Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-21-2019, 08:05 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
कामया ने मूड के विमल को देखा तो एक प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ विमल ने उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए. और कामया पागलों की तरहा उसके होंठ चूसने लगी और उसके हाथों का दबाव अपने उरोजो पे बढ़ाने लगी.

थोड़ी देर बाद विमल कामया को अपनी गोद में उठा कर अंदर बिस्तर पे ले जाता है और से लिटा कर अपने होंठ उसके निपल पे रख देता है.

कामया उसके सर को अपने उरोज़ पे दबा देती है, और विमल धीरे धीरे उसके निपल को चूसने लगता है जैसे उनमें से शहद निकाल रहा हो. विमल के चूसने के तरीके में कोई तेज़ी नही थी, बस आराम आराम से अपनी जीब फेरता और फिर चूस्ता.

कामया कभी उसके सर को ज़ोर से अपने उरोज़ पे दबाती तो कभी उत्तेजना के मारे बिस्तर को अपनी मुठियों में जाकड़ लेती.

ऊऊऊओह म्म्म्म मममाआआआआआ
ककककककक्क्क्ययययययययययउउुउउन्न्ञननननणणन् तडपा रहा है
मसल डाल, निचोड़ डाल, खा जा

विमल कामया का हाल समझ रहा था, लेकिन आज वो एक जंग फ़तेह करने निकला था, कामुकता की जंग, वो कामया को इतना बेबस करना चाहता था कि वो चीख चीख कर चोदने के लिए बोले, उसके जिस्म में वो अहसास भरना चाहता था जो कामया ने कभी महसूस ही ना किया हो, उसे वो लज़्जत देना चाहता था, जिसके लिए वो बार बार तडपे.

कामया के दोनो उरोज़ उसके थूक से सन चुके थे. उसके निपल इतने कड़क हो चुके थे कि दीवार में छेद कर दें. इतनी उत्तेजना कामया ने कभी महसूस नही करी थी. वो तो रमेश के पागलपन की आदि थी, उसके रोद्र रूप की आदि थी, पर जो विमल उसके साथ कर रहा था, वो उसके लिए जानलेवा साबित हो रहा था.

विमल कामया के उरोजो के बीच की घाटी को चाटने लगता है और चाट ता हुआ धीरे धीरे उसकी नाभि पहुँच जाता है. और अपनी ज़ुबान से उसकी नाभि को चोदने लगता है, उसकी नाभि के चोरों को हल्के हल्के काटने लगता है.

आआआआअहह

एक चीख और फिर सन्नाटा, कामया की चूत फिर से अपने सारे बाँध एक साथ खोल देती है. कामया का जिस्म करीब एक फुट उपर उछल पड़ता है, अपनी जांघों को कस के भीच लेती है, विमल के सर को अपनी नाभि पे ज़ोर से दबा लेती है और फिर इस दुनिया से दूर किसी और दुनिया में पहुँच जाती है.

बिना चुदे वो दूसरी बार इतना झड़ी कि बर्दाश्त के बाहर हो गया. ये वो आनंद था, वो परस्कून सुख था, जिसकी हर औरत को इच्छा होती है, जो आज उसे उसका बेटा दे रहा था.

कामया की आँखें बंद हो जाती हैं, जिस्म शीतल पड़ जाता है और विमल उसे छोड़ कर बस उसके चेहरे पे छाई खुशी को देख कर खुश होता रहता है.

कुछ पलों के बाद कामया अपनी आँखें खोलती है और उसे यूँ खुद को देखता हुआ पाती है. शर्म के मारे उसकी आँखें फिर बंद हो जाती हैं और चेहरे पे एक मादक मुस्कान आ जाती है. कामया को यूँ लग रहा था जैसे वो नयीनवेली दुल्हन हो और विमल पहली बार उसका दूल्हा बन के उसके जिस्म के हर तार को छेड़ रहा हो.

विमल उसके चेहरे पे झुकता है और उसके कान में फुसफुसाता है ‘लव यू मोम, तुम बहुत खूबसूरत हो’

कामया आँखें बंद करे बस मुस्कुराती रहती है. विमल उसके होंठों पे ज़ुबान फेरता है, और कामया तड़प के उसके साथ चिपक जाती है.

‘मोम तुम कितनी खूबसरत हो, दिल करता है सारी उम्र ऐसे ही तुम्हें अपनी बाँहों में बाँध के रहूं’

‘ओह्ह्ह्ह विमू, कितना अच्छा है तू’

और कामया विमल के चेहरे को चुंबनो की बरसात से भर देती है.
Reply
08-21-2019, 08:05 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
विमल कामया को फिर से बिस्तर पे पीठ के बल लिटा है और उसके जिस्म पे हाथ फेरते हुए उसकी जांघों के जोड़ तक पहुँचता है. विमल का हाथ जैसे ही कामया की चूत को छूता है कामया सिसक पड़ती है.

अहह

विमल धीरे धीरे उसकी चूत को सहलाता रहता है और कामया सिसकती रहती है.

विमल कामया की जांघों को सहलाने लगता है और उसकी जांघों के बीच में आ कर उसकी चूत के उपर झुकता है, कामया को लग रहा था कि जैसे अभी उसकी ज़ुबान उसकी चूत से सट जाएगी, पर ऐसा कुछ नही होता, वो इंतेज़ार करती है, अभी, बस अभी वो उसकी चूत को चाटने लगेगा, पर विमल उसकी चूत को छूता भी नही बस अपनी गर्म सांसो से उसकी चूत की सिकाई करने लगता है. विमल की साँसों में बसी गर्म भाप जैसे ही उसकी चूत से टकराती, उसकी चूत अपना मुँह खोल देती जैसे सारी भाप को अपने अंदर समेट लगी, विमल थोड़ा और करीब होता है और कामया के जिस्म में सिहरन दौड़ जाती है उस पल को सोच के जिसका वो बेताबी से इंतेज़ार कर रही थी, एक स्पर्श उसकी चूत पे विमल की शरारती जीब का, उसकी चूत बुरी तरीके से कुलबुलाने लगती है, जैसे विमल को इशारा कर रही हो – बस ---- अब और देर नही --- अब तो मुझे अपने मुँह में समेट लो…..

पर हाई री किस्मत विमल उसकी चूत के इतने करीब आ कर भी उसे छूता नही और उसके होंठ कामया की जाँघ के अन्द्रुनि हिस्से से चिपक जाते हैं.

उूुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़

कामया ज़ोर से सिसकती है और अपनी कमर उपर उछाल देती है, इस कोशिश में कि विमल के होंठ उसकी जाँघ से हट कर उसकी योनि से टकरा जाएँगे. पर ऐसा कुछ नही होता और वो तड़प के मारे बिस्तर पे अपने मुक्के बरसाने लगती है और उसका जिस्म लरजता हुआ नागिन की तरहा बल खाने लगता है.

विमल उसकी जाँघ को चूमता हुआ उसकी पिंडली पे अपनी ज़ुबान फेरने लगता है.

असल में विमल उसे चाट नही रहा था बस अपनी ज़ुबान की नोक से उसे गुदगुदा रहा था.

और कामया को समझ नही आ रहा था कि कैसे वो उसकी पिंडली को अपनी ज़ुबान से छू कर उसे सातवें आसमान की तरफ ले जा रहा है, पहले तो उसकी चूत को अपने मुँह की भाप से इतना गर्म कर डाला कि वो बस झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी, पर अब जो हरकत वो कर रहा था वो कोई औरत नही बर्दाश्त कर सकती, आख़िर संवेदना को झेलने की भी कोई सीमा होती है. उसकी पिंडली को अपनी अपनी ज़ुबान से गुदगुदाते हुए जब वो उसके तलवों पे पहुँचा और जैसे ही उसने कामया के पैर की छोटी उंगली को अपने मुँह में डाला, कामया की यही बस हो गई उसके मुँह का गरम अहसास अपनी पैर की उंगली पे वो सह ना पायी जिस्म में ऐसे तरंगे उठी जिन्हों ने उसकी चूत पे सीधा आक्रमण किया और उसे तीसरी बार झड़ने पे मजबूर कर दिया.

ववववववववववीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइइम्म्म्ममममममममम्मूऊऊुुुुुउउ

कामया की चूत से बहने वाला बाँध बिस्तर को अच्छी तरहा गीला करने लगा और विमल उसकी उंगली को चूस्ता रहा जब तक कामया का जिस्म ओर्गसम के आनंद से काँपता रहा. कामया जब शांत हुई तो विमल की शरारत और बढ़ गई. वो कामया के पैर की एक एक उंगली को पहले अपनी मुँह की भाप से सेकता और फिर अपने मुँह में डाल कर लोलीपोप की तरहा चूसने लगता, पर बहुत धीरे धीरे. कामया फिर गरम होने लगी.

उसे समझ नही आ रहा था कि विमल किस तरहा उसके जिस्म के एक एक हिस्से से उसकी कामुकता को भड़का रहा है, उसे वो लज़्जत दे रहा है जो उसने आज तक महसूस नही की थी.

जब बिना चूत को छुए हुए ये हाल है तो तब क्या होगा जब वो उसकी चूत को छुएगा और जब वो ….. इसके आगे कामया सोच ही नही पायी क्यूंकी उसके जिस्म में जो तरंगे बार बार उठ रही थी वो से कुछ सोचने का मोका ही नही दे रही थी.

कामया की पैरों को चूमने के बाद विमल धीरे धीरे उपर बढ़ता है और कामया को लगता है अब आई उसकी चूत की बारी, पर विमल ने कुछ और सोचा हुआ था, कामया को एक झटका सा लगता है जब विमल उसे पलट कर पेट के बल कर देता है और बिल्कुल उसके उपर लेट जाता है. अब विमल का खड़ा लंड कामया की गान्ड को छूने लगा, एक पल के लिए तो कामया को लगा कि पहले वो उसकी गान्ड का सत्यानाश करेगा अपने मोटे मूसल से, पर उसका ये डर बेकार निकला क्यूंकी विमल तो बस उसके जिस्म को सहला रहा था और अपने होंठ उसके कंधों से रगड़ रहा था.
Reply
08-21-2019, 08:05 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
अब विमल अपने होंठों से पहले उसके कंधों को रगड़ता है और फिर उसकी पीठ को, और धीरे धीरे उसके नितंब पे पहुँच जाता है. नितंबों पे पहुँच कर वो अपनी शरारत का अंदाज़ बदल देता है अब वो उसके गोल गोल नितंब पर अपनी ज़ुबान फेरने लगता है.

उसकी हर हरकत से कामया सिसक रही थी और उम्मीद कर रही थी बस – अब वो उसकी चूत पे ध्यान देगा --- लेकिन नही हर बार उसकी उम्मीद टूट जाती--- पर जिस्म में उठने वाली तरंगों ने उसका पीछा नही छोड़ा. विमल के होंठों का और उसकी ज़ुबान का एक एक स्पर्श उसके जिस्म में खलबली मचा रहा था.

आनंद की एक एक लहर, एक एक अन्भुति जो विमल उसके जिस्म और दिलो दिमाग़ में भर रहा था वो कामया को जी भर के पछताने पे मजबूर कर रही थी, क्यूँ रही दूर वो इस आनंद से. और आज भी अगर सुनीता से उसे ईर्ष्या ना होती तो वो इस आनंद से वंचित रह जाती.

विमल कामया के जिस्म के साथ अपनी मन मर्ज़ी तरीके से खेल रहा था और कामया सिर्फ़ एक हांड मास का खिलोना बन के रह गई थी, जिसका मक़सद इस वक़्त सिर्फ़ और सिर्फ़ आनंद की लहरों में गोते लगाना था.

कामया के नितंबों पे अच्छी तरहा अपनी ज़ुबान फेरने के बाद विमल जो हरकत करता है उस से कामया के जिस्म का एक एक रोया खड़ा हो जाता है.

विमल कामया के नितंबों को फैला कर उसके गुलाबी रंग के छेद को पल भर निहारता है फिर उसकी गान्ड की दरार में अपने मुँह धसा कर अपनी ज़ुबान से उसकी गान्ड के छेद को छेड़ने लग जाता है.

वो एक स्पर्श जो विमल की ज़ुबान ने उसकी गान्ड के छेद पे किया था वो एक ज्वारभाटे को जनम दे देता है.
उूुुुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मुमममममममाआआआआआअ
कामया ज़ोर से चिल्ला पड़ती है, इतनी देर से उठ रही सारी तरंगे उसके जिस्म के एक ही हिस्से पे वार करती हैं, बेचारी चूत जो झड झड कर के बहने लग जाती है और कामया फिर से सातवें आसमान की सैर करने लगती है.

उसका जिस्म अकड़ के तीरकमान की तरहा उठ जाता है और विमल की ज़ुबान उसकी गान्ड के छेद पे अपना कमाल दिखाती रहती है. बेचारा बिस्तर का गद्दा कामया की चूत से निकलते रस को चूस चूस कर थक जाता है और उसकी क्षमता भी ख़तम हो जाती है.
बिना उसकी चूत को छुए विमल ने ये चोथी बार उसे झड़ने पे मजबूर कर दिया था.

जिस्मो का तापमान अगर कोई इस वक्त नापता तो थर्मॉमीटर ही शहीद हो जाता. एसी कमरे में भी कामया पसीने से तरबतर होती जा रही थी, और विमल की खुद की हालत बहुत खराब हो रही थी, उसका लंड इतना सख़्त हो चुका था कि उसे इस वक्त हर हालत में कामया की चूत का सकुन चाहिए था. पर फिर भी वो खुद पे सैयम रखता है. कामया का जिस्म जब झड़ने के बाद बिस्तर पे गिरता है तो उसमे जान ही नही बची थी, वो बिल्कुल अधमरी हालत में आ गई थी.

विमल उसे छोड़ कर कमरे मैं रखे मिनिबार की तरफ बढ़ता है और एक बियर निकाल कर गटगट पीने लगता है.

जब तक वो बियर ख़तम करता कामया अपने होश में आ कर उठ बैठती है और विमल के पास जा कर उसकी छाती पे प्यार से मुक्के बरसाने शुरू कर देती है और फिर उसके सीने से चिपक जाती है.



‘विमू………..’

‘ह्म्म्म्म ’

‘काश तूने पहले जनम लिया होता और मेरी शादी तेरे से होती’

‘ये क्या कह रही हो माँ’

‘सच कह रही हूँ…….इतना सुख , इतना आनंद मुझे आज तक नही मिला……..काश सारी जिंदगी मुझे ऐसा ही सुख मिलता रहता अगर तू मेरा पति होता……तो मैं कितनी खुशनसीब होती’

‘ग़लत सोच रही हो………तुम्हारा बेटा हूँ…..इसीलिए तो तुम्हारे सुख की चिंता रहती है…..तुम्हें हर वो सुख देना चाहता हूँ…….जिसपे तुम्हारा हक़ है’

‘पर आज से तू मेरा बेटा नही..मेरा प्रेमी है…..’

‘ये कैसे मुमकिन हो सकता है……..बेटा तो बेटा ही रहेगा ना……प्रेमी बन कर मैं हमारे रिश्ते को लांछित नही कर सकता’

एक पल को कामया सोचती है कि उसे सच्चाई बता दे कि असल में वो उसकी मासी है माँ नही…..दूसरे ही पल घबरा जाती है की कहीं सच उसे दूर ना कर दे.

‘ओह विमू मेरी जान……..आइ लव यू……..आइ लव यू’

और कामया विमल की छाती को चुंबनो से भर देती है.
Reply
08-21-2019, 08:05 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
कामया का रोम रोम विमल का हो चुका था…..आगे हालात क्या बनते हैं कौन जानता है……पर इस वक़्त उसके दिल, उसके दिमाग़ और उसके जिस्म पे सिर्फ़ एक शख्स का इख्तियार था ….वो था विमल.

विमल कामया के चेहरे को अपने हाथों में थामता है दोनो की नज़रें एक दूसरे से टकराती हैं और विमल झुकते हुए अपने होंठ कामया के होंठ पे रख देता है. कामया भी अपने पंजों के बल खड़ी हो जाती है और विमल को अपने होंठों का रस पान करने देती है.

अब तक विमल ने उसे बे-इंतिहा सुख दिया था अब कामया की बारी थी उसे अनोखे सुख से मिलने की.

विमल उसके होंठों का रस चूसने लग जाता है और कामया का हाथ नीचे पहुँच कर विमल के सख़्त लंड को अपनी नाज़ुक हथेली में थाम लेता है.

अपने होंठो का रस पिलाते हुए वो विमल के लंड को प्यार से सहलाने लगती है.
कामया बहुत गरम हो गई थी और अब वो नही चाहती थी कि विमल ऐसे ही उसे फिर से झाड़ा दे. अब उसकी चूत विमल के मोटे लंड को अपने अंदर लेना चाहती थी.

कामया उसे बिस्तर की तरफ ले जाती है और अपनी टाँगे फैला कर लेट जाती है. अपनी गान्ड के नीचे से बहुत गीला गीला लग रहा था जो कि खुद उसकी चूत की करामात थी.

विमल उसकी टाँगों के बीच आ कर बैठ गया और गौर से उसकी चूत को देखने लगा जो अपने होंठ खोल और बंद कर रही थी और विमल एक दम से नीचे झुक कर उसकी चूत को अपने मुँह में भर लेता है.

आआआहह

कामया ज़ोर से सिसकती है और विमल के बालों को खींच कर उसे अपने उपर आने का इशारा करती है. विमल ज़ोर से उसकी चूत को चूस्ता है और फिर क्यूंकी बाल खींचने से दर्द होने लगा तो वो खिंचता चला गया और कामया के उपर लेट गया.

कामया ने उसके लंड को पकड़ के अपनी चूत से सटा दिया, इतना इशारा विमल के लिए काफ़ी था वो भी अब और देर नही करना चाहता था क्यूंकी उसके लंड में भी दर्द होना शुरू हो गया था.

कामया ने उसके लंड को पकड़ के रखा था अपनी चूत पे और खुद ही अपनी गान्ड उछाल कर उसके लन्ड़ को अंदर लेने की कोशिश करने लगी. लेकिन विमल का लंड काफ़ी मोटा था इसलिए कामया खुद उसे अंदर नही ले पायी.

विमल तब थोड़ा उपर था और उसने एक ज़ोर का धक्का दे मारा जिसके साथ उसके लंड का सुपाडा कामया की चूत में घुस गया और कामया के होंठों से चीख निकल पड़ी.
म्म्म्मकमममाआआआररर्र्र्र्र्रररगगगगगगगगगगाआआऐययईईईईईई र्र्र्र्रररीईईईईई

विमल का लंड कामया की चूत में फस सा गया था, उसे यूँ महसूस हुआ जैसे किसी कुँवारी की चूत में लंड डाल दिया हो और कामया उसकी तो जान ही निकल गई…..
कामया दर्द से बिलखने लगी और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे.

विमल उसके आँसू चाटने लगा और उसके निपल के साथ खेलने लगा. जब कामया थोड़ी शांत हुई तो विमल ने फिर एक धक्का लगा दिया और उसका लंड फँसता हुआ थोड़ा और अंदर घुस गया.

कामया को यकीन नही हो रहा था कि इतने साल चुदने के बाद भी उसे इतना दर्द होगा, विमल का लंड अंदर लेने में.

इतना दर्द तो से तब भी नही हुआ था जब रमेश ने उसकी सील तोड़ी थी. उसे यूँ लग रहा था जैसे पहली बार चुद रही हो, विमल का मोटा लंड उसे किसी सलाख की तरहा अपनी चूत में फसा हुआ लग रहा था.

दर्द के मारे उसकी आँखों से आँसू बहते जा रहे थे और अभी उसका दर्द कम भी नही हुआ था कि विमल ने एक भयंकर झटका मार कर उसकी जान ही निकाल दी और वो दर्द की शिद्दत से बेहोश हो गई, पर इतना ज़रूर हुआ कि विमल का आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और उसकी चूत फट सी गई और थोड़ा थोड़ा खून निकलने लगा.

विमल रुक गया और कामया के होंठ चूसने लगा, उसके निपल को उमेठने लगा.
Reply
08-21-2019, 08:05 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
थोड़ी देर बाद जब कामया होश में आई तो विमल उसके होंठों को चूसने में लगा था. कामया का दर्द भी थोड़ा कम हो चुका था और वो अपने होंठ विमल से चुसवाने लगी.

कामया को इतना यकीन हो गया था कि आज के बाद से रमेश के लंड का पता ही नही चलेगा और अपने जिस्म की प्यास को बुझाने के लिए उसे बार बार विमल के पास ही जाना पड़ेगा.

वो जानती थी कि अभी उसे और दर्द झेलना पड़ेगा, फिर कहीं जा कर आनंद का द्वार उसके लिए खुलेगा.

विमल अभी अपने लंड को धीरे धीरे उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा और कामया दर्द से सिसकती रही.

ओह म्म्म्मा आआआ हहाआआआईयईईईईईई
कितना मॉटा है तेरा…….जान ही निकाल दी मेरी

चूत की दीवारों पे विमल के लंड के घर्षण की वजह से जहाँ उसे दर्द हो रहा था वहीं थोड़ा मज़ा भी आने लगा और उसकी चूत गीली होनी शुरू हो गई.

कामया भी अपनी कमर हिला कर विमल का साथ देने लगी, विमल ने अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ाई और कामया के होंठों को अपने होंठों में जकड़ते हुए एक करारा शॉट लगा दिया.

कामया की आँखें दर्द की वजह से फट सी गई और ऐसा लगा कि अभी बाहर निकल पड़ेंगी और उसकी भयंकर चीख विमल के होंठों में दबी रह गई.

कामया को यूँ लगा जैसे विमल का लंड उसकी कोख के अंदर घुस गया हो और उसे अपनी गान्ड की हड्डी भी थोड़ा अलग होती हुई महसूस हुई.

विमल अब रुक गया और प्यार से कामया के चेहरे को सहलाने लगा, उसके चेहरे पे छोटे छोटे चुंबन बरसाने लगा.

कामया की आँखों से आँसुओं की नदी बह निकली जिसे विमल चाट ता रहा
कामया के दोनो पंजे विमल की पीठ में कसे हुए थे, उसके नाखूनों ने विमल की पीठ को छलनी कर दिया था, और विमल भी उस दर्द को महसूस कर रहा था, आज ऐसा दूसरी बार हुआ था उसके साथ, पहले सुनीता और फिर अब कामया
पर जो सकुन उसे मिला था उसके आगे ये दर्द कुछ भी नही था.

वो कामया के निपल को चूसने लगता है ताकि उसका ध्यान दर्द से बटे, और धीरे धीरे कामया भी सामान्य होने लगी अब उसके दोनो हाथ विमल की पीठ को सहला रहे थे.

कामया की चूत ने फिर से रिसना शुरू कर दिया और वो अपनी कमर हिलाने लगी ताकि विमल उसकी चुदाई शुरू कर सके.

उसके निपल को चूस्ते हुए विमल भी अपनी कमर हिलाने लगा पर वो थोड़ा लन्ड़ बाहर निकालता और फिर अंदर डाल देता, कामया की चूत भी उसके लंड के हिसाब से खुद को सेट करने लगी और और जब विमल अपना लंड थोड़ा हिलाता तो कामया मीठे मीठे दर्द को सहती हुई सिसकती रहती और थोड़ी देर बाद कामया की कमर की गति बढ़ी तो विमल ने अपना भार अपनी कोहनियों पे ले लिया और अब वो अपने आधे लंड को बाहर निकालता फिर अंदर घुसा देता, कामया भी उसी लय के साथ अपनी गान्ड उछाल कर उसका साथ देने लगी.

दोनो एक दूसरे की आँखों में बढ़ती हुई चमक को निहार रहे थे, दो जिस्म एक हो रहे थे और दोनो के अंदर ही एक ऐसे आनंद ने जनम ले लिया था जिसका शब्दों में वर्णन करना असंभव है.

एक दूसरे को देखते हुए वो अपनी कमर हिला कर अपने प्यार का इज़हार कर रहे थे, दोनो के जिस्म की प्यास, लंड और चूत का संगम, उनको दो जिस्म एक जान कर रहा था.

दोनो की कमर हिलने की गति एक साथ ही बढ़ती है, जैसे आँखों ही आँखों में एक दूसरे को संकेत दे रहे हों.

जिस्मो के टकराने से थप थप का संगीत कमरे में गूंजने लगा. और कामया की चूत अपनी खुशी दिखाते हुए इतना रस छोड़ रही थी कि उसका भी एक राग निकलने लगा फॅक फॅक फॅक फॅक.

पूरे कमरे में दो सरगम जैसे एक साथ बज रही थी और उनके कानो को सकुन पहुँचा रही थी.

दोनो में से किसी को कोई जल्दी नही थी, बस एक दूसरे में समाने की कोशिश में लगे हुए थे, कभी धीमे हो जाते तो कभी तेज.

जो आनंद कामया को मिल रहा था, वो इस आनंद को सारी जिंदगी महसूस करना चाहती थी, इतना आनंद तो उसे अपनी सुहाग रात में भी नही मिला था. विमल का लंड उसकी चूत की उस गहराई तक जा रहा था जहाँ तक कोई भी नही पहुँचा था.

विमल को जो मज़ा कामया को चोदने में आ रहा था वो सोनी के साथ तो नही पर सुनीता के साथ ज़रूर महसूस हुआ था.

कामया की चूत कभी उसके लंड को जकड़ती और कभी छोड़ती, इस वजह से दोनो को और भी ज़्यादा मज़ा मिल रहा था. कामया कम से कम 4 बार झाड़ चुकी थी और उसे विमल के संयम पे ताज्जुब भी हो रहा था और खुशी भी.
Reply
08-21-2019, 08:06 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
दोनो धीरे धीरे उस चर्म पे पहुँचने लगे जहाँ आत्माएँ एक दूसरे से मिलने को तत्पर हो जाती हैं और यका यक विमल अपनी गति बहुत तेज कर देता है कामया भी उसी तरहा उसका साथ देती है. दोनो के जिस्म पसीने से लथपथ थे और विमल का लंड बढ़ी तेज़ी से ड्रिल मशीन की तरहा कामया की चूत में सतसट अंदर बाहर हो रहा था.

दोनो का जिस्म एक साथ अकड़ने लगा और कमरे में एक भुंचाल आ गया, बिस्तर के चरमराने की आवाज़ बढ़ गई और दोनो सख्ती से एक दूसरे के साथ चिपक गये. विमल के लन्ड़ ने अपनी पिचकारियाँ छोड़नी शुरू कर दी और कामया की चूत तो जैसे सागर मंथन के बाद उफ्फनती हुई लहरों की तरहा अपने सारे बाँध एक साथ छोड़ बैठी.

विमल के वीर्य का अहसास उसे अपनी कोख में घुसता हुआ महसूस हो रहा था और दोनो एक साथ शीतल हो कर अपनी साँसे संभालने लगते हैं.

उधर खिड़की से आती हुई सूरज की पहली किरण जैसे दोनो का स्वागत कर रही थी. सारी रात की रति क्रीड़ा के बाद दोनो एक दूसरे की बगल में गिर कर निढाल हो जाते हैं, पर दोनो के चेहरे पे एक अद्भुत सकुन था और दोनो की आँखें बंद हो जाती हैं.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

उधर.............................................
सोनी बिस्तर पे लेटी रमेश का इंतेज़ार कर रही थी. काफ़ी देर जब हो गई, तो एक पल के लिए से लगा कि कहीं वो सुनीता के कमरे में तो नही घुस गया.

फिर दिमाग़ से ये ख़याल निकल फेंका, क्यूंकी सुनीता तो उसे हाथ भी नही लगाने दे रही है और सुबह से जिस तरहा वो सोनी के लिए पागल हुआ जा रहा है, वो कहीं और नही जा सकता. बात कुछ और ही है.

कुछ पल सोचती रही फिर वॉर्डरोब खोल के कामया का स्विम्मिंग कॉस्ट्यूम निकाल कर पहन लिया और उसके उपर गाउन डाल लिया. फिर अपने स्लीपर्स पहन कर वो नीचे बार में चली गई.

उसका दिल धड़क रहा था कि ऐसे हालत में देख कहीं कोई और ही उसपे टूट ना पड़े.
रमेश बार में बैठा एक के बाद एक पेग चढ़ाए जा रहा था.

उसके दिल और दिमाग़ में जंग चल रही थी. दिमाग़ कह रहा था वो तेरी बेटी है. शरम कर. दिल कह रहा था जवान लड़की है उसे भी लंड चाहिए, जा के ठोक दे.

वो फ़ैसला नही कर पा रहा था. उसकी दूसरी बेटी पहले से ही बहुत नाराज़ थी उससे , अब वो सोनी को नाराज़ नही करना चाहता था अपनी किसी हरकत से.

पर आज दो बार जो किस हुआ था, उसमे सोनी ने उसका पूरा साथ दिया था. सोनी के बारे में सोच सोच कर उसका लंड बैठने को तयार ही नही था. रात के 11 बजनेवाले थे और बार भी बंद होने जा रहा था. तभी उसकी आँखें फटी रह जाती हैं जब सोनी को वो बाथ रोब में बार काउंटर पे आते हुए देखता है, सोनी बार काउंटर से दो ग्लास और एक वाइन की बॉटल लेती है और बारमेन को बिल के लिए रमेश की तरफ इशारा करती है. कुछ पल खड़ी हो कर रमेश को देखती है और एक मुस्कुराहट के साथ बार से बाहर निकल कर स्विम्मिंग पूल की तरफ बढ़ जाती है.

सोनी पूल पे पहुच कर अपना गाउन उतारती है और शवर ले कर वही पूल में अपनी टाँगे लटका कर बैठ जाती है, फिर दोनो ग्लास में वाइन डालती है और दोनो से ही एक एक सीप लेकर अपने लिपस्टिक के निशान छोड़ देती है. उसे मालूम था रमेश पीछे ज़रूर आएगा.

रमेश भी जब उसे पूल की तरफ जाते देखता है तो पीछे पीछे चला आता है. जब उसकी नज़र सोनी पे पड़ती है तो स्विम्मिंग सूट में उसे देख कर उसकी आँखें बस वहीं उसपे जम के रह जाती हैं.

सोनी गर्दन घुमा कर उसे देखती है तो दोनो ग्लास थम कर फिर एक सीप दोनो से लेती है और अपना चेहरा पूल की तरफ कर लेती है. सोनी की नज़रों में जो प्यास थी उसे देख कर रमेश सर से पाव तक हिल के रह जाता है और सोनी की तरफ लपकता है. जैसे ही वो सोनी के कंधे पे हाथ रखनेवाला होता है, सोनी एक दम जैसे फिसलती हुई पूल में छलाँग लगा देती है और तैरती हुई दूसरे किनारे तक पहुँच जाती है.

‘ अरे ये कोई टाइम है पूल में कूदने का’

‘मस्ती का कोई टाइम नही होता, मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है – आ जाओ ना’

रमेश फटाफट अपने कपड़े उतारता है और अंडरवेर में ही पूल में छलाँग लगा कर सोनी की तरफ तैरता हुआ बढ़ता है , जैसे ही वो सोनी के करीब पहुँचता है, सोनी गोता लगा जाती है. रमेश को लगता है कि वो वाइन ग्लास की तरफ जा रही है वो फिर वापस तैरने लगता है , लेकिन सोनी गोता लगा कर उसके पीछे आ गई थी. इस से पहले की रमेश तैरना शुरू करता सोनी उसे पीछे से पकड़ लेती है और उसकी पीठ पे अपने उरोज़ रगड़ कर एक दम अलग हो कर तैरने लग जाती है. रमेश उसके पीछे लपकता है और जैसे ही उसे पकड़ने पे आता वो फिर गोता लगाती है और पूल में नीचे बैठ जाती है.
Reply
08-21-2019, 08:06 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
रमेश चारों तरफ नज़र दौड़ाता है, उसे सोनी नज़र नही आती, फिर थोड़ी देर में वो उस किनारे पे दिखती है जहाँ वाइन की बॉटल और ग्लास पड़े थे. सोनी अपना ग्लास खाली कर के जैसे ही मुड़ती है रमेश पीछे से उसके साथ सट जाता है.और सोनी को जैसे ही उसका तना हुआ लंड अपनी गान्ड पे महसूस होता है वो सिहर जाती है.

‘ऊऊुुऊउक्कककककचह ये चीटिंग है – ऐसे नही तैरते हुए पकडो तब जानू’

रमेश उसे नही छोड़ता और उसकी गर्दन पे अपने होंठ टिका कर उसे चूमने और चाटने लगता , दोनो हाथ आगे बढ़ कर उसके दोनो उरोज़ थाम लेते है.

‘आआआअहह नही यहाँ नही – प्लीज़ कोई देख लेगा’
उउउफफफफफ्फ़ छोड़ो ना ---- हाई राम खुले में--- कितने बेशर्म हो’

रमेश कुछ नही सुनता और उसे अपनी तरफ घुमा कर उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है.
सोनी कसमसा के रह जाती है.

उूुुउउम्म्म्ममममम

सोनी कुछ बोलना चाह रही थी पर बोल नही पाती, जैसे ही बोलने के लिए मुँह खोलती है रमेश की ज़ुबान उसके मुँह में घुस जाती है.

सोनी पत्थर की तरहा खड़ी रह जाती है, वो खूब मस्ती करना चाहती थी, पर रमेश तो जैसे सिर्फ़ उसके जिस्म के लिए भूका था.

सोनी की तरफ से कोई साथ ना पा कर रमेश चोंक जाता है और जैसे ही वो उसकी आँखों में देखता है उसे उन आँखों में आँसू भरे नज़र आते हैं वो एक दम उस से अलग हो जाता है और सर झुका कर सॉरी कहता है.

सोनी कुछ पल तो बस उसे देखती रहती है और फिर पलट कर पूल से बाहर निकलने लगती है. रमेश उसे पकड़ लेता है और फिर सॉरी बोलता है और साथ में अपने कान भी पकड़ लेता है और पूल में ही उठक बैठक करने लगता है.
सोनी के होंठों पे हसी आ जाती है

‘बस बस ये नौटंकी छोड़ो- चलो वाइन पीते हैं’

उसके चेहरे पे हसी देख रमेश की जान में जान आती है और मायूस सा बस पूल के किनारे टेक लगा कर खड़ा हो जाता है.सोनी एक ग्लास में वाइन डालती है और रमेश की तरफ देखती है तो उसके मायूस चेहरे को देख खिलखिला कर हँस पड़ती है.

‘त्च त्च त्च --- छोटा बच्चा नाराज़ हो गया’

रमेश घूर के उसे देखता है.


सोनी वाइन का एक घूँट लेती है और रमेश से चिपक कर अपने होंठ सामने कर देती है रमेश लपक कर उसके होंठ के साथ अपने होंठ सटाता है तो सोनी उसके मुँह में वाइन उडेल देती है.

रमेश को इस खेल में मज़ा आता है और उसके चेहरे पे खुशी आ जाती है. तभी सोनी उस से अलग होती है और रमेश सोचता है कि फिर वैसे ही करेगी, पर सोनी कुछ और ही हरकत करती है, वो सीधा पानी में गोता लगा कर रमेश का अंडरवेर नीचे खींच देती है. एक पल तो रमेश पत्थर की तरहा खड़ा ही रह जाता है, जब उसे सोनी की हरकत समझ में आती है तो पागलों की तरहा उसके पीछे लपकता है और सोनी मछली की तरहा तैरती हुई दूसरे कोने में चली जाती है और खिलखिला कर हँस पड़ती है.

अब दोनो में खेल शुरू हो जाता है, रमेश उसे पकड़ने की कोशिश करता है और सोनी उस से बचने की.

इसी खेल खेल में रमेश सोनी को पकड़ने ही वाला होता है कि वो फिसलने की कोशिश करती है और रमेश के हाथ उसकी ब्रा की डोरी से उलझ जाते हैं और डोरी टूट जाती है. सोनी की ब्रा पानी में तैरने लगती है और उसके वक्ष नंगे हो जाते हैं.

नारी लज्जा सामने आ जाती है और सोनी पूल के किनारे मुँह घुमा के खड़ी हो जाती है अपने वक्षों को छुपाने के लिए. रमेश उसके पीछे एक दम उसके साथ सट जाता है और उसके कंधो और पीठ को चुंबनो से भर देता है.

उसके हर चुंबन के साथ सोनी अहह कर उठती है.

अचानक रमेश का दिमाग़ काम करता है और वो पूल से बाहर निकल कर उस तरफ भागता है जहाँ सोनी का बाथरोब पड़ा था , वो भूल गया था कि वो खुद पूरा नंगा है, उसकी इस हरकत से सोनी चोंक जाती है और उसकी आँखों के सामने उसका खड़ा लंड आ जाता है जो विमल से छोटा था पर इतना भी नही और उसकी मोटाई भी थोड़ी कम थी.

लेकिन जब वो सोनी का बाथगाउन उठा कर लाता है और पानी में कूद कर उसे सोनी के चारों तरफ लपेट ता है. सोनी के दिल में उसके लिए प्यार बढ़ जाता है, जिस्म की प्यास से हुई शुरुआत कुछ और रूप लेने लगती है.
Reply
08-21-2019, 08:06 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
रमेश सोनी को गाउन पानी के अंदर ही पहनाता है और बाहर निकाल के उसे खींच कर बाहर निकालता है. सोनी शर्म के मारे खड़ी रह जाती है, रमेश फिर भूल गया था कि वो नंगा है.
आख़िर सोनी को फुसफुसाना ही पड़ता है.

‘बहुत बेशर्म हो, कपड़े पहन लो कोई देख लेगा’ और शर्म से अपनी आँखें बंद कर लेती है.

तब रमेश को अपनी हालत का अंदाज़ा होता है, अंडरवेर तो पूल में ही कहीं था, वो भाग कर अपने बाकी सारे कपड़े पहनता है और वाइन की बॉटल उठा कर अपने मुँह से लगा लेता है और खाली कर के ही बॉटल मुँह से अलग करता है.

फिर वो सोनी की तरफ आता है उसके कंधे पे हाथ रख उसे अपने साथ अपने रूम में ले जाता है.

कमरे के अंदर पहुँच कर सोनी को समझ नही आता कि क्या करे बस खड़ी रह जाती है, रमेश क्लोसेट से वाइन की बॉटल निकालता है और दो पेग तयार करता है और एक सोनी को देता है.

‘ले लो और बाथरूम में जा कर खुद को ड्राइ करो आंड वेअर एनितिंग ऑफ युवर माँ’

सोनी वाइन का ग्लास गटक लेती है और नीचे फेंकी हुई अपनी लिंगेरी उठा के बाथरूम में घुस जाती है.

उसके जाते ही रमेश अपनी कपड़े उतारता है उन्ही कपड़ों से अपने जिस्म को पोंछता है और वॉर्डरोब से एक बॉक्सर निकाल के पहन लेता है.

उसकी नज़रें अब सोनी का इंतेजार कर रही थी, अपने दिमाग़ को और भटकने से रोकने के लिए वो वाइन की बॉटल उठा कर घूँट पर घूँट लगाने लगता है.

अंदर बाथरूम में सोनी की साँसे उपर से नीचे हो रही थी, उसने अब तक जो किया था वो उस सब को सोच रही थी, क्या वो सही रास्ते पे जा रही है. जहाँ तक विमल का सवाल था वो उससे बहुत प्यार करती थी लेकिन क्या वो ये हद भी पार कर सकती है कि अपने पिता के साथ ही हमबिस्तर हो जाए.

जिस्म की प्यास और मर्यादा के बीच जब जंग छिड़ती है वो इंसान को हिला के रख देती है….. और यही जंग इस वक़्त सोनी के दिलोदिमाग में छाई हुई थी.

सोनी को बाथरूम में घुसे हुए करीब एक घंटा होनेवाला था, रमेश जैसे अनुभवी इंसान को उसकी मनोदशा समझने में देर ना लगी.

‘सोनी, बेटी, बाहर आओ, ऐसा कुछ नही होगा जिसकी इज़ाज़त तुम्हारा दिल नही देता’

बाथरूम में पशोपश में फसि सोनी जब रमेश की ये बात सुनती है, उसकी आँखों से आँसू आ जाते हैं- रमेश के लिए उसके दिल में इज़्ज़त और भी बढ़ जाती है – पर क्या वो ये दीवार लाँघ पाएगी --- ये ख़याल से फिर से हिला के रख देता है.

कहते हैं कि जिस्म की प्यास कुछ भी करवा सकती है – लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं – जहाँ दीवारें बहुत मजबूत होती हैं ------ उनमे दरारें तो पड़ जाती हैं --- फिर भी उनका ढहना इतना आसान नही होता…..
सोनी धीरे से बाथरूम का दरवाजा खोल कर बाहर निकलती है.

उसने जो लिंगेरी पहनी थी वो उसकी गान्ड तक आ रही थी, और एक दम पारदर्शी, अंदर उसने ब्रा नही पहनी थी इस लिए रमेश को उसके उन्नत उरोज़ सॉफ सॉफ दिखने लगे, रमेश की आँखें वहीं जम के रह गई और उसके बॉक्सर में उसका लंड तुफ्फान मचाने लगा.

सोनी की गोरी मसल जांघे उपर से और कयामत ढा रही थी. रमेश का गला सूखने लगा. वो बस खड़ा ही रह गया और सोनी के हुस्न को नज़रों से पीने लगा.
सोनी ने एक नज़र रमेश पे डाली और फिर शर्मा कर नज़रें झुका ली. धीरे धीरे चलती हुई वो बिस्तर पे लेट गई और अपनी आँखें बंद कर ली.

उसका दिमाग़ और उसका दिल दोनो ही से सोने नही दे रहे थे. विमल से चुदने के बाद उसकी चूत ने बराबर लंड माँगना शुरू कर दिया था. पूल पे जो रमेश के खड़े लंड का दीदार उसने किया था वो उसकी आँखों के सामने तैर रहा था और उसकी चूत ने कुलबुलाना शुरू कर दिया था. दिल और दिमाग़ में चलती हुई जंग में दिल जीत रहा था और जिस्म की प्यास बढ़ती जा रही थी. पर नारी लज्जा के सामने वो बस चुप ही रह सकती थी, खुद अपने मुँह से ये तो नही कह सकती थी कि आओ और मुझे चोद डालो, मेरी चूत में बहुत खुजली मची हुई है.

उसकी साँसे तेज हो जाती हैं और उसके उरोज़ उपर नीचे होते हुए हर पल रमेश को तडपा रहे थे.

रमेश का बस चलता तो वो सोनी पे टूट पड़ता, पर वो ऐसा कुछ नही करना चाहता था कि सोनी उससे नाराज़ हो जाए. इतना तो वो समझ चुका था कि उसकी तरहा सोनी भी इस वक़्त जिस्म की प्यास से तड़प रही है, पर उसके दिमाग़ में एक डर था कि कहीं सोनी उसके साथ आगे बढ़ना चाहती है या नही. अब जब तक उसे ये पूरा यकीन ना हो जाए कि सोनी वाकई में उसके साथ आगे बढ़ना चाहती है, वो अपनी तरफ से अब कोई और कदम नही उठाना चाहता था.
Reply
08-21-2019, 08:06 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
खुद पे काबू पाते हुए वो सोनी पे एक चद्दर डाल देता है और अपने अंदर फैली हुई आग को बुझाने के लिए फ्रिड्ज से बियर का कॅन निकाल कर बाहर बाल्कनी में चला जाता है और छोटे छोटे घूँट भर के चमकती हुई झील को देखने लगता है.

बियर का कॅन ख़तम होता है , वो धीरे से कमरे में आता है और इस बार दो कॅन निकाल कर बाहर चला जाता है. नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी और जिस्म की प्यास भुजने की जगह बढ़ती ही जा रही थी.

अंदर सोनी को भी नींद नही आ रही थी, चूत में आग लगी ही थी, पर हिम्मत नही पड़ रही थी. जब उसने देखा कि रमेश अंदर आ कर फिर बाहर चला गया है तो उसे दुख हुआ.

वो तो पहले ही फ़ैसला कर चुकी थी, कि घर के सब लोगो को उस रास्ते पे ले जाएगी, जहाँ खुला महॉल होगा, जिसका जिसके साथ दिल करेगा, उसे चोद लेगा. फिर आज उसके कदम क्यूँ लड़खड़ा रहे थे उसे समझ में नही आ रहा था.

सिर्फ़ उसकी वजह से रमेश बाहर बाल्कनी में खड़ा रात बिता रहा था और बियर पे बियर पी रहा था, पहले ही वो बहुत ज़्यादा पी चुका था. कहीं उसकी तबीयत खराब ना हो जाए, ये सोच कर सोनी बिस्तर से उठ जाती है और उसके कदम बाल्कनी की तरफ बढ़ जाते हैं.

रमेश झील की तरफ देखता हुआ बियर की चुस्कियाँ ले रहा था.
सोनी पीछे से उसके साथ चिपक जाती है . रमेश चोंक उठता है.

सोनी : इतना क्यूँ पी रहे हो?. अंदर चलो

रमेश कोई जवाब नही देता.

सोनी : मुझ से नाराज़ हो गये क्या?

फिर कोई जवाब नही.

सोनी रमेश की पीठ पे किस करने लगती है और उसके बढ़ने को सहलाने लगती है.
सोनी का हाथ रेंगता हुआ उसके लंड के करीब पहुँच जाता है.

दोनो के दिल की धड़कन बढ़ जाती है, साँसे तेज हो जाती है.
आख़िर सोनी के मुँह से निकल ही जाता है

‘लव मी’

बस इतना काफ़ी था रमेश के लिए, वो पलट कर सोनी के चेहरे को अपने हाथों में थाम लेता है, उसकी आँखों में देखता है तो सोनी शर्मा कर आँखें बंद कर लेती है और उसके होंठ खुल जाते हैं जैसे रमेश के होंठों को निमंत्रण दे रही हो, आओ और चूस लो मुझे.

और रमेश के होंठ सोनी के होंठों पे झुकते चले जाते हैं.

जैसे ही दोनो के होंठ एक दूसरे को छूते हैं, दोनो के बदन में सरसराहट फैल जाती है और सोनी कस के रमेश के साथ चिपक जाती है.

चाँदनी रात में बाल्कनी में खड़े दोनो, भूल जाते हैं कि दोनो में क्या रिश्ता है, बस एक मर्द एक औरत के होंठों का रस चूस रहा था, बिकुल उसी तरहा जैसे भँवरा फूल का रस चूस्ता है.

रात धीरे धीरे आगे सरक्ति जा रही थी, लेकिन ये दोनो तो किसी और दुनिया में पहुँच चुके थे. होंठों से होंठ अलग होते, कुछ देर के लिए क्यूंकी साँस लेना ज़रूरी था और फिर एक दूसरे से चिपक जाते .

दोनो के हाथ एक दूसरे की जिस्म को सहला रहे थे, और अपनी तरफ खींच रहे थे, काश कोई ऐसा तरीका होता कि दोनो दो जिस्म नही एक जिस्म बन जाते. रमेश के प्यार करने के तरीके में हमेशा एक पागलपन होता है, पर सोनी के साथ वो खुद पिघलता जा रहा था.

शायद एक बाप जब बेटी के जिस्म के करीब आता है तो खुद को भूल जाता है. रमेश बस धीरे धीरे सोनी के होंठों को ऐसे चूस रहा था जैसे गुलाब की दो पंखुड़ीयाँ हों जो ज़रा सा ज़ोर देने में टूट जाएँगी- बिखर जाएँगी .

जो अहसास इस वक़्त दोनो महसूस कर रहे थे वो शब्दों में ब्यान करना असंभव है. ये अहसास तो सिर्फ़ उन्दोनो का दिल ही जानता है और महसूस कर सकता है.

रमेश को अगर पता होता कि सोनी पहले चुद चुकी है तो उसके अंदर का जानवर बाहर आ जाता और वो बेदर्दी से सोनी को चोद्ता. उसके लिए तो सोनी अभी एक कली थी, जिसे फूल बनना था, इसलिए वो सोनी को बिल्कुल एक कली की तरहा ले रहा था और उसके जिस्म के हर तार में संगीत भरने की सोच रहा था, ऐसा संगीत की सोनी सिर्फ़ उसकी हो कर रह जाए. उसे क्या मालूम था कि सोनी क्या खेल खेल रही है.

रमेश कभी सोनी के होंठ चूस्ता कभी उसके गालों को चूमता और चाट ता. सोनी के जिस्म में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और वो अपनी चूत रमेश के लंड पे दबाने लगी.

रमेश एक हाथ पीछे ले जा कर उसकी गान्ड मसल्ते हुए उसे अपने लंड पे दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी गर्दन को थाम कर उसके चेहरे को अपने सामने स्थिर रखते हुए उसके होंठों का रस चूसने लगा.

सोनी की सिसकियाँ रमेश के मुँह में ही दम तोड़ रही थी.
अचानक रमेश का मोबाइल बजने लगा, पहले तो रमेश ने कोई ध्यान नही दिया पर जब बार बार मोबाइल की घंटी बजने लगी तो वो कमरे के अंदर जा कर टेबल पे पड़े मोबाइल को देखने लगा कि कहाँ से फोन आ रहा है. पर वो नंबर को पहचान नही पाया और जैसे ही उसने कॉल रिसीव करी उसके रोंगटे खड़े हो गये और उसने बस इतना कहा कि वो अभी निकल रहा है, और फटाफट अपने कपड़े पहनने लगा.
Reply
08-21-2019, 08:06 PM,
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
रमेश को यूँ तयार होता देख सोनी पूछ बैठी – किसका फोन था और आप….

‘सोनी बेटा एक एमर्जेन्सी है, मैं देल्ही जा रहा हूँ--- तुम लोगो यहाँ घुमो… मैं वहाँ पहुँच कर फोन करता हूँ. घबराने की कोई ज़रूरत नही – मैं 3 दिन बाद आ जाउन्गा तुम्हें लेने के लिए.’

और रमेश निकल पड़ा. सोनी कुछ पल खड़ी रही फिर दरवाजा अंदर से बंद कर बाथरूम में घुस गई. उसके जिस्म में जो आग लगी हुई थी, उसे शांत करने के लिए वो शवर के नीचे खड़ी हो गई.

शवर के नीचे खड़ी सोनी खुद अपने मम्मो को मसल्ने लगी और आँखें बंद कर उन दो लंड को देखने लगी, एक जो उसकी चूत में घुस चुका था यानी विमल का और एक जो आज घुसने वाला था यानी रमेश का.

कभी उसे विमल का ख़याल आता तो कभी रमेश का. दिल कर रहा था कि अभी विमल के कमरे में घुस जाए और उसका लंड अपनी चूत में डाल ले .

थोड़ी देर अपने दोनो मम्मो को मसल्ति है और फिर एक हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत को मसल्ने लगी.
उपर से ठंडा पानी गिर रहा था पर जिस्म की प्यास भुजने की जगह बढ़ती जा रही थी.
फट से लिंगेरी उतार फेंकती है और अपने साथ खेलने लगती है.

‘अहह क्यूँ मुझे जलता छोड़ गये------अब कैसे इस प्यास को भुजाऊ’ मन ही मन रमेश को गाली देती है.
और अपनी चूत मसल्ते हुए अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत में घुसा कर अपनी चूत का मर्दन करने लगती है.
किसी भी तरहा से उसे राहत नही मिल रही थी. इधर उधर बाथरूम में देखती है लेकिन कुछ भी ऐसा नही दिखता जिसे वो अपनी चूत में डाल कर अपनी तड़प को मिटा सके.

खड़े खड़े उसकी टाँगे दुखने लगी तो वहीं फर्श पे लेट गई. पानी की गिरती बूंदे उसे राहत पहुँचने में नाकाम हो रही थी, और वो जल बिन मछली की तरह फर्श पे तड़प रही थी और सटासट अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में चला रही थी.

फिर ना जाने उसे क्या सूझा उसने शवर बंद कर दिया और नालका खोल लिया. नलके से तेज पानी की मोटी धार गिरने लगी. अपनी टाँगे उठा कर वो नलके पे इस तरहा लटकी कि पानी की मोटी धार सीधा उसकी चूत पे गिरने लगी.

पानी की मोटी धार उसकी चूत पे जब गिरने लगी तो उसे ऐसा महसूस होने लगा जैसे कोई अपना लंड बार बार उसकी चूत के मुँह पे मार रहा हो.

अपने एक हाथ से अपनी चूत का मुँह खोलती है और पानी की धार सीधा उसकी खुली चूत में गिरने लगी.

कभी वो अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में घुसाती तो कभी पानी की मोटी धार को गिरने देती.

उसके सारे प्रयास विफल हो रहे थे जिस्म की प्यास भुजने का नाम ही नही ले रही थी.

फिर कुछ सोच कर वो अपने जिस्म को तौलिए से सुखाती है और कामया की दूसरी नाइटी पहन कर उस कमरे में चली जाती है जहाँ सुनीता बेसूध हो कर सो रही थी. सोनी जा के बिस्तर में सुनीता के साथ चिपक जाती है और उसके हाथ सुनीता के जिस्म पे रेंगने लगते हैं.

सुनीता नींद में भी विमल के सपने ले रही थी, उसे यूँ महसूस होता है, कि विमल फिर से उसके जिस्म के साथ है और नींद में ही उसकी सिसकियाँ छूटने लगी.

सोनी के हाथ सुनीता के वक्षों को ज़ोर से सहलाने लगे और सुनीता की नींद टूट गई.

‘ ये क्या कर रही है तू?’

‘आपको प्यार कर रही हूँ मासी, मैं जल रही हूँ, मुझे ठंडा कर दो, नही तो मर जाउन्गि’

इस से पहले सुनीता कुछ बोलती, सोनी के होंठ सुनीता से चिपक जाते हैं और उसके हाथ सुनीता के वक्षों को ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगते हैं.

आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मत कर……………..

सुनीता सिसक कर बोलती है.

सोनी कुछ नही सुनती और सुनीता के हाथ अपने मम्मो पे रख कर उसके होंठ चूसने लगी.
सुनीता भी गरम होने लगी और उसने ज़ोर ज़ोर से सोनी के मम्मे मसल्ने शुरू कर दिए.

सुनीता को अजीब लग रहा था एक लड़की के साथ यूँ खेलना, पर वो बहती चली गई और सोनी का साथ देते हुए उसके होंठ चूसने लगी.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,483,944 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,502 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,224,975 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 926,485 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,644,195 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,072,330 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,936,945 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,010,708 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,014,467 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 283,221 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)