Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:54 PM,
#71
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैंने कहा- बाजी इसको पहले चूस लो।
बाजी ने कहा- नहीं वसीम आज मुझे ऐसे ही चोदो।
यह कह कर बाजी ने ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया। मैंने बाजी को गाण्ड से पकड़ा और बाजी को ऊपर-नीचे करने लगा।
बाजी सिसकारियाँ भरने लगीं ‘आहह.. आअहह वसीम.. तेज़-तेज़ ऊपर-नीचे करो उफफ्फ़.. आहह..’
कुछ देर की चुदाई में बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया.. जिससे लण्ड गीला हो कर तेज़ी से बाजी की चूत में अन्दर-बाहर होने लगा। 
मैंने अपनी पूरी ताक़त से बाजी को स्ट्रोक लगाने शुरु कर दिए और कोई 5 मिनट बाद ही बाजी ने चीख मारी- आअहह आआहह.. वसीम मैं गई..
बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा लण्ड भी बाजी की चूत में पानी छोड़ने लगा। 
बाजी ने कहा- वसीम क्या मस्त लण्ड है तुम्हारा.. इसको और बड़ा करो तो मज़ा आ जाएगा।
मैंने बाजी से कहा- बाजी इसका भी कुछ करते हैं.. अभी आप मेरी पॉकेट से अपने लिए खर्चा लो। 
बाजी ने मेरी पॉकेट में हाथ डाला और उसमें से 200 निकाल लिए और मुझे कहा- इतने बहुत हैं.. थैंक्स वसीम।
यह कहते ही बाजी ने पीछे हो कर लण्ड को चूत से निकाला.. तो बाजी की चूत से हम दोनों की चुदाई का पानी नीचे फर्श पर गिरने लगा। 
मैंने बाजी से कहा- यह तो काम खराब हो गया है।
बाजी ने कहा- तुम मुझे नीचे उतारो और जाओ ऊपर.. अपना जिस्म साफ करो.. इसको मैं देखती हूँ।

मैंने बाजी को नीचे उतारा और ऊपर जा कर वॉशरूम में घुस गया.. नहा-धो कर बाहर आया तो ज़ुबैर उठ गया हुआ था। वो मुझसे पूछने लगा- खैरियत तो है.. आज इस टाइम नहा रहे हो? 
तो मैंने कहा- हाँ यार, थक गया था इसलिए नहाया हूँ।
उसने कहा- रात का क्या प्रोग्राम है?
मैंने कहा- रात को तैयार रहना.. आज बाजी आएंगी।
उसने कहा- ठीक है। 
वो खुश होता हुआ वॉशरूम में चला गया।
मैं बिस्तर पर लेटा और सो गया। 
रात को 9 बजे आँख खुली तो बाजी उठा रही थीं कि खाना खा लो.. मैं ऊपर ही ले आई हूँ.. और ये दूध भी पी लेना।
बाजी ग्लास में दूध भी मेरे पास रख गईं और मुझसे कह गईं कि मैं रात को लेट आऊँगी ताकि अम्मी को शक ना हो और हनी भी सो जाए। 
तो मैंने कहा- बाजी हनी का भी कुछ करो न..
बाजी ने कहा- हो जाएगा.. क्यों जल्दी पड़ी है। 
बाजी नीचे चली गईं।
मैंने खाना खाया और ज़ुबैर से कहा- यार कोई गर्म मूवी तो लगा।
उसने एक ट्रिपल एक्स मूवी लगा दी जो मैंने नहीं देखी थी।
उसमें एक आदमी हॉस्पिटल में नर्स को चोद रहा था, मैंने कहा- ये मूवी कहाँ से आई है?
उसने कहा- मैं बाज़ार से लाया हूँ। 
मैं मूवी देखने लगा.. कुछ देर दोनों ने मूवी देखी तो टाइम करीब साढ़े दस हो गया हुआ था। 
मैं उठा और टाइमिंग वाली टेबलेट निकाली और एक मैंने खुद खाई और एक ज़ुबैर को खिला दी। मैंने उससे कहा- आज बाजी को जम कर चोदना है।
तो उसने कहा- ठीक है भाई। 
अभी हम ये बातें कर ही रहे थे कि दरवाज़ा खुला और बाजी अन्दर आ गईं।
अब हम दोनों बाजी को चोदने की तैयारी में थे।
बाजी आई, रूम लॉक किया और आते ही मेरे साथ चूमा चाटी करनी शुरू कर दी। 
मैंने बाजी को रोका नहीं क्योंकि बाजी ने फिर रोना शुरू कर देना था इसलिए मैंने बाजी को किस करते हुए ही अपनी बांहों में भरा.. और उठा कर बिस्तर पर ले गया। 
बिस्तर पर बैठा कर मैंने बाजी के कपड़े उतारे और अपने कपड़े उतार के ज़ुबैर को इशारा किया कि कपड़े उतार के आ जाओ।
मैंने बाजी को लेटा दिया और खुद बाजी के ऊपर लेट गया। 
अब मैं बाजी को किस करने लगा।
किस करते-करते मैं बाजी के मम्मों पर आ गया और बाजी के मम्मों को चूसने लगा, उनके निप्पलों पर दांतों से काटने लगा।
तो बाजी ने मेरी कमर में नाख़ून मारे और कहा- दर्द देते हो मुझे.. ये लो.. 
उन्होंने मेरी कमर में नाख़ून मार दिए..
तो मैंने अपने मुँह उठा कर बाजी को देखा और नीचे को होता हुआ बाजी की चूत पर आ गया।
आज छोटे भाई की बारी
ज़ुबैर खड़े हुए लण्ड को हाथ में लिए ये सब देख रहा था।
तभी बाजी ने उसे इशारा किया कि ज़ुबैर आओ।
वो आ कर बाजी के मुँह पर बैठ गया तो बाजी उसका लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगीं। 
ज़ुबैर ने एक दफ़ा बड़े मज़े से ‘आहहह.. आअहह..’ किया और आँखें बंद करके बाजी के लण्ड चूसने का मज़ा लेने लगा।
मैंने नीचे पहुँच कर बाजी की चूत पर मुँह रखा और ज़ुबान अन्दर डाल दी।
तभी बाजी ने आह भरी ‘आआहहह.. वसीम और अन्दर करो.. आआहह..’
अब बाजी अपनी चूत को चुसवाते हुए ज़ुबैर के लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, साथ-साथ उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं.. जो बाजी के मुँह में लण्ड होने के कारण दब जाती थीं।
मैंने कुछ मिनट बाजी की चूत को चूसा और ज़ुबैर को कहा- ओए.. अब उस चीज़ का मज़ा लो.. जो सबसे ज्यादा हसीन है.. अपनी इस बहन की..
ज़ुबैर समझ गया और उठ कर बाजी की टांगों के बीच आया और अपना लण्ड हाथ में पकड़ लिया।
उसने मेरी तरफ देखा।
मैंने उससे कहा- डालो। 
तो उसने बाजी के ऊपर झुक कर लण्ड को एक हाथ से बाजी की चूत में पुश किया.. तो लण्ड की टोपी बाजी की चूत में चली गई। 
तभी बाजी की मादक सिसकारी निकली ‘आहाहह..’ और बाजी ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा। 
उन्होंने किसिंग स्टार्ट कर दी.. तो मैं भी बाजी को किस करने लगा।
तभी ज़ुबैर ने ज़ोर का धक्का मारा तो बाजी की चीख निकल गई।
‘आआअहह.. कमीने इंसान.. धीरे कर..’ वो मुझसे कहने लगीं- मैं इसी लिए इसके करीब नहीं आती हूँ.. ये बस मज़ा लेता है.. देता नहीं है.. इसको ज़रा भी नहीं लगता कि मेरी बहन को दर्द होगा.. बस जोर लगाने में लगा हुआ है।
मैंने बाजी से कहा- चलो कोई बात नहीं.. अब वो आराम से करेगा।
मैंने उससे कहा- अब धीरे से अन्दर-बाहर करो। 
उसने कमर को हिला-हिला कर लण्ड को आगे-पीछे करना स्टार्ट कर दिया.. तो बाजी ने मादक सिसकारियाँ लेना चालू कर दीं।
कोई 5 मिनट के धक्कों के बाद ही ज़ुबैर बाजी की चूत में झड़ गया.. तो बाजी ने उससे कहा- निकालना मत.. मैं झड़ने वाली हूँ।
पर ज़ुबैर पानी छोड़ चुका था.. उसने बाजी की चूत से लण्ड निकाल लिया और साइड में लेट गया। 
तो बाजी ने कहा- वसीम कुछ करो.. मेरी आग इस वक्त जोबन पर है।
मैंने उठ कर बाजी की चूत में लण्ड डाला और कमर को आगे-पीछे करके चोदने लगा।

मैंने बाजी से कहा- बाजी कितनी स्पीड से चोदूँ?
तो बाजी ने कहा- वसीम थोड़ा सा तेज़ करो.. मैं बस झड़ने वाली हूँ। 
मैंने कमर की स्पीड तेज़ की और मेरे 5 या 6 धक्कों के बाद ही बाजी ने मुझे धक्का दे कर रोका और तेज़ी से कहा- आआहह.. वसीम मैं गई.. 
बाजी की चूत से एक धार की तरह पानी निकला और बेड पर गिरने लगा। मैंने देखा तो उठ कर बाजी की चूत के सामने आ गया और अपना मुँह खोल लिया। 
तभी बाजी ने एक और धार छोड़ी जो सीधे मेरे मुँह में गई और मैं बाजी के नमकीन पानी को पीता चला गया। 
कुछ पल बाद मैं बाजी के ऊपर लेट गया.. तो बाजी ने कहा- वसीम तुमने क्यों पिया.. वो इतना सारा था.. थोड़े की तो चलो खैर होती है ना..
मैंने कहा- बाजी ये आपके अन्दर से निकला था ना.. तो मैं आपके साथ कैसे दगा करूँ.. जब मैं आपको प्यार करता हूँ.. तो मैं आपकी हर चीज़ खा-पी जाऊँगा। 
इसी के साथ ही मैं बाजी को किस करने लगा और एक हाथ से लण्ड बाजी की चूत में फिर से पेल दिया और बाजी के ऊपर ही लेट कर धक्के लगाने लगा। 
मैंने बाजी को भरपूर चोदा और हम दोनों एक साथ ही झड़े, फिर एक-दूसरे को किस करने लगे। 
कोई बीस मिनट बाद मैंने ज़ुबैर को देखा जो कि अब लण्ड खड़ा कर चुका था।
मैंने उससे कहा- अब डालो बाजी की चूत में.. और ठीक से चोदना.. उनको दर्द ना हो.. 
उसने कहा- ठीक है अब आराम से करूँगा।
अब और वो बाजी की चूत में लण्ड डाल कर बाजी को बड़े आराम से चोदने लगा।
बाजी ने कहा- हाँ ज़ुबैर ऐसे ही..
वो बाजी को चोदने लगा.. तो मैंने अपना लण्ड बाजी के मुँह में डाल दिया और बाजी से कहा- चूसो.. 
बाजी लण्ड चूसने लगीं और साथ ही मजे में कराहने लगीं ‘आआहह.. आआहह.. उफ्फ़..’
बाजी ये सब इतने जोश में कर रही थीं कि कुछ ही मिनट बाद ही बाजी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और ज़ुबैर ने भी बाजी की चूत में ही अपनी छोड़ दिया। 
वो बाजी की टांगों में ही गिर गया.. तो बाजी ने कहा- वसीम अब बस करें.. टाइम काफ़ी हो गया है।
तो मैंने कहा- बाजी यार एक दफ़ा बस वो काम कर लें जहाँ शीशे के आगे जा कर कभी हम लण्ड चूत में डाले बिना ही करते थे और ऐसे लगता था कि लण्ड अन्दर है। पर आज अन्दर डाल कर करेंगे.. फिर उसके बाद आप चली जाना।
बाजी ने कहा- ठीक है चलो। 
मैंने शीशे के आगे जा कर बाजी को घोड़ी बना कर बाजी की चूत में लण्ड डाला और बाजी को धक्के लगाने लगा और शीशे में देखने लगा। बिल्कुल फिल्म की तरह लगता था.. पूरा लण्ड अन्दर-बाहर हो रहा था। 
मैंने बाजी से कहा- बाजी देखो तो सही, क्या मस्त सीन लग रहा है।
बाजी ने अपना मुँह शीशे की तरफ करके देखा तो कहने लगीं- आह्ह.. हाँ वसीम बिल्कुल फिल्म लग रही है.. तुम एक मिनट धक्के लगाना रोको.. 
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11-18-2018, 12:54 PM,
#72
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैंने कहा- बाजी इसको पहले चूस लो।
बाजी ने कहा- नहीं वसीम आज मुझे ऐसे ही चोदो।
यह कह कर बाजी ने ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया। मैंने बाजी को गाण्ड से पकड़ा और बाजी को ऊपर-नीचे करने लगा।
बाजी सिसकारियाँ भरने लगीं ‘आहह.. आअहह वसीम.. तेज़-तेज़ ऊपर-नीचे करो उफफ्फ़.. आहह..’
कुछ देर की चुदाई में बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया.. जिससे लण्ड गीला हो कर तेज़ी से बाजी की चूत में अन्दर-बाहर होने लगा। 
मैंने अपनी पूरी ताक़त से बाजी को स्ट्रोक लगाने शुरु कर दिए और कोई 5 मिनट बाद ही बाजी ने चीख मारी- आअहह आआहह.. वसीम मैं गई..
बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा लण्ड भी बाजी की चूत में पानी छोड़ने लगा। 
बाजी ने कहा- वसीम क्या मस्त लण्ड है तुम्हारा.. इसको और बड़ा करो तो मज़ा आ जाएगा।
मैंने बाजी से कहा- बाजी इसका भी कुछ करते हैं.. अभी आप मेरी पॉकेट से अपने लिए खर्चा लो। 
बाजी ने मेरी पॉकेट में हाथ डाला और उसमें से 200 निकाल लिए और मुझे कहा- इतने बहुत हैं.. थैंक्स वसीम।
यह कहते ही बाजी ने पीछे हो कर लण्ड को चूत से निकाला.. तो बाजी की चूत से हम दोनों की चुदाई का पानी नीचे फर्श पर गिरने लगा। 
मैंने बाजी से कहा- यह तो काम खराब हो गया है।
बाजी ने कहा- तुम मुझे नीचे उतारो और जाओ ऊपर.. अपना जिस्म साफ करो.. इसको मैं देखती हूँ।

मैंने बाजी को नीचे उतारा और ऊपर जा कर वॉशरूम में घुस गया.. नहा-धो कर बाहर आया तो ज़ुबैर उठ गया हुआ था। वो मुझसे पूछने लगा- खैरियत तो है.. आज इस टाइम नहा रहे हो? 
तो मैंने कहा- हाँ यार, थक गया था इसलिए नहाया हूँ।
उसने कहा- रात का क्या प्रोग्राम है?
मैंने कहा- रात को तैयार रहना.. आज बाजी आएंगी।
उसने कहा- ठीक है। 
वो खुश होता हुआ वॉशरूम में चला गया।
मैं बिस्तर पर लेटा और सो गया। 
रात को 9 बजे आँख खुली तो बाजी उठा रही थीं कि खाना खा लो.. मैं ऊपर ही ले आई हूँ.. और ये दूध भी पी लेना।
बाजी ग्लास में दूध भी मेरे पास रख गईं और मुझसे कह गईं कि मैं रात को लेट आऊँगी ताकि अम्मी को शक ना हो और हनी भी सो जाए। 
तो मैंने कहा- बाजी हनी का भी कुछ करो न..
बाजी ने कहा- हो जाएगा.. क्यों जल्दी पड़ी है। 
बाजी नीचे चली गईं।
मैंने खाना खाया और ज़ुबैर से कहा- यार कोई गर्म मूवी तो लगा।
उसने एक ट्रिपल एक्स मूवी लगा दी जो मैंने नहीं देखी थी।
उसमें एक आदमी हॉस्पिटल में नर्स को चोद रहा था, मैंने कहा- ये मूवी कहाँ से आई है?
उसने कहा- मैं बाज़ार से लाया हूँ। 
मैं मूवी देखने लगा.. कुछ देर दोनों ने मूवी देखी तो टाइम करीब साढ़े दस हो गया हुआ था। 
मैं उठा और टाइमिंग वाली टेबलेट निकाली और एक मैंने खुद खाई और एक ज़ुबैर को खिला दी। मैंने उससे कहा- आज बाजी को जम कर चोदना है।
तो उसने कहा- ठीक है भाई। 
अभी हम ये बातें कर ही रहे थे कि दरवाज़ा खुला और बाजी अन्दर आ गईं।
अब हम दोनों बाजी को चोदने की तैयारी में थे।
बाजी आई, रूम लॉक किया और आते ही मेरे साथ चूमा चाटी करनी शुरू कर दी। 
मैंने बाजी को रोका नहीं क्योंकि बाजी ने फिर रोना शुरू कर देना था इसलिए मैंने बाजी को किस करते हुए ही अपनी बांहों में भरा.. और उठा कर बिस्तर पर ले गया। 
बिस्तर पर बैठा कर मैंने बाजी के कपड़े उतारे और अपने कपड़े उतार के ज़ुबैर को इशारा किया कि कपड़े उतार के आ जाओ।
मैंने बाजी को लेटा दिया और खुद बाजी के ऊपर लेट गया। 
अब मैं बाजी को किस करने लगा।
किस करते-करते मैं बाजी के मम्मों पर आ गया और बाजी के मम्मों को चूसने लगा, उनके निप्पलों पर दांतों से काटने लगा।
तो बाजी ने मेरी कमर में नाख़ून मारे और कहा- दर्द देते हो मुझे.. ये लो.. 
उन्होंने मेरी कमर में नाख़ून मार दिए..
तो मैंने अपने मुँह उठा कर बाजी को देखा और नीचे को होता हुआ बाजी की चूत पर आ गया।
आज छोटे भाई की बारी
ज़ुबैर खड़े हुए लण्ड को हाथ में लिए ये सब देख रहा था।
तभी बाजी ने उसे इशारा किया कि ज़ुबैर आओ।
वो आ कर बाजी के मुँह पर बैठ गया तो बाजी उसका लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगीं। 
ज़ुबैर ने एक दफ़ा बड़े मज़े से ‘आहहह.. आअहह..’ किया और आँखें बंद करके बाजी के लण्ड चूसने का मज़ा लेने लगा।
मैंने नीचे पहुँच कर बाजी की चूत पर मुँह रखा और ज़ुबान अन्दर डाल दी।
तभी बाजी ने आह भरी ‘आआहहह.. वसीम और अन्दर करो.. आआहह..’
अब बाजी अपनी चूत को चुसवाते हुए ज़ुबैर के लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, साथ-साथ उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं.. जो बाजी के मुँह में लण्ड होने के कारण दब जाती थीं।
मैंने कुछ मिनट बाजी की चूत को चूसा और ज़ुबैर को कहा- ओए.. अब उस चीज़ का मज़ा लो.. जो सबसे ज्यादा हसीन है.. अपनी इस बहन की..
ज़ुबैर समझ गया और उठ कर बाजी की टांगों के बीच आया और अपना लण्ड हाथ में पकड़ लिया।
उसने मेरी तरफ देखा।
मैंने उससे कहा- डालो। 
तो उसने बाजी के ऊपर झुक कर लण्ड को एक हाथ से बाजी की चूत में पुश किया.. तो लण्ड की टोपी बाजी की चूत में चली गई। 
तभी बाजी की मादक सिसकारी निकली ‘आहाहह..’ और बाजी ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा। 
उन्होंने किसिंग स्टार्ट कर दी.. तो मैं भी बाजी को किस करने लगा।
तभी ज़ुबैर ने ज़ोर का धक्का मारा तो बाजी की चीख निकल गई।
‘आआअहह.. कमीने इंसान.. धीरे कर..’ वो मुझसे कहने लगीं- मैं इसी लिए इसके करीब नहीं आती हूँ.. ये बस मज़ा लेता है.. देता नहीं है.. इसको ज़रा भी नहीं लगता कि मेरी बहन को दर्द होगा.. बस जोर लगाने में लगा हुआ है।
मैंने बाजी से कहा- चलो कोई बात नहीं.. अब वो आराम से करेगा।
मैंने उससे कहा- अब धीरे से अन्दर-बाहर करो। 
उसने कमर को हिला-हिला कर लण्ड को आगे-पीछे करना स्टार्ट कर दिया.. तो बाजी ने मादक सिसकारियाँ लेना चालू कर दीं।
कोई 5 मिनट के धक्कों के बाद ही ज़ुबैर बाजी की चूत में झड़ गया.. तो बाजी ने उससे कहा- निकालना मत.. मैं झड़ने वाली हूँ।
पर ज़ुबैर पानी छोड़ चुका था.. उसने बाजी की चूत से लण्ड निकाल लिया और साइड में लेट गया। 
तो बाजी ने कहा- वसीम कुछ करो.. मेरी आग इस वक्त जोबन पर है।
मैंने उठ कर बाजी की चूत में लण्ड डाला और कमर को आगे-पीछे करके चोदने लगा।

मैंने बाजी से कहा- बाजी कितनी स्पीड से चोदूँ?
तो बाजी ने कहा- वसीम थोड़ा सा तेज़ करो.. मैं बस झड़ने वाली हूँ। 
मैंने कमर की स्पीड तेज़ की और मेरे 5 या 6 धक्कों के बाद ही बाजी ने मुझे धक्का दे कर रोका और तेज़ी से कहा- आआहह.. वसीम मैं गई.. 
बाजी की चूत से एक धार की तरह पानी निकला और बेड पर गिरने लगा। मैंने देखा तो उठ कर बाजी की चूत के सामने आ गया और अपना मुँह खोल लिया। 
तभी बाजी ने एक और धार छोड़ी जो सीधे मेरे मुँह में गई और मैं बाजी के नमकीन पानी को पीता चला गया। 
कुछ पल बाद मैं बाजी के ऊपर लेट गया.. तो बाजी ने कहा- वसीम तुमने क्यों पिया.. वो इतना सारा था.. थोड़े की तो चलो खैर होती है ना..
मैंने कहा- बाजी ये आपके अन्दर से निकला था ना.. तो मैं आपके साथ कैसे दगा करूँ.. जब मैं आपको प्यार करता हूँ.. तो मैं आपकी हर चीज़ खा-पी जाऊँगा। 
इसी के साथ ही मैं बाजी को किस करने लगा और एक हाथ से लण्ड बाजी की चूत में फिर से पेल दिया और बाजी के ऊपर ही लेट कर धक्के लगाने लगा। 
मैंने बाजी को भरपूर चोदा और हम दोनों एक साथ ही झड़े, फिर एक-दूसरे को किस करने लगे। 
कोई बीस मिनट बाद मैंने ज़ुबैर को देखा जो कि अब लण्ड खड़ा कर चुका था।
मैंने उससे कहा- अब डालो बाजी की चूत में.. और ठीक से चोदना.. उनको दर्द ना हो.. 
उसने कहा- ठीक है अब आराम से करूँगा।
अब और वो बाजी की चूत में लण्ड डाल कर बाजी को बड़े आराम से चोदने लगा।
बाजी ने कहा- हाँ ज़ुबैर ऐसे ही..
वो बाजी को चोदने लगा.. तो मैंने अपना लण्ड बाजी के मुँह में डाल दिया और बाजी से कहा- चूसो.. 
बाजी लण्ड चूसने लगीं और साथ ही मजे में कराहने लगीं ‘आआहह.. आआहह.. उफ्फ़..’
बाजी ये सब इतने जोश में कर रही थीं कि कुछ ही मिनट बाद ही बाजी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और ज़ुबैर ने भी बाजी की चूत में ही अपनी छोड़ दिया। 
वो बाजी की टांगों में ही गिर गया.. तो बाजी ने कहा- वसीम अब बस करें.. टाइम काफ़ी हो गया है।
तो मैंने कहा- बाजी यार एक दफ़ा बस वो काम कर लें जहाँ शीशे के आगे जा कर कभी हम लण्ड चूत में डाले बिना ही करते थे और ऐसे लगता था कि लण्ड अन्दर है। पर आज अन्दर डाल कर करेंगे.. फिर उसके बाद आप चली जाना।
बाजी ने कहा- ठीक है चलो। 
मैंने शीशे के आगे जा कर बाजी को घोड़ी बना कर बाजी की चूत में लण्ड डाला और बाजी को धक्के लगाने लगा और शीशे में देखने लगा। बिल्कुल फिल्म की तरह लगता था.. पूरा लण्ड अन्दर-बाहर हो रहा था। 
मैंने बाजी से कहा- बाजी देखो तो सही, क्या मस्त सीन लग रहा है।
बाजी ने अपना मुँह शीशे की तरफ करके देखा तो कहने लगीं- आह्ह.. हाँ वसीम बिल्कुल फिल्म लग रही है.. तुम एक मिनट धक्के लगाना रोको.. 
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11-18-2018, 12:54 PM,
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RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैं रुक गया.. तो बाजी ने खुद अपनी गांड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया।
कोई 5 मिनट ऐसे करने के बाद मैंने बाजी से कहा- चलो बाजी अब आप चली जाओ..
बाजी ने कहा- अब गरम करके ऐसे ही भेजोगे क्या?
बाजी से मैंने कहा- लो अभी ठंडा कर देता हूँ। 
मैंने बाजी की कमर को पकड़ा और धक्के लगाने लगा। बाजी की सिसकारियाँ निकलीं- आहह.. आआहह.. वसीम थोड़ा सा ज़ोर से लगाना.. आआहह.. मैं झड़ने वाली हूँ आआहह..
तब मैंने कहा- बाजी बस समझो मैं भी गया।
मैंने अपने पूरे ज़ोर से बाजी को तीन-चार धक्के मारे और बाजी की चूत में झड़ने लगा। मेरे मुँह से तेज आवाज़ निकली ‘आआअहह..’ और मेरा पानी बाजी की चूत में गिरने लगा। 
पानी के गिरते ही बाजी ने भी मादक आवाज खारिज की- आह्ह.. वसीम मैं भी गई.. 
बाजी की चूत ने पानी छोड़ दिया और हम ज़मीन पर गिर गए।
मैं इसी तरह 5 मिनट बाजी के ऊपर पड़ा रहा। 
फिर बाजी ने मुझसे कहा- उठो अब.. मैं जाऊँ।
उन्होंने उठ कर अपने कपड़े पहने.. मुझे भी पहनाए और नीचे चली गईं। 
मैंने भी कमरे को बंद किया और बिस्तर पर देखा तो ज़ुबैर वहीं पड़ा हुआ सो चुका था। मैं भी बिस्तर पर गिरते ही सो गया।
सुबह आँख खुली तो कॉलेज जाने का टाइम हो रहा था।
मैं फ्रेश होकर नीचे गया तो ज़ुबैर और बाजी नाश्ता कर रहे थे। मैंने भी उनके साथ बैठ के नाश्ता किया और अपने कॉलेज के लिए निकल गया।
जल्दी में होने की वजह से बाजी से कोई बात नहीं हो सकी.. बाजी भी यूनिवर्सिटी चली गईं।
वापसी पर मुझे दुकान पर भी जाना था इसलिए दिल को तसल्ली दे कर आराम से बैठा दिया कि जो भी होगा.. अब रात को ही होगा।
सारा दिन कॉलेज की पढ़ाई और दुकान के काम में निकाला और रात को 8 बजे घर पहुँचा तो सब अपने-अपने कामों में मगन थे।
मैं कमरे में गया और नहा कर नीचे आ कर टीवी देखने लगा।
कुछ देर बाद ही अब्बू भी आ गए और सीधा अपने कमरे में चले गए।
ज़ुबैर और हनी भी मेरे पास आकर टीवी देखने लग गए।
बाजी को हमारे कमरे में सोने की इजाजत
मैं बाजी का वेट कर रहा था.. पर वो अभी भी किचन के काम में ही लगी हुईं थीं। इसी के साथ मैं यह सोच रहा था कि ऐसा कौन सा बहाना बनाऊँ कि बाजी को रात को ऊपर रहने की इजाज़त मिल जाए।
मैं अभी सोच ही रहा था कि पापा अपने कमरे से निकले और सीधा मेरे पास आकर बैठ गए।
मैंने सलाम किया और कुछ देर दुकान की बातें करता रहा..
फिर मैंने ज़ुबैर की पढ़ाई की बात छेड़ी कि इसे एक्स्ट्रा टाइम की ज़रूरत है।
पहले तो अब्बू चुप रहे फिर वही बोले जो मैं चाहता था।
अब्बू ने ज़ुबैर से पूछा कि क्या ऐसी बात है.. तो उसने एक नज़र गुस्से से मुझे देखा और फिर ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
उसके बाद पापा ने सेम वैसे ही किया.. जो मैंने सोचा था। 
अब्बू ने बाजी को आवाज़ दी और बाहर बुला कर कहा- अब से तुम रात को ज़ुबैर को पढ़ाया करोगी.. जितनी देर इसका काम कवर नहीं हो जाता और ये रात को तुम्हारे पास ही सोएगा। 
अब्बू के मुँह से यह सुनते ही मैंने सोचा कि यह तो काम खराब हो गया है.. पर मैंने अब्बू से कहा- ऐसे तो ये हनी को तंग करेगा.. मैं भी तो रात को पढ़ता हूँ.. आप बाजी को इजाज़त दे दो कि ऊपर जा कर पढ़ा दिया करेंगी और वहीं सो जाया करेंगी.. इससे मेरी भी पढ़ाई में हेल्प हो जाया करेगी। 
तो अब्बू बोले- हाँ ये भी ठीक है.. आज से तुम ऊपर एक कमरे में सोया करना और इसका काम ध्यान से कवर करवाओ।
यह सुनते ही मैं खुशी से दिल ही दिल में उछल पड़ा और बाजी को आँख मारी.. तो बाजी ने मुझे गुस्से से आँखें निकाल कर देखा और किचन में चली गईं।
अब मुझे दूसरा काम जो करना था कि हनी को भी अपने साथ मिलाना था। 
मैं इस तरकीब में लग गया कि हनी को किस तरह गर्म करूँ.. एक बार वो गर्म हो जाए.. तो उसको शीशे में उतारना आसान हो सकता है।
अभी मैं यही सोच रहा था कि हनी ने मुझसे पूछा- भाईजान मुझे आपके कंप्यूटर पर शाम को दस मिनट का काम करना है.. क्या मैं कर सकती हूँ?
मैंने जवाब दिया- हाँ कर लेना, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
उसके इस सवाल ने मेरे दिमाग की बत्ती जला दी। मैं अपने कमरे में गया और कम्प्यूटर पर एक ट्रिपल एक्स मूवी लगा आया और एक बुक ले कर नीचे आ गया।
मुझे हनी की चूत बेसब्र किए थी।
नीचे सोफे पर बैठ कर मैंने हनी को कहा- मैं ऊपर टेबल पर अपना एक पैकेट भूल आया हूँ.. जब तुम अपना काम करने जाओ तो लेती आना।
‘जी.. भाई जान..’
यह मैं रिस्की काम करने जा रहा था.. पर मुझे शक था कि हनी भी सेक्स के बारे में अब ये सब जानती है और उसकी भी इन सब में रूचि है।
मैंने हनी को ऊपर भेजा था, उसको कम्प्यूटर पर अपना काम करना था।
वही हुआ.. हनी मेरा सामान ले कर जल्दी नीचे नहीं आई.. अपना काम वहीं बैठ कर मूवी देखने लग गई।
मैंने दस मिनट निकाले और किचन में गया और बाजी को कहा- बाजी 5 मिनट बाद ऊपर आना आपसे जरूरी काम है। 
मैं सीधा सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर चला गया। कमरे का दरवाज़ा खुला था। मैं दबे पाँव अन्दर कदम रखा और आराम से अन्दर दाखिल हुआ। 
हनी चेयर पर बैठी मूवी देख रही थी और उसका एक हाथ उसकी चूत पर था।
वो एकदम हैरान हो कर ये सब देख रही थी।
मैं ऐसे ही उसके करीब जाने लगा।
मैं उससे चंद कदम पीछे ही था कि उसने मुझे देखा और चेयर से उठ गई।
मैंने एक्टिंग करते हुए गुस्से से उसकी तरफ देखा और कहा- ये तुम क्या कर रही थी.. मैंने तुम्हें कुछ लेने भेजा था।
घबराहट की वजह से हनी के मुँह से चाहते हुए भी कुछ नहीं निकल सका। 
मैंने उसे डांटा- तुम्हें शर्म नहीं आती।
तो वो बोली- भाई ये पहले से चल रही थी.. आप प्लीज़ किसी को मत बताना।
मैंने उससे कहा- तुम्हारी शिकायत तो करनी ही पड़ेगी अब्बू से.. 
वो घिघियाते हुए बोली- भाई प्लीज़ कसम से.. ये पहले से चल रही थी.. आप प्लीज़ किसी को मत बताना।
मैंने उससे कहा- एक शर्त पर नहीं बताऊँगा।
तो बोली- कैसी शर्त? 
मैंने उससे कहा- तुम अभी बैठ कर ये मूवी मेरे सामने देखो।
वो बोली- नहीं भाई यह गलत है.. मुझे ये सब नहीं करना।
तो मैंने कहा- ओके.. तो मैं अब्बू को बता देता हूँ। 
वो रोने लग गई- प्लीज़ मत बताना भाई.. मुझे मार पड़ेगी प्लीज़ भाई।
मैंने कहा- फिर मेरे सामने बैठ कर मूवी देखो।
तो वो रोते हुए बोली- ओके देखती हूँ।
अब वो वापिस चेयर पर बैठ के मूवी देखने लगी।
मैं भी उसके पास ही चेयर पर बैठ गया और उससे पूछा- पहले कभी देखी है?
तो उसने कहा- नहीं बस दोस्तों से सुना है कि ऐसे लड़का और लड़की करते हैं।
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11-18-2018, 12:54 PM,
#74
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
दो मिनट बाद ही उसका हाथ उसकी चूत पर चला गया। मैंने उसका हाथ उसकी चूत पर देखा.. तो मैंने अपना हाथ उसके हाथ वाले हाथ पर रखा। 
उसने हाथ उठाने की कोशिश की.. पर मैंने अपने हाथ से उसका हाथ वहीं चूत पर दबा दिया। 
वो बोली- भाई ये क्या कर रहे हो.. ये ग़लत है.. कोई आ जाएगा।
तो मैंने कहा- कोई नहीं आएगा.. तुम चुप रहो। 
बस मैंने उसका हाथ ढीला किया.. तो उसने अपना हाथ खींच लिया.. पर मैंने अपना हाथ उसकी चूत से नहीं उठाया और ऐसे उसकी चूत को सलवार के ऊपर से ही सहलाने लगा। 
हनी घबराई हुई बैठी थी और उसके होंठों से एक सेक्स से लबरेज सिसकारी ‘यसस्स.. सीईस्स..’ की हल्की-हल्की आवाज़ में आ रही थी। 
अभी ये सब चल ही रहा था कि तभी बाजी ने मुझे आवाज दी- वसीम क्या बात है.. क्यों बुलाया है? 
यह कहते हुए बाजी कमरे में दाखिल हुईं और फिर खामोश हो गईं।
हनी ने बाजी को देखा तो खड़ी हो गई और रोने लगी। 
तो बाजी ने मुझसे पूछा- ये क्या है वसीम?
मैंने बताया- मैंने अपना काम कर दिया है अब बाकी आपको संभालना है।
यह कह कर मैं कमरे से बाहर निकल गया।
मैं जाते-जाते कमरे का दरवाज़ा बंद करके नीचे चला गया और अब्बू के पास बैठ गया। 
अब्बू ने बताया- मैं और तुम्हारी अम्मी कल आउट ऑफ सिटी जा रहे हैं.. रिश्तेदारी में शादी है और उन्होंने बुलाया है.. हालांकि उन्होंने बच्चों को भी बुलाया है.. तो क्या तुम लोग भी चलोगे?
‘नहीं..’ मैंने अब्बू से कहा- मेरे और बाजी के कॉलेज और यूनिवर्सिटी का मसला है और आप ज़ुबैर और हनी से पूछ लो उनका क्या प्रोग्राम है।
अब्बू ने कहा- ठीक है.. उनको बुलाओ ज़रा। 
मैंने हनी और ज़ुबैर को आवाज़ दी।
ज़ुबैर से अब्बू ने पूछा तो उसने कहा कि वो फ्री है.. उसे बस बकाया काम कवर करना रह गया है।
तो अब्बू ने कहा- ठीक है तुम हमारे साथ चलो.. बकाया काम बाद में आके कर लेना.. बस 3 दिन ही लगेंगे।
तो ज़ुबैर ने कोई जवाब नहीं दिया और मुँह बना कर बैठ गया।
तभी बाजी और हनी ऊपर से आईं। अब्बू ने हनी से पूछा.. तो वो कुछ नहीं बोली।
बाजी ने कहा- अब्बू आप दोनों अकेले ही चले जाओ.. इन दोनों को रहने दो.. इनकी स्टडी का नुकसान होगा.. घर रहेंगे तो इनका काम भी ठीक हो जाएगा। 
अब्बू ने कहा- ये बात भी ठीक है.. फिर ऐसे करो तुम लोग घर रहो और हम दोनों ही हो आएंगे।
बाजी बोलीं- हाँ अब्बू, हनी का काम भी काफ़ी पीछे चल रहा है.. तो हम दोनों ही ऊपर भाई के कमरे में शिफ्ट हो जाते हैं इकट्ठे पढ़ लिया करेंगे।
अब्बू ने कहा- ठीक है.. सुबह तुम दोनों भी अपना सामान ऊपर शिफ्ट कर लेना।
अब्बू के साथ बात खत्म करके बाजी ने मुझे आँख मारी और किचन में चली गईं। 
मैं बाजी का इशारा समझ गया कि बाजी ने हनी को मना लिया है इसी लिए उन्होंने ज़ुबैर और हनी को जाने नहीं दिया। 
उसके बाद सबने रात का खाना खाया और अब्बू और अम्मी अपने रूम में चले गए। 
मैंने बाजी को कहा- आप इन सबको कमरे में लेकर जाओ.. मैं अब्बू को बता कर आता हूँ कि हम पढ़ने जा रहे हैं।
मैंने अब्बू का रूम नॉक करके आवाज़ दी कि अब्बू हम सब ऊपर जा रहे हैं.. पढ़ कर वहीं सो जाएंगे।
अब्बू ने कहा- ठीक है लाइट्स ऑफ कर दो।
मैंने लाइट्स बंद की और ऊपर कमरे में चला गया।
मैंने कमरे में दाखिल होते ही दरवाजा बंद किया और देखा तो बाजी हनी को चेयर पर बैठा कर कुछ समझा रही थीं और ज़ुबैर बिस्तर पर बैठा लण्ड को सहला रहा था।
मैंने बाजी को आवाज़ दी तो बाजी ने मुझे बैठने का इशारा किया और दो मिनट बाद मेरे पास आ कर बैठ गईं। 
बाजी ने मुझे बताया- मैंने हनी को सब समझा दिया है और वो तैयार है.. उसने मुझे बताया है कि वो अपनी सहेलियों से ये सब सुन चुकी है।
तो मैंने बाजी से कहा- फिर आप बताओ हनी की सील मैं तोडूं या ज़ुबैर?
बाजी ने कहा- वसीम तुम हनी के ग्रुप में अन्दर आ जाने की वजह से मुझे अधूरा तो नहीं छोड़ दोगे?
मैं बोला- बाजी मैं आपके साथ ऐसा क्यों करूँगा.. असल मज़ा तो मुझे बस आपने दिया है। 
तो बाजी बोलीं- फिर तुम इसकी सील ज़ुबैर को तोड़ने दो.. उसके बाद बेशक तुम इसे जितना मर्ज़ी चाहो चोद लेना।
मैंने कहा- ठीक है.. जैसे आप कहो। 
बाजी ने हनी को इशारा किया कि बिस्तर पर आ जाओ और ज़ुबैर को कहा- जैसे वसीम मुझे शुरू से लेकर एंड तक चोदता है.. वैसे ही तुम हनी के साथ करो.. पर ये जेहन में रखना कि अभी इसका परदा नहीं फटा है.. थोड़ा आराम से करना। 
ज़ुबैर ने ‘ओके’ कहा और हनी को पकड़ कर अपनी तरफ किया।
वो बिल्कुल खामोश बैठी थी। 
छोटी बहन का नंगा बदन
ज़ुबैर ने हनी को अपने पास बैठा कर उसकी कमीज़ उतार कर साइड में रख दी।

मैंने देखा कि हनी का जिस्म बहुत पतला था उसके चूचे बिल्कुल छोटे थे.. तकरीबन 28 साइज़ के होंगे।
उसका जिस्म बाजी की तरह ही गोरा था और बिल्कुल साफ कमीज़ के नीचे हनी ने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी। उसके छोटे-छोटे चीकू जैसे दूध के उभार कमाल का नज़ारा दे रहे थे।
उसके बूब्स देख कर मेरे लण्ड ने भी हरकत की..
बाजी भी बिस्तर पर बैठ कर उन दोनों को देख रही थीं।
अचानक बाजी ने मुड़ के मेरी तरफ देखा तो मेरे लण्ड को उठता हुआ देख कर मुस्करा कर बोलीं- उठ गया है तुम्हारा भी..
तो मैंने कहा- क्या करूँ.. दोनों इतनी गर्म बहनें जो हैं।
बाजी वहाँ से उठ कर मेरे पास मेरी गोद में बैठ गईं।
मैंने बाजी से कहा- बाजी हनी भी सेम आपकी तरह ही है.. उसका जिस्म भी आपके जैसा है।
बाजी बोलीं- हाँ ये तो है। 
फिर हम दोनों खामोश हो गए और ज़ुबैर और हनी को देखने लगे। 
ज़ुबैर ने हनी की सलवार भी उतार दी हनी का जिस्म अभी बिल्कुल नाज़ुक था। ज़ुबैर ने हनी को लेटाया और उसकी टाँगें खोलीं तो हनी की चूत नज़र आई.. जो बिल्कुल साफ थी। ऐसे लग रहा था जैसे आज ही साफ की हो।
ज़ुबैर अभी चूत को चूसने ही लगा था कि बाजी ने आवाज़ दी- क्या हो गया है तुम्हें.. ऐसे करते हैं सेक्स? अकल से काम लो थोड़ा किस से शुरु करो। 
तो ज़ुबैर ने अपना मुँह उठाया और उठ कर ऊपर हो गया तभी मेरे लण्ड ने एक और झटका मारा जो कि बाजी को फील हुआ। 
बाजी ने मेरी तरफ देखा और अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया।
मेरा लण्ड फुल तना हुआ था.. बाजी ने मेरी तरफ देखा और लण्ड को छोड़ कर खड़ी हो गईं। 
उन्होंने मुझसे कहा- उठो.. 
मैं उठ गया तो बाजी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे भी बिस्तर पर ले गईं।
वे ज़ुबैर से कहने लगीं- ध्यान से देखो अब वसीम जैसे-जैसे मेरे साथ करता है.. तुम भी हनी के साथ वैसे ही करो।
बाजी ने अब मुझसे कहा- भाई चालू करो। 
मैंने बाजी की कमीज़ पकड़ी और ऊपर को खींचते हुए उतार के साइड पर फेंक दी।
बाजी ने नीचे सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी, बाजी का जिस्म देख कर मेरा वही पहले वाला हाल होने लगा।
मैंने बाजी को बाजू से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और बाजी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमा चाटी करने लगा।
ज़ुबैर ने मुझे किसिंग करते देखा तो उसने भी हनी के होंठों पर होंठ रख दिए और उसको किस करने लगा।
मैंने किस करते-करते बाजी को बिस्तर पर लेटाया और एक मिनट के लिए होंठ अलग किया और बाजी की सलवार को खींच कर उतार दी और अपने लण्ड को बाजी की चूत के ऊपर रख कर बाजी के ऊपर लेट गया।
अब मैंने दोबारा चूमना चाटना शुरू कर दिया।
मेरा लण्ड बाजी की चूत पर दबाव डाल रहा था और बाजी पूरे मज़े से मेरे बाल खींच रही थीं।
मैं बाजी को पूरे दस मिनट तक किस करता रहा।
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11-18-2018, 12:55 PM,
#75
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
दस मिनट बाद हमने ज़ुबैर और हनी को देखा तो वो दोनों आँखें बंद किए किस कर रहे थे।
मैंने ज़ुबैर को आवाज़ दी और साथ ही बाजी के बूब्स पर आ गया।
ज़ुबैर भी मुझे देख कर हनी के बूब्स पर आ गया और उसके निप्पल को मुँह में डाल कर चूसने लगा।
हनी के मुँह से सीत्कार फूट पड़ी- ओह.. अम्मीईईईं.. उईई..
हनी की चूत का खेल शुरू हो गया था।
हनी की मादक आवाजें आने लगीं और उसने अपने दोनों हाथ ज़ुबैर के सर पर रखे और अपने बूब्स पर दबाने लगी।
मैंने उनसे नज़रें हटाईं और बाजी को देखा तो बाजी ने अपने बूब्स की तरफ इशारा किया और चूसने को कहा। 
मैंने बाजी का इशारा समझा और बाजी के बूब्स को हाथ में पकड़ कर मुँह में कभी एक निप्पल को चूसता तो कभी दूसरे को चूसता।
बाजी पूरे मज़े में आ रही थीं और मादक आवाज़ें निकाल रही थीं। 
बहन की चूत चटाई
मैं कुछ मिनट बाजी के बूब्स चूसता रहा फिर मैंने अपने मुँह उठाया और बाजी की चूत पर चला गया। अब मैंने अपना मुँह बाजी की टाँगों के अन्दर रख कर बाजी की चूत को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। 
मेरी ज़ुबान चूत के अन्दर गई.. तो बाजी ने ‘आआहह.. आआअहह..’ की तेज आवाज़ निकाली.. जिससे ज़ुबैर और हनी हमारी तरफ देखने लगे। 
ज़ुबैर ने मुझे देखा तो वो भी उठ कर चूत पर आ गया और हनी को कहने लगा- अब तुझे मज़ा आएगा।
यह कह कर उसने अपना मुँह हनी की चूत पर रख दिया और ज़ुबान फेरने लगा।
हनी ने अपनी चूत पर ज़ुबान का एहसास महसूस करते ही अपने जिस्म को अकड़ाना शुरू कर दिया और टाँगें सिकोड़ लीं.. पर ज़ुबैर नहीं हटा और वो चूत को चूसता रहा। 
कुछ देर हनी की चूत को चूसने के बाद ज़ुबैर ने अपनी ज़ुबान हनी की चूत के अन्दर की.. जिससे हनी की चीख निकली- आआहह..’
तो बाजी ने ज़ुबैर से कहा- आराम से करो यार..
पर ज़ुबैर नहीं हटा और ऐसे ही हनी की चूत को चूसता रहा और हनी आहें भरती रही- आहह आआहह.. आअहह..
इसी के साथ-साथ वो अपने हाथ बिस्तर पर मारती जाती थी।
मैंने भी बाजी की चूत को दोबारा चूसने शुरू कर दिया और ज़ुबान अन्दर करके बाजी की चूत को चोदने लगा। 
बाजी मज़े से मेरा सर दबाने लगीं- हमम्म्म.. आआहह.. वसीम.. मेरे सरताज मजा आ गया.. आह्ह..
वो मेरे सर को अपने हाथों से चूत पर दबाने लगीं।
बहन ने लंड चूसा
मैंने कोई 5 मिनट ऐसे ही चूत को चूसा और फिर अपना मुँह उठा कर बाजी से कहा- बाजी मेरे लण्ड को चूसो.. फिर आपकी चुदाई शुरू करनी है।
बाजी उठीं और उन्होंने हनी को भी आवाज़ दी और उससे कहा- उठ कर जैसे मैं करती हूँ.. वैसे करो।
मेरा लण्ड बाजी ने हाथ में पकड़ा और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर मेरे लण्ड पर फेरने लगीं। 
बाजी ने जैसे ही अपनी ज़ुबान मेरे लण्ड पर लगाई.. तो मेरे जिस्म में जैसे करेंट दौड़ गया हो। मैंने एक लंबी सांस ली और सर को पीछे को करके लण्ड चुसवाने लगा। 
तभी हनी ने भी ज़ुबैर का लण्ड हाथ में पकड़ा और अपनी ज़ुबान उस पर फेरने लगी। ज़ुबैर ने भी ‘आहह..’ की आवाज़ के साथ अपने हाथ हनी के सर पर रख दिए और उसके बालों में हाथ फेरने लगा। 
मैं देख कर हैरान था कि हनी ये सब कैसे आसानी से करती जा रही है। शायद ये सब आजकल की लण्ड चूसने वाली ब्लू-फिल्मों का असर था। 
बाजी ने दो मिनट मेरा लण्ड चूसा और फिर लण्ड को मुँह से बाहर निकाल कर बोलीं- वसीम अब रहा नहीं जा रहा.. अब इसे मेरी चूत के अन्दर पेल दो।
मैंने कहा- ठीक.. 
मैंने बाजी को बेड पर लेटा दिया.. लण्ड को हाथ में पकड़ा।
तो बाजी बोलीं- वसीम पहले ज़ुबैर का लण्ड हनी के अन्दर डलवा दो.. वरना ये खुद उसे बहुत दर्द देगा। 
छोटी बहन की चूत में पहला लंड
तो मैंने ज़ुबैर से कहा- अपना लण्ड आराम से अन्दर डालो.. ज़रा सा भी ज़ोर मत लगाना।
तो उसने कहा- ओके। 
उसने हनी को पीछे की तरफ सीधा लेटाकर अपना लण्ड हाथ में पकड़ा और हनी की टाँगें खोल कर उसकी चूत के सुराख पर रख दिया.. पर लण्ड को हाथ से नहीं छोड़ा और हाथ से ही अन्दर हल्का सा दबाया।
अभी लण्ड की टोपी अन्दर नहीं गई थी कि हनी घबरा गई और कहने लगी- बाजी मुझे दर्द होगा प्लीज़ ना डलवाओ..
तो मैंने उससे कहा- कुछ नहीं होगा तुम डरो मत..
मैंने ज़ुबैर से कहा- थोड़ा और अन्दर करो। 
इस दफ़ा ज़ुबैर ने हाथ लण्ड पकड़ कर थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो लण्ड की टोपी हनी की चूत में चली गई।
अभी टोपी ही अन्दर गई ही थी कि हनी की चीख निकली- आआहह अम्मी.. बाहर निकाल दो प्लीज़..
पर उसने ना तो अपनी टाँगें हिलाईं और ना ही हाथों से ज़ुबैर को पीछे किया। उसने बस रोना चालू कर दिया था.. तो बाजी ने ज़ुबैर से कहा- तुम और अन्दर मत करना.. बस यहीं पर रुक कर आगे-पीछे करो।
ज़ुबैर ने वहीं आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड को आगे-पीछे करना चालू कर दिया.. पर हनी के मुँह से ‘आहह.. आआहह..’ की आवाज़ आ रही थी।
ज़ुबैर वहीं आगे-पीछे हो रहा था तभी बाजी ने ज़ुबैर से कहा- ज़ुबैर अगर आधा करीब अन्दर चला गया हो तो आज के दिन लण्ड इससे ज्यादा अन्दर ना करना.. हनी को टाइम दो.. आज उसका पहला दिन है.. वो घबराई हुई है।
तो ज़ुबैर ने कहा- ठीक है बाजी.. नहीं करता।
अब बाजी ने मुझे हिलाया और बोलीं- वसीम डालो ना अन्दर।
मैंने अपना लण्ड जो कि मैंने पहले ही हाथ में पकड़ा हुआ था, बाजी की चूत के सुराख पर रखा और एक ही तेज़ झटके से बाजी की चूत के अन्दर कर दिया।
लण्ड बाजी की चूत के अन्दर गया.. तो बाजी ने आँखें बंद कर लीं और मेरी कमर को पकड़ कर रोक दिया। मैं भी वहीं रुक गया।
बाजी बोलीं- वसीम दर्द हो रहा है.. शायद लण्ड सूख गया था।
तो मैंने कहा- बाजी, अभी ठीक हो जाएगा। 
यह कहते हुए मैंने अपनी कमर को आहिस्ता-आहिस्ता हिलना चालू कर दिया और आराम से बाजी की चूत को चोदने लगा। 
बाजी के मुँह से ‘आआहह आआअहह.. आआहह आअहह..’ की आवाज़ आ रही थी। कुछ मिनट बाद ही बाजी ने नीचे से अपनी गाण्ड को हिलाना चालू कर दिया.. तो मैं समझ गया कि बाजी का दर्द कम हो गया है।
अब मैंने तेज़ी से अपने लण्ड को बाजी की चूत के अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया। 
बाजी भी मेरा साथ दे रही थीं और मज़े से ‘ऊऊओह.. ऊऊहह..’ की आवाज़ें निकाल रही थीं। 
मैं ऐसे ही धक्के मारते हुए बाजी के ऊपर झुक कर बाजी को किस करने लगा। मैंने बाजी को 5 मिनट तक इसी पोज़ में चोदा और 5 मिनट बाद लण्ड बाहर निकाल कर खड़ा हो गया।
मैंने बाजी को भी बिस्तर से उठा कर खड़ा कर दिया।
बाजी बोलीं- क्या हुआ है?
तो मैंने कहा- बाजी आज एक न्यू पोज़ ट्राई करते हैं।
मैंने बाजी का मुँह अपने मुँह के सामने किया.. बाजी की सीधी टांग को ऊपर उठाया और अपनी कमर के साथ रख कर अपने दूसरे हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर बाजी की चूत में पेल दिया। बाजी की हाइट मेरे जितनी थी.. इसलिए लण्ड सीधा बाजी की चूत में चला गया। 
अब मैंने बाजी की चूत में धक्के मारने चालू कर दिए। 
मैंने ऐसे खड़े-खड़े ही बाजी को कुछ मिनट तक चोदा.. तभी बाजी ने मुझसे कहा- वसीम मैं छूटने वाली हूँ.. रुकना मत।
अब बाजी की आवाज़ में तेज़ी आ गई- उफफ्फ़ वसीम.. मैं गई.. ऊऊहह..
इसी के साथ ही बाजी ने पानी छोड़ दिया।
मैं भी अपनी मंज़िल के नज़दीक था। मैंने दो झटके और मारे और बाजी की चूत में धारें मारने लगा। 
हम दोनों ऐसे ही खड़े थे तभी अचानक ज़ुबैर की आवाज़ आई ‘आआअहह..’
उसके लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया था। सारा पानी हनी की चूत में छोड़ दिया था जो कि थोड़ा-थोड़ा करके बाहर आ गया और बिस्तर पर गिर गया।
हम चारों बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे।
बाजी ने हनी से पूछा.. तो उसने कहा- बहुत दर्द हो रहा है। 
इसी तरह बातें करते करते हम सो गए।
जब सुबह आँख खुली तो टाइम साढ़े 6 के करीब हो रहा था। हम सब ऐसे ही कपड़ों के बिना लेटे हुए थे। मैंने सब को उठाया और कपड़े पहनने को कहा। मैंने खुद भी मुँह हाथ धोकर कपड़े पहने और बाजी को नीचे आने का कह कर मैं भी नीचे चला गया। 
मैं टीवी लाउन्ज में पहुँचा तो अम्मी नाश्ता बना रही थीं और अब्बू टीवी देख रहे थे।
वो दोनों नाश्ते के फ़ौरन बाद निकलने के लिए तैयार थे।
मुझे बैठे हुए अभी 5 मिनट ही हुए थे कि बाजी भी नीचे आ गईं और सीधा किचन में चली गईं।
अब्बू ने मुझसे कहा- जाओ उन दोनों को भी उठा कर लाओ.. उनके स्कूल का टाइम हो रहा है। 
मैंने ज़ुबैर को आवाज़ दी कि उठ जाओ.. तो उसने कहा- हम तैयार हो कर आ रहे हैं। 
मैं दोबारा वहीं सोफे पर बैठ गया।
बाजी ने नाश्ता लगाना चालू किया।
अब्बू ने बाजी से कहा- तुम आज यूनिवर्सिटी मत जाना.. घर को खाली नहीं छोड़ना और वसीम तुम याद से कॉलेज से दुकान पर चले जाना।
तो मैंने कहा- जी अब्बू.. 
मैं नाश्ता करने लगा।
सबने नाश्ता किया और ज़ुबैर और हनी तैयार हो कर बाहर निकल गए।
मैंने सोचा कि पीछे से बाजी अकेली होंगी तो कॉलेज जा कर क्या करना है। 
मैं नाश्ता करके उठा और बाजी के पीछे किचन में गया और बाजी के पास खड़े हो कर कहा- बाजी अम्मी-अब्बू के जाते ही मैं वापिस आ जाऊँगा। 
बाजी ने कहा- वसीम ध्यान से.. अब्बू को शक न हो।
मैंने कहा- आप फ़िक्र मत करो.. मैं बाइक साथ ले जा रहा हूँ। 
यह कह कर मैं घर से निकल गया और सीधा पास ही एक मेडिकल स्टोर पर चला गया।
वहाँ से आई-पिल और टाइमिंग वाली गोलियाँ लीं और उस आदमी के साथ ही खड़े होकर बातें करने लगा।
कोई 15 मिनट गुज़रने के बाद मैंने सोचा कि अब घर चलना चाहिए.. क्योंकि अम्मी-अब्बू निकलने के लिए बस रेडी ही थे.. अब तक चले गए होंगे। 
मैं वहाँ से निकला और सीधा घर चला गया। मैंने दरवाज़ा खोला और अन्दर दाखिल हो कर देखा और चैन की सांस ली कि गाड़ी नहीं थी.. मतलब अब्बू चले गए हुए थे। 
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11-18-2018, 12:55 PM,
#76
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैं सीधा टीवी लाउन्ज में गया.. तो वहाँ कोई नहीं था। आपी किचन में काम कर रही थीं। मैंने आपी को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया.. जिससे आपी एकदम चौंक गईं और मुझे डाँटने लगीं- शर्म करो तुमने तो मुझे डरा ही दिया है। 
मैंने कहा- आपी छोड़ो ना ये काम.. बाद में करना.. चलो ना पहले कुछ और करते हैं.. आज तो घर भी कोई नहीं है। आज सारा दिन मेरे साथ गुजारो ना!
तो आपी बोलीं- वसीम बस दस मिनट और तुम बाहर बैठो.. मैं ये काम ख़त्म करके आती हूँ.. वरना सारा दिन पड़ा रहेगा।
मैंने कहा- ओके.. पर मैं बाहर नहीं जा रहा हूँ.. यहीं आपके पास खड़ा रहता हूँ। 
आपी ने कहा- तुम खड़े ना रहो.. रात को दूध नहीं पिया था हमने.. खुद भी पियो और मुझे भी पिलाओ।
मैंने कहा- ओके और दूध फ्रिज से निकाला और आपी से पूछा- आपी आप कितना पियोगी?
आपी बोलीं- जितना तुम चाहो उतना।
तो मैंने कहा- और जैसे मैं चाहूँ वैसे ही पीना पड़ेगा।
आपी बोलीं- ठीक है.. मैं वैसे ही पियूंगी.. जैसे तुम चाहोगे। 
मैंने दूध जग में डाला और आधा जग भर लिया.. चीनी डाल कर मिक्स करने लगा।
मैंने मिक्स करते हुए आपी से कहा- आपी अभी तो मुझे आपका दूध भी पीना है.. आज बहुत दिल कर रहा है।
तो आपी बोलीं- शरम करो बहन हूँ मैं तुम्हारी..
और ये कह कर वे हँसने लगीं।
मैंने कहा- आपी आप बहन के बाद मेरा प्यार भी तो हो ना.. और मेरी सेक्स पार्ट्नर भी हो.. तो इसलिए मुझे हक है।
हम दोनों हँसने लगे।
दूध में मैंने चीनी घोली और आपी से कहा- आपी आप रेडी हो?
तो आपी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया। 
मैंने कहा- ओके.. फिर लो अपने होंठ लाओ इधर।
जग से मैंने एक घूँट अपने मुँह में भरा और आपी की तरफ अपना मुँह किया.. तो आपी ने भी अपना मुँह मेरी तरफ किया। मैंने अपने होंठ आपी के होंठों से ज़ोड़ कर खोल दिए और दूध आपी के मुँह में डालने लगा। 
पूरा घूँट मैंने आपी के मुँह में डाल दिया और आपी के होंठों को चूसने लगा। आपी ने भी मेरे होंठों को चूसना चालू कर दिया.. जिससे आपी के मुँह में बचे हुए दूध की धार बाहर आपी के होंठों से होती हुई आपी के बूब्स के अन्दर जाने लगी।
आपी के गर्दन गीली हो गई। 
कुछ सेकेंड किस करके आपी बोलीं- वसीम तुम पागल कर दोगे मुझे..
तो मैंने कहा- यही तो मैं चाहता हूँ कि आप मेरे लिए पागल हो जाओ और फिर मेरे साथ हर वक्त सेक्स करो।
यह कह कर मैं दोबारा घूँट भरने लगा तो आपी ने कहा- रूको.. 
अब आपी क्या करने वाली थीं मुझे देखना था।
उन्होंने मेरे हाथ से जग पकड़ कर एक घूँट भरा और जग साइड पर रख के अपनी बांहें मेरी गर्दन के गिर्द लपेट कर अपने होंठ मेरे होंठों से ज़ोड़ दिए और सारा दूध मेरे मुँह में डाल दिया। 
अब वो मुझे किस करने और मेरे होंठों को चाटने लगीं। कुछ देर किस करने के बाद आपी ने अपने होंठ अलग किए और दोबारा काम में लग गईं और मुझसे कहा- अब खुद पियो.. मैं जल्दी से काम खत्म कर लूँ। 
जग को उठाया और मैंने मुँह से लगा कर आधा दूध पी गया और बाकी का बचा के आपी को कहा- ये आपका..
मैंने जग आपी के आगे किया..
तो आपी ने कहा- मेरा दिल नहीं कर रहा.. बस इतना ही पीना था।
मैंने आपी से कहा- कुछ नहीं होता.. पियो। 
मैंने जग आपी के मुँह से लगा दिया और सारा दूध आपी को पिला कर जग नीचे किया.. तो आपी ने लंबी सांस ली और मुझे गुस्से से देखने लगीं। 
आपी से मैंने कहा- आपी आप दूध नहीं पियोगी तो कमज़ोर हो जाओगी। 
आपी के मुँह में अभी भी एक घूँट दूध बाकी था.. आपी ने बिना कुछ बोले ही अपने होंठ मेरे होंठ पर रख कर दूध मेरे मुँह में डाल दिया और अपने होंठ अलग करके बोलीं- अच्छा बाबा.. ठीक है लो पी लिया ना.. अब बस मुझे दस मिनट दो.. मैं काम खत्म कर लूँ।
मैंने कहा- ओके.. 
मैं वहीं आपी के पास रुक गया।
आपी ने किचन की चीजें संभालीं और कुछ बर्तन धो कर मुझसे बोलीं- चलो बाहर चल कर बैठते हैं।
मेरा हाथ पकड़ कर वे मुझे बाहर टीवी लाउन्ज में ले आईं और हम दोनों सोफे पर बैठ गए। 
आपी ने मुझसे कहा- वसीम, तुम कॉलेज भी जाया करो.. ऐसे तुम्हारी स्टडी खराब होगी।
तो मैंने कहा- आपी आप छोड़ो ना स्टडी को.. कोई और बात करो। चलो ना.. कुछ करते हैं।
मैंने आपी को सर से पकड़ा और आपी को किस करने लगा।
आपी भी मुझे किस का रेस्पॉन्स देने लगीं।
किस करते-करते मैंने आपी का सर से अपना हाथ से उठाया और आपी की कमर को पकड़ कर आपी को पीछे की तरफ लेटाता हुआ आपी के ऊपर लेट गया.. पर किस करना नहीं छोड़ा।
आपी भी पूरे मज़े से मुझे किस कर रही थीं और अपने हाथों से मेरे सर पर दबाव डाल रही थीं। वे मेरे होंठों को अपने होंठों पर इस तरह दबाव डाल रही थीं.. जैसे मेरे होंठ ही खा जाएंगी। 
मैं भी आपी के ऊपर लेट कर आपी को किस करता रहा। 
हम ऐसे ही करीब दस मिनट तक मगन हो कर किस करते रहे।
इसके बाद आपी ने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किए तो आपी के होंठों से हल्का-हल्का खून निकलने लगा।
मैंने अपना हाथ आपी के होंठ पर लगाया.. तो मेरी उंगली पर खून लग गया।
मैं जल्दी से आपी के ऊपर से उठा और आपी को उठाया और पूछा- आपी आपके होंठों से ब्लड निकल रहा है.. लगता है आपको मेरे दांत लग गए हैं।
आपी ने मुझे कुछ कहे बिना ही दोबारा किस चालू कर दी और मेरे होंठों को चूसने लगीं। मैंने आपी के सर को पकड़ कर पीछे किया और बोला- आपी पागल मत बनो.. ब्लड निकल रहा है.. रूको मैं पानी ले कर आता हूँ। 
मैं उठने लगा तो आपी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक कर बोलीं- वसीम तुमने खुद तो कहा था कि मैं आपको अपने प्यार में पागल कर देना चाहता हूँ.. लो मैं हो गई हूँ तुम्हारे लिए वसीम.. तुमने कुछ और माँगा होता तो मैं आज तुम्हारे लिए वो भी कर जाती। 
मैं आपी की बात सुन कर मैं वहीं बैठ गया और आपी के माथे पर किस की। 
आपी से बोला- आपी प्लीज़.. ऐसे अपने आपको तकलीफ़ ना दिया करो प्लीज़.. ये ठीक नहीं है.. आप रूको एक मिनट!
और मैं किचन से ग्लास में पानी लेकर आया और साथ एक खाली बर्तन लेकर आया। मैं आपी के पास बैठ गया और आपी से कहा- लो कुल्ली करो और मुझे ज़ख़्म दिखाओ।
आपी बोलीं- पहले किस करो मुझे..
तो मैंने कहा- आपी ज़िद ना करो आप.. पहले ज़ख़्म दिखाओ मुझे.. फिर मैं किस करूँगा।
मैंने ग्लास आपी के होंठों के आगे किया तो आपी ने घूँट भरा और कुल्ली की और पानी खाली बर्तन में फेंका।
मैंने आपी से कहा- अब मुँह खोलो। 
मैं ग्लास और बर्तन नीचे रख कर आपी का मुँह देखने लगा। आपी के ऊपर वाले होंठ पर किस करते वक्त एक कट लग गया था और उसमें से खून निकल रहा था।
मैंने आपी से कहा- आपी आपके होंठ को कट लग गया है.. आप लेटो मैं कमरे में से जैल लेकर आता हूँ। 
मैंने आपी को सोफे पर लेटा कर कमरे में से जैल लेकर आया और आपी के होंठ के अन्दर वाली साइड पर लगाई। मैं आपी के पास बैठ गया और आपी से कहा- आपी प्लीज़ आप आगे से ऐसे ना करना.. ये ठीक नहीं है.. देखो मुँह में ज़ख़्म बन गया है। 
आपी बोलीं- वसीम बस चुप करो अब और तुम टाइम क्यों ज़ाया कर रहे हो, चलो ना काम शुरू करते हैं।
मैंने आपी से कहा- नहीं आपकी तबियत ठीक हो जाए.. फिर करेंगे।
तो आपी ने कहा- तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो.. मैं रोऊँगी फिर।
मैंने कहा- अच्छा ओके बाबा.. पर अब नो किस ओके..
आपी ने कहा- अच्छा किस न करो पर चुदाई तो करो ना और सुनो अभी तुम एक टेबलेट खा लो.. देर तक करने का मूड है। 
तो मैंने जो टेबलेट साथ लाया था.. वो निकाली और एक टाइमिंग वाली गोली खुद खा ली और आई-पिल आपी को खिला दी।
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैं अंडरवियर पहने हुए ही आपी के ऊपर आ गया और आपी की सलवार खींच कर नीचे को उतार कर सोफे पर फेंक दी।
फिर आपी को हल्का सा ऊपर उठा कर उनकी कमीज़ भी उतार दी। 
आपी बस ब्रा में थीं.. आपी ने नीचे पैन्टी भी नहीं पहनी हुई थी।
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11-18-2018, 12:55 PM,
#77
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैंने आपी की टाँगों को खोला और अपने मुँह को चूत पर रख कर ज़ुबान फेरने लगा। मेरी ज़ुबान आपी की चूत के साथ लगी ही थी कि आपी ने सिसकारी भरी।
‘ऊऊऊहह ऊओह..’ और अपनी चूत को हल्का सा ऊपर उठा दिया.. जो कि मेरे मुँह में चली गई।
मैंने आपी की चूत को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। आपी नीचे से अपनी गाण्ड को उठा-उठा कर चूत चुसवा रही थीं और साथ ही ‘आआहह.. आआहह…वसीम..ज़ुबान और अन्दर करो..ऊऊ ऊओह..’ की आवाज़ निकाल रही थीं.. और चूत को मेरी जीभ से चुदवाए जा रही थीं। 
मैंने आपी की चूत को चूसते हुए अपने हाथ से आपी की ब्रा नीचे की और अपने हाथ से आपी के चूचों को मसलने लगा। 
मैं अपनी ज़ुबान को आपी की चूत में तेज रफ्तार से अन्दर-बाहर करने लगा, अब आपी पूरी मस्ती से गाण्ड को हिला रही थीं। 
कुछ ही देर में मैंने आपी की चूत को चोदा होगा कि आपी ने मेरे सर को अपने हाथ से दबाना चालू कर दिया और कहने लगीं- वसीम, मैं छूटने वाली हूँ आहह..
मैंने आपी की बात सुन कर और तेज़ी से ज़ुबान को हिलाना चालू कर दिया और कोई दो मिनट ही और किया होगा कि आपी का जिस्म अकड़ने लगा और आपी ने एक लंबी आह भरी ‘ऊऊऊऊऊहह.. मैं गईईई..’ 
इसी के साथ आपी ने अपनी कमर को ऊपर उठा दिया.. उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
आहिस्ता-आहिस्ता आपी का जिस्म ढीला हो गया और आपी ने वापिस अपनी कमर को नीचे सोफे पर गिरा दिया। 
मैंने आपी की चूत से मुँह उठाया और आपी से कहा- आपी कैसा रहा?
आपी कुछ ना बोलीं और बस आँखों से इशारा कर दिया। 
मैंने आपी से कहा कि आप लण्ड नहीं चूसोगी.. मैं तेल लेकर आता हूँ और तेल लगा कर अन्दर डालूंगा तो मजा आएगा।
आपी ने कहा- नहीं.. ऐसे ही अन्दर डाल दो.. कुछ नहीं होगा।
मैंने आपी को उठाया और आपी को पास ही रखी डाइनिंग टेबल पर लेटा दिया और खुद खड़ा हो गया।
अब आपी की चूत बिल्कुल मेरे लण्ड के सामने थी।
मैंने आपी की तरफ देखा और लण्ड आपी की चूत के करीब लाकर आपी की चूत के ऊपर रगड़ने लगा। अब मैं अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा।
ऐसे करने से आपी गरम होती जा रही थीं और वो मुझसे कहने लगीं- वसीम डालो ना अन्दर.. 
तो मैंने अपने लण्ड को पकड़ कर सुराख पर रखा और हल्का सा अन्दर को पुश किया तो लण्ड की टोपी आपी की चूत में चली गई.. और आपी एकदम झटके से ऊपर को उठीं और फिर नीचे लेट गईं।
उन्होंने मुझे रुकने का इशारा किया.. तो मैं वहीं रुक गया।
आपी को दर्द हो रहा था.. मेरा लण्ड बिल्कुल खुश्क था इसलिए में कोई दो मिनट ऐसे ही रुका रहा। 
आपी ने मुझसे कहा- आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर करो.. एकदम मत करो। 
मैंने लण्ड पीछे को खींचा और फिर अन्दर किया और वहीं आहिस्ता-आहिस्ता धक्के लगाने लगा।
आपी को दर्द हो रहा था.. पर आपी बर्दाश्त कर रही थीं। आपी ने अपने दोनों हाथों से टेबल को साइड्स से पकड़ा हुआ था। मैं दस मिनट तक ऐसे ही आपी को चोदता रहा और आपी अपनी आवाज़ दबाए चुदवाती रहीं। 
दस मिनट बाद आपी ने मुझसे कहा- वसीम अब काम ठीक है.. अब तेज़-तेज़ करो। 
मैंने आपी की एक टांग को अपने हाथ से ऊपर उठाया और तेज़-तेज़ धक्के लगाने लगा। आपी को भी मज़ा आ रहा था और आपी मज़े से ‘ऊऊऊहह.. उफफफ्फ़.. वसीम.. आआहह..’ कर रही थीं।
आपी की आवाज़ें मुझे मस्त कर रही थीं और मैं फुल जोश से आपी को चोद रहा था। साथ ही मैं अपने लण्ड की लज्जत को फील कर रहा था।
कुछ मिनट ऐसे ही आपी को चोदने के बाद मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और आपी को उठने का इशारा किया।
मैंने आपी से कहा- अब आप घोड़ी बन जाओ। 
आपी नीचे कालीन पर घुटनों के बल बैठ गईं और घोड़ी बन गईं, मैंने आपी के पीछे बैठ कर अपना लण्ड आपी की चूत में डाल दिया और ज़ोर-जोर से धक्के लगाने लगा। 
आपी पूरे मज़े में थीं और अपनी गाण्ड को आगे-पीछे हिला-हिला कर चुदवा रही थीं और साथ ही ‘ऊऊओह.. वसीम.. आह्ह..’ की आवाज़ें निकाल रही थीं। 
मैंने आपी की चूत को चोदते हुए अपनी उंगली आपी की गांड के ऊपर फेरी तो आपी ने मुड़ कर मुस्करा के मेरी तरफ देखा और अपनी गाण्ड को हिला-हिला कर चुदवाने लगीं।
मैंने अपनी उंगली आपी की गांड के सुराख पर आराम-आराम से फेरनी चालू कर दी।
इससे आपी और जोर से चुदवाने लगीं, साथ ही वे कहने लगीं- वसीम मैं छूटने वाली हूँ.. 
तो मैंने कहा- आपी बस मेरा काम भी होने वाला है।
आपी बोलीं- फिर एक दफ़ा ज़रा फुल ज़ोर से धक्के मारो।
मैंने आपी की बात सुनी और पूरे ज़ोर से धक्के मारने लगा। कोई चार-पांच धक्कों के बाद ही आपी का जिस्म अकड़ा और आपी की सिसकारी निकली- उफफ्फ़ वसीम… मैं गई.. 
इसी के साथ ही आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया।
अभी आपी की चूत से पानी निकल ही रहा था कि मैंने आपी से कहा- आपी बहुत दिन हो गए हैं.. आप ने मेरा पानी नहीं पिया.. एक दफ़ा आज हो जाए।
आपी बोलीं- हाँ वसीम.. आज पिला दो।
मैंने दो धक्के और मारे और लण्ड निकाल कर आपी को सीधा बैठा कर उनके मुँह के सामने कर दिया।
तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी मारी जो सीधी आपी के मुँह में गई और आपी ने मुँह बंद कर लिया और मेरा माल पी गईं।
दूसरी धार आपी के मुँह पर गिरी और इसी तरह मेरा सारा पानी आपी के मुँह पर.. और मुँह के अन्दर गिरा और कुछ आपी के मम्मों पर भी गिरा जो कि आपी ने सारा इकठ्ठा करके पी लिया।
दोस्तो, इस तरह इस कहानी का समापन हुआ 


समाप्त
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