हिन्दी में मस्त कहानियाँ
07-03-2017, 01:17 PM, (This post was last modified: 07-03-2017, 01:24 PM by sexstories.)
#1
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हाई दोस्तों,
मेरे विद्यालय की छुट्टियाँ में मैंने अपने गॉंव जाने का प्लान बनाया | मेरा गॉंव पूरी तरह से हरियाली और खेत – खालिआलों से भरा है | मुझे गॉंव आकर घूमने का मौका साल में एक बार ही मिलता हैं इसलिए मैं घूमने – फिरने और एश करने में कोई कसर नहीं छोड़ता |
गॉंव मैं मेरी दादी के साथ मेरे चाचा – चाची और उनकी बेटी अंजू रहती है | इस बार मैं पुरे १ साल बाद गॉंव गया था इसीलिए मुझे वहाँ काफ़ी अच्छा लग रहा था और बहुत उत्सह भी था सबसे मिलने का क्यूंकि मुझे सब दिल से चाहते हैं | गॉंव आते ही सबसे पहले चाची और अंजू आए मुझे घर ले जाने के लिए आए | उस वक्त मेरी निगाहें बस अंजू पर ही टिकी हुई थी, वो काफ़ी बड़ी हो चुकी थी और सुन्दर भी लग रही थी | मैं अपने आप को रोकना चाहता था पर उसके स्तन के उभार ने तो जैसे मेरी नज़रों पर ही काबू कर लिया था |
अगली सुबह मैं अंजू के साथ खेत की तरफ घूमने निकल पड़ा | हम दोनों बातें करते – करते घर से बहुत दूर निकल आये थे और फिर कुछ देर के बाद हम दोनों थक कर वहीँ एक पेड़ के निचे बैठ गए | हमारे चारों खेतों में लंबी – लंबी इंक की फसल होने के कारण हमें कोई चाहकर भी देख नहीं सकता था | कुछ देर इधर – उधर की बातों में उलझाते हुए मैंने अचानक उससे यौन सम्बंधित विषय की बातें करना शुरू कर दिया | अंजू एक दम घबरा गई और सहमी – सी आवाज में बोली,
“ऐसी बातें करना .. हमें शोभा नहीं देता . . ! !”
तभी मैंने अंजू को प्यार से समझाया जिसपर वो कुछ देर न – न करती हुई मान गई और हम दोनों एक दूसरे से यौन समन्धित बातें करने लगे जिससे मेरा लंड पैंट अंदर ही सलामी देने लगा | अंजू १७ साल की हो चुकी थी और हर तरह से देसी माल लग रही थी, मुझे अंजू को बस खुल्ले सांड की तरह चोदने का मन करने लगा |
कुछ देर बातें करने के बाद हम दोनों एक दूसरे के कुछ और करीब आकर बैठ गए फिर एक दूसरे को टकटकी लगाकर देखने लगे | मैंने अपने हाथो से अंजू के खुले बालों को खोल सहलाने लगा और धीरे – धीरे उसकी पीठ पर हाथों को फेरने लगा जिससे अंजू ने सहमते हुए धीमे सी आवज़ में कहा,
अंजू – क्या. . . कर रहे हो . . .? ?
मैंने अंजू से कुछ न कहते हुए उसके होठों को चूमने लगा जिसपर पहले अंजू ने मेरा हल्का- हल्का विरोध किया पर आखिर अपने तन की गर्मी आगे हार मन ली | मैंने अंजू को समझाया की,
“इस तरह के शारीरिक समंध से कुछ नहीं होता. . हम दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हैं. .यह तन की गर्माहट तो कुदरत की ही देन है . . ! !”
मेरे कई देर समझाने के बाद अंजू आखिकार मान ही गई और मुझे इज़ाज़त दे दी | मैंने अंजू को उसी वक्त गले लगा लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा और अपने हाथों से उसकी पीठ को मसलने लगा और फिर धीरे – धीरे उसके मुलायम गालों तक पहुँच उसके होठों पर चूमने लगा | अब अंजू के मुंह से भी कामुक आवाजें निकल रही थी और उसका पूरा शरीर काँप रहा था |
अब मैंने धीरे से अंजू की कुर्ती को उतारा और उसके ब्रा को चाटने लगा, उसने काले रंग का ब्रा पहने हुए था फिर मैंने उसके ब्रा की हुक खोली और ब्रा उतार दिया | उसके गोरे – गोरे स्तन अब मेरे सामने थे जिन्हें मैंने चुमते हुए अपने दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया और उसकी चूचकों को अपने होठों में भींचकर पीने लगा | मेरे ऐसा करने से अंजू झटपटाने लगी और गरम- गरम सिस्कारियां भरने लगी मैंने उसका हाथ थाम लिया और फिर कुछ देर उसके स्तनों को पीने के बाद पीछे से उसकी पीठ को चूमना शुरू कर दिया और उसके पेट पर अपना हाथ फेरने लगा | कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ से अंजू की नाभि के इर्द – गिरध चाटने लगा |
कुछ देर यह सब करने के बाद मैंने अंजू की सलवार का नाडा खोल उसे उतार वहीँ मिटटी की क्यारियों में रख गिरा दिया | उसकी जांघ बहुत गोरी- गोरी थी, उसने लाल रंग की पैंटी पहनी हुई थी | मैंने उसकी जाँघों को चूमना शुरू कर दिया और चुमते – चुमते उसकी पैंटी तक पहुँच उसकी चुत के उप्पर अपनी जीभ रगड़ने लगा | कुछ देर यूँही करने के बाद मैंने उसकी पैंटी को उतारा और अब उसकी उसकी चिकनी – कुंवारी चुत में अपनी ऊँगली अंदर – बाहर करने लगा |
अंजू को बहुत मज़ा आ रहा था जिससे मैंने मेरा जोश बढ़ा और मैंने उसे वहीँ मिटटी में लेटकर अपने लंड को उसकी चुत के छेद पर रगड़ने लगा | अब मैं मंजू के गोरे बदन पर लेट मस्त में एक ज़ोरदार झटका लगाया जिससे पहले वो जोर के चिल्लाई और उसकी चुत में हुए दर्द के कारण रोने लगी मैंने इसकी परवाह न करते हुए पहले उसकी चुत को चाटने लगा फिर जैसे ही गर्मी चढ़ी तो मैंने फिर अंजू की चुत में धक्के देना शुरू कर दिया | जिससे अब वो पूरी तरह कामुकता में डूबकर लेने लगी | मैंने लगभग ४५ मिनट अंजू की चुत में अपने लंड को रौन्धाया और उसकी चुत को मसलते हुए अपना सारा घड़ा वीर्य उसकी चुचों पर ही छोड़ दिया |
हम तभी अपने कपड़े पेहेन समय पर घर पहुँच गए | अब अंजू भी मुझसे काफ़ी करीब आ चुकी थी और जब भी मुझे मौका मिलता मैं उसे दबोच लेता |
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07-03-2017, 01:18 PM,
#2
RE: चाचा की बेटी
कुँवारी जवानी--1

गर्मी की तपती हुई दोपहर थी !
मै मस्तराम की 'कुँवारी जवानी' पढ़कर अपने लौड़े को मुठिया रहा था।
इसे मैने लखनऊ के चारबाग स्टेशन के बाहर एक फुटपाथ से खरीदा था।
किताब की कीमत थी 50 रूपये।
लेकिन जो मजा मिल रहा था उसकी कीमत का कोई मूल्य नहीं था।
इस किताब को पढ़ कर मै पचासों बार अपना लौड़ा झाड़ चुका था और हर बार उतनी ही लज्जत और मस्ती का अहसास होता था जैसे पहली बार पढ़ने पर हुआ था।
कहानी में एक ऐसे ठर्की बूढ़े का जिक्र था जिसे घर बैठे-बैठे ही एक कुँवारी चूत मिल जाती है !
इस कहानी को पढ़कर मै भी दिन में ही सपना देखने लगा था जैसे मुझे भी घर बैठे-बैठे ही कुँवारी चूत मिल जायेगी और फिर मै उसमें अपना मोटा मूसल घुसा कर भोषड़ा बना दूंगा।
यही सोच-सोच के लौड़े को मुठियाकर पानी निकाल देता था।
लेकिन फिर एक अजीब सी चिन्ता भीतर कहीं सिर उठाने लगती की कहीं अपनी जवानी बरबाद तो नहीं कर रहा हूँ।
इसी चिन्ता से ग्रस्त मै मिला 'बाबा लौड़ा भस्म भुरभुरे' से।
जिनकी दुकान आलमबाग में एक गली के अंदर थी।
पहले तो भीतर जाने में संकोच लगा लेकिन जब देखा की दुकान एकदम किनारे हैं और कोई भी इधर आता जाता नहीं दिख रहा तो मै जल्दी से भीतर घुस गया। पूरी की पूरी दुकान तरह-तरह की जड़ी बूटियों से भरी पड़ी थी।
लौड़ा भस्म भुरभुरे ने मुझे अपनी मर्दाना ताकत को बरकरार रखने का एक नुस्खा बताया।
मूठ चाहे जितना मारो लेकिन हर महीने एक चूत का भोग जरूर करना वरना लौड़े को मूठ की आदत पड़ जायेगी फिर लड़की देखकर भी पूरा तनाव नहीं आ पायेगा।
इस बात का डर भी लगा रहेगा की कहीं मैं बुर को चोदकर उसे ठण्डा कर पाऊगा भी या नहीं।
इस सोच से एक मानसिक कुंठा दिमाग में घर कर जायेगी। जिसकी वजह से लौड़े में पूरी तरह से तनाव नहीं आ पाता।
इसके अलावा उन्होंनें भैसे के वृषण का कच्चा तेल, बैल के सींग का भस्म व ताजा- ताजा ब्याही औरत की चूत का बाल यानि झाँटों को जलाकर उसमें गर्भवती औरत की चूची का कच्चा दूध मिलाकर एक घुट्टी दी।
कुल मिलाकर एक हजार रूपये का लम्बा बिल बना। मगर मर्दाना ताकत बरकरार रहें ताकि बुर चोदने का मजा लेता रहूँ, इस लोभ के आगे एक हजार क्या था....मिट्टी।

तो मै बात कर रहा था तपती हुई दोपहर की। जब मै कमरे में पंखे की ठण्डी हवा में चारपाई पर लेटा अपने लौड़े पर भैसे के बृषण का कच्चा तेल लगा रहा था।
कमाल की बात ये थी की लौड़ा भस्म भुरभुरे की दवा काफी कारगर साबित हो रही थी। लौड़े पर तेल लगाते ही लौड़ा काफी सख्त हो जाता था जैसे भैंसे और बैल की ताकत मेरे लौड़े में ही समा गई हो।
इतना टाइट की 12 साल की कच्ची बुर को भी फाड़ कर घुस जाय।
अगर इस वक्त मुझे कोई कच्ची बुर ही मिल जाती तो मै उसे छोड़ने वाला नहीं था।
और हुआ भी वहीं।
मानों भगवान ने मेरी सुन ली।
घर बैठे-बैठे चूत की व्यवस्था हो गई थी।
मेरे घर के पिछवाड़े एक ईमली का पेड़ था।
जहाँ अक्सर लड़के लड़कियाँ ईमली तोड़ने आ जाते थे।
दिन भर मै उन लोगों को हाँकता ही रहता था।
लेकिन आज की तरह मेरी नियत मैली नहीं थी।
मैने बाहर कुछ लड़कियों की फुसफुसाती आवाज सुनी तो कान शिकारी लोमड़ी की तरह सतर्क हो गये।
मै लौड़े को हाथ से मुठियाते हुए खिड़की तक पहुँचा और पीछे झाँका तो मानों मुँह माँगी मुराद मिल गई।
एक छोटी लड़की लगभग 11 साल की नीचे से ईमली उठा-उठा कर अपनी स्कर्ट की झोली में डाल रही थी।
लेकिन मेरी नियत उस लड़की पर उतनी खराब नहीं हुई जितनी उस लड़की पर जो ईमली की एक डाल पर चढ़ कर ईमली तोड़कर नीचे फेंक रही थी।
सीने के ऊभार बता रहे थे की अभी 14-15 के बीच में ही थी।
यानि एकदम कोरी, कुँवारी, चिपकी हुई, अनछुई, रेशमी झाँटों वाली कसी बुर।
सोच के ही लौड़े के छेद से लसलसा पानी चू गया।
मेरा कमीना दिल सीने के पिंजरे में किसी बौराये कुत्ते की तरह जोर-जोर से भौंकने लगा।
देखकर कसा-कसा लाल चिपचिपा बिल, भौंकने लगता है ये साला दिल!
ये मस्तराम की शायरी थी जो इस वक्त मेरे दिमाग में हूटर की तरह बज रहा था।
फिर क्या था- मैने बनियान पहनकर एक लुंगी लपेटी और एक डण्डा उठाकर धड़धड़ाते हुए वहाँ पहुचा।
वही हुआ जो होना लाजमी था।
छोटी भाग खड़ी हुई लेकिन बड़ी जाल में फँस गई।
"नीचे ऊतर साली चोट्टी...."- मैने डण्डा जमीन पर पटककर उसकी तरफ देखा।
वो एक डाल पर दुबकी बैठी थी।
नीचे से मै उसकी कोरी जवानी देख रहा था।
दोनों टागों के बीच लाल रंग की छोटी सी कच्छी।
जिसके नीचे उसकी कच्ची बुर छिपी हुई थी।
देखकर ही लौड़ा हिनहिनाने लगा।
जब मैने देखा की मेरे डाँटने पर वो नीचे नहीं आ रही तो मैने प्यार से पुचकारा-
"चल...नीचे उतर...नहीं मारूगा...अगर मेरे 10 गिनने तक नीचे नहीं आई तो समझ लेना..."
फिर वो डरते सहमते नीचे उतरने लगी।
मै लुंगी के नीचे लौड़े को सोहराता हुआ स्कर्ट के नीचे उसकी गोरी-गोरी गदराई टागों को देखकर मस्ताया हुआ था।
कुल मिलाकर अभी कच्ची कली थी जो धीरे-धीरे खिल रही थी।
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07-03-2017, 01:18 PM,
#3
RE: चाचा की बेटी
जब वो मेरे सामने आ खड़ी हुई तब मैने उसे सिर से लेकर पाँव तक घूरा।
लौड़े में मस्ती की लहर दौड़ गई।
मै उसे देखकर लुंगी के नीचे अपने लौड़े को मसल रहा था।
"नाम क्या है तेरा?..."
"रुचि...."-वो सहमे हुए भाव से बोली।
"किस क्लास में है?.."
"आठवीं में...."
यानि अभी 14 से 15 साल की थी।
मतलब चूत पर रेशमी बाल आ चुके थे।
और हो सकता था माहवारी भी शुरू हो गई हो।
सोचकर ही लौड़ा लुंगी के अंदर हाँफने लगा।
"किसके घर की है?...."
"राम आसरे मेरे पापा हैं...."
"अच्छा तो तु उस दरुवल की लौडिया है....अच्छा हुआ तू मेरे हाथ लग गई....तेरे बाप से तो काफी पुराना हिसाब चुकता करना है...चल अंदर चल...और अगर ज्यादा आना कानी की तो यहीं पर उल्टा लटका दूँगा...तेरा बाप मेरा झाँट भी नहीं उखाड़ पायेगा।..."
वो और ज्यादा सहम गई।
मैने उसका हाथ पकड़ा और उसे कमरे के भीतर ले आया।
मैने दरवाजे में अंदर से कुण्डी लगा ली।
कहते हैं की भूखे शेर के पंजे में माँस और हबशी पुरूष के चंगुल में फँसी लड़की.....दोनों का एक ही जैसा हश्र होता है। दोनों भूख मिटाने के ही काम आती हैं। एक पेट की तो दूसरी लण्ड की।
दोनों ही खून फेंकती हैं चाहे माँस हो, चाहे कच्ची बुर।
शिकार फँसाने के बाद अगर उसे सब्र के साथ खाया जाय तो ज्यादा मजा आता है।
लेकिन ये साली सब्र बड़ी कमीनी चीज है....होकर भी नहीं होती।
खासतौर पर तब जब फ्री फण्ड की कुँवारी लड़की हाथ लग जाय।
वो भी घर बैठ कर ख्याली पुलाव पकाते हुए।
धन्य हो मेरे परदादा जी जिन्होने ईमली का पेड़ पिछवाड़े लगाया था।
फल ही फल मिल रहा था- खट्टा भी और नमकीन भी।
खट्टा यानी ईमली का मजा और नमकीन मतलब कुँवारी बुर के अनचुदे छेद में अटकी पेशाब की बूँद को जीभ से चाटने का मजा।
लौड़ा भस्म भुरभुरे की एक और बात याद आई कि कुँवारी, अनचुदी, माहवारी हो रही बुर का पेशाब पीने से मर्दाना ताकत बनी रहती है।
इस वक्त मेरी नजर वहाँ थी जहाँ सम्भवतया लड़की की भूरे रोयेंवाली छोटी सी गोरी-गोरी बुर हो सकती थी।
मै लुंगी के भीतर लौड़े के छेद से चू रहे लसलसे पानी को ऊँगली से सुपाड़े पर मल रहा था।
ताकि कुँवारी चूत में घुसने के लिए सुपाड़ा एकदम चिकना हो जाय।
"हमें जाने दीजिये......फिर कभी ईमली तोड़ने नहीं आँऊगी....."
"एक शर्त पे छोड़ दूँगा, अगर.....अपना मूत पिला दे..."
"धत्त्..."
मेरी बात सुनकर लड़की शरमा कर नीचे देखने लगी।
यानि उम्र भले ही छोटी थी लेकिन उतनी अंजान भी नहीं थी।
ये सोच कर मेरी मस्ती और भी बढ़ गई।
"अगर तुमने मेरा कहना नहीं माना तो नंगी करके ईमली के पेड़ पर उल्टा लटका दूँगा...सारे लड़के तुम्हें नंगी देख कर खूब मजा लूटेंगें...."
मेरी ये बात सुनकर वो घबराई भी और थोड़ी सहमी भी।
"बोलो....पिलाओगी अपना पेशाब...."
वह चुपचाप खड़ी रही।
"जल्दी बोलो नहीं तो तुझे अभी ले चलता हूँ...."
इतना कहकर मै एक कदम उसकी तरफ बढ़ा।
उसने जल्दी से अपना सिर हाँ में हिलाया।
मैने जल्दी से एक गद्दा लिया और उसे फर्श पर बिछा दिया।
फिर छत की तरफ सिर करके लेट गया।
शेष अगले भाग में......
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07-03-2017, 01:18 PM,
#4
RE: चाचा की बेटी
कुँवारी जवानी--2
"जैसे मूतने बैठती है उसी तरह कच्छी सरका कर मेरे मुँह के पास आकर बैठ जा..."
वह चुचाप खड़ी रही फिर बोली-
"मै नहीं कर पाऊँगी...."
मैने उसकी तरफ घूर कर देखा-
"क्यों?.."
"मेरा महीना चल रहा है...."
ये सुन कर मेरा कमीना दिल और बुर-चोद लौड़ा जोर-जोर से हाँफने लगा।
"कोई बात नहीं तू आकर मेरे मुँह में पेशाब कर बस.."
"पर..पर.. बहुत बदबू करेगा..."
"कोई बात नहीं तेरी बदबू मेरे लिए खुशबू है...आ जा..."
फिर वो सकुचाती हुई मेरे पास तक आई।
"कैसे करू मेरी समझ में नहीं आ रहा...."
"अरे अपना एक पैर मेरी गर्दन के इधर रख और दूसरा उधर...फिर धीरे से अपनी कच्छी सरका कर बैठ जा.."
सकुचाती हुई शरमाते हुए उसने वही किया।
अब मेरा सिर उसकी स्कर्ट के ठीक नीचे था।
मै नीचे से उसकी लाल रंग की कच्छी देख रहा था।
जहाँ पर उसकी बुर थी वहाँ पर काफी ऊभार था।
मतलब उसने पैड लगाया हुआ था।
वह खड़ी होकर अपने स्कर्ट को इस तरह दबाने लगी ताकि मै उसकी बुर न देख पाँऊ।
"ऐसे ढकेगी तो अपना मूत कैसे पिलायेगी....चल जल्दी से कच्छी सरका कर मेरे मुँह में मूत..."
इतना कहकर मैने अपना भाड़ जैसा मुँह बा दिया।
तब उसने सकुचाते हुए कच्छी के अंदर हाथ डाला और विस्पर का पैड धीरे से बाहर निकाल लिया।
जिस पर मेरी निगाह पड़ गई।
जहाँ बुर का छेद था वहॉ खून की 2-3 बूँदें सूख कर जम गई थीं।
उसकी जाँघें भी खूब मोटी, चिकनी और भरी-भरी थीं।
उसने शरमाते हुए अपनी कच्छी धीरे से नीचे सरकाई और मेरे मुँह के पास बैठ गई।
मेरा चेहरा उसकी स्कर्ट के घेरे में था।
मैने गौर से उसकी छोटी सी बुर को देखा।
उसमें से सड़े अण्डे जैसी बड़ी ही मीठी-मीठी खुशबू निकल रही थी।
बुर की फाँकें चिपकी हुई थीं और उनके बीच में एक चीरा लगा था।
चूत पर बहुत हल्की-हल्की झाँटें भी निकल आई थी।
यानी लड़की जवान हो रही थी।
बुर को देखते ही मेरा लौड़ा गधे की तरह जोर-जोर से हाँफने लगा।
"जय हो बाबा लौड़ा भस्म भुरभुरे..."
और मैने उसकी बुर को चभुवाके अपने मुँह में भर लिया।
मै जीभ को उसकी दरार में धँसा-धँसा के चाट रहा था।
मेरे ऐसा करते ही लड़की भी सिसियाने लगी।
"सीSSSS....सीSSSSS....ऊई मम्मी.....आह..."
वो जितना सिसियाती मै उतनी कसकर उसकी बुर चूसता।
उसकी गाँड़ भी खूब चिकनी थी।
बुर चाटते वक्त मै उसके चूतरों को खुब सहला रहा था।
धीरे-धीरे वो भी गोल-गोल अपने चूतरों को मटकाने लगी तब पहली बार मुझे ये पता चला की 14-15 साल की उमर मे भी लड़कियों के अंदर जवानी की गरमी उबलने लगती है।
बुर चाटते वक्त एकाएक मेरे मुँह में नमकीन स्वाद कुछ ज्यादा आने लगा।
मैने बुर की फाँकों को चीर कर दरार में एकदम नीचे देखा।
एक लाल छेद बार-बार खुलता और बंद हो रहा था और साथ ही उसमें से चिपचिपा पानी निकल रहा था।
इसी पानी को बोलते हैं- कुँवारी चूत का रस।
मैने होंठ गोल करके छेद पर चिपका दिया और जोर-जोर से चूसने लगा।
लड़की एकदम मस्ता चुकी थी।
अब वह भी अपनी स्कर्ट उठा कर देख रही थी कि मै कैसे उसकी बुर चाट रहा हूँ।
लड़की का चेहरा तमक कर धीरे-धीरे लाल होने लगा था।
वह धीरे-धीरे अपने चूतरों को गोल-गोल घूमाने लगी।
मै समझ गया की लड़की मदहोश हो चुकी है।
"चल मेरी चिकनी....मूत मेरे मुँह में.....पिला दे अपना अमृत..."
इतना बोलकर मै उसकी बुर की मूत्रिका को चुसने लगा।
"हाय मम्मी....निकल जायेगी अंकल...."
"अंकल नहीं मेरी जान राजा बोल...मेरे राजा..."
"हाय....सच में निकल जायेगी मेरे राजा.....आईईई..."
आई-आई करती हुई एकाएक उसने पेशाब की एक धार मारी। जिसे मै चटखारे लेकर पी गया।
"और मूत मेरी रानी.....बड़ा मीठा पेशाब है....मूत....थोड़ा जोर लगा..."
लड़की ने गाँड़ का छेद सिकोड़ कर ताकत लगाई।
लेकिन 2-3 बूँद के अलावा नहीं निकला।
"नहीं निकलेगा...."
"बहुत हो गई चूत चटाई.....अब होगी तेरी बुर चोदाई...."
इतना बोल कर उसे मैने गोंद में उठा लिया और खटिये पर ला पटका।
फिर क्या था मैने लौड़ा भस्म भुरभुरे का नाम लिया और उसे धर दबोचा।
इस वक्त मै एकदम जन्मजात नंगा था।
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07-03-2017, 01:18 PM,
#5
RE: चाचा की बेटी
लौड़ा लोहे की तरह टाइट होकर फनफना रहा था।
मुझे नंग-धड़ंग देख कर लड़की घबरा गई थी।
मैने जल्दी से उसे नंगी करके अपनी बाँहों में दबोच लिया और उसकी चिकनी टाँगों को अपनी मर्दाना टाँगों के बीच दबाकर अपने चौड़े सीने से उसके नींबुवों को मसलने लगा।
और लौड़ा उसकी छोटी सी बुर का चुम्मा ले रहा था की बस मेरी जान अभी फाड़ता हूँ तुझे।
जब मैने देखा की लड़की का चेहरा लाल पड़ चुका तो मैने आसन जमा लिया और उसकी टाँगों को खोलकर अपने कंधें पर डाल लिया और हिनहिनाते लौड़े को उसकी 14 साल की रोयेंदार, कसी, कुँवारी बुर के छेद पर टिकाकर उसे सीने से चिपका लिया फिर हुमक कर उसकी बुर में पेल दिया।
लौड़ा उसकी चूत के अंदर धँस गया।
वह परकटी कबुतरी की तरह फड़फड़ाने लगी।
साली बुर बहुत टाइट थी लेकिन कसी बुर के अंदर जाने के बाद लौड़ा और गरमा गया था।
फिर क्या था मैने उसे कसकर दबोचा और पूरी ताकत से पेल दिया।
लौड़ा उसकी चूत को बाता हुआ सीधे उसकी बच्चेदानी से जा टकराया।
"ऊई मम्मी....फट गई मेरी.......आह....छोड़ दीजिए आई माई...."
जब वह सिसकने लगी तो मैने उसके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और उसकी गाठदार चूचियों को मसलने लगा तथा एक हाथ से उसके चिकने-चिकने चूतरों को पकड़कर दबोचने लगा। लौड़ा चूत में घुसाये मैं कम से कम पाँच मिनट तक वैसे ही लेटा रहा।
जब लड़की अपना चूतर धीरे-धीरे मटकाने लगी तो मै समझ गया की उसकी बुर में धीमा-धीमा दर्द हो रहा है।
अब वह अपने बुर पर धक्के पेलवाना चाहती थी।
मै धीरे-धीरे उसकी बुर में पेलने लगा।
"आई मम्मी....दुःख रही है....सीSSSS...धीरे से...."
वह सिसियाते हुए कसकर मेरे सीने से चिपक गई।
वह जितना कसके चिपकती मै उतनी कसकर उसकी बुर में लौड़ा चाप देता।
कुछ देर बाद वह भी धीरे-धीरे अपना चूतर उछालने लगी फिर क्या था मैं कस-कस के पूरी ताकत से उसकी बुर में लौड़ा चापने लगा।
थोड़ी देर में वह सिसियाते हुए मुझसे चिपक गई।
उसकी चूत से चुदाई का रस निकल रहा था।
उसके बाद मैने कस-कस के उसकी बुर में पेला और कुत्ते की तरह हाँफता हुआ झड़ गया।
उसके बाद वो लड़की रोज-रोज आने लगी।
सिर्फ उसे ही नहीं बल्कि उसकी सहेलियों को भी मैने फँसाकर लौड़ा भस्म भुरभुरे की बात का पालन किया।
यानि हर महीने एक कुँवारी चूत का मुँह खोलने लगा।
और वाकई में मै आज एक मर्द हूँ।
अगर आप लोग भी अपनी मर्दानगी बरकरार रखना चाहते हैं तो वही कीजिए जो मै करता हूँ।......धन्यवाद॥
""जय हो बाबा लौड़ा भस्म भुरभुरे की...""
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07-03-2017, 01:18 PM,
#6
RE: चाचा की बेटी
माँ चुद गयी सुहागरात में
हाय अल्ला, मैं बिलकुल सच्ची सच्ची बता रही हूँ तुझे . सुहागरात थी मेरी और चुद गयी मेरी माँ ? हां हां , मैं तो हैरान हो गयी जब मुझे चोदने वाला मेरा हसबैंड नहीं कोई और दो लड़के थे . एक लण्ड मैं मुह में लेकर चूस रही थी तब तक किसी ने एक लण्ड मेरी चूत में पेल दिया . लण्ड मुझे चूत में पेलवाना अच्छा लगा इसलिए मैं कुछ बोली नहीं बस चुदवाती रही . थोड़ी देर में चूत वाला लण्ड मुह में घुस गया और मुह वाला लण्ड चूत में . मैं समझी की एक लण्ड मेरे मियां का है और दूसरा उसके दोस्त का होगा ? हमारे यहाँ अक्सर ऐसा होता है की दूल्हा का दोस्त भी दुल्हन को चोदने लगता है . दुल्हन खूब मजे से दोनों लण्ड से चुदवाती है . इसलिए मैं भी चुदवाने लगी . जब थोड़ी रौशनी हुई तो मैंने देखा की उन दोनों में से मेरा हसबैंड कोई नहीं है ? मैं थोडा हैरान हुई . तब तक मेरी ननद बोली भाभी चिंता न करो तेरा हसबैंड अपनी भाभी की बुर चोद रहा है . और तुझे एक तो मेरा हसबैंड चोद रहा है और दूसरा उसका दोस्त .
मैंने कहा :- इसका मतलब यह है की यहाँ न तो मेरा हसबैंड है और न ही मेरे हसबैंड का दोस्त ? 
नन्द बोली :- अरी मेरी बुर चोदी भाभी तुझे आज के दिन लण्ड से मतलब है की आदमी से ? तुझे दो लण्ड चाहिए आज सुहागरात के दिन बस ? अब लण्ड किसका है इसकी चिंता न कर . तू जा और मस्ती से चुदवा ?
इतने में मैं बाथ रूम जाने लगी . 
तब मैंने देखा की यहाँ तो मेरी माँ चुद रही है . चोदने वाले एक नहीं तीन तीन लण्ड है . एक उसकी बुर में घुसा है . दूसरा उसके मुह में और तीसरा गांड मार रहा है . लेकिन मेरे माँ के चेहरे में तनिक भी सिकन नहीं है . वह तो बड़े मजे से तीनो लण्ड झेल रही है . गचागच भकाभक चुदवा रही है . बड़ी मस्त से चुदवा रही है मेरी माँ .
मैंने कहा हाय अल्ला, कैसा इत्तिफाक है ?
सुहाग रात है मेरी और चुद रही है मेरी माँ ?
मैंने कहा :- तू भोषड़ी की मेरी ननद मेरी माँ चुदवा रही है वह भी मेरी सुहागरात में ? तू तो बहुत ज़ालिम है .
ननद बोली :- अरी बहन की लौड़ी मेरी भाभी, तेरी ही माँ ही नहीं चुद रही है ? ज़रा आगे बढ़ कर देख मेरी भी माँ चुद रही है . वह भी खुले आम ?
मैंने आगे कदम बढाया तो वहां का सीन देख कर ज्यादा हैरान हो गयी . मैंने देखा की मेरे मियां की माँ चुद रही है और चोदने वाला कोई और नहीं बल्कि मेरे अब्बू है . मेरा अब्बू अपना पूरा लण्ड बार बार बाहर निकाल निकाल कर फिर पेल देता है है मेरी सास की चूत में . मैं मन ही मन बहुत खुश हुई की चलो मेरी माँ के साथ साथ मेरे मरद की भी माँ चुद रही है . इस समय मेरे अब्बू का लौड़ा बड़ा खूखार हो गया है ,. वास्तव में मेरी सास का भोषडा ऐसे चुद रहा है की जैसे कोई घोडा घोड़ी की चूत चोदता है . इतने में मेरी ननद बोली भाभी ज़रा बगल के कमरे भी झाँक कर देख ले न . मैंने जब वहां देखा तो और मस्त हो गयी मैं ? मैंने देखा की मेरा शौहर अपनी भाभी की बुर चोद रहा है . मैंने मन ही मन कहा वाह वाह क्या चारों तरफ चुदाई हो रही है ?
मैंने सोचा की जब की मेरी माँ चुद रही है . मेरे मियां की माँ चुद रही है . मेरी जेठानी चुद रही है तो फिर मुझे गैर मर्दों से चुदाने में क्या परहेज ?
मैं तुरंत लौट आयी अपने बेड पर और बुर खोल कर टाँगे फैला दी . वे दोनों तो लण्ड खड़ा किये हुए मेरा इंतज़ार कर ही रहे थे ,. एक ने मेरी बुर में पेला लण्ड और दूसरे ने मुह में . मुझे दुगुना मज़ा आने लगा . लेकिन इस बार चोदने वाले बदल गए थे . मैंने पूंछा भी नहीं ? मुझे तो लण्ड पसंद आये तो मैं चुदवाती चली गयी . मेरी ननद ने खुद बताया की जब तुम अपनी माँ की चुदाई देख रही थी तो मेरी खाला उन दोनों को अपने कमरे में ले गयी और खुद ही चुदाने लगी . उनके बदले में मैंने अपने देवर और अपने जीजू को भेज दिया है तुम्हे चोदने के लिए . इस बार चुदाने में मुझे ज्यादा मज़ा आ रहा था . 
मैंने पूंछा :- हाय मेरी ननद यहाँ घर में मेरी माँ चुद रही है , मेरी सास चुद रही है मेरी जेठानी चुद रही है और मेरी खाला सास चुद रही है . मैं चुद रही हूँ तो तू मादर चोद क्यों नहीं चुद रही है ? क्या तेरी चूत बुर चोदी अभी तक गरम नहीं हुई ?
ननद बोली :- हाय भाभी मेरी चूत तो भठ्ठी हो गयी है . पर मेरे घर के रिवाज़ के मुताबिक भाई जान की सुहागरात में बहन सबकी चुदाई का पूरा इंतजाम करती है . घर भर की सभी बुर चोदी जाती है इस दिन . सबकी बुर में लण्ड पेले जाते है . लेकिन पराये मर्दों के लण्ड ? यहाँ तुमने देखा की कोई भी अपनी बीवी की बुर नहीं चोद रहा है . सब दूसरी की बीवियां चोद रहे है . सभी औरतें गैर मर्दों से चुदवा रही है . कोई एक लण्ड से कोई दो लण्ड से कोई तीन लण्ड से . अगर लण्ड की कमी होती है तो मैं बाहर से लण्ड मंगवा लेती हूँ . लेकिन सबकी चूत को पूरा मज़ा देती हूँ .
ऐसा कहा जाता है की इस दिन अगर सबकी चूत अच्छी तरह चुदती है तो वह ज़िन्दगी भर खूब चुदती रहेगी . उसे कभी लण्ड की कमी महसूस नहीं होगी ? एक और कहावत है भाभी :-
हनीमून इक जश्न है, चूसो चाटो लण्ड .
अपनी बुर में पेलिये, सब मर्दों के लण्ड . 
जहाँ तक मेरी चुदाई का सवाल है . जो लोग आज सबको चोद रहे है वही लोग कल मुझे चोदेंगें .
मैंने कहा :- तो कल तुम मेरे अब्बू से भी चुदवाओगी ?
उसने कहा :- हां बिलकुल कल उसके लण्ड का मज़ा लूंगी मैं . वैसे मैंने देखा है की तेरा अब्बू मादर चोद बड़ा चोदू है . उसका लण्ड भी सबसे बड़ा है .
मैंने कहा :- तो आज तेरा अब्बू किसको चोद रहा है ?
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07-03-2017, 01:18 PM,
#7
RE: चाचा की बेटी
उसने बताया :- आज मेरा अब्बू पड़ोसन की बुर चोद रहा है . वह अकेली है . उसका हसबैंड बाहर गया है . तो वह मेरे अब्बू को ले गयी चुदवाने के लिए . मेरी नयी पड़ोसन है . अभी ३२ साल की है . बड़ी जबरदस्त लण्ड की दीवानी है . अभी दो दिन पहले ही उसने मेरे हसबैंड का लण्ड मेरे सामने ही पकड़ लिया और मेरे बेड पर लेट कर ही चुदवाया . मैं कुछ नहीं बोलीं . मैं भी उसके हसबैंड को नंगा करके अपने घर ले आयी . और लण्ड अपनी बुर में पेल कर चुदवाने लगी . मैं किसी से कम नहीं हूँ भाभी ? मेरी चूत साली बड़ी चुदक्कड़ है
दोस्तों, मेरा नाम हया है और मेरे हसबैंड का नाम हबीब . यहाँ सुहागरात मनाने के बाद मैं फिर गोवा चली गयी अपने हसबैंड के साथ सुहागरात मनाने क्योंकि मैंने अभी तक अपने मियां से चुदवाया ही नहीं था . वहां पहुँचने पर मैंने अपना सामान रूम में रखा और हम दोनों बाहर घूमने के लिए निकल ही रहे थे मेरे बगल के कमरे में एक कपल आ गया . इतीफाक से जब मैंने उसको देखा तो कहा अरे सना तू यहाँ कैसे ? सना मेरे कॉलेज के दिनों की फ्रेंड है . उसने कहा यार हया मैं यहाँ अपने हसबैंड के साथ हनीमून पर आयी हूँ . ये मेरे मियां सफी है और इसके साथ इसका दोस्त रफ़ी भी है . मैंने कहा यार तो इसके सामने तुम कैसे मनाओगी हनीमून ?उसने कहा अरे मेरी जान यह भी मेरे साथ रहेगा . फिर वह मुझे एक कोने में ले गयी और बोली मैं इन दोनों से चुदवाकर मनाऊंगी हनीमून . मैंने इस बात पर अपने हसबैंड को मना लिया है की जब रफ़ी की बीवी अपने माईके से आ जाएगी तो मेरा हसबैंड उसे चोदेगा . यार मैं दो लण्ड से चुदवाकर हनीमून मानना चाहती हूँ . मैंने कहा यार मुझे भी मौका दो न प्लीज . मैं भी इन दोनों से चुदाना चाहती हूँ . उसने कहा यार तुम अपने मियां से बात कर लो . वह मान जाये तो मेरे कमरे में आ जाना .फिर हम सब मिल कर मनायेगें हनीमून . दो चूत और तीन लण्ड के साथ . लण्ड अदल बदल कर चुदवाने में बड़ा मज़ा आएगा .
मैंने जब अपने हसबैंड से कहा तो वह बहन चोद फ़ौरन तैयार हो गया . बस हम दोनों सना के कमरे में चले गए . सना ने ड्रिंक्स का इंतजाम किया था . हम पांचो लोग शराब का मज़ा लेने लगे .सना ने धीरे धीरे अपनी चूंचियां खोल दी और मुझे भी खोलने का इशारा किया . मैंने तो चूंचियां क्या चूत भी खोल कर दिखा दिया . सना का मियां मुझे नंगी देखता रहा . रफ़ी ने तो हाथ बढाकर मेरी चूंचियां पकड़ ली . सना का हसबैंड अपनी बीवी को भूल गया और मेरी तरफ आकर मुझे चिपका लिया . मैं उसका लंड टटोलने लगी . सफी के बगल में रफ़ी था मैं उसका भी लंड ढूढने लगी . दोनों मदर चोदों को नंगा करके उनके लंड पकड़ लिया . मेरे दोनों हाथ में लंड आ गए . सना मेरे हसबैंड का लंड पकड़ कर सहलाने लगी . लंड टन टना उठा .
सना बोली :- हाय अल्ला, हया तेरे मियां का लण्ड तो गज़ब का है ? यार ये तो मेरी चूत फाड़ देगा .
मैंने कहा :- तो क्या फडवा ले न अपनी चूत ? देख मैं भी तो चूत फडवाने ही आयी हूँ यहाँ ? मैं तो एक ही लण्ड से फडवाने आयी थी यहाँ मुझे दो नये लण्ड मिल गए . 
सना बोली :- हां यार इत्तिफाक है ? मुझे भी दो के वजाए तीन लण्ड मिल गये .
गोवा से चुदवा कर जब मैं वापस अपने घर गयी तो देखा की मेरी माँ भोषड़ी वाली एकदम नंगी पड़ी है .
उसके हाथ में मेरे ससुर का लण्ड है और बुर में मेरे पडोसी का लण्ड. अम्मी बड़े मजे से दोनों लण्ड से चुदवाने में लगी है . मैं थोडा छुप गयी तो देखा की ससुर का लण्ड अम्मी के मुह में घुस गया और पडोसी का लण्ड अम्मी की गांड में . मुझे अपने ससुर का लण्ड ज्यादा पसंद आया . ज्यादा मोटा था उसका लण्ड . और वह पूरा लण्ड पेल पेल कर चोद रहा था . फिर मैं रुकी नहीं मुझे भी जोश आ गया .
मैं कमरे में घुस गयी और बोली :- अम्मी तुम पडोसी से चुदवाओ और मेरे ससुर का लण्ड मेरी बुर में पेल दो . 
इसका लौडा बहन चोद मुझे बहुत पसंद आ गया है . अब मुझे जम कर चुदवा लेने दो . 

=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=० समाप्त
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07-03-2017, 01:18 PM,
#8
RE: चाचा की बेटी
बहू की बुर सास का भोसड़ा
सासू जी बोली :- आज मैं खुल कर कह रही हूँ तुमसे बहू की मेरी बुर बहुत चुदासी है . कई दिनों से कोई लौड़ा इसमें नहीं घुसा है बहू रानी ? मैं समझती हूँ की तुम बहुत ऐसे मर्दों को जानती हो जो अपना लण्ड मेरी बुर में घुसा सकते है . प्लीज उन्ही में से किसी को बुला कर उसका लौड़ा मेरी चूत में पेल दो . चुदवा लो अपनी सास का भोसड़ा ? जैसे तुम अपनी माँ चुदवाती हो वैसे ही तुम अपनी सास चुदाओ . कल जब मैंने तुम्हे अपने बॉय फ्रेंड से चुदवाते हुए देखा तो मेरा भी मन हुआ की मैं भी कमरे में घुस जाऊं और पकड़ लूं उसका लण्ड ? फिर मैंने सोंचा कि नहीं यह अच्छा नहीं होगा ? मैं अगर चुदा लूंगी तो मेरी बहू बिचारी चुदासी रह जायेगी . यही सोच कर मैं नहीं आयी तेरे पास बहू . वैसे मुझे उसका लण्ड बहुत पसंद आया, बहू 
बहू बोली :- वो मेरी सहेली का मियां है, सासू जी . मैं जब कब उससे चुदवा लेती हूँ . तुमने कल बताया होता तो मैं उसका लण्ड तेरी बुर में पेल देती . मैं किसी और को बुला कर चुदवा लेती . सासू माँ, देखो चुदाने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए . न डरना चाहिए और न शर्माना चाहिये ? ऐसा मेरी माँ कहती है . जब वह चुदासी होती है तो मेरी बुर से लौड़ा निकाल कर अपनी बुर में पेल लेती है . मैं जब चुदासी होती हूँ तो अपनी माँ की चूत से लौड़ा खींच कर अपनी चूत में घुसेड़ लेती हूँ . अब आज से तुम मुझसे न शर्म करना और न झिझकना, समझी मेरी बुर चोदी सासू माँ ? चुदाना हो तो मेरी गांड में दम कर देना मैं कोई न कोई लण्ड जरुर घुसेड़ दिया करूंगी तेरी चूत में ? मेरे पास बहुत लोग है जो माँ की चूत चोदने में बड़े एक्सपर्ट है .
सासू बोली :- वाह कितनी अच्छी है मेरी बहू ? कितना ख्याल रखती है अपनी सासू जी का और सासू जी के भोसड़ा का ?
दूसरे दिन मैं सवेरे जैसे ही अपनी झाटें बनाकर बाथ रूम से निकली, वैसे ही किसी ने डोर बेल बजा दी . मैंने उस समय सिर्फ एक बड़ी सी तौलिया अपनी चूंचियों तक लपेटे हुए धीरे से दरवाजा खोला तो सामने मेरे बॉस विक्रम खड़े थे . मेरे बाल भीगे थे . मैंने उसे अंदर बैठाया और मैं कपडे बदलने जाने लगी तो वह बोला रुको मोनिका सुनो यह एक मैसेज है इसे हेड ऑफिस भेज देना आज मैं ज़रा देर से आऊंगा ? इतने में मेरी सासू जी आ गयी . वह जींस और बिना ब्रा के टॉप पहने हुई थी . उसकी चूंचियां झूम रही थी जिन्हे विक्रम बड़ी तेज निगाह से देख रहा था . मैंने उसे अपनी बॉस से मिलवाया . बॉस जाने लगा तो सासू जी बोली ऐसे कैसे जा सकते हो . चाय तो पीकर जाओ ? वह बैठ गया और मैं भी तौलिया में लिपट कर किसी तरह बैठ गयी . वह बोला यार मोनिका आज तुम बहुत सुन्दर लग रही हो . और ये तेरी सास तो बला की खूबसूरत औरत है . मैंने उसके कान में कहा अब क्या मेरी सास भी चोदोगे सर . उसने आगे कहा अपनी जवानी में तो इसके बड़े जलवे होंगे ? मैं हंस पड़ी . मैंने कहा जलवे तो आज भी है उसके सर ? मैं फिर उसके कान में बोली क्या तेरा लण्ड भोसड़ी का पैंट के बाहर हो रहा है ? तब तक सासू जी चाय लेकर आ गयी . उसने झुक कर चाय रखी तो उसकी बड़ी बड़ी चूंचियों पर बॉस की नज़र पड़ी . उसने बड़ी दूर तक चूंचियां देख ली . मेरा बॉस चाय पीकर चला गया . तब सासू जी कहती हैं कि हाय मोनिका तेरा बॉस तो बाद स्मार्ट है . इसका लौड़ा भी बड़ा मस्त होगा . किसी दिन ले आओ बहन चोद को मैं इसका लौड़ा देखना चाहती हूँ . मेरी चूत में आज ही से आग लग गयी है .
एक दिन मैं जब ऊपर से उतर रही थी तो सासू जी ने मुझे बुलाया और कहा बहू इनसे मिलो ये है मिस्टर जॉनसन मेरे कॉलेज के दोस्त . उस दिन मैं बिना ब्रा के टॉप पहने थी . सासू जी बोली बहू थोडा नास्ता वगैरह ले आओ . मैं पहले पानी लायी और झुक कर रखा फिर दो तीन बार नास्ता रखा, हर बार मैं झुक जाती थी और मेरी चूंचियां अंकल को दिख जाती थी . उसके बाद जब तक मैं बैठी रही तब तक वह मेरी चूंचियां ही देखा रहा . वह बोला यार सोफिया तेरी बहू बड़ी खूबसूरत है . मेरा तो दिल आ गया है इस पर . सासू जी जॉनसन के कान में बोली क्या तेरा लौड़ा खड़ा हो रहा है ? वह मुस्कराने लगा . (यह बात सासू जी ने मुझे बाद में बताई )
एक दिन जब मैंने फिर सासू जी कहा तो वह भड़क गयी बोली ये क्या बार बार सासू जी सासू जी लगा रखा है तूने ? मेरा नाम है सोफिया . तुम मुझे सोफिया कहा करो मैंने बोली ऐसे कैसे हो सकता है सासू जी ? वह बोली सोफिया न कहो तो बुर चोदी सोफिया कहो . मादर चोद सोफिया कहो भोषड़ी की सोफिया कहो . पर गाली दे कर कहो . मैं भी तुम्हे बहू नहीं कहूँगी . मैं तुम्हे माँ की लौड़ी मोनिका कहूँगी .
दूसरे दिन मेरी वही सहेली कैंडी आ गयी जिसके हसबैंड से मैं उस दिन चुदवा रही थी . हम दोनों बातें करने लगी . इतने में उसका फोन आ गया .
वह बोली :- हां निकोलस अंकल आ गये हो ? कोई दिक्कत तो नहीं हुई तुझे ?
वह बोला :- हां हा मैं तो तेरे घर में ही बैठा हूँ . कोई दिक्कत नहीं हुई मुझे . मैं तेरे बताये हुए रस्ते पर चला आया . यहाँ मुझे मालूम हुआ है की तेरा हसबैंड विदेश चला गया .
कैंडी बोली :- तो क्या हुआ ? मेरी भोसड़ी वाली माँ तो है न घर में ? तुम माँ चोदो मेरी, अंकल ?
वह बोला :- तुम कब तक आओगी कैंडी ?
कैंडी ने जबाब दिया :- देखो अंकल आज रात को मैं एक चुदाई पार्टी में जा रही हूँ . तुम मेरी माँ का चोदो भोसड़ा और मारो उसकी गांड ? मैं कल चुदाऊंगी तुमसे ? तेरा बहन चोद लौड़ा इतना बड़ा है की मैं बिना चुदाये रह ही नहीं सकती . कहो तो मैं तेरे लिए आज रात को २/३ चूत बुक करा दूं . चोदते रहना रात भर ?
वह बोला :- हा यार बुक करा दो . मैं भी आज कोई नयी बुर चोदना चाहता हूँ .
उसका फोन जैसे ही बंद हुआ वैसे ही मैं बोली :- अरी कैंडी :- आज अपने अंकल का लौड़ा मेरे लिए बुक कर दे न ? आज मैं चुदा लूंगी उससे और अपनी सास भी चुदवा लूंगी .
उसने निकोलस को फोन लगा दिया और कहा सुन मादर चोद अंकल आज रात को तुम मेरी सहेली मोनिका की बुर चोदना और उसकी माँ का भोसड़ा भी ? रात भर चोदना दोनों को खूब मज़ा लेना . मैं आकर पूछूंगी ?
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07-03-2017, 01:19 PM,
#9
RE: चाचा की बेटी
मैं बहुत खुश हो गयी . मैंने आवाज़ लगा कर कहा :- अरी मेरी बुर चोदी सोफिया जल्दी आ न ? तू क्या अपनी झांटें गिन रही है बैठे बैठे ?
वह बोली :- नहीं मेरी माँ की लौड़ी मोनिका ? लो देखो मैं आ गयी .
मैं बोली ;- सुन, आज रात भर तेरा भोषडा चुदवाऊँगी मैं ? वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी .
शाम को निकोलस आ गया . हम तीनो बैठ कर व्हिस्की पीने लगे . इतने में किसी ने नॉक किया . मैंने दरवाजा खोला तो देखा की सामने दो लड़के खड़े है . उन्हें देख कर सास बोलीं अरी मोनिका मैंने इन्हे बुलाया है इनको भी व्हिस्की में शामिल करो . मैंने कहा ये कौन लोग है सोफिया ? उसने मेरे कान में कहा ये दोनों मेरी बहू की बुर चोदने आये है . यह सुनकर मेरे तन बदन की आग और भड़क गयी . मैंने कहा तो फिर खुल कर बताओ न सबको ? तब वह बोली यह है मैथ्यू और यह है जैकी . दोनों जॉनसन के स्टूडेंट्स है . ये दोनों आज तेरी बुर चोदेंगे मोनिका ?
सब लोग एकाएक हंस पड़े ?
मेरी और मेरी सास का मन बस निकोलस के लण्ड पर रखा था . जबसे उसकी तारीफ सुनी तबसे हम दोनों कि चूत में आग लगी हुई है . अब तो मर्द और सामने है इनके लौड़ों के बारे में अभी कुछ भी नहीं मालूम . खोल कर देखूँगी तब पता चलेगा . अचानक निकोलस बोला सोफिया भाभी ज़रा कुछ डांस हो जाये ? मैंने म्यूज़िक ऑन कर दिया और डांस शुरू हो गया . सास तो निकोलस के सामने नाचने लगी और मैं उन दोनों के सामने . मेरी चूंचियां मुझसे ज्यादा नाच रही थी , मेरी सास की चूंचियां तो मुझसे बड़ी है . मैंने कहा सोफिया बुर चोदी तेरी गांड से ज्यादा तेरी चूंचियां झूम रही है . वह बोली तू भी हिला न भोसड़ी वाली अपनी चूंचियां . तेरी भी तो बड़ी बड़ी हो गयी है . तू तो रोज़ ही मर्दों नोचवाती है अपनी चूंचियां ? फिर हमारी निगाहें मर्दों के लौड़ों पर टिक गयी . मैंने कहा साला कोई लौड़ा अभी तक बाहर नहीं आया ? तब तक मेरी जींस की दोनों बटन खुल गयी और मेरी छोटी छोटी झांटे दिखने लगी . मेरी आधी गांड भी दिखने लगी . मैं मस्त होकर नाच रही थी . एकाएक मेरी जींस नीचे गिर पड़ी . इतने में जैकी से उसे दूर फेंक दिया और बोला भाभी तेरी चूत बड़ी प्यारी लग रही है . मैथ्यू बोला हां भाभी तेरी गांड भी बड़ी मस्त है . मेरा लौड़ा खड़ा हो गया साला . मैं बोली मुझे कैसे की तेरा लौड़ा खड़ा हो गया खोल के दिखाओ न मादर चोद . ऐसा कह कर मैंने उसकी पैंट खींच ली और कर दिया उसे नंगा ? उसका लौड़ा भी बहन चोद नाचने लगा . मैं मुड़ी तो देखा की मेरी सास तो निकोलस अंकल का लौड़ा चूस रही है . मुझे जोश आ गया और मैंने मैथ्यू को भी नंगा किया और उसका लौड़ा हिलाने लगी .
नज़र मेरी तीनो लण्ड पर थी पर मुझे वाकई निकोलस का लण्ड बड़ा लगा . लेकिन मुझे इन दोनों के लण्ड भी मज़ा दे रहे थे . मैं कभी मैथ्यू का लण्ड चूसती कभी जैकी का लण्ड ? दोनों के सुपाड़े बड़े जबर्दस्त थे . एकदम चिकने चिकने लाल टमाटर जैसे . मैंने मैथ्यू को नीचे लिटा दिया और झुक कर उसका लण्ड चूसने लगी . मेरी गांड उठी हुई थी . जैकी ने पीछे से लण्ड मेरी बुर में ठोंक दिया . वो चोदने लगा और मैं चुदाने लगी . इतने में मेरे कानों में सासू की आवाज़ पड़ी . वह बोल रही थी अबे मादर चोद तूने एकदम से पेल दिया इतना बड़ा लौड़ा ? माना की मेरा भोसड़ा बड़ा है लेकिन हाथी का लौड़ा खाने के लिए तो नहीं है न माँ के लौड़े निकोलस ? तेरी माँ की चूत साले ठीक से चोद . पहले धीरे से पेल दे पूरा लौड़ा और फिर धक्के मारना शुरू कर ? इतनी सी बात नहीं मालूम तझे बहन चोद ? हां अब ठीक है . अब गांड से जोर लगा भकाभक चोदो . जैसे तू कैंडी की बुर चोदता है .कैंडी की माँ का भोसड़ा चोदता है . आज पहली बार हम सास बहू एक साथ चुदवा रही थी .
सास बोली :- मोनिका तू तो बहुत बढ़िया चुदवा लेती है बुर चोदी ?
मैं बोली :- हां मेरी माँ की लौड़ी सोफिया पर मैं चुदवाना तुमसे सीख रही हूँ आज . मेरी माँ भी इसी तरह चुदवाती है . थोड़ी देर में सोफिया ने निकोलस का लौड़ा अपने बुर से निकाल कर मेरी बुर में घुसा दिया . और मेरी बुर से मैथ्यू का लौड़ा खींच कर अपनी बुर में पेल लिया . ठीक वैसे ही जैसा मेरी माँ करती है . हम दोनों ने लण्ड अदल बदल कर चुदाना शुरू किया तो मज़ा दोगुना हो गया .
दूसरे दिन जब मैं ऑफिस गयी तो शाम को आते वख्त मेरा बॉस मुझसे बातें करने लगा .
वह बोला:- मोनिका अपनी सास की बुर दिलाओ यार , मैंने जबसे उसे देखा है , तबसे उसे चोदने का मन कर रहा है . तुम्हे तो मैं कभी भी चोद लेता हूँ पर तेरी सास को चोदना रोज़ रोज़ तो होगा नहीं ?
मैंने वही कह दिया अच्छा आज शाम को ८ बजे आ जाना . तो वो तो आता होगा . आज चुदेगा तेरा भोसड़ा ? यह बात मैंने सास को जोर से कह कर बताई .
वह दौड़ी दौड़ी मेरे पास आयी और बोली क्या आज तुम मेरा भोसड़ा चुदाओगी . तुम मेरी बुर में लण्ड पेलोगी . तो मैं क्या ऐसे ही पेलवा लूंगी ? अरी मेरी भोषड़ी वाली मोनिका मैं भी आज घुसाऊँगी तेरी चूत में अपने दोस्त जॉनसन का लण्ड . उसने फोन कर कर के मेरी गांड में दम कर रखा है . हर बार कहता है कि अपनी बहू की बुर मुझे दो . मैं चोदूंगा उसे . मैं उसकी बुर लूँगा . मैं उसे लौड़ा चुसाऊँगा . उससे बात करते करते मेरी गांड फटी जा रही है . अब तू जल्दी से चुदवा ले और फ़ड़वा ले अपनी बुर जॉनसन से तो मेरी गांड बचे ? वैसे मैंने आज ही उसे बुला लिया है . वो अभी आता ही होगा . तैयार हो जा तू चुदाने के लिए ? मैंने कहा मैं कोई कमजोर नहीं हूँ , मैं हमेशा तैयार रहती हूँ सोफिया ? तुम जब चाहो तब और जिसका चाहो उसका लण्ड पेल दो मेरी बुर में ?
थोड़ी देर में जॉनसन आ गया और उसके थोड़ी देर बाद विक्रम मेरा बॉस भी आ गया . मैंने दोनों का आपस में परिचय कराया और फिर ड्रिंक्स का दौर चलने लगा . बात चीत होने लगी ,
मैंने अपने बॉस विक्रम से कहा :- देखो सर तुम तो मुझे जब कब चोद्ते रहते हो आज मैंने तुम्हे अपनी सास का भोसड़ा चोदने के बुलाया है . और जॉनसन अंकल तुम मेरी सास चोदते रहते हो . पर आज मेरी सास ने तुम्हे मेरी बुर चोदने के लिए बुलाया है . अब यह बताओ कि तुम दोनों एक ही कमरे में चोदोगे कि अलग अलग कमरे में ? विक्रम बोला :- यार मैं तो ग्रुप में चोद कर ज्यादा मज़ा लेता हूँ .
जॉनसन बोला :- मैं भी ग्रुप में चोदने का खिलाडी हूँ .

बस फिर क्या एक ही कमरे में मैं जॉनसन से चुदवाने लगी और मेरी सास विक्रम से चुदवाने लगी . हम दोनों ने एक दूसरे को देख देख कर खूब मस्ती से रात भर चुदवाया .


=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=०=० समाप्त
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07-03-2017, 01:19 PM,
#10
RE: चाचा की बेटी
सबिहा और सेल्समैन

लेखक:- अन्जान

सबिहा: (फोन पर अपने शौहर से बात करते हुए) क्या, तुम्हें कुछ दिन और दुबई में रहना पड़ेगा?



रिज़वान: हाँ यार, रहना तो पड़ेगा, काम ही इतना ज़रूरी है। दो महीने और लग जायेंगे।



सबिहा: क्या दो महीने और! प्लीज़ यार, मैं तो अकेले बिलकुल बोर हो चुकी हूँ।



रिज़वान: और मेरा हाल तो तुम पूछो मत। रात को नींद भी नहीं आती तुम्हारे बिना।



सबिहा: रात को नींद तो मुझे भी नहीं आती आज कल।



रिज़वान: हाँ सिर्फ़ तुम्हारे बारे मे सोचता रहता हूँ और प्लान बनाता रहता हूँ की घर आने पर तुम्हारे साथ क्या-क्या करूँगा।



सबिहा: अच्छा तो बताओ क्या-क्या करोगे?



रिज़वान: वो तो सरपराईज़ ही रहने दो अभी। फिलहाल तो मैं मुठ मार के ही काम चला रहा हूँ।



सबिहा: चल झूठे। तुमने कोई लडकी फँसा ली होगी अब तक।



रिज़वान: अभी तक तो नहीं मगर वो जो मेरा दोस्त बिलाल रहता है ना यहाँ? उसकी बीवी ज़हरा मेरे को लाईन देती रहेती है।



सबिहा: अरे वाह तो तुम्हारी तो ऐश है। तो तुम भी लाईन दो ना।



रिज़वान: तुम्हे बुरा नहीं लगेगा?



सबिहा: नहीं इतने दिन हो गये हैं, मैं समझती हूँ की तुमसे नहीं रहा जा रहा होगा।



रिज़वान: और तुम? तुम कैसे काबू करती हो अपने आप को?



सबिहा: हा.. हा… हा… मैं भी अपनी अँगुली या बैंगन, खीरे वगैरह से अपनी चूत के साथ थोड़ा खेल लेती हूँ रात को सोने से पहेले।



रिज़वान: तो तुम भी कोई ढूँढो ना अपने टाइम पास के लिये।



सबिहा: तुम्हें अच्छा लगेगा?



रिज़वान: हाँ मुझे ज़हरा के साथ चुदाई करने में और भी मज़ा आयेगा जब मैं सोचूँगा की तुम भी वहाँ किसी स्टड के साथ मजे ले रही हो।



सबिहा: ठीक है, तो मैं भी ढूँढती हूँ कोई।



रिज़वान: हाँ फिर हम दोनों फोन पर एक दूसरे को अपना अपना एक्सपीरियंस बतायेंगे। बहुत मज़ा आयेगा।



सबिहा: इससे हमारे रिश्ते मे कोई दिक्कत तो नहीं आ जायेगी?



रिज़वान: अरे नहीं पगली, बल्कि हमारा रिश्ता और गहरा हो जायेगा।



सबिहा: सच?



रिज़वान: हाँ बिलकुल। और सोचो जब हम मिलेंगे और अपने साथ हुए तजुर्बों को एक दूसरे को तफसील से एकटिंग कर के बयान करेंगे को हमारी चुदाई कितनी धमाकेदार होगी।



सबिहा: (हँसते हुए) हैवान कहीं के!



रिज़वान: अरे मेरी जान, हैवानियत तो मैं तुम्हे मिलने पर दिखाऊँगा जब तब तुम मुझे किसी स्टड को सिड्यूस करने वाली घटना बताओगी।



सबिहा: और तुम भी मेरा सेक्स की प्यासी शेरनी वाली सूरत देखोगे जब तुम मुझे बताओगे कि तुमने ज़हरा को कैसे अपने साथ चुदाई के लिये राज़ी किया।



रिज़वान: ठीक है, आइ मिस यू! बॉय!



दो दिनों बाद, सबिहा बाज़ार से शॉपिंग करके लौटी थी और नींबू के साथ वोडका का तगड़ा सा पैग बना कर चुसकियाँ ले रही थी। उसका इरादा एक-दो पैग पीने के बाद अपने कपड़े उतार कर बिस्तर में जा कर कोई ब्लू-फिल्म देखते हुए अपनी चूत को मोटे से केले से चोदने का था। एक पैग खत्म करने के बाद सबिहा दूसरा पैग बनाने के लिये उठी ही थी कि उसे दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ आयी।



सबिहा: अरे ये कौन आ गया? चलो देखा जायेगा... अच्छा हुआ अभी मैंने कपड़े नही उतारे थे।



सबिहा मार्बल के फर्श पर अपने सैंडल की हील खटखटाती बेमन से दरवाज़े की तरफ बढ़ी। उसने दरवाज़ा खोला तो एक लगभग २० साल के नौजवान और गठीले लड़के को खडा पाया। उसे देखते ही सबिहा के शरीर मे एक लहर सी दौड़ गयी।



सबिहा: जी कहिये?



सेल्समैन: गुड मार्निंग मैडम! मैं अपनी कम्पनी के समान का प्रचार कर रहा हूँ।



सबिहा: अच्छा, क्या बेच रहे हो?



सेल्समैन: जी हमारी कम्पनी लेडीज़ पैन्टीज़ और ब्रा बनाती है।



सबिहा: अच्छा, तो फिर तुम्हारी कम्पनी सेल्स गर्ल्ज़ को क्यों नहीं भेजती बेचने के लिये?



सेल्समैन: जी मैडम, आज कल की लेडीज़ तो हेन्डसम सेल्समैन की ही डिमान्ड करती हैं। अगर आप को कोई ऐतराज़ है तो मैं चला जाता हूँ और कल किसी सेल्स गर्ल को भेज दूँगा।



सबिहा: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, मुझे तुम से कोई प्राब्लम नहीं है।



सेल्समैन: वैरी गुड। थैंक यू मैडम!



सबिहा: आओ इधर बैठ जाओ। पानी पियोगे या वोडका...?



सेल्समैन: जी नहीं, थेन्क यू।



सबिहा: कितने सालों से तुम ये काम कर रहे हो?



सेल्समैन: दो साल हो गये हैं लगभग।



सबिहा: (हँसते हुए) तो काफ़ी एक्सपीरियंस है!



सेल्समैन: जी हाँ।



सबिहा: तो फिर तो तुम काफ़ी लेडीज़ को खुश कर चुके हो... हा। हा। हा।



सेल्समैन: (थोड़ा शर्माते हुए) जी हाँ कस्टमर्स.. ऑय मीन लेडीज़ को खुश करना ही मेरा काम है।



सबिहा: चलो देखते हैं। मेरी पसन्द थोडी हट के है।



सबिहा ने अपने लिये दूसरा पैग तैयार किया और फिर एक सिप ले कर बोली।



सबिहा: वैसे एक बात तुमने सही कही थी की तुम्हारी कम्पनी के सेल्समैन हेन्डसम हैं।



सेल्समैन: थेन्क यू वेरी मच।



सबिहा: चलो तो दिखाओ अपना सामान।



सेल्समैन: जी??? जी अच्छा मगर पहले बताइये कि आप का साईज़ क्या है। दर असल सारे गार्मेन्ट्स मेरी गाड़ी मे बक्सों मे पड़े हैं और मैं ठीक साईज़ वाला बक्सा निकाल के ले आऊँगा।



सबिहा: (नासमझी की एकटिंग करते हुए) किस का साईज़?



सेल्समैन: आप कौन सा ब्रा साईज़ और कौन सा पैन्टी साईज़ पहनती हैं?



सबिहा: मेरे खयाल से ब्रा साईज़ थर्टी-सिक्स है। अच्छा देखतें हैं तुम कितने अच्छे सेल्समैन हो। मुझे देख कर बताओ मेरा साईज़ क्या होगा?



सेल्समैन: (सबिहा के बूब्स को घूरते हुए) जी मेरे खयाल से थर्टी-फोर होना चाहिये। आप कहें तो मैं नाप के बताऊँ?



सबिहा: हाँ नाप के देखो।



सेल्समैन ने इंची टेप को सबिहा की पीठ के दोनो तरफ़ से कन्धों के नीचे से घुमा कर उसके बूब्स के नीचे दोनो सिरों को जोड दिया। उसकी अँगुलियाँ सबिहा के बूब्स को हल्के से छूईं और साईज़ पढने के लिये वो अपना मुँह टेप के बिल्कुल पास ले आया। सबिहा ने उसकी गरम साँसें अपने बूब्स पर महसूस कीं और उसी समय यह तय कर लिया की रिज़वान के साथ बनाये प्लैन को वो आज हकीकत में बदल देगी।



सेल्समैन: आपका अंदाज़ा बिलकुल सही था। आपका साईज़ थर्टी-सिक्स ही है।



सेल्समैन: अच्छा मैडम, आपको अपना कप साईज़ तो मालुम होगा?



सबिहा: (जानबूझ कर) नहीं, मुझे नहीं मालुम।



सेल्समैन: तो फिर आप अपना कोई पुराना ब्रा दे दीजिये। मैं देख कर पता लगा लूँगा।



सबिहा: नहीं, मेरे पुराने ब्रा मे कोई भी ऐसा नहीं है जो मुझे बिलकुल फ़िट आता हो, तुम अपने हाथों से नाप के ही देख लो ना।



सेल्समैन: (थोडे आश्चर्य के साथ) ज..जी.. मैडम?



सबिहा का दूसरा पैग भी करीब-करीब खत्म होने आया था और उसे हल्का सा मीठा सुरूर महसूस हो रहा था। जो थोड़ी बहुत हिचकिचाहट थी वो भी दूर हो गयी थी।



सबिहा: सॉरी अगर मैं तुम्हें अन-कमफरटेबल कर रही हूँ तो। मेरे शौहर मुल्क के बहार गयें हैं और मैं बोर हो रही थी, इसलिये तुम्हें जल्दी जाने देना नहीं चाहती।



सेल्समैन: आप चिंता मत करो। आप जब तक चाहें मैं यहीं आप के साथ रहुँगा। अच्छा कितने दिनों से बाहर हैं आप के हस्बैंड?



सबिहा: तीन महीने हो गयें हैं और अभी दो-तीन महीने और लगेंगे।



सेल्समैन: ओ माई गाड! ये तो बहुत लम्बा टाईम है!



सबिहा: हाँ! अब तो हद हो गयी है। आखिर मेरी भी कुछ ज़रूरतें हैं।



सेल्समैन: जी मैं समझ सकता हूँ।



सबिहा: तुम्हारी शादी हुई है?



सेल्समैन: जी अभी तो मैं काफी छोटा हूँ शादी के लिये।



सबिहा: कोई गर्लफ़्रेन्ड?



सेल्समैन: नहीं वो भी नहीं।



सबिहा: तो फिर तुम कुछ नहीं समझ सकते। वैसे तुम जैसे हेन्डसम लडके की कोई गर्लफ़्रेन्ड कैसे नहीं है?



सेल्समैन: जी मेरे पास टाईम ही नहीं है। दिन में मैं कालेज जाता हूँ और शाम को मैं ये पार्ट टाईम जाब करता हूँ।



सबिहा: ओके समझी। चलो छोडो… ले लो मेरा नाप।



सेल्समैन: जी अच्छा।



सेल्समैन सबिहा के करीब आया और इंची टेप को सबिहा की पीठ के दोनो तरफ़ से कन्धों के नीचे से घुमा कर इस बार उसके बूब्स की गोलाइयों के साईज़ का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करने लगा।



सबिहा: (हल्की से मुस्कुराहट देते हुए) अगर तुम दूर से इतनी लूज़ली साईज़ नापोगे तो कैसे पता चलेगा?



सेल्समैन: (अब कम भय के साथ) आप ठीक कह रहीं हैं मैडम।



सेल्समैन ने अब अपने हाथ सबिहा के टॉप के उपर से उसके बूब्स पर रख दिये और थोड़ा सा दबाया।



सेल्समैन: जी मेरे हिसाब से आपका कप साईज़ डीडी होना चाहिये। आपके टॉप और ब्रा की वजह से थोड़ा ज़्यादा आ रहा है।



सबिहा: नहीं नहीं... मुझे बिलकुल ठीक साईज़ ही चाहिये। मैं टॉप और ब्रा उतार देती हूँ और तुम नाप लो।



सेल्समैन: (आश्चर्य के साथ) ज..जी.. मैडम? आप जैसा कहें मैडम।



सबिहा: जब मैं इतना सब कर रही हूँ तो तुम मुझे सबिहा बुला सकते हो।



सेल्समैन: जी.. मैं कैसे... मैं तो आपसे काफी छोटा हूँ...?

सबिहा: सबिहा नहीं तो सबिहा जी तो कह सकते हो?



सेल्समैन: ओके सबिहा जी … आप भी मुझे विकास बुला सकती हैं।



सबिहा ने अपना टॉप खींच कर उतार दिया और पीछे लगे ब्रा के हुक्स खोलने का प्रयास करने लगी।



सबिहा: अरे विकास, हुक्स खोलने मे मेरी मदद करो ना।



सबिहा पीछे घूम गयी और विकास ने उसके ब्रा की पट्टी को दोनो हाथों से पकड़ कर हुक्स खोल दिये। सबिहा अब टॉपलेस हो कर विकास की तरफ़ घूम गयी। विकास ने उसके बूब्स को कुछ देर निहारा और फिर अपने हाथों को उसके बूब्स पर रख कर नापने लगा। उसने सबिहा के बूब्स को थोड़ा दबा दिया। सबिहा ने अपनी आँखें बन्द करके हलकी सी आह भरी। विकास अब तक सबिहा के इरादे समझ चुका था कि ये चुदाई की भूखी औरत उससे क्या चाहती है! 



विकास: सबिहा जी आपका बस्ट साईज़ आपके बैंड साईज़ से छः इंच ज्यादा है… तो आपका कप साईज़ डीडी है । वाह ३६ डीडी तो हर लडकी का सपना होता है। आप बहुत लकी हो।



सबिहा: (आँख मारते हुए) हाँ विकास, थेन्क यू। मगर इस समय तो मुझे तुम लकी लग रहे हो



विकास: यह तो सच है। अच्छा पैन्टी का साईज़ भी नाप लें?



सबिहा: हम, मगर यहाँ नहीं। बेडरूम मे चलते हैं। पर उसके पहले वोडका-निंबू का एक-एक जाम हो जाये।



विकास: ठीक है।



सबिहा ने दो पैग तैयार किये। दोनों ने अपने-अपने पैग खत्म किये और सबिहा विकास का हाथ पकड़ कर उसे बेडरूम मे ले गयी और बेड के किनारे पर बैठ गयी। सबिहा तो तीन पैग के बाद पूरी मस्ती में थी।



सबिहा: हाँ अब तुम मेरी पैन्टी क साईज़ नाप सकते हो।



विकास ने सबिहा की स्कर्ट उठाया और उसकी पैन्टी के उपर से उसकी कमर पर हाथ फेरा।



विकास: सबिहा ये स्कर्ट बीच मे अड़ रही है। इसे उतारना पड़ेगा।



सबिहा: तो सोच क्या रहे हो?



विकास ने सबिहा की स्कर्ट की साईड पर लगी ज़िप को खोल दिया और खींचने लगा। सबिहा ने भी अपनी गाँड उठा कर स्कर्ट उतारने मे उसकी मदद की। सबिहा ने एक छोटी सी पैन्टी पहनी हुई थी जिसमे से उसकी चूत की शेप उभर के दिखायी पढ़ रही थी। विकास से रहा नहीं गया और वो पैन्टी के उपर से सबिहा की चूत को सहलाने लगा। सबिहा के बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड गयी और उसने अपने घुटनों को जोड़ते हुए विकास का हाथ को अपनी जाँघों के बीच मे जकड लिया।



सबिहा: क्यों कैसी लगी मेरी पैन्टी?



विकास: अच्छी है, मगर मुझे उतार के देखनी पड़ेगी।



सबिहा: अरे वाह, मैं तुम्हारे सामने सिर्फ़ पैन्टी और सैंडल पहने बैठी हूँ और तुमने पूरे कपड़े पहन रखे हैं। ये तो ठीक नहीं है।



विकास: तो उतार लो ना जो आपको उतारना है। मना किसने किया है।



सबिहा ने विकास की शर्ट के बटन खोले और अपने हाथ उसकी कसी हुई चेस्ट पर फेरने लगी।



सबिहा: वाह! तुम्हारी बोडी तो बड़ी मैस्क्यूलीन है।



विकास: हाँ मैं हर रोज़ ऐक्सरसाईज़ करता हूँ।



सबिहा ने फिर विकास की बेल्ट उतारी और उसकी पेन्ट आगे से खोल कर नीचे खींच दी। विकास का तना हुआ लन्ड उसके अन्डरवियर में से तोप की तरह उभर रहा था। सबिहा ने अन्डरवीयर के उपर से विकास के लन्ड को अपनी मुठी मे जकड़ लिया।



सबिहा: या अल्लाह! तुम्हारा लन्ड तो बहुत ही मोटा और तगड़ा है। इसकी भी रोज़ ऐक्सरसाईज़ करते हो क्या?



विकास: हाँ इसकी भी रोज़ मालिश होती है मेरी मुट्ठी में।



सबिहा: चलो अब हम एक जैसी हालत मे हैं - अपने अपने अन्डरवीयर में। आओ मुझे अपने आगोश में ले लो ना।



यह कह कर सबिहा खड़ी हो कर और विकास से चिपट गयी। विकास ने कस कर सबिहा को अपनी बाँहों में जकड़ लिया। सबिहा के बूब्स उसकी छती पर बुरी तरह से दबने लगे। विकास का खड़ा लन्ड अंडरवीयर के नीचे से सबिहा की जाँघों के बीच मे उसकी पैन्टी पर रगड़ने लगा। फिर विकास ने सबिहा के गले की साईड पर एक किस किया तो सबिहा ने एक लम्बी आह भरी। अब तक दोनो ही बहुत गरम हो चुके थे। विकास सबिहा की पैन्टी के उपर से उसकी गाँड पर हाथ फेरने लगा तो सबिहा ने विकास के होंठों को चूसना शुरू कर दिया। फिर विकास ने सबिहा की पैन्टी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत पर अँगुली फिरायी। सबिहा की चूत अब तक काफ़ी भीग चुकी थी।



सबिहा: आआआआआआआहहहहहहह विकास मेरी पैन्टी उतार दो ना। मेरे साथ जो करना है कर लो। आज मैं सिर्फ़ तुम्हारी हूँ।



विकास: तो फिर मेरा अन्डरवीयर उतारो और मेरे लन्ड को किस करो।



सबिहा झुक कर अपने घुटनो पर बैठ गई और विकास का अन्डरवीयर खींचने लगी मगर विकास के खड़े लन्ड में वो अड़ गया। सबिहा ने अपना हाथ अन्डरवीयर के अन्दर डाला और लन्ड को अज़ाद कर दिया। लन्ड इतना तन कर खड़ा था की सबिहा की मुठी मे पूरा भी नहीं आ रहा था।



सबिहा: सुभानल्लाह! कितना बडा और मोटा है!



विकास: तो किस करो ना इसे।



सबिहा ने लन्ड की टोपी को चूसा और फ़िर पूरा सुपाड़ा मुँह के अन्दर ले लिया। विकास ने उसका सिर पकड़ा और लन्ड को उसके मुँह मे धकेल दिया। सबिहा उसे चूसने लगी। विकास लन्ड को सबिहा के मुँह के अन्दर बाहर करने लगा। बीच-बीच मे सबिहा उसे निकाल कर लन्ड की पूरी लम्बाई चाटती। थोडी देर बाद विकास को अपना लन्ड बाहर निकालना पडा जिस से वो जल्दी न झड़ जाये।



सबिहा: क्यों मज़ा आया?



विकास: हाँ बहुत! आप बहुत अच्छा चूसती हो... अब मुझे अपनी चूत दिखाओ ना?



सबिहा से अब रहा नहीं जा रहा था। वो वोडका और वासने के नशे में झूम रही थी। उसने जल्दी से अपनी पैन्टी उतार दी और हाई हील के सैंडल के अलावा पूरी नंगी खड़ी हो गई - विकास के तने लन्ड के सामने। सबिहा की चूत का रस उसकी टाँगों से बह रहा था। विकास ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उस पर चढ़ कर उसके बूब्स बुरी तरह चूसने लगा।



सबिहा: उउउउईईईई उउफ़फफ़आ..हहह..आआहहहहहह प्लीज... थोड़ा धीरे चूसो ना।



विकास ने अब अपनी जीभ उसकी नाभी से डाली। सबिहा उसके मुँह को अपनी चूत की तरफ़ धकेलने लगी। विकास उसका इशारा समझ गया और अपना मुँह उसकी चूत की ओर ले गया। फ़िर वो उसकी चूत को चाटने लगा और उसकी क्लिट पर अपनी जीभ की नोक फिराने लगा। फ़िर जीभ की नोक को उसकी चूत के होंठों के बीच डाल कर उन्हें खोलने लगा ।



सबिहा अब बहुत ज़्यादा तडप रही थी और उसका बदन उत्तेजना में जोर ज़ोर से काँप रहा था। वो बहुत आवाज़ें भी निकल रही थी।



सबिहा: ममममम... ऊऊईईईई... आआआ मैं मर... जाऊँगी... प्लीज! ये जिस्म तुम्हारा है... आआआहहहहह॥॥॥!!!!!! चढ़ जाओ मेरे जिस्म पर और मेरी चूत को चीर डालो अपने लन्ड से।



विकास उठा और सबिहा के नंगे बदन पर चढ गया और उसके बूब्स को मसलते हुए उसकी जाँघें फैलायी और लन्ड को चूत के मुख पर रख कर थोड़ा ज़ोर लगया। एक जोर के झटके ने लन्ड के सुपाड़े का आधा भाग अन्दर कर दिया। इतना लम्बा और मोटा लन्ड होने की वजह से सबिहा के मुँह से दर्द-भरी सिसकी निकली पर अब उसे किसी चीज़ की परवाह नहीं थी और उसने अपनी टाँगें और फ़ैला दीं। विकास ने अपना लन्ड आहिस्ता-आहिस्ता सबिहा की चूत मे पूरा घुसा दिया।



सबिहा: ऊऊऊऊऊईईईईईई... ममममम.... अल्लाह... इस लन्ड ने तो मुझे मार डाला !



अब विकास सबिहा के ऊपर लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों से चूसने लगा। वो अपने हाथों से उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। अपने लन्ड को थोडी तेज़ी से सबीहा की चूत मे अन्दर-बाहर करने लगा। सबिहा ने अपनी जाँघें विकास की कमर पर बाँध लीं और अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदवाने लगी। कुछ समय चुदाई के बाद सबिहा ने एक लम्बी चींख मारी और उसका बदन झटके मारने लगा। विकास समझ गया की सबिहा को ओरगैज़्म आ गया है।



विकास ने अब अपनी चुदाई की रफ़्तार बढ़ाई और लम्बे-लम्बे स्ट्रोक्स लेने लगा। साथ ही अपने होंठों से वो सबिहा के बूब्स को ज़ोर से चूसने लगा। सबिहा की चूत इतनी गीली हो चुकी थी की जब भी विकास का लन्ड अन्दर जाता तो एक फच्च-फच्च की अवाज़ आती।



सबिहा: ऊउउहहहहऊऊऊऊऊऊहहहहहह... आआऊऊ... आआऊओ... चोदो मुझे और जोर से!!! आआहह फ़क मी हार्ड.... उउउउहहहहह... आआआआआआआँआँआँआँ।



सबिहा को एक बार और झटके खाते हुए ओरगैज़्म आ गया। उसने विकास को उसे डोगी-स्टायल में चोदने के लिये कहा। वो बिस्तर पर घुटनों के बल, अपनी गाँड उठा कर झुक गयी। विकास ने भी घुटनो के बल बैठ कर पीछे से उसके बूब्स को जकड लिया और अपना लम्बा लन्ड उसकी चूत मे दे दिया। अब लन्ड सबिहा की चूत की काफ़ी गहरायी तक अन्दर जाने लगा। इस तरह लगभग दस मिनट और चुदाई चलती रही। फ़िर विकास से रहा नहीं गया और उसका पूरा बदन बुरी तरह अकड़ गया। उसके लन्ड का साईज़ और फूलने लगा और वो हार्ड भी ज़्यादा होने लगा। एक लम्बी से आह भर के उसने एक आखरी स्ट्रोक लिया और उसके लन्ड ने विस्फोट के साथ अपना सारा स्पर्म सबिहा की चूत मे छोड़ दिया। सबीहा भी उसके टाईट लन्ड की आखरी स्ट्रोक के साथ तीसरी बार झड़ गयी। दोनों संतष्ट हो कर थोड़ी देर बिस्तर पर चिपक के लेट गये।



विकास: क्यों सबिहा जी मज़ा आया?



सबिहा: उफ़फ़फ़फ़फ़... बहुत मज़ा आया। आज के बाद तुम रोज चोदने आ जाया करो। जब तक मेरे शौहर नहीं आ जाते... आओगे ना...?



विकास: हाँ क्यों नहीं। आप जब कहोगी मैं हाज़िर हो जाऊँगा। मगर आपके शौहर को पता चल गया तो?



सबिहा: उसकी चिंता तुम मत करो। उन्हें पता है की मैं किसी गैर-मर्द के साथ चुदाई करने वाली हूँ।



विकास: सच में? और उन्हें इस मे कोई ऐतराज़ नहीं है?



सबिहा: नहीं। हम ने सोच कर ही ये फ़ैसला किया था की जब तक हम एक दूसरे से दूर हैं तो ऐसे ही अपनी अपनी प्यास बुझायेंगे।



विकास: आप और आपके शौहर तो बहुत ही खुले विचारों के हैं।



सबिहा: हाँ... और शायद उनके आने के बाद मैं उन्हें थ्रीसम के लीये भी राज़ी कर लूँ तुम्हारे साथ। तुम्हे ये अच्छा लगेगा? मेरी कब से तमन्ना है कि मैं अपने गाँड और चूत में एक साथ दो लंड लूँ।



विकास: बहुत अच्छा। मेरी तो किसमत ही खुल गयी है।



अगले दिन दोबारा मिलने का प्लान बना कर विकास ने सबिहा के होंठों को चूमा और चला गया। जाने से पहले उसने सबिहा को एक सुन्दर नीले रंग का ब्रा और पैन्टी का सेट उपहार मे दिया जो की बिल्कुल जालीदार था और बहुत छोटा भी। सबिहा ने उसे अगले दिन उसी सेट में मिलने की प्रोमिस किया।



उसके जाते ही सबिहा ने रिज़वान को फोन किया और सारी बात बतायी। रिज़वान ने भी उसे बताया की वो अपने दोस्त की बीवी के साथ चुदाई कर चुका है। दोनों ने वादा किया की मिलने पर वो अपनी सेक्स लाईफ़ को ऐसे ही रोमाँचक बनाये रखेंगे।



!!! समाप्त !!!
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