Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
05-14-2019, 11:32 AM,
#41
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
फ़िर जब हम बस से उतरे तो उसने चँचलता से हमें अपना लोअर दिखाया, जिसमें शायद उसका लँड खडा था और उठा हुआ था!
"देख साले..."
"अबे क्या हुआ?"
"क्या बताऊँ यार, साला मेरे बगल में वो लौंडा नहीं था एक?"
"हाँ था तो... क्या हुआ?"
"अरे यार, साला मेरा लँड पकड के सहला रहा था मादरचोद... देखो ना खडा करवा के छोड गया..." आकाश ने बताया तो मैं तो कामुक हो उठा और कुणाल हँसने लगा मगर मुझे लगा कि शायद वो भी कमुक हो गया था!
"अबे, तूने मना नहीं किया?" कुणाल ने पूछा!
"मना कैसे करता, बडा मज़ा आ रहा था... हाहाहाहा..."
"बडा हरामी है तू... " मैने कहा!
"तो उतर क्यों गया? साले के साथ चला जाता ना.." कुणाल ने कहा!
"अबे अब ऐसे में इतना ही मज़ा लेना चाहिये..."
"वाह बेटा, मज़ा ले लिया... मगर लौंडे के हाथ में क्या मज़ा मिला?"
"अबे, लँड तो ठनक गया ना... उसको क्या मालूम, हाथ किसका था... हाहाहा..."
"हाँ बात तो सही है..." कुणाल ने कहा फ़िर बोला "तो साले की गाँड में दे देता..."
"अबे बस में कैसे देता, अगर साला कहीं और मिलता तो उसकी गाँड मार लेता..."
मैं तो पूरा कामुक हो चुका था और हम तीनों के ही लँड खडे हो चुके थे मगर मैं फ़िर भी शरीफ़ स्ट्रेट बनने का नाटक कर रहा था! पर दिल तो कुछ और ही चाह रहा था! मैने बात जारी रखी!
"तेरा क्या पूरा ताव में आ गया था?"
"हाँ और क्या, साला सही से पकड के रगड रहा था... पूरा आँडूओं तक सहला रहा था!" जब आकाश ने कहा तो मुझे उस लडके से जलन हुई जिसको आकाश का लँड थामने को मिला था मैं तो उस वक़्त उस व्हाइट टाइट लोअर में सामने की तरफ़ के उभार को देख के ही मस्त हो सकता था!

शायद कुणाल को भी उस गे एन्काउंटर की बात से मस्ती आ गयी थी क्योंकि उसके बाद वो ना सिर्फ़ उसकी बात करता रहा बल्कि उसकी फ़िज़िकैलिटी भी बढ गयी थी! मुझे आकाश के बारे में एक ये भी चीज़ पसंद थी कि उसकी आँखों में देसी कामुकता और चँचल मर्दानेपन के साथ साथ एक मासूमियत भी थी और एक बहुत हल्की सी शरम की झलक जो उस समय अपने चरम पर थी!

"यार कहीं जगह मिले तो लँड पर हाथ मार कर हल्का हो जाऊँ... साला पूरा थका गया है..."
"अबे, क्या सडक पर मुठ मारेगा?" कुणाल ने कहा!
"अबे तो क्या हुआ, जो देखेगा, समझेगा कि मूत रहा हूँ... हेहेहे..."

उसको ग्लॉवज लेने थे सो ले लिये! फ़िर हम थोडा बहुत इधर उधर घूमे! अब मुझे आकाश के जिस्म की कशिश और कटैली लग रही थी! एक दो बार जब वो चलते चलते मेरे आगे हुआ तो मैने करीब से उसकी गाँड की गदरायी फ़ाँकें देखीं! वो कसमसा कसमसा के हिल रही थीं और उसका लोअर अक्सर उसकी जाँघों के पिछले हिस्से पर पूरा टाइट हो जा रहा था! कभी मैं उसके लँड की तरफ़ देखता, इन्फ़ैक्ट एक दो बार आकाश ने मुझे उसका लँड देखते हुये पकड भी लिया, मगर वो कुछ बोला नहीं!

"क्यों, अगर कोई तेरा लँड पकड लेता तो क्या करता?" उसने मुझसे पूछा!
"पता नहीं यार..."
"पता नहीं क्या?"
"मतलब अगर मज़ा आता तो पकडा देता मैं भी..."
"साला हरामी है ये भी" कुणाल बोला!
"मगर अब वो बन्दा कहाँ मिलेगा, बस साला कहीं किसी और का थाम के मस्ती ले रहा होगा" कुणाल फ़िर बोला!
"हाँ यार, ये भी चस्का होता है"
"हाँ, जैसे तुझे पकडवाने का चस्का लग गया है, उसको पकडने का होगा... हाहाहाहा..." मैने कहा!
"मगर सच यार, मज़ा तो बहुत आया... सर घूम गया! एक दो बार दिल किया, साले को खोल के थमा दूँ..." आकाश ने बडे कामातुर तरीके से कहा! अब वो अक्सर बात करते समय मुझे मुस्कुरा के देखता था!
"अबे वो लौंडा था कैसा?" कुणाल ने पूछा!
"था तो गोरा चिकना सा... तूने नहीं देखा था? मेरे सामने की तरफ़ तो था..." मुझे तो उस लडके की शक्ल याद आ गयी क्योंकि मैने उसको गौर से देखा था!
"हाँ अगर चिकना होता तो मैं तो साले को अगले स्टॉप पर उतार के उसकी गाँड में लौडा दे देता!" कुणाल बोला!
"वाह साले, तू तो हमसे भी आगे निकला" आकाश बोला!
"क्यों साले, तू नहीं मार लेता अगर वो साला तेरे सामने अपनी गाँड खोल देता?"

जब बस आयी तो हम चढ गये! इस बार भी भीड थी मगर किसी ने इस बार हम तीनों में से किसी का लँड नहीं थामा! अब तो हल्का हल्का अँधेरा भी होने लगा था और इस बार आकाश का जिस्म मेरे जिस्म से चिपका हुआ था! इस बार मुझसे रहा ना गया! मैने चुपचाप अपना एक हाथ नीचे किया और उसके ऊपरी हिस्से को हल्के से आकाश की जाँघ से चिपका के कैजुअली रगडने दिया! कहीं से कोई रिएक्शन नहीं हुआ! मैने सोचा था कि अगर वो अजनबी लडके को थमा सकता है तो ट्राई मारने में क्या हर्ज है और वो उस समय ठरक में भी था! मैने अपने हाथ, यानी अपनी हथेली के ऊपरी हिस्से से उसकी जाँघ को सहलाया तो मुझे मज़ा आया और एक्साइटमेंट भी हुआ! जब वो कुछ बोला नहीं तो मुझे प्रोत्साहन मिला! मैं उसकी तरफ़ नहीं देख रहा था बस मेरे हाथ चल रहे थे! धीरे धीरे मैने सही से सहलाना शुरु किया और फ़िर मेरी उँगलियाँ शुरु में केअरलेसली उसके लँड के सुपाडे के पास पहुँची तो उसके लोअर में लँड महसूस करके मैं विचलित हो उठा, उसका लँड अब भी खडा था!

मैने अगले स्टॉप की हलचल के बाद सीधा अपनी हथेली से उसका लँड रगडना शुरु किया और बीच बीच में उसको अपनी उँगलियों से पकडना भी शुरु कर दिया तो वो फ़िर से मस्त हो गया! मैने एक दो बार उसकी तरफ़ देखा तो उसके चेहरे पर सिर्फ़ कामुकता के भाव दिखे! मुझे ये पता नहीं था कि उसको ये बात मालूम थी कि वो मेरा हाथ था! मैं अब आराम से उसका लँड पकड के दबा रहा था! फ़ाइनली जब हमारा स्टॉप आया तो हम उतर गये! मगर तब तक आकाश और मैं दोनो ही पूरे कामुक हो चुके थे!
"क्यों, अब तो कोई नहीं मिला ना साले?" कुणाल ने उतरते हुये पूछा तो मुझे आकाश की ऐक्टिंग के हुनर का पता चला!
"नहीं बे, अब हमेशा कोई मिलेगा क्या? वो तो कभी कभी की बात होती है..." अब मैं समझा कि उसको मालूम था कि वो हाथ मेरा था और शायद उसको इसमें कोई आपत्ति नहीं थी! मगर कुणाल हमारे साथ ही लगा रहा! अब मैं आकाश की चाहत के लिये तडपने लगा था! अँधेरा हो चुका था और मेरे पास आकाश को ले जाने के लिये कोई जगह नहीं थी! हमने चाय पी और इस दौरान आकाश और मैं एक दूसरे को देखते रहे! फ़ाइनली हमें वहाँ से जाना ही पडा!

अगले कुछ दिन मेरी आकाश के साथ उस टाइप की कोई बात नहीं हो पायी! राशिद भैया को नौकरी मिल गयी तो वो रिज़ाइन करने चले गये और काशिफ़ को अलीगढ छोड आये! उन्होने कहा कि वो जब वापस आयेंगे तो कुछ दिन मेरे साथ रहकर मकन ढूँढेगे और इस बीच मुझे कोई अच्छा मकान मिले तो मैं उनके लिये बात कर लूँ! अब तक कुणाल, आकाश, विनोद और मैं काफ़ी क्लोज हो गये थे! शायद हम सबको एक ही चाहत, जिस्म की चाहत ने बाँध रखा था, जिससे हम एक दूसरे की तरफ़ बिना कहे आकर्षित थे!

एक दिन मैं लौटा तो दीपयान गली के नुक्‍कड पर खडा सिगरेट पीता मिला! जैसे ही उसने मुझे आते देखा उसने मुसकुरा के सिगरेट छिपाने की कोशिश की!
"पी लो बेटा, ये सब जवानी की निशानी हैं... शरमाओ मत..." मैने कहा!
"आओ ना, ऊपर आओ... आराम से बैठ के पियो..." उस समय वो स्कूल की नीली पैंट में अपनी कमसिन अल्हड जवानी समेटे बडा मस्त लग रहा था! वो ऊपर आ कर तुरन्त फ़्री होकर बैठ गया और उसके बैठने में मैने उसकी टाँगों के बीच उसका खज़ाना उभरता हुआ देखा! उसकी पैंट जाँघों पर टाइट थी! उसकी हल्की ग्रे आँखें और भूरे बाल, साथ में गोरा कमसिन चिकना चेहरा मस्त थे! साला शायद अँडरवीअर नहीं पहने था जिस कारण उसके लँड की ऑउटलाइन भी दिख रही थी!

"क्यों भैया, अकेले बडा मज़ा आता होगा रहने में?"
"मज़ा क्या आयेगा यार?"
"मतलब, जो मर्जी करो..."
"हाँ वो तो है..."
"काश, मैं भी अकेले रह सकता..."
"क्यों क्या करते?"
"चूत चोदता, खूब रंडियाँ ला ला कर..." वो बिन्दास बोला!
"क्यों?"
"क्योंकि... बस ऐसे ही..."
"अबे खडा भी होता है?"
"पूरा खम्बा है भैया..."
"तुम्हारा गोरा होगा..."
"हाँ भरपूर गुलाबी है..."

मैने नोटिस किया कि लडका शरमा नहीं रहा था और इन सब में बढ चढ के हिस्सा ले रहा था!
"क्यों बेटा रंडी चोदने का आइडिआ कब से है?"
"हमेशा से है.."
"अच्छा? स्कूल में यही सब सीखते हो?"
"और क्या, हमारे स्कूल में बडे मादरचोद लडके हैं... शरीफ़ लडकों की तो गाँड मार ली जाती है..."
"अच्छा? बडा हरामी स्कूल है..."
"अरे भैया, गवर्न्मेंट स्कूल में और क्या होगा... बस समझो 'सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी'..."
मुझे उसकी बातों में मज़ा आ रहा था, इन्फ़ैक्ट मेरी कामुकता हल्के हल्के बढती जा रही थी! इतनी पास में बैठा, इतनी एक्साइटेड तरह से बात करता हुआ, ये चिकना पहाडी लडका बडा सुंदर और कामातुर लग रहा था!
"क्यों तुझे कैसे पता कि लडको की गाँड मारी जाती है?"
"एक दो की तो मैं भी लगा चुका हूँ... एक साला तो गाँडू है... खुद ही पटाता है और स्कूल के मैदान के साइड वाली झाडियों में लडकों से गाँड मरवाता है!"
"क्या कह रहा है यार... तूने गाँड मारी?"
"बहुत बार मारी है भैया... तभी तो अब लँड, चूत ढूँढने लगा है... गाँड के बाद चूत का मज़ा देखना है..."
Reply
05-14-2019, 11:38 AM,
#42
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
अब मैने देखा कि उसका हाथ बार बार अपनी ज़िप पर, अपनी जाँघों पर और अपनी टाँगों के बीच जा रहा था! वो कभी वहाँ अपने खडे होते लँड को अड्जस्ट करता कभी अपने आँडूए सही करता और कभी बस मज़ा लेता था! उसका चेहरा भी गुलाबी हो गया था! उसकी नज़रें भीगने लगें थी, वो कामुक हो रहा था!
"गाँड मारने में मज़ा आता है..."
"भरपूर... और मैं तो तब तक मारता हूँ जब तक लँड से दूध नहीं निकल जाता है... साला राजू भी मेरे साथ मारता है" उसने मुझे बताया!
"अच्छा राजू भी??? कहाँ??? उसने किस की मारी?"
"वही स्कूल वाले लडके की... वो तो साला रंडी है... खूब मरवाता है, हमारे स्कूल में फ़ेमस है..."
"अब तो उसकी गाँड फ़ट गयी होगी?" कहते कहते मुझे अपने स्कूल के दिन याद आ गये, जब मैं भी करीब करीब हर शाम किसी ना किसी लँड से, चाहे बायलॉजी वाले सर हों या पीटी वाले सर या सीनियर क्लास के लम्बे चौडे लौंडें हों या स्कूल मे काम करने नज़दीकी गॉव से आये पिऑन्स..., अपने स्कूल के टॉयलेट मे अपनी गाँड का मुरब्बा बनवाया करता था...

"हाँ मगर साला बडा मज़ा लेता है..."
"क्यों उसने चूसा भी?"
"चूसा??? नहीं चूसता तो नहीं है..."
"ट्राई करना, साला चूस लेगा अगर गाँडू है तो चूसेगा भी..."
"वाह यार भैया, चुसवाने में तो मज़ा आ जायेगा..." वो अचानक चुसवाने के नाम पर और एक्साइटेड हो गया! अब उसका लँड खडा होकर बिना चड्‍डी की पैंट से साफ़ दिखने लगा, जो उसकी टाँगों के बीच उसकी जाँघ के सहारे सामने की तरफ़ आ रहा था और उसकी नेवी ब्लू पैंट पर एक हल्का सा भीगा सा धब्बा बना रहा था, जो शायद उसका प्रीकम था! उसका बदन बेतहाशा गदराया हुआ और गोरा था और अब उसका चेहरा कामुकता से तमतमा रहा था!

"मतलब, तुमने अभी तक चुसवाया नहीं है?"
"नहीं भैया..."
"और राजू ने?"
"उसने भी नहीं... वैसे उसका पता नहीं... मेरे साथ तो कभी नहीं चुसवाया..."
"लँड चुसवाने का अपना मज़ा है..." मैने कहा और उसके बगल में थोडा ऐसे चिपक के बैठ गया कि मेरी जाँघें उसकी जाँघों से चिपकने लगीं! मुझे उसके बदन की ज़बर्दस्त गर्मी का अहसास हुआ! मैने हल्के से ट्राई मारने के लिये उसका हाथ सहलाया और फ़िर हल्के से उसका घुटना! उसके बदन में मज़बूत और चिकना गोश्त था! साला पहाडों की ताक़त लिये हुए पहाडी कमसिन था!

"मुठ भी मारते हो?"
"हाँ, जम के... कभी कभी हम साथ में ही मारते है..."
मैने अब अपना हाथ उसकी जाँघ पर आराम से रख लिया और सहलाने लगा!
"क्यों, अब भी मुठ मारने का दिल करने लगा?"
"हाँ भैया, आपने वो चुसवाने वाली बात जो कर दी..."
"अच्छा, तो तेरा चुसवाने का दिल करने लगा?"
"हाँ भैया..."
"अब क्या होगा?"
"पता नहीं..."
"चुसवाने का मज़ा लेना है?"
"हाँ..."
"किसी को बतायेगा तो नहीं?"
"नहीं..."
"लँड पूरा खडा है क्या?"
"जी... मगर चूसेगा कौन?"
"तुझे क्या लगता है?"
"जी पता नहीं..."
"आखरी बार बता, चुसवायेगा?"
"किसको?"
मेरा हाथ अब उसकी ज़िप के काफ़ी पास था! इन्फ़ैक्ट मेरी उँगलियाँ अब उसके सुपाडे को ब्रश कर रही थीं और वो अपनी टाँगें फ़ैलाये हुये था!
"पैर ऊपर कर के बैठ जा..." मेरे कहने पर उसने अपने जूते उतार के पैर ऊपर कर लिये!
"आह भैया.. क्या... क्या... मेरा मतलब.. आप चूसोगे?"
"हाँ" कहकर मैने इस बार जब उसके लँड पर हथेली रख के मसलना शुरु किया तो वो पीछे तकिये पर सर रख कर टाँगें फ़ैला के आराम से लेट गया! उसके लँड में जवानी का जोश था!
"खोलो" मैने कहा तो उसने अपनी पैंट खोल दी! उसकी जाँघें अंदर से और गोरी थीं और लँड भी सुंदर सा गुलाबी सा चिकना था! उसने अपनी पैंट जिस्म से अलग कर दी! मैं उसके बगल में लेट गया और उसकी कमर पर होंठ रख दिये तो वो मचला!
"अआई... भैया..अआह..."

साला अंदर से और भी ज़बर्दस्त, चिकना और खूबसूरत था! मैने एक हाथ से उसके जिस्म को भरपूर सहलाना शुरु किया! मैं उसके बदन को उसके घुटनों तक सहलाता! वो मेरे सहलाने का मज़ा ले रहा था!
"चूसो ना भैया..." उसने तडप के कहा तो मैने उसकी नाभि में मुह घुसाते हुये उसकी कमसिन भूरी रेशमी झाँटों में उँगलियाँ फ़िरायी और फ़िर उसके लँड को एक दो बार शेर की तरह पुचकारा तो वो दहाड उठा और उसका सुपाडा खुल गया!
"राजू का लँड कटा हुआ है..."
"मतलब?"
"मतलब जैसा मुसलमानों का होता है ना, वैसा..."
"कैसे?"
"बचपन में ज़िप में फ़ँस गया था..."
"तब तो और भी सुंदर होगा?"
"हाँ, मगर उसका साले का काला है... आपको काले पसंद हैं?"
"हाँ, मुझे हर तरह के लँड पसंद हैं" कहकर मैने उसकी झाँटों में ज़बान फ़िरायी तो उसके कमसिन पसीने का नमक मेरे मुह में भर गया! मैने उसके लँड की जड को अपनी ज़बान से चाटा!
"सी...उउउहह... भैया..अआह..."
"तुझे लगता है, राजू पसंद है..."
"हम बचपन के दोस्त हैं ना... दीपू मैं और वो..."
"अच्छा? मतलब तू ये सब उन दोनों को बतायेगा..."
"हाँ... नहीं नहीं..."
"अरे, अगर उनको भी चुसवाना हो तो बता देना... मुझे प्रॉब्लम नहीं है..."
"हाँ... वो भी चुसवा देंगे आपको..."

मैने उसके लँड को हाथ से पकड के उसके सुपाडे पर ज़बान फ़ेरी!
"अआ..आई... भैया..अआहहह... अआहहह..." उसने सिसकारी भरी तो मुझे श्योर हो गया कि उसने वाक़ई में पहले चुसवाया नहीं है! मैने उसका गुलाबी सुपाडा अपने होंठों के बीच पकडा और पकड के दबाया! "उउहहह..." उसके मुह से आवाज़ निकाली और मैने उसके सुपाडे को अपने मुह में निगल लिया और उस पर प्यार से ज़बान फ़िरा फ़िरा के दबा दबा के चूसा तो वो मस्त हो गया!

"अआह... भैया..अआहहह... बहन..चोद... मज़ा आ... गया.. भैया..अआह..." अब मैने उसको साइड में करवट दिलवा दी और जब उसका लँड पूरा मुह में भर के चूसना शुरु किया तो लौंडा कामुकता से सराबोर हो गया और मेरे मुह में अपने लँड के धक्‍के देने लगा! मैने उसके एक जाँघ अपने मुह पर चढवा ली और एक हाथ से उसके आँडूए और उसकी बिना बालों वाली चिकनी गाँड और उसका गुलाबी टाइट छेद भी सहलाने लगा! दूसरे हाथ को ऊपर करके मैं उसकी छाती और चूचियाँ सहलाने लगा! वो अब पूरी तरह मेरे कंट्रोल में आ गया था! मैने लँड के बाद उसके आँडूए भी मुह में भर के चूसना शुरु किये तो वो बिल्कुल हाथ पैर छोड के मेरे वश में आ गया!
"अआहहह.. सी..उउउह... भैया..आहह.. आह.. भैया..आहहह... मज़ा.. मज़ा.. मज़ा... भैया, मज़ा आ.. गया... बहुत.. मज़ा..." वो सीधे बोल भी नहीं पा रहा था!

आँडूओं के बाद मैने कुछ देर फ़िर से उसका लँड चूसा और फ़िर सीधा उसके आँडूओं के नीचे उसकी गाँड के पास जब मैं चूसने लगा तो वो मस्त हो गया! मैने उसकी चिकनी गाँड पर जब ज़बान फ़िरायी तो वो मचल गया! वो अब ज़ोर लगा लगा के मेरे मुह का मज़ा ले रहा था, उसका सुपाडा मेरी हलक के छेद तक जाकर मेरे गर्म गीले मुह का मज़ा ले रहा था!
"वाह भैया, आप तो मस्त हो..."
"हाँ बेटा, मैं मस्त लडकों को मस्ती देता हूँ..."
"भैया, अब दूध झड जायेगा..." कुछ देर बाद वो बोला!
"झाड देना..."
"कहाँ झाडूँ भैया?"
"मेरे मुह में झाड दे..."
"आपको गन्दा नहीं लगेगा?"
"अबे तू मज़ा ले ना... मेरी चिन्ता छोड..." जब उसको सिग्नल मिल गया तो वो मस्त हो गया और मेरे मुह में भीषण धक्‍के देने लगा! फ़िर मैं समझ गया कि वो ज़्यादा देर तक नहीं टिक पायेगा! मैने उसकी गाँड दबोच के पकड ली और कुछ ही देर में उसका लँड मेरे मुह में फ़ूला और उसका वीर्य मेरे हलक में सीधा झडने लगा, जिसको मैं प्यार से पीता गया! मगर झडने के कुछ देर बाद तक उसका लँड मेरे मुह में खडा रहकर उछलता रहा! मैने उसको अपने होंठों से निचोड लिया और उसके वीर्य की एक एक बून्द पी गया! उसके बाद उसके अपनी पैंट पहन ली और बातें करता रहा!
"क्यों मज़ा आया ना?" मैने पूछा!
"जी भैया, बहुत... साला दिमाग खराब हो गया... गाँड मारने से ज़्यादा मज़ा आया..."
"चलो बढिया है... मगर तुम चुसवाने में काफ़ी एक्स्पर्ट हो..." मैने जब कहा तो वो अपनी तारीफ़ से फ़ूल गया!
"हाँ..."
"तो बोलो, अब तो आते रहोगे ना?"
"और क्या... अगर आपको प्रॉब्लम नहीं होगी, तो..."
"अरे, मुझे क्या प्रॉब्लम होगी यार... आराम से आओ..."
"आप बहुत बढिया आदमी हो... भैया आप मुझे अच्छे लगे..." लडके को शायद वो एक्स्पीरिएंस सच में बहुत पसंद आया था!
Reply
05-14-2019, 11:38 AM,
#43
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
अब तो आकाश और मैं एक दूसरे की तरफ़ बडे प्यार से देखते थे! मगर वो उसके आगे कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था! खैर फ़िलहाल के लिये उतना ही काफ़ी था! अगले दिन जब मैं लौटा तो नुक्‍कड पर दीपयान, दीपू और राजू खडे थे! मुझे देख के उनमें कुछ खुसर फ़ुसर हुई! साले आपस में मुस्कुराये और फ़िर मुझे देख के भी मुस्कुराये! राजू का हाथ उसके लँड तक गया! तीनों एक दूसरे को कोहनी मार रहे थे, मगर कुछ बोले नहीं!

फ़िर कुछ दिन बाद लोहडी आयी तो विनोद ने सभी लडको को अपने घर इन्वाइट किया! हम करीब 12 लडके उसके घर पहुँचे! वहाँ बडा सा बोन-फ़ायर था जिसके चारों तरफ़ लोग खूब मस्ती कर रहे थे! हम सब वहाँ नाचने लगे! ढोल बज रहा था! आकाश भी था, जो कालका से टूर्नामेंट जीत के वापस आया था! विनोद, इमरान, कुणाल सभी थे! उस दिन तो सभी फ़न के मूड में मादक लग रहे थे और हाथ उठा उठा के, गाँड मटका मटका के नाच रहे थे! मैं उनकी मचलती गाँड और थिरकती कमर देख रहा था! कुणाल ने उस दिन एक मस्त सी टाइट कार्गो पहन रखी थी! आकाश ने हल्के से कपडे की व्हाइट कार्गो पहनी हुई थी! विनोद जीन्स में था! इमरान व्हाइट पैंट पहने था! धर्मेन्द्र भी जीन्स में था! अंदर एक रूम में दारु का इन्तज़ाम था! हम सब बारी बारी वहाँ जाकर, एक एक पेग लगाकर वापस आ जाते! समाँ बहुत सुंदर था! विनोद के घर के कुछ ही दूर, यमुना नदी भी थी! आग की रोशनी में सबकी जवानियाँ दहक रहीं थी! वहाँ विनोद के एक दो कजिन्स और मोहल्ले के और लडके भी थे! आँखें सेकने के लिये काफ़ी सामान था! एक से एक जवान जिस्म, थिरकती गाँडें और ताज़े ताज़े लँड! नाचते नाचते करीब 11 बज गये! उस रात कोहरा और सर्दी भी बहुत थे! हम सब पीछे की तरफ़ विनोद के रूम में चले गये और जब उसने ब्लू फ़िल्म लगाने का प्रस्ताव रखा तो महफ़िल और जोश में आ गयी! एक तरफ़ नाचने की थकान, दूसरी तरफ़ शराब का नशा और अब ब्लू फ़िल्म! मज़ा ही मज़ा था! कमरे में अब हम 8 लडके थे... मैं, विनोद, आकाश, कुणाल, इमरान, धर्मेन्द्र, विनोद का कजिन आशित और मोहल्ले का रहने वाला हेमन्त!

सभी हरामी नौजवान थे! हमने कमरे की लाइट्स ऑफ़ कर दी थी! नीचे ज़मीन पर गद्‍दे डाल दिये गये थे, कुछ रज़ाईयाँ थीं और सामने टी.वी और वी.सी.आर. रखा था... कुछ देर में ब्लू फ़िल्म शुरु हुई और धीरे धीरे जब लौंडों के लँड खडे हुये तो ज़बान बन्द होने लगी! सब चाव से उसमें चलता एक्शन देखने लगे! मेरे सर के पास आकाश लेटा था, मैं उसके पेट पर सर रख कर लेटा था! हर साँस पर मुझे उसका बदन हिलता हुआ महसूस हो रहा था! साथ में शराब का दौर भी चल रहा था और रूम में सिगरेट भी थी! मैने एक हाथ मोड के अपने सर के नीचे रख लिया, मतलब आकाश के पेट और छाती के पास! वो सबसे ज़्यादा चुप था! मेरे बगल में कुछ दूर पर कुणाल था! एक और रज़ाई में धर्मेन्द्र और इमरान थे! उनके पास हेमन्त था! मेरी दूसरी तरफ़ विनोद और आशित दूसरी रज़ाई में थे! सभी हैप-हज़ार्डली लेटे हुये थे! कोई टेक लगा के, कोई तकिया लगा के... कोई दीवार के सहारे, कोई टाँगें फ़ैला के... तो कोई टाँगें समेट के! सबको खडे लँड का मज़ा आ रहा था! मैने ऐसे ही बातों बातों में आकाश के लँड के पास चुपचाप हाथ लगाया तो वो चुप ही रहा, उसका लँड खडा था! हमारे बीच वो बस वाली घटना हुये कुछ समय बीत गया था! मुझे अब यकीन हो चला था कि वो इंट्रेस्टेड है और वो बस वाली बात कोई ऐक्सिडेंट नहीं थी! मेरे पैर कुणाल के पैरों से टच कर रहे थे! कुछ देर में आकाश ने एक रज़ाई उठा के अपने पैरों पर डाल ली, तो अब मुझे उसका लँड सहलाने में आसानी होने लगी!

उधर ब्लू फ़िल्म में धकाधक चुदायी चल रही थी इधर मैं आकाश का लँड उसकी पैंट के ऊपर से दबा के रगड रहा था! फ़िर जब आकाश एक पेग लेने के लिये उठा तो कुणाल भी उसके साथ उठ गया और वापस आने पर कुणाल के कहा कि वो आकाश की जगह लेटना चाहता है!
"क्यों यार?"
"अरे एक जगह बैठे बैठे गाँड दुख गई है... थोडा साइड चेंज होगा... तू इधर लेट जा..."
"अरे यार, मैं आराम से उसके ऊपर सर रख के लेटा था..." मैने कहा!
"अरे तो मेरे ऊपर सर रख के लेट जा... मैं कहाँ मना कर रहा हूँ..." कहकर कुणाल ठीक वैसे ही लेट गया, जैसे आकाश लेटा था और मेरा सर अपनी कमर के पास रखवा लिया और पैरों पर रज़ाई डाल ली! मुझे कुणाल के बदन की गर्मी भी दिल्चस्प लग रही थी! कुछ देर हिलने डुलने के बाद मेरा सर आराम से उसकी जाँघ पर आ गया! उसका एक पैर घुटने पर मुडा हुआ था और वो पैर, जिस पर मेरा सर था, सीधा था! मैने अपना एक हाथ मोड के उसके उठे हुये घुटने पर रख लिया और अपने पैर ऐसे सीधे किये कि वो आकाश की रज़ाई में घुस गये और मैं हल्के हल्के अपने पैरों से उसके पैरों को सहलाता रहा!

फ़िर आदत से मजबूर और नशे में सराबोर, मुझसे रहा नहीं गया! मैने जब अपना सर थोडा पीछे करके हल्का सा ऊपर की तरफ़ किया तो वो सीधा कुणाल के खडे लँड पर जा लगा! उसने कुछ कहा नहीं! कुणाल के लँड में अच्छी सख्ती और अच्छी हुल्लाड थी! साथ में बदन की गर्मी, ब्लू फ़िल्म और शराब का नशा! समाँ रँगीन था! मैने अपना मुह थोडा मोडा तो उसने रज़ाई ऊपर कर ली जिससे मेरा सर रज़ाई के अंदर उसके लँड के ऊपर हो गया! अब मैने अपने गालों को उसके लँड पर दबाया तो उसने जवाब में मेरे बालों में उँगलियाँ फ़िरानी शुरु कर दीं! मुझसे और ना रहा गया और मैने ज़िप के ऊपर से ही उसके लँड पर अपने होंठ रख दिये! उसने मुझे कस के दबोच लिया और मेरा सर अपने लँड पर दबा लिया! हमने ये कुछ देर किया और फ़िर किसी की नज़र पड जाने के डर से मैने रज़ाई से सर बाहर निकाल लिया! अब मैं बीच बीच में रज़ाई में घुस के वही सब बार बार करता! आकाश इस सब में हम पर कडी नज़र रखे हुये था!

फ़िर कुणाल ने विनोद से कहा "ओये वो उस दिन वाली फ़िल्म लगा ना, जिसमें लौंडिया गाँड मरवाती है..."
"ओये वो मेरे पास कहाँ है, वो तो तू ले गया था..."
"अरे हाँ..."
"लाऊँ क्या?" कुणाल बोला!
"जा, देखनी है तो ले आ..."
"लाता हूँ... मेरे घर पर कहीं है... ढूँढनी पडेगी..." कहकर कुणाल उठा और उठते उठते मेरे कान में बोला "चल..." जब मैं उठने लगा तो उसने ज़ोर से कहा!
"ओये अम्बर, साथ चल साले... गली में कुत्ते होंगे... साथ में आराम रहेगा..."

जब हम वहाँ से उठ के बाहर आये तो गली में अँधेरा और सन्‍नाटा था! बाहर आते ही कुणाल ने फ़िर मेरा हाथ पकड लिया! मैं अब मस्ती में था, मैने जवाब में अपनी उँगलियाँ उसकी उँगलियों में डालकर, अपनी हथेली उसकी हथेली में छिपा के उसका हाथ पकड लिया! हम उसके घर की तरफ़ बढे, मगर बीच रास्ते में उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और मैने उसके कंधे पर हाथ रख लिया और हम वैसे ही चिपक के चलने लगे! चलते चलते अचानक उसका हाथ सीधा मेरी गाँड पर आ गया और मेरी सिसकारी निकल गयी और मैं रुक गया और पास की एक बॉउंड्री के सहारे खडा हो कर अपनी गाँड पर उसके हाथ का मज़ा लेने लगा!

वो सामने से मेरी तरफ़ आया और चिपक के बिना कुछ कहे ऐसे खडा हुआ कि हमारे लँड आपस में दब गये और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और देखते देखते हमने एक दूसरे के होंठों पर होंठ रख दिये और वहीं गली के अँधेरे हिस्से में मैं और कुणाल मस्ती से चुम्बन का आनन्द लेने लगे! उसकी किस में नमक और शराब की सुगन्ध थी और उसकी किस में कामुकता की ताक़त थी! वो काफ़ी फ़ोर्सफ़ुली मुझे किस कर रहा था और साथ में मेरी गाँड दबोच रहा था! हमने कुछ देर के बाद अपनी किस खत्म की!
"चल यार..." कुणाल ने थूक निगलते हुये कहा, जिसमें शायद अब मेरा थूक भी था!
"चल..." मैने भी अपने थूक के साथ साथ उसका थूक निगलते हुये कहा! मगर हम हाथ पकडे रहे! अब मैने भी उसकी कमर में हाथ डाल कर उसकी गाँड सहलाना शुरु कर दिया था, जो उम्मीद से ज़्यादा मुलायम और गदरायी हुई थी! अपने रूम में घुसते ही उसको वो कसेट मिल गया!
"मुझे तो पता ही था, ये यहाँ है..."
"तो मुझे क्यों लाया?"
"जैसे तुझे नहीं पता??? यार, तेरे साथ लेट कर मज़ा आ गया था ना..." उसने कहा और हम फ़िर एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे! मैने उसका लँड सहलाना शुरु कर दिया और फ़िर उसकी पैंट खोल के उसका लँड बाहर कर लिया तो उसकी उमँग से मैं कमज़ोर हो गया! मैने तुरन्त अपनी पैंट खोली और अपनी चड्‍डी घुटने पर करके पलट गया और अपनी गाँड से उसके लँड की मालिश करने लगा! उसने मेरे पेट में अपने हाथ डाल कर मुझे उसी पोजिशन में पकडे रखा! उसका सुपाडा मेरे छेद पर बडा मादक लग रहा था और मेरी गाँड खुद-ब-खुद ढीली पड रही थी!

"तू बडी देर से यही चाह रहा था ना?"
"हाँ यार..."
"अंदर घुसा दूँ?"
"हाँ घुसा दे..."
"रुक तेल लगा लूँ..." उसने अपने लँड पर तेल लगाया और फ़िर मुझे झुका के मेरी गाँड पर अपना सुपाडा दबाया! मैने गाँड उसके लिये ढीली की तो उसका सुपाडा एक दो धक्‍कों में मेरी गाँड के अंदर घुसने लगा!
"अआहहह..." मैं करहाया!
"क्यों दर्द हुआ?"
"नहीं ज़्यादा नहीं..."
"अच्छा बेटा ले" उसने मुझे पकड के अपनी गाँड भींच के मेरी गाँड में अपना लँड हल्के हल्के करके पूरा ही डाल दिया! उसके कुछ देर बाद मैं वहीं ठंडी ज़मीन पर लेट गया और वो मेरे ऊपर चढ गया! उसका गर्म गर्म लँड मेरी गाँड को चौडी करके उसमें अंदर बाहर हो रहा था! मेरी गाँड गर्म होकर मस्त हो गयी थी, वो गाँड उठा उठा के मेरी गाँड में धक्‍के देने लगा फ़िर जल्दी ही बोला!
"अब माल गिरा दूँ? वापस भी चलना है ना यार... वरना साले शक़ करेंगे..."
"हाँ गिरा दे..."
"फ़िर किसी दिन तेरी आराम से लूँगा..." उसने कहा और कुछ पल में उसने और धक्‍के दे देकर मेरी गाँड में अपना वीर्य भर दिया!

वापस आने पर वो अकेला रज़ाई में लेटा और देखते देखते सो गया तो मैं फ़िर आकाश के साथ लेट गया! अब मैं आराम से उसी तरह रज़ाई में सर घुसा के उसका लँड भी तडपाने लगा! उसने भी मेरे बालों में उँगलियाँ चलनी शुरु कर दीं! फ़िर कुछ देर के लिये हमने ब्रेक लिया! जिसको मूतना था, मूतने चला गया! बाकी सब बैठे रहे! धर्मेन्द्र, कुणाल और इमरान सो गये थे!
"तुम कुछ करने गये थे?" मौका देख के आकाश ने मेरे कान मैं पूछा!
"हाँ" मैने सिर्फ़ सर हिलाया!
"साले, क्या किया?"
"बस ऐसे ही जल्दी जल्दी..."
"हाँ, मुझे शक़ तो हो गया था क्योंकि तू बहुत देर से उसके लँड पर मुह रखे था... क्यों उसने तुझे चुसवाया?"
"हाँ और भी..." मैं उसे बातों बातों मे ही तडपाने लगा!
"यार मेरा भी मूड गर्म है... चल ना कहीं..."
"कहाँ चलेगा?" आकाश के मुह से वो बातें बडी मस्त लग रहीं थी!

दूसरी फ़िल्म में विनोद भी पस्त हो गया और मैं बिन्दास आकाश की रज़ाई में घुस के उसके बगल में लेट गया! अब पहली बार हमारे पूरे बदन आपस में मिले तो मेरा हाथ सीधा नीचे उसके लँड की तरफ़ बढ गया! वही लँड जो कुछ दिन पहले मैने बस में दबाया था! मैने अपनी एक जाँघ उसकी जाँघों के बीच घुसा दी और उसने अपना मुह मेरी गर्दन में घुसा के वहाँ अपने होंठों से चुम्बन दिया! उसका हाथ मेरे पेट पर आया और वो वहाँ दबा के सहलाने लगा! उसने देखते देखते अपनी एक जाँघ मेरी जाँघों पर चढ दी, फ़िर उसका हाथ मेरे लँड पर आ गया! वो मेरा लँड दबाने और मसलने लगा तो मैं भी पूरे जोश में आ गया! अभी तीन लडके तो जगे हुये थे इसलिये उसके आगे कुछ करना खतरनाक था! अब मैने देखा कि विनोद और उसका कजिन आशित जिस रज़ाई में थे उसमें भी कुछ वैसी ही हलचल थी जैसी हमारी रज़ाई में थी! मैं समझ गया कि वहाँ भी कुछ चल रहा है! मगर फ़िर भी शायद आकाश ओपनली कुछ करने का रिस्क नहीं लेना चाहता था! फ़ाइनली दो बजे रात में हमने वहाँ से निकलने का मूड बनाया! विनोद ने रोकना चाहा, मगर वो समझ गया कि हम रुकेंगे नहीं और उसको हमारे इरादों पर शक़ भी हो गया था! उसको भी आशित से गाँड मरवाने का मौका मिल रहा था! आशित पतला दुबला नमकीन सा साँवला लडका था!
Reply
05-14-2019, 11:39 AM,
#44
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
जब हम मेरे रूम पर पहुँचे तो ठँड से जम चुके थे! रूम लॉक करके जब आकाश मेरे सामने अपने कपडे एक एक करके खोलने लगा और जब मैने आहिस्ता आहिस्ता उसका गोरा, गदराया, कटावदार चिकना नमकीन देसी बदन नँगे होते देखा तो और टाइम वेस्ट नहीं किया और खुद भी फ़टाफ़ट अपनी अँडरवीअर में आ गया! अब हम दोनो की चड्‍डियों में लँड तम्बू की तरह खडे थे! हम रज़ाई में घुसे और फ़िर देखते देखते हमने किसिंग शुरु कर दी!

आकाश का नँगा बदन सहलाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था! अब मैं आराम से उसका पूरा बदन, उसकी गाँड और जाँघें सब दबा रहा था! और फ़िर हमारी चड्‍डियाँ भी उतर गयी!
"एक बात बताऊं? गाली तो नहीं देगा?" आकाश ने कहा!
"बता..."
"उस दिन बस में मेरा किसी ने नहीं पकडा था... मैने सब झूठी कहानी बनायी थी, तुम्हें फ़ँसाने के लिये..."
"अच्छा, बडा कमीना है तू..."
"क्यों, तू उस दिन वो सब सुन कर गर्म हुआ था ना?"
"हाँ बहुत..."
"और आज कुणाल के साथ क्या क्या हुआ?"
"होगा क्या... वही सब, जो होता है..."
"इसके पहले भी हुआ है क्या उसके साथ?"
"नहीं आज पहली बार था..."
"मज़ा आया?"
"हाँ मगर जल्दी जल्दी करना पडा..."
"तो अब आराम से कर लो" कह कर उसने फ़िर मेरा चुम्बन लेना शुरु कर दिया! फ़िर वो नीचे हुआ और उसके होंठ मुझे अपने सुपाडे पर महसूस हुये और फ़िर वो मेरे लँड को चूसने लगा तो मैने उसका सर पकड के उसका मुह चोदना शुरु कर दिया! वो चूसने में एक्स्पर्ट था! उसने मेरे आँडूए अपने मुह में लिये और फ़िर उनको दबा के चूसने लगा और मेरे लँड पर अपना थूक मलने लगा!

"मुझे भी चुसवा ना..." कुछ देर के बाद मैने कहा!
"आजा, नीचे होकर मुह में ले ले जानेमन... मेरी रानी आजा ना... तुझ पर तो अपनी जवानी न्योछावर कर दूँगा..." उसके कहा!
"हाये आकाश..." मैने कहा और जब उसका लँड अपने मुह में लिया तो लगा कि किसी मर्द का खम्बा लिया है! उसमें उतना ही देसी जोश था जितने की मुझे उम्मीद थी! साला सीधा अंदर तक घुस घुस कर मेरा मुह गर्म कर रहा था! मैने उसकी गाँड दबोच रखी थी और मैं उसका लँड खाये जा रहा था! फ़िर मैने उसको घुमाया और उसकी दरार में मुह डाल के उसका छेद किस करने लगा तो वो मचलने लगा! उसकी गाँड की खुश्बू बढिया थी! साले की गाँड पर हल्के से रेशमी बाल थे जिनको मैने थूक में लपेड के साइड में चिपका दिया था और फ़िर मैने उसकी गाँड में ज़बान घुसानी शुरु कर दी! कुछ देर बाद वो मेरी गाँड चाटने लगा!
"मुझे भी गाँड चूसने में मज़ा आता है..." हम काफ़ी देर, बारी बारी एक दूसरे की गाँड चूसते रहे और फ़िर उसने कहा!
"पलट ना, तेरी गाँड मारूँगा..."
"आ ना राजा... आ मार ले, सही से मारीयो..."
"हाँ रानी, तेरी गाँड में बच्चा डाल दूँगा... पलट..."

फ़िर उसने बिना तेल ही, सिर्फ़ मेरे थूक से लिपटा अपना सुपाडा, देखते देखते मेरी गाँड में सरका दिया! उस रात का मेरी गाँड में वो दूसरा लँड था, जिस कारण मेरी गाँड तुरन्त ही खुल गयी! उसने काफ़ी देर तक मेरी गाँड मारी! पहले से गाँड खुली हुई होने के कारण, उसको इतनी सैन्सेशन नहीं हो रहीं थी, कि वो आसानी से झड जाता! फ़िर मैने उसको पलटा और जब उसकी गाँड में मेरा लँड घुसा तो मज़ा आ गया! घुसाते ही पता चल गया कि उसकी गाँड कुँवारी थी! फ़िर उसने अपनी गाँड उठा दी!

"ऐसे ही, मेरी गाँड में अपना लँड डाल के, हाथ नीचे करके मेरा लँड हिलाता रह..." मैने उसकी उठी हुई गाँड में पूरा लँड घुसाया और नीचे हाथ डाल कर उसका लँड पकड के उसको हिलाने लगा! फ़िर उसके लँड से वीर्य निकल पडा, जिस कारण उसकी गाँड भिंची और मेरा लँड भी उसकी गाँड में अपना माल झाडने लगा! उसका पूरा माल बिस्तर पर था और मेरा उसकी गाँड में! हम वैसे ही अपने अपने माल में सने हुये सो गये! सुबह जब आँख खुली तो पाया कि आकाश मेरे होंठ चूस रहा है! हम फ़िर लग लिये और फ़िर उसने मेरी गाँड मारी और उसके बाद मैने उसकी! फ़िर हम साथ में नहाये! आकाश का जिस्म बडा सुंदर था, उसको नँगा देख के मेरे चाहत पूरी हो गयी थी! मुझे उससे इश्क़ सा हो गया था!
धीरे धीरे मौसम बदला और फ़िर दोपहर में गर्मी होने लगी! वैसे अभी मार्च का महीना ही था मगर धूप तेज़ हो जाती थी! रात में थोडी बहुत ठँड पडती थी!

फ़िर एक दिन पता चला कि राशिद भैया को नौकरी मिल गयी है और वो वापस आ रहे हैं! मुझे लगा वो मेरे साथ रुकेंगे, मगर जब पता चला कि उनकी कम्पनी वालों ने एक गेस्ट हाउस में उनका इन्तज़ाम कर दिया है तो मेरा दिल टूट गया! वैसे नशे की उस दास्तान के बाद राशिद भैया के साथ कुछ हुआ भी नहीं था... और ना उन्होने कोई इच्छा जताई थी! फ़िर भी इतना हो जाने के बाद मेरे अंदर उनको पाने की चाहत पूरी जाग चुकी थी! वो सीधा सामान लेकर मेरे रूम पर आ गये और दिन भर साथ रहे! मैं जीन्स में बन्द उनकी जवानी का आनन्द लेता रहा और उस रात को याद करता रहा जब मैने उनका लँड ऑल्मोस्ट चूस ही लिया था और मेरे अंदर ठरक जागती रही! शाम को वो मुझे अपने साथ अपने गेस्ट हाउस ले गये जहाँ विक्रान्त भैया भी आ गये! अब उनके सामने तो कुछ होने की उम्मीद और भी नहीं थी! उस दिन उन्होने जब बॉटल खोली तो मुझे ज़बरदस्ती अपने साथ बिठा लिया! राशिद भैया ने बडी मादक तरह से मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहा!
"अब तो जवान हो गये हो... ऐसे शरमाओगे तो कैसे बात बनेगी?" मैं उनके डबल मीनिंग डायलॉग का मतलब नहीं निकाल सका, मगर मेरा मन उनकी उस नज़र और बात करने के उस लहजे से गदगद हो गया!

मैने एक दिन पहले ही अपनी झाँटें और गाँड शेव किये थे और एक बडी चुदाक सी, लाल, लेडीज पैंटी पहने था जो मुझे आकाश ने दिलवायी थी! शेव करने के बाद लेडीज पैंटी पहनने में आसानी रहती थी क्योंकि उसका नर्म कपडा चुभता नहीं था और साथ में सैक्सी भी लगता था! वैसे में मुझे नँगा नँगा फ़ील होता था! मैने ऊपर एक टैरिकॉट की टाइट सी बेइज़ कलर की पैंट और एक हाफ़ आस्तीन की शर्ट पहनी हुई थी! उस दिन भैया ने लुँगी के बजाय सिर्फ़ एक छोटा सा गमछा ही पहना हुआ था और ऊपर केवल बनियान! मेरी नज़र रह रह कर उनके गदराये कटावदार जिस्म पर थिरकने लगती थी! उनकी छाती पर मसल्स के कटाव थे! चौडी सुडौल बाज़ू थी, चौडी कलाईयाँ और मस्त मस्क्युलर फ़ैली जाँघें... और वो 8 नम्बर का जूता पहनते थे! वो और विक्रान्त आमने सामने दो कुर्सियों पर बैठे थे और मैं बगल में बेड के कोने पर जिससे मैं डायरेक्टली उनके विज़न में नहीं था मगर वो दोनो ठीक मेरे सामने थे! इस बार राशिद भैया को बेटी हुई थी!

"चल, अब तो तूने काम शुरु कर दिया होगा?"
"नहीं यार, अभी चूत सही नहीं हुई..."
"बहनचोद, इतने दिन बिना लिये कैसे रह सकता है?"
राशिद भैया ने कतरा के मेरी तरफ़ देखा!
"अबे, ये कौन सा बच्चा है जो तू बात करने में शरमा रहा है..." अभी राशिद भैया को चढी नहीं थी इसलिये उनको शायद हल्का सा इन्हिबिशन था!
"क्या करूँ यार... रहना पडता है... मजबूरी है..."
"बहनचोद, ऐसे में तो मूड इतना खराब हो जाता है कि लौंडा मिले तो लौंडे की ही गाँड मार लूँ मैं तो..."
"हाहाहा... हाँ यार, अपनी भी हालत कुछ वैसी ही हो गयी है..."
"तो कोई चिकना सा लौंडा ही फ़ँसा ले... जा, सैंट्रल पार्क चला जा, वहाँ होमो लौंडे मिल जाते हैं... 40-50 रुपये दे दियो, कोई चिकना सा तेरे साथ आ जायेगा..."
"हाहाहा... नहीं यार, पता नहीं साला कौन होगा, कैसा होगा..."
"अबे पहले देख लेना, तेरी तो बॉडी देख कर साले खुद ही आ जायेंगे..."
"साले, तू लगता है पार्ट टाइम में यही करता है..."
"अबे मैं नहीं, वो साला अश्फ़ाक़ था ना अपने साथ... उस मादरचोद का अक्सर का यही काम था... हाहाहाहा..."
"अच्छा? साले को ये शौक़ भी था?"
"हाँ, अक्सर वहाँ से चिकने लौंडे लेकर, हॉस्टल में ही लाकर उनकी गाँड मारता था..." बातों के साथ साथ चुस्कियाँ भी चल रहीं थी!
"यार, मुझे आज जल्दी जाना है... कल मेरा टेस्ट है, अगर कल नहीं दिया तो एग्ज़ाम में अपीअर नहीं हो पाऊँगा..." फ़िर भी विक्रान्त भैया को जाते जाते 11 बज ही गये! तब तक मुझे और राशिद भैया दोनो को ही चढ चुकी थी और अब इतनी बेबाकी से बेशरम बातें सुन कर हमारी इन्हिबिटेशन भी खत्म हो चुकी थी!
Reply
05-14-2019, 11:39 AM,
#45
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मुझे तो बस उस दिन की घटना ही याद आ रही थी और इस उम्मीद में था कि उनकी फ़िर वैसी ही हालत हो जाये तो मज़ा आ जाये! विक्रान्त भैया के जाने के बाद वो भी बेड पर एक तरफ़ बैठ गये और जब उन्होने पीछे होकर अपना एक पैर ऊपर उठा के बेड पर रखा तो मुझे उनके उस मुडे हुये पैर की तरफ़ से सीधा उनकी गाँड तक दिखने लगा और जाँघों के बीच दबे उनके आँडूए जिससे मेरी नज़र बस वहीं चिपक के रह गयी! उन्होने अपनी बाँह उठा के वहाँ सूंघा!
"साला बहुत पसीना हो गया है... सोच रहा हूँ नहा लूँ..."
"नहा लीजिये..." मुझे अब उम्मीद जगने लगी! वो जब उठ के खडे हुये तो उनका लँड इस बार उनके छोटे से गमछे के अंदर नीचे की तरफ़ होकर हल्का सा खडा हुआ महसूस हुआ और ऊपर से ही उनके सुपाडे तक का शेप साफ़ दिखने लगा! मेरा हलक एक्साइटमेंट के मारे सूख गया! उनको नशा चढ चुका था... नशा तो मुझे भी था!

वो वैसे ही, लडखडाते हुये बाथरूम की तरफ़ गये और दरवाज़ा बन्द नहीं किया! फ़िर उन्होने मेरी तरफ़ मुड के कहा!
"आओ, तुम भी नहा लो... देखो, कितना बढिया टब है... आओ, पानी भर के नहा लो..." तो मैं शरमाने का हल्का सा नाटक करता हुआ बाथरूम तक गया और मैने भी सामने बडा सा बाथटब देखा!
"वाह भैया, बढिया टब है... मैं कभी टब में नहाया नहीं हूँ..." मैने नहाने के लिये हामी नहीं भरी मगर मना भी नहीं किया! बस उनको एनकरेज किया कि अगर वो चाहें तो मैं उनके साथ नहा लूँगा!
"आ जाओ, देखो इतना बढिया माहौल नहीं मिलेगा... आओ, नहा के खाना खायेंगे... फ़िर आज यहीं रुक जाना..."
"मगर क्या पहन के नहाऊँ?" मैने कहा तो वो टब का पानी ऑन करने के लिये झुके और झुके झुके ही बोले!
"क्यों, अंदर कुछ पहने नहीं हो??? अगर नहीं भी है, तो यहाँ मेरे तुम्हारे अलावा कौन है... कपडे उतारो और पानी में घुस जाओ... अब भाई भाई में आपस में क्या शरमाना? मैं तो शरमा नहीं रहा हूँ..." कहते कहते वो वहीं मेरी तरफ़ पीठ करके कमोड पर खडे हुये और मूतने लगे! मूतने में उन्होने सर घुमा के फ़िर मुझसे कहा!
"चलो ना, कपडे उतारो... मज़ा आयेगा... आ जाओ, शरमाओ नहीं..." अब मुझे लगने लगा था कि वो मेरे साथ नहाना चाह ही रहे थे! मैने अपनी कमीज़ उतारी और फ़िर धडकते हुये दिल के साथ अपनी बनियान उतारी तो मैने देखा! वो मुझे गौर से देखते हुये टब में घुसे और फ़िर मुझे देखते देखते ही पानी में बैठ गये! फ़िर जब पैंट उतारने का मौका आया तो मैं अपनी पैंटी एक्स्पोज़ हो जाने के कारण थोडा हिचका!
"अरे उतार दो..." उनका गमछा अब पानी में फ़ूल गया था और शायद उनका लँड भी खडा हो चुका था! मैने जब अपनी पैंट का हुक खोला तो मेरा कलेजा मस्ती के मारे मेरे मुह को आ गया! मैने उनकी तरफ़ अपनी पीठ करके अपनी पैंट का बटन खोला और फ़िर ज़िप नीचे की! वो बडे सब्र से मेरी तरफ़ देखते हुये मेरे कपडे उतरने का इन्तज़ार कर रहे थे और फ़ाइनली जब मैने अपनी पैंट अपने एक एक पैर को उठा के अपने जिस्म से अलग की तो मेरा चिकना गोरा बदन और मेरी लाल पैंटी में लिपटी, शेव की हुई गोल गाँड उनकी नज़रों के सामने पडी!

"वाह, बढिया चड्‍डी पहने हो... लाल रँग मुझे पसन्द है... आओ, चड्‍डी पहन के ही आ जाओ..." जब मैं उनकी तरफ़ बढा तो मेरा लँड पूरा ठनक चुका था और मैने अपना एक हाथ उसके ऊपर रखा हुआ था! मैं टब की दूसरी तरफ़ उनके पैरों के बीच पानी में घुस के जब बैठा तो तब तक मेरी ठरक अपने आप ही अपनी चरम सीमा तक पहुँच गयी!

"तुम ऐसी चड्‍डी पहनते हो?"
"हाँ..."
"मज़ा आता होगा..."
"जी भैया, आराम रहता है..."
"हाँ, तुम्हारे ऊपर सही लग रही है... उन्होने अपने दोनो पैरों के घुटने मेरी दोनो तरफ़ करके मोड रखे थे, जिससे वो पानी के लेवल से ऊपर थे! मैने भी अपने घुटने मोड के जब उनको फ़ैलाया तो वो सीधे उनके घुटनों से चिपक गये!
"ऐसे नहाने का मज़ा ही कुछ और है..."
"हाँ, ऐसे में आपके साथ भाभी होनी चाहिये थीं..."
"अरे, उसका काम अब हो गया... तीन बच्चे हो गये! अब घर वालों का मुह भी बन्द हो जायेगा और अब थोडा फ़्रीडम से रहूँगा..."
"कैसी फ़्रीडम भैया?"
"यार अपनी मर्ज़ी की फ़्रीडम... मतलब जब चाहूँ जिसके साथ..."
"मतलब 'नयी नयी' लेने की फ़्रीडम?" मैने अपनी उँगलियों से चूत बना के उनकी तरफ़ किया और कहा!
"हाँ..."
"वाह भैया, आप सही हो... वरना लोग कहाँ ये सब कर पाते हैं..."
"अरे, तभी तो यहाँ नौकरी ढूँढी है..."

अब हमारे पैर आराम से आपस में चिपक के रगड रहे थे! इस बीच उन्होने ऊपर का शॉवर भी ऑन कर दिया तो बिल्कुल बारिश का समाँ हो गया!

"यार ऐसे में एक एक पेग और होना चाहिये... रुको, मैं लाता हूँ..." और इस बार जब वो उठे तो उनका गमछा पूरा भीग कर उनके बदन से ऐसा चिपका कि लग ही नहीं रहा था कि उन्होने कुछ पहना भी है! पीछे उनकी गाँड का शेप और दरार की गहरायी और आगे उनके लँड और आँडूए उनके भीगे गमछे से साफ़ नँगे दिख रहे थे! उनका लँड भी अब उफ़ान पर था मगर फ़िर भी पूरा नहीं! शायद अभी मेरे हामी भरने की कसर बाकी थी! मगर उन्होने अपने जिस्म के किसी भी अँग को छिपाने की कोशिश किये बिना आराम से बाहर गये और जब लौटे तो उनके हाथ में एक ग्लास, एक बॉटल और पानी का एक जग था जिसमें अब थोडा ही पानी बचा था!
"बस एक ग्लास भैया?"
"हाँ, अब एक ही ग्लास से पियेंगे... आओ, तुम भी इधर होकर बैठ जाओ..." अब उन्होने पेग बनाया और हम बडी मुश्किल से अगल बगल अड्जस्ट होकर बैठे तो उन्होने अपने हाथों से मुझे चुस्की लगवायी! दूसरी चुस्की में उन्होने मेरे चिन के नीचे हाथ रख के ग्लास मेरे होंठों से लगाया!

"लाईये, मैं आपको पिलाता हूँ..." मैने इस बार उनके चेहरे के नीचे, उनकी तरह से पकडा और ग्लास उनके होंठों से लगाया! फ़िर ग्लास तो साइड हो गया, मगर मैं उनका चेहरा पकडे रहा! मुझे लगा कि उनको जितना करना था, कर चुके... अब मुझे भी कुछ पहल करके काम आगे शुरु करना पडेगा! वो नशे में थे!
"क्या हुआ?"
"बहुत कुछ..."
"हाँ, लग तो रहा है..."
"सिउहहह... भैया..." मैने उनकी आँखों में आँखें डाल कर सिसकारी भरी!
"उस दिन जो बच गया था, आज हो जायेगा..." ये पहली बार था जो उन्होने उस दिन की दास्तान का कोई ज़िक्र किया था!
"अआहहह... भैया... आहहह... हाँ, उस दिन की आग अभी तक जल रही है..." कहकर जब मेरा चेहरा उनके चेहरे के करीब आया तो उन्होने भी मेरे चेहरे को अपने हाथों में समेट लिया! उनके शराब में भीगे होंठ थिरक रहे थे और चुम्बन की आस में पहले ही खुल चुके थे! उनके बीच उनकी ज़बान दिख रही थी! जब हमारे होंठ एक दूसरे से मिले तो हमारी आँखें खुद-ब-खुद बन्द हो गयी और हम जैसे एक दूसरे में समाँ गये और टब में नीचे होते चले गये! इतना कि बस हमारे चेहरे ही पानी की सतह के ऊपर थे! मैने अब एक हाथ से पहले उनकी बाज़ू सहलायी और फ़िर उनकी छाती! उन्होने मेरी गर्दन के पीछे एक हाथ रख कर मेरे सर को चुम्बन की पोजिशन में लॉक कर लिया और उनका दूसरा हाथ मेरी गर्दन से होता हुआ मेरी बाज़ू पर आया और फ़िर मेरी पीठ सहलाता हुआ जब मेरी कमर से गुज़रा तो मेरा जिस्म अपने आप उनके जिस्म से चिपकने के लिये आगे हो गया और फ़िर उनका हाथ मेरी पैंटी की इलास्टिक को रगडता हुआ बीच बीच में ना सिर्फ़ मेरी गाँड की गोल फ़ाँकों को दबाने लगा, बल्कि सीधा पीछे से मेरी जाँघ तक जाकर रगडने लगा और हमारे जिस्म पानी की बौछार के दरमियाँ आपस में चिपक गये!

काफ़ी देर के बाद मैने आँखें खोली और उन्होने भी अपनी आँखें खोलीं! फ़िर हमारा चुम्बन टूटा और हम एक दूसरे को देखते रहे!
"अब, मुझे तुम्हारे जैसे यार चाहिये... जीवन का आनन्द लेने के लिये..."
"सिउउउउह... भैया.. अआह... मैं हा..ज़िर हूँ... मैं तो कब..से..." उन्होने मेरी बात बीच में काट दी!
"तुम्हें देख के मैं सब समझता था... ये जो तुम्हारी आँखों की प्यास है ना, इसकी बहुत पहचान है मुझे... मैने भी स्कूल में शादी के पहले तक बहुत लौंडे चोदे हैं बेटा... बस थोडा सही समय का इन्तज़ार कर रहा था! विक्रान्त नहीं आता तो उसी रात तुम्हारी गाँड मार ली होती..."
"अआह... भैया... मार लेते ना... मैं भी तो.. आपसे मर..वाना... चाह रहा... था..."
"अबे, इसीलिये तो तुम्हें यहाँ बुलाया है..." उन्होने टब से निकाल के मुझे बाथरूम के टाइल लगे सफ़ेद फ़र्श पर मुझे लिटाया! फ़िर मेरे पैरों पर शराब की बॉटल से कुछ शराब डाली और मेरे पैरों पर झुक के उनसे शराब चाटने लगे! उन्होने पहले मेरे पैरों की उँगलियों पर अपने होंठ रखे, फ़िर मेरे पैर के अँगूठे को अपने मुह में लेकर चूसना शुरु कर दिया! उसके बाद वो हल्के हल्के छूते हुये ऊपर मेरे घुटने की तरफ़ बढे! मेरी तो सिसकारियाँ रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी! मेरी जाँघें खुल के फ़ैल गयी थी और उनके हाथ मेरे पैरों, जाँघों और चड्‍डी के ऊपर से मेरे लँड और आँडूओं को मस्त कर के मसल रहे थे!
उन्होने मेरी जाँघ पर शराब डाल कर जब वहाँ चूसा तो मैने उनका सर पकड लिया! फ़िर उन्होने मेरी चड्‍डी को ऑल्मोस्ट शराब में डुबो ही दिया और उसको चूस चूस कर शराब चूसने और पीने लगे! ऐसा करने में वो कभी मेरी नाभि में मुह घुसा देते, कभी मेरे आँडूओं पर और कभी मेरी जाँघों के बीच! मैं तो अब मस्ती से पागल हो चुका था! शायद वो मुझे पागल ही करना चाहते थे! वो अपने बाप से कहीं ज़्यादा एक्स्पर्ट थे! शायद बाप उस दिन जल्दबाज़ी में था, यहाँ उनके पास फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत थी! शायद उनकी जवानी अभी चरम पर थी!
Reply
05-14-2019, 11:39 AM,
#46
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
अब वो मेरी फ़ैली हुई जाँघों के बीच बैठ गये थे! मेरे मुडे हुये घुटनों के बीच से उनकी फ़ैली हुई टाँगें ऐसी निकल रहीं थीं कि अब मेरी गाँड सीधा उनके लँड पर थी! उनका लौडा अब अपने पूरे फ़ॉर्म में आकर उछल उछल के हुल्लाड मार रहा था! बाप और बेटे दोनो के लँड का साइज़ एक ही था... लम्बा, मोटा, भीमकाय, मोटा फ़ूला सुपाडा, बडे बडे मर्दाने साँवले से आँडूए और रेशम सी घुँघराली झाँटें... उनका गमछा अब बस एक बेल्ट बन कर उनकी कमर पर लिपटा हुआ था!
"तेरी लाल चड्‍डी ने मेरा दिमाग हिला दिया है अम्बर... बस दिल चाह रहा है तुझे मसलता जाऊँ..." उन्होने कहा और मेरे ऊपर झुक कर अपना मुह मेरे पेट में घुस दिया! मैने अपनी टाँगें वैसे ही उनकी कमर के इर्द गिर्द कस लीं! उन्होने अपने दोनो हाथों से मेरे दोनो कंधों को फ़र्श पर दबा दिया और फ़िर मेरी गर्दन में मुह घुसा दिया और वहाँ ज़ोर से चूसने लगे! वो वहाँ कभी अपने होंठों से और कभी अपने दाँतों से चूसते और काटते! मैं तडप के उनका सर भी नहीं पकड पाता क्योंकि उन्होने मेरे बाज़ू दबा रखे थे! फ़िर उन्होने चड्‍डी के ऊपर से ही अपनी एक उँगली मेरे छेद पर रखी और कसमसा कसमसा के उसको दबाने लगे तो मेरा छेद ढीला पडने लगा! मैं उनके लँड पर अपनी गाँड दबा के और उनके पेट पर अपना लँड दबा के उनसे लिपट के उनके ऊपर बैठ गया और मेरे पैर उनकी कमर पर लिपटे रहे!
"मेरी जान... असली चाहत तो ये होती है... मर्द की मर्द से चाहत..."
"हाँ भैया.. आह... हाँ... सिउहहह..."
"एक मर्द की आग को एक मर्द का जिस्म ही बुझा सकता है... वो भी तेरे जैसा चिकना सा जिस्म... जिस पर ना जाने कितने सालों से मेरी नज़र थी... काश तू पहले मिल जाता..."
"सिउउउहहहह... भैया.. आह.. अआह... आप जब.. कहते.. मैं आप..के लिये अप..नी गाँड खो..ल देता..."
अब उन्होने ना सिर्फ़ अपना गमछा खोल के फ़ेंक दिया बल्कि मेरी चड्‍डी भी सहला सहला के नीचे सरका दी और मुझे भी पूरा नँगा कर के अपनी बाहों में भर लिया!
"चल आजा, बिस्तर पर चल मेरी जान... चल अब मेरा बिस्तर गर्म कर ... आज की रात मेरी माशूका बन जा..." कहकर उन्होने मुझे अपनी मज़बूत बाहों में उठाया और सीधा बिस्तर पर लिटा दिया और फ़िर मेरे ऊपर अपनी जाँघ चढा के लेट गये! फ़िर मेरी छाती पर अपने होंठों को रख के मेरे पूरे जिस्म पर काट कर लव बाइट्स बनाने लगे!

"जानेमन सुबह जब इनको देखेगा ना, तब मर्द की चाहत का अन्दाज़ लगेगा..." इस बार उन्होने मेरा एक घुटना मोडा और उसको मेरी छाती में घुसा दिया जिससे मेरी गाँड साफ़ खुल गयी! उन्होने इस बार मेरे मुडे हुये पैर की जाँघ पर अपने होंठ रखे और पहले घुटने के पिछले हिस्से से लेकर पैरों तक उनको खूब चाटा! फ़िर मेरी गाँड की फ़ैली हुई फ़ाँक पर अपने होंठों से चूसना शुरु कर के अपनी उँगलियों से मेरी गाँड की खुली हुई दरार और मेरे छेद को मसलने लगे! फ़िर उन्होने मुझे पलटा और मेरे पैर और गाँड चिपकवा दी! उसके बाद उन्होने मेरी दरार में शराब डाली और वो बह ना जाये, इसलिये अपने एक हाथ को नीचे की तरफ़ लगा दिया और मेरी दरार में अपना मुह घुसा के चाट चाट के शराब पीने लगे!

"मैने चूत में भी शराब डाल के बहुत पी है... मगर जो मज़ा लौंडों की चिकनी गाँड में है, वो चूत में नहीं मेरी जान... मेरे माशूक..." और जब उनकी ज़बान पहली बार मेरे छेद पर आयी तो मैं तडप के मचल गया! उनकी ज़बान में लँड की ठनक और ताक़त थी! उन्होने मेरी चुन्‍नटों को अपनी ज़बान से कुरेदा और ज़बान से ही हल्के हल्के फ़ैलाया! सहारे के लिये उन्होने अपने दोनो मज़बूत चौडे हाथों से मेरी दोनो फ़ाँकों को फ़ैलाया तो मेरी गाँड मस्ती में आ गयी और मैने अपने घुटने हल्के से मोड के उसको ऊपर उठाया तो उन्होने अपने होंठ सीधे मेरे छेद पर रख दिये!
"अआहहह... सिउहहह... भै..या... अआह... आह..."
"हाँ... मेरी गाँडू जानेमन... मेरी एक रात की गाँडू रंडी... आज तेरी जवानी का भरपूर मज़ा लूटूँगा... तुझे आज की रात कुचल डालूँगा..."
"आइ..उ..उ..उह... भै..या... तुम्हारी.. ये बातें... मुझे.. पा..गल कर देंगी..."
"पागल तो तू तब होगा, जब मैं अपना खम्बा तेरी गाँड के भीतर पूरा जड तक डाल के तेरी जवानी का रस निचोड दूँगा... गाँडू..."
"हाँ... मु..झे... गाँडू ब..ना... के खू..ब चोदो.. भै..या..."

अब वो मेरे ऊपर चढ गये और उनका सुपाडा मुझे अपने छेद पर महसूस हुआ! वो गर्म और सख्त था! मेरे छेद पर सुपाडा महसूस होते ही मेरी चुन्‍नटें खुद-ब-खुद फ़ैल गई! वो मेरी गाँड को इतना गर्म कर ही चुके थे कि अब गाँड मस्ती के कारण ढीली पढ चुकी थी! जब उनका सुपाडा मेरे छेद पर दबा तो नॉर्मली भिंचने के बजाय वो खुला और उसने जैसे मुह खोल के उनके सुपाडे को किस किया! वो भी मस्ती में गये और उन्होने सिसकारी भरी!
"सिइइइ..अआआहहह... बडी प्यासी गाँड है तेरी... साली चिकनी, नमकीन और प्यासी... लौडा खुश हो जायेगा... बहुत खुश..."
"हाँ... भैया... लौडा मैं खुश कर दूँगा, गाँड आप खुश कर दीजिये..."
"हाँ, मेरी गाँडू चाहत... आज की रात, तेरी गाँड को सुबह तक खुश कर दूँगा... आज तेरी गाँड उठा उठा के बजाऊँगा... तेरी गाँड को गहरायी तक चोदूँगा..."
उन्होने इस बार जब अपना लँड दबाया तो मेरा छेद कुलबुला के खुला और गाँड की चुन्‍नटॊं ने प्यार से उनके सुपाडे को चूम के अपनी बाहों में हल्के से कस लिया! मगर सुपाडा शायद इस हल्के से आलँगन से खुश नहीं था इसलिये वो थोडा और अंदर घुसा! वो मेरी गाँड की बाहों में पूरी तरह खो जाना चाहता था! उन्होने मस्त होकर अपने लँड को मेरी गाँड पर साधे रखा और फ़िर ज़ोर से मेरे छेद पर दबाया तो उनका सुपाडा पूरा अंदर आ गया! इस बार गाँड फ़ैली तो मुझे हल्का सा दर्द हुआ! उन्होने तुरन्त लँड बाहर खींचा और जब दोबारा उसको रख के दबाया तो मेरा छेद अड्जस्ट हो चुका था! इस बार उनका लँड 3 इँच तक अंदर घुस गया!
"सिउ..उउहहह... बडी गर्म और बडी मस्त गाँड है तेरी, गाँडू... अआइ...आह..." उन्होने सिसकारी भरते हुये कहा! अब उनका लँड मोटा पडने लगा था, इसलिये जब वो और अंदर देने लगे तो मेरी साँस उखडने लगी! फ़िर भी गाँड मानी नहीं तो मैने अपनी टाँगें और फ़ैला के गाँड को ऊपर उठाया! ऊपर उठने पर उन्होने ज़ोर बढाया और अब लौडे के लगभग 6 इँच अंदर थे! उन्होने इस बार और अंदर घुसाने के बजाय उसको उतना ही अंदर रखा और फ़िर आहिस्ता आहिस्ता उसको मेरी गाँड के छेद की चुन्‍नटों से रगडते हुये अंदर बाहर देने लगे! मैने अपना सर घुमा के उठाया और उनका सर पकड के गाँड मरवाते मरवाते ही अपने होंठों से उनके होंठ चूसना शुरु कर दिये! उन्होने भी एक हाथ से मेरे कंधे को पकडा हुआ था!

उनकी एक्स्पर्ट चुदायी का सही असर हुआ! मेरी गाँड पूरी खुल गयी फ़िर उनका लँड जड तक पूरा अंदर घुसा तो उनके आँडूए मेरी जाँघों के बीच फ़ँस के टकराये! वो मेरे ऊपर अपना पूरा वज़न डाल के लेट गये और मेरी गर्दन और पीठ पर भी चूस चूस के निशान बनाने लगे!
"हाय मेरी जान... मेरे मर्द माशूक... तूने दिल खुश कर दिया..." उन्होने मेरी गाँड के अंदर लँड का एक ज़ोरदार धक्‍का लगाते हुये कहा! फ़िर वो ठीक वैसे ही लेट गये, जैसे कभी उनका बाप लेटे थे और उन्होने मुझे अपने लँड पर चढवा के अपना लँड सीधा किसी तीर की तरह मेरी गाँड में घुसा दिया और मुझे उछाल उछाल के मेरी गाँड मारने लगे! अब मैं उनके ऊपर झुका और उनके होंठ चूसने लगा और पीछे मेरी गाँड में उनका लँड अंदर बाहर हो रहा था! वो अपने घुटने मोड के अपनी गाँड को ऊपर उठा उठा के मेरी गाँड में लँड डाल रहे थे!

"अआह... जानेमन... थोडा आराम कर लें?" हमारी चुदायी शुरु हुये लगभग देर दो घंटे हो चुके थे... राशिद भैया ने अपने गज़ब के स्टेमिना से मेरी गाँड हिला के रख दी थी!
"मेरी जान, जब गाँड मारता हूँ ना, ऐसे ही गाँड से गू निकाल देता हूँ... साला, दो साल के बाद गाँड मिली है..."
"आपको कैसे लडके पसंद है?"
"चिकने... तेरी तरह, और नमकीन... कमसिन..." फ़िर हल्का सा पॉज़ हुआ और वो बोले "... काशिफ़ की तरह के..."
"वाह भैया... हाँ, साला बडा नमकीन है..."
"तूने तो साथ सुलाया था... कुछ किया तो नहीं?"
"नहीं..."
"चल, फ़िर बुला लूँगा... कर लेना..."
"हाँ भैया..."
"और सनी की तरह के... साला, दो साल पहले उसकी ही ली थी... "
"सनी की???"
"हाँ..."
सनी उनका वही कजिन था, जिसके साथ मेरा भी चक्‍कर रह चुका था...
"दो साल पहले तो वो और भी चिकना रहा होगा?"
"हाँ, बिल्कुल लग रहा था कि कैडबरी डेरी-मिल्क में लँड डाल रहा हूँ..."
"वाह भैया, वाह... आप सही हो... बिलकुल मेरी पसन्द के..."

फ़िर जब वो मूतने उठे तो मैं भी उठ गया और इस बार फ़िर मैने उनका लँड पकड के उनको मुतवाया! और आधे पिशाब में मुझसे ना रहा गया और मैं उनके सामने कमोड पर बैठ गया और उनके लँड को अपने मुह में लेकर उनके पिशाब की गर्म धार अपने मुह में ले ली! उनकी धार गर्म और मर्दानी थी! सीधे मेरी हलक में जा रही थी! इस बार उन्होने मुझे कमोड पर पलट के बिठा दिया! मेरी गाँड सामने खुल गयी थी! उसका कोई बचाव नहीं था! वो मेरे पीछे अपने घुटने पर बैठे और फ़िर सीधा लँड अंदर बाहर देने लगे! उन्होने मेरी गर्दन कस के पकड ली और मेरा सर कमोड के सिस्टर्न पर दबा दिया!
"गाँडू जानेमन, तेरी गाँड में बाँस डाल रहा हूँ... मज़ा आ रहा है ना गाँडू?"
"हाँ भैया बहुत..." अब उनके धक्‍कों से, मेरी गाँड से "फ़चाक्‍क फ़चाक्‍क" की आवाज़ें आने लगीं थी! फ़िर उन्होने मुझे खींच के वहीं बाथरूम की ज़मीन पर लिटा दिया! फ़िर उनके धक्‍के इतने तेज़ हो गये कि ना सिर्फ़ मेरी गाँड बल्कि बाकी बदन भी दुखने लगा! फ़िर वो चिल्लाये, सिसकारी भरी...
"अआह..सी..अआहह... आह... साले... गाँडू... गाँडू, तेरी... गाँड में... लँड... अआह..."
"हाँ, भैया... हाँ... मारो, मेरी गाँड... मारो... खूब.. फ़ाड.. दो..."
"हाँ, बहनचोद... गाँडू... एक रात.. की राँड, गाँडू... तेरी गाँड... फ़ा..डूँ..गा... हमेशा फ़ाडूँगा... तेरी चिक..नी.. गाँड... अआह... अआह... हाँ..."
और फ़िर उनका लँड मेरी गाँड में उछलने लगा और उनका माल मेरी गाँड की गहरायी में समाँ गया!
उसके बाद हम उठे और बिस्तर पर जाकर एक दूसरे से लिपट के लेट गये और ना जाने कब हमें नींद आ गयी! बाप के बाद अब मुझे बेटा भी मिल गया था! बेटे में यकीनन ज़्यादा ताक़त और ज़्यादा स्फ़ुर्ती थी! उसने मेरी गाँड को ऐसा मज़ा दिया कि मेरी गाँड मस्त हो गयी! उसके बाद मैने अपने सभी आशिक़ों से रिश्ते बना के रखे! मगर जैसे जैसे जीवन आगे बढा, कुछ लोग छूट गये, कुछ अपने जीवन के रास्ते पर कहीं और चले गये! कुछ को गे सैक्स में मज़ा आना बन्द हो गया! कुछ की शादी हो गयी, कुछ ने ज़बरदस्ती शादी कर ली... मेरे जीवन में भी लोग आते रहे, जाते रहे...
मैं भी कभी कानपुर, कभी बनारस, कभी मुम्बई, कभी चण्डीगढ, कभी दुबई, कभी काठमाण्डू, कभी ग़ाज़ियाबाद, कभी नॉयडा में रहा!
Reply
05-14-2019, 11:40 AM,
#47
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मस्त कर गया पार्ट --10

********* ********* ********* *****

************ ********* ********* ********* ********* ********* ********* ********* *****

अब, लडके ना सिर्फ़ मेरी कमज़ोरी बन चुके हैं बल्कि शौक़ भी... इतना कि ना तो मैने कभी शादी के बारे में सोचा और ना कभी अपने घरवालों के दबाव में आया! शादी की बात को मैं हर बार बस घुमा फ़िरा के टाल देता हूँ!

एक दिन सुबह सुबह अपनी बालकॉनी पर आया तो नीचे दीपयान अपने दोस्तों के साथ खडा मिल गया! मैने उनको देख के हाथ हिलाया!
"क्या बात है, आज स्कूल नहीं जाओगे क्या?"
"आज कुछ प्रोग्राम बनाने के मूड में हैं..." राजू बोला!
"आप भी आ जाओ..."
मैने उनको गौर से देखा! उस दिन, उनके साथ उनका एक और दोस्त था, जो मुझे काफ़ी पसंद था! वो सौरभ चौहान था! उसके पापा उस एरिआ के अखबार के एजेंट थे! मैनपुरी, यू.पी. का रहनेवाला सौरभ रसीला कमसिन जवान था, जिसका जिस्म अपने और दोस्तों के जिस्मों की तरह करारा था!
"आओ, थोडी देर ऊपर आओ... फ़िर चले जाना..." मैने कहा!
"चार-चार को कहाँ ऊपर चढाओगे भैया... चलने में दिक्‍कत हो जायेगी बडी..." राजू झट बोला और कहकर वो और सौरभ आपस में कोहनी मार के हँसे! दीपयान ने मुझे बडी हरामी सी नज़र से देखा जिस पर ये लिखा हुआ था कि वो अपने दोस्तों को सब बता चुका था! दीपू शायद अपनी सायकल की चेन सही करने में लगा था!
"आ जाओ, कोई दिक्‍कत नहीं होगी..."
"दिक्‍कत तो हम कर देंगे..." इस बार दीपू बोला!
"आओ, देखता हूँ... मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूँ... आज काम पर जाने का मूड नहीं है..."
"अरे, जब काम यहीं दिखने लगा तो आप सोच रहे होगे, कहीं और जाने का क्या फ़ायदा... हाहा..." वो चारों ऊपर आ गये! इतने पास से पसीने में डूबे उनके जिस्म और कसी हुई जवानियाँ और ज़्यादा खूबसूरत लग रहीं थी!
"तो आज स्कूल नहीं जाओगे?"
"आज हमारा बायलॉजी का टीचर नहीं आयेगा..."
"अच्छा... कैसे पता?"
"जब कल उसके साथ प्रैक्टिकल किया था तो वो बोला था कि वो अपनी मम्मी पापा के साथ ग़ाज़ियाबाद जा रहा है..."
"अच्छा? टीचर तुम्हें सब बता देता है?"
"हाँ, क्योंकि हम उसको प्रैक्टिकल करके सब बताते हैं ना..."
अब मैं समझा... वो अपने स्कूल के उस गाँडू लडके की बात कर रहे थे, जिसकी वो गाँड मारते थे!
"आज सोच रहे हैं, यमुना में खेलने जाते हैं... आओ, आज आपको भी बायलॉजी पढा दें..." दीपू बोला!
"नहीं नहीं... ये तो सिर्फ़ दीपयान से ही पढेंगे... क्यों?" सौरभ ने आँख मार के मुस्कुराते हुये मुझसे कहा और जब दीपयान की तरफ़ देखा तो वो मुस्कुराते हुए हरामी तरीके से शरमा रहा था!
"अबे चुप कर..."
"अरे भैया, हमारी किताबें भी उतनी ही मोटी हैं... आपको पढने में मज़ा आयेगा..."
"कैसी किताब?
"आओ साथ में चलो... आपको भी यमुना में नहला के तर कर दें... चलो भैया..." दीपयान बोला!
"चलो... हम हर एक को नहीं बुलाते हैं... आपका तो पता है इसलिये इन्वाइट कर रहे हैं... चलो..." राजू बोला! अब इतना साफ़ और खुला ऑफ़र मैं कैसे ठुकरा सकता था... चार-चार खूबसूरत, नमकीन, कमसिन, जवान, जोशीले, हरामी चिकने लडके मुझपर साफ़ तौर पर डोरे डाल रहे थे!
"चलो... मगर चलेंगे कैसे?"
"चलो ना, इन्तज़ाम हो जायेगा..."
"कुछ पहनने के लिये ले लूँ क्या?"
"अरे क्या करोगे पहनकर..." राजू हँसते हुये बोला!
"मतलब, हम सब ऐसे ही हैं... चलो जैसे हम नहायेंगे, वैसे आप साथ दे लेना... क्यों, आप शरमाते हो क्या?" दीपयान बोला तो मैं समझ गया कि उनका असली प्रोग्राम क्या है!
"आओ भैया, हम सब बडे बेशरम है..." दीपू बोला!

उन्होने अपने स्कूल बैग वहीं मेरे रूम पर रख दिये!
एक सायकल पर सौरभ और दीपयान बैठ गये, दूसरी पर मैं आगे, राजू सीट पर और दीपू पीछे! यमुना वहाँ से दूर नहीं थी, हम जल्दी ही वहाँ पहुँच गये! फ़िर वो मुझे पास के एक टीले के पीछे की तरफ़, जहाँ काफ़ी हरियाली थी, वहाँ ले गये! नदी में पानी ज़्यादा नहीं था पर धूप तेज़ थी! बगल में दो तीन पेड थे! दूर दूर तक कोई दूसरा नहीं था... समाँ काफ़ी सैक्सी था! वहाँ सायकल खडी करके राजू तो सीधा घास पर चारों खाने चित्‍त लेट गया!
"सायकल चलने में साली गाँड फ़ट गयी... लाओ भैया सिगरेट है क्या?" उन्होने मुझसे सिगरेट ले कर बारी बारी कश लगाना शुरु कर दिया! इतने में सौरभ ने पहले अपने कपडे उतारने शुरु कर दिये तो मेरी नज़र उसके कसे हुये कमसिन नमकीन जिस्म पर चिपकती चली गई! क्योंकि मैं बैठा और वो मेरे सामने खडा था, मुझे उसके जिस्म का एक बहुत ही बढिया नज़ारा मिल रहा था! उसने अपनी शर्ट तो बिना झिझक उतार दी और मेरी तरफ़ अपने बाज़ू कर के मुझे दिखाया!
"देखो, बढिया बॉडी... बढिया है ना?" मैने उसके बाज़ुओं के कटाव को देखा! फ़िर उसने अपनी टाँगें थोडा फ़ैला के अपना हाथ अपनी पैंट के ऊपर से अंदर घुसा के हिला के अपने आँडूए अड्जस्ट किये!
"बहनचोद, गोटियाँ चड्‍डी से बाहर आ जाती हैं... हाहाहाहा..."
"हाँ साले, अब तो तेरा लौडा भी बाहर आ रहा होगा..." दीपयान बोला!
"और क्या... अब तो पहले बाहर आयेगा, फ़िर अंदर जायेगा... ज़रा देखूँ तो, तेरी बात में कितना दम था..." मैं उनकी बातों और हाव-भाव से मस्त हो रहा था! लडके पूरे मज़े के मूड में थे... एक साथ चार-चार नमकीन जवान लडके... वो भी गज़ब के हरामी और चँचल... इस बीच दीपयान ने बैठे बैठे ही अपनी स्कूल बैल्ट खोली और अपनी पैंट अपने जिस्म से अलग कर दी! मुझे उसका बदन भी फ़िर से देखने में बडा मज़ा आ रहा था!
"आप भी कपडे उतार लो ना भैया, पानी में घुसना नहीं है क्या?" वो मुझसे बोला!
"पानी में घुसना भी होगा और घुसवाना भी होगा... भैया आप तो बेकार में शरमा रहे हो..." तो राजू बोला!
"अरे, हम आपस में किसी बात में नहीं शरमाते..."
"स्कूल में सारे प्रैक्टिकल साथ साथ करते हैं भैया..." दीपू ने अपने कपडे उतारते हुये कहा तो मैने भी उनके साथ घुलने मिलने के लिये अपने कपडे उतरना शुरु कर दिये! देखते देखते अब हम सभी सिर्फ़ चड्‍डियों में हो गये! मैने ध्यान से तरस के उन सबको देखा! दीपू का जिस्म अच्छा सुडौल और कटावदार था! वो नीले रँग की वी.आई.पी. की चड्‍डी पहने था! दीपयान ने उस दिन व्हाइट फ़्रैंची पहन रखी थी! सौरभ ने जाँघिया स्टाइल वाली अमूल की ब्राउन कलर की अँडरवीअर पहनी थी और राजू ने काले रँग की चुस्त सी नायलॉन की चड्‍डी पहनी हुई थी! सबसे कटीला जिस्म दीपू का था! उसका रँग भी अच्छा सुनहरा सा था! राजू का जिस्म सबसे गठीला और साँवला था! बिल्कुल देसी... लगता था मसल्स में ठूँस ठूँस के सारे में नमक भर दिया गया हो! उसकी छाती में गोश्त के कटाव थे! सौरभ सबसे चिकना था! उसकी कमर पतली, रँग गोरा और फ़िगर बल खाती हुई थी! उसकी गाँड भी गोल गोल थी! दीपयान का पहाडी गुलाबी जिस्म और उसका मज़ा तो मैं चख ही चुका था... मगर उस दिन भी वो वैसा ही लग रहा था जैसे पहली बार मिला हो! शायद इसलिये कि आज वो अपने दोस्तों के साथ था!

तभी राजू दौडता हुआ पानी की तरफ़ गया और वैसे ही तेज़ 'छप्पाक्‍क' के साथ पानी में कूद गया! सौरभ और दीपू भी उसके पीछे भागे और उन्होने भी वैसे ही पानी में छलाँग लगा दी! मैने अब दीपयान को देखा!
"क्यों भैया, हैं ना हरामी लौंडे?"
"हाँ यार..."
"पसंद आया इनमें से कोई?"
"कोई? सभी बढिया हैं बे..."
"तो शरमा क्यों रहे हो... एक बार हामी भर दो, साले एक एक करके चालू हो जायेंगे..."
"यार, समझ नहीं आ रहा.. कैसे..."
"इधर आओ, मैं समझा देता हूँ..." कहकर उसने मेरा हाथ पकड के अपनी तरफ़ खींचा और मुझे अपने जिस्म से लँड पर लँड दबा के चिपका लिया और सीधा अपना हाथ पीछे मेरी गाँड पर दबा दिया! तभी उधर से सौरभ की आवाज़ आयी!
"वाह बेटा, चालू हो गया... सही है... गाँडू को तॄप्त कर दे..." मैं वहाँ खुले आम कुछ करने में कतरा रहा था इसलिये मैने हल्के से दीपयान से अलग होने की कोशिश की!
"यहाँ कोई देख लेगा..."
"अरे, यहाँ कोने में कौन आयेगा देखने... ये हमारा अड्‍डा समझो..."
"यार, फ़िर भी..."
"सही जा रहा है बेटा..." उधर से राजू की आवाज़ आयी!
"यहाँ ले आ ना हमारे पास... क्या तू ही खायेगा अकेला अकेला?"
"अरे, साला घबरा रहा है..." दीपयान ने अपने दोस्तों की तरफ़ देखते हुये कहा!
"क्यों, बहुत मोटा लग गया क्या हमारा?"
"नहीं, कह रहा है... यहाँ खुले में कोई देख लेगा हाहाहाहा..." सौरभ ने कहा तो दीपयान ने जवाब दिया!
"हाहाहाहा... देख लेगा तो क्या हुआ भैया, उसका भी ले लेना... तुम्हारी गाँडू गाँड मस्त हो जायेगी..." दीपू ने कहा!
"अरे, डरो नहीं छमिया... यहाँ इस वक़्त, कोई नहीं आता जाता है" राजू मुझसे बोला फ़िर दीपयान की तरफ़ देख के बोला!
"साले को यहाँ पानी में तो ला... एक बार भीगेगा तो इसका डर खत्म हो जायेगा" मुझे उन हरामियों की लैंगुएज भी मस्त कर रही थी! दीपयान ने मेरा हाथ पकडा और मुझे भी पानी की तरफ़ ले गया! जैसे ही मैं कमर तक पानी में पहुँचा, वो चारों मेरे ऊपर चिपट गये! चार कमसिन हरामी नमकीन लडकों ने मेरे हर तरफ़ अपने अपने लँड एक साथ चिकपा दिये!

"बोलो भैया, पहले किसका लोगे?" दीपू बोला!
"अबे, पहले मुझे लेने दे... क्यों भैया, गाँड में लोगे ना? मैं तो सीधा गाँड मारता हूँ..." राजू बोला!
"अबे, भैया को ही फ़ैसाला करने दे ना..." फ़िर दीपयान ने कहा!
"हाँ, भैया ऐसा करो.. सबका थाम के देख लो... जिसका पसंद आये, उसका पहले ले लो... आप ही डिसाइड कर लो..." मैं तो पूरी तरह मस्ती में आ चुका था!
"लाओ, दिखाओ... जिसका बडा होगा, उसका पहले लूँगा..." मैने कहा!
"ये हुई ना असली गाँडू वाली बात... ले, मेरा थाम के देख साले, तुझे मेरा ही पसन्द आयेगा... पूरा बिजली का खम्बा है..." राजू बोला और कहते हुए उसने मेरा हाथ पकड के अपने लँड पर लगाया!
"रहने दे साले, तुझसे बडा तो मेरा है... तू फ़ालतू में उछलता रहता है..." उधर से दीपू बोला! राजू का लँड लोहे सा सख्त था और करीब पाँच इँची रहा होगा! थोडा मोटा भी था! मैने उसको मसल के अपने हाथ में पकड के उसको नापा!
"क्यों, बढिया है?" उसने मुझसे पूछा!
"हाँ..."
"अब इसका देख लो..." उसने दीपू की तरफ़ इशारा किया तो मैने अपना हाथ पानी के अंदर से ही दीपू की टाँगों के बीच दे दिया! उसका लँड लम्बाई में यकीनन राजू से बडा था, मगर उसके जैसा मोटा नहीं था! साला करीब ७ इँच का रहा होगा!
"अबे, इससे बडा तो दीपयान का है..." मैने कहा!
"देख लो सालों, ये खुद ही कह रहा है..." दीपयान ने गर्व से फ़ूलते हुये कहा!
"हाँ बेटा, जब चुसवायेगा तो कहेगा ही..."
"तो तुम भी चुसवा दो..."
"ला ना, अपना दिखा..." मैने फ़ाइनली सौरभ से कहा! मैने जब उसका लँड अपने हाथ में लिया तो लगा कि वो जीत गया! उसका भी करीब सात इँची था और सबसे मोटा था! दीपयान से भी मोटा... पूरा मर्दाना था!
"ये वाला बढिया है..."
"वाह बेटा... ये बात सही की तूने गाँडू... आजा, तेरी गाँड में लँड का नकेल डाल दूँ, आजा..." सौरभ ने खुशी से कहा और मुझे अपनी कमसिन चिकनी बाहों में भर लिया! पहली बार मैने उसकी कमर में हाथ डाल के उसके मचलते खडे लँड से अपना लँड भिडा दिया!
"चल ना गाँडू, चल साइड में चल..." उसने मुझे बाहर की तरफ़ खींचते हुये कहा!
"ओये, कुछ लगाने को है?" उसने अपने दोस्तों से पूछा!
"मेरी पॉकेट में तेल है... ले ले साले..."
Reply
05-14-2019, 11:40 AM,
#48
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
सौरभ जब बाहर निकला तो उसकी चड्‍डी गीली होकर उसके जिस्म से चिपक चुकी थी! उसने जब झुक के दीपयान की पॉकेट से तेल की छोटी सी बॉटल निकाली तो मुझे उसकी गदरायी चिकनी गाँड खुल के सामने साफ़ साफ़ फ़ैली हुई और जाँघें पीछे से कसी हुई दिखीं तो मैं खुद ललच गया! फ़िर उसने आँखों से मेरी तरफ़ इशारा किया!
"आओ, ये देखो आँवले का तेल है... पता है ना क्या होगा?"
"हाँ..."
"तो चलो गाँड खोलो..." कहते हुए उसने वहीं बिन्दास अपनी चड्‍डी उतार दी! मैने पहली बार उसका लँड अपनी नज़रों के सामने देखा! वो गोरा, बेहद चिकना और सिलेंड्रिकल सीधा था! उसका सुपाडा गुलाबी था और अब खुल चुका था! उसने अपने लँड पर हाथ से तेल मलते हुये कहा!
"अबे आ ना, नँगा होकर लेट... यहाँ देख, तेरी गाँड में घुसाऊँगा इस खम्बे को..." मैने बडे लरजते हुये अपनी चड्‍डी उतारी!
"चल, वहाँ घास बडी है... उसमें लेट..." उसने दस कदम दूर के लिये इशारा किया, जहाँ घास इतनी बडी थी कि अगर कोई लेट जाये तो पूरा छुप जाता! वो जगह मुझे भी ठीक लगी!

मैं वहाँ जाकर लेट गया! मुझे पता था, इतनी एक्साइटेड स्टेट में, कमसिन लौंडे ज़्यादा फ़ोरप्ले नहीं कर पाते हैं... उनका तो सीधा काम से मतलब होता है और सौरभ ने भी वही किया! मैं जैसे ही लेटा, वो मेरे ऊपर चढा और सीधा अपना लँड मेरी दरार में फ़ँसा दिया! वो तो तेल के कारण लँड फ़िसला ना होता तो शायद अंदर भी घुसा देता! उसने एक हाथ से अपने लँड को साध के मेरे छेद पर रखा और फ़िर धक्‍का दिया तो मैने मज़ा लेने के लिये अपनी गाँड भींची!
"गाँडू, भींचेगा तो मा चोद दूँगा... चल गाँड ढीली कर, अंदर घुसाऊँगा..." मैने गाँड ढीली की तो उसने एक ही फ़ोर्सफ़ुल धक्‍के के साथ सीधा अपना लँड मेरी गाँड की गहरायी तक उतार दिया और फ़िर मज़े लेने के लिये उचक उचक के मेरी गाँड मारने लगा! उसने मेरे कंधे पकड लिये और चुदायी करते समय साले की ज़बान बन्द हो गयी! अन्दाज़ के मुताबिक वो ज़्यादा देर नहीं टिका और कुछ देर में ही उसके करहाने की आवाज़ों के साथ धक्‍के तेज़ हो गये!
"अआह... सा..ला.. झडने.. वाला है... अआहह.. हाँ... हाँ झड... हाँ.. झड गया..आहहह..." कहके उसने मुझे ज़ोर से पकड लिया और मेरी गाँड की गहरायी तक धक्‍के दे-देकर अपना माल मेरी गाँड में भर दिया!

जब वो वहाँ से लौटा तो मुझे अपनी तरफ़ दीपयान आता दिखा! वो चड्‍डी पहने जो और मेरे पास आकर ही उतरी!
"गाँड में लेगा या चूसेगा आज भी?"
"जो तू कहे..." मैने कहा!
"चूस ले, क्योंकि गाँड तो साला सौरभ गन्दी कर गया होगा..."
"क्यों, आजा ना... गाँड में डाल दे..."
"नहीं, चूस ही ले... बाकी दोनों से मरवा लियो..." उसने कहा और सीधा, मुझे लिटा के मेरी छाती पर बैठ गया और मुझे अपना लँड चुसवाने लगा! जब मैने उसकी गाँड पकडने की कोशिश की तो उसने मना किया!
"ओये, सबके सामने गाँड पर हाथ मत रख... गाँडू, चुपचाप चूसता जा, बस..." मैने अपने हाथ हटा लिये और सिर्फ़ उसके लँड के धक्‍कों का अपने मुह में मज़ा लेता रहा!
"ओये, गाँड में डाल दे ना साले की... चुसवा क्या रहा है, साले..." तभी पीछे से दीपू की आवाज़ आयी!
"अबे, साला चूसता बहुत बढिया है... तू गाँड में डाल दियो... मुझे चुसवाने में मज़ा आता है..." उसने अपने दोस्त को जवाब दिया! कुछ देर बाद दीपयान का गोरा चिकना खडा लँड मेरे मुह में उछलने लगा और उसके वीर्य की गर्म धार मेरे मुह में भर गई तो मैं उसको पी गया! उसका रस बडा नमकीन और कशिश भरा ताक़तवर था! बिल्कुल वैसा, जैसा लौंडिया चूत में भरवाना चाहती है! उसने मेरे मुह से लँड निकाला और उसको मेरी छाती पर पोंछ दिया!

फ़िर राजू आया! उसका लँड सबसे काला था और सबसे बडे आँडूए थे! उसके लँड का सुपाडा खुला हुआ था, बिल्कुल मुसलमानों के लँड की तरह... जैसा मुझे दीपयान ने उसके बारे में बताया था!
"चल ना, कुतिया बन..." उसने मुझे पलटवा के मेरे घुटने मुडवा के गाँड ऊपर उठवायी!
"साला सौरभ माल भर के गया है???"
"हाँ..." मैने कहा!
"तब सटीक अंदर जायेगा मेरी रानी... चल कुतिया बनी रह, आज तुझे मर्द की शक्ति दिखाता हूँ... गाँडू तू भी क्या याद रखेगा, किसी ने तेरी गाँड मारी थी..." कहकर उसने अपना सुपाडा मेरे छेद पर लगाया जो अब तक किसी राँड की चूत की तरह खुल चुका था! उसका सुपाडा सीधा एक झटके में अंदर घुसा और फ़िर वो खुद अपना पूरा लँड मेरी गाँड में डाल कर मेरे ऊपर झुक के लेट गया और मेरी पीठ पर चुम्बन लेने लगा! फ़िर मैं वापस लेट गया तो उसने पीछे से अपना मुह मेरे गालों पर लगाना शुरु कर दिया! वो लगातार अपना लँड अंदर बाहर भी किये जा रहा था! फ़िर उसने कहा!
"अपना मुह दिखा ना गाँडू..."
जब मैने अपना मुह उसकी तरफ़ मोडा तो उसने मेरे होंठ चूसने शुरु कर दिये!
"उम्म... सिउउउहहह... हाँ जब चोदो तो पूरा दिल लगा के... साला दीपयान का नमकीन माल तेरे होंठों पर लगा है... हाहाहा..." उसके धक्‍के अच्छे थे! हर धक्‍के में लँड सीधा अंदर तक छेद चौडा करके घुस रहा था और हर धक्‍के पर 'धपाक धपाक' की आवाज़ें आ रही थी! वो अपनी जाँघें और गाँड समेट समेट के उठा रहा था और फ़िर नीचे ज़ोर से मेरी गाँड पर धक्‍का लगा रहा था! राजू ने मेरे दोनो कन्धे पकड रखे थे जिस वजह से मुझे उसके हाथों की ताक़त का भी अहसास हो रहा था! उसने अपने पैरों से मेरे पैरों को ज़मीन पर जकड रखा था, मगर शायद उसे उठी हुई गाँड मारने का शौक़ था!
"थोडी गाँड उठा..." उसने कहा तो मैने अपनी गाँड ऊपर उठा दी!
"टाँगें फ़ैला ना..." मैने जब टाँगें फ़ैलाईं तो वो मेरी फ़ैली हुई टाँगों के बीच हो गया पर उसने मेरी गाँड मारना जारी रखा!

"ओये... कितनी लेगा? बच्चा डाल के आयेगा क्या साले?"
"अबे, गाँडू.. की गाँड... में कहाँ बच्चा... ड..लेगा... सा..ला, बडा मस्त चुद...वा र..हा है... गाँड ब..ढि..या है गाँडू की..." वो चोदते चोदते बोला!
"हाँ बेटा, तभी तो लाया हूँ..." दीपयान बोला!
"क्यों... गि..रा.. दूँ?" उसने मेरे कान में पूछा!
"अगर चाहते हो तो गिरा दो..."
"अभी गिरा देता हूँ... फ़िर कभी अकेले में अपने कमरे पर बुलाइयो... तो और जम के रात भर तेरी मारूँगा..."
"हाँ, आ जाना कभी भी..."
"हाँ आऊँगा... अकेले में लेने की बात ही और होती है..."
"हाँ, उसमें अलग मज़ा आता है..." फ़िर उसने मेरी गाँड में धक्‍के तेज़ कर दिये और कुछ देर में उसका माल भी मेरी गाँड के अंदर झड गया!

फ़िर दीपू आया! जो फ़िज़िकली उन सबसे ताक़तवर और मस्क्युलर था! उसका रसीला बदन भीग के और मादक लग रहा था और वो जब नँगा मेरी तरफ़ आया तो उसका सामने लहराता हुआ लँड बडा सुंदर लग रहा था! मगर दीपू आया और मेरे सामने खडा हो गया! उसने अपने दोनो हाथ कमर पर रख लिये और लँड थोडा आगे कर लिया!
"क्या हुआ? आओ ना..."
"आता हूँ..." उसने कहा और फ़िर जब उसके लँड से पिशाब की धार मेरी पीठ पर पडी तो मुझे उसके हरामीपने का अहसास हुआ! मैने उठना चाहा मगर उसने मुझे अपने पैरों से दबा दिया और फ़िर अपने लँड को हाथ से पकड के मेरे ऊपर पूरा का पूरा पिशाब कर दिया! उसकी गर्म पिशाब की धार से मैं मस्त तो हो ही गया!
"ले, अब चूस... हाहाहा..." उसने हँसते हुये कहा!
"साला, बडा हरामी है... उसके ऊपर मूत ही दिया..." पीछे से बाकियों की भी हँसने की आवाज़ आ रही थी!
"हाँ साला, बहुत दिन से पॄथ्वी के ऊपर मूतने के चक्‍कर में था..." पॄथ्वी वो लडका था, जिसकी वो सब स्कूल में लेते थे!
"अबे, इसके रूम पर चल के इसकी लिया करेंगे..."
"हाँ, बिस्तर में लिटा के..."
"हाँ, उसका मज़ा अलग आयेगा..."
"हाँ, सुहागरात लगेगी..."
"अबे रहने दे... बहनचोद, गाँडू के साथ कैसी सुहागरात..."
"अबे, अभी तो यही है ना... सुहागरात मनाने के लिये..."
"पॄथ्वी को भी बुला लेंगे... दोनों को अगल बगल लिटा के, दोनो की गाँड मारेंगे..."
"हाहाहा..."
"आइडिआ बुरा नहीं है..." दीपू मेरे बगल में मेरी तरफ़ लँड करके लेटा तो मैने उसका लँड दबा के उसके आँडूए सहलाये और फ़िर उसका लँड अपने मुह में ले लिया! उसने अपनी जाँघ मेरे कंधे पर चढा दी और जब मैने उसकी गाँड को पकड के मसला तो उसने सिसकारी भरी! मैने एन्करेज्ड होकर उसकी दरार में अपनी उँगलियाँ फ़िराईं और उसके छेद पर उँगली से दबाया! उसकी गाँड की चुन्‍नटें तुरन्त ही खुलने लगीं और मेरी उँगली की टिप उसमें घुसने लगी!
"अबे, गाँड मारेगा क्या? साले, लँड चूस..."
"तेरी गाँड बडी बढिया है..."
"बहनचोद, है किसकी... बढिया नहीं होगी क्या..."
"एक बार गाँड चूमने दे..."
"अबे यहाँ नहीं..."
"क्यों?"
"अबे, सब के सब हैं यहाँ..."
"यार, तेरी गाँड बडी मस्त है..." मुझे लगा कि शायद वो मरवा लेगा और शायद उसने मरवा भी रखी थी!
"ओये गाँडू, लौडा चूस बस..."
"एक बार गाँड में मुह घुसाने दे..."
"यहाँ नहीं यार... किसी दिन अकेले में..."
"आह... और क्या क्या करने देगा अकेले में?" लँड चुसवाने में वो कामातुर था इसलिये भी बेझिझक बातें कर रहा था!
"जो करना है कर लियो... बस?"
"मरवायेगा?"
"देखा जायेगा... तू मिल तो पहले..." अब मैं कन्फ़र्म हो गया कि वो भी शौकीन मिजाज़ है!
"अभी चूस ना साले... सही से चूस..." कहकर उसने मुझे कुछ देर गहरायी तक चुसवाया और जब मुझे लगा कि वो झाडने वाला है, तो उसने मुझे पलट दिया और अपनी तरफ़ गाँड करवा के करवट दिलवा दी! फ़िर उसने मेरी गाँड में लँड डाल दिया और मेरी गाँड चोदने लगा!
"वाह... चुसायी और चुदायी, दोनो का मज़ा..." मैने कहा!
"हाँ बेटा, बस मज़ा करता हूँ... बस मुह बन्द रखेगा, तो तुझे और भी मज़ा दूँगा..."
"मेरा मुह तो बन्द ही रहता है... तुम्ही लोग आपस में सब बोल देते हो..."
"यार, अब तो तुझसे सम्बन्ध हो गया है ना... पहले की बात और थी... अब जो बोलेगा, आपस में रहेगा..." उसके कुछ देर बाद उसने मेरी गाँड में माल झाड दिया! फ़िर हम वहाँ कुछ देर और नहाये, जिस दौरान सौरभ ने पानी में ही, सबके सामने मुझसे अपना लँड चुसवाया!
उसके बाद उनसे मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी और वो अक्सर मेरे रूम पर आने लगे! फ़िर मैने कानपुर में नौकरी के लिये अप्लाई किया और वहाँ शिफ़्ट हो गया और देहली के इन आशिक़ों की बस यादें रह गयी! बस विनोद और आकाश का कभी कभार लैटर आता था! फ़िर सब अपने अपने जीवन में लग गये!
Reply
05-14-2019, 11:40 AM,
#49
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मस्त कर गया पार्ट --11

चलिये अब उन दिनों से वापस आ जाते हैं... २००७ में! मैं इतने साल यहाँ वहाँ घूमने के बाद फ़िर देहली लौट आया हूँ! अब मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट का ज़माना है! लौंडेबाज़ी तो आप लोगों को पता ही है कि मेरी कैसी चलती होगी! जहाँ लडके दिखते हैं मैं पटाना चाहता हूँ! ज़ायैद का ऑल्मोस्ट डेली मेल आता है, मगर वो ना तो अपना फ़ेस दिखाता है ना फ़ोन नम्बर देता है, बस मेल्स और चैट... इसलिये कभी कभी तो मुझे लगता है कि क्या वो वही है, जो कहता है... या कोई और है! मैने पिछले कुछ दिनों में आशित से दोस्ती कुछ और बढा ली है! अब उसकी जवानी की नमकीन कसक मुझ पर ऐसा जादू करती है कि मैं उसको देखे बिना रह ही नहीं पाता हूँ! उसको भी ऑफ़िस में दोस्तों की ज़रूरत है! मैं तो बस जब भी उसके साथ होता हूँ, जो अब अक्सर ही होता है, उसके चेहरे को बडे पास से देखता रहता हूँ! वैसे वो बहुत गोरा तो नहीं है, हल्का साँवला है... मगर चेहरे पर इतना नमक है कि साला बहुत सैक्सी लगता है! उसकी शेपली बॉडी बडी जानलेवा है! पतली कमर और मज़बूत गाँड की गदरायी फ़ाँकें, टाइट टाइट जाँघें और उभरी हुई कसी ज़िप! उसकी पैंट से उसकी चड्‍डी की लाइनिंग तक दिख जाती है! कभी वो फ़्रैंची पहनता है, कभी जाँघ तक वाली अँडरवीअर, कभी बिकिनी स्टाइल वाली! मगर हर दिन उसकी टाइट पैंट से उसकी अँडरवीअर की लाइनिंग साफ़ दिख ही जाती है! उसकी शर्ट से उसकी बनियान भी झकलती है! उसके कंधे और बाज़ू मज़बूत हैं, कलायी चौडी जिस पर हमेशा पूजा का धागा रहता है! उसके ऊपर के खुले बटन से देख देख कर मैने ये भी अन्दाज़ लगा लिया है कि उसकी छाती पर ज़्यादा बाल नहीं हैं! उसको भी ऑफ़िस में लेट बैठ कर चैटिंग का शौक़ है! जब मैं सामने की डेस्क पर बैठ कर स्टोरीज़ टाइप करता हूँ, वो अक्सर बैठा अपने फ़्रैंड्स से चैट करता रहता है... और शायद ऐसी वैसी साइट्स भी देखता है! अक्सर उसकी आँखें मॉनिटर पर गढी रहती हैं! कभी कभी उसका हाथ भी नीचे की तरफ़ जाता है और वो ऐसे प्रिटेंड करता है जैसे अपने आँडूए अड्जस्ट कर रहा हो!
उस दिन मैं हमेशा की तरह अपना इन-बॉक्स चेक करके ज़ायैद के मेल्स के जवाब देने के बाद, स्पैम डिलीट कर रहा था! मैने स्पैम समझ के एक मेल पर क्लिक किया मगर फ़िर ना जाने क्यों उसको ओपन किया तो सर्प्राइज़्ड रह गया... वो विनोद की मेल थी! विनोद वही जाट लडका था, जो कभी मेरे साथ कम्प्यूटर कोर्स कर रहा था! उसको ना जाने कहाँ से मेरा आई.डी. मिल गया था! शायद उसने ऑर्कुट या फ़ेसबुक से कोई कनेक्शन निकाल लिया था! वो देहली में ही था! अभी उसने बस दो लाइन्स ही लिखी थी! मैने तुरन्त बैठ कर उसको एक लम्बा सा जवाब लिखा! जवाब में फ़िर अचानक एक दिन उसका फ़ोन आ गया, जब मैं किसी काम में बिज़ी था! इतने दिन बाद उसकी आवाज़ सुन कर मैं मस्त हो गया! उसके साथ गुज़ारे पल... लगता था, अभी दो दिन पहले ही हुये थे... ना मैं उन पलों को भूल पाया था और ना शायद वो...

"और बता, बाकी सब कैसा चल रहा है?"
"मस्त है यार..."
"बाकी सब?"
"बाकी सब भी ठीक है..."
"और सब?"
"और सब भी बढिया ही है यार..."
वो शायद चुदायी के टॉपिक पर आना चाहता था मगर जब उसने बताया कि उसकी शादी हो गयी है और अब एक ९ साल की लडकी, एक ७ साल का लडका और एक ५ साल का लडका है तो मैं समझ गया कि वो शायद चुदायी के बारे में नहीं पूछ रहा है क्योंकि उसके जैसे हरामी लडके शादी के बाद सिर्फ़ चूत के नशे में रहते हैं और अगर उसको चूत का नशा नहीं होता तो तीन तीन बच्चे नहीं पैदा किये होते!

"तेरी शादी हो गयी?" उसने पूछा!
"नहीं यार..."
"मतलब अभी तक लगा हुआ है भाई लोगों के साथ?"
मैं जवाब में सिर्फ़ हँसा!
"कभी मिलते हैं यार... घर आजा, मेरी बीवी से मिल..."
"हाँ आऊँगा..." उसके बाद कई दिन उसका फ़ोन नहीं आया!

इस बार मेरे जीवन में कुछ स्पेशल होने जा रहा था मगर मुझे अभी तक उसका पता नहीं था! मैं आदत के मुताबिक लौंडे ताडने के लिये शाम में पुरानी दिल्ली चला गया! वहाँ के हरामी लौंडे मेरे लिये शराब के नशे से कम नहीं थे! उस शाम भी पहले मैने खाना खाया फ़िर सुंदर सुंदर लडकों को देखता रहा! कोई साला गाँड में घुसी जीन्स पहने था, तो कोई स्मार्ट सी डिज़ाइन वाली शर्ट! कोई गोरा था कोई साँवला! कोई चिकना था कोई मर्दाना! किसी के क्रू कट बाल थे तो किसी के सेन्टर पार्टिंग के! कोई सिगरेट पी रहा था तो कोई अपने किसी दोस्त के कंधे पर हाथ रखे बातें कर रहा था! काफ़ी देर ठरक जवान करने के बाद मैं ऑटो ढूँढने निकल पडा! काफ़ी मेहनत के बाद भी जब कोई ऑटो नहीं मिला, तो पास के सिगरेट वाले की दुकान पर खडा हो गया और सिगरेट लेकर जला ली! अब तो रोड पर भी ऑटो नहीं दिख रहे थे! उस दिन मैने आशित को अपने साथ पुरानी दिल्ली चलने का इन्विटेशन दिया था मगर लास्ट मिनिट पर उसके बॉस ने कुछ काम दे दिया जिस कारण वो मेरे साथ नहीं आ पाया! मैं ऑटो ढूँढ रहा था, कि अचानक विनोद का फ़ोन आ गया!

"अरे, कहाँ गायब हो गया था यार?"
"अरे, एक बडा ऑर्डर मिल गया था, उसमें लगा पडा था... तू कहाँ है कभी?"
"अभी तो मैं पुरानी देहली में हूँ..."
"क्या बात करता है यार, हम भी एक शादी में चाँदनी चौक आये हुये थे.. बस निकलने ही वाले थे! चल हमारे साथ चल, बता तू कहाँ है... मैं तुझे पिक कर लूँगा... तुझसे तो बहुत बातें करनी हैं..."
"अभी तो बहुत थक गया हूँ यार..."
"अरे, थकान मिटाने का इन्तज़ाम है मेरे पास... मैने तेरे बारे में अपनी बीवी को बताया, वो भी तुझसे मिलना चाहती है..."
"अच्छा साले, तूने तो बुराई की होगी..."
"नहीं बेटा, अच्छी वाली बातें भी बतायी हैं..."
"अच्छी वाली कैसी?"
"अब तू बन क्यों रहा है?"
"अच्छा मिलते हैं..." मैं वहीं साइड में फ़ुटपाथ की रेलिंग पर बैठ गया! करीब आधे घंटे में ही विनोद एक वैन में वहाँ आ गया और सीधा उतर के मुझसे गले मिलने लगा! उसके पास से शराब की बदबू आ रही थी!
"बहनचोद, पी के आया है क्या?"
"अबे, शादी में गया था... वहाँ हो गयी कुछ कुछ..."
मैने वैन में देखा अगली सीट पर एक सिल्क की लाल सारी पहने उसकी बीवी बैठी थी!
"शिखा है, मेरी बीवी... कैसी लगी?" उसने आँख मार के पूछा!
"अबे साले, बडा हरामी है... ठीक है..."
"हाँ, जब शादी हुई थी तो और ठीक थी... वो तो मैने कबाडा कर दिया... हाहाहा..."
"बहुत मादरचोद है यार तू... साले किसी को तो जाने दिया कर?"
"अबे, बीवी तो अपनी प्रॉपर्टी होती है..."
"हाँ, तू बेहतर जानता होगा यार..."
"चल, आजा मिलवाता हूँ... तेरे बारे में बहुत कुछ जानती है..."
"अबे क्या-क्या बोल दिया?" मगर मैने सवाल पूरा भी नहीं किया था कि उसने शिखा से मिलवा दिया! उसने मुझे मुस्कुराते हुये नमस्ते किया और मैने उसको गौर से देखा तो १० साल की शादी के लिहाज़ से वो काफ़ी मेन्टेन्ड थी! मैं पिछली सीट पर बैठने लगा!

"अबे, मैने बहुत पी रखी है... गाडी तू चला..." मैने ऑफ़र मान लिया! मैने एक्स्पैक्ट किया था कि शिखा पीछे चली जायेगी और विनोद आगे! मगर शिखा तो वहीं बैठी रही मेरे बगल वाली सीट पर! गाडी चलते ही विनोद की ज़बान भी चलने लगी!
"अब पूछ, तू क्या पूछना चाहती थी?" उसने अपनी बीवी से पूछा जो बहुत शरमा रही थी!
"नहीं जी, रहने दो..."
"अरे पूछ ले, ये मेरा पुराना दोस्त है... बुरा नहीं मानेगा..."
"हाँ मालूम है... मगर..."
"अरे, फ़िर पूछ ले ना..."
"क्या पूछना चाहती हैं आप?" आखिर मैने ही पूछ लिया तो शिखा और शरमा गयी! मैने ध्यान दिया कि उसने भी शराब पी रखी थी!
"अरे पूछ ले ना..." विनोद फ़िर बोला!
"अच्छा मैं ही कह देता हूँ..."
"अबे, क्या बात है?" मैने कहा!
"कुछ... कुछ नहीं..." शिखा बोली!
"ये पूछ रही थी, तूने शादी क्यों नहीं की... तेरा काम कैसे चलता होगा?"
मैने शिखा की तरफ़ देखा तो पाया वो मुझे गौर से देख रही थी!
"काम.. मतलब क्या काम?"
"घपचिक घपचिक वाला काम..." विनोद बोला! वो दिखने में, बात-चीत में बिल्कुल नहीं बदला था!
"अबे रहने दे..."
"मैने बताया तो इसको यकीन नहीं हुआ..."
"अबे क्या बता दिया?"
"वही कि तेरा काम कैसे चलता है..."
"क्या बात करता है?" इस बार मैने जब शिखा की तरफ़ देखा तो वो मुस्कुराने के साथ हल्की सी खोयी खोयी लगी और अब पहले से थोडी कम हैज़िटेंट...
"क्यों, इसने ये कहा था?"
"हाँ, कहा तो यही था..."
"अबे, और क्या-क्या कह दिया?"
"अबे कहूँगा वही ना, जो मुझे पता होगा... वो याद नहीं है, तेरे रूम वाली बात... बस वही बतायी है.. कसम से..."
अब मैं शर्मिन्दा और उत्तेजित दोनो महसूस करने लगा!
"साले, तू शादी के बाद भी नहीं बदला?"
"बेटा, हम बदलने वालों में से नहीं हैं..."
"क्या मतलब है तेरा?" मैने शिखा की तरफ़ देखते हुये विनोद से पूछा!
"मतलब, बेटा एक रास्ता पकड के उसी पर चलते हैं..."
"क्यों शिखा, ये सही कह रहा है?"
"हाँ, आपकी हमेशा बात करते हैं..."
"अच्छा... अबे तेरा इरादा क्या है यार? और तूने अपनी बीवी को भी सब उल्टा पुल्टा बता दिया... बडा हरामी है यार तू..."
"अरे, अब इतने साल के बाद इतना विश्‍वास तो है ही... जब देख लिया, कि बुरा नहीं मानेगी तो बताया..."
"तुम इससे ये सब बात कर लेती हो?" मैने शिखा से पूछा!
"हाँ, अब और किससे करूँगी?"
"इसने क्या क्या बताया?"
"बताया तो बहुत कुछ है... लडको... लडको के बारे में... मतलब आप और लडके..."
"मतलब... साले ने सभी कुछ बता दिया... बडा हरामी है..."
"हाँ बेटा, अब शरमाने की नौटंकी छोड दे और खुल के बात कर ले..."
"खुल के क्या साले... तुझे लँड चुसवा दूँ?"
"सिउहहह..." मैने जैसे ही कहा, शिखा ने एक सिसकारी भरी!
"देख, तेरी बीवी गर्म हो रही है... ऐसी बात मत कर..."
"इसको तो मैं रातों में खूब गर्म करता हूँ..." उसने पीछे से हाथ आगे करके अपनी बीवी की चूची दबायी तो शिखा ने बस उसके हाथ पर हाथ रख के गहरी साँस लेकर अपना सर हल्का सा पीछे कर लिया!
"अबे, पल्लू गिरा के बैठ जा, थोडा ये भी देख लेगा... शायद इसे भी कुछ हो जाये..." उसके कहे पर शिखा ने अपनी सारी का पल्लू गिरा दिया तो मैने देखा उसका ब्लाउज़ कसा हुआ था और चूचियाँ बडी बडी थीं!
"देख... दबा दबा के, चूस चूस कर इनका साइज़ कैसा कर दिया है..."
"और क्या क्या बडा कर दिया है?"
"इसकी फ़ुद्‍दी... देख ले..." विनोद बोला!
"पहले तेरा लँड देखूँगा..."
"बेटा, गाँड भी देख लियो..."

वो मुझे अपने रैगुलर घर ना ले जाकर अपने एक और फ़्लैट में ले गया जो उसने थोडी दूर पर बनवाया था!
"ये चुदायी का अड्‍डा है... यहाँ जम के अय्याशी का सामान है..."
जब तक उसने दरवाज़ा खोला, हम तीनो ही बहक चुके थे! विनोद ग्रे सूट में था जो उसकी मस्क्युलर बॉडी के कारण टाइट था और जिसमें से उसका लँड दिखने लगा था और शिखा तो रोशनी में आग लगा रही थी! हम उसके बेड पर बैठे थे!

"यार, तेरी बातों पर यकीन नहीं होता..." मैने फ़ाइनली कहा क्योंकि मेरे साथ तब तक कभी ऐसा नहीं हुआ था!
"बेटा, दुनिया में ना... सब कुछ हो सकता है और मैं उनमें से नहीं हूँ जो पुराने यारों भूल जाऊँ... कभी तू मेरे काम आया था, ज़रुरत में तूने साथ दिया था, भूल कैसे सकता हूँ..."
"ये तो अच्छी बात है" मैने कहा!
"सबसे बडी ज़रूरत तो यही होती है... इसमें बहुत कम लोग साथ देते हैं... और जबसे इसको बताया, ये भी देखना चाह रही थी..."
"वाह यार, सही बीवी मिली तुझे, इतनी को-ऑपरेटिव... वरना बीवियाँ तो बडा नखरा करती हैं..."
"यार, हम साफ़ साफ़ बात करते हैं..." उसने कहा!
"अब, एक ही फ़ुद्‍दी कितनी बार चोदूँगा.. फ़ैल के फ़ाटक हो गयी है... हाथ लगा के देख ले..." उसने कहा!
"अबे कैसे?"
"देख ले, देख ले... अपना ही माल समझ..."
मुझे यकीन तो नहीं हुआ! मगर मैने शिखा की जाँघ पर हाथ रखा और हाथ को नीचे उसके पैर की तरफ़ ले गया तो वो मुझे मना करने के बजाय सिसकारी भरने लगी!
"वाह यार..." कहकर मैने उसके पैर सहलाये और अपना हाथ उसकी साडी में नीचे की तरफ़ से ऊपर ले जाना शुरु किया तो उसकी जाँघें भी गाँडू लडकों की तरह खुलने लगीं! मेरा हाथ उसकी चिकनी जाँघ पर चलने लगा और फ़ाइनली उसकी पैंटी पर जा कर रुक गया! मैने बहुत सालों बाद किसी लडकी की चूत पर हाथ लगाया! चूत छूने से ज़्यादा, मैं उस समय की सिचुएशन पर उत्तेजित था!

विनोद ने इस बीच अपनी शर्ट और कोट उतार दिये थे और अपनी पैंट का हूक और ज़िप खोल दिये थे जिस कारण से उसकी काली चड्‍डी का कुछ हिस्सा और ऊपर चौडी सी इलास्टिक दिख रहे थे! उसने कुछ वेट गैन कर लिया था जिस कारण वो और सैक्सी लग रहा था!
"तू नहीं आयेगा क्या?" मैने उससे पूछा!
"रुक आता हूँ... ओये, ज़रा बॉटल निकाल कर ठुमका दिखा ना..."
शिखा सामने की कैबिनेट से बॉटल निकाल लायी और फ़्रिज से पानी और सोडा! उसने अपने हाथ से एक ग्लास में बडा सा पेग बनाया और अपने पति को देने लगी!
"पहले इसको पिला..." उसने कहा तो उसने ग्लास मेरी तरफ़ बढाया!
"अबे पिला दे ना... अपने हाथ से पिला दे..." विनोद बोला तो शिखा ने अपने हाथ से ग्लास लेकर मेरे होठों पर लगा दिया! मुझे तो लगा कि कोई सपना देख रहा हूँ! मैने उसको खींच के उसके ब्लाउज़ के ऊपर से चूचियों में एक बार अपना मुह दबा दिया!
"वाह... लगता है, तेरा टेस्ट चेंज हो गया है..." विनोद बोला!
"नहीं, बस ऐसे ही सोचा, तेरा माल चख के देखूँ..." मैने कहा! इस बीच शिखा उसके लिये भी ग्लास ले आयी तो उसने पूरा का पूरा ग्लास उसको झुका के उसके ब्लाउज़ में डाल दिया और वो गीली हो गयी! उसके लाल ब्लाउज़ से उसकी व्हाइट ब्रा दिखने लगी!
"जा ना साली, ज़रा ठुमका तो लगा..." कहकर विनोद ने उसका पल्लू पकडा और उसको सामने की तरफ़ धक्‍का दिया तो वो गोल गोल घूमती सामने की तरफ़ गयी और उसकी साडी उतरती चली गयी! फ़ाइनली विनोद ने उसका पल्लू मुझे दे दिया!
"ले, खोल दे..." मैने कस के खींचा तो उसकी साडी उसके पेटीकोट से अलग हो गयी!
उसने स्टीरिओ पर 'डॉन' फ़िल्म का गाना लगाया और धीरे धीरे थिरकने लगी!
"...ये... मेरा दिल, प्यार का दिवाना..."
मेरे लिये सच, ये सब जैसे एक सपना था! शिखा की कमर में बढिया लचक थी! विनोद ने मेरे हाथ पर हाथ रखा तो मैने बैठे बैठे ही उसकी तरफ़ देखा! हमारी आँखें मिलीं तो हम मुस्कुराये और फ़िर अपने अपने मुह खोल कर एक दूसरे के मुह पर रख दिये और चूसने लगे! हमारे हाथ एक दूसरे के बदन, जाँघों और हुस्न पर थिरकने लगे! कानों में कुछ देर तो गाने की आवाज़ आना भी बन्द हो गयी! हमने एक दूसरे को पकड लिया और वैसे ही पैर नीचे लटकाये हुये हम बिस्तर पर लेट गये! मैं थोडा उसके ऊपर उसकी छाती पर छाती चढा के लेट गया और अपनी जाँघ उसकी जाँघों के बीच रगडने लगा! कुछ देर में हम ठरक गये!

"देख, वहाँ देख..."
मैने जब शिखा को देखा तो अब वो बस एक लाल पैंटी और ब्रा में थी! विनोद ने उसकी तरफ़ इशारा किया तो वो हमारे पास आ गयी!
"इसकी पैंट उतार दे..." शिखा ने मेरे लँड पर हाथ रख के दबाया!
"सिउउहहह... आईईहहह..." उसने सिसकारी भरी और मेरी बैल्ट खोल दी! फ़िर मैं उस सिचुएशन के कारण मस्त हो गया! शिखा ने जब सहला सहला के पहले मेरी, फ़िर विनोद की पैंट उतारी तो विनोद का नँगा बदन देख कर मेरी पुरानी यादें ताज़ा हो गयी... मेरे लँड ने हुल्लाड मार कर एक उछाल मारी और शायद विनोद के जिस्म से बोला "...तुमको ना भूल पाये..."
Reply
05-14-2019, 11:41 AM,
#50
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
विनोद ने केवल वेट ही गैन नहीं किया था, उसने शिखा की चूत में दबा दबा के अपना लौडा और भी मस्त कर लिया था! उसका जिस्म और ज़्यादा गदरा गया था! जहाँ पिछली बार हड्‍डी दिख रही थी, अब मसल्स थे! उसकी गाँड और मज़बूत हो गयी थी, दरार और ज़्यादा गहरी हो गयी थी! हम दोनो ने एक दूसरे की तरफ़ करवट ली और फ़िर अपने लँड आपस में टकरा के लेट गये और धक्‍के दे दे कर एक दूसरे का मुह किस करने लगे! मैं लगातार उसकी गाँड सहला रहा था, उसकी फ़ाँकें फ़ैला के जब मैने उसके छेद पर उँगली रखी तो वो मस्त हो गया!

फ़िर मैने उसके साथ वो भी किया जो पहले नहीं किया था! मैने उसको पलट के लिटाया और उसको तकिया बना के उसकी कमर पर सर रख कर लेट गया और एक हाथ से उसकी गाँड की फ़ाँकों के बीच सहला के उसकी बीवी का नाच देखने लगा, जो अब 'इश्क़ समुन्दर' पर नाच रही थी!
"ओये, पैंटी खोल के चूत दिखा दे रानी..." मैने विनोद की कमर पर दाँत काटते हुये उसकी बीवी से कहा! शिखा ने अपनी दो उँगलियाँ कमर पर अपनी पैंटी की इलास्टिक पर फ़ँसा दीं और वैसे ही कमर मटकाती रही फ़िर उसने पैंटी हल्के से नीचे खिसकायी तो उसकी झाँटें दिखीं!
"वाह... हाँ, खोल दे..." कहकर मैने उँगली विनोद की गाँड पर रखी! उसका छेद गर्म था और कुलबुला रहा था! उसकी जाँघें फ़ैल गयी थी! मैने उनके बीच हाथ डाला हुआ था! कभी कभी मैं हाथ में उसके आँडूए थाम लेता था!

शिखा पूरी नँगी हो गयी और अपनी चूत लचका लचका के नाचने लगी! उस सीन के कारण उसकी चूत से पानी निकल के उसकी जाँघों पर बह रहा था! मैने वो सीन देख के विनोद की गाँड की फ़ाँकों को फ़ैला के उनके बीच मुह घुसा दिया और उसकी मर्दानी खुश्बू सूंघने लगा!

"कैमरा निकाल ना साली..." विनोद ने अपनी बीवी से हैंडीकैम पर हमारी फ़िल्म बनाने को कहा!

मैने उसकी गाँड उठवा दी थी! अब उसका खुला हुआ छेद मेरे होठों और ज़बान का शिकार बन चुका था! मैं उसको खूब चाट रहा था! पीछे से मुह घुसा के मैने उसके आँडूए चाटे, फ़िर उनको चूसने लगा! उसने टाँगें और फ़ैला दीं तो मैने उसका लँड भी थाम लिया! मैने उसको सीधा किया और उसका लँड चूसने लगा! फ़िर वो भी मेरे लँड की तरफ़ मुह करके पैर मोड के लेटा तो वो मेरा और मैं उसका लँड चूसने लगे!
"आजा, ज़रा गाँड चाटेगी क्या?" मैने शिखा को बुलाया!
"हाँ, साली कुतिया चाटेगी क्यों नहीं..."
शिखा ने जब पहली बार मेरी गाँड पर मुह लगाया तो मैं मस्त होकर पागल हो गया! कुछ देर में वो आराम से मेरी गाँड चाटने लगी!
"आज, एक बार इसकी चूत भी चोदूँगा..."
"हाँ, चोद लियो यार... अब क्या पूछना है..." विनोद ने कहा तो मैने शिखा से अपने लँड पर तेल मालिश करवायी और उसको फ़ाइनली विनोद की गाँड में डाल दिया और शिखा के बाल पकड के उसका सर वहाँ लगा दिया!
"देख, तेरे पति की गाँड कैसे मार रहा हूँ, देख... साली राँड, इसकी फ़िल्म बना, देख..."
शिखा फ़िल्म बनाती रही मगर बीच बीच में, मैं विनोद की गाँड से लँड निकाल कर सीधा शिखा के मुह में घुसेड देता था! अब वो हमारे साथ हमारी जैसी ही हो गयी थी!

हम कुछ देर के लिये रुके और एक एक पेग और पिया! इस बार मैने शिखा के हाथ से बॉटल लेकर सीधा सारी व्हिस्की उसके सर पर उँडेल दी तो वो शराब में नहा गयी! वो खुद भी मस्त होकर उसको अपने बदन पर रगडने लगी! मैने उसको खींचा और लिटा लिया... फ़िर मैने विनोद से बोला!
"ले बेटा, तू मेरा लौडा पकड के अपनी बीवी की चूत में डाल..." उसने एक हाथ से उसकी चूत फ़ैला दी जो अब पानी की टंकी की तरह बह रही थी और दूसरे से मेरा लँड पकड के दो फ़ाँकों के बीच लगाया! मैने जब धक्‍का दिया तो लँड सरसरा के अंदर घुस गया, जिसमें मुझे तो मज़ा नहीं आया मगर शिखा ने चूत से मेरा लँड जकड लिया और सिसकारियाँ भरने लगी!
"साली मस्त हो गयी... देखा ना, बोला था ना... मोटा लौडा है इसका..."
"हाँ... बहुत बडा है बहुत... आपसे भी बडा..."
"हाँ, तभी तो चुदवाने में मज़ा आता है, चुदवा ले रानी...."

इस बार विनोद मेरे पीछे आया और जब मैं उसकी बीवी की चूत में लँड दे रहा था, उसने अपना लँड मेरे छेद पर लगा दिया! इस बीच उसने भी तेल लगा लिया था! अब क्या था, उसने मेरी गाँड में अपना लँड डाल दिया! अब जब वो मेरी गाँड पर धक्‍का देता मेरे लँड का धक्‍का सीधा उसकी बीवी की चूत पर लगता!

मैने उस दिन दो बार विनोद की गाँड, एक बार उसके मुह और एक बार शिखा की चूत में वीर्य डाला! बदले में विनोद ने भी मुझे दो बार अपना वीर्य पिलाया और शिखा तो ऐसी चुदी कि सुबह तक उसकी कमर चरमरा गयी! फ़िर ये हमारा रेगुलर खेल हो गया!
आपको काशिफ़ तो याद ही होगा जिससे मैने एक रात हॉस्टल में गाँड मरवायी थी! पर उसके बाद वो मुझे मिला ही नहीं! अभी पता चला, उसी काशिफ़ की शादी है! मैं घर तो जाने ही वाला था, राशिद भाई के कहने पर सोचा, क्यों ना उसकी शादी अटेंड कर लूँ!
तब मैने ज़ाइन को देखा! अब वो बडा हो गया था और जवानी के नशे में था! इतने साल मैने उसको देखा था मगर इस बार, चार साल के बाद देखने में बात ही कुछ और थी... वो और सुंदर, मस्क्युलर, स्लिम सा सुंदर लडका हो गया था! ज़ाइन, राशिद भाई का बडा बेटा है! शादी के घर में मुझे उसके साथ काफ़ी समय बिताने को मिल जाता! मैं उसको खूब खिलाता पिलाता, जोक्स सुनाता, उसके साथ मेल चेक करने जाता, कभी कभी सैक्सी मज़ाक करता, हिरोइन्स की बातें करता, सैक्स तक की बात कर लेता और वो भी मुझसे फ़्रैंक होने लगा! उस शाम मैं और ज़ाइन छत के पास एक छोटे कमरे में अकेले बैठे थे! बाकी घर में शादी का शोर था!

मैने ज़ाइन को एक नज़र देखा और देखता ही रह गया! उसमें अपने दादा की सुंदरता, बाप की जवानी, माँ की चिकनाहट एक साथ मिल कर गज़ब ढा रही थी! उसके भूरे भूरे से, बिना तेल के बाल उड रहे थे! उसकी हाफ़ स्लीव व्हाइट शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले हुये थे और जीन्स तो मानो जगह जगह उसके जिस्म का चुम्बन ले रही थी! वो रह रह कर अपने मोबाइल से खेलने लग जाता था!
"ऐसा क्या है मोबाइल में?"
"कुछ नहीं चाचा, बस ऐसे ही आदत है..."
"अच्छा..."
"कहीं, कुछ ऐसा वैसा तो नहीं है तुम्हारे मोबाइल में??"
"हे.हे.हे... नहीं चाचा नहीं... बस फ़्रैंड्स के मैसेजेज पढ रहा हूँ..." ज़ाइन सुंदर तो था ही, मेरी बातों से शरमा के उसका गोरा रँग गालों पर और लाल हो गया था!
"वैसे, आजकल तुम लोग मोबाइल का काफ़ी गलत इस्तेमाल करते हो..."
"नहीं चाचा, नहीं तो..."
"अरे देखा नहीं था वो डी.पी.एस. वाला एम.एम.एस.???" इस बार उसका चेहरा बिल्कुल लाल हो गया!
"वो तो बस वैसे ही लोग होते हैं चाचा..."
"कैसे होते हैं??? सब तुम्हारे जैसे ही तो थे... तुम्हारे साथ भी लडकियाँ पढती हैं क्या?"
"जी... मगर वैसी कोई बात नहीं है..."
"वैसी बात होने में टाइम लगता है क्या???" ज़ाइन मेरी बातों से शरमा रहा था, मगर साला हरामी खून था! मैं देख तो ज़ाइन को रहा था मगर मेरी आँखों के सामने कभी उसके दादा हुमेर का और कभी उसके बाप राशिद का लँड नाच रहा था और उनके साथ हुई चुदायी का मन्ज़र साफ़ दिख रहा था! जब मैं उन दोनों से, ज़ाइन को कम्पेअर कर रहा था तो उसकी कमसिन गदरायी चिकनी जवानी और ज़्यादा आग लगा रही थी!
"अब तुम बच्चे भी नहीं हो, जो इतना शरमा रहे हो..."
"शरमा कहाँ रहा हूँ..."
"शरमा तो रहे हो..."
"तुम्हारी उम्र में तो हमने खूब गुल खिलाये थे..."
"अच्छा??? कैसे गुल?" अब मैं उसको उसके दादा और बाप के बारे में क्या बताता!
"बस रहने दो, तुम वैसे ही शरमा रहे हो... कहीं शॉक से बेहोश ना हो जाओ..."
"अरे बताइये ना..."
"अब पता नहीं, तुम्हारी जनरल नॉलेज़ कैसी है... कहीं ज़ीरो हुई तो बेकार होगा..."
"जी.के. तो अच्छी है..."
"नम्बर वाली या बिना नम्बर वाली?"
"दोनो..."
सही था... साला था तो अपने बाप का बेटा और अपने दादा का पोता ही ना... लगता था, लौंडेबाज़ी का फ़ैमिली ट्रेडिशन कायम रखने वाला था... या शायद ये बस मेरी उम्मीद थी! मैने फ़िर ज़ाइन का जिस्म देखा, उसके हाथ पैर सच बडे नमकीन थे... दिल किया, बस उसको पकड के पूरा चाट डालूँ! उसके पैर के बीच में हल्का सा उभार था! मैने सोचा, पता नहीं उसका लँड कितना बडा होगा!

"अच्छा ये बताओ ज़ाइन, जब लडकी का ध्यान आता है तो तुम्हें क्या दिखता है?" एक बार को तो वो एकदम तमतमा गया! फ़िर थूक निगलता हुआ बोला!
"मतलब?"
"मतलब की तुम फ़ेल..."
"नहीं नहीं, इतनी जल्दी नहीं... अच्छा बताता हूँ..."
"बताओ..."
"किस सैन्स में पूछ रहे हैं आप?"
"डी.पी.एस. के एम.एम.एस. वाले सैन्स में..." वो फ़िर शरमाया तो मुझे लगा कि लौंडा कहीं अपने बाप दादा का ट्रेडीशन तोड ना दे!
"उस सैन्स में???"
"अब इतना टाइम लोगे तो सुबह हो जायेगी..."
"उस सैन्स में तो चाचा, एक ही चीज़ ध्यान आयेगी ना..."
"क्या चीज़?"
"चूत"
"शाबाश... अब जवाब दिया ना तुमने सही से..."
"चूत किस कलर की होती है?"
"गुलाबी"
"वाह ज़ाइन वाह..." उसके इन दोनो जवाबों से मेरा लँड बिल्कुल खडा हो गया! उसका चेहरा अब तमतमा के लाल हो गया था!
"चूत में क्या डाला जाता है ज़ाइन?"
"उन्हु चाचा..."
"नहीं पता क्या?"
"पता है..."
"तो बताओ"
"जी... जी... जी लँड..."
"अच्छा, बताओ कैसे डाला जाता है?"
"उन्हु... उन्हु.. अच्छा बताता हूँ, रुकिये एक मिनिट... बस प्लीज... जी वो... जी..."
"अब रहने दो... तुम फ़ेल..."
"जी, वो चूत की दोनो फ़ाँकों के बीच में डाला जाता है..."
"शाबाश... डीटेल में बताओ, सोचो तुम डाल रहे हो..."
"जी, दोनो फ़ाँकों को हाथ से फ़ैला के उनके बीच में..."
"लँड का कौन सा हिस्सा पहले अंदर जायेगा?"
"जी लौडे का सुपाडा..."
"अब बताओ, डी.पी.एस. का एम.एम.एस. कैसा था?"
"बहुत बढिया.."
"अगर उस लडके की जगह तुम होते तो क्या करते?"
"मैं चूत में लँड डाल देता चाचा..."
"तुम्हारा किता बडा है?"
"उस लडके से बडा..."
"इन्चेज़ में बताओ..."
"जी... अबाउट ६..."
"झाँटें आ गयी हैं?"
"हाँ..."
"गाँड पर बाल हैं?"
"नहीं..."
"लँड चुसवाने का ख्याल आया कभी?"
"हाँ..."
"लडकी की गाँड का सोचा कभी?"
"हाँ..."
"क्या सोचा?"
"यही कि गाँड में लँड डाल दूँ..."
"डाल पाओगे?"
"हाँ बिल्कुल..."
"क्या लगा के?"
"थूक..." अब शायद उसका भी लँड पूरा खडा था क्योंकि वो कसमसा कसमसा के अपने पैर आपस में भींच रहा था!
"माल झडता है?"
"हाँ..."
"मुठ मारते हो?"
"जी, मारता हूँ..."
"कभी गाँड के बारे में सोच के मुठ मारी?"
"जी..."
"कैसे?"
"एक लडकी जीन्स में दिखी थी उसका सोच के..."
"गाँड कैसी होती होगी?"
"छोटी.. गोल... टाइट..."
"गाँड के अंदर घुसा पाओगे?"
"क्यों नहीं... ट्राई तो कर ही सकता हूँ...."
"शाबाश... अब तक तुम्हारे सारे जवाब सही हैं... तुम्हें बम्पर प्राइज़ मिलेगा..." मैने कहा तो वो खुश हो गया! इस बार उसने अपने पैर थोडा शफ़ल किये तो मुझे उसकी जीन्स में उसका लँड उभरा हुआ दिखा!
"कितना खडा है?"
"पूरे का पूरा..."
हम उस कमरे के बहुत पास बैठे थे जिसमें किसी दिन ज़ाइन के दादा ने मेरी गाँड मारी थी! उस समय, मैं भी उसी की तरह कमसिन सा चिकना था!
"खडे लँड से क्या करते हैं?"
"चुदायी..."
"और अगर चूत ना मिले तो?"
"तो मुठ मारते हैं..." अब उसका चेहरा कामुकता की तपिश से तमतमा रहा था! ठरक के मारे वो अपने होंठ सिकोड रहा था! अभी ज़्यादा रात नहीं हुई थी! घर में हर तरफ़ लोग आ जा रहे थे, शोर शराबा था! बस मैं वहाँ अपने चिकने से लौंडे के साथ एक कोने में बैठा था! इतनी बातों के बाद अब मुझे समझ आ गया था कि थोडी और कोशिश में ज़ाइन पट जायेगा!
"डी.पी.एस. वाले के अलावा भी कुछ देखा है?"
"हाँ बहुत... मेरे तो फ़ोन में भरे हुये हैं.. और कई बार फ़ुल लेन्थ फ़िल्म भी देखी है..."
"तब तो तुम्हारा लँड हमेशा खडा रहता होगा?"
"हाँ अक्सर..."
"सेम सैक्स... मतलब बॉयज़-टू-बॉयज़ वाले सैक्स के बारे में सुना है?" अब मैने सीधा लाइन पर आने का ट्राई किया!
"हाँ... हाँ, सुना तो है..."
"वो क्या होता है?"
"यू मीन होमो सैक्स ना???"
"हाँ वही..."
"उसमें लडके ही आपस में करते हैं..."
"क्या करते हैं?"
"वही जो लडकी के साथ होता है..."
"मगर लडकों के चूत तो होती नहीं है?"
"चूत की जगह गाँड होती है ना चाचा..."
"शाबाश ये जवाब बैस्ट था..." वो अपनी तारीफ़ से खुश हो गया! अब तक तो मेरा लौडा पूरा फ़नफ़ना के टपकने लगा था और मेरी चड्‍डी से बाहर निकल गया था!
"आपका भी खडा है क्या?"
"हाँ..."
"कितना?"
"बिल्कुल पूरा फ़ुल..."
"आप क्या करते हैं ऐसे में?"
"मैं भी मुठ मारता हूँ..."
"मुठ मारोगे क्या?" मैने गीअर बदला!
"हटिए... नहीं..."
"क्यों... मारते तो हो ना..."
"हाँ, मगर अकेले में..."
"तो सोच लो अकेले हो..."
"नहीं नहीं... हो नहीं पायेगा..."
"ट्राई तो करो..."
"कैसे?"
"अपनी ज़िप खोल के बाहर निकाल लो..."
"अरे कैसे चाचा? नहीं..."
"ट्राई करो तो हर चीज़ पॉसिबल है..." मेरा दिल सीने में तेज़ी से धडक रहा था और साँसें एक्साइटमेंट के मारे तेज़ चल रहीं थी!
"अब... काशिफ़ के तो मज़े आ जायेंगे..."
"हाँ वो तो है..."
"इस समय उसका क्या हाल होगा?"
"हाल बुरा होगा... लँड खडा होगा..."
"हा हा हा हा हा..."
"आपकी शादी क्यों नहीं हुई अभी तक?"
"बस मेरी मर्ज़ी.."
"खडा तो खूब होता होगा..."
"हाँ मगर... यार क्या बताऊँ..."
"बताना क्या है... शादी कर लीजिये..."
"शादी कर के क्या करूँगा यार?"
"चुदायी करियेगा... खूब... आपने होमो के बारे में क्यों पूछा?"
"ऐसे ही... इतनी और बातें भी तो पूछीं यार..."
"मगर... कहीं आप मुझे कुछ वैसा..."
"नहीं... तुम डर क्यों गये?"
"डरता वरता नहीं हूँ..."
"तो लँड खोल के मुठ मार लो..."
"देखिये, बात करने की बात हुई थी... कुछ और करने की नहीं..."
"तो बात आगे भी तो बढ सकती है..."
"उसके लिये आपको शादी करनी होगी चाचा..."
"अब शादी के लिये लडकी तो नहीं है..."
वो अब अपने लँड को अपनी जीन्स के ऊपर से रगड रहा था!
"तो क्या हुआ?"
"तो क्या मतलब?"
"लडकी ढूँढ लीजिये..."
"नहीं यार..."
"तो किसी से कह दीजिये..."
"लँड खोलो ना..."
"क्या करेंगे लँड खुलवा के..."
"कुछ नहीं... तुम मुठ मारना, मैं देखूँगा..."
"तो क्या फ़ायदा?"
"फ़ायदा क्या... मज़ा आयेगा..."
"पहले किसी लडके का देखा है?"
"हाँ..."
"ये तो खुद होमो हरकत होती है ना..."
"हाँ... मगर बॉय्ज़ आपस में मज़ा लेने के लिये भी करते है कभी कभी..."
"आप मेरा देखना क्यों चाहते हो?"
"बस ऐसे ही..."
"अच्छा बस एक बार दिखाऊँगा..."
"ओके..."
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,432,645 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 536,674 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,204,449 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 910,529 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,614,388 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,048,071 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,895,907 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,874,693 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,962,061 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 278,524 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)