Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:08 PM,
#21
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
***** *****दीवाली की छुट्टटयां -सुबह 8:00 बजे 


दीवाली के छुट्टटयां हो गई थीं। इसलिये अनुम देर तक सो सकती थी। 

अमन तो सुबह ही कसरत के लिये उठ जाया करता था। अमन अपनी कसरत खत्म करके गार्डन में सुबह की धूप का मज़ा ले रहा था। उसने सिर्फ़ नाइट पैंट पहना हुआ था। 
पास ही में ख़ान साहब भी अखबार पढ़ रहे थे। 

कुछ देर बाद रजिया दूध का भरा हुआ ग्लास लेकर वहाँ आती है, और अमन की तरफ बढ़ाते हुए-“लो बेटा दूध पी लो, इससे तुम्हें और ताकत मिलेगी…” 

अमन रजिया की डबल मीनिंग बातें खूब समझता था। पर अभी उसे कुछ टाइम अपनी गम्भीरता देखनी थी। अमन जान चुका था कि रजिया और रेहाना उसके बिना नहीं रह सकते, मगर वो अपनी पकड़ इन दोनों औरतों पे और मजबूत करना चाहता था। वो चाहता था कि जब वो इन दोनों को कोई भी हुक्म दे तो वो बिना कोई झिझक के उस काम को पूरा करें, चाहे वो सबके सामने चुदाने का काम ही क्यों ना हो? 

अमन दूध का ग्लास ले लेता है। और धीरे-धीरे दूध पीने लगता है। रजिया वहीं एक चेयर पे बैठ जाती है, और अमन को देखने लगती है। पर अमन रजिया का कोई नोटिस नहीं लेता। 

ख़ान साहब अपना अखबार एक तरफ रखते हुए-“अमन बेटा, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है…” 

अमन-जी बोलिये ना अब्बू। 

ख़ान साहब-“देखो बेटा, मैं पिछले कई सालों से दुबई में हूँ। वहाँ सब कुछ है। मगर सबसे जरूरी चीज़ वहाँ नहीं मिलती…” 

अमन-वो क्या अब्बू? 

ख़ान साहब-“परिवार का प्यार… बेटा, मैंने और तुम्हारे चाचू ने ये फैसला किया है कि अब हम दोनों भाई और तुम मिलकर यहीं इंडिया में गारमेंट्स का बिजनेस शुरू करें। तुम्हारी पढ़ाई भी पूरे होने वाली है। और फिर तुम्हारी और अनुम की शादी भी करनी है। अब बहुत हुआ बाहर रहना। अब मैं तुम लोगों के साथ अपनी बाकी की जिंदगी गुजारना चाहता हूँ। कहो क्या कहते हो?” 

अमन के तो जैसे तोते उड़ गये थे। अगर अब्बू यहीं रहेंगे तो मेरी तो लग गई समझो। अमन एक नज़र रजिया की तरफ देखता है, वो उसे ही देख रही थी और शायद उसकी भी यही फीलिंग्स होंगी। 

ख़ान साहब-कहो बेटा, चुप क्यों हो? 

अमन थूक निगलते हुए-“अब्बू, ये तो बेस्ट आइडिया है। हम भी आपको बहुत मिस करते हैं। आप यहाँ रहेंगे तो हमसे ज्यादा खुश और कौन होगा? पर अब्बू गारमेंट्स के बारे में ना मुझे कोई आइडिया है, और ना शायद आपको। फिर इतना बड़ा बिजनेस कैसे शुरू करेंगे? 

ख़ान साहब खुश होते हुए रजिया की तरफ देखते हैं। 

रजिया भी बनावटी मुश्कुराहट चेहरे पे लाते हुए। 

ख़ान साहब-तुम उसकी फिकर ना करो बेटा। मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त है, शहज़ाद पाशा उनकी एक गारमेंट्स की फक्टरी है। पर उनकी कोई औलाद नहीं है। इसलिये वो सब कुछ बेचकर इंडिया छोड़कर उनके भाई के पास अमेरिका जा रहे हैं। मैंने उनसे बात की है। वो हमें फक्टरी देने को तैयार हैं, और वो चाहते हैं कि तुम उनके पास कुछ दिन फैक्टरी का वर्किंग देख लो ताकी आगे तुम्हें कोई प्राब्लम ना हो। मैंने उन्हें आज रात डिनर पे इनवाइट किया है। तुम भी उनसे मिल लेना। 

अमन कर भी क्या सकता था। उसके अब्बू का फैसला मतलब पत्थर की लकीर। अमन उठते हुए-“जी अब्बू, जैसा आप कहें…” कहकर अमन अंदर के तरफ जाने लगता है। 
तभी रजिया उसे आवाज़ देते हुए-“बेटा, ज़रा अनुम को उठा दो कब तक सोयेगी लड़की…” 

और अमन बिना जवाब दिए अनुम के रूम की तरफ चल देता है। अनुम अपने रूम में एक करवट सोई हुए थी। उसके चेहरे से लग रहा था कि वो कोई बहुत अच्छा सपना देख रही है। अमन उसके पास बैठ जाता है। और उसके चेहरे पे हाथ फेरने लगता है। अनुम गहरी नींद में सोई हुई थी, वो कोई रेस्पॉन्स नहीं देती। अमन धीरे से अपनी होंठ अनुम के गाल पे रख देता है, और कहता है-“उठो राजकुमारी…” 

अनुम आँखें खोलते हुए अपने इतने करीब अमन को देखकर हड़बड़ा जाती है। और सीधे होकर-“त्…त…तुम यहाँ क्या कर रहे हो और क्या हरकत की तुमने? सच बोलो…” 

अमन-“अम्मी ने तुम्हें उठाने भेजा है…” और अमन अपने होंठ फिर से अनुम के गालों पे रखकर काट लेता है-“ये हरकत की मैंने, सच्ची…” 

अनुम उसे तकिया मारते हुए-“कम्बख़्त कहीं के… जाओ यहाँ से गंदे इंसान…” 

अमन-“लो जी, अब बताओ तो मुसीबत… चलो उठो और मुझे नाश्ता दो…” 

अनुम-“मैं क्या तेरी बीवी…” अनुम बोलते-बोलते रुक जाती है, और अपना चेहरा घुटनों में छुपाते हुए-“जा ना अमन मैं आती हूँ…”

अमन उसके कानों में धीरे से-“आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो…” और रूम से निकल जाता है। 

अनुम-“तुउउ…” तबतक अमन जा चुका था, पर अनुम के चेहरे पे खुशी के लकीर छोड़ गया था। अनुम फ्रेश होकर नाश्ता बनाने लगती है। 

उधर मलिक अपनी बीवी रेहाना को कहते हुए-“रेहाना, मैं ज़रा भाई जान से मिलकर आता हूँ…” 

फ़िज़ा-“मैं भी चलती हूँ अब्बू…” 

रेहाना-जल्दी आइएगा। 

मलिक-“ओके…” और दोनों बाप बेटी चल देते हैं। 

अमन अपने रूम में था और ख़ान साहब रजिया और अनुम हाल में बातें कर रहे थे। तभी मलिक और फ़िज़ा हाल में दाखिल होते हैं। 

ख़ान साहब और रजिया उनका गर्मजोशी से वेलकम करते हैं। अनुम और फ़िज़ा अनुम के रूम में चली जाती है। अपनी फिल्म आक्टर्स के बारे में बातें करने लगती हैं। इधर ख़ान साहब मलिक से अपनी बातें शुरू करते हैं। वो सुबह वो अमन के साथ कर रहे थे। 

रजिया किचिन में उनके लिये कुछ बना रही थी। 

मलिक-अरे अमन नज़र नहीं आ रहा। 
ख़ान साहब-“अमन, बाहर आओ बेटा, तुम्हारे चाचू आए हैं…” 

अमन को पता चल चुका था कि फ़िज़ा और चाचू घर पे हैं। इसका मतलब रेहाना अकेले होंगी। उसका लण्ड टाइट होने लगता है। और वो उसे अड्जस्ट करके अपने कान से मोबाइल फोन लगाकर रूम से बाहर आता है। अमन फोन में-“हाँ हाँ इमरान, मैं बस अभी आ रहा हूँ। तू वहीं रुक बस दो मिनट…” ये अमन के शातिर दिमाग़ की एक चाल थी। उसका मोबाइल बंद था पर जाहिर ऐसे कर रहा था जैसे वो अपने दोस्त इमरान से बात कर रहा हो। 

अमन हाल में दाखिल होकर मलिक को सलाम करता है। 

ख़ान साहब-कहीं जा रहे हो बेटा? 

अमन-जी अब्बू, इमरान की अम्मी के तबीयत खराब है। उन्हें हॉस्पीटल ले जाना था। क्यों कोई काम था? 

ख़ान साहब और मलिक एक साथ-“नहीं बेटा, तुम जाओ हम रात में बात करेंगे…” 

अमन-“ठीक है अब्बू…” और अमन घर के बाहर निकल जाता है। वो जानता था कि उसके पास सिर्फ़ एक घंटा है। वो रेहाना के दरवाजे की बेल बजाता है। 

रेहाना नहाकर अभी-अभी बाथरूम से निकली थी। उसने सिर्फ़ एक तौलिया बाँध रखा था, अंदर ना ब्रा थी ना पैंटी। रेहाना दरवाजा खोलती है तो सामने अमन को देखकर खुश हो जाती है, और उछलकर अमन के सीने से चिपक जाती है। 

रेहाना-“मेरी जान, मेरे शौहर आपको मिलने के लिये तड़प रही हूँ मैं हर पल, मेरी जान…” और रेहाना पागलों की तरह अमन के होंठों को चूमने लगती है। 

अमन उसे ऐसे ही अपनी गोद में उठा लेता है, और नीचे से उसकी गाण्ड मसलते हुए, रेहाना को चूमते हुए उसके रूम में ले जाता है। दोनों जाने से पहले मुख्य दरवाजा बंद कर देते है। उनके घर में पीछे की तरफ एक दरवाजा खुलता था। अमन का प्लान उसी दरवाजे से जाने का था वो गली में खुलता था। दो जिस्म प्यार की आग में जल रहे थे, एक दूसरे को खा जाना चाहते थे। 
अमन रेहाना को बेड के पास खड़ा करते हुए उसके मुँह में जीभ डालते हुए किस कर रहा था-“मुआह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प मुआह्म्मह…” 

रेहाना को अमन के कपड़े रुकावट लग रहे थे। वो जल्द से जल्द उसे नंगा करना चाहती थी। वो अमन के कपड़े उतारने लगती है। 

अमन भी रेहाना का तौलिया खींच देता है। अब दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे। वो एक दूसरे से ऐसे चिपके किसिंग कर रहे थे मानो फिर कभी नहीं मिलेंगे। अमन का लण्ड पूरा टाइट हो चुका था और रेहाना की जाँघ में चुभ रहा था। 

रेहाना अमन के लण्ड को सहलाते हुए-“उंह्म्मह… जानू, आपके लण्ड के लिये तरस गई थी, आपकी बीवी। आज आपके लण्ड से इस चूत की आग बुझा दो जी अह्म्मह… उंह्म्मह…” 

अमन रेहाना के चुचियाँ मसलते हुए अपना लण्ड उसकी चूत पे रगड़ रहा था जिससे रेहाना मचलने लगी थी। अमन ने कहा-“नीचे बैठ…” 
रेहाना नीचे बैठ जाती है। 

अमन-“आँखें बंद कर रेहाना और मुँह खोल…” 

रेहाना अपनी आँखें बंद कर लेती है, और मुँह खोल देती है। 

अमन रेहाना के बाल पकड़कर अपना मूसल लण्ड उसके मुँह में डाल देता है-“अह्म्मह… अह्म्मह… रेहाना, चूस साली तेरे मर्द का लण्ड अह्म्मह… अह्म्मह… देख कैसे तना हुआ है, तेरी चूत में जाने के लिये अह्म्मह…” 

रेहाना-“हाँ गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प अगलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह… उंह्म्मह…” उसे सांस लेना मुश्किल हो रहा था मगर वो लण्ड को बाहर निकालने को तैयार नहीं थी। अमन का लण्ड उसके मुँह में था, उसे तो जैसे जन्नत मिल रही थी “उंह्म्मह… घून्ं-घून्न्ं…” 

अमन-“अह्म्मह… आह्म्मह…” इतने दिनों बिना चुदाई के रहने से अमन अपना पानी जल्दी छोड़ने लगता है-“या अह्म्मह… रेहाना अह्म्मह… अह्म्मह…” 

रेहाना-“हाँ जानू, पिलाओ मुझे आपका पानी उंह्म्मह… मेरा मुँह, चूत गाण्ड प्यासे हैं उंह्म्मह… जानू उंन्ह…” और रेहाना अमन के लण्ड का पानी पीती जा रही थी। उसे पता था कि एक बार अमन का पानी जल्दी निकल गया तो उसके बाद अमन लगातार चोदता है। और आज वो बिना रुके चुदना चाहती थी। 

अमन का लण्ड पानी छोड़ चुका था। वो बेड पे बैठ जाता है। पर रेहाना उसके लण्ड को छोड़ने वाली नहीं थी। वो उसके लण्ड को चाटने चूसने लगती है-“उंह्म्मह… गलप्प्प ओह्म्मह… गलप्प्प…” 

अमन भी झुक के रेहाना की चुचियाँ दबाने लगता है-“अह्म्मह… ऊऊऊ… ऊओह्म्मह…” 

तकरीबन 5 मिनट बाद अमन के लण्ड में तनाव आने लगता है। जिसे अपने मुँह में महसूस करके रेहाना की चूत पानी छोड़ने लगती है। 
अमन के लण्ड में अब अकड़न बढ़ने लगी थी-“अह्म्मह… रेहाना आराम से कर… खा जायेगी क्या? अह्म्मह…” 

रेहाना-“हाँ, खा जाऊँगी, मेरा है उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

अमन का लण्ड पूरी तरह तन चुका था। अब रेहाना से बदा़शत नहीं हो रहा था। वो अमन को बेड पे लेटा देती है, और उसके ऊपर चढ़ जाती है। रेहाना अपनी दोनों टाँगें अमन के आिू बाजू करके अमन के लण्ड को हाथ में पकड़ लेती है। अमन रेहाना की चुचियाँ मसल रहा था कितने नरम हो गई हैं तेरी, साली…” 

रेहाना-“आपने ही किया है जानू…” और रेहाना अमन के लण्ड को चूत के मुँह पे लगाकर बैठती चली जाती है-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अम्मी उंह्म्मह… जानू…” 
अमन जोर से नीचे से झटका देता है-“ले अह्म्मह…” 

रेहाना दनादन अपनी कमर पटकने लगती है-“हाँ हाँ जानू, मेरी चूत… ऐसे ही चोदो…” 
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05-19-2019, 01:08 PM,
#22
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अमन रेहाना की गाण्ड को थाम लेता है, जिससे रेहाना की चुचियाँ उसके मुँह के सामने लटकने लगती हैं, और वो भी सटासट अपना लण्ड रेहाना की गीली चूत में पेलने लगता है-“अह्म्मह… जान् अह्म्मह… तेरी माँ की… अह्म्मह…” फिर रेहाना की एक चूची मुँह में लेकर गलप्प्प-गलप्प्प काटने लगता है। 

रेहाना-“आह्म्मह… सुनिए ना… उंह्म्मह… इतने जोर से जानू खा जाओ इन्हें अह्म्मह…” वो इतने जोर से अपनी कमर पटक रही थी के पच-पच की आवाज़ आ रही थी। 10 मिनट में रेहाना की कमर थकने लगती है। इस दौरान वो एक बार झड़ चुकी थी, मगर जोश में वो सब कुछ भूल गई। वो तो आज जी भर के अपनी चूत को पानी पिलाना चाहती थी। रेहाना हाँफते हुए-“उंह्म्मह… जानू आप मेरे ऊपर आओ उंह्म्मह…” 

अमन बिना रेहाना की चूत से लण्ड निकाले उसे नीचे कर लेता है, और चोदने लगता है। अमन के मजबूत हाथ रेहाना की नरम मखमली चुचियाँ पूरी तरह निचोड़ने लगते हैं-“अह्म्मह… रेहाना, साली कल नहीं चुदी क्या मलिक से…” 

रेहाना-“नहीं जानू, मेरे चूत आपकी अमानत है उंह्म्मह… मैं उसमें खयानत नहीं होने दूंगी… आगज्गग आग उंह्म्मह… अम्मी…” 

अमन ये सुनकर और जोर-जोर से उसे चोदने लगता है-“अह्म्मह… हाँ… तू मेरी है रेहाना, सिर्फ़ मेरी…” 

रेहाना-“हाँ हाँ जानू, जानू आपकी, सिर्फ़ आपकी…” 

25 मिनट की इस जबरदस्त चुदाई से दोनों हाँफने लगे थे और अब एक दूसरे की बाँहों में अपने प्यार का रस निकालने लगे थे। अमन दूसरी बार झड़ने लगा था, वहीं रेहाना चौथी बार। दोनों अपनी सांसें थामते हुए एक दूसरे के होंठों को चूमे जा रहे थे। 

रेहाना-“अब आप जाएं, मलिक आता होगा…” 

अमन-“तेरा शौहर है, और तू नाम लेती है?” 

रेहाना अमन के लण्ड से खेलते हुए-“बीवी अपने शौहर का नाम नहीं लेती, जैसे मैं आपका नाम नहीं लेती…” 

अमन उसे कसते हुए-“मेरी रेहाना, आई लव यू स्जीट हार्ट…” 

रेहाना-“अह्म्मह… आई लव यू टू जानू…” 

अमन अपने कपड़े पहनकर वपचकले दरवाजे से बाहर चला जाता है। रेहाना मुख्य दरवाजा खोलकरके दुबारा नहाने चली जाती है। आज कई दिनों बाद उसका बदन ढीला था, उसे अंदर से हल्कापन महसूस हो रहा था। वो नहाकर बाहर आई तो फ़िज़ा और मलिक घर आ चुके थे। 

मलिक हाल में किकेट देख रहा था, जबकी फ़िज़ा रेहाना के रूम में बेड पे बैठी थी। और दरवाजे अंदर से बंद कर दी थी। 

रेहाना जब बाहर आई तो तौलिया में थी, पूछा-“अरे आ गई बेटा? तेरे अब्बू कहाँ हैं?” 

फ़िज़ा बेड से उठते हुए उसके पास जाती है। वो रेहाना के चेहरे को देखती है, फिर बेड को, फिर रेहाना को, फिर बेड को। 

रेहाना के माथे पे पसीना आ जाता है। 

फ़िज़ा-यहाँ अमन आया था? 

रेहाना-“ना ना नहीं तो, वो यहाँ क्यों आयेगा?” उसकी आवाज़ में हकलाहट थी। 

फ़िज़ा रेहाना के करीब उससे सटकर-“तो फिर ये बेडशीट पे क्या गिरा है?” 

रेहाना बेडशीट बदलना भूल गई थी। क्योंकी उसपे अमन और रेहाना का प्रेम-रस पड़ा हुआ था, वो साफ-साफ पहचाना जा सकता था। रेहाना ने कहा-“मुझे एम॰सी॰ शुरू है…” 

फ़िज़ा-“अच्छा…” और फ़िज़ा रेहाना की तौलिया निकालकर बेड पे फेंक देती है। अब रेहाना नंगी अपनी बेटी के सामने खड़ी थी। 

रेहाना-क्या कर रही है बेटा? 

फ़िज़ा अपनी दो उंगलियाँ रेहाना की चूत में डाल देती है। 

रेहाना-“अह्म्मह… ओह्म्मह…” 

फ़िज़ा अपनी उंगलियाँ बाहर निकालकर सूंघते हुए-“फिर इसमें से अमन की खुशबू क्यों आ रही है?” और फ़िज़ा वो गीली उंगलियाँ अपने होंठों पे, फिर रेहाना के होंठों पे फेरती है। 

रेहाना ये सब देखकर गरम हो चुकी थी-“हाँ, वो आए थे मुझे जी भर के चोदकर गये हैं…” 

फ़िज़ा अपने होंठ रेहाना के होंठों पे रखकर उन्हें चूसने लगती है-“गलप्प्प-गलप्प्प…” दोनों माँ-बेटी एक दूसरे की चूत को सहलाने लगती हैं। 

रेहाना-“उंह्म्मह… बेटा छोड़ दे मुझे, नहीं तो फिर से नहाना पड़ेगा…” 

पर फ़िज़ा तो बहक चुकेी थी। उसे अमन का लण्ड नज़र आने लगा था। 

मलिक बाहर से-“अरे भाई, कपड़े चेंज करना हो गया हो तो दरवाजा खोलो, मुझे फाइल लेनी है…” 

दोनों एक दूसरे को छोड़ देती हैं। दोनों की आँखों में हवस साफ नज़र आ रही थी। फ़िज़ा रेहाना के कान में-“अम्मी मैं रात में दरवाजा खुला रखूंगी…” और फ़िज़ा बाहर चली जाती है। 

रेहाना बाथरूम में घुसते हुए बेड-शीट भी साथ ले जाती है। और चेंज करने लगती है। 


रात 8 बजे-

ख़ान साहब-“अरे भाई, सब तैयारियाँ हो गई ना? वो लोग आते होंगे…” 

रजिया-“जी हो गई हैं। कितने गेस्ट हैं?” 

ख़ान साहब-पता नहीं ये अमन कहाँ रह गया? 

अमन अपने रूम में तैयार हो रहा था। 

डोरबेल बजती है, और अनुम दरवाजा खोलती है। सलाम के बाद वो मेहमान अंदर आते हैं। सिर्फ़ दो लोग थे पाशा और उसके बीवी महक। पाशा एक अधेड़ उमर का काला सा मर्द था। पर उसके बीवी महक किसी मॉडल से कम ना थी, ज्यादा से ज्यादा 25 साल की होगी। 

ख़ान साहब दोनों मेहमानों को हाल में बैठाते हैं, और बातें करने लगते हैं। 

पाशा अपनी बीवी से सबका परिचय करिाता है। 

महक को देखकर पता नहीं क्यों दोनों रजिया और अनुम जल भुन गये थे। शायद वजह ये थी कि कुछ दिन अमन उनके साथ रहने वाला था फैक्टरी में। 

15 मिनट बाद अमन हाल में दाखिल होता है। 

महक-ये कौन है? 

ख़ान साहब-ये अमन है, हमारा बेटा। यही आपकी फैक्टरी का नया मालिक होगा। 

अमन दोनों से शेक हैंड करता है। आज अमन कयामत लग रहा था। डार्क ब्लू जीन्स उसपे क्रीम सफेद शर्ट और कोट में मानो कोई फिल्म हीरो हो। महक और अमन नज़रें मिलाते है। और मानो जैसे आँखों हैी आँखों में दोनों एक दूसरे को पसंद कर बैठे थे। 

महक-अमन यहाँ बैठो। 

अमन उन लोगों के साथ बैठ जाता है, और बिजनेस की बातें होने लगती हैं। 
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05-19-2019, 01:08 PM,
#23
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
ख़ान साहब रजिया और अनुम को देखते हुए-डिनर लगाओ। 

रजिया और अनुम अमन को देखते हुए डाइनिंग टेबल पे खाना लगाने लगती हैं। खास तौर पे अनुम तो जैसे जल के राख हो रही थी। अनुम दिल में-“क्या ज़रूरत थी इसे इतना बनठन के आने की, जैसे इसके लिये रिश्ता आया है। मुझे तो देख भी नहीं रहा कमीना कहीं का…” 

पाशा खाना खाते हुए-“खाना आपने बहुत अच्छा बनाया है। भाभीजी अब तो बहुत कम ही घर का खाना नशीब होता है। महीने भर आउट डोर जो रहना पढ़ता है। 

रजिया मुश्कुराते हुए-“इनका भी यही हाल है…” 

पाशा-“सच कहें तो ख़ान साहब आपको फैक्टरी देकर हम बहुत खुश हैं। ऐसा लग रहा है, मानो फैक्टरी घर के किसी मेंबर के पास रहेगी। 

ख़ान साहब-“आप बिल्कुल सही फर्मा रहे हैं पाशा साहब और आगे भी आप जब अपनी फैक्टरी में आएंगे तो आपको यही एहसास होगा…” 

इन सब बातों से अलग अमन और महक एक दूसरे को चोर नज़रों से देख-देखकर मुश्कुरा रहे थे। 

पाशा-“भाई हम तो बाहर ही रहते हैं। फैक्टरी की असली मालकिन तो हमारी बीवी महक है। यही फैक्टरी संभालती है, और यही अमन को ट्रेनिंग देगी। मैं कल अमेरिका जा रहा हूँ, एक महीने बाद आऊँगा। उसके बाद डील फायनल करेंगे। 

ख़ान साहब-जैसा आप ठीक समझें। 

अनुम से बर्दाश्त नहीं हुआ, इस तरह अमन का महक को घूरना। वो टेबल के नीचे से अमन के पैर पे जोर से पैर मारती है। 

अमन-औचक्क। 

ख़ान साहब-क्या हुआ बेटा? 

अमन-“कुछ नहीं अब्बू…” और अनुम को घूरने लगता है। 

खाना खाने के बाद बातें हुईं और पाशा और महक ने जाने का फैसला किया। 

महक अमन से हाथ मिलाते हुए-“तो अमन आप कल से फैक्टरी आ जाएं। जितने जल्दी आप सीखेंगे, उतनी आसानी होंगी 

अमन महक का हाथ दबाते हुए-“मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आपको किसी किस्म की शिकायत नहीं हों…” 

महक-“गुड बाय…” महक जान चुकी थी कि लड़का काम का है। 

मेहमानों के जाने के बाद रजिया और ख़ान साहब सोने चले जाते हैं। सुबह से काम से रजिया थक चुकी थी। 

अनुम अपनी रूम में जाकर आईने के सामने खड़े होकर खुद को देखने लगती है। तभी अमन पीछे से उसके पास खड़ा हो जाता है। अमन अनुम के पीछे खड़ा था। 
अनुम-क्या है? 

अमन-अच्छी लग रही हो। 

अनुम-“हो गया? अब जाओ मुझे सोना है…” और अनुम रूम की लाइट आफ करके बेड पे जाकर बैठ जाती है। 

अमन उसके पास जाकर बैठ जाता है-नाराज हो? 

अनुम-मैं क्यों होने लगी तुमसे नाराज? 

अमन-ये बात मेरे आँखों में देखकर बोलो। 

अनुम-“तुम जाते हो कि नहीं? या मैं बुलाऊँ अम्मी को…” अनुम अपनी नज़रें नीचे कर लेती है। 


अमन एक गाना गुनगुनाने लगता है-
झुकी झुकी सी नज़र, बेकरार है कि नहीं, 
दबा दबा सा सही, दिल में प्यार है कि नहीं, 
तू अपनी दिल की जवान धड़कनों को गिन के बता, 
मेरी तरह तेरा दिल बेकरार है की नहीं। 


अनुम गुस्से से-“ये गाना अपनी मेडम को सुनाना, जिसके चेहरे से तेरी नज़र हट ही नहीं रही थी। 

अमन-ऊ हो तो ये बात है? अरे दीदी वो ही मुझे घूर रही थी। 

अनुम-हाँ आप तो प्रिंस चार्म्स हैं ना कि लड़कियां आपको देखते ही मर मिटती हैं। 

अमन अपने बाल संवारता हुआ-“ये बात तो आपने सोलह आने सही कहा। अब इसमें मेरा क्या कुसूर है? 

अनुम-बुरा सा मुँह बनाते हुए-“देख अमन, तुझे मेरी कसम, तू सिर्फ़ फैक्टरी में काम सीखेगा और वो भी उस चुदैल से दूर रहकर…” अनुम के चेहरे पे फिकर और उदासी दोनों साफ नज़र आ रही थी। 

अमन मामला समझते हुए-“उफफ्र्फहो दीदी चिंता मत करो। ओके, मैं महक से दूर बैठकर बात करूंगा और कुछ नहीं…” 

अनुम गुस्से से-“नाम ना ले उस भूतनी का मेरे सामने। देखा मैंने कैसे हँस-हँस के बातें कर रही थे तुझसे। 

अमन अतनम के गले में बाँहें डालते हुए, उसकी आँखों में देख रहा था। 

अनुम-“क्या देख रहा है?” जीरो वॉट की लाइट की रोशनी में भी अनुम की आँखें चमक रही थीं। 

अमन-“देख रहा हूँ कि मेरी प्यारी सी दीदी मुझसे कितना प्यार करती है…” 

अनुम जज्बाती होते हुए-“अपनी जान से भी ज्यादा और मुझसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता कि तुझे कोई ऐसे घूरे…” 

अमन-और जब मेरी बीवी मुझे घूरेगी तब? 

अनुम-“मैं क्यों तुझे…” वो बोलते-बोलते रुक गई, उसकी आँखें झुक गई थीं। उसे अपनी कही बात पे पछतावा तो नहीं था, पर एक डर था कि अमन क्या सोचेगा? 

अमन गम्भीर हो चुका था। वो अनुम का चेहरा ऊपर उठाता है, और उसके आँखों में गौर से देखने लगता है। फिर धीरे से-“अनुम एक बात कहूँ?” 

आज पहली बार अमन ने अनुम को नाम से पुकारा था। अनुम को उसका नाम आज तक इतना अच्छा नहीं लगा था जितना आज अमन के मुँह से। अनुम काँपते लंबों से-बोलो। 
अमन-क्या तुम मुझसे प्यार करने लगी हो? 

अनुम के होंठ हाँ बोलने के लिये तरस रहे थे। वो बोलना चाहती थी कि वो अमन से कितना प्यार करती है, और दिल ही दिल में अमन को अपना सबकुछ मान चुकी है। और ये प्यार सिर्फ़ जिस्म की भूख का नहीं, बल्की इसमें ज़ज्बात भी मिले हुए हैं। वो सिर्फ़ एक सच्चा प्यार करने वाला ही समझ सकता है। लेकिन अनुम कुछ नहीं कहती। 

अमन उसके इतने करीब आ जाता है कि अनुम की साँसों की खुश्बू भी सूंघ सकता था-बोलो ना अनुम? 

अनुम-“मैं इस वक्त कुछ नहीं कह सकती अमन। बस इतना ही कहूँगी कि जो फीलिंगस मेरे दिल में तेरे लिये हैं, और रहेंगी, वो शायद ही आने वाली जिंदगी में किसी के लिये हो। 

अमन-मुझे महसूस करने दो। 

अनुम उसे सवालिया नज़रों से देखते हुए-कैसे? 

अमन अपने होंठ अनुम के काँपते होंठों पे रख देता है। अमन ने कहीं पढ़ा था कि अगर किसी की सच्ची मोहब्बत का पता लगाना हो तो उसे एक बार किस करो, उसके तमाम ज़ज्बात जाहिर हो जाएंगे और एक लड़की भी यही चाहती है। 

अनुम अमन की इस हरकत से नाराज होने के बजाए उसका साथ देने लगती है। जितने शिद्दत से वो अमन से प्यार करती थी, उतनी शिद्दत से वो अमन को किस कर रही थी। अमन जब भी किसी को किस करता था तो उसके होंठ चूस लिया करता था। मगर इस बार वो अनुम को पूरा मौका दे रहा था, अपनी फीलिंगस बताने का। 

अनुम उसके नीचे के होंठ को अपने होंठों में फँसाती, तो कभी दांतों में। वो एक माशूका की तरह अमन के होंठों को चूम रही थी, उसके सांसें फूली हुई थीं, दिल जोरों से धड़क रहा था, मगर वो अमन को छोड़ने को तैयार ना थी। करीब 15 मिनट के बाद वो अमन को छोड़ देती है। दोनों अब ये जान चुके थे कि अनुम क्या सोचती है। और अमन क्या सोचता है। 

अमन उठकर चला जाता है। 

अनुम उसे जाता हुआ देखती रह जाती है। 

अमन अपनी जिंदगी में इतना गम्भीर कभी नहीं हुआ था, जितना आज। वो तो औरत को सिर्फ़ और सिर्फ़ चोदने की मशीन समझता था और औरत पे कैसे काबू पाया जाए यही उसकी सोच हुआ करती थी। अनुम को तो वो सिर्फ़ चोदना चाहता था। उसने ये नहीं सोचा था कि आगे क्या होगा? उसकी लाइफ का एक ही फंडा था-“पटट तो सो, नहीं तो उठकर बैठ…” 
पर आज अनुम की उस किस ने उसे एहसास ज़रूर दिला दिया था कि प्यार नाम की भी कोई चीज़ होती है। आज भले ही वो अनुम से उतना प्यार ना करता हो, जितना अनुम उससे करती थी। पर कहीं ना कहीं दिल के किसी कोने में मोहब्बत की एक छोटे से कोंपल ने अपना सिर ज़रूर उठाया था। इन्हें सोचों में गुम अमन सो जाता है। 



सुबह 8:00 बजे-

अमन नाश्ता कर चुका था। उसे 10:00 बजे तक फैक्टरी जाना था। पर अभी तो वो गार्डन में सुबह की धूप का मज़ा ले रहा था और महक के साथ आने वाले वक्त को सोच-सोचकर मुस्कुरा रहा था। 

रजिया उसके पास बैठते हुए-क्या बात है अमन, आज बड़े खुश लग रहे हो? 

अमन-“कुछ नहीं अम्मी बस ऐसे ही…” और वो रुक जाता है। उसे याद आ गया था कि वो तो रजिया से नाराज है। 

रजिया मुस्कुराते हुए-अच्छा ये बताओ कि नाश्ते में क्या बनाऊँ? अमन के बदले रवैये ने उसे खुश कर दिया था। उसे लगा कि अमन उसका थप्पड़ भुलाकर नये सिरे से शुरुआत करना चाहता है। 

अमन फिर से गम्भीर होते हुए-“कोई ज़रूरत नहीं, झूठा प्यार दिखाने की…” 

रजिया का चेहरा उतर जाता है। कुछ पल पहले आई खुशी फिर से गायब हो जाती है-“अमन वो हुआ उसके लिये मैं दिल से शर्मिंदा हूँ। प्लीज़… अमन ऐसा ना कर, तू जानता है ना कि मैं तेरी ये बेरूखी बर्दाश्त नहीं कर सकती। तू वो कहेगा, मैं वो करूंगी, मुझे तेरे और रेहाना के रिश्ते को लेकर कोई परेशानी नहीं अमन…” रजिया ने एक सांस में अपने दिल की बात कह दी थी, वो वो कई दिनों से अमन से बोलना चाहती थी। 

अमन दिल ही दिल में-“अरे वाह… कमाल हो गया। जैसे मैं चाहता था ये तो वैसे ही बोल रही है…” फिर अमन ने कहा-“मुझे अब इन सब बातों में कोई इंटेरेस्ट नहीं है। मैं अब जल्द से जल्द अपनी लाइफ सेट करना चाहता हूँ और कहीं दूर चला जाना चाहता हूँ, वहाँ कोई ना हो…” 

रजिया का दिल बैठने लगा था। उसे अमन से ऐसी उम्मीद नहीं थी। रजिया की आँखों में पानी आ जाता है। 

अमन जब ये देखता है तो उससे रहा नहीं जाता और उसके दिल पे जमी सारी बर्फ एक झटके में पिघल जाती है-“अरे, मैं तो मज़ाक कर रहा था और तुम हो कि रोने लगी?” अमन रजिया के चेहरे को अपने हाथों में थामते हुए उसकी आँखों में देखते हुए-“इधर देखो रजिया…” 

रजिया भीगी पलकों से अमन को देखने लगती है। 

अमन-“मुझे माफ कर दो, मैंने तुझे बहुत सताया, बहुत रुलाया, मैं तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगा…” 

रजिया-प्रोमिस। 

अमन-“पक्के वाला प्रोमिस…” और धीरे से रजिया के होंठों पे किस कर देता है। 

अनुम सो रही थी और ख़ान साहब नहा रहे थे इसलिये अमन को ये मौका मिल गया था। 
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05-19-2019, 01:08 PM,
#24
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रजिया इतनी खुश थी, जितनी वो पहली बार अपने शौहर से सुहगरात में चुदने के बाद भी नहीं हुई होगी। रजिया अपनी बाँहों में अमन को भर लेती है-“आई लव यू अमन…” 

अमन-“आई लव यू टू स्जीट हार्ट…” अमन के हमेशा के अल्फ़ाज़ वो वो रेहाना को भी कह चुका था और ना जाने आगे किस-किस को कहने वाला था। अमन बोला-अब मुझे नाश्ता दोगे कि नहीं, मुझे फैक्टरी भी जाना है। 

रजिया अमन के होंठ पे किस करते हुए-“अभी देती हूँ जी…” सुनिए रात को जल्दी घर आएंगे आप और बाइक धीरे चलाएंगे और हाँ लंच भी टाइम पे करेंगे…” 

अमन उसके गाल पकड़ते हुए-“साली पक्की बीवी की तरह बोल रही है…” 

रजिया-“अब बीवी, बीवी की तरह नहीं बोलेगी तो कैसे बोलेगी?” और दोनों हँसने लगते हैं। दिलों की वो रंजिश खत्म हो चुकी थीं। अब तो बस एक ही चीज़ बाकी रहने वाली थी प्यार प्यार और सिर्फ़ प्यार। 

सबेरे 10 बजे-

अमन फैक्टरी पहुँच जाता है। और रिसेप्शन पे एक लड़की को अपना नाम बताता है। वो लड़की अपनी मेडम यानी महक को बताती है। 

महक-उन्हें अंदर भेज दो। 

अमन केबिन में दाखिल होता है। बेहद खूबसूरत डेकोरेटेड केबिन था, हर चीज़ सलीके से सजी हुई थी। अमन काफ़ी इंप्रेस्ड हो जाता है। 

महक-आइए अमन बैठिए। क्या लेंगे आप चाय कोफी? ओह्म्मह… आई एम सारी, मैं भी क्या फार्मल बातें पूछ रही हूँ, होने वाले फैक्टरी के मालिक से। 

अमन महक को ही देख रहा था, पिंक सिल्क साड़ी में गजब की लग रही थी, महक होंठों में रेड लिपिस्टिक। अमन दिल में-“साली क्या कयामत है? ये ऊपर वाले ने फ़ुर्सत से बनाया होगा इसे…” 

महक अमन को अपने जिस्म को घूरता देखते हुए-क्या हुआ अमन? 

अमन-“जी वो… मैं तो कुछ नहीं…” और अमन चेयर पे बैठ जाता है। 

महक-“यहाँ बैठिए अमन मेरे पास…” महक उसे अपनी पास वाली चेयर आफर करती है। 

अमन दिल में-बेटा क्या कर रहा है? फस्ट़ इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन। और अमन खुद को संभालते हुए-“सबसे पहले महक जी आप मुझे नाम से पुकारें, क्योंकी इससे हमें एक दूसरे को समझने में आसानी होंगी। 

महक मुस्कुराते हुए-“ओके अमन, तो तुम भी मुझे महक कहोगे…” 

अमन-फाइन महक। 

महक अमन को फैक्टरी के बारे में समझाने लगती है। फैक्टरी के वर्कर्स से भी अमन का परिचय करिाया जाता है। अमन एक निहायत ही होशियार और महनती लड़का था। उसे अपने काम में पर्फेक्शन चाहिए थी और फैक्टरी उसके आने वाले फ्यूचर की सबसे अहम सीढ़ी थी, तो वो भी दिल लगाकर सब कुछ ठीक से समझना चाहता था। वो हर चीज़ को बड़े ध्यान से नोट करता जा रहा था। 

जिसे महक ने भी नोटिस किया। वो जान चुकी थी कि अमन एक परफ़ेक्ट इंसान बनने के कगार पे खड़ा है। बस उसे सही गाइडेन्स की ज़रूरत है। महक अपने माँ-बाप की एकलौती औलाद थी। उसके मम्मी-पापा एक बिजनेसमैन थे, वो चाहते थे कि महक भी बिजनेस करे। उनके इसी सपने को पूरा करने कि लिये महक ने एम॰बी॰ए॰ किया। पर किस्मत देखिए कि जब वो अपनी खुद का बिजनेस शुरू करना चाहती थी, उसी वक्त उसके मम्मी-पापा की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। उसे जिस इंसान ने सहारा दिया, वो था पाशा। 

पाशा महक का खालाजाद भाई था। उसकी पहले बीवी मर चुकी थी और उसे भी एक नये जीवनसाथी की तलाश थी। उनकी शादी को कई साल हो चुके थे, पर पाशा के बच्चे ना पैदा कर पाने के कारण उन दोनों में दूरियाँ बढ़ती जा रही थी। 

रात 8:00 बजे-

अमन पूरी फैक्टरी का इनस्पेक्सन करके महक के केबिन में आकर बैठ जाता है। आज उसने बहुत सी चीज़ें सीखी थी।

महक उसे काफी आफर करते हुए-लो अमन काफी पिओ। चलो किसी रेस्टोरेंट में डिनर करने चलते हैं। 

अमन-“नहीं अब मैं चलता हूँ महक, लेट हो जाएगा…” 

महक-“ओह्म्मह… कम ओन अमन, डोंट बिहेव लाइक आ चाइल्ड…” 

अमन-ओके चलो। 

महक-“ये हुई ना बात…” और दोनों डिनर करने चल देते हैं। 


होटेल स्काइ लाक़-

अमन और महक डिनर के लिये रेस्टोरेंट पहुँच जाते हैं। जैसे तो अमन कई बार अपने दोस्तों के साथ इस रेस्टोरेंट में आ चुका था, पर ना जाने क्यों उसे नर्वसनेस महसूस हो रही थी। 
महक एकदम नॉर्मल बिहेव कर रही थी। 

अमन एक टेबल बुक करता है, और दोनों वहाँ बैठकर डिनर ऑर्डर करते हैं। खाना खाते वक्त महक अमन को देख रही थी। पर अमन का ध्यान सामने डान्स फ्लोर पे था वहाँ कुछ जोड़े और कुछ लड़के-लड़कियां डान्स कर रहे थे। वहाँ थोड़ा अंधेरा था और एक हल्का म्यूजिक बज रहा था। 

खाना खाने के बाद महक ने कहा-“क्या हुआ अमन, डान्स करने का इरादा है क्या किसी के साथ?” 

अमन किसी और के साथ क्यों? जब मेरे सामने एक एंजल (परी) बैठी है। 

महक मुस्कुराते हुए-“तो तुम मुझे इन डाइरेक्ट डान्स के लिये बोल रहे हो?” 

अमन मुस्कुराते हुए-“तो ठीक है, डाइरेक्ट बात करते हैं। क्या तुम मेरे साथ उस कोपचे (कॉर्नर) में डान्स करना चाहोगी?” 

महक खिलखिलाकर हँसते हुए-कोपचे में… मतलब क्या? 

अमन-“आह्म्मह… कुछ नहीं चलो…” और अमन उसकी तरफ हाथ बढ़ाता है। 

महक अमन का हाथ अपने हाथ में लेते हुए-“चलो…” और दोनों डान्स फ्लोर पे पहुँच जाते हैं। हालांकी दोनों को डान्स कुछ खास नहीं आता था, मगर फिर भी दोनों धीरे-धीरे एक दूसरे को कंपनी दे रहे थे। अचानक एक रोमांटिक म्यूजिक बजने लगता है। 

अमन अपना एक हाथ महक के पीछे उसके पीठ पे रख देता है, और उसे अपने करीब कर लेता है। महक अमन के कंधे पे हाथ रखे हुए थी। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखकर डान्स कर रहे थे। 

अमन-एक बात कहूँ महक? 

महक-ह्म्मम्म्म्म। 

अमन-देखो अगर बुरा लगे तो आई एम सारी, लेकिन मैं एक साफ दिल का इंसान हूँ, वो दिल में होता है। वही जीभ पे।

महक मुस्कुराते हुए-अब बोलो भी अमन। 

अमन-“तुम बहुत खूबसूरत हो और तुम्हें पता है, सबसे ज्यादा खूबसूरत तुममें क्या है? 

महक-क्या? 

अमन उसे अपने से थोड़ा और सटाते हुए-“तुम्हारे आँखें। जब भी तुम्हारी आँखें में देखता हूँ तो मुझे लगता है मैं इनमें डूब के मर जाऊँ…” 

महक गम्भीर होते हुए-सच अमन? 

अमन-बिल्कुल सच। 

दोनों एक दूसरे की आँखों में ही देख रहे थे। ना जाने कितने सवाल थे उन दोनों की आँखों में, ना जाने कितनी ख्वाहिशें, अचानक लाइट ओन हो जाती है, और दोनों चौंक जाते हैं। 
महक-हमें चलना चाहिए। 

अमन-हाँ। 

और दोनों बाहर कार के पास पहुँच जाते है। महक का ड्राइवर कार ही में बैठा था। 

अमन-एक बात कहूँ महक? 

महक-“मैं एक बात कहूँ? तुम मुझसे ये मत कहा करो कि एक बात पूछूं? तुम्हारा वो दिल कहे, वो बोला करो। प्लीज़ इजाजत मत मांगो, ओके…” 

अमन-ठीक है बाबा। मैं ये कह रहा था कि तुम्हें ड्राइविंग नहीं आती क्या? 

महक-नहीं मुझे नहीं आती, तुम्हें आती है? 

अमन-हाँ… मैंने अपने दोस्त की कार कई बार चलाई है। उसने मुझे सिखाया था कार चलाना। 

महक-मुझे सिखाओगे? 

अमन-क्यों नहीं? 

महक-कब? 

अमन-जब तुम कहो। 

महक-ठीक है, हम कल से कार चलाना सीखेंगे यहाँ एम॰जी॰रोड है, वहाँ कोई नहीं आता। मेरा मतलब है कि वहाँ इतना रश नहीं होता। 

अमन-ठीक है। 

फिर दोनों कार में बैठ जाते हैं। महक बोली-पहले मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देती हूँ। 

अमन-ओके, लेकिन मुझे रास्ते में कुछ दवा लेनी है। 

महक ड्राइवर से-“रास्ते में मेडिकल शाप में गाड़ी रोक देना…” 

ड्राइवर-ओके मेडम। 

अमन मेडिकल से कुछ सामान लेने उतर जाता है। और उसे अपनी पाकेट में रख देता है। महक अमन को उसके घर ड्रॉप कर देती है। और दोनों एक दूसरे को फार्मल से बाइ कहते हैं। 
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05-19-2019, 01:08 PM,
#25
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रात 11:00 बजे-

इधर घर में रजिया और अनुम परेशान हो रही थीं कि अमन अब तक आया क्यों नहीं? जबकी अमन ने पहले ही फोन करके बता दिया था कि वो लेट हो जायगा। जब अमन घर में दाखिल होता है। 

ख़ान साहब-आ गये बेटा, बड़ी लेट हो गई। 

अमन-हाँ, आज पहला दिन था तो वक्त का पता ही नहीं चला। 

रजिया-खाना लगा दूं अमन? 

अमन-“नहीं मैं खाकर आया हूँ…” अमन जहाँ तक हो सके रजिया को अम्मी बोलने से बचता था। इस बात को रजिया ने भी नोटिस किया था। 

अनुम अपने रूम में से बाहर आते हुए-“अमन, एक मिनट मेरे रूम में आना। मुझे कुछ काम है…” 

और अमन सोफे पे से उठकर अनुम के रूम में चला जाता है। 
अनुम-इतनी देर कैसे हो गई, कहाँ थे और किसके साथ थे? 

अमन अनुम के गले में बाहें डालते हुए-“उफफ्र्फहो… अनुम कितने बीबीयों वाले सवाल? ये नहीं कि बंदा थका हारा घर आया है, उसे एक कप चाय पिलाई जाए, एक दो पप्पी दी जाए तो मूड ठीक हो जाता है…” 

अनुम-“ओहोहो… तो जनाब को पप्पी चाहिए?” और अनुम अमन के पेट में घूँसा मार देती है-“ये लो झप्पे कैसे हैं?” 

अमन-अह्म्मह… मेरा पेट। 

अनुम घबराते हुए-“क्या हुआ? बताओ मुझे जोर से लगी क्या? 

अमन हँसते हुए-“देखो…” और अमन उसे अपने गले से लगाते हुए-“सुनो…” 

अनुम उसे देखती है। 

अमन-“एक पप्पी दो ना…” 

अनुम बिना कुछ कहे अपनी आँखें बंद कर लेती है। जैसे कह रही हो-ले लो। 

अमन उसके कानों में-“अभी नहीं…” और उसे छोड़ देता है। 

अनुम आँखें खोलते हुए, थोड़ी नर्वस थी क्योंकी उसे अमन के दिल का हाल ठीक तरह से पत्ता नहीं चला था। कभी अमन एकदम प्यार लूटने और प्यार करने वाला नज़र आता था, तो कभी एकदम अंजाना सा। अनुम ने कहा-“मुझे नींद आ रही है। तुम जाओ अब्बू से बातें करो…” 

अमन उसके गाल पे गुड नाइट किस करके रूम से बाहर चला जाता है। तभी उसके मोबाइल पे मेसेज आता है। ये मेसेज रेहाना का था। जिसमें लिखा था-“आई लव यू जानू, आई मिस यू सो मच…” 

अमन के चेहरे पे मुस्कुराहट आ जाती है, और वो किचिन में चला जाता है। वहाँ रजिया कुछ सफाई कर रही थी अमन पीछे से रजिया को पकड़ लेता है। 

रजिया चौंकते हुए-“अह्म्मह… ओह्म्मह… आपने तो मेरी जान ही निकाल दी। छोड़ो मुझे, ख़ान साहब हाल में है। 

अमन अपनी पाकेट से दो टैबलेट की स्ट्रिप निकालता है, और रजिया की हाथ में दे देता है। 

रजिया-क्या है ये? 

अमन उसके कानों में-“ये एक पैकेट नींद की गोलियों का है। इसमें से दो-दो टैबलेट अनुम और ख़ान को दे दो दूध में, वो सुबह तक नहीं उठेंगे। और दूसरा पैकेट तेरे लिये है। 

रजिया-मेरे लिये? 

अमन रजिया की चूत शलवार के ऊपर से सहलाते हुए-“हाँ… तुझे अभी मेरा बच्चा नहीं चाहिए ना, इसलिये ये प्रेग्गनेन्सी रोकने का है…” 

रजिया के जिस्म में सनसनाहट होने लगती है। उसका बेटा उसकी चूत सहलाते हुए उसके लिये ऐसी टैबलेट लाया है। 

अमन-रजिया की चूत को दबाते हुए-“जल्दी से ख़ान को गोली दे दे नींद की। 

रजिया-“उंह्म्मह… ओह्म्मह… वो अब्बू हैं आपके…” 

अमन-“अब्बू होगा अनुम का, मेरे तो लण्ड का दुश्मन है…” और दोनों हँसने लगते हैं। 

ख़ान साहब किचिन में आते हुए-“अरे क्या हँसी मज़ाक हो रही है, माँ-बेटे में?” 

अमन रजिया को छोड़ देता है। 

रजिया हँसते हुए-“ये आपके लाट साहब… पता है क्या कह रहे है?” 

ख़ान साहब-क्या? 

अमन घबरा जाता है-“नहीं, कुछ भी तो नहीं…” 

ख़ान साहब-अब बोलो भी भाई? 

रजिया मुस्कुराते हुए-“ये कह रहे है कि अब्बू के आने से घर में कितनी रौनक आ गई है…” 

अमन चैन की सांस लेता है। 

ख़ान साहब-“मेरा बेटा…” और ख़ान साहब अमन को अपने गले लगा लेते हैं। अमन का चेहरा रजिया की तरफ था और रजिया उसे आँख मार देती है। 

अमन वो दवा लाया था, वो रजिया अनुम और ख़ान के दूध के ग्लास में डाल देती है। तकरीबन आधे घंटे बाद दवा अपना काम दिखाना शुरू करती है। 

ख़ान साहब रजिया से-“मुझे तो बड़ी नींद आ रही है…” और वो बेड पे लेटते ही खरा़टे मारने लगते हैं। 

उधर अनुम भी अपने रूम में घोड़ी बेच के सो रही थी। 

अमन अपने रूम में शॉर्ट्स में रजिया का इंतजार कर रहा था। 

रजिया पहले अनुम का फिर खुद के बेडरूम का दरवाजा बाहर से बंद कर देती है। उसे पता था आगे क्या होने वाला है? उसे आगे की बातें सोच-सोचकर नशा सा होने लगा था, जैसे उसने कोई नशे की चीज़ खा ली हो। वो अमन के रूम में जाने से पहले अपने सारे कपड़े उतार देती है, और पूरी नंगी हो जाती है। उसकी चूत चमक रही थी, उसपे एक भी बाल नहीं था। 

इन 10 दिनों में वो अमन को अपना शौहर दिल से मान चुकी थे। अब ख़ान उसके लिये सिर्फ़ दुनियाँ के लिये शौहर था, जिससे वो प्यार नहीं करती थी। जब वो पूरी नंगी हो गई तो उसके जिस्म के बाल, एक-एक रोंगटा खड़ा हो गया, उसकी चूत में सरसराहट सी होने लगी, उसके गुलाबी निपल एकदम खड़े हो चुके थे। रजिया धीरे से अमन का दरवाजा खोलती है, और अंदर आकर रूम बंद कर लेती है। 

सामने अमन बैठा हुआ था। वो रजिया को इस हालत में देखकर खड़ा हो जाता है, और अपनी शॉर्ट्स उतार देता है। रजिया जब उसके लण्ड को एकदम खड़ा हुआ देखती है तो उसके नज़रें झुक जाती हैं। दोनों एक दूसरे के सामने खड़े थे। अमन बेड के पास और रजिया दरवाजे के पास। 

अमन धीरे-धीरे रजिया की तरफ बढ़ता है। और रजिया के सामने आकर खड़ा हो जाता है। दोनों अपने पूरे जोश में थे, 10 दिनों की प्यास एक रात में बुझा लेना चाहते थे, दोनों कुछ नहीं बोल रहे थे। अमन रजिया से चिपक जाता है। चिपकने के वजह से अमन का खड़ा लण्ड रजिया की जाँघ में चला जाता है, और रजिया की चुचियाँ अमन की चौड़ी छाती में धँस जाती हैं। 

रजिया-“अह्म्मह… जानू…” कहकर रजिया अपने शौहर अमन को अपनी बाँहों में भर लेती है-“जानू उंह्म्मह… आपने मुझे बहुत तरसाया है। उंह्म्मह… मुझे आज रात सब कुछ भुला दो उंह्म्मह…” 

अमन रजिया को अपनी बाँहों में समेटते हुए-“हाँन्न मेरी रजिया, आज मैं तुझे ऐसे चोदूंगा कि तू सारी बातें भूल जाएंगी। आज रात हम दोनों तेरे चूत और मेरे लौड़े के पानी में भीग जाएंगे अह्म्मह…” 

रजिया-“हाँ हाँ जानू, चोदो कस के चोदो आप, मैं कुछ नहीं कहूंगी उंह्म्मह… सारी रात चोदो मुझे उंह्म्मह…” 

अमन रजिया को अपनी गोद में उठा लेता है, और उसे बेड पे बैठा देता है। फिर उसके सामने जाकर खड़ा हो जाता है-“रजिया, अपने शौहर के लौड़े को चूम चाट और गीला कर ताकी तुझे रगड़कर चोदूं मैं…” और अमन रजिया के सिर को पकड़कर अपने लण्ड पे झुका देता है। 

रजिया तो पहले से ही बेचैन थी-“हाँ गलप्प्प अगलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प हाँ हाँ हाँ गलप्प्प…” वो तेजी से अमन के लण्ड को चूस रही थी, उसका सलाइवा उसकी चूत पे गिर रहा था-“उंह्म्मह… हाँ जानू, हाँ गलप्प्प अगलप्प्प…” 

अमन-“आह्म्मह… रजिया अह्म्मह… अह्म्मह…” कहकर अमन अपनी कमर हिलाने लगता है। जैसे रजिया का मुँह चोद रहा हो-“आह्म्मह… रजिया अह्म्मह…” 

रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प जानू, मैं रात भर चुदना चाहती हूँ गलप्प्प… चोदेगे ना मुझे उंह्म्मह…” उसकी चूत में पानी आने लगा था। 

अमन-“हाँ चोदूंगा हाँ…” और रजिया के मुँह से अपना लण्ड निकाल लेता है। फिर रजिया को पकड़कर बेड पे उल्टा कर देता है, जिससे रजिया की गाण्ड ऊपर की तरफ आ जाती है, और चूत पीछे की तरफ। 

रजिया-“उंह्म्मह…” 

अमन कई दिनों से बर्दाश्त कर रहा था, पर अब नहीं। वो रजिया के बाल पकड़कर पीछे से अपना लण्ड उसकी गीली चूत में रगड़ते हुए जोर से धक्का मारता है-“ले…” 

रजिया-“अह्म्मह… जानू…” वो इतना जोर से चिल्लाई थी कि अगर ख़ान पे गोलियों का असर नहीं होता तो वो भागकर रूम में आ जाता। 

अमन-“चिल्ला मत साली…” और जोर-जोर से रजिया को चोदने लगता है-“अह्म्मह… बहुत तरसाया है तूने मेरे लण्ड को… ले साली अह्म्मह…” अमन इतने जोर से उसको चोद रहा था कि रजिया हर धक्के के साथ बेड में धँसी जा रही थी-“अह्म्मह… अब तरसाएगी मुझे बोल्ल अह्म्मह…” 

रजिया-“नहीं, ना जी उंन्ह… जानू नहीं… अम्मी मेरी चूत… अब नहीं तरसाऊँगी मैं… आराम से चोदो ना जी…” 

सटासट की आवाज़ से अमन रजिया की चूत पेल रहा था। रजिया एक तरह से घोड़ी बनी हुई थी और अमन पीछे से अपनी पूरी ताकत से उसे चोदे जा रहा था-“अह्म्मह… अह्म्मह… रजिया… तेरी चूत मेरी है… सिर्फ़ मेरी अह्म्मह…” 

रजिया-“उंह्म्मह… हाँ…” और रजिया अपना पहला पानी छोड़ने लगती है-“जानू जी अह्म्मह…” वो निढाल हो चुकी थी। 10 मिनट की चुदाई ने उसे पागल कर दिया था। 
पर अमन धक्के मारे जा रहा था, जिससे रजिया में और चुदने की ख्वाहिश होने लगी। 

रजिया-“सुनिए उंह्म्मह… मेरे ऊपर आइए ना…” 

अमन रजिया को चित्त कर देता है, उसके ऊपर आ जाता है, और अपना लण्ड फिर से उसकी चूत में डालकर चोदने लगता है-अह्म्मह… अह्म्मह…” 

रजिया-“हाँ मेरे शौहर को अपनी सीने से लगाने तरस रही थी मैं उंह्म्मह… ऐसे ही उंह्म्मह…” 

दोनों मानो एक दूसरे को चोद रहे थे, ऊपर से अमन और नीचे से रजिया अपनी गाण्ड उठा-उठाकर उसका साथ दे रही थी। रूम में चुदाई और इन दोनों का शोर था। 

रजिया-आपका लौड़ा मेरी चूत के लिये ही है। 

अमन-“हाँ मेरी जान तेरी चूत के लिये…” 

दोनों पसीना-पसीना हो चुके थे अपने धक्कों के स्पीड बढ़ते हुए अह्म्मह… उंन्ह… दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते हुए जीभ को चाटते हुए पानी छोड़ने लगते हैं। 

रजिया-“उंन्ह… अह्म्मह…” 

अमन-“रजिया अह्म्मह…” 

दोनों जोर-जोर से हाँफ रहे थे। ये पहली चुदाई तो सिर्फ़ शुरुआत थी आज रात की। दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे और एक दूसरे के अंदर रहना चाहते थे। 

अमन रजिया की पेशानी पे चूमते हुए-“रजिया, आज मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ, दिल कर रहा था कि तुझे तेरे ख़ान और अनुम के सामने चोदूं…” 

रजिया-“उंन्ह… मेरा भी यही हाल था। और जब आपने मुझे वो गोलियाँ दी, तबसे मेरी चूत पानी छोड़ रही है…” 
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05-19-2019, 01:09 PM,
#26
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन रजिया की चुचियाँ मुँह में लेते हुए चूसने लगता है। 

रजिया-आ जी उंह्म्मह… 

अमन-इनमे दूध कब आएगा मेरी जान? 

रजिया-“उंह्म्मह… जब आप मुझे दिन रात चोदेगे और मुझे प्रेग्गनेंट कर दोगे और मैं आपके बच्चे को पैदा करूंगी, तब जानू…” 

अमन चुचियों को काटते हुए-मुझे दूध पिलाओगी? 

रजिया-आप पिएँगे? 

अमन-हाँ हर रात। 

रजिया-कैसे? 

अमन-“तेरे ऊपर तेरी चुचियों को अपने मुँह में लेकर तेरी चूत में लौड़ा डालकर जब मैं तुझे चोदूंगा तब…” 

रजिया ये सुनकर पागल होने लगती है-“आह्म्मह… जानू, मैं पिलाऊँगी अपने शौहर को अपना दूध। उंह्म्मह… आप मुझर रात भर चोदेंगे तो थक जाएंगे ना… तब आपको ताजा गरम दूध मेरी चुचियों से पिलाऊँगी उंन्ह… अह्म्मह…” 

अब अमन के लण्ड में और रजिया की चूत में फिर से सरसराहट होने लगी थी। अमन रजिया को अपने ऊपर खींच लेता है-“तेरी चूत बहुत टाइट है। रजिया, ख़ान चोदता नहीं है क्या?” 

रजिया-“ख़ान के लण्ड में वो ताकत नहीं, वो रजिया की चूत से पानी निकाल सके, वो सिर्फ़ आप में है जानू…” 

अमन रजिया की होंठों को चूमते हुए-“सुन… मैं तुझे और रेहाना को एक साथ चोदना चाहता हूँ…” और अमन रजिया की गाण्ड सहलाने लगता है। 

रजिया-“हाँ… आप जो चाहोगे वैसा होगा उंह्म्मह… मैं अब कहीं भी लूगी आपका लौड़ा मेरे जानू उंह्म्मह…” 

अमन का लण्ड तन चुका था। वो रजिया के पैर चौड़े करके अपने लण्ड पे उसे बैठाने लगता है-“ह रजिया…” 

रजिया-“ऊह्म्मह जानू, मैं अंदर तक चिर गई हूँ…” और रजिया अपनी कमर हिलाने लगती है-“ओह्म्मह… मेरे जानू, आपका लौड़ा कितना मोटा है… मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है उंन्ह… आह्म्मह…” 

अमन-“हाँ रजिया, ये तेरी चूत के लिये ही बना है अह्म्मह…” 

दोनों लगातार एक दूसरे में समाते जा रहे थे। अमन नीचे से रजिया को चोदे जा रहा था और रजिया ऊपर से गाण्ड हिलाने लगती है। 

अमन रजिया की गाण्ड में उंगली डालते हुए-“अह्म्मह… तेरी गाण्ड भी मारनी है आज रजिया आह्म्मह…” 

रजिया-उंह्म्मह… हाँन्न हाँ… लो ना जानू मेरी गाण्ड पीछे से… पूछो मत बस्स मारो मेरी ओह्म्मह… अह्म्मह…” रजिया थकने लगी थी-“उंह्म्मह… सुनिए, सुनिए ना जी…” 

अमन-“बोल रानी…” 

रजिया-“अपने नीचे लो ना उंन्ह…” 

अमन उसे पलटते हुए नीचे कर लेता है, और लौड़ा जड़ तक पेलने लगता है-“अह्म्मह… ऊह्म्मह… ऐसे?” 

रजिया-हाँ हाँ। 

अमन रजिया की चूत से लण्ड निकाल लेता है। 

रजिया-“आह्म्मह… क्या हुआ?” वो जल्दी से अमन के लण्ड को पकड़ लेती है, और अपनी चूत पे घिसने लगती है। 

अमन-“वहाँ नहीं, नीचे के सुराख में…” 

रजिया अमन का मतलब समझ गई थी। वो अपनी हथेली पे थूकती है, और अमन के लण्ड पे मलती है। फिर अमन के लण्ड को अपनी चूत के पानी से गीला करते हुए अपनी गाण्ड के सुराख पे लगा देती है-“याअ डालिये…” 

अमन-“अह्म्मह… थोड़ा पैर खोल्ल अह्म्मह…” और अमन पच्च की आवाज़ से अपना लण्ड अंदर डालने लगता है। 

रजिया को ऐसे लग रहा था जैसे कोई गरम लोहे की रोड उसकी गाण्ड में डाली जा रही हो-“अह्म्मह… उंन्ह… मेरी गाण्ड अह्म्मह… नहीं वो फट जायेगी जी आह्म्मह…” 

अमन का पूरा 8” इंच का लण्ड रजिया की तपति हुए गाण्ड में जा चुका था। अमन रजिया की चुचियाँ मुँह में लेकर चूसने लगता है। वो बचे की तरह उसकी चुचियाँ चूसे जा रहा था, जिससे रजिया का दर्द खतम होने लगता है। और उसकी गाण्ड की मशलस ढीली पड़ जाती है। 

रजिया-“उंह्म्मह… मारो मेरी गाण्ड…” 

अमन धीरे-धीरे रजिया की गाण्ड मारने लगता है। अभी वो आराम से मार रहा था-“आह्म्मह… इतनी टाइट गाण्ड तेरे माँ की चूत रजिया अह्म्मह…” 

रजिया-“उंन्ह… उंन्ह… करिए ना इसे भी चौड़ा जानू अह्म्मह…” 

अब दोनों पूरे जोश में आ चुके थे। अमन रजिया के पैर अपने कंधे पे रख लेता है। जिससे रजिया की गाण्ड और खुल चुकी थी और अमन का लण्ड थोड़ा आसानी से अंदर तक जा रहा था। 

अमन-“अह्म्मह… तेरी माँ की चूत अह्म्मह… उंन्ह…” वो इतने जोर से गाण्ड मार रहा था जैसे कोई रंडी को पैसे देकर चोदता है। जितना चोदा उतना पैसे वसूल। 

रजिया सांस लेती उससे पहले अमन उसे झटका मारता है जिससे उसकी सांसें रुकी-रुकी निकल रही थीं। मुँह खोलती तो अमन अपनी जीभ मुँह में डाल देता। रजिया की चूत पानी छोड़ने लगती है-“आह्म्मह… जानू, औऱ ज़ोर से आह्म्मह… ऐसे ही मेरे शौहर अह्म्मह… मेरी गाण्ड उंन्ह… अम्मी…” 

अमन भी जोश में था, उसका लण्ड भी पानी छोड़ने की कगार पे था। वो रजिया का पानी निकालने के बाद अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है, और रजिया के बाल पकड़कर बैठा देता है। फिर अपना लण्ड उसके मुँह में डाल देता है-“अह्म्मह… पी रजिया तेरे शौहर का पानी…” और अपना गाढ़ा-गाढ़ा पानी रजिया के गले में उतारने लगता है। 

रजिया-“उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” किसी प्यासे की तरह पानी पीने लगती है। 10 मिनट बाद दोनों निढाल होकर एक दूसरे के पास-पास लेट जाते हैं। रजिया अमन की छाती पे अपना सर रख देती है-“सुनिए, कल ख़ान, अनुम और मैं आपके नाना के यहाँ जा रहे हैं। आप कल रात का खाना रेहाना के यहाँ खा लीजियेगा और वहीं सो जाइयेगा। रेहाना की चूत भी बेचैन होगी ना…” और वो अमन की आँखों में जवाब सुनने देखने लगती है। 

अमन रजिया की गाण्ड दबाते हुए-“ठीक है। तू रह पाएगी कल मेरे बिना?” 

रजिया-“नहीं, मैं एक रात भी नहीं सो सकती आपका लण्ड लिये बिना, पर मजबूरी है। जाना पड़ेगा…” 

अमन उसके होंठ चूमते हुए-“ठीक है। अब तू जा 5:00 बज रहे हैं…” 

रजिया-“आप भी सो जाओ। सुबह उठना भी है ना…” और रजिया अमन के लण्ड को चूमकर-“गुडनाइट जानू…” कहकर रूम से बाहर चली जाती है। 

अमन अपने लण्ड को पानी से साफ करने के बाद लेट जाता है। उसे कब नींद लगती है। पता ही नहीं चलता। 
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05-19-2019, 01:09 PM,
#27
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रजिया उसे 9:00 बजे उठा देती है। 

अमन की आँखें लाल थीं वो रजिया को देखते हुए-“साली मेरी जान की दुश्मन…” 

रजिया अमन के होंठों पे-“गुड मॉर्निंग जानू, ख़ान नीचे आपका इंतजार कर रहा है…” 

अमन-वो तेरा शौहर है साली। 

रजिया-“बाप होगा वो अनुम का, मेरी तो चूत का दुश्मन है…” और दोनों हँसने लगते है। दोनों अब माँ-बेटे नहीं मियां-बीवी जैसी बातें करने लगे थे। 

नाश्ता करके अमन ख़ान साहब से मिलता है। वो उसे वही बात बताते हैं, वो रात में रजिया ने उससे कहा थे रजिया की माँ के घर जाने की। 

अमन-“ठीक है अब्बू, मैं चाचू के यहाँ चला जाऊँगा…” और अमन फैक्टरी के लिये निकल जाता है। आज वो थोड़ा लेट हो गया था। वो सीधा फैक्टरी के वर्किंग एरिया में चला जाता है। 

महक पिंक रंग की साड़ी में वहीं खड़ी थी-“आ गये अमन? ये तुम्हारी आँखें लाल क्यूँ हैं?” 

अमन-(मन में-रात में रजिया को देर तक चोदा ना इसलिये) आ शायद इन्फेक्सन हो गया होगा। 

महक-“तुम थोड़ा रेस्ट क्यों नहीं कर लेते मेरे ओफिस में?” 

अमन-“नहीं, मैं ठीक हूँ…” और महक को स्माइल देते हुए-“यू आर लुकिंग गोजि़यस…” 

महक-“थैंक यू अमन…” और महक और इतराने लगती है। 

अमन दिल में-एक बार चुदवा ले रानी, दिन रात नंगा रखूंगा मेरे नीचे…” 

महक अमन को खोया देखकर-“क्या हुआ अमन? आर यू आल राइट?” 

अमन-“हाँ, चलो केबिन में कुछ देर बैठते हैं…” और दोनों केबिन में चले जाते हैं। 

***** ***** 
इधर रेहाना का बिना चुदे बुरा हाल था। उसे थोड़ी देर पहले पता चला था कि आज रात अमन यहाँ रुकने वाला है। पर मलिक उसका क्या? यही सोचते हुए वो खाना बना रही थी।

तभी फ़िज़ा उसके पीछे से-“क्या हुआ अम्मी? बड़ी खुश लग रही हो, कोई आने वाला है क्या?” हालांकी फ़िज़ा को भी खबर मिल चुकी थी। 

रेहाना-तुझे पता है सब, नाटक मत कर। 

फ़िज़ा नीचे आकर अपना हाथ रेहाना की चूत पे रख देती है। 

रेहाना-“अह्म्मह… क्या कर रही है? अफफ्र्फ…” 


फ़िज़ा-“देखने दो, आपकी चूत पानी छोड़ रही है कि नहीं अमन का सोच-सोच के?” 

रेहाना-“उंन्ह… वो तो छोड़ेगी ही ना… मेरे शौहर वो आने वाले हैं आज रात…” 

फ़िज़ा-“अम्मी मुझे भी अमन से मिलना है…” 

रेहाना-“मिल लेना रात में तो आएंगे ही…” 

फ़िज़ा-ऐसे नहीं अम्मी। 

रेहाना-फिर? 

फ़िज़ा-“आपके साथ बिना कपड़ों के…” 

रेहाना फ़िज़ा को देखने लगती है-क्या? 

फ़िज़ा-“हाँ… मुझे भी वो चाहिए…” 

रेहाना-“नहीं बेटा, शबसे पहले तो ये गलत है। क्यों अपनी लाइफ बर्बाद कर रही है?” 

फ़िज़ा-“होने दो… मुझे आज रात चाहिए… मतलब चाहिए…” और फ़िज़ा किचिन से निकल जाती है। जिस दिन से उसने अमन का लण्ड देखा था, उस दिन से उसकी चूत उसे अपनी अंदर लेना चाहती थी… अपना पहला लण्ड अपनी चूत के पर्दे को फाड़ने वाला लण्ड…” 

रेहाना दिल में मुस्कुराते हुए-“अगर फ़िज़ा अमन से चुद गई तो वो मेरी मुट्ठी में होगी हमेशा के लिये और उसका भी तो हक है। अपने अब्बू अमन पे…” ये सोचकर कि आज फ़िज़ा की सील टूटेगी उसके जिस्म में अजीब सी लहर दौड़ रही थी, बस उसे फिकर थी तो मलिक की। क्या करूं इसका? यही सोच उसे परेशान कर रही थी। 

लंच टाइम हो चुका था। अमन और महक लंच कर चुके थे। 

महक-चलो अमन। 

अमन-कहाँ? 

महक-“अरे भूल गये? ड्राइविंग सिखाने वाले थे ना तुम मुझे?” 

अमन-ओह्म्मह… हाँ चलो। 
और दोनों एम॰जी॰रोड चल देते हैं। कार अमन ड्राइि कर रहा था और साइड में महक बैठी थी। 

अमन-“अब तुम यहाँ बैठो…” और अमन नीचे उतरकर महक को ड्राइविंग सीट पे बैठा देता है, और खुद उसके साइड में बैठ जाता है-“देखो महक, ये है गियर, ये नीचे एक्सीलेटर और साइड में ब्रेक। अब चलो कार स्टार्ट करो, गियर में डालो और एक्सिलेट करो…” 

महक-“मुझे डर लग रहा है अमन, मैं नहीं कर पाऊँगी…” 

अमन-“पहली बारे में सबको डर लगता है, फिर नहीं। चलो शाबाश…” 

महक कार स्टार्ट कर देती है। और जैसे ही गियर डालकर एक्सिलेट करती है, कार बंद हो जाती है। 10 से 12 कोशिश के बाद भी यही होता है-“मुझसे नहीं होगा अमन…” 

अमन-“एक काम करो तुम मेरी गोद में बैठ जाओ…” 

महक-कहाँ? 

अमन खुद ड्राइविंग सीट पे बैठ जाता है। और महक को अपनी गोद में बैठने को कहता है। 

महक झिझकते हुए अमन की गोद में बैठ जाती है। महेक को अमन की गोद में बैठने में थोड़ी प्राब्लम हो रही थी। वो आगे पीछे हो रही थी, जिससे अमन का लण्ड खड़ा होने लगा था। 

अमन महक को पकड़कर-“यहाँ बैठो महक…” 

और महक चुपचाप बैठ जाती है। 

अमन महक का हाथ ड्राइविंग व्हील पे रख देता है। और उसके हाथ पे अपना हाथ रख देता है-“महक अपना एक पैर एक्सीलेटर पे रखो, ब्रेक पे मैं पैर रखता हूँ। जब मैं कहूँ एक्सिलेट करना ओके?” 

महक-ठीक है। 

अमन कार स्टार्ट करता है-“चलो अब गियर चेंज करो और धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाओ…” 

महक जैसे ही करती है, और कार चलने लगती है-“अरे अमन, देखो मैं चला रही हूँ…” वो खुश होने लगती है। 

अमन-“अब सेकेंड गियर डालो और थोड़ी और स्पीड बढ़ाओ…” और अमन अपने हाथ धीरे-धीरे ऊपर सरकाते हुए महक के पेट पे रख देता है। महक का चिकना मखमली पेट अमन को पागल करने लगता है, और अमन का लण्ड नीचे से महक की गाण्ड में चुभने लगता है। महक का पेट सहलाते हुए उसके कान के पास धीरे-धीरे-“महक तुम अच्छा कर रही हो…” 

महक को भी अपनी नाज़ुक गाण्ड में अमन का लण्ड अच्छा लग रहा था। उसके हाथ काँपने लगते हैं 
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05-19-2019, 01:09 PM,
#28
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन-“डरो मत, सामने देखो और चलती रहो…” अमन का हाथ अब उसकी बेली (नाभी) में सरसराहट करने लगता है। अमन उसकी नाभी में उंगली करते हुए-“तुम बहुत साफ्ट हो महक…” 

महक-“सच अह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन? मुझे गुदगुदी होती है…” और अचानक महक एक्सिलेट कर देती है। 

अमन झट से ब्रेक मार देता है। इस जल्दबाज़ी में अमन कस के महक की दोनों चुचियाँ पकड़ लेता है। महक के पूरे जिस्म में बिजली दौड़ जाती है। उसके मुँह से एक सिसकी निकल जाती है-“अह्म्मह…” 

अमन के हाथ अभी भी महक की चुचियों को पकड़े हुए थे। 

महक काँपते होंठों से-“तुम्हारे हाथ…” 

अमन-“ओह्म्मह… ओह्म्मह… आई एम सो सारी…” और वो अपने हाथ हटा लेता है। 

महक धीरे से-इट्स ओके। 

अमन-“अब फैक्टरी चलें? आज के लिये इतना है। बाकी कल सीख लेंगे, मुझे थोड़ा जल्दी घर जाना है…” 

महक का दिल तो नहीं कह रहा था फिर भी वो हाँ कर देती है। और दोनों फैक्टरी चली जातें हैं। अमन 7:00 बजे ही फैक्टरी से निकल जाता है। उसे तो रेहाना की चूत दिख रही थी पर उसे क्या पता था कि आज उसे एक नहीं दो चूतें मिलने वाली हैं… वो भी सील पैक। अमन अपने पाकेट में नींद के गोलियाँ ले लेता है। उसे मलिक और फ़िज़ा को सुलाना जो था। 

अमन रेहाना के घर में दाखिल होता है। रेहाना और फ़िज़ा तो बेसबरी से उसका इंतजार कर रही थीं। 

मलिक-“आओ बेटा, अच्छे वक्त पे आए हो। हम बस खाना खाने बैठ ही रहे थे। गरम-गरम खाने की बात ही कुछ और होती है…” 

अमन सामने खड़ी रेहाना को देखने लगता है, वो उसे ही देख रही थी। फिर सब मिलकर खाना खाने लगते हैं। 

मलिक-“और बताओ बेटा, फैक्टरी कैसी है? और तुम्हें काम सीखने में मज़ा तो आ रहा है ना?” 

अमन-“हाँ बिल्कुल… चाचू फैक्टरी बहुत अच्छी है। बस वक्त नहीं मिल पाता कुछ जरूरी कामों के लिये। दिन निकल जाता है फैक्टरी में…” 

मलिक-“धीरे-धीरे आदत पड़ जाएंगी बेटा, सारी जिंदगे पड़ी है। बाकी के कामों के लिए…” 

अमन रेहाना की तरफ देखते हुए-“सही कहा आपने चाचू… जैसे खाना बहुत अच्छा बना है…” 

मलिक-हाँ भाई, तुम्हारी चाचीज़ान के हाथों का खाना तो अच्छा ही बनता है। 

रेहाना हल्की सी स्माइल देते हुए-“ये लो, मैंने खास हलवा बनाया है, आज के लिये…” 

फ़िज़ा-“हाँ लो ना अमन भाई, मीठा खाने से ताकत आती है। आजकल आप कुछ ज्यादा ही मेहनत कर रहे हैं…” 

अमन को झटका लग जाता है। वो सोचता है-“साली इसके तेवर कैसे बदले-बदले लग रहे हैं…” 

रेहाना अमन को पानी का ग्लास देते हुए-“फ़िज़ा, खाने के वक्त मज़ाक नहीं…” और सब खाना खाने लगते हैं। 

खाना खाने के बाद फ़िज़ा और रेहाना किचिन में बर्तन साफ करते हुए फ़िज़ा ने कहा-“अम्मी, अमन कितना हैंडसम लग रहा है। है ना?” 

रेहाना-हाँ… वो तो है। 

फ़िज़ा-अच्छी पसंद है अम्मी। 

रेहाना शरमाते हुए-“चुप कर शैतान कहीं की… जैसे तू इतना क्यों खुश है? जाओ अपने रूम में और सो जाओ…” 

फ़िज़ा-“ओहोहो… सो जाओ और आप मज़े मारोगी। नहीं, मैं नहीं सोने वाली…” और दोनों माँ-बेटी हँसने लगती हैं। 

असल में जबसे अमन घर आया था, तबसे दोनों औरतों की चूत से पानी रिसने लगा था। हल्की-हल्की पानी की बूँदें उनकी पैंटी को भिगा रही थीं, और निपल खड़े हो गए थे। 

रेहाना कुछ सोचते हुए-“फ़िज़ा, तू अपनी रूम में जा, मैं कुछ देर बाद अमन के साथ आती हूँ…” 

फ़िज़ा खुश होते हुए-“ओके…” और वो अपने रूम में जाकर मेकअप करने लगतेी है। 

रेहाना-अमन, यहाँ आओ एक मिनट। 

अमन मलिक के पास से उठते हुए-“अभी आया चाची…” आमन पास आकर पीछे से रेहाना के गले में बाँहें डालते हुए-“हाँ बोल…” 

रेहाना-“मलिक का क्या करना है। वो जगा रहा तो हम…” 

अमन रेहाना की चुचियाँ मसलते हुए उसे नींद की टैबलेट देता है-“उसे दूध में दो गोलियाँ दे दे, रात भर नहीं उठेगा…”

रेहाना के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है-कितने चालाक को जी आप? 91 

अमन-शौहर किसका हूँ? 

रेहाना-“और वो एक बात और है?” 

अमन-क्या? 

रेहाना-“फ़िज़ा आपसे…” वो बोलते-बोलते रुक गई। 
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05-19-2019, 01:09 PM,
#29
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन-फ़िज़ा क्या? 

रेहाना-उसे भी चाहिए। 

अमन-क्या चाहिए? 

रेहाना अमन के कान में धीरे से-“वो भी आपसे चुदना चाहती है…” 

अमन-क्याअ? 

रेहाना-“हाँ… उसे हमारे बारे में सब पता है। और मैं चाहती हूँ कि आप उसे कसकर चोदें ताकी वो जिंदगी भर हमारी मुट्ठी में रहे…” 

अमन के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है-“ठीक है, जैसा तू कहे…” 

रेहाना-“हाँ… कमीनी मेरी सौतन कहीं की… देखो ना कैसे मरे जा रहे हैं, और आपकी तो चांदी ही चांदी है। सील-पैक मिल रही है आज…” 

अमन रेहाना को किस करते हुए-“जलन हो रही है? तू फिकर क्यों करते है? बीवी तो तू ही है मेरी…” और रेहाना को अपनी बाँहों में कस के वापस हाल में चला जाता है। 

कुछ देर बाद रेहाना दूध का ग्लास मलिक को देती है जिसमें नींद के गोलियाँ थी। 

मलिक गटागट दूध पी लेता है। फिर कहता है-“अरे भाई, अमन को भी दूध दे दो, थका हुआ है बच्चा…” 

अमन-“नहीं अभी नहीं चाचू, मैं बाद में पी लूंगा…” और रेहाना की चुचियों को घूरते हुए उसे आँख मार देता है। 

रेहाना मुस्कुराते हुए किचिन में चली जाती है। 

रात 10:00 बजे-

मलिक-मुझे बहुत नींद आ रही है, मैं चलता हूँ। 

और रेहाना भी उसके साथ रूम में चली जाती है। वो कन्फर्म करना चाहती थी कि मलिक सो चुका है। 

अमन फ़िज़ा के रूम में चला जाता है, वहाँ फ़िज़ा खड़ी थी। अमन पीछे से फ़िज़ा को पकड़ लेता है। 

फ़िज़ा-“अह्म्मह… क्या है भाई?” 

अमन-“मैंने सुना है कि तेरी चूत जवान हो चुकी है…” और फ़िज़ा के चूत सहलाने लगता है। 

फ़िज़ा-“उंह्म्मह… क्या कर रहे हो अमन्न?” पहली बार जब कोई मर्द किसी लड़के को मसलता है तो उसका वो हाल होता है। वही अभी फ़िज़ा का हाल था जल-बिन-मछली। 

अमन-“देखने दे ना कितनी बड़ी हो गई है…” और अमन उसे घुमाकर अपनी तरफ कर लेता है, और उसका सिर पकड़कर उसके नाज़ुक होंठ चूसने लगता है। 

फ़िज़ा-“उंह्म्मह… उम्म्म्म… मुआह्म्मह…” 

अमन उसे पीछे से सहलाते हुए उसकी एक चुचियाँ मसलने लगता है, और उसके मुँह में जीभ डालकर सलाइवा चूसने लगता है। 

फ़िज़ा का बुरा हाल था-“उंह्म्मह… अम्मी अह्म्मह… क्या है ये हरकत? अमन जाओ यहाँ से…” 

अमन उसे बेड पे पटकते हुए-“साली नखरे करती है…” और अमन अपनी शर्ट-पैंट उतारने लगता है। उसे पता था पहली चुदाई है। इसलिये सब काम उसे ही करने होंगे, वो पूरा नंगा हो चुका था। 

फ़िज़ा जब उसके 8” इंच लंबे लण्ड को देखती है तो डर जाती है-“अम्मी…” 

अमन-“डर मत फ़िज़ा डर मत… रेहाना तो इसे गाण्ड में भी लेकर नहीं डरती…” और अमन फ़िज़ा को नंगी करने लगता है। उसे सिर्फ़ नाइटी तो उतारनी थी। 

फ़िज़ा चुदने के लिये पहले से तैयार थी। इसलिये ना उसने पैंटी पहनी थी, ना ब्रा। वो एक मिनट में नंगी हो चुकी थी। अमन उसके ऊपर चढ़कर उसकी चुचियाँ चूसने लगता है, और नीचे हाथ डालकर उसकी चूत सहलाने लगता है। 

फ़िज़ा तो जैसे पागल हो जा रही थी-“उंन्ह… अम्मी नहीं अम्मी उंन्ह… अह्म्मह… अमन्न उंन्ह…” 

अमन फ़िज़ा के हाथ में अपना लण्ड दे देता है-“पकड़ इसे फ़िज़ा और सहला…” 

फ़िज़ा काँपते हाथों से अमन के लण्ड को पकड़ लेती है। वो बहुत डरी हुई थी-“अमन मुझे डर लग रहा है। कुछ होगा तो नहीं ना?” 

अमन-“साली, ना चूत ना चुचियाँ, चुदाने का बड़ा शौक… कुछ नहीं होता ज़रा सा दर्द फिर जिंदगी भर की खुशी…” अमन जल्द से जल्द फ़िज़ा की सील तोड़ना चाहता था, क्योंकी उसे फ़िज़ा पे भरोसा नहीं था। छिनाल पलट गई तो? 

फ़िज़ा-“हाँ हाँ अह्म्मह… सहलाओ उसे आह्म्मह… अमन पी लो मेरा दूध उंह्म्मह…” 

रेहाना दरवाजे में खड़ी सब देख रही थी और कहीं ना कहीं उसे भी जल्दी थी फ़िज़ा की कुँवारी चूत के फटने की। पर वो छुपी हुई थी इस डर से कि कहीं फ़िज़ा शरमाकर चुदने से इनकार ना कर दे। 

अमन एक तकिया फ़िज़ा की कमर के नीचे रख देता है, जिससे फ़िज़ा की चूत ऊपर की तरफ उठ जाती है। 

अमन अपने लण्ड पे थूक लगाते हुए फ़िज़ा पे झुक जाता है, और उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है। 

फ़िज़ा दिल ही दिल में-“आ गई वो घड़ी…” 

अमन अपने लण्ड को फ़िज़ा की चूत पे रखकर पूरी ताकत से चूत में पेल देता है। 

फ़िज़ा-“अम्मी जी…” उसके आँखें बाहर को निकलने लगी थीं, जिस्म काँपने लगा था, मुँह बंद था अमन के होंठों से वरना पड़ोसी भी आ जाते। खून की एक धार बेडशीट पे गिरने लगती है। अब फ़िज़ा औरत बन चुकी थी। 

अमन बिना हिले अपने हाथों से फ़िज़ा की चुचियाँ मसलने लगता है, जिससे फ़िज़ा का दर्द कम हो जाये। और जैसे ही अपनी होंठ उसके होंठों से हटाता है। 

फ़िज़ा-“अह्म्मह… अम्मी जी निकाल इसे बाहऱ््र… उंह्म्मह… मैं मरी जा रही हूँ प्लीज़्ि… मुझे बख़्श दो अमन्न…” 

अमन फिर से उसके होंठों पे होंठ रख देता है, और धीरे-धीरे लण्ड चूत में अंदर-बाहर करने लगता है-“अह्म्मह… अह्म्मह…” 

फ़िज़ा का दर्द कम हो रहा था। अब उसकी चीखें भी थम चुकी थी और उसे भी मज़ा आने लगा था। फ़िज़ा अपने पैर और खोल देती है, और उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगती हैं-“उंन्ह… आह्म्मह… अह्म्मह… ओह्म्मह… उंन्ह… अम्मी औउच… अह्म्मह…” 

अमन की स्पीड बढ़ने लगी थी और धक्कों की रफ़्तार के साथ फ़िज़ा की गाण्ड भी नीचे से उछलने लगी थी। दोनों एक साथ धक्के मार रहे थे। 

फ़िज़ा-“हाँ… अह्म्मह… आह्म्मह… अमन्न चोदो मुझे उंन्ह… मैं आज से तेरी हूँ अह्म्मह… मेरी अम्मी भी तेरी और मैं भी तेरी हूँ अह्म्मह… हम दोनों माँ-बेटी को खूब चोदो अमन…” 

फ़िज़ा के मुँह से ऐसे अल्फ़ाज़ सुनकर रेहाना की चूत भी पनिया गई थी। उसे भी अमन का लण्ड फ़िज़ा की चूत में अंदर-बाहर बिना किसी रुकावट के आता-जाता बड़ा अच्छा लग रहा था। रेहाना उन दोनों को देखकर अपनी चूत सहलाने लगती है। उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगतेी हैं। 

अमन पीछे मुड़कर देखता है, और रेहाना की आँखों में देखकर जोर-जोर से फ़िज़ा को चोदने लगता है-“हाँ मेरी रांड़ ले… तेरी माँ को चोदूं ले अह्म्मह…” रेहाना की और अमन की आँखें मिली हुई थीं और अमन फ़िज़ा को चोदे जा रहा था। 

इस दौरान फ़िज़ा दो बार झड़ चुकी थी। उसे पता ही नहीं था कि रेहाना उन्हें देख रही है। फ़िज़ा सिसक रही थी-“हाँ उंन्ह… अम्मी जी…” और फ़िज़ा फिर से पानी छोड़ देती है। 

अमन जोश और खुशी के आलम में फ़िज़ा को चोदते हुए-“अह्म्मह… अह्म्मह…” करके अपना पहला पानी फ़िज़ा की चूत में छोड़ने लगता है। 

फ़िज़ा अपनी चूत में गरम-गरम अमन का पानी लेकर सिहर जाती है, और बेडशीट पकड़ लेती है। वो निढाल हो चुकी थी, पर अभी तो शुरुआत हुई थी। अभी सारी रात बाकी थी। दोनों एक दूसरे से चिपक जाते हैं। 

रेहाना अंदर आते हुए दरवाजा बंद कर लेती है-“आख़िरकार आपने मेरी बेटी को चोद ही लिया, क्यों जी? मज़ा आया कुँवारी चूत का?”
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05-19-2019, 01:09 PM,
#30
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन और फ़िज़ा रेहाना को देखते हैं। फ़िज़ा शरम के मारे अपना चेहरा अमन की छाती में छुपा लेती है। 

अमन-“तेरी बेटी की चूत बिल्कुल तेरी जैसी है। मेरे जान ऐसे लग रहा था जैसे तुझे चोद रहा हूँ…” और पच्च की आवाज़ के साथ अपना लण्ड फ़िज़ा की चूत से बाहर निकाल लेता है। उसके लण्ड पे फ़िज़ा की चूत का खून लगा हुआ था। 

रेहाना एक कपड़ा लेकर उसे साफ करती है, और फ़िज़ा की आँखों में देखते हुए अमन के लण्ड को अपने मुँह में ले लेती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

फ़िज़ा और रेहाना के नज़रें मिली हुई थीं। अमन बेड पे लेटकर सांसें ले रहा था और रेहाना उसके लण्ड को आइसक्रीम की तरह चूसे जा रही थी। 

फ़िज़ा की आँखें अपनी अम्मी पे से हट नहीं रही थीं। वो दिल में सोचने लगती है-“कितनी चुदक्कड़ है मेरी अम्मी…” फिर फ़िज़ा उठकर बैठ जाती है, और अपनी चूत देखने लगती है। उसकी चूत पे भी खून लगा हुआ था। जब वो अपनै हाथ से अपनी चूत को छूती है तो एक अजीब सा मीठा-मीठा दर्द उसके जिस्म में होने लगता है। 

अमन की आँखें बंद थीं, पर रेहाना के लण्ड को लगातार चूसने से उसमें जान आने लगी थी। 

फ़िज़ा उठकर बाथरूम में चली जाती है, और अपनी चूत पानी से साफ करके वापस रूम में आती है। सामने रेहाना अमन के ऊपर लेटी हुई थी और दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे। 

अमन रेहाना की गाण्ड मसल रहा था। रेहाना ‘आह्म्मह’ की सिसकारियाँ भर रही थी। शायद वो बहुत गरम हो चुकी थी, फ़िज़ा और अमन की चुदाई देखकर। 

अमन रेहाना को साइड में लेटा देता है-“एक मिनट रुक, मुझे पेशाब करके आने दे रेहाना…” 

रेहाना साइड में होकर अपनी चूत रगड़ने लगती है। अमन के बाथरूम में जाते ही फ़िज़ा जो वहीं खड़ी थी रेहाना के पास आ जाती है। दोनों माँ-बेटी एक दूसरे को देखने लगती हैं। वहाँ फ़िज़ा के जवान छोटे-छोटे चूचे और उसपे गुलाबी निपल एकदम खड़े थे, वहीं रेहाना की हल्की भूरे रंग की बड़ी-बड़ी नरम चुचियाँ भी फ़िज़ा को आवाज़ दे रही थीं कि आ जा मेरी बेटी और चूस ले अपनी अम्मी की चुचियाँ। 

फ़िज़ा के कदम रेहाना की तरफ बढ़ जाते हैं। 

रेहाना फ़िज़ा को अपनी बाहों में ले लेती है। 

फ़िज़ा-“अम्मी आज मैं बहुत खुश हूँ…” और फ़िज़ा अपनी चुचियाँ रेहाना की चुचियाँ पे रगड़ने लगती है। 

रेहाना-“हाँन्न मेरी बेटी, अमन है ही ऐसा… वो जानता है किसे कैसे खुश किया जाए?” रेहाना दिल ही दिल में-“तेरी चूत ने मेरे शौहर का लण्ड वो निगल लिया है। अब तो तू खुश होगी ही बेटी…” 

फ़िज़ा रेहाना की आँखों में देखते हुए अपने नाज़ुक होंठ रेहाना के होंठों पे रख देती है, और दोनों माँ-बेटी मज़े के गहरे समुंदर में डूब जाती हैं। दोनों जल्द से जल्द अमन का लण्ड लेना चाहती थीं। पर अभी तो एक दूसरे की चूत पे चूत रगड़कर अपने जिस्म की गरमी कम कर रही थीं। 

रेहाना अपनी टाँगें खोलकर फ़िज़ा की कमर पे लपेट लेती है, और उसे किस किए जाती है। 

फ़िज़ा-“मुआह्म्मह… उंन्ह… गलप्प्प श्स्स्सस्स उंह्म्मह… अम्मी… अम्मी मेरी चूत दुख रही है उंह्म्मह…” 

रेहाना-“एक बार और वो तुझे चोद लेंगे, फिर दर्द नहीं होगा बेटा गलप्प्प…” 

फ़िज़ा-“अम्मी, आप अमन का नाम क्यों नहीं लेती?” 

रेहाना-“भला… शौहर का नाम कोई बीवी लेती है बेटा? अह्म्मह…” 

फ़िज़ा-“अम्मी, मैं अमन को क्या कहूँ फिरर…” 

रेहाना-“फ़िज़ा, अब्बू हैं वो तेरे अह्म्मह…” 

फ़िज़ा-“हाँ हाँ…” और दोनों जमकर एक दूसरे की चूत के क्लिट से मज़ा लेने लगती हैं। 
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