Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
10-15-2018, 10:54 PM,
#1
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चुदासी चौकडी 

मैं जगताप ..लोग मुझे जग्गू बोलते हैं भाई ..जग्गू भाई ..मेरी उम्र अभी तो सिर्फ़ 22 साल की है ... मेरे लफ़्ज़ों से आप जान गये होंगे ..मैं ज़्यादा पढ़ा लिखा नहीं ...ग़रीबी में पैदा हुआ..ग़रीबी में पला बढ़ा पर अब ग़रीबी से पीछा छुड़ाने की बहुत कोशिश कर रहा हूँ ..

आप तो जानते ही हो ग़रीब लोग कैसे अपना मन बहलाते हैं ..बस देसी दारू गले के नीचे उतारते , अपनी बीबी की टाँगें खोलते , उसकी सुखी चूत में लंड डाले और बस मन बहलाना शुरू ....साला मेरा बाप भी खूब मन बहलाता था ..शराब के नशे में ..और फकाफ़क चोद्ता था मेरी माँ की टाइट चूत और फिर हम तीनों भाई बहेन बारी बारी से उसकी शादी के 9 -9 महीने के बाद ही माँ की चूत से निकले ..इस साली दुनिया में आ गये ...आप समझ सकते हो मेरी और मेरी बहनो की उम्र में कोई खास फरक नहीं .....और मेरी माँ भी हम से सिर्फ़ 15 साल ही बड़ी है ....

माँ कसम यारो..मेरी माँ अभी भी क्या लगती है ...बोले तो एक दम झक्कास.. लंबा कद ..उभरा हुआ सीना ..भारी भारी गांद ...चर्बी का नामो निशान नहीं ... अरे चर्बी कहाँ से चढ़ेगी भाई....बेचारी दिन भर तो काम मे लगी रहती है ..घर घर झाड़ू पोंच्छा करती है , बर्तन और कपड़े धोती है ..इसी वजेह बॉडी एक दम फिट और मस्त है ..... क्या टाइट चुचियाँ हैं ....मैं तो बस मरता हूँ यारो.. अपनी माँ पर.... जान छिडकता हूँ उस पर ...ग़लत नहीं समझना भाई लोग... सारी दुनियाँ में सब से खूबसूरत लगती है ..माँ कसम बहुत हसीन .... प्यार व्यार क्या होता है मैं क्या जानू ..ये तो बड़े लोगो के लफडे हैं..मैं इतना जानता हूँ के मेरा बस चले तो अपनी माँ को फूलों की सेज़ पे बिठा दूं ...और बस आराम की जिंदगी दूं उसे.. कभी काम ना करे ..किसी की चार बातें ना सुन नी पड़े उसे..बेचारी हम भाई बहनो के लिए कितना मर मर के ख़त ती है....

मेरी बहेनें भी वोई करती हैं अब जो मेरी माँ करती है ..घर घर में काम ..दोनो अपनी माँ पर ही गयीं हैं..बस वैसी ही हसीन और मस्त ...मुझ से छोटी का नाम बिंदिया पर उसे हम बिंदु बोलते हैं और सब से छोटी सिंधु .....और माँ को क्या नाम दूं ...माँ तो माँ ही होती है ना ..

साला मेरा बाप उसे शराब के नशे में कुछ भी बोलता था ..रंडी ..मादरचोद , भोंसड़ी वाली पर उसका असली नाम जब होश में आता तभी बोलता ..जो शायद ही कभी होता ...और ऐसे समय उसे शांति बुलाता था ....

माँ बाप भी कैसे कैसे नाम रखते हैं अपने बच्चों के .मेरी .माँ का नाम शांति ..पर बेचारी की जिंदगी में कोई शांति नहीं ....

पहले दिन भर दूसरे के घरों में काम करती और रात भर अपने घर अपने शराबी मर्द (पति) का काम ....उसकी गालियाँ खाती..अपनी चूत में उसके लंड की मार झेलती .... फिर बेचारी पस्त हो कर थोड़ी देर सो जाती ....और दूसरे दिन सुबेह से फिर वोई सिलसिला ..

और मेरा बाप इसी तरह शराब पीते पीते अपने पेट की अंतड़िया जला जला कर साला दो साल पहले .. मर गया

मुझे समझ नहीं आया मैं रो-ऊँ या खुशियाँ मनाउ..???

मेरी माँ उस दिन बिल्कुल चुप थी ...किसी से कोई बात नहीं ..आँखों में कोई आँसू नहीं ..ऐसा लगा जैसे उस ने अपने मरद की जिंदगी में ही उसके लिए अपने आँसू बहा लिए थे...उसकी मौत के बाद माँ की आँखों में कुछ भी नहीं बचा था ....

उस रोज दिन भर तो माँ चुप थी....मानो कुछ हुआ नहीं ...अपने मरद की मौत पे सारी औरतें कितना रोती हैं ..तडपति हैं ..पर मेरी माँ बिल्कुल शांत थी...

पर उस रात को जब मैने उसका हाल देखा ....मैं सन्न रह गया......

उस रात मैं भी घर काफ़ी देर से आया था..घर क्या भाई लोगो...एक झोंपड़ी , इसी में हमारा सब कुछ ..बेडरूम बोलो ..ड्रॉयिंग रूम बोलो यह किचन बोलो..ऑल इन वन ....

तो घर में आते ही देखा बिंदु और सिंधु दोनो माँ के अगल बगल बैठी उस से चिपकी उसे सहला रही थी ..पूचकार रहे थे ....उसे ढाढ़स बँधा रहे थे..और माँ थी कि हिचकियाँ ले ले के रोए जा रही थी .... बस रोए ही जा रही थी ....आँसू उसकी बड़ी बड़ी आँखों से टपके जा रहे थे...

मैं भी पास आ कर बैठ गया और इशारे से दोनो बहनो से पूछा "क्या हुआ..? "

बिंदु बोली.." भाई..क्या पता ..सारा दिन तो चुप थी ..अभी हम खाना खाए..और जब आई ( माँ) लेती ..थोड़ी देर बाद अचानक उठ गयी और तब से रो रही है ... "

सिंधु ने भी उसकी हां में हां मिलाई "हां भाई ..देखो ना बस रोए ही जाती है...."

मैं माँ के सामने बैठ गया ....उसके चेहरे को अपनी हथेली में किया और पूछा..

" माँ क्या हुआ ...???बताओ ना..? "

माँ मुझे देखते ही मेरे सीने से चिपक गयीं और रोते रोते कहा

" अरे बेटा होगा क्या ..? जिसे जाना था वो तो गया ..पर इतने दिन साथ था ना...कुछ अच्छा नहीं लगता रे... आख़िर था तो मेरा आदमी .... "

मैने भी उसे अपने चौड़े सीने से लगा लिया .....( यहाँ मैं बता दूं कि मैं भी अपनी माँ पर ही गया हूँ खास कर दिखने में , लंबाई 5'11'' , चौड़ा सीना ...और बिल्कुल मजबूत और मस्क्युलर बाहें ..जिम का कमाल नहीं भाइयो..मेहनत का कमाल ...मैं भी अब कुछ कमा लेता हूँ..एक पास की बिल्डिंग में कार धुलाई करता हूँ...)

जैसे ही मेरी माँ मेरे सीने से चिपकी....मुझे बहुत सुकून मिला ..जैसे मुझे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो....अभी तक सिर्फ़ सोचता ही था के कैसा लेगेगा अगर मैं उसे अपने सीने से लगाऊं ..आज सच में वो मेरे सीने पर थी...

उसकी बड़ी बड़ी मांसल और टाइट चुचियाँ मेरे सीने से ऐसे दबी थीं जैसे कोई गुब्बारा दबा हो ...मेरी तो सांस उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गई ....

वो अब भी सिसक रही थी ... और उसकी छाती मेरी छाती से उपर नीचे हो रही थी ... बड़ा मज़ा आ रहा था ...

बाप के मरने का ये एक बड़ा फ़ायदा हुआ......

मैने उसके घने बालों को सहलाते हुए कहा

" क्यों रोती है मान ..तेरे मर्द ने तुझे क्या सुख दिया आज तक..जो तू ऐसे रो रही है..?? "

" तू अभी नहीं समझेगा जग्गू .... आख़िर तो वो मेरा आदमी था ना .. मेरे सर पर उसका हाथ तो था ना ..."

" अरे कैसा हाथ माँ ....जिस ने तेरे को सिर्फ़ मारा ही तो है..कभी प्यार तो नही दिया ना..." मैने ऐसा कहते हुए अपने हाथ उसकी पीठ से लगता हुआ अपने से और चिपका लिया ...

जाने माँ को क्या लगा ..उस ने भी अपने हाथ मेरी पीठ से लगाया , मुझे और भी करीब खिच लिया और रोना बंद हो गया ..पर अभी भी सिसकना चालू था ...हर सिसकी पर उसकी चुचियाँ मेरे सीने से उठती और दब्ति जाती ...

मेरा बुरा हाल हो रहा था.....मेरा लंड नीचे (8"लंबा 3"मोटा)... अकड़ता जा रहा था ..

थोड़ी देर बाद सिसकते सिसकते माँ मेरे सीने से लगे लगे ही सो गयी..जैसे माँ अपने बच्चे के गोद में ....

शायद उसकी जिंदगी में पहल्ली बार किसी मर्द के हाथों ने इतने प्यार से उसे सहलाया था ...
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10-15-2018, 10:54 PM,
#2
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मैने भी किसी औरत को अपनी जिंदगी में पहली बार इस तरह से इतने करीब से और प्यार से छुआ था

शायद दोनो को पहली बार एक दूसरे का छूना इतना अच्छा लगा था

मुझे ऐसा लगा मैं उसे अपनी बाहों में ऐसे ही जकड़े रहूं जिंदगी भर ....

उफ्फ कितना सुकून था..कितना मज़ा था ....

" भाई ....आई सो गयी है ..लिटा देते हैं ना ..?" बिंदु की धीमी सी आवाज़ से मैं अपने ख़यालों से बाहर आया ...

" हां .... " मैने चौंकते हुए कहा " हां बिंदु तू इसे लिटा दे ....

फिर दोनो बहनें माँ को थामते हुए नीचे फर्श पर लगे बिस्तर पे लिटा दिया ...माँ अब गहरी नींद में थी.

मैं बैठा था ..पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था....अचानक सिंधु की नज़र वहाँ पड़ी ...देखते ही चौंक गयी ..मैने उसकी नज़रों का पीछा किया ..नीचे देखा ....उफफफफफ्फ़ ये क्या हुआ मुझे ....मैं सकपकाता हुआ उठा और बाहर निकल गया ....

बाहर निकलते हुए मुझे बिंदु और सिंधु के होंठों पर एक अजीब सी मुस्कुराहट दिखी ....

बाहर निकल कर मैं थोड़ी दूर एक गुट्टर के किनारे जा कर मूतने लगा .....अया आज पहली बार मूतने में इतना अच्छा लगा..जैसे अंदर से कुछ भारी भारी सी रुकावट एक बार ही खाली हो गयी हो ..मैने काफ़ी हल्का महसूस किया ..लंड अब सिकुड गया था ....

मैं अंदर झोपड़ी में घुसा ....और अपने बिस्तर ..जो माँ और बहनो के बिस्तर से लगा हुआ था ..लेट गया ...

बिंदु मेरी दाई ओर थी ...उसके बगल में माँ सो रही थी और माँ के बगल में सिंधु ..

"भाई ...." बिंदु ने मुझ से कहा

" क्या है बिंदु ..? "

" खाना नहीं खाओगे ..? "

" रहने दे रे ...आज तो माँ की आँसुओं से ही मेरा पेट भर गया ..खाने का मन नहीं ..ऐसे भी आज बाहर ही खा लिया था ...." मैने जवाब दिया ..

" भाई तुम कितने अच्छे हो ....माँ को तुम ने कितने अच्छे से संभाल लिया .."

" बापू तो नहीं हैं अब ..और कौन संभालेगा .." मैने जवाब दिया

शायद मुसीबत और दुख में लोग एक दूसरे के और करीब आ जाते हैं ...बिंदु के साथ भी येई हुआ ..ववो मुझ से लिपट गयी और सिसकने लगी ..फिर कहा

" भाई तुम ऐसे ही हमेशा रहोगे ना ...."

उसकी आवाज़ सुन सिंधु भी मेरे पास आ कर लेट गयी और लिपट गयी

" हां भाई ..तुम हमेशा ऐसे ही रहना .." उस ने भी रोते हुए कहा ..

" अरे हां बाबा हां ...मैं हमेशा तुम सब के लिए ऐसे ही रहूँगा .बस अब सो जाओ और मुझे भी सोने दो ...." मैने कहा

दोनो बहनें मुझसे दोनो तरफ से चिपक गयीं , मेरे गाल चूमने लगीं , मेरे सीने पर अपने हाथ फेरने लगीं और अपना प्यार जताती रहीं ..

" तुम बहुत अच्छे हो भाई ..ऐसे ही रहना "

और हम तीनों कब सो गये एक दूसरे की बाहों में कुछ पता ही नहीं चला ...

बाप की मौत ने बहनो को अपने भाई और माँ को अपने बेटे के काफ़ी करीब ला दिया था ...

सुबेह जल्दी ही मेरी नींद खुल गयी. आँख खुली तो देखा मा नहीं थी ...पर दोनो बहेनें अभी भी मेरे सीने पे हाथ रखे सो रही थी...बाहर अभी भी अंधेरा ही था ... बिंदु और सिंधु मेरे सीने से लगी कितनी मासूम लग रही थी .... दोनो ने जवानी की दहलीज़ पर कदम रख दिए थे ...उनके सीने का उभार उनकी साँसों के साथ , उनके दिल की धड़कनों के साथ उपर नीचे हो रहे थे .... और दुपट्टा के बिना उनका सीना बिल्कुल सॉफ नज़र आ रहा था ... कितनी हसीन तीन मेरी दोनो बहेनें ...

आज तक मैने कभी भी किसी ग़लत नज़र से उन्हें नहीं देखा था ..पर आज ना जाने क्या हो गया था मुझे ... आज मेरे सामने वो मेरी बहेनें नहीं बल्कि दो खूबसूरत जवान लड़कियाँ नज़र आ रही थीं ..जवानी के तॉहफ़ों , उभारों और रस से भरपूर.....जिन्हें कोई भी मर्द चूसे और चखे बिना रह नहीं सके ...

एक बार तो मन में आया उन्हें जाकड़ लूँ , सीने से लगा लूँ और चूस लूँ उन्हें ...मेरा लंड भी वैसे ही सुबेह सुबेह तन्नाया रहता था..आज तो तन्नाया था और हिल रहा था ...

तभी माँ हाथ में खाली मग लिए अंदर आई...मैं समझ गया वो फारिग होने अपने झोपडे से थोड़ी दूर नाले के किनारे की तरफ गयी थी ...

मैं हड़बड़ाते हुए अपने हाथ से लंड दबाता हुआ उठा ...मा ने शायद ताड़ लिया था ..उसके होंठों पर मुस्कान से ज़ाहिर था ...

उसने अनदेखा करते हुए कहा

" देख तो कैसे बिंदु और सिंधु अपने भाई से लग कर सो रही हैं ..." उनके इस बात से मेरी परेशानी और शर्म मिट गयी .

मैं अभी भी पूरा नहीं उठा था ..बिस्तर पर बैठा था ...बिंदु और सिंधु अब तक जाग गयी थीं.

" अरे बिंदु..सिंधु अब उठ भी जाओ ..देखो अभी भी अंधेरा है ..जाओ नाले के किनारे हो आओ ..थोड़ी देर में उजाला हो जाएगा फिर कैसे जाओगी ...चलो उठो जल्दी करो..." मा ने दोनो को प्यार से झिड़की लगाते हुए कहा और फिर मेरी ओर देखते हुए कहा " तेरा क्या है..तू तो मर्द है कभी भी जा सकता है ... " और फिर हँसने लगी ....

मैं मा के आज के रवैय्ये से फिर सोच में पड़ गया ..कल रात कितनी दुखी थी अपने मर्द की मौत से , पर आज उसके चेहरे पर उस गम का नामो-निशान नहीं ...वाह रे औरत ..क्या कमाल की है तू भी ..

अब तक दोनो बहनें बाहर जा चुकी थीं ..और मा बिस्तर पर मेरे बगल बैठ गयी .

मैने उसकी तरफ देखा ..उसके चेहरे पर सही में कल के हादसे का कोई नामोनिशान नही था ..बिल्कुल तरो ताज़ा था ....

मैने कहा " मा एक बात पूछूँ ..? "

" हां ..हां पूछ ना बेटा ..क्या बात है..?"

"मा कल रात तुम कितना रोई ..कितनी दुखी थी ..पर आज इतनी खुश दिख रही हो ...कितना अच्छा लग रहा है ..कल हम सब कितने परेशान थे तुम्हारी परेशानी से.."

" हां जग्गू ..कल मैं परेशान थी ..आख़िर तुम्हारा बाप था ..मेरा आदमी था ....इतने दिनों का साथ था ...उसने जो किया भगवान इंसाफ़ करेगा ...पर हमे तो जिंदा रहना है ना ...उसके जाने के गम में हम तो मर नहीं सकते ..क्यूँ है ना ..? "

मैने उसे गले लगा लिया और कहा ..." कितनी बड़ी बात कह दी मा ... तुम ना होतीं तो हम क्या करते ..?"

" और येई बात तो मैं तुम से कहती हूँ..अगर तुम ना होते कल तो मैं क्या करती ..? तुम ने एक मर्द के माफिक मुझे हिम्मत दिया ...तू सही का मर्द है रे ...तेरा बाप तो साला नमार्द था .... "

और उस ने मुझे अपने से चिपका लिया ..मुझे अपनी छाती से लगा लिया ...

हम दोनो एक दूसरे से लिपटे थे ....

क्रमशः…………………………………………..
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10-15-2018, 10:54 PM,
#3
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
गतान्क से आगे…………………………………….

उसका सीना धौंकनी के तरह मेरे सीने से लगा उपर नीचे हो रहा था ....मैं बिल्कुल बेख़बर सा खोया था अपनी मा की बाहों में ... वो मुझे चूम रही थी ..गालों पर .. माथे पर .. बालों पर हाथ फिरा रही थी ..मैं उसके प्यार में सराबोर था , डूबा था .... उसका असर नीचे हुआ ..मेरी जांघों के बीच ...फिर से अकड़ गया मेरा लंड ..माँ के पेट से टकरा रहा था ...मा को मेरी हालत समझ में आ गयी ..वो फ़ौरन अलग हो गयी..उसकी सांस ज़ोर ज़ोर से चल रही थी ..मैं भी हाँफ रहा था ... मेरी आँखों में मा के लिए तड़प , भूख और एक अजीब सा नशा था ..

मा की आँखों में भी वोई सब था ..पर साथ में थोड़ी शर्म और झिझक भी थी ...

शायद उसकी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द ने उसे इतना प्यार और सहारा देते हुए अपनी बाहों में लिया था ... पर बेचारी खुल कर उसे अपना नहीं सकती थी ...उसकी खोती किस्मत वो मर्द उसका बेटा था ...

पर उसे ये नहीं मालूम था के उसका बेटा असल मर्द था और वो एक असल औरत ....और उसके बेटे ने मन बना लिया था उसे अपनी औरत बनाने का ..हां अपनी पूरी की पूरी औरत ..

उस समय मेरी आँखों में वो हवस , नशा और तड़प गायब थी ..और उसकी जगह प्यार , वादा और मर मिटने की ख्वाहिश की झलक थी ...

मा ने मेरी तरफ देखा ..मेरी आँखों में उसे वो सब कुछ दिखा .... उसने सर झुका लिया ...मानो उसने अपनी मंज़ूरी दे दी .....

मैं खुशी से झूम उठा ...मैं आगे बढ़ा ..मा वही खड़ी थी ....सर झुकाए ...

तब तक बिंदु और सिंधु नाले से आ गयी ...

मा ने उन्हें देखते ही झट अपना चेहरा ठीक किया , और उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और कहा

" बिंदु ...देख बेटा ..मैं तो जा रही हूँ काम पर ... तुम दोनो चाइ पी लेना जग्गू को भी चाइ पिला देना और काम पर जाना ...ठीक है ना..??"

और झोपड़ी के कोने में बने चूल्‍हे की ओर चल पड़ी चाइ बनाने .

" हां आई ..तू फिकर मत कर ..सब हो जाएगा ..तू जा ... "

थोड़ी ही देर बाद मा ने चाइ बना ली और अपनी सारी ठीक करती हुई जल्दी जल्दी चाइ पी और बाहर निकल गयी ...

मैने मग उठाया ... दोनो बहनो की ओर देखा ... उनके होंठों पर फिर से बड़ी शरारती मुस्कान थी ..शायद उन्होने मा की झुकी झुकी आँखें और शर्म से भरे चेहरे को ताड़ लिया था ...

ग़रीबी इंसान को काफ़ी समझदार बना देती है....

और मैं भी मुस्कुराता हुआ नाले की तरफ निकल गया ....

कुछ देर बाद जब मैं वापस आया .. दोनो बहेनें उस झोपड़ी की एक ही टूटी फूटी खाट पर , जिस पे कि मेरा बाप सोता था ..बैठी थीं ..कुछ खुसुर पुसर बातें कर रही थी और मेरी तरफ देख मुस्कुराए जा रही थी ...और अपनी टाँगें खाट से लटकाए हिलाए जा रही थी ...

मैं उनके पैरों के बीच फर्श पर ही बैठ गया ... और अपना एक हाथ बिंदु के घुटने पर रखा और दूसरा सिंधु के घुटने पर .हल्के से दबाया ..उनका पैरों का हिलना बंद हो गया ..पर हँसी और भी बढ़ गयी ..खास कर सिंधु का ..जो शायद घर में सब से छोटी होने के चलते सब से चुलबुली थी ..

" ह्म्‍म्म्म..क्या बात है ...इतनी हँसी ..?? मैं क्या कोई जोकर हूँ..इतना हँसे जा रही है मेरे को देख के..?"

और फिर और जोरों से अपने हाथ उनके घुटनों पर दबाए ...

जवाब सिंधु ने ही दिया " लो अब हँसी पर भी कोई रोक है भाई..? ऊऊउउ भाई अपना हाथ तो हटाओ ना गुदगुदी होती है .." और फिर उनकी हँसी ने और ज़ोर पकड़ लीआ ...

अब मैने अपना हाथ घुटने से उपर ले जाते हुए उनकी जाँघ पर रखा और फिर दबाया ...उफ़फ्फ़ क्या महसूस था..जैसे किसी पाव भाजी वाला पॉ(ब्रेड) मेरी मुट्ठी में हो ..

" तू बता पहले क्या बात है .फिर हाथ हटाउंगा .." मैने कहा

इस बात पर दोनो की हँसी तो रुकी ..पर दोनो एक दूसरे को देख मंद मंद मुस्कुरा रही थी अभी भी

पर मेरा हाथ अभी भी वहीं के वहीं था ...

" चल जल्दी बोल ..वरना मेरा हाथ अभी और भी आगे और उपर जाएगा ...." मैने सीरीयस होते हुए कहा

बिंदु ने मौके की नज़ाकत समझते हुए कहा .." अछा बाबा बताती हूँ ..पर तू हाथ हटा ना भाई ...ऐसे भी कोई भाई अपनी बहनो को दबाता है क्क्या..??"

बिंदु की इस बात पर मैं थोड़ा झेंप गया ....

" अछा ले हटा दिया अब बोल.."

"अरे बाबा चाइ पीनी है के नहीं ..पहले चाइ तो पी लो भाई, फिर बातें करेंगे ...मैं चाइ लाती हूँ ..." और सिंधु बोलते हुए उठी और चाइ लाने झोपड़ी के कोने की ओर चल दी .

मैं उठा और सिंधु के जगह बिंदु से सॅट कर बैठ गया ... और बिंदु के चेहरे को अपनी ओर खिचा और पूछा " बोल ना रे ..क्या बात है...?"

" अरे कुछ नहीं भाई ... कल से जाने क्यूँ तुम हमें बहुत अच्छे लग रहे हो...रात को तू ने आई को कितने अच्छे से संभाला और हम दोनो को भी कितने प्यार से सुलाया ..हम दोनो येई सब बातें कर रहे थे ..... "

तब तक सिंधु भी आ गयी थाली पर तीन ग्लास चाइ लिए ..

" हां भाई दीदी ठीक ही तो बोल रही है ...पहले तुम कितने चुप रहते थे ..."

मैने चाइ का ग्लास लिया , एक घूँट लिया और कहा

" हां रे ...बात तो सही है...लगता है बापू के जाने से घर का माहौल काफ़ी खुला खुला हो गया है ...पहले साला कितना टेन्षन रहता था ...जब देखो गाली गलौज़ और लड़ाई झगड़ा ... "
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10-15-2018, 10:54 PM,
#4
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
सिंधु मेरे बगल बैठ गयी ..मैं दोनो के बीच था ..

" पर तुम दोनो को हँसी क्यूँ आई मुझे देख..ये तो बता ..??" मैने फिर से पूछा ..

बिंदु थोड़ा शर्मा गयी ..उसके गाल लाल हो गये ..उस ने सिंधु को देखा

" अरे तू ही बता दे ना रे सिंधु ..लगता है भाई आज मानेगा नहीं ..."

सिंधु ने भी चाइ की एक घूँट अंदर ली . मुझे बड़ी शरारती आँखों से देखा और कहा

" भाई ...आज सुबेह सुबेह तुम्हारे को क्या हुआ था ...??"

" क्या हुआ था...? कुछ भी तो नहीं ..." मैने बौखलाते हुए कहा

" पर तेरे टाँगों के बीच कुछ लंबा सा उभरा उभरा क्या था ...?"

" ह्म्‍म्म्मम..तो ये बात है ....अरे बाबा जब तुम दोनो की तरह प्यारी और खूबसूरत लड़कियाँ मेरे दोनो ओर लेटी हों ....तो अगर मेरी टाँगों के बीच हरकत ना हो..ये तो तुम दोनो के लिए डूब मरने वाली बात हुई ना .." ऐसा बोलते हुए मैने सिंधु को उसे कंधे से जकड़ते हुए अपने पास खिच लिया ..

मेरा जवाब सुन कर बिंदु के गाल तो लाल हो गये ..पर सिंधु पर फिर से हँसी का दौर चढ़ बैठा ...

मैं समझ गया दोनो बहेनें क्या चाहती थीं ...ग़रीबी के कुछ फ़ायदे भी होते हैं ...

इतने दिनों से हम सब एक ही कमरे में सोते हैं...मेरा बाप मेरी मा की चुदाई भी किसी कोने में वहीं करता था ...बिंदु और सिंधु इन सब बातों को देखते ..परखते ही जवान हो गयी थीं ...उनमें भी उबाल आना शुरू हो गया था ...और अब ये उबाल बाहर आने की कोशिश में था ...

मैं भी आख़िर गबरू जवान था ...तीन तीन हसीन औरतों के बीच ...मेरी भी जवानी फॅट पड़ने की कगार पर पहून्च चूकी थी ...और आज सुबेह मा के साथ वाली बात ने आग में घी का काम कर दिया था और अब बिंदु और सिंधु की बातों से आग से लपट निकल्ने शुरू हो गये थे ..

मैने सिंधु और बिंदु दोनो को अपने सीने से लगा लिया ...उनके माथे और गालों को चूमता हुआ कहा

" वो तुम दोनो के लिए मेरे प्यार का इज़हार था मेरी बहनों ....." मैने भर्राये गले से कहा .

अब सिंधु भी सीरीयस हो गयी थी और अपना चेहरा मेरे सीने से लगाए चुप चाप बैठी थी .

दोनो बहने मेरे से लगे चुपचाप अपने भाई के चौड़े सीने में अपने आप को बहुत महफूज़ समझ रही थी ...बहुत सुकून था उनके चेहरे पर ..आज तक उन्हें अपने बाप से ऐसा प्यार और सुकून नहीं मिला ..मर्द का साया और मर्दानगी उनसे अब तक दूर थी ...वो सब उन्हें मुझ से मिल रहा था ...

हम तीनों चुप थे और एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे का साथ और प्यार में खोए ..

बिंदु ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा ..

" हां भाई हम समझते हैं ....तुम बहुत प्यार करते हो हम तीनों से ..है ना..??" बिंदु ने कहा ...

मैने बिंदु को अपने और करीब खिच लिया उसे अपनी छाती से लगाया ..सिंधु भी और चिपक गयी ..." हां मेरी बहनो..मेरे लिए तुम दोनो बहेनें और मेरी मा के सिवा और कोई नहीं ..तुम सब मेरी जान हो ..मेरी जान .... मैं तुम सब के लिए अपनी जान दे सकता हूँ ..."

सिंधु ने झट अपने हाथ मेरे मुँह पर रखा और कहा

" भाई ..जान देनेवाली बात फिर मत करना ..." और अब तक मेरी टाँगों के बीच फिर से कड़क उभार आ गयी थी ...सिंधु ने उसे अपने हाथों से जाकड़ लिया " अगर देना है तो हमें तुम्हारा ये लंबा हथियार दे दो और हमारी जान ले लो ... हैं ना दीदी ...देखो ना कैसा हिल रहा है हमारे प्यार में .."

उस ने मेरे लंड को थामते हुए बिंदु को दिखाया ..

बिंदु ने भी उसे थाम लिया पर थोड़ा हिचकिचाते हुए ..थोड़ा शरमाते हुए ...सिंधु की पकड़ में सख्ती थी और बिंदु की पकड़ में थोड़ी हिचकिचाहट और नर्मी ...

और मैं आँखें बंद किए अपनी दोनो बहनो के अनोखे अंदाज़ के मज़े में खोया था ..कांप रहा था..

तभी बिंदु ने एक झटके में अपना हाथ हटा लिया ..और पीछे हट गयी ....जैसे किसी गहरी नींद से अचानक जाग गयी हो..

" अरे बेशरम सिंधु..कुछ तो शरम कर ..ये तेरा अपना भाई है ..रे ..सगा भाई .."

" हां ..हां अभी तक तो तू भी मज़े से थामी थी ..क्यूँ..? मज़ा नहीं आया..और अब भाई की दुहाई दे रही है..चल नाटक बंद कर ..मैं जानती हूँ तेरे को....तू मुझ से भी ज़्यादा चाहती है ....पर बोलती नहीं ...मैं जानती हूँ...." और उस ने मेरे लंड को उपर नीचे करना शुरू कर दिया और कहती भी जाती " अरे ऐसा भाई और ऐसा हथियार किस्मत वालों को ही नसीब होता है .... देख ना रे बिंदु कितना फुंफ़कार रहा है ...चल आ जा ...आज काम की छूट्टी करते हैं ...."

बिंदु ने बड़े प्यार से एक चपत लगाई सिंधु के गाल पर " साली बड़ी बड़ी बातें करती है ..कहाँ से सीखी रे.....जा तू भी क्या नाम लेगी ....तू मज़े ले मैं जाती हूँ काम पर ....पर कल की बारी मेरी रहेगी ...और हां भाई ....ज़रा संभाल के हम दोनो अभी भी बिल्कुल अछूते हैं ..तुम्हारे लिए ही संभाल के रखा है हम दोनो ने जाने कब से.."

और बिंदु ने मुझे भी एक चूम्मी दी मेरे गाल पर ..अपने कपड़े ठीक किए और बाहर निकल गयी .

मैं तो दोनो बहनो की बातें सुन सुन एक बार तो भौंचक्का रह गया ..इन्हें मेरी कोई परवाह ही नहीं थी ..बस आपस में ही बकर बकर बातें किए किए सब कुछ फ़ैसला कर लिया.... जवानी भी क्या चीज़ है भाइयो...और उस से भी बड़ी जवानी की भूख ... इस भूख की आग में सब कुछ जल कर खाक हो जाता है..रिश्तों के बंधन तार तार हो जाते हैं ...बस सिर्फ़ एक ही रिश्ता रह जाता है ..लंड और चूत का....और जब उसमें प्यार के भी रंग आ जाए तो मज़ा और भी बढ़ जाता है..फिर ये सिर्फ़ लंड और चूत नहीं बल्कि दो आत्माओं का मिलन हो जाता है.....लंड और चूत अपने अपने रास्ते दोनो के दिलो-दीमाग तक पहून्च जाते हैं ....

कुछ ऐसा ही हुआ था हम सब के साथ..इतने दिनों हम प्यार , रिश्ता और आपसी लगाव से दूर बहुत ही दूर थे..पर इन दो तीन दिनों में अपने बेरहम बाप और एक औरत के जालिम मर्द की मौत ने हम सब को एक दूसरे के बहुत करीब ला दिया था....प्यार और साथ का बाँध , जो इतने दिनों तक रुका था ..अब ऐसा फूटा के रुकने का कोई नाम ही नहीं था ....और हम एक दूसरे से सब कुछ हासिल करने को जी जान से मचाल उठे थे ...तड़प रहे थे हम सब ....

इसी तड़प में सिंधु और बिंदु ने हमें भी शामिल कर लिया था ....अपना सब कुछ लूटाने को तैय्यार ...अपने भाई पर अपना प्यार और जवानी लूटने को मचल उठी थी दोनो ...

सिंधु खाट से उठी और फ़ौरन दरवाज़ा बंद कर दिया ..मैं अभी भी खाट पर बैठा था ..अपने टाँगें खाट से नीचे लटकाए ....सिंधु मेरे टाँगों को अपनी दोनो टाँगों के बीच करते हुए खड़ी हो गयी ...और सीधा मेरी आँखों में देखती रही ....चुप चाप....चेहरे पे कोई भाव नहीं ..एक दम सीरीयस ...जैसे उस ने अपने मन में कुछ सोच लिया हो और अब उसे पूरा करना ही है ..चाहे कुछ भी हो....

" ऐसे क्या देख रही है सिंधु ...? " मैने बात शुरू की..
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10-15-2018, 10:54 PM,
#5
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
सिंधु ने मेरी ओर अपना चेहरा झुकाया , मेरी गोद में आ गयी और मुझ से लिपट गयी ....मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया उसे उठाया और मेरे दोनो गालों को बारी बारी से चूमते हुए कहा ..

" भाई ..आज पहली बार इतने इतमीनान से तुझे देख रही हूँ... तुम कितने अच्छे हो भाई ..कितने प्यारे हो ...देखने दो ना अच्छे से .... " और फिर अपनी आँखें मेरी आँखों में डाल दी

मेरा लंड फिर से कड़क था और उसकी जांघों के बीच सलामी दे रहा था .....

मैने भी उसके चेहरे को अपने हाथ से थामा , उसके गाल चूमे , जोरों से ,

और कहा " सिर्फ़ देखती रहेगी ..? कुछ करेगी नहीं ..???"

अब तक मेरा लौडा काफ़ी कड़क हो चूका था और उसकी चूत को उसके सलवार के उपर से ही चूम रहा था ....सिंधु इस नये और बिल्कुल नायाब तज़ुर्बे से एक अजीब ही नशे में आ गयी थी ..

उस ने मेरे गले में बाहें डालते हुए मेरे से और भी चिपक गयी ..मेरे कंधों पे अपना सर रख दिया ... फूसफूसाती हुई भर्राइ आवाज़ में कहा:

" भाई ..मैं क्या करूँ ..? तू ही कर ना ....."

मैं उसकी ऐसी भोली बातों से पागल हो उठा ..उसके कंधों को थामता हुआ उसके चेहरे को अपने चेहरे के सामने कर लिया ..उसकी आँखों में देखा ..उसकी आँखें बंद थी ..मानो उसे हमारे कुछ करने का बड़ी बेसब्री से इंतेज़ार हो ..

मैने उसका चेहरा अपने और करीब खिचा ....दोनो की सांस अब टकरा रही थी ....उसके होंठ कांप रहे थे..मुझ से रहा नहीं गया ..मैने उसके सीने को अपने सीने से बूरी तरह चिपका लिया उसकी चुचियाँ मेरे सीने में दबी थी ..उसके काँपते होंठों पर मैने अपने होंठ रख दिए ....और चूसना चालू कर दिया ...उफफफफफफफफफफ्फ़ ..मेरा भी ये पहला तज़ुर्बा था ..कितना मुलायम था उसका होंठ ....कितना गर्म था ... अया

सिंधु मुझ से और भी लिपट गयी ..और उसने भी मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए ....हम पागल हो गये थे .....किसी ने कुछ बताया नहीं था ..पहले कभी कुछ किया ना था ..पर सब कुछ अपने आप हो रहा था ..हम बेतहाशा एक दूसरे को चूमे जा रहे थे .मुँह अपने आप खुल गया था दोनो का ..दोनो के मुँह एक दूसरे को खा जाने को ..एक दूसरे के मुँह में अंदर जाने को तड़प रहे थे...उफफफ्फ़ क्या पागलपन था ... उसका थूक मेरे मुँह में जा रहा था मेरा थूक उसके मुँह में ....

उसके खुले मुँह से मुझे उसकी जीभ दिखी..पतली सी जीभ ..गुलाबी जीभ ..मैने अपने होंठों से उसकी जीभ पकड़ ली ..उफफफ्फ़ कितना गर्म था ...कितना गीला ..मैं उसकी जीभ चूसने लगा ..सिंधु तड़प उठी ....उसकी चूत का गीलापन मेरे लंड पर महसूस हो रहा था ...

हम दोनो हाँफ रहे थे .....लंबी लंबी साँसें ले रहे थे ..कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करें ...मैने फिर से उसे अपने सीने से लगाया ..उसकी चुचियाँ धँसी थी मेरे सीने से ..मुलायम पर कड़क भी ..कसी कसी ..बिना ब्रा के .....मैने उसके कुर्ते के बटन खोले और दोनो हाथों से खिचता हुआ उसकी कमर तक उतार दिया ....

और मैने भी साथ ही साथ अपना टॉप भी उतार दिया ....सिंधु मेरी गोद में ही दोनो टाँगें मेरे कमर से जकड़े खाट पर कर दिया था ..मेरी टाँगें खाट से नीचे लटक रही थी ...

मेरा नंगा सीना , उसकी नंगी चूचियों से बिल्कुल चिपका था ...हम एक दूसरे को जितना हो सकता था..जितना मुमकिन था ..एक दूसरे से चिपकाए थे ..एक दूसरे में अंदर तक घूस जाने को बेचैन थे ......

मैने अपनी हथेलिया दोनो के सीने के बीच घूसेड़ते हुए उसकी मस्त चुचियाँ सहलाने लगा ....उसकी घूंडिया उंगलियों से दबा रहा था ....

"आआआअह भाई ..धीरे दबाओ ना ...दर्द करता है...." उसने मेरे हथेलियों को अपने हाथ से पकड़ते हुए कहा ...मैने दबाना थोड़ा हल्का कर दिया और उस ने अपने हाथों को मेरे सर से लगते हुए अपने चेहरे से लगाया और फिर से मेरे होंठ चूमने और चूसने लगी ....

हम दोनो चिपकी थी ...एक दूसरे को चूम रहे थे ..चूस रहे थे चाट रहे थे ..एक दम पागल थे ...

मेरा लंड पॅंट फाड़ कर बाहर आने को तड़प रहा था ..उसकी चूत से लगातार पानी रीस रहा था ...वो मेरे लंड पर अपनी चूत घीस रही थी .....और इस कोशिश में थी उसे अपनी फुद्दि में समा ले ......

यह प्यार भी क्या चीज़ है किसी को सीखना नहीं पड़ता ..बस अपने आप होता जाता है ....

मैं तड़प रहा था अंदर डालने को वो बेताब दी अंदर लेने को..... और इस कोशिश में एक दूसरे को चूस रहे थे ..चाट रहे थे और लिपटे जा रहे थे ...

मैने धीरे से उसकी कान में कहा

" सिंधु तेरा सलवार उतार दूं .??."

उस ने बेहोशी सी आवाज़ में कहा

" भाई मत पूछो....कुछ भी कर दो....कुछ भी कर लो भाई ....आआआआआः ...."

और उस ने अपनी चूतड़ उपर कर ली ..मैने उसका नाडा खोला और सलवार नीचे सरका दिया ..वो मेरे गर्दन में हाथ डाले मेरे उपर लटक गयी उसके पैर हवा में थे , मैं उसे अपने दोनो हाथों से उसकी कमर को लपेटे उठाए रखा , और उस ने अपने पैर को झटका दिया ...सलवार नीचे फर्श पर गीरा....

वो पूरी नंगी मेरे सीने से चिपकी थी .अपने पैरों को मेरे कमर के चारों ओर लपेटे ..एक बच्चे के समान मेरी गोद में ....

बेतहाशा चूमे जा रही थी ..मैं उसे गोद में लिए लिए ही उठ गया और उसे नीचे बिस्तर पर बड़ी हिफ़ाज़त से लिटा दिया ...

अपना पॅंट भी एक झटके में उतार दिया ..मेरा लौडा फुंफ़कार्ता हुआ बाहर आया ....

क्रमशः…………………………………………..
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10-15-2018, 10:55 PM,
#6
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
3

गतान्क से आगे…………………………………….

सिंधु की आँखें फटी की फटी रह गयीं ...मेरे लौडे को देख

मैं उसकी टाँगों के बीच खड़ा हो गया ...अपना लंड अपने हथेली से पकड़ सहलाने लगा और उसकी ओर कर दिया ..

"सिंधु..देख ले ....आज से ये तेरा है ....आज पहली बार जिस फुद्दि में जाएगा ना , वो तेरा है ..सिंधु ...."

और ऐसा कहते हुए मैं उसके उपर आ गया ....और अपने लौडे को उसकी जांघों के बीच दबाता हुआ उसे अपनी बाहों से जाकड़ लिया ..उसने अपने हाथ मेरी पीठ पर कर दिया ..और वो भी मुझ से चिपक गयी ..उसकी टाँगें मेरी पीठ पर थी ..हम हमेशा इस कोशिश में थे हम दोनो एक दूसरे में समा जायें ....

" हां भाई मेरी फुद्दि कितनी किस्मत वाली है ....भाई तुम रुकना मत .....बस आज चाहे मेरी जान निकल जाए ...तुम बिल्कुल परवाह मत करना ..हां भाई..? बस अंदर डालते जाना ..भाई रुकना मत ...ऊवू ...अया भाई ..ये क्या हो रहा है .....उफफफफफफ्फ़ " वो बोले जा रही थी ..अपनी चूतड़ हिला हिला कर अपनी फुद्दि मेरे लंड से घीस रही थी ......

मैं उसकी फुददी की मार से सिहर रहा था ..उसकी फांकों से मानो नदी बह रही थी ...

मैने उसे चूमा , उसके सीने , पेट , और नाभि को चूमता हुआ उसके जांघों के बीच आ गया

उसकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे ..साँवली चूत ..उउफ़फ्फ़ क्या कयामत थी

ऐसी टाइट थी जैसे सिर्फ़ वहाँ एक चीरा लगा हो कोई भी गॅप नहीं ...दोनो होंठ सटे थे उसकी फुद्दि से पानी सा रीस रहा था ....

मैने अपनी जीभ वहाँ लगाई ...जीभ लगते ही सिंधु उछल पड़ी ...उसका चूतड़ उछल पड़ा ...मैने अपनी उंगलियों से उसकी फाँक अलग की ....गुलाबी फुद्दि ....उफ़फ्फ़ गीली फुद्दि ....मैने अपने होंठों से उसकी फुद्दि हल्के पकड़ ली और उसे चूस लिया ....

उसका खारा पानी मेरे मुँह के अंदर था .....सिंधु एक दम से उछल गयी ........कांप उठी ..उसके पैर थर थारा उठे ....

" भाई अब डाल दो ना ....क्यूँ तडपा रहे हो .....अंदर पता नहीं कैसा कैसा हो रहा है भाई ...आओ ना ..अंदर आओ ना ...."

ऐसा बोलते हुए उसने अपने हथेली से मेरे मोटे लंड को थाम लिया और अपनी चूत के बीच घीसने लगी जोरों से ..मानो खुद ही अंदर ले लेगी....

" ज़रा सब्र कर ना सिंधु .... ठहर मैं आता हूँ ...."

और मैं उठ कर जहाँ कपड़े टँगे रहते हैं वहाँ से एक तौलिया ले आया ...सिंधु की टाँगें उठाई और उसके चूतड़ के नीचे रख दिया ...और उसके चूतड़ उठाए तो ऐसा लगा मानो कोई रूई से भरा बहुत ही मुलायम तकिया हो ..मैने हल्के से दबाया ....और फिर उसे तौलिए पर गीरा दिया ..

" भाई तौलिया क्यूँ रखा ..??" उस ने बहुत ही धीमी और सुस्त आवाज़ में कहा

" बस तू देखती जा और धीरज रख बहना ..सब समझ में आ जाएगा ..."

' हां भाई ..तेरे को जैसा अच्छा लगे तू कर ना ..पर जल्दी कर भाई ..मुझे अंदर जाने कैसा लग रहा है..जल्दी ...आआआः जल्दी कर ना भाई ...." सिंधु सिसक रही थी , तड़प रही थी ...

मैं फिर से उसके उपर आ गया और फिर से उसे अपने सीने से बूरी तरह चिपका लिया और उसके होंठों से अपने होंठ लगाए फिर से जोरों से चूसने लगा ...इस बार उसका पूरा मुँह खुला था और उसके मुँह से पूरा थूक और लार मेरे मुँह में जा रहा था ...सिंधु बूरी तरह कांप रही थी ...उसका पूरा शरीर मेरी बाहों में तड़प रहा था..उसका सीना बूरी तरह मेरे सीने पर धौंकनी के तरह लग रहा था ..उसकी एक चूची मैने अपने मुँह में ले ली और चूसने लगा ...सिंधु तड़प उठी ...उस ने उस चूची को अपने हाथों से दबाते हुए मेरे मुँह के और भी अंदर डाल दिया

" उफ़फ्फ़ भाई और चूसो ....अया देखो ना मेरी चूत .......अयाया ......."

मैने अपनी हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूत को अपनी उंगलियों से हल्के से दबाया ...उफ़फ्फ़ पानी बह रहा था ..मैं जितना चूस्ता उसकी चूची ..उसकी चूत उतनी ही गीली होती ....

" भाई ..अब और ना तडपा .....देखो ना क्या हो रहा है मेरे को .....अयाया ..उउउहह ...मैं मर जाउन्गि .....अया अब देर मत करो ...."

मैने महसूस किया उसकी फुद्दि मेरी उंगलियों के बीच फडक रही थी ..काफ़ी रस निकल रहा था ..मैने एक उंगली अंडार डाली .....आसानी से अंदर चली गई ...इतनी गीली थी .....

मैने उंगली बाहर निकाली और चूस लिया .....मुझे चूस्ते देख सिंधु और भी पागल हो गयी ....उसकी टाँगे कांप रही थी ...

मैने देर करना ठीक नहीं समझा ..

मैं उसकी टाँगों के बीच आ गया ..घुटने के बल बैठ गया .अपना तन्नाया लौडा उसकी फुद्दि के बीच रखा और हाथ से पकड़ते हुए उपर नीचे करने लगा ..

और भी पानी निकला ..सिंधु के चूतड़ उछल गये ...उसकी फुद्दि की पंखूड़ियाँ कांप रही थी , थरथरा रही थी ..मानो कुछ अंदर लेने को बेताब ..

मैने अपने लंड को फिर से पकड़ा और उसके फुद्दि की संकरे से छेद पर लगाया और हल्के से दबाया ...इतनी गीली और टाइट थी ..फिसल कर उसकी जांघों पर लगा ....

सिंधु तड़प उठी ..." भाई डरो मत ज़ोर से डालो ना ....डालो ना .....ताक़त लगाओ...मेरी फिकर मत करो..भाई डालो ना ......."

मैं उसकी भूख और तड़प समझ रहा था

इस बार मैने लंड का सुपाडा उसकी फुद्दि पर रखा और थोड़ा ज़ोर लगाता हुआ अंदर डाला ..अपने चूतड़ का काफ़ी भार लंड पर डालते हुए ..

पक्क से सुपाडा अंदर गया ..मैं रुक गया ...उसकी फुद्दि फैल गयी थी मेरे सुपाडे से ..सुपाडा अंदर था .पर सिंधु की आँखें बंद थीं ..उसने अपने होंठ भींच लिए ..पर वाह रे बहेना ..मुँह से आवाज़ नहीं निकला

मैं थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहा और उसको अपने सीने से चिपकाए रहा ..

" सिब्धु....दर्द हुआ क्या ....??"

" हां भाई पर ज़्यादा नहीं ..थोड़ा सा ..पर तुम कुछ सोचो मत ...अब और डालो ...पूरा डालो ना .....रुक क्यूँ गये ......आआआः "

अब मैने थोड़ा थूक अपनी उंगली में डाला और उसकी फुद्दि में मेरे लंड और उसकी फुद्दि के बीच लगा दिया और एक थोड़ा और ज़ोर का धक्का लगाया .....

इस बार मेरा आधा लंड अंदर था ....

"आआआआआआआआआआआआआआह ....ब्चेययाआयी....." सिंधु चीख पड़ी .... मैं फिर से रुका , उसकी चुचियाँ मसल्ने लगा ..उसे चूमने लगा ....उसके चेहरे पर दर्द कम होने की निशानी दिखी ..

अब मैने पूरे ज़ोर से फिर से लंड अंदर डाला ..पूरा लंड अंदर था ..पूरे का पूरा 8" .....

सिंधु की आँखों से आँसू निकल पड़े ..पर मुँह से कोई आवाज़ नहीं ....

मैं लंड अंदर डाले ही रहा और उस से चिपका रहा ...उसकी चूतड़ कांप रहे थे ...उसका पैर कांप रहा था .....और मैं उसे बेतहाशा चूमे जा रहा था ..
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10-15-2018, 10:55 PM,
#7
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
वो बड़बड़ा रही थी " भाई फटने दो मेरी चूत..मेरी जान ले लो ..मैं तुम्हारा लौडा अंदर लिए मर जाऊंगी.....ऊवू .....तुम रूको मत ....चोदो ना और चोदो ना ....."

उसका दर्द कुछ और कम हुआ

अब मैने अपना लंड आधा ही बाहर निकाला और फिर से अंदर डाला ... और ऐसे ही अंदर बाहर करता रहा ..उफ्फ मुझे लगा जैसे मेरा लंड किसी ने बड़ी बूरी तरह जकड़ा हुआ है .... इतनी टाइट थी उसकी चूत ..बाहर निकालते वक़्त खून और पानी मिला जुला उसकी चूत से रीस रहा था

कुछ देर बाद दर्द की जगह उसे अब अच्छा लग रहा था ....." हां भाई अब अच्छा लग रहा है..."

अब मैने अपना लंड सुपाडे तक बाहर किया और फिर से पूरा अंदर डाला ..इस बार सिंधु कांप उठी ..उसका चूतड़ भी उछल पड़ा ....अब उसके मज़े का दौर और भी बढ़ता जा रहा था

मेरा लंड भी अपना रास्ता अंदर बना चूका था ,उसकी चूत अंदर बूरी तरह गीली थी

अब पूरी ज़ोर से चुदाई का खेल चालू था .....मुझे भी ऐसा महसूस हो रहा था मानो मेरा पूरा खून मेरे लंड मे आ रहा हो .

मैने उसकी चूतड़ के नीचे हाथ रखते हुए उसे उपर उठाया और फिर धक्के लगाता रहा ...हर धक्के में वो और उछालती और बड़बड़ाती जाती.." हां भाई ...ऊवू ....बस ऐसे ही करो..अयाया ...उुउऊः ..चोद लो ...चोद अपनी बहेन को ...फाड़ दो उसकी चूत ....आआआः ब्चेयेयेयाययियी ऊऊओह ..ये क्या हो रहा है ,........"

मुझे अपने लंड में उसकी चूत के झटके लगने शुरू हो गये .... उसका बदन अकड़ता हुआ महसूस हुआ ....मेरे लंड पर उसकी फुद्दि की पकड़ टाइट होती महसूस हुई और फिर सिंधु अपनी चूतड़ जोरों से उपर उछाली और ढीली पड़ कर पैर फैला मेरे नीचे पड़ गयी ....मैने उसकी चूत के रस की धार अपने लंड पे महसूस किया और मेरे लंड से भी पिचकारी छूट गयी ..मेरा सारा बदन मुझे खाली होता महसूस हुआ ..तीन चार झटकों के बाद मैं भी पस्त हो कर उसके उपर हांफता हुआ ढेर हो गया .

कुछ देर बाद मैने आँखें खोली ..देखा सिंधु बहुत थकि थकि नज़र आ रही थी ...

मैने उसे फिर से चिपकाया और उसे चूम लिया

"कैसा लगा सिंधु..बहुत दर्द हुआ ..???"

उस ने मेरे चेहरे को अपने हाथ से थामा और मुझे चूमते हुए कहा

"नहीं भाई ..जितना मैने सोचा था ना ..उसके हिसाब से तो कुछ भी नहीं था ....तुम ने कितने प्यार से किया भाई ..काश हर औरत को तेरे जैसा मर्द मिले पहली बार .....भाई तुम कितने अच्छे हो '...." और उसकी आँखों से आँसू टपक रहे थे .....खुशी और मस्ती से भरे आँसू थे वो ..अनमोल ..बेशक़ीमती ..

मैं उन्हें अपने होंठों से चाट लिया ...

फिर से हम दोनो एक दूसरे की बाहों में चिपके पड़े रहे...

थोड़ी देर बाद मुझे होश आआया ..मैं उठा ... सिंधु अभी भी आँखें बंद किए अपनी जवानी मेरे हवाले कर देने की खुमारी में थी शायद ... टाँग फैली हुई ..चूत के पास जांघों में खून और रस की पपड़ियाँ जमी ... नीचे बीछे तौलिए पर भी खून के धब्बे ...

" सिंधु ..चल उठ ..काफ़ी देर हो गयी है ..तू काम पे नहीं जाएगी...?"

उस ने आँखें खोली ..मुझे देखा और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और अपने चेहरे से लगा चूम लिया

" उम्म्म्मम..भाई ...काम की तो आज ऐसी की तैसी...तुम ने तो मेरा काम तमाम कर दिया ....चल ना एक बार और करते हैं..?"

मैं सकते में आ गया ...

" अरे पागल है क्या ..? देख तो ज़रा अपनी फुददी , क्या हाल है....कितना सूज गया है ... अभी एक दो दिन कुछ नहीं ....समझी ...और अगर काम पर नहीं जाना तो बस आराम कर ..मुझे तो जाना ही पड़ेगा .. एक साहेब की गाड़ी अर्जेंट धोनी है .."

"ठीक है बाबा ठीक ..."

और वो बिस्तर से उठने लगी ... चलने को आगे बढ़ी..चाल में थोड़ी लड़खड़ाहट थी ...

" सिंधु ..अभी भी दर्द है क्या ..? " मैने उसे उसकी कमर से थामता हुआ बोला...

उसकी नज़र नीचे बिछे तौलिए पर पड़ी ...उसमें खून के धब्बे देख उसकी आँखें चौड़ी हो गयीं ....

" भाई...कितना खून निकाल दिया तुम ने ..तुम बहुत गंदे हो .... " और शरमाते हुए मुझ से लिपट गयी ...

" वाह रे सिंधु ...जब खून निकला तो बड़े मज़े में थी ..और अब मैं गंदा हो गया ..."

वो मेरे सीने पर हल्के हल्के मुक्के लगाते हुए बोली " हां तुम गंदे हो..गंदे हो .... " और मुझ से फिर से लिपट गयी और फिर कहा " भाई सच कहूँ तो मेरी किस्मत है तुम्ही ने मेरा खून बहाया .किसी और ने नहीं ....हमारा रिश्ता भी तो खून का है ना ... ऐसे में एक दूसरे को खून की कीमत अच्छे से मालूम होती है....इसी वजेह इतना कम खून बहाया तुम ने ....है ना ? और वो भी बिना ज़्यादा तकलीफ़ के .."

मैने भी उसके माथे को चूम लिया ... " हां सिंधु ठीक कहती है तू ..चल अब आराम कर ..मैं हाथ मुँह धो कर जाता हूँ...शाम तक वापस आ जाउन्गा ..."

मैं फ़ौरन उठा , और कोने में पड़ी बाल्टी के पानी से अच्छे से हाथ , पैर और मुँह धो कर कपड़े पहने और सिंधु को गले लगाया , उसे चूमा और बाहर निकल गया..

अपना दिन का खाना बोलो या लंच बोलो या फिर जो भी समझ लो..ज़्यादेतर बाहर ही होता ... जिस बिल्डिंग में कारों की धुलाई करता उसके पास ही एक ठेलेवाला गरमा गरम पाव भाजी देता ...बस वोई अपना लंच होता ... उस दिन भी कार धुलाई के बाद लंच किया ..इधर उधर घूमा ..कुछ दोस्तों के साथ गप्प सदाका और करीब 3 बजे घर वापस आया ...

दरवाज़ा अंदर से बंद था ..शायद तीनों खाना वाना खा कर सो रहे थे ..थोड़ी देर खटखटाने के बाद मा ने दरवाज़ा खोला ...अंदर देखा तो दोनो बहेनें नीचे बिस्तर पर सो रही थीं ...मा भी शायद नींद से जागी थी दरवाज़ा खोलने के लिए....

अंदर आते ही मा ने दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझ से पूछा.." खाना खा लिया जग्गू..?? "

" हां मा खा लिया ....तू ने खाया ..??"

" हां बेटा ....जा तू भी थोड़ा आराम कर ले .थक गया होगा ..मैं भी लेट ती हूँ .. तू खाट पर लेट जा ...आज से तू उसी पर सोना ..." और फिर वो अपनी बेटियों के साथ नीचे लेट गयी ...

मैं मुँह धो कर खाट पर लेट गया ...मेरी खाट से बिल्कुल लगे नीचे मा थी .उसके बगल में बिंदु और फिर सब से किनारे सिंधु...

मैं लेटा लेटा सिंधु के बारे सोच रहा था .. ... पर जैसा भी हाल हो अभी तो गहरी नींद में थी....मतलब कोई तकलीफ़ नहीं ....चेहरे पे सुकून था ...

पर मा लेटी तो थी ..पर करवटें ले रही थी ...कुछ बेचैनी थी उसके चेहरे पर...बाल बीखरे थे ..छाती से आँचल नीचे गीरा था ..उसकी भारी भारी चुचियाँ उसकी टाइट ब्लाउस के अंदर उसकी सांस के साथ उपर नीचे हो रही थी ...मैं एक टक उन्हें देख रहा था ..ब्लाउस कुछ ज़्यादा ही छोटी थी ...आँचल नीचे होने की वाज़ेह से पेट बिल्कुल नंगा था... मा का पेट बिल्कुल सपाट था ..ज़रा भी चर्बी नहीं ..पर भरा भरा था ...अभी वो सीधा लेटी थी .....मैं उसे निहारे जा रहा था ...उसके नंगे पेट , नाभि के छेद और भारी भारी चूचिया ..उफफफफ्फ़ मैं पागल हो गया था ..उसका सीधा असर हुआ मेरे लंड पर ... पॅंट फाड़ बाहर आने को तैय्यार ..काफ़ी उभरा उभरा था ..मेरा एक हाथ मेरे सर के नीचे था और दूसरे हाथ से मैं अपना लंड सहला रहा था ...

तभी मा ने मेरी तरफ करवट ली और उसकी नज़र मेरी हालत पर पड़ी ....

मैं तो उसी की तरफ देख रहा था ....उसकी नज़र मेरी नज़र से मिली..मैं झेन्प्ता हुआ अपनी नज़र नीचे कर ली और अपना हाथ अपने लंड से हटा लिया....हाथ तो हट गया ...पर लंड खड़ा ही था ...पर धीरे धीरे मेरी झेंप के साथ सिकुड़ता गया ....

मा की नज़र उसी तरह मेरी ओर थी ..उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं था ..बस एक टक मुझे देखती जा रही थी ..एक टक ..

मैं सकते में था ..पता नहीं क्या हो गया मा को ....

वो चुप चाप बिना कोई आहट किए मेरे बगल खाट पर बैठ गयी ..और मेरे सर पर हाथ सहलाने लगी ....

मैं बहुत घबडाया सा था ... उसके इस तरह से मेरे सर पर हाथ फेरने से मैं और भी भौंचक्का सा हो गया था ....जैसा मैं सोच रहा था के शायद झिड़की सुन ने को मिलेगी..पर यहाँ तो बात ही कुछ और थी ..मेरी समझ से बिल्कुल अलग ...

फिर उस ने कहा

" बेटा घबरा मत ..मैं तेरे को कुछ नहीं बोलती....तू भी अब जवान हो गया है ...और रोज तीन तीन जवान औरतों के साथ सोता है ....मजबूरी है ..पर अभी तक तू ने बाहर कुछ भी नहीं किया ..मैं जानती हूँ ..तेरे उपर मोहल्ले की औरतें जान देती हैं ..ये भी मैं जानती हूँ ...और तेरा मन हम तीनों पर लगा है ..ये भी मैं देख रही हूँ बेटा ....देख ना इतना पैसा भी नहीं के मैं तेरी या तेरी बहनो की शादी कर सकू ..तेरे बाप ने शराब पर सारा पैसा लूटा दिया .... मैं क्या करूँ ..तेरे लौडे और बिंदु और सिंधु की चूतो की प्यास बूझाने का मेरे पास कोई रास्ता नहीं .....कोई रास्ता नहीं .." और वो अपना मुँह फेरे रोने लगी सिसक सिसक कर रो रही थी....

मा के बिल्कुल बेबाक और बेधड़क लफ़्ज़ों में एक मा की मजबूरी और लाचारी का गुस्सा झलक रहा था ... और अपने बेटे के सामने ऐसी बातें करना बता रहा था कि उसे अपने बेटे पर कितना भरोसा था .....

मैने अपनी मा के भरोसे को सहारा बनाता हुआ अपनी मा के चेहरे को अपनी तरफ किया और कहा

" मा ..रो मत ..मत रो मा .....जिस चीज़ के लिए तू बोल रही है ना तेरे पास रास्ता नहीं ..तो मेरे पर भरोसा रख और ग़लत मत समझ ...उसका रास्ता है मा ...इलाज़ है ...."

क्रमशः…………………………………………..
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10-15-2018, 10:55 PM,
#8
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
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गतान्क से आगे…………………………………….

मैं बैठ गया मा के बगल और उसकी ओर देखता हुआ कहना चालू रखा " मा सुनो...तू कहती है ना के मैं किसी और औरतों को भाव नहीं देता ...पर तू बता ..क्यूँ दूं..? जब तेरे और तेरी बेटियों जैसी औरतें मेरे साथ हैं ..मैं क्यूँ बाहर जाऊं..बोलो ना मा क्यूँ...? मा मैं तुम तीनों से बेहद प्यार करता हूँ और तेरी दोनो बेटियों के बारे मैं बोल सकता हूँ वो भी मुझे चाहती हैं और अपना सब कुछ मुझे दे सकती हैं ...तेरे उपर भी मैं अपनी जान दे सकता हूँ .बाहर से किसी को यहाँ आने की ज़रूरत नहीं ..ना किसी को बाहर जाने की ......मा मैं सारी जिंदगी तुम सब के साथ गुज़ार सकता हूँ ..अपनी सारी जिंदगी मा ..बोलो ना मंजूर है ....???"

मा ने जिंदगी देखी थी ..ग़रीबी की मार झेली थी ...और सब समझती थी .....

उसे मेरी बात पूरी तरह समझ में आ गयी थी ...पूरी तरह .

उसने मुझे गले लगा लिया ..मुझे चूमने लगी " मेरा बेटा बड़ा समझदार हो गया है ...बहुत समझदार..हां बेटा मुझे सब कुछ मंजूर है ..आज से इस घर में बस खूषियाँ ही खूषियाँ दिखेगी ..हम झोपड़ी में भी महलों की तरह रहेंगे ....."

मैं खुशी से झूम उठा ..मा से लिपट गया ..उसे पागलों की तरह अपने सीने से लगा लिया

"मा ..माआ तू सही में रानी बन कर रहेगी ..मेरी रानी......."

हमारे शोर गुल से मेरी बाकी दो रानियाँ भी जाग गयीं .....उन्होने मा बेटे को इस तरह चूमते देखा ...मैने उनकी तरफ आँख मार दी..दोनो मुस्कुरा उठीं ....

और दोनो बोल उठे " वाह भाई , आई तो तेरी रानी हो गयी और हम दोनो ...???"

"अरे मेरी तीन तीन रानियाँ हैं रे ..तीन तीन..." मैने अपनी आवाज़ थोड़ी उँची करते हुए कहा

और बाकी दोनो रानियाँ भी हम से लिपट गयीं ....

हम सब एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे को चूम रहे थे और आनेवाले खुशियों की झलक से झूम उठे .........

मेरी तो खुशी के मारे जान ही निकल रही थी...उफफफफफ्फ़....मा ने सब कुछ मान लिया था ..मुझे तो ऐतबार ही नही हो रहा था...ये सपना है या सच.....मैं मा से बूरी तरह लिपट गया ...और मा को बोला "मा .मेरे गाल काट ना ...काट ना मा.."

मा ने हंसते हुए कहा " क्यूँ रे ..."

दोनो बहेनें मेरी पीठ से चिपकी थीं और मैं मा के उपर था.. सिंधु ने मेरा लंड अपनी मुट्ठी में भर उसे दबाती और फिर सहलाती जा रही थी....और बिंदु मेरी गर्दन पर अपने होंठ चिपकाए चूम रही थी ...

"अरे काट तो...ज़ोर से काट ना ..मुझे दर्द महसूस होना चाहिए ...मैं जान ना चाहता हूँ ये सपना है यह सच ....मा ...काट ना..." और मैने अपना गाल उनके मुँह पर रख दिया

" हाई रे मेरा बेटा मेरे लिए इतना पागल है .." और अपने दाँत से हल्के से काटा

" नहीं मा ज़ोर से काटो ना ..." और मा ने अपने दाँत मेरे गाल पे गढ़ा दिए ..दाँतों का निशान बन गया ;;मुझे कुछ दर्द हुआ ..

मेरे मुँह से एक मीठे दर्द की सिसकारी निकल गयी

"ओह माआ ये हकीकत है ...ऊवू मा ..माआ " और मैं उस से और भी बूरी तरह चिपक गया और उसके ब्लाउस के उपर से ही उसकी भारी भारी चुचियाँ चूसने लगा .... दोनो बहनो की हरकतों ने भी ज़ोर पकड़ लिया था ..

मा आँखें बंद किए अपने बेटे के इस तरह प्यार के अंदाज़ का महसूस करने लगी...

पर फिर भी मा में कुछ हिचक . शर्म थी और अपनी दोनो बेटियों के साथ होने की वजेह से वो खुल कर कुछ करना नहीं चाह रही थी

" जग्गू , कुछ तो शर्म कर रे ...बिंदु और सिंधु के सामने तो ये सब मत कर " उन्होने मेरे कान पर अपना मुँह रखते हुए धीमी आवाज़ में कहा ...

पर बिंदु को मा की बात समझ आ गयी...

वो झट उठ गयी ..अपने कपड़े ठीक किए और सिंधु से कहा

" सिंधु चल ना रे ज़रा बाहर घूम आते हैं..कुछ सब्जियाँ भी ले आएँगे रात के खाने के लिए ..."

मैं अभी तक मा की चूचियों पर अपना मुँह लगाए था

सिंधु भी समझ गयी ..वो भी खाट से उठ गयी ...

" हां रे बिंदु ..चल .... "

वाह रे वाह कितना अच्छा एक अनौखा समझौता इन लोगो ने कर लिया था ....

और दोनो बहेनें मुझे आँख मारती हुई साथ साथ निकल गयीं ..
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10-15-2018, 10:55 PM,
#9
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मा की आँखें अभी भी बंद थीं , मैं झट से उठा , दरवाज़ा बंद किया और मा के बगल बैठ गया ....

मैं उसे निहारे जा रहा था ....उसकी खूबसूरती , उसकी आग भड़काने वाली जिस्म की उभार , चेहरे की मस्ती सब कुछ अपने अंदर ले रहा था ...

" ऐसे क्या देख रहा है रे..अपनी मा को कभी देखा नहीं क्या..?" मा ने अपनी आँखें पूरी तरह खोलते हुए कहा ..

" हां मा देखा है और हज़ारों बार देखा है ..पर इस तरह से आज तक नहीं..आज सिर्फ़ मैं तुम्हें देख रहा हूँ ..सिर्फ़ मैं .. ये मेरी ख्वाहिश थी ..और आज ये हक़ीकत है...उफ़फ्फ़ मा तुम कितनी खूबसूरत हो ....दुनिया की सब से खूबसूरत औरत ...ऊवू मा ..."

और मैं उसे उसकी बाहों से जकड़ता हुआ उठा लिया , अपनी तरफ खिचा और अपने से चिपका लिया ... उसे चूमने लगा ...बेतहाशा ..पागलों की तरह ..कभी गाल ..कभी होंठ कभी उसकी छाती ....उफ़फ्फ़ क्या करूँ मैं पागल था

मा ने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया था ...अपने बेटे के हाथों वो भी मजबूर हो गयी थी ..उस ने भी आज तक अपनी जिंदगी में इतना प्यार नहीं देखा था ...उस ने आँखें बंद किए इस प्यार पे अपने आप को लूटा दिया

"हां ..हां जग्गू ..मुझे जी भर के प्यार कर रे...मैं कितना तडपि हूँ इस के लिए..तू जो चाहे कर ले ..मेरी प्यास बूझा दे रे....हाआँ बेटा ..मैं बहुत प्यासी हूँ ...." वो भी अपने हाथ मेरी पीठ पर रख मुझ से और भी चिपक गयी ...

दोनो एक दूसरे से चिपकी एक दूसरे में समा जाने को बेताब थे..

मैं उसके होंठ अपने होंठों में भर लिया चूसने लगा ....कभी नीचे , कभी उपर ..चूस्ता रहा ...मा ने अपना मुँह खोल दिया ...मैने अपना मुँह उसके अंदर डालने की कोशिश में उसे खाने लगा ..

चप चप उसके होंठों पर अपने होंठ लगा लगा चूसने लगा ..उसका गीलापन , उसका लार उसकी मुँह से मेरे अंदर जा रहा था ..मैं सब कुछ अपने गले से नीचे उतरता जा रहा था ..मा का अमृत अपने मुँह में ले रहा था ...कितना अजीब और कितना मीठा था मा का अमृत ...

उफ्फ मन भरता ही नहीं था ..बार बार चूस्ता ..मुँह हटाता ..फिर चूस्ता .....

दोनो हाँफ रहे थे ..लंबी लंबी साँसें ले रहे थे ...दोनो के होंठ और गाल थूक और लार से गीले हो गये थे ....

मैने मा की ब्लाउस खोल दी ..उसने अपने हाथ उपर करते हुए उसे बाहर निकल दिया ....और उसी झटके में मैने उसकी ब्रा भी निकाल दी ...

मैने मा को लिटा दिया खाट पर ...

उपर से नंगी थी ....छाती बिल्कुल नंगी ..सारी बीखरी थी ..खाट से नीचे लटक रही थी

मैं उसके ऊपर आ गया ...उसकी गोल गोल भारी चुचियाँ , सुडौल चुचियाँ ..देखता रहा ....

मा ने चुप चाप मेरे सर को थामते हुए अपनी छाती से लगा लिया ..और अपनी चूचियों पर दबाया ..जोरों से ...

मेरे चेहरे पर ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी तकिये से लगा हो , मैने अपनी हथेलियों से उसकी चूचियाँ मसल रहा था और चूस रहा था ..बारी बारी दोनो चूचियों को ..अपनी मा की चुचियाँ ,,जिन से मैं दूध पीता था ..आज फिर से उन्हें चूस रहा था ...मा के हाथ मेरे सर सहला रहे थे

" हां बेटा ..अपनी मा को चूस ..तेरा ही तो है रे ..चूस ले जी भर ....अपनी भूख मीटा ले ..."

और मेरा चूसना और भी ज़ोर पकड़ लिया ..मानो मैं पूरी की पूरी चूची मुँह से अंदर ले लूँ

मा सिसक रही थी..कराह रही थी ..मेरी पीठ ..मेरा सर सहला रही थी

मेरा लौडा उसकी जांघों के बीच उसकी सारी के उपर से ही उसकी चूत से टकराए जा रहा रहा था ..मैं ज़ोर और ज़ोर से उसे जांघों के बीच दबाए जा रहा था

सारी के उपर से ही उसकी चूत के गीलेपन को मैने महसूस किया ....जितनी बार उसकी चूची चूस्ता ..उतनी बार उसकी चूत से पानी का धार फूट पड़ता ....

मैं तड़प रहा था ..मा बहाल थी ..बार बार मेरे लौडे को अपनी चूत से रगड़ रही थी

" मा , सारी उतार ना .?" मैने उस से धीमी आवाज़ में कहा ..

" हां बेटा ..मेरा राजा बेटा ..तू ही उतार दे ना ....बस जो जी में आए कर ना ..मैं तो बिल्कुल तुम्हारी हूँ ना ....कुछ भी कर ले ..." उस ने तडपति हुई आवाज़ में कहा ...

मैं फ़ौरन उसकी सारी उतारी , उसके पेटिकोट का नाडा खिचाता हुआ उसके पैरों को उठा पैरों से बाहर कर दिया ..और फिर अपने कपड़े भी उतार दिए ..

अब मेरे सामने मा नंगी लेटी थी ..बिल्कुल नंगी....उसकी आँखें बंद थीं और होंठों पर हल्की मुस्कुराहट ...पैर फैले हुए ..चूत के उपर हल्के हल्के बाल ...और उसके बीच चूत की गुलाबी फाँक ...आह साँवली चूत के बीच उसका गुलबीपन निखर रहा था...और इतनी गीली थी उसकी गुलाबी फाँक ..चमक रही थी ...

मैं उसकी टाँगें फैलाते हुए चूत की पंखुड़ियों को अपनी उंगलियों से अलग किया और झूक गया उसकी चूत पर, और अपने होंठों से चूत को जकड़ता हुआ जोरों से चूसा ......

मा उछल पड़ी .उसके चूतड़ हवा में उछल गये ..मैने अपने हाथों को उसकी चूतड़ के नीचे लगाते हुए उसे जाकड़ लिया ....और फिर और भी जोरों से चूसने लगा ..उसका सारा रस मेरे मुँह में जा रहा था ....अया , मा तड़प रही थी ,...उसके चूतड़ मेरे हाथों में कांप रहे थे उसकी टाँगें थरथरा रही थी ...मा सिसक रही थी ...ऐसा उसके साथ आज तक नही हुआ था ..मैं लगातार चूसे जा रहा था .... मा की चूत फडक्ने लगी .मेरे होंठों ने महसूस किया ....मैं फिर भी चूस्ता रहा ...मा अकड़ गयी ...उसके चुतडो ने मेरे हाथों की जाकड़ के बावजूद उछाल मारा ...और झटके खाने लगी और एक जोरदार फवारा मेरे मुँह के अंदर गया ..और मा ढीली पड़ गयी ... शांत हो गयी ...

" बेटा ..उफ़फ्फ़ ये कैसा सुख था......ऊवू मेरे लाल ....मेरे बच्चे.....ऊवू तू कितना प्यार करता है....आह मैं मर जाऊंगी तेरे प्यार में ....मैं निहाल हो गयी .....आ जा ..आ जा मेरे लाल....आ जा ना मेरे अंदर ...हां आ जा ..मेरे अंदर ....मैं फिर से अपने बच्चे को अपने अंदर डाल लूँगी....हां रे आ जा ना .....बस आ जा ..." वो मस्ती में बॅड बड़ा रही थी और मैं उसकी ऐसी बातों से बिल्कुल पागल हो उठा था

मा की चूत बहुत गीली थी ..और मेरा लंड बूरी तरह आकड़ा हुआ था ...उसकी चूत के होंठ कांप रहे थे

मैं घुटनों के बल उसकी टाँगों के बीच बैठ गया ..उस ने खुद ही अपनी टाँगें फैला दी ...हाथ बढ़ाया और मेरे लौडे को थाम लिया , अपने चूत पर लगा दिया ...."आ जा बेटा ..आ जा ...." और अपने चूतड़ उपर की साथ साथ मैने भी अपने लौडे को अंदर धँसाया ....चूत इतनी गीली थी ..पूरे का पूरा एक ही बार फिसलता हुआ जड़ तक पहून्च गाया..अपनी मा के अंदर समा गया ..

" आआआआआः ...ऊह .हां हां बेटा ..बेटा अयाया " मा ने अपनी टाँगें मेरे चुतडो पर रख उसे दबाती रही , " हां और अंदर हां जितना कर सकता है कर ना ..मेरे लाल..."

मैं भी कांप उठा ..मा ने चूत को टाइट कर ली , और मैं भी उसे जकड़ता हुआ लंड और भी अंदर डालने की कोशिश की ..मेरे बॉल्स और जाँघ उसकी चूत से चिपक गये ...मैं बिल्कुल मा के अंदर था , उस से चिपका .उस से लीप्टा , उसके होंठ चूम रहा था ..उसकी चुचियाँ मसल रहा था और दोनो लिपटे थे ...

मा मेरे लौडे को अपनी चूत से चूस रही थी..कभी चूत टाइट कर देती कभी ढीली ...उफ़फ्फ़ मैं तड़प रहा था ...मैं झेल नहीं सका ...मैं अपना लौडा अंदर किए ही बूरी तरह झड़ने लगा ..मा ने एक ही बार में अपने बेटे को चूस लिया था ...मेरा लंड बूरी तरह झटके ख़ाता रहा मा की चूत के अंदर ..मा ने मुझे अपने से लगाए रखा ..मैं उस से चिपका रहा ..झाड़ता रहा 'झाड़ता रहा .....और फिर मेरा लंड पूरा खाली हो गया अपनी मा की चूत में .....मैं मा की छाती पर ढेर हो गया ..उसकी चूचियों पर सर रखे ....मा की गोद में ....अपने स्वर्ग में ....

" हां बेटा ..आराम कर ..मेरे सीने से लगे रह बेटा .." मैं आँखें बंद किए पड़ा था ..मा मेरा सर सहला रही थी और मुझे चूमे जा रही थी ....

मैं दुनिया की सब से महफूज़ , शांत और सुख से भरपूर जगह .मा के सीने पर पड़ा रहा ...

मैं मा के सीने पर अपना सर रखे पड़ा था , मा मेरे बाल सहला रही थी ..और मैं उसके सीने से लगा उसकी चूचियों की गर्मी और नर्मी के अहसास के मज़े ले रहा था ...

तभी मा ने कहा " बेटा ...सच सच बता..क्या तू ने पहले भी किसी के साथ ये सब काम किया है ..?"

मैं उसके इस सवाल से थोड़ा चौंक गया ...अपना चेहरा उपर करते हुए पूछा

" क्यूँ मा ..तू ऐसा क्यूँ पूछ रही है ..?"

" अरे बता ना ..अब तो सब कुछ हो गया...छुपाने को क्या रखा है..?" मा ने कहा

" फिर भी मा बता ना ..तू बता फिर मैं बताता हूँ ..छुपाउंगा नहीं ...."

" ह्म्‍म्म्म मतलब तू पहले भी ये सब कर चूका है..तभी मैं कहूँ इतने अच्छे से कैसे कर लिया सब कुछ ..और जो चूसनेवाला काम ...उफफफफ्फ़ ..जग्गू अभी भी मुझे वहाँ गुदगुदी जैसा लग रहा है रे ....तेरे बाप ने तो चूसना तो दूर ...साले ने कभी हाथ तक नहीं लगाया.. सारी उपर की और बस चालू...और तीन चार बार अंदर बाहर करते ही साला झाड़ जाता था ..मैं कब से प्यासी थी बेटा...आज मुझे पता चला प्यार क्या चीज़ है ......" मा ने मेरे चेहरे को अपने हथेली से थामते हुए चूम लिया ...

" ऊवू मा ..मैं कितना खुश हूँ..तेरे को मेरे साथ इतना अच्छा लगा ....बस देखती जा मा मैं और भी कितना प्यार दूँगा तेरे को..तू संभाल नहीं सकेगी मा ...तेरे को मैं अपने प्यार से सराबोर कर दूँगा ...नहला दूँगा .." और मैं ऐसा कहता हुआ उसके होंठों को चूसने लगा ...

"अच्छा बेटा ये बता वो किस्मतवाली कौन थी रे..??" मा ने मेरे चेहरे को अपने होंठों से प्यार से अलग करते हुए कहा..

मैने मा की चुचियाँ हल्के हल्के मसल्ते हुए कहा

" देख मा ..बता तो दूँगा..पर तू गुस्सा तो नहीं करेगी ना ..?"

" गुस्सा..? क्यूँ ..?गुस्सा क्यूँ करूँगी बेटा ..तू इतना लंबा-तगड़ा जवान है ..कोई भी औरत तेरे साथ ये सब करके खुश होगी..तू अगर किसी से कर भी लिया तो कोई बड़ी बात नहीं..मैं तो बस इतना जान ना चाहती हूँ वो कौन थी जिस पर मेरा बेटा धूलक गया..?? बोल ना रे ...मैं बिल्कुल गुस्सा नहीं करूँगी..."

" ह्म्‍म्म तो सुन..वो कोई भी बाहर की नहीं थी मा ..मैने आज तक तुम तीनों के सिवा और किसी को भी अपना दिल नहीं दिया ..आज दिन में ही जब तू और बिंदु काम पर थी .. मैने सिंधु के साथ किया मा ....अपनी प्यारी बहेन के साथ .....तू नाराज़ तो नहीं है ना..? "

मा पहले तो थोड़ा चौंक गयी ... थोड़ी देर चुप रही ..फिर उस ने कहा

" ह्म्‍म्म्म तभी मैं कहूँ वो चलते वक़्त लड़खड़ा क्यूँ रही है....चलो आख़िर ये तो होना ही था ..एक ना एक दिन ... और अब तो मैने तुम्हारी बात मान ली है ....उसे काफ़ी दर्द हुआ होगा ना जग्गू .." मा की आवाज़ में बेटी का दर्द था ..

" नहीं मा कुछ ज़्यादा नहीं ..मैने बहुत ख़याल रखते हुए ये सब किया ..तू उस से पूछ लेना ना ...येई तो फ़ायदा है ना मा घर के आदमी से करने का....मैं आख़िर उसका भाई हूँ..अपनी प्यारी गुड़िया जैसी बहेन को दर्द कैसे दे सकता हूँ मा ..बताओ ना...?"

" हां बेटा येई सब तो सोच के मैने भी हां कर डी ... तू कितना समझदार है ..कितना प्यार करता है हम सब से ....इसलिए तुझे इतना ख़याल है हम सब का...वो भी जवान हैं ..शादी जाने कब होगी .. बाहर किसी के साथ मुँह काला करने से तो अच्छा है तू ही अपना भी और उनका भी ख़याल रखे .... "

" हां मा मैने भी तो येई सब सोच के तेरे से कहा ..."

" हां हां रे मेरा प्यारा , दुलारा बचा कितना समझदार है ...."

ये सुनते ही मैं अपनी मा को फिर से गले लगा लिया , उसके सीने से चिपक गया और होंठ फिर से चूसने लगा .....उफ़फ्फ़ मा के होंठ इतने रसीले , मुलायम और गर्म थे..उन्हें चूसने से कभी मन ही नहीं भरता ....

क्रमशः…………………………………………..
Reply
10-15-2018, 10:55 PM,
#10
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
5

गतान्क से आगे…………………………………….

थोड़ी देर उस ने भी मेरा बड़े प्यार से साथ दिया .....मेरे होंठ भी वो चूस रही थी ..

फिर मेरे चेहरे को अपनी हथेलियों से थामते हुए पूछा

" अच्छा ये बता..सिंधु के बारे बिंदु को मालूम है के नहीं..?"

मैने उसकी ओर मुस्कुराते हुए कहा .

" अरे उसी ने तो हमें और सिंधु को अकेला छोड़ा खुद काम पर निकल गयी ....और मुझे और सिंधु को मौका दिया .."

" देख बिंदु कितनी समझदार है ...अभी भी देख ना उसी ने सिंधु को यहाँ से हटाया , और हमें भी मौका दिया ... " और उस ने मुझे अपने करीब और भी खिचते हुए मुझे चूमा और कहती गयी " देख बेटा उसे बड़ी हिफ़ाज़त से करना ..फूल सी है मेरी बिंदु ..खुद से कुछ नहीं करेगी मैं जानती हूँ ...तू ही सब कुछ बड़े आराम से करना ...

" हां मा तू बिल्कुल भी चिंता मत करो ..मैं उसे बहुत प्यार से ....और ये तू करना ..करना क्या लगा रखी है मा ..सॉफ सॉफ बोल ना चोद्ना ...." और मैं उसकी चुचियाँ मसलता हुआ उसे फिर से जोरदार किस करने लगा .."

मा मेरे होंठ चूसने और अपनी चुचियाँ दब्वाने के मारे सीस्ककियाँ लेने लगी , मेरी बाहों में छटपटा उठी ..बेचैन हो गयी ..पर उसे अपनी बेटियों के आने का भी डर था ..उस ने अपने को बड़ी मुश्किल से मेरी बाहों से अलग किया और हानफते हुए कहा ...

" हाई रे देख तो मेरा बेटा अपने साथ मुझे ही बेशरम बना रहा है..." और अपनी आँखें नीचे कर ली

" हां मा ऐसे वक़्त बेशरम बन ना पड़ता है ..बोल ना सॉफ सॉफ मुझे क्या करना है बिंदु को ...?'' और मैने उसे फिर से जाकड़ लिया ...

" अरे चोद ना रे जग्गू ....देख वो दोनो भी आते ही होंगे ..छोड ना ..." कसमसाते हुए मा ने कहा

" फिर जल्दी बोल ना क्या करना है ...नहीं तो मैं छोड़ने वाला नहीं " और मैं फिर से उसके होंठ चूसने लगा और हाथ नीचे कर उसकी चूत भी मसल दी ..मा कराह उठी

"अयाया ....बेटा ये क्या कर रहा है ....उफफफफफफ्फ़ ... ये चूम्मा चाटी बंद करेगा तभी तो बोलूँगी ना ...चल छोड़ ..बोलती हूँ.."

मैने उसे छोड़ दिया ..मा हाँफ रही थी ...उसने थोड़ी देर तक अपनी सांस ठीक की और कहा

" ले सुन ...."

मैने झट उसे फिर से अपनी बाहों में लिया ..अपने सीने से लगाया ..उसका चेहरा उठाते हुए अपनी ओर किया ..उसकी आँखों में देखता हुआ बोला ..

" हां अब मेरी आँखों में देखते हुए बोल .."

पहले तो उस ने अपनी आँखें बंद कर दी ..फिर मुस्कुराते हुए खोला और कहा

" बेटा उसकी फुद्दि फाड़ना नहीं ..उसे बड़ी आराम आराम से चोद्ना ..." और मेरी ओर एक तक देखती रही , एक दम बेबाक.

मैं झूम उठा उसकी इस प्यारी बेशर्मी से ...." ओओओओह मा तू कितनी प्यारी है ...उफफफफफफ्फ़ ..मन करता है जिंदगी भर तुझे ऐसे ही चिपकाए रखूं अपने सीने से ...."

मैने उसे और भी करीब खिच लिया ..अपनी तरफ...

मैं कुछ और करता ,उस के पहले ही उस ने मेरे हाथ पकड़ लिए और कहा ..

" अछा अछा बहुत हो गया अब..चल तू कपड़े पहेन ले ..मैं भी तैय्यार हो जाती हूँ..बिंदु और सिंधु भी अब आते ही होंगे ..देख ना कितनी समझदार हैं दोनो .... " और मेरी ओर देख हँसने लगी.

मैं भी मौके की नज़ाक़त समझते हुए बिस्तर से उठा और अपने कपड़े पहेन ने लगा ..

मा झोपड़ी के कोने में बाल्टी के पानी से एक कपड़े को भीगो कर अपनी टाँगें फैलाते हुए , उस गीले कपड़े से अपनी चूत सॉफ किया ..और एक सूखे कपड़े से जांघों के बीच अच्छी तरह सफाई की ..

मा नंगी चलते हुए बड़ी हसीन लग रही थी ...उसकी सुडौल चुचियाँ डोल रही थीं...गुदाज़ .जंघें थरथरा रही थीं ..मैं फिर से उस के करीब गया और उसकी चुचियाँ मसल्ते हुए चूसने लगा.....

" उफफफफ्फ़ ...अब छोड़ भी ना बेटा ..अब मैं कहाँ जानेवाली हूँ.तेरे साथ ही तो हूँ..आज कोई आखरी बार तो नहीं ..चल हट मुझे कपड़े पहेन ने दे .."

मैने एक बार जोरदार चूसाई की और उसे छोड़ दिया ....

उस ने अपनी चूची पर मेरी चुसाइ से लगे थूक हाथ से पोंच्छा ...मुस्कुराते हुए खाट के पास आई और सारी लपेट ते हुए कहा:

" अच्छा ये बता अब बिंदु का नंबर कब लगा रहा है...." और जोरों से हंस पड़ी

मैं अब तक कपड़े पहेन चूका था ..मैं मा से लिपट गया ...और कहा

" मा तू भी ना ... " और उसकी चुचियाँ फिर से मसल दीं मैने ..

"उफफफफ्फ़ छोड़ ना रे अब ..इतने जोरों से दबा दिया ,,देख तो ..कुछ तो रहेम कर ... ऐसे मत करना बिंदु के साथ मर जाएगी बेचारी ..सब से शांत और सीधी सादी है वो ..."

" हा हा हा !! मा आइ लव यू ...." और मैने उसके होंठ चूम लिए..

" वाह रे अँग्रेज़ी निकल गयी ....तेरे मुँह से ..? "मा ने जोरों से हंसते हुए कहा

" हां मा जब बहुत प्यार आता है ना तो अँग्रेज़ी निकल जाती है मुँह से ..." मेरी बात पूरी होती इस से पहले ही दरवाज़े पे खटखट हुई ...

" लगता है दोनो आ गये ..तू बैठ मैं खोलती हूँ दरवाज़ा .." और मैं खाट पर इतमीनान से पैर नीचे लटकाए बैठ गया..मा दरवाजे की ओर बढ़ गयी...

मा ने आगे बढ़ कर दरवाज़ा खोला ..दोनो बहेनें अंदर आईं...और मेरी और मा पर नज़र डाली और मुस्कुराते हुए आँखों आँखों में ही पूछा " क्या हुआ....? "

मैने जवाब में आँखें मार दीं ...दोनो खुशी से झूम उठीं ..

तब तक मा दरवाज़ा बंद कर हमारे पास आ गयी थी ...

" अरे वाह दोनो तो काफ़ी कुछ ले आई आज .." और सिंधु और बिंदु के हाथ से सामानो से भरा पॅकेट लेते हुए कहा.." देखें क्या क्या लाई है ...

मा ने देखा कुछ सब्जियाँ थीं और कुछ खाने के लिए भी था ..समोसे और नमकीन .

' वाह तुम ने अच्छा किया समोसे ले आई ....चलो मैं चाइ बनती हूँ ..साथ में समोसे भी खाएँगे .तुम लोग बैठो." और मा चूल्‍हे की तरफ चली गयी

सिंधु और बिंदु माथे से पसीना पोंछते हुए मेरे दोनो ओर खाट पे बैठ गयीं ..

सिंधु की चाल में अब लड़खड़ाहट नहीं थी ..शायद बाहर पैदल चलने की वजेह से मसल्स ढीले हो गये थे ...

सब से ज़्यादा सिंधु मचल रही थी जान ने को ..मैने मा के साथ कैसे किया

उस ने पूछा " भाई कैसा रहा ..?? "

मैने जवाब दिया " मस्त ..." और हँसने लगा

" बताओ ना भाई ..कैसा मस्त ..? "

बिंदु बोली " अरे बेशरम ..मस्त कैसा होता है..? तेरे को नहीं मालूम क्या ..? तू ने तो मस्ती ले ली अब पूछती क्या है ..?"

" ह्म्‍म्म पर दीदी मेरे और मा में बहुत फ़र्क है ना ....क्यूँ भाई ठीक बोली ना मैं ..." सिंधु ने जवाब दिया

" हा हा हा !! वो तो है सिंधु..पर उफफफ्फ़ क्या बोलूं यार तुम दोनो की मस्ती ने मेरे को तो बिल्कुल मस्त कर दिया ....."

" हां भाई ..अब देखना दीदी की मस्ती से तू और कितना मस्त होता है ....."

" हां रे सिंधु ...बिंदु भी तो मस्त है रे .." और मैने बिंदु को अपने सीने से लगा लिया और उसके चेहरे को अपनी तरफ करते हुए चूम लिया और फिर कहा " एक दम फुल मस्त है..."

बिंदु ने अपने को अलग करते हुए कहा .." भाई ..क्या कर रहे हो ...कुछ तो शर्म करो...मा देख लेगी ."
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