Antarvasna kahani मासूम
10-08-2018, 01:32 PM,
#1
Shocked  Antarvasna kahani मासूम
INNOCENT (मासूम)


फ्रेंड्स मैं एक और नई शुरू कर रहा हूँ जो आपको पसंद आएगी .और आप सब भी साथ बनाए रखेंगे. दोस्तो 

मैं घर मैं सब से छोटा हूँ और सब को बहुत प्यारा लगता हूँ मैं जब छोटा था तो बहुत इनोसेंट था लेकिन घर वालो की नज़र मे लेकिन बाहर मैं किसी लड़की को देखता तो उसकी हर वो चीज़ देखता जो एक हज़्बेंड ही देख सकता है मैं अपने दिमाग़ मैं तस्वीर बना लेता मतलब इमॅजिन करता था उस का फिगर देखता बहुत बहुत ज़्यादा हरामी हूँ मैं बचपन से ही.

मेरे मोम डॅड की काफ़ी यियर्ज़ पहले डेत हो गई जब मैं 6 साल का था और मेरे भाई और बड़ी बहन ने हम सब का बहुत ख्याल रखा जॉब कर के हमारी हर ज़रूरत को पूरा किया हमारा सारा बोझ उन पे था. मेरी दीदी कविता की जॉब बॅंक मे है प्राइवेट बॅंक मे. भाई की पहले यहाँ जॉब थी लकिन उन्हे यूएई का वीसा मिला तो भाई वहाँ चले गये.

मेरा जब जहाँ दिल करता वहीं सो जाता मतलब कभी किसी सिस्टर के साथ कभी किसी के साथ क्योंकि मैं सब से छोटा था तो मुझे कोई मना भी नही करता था.

ये बात काफ़ी साल पहले की है उमर नही लिख सकता वरना स्टोरी पोस्ट नही हो गी.
मेरी दीदी कविता मुझे नहलाती थी जब मैं छोटा था उस वक़्त मुझे सेक्स का कुछ पता नही था मैने मूठ मारना 14 साल की उमर मे शुरू किया था

हमारा मुहल्ला बहुत गंदा है मतलब बच्चे बच्चे को हर बात का पता है

मोम डॅड थे नही इस लिए कोई मुझे बाहर जाने खेलने या किसी भी बात से नही रोकता था जिस की वजह से मैं भी उन बाय्स के साथ खेल खेल के ऐसी बाते सीख गया और सेक्स का भी पता चल गया कि ये किया होता है और कैसे होता है

मुझे याद है जब मैं पहली बार मूठ मार रहा था लेट नाइट जब सब सो गये थे गर्मी का मौसम था और हम एक ही रूम मे सोते थे क्योंकि एसी सिर्फ़ एक ही अफोर्ड कर सकते थे.

मैं तेल लगा के मूठ मार रहा था मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जिस की वजह से मैं तेज़ तेज़ हाथ चला रहा था और पचक पचक की आवाज़ निकल रही थी कि अचानक कविता दीदी ने मुझसे पुछा 

कविता दीदी : भाई क्या कर रहे हो? क्या बबल गम खा रहे हो?

बिल्कुल वैसी आवाज़ थी जब मूह खोल के बबल गम को चबाओ तो मैं ने फ़ौरन कह दिया "जी दीदी बबल गम खा रहा हूँ"

" भाई इतनी रात को बस करो और सो जाओ" दीदी बोली

फिर मैने आराम आराम से मूठ मारी और पहली बार झाड़ा मुझे बहुत मज़ा आया फिर मैं सो गया. कुच्छ दिन मैं डेली मूठ मारता रात मे फिर मैं दिन मे नहाने जाता तो साबुन लगा के मूठ मारता मैं बहुत कुच्छ सीखता डेली कुच्छ ही मंत्स मे लगभग फुल सेक्स का पता चल गया मुझे.

हम सब लाइफ को बहुत एंजाय कर रहे थे हम ने इस साल होली भी खेली घर मे भाई काम पे गये हुए थे मैं और बाकी सब सिस्टर्स घर पे थी मैं बाजार से काफ़ी कलर ले आया और हम ने फुल तैयारी कर ली फिर हम बाहर आ गये गार्डन मे और होली स्टार्ट की सब एक दूसेरे पे रंग फेक रहे थे कुछ पानी मे रंग मिला के कलर वाला पानी एक दूसरे पे डाल रहे थे. मैं ने भी सब सिस्टर पे रंग डाला उनको गालों पे रंग लगाता मुझे बहुत मज़ा आ रहा था कभी मेरा हाथ किसी की गान्ड पे टच होता कभी किसी के बूब्स पे सब से ज़्यादा मज़ा मुझे आ रहा था हम काफ़ी देर तक खेलते रहे और मैं ने पूरे टाइम बहुत मज़ा किया सब के जिस्म को टच कर के फील कर किया फिर हम सब घर आ गये और सब ने नहा के कपड़े चेंज कर लिए.

एक रात हम सब रूम मे सो रहे थे मेरी एक साइड पे कविता दीदी सो रही थी और ऐक साइड पे प्रीति दीदी सो रही थी मैं सब के सोने का वेट कर रहा था जब सब सो गये तो मैने मूठ मारना शुरू कर दिया तभी मेरे दिमाग़ मे आया क्योना कविता दीदी की गान्ड पे टच करूँ मैने एक हाथ मे अपना लंड जो उस वक़्त छोटा सा था को पकड़ा हुआ था और एक हाथ कविता दीदी की गान्ड पे रख दिया कुछ देर मैने अपना हाथ ज़रा भी नही हिलाया लेकिन मैं कविता दीदी की गान्ड को फील करना चाहता था तो मैने आराम से अपना हॅंड मूव किया दीदी की गान्ड पे. मैं दीदी की गान्ड पे हाथ फेरने लगा और फिर मैने अपना हाथ दीदी की गान्ड की लाइन मे ले गया मुझे बहुत मज़ा आया क्योंकि वो जगह बहुत गरम थी.

कुच्छ देर मज़ा करने के बाद मैं फारिग हो गया और सो गया.

नेक्स्ट नाइट फिर वैसे ही सोए थे हम और दोबारा काफ़ी देर बाद मैने अपना हॅंड कविता दीदी की गान्ड पे रखा और मज़ा करने लगा लेकिन लालच बढ़ गया था तो मैने करवट ली दीदी के पिछे और अपना लेफ्ट हॅंड दीदी के उपेर रखा बाजू पे शोल्डर के करीब दीदी ने कुच्छ नही कहा वो सो रही थी मैने हिम्मत कर के अपना हॅंड मूव किया और दीदी की कमीज़ साइड पे कर के अंदर ले गया और थोड़ा अंदर ले जा के दीदी के पेट पे रख दिया दीदी का पेट भी गरम था लेकिन बहुत मुलायम था.

कुछ देर बाद मैने अपना हॅंड वहाँ से मूव किया और थोड़ा आगे ले गया तो मेरा हॅंड दीदी के बूब्स को टच हुआ.

दीदी करवट पर सो रही थी जिस की वजह से दीदी के बूब्स साइड पे थे और ब्रा लूस हो गया था और तक़रीबन दीदी के हाफ बूब्स ब्रा मे थे और दीदी का हाफ ब्रा फ्री था और मेरा हॅंड दीदी के दोनो बूब्स के बीच था.

मैं अपनी बड़ी दीदी के बूब्स को फील करने लगा वो बहुत सॉफ्ट और मुलायम थे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मैं काफ़ी देर कविता दीदी के बूब्स को फील करता रहा और जब मूठ मारते मारते झाड़ गया तो सो गया.

नेक्स्ट नाइट दोबारा मैने अपना हॅंड दीदी की कमीज़ मे डाला और दीदी के बूब्स तक पहुँच गया. आप यकीन नही करोगे दीदी ने उस रात ब्रा नही पहना हुआ था उफ्फ मेरा तो खुशी से बुरा हाल था खैर मैने आराम से दीदी का लेफ्ट बूब पकड़ लिया और आराम से दबाने लगा फिर मैने दीदी के निपल को टच किया तो वो हार्ड था.

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं दीदी के बूब्स के साथ खेलने लगा अचानक दीदी थोड़ा सा हिली तो मैने डर से फ़ौरन अपना हॅंड बाहर निकाल लिया

लेकिन तभी मुझे दीदी की आवाज़ सुनाई दी

"भाई आराम से सो जाओ या उठाऊ बादल को" दीदी धीरे से बोली

मेरी तो गान्ड ही फट गई क्योंकि भैया भी वहीं सोए हुए थे और यू ही गान्ड फट.ते फट.ते पता नही मैं कब और कैसे सो गया

सुबह उठा तो सब कुच्छ नॉर्मल था किसी ने कोई बात नही की ना ही भैया न्र और ना ही कविता दीदी ने.

उस रात मेरी ऐसी गान्ड फटी कि कई दिन तक मैने सेक्स का सोचा ही नही.

एक दिन मैं कविता दीदी के रूम मे गया दीदी बेड पे बैठी हुई थी मैं साथ जा के बैठ गया.

"दीदी क्या बात है आप परेशान लग रही हैं और चुप चुप भी है सब ठीक तो है ना?" मैने दीदी को परेशान देख कर पुछा
"कुछ नही भाई ऐसे ही थक गयी हूँ आज कल काम बहुत होता है इस लिए थक जाती हूँ" दीदी बोली

"दीदी आप कहे तो मैं आपके हाथ पैर दबा दूँ बहुत आराम मिलेगा आपको" मैं बोला

"नही भाई मैं ठीक हूँ रहने दो" दीदी बोली

"दीदी आप लेट जाओ ना प्लीज़ मेरा दिल कर रहा है अपनी प्यारी दीदी को दबाने का" मैं ज़िद करते हुए बोला और मैने दीदी को ज़बरदस्ती बेड पे लिटा दिया और दीदी के पैर दबाने लगा.

मैने दीदी को दबाना शुरू किया तो दीदी को आराम मिलने लगा कुच्छ देर बाद दीदी की आँख लग गई अब मैं दीदी के बदन को दबा भी रहा था और फील भी कर रहा था और मज़े कर रहा था.

कुच्छ देर बाद प्रिया दीदी अंदर आई और मुझे दीदी को दबाते देख के मुस्कुराने लगी



"अरे वाह भाई तुम्हे दबाना भी आता है मुझे तो कभी नही दबाया क्या मैं तुम्हारी बहन नही हूँ" प्रिया दीदी बोली

"दीदी जब आप थकि होंगी तब आप को भी दबा दूँगा" मैं भी मुस्कुराते हुए बोला

तभी दीदी उठ गई और बोली "भाई बस करो तुम थक गये होंगे. हां प्रिया बेटा क्या बात है"

दीदी हम सब को बेटा बुलाती थी.

प्रिया दीदी :- कोई काम नही है दीदी वैसे ही आ गई, वैसे आपकी तबीयत तो ठीक है ना छोटा दबा जो रहा है आपको?

कविता दीदी :- हां मैं ठीक हूँ बस थकि हुई थी तो छोटा ज़िद करने लगा कि दीदी आप लेट जाओ मैं दबा देता हूँ और इसने इतना अच्छे से दबाया कि मेरी आँख लग गई
प्रिया दीदी :- अच्छा दीदी फिर आप रेस्ट करो मैं जा रही हूँ

प्रिया दीदी चली गई तो मैं कविता दीदी को दोबारा दबाने लगा................


कविता दीदी :- भाई बस करो मैं ठीक हूँ अब.

"नही दीदी कुच्छ देर तो दबाने दो आज मैं अपनी दीदी की खिदमत कर लूँ पता नही फिर कब ये मौका मिलता है" मैं बोला

"भाई पढ़ते भी हो या सारा दिन खेलते ही रहते हो?" दीदी बोली

"पढ़ता हूँ दीदी सारा काम ख़तम कर दिया है इसलिए तो आप के पास बैठा हूँ" मैं बोला और वापस दबाने लगा अब दीदी भी आराम से दबवा रही थी

"दीदी आप शादी कब करेंगी, आप शादी कर लो ना सच बहुत मज़ा आएगा" कुच्छ देर बाद मैं बोला

"भाई तुम्हे मेरी शादी की इतनी फिकर क्यों है अगर मैने शादी कर ली तो घर कौन संभाले गा और मैने सोच लिया है कि पहले मैं अपनी सिस्टर्स की शादी करूँगी बाद मे अपनी शादी का सोचूँगी" दीदी बोली

"नही दीदी मैं तो वैसे ही कह रहा था क्यों कि सब लड़किया तक़रीबन आप की एज मैं शादी कर लेती हैं ना वैसे दीदी शादी क्यों होती है और शादी करके क्या फ़ायदा होता है" मैने पुछा

"भाई शादी के बाद हज़्बेंड अपनी वाइफ का और वाइफ अपने हज़्बेंड का ख्याल रखते हैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते है और शादी के बाद बच्चे पैदा होते है जिस से माँ और बाप दोनो को खुशी मिलती है बुढ़ापे के लिए सहारा मिल जाता है" दीदी ने बताया
Reply
10-08-2018, 01:32 PM,
#2
RE: Antarvasna kahani मासूम
"अच्छा दीदी इसलिए, और दीदी बच्चे कैसे पैदा होते है" मैने एक बार फिर नादान बनते हुए पुछा

"बस शादी के बाद भगवान जी बच्चे दे देते है" दीदी ने भी मुझे एडा समझते हुए बताया लेकिन वो नही जानती थी कि ये एडा बहुत जल्द पेड़ा खाने की सोच रहा है

"दीदी ये तो मुझे पता है कि भगवान ही बच्चे देते है लेकिन दीदी वो सुहागरात क्या होती है और उसमे हज़्बेंड और वाइफ क्या करते है" मैने फिर पुछा

"भाई ऐसी बाते नही करते कभी अपनी एज देखी है और बाते देखो कैसी पुछ रहा है और ज़रा ये तो बताओ कि किसने बताया तुम्हे ये सब" दीदी तुनक्ते हुए बोली

"वो......वो दीदी जब मैं अपने कज़िन की शादी मे गया था और जब दुल्हन घर आ गई थी तब कुच्छ लोग बाते कर रहे थे कि अब तो दूल्हा दुल्हन मज़े से सुहागरात मनाएँगे और आज रात दूल्हा दुल्हन को सोने नही देगा" मेरी तो गान्ड फटी हुई थी लेकिन किसी तरह मैने बात को संभाला

"कौन कह रहा था ये सब और तुम क्यों सुनते हो किसी की बाते, किसी की बाते सुन.ना बहुत बुरी बात है बेटा आगे से ऐसा नही करना" दीदी मुझे समझाते हुए बोली

"दीदी मुझे नही पता वो लोग कौन थे और दीदी वो लोग मेरे साथ एक ही रूम मे सो रहे थे अब मैं अपने कान कैसे बंद करता" मैं बोला

दीदी मेरी बात सुनकर चुप हो गई आख़िर मेरी बात भी सही हो थी
"दीदी बताओ ना सुहागरात क्या होती है कैसे होती है और हज़्बेंड वाइफ को रात भर क्यों नही सोने देता" थोड़ी देर बाद मैं फिर बोला

"भाई अब मैं मारूँगी सच मे, कहा ना ऐसे बाते नही करते अभी तुम्हारी एज नही है ऐसी बाते पुछ्ने की और जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हे खुद-ब-खुद ही सब पता चल जाएगा" दीदी थोड़े गुस्से से बोली

"दीदी मुझे अभी बताओ ना और देखो ना मैं बड़ा तो हो ही गया हूँ ना" मैं ज़िद्द करते हुए बोला "वैसे दीदी आपने कभी सुहागरात मनाई है क्या"

"भाई सुहागरात शादी के बाद मनाई जाती है पहले नही, गंदे कहीं के पता नही क्या क्या कहते जा रहे हो ना सोचते हो ना कुच्छ........अब बस करो और जाओ बाहर जाकर खेलो" दीदी मुझे झिड़कते हुए बोली

अब मैने ज़्यादा बहस करना ठीक नही समझा और उठ कर खेलने के लिए बाहर चला गया कुच्छ देर खेलने के बाद मैं घर वापस आगया

रात हमारी मौसी हमारे घर आई वो भैया के लिए रिश्ते के बात करने आई थी लड़की वाले उनके रिश्तेदार थे और लड़की बहुत ही सुंदर थी इसलिए मौसी ज़िद्द कर रही थी कि लड़की भी अच्छी है और वो लोग भी अच्छे है ऐसा रिश्ता फिर नही मिलेगा इसलिए शादी वहीं करते है

हमने मौसी से कहा कि सोच कर बताते है और फिर बादल भैया आए तो उन्हे बताया लेकिन भैया मना करने लगे फिर हम सबने ज़िद्द की और भैया को मनाया कि एक बार लड़की तो देख लो पसंद नही आए तो मत करना और किसी तरह भैया को मना कर हम लड़की देखने पहुचे लड़की सच मे बहुत सुंदर थी


लड़की सभी को पसंद आ गई और कुच्छ दिनो के बाद रिश्ता पक्का हो गया भाभी सच मे बहुत ही क्यूट, सेक्सी, स्लिम और हॉट थी मैं तो सोच रहा था कि उनकी शादी भैया से ना होकर मुझसे हो जाए लेकिन ये नामुमकिन था......


रिश्ता तय होते ही हम लोगो ने डिसाइड किया कि जल्द ही भैया की शादी कर देते है लेकिन भैया ने मना कर दिया कि इतनी जल्दी नही करना है शादी के लिए अभी उन्हे थोड़ा वक्त चाहिए तो भाई की बात सुनकर ये तय किया गया कि अभी सगाई कर देते है शादी बाद मे भैया की सुविधा से कर देंगे

सगाई 2 दिन के बाद रखी गई सगाई पर सब बहनो ने खुलकर मज़े से डॅन्स किया भाभी से भी डॅन्स करवाया गया और भैया की साली ने भी खूब डॅन्स किया
सब मे बहुत सेक्सी डॅन्स किया और सभी लड़किया डॅन्स करते वक्त बहुत सेक्सी लग रही थी
डॅन्स करते वक्त सभी लड़किया सलवार सूट मे थी लेकिन डॅन्स करते वक्त किसी ने भी दुपट्टा नही लिया हुआ था सभी का डॅन्स बहुत अच्छा और सेक्सी था खास कर कविता दीदी का

कविता दीदी ने जब डॅन्स शुरू किया तो दुपट्टा पहना हुआ था क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े है लेकिन कुच्छ देर बाद दीदी ने जब दुपट्टा उतारा तो उनकी कुरती के बड़े गले से उनके बड़े बड़े बूब्स बहुत हद तक सॉफ नज़र आरहे थे डॅन्स करते वक्त जब वो उच्छलती तो बहुत हॉट नज़ारा देखने को मिलता

फंक्षन बहुत रात तक चला फिर हम घर वापस आगये हम सब बहुत थक गये थे घर पहुच कर सब अपने अपने रूम मे चली गये

मैं कविता दीदी के रूम की तरफ बढ़ गया मैं आज कुच्छ और चान्स लेना चाहता था पेड़ा खाने के लिए लेकिन रूम के बाहर पहुच कर देखा तो गैट लॉक था मैने नॉक किया

"कॉन है" अंदर से दीदी की आवाज़ आई

"मैं हूँ दीदी दरवाजा खोलो" मैं बोला

"क्या बात है बेटा मैं चेंज कर रही हूँ" दीदी बोली

"दीदी खोलो ना चेंज बाद मे कर लेना" मैं बोला और फिर नॉक किया

अब दीदी ने दरवाजा खोल देता और मैं अंदर जाकर उनके बेड पर बैठ गया

"दीदी आज आपका डॅन्स बहुत अच्छा था सब से ज़्यादा अच्छा सच मुझे बहुत मज़ा आया आपको डॅन्स करते हुए देख कर" मैं बोला

"थॅंक यू बेटा क्या यही कहना था जिसके लिए तुम यहाँ आए थे" दीदी मुस्कुराते हुए बोली

"नही दीदी आप इन कपड़ो मे बहुत प्यारी लग रही है इसलिए मैं आ गया सोचा कहीं आप चेंज ना कर लो मैं आपको इन कपड़ो मे देखने और आप से बाते करने आया हूँ अगर आप थकि हुई ना हो तो हम बात कर लेते है वरना मैं चला जाता हूँ" मैं बोला

"नही भाई मैं नही थकि हूँ चलो बाते कर लेते है वैसे भी कल छुट्टी है तो मैने कौन सा जल्दी उठना है" दीदी बोली

मैं खुश हो गया और दीदी एक चेयर लेकर मेरे सामने बैठ गई मेरी नज़रे बार बार उनकी बड़ी बड़ी चुचियो पर जा रही थी

"अच्छा तो सब से ज़्यादा मेरा डॅन्स अच्छा लगा तुम्हे, है ना बेटा" दीदी मुझे देखते हुए बोली

"जी दीदी, सब से अच्छा डॅन्स आपने किया और मेरी कविता दीदी से अच्छा कोई नही है मेरी कविता दीदी ईज़ बेस्ट" मैने मक्खन लगाया "उर दीदी आप ब्लॅक कलर के कपड़ो मे बहुत प्यारी लग रही है सच दीदी सब कुच्छ ब्लॅक आप पर बहुत अच्छा लग रहा है"

"सब कुच्छ ब्लॅक से क्या मतलब है भाई" दीदी कुच्छ सकपकाते हुए बोली

"दीदी आपकी कुरती, सलवार, दुपट्टा और आपकी बनियान" मैं बोला

"बनियान.........क्या मतलब है भाई तुम्हारा और तुमने कब और कैसे देखा" दीदी हैरान होकर बोली

"क्या कैसे देखा आपने ब्लॅक सलवार कुरती और दुपट्टा नही पहना है क्या अभी, और मैं कैसे ना देखता" मैं एकदम भोन्दु बनते हुए बोला

"भाई ये सब नही हो जो तुमने कहा ना बनियान उसका पुच्छ रही हूँ मैं" दीदी बोली

"अच्छा वूऊ...........वो तो जब आप डॅन्स कर रही थी ना तब देखा था मतलब नज़र आ गई थी आपकी ब्लॅक बनियान" मैं बोला

"भाई मैने तो दुपट्टा लिया हुआ था तब तो फिर कैसे नज़र आ गई, कहीं तुमने कहीं और से तो नही देखा आइ मैं जब मैं चेंज कर रही हौं तब" दीदी थोड़ी शरमाते हुए बोली
Reply
10-08-2018, 01:33 PM,
#3
RE: Antarvasna kahani मासूम
"नही दीदी आप मेरे सामने चेंज थोड़ी ही कर रही थी जो मैं देख पाता और बाकी कोई ऐसी जगह तो है नही जहाँ से देखता मैं सच कह रहा हूँ डॅन्स करते वक्त देखा था पहले तो आपने दुपट्टा लिया हुआ था लेकिन डॅन्स करते वक्त बाद मे निकाल दिया था तब नज़र आ गई थी आपकी बनियान और........." कहते कहते मैं रुक गया

"और क्या भाई" दीदी ने जल्दी से पुछा

"वो......दीदी...उूओ.......मुझे नाम तो नही पता लेकिन आपके ये भी नज़र आरहे थे" मैने दीदी की चुचियो की तरफ इशारा करते हुए कहा

मेरी बात सुनकर दीदी के गाल शरम से लाल हो गये

"भैया शरम करो अपनी बहन को वहाँ नही देखते और ऐसी बाते भी नही करते" दीदी मुझे घूरते हुए बोली

"ओक दीदी, लेकिन प्ल्ज़ दीदी मुझे दोबारा डॅन्स कर के दिखा दो ना प्ल्ज़ थोड़ा सा वैसे ही" मैं बोला

"भैया मैं थक गई हूँ फिर कभी करके दिखा दूँगी प्रॉमिस" दीदी मुझे टालते हुए बोली

"नही दीदी मुझे अभी देखना है प्ल्ज़ दीदी प्ल्ज़ अभी दिखाइए ना दीदी प्ल्ज़, और अभी तो आपने कहा था कि अभी आप थकि नही हो" मैं ज़िद्द करते हुए बोला

"अच्छा.....अच्छा चलो जाओ कोई सॉंग लगा दो" दीदी मुस्कुरा कर हार मानते हुए बोली

मैं उठा और स्लो आवाज़ मे 'जी कर्दा भाई जी कर्दा' सॉंग लगा दिया

मैं बेड पर बैठ गया और दीदी ने डॅन्स शुरू कर दिया दीदी बिल्कुल कटरीना कैफ़ की तरह डॅन्स कर रही थी डॅन्स करते वक्त एक बार फिर उनके बड़े बड़े बूब्स उच्छल कर उपर नीचे होने लगे और मेरे लंड मे हरकत होने लगी

"दीदी आप तो कटरीना से भी अच्छा डॅन्स कर रही हो सिर्फ़ स्कर्ट और टॉप की कमी है क्या वो नही है आपके पास" मैं दीदी को उकसाते हुए बोला

दीदी डॅन्स करते करते मेरे पास आ गई और मेरे गाल पर प्यार से मार कर बोली "बेशरम......" और फिर डॅन्स करने लगी

"दीदी दुपट्टा निकाल दो ना प्लीज़" मैं बोला

"नही भाई तुम फिर से वहाँ देखोगे" दीदी आँखे निकलते हुए बोली

"दीदी मैं वहाँ नही देखूँगा प्लीज़ निकाल दो ना प्ल्ज़, प्ल्ज़, प्ल्ज़" मैं दीदी की मिन्नत करते हुए बोला

दीदी ने मेरी तरफ मूह बना कर देखा और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर मुझे चिढ़ाया और दुपट्टा निकाल कर मुझ पर फेंक दिया और डॅन्स करते रही

दीदी ने मेरी तरफ पीठ कर के रखी थी क्योंकि दीदी के बड़े बड़े बूब्स सॉफ नज़र आरहे थे लेकिन ऐसे मे उनकी बलखाती मस्त बड़ी गान्ड अभी मेरी नज़रो के सामने थी

थोड़ी देर मैने उनकी गान्ड का नज़ारा किया और फिर बोला "दीदी क्या आपको मल्लिका शहरावत की तरह डॅन्स आता है"

दीदी रुक कर मुझे देखने लगी और हँस कर बोली "हां आता है"

मैं उठा और मैने 'नाम जलेबी बाई' वाला सॉंग लगा दिया और वापस बेड पर बैठ गया

दीदी ने बिल्कुल मल्लिका की तरह डॅन्स करना शुरू कर दिया उसी की तरह अपनी गान्ड हिला रही थी और दिखा रही थी कुच्छ देर बाद दीदी मेरी तरफ घूम गई और डॅन्स करते करते झुक गई और अपने बूब्स हिलाने लगी दीदी के आधे से ज़्यादा बूब्स नज़र आरहे थे

दीदी ने मेरी तरफ देखा तो मेरी नज़र उनके गले मे से झाँकते बड़े बड़े बूब्स पर थी दीदी फ़ौरन सीधी खड़ी हो गई और डॅन्स भी रोक दिया

"क्या हुआ दीदी और करो ना प्लीज़" मैने रिक्वेस्ट की

"बस भाई काफ़ी है अब मैं थक भी गई हूँ" दीदी बोली और मेरे पास आकर बैठ गई वो तेज तेज साँसे लेरही थी और उनके बूब्स उपर नीचे ही रहे थे दीदी की छाती बाहर निकल आती और फिर अंदर हो जाती दीदी का दुपट्टा अभी भी मेरे पास ही था

"दीदी अभी डॅन्स करते वक्त जब आप झुकी थी तो मुझे आपकी वो ब्लॅक बनियान दिखाई दी थी लेकिन वो हम लड़को के जैसी नही लग रही थी प्लीज़ दीदी मुझे अपनी बनियान दिखाओ ना" मैं बड़ी मासूमियत से बोला

दीदी ने बड़े गुस्से से मेरी तरफ देखा लेकिन फिर तुरंत ही उन्हे हँसी आ गई...

"भैया उसे बनियान नही कहते और बेटा मैने तुम्हे कहा था ना कि अपनी बहनो के साथ ऐसी बाते नही करते" दीदी मुस्कुराते हुए बोली

"दीदी मैं कैसी बाते कर रहा हूँ कि आप मना कर रही है आख़िर ऐसा क्या है इन बातों मे प्लीज़ दीदी दिखा दो ना आख़िर ऐसा क्या बुरा हो जाएगा, प्ल्ज़ दीदी दिखा दो ना मेरी खुशी की खैर प्ल्ज़" मैं नादान बनते हुए बोला

मैने जब भी किसी के कोई भी बात मनवानी होती तो मैं अपनी शकल एकदम मासूम और रोती हुई बना लेता था अब चूँकि मैं सबको बहुत प्यारा था इसलिए मैं उनकी दुखती रग था कोई भी मुझे रोता नही देख सकता था इसलिए ये मेरा आख़िरी हथियार था जो कभी भी खाली नही जाता था और आज भी मेरे इस हथियार ने दीदी को घायल कर दिया था

"अच्छा अच्छा जाओ वो अलमारी खोली उस मे रखी है देख लो" आख़िर दीदी हार मानते हुए बोली

मैं उठा और दीदी की अलमारी से उनकी वाइट ब्रा निकाल कर दीदी के पास आगया

"आरीई.....ये नही लानी थी ये तो उतरी वाली है दूसरी साइड मे धूलि हुई रखी है" दीदी मेरे हाथ मे अपनी ब्रा देख कर बोली

"दीदी अगर ये उतरी वाली है भी तो क्या मुझे सिर्फ़ देखनी ही तो है" मैं ब्रा का मुआयना करते हुए बोला

मैने दीदी के सामने ही ब्रा खोल ली और उसे देखने लगा कभी सामने से कभी साइड से कभी पिछे से

"दीदी ये लॉक किस लिए है और ये कैसे पहनते है और क्यों पहनते है और इसे क्या कहते है मतलब इसका नाम क्या है" मैं महा-मूर्ख बनते हुए बोला

"भैया इसे बस ऐसे ही पहन लेते है अब तुमने पहन.नी तो है नही फिर क्यों पुच्छ रहे हो?" दीदी बोली "वैसे ये लॉक टाइट या लूस करने के लिए है और और इसे लॉक नही हुक कहते है इन से ही तो ये उतरती या गिरती नही बल्कि अपनी जगह पर रहती है, और भाई ये हर लड़की को पहन.नी पड़ती है इसके बगैर लड़की बुरी लगती है और इसको ब्रेज़ियर कहते है शॉर्टकट मे ब्रा भी कहते है यही नाम है इसका" दीदी ने मुझे ब्रा को सारी हिस्टरी समझा दी

"दीदी को ब्रा आपने पहनी हुई है क्या वो दिखा सकती हो प्ल्ज़" मैं मासूमियत से बोला

"नही भाई अब बस और कुच्छ नही अब तुम जाओ, सोना नही है क्या" अब दीदी चिढ़ते हुए बोली

मैने ज़िद्द नही की क्योंकि आज के लिए इतना भी बहुत था लेकिन कविता दीदी की ब्रा साथ लेकर ही रूम से बाहर आने लगा तो दीदी ने टोक दिया

"ब्रा तो वापस करो भैया कोई देखेगा तो क्या सोचेगा" दीदी बोली

"मैं किसी को नही दिखाउन्गा दीदी प्लीज़ मेरे पास रहने दो ना इसमे से बहुत प्यारी खुश्बू आरहि है मुझे" ये कह कर मैं दीदी के सामने ब्रा सूंघने लगा और फिर बाहर चला गया

मैं वॉशरूम मे गया और दीदी की ब्रा को किस किया, सक किया, लीक किया, सूँघा और मूठ मार दी मैने अपना सारा माल दीदी की ब्रा मे राइट वेल कप मे गिरा दिया और ब्रा दीदी को देने उनके रूम मे गया मैने डोर ओपन किया तो दीदी टॉपलेस खड़ी थी दीदी की बॅक मेरी तरफ थी मैने दीदी को कुरती के बगैर देख लिया था दीदी ने वही ब्लॅक ब्रा पहनी हुई थी और दीदी कुरती पहन रही थी दीदी अपनी कुरती गले मे डाल रही थी कि मैने डोर बंद करके लॉक कर दिया लॉक होने से आवाज़ आई तो दीदी ने फ़ौरन पिछे देखा और मुझे देख के अपनी छाती कुरती से छुपा ली

"बेटा डोर नॉक करके अंदर आते है ऐसे नही और अब क्या करने आए हो यहाँ" दीदी सकपकाते हुए बोली

"सॉरी दीदी मैं आपकी ब्रा वापस देने आया था मुझे पता नही था कि आप चेंज कर रही हो वरना मैं नही आता, वैसे दीदी उतरी हुई ब्रा से ज़्यादा अच्छी पहनी हुई ब्रा लगती है" मैं मासूमियत से बोला

"अच्छा...अच्छा अब ज़्यादा बाते मत बनाओ वहाँ रख दो ब्रा और बाहर जाओ प्लीज़" दीदी एक तरफ इशारा करते हुए बोली

मैने ब्रा साइड मे रखी और बाहर आगया............

कुच्छ दिन बाद कविता दीदी के लिए रिश्ता आया लेकिन उन्होने शादी करने से मना कर दिया क्योंकि उनके उपर हम सभी भाई बहनो को ज़िम्मेदारी थी लेकिन लड़का और उसके घर वाले बहुत अच्छे थे तो उस लड़के के साथ प्रिया दीदी का रिश्ता पक्का कर दिया गया लेकिन इन लोगो को शादी की जल्दी थी तो अगले महीने ही शादी की डेट फिक्स कर दी गई

एक दिन सभी लोग सो रहे थे तो मैं प्रिया दीदी के रूम मे गया वो भी सो रही थी तो मैं उनके साथ लेट गया और उनसे चिपक गया दीदी के बदन से बहुत ही सेक्सी खुश्बू आरहि थी तो मेरा मन भटक गया और मेरे मन मे उनके लिए गंदे ख्याल आने लगे और पता नही कब मेरी हाथ उनके बूब्स पर चला गया

मैने प्रिया दीदी के बूब्स पर हाथ रखा और आराम आराम से उन्हे दबाने लगा अभी एक मिनिट भी नही हुआ था कि दीदी जाग गई मेरी तो फट के हाथ मे आ गई मैने फ़ौरन अपना हाथ अलग कर लिया लेकिन दीदी को शायद पता नही चला था कि मैं उनके साथ क्या कर रहा था

"भैया क्या बात है आज मेरे पास कैसे आगये तुम तो कविता दीदी से सब से ज़्यादा प्यार करते हो" प्रिया दीदी मुझे वहाँ देख कर बोली

"दीदी ऐसा नही है मैं आप सभी से बहुत प्यार करता हूँ और आपकी शादी होने वाली है ना इसलिए मैं बहुत उदास था तो आपके पास आगया" मैं बोला

प्रिया दीदी ने मेरी बात सुनी तो करवट ली और मुझे गले से लगा लिया

"भैया मैं कोई दूर थोड़े ही ना जा रही हूँ यहाँ पास ही तो है मेरा घर जब भी तुम्हे मेरी याद आएगी वहाँ आ जाया करना और मैं भी हप्ते मे दो तीन बार आ जाया करूँगी, मुझे नही पता था कि मेरे छोटा भाई मुझसे इतना प्यार करता है और इतना उदास है मेरे लिए" प्रिया दीदी मेरे सारे पर हाथ फेरते हुए बोली

"दीदी क्या आप उदास नही है और आपको डर नही है की आपकी शादी होने वाली है" मैं बोला

"भाई दुख तो मुझे भी है कि मुझे तुम सभी को छोड़ कर दूसरे घर जाना पड़ेगा लेकिन डर किस बात का भाई शादी होने डरना किस लिए शादी होने से डर थोड़े ही ना लगता है" दीदी बोली

"दीदी शादी होने का डर नही सुहागरात के डर की कह रहा हूँ" मैं बोला

"हा हा हा.......भाई कैसी बाते कर रहे हो और तुम्हे किसने बताया सुहागरात के बारे मे, भाई ऐसी बात नही करते इतनी छोटी सी उमर मे" दीदी मेरी बात सुनकर हँसते हुए बोली

"दीदी मुझे सब कुच्छ पता है और प्लीज़ मैं बच्चा नही हूँ सब यही कहते है कि इस उमर मे ऐसी बाते नही करते क्या हुआ है मेरी उमर को मैं बड़ा हो गया हूँ दीदी अब मैं बच्चा नही रहा" मैं थोड़े गुस्से से बोला

"अरे भाई गुस्सा क्यों हो रहे हो मैं तो बस ये कह रही थी कि किसी बाते नही करते अपनी बहनो के साथ अच्छा नही लगता ना" दीदी बड़े प्यार से बोली

"दीदी मेरा कोई दोस्त नही है ना ही कोई गर्लफ्रेंड है तो किसके साथ करूँ मैं अपने मन की बाते और जो बाते मैं करना चाहता हूँ आप लोगो से तो आप लोग मना क्यों करती हो" मैं बोला

"भाई और कौन मना करता है किस के साथ ही है ऐसी बाते" प्रिया दीदी ने पुछा

"कविता दीदी से पुछा तो उन्होने भी कुच्छ नही बताया मुझे, सोचा आपकी शादी होने वाली आप से पुछ लूँ और आप भी नही बता रही है अब मैं किसी से बात नही करूँगा बस क्योंकि सब मेरा दिल दुखाते है" मैं मूह उतार कर बोला

"भाई ऐसी बात नही है अच्छा पुछ क्या पुच्छना चाहता है मैं बताती हूँ तुम्हे जितना मुझे पता होगा सब बता दूँगी" प्रिया दीदी मेरे सेनटी ड्रामे से पिघल गई थी

मैं खुश हो गया और हँसने लगा
Reply
10-08-2018, 01:33 PM,
#4
RE: Antarvasna kahani मासूम
"अच्छा दीदी ये बताओ कि सुहागरात मे ऐसा क्या होता है जो अक्सर लड़किया डरती है सुहागरात से" फिर मैने पुछा

"भाई सुहागरात मे हज़्बेंड और वाइफ एक दूसरे से प्यार करते है और तो कुच्छ नही होता, और जो लड़किया डरती है वो पागल होती है वरना सुहागरात की रात तो सबसे खास रात होती है लड़कियो के लिए क्योंकि उसी रात वो लड़की से औरत बनती है" प्रिया दीदी ने बताया

"वो कैसे दीदी, प्यार कैसे करते है और लड़की एक ही रात मे औरत कैसे बन जाती है" मैने पुछा

"भाई बस बन जाती है ना अब कैसे समझाऊ मुझे बताना नही आरहा और ऐसी बातों से शरम आती है ना तो कैसे बताऊ अब तुम्हे, वैसे मुझे भी सब कुच्छ नही पता क्योंकि अभी मेरी सुहागरात जो नही हुई है ना" दीदी शरमाते हुए बोली

"अच्छा दीदी कोई बात नही लेकिन सुहागरात के बाद तो बताओगी ना, प्लीज़ " मैं बोला

"अच्छा भाई अच्छा सन बता दूँगी बस अब खुश हो ना" दीदी मेरे गाल पकड़ते हुए बोली

"ठीक है दीदी लेकिन दीदी आप भी ब्रा पहनती है या नही" मैं खुश होते हुए बोला

"भाई सभी गर्ल्स पहनती है जब बड़ी हो जाती है और मैं भी से क्या मतलब तुमने किसी को देखा है ब्रा पहने हुए" दीदी ने पुचछा

"कविता दीदी को देखा था जब वो भैया की सगाई पर डॅन्स कर रही थी तब देखा था" मैने बताया

"शरम करो भाई, तुम भी ना पता नही क्या हो गया है आज कल के लड़को को"

"क्या हो गया है दीदी कुच्छ भी तो नही हुआ, अच्छा दीदी क्या मैं आपकी ब्रा देख सकता हूँ, प्लीज़ एक सिर्फ़ एक बार" मैं रिक्वेस्ट करते हुए बोला

प्रिया दीदी ने बिना कुच्छ कहे अपनी कुरती साइड से उपर को और अपना लेफ्ट बूब वित ब्रा मुझे दिखाया और फिर कुरती नीचे कर ली

"बस भाई अब खुश हो" दीदी मुस्कुराते हुए बोली

"नही दीदी पूरा दिखाओ ना अपनी कुरती उतार कर ऐसे पता ही नही चला, मैं देखना चाहता हूँ के कैसे पहना हुआ है और कैसा लगता है, प्लीज़ दीदी एक मिनिट के लिए प्लीज़........" मैं जैसे गिड़गिदाया

"भाई मुझे शरम आती है मैं नही दिखा सकती प्लीज़ भाई ज़िद्द ना करो" दीदी बोली

"प्लीज़ दीदी बस एक बार सिर्फ़ एक मिनिट के लिए, प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़ दीदी" मैं रुआंसा मूह बना कर बोला

"अच्छा बाबा अच्छा ज़्यादा मूह मत बनाओ पहले डोर लॉक कर दो फिर दिखाती हूँ लेकिन उसके बाद कुच्छ नही कहोगे और चले जाओगे ठीक है" आख़िर प्रिया दीदी मान ही गई


"जी दीदी" मैने बोला और उठ कर डोर लॉक करने गया जब मैं डोर लॉक करने वापस आने लगा तो देख कि दीदी ने दीदी ने कुरती उपर कर के सिर से निकाल दी थी और अपने हाथ मे पकड़ कर अपनी छाती के सामने कर ली थी

"दीदी अब दिखा ही दो ना छुपा क्यों रही हो प्ल्ज़" मैं बोला

प्रिया दीदी ने आराम से अपना हाथ हटाया और अब दीदी मेरे सामने ब्रा और सलवार मे खड़ी थी दीदी ने ब्लॅक ब्रा पहनी हुई थी और वो बहुत सेक्सी लग रही थी

"दीदी ये ब्रा कब पहनी थी आपने" मैं दीदी के बड़े बड़े बूब्स को घूरते हुए बोला

"कुच्छ देर पहले ही पहनी है लेकिन तुम ये क्यों पुच्छ रहे हो" दीदी ने पुछा

"दीदी जो ब्रा उतारी है वो कहाँ है" मैने दीदी की बात का जवाब दिए बगैर ही फिर पुछा

"वो अलमारी ने है लेकिन उसका क्या करना है तुम ने" दीदी सोच मे पड़े हुए बोली

मैने बिना जवाब दिए अलमारी से दीदी की ब्रा निकाल ली

"दीदी मैं ये अपने साथ ले जाउ? प्लीज़ दीदी जल्दी ही वापस कर दूँगा प्रॉमिस" मैं ब्रा हाथ मे लिए हुए बोला

"लेकिन भाई तुम मेरी ब्रा के साथ करोगे क्या? पहले मुझे बताओ फिर ले जाना" दीदी बोली

"दीदी मैं इसे सूंघ कर किस करूँगा लीक करूँगा सक करूँगा फिर वापस दे जाउन्गा" मैने बताया

"ऐसा करने से क्या होगा तुम्हे क्या फ़ायदा मिलेगा" दीदी ने पुछा

"दीदी मैं ऐसा करूँगा तो मुझे मज़ा आएगा सच दीदी बहुत मीठी खुश्बू आती है और टेस्ट भी मज़े का होता है इसलिए मुझे बहुत मज़ा आता है" मैं बोला

"लेकिन ये सब तुम्हे कैसे पता पहले भी किसी की.......... ओह्ह समझ गई कविता दीदी की ब्रा ली थी क्या?" प्रिया दीदी बोली

"जी दीदी लेकिन आपको कैसे पता?" मैने पुछा

"बस पता चल गया, वैसे क्या उन्होने दी थी तुम्हे और कुच्छ कहा भी नही था क्या" प्रिया दीदी मुस्कुराते हुए बोली

दीदी बातों बातों मे अपनी कुरती पहन.ना भूल गई थी और मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आ गया था..

"नही दीदी कुच्छ नही कहा बल्कि कविता दीदी ने तो मुझे डॅन्स भी करके दिखाया था और अपनी ब्रा भी खुशी खुशी दे दी थी" मैं अपनी चाल चलते हुए बोला

"क्या सच मे कविता दीदी ने तुम्हे सलवार और ब्रा मे डॅन्स करके दिखाया?" प्रिया दीदी हैरत से बोली

मैने सोचा कि मैने ये कब कहा कि कविता दीदी ने मुझे ब्रा और सलवार मे डॅन्स करके दिखाया है शायद प्रिया दीदी ने ग़लत समझ लिया लेकिन मुझे क्या इसमे तो मेरा ही फ़ायदा है अब पहले नही कहा तो क्या हुआ अब कह देता हूँ ना

"हां दीदी यकीन करो मैं सच कह रहा हूँ" मैने मासूमियत से कहा

"अच्छा और क्या क्या हुआ सब बताओ ना, इधर आकर मेरे साथ बैठ के बताओ प्लीज़" प्रिया दीदी बड़े प्यार से बोली वो जान लेना चाहती थी कि हमारी बड़ी बहन अपने सबसे छोटे भाई के साथ कैसे मज़े लेरही है

"बताउन्गा लेकिन आप अपनी ब्रा उतार दो और मुझे टच भी करने दो वरना मैं कुच्छ नही बताउन्गा" अब मैं अपनी औकात मे आते हुए बोला अब मैं कोई मौका नही छोड़ा चाहता था

प्रिया दीदी ने समझा कि मैने शायद कविता दीदी के साथ सेक्स किया होगा और वो ये सब सोच कर हॉट ही गई थी और वेट भी इसलिए वो मेरी शर्त मान गई

"अच्छा अच्छा जो कहोगे सब करूँगी लेकिन मुझे सब कुच्छ बताना होगा ईमानदारी से समझे" प्रिया दीदी बोली

"सिर्फ़ बताऊ या करके भी दिखाऊ" मैं बोला मुझे पता था कि अगर मैने थोड़ी हिम्मत कर ली तो आज बहुत कुच्छ करने को मिल सकता है क्योंकि प्रिया दीदी तो अपने मन मे ग़लत फ़हमी पाले हुई थी कि मैं कविता दीदी के साथ सेक्स कर चुका हूँ इसलिए मेरे पास बहुत चान्स था आगे निकल जाने का

"अच्छा कर के बता दो लेकिन जो कुच्छ भी कविता दीदी के साथ किया है सिर्फ़ वही सब मेरे साथ करना उस से ज़्यादा कुच्छ भी नही समझे" कुच्छ देर सोचने के बाद प्रिया दीदी बोली "वैसे मुझे यकीन तो नही हो रहा है लेकिन मैं जानती हूँ तुम मुझसे झूठ नही बोलोगे, ओके चलो बताओ अब"

मैने प्रिया दीदी को बेड पर लेटा दिया और बोला "दीदी मैने कविता दीदी को ऐसे ही बेड पर लेटा दिया फिर खुद भी उनके साथ लेट गया और मैने उन्हे किस करना शुरू किया.........."

अब आगे क्या कहूँ मैं सोचने लगा कि अचानक प्रिया दीदी बोली "भाई कर के दिखाओ बताओ ना, तुमने ही तो कहा है कि कर के दिखाओगे तो फिर करो ना मूह से क्यों बता रहे हो"

दीदी की बात सुनकर मैने आराम से दीदी के बूब्स पर अपना हाथ रखा और उन्हे सहलाने लगा वाउ क्या मस्त फीलिंग थी दीदी के बड़े बड़े और नरम मुलायम बूब्स तो जैसे मुझे जन्नत का मज़ा दे रहे थे

फिर मैं दीदी के बूब्स दबाते हुए उनके चेहरे पर हर तरफ किस करने लगा प्रिया दीदी को भी मज़ा आने लगा था उन्होने मज़े से अपनी आँखे बंद कर ली थी और अब मैं उनके होंठो को किस करने लगा था

प्रिया दीदी ने अपने होंठ थोड़े से खोली तो मैं उनके होंठो को सक करने लगा प्रिया दीदी की गरम और खुश्बू दार सांसो से मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आरहा था और इधर मेरा लंड हार्ड हो गया था छोटी सी उमर मे भी मेरा लंड लगभग 6" लंबा और अच्छा ख़ासा मोटा था

मैं आराम से नीचे आया अब प्रिया दीदी की नेक पे किस करने लगा वहाँ साइड पर किस किए और धीरे धीरे नीचे आ गया अब मैं प्रिया दीदी की चेस्ट पर किस कर रहा था

प्रिया दीदी ने मुझे पकड़ा हुआ था और उनकी साँसे बहुत तेज चल रही थी मैं थोड़ा नीचे आया और दीदी की ब्रा से उनके दोनो बूब्स बाहर निकाल लिए और ब्रा उतार कर साइड मे फेंक दी अब मेरी दीदी के दूध जैसे नंगे बूब्स मेरी आँखो के सामने थे मैने दीदी के बूब्स को बारी बारी से किस करना शुरू कर दिया अभी लेफ्ट को किस करके राइट को दबाता तो कभी राइट को किस करके लेफ्ट को दबाता दीदी अब लगातार गरम होते जा रही थी उसने अपने हाथ मेरे सिर पर रखे हुए थे और वो लगातार मेरा सिर अपने बूब्स पर दबा कर उन्हे सक करने के लिए मुझे उकसा रही थी
Reply
10-08-2018, 01:34 PM,
#5
RE: Antarvasna kahani मासूम
मैने दीदी के लेफ्ट बूब को अपने मूह मे लिया और उसे सक करने लगा और राइट बूब के निपल को अपनी उंगलियो से मसल्ने लगा प्रिया दीदी के बूब्स के निपल्स बहुत क्यूट थे छोटे भी थे और हार्ड भी अब मैं दीदी के दोनो बूब्स और निपल्स को सक करने लगा और कुच्छ देर बाद मैं और नीचे आगया अब मैं प्रिया दीदी के पेट पर किस कर रहा था

दीदी के सपाट पेट पर गहरी नाभि मुझे दीवाना सा बना रही थी मैं अपनी जीभ गोल करके उनकी नाभि के अंदर घुमा रहा था तो कभी उसे अपनी जीभ से चाट भी रहा था मुझे बहुत मज़ा आरहा था और दीदी भी पूरे मज़े ले रही थी दीदी को जहाँ भी मेरे किस करने से ज़्यादा मज़ा आता वो मुझे मेरे बालो से पकड़ कर उसी जगह रोक देती या दबा देती और मैं उस जगह बहुत सारे किस करता और साथ ही साथ सक भी करता

एक घंटे तक मैने दीदी को किस और सक किया दीदी के बूब्स के साथ खेल जो इस वक्त अपनी कमर के उपर पूरी तरह नंगी थी दीदी पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी और तड़प रही थी मेरा लंड भी पूरी तरह अकड़ गया था और मेरा मन बहुत जल्दी उसे ठंडा करने को कर रहा था

मैने चुदाई के बारे मे सुना बहुत था लेकिन कभी की नही थी इसलिए मैं आगे नही बढ़ रहा था बस सोच ही रहा था कि अब प्रिया दीदी को चोदा कैसे जाए क्योंकि मुझे कुच्छ आता तो था नही तभी प्रिया दीदी बोल पड़ी "भाई बहुत मज़ा आरहा है, क्या तुमने बस इतना ही किया था कविता दीदी के साथ ये कुच्छ और भी किया था मेरा मतलब शायद नीचे भी कुच्छ किया हो"

दीदी की तड़प उनकी बातों से सॉफ समझ आरहि थी अब मैने बिना कुच्छ कहे दीदी की सलवार मे हाथ डाला और दीदी की चूत पर ले गया जो इस वक्त बहुत गीली थी मैने दीदी की सलवार पैंटी सहित नीचे खींच कर उतार दी जिसमे दीदी ने भी अपनी गान्ड उठा कर मेरी हेल्प की और अपनी टाँगो से सलवार पूरी निकाल दी

अब प्रिया दीदी पूरी नंगी मेरे सामने बेड पर आँखे बंद किए लेटी थी उनकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे मतलब दीदी ने अभी कुच्छ दिनो पहले ही शेव की होगी अपनी पुसी की

अब मैं अपने कपड़े उतार कर पूरा नंगा होकर दीदी के उपर लेट गया और एक बार फिर उन्हे जगह जगह किस करने लगा अब आगे तो मैं कुच्छ जानता नही था ना ही प्रिया दीदी जानती थी खैर मैं दीदी को किस कर रहा था और अपना लंड उनकी जाँघो के बीच रगड़ और घिस रहा था

दीदी को भी बहुत मज़ा आरहा था और उनकी टाँगे खुद ब खुद ही खुल गई मैं मज़े मे अपना लंड दीदी की जाँघो मे रगड़ रहा था कुच्छ देर मेरा लंड दीदी की चूत से टकराने लगा

प्रिया दीदी को जब मेरा लंड उनकी चूत पे टकराते हुए महसूस हुआ तो उन्हे बहुत मज़ा आने लगा और उन्होने अपनी टाँगे पूरी तरह खोल लो मैं भी अपने लंड को आगे पिछे कर रहा था और मुझे भी जैसे जन्नत का मज़ा आरहा था

प्रिया दीदी बिल्कुल मदहोश हो गई थी और अपनी टाँगे लगातार मूव कर रही थी कभी लेफ्ट साइड पर तो कभी राइट साइड पर अचानक मेरा लंड स्लिप हुआ और मेरे लंड का सुपाडा किसी गरम होल मे घुस गया और वहीं अटक गया मुझे बहुत अच्छा फील हुआ जब मेरे लंड ने हीट फील की लेकिन तब तक दीदी की एक घुटि हुई सी चीख निकल गई और उसके हाथ के नाख़ून मेरी पीठ मे धँस गये

"आह.........भाई ये क्या अंदर कर दिया तुमने........अभी थोड़ा रूको कुच्छ दर्द हो रहा है वहाँ.........आहह.......हाय........." दीदी के मूह से कराह निकली और उसकी आँखे बंद हो गई

मैं भी अपना लंड दीदी की चूत मे फँसाए वैसे ही रुक गया और उसके अगले सिग्नल का वेट करने लगा

"आह भाई अब रगडो आगे पिछे करो अब दर्द नही हो रहा है अब मज़ा आरहा है प्ल्ज़ भाई आगे पिछे करो" दीदी अपनी कमर हिलाते हुए बोली

मैने अपनी गान्ड हिलाना शुरू कर दिया मेरा लंड आगे पिछे हो रहा था मुझे बहुत मज़ा आरहा था मैने थोड़ा ज़ोर लगाया तो मेरा लंड थोड़ा और अंदर घुस गया

प्रिया दीदी ने मज़े मे अपनी टाँगे पूरी खोल दी और मुझे और जगह मिली तो मैने अपना लंड पिछे खींच के पूरी ताक़त से आगे ठेल दिया जिससे मेरा लंड दीदी की भट्टी बनी हुई गरम चूत की पूरी गहराई मे उतर गया

मैने उठ कर देखा तो मेरा लंड जड़ तक दीदी की चूत मे घुसा हुआ था और उसपर थोड़ा खून भी लगा हुआ दिख रहा था 'शायद इसी की वजह से दीदी की दर्द हुआ था' मैने सोचा और घुटनो के बल बैठ गया दीदी ने भी अपनी टाँगे पूरी तरह उठा ली और मुझे उसकी चुदाई करने के लिए भरपूर जगह मिल गई

अब मैं ज़ोर ज़ोर से अपना लंड प्रिया दीदी की टाइट चूत मे अंदर बाहर करने लगा दीदी को भी बहुत मज़ा आरहा था

"हां भाई और तेज......और ज़ोर से धक्का मारो....और ज़ोर से भाई प्ल्ज़ भाई मुझे बहुत मज़ा आरहा है.........हां......भा.......भाई.. ऐसे ही और ज़ोर से" दीदी अपनी कमर उच्छल उच्छल कर मुझे ज़ोर से चोदने को उकसा रही थी और मैं भी राजधानी की स्पीड से उसे चोदे जा रहा था

8-10 मिनिट की जोरदार चुदाई के बाद दीदी का बदन अकड़ने लगा "आह......भाई और ज़ोर से करो ऐसा लग रहा है कि अंदर से कुच्छ निकलने वाला है......आ.......उम्म्म्मम.......हआइईईई"
तरह तरह की आवाज़ निकालते हुए दीदी झड़ने लगी और उसने बुरी तरह से मुझे अपनी बाँहो मे भींच लिया था

अब मैं भी तेज तेज धक्के लगाते हुए दीदी की चूत मे झड गया था मेरे लंड ने अपना पहला माल मेरी प्यारी प्रिया दीदी की चूत मे भर दिया और वहीं दीदी की चूत मे ही घुसाए हुए आराम करने लगा

मैं लेट कर दीदी के निपल्स को सक करने लगा और दीदी ने मुझे अपनी बाँहो मे भर कर मुझे टाइट पकड़ रखा था और और अपनी टाँगे मेरे दोनो साइड रखी थी

फिर मैं उठा और अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया और अपनी दीदी के नंगे बदन को देखने लगा दीदी इस पोज़ मे बहुत सेक्सी लग रही थी

"ऐसे क्या देख रहे हो भाई........." दीदी मुझे अपने आपको घूरते देख कर शरमाते हुए बोली

"दीदी मज़ा आया कि नही" मैने दीदी के एक बूब पर हाथ रखते हुए पुछा

"सच भैया मज़ा तो बहुत आया आज तक ऐसा मज़ा नही मिला" दीदी मेरे हाथ को चूमते हुए बोली

"तो फिर और करे......." मैं बोला

"नही भाई अभी बहुत टाइम हो गया है बाद मे देखेंगे, लेकिन एक बात बताओ क्या यही सब किया था कविता दीदी के साथ या कुच्छ और भी किया था" प्रिया दीदी बोली.......................
Reply
10-08-2018, 01:34 PM,
#6
RE: Antarvasna kahani मासूम
मैने दीदी के लेफ्ट बूब को अपने मूह मे लिया और उसे सक करने लगा और राइट बूब के निपल को अपनी उंगलियो से मसल्ने लगा प्रिया दीदी के बूब्स के निपल्स बहुत क्यूट थे छोटे भी थे और हार्ड भी अब मैं दीदी के दोनो बूब्स और निपल्स को सक करने लगा और कुच्छ देर बाद मैं और नीचे आगया अब मैं प्रिया दीदी के पेट पर किस कर रहा था

दीदी के सपाट पेट पर गहरी नाभि मुझे दीवाना सा बना रही थी मैं अपनी जीभ गोल करके उनकी नाभि के अंदर घुमा रहा था तो कभी उसे अपनी जीभ से चाट भी रहा था मुझे बहुत मज़ा आरहा था और दीदी भी पूरे मज़े ले रही थी दीदी को जहाँ भी मेरे किस करने से ज़्यादा मज़ा आता वो मुझे मेरे बालो से पकड़ कर उसी जगह रोक देती या दबा देती और मैं उस जगह बहुत सारे किस करता और साथ ही साथ सक भी करता

एक घंटे तक मैने दीदी को किस और सक किया दीदी के बूब्स के साथ खेल जो इस वक्त अपनी कमर के उपर पूरी तरह नंगी थी दीदी पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी और तड़प रही थी मेरा लंड भी पूरी तरह अकड़ गया था और मेरा मन बहुत जल्दी उसे ठंडा करने को कर रहा था

मैने चुदाई के बारे मे सुना बहुत था लेकिन कभी की नही थी इसलिए मैं आगे नही बढ़ रहा था बस सोच ही रहा था कि अब प्रिया दीदी को चोदा कैसे जाए क्योंकि मुझे कुच्छ आता तो था नही तभी प्रिया दीदी बोल पड़ी "भाई बहुत मज़ा आरहा है, क्या तुमने बस इतना ही किया था कविता दीदी के साथ ये कुच्छ और भी किया था मेरा मतलब शायद नीचे भी कुच्छ किया हो"

दीदी की तड़प उनकी बातों से सॉफ समझ आरहि थी अब मैने बिना कुच्छ कहे दीदी की सलवार मे हाथ डाला और दीदी की चूत पर ले गया जो इस वक्त बहुत गीली थी मैने दीदी की सलवार पैंटी सहित नीचे खींच कर उतार दी जिसमे दीदी ने भी अपनी गान्ड उठा कर मेरी हेल्प की और अपनी टाँगो से सलवार पूरी निकाल दी

अब प्रिया दीदी पूरी नंगी मेरे सामने बेड पर आँखे बंद किए लेटी थी उनकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे मतलब दीदी ने अभी कुच्छ दिनो पहले ही शेव की होगी अपनी पुसी की

अब मैं अपने कपड़े उतार कर पूरा नंगा होकर दीदी के उपर लेट गया और एक बार फिर उन्हे जगह जगह किस करने लगा अब आगे तो मैं कुच्छ जानता नही था ना ही प्रिया दीदी जानती थी खैर मैं दीदी को किस कर रहा था और अपना लंड उनकी जाँघो के बीच रगड़ और घिस रहा था

दीदी को भी बहुत मज़ा आरहा था और उनकी टाँगे खुद ब खुद ही खुल गई मैं मज़े मे अपना लंड दीदी की जाँघो मे रगड़ रहा था कुच्छ देर मेरा लंड दीदी की चूत से टकराने लगा

प्रिया दीदी को जब मेरा लंड उनकी चूत पे टकराते हुए महसूस हुआ तो उन्हे बहुत मज़ा आने लगा और उन्होने अपनी टाँगे पूरी तरह खोल लो मैं भी अपने लंड को आगे पिछे कर रहा था और मुझे भी जैसे जन्नत का मज़ा आरहा था

प्रिया दीदी बिल्कुल मदहोश हो गई थी और अपनी टाँगे लगातार मूव कर रही थी कभी लेफ्ट साइड पर तो कभी राइट साइड पर अचानक मेरा लंड स्लिप हुआ और मेरे लंड का सुपाडा किसी गरम होल मे घुस गया और वहीं अटक गया मुझे बहुत अच्छा फील हुआ जब मेरे लंड ने हीट फील की लेकिन तब तक दीदी की एक घुटि हुई सी चीख निकल गई और उसके हाथ के नाख़ून मेरी पीठ मे धँस गये

"आह.........भाई ये क्या अंदर कर दिया तुमने........अभी थोड़ा रूको कुच्छ दर्द हो रहा है वहाँ.........आहह.......हाय........." दीदी के मूह से कराह निकली और उसकी आँखे बंद हो गई

मैं भी अपना लंड दीदी की चूत मे फँसाए वैसे ही रुक गया और उसके अगले सिग्नल का वेट करने लगा

"आह भाई अब रगडो आगे पिछे करो अब दर्द नही हो रहा है अब मज़ा आरहा है प्ल्ज़ भाई आगे पिछे करो" दीदी अपनी कमर हिलाते हुए बोली

मैने अपनी गान्ड हिलाना शुरू कर दिया मेरा लंड आगे पिछे हो रहा था मुझे बहुत मज़ा आरहा था मैने थोड़ा ज़ोर लगाया तो मेरा लंड थोड़ा और अंदर घुस गया

प्रिया दीदी ने मज़े मे अपनी टाँगे पूरी खोल दी और मुझे और जगह मिली तो मैने अपना लंड पिछे खींच के पूरी ताक़त से आगे ठेल दिया जिससे मेरा लंड दीदी की भट्टी बनी हुई गरम चूत की पूरी गहराई मे उतर गया

मैने उठ कर देखा तो मेरा लंड जड़ तक दीदी की चूत मे घुसा हुआ था और उसपर थोड़ा खून भी लगा हुआ दिख रहा था 'शायद इसी की वजह से दीदी की दर्द हुआ था' मैने सोचा और घुटनो के बल बैठ गया दीदी ने भी अपनी टाँगे पूरी तरह उठा ली और मुझे उसकी चुदाई करने के लिए भरपूर जगह मिल गई

अब मैं ज़ोर ज़ोर से अपना लंड प्रिया दीदी की टाइट चूत मे अंदर बाहर करने लगा दीदी को भी बहुत मज़ा आरहा था

"हां भाई और तेज......और ज़ोर से धक्का मारो....और ज़ोर से भाई प्ल्ज़ भाई मुझे बहुत मज़ा आरहा है.........हां......भा.......भाई.. ऐसे ही और ज़ोर से" दीदी अपनी कमर उच्छल उच्छल कर मुझे ज़ोर से चोदने को उकसा रही थी और मैं भी राजधानी की स्पीड से उसे चोदे जा रहा था

8-10 मिनिट की जोरदार चुदाई के बाद दीदी का बदन अकड़ने लगा "आह......भाई और ज़ोर से करो ऐसा लग रहा है कि अंदर से कुच्छ निकलने वाला है......आ.......उम्म्म्मम.......हआइईईई"
तरह तरह की आवाज़ निकालते हुए दीदी झड़ने लगी और उसने बुरी तरह से मुझे अपनी बाँहो मे भींच लिया था

अब मैं भी तेज तेज धक्के लगाते हुए दीदी की चूत मे झड गया था मेरे लंड ने अपना पहला माल मेरी प्यारी प्रिया दीदी की चूत मे भर दिया और वहीं दीदी की चूत मे ही घुसाए हुए आराम करने लगा

मैं लेट कर दीदी के निपल्स को सक करने लगा और दीदी ने मुझे अपनी बाँहो मे भर कर मुझे टाइट पकड़ रखा था और और अपनी टाँगे मेरे दोनो साइड रखी थी

फिर मैं उठा और अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया और अपनी दीदी के नंगे बदन को देखने लगा दीदी इस पोज़ मे बहुत सेक्सी लग रही थी

"ऐसे क्या देख रहे हो भाई........." दीदी मुझे अपने आपको घूरते देख कर शरमाते हुए बोली

"दीदी मज़ा आया कि नही" मैने दीदी के एक बूब पर हाथ रखते हुए पुछा

"सच भैया मज़ा तो बहुत आया आज तक ऐसा मज़ा नही मिला" दीदी मेरे हाथ को चूमते हुए बोली

"तो फिर और करे......." मैं बोला

"नही भाई अभी बहुत टाइम हो गया है बाद मे देखेंगे, लेकिन एक बात बताओ क्या यही सब किया था कविता दीदी के साथ या कुच्छ और भी किया था" प्रिया दीदी बोली.......................
"दीदी बस इतना ही किया था बाकी और कुच्छ करूँगा तो आपके साथ भी वैसे ही करके दिखाउन्गा, प्रॉमिस" मैं बोला


फिर हम उतहे कपड़े पहने और एक बार फिर एक दूसरे को किस करके मैं बाहर निकल गया आज धोखे से ही लेकिन मेरी ज़िंदगी की पहली चुदाई हो ही गई थी और पहली चुदाई मे ही मुझे सील पॅक चूत मिली थी
Reply
10-08-2018, 01:34 PM,
#7
RE: Antarvasna kahani मासूम
शाम को मैं बाहर से घूम कर घर वापस आया तो देखा कि प्रिया दीदी रो रही थी और सब लोग उनके पास बैठे उनके रोने की वजह पुच्छ रहे थे मैने देखा कि हमारी मौसी की बेटी यानी मेरी मौसेरी बहन भी वहाँ जिसका नाम कीर्ति है वो भी वहाँ बैठी थी (कीर्ति अभी छोटी बच्ची है जो स्कूल मे पढ़ती है इसलिए उसके साथ चुदाई नही होने वाली)

इधर सब लोग प्रिया दीदी से रोने की वजह पुच्छ रहे थे लेकिन वो बिना कुच्छ बताए बस रोए जा रही थी मेरी गान्ड फट रही थी और बहुत डर लग रहा था कि कहीं दोपहर मे की हुई चुदाई की वजह से तो दीदी नही रो रही है लेकिन हिम्मत करके मैं भी सब के पास चुप चाप बैठ गया

कुच्छ देर सबके समझाने और बहुत पुछ्ने पर प्रिया दीदी ने रोना बंद किया और बोली "मुझे अभी शादी नही करनी मैं आप सब को छोड़ कर नही जाना चाहती प्लीज़ अभी मेरी शादी मत कर्वाओ, प्लीज़"

प्रिया दीदी की बात सुनकर सब लोग हँसने लगे और इधर मेरी भी जान मे जान आ गई और मैने भगवान को बहुत बहुत शुक्रिया कहा फिर सभी ने प्रिया दीदी को समझाया कि शादी पक्की हो गई है अब कुच्छ नही हो सकता और वैसे भी उन्हे कॉन सा दूर जाना था इसी शहर मे तो रहना था

सब मे उन्हे बहुत समझाइया और आख़िर उन्हे माना ही लिया फिर हम सभी मे खाना खाया और हर कोई अपने रूम मे सोने के लिए चला गया

मैं वॉशरूम मे गया और फ्रेश होकर कविता दीदी के रूम मे आगया कविता दीदी रूम मे दिखाई नही दी शायद वो बाथरूम मे थी मैं बेड पर बैठा ही था कि प्रिया दीदी वहाँ आ गई

"भैया तुम अकेले यहाँ क्या कर रहे हो और दीदी कहाँ है" प्रिया दीदी मुझे अकेला देख कर बोली

"दीदी मैं तो ऐसे ही आगया था और पता नही दीदी कहाँ है" मैं उठते हुए बोला

"अरे बैठो बैठो, दीदी बाथरूम गई होगी अभी वापस आजाएगी लेकिन पहले ये बताओ कि आज जो मेरे साथ किया वो दीदी के साथ यहीं उनके इसी बेड पर किया था क्या?" प्रिया दीदी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वापस बेड पर बैठाते हुए बोली

"जी हां दीदी बिल्कुल यहीं किया था, वैसे दीदी आप यहाँ क्या करने आई है कोई काम था क्या कविता दीदी से" मैं बोला

"हां काम तो था लेकिन अगर मेरी वजह से तुम डिस्टर्ब हो रहे हो तो मैं चली जाती हूँ फिर तुम और दीदी आराम से मज़े करना लेकिन उसके बाद तुम्हे मेरे पास आकर मुझे वही सब कर के दिखाना होगा" प्रिया दीदी बोली

"ठीक है दीदी लेकिन पहले आप जाओ तो प्लीज़, दीदी कभी भी बाथरूम से वापस आ सकती है" मैं बोला

मेरी बात सुनकर प्रिया दीदी हंस कर बाहर चली गई मैं फिर से कविता दीदी के बेड पर बैठ गया और कुच्छ ही देर मे दीदी रूम मे आ गई

"क्या बात है बेटा यहाँ क्या कर रहे हो" मुझे देखते ही दीदी बोली

"कुच्छ नही दीदी बस वैसे ही दिल कर रहा था आप से मिलने को तो आगया" मैं बोला

"ओके बैठो फिर और कहो जो कहना है" दीदी बोली

"दीदी वैसे आज शाम को आप घर इतना लेट क्यों आई" मैने पुछा क्योंकि दीदी शाम को ज़रा लेट आई थी

"अब क्या बताऊ भैया ऑफीस मे काम ज़्यादा था तो लेट हो गई लेकिन भाई पता है आज मेरे साथ बड़ा अजीब काम हुआ" दीदी बोली

"क्या हुआ दीदी" मैने पुछा

"भैया शाम को मैं पैदल ही घर आरहि थी रास्ते मे गली मे भी कोई नही था कि अचानक से पिछे से एक बाइक आई और जैसे ही वो बाइक मेरे पास आई तो किसी लड़के ने अपने हाथ मेरे पिछे टच किया और मेरे पैरो मे बीच घुसा दिया पहले तो डर से मेरी चीख निकल गई और जब तक मुझे होश आया वो जा चुका था पता नही कॉन था और ऐसा क्यों किया उसने" दीदी ने बताया

"सच दीदी किसी ने आपके साथ ऐसा किया?" मैने शॉक्ड होकर पुछा

"हां बेटा सच कह रही हूँ" कविता दीदी बोली

"दीदी जब उसने आपके पिछे अपना हाथ घुसाया था तो आपको मज़ा आया था क्या" मैने पुछा

"भैया मेरी तो डर के मारे जान निकल गई थी और तुम पुच्छ रहे हो कि मज़ा आया था या नही" दीदी हैरानी से बोली

"लेकिन दीदी उसने किया कैसे मुझे डेटिल मे बताओ ना प्ल्ज़" मैने पुछा

"उफ्फ भाई........समझा करो ना मैं चल रही थी वो पिछे से आया और अपना हाथ मेरी टाँगो के बीच घुसा दिया" दीदी बोली

लेकिन कैसे दीदी मुझे समझ नही आरहा है" मैं एक बार फिर नादान बनते हुए बोला

मेरी बात सुनकर दीदी खड़ी हुई अपनी पीठ मेरी तरफ की जिससे उनकी बाहर को उभरी हुई बड़ी और गोल मटोल गान्ड मेरी नज़रो के सामने आ गई और बोली "मैं ऐसे चल रही थी वो पिछे से आया और मेरी टाँगो के बीच मे अपना हाथ घुसा दिया" कहते हुए दीदी ने अपना हाथ अपनी गान्ड मे घुसा कर दिखाया

"दीदी इतनी हिम्मत उसकी.......दीदी वैसे मैं भी ये सब करता हूँ लेकिन इतना तो आज तक कभी नही किया हां जहाँ कहीं भी रश हो मैं वहाँ साइड से गुज़रते हुए सिर्फ़ टच करके फील करता हूँ बस लेकिन अपना हाथ कभी अंदर नही घुसाया" मैं बोला

"भाई शरम करो ऐसा क्यों करते हो तुम अब देखा तुमने औरों के साथ थोड़ा किया और आज कोई तुम्हारी बहन के साथ उससे भी ज़्यादा कर गया" कविता दीदी बोली "सब की इज़्ज़त किया करो तब ही दूसरे तुम्हारी माँ बहन की इज़्ज़त करेंगे, किसी को बुरी नज़र से मत देखा करो बेटा"

"अच्छा दीदी आज से दूसरो के साथ नही करूँगा लेकिन अपने घर मे अपनी ही दीदी के साथ तो कर सकता हूँ ना, प्ल्ज़ दीदी मना नही करना कभी कभी जब बहुत ज़्यादा दिल करेगा तब सिर्फ़ टच कर लिया करूँगा, प्ल्ज़ दीदी" मैं बोला

"लेकिन ये कैसे हो सकता है मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ और तुम ही मुझे टच करोगे ऐसी वैसी जगह पर" दीदी हैरान होते हुए बोली

"अभी आप ने ही तो कहा ना कि किसी और की बुरी नज़र से देखना ग़लत है फिर कब मेरा मन करेगा तब मैं क्या करूँगा और वैसे भी जब कोई दूसरा आपके पिछे हाथ घुसा सकता है तो मैं क्यों नही आख़िर आपका भाई हूँ और मैं तो सिर्फ़ टच करने की बात कर रहा हूँ" मैं ज़िद्द करते हुए बोला

मेरी बात सुनकर दीदी कुच्छ देर सोच मे पड़ गयी फिर बोली "ओके बेटा लेकिन सिर्फ़ कभी कभी और प्रॉमिस करो किसी और के साथ ऐसा वैसा कुच्छ भी नही करोगे"

"प्रॉमिस दीदी आज से मैं किसी और के साथ कुच्छ भी नही करूँगा, लेकिन दीदी जैसा उस लड़के ने आपके साथ किया अभी मैं भी वैसा करूँ प्ल्ज़" मैं बोला

"तो तुम नही मानोगे, अच्छा कर लो लेकिन आराम से करना उस वक्त तो उसने अचानक से और ज़ोर से किया था जिससे मैं बहुत डर गई थी" दीदी बोली

अब दीदी ने अपनी पीठ मेरी तरफ कर ली थी मैं उनके पास गया और अपना हाथ दीदी की टाँगो के बीच मे गया और एक उंगली सलवार के उपर से ही दीदी की चूत पर फिराने लगा

मेरे ऐसा करने से दीदी को मज़ा आया तो उन्होने अपनी टाँगे थोड़ी और खोल ली मैने उंगली दीदी की चूत पर रखी हुई थी और उसे मूव भी कर रहा था दीदी को अब बहुत मज़ा आरहा था जिससे दीदी थोड़ा सा झुक गई मुझे यकीन नही आरहा था कि मैं अपनी बड़ी दीदी को इस तरह ट्रीट कर रहा हूँ

मैने भी अब अपनी उंगली से दीदी को मज़ा देना शुरू कर दिया दीदी को बहुत मज़ा आरहा था क्योंकि वो भी अब धीरे धीरे अपनी मस्तानी गान्ड को हिला रही थी

अब मैने दीदी की कुरती पिछे से उठा कर कमर पर डाल दी और हिम्मत करके दीदी की सलवार को नीचे करने लगा सलवार थोड़ी सी नीचे हुई तो दीदी ने मुझे रोक दिया

"नही भाई सलवार मत उतारो बस ऐसे ही कर लो" कविता दीदी बोली

"दीदी सिर्फ़ देखना है प्लीज़ सिर्फ़ एक मिनिट के लिए" मैं गिडगिडाते हुए बोला

ये कह के मैने फ़ौरन दीदी की सलवार पैंटी सहित एक झटके से उतार दी और कविता दीदी की मस्त गान्ड मेरे सामने थी बिल्कुल नंगी मैं अपनी दीदी की गान्ड को देख रहा था लेकिन अभी तक दीदी की तरफ से इतना कुच्छ करने के बाद भी कोई रियेक्शन नही आया था मैं समझ गया था कि वो भी मज़े लेना चाहती है लेकिन अंजान बन कर फिर मैने अपना हाथ दीदी की गान्ड पर रखा और उस पर हाथ फेरने लगा मुझे बहुत मज़ा आरहा था दीदी को भी शायद बहुत मज़ा आरहा था क्योंकि उन्होने मुझे अभी तक नही रोका था और उनकी आँखे बंद थी.

तभी मुझे याद आया कि मैने डोर तो लॉक किया नही है कहीं कोई देख तो नही रहा है मैने डोर की तरफ देखा तो प्रिया दीदी डोर पे खड़े हमे देख रही थी मैने उन्हे इशारा किया कि वो चली जाए और वो आराम से डोर क्लोज़ करके चली गई

अब मैने अपनी उंगली अपने मूह मे डाली और थूक लगा कर कविता दीदी की गान्ड मे घुसा दी दीदी ने फ़ौरन अपनी गान्ड टाइट कर ली और खड़ी हो गई

"बस भाई इतना काफ़ी है अब अपने रूम मे जाओ प्ल्ज़" कविता दीदी गहरी सांस लेते हुए बोली और अपनी गान्ड से मेरी उंगली बाहर निकाल कर अपनी सलवार पहन ली

"दीदी आपको मज़ा नही आया क्या?" मैने पुछा

"भैया वो बात नही है लेकिन ये सब ग़लत है हम भाई बहन है हमे ऐसा नही करना चाहिए प्ल्ज़ भाई अब ज़िद्द मत करना मैं और नही कर सकती मुझसे नही होगा" दीदी बहुत प्यार से बोली

अब मैं भी कुच्छ नही कर सकता था तो कुच्छ देर वहीं बैठा रहा और फिर बाहर आगया मैं टीवी देखने लगा फिर सोचा की एक बार फिर प्रिया दीदी को चोदने के लिए ट्राइ करू और ये सोच कर मैं उन्हे रूम की तरफ बढ़ गया.......................


और मैं प्रिया दीदी के रूम मे पहुचा तो देखा कि प्रिया दीदी के साथ बेड पर कीर्ति लेटी हुई थी प्रिया दीदी समझ तो गई थी कि मैं क्यों आया हूँ लेकिन मजबूरी थी

"भाई क्या बात है अभी तक सोए नही तुम" प्रिया दीदी जान कर कीर्ति को सुनाते हुए बोली

"कुच्छ नही दीदी बस वैसे ही आगया था आप सो जाओ मैं भी सोने जा रहा हूँ " मैं बोला और मायूस हो कर प्रिया दीदी के रूम से बाहर आने लगा

"भाई कहाँ सो रहे हो?" प्रिया दीदी ने पिछे से पुछा

"प्रीति दीदी के रूम मे सोउंगा" कह कर मैं प्रिया दीदी के रूम से बाहर निकल गया
Reply
10-08-2018, 01:36 PM,
#8
RE: Antarvasna kahani मासूम
आज की दोपहर मेरे लंड के लिए जितनी अच्छी गई थी शाम उतनी ही बुरी साबित हो रही थी एक तो कविता दीदी के साथ मस्ती मे मेरे लंड को वैसे ही बहुत परेशान किया था उस पर प्रिया दीदी के रूम मे कीर्ति की मौजूदगी ने और बड़ा सदमा दे दिया था

प्रीति दीदी के रूम मैं सोने जा रहा हूँ.

मैं प्रीति दीदी के रूम मे आया वो सो रही थी मैं उनके पिछे आकर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरा लंड हार्ड था अब मैं उसका क्या करता मेरे सामने प्रीति दीदी थी लेकिन मैं उनके साथ कोई रिस्क नही लेना चाहता था क्योंकि एक तो वो उमर मे भी कम थी और बहुत गुस्से वाली भी थी और मुझे तो लगता था कि उन्हे चुदाई उड़ाई के बारे मे कुच्छ मालूम भी नही था फिर भी मैं पिछे से प्रीति दीदी से सट कर सोने लगा जिससे मेरा लंड प्रीति दीदी की गान्ड से सट गया और मैं धीरे धीरे नींद के आगोश मे डूब गया

मेरी आँख लगे अभी कुच्छ ही टाइम हुआ था कि अचानक किसी ने मुझे हिला कर उठाया मैने उठ कर देखा तो प्रिया दीदी थी

प्रिया दीदी ने मुझे बाहर आने का इशारा किया और चुपचाप रूम से बाहर चली गई मैं भी धीरे से उठा और रूम से बाहर आगया

"हां दीदी क्या बात है" मैने बाहर आकर दीदी से पुछा

"भाई मुझे नींद नही आरहि है और तुम्हारे साथ प्यार करने का बहुत दिल कर रहा है" प्रिया दीदी मेरा हाथ पकड़ कर बोली

"लेकिन दीदी करेंगे कहाँ कोई भी जगह खाली नही है" मैं बोला

"चलो बाहर वाले बाथरूम मे चलते है" दीदी बोली और वो मुझे अपने साथ बाथरूम मे ले गई हम बाथरूम के अंदर पहुचे तो दीदी ने गैट लॉक कर लिया और मुझे गले से लगा कर किस करने लगी मैने भी दीदी की किस का जवाब देना शुरू कर दिया

"भाई ज़्यादा टाइम नही है हमारे पास किस विस्स फिर कभी कर लेंगे अभी असली काम करते है" दीदी मेरा लंड दबाते हुए बोली

"ठीक है दीदी जैसा आप कहे" मैं बोला

अब दीदी और मैने जल्दी से अपने अपने कपड़े उतार दिए और हम दोनो ही नंगे एक दूसरे के सामने खड़े थे

प्रिया दीदी ने अपनी पीठ मेरे सामने कर दी और झुक कर टाँगे खोल दी मैने भी देर ना करते हुए अपना लंड पकड़ कर प्रिया दीदी की चूत पर रखा और धक्का दिया मेरा लंड दीदी की टाइट चूत की दीवारो से रगड़ते हुए उनकी गरम और गीली चूत मे घुस गया

"भाई वहाँ से भी पिछे से करो जहाँ से अभी कविता दीदी को कर रहे थे" प्रिया दीदी बोली शायद वो कविता दीदी के रूम मे हम दोनो को उस पोज़िशन मे देख कर यही समझी थी कि मैं कविता दीदी की गान्ड मार रहा था

"लेकिन दीदी उसमे तो बहुत दर्द होता है पहली बार मे" मैं बोला

"क्या बड़ी दीदी को भी हुआ था क्या?" दीदी ने पुछा

"हां पहली बार मे हुआ था" मैने सॉफ झूठ बोला लेकिन मैं पहले सुन चुका था कि पहली बार गान्ड मरवाने मे बहुत दर्द होता है

"और अब भी होता है क्या" दीदी ने फिर पुछा

"नही अब तो नही होता अब तो वो मज़े से करवाती है" दीदी की गान्ड मारने के चक्कर मे मेरे झूठ बढ़ते ही जा रहे थे

"तो ठीक है मुझे मंजूर है लेकिन आराम से करना" दीदी बोली और पास ही पड़ी अपनी चुनरी को गोल करके अपने मूह मे भर लिया मैं समझ गया कि दर्द की वजह से शोर ना हो इसीलिए उन्होने ऐसा किया है

प्रिया दीदी की बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया था सेक्स लाइफ स्टार्ट होने के पहले ही दिन मुझे दोपहर मे चूत और रात मे गान्ड मारने को मिल रही थी वो भी बिल्कुल कुवारि और मुझे क्या चाहिए था वैसे भी मैं बता चुका था कि मेरी तीनो ही बहनो मे सबसे सेक्सी फिगर प्रिया दीदी का ही था जिसमे प्लस पॉइंट उनकी गान्ड ही थी जिसे वो खुद आगे होकर मेरे लिए पेश कर रही थी तो मैं कोई पागल तो था नही हो इतना सुनहरा मौका छोड़ता. .

अब मैने प्रिया दीदी की चूत से अपना लंड बाहर निकाल लिया जो दीदी की चूत के पानी से बहुत गीला था फिर मैने दीदी की गान्ड खोली और उस के छेद पर अपनी उंगली घुमाने लगा मेरे ऐसा करने से दीदी सिहर सो गई उसकी गान्ड का छेद खुलने बंद होने लगा

फिर मैने अपनी उंगली को थूक से गीला किया और और दीदी की गंद मे घुसेड दिया दीदी अचानक हुए इस हमले से चौंक गई और दर्द से कराह उठी

दीदी ने अपनी गान्ड टाइट कर ली और बोली "आह.......भाई आराम से करो दर्द होता है"

दीदी की बात सुनकर मैं चुप रहा और फिर आराम आराम से उंगली अंदर बाहर करने लगा जब मेरी एक उंगली आराम से उनकी गान्ड मे जाने लगी तो मैने दो उंगलियो से कोशिश करनी शुरू कर दी मैं नही चाहता था कि जब मेरा मोटा लंड दीदी की गान्ड मे जाए तो उन्हे ज़्यादा दर्द हो जब दोनो ही उंगलिया आराम से इन आउट होने लगी तो मैने दीदी की गान्ड को अपने थूक से अच्छे से गीला कर दिया

"दीदी अब थोड़ा और झुक जाओ और अपनी गान्ड बाहर को निकाल लो" मैं अपने लंड को जोकि पहले से ही दीदी के पानी से गीला था को अपने थूक से और गीला करते हुए बोला

मेरी बात सुनकर दीदी चुप चाप सामने का पाइप पकड़ कर झुक गई और अपनी गान्ड बाहर को निकाल दी तो मैने अपना लंड पकड़ कर दीदी की गंद पर लगाया और धीरे धीरे आयेज दबाव बनाने लगा मेरा लंड दीदी की गंद को चौड़ी करते हुए आयेज बढ़ने लगा मुझे बहुत मज़ा आरहा था जब लंड 1/4 अंदर घुस गया तो दीदी ने मुझे रोक दिया

"भाई अभी रूको दर्द हो रहा है" दीदी कराहती हुई बोली

दीदी की बात सुनकर मैं थोड़ी देर रुक गया तब मैने और थूक निकाल कर दीदी की गान्ड पर लगा दिया और जितना लंड अंदर गया था उतनी ही जगह मे आगे पिछे करने लगा

मेरे ऐसा करने से दीदी भी अपनी गान्ड को कभी टाइट तो कभी लूस कर रही थी जिससे इतना मज़ा आरहा था कि बयान करना मुश्किल है

मैं लंड आगे पिछे करने के साथ थोड़ा थोड़ा आगे भी बढ़ा रहा था जिस वजह से अब तक मेरा आधे से भी ज़्यादा लंड दीदी की गान्ड मे था

मैं बार बार दीदी की गान्ड को अपने थूक से चिकना कर रहा था और अब तो मैने उनकी कमर पकड़ कर ज़ोर के धक्के लगाने शुरू कर दिए थे मेरा लगभग पूरा ही लंड दीदी की गान्ड मे था और अब इन आउट करने मे भी परेशानी नही हो रही थी अब शYआड दीदी का भी दर्द ख़तम हो गया था और उसे मज़ा आरहा था क्योंकि अब वो भी अपनी गान्ड आगे पिछे करके मेरा साथ दे रही थी और मेरे धक्को की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी

"भाई धीरे करो ये मेरा पहली बार है दर्द हो रहा है, वैसे भाई दर्द तो कविता दीदी को भी हुआ होगा ना और तुम्हे दीदी के साथ ज़्यादा मज़ा आया या मेरे साथ ज़्यादा मज़ा आरहा है" दीदी गान्ड मरवाते हुए बोली

अब मैं उन्हे क्या बताता कि कविता दीदी के साथ तो कभी किया ही नही है और बेचारी प्रिया दीदी ग़लत फ़हमी मे ही आज अपनी दोनो सील मुझसे तुडवा चुकी थी

"दीदी कविता दीदी के साथ भी बहुत मज़ा आया था लेकिन आपके साथ कुच्छ ज़्यादा ही आरहा है" मैं प्रिया दीदी की चापलूसी करते हुए बोला

उसके बाद मैने कोई 5 मिनिट और धक्के लगाए और मुझे लगने लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मेरे धक्को की स्पीड बढ़ गई और लंड भी दीदी की गान्ड मे पूरी गहराई तक उतर रहा था दीदी भी अपने एक हाथ से अपनी चूत सहलाते हुए अपनी गान्ड आगे पिछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी और कुच्छ ही धक्को के बाद मैने दीदी की गान्ड के गोदाम को अपने माल से भर दिया मेरे लंड के पानी की अपनी गान्ड मे महसूस करके दीदी भी झड गई थी

"आहह.. ....... भाई.......आहह.......मेरे अंदर से कुच्छ निकल रहा है जैसा दोपहर मे निकला था और जब भी ये निकलता है मुझे बहुत मज़ा आता है सच भाई आहह...... भाई तुम बहुत अच्छे हो मुझे ऐसा मज़ा देने के लिए थॅंक्स भाई उम्म्म्मममममह........मज़ा आगया भाई" दीदी झड़ते हुए बोली

फिर पता नही क्या हुआ कि प्रिया दीदी ने अपने हाथ पिछे करके मुझे कुल्हो से पकड़ा और अपनी गान्ड तेज़ी से आगे पिछे करने लगी भले ही मेरा लंड झड गया था लेकिन अभी भी मुरझाया नही था तो वो भी सटा सॅट दीदी की गान्ड मे आगे पिछे हो रहा था

जब मेरा लंड ढीला होने लगा तो दीदी ने उसे अपनी गान्ड से निकाल दिया और मुझे साइड पे कर के पेशाब करने बैठ गई मैं दीदी के सामने बैठ गया और उन्हे पेशाब करते हुए देखने लगा पहले थोड़ा सा पेशाब उनकी चूत से निकला और फिर मेरा कम उनकी गान्ड से बाहर आने लगा

मैने हाथ आगे करके दीदी की गान्ड मे एक उंगली डाली तो वो आराम से अंदर तक चली गई दीदी को मज़ा आने लगा फिर दीदी ने ज़ोर लगाया तो उनकी चूत से तेज धार मे पेशाब निकलने लगी मैं मज़े से देखता रहा फिर मैने अपनी उंगली दीदी की गान्ड से बाहर निकाल ली तो मेरी सारी कम दीदी की गान्ड से बाहर निकल कर फर्श पर गिरने लगी

मैने हॅंड शवर उठा कर दीदी की चूत और गान्ड को अच्छे से वॉश किया और दीदी ने मेरे लंड को फिर हमने कपड़े पहने और पहले दीदी बाहर निकली फिर मैं भी बाथरूम से बाहर आगया...........................

मैं बाथरूम से निकल कर प्रीति दीदी के रूम मे आगया वो सो रही थी जिस वजह से उनकी कुरती थोड़ी उपर हो गई थी और उनका पेट सॉफ नज़र आरहा था मैं फिर से प्रीति दीदी के पिछे उनकी पीठ से चिपक कर लेट गया और उसकी कमर पर हल्के हल्के से किस करने लगा

फिर मैने धीरे से प्रीति दीदी की सलवार थोड़ी नीचे को तो उनके भारी चूतड़ थोड़े थोड़े नज़र आने लगे तो मैं धीरे धीरे आराम से उन्हे किस करने लगा

अब मैने अपना एक हाथ सलवार के उपर से ही प्रीति दीदी की चूत पर रखा और एक उनके चिकने सपाट पेट पर रख दिया और धीरे धीरे उन्हे सहलाने लगा यूँ ही काफ़ी देर तक मैं प्रीति दीदी के जिस्म के साथ खेलता रहा फिर मुझे नींद आ गई और मैं सो गया
Reply
10-08-2018, 01:36 PM,
#9
RE: Antarvasna kahani मासूम
सुबह मैं देर से उठा तो देखा कि प्रीति दीदी रूम मे नही थी तभी वो बाथरूम से बाहर आई

"उठ गये भैया, तुम्हारे लिए नाश्ता बना दूं क्या" प्रीति दीदी बड़े प्यार से बोली

"क्यों........आज आप नाश्ता क्यों बनाएगी, बाकी सब कहाँ है" मैने पुछा

"वो क्या है ना आज सभी मामा के घर गये है अगर तुम जल्दी उठते तो तुम्हे भी पता होता" दीदी बोली

"आप क्यों नही गई उनके साथ" मैने पुछा

"मुझे स्कूल का बहुत काम है और पढ़ाई भी करनी है उपर से तुम भी घोड़े बेच कर सो रहे थे तो घर पर किसी को तो रहना ही था तो मैं ही रुक गई" प्रीति दीदी बोली

"ठीक है आप नाश्ता बना लो तब तक मैं नहा लेता हूँ" मैं सिर हिलाते हुए बोला

मैं उठा और बाथरूम मे घुस गया वहाँ मैने प्रीति दीदी के उतरे हुए कपड़े देखे तो उनकी ब्रा ढूंढी और उसे सूँघा तो एक बहुत ही सेक्सी स्मेल मेरी नाक से टकराई जो मेरी सबसे छोटी दीदी के जिस्म की थी उसे सूंघ कर मेरा मन अपने काबू मे नही रहा और मेरा लंड टाइट होने लगा 

मैने वहीं प्रीति दीदी को इमॅजिन कर के मूठ मारी और अपना सारा माल दीदी के ब्रा के कप मे निकाल दिया लेकिन अब मैं प्रीति दीदी के साथ भी रियल मे कुच्छ करना चाहता था तो मैं नहा कर दीदी की वो ब्रा वैसे ही लेकर बाहर आगया प्रीति दीदी मेरा नाश्ता लेकर बेड पर ही बैठी थी

"दीदी ये क्या है मुझे बाथरूम मे मिला" मैं दीदी को उनकी ब्रा दिखाते हुए बोला

"छोटू ये क्यों उठा लाए तुम और ये तुम्हे कहाँ से मिली इसे तो मैने कपड़ो के अंदर रखा था, क्या तुमने मेरे कपड़े खोले? और अगर ऐसा किया तो क्यों किया, लाओ मुझे दो ये तुम्हारे काम की चीज़ नही है" दीदी मेरे हाथ मे अपनी ब्रा देख कर सकपकाते हुए गुस्से से बोली

"दीदी मैने आपके कपड़े चेक नही किए मेरा हाथ लगा तो वो नीचे गिर गये थे जब मैं उठा कर वापस रखने लगा तो उनमे से ये निकला, बताइए ना दीदी कि ये क्या है और आप क्यों पहनती है इसे" मैं एक बार फिर नादान बनते हुए बोला

"भाई मैं नही बता सकती कि ये क्या है, प्लीज़ जल्दी से मुझे दो वरना मैं बड़े भैया से तुम्हारी शिकायत कर दूँगी" दीदी भड़कते हुए बोली

जब मैने उनकी बात सुनकर भी उन्हे ब्रा नही दी तो वो और भी भड़कते हुए बोली "सुना नही क्या, ये तुम्हारे काम की नही है वापस दो मुझे"

"दीदी गुस्सा क्यों करती हो मैं तो बस पुच्छ ही रहा हूँ ना और ये तो सच मे मेरे काम की निकली ये देखो" कहते हुए मैने दीदी को ब्रा खोल कर दिखाई जहाँ मेरी कम थी

प्रीति दीदी ने ब्रा मुझसे ले ली और मेरी कम देखने लगी लेकिन उसे कुच्छ समझ नही आया कि ये क्या है उसने मेरी कम को टच भी किया लेकिन तब भी नही समझ पाई क्योंकि वो ये सब बाते नही जानती थी

"दिपु ये क्या है, जब मैं नहा कर निकली तब तो कुच्छ भी नही था फिर ये कहाँ से आगया और ये तुम्हारे काम कैसे आती है क्या तुम भी इसे पहनते हो" दीदी आन थोड़े असमंजस से बोली उसे कुच्छ समझ नही आरहा था

"दीदी मैने उसे उठाया और सूँघा तो मुझे बहुत अच्छी खुश्बू आने लगी फिर पता नही क्या हुआ की मैने उसे नीचे किया और मेरे नीचे से ये निकलने लगा और इसमे गिरने लगा" मैं बहुत मासूमियत से बोला

"क्या मतलब? कहाँ से निकलने लगा और ये है क्या" प्रीति दीदी ने हैरत से पुछा

चूँकि मैं अभी नहा कर ही निकला था और इस वक्त सिर्फ़ एक टवल ही लपेटा हुआ था तो मैने टवल निकाल दिया और प्रीति दीदी को अपना लंड दिखा कर बोला "दीदी इसमे से निकला है ये"

प्रीति दीदी ने मेरा लंड देखा लेकिन तुरंत ही अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया

"दिपु प्लीज़ टवल पहन लो कुच्छ तो शरम करो" प्रीति दीदी वैसे ही दूसरी तरफ देखते हुए बोली

मैने टवल नही पहना और नंगे ही दीदी के साथ बेड पर बैठ गया

"क्यों दीदी आपने बचपन मे भी तो देखा है मुझे ऐसे, मुझे पता है कि आप सभी बहने मुझे नहलाती थी तो अब क्या हो जाएगा" मैं बोला

"भैया तब तुम छोटे बच्चे थे लेकिन अब तुम बड़े हो गये हो" प्रीति दीदी थोड़ी शांत होते हुए बोली उसपर मासूमियत के मेरे आख़िरी हथियार का वार चल गया था

"जो भी था लेकिन आपने देखा तो था ना मुझे, अब मैं आपको भी वैसे ही देखना चाहता हूँ प्लीज़ दीदी बस एक बार" मैं गिडगिडाते हुए बोला

"नही भाई ये ग़लत बात है, मुझे नही पता कि इसमे क्या ग़लत है लेकिन बस इतना जानती हूँ कि ऐसा करना ग़लत है" दीदी बोली लेकिन तभी उसकी नज़र मेरे टाइट होते लंड पर गई और हैरत से उसका मूह खुल गया और वो फिर बोली "वैसे भाई ये है क्या अरे देखो तो अभी ये सो रहा था और अब खड़ा हो रहा है, ऐसा क्यों हो रहा है भाई"

"दीदी ये सब आपकी वजह से हो रहा है क्योंकि आप बहुत प्यारी है और जब से इसने आपकी ब्रा देखी है तब से इसका यही हाल है" मैं अपने लंड को सहलाते हुए बोला

प्रीति दीदी आन अपनी गर्दन झुका कर मेरे लंड को देख रही थी

"लेकिन भैया अभी तो कुच्छ नही देख रहे हो फिर भी क्यों खड़ा हो रहा है और वो भी तो नही निकल रहा जो मेरी ब्रा मे है जो तुमने कहा था कि इसमे से निकला है" दीदी बड़े ध्यान से मेरे लंड को देखते हुए बोली

"आप वो निकलते हुए देखना चाहती हो क्या" मैने पुछा

"हां दिखाओ ना वो कब निकलेगा और कैसे निकलेगा" आन दीदी थोड़ी उत्सुकता से बोली
अब मैने प्रीति दीदी के एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और बोला "दीदी इसे अपने हाथ मे पकडो फिर ये वो लिक्विड निकाल देगा और सच मे दीदी जब वो निकलता है तो बड़ा मज़ा आता है"

"भैया ये तो बहुत हार्ड हो गया है और बहुत हॉट भी है" प्रीति दीदी मेरे लंड को गर्मी की अपने हाथ मे महसूस करते हुए बोली दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ मे पकड़ रखा था लेकिन कुच्छ कर नही रही थी तो मैं धीरे धीरे अपना लंड को हिलाने लगा.................

प्रीति दीदी का हाथ बहुत सॉफ्ट था और उनके नरम और गरम हाथ मे अपना लंड देकर मुझे बहुत मज़ा आरहा था

"दीदी आप अपने कपड़े तो उतार दो देखना बड़ा मज़ा आएगा, प्ल्ज़ दीदी उतार दो ना" मैं अपना हाथ दीदी के हाथ पर रख कर अपना लंड हिलाते हुए बोला

"नही भैया मुझे बहुत शरम आती है मैं नही उतारूँगी. प्ल्ज़ भाई हर बात पर ज़िद मत करो ना" दीदी बोली

"अच्छा दीदी लेकिन अपने हाथ को उपर नीचे धीरे धीरे हिलाओ ना लेकिन ज़्यादा टाइट मत पकड़ना ये बहुत नाज़ुक होता है" मैं बोला

इतना कह कर मैने अपना एक हाथ प्रीति दीदी के बूब पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा

"दिपु ये क्या कर रहे हो हटाओ अपना हाथ" दीदी ने मेरा हाथ अलग किया और फिर बोली "लेकिन भाई ये इतना नाज़ुक क्यों है और ये किस काम आता है और मेरे पास तो है भी नही ये"

मैं समझ गया था कि दीदी को सेक्स के बारे मे कुच्छ पता नही है और उसकी इस नादानी का फ़ायदा उठा कर आज मैं उसे चोद भी सकता हूँ

"दीदी प्लीज़ थोड़ी देर करने दो ना, और दीदी ने सबका नाज़ुक ही होता है उसे लंड कहते है और ये सिर्फ़ बाय्स के पास होता है और दीदी की लड़कियो के पास होती है ना टाँगो के बीच मे उसमे जाता है जिस से लड़के और लड़कियो दोनो को बहुत मज़ा आता है" मैं दीदी को समझाते हुए बोला और वापस अपना हाथ उनके बूब पर रख कर उसे धीरे धीरे दबाने लगा

"क्या मतलब, ये कहाँ जाता है और क्यों जाता है और ऐसा करने से क्या होता है भाई जिस से मज़ा आता है?" दीदी ने पुचछा

"दीदी जहाँ से आप लोग पेशाब करती हो ना उस होल के पास एक होल और होता है ये उसमे जाता है और इसे वहाँ डाल कर आगे पिछे करने से बहुत मज़ा आता है" मैं बोला और मैने अपनी उंगली दीदी की चूत पर रख कर उन्हे बताया

"भैया क्यों मज़ाक कर रहे हो वो होल तो बहुत छोटा हिला है और ये तो बहुत लंबा और मोटा है ये वहाँ कैसे जासकता है" दीदी हैरत से बोली

"जाता है दीदी इसीलिए तो कह रहा था कि अपने कपड़े उतार दो फिर मैं आपको सब दिखाता हूँ" मैं दीदी को उकसाते हुए बोला

"नही नही भाई ऐसे ही ठीक है मैं समझ गई हूँ" दीदी बोली वो मछ्ली की तरह मेरे हाथ से फिसली जा रही थी

"अच्छा दीदी चेक तो करने दो कि आप नीचे से गीली हो या नही" मैं भी हार नही मानने वाला था

"नीचे से गीली...............क्या मतलब?" प्रीति दीदी के मूह से निकला

मैं अपना हाथ दीदी की चूत के पास ले गया और बोला "इसकी बात कर रहा था मैं अगर ये गीली होगी तो ये तैयार है लंड अंदर लेने के लिए अगर गीली नही है तो अभी तैयार नही है, बस"
मेरी बात सुनकर दीदी सोच मे पड़ गई

"मैं चेक कर लूँ क्या दीदी" मौका सही देख कर मैं बोला

"नही भाई मैं खुद ही चेक करती हूँ" दीदी बोली

अब दीदी ने मेरा लंड छोड़ दिया और अपना हाथ अपनी सलवार मे डाल कर अपनी चूत को टच किया

"अरे भाई ये तो गीली है सच मे, तो क्या ये तैयार है तुम्हारा लंड अंदर लेने के लिए" दीदी अपनी चूत की हालत जान मार हैरान होते हुए बोली


"हां दीदी ये बिल्कुल तैयार है प्ल्ज़ अब तो अपने कपड़े उतार दो और खुद भी मज़े लो और मुझे भी लेने दो" मैं बोला

"नही भाई मुझे बहुत डर लग रहा है, नही मैं नही करने दूँगी" दीदी घबराते हुए बोली

"दीदी कुच्छ नही होता मैने प्रिया दीदी के साथ भी किया है ये सब और उन्हे तो बहुत मज़ा आता है रात को भी मैने उनके साथ किया था" मैने बताया

"सच कह रहे हो भाई? क्योंकि रात को तो तुम यहाँ थे और वो अपने रूम मे थी तो फिर कैसे किया, तुम झूठ बोल रहे हो ना" दीदी बोली

"नही दीदी मैं झूठ नही बोल रहा हूँ मैं उनके रूम मे गया था लेकिन इस वक्त प्रिया दीदी के साथ कीर्ति भी थी तो मैं आपके रूम मे आगया फिर देर रात प्रिया दीदी मुझे उठा कर बाहर वाले बाथरूम मे ले गई और फिर वहाँ हमने किया और सच दोनो को ही बहुत मज़ा आया" मैं बोला

"लेकिन भाई कुच्छ होगा तो नही, दर्द तो नही होगा ना" दीदी ने पुछा वो अभी भी नॉर्मल नही हुई थी

"कुच्छ नही होता दीदी आप करने तो दो देखना बहुत मज़ा आएगा" मैं खुश होते हुए बोला

अब मैं दीदी के पास गया और पहले मैने उनकी कुरती उतारी फिर ब्रा और लास्ट मे पैंटी सहित सलवार को भी नीचे करके उतार दिया अब प्रीति दीदी और मैं दोनो ही नंगे आमने सामने खड़े थे दीदी की नज़रे शरम से झुकी हुई थी फिर मैने दीदी को बेड पर बैठा दिया और खुद भी उनके पास बैठ गया

अब मैने दीदी को किस करना शुरू किया फेस से लेकर बूब्स नवल पेट जाँघ सभी जगह किस किया कोई जगह नही छोड़ी जिससे प्रीति दीदी को भी मज़ा आने लगा अब मैने अपना एक हाथ दीदी की चूत पर रखा जो सच मे गीली थी लेकिन ज़्यादा नही थोड़ी थोड़ी थी 

"दीदी आप लेट जाओ पहले हम किस करेंगे फिर अंदर डालेंगे इससे हम दोनो को ही बहुत मज़ा आएगा" मैने बोलते हुए दीदी को लेटा दिया

दीदी लेट गई तो मैं भी उसके साथ लेट गया और दीदी को किस करने लगा बिल्कुल वैसे ही जैसे प्रिया दीदी को किया था दीदी को मज़ा आरहा था उनकी आँखे बंद हुई जा रही थी और साँसे तेज चल रही थी मेरा लंड भी बहुत हार्ड हो गया था कुच्छ देर बाद मैने दीदी की टाँगे खोल लो और अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रख दिया अब तक दीदी की चूत पूरी तरह गीली हो गई थी और उससे पानी भी बाहर आरहा था

"दीदी आप तैयार है ना, शुरू मे थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद मे बहुत मज़ा आएगा" मैं अपने लंड को दीदी की चूत के छेद पर रगड़ते हुए बोला

"हां भैया लेकिन देखना ज़्यादा दर्द ना हो वरना मैं नही करने दूँगी" दीदी बोली शायद ये अभी तक मिले मज़े का ही कमाल था जो वो चुदने को तैयार थी

अब मैने लंड को अंदर धकेला तो थोड़ा सा लंड आराम से दीदी की चूत मे चला गया

"भैया आराम से मुझे दर्द हो रहा है प्ल्ज़......." प्रीति दीदी बोली

"दीदी अभी सब ठीक ही जाएगा" मैं बोला और जितना लंड अंदर गया था उतने को ही धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा काफ़ी देर तक तक मैं ऐसा ही करता रहा अभी दीदी को मज़ा आरहा था और दर्द भी ख़तम हो गया था

"दीदी मज़ा आरहा है ना आपको" मैने उसे चोदते हुए पुछा

"हां भाई अब मज़ा आरहा है लेकिन प्लीज़ आराम आराम से करना" दीदी मज़े से बोली

मैने दीदी के दोनो बूब्स को किस करना मसलना और सक करना शुरू कर दिया साथ ही साथ धीरे धीरे लंड भी अंदर बाहर करने लगा था फिर मैने अपने लिप्स दीदी के लिप्स पर रखे और किस करने लगा दीदी मदहोश हो गई थी उन्हे अब बहुत मज़ा आरहा था मैने मौका देख कर लंड पिछे खींचा और एक ज़ोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा लंड दीदी की सील तोड़ते हुए पूरा अंदर घुस गया और दीदी की आँखे बाहर निकल आई दीदी तड़पने लगी लेकिन मैने लंड अंदर ही रखा मेरे होंठ अभी भी दीदी के लिप्स से जुड़े हुए थे जिस वजह से उसकी आवाज़ बस गन......गन.......ही निकल रही थी
दीदी छटपटाने लगी थी और खुद को मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन मैने उन्हे नही छोड़ा मुझे दीदी की टाइट चूत अपने लंड को भींचते हुए महसूस हो रही थी और जैसे मेरा लंड उनकी चूत मे जकड लिया था मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आरहा था 

कुच्छ देर बाद दीदी नॉर्मल हुई तो मैने अपना मूह उनके मूह से हटाया

"दिपु तुम बहुत गंदे हो तुमने कहा था अब दर्द नही होगा और सिर्फ़ मज़ा आएगा लेकिन अभी जब तुमने धक्का मारा तो मुझे बहुत दर्द हुआ ऐसा लग रहा था की अभी मर जाउन्गी" दीदी मेरे सीने पर मुक्के मारती हुई बोली

"सॉरी दीदी लेकिन अब तो दर्द नही हो रहा है ना आपको" मैं दीदी के गाल चूमते हुए बोला

"अब भी हो रहा है लेकिन उतना नही जितना तब हुआ था" दीदी बोली

"दीदी तब आपकी चूत की सील टूटी थी इसलिए दर्द ज़्यादा हुआ था लेकिन अब कभी भी दर्द नही होगा" मैने उन्हे समझाइया और दीदी के बूब्स सक किए उनकी दबाता रहा फिर लिप्स पे किस करता यहाँ वहाँ इधर उधर बहुत किस मैने दीदी को

"भैया अभी मज़ा आरहा है मुझे और दर्द भी नही होरहा है लेकिन फिर भी आराम आराम से करना तेज तेज नही अभी अच्छा फील कर रही हूँ मैं" दीदी बोली

"देख दीदी मैने कहा था ना कि कुच्छ देर बाद आपको बहुत मज़ा आएगा" कहते हुए मैं दोबारा दीदी को चोदने लगा मैं उन्हे किस कर रहा था रब कर रहा था मुझे बहुत मज़ा आरहा था और अब तो दीदी को भी बहुत मज़ा आरहा था वो मेरी पीठ पर हाथ फिरा रही थी

"भैया थोड़ा तेज तेज करो मुझे मज़ा आरहा है हां भैया और ज़ोर से और तेज एर ज़ोर से धक्के मारो.......
........आह.. ..मेरे प्यारे छोटे भाई ज़ोर से छोड़ो मुझे" दीदी अपनी कमर उच्छालती हूँ सेक्सी आवाज़ मे बोली

अब मेरे धक्को की भी स्पीड बहुत बढ़ गई और धुआँधार चुदाई शुरू हो गई और कुच्छ ही देर मे दीदी झड गई और उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ने और छोड़ने लगी मैं भी ज़्यादा देर सह नही पाया और मेरे लंड ने ज़ोर ज़ोर से पिचकारियाँ मार कर दीदी की चूत को भर दिया.....

टाइम बहुत ही गया था तो बाद मे हमने कुच्छ नही किया और अपने आप को सॉफ करके कपड़े पहन लिए
थोड़ी ही देर बाद जब लोग वापस आगये लेकिन कीर्ति वापस अपने घर जा चुकी थी और मेरे मामा की दो जुड़वा बेटियाँ यानी मेरी ममेरी बहने जो सिर्फ़ दो मिनिट से छोटी बड़ी थी मेरे भाई बहनो के साथ आई थी एक का नाम रूपा था जबकि दूसरी का नाम दीपा था दोनो ही मस्त आइटम थी और जुड़वा होने के कारण दोनो की शकल सूरत के साथ साथ फिगर भी लगभग सेम ही था दोनो के ही बूब्स बड़े थे और गोल मटोल गान्ड बाहर को निकली हुई थी मेरी दोनो से ही अच्छी बनती थी और छोटा भाई होने के कारण वो दोनो भी मुझे बहुत प्यार करती थी लेकिन जब से सेक्स के कीड़े ने मुझे काटा था तब से मैं इन दोनो सेक्स बॉम्ब को चोदने को बहुत बेताब था

खैर आते ही कविता दीदी ने खुश खबरी सुनाई की बादल भैया और प्रिया दीदी की शादी एक ही दिन एक ही मंडप से होगी इसलिए सभी तैयारियो मे लग जाओ और रूपा और दीपा भी अब शादी तक यहीं रह कर हमारी मदद करेंगी

दीदी की बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया था क्योंकि मुझे लग रहा था कि अभी तक जो कुच्छ भी हुआ है अगर वैसा ही चलता रहा तो शायद मैं रूपा और दीपा नाम की सेक्स की दो देवियो को भी निपटा सकता हूँ
Reply
10-08-2018, 01:44 PM,
#10
RE: Antarvasna kahani मासूम
लेकिन ये सब इतना आसान नही था क्योंकि शादी की डेट बहुत पास थी और मेहमान आना शुरू गये थे जोकि मेरे नये नये चुदाई के अखाड़े मे उतरे लंड के साथ बहुत ना-इंसाफी थी लेकिन अब मैं कर भी क्या सकता था एक दो बार प्रिया दीदी और प्रीति दीदी को चुदाई के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन मेहमानो के कारण उन्होने भी मना कर दिया लेकिन इस बीच कैसे भी बेचारी प्रिया दीदी ने दो बार मुझे चोदने दिया लेकिन ज़्यादा मज़े करने के लिए अब मेरे पास अपने लंड को हाथ से हिला कर शांत करने के सिवा और कोई चारा नही था

आज एक ही मंडप मे बादल भैया और प्रिया दीदी की शादी थी बहुत अच्छी पार्टी हुई और सभी ने बहुत एंजाय किया सुबह होते ही प्रिया दीदी की विदाई हो गई और हम भाभी को लेकर घर वापस आ गये हम सभी बहुत खुश थे और मैं मन ही मन सोच रहा था कि आज की रात भैया भाभी की सुहागरात है और भैया आज भाभी को चोद डालेंगे और यही सोच कर मैं थोड़ा सॅड भी फील कर रहा था क्योंकि भाभी के जैसा कड़क माल मेरे हाथ ना लग कर भैया के हाथ लग चुका था

लेकिन होनी को कुच्छ और ही मंजूर था उस रात भैया के कुच्छ दोस्त जो शादी मे दूसरे शहर से आए हुए थे उन्हे खाना खिलाने के लिए भैया होटल ले गये थे और हम सब भाभी के साथ भैया के रूम मे मे बैठे हुए थे भाभी बहुत सेक्सी लग रही थी मेरा दिल कर रहा था कि भाभी को अभी के अभी चोद डालु लेकिन ये नामुमकिन था

काफ़ी देर हो गई थी लेट नाइट भैया अभी तक वापस नही आए थे हम सब परेशान थे फिर एक फोन आया कि भैया का आक्सिडेंट हो गया है और वो हॉस्पिटल मे अड्मिट है

भैया के दोस्तो ने शराब पी रखी थी और वो सब खाना खा कर वापस आरहे थे और भैया का जो फ्रेंड कार चला रहा था उससे कार कंट्रोल नही हुई और रोड के बाजू मे खंबे से जा टकराई भैया उसी साइड बैठे थे और बहुत ज़ख्मी हो गये थे जब राह चलते लोगो ने उन्हे देखा तो उठा कर हॉस्पिटल पहुचाया

हम सब जल्दी से हॉस्पिटल मे निकले भाभी भी साथ ही थी सब रो रहे थे हॉस्पिटल पहुच कर पता चला कि भैया की हालत खराब थी वो खून से लथपथ थे लेकिन डॉक्टर ने कहा कि ख़तरे की कोई बात नही है लेकिन उन्हे ठीक होने मे कुच्छ टाइम लगेगा

मैं बहुत रो रहा था क्योंकि मेरे मोम डॅड नही थे और मेरे भैया ने ही उनकी कमी पूरी की थी और वो ही मेरे लिए सब कुच्छ थे

तभी कविता दीदी वहाँ आई और पहले मुझे समझाइया और फिर कब मैं चुप हो गया तो वो बोली कि सब लोग वापस घर जाओ यहाँ सिर्फ़ मैं रुकूंगी और फिर मामा भी वहाँ थे ही तो हम सभी घर वापस आगये

सारी रात कोई नहीं सोया सभी लोग टेन्षन की वजह से जागते रहे उधर प्रिया दीदी भी बहुत परेशान थी भैया की खबर सुनकर लेकिन वो बेचारी भी क्या करती आख़िर आज उसकी भी सुहागरात थी

खैर सभी मे हिम्मत से काम लिया और अगले दिन भाभी को बहुत परेशान थी को मना कर जैसे तैसे खाना खिला ही दिया उधर हॉस्पिटल से भी दीदी की खबर आई कि भैया की हालत बहुत तेज़ी से सुधर रही है तो भाभी और हम सभी थोड़े और रिलॅक्स हो गये थे

उस रात मैं भाभी के रूम मे गया वो अकेली थी मैं वहाँ बैठ कर भाभी के साथ बाते करने लगा भाभी देवर होने के नाते मुझे भैया या भाई कहती थी

"भाभी आप परेशान ना हो भगवान ने चाहा तो भैया बहुत जल्दी ठीक ही जाएँगे" मैं भाभी को दिलासा देते हुए बोला

"भैया भगवान करे कि वो जल्दी ठीक ही जाए लेकिन भैया सभी लोग कह रहे है कि मैं मनहूस हूँ जैसे ही मेरे कदम इस घर मे पड़े ये सब हो गया" भाभी उदास लहजे मे बोली

"नही भाभी ऐसा नही है और किसने कहा आपसे ये सब मुझे बताओ मैं उसे नही छोड़ूँगा, सच भाभी ऐसा कैसे हो सकता है बताओ किसने कहा आप से ऐसा" भाभी की बात सुनकर मैं गुस्से से बोला "क्या मेरी बहनो मे से किसे ने कहा"

"नही भैया वो सब तो बहुत अच्छी है लेकिन जो और भी लोग आए है ना उन्ही मे से किसी ने कहा था और मैने सुन लिया था" भाभी बोली

इतना कह कर भाभी रोने लगी तो मैने उन्हे चुप कराया और अपने गले से भी लगा लिया

"भाभी प्ल्ज़ रोना बंद करो ये जो दूसरे लोग है ना सब बकवास करते है असल मे वो जलते है कि मेरी भाभी बहुत अच्छी है और बहुत प्यारी है इसलिए" मैं भाभी को दिलासा देते हुए बोला

मेरी बात सुनकर भाभी चुप हो गई और फिर हँसने लगी

"अच्छा जी तो मैं अच्छी हूँ, लेकिन तुम्हे कैसे पता जबकि अभी मुझे यहाँ आए दो दिन ही हुए है अब क्या पता कि मैं अच्छी हूँ या नही और क्या पता कि कुच्छ दिन बाद आप ही कह रहे होवो कि भाभी अच्छी नही है" भाभी बोली

"नही भाभी मैं ऐसा कभी भी नही कहूँगा चाहे जो हो जाए मुझे पता है कि आप बहुत अच्छी और बहुत प्यारी है" मैं बोला

अभी हमारी बात चल ही रही थी कि कविता दीदी रूम मे आ गई

"अरे वाह.........देवर भाभी एक साथ क्या बाते हो रही है" कविता दीदी हमे एक साथ देख कर बोली

"कुच्छ नही दीदी बस ये महोदय मेरी बहुत तारीफ कर रहे है" भाभी बोली

"अच्छा जी ज़रा हम भी तो सुने कि कितना मक्खन लगा रहे है जनाब" कविता दीदी मुस्कुराते हुए बोली

"दीदी मैं भाभी को कोई मक्खन नही लगा रहा हूँ, भाभी रो रही थी क्योंकि उन्होने कुच्छ लोगो से सुना जो उन्हे मनहूस कह रहे थे क्योंकि उनके आते ही भैया का आक्सिडेंट हो गया तो मैं भाभी को वही समझा रहा था कि ऐसा कुच्छ नही होता ये सब बकवास है" मैं बोला

"भाई तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो सच ये सब बकवास है और भाभी आप चिंता क्यों कर रही हो हम लोगो मे से किसे ने तो ऐसा नही कहा ना" कविता दीदी बोली

"दीदी ऐसी बात नही है आप सब बहुत अच्छे है लेकिन कुच्छ लोगो ने कहा हो मैने सुना इसीलिए सिर्फ़ बता ही रही थी और बहुत उदास थी और रो रही थी लेकिन दिपु भैया इतने अच्छे है कि उन्होने मुझे हंसा दिया" भाभी बोली

"भाभी आप भी ना......लोगो की बाते क्यों सुनती हो लोग तो किसी को नही छोड़ते और फिर जो होना है वो तो होकर ही रहता है और किसी की वजह से तो कभी भी नही होता जो लिखा है बस वही होता है" दीदी भाभी को समझाते हुए बोली

"देखा भाभी मैने भी तो यही कहा था आप से" मैं बोला

"ओके बेटा अब भाभी को ज़्यादा परेशन मत करना और जल्द ही अपने रूम मे जाकर सो जाना" कविता दीदी बोली और रूम से बाहर निकल गई
फिर मैं और भाभी बाते करने लगे और बाते करते करते हो मुझे नींद आ गई और मैं भाभी के बेड पर ही सो गया

मैं गहरी नींद मे था और मेरे कानो मे किसी के बोलने की आवाज़े आरहि थी मैं जाग गया लेकिन मैने आँखे नही खोली और सुनने लगा

"भाभी आप परेशान मत होओ लोग तो बकवास करते हो रहते है उनकी बात दिल पर नही लेते" मेरे कानो से प्रीति दीदी की आवाज़ टकराई "भाभी आपको नींद आरहि होगी आप सो जाओ, लेकिन इन को तो देखो ये साहब यहीं गये, भाई उठो अपने रूम मे जाओ भाभी को सोने दो"

प्रीति दीदी ने मुझे उठाना चाहा शायद वो चुदवाना चाहती थी क्योंकि बहुत दिन हो गये थे उन्हे चुदाई किए बगैर लेकिन मैने कोई रिप्लाइ नही किया और वैसे ही पड़ा रहा

कब मैं नही उठा तो भाभी बोली "कोई बात नही सो रहा है तो सोने दो इसे यहीं वैसे भी मैं अकेली हूँ"

भाभी की बात सुनकर मैं खुश हो गया

"अच्छा भाभी कुच्छ चाहिए तो बता दो" भाभी की बात सुनकर प्रीति दीदी बोली

"नही दीदी कुच्छ नही चाहिए बस आप जाओ और सो जाओ रात बहुत ही गई है" भाभी बोली

भाभी की बात सुनकर प्रीति दीदी चली गई और भाभी ने उठ कर गेट लॉक कर दिया और कपड़े चेंज करने लगी मैने थोड़ी सी आँख खोल कर देखा तो भाभी ने पहले कुरती उतारी भाभी के बूब्स ब्रा मे बहुत सेक्सी लग रहे थे फिर भाभी ने दूसरी कुरती उठा कर पहन ली और अपनी सलवार उतार दी लेकिन उनकी कुरती बहुत लंबी थी इसलिए मैं ज़्यादा कुच्छ नही देख पाया......................

फिर भाभी ने सलवार पहनी और ज़ीरो का बल्ब ऑन करके बाकी सब लाइट ऑफ कर दी और बेड पर मेरे पास आकर लेट गई मेरी बॅक भाभी की तरफ थी
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,441,724 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 537,658 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,208,414 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 913,451 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,619,363 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,052,601 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,903,772 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,899,835 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,971,302 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,360 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)