Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
09-17-2018, 01:18 PM,
#51
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
मैने जैसे ही उठना चाहा…राज ने कंधे पर अपना हाथ रखते हुए, मुझे फिर से नीचे बैठने पर मजबूर कर दिया…मेरी पीठ पीछे रॅक पर लगी हुई थी…उसने मेरी आँखो में देखते हुए अपने बाबूराव को बाहर निकाला…और फिर बाबूराव की चमड़ी को सुपाडे से पीछे हटा दिया…ट्यूब लाइट की रोशनी मे उसके बाबूराव का लाल सुपाडा एक दम चमक रहा था…” ररर राज ये क्या कर रहे हो तुम हटो पीछे…” मेने उसकी जाँघो पर हाथ रखते हुए, उसको पीछे की ओर धकेलते हुए कहा….

राज: आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो…तुम्हारे होन्ट देख कर मेरे बाबूराव का बुरा हाल हो गया है…..देखो ना कैसे तन कर खड़ा है….प्लीज़ इसे अपने रसीले होंटो मे लेकर शांत कर दो ना…..

मैं: राज तुम ये सब मेरे साथ क्यों कर रहे हो….आख़िर तुम चाहते क्या हो मुझसे…?

राज: कुछ भी नही बेबी….थोड़ा सा मोज मस्ती और कुछ नही…प्लीज़ चूसो ना इसे मूह मे लेकर….

राज ने नीचे झुक कर मेरे हाथ को पकड़ कर अपने मोटे बाबूराव पर रख दिया..और फिर मेरे हाथ को मुट्ठी बनाते हुए, अपने बाबूराव पर धीरे-2 कस्के हिलाने लगा….”शीइ ओह्ह्ह डॉली मॅम…आपके हाथ बहुत नरम है…..बहुत सॉफ्ट है…..देखो ना मेरा बाबूराव कैसे खड़ा हो गया है……

मैं: प्लीज़ राज मुझे ये सब करना अच्छा नही लगता….

राज: पर मुझे तो अच्छा लगता है ना…प्लीज़ इसे चूसो…

मैं: नही राज मुझसे नही होगा…..

राज: देख लो….अब ये खड़ा हो चुका है….ये शांत या तो तुम्हारे होंटो के बीच मे जाकर होगा…या फिर तुम्हारी फुद्दि मे….अब इसको शांत किस तरहा करना है वो मैं तुम पर छोड़ता हूँ…

उसने अपना हाथ मेरे हाथ से हटा लिया…..मेरे हाथ मे उसका तना हुआ मोटा बाबूराव था…जिसे मैं अपने हाथ मे झटके ख़ाता हुआ सॉफ महसूस कर पा रही थी….उसने मेरे सर को पकड़ कर मेरे होंटो को अपने बाबूराव के लाल दहक रहे सुपाडे पर झुकाना शुरू कर दिया….और जैसे ही उसके बाबूराव का गरम सुपाडा मेरे होंटो से टकराया, तो मेरा पूरा जेहन कांप गया….होन्ट उसके बाबूराव के सुपाडे की गोलाई को अपने अंदर समाते हुए, अपने आप खुलने लगी….और कुछ ही पलों मैं उसका मोटा बाबूराव मेरे रसीले होंटो मे था.

मैं धीरे-2 उसके बाबूराव के सुपाडे को अपने होंटो मे भर कर चूसने लगी…”आह ओह्ह्ह डॉली जब से मेने तुम्हारे इन लिप्स को इस कलर मे रंगे हुए देखा है, तब से मेरा दिल बहुत बेचैन था….शियीयीयी तुम बहुत सेक्सी लग रही हो….आह तुम्हारे होंटो मे मेरे बाबूराव का सुपाडा बहुत सेक्सी लग रहा है….और तेज़ी से चूसो इसे दबा-2 कर चूसो…”

मैं उसके बाबूराव को अब मदहोश होकर चूस रहे थे….कभी वो अपने बाबूराव को मूह से बाहर निकाल लेता और हाथ से इशारा करते हुए मुझे वहाँ अपने होंटो को रगड़ने के लिए कहता….तो कभी अपने बाबूराव के जड मे…तो कभी मुझे अपने बॉल्स को मूह मे लेकर सक करने को कहता…मैं उसकी हर बात ऐसे मान रही थी….जैसे मैं उसकी दासी बन गयी हूँ…करीब 5 मिनिट बाद ही उसने मेरे फेस पर अपना वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया….

मैं बुरी तरह हाँफ रही थी….मुझे अपनी चुनमुनियाँ मे तेज सरसराहट महसूस हो रही थी. वो तो झड कर शांत होकर सोफे पर बैठ चुका था….पर मेरा तन बदन सुलग रहा था . मैं सोच रही थी कि, आख़िर क्यों मुझे अकेला पा कर भी उसने मुझे चोदने की कॉसिश नही की….मेरे अंदर आग भड़क उठी थी…..और अगर वो मुझे थोड़ा सा भी ऐप्रोच करता, तो शायद मैं उसके नीचे लेट जाती….पर उसने ऐसा कुछ नही किया…

मैं वॉशरूम मे गयी…अपने आप को सॉफ किया और फिर बाहर आकर वो फाइल्स ढूंढी और फिर राज के साथ स्कूल आ गयी….पूरे रास्ते हम दोनो के बीच कोई बात ना हुई. मैं अब उससे नज़रें नही मिला पा रही थी…दिन फिर से रोज मर्रा के तरह गुजरने लगी….सॅटर्डे का दिन था….आरके का फोन आ चुका था कि, वो किसी वजह से इस बार नही आ पाएँगे…..उसी रात मिस्टर.वेर्मा की बेटी की शादी थी….उन्होने हमें इन्वाइट किया था…उन्होने सिटी मे एक मॅरेज पॅलेस बुक किया हुआ था…

मैं तैयार होकर नीचे जाने लगी तो, सीडयों पर मुझे राज ऊपेर की तरफ आता हुआ मिला….जैसे ही मैं उसके पास से गुज़री, तो उसने मेरा हाथ एक दम से पकड़ लिया…मेने चोन्कते हुए उसकी तरफ देखा….वो मेरी तरफ बड़ी हसरत भरी नज़रो से देख रहा था….”शादी मे जा रही हो….?” उसने थोड़ा सा मुस्कुराते हुए कहा.,…

मैं: हां क्यों….

राज: मत जाओ ना….?

मैं: क्यों ना जाउ…छोड़ो मेरा हाथ….तुम होते कॉन हो मेरे पर्सनल लाइफ मे इंटर्फियर करने वाले …..

राज: जानता हूँ मैं कोई नही हूँ तुम्हारे लिए…प्लीज़ मत जाओ…मैं तुम्हे ज़बरदस्ती रोक नही सकता…इसलिए रिक्वेस्ट कर रहा हूँ….

मैं: क्यों ना जाउ….?

राज: मैं कह रहा हूँ…..

मैं: राज प्लीज़ मेरा हाथ छोड़ो….

राज ने मेरा हाथ छोड़ दिया….”डॉली आज तुम सच मे बहुत हॉट लग रही हो…” ये कहते हुए वो ऊपेर चला गया….मैं जब नीचे आई तो देखा कि भाभी अभी तैयार हो रही थी…मेरे मन मे उठा पुथल मची हुई थी….मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, आज राज को क्या हुआ है….वो इस तरह मुझे क्यों रोक रहा है,….और मैं उसके इस तरह रोकने पर ये क्यों सोच रही हूँ कि, मैं वहाँ जाउ या नही…

भाभी भी तैयार हो चुकी थी….जैसे ही हम बाहर आए तो देखा राज अपनी बाइक बाहर निकाल रहा था…”अर्रे राज तुम कहाँ जा रहे हो इस वक़्त….” भाभी ने उसको बाइक बाहर निकालते हुए देख कर पूछा…”अपने दोस्त से मिलने जा रहा हूँ…आप लोग तो शादी मे जा रहे हो….तो मैं अकेला घर पर रह कर क्या करता….” उसने मुझे एक बार ऊपेर से नीचे तक देखते हुए कहा….”वैसे पायल मॅम आप बहुत हॉट लग रही हो आज.” वो कह तो भाभी को रहा था…पर देख मुझे रहा था…

मुझे ऐसा लग रहा था कि, जैसे वो ये सब मेरे लिए ही बोल रहा हो…”अच्छा जल्दी आ जाना ये घर पर अकेले है….और हां खाना बना दिया है…इन्होने तो खा लिया है…तुम जब आओ तो खा लेना….”

राज: ठीक है…..मैं 1 घंटे तक वापिस आ जाउन्गा…..

राज के जाने के बाद मैं और भाभी मिस्टर. वेर्मा के घर पहुँचे….वो सब लोग घर के बाहर ही खड़े थी….बाहर 12-13 कार खड़ी थी…”आ गये तुम दोनो चलो बैठो कार मे अभी निकालने वाले है…..” मिस्टर वेर्मा ने जल्द बाज़ी मे भाभी से कहा….जैसे ही हम कार मे बैठने लगी तो, पता नही मुझे क्या हुआ, मैं एक दम से रुक गयी….
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09-17-2018, 01:18 PM,
#52
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
भाभी: क्या हुआ डॉली आ बैठ ना….

मैं: नही भाभी…..वो मुझे लगता है मुझे मेनास शुरू हो गये है…मैं नही जा पाउन्गी….

भाभी: तो क्या हुआ डॉली चल घर चलते है…पॅड लगा ले….

मैं: नही भाभी आप जाओ….मेरा बिल्कुल भी मूड नही हो रहा…

भाभी: ये क्या बात हुई इतने देर मे तैयार होकर आई हो…और अब जाना नही है…चलो कोई बात नही जाओ तुम घर…..

मैं: ओके भाभी….

उसके बाद मैं घर आ गयी….गेट हम ने बाहर से ही लॉक किया था….जब मैं गेट खोल कर अंदर आई तो भैया ने आवाज़ दी कॉन है….

मैं: मैं हूँ भैया…..

भैया: क्या हुआ डॉली तुम वापिस आ गयी….

मैं: वो भैया मेरी तबीयत कुछ ठीक नही लग रही है…..(मेने गेट को बंद करते हुए कहा….मैं भैया के रूम मे गयी…..) भैया आप को कुछ चाहिए तो नही… मैं ऊपेर जा रही हूँ….

भैया: नही डॉली मुझे कुछ नही चाहिए…तुम आराम करो…

उसके बाद मैं ऊपेर आ गयी….मेनास का बहाना बना कर मैं घर आ गयी थी…पर अब मुझे अपने इस फैंसले पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही थी….ये सोच-2 कर मैं शरम से धरती मे धँसी जा रही थी कि, जब राज को पता चलेगा कि, मैं शादी मे नही गयी तो वो मेरे बारे मे पता नही क्या सोचेगा…


शरम हया को परे रख कर मैं आज अपने उस यार के लिए सजने जा रही थी….जिसे मेने कभी कबूल नही किया था…उसके लिए जिससे मैं आज तक नफ़रत करती आ रही थी. उसके लिए जिसके लिए मेरे दिल मे कड़वाहट के सिवाए कुछ नही था…मैने अपने सारे कपड़े उतार फेंके….फिर अपनी अलमारी खोल कर उसमे से रेड कलर की ब्रा और पेंटी निकाल कर पहन ली….और उसके ऊपेर एक सेक्सी ब्लॅक कलर की ट्रॅन्सपेरेंट नाइटी….जिसमे से रेड कलर की ब्रा और पेंटी सॉफ नज़र आ रही थी….फिर ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर दोबारा से मेकप किया…वही मरून कलर का लिप कलर लगाया….

तभी अचानक से मेरे रूम का डोर खुला…आईने मे राज अक्श मुझे सॉफ दिखाई दे रहा था… मुझे अहसास नही था कि, राज इतनी जल्दी वापिस आ जाएगा….मेरे हाथ मे अभी भी वो मरून कलर की लिपस्टिक पकड़ी हुई थी….मेने राज को जैसे ही आईने मे देखा तो, मैने उसे जल्दी से ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया…मैं अंदर ही अंदर झुलस रही थी…..मन की सारी दुवधाएँ दूर हो चुकी थी…मैं वही बैठी उस पल का इंतजार कर रही थी कि, कब राज आगे बढ़ कर मुझे अपनी बाहों मे भर ले.

वो मुस्कुराता हुआ मेरी तरफ बढ़ा….मैं सर झुकाए हुए, अपनी कनखियो से उसे आईने मे अपनी तरफ बढ़ता हुआ देख रही थी…वो धीरे-2 मेरे पास आ गया…उसने धीरे से मेरे दोनो कंधो को पकड़ा, तो मेरा पूरा बदन एक दम से कांप गया….मैं अपने दोनो हाथों की उंगलियों को आपस मे फँसाए हुए, उन्हे मसल रही थी….फिर राज ने मुझे कंधे से पकड़ कर धीरे-2 ऊपेर उठाया, तो मैं खुद ही उठती चली गयी…

मैं अब खड़ी थी…..मेरी पीठ उसकी तरफ थी….उसने मुझे अपनी तरफ घुमाया और ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठने वाले छोटे से टेबल को पीछे करके, मुझे साथ ही आगे पर बेड पर बैठा दिया…मैं अपनी तेज चलती सांसो पर नियंत्रण पाने की कॉसिश कर रही थी….अब मैं बेड पर नीचे की तरफ पैर लटका कर बैठी थी….और वो मेरे सामने खड़ा था…उसने मेरी ओर देखते हुए, अपनी टीशर्ट को पकड़ा और ऊपेर उठाते हुए अपने गले से उतार कर पीछे लगे सोफे पर फेंक दिया….फिर एक कदम और आगे बढ़ कर उसने अपनी कमर के नीचे वाले हिस्से को थोड़ा सा आगे की तरफ निकाला…

उसके पेंट मे बना हुआ उभार मुझसे चीख -2 कर कह रहा था कि, इसमे छिपे हुए खजाने को निकाल लो और इसे जी भर कर प्यार करो…..मेने उसकी आँखो मे देखा तो. वो मुझे ऐसा देख रहा था कि, जैसे कह रहा हो कि, डॉली इस बार तुम शुरुआत करो. नज़ाने कब मेरे सारी शरम हया गुस्सा द्वेष सब खो गये….मेरे हाथ खुद ब खुद उठे और मेने उसके पेंट की ज़िप्प को पकड़ और धीरे-2 उसे खोल दिया….

मेने एक बार फिर से उसके आँखो मे देखा, तो उसने सर हिलाया….जैसे मुझे आगे बढ़ने के लिए हामी भर रहा हो…..मुझे नही पता मैं वो सब क्यों किए जा रही थी. पर मेरे हाथ ही मेरे बस मे नही थे…..मेने अपना एक हाथ उसकी ज़िप्प के अंदर डालते हुए, उसके अंडरवेर के अंदर डाला, तो मुझे एक झटका सा लगा….जब मेरा हाथ उसके दाहाकते हुए बाबूराव पर जा लगा….एक अजीब सी सनसनी पूरे बदन मे दौड़ गयी. मेरा हाथ अपने आप ही उसके बाबूराव पर कसता चला गया…..और मेने उसके बाबूराव को उसकी पेंट की ज़िप्प से बाहर निकाल लिया

आज मैं पूरे होशो हवास मे अपनी मरजी से उसके बाबूराव को अपने मुट्ठी मे थामे हुए बैठी थी…उसके बाबूराव का मोटा सुपाडा गुलाबी सुपाडा लाल होकर दहक रहा था….एक अजीब सी कासिष थी…उसके उस लाल मोटे सुपाडे मे….मेने उसकी आँखो मे देखा, तो उसके होंटो पर तीखी मुस्कान थी….जो उसके आरके होने का प्रमाण दे रही थी….मेरे ऊपेर काबू पाने का…प्रमाण….मैं भी अब उसकी कई प्रेमिकाओ मे से एक बन चुकी हूँ….उसका का प्रमाण….

उसने मेरी आँखो मे झाँकते हुए मेरे गाल पर अपना हाथ रखते हुए, अपने बाबूराव को मेरे होंटो की तरफ बढ़ाया…..मैं अभी भी उसकी आँखो मे आँखे डाले उसकी तरफ देख रही थी….जैसे ही उसके बाबूराव का मोटा सुपाडा मेरे होंटो से टकराया तो, मेने अपनी नज़रें नीचे करके उसके बाबूराव के सुपाडे को देखा, और फिर धीरे-2 अपने होंटो को खोल कर उसके गिर्द लिपटाती चली गयी….”ष्हिईीईईई डॉली माममम अहह” जैसे ही उसके बाबूराव का सुपाडा मेरे मूह मे गया तो, उसने सिसकते हुए दोनो हाथो से मेरे सर को पकड़ लिया…अब मैं उसके बाबूराव के सुपाडे पर अपने होंटो को रगड़ते हुए उसे मूह मे अंदर बाहर कर रही थी….

मुझे उसके बाबूराव की नसें अपने हाथ मे और फुलति हुई महसूस हो रही थी….पर एक अजीब सा डर मन मे डेरा जमाए बैठा था….कही राज इस बार भी तो, मेरे मूह मे ही अपना वीर्य छोड़ना तो नही चाहता…क्या इस बार भी वो मुझे जान बुझ कर तड़पता हुआ छोड़ कर चला जाएगा…क्या राज ये चाहता है, कि मैं किसी लंड की भूखी रंडी की तरह उसकी मिन्नतें करू…..

पर मेरे दिमाग़ मे जो भी ख़याल आ रहे थे….राज के अगले कदम ने उन सब को खारिज कर दिया….उसने अपने बाबूराव को मेरे मूह से बाहर निकाला और झुक कर मेरे होंटो पर अपने होन्ट रख दिए…..कुछ पल तो मैं बुत बनी रही….पर थोड़ी ही देर मे मेने भी उसे रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया….और अपने होंटो को ढीला छोड़ कर खोल दिया. उसने मेरे नीचे वाले होंटो को चूस्ते हुए, मुझे बेड से खड़ा किया, और अपनी बाहों को मेरी कमर मे कसते हुए, मुझे अपने से एक दम चिपका लिया….

मेरे मम्मे उसकी चेस्ट मे धँस गये थे….उसने मेरी कमर को सहलाते हुए, अपने हाथो को नीचे लेजाना शुरू किया…मेरा पूरा बदन उसके हाथों की हरक़तों के साथ-2 कांप रहा था….पूरे बदन मस्ती भरी सिहरन दौड़ती जा रही थी….उसके हाथो का दबाव मेरे जिस्म पर लगतार बढ़ता जा रहा था…..फिर जैसे ही उसने दोनो हाथों से मेरे बड़े-2 गोल चुतड़ों को पकड़ कर दबोचा, तो मैं एक दम से सिसकते हुए, उससे लिपट गयी…..”डॉली आज मुझे अपनी फुद्दि मारने दोगी…..” उसने मेरे चुतड़ों को दोनो तरफ फेला कर मसलते हुए कहा…

मैं राज के मूह से अपने लिए ऐसी वर्डिंग सुन कर एक दम शरमा गये….मुझे मेरे कानो मे से धुँआ निकलता हुआ महसूस हो रहा था….मैं उसकी बाहो से निकल कर सोफे की तरफ जाकर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी…मुझे यकीन नही हो रहा था कि, मेरा ही स्टूडेंट मुझे सॉफ-2 लफ़जो मे कह रहा है, कि वो मेरी फुददी मारना चाहता है… मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था….चुनमुनियाँ मे धुनकी से बजने लगी थी…वो मेरी तरफ बढ़ा….इस बार उसने मेरे कंधो पर हाथ रखा, और नाइटी के स्ट्रॅप्स कंधो से सरकाने लगा…

मैने अपनी आँखे बंद कर ली, मेरा दिल इस बात को स्वीकार कर चुका था कि, आज मुझे हर कमीत पर अपनी चुनमुनियाँ मे उसका बाबूराव चाहिए….जैसे ही नाइटी के स्ट्रॅप्स मेरे कंधो से सरक कर नीचे आए, तो उसने अपने हाथो को आगे की तरफ बढ़ा कर मेरी बाहों से वो स्ट्रॅप्स निकाल दिए…..फिर नाइटी को पकड़ कर थोड़ा सा नीचे की तरफ झटका दिया तो, नाइटी खिसक कर मेरे मोटे चुतड़ों पर आकर अटक गयी….फिर एक और झटका और अगले ही पल मेरी नाइटी मेरे कदमो मे पड़ी थी….

फिर ब्रा और फिर पेंटी तीनो एक के ऊपेर एक ढेर हो चुकी थी….मैं बिकुल नंगी हो चुकी थी…..आँखे बंद किए हुए, तेज धड़कते दिल के साथ उस पल का इंतजार कर रही थी, जब राज मेरे नंगे जिस्म को अपनी बाहों मे लेकर मसलना शुरू करेगा. रूम मे ऐसा सन्नाटा छाया हुआ था….जैसे उस रूम मे कोई हो ही ना….फिर अगले ही पल मुझे अपनी पीठ पर उसकी नंगी चेस्ट का अहसास हुआ, उसके हाथ मेरी कमर के बगलो से निकल कर आगे की तरफ आए, फिर पेट से होते हुए, मेरी नंगी तनी हुई चुचियों पर….जैसे ही उसने मेरी नंगी चुचियों को अपने हाथों मे भर कर मसला. तो मैं एक दम सिसक उठी…..और उसकी तरफ पलटते हुए, उसकी बाहों मे समाती चली गयी….
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09-17-2018, 01:18 PM,
#53
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
उसने मुझे बाहों मे कसते हुए, मेरे नंगे चुतड़ों को अपने हाथ मे लेकर मसला तो, मैं उससे और चिपक गयी….मुझे अपने मम्मो के निपल्स उसकी चेस्ट मे रगड़ खाते हुए सॉफ महसूस हो रहे थे….मेरे रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ती जा रही थी…”डॉली बोल ना मुझे अपनी फुद्दि मारने देगी….” आह्ह्ह्ह ये कैसा तरीका है पूछने का…..मेने मन ही मन सोचा….जाहिल ना हो कही का….

उसने मेरे कानो को अपने होंटो मे लेकर चुस्सा तो, मैं एक दम से तड़प उठी, “उनन्ं राज मुझे बेड पर ले चलो……” मेने सिसकते हुए कहा….और अपनी तरफ से उसके सवाल का जवाब भी दे दिया…उसने मुझे बाहों मे भरते हुए उठा लिया, और बेड के पास आकर मुझे धीरे-2 बेड पर लेटा दिया…..उसका बाबूराव मेरी आँखो के सामने फनफनाता हुआ झटके खा रहा था…..अगले ही पल उसने बेड पर आते हुए, मेरे पेट पर अपने सर्द होंटो को रख कर चूमना शुरू कर दिया….जैसे ही उसके गीले सर्द होन्ट मुझे अपने पेट पर महसूस हुए, मैने सिसकते हुए, अपने सर के नीचे रखे तकिये को अपनी दोनो मुठ्थियों मे भींच लिया….”शियीयीयैआइयियीयियी राज…..” मेरी आँखे मस्ती मे भारी होकर बंद होती चली गयी….होन्ट बुरी तरह से थरथराने लगे थे…..

वो कभी मेरे पेट को चूमता कभी अपने होंटो को रगड़ता तो, कभी अपनी जीभ निकाल कर पेट को चाटना शुरू कर देता….उसकी जीभ का सपर्श अपने नंगे पेट और नाभि पर महसूस करके मेरा पूरा बदन कांप रहा था….मेरी साँसे लगतार तेज होती जा रही थी…..साँस लेना भी मुस्किल लग रहा था…चुनमुनियाँ मे तेज खिंचाव महसूस हो रहा था…वो धीरे-2 अपने होंटो को पेट पर रगड़ते हुए, मेरी चुचियों की तरफ बढ़ने लगा...तो मेरे बदन मे तेज गुदगुदी सी दौड़ गयी….मेने अपनी गुदाज चुचियों को अपने हाथो से छुपा लिया…पर वो धीरे-2 ऊपेर बढ़ता रहा…फिर मेरे हाथो के बिल्कुल पास अपने होंटो को लेजाकार पागलो की तरह उस हिस्से को चूसने लगा….

काम मे बहाल होकर मेरे हाथ धीरे-2 मेरी चुचियाँ पर से हटते जा रहे थे….और उसके होन्ट मेरी चुचियों के हर इंच पर अपनी मोहर लगाते जा रहे थे… फिर अचानक से उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़ बेड पर सटा दिया….और अगले ही पल किसी वहशी की तरफ मेरे राइट मम्मे को मूह मे लेकर सक करना शुरू कर दिया….” ऊम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्िीीईईईईईई अहह राज………” मेने सिसकते हुए अपने बदन को आकड़ा लिया…इतना मज़ा आ रहा था कि, मुझसे बर्दाश्त भी नही हो पा रहा था…

मेरे मम्मे का निपल उसके तलवे और ज़ुबान के बीच मे पिस रहा था…वो मेरे निपल को बहुत ज़ोर से दबा -2 कर चूस रहा था….मैं एक दम मस्त हो चुकी थी…..कब मेरी टांगे खुली और कब वो मेरी टाँगो के बीच मे आकर बैठ गया….मुझे पता नही चला. मैं आँखे बंद किए हुए किसी और ही दुनिया मे पहुँच गयी थी…उस दुनिया मे जहाँ से मैं हरगिज़ वापिस नही आना चाहती थी…पर अगले ही पल जब मुझे मेरी धुनकि की तरह बज रही चुनमुनियाँ के छेद पर राज के बाबूराव का गरम और मोटा सुपाडा महसूस हुआ, तो मैं एक दम से तड़प उठी….

चुनमुनियाँ ने भी अपने गाढ़े पानी का खजाना खोल दिया…मेरी चुनमुनियाँ का छेद तेज़ी से खुलता और बंद होता मुझे महसूस हो रहा था…मानो जैसे अपने ऊपेर दस्तक दे रहे है, उस सुपाडे को अपने अंदर जल्द से जल्द खेंच लेना चाहता हो…और मेरी हालत शायद अब राज भी अच्छे से समझ चुका था….पर वो बेरहम तो, चुनमुनियाँ के छेद पर बाबूराव का सुपाडा भिड़ाए हुए, मेरे मम्मे को बच्चों की तरह चूस रहा था…..जब मेरी बर्दाश्त की इंतहा हो गयी तो, मैं खुद ही बोल उठी…..

मैं: ओह राज प्लीज़ अब और ना तड़पाओ…..मार लो मेरी फुद्दि अह्ह्ह्ह जितनी देर मरज़ी मार लो….प्लीज़ मारो ना……

मेने उसके फेस को दोनो हाथो से पकड़ कर अपने निपल से उसके होंटो को हटाते हुए उसकी आँखो मे देखते हुए कहा…

.”क्या कहा तुमने मेने सुना नही….” उसने तेज सांसो के साथ कहा…

.हाई ये मैं क्या कह गयी…उफ्फ इस कमीने ने मुझसे बुलवा ही लिया… मैने शरम से दोहरी होती हुए मन ही मन सोचा….तो उसने अपने बाबूराव के सुपाडे को हलका सा चुनमुनियाँ के छेद पर दबाते हुए फिर से कहा….”क्या हुआ मेरी जान बोलो ना… मारने दोगी ना…

अब मैं क्या करूँ….इस उल्लू को कैसे समझाऊ….तुझसे फुद्दि मरवाने के लिए ही तो, इस तरह अपनी फुद्दि खोल कर तेरे सामने लेटी हूँ…अब और क्या चाहता है तू…”

बोल ना डॉली…”

इसकी तो मैं…..मेने मन ही मन सोचा…और मुझे जो एक ही रास्ता उसका मूह बंद करवाने का दिखा…..वही मेने किया…मेने उसके फेस को पकड़ कर अपने होंटो पर झुका दिया…और उसके होंटो को अपने होंटो मे भर कर बंद कर दिया… अब मैं उसके होंटो को चूस रही थी…और अपनी गान्ड को ऊपेर उठाते हुए, अपनी चुनमुनियाँ को उसके लोहे की रोड की तरह तने हुए बाबूराव पर दबा रही थी…..

उसका बाबूराव मेरी गीली चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर घुसता जा रहा था…जब उसका आधा बाबूराव मेरी चुनमुनियाँ मे समा गया तो, मेने उसके होंटो को अपने होंटो से अलग करते हुए, उसकी आँखो मे अपनी मस्ती से भरी आँखो से देखा, तो वो ऐसे मुस्कुरा रहा था. जैसे कोई किसी की बेबसी पर मुस्कुरा रहा हो…मुझे उसके इस तरह देखने से शरम भी आ रही थी…और हँसी भी…उसका फेस अभी भी मेरे हाथों मे था…

मैं: म म मुझे घूर्ना बंद करो…..(मेने कांपती हुई आवाज़ मे कहा….)

राज: क्यों…..?

मैं: (उसके सर पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए) टीचर हूँ तुम्हारी…अहह श्िीीईईई….

जैसे ही मेने उसके सर पर थप्पड़ मारा, तो उसने एक ज़ोर दार झटका मार कर अपने बाबूराव को मेरी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे घुसा दिया…..मेरी आँखे मस्ती मे बंद होती चली गयी….मेने उसके गले मे अपनी बाहो का हार डालते हुए, उसके चेहरे को अपनी गर्दन पर झुका लिया…और अगले ही पल उसने अपने होंटो को खोल कर मेरी गर्दन को मूह मे भर कर चूस्ते हुए, धीरे-2 अपने बाबूराव को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसके बाबूराव का मोटा सुपाडे ने मेरी चुनमुनियाँ मे अपना कमाल दिखना शुरू कर दिया….

अंदर बाहर होते हुए, उसके बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो से बुरी तरह से रगड़ ख़ाता तो, मैं एक दम मस्त हो जाती….ऐसा लग रहा था कि, मेरी चुनमुनियाँ बुरी तरह से उसके बाबूराव के सुपाडे को अपने अंदर दबा रही है…”ओह्ह्ह्ह राज येस्स फक मी हनी…ओह्ह येस्स अहह ओह्ह्ह्ह येस्स्स्स येस्स्स फक…..” मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि, मैं किसी रंडी की तरह उसे अपनी चुनमुनियाँ मारने के लिए उकसा रही थी…मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि, मैं उसको शब्दों मे बयान नही कर सकती….हर बार उसके बाबूराव का सुपाडा किसी वॅक्यूम के पिस्टन की तरह अंदर जाता…और जब बाहर आता तो, मेरी चुनमुनियाँ से कुछ और कामरस बाहर खेंच लाता…..

वो धीरे-2 अपने बाबूराव को मेरी फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था….और मैं अपनी गान्ड को उसके बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे लेने के लिए बार-2 ऊपेर की और उछाल रही थी….उसके धक्को की रफ़्तार मे हर पल तेज़ी आती जा रही थी….मेने उसके चुतड़ों पर हाथ रख कर उसे अपनी चुनमुनियाँ की तरफ दबाना सुरू कर दिया….जिससे उसने और तेज़ी और जोरदार तरीके से शॉट लगाने शुरू कर दिए….अब उसकी जांघे मेरे चुतड़ों से टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी थी…वही आवाज़ जिसे मैं कई बार सुन चुकी थी…जब भाभी राज से चुदवाती थी….उस आवाज़ को फिर से सुन कर मैं और गरम हो गयी…

मैं: अहह ओह्ह्ह्ह राज येस्स्स्स हाआँ और ज़ोर से मारो अह्ह्ह्ह येस्स फक…..ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अहह उम्ह्ह्ह्ह ओह बेबी…….अहह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह हाईए अहह अह्ह्ह्ह राज….

अब राज अपना बाबूराव सुपाडे तक मेरी चुनमुनियाँ से बाहर निकालता और फिर पूरी रफ़्तार से बिना रुके एक ही बार मे मेरी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे घुसा देता….मेरी मस्ती का कोई ठिकाना नही था….मैं अन्ट शन्ट बके जा रही थी..खुद नीचे से अपनी गान्ड को हवा मे उछाल रही थी…मज़्ज़िल करीब थी…..मेरा पूरा बदन मस्ती मे कांपने लगा..

मैं:ओह्ह्ह राज ओह्ह्ह्ह येस्स्स्स बेबी फक मी अह्ह्ह्ह अहह अहह ओह्ह्ह्ह राज ओह हार्डर अहह ओह श्िीीईईईईईईईईईईईई उंघह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह हाई मार मेरी फुद्दि और ज़ोर नाल हां ठोक दे अपना लंड अहह…….

मैं बुरी तरह काँपते हुए झड़ने लगी….मेने राज की कमर पर अपनी टाँगो को लपेट लिया,….और उसके चुतड़ों को पूरी ताक़त से चुनमुनियाँ की तरफ दबाया…मैं बुरी तरह से कांप रही थी….मेरी चुनमुनियाँ की दीवारो ने राज के मोटे बाबूराव को बुरी तरह बीच मे कॅसा हुआ था….जैसे उसका सारा रस निचोड़ लेना चाहती हो….”ओह्ह्ह्ह अहह अह्ह्ह्ह्ह्ह राज…….” में ऊपेर की तरफ राज के बाबूराव पर अपनी चुनमुनियाँ को दबाते हुए सिसकते हुए बोली…..

हम दोनो के बदन पसीने से भीग चुके थे….3-4 मिनिट बाद मेरा बदन जैसे ढीला पड़ा….राज ने मेरे होंटो को चूसना शुरू कर दिया…मैं एक दम संतुष्ट हो चुकी थी…राज ने मुझे चरम तक पहुँचाया था….इसलिए उसके लिए उसे अपने होंटो का रस उसे इनाम मे पिला रही थी….और वो भी बड़ी शिद्दत से मेरे दोनो होंटो को बारी-2 अपने होंटो मे लेकर चूस रहा था…उसके दोनो हाथ बेदर्दी से मेरी चुचियों को मसल रहे थे….इतना मज़ा आ रहा था…उससे अपनी चुचियों को मसलवाने मे..
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09-17-2018, 01:19 PM,
#54
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
कभी मेरे होंटो को छोड़ कर मेरी चुचियाँ और निपल्स को चूसना शुरू कर देता, तो कभी मेरे गालो और होंटो….मैं फिर से गरम होने लगी थी…उसने मुझे लेटे-2 ही घुमाया और मुझे अपने ऊपेर ले आया…..मैने भी बिना रुके अपनी गान्ड को ऊपेर नीचे करना शुरू कर दिया….उसका बाबूराव फिर से मेरी चुनमुनियाँ के पानी से तर होकर अंदर बाहर होने लगा…इस बार हम दोनो 10 मिनिट बाद एक साथ झडे…..

उसके वीर्य ने मेरी चुनमुनियाँ को पूरी रात मे इतना भर दिया कि, मैं सारी रात उससे लिपट कर लेटी रही….उसके बाद जो उस रात शुरू हुआ, वो आगे 3 साल तक चला…..मैं उसके जाल मे ऐसी फँसती चली गयी कि, मुझे याद नही कब मेने और भाभी ने उसके साथ मिल कर थ्रीसम करना शुरू कर दिया….जब वो मेरी चुनमुनियाँ मे अपने बाबूराव को अंदर बाहर कर रहा होता तो, भाभी झुक कर मेरी चुनमुनियाँ की क्लिट पर अपनी जीभ चला रही होती…एक ऐसा सुखद अनुभव था…..जो मैं कभी भूल नही सकती….

बीच मे जब पति महोदय आते तो, राज अक्सर किचिन की छत पर चढ़ कर मुझे आरके से चुदवाते हुए देखता. और मैं भी आरके के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ मे लेते हुए, उसे दिखाती….इन सब मे मुझे अजीब सा मज़ा आता….आज उस रात को बीते हुए 4 साल बीत चुके है…1 साल पहले ही मैने एक बेटे को जनम दिया था….पर तब राज ग्रॅजुयेशन करके, ललिता से शादी करके अपने मम्मी पापा के पास आब्रॅड जा चुका था…

आज भी जब आरके मेरे साथ सेक्स कर रहे थे…..तब भी मेरी नज़रे उस रोशनदान पर थी…काश मुझे उस निर्मोही की एक झलक ही मिल जाती…..


दोस्तो ये कहानी यही समाप्त होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए अलविदा

समाप्त
एंड 
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