Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
12-25-2018, 01:10 AM,
#31
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
जैसे ही में कंपनी के हॉल की तरफ गया तो देखा शैली आई हुई थी, में शैली को देख कर चोंक गया और शैली भी मुझे देखकर चोंक गई, शैली मेरे पास आई ।
शैली-"अरे सूरज तूम यहां क्या कर रहे हो, इसी कंपनी में नोकारी करते हो क्या तुम" शैली ने जैसे ही मुझे सूरज बोला तो में डर गया की तान्या या कोई और न सुन ले, क्योंकि में इन सबके लिए तो सूर्या था।
सूरज-" हाँ शैली दीदी,में यहीं नोकारी करता हूँ,लेकिन आप यहाँ क्या कर रही हो" 

शैली-" मेरे डेड भी बड़े बिजनेस मैन हैं, टेंडर किस कंपनी को मिलेगा यह मेरे डेड ही तय करेंगे" जैसे ही मैंने यह सूना,मेरी आधी परेसानी तो दूर हो गई।
सूरज-" अरे वाह्ह शैली दीदी यह तो बहुत अच्छी बात है, दीदी दो मिनट मेरी बात सुनो" सूरज शैली को अलग जगह लेकर जाता है ।
शैली-"क्या बात है सूरज, क्या यहीं पर गेम सुरु करेगा,वैसे भी काफी दिन से तू आया नहीं है मेरे पास,और हाँ तेरी तनु दीदी को पता नहीं क्या हो गया,वो भी काफी दिन से नहीं आई है" 
सूरज-"अरे दीदी पहले मेरी जरुरी बात सुनो,यह टेंडर सूर्या कंपनी को ही मिलना चाहिए, शैली दीदी प्लीज़ आप अपने डेडी से कह कर यह टेण्डर दिलाओ" सूरज ने हाथ जोड़कर यह बात बोली, जब सूरज शैली के हाँथ जोड़ कर टेंडर की बात कर रहा था उसी दौरान कंपनी की मेनेजर गीता यह बात सुन लेती है और देख भी लेती है।
शैली-"तुम सूर्या कंपनी के लिए इतनी विनती क्यूँ कर रहे हो,सूर्या कंपनी की हेड तान्या तो बहुत अकड़ू टायप की लड़की है डेडी कभी उसके लिए राजी नहीं होंगे,तुम कैसे नोकारी कर लेते हो इस कंपनी में" 
सूरज-"प्लीज़ शैली दीदी आप कोसिस करो, बाकी की बात बाद में बताऊंगा आपके लिए,मीटिंग सुरु होने बाली है" सूरज बहुत मिन्नत करता है ।
शैली-"okk सूरज में डेडी से बोलती हूँ,लेकिन मुझे क्या मिलेगा इसमें" 
सूरज-"दीदी आप जो बोलो" 
शैली-" मुझे सिर्फ तेरा साथ चाहिए सूरज,समझ ले टेंडर मिल गया" शैली हँसते हुए वादा करती है, टेंडर की मीटिंग सुरु हो चुकी थी ।
सभी कंपनी के मालिक अपना अपना पक्ष मजबूती के साथ रखते हैं, शैली अपने डेडी के कान में कुछ बोलती है,सूरज समझ जाता है, शैली के डेडी टेण्डर सूर्या कंपनी को दे देते हैं ।
तान्या यह सुनकर बहुत खुश हो जाती है,सूरज भी तान्या को खुश देखकर आज बहुत खुश था,लेकिन अन्दर ही अंदर दुखी भी था। मीटिंग ख़त्म होते ही सब लोग चले जाते हैं ।शैली सूरज को मिलने के लिए कह कर जाती है ।
सूरज गुमसुम सा अपने केबिन में बैठा था तभी गीता मेनेजर आती है ।
गीता मेनेजर-'सूर्या सर आपको ख़ुशी नहीं हुई की टेंडर आपकी कंपनी को मिला है" 
सूरज-"में तो बहुत खुश हूँ गीता जी और तान्या दीदी भी आज बहुत खुश हैं" 
गीता-" यह ख़ुशी सिर्फ आपकी बजह से मिली है तान्या जी को,मैंने सब देख लिया था और सुन भी लिया था की आप शैली जी से टेंडर के लिए विनती कर रहे थे,यह ख़ुशी सिर्फ आपके कारण मिली है तान्या जी को,यह बात उनको पता नहीं है" 
सूरज-" ओह्ह गीता जी आपको सब पता चल गया,आप यह बात किसी को बताना नहीं प्लीज़"
गीता-"नहीं सर आप बेफिक्र रहिए,में किसी को नहीं बताउंगी" यह कह कर गीता चली जाती है।तभी सूरज का फोन बजता है,पूनम दीदी की कॉल आ रही ।
सूरज-" हेलो हाँ दीदी बोलो" 
पूनम-"सूरज कहाँ पर है तू"
सूरज-"दीदी कंपनी में ही हूँ बोलो क्या हुआ" 
पूनम-"सूरज में डेल्टा मॉल में हूँ,फ्री हो तो आजा,
सूरज-"दीदी अब बिलकुल फ्री ही हूँ, रुको आ रहा हूँ" सूरज गाडी लेकर डेल्टा मोल में पहुचता है । जैसे ही केन्टीन के पास पहुँचा पूनम दीदी मेरे पास आई भागती हुई ।
पूनम-"आ गया मेरा भाई,पहली बार इस मॉल में आई हूँ सोचा तुझे बुला लू,तनु कॉलेज चली गई है किसी काम से" 
सूरज-"कोई नहीं दीदी,क्या खरीदना है आपको खरीद लो" 
पूनम-"भाई मुझे तो सिर्फ यह मॉल देखना था इसलिए स्कूल से यहीँ आ गई,चलो घूमते हैं" पूनम और सूरज जैसे ही मॉल की तरफ जाते हैं तभी शिवानी की नज़र सूरज पर पड़ती है, शिवानी को यकीन नहीं हो रहा था की सूर्या अभी तक जिन्दा है।शिवानी गुस्से आग बबूला होकर सूर्या के पास आती है,पूनम और सूरज से सामने गुस्से से देखती हुई बोलती है ।
शिवानी-" मैंने तो सोचा था की तू मर गया होगा, लेकिन तू अभी भी जिन्दा है, मेरे भाई शंकर को यदि में अभी बता दू की तू जिन्दा है तो तेरे टुकड़े टुकड़े कर देंगे" सूरज बड़ी गौर से देखता है की यह कौन बला आ गई है,कहीं देखा तो है लेकिन कहाँ देखा यह बात भूल गया सूरज,लेकिन जैसे ही शिवानी ने शंकर भाई का नाम लिया सूरज तुरंत पहचान गया की यह शिवानी है जिसे सूर्या ने प्यार का झूठा नाटक कर इसके साथ सम्भोग किया था ।
इधर पूनम भी हैरान थी की यह लड़की सूरज के बारे में क्या बोल रही है ।

शिवानी-"क्या हुआ मुह बंद हो गया तेरा,मेरी ज़िन्दगी तो तूने बरबाद कर दी अब क्या इस लड़की के साथ भी तू खिलबाड़ करेगा,जो तूने मेरे साथ किया था सूर्या" जैसे ही पूनम यह बात सुनती है तो हैरत में पड जाती है,और सोचती है की शायद यह लड़की गलत फहमी में है,
पूनम-'कौन हो आप और क्या बक बक किए जा रही हो" 
सूरज-"शांत हो जाओ दीदी इन्हें बोल लेने दीजिए" 
पूनम-"क्या भाई यह लड़की कितनी देर से आपके लिए अनाप सनाप बोल रही है और आप चुप हो" शिवानी हैरत में थी की यह कौनसी बहन है सूर्या की और सूर्या इतना खामोस क्यूँ है।
शिवानी-"ओ मेडम यह अच्छा लड़का नहीं है,तुम्हे नहीं पता इसने मेरे साथ क्या किया" 
सूरज-"प्लीज़ आप लोग शांत हो जाओ, दीदी आप चलो यहां से" सूरज को डर था की पूनम को और शिवानी को सूरज और सूर्या की हक़ीक़त न पता चल जाए इसलिए पूनम को वहां से ले जाता है ।
पूनम का मूड ऑफ हो जाता है,सूरज का मूड तो पहले से ही ऑफ था ।
पूनम सोच रही रही सूरज ने उस लड़की को कोई जवाब क्यूँ नहीं दिया,क्या सूरज कुछ मुझसे छुपा रहा है ।गाँव से शहर आने के बाद सूरज के पास पैसा गाडी और घर मिलना,सूरज जरूर कोई राज छिपा रहा है मुझसे ।
पूनम-'सूरज एक बात पूछु,सच सच बताएगा?" सूरज समझ जाता है की दीदी के दिमाग में वाही लड़की घूम रही है ।
सूरज-"हाँ दीदी बोलो" 
पूनम-"तू इस लड़की को जानता है क्या"
सूरज बहुत सोचते हुए हाँ बोलता है ।
पूनम-"इसका मतलब वो लड़की ठीक कह रही थी की तूने उसकी ज़िन्दगी खराब की है" 
सूरज-"नहीं दीदी मैंने उसकी ज़िन्दगी खराब नहीं की है" 
पूनम-"ओह्ह्ह फिर वो कौन थी और तुझे सूर्या कह कर क्यूं बुला रही थी,सूरज तू मुझसे कुछ तो छुपा रहा है, क्या बात है सूरज" अब सूरज फस चुका था, झूठ के साहरे चल रही ज़िन्दगी में एक तूफ़ान सा आ गया था ।
सूरज-"दीदी समय आने पर आपको सब बता दूंगा"
पूनम-"नहीं सूरज आखिर क्या बात है,में तेरी बहन हूँ,मुझे बताने में तुझे क्या परेसानी है,कहीं तू कुछ गलत काम तो नहीं कर रहा है" पूनम को डर था की कहीं सूरज शहर में आकर गलत कार्य तो नहीं करने लगा।
सूरज-"दीदी आपका भाई कभी कोई गलत काम नहीं कर सकता है,मेरा विस्वास करो" 
पूनम-"फिर ऐसी क्या बात है की तू मुझे अपनी हर बात बताने में जिझक रहा है, बोल सूरज क्या बात है?" पूनम की आँखों में हलके आंसू छलक आए ।सूरज पर यह देखा नहीं गया ।
सूरज-"दीदी प्लीज़ आप परेसान मत हो,में आपको सब बता दूंगा" 
पूनम-'मुझे अभी जानना है सूरज" 
सूरज-"दीदी आप वादा करो की किसी को बताओगी नहीं,माँ और तनु को भी नहीं"
पूनम-"वादा करती हूँ मेरे भाई,किसी को नहीं बताउंगी" 
सूरज-"दीदी जब हम लोग गाँव से इस शहर में आए,तब इसी मंदिर में एक औरत को कुछ गुंडे मारने आए,मैंने उस संध्या नाम की औरत को बचा लिया,उस औरत का लड़का सूर्या जो मेरी तरह हमसकल था उसको शंकर डॉन ने मार दिया,क्योंकि अभी जो लड़की मिली थी उसको सूर्या ने धोका दिया"सूरज सारी बात बता देता है,की कैसे वो सूरज की जगह सूर्या बना,संध्या माँ और तान्या दीदी के बारे में बताता है और शिवानी को धोका दिया सूरज ने,चुदाई और आज मधु को लेकर संध्या का गुस्सा होना यह नहीं बताता है,बाकी हर सामान्य बात बता देता है ।
पूनम-" ओह्ह सूरज,अब ये शिवानी कहीं तुम्हे सूर्या समझ कर फिर से हमला न करबा दे तुम पर" 
सूरज-"दीदी में शिवानी और उसके भाई शंकर से बात करूँगा,मुझे सूर्या के परिवार की रक्षा करनी है दीदी,संध्या माँ मुझे बहुत प्यार करती है"
पूनम-" सूरज अगर उनको पता लग गया की तू सूर्या नहीं सूरज है फिर क्या होगा" 
सूरज-"दीदी जो होगा वो देखा जाएगा" 
पूनम को सारी सच्चाई सुनकर सूरज पर गर्व होता है ।
पूनम-"सूरज तू बाकई में सबका रखबाला है,मुझे तुझ पर गर्व है" 
पुनम सूरज को गले लगा लेती है ।
सूरज-"दीदी किसी को बताना नहीं प्लीज़,यह राज हम दोनों के बीच में ही रहना चाहिए" 
पूनम-"फ़िक्र मत कर सूरज,लेकिन तू मुझसे एक वादा कर अबसे तू हर बात मुझे बताएगा" 
सूरज-"ठीक है दीदी,अब चलो दीदी,घर चलते हैं,भूक लगी है आज सुबह से कुछ खाया नहीं है" 
पूनम-" चलो भाई,तनु भी घर पहुँच गई होगी"दोनों भाई बहन गाडी में बैठते हैं तभी सूरज के फोन पर शिवानी की कॉल आती है,सूरज नहीं पता था की कल जिनकी जान बचाई वह शिवानी के भाई शंकर की पत्नी और बच्चे थे और शिवानी भी नहीं जानती थी जिसको फोन मिलाया वो सूरज उर्फ़ सूर्या ही था ।
शिवानी-"हेलो सर कैसे हो आप" 
सूरज-"में ठीक हूँ मेडम आप कैसी हो, आपकी भावी और बच्चे कैसे हैं"
शिवानी-"सर क्या आप आज हमारे घर आ सकते हो खाने पर, मेरे भाई आपसे मिलना चाहते हैं" 
सूरज-"मेडम जी में जरूर आऊंगा मिलने,इ अभी डेल्टा मॉल पर हूँ,यहां से कितनी दूर है आपका घर"
शिवानी-"ओह्ह्ह आप डेल्टा मॉल पर हैं में भी वहीँ पर हूँ,किधर हैं आप,केन्टीन की तरफ आइए,में वही आपसे मिलूंगी प्लीज़"शिवानी बहुत उत्सुक थी सूरज से मिलने के लिए ।
सूरज पूनम को कल कार के एक्सिडेंट के बारे में बता देता है,की कैसे उसने एक औरत और दो बच्चों की जान बचाई,अब वो लड़की सूरज से मिलना चाहती है, 
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12-25-2018, 01:10 AM,
#32
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सूरज और पूनम दोनों केन्टीन की तरफ जाते हैं इधर उधर देखने पर सूरज को फिर से शिवानी दिखाई दे जाती है, 
शिवानी सूरज को देख कर फिर से उसके पास आती है।

शिवानी-" तू फिर से आ गया,रुक में अपने भाई को फोन करती हूँ" 
शिवानी गुस्से में अपने भाई शंकर को फोन करके सारी बात बता देती है की सूर्या जिन्दा है और मॉल में है, सूरज और पूनम केन्टीन में जाकर बैठ जाते हैं और दोनों उस लड़की का इंतज़ार करने लगते हैं अब उन दोनों को क्या पता जिस लड़की से मिलने आएं हैं बही लड़की मुसीबत बनेगी,10 मिनट के अंदर शंकर और उसके साथ 6-7गुंडे आ जाते हैं। 
शंकर जैसे ही सूर्या को देखता है बुरी तरह से मुह बनाता है गुस्से में उसकी आँखे लाल पड़ जाती हैं ।
पूनम घबरा जाती है ।सूरज शांत होकर पहली बार शंकर नाम के डॉन को देख रहा था ।
शंकर-"कमीने मैंने तो सोचा तू मर गया होगा,लेकिन तू फिर लौट आया,अब तेरी लाश यहां से जाएगी" शंकर और उसके आदमी सूरज को घेर लेते हैं ।
शंकर सूरज का गला पकड़ लेता है, 
शंकर-"पिटर,कालिया इसको गाडी में डालकर हवेली ले चलो" पूनम रोने लगती है, सभी गुंडे सूरज को पकड़ कर गाड़ी में डाल लेते हैं, शिवानी पूनम को भी गाडी में बिठाकर हवेली की तरफ ले जाते हैं ।
सूरज शांत होकर बैठा था, जैसे उसे ससुराल लेकर जा रहें हो ।
15 मिनट बाद शंकर के घर पहुचते हैं ।
सूरज और पूनम को गाडी से निकाल कर बहार खड़ा करते हैं ।
शंकर-" बन्दुक लाओ,आज इसकी लाश बिछा दूंगा में, इस लड़की के भी हाथ पैर तोड़ दो"
शिवानी-"नहीं भैया इस बेचारी लड़की को मारकर क्या मिलेगा,गलती तो इस सूर्या ने की है तो सज़ा तो इसी को मिलनी चाहिए" 
पूनम-"मेरे भैया को छोड़ दो,उन्होंने कुछ नहीं किया है" 
शंकर-" नहीं शिवानी पहले इस लड़की को मारो यह लड़की इसकी बहन है" शंकर जैसे ही पूनम की तरफ जाता है,तभी सूरज दहाड़ता हुआ चिल्लाता है ।
सूरज-" मेरी बहन को अगर छुआ तो ये सूर्या तुम्हे जला कर भष्म कर देगा,गलती मेरी है इस लिए में चुप हूँ,बरना तुम्हारी गर्दने काटकर ले जाता,शिवानी के साथ मैंने ज्यादती की है तो सज़ा मुझे दो मेरी बहन को गलती से भी मत छु लेना" जैसे ही सूरज बोलता है शंकर डर जाता है सूरज की आँखे और रोद्र रूप देखकर ।
शंकर-"मेरे सामने ही तू चेलेंज कर रहा है,तेरी लाश के टुकड़े कर दूंगा आज में" 
शंकर सूरज को तमाचा मारता है ।
शिवानी-" भाई जब तक तुम इसको मारो,में उस फरिस्ते को बुलाकर लाती हूँ,जिसने भावी और बच्चे की जान बचाई,इस सूर्या के चक्कर में मैं उस फरिस्ते से मिलना तो भूल ही गई" जैसे ही सूरज यह बात सुनता है तो हैरत में पड़ जाता है और सोचने लगता है की कहीं वो मेडम शिवानी ही तो नहीं है जिसकी भावी और बच्चे की जान मैंने बचाई है ।
शंकर-" हाँ शिवानी जाओ तुम उस फरिस्ते को बुला कर लाओ जबतक मैं इससे निपटता हूँ ।शिवानी जैसे ही फरिस्ते को फोन करती है सूरज का फोन बजने लगता है। सूरज जैसे ही फोन उठाता है तो एक दम शिवानी की आवाज़ सुनता है,शिवानी भी कभी फोन देखती तो कभी सूर्या को,शिवानी के चेहरे का रंग उड़ चूका था,सूरज भी हेरात में था यह देख कर।शिवानी सूर्या का मोबाइल लेकर अपना नम्बर देखती है ।
शिवानी-"तुमने मेरी भावी की जान बचाई थी कल" 
सूरज-"हाँ मैंने ही बचाई" जैसे ही सूरज यह बोलता है शिवानी रोने लगती है,इधर शंकर भी हैरानी से देखता है।ऐसा लग रहा था की पैरो तले जमीन खिसक गई हो ।

शंकर जब ये सुनता है की मेरी बीबी और बच्चों की जान बचाने वाला कोई और नहीं सूर्या ही है, वहीँ फरिस्ता है जिसके कारण उसकी बीवी और जान से प्यारे बच्चे जिन्दा है, शंकर के जिस्म में ऐसा लग रहा था की खून का संचार रुक गया हो,हर्ट के अलावा बाकी थम सा गया हो, मुह से कोई शब्द नहीं निकल पा रहा था,उसकी अकड़ और ख़ौफ़ हवा में छूमंतर हो गए हो, यही हाल शिवानी का भी था, सूर्या जिसने उसके साथ सम्भोग किया और फिर उसे छोड़ दिया, आज उसी सूर्या ने उसके परिवार की खुशियाँ विलुप्त होने से बचाई, उसके आँख से आँशु बहने लगे,इस स्तिथि में सूर्या से अपनी अस्मत लूटने की लड़ाई लड़े या परिवार को बचाने के लिए उसका आभार व्यक्त करे,ये सभी के दिमाग में एक प्र्शन की तरह घूम रहा था ।जब सब लोग खामोश हो जाते हैं तब सूरज बोलना सुरु करता है ।
सूरज-" शिवानी सूर्या तुम्हारा गुनहगार है उसे उसकी सज़ा मिल चुकी है, लड़ाई झगड़ा किसी समस्या का हल नहीं है, सूर्या अगर गुनहगार है तो कहीं न कहीं शिवानी तुम भी गुनहगार रही हो,फिर सज़ा एक को ही क्यूँ मिले, में मानता हूँ गलतियां हुई है तो क्या उन गलतियों की सजा सिर्फ मौत है? 
आपको यह जानकार बड़ी हैरानी होगी की में सूर्या नहीं हूँ, सूर्या का आप लोगों ने क्या किया,मार डाला या जिन्दा है,ये सिर्फ आपको पता होगा,लेकिन आज सूर्या की सारी मुसीबतों से में लड़ रहा हूँ"" जैसे ही सूर्या ये बात बोलता है सबकी आँखे फटी की फटी रह जाती हैं ।सबके जहन में सिर्फ एक ही सवाल था की यदि में सूर्या नहीं हूँ तो कौन हूँ।
शंकर-'क्या तुम सूर्या नहीं हो,फिर आप कौन हो? 
शिवानी-"सूर्या नहीं हो आप? 
सब मेरी और देखकर मेरे उत्तर की प्रतीक्षा कर रहे थे ।
पूनम-"ये सूर्या नहीं हैं,ये मेरे भाई सूरज हैं,सूर्या के हमशकल हैं,सूर्या के परिवार को अब तक बचाते आ रहें है आपसे, और हाँ शंकर को जेल से छुड़ाने वाले मेरे भैया हैं" 
सबके चेहरे के रंग उड़ गए ।शिवानी तो बस रोये जा रही थी।
शिवानी-"क्या सूर्या वास्तव में मर चूका है" 
सूरज-"सूर्या को आपके भाई ने कबका मार दिया,सूर्या को मार कर क्या आपकी इज्जत वापिस आ गई, आपने यह नहीं सोचा की उसकी माँ और बहन का क्या होगा" शिवानी और शंकर की आँखों में आंसू छलक आए ।
शंकर-" सूर्या को में जान से मारना नहीं चाहता था,बस उसे डरा धमका कर शिवानी से शादी के लिए राजी करबाना चाहता था,में उस रात भी में सूर्या को पकड़ कर घर ला रहा था,गाडी जैसे ही नहर के पुल पर आई सूर्या ने गाडी से उतर कर छलांग लगा दी, सूर्या की माँ ने मुझे जेल भेज दिया ।सूर्या की मौत का में जिम्मेदार हूँ,लेकिन में जान से मारना नहीं चाहता था सूरज" 
शिवानी-" सब मेरी गलती है,मेरी नादानी की बजह से सब हुआ है,में जीते जी अपने आपको कभी माफ़ नहीं कर पाउंगी,मुझे माफ़ कर दो सूरज" 
काफी देर तक सब एक दूसरे के साथ गिला शिकबा दूर करते रहे। शंकर ने अपनी गलती की माफ़ी मांगी, सूरज भी यही चाहता था की सूर्या के परिवार से कोई दुश्मनी न हो ।
सूरज की एक सबसे बड़ी दुविधा दूर हो चुकी थी ।
शंकर और शिवानी सूरज और पूनम को घर में ले जाता है ।
इधर मॉल में जब शंकर सूरज और पूनम को पकड़ कर ले जा रहे थे तभी वहां के सिक्योरिटी गार्ड ने सूराज की गाड़ी जो मॉल के पार्किंग में खड़ी थी उसका नम्बर ट्रेस कर के फोन किया, फोन तान्या ने उठाया,
गार्ड-"हेलो मेडम ***0 इस नंबर की गाडी के लोगों को शंकर डॉन पकड़ कर ले गया है" 
तान्या-" आप कहाँ से बोल रहे हो,ये गाड़ी तो सूर्या के पास रहती है" 
गार्ड-"मेडम में डेल्टा मॉल की पार्किंग का गार्ड हूँ,आप गाडी ले जा सकती हैं" तान्या जब यह बात सुनती है तो कंपनी से सीधा अपने घर पहुंचति है ।और अपनी माँ संध्या को सारी बता देती है ।
संध्या-"ओह्ह्ह वो शंकर बहुत खतरनाक है सूर्या को मार देगा,उसे बचाना होगा मुझे" माँ का ह्रदय एक बार फिर से अपने लाल के लिए धड़क उठा,ये माँ की ममता होती ही ऐसी है ।
तान्या-"माँ वो इसी के लायक है, कोई न कोई मुसीबत खड़ी करता रहता है,आप क्यूँ उसके लिए परेसान होती हो,कब तक उसे बचाती रहोगी आप, जिस दिन उसकी यादास्त वापिस आ जाएगी उस दिन वो फिर से मुसीबतें खड़ी कर देगा" तान्या आग उगलते हुए बोली ।
संध्या-" में मानती हूँ की उसमे बहुत सी कमियां हैं लेकिन क्या करू बेटा है वो मेरा,कब सुधरेगा इसी उम्मीद में जीती आई हूँ अब तक" 
तान्या-"माँ में तो उससे तंग आ चुकी हूँ,मेरे लिए तो वो बहुत पहले ही मर चूका है,में उसे अपना भाई नहीं मानती हूँ,आप भी अपने मन को समझा लो" तान्या इतना बोलते ही कंपनी निकल गई ।
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12-25-2018, 01:10 AM,
#33
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संध्या तान्या को रोकती रही लेकिन उसने एक न सुनी । संध्या कमरे में जाकर फूट फूट कर रोने लगती है,क्या होगा इस परिवार का, काफी दिन बाद सूर्या के अंदर सुधार आया था लेकिन मधु ने उसे फिर से हवस की ओर मौड़ दिया । 
संध्या करे तो क्या करे इसी सोच में डूबी हुई थी । संध्या के दिमाग सूर्या को लेकर कभी चिंता के भाव थे तो कभी गुस्सा थी।
मधु की चूत को चाटते समय सूर्या के वीर्य को चाटने बाले पल को याद करती तो उसके अंदर सूर्या को लेकर गुस्सा आने लगता था। बहुत कोसिस के बावजूद भी यह सीन उसके दिमाग से निकल नहीं पा रहा था ।
काफी देर सोचने के बाद संध्या सूर्या को फोन करती है ।
इधर सूरज और पुनम शंकर से विदा लेकर मॉल जाने लगते है । शंकर खुद अपनी गाडी से दोनों को मॉल में छोड़ देता है क्यूंकि सूरज को अपनी गाडी उठानी थी ।
सूरज और पूनम मॉल से गाडी लेकर फ़ार्म हॉउस की तरफ निकल जाते हैं। तभी सूरज का फोन बजता है,सूरज संध्या माँ की कोल देखता है तो खुश हो जाता है, लेकिन जानबूझ कर फोन उठाता नहीं है ।
संध्या घबरा जाती है, संध्या को लगता है कहीं शंकर सूर्या को जान से न मार दे ।
संध्या तुरंत अपनी गाडी निकाल कर शंकर के घर निकल जाती है सूर्या को बचाने ।
संध्या का दिल बड़ी जोर से घबरा रहा था।
10 मिनट में शंकर के घर पहुँच जाती है और दरबाजे से ही शंकर को आवाज़ लगाती है ।
संध्या-"शंकर शंकर कहाँ है तू" शंकर और शिवानी तुरंत बहार निकल कर आते हैं ।
संध्या-"मेरा सूर्या कहाँ है,अभी तूने मॉल से उसे किडनेप किया,मेरी बहुत बड़ी भूल थी की सूर्या के कहने पर तुझे जेल से छुड़वा दिया,तुझे तो जेल में ही सड़ना चाहिए,मेरा बेटा कहाँ है बोल" शंकर तुरंत संध्या के पैरो में गिर जाता है,संध्या को झटका लगता है । शिवानी भी संध्या के पैर पकड़ लेती है । संध्या के लिए ये दूसरा झटका था ।

शंकर -"हमें माफ़ कर दीजिए बहन,मेरी बजह से आपको और सूर्या को तखलिफ् हुई, सूर्या ने मेरी आँखे खोल दी,वो बाकई में एक महान इंसान है,ज़िन्दगी का महत्त्व हमें अब तक पता नहीं था,आज मेरी बीबी और बच्चे सिर्फ सूर्या की बजह से ही जिन्दा है" शंकर पश्चाताप के आंसू रो रहा था,संध्या का गुस्सा तो छूमंतर हो गया,इतना बड़ा परिवर्तन सूर्या ने किया ये सुनकर उसके बड़ा ही अचम्भा सा लगा ।

संध्या-" सूर्या कहाँ है इस समय,वो मेरा फोन नहीं उठा रहा है"संध्या नम्रता से बोली।
शिवानी-" आंटी जी अभी रुको में फोन से पूछती हूँ" शिवानी सूरज को फोन करती है, सूरज तुरंत फोन उठा लेता है,शिवानी बता देती है की आपकी माँ आई हुई हैं ।
सूरज ने शंकर और शिवानी से पहले ही मना कर दिया था की में सूरज हूँ यह बात किसी को बताना नहीं ।
शिवानी-" सूर्या आंटी जी बहुत चिंतित है तुम्हारे लिए,लो आप बात कर लो" शिवानी संध्या को फोन देती है ।
संध्या-"सूर्या कहाँ है तू"बस इतना ही बोल पाई संध्या,
सूरज-"में कल आऊंगा माँ" सूरज इतना कह कर फोन काट देता है ।
संध्या घर लौट आती है और सूर्या के बारे में सोचने लगती है, सूर्या के बारे में सोचने लगती है की उसने गलत ही क्या किया, इस उम्र में अक्सर लड़के बहक जाते हैं,हो सकता है मधु ने ही उसे उकसाया हो, मधु तो एक नम्बर की छिनाल है,किसी की भी कामाग्नि को भड़का सकती है, में खुद दो चार महिंने में एक बार हस्तमैथुन करके अपनी कामोत्तजना को शांत करती थी लेकिन मधु के आते ही उसने मेरी सोई हुई हवस को भड़का दिया,आज तक मैंने किसी की चूत नहीं चाटी पहली बार मधु की चूत चाटने पर मजबूर हो गई,जब में बहक सकती हूँ तो सूर्या क्यूं नहीं,वो तो फिर भी नादान है लेकिन में तो समझदार हूँ,मुझे सूर्या के साथ इस तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए,ये सब सोचकर संध्या रोने लगती है और सूर्या से बात करने के लिए तड़प उठती है ।
संध्या अपने कमरे में लेटी हुई सूर्या के शब्दों को याद कर रो रही थी, जब सूर्या ने कहा था की " माँ मुझे सज़ा दो,मारो,लेकिन मुझसे नाराज़ मत हो,आपको अगर मेरी शकल नहीं देखनी है तो में चला जाता हूँ" कितनी अभागिन हूँ में,कितना पत्थर दिल है मेरा अपने ही बेटे से नाराज थी, सूर्या कितना प्यार करता है मुझे,वो भी मेरे लिए तड़प रहा होगा, वो भी मेरे बिना रह नहीं सकता है, लेकिन सूर्या गया कहाँ, कमसे कम ढंग से बात तो करता मुझसे, मेरा तो एक एक पल सदियों जैसा कट रहा है और सूर्या कहता है की कल आएगा, संध्या को यह जुदाई सहन नहीं हो रही थी,तुरंत अपना मोबाइल निकाल कर सूर्या को फोन करती है, लेकिन सूर्या फोन नहीं उठा रहा था ।
इधर पूनम और सूरज गाडी में बैठकर फ़ार्म हाउस पहुँचता है ।
सूरज अपनी माँ रेखा को गले लगा लेता है, 
माँ की ममता की अत्यधिक अस्वश्यक्ता महसूस कर रहा था वो ।
रेखा-" क्या हुआ मेरा बच्चा,उदास क्यूँ है? माँ अपने बच्चे के ह्रदय को पहचान लेती है की सूर्या आज परेसान सा है,एक दम माँ को कस कर गले लगा कर अपनी ममता का कोटा पूरा करने का प्रयास जो कर रहा था।
सूरज-"माँ ऐसा कुछ नहीं है, आपका बेटा ठीक है" रेखा समझ जाती है की सूरज झूठ बोल रहा था,पास में खड़ी पूनम जानती थी की सूरज क्यूँ परेसान है, कितनी मुसीबत झेलता है मेरा भाई,सूर्या के लिवास को बखूबी से अभिनय कर रहा है, अकेला इंसान दो घरो की जिम्मेदारी संभाल रहा है,बाकई में मेरा भाई महान है ।
रेखा-" बेटा तेरी माँ हूँ, में जानती हूँ की तू बहुत बलशाली है,कितनी भी मुसिवतें आएं तू अकेला सारी मुसीबतों से लड़ सकता है,तू शारीर से तो मजबूत है लेकिन दिल से बहुत कमजोर है,जरूर किसी ने तेरे दिल पर चोट पहुचाई है" माँ एक ऐसी शिक्षिका होती है जो अपने बच्चों के चेहरे को पढ़ कर बता सकती है, 
सूरज-" ओह्ह माँ मैंने बोला न आपका बेटा ठीक है, बस आपकी बहुत याद आ रही थी इसलिए आपको गले लगाने का मन किया, 
माँ मुझे बहुत तेज भूंक लगी है" 
रेखा-" आजा बेटा में तुझे खाना खिलाती हूँ" पूनम रेखा और सूरज खाना खाने लगते हैं, तभी बाथरूम से नहा कर तनु आती है ।
तनु-" अरे सूरज तू आ गया" 
सूरज-"हाँ दीदी,आप भी जल्दी से आ बैठो,खाना खा लो" 
सभी लोग खाना खा कर आपस में बातें करते हैं ।
सूरज का फिर से मोबाइल बजता है, इस बार कंपनी के मेनेजर गीता का फोन था,
सूरज एकांत में जाकर फोन उठाता है,पुनम भी उसके पास खड़ी थी,

गीता-"हेलो सूर्या सर कहाँ हो" घबराई हुई
सूरज-"क्या हुआ,इतनी घबराई क्यूँ हो"

गीता-" सर तान्या मेम का एक्सिडेंट हो गया है, आप सिटी हॉस्पिटल पहुँचो, में भी पहुँच रही हूँ" 
सूरज-"क्या, कैसे हुआ? 
गीता-" मेरे पास अभी कोल आई है, तान्या मेम आपके घर गई थी,आते समय रास्ते मे हो गया, आप जल्दी पहुँचो हालात बहुत गंभीर है" सूरज फोन काट देता है और पूनम को पूरी बात बता कर चला जाता है ।
तान्या भले ही सूरज से बात न करती हो,लेकिन सूरज कभी तान्या से नफ़रत नहीं करता था, सूरज को उम्मीद थी की कभी तो तान्या दीदी मुझे अपना भाई स्वीकार जरूर करेंगी । सूरज फूल स्पीड में गाडी चला कर हॉस्पिटल में पहुँचता है । सूरज डॉक्टर के पास जाकर तान्या के बारे में पूछता है ।
डॉक्टर-"आप तान्या के साथ हैं,जल्दी आइए ICU में" डाक्टर और सूरज दोनों भागते हुए ICU में पहुचे। तान्या खून से लथपथ बेहोस बेड पर लेती हुई थी,सूरज घबरा जाता है, तान्या को इस हालात में देखकर सूरज की आँख से आंसू छलक आए। तभी गीता भी भागती हुई ICU पहुँच जाती है ।
सूरज-"डॉक्टर साहब ये मेरी बहन है, आप इसको बचा लीजिए" 
डॉक्टर-" इनके सर में और पैर में चोट आई है, तुरंत ओप्रेसन करना पड़ेगा,इन कागजो पर साइन कर दीजिए, और खून का इंतज़ाम कीजिए" सूरज पेपर पर साइन कर देता है ।
सूरज-"आप जल्दी से ओपरेसन कीजिए,जितना भी खून चाहिए मेरा ले लीजिए,प्लीज़ जल्दी कीजिए" डाक्टर तुरंत ओपरेसन थिअटर में ले जाकर ओपरेसन करने लगते हैं, दूसरे बेड पर सूरज का खून तान्या को चाढ़ाते हैं। गीता ने भी डॉक्टर से बोल दिया की खून कम पड़े तो मेरा ले लीजीए । 
एक घंटे तक ओपरेसन चला, सूरज और गीता बहार आकर डाक्टर के निकलने का इंतज़ार करते हैं ।ब्लड देने के बाद सूर्या के जिस्म में तागत कम हो गई थी ।सूरज बहार कुर्सी पर बैठ जाता है और गीता भी ।
सूरज-" गीता जी ये सब कैसे हुआ? 
गीता-" तान्या मेम को किसी का फोन आया था, तान्या मेम गुस्से में थी और परेसान थी, तान्या मेम ने मुझसे बोला था की में घर जा रहीं हूँ थोड़ी देर में वापिस आ जाउंगी, घर से लौटते समय गाड़ी डिसवैलेन्स हो गई और गाडी एक घमबे से जा टकराई, मैंने जब तान्या मेम को फोन किया तो किसी एम्बुलेंस बाले ने मुझे एक्सिडेंट की खबर सुनाई और मैंने तुम्हे फोन कर दिया था,यह खबर मैंने अभी तक आपकी माँ को भी नहीं बताई है" सूरज सोचने लगता है की ऐसी क्या बात हुई है तान्या के साथ । माँ ने मुझे कई बार फोन किया था, लेकिन मैंने ही फोन नहीं उठाया था । माँ से बात करके ही सारी सच्चाई पता लग सकती है । सूरज संध्या को फोन लगाता है, संध्या फोन उठाती है ।
सूरज-" हेलो माँ" 
संध्या-"बेटा कहाँ है तू,कबसे तुझे फोन कर रहीं हूँ,
सूरज-" माँ में घर आ जाऊँगा, आप ये बताओ तान्या दीदी घर क्यों आई थी और वो परेसान क्यूँ थी" 
संध्या-" बेटा तान्या को किसी ने फोन करके बोला था की मॉल में शंकर डॉन तुझे उठाकर ले गया था,यही बताने मुझे घर आई थी, तुझे तो पता ही है बेटा वो तुझसे नाराज़ रहती है, इसलिए गुस्से में थी वो, उसने मेरी एक नहीं सुनी और गुस्से में ही कंपनी चली गई, लेकिन तू ये क्यूँ पुंछ रहा है? 
सूरज पूरी कहानी समझ जाता है, तान्या दीदी का मूड मेरी बजह से ही ख़राब रहा होगा,उनका ध्यान भटक गया और गाडी डिसवेलेंस हो गई होगी ।
सूरज-" माँ दीदी का एक्सिडेंट हो गया है" सूरज मायूस होते हुए बोला ।
संध्या एक दम घबरा जाती है और रोने लगती है ।
संध्या-" कहाँ है संध्या,जल्दी बोल में अभी आती हूँ" सूरज हॉस्पिटल का के बारे में बता देता है। दस मिनट के अंदर संध्या दौड़ती हुई सूरज के पास आई ।
संध्या-" कहाँ है तान्या क्या हुआ उसे"रोते हुए बोली,सूरज संध्या को सँभालते हुए बोला ।
सूरज-"माँ अब ठीक है दीदी,बस थोड़ी सी चोट आई है" 
तभी डॉक्टर बहार आते हैं ।
सूरज-"डॉक्टर साहब मेरी बहन अब कैसी है? 
डाक्टर-" ओपरेसन बिलकुल ठीक हो गया है, सर में थोड़ी सी ही चोट थी, दो घंटे में होश आ जाएगा, आप लोग मिल लेना, पैर में फैक्चर है ठीक होने में एक महीना लग जाएगा" 
सूरज-" धन्यवाद डॉक्टर साहब" 
डॉक्टर-" सूर्या जी आप समय से आ गए इसलिए तान्या की जान बच गई । आप भी थोडा अपना ख्याल रखिए, किसी भी व्यक्ति का एक यूनिट तक ब्लड ले सकते हैं लेकिन आपने जरुरत से ज्यादा ब्लड दे दिया अपना, जूस बगेरा पीते रहिए आप" जैसे ही डॉक्टर ने ब्लड बाली बात बताई संध्या ने तुरंत सूरज को गले लगा लिया । 
संध्या-" बेटा मुझे गर्व है तुझ पर, तेरी जगह कोई और भाई होता तो तान्या से बिलकुल रिश्ता तोड़ देता, तान्या तुझसे कितना नफरत करती है फिर भी तूने एक भाई होने का फर्ज निभाया" संध्या की आँख से आंसू निकल आए । गीता भी सूर्या की दाद देती है, 
गीता-" बाकई में भाई हो तो सूर्या जैसा" 
संध्या गीता और सूरज काफी देर तक तान्या के होश आने का इंतज़ार करते रहे । 
दो घंटे बाद तान्या को होश आया तो अपने आपको हॉस्पिटल में पाती है।जिस समय गाडी डिसवेलेंस हुई और खम्बे से टकराई तभी तान्या समझ जाती है की अब बचना शायद मुश्किल है,अपने आपको हॉस्पिटल में पाकर और जिन्दा देख कर उसे अचम्भा सा हुआ । तान्या पास खड़ी नर्स को आवाज़ देकर अपनी हालात के बारे में पूछती है । नर्स संध्या और सूरज को बोलती है की तान्या को होश आ चूका है मिल लीजिए ।संध्या गीता और सूरज तान्या से मिलने अंदर जाते हैं ।
तान्या-"सिस्टर मुझे कितना समय लगेगा ठीक होने में" 
सिस्टर-" क्यूँ मेम क्या करना है, आपके पैर में फैक्चर है एक महीना तो लग ही जाएगा" 
तान्या-"ओह्ह्ह नहीं सिस्टर मुझे बहुत काम है कंपनी में टेंडर पूरा करना है,प्लीज़ जल्द से जल्द ठीक कर दीजिए" यह बात सुनकर संध्या तान्या के पास पहुँच कर डांट मारती है ।
संध्या-"पहले ठीक तो हो जा बेटी, 
तान्या-"ओह्ह्ह माँ तुम आ गई" तान्या को बड़ा सुकून मिलता है माँ को देखकर,तान्या नज़र उठाकर देखती है तो गीता और सूरज को भी पास में खड़ा देखती है। तान्या जैसे ही सूरज को देखती है भड़क जाती है ।
तान्या-" माँ ये यहाँ क्या कर रहा है इसे तुरंत जाने के लिए बोलो,इसी की बजह से मेरा मूड ख़राब था और एक्सिडेंट हो गया" तान्या गुस्से से बोलती है ।
सूरज यह सुनकर बहुत दुखी होता है की तान्या कितना नफ़रत करती है मुझसे । सूरज कमरे से निकल कर बाहर बैठ जाता है ताकि तान्या को कोई परेसानी न हो, लेकिन आज सूरज की आँख से आंसू बह निकले,तान्या के शब्द उसके दिल में खंजर की तरह चुभ जाते हैं ।
संध्या-" बेटा ऐसा मत बोल, तेरा भाई है ये, तुझे पता है इसी ने आज तेरी जान बचाई है, अपना खून देकर, और सबसे पहले तेरे पास यही पहुंचा था"संध्या की बात सुनकर तान्या की आँखे फटी की फटी रह गई, तभी गीता बोल पड़ी ।
गीता-" मेम हमारी कंपनी को जो टेंडर मिला है वो भी सूर्या सर की देन है,शैली के आगे हाथ जोड़कर टेंडर के लिए विनती की, ताकि आप खुश रहें" तान्या को दूसरा झटका लगता है, तान्या का जिश्म जिन्दा लाश की तरह शून्य हो जाता है, 
संध्या-" बेटा तेरा भाई है वो, तुझे थोडा सुकून मिल जाए इसलिए खुद ही कंपनी जाने लगा ताकि तुझे थोडा आराम मिल जाए, कभी तो उसके जज्बात को समझने की कोसिस कर" तान्या की आँखों से आंसू बहने लगे, जिन्दा लाश की तरह खामोश हो गई थी सिर्फ आंसुओ के रिसाव से जिन्दा होने का प्रमाण मिल रहा था, तभी अचानक तान्या की साँसे उखड़ने लगती हैं, ब्लड प्रेसर डाउन हो जाता है,नर्से घबरा जाती है, और जल्दी से संध्या को बहार भेजती है, 
डाक्टर भागते हुए आए, उन्होंने तुरंत ड्रिप की बोतल लगाई, सूरज भी घबरा जाता है, सब लोग मन ही मन तान्या के ठीक होने की दुआ माँग रहे थे ।
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12-25-2018, 01:10 AM,
#34
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
संध्या सूरज और गीता ICU के बाहर बैठकर तान्या के लिए दुआं मांग रहे थे ऊपर बाले से, संध्या का रो रो कर बुरा हाल था, गीता संध्या को सात्वना देने का भरपूर प्रयास कर रही थी, इधर सूरज भले बहार से मजबूत होने का दिखाबा कर रहा हो लेकिन वास्तव में अंदर से उतना ही दुखी था। जीवन में और कितने संघर्ष झेलने पड़ेंगे, एक समस्या ख़त्म होते ही दूसरी समस्या पैर फेलाए इंतज़ार कर रही होती है सूरज का,ऐसा लग रहां था की संघर्षो ने अमृत पी लिया हो,कभी ख़त्म ही नहीं होते। 
सूरज-" माँ शांत हो जाओ, दीदी को कुछ नहीं होगा, ऊपर बाले पर भरोसा रखो" 
संध्या-" बेटा में एक माँ हूँ, तान्या को मैंने एक सशक्त और निडर लड़की बनाया, संघर्षो से लड़ते हुए मैंने देखा है लेकिन आज मैंने पहली बार उसे रोते हुए देखा" 
सूरज-"माँ ! जो लोग मजबूत दीखते है या दिखाने का प्रयास करते हैं वह लोग अंदर से उतने हो कमजोर होते हैं" सूरज संध्या को समझाने का प्रयास कर ही रहा था तभी डाक्टर बहार निकलते हैं ।
संध्या-"डॉक्टर साहब मेरी बेटी अब कैसी है"
डाक्टर-" तान्या जी अब ठीक हैं,उनके सामने कोई ऐसी बात मत कहिए जिससे उनके दिल और दिमाग पर जोर पड़े,हँसते रहिए उनके सामने" 
संध्या-" ठीक है डाक्टर साहब, घर कब ले जा सकते हैं? 
डॉक्टर-" आप कल छुट्टी करा कर घर ले जा सकते हैं, लेकिन इनकी मरहम पट्टी का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा,पैर में तो प्लास्टर कर दिया है" इतना कह कर डॉक्टर चले जाते हैं ।
रात के 9 बज गए थे, समय का पता ही नहीं चला ।
सूरज-"माँ आप घर जाओ,हॉस्पिटल में एक व्यक्ति ही रुक सकता है" 
संध्या-"बेटा में रुक जाती हूँ,तू घर जाकर आराम कर ले,तूने ब्लड भी दिया है" 
सूरज-" नहीं माँ में यहीं रुक जाता हूँ, आप जाओ और हाँ गीता जी आप भी चली जाओ" 
गीता-" मैंने घर पर फोन करके बोल दिया सुबह आने के लिए,में आंटी के साथ घर चली जाती हूँ" 
थोड़ी देर बाद गीता और माँ घर चले जाते हैं, मुझे बहुत तेज कमजोरी महसूस हो रही थी,इसलिए केन्टीन जाकर मैं जूस पी कर वापिस आया । हॉस्पिटल बहुत आलिशान बना हुआ था, में ICU के बहार बैठकर घटनाक्रम के बारे में सोच कर ही पूरी रात काट ली । इस दौरान पूरी रात में 
तान्या को हर दस मिनट में जाकर देखकर आता। कभी कभी थोड़ी बहुत झपकी भी मार लेता, सुबह 6 बजे एक नर्स मेरे पास आई ।
नर्स-" तान्या जी अब ठीक है आप उनकी छुट्टी करवा सकते हैं" 
सूरज-" क्या अब वो बिलकुल ठीक है? 
नर्स-" हाँ जी उन्हें तो रात में ही होश आ गया था, आप मेरे पास आइए, में आपको तान्या जी के ट्रीटमेंट के बारे में समझा देती हूँ" में ICU में गया,मेरी नज़र तान्या पर गई, तान्या दीदी जग रही थी, उनकी नज़र मेरी तरफ थी, मेरी और तान्या की नज़र आपस में टकराई, मुझे डर लग रहा था की कहीं फिर से डांट न मार दे, में डरता हुआ नर्स के साथ तान्या के बेड के पास गया ।
तान्या के चेहरे से ऐसा लग रहा था की वो झिझक महसूस कर रही हो मेरे आने से, तान्या दीदी के पास आकर में उनके सर को देख रहा था जिस पर पट्टी बंधी हुई थी, चोट उनके माथे से ऊपर लगी हुई थी,मेरी नज़र माथे से होती हुई उनके कपड़ो पर पड़ी जिस पर ब्लड के निसान थे, एक पैर के पंजे में प्लास्टर चढ़ा हुआ था।
नर्स-" सूर्या जी इनके सर पर जख्म है, रोजाना आपको इनके जख्म को साफ़ करके पट्टिया बदलनी होंगी, और 6 दिन तक ये बिस्तर पर ही रहे ताकि इनके पैर की हड्डी जुड़ जाए,बाकी में आपको दवाई दे देती हूँ,आप समय से दवाई देते रहिए"
सूरज-"ठीक है सिस्टर" सूर्या ने अच्छी तरह दवाई के बारे में सिस्टर से समझ लिया, नर्स ने घर लेजाने की इजाजत दे दी, अब समस्या ये थी की तान्या दीदी को लेकर कैसे जाऊं, गाडी तो सूरज के पास थी लेकिन तान्या को गोद में लेकर ही गाड़ी में बैठाया जा सकता है । इधर तान्या भी यही सोच रही थी की घर कैसे जा पाउंगी,चल सकती नहीं हूँ, गाडी बहार है।कैसे जा पाउंगी।
नर्स-" क्या हुआ सूर्या जी, लेकर जाइए इन्हें"नर्स तान्या की ओर इशारा करते हुए बोलती है,तान्या और सूरज के दिल की धड़कन तेज हो जाती है, दोनो लोग बड़ा ही असहज महसूस कर रहे थे । तभी सूर्या नर्स से बोलता है ।
सूरज-" सिस्टर आप थोडा सहारा देकर इन्हें गाडी तक लेजाने में मदद कर दीजिए" 
नर्स-" ये आपकी बहन है, आप इनको गोद में उठा लीजिए,में साथ में चलती हूँ"
तान्या खामोशी से सुनती रही,बेचारी कर भी क्या सकती थी, लेकिन कहीं न कहीं तान्या सूर्या के लिए असमंजस में थी, सूर्या से नज़रे नहीं मिला पा रही थी, ये कहना मुश्किल था की ये भाव आत्मग्लानि के थे या सूर्या के लिए नफरत के थे,हाँ इतना जरूर था की तान्या का गुस्सा और अकड़ पहले से कम थी ।
सूर्या देर न करते हुए डरते हुए तान्या के पास जाता है, तान्या की ह्रदय की गति तीब्रता से चलने लगती है, सूरज तान्या से बिना बोले ही तान्या को गोद में उठाने के लिए, नीचे झुकता है,एक हाँथ पीठ के नीचे और दूसरा हाथ नितम्ब के नीचे ले जाकर गोद में उठा लेता है, सूरज ने पहली बार तान्या को स्पर्श किया था, सूरज तो सोच रहा था की हिटलर तान्या दीदी विरोध करेंगी मेरा क्योंकि वो मुझे सबसे बड़ा दुश्मन मानती है, इधर तान्या जैसे ही सूरज की गोद में आई उसे बड़ा अचम्भा सा लगा, इतनी गालियां और अपशब्द सुनने के बाद भी सूर्या मेरी कितना ख्याल रख रहा है,आज से पहले सूर्या का स्पर्श सिर्फ तमाचों में ही महसूस किया था, जब भी लड़ाई झगड़ा होता तो दोनों में खूब तमाचे बाजी होती। सूरज तान्या को गोद में लेकर बहार की ओर चल देता है, सूरज की नज़र सामने की ओर थी लेकिन तान्या की नज़र सूर्या के चेहरे पर ही थी, ऐसा लग रहा था जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को गोद में उठाकर इस दुनिया की नज़रो से कहीं दूर लेजा रहा हो ।
सूर्या गाडी के पास लेकर जैसे ही पहुंच रहा था तभी सड़क पर बने एक ब्रेकर से उसका पैर फिसलने लगता है, फिसलने के कारण सूर्या थोडा झुक ने लगता है, सूरज का जिस्म कठोर और बलशाली होता है, वो तुरंत अपने आपको संभाल लेता है । इधर तान्या सूरज के झुकने की बजह से सूरज की गर्दन में हाँथ डालकर जकड लेती है, सूरज भी आपनी पकड़ को मजबूत कर लेता है ।नर्स गाडी का दरबाजा खोलती है, सूरज सीट पर तान्या को लेटा देता है और खुद गाडी लेकर घर की ओर निकल जाता है ।
सूरज संध्या माँ को फोन करता है, 
सूरज-" माँ में दीदी को लेकर आ रहा हूँ,रास्ते में हूँ" 
संध्या-"ठीक है बेटा आजा" तान्या को इस बार फिर से झटका सा लगता है,सूर्या के मुह से दीदी शब्द सुनकर, आज से पहले सूर्या हमेसा ही तान्या को तान्या कह कर ही बुलाता था, आज काफी दिन बाद तान्या ने सूर्या के अंदर भाई होने का अहसास महसूस किया था । 10 मिनट बाद गाडी घर के बाहर रुकी, संध्या भागती हुई गाडी के पास आई,गीता भी साथ में थी ।
सूरज ने गाडी का दरबाजा खोला, और तान्या को फिर से गोद में उठाया, संध्या तो देखकर हैरान थी की तान्या तो सूर्या से नफरत करती है,लेकिन आज बिना गुस्सा और विरोध के सूर्या की गोद में है।संध्या के लिए ये किसी चमत्कार से कम नहीं था,पास में खड़ी गीता भी यह देखकर बहुत हैरान थी। संध्या मन ही मन ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करती है और दुआ करती है की मेरे दोनों बच्चे ऐसे ही हमेसा खुश रहें।
सूरज तान्या को लेकर उसके कमरे की ओर लेकर जाता है ।
तान्या का कमरा और सूरज का कमरा ऊपर था, 
संध्या-" बेटा ऊपर सीढ़ियों से कैसे जा पाएगा" 
सूरज-"माँ आप फ़िक्र मत करो, में लेजा सकता हूँ" तान्या मन ही मन सूरज की दाद दे रही थी, हालांकि ज्यादा बजन नहीं था तान्या मे लेकिन कम भी नहीं था, सूरज तान्या को बड़ी मजबूती से पकड़ कर ऊपर सीढ़ियों पर चढ़ने लगता है,इस दौरान तान्या भी ऊपर चढ़ते समय सूरज को जकड़ लेती थी, 
सूरज ऊपर तान्या के कमरे में लेजा कर बेड पर तान्या को लेटा देता है, तान्या को लिटाने के उपरान्त सूरज तान्या की ओर देखता जैसे कुछ बोलने बाला हो,तान्या भी सूर्या की ओर देखती है, दोनो एक दूसरे को ऐसे देख रहे थे जैसे वर्षो बाद एक दूसरे को देख रहे हो ।
सूर्या तान्या के पास जाकर अपने दोनों हांथो से तान्या के सर को उठाकर नीचे तकिया लगा देता है,इस दौरान तान्या की दिल की धड़कन बड़ी तेजी से दौड़ने लगी,जैसे ही सूरज ने तान्या के सर को उठाया तान्या बड़े आराम से सूरज का साथ देते हुए ऊपर की ओर उठती है । कमरे में संध्या और गीता के आते ही सूरज दवाई निकालते हुए माँ से बोलता है ।
सूरज-"माँ दीदी के लिए एक ग्लास दूध और नास्ता दे दो और ये दवाई खिला दो, में अभी फ्रेस होकर आता हूँ ।इतना बोलकर सूरज अपने कमरे में आकर फ्रेस होकर नीचे नास्ता करने चला जाता है ।
मेरे नीचे पहुँचते ही गीता आती है और मेरे लिए नास्ता चाय नास्ता लगाती है । गीता बाकई में बहुत ही अच्छी थी, एक अपनापन सा दिखाई दिया मुझे ।
सूरज-"गीता मेम में आपका बहुत आभारी हूँ, थॅंक्स ।
गीता-" सूर्या सर जी प्लीज़ आप मुझे सिर्फ गीता ही कह कर पुकारिए, और हाँ ये तो मेरा फर्ज था, 
सूर्या-"ठीक है गीता जी आज के बाद मेम नहीं बोलूंगा लेकिन आप भी मुझे सर मत बोलिए" 
गीता-"okk सूर्या"गीता हँसने लगती है और में भी ।
तान्या के कमरे 
तान्या-" माँ मेरे कपडे बहुत गंदे हो गए है,मुझे एक मेक्सी दे दो अपनी" संध्या मेक्सी लेकर आती है और तान्या के कपडे उतारने लगती है, तान्या पंजाबी सलवार कुर्ती पहनी हुई थी जो आराम से उतर जाती है, तान्या सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी,संध्या जल्दी से मेक्सी पहना देती है ।
तान्या-" माँ एक महीने तक में कैसे रहूंगी घर पर" 
संध्या-" बेटा मज़बूरी है रहना तो पड़ेगा" 
तान्या-" माँ टेंडर भी तो पूरा करना है, मेरे बिना तो टेंडर पूरा कौन करेगा,टेंडर अगर नहीं हुआ था,कंपनी कर्ज में डूब जाएगी" 
संध्या-" कितना सोचती है तू कंपनी के बारे में, सूरज है न वो सब संभाल लेगा,और जरुरत पड़ी तो में चली जाउंगी कंपनी, 25 साल तक कंपनी मैंने ही चलाई है अकेले" 
तान्या-" ओह्ह्ह माँ लेकिन में तो अकेली घर में बोर हो जाउंगी, इस पैर के प्लास्टर की बजह से कहीं घूम भी नहीं सकती हूँ" 
संध्या-" में तुझे बोर नहीं होने दूंगी फ़िक्र मत कर" 
तान्या-" माँ में टॉयलेट कैसे जाउंगी"
संध्या-"सूरज है न"
तान्या-"ओह्ह्ह्ह माँ में टॉयलेट की बात कर रहीं हूँ, क्या उसे अपने साथ लेकर जाउंगी" 
संध्या-"ओह्ह्ह में तो भूल गई, बेटा ये तो मैंने सोचा ही नहीं तू टॉयलेट कैसे जाएगी, अब में तुझे बेड से उठाकर टॉयलेट तो लेजा नहीं सकती, तू ही कोई उपाय बता" 
तान्या-" उपाय तो यही है माँ में खाना पीना छोड़ देती हूँ,न बजेगी बांसुरी न राधा नाचेगी" यह कह कर तान्या हँसने लगती है, संध्या ने बड़े दिनों बाद तान्या को हँसते हुए देखा था,संध्या तान्या के पास जाकर तान्या को एक किस्स कर लेती है ।
संध्या-" मेरी बच्ची तू हमेसा ऐसे ही खुश रहा कर" तभी गीता और सूरज कमरे में आ जाते हैं ।
सूर्या-"माँ में और गीता कंपनी जा रहें हैं" 
संध्या-"हाँ बेटा जाओ, जरुरत पड़े तो तान्या से फोन करके पूछते रहना" 
तान्या को थोडा सुकून मिलता है की चलो, कुछ तो आराम है सूर्या से, 
सूरज और गीता कंपनी चले जाते हैं ।
कंपनी में आकर सूरज टेंडर से सम्बंधित सभी कार्य निपटाता है,गीता सूरज की भरपूर मदद कर रही थी ।
शाम को 8 बजे सूर्या अकेला ही घर आता है, फ्रेस होकर खाना खा कर तान्या के कमरे में जाता है और देख कर चला आता है,तान्या सो रही थी, तान्या को रात में दवाई खिलानी थी,इसलिए थोड़ी देर के लिए अपने कमरे में आकर लेट जाता है,लेटते ही सूरज को नींद आ गई, दो घंटे बाद सूरज का मोबाइल बजा, देखा तो कोई अनजान नम्बर था, सूरज फोन उठाता है ।।
सूरज-"हेलो कौन? 
दूसरी तरफ से-" हेलो सूर्या में तान्या,थोड़ी देर के लिए मेरे कमरे में आना"
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12-25-2018, 01:10 AM,
#35
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
पहली बार तान्या दीदी ने मुझे फोन करके बुलाया,ये मेरे लिए बहुत बड़ी ख़ुशी की बात थी, इस घर में आए हुए छः महीने से ज्यादा हो गए,आज पहली बार मुझे यह घर एक घर जैसा लगा, दीदी की आवाज़ में नरमी थी, हमेसा से ही उनकी कड़क आवाज़ सुनता आया हूँ, मेरी नींद गायब हो गई में तुरंत तान्या दीदी के कमरे में गया, दीदी क्या बोलेगी,क्यूँ बुलाया है,कोई परेसानी तो नहीं है उन्हें' सेकड़ो सवाल मेरे मन में कुछ ही मिनटो में उमड़ पड़े । में जैसे ही दीदी के कमरे में गया,मैंने हल्का सा दरवाजा खटखटाया,अंदर से तान्या दीदी की आवाज़ आई।
तान्या-" आ जाओ,दरबाजा खुला है" दीदी की आवाज़ में भारीपन था, में जैसे ही अंदर पहुंचा तो देखा दीदी की आँखों में आंसू थे,मेरे अंदर जाते ही उन्होंने जल्दबाजी में अपने आंसू पोंछने का प्रयास किया लेकिन तब तक में उनकी आँखों में आंसू देख चूका था,उनके रोते हुए चेहरे को पढ़ चूका था।
में तुरंत दीदी के नज़दीक जाकर दीदी को देखने लगा, दीदी नज़रे दूसरी ओर किए हुए थी ।
सूरज-"दीदी क्या हुआ, आप रो रही हो, कोई परेसानी हो तो बोलो दीदी,क्या बात है दीदी,डॉक्टर को बुलाऊँ क्या" में घबरा गया था की कहीं कोई परेसानी तो नहीं है दीदी को, दीदी के सर में चोट थी डॉक्टर ने उन्हें खुश रहने के लिए बोला था । 
मेरी बात सुनकर दीदी ने मुझे देखा, उनके चेहरे पर आत्मग्लानि के भाव थे.
तान्या-" में ठीक हूँ सूर्या,मुझे कुछ नहीं हुआ है" 
सूरज-"फिर आप रो क्यूँ रही हो दीदी' मैंने गंभीर होते हुए कहा ।
तान्या-" ये आंसू निकल जाने दे सूर्या, ये आंसू मेरी गलत सोच के हैं इन आंसुओ के प्रायश्चित से में अपने मन को धो रही हूँ" तान्या दीदी फिर से रोते हुए बोली,इस बार मुझ पर उनके आंसू देखे नहीं गए। मैं तुरंत अपने हांथो से उन आंसुओ को पोंछने लगा।
सूरज-" दीदी आप गलत नहीं हो, आपने कुछ गलत नहीं किया,फिर आप कौनसी गलती का प्रयाश्चित कर रही हो" 
तान्या-" मे बेवजह तुझसे नफ़रत करती रही सूर्या, मुझे माफ़ कर दे सूर्या" दीदी रोए जा रही थी,दीदी को रोता देख मेरे भी आंसू निकल आए,आज पहली बार दीदी ने मुझसे बात की यह मेरे लिए सबसे ख़ुशी की बात थी ।
सूर्या-"दीदी आप गलत नहीं हो, गलत तो में था,मुझे नहीं पता मेरा अतीत कैसा था, लेकिन आज में आप सभी लोगों को बहुत प्यार करता हूँ दीदी, मेरे होते हुए आपको कोई तखलीफ नहीं होगी दीदी" 
तान्या-" तू मेरा भाई है,तेरे होते हुए मुझे कुछ नहीं होगा" दीदी में मुह से अपने लिए भाई शब्द सुनकर मेरी आँख से आँसु बहने लगे, दीदी ने अपना एक हाथ निकालकर मेरे आंसू पोछने लगी।
सूर्या-"दीदी आपने मुझे भाई बोला, मेरे कान तरस गए थे की आप मुझे अपना भाई कब कहोगी,दीदी आज में बहुत खुश हूँ" में और दीदी दोनों रोए जा रहे थे, दीदी ने लेटे हुए ही दोनों हाँथ फेलाए मेरी तरफ मुझे गले लगाने के लिए, में एक दम दीदी के सीने से लग गया, दीदी मुझे चुप कराती रही,मेरे सर पर हाँथ फेरती रही ।
तान्या-" कितने साल हो गए तुझे गले लगाए हुए भाई,कभी बचपन में ही तुझे गले लगाया होगा, आज बड़ा सुकून मिल गया मुझे, तू मेरा प्यार भाई है चुप जा,अब रो मत" 
सूरज-"दीदी में कहाँ रो रहा हूँ, आप भी तो रो रही हो" मैने दीदी के आंसू पोछते हुए बोला।
दीदी ने मेरे माथे पर किस्स की,और प्यार से मेरे आंसू पोछें।
तान्या-" सूर्या बस बेटा अब चुप हो जा, आज मेरे लिए बड़ी ही ख़ुशी का दिन है और ख़ुशी वाले दिन रोते नहीं है" मेरे सर पर हाँथ फेरते हुए बोली ।
सूरज-" हाँ दीदी,अब आप मुझसे वादा करो की आप भी कभी रोओगी नहीं" मैं दीदी के बगल में बैठते हुए उनके हाँथ पर हाँथ रखते हुए बोला ।
तान्या-" में वादा करती हूँ सूर्या अब कभी नहीं रोऊंगी" दीदी ने इतना बोला ही था तभी गेट पर खड़ी माँ की आवाज आई।
संध्या-" रुको मेरे बच्चों आज हम तीनो वादा करते हैं की कभी नहीं रोएंगे,हमेसा एक दूसरे का ख्याल रखेंगे" माँ बहुत देर से हम दोनों की बातें सुन रही थी,माँ भी बच्चों का प्यार देख कर रो रही थी।
तान्या-"माँ आप हमदोनो बहन भाई के आपस की बात सुन रही थी"तान्या ने नटखट अंदाज़ में बोला ।
संध्या-' हाँ बेटा जब सूरज ने दरवाजा खटखटाया तभी में भी आ गई,लेकिन आज में बाकई में बहुत खुश हूँ, तुम दोनों का प्यार देखने के लिए मेरी आँखे तरस गई थी,आज में बहुत खुश हूँ बेटा" माँ ने मुझे और तान्या दीदी को गले लगाते हुए बोला।
सूरज-" माँ में भी आज बहुत खुश हूँ"माँ और दीदी को खुश देख कर आज मेरी दूसरी मेहनत भी सफल हो गई थी ।काफी देर एकदूसरे से बात करते करते रात के 2 बज गए ।तभी मुझे दीदी की दवाई का ध्यान आया,मैंने दवाई खिलाई ।
संध्या-"बेटा अब सो जा,सुबह कंपनी भी जाना है तुझे" माँ ने मुझसे बोला।
तान्या-"माँ तुम जाकर सो जाओ, सूर्या आज मेरे पास ही सोएगा" दीदी ने अपना फरमान सुनाते हुए कहा ।
संध्या-" ठीक है बेटा तुम दोनों सो जाओ, बेड छोटा है बरना में भी यहीं सो जाती" माँ ने मुझे और दीदी को गुड़ नाइट बोलकर किस्स किया और नीचे चली गई ।
में अभी भी दीदी के पास वैठा हुआ था ।
तान्या-"सूर्या आजा इधर लेट जा"दीदी की टांग का प्लास्टर था इसलिए दूसरी साइड में मुझे लेटा दिया । दवाई नशीली थी इसलिए दीदी को तुरंत नींद आ गई, में भी कुछ देर बाद दीदी को सोता हुआ देख सो गया। सुबह 7 बजे मेरी आँख खुली दीदी अभी भी सो रही थी ।
में दीदी को सोता हुआ देखने लगा,दीदी आज बहुत मासूम सी लग रही थी,जिस बहन को में हिटलर दीदी समझता था आज बही दीदी के प्रति मेरे दिल में असीमित प्यार उमड़ पड़ा था । काफी देर दीदी को निहारने के पश्चात मुझे दीदी को किस्स करने का मन हुआ,मैंने दीदी के माथे पर किस्स किया,दीदी के सर पर पट्टी बंधी हॉने के कारण किस्स भी ठीक से नहीं हो पा रहा था । मेरे किस्स करते ही दीदी की आँख खुल गई,दीदी के चेहरे पर मुस्कान थी। दीदी के जागने के कारण में शर्मा गया, इससे दीदी और ज्यादा हँसाने लगी।
तान्या-"गुड मोर्निंग सूर्या,तूने तो किस्स कर लिया,अब मुझे भी तो गुड़ मोर्निंग बोल लेने दे" 
दीदी ने एक हाँथ से मेरे सर को अपने नजदीक किया और एक किस्स मेरे माथे पर की। मुझे बहुत अच्छा लगा,आज का दिन मेरा बहुत अच्छा जाने वाला था,क्योंकि सुबह बहुत खूबसूरत हो गई ।
सूर्या-" दीदी मुझे कंपनी जाना है, जल्दी से आपके जख्म पर पट्टी कर देता हूँ,सफाई करके" 
तान्या-" बहुत दर्द होगा सूर्या"दीदी ने रोनी सूरत बनाकर बोला।
सूर्या-"दीदी नहीं होगा,में अच्छे से करूँगा, आप परेसान न हो" में दीदी के सर की तरफ बैठकर पट्टी खोलने लगा, पट्टी खुलते ही दीदी के सर में जख्म देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए,लेकिन मैंने हिम्मत से दीदी के जख्म को डिटोल से साफ़ किया, और दवाई लगाकर पट्टी कर दी ।
सूर्या-" देखा दीदी,हो गई न पट्टी,कहीं दर्द हुआ" 
तान्या-" तेरे हाँथ में जादू है भाई" हँसते हुए बोली ।
सूरज-'अच्छा दीदी अब में फ्रेस होकर कंपनी चला जाता हूँ" तान्या को भी फ्रेस होना था,लेकिन सूर्या से कहने में शर्मा रही थी,लेकिन जब रहा नहीं जाता तो बोल देती है ।
तान्या-" सूर्या मुझे बाथरूम तक छोड़ दे मुझे भी फ्रेस होना है" 
सूर्या-"ओह्ह्ह हाँ दीदी,ये तो में भूल ही गया था की आप बाथरूम कैसे जाओगी,चलो में आपको छोड़ कर आता हूँ" सूरज तान्या को फिर से गॉद में उठाकर बाथरूम में एक पैर से खड़ा रखने के लिए बोलकर चला जाता है, सूर्या बहार से एक प्लास्टिक की कुर्सी सहारे के लिए छोड़ देता है ।
सूर्या-" दीदी आप इस कुर्सी के साहारा लेकर कमोड पर बैठ सकती हो,जब फ्री हो जाओ तो आवाज मार देना में आ जाऊँगा" सूर्या बहार चला जाता है और जल्दी से फ्रेस होकर कपडे पहँनता है,इधर तान्या भी कुर्सी की मदद से टॉयलेट करती है,कुर्सी बाले आयडिया से तान्या को बहुत सहारा मिला था,सूर्या के दिमाग की दाद देती है,तान्या तो यही सोचकर परेसान थी की कैसे टॉयलेट करेगी वो,चूँकि एक पैर पर खड़ा होना मुश्किल था। 
तान्या फ्रेस होकर सूर्या को बुलाती है,सूरज तब तक तैयार हो चूका था,बाथरूम आकर तान्या को गोद में लेकर बिस्तर पर बैठा देता है । संध्या दोनों को नास्ता करबाती है। सूरज कंपनी चला जाता है ।
गीता और सूरज दोनों कंपनी के कर्मचारियों को टेंडर के आर्डर के मुताबित प्रोडक्ट तैयार करबाता है । सूरज कंपनी के सभी कर्मचारियो का चहता बन चूका था,उसके व्यवहार से सब खुश थे ।
सूरज अपने ऑफिस में बैठकर कार्य कर रहा था तभी तान्या का फोन आता है ।
तान्या-"हेलो सूर्या" 
सूर्या-"हाँ दीदी बोलो क्या हुआ" 
तान्या-"बोर हो रही हूँ,आज जल्दी आजा घर" सूरज हँसाने लगता हैं।
सूरज-"दीदी आप परेसान न हो जल्दी ही आने का प्रयास करूँगा' इतना कह कर सूरज फोन काट देता है ।और जल्दी से काम निवटा कर घर की ओर जाने लगता है तभी फिर से फोन आता है ।
इस बार फोन पूनम का था ।
पूनम-"हेलो सूरज कहाँ हो तुम" 
सूरज-"दीदी ऑफिस में हूँ घर के लिए निकल रहा हूँ" 
पूनम-"कौनसे घर के लिए" 
सूरज-"ओह्ह दीदी सूर्या के घर' 
पूनम-"ओह्ह्ह! तान्या की कैसी हालात है" 
सूरज-"अब ठीक हैं दीदी" 
पूनम-"सूरज मेरा भी बहुत मन कर रहा है सूर्या की बहन और माँ को देखने का,में भी देखना चाहती हूँ की कैसे लोग हैं वो" 
सूरज-"दीदी अगर आपको लेकर गया तो में उनको क्या बोलूंगा" 
पूनम-"बस यही तो में सोच रही हूँ" 
सूरज-"दीदी किसी दिन मौका मिला तो जरूर दिखा दूँगा" 
पूनम-" ठीक है सूरज, घर कब आएगा" 
सूरज-" दीदी अभी तो तान्या दीदी की बजह से मुश्किल आ पाउँगा" 
पूनम-"अपनी नई माँ और दीदी के मिल जाने से हमें मत भूल जाना सूरज' 
सूरज-"दीदी आप लोग तो मेरी साँसे हो,तुम्हे भुलने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता है" 
पूनम-' सूरज जब से मैंने तेरी यह सूर्या और हमशक्ल बाली बात सुनी है तब से मुझे बड़ा डर सा भी लगता है,तू अपना ख्याल रखना' 
सूरज-"ओह्ह्ह दीदी आप फ़िक्र मत करो, में सब ठीक कर दूंगा,आप परेसान मत हो" 
पूनम-" मेरा मन करता है तेरे साथ रहूँ,तेरी हर मुसीबत में सहभागी बनू" 
सूरज-" दीदी आप मेरे साथ ही तो हो हमेसा,आपका अहसास और प्यार हमेसा मेरे साथ है" 
पूनम-" तू बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगा है सूरज, बातों से ही संतुष्ट कर देता है, चल कोई नहीं तू अपना और सूर्या के घर बालो का ख्याल रखना" 
सूरज-" दीदी आप भी तनु दीदी और माँ का ख्याल रखना" 
पूनम-'ठीक है सूरज" फोन कट जाता है सूरज गाड़ी दौडा देता है ।
10 मिनट में घर पहुंचकर सूरज सबसे पहले तान्या के कमरे में जाता है । तान्या फोन पर गेम खेल रही थी, जैसे ही मुझे देखा तो एक दम खुश हो गई । मैंने आते ही दीदी को दवाई खिलाई और बातें करने लगा ।
इसी प्रकार दिन कटते गए, 15 दिन हो चुके थे, तान्या की हालत दिन व दिन सुधार होता गया ।
तान्या और में काफी एक दूसरे से घुल मिल गए थे,जब तक में और तान्या दीदी आपस में घंटो भर बात नहीं कर लेते थे किसी को चैन नहीं मिलता था ।
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12-25-2018, 01:10 AM,
#36
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
एक दिन में और माँ मार्केट गए, तभी मैंने बहाँ पर मधु मौसी को देखा, और उन्होंर मुझे, मौसी मुझे देखकर खुश हो गई, माँ तो मार्केट में व्यस्त थी, मैंने मौका देखकर मौसी से बात करने चला गया ।
मधु-"अरे सूर्या तू यहाँ किसके साथ आया है?"
सूरज-" में माँ के साथ आया हूँ मौसी,आप कैसी हो"
मधु-"में तो ठीक हूँ,तूने तो एक बार भी मुझे फोन नहीं किया,पूछा भी नहीं में जिन्दा हूँ या मर गई" 
सूरज-"मौसी में जनता हूँ आप पर क्या बीती होगी,लेकिन मौसी जिस दिन घर से गई हो उसी दिन तान्या दीदी का एक्सिडेंट हो गया,उन्ही की बजह से में व्यस्त हो गया,मैंने भी आपको बहुत मिस किया मौसी" 
मधु-"ओह्ह कैसे हुआ,अब कैसी है तान्या?"
सूरज-"अब पहले से ठीक है, मौसी में आपसे मिलने आऊंगा कल, क्या आप कल मिल सकती हो" 
मधु-" तू कभी भी आ सकता है सूर्या, लेकिन में नहीं चाहती हूँ तू मेरे पास आ, अगर तेरी माँ को पता लग गया,तो में और बेज्जती सहन नहीं कर पाउंगी" 
सूरज-"मौसी आप टेंसन मत लो,में सब ठीक कर दूंगा" सूरज इतना ही बोल पाया था तभी संध्या आ जाती है। 
संध्या मधु को देखकर जल जाती है, और गुस्से में गाडी में बैठ जाती है,सूरज मौसी को बाय बोलकर गाडी में आ जाता है, 
संध्या अभी भी गुस्से में थी,सूरज की फिर से गांड फट जाती है, सूरज गाडी ड्राइब कर रहा था, संध्या बगल में बैठने की बजाय पिछली सीट पर बैठी थी।दोनों लोग खामौश थे, घर पहुँच कर सूरज अपने कमरे में पहुंचकर फ्रेस हुआ, और तान्या के कमरे में बैठ गया।थोड़ी देर बाद खाना खा पी कर सूरज अपने कमरे में लेट गया,रात के दस बज रहे थे तभी सूरज के कमरे का दरबाजा बजा,सूरज ने उठकर देखा तो संध्या खड़ी थी ।

संध्या माँ के रात में आने से में थोडा अचिम्भित था, माँ इतनी रात में क्यूँ आई है ये समझते मुझे देर नहीं लगी, मधु मौसी को आज मार्केट में मेरे साथ देखकर माँ थोड़ी नाराज थी, मधु मौसी के सम्बन्ध में ही माँ मुझसे बात करने आई है, दरबाजा खोलते ही माँ अंदर बेड पर बैठ गई ।
सूरज-" माँ क्या बात है,आप अभी तक सोई नहीं" 
संध्या-" जिसका बेटा गलत रास्ते पर चल रहा हो,उस माँ को कैसे नींद आ सकती है, 
माँ की नाराजगी को में समझ सकता था, माँ अत्यंत परेसान सी थी । में माँ के घुटनो के पास नीचे जमींन पर बैठ गया, माँ की नाराजगी मुझ पर सहन नहीं हो रही थी।
सूरज-"माँ आपका बेटा,कोई गलत रास्ते पर नहीं चल रहा है,में मानता हूँ मुझसे गलती हुई है, और आपको पूरा हक़ है मुझे डांटने का, बस माँ आप कभी नाराज मत होना मुझसे, आपसे दूर नहीं रह सकता में" 
संध्या-" मधु के साथ सबकुछ गलत करने के बाद तू कहता है की कुछ भी गलत नहीं है, और आज तू भी फिर से उसी नीच औरत से बात कर रहा था,ये जानते हुए भी वो मुझे अब बिलकुल पसंद नहीं है,बेटा में सिर्फ तुझे समझा रही हूँ,क्यूंकि तेरे बिना में भी नहीं रह सकती हूँ"
माँ की जलन भावना मधु के प्रति उभर कर सामने आई लेकिन मेरे प्रति प्यार भी उभर कर सामने आया।

सूरज-"माँ परिस्तिथियां इंसान को गलत कार्य करने पर मजबूर कर देता है,में मानता हूँ बिवाह से पहले यह कार्य गलत होता है भारतीय संस्कृति में, लेकिन माँ आज के बदलते परिवेश में क्या इससे कोई अछूता रह सकता है?" 
संध्या-" में मानती हूँ इस युग में कोई ब्रह्मचर्य अपना नहीं सकता,लेकिन अपने आपको को शांत करने के और भी तो तरीके हो सकते हैं' माँ के मुह से यह जवाब सुनकर में स्तब्ध रह गया,खुद माँ भी अपने कहे गए शब्दों से शर्म महसूस कर रही थी।
माँ की लज्जाई अवस्था को में समझ रहा था, 
सूरज-" माँ आप क्या चाहती हो? आपका अंतिम फैसला ही मेरे लिए मान्य होगा" 

संध्या-' उस कामिनी मधु के पास मत जाना,में बस यही चाहती हूँ बेटा,वो मुझे पसंद नहीं है बेटा"
सूरज-" माँ जैसा आपने कहा है वैसा ही होगा,में आपको वचन देता हूँ,आज के बाद में कभी मधु मौसी से बात नहीं करूँगा,मेरी ख़ुशी आपसे है माँ,यदि आप खुश नहीं हो तो में भला कैसे खुश रह सकता हूँ" 
यह बात सुनकर माँ को ख़ुशी मिलती है।
संध्या-"बेटा काफी अरसे के बाद इस घर में खुशियाँ लौटी हैं,और ये खुशियाँ सिर्फ तेरे कारण ही आई हैं,तान्या भी आज कल बहुत खुश रहने लगी है, में चाहती हूँ ऐसे ही हम सब प्यार से रहें, इस घर की खुशियाँ तुझ पर निर्भर करती हैं" 
सूरज-" माँ आप चिंता मत करो,आज के बाद कभी आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा, हम सब लोग प्यार से ही रहेंगे" 
संध्या-' थेंक्स बेटा तूने मेरी बहुत बड़ी उलझन दूर कर दी" माँ ने इतना ही बोला तभी मेरे फोन पर शैली का फोन आ गया, एक टेंसन दूर कर पाया , दूसरी टेंसन फिर से होने लगी,मैंने फोन काट दिया,माँ भी सोच में पड़ गई की इतनी रात में किसका फोन आया है, लेकिन शैली कहाँ मानने बाली थी,फिर से फोन बजने लगा, मैंने फिर से फोन काटकर,फोन स्वीच ऑफ़ कर दिया,लेकिन माँ मुझे फिर से घूर कर देखने लगी।
संध्या-"किसका फोन है,उठा क्यूँ नहीं लेता है, तेरी कोई गर्ल फ्रेंड है या मधु का फोन है? 
में घबरा गया था,अब माँ को कैसे बोलू की यह गर्ल फ्रेंड हैं मेरी,सबसे पहले इसी के साथ सम्भोग का सुख प्राप्त हुआ था।
सूरज-" मममधु मौसी कका फोन नहीं है माँ" मैंने घबराते हुए बोला,शब्द मुह से निकल नहीं पा रहे थे,डर लग रहा था की कहीं माँ फिर से बुरा न मान जाए।
संध्या-"इतना घबरा क्यूँ रहा है सूर्या, ओह्ह तो फिर तेरी गर्ल फ्रेंड भी है, उसी का फोन है, इतनी रात में गर्ल फ्रेंड का ही फोन हो सकता है, गर्ल फ्रेंड ही है न?" माँ साधारण लहजे में बोली,इस लिए मुझे घबराहट थोड़ी कम हुई, लेकिन अब माँ को कैसे समझाऊ, माँ मेरी तरफ ही देख रही थी इसलिए घबराहट के कारण कोई बहाना भी नहीं ढूंढ पा रहा था,झूठ बोलने या मनघडन्त कहानी बनाने के लिए समय नहीं था मेरे पास।
सूरज-"माँ दोस्त है मेरी" मैंने घबराते हुए बोला। इस बार माँ के चेहरे पर हलकी मुस्कान थी ।
संध्या-" दोस्त है तो बात क्यूँ नहीं की, मेरे सामने बात कर सकता है, फोन से पूछ ले हो सकता है किसी दुविधा में हो,इसलिए इतनी रात में फोन किया हो, फोन को ओन करके पूछ ले,मेरे सामने बात करने में डर क्यूँ रहा है" माँ ने मुझे हर तरफ से सवालो के घेरे में घेर लिया था,अब झूठ बोलने के लिए कुछ बचा भी नहीं था,मैंने डरते हुए फोन ओन किया, फोन ओन करते ही शैली की कॉल फिर से आ गई,घबराहट के कारण मेरे माथे पर पसीना आ चूका था। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई बात करने की,मैंने फोन सायलेंट कर दिया।
संध्या-" सूर्या सच बोल,तेरी गर्ल फ्रेंड ही है न, तेरे चेहरे की घबराहट और पसीना बता रहा है, मुझे पहले से ही शक हो गया था,इस लिए तेरे मुह से ही सुनना चाहती थी" 
मेरी हालात ख़राब थी,माँ को सच बताने के सिबा और कोई रास्ता नहीं था मेरे पास।
सूरज-"हाँ माँ गर्ल फ्रेंड ही है"मैंने सर झुका कर बोला,
संध्या-'ओह्ह्हो सुर्या इसमें इतना घबराने की क्या जरुरत है, में माँ हूँ तेरी दुश्मन नहीं हूँ,में चाहती हूँ मेरे बच्चे मुझसे कुछ छिपाए नहीं,गर्ल फ्रेंड बनाना गुनाह थोड़े ही है,बेटा यह उम्र ऐसी ही होती है,में मानती हूँ आजकल हर लड़के की गर्ल फ्रेंड होती है, मुझे तेरी गर्ल फ्रेंड से कोई आपत्ति नहीं है,लेकिन तू मुझसे खुल कर बता तो सकता है" माँ हँसते हुए बोली,मुझे बड़ी हेरत दी हुई, में तो माँ की नाराजगी से डरता हूँ इसलिए सच बताने में घबराहट हो रही थी।मेरा डर कुछ कम हुआ।
सूरज-"माँ मुझे डर था की कहीं आप नाराज न हो जाओ,मुझे आपकी नाराजगी से डर लगता है" 
संध्या-" बेटा में तो सिर्फ मधु की बजह से नाराज थी, तू नहीं जानता है मधु कैसी औरत है उसे तो सिर्फ नए जवान लड़को की तलाश रहती है, और क्या बताऊँ तुझे, मुझे तो बताते हुए भी शर्म आ रही है बेटा लेकिन तुझे बताना भी जरुरी है, उसे तो हर दिन नए मर्द की तलाश रहती है,स्कूल के समय में भी उसने किसी लड़के को नहीं छोड़ा,अब बता कोई माँ कैसे चाहेगी की उसका बेटा ऐसी औरत के चंगुल में फंसे" 
सूरज-" माँ जब आपको पता है मधु मौसी गलत आचरण की हैं तो आप उसके साथ क्यूँ रहती थी" 
मैंने माँ से उल्टा सवाल थोप दिया,पहले तो माँ थोड़ी संकुचित हुई लेकिन फिर वो बोल पड़ी।
संध्या-" बेटा वो गलत कार्य करती थी लेकिन उसका असर कभी मुझ पर नहीं हुआ, में कभी उसके जैसे गलत रास्ते पर नहीं चली, लेकिन वो एक दिन के लिए इस घर में आई उसका असर और जादू तुझ पर हो गया, पता नहीं ऐसा क्या जादू किया तेरे ऊपर और तू उस पर लट्टू हो गया, कमसे कम उसकी उम्र तो देख लेता,मेरी ही उम्र की है वो,तेरी माँ की ही उम्र की" माँ की बात सुनकर में लज्जित हो गया,माँ अब बड़े प्यार से मुझे समझा रही थी।
सूरज-"ओह्ह्ह माँ अब और कितना मुझे शर्मिंदा करोगी" 
संध्या-"अच्छा ठीक है,अब मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड का फोटो तो दिखा दे,कैसी लड़की है? क्या नाम है उसका" 
सूरज-"माँ मेरे पास उसका कोई फोटो नहीं है,उसका नाम शैली है,लेकिन माँ वो मुझे पसंद नहीं है,वो खुद ही मेरे पीछे पड़ी हुई है" 
संध्या-"ओह्ह ये शैली बही लड़की है जिससे तूने कंपनी के टेंडर के लिए विनती की थी,गीता ने बोला था" 
सूरज-"हाँ माँ ये वहीँ लड़की है,इसी की बजह से हमें टेंडर मिला" 
संध्या-" फिर तो मुझे भी उसे एक बार देखना है,एक बार उसे घर पर बुला ले, उसके व्हाट्सअप पर प्रोफायल फोटो तो जरूर लगा होगा,एक बार बही दिखा दे" 
माँ ने जिद पकड़ ली थी,मुझे मजबूरन माँ को अपने मोबाइल में व्हाट्सअप फोटो दिखाना पड़ा, मैंने नेट ओन किया ताकि व्हाट्सअप फोटो क्लियर हो जाए, माँ मेरे फोन को लेकर फोटो देखने लगी, तभी अचानक व्हाट्सअप पर शैली के बहुत सारे मेसेज आने लगे" 
संध्या-"wowww सूर्या लड़की तो सुन्दर है,देखकर ही लगता है की अच्छे खानदान की लड़की है,लेकिन सूर्या मुझे ऐसा लग रहा है की ये तुझसे उम्र में बड़ी है, तुझे अपने से बड़ी उम्र की लड़कियां औरत पसंद है क्या" 
माँ के इस सवाल से में हिल गया,चुकीं यह सत्यता भी थी,मुझे बड़े चूचियों और बड़े चूतड़ बाली औरते और लड़कियां पसंद थी।
मेरे पास कोई जवाब नहीं था। माँ का सोचना गलत नहीं था,सूर्या ने अब तक घर की नोकरानी और तान्या दीदी की फ्रेंड सोनिया और मधु मौसी को चौदा था जो सूर्या से उम्र में बड़ी ही थी।
सूरज-"माँ ऐसा नहीं है,में आपको कैसे समझाऊ" माँ मेरी बात पर हँसाने लगी।
संध्या-"चल कोई बात नहीं, ये तेरा अपना निजी मामला है,बेटा लगता है शैली ने फोटो भेजे हैं,एक बार कोई साफ सा फोटो देख" माँ ने तुरंत शैली के व्हाट्सअप नम्बर को खोला और मेसेज और फोटो को देखा तो एक दम हैरान हो गई,और फोन मेरी तरफ फेंक दिया......

संध्या माँ ने मेरे मोबाइल पर शैली के व्हाट्सअप पर ऐसा क्या देखा की माँ एक दम चोंक गई,और मोबाइल मेरी तरफ फेंक दिया, माँ की साँसे और तेज धड़कन इस बात का सबूत दे रही थी की जरूर कुछ गलत देखा है, में कभी माँ को देखता तो कभी बेड पर पड़े मोबाइल को देखता,
सूरज-"क्या हुआ माँ? 
मैंने अपना मोबाइल उठाया तो देखा शैली ने अपने कई नंग्न फोटो भेजें हैं,जिसमे वो अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी, 
एक मेसेज भेज था उसमे लिखा था" 
'तेरे मोटे लंड की चाहत में आज फिर से मेरी चूत गीली है,कब मेरी प्यास बुझाएगा" 
जैसे ही मैंने मेसेज पढ़ा और फोटो देखा मेरी गांड फट गई,आज फिर से शैली के कारण माँ के सामने मुझे बेज्जत होना पड़ेगा,हो सकता है माँ मुझसे नाराज़ भी हो जाए,में मन ही मन शैली को कोसने लगा,ये क्या किया शैली, अब माँ को कैसे समझाऊ में,
इधर 
माँ अपनी साँसे थमने का इंतज़ार कर रही थी, थोड़ी देर बाद अपनी साँसों को अपने बस में करती हुईं बोली।
संध्या-" सूर्या ये तो बहुत बत्तमीज लड़की है, तू इस तरह की लड़की को पसंद करता है, कितनी गन्दी गन्दी तस्वीर तुझे भेजती है, ओह्ह्हो आजकल की लड़कियो को भी पता नहीं क्या हो गया है" माँ ने अपने दोनों हाँथ अपने सीने पर रख कर जोर से सांस लेते हुए कहा।
सूरज-"सॉरी माँ मुझे नहीं पता था वो इस तरह मेसेज भेजेगी, यदि मुझे पता होता वो इस प्रकार के नग्न फोटो और अश्लील मेसेज भेजेगी तो में आपके हाँथ में मोबाइल देता ही नहीं" मैंने सफाई देते हुए बोला।
संध्या-" मुझे भी नहीं पता था आजकल की लाडकियां व्हाट्सअप पर नग्न फोटो भेजती हैं बरना में भी तेरे मोबाइल को नहीं छूती"में नज़रे नीचे करके सुन रहा था, माँ अपनी गलती का अहसास करती हुई बोली,माँ का रवैया जिस प्रकार में सोच रहा था उस तरह का नहीं था, माँ के शांत और लचीले लहजे में बोलने के कारण मेरा डर भी कम हो गया था लेकिन में माँ से नज़रे नहीं मिला पा रहा था और ये बात माँ भी समझ गई थी।
संध्या-" सूर्या क्या हुआ नज़रे नहीं मिला प् रहा है मुझसे, तू ऐसा काम ही क्यूँ करता है, अच्छा अब एक बात बता सच सच, तूने शैली के साथ भी किया है" माँ का इशारा सेक्स की तरफ था, माँ से कैसे बोलू, समझ नहीं आ रहा था,सच बोलने से डर नहीं लगता है,कहीं माँ नाराज़ न हो जाए इस बात से डर लगता है ।
सूरज-"माँ आप किसकी बात कर रही हो,शैली के साथ क्या?" मैंने अपना संदेह दूर करने के लिए पूछ लिया,लेकिन इस बार माँ बुरी तरह झेंप गई, लेकिन माँ तो मुझसे ज्यादा बुद्धुमान थी ।
संध्या-" ओह्ह्ह सूरज ज्यादा भोला मत बन, जो तूने मधु के साथ किया था क्या वही काम तूने शैली के साथ भी किया है?" मेरे लिए सबसे कठिन सवाल था ये, इसका जवाब देने के लिए वास्तविक छप्पन इंच का सीना होना चाहिए यदि सवाल आपके परिवार का सदस्य करता है तो ।
सूर्या-"हाँ माँ किया है,लेकिन इसमें एक कंडीसन थी? माँ एक दम चोंकि आखिर सेक्स में कैसी कंडीसन।
संध्या-"क्या कंडीसन,कैसी कंडीसन थी सूर्या,साफ़ साफ़ बोल" 
माँ हैरानी से मुझे देखते हुए बोली ।
सूरज-" कंडीसन यह है माँ 'मैंने उसके साथ नहीं किया,उसने मेरे साथ किया था,मुझे मजबूर किया था"जैसे ही मैंने यह बोला माँ आँखे फाड़े देखने लगी मुझे, मैंने अपना बचाव करते हुए बोला ।
संध्या-" ओह्ह्हो सूर्या तेरा मतलब है की सब कुछ उसी ने किया तूने कुछ नही किया" 
सुरज-" हाँ माँ, जब उसने किया तो मजबूरन मुझे भी........" मैंने अधूरी बात छोड़ दी लेकिन माँ समझ गई ।
संध्या-" इसका मतलब ये है की घर में आग पहले से लगी थी तू सिर्फ बुझाता है" इस बार माँ के चेहरे पर हलकी मुस्कान थी।
सूरज-" हाँ माँ शायद" 
संध्या-"शायद!? ओह्हो सूर्या तू भी पागल है पूरा,और मुझे भी पागल करके छोड़ेगा, आग तो पुरे शहर में लगी है तो क्या पुरे शहर की आग बुझाने का ठेका ले लिया है तूने,भला ऐसी भी क्या मज़बूरी"इस बार मेरी बोलती बंद।
सूरज-"सॉरी माँ अब गलती नहीं करूँगा" मेरे पास अपनी बकालत करने के लिए अब शब्द नहीं थे इसलिए मैंने मागी मागना ही उचित समझा, 
तभी मेरे फोन पर तान्या दीदी की कोल आई, मैने माँ को बताया की दीदी मुझे बुला रही हैं।
संध्या-"बेटा मेरी बात का बुरा मत मानना, में तेरी भलाई के लिए समझाती हूँ, तू अभी नादान है,न समझ है,तेरी नादानी का लोग फायदा उठाते हैं, अब से तू वादा कर कोई बात तू मुझसे छुपाएगा नहीं, में अगर तुझसे कुछ कहूँगी तो तेरे भले के लिए कहूँगी, अब तू तान्या के पास जा बेटा,और अब सो जाना,रात भी बहुत हो चुकी है"माँ ने खड़े होकर बोला,और जाते जाते मुझे गले लगा कर मेरे माथे पर चूम लिया,माँ के इस बदलाव को देख कर मुझे अत्यंत ख़ुशी थी की माँ नाराज नहीं है।माँ के नीचे जाने के बाद में तान्या दीदी के कमरे में गया,दीदी मेरा ही इंतज़ार कर रही थी।
तान्या-"आ गया मेरा भाई,मुझे नींद नहीं आ रही है सूर्या,मेरे पास सो जा" 
सूरज-" दीदी दवाई खाने के कारण आपको बैचेनी सी रहती होगी, इसलिए नींद नहीं आती है,आप चिंता न करो,में आपको अभी लोरी गा कर सुला देता हूँ" मैंने हँसते हुए बोला,दीदी के बगल में लेट गया और एक हाँथ से दीदी की पीठ पर थपकी देने लगा।
तान्या-"आह्ह्ह मेरे भाई तेरे आते ही मुझे बड़ा सुकून सा मिलता है,कितनी अभागिन थी अब तक अपने ही प्यारे भाई से अलग रही" तान्या सूरज के सीने पर हाँथ रखकर लेट जाती है, 
सूरज-" कोई नहीं दीदी,अब से में हमेसा तुम्हारे साथ हूँ,अब सो जाओ दीदी" तान्या आँखे बंद करके सो जाती है लेकिन सूरज की आँखों में नींद नहीं थी,संध्या के बारे में सोच रहा था और अब तक की बातचीत की समीक्षा कर रहा था। माँ के मृदुल व्यवहार और उनके सबालो से निष्कर्ष निकल रहा था की माँ भी सूरज के साथ दोस्ताना व्यवहार की चाहत रखती है,उन्हें डर है की कहीं सूर्या उनसे दूर न हो जाए इसलिए सूर्या के करीब रहकर उससे समझाने में ही उन्होंने भलाई समझी।
इधर जब संध्या अपने कमरे में जाती है तो जोर की सांस लेती है,शैली के भेजे गए नंग्न फोटो और उसके मेसेज में लिखे गए शब्द को याद कर संध्या को यह पता लग गया था की शैली सूर्या के लंड की तड़प में जल रही है,उसे बड़ा अजीब लग रहा था,शैली ने लिखा था की "तेरे मोटे लंड को याद करके मेरी चूत गीली है" संध्या मन ही मन सोचती है क्या बाकई में सूर्या का लंड बहुत मोटा है, 
संध्या को याद आता है की उसने जब मधु की चूत चाटी तो उसमे सूर्या का वीर्य भरा हुआ था, उसने पहले तो बड़े प्यार से सूर्या का पानी चाटा था,जाने अनजाने में ही सही लेकिन अपने बेटे के लंड का पानी तो चखा था, संध्या खड़े खड़े ही अपनी मेक्सी के अंदर हाथ डालकर पेंटी के ऊपर अपनी चूत को सहलाती है उसे एक जोर का झटका लगता है उसकी पेंटी उसके चूत रस से पूरी भीगी हुई थी जिसका उसे अहसास तक नहीं था, संध्या को इस बात से अपने ऊपर बड़ी ग्लानि सी महसूस होती है,
संध्या-"यह क्या हो गया मुझे,सूर्या से बात करते करते मेरी पेंटी कैसे भीग गई,क्या में भी सूर्या से आकर्षित हूँ,नहीं यह गलत है वो मेरा बेटा है" संध्या अपनी गीली पेंटी उतार कर देखती है तो उसकी चूत पर बहुत सारा चूतरस लगा हुआ था,जिससे उसकी चूत चिपचिपा रही थी, संध्या अपनी चूत साफ़ करने के लिए अपनी पेंटी झुक कर फर्स से उठाती है तभी बेड के नीचे उसे मधु का दिया हुआ डिडलो दिखाई देता है,मधु उसे लेजाना भूल गई, संध्या डिडलो के प्रति आकर्षित हो जाती है उसकी चूत में खुजली मचने लगती है, डिडलो को उठाकर बेड पर चित्त लेट जाती है और डिडलो को चूत के मुख पर रगड़ने लगती है, उसकी साँसे और धड़कन तेजी से चलने लगती है ,संध्या डिडलो का बटन ओन करती है, वाइब्रेट डिडलो को चूत में घुसेड़ते ही उसकी चीख फुटने लगती है,मुह से सिसकारी फुट जाती है, चूत के छेद में कभी आधा डिडलो तो कभी पूरा डालने का प्रयास करती, संध्या सोचती है की सूर्या को औरते ज्यादा पसंद होंगी इसलिए तो उसने मेरी ही उम्र की मधु की चूत की सुलगती आग को ठंठा कर दिया, मधु में तो बहुत आग है,कैसे शांत किया होगा सूर्या ने उसे, संध्या तेज तेज हाँथ चलाने लगती है, एक हाँथ से अपबि चूचियों को मसलती है,तो कभी निप्पल को मसलती है, चूत से हल्का हल्का पानी रिसने से चूत गीली हो गई थी,डिडलो अब आराम से अंदर बहार हो रहा था,संध्या जैसे डिडलो को चूत में घुसेड़ती उसकी आनंद की सीमा नहीं रहती,स्वर्ग का अहसास उसे चूत की रगड़ाई में महसूस हो रहा था, संध्या सूर्या के लंड की कल्पना करने लगती है, वो सोचती है की नकली लंड से इतना मजा आ रहा है तो असली लंड से कितना मजा आएगा,22 साल हो गए उसे लंड से चुदवाए हुए, आज फिर से लंड की चाहत और कामवासना उसकी जाग चुकी थी।
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12-25-2018, 01:11 AM,
#37
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
संध्या डिडलो को निकालकर देखती है तभी संध्या डिडलो के सुपाड़े को चाट लेती है,अपनी ही चूत का पानी चाटती है तभी उसे सूर्या के लंड का पानी याद आता है और उसका स्वाद,अपने और सूर्या के कामरस के स्वाद का आंकलन करती है उसे सूर्या के लंड का पानी ज्यादा स्वादिष्ट लगा था, संध्या यह सोचते ही पागल सी हो जाती है और जोर जोर से डिडलो को चूत में रगड़ती है, उसके मुह से अनायास ही निकल जाता है ।
संध्या-"ओह्ह्ह्ह सूर्या मेरी प्यास बुझा,fuck me"इतना बोलते ही उसकी चूत से फब्बारा फूटता है, चूत से पानी ऐसे बह रहा था जैसे ट्यूबेल चल रहा हो उसकी चूत में,सूर्या की कल्पना करते ही वो झड़ जाती है, संध्या रुक रुक कर झड़ रही थी,उसका शारीर एड़ गया था,गांड ऊपर उठ गई थी।
संध्या सोचती है इतना भयानक स्खलन आज तक नहीं हुआ,ओह्ह्ह यह क्या सूर्या का नाम मेरे मुह से कैसे आ गया, उसका नाम लेने से ही में झड़ गई,इतना पानी तो आज तक कभी नहीं निकला,लेकिन उसका शारीर तृप्त हो चूका था,उसको पूर्ण शान्ति महसूस होती है, बेडशीट देखती है तो चोंक जाती है,आधे हिस्से में चूत के पानी से भीग चुकी थी,ऐसा लग रहा था जैसे उसने मूता हो, संध्या बेडशीट हटाकर बिस्तर पर लेट जाती है,उसके शारीर में जान ख़त्म सी हो गई थी,इसलिए बिस्तर पर लेटते ही नींद के आगोश में चली गई, 
सुबह के 8 बजे सूर्या की आँख खुलती है,नीचे फ्रेस होकर आता है तो उसे माँ दिखाई नहीं देती है, संध्या रात के ज्यादा मेहनत और 
थकान की बजह से उसकी आँख नहीं खुली थी। सूर्या संध्या को जगाने उसके कमरे में जाता है,जैसे ही संध्या को बेड पर सोया हुआ देखता है तो उसकी आँखे फ़टी की फटी रह जाती है,दिल की धड़कन बढ जाती है और उसके लंड का साइज़ भी बढ़ जाता है ।

सूरज जैसे ही कमरे में घुसता है और संध्या को माँ कहकर पुकारता है, तभी उसकी नज़र संध्या पर पड़ी जो अस्त व्यस्त बेड पर पड़ी थी, उसकी मेक्सी उसकी कमर पर थी,चित्त लेटने के कारण सूरज की नज़र संध्या की झान्टो से ढकी हुई चूत पर पड़ी,स्याह काले बाल से भरी हुई चूत का छेद तो दिखाई नहीं दिया लेकिन चूत के अग्र भाग बाली चमड़ी जो की हलकी कत्थई रंग की थी वो लटकी हुई दिखाई दे रही थी,गोरी गोरी जांघों के बीच काले बालो का झुण्ड से घिरी चूत बुरे बदन की शोभा बढ़ा रहे थे । सूरज का लंड पेंट में झटके मारने लगा, सांसे तेजी से चलने लगी,लेपटोप और गुप्त केमरो के माध्यम से अब तक संध्या की चूत का दीदार तो किया था परंतु आज साक्षात देखकर सूरज का मन ललचा गया, सूरज के मुह में पानी सा आ गया,तभी सूरज की नज़र फर्स पर पड़ी चादर पर जाती है जिसपर कामरस के दाग साफ़ दिखाई दे रहे थे,सूरज को समझते देर नहीं लगी,वो समझ गया की रात में माँ ने अपनी कामाग्नि को ऊँगली के माध्यम से शांत किया है,सूरज की नज़र दौड़ती हुई पुनः बेड पर जाती है तभी उसे डिडलो दिखाई देता है, सूरज सोचने लगता है की रात में माँ मेरे साथ थी,कहीँ ऐसा तो नहीं है माँ रात में शैली के के फ़ोटो और मुझसे बात करने के कारण गर्म हो गई हो । सूरज अभी माँ को निहार ही रहा था तभी सूरज का फोन बजा, फोन की आवाज़ से संध्या की आँख खुल जाती है, संध्या तुरंत बेड से उठकर अपने कपडे ठीक करती है, इधर सूरज घबरा जाता है और तुरंत कमरे से बहार निकल जाता, संध्या सूरज को कमरे से निकलते हुए देख लेती है, अपने नग्न जिस्म और खुली चूत को देखती है तो घबरा जाती है।
जल्दी से फर्स पर पड़ी चादर और बेड पर पड़े डिडलो को उठा कर रखती है, घडी की ओर देखती है तो हैरान रह जाती है 8:30 बज रहे थे, इतनी लेट तो कभी नहीं उठी,हमेसा सुबह 6 बजे तक उठ जाती है,सूरज के देख लेने से उसे शर्मिंदगी होने लगती है, और मन ही मन सोचने लगती है ।
संध्या-"ओह्ह्ह ये मैंने क्या किया, रात में होश न रहने की बजह से नंगी की सो गई, सूरज पता नहीं क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में, गन्दी चादर और डिडलो भी देख लिया उसने, अब तक उसे में उपदेश देती आई हूँ,अब किस मुँह से उसे उपदेस दूंगी, रात तो मैंने हद ही करती सूर्या के कारण ही तो में ऊँगली करने पर मजबूर हुई थी,उससे बात करने के दौरान ही मेरी वासना भड़की थी, ये सब सूर्या के कारण ही हुआ है, चूत में डिडलो के घर्षण के दौरान मैंने सूर्या का ही तो नाम लिया तो और उसके नाम लेकर ही मेरा स्खलन बड़ी तेजी दे हुआ था, क्या में भी सूर्या से आकर्षित हो गई हूँ ? क्या चुदना चाहती हूँ में? ओह्ह्हो नो ये में क्या सोच रही हूँ, बेटा है वो मेरा,इस रिश्ते को कलंकित नहीं कर सकती हूँ में, संध्या अपने आपसे बातें कर ही रही थी तभी उसे चूत से कामरस रिसने का अहसास होता है,संध्या मेक्सी में हाँथ डालकर चूत पर ऊँगली स्पर्श करती है तो चोंक जाती है,चूत से हल्का रिसाव हो रहा था, आह्ह्ह क्या करू में,इस चूत को कैसे समझाऊं की यह गलत है, बेटे के लंड के बारे में सोचकर ही रिसने लगती है निगोड़ी, संध्या जल्दी से बाथरूम में जाकर नहाने लगती है, फब्बारा का तेज पानी उसके बदन की कामाग्नि को शांत करने का प्रयास कर रहा था । तेज पानी की बौछार जैसे ही उसके 38 साइज़ के बूब्स और गुलाबी निप्पल पर पड़ता तो उसका जिस्म सिहर उठता, संध्या अपने बूब्स और निप्पल को मल मल कर साफ़ करती है, अपने जिस्म को बाथरूम में लगे शीशे में देखती है, गोरा बदन,गदराया हुआ,गांड बहार की और निकली हुई,बूब्स आगे की ओर तने हुए,खुद के कामुक बदन को देख कर शर्मा जाती है । जिस्म को निहारने के पस्चात उसके दिमाग में एक बात निकल कर आई, सूर्या को यदि बाहरी लड़कियों से बचाना है तो उसके लिए घर में ही चूत की व्यवस्था करनी होगी, बरना बहार की लड़कियों के साथ सम्भोग करता रहा तो एक दिन फिर से उसी नरकीय दलदल में चला जाएगा, इंसान को यदी घर में 'खुराक और सूराख की व्यबस्था मिल जाती है तो बहार मुह मारना बंद कर देता है। संध्या काफी देर तक इसी उधेड़बुन में लगी रहती है। इधर सूरज जब संध्या के कमरे से भागता हुआ निकला था तब वो बहुत घबरा चूका था,क्या होगा,अब माँ क्या सोचेगी,इसी प्रकार के विचार मन में उत्पन्न हो रहे थे । सूरज फोन निकाल कर देखता है तो तान्या की कॉल आ रही थी, 
सूरज जल्दी से तान्या के पास जाता है, तान्या उसका बड़ी बेसबरी से इंतज़ार कर रही थी, तान्या के डर से अभी भी उसका लंड बैठ जाता है, कमरे में पहुँचते ही तान्या गुस्से में बोली ।
तान्या-"कहाँ चले गए थे नवाब साहब,मुझे उठाया भी नहीं और गुड़ मॉर्निंग भी नहीं बोला" सूरज को अपनी गलती का अहसास होता है, तान्या नटखट अंदाज़ में बोली ।
सूरज-"ओह्हो में तो भूल ही गया,अभी लो में दीदी को गुड़ मॉर्निंग बोलता हूँ" सूरज तान्या के माथे पर गुड़ मॉर्निंग बोलकर एक गाल पर हलके से चुकटी मारता है ।
तान्या-"आईईईई ये क्या करता है,अभी रुक,तुझे बताती हूँ"सूरज बेड से भागकर अलग हट जाता है, तान्या बेड से उठने को होती है,वो भूल जाती है एक पैर में प्लास्टर है,अपना मन मसोस कर रहा जाती है,सूरज हँसता रहता है ।
सूरज-"क्या हुआ दीदी उठो न,आओ पकड़ो मुझे" मजाक बनाता हुआ बोला 
तान्या-"थोड़े दिन रुक जा बेटा,एक बार प्लास्टर खुल जाए,तब तुझसे बदला लूँगी" 
सूरज-"दीदी एक बार मेरी मसल तो देख लो, मुझसे कुश्ती लड़ पाओगी आप" सूरज मसल दिखाता हुआ बोला,सूरज का गठीला जिस्म तो था ही ।
तान्या-"लड़ तो नहीं सकती हूँ लेकिन उससे भी बड़ी सजा दे सकती हूँ में तुझे" सूरज चोंक जाता है,ऐसी कौनसी सजा देंगी दीदी।
सूरज-"ऐसी कौनसी सजा दोगी दीदी" 
तान्या-" तुझसे खुट्टा हो जाउंगी, बात ही नहीं करुँगी"तान्या किसी बच्चे की तरह नटखट अंदाज़ में बोली, सूरज यह सुनकर तान्या के पास जाकर सीने से लग जाता है।
सूरज-"नहीं दीदी,अब ऐसा कभी मत करना, अब आपके बिना जी नहीं सकूँगा,कभी नाराज और खुट्टा मत होना" 
तान्या सूरज को गले से चुपका लेती है, 
तान्या-"तू डर गया न भाई, ओह्हो ज्यादा सेंटी मत हो, आज तू मुझे भी कंपनी घुमाने ले जाएगा ये तेरी सजा है"तान्या हँसते हुए बोली ।
सूरज-"दीदी ऐसी हालात में,आप चल फिर नहीं सकती हो" सूरज ने समझाते हुए बोला। 
तान्या-"मुझे कुछ नहीं पता सूर्या,तू सहारा बनेगा मेरा,कुछ भी कर मुझे साथ लेकर चल,में बोर हो जाती हूँ अकेले" तान्या की जिद के आगे सूर्या हार मान लेता है और साथ ले जाने के लिए तैयार हो जाता है।
सूरज-"ठीक है दीदी,आप जल्दी से तैयार हो जाओ" 
तान्या-" तैयार तो तब होउंगी जब तू मुझे बाथरूम में छोड़ कर आएगा, जल्दी से मुझे गोद में लेकर बाथरूम में छोड़कर आओ" तान्या हुकुम चलती हुई बोली,सूरज तान्या को गोद में लेकर बाथरूम में जाता है, 
सूरज-"ओह्ह दीदी कितनी भारी हो गई हो आप,थोडा भाव कम खाया करो"सूरज तान्या को चिढ़ाते हुए बोला, 
तान्या-"अभी रुक तुझे सबक सिखाती हूँ" तान्या सूरज को मारने लगती है। इसी प्रकार नोक झोक करते हुए सूरज बाथरूम में रखी कुर्सी पर तान्या को छोड़ देता है।
तान्या-" सूर्या मोम को मेरे पास भेज देना,वो मेरे कपडे निकाल कर दे देंगी" सूरज यह सुनकर नीचे जाता है,उसकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी माँ के पास जाने की, लेकिन मजबूरन सूरज को जाना पड़ता है माँ के पास,सूरज माँ के कमरे के बहार से ही माँ को आवाज़ देता है,संध्या भी अब तक तैयार हो चुकी थी।सूरज दरबाजा खटखटा कर बहार से बोलता है ।
सूरज-"माँ माँ तान्या दीदी आपको बुला रही है" संध्या सूर्या की आवाज़ सुनकर एक दम चोंक जाती है, और तुरंत बोलती है ।
संध्या-"बेटा बस अभी आई" संध्या ने सोचा कबतक मुह छिपाउंगी,एक ही घर में रह कर इसलिए हिम्मत करके दरबाजा खोलती है,सूरज किचेन के सामने डायनिंग टेबल पर बैठा था,जैसे ही संध्या और सूरज की नज़र आपास में टकराती है,संध्या और सूरज दोनों सुबह की घटना को याद कर शर्मा जाते हैं, संध्या जींस और कुर्ता पहनी हुई थी,सूरज संध्या को सीढ़ियों से जाते हुए उसकी मोटी मटकती गांड का उभार देखता है, संध्या आखरी सीढ़ी पर जाकर एक दम सूरज की ओर पलट कर देखती है,तो समझ जाती है सूरज उसकी गांड को निहार रहा था,सूरज एक दम सिटपिटा जाता है,संध्या मुस्करा देती है और तान्या के कमरे में चली जाती है । दस मिनट बाद संध्या नीचे आती है और जल्दी से किचेन में चाय नास्ता तैयार करती है,सूरज नीचे सर करके बैठा था, शर्म आ रही थी उसे,संध्या सूरज के लिए नास्ता देती है और खुद साथ बाली टेबल पर बैठ जाती है,सूरज की धड़कन तेजी से धड़क रही थी,जल्दी से चाय नास्ता करता है तभी संध्या बोलती है । 
संध्या-"बेटा तान्या कंपनी जा रही है,क्या में भी तुम्हारे साथ चलू,काफी दिन हो गए कंपनी नहीं गई हूँ" 
सूरज-"हाँ चलो माँ, में दीदी को लेकर आता हूँ" सूरज चला जाता है,जैसे ही तान्या के रूम में जाकर तान्या को देखता है तो हैरान रह जाता है तान्या पंजाबी सलवार सूट पहनी हुई थी,बाल बिखरे हुए,सोनाक्षी सिन्हा से ज्यादा सुन्दर लग रही थी।
सर की चोट सही हो चुकी थी,इस लिए अब सिर्फ पैर का प्लास्टर ही रह गया था ।
सूरज-"woww दीदी बहुत सुन्दर लग रही हो" 
तान्या-"वो तो में हमेसा से ही हूँ"हँसते हुए ।
सूरज-"दीदी अब चलो देर हो रही है,माँ भी साथ जाएगी" 
तान्या-"चलो जल्दी से,उठाओ गोद में" 
सूरज गोद में लेकर नीचे आता है, और गाडी में तीनो लोग बैठकर कंपनी निकल जाते हैं ।
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12-25-2018, 01:11 AM,
#38
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सूरज तान्या और संध्या जैसे ही कंपनी पहुंचे तो सभी कर्मचारी तान्या को देखने के लिए जमा हो जाते हैं, कंपनी का हर कर्मचारी तान्या के जल्द स्वस्थ होने की कामना कर रहा था,तान्या को पहली बार कंपनी के कर्मचारीयों के प्रति हमदर्दी महसूस हुई,कर्मचारियों से कभी उसने ठीक से बात भी नहीं की आज उन्ही कर्मचारियों के मुह से अपने लिए दुआ करते देख तान्या को बड़ी प्रशन्नता हुई। तान्या समझ गई यह सब सूर्या के कारण ही हो पाया है, सूरज तान्या को कंधे के साहरे पूरी कंपनी का दौरा करवा रहा था,तभी गीता सूरज और तान्या को घुलमिल होते देख बड़ी ख़ुशी महसूस करती है, 
गीता-" अरे तान्या मेम अब आप कैसी हो, सूर्या सर को आपके साथ देखकर बहुत ख़ुशी हुई" गीता प्रसन्नत के साथ बोली ।
तान्या-" मेरा प्यारा भाई है ये,इसी के कारण तो मुझे यह जीवन मिला है,में तुम्हे भी थेंक्स बोलना चाहती हूँ गीता,आपने मेरी और कंपनी की बहुत मदद की है" गीता बहुत खुश होती है,संध्या खुश होती है ।
तान्या-"अरे हाँ गीता टेंडर का काम कितना पूरा हो गया" 
गीता-" सूर्या की दिन रात की लग्न और मेहनत से टेंडर का कार्य पूरा हो गया"गीता खुश होकर बताती है,तान्या को विस्वास नहीं हो रहा था,एक महीने का कार्य 15 दिन में पूरा हो गया, ये कंपनी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी,कंपनी का नाम रोशन हो गया था ।
तान्या-"क्या टेंडर 15 दिन में पूरा हो गया, woww सूर्या तूने बताया नहीं मुझे,ये ही ख़ुशी की बात है,मुझे आज गर्व हो रहा है अपने भाई पर" तान्या सूरज को गले लगा कर किस्स करती है" संध्या भी सूर्या के इस कार्य की सराहना करती है, 
हालाँकि संध्या सुबह बाली घटना को लेकर अभी भी सूर्या से नज़ारे नहीं मिला पा रही थी, सूरज भी बीच बीच में संध्या को निहार लेता,दोनों की आँखे एकदूसरे से टकराती तो सूरज शर्मा जाता और संध्या भी ।
कंपनी के सभी लोग खुश थे। तान्या कंपनी के सभी कर्मचारियों को ख़ुशी में बोनस देने का आदेश देती है । काफी देर कंपनी में घूमने के बाद संध्या 'सूरज और तान्या' को रेस्टुरेन्ट में चलने के लिए बोलती है, आज सुबह सिर्फ नास्ता करके ही सभी लोग आए थे । तान्या तुरंत सूर्या से रेस्टुरेन्ट चलने के लिए बोलती है।तीनो लोग रेस्टुरेंट जाकर पिज़्ज़ा बर्गर खाते है । रेस्टुरेंट में तान्या महसूस करती है की संध्या और सूरज आपस में बात नहीं कर रहें हैं।
तान्या-"माँ क्या हुआ,आप आज इतनी शांत क्यूँ हो, और सूर्या भी शांत है" यह सुनकर संध्या चोंक जाती है और सूरज भी, 
संध्या-' अरे नहीं बेटा में शांत कहाँ हूँ, में तो आज तुझे प्रसन्न देख कर खुश हूँ,इतना खुश मैंने तुझे आज तक नहीं देखा, ऐसे ही खुश रहा कर मेरी बच्ची" 
तान्या-"थेंक्स माँ, सूर्या तुम आज क्यूँ उदास हो,कोई बात हो तो बोलो" संध्या जानती थी सूर्या क्यूँ नहीं बोल रहा है,मेरे कारण शर्मा रहा है,आज उसने अपनी जन्मभूमि के दर्शन जो कर लिए हैं । 
सूरज-" नहीं दीदी ऐसा कुछ नहीं है, आपको ऐसा लगा होगा" 
तान्या-" चलो कोई नहीं,अब जल्दी से घर चलो" 
सभी लोग खाना खा कर घर पहुंचे,8 बजे चुके थे । सूरज अपने कमरे में फ्रेस होकर तनु से बात कर रहा था, सूरज का रौज का नियम था,तनु और पूनम से बात करके हालचाल पूछता, सूरज ज्यादा समय नहीं दे पाता था अपने बहन और माँ को इस बात की शिकायत हमेसा उनको रहती थी ।
लेकिन सूरज सबको समझाता था,तनु सूरज से अकेले में ऐसे बात करती जैसे अपने पति से बात करती हो, दो बार सूरज से चुदने के बाद तनु की प्यास बहुत ही भड़क चुकी थी, लेकिन रोजाना अपनी प्यास ऊँगली से बुझा लिया करती थी, इधर पूनम सूरज के सभी राज जानने के बाद हर रोज सूरज से हालचाल पूछती थी, सूरज अपनी हर बात कंपनी और घर की पूनम को बता देता था, पूनम सूरज को लेकर बहुत चिंतित रहती थी,अकेला होकर पूरी जिम्मेदारी संभालना सूरज की बहुत बड़ी उपलब्धि मानती थी, पूनम को जब भी समय मिलता था वह सूरज से बात कर लेती थी ।
सूरज अपने कमरे में लेटा हुआ था, तनु और पूनम से बात ही कर रहा था तभी संध्या सूरज के कमरे में आती है, संध्या सूरज से बात करने के लिए उत्सुक रहती थी, संध्या सुबह वाली घटना के लिए भी सूरज से बात करना चाहती थी,एक ही घर में रहकर दोनों लोग आज शर्म और हया के कारण बात तक नहीं कर पा रहे थे,ये बात संध्या को मन ही मन खाए जा रही थी, संध्या सूरज से दोस्ताना व्यवहार चाहती थी,ताकि आपस में अपनी बात कहने में किसी को कठिनाई न हो, और कहीं न कहीं संध्या सूरज के प्रति आकर्षित भी थी, आखिर 22 साल तक किसी पुरुष के संपर्क में नहीं रही है,संध्या ने न ही कभी कोई बॉय फ्रेंड बनाया और न ही कोई मित्र, अकेले रहकर ही बिजनेस और घर को संभाला है लेकिन आज उसे पुरुष मित्र की आवश्यकता महसूस हो रही थी, बहारी पुरुष को मित्र न बनाकर सूरज के अंदर एक मित्र को देखने का प्रयास कर रही थी संध्या, एक ऐसा मित्र जिससे अपनी हर बात कह सके,संध्या कभी अपनी मन की सुनती तो कभी अपनी पनियाती गीली चूत की सुनती, चूत चुदने के लिए फड़कती और मन रिस्तो की मर्यादा का संकेत करता, लेकिन आज मन मस्तिक से ज्यादा चूर की हवस हावी थी संध्या पर, संध्या चाहती थी को सूरज हमेसा उसके साथ रहे,उससे बात करे, उसकी बात माने,सूरज को अपने बस में करके उसे दो फायदे दिखाई दे रहे थे एक तो खुद की चुदाई की चाहत और एक बहारी लड़कियों से छुटकारा,इसी उद्देश्य के साथ संध्या जैसे ही सूरज के कमरे में पहुंची तो देखा सूरज किसी से बात कर रहा था, संध्या को लगता है की जरूर शैली से बात कर रहा होगा, 
इधर सूरज जैसे ही संध्या माँ को देखता है एक दम चोंक जाता है उसे लगता है कहीं माँ सुबह बाली बात को लेकर नाराज़ तो नहीं है,में उनके कमरे में चला गया था और उनको नग्न देख लिया था,सूरज फोन काटकर तुरंत बिस्तर से खड़ा हो जाता है, संध्या कमरे में आकर बेड पर बैठ जाती है,संध्या रात बाली ही मेक्सी पहनी थी जिसमे उसका बदन बहुत ही कामुक लग रहा था, संध्या और सूरज दोनों ही बैचेन थे, और खामोश थे,तभी संध्या बोलती है ।
संध्या-" मैंने डिस्टर्व तो नहीं किया तुझे" 
सूरज-"नहीं माँ,डिस्टर्व कैसा, आप कभी भी आ सकती हो" 
संध्या-"तू अभी फोन से बात कर रहा था, तेरी बात अधूरी रह गई होगी, गर्ल फ्रेंड से बात कर रहा था अभी' सूरज कैसे बताता असली सच की वो अपनी सगी बहनो से बात कर रहा था,इसलिए झूठ ही बोल देता है की गर्ल फ्रेंड से बात कर रहा था ।
संध्या-" ओह्ह्हो फिर तो बाकई मैंने तुझे डिस्टर्व किया है, शैली से ही बात कर रहा था या और भी गर्ल फ्रेंड है तेरी" 
सूरज-" एक ही गर्ल फ्रेंड है माँ"सूरज सर झुकाए ही अपनी बात बोल रहा था,संध्या सूरज को बैठने के लिए इशारा करती है ।
संध्या-" झूठ बोलता है तू मधु भी तो है तेरी गर्ल फ्रेंड" संध्या मुस्कराते हुए बोली ।

सूरज-"मधु मौसी से में संपर्क तोड़ चूका हूँ माँ,इस समय एक ही है" संध्या खुश होती है क्यूंकि मधु से संपर्क तोड़ दिया था सूरज ने। 

संध्या-" चल ये ठीक किया तूने, अच्छा ये बता सूर्या लड़के और लड़कियां आपस में मित्र क्यूँ बनते हैं?, संध्या के इस सवाल को सुनकर सूरज सोचने लगता है ।
सूरज-" माँ वैसे तो मित्रता मनुष्य के हृदय की एक स्वाभाविक रचना है। प्रत्येक व्यक्ति ऐसे साथी की खोज में रहता है जिसके समक्ष वह अपने हृदय को खोल कर रख सके। अपने अंतर में छिपे हुए भावों को निःशंक हो कर व्यक्त कर सके। जो कष्ट मुसीबत के समय सहयोग दे सके। मित्र से आप आपनी दिल की हर बात कह सके, उससे सलाह ले सके और जीवन के हर पहलु में उसका एक अहसास हो की कोई अपना है,जिससे हर प्रकार की समस्या का निस्तारण हो" संध्या सूरज की यह बात सुनकर मित्रता की कमी को महसूस करती है। 
संध्या-" सही कहा सूरज, लेकिन एक बात और में पूछना चाहती हूँ क्या मित्र बहार का इंसान ही हो सकता है,घर परिवार में एक बहन भाई मित्र नहीं हो सकते,एक माँ और बेटा मित्र नहीं हो सकते, मित्रता का मतलब सिर्फ लड़का लड़की के प्रेम और शारीरिक प्रेम को ही मित्रता कहते हैं" सूरज इस सवाल का जवाब ढूंढते हुए बोला,
सूरज-" शारीरिक प्रेम मित्रता की निशानी नहीं है माँ, लेकिन समयनुसार जरुरत हो सकती है,माँ-बेटा,भाई बहन मित्र हो सकते है, प्रेम और मित्रता अलग विषय हैं, प्रेम में शारीरिक अपेक्षाएं होती हैं माँ" सूरज बडे ही कठिन सवालो के जवाब के घेरे में फस चूका था ।
संध्या-' सूर्या में चाहती हूँ तू बहारी लड़कियों का साथ छोड़ दे,उनसे मित्रता तोड़ दे, बहारी लड़कियां मित्रता का झूठा झांसा देकर तुझसे शारीरिक प्रेम सुख की अपेक्षा रखती हैं और तुझसे कई बार वो शारीरिक सुख भोग भी चुकी हैं, बाहरी लड़कियों के चक्कर में रहा तो किसी दिन तू लंबी या भयंकर बीमारी से ग्रस्त हो जाएगा" संध्या चिंता करते हुए बोली, सूरज बड़ी दुबिधा में फस चूका था ।
सूरज-" ठीक है माँ,जैसा आप चाहती हो वैसा ही होगा" 
संध्या-" ओह्ह्ह थेंक्स सूर्या, तूझे कोई परेसानी है तो मुझसे बोल सकता है,में तुझे ठीक सलाह देने का प्रयास करुँगी,तू मुझे ही अपना मित्र समझ, कोई भी समस्या हो में सॉल्व करुँगी, क्या हम दोनों मित्र नहीं बन सकते, बेटे के लिए एक माँ से बेहतर कोई मित्र नहीं हो सकता है, में इसलिए दोस्त बनने के लिए इस लिए कह रही हूँ ताकि तू कोई बात कहने में मुझसे शर्माए नहीं, में अभी अकेली पड़ी पड़ी सोचती रहती हूँ अपने दिल की बातें किसी से कह नहीं पाती हूँ,इस लिए बोल! बनेगा मेरा दोस्त" कहीं न कहीं सूरज भी चाहता था की संध्या के करीब जा कर उसके दिल में क्या है यह पता करू,इसलिए सूरज तुरंत हाँ बोल देता है। 
सूरज-" ठीक है माँ" 
संध्या खुश हो जाती है ।
संध्या-" कहीं ऐसा तो नहीं है तू मेरा मन रखने के लिए हाँ बोल रहा हो, सोच कर बता मुझे" सूरज पुनः सोचने लगता है और फिर से हाँ बोलता है ।

सूरज दोस्ती के लिए अपनी सहमति प्रदान करता है,परंतु उसके मन में संदेह रहता है की क्या ये दोस्ती संभव है,मित्र से प्रत्येक विषय पर चर्चा कर सकते हैं,क्या माँ से हर प्रकार की चर्चा करना संभव है, हालाँकि सूरज का नाज़रिया संध्या के प्रति बदल सा गया था, संध्या को एक माँ के रूप में न देख कर उसे एक कामदेवी नज़र आती थी,और ये वास्तविकता भी है,संध्या का गदराया जिस्म लम्बा कद काठी, गांड बहार की ओर निकली हुई,बूब्स आगे की ओर तने हुए और उसकी नशीली आँखे किसी कामदेवी से कम नहीं थी, फ़िल्मी अभिनेत्री रेखा भी संध्या के सामने शर्मा जाए, ऐसी मनमोहक सुंदरता,चेहरे पर हमेसा कातिल मुस्कान बनी रहती है, 
काफी देर सूरज संध्या के बारे में सोचता है फिर बोलता है।
सूरज-"माँ दोस्त का मतलब आप जानती हो न, दोस्त हर विषय पर सलाह मांग सकता है, दोस्त और रिश्ते एक जगह नहीं रह सकते, में जो बात एक दोस्त से कह सकता हूँ वो बात एक माँ से नहीं, में चाहता हूँ घर में माँ का रिश्ता और बहार दोस्त का रिश्ता होना चाहिए, या समय के अनुसार रिश्ता बदलना चाहिए,में तैयार हूँ दोस्ती के लिए' 
संध्या मन ही मन खुश थी,क्यूंकि वो खुद चाहती थी सूर्या से खुल कर बात करे।

संध्या-' सूरज में भी यही चाहती हूँ तू बिलकुल खुल कर मुझसे बात करे, और में तो चाहती हूँ तू भूल जा की सामने तेरी माँ है ऐसा महसूस कर की तेरा दोस्त तेरे सामने है, मेरी हमेसा से एक चाहत थी की जीवन में एक ऐसा मित्र होता जिसके साथ खूब घूमती,डिनर पर जाती, जिसके साथ पब में जाती,पार्क में घूमती, दुनिया के हर आनंद लेती लेकिन मेरी किस्मत में शायद घूमना फिरना मौज मस्ती करना लिखा ही नहीं था, पूरा जीवन बच्चे और बिजनेस में ही निकल गया" संध्या पहले खुश होती है लेकिन जब अपनी पीड़ा और इच्छाएं बताती है तो उदास हो जाती है ।सूरज तुरंत संध्या के सामने फर्स पर बैठकर उसका हाँथ पकड़ लेता है और आस्वासन देता है ।
सूरज-" माँ अब चिंता मत करो, में आपको वो खुशियाँ दूंगा,जिनका आपने सपना देखा है, में वादा करता हूँ माँ एक दोस्त बनकर आपको कभी निराश नहीं करूँगा" संध्या यह सुनकर खुश हो जाती है ।
संध्या-"सच में सूरज,क्या तू बाकई में डिनर और पब(डांसबार) लेकर जाएगा, पर लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे,एक जवान लड़के के साथ बूढी कौन है, और इसको बुढ़ापे में कैसा शौक चढ़ा है ऐसा लोग बोलेंगे" संध्या जानबूझ कर यह बात बोलती है ताकि सूरज के मन की बात जान सके। 
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12-25-2018, 01:11 AM,
#39
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
सूरज-" माँ किसने बोला आप बूढी हो, माँ आप नहीं जानती हो की आप कितनी सुन्दर हो, 18 साल की लड़की भी आपकी सुंदरता का मुकाबला नहीं कर पाएगी, आपका जिस्म एक मोडल से भी अच्छा है, आप मेरे साथ जाओगी तो लोग मुझसे जलेगें और कहेंगे की इतनी सुन्दर अप्सरा इसे कहाँ से मिल गई" संध्या यह सुनकर फुले नहीं समां रही थी, आज पहली बार अपनी तारीफ़ सुनी थी संध्या ने। सूरज जब तारीफ़ कर रहा था तब संध्या के बदन को देख रहा था। 
संध्या-" ओह्ह्हो सूर्या क्या बाकई में मेरा जिस्म मोडल से भी सुन्दर है, मेरा मन रखने के लिए मत बोलना,सच सच बोलना" संध्या खड़ी होकर अपने आपको देखती हुई बोली।
सूरज-" हाँ माँ आप बाकई में बहुत सुन्दर हो, आपको देख कर ऐसा लगता है की आपकी उम्र 30-32 साल से ज्यादा नहीं होगी, आपका फिगर गज़ब है" संध्या शरमा जाती है, सूरज जब फिगर शब्द बोलता है तब उसकी नज़र संध्या के तने बूब्स पर होती है ।
संध्या-"लेकिन मुझे ऐसा लगता है मेरा फिगर एक मॉडल के अनुसार ज्यादा है" संध्या अपने बूब्स की ओर देखती है फिर अपनी कमर की ओर देखती है" 
सूरज-"अरे माँ आप बहम मत पालो,मुझे लगता है की आपका फिगर एक दम परफेक्ट है" 
संध्या-"मतलब तुझे सिर्फ लगता है,है नहीं है फिगर"
सूरज-" मेरा मतलब है जितना मैंने आंकलन किया है,देखा है आपको मुझे लगता है सही है" सूरज सुबह की याद करके बोलता है जब उसने संध्या के बूब्स और चूत को देखा था,उसकी मांसल जांघो को देखा था ।
संध्या-" ओह्ह्ह तू आंकलन भी करता है मेरे फिगर का, अच्छा यह बता मेंरा फिगर अच्छा है या मधु का?" संध्या मधु से तुलना करवाती है सूरज से ।
सूरज-"माँ आपके फिगर का जवाब नहीं है,मधु मौसी तो आपके आगे जीरो हैं, आपकी उनसे तुलना करना बेकार है माँ, आप मधु मौसी से लाख गुना सुन्दर हो" संध्या मन ही मन बड़ी प्रसन्न होती है यह सुनकर ।
संध्या-' लेकिन मुझे लगता है मधु के अंदर आकर्षण मुझसे ज्यादा है,कॉलेज में लड़को की लाइन लगी रहती थी उसके पीछे" 
सूरज-" माँ लड़को की लाइन उनके पीछे नहीं लगी रहती थी, मधु के जिस्म को पाने के लिए लाइन लगी रहती होगी" मधु यह सुनकर फिर से शर्माती है,
संध्या-"हाँ यह बात तो ठीक है मधु ने किसी लड़के को नहीं छोड़ा, अच्छा यह बता सूर्या तुझे मधु के अंदर क्या अच्छा लगा?" सूरज इस सवाल को सुनकर चोंक जाता है अब माँ को कैसे बताए की मधु की चूत अच्छी लगी।
सूरज-"माँ में इसका जवाब आपको नहीं दे पाउँगा,मुझे शर्म आती है,कहीं आपको बुरा न लग जाए इसलिए भी डरता हूँ" 
संध्या-"सूर्या तू भूल गया इस समय तू एक माँ से नहीं दोस्त से बात कर रहा है, भूल जा इस रिश्ते को और एक दोस्त की तरह ही बात कर मुझसे" सूरज को बहुत ख़ुशी मिलती है संध्या के करीब आता जा रहा था। संध्या का भी सपना पूरा होता जा रहा था सूर्या के करीब आने का ।
सूरज-" माँ में आपको बता नहीं सकता,की उनके अंदर अच्छा क्या था" 
संध्या-'अब तू मेरा दोस्त है साफ़ साफ़ बोल मुझे भी तो पता चले की उसके अंदर अच्छा क्या है" 
सूरज को अब मौका मिल गया था साफ साफ बोलने का इसलिए बोल देता है ।
सूरज-" माँ मधु के अंदर हवस और जिस्म के अंदर आग बहुत है" सूरज हिम्मत करके बोल देता है ।
संध्या-"ओह्ह्ह तभी तूने उसकी आग बुझाई थी, चल कोई बात नहीं, जो हो गया सो गया, अब तो तेरा मन नहीं करता है उसके पास जाने का" संध्या जानबूझ कर सूरज को उकसा रही थी ताकि उससे खुल कर बात करें । संध्या बड़ी कामुक मुस्कान के साथ हँसती । 
सूरज-" अब मन का क्या वो तो चंचल होता है, अब तो मन को कंट्रोल करके ही जीना है' 
संध्या-" अगर तुझे लगता है मधु की तुझे जरुरत है तो तू जा सकता है, में तुझे कुछ नहीं कहूँगी, या मन और इच्छाओं को कंट्रोल करना सीख जा" 
सूरज-"माँ में कंट्रोल करना सीख जाऊँगा, आपने कल बोला था न की जिस्म को शांत करने के ओर भी तरीके हैं,में कोई ओर तरीका अपना लूंगा" सूरज का इशारा मुठ मारकर जिस्म शांत करने केलिए था,संध्या भी समझ चुकी थी सूरज मुठ मारने वाला दूसरा तरीका की बात कर रहा है, आखिर कार संध्या भी तो इसी दूसरे तरीके का इस्तेमाल करती थी, चूत में ऊँगली करना दूसरा तरीका" संध्या और सूरज अंदर ही अंदर इस बार्तालाप से गर्मी महसूस कर रहे थे, संध्या की चूत से कामरस बहने लगता था,सूरज का भी मन कर रहा था अभी मूठ मार लू ।
संध्या-" हाँ मैंने कहा था और ये तरीका कुछ समय के लिए सही भी है, मुझे तो यह तरीका बहुत अच्छा लगता है" अनायास ही संध्या के मुह से निकल जाता है,यह सुनकर सूरज का लंड झटके मारने लगता है ।
सूरज-" माँ आपके पास दूसरे विकल्प का बहुत अच्छा साधन है, काश पुरुषो के लिए भी कोई ऐसा ही यंत्र होता" हँसते हुए बोला ।
सूरज डिडलो की बात कर रहा था,चूत के लिए तो डिडलो बना है,लेकिन लंड के लिए ऐसी ही रबड़ की चूत होती ऐसा सोचता है सूरज ताकि अपने लंड की भी आग बुझा सके।
संध्या यह सुनकर चोंक जाती है,उसे सुबह बाली घटना याद आ जाती है जब सूरज ने उसे नग्न देखा था और साथ में नकली लंड जिसे डिडलो कहते हैं । संध्या शर्माती है ।
संध्या-" मेरा पास कौनसा दूसरा साधन है सूर्या" जानबूझ कर चोंकते हुए पूछती है ।

सूरज-"मुझे माफ़ करना माँ में गलती से आज सुबह आपके कमरे में घुस गया था, तब मैंने आपको देख लिया था और वो दूसरा साधन...." सूरज हिम्मत करके बोलता है ।संध्या भी शर्मा जाती है ।
संध्या-" वो दूसरा साधन मेरा नहीं है वो तो मधु का था धोके से रह गया, क्या तूने सब कुछ देख लिया था सूर्या" संध्या चोंकते हुए बोली ।
सुरज-"हाँ माँ मुझे नहीं पता था आप उस हालात मे लेटी हो, वर्ना में कभी नहीं जाता, ऐसा क्या किया था माँ आपने रात में?" सूरज भी धीरे धीरे मजे लेते हुए बोला,लेकिन संध्या को हालात अब ख़राब थी,संध्या समझ चुकी थी सूर्या सब जानते हुए भो पूछ रहा है।संध्या की चूत पानी छोड़ रही थी।
संध्या-"ओह्ह सूर्या ये मत पूछ मुझे शर्म आ रही है अब तेरे सामने बताते हुए भी, तू समझ सकता है, खैर अब तू मेरा दोस्त है तो बता ही देती हूँ, मैंने दूसरे साधन का प्रयोग किया था जिसके कारण में बहुत थक चुकी थी,कब सो गई पता भी नहीं चला,सुबह तू आया तभी नींद खुली मेरी,तुझे शर्म नहीं आई मुझे इस हालात में देख लिया?" संध्या इस बार अंगड़ाई लेती हुई बोली,उत्तेजना का संचार बड़ी तेजी से हो रहा था,अब तक चूत भी कई बार फड़क चुकी थी ।
सूरज-"माँ शर्म तो बहुत आई लेकिन कुछ भी ठीक से दिखाई नहीं दिया मुझे" सूरज संध्या के बालों के झुण्ड की बात कर रहा था,जिसके कारण उसे चूत का लाल दाना दिखाई नहीं दिया ।
संध्या-" दिखाई नहीं दिया,क्या दिखाई नहीं दिया, मुझे ढंग से याद है में जब उठी थी तो बिस्तर पर नंगी ही थी और तू कह रहा है कुछ भी दिखाई नहीं दिया" संध्या भी असमंजस में थी की सूर्या को क्या नहीं दिखाई दिया ।अब सूरज कैसे बोलता की माँ बाल की बजह से चूत के दर्शन ठीक से नहीं हुए,लेकिन फिर भी हिम्मत करता है ।
सूरज-" व् व् वो माँ आपके बाल बहुत थे...? संध्या यह सुनकर शर्मा जाती है।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तू तो बेशर्म है दोस्ती का गलत फायदा उठा रहा है, मुझे भी आज बेशरम बना देगा, ये क्या कह रहा है मेरे बालो की बजह से तू देख नहीं पाया,क्या देखना चाहता था तू" इस बार संध्या एक हाँथ से चूत को मसलती है । 
सूरज-"माँ आपने ही तो बोला था की हम दोस्त हैं और दोस्त से कुछ भी छुपाते नहीं है मेरे मन में यह जिज्ञासा हुई तो पूछ लिया,आपको यदि गलत लग रहा हो तो आप दोस्ती बाला रिश्ता छोड़ सकती हो,में तो आपके आदेश का पालन ही कर रहा हूँ" 
सूरज नाराजगी का झूठा नाटक सा करता है, 
संध्या-" चल तू पूछ सकता है कुछ भी, अब इतना प्यारा दोस्त बना है तो कौन पागल दोस्ती त्यागेगी" संध्या हँसते हुए बोली ।
सूरज-" माँ एक बात पूछू आपसे?" 
संध्या-" कुछ भी पूछ,दोस्त हूँ तो अब पूछ सकता है" 
सूरज-" माँ आपने सेक्स कब से नहीं किया है" सूरज के इस खुले सवाल सुनकर फिर से संध्या को झटका लगता है ।
संध्या-" 22 साल से नहीं किया है" 
सूरज-" माँ आपका मन नहीं किया कभी किसी के साथ सेक्स करने का" 
संध्या-"हाँ बहुत बार किया,लेकिन घर की इज्जत की खातिर नहीं किया' 
सूरज-" जब सेक्स की इच्छा करती है तब आप क्या करती हो,मेरा मतलब है कैसे कंट्रोल करती हो अपने आपको" सूरज सब जानते हुए भी संध्या से खुलना चाह रहा था।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तू आज सब कुछ जानकार ही दम लेगा, ऊँगली से करती हूँ,सूर्या अब में अपने कमरे में जा रहीं हूँ,बाकी के सवाल अब कल कर लेना" संध्या की चूत बिना ऊँगली किए ही रस छोड़ रही थी,संध्या जैसे ही उठती है तो हैरान रह जाती है जिस स्थान पर बैठी थी उस जगह उसकी चूत का कामरस लगा हुआ था,सूरज की नज़र भी एक दम से उसी दाग पर जाती है, सूरज एक ऊँगली से उस कामरस को लेकर देखता है ।
सूरज-"अरे माँ ये बेड भीग कैसे गया, ओह्ह्ह माँ समझ गया,लगता है आपका काम हो गया, या अभी अधूरा है" संध्या बुरी तरह शर्मा जाती है ।
संध्या-"सूर्या ये गन्दा है इसे ऊँगली से मत छू,बेडशीट बदल ले, अब में जा रही हूँ अधूरा काम पूरा करने" संध्या बड़ी कामुकता के साथ मुस्करा कर नीचे की ओर चली जाती है,सूरज भी संध्या के जाने के बाद संध्या के रूम में जाता है क्योंकि आज रात संध्या के साथ सोने का मन कर रहा था सूरज का ।

संध्या जैसे ही कमरे में आती है तुरंत बिस्तर पर चित्त लेट कर अपनी मेक्सी को उठाकर चूत को मसलने लगती है, काफी देर से उसकी चूत पनिया रही थी,उत्तेजना के मारे बार बार उसकी चूत पानी छोड़ रही थी, सूरज की बातों ने उसकी हवस को भड़का दिया था, सूर्या की कही गई कामुकता से भरी बातों को याद करके चूत के दाने को रगड़ती है, दोनों टांगे ऊपर करके चूत में उंगलियो के स्पर्श से उसका बदन आनंदित होता, काफी देर तक ऊँगली करने से आग शांत नहीं होती है तो संध्या तकिया के निचे रखा डिडलो निकाल कर चूत के द्वार पर रगड़ती है, उसकी साँसे ऊपर नीचे होती है,बूब्स को एक हाँथ से भींचती है,ऐसा लग रहा था पुरे बदन में आग लग गई हो,जिसे बुझाने का भरपूर प्रयास कर रही हो, डिडलो को चूत में प्रवेश करते ही कमरे के द्वार पर सूरज दस्तक देता है ।संध्या इस समय कठिन परिश्रम में जुटी हुई थी,हालाँकि वो समझ गई की दरवाजे पर सूर्या है लेकिन चूत की आग और अंतिम स्खलन के मोह में दरवाजा न खोल कर अंन्दर से ही आवाज़ लगाती है,।
संध्या-" ओह्ह सूररज बबादद् में अ आ आना" संध्या हवस और तड़प के कारण बोल भी नहीं पा रही थी,
सूरज-" माँ क्या हुआ, आपकी आवाज़ कपकपा क्यूँ रही है" 
संध्या-" सुर्या प्लीज़ अभी कुछ मत पूछ सुबह बता दूंगी,अभी तू सो जा" सूरज समझ गया की माँ ऊँगली कर रही है।सूरज का लंड पेंट में झटके मारने लगता है, माँ की कामुकता भरी आवाज़ सुनकर सूरज का लंड बिना मुठ मारे ही पानी छोड़ने लगता है ।
इधर संध्या जैसे ही सूर्या का नाम लेती है और तेज आवाज़ और चीख के साथ झड़ जाती है, सूरज को समझते देर नहीं लगी की माँ भी झड़ चुकी है, सूरज बाथरूम में जाकर खुद को साफ़ करके बाहर पड़े सोफे पर लेट जाता है, और लेटे लेटे ही नींद के आगोस में चला जाता है,सुबह संध्या देखती है तो हैरान रह जाती है की सूरज रात भर बहार ही सोया, संध्या सूरज को गुड़ मॉर्निंग बोल कर उठाती है।
संध्या-" गुड़ मोर्निंग सूर्या उठो,जल्दी से फ्रेस हो जाओ,में तान्या को उठाने जाती हूँ" 
सूरज आँख खोलते ही संध्या को देखता है,झुकने के कारण उसके बूब्स मेक्सी में साफ़ दिखाई दे जाते हैं,सूरज का लंड तम्बू बन जाता है जिसे संध्या देख लेती है और गहरी मुस्कान के साथ चली जाती है ।
सूरज अपने कमरे में फ्रेस होकर तान्या से मिलता है,तान्या को दवाई खिलाने के बाद नीचे जाकर नास्ता करता है ।
संध्या सूरज को चाय नास्ता देकर खुद सूरज के पास बैठ जाती है ।
संध्या-"सूर्या आज मुझे मार्केट जाना है" 
सूरज-"कब चलना है मार्केट, आप कभी भी चलो" 
संध्या-" तुम अभी कंपनी जाओ,में फोन कर दूंगी तभी मुझे लेने आ जाना" 
सूरज-"okkk माँ, में चलता हूँ" सूरज कंपनी के लिए निकल जाता है । गीता और सूरज कंपनी के आय व्यय को देखते हैं । इस बार उनकी कंपनी को कई गुना फायदा होता है, सूरज कंपनी के सभी कर्मचारियो का वेतन बढ़ा देता है ।सभी लोग सूर्या के इस फैसले से बड़े खुश होते हैं। गीता के लिए कंपनी की तरफ से एक कार गिफ्ट करता है और वेतन बृद्धि भी करता है ।गीता सूर्या से बहुत प्रभावित होती है । काफी देर तक कंपनी के सभी कार्य को पूरा करके सूरज संध्या को फोन करता है ।
सूरज-"हेलो माँ क्या आप फ्री हो गई,में आ जाऊं" 
संध्या-"हाँ सूर्या आ जा में तैयार हूँ " सूरज गाडी लेकर तुरंत घर पहुँचता है । संध्या आज साडी पहनी थी, डीप गले का ब्लाउज में बहुत ही आकर्षण और सुन्दर लग रही थी,सूरज संध्या को ऊपर से लेकर नीचे तक निहारता है, सूरज की नज़र संध्या के पेट पर ठहर जाती है, मखमली पेट पर उसकी तुड़ी मस्त लग रही थी । संध्या शर्माती है ।
संध्या-" अब मुझे देखता ही रहेगा या चलेगा भी" 
सूरज-"माँ आप बहुत सुन्दर लग रही हो,एक दम अप्सरा जैसी, बाकई में आपका फिगर गज़ब है" संध्या शर्मा जाती है ।
संध्या-"ओह्ह्हो अब चलो, आज से पहले मे क्या सुन्दर नही लगती थी" सूरज और संध्या गाड़ी में बैठकर मार्केट की ओर निकल जाते हैं ।सूरज गाडी ड्राइव कर रहा था और संध्या बगल वाली सीट पर बैठी थी।
सूरज-"आज से पहले मैंने आपको कभी गोर से देखा ही नहीं, अब आप मेरी गर्ल फ्रेंड बनी हो इसलिए अब तो मेरा हक़ बनता है आपको देखने का और आपकी तारीफ़ करने का" गर्ल फ्रेंड सुनकर संध्या चोंक जाती है।
संध्या-" सूर्या में तो सिर्फ दोस्त थी तेरी ये गर्ल फ्रेंड कबसे बन गई,तू बड़ा फास्ट चल रहा है, कल दोस्त बनाया आज गर्ल फ्रेंड बनाया अब कल तक तू मुझे लवर भी बना लेगा उसके बाद बीबी" संध्या मुस्कराते हुए बोली ।
सूरज-" अरे माँ दोस्त को फ्रेंड बोलते हैं और आप गर्ल भी हो तो आप मेरी गर्ल फ्रेंड हुई न' 
संध्या-"अच्छा फिर तो में तेरी गर्ल फ्रेंड हो गई, गर्ल फ्रेंड के लिए एक गिफ्ट तो बनता है क्या दिलाएग मुझे" 
सुरज-"गिफ्ट तो मिलेगा आपको, क्या मिलेगा ये तो बाद में पता चल जाएगा" मार्केट में आकर एक बहुत अच्छे शोरूम पर सूरज गाडी रोकता है,संध्या और सूरज शोरूम में जाकर अपने लिए कपडे खरीदते हैं, तान्या के लिए मेक्सी खरीदती है, सूरज के लिए भी एक जीन्स और शर्ट खरीदती है।
काफी खरीदारी करने के बाद संध्या एक ब्रा पेंटी के शॉप पर जाती है और अपने लिए एक ब्रा खरीदती है सूरज अपने लिए थोडा सामन खरीद रहा था, तभी उसने देखा संध्या ब्रा खरीद रही है,सूरज संध्या के पास जाता है और देखने लगता है,संध्या बेखबर थी उसे पता ही नहीं चला सूरज पीछे खड़ा है । संध्या अपने लिए 38 नम्बर की ब्रा मांग रही थी सूरज सुन लेता है तभी उसके दिमाग में एक आयडिया आता है क्यूँ न माँ को ब्रा और पेंटी ही गिफ्ट में दी जाए । सूरज तुरंत दौड़ता हुआ दूसरी शॉप पर जाता है जहाँ फेसनेवल ब्रा और पेंटी मिलती है । 
सूरज एक फेसनेवल ब्रा और पेंटी देखता है जो बहुत ही कामुक लग रही थी,सूरज पेंटी को देखता है, चूत बाले हिस्से में जाली होती है और गांड बाले हिस्से में एक डोरी होती है। सूरज दो जोड़ी ब्रा और पेंटी खरीदता है तभी उसे एक नाइटी दिखाई देती है जो हाफ थी और पारदर्शी भी थी, सूरज को नायटी भी पसंद आ जाती है,सूरज सबको पैक करवा लेता है और जल्दी से संध्या के पास जाता है । संध्या भी खरीदारी कर चुकी थी, 
संध्या और सूरज शॉप से निकालकर एक रेस्टोरेंट में जाते हैं ।
संध्या-" ओह्ह सूर्या आज मुझे रेस्टोरेंट लेकर आया है, गर्ल फ्रेंड को पहली बार डेट पर लाया है, क्या खिलाएगा आज मुझे" संध्या मजाक करते हुए बोली।
सूरज-" अब इतनी सुन्दर गर्ल फ्रेंड है तो डेट तो बनती है, तुम्हारे लिए आइस क्रीम ठीक रहेगी"
संध्या-" मेरे लिए आइस क्रीम क्यूँ ठीक रहेगी सूर्या" 
सूरज-'माँ आइस क्रीम खाने से बदन ठंडा रहता है" सूरज हँसता हुआ बोलता है।
संध्या-"धत् पागल, इतनी भी आग नहीं है, वो सब छोड़ जल्दी मंगा,भूक लगी है" सूरज पिज्जा,डोसा,आइस क्रीम और भी कई चीजे मंगवाता है, संध्या और सूरज खा पीकर घर के लिए निकल देते हैं । घर पहुँच कर संध्या सूरज को पेंट शर्ट देती है ।
संध्या-" तेरी गर्ल फ्रेंड की तरफ से यह पहला गिफ्ट,तोहफा कबूल करो जहाँपनाह,और जल्दी से पहन कर मुझे दिखा,कैसा है मेरा गिफ्ट में भी देखूं"सूरज पेंट शर्ट ले लेता है और अपनी तरफ से ब्रा पेंटी और नायटी वाला गिफ्ट पैक संध्या को देता है।। 
सूरज-'आपके बॉय फ्रेंड की तरफ से पहला गिफ्ट,तोहफा कबूल करो,और मुझे भी पहन कर दिखाओ कैसा है ये" संध्या सूरज का गिफ्ट देख कर बहुत खुश होती है ।
संध्या-'में तेरा गिफ्ट पहन कर आती हूँ तू मेरा दिया गिफ्ट पहन कर आ" संध्या को नहीं पता था की सूरज ने उसे क्या गिफ्ट दिया है, संध्या खुश होकर अपने कमरे में जाती है और सूरज का गिफ्ट खोल कर देखती है तो एक दम से हैरान रह जाती है । इतनी कामुक ब्रा और पेंटी को देखती है तो सोचने लगती है की सूर्या भी मेरे साथ मजे लेना चाहता है, सूर्या मेरे साथ सेक्स करना चाहता है और यह सही मौका भी है उसे अपना बदन दिखा कर उकसाना,संध्या तुरंत अपने कपडे उतार कर नंगी हो जाती है और सूर्या की लाइ गई ब्रा पेंटी को पहन कर शीशे में देखती है,अपना ही गदराया बदन देख कर शर्मा जाती है अपने बूब्स को देखती जिसमे सिर्फ उसके निप्पल ही ढक पाए थे बाकी का पूरा हिस्सा खुला हुआ था और बहार निकलने के लिए आतुर थी चुचिया,पेंटी को तरफ देखती हओ तो हैरान रह जाती है झांटे बड़ी होने के कारण जालीदार पेंटी से बहार निकल आई थी, संध्या सोचती है झांटे साफ़ होती तो इस पेंटी को पहनने में और अच्छा लगता,जालीदार पेंटी चूत के लिए एक खिड़की का काम करेगी जिसमे हवा का संचार होता रहेगा, संध्या अपनी पुरानी मेक्सी पहन कर बाथरूम में झांटे साफ़ करने का रेजर ढूंढती है लेकिन उसे मिलता नहीं है, संध्या सोचती है चलो सूर्या से मांग लेती हूँ,संध्या सूरज के पास जाती है ,सूरज कपडे पहन चूका था, संध्या दरबाजा खोल कर कमरे में प्रवेश करती है तो सूरज को देख कर खुश होती है।
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12-25-2018, 01:11 AM,
#40
RE: Antarvasna Sex kahani जीवन एक संघर्ष है
संध्या-"अरे वाहह सूर्या तू तो इन कपड़ो में मस्त लग रहा है,एक दम बिंदास"सूरज खुश हो जाता है,लेकिन तभी सूरज को नज़र संध्या पर पड़ती है तो निराश हो जाता है क्योंकि सूरज के लाई गई नायटी न पहन कर संध्या पुरानी नायटी पहनी थी ।
सूरज-" माँ क्या हुआ आपको मेरा गिफ्ट अच्छा नहीं लगा,आपने पहना क्यूँ नहीं ?" 
संध्या-" सूर्या तुझे शर्म नहीं आती अपनी माँ को फेसनेवल ब्रा और जालीदार पेंटी भेंट करते हुए,ऐसी ब्रा पेंटी तो मैंने आज तक नहीं पहनी, में तो सदा ब्रा और पेंटी पहनती हूँ" 
सूरज-" माँ आपका जिस्म एक दम मॉडल की तरह है,आप अगर वो फेसनेवल ब्रा और पेंटी पहनोगी तो आपका बदन और भी खूबसूरत लगेगा, एक बार पहन कर तो देखो" सूरज निवेदन करता हुआ बोला।
संध्या-" सूर्या भूल मत में तेरी माँ भी हूँ,इस तरह की ब्रा और पेंटी पहन कर क्या करुँगी, एक सुहागन के लिए इस तरह फैसन करना जायज है, में किसके लिए फैसन करू और किसके लिए ऐसे कपडे पहनू" 
सूरज-" माँ जीवन में हर वो काम करना चाहिए जो हमें अच्छा लगे, कोई देखने वाला हो या न हो, खुद को ख़ुशी मिलनी चाहिए बस, कल का दिन बीत चूका है एक अतीत की तरह और आने बाले कल का कोई भरोसा नहीं होता, हमारे पास सिर्फ आज का दिन है और वर्तमान में हमेसा खुश रहना चाहिए माँ, आप आज से खुश रहना सुरु करो,अपने हर सपने को पूरा करो जो आपने देखें हैं, में चाहता हूँ की आप आज के बाद खुश रहें,मुझे आप अपना दोस्त मानती है तो मेरे लिए जरूर एक बार उन कपड़ो को पहनो माँ" 
संध्या-" सूर्या तेरी बड़ी बडी बातें सुनकर ही मेरा अंदर इतना बदलाब आया है की एक माँ को दोस्त बनने पर मजबूर कर दिया तेरी इन बातों ने,तू जादूगर है सूर्या" 
सूरज-"माँ जादू तो आपके अंदर है मुझे दोस्त बनाकर अपना बना लिया आपने" 
सूरज संध्या के जिस्म को घूरता हुआ बोला।
संध्या-" जादू मुझमे है या मेरे जिस्म में,तू बार बार मेरे जिस्म को देख कर बोलता है तो मुझे बड़ा अजीब सा लगता है,मुझमे तुझे क्या अच्छा लगता है" 
सुरज-'माँ आपका सब कुछ अच्छा लगता है, आपके बदन की बनावट किसी कामदेवी से भी लाख गुना अच्छी है" सूरज पुनः जिस्म को देखता हुआ बोला ।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तू तो पागल है, कुछ भी बोलता रहता है, में रेजर लेने आई थी,अपना रेजर दे देना मुझे" सूरज को झटका लगता है । वो समझ जाता है माँ अपनी चूत के बाल साफ़ करेंगी, 
सूरज-"माँ रेजर का आप क्या करोगी?"अब संध्या कैसे बताती की मुझे अपनी झांटे साफ़ करनी है ताकि तेरी लाइ हुई पेंटी पहन सकूँ।
संध्या-" ओह्ह सूर्या कोई सवाल मत पूछ,मुझे रेजर दे जल्दी से" सूरज अपना इलेक्ट्रॉनिक्स रेजर दे देता है ।
सूरज-"माँ ये इलेट्रॉनिक्स रेजर है, आप इस का इस्तेमाल नहीं कर पाओगी,मुझे बता दो क्या करना है,में कर दूंगा" सूरज फिर से मजे लेते हुए बोला ।
संध्या-" तू भी पागल है सूर्या,में इसे इस्तेमाल कर लुंगी'संध्या हँसते हर रेजर लेकर कमरे में भाग जाती है, बाथरूम में जाकर अपनी चूत के बाल साफ़ करने लगती है, रेजर के बायब्रेट होने के कारण संध्या की चूत पानी छोड़ने लगती है, संध्या की चूत पर दो-दो इंच के बाल थे,संध्या अपनी चूत को बिलकुल साफ़ कर देती है, खुद की चिकनी चूत को देख कर संध्या का मन ललचाता है की "काश चूत को चूम लू"
संध्या की चूत का लाल दाना और क्लिट चमकने लगती हैं । संध्या कई बार चूत पर हाँथ से सहलाती है,चूत का लाल दाना फड़कने लगता है, संध्या दो तीन चपत चूत पर मारती है और कहती है" बड़ी उतावली है तू निगोड़ी,जरा सा सहला दो तो तुरंत बहने लगती है, बडी आग है तुझमे" इतना कह कर कामुकता के साथ हँसने लगती है ।
संध्या चूत को पानी से धोकर साफ़ करती है ऐसा लग रहा था जैसे चूत पर कभी थे ही नहीं इतनी चिकनी चूत हो गई थी। संध्या सफाई करने के बाद घर के काम निपटाती है,सूरज तान्या के पास लेटकर बिजनेस की बातें करता है । इधर संध्या जल्दी से खाना तैयार करती है । क्यूंकी आज फिर से संध्या सूरज के पास जाना चाहती थी,उसकी मधुर वाणी सुनने, संध्या जल्दी से खाना लेकर ऊपर जाती है तान्या और सूरज एक साथ खाना खाते हैं,संध्या भी खाना खा कर फ्री हो चुकी थी, अब संध्या को इंतज़ार था की वो सूर्या के पास जाए, रात के 10 बज चुके थे,इधर सूरज भी उतावला था की माँ शायद उसके दिए हुए वस्त्र पहन कर आएगी, सूरज के मन में विचार आता है क्यूँ न आज में ही माँ के कमरे में जाऊँ, मेरे कमरे के वगल में तान्या दीदी का भी कमरा है बात चीत करते समय दीदी का डर लगा रहता है की कहीं वो सुन न ले । सूरज संध्या के रूम में जाने का मन बनास लेता है । सूरज तुरंत देर न करते हुए संध्या के रूम में जाता है दरवाजा खुला था,संध्या कमरे में पड़े सोफे पर बैठी सोच रही थी की सूर्या के दिए कपडे पहनू या न,उसे बहुत शर्म आ रही थी। सूरज के दिए वस्त्र बेड पर रखे हुए थे ।

सूरज जैसे ही कमरे में पहुँचता है संध्या तुरंत उठ कर खड़ी हो जाती है।
सूरज-'अरे माँ क्या बात है आप क्या सोच रही हो, में आपका इंतज़ार कर रहा था आप नहीं आई तो सोचा में ही आपके पास आ जाता हूँ" संध्या की साँसे तेजी से धड़कती हैं । सूरज के आने से उसकी चूत में कुलबुलाहट पैदा हो गई थी ।
संध्या-"आजा सूर्या बैठ जा"संध्या सूरज को बेड पर बैठने का इशारा करती है,तभी सूरज बेड पर रखे ब्रा और पेंटी को उठाता है।
सूरज-" माँ क्या हुआ आपको यह कपडे पसंद नहीं आए, आपने अभी तक पहने नहीं है" सूरज ब्रा और पेंटी दिखाते हुए बोलता है,संध्या यह देख कर बहुत शर्माती है।
संध्या-' सूर्या यह क्या कर रहा है तू, तुझे शर्म नहीं आती अपनी माँ को ब्रा पेंटी दिखा रहा है,कैसा बेटा है तू अपनी माँ को ब्रा और पेंटी गिफ्ट में देता है और उसे पहनने के लिए बोलता है, मुझे तो इन कपड़ो को देख कर ही शर्म आ रही है मैंने आज तक ऐसे कपडे नहीं पहने हैं, इन कपड़ो को पहनना और न पहनना दोनों बराबर है क्यूंकि इनको पहनने के बाद भी पूरा बदन और हर अंग दिखाई देगा" संध्या जालीदार पेंटी दिखा कर बोलती है जिसका मुख्य भाग में जाली थी ।
सूरज-"मैंने यह ब्रा और पेंटी माँ को नहीं दिए हैं,ये गिफ्ट मैंने अपनी दोस्त संध्या को दिए हैं,दोस्त मानती हो तो अभी पहन लो और दोस्त नहीं मानती हो तो रहने दो,इन्हें फेंक सकती हो" संध्या अब बड़ी दुविधा में थी। तुरंत ब्रा और पेंटी को बाथरूम में ले जाकर पहनती है । संध्या अपनी मेक्सी के अंदर नंगी थी,मेक्सी को उतार कर ब्रा और पेंटी पहन लेती है, ब्रा और पेंटी पहनने के बाद उसका बदन कामदेवी से भी ज्यादा कामुक लग रहा था । संध्या अपनी पुरानी मेक्सी पहन कर वापिस सूरज के पास आती है ।
संध्या-" तेरी दोस्ती को मैंने कबूल कर लिया और तेरी दी हुई ब्रा पेंटी भी पहन ली,अब तो खुश है न" सूरज खुश हो जाता है,संध्या भी कामुकता से बोली।सूरज का लंड तो इस बात से ही झटके मारने लगता है की संध्या ने उसकी दी हुई ब्रा और पेंटी पहनी है ।
सूरज-"माँ मुझे कैसे यकीन होगा की आपने ब्रा और पेंटी पहनी है, और हाँ आपने नायटी तो पहनी नहीं है जो मैंने दी है" संध्या यह सुनकर हैरान रह जाती है की सूर्या तो बहुत फास्ट है आज मुझे नंगी करके ही मानेगा।
संध्या-" सूर्या अब क्या तू मुझे ब्रा और पेंटी में देखेगा, मेरा विस्वास कर तेरी ही दी हुई ब्रा पेंटी पहनी है, अच्छा रुक तेरी दी हुई नायटी पहनती हूँ उसमे तुझे झलक दिख जाएगी ब्रा और पेंटी की" संध्या नायटी को लेकर फिर से बाथरूम जाती है,मेक्सी को उतार कर नायटी पहनती है । नायटी उसके जिस्म के हिसाब से बहुत छोटी थी जिसकी लबाई सिर्फ जांघो तक थी, और ऊपर से भी बिलकुल खुली हुई थी जिसमे उसकी आधे से ज्यादा चूचियाँ दिखाई दे रही थी । बाथरूम में लगे शीशे में जब अपने आपको देखती है तो दंग रह जाती है,बहुत ही सेक्सी लग रही थी जवान लडकिया भी फेल थी,नायटी भी पारदर्शी थी जिसमे उसकी ब्रा और पेंटी साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी,संध्या अपने गांड की तरफ देखती है तो उसकी गांड भी नंगी थी क्यूंकि पेंटी की लास्टिक गांड के अंदर समां जाने से ऐसा लग रहा था की बिलकुल नग्न है, संध्या की गांड भी बहुत चौड़ी थी और चूचियाँ भी बहुत बड़ी थी और निप्पल हमेसा खड़े ही रहते थे, 22 साल से न चुदने के कारण उसका बदन लड़कियों की तरह कसा हुअस था एक दम गठीला । संध्या की झाँघे एक दम गोरी चिकनी थी, बड़ी क़यामत लग रही थी, साधारण इंसान देख ले तो बिना चोदे मानेगा नहीं इस प्रकार का बदन था ।संध्या सोचती है की सूर्या के सामने कैसे जाएगी, संध्या बाथरूम का हल्का सा दरबाजा खोल कर सूरज को देखती है,सूरज की नज़रे भी दरवाजे पर संध्या का इंतज़ार कर रही थी, 
दोनों की नज़रे आपस में टकराती है।
संध्या-"सूर्या ये तेरी नायटी तो बहुत छोटी है सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा है,मुझे बहुत शर्म आ रही है तेरे सामने कैसे आऊँ" संध्या शर्माती हुई बोली,सूरज की धड़कन बहुत तेज चल रही थी ऐसा लग रहा था जैसे ब्लड प्रेसर हाई हो गया हो।
सूरज-" माँ आप मेरी दोस्त हो तो शर्माना कैसा, आ जाओ न माँ" संध्या शर्माती हुई दरवाजे से निकलती है,सूरज जैसे ही देखता है उसकी साँसे अटक जाती है,लंड पेंट में बगावत कर देता है ऐसा लग रहा था जैसे लंड की नसे आज फट जाएगी ।
संध्या का कामुक बदन सूरज की जान निकाल देगा ऐसा उसे लग रहा था ।
सूरज-"वोव्व्व्व्व् क्या लग रही हो,गज़ब,झक्कास, कितनी सेक्सी हो माँ आप, ऐसा मन कर रहा की आपको देखता रहूँ,इतना कामुक बदन मैंने आज तक नहीं देखा है" सूरज के ऐसे भड़किले शब्द सुनकर संध्या शर्मा जाती है ।
संध्या-"कितने अश्लील शब्द बोलने लगा है तू,अपनी ही माँ तुझे सेक्सी दिखाई दे रही है, तूने आज अपने मन की कर ही ली,ये कपडे पहन कर भी मुझे ऐसा लग रहा है की में नंगी हूँ तेरे सामने, मुझे शर्म आ रही है सूर्या अब में ये कपडे उतार आऊँ" संध्या नजरे झुका कर बोलती है, सूरज उसे आँखे फाडे देख रहा था,कभी उसकी झांघों को तो कभी उसकी अधनंगी चुचियो को।
सूरज-" माँ आपकी सुंदरता में बोले शब्द अस्लील नहीं है आप वास्तविक रूप से सुन्दर हो,सेक्सी हो, मेरा तो मन कर रहा है की आप हमेसा मेरे सामने ऐसे ही रहो,और में आपको निहारता रहूँ, आज रात आप इन्ही कपड़ो को पहने रहो माँ" सुरज पुरे बदन को देखता है तभी उसकी नज़र संध्या की गांड पर जाती है एक दम गदराई हुई,चौड़ी गाण्ड मन कर रहा था की हाँथ से खूब मसले, उसकी चिकनी पीठ, और उसकी चूचियाँ सूरज को घायल कर रही थी।
संध्या-" रात भर इन कपड़ो को पहन कर क्या करुँगी सूर्या,अब तो तूने देख लिया न, अब उतार आती हूँ" 
सूरज-"नहीं माँ आज मुझे ऐसे ही देखने दो, पूरी रात में आपके कोमल बदन को देखना चाहता हूँ,आपका हर अंग बड़ा ही खूबसूरत है" सूरज चूचियाँ और गांड को देख कर बोलता है,सूरज का लंड पेंट में तम्बू बना हुआ था जिसे संध्या देख चुकी थी, संध्या की चूत भी अब रिसने लगी थी ।
संध्या-" क्या पूरी रात तू मेरे कमरे में ही रहेगा सूर्या, सोएगा नहीं आज" 
सूरज-"नहीं माँ! में आज आपके पास ही सोना चाहता हूँ और आपसे बातें करना चाहता हूँ" 
संध्या-"ऐसा क्या अच्छा लगा मुझमे,की तू मुझे ही देखेगा,इतनी भी सुन्दर नहीं हूँ में" 
सूरज-"माँ आपके बदन की खूबसूरती की जितनी तारीफ़ की जाए कम है, आपका हर एक अंग खुबसूरत है,काश में आपका बेटा न होता तो....." सुरज अधूरी बात छोड़ देता है।
संध्या-" बेटा न होता तो? क्या कहना चाहता है साफ़ साफ़ बोल" 
सूरज-" माँ पहले आप एक वादा करो, की आज आप सिर्फ मेरी दोस्त हो, सिर्फ आज रात के लिए मेरी गर्ल फ्रेंड हो तो में अपनी बात ठीक से कह पाउँगा, दोस्त तो और माँ तो हमेसा से रहोगी ही" संध्या को भी मजा आ रहा था क्यूंकि पूरी पहल सूर्या ही कर रहा था ।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या अब तो तू दोस्त से गर्ल फ्रेंड बना रहा है, चल तू भी क्या याद करेगा आज में तेरी गर्ल फ्रेंड बन जाती हूँ,अब बोल क्या बोलना चाहता था" 
सूरज-"एक वादा और करो माँ आज में जिन शब्दों का प्रयोग करूँगा उनका तुम बुरा नहीं मानोगी" 
संध्या-" ठीक है सूर्या आज तेरे लिए छूट है कर ले अपने मन की, सिर्फ आज रात के लिए बस, कुछ भी बोल बुरा नहीं मानूँगी, 
अब तो बोल क्या कह रहा था तू अगर में तेरी माँ न होती तो....?" 
सूरज-" अगर आप मेरी माँ न होती तो में आपको बिना वस्त्रो के देखना पसंद करता और आपके हर अंगो को चूमता उन्हें किस्स करता, आपका बदन चूमने लायक है माँ" 
संध्या-"ओह्ह्हो सूर्या कैसी बात करता है तू, मुझे नंगी कर देता तू अब तक अगर में तेरी माँ न होती तो, खैर अभी भी में अपने आपको नंगी महसूस कर रही हूँ,इन कपड़ो में ढका ही क्या है,सब कुछ तो दिखाई दे रहा है" सूरज संध्या की पेंटी देखने लगता है बैठ कर,सूरज समझ जाता है की माँ ने आज चूत के बाल साफ़ कर लिए हैं ।
सूरज-'माँ क्या में आपकी पेंटी देख लू, में देखना चाहता हूँ मेरी पसंद की हुई पेंटी आप पर कैसी लग रही है" 
संध्या-" नहीं सूर्या मुझे शर्म आ रही है" 
सूरज-'प्लीज़ माँ आज मुझे छूट दे दो,आप भी भूल जाओ की में आपका बेटा हूँ, अपना बॉय फ्रेंड समझो मुझे" इतना बोल कर सूरज संध्या के निचे बैठ कर उसकी नायटी को ऊपर कर देता है । सूरज को पेंटी में संध्या की चूत फूली हुई नज़र आई,चूत की किनारी साफ़ झलक रही थी,जाली दार होने के कारण उसकी चूत हलकी हलकी नज़र आ रही थी । सूरज को चूत की क्लिट दिखाई देती हैं और चूत से रस बह रहा था, सूरज का लंड झटके मार रहा था,उसके लंड से भी बुँदे टपकने लगी थी ।
सूरज-"माँ आपकी पेंटी तो गीली हो चुकी है आपका पानी बह रहा है" संध्या कसमसा गई,उसकी सिसकी बिना निकल गई,सूरज के देखने मात्र से ही ।
संध्या-"आह्ह्ह सूर्या मुझे कुछ हो रहा है" संध्या बस इतना ही बोल पाई ।
सूरज-" माँ आज आपको ऊँगली नहीं करनी पड़ेगी,आपका पानी तो ऐसे ही निकल जाएगा" 
संध्या-" इतनी कामुक बातें करेगा तो उसका असर तो होगा ही,लेकिन अब सूर्या मुझ पर रुक नहीं जाएगा, में 5 मिनट के लिए बॉथरूम जाना चाहती हूँ" संध्या सिसकते हुए बोली, तभी सूर्या को डिडलो याद आता है सूरज बेड की तकिया से डिडलो निकालता है। संध्या देख कर चोंक जाती है। 
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या ये क्या कर रहा है उसे मुझे दे दे,तू मत पकड़ वो गन्दा है" संध्या सूरज को रोकती है लेकिन सूरज मानता नहीं है और डिडलो नुमा रबड़ के लंड को देखने लगता है । उस पर संध्या के चूत का कामरस लगा हुआ था जो सुख चुका था। 
सूरज-"माँ देखने दो इसे, माँ ये तो मेरे से भी बहुत छोटा और पतला है,इससे आपको ज्यादा मजा नहीं आता होगा, और ये कितना गन्दा भी है इस पर आपकी चूत का पानी लगा हुआ है,इसे अंदर डालोगी तो इन्फेक्सन हो जाएगा" संध्या की चूत बहने लगती है सूरज की इन बातों को सुनकर, पहली बार उसने चूत शब्द बोला था, इससे संध्या और भी कामुक हो गई थी, संध्या चूत शब्द पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करती है क्योंकि आज उसने वादा किया था सूरज से की वो किसी बात का बुरा नहीं मानेगी, संध्या को भी इन बातों का मजा आ रहा था,
संध्या-" में डिडलो को धोकर ही इस्तेमाल करती हूँ, आज सुबह धोना भूल गई उसे, तू इसे छोटा बोल रहा है जबकि मुझे ये बहुत बड़ा लग रहा था" संध्या की साँसे थमने का नाम नहीं ले रही थी, उसकी चूत लगातार बहने से उसकी पेंटी भीग चुकी थी,जालीदार पेंटी से भी चूतरस टपकने लगा था ।
सूरज-" माँ ये डिडलो कितना भाग्यशाली है जो आपके अंदर भ्रमण करके आता है" सूरज डिडलो दिखाता हुआ बोला,और पुनः कामरस टपकती पेंटी को देखने लगा ।
संध्या-" सूर्या तू तो बहुत बेशर्म है, कैसी कैसी बात करता है, कैसे कैसे शब्द का प्रयोग भी करने लगा है, 
सूरज-" ये शब्द में माँ के लिए नहीं बोल रहा हूँ,ये शब्द तो मेरी प्यारी गर्ल फ्रेंड के लिए हैं, 
संध्या-" तेरी गर्ल फ्रेंड बनना मुझे बहुत भारी पड़ रहा है सूर्या, मेरे अंदर आग भड़क रही है अब और अब सहन नहीं हो रहा है,अब तू कुछ देर के लिए मुझे अकेला छोड़ दे" संध्या डिडलो से अपनी आग बुझाना चाहती थी।
सूरज-" नहीं माँ आज में आपको ऊँगली नहीं करने दूंगा, और न ही इस डिडलो को तुम्हारे अंदर घुसने दूंगा,मुठ में भी मारना चाहता हूँ लेकिन में आज आपको देख कर झड़ना चाहता हूँ, देखो न माँ मेरा असली डिडलो लोअर में कैसा तम्बू बना हुआ है" सूरज अपना तम्बू दिखाते हुए बोला, संध्या की चूत में चींटियाँ रेंगने लगी यह सुनकर और देखकर ।
संध्या-' ओह्ह्ह सूर्या मुझे लगता है तुझे भी हिलाने की जरुरत है, तू बाथरूम में जाकर हिला ले अपना,वरना तुझे परेसानी होगी" संध्या का तो मन कर रहा था की सूरज का लंड मुह में लेकर चूस डाले ।सूरज संध्या की पेंटी को देखने लगता है ।
सूरज-" माँ में आज हिलाउंग नहीं ये आपके जिस्म को देखकर अपने आप झड़ जाएगा, माँ देखो न आपकी पेंटी में आपका पानी कितना टपक रहा है, अरे हाँ माँ मुझे ऐसा लग रहा है आपने अपनी झांटे साफ कर ली हैं, आपकी चूत बहुत चमक रही है" संध्या को इस बार फिर से झटका लगता है और उसकी चूत झड़ने लगती है ।क्यूंकि सूरज संध्या की चूत को बड़े नजदीक से देख रहा था, जब सूर्या सांस छोड़ता तो हवा संध्या की चूत तक जाती ।
संध्या-'अह्ह्ह्ह्हफ़्फ़्फ़्फ़्फ़् सूर्या में गई आआऊओ ओह्ह्ह्ह्हो" संध्या बुरी तरह झडने लगती है,सूरज संध्या की चूत का पानी हाँथ में भर लेता है । 5 मिनट तक संध्या झड़ती रही ।
सूर्या-" माँ आपका पानी तो बहुत निकला है, मैंने कहा था न आज आप बिना ऊँगली और डिडलो के ही झड़ोगी" झड़ने के कारण संध्या की आँखे बंद थी जैसे आँखे खोलती है तो देखती है सूर्या उसकी चूत रस को हाँथ में भर चूका कुछ पानी जमींन पर पड़ा था ।
संध्या-' सूर्या अपने हाँथ बाथरूम में जाकर धो आ ये गन्दा पानी है" 
सूरज-" नहीं माँ ये आपके अंदर से निकला है ये गन्दा कैसे हो सकता है इसे तो में चखना चाहता हूँ"सूरज इतना बोलकर उंगलियो पर लगा चूतरस चाटने लगता है,संध्या की चूत में फिर से कुलबुलाहट होने लगती है ।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तू कितना गन्दा है" 
सूरज-"माँ आप इसे गन्दा कह रही हो जबकि मुझे यह बहुत स्वादिष्ट लगा, काश थोडा और होता" संध्या बहुत हैरान थी ।
संध्या-"सूर्या अब मुझपर खड़ा नहीं हुआ जा रहा है अब में थोड़ी देर लेटना चाहती हूँ,और ये पेंटी भी बहुत गन्दी हो गई है,अब तू जा में कपडे उतार कर सोऊँगी" संध्या बेड पर लेटते हुए बोली ।
सूरज-"माँ आप तो झड़ गई लेकिन में अभी झडा नहीं हूँ और आज में आपके साथ ही रहूँगा पूरी रात आपने भी वादा किया था मुझसे" 
संध्या-"ओह्ह सूर्या तू अपना हिला ले बाथरूम में जाकर, मेरी पेंटी गीली हो चुकी है आज रात नंगी होकर सोना चाहती हूँ,तेरे सामने कैसे नंगी होकर सो सकती हूँ" संध्या कामुकता के साथ बोली ।
सूरज-" माँ अपने बॉय फ्रेंड से कैसा शर्माना और में तो आपकी चूत और चूचियाँ देख चूका हूँ, उतार दो माँ इन कपड़ो को, आज आपका ये बॉय फ्रेंड आपके जिस्म को देख कर झड़ना चाहता है" सूरज नायटी को ऊपर करते हुए बोला ।
संध्या-"मुझसे नहीं होगा सूर्या ये तू चाहे तो ऐसे ही मेरे शारीर को देख सकता है" 
सूरज-" माँ क्या में आपके जिस्म को छु तो सकता हूँ" 
संध्या-"छू ले सूर्या तू भी आज अपने मन की कर ले" संध्या का इशारा पाते ही सूर्या संध्या के ऊपर लेट कर उसके होंठ को चूसने लगता है, संध्या के होठ को कभी काटता तो कभी चूसता,संध्या भी सूरज का साथ देने लगती है,सूरज अपनी जीव्ह संध्या के मुह में डालता है,संध्या लंड की तरह चुस्ती है । इधर सूर्या का लण्ड संध्या की चूत पर रगड़ता है । संध्या फिर से गर्म हो जाती है ।
सूरज एक हाँथ संध्या की चुचिओ पर ले जाकर मसलता है । निप्पल को मरोड़ता है,संध्या आह्ह्ह भरने लगती है ।सूरज नायटी को उतार कर ब्रा का हुक खोल देता है,संध्या की 38 की चूचियाँ मस्त कठोर थी,सूर्या चूसने लगता है, ऐसा लग रहा था की सूर्या जंगली हो गया हो, सूर्या चुचियो को छोड़ कर संध्या की पेंटी पर जीव्ह से चाटने लगता है, संध्या सिहर जाती है ।सूरज काफी देर पेंटी चाटने के बाद पेंटी उतार देता है और चूत को देखने लगता है,चूत की किनारी बड़ी लंबी थी और फूली हुई चूत में लाल दाना चमक रहा था ।
संध्या-"ओह्ह्ह सूर्या तूने तो आज अपनी माँ को नंगी कर ही दिया, देख ले सूर्या इस चूत को,इसी से तू बहार निकला है, ये तेरा जन्म स्थान है" 
सूरज-"माँ आपकी चूत का छेद तो बहुत छोटा है कैसे बहार निकाला होगा मुझे,इसमें तो दो ऊँगली नहीं घुस रही है" सूरज ऊँगली डालते हुए बोला, संध्या सिसक्या जाती है । 
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