Sex Hindi Kahani रोंये वाली मखमली चूत
06-30-2017, 11:07 AM,
#1
Sex Hindi Kahani रोंये वाली मखमली चूत
रोंये वाली मखमली चूत 

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम संदीप है, दोस्तो कहानी उस समय की है जब मेरी उम्र बीस वर्ष थी और मैं बी.एस.सी. फाइनल का छात्र था। मुझे कॉलेज में सब चॉकलेटी ब्वॉय कहते थे, मेरा रंग गोरा और शरीर सामान्य है। मेरी ऊंचाई 6 फिट और वैभव की ऊंचाई मेरी ऊंचाई से थोड़ी कम है.. वो एक गोरा और सुंदर सा लड़का था। 
मैं एक किराए के मकान में अपने दोस्त वैभव के साथ रहता था, जो मेरे ही क्लास में पढ़ता था। 
एक साल पहले फर्स्ट इयर में एक खूबसूरत लड़की ने प्रवेश लिया। उस तीखे नैन-नक्श 5.3 इंच हाईट वाली सुंदर गोरी लड़की का नाम भावना था, उसका फिगर 32-24-32 था।
उस गदराए हुए शरीर की लड़की को देखते ही मैंने ठान लिया था कि इसकी चूत में अपना लंड घुसा कर ही रहूँगा।
कॉलेज की सभी लड़कियों की तरह वो भी मुझे देखती थी।
मैंने उसके करीब जाने की कोशिश की, मगर बात नहीं बनी.. बस एक-दो बार नोट्स को लेकर बातें हुईं। इसी बातचीत में मैंने उसका और उसने मेरे घर का पता पूछ लिया। वो मेरे रूममेट को भी पहचानने लगी थी। 
ऐसे ही दिन बीत रहे थे.. लेकिन मुझे धीरे-धीरे लगने लगा कि मैं उससे प्यार करता हूँ। इसलिए मैं भावना को पाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता था।
हमारे कॉलेज में एक फंक्शन था.. जिसमें कुछ गेम्स भी होने थे। सीनियर होने की वजह से कॉलेज के सभी फंक्शन और गेम्स की तैयारी हमारा ग्रुप ही करता था।
एक गेम चिट निकालने वाला था और उस चिट में लिखे हुए टास्क को पूरा करना था।
उसमें भावना ने भी हिस्सा लिया था, मेरे दिमाग में शरारत सूझी, मैंने गेम से पहले ही भावना को पीला कार्ड उठाने कह दिया।
अब गेम के समय भावना ने पीला कार्ड उठा कर पढ़ा और पढ़ कर स्टेज पर ही रोने लगी।
सबने पूछा कि टास्क क्या है, पर वो कुछ नहीं बोली और स्टेज से उतर गई।
सब उसे चिढा़ने और हँसने लगे।
सफेद सलवार कुर्ती और प्रिंटेड लाल दुपट्टे में गुस्से और शर्म से लाल भावना हॉल से बाहर चली गई।
मुझे अपनी गलती का अहसास था.. क्योंकि मैंने ही उस पीले कार्ड में टास्क लिखा था कि अपने ऊपर का कपड़ा हटा कर वाक करो.. और वो इसी वजह से रोने लगी थी, उसने किसी को कुछ नहीं कहा।
अब मैं उसी की सोच में डूबा हुआ फंक्शन निपटा कर घर आया और थकावट मिटाने के लिए नहाने चला गया।
मैं बाथरूम से निकला ही था कि मुझे सामने भावना नजर आई.. उसे देखते ही मेरे होश उड़ गए।
इस वक्त मैंने तौलिया के अलावा कुछ नहीं पहना था। वो दरवाजे पर ही खड़ी थी।
मैंने कहा- अरे भावना तुम.. आओ अन्दर बैठो।
उसने वैभव की तरफ देखते हुए कहा- आप बाहर जाइए!
वैभव बिना कुछ बोले निकल गया।
वैभव के बाहर जाते ही उसने रूम में कदम रखा।
भावना ने कहा- तुम जानते हो संदीप मैं स्टेज पर क्यों रोई? 
मैंने बिना कुछ बोले अपनी नजरें झुका लीं। 
‘संदीप शायद तुम समझे ही नहीं? मैं तुमसे प्यार करने लगी थी.. लेकिन तुम मेरे जिस्म के भूखे निकले।’
इतना सुनकर मैं खुश भी था और लज्जित भी था।
मैंने कहा- नहीं भावना.. ऐसा कुछ भी नहीं है।
उसने कहा- सफाई देने की जरूरत नहीं है।
यह कह कर उसने मुड़ कर दरवाजा बंद कर दिया।
रूम में ट्यूब लाईट का भरपूर प्रकाश था और उसने मुझसे थोड़ी दूर खड़े होकर रोते हुए अपना दुपट्टा शरीर से अलग कर दिया। मैं मूर्ति बन गया था, मेरे कुछ बोलने से पहले ही उसने कहा- तुम्हें यही चाहिए था ना?
यह कहते हुए एक ही झटके में अपनी कुर्ती निकाल दी।
लाल रंग की ब्रा में कसे उसके सुडौल दूधिया झांकते बड़े-बड़े स्तनों को देखकर मेरा लंड अकड़ने लगा। तभी उसने सलवार का नाड़ा खींचा और सलवार जमीन पर आ गिरी।
अनायास ही मेरी नजर उसकी चिकनी टाँगों का मुआएना करने लगी।
मेरी नजर टाँगों से शुरू होकर उसकी सुडौल जाँघों से होकर चूत में चिपकी लाल कलर की पेंटी के अन्दर घुस जाने का प्रयास कर रही थी।
तभी उसने अपनी ब्रा भी निकाल फेंकी मैं उसके गुलाबी निप्पल देख ही रहा था कि उसकी आवाज आई ‘लो बुझा लो अपनी हवस की आग..’
यह कहने के साथ ही उसने अपनी पेंटी भी टाँगों से अलग कर दी।
मैंने एक झटके से अपना पहना हुआ तौलिया निकाला और उसकी तरफ बढ़ गया।
वो रोते हुए भी मेरे खड़े लंड को देख रही थी और मुझसे नजरें मिलते ही अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैं उसके पास जाकर अपने घुटनों पर बैठ गया, जिससे कि उसकी भूरे रोंये वाली मखमली चूत मेरी आँखों के सामने आ गई।
मैंने उसकी चूत के ऊपर हल्का सा चुम्बन लिया और उसकी चूत से मदहोश कर देने वाली खुशबू को लंबी सांस के साथ अपने अन्दर भर लिया।
फिर उसकी कमर में अपना हाथ घुमा कर उसको तौलिया पहना दिया।
मेरा ऐसा करते ही उसका रोना बंद हो गया और मैंने खड़े होकर उसके गालों को थाम कर माथे को चूमते हुए कहा- भावना अगर मैं जिस्म पाना चाहूँ तो रोज एक नई लड़की मेरे बिस्तर पर होगी, पर सच्चाई तो ये है कि मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ। लो पहन लो अपने कपड़े और मेरे मजाक के लिए मुझे माफ कर दो।
अब भावना फिर से रोते हुए मेरे सीने से चिपक गई और कहा- तुम सच कह रहे हो ना संदीप? तुम नहीं जानते कि मैं तुम्हें कितना चाहती हूँ।
मैंने कहा- तुम भी नहीं जानती कि मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूँ।
मैंने उसे गोद में उठा कर बिस्तर में बिठा दिया चूंकि मैंने अपना तौलिया भावना को पहना दिया था.. इसलिए अब मैं पूरी तरह नंगा था और भावना भी सिर्फ तौलिये में थी।
भावना मेरी गोद में बैठी थी, अब हम प्यार भरी बातें करने लगे।
मेरा हाथ भावना के उरोजों पर जा रहा था.. पर मैं पहल नहीं करना चाहता था।
भावना ने अपनी बांहों का हार मेरे गले में डाल रखा था। वो मेरे गालों को चूम रही थी। अब तो उसका एक हाथ मेरे सीने को भी सहला रहा था।
लड़की के नाजुक हाथ का स्पर्श पाकर मेरा लौड़ा अकड़ने लगा। शायद भावना को मेरा खड़ा लंड चुभा.. वो मुस्कुरा कर मेरी गोद से उतर कर मेरे सामने जमीन पर बैठ गई और मेरे लंड को गौर से देखने लगी।
मैं समझ गया कि इसके मन में कुछ प्रश्न हैं।
मैंने कहा- क्या सोच रही हो?
उसने कहा- ये कितना बड़ा और सुंदर लग रहा है, क्या सबका इतना ही बड़ा होता है?
मैंने हँसते हुए जवाब दिया- नहीं ज्यादातर लोगों का इससे छोटा होता है, पर कुछ लोगों का इससे भी बड़ा होता है।
हमारी बातों के वक्त भावना मेरे लंड को सहला रही थी। फिर मैंने उसे लंड को चूसने के लिए कहा, शायद वो भी इसी इंतजार में थी।
पहले उसने लंड की पप्पी ली, फिर धीरे से लंड चूसना शुरू किया।
उसने एक बार मेरे चेहरे की ओर देखा.. उत्तेजना में मेरी आँखें छोटी हो रही थीं।
दूसरे ही पल भावना ने लंड अपने गले तक डाल लिया और चूसने के साथ ही आगे-पीछे भी करने लगी।
मैंने उसका सर थाम लिया और उसके मुँह को ही चोदने लगा, वो गूं-गूं की आवाज करने लगी लेकिन मैंने अपना लंड जोरों से पेलना जारी रखा।
उसने मुझसे छूटने की कोशिश की.. पर मैं कहाँ छोड़ने वाला था, मैंने धक्के और तेज कर दिए।
मैंने अचानक ही लंड मुँह से बाहर खींच कर पूरा माल उसके उरोजों पर गिरा दिया। उसकी आंखों में आंसू आ गए थे।
उसने मेरे वीर्य को छूकर देखा और मुँह बनाते हुए बाथरूम में चली गई।
उसने बाथरूम से निकलते ही कहा- मार डालते क्या?
मैंने ‘सॉरी’ कहा।
‘कोई बात नहीं मैं तुम्हारे लिए मर भी सकती हूँ।’
यह कहते हुए उसने मुझे चूम लिया और कहा- तुम तो खुश हो ना?
इसके बाद हम दोनों लेटे रहे, उसने लंड को फिर से टटोलना शुरू किया। कुछ पल बाद उसने मेरे लंड को पकड़ कर कहा- वाह जनाब.. इतनी जल्दी सुस्त पड़ गए.. लेकिन मैं तुम्हें ऐसे ही नहीं छोड़ने वाली।
उसकी बातें सुनकर मुझे शक हुआ कि भावना चुदाई के बारे में इतना कैसे जानती है। वो पहली बार में भी इतनी खुलकर बात कैसे कर रही है। 
मैंने पूछा- भावना क्या तुम्हारा कोई अतीत था, मैं क्या कहना चाह रहा हूँ तुम समझ रही हो ना?
भावना ने कहा- पहले तुम अपना अतीत बताओ।
मैंने खुलकर कह दिया- मैंने तीन बार सेक्स किया है.. दो बार रंडी को चोदा और एक बार दोस्त की गर्लफ्रेंड के साथ किया है।
बस इतना सुनते ही भावना बिस्तर से उतर गई।
मैंने कहा- क्या हुआ? 
अब मैं असमंजस में था कि क्या होने वाला है।
‘क्या हुआ भावना तुमको मेरा सच बुरा लगा क्या?’
उसने कहा- कुछ नहीं.. मैं सोच रही हूँ कि मेरा सच जानने के बाद क्या होगा।
मेरा दिमाग घूमा.. मैंने कहा- तुम्हारा मतलब?
‘हाँ.. मैंने भी दो बार चुदाई की है पर वो सिर्फ मेरा अतीत था। क्या तुम मेरे लिए ये बातें भूल सकते हो?’
यह कह कर वो रोने लगी।
मैंने उसे चुप कराया और बिस्तर पे ले गया। अब यार, उसकी चुदाई से मुझे क्या फर्क पड़ना था.. तो मैं मुस्कुरा दिया और बात वहीं खत्म हो गई।
मैंने भावना से कहा- फिर लंड के बारे में अनजान क्यों बन रही थी?
उसने कहा- ताकि तुम्हें मुझ पर शक ना हो।
‘ओह ऐसा क्या..!’ ये कहते हुए मैंने अपनी उंगली उसकी पहले से गीली हो चुकी चूत में डाल दी।
भावना चिहुंक उठी और आँखें बंद करके आनन्द के सागर में डूब गई।
अब मैं उसके निप्पल को चूसने लगा। उसका एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से वो अपने उरोजों को मसलने लगी।
भावना की आँखें हवस के मारे लाल हो रही थीं।
मेरा लंड भी बेहाल हो रहा था। अब मैंने तुरंत ही अपनी दिशा बदली और उसके पैरों को मोड़ कर उसकी चूत का दीदार किया। फिर उसकी मखमली चूत को छूते हुए उस नजारे को अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहा।
हल्के भूरे रोंए.. गुलाबी फांकें और शबनम की चमकती बूंदों के साथ स्वत: ही सांस लेती उसकी मनमोहनी चूत ने मुझे पागल बना दिया।
मैं झुका और मैंने एक ही बार में अपनी जीभ उसकी चूत के नीचे से ऊपर तक फिराई। फिर आँखें बंद करके जीभ को मुँह के अन्दर करके चटखारा लिया.. जैसे बहुत स्वादिष्ट चीज खाई हो।
मैंने भावना को देखा वो अपने उरोजों को गूँथे जा रही थी। जैसे ही उससे मेरी नजरें मिलीं.. उसने मेरा लंड चूसने की मंशा इशारों में ही जाहिर कर दी।
मैंने 69 की पोजिशन सैट करके लौड़ा उसके मुँह में दे दिया और मैं पुनः चूत चाटने लगा। हम दोनों ही पागलों की तरह लंड और चूत का रसास्वादन कर रहे थे।
अब मैंने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए चूत को चांटा मारा.. इससे भावना की चुदने की भूख और बढ़ गई, उसने मेरा लंड चूसना छोड़ दिया और चूत चोदने के लिए कहने लगी।
पर मैं तो उसका रस जीभ से ही निकालना चाहता था, इसलिए मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। तो उसने खुद मुझे धकेल दिया और मैं बिस्तर में ही चित लेट गया। अब वो खुद मेरे ऊपर आ गई और लंड पकड़ कर अपनी चूत पर टिकवा लिया।
अगले ही उसने अपने शरीर का पूरा भार मेरे लंड पर धर दिया। एक ‘ऊओंह..’ की आवाज उसके मुँह से भी निकली और मेरे मुँह से भी निकल गई।
उसने लंड को अपनी चूत में जड़ तक घुसवा लिया और कुछ पल ऐसे ही आँखें मूँदें शांत बैठे रही। दूसरे ही पल उसने अपना स्तन हाथों से पकड़ा और झुक कर मेरे मुँह में दे दिया।
अब उसने कमर उचका कर चुदाई शुरू कर दी, मैंने भी ताल मिला कर नीचे से झटके देने शुरू कर दिए।
वो बदहवास होकर चुदे जा रही थी, ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें अब मादक सीत्कारों में बदल गई थीं। वो अपने होंठों को दांतों से काट रही थी और मैं भी उसके इस रूप को देख के पागल हुआ जा रहा था।
मैंने उसके उरोजों को चूसने काटने मसलने के अलावा उसे भड़काने के लिए चांटे भी मारे और हम दोनों ही बहुत तेज चुदाई का आनन्द लेने लगे।
अचानक ही उसने मेरे सीने के बालों को नोचते हुए चुदाई की गति बढ़ा दी। मैंने भी उसकी कमर पकड़ी और झटके तेज कर दिए। शायद ये शांति के पहले का तूफान था- ओहहह संदीप.. आई लव यू मेरे राजा.. मेरे सब कुछ.. आह्ह..
वो यह कहते हुए मुझ पर झुक गई।
मैंने उसके पीठ पर हाथ रखते हुए ‘ओहह.. मेरी रानी.. मेरी भावना..’ कहते हुए लंड का लावा उसकी चूत में ही निकाल दिया।
दोनों का स्खलन लगभग एक साथ हुआ था और दोनों ऐसे ही चिपक कर लंबे समय तक पड़े रहे।
कुछ समय बाद वैभव ने दरवाजा खटखटाया तो उसे दो मिनट रुकने को कह कर हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने।
चूंकि रात के 9 बज रहे थे, मैंने भावना को छोड़ना चाहा.. पर भावना ने मना कर दिया और अपनी स्कूटी से चली गई।
उस दिन के बाद हमारे मिलन का सिलसिला शुरू हो गया। भावना मेरे दोस्तों को और मैं उसकी सहेलियों को जानने लगा। उनसे हमारी मेलजोल भी अच्छी हो गई थी। 
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06-30-2017, 11:08 AM,
#2
RE: Sex Hindi Kahani रोंये वाली मखमली चूत
एक दिन मैं कॉलेज के बाहर अकेले बैठा था, तभी भावना की सहेली काव्या आई और उसने मुझे एक चिट्ठी थमाई, चिट्ठी देते समय वह बहुत शरमा रही थी, उसने कहा- अकेले में पढ़ना।
कहते हुए वो चली गई।
काव्या बहुत गोरी 5’5″ हाईट की सुंदर लड़की थी.. पर भगवान ने उसे शरीर के नाम पर कंगाल रखा था अर्थात काव्या के उरोज और कूल्हे एकदम ना के बराबर थे।
मैं चिट्ठी खोलने ही वाला था कि भावना आ गई और मैंने चिट्ठी उसके देखने से पहले ही जेब में रख ली।
हम लोग मेरे रूम में आए.. हमेशा की तरह चुदाई की और भावना अपने घर चली गई।
भावना इसी शहर की लड़की थी.. जबकि काव्या बाहर से आई थी। इसलिए वो और उसकी एक सहेली हमारी तरह ही रूम लेकर रहती थीं।
भावना के जाने के बाद मैंने चिट्ठी खोली चिट्ठी जो आपके सामने पेश है।
‘हाय संदीप.. मैं भावना की पक्की सहेली हूँ, इसलिए भावना ने मुझे तुम्हारे बारे में सारी बातें बताई हैं कि तुमको लड़कियों की सोच और शारीरिक तकलीफों के बारे में भी अच्छी जानकारी है। मुझे लगता है तुम मेरी एक समस्या का हल कर सकते हो। सभी लड़कियों की तरह मुझे भी खूबसूरत सुडौल और आकर्षक दिखने का शौक है। पर तुम तो जानते ही हो की भगवान ने मुझे शक्ल तो अच्छी दी, पर सुडौल नहीं बनाया है। मुझे अपने उरोजों और कूल्हों को उभारने के लिए क्या करना चाहिए? अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो मुझे @@@@@ इस नम्बर पर कॉल करना।
तुम्हारी दोस्त- काव्या’
मैं चिट्ठी पढ़ कर चौंक गया और मेरे मन में लड्डू फूटा कि एक नई लड़की चोदने को मिलेगी, मैंने तुरंत ही काव्या को कॉल किया।
काव्या ने एक ही घंटी में फोन उठाया.. पर कोई आवाज नहीं आई।
मैं एक-दो बार ‘हैलो.. हैलो..’ बोलने के बाद समझ गया कि काव्या शरमा रही है।
मैंने कहा- देखो काव्या, जब तुमने हिम्मत करके मुझे ये चिट्ठी दी है, तो अब शरमा क्यों रही हो.. और ऐसे भी इसमें शरमाने वाली कोई बात नहीं है।
उतने में उधर से आवाज आई- दो मिनट रुको.. मैं काव्या को फोन दे रही हूँ।
मेरी खोपड़ी सटक गई- अरररे तेरी.. तो मैं बातें किस से कर रहा था? बेटा मन में दूसरा लड्डू फूटा.. एक और चोदने को मिलेगी।
तभी उधर से काव्या की आवाज आई- हैलो संदीप?
मैंने तुरंत कहा- यार अपना नम्बर किसी को क्यों उठाने देती हो?
उसने पूछा- तुमने उसे कुछ कह दिया क्या?
‘नहीं.. कहा तो कुछ नहीं.. पर वो है कौन?’
उसने बताया- वो मेरी रूम मेट निशा है और ये नम्बर उसी का है। मेरा फोन अभी बनने गया है। आपने मेरी चिट्ठी पढ़ी क्या.. मुझे आपको कहते हुए अच्छा नहीं लग रहा था.. पर मुझे कुछ और नहीं सूझा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मुझे खुशी है आपने मुझ पर भरोसा करके मुझे अपनी तकलीफ बताई।
मैंने उसे स्तन सुडौल करने वाली एक क्रीम बताई और उसे लगाने के उपाय बताए।
तभी वैभव चिल्लाने लगा और मैंने फोन रख दिया।
मैं इन दिनों खुश था, लेकिन मेरे रूम पार्टनर का व्यवहार अब अजीब रहने लगा था। हम सारे काम बांट कर किया करते थे.. पर अब वो हर बात में झगड़ने लगा।
एक दिन भावना मेरे घर आई तो वैभव ने बाहर जाने से मना कर दिया। फिर मैं और भावना अनमने मन से पार्क में जाकर बैठ गए और थोड़ी बहुत चूमा-चाटी करके घर आ गए।
मैंने घर आकर वैभव से रूम ना छोड़ने का कारण पूछा, वैभव ने साफ कहा- तू अकेले ही मजे लेता है.. अब अगर भावना इस घर में आई.. तो मैं भी चोदूँगा।
यह सुन कर मेरी गांड फट गई, मैंने उसे समझाने की कोशिश की।
मगर उसने साफ कह दिया- तू चाहे गांड मरा.. लेकिन मैं अपनी शर्त नहीं बदलूँगा।
अब मैंने भी कुछ नहीं कहा और भावना से अब पार्क में ही मिलने लगा।
मैं भावना को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता था.. इसलिए मैंने भावना को आधी बात बताई कि वैभव को हमारा रूम में मिलना पसंद नहीं है।
भावना ने मुस्कुरा कर मुझे गले लगा लिया और कहा- कोई बात नहीं संदीप.. मैं तुम्हारी बांहों में हूँ.. मेरे लिए यही बहुत है। पर कोई और जुगाड़ हो तो देखो ना.. तुमसे चुदवाए बिना रातों को नींद नहीं आती।
उसकी ये बातें मेरे कानों में गूँज रही थीं। अभी मैं कोई उपाय सोच ही रहा था कि मेरे दिमाग में काव्या का ख्याल आया, मैंने काव्या को फोन करके उसकी समस्या के बारे में बात की तो उसने बताया कि क्रीम का कोई असर नहीं हो रहा है।
तो मैंने उसे तरीका दुबारा बताया कि उसे निप्पल और पूरे उरोजों पर बहुत सारी क्रीम लगा कर लंबे समय तक मालिश करना चाहिए।
तो उसने कहा- मैं मालिश करती तो हूँ.. पर थक जाती हूँ और खुद से करते भी नहीं बनता।
मैंने तपाक से कह दिया- तो हमें बुला लिया करो।
उसने भी शरारत में जवाब दिया- आए..हाय.. ऐसी किस्मत हमारी कहाँ..
मैंने कहा- इशारा तो करो तुम्हारी भी किस्मत बना देंगे। 
अब दोस्तो, मुझे लगने लगा कि काव्या भी चुदने के लिए मचल रही है।
मैंने कहा- इशारा तो करो तुम्हारी भी किस्मत बना देंगे।
उसने ‘मजाक बंद करो..’ कह कर फोन रख दिया।
पर उसकी बातों ने मेरे लंड में आग लगा दी थी, मैंने मुठ मार के पानी निकाला।
तभी मेरे दिमाग में एक तरकीब सूझी कि क्यों ना दोनों को एक साथ चोदा जाए।
जब मैं दूसरे दिन भावना से मिला तो कहा- क्यों ना हम काव्या से रूम के लिए बात करें?
तो उसकी आंखें खुशी से बड़ी हो गईं, उसने कहा- अभी तो उसकी पार्टनर भी एक हफ्ते के लिए घर गई है, अच्छा मौका है.. मैं उससे तुरंत बात करती हूँ।
पर मैंने उसे रोका और कहा- थोड़ा सुन तो लो.. फिर बात कर लेना। पहली बात तो ये कि वो मानेगी या नहीं.. और दूसरी बात ये कि वो मान भी गई तो कहीं एक-दो बार के बाद वैभव जैसे ही नौटंकी करने लगी, तो फिर हमारे पास और कोई ठिकाना नहीं रहेगा। इसलिए मैं चाहता हूँ कि काव्या को ऐसे पटाया जाए कि वो हमें कभी मना नहीं करे।
भावना ने कहा- फिर तुम्हीं बताओ कि कैसे पटाया जाए?
मैंने थोड़ा झिझकते हुए काव्या की चिट्ठी और उसके साथ हुई बातों को बताते हुए कहा- अगर तुम्हें एतराज ना हो तो हम थ्री-सम चुदाई कर सकते हैं। इससे काव्या हम लोगों को कभी रूम के लिए मना नहीं करेगी और उसकी समस्या भी हल हो जाएगी।
भावना मेरे मुँह से ये सब सुन कर नाराज हो गई।
फिर मैंने अपना दांव फेंका, मैंने उसे हाथ पकड़ कर खड़ा किया और उसके गालों को पकड़ कर उसकी आंखों में आंखें डालीं, मैंने कहा- जान मैं तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूँ। मैंने सारी बातें सिर्फ तुम्हारे साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने के लिए कही हैं। मुझे काव्या से कोई मतलब नहीं.. अगर तुम्हें कोई एतराज है तो मैं उसकी तरफ देखूँगा भी नहीं।
उसकी आँखों में आंसू आ गए और उसने कहा- मैं अपना प्यार नहीं बांट सकती।
मैंने कहा- हट पागल.. चुदाई करने से प्यार थोड़ी न होता है.. मैं तो तुम्हारा था और तुम्हारा ही रहूँगा।
इतना सुनते ही भावना ने कहा- सच जान..! ऐसी बात है तो मुझे भी कोई एतराज नहीं।
इतना सुनते ही मैं तो खुशी से पागल हो गया, अगर मैं चाहता तो काव्या को भावना को बिना बताए भी चोद सकता था। मगर मेरे मन में भावना के जान लेने का डर बना रहता और कभी ना कभी राज खुल ही जाता।
मैंने भावना को एक प्लान बताया और दो घंटे बाद पहुंच जाने की बोल कर मैं काव्या के घर चला गया।
मेरा प्लान यह था कि मैं काव्या को पटा कर चोदते रहूँ, उसी टाइम भावना पहुंचे और नाराज होने का नाटक करे, फिर मैं दोनों को एक साथ चोद सकूँ।
मैं भावना को प्लान बता कर और काव्या के घर चला गया। उसके घर पहुँचा तो उससे बात शुरू हुई- हाय काव्या कैसी हो?
मेरे अचानक पहुंचने से उसके चेहरे पर खुशी, आश्चर्य और डर के भाव एक साथ उभर आए।
‘अरे संदीप कैसे आना हुआ..?’ कहते हुए काव्या ने मुझे बिठाया।
मैंने कहा- बस ऐसे ही तुमसे मिलने और तुम्हारे हाथों की चाय पीने का मन किया।
‘ओह.. तो आप कैसी चाय पीते हैं.. बताइए.. मैं बनाती हूँ।’
उसने कहा और चाय बनाने लगी।
चूंकि उसका भी रूम किराए का था इसलिए एक ही रूम और अटैच लेटबाथ वाला ही था। रूम के एक किनारे बिस्तर और एक किनारे गैस आदि सामान रखा हुआ था। जिधर काव्या चाय बना रही थी।
काव्या ने लोवर और टॉप पहन रखा था.. जो लगभग शरीर से चिपका हुआ था। 
चाय बनाते हुए वो मुझसे बात कर रही थी और मैं उसे पीछे से निहार रहा था। वो बहुत ही कामुक लग रही थी। उसके कूल्हे छोटे थे.. मगर घुटने मोड़ कर जमीन में बैठने से उनके आकार स्पष्ट हो रहे थे। 
मेरे लौड़े में सुरसुराहट शुरू हो गई। मेरी नजरें उसके चिपके हुए कपड़ों के ऊपर से उसकी ब्रा-पेंटी का उभार महसूस कर पा रही थीं। चिपकी टी-शर्ट में उसकी नाजुक पतली कमर मुझे रिझा रही थी। 
मैंने काव्या से कहा- मेरी दवाई ने असर किया या नहीं?
काव्या ने कहा- तुम्हें क्या लगता है तुम ही देख कर बताओ।
मैंने कहा- कपड़ों के ऊपर से पता नहीं चलता.. जरा कपड़े उतार कर दिखाओ.. तो बताऊँ।
‘अच्छा.. अकेली लड़की देख कर पटाने की कोशिश कर रहे हो?’ कहते हुए चाय लेकर मेरे सामने आ गई। 
मैंने चाय लेते वक्त उसके हाथ को छुआ और कहा- तुम्हें पटाने की क्या जरूरत.. तुम तो पहले से पटी हुई हो।
वो मुस्कुरा कर मेरे सामने बैठ गई और चाय पीने लगी। 
मैंने बड़ी बेशर्मी से उसके अंग-अंग को घूर कर देखा। मेरा ऐसा करने से जरूर उसकी चूत में भी पानी आ गया होगा। 
मैंने कहा- लगता है.. दवाई असर कर रही है.. लेकिन मालिश और बढ़ाने की जरूरत है। बोलो तो आज मौका है अच्छे से मालिश कर दूँ?
उसने नजरें नीची कर लीं। 
मैं इसे मौन स्वीकृत समझा और उठ कर दरवाजे को बंद कर आया।
असल में मैंने दरवाजे में कुण्डी नहीं लगाई थी.. क्योंकि मुझे पता था अभी भावना आने वाली है। 
काव्या ने कहा- ये सब मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।
मैंने उसे हक से कहा- क्रीम कहाँ है? वो बताओ, बाकी बातें मत सोचो।
उसने क्रीम उठा कर दी, मैंने जैसे ही उसकी टी-शर्ट को उठाने के लिए छुआ.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। उसकी सांसें तेज हो गई थीं।
उसने कहा- मैं खुद निकालती हूँ।
उसने ना-नुकुर करते हुए अपनी टी-शर्ट को शरीर से अलग कर दिया। 
उसके दूध जैसे सफेद शरीर को देखते ही मेरा लौड़ा सलामी देने लगा।
उसकी पतली कमर.. सच में गजब ढा रही थी.. मगर ब्रा छोटे उरोजों की वजह से भरी हुई नहीं थी.. इसलिए अच्छी नहीं लग रही थी।
मुझे थोड़ी हँसी भी आई.. पर वो मैंने मन में ही रोक ली और उसे ब्रा भी उतारने और मालिश के लिए लेटने को कहा। 
वो शरमाते हुए ब्रा उतार कर लेटी, लेकिन शर्म के मारे लाल हो चुके अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से ढक लिया। मैं उसके बहुत ही खूबसूरत छोटे गोरे उरोजों के बीच गुलाबी निप्पल देख कर अपने आपको छूने से नहीं रोक पाया, मैंने उनके उरोजों पर हाथ फिराते हुए कहा- काव्या तुम्हारे उरोज छोटे भले हैं.. पर बहुत ही आकर्षक और मदहोश करने वाले हैं।
मेरे शब्द सुनकर और मेरे हाथों का स्पर्श पाकर वो बेचैन सी होकर कसमसाने लगी।
जैसे ही मैंने क्रीम लगाना शुरू किया.. काव्या ने आँखें बंद कर लीं और अपने हाथों से बिस्तर को कसके पकड़ लिया।
मैंने भी अपने कपड़े गंदे होने का बहाना करके उतार दिए।
अब मैं सिर्फ चड्डी बनियान में था। 
मैं काव्या के छोटे उरोजों को मालिश के बहाने गूँथे जा रहा था। मेरे लौड़े ने चड्डी को तंबू बना दिया था। काव्या को दर्द भी हो रहा होगा.. पर उसकी बेचैनी साफ झलक रही थी।
मैंने अपना हाथ काव्या के लोवर में घुसाना चाहा तो काव्या ने आँखें खोली और मेरा हाथ पकड़ कर कहा- सिर्फ दवाई लगाओ और कुछ करने की इजाजत नहीं है।
मैंने उसकी आँखों में आँखें डालकर कहा- क्या कुछ और नहीं?
उसने कहा- कुछ नहीं.. मतलब कुछ नहीं।
मैंने कहा- तुम्हारा मतलब चुदाई से है क्या? 
तो वो शरमा गई और मुस्कुरा कर आँखें बंद कर लीं।
मैं फिर उसका लोवर उतारने लगा.. पर उसने मेरा हाथ फिर पकड़ लिया।
मैंने कहा- ठीक है बाबा.. मैं सिर्फ कूल्हों में दवाई लगा देता हूँ.. फिर कुछ नहीं करूँगा।
उसने कहा- पक्का ना?
मेरे ‘पक्का..’ कहते ही वह उलट गई और मैंने उसका लोवर उतार दिया। 
अब तो मैं पागल हुए जा रहा था। उसके कूल्हों का बिल्कुल नर्म रुई सा अहसास और चिकनी चमकदार त्वचा थी। मैंने खुद पर काबू रख कर दवाई से मालिश शुरू की। उसके कूल्हों में हो रहे कंपन और खड़े रोंएं देखकर मैं यकीन से कह सकता हूँ कि वो चुदाई के लिए तैयार और बेचैन थी। 
मैंने मालिश करते-करते अपने हाथ उसकी चूत की ओर बढ़ाए और वो कसमसा कर सिमट गई। 
उसने एक बार मेरा हाथ हटाने की कोशिश की.. पर मैं अब खुद पागल हो चुका था और उसे भी पागल बना रहा था। 
मैंने अब दिमाग लगाया और अपनी चड्डी निकाल कर काव्या के सर की ओर खड़ा हो गया और झुक कर उसके कूल्हों की मालिश करने लगा। मेरा ऐसा करने से काव्या के सर से मेरा लंड टकरा रहा था। 
काव्या ने मुझे देखने अपना सर उठाया और उसने जैसे ही ‘ये क्या है..!’ बोलने के लिए अपना मुँह खोला.. मेरा लौड़ा उसके मुँह में घुस गया। 
मैंने उसके सर को वैसे ही एक-दो मिनट पकड़े रखा। वो छटपटाने लगी तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया। उसने मुझे गालियां दी और मुझे मारने लगी। 
उसकी मार मुझे फूलों से सहलाने जैसी लगी। फिर वो रोने लगी और मुझसे चिपक गई।
मैंने उसे ‘सॉरी’ कहा और कपड़े उठाने लगा, उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोक दिया और कहा- मैं खुद ये सब चाहती थी.. पर तुमने जबरदस्ती की.. इसलिए रोना आ गया।
‘मेरी सोना..’ कह कर मैंने उसे चूम लिया और बिस्तर में बैठ कर आंखों से इशारा किया कि आओ.. अब बिना जबरदस्ती के लौड़ा चूस लो।
उसने भी थोड़ा मुँह बनाया और हँस कर घुटनों पर बैठ गई, उसने पहले थोड़ा आहिस्ते से चूसा.. फिर लंड को खा जाने का प्रयास करने लगी।
वो आंखें बंद करके बेसुध लंड चूस रही थी कि तभी भावना ने दरवाजा खोला और वो अचानक ही अन्दर आ गई।
ये सब इतना जल्दी हुआ कि काव्या तो अभी अपने मुँह से लंड निकाल भी नहीं पाई थी। 
सब मेरे प्लान के मुताबिक़ ही हो रहा था.. 
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06-30-2017, 11:08 AM,
#3
RE: Sex Hindi Kahani रोंये वाली मखमली चूत
मैं काव्या के मुँह में अपना लंड डाल कर लंड चुसाई का मजा ले ही रहा था कि तभी दरवाजा खोलते ही भावना कमरे में अन्दर आ गई।
भावना ने पहले दरवाजा अच्छे से बंद किया और सामने आकर खड़ी हो गई। तब तक काव्या ने लंड छोड़ कर अपने दोनों हाथों से खुद को ढकने की नाकाम कोशिश की।
भावना कुछ कहती.. उससे पहले ही काव्या के मुख से निकला- वो.. ओह.. वो.. भावना संदीप दवाई लगा रहे थे।
भावना ने कहा- ओह दवाई..? भला मैं भी तो देखूं कौन सी दवाई है जो लंड को मुँह में लेकर लगवाई जाती है?
उसने मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुँह में डाल लिया, मेरे लंड को एक-दो बार आगे-पीछे किया। 
कुछ देर तक काव्या को खरी-खोटी सुनाने के बाद भावना ने मेरे प्लान के अनुसार अपनी बात पेश कर दी, काव्या से कहा- ठीक है.. अगर तुम दवाई लगवाना चाहती हो.. तो मेरी एक शर्त है।
काव्या ने जल्दी से कहा- क्या शर्त?
भावना ने कहा- मैं जब चाहूँ यहाँ आके संदीप से चुद सकती हूँ।
काव्या ने थोड़ा सोचा और कहा- ठीक है पर जब निशा ना हो तो तुम ऐसा कर सकती हो।
फिर भावना ने काव्या को ‘ओह.. मेरी प्यारी..’ सहेली बोल कर गले लगा लिया। 
अब भावना ने मुझे पास बुला कर मेरा लंड अपने हाथों से काव्या के मुँह में डाल दिया और खुद अपने कपड़े उतारने लगी। काव्या के ऊपर भी वासना हावी होने लगी थी, मेरा लंड भी आग उगलने को बेचैन था। 
भावना ने नंगे शरीर के पास आकर मेरी बनियान निकाल दी और मुझसे सट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगी। वो अपने उरोजों को मेरे शरीर से रगड़ने लगी।
अचानक ही मेरे हाथों की पकड़ काव्या के सर पर मजबूत हो गई और तीन-चार जबरदस्त धक्कों के साथ ही मैं काव्या के मुँह में ही स्खलित हो गया।
काव्या ने मेरा वीर्य थूक दिया तो भावना ने वीर्य को हाथों से उठाया और काव्या के शरीर में मल दिया।
अब मुझे इन दोनों शेरनियों की प्यास बुझानी थी इसलिए मैं पलंग पर लेट गया और सब कुछ उन्हें ही करने दिया, दोनों सहेलियां एक दूसररी को चूमने लगीं।
फिर दोनों एक साथ मेरा लंड चाटने और चूसने लगीं। 
काव्या काफी देर से मेरे लंड के साथ खेल रही थी.. इसलिए वो बहुत उत्तेजित होकर अपनी चूत को मारने लगी। वो मेरे लंड को खींचने और चूसने लगी। 
मैं समझ गया कि अब इसे लंड चाहिए, मैंने भावना को इशारा किया और उसने काव्या को लेटा कर उसके चेहरे के दोनों ओर अपनी टांगें रख कर अपनी चूत चटवाने लगी।
काव्या ‘ऊंह.. उन्ह..गूं गूं.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… हिस्स्स…’ करने लगी। मैंने काव्या की टांगें फैलाईं और ना चाहकर भी मैं चूत को चाटने झुक गया। उसकी कोमल मखमली चूत देखकर किसी का भी मन चाटने को करता। मैंने पहले ऊपर के दाने को जीभ से सहलाया और फिर चूत के अन्दर तक जीभ घुसाने की चेष्टा की। 
काव्या की हड़बड़ाहट उसकी चुदाई की इच्छा बयान कर रही थी, उसकी सील नहीं टूटी थी.. इसलिए चूत का मुँह बंद नजर आ रहा था। उसकी दोनों फांकों के बीच महज एक दरार नजर आ रही थी।
मैंने अपनी उंगलियों से एक बार दोनों फांकों को फैला कर देखा और अपने हाथों में थूक लेकर उसकी गीली चूत को और ज्यादा चिपचिपा कर दिया, फिर उसकी नाजुक सी मुलायम गोरी चूत में अपना लम्बा लंड एक झटके में डाल दिया। 
‘उउईईई.. माँ.. मैं मर गईईई.. कोई बचाओ.. कोई तो बचाओ रे..आह्ह.. फट गई..’ वो चीखने लगी।
जबकि काव्या की चूत में अभी मेरा पूरा लौड़ा नहीं गया था।
मैंने भावना को उसे चुप कराने को कहा, उसने अपनी पेंटी को काव्या के मुँह में ठूंस दिया और पलंग से उतर कर काव्या के सर की तरफ खड़े होकर उसके हाथों को कसके पकड़ लिया। 
काव्या की आंखें दर्द के मारे बड़ी हो गई थीं, आंखों से आंसू निरंतर गालों से होकर बह रहे थे।
मैंने एक जोर का धक्का दिया और अपना हब्शी लौड़ा उसकी चूत में जड़ तक घुसा दिया।
काव्या तो अब चिल्ला भी नहीं सकती थी उसका शरीर ढीला पड़ गया, उसने आंखें बंद करके चेहरे को एक ओर झुका लिया। 
मैं डर गया.. पर भावना ने कहा- निकालना नहीं.. वरना ये जिंदगी में कभी चुदवा नहीं पाएगी।
भावना ने काव्या के गालों में थपकी देकर उसे पुकारा तो काव्या ने आंखें खोल दीं।
उसने मरी सी आवाज में ‘हाँ’ करके एक बार जवाब दिया, तब मेरी जान में जान आई।
अब मैं बिना कुछ किए काव्या के सामान्य होने का इंतजार करने लगा। भावना ने अपनी पेंटी उसके मुँह से निकाल दी और मुँह में दो-चार छींटे पानी के डालते हुए उसे चूमने लगी, उसके शरीर को सहलाते हुए उसे बहलाने लगी। 
काव्या का रोना धीरे-धीरे बंद हो गया। मैंने भी मौके की नजाकत समझते हुए लंड को थोड़ा आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। काव्या को अब भी तकलीफ थी.. पर अब शायद मजा भी आने लगा था। 
काव्या भावना को चूमने लगी और थोड़ी ही देर बाद चुदाई में भी साथ देने लगी ‘आह चोद मेरे राजा.. फाड़ डाल साली चूत को.. बहुत परेशान करती है ये.. उउउह.. हहह.. इइई.. ईईई.. इआइ आहहहह..’
वो आवाज करने लगी।
मैंने उसके छोटे उरोजों को मसलते हुए अपनी गति तेज कर दी। भावना हम लोगों को देख कर अपनी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगी।
अब काव्या मदहोशी में बड़बड़ाने लगी ‘उउउहह ऊऊ ईईईई.. आहहह.. संदीप..प..प औररर.. जोररर से.. औररर.. जोरर से..’
इसी के साथ ही वो अकड़ने लगी और मेरी जांघों को जोर से पकड़ कर अपनी चूत में लौड़ा अन्दर तक ले जाकर रुक गई, उसका स्खलन हो गया था।
अब उसका शरीर एकदम ढीला पड़ गया था लेकिन मेरा पानी एक बार काव्या के मुँह में निकल चुका था और दूसरी बार की चुदाई में मेरा जल्दी नहीं निकलता सो मैंने काव्या की चूत से लंड निकाल लिया।
अब तक भावना मंजे हुए खिलाड़ी की तरह पहले ही जमीन पर आकर घोड़ी बन गई थी, भावना ने भी बहुत दिनों से चुदाई नहीं की थी.. इसलिए वो भी बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। मैंने एक ही झटके में लौड़ा उसकी चूत की जड़ में बिठा दिया। भावना ने मजे से ‘ऊह..उन्ह..’ की आवाज निकाली और चूत को टाइट करते हुए लंड को अन्दर खींच लिया। 
काव्या अब पलंग से उठ कर हमारे पास आ गई और हम दोनों को सहलाने लगी। हमारी चुदाई सीधे पहले गेयर से छठे गेयर में चली गई थी, भावना ‘ऊऊहहह.. आआहह.. मजा आ गया जान.. और तेज उउहह ईईईईउउ हिस्स्स्.. और तेज..’ की आवाज निकालने लगी।
मैंने भावना की कमर को थाम कर चुदाई की गति बढ़ा दी। 
मेरे धक्कों से भावना थकने लगी। भावना का सर झुकते-झुकते जमीन तक झुक गया, जिससे उसकी चूत और ऊपर आ गई, अब मैं लौड़ा पूरा बाहर खींचता और फिर एक ही साथ जड़ तक पेल देता था।
कुछ धक्कों के बाद भावना की आवाज में थकान सी आ गई। मैं समझ गया कि अब इसका काम भी होने वाला है.. और ऐसा ही हुआ। भावना एकदम से अकड़ गई और जमीन पर लुढ़क गई। 
पर मेरा अभी भी निकलना बाकी था, मैं अपना लंड खड़े होकर हाथ से हिला रहा था, वे दोनों लड़कियां मेरे सामने बैठकर मेरे लंड के अमृत की बूंद का इंतजार करने लगीं।

जल्द ही मेरी आंखें बंद हो गईं.. हाथ कांपने लगे.. मांशपेसियां अकड़ने लगीं और मैंने दोनों ही लड़कियों के चेहरों पर फुहार छोड़ दी। 
जितना माल उनके मुँह में आया.. वे चाट गईं और जो शरीर में गिरा था.. उसे शरीर में ही मल लिया। 
उस दिन हमने कुल तीन राउंड चुदाई की और निशा के आते तक रोज चुदाई चलती रही। कभी थ्री-सम चुदाई होती.. तो कभी सिर्फ काव्या के साथ मेरी चुदाई चलती रहती, और हाँ.. अब तो काव्या के उरोज और कूल्हे भी मेरी मालिश की वजह से निकल आए हैं।
इस तरह हम तीनों की चुदाई खूब मस्ती से चलने लगी।
एक दिन काव्या के घर से फोन आया कि उसकी नानी मर गई हैं और उसे जाना है। काव्या लगभग एक महीने के लिए अपने घर चली गई और अभी हम लोग काव्या की रूम मेट निशा को पटा नहीं पाए थे इसलिए अब हमारे पास फिर से चुदाई के लिए कोई जगह नहीं थी।
हम लोगों ने कुछ दिन तो ऐसे ही पार्क में बैठ कर बिता लिए.. पर अब चुदाई का कीड़ा कुलबुलाने लगा था।
एक दिन भावना ने कहा- संदीप तुम्हारे पास और कोई उपाय नहीं है कि हम चुदाई कर सकें।
मैंने तुरंत कहा- हाँ है ना.. और उपाय भी ऐसा कि तुमको चुदाई का पहले से ज्यादा मजा आएगा।
उसने कहा- तो फिर देर किस बात की है? 
मैंने उससे वैभव की कही हुई बात बात बताई कि अब जब भी भावना रूम में आएगी मैं भी चोदूँगा।
भावना ने ‘छी:..’ कहते हुए तुरंत मना कर दिया।
फिर मैंने समझाते हुए कहा- इसमें हर्ज ही क्या है? और फिर मैं भी तुम्हारे सामने काव्या को चोदता हूँ।
उसने कहा- वैभव मुझे क्या समझेगा यार? और तुम बर्दाश्त कैसे करोगे?
मैंने फिर पहले वाला दांव फेंका- मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुम्हारे साथ चुदाई के लिए कुछ भी कर सकता हूँ।
लेकिन उसने कहा- मैं इतनी बेशर्म नहीं हूँ कि जाकर उसके लौड़े पर बैठ जाऊँ।
मैंने कहा- तुम्हें कौन ऐसा करने को कह रहा है? मेरे पास एक तरीका है.. सुनो जब वो घर पर नहीं रहेगा.. तब हम चुदाई कर लेंगे..
अगर वो हमारी चुदाई करते तक नहीं आया.. तो तुम्हें उससे चुदाई नहीं करानी पड़ेगी। पर अगर वो आ गया और जबरदस्ती की.. तो करवा लेना। ऐसे में वो तुम्हें गलत भी नहीं समझेगा और खुद को दोषी समझेगा। 
भावना की आँखों में आंसू थे। उसने मुझसे कहा- ठीक है.. पर सिर्फ तुम्हारी खातिर मैं ये सब कर रही हूँ।
प्लान के मुताबिक जब वैभव घर पर नहीं था.. तब मैंने भावना को बुलाया।
भावना के आते ही हम एक-दूसरे पर टूट पड़े, बहुत कम समय में हमारे शरीर से कपड़े अलग हो गए थे। भावना मजे लेकर लौड़े को चूस रही थी। मैं उसके उरोजों को दबा रहा था।
तभी दरवाजे से आवाज आई, भावना ने अपने आपको अपने हाथों से ढकने की नाकाम कोशिश की पर वैभव की आँखें फटी की फटी रह गईं।
मैंने कहा- अबे, दरवाजा तो बंद कर!
तो उसने जल्दी से दरवाजा बंद किया। 
वैभव के हाथ में सामान था, उसने सामान रखा और भावना के पास आकर सीधे भावना के उरोज को दबाते हुए बोला- मतलब तुम मुझसे चुदवाने के लिए राजी हो ना?
भावना ने अनजान बनते हुए कहा- ये क्या बोल रहे हो..? चलो हटो मुझे जाने दो।
वैभव थोड़ा चौंका.. लेकिन उसने भावना को जकड़ लिया और चूमते हुए कहा- एक बार चुदवा कर तो देख मेरी जान.. तेरी चूत मेरे लंड की दीवानी हो जाएगी।
भावना मुझे देख रही थी, मैंने आंख मारी और इशारे से ही मजे लेने को कहा, फिर भी भावना ने नौटंकी चालू रखी।
वैभव ने कहा- इतना क्यों भाव खा रही है.. तुझे क्या लगता है मेरे लौड़े में कांटे लगे हैं?
यह कहते हुए अपना लौड़ा निकाल लिया।
भावना उसके लम्बे और तने हुए लौड़े को देखती रह गई। वैभव का लंड सुंदर.. गोरा चिकना सा लौड़ा साइज में भी मेरे लंड के जैसा ही मस्त था.. पर उसका लंड मुझसे मोटा कुछ ज्यादा लगा। 
भावना ने कहा तो कुछ नहीं.. पर मैं उसकी खुशी उसके चेहरे में पढ़ सकता था। 
‘चल आ कुतिया.. चूस मेरा लौड़ा..’ यह कहते हुए वैभव ने लौड़ा हाथ में पकड़ कर भावना के मुँह के सामने लहराया।
भावना ने भी किसी गुलाम की तरह जाकर उसके पैरों के नीचे बैठ कर उसके लंड मुँह में भर लिया। 
वैभव का लंड कुछ मोटा था.. इसलिए भावना सिर्फ ऊपर-ऊपर से चाट पा रही थी, पर वैभव तो बेचैन था ‘साली कब से तुझे चोदने के सपने देख रहा हूँ.. ले अन्दर ले कर चूस ना..’
यह कहते हुए अपना लंड उसने भावना के गले तक ठेल दिया।
भावना ‘गूं गूं.. ऊऊं..’ करने लगी।
मेरा लंड भी अकड़ रहा था, मैंने पास जाकर अपना लौड़ा भावना के हाथ में पकड़ा दिया। भावना मेरे लंड को आगे-पीछे कर रही थी और वैभव भावना के मुँह को ही चोदे जा रहा था।
वासना में डूबी भावना दो-दो लंड के मजे एक साथ ले रही थी।
तभी वैभव ने भावना का सिर पकड़ा और लौड़ा जोर-जोर से ठेलने लगा। भावना को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी। लौड़ा मुँह में पूरा घुस जाने की वजह से भावना की आँखें जीभ सब बाहर आ गए थे। वो तो अच्छा हुआ कि वैभव का इसी समय स्खलन हो गया.. नहीं तो शायद भावना लस्त ही हो जाती। 
वैभव ने स्खलन के बाद भी भावना का सर नहीं छोड़ा.. वो उसके गले तक लौड़ा ठेल कर आराम से आँखें बंद करके झड़ता रहा। 
जब झड़ने के बाद लौड़ा सिकुड़ने लगा.. तब जाकर वैभव ने उसे छोड़ा। लेकिन इधर मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने भावना को इशारों में ही उसकी हालत पूछी.. उसने आंसू पोंछते हुए सिर हिला कर ठीक होने के संकेत दिए।
फिर मैंने उसे एक प्यार भरा चुम्बन दिया और बिस्तर पर लेटा दिया। 
अबकी बार मैंने उसके मुँह में अपना लौड़ा दे दिया। भावना मेरे लंड की आदी थी.. इसलिए उसने बड़े मजे से मेरा लंड चूस लिया।
उधर वैभव भावना की टाँगों के बीच बैठ गया और बड़े प्यार से भावना के गीली हो चुकी मखमली चूत को सहलाते हुए तारीफें करने लगा। 
‘कसम से यार.. क्या चूत है तुम्हारी.. इतनी इतनी कोमल, चिकनी गद्देदार और कितनी सुन्दर गुलाबी फांकें हैं। आज तो तुम्हें जी भरके चोदूँगा रानी।’

ये कहते हुए वैभव चूत पर जीभ फिराने लगा। वैभव को चूत चाटने की आदत नहीं थी.. इसलिए वो झिझकते हुए धीरे-धीरे चूत चाट रहा था। 
जिन लड़कियों ने अपनी चूत चटवाई है.. उन्हें पता होगा कि धीरे चटवाने से उत्तेजना और बढ़ जाती है।
ऐसा ही हुआ, भावना और उत्तेजित होकर मेरा लंड चूसने लगी।
हम सबकी आवाज और आँखों में वासना हावी हो चुकी थी।
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06-30-2017, 11:08 AM,
#4
RE: Sex Hindi Kahani रोंये वाली मखमली चूत
अब मेरा समंदर भी छलक ही गया। मैंने भी भावना के मुँह में माल छोड़ दिया। मैंने भावना से माल मुँह में छोड़ने के लिए माफी मांगी तो उसने कहा- कोई बात नहीं.. वैभव ने तो वीर्य पिलाने की शुरूआत कर ही दी है.. अब शायद मुझे भी आदत डाल लेनी चाहिए। 
तभी भावना की आवाज भी लड़खड़ाने लगी, वैभव के चूत चाटने और उंगली घुसाने से भावना ‘हिस्स्सकस.. आहहह.. ईईईई.. मजा आ गया..’ कहती हुई झड़ गई।
मैं और भावना तो अभी-अभी झड़े थे.. पर वैभव को झड़े बहुत समय हो गया था। भावना की चूत चाटते-चाटते उसका लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था। 
पर अभी भावना तैयार नहीं थी, फिर भी वैभव ने चूत को पीटते हुए अपना लंड सही जगह रख कर धक्का दे दिया।
उसका लंड मोटा था.. इसलिए भावना कराह उठी.. पर चुदाई का बहुत अनुभव होने के कारण तुरंत संभल गई और पूरा लौड़ा गटक गई।
मैं भावना के बड़े-बड़े गोरे उरोजों को दबा रहा था, भावना भी जल्द ही वैभव का साथ देने लगी।
मैंने अपना सोया लंड भावना के मुँह में दे दिया, उसके चूसने से मेरे लंड में फिर से जान आने लगी। 
कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद वैभव लेट गया और भावना को अपने ऊपर चढ़ा कर चोदने लगा। भावना ‘ऊऊह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह..’ कर रही थी और चुदाई से ‘फच्च.. फच्च.. पकपक..’ की मादक आवाज आ रही थी।
अब मैंने खड़े होकर अपना लंड भावना के मुँह में दे दिया। भावना तो गरम हो ही चुकी थी। वो अब अपने हाथों से ही अपने उरोजों को मसलने लगी और चिल्ला-चिल्ला कर उछलने लगी- ओहहह ईईई ऊऊऊऊ.. चोदो मुझे.. ये साली चूत बहुत तंग करती है.. फाड़ डालो इसे.. ओहह चोद दे राजा.. चोद और जोर से चोद.. उउहस आहहह..
वो मजा लेते हुए सीत्कारने लगी।
उधर वैभव ‘ऊंह.. आहहह.. ऊंह ऊंह..’ करके धक्के तेज मारने लगा और फिर अकड़ने लगा- ओह रानी.. मैं तो गया..
यह कहते हुए वो झड़ गया।
भावना बेचैन हो उठी- नहीं.. अभी मेरी प्यास बाकी है.. साले ऐसे अधूरा मत छोड़ो साले.. कमीनों.. दो-दो लोग मिलकर मेरी प्यास नहीं बुझा सकते क्या?’ 
उसके मुँह से ऐसा सुनते ही मैं ताव में आ गया और मैंने भावना को नीचे खड़े करके उसकी एक टांग अपने कंधों पर टांग ले ली। ऐसा करने से उसकी चूत पूरी खुल गई और उसकी चूत में मैंने खड़े-खड़े ही अपना पूरा लंड डाल दिया।
फिर उसके मुँह को दबाते हुए मैंने बेरहमी से अपने हाथ का अंगूठा उसके मुँह में चूसने के लिए डाल दिया ‘और ले मादरचोद रंडी.. अब झेल मेरा लौड़ा..’ कहते हुए मैंने भावना की चूत की ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी।
वो ‘गूं गूं गूं.. ऊऊ ऊऊ..’ करके चुदवा रही थी। मैंने अपना अंगूठा जैसे ही उसके मुँह से निकाला.. वो भी बकने लगी ‘हाँ रे मादरचोद.. ऐसे ही चोद.. तूने ही तो मुझे रंडी बनाया है ना भोसड़ी के.. तो देख अब तेरी रंडी कैसे चुदती है.. आह्ह.. पेल..’
हम दोनों की घमासान चुदाई चल रही थी। 
तभी वैभव ने कहा- वाह क्या चुदाई है यार.. काश हम ग्रुप में और ज्यादा लोगों के साथ चुदाई करते।
भावना ने कहा- साले एक चूत तो पहले बजा लो.. फिर किसी और की सोचना।
इतने में मैंने कहा- आज तो सच में तुझे ऐसे चोदेंगे कि तू चल भी नहीं पाएगी कुतिया.. ले.. खा मेरा लंड.. ऊन्ह..’
चुदाई के चलते-चलते ही मैंने वैभव से पूछा- कोई सामूहिक चुदाई की कोई तरकीब भी है या ऐसे ही बोल रहा है?
वैभव ने कहा- अगर भावना चाहे तो हम काव्या और निशा को भी साथ मिला सकते हैं।
भावना वासना में डूबी थी ‘वाह रे स्वार्थी लड़कों.. तुम लोगों के लिए तीन चूत.. और हमारे लिए दो ही लौड़े..’
तो मैंने चूत में लंड जोर से पेलते हुए कहा- तुम्हारे लिए भी बहुत से लंड ला देंगे रानी.. 
तभी ‘ओओहहह.. मेरे राजा.. लंडों की बात सुनकर मेरी चूत बह गई रेरर..’ कहते हुए भावना झड़ने लगी।
पर अभी मेरा तो हुआ नहीं था.. तो मैंने धक्के और तेज कर दिए।
चूंकि भावना झड़ गई थी इसलिए अब उसे दर्द होने लगा ‘बस संदीप.. मेरी चूत फट जाएगी यार..’
मेरी आवाज भी कांप रही थी- ललेए ना.. मादरचोदीईई.. अब औररर चुदवाओ ना.. भोसड़ी वाली.. ले.. उउहहह ओहहहह ईईईई हिस्स्..’
यह कहते हुए मैंने भावना को और रगड़ कर चोदा। भावना की हालत खराब हो गई थी। 
तभी मैंने भावना को बैठने कहा और कांपते हुए उसके मुँह में अपना लावा उगल दिया.. उसने सारी मलाई चाट ली।
तभी वैभव ने भावना को उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और अपने फिर खड़े हो चुके लंड से बहुत देर तक भावना को चोदा। भावना अब ज्यादा कुछ बोल भी नहीं पा रही थी। 
इस तरह की चुदाई से भावना कई बार झड़ी और उसका शरीर भी दुखने लगा था। बड़ी मुश्किल से वैभव का पानी निकला और हम थक कर ऐसे ही नंगे लेट हुए बात करने लगे। 
‘क्यों भावना कैसा लगा?’
भावना ने शरमा कर ‘अच्छा लगा..’ कहा और मेरे सीने में मुँह छुपा लिया।
मैंने कहा- वैसे वैभव ने सामूहिक चुदाई की बात अच्छी कही.. सच में खुल कर चुदाई करने का मजा ही अलग होता है। तुम तो राजी हो ना?
मैंने भावना की ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा देखा तो भावना ने पलकें झुका लीं।
मैंने वैभव से कहा- क्यों यार.. ये सब कैसे होगा और कहाँ होगा?
भावना ने कहा- मैं कुछ कहूँ?
मैंने और वैभव ने एक साथ ‘हाँ’ कहा।
भावना ने बताया- अगले महीने मैं घर में तीन दिनों के लिए अकेली रहूँगी.. उसी समय हम प्लानिंग कर सकते हैं। हम लोग काव्या और निशा को सामूहिक चुदाई के लिए राजी कर ही सकते हैं।
वैभव ने तुरंत पूछा- तो क्या संदीप ने काव्या और निशा को भी पहले चोदा है? 
मैंने जवाब दिया- निशा को नहीं कमीने.. सिर्फ काव्या को चोदा है और मैं भी यही सोच रहा हूँ कि निशा कैसे मानेगी?
तो भावना ने कहा- उसके लिए पहले उसके ब्वायफ्रेंड को पटाना होगा। निशा का एक लड़के के साथ अफेयर पिछले एक साल से है.. पर दोनों चाह कर भी चुदाई नहीं कर पाए हैं। दोनों आगे बढ़ने की हिम्मत ही नहीं कर पा रहे हैं। क्यों ना हम उन दोनों को राजी कर लें। उनका काम भी हो जाएगा और हमारा भी काम बन जाएगा।
मैंने कहा- आइडिया तो अच्छा है.. एक काम करते हैं.. तुम और काव्या मिल कर निशा को मनाओ और इधर मैं और वैभव मिल कर उसके ब्वायफ्रेंड को मना लेंगे। क्यों वैभव ठीक कहा ना मैंने?’
वैभव- हाँ.. हाँ.. बिल्कुल.. उस कमीने को तीन चूतें एक साथ चोदने को मिलेंगी.. तो मना थोड़ी न करेगा भोसड़ी का। 
अब हमने उसका नाम पता पूछा, उसका नाम सनत था और वो दूसरे कॉलेज में पढ़ता था। 
‘पर एक प्राब्लम है..’ भावना ने कहा।
प्रॉब्लम की सुन कर हम सब ठंडे पड़ गए।
‘क्या हुआ जान?’
भावना ने बताया- मेरे घर पर एक चौकीदार तैनात रहता है.. उसके रहते ये सब नहीं हो पाएगा।
यह सुनते ही मुझे झटका लगा.. पर वैभव जोर से हँसने लगा और बोला- अभी कुछ देर पहले तुम ही कह रही थी ना कि बस दो लौड़े.. अब देखो कैसे चार लौड़े हो गए।
भावना ने कहा- क्या मतलब?
तो वैभव ने कहा- मैं, संदीप और सनत करके तीन और अब उस चौकीदार को भी शामिल कर लेंगे.. हो गए ना चार!
भावना ने कहा- साले, मैं अपने चौकीदार से चुदूँगी? मैं इतना नहीं गिर सकती।
वैभव ने कहा- तुम मत चुदना.. उसके लिए तो दो और चूतें हैं ना.. तुम क्यों चिंता करती हो रानी और उसे पटाने की जिम्मेदारी भी हमारी.. ओके! 
हम सब हँसने लगे। 
अब हम तीनों अपने सपने को सच करने के लिए काम में जुट गए। वैभव ने सनत से दोस्ती कर ली और उसे कामुक वीडियो दिखाने लगा और सामूहिक चुदाई की कहानी भी पढ़ा कर सामूहिक चुदाई के लिए उकसाने लगा।
मैं भी किसी-किसी बहाने भावना के घर जाने लगा और जब भी जाता चौकीदार से बातचीत करके ही आता। अब उसके साथ खुल्ला हँसी-मजाक भी होने लगा था। चौकीदार का नाम चरण था मैं उसे प्यार से कालीचरण पुकारने लगा।
काली चरण काले रंग का तंदरुस्त शादीशुदा अधेड़ उम्र का आदमी था.. पर उसका परिवार गांव में रहता था। वो बेचारा शहर में अकेले ही झक मार रहा था। उसकी उम्र 38 की रही होगी.. पर अभी भी कड़ियल जवान मर्द ही दिखता था।
उसका चेहरा इतना बुरा भी नहीं था। वो कभी-कभी अपनी अंतरंग बातें भी मुझे बताने लगा। वो समझ चुका था कि मेरा और भावना का चक्कर चल रहा है। कुल मिला कर कहा जाए कि काली चरण मेरे पाले में आ चुका था। 
अब निशा को पटाने की देर थी। हमारी प्लानिंग वाली तारीख में अब दो ही दिन बाकी थे।
मैंने भावना से पूछा- क्या हुआ निशा मानी कि नहीं?
भावना ने कहा- अभी मैं उसके ही घर जा रही हूँ.. आज बात करके ही आऊँगी.. वैसे मैंने काव्या को बता दिया है और वह राजी भी है। वो भी निशा को पटाने में मेरी मदद करेगी।
मैंने कहा- चलो अच्छी बात है.. पर आज बात कर ही लो। 
भावना चली गई और रात को मुझे उसने फोन किया- यार बहुत मेहनत लगी.. पर हमने उसे राजी कर ही लिया।
मैं खुशी से झूम उठा और कहा- थकी हुई तो लग रही हो.. हमें भी तो बताओ क्या मेहनत करनी पड़ी?
उसने कहा- चुदाई का बिल्कुल अनुभव नहीं था और बिना कुछ जाने वो राजी कैसे होती.. इसलिए सबसे पहले हमने उसको चुदाई करना सिखाया.. चुदाई के बारे में बताया। जब उसकी उत्सुकता बढ़ाई.. तब जाकर वो मानी।
मैंने फिर दोहराया- चुदाई करना कैसे सिखाया?
भावना थोड़ा शरमा कर बोली- संदीप तुम भी ना सब कुछ मत पूछा करो.. सिर्फ इतना जान लो कि हमारी प्लानिंग को सफल बनाने के लिए मैंने और काव्या ने उसके सामने लेस्बियन सेक्स करना शुरू किया और उसे भी उसमें जबरदस्ती शामिल किया। फिर हम लोगों ने उसे बताया कि सनत भी तैयार है और जब उसने चुदाई का ऐसा स्वाद चखा.. तब उसने झिझकते हुए ‘हाँ’ कह दिया है। 
मैंने कहा- यार पूरी घटना अच्छे से बताओ ना.. तुम्हारी अधूरी बात सुन कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया है।
उसने कहा- नहीं.. मैं नहीं बताऊँगी.. पर कुतिया को रगड़ कर चोदना.. कमीनी को जिन्दगी भर याद रहना चाहिए.. साली बहुत भाव खा रही थी।
मैंने कहा- हाँ जानेमन.. 
फिर कुछ देर भावना से फोन सेक्स करके अपना पानी झाड़ा तब खड़े लंड को चैन पड़ा। 
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#5
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काव्या ने इसी स्थिति में अपने ब्रा का हुक खोला और बड़ी नजाकत से मुड़ कर हमारी ओर देखा.. सबके मुँह से एक साथ ‘आह..’ निकल गई। 
काव्या के गुलाबी निप्पल.. कांच जैसा चिकना शरीर.. खिलता गोरा रंग.. चिकनी चूत.. उस पर प्रीकम की चमकती शबनम की बूँदें बहुत ही कामुक नजारा पेश कर रही थीं। ये देखकर तो नामर्दों के भी लौड़े खड़े हो जाते। 
अब काव्या ने अपने दोनों उरोजों को अपने हाथों से जोड़कर एक घाटी बनाई और अपने होंठों को दांतों से काटकर हम सबको दिखाते हुए आंख मारी। 
सबने तालियाँ बजाते हुए एक साथ कहा- बस कर काव्या.. हमारी तो जान ही निकल जाएगी।
काव्या हँसते हुए उतर गई और मेरे पास आकर मुझे चूमते हुए बोली- थैंक्स.. ये सब तुम्हारी बदौलत है।
वो भावना की जगह बैठकर वैभव और सनत का लंड चूसने लगी।
अब भावना टेबल पर अपना जलवा बिखेरने के लिए चढ़ी, भावना ने अपने कपड़े उतार कर माहौल को हल्का किया और कामुक हरकतें शुरू कर दीं।
आज भावना ज्यादा ही खुल कर पेश आ रही थी, उसे देख कर साफ पता चल रहा था कि वो अपनी सहेली काव्या से जल रही थी। 
वैसे भावना काव्या से ज्यादा सुंदर थी.. पर हाईट की वजह से काव्या मॉडल लगती थी।
भावना ने हमें दिखाते हुए अपनी पेंटी में हाथ डाला और अपनी चूत में उंगली घुसा ली।

हम लोगों को पेंटी के ऊपर से ही उसके इस काम का पता चल गया और फिर उसने हाथ निकाला और अपनी उंगली मुँह में डाल कर चूसने लगी।
उसकी कामुक हरकत को देख कर हम सबका लौड़ा एक साथ फुंफकारने लगा। फिर उसने सीधी खड़ी होकर अपने काले रंग की ब्रा का बिना हुक खोले.. अपने उरोजों के ऊपर चढ़ा ली। उसके ऐसा करने से उसके उरोज बहुत कड़े और चिकने दिख रहे थे। उरोजो पर तने हुए भूरे निप्पल उसके चूचों का और आकर्षण बढ़ा रहे थे। 
दूसरे ही पल भावना ने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोला और ब्रा को हमारी तरफ उछाल दिया। अब भावना ने अपने उरोजों को पकड़ कर हिलाया और एक तरफ के उरोजों को हाथ से ऊपर की ओर चढ़ा कर अपनी जीभ से कामुक अंदाज से अपने एक निप्पल को चाटा।
यह देख कर लंड चुसवा रहे वैभव ने काव्या का सर थामा और लंड जोर-जोर उसके मुँह में आगे-पीछे करने लगा।
मैंने भी निशा के साथ ऐसा ही किया.. पर निशा की सांसें उखड़ने लगीं।
मुझे अहसास हुआ कि निशा नहीं सह पाएगी इसलिए मैंने लंड बाहर निकाल दिया, अब वो मेरे और काली चरण का लंड दोनों हाथों में पकड़ कर चाट रही थी।
उधर भावना अब हमारी ओर गांड करके झुकी और उसने अपनी पेंटी धीरे-धीरे सरकाते हुए अलग कर दी।
उसके ऐसा करने से गुलाब की तरह खिली हुई मखमली अनुभवी चूत हमें साफ दिखने लगी। 
अब भावना ने अपनी दो उंगलियों को चूत में घुसा दिया और वो अपने उरोजों को अपने एक हाथ से थाम रखी थी। सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं। अब भावना ने अपनी उंगली चूत से निकाल कर चूत के मुहाने में फंसा कर दोनों फांकों को फैलाया।
चूत के अन्दर लाल रंग के गोश्त के ऊपर चमकती कामरस की शबनम की बूंदों को देख कर सनत अपने आपको रोक ही नहीं पाया। वह लपक कर भावना के पास आया और उसकी चूत में अपना जीभ को घुसा दिया।
भावना ने अपनी उंगलियों से चूत की दोनों फांकों को फैलाया तो चूत के योनिरस से चमकते अन्दर लाल रंग के गोश्त को देख सनत खुद को रोक ही नहीं पाया, वह लपक कर भावना के पास आया और उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी।
भावना सनत की अचानक की गई हरकत से चौंक गई और वहाँ से हट गई।
सनत वापस काव्या के पास आया और काव्या को लेटा कर उसकी चूत चाटने लगा।
चूंकि वैभव को लंड चुसाना बहुत अधिक पसंद है.. इसलिए उसने काव्या के मुँह में वापस अपना लंड ठूंस दिया।
अब मैंने निशा से कहा- जाओ निशा, अब तुम अपना जलवा दिखाओ। 
भावना को अपने सामने बैठने और लंड चूसने का इशारा किया। भावना आकर हमारे सामने घुटनों के बल बैठ गई। 
मेरे करीब काली चरण था.. उसने एक अजीब हरकत कर दी। उसने भावना के बाल पकड़ कर उठा लिया। फिर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर भावना के पैरों को आकाश की ओर और सर को जमीन की ओर कर दिया।
साथ ही उसने भावना को जकड़ कर अपने शरीर से चिपका लिया। ऐसा हम में से सिर्फ वही कर सकता था, क्योंकि उसका ही शरीर लंबा चौड़ा और बलिष्ठ था।
उसके बाद उसने भावना की चूत में जीभ घुसा दिया। शायद वह भावना से खाए हुए थप्पड़ की वजह से बौखलाया था।
उधर भावना गाली दिए जा रही थी.. तो मैंने नीचे बैठ कर भावना से कहा- अब तुम भी मान जाओ जानेमन.. ऐसी चुदाई और ऐसा लंड बार-बार नहीं मिलते। 
उसने मेरी बात पर मुँह तो बनाया.. पर अपने सामने झूल रहे गधे छाप लंड को चाटने चूसने का लालच न छोड़ पाई और बस काली चरण का लंड भावना के मुँह से चुसाई का आनन्द प्राप्त करने लगा।
उधर निशा टेबल पर चढ़ कर अपने भारी चिकने उरोजों को सहला रही थी। फिर उसने दोनों हाथों के दो-दो उंगलियों से अपने दोनों उरोजों के निप्पल को रगड़ना चालू किया और साथ ही ‘हिस्स्स.. ऊंऊऊ ऊऊ.. ईईह.. ईईह..’ की आवाज करने लगी।
अब माहौल बहुत उत्तेजक हो चुका था। निशा ने अपने शरीर से चिपके काले रंग की जीन्स का बटन खोला और धीरे से जीन्स नीचे सरकाई।
अय हय.. उसने सफेद रंग की किसी अच्छी कंपनी की पतली सी पेंटी पहन रखी थी। 
जैसे ही उसने जीन्स को शरीर से अलग किया। उसकी चिकनी टाँगों के बीच चूत के रस से दाग लग चुकी सफेद पेंटी और सर के बालों में आधुनिक तरीके से बंधा जूड़ा.. होंठ को दांतों से काटने का स्टाइल सबको तड़पा गया। 
तभी निशा ने अपनी पेंटी को कुछ इस तरह मोड़ कर ऊपर की ओर खींचा कि पेंटी निशा की चूत में घुस कर गायब सी हो गई। 
इससे निशा की चूत साफ नजर आ रही थी। एकदम चिकनी और फूली हुई चूत में पेंटी फंसी होने के बावजूद उसका निशान तक नजर नहीं आ रहा था, हमें पेंटी सिर्फ कमर में दिख रही थी।
यह नजारा देख कर वैभव ने काव्या के मुँह में पानी छोड़ दिया और काव्या ने सनत के मुँह अपनी चूत का लावा छोड़ दिया। मैंने अपने लंड की मुठ मार कर भावना के दूध पर और भावना की चूत ने कालीचरण के मुँह में रस टपका दिया।
उधर काली चरण ने भी भावना के मुँह में अपने लंड का लावा छोड़ दिया।
कुछ देर यूं ही छेड़खानी के बाद काव्या की चूत में वैभव ने जीभ डाल दी और सनत भावना को कुतिया बना कर चोदने लगा।
मैं निशा के पास गया.. चूंकि निशा टेबल पर थी और मैं नीचे था, इसलिए निशा की चूत मेरे मुँह तक आ रही थी। सो मैंने नीचे से खड़े होकर ही उसकी चूत में चाटने की कोशिश की।
मुझे उसकी चूत में पेंटी फंसे होने के कारण चूत को अच्छे से चाटते नहीं बन रहा था, तो निशा ने मेरी मदद की और एक ही झटके में पेंटी निकाल फेंकी।
अब मैं निशा की दोनों जांघों को पकड़ कर चूत चाटने लगा, निशा ने भी मेरा सर अपनी चूत में दबा लिया, उसकी आँखें भी बंद हो गईं। अब सभी लंड सिवाय काली चरण के भिन्न-भिन्न छेदों में व्यस्त हो गए।
काली चरण निशा के पास आ गया और बोला- तुमने कहा था कि सबसे बड़े लंड से सील तुड़वाओगी.. चल अब आ जा!
निशा घबरा कर मेरी ओर देखने लगी तो मैंने कालीचरण से कहा- यार तुम भावना से बदला नहीं लोगे क्या? जाओ उस कुतिया की चूत फाड़ो.. निशा को मैं संभाल लूंगा।
कालीचरण तो शुरू से ही भावना की चूत चोदना चाहता था तो वो उसके पास चला गया।
मैंने निशा को नीचे उतारा और हमने 69 की पोजीशन लेकर चूसना और चाटना चालू किया। 
उधर भावना सनत के साथ थी, कामुक आवाज निकाल रही थी ‘ऊऊह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह.. ईईई.. चोद ना रे.. मादरचोद छोटा सा लौड़ा और चोदने का बड़ा शौक है।’
सनत ने स्पीड बढ़ा दी… बेचारा और क्या करता भी क्या! ‘ओओहहह.. उउऊईई..’ करते हुए सनत ने भावना की चूत में पानी छोड़ा।
सनत के हटते ही काली चरण ने भावना की चूत सम्भाल ली, भावना की चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो काफ़ी देर से चुद रही थी तो जल्दी ही वो झड़ गई, उसने कालीचरण को फ़िर मेरे पास भेज दिया।
उधर वैभव नीचे लेट कर काव्या को अपने ऊपर चढ़ा कर नीचे से धक्के मार रहा था। काव्या अपने उरोजों को मसल रही थी ‘ऊऊऊऊ आआहहह.. मजा आ गययाआ.. मेरे राज.. ओहहह आआहह.. फाड़ दो मेरी चूत..’
वो चिल्लाते हुए मस्ती से चुद रही थी।
इधर निशा बड़बड़ाने लगी- अब डाल दो मेरी भी चूत में लौड़ा.. फाड़ दो मेरी चूत।
मैंने निशा को लंड के लिए तड़पते देखकर ज्यादा देर नहीं की और उसे लेटा कर अपना लौड़ा उसकी लपलपाती चूत पर टिका कर निशा से कहा- निशा थोड़ा दर्द होगा.. संभाल लेना।
निशा ने वासना भरी आवाज में कहा- तुम बस डाल ही दो.. आगे की चिंता मत करो।
मैंने एक जोर का धक्का लगा दिया। मेरी उम्मीद के विपरीत मेरा लौड़ा बड़ी आसानी से चूत में घुस गया।
मेरा लौड़ा भले ही कालीचरण जितना लम्बा नहीं है.. पर मेरा लौड़ा भी अच्छे-अच्छे की चूत फाड़ देता है। पर इस साली ने तो एक बार में ही पूरा लौड़ा सटक लिया था और ‘उफ्फ..’ तक नहीं की।
मैंने तुरंत कहा- निशा सच बताओ तुम और चुद चुकी हो ना?
तो निशा ने कहा- हाँ मैं चुद चुकी हूँ.. पर अभी तो मुझे चोदो।
मैंने कहा- किससे चुदी हो?
उसने झुंझला कर कहा- अपने जीजू से चुदी हूँ.. तभी तो सामूहिक चुदाई के लिए राजी हो गई हूँ। तुमने कभी सोचा है कि जिसकी सील भी ना टूटी हो.. वो सामूहिक चुदाई के लिए राजी कैसे हो सकती है? और अब कुछ मत पूछो.. बस चोदो.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मैंने कहा- ठीक है। 
मैं धकापेल उसे चोदने लगा।
‘ऊ..ऊ.. ईई.. आआहहह..’ की आवाज के साथ वो चुदने लगी।
मेरी आँखें भी वासना के मारे बंद होने लगीं। मैंने उसे चोदते हुए कहा- बस आखरी सवाल.. तुम्हारे जीजू का लंड कितना बड़ा है?
उसने कहा- काली चरण से थोड़ा छोटा.. एकदम काले रंग का मोटा सा लंड है।
मैंने कहा- तो फिर काली चरण के लौड़े से डर क्यों रही थी?
उसने कहा- मैं डर नहीं रही थी.. मैं तो अपनी चूत के लिए सबको तड़पा रही थी। वैसे काली चरण का लौड़ा मेरे जीजू के लंड से ज्यादा बड़ा है। 
उधर सबकी चुदाई उफान पर थी। वैभव और काव्या ‘हिस्स्स्स्..’ करते हुए एक साथ झड़ने लगे।
मैंने निशा को चोदते हुए ही कहा- भावना और काव्या.. नीचे वाले हॉल में जाकर खाना निकालो। अब चुदाई का दूसरा राउंड खाना खाने के बाद करेंगे। 
तब तक मैं काली चरण और निशा भी एक बार अपना पानी निकाल कर आते हैं। 
वे लोग अपना कपड़े उठाने लगे.. तो मैंने मना कर दिया और वो नंगे ही चले गए। उनके जाते ही मैं लेट गया और निशा को अपने ऊपर चढ़ा कर चोदने लगा।
मैंने काली चरण से कहा- निशा ने ये मेरी पहली चुदाई है.. कह कर हम सबको बेवकूफ बनाया है.. इसको ऐसा सबक सिखाना है कि ये जिन्दगी भर याद रखे।
काली चरण ने कहा- तू ही बता कैसे सबक सिखाएं?
निशा घबरा गई थी, उसने लड़खड़ाती जुबान से कहा- च..चचोद तो र..रहे हो.. और क्या कर..ररोगे?
मैंने कहा- निशा डार्लिंग हम तुम्हारी सील तोड़ेंगे।
तो निशा हँसने लगी और बोली- वो तो पहले से ही टूटी हुई है और कैसे तोड़ोगे? 
मैंने भी हँसते हुए कहा- चल कालीचरण इस मादरचोदी रांड की गांड में अपना लंड डाल दे.. और डालने से पहले लंड को पोंछ के सुखा ले.. ताकि इसकी गांड फट ही जाए। 
इतना सुनते ही निशा चुदाई के पहले ही चीख उठी, अभी तो लंड उसकी गांड से टच भी नहीं हुआ था, वो चिल्लाने लगी- साले मादरचोद दूर हट!
उसके ये कहते ही उसके खुले मुँह में उसने अपना लंड डालकर मुँह बंद करा दिया। उधर निशा की चीख सुनकर भावना और काव्या दौड़ कर ऊपर आ गए।
कालीचरण अपने लौड़े को निशा की गांड के निशाने पर टिका चुका था। 
भावना और काव्या के ऊपर पहुंचते ही उनकी आंखों के सामने एक जोरदार धक्के के साथ निशा की मुलायम उभरी गांड में काली चरण अपना लौड़ा पेल दिया। 
उसका लौड़ा पूरी ताकत से पेलने के बाद भी आधा ही घुस पाया।
निशा ने भले ही चूत मरवाई थी.. पर गांड सच में अनचुदी थी।
इधर वैभव का लौड़ा निशा के मुँह में गले तक फंसा था, इसलिए निशा को सारा दर्द अन्दर ही झेलना पड़ा।
भावना ने हम सबको गाली दी- कमीनों उसे मार डालोगे क्या? ऐसे कोई किसी को चोदता है क्या?
तब वैभव मुँह से लंड निकालते हुए बोला- इस मादरचोदी ने हम सबको बेवकूफ बनाया.. इसके साथ यही होना चाहिए।
मैंने निशा की चूत और काली चरण ने गांड में अपना हब्शी लौड़ा फंसाए रखा।
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06-30-2017, 11:08 AM,
#6
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निशा के शरीर में बालों से होते हुए स्तनों और पेट, कमर से होते हुए जांघों में पानी बहने लगा और वह इस वजह से वो बहुत ही उत्तेजक और कामुक लगने लगी। 
वैसे मैं और कालीचरण भी भीग गए थे.. पर वासना के कारण शरीर का पानी भाप बन कर उड़ने लगा।
अब निशा रोने लगी और मैंने भावना से कहा- भावना, अगर तुम कालीचरण से अपनी गांड नहीं फड़वाना चाहती तो चुपचाप वैभव का लंड गांड में डलवा लो.. नहीं तो क्या होगा ये तुम देख ही रही हो। वैभव तुम भी अपने लंड में तेल लगा कर पेलना ताकि भावना को तकलीफ ना हो।
भावना ने रुआंसे होते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया उधर मौके को ताड़ कर सनत नीचे लेट गया और भावना को अपने ऊपर चढ़ा लिया। 
वैभव ने अपने लंड पर तेल लगा कर गांड के छेद से लंड टिका दिया। 
उसने काली चरण को देखा और कालीचरण ने लंड थोड़ा बाहर खींचते हुए वैभव को देखा।
दोनों एक साथ मुस्कुराये और एक साथ ही पूरी ताकत से अपने अपने लंड उन दोनों की गांडों में पेल दिए, दोनों एक साथ चीख उठीं- आआआहह कोई बचाओ रे.. आआहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह आहह..
उनकी आवाज बहुत तेज थी। 
भावना की गांड में वैभव का तेल लगा लंड घुसा था.. इसलिए खून नहीं निकला.. पर सील टूटने के दर्द से भावना भी बिलख उठी।
अब वो दोनों रोती रहीं और हम चारों के लौड़े उनकी गांड और चूत को फाड़ते रहे। 
यह सब देखकर काव्या खुश तो थी कि वो दर्द सहने से बच गई.. पर भीषण चुदाई देखकर वो बहुत कामुक भी हो गई थी। उसने अपने उरोजों को मसलना चालू कर दिया। वो मेरे चेहरे के दोनों तरफ टांगें फैलाकर मेरे मुँह में अपनी चूत चाटने को दे दी।
अब धीरे-धीरे भावना और निशा को भी दो लौड़ों से चुदाने में मजा आने लगा और वो भी साथ देने लगीं।
पूरे हॉल में सबकी कामुक ध्वनियां गूँजने लगीं।
निशा बड़बड़ा रही थी- मार डाला रे.. पर आज तक ऐसी चुदाई भी नहीं हुई थी.. मजा आ गया.. भले ही मेरी जान निकल जाए.. पर ऐसे ही चोदते रहो.. हहायय.. आगे-पीछे दोनों छेदों में क्या लौड़ा घुसा है रे.. ऊऊऊ ईईईई.. 
उधर भावना भी कहे जा रही थी- आह्ह.. चोदो कमीनों.. चोदो मन भर के चोदो.. ऐसी चुदाई तो किस्मत वालों को नसीब होती है। साले सनत तेरा लौड़ा छोटा क्यों है बे.. तू चोद रे वैभव.. ये मादरचोद तो किसी काम का नहीं है.. ऊऊहहह आहहह.. मजा आ गयया रे.. भले ह..ही गांड की सील तुड़वाने में दर्द हुआ.. पर अब बहुत मजा आ रहा है.. और चोद और जोररर से.. आहहहह..
इधर मेरे मुँह पर अपनी चूत टिकाए हुए काव्या भी ‘हिस्स्स ऊऊउन्ह.. आहह..’ कर रही थी। 
निशा तो कई बार पानी छोड़ चुकी थी और अब मैं भी अकड़ने लगा ‘आह साली रंडी.. क्या चूत है रे मादरचोद..’ ये कहते हुए मैं झड़ गया। 
उधर वैभव भावना की टाईट गांड में लंड डालने की वजह से झड़ने लगा, वैभव झड़ने से पहले सिसियाने लगा- आह्ह.. कमीनी.. क्या चुदवाती है साली.. रंडी बन जा.. बहुत कमाएगी..
ये कहते हुए वैभव ने भावना की गांड में कई चपत लगा दीं। भावना की गांड लाल हो गई और थोड़े-थोड़े अंतराल में सनत भावना और वैभव झड़ गए। 
सनत अपने छोटे लंड के कारण कुछ नहीं बोल रहा था। वो बेचारा अपना मजा लेकर चुप बैठा रहा। 
अब निशा चुदवाते हुए फिर बेहोशी की हालत में आने लगी। पर अभी तो काली चरण पूरे शबाब में था। उसके चोदने के लिए भावना और काव्या अभी बाकी थे इसलिए उसने निशा पर रहम खाकर उसे छोड़ दिया, गांड में से मूसल निकल गया तो निशा वहीं पसर गई। 
काली चरण अपना खड़ा लंड लेकर भावना की ओर बढ़ा। कालीचरण को अपनी ओर बढ़ता देख भावना ने डर के कहा- साले चूत मारनी है तो आ जाओ.. मैं सह लूंगी और गांड बजानी है.. तो अभी काव्या की गांड बाकी है सील तुड़वाने के लिए।
काली चरण सील तोड़ने के लालच में काव्या की ओर बढ़ने लगा, मैंने कालीचरण से कहा- रुको.. मुझे बात करने दो.. फिर कर लेना।
मैंने काव्या से कहा- क्यों काव्या तुम अपनी गांड का उद्घाटन नहीं कराओगी?
काव्या ने मेरी आंखों में आँखें डालकर देखा और कहा- संदीप, मैं यहाँ सामूहिक चुदाई का मजा लेने नहीं आई हूँ। मैं यहाँ सिर्फ तुम्हारे चेहरे पर खुशी देखने आई हूँ। तुम जैसा चाहो कर लो.. करा लो, मुझे सब मंजूर है। काली चरण तो क्या मैं तुम्हारे लिए किसी राक्षस से भी चुदाने को तैयार हूँ।
मैं उसको प्यार से देख रहा था।
उसने कहा- मुझे पता है तुम भावना के हो.. पर मैंने अपना सब कुछ तुम्हें सौंप दिया है।
इतनी बातें सुनकर मैंने काव्या को गले लगा लिया, भावना भी उठ कर पास आ गई और हम तीनों एक साथ चिपक गए। 
भावना ने कहा- अब से हम दोनों ही संदीप की गर्लफ्रेंड हैं। भविष्य में क्या होगा.. मैं नहीं जानती, पर जब तक पढ़ाई चल रही है.. हम ऐसे ही साथ रह लेंगे। 
पीछे से कालीचरण की आवाज से शांति भंग हुई- प्यार मुँहब्बत बाद में करना.. अभी बताओ कि मेरे लौड़े का क्या होगा?
भावना ने हिम्मत करके कहा- चल कमीने.. तुझसे मैं चुदवाती हूँ। जैसे चोदना है चोद ले। अब देख एक लड़की जब चुदाने पर आ जाए तो मर्द की मर्दानगी कहाँ जाती है। 
वैसे भावना कुछ ज्यादा ही बोल गई थी.. क्योंकि कालीचरण का लौड़ा मूसल से कम नहीं था।
इधर काव्या ने मुझसे कहा- चलो जान तुम लेटो.. आज अपनी गांड की सील मैं खुद तुड़वाऊँगी।
मैं लेट गया। 
काव्या ने दोनों टांगें मेरे चेहरे के दोनों तरफ फैला कर अपनी चूत चाटने दे दी। मैं अब अपनी जीभ चूत से आगे बढ़ कर काव्या की गांड भी चाटने लगा। 
उधर निशा उठ गई थी और वो अब मेरे लौड़े को थूक लगा-लगा कर चूसती और फिर गीला कर रही थी। मानो वह मेरे लंड को गांड में घुसने लायक बना रही हो.. क्योंकि अभी अभी उसने दर्द झेला था। 
उधर भावना को कुतिया बना कर कालीचरण ने लौड़ा टिकाया और भावना के मुँह में वैभव ने लंड डाल दिया।
सनत ने निशा की चूत चाटनी चाही.. तो निशा ने उसे एक लात मार के गिरा दिया। 
तब मैंने ही कहा- निशा अब माफ भी कर दो.. तुम्हें जब भी चुदना होगा हमसे चुद लेना और ब्वायफ्रेंड के नाम पर सनत को बना रहने दो।
तो उसने इशारे से उसे वापस बुला लिया। 
अब काली चरण ने एक जोर का धक्का लगाया, उसका लंड जड़ तक सरसराता चला गया। चूंकि लंड में निशा का पानी और खून लगा था.. इसलिए लंड घुस तो गया, पर भावना की गांड से भी खून की धारा बह निकली।
मूसल के गांड में घुस जाने से भावना लगभग बेहोश सी हो गई थी.. पर कालीचरण उस पर टूट पड़ा था- ले मादरचोदी.. बहुत बात कर रही थी ना.. अब खा मेरा लौड़ा। 
भावना रोए जा रही थी। उधर मुँह में वैभव का लौड़ा घुसा था। दोनों तरफ से दनदनाती चुदाई शुरू हो गई.. उनको देख कर काव्या डरने लगी।
मैंने काव्या को डरते हुए देख कर कहा- गांड नहीं चुदानी तो रहने दो.. कोई जबरदस्ती नहीं है।
वो सच में मेरे मुँह पर से उतर गई। 
मैं खुद को कोस रहा था कि हाथ आए माल को गंवा दिया। पर काव्या अपने पर्स तक ही गई और पर्स से दो रूमाल ले कर आई.. दोनों सफेद रंग के रूमाल थे.. वो आकर फिर मेरे ऊपर चढ़ गई। 
मैंने पूछा- रूमाल का क्या करोगी?
काव्या तो उसने कहा- जब पहली बार तुमने मेरे चूत की सील तोड़ी.. उस समय मैं अपनी पहली चुदाई की कोई निशानी नहीं रख पाई थी, पर आज मुझे पहले से शक था कि मेरे पिछवाड़े की सील टूट सकती है। मुझे ये भी उम्मीद थी कि इसे भी तुम ही तोड़ोगे, इसलिए मैं ये सफेद रूमाल लाई हूँ ताकि हमारे मिलन की निशानी खून को इसमे पोंछ कर हमेशा अपने पास रख सकूं। 
खुशी के मारे मेरी आँखों से आंसू आ गए मैंने कहा- और दूसरा किस लिए?
तो उसने कहा- ये इसलिए…
उसने रूमाल को फोल्ड करके अपने मुँह में दांतों के बीच दबा कर मेरे लंड को अपनी गांड के छेद में टिकाया और अपना पूरा जोर लगा दिया। 
उसकी आंखों से आंसू बहने लगे और वो आंसू दर्द के तो थे ही.. पर खुशी के भी थे क्योंकि उसके आँखों में कुछ पा लेने वाली चमक थी। 
उसकी गांड में लौड़ा आधा घुसा था और उसने मुँह में रखे रूमाल को भींचते हुए और जोर लगाया। उसकी आँखें बड़ी हो गईं.. उसकी गांड से निकली हुई खून की लकीर मेरी जांघों पर बहने लगा। लेकिन काव्या ने लंड को जड़ तक अपनी गांड में घुसा लिया। 
लंड के पूरा गांड में घुस जाने के बाद काव्या ने मुँह से रूमाल निकाला और हाँफने लगी। वो थोड़ी देर ऐसे ही पड़ी रही। फिर जब थोड़ा सामान्य हुई तो मुझे चूमते हुए उसने अपनी कमर हल्के-हल्के हिला कर लंड को फिसलने लायक जगह बनाई। उसने मुझे ‘आई लव यू संदीप.. आई लव यू सो मच..’ कहने लगी। 
वो मेरे हाथों को पकड़ कर अपने उरोजों पर ले गई। मैं उसके चूचे मसलने लगा और अब कामुक आवाजों के साथ चुदाई शुरू हो गई। 
इधर काव्या कमर उछाल-उछाल कर अपनी गांड फड़वा रही थी.. तो उधर अब भावना भी संभल चुकी थी।
मैंने नजर घुमा कर देखा तो भावना वैभव और कालीचरण तीनों खड़े होकर चुदाई कर रहे थे। 
भावना ने अपना पैर वैभव के कंधे पर रख दिया था और वैभव का लंड भावना की चूत में घुसा हुआ था। काली चरण का लौड़ा भावना की गांड में घुसा हुआ था।
कालीचरण भावना की कमर को पकड़ कर दम से भावना की गांड मार रहा था। 
सब वासना में बड़बड़ा रहे थे.. उधर सनत ने अपने छोटे लंड से मजा देने का उपाय खोज लिया था। वो निशा को लिटा कर उसकी चूत में अपने लंड के साथ अपनी दो उंगली भी डाले हुए था.. जिससे निशा को अलग तरीके का आनन्द आ रहा था।
अब पूरा हॉल ‘ऊऊऊँ आआहह.. ईईईई हिस्स्स्..’ की आवाजों से गूंज रहा था। 
सबसे पहले सनत का माल निशा की चूत में गिर गया.. पर निशा अभी नहीं झड़ी थी, तो वैभव ने उसे जाकर चोदा।
चूंकि वैभव और निशा आपस में पहली बार चुदाई कर रहे थे.. इसलिए दोनों जोश के साथ भिड़ गए। 
कुछ देर सबकी चुदाई के बाद मैं और काव्या, वैभव और निशा और कालीचरण सब एक साथ झड़ने वाले हो गए थे। तो हमने सब लड़कियों को एक साथ नीचे बिठाया और अपना माल उनके मुँह और चेहरों पर गिरा दिया।
वो सब लंडों के माल को चाटने और शरीर पर मलने लगीं। 
तभी भावना ने कहा- मैं अभी नहीं झड़ी हूँ.. क्या मुझे प्यासी ही छोड़ोगे?
सब एक साथ हँस पड़े।
कालीचरण ने कहा- थोड़ा इंतजार कर लो.. फिर बताते हैं। 
फिर मैंने सबको खाना खाने के लिए कहा। उसके बाद सबने एक राउंड और चुदाई की। दूसरे राउंड में हम सबने भावना को एक साथ चोदा.. तब जाकर उसकी प्यास बुझी। 
फिर दोनों लड़कियों काव्या और निशा को दो-दो लोगों ने मिलकर चोदा। इसके बाद सब थक कर सो गए।
यह तो कहना पड़ेगा कि सच में औरत चुदने पे आ जाए.. तो कोई मर्द उसकी आग नहीं बुझा सकता। ये सिलसिला उसके दूसरे दिन भी चलता रहा। फिर भावना के मम्मी-पापा के आने के पहले ही हम वहाँ से निकल गए। 
अब जब भी मौका मिलता है.. हम ऐसी पार्टी कर लेते हैं।
मैं अब भी भावना को चाहता हूँ.. पर अब काव्या भी मेरी जिंदगी में आ चुकी है। 
काव्या ने अपनी गांड का खून जिस रूमाल में पोंछ कर रखा था.. मैंने उसके दो हिस्से किए। एक हिस्सा मेरे पास आज भी है.. पता नहीं उसके पास है या नहीं।
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