उसे चूसने लगे. विश्वनथजी साथ-साथ में मेरी चूचियाँ भी मसल रहे थे. कुच्छ ही देर में उनका लंड भी पूरा खड़ा हो गया और मुझे अपने हलक में फँसता हुआ सा महसूस होने लगा. पर मैने उनका लंड छ्चोड़ा नही और बराबर चूस्ति ही रही. यह पहली बार था की मेरी बुर और मुँह में एक साथ दो-दो लंड थे और में इसका पूरा मज़ा लेना चाहती थी, और मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था इस दोहरी चुदाई और चूसा में.

कुच्छ ही देर में महेश के लंड ने पानी छ्चोड़ दिया और उसके कुच्छ ही पलों बाद विश्वनथजी के लंड ने भी मेरे मुँह में पानी की धार छ्चोड़ दी. जब मैने उनके लंड को मुँह से निकलना चाहा तो उन्होने कस कर मेरे चेहरे को अपने लंड पर दबे रखा और जब तक में पूरा स्पर्म पी नही गयी उन्होने मुझे छ्चोड़ा नही. इसके बाद वो भी निढाल से वहीं पर पड़ गये.

चुदाई और चूसा का यह प्रोग्राम रात भर इसी तरह चलता रहा और ना जाने में और भाभी और ममीज़ी कितनी बार चुद होंगी उस रात.अंत में तक हार कर हम सभी यूँ ही नंगे ही सो गये.

सुबह मेरी आँख खुली तो देखा कि में नंगी ही पड़ी हुई हूँ. मैं जल्दी से उठी और कपड़े पहन कर बाहर किचन की तरफ गयी तो देखा कि भाभी भी नंगी ही पड़ी हुई हैं. मुझे मस्ती सूझी और में करीब ही पड़ा बेलन उठा कर उस पर थोडा सा आयिल लगा कर उनकी बुर में घोंप दिया. बेलन का उनकी चूत में घुसना था कि वो आआआअहह्ा करते हुए उठ बैठी, और बोली ' यह क्या कर रही हो'.

मैं बोली ' मैं क्या कर रही हूँ, तुम चूत खोले पड़ी थी में सोची तुम चुदासि हो, और चोदने वाले तो कब के चले गये,इसलिया तुम्हारी बुर में बेलन लगा दिया.

भाभी' तुम्हे तो बस यही सूझता रहता है'.

मैने उनकी बुर से बेलन खींच कर कहा' चलो जल्दी उठो, वरना मामा मामी आ जाएँगे तो क्या कहेंगे. रात तौ खूब मज़ा लिया, कुकच्छ मुझे भी तो बताओ क्या किया?

भाभी- बाद में बताऊंगी कि क्या किया' कह कर कपड़े पहनने लगी तो में ममीज़ी को उठाने चली गयी.

मामी भी मस्त चूत खोले पड़ी थी.मैने उनकी चूचियों पर हाथ रख कर उन्हे हिलाया और उठाया और कहा ' मामी यह तुम कैसे पड़ी हो कोई देखेगा तो क्या सोचेगा.'

वो जल्दी से उठी और कपड़े पहनने लगी, फिर मेरे साथ ही बाहर निकल गयी.
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08-18-2017, 10:46 AM,
#10
RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
मामा उल्टे मुँह किए सो रहे थे और उधर विश्वनथजी भी मामा के पास ही पड़े हुए थे.ऐसा मालूम होता था मानो रात को कुच्छ हुआ ही नही था.सब लोग उठ कर फारिग हुए और खाना बनाया और खाना खाया. खाना खाते हुए विश्वनथजी कभी मुझे और कभी भाभी को घूर कर देख रहे थे.

में बोली' भाभी विश्वनथजी ऐसे देख रहे हैं कि मानो अभी फिर से तुम्हे चोद देंगे'

भाभी- मुझे भी ऐसा ही लग रहा है बताओ अब क्या किया जाए.

मई बोली-' किया क्या जाए, चुप रहो, चुद-वाओ और मज़ा लो'

भाभी- तुम्हे तो हर वक़्त चुदाई के सिवाए और कुच्छ सूझता ही नही है

मैं बोली- अक्च्छा बन तो ऐसी शरिफजादी रही ही जैसे कभी चुडवाया ही नही हो, चार दिनों से लोंडो का पीचछा ही नही छ्चोड़ रही और यहाँ अपनी शराफ़त की मा चुद रही हो.'

भाभी- अब बस भी करो , मैने ग़लती की जो तुम्हारे सामने मुँह खोला. चुप करो नही तो कोई सुन लेगा.

और इस तरह हमारी नोंक-झोंक ख़तम हुई.

अगले दिन हमारी ममीज़ी ने कहा कि उनके पीहर के यहाँ से बुलावा आया है और वो दो दिन के लिए वहाँ जाना चाहती हैं. इस पर ममाजी बोले भाई मैं तो काफ़ी थका हुआ हूँ और वहाँ जाने की मेरी कोई इच्छा नही है. विश्वनथजी तो जैसे मौका ही तलाश कर रहे थे ममीज़ी के साथ जाने का, [यह फिर मामी को चोदने का चान्स पाने का क्योंकि कल के दिन विश्वनथजी मामी को चोद नही पाए थे] तुरंत ही बोले कोई बात नही भैसाहेब, मैं हूँ ना, मैं ले जाऊँगा भाभिजी को उनके मयके और दो दिन बिता कर हम वहाँ से वापिस यहाँ पर आ जाएँगे. विश्वंतजी की यह बेताबी देख कर भाभी और मैं मुँह दबा कर हंस रहे थे. जानते थे कि विश्वनथजी मौका पाते ही ममीज़ी की चुदाई ज़रूर करेंगे. और सच पूच्छो तो मामीजी भी ज़रूर उनसे चुदवाना चाह रही होंगी इसलिए एक बार भी ना-नुकूर किए बिना तुरंत ही मान गयी.

अब हमारी मामी और विश्वनथजी के जाने के बाद हमारे लिए रास्ता एक दम सॉफ था. शाम के वक़्त हम तीनो याने में, मेरी भाभी और हमारे ममाजी घूमने निकले. याने की मेला देखने {और मेला देखने के बहाने अपनी चूची गंद और चूत मसलवाने} निकले..

क्रमशः......................
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