Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 01:12 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
बिहारी तभी राधिका के करीब आता हैं - वाह मेरी जान.......वाह... कसम से वाकई तू क्या चीज़ हैं. मुझे नहीं पता था कि तू नंगी हालत में और खूबसूरत लगेगी. और फिर बिहारी उसके पीछे जाकर उससे सट कर खड़ा हो जाता हैं और धीरे धीरे अपने हाथों को बढ़ाते हुए उसके दोनो बूब्स को अपनी मुट्ठी में पूरी ताक़त से भीच लेता हैं. राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं. मगर इस बार वो अपने हाथों को रोकता नहीं बल्कि उसी तरह उसके दोनो बूब्स को मसलता रहता हैं. फिर एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत पर रखकर उसको अपनी मुट्ठी में भीच लेता हैं. और अपना लंड का प्रेशर राधिका के गान्ड पर डालने लगता हैं. राधिका इस वक़्त अपनी आँख बंद किए हुए बिहारी को पूरी मनमानी करने दे रही थी. तभी विजय और जग्गा भी उसके पास आ जाते हैं और जग्गा नीचे झूल कर राधिका की चूत पर अपने होंठ रख कर बड़े हौले से अपना जीभ फिराने लगता हैं और विजय उसके दोनो निपल्स को बारी बारी अपने मूह में लेकर चूस्ता हैं.



राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी आ.............एयेए...हह..............अया.हह. वो आब धीरे धीरे झड़ने के करीब पहुँच रही थी और उसकी आँखें बंद थी. पीछे से बिहारी उसकी पीठ और गर्देन पर अपना जीभ फिरा रहा था और उसके गान्ड को दोनो हाथों से मसल भी रहा था उधेर विजय उसके दोनो दूध को बारी बारी चूस रहा था और नीचे बैठा जग्गा उसकी चूत पर हल्के होंटो से उसकी चूत को छेड़ रहा था. राधिका इस वक़्त जन्नत में थी. उसे तो ये भी होश नहीं था कि जो लोग उसके बदन से खेल रहे हैं वो उसके दुश्मन हैं.



राधिका अब झरड़ने के बिल्कुल करीब आ चुकी थी अभी भी वो डिल्डो उसकी चूत में था और बहुत धीमी गति से घूम रहा था तभी बिहारी उन सब को तुरंत पीछे हटने को बोल देता हैं और खुद भी हट जाता हैं. और फिर राधिका के बदले हुए चेहरे को वो तीनों बड़े गौर से देखने लगते हैं.



राधिका फिर से तड़प उठती हैं. अगर थोड़ी देर तक वे लोग उसके जिस्म के साथ और खेलते तो वो अब तक झढ़ चुकी होती मगर इस तरह आधी अधूरी प्यास से वो और बौखला जाती हैं..



राधिका तुरंत बिहारी के कदमों में गिरकर रोने लगती हैं- आख़िर मेरी किश खता की तुम मुझे इतनी बड़ी सज़ा दे रहे हो. आख़िर मेरा क्या कसूर हैं. क्यों तुम मुझे ऐसे तडपा रहे हो. प्लीज़............ अब तो मेरी प्यास बुझा दो. अब ये प्यास मेरी बर्दास्त के बाहर हो चुकी हैं. तुम्हें जो जी में आए वो तुम मुझसे करवा लो मगर ऐसा सितम मुझपर मत करो ..................प्लीज़ मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ.



बिहारी राधिका को बड़े प्यार से उठाता हैं- अरे मेरी जान मैं तुझे किसी बात की सज़ा थोड़ी ही ना दे रहा हूँ. जिसे तू सज़ा समझ रही हैं देखना कुछ देर बाद तुझे कितना उससे सुख मिलेगा. मैं तो तुझे ये दिखा रहा हूँ कि जब चूत में आग लगती हैं तो औरत इस आग को बुझाने के लिए किस हद्द तक जा सकती हैं. और मुझे तेरी वो हद्द देखनी हैं. तू चिंता मत कर बस थोड़ी देर की बात हैं तेरी आग हम ऐसे बुझायेँगे कि तू हमे जन्मों जन्मों तक नहीं भूल पाएगी.. मगर उससे पहले तुझे हम तीनों के लंड से पानी निकालना होगा बोल पूरा अच्छे से चूसेगी ना हम सब का लंड.



राधिका- हां बिहारी तुम जैसा चाहते हो जो चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी फिर राधिका झट से उठती हैं और घुटनों के बल बैठ कर बिहारी के लंड को अपने मूह से चाटना शुरू करती हैं.



बिहारी- एक दिन मैने कहा था ना कि तुझे मैं अपना लॉडा चुसवाउन्गा. देख आज तू खुद अपनी मर्ज़ी से मेरा लंड चूस रही हैं. बोल तुझे अब मैं क्या कहूँ ...............................एक रंडी. या कुछ और..



विजय- बिहारी रंडियों का भी कोई वजूद होता हैं. वो कितना भी नीचे गिर जायें मगर अपने भाई और बाप से कभी नहीं चुदवाती. मगर इसे देख ये तो इन सब से आगे हैं. बोल हैं ना तू एक रंडी.....



राधिका सिर नीचे झुका लेती हैं- हां मैं रंडी हूँ. तुम सब की रखैल हूँ तुम सब का जो जी में आए मेरे साथ करो जैसा कहोगे तुम सब मैं वैसा करूँगी.



बिहारी- वो तो तू वैसे भी करेगी मेरी रानी आख़िर तेरी चूत की आग को इस वक़्त हम ही बुझा सकते हैं. अगर हम ने ऐसा नहीं किया तो तू बाहर किसी से भी इस वक़्त चुदवा सकती हैं. क्यों कि मैं अच्छे से जानता हूँ इस वक़्त तेरी चूत की आग तुझे अच्छे बुरे के बारे में कुछ सोचने नहीं देगी और अगर इस वक़्त तेरा बाप भी यहाँ पर होता तो तू उसके सामने अपनी चूत खोलकर तू उससे भी चुदवा लेती. बिहारी की ऐसी बातो को सुनकर राधिका शरम से अपनी नज़रें नीचे झुका लेती हैं.
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04-05-2019, 01:12 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
बिहारी- चल अब यहाँ सोफे पर लेट जा और अपनी गर्देन फर्श की ओर झुका ले. राधिका चुप चाप वही बिस्तेर पर पीठ के बल लेट जाती हैं और अपनी गर्देन बेड के नीचे झुका लेती हैं. वो अच्छे से जानती थी कि बिहारी अब उसके हलक तक अपना लंड डालेगा जिससे उसको तकलीफ़ होगी मगर चूत की आग के लिए उसे इस वक़्त सब मंज़ूर था. थोड़ी देर बाद बिहारी अपना लंड उसके मूह के पास रखता हैं और फिर अपना लंड उसके मूह में धीरे धीरे डालना शुरू करता हैं. राधिका भी बिहारी का पूरा समर्थन करती है और अपना मूह पूरा खोल लेती हैं. बिहारी धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बढ़ाने लगता हैं और धीरे धीरे उसका लंड राधिका के हलक में जाने लगता हैं.



जैसे जैसे लंड राधिका के मूह में जाता हैं वैसे वैसे राधिका की तकलीफे भी बढ़ने लगती हैं मगर वो हिम्मत नहीं छोड़ती. बिहारी मुस्कुराते हुए अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता हैं और कुछ देर तक वो राधिका के गले में ही वैसे अपना लंड रोके रहता हैं. फिर वो तुरंत अपना लंड बाहर निकालता हैं और फिर उतनी ही तेज़ी से अपना लंड राधिका के गले के नीचे उतार देता हैं. झटका इतना ज़ोरदार था कि राधिका को ऐसा लगता हैं कि उसका गला फट जाएगा और एक तेज़्ज़ दर्द की लहर उसके गले में दौड़ जाती हैं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं. थोड़ी और ज़ोर देने पर बिहारी का पूरा 8 इंच का लंड राधिका के हलक तक पहुँचने में कामयाब हो जाता हैं. वो वैसे ही कुछ देर तक अपना लंड उसी पोज़िशन में रखता है. राधिका को ऐसा लगता है कि उसका दम घूट जाएगा मगर वो बिहारी को अपना लंड बाहर निकालने को नहीं कहती. करीब 15 सेकेंड तक राधिका के हलक में लंड रखने पर राधिका की बेचैनी बढ़ने लगती हैं और फिर तुरंत बिहारी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं.



थोड़ी देर में राधिका ज़ोर ज़ोर से खांसने लगती हैं फिर बिहारी बिना रुके अपना पूरा लंड एक ही झटके में राधिका के हलक में दुबारा पहुचा देता हैं और तभी विजय उसके पास आता हैं और अपने हाथों से उसकी गर्देन को दबाने लगता हैं. बिहारी उसी पोज़िशन में अपना लंड फँसाए रहता हैं और फिर एक तेज़्ज़ पिचकारी उसके लंड से छूटती हैं और और सीधा राधिका के गले में उतर जाती हैं और कुछ बूँदें उसके होंटो से बहते हुए उसके गालों की ओर बहने लगती हैं. तभी बिहारी अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं. फिर विजय उसके पास आता हैं और अपना लंड पूरा का पूरा फिर से राधिका के हलक में डाल देता हैं और वो भी उसी तरह उसकी गले में कुछ देर लंड डाले रहता हैं. और करीब 1 मिनिट तक वो ऐसे ही राधिका के गले के नीचे अपना लंड पेले रहता हैं जब तक उसका भी कम नहीं निकल जाता. राधिका की हालत खराब हो गयी थी. विजय जब भी चुदाई करता वो हैवान बन जाता था. राधिका का गला दर्द कर रहा था मगर वो इस वक़्त उसके सिर पर चूत का खुमार छाया हुआ था. फिर लाइन में जग्गा भी आता हैं और फिर से वही होता हैं. जग्गा का भी कम कुछ राधिका के हलक़ में समा चुका था और कुछ बाहर फर्श पर टपक रहा था.



राधिका की आँखों में इस वक़्त आँसू थे. अभी तो ये शुरुआत थी पता नहीं आने वाले उन सात दिनों में उसके साथ और क्या क्या होने वाला था. वो भी बुरी तरह से हाफ़ रही थी और उसका दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.
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04-05-2019, 01:12 PM,
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वक़्त के हाथों मजबूर--41




बिहारी- मैं ना कहता था कि एक दिन तुझे अपने कदमों में झुका दूँगा. बोल आज कौन जीता तू ......कि मैं.



राधिका- हां बिहारी तुम जीत गये शायद मैं ही ग़लत थी. आज तुम्हारा जो दिल में आए मेरे साथ कर लो...... जो तुम करना चाहते हो. राधिका आज तुमसे वादा करती हैं कि अब चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुम्हें किसी बात के लिए मना नहीं करूँगी. चाहे मेरी जान ही क्यों ना चली जाए और वैसे भी अब मैं जीना नहीं चाहती और इतना सब कुछ हो जाने के बाद मेरा राहुल भी अब मुझे नहीं आपनाएगा. भले ही आज तुम जीत गये और तुमने मुझे हासिल कर लिया मगर मुझे तो सिर्फ़ हार ही मिली है लेकिन तुम क्या समझोगे बिहारी रहने दो ये सब बातें तुम्हारी समझ में नहीं आएगी. तुम्हें तो मेरे जिस्म से बस प्यार हैं. लो आज मैं तुम्हारे सामने बिन कपड़ों के खड़ी हूँ अब किस बात की देर हैं. कर लो अपनी ये गंदी हसरत...........आज तुम्हारे इस जीत की वजह से मैं आज अपनी ज़िंदगी से भी हार गयी हूँ और अपने आप से भी...



बिहारी राधिका की बातो से कुछ बोल नहीं पाता और अपनी नज़रें नीचे झुका लेता हैं. वो अच्छे से जानता था कि आज भले ही राधिका ने उसके सामने अपना जिस्म सौप दिया हो मगर उसके बाद उसकी ज़िंदगी में कौन सा मोड़ आएगा ये उसके नहीं पता था और ना ही राधिका इस बारे में जानना चाहती थी. क्यों कि वो जानती थी कि इस एक हफ्ते के बाद उसकी ज़िंदगी पूरी तरह से तबाह हो चुकी होगी...



विजय- क्या हुआ बिहारी तेरे हाथ क्यों रुक गये. चल आगे बढ़ और आज फिर से दिखा दे अपना कमीनपन. इसको भी तो पता चले कि हम कितने बड़े कमिने हैं.



बिहारी विजय की बातो को सुनकर जैसे नींद से जागता हैं और फिर वो राधिका के पास आता हैं और अपना हाथ आगे बढ़ाकर राधिका के गालों को बड़े प्यार से अपना हाथ फिराने लगता हैं. तभी विजय और जग्गा उसके पास आते हैं और राधिका के पीछे खड़े हो जाते हैं. विजय अपने दोनो हाथों से राधिका के दोनो बूब्स को कसकर मसल्ने लगता हैं और उधेर जग्गा अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी चूत से खेलने लगता हैं. राधिका एक बार फिर मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर लेती हैं. फिर बिहारी बड़े प्यार से राधिका के होंटो को चूसने लगता हैं.



राधिका की आग अभी भी नहीं बुझी थी. फिर से उसकी आँखों में हवस सॉफ दिखाई देने लगती हैं. तभी विजय उसके पास से हट जाता हैं और राधिका को वहीं सोफे पर दोनो पैर फैलाकर बैठने का इशारा करता हैं. राधिका तुरंत वहीं सोफे पर बैठ जाती हैं और अपनी दोनो टाँगें पूरा खोल देती हैं. राधिका जिस अंदाज़ में अपनी टाँगें खोल कर उन तीनों के सामने बैठी हुई थी इस हालत में अगर उसे कोई देख लेता तो यही कहता कि वो कितनी बड़ी रंडी हैं. तभी जग्गा उसकी चूत के पास आता हैं और अपना मूह राधिका की चूत के पास रख देता हैं और बड़े हौले से उसकी चूत के लिप्स को अपने जीभ से चाटने लगता है. राधिका की चूत इस वक़्त पूरी तरह से गीली थी. और लगातार उसकी चूत से पानी बह रहा था. तभी जग्गा अपनी एक उंगली को धीरे धीरे हरकत करता हैं और धीरे धीरे फिराते हुए पहले उसकी चूत के चारों तरफ बड़े हौले हौले अपनी जीभ फिराता है और फिर वो उसकी गान्ड के पास उसे ले जाता हैं और अपनी उंगली वहीं राधिका की गान्ड में वही उंगली धीरे धीरे घुसाने लगता हैं.
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04-05-2019, 01:12 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
सामने से जग्गा अपनी जीभ से उसकी चूत चाट रहा था और साथ ही साथ वो अपनी एक उंगली राधिका की गान्ड में अंदर बाहर कर रहा था. राधिका धीरे धीरे झरने के और करीब आ रही थी और उधेर विजय लगातार उसके बूब्स को मसल रहा था.और साथ ही साथ अपने दोनो उंगलियों से उसके निपल्स को मसल रहा था. बिहारी दूर खड़ा सब नज़ारा बड़े ध्यान से देख रहा था. फिर बिहारी उस वाइब्रटर की स्पीड धीरे धीरे फिर से बढ़ाने लगता हैं. उधेर जग्गा अपने दोनो हाथों की उंगलियों से राधिका की चूत की दोनो फांकों को अलग करता हैं और उसे अंदर वही डिल्डो दिखाई देता हैं. फिर वो धीरे धीरे उस डिल्डो को राधिका को पुश करने को कहता हैं. राधिका बिना किसी विरोध के वो अपने अंदर रखे डिल्डो को धीरे धीरे पुश करती हैं और जैसे जैसे वो डिल्डो बाहर आता हैं राधिका की सिसकारी भी बढ़ने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो डिल्डो थोड़ा बाहर आता हैं और फिर जग्गा अपने मूह में वो डिल्डो फँसा लेता हैं और वैसे ही धीरे धीरे उसपर अपनी जीभ फिराने लगता हैं. बिहारी अब वाइब्रटर को बंद कर चुका था.



थोड़ी देर के बाद वो वाइब्रटर राधिका की चूत से बाहर निकल जाता हैं. उसमें राधिका की चूत का रस पूरी तरह लगा हुआ था. फिर जग्गा वो डिल्डो राधिका की ओर ले जाता हैं और उसे अपने मूह में लेने का इशारा करता हैं. राधिका बिना किसी सवाल जवाब के उस डिल्डो को अपने मूह में ले लेती हैं तभी जग्गा उसके मूह के पास आता हैं और डिल्डो का दूसरे सिरे पर अपना जीभ फिराता हैं. ऐसे ही कुछ देर तक एक तरफ राधिका और दूसरी तरफ जग्गा दोनो उसपर लगा राधिका की चूत का पानी को चाटते हैं. फिर वो डिल्डो को वहीं साइड में रख देता हैं और फिर से उसके होंटो को चूसने लगता हैं. राधिका ने तो कभी इस तरह का सेक्स ना ही सुना था और ना ही कभी किया था मगर आज उसके अंदर की हवस इतनी बढ़ चुकी थी कि उसे कुछ सही और ग़लत नहीं लग रहा था...



तभी बिहारी उसके नज़दीक आता हैं और उसके होंटो को फिर से चूसने लगता हैं. जग्गा वहीं दूर हट जाता है इस वक़्त राधिका उन तीनों के बीच घिरी हुई थी. तभी बिहारी अपनी एक उंगली राधिका की चूत में डाल देता हैं और फिर धीरे धीरे उसके बाद बहुत तेज़ी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगता हैं. राधिका के मूह से सिसकारी लगातार निकल रही थी मगर वो अभी तक फारिग नहीं हुई थी. जब राधिका फिर से झरने के एक दम करीब होती हैं तभी बिहारी झट से अपनी उंगली राधिका की चूत से बाहर निकाल लेता हैं. इस बार राधिका की आँखो से आँसू निकल पड़ते हैं और फिर से वो बिहारी के कदमों के पास बैठ जाती हैं....



राधिका- बस करो बिहारी........अब मुझसे सब्र नहीं होता. मेरी चूत में तुम अपना लंड डालकर मेरी जी भर कर चुदाई करो मगर ऐसे ज़ुल्म मुझपर मत करो. मेरा धैर्य और सब्र सब टूट चुका हैं. प्लीज़................आख़िर तुम क्या चाहते हो वो भी तो मुझसे कह कर देख लो अगर मैं तुम्हें इनकार करूँगी तो तुम बेशक मेरे साथ ऐसा भी जुर्म करना............



बिहारी हंसते हुए- वो क्या हैं ना राधिका जब तक मुझे औरत की बेबसी नहीं दिखती मुझे सुकून नहीं मिलता. चल अब तू कह रही हैं तो मैं तेरी चूत की आग ठंडी कर देता हूँ लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा....



राधिका- और क्या चाहिए बिहारी जो तुम चाहते हो वो मैं सब कुछ करूँगी. बस एक बार कह कर देख लो...



बिहारी- ठीक हैं मेरी जान तो सबसे पहले मैं तेरी गान्ड मारूँगा. फिर बाद में तेरी चूत. बोल मंज़ूर हैं. आख़िर मैं भी तो देखूं कि तेरी गान्ड मारने में कैसा मज़ा आता हैं. बोल अपनी गान्ड मरवाएगी ना मुझसे.



राधिका- हां बिहारी मर्वाउन्गि जो तू चाहता हैं वो आज अपनी हसरत पूरी कर ले. मैं तुझे किसी बात के लिए नहीं रोकूंगी.



फिर बिहारी उसके नज़दीक आता हैं और एक उंगली झट से राधिका की गान्ड में डाल देता हैं और फिर तेज़ी से अपने उंगलियों की हरकत करता हैं. राधिका के मूह से फिर से सिसकारी निकल पड़ती हैं और वो भी मज़े से अपनी आँखें बंद कर लेती हैं. फिर बिहारी उसको अपने उपर आने को कहता हैं और राधिका झट से बिहारी के उपर आती हैं और अपनी गान्ड को उसके लंड पर रख देती हैं और आहिस्ता आहिस्ता बैठी चली जाती हैं. तकलीफ़ तो उसे बहुत होती हैं मगर वो नहीं रुकती और जब तक बिहारी का पूरा लंड अपनी गान्ड में नहीं ले लेती तब तक वो उसी तरह बिहारी के लंड पर दबाव बनाए रखती हैं. बिहारी अपने दोनो हाथों से राधिका के बूब्स को थाम लेता हैं और फिर धीरे धीरे उसकी गान्ड मारना शुरू करता हैं. कुछ दर्द और कुछ मज़े का मिला जुला रूप इस वक़्त राधिका अपने अंदर महसूस कर रही थी. फिर वो अपने एक हाथ नीचे अपनी चूत के पास ले जाती हैं और अपनी एक उंगली से अपने क्लिट को मसल्ने लगती हैं
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04-05-2019, 01:12 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
उधेर बिहारी का लंड तेज़ी से आगे पीछे होने लगता हैं और इधेर उसकी हाथ तेज़ी से हरकत करने लगती हैं. विजय और जग्गा अपने हाथों से अपना लंड सहला रहे थे. तभी विजय धीरे धीरे राधिका के पास आता हैं और अपना लंड राधिका के मूह के पास ले जाता हैं. राधिका समझ जाती है कि विजय क्या चाहता हैं. फिर वो बिना रुके झट से विजय के लंड को अपने मूह में ले लेती हैं और धीरे धीरे उसे चूसने लगती हैं. ऐसा पहली बार था कि राधिका आज दो लंड एक साथ अपने गान्ड और मूह में ली हुई थी. धीरे धीरे विजय भी अपने लंड पर दबाव बढ़ाने लगता हैं और कुछ देर में उसका लंड राधिका के हलक में पहुँच जाता हैं. इतनी देर से जग्गा भी खड़ा चुप चाप अपने लंड को हिला रहा था वो भी अब राधिका के पास जाता हैं और अपना लंड सीधा उसकी चूत में डालने लगता हैं. राधिका लंड चूसना छोड़ कर एक नज़र जग्गा की ओर देखने लगती हैं.



वैसे राधिका जानती थी कि इस तरह का सेक्स फ़िल्मो में होता हैं मगर उसे क्या मालून था कि ऐसा सेक्स उसके साथ भी होगा. उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था कुछ एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से और कुछ डर से.. फिर भी वो जग्गा की किसी भी बात का कोई विरोध नहीं करती और धीरे धीरे जग्गा का लंड उसकी चूत में जाना चालू हो जाता हैं. जैसे जैसे लंड उसकी चूत में जाता हैं वैसे वैसे राधिका की चीखें बढ़ती जाती हैं और उसका दर्द भी बढ़ता जाता हैं. थोड़ी देर कोशिश करने के बाद जग्गा अपना लंड पूरा बाहर निकालता हैं और बिना रुके एक ही झटके में अपना लंड पूरा अंदर डाल देता हैं. राधिका की एक ज़ोरदार चीख निकल पड़ती हैं और उसकी आँखें लज़्ज़त से बंद हो जाती हैं.



थोड़ी देर के बाद राधिका की तकलीफ़ अब धीरे धीरे मज़े में बदल जाती हैं. उसकी भी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और एक ही समय पर एक साथ तीन लंड वो अपने अंदर ली हुई थी. उसे तो ऐसा लग रहा था कि वो अब जन्नत में हैं उपर से ड्रग्स और वियाग्रा का नशा पहले से उसपर हावी था. इस समय वो कुछ भी सोचने की स्थिति में नहीं थी. बस कैसे भी करके उसको चूत की आग ठंडी करनी थी और वो इसके लिए आज कितना भी नीचे गिर सकती थी. करीब 10 मिनिट ही बीते होंगे राधिका के अंदर इतनी देर से जो तूफान रूका हुआ था अब वो सैलाब बनकर उमड़ पड़ा था. अब वो अपने चरम सीमा पर थी तभी वो चीख पड़ती हैं और विजय का भी लंड पानी छोड़ देता हैं और उधेर बिहार और जग्गा के लंड से भी एक सैलाब उमड़ पड़ता हैं और तीनों वहीं निढाल होकर उसके उपर पसर जाते हैं और राधिका की चूत के अंदर भी एक लावा बह निकलता हैं जिससे उसकी आँखें बंद हो जाती हैं. जिसके लिए वो इतनी देर से तड़प रही थी. आज उसके अंदर का लावा फुट पड़ा था. वो भी वहीं उन तीनों के साथ धाम से बिस्तेर पर गिर पड़ती हैं. ना जाने कितने देर तक वो ऐसे ही अपनी साँसों को कंट्रोल करने की कोशिश करती हैं.
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04-05-2019, 01:12 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
आज वो जिस अंदाज़ में फारिग हुई थी ऐसा वो कभी नहीं हुई थी. आज उसे मालूम हुआ कि जिस्म की आग इंसान को कितना मज़बूर और लाचार बना सकती हैं. आज भी पहले की तरह राधिका के आँखों में आँसू थे पछतावे के...... मगर आज राधिका खुद इतनी आगे बढ़ चुकी थी की उसका लौटना ना-मुमकिन था. और शायद उसको ये एहसास हो चुका था कि अब वो राहुल के लायक नहीं............बस ऐसे ही कई सारे ख्याल उसके मन में आते हैं मगर अब पछताने से भी क्या होने वाला था. थोड़ी देर के बाद बिहारी जग्गा और विजय फिर से राधिका के साथ चुदाई का खेल खेलते हैं और ऐसे ही ये सब मिलकर बारी बारी से राधिका की चूत गान्ड की रात भर चुदाई करते हैं. राधिका भी उन सब का पूरा साथ देती हैं और पूरा मज़ा लेती हैं. रात भर चुदाई के दौरान राधिका करीब तीन बार फारिग हुई थी.



करीब सुबेह के 5 बजे वो तीनों उठते हैं और वहाँ से अपने कपड़े पहन कर बाहर निकल जाते हैं. राधिका के जिस्म पर अब भी एक कपड़ा इस वक़्त मौजूद नहीं था. वो बिल्कुल नंगी हालत मे अभी भी वहीं बिस्तेर पर लेटी हुई थी. करीब 1 घंटे के बाद उसके कमरे का दरवाज़ा फिर से खुलता हैं और एक शक्श फिर से कमरे में अंदर दाखिल होता हैं. कदमों की आहट सुनकर राधिका की आँखें खुल जाती हैं और वो उस आने वाले शक्ष को बड़े गौर से देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो सख्श अंदर आकर उसके सामने वहीं उसके पास खड़ा हो जाता हैं और बड़े गौर से राधिका को उपर से नीचे तक देखने लगता हैं. राधिका शरामकर अपनी नज़रें नीची कर लेती हैं मगर अपने जिस्म को छुपाने की कोशिश बिल्कुल नहीं करती. उसके हाथों में एक बड़ा सा शौल (चद्दर) था. राधिका बड़े गौर से उस सख्श को देखने लगती हैं. पता नहीं ये शख़्श आख़िर उससे क्या चाहता हैं ना ही उसने कुछ उससे कहा बस एक टक वो राधिका को बड़े गौर से देख रहा था. पता नहीं ये शख़्श उसके लिए मसीहा बनकर आया था या फिर एक दरिन्दा....ये तो आने वाला वक़्त बता सकता था .




राधिका के मन में अभी भी कई सारे सवाल उठ रहे थे कि आख़िर कौन हैं ये आदमी जो इस तरह आकर उसके सामने खड़ा है और क्या उसका भी यही मकसद हैं कि वो भी उसके जिस्म को भोगेगा.... ऐसे ही कई सारे सवाल राधिका के मन में घूम रहे थे. तभी सोच में डूबी राधिका के कानों में उस सख्श की आवाज़ गूँजती हैं जिसे सुनकर वो ख्यालों की दुनिया से बाहर आती हैं...वो शक्श और कोई नहीं बल्कि बिहारी का बहुत पुराना नौकर शंकर था. उसकी उमर करीब 60 साल के आस पास थी. सिर पर हल्के सफेद बाल और चेहरे पर हल्की सफेद दाढ़ी. वो बिहारी का बहुत ही ख़ास नौकर था..



शंकर- बेटी ऐसे क्या मुझे देख रही हो... मैं कोई तुम्हारा दुश्मन नहीं हूँ. ये लो शॉल और अपने नंगे बदन को इससे ढक लो. फिर शंकर वो शॉल राधिका को थमा देता हैं. राधिका एक टक शंकर को देखने लगती हैं फिर वो शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं.



राधिका- कौन हैं आप और इस तरह से मेरे लिए इतनी हमदर्दी किस लिए और मैं तो आपको जानती भी नहीं???



शंकर वहीं राधिका के पास बिस्तेर पर बैठ जाता हैं और अपने हाथों से बड़े ही प्यार से राधिका के सिर पर फिराने लगता हैं- मुझे ग़लत मत समझना बेटी. मेरा नाम शंकर है और मैं बिहारी का पुराना नौकर हूँ. बरसो से यहाँ पर रहकर इस घर की सेवा की हैं. तुम मुझे नहीं जानती मगर मैं तुम्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ. तुम्हारा नाम राधिका हैं ना....



राधिका सवाल भरे नज़रे से फिर से शंकर को देखने लगती हैं- क्या मैं पूछ सकती हूँ कि आप को मुझसे इतनी हमदर्दी क्यों हैं. अगर आपको मेरा जिस्म चाहिए तो आप बे-झीजक मुझसे कह सकते हैं. मैं आपको मना नहीं करूँगी जो आपका दिल करे मेरे साथ कर लीजिए. आख़िर अब मुझे क्या फ़र्क पड़ेगा चाहे एक के साथ सोयूँ या...... दस के साथ. अब तो मैं एक रंडी बन ही चुकी हूँ..मेरे माथे पर तो कलंक का टीका लग ही चुका हैं. थोड़ा सा और नीचे गिर जाने से मुझे अब कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा....चिंता मत करो काका आपकी जो इच्छा हो मुझे बता दो मैं उसे ज़रूर पूरा करूँगी....
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04-05-2019, 01:13 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
शंकर- बेटी तुम मुझे ग़लत समझ रही हो. मेरा इरादा तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ नहीं हैं. आख़िर तुम मेरी बेटी जैसी हो..



राधिका- बेटी जैसी हूँ पर आपकी बेटी तो नहीं... काका बहुत फ़र्क होता हैं अपनों में और गैरों में. इंसान चाहे लाख कोशिश क्यों ना कर ले फिर भी वो दूसरों की बहू बेटी को बुरी नज़र से देखने से अपने आप को नहीं रोक सकता..ये जिस्म का नशा और ये हवस में इंसान सब कुछ भूल जाता हैं.



शंकर- मैं जानता हूँ बेटी कि जो कुछ तुम्हारे साथ हुआ वो बहुत ग़लत हुआ. और बिहारी ने तुम्हारी हँसती खेलती ज़िंदगी तबाह कर दी. उसकी तरफ से मैं तुमसे माफी माँगता हूँ. वो जैसा दिखता हैं वो ऐसा हैं नहीं.. बस उसकी संगत ग़लत हैं इस वजह से वो आज सच झूट में फ़ैसला नहीं कर पा रहा ...मैं उससे इस बारे में बात करूँगा वो मेरी बात कभी नहीं टालेगा.. क्यों कि वो मुझे आपने बाप के समान मानता हैं.



राधिका- नहीं काका अब शायद बहुत देर हो चुकी हैं. मैं अब इस बारे में कोई भी बात नहीं करना चाहती... आप हो सके तो यहाँ से चले जाइए. मेरा अब इंसानियत से भरोसा उठ गया हैं. ज़िंदगी में मेरे भावनाओं के साथ बहुत खिलवाड़ किया गया. आब मुझ में ताक़त नहीं कि मैं और कोई भी सदमा बर्दास्त कर पाऊ..आब शायद मेरे दिल में भरोसे नाम की अब कोई जगह नहीं...



शंकर राधिका के कंधे पर अपने हाथ रख देता हैं - बेटी एक बार बस मुझपर भरोसा करके देखलो मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि मैं तुम्हारा भरोसा कभी नहीं तोड़ूँगा.



राधिका- काका मैं इन सब की वजह जान सकती हूँ कि आप मुझपर इतनी दया क्यों दिखा रहे हैं..भला आपसे मेरा क्या संबंध हैं???



शंकर- संबंध...........वही संबंद हैं बेटी जो एक बाप का अपनी बेटी से होता है. तुझमें मुझे अपनी बेटी नज़र आती हैं. वो भी तेरी ही तरह थी मासूम.... मगर उसकी मासूमियत इस दुनिया को देखी नहीं गयी इसलिए शायद अब वो भी मुझे छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए मुझसे दूर चली गयी...



राधिका- दूर चली गयी ..........कहाँ ???



शंकर- वहीं जहाँ से कोई दुबारा लौट कर नहीं आता... और इतना कहते कहते शंकर की आँखों में आँसू निकल पड़ते हैं..



राधिका- क्या हुआ काका आपकी आँखों में आँसू... क्या हुआ आपकी बेटी को..और ये सब कैसे???



शंकर- रहने दे बेटा जो अब इस दुनिया में हैं ही नहीं भला उस के बारे में जानकार क्या हासिल होगा...



राधिका- अगर आप मुझे अपनी बेटी समझते हैं तो बताइए मुझे कि आपकी बेटी के साथ क्या हुआ था??



शंकर कुछ देर सोचता हैं फिर बोलना शुरू करता हैं- बात 4 साल पहले की हैं मेरी बेटी का नाम पूजा था. वो भी करीब 20 साल की थी बिल्कुल तेरे जैसी. खूबसूरत और चुलबुली. हमेशा जब देखो तब बक बक करती रहती थी. जब वो 19 साल की हुई तो उसने इंटर पास की. पूजा की मा तो उसे आगे पढ़ाना नहीं चाहती थी मगर मेरी ज़िद्द की वजह से उसे झुकना पड़ा. फिर मैने बिहारी से कुछ पैसे उधार लिए और उसकी फीस भरी और उसका दाखिला कॉलेज में करवा दिया. कुछ दिन तक तो सब ठीक से चलता रहा मगर एक दिन उसको कुछ बदमाशों ने उसके साथ बदतमीज़ी कर दी. बस वो भी चुप नहीं बैठने वाली थी और सीधा जाकर पोलीस में उनके खिलाफ कंप्लेंट कर दी. बस उन बदमाशों को दो दिन की सज़ा मिली और तीसरे दिन उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया.
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04-05-2019, 01:13 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
ऐसे ही कुछ दिन और बीते और एक दिन वही हुआ जिसका मुझे डर था. एक दिन उन सब लोगो ने मेरी बेटी को कॉलेज से ही उठवा लिया और उसको एक सहर के बाहर फार्म हाउस पर लेजा कर उन चारों ने उसके साथ ................मेरी बेटी को कहीं का नहीं छोड़ा. और वो बहुत देर तक वहीं पड़ी रोती रही और अपनी रहम की भीख मांगती रही मगर उन दरिंदों को ज़रा भी उसपर दया नहीं आई..आख़िरकार उसने अपने आप को ख़तम कर दिया..मैं उस दिन बहुत रोया था मगर मैने भी उन लोगों को सज़ा दिलवाने का फ़ैसला कर लिया. मैं कितनी बार क़ानून और वकीलों के चक्कर काटता रहा मगर किसी ने मेरी एक ना सुनी. फिर मैने ये सारी बातें बिहारी से कही और दूसरे ही दिन बिहारी ने उन चारों को मेरे कदमों में उनकी लाशें बिछवा दी. उस दिन से मेरे दिल में बिहारी के लिए इज़्ज़त और बढ़ गयी. बस इस वजह से बिहारी भी मुझे अपने बाप की तरह मानता हैं और मेरी बात को वो कभी मना नहीं करता..



राधिका - जो कुछ हुआ पूजा के साथ वो ठीक नहीं हुआ काका. ये दुनिया ऐसी ही हैं..



शंकर- हां बेटी किस्मेत की लकीरों को कौन बदल सकता हैं. बस उसी दिन के बाद से मेरे अंदर का आदमी हमेशा हमेशा के लिए मर गया और आज मेरे दिल में किसी भी लड़की या औरत के प्रति कोई बुरा ख्याल नहीं आता और ना ही मैं इन सब के बाते में कभी सोचता हूँ. क्यों कि हर मासूम लड़की में मुझे अपनी बेटी की तस्वीर नज़र आती हैं..तुम्हें भी मैने आज बिन कपड़ों के देखा मगर एक भी पल के लिए मुझे तुम्हारे प्रति कोई ग़लत भावना नहीं आई. और तुम में मेरी बेटी की छवि मुझे दिखाई देती हैं.



राधिका- लेकिन काका अब तो बहुत देर हो चुकी हैं. अब मेरा वापस लौटना दुबारा ना-मुमकिन हैं. मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए. मैं यू ही ठीक हूँ..



शंकर उठकर दूसरे कमरे में जाता हैं और थोड़ी देर के बाद वो वापस आता हैं. उसके हाथ में गरम पानी और साथ में कॉटन का एक कपड़ा था. फिर वो आकर वहीं राधिका को ज़मीन पर बैठने का इशारा करता हैं.



शंकर- बेटी मैं जानता हूँ कि इन सब लोगो ने तेरे साथ रात भर तेरे जिस्म को नोचा हैं. और मैने तेरी चीखने की आवाज़ रात भर सुनी हैं. तू भले ही कितना मुझसे छुपा ले मगर मैं जानता हूँ कि तेरे बदन में तकलीफ़ हैं. अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो मैं तुम्हारे बदन की सिकाई कर देता हूँ जिससे तुम्हें बहुत आराम मिल जाएगा ..अगर मुझपर भरोसा हो तो..



राधिका एक नज़र शंकर की ओर देखती हैं फिर वो अपने जिस्म से शॉल अलग कर देती हैं. फिर से वो पूरी नंगी हालत में शंकर के सामने वहीं फर्श पर अपनी आँखें बंद कर लेट जाती हैं. शंकर भी अपनी आँखें बंद कर लेता हैं और थोड़ी देर तक वो राधिका के बदन की सिकाई करता हैं. और गरम पानी से उसके बदन को पोछता हैं. राधिका को उससे काफ़ी राहत मिलती हैं. फिर वो वहीं रखा शॉल अपने जिस्म पर ओढ़ लेती हैं. और शंकर उसे एक पेन किल्लर दवाई देता हैं. और साथ में दूध में हल्दी मिलाकर उसे पीने को कहता हैं.



शंकर- तू बहुत थक गयी होगी बेटी. तू थोड़ी देर आराम कर ले मैं तेरे लिए जाकर खाना बना देता हूँ फिर जब तेरी नींद खुलेगी तो तू उठ कर खाना खा लेना. और फिर शंकर वहाँ से उठ कर कमरे के बाहर निकल जाता हैं...



राधिका बड़े गौर से उस बूढ़े शंकर को जाता हुआ देख रही थी..आज राधिका के दिल में उस शंकर काका के प्रति प्यार उमड़ पड़ा था. आज उसे एक सच्ची इंसानियत का उदाहरण के रूप में उसे शंकर काका मिले थे.. अब देखना ये था कि वो वहाँ पर राधिका की उन सब से कैसे उसकी रक्षा करते हैं.
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04-05-2019, 01:13 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
वक़्त के हाथों मजबूर--42





थोड़ी देर के बाद राधिका फ्रेश होकर वहीं बिस्तेर पर सो जाती हैं और करीब शाम 4 बजे उसकी नींद खुलती हैं. तभी शंकर काका फिर से कमरे में आते हैं और उसके लिए खाना लेकर आते हैं. राधिका बिना कुछ कहें चुप चाप खाना खाने लगती हैं और कुछ देर के बाद शंकर काका वो बर्तन उठा कर किचन में ले जाता हैं..बर्तन धोने के बाद शंकर काका फिर से राधिका के पास आते हैं ..



शंकर- बेटी अब तुम्हें कैसा लग रहा हैं..



राधिका एक टक शंकर की ओर देखती हैं और धीरे से मुस्कुरा देती हैं- मैं ठीक हूँ काका..



शंकर- ठीक हैं बेटी मुझे और भी काम हैं शाम को मालिक आएँगे तो मैं उनसे तुम्हारे बारे में बात करूँगा. मुझे यकीन हैं कि वो मेरी बात कभी नहीं टालेंगे.. राधिका कुछ नहीं कहती और बस बड़े प्यार से शंकर काका को देखने लगती हैं. थोड़ी देर के बाद वो अपना बॅग खोलती हैं और उसमें अपनी डायरी निकाल कर लिखने बैठ जाती हैं. ये उसकी रोज़ की हॅबिट थी डायरी लिखना. वो सारी बातें जो कुछ भी उसके साथ हुई थी वो सब चीज़ उस डायरी में लिखती हैं. करीब 5.30 बजे के आस पास वो अपनी डायरी ख़तम करती हैं और फिर कमरे में बिहारी, जग्गा और विजय अंदर आते हैं.



बिहारी- कैसी हैं मेरी जान. नींद पूरी हुई कि नहीं. आज भी तुझे पूरी रात जागना हैं. अगर नहीं सोई है तो जा कर थोड़ी देर सो ले.. फिर हम तुझे रात भर सोने नहीं देंगे.. राधिका कुछ नहीं कहती और फिर बिहारी और वो दोनो कमरे से बाहर निकल जाते हैं.



बिहारी सीधे शंकर काका के पास जाता हैं- काका राधिका ने कुछ खाया हैं कि नहीं.



शंकर- मलिक अभी थोड़ी देर पहले मैने उसे खाना दिया था.



बिहारी- ठीक हैं आज भी खाने में चिकन ही बनाना हैं आपको....



शंकर- मालिक मुझे आपसे कुछ बात कहनी थी.. अगर आप बुरा ना माने तो मैं कहूँ????



बिहारी- हां शंकर काका बोलो क्या बात हैं..



शंकर- मालिक मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ पर कहना तो नहीं चाहता मगर बड़ी हिम्मत जुटा कर आपसे ये बात कह रहा हूँ..ये आप ठीक नहीं कर रहें हैं. उस मासूम लड़की के साथ बहुत ग़लत हो रहा हैं. बस मुझे आपसे यही गुज़ारिश हैं कि आप उसे यहाँ से आज़ाद कर दें. वो तो आपकी बेटी समान हैं.



बिहारी- तुम किसकी बात कर रहे हो काका. मैं कुछ समझा नहीं???



शंकर- मालिक मैं राधिका की बात कर रहा हूँ जो इस वक़्त आपके पास हैं.



बिहारी- काका आपको कोई हक़ नहीं बनता कि आप मेरे निज़ी मामले में दखलअंदाजी करें. मैं उस लड़की के साथ कुछ भी करूँ इसी आपको कोई लेना देना नहीं हैं. ये मत भूलिए कि आप इस घर के नौकर हैं और मैं आपका मालिक.. मुझे तुम्हारे सलाह मशवरे की ज़रूरत नहीं हैं. और आपके लिए भी ये अच्छा होगा कि आप अपने काम से काम रखें.



शंकर- छोटा मूह और बड़ी बात मगर इसमें मेरा कोई स्वार्थ नहीं हैं मालिक. मैं जो कुछ भी कह रहा हूँ वो आपकी भलाई के लिए कह रहा हूँ. कहीं ऐसा ना हो कि उस लड़की की वजह से आपका वजूद मिट जाए. इतिहास गवाह हैं .......सदियों से इस संसार में जितने भी धर्म युद्ध हुए हैं उन सब की वजह औरत ही रही हैं..सतयुग में रावण ने सीता का हरण किया था तो भगवान राम ने रावण की लंका जलाकर राख की थी. उसी तरह महाभारत भी होने के पीछे औरत ही वजह थी ना द्रौपदी का चीर हरण होता और ना ही कौरवों का विनाश होता... जो बरसों से चली आ रही अधर्म पर धर्म की जीत .मालिक उसे तो नहीं बदला जा सकता..
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04-05-2019, 01:13 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
शंकर की बातो को सुनकर बिहारी गुस्से से चीख पड़ता हैं- शंकर तुम अपनी हद्द भूल रहे हो. तुम्हें पता भी हैं तुम किससे बात कर रहे हो. मैं इस सहर का एमएलए हूँ. आज मेरे हाथ में पॉवर हैं दौलत हैं रुतबा हैं.. मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. तुम्हें क्या लगता हैं कि वो दो टके की लौंडिया मेरा वजूद को मिट्टी में मिला पाएगी. और उसका वो आशिक़ राहुल भले ही वो आज एसीपी बन गया हो मगर रहेगा तो मेरी ही अंडर में ना. और रही बात सतयुग और द्वापर्युग की तो उस समय की बात अलग थी. देवताओं ने भी चाल से ही रक्षासों पर जीत हासिल किया था. और आज कलयुग हैं. जीत यहाँ पर हिंसा और अधर्म की होती हैं. ना की ईमानदारी और सत्य की..



इस युग में मैं आज का रावण हूँ और मैने इस राधिका नाम की सीता को पूरी तरह से गंदा कर दिया हैं. अब तो वो बेचारी उस राम की होने से रही. और वैसे भी अब उसका आशिक़ उसे किसी भी हाल में नहीं अपनाएगा.. तुम चिंता मत करो काका इस युग में जीत मेरी ही होगी. ये बिहारी पूरे दावे से कह सकता हैं...



शंकर- मालिक ठंडे दिमाग़ से एक बार मेरी बातो को सोचकर देखिएगा. शायद आपको मेरी बातो में थोड़ी सी भी सच्चाई नज़र आयें...तो मैं उन सब से आपके किए की माफी माँग लूँगा.



बिहारी- तेरा दिमाग़ फिर गया हैं काका. अब तू भी बूढ़ा हो चुका हैं. ऐसा कर दो चार दिन की छुट्टी लेकर अपने घर चल जा.. जब थोड़ा तेरा दिमाग़ सही हो जाए तो फिर वापस आ जाना. फिर बिहारी तेज़ी से कमरे के बाहर निकल जाता हैं और शंकर चुप चाप बिहारी को देखने लगता हैं..



मालिक आप मानो या ना मानो पर मैने उस मासूम के आँखों में दर्द और तड़प देखी हैं. अगर किसी औरत की हाय लगती हैं तो उसका विनाश होना तय हैं. पर आपको कौन समझायें. आप खुद अपनी बर्बादी की राह पर जा रहें हैं..मैं तो ईश्वार से यही दुवा करूँगा कि आपको समय रहते आप सम्भल जायें... इसी तरह के विचार इस वक़्त शंकर के मन में आ रहें थे...



उधेर आभी भी बिहारी इस वक़्त गुस्से में था वो तुरंत राधिका के पास जाता हैं और उसके सिर के बाल को कसकर पकड़कर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भींच लेता हैं और एक ही झटके में उसके बदन से लिपटा शॉल खींच कर अलग कर देता हैं. राधिका के मूह से दर्द भरी चीख निकल पड़ती हैं. फिर बिहारी राधिका के गाल पर दो तीन थप्पड़ कस कर जड़ देता हैं... राधिका की आँखों से आँसू आ जाते हैं. बिहारी के बदले तेवर को वो बिल्कुल समझ नहीं पाती कि क्यों बिहारी उसके साथ ऐसे पेश आ रहा हैं.



बिहारी- अब तक मैं तेरे साथ नर्मी से पेश आ रहा था क्यों कि मैं तुझे कोई तकलीफ़ नहीं पहुँचाना चाहता था. मगर आज तूने मुझे मज़बूर कर दिया हैं मुझे दरिन्दा बनने के लिए. देख आज मैं तेरा क्या हाल करता हूँ.



राधिका- आख़िर मेरा कसूर क्या हैं. मैने क्या बिगाड़ा हैं तुम्हारा जो तुम मेरे साथ ऐसे पेश आ रहे हो.



बिहारी- रंडी कहीं की..... अगर तुझे मेरी शर्त मंज़ूर नहीं थी तो तूने शंकर काका से मुझसे सिफारिश क्यों करवाई. कल तो तू मुझसे कह रही थी कि मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी तो फिर एक ही रात में तेरा सारा नशा कैसे उतर गया. अभी चिंता मत कर अभी पूरे 6 दिन बचे हैं इन 6 दिनों में तेरा वो हाल करूँगा कि तू हर रोज़ अपनी मौत की मुझसे भीख माँगेगी...मगर तू चाह कर भी नहीं मर सकेगी. फिर बिहारी झट से अपने कपड़े निकालने लगता हैं और एक एक कर अपने पूरे कपड़े उतार देता हैं. फिर वो राधिका के पास आता हैं और फिर से उसके सिर के बाल को अपनी मुट्ठी में कसकर भीच लेता हैं. राधिका दर्द से फिर से चीख पड़ती हैं. तभी बिहारी अपना पूरा लंड एक ही झटके में राधिका के मूह में डाल देता हैं और बिना रुके अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता हैं.



बिहारी का लंड करीब पूरा राधिका के हलक में समा गया था और बिहारी बहुत तेज़ गति से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था और साथ ही साथ उसके बालो को भी अपनी मुट्ठी में जकड़ा हुआ था. राधिका की आँखो में आँसू थे मगर वो इस वक़्त पूरी तरह बेबस थी. इसी तरह बिहारी एक झटके में अपना लंड बाहर निकालता हैं और उतनी ही तेज़ी से फिर से राधिका के हलक में फिर से पूरा लंड डाल देता हैं और इस बार तब तक पीछे नहीं हटता जब तक उसका कम राधिका के गले ने नीचे नहीं उतर जाता. फिर से राधिका एक बार तड़प उठती हैं.



फिर वो झट से राधिका से दूर हो जाता हैं और वहीं रखा टवल लपेटकर बाथरूम में घुस जाता हैं.. राधिका की आँखों में इस वक़्त भी आँसू थे. वो तो ये भी नहीं जानती थी कि शंकर काका और बिहारी में ऐसी क्या बातें हुई हैं जो बिहारी आज इतने गुस्से में हैं. और उसने तो कोई सिपराश नहीं की थी बिहारी से ...तो फिर क्या शंकर काका ने ही उसकी रिहाई की बात उससे की थी. इसी तरह सवालों में उलझी राधिका ना जाने कितनी देर तक रोती रहती हैं. आज उसका दर्द समझने वाला कोई नहीं था.आज वो इन सब दरोंदों के बीच बिल्कुल अकेली थी.........................एक दम अकेली.........
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