Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 12:29 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:40 PM by sexstories.)
#71
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
बिहारी फिर मोनिका को बिस्तेर पर लेटा देता हैं और झुक कर उसकी चूत पर अपना जीभ फेरने लगता हैं. मोनिका तो जैसे एकदम से बेचैन होने लगती हैं. और इधेर विजय भी उसके दोनो बूब्स को और निपल्स को अपने दाँतों में कसकर कुरेदने लगता हैं.

बिहारी फिर एक उंगली मोनिका की चूत में डाल देता हैं और फिर उसे खूब अच्छे से आगे पीछे करने लगता हैं. कुछ देर में उसकी उंगली पर मोनिका की चूत का रस पूरा लग जाता हैं. फिर वो अपना वही उंगली निकालकर उसे मोनिका के मूह के पास ले जाता हैं. मोनिका भी बड़ी हैरानी से बिहारी को देखने लगती हैं.

बिहारी- ऐसे क्या देख रही हैं. आज तूने हम दोनो का कम चखा हैं. तो आज ज़रा अपना भी तो टेस्ट कर ले. बुरा नहीं लगेगा. इतना कहकर बिहारी अपनी वही उंगली मोनिका के मूह में डाल देता है. मोनिका को ना चाहते हुए भी उसे चूसना पड़ता हैं. और वो बुरा सा मूह बनाती हैं. ऐसे ही करीब 5 मिनिट तक अपनी उंगली मोनिका को चुसवाने के बाद बिहारी वही उंगली इस बार मोनिका की गान्ड में डालने लगता हैं.

मोनिका- ये क्या कर रहे हो बिहारी. इतना गंदा खेल मुझसे नहीं होगा. भला ऐसे भी कोई सेक्स करता हैं क्या.

विजय एक कस कर थप्पड़ मोनिका के गाल पर जड़ देता हैं. हरामी रंडी साली , तू कौन होती हैं हम से ये सब सवाल करने वाली. हम जो भी करे तेरे साथ जैसे भी करें तुझे बस हमारा हुकुम मानना है. वरना तेरा हम दोनो वो हाल करेंगे कि साली आज के बाद सही से धंधा भी नही कर पाएगी.

मोनिका भी कुछ नहीं बोलती हैं और चुप चाप उनका कहाँ मानने लगती हैं. फिर बिहारी अपनी वही उंगली को धीरे धीरे मोनिका की गान्ड में डालने लगता हैं और मोनिका के मूह से सिसकारी निकल पड़ती हैं.कुछ देर में वो ऐसे ही आगे पीछे अपनी उंगली घुमाता हैं और फिर वही उंगली वो बाहर निकालकर मोनिका के मूह के पास ले जाता हैं. मोनिका ना चाहते हुए भी अपनी गान्ड का स्वाद उसे अपने मूह में लेना पड़ता हैं.

मोनिका तो बस यही चाह रही थी कि कैसे भी सुबह हो और मैं इन दोनो के चंगुल से आज़ाद हो जाऊ. मगर शायद आज़ादी अभी उससे इतनी आसानी से नहीं मिलने वाली थी. ऐसे ही कुछ देर तक वो बिहारी की उंगली चाटती हैं फिर विजय भी एक उंगली उसकी चूत में डाल देता हैं और बिहारी अपनी दूसरी उंगली उसकी गान्ड में डाल देता हैं. और दोनो अपनी उंगलियों को हरकत करना शुरू कर देते हैं. मोनिका को सच में बहुत मज़ा आने लगता हैं. और उसके मूह से सिसकारी बहुत तेज़ हो जाती हैं.

बिहारी- अरे ये साली तो तो सच में मज़ा आ रहा हैं. अभी तो हम ने उंगली डाली है तो इसे इतना मज़ा आ रहा हैं. अगर पूरा लंड इसके दोनो छेदों में एक साथ डालेंगे तो कितना मज़ा आएगा. इतना कहकर बिहारी हँसने लगता हैं.

मोनिका की आँखों में भी हवस सॉफ छलक रही थी .वो कुछ बोलती नही मगर आने वाली चुदाई को सुनकर उसके रौंगटे खड़े हो जाते हैं.

विजय भी अपना उंगली मोनिका की चूत से निकाल कर मोनिका के मूह की तरफ बढ़ाता हैं और बिहारी भी अपना उंगली उसकी गान्ड से निकाल कर उसके मूह की तरफ कर देता हैं.

विजय- कौन सी उंगली पहले टेस्ट करना चाहेगी ....बता.

मोनिका मंन ही मंन में उन दोनो को बहुत गालियाँ देती हैं.

मोनिका तो कुछ कहती नहीं पर बिहारी बोल पड़ा हैं..

बिहारी- चल विजय आज इसे दोनो का टेस्ट एक साथ करते हैं. और इतना बोलकर वो दोनो अपनी एक एक उंगली को मोनिका के मूह में दल देता हैं और ना चाहते हुए भी उसे दोनो की उंगाली एक साथ चुसनी पड़ती हैं.

विजय- बता ना किसका टेस्ट ज़्यादा . हैं. तेरी गान्ड का या तेरी चूत का....

मोनिका भी बड़ा बुरा सा मूह बनाती हैं और ना चाहते हुए भी उसे दोनो उंगली एक साथ चुसनी पड़ती हैं. .

फिर विजय उठकर आता हैं और अपने लंड को फिर से मोनिका के मूह में डाल देता हैं और बिहारी उसकी कमर के नज़दीक आता हैं और अपना लंड को मोनिका की चूत पर रख देता हैं. कुछ देर ऐसा रखने के बाद वो एक झटके से अपने लंड पर प्रेशर बनाने लगता हैं और फेच की आवाज़ के साथ बिहारी का लंड मोनिका की चूत में थोड़ा सा घुस जाता हैं. फिर वो धीरे धीरे अपना लंड को आगे पीछे करने लगता हैं और एक झटके के साथ अपना पूरा लंड मोनिका की चूत में पेल देता हैं. मोनिका की चीख वही पर घुट कर रह जाती हैं.

बिहारी भी उसी पोज़िशन में ऐसे ही मोनिका की चूत मारने लगता हैं. बिहारी को सच में बहुत मज़ा आता हैं. मोनिका की चूत काफ़ी टाइट थी. उसे भी अब मज़ा आने लगता हैं. और इधेर वो विजय का लंड भी चूस रही थी. फिर वो दोनो अपनी पोज़िशन बदलते हैं और अब बिहारी अपना लंड उसके मूह में डाल देता हैं. और विजय जाकर उसकी चूत चोदने लगता हैं. ऐसे ही कुछ देर की चुदाई के बाद विजय अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर वो अपने लंड को मोनिका की गान्ड के होल पर रखकर धीरे धीरे डालना शुरू करता हैं. मोनिका चाह कर भी नही चीख पाती और उसकी आवाज़ बिहारी के लंड के साथ दब कर रह जाती हैं.

विजय पहले धीरे धीरे फिर काफ़ी स्पीड से उसकी गान्ड मारने लगता हैं और मोनिका को भी थोड़ी देर में मज़ा आने लगता हैं. फिर वो दोनो ऐसे ही कुछ देर तक चुदाई करते हैं फिर बिहारी अपना लंड उसके मूह से निकाल लेता हैं और मोनिका को पीठ के बल सोने को कहता हैं. विजय भी जल्दी से पहले बेड पर लेट जाता हैं और फिर मोनिका को अपने उपर आने को कहता हैं.

जैसे ही मोनिका उसके उपर आती हैं वो अपना लंड उसकी गान्ड में फिर से डाल देता हैं और फिर से चुदाई करना शुरू कर देता हैं. मोनिका के मूह से भी आ.......ह............आ........ह. की आवाज़ें निकालने लगती हैं. और इधेर बिहारी अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत में डाल देता हैं. पहले तो मोनिका थोड़ा चिहुनक पड़ती हैं मगर वो भी अब मज़ा लेने लगती हैं. ऐसे ही करीब 5 मिनिट तक वो उसकी चूत के दानों को कसकर मसलता हैं और मोनिका ना चाहते हुए भी फारिग हो जाती हैं और तुरंत ठंडा पड़ जाती हैं. मगर बिहारी अपनी उंगली नही निकालता और फिर कुछ देर के बाद मोनिका फिर से गरम होने लगती हैं.
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04-05-2019, 12:30 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:40 PM by sexstories.)
#72
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
अब बिहारी भी उसके उपर चढ़ जाता हैं और अपना लंड को मोनिका की चूत में डाल देता हैं. थोड़ी मुश्किल से मगर एक झटके में बिहारी का लंड पूरा मोनिका की चूत में चला जाता हैं. और फिर मोनिका की यहाँ पर एक साथ दोहरी चुदाई शुरू हो जाती हैं. आज तक उसने कभी ज़िंदगी में एक साथ कभी दो लंड नहीं लिए थे. उसे तो सच में लगता हैं कि वो जन्नत में हैं. कभी विजय का लंड आगे जाता तो कभी बिहारी का ऐसे ही करीब 30 मिनिट्स की ख़तरनाक चुदाई के बाद मोनिका भी करीब 3 बार फारिग होती हैं और विजय और बिहारी भी उसकी चूत और गान्ड में अपना वीर्य पूरा निकाल देता हैं और दोनो उसके उपर पसर जाते हैं............

दोनो बिल्कुल पसीने से लथपथ एकदम शांत होकर मोनिका के उपर चढ़े हुए थे और उन दोनो के बीच मोनिका भी एक दम शांत पड़ी हुई थी. ऐसे ही दोनो बदल बदल कर पोज़िशन और रात के करीब 12 बजे तक मोनिका की तीन बार जम्कर चुदाई होती हैं और वो तीनों थक कर वही पर सो जाते हैं..

सुबह के करीब 10 बजे तीनों की आँखें खुलती हैं. मोनिका बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहन लेती हैं और बिहारी और विजय भी जल्दी से तैयार होने लगते हैं. थोड़ी देर के बाद........

मोनिका- अब मुझे चलना चाहिए. अब मैं तुमसे 1 महीने के बाद मिलूंगी अपना कांट्रॅक्ट ख़तम करने के बाद.

विजय हंसते हुए- ये तुझे किसने कह दिया कि हम तुझे एक महीने तक हाथ भी नहीं लगाएँगे.

अब चौकने की बारी मोनिका की थी- क्या??? तुम ऐसा नहीं कर सकते...

विजय- अरे मेरी जान ज़रा ध्यान से पढ़ ना इस कांट्रॅक्ट लेटर को. मैने कहीं भी इस बारे में कोई भी ज़िकरा नहीं किया हैं कि हम दोनो तुझे एक महीने तक हाथ नही लगा सकते. हां मैने इस बात का ज़रूर ज़िकरा किया हैं कि तू पूरे एक महीने तक हमारे लिए काम करेगी. चाहे कोई भी काम क्यों ना हो. उसके बाद तू आज़ाद हैं.

मोनिका- फिर से धोका!!!! सच में विजय तुम बहुत बड़े कमिने हो. मैने आज तक तुम जैसा कमीना इंसान अपनी जिंदगी में नहीं देखा.

विजय- और देखोगी भी नहीं अगर तुमने अपना कांट्रॅक्ट टाइम से ख़तम नही किया तो. और हां हमारा जब जी चाहे जहाँ जी चाहे जब भी हम तुम्हें बुलाएँगे तुम्हें आना होगा. बाकी तुम खुद समझदार हो. और इतना कहकर बिहारी और विजय दोनो हँसे लगते हैं.

मोनिका जितना चाहती थी कि वो इस दलदल से बाहर निकले वो अब उतनी ही इसमें फँसती जा रही थी. और एक बार फिर उसकी आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं. मगर वो वहाँ से चुप चाप उठती हैं और बाहर निकल जाती हैं. अब उसके मंन में कई तरह के सवाल उठ रहे थे. वो ये बात अच्छे से जानती थी कि जो हाल उन्दोनो ने मेरा किया वो तो कोई दुश्मन भी किसी से नही कर सकता. पता नहीं उस राधिका से इनलोगों की क्या दुश्मनी हैं. अगर वो उससे अपनी दुश्मनी निकालेंगे तो पता नहीं उसके साथ ये लोग क्या सुलूक करेंगे.अब उस राधिका का क्या होगा ये तो बस भगवान ही जानता हैं.

जैसे ही मोनिका वहाँ से बाहर निकलती हैं किसी और की नज़र उस पर पड़ जाती हैं. पर किसकी ये बात अभी कुछ देर में पता लगने वाली थी.

जी हां वो और कोई नही बल्कि बिहारी की पत्नी पार्वती थी जिसकी उमर करीब 43 साल थी ,थोड़ी मोटी और हेल्ती शरीर की रंग थोड़ा गेहुआ था. और तो और उसने मोनिका को जाते हुए भी नही बल्कि बिहारी और विजय की सारी बातें भी सुन ली थी. वो छत पर से नीचे सीढ़ियों से उतर कर नीचे आती हैं............

पार्वती अपने दोनो हाथों से ताली बजाते हुए नीचे सीढ़ी से उतर कर बिहारी और विजय के पास आती हैं. और जैसे ही बिहारी की नज़र अपनी पत्नी पर पड़ती हैं उसके होश उड़ जाते हैं और घबराहट की वजह से उसका गला सूखने लगता हैं.

बिहारी- आँखें फाड़ कर देखते हुए- .....तू....तुम यहाँ पर.........कैसे????

पार्वती- क्यों मुझे इस वक़्त यहाँ पर नहीं होना चाहिए था क्या???

बिहारी- लेकिन तुम तो........ अपने मायके जाने वाली थी........फिर????

पार्वती- नही गयी.. चलो अच्छा ही हुआ कि यहाँ पर आकर तुम क्या गुल खिला रहे हो कम से कम मुझे इस बात का तो पता चला. तुमपर शक़ तो मुझे बहुत पहले से था लेकिन आज यहाँ पर ये सब देखकर मुझे यकीन भी हो गया...

बिहारी- तुम मुझे ग़लत समझ रही हो. मैं वो लड़की को नहीं जानता. वो तो बस मेरे दोस्त से मिलने आई थी..

पार्वती बिहारी के एकदम करीब आती है और कसकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मार देती हैं. फिर उसके बाद एक और थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर जड़ देती हैं. बिहारी का चेहरा एक दम लाल हो जाता हैं.

पार्वती- शरम करो 50 साल के हो गये और अपनी बेटी जैसी लड़की के साथ ये सब काम करते हो. और तो और ना जाने कैसे कैसे दोस्त हैं तुम्हारे. जी तो करता हैं कि अभी पोलीस स्टेशन जाकर तुम्हारी सारी पोल पट्टी खोल दू. फिर तुम जानो और तुम्हारा काम.

बिहारी पार्वती की बातों से एक दम घबरा जाता हैं और वो तुरंत उसके पाँव में गिर पड़ता हैं.
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04-05-2019, 12:30 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:41 PM by sexstories.)
#73
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
बिहारी- मुझे माफ़ कर दो पार्वती. ये जो कुछ भी हुआ ये सब अंजाने में हुआ. अब दुबारा ऐसी ग़लती नहीं होगी. मैं अब तुम्हारे लिए ये सब छोड़ दूँगा. मैं तुम्हारी कसम ख़ाता हूँ. मैं आज के बाद हमेशा हमेशा के लिए सुधार जाउन्गा.

पार्वती- मुझे अब कुछ नहीं सुनना हैं. मैं अब तुम्हारे पास डाइवोर्स पेपर भेज दूँगी. बस चुप चाप तुम वहाँ पर साइन कर देना. नहीं तो मैं सीधा कोर्ट में जाउन्गि. फिर तुम जानते हो कि तुम्हारी कितनी बदनामी होगी. और हां एक बात और मैं ये भी जान चुकी हूँ कि तुम्हारा ये दोस्त रंडियों का भी धंधा करता हैं और ड्रग्स का भी सप्लाइयर हैं.

और मेरे ख्याल से तुम भी ये सब में इसके साथ बारबार के हिस्सेदार हो. चिंता मत करो जब मेरा डाइवोर्स हो जाएगा तो मैं तुम्हारे और तुम्हारे इस दोस्त दोनो की पोलीस एंक्वाइरी करवाउंगी. फिर पता लग जाएगा कि तुम कितने दूध के धुले हो..

इतना सुनते ही बिहारी की डर के मारे हालत खराब हो जाती हैं और वो फिर से पार्वती की पैरों में गिर पड़ता हैं. और विजय भी उसी डर से सहम जाता हैं.

पार्वती- बंद करो अपने ये मगरमच्छ के आँसू बहाना. मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता. तुम जैसे बेवफा इंसान के साथ अब मैं और नहीं रह सकती. मैं अगले हफ्ते डाइवोर्स का पेपर वकील के हाथों तुम्हारे पास भेजवा दूँगी और तुम चुप चाप उसपर अपना साइन कर देना. वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.... और इतना कहकर पार्वती गुस्से से वहाँ से निकल जाती हैं.....

बिहारी अब भी वही फर्श पर बैठा हुआ अपनी किस्मेत को कोष रहा था.

विजय- चुप हो जा यार कुछ नही होगा. भाभी इस वक़्त गुस्से में हैं. गुस्सा कुछ कम हो जाए तो जाकर प्यार से मना लेना. वो मान जाएगी.

बिहारी- मदर्चोद जी तो करता हैं कि तेरा गला दबा डू. साला मेरा घर दाँव पर लग गया और मेरी गर्दन पर अब कुछ दिनों में फाँसी का फंदा लटकने वाला हैं और तू कहता हैं कि चुप हो जाऊ. अगर मैं चुप हो गया तो पार्वती हमेशा हमेशा के लिए मुझे चुप करवा देगी..साला मेरी तो किस्मेत ही खराब हैं.मैने तुझे पहले भी बोला था कि उस रंडी को यहाँ पर मत लेकर आ मगर तूने ही कहा था ना कि यहाँ पर कोई नहीं आता. अब तो हमारी सौर्य गाथा मेरी पत्नी जान ही चुकी हैं. देख लेना अब पोलीस वाले मेरे गले में अपना फूलों का माला चढ़ाएँगे.
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04-05-2019, 12:30 PM,
#74
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
[url=https://rajsharmastories.com/viewtopic.php?p=13962#p13962][/url]
विजय- यार तू मरने से इतना डरता क्यों हैं. देख लेना कुछ नहीं होगा.

बिहारी- अरे मैं ही बेवकूफ़ था जो मैने तेरी बात मानी. साला तू तो अभी भी पांक सॉफ हैं. फँसा तो मैं हूँ ना. मैं अपनी पत्नी को अच्छे से जानता हूँ वो सच में जाकर पोलीस को सब कुछ बक देगी..

विजय- अपना मज़ा लिए तो कुछ नही अब फँस गया तो कह रहा हैं कि मैने ही फँसाया हैं.

विजय- ठीक हैं मुझे कुछ सोचने दे देखता हूँ कि कोई सल्यूशन निकलता हैं कि नहीं.

बिहारी- एक बात कान खोलकर सुन ले विजय. ये मेरा मॅटर हैं. और मैं नही चाहता कि तू इसमें कोई भी दखल अंदाज़ी करे. अब जो भी करूँगा मैं करूँगा और अपने तरीके से करूँगा.

विजय- भूल मत बिहारी कि अगर तू फँसा तो मैं भी तेरे साथ साथ फसूँगा. और अगर मैं फँसा तो तू भी नही बचेगा.

बिहारी- आख़िर दिखा ही दी ना अपनी औकात. साला मुझे तो कहता हैं कि डरता हैं और बात अपनी पे आई तो साले तेरी पहले ही फट के हाथ में आ गयी.

विजय- छोड़ ना यार अब बेकार में बहस करने से क्या फ़ायदा. अब जल्दी से इसका कोई सल्यूशन निकाल वरना पता नही आगे हमारे साथ क्या होगा. एक काम करते हैं क्यों नहीं भाभिजी को इस दुनिया से ही विदा कर देते हैं..और उससे अपना रास्ता भी सॉफ हो जाएगा.

बिहारी मुस्कुराते हुए- मोनिका सही कह रही थी कि तू वाकई में बहुत बड़ा हरामी हैं. साला......... कई हरामी मरे होंगे तो तू अकेला पैदा हुआ होगा.

विजय- तो तू ही बता हैं कोई दूसरा रास्ता है हमारे पास. और वैसे भी तो अब वो तुझे तलाक़ देने ही वाली हैं तो तेरा उसके साथ रिश्ता वैसे भी ख़तम हो जाएगा. तो क्या ज़रूरत हैं पुराने रिस्ते ज़बारजस्ति निभाने की.

बिहारी- वाकई में मानना पड़ेगा तेरे कामीने दिमाग़ को. लेकिन वो तो मेरी सोने की आंडे देने वाली मुर्गी हैं. उसका क्या???

विजय- मैं कुछ समझा नहीं.??? ज़रा खुल कर बता??

बिहारी- यहाँ नहीं. यहाँ पर बताना सेफ नहीं हैं. चल मैं तुझे रास्ते में अपनी अत्तीत के बारे में बताता हूँ. वो राज़ जो मेरे ख़ास आदमियों को ही पता हैं. आज तू भी जान जाएगा.

बिहारी और विजय दोनो वहाँ से बाहर निकल जाते हैं और जाकर अपनी कार में बैठ जाते हैं. विजय गाड़ी ड्राइव करता हैं और बिहारी उसकी बाजू वाली सीट पर बैठ जाता हैं.

विजय- अब बता बिहारी. मैं बहुत बेचैन हूँ तेरे अत्तीत के बारे में जानने के लिए.

बिहारी- बात उस वक़्त की हैं जब मैं 21 साल का था और मैं एक छोटे से गाँव में रहता था. मेरे परिवार पूरा ग़रीबी में रहता था. ना खाने को सुद्ध खाना , ना पहनने को ढंग के कपड़े. मेरे पिताजी एक मज़दूर थे. और मज़दूरी करके वो अपना घर का खर्चा चलाते थे. उन्होने मुझे कैसे भी करके बी.ए करा दिया. और जब मेरी पढ़ाई पूरी हो गयी तो उन्होने अपने हाथ पीछे खीच लिए.

मुझसे सॉफ सॉफ कह दिया कि अब मैं तेरा बोझ नही उठा सकता. अगर तुझे हमारे साथ रहना हैं तो तुझे भी मेहनत और मज़दूरी करनी होगी. लेकिन मेरा सपना तो बड़ा आदमी बनने का था. मैं भला कैसे मेहनत मज़दूरी करता. ऐसे ही एक महीना बीत गया और मैं अपने पिताजी की बात को ज़रा भी सीरीयस नही लिया.

पिताजी ने मुझे एक दिन आख़िर कह ही दिया कि अगर तुझे इस घर में रहना हैं तो तुझे इस घर का खर्च भी उठाना होगा. नहीं तो तू कहीं और जा सकता हैं. बस फिर क्या था मेरा मूड भी घूम गया और मैं उसी शाम को मुंबई के लिए गाड़ी पकड़ा और मुंबई चला आया. मगर मुंबई में भी मेरी किस्मेत ने मेरा साथ नहीं दिया. कहते हैं ना कि मुंबई सिर्फ़ पैसे वालो के लिए होती है. और जब मैं मुंबई में आया था उस वक़्त मेरी जेब में मात्र 100 रुपये था. फिर मुझे मेरे एक दोस्त जो यहाँ मनाली में उसका खुद का बिजनेस हैं मैं तुरंत उसके पास चला आया.

यहाँ पर मेरी किस्मेत ने मेरा साथ दिया. और मैं यही मनाली में हमेशा हमेशा के लिए बस गया. कुछ दिन तक तो मैं उसके घर पर ही रहा मगर मैने उसे कह दिया कि मुझे कैसे भी काम दिला. तो वो वही पर ठाकुर शौर्या सिंग जो उस जमाने में बहुत बड़ा ज़मींदार था मैं उसके यहाँ पर नौकर का काम करने लगा.
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04-05-2019, 12:30 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:41 PM by sexstories.)
#75
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
उसकी ठाट बाट देखकर तो मैं दंग रह गया. उस वक़्त उसके पास कम से कम अरबों की प्रॉपर्टी थी. फिर यहाँ पर मैने अपनी बिहारी बुद्धि लगाई. और उसकी भतीजी यानी कि पार्वती के पीछे हाथ धो कर पद गया. उस वक़्त वो भी उतनी खूबसूरत तो नहीं थी पर मेरे लिए वो सोने की अंडे देने वाली मुर्गी थी. मुझे उसके ज़रिए वो दौलत हासिल करनी थी.

करीब 1 साल तक मैं उसके पीछे हाथ धो कर पड़ा रहा. उसकी हर बात मानता. उसकी हर तरह से सेवा करता. और ऐसे ही धीरे धीरे मैने उसको अपने झूठे प्यार के जाल में फाँस लिया.और एक दिन वो मेरे साथ घर छोड़ कर भाग गयी. लेकिन मैं तो उसके घर में ही रहना चाहता था उसकी पूरी प्रॉपर्टी को निगलना चाहता था. लेकिन उसकी जिद्द की वजह से मुझे भी भागना पड़ा.

जब ये बात शौर्य सिंग को पता चली तो वो अपने आदमियों से कुत्तों की तरह हमारी छान बीन करवाना चालू का दिया. लेकिन यहाँ पर मेरी किस्मत ने मेरा साथ दिया. शौर्य सिंग के आदमियों ने हमे रेलवे स्टेशन तक जाते ही पकड़ लिया. और हम दोनो को उसके सामने ले जाया गया.

पहले तो शौर्य सिंग ने पार्वती को बहुत बुरा भला कहा और दो चार डंडों से मेरी भी अच्छे से सेवा की. मगर वो जल्दी ही पसीज गया और हमारे रिस्ते को हां कर दी. मगर शौर्य सिंग जितना बेवकूफ़ दिखता था उतना था नहीं. उसने किसी भी अपनी प्रॉपर्टी का ज़िक्र ना ही मुझसे किया और ना ही पार्वती से.

जब पार्वती 21 साल की हुई तो उसने एक वसीयत बनवाई. और वसीयत के मुताबिक सारी प्रॉपर्टी की मलिकिन पार्वती और वो बुड्ढ़ा सौर्य सिंग था. उसने मेरे नाम एक फूटी कौड़ी तक नही की. मेरा तो खून खौल उठा. मगर मैं क्या कर सकता था. तब मैं बड़े प्यार से उसकी सेवा भाव करने लगा. तो वो मुझसे खुस होकर मुझे एलेक्षन में खड़ा करवा दिया और मेरी किस्मेत कि मैं वो चुनाव जीत गया.

ऐसे ही धीरे धीरे मैं सत्ता में आ गया और अपनी हस्ती और वजूद मैने खुद बनाया. बाद में उस बुड्ढे ने आधी प्रॉपर्टी अपने बच्चो के नाम कर दी और आधा प्रॉपर्टी जो कि पार्वती की था वो उसी के नाम ही रहने दिया. मैने कई बार पार्वती से इस बारे में जिक्र किया तो उसने सॉफ सॉफ कह दिया कि जाओ और मेरे चाचा से इस बारे में बात करो. लेकिन मुझे इस बारे में बात करने की कभी हिम्मत ही नही हुई.फिर कुछ साल के बाद मेरी एक लड़की हुई. मैने उसे बड़े प्यार से पाला पोशा और जब वो थोड़ी बड़ी हुई तो शौर्य सिंग ने उसे पढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया भेज दिया. और पार्वती की आधी प्रॉपटी उसके नाम लिख दिया. यानी कि 25% पार्वती का और 25% शोभा का यानी मेरी बेटी का. और बाकी बचा 50 % जो शौर्य शिंग ने अपने परिवार के नाम कर दिया और मुझे हिलाने के लिए एक घंटा थमा दिया.
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04-05-2019, 12:30 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:41 PM by sexstories.)
#76
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
लेकिन मैने कई बार कोशिश की पार्वती वो सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दे मगर उसको भी मेरी नियत की भनक लग गयी. और वो भी जान गयी थी कि मैने उससे कभी प्यार ही नहीं किया बल्कि मुझे उसकी दौलत से प्यार था. मैं तो साला इसी आस में था कि कभी ना कभी पार्वती का दिल पिघल जाएगा और वो खुशी खुशी सारी दौलत मेरे नाम कर देगी .मगर अब मेरी सोने की मुर्गी भी हाथ से निकल गयी...

विजय- ओह .....हो तब तो तूने वाकई में बहुत बड़ी मछली फँसाई हैं. और तेरे मा बाप का क्या हुआ वो लोग नहीं आए क्या कभी तुझसे मिलने???

बिहारी- हां मछली तो मैने वाकई बड़ी फँसाई हैं मगर ना इसको पूरा खाए बनता हैं और ना ही निगलते बनता हैं.और मेरे मा बाप आए तो थे मगर मैने ही उन्हें पहचानने से सॉफ इनकार कर दिया. क्यों कि मैं जब शौर्य सिंग से पहली बार मिला था तब मैने उसको बता दिया था कि मैं अनाथ हूँ. मेरा इस दुनिया में कोई नहीं हैं.और आज भी उनलोगों को मेरी असलियत नही मालूम यहाँ तक कि मेरी पत्नी को भी नहीं.

विजय- चल यार तेरी दुखद भरी कहानी सुनकर तो वाकई में मेरी मगरमच्छ जैसी आँखों में भी आँसू आ गये. और इतना कहकर विजय और बिहारी ज़ोर से हँसने लगते हैं.
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04-05-2019, 12:30 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:41 PM by sexstories.)
#77
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
बिहारी- और एक बात तू पार्वती को कुछ नहीं करेगा. जो कुछ करूँगा मैं करूँगा और डाइवोर्स से पहले करूँगा.

विजय- लेकिन डाइवोर्स होने के बाद तो भाभिजी को आसानी से मरवाया जा सकता हैं. तो पहले क्यों???

बिहारी- तू नहीं समझेगा. इसी को तो पॉलिटिक्स कहते हैं.अगर मैं उसे डाइवोर्स के बाद मरवा दूँगा तो कोई भी आसानी से यही अंदाज़ा लगा सकता हैं कि मैने अपनी दुश्मनी के लिए अपनी पत्नी को पहले तलाक़ दिया फिर उसे जान से मरवा दिया. जिससे सारा ब्लेम मुझपर ही आ जाएगा. और अगर वो डाइवोर्स से पहले मरी तो कोई भी ये नहीं जान पाएगा कि इन सब के पीछे मेरा हाथ हैं.

विजय- तो कब भाभिजी को यमराज के पास भेजने का प्लान हैं.

बिहारी- वही तो सोच रहा हूँ. अब हमे हर एक कदम बहुत सोच कर उठाना पड़ेगा.पहले ही हमारे दो आदमी मारे जा चुके हैं.फिर उस इनस्पेक्टर पर जान लेवा हमला. और अब ट्रक और उस कॉंट्रॅक्टर का पकड़े जाना. यानी इस समय अब किसी भी तरह का रिस्क लेना बहुत ख़तरनाक हैं. और अभी पोलीस भी पूरी आक्टिव हो गयी हैं. अभी कुछ दिन रुक जाते हैं . बेचारी को कुछ दिन का सूरज देख लेने दे. मरना तो हर हाल में हैं उसे.

विजय- ठीक हैं बिहारी मगर ये काम जितनी जल्दी हो जाए उतना ही हमारे लिए बढ़िया हैं...

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उधेर कृष्णा भी उस दिन के बाद जो घर से निकाला था तब से वो दो दिन तक घर नही आया था. राधिका उसके लिए एक दम बेचैन और परेशान हो गयी थी. तभी उसके घर की डोर बेल बजती हैं और राधिका दौड़ कर दरवाजा खोलती हैं. सामने उसके भैया थे..

राधिका- भैया आप कहाँ चले गये थे.. आपको ज़रा भी अंदाज़ा हैं कि मैं आपके लिए कितनी परेशान हूँ. कम से कम एक फोन तो कर ही सकते थे ना..और इतना बोलकर राधिका झट से अंदर आ जाती हैं. और जाकर बिस्तेर पर पेट के बल लेट जाती हैं.

कृष्णा भी दरवाजा बंद करके अंदर आता हैं और राधिका के कमरे में चला जाता हैं. राधिका उसको अपने पास आता देखकर वो बिस्तेर से उठकर बैठ जाती हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका. मैने तुझपर अपना हाथ उठाया. मैं जानता हूँ कि तू मुझसे नाराज़ हैं..

राधिका- एक टक कृष्णा को देखते हुए- हां भैया मैं आपसे बहुत नाराज़ हूँ लेकिन इस लिए नहीं कि आपने मुझपर अपना हाथ उठाया बल्कि इस लिए कि आप दो दिन तक बिना बताए चले गये और आपने मुझे फोन करके बताना भी ज़रूरी नहीं समझा. आख़िर क्यों?? क्या हैं इसके पीछे वजह??

कृष्णा- बस ऐसे ही अपने एक दोस्त के यहाँ पर रुक गया था. मैं तो ये सोचकर तेरे सामने नहीं आया कि मैने तुझपर अपना हाथ उठाया है तो तू मेरे बारे में क्या सोचेगी.

राधिका- वादा करो भैया कि आज के बाद तुम मुझे कभी भी छोड़ कर कहीं नही जाओगे.

कृष्णा भी मुस्कुरा कर राधिका को अपने सीने से लगा लेता हैं.

राधिका- आप मूह हाथ धो लो मैं आपके लिए खाना निकाल देती हूँ.

थोड़ी देर के बाद कृष्णा और राधिका भी खाना खाते हैं और फिर राधिका जाकर किचन सॉफ करने लगती हैं. और कुछ देर में वो दोनो राधिका के रूम में वापस आ जाते हैं.

कृष्णा- एक बात कहूँ राधिका बुरा तो नहीं मनोगी ना.

राधिका- हां भैया कहो ना मुझे आपकी बात का भला कैसे बुरा लगेगा.

कृष्णा- क्या तू सच में राहुल से शादी नही करना चाहती. क्या तू उस बिहारी से .....................

राधिका एक टक कृष्णा की आँखों में देखती हैं - छोड़ो ना भैया क्या अब आप भी बेकार की बातें लेकर बैठ गये.

कृष्णा अपना हाथ राधिका के कंधे पर रखकर उसे अपनी तरफ घूमता है- तू इसे बेकार की बातें कहती हैं. ये तेरी ज़िंदगी का सवाल हैं. बता मुझे.

राधिका- वो तो मैने गुस्से में कह दिया था.

कृष्णा-क्या तू सच में मेरे साथ वो सब करना चाहती हैं. कृष्णा राधिका की आँखों में देखते हुए बोला..

राधिका- आपको क्या लगता हैं भैया कि मैं आपसे मज़ाक कर रही थी. अगर यकीन ना आए तो एक बार कह के तो देख लो मैं अभी इसी वक़्त अपने सारे कपड़े आपके सामने उतार दूँगी.

क्रिसना- तू कैसी बातें करती हैं. भला तुझे शरम नही आएगी मेरे सामने अपने पूरे कपड़े उतारते हुए.

राधिका- जब आप मेरे सामने पूरा नंगा हो सकते हैं तो मैं क्यों नहीं. आख़िर आप की रगों में भी तो मेरा ही खून दौड़ रहा हैं ना. फिर आपसे शरम कैसा.

कृष्णा की कही हुई बात आज राधिका ने फिर से उसपर पलट दी थी. वो भी एक टक राधिका को देखने लगता हैं.

कृष्णा- नही राधिका अब मैं तेरे साथ वो सब नहीं करना चाहता.
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04-05-2019, 12:30 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:41 PM by sexstories.)
#78
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका- आख़िर क्या हो गया हैं भैया आपको. क्यों आज आप इतना बदल गये हैं????

कृष्णा- मुझे ये सब ठीक नहीं लगता. और आज मैं नही बदला हूँ राधिका बल्कि तू बदल गयी हैं. मुझे तो समझ में नही आ रहा हैं कि तू इतना कैसे बदल सकती हैं.

राधिका- क्या ठीक नही लगता भैया. मुझसे सेक्स करने के लिए तो आप हमेशा मेरे पीछे पागल रहते थे. क्या आप नही चाहते थे कि मैं अपना बदन आपको सौप दूँ. और आपने तो मुझे सिड्यूस करने के लिए 2 हफ्ते का समय भी माँगा था. और दो हफ्ते ख़तम होने में केवल एक दिन ही बचा हैं. क्या आप नही चाहोगे कि आप शर्त जीत जाओ. मैं तो अब आपको किसी बात के लिए रोकूंगी भी नहीं.

कृष्णा- बस कर राधिका. ये पाप मुझसे नही होगा.

राधिका- वाह भैया वाह..... आज ये सब आपको पाप लगने लगा. अगर इतना ही पाप पुन्य का ख्याल था तो क्यों मेरा हाथ बचपन में ही छोड़ दिया था. क्यों नही बचाने आए हर जगह मेरी लाज को. आपको क्या मालूम भैया कि जब भी मैं बाहर निकलती हूँ लोग मुझे खा जाने वाली नज़रो से देखते हैं. ऐसा लगता हैं कि मैं कोई सेक्स की मशीन हूँ. आपको तो ये भी नहीं मालूम होगा कि आज तक कितने लड़कों ने मुझे छेड़ा हैं शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब कोई मुझसे कुछ ना कहा हो. ये सब सुनकर मुझपर क्या बीतती हैं आप इसका अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते. जब भी मैं किसी सड़क या गली मुहल्ले से गुजरती हूँ तो लोग मेरे बारे में कैसी गंदी गंदी बातें करते हैं आपको तो शायद ये भी नही मालूम.

उस वक़्त आप कहाँ थे. क्या आपने कभी मुझसे पूछा हैं कि क्या कभी तुझे किसी बात की तकलीफ़ हैं. क्या तुझे कोई तंग करता हैं. नहीं ना तो आज आपके मन में ये पाप पुण्य का ख्याल कहाँ से आ गया. मुझे जवाब दो.

आप ही कहते हैं ना कि कोई तुझ पर बुरी नज़र डालेगा तो मैं उसकी आँखें फोड़ दूँगा. कितनो की आँखें फोड़ोगे आप भैया. कहने और करने में बहुत फरक हैं. और आप इस बात को अच्छे से जानते हैं कि राधिका कहती नही हैं बल्कि करती भी हैं. आपको क्या मालूम कि औरत की ज़िंदगी कितनी मुश्किल होती हैं.

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका. मैं मानता हूँ कि मैं समय रहते तेरे सहारा नहीं बन सका. एक अच्छा भाई नहीं बन सका. मगर आज मैं अपनी ग़लती सुधारना चाहता हूँ. मुझे एक मौका तो दे...........

राधिका- क्यों शर्मिंदा करते हो भैया. मैं कौन होती हूँ आपको माफ़ करने वाली. खैर अब मैं आपसे इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती.

कृष्णा राधिका के करीब जाता हैं और जाकर उसे बड़े प्यार से गले लगा लेता हैं.

राधिका- भैया एक बात कहूँ बुरा तो नहीं मनोगे ना..

कृष्णा- कहो..

राधिका- क्या मेरे जिस्म को देखकर आब आपका मन नही करता क्या कि आप मेरे साथ सेक्स करें.

कृष्णा- ये क्या बेहूदा सवाल हैं. मैं तेरे सवाल का जवाब देना ज़रूरी नहीं समझता.

राधिका- मैं जानती हूँ कि आज भी आपके ख़यालात पहले जैसे हैं. बस आप मुझसे झूट बोल रहे हैं.

कृष्णा राधिका को अपने से दूर करते हुए--- ठीक हैं अगर तुझे ऐसा लगता हैं तो ........लगे. मैं ये बात साबित तो नहीं कर सकता.

राधिका- लेकिन मैं साबित कर सकती हूँ. अगर आप हां कहो तो..........................

कृष्णा उसको सवालियों नज़र से देखता हैं- मतलब???

राधिका कृष्णा का एक हाथ को पकड़कर अपने हाथ में लेती हैं और उसे झट से अपने सीने पर रख देती हैं और कसकर अपने हाथ पर दबाव डालने लगती हैं. कृष्णा जैसे ही समझता हैं वो अपना हाथ राधिका के सीने से हटाने की कोशिश करता हैं मगर राधिका उसका हाथ कसकर पकड़े रखती हैं. आज पहली बार कृष्णा ने राधिका के बूब्स को अपने हाथों में महसूस किया था. और नीचे उसके लंड में भी हलचल होनी शुरू हो जाती हैं.

कृष्णा फिर एक झटके से अपना हाथ राधिका के सीने से हटा लेता हैं- ये क्या मज़ाक हैं राधिका.

राधिका- क्यों भैया सच कहिए क्या आपको अच्छा नहीं लगा इस तरह मेरे सीने पर हाथ रखकर. अगर नहीं तो ये बात मेरी आँखों मे देखकर कहिए. मैं कसम खाती हूँ भैया कि मैं आज के बाद आपको सेक्स के लिए कभी फोर्स नहीं करूँगी.

कृष्णा का तो मूह से कोई शब्द नहीं निकलता हैं और वो खामोश होकर अपना सिर नीचे झुका लेता हैं.

राधिका- मैं जानती थी भैया कि दुनिया में इंसान शराब और शबाब कभी नहीं छोड़ सकता. ये वो नशा हैं जब ये इंसान पर हावी हो जाती हैं तो इंसान कुछ नहीं सोचता. ये भी नहीं कि कौन उसकी बेहन हैं, कौन उसकी मा हैं और कौन उसकी बेटी हैं. फिर आप को तो दोनो का शौक हैं. और मैं यकीन से कह सकती हूँ कि आपका भी खून ज़रूर गरम हुआ होगा. फिर ये सब ढोंगबाज़ी किस लिए???

राधिका ने तो आज कृष्णा का भी मूह बंद कर दिया था. आज उसके पास राधिका के सवाल का भी कोई जवाब नही था.
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04-05-2019, 12:30 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:42 PM by sexstories.)
#79
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--23

कृष्णा- मुझे अब चलना चाहिए राधिका. मुझे अब काम पर भी जाना हैं..

जैसे ही कृष्णा जाने के लिए मुड़ता हैं राधिका झट से उसका हाथ थाम लेती हैं. आज सब कुछ उसके साथ उल्टा होता नज़र आ रहा था. अब तक वो राधिका का हाथ पकड़ता था मगर आज राधिका ने उसका हाथ पकड़ लिया था.

राधिका- आख़िर कब तक बचोगे मुझसे भैया. चिंता मत करो आज मैं आपको हाथ भी नही लगाउन्गि. मगर कल आपको मुझसे कौन बचाएगा. अभी आपने राधिका को अच्छे से जाना कहाँ हैं. मैं कल आपको बताउन्गि कि राधिका क्या कर सकती हैं. और हां ये मत समझना कि आप घर नहीं आओगे तो बच जाओगे. आगर नहीं आए तो मैं कहीं कोई ऐसा कदम ना उठा लूँ कि कहीं आपको बाद में फिर पछताना पड़े.

कृष्णा की तो मानो ज़ुबान से आवाज़ ही निकलनि बंद हो गयी थी. वो कुछ बोलता नहीं बस चुप चाप घर से अपना मूह लटकाकर बाहर की ओर निकल जाता हैं. आज उसका सारा दाँव उसी पर उल्टा पड़ता नज़र आ रहा था.

थोड़ी देर के बाद राधिका के मोबाइल पर फोन आता हैं. फोन राहुल का था.

राहुल- अरे कहाँ पर हो मेडम साहिबा. तुम्हारा तो दो दिन से कुछ पता ही नहीं हैं. ना मुझ से मिलती हो ना ही बात करती हो. आभी इस वक़्त आ जाओ मैं तुम्हारा यहीं गार्डेन में वेट कर रहा हूँ. और इतना कहकर राहुल फोन रख देता हैं.

राधिका भी जल्दी से तैयार होकर राहुल से मिलने चली जाती हैं. थोड़े देर के बाद जब वो वहाँ पर पहुचती हैं तो वहाँ पर निशा भी राहुल के साथ बैठी मिलती हैं.

निशा- आओ राधिका शुक्र हैं कि तुमको टाइम तो मिल गया हम से मिलने का. वैसे आज कल तुम ज़्यादा बिज़ी रहती हो...हैं ना.

राधिका कुछ कहती नही बस एक प्यारा सा स्माइल देकर वहीं राहुल और निशा के पास बैठ जाती हैं.

राहुल- हां तो राधिका आज का तुम्हारा क्या प्लान हैं. कहीं आज बिज़ी तो नहीं हो ना.

राधिका- नहीं राहुल ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही दो दिन से मेरी तबीयात थोड़ी ठीक नहीं लग रही हैं.

निशा- आरे हम तुम्हारे लगते ही कौन हैं. बताना तो तुम कोई भी बात हम से ज़रूरी नहीं समझती.

राधिका- नहीं निशा ऐसी कोई बात नहीं हैं. बस ऐसे ही.

राहुल- चलो यार आज कहीं बाहर चलते हैं घूमने. मैं आज दोपहर तक फ्री हूँ. और इसी बहाने राधिका का भी मूड फ्रेश हो जाएगा.

फिर थोड़ी देर में वो तीनों सहर के बाहर एक हिल स्टेशन की ओर निकल पड़ते हैं. मगर आज राधिका सिर्फ़ खामोश थी. वो ज़्यादा खुल कर ना ही राहुल से बोल रही थी और ना ही निशा से.

कुछ देर के बाद वो तीनों मनाली की सुंदर घाटियो में पहुँच जाते हैं और प्रकृति के सुंदर नज़ारे का आनंद उठाते हैं.

राहुल- यार तुम ऐसे क्यों खामोश हो. और कोई बात हैं क्या. मैं तुम्हारा मूड फ्रेश करने के लिए ही तो तुम्हें यहाँ पर लाया हूँ और तुम बस खामोश बैठी हो.

राधिका- नहीं राहुल बस कुछ अच्छा नहीं लग रहा.

राहुल- जानती हो राधिका अपनी निशा को किसी से प्यार हो गया हैं. और वो उस लड़के से बहुत प्यार करती हैं. मगर वो किसी और को चाहता हैं. अरे इतनी अच्छी लड़की उसे कहाँ मिलेगी.

राधिका जब ये बात सुनती हैं तो उसके दिल की धड़कन तुरंत बढ़ जाती हैं. और वो राहुल को सवालियों नज़र से देखने लगती हैं.

राधिका- किससे...............कौन हैं वो???

राहुल- यार इसी बात का तो दुख हैं ये बस बता ही नहीं रही हैं. अगर बताती तो मैं उस साले को जाकर एक दो डंडे लगाता और उसे यहीं पर बुलाकर उसका हाथ निशा के हाथों में दे देता.आब तुम ही कहो ना इसी कि ये हमे बताए. शायद तुम्हारी बात ये नहीं टालेगी.

राधिका को कुछ समझ में नहीं आता कि वो क्या बोले बस वो राहुल और निशा को चुप चाप देखने लगती हैं. बोलती भी कैसे वो ये बात अच्छे से जानती थी कि निशा भी राहुल से ही प्यार करती हैं. मगर निशा ये बात नहीं जानती थी कि राधिका समझ चुकी हैं कि उसका लवर और कोई नहीं बल्कि राहुल ही हैं.

राहुल- चुप क्यों हो राधिका कुछ तो जवाब दो.

राधिका- मुझे नहीं मालूम राहुल. अगर निशा ने तुम्हें ये बात नहीं बताई हैं तो वो मुझे कैसे बताएगी.
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04-05-2019, 12:31 PM, (This post was last modified: 04-05-2019, 12:42 PM by sexstories.)
#80
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
राधिका के इस जवाब से लगभग निशा और राहुल भी हैरान थे.अब राहुल को ठीक नहीं लगता और वो ये बात को वही ख़तम कर देता हैं.

राहुल कुछ देर तक इधेर उधेर की बातें करता हैं फिर वो तीनों वापस लौट आते हैं. आज निशा भी कुछ खामोश लग रही थी. वो भी ज़्यादा उन्दोनो की मॅटर में इंटरफेर नहीं कर रही थी.

तभी राहुल राधिका का हाथ पकड़ लेता हैं और तुरंत उसे अपने सीने से चिपका लेता हैं और राधिका कुछ समझती उससे पहले राहुल राधिका के लब को चूम लेता हैं. ये नज़ारा देखकर निशा के तो होश ही उड़ जाते हैं और उसके सब्र का बाँध टूट जाता हैं और वो तुरंत वहाँ से जाने के लिए बोलती हैं. आज उसका दिल फिर से रोने को कर रहा था. वो कैसे भी करके आपने आँसू थामे हुए थी.

जैसे ही निशा वहाँ से निकलती हैं राधिका उसकी आँखों की नमी को पढ़ लेती हैं. वो जानती थी कि राहुल की इस हरकत से निशा के दिल पर क्या बीती होगी. और निशा की आँखों से तुरंत आँसू का सैलाब उमड़ पड़ता हैं...

थोड़ी देर के बाद वो भी राहुल से विदा लेती हैं और अपने घर ना जाकर वो सीधा निशा के घर जाने का फ़ैसला करती हैं. फिर वो एक ऑटो पकड़ कर निशा के घर की तरफ चल देती हैं. थोड़ी देर में वो निशा के घर पहुँच जाती हैं. राधिका फिर डोर बेल बजाती हैं और उसकी मम्मी सीता दरवाज़ा खोलती हैं.

सीता- आओ बेटा कैसे आना हुआ.

राधिका- आंटी जी निशा कहाँ पर हैं.

सीता- वो तो आभी घर नहीं आई. बोल कर गयी तो थी कि कॉलेज जा रही हूँ पर .............कोई बात हैं क्या.

राधिका- नहीं आंटी ऐसी कोई बात नहीं हैं. अभी मैने उससे बात की थी तो कह रही थी की मैं घर पर हूँ. इसलिए. पूछा.

सीता- एक काम करो बेटा तुम उसी के कमरे में जाकर बैठो. हो सकता हैं अभी दस मिनिट में वो आ जाए...

यहीं तो राधिका भी चाहती थी कि वो उसके कमरे में जाए. और वो भी तुरंत सीढ़ियों के रास्ते निशा के कमरे में चली जाती हैं.

जैसे ही वो वहाँ पर बैठती हैं उसकी आँखें सर्च एंजिन की तरह कमरे के हर कोने में कुछ तलाशने लगती हैं. और कुछ देर के बाद उसे वो चीज़ मिल जाती हैं जिसके लिए वो यहाँ पर आई थी.वहीं बेड के पास एक ड्रॉयर में लाल डायरी रखी हुई थी. वो उसे तुरंत उठा लेती हैं और उसके पन्ने पलटने लगती हैं. तभी सीता भी रूम में आ जाती हैं इसी पहले कि सीता की नज़र उस डायरी पर पड़ती वो उसे झट से अपने बॅग में रख लेती हैं.

सीता- लो बेटी चाइ पी लो. ये लड़की भी ना कुछ समझ नही आता इसका. पता नहीं कब मेच्यूर होगी.

तभी एक कबाड़ी वाला वहाँ से गुज़रता हैं और सीता दौड़ कर उसे आवाज़ देती हैं.

सीता- आरे भैया रूको घर पर बहुत सारे पुराने कापी किताबें रखी हैं ज़रा इसको लेते जाओ.

फिर सीता वो सारी पुरानी किताबें वहीं कबाड़ी वाले को दे देती हैं.

सीता- चलो घर का कचरा तो सॉफ हुआ. पता नहीं कितने महीनों से पड़ा हुआ था.

राधिका- अब मुझे चलना चाहिए आंटी. मैं बाद में आकर निशा से मिल लूँगी.

राधिका भी तुरंत अपने घर की ओर निकल पड़ती हैं. वो उस डायरी को जल्दी से जल्दी पढ़ना चाहती थी.और जानना चाहती थी क्या हैं निशा के दिल का राज़..

जैसे ही राधिका घर पहुँचती हैं उसकी धड़कनें वैसे वैसे बढ़ने लगती हैं. वो तुरंत घर का लॉक खोलती हैं और झट से अपने बेडरूम में आकर वो डायरी को अपने बॅग से बाहर निकालती है. फिर वही बेड पर लेटकर वो डायरी को पढ़ना शुरू करती हैं.

जैसे ही राधिका डायरी खोलती हैं डायरी के पहले पन्ने पर ही एक तारीख लिखी हुई थी 19-सेप-2008. ये वो तारीख थी जिस दिन राधिका और निशा का जग्गा नाम के गुंडे से बहस हुई थी और राधिका ने उस जग्गा का पूरा बॅंड बजाया था. मगर इसी दिन तो राहुल से भी उन्दोनो की पहली मुलाकात हुई थी. राधिका अपने दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर डालते हुए इस तारीख के बारे में सोचने लगती है. थोड़े देर के बाद उसे भी कुछ धुन्दलि सी तस्वीर उसके आँखों के सामने याद आने लगती हैं.

फिर वो डायरी का दूसरा पन्ना पलट ती हैं और जो बात निशा ने राहुल के बारे में उससे मज़ाक में की थी कि ""पहली नज़र का प्यार"" वो सारी बातें उसकी सारी फीलिंग सब कुछ इसमें लिखा हुआ था. वो राहुल के बारे में क्या सोचती हैं उसकी पसंद ना पसंद सब कुछ. जैसे जैसे राधिका डायरी के एक एक पन्ने खोलती जाती हैं उसकी आँखों से आँसू फुट पड़ते हैं. करीब एक घंटे तक वो उस डायरी को पढ़ती हैं और लगातार उसकी आँखों नम ही रहती हैं. डायरी पढ़ लेने के बाद वो समझ जाती हैं कि निशा राहुल से किस कदर मुहब्बत करती हैं.
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