Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
12-07-2018, 01:24 PM,
#11
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
तभी शबाना ने फातिमा की तरफ देखकर कहा- चलो भैया का लंड चूसती हैं.
और मेरे सामने आकर बैठ गई, अपना मुंह खोलकर मेरे फड़कते हुए लंड को अपने मुँह के अन्दर ले लिया और उसे चूसने और चाटने लगी.
फातिमा बड़ी हैरानी से ये सब देख रही थी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि शबाना अपने सगे भाई का लंड इतने मजे से अन्दर ले रही है और वो अपना मुंह फाड़े ये सब अनहोनी होते देख रही थी.
शबाना ने मेरे लंड के सिरे पर अपनी जीभ फिराते हुए फातिमा से कहा- अरे देख क्या रही हो… इधर आओ और मेरी मदद करो.
फातिमा थोड़ी हिचकिचाई पर मेरे लम्बे लंड को देखकर उसके मुंह में भी पानी आ गया और वो भी नंगी उठ कर शबाना के साथ ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गई और दोनों ने एक साथ मेरे लंड को सताना शुरू कर दिया.
दोनों बारी-बारी से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी. फिर उन्होंने दोनों तरफ से मेरे लंड के चारों तरफ अपने रसीले होंठ फेरने शुरू कर दिए. उनके गीले होंठों के बीच मेरा लंड पिस कर रह गया.
वो दोनों मेरे लंड को बाँसुरी की तरह बजा रही थी और मेरे लंड को अपने मुंह में रखकर दोनों ने फ्रेंच किस करना शुरू कर दिया. मेरी तो टांगें ही कांपने लगी क्योंकि जिस तरह का इलाज वो दोनों मेरे लंड को दे रही थी… वो मुझसे सहन नहीं हुआ और मेरे लौड़े ने अपना गर्म लावा उगलना शुरू कर दिया.
दोनो में होड़ लग गई कि कौन ज्यादा से ज्यादा मेरा रस पीती है और इस तरह मेरी एक-एक बूंद निचोड़ ली कमीनियों ने… मेरा लंड मुरझा कर उनके होंठों से निकल कर बाहर आ गया पर फिर भी दोनों ने अपनी किस नहीं तोड़ी. वो शायद एक दूसरे के मुंह में मेरा रस ढूंढ रही थी.
मैंने धीरे से कहा- मैं चलता हूं अब!
और अपना पायजामा ऊपर करके बाहर निकल गया पर वो दोनों अभी भी एक दूसरी में व्यस्त थी.
नीचे नाश्ते पर दोनों बच्चों की तरह व्यवहार कर रही थी, बात बात पर हंस रही थी पर कुछ भी ऐसा बर्ताव नहीं कर रही थी कि हम सबके बीच रात को और सुबह में क्या-क्या हुआ.
मैं मन ही मन मुस्कुरा रहा था कि जैसा हमने सोचा था, सब वैसा ही हुआ बल्कि उससे भी अच्छा हुआ क्योंकि पैसों के साथ साथ फातिमा ने मेरा लंड भी चूसा और अपनी योनि भी चुसवाई.
मुझे आज अपने आप पर गर्व हो रहा था.
शाम को मैं और शबाना अपने कमरे में बैठ कर आगे के बारे में बातें कर रहे थे. मैंने शबाना से कहा- मैं अपने दोस्तों को तुम्हारा और फातिमा का शो दिखाने के ज्यादा पैसे चार्ज कर सकता हूँ या फिर दूसरा आप्शन यह है कि शबाना अपनी योनि मेरे दोस्तों से चटवा ले.
शबाना ने भी कहा कि क्यों न वो अपनी दूसरी सहेलियों को भी मेरा हस्तमैथुन करता हुआ शो दिखाए या फिर मैं उसकी सहेलियों की योनि चाटूं!
मैंने कहा- मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है.
शबाना बोली- या फिर मुझे लगता है कि हमें दोनों काम करने चाहियें… हमें तो पैसों से मतलब है फिर जहाँ से मर्जी आयें… है न?
मैंने सोचते हुए कहा- ह्म्म्म… हाँ!
मैंने शबाना से पूछा- पर क्या फातिमा इन सबके लिए राजी होगी?
शबाना ने हंसते हुए कहा- अगर तुम उसकी योनि फ्री में चाट कर झाड़ दो तो जरूर राजी हो जाएगी.
रात को डिनर के टाइम अब्बू ने एलान किया कि इस बार वो दोनों हमें भी अपने साथ जंगल कैंप पर ले जायेंगे क्योंकि पिछले साल भी कुछ लोग अपने बच्चों को लेकर आये थे. तो वो भी अपने बच्चों को अपने साथ लेकर जाना चाहते हैं.
साथ ही उन्होंने बताया कि उनका छोटा भाई फारुख और उनकी पत्नी निदा, अपनी बेटी रुखसाना को भी साथ ला रहे हैं.
चाची जान के बारे में सुनकर मैं खुश हो गया. हम काफी समय से उनसे नहीं मिले थे, वो काफी आकर्षक थी… खासकर उनकी चूचियाँ बड़ी-बड़ी और उठी हुई थी. रुखसाना भी जवान हो गई थी. मैंने उसे भी काफी समय से नहीं देखा था. मैं मन ही मन उन दोनों को सोचकर खुश होने लगा.
शबाना ने ख़ुशी के मारे उछलते हुए कहा- अरे वाह… क्या सच में आप हम दोनों को अपने साथ लेकर चलोगे?
अब्बू (संदीप) ने अपनी पत्नी यानि कि हमारी अम्मी शाजिया की तरफ देखते हुए कहा- हाँ… बिल्कुल!
मैंने उठ कर अब्बू के गले लग गया- ओह्ह अब्बू यू आर ग्रेट!
शबाना भी उठी और हम दोनों से लिपट गई. मेरा हाथ सीधा शबाना की गांड से टकराया और मैं उसे दबाने लगा. अम्मी भी आकर हमारे साथ बीच में घुस गई. अब मेरे दूसरी तरफ अम्मी थी और मेरा हाथ सीधा उनकी नंगी कमर पर था. उन्होंने साड़ी पहन रखी थी. मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई अपनी अम्मी की नंगी कमर को पकड़ने मात्र से!
उस रात मैंने और शबाना ने कुछ नहीं किया और सो गए.
अगले दिन शबाना को स्कूल छोड़ने जाते समय मैंने उससे आगे के लिए बात की. हम सोच रहे थे कि जाने से पहले कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ. हम दोनों ने निष्कर्ष निकाला कि हम अपने दोस्तों से बात करेंगे और देखेंगे कि क्या हो सकता है.
शाम को मैंने शबाना को बताया कि मैंने रियाज और जुबैर से बात कर ली है और वो शबाना और फातिमा को एक साथ नंगी देखने के लिए ढाई हजार देने को तैयार हैं यानी एक शो के पांच हजार रूपए! और साथ ही साथ ये भी कहा है कि अगर वो शबाना की योनि भी चाटना चाहते हैं तो उसके पांच हजार रूपए अलग लगेंगे.
उन दोनो ने पहली बात तो झट से मान ली पर पाँच हजार का नाम सुनकर बोले कि ये तो बहुत ज्यादा है, वो फिर कभी कर लेंगे. अभी तो सिर्फ दो नंगी लड़कियों को नंगी देखना चाहते हैं.
शबाना बोली कि उसने भी एक-दो लड़कियों से बात की है पर किसी ने अभी तक पक्का नहीं किया है.
हमने तय किया कि अगले दिन दोपहर को स्कूल से आने के बाद हम ये शो करेंगे… अम्मी अब्बू के आने से पहले.
ये सब बातें करते करते हम दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे. मैंने उसकी स्कर्ट को उठाया और उसे डायनिंग टेबल के ऊपर झुकाकर उसकी कच्छी उतार दी और अपना मुंह उसकी रस टपकती योनि पर टिका दिया.
शबाना मचल पड़ी और उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी- आआह… म्म्म्म ममम… जोऊऊर… से ए ए… आआहहह!
मेरी लम्बी जीभ शबाना की योनि कुरेदने में लग गई. मैंने हाथ ऊपर करके उसकी शर्ट के बटन खोल दिए और झटके से उसके कंधों से शर्ट के साथ साथ उसकी ब्रा के स्ट्रेप भी उतार दिए. उसके गोरे चूचे बाहर उछल पड़े.
फिर शबाना आगे की तरफ झुक कर टेबल पर आधी लेट गई. टेबल का ठंडा कांच उसके चूचों को मसल रहा था और उसके शरीर में सिहरन दौड़ा रहा था. उसकी योनि इतनी गीली हो चुकी थी कि मैं सारा रस पी ही नहीं पा रहा था. उसका रस बहकर जांघों से होता हुआ नीचे तक जा रहा था.
मैंने उसका रस टांहों के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी टाँगें रस से भीगकर लसीली हो चुकी थी. फिर मैंने अपनी जीभ से उसकी टाँगें चाटना शुरू कर दिया तो वो पागल ही हो गई, उसे गुदगुदी भी हो रही थी. उसने पलटकर मेरी तरफ मुंह किया और मेरा सर पकड़ कर जोर से चीख मारने लगी- ईईईई… क्याआआ… कर.. रहे होओ?
मैंने टाँगे चाटते हुए उसका पैर उठाकर अपने चेहरे के सामने किया और उसकी पैर की छोटी-छोटी उँगलियों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा. वो उत्तेजना के मारे दोहरी हो गई और उसने उसी पैर को मेरे सीने पर दबाव देते हुए मुझे नीचे जमीन पर लिटा दिया और उछल कर मेरे मुंह पर बैठ गई और दूसरी तरफ झुककर मेरे लंड को आजाद किया और चूसने लगी.
मेरे लिए अब सहन करना मुश्किल हो रहा था, मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया.. वो समझ गई और अपने होंठ मेरे मुंह में देते हुए अपनी योनि मेरे लंड पर टिका दी और फिर जोरदार धक्कों के साथ मैंने अपना लंड उसकी योनि में पेल दिया.
हम दोनों के मुंह से ‘गूंन्न… गूंन…’ की आवाज निकली और मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए. जल्दी ही मैं झड़ने के कगार पर आ गया, मैंने अपना चुम्बन तोड़ा और शबाना से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ शबाना, अपना मुँह खोलो!
शबाना फिर पहली जैसे अवस्था में आ गई और अपनी गीली योनि मेरे मुंह में डालते हुए मेरा रसीला और अपने ही रस में डूबा लंड चूसने और चाटने लगी. मेरे लंड ने जल्दी ही फायरिंग करनी शुरू कर दी.
‘माआआआ… आआ आआआह…’ और वो सब कुछ निगलती चली गई.
मेरा मुंह भी उसके काम रस से लबालब भर गया और हम गहरी साँसें लेते हुए वहीं आधे नंगे लेटे रहे.
इस तरह मैंने अपनी बहन को चोदा.
तभी मैंने अम्मी की कार की आवाज सुनी और हमने जल्दी से अपने कपड़े समेटे और ऊपर की तरफ भाग गए.
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12-07-2018, 01:25 PM,
#12
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
बेल की आवाज सुनकर मैं सिर्फ अपनी शोर्ट्स जल्दी से पहन कर नीचे आया और दरवाजा खोला. मैंने ऊपर कुछ नहीं पहन रखा था. अम्मी ने मेरा गठीला शरीर देखा और बोली- ऐसे क्यों घूम रहे हो?
तो मैंने कहा- अम्मी , अपने रूम में कसरत कर रहा था.
अम्मी ने शबाना के बारे में पूछा तो मैंने कहा शायद वो अपने रूम में पढ़ाई कर रही है.
और फिर भाग कर ऊपर अपने कमरे में आ गया, छेद में से झांक कर देखा तो शबाना कपड़े बदल रही थी नीचे जाने के लिए.
बहन की चुदाई करके निबटा कि अम्मी आ गई.
शाम को खाना खाने के बाद हम दोनों अपने अपने रूम में जाकर सो गए.
अगली दोपहर मैं रियाज और जुबैर तीन बजे घर आ गए. थोड़ी ही देर में हमने शबाना और फातिमा को भी घर में दाखिल होते देखा. हम पहले ही अपने कमरे में छुप गए थे और छेद से देख रहे थे.
उन दोनों ने आते ही अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिया और दो मिनट में ही दोनों सहेलियाँ नंगी खड़ी हो गई. रियाज और जुबैर बारी-बारी से देख रहे थे कि कैसे वो दोनों नंगी होने के बाद फ्रेंच किस कर रही हैं, एक दूसरी के चूचे दबा रहीं हैं.
वो दोनों तो फातिमा का नशीला शरीर देखकर बिफर ही गए… उन्होंने ऐसी ‘ब्लैक ब्यूटी’ नहीं देखी थी. जिसके दूध इतने बड़े और गांड इतनी चौड़ी हो और साथ ही बला की खूबसूरत भी हो.
शबाना की चमकती त्वचा के सामने वैसे तो फातिमा कुछ भी नहीं थी पर हर किसी का अपना स्वाद है.
वो दोनों अब 69 की अवस्था में आ चुकी थी और एक दूसरे की योनि की रसमलाई चाटने में लगी हुई थी.
रियाज ने शबाना को देखते हुए कहा- अरे देख यार… कैसे साली ये दोनों एक दूसरे की योनि चाट रही हैं… भेनचोद… मेरा मन कर रहा है कि दोनों रंडियों को गली में ले जा कर चोद दूँ और पूरी दुनिया इनकी चुदाई देखे.
मैं अपनी बहन के बारे में ये सब सोचकर गुस्से होने के बजाय ये सब होने के बारे में सोचकर अपने ख्याल बुनने लगा.
मैंने धीरे से रियाज के कान में कहा- तुम चाहो तो इसकी योनि तुम भी चाट सकते हो.
मैंने मौके की नजाकत को समझते हुए गर्म लोहे पर चोट मारी।
रियाज ने कहा- इस बात की क्या गारंटी है कि ये तुम्हारी बात मान जायेंगी?
मैंने कहा- मैंने बोल दिया ना बस!
तभी जुबैर बोला- और दूसरी वाली के बारे में क्या ख्याल है… क्या वो भी चूसने देगी?
मैंने कहा- उसके बारे में मैं ये कह सकता हूँ कि उससे मैं अपना लंड चुसवा सकता हूँ. अगर तुम उसे मेरा लंड चूसते हुए देखना चाहते हो तो बताओ?
मैंने उन दोनों से अपनी बहन की योनि चटवाने के लिए और फातिमा से लंड चुसवाने के लिए पांच हजार रुपये लेने के लिए बोला.
दोनों बोले- ठीक है, हमें राफियार है, और अगर तुम ये सब ना कर पाए तो तुम्हें इसके दुगने पैसे हमें देने होंगे.
मैंने खुश होते हुए कहा- ठीक है…कल दोपहर को मैं तुम्हें ये सब होते हुए दिखा दूंगा.
तब तक दूसरे रूम में रस का सैलाब आ चुका था और दोनों ने बिना कोई वक़्त गंवाए सारा पानी चाट कर साफ कर दिया और फिर दोनों कपड़े पहन कर पढ़ने के लिए बैठ गईं.
थोड़ी देर बाद रियाज जुबैर औऱ फातिमा भी चली गई.
उसी रात मैं होले से शबाना के कमरे मैं घुस गया और उसकी रजाई में जाकर लेट गया. वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी… पूरी नंगी.
मैंने अपना शोर्ट्स उतारा और वो मेरा लंड चूसने में लग गई. मैंने उसे बताना शुरू किया कि हमारी क्या-क्या बातें हुई और मैं ये सब कैसे करने वाला हूँ और कैसे मेरे दोस्त तेरी योनि को चूसेंगे.
शबाना मेरी बात सुन रही थी और मेरा लंड चूसती जा रही थी. मेरे दोस्तों द्वारा अपनी योनि चाटने की बात सुनकर उसकी चूसने की स्पीड बढ़ गई और वो दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़कर अन्दर बाहर करने लगी.
मैंने अपना गाढ़ा वीर्य उसके दहकते हुए मुंह में झोंक दिया और वो सारा रस पी गई.
आज शबाना काफी थक गई थी तो हमने चुदाई नहीं की.
अगले दिन सभी कुछ वैसे ही हुआ. हम तीनों उन दोनों का इन्तजार कर रहे थे. वो कल की तरह आईं और आते ही शुरू हो गई.
मैंने अपने दोस्तों से कहा कि वे छेद से देखते रहें और मैं धीरे से अपने कमरे से निकल कर अपनी बहन के रूम में आ गया.
शबाना और फातिमा ने देखा कि मैं रूम में पहुंचकर नंगा हो गया हूँ और मेरा लंड खड़ा हुआ है.
मैं धीरे से आगे आया और बेड पर 69 की अवस्था में लेटी हुई शबाना और फातिमा के पास आकर खड़ा हो गया. शबाना ऊपर थी और फातिमा नीचे!
मैंने एक हाथ बढाकर शबाना की योनि को फातिमा के मुँह से हटा दिया और अपना लंड लेटी हुई फातिमा के खुले हुए मुंह में डाल दिया. फातिमा पहले तो चौंक गई पर फिर उसने मेरा लंड जोर शोर से चूसना शुरू कर दिया.
शबाना अभी भी फातिमा की योनि चूसने में लगी हुई थी.
फिर मैंने रियाज और जुबैर को इशारे से अंदर आने के लिए कहा तो शबाना दरवाजे के पास खड़ी हुई नंगी ही उनका वेट कर रही थी.
उन दोनों के रूम में आते ही शबाना ने दोनों को चुपके से दीवार के सहारे सटा दिया और बिना कोई आवाज करे अपने पीछे आने को कहा.
फातिमा की आँखें और मुंह मेरे लंड और कमर के नीचे छिपा हुआ था जिस वजह से वह कुछ देख नहीं पा रही थी.
फिर वो दोनों आगे आये और बेड पर नंगी लेटी हुई फातिमा की तरफ देखने लगे. उसकी गुलाबी रंग की योनि काली टांगों के बीच चमक रही थी और आँखें बंद करे वो मेरा लंड चूसने में लगी हुई थी. उसकी दोनों पहाड़ियाँ और उन पर चमकते दो मोती क़यामत ढा रहे थे.
जुबैर की नजरें तो फातिमा के शरीर से हट ही नहीं रही थी और रियाज शबाना के नंगे शरीर का आँखों से बलात्कार करने में लगा हुआ था.
शबाना की योनि भी अपने को चुसवाने के लिए मचल रही थी. उसने फातिमा और अपनी योनि की तरफ इशारा करके दोनों को अपनी चोइस लेने को कहा.
जुबैर बिना वक़्त गंवाए फातिमा की योनि को चाटने लगा और अपनी लम्बी जीभ से उसे कुरेदने लगा.
जब शबाना ने ये देखा तो वो धीरे से बेड पर फातिमा के बगल में लेट गई और हवा में अपनी टांगें उठा कर अपने हाथों से पैरों को पकड़ लिया और उसकी योनि खुल कर सामने आ गई. रियाज के लिए ये बहुत था. वो भी लपक कर अपने मुंह से शबाना की योनि पर गिर पड़ा.
पूरे कमरे में तरह तरह की आवाजें गूंज रही थी ‘आआआ आअह.. अम्मम… चाआआआटो… चाआआअटो… मेरी योनि!
शबाना की आवाज सुनकर फातिमा ने नोट किया कि शबाना तो बेड पर लेटी अपनी योनि चुसवा रही है फिर भी उसकी योनि कोई चाट रहा है और उसके भाई का लंड तो उसके मुंह में है.
वो थोड़ा उठी और उसने परिस्थितियों का अवलोकन किया. फिर सब समझ कर उसने सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ दिया और मेरा लंड और जोर से चूसने में लग गई.
मैं देख रहा था कि कैसे जुबैर उसकी योनि को खाने में लगा हुआ है, वो थोड़ा नीचे हुआ और अपनी नुकीली जीभ फातिमा की गांड के छेद पर भी फिराने लगा. वो मेरा लंड मुंह में लिए मचल उठी।
दूसरी तरफ शबाना की योनि पर नया मुंह लगने की वजह से वो कुछ ज्यादा ही गर्म हो चुकी थी और उसने अपने पैरों से रियाज की गर्दन के चारों तरफ फंदा बना डाला था और अपनी योनि उससे चुसवाने में लगी हुई थी. उसने मेरी तरफ देखा और मेरी तरफ अपने होंठ गोल करके एक फ़्लाइंग किस किया.
मैं अपने चारों तरफ उत्तेजना का नंगा नाच देखकर झड़ने के करीब पहुँच गया और मेरा लंड फूलकर और लम्बा हो गया. मैं अब फातिमा के कोमल चेहरे को बड़ी बेरहमी से चोदने लगा.
जब मेरा वीर्य निकला तो वो सारा ऐसे पी गई जैसे बच्चा दूध पीता है, वो कुतिया आखिरी बूंद भी निचोड़ कर ले गई मेरे लंड से!
‘तुम दोनों अब अपनी जगह बदल लो!’ मैंने रियाज और जुबैर को कहा.
फातिमा ने उठने की कोशिश की पर मैंने उसे वापिस लिटा दिया और कहा- घबराने की कोई बात नहीं है. ये सब किसी को पता नहीं चलेगा, तुम बस एन्जॉय करो.
और मैंने उसके कान में कहा- तुम्हें इसके पैसे भी नहीं देने होंगे.
फातिमा कुछ कहना चाहती थी पर तभी रियाज उठकर उसकी टांगो के बीच पहुँच चुका था, उसने फातिमा की योनि पर अपनी जीभ रख दी और वो सब कुछ भूलकर फिर से योनि चुसवाने में मस्त हो गई.
जुबैर ने भी अपना मुंह मेरी बहन की योनि में दे मारा और उसे काफी तेजी से चाटने लगा. दोनों की चीखें गूंज रही थी कमरे में ‘आआआ आआआआ अहह ह हह हहह… सीईईई ईई… चाआआअटो… और तेज… और तेज… आआअह आआआह आआअह!
तभी ‘मैं तो गईईईईई ईईईई ईईईई’ बोलते हुए शबाना झड़ने लगी और जुबैर ने सारा रस पी लिया.
रियाज की मेहनत भी रंग लाई और फातिमा की योनि ने भी पानी छोड़ दिया. वो दोनों आँखें बंद किये हांफ रही थी.
मैंने रियाज और जुबैर को उठाया और उन्हें लेकर कमरे से बाहर आ गया.
शबाना ने कहा- ऊह्ह फातिमा… मजा आ गया! कैसे इन लड़कों ने हमारी योनि चाटी और हमें मजे दिए और बिना हमसे मिले कोई बात करे कमरे से चले गए… अपनी सेवा देकर!
फातिमा ने हंसते हुए कहा- मैं तो डर ही गई थी… पर जब तुम्हारी योनि पर किसी की योनि का एहसास हो तो कुछ सोचने समझने की शक्ति ही नहीं रहती. मैं तो सब कुछ भूलकर बस योनि चटवाने में खो गई थी.
शबाना ने उससे पूछा- क्या तुम्हें मेरे भाई का लंड चूसने में मजा आया?
फातिमा ने कहा- हाँ… बहुत मजा आया.
फिर शबाना ने कहा- क्या तुम्हें लगता है कि तुम्हारी कोई सहेली भी अपनी योनि चुसवाना चाहती है?
फातिमा- तुम्हारा मतलब क्या है?
शबाना ने सब डिटेल में बताया- मेरा मतलब कि अगर तुम अपनी सहेलियों को भी यहाँ ले आओ जो ये सब मजे लेना चाहती हैं तो मेरा भाई और उसके दोस्त ये सब कर सकते हैं और अगर तुम चाहो तो हम उनसे चार्ज भी कर सकते हैं फिर और भी मजा आएगा.
फातिमा- हाँ… मेरी कई सहेलियाँ हैं जो अपनी योनि चुसवाना चाहती हैं, उन्हें ऐसे मौके मिलते नहीं और वो दुनिया के डर से खुद ही एक दूसरी की योनि चाटती रहती है. मैं भी कई बार उनके साथ ये सब कर चुकी हूँ.
शबाना- तो ठीक है, तुम उन सबसे बात करना और फिर हम देखेंगे कि आगे क्या करना है.
फिर दोनों अम्मी अब्बू के आने से पहले कपड़े पहन कर तैयार हो गए और पढ़ने बैठ गए.
फातिमा की योनि चुसाई और लंड पिलाई के बाद शबाना ने उसे सब डिटेल में बताया कि अगर वो अपनी सहेलियों को ये सब मजे दिलवा सकती है, फिर और भी मजा आएगा.
फातिमा ने हाँ में जवाब दिया.
और फिर दोनों अम्मी अब्बू के आने से पहले कपड़े पहन कर तैयार होकर पढ़ने बैठ गई.
फातिमा शाम को ही जा चुकी थी. रात को मैं खाना खाने के बाद सीधा शबाना के रूम में आ गया. जब मैं अंदर घुसा तो शबाना दरवाजे के पीछे छुपी हुई थी और मुझे पीछे से पकड़ कर मेरी पीठ पर चढ़ गई और मुझे पीछे से चूमने लगी.
जब मेरे हाथ पीछे गए तो मैंने पाया कि मेरी बहन बिल्कुल नंगी है.
मैंने उसे बेड पर ले जा कर पटक दिया. शबाना मुझे कामुक निगाहों से देखते हुए एक हाथ अपनी योनि में डालकर अपना रस चाटने लगी.
मैंने अपने कपड़े उतारने शुरू किये और कुछ ही देर में अपनी बहन के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया. मैंने कोई देर किये बिना उसकी रसीली योनि के स्विमिंग पूल में छलांग लगा दी और उसने मेरे कूदते ही अपनी टांगें मेरी कमर से लपेट ली.
मैंने अपना लंड बिना किसी चिकनाहट के शबाना की योनि पर लगा दिया औऱ जोर से धक्का देते हुए अपना लंड उसकी गीली योनि में भर दिया. शबाना एकदम से चीख पड़ी- माआअर डाआअला… आआअ… आआआ आआअह… चोदो… मममुझे… डाडाआआलो… हाँ हाँ… हाँ… हाआआअ!
आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित थी. शबाना हाँफते हुए मुझे गाली देती हुई बोली- साआआअले बड़े मजे ले रहा था!
वो शायद दोपहर वाली बात कर रही थी.
मैंने कहा- तुम्हारी सहेली है ही इतनी पटाखा!
यह सुनकर शबाना जल उठी और मुझे नीचे धक्का देकर मेरे ऊपर आ गई और जोर जोर से मेरे लंड के ऊपर कूदने लगी. मेरा लंड उसकी योनि से बिल्कुल बाहर आ रहा था और फिर वो हर बार अन्दर भी जा रहा था.
शबाना मेरे लंड पर बैठी तरह तरह की आवाजें निकाल रही थी. उसकी वेलवेट जैसी योनि मेरे लंड को लपेटे हुए थी. शबाना बड़े लम्बे धक्के ले रही थी. इस तरह से मेरा लंड उसकी योनि के अन्दर तक जा रहा था. मेरे लंड के ऊपर का ये दवाब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरे मुंह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें निकलने लगी.
शबाना समझ गई और हर बार की तरह हटी और मेरा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी. तुरंत ही मैं झड़ गया औऱ शबाना मेरा सारा माल हड़प कर गई. फिर उसने अपनी गीली योनि मेरे मुंह पर रख दी और मैंने भी अपना पेट उसके रस से भर लिया.
उसके बाद हम दोनो नंगे एक दूसरे की बाँहों में पड़े रहे और आगे की योजना बनाने लगे.
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12-07-2018, 01:25 PM,
#13
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
अगले दिन शाम को शबाना ने बताया की फातिमा की चार सहेलियाँ तैयार हो गई हैं अपनी योनि चटवाने के लिए… और वो इसके लिए दो-दो हजार रूपए देने को भी तैयार हैं.
हमने अगले दिन चार बजे का समय तय किया.
उस रात अगले दिन के बारे में सोच सोच कर मुझे नींद नहीं आई.
अगले दिन मैं उनका इन्तजार करने लगा. जब मैंने उनके आने की आवाजें सुनी तो छेद से देखा. शबाना और फातिमा के साथ उनकी चार और सहेलियाँ आई हुई थी.
उनमें से एक लड़की को तो मैं भी जानता था. वो शबाना के बर्थडे पर पहले भी घर आई हुई थी. वो देखने में बिल्कुल सीधी-साधी लगती थी पर उसके नैन नक्श बहुत तीखे थे.
दूसरी लड़की काफी मोटी थी, उसकी कमर फैली हुई और छाती भरी हुई थी.
तीसरी उससे बिल्कुल विपरीत दुबली पतली और चुचे ना के बराबर पर उसके कूल्हे काफी भरे हुए और गुदाज दिख रहे थे.
पर चौथी लड़की को तो मैं देखता ही रह गया. वो बिल्कुल कैटरीना कैफ जैसी दिख रही थी. बिल्कुल वही हेयर स्टाइल… वैसा ही हंसमुख और लम्बा चेहरा… भरे हुए दूध के ग्लास और पतली कमर के नीचे मोटे-मोटे गद्देदार योनिड़… कुल मिलकर वो सेक्स बम्ब लग रही थी.
सभी लड़कियाँ अन्दर आते ही धीरे-2 अपने कपड़े निकाल कर नंगी हो गई और बेड पर लाइन से अपनी योनि को उभार कर लेट गई. शबाना ने उनसे कुछ कहा और बाहर निकल गई.
फिर शबाना मेरे रूम में आई और बोली- चल मेरे शेर..तेरे जलवे दिखाने का टाइम आ गया है.
मैं नंगा खड़ा था, शबाना आगे आई और मेरा लंड पकड़कर मुझे अपने रूम में ले गई और अपनी नंगी सहेलियों के सामने ले जा कर खड़ा कर दिया.
मैंने इतना सुन्दर दृश्य कभी नहीं देखा था. फातिमा साइड में नंगी खड़ी थी. बाकी चारों लड़कियाँ पूरी तरह से नंगी होकर बेड पर लेटी हुई थी. उन सभी की नजरें मेरे लंड को घूर रही थी. मैंने पहली लड़की को देखा, वो मोटी वाली थी. उसके पास जाकर मैं झुका और उसकी टांगों पर हाथ रखकर उन्हें ऊपर उठाया और उसे पीछे की तरफ धक्का दिया.. वो लेट गई और अपनी टांगें ऊपर हवा में उठा दी.
मैंने अपनी जीभ निकाली और सीधे उसकी योनि पर लगा दी. उसके मुंह से एक सिसकारी निकल गई, उसकी योनि काफी गर्म थी… बिल्कुल कसी हुई और छोटे-छोटे बाल भी थे. मैंने उसकी योनि चूसना और चाटना शुरू कर दिया. वो बिस्तर पर मचलने लगी और अपने योनिड़ उठा-उठा कर मेरे मुंह में अपनी योनि मारने लगी.
जल्दी ही वो झड़ने लगी और मेरे मुंह में उसका गर्मागर्म रस आ गया और मैंने सारा पी डाला. उसका रस अच्छा नहीं था पर बुरा भी नहीं था.
अब दूसरी लड़की की बारी थी. वो कटरीना कैफ जैसी थी. मैंने उसकी योनि को ध्यान से देखा… बिल्कुल चिकनी, बिना बाल की, लगता था आज ही उसने सफाई की हो.
वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. उसके चुचे एकदम कड़क और उठे हुए थे. मैंने एक हाथ उसके कड़क चुचे पर रखा. दूसरा उसकी गांड पर रखकर उसे थोड़ा उठाया और उसकी आँखों में देखते हुए अपने होंठ उसकी योनि के होंठों से जोड़ दिए और उन्हें फ्रेंच किस करने लगा.
वो सिहर उठी और मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए अपने चुचे को दबाने लगी- आआहहह… ऊऊऊ उफ़…
मैंने चाटना जारी रखा.
मैंने नजर घुमाई तो पाया की बाकी सभी लड़कियाँ, फातिमा और शबाना भी… अपना मुंह फाड़े मुझे योनि चाटते हुए देख रही थी और उनका एक हाथ अपनी अपनी योनि पर था. मैंने अपना ध्यान वापिस कटरीना पर लगाया और उसकी योनि को जोर से चूसने और चाटने लगा. वो चीखने लगी और एक लम्बी सिसकारी के साथ मेरे मुंह पर झड़ने लगी.
फिर मैं उठा और अपनी अगली शिकार के सामने बैठ गया.
वो दुबली पतली लड़की थी. जैसा मैंने कहा था उसके सीने पर कोई भी उभार नहीं था. पर उसके निप्पल्स इतने बड़े थे कि मेरे हाथ खुद बा खुद उनके ऊपर जा टिके और मैंने उन्हें मसल दिया.
वो चिहुंक उठी और मेरा मुंह पकड़ कर अपनी योनि पर दबा दिया. मैं तो उसकी योनि का चेहरा भी नहीं देख पाया था. पर उसकी उत्तेजना के आगे मैं कुछ न कर पाया और मैं उसे चाटने में लग गया.
उसका स्वाद बड़ा मीठा था. मुझे काफी मजा आ रहा था. कुछ देर की चुसाई के बाद वो भी जल्दी ही झड़ गई और मुझे अपना अमृत पिला कर हांफने लगी.
अंत में बची लड़की की निगाहें जब मुझसे मिली तो वो हौले से मुस्कुरा दी और पीछे सर करके लेट गई. मैंने देखा कि उसकी योनि पर घने बाल थे.
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी काली-काली झाटें साइड करी और उसकी पिंक योनि को बाहर निकाला. मैंने इतने बाल योनि पर आज तक नहीं देखे थे.
खैर… मुझे क्या करना था… सबकी अपनी-अपनी पसंद होती है.
मैंने अपनी जीभ निकाली और उसे भी चूस चूस कर झड़वा दिया.
मैं उठ खड़ा हुआ, मेरा पूरा मुंह गीला था और उस पर सभी लड़कियों का मिला जुला रस लगा हुआ था. वो चारों अपनी योनि फैलाये अपने ओर्गास्म का आनन्द लेती हुई आँखें बंद किये हुए गहरी सांसें लेती हुई पड़ी हुई थी.
शबाना ने मेरे खड़े हुए लंड को अपने हाथों में लेकर कहा- और अगर तुम चाहो तो इसका भी आनन्द ले सकती हो.
फिर शबाना ने फातिमा की तरफ देखते हुए कहा- फातिमा, जरा दिखाओ तो इनको कि ये कितना मजा देता है.
फातिमा अपनी मोटी गांड मटकाती हुई नंगी मेरे सामने आकर बैठ गई और मेरी आँखों में देखते हुए मेरे लंड को पकड़कर अपने मुंह में लेकर आइस क्रीम की तरह चूसने लगी.
मेरी आँखें बंद होने लगी, मैं खड़ा हुआ फातिमा से अपना लंड चुसवाने में लगा रहा. वो बड़े प्यार से मेरे लंड को अन्दर ले रही थी, जीभ से सहला रही थी और अपने होठों से चूस रही थी.
बाकी सभी लड़कियाँ उठी और गौर से हमें देखने लगी.
मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया. फातिमा ने मेरे लंड को पूरा बाहर निकाला और अपना मुंह खोलकर लंड को जोर से हिलाने लगी.
मेरे लंड ने पिचकारी मारनी शुरू कर दी और अपने सामने बैठी फातिमा के मुंह पर, आँखों पर, माथे पर, नाक पर निशाने लगा-लगा कर उसका सांवला चेहरा अपने सफ़ेद वीर्य से भिगो दिया.
वो अपने मुंह में आये रस को पी गई और फिर अपने चेहरे पर लगे हुए वीर्य को भी अपने हाथों से इकट्ठा करके चाट गई.
शबाना ने सभी लड़कियों से कहा- अगर तुम में से कोई भी मेरे भाई का लंड चूसना चाहती है तो मुझे बता देना… पर अभी तुम सब कपड़े पहनो और जाओ यहाँ से, मेरे अम्मी अब्बू आने ही वाले हैं.
मैं जल्दी से अपने रूम में आ गया और बेड पर नंगा लेट गया. बिल्कुल संतुष्ट!
आज मैंने चार लड़कियों की योनि चाटी थी और फातिमा ने मेरा लंड भी चूसा था और साथ ही साथ आठ हजार रूपए भी कमाए थे।
अगले दिन जैसा मैंने सोचा था, उन सभी लड़कियों ने आकर मेरा लंड एक-एक करके चूसा और मेरा वीर्य भी पिया. फिर मैंने उनकी योनि भी चाटी और हर रोज़ की तरह रात को शबाना की योनि भी मारी.
अगले एक महीने तक हमने तरह तरह से… कभी मेरे दोस्तों ने शबाना की योनि चाटकर और कभी मैंने शबाना की सहेलियों की योनि चाटकर और अपना लंड चुसवा कर लगभग एक लाख रूपए जमा कर लिए.
अब छुट्टियों पर जाने का टाइम आ गया था. हमारे पास काफी पैसे जमा हो चुके थे इसलिए अब हम एन्जॉय करना चाहते थे.
और जल्दी ही वो दिन भी आ गया जब हमारा पूरा परिवार सब एक साथ अपनी कार में बैठे और जंगल कैंप की तरफ निकल पड़े.
हम सब कार में कैम्प की तरफ जा रहे थे, सब बड़े उत्साहित थे। वहां तक का सफ़र छह घंटे का था। काफी भीड़ थी वहां.. पहाड़ी इलाका था। सभी कारें लाइन में अन्दर जा रही थी।
अब्बू ने गेट से अपने केबिन की चाबी ली और हम आगे चल पड़े। अब्बू ने बताया कि उनके छोटे भाई फारुख यानी हमारे चचा जान की फैमिली भी उनके साथ उसी केबिन में रहेगी।
चचा जान हमेशा उनके साथ दो बेडरूम वाले केबिन में ही रहते थे। इस बार हमारी वजह से अब्बू ने तीन बेडरूम वाला केबिन लिया था। हम अन्दर पहुंचे तो मैं वहां का मैंनेजमेंट देख कर हैरान रह गया।
एक छोटी पहाड़ी पर बने इस जंगल कैम्प में तक़रीबन 90-100 केबिन बने हुए थे, काफी साफ़ सफाई थी; हर केबिन एक दूसरे से काफी दूर था। इनमें एक से तीन बेडरूम वाले कमरे थे। बीच में एक काफी बड़ा हॉल था जिसमे शायद मनोरंजन के प्रोग्राम होते थे।
पहाड़ी इलाके की वजह से काफी ठंड थी।
हम अपने केबिन पहुंचे, वहां पहले से ही फारुख चचा जान का परिवार बैठा था। चचा जान की उम्र क़रीब 40 साल थी। कान के ऊपर के बाल हल्के सफ़ेद थे… गठीला शरीर और घनी मूंछें। उनकी पत्नी यानि हमारी चाची जान निदा की उम्र 36-37 के आसपास थी। वो काफी भरे हुए शरीर की औरत थी, काफी लम्बी, चचा जान की तरह इसलिए मोटी नहीं लग रही थी। साथ ही हमारी कजिन सिस्टर रुखसाना भी थी। वो शरीर से तो काफी जवान दिख रही थी पर जब बातें करी तो पाया कि उसमें अभी तक काफी बचपना है!
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12-07-2018, 01:25 PM,
#14
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
हम सबने एक दूसरे को विश किया और अन्दर आ गए। अब्बू ने पहला रूम लिया और दूसरा फारुख अंकल ने! अब्बू ने मुझे और शबाना से कहा की तीसरा रूम हमें एक साथ शेयर करना पड़ेगा क्योंकि वहां इससे बड़ा कोई केबिन नहीं था।
मैंने मासूमियत से कहा- नो प्रॉब्लम डैड, हम मैंनेज कर लेंगे.
और शबाना की तरफ देख कर आँख मार दी।
हम सबने अपने सूटकेस खोले और कपड़े बदल कर बाहर आ गए। शाम हो चुकी थी; हॉल में ही खाने का इंतजाम किया गया था; हर तरह का खाना था।
हमारा ग्रुप आया… हमने पेट भरकर खाना खाया और मैं शबाना को लेकर टहलने के लिए निकल गया। अम्मी अब्बू और फारुख अंकल की फैमिली वहीं अपने दूसरे दोस्तों से बातें करने में व्यस्त थे।
हमने पूरा इलाका अच्छी तरह से देखा। ठंड बढ़ रही थी इसलिए हम वापिस केबिन की तरफ चल दिए। वहाँ पहुँचकर हमने पाया कि वो सब भी अन्दर आ चुके हैं और ड्राइंग रूम में बैठे बीयर पी रहे हैं।
मैंने पहली बार अम्मी को भी पीते हुए देखा पर उन्होंने ऐसा शो किया कि ये सब नोर्मल है। हम सभी वहीँ थोड़ी देर तक बैठे रहे और बातें करते रहे। अब्बू ने हमें बताया कि रुखसाना भी हमारे रूम में रहेगी। दोनों लड़कियां एक बेड पर और मैं एक्स्ट्रा बेड पर सो जाऊंगा।
हमने कोई जवाब नहीं दिया।
रुखसाना पहले ही जाकर हमारे रूम में सो चुकी थी। फिर तक़रीबन एक घंटे बाद सबको नींद आने लगी और सभी एक दूसरे को गुड़ नाईट करके अपने-2 रूम में चले गए।
रास्ते में मैंने शबाना से रुखसाना के बारे में विचार जानने चाहे तो उसने कहा- पता नहीं… छोटी है… देख लेंगे!
और हंसने लगी।
अपने रूम में जाकर मैंने शबाना से कहा- मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि इन्होंने हमें एक ही रूम में सोने के लिए कहा है इससे बेहतर तो कुछ हो ही नहीं सकता था।
शबाना- हाँ… सच कह रहे हो, हम अब एक दूसरे के साथ पूरी रात ऐश कर सकते हैं।
मैंने रुखसाना की तरफ इशारा करके कहा- पर इसका क्या करें?
शबाना ने कहा- देख लेंगे इसको भी…पर पहले तो तुम मेरी प्यास बुझाओ!
और वो उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टांगें मेरी कमर के चारों तरफ लिपटा ली और मेरे होंठों पर अपने सुलगते हुए होंठ रख दिए।
मैंने अपना सर पीछे की तरफ झुका दिया और उसके गद्देदार योनिड़ों पर अपने हाथ रखकर उसे उठा लिया। शबाना की गरम जीभ मेरे मुंह के अन्दर घुस गयी और मुझे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी।
मैंने उसके नीचे के होंठ अपने दांतों के बीच फ़सा लिए और उन्हें चूसने और काटने लगा… आज हम भाई बहन काफी उत्तेजित थे; मैंने एक नजर रुखसाना की तरफ देखा पर वो बेखबर सो रही थी।
मैंने दरवाजा पहले ही बंद कर दिया था। मैं शबाना को किस करता हुआ बेड की तरफ गया और पीठ के बल लेट गया। रुखसाना एक कोने में उसी बेड पर सो रही थी; हमारे पास काफी जगह थी; मैंने अपने हाथ बढ़ा कर शबाना के मम्मों पर रख दिए… वो कराह उठी- आआआ आअह… .मम्मम… दबाओ भाई… ऊऊऊ…मेरी चूचियाँ!
मैंने उसकी टी शर्ट उतार दी, उसकी ब्रा में कैद चुचे मेरी आँखों के सामने झूल गए, मैंने उन्हें ब्रा के ऊपर से ही दबाया; काली ब्रा में गोरी चूचियां गजब लग रही थी।
मैंने गौर से देखा तो उसके निप्पल ब्रा में से भी उभर कर दिखाई दे रहे थे।
मैंने अपने दांत वहीं पर गड़ा दिए और उसका मोती जैसा निप्पल मेरे मुंह में आ गया। शबाना ने हाथ पीछे ले जा कर अपनी ब्रा भी खोल दी और वो ढलक कर झूल गयी। मैंने अपना मुंह फिर भी नहीं हटाया और उसकी झूलती हुई ब्रा और निप्पल पर मैं मुंह लगाए बैठा था।
शबाना की आँखें उन्माद के मारे बंद हो चुकी थी; उसने मेरा मुंह अपनी छाती पर दबा डाला… मेरे मुंह में आने की वजह से उसकी ब्रा भी गीली हो चुकी थी। गीलेपन की वजह से शबाना के शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गयी।
उसने मेरे मुंह को जबरदस्ती हटाया और बीच में से ब्रा को हटाकर फिर से अपना चुचा पकड़ कर मेरे मुंह में ठूंस दिया जैसे एक अम्मी अपने बच्चे को दूध पिलाते हुए करती है, वैसे ही उसने अपना निप्पल मेरे मुंह में डाल दिया; मैंने और तेजी से उन्हें चूसना और काटना शुरू कर दिया।
मैंने एक हाथ नीचे किया और पलक झपकते ही उसकी जींस के बटन खोल कर उसे नीचे खिसका दिया। जींस के साथ-2 उसकी पेंटी भी उतर गयी और मेरी बहन की योनि की खुशबू पूरे कमरे में फैल गयी।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी योनि में डाल दी… मेरी बहन की योनि में उंगली ऐसे अन्दर गयी जैसे मक्खन में गर्म छुरी… वो मचल उठी और उसने अपने होंठ फिर से मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगी। एक हाथ से वो मेरी जींस को उतारने की कोशिश करने लगी; मैंने उसका साथ दिया और बेल्ट खोल कर बटन खोले।
शबाना किसी पागल शेरनी की तरह उठी और बेड से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी। उसने अपनी जींस पूरी तरह से उतारी और मेरी जींस को नीचे से पकड़ा और बाहर निकाल फेंका। मेरा लंड स्प्रिंग की तरह बाहर आकर खड़ा हो गया। वो नीचे झुकी और मेरा पूरा लंड निगल गयी और चूसने लगी।
उसकी व्याकुलता लंड को चूसते ही बनती थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे अपनी तरफ घुमा कर 69 की अवस्था में लिटा लिया। उसकी योनि पर मुँह लगते ही मेरा मुंह उसके रस से भर गया क्योंकि उसका एक ओर्गास्म हो चुका था।
मैंने करीब 15 मिनट तक बहन की योनि चाटी, मैं भी झड़ने के करीब था पर मैं पहले बहन की योनि का मजा लेना चाहता था। मैंने उसे फिर से घुमाया और अपनी तरफ कर के उसकी गीली योनि में अपना मोटा लंड डाल दिया… वो चिल्लाई- आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… अय्य्य्यीईईइ…
शबाना की योनि काफी गीली थी पर उसके कसी होने की वजह से अभी भी अन्दर जाने में उसे तकलीफ होती थी… पर मीठी वाली।
मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू किये; उसकी चूचियां मेरे मुंह के आगे उछल रही थी किसी बड़ी गेंद की तरह। मैं हर झटके के साथ उसके निप्प्ल को अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगा। अंत में जैसे ही उसका निप्पल मेरे मुंह में आया… वो झटके दे दे कर झड़ने लगी… और मेरे दाई तरफ लुढ़क गयी।
मैंने अपना लंड निकाला और उसे लेटा कर उसके ऊपर आ गया और फिर अपना लण्ड अन्दर डालकर उसे चोदने लगा।
मैंने नोट किया कि इस तरह से स्टॉप एंड स्टार्ट तकनीक का सहारा लेकर आज मेरा लंड काफी आगे तक निकल गया… मैंने करीब पांच मिनट तक उसे इसी अवस्था में चोदा। वो एक बार और झड़ गयी।
मैं भी झड़ने वाला था, मैंने जैसे ही अपना लंड बाहर निकालना चाहा, उसने मुझे रोक दिया और अपनी टांगें मेरी कमर के चारो तरफ लपेट दी और बोली- आज अन्दर ही कर दो…
मैं हैरान रह गया पर इससे पहले कि मैं कुछ पूछ पाता… मेरे लंड ने पानी उगलना शुरू कर दिया।
उसकी आँखें बंद हो गयी और चेहरे पर एक अजीब तरह का सुकून फ़ैल गया। मैंने भी मौके की नजाकत को समझते हुए पूरे मजे लिए और उसकी योनि के अन्दर अपना वीर्य खाली कर दिया और उसके ऊपर लुढ़क गया।
उसकी टांगें अभी भी मुझे लपेटे हुए थी। मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया, मेरा हाथ बगल में सो रही चचाजाद बहन रुखसाना से जा टकराया। मैंने सर उठा कर देखा तो वो अभी भी सो रही थी और काफी मासूम लग रही थी।
ना जाने मेरे मन में क्या आया, मैंने अपना एक हाथ उसके चुचे पर रख दिया। वैसे तो वो कमसिन थी पर उसके उभार काफी बड़े थे। मुझे ऐसे लगा कोई रुई का गुबार हो। मैंने नोट किया कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। यह महसूस करते ही मेरे लंड ने शबाना की योनि में पड़े-पड़े एक अंगड़ाई ली। मेरे नीचे मेरी नंगी बहन पड़ी थी और मैं पास में सो रही दूसरी बहन के चुचे मसल रहा था।
मेरी बहन के साथ रंगीन रातें कब तक चलेंगी, चचाजाद बहन के हमारे कमरे में होते हुए रोज रातें रंगीन करना मुश्किल काम लग रहा था.
मैं उठा और बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया; शबाना भी मेरे पीछे आ गयी और मेरे सामने नंगी पोट पर बैठ कर मूतने लगी। वो मुझे लंड साफ़ करते हुए देखकर हौले हौले मुस्कुरा रही थी। मैंने तौलिये से लंड साफ़ किया और बाहर आ गया।
मैंने अपनी शोर्ट्स पहनी और टी शर्ट उठाई और पहन कर दीवार पर लगे छोटे से आयने के आगे आकर अपना चेहरा साफ़ करने लगा।
आयना थोड़ा छोटा और गन्दा था। मैं थोड़ा आगे हुआ और अपने हाथ से उसे साफ़ करने लगा। मेरे हाथ के दबाव की वजह से वो हिल गया और उसका कील निकल कर गिर गया। मैंने आयने को हवा में लपक कर गिरने से बचाया।
मैंने देखा आयने वाली जगह पर एक छोटा सा होल है। मैं आगे आया और गौर से देखने पर मालूम चला की दूसरी तरफ भी एक आयना लगा हुआ है पर आयने के उलटी तरफ से देखने की वजह से वो पारदर्शी हो गया था जिस वजह से मैं दूसरे कमरे में देख पा रहा था। वो कमरा फारुख चचा जान का था; वो खड़े हुए अपनी बीयर पी रहे थे।
तब तक शबाना भी बाथरूम से वापिस आ चुकी थी और कपड़े पहन रही थी; मैंने उसे इशारे से अपनी तरफ बुलाया; वो आई और मैंने उसे वो आयने वाली जगह दिखाई तो वो चौंक गयी और जब सारा माजरा समझ आया तो हैरानी से बोली- ये तो चचा जान का कमरा है… क्या वो हमें देख पा रहे होंगे?
मैं- नहीं, ये आयने एक तरफ से देखने वाले और दूसरी तरफ से पारदर्शी है… ये देखो!
और मैंने उसे अपने रूम का आयना दोनों तरफ से दिखाया।
उसके चेहरे के भाव बदलते देर नहीं लगी और उसके चेहरे पर एक शरारती मुस्कान तैर गयी और बोली- ह्म्म्म तो अब तुम अपनी बहन के बाद चचा जान के कमरे की भी जासूसी करोगे।
मैंने कहा- चोरी छुपे देखने का अपना ही मजा है।
वो हंस पड़ी और हम दूसरे कमरे में देखने लगे।
अब चचा जान बेड के किनारे पर खड़े हुए अपने कपड़े उतार रहे थे। उन्होंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी और सिर्फ चड्डी में ही बैठ गए। निदा चाची जान बाथरूम से निकली और चचा जान के सामने आकर खड़ी हो गयी; उन्होंने गाउन पहन रखा था।
चचा जान ने अपना मुंह चाची जान के गुदाज पेट पर रगड़ दिया और उसके गाउन की गाँठ खोल दी। चाची जान ने बाकी बचा काम खुद किया और गाउन को कंधे से गिरा दिया। चाची जान ने नीचे सिर्फ पेंटी पहन रखी थी।
मैंने अपनी बहन को दिखाया तो वो हंस पड़ी और हम दूसरे कमरे में देखने लगे।
अब चचा जान बेड के किनारे पर खड़े हुए अपने कपड़े उतार रहे थे। उन्होंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी और सिर्फ चड्डी में ही बैठ गए। निदा चाची जान बाथरूम से निकली और चचा जान के सामने आकर खड़ी हो गयी; उन्होंने गाउन पहन रखा था।
चचा जान ने अपना मुंह चाची जान के गुदाज पेट पर रगड़ दिया और उसके गाउन की गाँठ खोल दी। चाची जान ने बाकी बचा काम खुद किया और गाउन को कंधे से गिरा दिया। चाची जान ने नीचे सिर्फ पेंटी पहन रखी थी।
चाची जान के मोटे मोटे चुचे बिल्कुल नंगे थे और चचा जान के सर से टकरा रहे थे। मैंने इतने बड़े चुचे पहली बार देखे थे… मेरे मुंह से “आउउ” निकल गया। शबाना जो मेरे आगे खड़ी हुई थी उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दी और बोली- वाह… निदा चाची जान की ब्रेस्ट कितनी बड़ी और सुंदर है. तुम्हारी तो पसंदीदा चीज है न इतनी बड़ी चूचियां… है ना?
मैंने सिर्फ हम्म्म्म कहा और दोबारा वहीं देखने लगा। मेरा लंड अब फिर से खड़ा हो रहा था और शबाना, मेरी बहन की की गांड से टकरा रहा था.
चचा जान ने चाची जान की कच्छी भी उतार दी और उसे पूरी नंगी कर दिया…”क्या चीज है यार पूरी नंगी चाची जान! ” मैंने मन ही मन कहा।
चाची जान का पूरा शरीर अब मेरे सामने नंगा था, उसकी बड़ी-बड़ी गांड, हल्के बालों वाली योनि और बड़ी बड़ी चूचियां देख कर मेरा इस कमरे में बुरा हाल था।
चचा जान ने ऊपर मुंह उठा कर चाची जान का एक चुचा अपने मुंह में ले लिया और उसे चबाने लगे। चूस वो रहे थे और पानी मेरे मुंह में आ रहा था। चाची जान थोड़ी देर तक अपने चुचे चचा जान से चुसवाती रही और खड़ी हुई मचलती रही। फिर चाची जान ने चचा जान को धक्का देकर लिटा दिया और चचा जान का अंडरवीयर एक झटके से निकाल फेंका। चचा जान का लंड देख कर अब शबाना का मुंह भी खुल गया… क्योंकि काफी बड़ा था; मेरे लंड से भी बड़ा और मोटा, काले रंग का था, उसकी नसें चमक रही थी।
चाची जान ने चचा जान का लंड अपने मुंह में डाला और उसे चूसने लगी। चचा जान ने अपनी आँखें बंद कर ली और मजे लेने लगे। निदा चाची जान हिल हिल कर चचा जान का लंड चूस रही थी तो उनके मोटे मोटे चुचे झटकों से ऊपर नीचे हो रहे थे। आधी बैठने की वजह से उस की गांड बाहर की तरफ उभर कर काफी दिलकश लग रही थी… मैं तो उसके भरे हुए बदन का दीवाना हो गया था।
अचानक चचा जान के रूम का दरवाजा खुला और मेरी अम्मी कमरे में दाखिल हुई।
मैं उन्हें एक दम देख कर हैरान रह गया।
अम्मी ने भी गाउन पहन रखा था पर उन्हें निदा चाची जान को चचा जान का लंड चूसते देखकर कोई हैरानी नहीं हुई; निदा ने सर उठा कर अम्मी को देखा तो वो भी बिना किसी हैरानी के उन्हें देख कर मुस्कुरा दी और फिर से लंड चूसने में लग गयी।
जितना हैरान मैं था, उतनी ही शबाना भी; वो मुंह फाड़े उधर देख रही थी और फिर हैरानी भरी आँखों से मेरी तरफ देखा और आँखों से पूछा- ये क्या हो रहा है?
मैंने अपने कंधे उचका दिए और सर हिला दिया… मुझे नहीं मालूम कहने के स्टाइल में!
हमने वापिस अन्दर देखा। अम्मी अब बेड पर जा कर उन के पास बैठ गयी थी, वो दोनों अपने काम में लगे हुए थे और हमारी अम्मी, चाची जान को फारुख चचा जान का लंड चूसते हुए देख रही थी. मेरा तो दिमाग चकरा रहा था कि ये सब हो क्या रहा है।
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12-07-2018, 01:25 PM,
#15
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
अब चचा जान उठे और मेरी अम्मी को देख कर मुस्कुराते हुए घूम कर नीचे बैठ गये और निदा चाची जान को अपनी वाली जगह पर वैसे ही लिटा दिया। मेरी अम्मी ने भी चचा जान को निहारा और एक सेक्सी सी स्माइल दी।
चचा जान ने अपना मुंह निदा की सुलगती हुई योनि पर लगा दिया ‘आआआआ आआअह्ह्ह.. म्मम्म… आआ आआह्ह्ह’
पूरा कमरा चाची जान की गरम आह से गूंज उठा… चचा जान चाची जान की योनि चाट रहे थे, चाची जान पूरी नंगी थी! मेरी अम्मी आगे आई और बेड पर चाची जान के बराबर लेट गयी और अपने हाथ से चाची जान के बालों को सहलाने लगी। फारुख चचा जान पूरी तन्मन्यता से चाची जान की योनि चाट रहा था।
अचानक उन्होंने एक हाथ बढ़ा कर मेरी अम्मी के गाउन में डाल दिया। मेरी हैरानी की कोई सीमा न रही जब मेरी अम्मी ने चचा जान को रोकने के बजाय अपनी टाँगें थोड़ी और चौड़ी कर ली और फारुख के हाथ को अपनी योनि तक पहुचने में मदद की… मैं ये देखकर सुन्न रह गया।
मेरी अम्मी शाजिया अब चाची जान के बगल में उसी अवस्था में लेट गयी और अपनी आँखें बंद कर ली और फिर उन्होंने अपने गाउन को खोला और अपने सर के ऊपर से घुमा कर उतार दिया और अब वो भी चाची जान की तरह बेड पर उनकी बगल में नंगी लेटी हुई थी।
मैंने पहली बार अपनी अम्मी को नंगी देखा था, मैं उनके बदन को देखता रह गया। अब समझ आ रहा था कि शबाना किस पर गयी है; साफ़ सुथरा रंग, मोटे और गोल गोल चुचे, शबाना से थोड़े बड़े पर निदा से छोटे, और उन पर पिंक कलर के निप्पल अलग ही चमक रहे थे।
उनका सपाट पेट, जिस पर ऑपरेशन के हल्के मार्क्स थे और उसके नीचे उनकी बिल्कुल साफ़ और चिकनी बिला बालों वाली योनि…
हालांकि हम दूसरे कमरे में थे पर अम्मी की योनि की बनावट काफी साफ़ दिखाई दे रही थी।
मेरा तो लंड खड़ा हो कर फुंफकारने लगा जिसे शबाना ने अपनी गांड पर महसूस किया; उसने अपनी गांड का दबाव पीछे करके मेरे लंड को और भड़का दिया।
चचा जान अपनी पत्नी की योनि चाट रहा था और अपनी भाभी की योनि में अपनी उंगलियाँ डालकर उन्हें मजा दे रहा था। पूरे कमरे में दो औरतों की हल्की हल्की सिसकारियां गूंज रही थी। फिर फारुख चचा जान ने अपना योनि में भीगा हुआ सर उठाया और अपनी भाभी यानि मेरी अम्मी की योनि पर टिका दिया। वो एक दम उछल पड़ी और अपनी आँखें खोल कर फारुख यानि अपने देवर को देखा और उसके सर के बाल हल्के से पकड़ कर उसे अपनी योनि में दबाने लगी। फारुख दूसरे हाथ से चाची जान की योनि को मजा दे रहा था।
मुझे और शबाना को विश्वास नहीं हो रहा था कि हमारी अम्मी इस तरह की हो सकती है। मेरे मन में ख्याल आया कि पता नहीं अब्बू को इसके बारे में कुछ मालूम है या नहीं… कि उनकी बीवी उन्ही के छोटे भाई के साथ मस्ती कर रही है और अपनी योनि चटवा रही है।
पूरे कमरे में सेक्स की हवा फैली हुई थी। मैंने घड़ी की तरफ देखा, रात के 11:30 बज रहे थे; रुखसाना सो रही थी; मैं और शबाना फारुख चचा जान के रूम में बीच से बने झरोखे से देख रहे थे और हमारी अम्मी अपने देवर फारुख और देवरानी निदा के साथ नंगी पलंग पर लेटी मजे ले रही थी।
मेरा दिमाग सिर्फ ये सोचने में लगा हुआ था कि अम्मी ये सब सेक्स, चुदाई वगैरा फारुख चचा जान के साथ कब से कर रही है? चाची जान को इससे कोई परेशानी क्यों नहीं है… और अब्बू को क्या इस बारे में कुछ भी मालूम नहीं है?
पर मुझे मेरे मेरे सभी सवालों का जवाब जल्दी ही मिल गया। अब्बू कमरे में दाखिल हुए… बिल्कुल नंगे… उनका लंड खड़ा हुआ था और वो सीधे बेड के पास आये और नंगी लेटी हुई निदा चाची जान की योनि में अपना लंड पेल दिया।
मेरी और शबाना की हैरानी की सीमा न रही; उनका लंड अपने छोटे भाई की पत्नी जो बहु के समान होती है उनकी योनि में अन्दर बाहर हो रहा था।
अब मुझे सब समझ आ रहा था कि ये लोग हर साल यहाँ इकठ्ठा होते हैं और एक दूसरे की बीबी और पति से मजा लेते हैं। मैंने स्वेपिंग के बारे में और ग्रुप सेक्स के बारे में सुना था पर आज देख भी रहा था। पर मैंने ये कभी नहीं सोचा था की मैं ये सब अपने ही परिवार के साथ होते हुए देखूंगा।
मेरा लंड ये सब देखकर अकड़ कर दर्द करने लगा था’ मैंने अपनी शोर्ट्स गिरा दी और अपने लंड को हाथों में लेकर और अम्मी की योनि पर फारुख चचा जान का चेहरा देख कर हिलाने लगा।
उधर शबाना के तो होश ही उड़ गए थे अपने अब्बू का लम्बा, गोरा और जानदार लंड देख कर… पर जल्दी ही वो भी सब कुछ समझते हुए हालात के मजे लेने लगी थी और उसका एक हाथ अपने आप ही अपनी योनि पर जा लगा और दूसरा हाथ घुमा कर मेरे लंड को पीछे से पकड़ लिया और मेरे से और ज्यादा चिपक गयी।
शबाना- मम्मम समीर … देखो तो जरा, हमारे अब्बू का लंड कितना शानदार है!
वो था भी शानदार, चचा जान के लंड जितना ही बड़ा… पर गोरा चिट्टा!
चाची जान की योनि में मेरे अब्बू का लंड जाते ही चाची जान गांड उछाल उछाल कर अपनी योनि चुदवाने लगी। अब्बू ने अपने हाथ उसके मोटे मोटे चूचों पर टिका दिए और मसलने लगे; फिर थोड़ा झुके और उनके दायें चुचे पर अपने होंठ टिका दिए।
मेरे आगे खड़ी शबाना ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे अब्बू वो सब उसके साथ कर रहे है क्योंकि वो उनके झटके के साथ साथ अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी और अब्बू द्वारा चाची जान के चुचे पर मुंह लगते ही वो भी सिहर उठी और अपनी योनि से हाथ हटा कर अपने निप्पल को उमेठने लगी।
शबाना ने एक झटके में अपनी टी शर्ट उतार दी और अब वो अपने आगे झूलते हुए मोटे मोटे चूचों को एक एक कर के दबा रही थी और लम्बी लम्बी सिसकारियां ले रही थी।
मैं समझ गया लो मेरी बहन को उसके अब्बू का लंड पसंद आ गया है… जैसे मुझे अम्मी का बदन और उनकी योनि पसंद आ गयी है।
अम्मी ने अपनी आँखें खोली और उठ कर बैठ गयी; उसने फारुख चचा जान के चेहरे को पकड़ कर उठाया और बड़ी व्याकुलता से अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए। फिर तो कामुकता का तांडव होने लगा बेड पर… फारुख चाचू अम्मी के होंठ ऐसे चूस रहे थे जैसे उन्हें कच्चा ही चबा जायेंगे; उनके मुंह से तरह तरह की आवाजें आ रही थी।
अम्मी ने चचा जान के चेहरे पर लगे अपने रस को सफा चट कर दिया। अम्मी उनकी घनी मूंछों से ढके होंठों को वो चबा रही थी और बीच बीच में उनकी मूंछों पर भी अपनी लम्बी जीभ फिरा रही थी।
फारुख चचा जान से ये सब बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने अम्मी को दोबारा लिटा दिया और अपना तन तनाता हुआ लंड मां की गीली योनि में पेल दिया.
आआआ आऐईई ईइ मररर गयीईई…” अम्मी धीरे से चिल्लाई।
मेरा तो बुरा हाल हो रहा था अपनी अम्मी को अपने सामने चुदते हुए देख कर; अब्बू भी अपनी पूरी स्पीड में चाची जान की योनि को चोद रहे थे। शबाना की नजरें अब्बू के लंड से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।
अचानक चाची जान ने अब्बू के लंड को अपनी योनि में से निकाल दिया और बेड पर उलटी हो कर कुतिया की तरह बैठ गयी। अब्बू ने अपना चेहरा चाची जान की गांड से चिपका दिया। मैंने नोट किया कि अब्बू निदा चाची जान की योनि नहीं गांड का छेद चाट रहे है… मेरी उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी।
अब्बू उठे और अपने लंड को चाची जान की गांड के छेद से सटाया और आगे की तरफ धक्का मारा। चाची जान तो मजे के मारे दोहरी हो गयी… ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
उसकी गांड में अब्बू का लंड फ़चाआअक की आवाज के साथ घुस गया।
अब्बू अब चाची जान की गांड मार रहे थे। दोनों के चेहरे देख कर यही लगता था की उन्हें इसमें योनि मारने से भी ज्यादा मजा आ रहा है।
ये देखकर शबाना की सांसे तेज हो गयी और उसने अपने हाथों की गति मेरे लंड पर बड़ा दी और अपनी गांड को पीछे करके टक्कर मारने लगी।
शबाना ने अपने दूसरे हाथ से अपनी स्कर्ट उतर दी; नीचे उसने पेंटी नहीं पहनी थी; अब उसके गोल योनिड़ मेरे लंड के सुपारे से टकरा रहे थे; वो उत्तेजना के मारे कांप रही थी।
ऐसा मैंने पहली बार देखा था।
वो थोड़ा झुकी और अपनी गांड को फैला कर अपने हाथ दीवार पर टिका कर खड़ी हो गयी और मेरे लंड को पीछे से अपनी योनि पर टिका दिया. मैंने एक हल्का झटका मारा और मेरा पूरा लंड उसकी रसीली योनि में जा घुसा।
शबाना ने अपनी आँखें बंद कर ली और पीछे हो कर तेजी से धक्के मारने लगी. फिर तकरीबन 5 मिनट बाद अचानक उसने मेरा लंड निकाल दिया और उसे पकड़ कर अपनी गांड के छेद पर टिका दिया।
मैंने हैरानी से उसकी तरफ देखा… तो शबाना बोली- प्लीज… मेरी गांड में अपना लंड डाल दो!
मेरी तो हिम्मत ही नहीं हुई उसे ना कहने की… मैंने शबाना की योनि के रस से भीगा हुआ अपना लंड उसकी गांड के छेद पर ठीक से लगाया और एक करारा झटका मारा।
शबाना चिल्लाई- आआआआ आआआ अह्ह्ह्ह… मररर… गयी…
तो मैंने उसके मुंह में अपनी उंगलियाँ डाल दी ताकि वो ज्यादा न चिल्ला पाए; वो उन्हें चूसने और काटने लगी’ उसके मुंह की लार ने मेरी सारी उंगलियाँ गीली कर दी और मैंने वही गीला हाथ उसके चेहरे पर मल कर उसे और ज्यादा उत्तेजित कर दिया।
मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी गांड में घुसा हुआ था। मैंने उसे बाहर निकाला और अगली बार और ज्यादा तेजी से अन्दर धकेल दिया… वो पहले झटके से उबर भी नहीं पायी थी कि दूसरे ने तो उसकी गांड ही फाड़ दी.
शबाना थोड़ी देर के लिए नम सी हो गयी, उसका शरीर एकदम ढीला हो गया और वो मेरे हाथों में लटक सी गयी… वो झड़ भी चुकी थी।
वहां दूसरे रूम में अब्बू ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर से हुंकारते हुए अपना टैंक निदा चाची जान की योनि में खाली कर दिया। चाची जान अपनी मोटी गांड मटका- मटका कर अपने जेठ का लंड और उसका रस अपनी योनि के अन्दर ले रही थी। चाची जान का चेहरा हमारी तरफ था और वो अपने मुंह में अपनी उँगलियाँ डाले चूस रही थी… जैसे कोई लंड हो।
फारुख चाचू भी लगभग झड़ने के करीब थे, उन्होंने एक झटके से मेरी अम्मी को ऊपर उठा लिया जैसे कोई गुड़िया हो और खड़े खड़े उन्हें चोदने लगे। अम्मी ने अपने हाथ चाचू की गर्दन के चारों तरफ लपेट लिए थे और टांगें उनकी कमर पर।
तभी चचा जान ने एक जोर का झटका दिया और अपने रॉकेट जैसी वीर्य की धारें मेरी अम्मी की योनि में उछाल दी; अम्मी भी झड़ने लगी हवा में लटकी हुई; मेरी अम्मी की योनि में से चचा जान का रस टपक कर नीचे गिर रहा था।
मैंने अम्मी को झड़ते देखा तो मेरा लंड भी जवाब दे गया और मैंने भी अपना वीर्य अपनी बहन की कोमल गांड में डाल दिया और अपने हाथ आगे करके उसके उभारों को पकड़ा और दबाने लगा।
शबाना ने अपनी कमर सीधी करी और अपने एक हाथ को पीछे करके मेरे सर के पीछे लगाया और अपने होंठ मुझ से जोड़ दिए। मेरा लंड फिसल कर उसकी गुदाज गांड से बाहर आ गया और उसके पीछे पीछे मेरा ढेर सारा रस भी बाहर निकल आया।
हम एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रहे थे। शबाना ने आँखें खोली और अपनी नशीली आँखों से मुझे देखकर थैंक्स बोली… पर तभी पीछे देख कर वही आँखें फैल कर चौड़ी हो गयी।
हमारी कजिन सिस्टर रुखसाना उठ चुकी थी और हमारी कामुकता का नंगा नाच आँखें फाड़े देख रही थी।
मैंने अम्मी को झड़ते देखा तो मेरा लंड भी जवाब दे गया और मैंने भी अपना वीर्य अपनी बहन की कोमल गांड में डाल दिया और अपने हाथ आगे करके उसके उभारों को पकड़ा और दबाने लगा।
शबाना ने अपनी कमर सीधी करी और अपने एक हाथ को पीछे करके मेरे सर के पीछे लगाया और अपने होंठ मुझ से जोड़ दिए। मेरा लंड फिसल कर उसकी गुदाज गांड से बाहर आ गया और उसके पीछे पीछे मेरा ढेर सारा रस भी बाहर निकल आया।
हम एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रहे थे। शबाना ने आँखें खोली और अपनी नशीली आँखों से मुझे देखकर थैंक्स बोली… पर तभी पीछे देख कर वही आँखें फैल कर चौड़ी हो गयी।
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12-07-2018, 01:25 PM,
#16
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
हमारी कजिन सिस्टर रुखसाना उठ चुकी थी और हमारी कामुकता का नंगा नाच आँखें फाड़े देख रही थी।
मैंने जब पीछे मुड़ कर देखा तो रुखसाना हम भाई बहन को नंगा देखकर हैरान हुई खड़ी थी, उसकी नजर मेरे लटकते हुए लंड पर ही थी। मैंने अपने लंड को अपने हाथ से छिपाने की कोशिश की पर उसकी फैली हुई निगाहों से बच नहीं पाया।
रुखसाना ने हैरानी से पूछा- ये तुम दोनों क्या कर रहे हो?
“तुम्हें क्या लगता है रुखसाना… हम लोग क्या कर रहे हैं?” शबाना ने बड़े बोल्ड तरीके से नंगी ही उसकी तरफ जाते हुए कहा।
मैं तो कुछ समझ ही नहीं पाया कि शबाना ये क्या कह रही है और क्यों!
रुखसाना ने हकलाते हुए कहा- मम्म मुझे लगता है कि तुम… दोनों… गन्दा काम कर रहे थे।
शबाना- गंदे काम से तुम्हारा क्या मतलब है?
रुखसाना- वो ही जो शादी के बाद करते हैं.
उसका हकलाना जारी था।
शबाना- तुम कैसे जानती हो कि ये गन्दा काम है… शादी से पहले या बाद में; इससे कोई फर्क नहीं पड़ता! ये तो सभी करते है और खूब एन्जॉय करते हैं।
रुखसाना- पर तुम दोनों तो भाई बहन हो… ये तो सिर्फ प्रेमी या पति पत्नी करते हैं।
शबाना- हम्म्म्म… काफी कुछ मालूम है तुम्हें दुनिया के बारे में, लेकिन अपने घर के बारे में भी कुछ मालूम है के नहीं?
रुखसाना- क्या मतलब??
शबाना- यहाँ आओ और देखो यहाँ से!
शबाना ने उसे अपने पास बुलाया और ग्लास वाले एरिया से देखने को बोला।
रुखसाना पास गयी और अन्दर देखने लगी।
अन्दर देखते ही उसके तो होश ही उड़ गए; उसके अम्मी अब्बू हमारे अम्मी अब्बू यानि उसके ताऊ और ताई जी के साथ नंगे एक ही पलंग पर लेटे थे।
अब तक दूसरे रूम में सेक्स का नया दौर शुरू हो चुका था, मेरी अम्मी अब जमीन पर बैठी थी और रुखसाना के अब्बू का यानि अपने देवर का लम्बा लंड अपने मुंह में डाले किसी रंडी की तरह चूसने में लगी थी।
मेरे अब्बू ने भी निदा चाची जान को उल्टा करके उनकी गांड पर अपने होंठ चिपका दिए और उस में से अपना वीर्य चूसने लगे।
शबाना ने आगे आकर रुखसाना के कंधे पर अपना सर टिका दिया और वो भी दूसरे कमरे में देखने लगी और रुखसाना के कान में फुसफुसा कर बोली- देखो जरा हमारी फैमिली को… तुम्हारे अब्बू मेरी अम्मी की योनि मारने के बाद अब उनके मुंह में लंड डाल रहे हैं और तुम्हारी अम्मी कैसे अपनी गांड मेरे अब्बू से चुसवा रही है। इसी गांड में थोड़ी देर पहले उनका मोटा लंड था।
रुखसाना अपने छोटे से दिमाग में ये सब समाने की कोशिश कर रही थी कि ये सब हो क्या रहा है। उसकी उभरती जवानी में शायद ये पहला मौका था जब उसने इतने सारे नंगे लोग पहली बार देखे थे।
मैंने नोट किया कि रुखसाना का एक हाथ अपने आप उसकी योनि पर चला गया है।
शबाना ने कहा- जब हमारे पेरेंट्स, अम्मी बाप, चचा जान चाची जान ताऊ ताई ये सब एक दूसरे के साथ खुल कर कर सकते हैं तो हम क्यों पीछे रहें?
रुखसाना देखे जा रही थी और बुदबुदाये जा रही थी- पर ये सब गलत है.
“क्या गलत है और क्या सही अभी पता चल जाएगा…” और शबाना ने आगे बढ़ कर मेरा मुरझाया हुआ लंड पकड़ कर रुखसाना के हाथ में पकड़ा दिया।
रुखसाना के पूरे शरीर में एक करंट सा लगा और उसने मेरा लंड छोड़ दिया और मुझे और शबाना को हैरानी से देखने लगी।
शबाना बोली- देखो, मैं तुम्हें सिर्फ ये कहना चाहती हूँ कि जैसे वहां वो सब और यहाँ हम दोनों मजे ले रहे हैं क्यों न तुम भी वो ही मजे लो…
और फिर से मेरा उत्तेजित होता हुआ लंड उसके हाथ में दे दिया।
इस बार रुखसाना ने लंड नहीं छोड़ा और उसके कोमल से हाथों में मेरा लंड फिर से अपने विकराल रूप में आ गया। उसका छोटा सा हाथ मेरे लम्बे और मोटे लंड को संभाल पाने में असमर्थ हो रहा था। उसने अपना दूसरा हाथ आगे किया और दोनों हाथों से उसे पकड़ लिया।
मैं समझ गया कि वो मन ही मन ये सब करना चाहती है पर खुल के बोल नहीं पा रही है; अपनी तरफ से तो ये साबित कर रही है कि इन्सेस्ट सेक्स यानी पारीवारिक सेक्स बुरा है पर अपनी भावनाओं को रोक नहीं पा रही है।
शबाना ने मुझे इशारा किया और मैंने आगे बढ़ कर एक दम से रुखसाना के ठन्डे होंठों पर अपने गरम होंठ टिका दिए। उसकी आँखें किस करते ही फ़ैल गयी पर फिर वो धीरे धीरे मदहोशी के आलम में आकर बंद हो गयी।
मैंने इतने मुलायम होंठ आज तक नहीं चूमे थे… एकदम ठन्डे… मुलायम, मलाई की तरह। मैंने उन्हें चूसना और चाटना शुरू कर दिया; रुखसाना ने भी अपने आपको ढीला छोड़ दिया।
रुखसाना ने भी मुझे किस करना शुरू किया; मैं समझ गया कि वो स्कूल में किस करना तो सीख ही चुकी है वो किसी एक्सपर्ट की तरह मुझे फ्रेंच किस कर रही थी… अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल कर मेरी जीभ को चूस रही थी।
अब मेरे लंड पर उसके हाथों की सख्ती और बढ़ गयी थी। शबाना रुखसाना के पीछे गयी और उसके चुचे अपने हाथों में लेकर रगड़ने लगी। रुखसाना ने अपनी किस तोड़ी और अपनी गर्दन पीछे की तरफ झुका दी।
मैंने अपनी जीभ निकाल कर उसकी लम्बी सुराहीदार गर्दन पर टिका दी। वो सिसक उठी- स्स्स स्स्स्स स्स्सम्म म्मम्म… नाआआअ…
शबाना की उँगलियों के बीच रुखसाना के निप्पल थे। रुखसाना मचल रही थी हम दोनों भाई बहन के नंगे जिस्मों के बीच… रुखसाना अपनी छोटी गांड पीछे करके उससे शबाना की योनि दबा रही थी। रुखसाना ने आत्म समर्पण कर दिया था हम दोनों के आगे और अपनी उत्तेजना के सामने।
मैंने अपने हाथ रुखसाना के चुचे पर टिका दिए… ‘क्या चुचे थे…’ ये शबाना से थोड़े छोटे थे पर ऐसा लगा जैसे उसने अपनी टी शर्ट के अन्दर संतरे छुपा रखे हैं।
शबाना ने रुखसाना की टी शर्ट पकड़ कर ऊपर उठा दी; उसने काली रंग की ब्रा पहन रखी थी; गोरे चुचे उसके अन्दर फँस कर आ रहे थे। शायद ब्रा छोटी पड़ रही थी। मैंने हाथ पीछे करके उसके कबूतरों को उसकी ब्रा से आजाद कर दिया और वो फड़फड़ा कर बाहर आ गए। वो इतने छोटे भी नहीं थे जितना मैंने सोचा था। बिल्कुल उठे हुए, ब्राउन निप्पल, निप्पल के चारों तरफ फैला काले रंग का एरोला… बिल्कुल अनछुए चुचे थे।
मैंने आगे बढ़ कर अपना मुंह उसके दायें निप्पल पर रख दिया। रुखसाना ने मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुंह को अपने सीने पर दबा दिया। वो अपनी गोल आँखों से मुझे अपने चुचे चाटते हुए देख रही थी और मेरे सर के बाल पकड़ कर मुझे कण्ट्रोल कर रही थी।
रुखसाना मेरे सर को कभी दायें चुचे पर रखती और कभी बाएं पर… मैंने अपने दांतों से उसके लम्बे निप्प्ल को जकड़ लिया और जोर से काट खाया.
“आआ आआआ आआह्ह्ह…” उसने एक दो झटके लिए और फिर वो नम हो गयी।
मेरे चूसने मात्र से ही उसका ओर्गास्म हो गया था।
मैंने अपनी चचाजाद बहन के चूचों को चूसना जारी रखा, उसके दानों से मानो बीयर निकल रही थी। बड़े नशीले थे उसके बुबे… मैंने उन पर जगह जगह काट खाया, चुबलाया, चूसा, और उसकी पूरी छाती पर लाल निशाँ बना दिए।
शबाना ने पीछे से उस की कैपरी भी उतार दी और नीचे बैठ कर उस की कच्छी के इलास्टिक को पकड़ कर नीचे कर दिया।
मेरी चचाजाद बहन अब बिल्कुल नंगी थी हमारे सामने।
मेरे मन में ख्याल आया कि मात्र दस मीटर के दायरे में दो परिवार पूरे नंगे थे। भाई बहन चचाजाद बहन, जेठ छोटी भाभी देवर भाभी… की जोड़ियाँ नंगे एक दूसरे की बाँहों में सेक्स के मजे ले रहे थे।
मेरी बाँहों में मेरी चचाजाद बहन नंगी खड़ी थी और उसके पीछे मेरी सगी बहन भी नंगी थी। मेरा लंड पिछले दो घंटों में तीसरी बार खड़ा हुआ फुफकार रहा था और अपने कारनामे दिखाने के लिए उतावला हुए जा रहा था, उसे मेरी चचाजाद बहन की कुंवारी योनि की खुशबू आ गयी थी।
मैंने अपना एक हाथ नीचे करके रुखसाना की योनि पर टिका दिया; वो रस से टपक रही थी। मैंने अपनी बीच की उंगली उसकी योनि में डालनी चाही पर वो बड़ी कसी हुई थी। मैंने उंगलियों से उसका रस समेटा और ऊपर करके उन्हें चूस लिया।
बड़ा मीठा रस था।
शबाना ने मुझे ये सब करते देखा तो लपक कर मेरा हाथ पकड़ कर अपने मुंह में डाल लिया और बचा हुआ रस चाटने लगी “म्म्म्म स्स्स्स… इट्स… सो… टेस्टी…”
रुखसाना के चेहरे पर एक गर्वीली मुस्कान आ गयी, उसने अपनी आँखें खोली और मेरा हाथ अपनी योनि पर रखकर रगड़ने लगी। मैं समझ गया कि वो गरम हो चुकी है।
मेरी नजर दूसरे कमरे में चल रहे खेल पर गयी। वहां मेरी अम्मी तो अपने देवर का लंड ऐसे चूस रही थी जैसे कोई गन्ना… फारुख चाचू ने मेरी अम्मी को वहीं जमीन पर लिटाया और लंड समेत उनके मुंह पर बैठ गए- ले साली… चूस मेरे लंड को… चूस छिनाल भाभी… मेरे लंड कओ… आआआ आआह्ह्ह…
वो अपने टट्टे मेरी अम्मी के मुंह में ठूंसने की कोशिश कर रहे थे। अम्मी का मुंह थोड़ा और खुला और लंड निकाल कर वो अब गोटियाँ चूसने लगी। चाचू का लंड उनकी नाक के ऊपर लेटा हुआ फुफकार रहा था।
अम्मी की लार से उनका पूरा चेहरा गीला हो चुका था- ले साआआ आआली… चुस इन्हीईईए… आआआ आआह्ह्ह्ह!
मेरी अम्मी की आँखों से आंसू निकल आये… इतनी बर्बरता से चाचू उनका मुंह चोद रहे थे। मेरे अब्बू अपने छोटे भाई के कारनामे देख कर मुस्कुरा रहे थे पर अपनी पत्नी को भाई के द्वारा ऐसा होते देखकर वो भी थोड़ा भड़क गए और अपना गुस्सा उन्होंने उसकी पत्नी निदा के ऊपर निकाला।
अब्बू ने निदा की टांगों को पकड़ा और उसे हवा में शीर्षासन की मुद्रा में अपनी तरफ मुंह करके उल्टा खड़ा कर दिया और टांगें चौड़ी करके उनकी योनि पर अपने दांत गड़ा दिए। चाची जान अपनी योनि पर इतना हिंसक प्रहार बर्दाश्त ना कर पाई और उसके मुंह से सिसकारी निकल गयी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआआ आअह्ह्ह… भेन चोद… क्या कर रहा है… आआ ह्ह्ह्ह.. धीईरे… आआ आआआह्ह…
पर वो अपनी गांड हिला रही थी यानि चाची जान को भी मजा आ रहा था।
तभी मेरे अब्बू ने अपने लंड को निदा चाची जान के मुंह की तरफ करके पेशाब कर दिया। उनकी धार सीधे निदा चाची जान के उलटे और खुले मुंह में जा गिरी। कुछ उनकी नाक में भी गयी और वो खांसने लगी।
मुझे ये देख कर बड़ी घिन्न आई पर मैंने नोट किया कि निदा चाची जान को इसमें मजा आ रहा था और वो खूब एन्जॉय कर रही थी।
अपनी बीवी से बदला लेते देख कर फारुख चचा जान मेरे अब्बू की तरफ देख कर हंसने लगे और मेरी अम्मी पर और बुरी तरह से पिल पड़े। वो दोनों भाई एक दूसरे की बीवियों की बुरी तरह से लेने में लगे हुए थे।
मैं और मेरी बाकी दोनों बहनें मेरे साथ ये सब देख रही थी और एक दूसरे के नंगे जिस्म सहला रही थी।
अब रुखसाना के लिए कंट्रोल करना मुश्किल हो गया, उसने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरे होंठों को पागलों की तरह चूसने लगी। शायद अपने अम्मी अब्बू के कारनामे उसे उत्तेजित कर रहे थे।
शबाना ने नीचे बैठ कर रुखसाना की लार टपकाती योनि पर अपना मुंह रख दिया जिससे उसकी योनि की लीकेज बंद हो गयी। रुखसाना की योनि पर हल्के हलके सुनहरे रोंये थे; वो अभी जवानी की देहलीज पर पहुंची ही थी और अपनी अनचुदी योनि के रस को अपनी बहन के मुंह में डाल कर मजे ले रही थी।
शबाना चटकारे ले ले कर उस की योनि साफ़ करने लगी’ वो नीचे से उस की योनि चूस रही थी और मैं ऊपर से उस के होंठ। शबाना ने अपनी जीभ रुखसाना की योनि में घुसा दी; रुखसाना की योनि के रस की चिकनाई से वो अन्दर चली गयी और फिर अपनी दो उंगलियाँ भी उसके अन्दर डाल दी।
रुखसाना मचल उठी और मेरी जीभ को और तेजी से काटने और चूसने लगी। मैंने अपने पंजे उस की छाती पर जमा दिए, उस पर हो रहा दोहरा अटैक उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
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12-07-2018, 01:25 PM,
#17
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
शबाना ने धक्का दे कर हम दोनों को बेड पर ले जा कर गिरा दिया। मैंने अब गौर से रुखसाना का नंगा जिस्म बेड पर पड़े हुए देखा, उसका मासूम सा चेहरा, दो माध्यम आकार के चुचे, पतली कमर और कसे हुए योनिड़, मोटी टांगें और कसी हुई पिंडलियाँ देख कर मैं पागल सा हो गया और उसे ऊपर से नीचे तक चूमने लगा।
मैं चूमता हुआ उसकी योनि तक पहुंचा और गीली योनि को अपने मुंह से चाटने लगा। उसका स्वाद तो मैं पहले ही चख चुका था, अब पूरी कड़ाही में अपना मुंह डाले मैं उसका मीठा रस पी रहा था।
शबाना ने दूसरी तरफ से रुखसाना को किस करना शुरू किया और उसके होंठों पर अपने होंठ रगड़ने लगी।
रुखसाना बुदबुदाये जा रही थी- मुझे कुछ हो रहा है… कुछ करो।
शबाना ने मुझे इशारा किया और मैं समझ गया कि वो घड़ी आ चुकी है। मैंने उठ कर अपना लंड उसके रस से चिकना कर उसकी छोटी सी योनि के मुहाने पर रखा, शबाना ने मेरा लंड पकड़ा और उसे रुखसाना की योनि के ऊपर नीचे रगड़ने लगी और फिर एक जगह फिक्स कर दिया और बोली- भाई… थोड़ा धीरे धीरे अंदर करना… कुंवारी है अभी…
मैंने कुछ नहीं कहा और अपने लंड का जोर लगा कर अपना सुपारा अपनी चचाजाद बहन की नन्हीं सी योनि में धकेल दिया।
रुखसाना की तो दर्द के कारण बुरी हालत हो गयी- नाआआ आआ आआअ… निकाआआ आआआआ अल्लओ मुझे नहीईइ करना… आआआअ… मर गई मैं!
मैं थोड़ा रुका, शबाना ने रुखसाना को फिर से किस किया और उस के चुचे चूसे।
वो थोड़ा नोर्मल हुई तो मैंने अगला झटका दिया; उसका पूरा शरीर अकड़ गया मेरे इस हमले से; मेरा आधा लंड उस की योनि में घुस गया और उस की झिल्ली से जा टकराया।
वो चीख पड़ती अगर शबाना ने उसके होंठों पर अपने मुंह की टेप न लगाई होती। मैंने लंड पीछे खींचा और दुबारा और तेजी से अन्दर डाल दिया; मेरा लंड उसकी झिल्ली को चीरता हुआ अन्दर जा घुसा।
मैंने अपने लंड पर उसके गर्म खून का रिसाव महसूस किया; मेरी बहन की छोटी सी योनि फट चुकी थी; मैंने सोचा भी नहीं था कि कोई योनि इतनी कसी भी हो सकती है।
मेरी चचाजाद बहन मेरे नीचे नंगी पड़ी छटपटा रही थी, मेरी सगी बहन ने उसके दोनों हाथों को पकड़ा हुआ था और उसे किस करे जा रही थी।
मैंने लंड बाहर खींचा और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में उसके कूल्हे भी मेरे लंड के साथ साथ हिलने लगे, अब उसे भी मजा आ रहा था।
रुखसाना बोली- साआले… जान ही निकाआल दी तूने तो… अब देख क्या रहा है… जोर से चोद मुझे भेन चोद… सालाआआ कुत्ताआआआ… चोद मुझे ईईईए… आआआह्ह्ह्ह… बहन चोद!
रुखसाना की गरम योनि मेरे लंड को जकड़े हुए थी; मेरे लिए ये सब बर्दाश्त करना अब कठिन हो गया और मैंने अपना वीर्य अपनी छोटी सी कुंवारी बहन की योनि में उड़ेल दिया. वो भी झटके ले कर झड़ने लगी और मैं हांफता हुआ अलग हो गया।
रुखसाना की योनि में से मेरा रस और खून बाहर आने लगा। रुखसाना थोड़ी डर गयी पर शबाना ने उसे समझाया कि ये सब तो एक दिन होना ही था और उसे बाथरूम मे ले गयी साफ़ करने के लिए और बेड से चादर भी उठा ली धोने के लिए।
मैं भी उठा और छेद से देखा कि अन्दर का माहौल भी लगभग बदल चुका है, मेरे अब्बू निदा चाची जान की योनि में लंड पेल रहे थे और मेरी अम्मी फारुख चाचू के ऊपर उन के लंड को अन्दर लिए उछल रही थी।
मेरी अम्मी ने नीचे झुक कर चाचू को चूमा और झड़ने लगी; चाचू ने भी अपने हाथ मेरी अम्मी की मोटी गांड पर टिका दिए और अपना रस अन्दर छोड़ दिया।
अब्बू ने भी जब झड़ना शुरू किया तो अपना लंड बाहर निकाला और चाची जान के मुंह पर धारें मारने लगे, वो नीचे पेशाब वाले गीले फर्श पर लेटी थी, चाची जान की हालत एक सस्ती रंडी जैसी लग रही थी; शरीर पेशाब से गीला और चेहरा मेरे अब्बू के रस से।
थोड़ी देर लेटने के बाद मेरी अम्मी अपनी जगह से उठी और निदा चाची जान के पास आकर उनके चेहरे पर गिरा मेरे अब्बू का रस चाटने लगी; बड़ा ही कामुक दृश्य था।
निदा का चेहरा चाटने के साथ साथ मेरी अम्मी उन्हें चूम भी रही थी।
चाची जान ने भी मेरी अम्मी को भी किस करना शुरू कर दिया और उनके उभारों को चूसते हुए नीचे की तरफ जाने लगी और उन की योनि पर पहुँच कर अपनी जीभ अन्दर डाल दी और वहां पड़े अपने पति के रस को खोद खोद कर बाहर निकालने लगी।
अम्मी ने भी अपना मुंह चाची जान की योनि पर टिका कर उसे साफ़ करना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में दोनों ने एक दूसरे को अपनी अपनी जीभ से चमका दिया।
फिर मेरे अम्मी अब्बू अपने रूम में चले गए और चाचू चाची जान नंगे ही अपने बिस्तर में घुस गए।
शबाना और रुखसाना भी वापिस आ चुकी थी, रुखसाना थोड़ी लड़खड़ा कर चल रही थी, उस की मासूम योनि सूज गयी थी मेरे लंड के प्रहार से। शबाना ने उसे पेनकिलर दी और रुखसाना उसे खा कर सो गयी।
मैं भी घुस गया उन दोनों के बीच एक ही पलंग में और रजाई ओढ़ ली.
मजे की बात ये थी कि हम तीनों भाई बहन नंगे थे।
सुबह मेरी आँख जल्दी खुल गयी और मैंने पाया की रुखसाना वहीं आयने वाली जगह से अन्दर देख रही है। मैंने शबाना की तरफ देखा पर वो सो रही थी। रुखसाना नंगी खड़ी दूसरे रूम में देख रही थी।
मैं उठ कर पास गया और उसके गोल गोल योनिड़ों पर अपना लंड टिका कर उसके पीछे खड़ा हो गया। उसने मुस्कुरा कर पीछे देखा और मुझे जगह देते हुए साइड हो गयी। मैंने अन्दर देखा कि चाचू और चाची जान 69 की अवस्था में एक दूसरे के गुप्तांगों को चूस रहे थे… क्या गजब का सीन था।
मैंने मन ही मन सोचा ‘सुबह सुबह इन को चैन नहीं है.’ और रुखसाना की तरफ देखा… उस की साँसें तेजी से चल रही थी; अपने अम्मी अब्बू को ऐसी कामुक अवस्था में सुबह देखकर वो काफी उत्तेजित हो चुकी थी; उसकी योनि में से रस बहकर जांघों से होता हुआ नीचे बह रहा था।
मैंने मन ही मन सोचा कितना रस टपकाती है साली… उसके होंठ कुछ कहने को अधीर हो रहे थे। उसकी आँखों में कामुकता थी, एक निमंत्रण था… पर मैंने सोचा चलो इसको थोड़ा और तड़पाया जाए और मैंने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और वापिस अन्दर देखने लगा।
अन्दर उन्होंने अपना आसन तोड़ा और चाची जान उठ कर चाचू के सामने आ गयी और उनका लंड मुंह में डाल कर चूसने लगी। फारुख चाचू की आँखें बंद होती चली गयी। निदा चाची जान किसी प्रोफेशनल पोर्न आर्टिस्ट की तरह चाचू का लंड चूस रही थी।
मेरा तो दिल आ गया था अपनी रांड चाची जान पर… जी कर रहा था कि अभी अन्दर जाऊं और अपना लौड़ा उसके मुंह में ठूस दूं… साली कुतिया।
यहाँ रुखसाना काफी गरम हो चुकी थी, वो अपना शरीर मेरे शरीर से रगड़ रही थी, अपने चुचे मेरे हाथों से रगड़ कर मुझे उत्तेजित कर रही थी। मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की और अन्दर ही देखता रहा पर मेरा लंड मेरी बात कहाँ मानता है, वो तो खड़ा हो गया पूरी तरह।
जब रुखसाना ने देखा कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ तो वो मेरे सामने आई और मेरे लबों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूसने लगी और अपना पूरा शरीर मुझ से रगड़ने लगी। अब मेरी सहन शक्ति ने जवाब दे दिया और मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया और मैं उसे जोरों से चूसने और चाटने लगा। मैंने अपने हाथ उसके गोल और मोटे योनिड़ों पर टिकाया और उसकी गांड में उंगली डाल दी।
वो चिहुंक उठी और उछल कर मेरी गोद में चढ़ गयी और अपनी टाँगें मेरे चारों तरफ लपेट ली।
मेरी उंगली मेरी बहन की गांड में अन्दर तक घुस गयी। वो उसे जोर जोर से हिलाने लगी; मेरे मन में उसकी गांड मारने का विचार आया पर फिर मैंने सोचा अभी कल ही तो इसने योनि मरवाई है… इतनी जल्दी गांड भी मार ली तो बेचारी का चलना भी दूभर हो जाएगा इसलिए मैंने अपनी उंगली निकाल कर उसकी रस उगलती योनि में डाल दी।
रुखसाना तो मस्ती में आकर मुझे काटने ही लगी और इशारा करके मुझे बेड तक ले जाने को कहा। मैं उल्टा चलता हुआ बेड तक आया और उसे अपने ऊपर लिटाता हुआ नीचे लेट गया। उस से सहन नहीं हो रहा था, उसने मेरे लंड को निशाना बनाया और एक ही बार में मेरे लंड को अपनी कमसिन योनि में उतारती चली गयी।
उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज के साथ मेरा लंड उसकी पिंकी के अन्दर घुसता चला गया…”म्म्म्म म्म्म्मम्म…” आनंद के मारे उसकी आँखें बंद होती चली गयी। पास सो रही शबाना को अंदाजा भी नहीं था कि हम भाई बहन सुबह सुबह फिर से योनि लंड खेल रहे हैं।
रुखसाना मेरा लंड अपने तरीके से अपनी योनि के अन्दर ले रही थी, वो ऊपर तक उठ कर आती और मेरे लंड के सुपारे को अपनी योनि के होंठों से रगड़ती और फिर उसे अन्दर डालती। इस तरह से वो हर बार पूरी तरह से मेरे लंड को अन्दर बाहर कर रही थी।
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#18
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
रुखसाना की योनि के रस से काफी चिकनाई हो गयी थी इसलिए आज उसे कल जितनी तकलीफ नहीं हो रही थी बल्कि उसे आज मजे आ रहे थे। उसके बाल्स जैसे चुचे मेरी आँखों के सामने उछल रहे थे, मैंने उन्हें पकड़ा और मसल दिया; वो सिहर उठी और अपनी आँखें खोल कर मुझे देखा और फिर झटके से मेरे होंठों को दबोच कर उन्हें अपना अमृत पिलाने लगी।
उसके धक्के तेज होने लगे और अंत में आकर वो जोरो से हांफती हुई झड़ने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ाई और 8-10 धक्कों के बाद मैं भी झड़ने लगा… अपनी सेक्सी बहन की योनि के अन्दर ही।
रुखसाना धीरे से उठी और मेरे साइड में लुढ़क गयी और मेरा लंड अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी और उसे साफ़ करके अपनी योनि में इकठ्ठा हुए मेरे रस में उंगलियाँ डालकर उसे भी चाटने लगी और फिर वो उठी और बाथरूम में चली गयी।
मैं थोड़ा ऊपर हुआ और सो रही नंगी शबाना के साथ जाकर लेट गया। उसने भी अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया और मुझ से चिपक कर सो गयी। मैं बेड पर पड़ा अपनी नंगी बहन को अपनी बाँहों में लिए अपनी किस्मत को सराह रहा था।
9 बजे तक शबाना भी उठ गयी और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर मेरे होंठों पर एक मीठी सी पप्पी दी और बोली- गुड मोर्निंग जानू…
जैसे कोई नव-विवाहित अपने पति को बोलती है।
मैंने भी उसे जवाब दिया और चूम लिया। मैंने रुखसाना को भी उठाया और उसे भी उसी अंदाज में गुड मोर्निंग बोला।
हम जल्दी से उठे और कपड़े पहन कर बाहर की तरफ चल दिए। बाहर अम्मी अब्बू, चाचू चाची जान सेंट्रल टेबल पर बैठे न्यूज़ पेपर के साथ चाय पी रहे थे।
हमें देख कर अब्बू बोले- अरे बच्चो, गुड मोर्निंग… कैसी रही तुम्हारी रात, नींद तो ठीक से आई ना?
मैं- गुड मोर्निंग अब्बू, हाँ हमें बहुत बढ़िया नींद आई… मैं तो घोड़े बेच कर सोया।
शबाना- और मैं भी, मुझे तो सोने के बाद पता ही नहीं चला कि मैं हूँ कहाँ?
रुखसाना भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, वो बोली- और मेरा तो अभी भी उठने को मन नहीं कर रहा था… कितनी प्यारी नींद आई कल रात।
वो हल्के से मुस्कुरायी और हम दोनों की तरफ देखकर एक आँख मार दी।
अम्मी - अरे इन पहाड़ों पर ऐसी ही नींद आती है… अभी तो पूरे दस दिन पड़े हैं अपनी नींद का पूरा मजा लो बच्चो…
मैं- अम्मी अब्बू, हमें इस बात की बहुत ख़ुशी है कि इस बार आप लोग हमें भी अपने साथ लाये.. थैंक्स ए लोट…
अब्बू- यू आर वेल्कम बेटा, चलो अब जल्दी से नहा धो लो और फिर हमें बाहर जा कर सभी लोगों के साथ नाश्ता करना है।
हम सभी नहाने लगे। मेरी पेनी नजरें यह बात पता करने की कोशिश कर रही थी कि ये दोनों जोड़े कल रात वाली बात का किसी भी तरह से जिक्र कर रहे है या नहीं… पर वो सब अपने में मस्त थे, उन्होंने कोई भी ऐसा इशारा नहीं किया।
तैयार होने के बाद हम सभी बाहर आ गए और नाश्ता किया। हम तीनों एक कोने में जाकर टेबल पर बैठ गए, वहां हमारी उम्र के और भी युवा जन थे, बात करने से पता चला कि वो सभी भी पहली बार इस जगह पर आये हैं और ये भी कि यहाँ की टीम ने बच्चे लाने की छूट पहली बार ही दी है।
हम तीनों ने नाश्ता किया और वहीं टहलने लगे। शबाना ने रुखसाना को गर्भनिरोधक गोलियां दी और उन्हें लेने का तरीका भी बताया। वो भी ये गोलियां पिछले 15 दिनों से ले रही थी और वो जानती थी की रुखसाना को भी अब इनकी जरूरत है।
रुखसाना गोली लेने वापिस अपने रूम में चली गयी। मैं और शबाना थोड़ी और आगे चल दिए।
पहाड़ी इलाका होने की वजह से काफी घनी झाड़ियाँ थी। थोड़ी ऊंचाई पर शबाना ने कहा- चलो वहां चलते हैं।
हम बीस मिनट की चढाई के बाद वहां पहुंचे और एक बड़ी सी चट्टान पर पहुँच कर बैठ गए। चट्टान के दूसरी तरफ गहरी खायी थी। वहां का प्राकृतिक नजारा देखकर मैं मंत्रमुग्ध सा हो गया और अपने साथ लाये डिजिकैम से हसीं वादियों के फोटो लेने लगा।
मेरे पीछे से शबाना की मीठी आवाज आई- जरा इस नज़ारे की भी फोटो ले लो।
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी… मेरी जवान बहन शबाना उस बड़ी सी चट्टान पर मादरजात नंगी लेटी थी। उस ने ‘कब अपने कपड़े उतारे और यहाँ क्यों उतारे’ मेरी समझ में कुछ नहीं आया… उस ने अपनी एक उंगली अपनी योनि में डाली और अपना रस खुद ही चूसते हुए मुझे फिर बोली- कैसा लगा ये नजारा?
मैं- ये क्या पागलपन है शबाना… कोई आ जाएगा, यहाँ ये सब करना ठीक नहीं है…
पर मेरा लण्ड ये सब तर्क नहीं मान रहा था, वो तो अंगड़ाई लेकर चल दिया अपने पूरे साइज़ में आने के लिए।
शबाना- कोई नहीं आएगा यहाँ… हम काफी ऊपर हैं अगर कोई आएगा भी तो दूर से आता हुआ दिख जाएगा… और अगर आ भी गया तो उन्हें कौन सा मालूम चलेगा कि हम दोनों भाई बहन हैं। मुझे हमेशा से ये इच्छा थी कि मैं खुले में सेक्स के मजे लूं.. आज मौका भी है और दस्तूर भी।
मैंने उसकी बातें ध्यान से सुनी, अब मेरे ना कहने का कोई सवाल ही नहीं था, मैंने बिजली की तेजी से अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया। मेरा खड़ा हुआ लंड देख कर उसकी नजर काफी खूंखार हो गयी और उसकी जीभ लपलपाने लगी मेरा लंड अपने मुंह में लेने के लिए।
मैंने अपना कैमरा उठाया और उसकी तरफ देखा, वो समझ गयी और उसने चट्टान पर लेटे लेटे एक सेक्सी पोज लिया और मैंने उसकी फोटो खींच ली।
बड़ी सेक्सी तस्वीर आई थी।
फिर उसने अपनी टाँगें चौड़ी करी और अपनी उंगलियों से अपनी योनि के कपाट खोले। मैंने झट से उसका वो पोज कैमरे में कैद कर लिया।
फिर तो तरह तरह से उसने तस्वीरे खिंचवाई।
शबाना की रस टपकाती योनि से साफ़ पता चल रहा था कि वो अब काफी उत्तेजित हो चुकी थी। मेरा लंड भी अब दर्द कर रहा था, मैं आगे बढ़ा और अपना लम्बा बम्बू उसके मुंह में ठूस दिया- ले बहन की लोड़ी… चूस अपने भाई का लंड… साली हरामजादी… कुतिया… चूस मेरे लंड को… आज मैं तेरी योनि का ऐसा हाल करूँगा कि अपनी फटी हुई योनि लेकर पूरे शहर में घूमती फिरेगी।
शबाना ने मेरी गन्दी गालियों से उत्तेजित होते हुए मेरे लंड को किसी भूखी कुतिया की तरह लपका और काट खाया। उस ठंडी चट्टान पर मैंने अपने हिप्स टिका दिए और वो अपने चूचों के बल मेरे पीछे से होती हुई मेरे लंड को चूस रही थी।
मैंने अपना हाथ पीछे करके उसकी गांड में एक उंगली डाल दी.
“आआआ आआआह आअह्ह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… म्म्म्म म्म्म्म” उसने रसीली आवाज निकाली।
ठंडी हवा के झोंकों ने माहौल को और हसीं बना दिया था। मुझे भी इस खुले आसमान के नीचे नंगे खड़े होकर अपना लंड चुसवाने में मजा आ रहा था। शबाना काफी तेजी से मेरे लंड को चूस रही थी और चूसे भी क्यों न… आज उसकी एक सीक्रेट फैंटसी जो पूरी हो रही थी।
शबाना चिल्लाई- साआआले… भेनचोद… हरामी कुत्ते… अपनी बहन को तूने अपने लम्बे लंड का दीवाना बना दिया है. मादरचोद… जी करता है तेरे लंड को खा जाऊं… आज मैं तेरा सारा रस पी जाऊँगी… साले… जब से तूने मेरी गांड मारी है… उस में खुजली हो रही है… भेन के लौड़े… आज फिर से मेरी गांड मार…
मैंने उसे गुड़िया की तरह उठाया और अपना लंड उसकी दहकती हुई भट्टी जैसी गांड में पेल दिया.
“आय्य्य्यीईई… आअह्ह्ह…” उसकी चीख पूरी वादियों में गूँज गयी। मैंने उसे चुप करने के लिए अपने होंठ उसके मुंह से चिपका दिए।
आज मुझे भी गाली देने और सुनने में काफी मजा आ रहा था। आज तक ज्यादातर हमने चुपचाप सेक्स किया था। घर वालों को आवाज न सुनाई दे जाए इस डर से… पर यहाँ ऐसी कोई परेशानी नहीं थी इसलिए हम दोनों काफी जोर से सिसकारियां भी ले रहे थे और एक दूसरे को गन्दी गन्दी गालियाँ भी दे रहे थे।
मैं भी उत्तेजक था और शबाना से बोला- ले साली कुतिया… हरामजादी… मेरे लंड से चुदवाने के बाद अब तेरी नजर अपने बाप के मोटे लंड पर है… मैं सब जानता हूँ… तू अपनी रसीली योनि में अब अपने बाप का लंड लेना चाहती है… छिनाल… और उसके बाद चाचू से भी चुदवायेगी… है ना… और फिर वापिस शहर जाकर मेरे सभी दोस्तों से भी जिनसे अभी तक तूने अपनी योनि ही चटवाई है… बोल रंडी?
शबाना- हाँ हाँ… चुदूँगी अपने बाप के मोटे लंड से… और अपने चाचू के काले सांप से… साले कुत्ते… तू भी तो अपनी अम्मी की चूचियां चूसना चाहता है और अपने मुंह से उनकी योनि चाटना चाहता है.. और चाची जान मिल गयी तो उसकी योनि के परखच्चे उड़ा देगा तू अपने इस डंडे जैसे लंड से… साला भड़वा… अपनी बहन को पूरी दुनिया से चुदवाने की बात करता है… तू मेरे लिए लंड का इंतजाम करता जा और मैं चुदवा चुदवा कर तेरे लिए पैसों का अम्बार लगा दूंगी।
ये सब बातें हमारे मुंह से कैसे निकल रही थी हमें भी मालूम नहीं था; पर यह जरूर मालूम था कि इन सबसे चुदाई का मजा दुगुना हो गया था।
मेरा लंड अब किसी रेल इंजन की तरह उस की कसावदार गांड को खोलने में लगा हुआ था। उस का एक हाथ अपनी योनि मसल रहा था और मेरे दोनों हाथ उसके गोल चूचों पर थे और मैं शबाना के निप्पलों पर अपने अंगूठे और उंगली का दबाव बनाये उन्हें पूरी तरह दबा रहा था।
शबाना के योनिड़ हवा में लटके हुए थे और पीठ कठोर चट्टान पर… मैं जमीन पर खड़ा उसकी टांगों को पकड़े धक्के लगा रहा था।
मैंने हाँफते हुए कहा- ले चुद साली… बड़ा शौक है ना खुले में चुदने का… आज अपनी गांड में मेरा लंड ले और मजे कर कुतिया…
शबाना- मेरा बस चले तो मैं पूरी जिंदगी तेरे लंड को अपनी योनि या गांड में लिए पड़ी रहूँ इन पहाड़ियों पर… चोद साले… मार मेरी गांड… फाड़ दे अपनी बहन की गांड आज अपने मूसल जैसे लंड से… मार कुत्ते… भेन के लंड… चोद मेरी गांड को… आआअह… हयीईईई ईईईईई… आआअह्ह…
और फिर उस की योनि में से रस की धार बह निकली… उसका रस बह कर मेरे लंड को गीला कर रहा था, उसके गीलेपन से और चिकनाहट आ गयी।
मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी- ले छिनाल… आआआह… ले मेरा रस अपनी मोटी गांड में… आआह्ह्ह… हुन्न्न्न न्न्न्न आआआ…
भाई ने बहन की गांड में लंड दिया मेरे मुंह से अजीब तरह की हुंकार निकल रही थी, काफी देर तक मेरा लंड बहन की गांड में होली खेलता रहा और फिर मैं उसकी छातियों पर अपना सर टिका कर हांफने लगा।
शबाना ने मेरे सर पर अपना हाथ रखा और हौले हौले मुझे सहलाने लगी; मेरा लंड फिसल कर बाहर आ गया; मैंने नीचे देखा तो उसकी गांड में से मेरा रस बह कर चट्टान पर गिर रहा था.
उसकी योनि में से भी काफी पानी निकला था; ऐसा लग रहा था कि वहां किसी ने एक कप पानी डाला हो… इतनी गीली जगह हो गयी थी।
शबाना उठी और मेरे लंड को चूस कर साफ़ कर दिया; फिर अपनी गांड से बह रहे मेरे रस को इकठ्ठा किया और उसे भी चाट गयी.
मेरी हैरानी की सीमा न रही जब उसने वहां चट्टान पर गिरे मेरे वीर्य पर भी अपनी जीभ रख दी और उसे भी चाटने लगी और बोली- ये तो मेरा टोनिक है!
और मुझे एक आँख मार दी।
उसे चट्टान से रस चाटते देखकर मेरे मुंह से अनायास ही निकला “साली कुतिया…”
और हम दोनों की हंसी निकल गयी।
फिर हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और नीचे की तरफ चल दिए। हम दोनों नीचे पहुंचे और वापिस टेबल पर आ कर बैठ गए और भीड़ का हिस्सा बन गए। किसी को भी मालूम भी नहीं चला कि हम दोनों कहाँ थे और हमने क्या किया।
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12-07-2018, 01:25 PM,
#19
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
टेबल पर मैंने देखा कि दो लड़कियां बैठी है एक ही उम्र की… वो शायद जुड़वाँ बहनें थी क्योंकि उनका चेहरा काफी हद तक एक दूसरे से मिलता था।
शबाना ने उनसे बात करनी शुरू की।
शबाना- हाय… मेरा नाम शबाना है… और ये है मेरा भाई समीर!
उनमें से एक लड़की बोली- हाय शबाना… मेरा नाम रुबीना है और ये मेरी जुड़वाँ बहन साजिदा।
वो दोनों बातें कर रहे थे और मैं अपनी आँखों से उन्हें चोदने में…दोनों ने जींस और टी शर्ट पहन रखी थी, दोनों काफी गोरी चिट्टी थीं। एक समान मोटी मोटी छातियाँ, पतली कमर, फैले हुए कूल्हे और स्किन टाइट जींस से उभरती उनकी मोटी-२ टांगें।
वो देखने से किसी बड़े घर की लग रही थी।
साजिदा जो चुपचाप बैठी हुई थी… मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दी। मैंने भी उसे स्माइल पास की। फिर हमने काफी देर तक एक दूसरे से बात की। उन्होंने बताया कि वो भी पहली बार यहाँ आई हैं और उनके अब्बू काफी बड़े बिज़नेसमैन हैं।
उनका रूम सामने ही था, मैंने कुछ सोच कर उनसे कहा- चलो, हमें भी अपना रूम दिखाओ!
और हम उनके साथ चल पड़े।
अन्दर जाकर देखा तो वो बिल्कुल हमारे जैसा रूम ही था। मैंने आयने के पास जाकर देखा और उसे थोडा हिलाया… दूसरी तरफ का नजारा मेरे सामने था। मैं समझ गया कि यहाँ हर रूम ऐसे ही बना हुआ है जिस में आयना हटाने से दूसरे रूम में देख सकते हैं।
हम ने थोड़ी देर बातें करी और वापिस लौट आये। मेरे दिमाग में अलग अलग तरह के विचार आ रहे थे। शाम को हम सभी बच्चों के लिए रंगारंग कार्यक्रम था। हम सब वहां जा कर बैठ गए।
थोड़ी देर में ही मैंने पेशाब का बहाना बनाया और वहां से बाहर आ गया और पास के ही एक रूम में जहाँ से रोशनी आ रही थी… चुपके से घुस गया। ड्राइंग रूम में कोई नहीं था। एक बेडरूम में से रोशनी आ रही थी, मैं उसके साथ वाले रूम में घुस गया, वहां भी कोई नहीं था।
मैंने जल्दी से दीवार पर लगे आयने को हटाया और दूसरी तरफ देखा। मेरा अंदाजा सही था… वहां भी ओर्गी चल रही थी… दो औरतें और दो मर्द एक ही पलंग पर चुदाई समारोह चला रहे थे।
दोनों औरतें काफी मोटी और भरी छाती वाली थी। एक की गांड तो इतनी बड़ी थी कि मैं भी हैरान रह गया। वो एक आदमी का लंड चूस रही थी और दूसरी उसकी योनि चाट रही थी और उसकी गांड दूसरा आदमी मार रहा था।
पूरे कमरे में सिसकारियां गूंज रही थी।
मैंने जींस से अपना लंड बाहर निकाला और मुठ मारना शुरू कर दिया। जो औरत लंड चूस रही थी.. वो उठी और मेरी तरफ अपनी मोटी सी गांड करके कुतिया वाले आसन में बैठ गयी। एक आदमी पीछे से आया और अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसकी योनि में डाल दिया।
दूसरी औरत भी उठी और उसके साथ ही उसी आसन मैं बैठ गयी और दूसरे आदमी ने अपना मोटा काला लंड उसकी गांड में पेल दिया। दोनों ने एक दूसरे को देखा और ऊपर हाथ करके हाई फाइव किया और एक आदमी दूसरे से बोला- यार, तू सही कह रहा था.. तेरी बीवी राफिया की गांड काफी कसी है.. हा हा!
दूसरे ने जवाब दिया- और तेरी बीवी की योनि भी कम नहीं है। फिजा भाभी की मोटी गांड को मारने के बाद इनकी योनि में भी काफी मजा आ रहा है.
और दोनों हंसने लगे।
मैंने गौर किया कि उनकी बीवियाँ… राफिया और फिजा भी उनकी बातें सुनकर मुस्कुरा रही है.
मैंने ये सोचकर कि वो दोनों कितने मजे से एक दूसरे की बीवियों की गांड और योनि मार रहे हैं, अपने हाथ की स्पीड बढ़ा दी। वहां चर्म-सीमा पर पहुँच कर राफिया और फिजा की चीख निकली और यहाँ मेरे लंड से गाढ़ा गाढ़ा वीर्य उस दीवार पर जा गिरा।
मैंने अपना लंड अन्दर डाला और बाहर निकल गया। मैंने वापिस पहुँच कर शबाना को इशारे से बाहर बुलाया। उसे भी प्रोग्राम में मजा नहीं आ रहा था, बाहर आकर मैंने शबाना को सारी बात बताई। वो मेरी बात सुन कर हैरान हो गयी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं ऐसे किसी और रूम में घुस गया पर जब चुदाई की बात सुनी तो वो भी काफी उत्तेजित हो गयी।
मैंने उसे अपना प्लान बताया। मैंने कहा- यहाँ कुछ ही लोग अपने बच्चे साथ लाये है। बाकी फॅमिली अकेली हैं और रोज शाम को प्रोग्राम के बहाने से बच्चों को बाहर निकाल कर वो अपने रूम में ओर्गी कर सकते हैं।
मैंने शबाना से कहा- हम रोज किसी भी रूम में घुसकर देखेंगे कि वहां क्या हो रहा है. और अगर इस खेल को और भी मजेदार बनाना है तो कुछ और बच्चों को भी इसमें शामिल कर लेते हैं।
ये सब तय करने के बाद हम दोनों वापिस अपने रूम की तरफ आ गए। रुखसाना वहीं प्रोग्राम में बैठी थी। अन्दर आकर हमने नोट किया कि फारुख चाचू के रूम की लाइट जल रही है। मेरे चेहरे पर मुस्कान दौड़ गयी और हम चुपके से अपने रूम में घुस गए।
आयना हटा कर देखा तो अंदर वासना का वो ही नंगा नाच चल रहा था। निदा चाची जान और मेरी अम्मी शाजिया नंगी लेटी हुई एक दूसरे को फ्रेंच किस कर रही थी। मेरी अम्मी की गांड हवा में थी जबकि चाची जान पीठ के बल लेटी हुई अपनी टाँगें ऊपर किये हुए मेरे अब्बू का मूसल अपनी योनि में पिलवा रही थी।
मैंने शबाना के कान में कहा- देखो तो साली निदा चाची जान कैसे चुदक्कड़ औरत की तरह अपनी योनि मरवा रही है… कमीनी कहीं की… कैसे हमारे बाप का लंड अपनी योनि में ले कर हमारी अम्मी के होंठ चूस रही है कुतिया…
शबाना भी हमारी चाची जान की कामुकता और अन्दर का नजारा देखकर गर्म हो चुकी थी, मेरी गन्दी भाषा सुन कर वो भी उत्तेजित होते हुए बोली- हाँ भाई देखो तो जरा, हमारी कुतिया अम्मी को, कैसे फारुख चाचू के घोड़े जैसे काले लंड को अपनी गांड में ले कर चीख रही है मजे से… अम्मी के चुचे कैसे झूल रहे हैं और निदा चाची जान कितने मजे से उन्हें दबा रही है और अब्बू का लंड तो देखो कितना शानदार और ताकतवर है, कैसे चाची जान की योनि में डुबकियां लगा रहा है… काश मैं होती चाची जान की जगह!
मैं समझ गया कि अगर शबाना को मौका मिला तो वो अपने बाप का लंड भी डकार जायेगी।
अब्बू ने अपनी स्पीड तेज कर दी, निदा चाची जान की आवाजें तेज हो गयी, वो लोग समझ रहे थे कि घर में वो अकेले हैं, बच्चे तो बाहर गए हैं इसलिए वो तेज चीखें भी मार रहे थे और तरह तरह की आवाजें भी निकाल रहे थे।
तभी चाची जान चिल्लाई- आआह्ह… माआआह… जेठ जी… चोदो मुझे… और जौरर सेईईई… आआहहह… फाड़ डालो मेरी योनि… बड़ा अच्छा लगता है आपका लंड मुझे… चोदो… आआअह्ह…
चाची जान ने एक हाथ से मेरी अम्मी के चुचे बुरी तरह नोच डाले।
मेरी अम्मी तड़प उठी और जोर से चिल्लायी- आआआ आआअह्ह कुतियाआअ… छोड़ मेरी छाती… साली हरामजादी… मेरे पति का लंड तुझे पसंद आ रहा है… हांन्न… और तेरा ये घोड़े जैसा पति जो मेरी गांड मार रहा है उसका क्या… बोल कमीनी… उसका लंड नहीं लेती क्या घर में… मेरा बस चले तो मैं अपने प्यारे देवर का लंड ही लूं…
मेरी अम्मी चिल्लाये जा रही थी और अपनी मोटी गांड हिलाए जा रही थी।
फारुख चाचू ने अपनी स्पीड बढ़ाई और मेरी अम्मी के कूल्हे पकड़ कर जोर से झटके देते हुए बोले- भाभी… ले अपने प्यारे देवर का लण्ड अपनी गांड में… सच में भाभी आपकी गांड मार कर वो मजा आता है कि क्या बोलूं… आआआह्ह्ह… तेरे जैसी हरामजादी भाभी की गांड किस्मत वालों को ही मिलती है… चल मेरी कुतिया… ले ले मेरा लंड अपनी गांड के अन्दर तक्क्क…
और चाचू ने अपना लावा मेरी अम्मी की गांड में उड़ेलना शुरू कर दिया।
मेरी अम्मी के मुंह से अजीब तरह की चीख निकली- आय्यय्य्य्यी… आआआह..
और उन्होंने आधे खड़े होकर अपनी गर्दन पीछे करी और फारुख चाचू के होंठ चूसने लगी। चाचू का हाथ अम्मी की योनि में गया और अम्मी वहीं झड़ गयी- आआआह्ह… म्मम्मम…
वहां मेरे अब्बू भी कहाँ पीछे रहने वाले थे- ले निदा… मेरी जान… मेरी कुतिया… अपने आशिक जेठ का लंड अपनी योनि में ले… तेरी योनि में अभी भी वो ही कशिश है जो सालों पहले थी… और तेरे ये मोटे मोटे चुचे… इन पर तो मैं फ़िदा हूँ…
यह कह कर अब्बू ने झुक कर निदा चाची जान के दायें चुचे को मुंह में भर लिया और जोर से काट खाया।
चाची जान चीखी- आआअह कुत्त्त्ते… छोड़ मुझे… आह्ह्ह्ह… म्म्म्म म्म्म्मम्म
और मेरे अब्बू का मुंह ऊपर कर के उनके होंठों से अपने होंठ जोड़ दिए और चूसने लगी किसी पागल बिल्ली की तरह।
अब्बू से सहन नहीं हुआ और अपना रस उन्होंने चाची जान के अन्दर छोड़ दिया। चाची जान भी झड़ने लगी और अपनी टाँगें अब्बू के चारों तरफ लपेट ली।
सभी हाँफते हुए वहीँ पलंग पर गिर गए।
शबाना ने घूम कर मुझे देखा, उसकी आँखें लाल हो चुकी थी, उसने अपने गीले होंठ मुझ से चिपका दिए और मेरे हाथ पकड़ कर अपने सीने पर रख दिए। मैंने उन्हें दबाया तो उसके मुंह से आह निकल गयी।
मैंने उसे उठा कर पलंग पर लिटाया और उसके कपड़े उतार दिए। शबाना की योनि रिस रही थी अपने रस से… मैंने अपना मुंह लगा दिया उसकी रस टपकाती योनि पर और पीने लगा.
वो मचल रही थी बेड पर नंगी पड़ी हुई, उसने मेरे बाल पकड़ कर मुझे ऊपर खींचा और अपनी योनि में भीगे मेरे होंठ चाटने लगी और अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मेरे लंड को अपनी योनि पर टिकाया और “सुर्रर” करके मेरे मोटे लण्ड को निगल गयी।
शबाना ने किस तोड़ी और धीरे से चिल्लाई- आआआहहह…
आज वो काफी गीली थी। मैंने अपना मुंह उसके एक निप्पल पर रख दिया… वो सिहर उठी और प्यार से मेरी तरफ देखकर बोली- मेरा बच्चा…
ये सुनकर मैंने और तेजी से उसका “दूध” पीना शुरू कर दिया।
शबाना ने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर आ गयी.. बिना अपनी योनि से मेरा लंड निकाले और अपने बाल बांध कर तेजी से मेरे ऊपर उछलने लगी। मैंने हाथ ऊपर करे और उसके चुचे दबाते हुए अपनी आँखें बंद कर ली।
जल्दी ही वो झड़ने लगी और उसकी स्पीड धीरे होती चली गयी और अंत में आकर उसने एक जोर से झटका दिया और हुंकार भरी और मेरे सीने पर गिर गयी।
अब मैंने उसे धीरे से नीचे लिटाया, वो अपने चार पायों पर कुतिया की तरह बैठ गयी और अपनी गांड हवा में उठा ली। मैंने अपना लंड उसकी योनि में डाला और झटके देने लगा। मेरी एक उंगली उसकी गांड में थी।
मैंने किसी कसाई की तरह उसे दबोचा और अपना घोड़ा दौड़ा दिया। वो मेरे नीचे मचल रही थी। मैंने हाथ आगे करे और उसके झूलते हुए सेब पर टिका दिए। मेरा लंड इस तरह काफी अन्दर तक घुस गया।
मेरे सामने आज शाम की घटना और दूसरे रूम में हुई शानदार चुदाई की तसवीरें घूम रही थी। ये सोचते सोचते जल्दी ही मेरे लंड ने जवाब दे दिया और मैंने भी अपने लंड का ताजा पानी अपनी बहन के गर्भ में छोड़ दिया।
बुरी तरह से चुदने के बाद शबाना उठी और बाथरूम में चली गयी।
मुझे भी बड़ी जोर से सुसु आया था, मैंने सिर्फ अपनी चड्डी पहनी और दरवाजा खोल कर बाहर बने कॉमन बाथरूम में चला गया। मैंने अपना लंड निकाला और मूत की धार मारनी शुरू कर दी।
मैंने मूतना बंद ही किया था कि बाथरूम का दरवाजा खुला और निदा चाची जान नंगी अन्दर आई और जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया, पर जैसे ही मुझे देखा तो वहीं दरवाजे पर ठिठक कर खड़ी हो गयी। मेरे हाथ में मेरा मोटा लंड था।
निदा चाची जान ने कहा- ओह्ह्ह… सॉरी…
मैंने वहीं खड़े हुए कहा- क्या आपको दरवाजा खड़काना नहीं आता?
मेरा लंड अभी भी मेरे हाथ में था।
निदा चाची जान ने शर्माते हुए कहा- सॉरी… मुझे माफ़ कर दो समीर… अन्दर अँधेरा था तो मैंने सोचा अन्दर कोई नहीं है… और वैसे भी तुम लोग तो बाहर प्रोग्राम देख रहे थे न?
वो अपने नंगे जिस्म को छुपाने की कोशिश कर रही थी।
मैंने उनकी आँखों में देखकर कहा- मेरा वहां मन नहीं लगा इसलिए वापिस आ गया… और…
निदा चाची जान ने सकुचाते हुए और मेरी बात काटते हुए कहा- और ये कि… मुझे शू शू आया है।
मैं- हाँ तो कर लो न…
चाची जान का चेहरा शर्म से लाल हो रहा था- तुम बाहर जाओगे तभी करुँगी न!
मैं- तुमने मुझे देखा है सू सू करते हुए… तो मेरा भी हक बनता है तुम्हें सू सू करते हुए देखने का…
और मैं दीवार के सहारे खड़ा हो गया और अपना लम्बा लंड उनके सामने मसलने लगा।
चाची जान ने ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा और जल्दी से सीट पर आकर बैठ गयी। पेशाब की धार अन्दर छुटी और मैंने देखा कि उनके निप्पल कठोर होते चले जा रहे हैं।
सू सू करने के बाद उन्होंने पेपर से अपनी योनि साफ़ करी और खड़ी हो गयी।
निदा ने कहा- ठीक है… अब खुश हो?
मैंने मुस्कुराते हुए कहा- हाँ… पर मैं तुम्हें कुछ दिखाना भी चाहता हूँ…
मैंने अपनी योजना के आधार पर उन्हें कहा।
“अभी…? तुम्हें नहीं लगता कि मुझे कुछ कपड़े पहन लेने चाहियें… और तुम्हें भी!” चाची जान ने अपनी नशीली आँखें मेरी आँखों में डाल कर कहा।
मैंने कहा- इसमें सिर्फ दो मिनट लगेंगे… आपको हमारे रूम में चलना होगा।
“चलो फिर जल्दी करो… देखूँ तो सही तुम मुझे क्या दिखाना चाहते हो?” चाची जान ने कहा और दरवाजा खोलकर मेरे साथ चल दी… नंगी।
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12-07-2018, 01:26 PM,
#20
RE: Antarvasna kahani चुदाई का घमासान
मैंने अपने रूम का दरवाजा खोला और अन्दर आ गया। शबाना का चेहरा देखते ही बनता था… जब उसने चाची जान को मेरे पीछे अपने रूम में घुसते हुए देखा… वो भी बिल्कुल नंगी।
शबाना उस समय बेड पर लेटी अपनी योनि में उंगलियाँ डाल कर मुठ मार रही थी।
मैंने शबाना से कहा- चाची जान मुझे बाथरूम में मिली थी, मैं इन्हें कुछ दिखने के लिए लाया हूँ।
चाची जान भी शबाना को नंगी बिस्तर पर लेटी देखकर हैरान रह गयी। मैं जल्दी से आयने वाली जगह पर गया और बोला- आप इधर आओ चाची जान… ये देखो।
चाची जान झिझकते हुए आगे आई। वो समझ तो गयी थी कि मैं उन्हें क्या दिखाने वाला हूँ। जब उन्होंने अन्दर देखा तो पाया कि अम्मी ने चाचू का लंड मुंह में ले रखा है और चूस रही है और पीछे से अब्बू उनकी योनि मार रहे हैं।
चाची जान ने थोड़ा कठोर होते हुए कहा- तो तुम लोग हमारी जासूसी कर रहे थे, हमें ये सब करते हुए देख रहे थे। इसका क्या मतलब है, ऐसा क्यों कर रहे थे तुम?
मैंने कहा- मुझे लगा आपको अच्छा लगेगा कि आपकी कोई औडिएंस है और इस से एक्साइटमेंट भी आएगी।
उन्होंने कहा- अब से हम तुम्हारे परेंट्स का रूम यूज़ करेंगे.
मैंने उन्हें डराते हुए कहा- फिर तो मैं उन्हें बता दूंगा कि आप बाथरूम में आई और मुझे आयने वाली जगह दिखाई और हमें अन्दर देखने के लिए भी कहा।
चाची जान का मुंह तो खुला का खुला रह गया मेरी इस धमकी से… उन्होंने हैरानी से शबाना की तरफ देखा जो अब उठ कर बैठ गयी थी, पर वो भी उतनी ही हैरान थी जितनी की चाची जान।
“तुम क्या चाहते हो समीर…?” चाची जान ने थोड़ा नर्म होते हुए कहा।
“मैं भी कुछ खेल खेलना चाहता हूँ.” मैंने कहा और आगे बढ़ कर चाची जान के मोटे चुचे पर हाथ रख दिया और उनके निप्पल को दबा दिया।
चाची जान ने गंभीरता से कहा- आआउच…
वो बिदकी और बोली- तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि इटनी छोटी सी उम्र में तुम ये खेल खेलने के लिए तैयार हो?
मैंने अपना अंडरवियर नीचे गिरा दिया और अपना पूरा खड़ा हुआ मोटा लंड उनके हाथों में दे दिया और कहा- मुझे ये इसकी वजह से लगता है।
“तुम्हारी उम्र के हिसाब से तो ये काफी बड़ा है…” चाची जान ने मेरे लंड से बिना हाथ और नजरें हटाये हुए कहा।
वो जैसे मेरे लंड को देखकर सम्मोहित सी हो गयी थी।
मैंने उनसे कहा- चाची जान, मेरा लंड चूसो…
उन्होंने झिझकते हुए कहा- पर शबाना… वो भी तो है यहाँ…
मैंने कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए कहा- आप उसकी चिंता न करो, वो ये सब होते हुए देखेगी… और उसके बाद आप उसकी योनि को भी चाट देना… वो शायद आपको भी पसंद आएगी।
मैंने चाची जान को घुमा कर बेड की तरफ धकेल दिया, बेड के पास पहुँच कर मैंने उन्हें धीरे से किनारे पर बिठा दिया मेरा खड़ा हुआ लण्ड उनकी आँखों के सामने था। उन्होंने शबाना की तरफ देखा, वो भी काफी उत्तेजित हो चुकी थी ये सब देख कर और उछल कर वो भी सामने आ कर बैठ गयी।
फिर चाची जान ने मेरा लंड पकड़ा और धीरे से अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिराई और फिर पूरे लंड पर अपनी जीभ को फिराते हुए उन्होंने एक एक इंच करके किसी अजगर की तरह मेरा लंड निगल लिया।
मैंने मन ही मन सोचा- एक्सपेरिएंस भी कोई चीज होती है…
उनका परिपक्व मुंह मेरे लंड को चूस भी रहा था, काट भी रहा था और अन्दर बाहर भी कर रहा था।
मेरे लंड का किसी अनुभवी मुंह में जाने का ये पहला अवसर था, मुझ से ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ, चाची जान के गर्म मुंह ने जल्दी ही मुझे झड़ने के कगार पर पहुंचा दिया। मेरे लंड से वीर्य की बारिश होने लगी चाची जान के मुंह के अन्दर… उन्होंने एक भी बूँद जाया नहीं जाने दी और सब पी गयी।
चाची जान ने मेरे लंड को आखिरी बार चूसा और छोड़ दिया- तुम यही चाहते थे न?
मैंने उनके कंधे पर दबाव डाला और उन्हें बेड पर लिटा दिया- हाँ बिल्कुल यही… तुम बिल्कुल परफेक्ट हो चाची जान… अब लेट जाओ।
पीछे से शबाना ने उन्हें कंधे से पकड़ा और चाची जान के मुंह के दोनों तरफ टाँगें करके उनके मुंह के ऊपर बैठ गयी.
“आआअह्ह उम्म्ह… अहह… हय… याह… म्मम्म म्मम्म…” और अपनी गीली योनि उनके मुंह से रगड़ने लगी।
मैंने चाची जान की टाँगें पकड़ी और हवा में उठा ली और उनकी जांघो पर हाथ टिका कर अपना मुंह उनकी दहकती हुई योनि में दे मारा। मैंने जैसे ही अपनी जीभ उनकी योनि में डाली, उन्होंने एक झटका मारा…”आआअह्ह…यीईईईईईई…” और मेरी गर्दन के चारों तरफ अपनी टाँगें लपेट ली और अपने योनिड़ उछाल उछाल कर मेरा मुंह चोदने लगी।
चाची जान की योनि शबाना और उसकी सहेलियों की योनि से बिल्कुल अलग थी। वो एक पूरी औरत की योनि थी जिसकी एक जवान लड़की भी थी और मजे की बात ये थी कि मैं उनकी लड़की की योनि भी चाट और मार चुका था।
शबाना भी बड़ी तेजी से अपनी बिना बालों वाली योनि को उनके मुंह में घिस रही थी। मैंने चाची जान की योनि पर काटना और चुसना शुरू कर दिया। जल्दी ही उनकी योनि के अन्दर से एक सैलाब सा उमड़ा और मेरे पूरे मुंह को भिगो दिया।
उनका रस भी बड़ा मीठा था, मैंने जल्दी से सारा रस पी लिया।
उधर शबाना ने भी अपनी टोंटी चाची जान के मुंह में खोल दी और अपना अमृत उन्हें पिला दिया।
हम सभी धीरे से अलग हुए और थोड़ी देर तक सांस ली। चाची जान का चेहरा उत्तेजना के मारे तमतमा रहा था, उन्होंने उठने की कोशिश की पर उनके पैर लड़खड़ा रहे थे।
चाची जान बिस्तर से उठते हुए बोली- मुझे अब वापिस जाना चाहिए उस रूम में।
“प्लीज चाची जान दुबारा आना!” मैंने उन्हें कहा।
शबाना- और फारुख अंकल को भी लेकर आना और मॉम डैड को मत बताना।
चाची जान ने हँसते हुए कहा- ठीक है आऊँगी… और तुम्हारे अम्मी अब्बू को भी नहीं बताऊँगी.
और फिर चली गयी।
चाची जान के जाते ही मैंने आयना हटा कर देखा। वो अन्दर गयी और चुदाई समारोह में जाकर वापिस शरीक हो गयी। अब्बू ने अपना रस अम्मी की योनि में निकाल दिया था। चाची जान ने जाते ही अपनी डिश पर हमला बोल दिया और अम्मी की योनि में से सारी मलाई खा गयी।
चाची जान को झड़े अभी 5 मिनट ही हुए थे पर जैसे ही चाचू ने उनकी योनि में लौड़ा डाला वो फिर से मस्ता गयी और अपनी मोटी गांड हिला हिला कर चुदवाने लगी। जल्दी ही चाचू का लंड… जो अम्मी के चूसने की वजह से झड़ने के करीब था, चाची जान की गीली योनि में आग उगलने लगा।
सभी हाँफते हुए वहीं बेड पर लुढ़क गए।
थोड़ी देर में अम्मी और अब्बू उठे और अपने रूम में चले गए।
अम्मी अब्बू के जाते ही मैंने शबाना को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके गीले और लरजते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो भी दोबारा गर्म हो चुकी थी, उसके होंठ चूसते हुए मैंने उसके चुचे दबाने शुरू किये और जल्दी ही उसके निप्प्ल्स को अपने होंठों के बीच रख कर चबाने लगा।
शबाना पागल सी हो गयी मेरे इस हमले से… वो चिल्लाई- आआआ आअयीईईई ईईईइ… म्म्म्म म्म्म्मम… चुसो ऊऊऊ… इन्हें… अयीईईईईइ थोड़ा धीरेईईईए… अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह…
वो बुदबुदाती जा रही थी, जल्दी ही मैं उन्हें चूसता हुस नीचे की तरफ चल दिया और उसकी रस टपकाती योनि में अपने होंठ रख दिए। शबाना से भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, उसने पलट कर 69 की अवस्था ली और मेरा फड़कता हुआ लंड अपने मुंह में भर लिया और तेजी से चूसने लगी।
उधर दूसरे रूम में अम्मी अब्बू के जाते ही… थोड़ी देर लेटने के बाद चाची जान उठ कर आयने के पास आई और आयना हटा कर झाँकने के बाद देखा… तो मुझे और शबाना को 69 की अवस्था में देख कर मुस्कुरा दी।
उन्होंने इशारे से फारुख चाचू को अपने पास बुलाया। वो उठे और नंगे आकर चाची जान के पीछे खड़े हो गए। अन्दर झांकते ही वो सारा माजरा समझ गए और मुझे और शबाना को ऐसी अवस्था में देख कर आश्चर्य चकित रह गए। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि हम दोनों भाई बहन ऐसा कर सकते हैं पर फिर उन्होंने सोचा की जब वो अपने भाई और भाभी के साथ खुल कर अपनी पत्नी को शामिल कर के मजा ले सकते हैं तो ये भी मुमकिन है।
उनकी नजर जब शबाना की मोटी गांड पर गयी तो उन का मुरझाया हुआ लंड फिर से अंगड़ाई लेने लगा।
चाची जान ने फारुख को सारी बात बता दी कि कैसे हम दोनों उनके रूम में देखते हैं और शायद वो ही देख देख हम दोनों भाई बहन भी एक दूसरे की चुदाई करने लगे हैं।
मेरी एक उंगली शबाना की गांड के छेद में थी और मेरा मुंह उसकी योनि में। वो अपनी गांड को गोल गोल घुमा रही थी और मुंह से सिसकारियां ले लेकर मेरा लंड चूस रही थी।
चाचू ने जब शबाना की गोरी, मोटी घूमती गांड देखी तो वो पागल ही हो गए। उन्होंने पहले ऐसा कभी शबाना के बारे में सोचा नहीं था। चाची जान ने बताना चालू रखा कि कैसे वो बाथरूम में गयी और नंगी मुझ से मिली और वापिस उनके रूम में जा कर उन्होंने मेरा लंड चूसा और शबाना की योनि चाटी।
चाचू चकित हो कर सभी बातों को सुन रहे थे, उनकी नजर शबाना के नंगे बदन से हट ही नहीं रही थी और जब चाची जान ने ये बताया कि उन्होंने उन दोनों को अपने रूम में बुलाया है और खास कर शबाना ने बोला है कि ‘चाचू को भी लेकर आना…’ तो फारुख समझ गया कि उसकी भतीजी की योनि तो अब चुदी उस के लंड से।
चाचू ने झट से निदा को कहा- तो चलो न, देर किस बात की है, चलते हैं उनके रूम में…
चाची जान- अभी…? अभी चलना है क्या?
चाचू- और नहीं तो क्या… देख नहीं रही कैसे दोनों गर्म हुए पड़े हैं।
चाची जान- हाँ…! ठीक है, चलते हैं, मुझे वैसे भी समीर के लंड का स्वाद पसंद आया, देखती हूँ कि उसे इस्तेमाल करना भी आता है या नहीं।
दोनों धीरे से अपने कमरे से निकले और हमारे रूम में आ गए। हम दोनों एक दूसरे में इतने खो गए थे कि हमें उनके अन्दर आने का पता ही नहीं चला। चाचू बेड के सिरे की तरफ जा कर खड़े हो गए। वहां शबाना का चेहरा था जो मेरा लंड चूसने में लगा हुआ था।
शबाना ने जब महसूस किया कि कोई वहां खड़ा है तो उसने अपना सर उठा कर देखा और चाचू को पा कर वो सकपका गयी। नजरें घुमा कर जब चाची जान को देखा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए अपनी आँखों के इशारे से शबाना को चाचू की तरफ जाने को कहा।
वो समझ गयी और अपना हाथ ऊपर करके अपने सगे चचा जान का काला लंड अपने हाथों में पकड़ लिया।
चाचू के मोटे लंड पर नन्हे हाथ पड़ते ही वो सिहर उठे…”आआआ आअह्ह्ह…” और उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली।
शबाना थोड़ा उठी और अपने होंठों को चाचू के लंड के चारों तरफ लपेट दिया।
मैंने जब महसूस किया कि शबाना ने मेरा लंड चूसना बंद कर दिया है तो मैंने अपना सर उठा कर देखा और अपने सामने चाची जान को मुस्कुराते हुए पाया। मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही चाची जान ने अपनी टाँगें घुमाई और मेरे मुंह की सवारी करने लगी।
चाची जान की योनि काफी गीली थी, शायद दुसरे कमरे में चल रही चुदाई की वजह से और हमें देखने की वजह से भी।
“आआआ आआआ आआह्ह्ह” चाची जान ने लम्बी सिसकारी ली।
चाची जान ने भी झुक कर मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। मैंने अपनी जीभ चाची जान की योनि में काफी गहरायी तक डाल दी। इतना गहरा आज तक मैं नहीं गया था। उनकी योनि और चूतों के मुकाबले थोड़ी बड़ी थी, शायद इस वजह से।
चाची जान मेरे ऊपर पड़ी हुई मचल रही थी, उन्होंने मेरा लंड एक दम से छोड़ दिया और घूम कर मेरी तरफ मुंह कर लिया और अपनी गीली योनि में मेरा लंड लगाया और नीचे होती चली गयी.
“म्मम्म म्मम… आआआ आआआह्ह्ह… मजा आ गया…” वो बुदबुदाई और अपने गीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए।
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