Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
05-14-2019, 11:41 AM,
#51
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
अब उसने अपने आँडूए अड्जस्ट करने के लिये अपनी गाँड उचकायी और फ़िर अपनी ज़िप नीचे की तो मेरा दिल एक्साइटमेंट के मारे उछल गया! उसके गोरे हाथ उसके उभार पर थे! उसके चेहरे पर ठरक थी! उसने ज़िप खोलने के बाद अपना हाथ अंदर घुसा के जब अपने लँड को बाहर खींचा तो मैं मस्ती से भर गया! उसका लँड कोई ६ इँची रहा होगा! मोटाई सही थी, रँग गोरा, सुपाडा सुंदर सा... उस समय फ़ूला हुआ और नमकीन वीर्य की बून्दों से भीगा हुआ था! उसने अपने लँड को अपने हाथ में लेकर मेरी तरफ़ करके दबाया!
"लीजिये, दिखा दिया..."
"अब मुठ मारो..."
"अभी मुठ का मूड नहीं है..."
"एक बार पकडने दो..."
"नहीं चाचा..."
"बस एक बार..."
"क्या करेंगे पकड के?"
"देखूँगा कितना सख्त है..."
"दिख नहीं रहा है क्या कि कितना सॉलिड है?"
"दिख तो रहा है... पकड के ज़्यादा सही से पता चलता है..."
"लीजिये..."
उसने फ़ाइनली जब मुझे अपना लँड पकडने दिया तो मैं उसका कमसिन मर्दाना लँड थाम के मस्त हो गया और लँड पकडते ही मैने अपने हाथों की गर्मी से 'उसका' दबाया और उसके सुपाडे पर अपना अँगूठा रगड के उसे दबाया तो उसकी सिसकारी निकल गयी! "सिउह... चाचा... अआह.."
मैं थोडा उसकी तरफ़ झुका! उसका लँड अब मेरी गिरफ़्त में था और मैं हल्के हल्के उसकी मुठ मार रहा था! मैं उसके इतना नज़दीक आ गया कि हमारी साँसें टकराने लगीं!
"एक किस कर दूँ?"
"नहीं नहीं..."
"बस एक..."
"रहने दीजिये..."
"प्लीज़....." कहते हुये मैने हल्के से अपने होंठों से उसके होंठों को ब्रश किया तो उसकी साँस उखड गयी और मैं उसकी साँस की खुश्बू से मदहोश हो गया! मैने अपना मुह उसके होंठों पर खोल दिया और अपनी ज़बान से उसके बन्द होंठों को चाटा! उसने अपना मुह हटाया नहीं तो मैने अपनी ज़बान उसके गले की तरफ़ घुमा दी! उसने मेरा हाथ पकड लिया, मैने एक हाथ से उसकी गरदन पकड ली!

तभी बाहर खट खट हुई! पहले तो हम मदहोशी में सुन नहीं पाये मगर फ़िर जब और ज़ोर से हुई तो हडबडा के उसने अपनी ज़िप बन्द करते हुये दरवाज़ा खोला सामने एक गबरू सा मस्त देसी जवान लौंडा एक बडा सा पोटला लिये खडा था!

"क्या है?" ज़ाइन ने उखडती साँसों से उससे पूछा!
"फ़ूल हैं... कमरा सजाना है..."
"ये कमरा क्यों?"
"यही वाला सजाना है... नीचे से बोला है..."
"अच्छा, आ जाओ..." ज़ाइन ने अपने होंठों से मेरे थूक को साफ़ करते हुये कहा! मैं तो उस के.एल.पी.डी. से बुरी तरह झुँझला गया था! उस फ़ूल वाले लडके के कारण मेरे हाथ से इतना हसीन मौका निकल गया था!
"चलो भाई... सजा दो, ऐसा सजाना कि दूल्हे को मज़ा आ जाये.." मैने उस लडके से कहा!
"हमारा काम तो सजाना है... मज़ा तो दूल्हे के ऊपर है... जितना दम होगा, उतना मज़ा मिलेगा...."
"हाँ, बात तो सही है..."
उस लडके के चेहरे पर रूखापन था, मगर बदन में जान थी! एक छोटी बाज़ू वाली टी-शर्ट उसने जीन्स के अंदर घुसेड के पहनी हुई थी! उसकी छाती चौडी थी, कमर पतली, जाँघें मस्क्युलर, गाँड गोल गोल और लँड का उभार ज़बर्दस्त... मुझसे रहा नहीं गया और मैने उसको उतनी ही देर में कई बार ऊपर से नीचे तक देख लिया!
"बढिया से सजाना..." मैने कहा!
"फ़िक्र मत करिये..." उस लडके ने कहा! "ऐसे नाज़ुक फ़ूल हैं कि अगर दूल्हे ने सही से दबा के रगडा ना तो बिस्तर पर ही कुचल जायेंगे... सुबह एक भी नहीं मिलेगा..."
"वाह... बडा ज़बर्दस्त विवरण दिया..."
"हाँ साहिब... हमारा तो काम ही यही है..."
"सही है... तुम पता नहीं कितनों की रातों को रँगीन बनाते होंगे..." मैने कहा!
"हम नहीं बनाते भैया, हम बनवाते हैं..." उसने इतनी ही देर में मुझे साहिब से भैया बना दिया! मैने फ़िर उसका गठा हुआ जिस्म निहारा! उसके जिस्म में मसल्स भरी हुई थी! छाती के कटाव टाइट टी-शर्ट से नँगे दिख रहे थे और लँड का उभार साफ़ था! जीन्स गन्दी थी, बाज़ू भरे भरे, कलायी चौडी, आँखें नशीली... मैं ठरका हुआ तो था ही, उसको देख के ही मस्त होने लगा!

जब ज़ाइन ने देखा कि उस लडके को टाइम लगेगा तो वो चला गया... "मैं नीचे जा रहा हूँ!"
उस लडके के होते हुए मैं कुछ कर भी नहीं पाता, इसलिये मैने भी उसको जाने दिया!

वो लडका, जुनैद, कमरे में फ़ूलों की लडियाँ लगाने लगा और मैं बेड पर लेट के उसको देखता रहा! वो जब झुकता उसकी गाँड गोल गोल दिखती, जब ऊपर चढता तो और मस्त लगता! कभी अपने मुह से धागा तोडता और कभी टाँगें फ़ैलाता! ना जाने कब उसको देखते देखते मेरी आँख लग गयी और मैं शायद उसके बारे में ही सपना देखने लगा! मेरी आँखों के सामने ठरक के कारण उसका जिस्म ही नाचता रहा! मैं सोया हुआ था मगर फ़िर भी उसको अपने दिमाग से नहीं हटा पाया था! बीच बीच में मुझे ज़ाइन का जवान लँड भी नज़र आ जाता था! मेरा लँड उन सपनों के कारण खडा हुआ था, फ़ूलों की भीनी भीनी खुश्बू मुझे मदहोश कर रही थी! मेरे लँड में मस्ती से गुदगुदी हो रही थी! एक अजीब सा मज़ा मिल रहा था! जुनैद मुझे नॉर्मली दिखता तो भी पसंद आ जाता! मगर उस समय ज़ाइन से इतनी बात हो जाने के बाद तो वो मुझे और भी ज़्यादा हसीन और जवान लगा था! बिल्कुल देसी गठीला मज़बूत जवान... मुझे सपने में ही उसके बदन की गर्मी महसूस हो रही थी! फ़िर मुझे ज़ाइन का ध्यान आया, उसका लँड याद आया, उसके होंठों पर अपना वो गीला चुम्बन याद आया, जिसका गीलपन और गर्मी अभी भी मेरे होंठों पर थे! मुझे लगा कि जब वो मेरा लँड सहलायेगा तो कैसा लगेगा! मुझे अपने लँड पर उसकी हथेली की गर्मी महसूस हुई! मेरा लँड उछला! मुझे जुनैद की गबरू जवानी याद आयी! कभी राशिद भैया के साथ गुज़ारे पल याद आये! कभी हुमेर चाचा के साथ हुआ काँड याद आया! एक पल को भी मेरा जिस्म ठँडा नहीं हो पा रहा था! मुझे होंठों पर ज़ाइन के होंठ याद आये, मैने सोते सोते ही फ़िर जैसे उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसा तो मुझे उसके होंठों का गीलपन और गर्मी, उसकी कोमलता और नमक याद आया! मुझे उसकी साँसें महसूस हुयीं! उसकी साँसों की खुश्बू अभी भी मेरी नाक में बसी हुई थी! मैने कस के नींद में ज़ाइन के होंठों को चूसा तो उसने मुझे ज़ोर से पकड लिया और इस बार वो मेरे ऊपर लेट गया!

कुछ देर सपने में ज़ाइन के होंठ चूसने के बाद मैने उसका सर नीचे अपने लँड की तरफ़ दबाया! उसने पहले मना किया, शायद रुका, मगर मेरे इंसिस्ट करने पर वो मेरे सपने को यादगार बनाने में लग गया! इस बार उसके होंठ मेरी ज़िप पर थे और मेरे लँड को ऊपर से दबा के मज़ा दे रहे थे! मुझे पता था कि ज़ाइन जैसा नमकीन लौंडा, जो नया नया जवान हुआ था, ये सब ज़रूर करेगा! भले सपने में हो या असल ज़िन्दगी में... और फ़िर ज़ाइन ने फ़ाइनली अपने होंठों को मेरे सुपाडे पर कस लिया तो मैने उसका सर पकड लिया!

"उम्म.. उँहु... हाँ भैया... हाँ... साला, बडा मोटा लौडा है बे तेरा..." जब फ़ाइनली ज़ाइन ने कहा तो मैं चौंका क्योंकि ज़ाइन मुझे भैया नहीं चाचा कहता था! मेरी नींद टूटी, मेरी पैंट पूरी उतरी हुई थी, शर्ट के सारे बटन खुले हुये थे और जुनैद अपनी जीन्स उतारे हुये मेरे ऊपर झुका मेरा लँड पूरा अपने मुह में लेकर चूस रहा था!
"उउम्ह... जुनैद????"
"आप बडी गहरी नींद में थे..." उसने अपने मुह से मेरा लँड निकालते हुए कहा!
"हाँ... जुनै..द... तुम..ने क..ब शुरु कि..या... अआह..."
"जब तुमने नींद में मुठ मारना शुरु कर दिया था..."
"अच्छा??? ऐसा हुआ था क्या?"
"हाँ साले... फ़िर रहा ही नहीं गया..." उसने अपने मुह में मेरा लँड पूरा का पूरा निगल के चूसना शुरु कर दिया! उसने हाथों से मेरे आँडूए दबाना शुरु किये और कभी कभी अपना हाथ आगे से मेरे आँडूओं के नीचे मेरी गाँड तक ले जाकर भींच के वहाँ दबा देता!
मैने हाथ नीचे किया और उसका लँड पकड लिया! उसका लँड भयन्कर बडा और जवान था! मेरे हाथ में आते ही जैसे नाचने लगा!
"अपना भी तो चुसवाओ ना जुनैद..."
"लो ना यार..." उसने कहा और मेरी छाती के ऊपर चढता हुआ लेट गया और मेरे मुह में अपना लौडा डाल दिया! उसका लँड गन्दा था, पसीने से भरा हुआ, लस्सी की तरह स्मेल कर रहा था! उसकी जाँघें तो चिकनी थी, मगर गाँड के छेद पर और दरार में बाल थे! मैने उसकी गाँड को दबोच के रगडना शुरु कर दिया तो वो धकाधक धक्‍के लगाने लगा! वो कभी मेरे बाल पकड लेता, कभी दबोच लेता तो उसका सुपाडा सीधा मेरी हलक तक घुस जाता! उसके आँडूए मेरे चिन पर टकराते! फ़िर वो कभी मेरे सर के नीचे एक हाथ डाल के मेरे सर को ऊपर उठा के मेरा मुह चोदता! उसकी नँगी जाँघें बडी मादक लग रही थी! देख कर ही लगता था कि उनमें कितनी मज़बूती और जान होगी! फ़िर मैने उसको घुटनो पर ऐसे करवाया कि उसके दोनो घुटने मेरे सर के अगल-बगल हो गये और उसका छेद और आँडूए के नीचे वाला बालों भरा गदराया पोर्शन मेरे होंठों की सीधा पर आ गया! इस बार मैने खुद ही सर उठा के अपनी नाक और मुह उसकी गाँड के बीच घुसा दिया! वहाँ की बद्‍बू बडी मादक और ज़बर्दस्त थी! मैने तो उसकी कमर को कस कर पकड लिया और ज़ोर ज़ोर से दबा के सूंघा! फ़िर जब मैने वहाँ किस किया तो वो बैठा नहीं रह पाया और मेरे ऊपर ही पसर गया और अपनी गाँड को मेरे मुह पर रख के जैसे सरेंडर करके पस्त हो गया! मैने ज़बान से उसकी गाँड का छल्ला सहलाया, उसकी गाँड के बालों को अपनी ज़बान से गीला किया और अपने होंठों से पकड के खींचा तो वो मेरे ऊपर फ़िर बैठ गया और अपनी पीठ, धनुष की तरह पीछे मोड कर अपने दोनो हाथ पीछे मेरी जाँघों पर रख दिये!

कुछ देर बाद उसने मुझे पलटा और मेरी गाँड की दरार में गुलाब की पँखुडियाँ भर के मसल दीं! उसने उँगली से मेरा छेद टटोला और अपनी फ़िन्गर-टिप्स से उसको खोला! फ़िर उसने अपनी चार उँगलियों पर अपने मुह से थूक टपकाया और मेरे छेद के पास उसे पोत दिया! फ़िर जब मुझे अपने छेद पर उसका मोटा सुपाडा महसूस हुआ तो मैने टाँगें फ़ैला के गाँड ऊपर उठा के उसके लँड की गर्मी को अपने छेद पर महसूस किया! उसने अपने हाथ की एक उँगली और अँगूठे से मेरा छेद फ़ैलाया और दूसरे से अपना लँड पकड के सुपाडे को मेरे छेद पर रगडा तो उसका सुपाडा भी पहले से लिपडे थूक से भीग गया! उसने थोडा और थूक डायरेक्टली मेरी गाँड पर टपकाया, और उसको भी वैसे ही वहाँ रगडा! फ़िर उसने अपना सुपाडा मेरे छेद पर दबाया तो मेरी गाँड का सुराख अपने आप फ़ैलने लगा और उसका लँड मेरी गाँड में घुसने लगा! मैने सिसकारियाँ भरना शुरु कर दीं! फ़िर उसने अचानक अपना घुसा हुआ सुपाडा बाहर खींच लिया तो मेरी साँस रुक गयी! फ़िर उसने फ़िर सुपाडा घुसा दिया! इस बार मेरी गाँड खुली और वो और ज़्यादा अंदर घुस गया! अब उसने हल्के हल्के धक्‍के दिये तो मेरी गाँड खुलती चली गयी! उसकी गाँड और जाँघ के धक्‍के मज़बूत और ताक़तवर थे! उसने अपना पूरा लँड मेरी गाँड में घुसा दिया और चढ के अंदर बाहर दे-देकर मेरी गाँड मारने लगा!

वो जब भी लँड बाहर खींचता, मेरी सिसकारी निकल जाती और जब अंदर देता तो मस्ती भरी चीख...! उसका रफ़ लँड मेरे छेद से रगड के उसको मस्त करते हुए गर्म कर रहा था! फ़िर वो पलँग से उतर के टाँगें फ़ैला के खडा हो गया!
"आजा... अब ले ले... झुक के ले ले..." काफ़ी देर बाद उसके हलक से कुछ शब्द निकले! फ़िर उसने मुझे अपने सामने घोडा बनवाया और वो खुद खडा ही रहा!
"चल, उठा... गाँड उठा..."
कैसे यार, ऐसे नहीं उठेगी..."
"उठेगी उठेगी... उठा तो.." मैने गाँड और उठायी! अब मैं पूरा अपने टोज़ पर था! मेरा सर नीचे था और हाथ ज़मीन पर... कुछ देर थोडा और उचकने पर मुझे फ़िर गाँड पर उसका लँड महसूस हुआ! अब मैं वैसे, बहुत ही अन-सेफ़ तरीके से झुका हुआ था और वो खडा हुआ था... उसने फ़िर मेरी गाँड में लौडा डालना शुरु कर दिया और अंदर बाहर करके मेरी गाँड का हलुवा बनाना शुरु कर दिया!
"हाँ... हाँ... ऐसे.. ही म..ज़ा... आ..ता.. है... ऐसे.. ही..." उसने कहा और मेरी कमर को दोनो तरफ़ से कस के पकड लिया और मुझे अपनी तरफ़ खींच खींच के चोदने लगा! मेरा छेद खुल तो चुका ही था! उसका लँड 'फ़चाक फ़चाक' अंदर बाहर हो रहा था और साथ में जब उसकी जाँघें और जिस्म मेरे जिस्म से टकराते तो 'थपाक थपाक' की आवाज़ें भी आती! फ़िर तभी उसने मेरी गाँड पर कमर के पास 'चटाक' से एक हाथ मारा!
"उई...." मैं दर्द से करहाया क्योंकि उसने प्यार से नहीं बल्कि काफ़ी फ़ोर्सफ़ुली मेरी गाँड पर चाँटा मारा था! इसके पहले मैं सम्भाल पाता, उसने अपना लँड पूरा अंदर घुसा दिया और फ़िर 'चटाक' से एक और चाँटा मारा! उसके चाँटों में देसी ताक़त थी! अगर सर पर पडता तो सर घुमा देता! मुझे तीखा दर्द हुआ!
"उई... अआह... नहीं..."
"नहीं? नहीं क्यों बे?" उसने कहा और फ़िर तडातड मेरी गाँड पर ज़ोर ज़ोर से चाँटे मारने लगा! उसने एक हाथ से मुझे कस के उसी पोजिशन में पकडा हुआ था और दूसरे से चाँटे मारे जा रहा था!
"नहीं... जुनैद... मारो नहीं..."
"चुप बे... बहन के लौडे चुप... मज़ा लेने दे..." असल में चाँटा पडने पर मैं अपनी गाँड भींच रहा था और उससे उसको लँड पर कसाव महसूस हो रहा था और इससे मज़ा आ रहा था! कुछ देर में उसने मुझे ज़मीन पर ही सीधा लिटा दिया और मेरी टाँगें अपने कंधे पर रखवा के गाँड में लँड डाल दिया!
"अब माल गिर जायेगा... बस.. रुक जा... अब.. गिर.. जायेगा..." वो गाँड उचका उचका के मुझे चोद रहा था और साथ में उसने मेरा लँड थाम के दबाना भी शुरु कर दिया था!
"चल... अप..ना... भी... झाड..." उसने मुझसे कहा!
"झाद दे..." मैने कहा!

वो अब मेरी मुठ मार रहा था और साथ में गाँड भी! मेरा खडा लँड उस पोजिशन में उसके पेट से रगड रहा था! फ़िर उसने तेज़ धक्‍के देना शुरु कर दिये और मेरा लँड छोड के मेरी जाँघों को कस के पकड लिया और फ़िर उसका माल मेरी गाँड में भर गया!
"अआह... हाँ... हाँ.. अआह.. हश... सि...उह..." उसने सिसकारी भरी और फ़िर अपना लँड बाहर खींच के जल्दी जल्दी अपने कपडे पहन लिये! कमरा सज चुका था, इन्फ़ैक्ट उसका सही इस्तमाल भी हो चुका था! जब वो अपने पैसे ले रहा था तो मैं नीचे उसके थोडा दूर ही था! उसने मुझे देखा, उसके चेहरे पर एक संतुष्टि थी! मैने फ़िर देखा, उसका जिस्म सच बहुत प्यारा और सुंदर था! ज़ाइन कहीं नहीं दिखा! उस रात मुझे बहुत अच्छी नींद आयी! कभी जुनैद का ख्याल आता कभी ज़ाइन का! एक लँड जो मिल चुका था, और एक जो मुझे चाहिये था... तीन जनरेशन्स के साथ सैक्स का अपना पहला एक्स्पीरिएंस पूरा करने के लिये! इसके पहले मैने बाप और बेटे के साथ और भाई-भाई के साथ तो बहुत किया था, मगर बाप, बेटे और दादा के साथ कभी नहीं हुआ था! यही वो स्पेशल चीज़ थी, जिसके लिये मैं ट्राई कर रहा था!
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05-14-2019, 11:41 AM,
#52
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मस्त कर गया पार्ट --12

अगले दिन बारात जाने की तैयारी होने लगी! ज़ाइन तो ग्रे सूट और नेवी ब्लू टाई में क़यामत लग रहा था, उसके चेहरे पर चमक थी! वो सबसे अलग दिख रहा था! फ़ाइनली बारात बनारस से इलाहबाद पहुँच गयी! इलाहबाद की हवा में हल्की हल्की सर्दी थी! बिल्कुल अक्टूबर एण्ड वाली गुलाबी सर्दी, जिसमें ज़ाइन की कमसिन जवानी और भी निखर के दिखने लगी! वो रास्ते भर तो, बस में मुझसे दूर और लडकों के साथ बैठा था, मगर फ़ाइनली इलाहबाद के शादी के हॉल में उसको फ़िर मेरे बगल में बैठना पडा! मैने फ़िर उसको ताडना शुरु कर दिया! वो शायद पिछली रात के एपिसोड से थोडा सकपका भी रहा था! जोश में शायद सब कुछ बोल और कर तो गया मगर अब उसको डर लगने लगा था कि कहीं मैं वो सब बातें ऑउट ना कर दूँ! उसको मुझ पर भरोसा नहीं था! मगर मुझे उस पर प्यार था! वो अब मुझसे कुछ झेंप और शरमा रहा था!

इधर उधर सुंदर सुंदर वेटर्स घूम रहे थे और ज़ाइन के अलावा भी बडे नमकीन नमकीन लडके थे जिनको मैं दिल लगा के नाप रहा था! मैरिज़ हॉल काफ़ी अच्छा था, बिल्कुल किसी होटल की तरह! हमारे रहने के लिये कमरे भी वहीं सैकँड फ़्लोर पर थे! काशिद दूल्हा बना, बडा चिकना लग रहा था! मेरा तो उसकी गाँड मारने का दिल करने लगा था! मैं ये भी सोच रहा था कि वो खुद इतना चिकना है, जब अपनी नयी बीवी के साथ नँगा होगा तो दोनो कितने नमकीन दिखेंगे! फ़िर मेरी नज़र, उस भीड में एक और सुंदर से जवान लडके पर जा टिकी, जो बार बार इधर उधर जा रहा था... कभी कोई पैकेट लेकर, कभी कोई सामान... कभी वो वेटर्स को कुछ इन्स्ट्रक्शन्स देता, कभी किसी बडे से झुक कर बात करता! लडका सुंदर और स्मार्ट था! थोडे बडे हीरो वाले बाल रखे हुये था! बदन से चिपकी ब्लू जीन्स, जिसकी सिलाई उसकी दरार को चूमती हुई उसके आँडूए से गले मिल रही थी! उसकी एक पॉकेट से रुमाल का एक कोना दिख रहा था और बेढँगे तरीके से रुमाल रखने के कारण उसकी पॉकेट में छोटा सा एक बल्ज़ था! पीछे की एक पॉकेट में उसका वॉलेट था, दूसरी पॉकेट में शायद कुछ छुट्‍टे पैसे रखे हुये थे! जब झुकता तो जीन्स खिंचती और सिक्‍के उसकी पॉकेट में दिखते! थाईज़ मस्क्युलर होने के कारण आगे की दोनो पॉकेट्स बहुत टाइट थी! उसकी कमर कोई ३२ के आसपास रही होगी मगर जीन्स साइज़ ३० की लग रही थी! उसने एक हाफ़ स्लीव की व्हाइट शर्ट पहनी हुई थी, जो भाग दौड में पीछे से ऑउट हो गयी थी! सामने से एक साइड से ज़्यादा बाहर और एक साइड से अंदर थी! आगे उसकी ज़िप शाँत थी, इसलिये उभार ज़्यादा प्रॉमिनेंटली नहीं दिख रहा था, मगर फ़िर भी चलते फ़िरते मैं नज़रों से उसको ताड ही लेता था! उसके होंठों पर एक मनमोहक सी मुस्कुराहट थी, जिससे उसके सफ़ेद दाँत दिख जाते थे! उसकी बॉडी अच्छी थी, हाफ़ स्लीव शर्ट के कारण उसकी बाज़ू और हाथ अच्छी तरह दिख रहे थे! मैं उसको भी देख देख मज़ा लेता रहा!

फ़िर मैं एक दो बार, कभी सोप, कभी पानी माँगने के बहाने से उस लडके को अपने पास बुलाया! पास से तो वो कामदेव था कामदेव! मैं तो बस उसकी भूरी आँखों की झील में तैरता गया! नज़दीक से देखने पर उसके होंठ प्यासे दिखे, उसकी गर्दन का कॉलर के पास वाला पोर्शन गोरा और चिकना दिखा और उसके बाल रेशमी लगे! मैने एक बार ग्लास लेने के बहाने उसकी उँगलियाँ छुयी तो मज़ा आ गया! अब मैं जानबूझ कर हर काम के लिये उसी लडके को बुलाता! वो रहा होगा कोई १९-२० साल का, करीब ६ फ़िट लम्बा, गोरा और चिकना! मैं तो बस बिस्तर में उसके परफ़ॉरमेंस का तसव्वुर करता रहा, जैसा मैं ऐसी जगहों पर हमेशा करता हूँ! फ़िर ज़ाइन मेरे बगल में आ गया! मुझे उस पोजिशन से उसकी जाँघें दिख रहीं थीं!
"टाई तो बढिया है..."
"जी... पापा लाये थे!"
"सूट कहाँ सिलवाया?"
"जी, बैंगलोर में ही सिलवाया था... पापा के टेलर से..."
"अच्छे लग रहे हो..." मैने उसको कम्फ़र्टेबल करने की कोशिश की!
"थैंक्स..."
"आओ बाहर चलते हैं..."
"चलिये..."
"एक मिनिट, ज़रा पिशाब कर लूँ..." बाहर जाते जाते मैने कहा!
"मैं भी कर लेता हूँ..."
हमने सामने के टॉयलेट में अगल बगल होकर जब पिशाब किया तो मैने तो उसका लँड देखा ही देखा, मैने देखा कि वो भी मेरा लँड देख रहा था जिससे मेरा लँड हल्का सा जग गया! उसका भी हल्का सा प्लैसिड लँड था! हम जब मूत के हाथ धो रहे थे तो एक लडका आया और फ़र्श साफ़ करने लगा! वो जवान सा २०-२१ साल का लडका था! अगर टॉयलेट साफ़ नहीं कर रहा होता तो पता नहीं चलता कि वो भँगी है! उसका चेहरा गोरा था, जिस्म चिकना, बाल स्मार्ट थे! कुल मिला कर काफ़ी वेल मेन्टेन्ड और हैंडसम था! बिल्कुल हीरो बना हुआ था और उस समय एक टी-शर्ट और सुर्ख लाल रँग का लोअर पहने था! बस उसके दाँतों पर गुटके के निशान थे! मैं जब उसको देख के मुसकुराया और मुस्कुराते हुये उसका गदराया जिस्म ताडा तो वो भी वापस मुस्कुराया! उसका लोअर वैसे तो साइज़ में सही था मगर उसकी मस्क्युलर जवानी के लिये टाइट पड रहा था! मुझे लोअर के अंदर उसके लँड का शेप और सुपाडे का उभार साफ़ दिखा! मैं ज़ाइन के साथ बाहर आया और फ़िर वापस जाकर उस लडके, सोनू, को सौ का एक नोट दे दिया!
"लो रख लो, तुमने अच्छा साफ़ कर रखा है..." तो उसका चेहरा खिल उठा! मेरे लिये वो इन्वेस्टमेंट था!

फ़ाइनली शादी के प्रोग्राम के बाद, रात में वहीं हॉल में महफ़िल जमी और सभी मस्ती करने के लिये लाउड म्यूज़िक लगा के डाँस करने लगे! ज़्यादातर बच्चे और लडके ही थे! बाकी लोग सो गये थे! उनमें कुछ लडकी वालों की तरफ़ के भी लडके आ गये थे! ज़ाइन खूब अपनी कमर और गाँड मटका मटका के नाच रहा था! उसने अपने सूट का कोट उतार दिया और टाई ढीली कर ली! नाचने से उसके चेहरे पर पसीना आने लगा था! मैं और कुछ और लोग चुपचाप कोक में दारू मिला कर चुस्की ले रहे थे! मेरे लिये समाँ खूबसूरत था, मेरी नशीली आँखों के सामने सुंदर सुंदर लडके जो थे! जाइन ने आकर चहकते हुये मुझे अपना कोट पकडने के लिये दिया!
"चाचा, पकड लीजिये ना..."
वो खिलखिलाता चहकता हुआ बडा सुंदर लग रहा था! जब वो मुड के वापस हुआ तो मैने उसकी नयी पैंट से उसकी गाँड के कटाव देखे, पैंट ज़्यादा टाइट नहीं थी मगर फ़िर भी मुझे पूरा अन्दाज़ मिल रहा था! वो वापस जाकर फ़िर गाँड मटकाने लगा! अब धीर धीरे मेरा लँड खडा होने लगा! मैने वेटर से एक और दारू वाली कोक ले ली! तभी ज़ाइन फ़िर भागता हुआ आया, "चाचा थोडी दीजिये... प्यास लग रही है..." और इसके पहले मैं उसको उस कोक की सच्चाई बता पाता, उसने मेरे हाथ से ग्लास लिया और एक साँस में पूरा पी गया!
अब क्या था, अब मैं आराम से बैठ के मज़ा देखने लगा! जैसे जैसे उसको नशा होता गया, वैसे वैसे वो मस्ती से नाचने लगा! कुछ देर के बाद, वो दारू हैण्डल नहीं कर पाया तो मेरी तरफ़ लडखडाता हुआ आया और बोला, "चाचा, अजीब सा लग रहा है..."
वहीं उस भीड में वो लडका फ़िर दिखा! पहले तो वो औरों के साथ डाँस नहीं कर रहा था, बस साथ में शामिल था और हँसी मज़ाक कर रहा था! सभी खिलखिला के हँस रहे थे! कभी शोर मचा के नाचने लगते... किसी का हाथ कहीं, पैर कहीं और गाँड कहीं हो जाते! फ़िर मैने देखा, एक दूसरा लडका उसका हाथ खींच कर उससे भी डाँस कराने लगा! फ़िर देखते देखते उस लडके की गाँड भी थिरकने लगी और कमर मटकने लगी! इस कारण, उसकी बची खुची शर्ट भी जीन्स के बाहर आ गयी! शाम भर के इन्टरेक्शन के बाद मेरी भी उससे काम चलाऊ जान पहचान तो हो ही गयी थी! अब वो जब भी मुझे देखता, मुझे हल्की सी स्माइल देता! फ़िर वो मेरी तरफ़ आया!
"आईये ना, आप भी आईये..."
"अरे नहीं..."
"आपके सभी साथी हैं..."
"मैं नहीं डाँस करता!"
"तो क्या हुआ, आईये तो..."
"तुम करो, मैं तुम्हें देख रहा हूँ..." मैने कहा!
"मुझे भी कहाँ डाँस आता है..." कहकर वो हँसा!
"नहीं, काफ़ी अच्छा डाँस कर लेते हो..."
"थैंक्स, मगर फ़िर भी मुझे डाँस नहीं आता है... वो तो म्यूज़िक का कमाल है!"

उस लडके का नाम आसिफ़ अल्वी था और वो काशिफ़ का नया नवेला साला था! वाह... जीजा चिकना, साला नमकीन... और बहन ज़रूर गुलाबी होगी... क्या ग्रुप था!
इतनें में, ज़ाइन मेरे हाथों से दूसरी कोक भी लेकर पी गया! फ़िर मैने देखा कि आसिफ़ भी कनखियों से हमारी तरफ़ देख रहा था! उसको ये तो पता था कि कोक का क्या राज़ है लेकिन वो समझा कि ज़ाइन शायद जानबूझ के छुप छुप के मुझसे शराब लेकर पी रहा है! मुझे दूर से उसके चेहरे के हाव भाव दिखे! वो शायद सोच रहा था कि ज़ाइन मुझसे इतना फ़्रैंक कैसे है! फ़िर उस उम्र के लडके हर टाइप का शक़ फ़ौरन कर लेते हैं... शायद उसके दिमाग में भी मेरी और ज़ाइन की जोडी देख कर ये बात दौडी कि हो ना हो इस बंदे ने इस चिकने को गाँड मारने के लिये पटा रखा है!
दूसरे पेग के कुछ देर बाद ज़ाइन की गाँड फ़टने लगी! अब उसका सर घूमने लगा और चक्‍कर आने लगे! उसके पैर भी डगमगाने लगे तो मैने सोचा, इसके पहले कि बात बिगडे, सिचुएशन को सम्भाल लेना चाहिये! मैं उसकी तरफ़ गया और उसको पकड के साइड में ले गया! आसिफ़ अब भी हमें देख रहा था! शायद वो ज़ाइन की कमर में पडे मेरे हाथ से और श्योर हो गया था कि हमारे बीच ज़रूर गे रिलेशनशिप है! उसने कुछ देर हम पर नज़र रखी, फ़िर जब हम मेन हॉल से निकल के बाथरूम की तरफ़ मुड गये तो वो अपने और कामों में लग गया!
"क्या देख रहे थे?" जब उसको इस तरह देखते हुये देखकर उसके एक कजिन ने पूछा तो वो बोला "नहीं कुछ नहीं, बस मैं इन दो बंदों को देख रहा हूँ... साले गे चक्‍कर में हैं शायद..." हमें वहाँ से निकलते हुये आसिफ़ ने भी देखा तो उसका शक़ यकीन में बदल गया!
"वाह यार, गे बाराती भी हैं... इसकी माँ की चूत... हा.हा.हा.हा.हा..."
"रहने दे ना... सालों को गाँड मरवाने दे... हम अपना काम करते हैं चलो, अब्बा ने बुलाया है... कुछ सामान आना है चौक से..."
"चौक में अब क्या खुला होगा??? अब तो बस रंडियाँ होगीं वहाँ..."
"हा.हा.हा... चल के सुन तो लो... वरना डाँट पड जायेगी..."
"चलो..."

फ़िर मैने जब ज़ाइन को उस कोक की सच्चाई बताई तो वो उसके होश उड गये!
"चाचा, उल्टी आ रही है..."
"चलो चलो, बाथरूम में उल्टी कर लो..."
"पहले क्यों नहीं बताया?"
"बताता कैसे, तुमने मौका ही नहीं दिया!" मैने उसका हाथ पकडा और उसको बाथरूम की तरफ़ चुपचाप ले गया! वहाँ मैने एक क्यूबिकल का दरवाज़ा खोला और कमोड का ढक्‍कन उठा दिया!
"यहाँ कर लो..." मैने उसकी कमर में हाथ डालते हुये उसका जिस्म सहलाते हुये कहा! उसका बदन चिकना था! वो झुका और 'आउ आउ' करके उसको एक उल्टी हुई... मगर मैने इस बीच अपना हाथ उसकी गाँड पर रख के सहलाना शुरु कर दिया था! मुझे पता था, उस समय वो ध्यान नहीं देगा! उसको फ़िर एक छोटी सी उल्टी हुई और इस बार कुछ उसकी पैंट पर भी आ गयी! "आराम से कर लो, मैं साफ़ कर दूँगा..."
उसने सहारे के लिये साइड की दीवार पकड ली! मैने आराम से उसकी गाँड सहलाना जारी रखा! उसकी गाँड छोटी, मुलायम, चिकनी और शेपली थी! उसको सहला के मज़ा आ रहा था! गाँड सहलाने में मेरा ध्यान आगे थे और मैने देखा नहीं कि इस बीच सोनू वापस आ गया था और सामने खडा मेरी वो हरकत देख रहा था! वो भी ये सब देख कर उत्तेजित हो उठा था और उसके लोअर से उसका लँड उठ गया था! मैं आराम से ज़ाइन की गाँड का मज़ा ले रहा था! फ़िर अचानक जब मेरा ध्यान गया तो मैने सोनू को देखा! वो तब तक मस्त हो चुका था! उसका लँड खडा था! मैं उसको देख के घबराया, मगर वो मुस्कुराया! मेरी नज़र सीधा उसके लोअर पर गयी तो वहाँ से हट नहीं पायी!

"तुम चलो, मेरे रूम में चले जाओ... मैं आता हूँ!" मैने ज़ाइन को अपने रूम चाबी देते हुये कहा! उसके जाते ही मैने सोनू को आँखों में आँखें डाल के देखा तो हम दोनो ही वासना में लिप्त होकर कामुक हो गये! उसने हल्के से अपने निचले होंठ को अपने दाँतों से काटा, फ़िर अपने होंठों पर अपनी ज़बान फ़ेरी! उसकी ज़बान की गुलाबी टिप देख कर मैं मस्त हो गया! फ़िर मेरी नज़र दुबारा उसके लोअर पर पडी तो अब उसका लँड उसके अंदर साफ़ खडा होकर उछलता हुआ प्रतीत हुआ! ना मैं कुछ कह पाया ना वो! वो बस खिसिया के हल्के से हँसा और अपना ध्यान बँटाने के लिये अपने सामने वॉश-बेसिन का काउंटर पोंछने लगा! मगर उसकी नज़रें मेरी नज़रों से ही उलझी रहीं! मैने चारों तरफ़ नज़रें दौडायीं! आस पास कोई नहीं था! एक साइड में खडे होकर मूतने के लिये कमोड लगे थे! थोडा आगे की तरफ़ लाइन से १०-१२ क्यूबिकल्स थे, जिनमें से एक में मैं ज़ाइन को ले गया था! मेरा दिल तेज़ी से धडक रहा था और उत्तेजना भडक रही थी! उसकी भी साँसें तेज चल रही थी! मेरी पैंट में भी लँड खडा होकर ऊपर साफ़ दिखने लगा था! मैने हल्के से हाथ लगा कर उसको सहलाया! उसने भी वैसा किया, मगर उसने अपने लँड को कस के अपने हाथ में पकड के दबाया तो उसकी ट्रैक से उसका लँड साफ़ उभर के पूरे शेप में दिखने लगा! मैं समझ गया कि लोहा गर्म हो चुका है! मैं मूतने के बहाने, थोडा साइड में एक बिल्कुल कोने वाले कमोड पर खडा हो गया और अपना लँड चड्‍डी से बाहर खींच लिया और पकड के हल्के हल्के उसको मसलने लगा! मेरा लँड भी बहुत देर से खडा था, उसकी भी जान में जान आयी!
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05-14-2019, 11:42 AM,
#53
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मस्त कर गया पार्ट --12

अगले दिन बारात जाने की तैयारी होने लगी! ज़ाइन तो ग्रे सूट और नेवी ब्लू टाई में क़यामत लग रहा था, उसके चेहरे पर चमक थी! वो सबसे अलग दिख रहा था! फ़ाइनली बारात बनारस से इलाहबाद पहुँच गयी! इलाहबाद की हवा में हल्की हल्की सर्दी थी! बिल्कुल अक्टूबर एण्ड वाली गुलाबी सर्दी, जिसमें ज़ाइन की कमसिन जवानी और भी निखर के दिखने लगी! वो रास्ते भर तो, बस में मुझसे दूर और लडकों के साथ बैठा था, मगर फ़ाइनली इलाहबाद के शादी के हॉल में उसको फ़िर मेरे बगल में बैठना पडा! मैने फ़िर उसको ताडना शुरु कर दिया! वो शायद पिछली रात के एपिसोड से थोडा सकपका भी रहा था! जोश में शायद सब कुछ बोल और कर तो गया मगर अब उसको डर लगने लगा था कि कहीं मैं वो सब बातें ऑउट ना कर दूँ! उसको मुझ पर भरोसा नहीं था! मगर मुझे उस पर प्यार था! वो अब मुझसे कुछ झेंप और शरमा रहा था!

इधर उधर सुंदर सुंदर वेटर्स घूम रहे थे और ज़ाइन के अलावा भी बडे नमकीन नमकीन लडके थे जिनको मैं दिल लगा के नाप रहा था! मैरिज़ हॉल काफ़ी अच्छा था, बिल्कुल किसी होटल की तरह! हमारे रहने के लिये कमरे भी वहीं सैकँड फ़्लोर पर थे! काशिद दूल्हा बना, बडा चिकना लग रहा था! मेरा तो उसकी गाँड मारने का दिल करने लगा था! मैं ये भी सोच रहा था कि वो खुद इतना चिकना है, जब अपनी नयी बीवी के साथ नँगा होगा तो दोनो कितने नमकीन दिखेंगे! फ़िर मेरी नज़र, उस भीड में एक और सुंदर से जवान लडके पर जा टिकी, जो बार बार इधर उधर जा रहा था... कभी कोई पैकेट लेकर, कभी कोई सामान... कभी वो वेटर्स को कुछ इन्स्ट्रक्शन्स देता, कभी किसी बडे से झुक कर बात करता! लडका सुंदर और स्मार्ट था! थोडे बडे हीरो वाले बाल रखे हुये था! बदन से चिपकी ब्लू जीन्स, जिसकी सिलाई उसकी दरार को चूमती हुई उसके आँडूए से गले मिल रही थी! उसकी एक पॉकेट से रुमाल का एक कोना दिख रहा था और बेढँगे तरीके से रुमाल रखने के कारण उसकी पॉकेट में छोटा सा एक बल्ज़ था! पीछे की एक पॉकेट में उसका वॉलेट था, दूसरी पॉकेट में शायद कुछ छुट्‍टे पैसे रखे हुये थे! जब झुकता तो जीन्स खिंचती और सिक्‍के उसकी पॉकेट में दिखते! थाईज़ मस्क्युलर होने के कारण आगे की दोनो पॉकेट्स बहुत टाइट थी! उसकी कमर कोई ३२ के आसपास रही होगी मगर जीन्स साइज़ ३० की लग रही थी! उसने एक हाफ़ स्लीव की व्हाइट शर्ट पहनी हुई थी, जो भाग दौड में पीछे से ऑउट हो गयी थी! सामने से एक साइड से ज़्यादा बाहर और एक साइड से अंदर थी! आगे उसकी ज़िप शाँत थी, इसलिये उभार ज़्यादा प्रॉमिनेंटली नहीं दिख रहा था, मगर फ़िर भी चलते फ़िरते मैं नज़रों से उसको ताड ही लेता था! उसके होंठों पर एक मनमोहक सी मुस्कुराहट थी, जिससे उसके सफ़ेद दाँत दिख जाते थे! उसकी बॉडी अच्छी थी, हाफ़ स्लीव शर्ट के कारण उसकी बाज़ू और हाथ अच्छी तरह दिख रहे थे! मैं उसको भी देख देख मज़ा लेता रहा!

फ़िर मैं एक दो बार, कभी सोप, कभी पानी माँगने के बहाने से उस लडके को अपने पास बुलाया! पास से तो वो कामदेव था कामदेव! मैं तो बस उसकी भूरी आँखों की झील में तैरता गया! नज़दीक से देखने पर उसके होंठ प्यासे दिखे, उसकी गर्दन का कॉलर के पास वाला पोर्शन गोरा और चिकना दिखा और उसके बाल रेशमी लगे! मैने एक बार ग्लास लेने के बहाने उसकी उँगलियाँ छुयी तो मज़ा आ गया! अब मैं जानबूझ कर हर काम के लिये उसी लडके को बुलाता! वो रहा होगा कोई १९-२० साल का, करीब ६ फ़िट लम्बा, गोरा और चिकना! मैं तो बस बिस्तर में उसके परफ़ॉरमेंस का तसव्वुर करता रहा, जैसा मैं ऐसी जगहों पर हमेशा करता हूँ! फ़िर ज़ाइन मेरे बगल में आ गया! मुझे उस पोजिशन से उसकी जाँघें दिख रहीं थीं!
"टाई तो बढिया है..."
"जी... पापा लाये थे!"
"सूट कहाँ सिलवाया?"
"जी, बैंगलोर में ही सिलवाया था... पापा के टेलर से..."
"अच्छे लग रहे हो..." मैने उसको कम्फ़र्टेबल करने की कोशिश की!
"थैंक्स..."
"आओ बाहर चलते हैं..."
"चलिये..."
"एक मिनिट, ज़रा पिशाब कर लूँ..." बाहर जाते जाते मैने कहा!
"मैं भी कर लेता हूँ..."
हमने सामने के टॉयलेट में अगल बगल होकर जब पिशाब किया तो मैने तो उसका लँड देखा ही देखा, मैने देखा कि वो भी मेरा लँड देख रहा था जिससे मेरा लँड हल्का सा जग गया! उसका भी हल्का सा प्लैसिड लँड था! हम जब मूत के हाथ धो रहे थे तो एक लडका आया और फ़र्श साफ़ करने लगा! वो जवान सा २०-२१ साल का लडका था! अगर टॉयलेट साफ़ नहीं कर रहा होता तो पता नहीं चलता कि वो भँगी है! उसका चेहरा गोरा था, जिस्म चिकना, बाल स्मार्ट थे! कुल मिला कर काफ़ी वेल मेन्टेन्ड और हैंडसम था! बिल्कुल हीरो बना हुआ था और उस समय एक टी-शर्ट और सुर्ख लाल रँग का लोअर पहने था! बस उसके दाँतों पर गुटके के निशान थे! मैं जब उसको देख के मुसकुराया और मुस्कुराते हुये उसका गदराया जिस्म ताडा तो वो भी वापस मुस्कुराया! उसका लोअर वैसे तो साइज़ में सही था मगर उसकी मस्क्युलर जवानी के लिये टाइट पड रहा था! मुझे लोअर के अंदर उसके लँड का शेप और सुपाडे का उभार साफ़ दिखा! मैं ज़ाइन के साथ बाहर आया और फ़िर वापस जाकर उस लडके, सोनू, को सौ का एक नोट दे दिया!
"लो रख लो, तुमने अच्छा साफ़ कर रखा है..." तो उसका चेहरा खिल उठा! मेरे लिये वो इन्वेस्टमेंट था!

फ़ाइनली शादी के प्रोग्राम के बाद, रात में वहीं हॉल में महफ़िल जमी और सभी मस्ती करने के लिये लाउड म्यूज़िक लगा के डाँस करने लगे! ज़्यादातर बच्चे और लडके ही थे! बाकी लोग सो गये थे! उनमें कुछ लडकी वालों की तरफ़ के भी लडके आ गये थे! ज़ाइन खूब अपनी कमर और गाँड मटका मटका के नाच रहा था! उसने अपने सूट का कोट उतार दिया और टाई ढीली कर ली! नाचने से उसके चेहरे पर पसीना आने लगा था! मैं और कुछ और लोग चुपचाप कोक में दारू मिला कर चुस्की ले रहे थे! मेरे लिये समाँ खूबसूरत था, मेरी नशीली आँखों के सामने सुंदर सुंदर लडके जो थे! जाइन ने आकर चहकते हुये मुझे अपना कोट पकडने के लिये दिया!
"चाचा, पकड लीजिये ना..."
वो खिलखिलाता चहकता हुआ बडा सुंदर लग रहा था! जब वो मुड के वापस हुआ तो मैने उसकी नयी पैंट से उसकी गाँड के कटाव देखे, पैंट ज़्यादा टाइट नहीं थी मगर फ़िर भी मुझे पूरा अन्दाज़ मिल रहा था! वो वापस जाकर फ़िर गाँड मटकाने लगा! अब धीर धीरे मेरा लँड खडा होने लगा! मैने वेटर से एक और दारू वाली कोक ले ली! तभी ज़ाइन फ़िर भागता हुआ आया, "चाचा थोडी दीजिये... प्यास लग रही है..." और इसके पहले मैं उसको उस कोक की सच्चाई बता पाता, उसने मेरे हाथ से ग्लास लिया और एक साँस में पूरा पी गया!
अब क्या था, अब मैं आराम से बैठ के मज़ा देखने लगा! जैसे जैसे उसको नशा होता गया, वैसे वैसे वो मस्ती से नाचने लगा! कुछ देर के बाद, वो दारू हैण्डल नहीं कर पाया तो मेरी तरफ़ लडखडाता हुआ आया और बोला, "चाचा, अजीब सा लग रहा है..."
वहीं उस भीड में वो लडका फ़िर दिखा! पहले तो वो औरों के साथ डाँस नहीं कर रहा था, बस साथ में शामिल था और हँसी मज़ाक कर रहा था! सभी खिलखिला के हँस रहे थे! कभी शोर मचा के नाचने लगते... किसी का हाथ कहीं, पैर कहीं और गाँड कहीं हो जाते! फ़िर मैने देखा, एक दूसरा लडका उसका हाथ खींच कर उससे भी डाँस कराने लगा! फ़िर देखते देखते उस लडके की गाँड भी थिरकने लगी और कमर मटकने लगी! इस कारण, उसकी बची खुची शर्ट भी जीन्स के बाहर आ गयी! शाम भर के इन्टरेक्शन के बाद मेरी भी उससे काम चलाऊ जान पहचान तो हो ही गयी थी! अब वो जब भी मुझे देखता, मुझे हल्की सी स्माइल देता! फ़िर वो मेरी तरफ़ आया!
"आईये ना, आप भी आईये..."
"अरे नहीं..."
"आपके सभी साथी हैं..."
"मैं नहीं डाँस करता!"
"तो क्या हुआ, आईये तो..."
"तुम करो, मैं तुम्हें देख रहा हूँ..." मैने कहा!
"मुझे भी कहाँ डाँस आता है..." कहकर वो हँसा!
"नहीं, काफ़ी अच्छा डाँस कर लेते हो..."
"थैंक्स, मगर फ़िर भी मुझे डाँस नहीं आता है... वो तो म्यूज़िक का कमाल है!"

उस लडके का नाम आसिफ़ अल्वी था और वो काशिफ़ का नया नवेला साला था! वाह... जीजा चिकना, साला नमकीन... और बहन ज़रूर गुलाबी होगी... क्या ग्रुप था!
इतनें में, ज़ाइन मेरे हाथों से दूसरी कोक भी लेकर पी गया! फ़िर मैने देखा कि आसिफ़ भी कनखियों से हमारी तरफ़ देख रहा था! उसको ये तो पता था कि कोक का क्या राज़ है लेकिन वो समझा कि ज़ाइन शायद जानबूझ के छुप छुप के मुझसे शराब लेकर पी रहा है! मुझे दूर से उसके चेहरे के हाव भाव दिखे! वो शायद सोच रहा था कि ज़ाइन मुझसे इतना फ़्रैंक कैसे है! फ़िर उस उम्र के लडके हर टाइप का शक़ फ़ौरन कर लेते हैं... शायद उसके दिमाग में भी मेरी और ज़ाइन की जोडी देख कर ये बात दौडी कि हो ना हो इस बंदे ने इस चिकने को गाँड मारने के लिये पटा रखा है!
दूसरे पेग के कुछ देर बाद ज़ाइन की गाँड फ़टने लगी! अब उसका सर घूमने लगा और चक्‍कर आने लगे! उसके पैर भी डगमगाने लगे तो मैने सोचा, इसके पहले कि बात बिगडे, सिचुएशन को सम्भाल लेना चाहिये! मैं उसकी तरफ़ गया और उसको पकड के साइड में ले गया! आसिफ़ अब भी हमें देख रहा था! शायद वो ज़ाइन की कमर में पडे मेरे हाथ से और श्योर हो गया था कि हमारे बीच ज़रूर गे रिलेशनशिप है! उसने कुछ देर हम पर नज़र रखी, फ़िर जब हम मेन हॉल से निकल के बाथरूम की तरफ़ मुड गये तो वो अपने और कामों में लग गया!
"क्या देख रहे थे?" जब उसको इस तरह देखते हुये देखकर उसके एक कजिन ने पूछा तो वो बोला "नहीं कुछ नहीं, बस मैं इन दो बंदों को देख रहा हूँ... साले गे चक्‍कर में हैं शायद..." हमें वहाँ से निकलते हुये आसिफ़ ने भी देखा तो उसका शक़ यकीन में बदल गया!
"वाह यार, गे बाराती भी हैं... इसकी माँ की चूत... हा.हा.हा.हा.हा..."
"रहने दे ना... सालों को गाँड मरवाने दे... हम अपना काम करते हैं चलो, अब्बा ने बुलाया है... कुछ सामान आना है चौक से..."
"चौक में अब क्या खुला होगा??? अब तो बस रंडियाँ होगीं वहाँ..."
"हा.हा.हा... चल के सुन तो लो... वरना डाँट पड जायेगी..."
"चलो..."
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05-14-2019, 11:42 AM,
#54
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
फ़िर मैने जब ज़ाइन को उस कोक की सच्चाई बताई तो वो उसके होश उड गये!
"चाचा, उल्टी आ रही है..."
"चलो चलो, बाथरूम में उल्टी कर लो..."
"पहले क्यों नहीं बताया?"
"बताता कैसे, तुमने मौका ही नहीं दिया!" मैने उसका हाथ पकडा और उसको बाथरूम की तरफ़ चुपचाप ले गया! वहाँ मैने एक क्यूबिकल का दरवाज़ा खोला और कमोड का ढक्‍कन उठा दिया!
"यहाँ कर लो..." मैने उसकी कमर में हाथ डालते हुये उसका जिस्म सहलाते हुये कहा! उसका बदन चिकना था! वो झुका और 'आउ आउ' करके उसको एक उल्टी हुई... मगर मैने इस बीच अपना हाथ उसकी गाँड पर रख के सहलाना शुरु कर दिया था! मुझे पता था, उस समय वो ध्यान नहीं देगा! उसको फ़िर एक छोटी सी उल्टी हुई और इस बार कुछ उसकी पैंट पर भी आ गयी! "आराम से कर लो, मैं साफ़ कर दूँगा..."
उसने सहारे के लिये साइड की दीवार पकड ली! मैने आराम से उसकी गाँड सहलाना जारी रखा! उसकी गाँड छोटी, मुलायम, चिकनी और शेपली थी! उसको सहला के मज़ा आ रहा था! गाँड सहलाने में मेरा ध्यान आगे थे और मैने देखा नहीं कि इस बीच सोनू वापस आ गया था और सामने खडा मेरी वो हरकत देख रहा था! वो भी ये सब देख कर उत्तेजित हो उठा था और उसके लोअर से उसका लँड उठ गया था! मैं आराम से ज़ाइन की गाँड का मज़ा ले रहा था! फ़िर अचानक जब मेरा ध्यान गया तो मैने सोनू को देखा! वो तब तक मस्त हो चुका था! उसका लँड खडा था! मैं उसको देख के घबराया, मगर वो मुस्कुराया! मेरी नज़र सीधा उसके लोअर पर गयी तो वहाँ से हट नहीं पायी!

"तुम चलो, मेरे रूम में चले जाओ... मैं आता हूँ!" मैने ज़ाइन को अपने रूम चाबी देते हुये कहा! उसके जाते ही मैने सोनू को आँखों में आँखें डाल के देखा तो हम दोनो ही वासना में लिप्त होकर कामुक हो गये! उसने हल्के से अपने निचले होंठ को अपने दाँतों से काटा, फ़िर अपने होंठों पर अपनी ज़बान फ़ेरी! उसकी ज़बान की गुलाबी टिप देख कर मैं मस्त हो गया! फ़िर मेरी नज़र दुबारा उसके लोअर पर पडी तो अब उसका लँड उसके अंदर साफ़ खडा होकर उछलता हुआ प्रतीत हुआ! ना मैं कुछ कह पाया ना वो! वो बस खिसिया के हल्के से हँसा और अपना ध्यान बँटाने के लिये अपने सामने वॉश-बेसिन का काउंटर पोंछने लगा! मगर उसकी नज़रें मेरी नज़रों से ही उलझी रहीं! मैने चारों तरफ़ नज़रें दौडायीं! आस पास कोई नहीं था! एक साइड में खडे होकर मूतने के लिये कमोड लगे थे! थोडा आगे की तरफ़ लाइन से १०-१२ क्यूबिकल्स थे, जिनमें से एक में मैं ज़ाइन को ले गया था! मेरा दिल तेज़ी से धडक रहा था और उत्तेजना भडक रही थी! उसकी भी साँसें तेज चल रही थी! मेरी पैंट में भी लँड खडा होकर ऊपर साफ़ दिखने लगा था! मैने हल्के से हाथ लगा कर उसको सहलाया! उसने भी वैसा किया, मगर उसने अपने लँड को कस के अपने हाथ में पकड के दबाया तो उसकी ट्रैक से उसका लँड साफ़ उभर के पूरे शेप में दिखने लगा! मैं समझ गया कि लोहा गर्म हो चुका है! मैं मूतने के बहाने, थोडा साइड में एक बिल्कुल कोने वाले कमोड पर खडा हो गया और अपना लँड चड्‍डी से बाहर खींच लिया और पकड के हल्के हल्के उसको मसलने लगा! मेरा लँड भी बहुत देर से खडा था, उसकी भी जान में जान आयी!

मैने कनखियों से देखा, वो थोडी दूर आकर रुक गया! मैने गर्दन मोडी और उससे आँखें मिलाई! उसके चिकने चेहरे पर कामुकता का तूफ़ान उमडा पडा था! नज़रें वासना में बिल्कुल लिप्त थी! होंठ सिरहन के मारे हल्के सिकुडे हुये थे और चेहरा तमतमा रहा था! हमने कुछ कहा तो नहीं पर हमारी आँखें बिना कुछ कहे सब बयाँ कर रहीं थी! उसने अपनी एक आँख हल्के से दबा के मुझे इशारा किया और मुस्कुराया! मैं हल्के से पीछे होकर ऐसे साइड हुआ कि उसे मेरा लँड दिखने लगा! मेरा साइज़ देखते ही उसके चेहरे का भाव बदला! इस बार मैने उसको हल्के से आँख मारी! वो धीरे धीरे मेरे बगल वाले कमोड में आ गया और बीच वाले पार्टिशन पर एक हाथ रख कर दूसरे हाथ से अपना ट्रैक थोडा सरकाया! उसने भी अपना खडा लँड अपनी चड्‍डी की क़ैद से आज़ाद कर दिया! अब हम दोनो की नज़रें एक दूसरे के लँड पर थी! दोनो के लौडे हवा में ठनक के सीधे खडे थे! उसने अपने हाथ से अपने लौडे की चमडी पीछे की तो मुझे उसका खुला हुआ सुपाडा दिखा!
उसका लँड अच्छा लम्बा था, मगर ज़्यादा मोटा नहीं था! मैने पार्टिशन पर रखे उसके हाथ पर हाथ रखा और उसको हल्के हल्के सहलाने लगा! उसके हाथ में जान थी! मैने और टाइम नहीं खराब किया और हाथ नीचे की तरफ़ बढा कर उसका लँड थाम लिया! उसकी सिसकारी निकल गयी!
"सिउउउहहहह... साला... अआहहह..." और अगले ही पल उसने अपने हाथ को नीचे करके मेरे लँड को पकड लिया और हम दोनो ने मदहोश होकर एक दूसरे की तरफ़ देखा!

अभी बात आगे बढ भी नहीं पायी थी कि अचानक किसी के आने की आहट हुई और हमने एक दूसरे के लँड छोड दिये और मूतने का बहाना करने लगे! वो आने वाला आसिफ़ था, जो शाम से ही मेरी हरकतों पर नज़र रखे हुये था! वो खडा होकर मूतने लगा! उसने हमें शक़ की नज़रों से देखा!
"और क्या हाल है..." मैने उससे पूछा!
"अच्छा है!"
"काफ़ी काम है तुम्हें..."
"जी हाँ... अब शादी में तो काम करना ही पडता है ना..."
"हाँ, वो तो है... वो भी बहन की शादी..." जब हम ये बातें कर रहे थे, उसी मैरिज़ हॉल के एक सजे हुये कमरे में काशिफ़ उसकी बहन को चोद रहा था! उसने अपनी नयी बीवी की चिकनी चूत में अपना चिकना लँड घुसाया तो मस्ती से उसका सर घूम गया! वो हिचक हिचक के चूत की सील तोडने लगा!
"तुम पढते हो?"
"हाँ, इंजिनीरिंग फ़र्स्ट ईअर में..."
"कहाँ?"
"अलीगढ में..."
"अच्छा ए.एम.यू. में?"
"हाँ!"
"मैं कभी अलीगढ नहीं आया हूँ!"
"तो आ जाईये!" इस सब के बीच सोनू चुपचाप खडा था!

"अंदर आ जाओ!" आसिफ़ मूत के चला गया तो सोनू ने पहली बार कुछ कहा! उसने आँखों से एक क्यूबिकल की तरफ़ इशारा किया!
"चलो..." मैने कहा और हम झट एक क्यूबिकल में घुस गये! इस बार मैं उससे लिपट गया और उसका बदन सहलाने लगा! उसके मसल्स में काफ़ी दम था और बदन गर्म था! मुझे उसकी बाहों में बहुत मज़ा आया! मैं जितना उससे चिपकता वो उतना मुझे जकडता! उसने एक हाथ मेरी कमर पर जकड लिया! मैं उसकी पीठ सहला रहा था और वो मेरा जिस्म! हम एक दूसरे के लँड में लँड भिडा रहे थे! समाँ उफ़ान पर था और ठरक जवान थी!

फ़िर मैं थोडा साइड हुआ और अपनी कमर उसके लँड पर रख के दबाने लगा! उसने मुझे पेट में दोनो हाथ डाल कर पकड लिया और अपने लँड से धक्‍के देने लगा! मैने अपना सर उसके कंधे पर टिकाया और फ़िर उसकी गरदन में मुह घुसा दिया और वहाँ चाटने लगा! उसने एक हाथ से मेरे चेहरे को पकड लिया और एक से वो मेरी कमर और पेट सहलाता रहा! फ़िर हमने एक दूसरे को देखा और हमारे मुह हल्के से खुल गये और होंठ आपस में चिपक गये और हम एक दूसरे का मुह चूसने लगे! मैं ना जाने उसका कितना थूक पी गया और वो ना जाने मेरा कितना पी गया! हम बेतहाशा एक दूसरे में समाँ गये, हमारी आँखें बन्द होने लगीं! उसने मेरी बैल्ट खोली, फ़िर पैंट का हुक, फ़िर बटन... और फ़िर ज़िप खोल के मेरी पैंट जाँघों पर खींच दी और फ़िर एक कामुक धक्‍के से मुझे मोड के थोडा झुकाया और अपने ट्रैक के अंदर से ही, चड्‍डी में बन्द मेरी गाँड को दबोच दबोच कर, उस पर अपना लँड दबाने और रगडने लगा! मैं खुद भी उचक उचक के अपनी गाँड उसके लँड पर मसलने लगा! उसने मेरे पेट में हाथ डाल के मुझे कस के अपने लँड से चिपका लिया और एक हाथ से मेरी चड्‍डी नीचे सरका दी! अब मेरी गाँड उसके लिये खुल गयी थी! उसने अपना लँड वैसे ही मेरी गाँड में रगडना जारी रखा और हाथ आगे करके मेरा लँड पकड के उसे भी मसलना शुरु कर दिया!

फ़िर उसने अपनी ट्रैक और अपनी चड्‍डी नीचे कर दी! क्यूबिकल में सिर्फ़ हमारी साँसें गूँज रहीं थी! जैसे ही उसने लँड खोला, मैं कमोड पर बैठ गया और एक हाथ से उसका लँड पकड के अपने होंठों से उसे सहलाने लगा! वो जैसे उफ़न पडा और वीर्य की कुछ बून्दें तुरंत उसके लँड के टिप पर छलक आई! मैने उसके सुपाडे पर ज़बान फ़िराई... उसका वीर्य नमकीन था! मैने एक हाथ पीछे उसकी गाँड पर रखा! उसकी गाँड चिकनी और मस्क्युलर थी! मैने हल्के से उसकी दरार को अपने हाथों से नापा और उसके छेद पर उँगली की! उसने अपना लँड मेरे मुह में घुसा दिया! मैं मुह आगे पीछे करके उसका लँड चूसने लगा और दोनो हाथों से उसकी गाँड की फ़ाँकों को पकड लिया! उसकी गदरायी देसी फ़ाँकें मस्ती से थिरक रहीं थी! वो कभी उन्हें भींचता कभी ढीला छोडता! मैने उनको ऐसे पकडा हुआ था कि मेरी सारी उँगलियों की टिप्स उसकी दरार में थी! मैं अपनी इन्डेक्स फ़िंगर की टिप से उसके सुराख को दबा भी रहा था! उसकी टाँगें थोडी फ़ैली हुई थीं, जिस वजह से उसकी गाँड भी कुछ फ़ैली हुई थी! उसका लँड सपड सपड मेरे मुह में अंदर बाहर होकर मेरे थूक से पूरा भीग चुका था! वो कभी जोश में भरता तो मेरा सर पकड के ज़ोर ज़ोर से मुह चोदने लगता! फ़िर ठँडा होकर मुझे ही लँड चूस लेने देता! मैं बीच बीच में अपना भी लँड मसलने लगता!

"लाओ, अपना भी चुसवाओ ना..." उसने कुछ देर में कहा तो हमने पोजिशन्स चेंज कर लीं और उसने प्यार से अपना मुह खोल के मेरा लँड चूसना शुरु कर दिया! अब मैं उसका मुह चोदने लगा और उसने अपनी एक उँगली मेरी गाँड के अंदर देना शुरु कर दिया! वो एक हाथ से अपनी मुठ मारे जा रहा था! हमने अपनी चड्‍डियाँ पूरी उतार दीं थी और नीचे पूरे नँगे हो गये थे! उसने मेरी शर्ट के ऊपर के कुछ बटन खोल दिये! फ़िर वो खडा हुआ और मेरी चूचियों को चूसने लगा! मैने उसका सर पकड लिया! वो पूरा मुह खोल खोल के मेरी छाती चूस रहा था!

फ़िर वो अपने आप मुडा और मेरे लँड के सुपाडे को अपनी गाँड की फ़ाँकों के बीच अपनी जाँघों में फ़ँसा के दबाने लगा! मैने हाथ आगे करके उसको पकड लिया और उसकी गाँड पर धक्‍के देने लगा! मैने अपने हाथ में उसका खडा लँड थाम लिया! करते करते मैने उसका एक पैर कमोड पर करवा दिया और उसके छेद को देखा जिस पर हल्के बाल थे! मैने झुक के जब उसको चूमा तो वो सिसकारी भरने लगा! मैने उसको ज़बान से खोला तो वो उससे मस्त हो गया! मैने अपने भीगे हुये लँड पर और थूक गिराया और फ़िर उसके छेद पर अपना लँड दबाने लगा तो उसने गाँड भींच ली!
"ढीली कर ना..."
"फ़ट जायेगी यार..."
"नहीं फ़टेगी..."
"ज़्यादा ढीली की तो टट्‍टी निकल जायेगी!"
"तू कर तो..." उसने हल्की सी गाँड ढीली की और मैने सुपाडा घुसा दिया तो वो उछला "आहहहह..."
"चैन से रह यार..."
"नहीं बे, बडा मोटा है..."
"कुछ नहीं होगा... आराम से ढीली कर..."
"अबे, टट्‍टी निकाल देगा... साला, आज सुबह से की भी नहीं है..."
"तो यहीं कर लियो..." मैने अपना सुपाडा उसकी गाँड में घुसा दिया! वो छिहुँक गया, मैने मौका देख और धक्‍का लगाया और करीब आधा लँड उसकी गाँड में डाल दिया! मगर वो गाँड मरवाने में उछलने लगा और साला था भी ताक़तवर! मैं उसको ज़ोर के दम पर भी काबू में नहीं कर पा रहा था!
"अबे रुक... टट्‍टी आ गयी..." वो फ़ाइनली कमोड पर बैठ गया और कुछ देर में सच में वो हगने लगा! मैं अपनी गाँड उसकी गोद पर रख के बैठ गया और वैसे ही उसके लँड की मालिश करने लगा!

धीरे धीरे मैं उचक के उसके सुपाडे पर अपना छेद लगाने लगा और देखते देखते उसकी गोद में बैठे बैठे ही मैने उसका लँड अपनी गाँड में ले लिया और उछल उछल के उससे अपनी गाँड मरवाने लगा! उसने अपने पैर सामने फ़ैला लिये और गाँड उचका उचका के मेरी गाँड में लँड देने लगा और सामने हाथ कर के मेरा लौडा मसलने लगा! वो मेरे आँडूए भी दबाये जा रहा था और मेरी जाँघों पर भी हाथ मार रहा था!
"तेरी तो फ़टी हुई है..."
"हाँ..."
"मैने ज़्यादा नहीं मरवायी है..."
"हाँ... लग गया था मुझे!" मैने कहा!
"तू कल चला जायेगा क्या?"
"हाँ..."
"तेरी बडी याद आयेगी... तेरे साथ बहुत मज़ा आया!"
"अच्छा मेरा नम्बर ले ले..."

कुछ देर में उसने मुझे जकड लिया और उछल उछल कर मेरी गाँड में अपना वीर्य भर दिया! गाँड के अंदर उसका गर्म वीर्य कुलबुला रहा था! मैने बैठे बैठे ही उसको लिपटा लिया और उसके होंठों पर होंठ रख दिये!
"ला, तेरा झडवा दूँ.. चूस दूँ क्या?" उसने कहा!
"नहीं रहने दे..."
"हाँ... तुम्हें तो उस चिकने की लेनी होगी ना..." उसने ज़ाइन के बारे में कहा!
"दे नहीं रहा है यार... अभी साले को लाइन पर ला रहा हूँ..."
"आ जायेगा... तू शातिर है, साले को लाइन पर ले ही आयेगा... वैसे उसकी गाँड बढिया रगड रहा था... हा.हा..."
"हाँ, ट्राई तो कर रहा हूँ..." मैने कहा और फ़िर हमने एक और चुम्बन लिया! तभी साइड वाले क्यूबिकल में फ़्लश चलने की आवाज़ आयी तो हम चुप हो गये!
"इसमें कोई था क्या?" उसने फ़ुसफ़ुसा कर पूछा!
"हाँ, लगता तो है..."
"साले ने आवाज़ें और बातें ना सुन ली हों..."
"पता नहीं..."
"चल रुक जा... इसको निकल जाने दे, फ़िर निकलेंगे..." हम वहीं बैठे रहे! उसका लँड मुरझा कर अपने आप मेरी गाँड से बाहर फ़िसल गया, मगर मैं उसकी गोद में ही बैठा रहा! उसके बाद बगल वाला क्यूबिकल खुला, किसी के चलने की आवाज़ आयी, वॉश-बेसिन पर पानी की आवाज़ आयी और कदम बाहर चले गये!

उसके बाद मैं खडा हुआ तो सोनू ने अपनी गाँड धोयी और पहले मैं क्यूबिकल से बाहर आया और फ़िर मेरे पीछे पीछे सोनू! उससे चुदवाने के बाद, मुझे वो और भी ज़्यादा सुंदर लग रहा था!
"कितने बजे तक रहेगा?" मैने उससे पूछा!
"११-१२ तक चला जाऊँगा... फ़िर सुबह आऊँगा... क्यों?"
"ऐसे ही..."
"फ़िर दिल करने लगा क्या? हा.हा..." उसने मुस्कुराते हुये पूछा!
"नहीं, ऐसे ही पूछा..."
"नींद ना आये तो फ़ोन कर देना... आधे एक घंटे में लौडा फ़िर तैयार हो जायेगा..." सोनू सच बडा हसीन था!
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05-14-2019, 11:42 AM,
#55
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
बाहर मैदान साफ़ था! मैं उसके निकलने के पहले ही बाहर आ गया! अब बाहर सूनसान था! अंदर हॉल से आवाज़ें आ रहीं थी! मैने मैरिज़ हॉल के रिसेप्शन की तरफ़ देखा, वहाँ एक टी.वी. ऑन था और २-३ लोग बैठे थे... उसमें आसिफ़ भी था! जब मैं उस तरफ़ बढा और टाँगें आगे पीछे हुई तो गाँड से सोनू का वीर्य रिसने लगा और मेरी चड्‍डी पीछे से गीली होने लगी! मगर मुझे पता था, वो जल्दी ही अब्सॉर्ब हो जायेगा, जैसा अक्सर होता था! चलने में मुझे गाँड में सोनू के लँड की गर्मी भी महसूस हुई! आसिफ़ ने मुझे देखा... उसकी नज़रों में कशिश थी! वो अपने मोबाइल पर बात कर रहा था! बात करते करते मुस्कुराता तो सुंदर लगता! बैठने से उसकी जाँघें टाइट हो गयी थीं और अब उसके टाँगों के बीच उभार दिख रहा था! मैं उसकी जवानी पर एक नज़र डालते हुये उससे थोडी दूर पर बैठ गया! बाकी दोनो मैरिज़ हॉल में काम करने वाले बुढ्‍ढे थे, जो टी.वी. देख रहे थे! ना मुझे उनमें, ना उनको आसिफ़ में कोई इंट्रेस्ट था!

आसिफ़ ने सोफ़े पर बैठे हुए, बात करते करते अपनी दोनो टाँगें सामने फ़ैला लीं, तो मुझे उसका जिस्म ठीक से नापने को मिला! उस पोजिशन में उसकी ज़िप उभर के ऊपर हो गयी थी! मौसम में हल्की सी सर्दी थी इसलिये उसने एक स्लीवलेस स्वीट टी-शर्ट भी ऊपर से पहन ली थी! फ़ोन डिस्कनेक्ट करने के बाद भी वो वैसे ही बैठा रहा! उसने मुझे देखते हुये देखा, दोनो बुढ्‍ढे चले गये थे और हम अकेले ही रह गये थे!
"आप सोये नहीं?"
"अभी कहाँ सोऊँगा..."
"अरे, आराम से सो जाईये..." अभी बात आगे बढी भी नहीं थी कि कहीं से उसका एक कजिन आ गया, जो खुद भी उसी की तरह खूबसूरत था! मैने उससे भी हाथ मिलाया! उसका नाम वसीम था!
"तो तुम अलीगढ में पढते हो?"
"हाँ, दोनो एक ही क्लास में हैं..."
"अलीगढ आऊँगा कभी..."
"हाँ आईये, हमारे ही साथ हॉस्टल में रुकियेगा..."
"अच्छा? वहाँ प्रॉब्लम नहीं होगी?"
"नहीं, हम दोनो अकेले एक रूम में रहते हैं! कोई प्रॉब्लम नहीं होगी!" वसीम बोला!
"वरना, ये कहीं और सो जायेगा..." आसिफ़ बोला!
"ज़रूर प्लान करिये!"
फ़िर दोनो में कुछ खुसर फ़ुसर हुई! कभी दोनो मुझे देखते, कभी मुस्कुराते! मुझे तो दूसरा शक़ हो गया! मगर बात कुछ और थी... मैने पूछ ही लिया!
"क्या हुआ?"
"कुछ नहीं..."
"अरे पूछ ले ना भैया से..."
"जी वो... आपके आपके पास सिगरेट है?"
"हाँ है ना... लो..."
"यहाँ???"
"हाँ... यहाँ कौन देखेगा इतने कोने में... या चलो, ऊपर मेरे रूम में चलो..."
"चलिये, आपको दूसरे रूम में ले चलते हैं..."
जब रूम में सिगरेट जली तो लडके और ज़्यादा फ़्रैंक हो गये! हमने वहाँ भी टी.वी. ऑन कर दिया... वसीम बार बार चैनल चेंज कर रहा था!
"अबे, क्या ढूँढ रहा है?"
"देख रहा हूँ, कुछ 'नीला नीला' आ रहा है या नहीं..."
"अबे, यहाँ थोडी देगा?"
"अबे, पाण्डे यहाँ भी देता है केबल कनेक्शन... साला अक्सर रात में लगा देता है..."
लडके ब्लू फ़िल्म ढूँढ रहे थे अगर उनको मिल जाती तो मेरे तो मज़े आ जाते!
"साले ठरकी है क्या... रहने दे, भैया भी हैं!"
"अब क्या, अब तो अम्बर भैया अपने फ़्रैंड हो गये हैं... हा हा हा हा..." वसीम बोला और हँसा!
"हाँ, फ़्रैंड का मतलब अब उनके सामने ही सब देखने लगेगा साले?" आसिफ़ ने हल्के से शरमाते हुये कहा!
"तो क्या हुआ यार, देख ही तो रहे हैं... कुछ कर तो नहीं रहे हैं ना..."
और खटक... अगला चैनल बदलते ही एक लौंडिया की खुली हुई चूत और उसमें दो लडकों के लँड सामने आ गये!
"वाह, देखा ना... मैने कहा था ना, लगाया होगा साले ने... देख देख, माल बढिया है..."
ब्लू चैनल आते ही आसिफ़ हल्का सा झेंपा भी, मगर फ़िर सिगरेट का कश लगाया और टाँगें फ़ैला दीं! वो सामने कुर्सी पर बैठा, मैं और वसीम बेड पर थे! मेरा लँड तो सोनू वाले केस के बाद से खडा ही था, उन दोनो का, चुदायी देख के खडा होने लगा! मगर आसिफ़ ने अपनी टाँगें फ़ैलायी रखी, मेरी नज़र उसकी ज़िप पर थी जो हल्के हल्के उठ रही थी!
"देख, इसकी शक्ल तेरी वाली की तरह नहीं है???" वसीम उस लडकी को देख के बोला तो आसिफ़ बोला "बहनचोद, तमीज़ से बोल... वो तेरी भाभी है..."
"हा हा हा हा... भाभी... मेरा लँड..." लडके अब और फ़्रैंक हो रहे थे!
"ये किसकी बात हो रही है?"
"अरे, भाई ने एक आइटम फ़ँसाया हुआ है... उसकी बात..." वसीम ने बताया!
"मगर, साली सुरँग में अजगर नहीं जाने दे रही है... इसलिये भाई कुछ परेशान है... हा हा हा..."
"ओए, तमीज़ में रह यार..."
"सच नहीं कह रहा हूँ??? या तूने ले ली? हा हा हा..."
"अबे, ली वी नहीं है..."
"अबे, तो वही कह रहा हूँ ना..." वसीम ने उँगलियों से चूत बनायी और "सुरँग में... अजगर... नहीं जाने दे रही..." दूसरे हाथ की एक उँगली उस चूत में अंदर बाहर करते हुये कहा!
साले, हरामी टाइप के स्ट्रेट लौंडे थे... और कहाँ मैं उनके बीच गे गाँडू... मुझे लगा कि टाइम वेस्ट होगा मगर फ़िर भी उनके जिस्म देखने और उनकी बातें सुनने के लिये मैं बैठा रहा!

"देख... बहन के लौडे का कितना मोटा है?"
"हाँ, साला है तो बडा..."
"ये इनके इतने बडे कैसे हो जाते हैं?"
"बुर पेल पेल के हो जाते होंगे..."
"नहीं यार, सालों के होते ही बडे होंगे!" दोनो चाव से लँड डिस्कस कर रहे थे!
तभी बगल वाले कमरे से कुछ आवाज़ आई तो दोनो चुप हो गये!
"आई... नाह..." वो आवाज़ काशिफ़ की बीवी की थी, जो चूत में पूरा लँड नहीं ले पा रही थी! काशिफ़ का लँड बडा हो गया था और उसकी कुँवारी चूत टाइट थी! काशिफ़ बहुत कोशिश करता, मगर अंदर नहीं घुसा पाता, साथ में उसकी बीवी हिल जाती या पलट जाती!
"अरे, डालने दो ना... अब डालना तो है ही, चुपचाप डलवा लो..." उसने खिसिया के कहा!
"आज नहीं... आज नींद आ रही है..." फ़िर जब काशिफ़ ने ज़बरदस्ती डालने की कोशिश की तो उसकी बीवी की चीख निकल गयी!
आसिफ़ और वसीम ने मुझे सकपका के देखा और फ़िर दोनो मुस्कुरा दिये!
"साला, ये कमरा ग़लत है... हा हा हा..."
"बहनचोद, सुहागरात वाले कमरे के बगल में आया ही क्यों? वहाँ से तो ये सब आवाज़ें आयेंगी ही..."
"अबे चुप कर... भैया के सामने..."
"अब क्या छुपाना भैया से... हा हा हा हा..." वसीम हँसा!
"क्या सोचेंगे?"
"सोचेंगे कुछ नहीं... क्यों भैया... आप कुछ सोच रहे हो क्या?" वसीम ने कहा!
"नहीं यार कुछ नहीं..."
"वही तो..." वसीम बोला!
"ये तो सबकी सुहागरात में होता है... अब अपनी बहन की बात है तो शरम आ रही है..."
"हाँ यार वो तो है..." आसिफ़ बोला, जिसका लँड अब पूरा खडा था!
मैं उनकी बातों से कुछ अन्दाज़ नहीं लगा पा रहा था! मुझे तो गेज़ पटाने का एक्स्पीरिएंस था! अगर ये दोनो गे होते तो ब्लू फ़िल्म के बाद मैने दबाना सहलाना शुरु कर दिया होता! ये तो दोनो हार्डकोर स्ट्रेट निकले!
"यार, सुबह के लिये शीरमाल लाने भी जाना है..."
"अच्छा? कहाँ मिलेगा?"
"चौक के आगे ऑर्डर किया है अब्बा ने, गाडी लेकर जाना पडेगा!"
"कब?"
"जितनी रात हो, उतना अच्छा... गर्म रहेंगे..."
"जब जाना हो, बता देना..."
"यार, मूड नहीं है साला, तू जा..."
"चल ना..."
"नहीं यार, बहुत थक गया हूँ..."

उधर जब काशिफ़ ने फ़िर लँड गहरायी में घुसाने की कोशिश की तो उसका सुपाडा चूत की सील पर टकराया और उसकी बीवी ने चूत भींच ली तो वो फ़ौरन बाहर सरक गया!
"अरे, घुसाने दो ना... सील तोडने दो ना..."
"नहीं, बहुर दर्द हो रहा है... बाद में करियेगा, अभी ऐसे ही करिये..."
"अबे, ये ऊपर ऊपर रगडने के लिये थोडी शादी की है... अंदर घुसा के बच्चा देने के लिये की है..." कहकर काशिफ़ ने फ़िर देने की कोशिश की तो वो फ़िर चीख दी!
"उईईईई... नहीं..." वो आवाज़ हमें फ़िर सुनायी दी!
"ये शोर शराबा कुछ ज़्यादा नहीं है?" आसिफ़ ने कहा!
"बेटा, सुहागरात में शोर तो होता ही है... मर्द... साथ में दर्द... हा हा हा..." आसिफ़ का लँड अब पूरा खडा था! उसके लँड के साथ साथ अब उसके आँडूए भी जीन्स के ऊपर से उसके पैरों के बीच दिख रहे थे! उसकी जीन्स में अच्छा बल्ज़ हो गया था!
"रहने दे ना यार... ये देख, कैसे गाँड में लँड डाल रहा है साला..." आसिफ़ ने फ़ाइनली ब्लू फ़िल्म की तरफ़ देखते हुये कहा!
"साले ने, गाँड फ़ैला के भोसडा बना दिया है..."
"हाँ... ये तो साली नॉर्मल लँड ले ही नहीं पायेगी कभी..."
"बेटा रहने दे, जब हम अपना नॉर्मल लँड, अबनॉर्मल तरीके से देंगे ना, तो ये साली भी उछल जायेगी..." आसिफ़ अपने लँड पर अपनी हथेली रगडता हुआ बोला! तभी उसका फ़ोन बजा, उसने देखा!
"अरे, अब्बा भी ना... गाँड में उँगली करते रहते हैं..." कहकर उसने फ़ोन उठाया!
"जी अब्बा... अरे, ले आऊँगा ना..."
"उन्ह..."
"कहाँ से?"
"कितना?"
"उससे कह दिया है ना?" फ़िर उसने फ़ोन काट दिया!
"यार, मेरा बाप भी ना... सिर्फ़ मेरी गाँड मारने के चक्‍कर में रहता है..."
"क्यों, क्या हुआ?" मैने पूछा!
"पहले शीरमाल के लिये बोला, अब कह रहा है दस चीज़ और लानी हैं..." उसने जवाब दिया!
"बेटा, अब तो तुझे ही चलना पडेगा..." वसीम बोला!
"भाई मेरे, तू चला जा ना... मैं सच में, बहुत थक गया हूँ..."
"अबे, अकेले कैसे?"
"अकेले कहाँ... पप्पू ड्राइवर रहेगा ना..."
"उससे हो पायेगा?"
"हाँ हाँ... साला बडे काम का है... तू चला जायेगा तो मैं थोडी देर आराम कर लूँगा..."
"चल, तू इतना कहता है तो मैं अपनी रात खराब कर लेता हूँ... अब भाई भाई के काम नहीं आयेगा तो कौन आयेगा?"
"इसकी माँ की चूत... ये क्या?" जैसे ही वसीम की नज़र आसिफ़ से बात करते हुये टी.वी. स्क्रीन पर पडी हम तीनो ही उछल गये क्योंकि फ़िल्म का सीन ही चेंज हो गया था! अब उस सीन में तीन लडके और एक लडकी थी! एक तो वही लडका था जो पहले से चूत चोद रहा था, मगर नये लडकों में से एक ने पीछे से उस लडके की ही गाँड में लँड डाल दिया था और तीसरा कभी उसको और कभी उस लडकी को अपना लँड चुसवा रहा था! ये देख के वसीम खडा खडा फ़िर बैठ गया!
"बहनचोद, क्या टर्न आ गया है..."
"हाँ साली, अब तो गे फ़िल्म हो गयी..."
"अबे, गे नहीं... बाइ-सैक्सुअल बोल, बाइ-सैक्सुअल..."
"हाँ वही..."
"चलो, लडको को कम से कम इसके बारे में मालूम तो है..." मैने सोचा!
"ये देख, कैसे लौंडे की गाँड में लँड जा रहा है..."
"अबे, तू जल्दी चला जा... वरना मेरा बाप मेरी गाँड में भी ऐसे ही लँड डाल देगा... हा हा हा हा..."
"तो साले, तेरी भी ऐसे ही फ़ट जायेगी... हा हा हा हा..." वसीम ने कहा!
"अबे, तू फ़िर बैठ गया???" वसीम को बैठा देख आसिफ़ ने कहा!
"अरे, इतना मज़ेदार सीन है... देखने तो दे..."
"साले, गाँड मर्‍रौवल... देख के तेरा खडा हो गया?"
"हाँ यार, सीन बढिया है..."
"हाँ... छोटी लाइन का मज़ेदार सीन है... साले ने आज बढिया फ़िल्म लगायी..."
मैं उन लडको के गे सैक्स में इंट्रेस्ट से एक्साइट हो रहा था!
"वाह यार" मैने कहा!
"तुम लोगों को ये भी पसंद आया?"
"अरे भैया, आप हमारी जगह होंगे ना... तो आपको भी सभी कुछ बढिया लगेगा..."
"तुम्हारी जगह मतलब?"
"जब साला लौडा हुँकार मारता है और तकिये के अलावा कुछ मिलता नहीं है..." आसिफ़ ने हँसते हुये कहा!
"साला, कभी कभी तो बिस्तर में छेद कर देने का मूड होता है भैया..." वसीम ने उसका साथ दिया!
"हाँ, मेरा भी ऐसे ही होता था..."
"लाओ भैया, इसी बात पर एक सिगरेट जलाओ ना..."
"वैसे, लौंडे की गाँड में आराम से जा रहा है..." मैने उनको थोडा भडकाया!
"हाँ... देख नहीं रहे हो, देने वाला भी तो सटीक फ़िट कर के दे रहा है... साला कोई गुन्जाइश ही नहीं छोड रहा है ना, इसलिये जा रहा है..." आसिफ़ ने कहा!
"और साला, कौन सा पहली बार चुदवा रहा होगा... ब्लू फ़िल्म का है, डेली किसी ना किसी का लँड अंदर पिलवाता होगा..." वसीम ने उसी में जोडा!
"हाँ, तभी साले की गाँड फ़टी हुई है..." मैने कहा!
"अभी तो, हमारा आजकल... ये हाल है भैया... कि साला, ये मिले ना... तो इसी की गाँड मार लें..." आसिफ़ ने फ़्रैंकली कहा!
"हाँ यार, जब मिलती नहीं है ना... तो ऐसा ही हो जाता है... तभी तो इसके जैसों का भी धन्धा चलता है... वरना इसकी गाँड कौन मारेगा..." मैने कहा!
"अबे, जा ना यार... ले आ सामान..." इतने में आसिफ़ को फ़िर काम याद आ गया!
"जाता हूँ यार... साला, ये सब देख के मुठ मारने का दिल करने लगा... हा हा हा..."
"पहले सामान ले आ... फ़िर साथ बैठ के मुठ मार लेंगे... वरना मुठ की जगह गाँड मर जायेगी... जा ना भाई..."
"अबे, बस पाँच मिनिट... बाथरूम में घुस के मार लेता हूँ यार..." वसीम माना ही नहीं!
"नहीं यार, जा ना... जल्दी जा..."
"यार, जब कह रहा है तो चले जाओ ना... आकर मार लेना ना..."
"अरे, आप इस बहन के लँड को जानते नहीं हैं.... साला तब तक खुद पाँच बार मार लेगा..."
"नहीं मारेगा यार, तुम आओ तो..." मैने कहा!
"अच्छा, आप साले को मारने मत देना... पकड लेना साले का... हा हा हा..."
"हाँ, पकड लूँगा..." मुझे वो कहते हुये भी मज़ा आ रहा था!
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05-14-2019, 11:42 AM,
#56
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
फ़ाइनली वसीम चला गया तो मैं और आसिफ़ कमरे में अकेले हो गये! फ़िल्म में गे चुदायी धकाधक चल रही थी! क्लोज अप से गाँड में लँड आता जाता दिख रहा था!
"आपने कभी ऐसा किया है?" तभी अचानक आसिफ़ ने पूछा!
"ऐसा मतलब क्या? चुदायी?"
"हाँ... मतलब... लौंडा चुदायी... छोटी लाइन... मतलब समझे आप?"
"क्यों यार?"
"बस ऐसे ही... क्योंकि आपने इतनी देर से चैनल चेंज करने को नहीं कहा ना..."
"चैनल तो तुमने भी नहीं चेंज किया..." मैने कहा!
"शायद मुझे मज़ा आ रहा हो...."
"शायद मुझे भी..."
आसिफ़ की भरी भरी जाँघें फ़ैली हुई थीं और उसकी हथेली बार बार कभी जाँघ कभी ज़िप को रगड रही थी!
"इसमें भी मज़ा आता है..."
"हाँ, उसमें क्या है... तुमने ही तो कहा कि बस चुदायी होनी चाहिये..."
"वो तो ऐसे ही कहा था..."
"अब क्या मालूम" उसने कहा फ़िर एक ठँडी सी आह भरी!
"हाय... आज कोई लडका ही मिल जाता तो उसी से काम चला लेता... आज मूड बहुत भिन्‍नौट है..."
"अच्छा कहाँ मिलेगा?"
"आप ही बुला दो किसी को... वो.. वो शाम में जिसके साथ थे..."
"कौन... वो ज़ाइन??"
"कोई भी हो... ज़ाइन फ़ाइन... उससे क्या... अभी तो साला कोई भी चलेगा..."
"बडे डेस्परेट हो?"
"हाँ बहुत ज़्यादा... आप इस वक़्त चड्‍डी के अंदर की हालत नहीं जानते... बस ज्वालामुखी होता है ना, वो हाल है..."
"मगर इस ज्वालामुखी का लावा सफ़ेद है... हा हा हा..." मैने कहा!
"हाँ, अभी तो साला चड्‍डी ही गीली कर रहा है... ज़रा सा मौका मिला ना, तो बुलेट की तरह निकलेगा..."
"अच्छा?"
"तो बुलायो ना... उस लडके को... उसी को ही बुला लो..."
"अबे पागल है क्या... रहने दे..."
"पागल तो हूँ... बहुत बडा... आप मुझे जानते नहीं हो..."

"खोल दू क्या? फ़िर वो अचानक अपना लँड सहलाते हुये बोला!
"क्या?
"लौडा...
"पागल हो?
"हाँ... अच्छा चलो, नीचे वाले बाथरूम के कैबिन में ही चलो..." उसने कहा तो मैं सब कुछ समझ गया!
"अरे भैया... आप हमें जानते नहीं हो... इलाहबाद के नामी लोगो में हमारा नाम है..." उसने अपनी ज़िप खोलते हुये कहा तो मेरी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी!
"ये क्या कर रहे हो आसिफ़?" मैने कहा!
"मुठ मारने जा रहा हूँ... आप सोच लो फ़िल्म है..."
"नहीं करो ना आसिफ़..."
"क्यों नहीं? क्यों.. उस भँगी की याद आ जायेगी?" उसने कहा और अपनी ज़िप के अंदर से अपना मुसलाधार गोरा, लम्बा मोटा खडा हुआ लौडा बाहर निकाला तो उसका जादू तुरन्त मेरे ऊपर छा गया!
"किस भँगी की यार?"
"जिसके साथ आप कैबिन में बन्द थे..." उसने अपने लौडे को अपनी मुठ्‍ठी में दबाते हुये कहा! उसके ऐसा करने से लँड हुल्लाड मार रहा था और वीर्य की कई बून्दें बाहर आ कर सुपाडे से बहती हुई उसके हाथ पर आ गयी! मैं तो अब तक ठरक चुका था! मैने अपनी कोहनी बेड पर टिका दी और अधलेटी अवस्था में एक सिसकारी भरी... मगर आसिफ़ उतने पर ही नहीं रुका! उसने अपनी जीन्स का बटन खोल दिया! जीन्स बहुत चुस्त थी, इसलिये वो उसको बडी मुश्किल से अपनी जाँघ तक खींच पाया और फ़िर अपने लँड को मेरी नज़रों के सामने झूलने दिया! उसका लँड सीधा हवा में था, जाँघ गोरी और चिकनी थी! भूरी भूरी झाँटें थी! लडके का हुस्न बढिया था, गदरायी नमकीन जवानी थी! वो हल्के हल्के अपने लँड की मुठ मारने लगा!
"मुठ क्यों मार रहे हो?" मैने तेज़ साँसों के बीच सूखते गले से पूछा!
"आप तो कुछ कर ही नहीं रहे हो... इसलिये मुठ ही मारनी पड रही है..."
"क्या करूँ?"
"अब क्या पूछते हो... जो दिल करे, कर लो... अब जब लौडा निकाल ही दिया है तो समझो लाइसेंस दे दिया है... अब क्या पूछना..."
मैं बेड से उतर के कुर्सी के पास उसके पैरों के पास बैठ गया और अपने होंठों से उसकी जाँघ सहलाते हुये उसके लँड को अपने हाथ में ले लिया!
"बहन के लौडे, तुम्हें देखते ही ताड लिया था!"
"कैसे?"
"बताया ना... हम उडती चिडिया पहचानते हैं... वो तो बिज़ी था थोडा, वरना शाम में ही तुम्हारा काम कर लिया होता..."
"उफ़्फ़... आसिफ़्फ़्फ़्फ़..." मैने कहा और थोडा ऊपर उठ के अपनी छाती को उसके घुटने पर रगडते हुये उसके लँड को अपने मुह में लिया और चूसना शुरु कर दिया! उसने अपना सर पीछे की तरफ़ कर लिया, टाँगें फ़ैला ली और आराम से मज़ा लेने लगा! मैने उसकी जीन्स पूरी उतार दी! उसकी व्हाइट अँडरवीअर मैली थी और आँडूओं के पास से तो काली हो गई थी! मैने उतारते हुये उसको सूंघा और फ़िर उसके खूबसूरत आँडूओं को चूमा तो वो भी उछले!
"लो ना, मुह में ले लो..." उसने कहा!
मैने पहले ज़बान से उसके आँडूओं को चाटा, वो उसकी जवानी की तरह नमकीन थे! फ़िर आँडूओं के साइड में उसकी जाँघ को सूंघा और चाटा और उसके बाद अपना मुह बडा सा खोल कर उसके आँडूओं को अपने मुह में गुलाब जामुन की तरह भर कर अपनी ज़बान से उनको चाटते हुये ही चूसने लगा! साथ में हाथ से उसके अजगर जैसे लौडे को सहलाने लगा! वो कुर्सी पर ही जैसे लेट सा गया! अब उसकी गाँड कुर्सी के बाहर थी! मैने उसको दोनो हाथों से पकड के सहलाना शुरु कर दिया!

"चलो ना, बेड पर चलो..." मैने उसके लँड से उसको पकडते हुये कहा!
"चलो..." उसने खडे होते हुये कहा! हम जैसे ही खडे हुये, मैं उससे लिपट गया और हल्का सा उचक के उसके लँड को अपनी जाँघों के बीच फ़ँसा लिया और अपनी जाँघों को कसमसा कसमसा के उसके लँड की मालिश करने लगा! मैने अपना एक हाथ अपनी गाँड की तरफ़ से घुमा के उसके लँड को हाथ से भी सहलाना शुरु कर दिया तो आसिफ़ ने मस्त होकर मुझे कस कर पकड लिया! हम अब पूरे नँगे थे! मैं अपनी टाँगे फ़ैला के उचक उचक के उसका सुपाडा अपने छेद पर भी लगा रहा था!
"चलो बेड पर..."
"अभी रुको, ऐसे मज़ा आ रहा है..." आसिफ़ ने कहा! उसका जिस्म गठीला और चिकना था! मैं कभी उसके बाज़ू को, कभी उसकी छाती को, कभी उसके कंधे को चाट और चूस रहा था! वो भी खूब मेरी गाँड और जाँघें वगैरह दबा दबा के सहला रहा था!
"चलो ना... बेड पर चलो..." उसने कामातुर होकर कहा!
मैं बेड पर लेटा तो वो ऊपर चढ गया! तब तक मेरी गाँड पूरी खुल चुकी थी! उसने थूक लगाया और देखते देखते उसका लँड मेरी गाँड के अंदर समाता चला गया!
"सिउउउहहहहह..." मैने सिसकारी भरी!
"अआह... अब मज़ा आया... साला... गाँड मारूँगा तेरी अब..." कहकर उसने लँड बाहर खींचा फ़िर अंदर दे दिया और फ़िर वैसे ही अंदर बाहर करने लगा! कुछ देर बाद उसने मुझे सीधा लिटाया!
"लाओ, पैर कंधे पर रखो..." उसने मुझे फ़ैला के मेरे पैर अपने कंधों पर रखवा लिये तो मेरी गाँड बडे प्रेम से उसके सामने खुल गयी और वो धकाधक धक्‍के दे-देकर मेरी गाँड मारने लगा!
"कैसा लगा, इलाहाबादी लौडा कैसा लगा?"
"बहुत बढिया है... आसिफ़... बहुत बढिया है..."
"हाँ बेटा, लो..." वो खूब अच्छे से धक्‍के लगा रहा था! मेरी टाँगें उसके कंधे पर झूल रही थी! उसने उनको पकडा और हवा में उठा दिया! मेरे दोनो तलवे पकड के फ़ैला दिये! टाँगें, जितनी मैक्सिमम फ़ैल सकती थीं, फ़ैला दीं और अपनी गाँड खूब कस कस के मेरी गाँड में अपना लँड अंदर बाहर देने लगा!

उसके बाद उसने मेरे घुटने मेरे सीने पर मुडवा दिये! अब तो मेरी गाँड भोसडे की तरह खुल के उसके सामने आ गई थी और वो उसको चोदे जा रहा था! अचानक उसने लँड बाहर निकाल लिया!
"एक मिनिट रुक..." उसने कहा और अपना फ़ोन उठा के कुछ करने लगा!
"क्या कर रह्य हो?"
"कुछ नहीं..." उसने कहा और इस बार वो मेरी गाँड में लँड घुसा के मारने लगा और साथ में उसका एम.एम.एस. क्लिप बनाने लगा!
"ये क्यों?"
"बस, ऐसे ही रिकॉर्ड रहेगा ना... कि तेरी मारी थी..." वो कभी फ़ोन अपने हाथ में ले लेता, कभी मेरे हाथ में दे देता... हमने करीब २० मिनिट की फ़िल्म बनायी! फ़िर उसका झडने लगा तो फ़ोन साइड में रख दिया और हिचक-हिचक के भयँकर धक्‍के देने लगा! उसने मुझे पलट के लिटा दिया और कूद कूद के मेरी गाँड में लँड डालने लगा और उसके बाद उसने मेरी गाँड के अंदर अपनी वीर्य का बारूद भर दिया! हम वैसे ही लिपट के लेटे रहे!

"तुमने अच्छा चोदा आसिफ़..." मैने उसको बाहों में भरते हुये कहा!
"हाँ बेटा, हम जो काम करते है... अच्छा ही करते हैं... अलीगढ आ जाना, वहाँ आराम से होगा... जब दिल करे, आ जाना..."
"अआह... हाँ, आऊँगा... अब तो आना ही पडेगा..."
"और लौंडे चाहिये तो मिलवा भी दूँगा..."
"हाँ, मिलवा देना... कौन हैं?"
"बस हैं ना... तू आम खा, गुठली से मतलब मत रख... वसीम को देगा?"
"हाँ, दे दूँगा..."

फ़िर ना जाने कब मुझे नींद आ गयी! मगर जब बगल में इतना गदराया हुआ नमकीन लौंडा पूरा नँगा लेटा हो तो कहाँ चैन आता है! मैने ना जाने कब नींद में, साइड होकर अपनी जाँघ, सीधे लेटे आसिफ़ पर चढा दी! इससे मेरा लँड उसकी कमर में भिड गया और हल्के हल्के उसकी गर्मी पाकर ठनक गया! उस रात उस पर बहुत ज़ुल्म हुआ था! साले को माल नहीं मिला था, कई बार खडा हुआ और हर बार बिना झडे ही उसको बैठ जाना पडा!

मैने नींद में ही आसिफ़ की छाती और पैर सहलाये! फ़िर मेरी नींद कुछ टूटी तो अफ़सोस हुआ क्योंकि ना जाने कब आसिफ़ ने पैंट पहन ली थी! खैर मैं फ़िर भी उसका जिस्म रगडता रहा! जब उसी अवस्था में मेरा हाथ उसके लँड पर पहुँचा तो पाया कि वो भरपूर खडा था! मैं उससे आराम से दबा दबा के खेलता रहा! आसिफ़ ने अपनी एक बाज़ू फ़ैला रखी थी, मैने अपनी नाक वहाँ घुसा दी और उसके मर्दाने पसीने को सूँघता रहा! आलस के मारे, उसने जीन्स के बटन और ज़िप भी बन्द नहीं किये थे!

वो भी अचानक नींद में हिला और मेरी तरफ़ पीठ करके दोबारा नींद की गहरी आग़ोश में खो गया! कमरे में सिर्फ़ एक साइड का नाइट बल्ब जल रहा था, मगर उसमें भी काफ़ी रोशनी थी! मैं पीछे से ही आसिफ़ से चिपक गया और इस बार उसकी पीठ पर अपने होंठ रख दिये और उसके मर्दाने जिस्म की दिलकश खुश्बू और उसकी गदरायी मसल्स का मज़ा लेता रहा! उसका जिस्म गर्म था, जिस वजह से सर्दी की उस रात में, उससे चिपकने में मज़ा आ रहा था! अब मैं आराम से उसकी गाँड पर अपना लँड भिडाने लगा था! मेरा लँड खुला था पर उसकी गाँड जीन्स में बन्द थी! उसने चड्‍डी नहीं पहनी थी! मैने उसकी कमर सहलायी, फ़िर पीछे से उसकी जीन्स के अंदर हाथ घुसाने की कोशिश की! शुरु में तो हाथ केवल उसकी फ़ाँकों के ऊपरी पोर्शन तक ही गया! उसकी गाँड माँसल थी, और चिकनी भी... शायद बाल भी होंगे तो हल्के हल्के ही होंगे! फ़िर मुझे याद आया कि उसकी गाँड पर तो हल्के से रेशमी भूरे बाल थे! मैने उसकी कमर से जीन्स थोडा नीचे खिसकायी तो अब उसकी फ़ाँकें आधी खुल गयी! उसकी गाँड की फ़ाँकों का वो ऊपरी हिस्सा, जो बस उसकी पीठ से शुरु होता था और जहाँ से गाँड उठान लेती थी, मेरे सामने आया तो मैने उसको कस के रगड दिया! फ़िर मैं हल्के हल्के उसकी दरार पर उँगलियाँ फ़िरा के मज़ा लेने लगा! पर वो चुपचाप सोया रहा... बस एक साइड करवट करके अपने घुटने हल्के से आगे की तरफ़ मोड के अपनी गाँड पर मेरे हाथों को महसूस करता हुआ! मैं उससे और चिपक गया जिस कारण मेरा लँड उसकी पीठ पर रगडने लगा! अब मेरी ठरक जग चुकी थी, मैं आसिफ़ की गाँड मारना चाहता था! मुझे ऐसे मर्दाने लडकों की गाँड मारने का बहुत शौक़ है जिनको अपने लौडे पर घमंड होता है! उनकी गाँड का अपना ही मज़ा होता है... कसमसाया हुआ, कशिश भरा, बिल्कुल मिट्‍टी पर पहली पहली बारिश की खुश्बू के मज़े की तरह... मगर मुझे ये पता नहीं था कि आसिफ़ की गाँड के सुराख की मिट्‍टी पर ना जाने कितने लँड बारिश कर चुके हैं!

फ़ाइनली जब मैने उसकी जीन्स, उसकी जाँघों तक सरका दी तो उसकी खुली घूमी गाँड, उसके कटाव, मस्क्युलर गोलाई, कमसिन चिकनाहट, और चुलबुला मर्दानापन देख कर मुझसे ना रहा और मैं नीचे खिसक कर ऐसा लेटा कि उसकी गाँड की दरार और सुराख मेरे मुह के पास आ गये! मैने पहले उसके छेद को प्यार से सहलाया! वो बस नींद में हल्का सा कसमसाया, एक बार पैर हल्के से सीधे किये, फ़िर वापस मोड लिये! मैने उसकी दरार को हाथों से हल्का सा फ़ैलाया और फ़िर उसके छेद पर नाक लगा का एक गहरी साँस लेकर उसके मर्दानेपन को सूंघा!
"उम्‍म...अआहहहह.." मैने उसके छेद की खुश्बू सूंघते हुये गहरी साँस ली! उसके छेद पर पसीने की खुश्बू थी! मैने अपनी ज़बान से हल्के से उसको छुआ, फ़िर जैसे अपनी ज़बान उस पर चिपका दी... वो फ़िर कसमसाया, मैने जब उँगली रखी तो उसका छेद बिल्कुल सिकुडा हुआ था... कसा हुआ टाइट, बिल्कुल चवन्‍नी के आकार का! मैने उसको कुछ और चाटा और साथ में उसकी जाँघ सहलाते हुये उसकी जीन्स और नीचे उतार दी! उसका जिस्म सच में बडा माँसल, सुडौल, कटावदार और चिकना था!
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05-14-2019, 11:42 AM,
#57
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मैने अपना लँड उसकी दरार पर रखा और अब हाथ के बजाय लँड से उसकी दरार को रगडा! मेरा लौडा उसकी नमकीन गाँड पर लगते ही फ़नफ़नाया! मैं उससे लिपट गया और वैसे ही अपना लँड कुछ देर उसकी दरार पर रगडता रहा! लँड उसकी पीठ से होकर उसके आँडूओं की जड तक जाता था, वहाँ मेरा सुपाडा उसकी अंदरूनी जाँघ में फ़ँस जाता था, जिसको वापस बाहर खींचने में बडा मज़ा आता था! फ़िर कभी मैं उसकी गाँड हाथ से फ़ैला के उसका छेद खोल देता और उसके छेद पर डायरेक्टली सुपाडा रख के रगड देता! तो उसका छेद वाला पोर्शन जल्द ही मेरे प्री-कम से भीग कर चिकना होने लगा और शायद थोडा खुलने भी लगा! फ़िर उस पर मेरा थूक तो लगा ही था! जब मेरा सुपाडा पहली बार सही से उसके छेद पर फ़ँसा तो उसने पहली बार सिसकारी भरी... मतलब वो भी जग चुका था और उसको कोई आपत्ति नहीं थी! मैने अपनी उँगली से उसका छेद चेक किया जो अब खुल रहा था! उसने हाथ पीछे करके मेरा लँड थामा! मैने अपना हाथ लगा के उसको छेद पर लगाया और कहा!
"लगा के रखो..."
"नहीं, बहुत बडा है... जा नहीं पायेगा..." मुझे काम की कसक में उसकी आवाज़ बदली बदली सी लगी!
"चला जायेगा यार... बहुत आराम से जायेगा..."
"गाँड फ़ट जायेगी..." उसकी आवाज़ में भारीपन था!
"नहीं फ़टेगी बे... मेरी नहीं देखी थी, तेरा कितने आराम से लिया था..."
"नहीं यार... अच्छा पहले ज़रा चूसने दो..." उसने कहा!
"लो, चूस लो..." मैने कहा तो वो मेरी तरफ़ मुडा!
उसके मुडते ही मैं चौंक गया क्योंकि वो आसिफ़ नहीं था! इतनी देर से मेरे साथ वसीम था... मैं हल्का सा हडबडाया भी और खुश भी हुआ! मेरी वासना एकदम से और भडक गयी...
"अरे तुम... आसिफ़ कहाँ गया?"
"वो तो कब का चला गया... मैं जब आया तो आप सो रहे थे..."
"कहाँ गया?"
"हलवाई को उसके घर से लेने गया है..."
"तो तुमने इतनी देर से कुछ कहा क्यों नहीं?"
"कह देता तो आप रुक जाते क्या??? इसीलिये तो इतनी रात में वापस आया था..."
"पहले कह देते..."
"ये बात आसिफ़ को नहीं पता है..."
"क्या बात?"
"मतलब, उसे ये तो पता है कि मैं एक-दो लौंडों की ले चुका हूँ... मगर उसके अलावा ये जो आप करने को कह रहे हैं... वो सब नहीं पता है... अब अपनी इज़्ज़त है ना... उसने आपसे मरवायी क्या?"
"नहीं, उसने बस मारी..."
"कहोगे तो नहीं?"
"तू चूस तो... मैं बच्चा नहीं, जो ये सब कहता फ़िरूँगा किसीसे... मैं बस काम से काम रखता हूँ..."
"तब ठीक है!"
"लाओ ना, अपना भी तो दिखाओ..." मैने कहा और जब उसके लँड को हाथ में थामा तो मज़ा आ गया! उसका लँड लम्बा और पतला था, मगर चिकना और ताक़तवर...
"आसिफ़ का तेरे से मोटा है..."
"हाँ, उसका थोडा मोटा है... मगर मेरा उससे लम्बा है..."
"हाँ, ये तो है..."
वो नीचे हुआ और उसके होंठ जब मेरे सुपाडे से छुए तो मेरा लँड उछल सा गया! फ़िर उसने मुह खोल के जब मेरे सुपाडे को अपने मुह में लिया तो उसके मुह की गर्मी से मेरे बदन में सिरहन दौड गयी!
"आज उस भंगी के साथ क्या करवा रहे थे?"
"गाँड मरवायी उससे..."
"भंगी से?"
"हाँ, साले का लँड भी चूसा... तुझे कैसे..."
"साला, आसिफ़ सब देख के आया था... उसने बताया, मगर उसको ये नहीं पता चला कि बंद कैबिन में हुआ क्या क्या?"
"अच्छा... मैं समझा था कि वो चला गया था..."
"नहीं, सब देखा था उसने... तभी तो हम आपको यहाँ लाये थे..."
"वाह यार, सही है... तो सीधा बोल देते..."
"अब, थोडी बहुत हिचक होती है ना..."
"हिचक के चलते काम बिगड जाता तो?"
"हाँ... जब बिल्कुल लगता कि मामला हाथ से निकल रहा है, तो कह भी देते... मगर उसके सामने तो बस आपकी मारता... चूस थोडी पाता और ना ही गाँड पर लगवा पाता..."
"हाँ सही है... रुक..." मैने उसका मुह हटवाया और उलट के लेट गया... ६९ पोजिशन में!
"अब सही है... ज़रा तेरा भी देखूँ ना..."
हम ६९ पोजिशन में एक दूसरे का लँड चूसने लगे! उसका सुपाडा, लम्बा लँड होने के कारण, सीधा हलक के छेद तक जा रहा था! मेरा लँड तो उसका पूरा ही मुह भर दे रहा था! मैने उसकी टाँगें फ़ैलवा दी! अब उसकी एक टाँग उठ के मुडी हुई थी और दूसरी सीधी थी, जिसकी जाँघ पर मैने अपना सर रखा हुआ था! उस पोजिशन से मुझे उसके आँडूए और छेद तक दिख रहे थे और उसकी गाँड की गदरायी फ़ाँकें और मस्क्युलर इनर थाईज़ भी! मैने उसका लँड छोड कर उसके आँडूए छुए और फ़िर अपनी नाक फ़िर से उसके छेद पर रख दी और उसको चाटने लगा! इस बार मैने उसे अपने हाथों के दोनो अँगूठों से फ़ैला दी और आराम से उसकी गाँड के सुराख की किसिंग शुरु कर दी!
"अआह... हाँ... हाँ..." उसने हताश होकर कहा!

मैने उसका सुराख जीभ डाल डाल कर ऐसा चूसा कि उसकी चुन्‍नटें सीधी हो गयी और वो खुलने लगा! तब मैने अपनी एक उँगली उसके अंदर किसी स्क्रू की तरह हल्के हल्के घूमाते हुये डाली तो उसका छेद मेरी उँगली पर अँगूठी की तरह सज गया!
"बहुत... बढिया... बडी ज़बर्दस्त गाँड है..."
"आह... होगी नहीं क्या... किसी को हाथ थोडी लगाने देता हूँ..."
"हाँ राजा... टाइट माल है..." कहकर मैने उँगली निकाली और फ़िर उसका एक चुम्बन लेने में लग गया! वो भी साथ साथ मेरा लँड मेरे आँडूए सहला सहला के चूसे जा रहा था!
"आसिफ़ को भी नहीं दी?"
"नहीं, साले ने ट्राई तो बहुत किया था..."
"क्यों नहीं दी?"
"आपस में एक दूसरे को इतनी बडी कमज़ोरी नहीं बतानी चाहिये..."
"अच्छा?"
"उसकी मारी कभी?"
"ना... बस साथ में मुठ मारते हैं... या किसी और की गाँड... इसलिये उसको प्लीज मत बताना..."
"अबे... वो कौन सा मेरा खसम है, जो उसको बताऊँगा... जब तेरे साथ तो तेरे से मज़ा, जब उसके साथ तो उससे मज़ा..."
"कभी हम साथ भी लें ना... तो भी प्लीज ये सब मत करना या बोलना..."
"अब कैसे बोलूँ... एक बार बोल तो दिया यार... तेरी गाँड पर स्टाम्प लगा कर लिख कर दूँ क्या?"

मैने अब उसको चुसवाना बन्द किया और उसको वैसे ही लिटाये रहा! फ़िर खुद टेढा होकर उसकी जाँघों के बीच लेट गया! अब वो एक दिशा में लेटा था और मैं उसके परपेन्डिकुलर लेटा था! फ़िर मैने अपना लँड उसकी गाँड पर रगडना शुरु कर दिया! मगर उस पोज़ में मुश्किल हो रही थी तो मैने उसको सीधा लिटा के उसके पैर उसकी छाती पर करवा दिये और उसकी गाँड खोल दी! उसके बाद जब मेरा सुपाडा उसके अंदर घुसा तो वो छिहुँका, मगर जब मैने हल्का हल्का फ़ँसा के दिया तो मेरा लँड आराम से अंदर हो गया और वो मज़ा लेने लगा!
"अआहहह... सा..ला.. ब..हुत... मो..टा.. लौडा है आ..पका..." उसने मज़ा लेते हुये कहा!
"हाँ है तो..." मैने अपने लँड को उसकी गाँड की जड तक घुसा के फ़िर बाहर अंदर करते हुये कहा! साथ मैं उसकी जाँघें भी सहलाये जा रहा था, जो मेरी छाती से रगड रहीं थी!
कमरे में "घप्प घप्प... चपाक... चप चप... धक धक..." की आवाज़ें गूँज रहीं थीं और उनके साथ "सिउउउहहहह..." "अआहहह..." "उहहह..." भी...
"अब मुझे अपनी लेने दो ना..." कुछ देर के बाद वसीम बोला!
"आओ, ले लो..."
"नहीं, ऐसे... तुम आओ और लँड पर बैठो ना... मैं लेट जाता हूँ..."
मैने उसकी तरफ़ मुह करके उसके लौडे पर अपनी गाँड रखी और आराम से अपनी गाँड से उसके लँड को गर्म करने लगा और फ़िर वो मेरी गाँड के छेद में अंदर तक घुसता चला गया!
"अआह... हा..अआहहह... उहहह... बहुत खुली हुई गाँड है..."
"हाँ... काफ़ी चुदवा रखी है ना..."
कुछ देर में वो धकाधक मेरी गाँड में लँड डालने लगा!
"अब मेरा भी ले ले..."
"हाँ, दे ना यार... दे दे... जितना देना है दे... ला, दे दे..."
वो अंदर बाहर तो कर रहा था, मगर जब पूरा अंदर देता तो उसको कुछ देर वहीं रहने देता... जिस पर मैं अपनी गाँड का सुराख कसता और ढीला करता... फ़िर वो उसको बाहर निकालता... और वापस धक्‍के के साथ अंदर घुसा देता!
उसके हर धक्‍के पर आवाज़ आती और उसकी जाँघ मेरी जाँघ से टकराती... जिससे मुझे उसके जिस्म और उसके गोश्त में बसी बेपनाह ताक़त का अन्दाज़ होता!

फ़िर वो थक गया तो हम लिपट के लेट गये!
"अब तो तेरे दोस्त ने सील तोड दी होगी... लगता था, काफ़ी कोशिश कर रहा था..."
"हाँ, अब तो फ़ाड दी होगी... वैसे... साले को माल बढिया मिला है... बडी गुलाबी आइटम है..."
"अच्छा साले?"
"हाँ, मुझे मिल जाती तो मैं ही रगड देता... मगर अफ़सोस आज तो चुद ही गयी..."
"तो अब ट्राई कर लियो..."
"कहाँ यार... अब कहाँ..."
"चल तो कोई और मिल जायेगी..."
"हाँ, अब तो मिलनी ही होगी..."

थोडा सुसताने के बाद मैने फ़िर उसकी लेनी शुरु कर दी!
"यार, अब गिरा ले... क्योंकि मुझे सुबह से काम भी करना है..."
"चार तो बज रहे हैं..."
"हाँ यार, नाश्ता बनना शुरु हो गया होगा... अगर नीचे नहीं पहुँचा तो अच्छी बात नहीं होगी..."
"और आसिफ़?"
"वो पता नहीं कहाँ होगा..."
फ़िर मैने उसकी गाँड में लँड घुसाना शुरु कर दिया और उसकी गाँड पर लौडे के थपेडे मार मार कर उसकी गाँड को खोल दिया और उसके बाद मेरे लौडे का लावा उसकी गाँड में ना जाने कितनी गहरायी तक भर गया! उसके बाद उसने ज़रा भी समय बर्बाद नहीं किया और तुरन्त मेरे ऊपर चढ कर अपना लँड मेरी गाँड में डालना शुरु कर दिया! इस बार उसके धक्‍को में तेज़ी थी, वो जल्दी से अपना माल झाडना चाहता था, इसलिये धक्‍कों में ताक़त भी ज़्यादा आ गयी थी! वो हिचक हिचक के मेरे ऊपर गिर रहा था! उसका जिस्म मेरे जिस्म पर किसी हथौडे की तरह गिर रहा था! मुझे उसकी मर्दानी ताक़त का मज़ा मिल रहा था! फ़िर उसने मुझे जकड लिया! उसकी गाँड के धक्‍के तेज़ हो गये! अब वो डालता तो डाले रखता, जब निकालता तो तुरन्त ही वापस डाल देता!
फ़िर वो करहाया "अआह... हाँ..."
"क्या हुआ? झडने वाला है क्या?" मैने पूछा!
"अआह... हाँ... हाँ... अआह... उहहह... हाँ..." करके उसका लँड मेरी गाँड में फट पडा और उसने अपना गर्म माल मेरी गाँड में भर दिया! उसके बाद उसने कपडे पहने और चला गया!
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05-14-2019, 11:42 AM,
#58
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मस्त कर गया पार्ट --14


जब मैं सुबह नाश्ते पर गया तो वहाँ वसीम और आसिफ़ दोनो ही थे! उस सुबह इतना कुछ हो जाने के बाद दोनो बडे दिलकश लग रहे थे! ऐसा होता भी है... जब किसी लडके के साथ 'कर' लो और फ़िर उसको नॉर्मल सिनैरिओ में औरों से बात करते हुये, तमीज़ से झुकते हुए, बडों से अदब से बात करते हुए, शरमा के मुस्कुराते हुए देखो तो कुछ ज़्यादा ही मन लुभावने लगते हैं! ज़ाइन भी सुबह सुबह के खुमार में बडा चिकना और नमकीन लग रहा था! उसकी भी रात की दारु की ख़ुमारी उतर गयी थी!
"क्यों? दिमाग हल्का हुआ ना?" मैने उससे हल्के से पूछा!
"जी चाचा... आपने किसी से कहा तो नहीं?"
"नहीं यार... कहूँगा क्यों?"
"थैंक्स चाचा..."

उसके बाद बिदायी का समय आ गया! और फ़िर हम जब स्टेशन पहुँचे तो ट्रेन टाइम पर थी! सब जल्दी जल्दी चढ गये! बाय बाय हुआ, मैने आसिफ़ और वसीम से गले मिल कर विदा ली और अलीगढ आने का वायदा किया और उनको भी देहली इन्वाइट किया!

ट्रेन के छोटे से सफ़र में मेरी नज़र रास्ते भर बस ज़ाइन पर ही रही! वो उस दिन नहा धो कर बडा खुश्बूदार हसीन लग रहा था! उस दिन वो व्हाइट कार्गो पहने था और लाल कॉलर वाली टी-शर्ट और ऊपर से एक नेवी ब्लू हल्की सी जैकेट डाले हुये था! उसकी भूरी आँखें और गुलाबी होंठ बात करने में मुस्कुराते तो मुझे उसका लिया हुआ वो चुम्बन याद आ जाता! फ़िर उसकी गाँड की वो दरार याद आती जिसे मैने पिछली रात बाथरूम में रगडा था!

हमारा रिज़र्वेशन सैकंड ए.सी. में था, मगर मैं बगल वाले कम्पार्ट्मेंट में सिगरेट पीने के लिये चला जाता था ताकि किसी का सामना ना करना पडे! बगल वाला कोच ए.सी. फ़र्स्ट क्लास का था! ट्रेन कुछ रुक रुक के चलने लगी थी! ऐसे ही एक बार जब में सिगरेट पीने गया तो ज़ाइन को भी बुला लिया!
"आओ, तुम खडे रहना..." मैं वहाँ खडा सिगरेट पी रहा था और वो खडा हुआ था! मैं बस उसको देख देख कर वासना में लिप्त हो रहा था!
"तुम्हारी बॉडी बडी अच्छी है वैसे..." मैने अचानक उससे कहा!
"अच्छा? थैंक्स..."
"एक्सरसाइज़ किया करो और सही हो जायेगी!"
"अच्छा चाचा, कैसी एक्सरसाइज़?"
"किसी ज़िम में पूछ लेना..." अब मैं उससे बात करते हुये उसके चेहरे से अपनी नज़रें हटा नहीं पा रहा था... बस उसकी कशिश में खिंचा हुआ था! मगर तभी उसे राशिद भाई के बुलाने की आवाज़ आयी! वो वापस जाने लगा तो वो कम्पार्ट्मेंट से निकलते एक आदमी से टकराया और सॉरी बोल के चला गया!
वो आदमी आया और मेरे बगल में उसने भी सिगरेट जला ली! मैने एक कश लिया और अचानक जब उसके चेहरे पर नज़र पडी तो वो कुछ जाना पहचना सा लगा!
मैं उसे गौर से देख रहा था और मैने देखा कि वो भी मुझे ध्यान से देख रहा था और अचानक हम एक दूसरे को पहचान गये!
"अरे... आकाश तुम?"
"अरे अम्बर तुम... अरे यार वाह, बडे दिन के बाद मिले हो..."
"हाँ यार, मैं भी पहचाने की कोशिश कर रहा था..."
"हाँ, मुझे भी तेरा चेहरा जाना पहचाना सा लगा..."
"वाह यार क्या मिले... अच्छा, कहाँ जा रहे हो?" उसने पूछा!
"यार, एक बारात में आया था... यहाँ सिगरेट पीने आ गया!"
"वाह यार..."
"और तुम कहाँ जा रहे हो?"
"मैं काम से बनारस जा रहा हूँ!"
"अरे, आओ ना... आओ, अंदर बैठते हैं!"
"अरे, फ़र्स्ट क्लास में टी.टी. पकड लेगा..."
"अरे, कुछ नहीं होगा... आओ बैठ के बातें करेंगे... इतने दिनों के बाद मिले हो यार..."

मैं उसके साथ उसके कैबिन में गया! वो दो बर्थ वाला कैबिन था, जिसकी ऊपरी सीट पर कोई सोया हुआ था!
"ये कोई तेरे साथ है क्या?"
"हाँ यार, भतीजा है!" मेरा मन तो हुआ कि देखूँ तो उसका भतीजा कैसा है... मगर कम्बल के कारण मुझे कुछ दिखा नहीं! मैं उसके साथ नीचे बैठ गया और हम बातें करने लगे!
"क्यों, तेरी शादी हुई?" फ़ाइनली मुझसे रहा ना गया और मैने पूछा तो उसकी आँखों में शरारती सी चमक आ गयी!
"क्यों, तुझे क्या लगता है?"
"क्या मतलब? यार लगेगा क्या, सीधा सा सवाल पूछा!"
"हुई भी और नहीं भी..."
"क्या मतलब?"
"मतलब, हुई थी मगर चार साल पहले डिवोर्स हो गया..."
"ओह.. अच्छा... तो अब इरादा नहीं है?"
"नहीं यार... और तू बता, तेरी हुई क्या?"
"नहीं..."
"क्यों?"
"बस ऐसे ही..."
"तो... काम कैसे मतलब... अच्छा चल रहने दे..." उसने मेरी जाँघ पर हाथ मारते हुये कहा!
"पूच ले, क्या पूछना है?"
"जब पता ही है तो क्या पूछूँ? शायद हम दोनो एक ही नाव पर हैं..."
"यार, साफ़ साफ़ बोल..."
"अच्छा, तुझे कुछ याद है?"
"क्या याद होगा?"
"वो याद है... जब हमने विनोद के यहाँ फ़िल्म देखी थी?"
"हाँ तो... क्या हुआ? उसमें याद ना रहने वाली क्या बात है?"
"उसके बाद का याद है?"
"ये सब मैं भूलता नहीं हूँ..."
"बस सोच ले... कुछ, उसी सब कारण से डिवोर्स हुआ...."
"मतलब... तुझे चूत..."
"हाँ शायद..."
"तो?"
"यार, अब मेरे मुह से क्यों कहलवाना चाह रहा है..."

पन्द्रह साल के बाद, आज उसने जब अपना हाथ मेरी जाँघ पर रखा तो मैने अपना हाथ उसके कंधों पर रख दिया! वो वैसा ही सुंदर था, जैसा तब था... बस अब थोडा मच्योर हो गया था, थोडा वेट गैन कर लिया था मगर फ़िर भी बॉडी मेन्टेन करके रखे हुये था!
"यार, तो तुझे शादी करनी ही नहीं चाहिये थी..."
"अब मैने सोचा, काम चल जायेगा... मगर साला क्या बताऊँ, एक मिनिट भी दिल नहीं लगता था!"
"हाँ, वो तो है... जब ख्वाहिश ही नहीं हो जो चीज़ खाने की, उसका स्वाद कहाँ अच्छा लगेगा..."
"हाँ, ये तो है... तो क्या तूने घर वालों को बता दिया?"
"क्या?"
"यही, कि तू गे है..."
"पागल है क्या... यार मैं अमरिका में थोडी हूँ... बस कोई ना कोई बहाना बना के काम चलाता हूँ..."

तभी ऊपर से एक दिलफ़रेब, दिलकश, दिलनशीं सी आवाज़ आयी!
"चाचू...??"
"हाँ, सोमू उठ गये? आओ, नीचे आ जाओ..."
और फ़िर दो गोरे पैरों के हसीन से तल्वे दिखे! मैने अपनी राइट तरफ़ सर उठाया तो एक व्हाइट ट्रैक, जिस पर साइड में ब्लैक लाइनिंग थी, दिखा... जो थोडा ऊपर उठा हुआ था, उसके अंदर से दो गोरे गोरे पैर दिखे, जिन पर बस रोंये थे, जो अभी बालों में तब्दील भी नहीं हुये थे!
"नीचे आ जाऊँ?"
"हाँ, आ जाओ... देखो, मेरे एक फ़्रैंड मिल गये है... आओ, मुह हाथ धो लो... चाय मँगवाता हूँ..."
फ़िर धम्म से सोमू मेरे बगल में नीचे उतर गया और समझ लीजिये कि मेरे जीवन में हसीन पल की तरह समाँ गया!
'सौम्यदीप सिँह चौहान' ये उसका पूरा नाम था! उस समय वो ११वीँ में था और जैसा नाम वैसा हुस्न... एकदम सौम्य! गुलाबी जिस्म, गुलाबी होंठ, हल्की ग्रे आँखें, सैन्ट्रली पार्टेड हल्के भूरे बाल, चौडा माथा, गोरे गाल, तीर की तरह आई-ब्रोज़, मोतियों की तरह दाँत, और संग-ए-मर्‍मर सा तराशा हुआ हसीन जिस्म! जब वो नीचे उतरा तो उसकी टी-शर्ट उठी रह गयी, जिस कारण मुझे सीधा उसका चिकना सा सपाट पेट दिखा! उसकी ट्रैक में आगे हल्का सा उभार था, जो जवान लडकों को अक्सर सुबह सुबह होता है! बिल्ट और बॉडी मस्क्युलर थी, गदराया हुआ बदन था... होता भी कैसे नहीं, साला डिस्ट्रिक्ट लेवल का स्विमिंग चैम्पियन जो था! मैने उससे हाथ मिलाया तो उसकी जवानी का अन्दाज़ हुआ! उसकी ग्रिप बढिया था, हाथ मुलायम और गर्म!
"चलो जाओ, जल्दी से ब्रश वगैरह कर लो... फ़िर चाय मँगाते हैं!" आकाश ने उससे कहा!
"जी चाचू..."
सौम्य ने झुक कर अपना बैग खोला और जब वो झुका तो उसकी टी-शर्ट और उठ गयी! अब उसकी पीठ और कमर दिखे! बिल्कुल चिकनी गोरी कमर, जिस पर से ट्रैक की इलास्टिक कुछ नीचे ही हो गयी थी और शायद मुझे उसकी चिकनी गाँड का ऊपरी हिस्सा दिखा रही थी!

जैसे ही वो गया, आकाश ने उठ के कैबिन को अंदर से बन्द कर दिया और खडा खडा ही मुझे देखने लगा!
"क्या हुआ?"
"कुछ नहीं..." उसने कहा!
मैं समझ गया कि वो क्या चाहता है... इसलिये मैं भी उसके सामने खडा हुआ! हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और बिना कुछ कहे, बिना एक भी पल बर्बाद किये, मैं उसकी तरफ़ बढा और अपना एक हाथ उसके सर के पीछे रख कर और दूसरे को उसकी कमर में डाल के उससे चिपक गया! उसने मुझे अपनी बाहों में भरा और हम एक दूसरे के होंठ चूसने लगे! गहरी जुदायी के बाद मिलन वाला प्यासा सा मुह खोल खोल के ज़बान से ज़बान भिडा के भूखा, एक दूसरे में समाँ जाने वाला, एक दूसरे को खा लेने वाला चुम्बन... जिसमें हमारी आँखें बन्द थी, बदन आपस में टकराये हुए और चिपके हुये थे! दोनो एक दूसरे का लँड महसूस करते हुये बस गहरे चुम्बन की आग़ोश में डूब गये! हमने पाँच मिनिट के बाद साँस लेने के लिये चुम्बन तोडा और फ़िर एक और चुम्बन में खो गये जो उससे भी बडा था! उसका हाथ मेरी गाँड पर आया और मेरा उसकी गाँड पर चला गया!
"अभी तक वैसी ही है..." उसने कहा!
"हाँ, बस छेद फ़ैल गया है..."
"वो तो तुम खूब ऑइलिंग करवाते होगे ना..."
"तुम्हारा लँड बडा हो गया है..." मैने उसके लँड को सहलाते हुये कहा!
"हाँ, निखर गया है... तुम्हारा तो पहले ही बडा था..."
"सब याद है?"
"हाँ बेटा, तू भूलने वाली चीज़ तो था ही नहीं... याद है ना, वो बस में कैसे हुआ था?"
"हाँ यार, सब याद है... मैं भी तुझे भूला नहीं कभी..." कहकर मैने फ़िर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये!
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई तो हम हडबडा कर अलग हो गये! मैं जल्दी से बैठ गया और आकाश ने दरवाज़ा खोल दिया! नमकीन सौम्य वापस आ गया था!

"यार, मैं ज़रा बोल के आता हूँ कि मैं यहाँ हूँ... वरना सब सोचेंगे कि मैं कहाँ गया..."
"ठीक है..."

आकाश ने एक्स्पोर्ट का काम किया हुआ था और भोपाल में बेस्ड था! सौम्य ग्वालियर के सिन्धिया स्कूल में था! आकाश को बनारस में साडी के किसी कारीगर से मिल के कुछ माल देखना था, इसलिये सौम्य भी साथ हो लिया क्योंकि उसका ननीहाल बनारस में था!
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05-14-2019, 11:42 AM,
#59
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
जब मैं वापस आया तो चाय आ चुकी थी! सौम्य ने मुझे भी चाय दी और मैने आकाश के साथ साथ सोमू से भी खूब बात की! लौंडा रह रह कर मेरी जान ले रहा था! साले ने वही आकाश वाली चिकनाहट पायी थी! इन्फ़ैक्ट उससे भी ज़्यादा... क्योंकि उसके खून में तो बनारस की रेशमी लचक, देसी अल्हडपन और पुरवईया नमक भी था!
बनारस पहुँच कर भी मैं सोमू का हुस्न नहीं भुला पा रहा था... और ज़ाइन तो तिरछा तिरछा भाग रहा था! मैने आकाश का नम्बर ले लिया था, जब घर पर बोर होने लगा तो सोचा कि किसी घाट की सैर लूँ! मैं अक्सर नाव लेकर घंटों वहाँ घूमा करता था! कभी कभी बिल्कुल गँगा के दूसरी तरफ़ जाकर रेत पर चड्‍डी पहन के लेट जाता था! वहाँ भीड नहीं होती थी, बडा मज़ा आता था! साथ में दो पेग भी लगा लेता था और ठँडी ठँडी हवा जब चेहरे को छूती थी तो मौसम हसीन हो जाता था! और जब चड्‍डी पहन के रेत पर बैठता था तो ठँडी ठँडी रेत बदन गुदगुदाती थी! मैं घर से निकला ही था कि अचानक आकाश का फ़ोन आ गया! मैने मन ही मन प्रोग्राम बना के उसको भी अपने साथ नाव की सैर पर चलने को कहा तो वो तैयार हो गया! नाव मेरे घर के एक ड्राइवर की थी! उसके चाचा का लडका रिशिकांत चलाया करता था! वो अक्सर मुझे दूसरे किनारे छोड के वापस आ जाया करता था! फ़िर घंटे-दो घंटे, जितना मैं कहता, उसके बाद वापस आकर मुझे ले जाता था! मैं घर से निकल के जब अपनी मेल चेक करने के लिये एक कैफ़े में गया तो अपने मेल बॉक्स में ज़ायैद की बहुत सी मेल्स देखीं! मैने उसको एक अच्छा लम्बा सा जवाब दिया! वो कहीं घूमने के लिये गया हुआ था और सिर्फ़ मेरा नाम ले लेकर ही मुठ मार रहा था! ज़ायैद के साथ मुझे रिलेशनशिप अजीब सी लग रही थी! ना देखा, ना जाना... फ़िर भी डेढ साल से कॉन्टैक्ट! दिल से दिल लगा रखा था! पता नहीं कौन होगा कैसा होगा मगर फ़िर भी...

मुझे वहाँ से निकल के आकाश से मिलते मिलते ही पाँच बज गये! जब हम घाट पर पहुँचे, काफ़ी भीड हो चुकी थी और फ़िर रिशी को ढूँढ के जब तक हम दूसरी तरफ़ पहुँचे, सूरज नीचे जाने लगा था! चारों तरफ़ सुनहरी रोशनी थी! वहाँ तक पहुँचते पहुँचते आकाश ने तीन और मैने दो पेग लगा लिये थे और हम एक दूसरे के बगल में बैठ के कंधों पर हाथ रख के हल्के हल्के सहला रहे थे!

"और बताओ यार..." हमें वहाँ बात करने में कोई प्रॉब्लम नहीं थी क्योंकि रिशी हमसे काफ़ी दूर बैठा नाव के चप्पू चला रहा था! वो २२-२३ साल का हट्‍टा कट्‍टा देसी लौंडा था जो उस दिन एक ब्राउन कलर का ट्रैक पहने था और ऊपर एक गन्दी सी टी-शर्ट... जिसकी गन्दगी के कारण उसके कलर का अन्दाज़ लगाना मुश्किल था! मगर चप्पू चला चला के उसके हाथ पैर और जाँघों की मसल्स गदरा के उचर गयी थी! उसकी छाती के कटाव उसकी शर्ट के ऊपर से उभर के अलग से दिखते थे! उसके देसी चेहरे के नमकीन रूखेपन को मैं हमेशा ही देखा करता था! मैने देखा कि आकाश भी उसको देख रहा था!

"तुमने काफ़ी पैसा कमा लिया है..."
"हाँ यार..."
"शादी नहीं करोगे दोबारा?"
"अब क्या करूँगा यार... एक बार ही सम्भालना मुश्किल हो गया था..."
"हुआ क्या था? डिवोर्स क्यों ले लिया?"
"क्या बताऊँ यार... एक बार ठरक में एक नौकर से गाँड मरवा रहा था, साली बीवी ने देख लिया..."
"तो समझा देता उसको..."
"समझी नहीं साली... मैने भी सोचा, बात दबा देने के लिये डिवोर्स सही रहेगा..."
"तो तूने उसकी चूत चोदी कि नहीं?"
"हाँ, मगर बस कभी कभी... फ़ॉर्मलिटी में... इसलिये वो और ज़्यादा फ़्रस्ट्रेटेड रहने लगी थी..."
"तो कहीं और ले जा कर नौकर के साथ करता ना..."
"यार, साली सो चुकी थी... मैने सोचा, जल्दी जल्दी काम हो जायेगा... वरना मैने तो फ़ैक्टरी में ही जुगाड कर रखा था..."
"अब क्या कहूँ, चाँस चाँस की बात है... वैसे भी अगर तुझे सही नहीं लग रहा था तो आज नहीं तो कल बात बिगडनी ही थी..."
"हाँ, वो तो है... अच्छा है, अब मैं अपने आपको ज़्यादा फ़्री महसूस कर रहा हूँ!"
"हाँ, वो तो लगता है... शादी से फ़्रीडम खत्म हो जाती है..."
"तो उस नौकर के अलावा भी कोई लडके फ़ँसाये तूने, मेरे बाद?"
"पूछ मत, गिनती नहीं है... मैं तो अपने साले पर भी ट्राई मारता... साला, बडा चिकना सा था... मगर उसके पहले ही काँड हो गया!"
"पहले ही साले को फ़ँसा लेता तो उसकी बहन भी शक़ नहीं करती और अगर देख भी लेती तो अपने भाई के कारण किसी को कहती नहीं!"
"हाँ, अब क्या कहूँ... जो होना था, हो गया..."
"वैसे तेरी बॉडी अब और गठीली हो गयी है..." मैने उसकी जाँघ पर हाथ रख के उसका घुटना हल्के हल्के से सहलाना शुरु कर दिया!
"अच्छा? मगर तू तो अभी भी वैसा चिकना ही है... हा हा हा..."
"वो बस वाली घटना याद है?"
"हाँ... और मुझे तो उसके बाद वाला सीन ज़्यादा याद आता है..."
"हाँ, वो तो असली सीन था ना... इसलिये तुझे याद आता है... थैंक्स यार, तू अभी तक भूला नहीं..."
जब हम दूसरे किनारे पर पहुँचे तो हमने एक एक पेग और लगा लिया!
"आज तेरे साथ पीने में मज़ा आ रहा है..." आकाश ने कहा!
"तो मज़ा लो ना... इतने सालों बाद मिले हैं, मज़ा तो आयेगा... क्या चाँस था यार, वरना ट्रेन में कोई ऐसे कहाँ मिलता है..."
"हाँ, मिलना था... सो मिल गये..."
फ़िर हम बॉटल और ग्लास लेकर नाव से उतर गये और रेत की तरफ़ चलने लगे! अब अँधेरा सा होने लगा था, मैने रिशी से कहा!
"तुम जाओ, डेढ-दो घंटे में आ जाना..."
"अच्छा भैयाजी, आ जाऊँगा..." कहकर वो नाव लेकर मुड गया!
"नहाना भी है क्या?" आकाश ने मुझसे पूछा! मगर मेरे जवाब के पहले ही अपने कपडे उतारने लगा और बोला "मैं तो सोच रहा हूँ, थोडा ठँडे ठँडे पानी में नहा लूँ..."
उसने अपनी शर्ट और बनियान उतार दिये! फ़िर अपनी पैंट खोली तो अंदर से उसकी इम्पोर्टेड शॉर्ट्स स्टाइल की चुस्त चड्‍डी दिखी! उसका जिस्म सच में काफ़ी मस्क्युलर होकर गदरा गया था! पिछली बार वो चिकना सा नवयुवक था, इस बार वो हसीन जवान सा मर्द बन गया था! उसकी जाँघें मस्क्युलर हो गयी थी! उसने अपनी एक जाँघ को स्ट्रैच किया और अपनी चड्‍डी की इलास्टिक अड्जस्ट की!
"तू भी आ जा ना..." उसने मुड के मुझसे कहा!
मैने भी बिना कुछ कहे अपने कपडे उतारना शुरु कर दिये! मैं उस दिन एक व्हाइट कलर की पैंटी पहने था जिसमें मेरा लँड खडा होकर उफ़ान मचा रहा था! पहले हम साथ खडे खडे सामने पानी देखते रहे, फ़िर हमारे हाथ एक दूसरे की कमर में चले गये... और बस फ़िर शायद आग लग गयी! हम घुटने घुटने पानी में गये और वहीं बैठ गये! फ़िर नहीं रहा गया तो एक दूसरे की तरफ़ मुह करके लेटे और फ़िर एक दूसरे के होंठों का रस निचोड निचोड के पीने लगे! उसने देखते देखते मेरी चड्‍डी में पीछे से हाथ डाल दिया तो मैने आगे उसका लँड सहलाना शुरु कर दिया! वो अपनी जाँघ को मेरे ऊपर चढा के मुझे अपने बदन से मसल रहा था! मैं कभी उसकी जाँघ, कभी पीठ तो कभी लँड मसल रहा था! हम ठँडे ठँडे पानी में लेटे हुये थे! उसकी बदन में सरप्राइज़िंगली ज़्यादा बाल नहीं आये थे... बस जाँघों पर हल्के से, छाती पर हल्के से, और हल्के से गाँड और झाँटों पर...
"चल, किनारे पर चल..." मैने उससे कहा और हम रेत पर लेट गये और एक दूसरे में गुथ गये!
उसने अपनी पैंट की पैकेट में कुछ ढूँढा!
"क्या ढूँढ रहा है?"
"ये..." उसने एक तेल की शीशी और कॉन्डोम का पैकेट दिखाया!
"अच्छा, पूरा इन्तज़ाम कर रखा है तुमने?"
"इतने दिनों के बाद ये तो होना ही था..."
"हाँ, मैं भी चाह रहा था... जब से आज तुमसे मिला, बस मेरा ये ही दिल कर रहा था!"
मैने उसके होंठों पर फ़िर होंठ रख दिये! मगर वो अपने लँड पर कॉन्डोम लगा रहा था!
"आज, पहले मैं लूँगा..."
"नहीं यार, पहले मुझे दे ना... तेरी गाँड को मैने बहुत याद किया है..." और मैने पलट के अपनी गाँड उसकी तरफ़ कर दी! फ़िर अपना एक पैर मोड कर उसकी जाँघ पर ऐसे रखा कि मेरी गाँड खुल गयी! मैने अपना सर मोड लिया और अपने हाथ उसकी गरदन में डाल दिये और अपनी गाँड को हल्के हल्के अपनी कमर मटका के उसके लँड पर रगडने लगा! उसने अपने लँड को अपने हाथ से पकड के मेरे छेद के आसपास लगाये रखा!
"इस बार सोच रहा हूँ, किसी लौंडे से शादी कर लूँ..."
"किससे करेगा?"
"तू कर ले..."
"ना बाबा ना... और कोई कमसिन सा ढूँढ ले, ज़्यादा दिन साथ निभायेगा..."
"तू ढूँढ दे ना..."
"कोई मिलेगा तो बताऊँगा... फ़िल्हाल काम चलाने के लिये मैं हूँ..."
"तूने भी काफ़ी लौंडे फ़ँसा रखे होंगे?" उसका सुपाडा मेरे छेद पर हल्के हल्के आगे पीछे होकर दब रहा था, जिससे मेरा छेद कुलबुला के खुल रहा था! मेरी चुन्‍नटें फ़ैलना शुरु कर रहीं थीं!
"हाँ, बहुत फ़ँसाये..." मेरे मन में ना जाने क्या आया, मैने उसको ज़ायैद के बारे में भी बताया!
"सही है... ऐसी फ़्रैंडशिप भी एक्साइटिंग होती है और ब्लाइंड डेट की तरह एण्ड में पता नहीं बन्दा कैसा हो..."
"हाँ यार, ये तो रिस्क है ही..." उसने मेरे निचले होंठों को अपने दाँतों से पकड के अपने सुपाडे को मेरी गाँड में घुसाया और मैने हल्के से 'आह' कहा!
"मज़ा आया ना?"
"हाँ, अब मुझे सिर्फ़ इसी में मज़ा आता है जानम..."
"अगर पता होता, तुझसे तब ही शादी कर लेता..."
"हाँ, तब सही रहता... बाकि सब लफ़डे से बच जाता..."
"हाँ और हम दोनो आराम से रहते..."
"हाँ वो तो है... मगर अब मेरा और लोगों से भी कमिटमेंट है ना... मैं इस तरह सिर्फ़ एक का बन के नहीं रह सकता..." मैने उससे कहा! उसने अब तक आधा लँड मेरी गाँड में घुसा के, मेरी वो जाँघ जिसका पैर उसकी जाँघ पर मुडा हुआ था, अपने मज़बूत हाथ से पकड ली... फ़िर उसने अपनी गाँड पीछे कर के एक ज़ोरदार धक्‍का दिया और उसका लँड मेरी गाँड में पूरा घुस गया!
"अआहहह... अभी भी दम है तेरे में..."
"हाँ, अब ज़्यादा एक्स्पीरिएंस और दम है... तब तो नया नया था..."
"इसीलिये तो लौंडे मच्योर मर्दों को ढूँढते हैं राजा..."
"हाँ..."
फ़िर वो सीधा हो गया और अपनी टाँगें फ़ैला के चित लेट गया तो मैं समझ गया कि मुझे उसके ऊपर बैठ कर सवारी करनी है! मैं उसके ऊपर बैठ गया और उसका लँड अपनी गाँड में खुद ही ले लिया और अपनी गाँड ऊपर नीचे करने लगा!
वो अपनी गाँड उठा उठा के मेरी गाँड में धक्‍के लगा रहा था! मैने उसकी छाती पर अपने दोनो हाथ रखे हुये थे!
"आह... हाँ... आकाश हाँ... आकाश... हाँ... बहु..त अच्छा ल..ग र..हा है... और डालो... मेरी गाँड में लँड डाल..ते र..हो..."
"आह... मेरी रानी ले ना... डाल तो रहा हूँ... तेरी गाँड मारने में बडा मज़ा आ रहा है..." उसने कहा और खूब गहरे गहरे धक्‍के देता रहा! कभी कभी वो मुझे बिल्कुल हवा में उछाल देता!

उसके बाद मैने उसको सीधा लिटाया और उसके पैर उसकी छाती पर ऐसे मुडवा दिये कि उसके दोनो घुटने उसके सर के इधर उधर थे! उसकी गाँड बिल्कुल मैक्सिमम चिर गयी थी! मैने उसके छेद पर मुह रखा और उसको एक किस किया! फ़िर अपनी ज़बान से उसकी गाँड को खोलने लगा! जब रहा ना गया तो मैं वैसे ही अपने घुटनों के बल वहाँ उसी पोजिशन में बैठ गया और अपना लँड उसकी गाँड की फ़ैली हुई दरार में रगडने लगा! मैने उसके छेद पर सुपाडा लगाया जो धडक रहा था! मैने दबाया तो उसकी साँस रुकी!
"साँस क्यों रुक गयी? यार, लगता है इस साइज़ का नहीं मिला कोई..."
"हाँ, मगर कम मिलता है इसीलिये तो याद रहा इतने साल... थोडा तेल लगा ले..."
"मैने उसकी गाँड पर और अपने लँड पर तेल लगाया! फ़िर अपना सुपाडा उसके छेद पर रखा और हल्के से दबाया और दबाता चला गया! जब मेरा दबाव लगातार बना रहा तो उसकी गाँड फैलने लगी और आखिर मेरा सुपाडा 'फ़चाक' से उसकी गाँड में घुसा!
"उहहह..."
"क्या हुआ?"
"हल्का सा दर्द..."
"बस, एक दो धक्‍के में सही हो जायेगा..."
"हाँ" उसने कहा!
मैने घप्प से अपना लँड उसकी गाँड में गहरायी तक सरका दिया तो वो हल्का सा चिहुँका!
"अबे... क्या कमसिन लौंडे की तरह उछल रहा है..." मैने कहा और लँड बाहर खींचा और फ़िर जब मैं लँड अंदर बाहर करने लगा तो उसकी गाँड अड्जस्ट हो गयी!
"आजा... तू नहीं बैठेगा लँड पर?"
इस बार मैने उसको अपने लँड पर बिठा लिया और उसको उछालने लगा!

अभी कुछ ही धक्‍के ही हुये थे कि हमें अपने बगल में कुछ आहट सी हुई! देखा तो बिल्कुल नँगे रिशिकांत को अपने नज़दीक खडे पाया! हम उसी पोजिशन में रह गये!
रिशिकांत हमारे बगल में खडा अपने खडे हुये लँड की मुठ मार रहा था! उसका नँगा बदन दूर से आती रोशनी में चमचमा रहा था! चाँदनी में दमकता उसका जिस्म पत्थर की मूरत की तरह लग रहा था! उसका चेहरा कामुकता से सुन्‍न पड चुका था! आँखों पर बस वासना की चादर थी! उसकी टाँगें हल्की सी फ़ैली थी, बदन के मसल्स दहक रहे थे! आकाश वहीं मेरे लँड पर बैठा रह गया! उसने रिशी को बुलाया!
"आ जाओ, इतनी दूर क्यों हो... इधर आ जाओ..."
रिशी उसकी तरफ़ आया और उसके इतना नज़दीक खडा हो गया कि रिशी का लँड उसके कँधे पर था!
"परेशान क्यों हो... आओ, तुम भी मज़ा ले लो..." कह कर आकाश ने अपने कंधे पर रखे उसके लँड को अपने गालों से सहलाया, जिसको देख के मैं भी मस्त होने लगा! अब मैने आकाश की गाँड में धक्‍के देना शुरु किया और उसने रिशी का लँड चूसना शुरु कर दिया! एक्साइटमेंट के मारे रिशिकांत के घुटने मुड जाते थे! वो अपने घुटने मोड कर गाँड आगे-पीछे करके आकाश के मुह में अपना लँड डालता और निकलता था! रिशिकांत का लँड उसके बदन के हिसाब से ज़्यादा बडा या ज़्यादा मोटा नहीं था मगर था देसी और गबरू और ताक़तवर! उसने आकाश के सर को अपने दोनो हाथों में पकड लिया और उसको अपने लँड पर धकाधक मारने लगा!

मैने आकाश की कमर पकड ली! फ़िर रिशी ने अपना लँड उसके मुह से निकला!
"आप भी कुछ करो ना..."
मैने उसका लँड देखा वो सीधा सामने हवा में खडा था और आकाश के थूक से भीगा हुआ था! मैने उसको अपने ऊपर खींचा और अपनी छाती पर घुटने इधर उधर कर के बिठा लिया और आकाश के थूक में भीगे उसके लँड को चाटा तो उसकी देसी खुश्बू से मस्त हो गया!

"तू मेरी गाँड में अपना लँड डाल... ऐसे ही डाल सकता है क्या?"
"हाँ, डाल दूँगा..." मेरे लँड पर आकाश बैठा था मगर फ़िर भी मैने अपने घुटने मोड लिये! आकाश की पीठ मेरी तरफ़ थी! रिशी मेरी फैली हुई जाँघों के बीच आ गया! उसने अपने घुटने मोड रखे थे! फ़िर मुझे अपनी गाँड पर उसका सुपाडा महसूस हुआ! क्योंकि वो आकाश के सामने पड रहा था, आकाश ने उसको अपनी बाहों में ले लिया और उसके होंठ चूसने लगा मगर रिशी का ध्यान नीचे था! उसने अपने हाथ से अपना लँड मेरी गाँड पर लगाया! आकाश की गाँड से काफ़ी तेल बह कर मेरी गाँड तक आ चुका था इसलिये कोई दिक्‍कत नहीं हुई! फ़िर रिशी का लँड ज़्यादा बडा भी नहीं था! साथ में उसकी देसी अखाडे वाली ताक़त... उसने घपाघप दो तीन धक्‍कों में अपना लौडा मेरी गाँड के अंदर खिला दिया! उसने अपना एक हाथ अपने चूतडों पर और दूसरा आकाश की पीठ पर रख लिया और आराम से आकाश के होंठ चूस चूस कर मेरी गाँड में अपना लँड डालने लगा!

"टट्‍टी निकाल दूँगा यार, तेरी गाँड से... टट्‍टी निकाल दूँगा..."
"अआह... हाँ, निकाल दे..." अब वो धीरे धीरे जोश में आ रहा था! तमीज़ के दायरे से बाहर हो रहा था! उसका मर्दानापन जाग कर उसके लडकपन को दूर कर रहा था!
"बेटा... मर्द का लौडा लिहिओ तो गाँड से टट्‍टी बाहर खींच देई..." उसने देसी अन्दाज़ में कहा!
"तो निकाल देओ ना..."
"हाँ साले, अभी अपने आपही हग देओगे... चल घोडा बन ज़रा... तू हट तो..." उसने आकाश को मेरे ऊपर से हटाया और मुझे पलटवा के घोडा बनवा दिया! फ़िर उसने अपने दोनो हाथ मेरे कमर पर रखे और मेरी गाँड के अंदर सीधा अंदर तक अपना लँड डालने लगा! कुछ देर में वो धकधक मेरी गाँड मारने लगा! आकाश बस बगल में अपना लँड मेरी कमर में चिपका के क्नील हो गया और रिशी के बाज़ू सहलाने लगा!
"क्या देख रहा है? है ना कररा माँस..."
"हाँ... बहुत..."
"रुक जा बेटा, अभी तेरी गाँड में भी पेलेंगे... गाँडू साले, बडी देर से तुम दोनो को साइड से देख रहा था..."

उसने थोडी देर के बाद आकाश को मेरे बगल बिल्कुल मेरी तरह घोडा बना लिया और कभी उसकी मारने लगता कभी मेरी! साले में बडा दम था! नाव खे खे कर उसने सारा ज़ोर अपने लँड में जमा कर लिया था! सच में जब उम्मीद के बाद भी उसका माल नहीं झडा और उसके धक्‍के तीखे होकर अंदर तक जाने लगे तो मेरी टट्‍टी ढीली होने लगी!
"क्यों बेटा गाँडू, टट्‍टी हुई ना..." उसने कहा!
"हाँ..."
"रुक, तू इधर आ... जरा लौडा मुह में ले...." उसने आकाश को खींचा और अपना लँड मेरी गाँड से निकाल के आकाश के मुह में देने लगा! मगर तभी शायद उसका पतन ट्रिगर हो गया और वो चिल्लाया!
"अआह मा...ल..." कहकर उसने आकाश का सर पकड लिया और उसके मुह में ही अपनी धार मार दी!
"अब इसको चटवा..." उसके कहने पर मैने आकाश के मुह पर मुह रख कर रिशिकांत का नमकीन देसी वीर्य उसके मुह से अपनी ज़बान से चाटा! रिशिकांत की देसी जवानी तो उस शाम का बोनस थी! हम दोनो उससे मस्त हो गये थे! फ़िर हमने अपना अपना माल झाडा और कपडे पहन के वापसी का सफ़र पकड लिया!

उस रात मैने आकाश को अपने साथ ही सुला लिया! हम लिपट के सोये, रात काफ़ी बातें हुई! आकाश ने मुझे बताया कि उसको अक्चुअली थ्रीसम बहुत पसंद है और अगर कोई और मिले तो मैं उसको बुला सकता हूँ! मैने भी कह दिया कि मिलेगा तो बता दूँगा! अगली सुबह वो चला गया! मगर रात भर हमनें खूब बातें की!
उधर रिशिकांत का मज़ा चखने के बाद मैने शिवेन्द्र को देखा तो वो भी कामुक लगा! वो करीब २७ साल का था जिसकी शादी हो चुकी थी मगर टाइट कपडे पहनता था!
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05-14-2019, 11:42 AM,
#60
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मस्त कर गया पार्ट --15
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उस दिन शाम को काशिफ़ का रिसेप्शन था! मैं सुबह उठा और आकाश के जाने के बाद बिना नहाये ही सामने राशिद भैया के घर चला गया! मेरी नज़रें ज़ाइन को ही ढूँढ रहीं थी! उसने मुझे निराश नहीं किया और कुछ ही देर में अपने दो कजिन्स के साथ आया! मैने उसकी नमकीन जवानी के दर्शन से अपना दिन शुरु किया! उस दिन के बाद से ज़ाइन को वापस अकेले लाकर उस मूड में लाना मुश्किल हो रहा था! शादी के चक्‍कर में मौका ही नहीं मिल रहा था! ट्रेन पर मौका था तो आकाश मिल गया! इलाहबाद में मौका था तो वहाँ वसीम और आसिफ़ मिल गये! फ़िर मैने सोचा कि राशिद भाई के सिस्टम पर ही मेल चेक कर लूँ! उस दिन भी ज़ायैद की मेल आयी थी!

"आज मैं बहुत हॉर्नी फ़ील कर रहा हूँ... यू नो, मेरे होल में गुदगुदी हो रही है... जब उँगली से सहलाता हूँ तो बहुत अच्छा लगता है! माई फ़्रैंड्स जस्ट टॉक अबाउट गर्ल्स, बट आई कीप लुकिंग एट माई फ़्रैंड्स... समटाइम्स आई वाँट टु हैव सैक्स विथ दैम ऑल्सो! अब तो पुराने पार्टनर्स से गाँड मरवाने में मज़ा भी नहीं आता है! अब तो आपसे मिलने का दिल भी करता है! आई वाँट टु होल्ड युअर कॉक एंड फ़ील इट! आई ऑल्सो वाँट टु सक इट एंड फ़ील इट डीप इन्साइड माई होल! आपका लँड अंदर जायेगा तो दर्द होगा... मे बी आई माइट इवन शिट बट आई स्टिल वाँट इट..."

ये और ऐसी और भी बातें उसने लिखी थी! मैने उसका जवाब दिया और लॉग ऑउट हो गया! ये एक एक्सिडेंट ही था कि ज़ायैद को एक दिन हिन्दी-गे-ग्रुप के बारे में पता चला, जहाँ उसने मेरी कहानियाँ पढीं और हमारे बीच ये एक तरह का अफ़ेअर सा शुरु हो गया! ज़ायैद धीरे धीरे डेस्परेट हो रहा था!
एक बार जब मैने उससे पूछा कि उसको क्या पसंद है तो उसने लिखा था!
"अआह... मैं किसी मच्योर आदमी की वाइफ़ की तरह बहाने करना चाहता हूँ... नयी नयी चीज़ें एक्सपेरिमेंट करना चाहता हूँ! मेरे फ़्रैंड्स सिर्फ़ सैक्स करते हैं बट आई वाँट टु डू मोर... मे बी गैट लिक्ड... मे बी ट्राई इवन पिस एंड थिंग्स लाइक दैट... यु नो ना? लडका था तो गर्म, मगर था मेरी पहुँच से बहुत दूर... ना जाने कहाँ था ज़ायैद...

उस दिन मैने एक नया लडका भी देखा! उसका नाम शफ़ात था और वो मेरे एक दोस्त का छोटा भाई था जो राशिद भाई के यहाँ भी आता जाता था! उसकी काशिफ़ से दोस्ती थी! उस समय में बी.एच.यू. में एम.बी.बी.एस. सैकँड ईअर में था! पहले उसको देखा तो था मगर अब देखा तो पाया कि वो अच्छा चिकना और जवान हो गया है! मैने उससे हाथ मिलाया! वो कुछ ज़्यादा ही लम्बा था, करीब ६ फ़ीट ३ इँच का जिस कारण से उसकी मस्क्युलर बॉडी सैक्सी लग रही थी! मैने उसको देखते ही ये अन्दाज़ लगाया कि ना जाने वो बिस्तर में कैसा होगा! ये बात मैं हर लडके से मिल कर करता हूँ! मैने नोटिस किया कि ज़ाइन शफ़ात से फ़्रैंक था! मुझे कम्प्यूटर मिला हुआ था इसलिये मैं अपनी गे-स्टोरीज़ की मेल्स चेक करता रहा! कुछ इमजेज़ भी देखीं, दो विडीओज़ देखे और गर्म हो गया! फ़िर बाहर सबके साथ बैठ गया! मैने देखा कि शफ़ात की नज़रें घर की लडकियों पर खूब दौड रहीं थी... खास तौर से राशिद भाई की भतीजी गुडिया पर! वैसे स्ट्रेट लडको के लिये १२वीँ में पढने वाली गुडिया अच्छा माल थी! वो बिल्कुल वैसी थी जैसे लडके मैं ढूँढता हूँ! नमकीन, गोरी, पतली, चिकनी! शफ़ात के चिकने जवान लँड के लिये उसकी गुलाबी कामुक चूत सही रहती! गुडिया मुझसे भी ठीक ठाक फ़्रैंक थी! बस ज़ाइन मेरे हाथ नहीं आ रहा था... किसी ना किसी बहाने से बच जाता था!

उस दिन बैठे बैठे ही सबका राजधरी जाने का प्रोग्राम बन गया! क्योंकि राशिद भैया के काफ़ी रिश्तेदार थे, सबने सोचा, अच्छी पिकनिक हो जायेगी! राजधरी बनारस से करीब दो घंटे का रास्ता है और मिर्ज़ापुर के पास पडता है! वहाँ एक झरना और ताल है जिसमें लोग पिकनिक के लिये जाते हैं! उसके पास छोटे छोटे पहाड भी हैं! जब मुझे ऑफ़र मिला तो मैं भी तैयार हो गया! अगली सुबह रिसेप्शन के बाद जाने का प्रोग्राम बना! सब मिला कर करीब ३० लोग हो गये थे!

शाम के रिसेप्शन में भीड भाड थी, घर के पास ही पन्डाल लगा था, लाइट्स थी, गाने बज रहे थे, सब इधर उधर चल फ़िर रहे थे! वहाँ के घर पुराने ज़माने के बने हुये हैं... हैपज़ार्ड! जिस कारण कहीं एक दम से चार मन्ज़िलीं हो गईं थी, कहीं एक ही थी! मेरे और राशिद भैया के घर में एक जगह बडी छत कहलाती थी, जो एक्चुअली फ़िफ़्थ फ़्लोर की छत थी, फ़िफ़्थ फ़्लोर पर सिर्फ़ एक छोटी सी कोठरी थी... ये उसकी छत थी जिसके एक साइड मेरा घर था और एक साइड उनका! मैं अक्सर वहाँ जाकर सोया करता था! उसकी एक छोटी सी मुंडेर थी ताकि कोई करवट लेकर नीचे ना आ जाये! ज़्यादा बडी नहीं थी! वहाँ से पूरा मोहल्ला दिखता था!

फ़िल्हाल मैं चिकने चिकने जवान नमकीन लौंडे ताड रहा था! साफ़ सुथरे कपडों में नहाये धोये लौंडे बडे सुंदर लग रहे थे! मगर वो शाम सिर्फ़ ताडने में ही गुज़री! कोई फ़ँसा नहीं! क्योंकि अगली सुबह जल्दी उठना था मैं तो जल्दी सोने भी चला गया!

दूसरे दिन काफ़िले में पाँच गाडियाँ थीं और कुल मिलकर करीब आठ चिकने लौंडे जिसमें ज़ाइन और शफ़ात भी थे और उनके अलावा कजिन्स वगैरह थे! राजधारा पर पहुँच के पानी का झरना देख के सभी पागल हो गये! सभी पानी में चलने लगे! कुछ पत्थरों पर चढ गये! कुछ कूदने लगे! कुछ दौडने लगे! मैने पास के बडे से पत्थर पर जगह बना ली क्योंकि वो उस जगह के बहुत पास थी जहाँ सब लडके अठखेलियाँ कर रहे थे... खास तौर से ज़ाइन! उस जगह की ये भी खासियत थी कि वो उस जगह से थोडी हट के थी जहाँ बाकी लोग चादर बिछा कर बैठे थे! यानि पहाडों के कारण एक पर्दा सा था! इसलिये लडके बिना रोक टोक मस्ती कर रहे थे! मेरी नज़र पर ज़ाइन था! वो उस समय किनारे पर बैठा सिर्फ़ अपने पैरों को भिगा रहा था!
"ज़ाइन... ज़ाइन..." मैने उसे पुकारा!
"नहा लो ना... तुम भी पानी में जाओ..." मैने कहा!
"नहीं चाचा, कपडे नहीं हैं..."
"अच्छा, इधर आ जाओ.. मेरे पास... यहाँ अच्छी जगह है..."
"आता हूँ..." उसने कहा मगर उसकी अटेंशन उसके सामने पानी में होते धमाल पर थी! सबसे पहले शफ़ात ने शुरुआत की! उसने अपनी शर्ट और बनियान उतारते हुए जब अपनी जीन्स उतारी तो मैं उसका जिस्म देख के दँग रह गया! वो अच्छा मुस्च्लुलर और चिकना था, साथ में लम्बा और गोरा! उसने अंदर ब्राउन कलर की फ़्रैंची पहन रखी थी! मैने अपना फ़ोन निकाल के उस सीन का क्लिप बनाना शुरु कर दिया! शफ़ात ने जब झुक के अपने कपडे साइड में रखे तो उसकी गाँड और जाँघ का बहुत अच्छा, लँड खडा करने वाला, व्यू मिला! मेरा लौडा ठनक गया! उसको देख के सभी ने बारी बारी कपडे उतार दिये... और फ़ाइनली ज़ाइन ने भी!

मैने ज़ाइन के जिस्म पर अपना कैमरा ज़ूम कर लिया! वो किसी हिरनी की तरह सुंदर था! उसके गोरे बदन पर एक भी निशान नहीं था! व्हाइट चड्‍डी में उसकी गाँड क़यामत थी! गाँड की मस्क्युलर गोल गोल गदरायी फ़ाकें और फ़ाँकों के बीच की दिलकश दरार! पतली चिकनी गोरी कमर पर अँडरवीअर के इलास्टिक... फ़्लैट पेट... छोटी सी नाभि... तराशा हुआ जिस्म... छाती पर मसल्स के कटाव... सुडौल जाँघें और मस्त बाज़ू... वो खिलखिला के हँस रहा था और हँसता हुआ पानी की तरफ़ बढा! मेरा लँड तो जैसे झडने को हो गया! उसको उस हालत में देख कर मेरा लौडा उफ़न गया! फ़िर सब मुझे भी पानी में बुलाने लगे! जब देखा कि बच नहीं पाऊँगा तो मैं तैयार हो गया!

जब मैं किनारे पर खडा होकर अपने कपडे उतर रहा था तो मैने देखा कि ज़ाइन मेरी तरफ़ गौर से देख रहा था! उसने मेरे कपडे उतरने के एक एक एक्ट को देखा और फ़िर मेरी चड्‍डी में लँड के उभार की तरफ़ जाकर उसकी आँखें टिक गयी! मैं सबके साथ कमर कमर पानी में उतर गया! पानी में घुसते ही मेरे बदन में इसलिये सिहरन दौड गयी कि ये वही पानी था जो ज़ाइन और शफ़ात दोनो के नँगे बदनों को छू कर मुझे छू रहा था! एक तरफ़ वॉटरफ़ॉल था! मैने शफ़ात से उधर चलने को कहा! हम सीधे पानी के नीचे खडे हो गये! वो भी खूब मस्ती में था, मैं भी और बाकी सब भी...
"आपने इसके पीछे देखा है?" शफ़ात ने कहा!
वो मुझे गिरते पानी के पीछे पत्थर की गुफ़ा के बारे में बता रहा था... जहाँ चले जाओ तो सामने पानी की चादर सी रहती है!
"नहीं" मैने वो देखा हुआ तो था मगर फ़िर भी नहीं कह दिया !
"आइये, आपको दिखाता हूँ... बहुत बढिया जगह है..."
पानी में भीगा हुआ, स्लिम सा गोरा शफ़ात अपनी गीली होकर बदन से चिपकी हुई चड्‍डी में बहुत सुंदर लग रहा था... बिल्कुल शबनम में भीगे हुये किसी फ़ूल की तरह! उसके चेहरे पर भी पानी की बून्दें थमी हुई थी! जब हम वहाँ पहुँचे तो मैने झूठे एक्साइटमेंट में कहा!
"अरे ये तो बहुत बढिया है यार..."
"जी... ये जगह मैने अपने दोस्तों के साथ ढूँढी है..." मैने जगह की तारीफ़ करते हुये उसके कंधे पर हाथ रखते हुये उसकी पीठ पर हाथ फ़ेरता हुआ अपने हाथ को उसकी कमर तक ले गया तो ऐसा लगा कि ना जाने क्या हुलिया हो! उसका जिस्म चिकना तो था ही, साथ में गर्म और गदराया हुआ था!
"तुम्हारी बॉडी तो अच्छी है... लगता नहीं डॉक्टर हो..."
"हा हा हा... क्यों भैया, डॉक्टर्स की बॉडी अच्छी नहीं हो सकती क्या? हम तो बॉडी के बारे में पढते हैं..."
"ये जगह तो गर्ल फ़्रैंड लाने वाली है..."
"हाँ है तो... मगर अब सबके साथ थोडी ला पाता..."
"मतलब है कोई गर्ल फ़्रैंड?"
"हाँ है तो..." मेरा दिल टूट गया!
"मगर हर जगह उसको थोडी ला सकता हूँ... उसकी अपनी जगह होती है..."
मैने सोचा कि ये लौंडा तो फ़ँसेगा नहीं, इसलिये एक बार दिल बहलाने के लिये फ़िर उसकी पीठ सहलायी!
"तो बाकी जगह पर क्या होगा?"
"हर जगह का अपना पपलू होता है... पपलू जानते हैं ना?"
"हाँ, मगर तुम्हारा मतलब नहीं जानता... हा हा हा..."
"कभी बता दूँगा..."
"अच्छा, तुमने ऊपर देखा है? जहाँ से पानी आता है..."
"हाँ... चलियेगा क्या?"
"हाँ, चलो..."
"वो तो इससे भी ज़्यादा बढिया जगह है... आप तो यहाँ ही कमर सहलाने लगे थे... वहाँ तो ना जाने क्या मूड हो जाये आपका..."
"चलो देखते हैं..." लौंडे ने मेरा इरादा ताड लिया था... आखिर था हरामी...
ऊपर एक और गहरा सा तलाब था और उसके आसपास घनी झाडियाँ और पेड... और वहाँ का उस तरफ़ से रास्ता पत्थरों के ऊपर से था!
"कहाँ जा रहे है... मैं भी आऊँ क्या?" हमको ऊपर चढता देख ज़ाइन ने पुकारा!
"तुम नहीं आ पाओगे..." शफ़ात ने उससे कहा!
"आ जाऊँगा..."
"अबे गिर जाओगे..."
शायद ज़ाइन डर गया! हम अभी ऊपर पहुँचे ही थे कि हमें पास की झाडी में हलचल सी दिखी!
"अबे यहाँ क्या है... कोई जानवर है क्या?"
"पता नहीं..." मगर तभी हमे जवाब मिल गया! हमें उसमें गुडिया दिखी!
"ये यहाँ क्या कर रही है?" शफ़ात ने चड्‍डी के ऊपर से लँड रगडते हुए कहा!
"कुछ 'करने' आयी होगी..."
"'करने' के लिये इतनी ऊपर क्यों आयी?"
"इसको ऊपर चढ के 'करने' में मज़ा आता होगा..." मैने कहा!
"चुप रहिये... आईये ना देखते हैं..." उसने मुझे चुप रहने का इशारा करते हुये कहा!
उसके ये कहने पर और गुडिया को शायद पिशाब करता हुआ देखने के ख्याल से ही ना सिर्फ़ मेरा बल्कि शफ़ात का भी लँड ठनक गया! अब हम दोनो की चड्‍डियों के आगे एक अजगर का उभार था! हम चुपचाप उधर गये! गुडिया की गाँड हमारी तरफ़ थी और वो शायद अपनी जीन्स उतार रही थी! उसने अपनी जीन्स अपनी जाँघों तक सरकायी तो उसकी गुलाबी गोल गाँड दिखी... बिल्कुल किसी चिकने लौंडे की तरह... बस उसकी कमर बहुत पतली थी और जाँघें थोडी चौडी थी! उसकी दरार में एक भी बाल नहीं था! फ़िर वो बैठ गयी और शायद मूतने लगी!
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