ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 04:39 PM,
#81
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
मालिनी सुबह उठी तो शिवा बेसुध सो रहा था। वह बाथरूम से फ़्रेश होकर एक नायटी पहनी और किचन में पहुँची। जैसे ही वो बाहर निकली शिवा उठा और बाथरूम से फ़्रेश हुआ। मालिनी को पता नहीं था कि वो जाग रहा था। वो बाहर ना जाकर चुपचाप ड्रॉइंग रूम में खुलने वाली खिड़की को थोड़ा सा खोला और पर्दा हल्का सा हटाकर बाहर झाँका। ड्रॉइंग रूम पूरा दिख रहा था। वो एक स्टूल लेकर वहाँ धैर्य से बैठ गया। तभी मालिनी किचन से बाहर आयी और राजीव को आवाज़ दी: पापा आओ चाय बन गयी।

राजीव बाहर आकर डाइनिंग टेबल की ओर बढ़ा । वो बनियान और लूँगी में ही था। तभी चाय लेकर मालिनी आयी। जैसे ही वो उसके पास आयी और चाय टेबल पर रखी , राजीव ने खींचकर उसे अपनी गोदी में खींच लिया। और वो उसकी गोद में आकर मचल कर बोली: उफफफ पापा चाय तो पी लो।

शिवा हैरान रह गया कि इनमे तो बहुत याराना है।

राजीव: बेटी चाय भी पी लेंगे। पहले ये शहद तो पी लूँ। ये कहते हुए वह उसके गाल और फिर होंठ चूसने लगा। पहले मालिनी ने उसका विरोध किया फिर ख़ुद भी उसका साथ देने लगी। फिर मालिनी उठी और बग़ल की कुर्सी में बैठने लगी। तभी वो उसकी गाँड़ सहलाने लगा। और कुर्सी में हाथ का पंजा रख दिया।

मालिनी हंस कर : पापा हाथ निकालो दब जाएगा ।

वह: दबने दो बेटी तुम्हारी गाँड़ के नीचे ही तो दबेगा ना। वो उसकी गाँड़ मसलकर बोला।

शिवा अब अपने लंड को सहलाने लगा था। भोली सी दिखने वाली मालिनी इतनी गरम माल होगी। ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था।

मालिनी: पापा प्लीज़ हटाओ ना हाथ। वह हँसकर हाथ हटाया। पर अब वो बग़ल की कुर्सी में बैठी मालिनी की चूचि दबाकर बोला: बेटी रात को लिंगरी में तुम क़यामत ढा रही थी। तुम्हारी ये चूचियाँ तो बड़ी ही रसीलि दिख रहीं थीं। उफ़फ़्फ़ क्या गाँड़ मटकाती हुई चल रही थी। जानती हो मैं मूठ्ठ मारा तभी सो पाया।

मालिनी: पापा आप भी ना। बहुत गरम हो इस उम्र में भी।

राजीव अपनी लूँगी में से लण्ड बाहर निकाला और बोला: देखो अभी भी खड़ा है।

मालिनी हँसकर उसको पकड़ ली और सहलाकर बोली: आप दोनों बाप बेटा दो मिनट में ही खड़ा कर लेते हो।

शिवा हैरान रह गया मालिनी के मुँह से ऐसी बातें सुनकर। वो पापा और उसकी तुलना भी बड़ी बेशर्मी से कर रही है।

तभी राजीव बोला: बेटी थोड़ा सा चूस दो ना।

मालीनी झुक कर थोड़ी देर चूसी फिर बोली: पापा इनके जाने के बाद अच्छे से चुसवा लेना।

अब वो उठी और राजीव ने फिर से उसे पकड़ लिया और बोला: अच्छा एक मीठी सी चुम्मी दे दो ना। प्लीज़ ।

मालिनी : उफफक पापा आप भी ना बच्चों जैसी ज़िद करते हो।

शिवा को समझ नहीं आया कि पापा इतनी चुम्मियाँ तो ले चुके हैं तब तो मालिनी कुछ नहीं बोली अब क्या मुश्किल है उसे फिर से चुम्मी देने में? तभी उसका मुँह खुला रह गया। उफफफ ये क्या हो रहा है उसकी आँखों के सामने।

मालिनी ने अपनी नायटी ऊपर करनी शुरू की। अब उसकी नायटी उसके पेट तक उठ चुकी थी। राजीव नीचे बैठा और मालिनी की जाँघें सहलाया और फिर बुर में ऊँगली फेरकर मस्ती से उसको चूमने लगा। शिवा की साँसे फूल रही थी। उग्फ़्फ़्फ़्फ़ ये कैसी बहु है जो ड्रॉइंग रूम में अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर अपने ससुर से चटवा रही है। और वो भी तब जब कि बग़ल के कमरे में उसका पति मौजूद है। शिवा ने देखा कि अब पापा उसकी बुर को चाट रहे थे और मालिनी उइइइइइइइइ कहकर मस्ती से उसका सिर अपनी बुर में दबा रही थी।

तभी राजीव ने उसको घुमाया और उसके मस्त गोल चूतरों को दबाकर उनको चूमने लगा। फिर वो उसके चूतरों को फैलाया और पूरी दरार चाटा और फिर उसकी गाँड़ के छेद में जीभ डालकर वह मानो गाँड़ चोदने लगा। शिवा ने मालिनी के चेहरे को ओर देखा तो वो मानो आनंद में डूबकर आँखें बंदकरके गाँड़ चुसाई का मज़ा ले रही थी और उसकी आवाज़ आऽऽऽहहह करके निकल रही थी। वो अब भी एक हाथ से अपनी नायटी उठाई हुई थी।

मालिनी: आऽऽऽहहहह पापा बस आप छोड़िए ना । शिवा को चाय देनी है । उइइइइइइइ बस कीजिए नाआऽऽऽऽऽ।

राजीव मुस्कुरा कर उठा और मालिनी ने भी नायटी नीचे की। शिवा लूँगी से बाहर झाँकते हुए उसके लण्ड को देखा और मालिनी ने उस मस्त लंड को सहलाया और हँसकर बोली: पापा आप इस उम्र में भी मस्त मर्द हो।

शिवा उत्तेजना से कांप रहा था। तभी शिवा ने देखा कि राजीव मालिनी की पीठ से चिपक गया है। और नायटी के ऊपर से ही अपना लण्ड उसकी गाँड़ की दरार में रगड़ रहा था। मालिनी उफफफफ छोड़िए ना पापा कहकर छूटने की कोशिश की। तब वो उसकी दोनों चूचियों को अपने पंजों में दबाकर बोला: बेटी कब चुदवाओगी ? क्या मेरे मरने के बाद हाँ करोगी चुदवाने के लिए?

मालिनी: आऽऽहहह पापा छोड़िए ना। आप क्यों मरेंगे । मरे आपके दुश्मन। आपको तो अभी मेरी चुदाई का शुभारम्भ करना है।

शिवा सोचने लगा कि इसका क्या मतलब है? वो पापा के साथ ये सब कर रही है और अभी भी उनसे चुदी नहीं है? ये क्या चक्कर है?

राजीव ख़ुश होकर उसको चूमा और छोड़ दिया। वो अपनी गाँड़ की दरार से फँसी हुई नायटी को निकाली और किचन में चली गयी। राजीव भी अपना लण्ड दबाके अपने कमरे में चला गया।

चाय लेकर मालिनी शिवा के पास आयी। वो जाकर उलटा होकर लेट गया था। वो चड्डी में था और पेट के बल लेट कर अपना खड़ा लंड दबाकर पड़ा हुआ था । वो बुरी तरह से उत्तेजित था। अब मालिनी आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर हिलाई और बोली: उठिए ना चाय लाई हूँ। शिवा उठने का नाटक किया और सीधा होकर लेट गया। मालिनी की आँखों के सामने उसका लण्ड चडड्डी से खड़ा हुआ और मोटा लाल सुपाडा चड्डी से बाहर था। मालिनी मुस्कुराई और बोली: नींद में किसकी ले रहे थे?

शिवा हँसकर: अरे तुम्हारे सिवा किसी और को चोदने का सवाल ही नहीं है जान। फिर वह चाय पीने लगा। मालिनी बड़े प्यार से उसके लाल सुपाड़े को सहला कर बोली: बेचारा कितना कड़ा हो गया है। वो झुकी और उसके सुपाड़े को वैसे ही चूसी जैसे अभी पाँच मिनट पहले उसने पापा का सुपाडा चूसा था। शिवा चाय रखकर उसे अपनी बाँहों में लेकर उसको चूमने लगा और फिर बिस्तर पर गिरा कर उसके ऊपर आ गया।अब वो उसके होंठ चूमा और फिर उसकी नायटी को ऊपर उठा दिया। अब वो कमर के नीचे पूरी नंगी थी। उसकी जाँघ सहलाया और फिर उसकी टाँगे उठाया और फैलाकर जैसे ही उसका हाथ उसकी बुर पर गया वो उत्तेजित हो गया। पापा का थूक अभी भी वहाँ लगा हुआ था। उन्होंने अभी अभी चाटा था वहाँ। तभी उसकी निगाह गाँड़ की दरार पर गया और छेद को सहलाया और वहाँ भी पूरा पापा का थूक पाकर वो मस्त हो गया। उफफफफ क्या लड़की है अभी अभी पापा से चटवा कर आइ है और पूरी गीली है। अब वो दो उँगलियाँ बुर के अंदर डाला और पाया कि अंदर भी पूरी गीली है। लगता है पापा ने बहुत मज़ा दिया है उसको। तभी तो इतनी मस्त होकर पूरी तरह से इसकी बुर पनियायी हुई है। आऽऽऽऽह वो सोचा और उत्तेजित होकर उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और अपना लण्ड एक ही धक्के में उसकी बुर में घुसेड़ दिया। मालिनी आऽऽऽहहहह कर के मज़े से नीचे से अपनी गाँड़ उछाली और लंड पूरा निगल गयी। अब उसने अपनी टाँगें शिवा के चूतर पर कैंची सी मारकर चिपक गयी। अब चुदाई शुरू हुई और वो उन्न्न्न्न्न उन्ननन करके चुदाने लगी ।

उधर राजीव अपने कमरे से बाहर आया क्योंकि उसका मोबाइल डाइनिंग टेबल पर ही छूट गया था। जब वो वापस जा रहा था तभी उसको हल्की सी सिसकारियाँ और कुछ आवाज़ें सुनाई दीं। वो चौंक कर शिवा के कमरे की तरफ़ देखा। अभी सुबह के ८ बजे थे और ये दोनों क्या लगे हुए हैं? वो ये सोचकर उत्तेजित हो गया और उसी खिड़की के पास आकर धीरे से पर्दा हटाकर अंदर झाँका जहाँ से थोड़ी देर पहले शिवा उसको और मालिनी को देखा था। उसकी आँखों के सामने उसका बेटा मालिनी की ज़बरदस्त चुदाई कर रहा था। उसकी कमर पिस्टन की तरह आगे पीछे हो रही थी। मालिनी भी अपनी गाँड़ उछाल उछाल कर उसके धक्कों का बराबर दे जवाब दे रही थी। जिस तरह से पलंग चूँ चूँ कर रहा था , राजीव को लगा कि कहीं वो टूट ही ना जाए। अब शिवा ने उसकी नायटी को और ऊपर उठाया और उसकी ब्रा में क़ैद चूचियाँ दबाने लगा। फिर वो उसकी एक एक चूचि को ब्रा से बाहर किया और उनको बारी बारी से दबाकर चूसने लगा ।

मालिनी की सिसकारियाँ अब आऽऽऽहहह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ के रूप में जारी थीं।उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ देखकर राजीव भी मस्त हो रहा था। उसका हाथ अपने लण्ड पर था और वो उसे मूठिया रहा था। तभी अचानक मालिनी चिल्लायी: उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ मैं गईइइइइइइइइइ । और वो अपनी जाघें सिकोड़कर अपने आप को ऊपर की ओर उठाई और मानो एक एक इंच लंड निगल ली। तभी शिवा भी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर झड़ने लगा। अब दोनों बुरी तरह से एक दूसरे से चिपके हुए थे। फिर वो अग़ल बग़ल लेट गए।

राजीव ने देखा कि दोनों कितने मस्त होकर पड़े थे। मालिनी की छातियाँ तनी हुई थी और ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर से सफ़ेद रस टपक रहा था। शिवा भी मस्ती से पड़ा हुआ था और उसका लम्बा लण्ड उसकी जाँघ के ऊपर मानो सुस्ता रहा था। राजीव सोचने लगा कि जब उसका बेटा बहु को इतना मज़ा देता है और इतनी तगड़ी चुदाई करता है तो भला मैं उसे कैसे पटा पाउँगा। वो थोड़ा सा उदास हो गया। वो जानता था कि वो इतनी तगड़ी चुदाई अब इस उम्र में नहीं कर पाएगा। फिर वो सोचा कि अगर ऐसा होता तो बहु क्यों उसको इतना प्यार देती है। वो उलझ सा गया था।
वह वहाँ से हट गया।
शिवा मालिनी को चूमा और उठकर नहाने चला गया। मालिनी भी उठी और एक तौलिए से अपनी बुर पोंछी और फिर नायटी डाल के कंघी फेरकर बाहर आइ और किचन में जाकर काम में लग गयी। तभी बाई भी आ गयी थी। शिवा नहाते हुए सोच रहा था कि वो मालिनी को इतना मज़ा देता है फिर वो पापा से क्यों मज़े लेती है? वो आपस में क्या क्या करते होंगे? घर में बाई भी तो होती है फिर दिन भर वो कैसे कर पाते होंगे? उसे पता था कि बाई दोपहर को खाना खाने अपने घर जाती थी। शायद तभी ये दोनों मज़ा लेते होंगे।

नाश्ते के टेबल पर वह बातों बातों में मालिनी से पूछा: काम ज़्यादा तो नहीं हो जाता? वरना एक और बाई रख लो।

मालिनी: नहीं कोई ज़रूरत नहीं है। बाई काम पूरा कर लेती है।

शिवा: अच्छा इसका काम का क्या समय तय किया है तुमने ?

मालिनी: वो सुबह ८ से १२ और फिर दोपहर को ४ से ६ बजे तक काम करती है। अच्छी है मेहनती भी है।

शिवा : ओह चलो फिर ठीक है। वो सोचने लगा कि तो ये बात है १२ बजे से ४ बजे तक पापा और मालिनी अकेले होते हैं। तभी ये दोनों पता नहीं क्या क्या करते होंगे। उसका लण्ड फिर से तनाव में आने लगा।

वो नाश्ता करके चला गया। वो दुकान जाते हुए एक योजना बनाने लगा।

इधर मालिनी भी राजीव के कमरे में गयी और पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?

राजीव कुर्सी पर बैठा अपने हाथों में तेल लगा रहा था। वो बोला: हाँ बेटी चाय ही पिला दो। अपना दूध तो तुम मुझे पिलाओगी नहीं?

मालिनी मुस्कुराई और बोली: पापा आप बस ऐसी ही बात करते हो। अभी तो मेरी हड्डी हड्डी दुःख रही है।

राजीव अनजान बनकर: क्यों क्या हुआ बेटी?

मालिनी: ओह पापा आज तो इन्होंने सुबह सुबह ही मेरी ज़बरदस्त ढंग से ली है। उफफफ आज तो वो जैसे पागल ही हो गए थे।

राजीव हँसकर: बेटी मज़ा भी तो आया होगा ना?

मालिनी हँसकर: पापा वो तो बहुत आया । पर अब बहुत आलस सा लग रहा है।

राजीव: चलो तुमको नहला देता हूँ सारी थकावट मिट जाएगी।

मालिनी: हा हा आपने नहलाया तो उसके बाद आप जो ठुकाई करेंगे, उससे थकावट और बढ़ेगी। अच्छा चलती हूँ चाय बनाकर लाती हूँ। यह कहकर वो चली गयी।

उधर १२ बजे से दस मिनट पहले शिवा अपनी योजना के अनुसार अपने ही घर के सामने खड़ा था। वो इंतज़ार कर रहा था और उसका लण्ड उत्तेजना से खड़ा था। वो शांति से इंतज़ार करते रहा। तभी उसने देखा कि बाई बाहर आ रही है। वो अपनी उत्तेजना को कंट्रोल किया और चुपके से अपने ही घर में अंदर आया। उसके पास एक चाबी थी।
वो अंदर आया और एक कमरे के परदे के पीछे से चुपचाप ये समझने की कोशिश करने लगा कि दोनों कहाँ हैं ?

तभी उसने देखा कि मालिनी शायद अभी नहाकर आयी थी।वो अपने कपड़े सुखाने लगी। खुले बालों में वो अप्सरा लग रही थी। उसने साड़ी पहनी थी। उसके ब्लाउस से उसका पेट और कमर नंगा था। उफफफ क्या दिख रही थी। अब उसने देखा कि मालिनी ड्रॉइंग रूम में बैठी और टी वी चालू करी।

शिवा बोर होने लगा। तभी राजीव बाहर आया और बोला: बेटी बाई चली गयी?

मालिनी: जी पापा चली गयी।

राजीव उसके पास आकर बैठा और बोला: तो आराम हो रहा है?

मालिनी: आप करने दोगे तभी तो आराम होगा?

राजीव: क्या बात है हमारी बिटिया हमसे नाराज़ है क्या? वो उसके खुले बालों को सहला कर बोला।

मालिनी: नहीं पापा मैं आपसे क्यों नाराज़ हूँगी। मैं तो बस मज़ाक़ कर रही थी।

राजीव: आओ ना बेटी गोद में बैठो और थोड़ा सा प्यार करने दो।

शिवा का लण्ड पूरा तन गया था।

मालिनी हँसी और आकर उसकी गोद में बैठ गयी। राजीव अब उसके गाल को चूमने लगा। फिर वो उसकी गरदन और कंधों को भी चूमने लगा। अब उसने साड़ी का पल्लू गिराया और जल्दी ही उसके हाथ उसकी चूचियो पर आ गए थे ।वह उनको दबाकर मज़ा लेने लगा।


मालिनी अपनी गाँड़ हिलाकर बोली: उफफफ पापा आपका बहुत चुभ रहा है।

राजीव: बेटी इसे चूसकर ठंडा कर दो ना।

मालिनी हँसकर उठी और ज़मीन पर बैठ गयी और उसकी लूँगी हटाकर उसके लण्ड को प्यार से सहलाई और बॉल्ज़ भी दबाने लगी। जल्दी ही वो लंड और बॉल्ज़ चूसने लगी।

शिवा की आँखें उसके मुँह पर ही चिपकी हुई थी। वो कैसे पूरे मज़े से लंड चूसने का मज़ा ले रही थी। क़रीब दस मिनट चूसने के बाद राजीव बोला: बेटी ६९ करें? मुझे भी तेरी बुर चूसनी है।

मालिनी मुस्कुरा कर उठी और राजीव वहीं पड़े दीवान पर लेट गया। मालिनी ने अपनी साड़ी उतार दी। फिर अपने पेटिकोट को ऊपर उठाया और आकर के राजीव के ऊपर उलटा लेट गयी। अब उसकी बुर राजीव के मुँह के ऊपर था और उसका मुँह फिर से उसके लंड के ऊपर था ।

शिवा बड़ी बड़ी आँखों से देख रहा था कि कैसे उसकी बीवी अपने ससुर का लंड चूस रही थी। और कैसे पापा अपनी बहु की बुर और गाँड़ चाट रहे थे। उफफफफ उसका लण्ड बहुत टाइट हो गया था और वह उसे बाहर निकाल कर मूठ्ठ मारने लगा।

जल्दी ही दोनों ससुर बहु झड़ने लगे। मालिनी लंड से निकली हुई एक एक बूँद पी गयी। राजीव भी रस को चाटे जा रहा था। फिर दोनों उठकर बैठे और सफ़ाई करके आए और टी वी देखने लगे। शिवा चुपचाप खड़ा होकर मूठ मारे जा रहा था।

अचानक से राजीव बोला: अच्छा बेटी ये बताओ कि माँ से बात हुई क्या?

मालिनी: नहीं तो । किस बारे में?

राजीव: वही उस दिन के बारे में जब तुम लोग शिवा और सरला को अकेला छोड़ गए थे।

मालिनी: उफफफ पापा आपको भी कैसे कैसे ख़याल आते रहते हैं। ऐसा कुछ नहीं हुआ है जैसा आप सोच रहे हो।

शिवा हैरान रह गया कि पापा अपनी बहु को अपने बेटे के ख़िलाफ़ भड़का रहे हैं। वो ध्यान से सुनने लगा।

राजीव: तुमको विश्वास दिला दूँ अभी के अभी?

मालिनी: कैसे दिलाएँगे?

राजीव: वो मुझपर छोड़ो। बोलो अभी इनकी पोल खोलूँ?

शिवा की साँसे रुकने लगी। वो कुछ कर भी नहीं सकता था।
मालिनी: ठीक है दिलाइए विश्वास।

राजीव : ठीक है देखो अभी दिलाता हु पर तुमको चुप रहना होगा।

मालिनी: ठीक है।

राजीव ने अब सरला को फ़ोन लगाया। और फ़ोन स्पीकर मोड में रख दिया।

सरला: हेलो।

राजीव: कैसी हो मेरी जान।

शिवा उसके इस सम्बोधन से चौंका और सिर पीट लिया । उसे पापा की चाल समझ में आ गयी थी।

सरला: मैं ठीक हूँ । पर आप मेरी बेटी को तंग तो नहीं कर रहे हो?

राजीव : अरे नहीं नहीं । वो अभी किचन में है। वो बहु को आँख मार कर बोला।

शिवा समझ गया कि वो सरला के मुँह से सब उगलवा लेगा। उसे समझ नहीं आया कि वो क्या करे? वो चुप चाप खड़ा अपने राज़ का पर्दाफ़ाश होते देखता रहा।

सरला: ओह और कुछ उसको तो नहीं बता दिया आपने?

राजीव: अरे कुछ नहीं बताया। पर लगता है तुम अपने दामाद को मिस तो कर रही हो?

सरला: आप भी वही बात हमेशा क्यों करते हो?

राजीव: अरे हमेशा कहाँ ? आज कितने दिन बाद तो हम बात कर रहे हैं? बताओ ना शिवा का लण्ड याद आता है कि नहीं? उसने तुमको बड़ी मस्ती से चोदा था ना?

शिवा ने अपना सिर पीट लिया। वो जानता था कि वो और उसका सच अब मालिनी के सामने नंगा होने वाला है। पापा कमीनेपन पर उतरे हुए थे।

सरला: हे भगवान कितनी गंदी बातें करते हैं आप। मुझे इस पर बात नहीं करनी है।

राजीव: अरे जान तुम भी ना , अरे मुझसे कैसा शर्माना? हम तो कई बार मज़े कर चुके हैं? अच्छा ये बताओ कि कौन अच्छा चोदता है मैं या शिवा?

मालिनी का चेहरा तनाव में आ गया था। पता नहीं मम्मी क्या जवाब देंगी? शिवा भी परदे के पीछे छिपा हुआ बहुत तनाव में खड़ा हुआ ध्यान से सरला के जवाब का इंतज़ार कर रहा था ।

सरला: उफफफ क्या कोई एक औरत से ऐसी बात करता है क्या? छी आप बहुत गंदे हो।

राजीव: अरे बता भी दो ना । प्लीज़ क्यों भाव खा रही हो?

सरला: देखो आप में अनुभव है और आपके साथ बहुत मज़ा मिला था। पर शिवा जवान है उसकी कमर की ताक़त का आप मुक़ाबला नहीं कर सकते।उफफफफ क्या ताक़त है उसके धक्कों में।

यह सुनकर उधर मालिनी के चेहरे का रंग उड़ गया और इधर शिवा ने भी अपना सिर पीट लिया। वो जानता था कि आज के बाद सबकी ज़िंदगी बदल जाएगी। पापा अपने कमीनेपन का सबूत दे चुके थे। नगीना सी बहु का दिल टूट गया था। और शिवा को समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे ? वह चुपके से घर से बाहर आया और दुकान को चला गया।

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04-09-2017, 04:39 PM,
#82
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
मालिनी अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि आख़िर मुझमें क्या कमी थी जो शिवा मम्मी से चक्कर चला बैठे ।फिर उसे पापा की कही हुई बात याद आइ कि हर मर्द इधर उधर मुँह मारना चाहता है बशर्ते उसे मौक़ा मिले। और मम्मी तो मौक़ा देने को मानो तय्यार ही बैठी थी। वह सोचने लगी कि ग़लत तो वह ख़ुद भी कर रही थी, जो पापा के साथ इतनी आगे बढ़ गयी थी। फिर वो सोची कि सब करने के बाद भी वो अब तक पापा से चुदी नहीं थी। पर अब शायद पापा को रोकने का कोई मतलब बचा नहीं था। उसने फ़ैसला किया कि अब ये सब शिवा के बारे में जानकार उसे पापा की इच्छा पूरी कर देनी चाहिए। पहले वो थोड़े शंसय में थी पर अब मानो पूरी तस्वीर साफ़ हो चुकी थी। बस अब उसे पापा को हरी झंडी दिखानी थी। वो अब दिन में उनकी और रात में शिवा की बीवी बनकर रहने को मानसिक रूप से तय्यार हो चुकी थी। यह फ़ैसला लेने के बाद अब वो हल्का महसूस करने लगी।

उधर राजीव बड़ा ख़ुश था क्योंकि आज उसने अपना आख़री दाँव खेल दिया था। वो यह मान कर बैठा था कि अब मालिनी उससे चुदवाने को मान ही जाएगी।

उधर शिवा बहुत ही अप्सेट था और घर से निकल कर दुकान जाते हुए सोचा कि इस परस्तिथि में कौन उसे कुछ सलाह दे सकता है। उसे असलम की याद आइ। पता नहीं क्या सोचकर उसने कार खड़ी की और उसे फ़ोन लगाया।

असलम: हाय आज कैसे हमारी याद आइ?

शिवा: यार तुम कहाँ हो? मुझे तुमसे मिलना है।

असलम: मैं घर आया हूँ खाना खाने। आजा तू भी खा लेना।

शिवा: यार घर पर बात नहीं हो पाएगी। कहीं बाहर मिलते हैं।

असलम: यार मेरी आयशा से मैं कुछ नहीं छिपाता तू आ जा हम मिलकर बात करेंगे।

शिवा: ठीक है मैं आता हूँ। तू पता भेज sms से।

थोड़ी देर में शिवा असलम के घर पहुँचा। असलम ने उसे आयशा से मिलवाया। वो शक्ल से बहुत साधारण दिखने वाली औरत थी पर भगवान ने उसे ग़ज़ब का फ़िगर दिया था। दुबली पतली काया में पूरी ३८ की चूचियाँ और भारी नितम्ब उसकी पतली कमर से बहुत कामुक लग रहे थे। पेट भी गोरा सपाट था। उसने साड़ी पहनी थी। जब वो पानी लायी तो उसकी एक चूचि से पल्लू हटा हुआ था। उफफफ आधी चूचि बाहर थी ब्लाउस के और शिवा को अपने लण्ड में हलचल सी महसूस हुई।

असलम ने देखा कि उसकी आँखें आयशा की चूचि पर थी वो मन ही मन मुस्कुराया और बोला: हाँ यार बता क्या बात है? क्यों इतना अप्सेट सा हो रहा है?

शिवा आयशा की ओर देखा और चुप रहा।

असलम: यार आयशा से कुछ छिपाने की ज़रूरत नहीं है। वो मुझसे ज़्यादा स्मार्ट है। वो तुमको एकदम सही सलाह देगी।

शिवा: पर ये बात हम तीनों के अलावा किसी को पता नहीं चलना चाहिए।

आयशा: भाई साहब ये हमारे बीच ही रहेगी। आप बिना संकोच बोलो।

शिवा: असल में बात ही कुछ अजीब सी है। फिर वो अपनी और सरला की सेक्स की बात उनको बताया और साथ ही मालिनी और ससुर के बीच चल रहे चक्कर की बात भी किया। वो पूछा: मुझे अब क्या करना चाहिए।

आयशा: अब आपको क्या करना है? जो भी करना है मालिनी करेगी। वह अब आपके पापा का लेकर ही रहेगी। आप उसको रोक थोड़े ना पाओगे।

शिवा उसकी भाषा से चौंक गया और बोला: ओह ये तो सच है भाभी पर इस सब का अंत क्या होगा?

आयशा: वही जो हमारी कहानी का हुआ था। क्यों असलम सही कहा ना?

असलम मुस्कुरा कर: हाँ लगता है इनकी कहानी का भी वैसा ही सुखद अंत होगा जैसा हमारा हुआ था।

शिवा हैरानी से : क्या हुआ था? मैं समझा नहीं।

असलम: अरे ये जब हमारे घर शादी होकर आयी तो मेरे अब्बा अम्मी और मेरा छोटा भाई साथ में हो थे। अब ये तो मस्त १८ साल की जवान गदराई हुई लड़की थी। पापा और मेरे भाई की नीयत ख़राब हो गयी। अब्बा तो जैसे पागल ही हो गए थे। इसने मना किया तो वो मुझसे नाराज़ होकर मुझे घर से निकालने को तय्यार हो गए। उस समय मेरी नौकरी भी नहीं थी। तब अम्मी ने बात को सम्भाला और आयशा को मनाया कि अब्बा से चुदवा ले। आयशा अम्मी की बात मान गयी और घर में शांति बरक़रार हो गयी। बाद में ये अपने देवर से भी चुदवाने लगी। पापा ने मुझे कहा था कि मैं तुम्हारी बीवी को चोदता हूँ इसलिए तुम चाहो तो मेरी बीवी को चोद सकते हो। मेरी अम्मी सौतेलि थी तो मैं भी उनको चोदने लगा। इस तरह पूरा परिवार ही एक दूसरे से चुदाई करने लगा। फिर तो कई बार हम सामूहिक चुदाई भी किए। फिर मेरी नौकरी लगी और मुझे यहाँ आना पड़ा। अब भी अब्बा अम्मी आते हैं तो ख़ूब मज़ा करते हैं।

शिवा उसकी बातें आँखें फाड़ कर सुन रहा था और उसका लण्ड पैंट में पूरा खड़ा हो कर तंबू की शक्ल ले चुका था। इसका मतलब है कि वो सब भी ऐसी सामूहिक पारिवारिक चुदाई का आनंद ले सकते हैं । उफफफफ कितना मज़ा आएगा अगर पापा और वो मिलकर मालिनी को चोदेंगे जैसे वो ब्लू फ़िल्म में चोद रहे थे ।

शिवा ने देखा कि आयशा उसके लण्ड के उभार को ग़ौर से देख रही थी। असलम ने भी ये नोटिस किया और मुस्कुरा कर बोला: यार तेरा तो खड़ा ही हो गया घरेलू चुदाई का सोचकर। आयशा कुछ करो यार इसका । देखो बेचारा कैसे तड़प रहा है।

शिवा चौंककर असलम को देखा और बोला: अरे यार क्या बोले जा रहा है। सोच समझ कर बोल।

असलम: यार मैंने तो पहले भी कहा था कि मैं वाइफ़ सवेप्पिंग में विश्वास करता हूँ। मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ।

शिवा: पर मैं नहीं जानता कि मालिनी इसके लिए तय्यार होगी कि नहीं।

असलम: अरे यार एक बार सामूहिक चुदाई का चस्का लग गया ना तो वो ख़ुद वेरायिटी ढूँढेगी। तभी मुझसे चुदवा देना उसको। अभी तो तू आयशा को चोद कर अपना लण्ड शांत कर ले। मैंने खाना खा लिया है और वापस ऑफ़िस जा रहा हूँ। तू पहले इसे खा और फिर खाना भी खा। चल मैं चलता हूँ।

शिवा उसे हैरानी से जाते देखता रहा और फिर आयशा बोली: भाई साब बेडरूम में चलें?

शिवा ने उसकी मस्त जवानी का जायज़ा लिया और खड़े होकर बोला: चलो किधर है बेडरूम?

आयशा उसके आगे आगे गाँड़ मटका कर चलने लगी। बेडरूम में आकर वो पलटी और तभी शिवा ने उसको बाहों में भींच लिया और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए। शिवा सोचा कि उफफफ क्या गरम जवानी है। अब वो उसकी गारदन और कन्धों को भी चूमने लगा। आयशा भी अब उसका साथ देने लगी। जल्दी ही वो दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। शिवा के हाथ उसके कमर से होकर उसके चूतरों पर ले गया और उनको दबाने लगा। आयशा भी बड़ी बेशर्मी से अपना हाथ उसके पैंट के ऊपर से लेज़ाकर उसके लौड़े को दबाने लगी।

आयशा: आऽऽऽऽह आपका बहुत बड़ा है। वो उसके लौड़े को ऊपर से नीचे तक महसूस करके बोली। शिवा भी अब उसका पल्लू गिराया और उसकी मस्त चूचियाँ ब्लाउस के ऊपर से दबाने लगा। अब वो उसकी ब्रा का हुक खोला और ब्लाउस का हुक भी खोल दिया। मोटे मोटे ३८ C कप के चूचे देखकर वो मस्ती से दबाने लगा। फिर वो उसको बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ और चूचियाँ चूसने लगा। फिर वो उठा और अपनी पैंट और चड्डी एक साथ उतारकर अपना लौड़ा उसके मुँह के पास ले गया। आयशा मज़े से उसे दबाकर चूसने लगी। उसकी जीभ सुपाडे पर मज़े से घूम रही थी। तभी शिवा का फ़ोन बजा और वो देखा कि दुकान से फ़ोन था। उसने बात की और आयशा को बोला: जान जल्दी से चुदाई ख़त्म करनी होगी। दुकान में कुछ सप्लाइअर्ज़ आए हुए हैं । फिर वह उसकी साड़ी और पेटिकोट को एक साथ उठाया और उसकी फूलों वाली पैंटी का गीलापन देखकर समझ गया कि माल गरम है।उसने पैंटी नीचे कर उतारी। अब वो उसकी टाँगे फैलाया और अपना लण्ड उसकी गीली बुर में डाला और चुदाई में लग गया। आयशा की आऽऽऽह निकल गयी। वो अब मज़े से चुदवाने लगी। आयशा: आऽऽऽऽऽऽऽह आपका तो अब्बा जितना ही मोटा है। बहुत मज़ा आ रहा है। हाऽऽऽय्यय।

शिवा चोदते हुए: आऽऽऽऽह अब्बा कितनी बार आते हैं यहाँ ?

आयशा: आऽऽऽऽऽऽह महीने में एक बार ८/१० दिन के लिए । और बहुत बुरी तरह से चोदते है जैसे अभी आप चोद रहे हो।

शिवा: असलम भी अपने अब्बा के साथ चोदता है तुमको?

आयशा: हाँआऽऽऽऽऽऽ दोनों रात भर मेरी बजाते है।

शिवा ने अपना हाथ नीचे लेज़ाकर उसकी गाँड़ के छेद का सहलाया। वो जगह पूरी गीली थी क्योंकि बुर का पानी नीचे बह रहा था। उसने अपनी दो ऊँगली उसकी बुर के रस से गीली की और उसकी गाँड़ में डाल दिया। वो चिल्लाई: आऽऽऽऽऽऽह बहुत मज़ा आ रहा है। और ज़ोर से चोओओओओओओदो ।

शिवा: ह्म्म्म्म्म लगता है दोनों तुम्हारी गाँड़ भी मारते हैं।

आयशा: आऽऽऽऽऽह हाँआऽऽऽऽ दोनों को बहुत मज़ा आता है गाँड़ मारने में।

शिवा: और तुमको?

आयशा: हाऽऽऽऽऽय्य मुझेएएएएए भी बहुत अच्छाआऽऽऽऽ लगता है। आऽऽऽऽऽऽऽह अब्बा तो मुझे कई बार दिन भर नंगी रखते हैं। और ख़ुद पूरे कपड़े पहने रहते हैं। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।क्या मस्त चोओओओओओद रहे हो आऽऽऽऽऽप।

शिवा उसकी बात सुनकर उत्तेजित होकर: आऽऽऽऽह बहुत मस्त माऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽल हो तुम । अब वो दोनों उन्न्न्न्न्न्न्न करके झड़ने लगे।

शिवा को जल्दी थी सो वह तय्यार होकर जाने लगा।

आयशा वैसी ही नंगी पड़ी हुई बोली: अगली बार मालिनी को लाना और असलम से चुदवाना।

शिवा हँसकर: अगर वो मान गयी तो पक्का लाऊँगा। वैसे उसे तुम्हारे ससुर याने अब्बा से भी चुदवाना चाहिए।

वो उसको चूमा और बाहर निकल गया। उसे जल्दी से दुकान जो पहुँचना था।

उधर सरला बच्चों को स्कूल और कोलेज भेजकर पसीना पोंछ रही थी। उसके दिमाग़ में वही बात घूम रही थी कि पता नहीं राजीव मालिनी के साथ कैसा व्यवहार करेगा। तभी राकेश का फ़ोन आया: मम्मी हमारे कोलेज में हड़ताल हो गयी है। मैं वापस आ रहा हूँ। कुछ लाना है क्या।

सरला: हाँ बेटा दो सब्ज़ियाँ ले आना। बस और कुछ नहीं।

सरला जाकर अपनी जेठानी से थोड़ी देर बात की और फिर जब वो सोने लगी तो वह अपने कमरे में आकर बैठी थी तभी राकेश आ गया। वह आकर सरला के पास बैठा और बोला: मम्मी आप कुछ परेशान दिख रही हो।

सरला: हाँ मैं मालिनी का सोच रही हूँ। उसका ससुर उसके पीछे पड़ा है।

राकेश: मम्मी दीदी बहुत स्ट्रोंग है वो सम्भाल लेगी। आप मेरे ख़याल रखो । दीदी की चिंता छोड़ो।

पिछले दिनों राकेश अपनी मम्मी के काफ़ी क़रीब आ गया था। वो अब किचन में अपनी मम्मी को पीछे से पकड़ कर उसके गाल और गरदन चूम लेता था और उसकी चूचियाँ भी ब्लाउस के ऊपर से ही दबा भी देता था। कई बार अपना लण्ड भी मम्मी की गाँड़ में रगड़ देता था । सरला भी अब उसको थोड़ा बहुत मज़ा ले लेने देती थी और बाद में डाँट कर भगा देती थी। किचन में कई बार वो अपना लण्ड लोअर से बाहर निकाल कर मम्मी को पकड़ा भी देता था। वो भी मस्ती से थोड़ा सा सहला देती थी।

आज भी राकेश मम्मी को अपनी गोद में खींच कर लिटा लिया और सरला अब उसकी गोद में लेटी हुई थी और बोली: क्या कर रहा है बदमाश?

राकेश: मम्मी आपके रूप का रसपान कर रहा हूँ। ये कहकर वो सरला के हाथों को सहलाने लगा। सरला की चिकनी बग़ल पसीने से भीगी हुई दिख रही थी। वो नीचे झुका और वहाँ नाक लगाकर सूँघते हुए बोला: आऽऽह मम्मी क्या मादक गंध है आपकी। उफफफफ ।

सरला को अपनी पीठ पर उसका खड़ा लण्ड गड़ने लगा था। उसका पल्लू नीचे गिरा हुआ था और उसके बड़े बूब्ज़ ब्लाउस फाड़ने को मानो तय्यार थे। राकेश ने उसके बूब्ज़ को दबाया और बोला: मम्मी खोलूँ इनको ? चूसने की इच्छा हो रही है।

सरला: नहीं ऊपर से ही दबा ले। बाद में देखेंगे।

राकेश मचल कर बोला : मम्मी हमेशा बाद में देखेंगे कह देती हो। मुझे आपको चोदने को कब मिलेगा? वो यह कहकर झुका और अपनी मम्मी के होंठ चूसने लगा और चूचियाँ दबाने लगा। वो बोला: अब तो दीदी का भी जुगाड़ हो गया और आपका भी। बस मेरा ही कुछ नहीं हो पा रहा है। वह यह कहकर मम्मी की साड़ी और पेटिकोट उठाने लगा । अब सरला की जाँघे नंगी होकर उसे व्याकुल कर रही थी। वह जाँघों के चिकनेपन से मस्त होकर बोला: मम्मी मैं क्या कुँवारा ही मर जाऊँगा।

सरला हँसकर : मरे तेरे दुश्मन। अच्छा चलो आज रात को तुम्हारा कुँवारापन छीन लेती हूँ। तू भी क्या याद रखेगा । आज रात हम सुहागरात मनाएँगे। ठीक है?

यह सुनकर राकेश का उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो गया। वो अपने हाथ को उसकी जाँघों के बीच ले गया यर बुर को दबाने लगा । सरला पैंटी तो पहनती ही नहीं थी।

अब सरला ने पानी जाँघों को चिपका लिया और बोली: बदमाश रात का इंतज़ार कर।

राकेश : अच्छा मम्मी रात का इंतज़ार करूँगा।मम्मी सुहागरात में क्या होगा?

सरला: मैं तुझे एक सामान की लिस्ट दूँगी। तू वो ले आना शाम को ठीक है? फिर रात को ११ बजे मेरे कमरे में आना और अपनी मम्मी के साथ सुहागरात मनाना।

रात के मज़े का सोचकर राकेश बहुत उत्तेजित हो गया और बोला: आऽऽह मम्मी आपके नीचे मेरा लण्ड दब रहा है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मेरा झड़ जाएगा। सरला हँसकर उठी और उसके लण्ड को पैंट से बाहर निकाली और उसने देखा कि वो आँसू बहा रहा था वो हँसकर उसको चूसने लगी और दो मिनट में ही उत्तेजना से भरकर राकेश आऽऽऽहहह मम्मीइइइइइइइइ मैं गयाआऽऽऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी मम्मी के मुँह में झड़ने लगा। सरला भी मस्ती में आकर पूरा रस पी गयी और बोली: उफफफफ कितना माल इकट्ठा करके रखा था तूने? फिर वो बड़े प्यार से अपने पल्लू से उसका लण्ड पोंछी और अपना मुँह भी साफ़ की।

राकेश : मम्मी लिस्ट दो ना शाम को क्या लाना है?

सरला: अभी इतनी जल्दी क्या है। शाम को दे दूँगी।

राकेश: मम्मी पता नहीं कब रात होगी? आऽऽहहह ।

सरला: चल बदमाश अब भाग यहाँ से । मुझे आराम करने दे।

राकेश हँसकर अपने कमरे में चला गया।

उधर मालिनी दोपहर के खाने के लिए राजीव को आवाज़ दी। खाना खाते हुए मालिनी बोली: पापा आप किसी पंडित को जानते हैं क्या?

राजीव चौंककर : हाँ मगर क्यों? तुम्हें पंडित से क्या काम आ गया?

मालिनी: आप खाना खा कर उससे पूछना कि किसी शुभ काम के लिए अच्छा दिन और समय बताए वो।

राजीव: बेटी मैं समझा नहीं?

मालिनी: पापा इसमें समझने का क्या है? मैं सिर्फ़ यह जानना चाहती हूँ कि किसी काम के लिए शुभ दिन और समय क्या है? बस यही।

राजीव उठकर हाथ धोया और फ़ोन लगाया: हाँ पंडित जी मेरी बहु जानना चाहती है कि आजकल कैसा समय चल रहा है?

पंडित: मतलब ? मैं समझा नहीं।

राजीव : लो आप उसी से बात कर लो। समझा तो मैं भी नहीं।

मालिनी: पंडित जी मान लो मैं कोई नया काम करना चाहती हूँ तो कौन सा दिन शुभ होगा ?

पंडित: ओह तो ऐसा कहो ना। मैं देखता हूँ। फिर वो बोला: बेटी कल का दिन शुभ है।

मालिनी: और समय ?

पंडित: बेटी कल सुबह १० बजे से शाम को ७ बजे तक का समय शुभ है।

मालिनी: धन्यवाद पंडित जी। वह फ़ोन काट दी।

राजीव : बेटी कौन सा काम शुरू करोगी जिसके लिए शुभ समय का इंतज़ार हो रहा है।

मालिनी: बस आप इंतज़ार करो कल का।

राजीव हैरानी से उसे देखता रह गया। वो सोचा कि पता नहीं क्या चल रहा है इसके मन में।

मालिनी: पापा अब मैं आराम करूँगी। और वो अपने कमरे में चली गयी। राजीव भी उलझा सा अपने कमरे में आ गया।

जल्दी ही कई लोगों के जीवन में बहुत से बदलाव आने वाले थे।

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04-09-2017, 04:41 PM,
#83
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शाम को मालिनी तय्यार होकर बाज़ार जाने लगी तो राजीव बोला: बेटी मैं भी चलता हूँ ना तुम्हारे साथ?

मालिनी: पापा यहीं पास में जाना है वहाँ कार की कोई ज़रूरत नहीं है। मैं एक घंटे में आती हूँ।

राजीव : ठीक है बेटा जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।

मालिनी बाज़ार चली गयी। वो एक घण्टे के बाद आयी और समान सम्भालने लगी। फिर वो चाय बनाई और राजीव को आवाज़ दी। दोनों चाय पीने लगे। राजीव ने उसे छेड़ने की कोशिश की पर उसने कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया। वो हैरान था कि आख़िर इसको क्या हो गया है? ये ऐसा क्यों बर्ताव कर रही है। शायद इसे शिवा और सरला की चुदाई का सुनकर लगता है बहुत धक्का लगा है। उसने मालिनी की जाँघ सहलाई पर उसने उसका हाथ हटा दिया।राजीव थोड़ा परेशान होकर वह वहाँ से उठकर अपने कमरे में चला गया। मालिनी उसे जाते देख कर मन ही मन मुस्करायी।

उधर शिवा दुकान में व्यस्त हो गया। बाद में जब ख़ाली हुआ तो सोचने लगा की आज जब मालिनी को पता चल गया है कि वो सरला को चोदा है तो आज वो ना जाने कैसे रीऐक्ट करेगी।

उधर शाम को सरला ने एक लिस्ट राकेश को थमा दी और पैसे भी दे दिए। राकेश ने देखा कि लिस्ट में राशन का सामान था और फूल भी थे और एक एक पोंड का केक और रूम स्प्रे भी था।
सरला लिस्ट देकर बोली: सामान लाकर मुझे ही देना। बच्चों को मत दे देना।

राकेश हाँ कहकर चला गया। सामान लाकर उसने अपनी माँ को दिया। वो उसे लेकर किचन में चली गयी। राकेश को लग रहा था पता नहीं कब रात होगी, और कब वो मम्मी के साथ सुहागरत मना पाएगा।

सरला ने भी सब सामान चेक किया और मुस्कुराकर फूलों को फ्रिज में रख दिया ताकि मुरझा ना जाएँ। उसने गुलाब की पंखड़िया मँगाई थीं । अचानक उसको अपने बुर में ज़ोर की खुजाल मची और वो बुर को खुजा कर सोची कि चल तेरी प्यास आज तेरे से बाहर निकला तेरा बेटा ही बुझाएगा।

उधर रात आठ बजे शिवा दुकान से वापस आया और आकर मालिनी के साथ बेडरूम में जाकर कपड़े बदलने लगा। मालिनी: आप खाना खाओगे या पहले चाय बनाऊँ?

शिवा: मैं नहा कर आता हूँ फिर खाना ही खाऊँगा। वह बाथरूम में घुस कर सोचा कि आज पहली बार दोनों ने एक दूसरे को प्यार नहीं किया। पता नहीं ऐसा क्यों हुआ? मालिनी ने भी अपनी ओर से कोई आतुरता नहीं दिखाई और ना ही मैंने- वो सोचा। फिर पता नहीं उसे क्या सूझा कि वो पूरा नंगा होकर चिल्लाया: मालिनी ज़रा एक मिनट के लिए आना तो।

मालिनी बाथरूम के दरवाज़े के बाहर आकर बोली: क्या हुआ?

शिवा ने दरवाज़ा खोला और वो पूरा नंगा था। उसका लण्ड साँप की तरह लटक रहा था। मालिनी उसके लण्ड को देखी और बोली: क्यों आवाज़ दी?

शिवा ने मुस्कुराकर उसको बाथरूम में खींच लिया और शॉवर चालू कर दिया। अब मालिनी के कपड़े भी भीगने लगे। वो चिल्लाई: उफ़्फ़ क्या कर रहे हो? पूरा भिग़ा दिया।

शिवा: अरे ये सज़ा है मुझे प्यार नहीं करने की। आह पहली बार तुमने मुझे किस्स नहीं किया दुकान से वापस आने पर।

मालिनी: आपने भी तो नहीं किया था। आप भी चाहते तो कर सकते थे। आपको क्या सज़ा दूँ?

शिवा: तुम मेरे लण्ड को सज़ा दो। इसे ज़ोर से चूसो।

अब मालिनी भी मस्ती में आकर: वाह ये कोई सज़ा थोड़े ना होगी। ये तो इसकी मज़ा हो जाएगी। वो उसके लण्ड को सहलाकर बोली।

शिवा : अरे तो इसको मज़ा भी तुमको ही देना है ना?

मालिनी ने आँखें मटका कर कहा: अच्छा सिर्फ़ मैंने ही देना है क्या?

शिवा समझ गया कि उसका इशारा किधर को है पर वो अनजान बनकर बोला: हाँ ये बिचारा आपके भरोसे ही तो है। चलो ना कपड़े उतारो बहुत मन कर रहा है चुदाई का।

मालिनी हँसकर: अब गीली हो गयी हूँ तो कपड़े तो उतारने ही पड़ेंगे । फिर आप भी अपना काम कर ही लो। यह कह कर वो अपनी साड़ी निकाली और फिर एक एक करके गीले कपड़े उतारे और फिर शिवा उसके नंगे बदन को अपने बदन से चिपका कर नहाने लगा। दोनों के हाथ एक दूसरे के जवान बदन पर चल रहे थे। शिवा का लण्ड अब पूरी तरह से तन गया था। मालिनी के भी निपल्ज़ पूरे खड़े थे और बुर भी बिलकुल पनिया गयी थी। पानी उसकी बड़ी चूचियों के ऊपर से गिर कर नीचे उसके पेट पर गिरता हुआ मस्त दिख रहा था। शिवा मन ही मन में उसकी चूचियों की तुलना आयशा और सरला से करने लगा। इसमे कोई शक नहीं था कि आयशा की ज़्यादा बड़ी और सेक्सी थीं । दूसरे नम्बर पर मालिनी की थोड़ी छोटी पर ठोस चूचियाँ थी। सरला की बहुत बड़ी और थोड़ी नरम हो चलीं थीं । अब वो नीचे देखा और पेट और जाँघें देखकर तुलना करने लगा। यहाँ मालिनी एक नम्बर पर थी। पेट और जाँघें भरी हुई गदराई हुईं थीं। आयशा की थोड़ी पतली थी। सरला की उम्र का असर उसके पेट और जाँघों पर आने लगा था। अब वो बुर की सोचा और अब फिर से मालिनी की ही सबसे टाइट थी उसके बाद आयशा और फिर सरला का नम्बर आता था। अब वो मालिनी के बदन को पोंछने लगा और जब उसको घुमाया और उसकी पीठ पोंछने लगा। तब उसने उसके चूतरों को देखा और अब सोचा कि ये तो मस्त गोल और उभरे हुएँ है। पर ये तीसरे नम्बर पर है। आयशा के इससे ज़्यादा भरे हुए चूतर दूसरे नम्बर पर होंगे। और सरला के बड़े बड़े उभरे हुए चूतर सबसे मस्त और पहले नम्बर पर हैं। वो सोचा कि वो क्या उलटा पुलटा सोच रहा है। फिर वो मालिनी को आगे की ओर झुकाया और पीछे से उसकी बुर में ऊँगली डाला और पाया कि वो गीली थी । अब उसने पीछे से उसकी बुर में अपना मोटा लौड़ा पेल दिया और उसकी चूचियाँ मसलकर उसको चोदने लगा। मालिनी भी आऽऽहह्ह करके चुदवाते हुए अपनी गाँड़ पीछे को दबाकर पूरा लण्ड निगलकर मज़े लेने लगी। वो सोच रही थी कि मम्मी को शिवा ने किस आसान में चोदा होगा। तभी शिवा ने उसकी चूचियों की घुंडियाँ मसली और वो बहुत मस्त होकर सोची कि मम्मी की तो बड़ी बड़ी छातियाँ हैं पता नहीं कितना मज़े से दबाया होगा शिवा ने। अचानक वो सोची कि उसको उत्तेजना क्यों हो रही है यह सोचकर कि शिवा ने मम्मी को कैसे चोदा होगा? उसे तो ग़ुस्सा आना चाहिए। पता नहीं ऐसा क्यों है? वो उलझ सी गयी। तभी शिवा ने अपनी एक ऊँगली उसकी क्लिट पर रखी और वो मस्ती से उइइइइइइ माँआऽऽऽऽ चिल्ला उठी। फिर थोड़ी देर की ज़बरदस्त चुदाई के बाद वो हाऽऽयययय कहकर झड़ने लगी। शिवा भी जल्दी जल्दी धक्के मारकर झड़ गया।

थोड़ी देर बाद जब कपड़े पहन कर वो बाहर कमरे में आए तो शिवा बोला : जान मज़ा आ गया। मस्त चुदाई हुई आज तो।

मालिनी मुस्कुराती हुई बोली: अच्छा ! आपको कब मज़ा नहीं आता इसमें ?

दोनों हँसने लगे।

खाने के बीच कुछ ख़ास नहीं हुआ।

मालिनी जब राजीव के कमरे में दूध लेकर गयी तो शिवा अभी भी ड्रॉइंग रूम में टी वी देख रहा था ।राजीव ने मालिनी को उतावलेपन से पकड़कर कहा: बेटा मुझसे कुछ ग़लती हुई क्या जो आज तुम मुझे अवोयड कर रही हो?

मालिनी: नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है। आप दूध पी लो। वो हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली।

राजीव उसकी चूचि दबाकर बोला: बेटा मुझे तो ये वाला दूध पीना है।

मालिनी हँसकर बोली: पापा ये भी पिला दूँगी। अभी छोड़िए। शिवा बाहर ही बैठा है।

राजीव ने उसके होंठ चूमे और उसे छोड़ दिया।

शिवा और मालिनी अपने कमरे में गए। थोड़ी देर बात करने के बाद दोनों सोने की कोशिश करने लगे। चुदाई तो हो चुकी थी और शायद अब दोनों में से कोई भी शायद दूसरा राउंड नहीं चाहता था। मालिनी कल के अपने प्लान का सोच रही थी। और शिवा आयशा से हुई चुदाई और उससे मिले मज़े का सोच रहा था। आयशा किस मज़े से बता रही थी कि वो अपने ससुर से बड़े प्यार से चुदवाती है। फिर वो सोचा कि क्या मालिनी भी पापा से चुदवाएगी और शिवा और सरला की चुदाई का बदला लेगी। ये सोचकर उसका लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। इसी तरह के विचारों में उलझे दोनों नींद की आग़ोश में समा गए।

राजीव भी मालिनी की हरकत और अजीब सा व्यवहार का सोचकर सो गया।

पर कहीं कोई जाग रहा था वो था राकेश जो कि ११ बजने का इंतज़ार कर रहा था ।आज उसका सपना पूरा होने वाला था। आज उसकी मम्मी उसके साथ सुहागरात मनाने वाली थी। उसका लौड़ा पूरा टाइट था। वो उसे हल्के से सहला भी रहा था ।सरला भी पूरी तय्यारी से अपने बेटे को पूरा मज़ा देने का मन बना चुकी थी। वो जानती थी कि आज के बाद उसकी ज़िंदगी भी हमेशा के लिए बदलने वाली है। उसने अपने आप को देखा और सोची कि इतनी बूढ़ी भी नहीं हुई हूँ। वह आगे और पीछे से साड़ी में लिपटा अपना बदन देखकर ख़ुद ही अपने आप पर मुग्ध हो गयी। फिर उसने सब तय्यारियों का जायज़ा लिया। ठीक ११ बजे उसने राकेश को एक मिस्ड कॉल दिया ।राकेश तो इंतज़ार ही कर रहा था। वो झट से उठा और बाहर आकर शांत घर को देखा। सब सो रहे थे। वो सरला के कमरे में गया और धीरे से दरवाज़ा खोला। वहाँ घुप अँधेरा था। सरला की आवाज़ आयी: बेटा दरवाज़ा बंद कर ले।और बत्ती जला दे।

राकेश ने अंधेरे में दरवाजा बंद किया और बत्ती जलायी। वह वहीं का वहीं खड़ा रह गया। कमरे में रूम फ़्रेशेनेर की ख़ुशबू फैली हुई थी। बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिखरी हुई थीं । बिस्तर के साइड टेबल पर दूध के दो गिलास रखे थे। केक भी रखा था। और उन सबके बीच में उसकी माँ दुल्हन के लाल लिबास में लिपटी बैठी थी ।उसने घूँघट से अपना मुँह छुपा रखा था। राकेश ने ऐसी सुहाग रात की कल्पना नहीं की थी। उसे समझ में आ गया कि मम्मी ने फ़िल्मी तरीक़ा अपनाया है। वो बहुत ख़ुश होकर बिस्तर पर बैठा और बोला: मम्मी थैंक यू । आपने तो समाँ ही बाँध दिया। उफफफफ क्या मस्त सजावट की है।

सरला: मैं सोची कि तुझे शादी से पहले सुहागरात की ट्रेनिंग दे देती हूँ।

राकेश: मम्मी आप भी ना। यहाँ आपके रहते शादी करना ही किसे है । मैं तो आपके साथ ही रहना चाहता हूँ।

सरला: मैं तो आठ दस साल में बुढ़िया हो जाऊँगी और तू जवान का जवान ही रहेगा। इसलिए शादी तो मैं तेरी करूँगी ही। मुझे तू अपनी दूसरी बीवी की तरह रख लेना।

राकेश: मम्मी ये सब छोड़ो और अपना घूँघट हटाओ।

सरला: लो सुन लो इस अनाड़ी की बात। अपना घूँघट भी क्या मैं ख़ुद ही उठाऊँ? पागल कहीं का। वो तो तेरा काम है। और हाँ मुँह दिखाई में क्या देगा?

राकेश मुँह लटका कर: मम्मी मैं क्या दे सकता हूँ?

सरला हँसकर: वो टेबल पर रखा डिब्बा दे देना।

राकेश ने देखा कि वो ज़ेवर का डिब्बा था। अब वो सरला के सामने आया और उसका घूँघट हटाया और अपनी माँ की सुंदरता को देखते ही रह गया। आज वो बहुत ही सजी हुई थी। आँखों में काजल और होंठों पर लाल लीपस्टिक क्या लग रही थी। लाल ज़रीदार साड़ी और वैसा ही ब्लाउस उसकी सुंदरता को मानो चार चाँद लगा रहे थे। अब उसने वो डिब्बा मम्मी को दिया और वो प्यार से बोली: तू ख़ुद ही पहना दे ना।

राकेश ने डिब्बा खोला और उसमें एक सुंदर सा लॉकट था। वो उसकी चेन को खोल कर उसकी गरदन में डाला और ये करते हुए उसके हाथ उसकी छातियों को छू गए और उसका लौड़ा झटके मारने लगा। अब मालिनी ने उसे एक सिंदूर की डिब्ब्बी दी और बोली: चल मेरी माँग भर दे । अब मैं तुझे बता दूँ कि तू तीसरा मर्द है जो मेरी माँग भरेगा। पहला तेरा पापा उसके बाद तेरे ताऊ और अब तू मेरा बेटा।

राकेश ने उसकी माँग भरी और उसका माथा चूम लिया।

राकेश: मम्मी थैंक यू । आपने मुझे ये दर्जा दिया। मैं आपका पूरा ध्यान रखूँगा। इसी साल मेरी पढ़ाई पूरी हो जाएगी और जॉब लगते ही आप मेरे साथ रहना मेरी बीवी बनकर ।

सरला: हा हा वो सब बाद में देखेंगे। चल अब दूध पी ले इसमे मैंने बादाम और पिस्ता डाला है। अब सरला ने उसे भी दूध पिलाया और ख़ुद भी दूध पीकर बोली: वैसे आज तू भी बहुत प्यारा लग रहा है।

राकेश झुककर सरला के होंठ पर अपने होंठ रखा और एक चुम्बन लिया। अब वो बोला: मम्मी आप आज सच में बहुत सुंदर लग रही हो।

सरला: आज मैंने एक पार्लर वाली को घर में बुलाया था । उसने मेरे चेहरे का मसाज़ किया है और मेरे चेहरे के बाल निकाले हैं।

राकेश: मम्मी सिर्फ़ चेहरे के बाल? और बाक़ी जगह के बाल नहीं निकाले?

सरला: चल बदमाश कही का। क्या बाक़ी के बाल मैं उससे निकलवाऊँगी? वो तो मैंने ख़ुद ही साफ़ किए है।

राकेश: सच मम्मी आपने सब जगह के बाल साफ़ किए हैं? बताओ ना कहाँ कहाँ के किए हैं ?

सरला बनकर: अभी तू देख ही लेगा की मैंने कहाँ कहाँ के साफ़ किए हैं ।

राकेश अब उसको अपनी गोद में खींच कर बोला: मम्मी मुझे कभी अकेला मत छोड़ना।

सरला: नहीं रे तू अब हमेशा मेरे पास रहेगा।

अब वो उसकी साड़ी का पल्लू गिराया और उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियों को दबाकर बोला: मम्मी साड़ी उतार दूँ ?

सरला: जैसी तेरी मर्ज़ी।

राकेश अब उसकी साड़ी को उतारने की कोशिश किया। तब सरला ने उसे सिखाया कि साड़ी कैसी उतारी जाती है। अब सरला ब्लाउस और पेटिकोट में थी और बहुत मस्त लग रही थी। राकेश ने अब सरला के होंठ चूसते हुए उसकी छातियाँ दबानी शुरू की और वो भी उफफफफ करके उससे चिपक गयी। अब राकेश ने उसके ब्लाउस के हुक खोले और ब्लाउस को उतार दिया। वो भी बाहँ उठा कर उसकी मदद की। तभी वो देखा कि सरला का बग़ल उसकी आँख के सामने था। उसकी चिकनी बग़ल देख कर वो समझे गया किमम्मी ने यहाँ के बाल निकाले हैं।

वो उसकी बग़ल सूँघा और फिर जीभ और होंठों से उसको चाटा और चूमा और बोला: आपने यहाँ के बाल साफ़ किए हैं।

फिर उसने दूसरी बग़ल को भी चूमा और चाटा। ब्रा में क़ैद उसको बड़ी चूचियाँ अब उसकी आँखों के सामने थीं। वो उनको भी सहलाया और दबाया। अब वो उसके पेटिकोट के नाड़े को खोला और उठकर बैठा और सरला को लिटा दिया और पेटिकोट को निकालने लगा। सरला ने भी गाँड़ उठकर उसका साथ दिया।

अब सरला ब्रा और पैंटी में बहुत मस्त माल लग रही थी। भरा हुआ गोरा बदन जैसे चुदाई के लिए चिल्ला रहा हो। राकेश बहुत उत्तेजित हो चुका था।

सरला: मुझे तो नंगा किए जा रहा है और ख़ुद पूरे कपड़े पहन कर बैठा है।

राकेश: मम्मी, आप मेरे कपड़े खोल दो ना।

सरला: सुहागरात में दुल्हन ऐसा नहीं करती। वो शर्माती जो है।

राकेश अब अपना लोअर और टी शर्ट उतारा और अब वो सिर्फ़ चड्डी में था और उसका खड़ा लंड साफ़ दिखाई दे रहा था। सरला की बुर ने उसका आभास पाकर पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। अब वो सरला के ऊपर आकर उसकी चूचियाँ दबाकर उसके होंठ चूसने लगा। सरला के हाथ उसकी पीठ पर घूम रहे थे। अब वो उसकी ब्रा खोलने की कोशिश किया पर उससे खुला नहीं। सरला हँसकर बोली : चल मैं सिखाती हूँ। फिर उसने उसे ब्रा का हुक खोलना सिखाया। अब उसकी बड़ी चूचियाँ राकेश के आँखों के सामने नंगी थी। वो उन पर झपट पड़ा और दबाकर चूसने लगा। सरला बोली: बेटा ये निपल्ज़ को ऊँगली और अंगूठे के बीच में पकड़कर मसलो। जब वो ऐसा ही किया तो वो सिसकारी मारकर बोली: उफ़्फ़्फ़।आऽऽऽह बड़ाआऽऽऽऽ अच्छा लग रहा है ।

अब वो उसकी पैंटी भी उतारा और सरला की बिना बालों की चिकनी बुर उसके सामने थी। उसने उसकी जाँघें फैलाया और वो मंत्र मुग्ध सा अपने जन्म स्थान को देखता रहा । उसकी बुर को बहुत देर देखने के बाद वो उसे सहलाया और फिर झुककर उसको चूमने लगा। सरला आऽऽऽह करके मज़े से भरने लगी। अब वो उठके अपनी चड्डी खोला और अपने मस्त लौड़े को बाहर निकाला और मालिनी को बोला/ आऽऽह मम्मी चूसो ना।

सरला: नयी दुल्हन से पहली बार में इसे चूसने को नहीं कहना। समझे? और उसने चूसने से मना कर दिया।

अब वो सोचा कि वो अपना लण्ड अंदर डाले। पर अनुभव नहीं था सो वह उसके ऊपर आया और उसकी सीधी रखी टाँगो के बीच अपना लंड अंदर डालने के लिए छेद के पास लगाकर दबाना शुरू किया। सरला हँसकर बोली: बुद्धू मेरी टाँगें तो मोड और बाहर की ओर झुका।

अनाड़ी बलमा ने वैसे ही किया और अब स्वर्ग का द्वार खुला हुआ साफ़ दिखाई दिया। वो अब अपना लण्ड उसकी बुर के मुँह पर रख कर उसमें लंड दबाया और पूरी गीली बुर में वो सरसराता हुआ घुस गया। राकेश: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मीइइइइइइइइ । कहकर उसके होंठ चूसने लगा और दोनों बड़ी चूचियाँ मसलने लगा।

सरला: आऽऽऽह बेएएएएएटा उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मस्त लग रहा है। हाऽऽऽऽययय।

अब वो ऊपर नीचे होकर चुदाई में लग गया। सरला भी अब नीचे से कमर उछालकर पूरा लंड निगलकर उसे मस्ती से भरने लगी। सरला: उन्न्न्न्न्न उन्न्न्न्न आऽऽहहब फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽड़ दो बेएएएएएएएटा कहकर गाँड़ उछाल कर मज़े से चुदवा रही थी। उसने अपनी जीभ राकेश के मुँह में डाल दी जिसे वो मस्ती से चूसने लगा। क़रीब २० मिनट की चुदाई के बाद सरला आऽऽऽऽऽहहह मैं गयीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी।

अब राकेश भी आऽऽहहह कहकर झड़ गया। थोड़ी देर बाद दोनों अग़ल बग़ल में चिपक के लेटे हुए बातें करने लगे।

सरला: तो सुहाग रात की ट्रेनिंग हो गयी तेरी? अब शादी के बाद अच्छी तरह से मज़ा ले लेना।

राकेश ने उसके बड़े बड़े चूतरों को दबाकर कहा: मम्मी मैं तो शादी करूँगा ही नहीं। मैं तो बस आपका ही दीवाना हूँ। और आजमुझे सब कुछ मिल गया है आपसे। ये कहते हुए उसकी एक ऊँगली सरला के गाँड़ के छेद पर घूमने लगी। सरला: आऽऽऽहब सब कुछ मिल गया है तुझे? जहाँ तू ऊँगली डाल रहा है वो अभी कहाँ मिला है?

राकेश: तो मम्मी दे दो ना वो भी।

सरला हँसकर : आज ही सब कुछ ले लेगा क्या? वैसे वो ख़ुद भी गाँड़ मरवाना चाहती थी क्योंकि कई दिनों से वहाँ लण्ड नहीं ली थी।

राकेश ने एक ऊँगली अंदर बाहर करते हुए कहा: मम्मी गाँड़ भी मरवा लो ना प्लीज़।

सरला: आऽऽऽह ऊँगली बाहर निकाल । बिना तेल या क्रीम के जलन होती है। जा वहाँ क्रीम रखा है ला उसे और मेरी गाँड़ में लगा। पर पहले तेरा लंड चूसकर उसे खड़ा तो कर दूँ।

अब वो अपने बेटे के लंड को चूसने लगी और राकेश तो जैसे सुख के सागर में डूब गया। उफफफफ क्या मस्ती से चूस रही थी वो। उसका लंड अब उसके गले के अंदर तक जा रहा था। राकेश बोला: मम्मीइइइइइइ रुकोओओओओओ । वरना मैं झड़ जाऊँगा।

वो मुस्कुरा कर अपना मुँह हटाई और पेट के बल लेट गयी। उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ गोरे गोरे मोटे चूतर क्या मस्त दिख रहे थे। वो इनका ही तो दीवाना था। उसने पूरी ताक़त से उनको आटे की तरह गूँथना चालू किया।फिर उसकी दरार ने हाथ फेर कर बोला: मम्मी आज आपकी बुर और गाँड़ में एक भी बाल नहीं है, लगता है आज सफ़ाई की है।

सरला: हाँ सफ़ाई तो की है पर सामने की। मेरे पीछे बाल आते ही नहीं।

राकेश उसकी गाँड़ के छेद को सहलाते हुए: तो मम्मी ये नैचरल चिकनी है। आह । फिर वो उसको सहलाते हुए नीचे झुककर चूमने लगा और वहाँ जीभ फिराने लगा। सरला अब सिसकारियाँ भरने लगी। फिर वो बोली: उफफफफ बेटा अब क्रीम लगा और मार ले मेरी गाँड़ । राकेश ने ऊँगली में क्रीम लगाई और उसकी छेद में डालकर अंदर बाहर किया। सरला: आऽऽऽह बेटा अब दो ऊँगली डाल क्रीम लगाकर।

अब उसकी दो उँगलियाँ अंदर बाहर होने लगी। अब सरला बोली: आऽऽह चल अब अपने लण्ड में क्रीम लगा और डाल मेरी गाँड़ में। पर एकदम धीरे धीरे डालना। ये कहकर वो अपनी गाँड़ हवा में ऊँची कर दी और अपने आप को हाथों का सहारा लेकर घुटने मोड़कर मानो कुतिया ही बन गयी। राकेश की आँखें उसके पिछवाड़े पर जम सी गयी थी। उफफफ क्या मस्त माल है मम्मी वो सोचा। अब वो उसके पीछे आकर अपने हाथों से उसके चूतरों को फैलाया और अपने लंड को क्रीम मल कर उसकी गाँड़ के छेद में रख कर छेड़ने लगा।

सरला ने अपनी गाँड़ के छेद बाहर की ओर दबाकर उसको बड़ा किया और बोली: आऽऽऽऽऽह बेटा अब और ना तड़पा । अब डाल भी दे।

राकेश ने मस्त होकर अपना लंड उसकी गाँड़ में दबाना शुरू किया और वो आऽऽऽहहहह करके अपनी गाँड़ को पीछे दबाकर धीरे धीरे पूरा लण्ड निगल ली। फिर वो कमर हिलाकर अपनी गाँड़ में लंड को अजस्ट करके मज़े से भर गयी। अब सरला बोली: बेटा आऽऽहहहह मज़ा आऽऽऽऽऽऽ रहा है। चल अब फाड़ मेरी गाँड़। हाय्य्य्य्य। फिर वो मस्ती से उसकी चुदाई में लग गया। सरला ने उसके हाथ पकड़कर अपनी चूचियों पर रख दिए और वो मस्ती से उनको दबाने और निपल्ज़ मसलने लगा। राकेश की जाँघें सरला के गुदाज चूतरों से टकराकर थप्प थप्प की आवाज़ पैदा कर रही थी। तभी सरला ने उसका एक हाथ छाती से हटाकर अपनी बुर पर रखा और वो तीन उँगलियाँ अंदर डालकर उसे हिलाने लगा। उसका अँगूठा उसकी क्लिट को रगड़ रहा था। अब सरला आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओओ मेरीइइइइइइइ
गाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽँड़ । वो अब झड़ने लगी और राकेश की उँगलियाँ उसके कामरस से पूरी गीली हो गयीं थीं। वो भी अब अपना वीर्य उसकी गाँड़ में छोड़ने लगा। फिर वो लस्त होककर उसके बग़ल में लेट गया।

सफ़ाई करके दोनों बैठे और सरला और राकेश ने केक काटा और एक दूसरे को खिलाया। फिर वो लिपट कर सोने लगे तो राकेश बोला: मम्मी आज आपने मुझे अपने तीनों छेदों का मज़ा दे दिया। थैंक यू ।

सरला: बेटा अब मैं तेरी हो गयी हूँ। अब तू जब चाहे मज़ा ले लेना। बस कभी कभी तेरे ताऊ जी को चान्स दे देना। वो हफ़्ते में एक बार तो चुदाई करते हैं । पर वो पहले ही इशारा कर देते हैं।

राकेश: मम्मी मैं रोज़ आपके साथ सो सकता हूँ क्या ?

सरला: हाँ बेटा क्यों नहीं। फिर वो दोनों एक दूसरे को चूमकर आपस में लिपट कर सो गए।

सुबह अचानक सरला ने महसूस किया कि राकेश उसको सीधा लिटा रहा है। इसके पहले वो कुछ समझ पाती वो अपना लंड क्रीम लगाकर उसकी सुखी बुर में दाल दिया और उसकी चुदाई में लग गया। वो मुस्करायी: अरे मुझे जगा तो लेता । पागल कहीं का। आऽऽऽहहह चल अब अच्छी तरह से चोद। हाऽऽऽय्यय।

अब वो दोनों ज़बरदस्त चुदाई में लग गए।

उधर सुबह को मालिनी की आँख खुली और वो फ़्रेश होकर अपनी नायटी में अपना बदन देखी और मुस्कुराई कि आज का दिन उसके लिए विशेष होने वाला है। फिर उसने एक नज़र शिवा पर डाली जो कि बेसुध सो रहा था। वो सोची कि कितना भोला दिख रहा है। पर पता नहीं अपने मन में क्या क्या राज़ छिपाए हुए है? वो बाहर आकर किचन में चाय बनाने लगी। आज उसकी बाई नहीं आने वाली थी क्योंकि उसने उसे आने से मना कर दिया था ये कहकर कि वो बाहर जाने वाले हैं एक दिन के लिए। आज उसे पूरा एकांत जो चाहिए था। वो मुस्कुराई और अपनी बुर को खुजा कर हाथ धोयी और राजीव को आवाज़ दी।

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04-09-2017, 04:41 PM,
#84
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
आख़िर हो ही गया मिलन------

राजीव बाहर आकर चाय पीने लगा और मालिनी को घूरने लगा। वो चुपचाप चाय पीती रही । राजीव उसकी चुप्पी से असहज हो कर पूछा: बेटा क्या बात है? जब से तुमने शिवा और सरला की मस्ती का सुना है तुम थोड़ा अजीब सा व्यवहार कर रही हो? वह उसकी बाँह सहला कर बोला।

मालिनी : कुछ नहीं पापा ऐसा कुछ नहीं है। सब ठीक है।

अब राजीव उसकी नायटी के ऊपर से उसकी चूची दबाकर बोला: नहीं कुछ बात तो है, बेटा। बताओ ना? उफफफफ क्या मस्त चूचि है तुम्हारी। पता नहीं कब इनका रस पिलाओगी?

मालिनी: पापा आप भी बस पीछे ही पड़े रहते हो।

राजीव ने नोटिस किया कि आज वो उसका हाथ अपनी चूचि से नहीं हटा रही थी। अब वो उसकी चूची को ऊपर से सहलाना शुरू किया जहाँ से वो थोड़ी सी नंगी दिखाई दे रहीं थीं । मालिनी बोली: पापा आप छोड़िए ना मुझे शिवा को भी जगाना है। वैसे आज बाई भी नहीं आएगी तो काम भी ज़्यादा होगा ।

राजीव ने उसको अपनी गोद में खींचकर बिठा लिया और बोला: अरे बाई नहीं आएगी तो क्या हुआ? मैं तुम्हारी मदद करूँगा । बोलो क्या करना है। वो उसकी चूचियों को ऊपर से चूमकर बोला।

मालिनी हँसकर: पापा आप पहले इनको छोड़िए। तभी तो मैं कोई काम कर सकूँगी। और हाँ देखती हूँ क्या मदद करते हो आप?

राजीव उसको छोड़ते हुए बोला: बेटा बोलो बर्तन साफ़ करूँ या झाड़ू लगाऊँ?

मालिनी उठकर उसके गाल को चूमकर बोली: अरे आपको ये सब नहीं करना पड़ेगा। फिर प्यार से उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से दबाकर बोली: पापा ये तो बस खड़ा होने का बहाना ही ढूँढता रहता है, है ना?

राजीव: बेटा अब इसको पता नहीं कितने दिन तुम प्यासा रखोगी? ये तो यहाँ घुसने के लिए मरा जा रहा है। उसने उसकी बुर को नायटी के ऊपर से दबाकर कहा।

मालिनी हँसकर: पापा इसके अंदर डालने का आपका प्लान तो बहुत पहले से ही है। चलो मैं शिवा को उठाती हूँ। और हाँ एक बात और, आज आप नाश्ता नहीं करोगे। शिवा पूछेगा तो कोई बहाना बना दीजिएगा। मैं भी नाश्ता नहीं करूँगी। ठीक है?

राजीव: वो क्यों?

मालिनी: पापा आप सवाल बहुत पूछते हो। एक दिन थोड़ा देर से नाश्ता नहीं कर सकते मेरे लिए।

राजीव: अरे बेटा तेरे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ। नाश्ते की क्या बात है ।

मालिनी: अच्छा अब मैं शिवा को चाय देकर आती हूँ। फिर वो किचन में जाकर शिवा के लिए चाय बनाई और शिवा को उठाई। शिवा चाय पीकर फ़्रेश हुआ और नहाने चला गया। जब वो नाश्ता करने बैठा तो राजीव बोला: मैं आज नाश्ता देर से करूँगा , अभी मेरी तबियत थोड़ी ढीली है।

मालिनी : आज मैं भी नहा कर ही खाऊँगी ।

शिवा नाश्ता करके जाने लगा तो मालिनी बोली: आज का क्या प्रोग्राम है?

शिवा हैरानी से: कुछ नहीं बस दुकान जाऊँगा, और क्या?

मालिनी: बस ऐसे ही पूछा ,और कुछ नहीं ।

फिर वो चला गया। मालिनी उसके जाने के बाद राजीव से बोली: आप ज़रा अपने कमरे में आयिए ना।

राजीव उठकर उसके पीछे अपने कमरे में आया और बोला: क्या हुआ बेटा? क्या बात है?

मालिनी: पापा आप उस दिन मुझे एक लिंगरी निकाल कर दी थी ना। उस समय मैंने आलमारी में कुछ सुंदर साड़ियाँ देखीं थीं मम्मी जी की। एक बार दिखाएँगे क्या?

राजीव : हाँ हाँ क्यों नहीं बेटा, अब वो तो नहीं रही , इसलिए ये सब तुम्हारा ही है। लो देखो। ये कहकर वो आलमारी खोला और मालिनी वहाँ लटकी हुई साड़ियों का कलेक्शन देखकर बोली: पापा मम्मी बहुत शौक़ीन थीं । कितनी साड़ियाँ ख़रीद रखीं हैं। अब वो कुछ सुंदर साड़ी निकाली और फिर बोली: पापा ये लाल साड़ी कितनी भारी है ना? बहुत महँगी होगी?

राजीव: बेटा ये साड़ी उसने हमारी शादी के दिन पहनी थी। ये साड़ियाँ सिल्क की हैं जो उसे बहुत पसंद थीं। ये सब तुम रख लो।

मालिनी: पापा इनके ब्लाउस कहाँ हैं ? वो ढूँढती हुई बोली।

राजीव पीछे से आकर उसके चूतरों पर हाथ फेरा और बोला: ये देखो इस शेल्फ़ में रखे हैं। पर वो तुमको ढीले होंगे क्योंकि उसका बदन बाद में भारी हो गया था।

मालिनी: ये लाल ब्लाउस तो लगता है आ जाएगा। बाक़ी ज़रूर बड़े लग रहे हैं।

राजीव: अरे लाल वाला तो शादी के दिन पहनी थी ना, उस समय वो तुम्हारी जैसी थी । वो तो बच्चे होने के बाद ज़्यादा ही भारी हो गयी थी।

मालिनी: ठीक है पापा मैं ये ले लेती हूँ। जो बड़े होंगे वो दर्ज़ी से ठीक करवा लूँगी।

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर और उसकी गर्दन चूमकर बोला: हाँ बेटा सब रख लो। सब तुम्हारा ही है और मैं भी तो तुम्हारा हूँ।

मालिनी हँसकर : आऽऽह पापा बस अब छोड़ो ना। मुझे नहाना है।
तभी उसकी निगाह कुछ डिब्बों पर पड़ीं और वो बोला: बेटा ये भी देख लो।ये तो उसने पहना ही नहीं। उसने डिब्बा खोला तो उसमें ब्रा और पैंटी रखीं थीं ।

राजीव: बेटा ये ब्रा तो तुमको बड़ी होंगी। उसकी छातियाँ बड़ी थीं ना। तुम्हारी उससे छोटी है अभी।

मालिनी हँसकर: पापा आप जितना इनको दबाते हैं उससे तो लगता है जल्दी ही ये भी इतने बड़े हो जाएँगे। ये कहते हुए उसने नयी ब्रा का कप अपनी एक छाती पर रखा और बोली: मेरी भी जल्दी ही आप इतना बड़ा कर दोगे हा हा ।

राजीव : बेटा सिर्फ़ दबाने से बड़ी नहीं होतीं उनको चूसना भी पड़ता है। वो तो मुझे तुम करने नहीं देती। अरे बेटा ये पैंटी रख लो। ये तो काम आ ही जाएँगी।

मालिनी हँसकर: हाँ जब आप बाप बेटा पहनने दोगे तो ही ना काम आएँगी। आप दोनों को तो मेरा पैंटी पहनना ही पसंद नहीं है।

राजीव उसकी गाँड़ की गोलायी को दबाकर बोला: बेटा देखो कितनी अच्छी लगती है बिना पैंटी की गाँड़ । उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त फ़ीलिंग आती है। पैंटी रहने से ऐसा अहसास थोड़े ना होता है।

मालिनी: आऽऽह पापा छोड़िए अब। ठीक है पैंटी रख लेती हूँ। बाहर तो मैं पहनकर ही जाती हूँ। अच्छा अब आप भी नहाकर तय्यार हो जाओ। आपकी आलमारी दिखाओ तो।

राजीव हैरान होकर बोला: क्यों क्या हुआ?

मालिनी: अरे दिखाइए ना। फिर उसने राजीव के किए वो चूड़ीदार पजामा और कुर्ता निकाला जो कि उसने मालिनी की शादी में पहना था।

वो बोली: पापा आप आज इसको पहनो ।

राजीव: कहाँ जाना है हमको?

मालिनी: बताऊँगी ना अभी थोड़ी देर में। आप यही पहनना । ठीक है ? चलो दस बज गए हैं । आधे घंटे में बिलकुल तय्यार हो जाइए।

राजीव थोड़ा सा कन्फ़्यूज़्ड होकर हाँ में सर हिलाया, और सोचने लगा कि इसके मन में क्या चल रहा है। अब वो उसके कमरे से कपड़े लेकर निकल गयी।

अपने कमरे में आकर वो नहाने के लिए घुसी और अपनी नायटी उतारकर सिर्फ़ ब्रा में ख़ुद को निहार कर अपने आप पर ही मुग्ध हो गयी। अब उसने अपनी बग़लें चेक कीं और वहाँ वीट लगाकर उसने अपने बाल साफ़ किए। फिर उसने अपनी झाँटे चेक कीं और थोड़े से ही बाल उगे थे। उसने बुर और गाँड़ के आसपास की सभी बालों की सफ़ाई की। अब उसने अपनी ब्रा खोली और अपने मस्त टाइट मम्मे देखकर मुस्कुराई और फिर शॉवर लेने लगी। आज जो होने वाला है उसका सोचकर उसकी बुर पनिया चुकी थी। उसने उसे नहीं छेड़ा। वो आज बहुत मस्त मूड में थी। अब वो नहाकर अपनी मदमस्त जवानी को देखती रही और फिर तौलिए से बदन सुखाकर वो नंगी ही बाहर कमरे में आयी। अब वो लिंगरीपहनी जो पापा ने उस दिन दी थी जब शिवा भी एक लिंगरी लेकर आया था। इसमे जाली वाली ब्रा और जाली वाली ही पैंटी थी । जाँघों पर थोंग भी थी और गाँड़ की दरार में एक पट्टी सी थी। उसने ख़ुद को शीशे में देखा ।पूरी रँडी लग रही थी जैसे ब्लू फ़िल्मों की होती हैं। वो पीछे अपनी गोल ठोस गाँड़ देखकर मस्ती से मुस्कुराई। अब वो सास का लाल ब्लाउस पहनी और चेक की । मामूली सा ही ढीला था। फिर उसने लाल पेटिकोट पहना । अब वो और भी सेक्सी लग रही थी। फिर उसने सास की लाल साड़ी पहनी जो उसकी सास ने अपनी और पापा की शादी में पहनी थी।अब वो अपने चेहरे का मेकअप की और फिर वो ज़ेवर पहने जो कि उसको ससुर ने समय समय पर दिए थे। पैरों में पायल ,कानों में झूमके, गले में सुंदर सा हार और हाथों में लाल काँच की चूड़ियाँ भी पहनी। आख़िर में उसने लाल लिप्स्टिक लगाई। अब वो अपने आप को आगे और पिच्छे से देखी और मुस्कुराई । पता नहीं पापा का क्या हाल होगा उसको इस रूप में देखकर।

वो सज सँवर कर बाहर आयी और किचन में जाकर पिछले दिन जो सामान लायी थी उसे थाली में सजायी और ऊपर से एक सुंदर सा लाल कपड़ा डालकर उस थाल को ढाँक दी।

अब वो पूजा के कमरे में गयी और वहाँ उसने सजावट की थोड़ी सी। और वो ढाँकि हुई थाल भगवान के आगे रख दी। अब वो बाहर आकर आराम से टी वी देखने लगी। अब उसने पास के रेस्तराँ में पूरी और छोले ऑर्डर किए और कहा कि आधे घंटे में भेज दो। अब वो शांति से पापा का इंतज़ार करने लगी। तभी राजीव बाहर आया और मालिनी उसे देखकर मुस्कुराई और बोली: पापा आप तो बहुत जवान दिख रहे हो। ये ड्रेस आप पर बहुत फ़ब रही है।

राजीव मुस्कुराया और बोला: ये तुमने क्या पहना हुआ है? आज तो दुल्हन दिख रही हो? अरे ये क्या तुमने तो वही सास की साड़ी पहन ली जो वो हमारे शादी के दिन पहनी थी।

मालिनी: आप सही पहचाने। ये वही साड़ी है। अब वो उठकर बोली: पापा किसी दिख रही हूँ मैं?

राजीव:उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बेटा क्या कहूँ? बिलकुल वैसी दिख रही हो जैसे तुम्हारी सास दिखी थी सालों पहले शादी के दिन।बल्कि उससे भी ज़्यादा प्यारी और सुंदर।

मालिनी: आज तो पापा आप भी कई क़त्ल कर दोगे अगर ऐसे बाहर गए तो। पता नहीं कितनी लड़कियाँ और अंटियाँ आप पर मर मिटेंगी। क्या लग रहे हो आप?

राजीव झेंप कर: अरे मुझे ही खींचने लगी अब तुम। वैसे इरादा क्या है तुम्हारा? ये दुल्हन का लिबास पहनकर कहाँ जाओगी? और मुझे भी कहाँ ले जाओगी?

वो हँसी: पापा आपको इतना तय्यार करके अगर मैं बाहर गयी तो पता नहीं आप जब वापस आएँगे तो पता नहीं कितनी लड़कियों के साथ आएँगे? ऐसा रिस्क मैं ले नहीं सकती। इस लिए अब हम कहीं बाहर नहीं जा रहे हैं । ठीक है? बस इस पूजा घर तक ही जाएँगे।

राजीव चौंक कर: पूजा घर ? वहाँ क्यों?

मालिनी: क्योंकि आज मैं आपसे गंधर्व विवाह करने वाली हूँ।

राजीव को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, वो हैरानी से बोला: क्या कहा? ज़रा फिर से कहना।

वो मुस्कुराई : हाँ हम अभी गंधर्व विवाह करेंगे। आपकी इच्छा थी ना कि मैं आपकी भी पत्नी बनूँ, वो आज मैं पूरी करूँगी। इसी लिए तो मैंने आपसे शुभ समय का पूछा था। अब से लेकर १२ बजे तक अत्यंत शुभ समय है आपको कल पंडित ने बताया था ना। बस अब चलिए पूजा घर में , मैंने सब तय्यारियाँ कर रखी हैं।

राजीव ख़ुशी से झूम कर: वाह बहु तुमने तो एकदम से मुझे हैरत में ही डाल दिया। मुझे तो यक़ीन ही नहीं हो रहा है किमेरी क़िस्मत खुल गयी है ।

वह आगे बढ़ा और उसको बाहों में लेकर चूम लिया। वो उसको बोली: पापा अभी छोड़ो और पूजा घर चलो।

दोनों ने वॉश्बेसिन में हाथ धोए और पूजा घर में घुसे । अब मालिनी बोली: पापा हम इसका वीडीयो बनाते हैं। यादगार रहेगा। उसने अपने फ़ोन का वीडीयो रिकॉर्डिंग चालू की और वहाँ खिड़की पर रख दिया। फिर दोनों वहाँ पर बैठ गए। अब मालिनी ने एक पुस्तक निकाली और कुछ भजन पढ़ने लगी। राजीव मंत्र मुग्ध सा उसके चेहरे को देखता ही रह गया। अब मालिनी ने भगवान के आगे दिया जलाया। और आँख बंद करके प्रार्थना की। फिर वो खड़ी हुई और राजीव भी खड़ा हुआ। अब वो थाल का कपड़ा उठाई और उसमें से दो फूलों की माला निकाली। एक माला उसने राजीव को दी। अब वो ख़ुद राजीव के सामने खड़ी होकर उसके गले में माला डाली और अब राजीव भी उसके गले में माला डाला। अब उसने राजीव को सिंदूर की डिब्बी दी जिसमें से लाल सिंदूर निकालके वह उसकी माँग भरा और मालिनी झुककर उसके पैर छुई। राजीव ने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया और उसका माथा चूम लिया। अब मालिनी बोली: पापा चलो हो गया। देखें विडीओ कैसा बना है।

अब दोनों बाहर आए और ड्रॉइंग रूम में बैठे तभी घंटी बजी और मालिनी ने रेस्तराँ से आए पैकेट को लेकर पैसा दिया।

राजीव अपने कमरे में गया और एक चाबियों का गुच्छा लेकर आया और उसने मालिनी की कमर में उसे खोंस कर बोला: बेटा अब ये चाबियाँ तुम ही सम्भालो। आज से ये घर तुम्हारा हुआ। और तुम इस घर की महारानी हो।

मालिनी मुस्कुराकर: पापा थैंक यू। मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से सम्भालूँगी। राजीव ने उसे चिपका कर उसे प्यार किया। फिर मालिनी बोली: पापा चलो छोले भटूरे खाते हैं। आपकी पसंद की रेस्तराँ से मँगाये है।

अब मालिनी ने टेबल में नाश्ता लगाया और एक थाली में सब लगाया। मालिनी: पापा अब एक ही थाली में खाएँ ना।

राजीव उसके गाल चूमकर: हाँ बेटा क्यों नहीं। अब तो हम दो बदन एक जान है । पर एक बात बता कि मैं अब तेरा पति भी हूँ और ससुर भी। तो क्या तुमको बेटी बोलूँ या नहीं?

मालिनी: पापा आप मुझे बेटी ही कहिए। वो क्या है ना सबके सामने जो बोलेंगे वही अकेले में भी बोलेंगे तो ठीक ही रहेगा।

राजीव खाते हुए बोला: चलो जैसा तुम चाहो। फिर दोनों खाना खाते हुए विडीओ देखने लगे।

दोनों खा कर उठे और अब मालिनी बोली: पापा क्या आप मेरे लिए वही पान ला देंगे जो कभी कभी खिलाते हो।

राजीव हैरानी से : पान खाना है वो भी अभी? ठीक है आज तो मैं तुम्हारी सभी शर्तें पूरी करूँगा। वो उठकर बाहर चला गया। क़रीब १० मिनट का पैदल रास्ता था। गली में थी पान की दुकान तो वो पैदल ही चला गया।

जब वो चला गया तो मालिनी ने राजीव के कमरे में जाकर बिस्तर पर नयी चादर बिछाई और फिर फूलों की पंखुड़ियाँ बिखेरीं ।दरवाज़े पर फूलों के हार सेलो टेप से चिपकायी। अब वो रूम में ख़ुशबू वाली स्प्रे भी करी। सब कुछ सुंदर बना दिया था उसने। अब वो वाशरूम गयी और फ़्रेश होकर अपनी बुर को साफ़ किया। अब उसने वहाँ भी एक ख़ुशबू वाला स्प्रे किया अब वो अपनी घूँघट नीचे करके बिस्तर पर दुल्हन बन कर बैठ गयी। अब वो अपने दूल्हे राजा का इंतज़ार कर रही थी। उसके निपल्ज़ कड़े हो गए थे और बुर गीली हो गयी थी।

तभी राजीव आया और अंदर आकर मालिनी को आवाज़ दिया। फिर वो उसके कमरे में गया और वहाँ उसको ना पाकर वो किचन में गया। अब वो सोचा कि कहाँ चली गयी? तभी मालिनी ने आवाज़ लगाई : पापा मैं यहाँ हूँ आपके कमरे में।

राजीव अपने कमरे की ओर बढ़ा और जैसे ही कमरे में पहुँचा वो ख़ुशी से झूम उठा। उफफफफ ये लड़की भी क्या क्या सोच लेती है? मस्त दुल्हन बनी बैठी है मेरे बिस्तर पर। आह्ह्ह्ह्ह उसका लौड़ा तनाव में आने लगा। अब वह बोला: बेटी पान लाया हूँ।

मालिनी ने हाथ बढ़ाकर कहा: लायिए मुझे खाना है।

राजीव ने उसके नाज़ुक हथेली पर पान रखा और वो उसे खाने लगी। घूँघट के अंदर से ही वो राजीव को देख रही थी जो अपना पान भी खाने लगा था।

राजीव: बेटी क्या सजावट की है तुमने ? मेरे जीवन की आज सबसे ख़ुशनुमा घड़ी है। सच में आज तुमने मुझे अपना ग़ुलाम बना लिया है।

अब राजीव ने आलमारी खोली और एक ज़ेवर का बॉक्स निकाला और लाकर बिस्तर पर रखा। अब वो वाश रूम गया और फ़्रेश होकर आया । उसने अपना लौड़ा अच्छी तरह से साफ़ किया और मालिनी के बग़ल में आकर बैठ गया।

अब वो मालिनी को बोला: बेटा घूँघट उठाऊँ क्या? या और कोई रस्म बाक़ी है।

मालिनी अपनी बुर के गीलेपन से परेशान ही थी सो बोली: आह पापा अब और कोई रस्म बाक़ी नहीं है ।

राजीव ने उसका घूँघट उठाया और उसके रूप का तेज़ देखकर वो मस्ती से भर गया। अब वो उसके हाथ में ज़ेवर का बॉक्स रखा और बोला: बेटा ये मेरी तरफ़ से तुम्हारी मुँह दिखाई का तोहफ़ा।

मालिनी मुस्कुरा कर उसको लेकर बोली: पापा थैंक यू।

अब राजीव बोला: बेटा अब और ना तड़पाने । आओ मेंरी बाँहों में आ जाओ। अब वो उसको खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। अब वो उसके गाल को चूमने लगा। मालिनी ने महसूस किया कि पापा का खूँटा उसके गाँड़ में चुभ रहा था। वो और भी मस्त हो गयी थी। अब राजीव उसके गरदन और होंठ चूसने लगा। अब राजीव ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। वो उसके बग़ल में लेटा और मालिनी को अपनी बाँह में भरकर चूमने लगा। मालिनी भी राजीव के बलिष्ठ शरीर से लिपट गयी।

राजीव: कितने दिनों के बाद आज मेरी तमन्ना पूरी होगी। उफ़्फ़ कितना तड़पाया है तुमने।

मालिनी: पापा मैंने नहीं तड़पाया है बल्कि आप ख़ुद ही तड़प रहे थे। मुझे तो कई बार शक होता है कि आप मुझे इस घर में अपने लिए लाए हो या शिवा के लिए?

राजीव हँसकर उसकी गाँड़ में एक चपत लगा कर बोला: वैसे ये सच है कि मेरा कमीना दिल तो तुम पर तभी से आया हुआ था जब मैं तुमको पहली बार शिवा के साथ देखने आया था। तुम चीज़ ही ऐसी मस्त हो जान। अब चलो ना ये भारी भरकम साड़ी उतारो और अपनी जवानी दिखाओ।

मालिनी हँसकर: आप ही उतारो ना। गरज तो आपकी है।

राजीव हँसकर : बिलकुल सही कहा। मैं ही तो मरा जा रहा हूँ तुम्हें चोदने को। यह कह कर उसने उसकी साड़ी की गाँठ कमर से खोली और एक ही झटके में साड़ी उसके बदन से अलग कर दी। अब वो मालिनी की रसीलि जवानी को ब्लाउस और पेटिकोट में देखकर मस्ती से भर गया। वो उसके ऊपर झुका और उसकी गरदन और कंधे को चूमने लगा। अब वो उसकी ब्लाउस को देखा और छातियों को दबाकर बोला: ये लगता है तुमने अपनी सास का ब्लाउस ही पहना है ना? बिलकुल फ़िट आ गया है। ऐसी ही मस्त टाइट अनार थे उसके भी शुरू में । फिर वो उसके नंगे सपाट पेट को चूमा और नाभि के छेद में अपनी जीभ फिराने लगा। मालिनी बोली: पापा आऽऽह गुदगुदी हो रही है।

अब राजीव नीचे होकर उसके पेटिकोट का नाड़ा खोला और मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर उसको निकालने में मदद की। राजीव की आँखें उस लिंगरी वाली पैंटी पर पड़ी जिसकी जाली से उसकी बुर की फाँक साफ़ नज़र आ रही थी। वो मस्ती में आकर उसकी बुर को देखता रहा और बोला: बेटा क्या मस्त बुर है और इस पैंटी में तू मस्त माल लग रही है। अब वो उसकी एक टाँग उठाया और उसके पैर के तलवे को चूमने और चाटने लगा। अब वो उसकी एक एक ऊँगली को मुँह में लेकर चूस रहा था। मालिनी के लिए ये नया अनुभव था। वो सिसकारियाँ भरने लगीं। फिर वो उसकी पिंडली चाटते हुए उसके घुटने और फिर जाँघ चाटने लगा। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मालिनी सोची कि पापा आज तो उसकी जान ही ले लेंगे। अब वो उसकी बुर के पास जाकर रुका और फिर दूसरी जाँघ चाटते हुए वापस नीचे दूसरी पैर की उँगलियों तक आया। मालिनी अब गरम होने लगी थी। वो अपनी कमर हिलाकर अपनी बेचैनी दिखाई। राजीव अब उसके पेट को चूमता हुआ उसके हाथों तक पहुँचा। अब वो उसकी हाथ की उँगलियाँ एक एक कर चूस रहा था। वो उसकी उँगलियों के जोड़ भी चाटकर मस्त हो रहा था। अब वो कलाई और बाँह चाटा और फिर उसका हाथ उठाकर उसकी बग़ल को सूँघा और फिर वहाँ भी जीभ से चाटने लगा। मालिनी को लगा कि वो पागल ही हो जाएगी।

अब वो मालिनी का ब्लाउस का हुक खोलने लगा। मालिनी ने हाथ उठा कर अपना ब्लाउस उतारने में उसकी मदद की। अब उसका गोरा बदन सिर्फ़ लिंगरी में बहुत ही मादक लग रहा था। वह उसके इस रूप को मुग्ध होकर देखता रहा और बोला: बेटी उफफफ क्या फ़िगर है और इस लिंगरी में तो बहुत क़ातिलाना लग रही हो। ये लिंगरी मैंने तुम्हारी सास के लिए ख़रीदा था। वो तो पहनी नहीं पर सच में तुमपे यह बहुत सेक्सी लग रही है।देखो तुम्हारे निपल्ज़ कितने मस्त दिख रहे हैं, नेट के अंदर से ।

मालिनी: पापा मैं तो ये लिंगरी पहन कर अपने आप को नंगी ही महसूस करती हूँ। और आप तो अभी भी पूरे कपड़े पहने हो।

राजीव: चलो मैं भी कपड़े उतार देता हूँ।

यह कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगा और चड्डी में आकर बोला: सच में बहुत कामुक बदन है तुम्हारा। अब वो झुका और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके गोरे दूध को चूमने लगा। मालिनी के बदन में भी सिहरन होने लगी। चड्डी में से राजीव का खड़ा लौड़ा बहुत मस्त दिख रहा था और चड्डी में दो बूँद प्रीकम भी चमक रहा था। मालिनी हाथ बढ़ा कर उसके चड्डी के ऊपर से उसके लौड़े को दबाई।
अब वो उसकी ब्रा के पीछे हाथ डाल कर उसका हुक खोला। अब उसने धीरे से उसके ब्रा का कप उठाया और उसके मदमस्त करने वाले सख़्त दूधिया अनार उसकी आँखों के सामने थे। काले बड़े निपल उन गोलायियों के ऊपर उफफफ क्या सज रहे थे। वह इन चूचियों को दबाने , सहलाने और चूसने के लिए पागल हुआ जा रहा था इतने दिनों से ।

अब वो झुका और उसने उसकी मस्त छातियों को सहलाना शुरू किया मानो वो उनकी मालिश कर रहा हो। उसकी ऊँगली और अंगूठे ने निपल को मसलना शुरू किया । अब मालिनी आऽऽहहहह कर उठी। उसकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। अब राजीव ने उसकी एक छाती मुँह में लेकर चूसना और दूसरे को मस्ती से दबाना चालू किया। अब मालिनी आऽऽह कर उठी। वह अपनी जीभ से उसके निपल को सहलाने लगा। मालिनी उइइइइइइ करके उसका सिर पकड़कर अपनी चुचि पर दबा दी। क़रीब दस मिनट तक चूसने के बाद वो अपना सिर उठाया और मालिनी के होंठ चूसने लगा। अब वो अपनी जीभ उसके मुँह में डाला और मालिनी उसे चूसने लगी। अब दोनों बहुत गरम हो गए थे। राजीव नीचे होकर उसकी पैंटी को नीचे किया । मालिनी ने भी गाँड़ उठाकर पैंटी उतारने में मदद की। अब उसको पनियाई हुई गीली बुर उसके सामने थी। वो उसकी जाँघें फैलाया और उनके बीच में फूलि हुई बुर को सहलाया और फिर दो ऊँगली अंदर डाला और बोला: आऽऽह कितनी गरम हो गयी हो तुम। बिलकुल गीली हो।

मालिनी: आऽऽह पापा अब डाआऽऽऽऽऽऽल दो ना। अब नहीं रहा जा रहा ।

राजीव झुक कर उसकी बुर को चूमा और चाटने लगा।

मालिनी: आऽऽऽह पापा इतने दिनों से बस चटवा ही तो रही हूँ और आपका चूस रही हूँ। अब बस चोओओओओओओद दीजिए। आऽऽहहहह बहुत खुजा रही है।

राजीव: हाँ बेटा मैं भी अब बस अंदर डाले बिना नहीं रह सकता। वो अपने लौडे को चड्डी से मुक्त करके बोला। मालिनी ने देखा कि उनका लौड़ा बहुत मस्त दिख रहा था।

वो बोली: पापा अब और मत तड़पाओ अंदर डाऽऽऽऽऽऽऽऽल दो।

वो उसकी टाँगें उठाकर अपने लौडे के सुपाड़े को उसकी बुर के छेद पर सेट किया और उसे वहाँ रगड़ने लगा। मालिनी उइइइइइइइ करके चिल्लाई :आऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽऽपा । क्यों तड़पा रहे हो डाआऽऽऽऽऽलो।

राजीव मज़े से भर गया और अपनी बहू की तड़प का मज़ा लेकर बोला: आऽऽऽह बेटा अब डालता हूँ। लो मेरा लौड़ा अपनी बुर में। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म्म। अब उसका सुपाडा उसके बुर में घुस गया। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या टाइट बुर है। अब वो एक धक्का मारा और आधा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। मालिनी: आऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा। धीरे सेएएएएएएए प्लीज़। बहुत मोटा है हाऽऽऽऽऽय।

राजीव अब अगले धक्के में पूरा लौड़ा अंदर कर दिया और अब पूरा लौड़ा उसकी बुर में समा चुका था। मालिनी भी मस्ती से बोली: आऽऽऽहहह पापा बहुत बड़ा है आऽऽऽऽऽपका ।

राजीव: शिवा का भी तो बड़ा होगा ना? वो भी मेरे जैसा ही तगड़ा मर्द है।

मालिनी: आऽऽऽह उनका भी मस्त है मगर आपका मोटा ज़्यादा है। आह्ह्ह्ह्ह। अब चोदिए प्लीज़।

अब राजीव ने उसकी चुदाई शुरू की और मालिनी भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदावने लगी। राजीव उसकी चूचियाँ दबाकर उसके होंठ चूस रहा था। अब फ़च फ़च की आवाज़ के साथ पलंग की भी चूँ चूँ की आवाज़ आ रही थी। तभी राजीव ने महसूस किया कि उसकी बुर के मसल्स ने उसके लौडे को जैसे अपने ग्रिप में ले लिया है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वह सोचा कि ऐसी चुदाई का मज़ा बरसों बाद मिल रहा था। कुछ तो बात है इस कामुक जवानी में। क्या मज़े से चुदवा रही है। पूरा मज़ा दे रही है। तभी मालिनी : आऽऽहहह पाआऽऽऽऽपा मैं गयीइइइइइइइ। और वो झड़ने लगी । राजीव भी ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा।
दोनों झड़कर अग़ल बग़ल लेटे थे और एक दूसरे के बदन पर हाथ फेर रहे थे। मालिनी हाथ से राजीव के नरम लौड़े को दबा रही थी। अब वो उसके बड़े बॉल्ज़ को सहला कर बोली: पापा आपके इन बॉल्ज़ ने तो कई लड़कियों को माँ बनाया है। मुझे लगता है अब मेरा भी नम्बर आ जाएगा अब।

राजीव: ओह हाँ ये हो तो सकता है । मगर तुम अगर प्रेगनेंट हुई तो कैसे पता चलेगा कि बाप शिवा है या मैं?

मालिनी हँसकर बोली: मुझे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि आप उस बच्चे के पापा हैं या दादा? मुझे तो प्यारा से बच्चा मिल जाएगा। अगर शिवा का होगा तो वो पापा और आप दादा।

राजीव उसे हैरानी से देखता रह गया।

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04-09-2017, 04:42 PM,
#85
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
दिन के १२ बजे थे और शिवा बेचैन था। उसे पता नहीं क्यों लग रहा था कि मालिनी कुछ करने वाली है। उसे याद आया कि वो बोली थी कि आज कामवाली बाई नहीं आएगी। इसका मतलब वो दिन भर आज पापा के साथ अकेली रहेगी। क्या वो कुछ करने वाली है? ये बात तो तो उसे पता चल गयी थी कि दोनों एक दूसरे के सब अंग छूते और चूमते और चाटते हैं! पर उनकी बातों से ऐसा लगा था कि चुदाई अब तक नहीं हुई है। वह कैसे पता करे ? तभी उसे असलम का ख़याल आया और वो उसको फ़ोन लगाकर बोला: यार मैं बहुत परेशान हूँ और जानना चाहता हूँ कि मालिनी पापा से चुदी या नहीं? कैसे पता करूँ?

असलम: यार इन सब चीज़ों में आयशा का दिमाग़ चलता है। मैं अभी खाना खाने जा रहा हूँ। तू भी आ जा। हम दोनों मिलकर आयशा की चुदाई भी कर लेंगे और उससे सलाह भी कर लेंगे कि कैसे पता करें मालिनी और तेरी पापा की चुदाई का?

शिवा का लण्ड तनने लगा ये सोचकर कि आयशा दोनों से चुदेगी । वो बोला: देख यार तू तो अपनी बीवी को मुझसे चुदवाए जा रहा है, मगर मैं नहीं जानता कि मालिनी तुमसे चुदवाएगी या नहीं।बाद में दोष नहीं देना।

असलम: यार तू आयशा को चोद लेगा तो क्या उसकी बुर घिस जाएगी? वैसे भी वो कई दिनों से डबल चुदाई का मज़ा नहीं ली है। उसे भी मज़ा आ जाएगा।

शिवा: ठीक है मैं आता हूँ। वो ये कहकर अपना लण्ड पैंट में ऐडजस्ट किया।

उधर सरला और राकेश की चुदाई के बाद अब राकेश उससे बहुत खुल गया था। अब वो किचन में सरला को पकड़कर चूम लेता था और उसके मस्त दूध दबाकर उनको ब्लाउस के ऊपर से खुले हिस्से को चूम भी लेता था। सरला भी अब उसके लण्ड को पैंट के ऊपर से जब तब दबा देती थी। उस दिन सबके जाने के बाद क़रीब १२ बजे वो सरला को लेकर उसके बेडरूम में घुस गया और उसकी ज़बरदस्त चुदाई करने लगा। सरला भी मज़े से उसका साथ दी और बाद में बोली: बेटा तेरा आख़री साल है अब पढ़ाई पर ध्यान दे । रात को मैं तेरी प्यास बुझा दिया करूँगी। राकेश मुस्कुरा कर उसकी चूचि चूसा और तय्यार होकर कोलेज चला गया। सरला अपने घर के काम में लग गयी।

उधर मालिनी और राजीव चुदाई के बाद सुस्ता रहे थे।

राजीव: बेटा तुमने मेरी बरसों की प्यास बुझा दी ।

मालिनी अब भी उसके बॉल्ज़ से खेल रही थी। वो बोली: पापा मुझे भी बहुत मज़ा आया। फिर वो लौड़े को सहलाकर बोली: पापा अभी तो एक राउंड और होगा तभी आपको खाना मिलेगा।

राजीव हँसकर: क्यों नहीं बेटा। अब इसे चूसकर खड़ा करो और दूसरे राउंड का मज़ा लो।

मालिनी उठकर उसके लौड़े को मुँह में लेकर प्यार से चूसने लगी और पूछी: पापा आपको याद है मेरी सास कैसा चूसती थीं ?

राजीव: हाँ बेटा वो कैसे भूल सकता हूँ। वो और तुम अच्छा चूसती हो पर सबसे ज़्यादा मज़ा तुम्हारी मम्मी देती है, उफफफ क्या डीप थ्रोट देती है।

मालिनी: पापा आप मुझे भी सिखाना कि कैसे डीप थ्रोट देते है। वैसे पापा आपका खड़ा तो मैंने भी कर दिया चूसकर।

राजीव: हाँ बेटा अब चढ़ जाओ इस पर और मस्ती से इसका मज़ा लो।

मालिनी हँसकर : तो पापा मेहनत के मूड में नहीं है। चलो मैं ही मेहनत कर लेती हूँ। यह कहकर वो उसके लौड़े पर अपनी बुर रखकर नीचे को दबाई और लौड़ा उसकी बुर की गहराइयों में घुसता चला गया। अब वो आगे को झुक कर राजीव के होंठ पर अपने होंठ रखी और राजीव उनको चूसने लगा। अब वो राजीव की गरदन चूमते हुए नीचे आयी और उसकी निपल्ज़ चूसने लगी। राजीव आऽऽहाह करके मस्ती से भर गया। वह अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई में लग गयी थी।

उधर राजीव के हाथ उसकी गाँड़ की गोलाइयों पर फिर रहे थे। अचानक वो एक ऊँगली उसकी गाँड़ में घुसेड़कर उसे अंदर बाहर करने लगा। अब मालिनी उसकी छाती से मुँह ऊपर की और बोली: पापा जलन हो रही है कम से कम थूक ही लगा लो।

राजीव ऊँगली निकाला और उसे नाक के पास लाकर सूंघकर बोला: आऽऽऽऽऽह बेटा क्या मस्त गन्ध है तुम्हारी गाँड़ की।

मालिनी उसकी ऊँगली को चादर के कोने से पोंछी और बोली: छी पापा आप भी ना । बहुत गंदे हो। फिर वह उसके दोनों हाथों को अपनी चूचियों पर रखकर बोली: इनको दबाइए। क्या ग़लत सलत जगह ऊँगली डालते रहते हैं ।

राजीव उसकी चूचियों को दबाकर चूसने लगा और निपल्ज़ भी ऐंठने लगा। अब मालिनी मस्ती से अपनी गाँड़ उछालकर ज़बरदस्त चुदाई में लग गयी। वो चिल्लाई: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पाआऽऽऽऽऽऽपा क्या मज़ाआऽऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽ है। हाय्य्य्य्य्य्य कितनाआऽऽऽऽऽऽ अच्छा लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है।
वह अपनी गाँड़ नीचे दबाकर पूरा लौड़ा निगलकर अपनी जवानी को पूरा मज़ा दे रही थी। अब राजीव ने एक ऊँगली उसके मुँह में डाली जिसे वो चूसने लगी। अब राजीव ने वो ऊँगली फिर से उसकी गाँड़ में डाल दी। अब मालिनी आह्ह्ह्ह्ह करके बोली: उफ़्फ़्फ़ । वह और ज़ोर से गाँड़ उठाके उसकी जाँघ पर अपने चूतर दबाने लगी। राजीव भी अब मस्ती से नीचे से लौड़ा उछालकर उसे चोद रहा था।

अब मालिनी बोली: आऽऽऽऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा अब अअअअअओ ऊपर आअअअअअअअओ और चोओओओओओदो।

राजीव उसे पकड़े हुए ही पलटा और ऊपर आकर उसके ऊपर चढ़ कर उसे ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा।मालिनी ने नोटिस किया कि राजीव की चुदाई का तरीक़ा शिवा से अलग था। जहाँ शिवा सीधे सीधे ज़ोरदार मर्दाने धक्के मार कर उसे मस्ती से भर देता है वहाँ पापा उसकी बुर में लौड़े को एक विशेष ऐंगल से डालते हैं और ऊपर की ओर करके उसे बुर में धिसते हैं। इस तरह की घिसाई से उसकी क्लिट को भी लौड़ा रगड़ता था और वो बहुत ज़्यादा गरम हो गयी थी। अब वो आऽऽऽहहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽपा क्या चोओओओओओओओओद रहे हो हाऽऽऽऽऽय्य मैं गयीइइइइइइइ। कहते हुए वो झड़ने लगी। अब राजीव भी अपना लौड़ा दबाकर झड़ने लगा।
अब वो फिर से लस्त होकर आराम से नंगे पड़े हुए थे और एक दूसरे को अभी भी चूम रहे थे।

राजीव: चलो बाथरूम चलो।

मालिनी: मुझसे चला नहीं जाएगा। उफफफ बहुत थक गयी हूँ।

राजीव ने हँसकर उसे गोद में उठाया और बाथरूम में लेज़ाकर उसको टोयलेट की सीट पर बिठा दिया। अब वो मूतने लगी और राजीव के कानों में उसकी सीटी सी आवाज़ आने लगी। फिर वो हैंड शॉवर उठाने लगी साफ़ करने के लिए। तो राजीव ने उसे रोका और उठाकर बग़ल में खड़ा कर दिया। अब वो अपना लण्ड सहला कर मूतने लगा। मालिनी ध्यान से उसके लौड़े में से निकल रही मोटी धार को देख रही थी। फिर पेशाब करके उसने अपना लण्ड हिलाया और आख़री बूँद भी निकाली और फ़्लश चलाया।

अब वो एक स्टूल लेकर नीचे बैठा और हैंड शॉवर लेकर मालिनी के पेट से लेकर उसकी बुर और जाँघों पर पानी डाला। अब वो साबुन से उसके बदन के निचले हिस्से को साफ़ किया। वहाँ उसका और मालिनी का काम रस चिपका हुआ था। उसकी जाँघों और बुर को अच्छी तरह से साफ़ करके पानी से धोया। अब वो उसको घुमाया और उसके बड़े मस्त चूतरों पर भी पानी डाला और चूतरों को फैलाके उसकी दरार में भी पानी डाला और सब जगह साबुन लगाया। उसकी गाँड़ के छेद को भी उसने बड़े ध्यान से साफ़ किया ।फिर तौलिए से सब जगह को सुखाया। अब वो चूतरों को फैलाकर उसकी गाँड़ के छेद में जीभ फेरकर बोला: बेटा ये तो अभी तक कुँवारी है ना?

मालिनी: आऽऽऽह हाँ पापा ।

राजीव उसकी बुर को सहलाकर बोला: बेटा, इसकी शिवा ने सील तोड़ी है और इसकी मैं तोड़ूँगा। ठीक है ना, एक एक छेद एक एक पति को देना तोड़ने के लिए।

मालिनी हँसकर: हाऽऽऽऽऽय पापा आप भी ना। आऽऽऽऽह अच्छा आप इसकी सील तोड़ लेना। वैसे सासु माँ की दोनों सील आपने ही तोड़ी था ना?

राजीव: पता नहीं बेटा। गाँड़ की तो मैंने ही तोड़ी थी पर बुर का पक्का नहीं कह सकता।

मालिनी: वो क्यों पापा?

राजीव: बेटा उसकी बुर से पहली चुदाई में ख़ून नहीं निकाला था। हालाँकि उसे दर्द तो बहुत हुआ था। अब मैं पक्का नहीं कह सकता कि वो कुँवारी थी या नहीं। वैसे बेटा गाँड़ मारने के लिए बहुत तय्यारी करनी पड़ेगी जैसे मैंने सविता यानी तुम्हारी सास की थी।

मालिनी: कैसी तैयारी पापा?

अब वो अपना बदन साफ़ करके बाहर आया और आलमारी से एक डिब्बा निकाल कर लाया। उसके अंदर नक़ली रबर के ५ लंड थे जो पतले से लेकर मोटे तक के साइज़ के थे।

वो: बेटा ये मैं यूरोप से लेकर आया था। पहले ये पतला वाला तुम्हारी गाँड़ में दो दिन डालूँगा और उसके बाद उससे मोटा और फिर और मोटा वाला। इस तरह ७/८ दिन में तुम ये सबसे मोटा वाला भी अंदर ले लोगी। तब मैं अपना लौड़ा अंदर डालूँगा। वैसे इसके लिए एक विशेष लूब चाहिए जिसे K Y Jelly कहते है । ये होमों सेक्शूअल लोग गाँड़ मारने के लिए काम में लाते है मै आज शाम को ये जेली लाउँगा और कल से तुम्हारी गाँड़ मारने की प्रैक्टिस चालू करूँगा। ठीक है?

मालिनी: ठीक है पापा। मुझे भी गाँड़ मरवाने की बहुत इच्छा है। मैंने आपको और ताऊजी को मम्मी की गाँड़ मारते हुए देखा था।

राजीव: वैसे मुझे सरला ने बताया था कि शिवा ने भी उसकी गाँड़ मारी है।

मालिनी के चेहरे पर जलन के भाव आए फिर वो बोली: मारी होगी। वो तो भी मेरी भी मारना चाहते हैं पर मेरे दर्द से डरते हैं। पर अब आप मेरी मार ही लेना।

राजीव उसकी चूची दबाकर: हाँ बेटा एक हफ़्ते में तुम्हारे गाँड़ के छेद को बड़ा करूँगा और फिर देखना बिना ज़्यादा दर्द के तुम मेरा लौड़ा अंदर ले लोगी।

अचानक मालिनी को ध्यान आया कि दोनों अब भी नंगे है। वो बोली: पापा अब मैं कपड़े पहन लेती हूँ। और खाना बनाती हूँ।

राजीव: अरे बेटा चलो तय्यार हो जाओ। आज हम लंच बाहर करेंगे। मालिनी ख़ुश होकर उससे लिपट कर बोली: थैंक यू पापा। सच में मेरी हिम्मत नहीं है अभी खाना बनाने की। मैं अभी तय्यार होकर आइ।

राजीव पीछे से आवाज़ लगाया: बेटा जींस टॉप पहनकर आना।

वो मुस्कुरा कर हाँ में सिर हिलाई। अब वो तय्यार हुई जैसे कि राजीव चाहता था। एक टॉप और चुस्त जींस में। उसने पैंटी पहन ली थी। जब वो लिप्स्टिक लगाकर बाहर आयी तो राजीव भी जींस और टी शर्ट में खड़ा उसका रास्ता देख रहा था। वो मस्ती से मालिनी को अपनी बाहों में भरा और बोला: उफफफफ क्या माल लग रही हो।

मालिनी: किस्स नहीं करिएगा वरना आपके होंठ पर लाल लिप्स्टिक लग जाएगी।

राजीव हँसने लगा। वो अब आगे चली और राजीव ने उसके दोनों चूतरों को पंजों में दबा कर कहा: आज तो तुम्हारी गाँड़ को देखकर कई लोग मूठ्ठ मारेंगे । उफफफफ क्या सेक्सी गाँड़ है बेटा। आह पैंटी पहनी हो ?सही कहा ना?

मालिनी ने हाँ में सर हिलाया और बोली: बाहर जाती हूँ तो पहन लेती हूँ।

अब वो भो पैंट के ऊपर से उसके लंड को दबाकर बोली: पापा आप इसको खड़ा मत कर लेना वरना सबको पता चल जाएगा कि आप अपनी बहु पर बुरी नज़र रखते हो। हा हा ।

इस तरह मज़े मस्ती करते दोनों रेस्तराँ के लिए कार से निकल पड़े। मालिनी और राजीव रेस्तराँ से खाना खा कर वापस आए तो तीन बज गए थे। मालिनी: पापा मैं थोड़ा सा सो जाऊँ?

राजीव: हाँ क्यों नहीं, आओ मेरे कमरे में ही सो जाना।

मालिनी: पापा आपके साथ सोऊँगी तो बस चुदवाते ही चली जाऊँगी। मुझे आराम करना है।

राजीव हँसकर : अच्छा चलो अपने कमरे में ही आराम कर लो। मैं भी अब आराम कर लेता हूँ।


उधर शिवा ठीक समय पर असलम के घर पहुँचा।असलम भी अभी अभी घर पहुँचा था। वो बनियान और लूँगी में था। तभी आयशा भी आकर उसे नमस्ते की वो एक सलवार क़ुर्ती में थी।

सब बैठे और असलम बोला: हाँ भाई बोल क्या समस्या है?

शिवा: वही जो फ़ोन पर बताया था ना कि मैं जानना चाहता हूँ कि मालिनी क्या पापा से लगवा रही है?

आयशा : भाई जान आप ये जान कर क्या करोगे?

शिवा बेवक़ूफ़ की तरह उसे देखता रह गया।

आयशा: क्या आप इसका विरोध करोगे? आपको पता है कि मालिनी को भी अब पता लग गया है कि आप अपनी सास को चोद चुके हो। तो किस मुँह से आप उसे रोकेंगे?

शिवा ने नोटिस किया कि चोद शब्द का इस्तेमाल इसने कितनी सहजता से किया है ।

शिवा : नहीं नहीं विरोध नहीं बस मैं जानना चाहता हूँ।

आयशा: मगर क्यों जानना चाहते हैं? क्या करेंगे जान कर?

शिवा निरुत्तर सा बैठा रह गया।

आयशा: अब मैं बताऊँ आप क्यों जानना चाहते हो? असल में आप ख़ुद चाहते हो कि वो आपके पापा से चुदे। आपको इससे एक किक मिलेगी जैसे किसी शराबी को शराब पीने से मिलती है।

शिवा का मुँह उसकी बात सुनकर खुला का खुला रह गया। वो बोला: आऽऽऽप ये कैसी बात कर रही हो। मतलब क्या है आपका?

आयशा: देखिए उस दिन भी आप मेरे और मेरे ससुर की चुदाई की बात सुनकर बहुत उत्तेजित हो रहे थे। और आज भी आप ये सोचकर कि आपकी बीवी आपके पिता से चुदवाएगी आप कितने उत्तेजित हो रहे हो। ज़रा देखो अपनी पैंट की ओर कैसा तना हुआ है अपना लण्ड। वो आगे बढ़कर उसके लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाकर बोली : देखो कैसा तना हुआ है?

शिवा शर्मिंदा होकर: ओह नहीं भाभी ये आपके लिए पागल हो रहा है।

आयशा: अगर ये सच होता तो मैं बहुत ख़ुश होती पर ऐसा है नहीं।

असलम: चलो अभी बेडरूम में चलते हैं और इसके लंड को आराम देने की कोशिश करो। सब बेडरूम में पहुँचे और असलम बोला: चलो कपड़े उतारो । वह अपने कपड़े उतारने लगा। आयशा भी अपनी क़ुर्ती निकाल दी। अब वो सलवार और ब्रा में बहुत सेक्सी लग रही थी। असलम अब तक चड्डी में आ चुका था। उसका लण्ड चड्डी से बहुत मोटा सा लग रहा था। तभी आयशा ने सलवार उतारी और अब वह ब्रा और पैंटी में थी। शिवा भी अब चड्डी में आ गया था। उसका लण्ड भी बहुत बड़ा लग रहा था।

आयशा मुस्कुराकर बिस्तर में लेट गयी। शिवा और असलम उसके अग़ल बग़ल लेट गए । असलम उसे चूमने लगा। अब शिवा उसके सामने थोड़ा सा हिचक रहा था, सो असलम ने उसका हाथ पकड़कर आयशा की ब्रा के ऊपर से एक चूची पर रख दिया। असलम दूसरी चूचि ख़ुद दबाने लगा। अब वो दोनों उसके गाल और होंठ चूसने लगे। आयशा ने भी हाथ बढ़ाकर एक एक हाथ में उनके लण्ड चड्डी के ऊपर से पकड़ लिया और उनको दबाने लगी। असलम ने उसकी ब्रा खोली और अब वो दोनों एक एक चूचि दबाने लगे और फिर मुँह में लेकर चूसने लगे। शिवा सोचा कि उफफफफ क्या मस्त लग रहा है। वो सोचा कि जब पापा और मैं मालिनी की चूचियाँ ऐसे ही चूसेंगे तब क्या मस्त मज़ा आएगा।

अब असलम नीचे जाकर उसकी पैंटी निकाला और उसकी बुर को सहलाने लगा। शिवा भी उठकर उसके साथ बैठा और उसकी बुर को देखने लगा। असलम ने उसका हाथ पकड़कर आयशा की बुर पर रखा और बोला: तुम तो एक बार चोद चुके हो इसे। आज क्या बुर ही चोदोगे या गाँड़ मारोगे?

शिवा: मैं मैं बुर ही चोदता हूँ।

असलम: ठीक है मैं गाँड़ मार लूँगा। अब वो अपनी चड्डी उतारा और अपने लण्ड को आयशा के मुँह के पास लेज़ाकर उसे चूसने का इशारा किया। आयशा ने उसके लण्ड को चूसना शुरू किया। अब शिवा भी अपना लण्ड उसके मुँह के पास लाया और वो उसे भी चूसने लगी।

असलम: यार तुम नीचे लेट जाओ। आयशा अपनी बुर में तुम्हारा लण्ड ले लेगी।

शिवा नीचे लेट गया और आयशा उसके ऊपर आकर अपनी बुर में उसका लण्ड ले ली। शिवा नीचे से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। असलम ने अपने लण्ड में क्रीम लगाया और उसकी गाँड़ में पीछे से अपना लण्ड डालकर उसे चोदने लगा। नीचे से शिवा भी अपना लण्ड उसकी बुर में पेलने लगा।

अब आयशा की सिसकियाँ निकलने लगी : आऽऽऽऽह ऊँनन उन्न्न्न्न्न उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़् और जोओओओओओओओओर से हाय्य्य्य्य मेरी फटीइइइइइइइइइइ फ़ाआऽऽऽऽऽड़ दोओओओओओओ। अब दोनों मर्द जैसे मशीनो की तरह उसे चोदने लगे। शिवा महसूस कर रहा था कि असलम का लण्ड भी कुछ मसल्स की दूरी से उसके लण्ड से रगड़ सा रहा था।

आयशा इस डबल चुदाई से मस्त होकर अपनी गाँड़ उछालकर आऽऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगी। शिवा उसकी चूचियाँ दबाकर चूसे जा रहा था। वो जैसे सातवें आसमान पर थी। तभी असलम और शिवा भी ह्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे। थोड़ी देर बाद तीनों लेट कर सुस्ता रहे थे। तब आयशा शिवा से बोली: आप अपने पापा के साथ मालिनी को चोदना चाहते हो ना?

शिवा झेंप कर बोला: हाँ ये सच है। मैं यही चाहता हूँ। जबसे तुमने बताया है कि तुम असलम और उसके अब्बा से एक साथ चुदवाती हो तब से मेरी भी यही इच्छा हो रही है।

आयशा: चलो मैं आपकी मदद करती हूँ। आप ऐसा करो मेरी मालिनी से एक मुलाक़ात का इंतज़ाम कर दो।

शिवा: ओह पर कैसे होगा ये? क्या बोलूँगा मैं उसको?

असलम आयशा के बड़े चूतर दबाकर बोला: जान तुम ही कोई तरकीब बताओ ना।

आयशा हँसकर शिवा के नरम लण्ड को मूठ्ठी में सहलाकर बोली: ऐसा करिए आप मालिनी को बोलिए कि मैं उससे मिलना चाहती हूँ और उसे कुछ घर से करने वाले बिज़नेस के बारे में बताना चाहती हूँ , जैसे aimway वगेरह।

असलम: हाँ ये ठीक रहेगा। वैसे भी तुम इससे जुड़ी हुई हो।

शिवा: ठीक है मैं ऐसा ही करूँगा। कल की बात करता हूँ। ओके ?

आयशा उसके लण्ड को सहलाते हुए बोली: मुझे क्या फ़ीस मिलेगी?

शिवा: बोलो क्या चाहिए?

आयशा मुस्कुराई और उठकर उसका लण्ड मुँह में लेकर चूसते हुए बोली: मुझे ये लंड अब अपनी गाँड़ में चाहिए और असलम का अपनी बुर में चाहिए।

अब दोनों मर्द उससे चिपक गए और उसकी चूचियाँ दबाकर मस्ती से भरने लगे। थोड़ी देर में ही चुदाई का दूसरा राउंड शुरू हुआ बस फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था कि इस बार असलम नीचे था और उसकी बुर चोद रहा था और शिवा अब उसकी गाँड़ मार रहा था। आधे घंटे की ज़बरदस्त चुदाई के बाद तीनों मज़े से झड़ कर लेट गए।

शिवा: तुम मालिनी से बोलेगी क्या?

आयशा: आप मुझ पर छोड़ दो। फिर वो असलम से बोली: अगर शिवा के पापा ने मुँझे चोदने की इच्छा दिखाई तो आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं होगा ना? आपको पता है कि मैं हमेशा आपसे पूछ कर ही किसी और से चुदवाती हूँ।

असलम उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: अरे चुदवा लेना कौन सी तुम्हारी बुर घिस जाएगी?

शिवा हैरान हो कर: इस सबमें पापा और तुम कहाँ से आ गयीं?

आयशा: अरे आपके पापा ठरकी हैं ना। क्या पता उनका मूड बन जाए। तब मैं असलम को फ़ोन करके थोड़ी ना पूछूँगी कि जी क्या मैं मालिनी के ससुर से चुदवा लूँ?

सब यह सुनकर हँसने लगे। फिर सबने कपड़े पहने और खाना खाया । फिर शिवा अपनी दुकान में वापस चला गया।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ।

रात को खाना खाने के बाद सरला राकेश को धीरे से बोली: आज तुम्हारे ताऊजी आएँगे। वो इशारा किए है। मैं उनके जाने के बाद तुमको मिस्ड कॉल दूँगी तुम तभी आना। पहले मत आ जाना।

राकेश सरला की जाँघ दबाकर: ठीक है मम्मी मैं इंतज़ार करूँगा।

सरला भी अपने कमरे में जाते हुए उसके लोअर के ऊपर से उसका लण्ड दबाकर मुस्कुराई और चली गयी।

रात को राकेश चुपचाप रास्ता देख रहा था। तभी श्याम आया और सरला के कमरे में घुस गया। वो पहले अपने कपड़े उतारा और पूरा नंगा होकर लेटी हुई सरला के बग़ल में आ गया। राकेश खिड़की से सब देख रहा था। अब वो सरला को चूमने लगा और उसकी नायटी के ऊपर से उसके दूध दबाने लगा। अब सरला भी उसके चुम्बन का जवाब देने लगी। अब वो सरला को नायटी उतारने को कहा। सरला उठकर नायटी उतारी और फिर ख़ुद ही उसने ब्रा भी खोल दी। अब वो पूरी नंगी थी। अब दोनों एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे का बदन सहलाने लगे और चुम्बन भी जारी रखे।

अब वो सरला को बोला: जान आज पीछे से डालने का मन है।

सरला मुस्कुराई और पेट के बल होकर अपनी गाँड़ ऊँची कर दी और बोली: गाँड़ मारेंगे क्या? वैसे मेरी बुर ज़्यादा खुजा रही है।

श्याम ने उसके चूतरों को दबाया और बोला: नहीं बुर ही चोदूँगा। अब वो अपने मुँह को उसकी गाँड़ की दरार में डाला और उसकी बुर चूसने लगा। सरला आऽऽऽह करके अपनी गाँड़ उसके मुँह में दबाने लगी। थोड़ी देर बाद वह अपना मुँह वहाँ से बाहर निकाला और उसका पूरा मुँह गीला हो चुका था सरला के कामरस से । अब वो अपना लण्ड सरला की गीली बुर में डाला और उसकी चुदाई में लग गया। कमरा थप्प थप्प की आवाज़ों से गूँज उठा और हर धक्के के साथ सरला की उन्न उन्न निकल जाती थी। उसके हाथ सरला की चूचियों पर जमे हुए थे। वो उनकी घुंडियाँ भी दबाए जा रहा था।

अब सरला चिल्लाने लगी: आऽऽऽऽऽह भय्याआऽऽऽऽऽऽऽ जीइइइइइइइ और जोओओओओओओर से चोओओओओओदो। फ़ाआऽऽऽऽऽऽऽऽड़ दो मेरी बुर। हाऽऽऽऽऽऽययय । ये कहते हुए वो पूरा पीछे की ओर धक्का मारकर उसका लण्ड पूरी तरह से अपने बुर में घुसवा कर आनंद के सागर में डूबे जा रही थी।

फिर दोनों आऽऽऽऽऽह करके झड़ने लगे। थोड़ी देर तक वो दोनों बातें करे फिर श्याम अपने कमरे में चला गया।

श्याम के जाने के बाद सरला बाथरूम गयी और फ़्रेश होकर आयी। वो थोड़ा थक सी गयी थी। वो सोची कि सो जाती हूँ और राकेश को नहीं बुलाती। पर वो बाद में सोची कि वो बुरा मान जाएगा। वो लम्बी साँस ली और राकेश को मिस्ड कॉल दी। राकेश उसकी और श्याम की चुदाई देख कर बहुत उत्तेजित हो चुका था और उसने मूठ्ठ नहीं मारी थी। वो ताऊ के बाहर आने के पहले अपने कमरे में चला गया था । सरला के कॉल से वो उठा और मम्मी के कमरे में गया । वो चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी। राकेश आकर उससे लिपट गया और बोला: मम्मी चुदाई कैसी रही ताऊ जी के साथ?

वो हँसकर बोली: तुझे तो सब पता ही है। वहाँ खिड़की से सब देख तो रहा था ना?

राकेश: मम्मी आपको कैसे पता?

सरला हँसकर: आख़िर तेरी माँ हूँ। मैंने तुझे देख लिया था।

अब राकेश भी हँसने लगा। अब वो चादर के अंदर हाथ डाला और पाया कि वो पूरी नंगी थी। वो बहुत उत्तेजित हो गया और बोला: मम्मी आप तो नंगी हो?

सरला: अब उनके जाने के बाद क्या कपड़े पहनती? तूने आकर उतार ही देना था। है कि नहीं?

राकेश अब उसकी चादर उतारा और अपनी नंगी माँ को देखकर वो उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ चूमने लगा। उसके हाथ चूचियों पर थे और वो उनको दबाकर मस्त हो रहा था। वो बोला: मम्मी दूध पिलाओ ना ।

सरला हँसकर: इतना बड़ा हो गया है पी ले ना अपने आप।

राकेश: मम्मी आप ख़ुद पिलाओगी तो मज़ा आएगा।

वो : अच्छा चल फिर बग़ल में लेट। वह बग़ल में आकर लेट गया और अब सरला ने अपनी एक चुचि अपने एक हाथ में लिया और उसके मुँह में अपना निपल डाल दिया।
राकेश बच्चे की तरह उसे चूसने लगा और सरला अब भी उसे अपनी चुचि पिला रही थी। राकेश का लण्ड मानो झड़ने वाला था वो सोचा उफफफफ क्या फ़ीलिंग आ रही है -मम्मी अपने हाथ से उसे अपनी चुचि चूसवा रही है। सरला ने हाथ बढ़ा कर लोअर के ऊपर से उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी। अब वो लोअर और चड्डी के अंदर अपना हाथ डाली और उसके नंगे लण्ड को पकड़ ली।वो सोची कि क्या मस्त जवान लण्ड है और कितना गरम है।

राकेश बोला: मम्मी अब दूसरा दूध पिलाओ ना।

सरला अब अपनी दूसरी चूचि को हाथ में लेकर उसके मुँह में डाली और वो मस्त होकर चूसने लगा। जब उसका जी भर गया तो वो बोला: मम्मी ६९ करोगी क्या?

सरला : ठीक है आजा तू नीचे लेट जा और मैं ऊपर आती हूँ। वो उलटी होकर अपनी बुर को राकेश के मुँह पर रखा और ख़ुद उसकी जाँघ के बीच आकर उसका कड़ा लंड चूसने लगी। राकेश भी मस्ती में आकर जीभ से उसकी बुर को कुरेदने लगा। सरला भी मस्ती से उसके लण्ड को अपने गले के अंदर ले जाकर चूस रही थी। वह उसके बॉल्ज़ भी चाटी और फिर बोली: आऽऽऽऽह बेएएएएएएएटा अब चोद दे। बहुत गरम हो गयी हूँ मैं ।

अब सरला घूमकर उसके ऊपर आयी और अपनी बुर को उठाकर अपने बेटे के लण्ड पर रखी और नीचे होकर उसका लण्ड अपनी बुर में पूरा निगल गयी । अब वो ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होकर चुदवाने लगी। राकेश भी नीचे से लण्ड उछालकर चोदने लगा। राकेश अब उसकी चूचियाँ दबाकर चूस रहा था । जल्दी ही चुदाई चरम सीमा पर पहुँचने लगी।

अब राकेश बोला: मम्मी हाऽऽऽऽऽययय हम एक दूसरे के मुँह में झड़ें क्या। आऽऽऽऽऽऽह बोओओओओओलो नाआऽऽऽऽ ।

सरला : उफफफफ अच्छा हाँआऽऽऽऽ ठीक है उइइइइइइइ ।

अब वो फिर से पलटी और अब दोनों एक दूसरे के अंगों को चूसने लगे। राकेश उइइइइइइइ माऽऽऽऽऽ कहकर अपनी माँ के मुँह में झड़ने लगा। सरला उसके वीर्य को निगलती चली गयी। उधर सरला भी अब राकेश के मुँह में झड़ने लगी थी और वो भी उसका रस पीता चला गया। अब दोनों झड़कर आराम करने लगे। थोड़ी देर बाद फ़्रेश होकर वो नंगे ही लिपट कर चादर ओढ़ कर सो गए।

उधर शाम की चाय मालिनी ने राजीव की गोद में बैठ कर पी। वो दोनों एक दूसरे को चूमकर ख़ुश थे

रात को ८ बजे शिवा आया और सबने खाना खाया। राजीव के कमरे में जाने के बाद वो दोनों अपने कमरे में आए और दोनों ने थकावट का बहाना बनाया और बिना चुदाई किए सो गए।

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04-09-2017, 04:43 PM,
#86
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दिन सरला सुबह नाश्ता बनाई और बच्चों को स्कूल भेजा और श्याम भी चला गया। अब राकेश ने सरला को देखा तो वो अभी पसीना पोंछ रही थी। उसे माँ पर बहुत प्यार आया। वो बोला: मम्मी लगता है आप थक गयी हो। आओ मैं हाथ पैर दबा देता हूँ। आपको अच्छा लगेगा।

सरला अपना पसीना पोंछते हुए बोली: मुझे पता है तू क्या दबाएगा? बस मुझे कुछ देर आराम से बैठने दे , मैं ठीक हो जाऊँगी।

राकेश: मम्मी आप भी कुछ भी बोलते हो। मैं हाथ और पैर दबाने का बोल रहा हूँ और आप पता नहीं और क्या दबाने की बात कर रहे हो।

अब वो आकर सरला के पास सोफ़े पर बैठा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू किया। फिर वो दूसरा हाथ दबाया और सरला को लगा कि वो उसकी मालिश कर रहा है। वो मस्त होकर अपने हाथ दबवाने लगी। अब वो नीचे आकर फ़र्श पर बैठ गया। अब उसने सलवार के ऊपर से उसके पैर दबाने शुरू किए। उसने सरला की क़ुर्ती ऊपर कर दी और अब वो उसकी पूरी टाँग जाँघ तक दबाने लगा। उसका हाथ सरला को बड़ा आराम दे रहा था। वो बोली: इतनी अच्छी मालिश करना कहाँ से सीखा?

राकेश:ताई जी से ही सीखा है। जब छोटा था तो वो और ताऊ जी मालिश करवाए थे मेरे से।

सरला हँसकर: अच्छा मुझे तो याद नहीं। पर बड़ा अच्छा लग रहा है।

राकेश ने उसकी जाँघों के जोड़ पर गीलापन देखा तो पूछा: मम्मी यहाँ बुर के सामने गीला क्यों है?

सरला: अरे जाँघों के जोड़ में पसीना आता है ना। और मैं पैंटी तो पहनती नहीं, इसलिए पसीने से गीला हो जाता है।

राकेश को पता नहीं क्या सूझा और वो उस जगह अपनी नाक घुसेड़कर सूँघने लगा और बोला: मम्मी उफफफ क्या मस्त गंध है। इसमे आपके पसीने, पेशाब और बुर के सेक्स की मिली जुली गन्ध है। उफ़्फ़्फ़क मैं तो मस्त हो गया। फिर वह उठा और उसकी बाँह उठाकर उसकी गीली बग़ल सूँघा और बोला: मम्मी आप बहुत ही मस्त और मादक गंध वाली औरत हो। मेरा तो खड़ा हो गया।

सरला: मुझे पता था कि इस मालिश का अंत चुदाई में ही होगा । पर अभी मुझे नहाना है। और तुम भी अब कोलेज जाओ। समय हो रहा है।

राकेश: मम्मी मुझे आपके साथ नहाना है।

सरला: फिर कभी । चलो अभी जाओ।

राजेश खड़ा होकर अपने लौड़े को दिखाकर बोला: मम्मी ऐसे जाऊँ कोलेज?

सरला: आह अच्छा चल बैठ और निकाल इसे बाहर। अभी चूस देती हूँ।

वो जल्दी से अपना लोअर और चड्डी नीचे किया और सोफ़े पर अपना लौड़ा निकाल कर बैठ गया। अब सरला नीचे फ़र्श पर बैठ कर उसका लौड़ा सहलाई और उसे चूसने लगी । वो उसके बॉल्ज़ को भी मस्ती से दबा रही थी । जल्दी ही राकेश बोलने लगा: आऽऽहहह मम्मी क्या चूसती हो। हाऽऽयय्य बहुत मज़ा आ रहा है। अब वो नीचे से अपनी कमर उठाकर उसके मुँह में लौड़ा अंदर बाहर करने लगा। अब सरला ने अपना हाथ जो उसके बॉल्ज़ पर था थोड़ा सा नीचे की ओर खिसकाया और अब उसकी उँगलियाँ उसके गाँड़ के छेद से खिलवाड़ करने लगीं और उसकी जीभ सुपाडे पर चल रही थी। अब राकेश के लिए अपना स्खलन रोकना असम्भव था।जल्दी ही वह आऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगा और अपने लौड़े से वीर्य की पिचकारी छोड़ने लगा। सरला मज़े से उसका वीर्य पीते चली गयी। अब वो झड़ कर सोफ़े में पड़ा था। सरला ने उठकर उसे प्यार किया और फिर से कोलेज जाने को कहा। थोड़ी देर बाद वो चला गया। अब सरला नहाने गयी और नहाते हुए थोड़ी देर पहले मिले बेटे के लौड़े और उसके रस के मज़े को याद की। वो सोची कि वो सच में कितनी भाग्यशाली है जो उसका बेटा ही उसे इतना सुख दे रहा है।

उधर सुबह मालिनी चाय बनाके राजीव को आवाज़ दी। वो मोर्निंग वॉक से आया था और बहुत ही स्मार्ट दिख रहा था। उसने आकर मालिनी को अपने आलिंगन में भरकर चूमा और बोला: सिर्फ़ चाय पिलाओगी क्या? फिर उसके दूध दबाकर बोला: मुझे तो दूध भी पीना है।

मालिनी हँसकर: वो तो आपको हमेशा ही पीना रहता है। चलो अभी चाय से काम चला लो और शिवा के जाने के बाद वो भी पी लेना। राजीव उसको और ज़ोर से चिपका कर उसके मस्त चूतरों को दबाया और बोला: चलो ठीक है अभी चाय से ही काम चलाता हूँ। पर इतना तो कर सकती हो कि एक चुम्मी दे दो। ये कहकर वो नीचे ज़मीन में बैठ गया। मालिनी: उफ़्फ़ पापा आप भी ना, बहुत तंग करते हो। ये कहकर उसने अपनी नायटी उठा दी और राजीव की आँखों के सामने मस्त गदराई हुई जाँघों के बीच फुली हुई चिकनी बुर
थी। वो आगे को होकर उसकी बुर को सहलाया और फिर वहीं मुँह डालकर उसकी फाँकों को चूमने लगा। फिर वो उसे घूमने को बोला। पर मालिनी ने कहा: नहीं वहाँ नहीं। आप बीमार पड़ जाओगे। वहाँ सिर्फ़ नहाने के बाद ही चूमिये। अभी वो गंदी रहती है।

राजीव: ठीक है मेरी जान जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।
अब दोनों चाय पी रहे थे तब राजीव बोला: जान रात को शिवा ने ली क्या?

मालिनी: पापा वो क्या है ना कल आपसे करवाने के बाद मेरा भी मन नहीं था और पता नहीं शिवा का भी मन नहीं था। सो हम दोनों ही सो गए।

राजीव: लगता है शिवा को भी कोई मिल गयी है ठुकाई के लिए। वरना तुम कहती थी ना शाम को वो बहुत गरम हो जाता है दुकान से आने के बाद।

मालनी: पापा आप भी बस कुछ भी बोल देते हो। उसको कोई कहाँ से मिलेगी? फिर वो उठी और चाय लेकर शिवा को उठाने गयी।

शिवा करवट से सो रहा था। वो उसे उठाई और बोली: लो चाय ले लो । वो उठकर बैठा और मालिनी को अपनी बाँहों में खींचकर उसके गाल चूमा। फिर बोला: रात को तुम चुपचाप कैसे सो गयी?

मालिनी: आप भी तो सो गए थे।

शिवा: चलो अभी रात की कमी पूरी कर लेते है । मैं अभी फ़्रेश होकर आता हूँ।

मालिनी: अभी? दुकान नहीं जाना क्या?

शिवा: अरे जान दुकान भी जाएँगे। पर तुम्हारी लेने के बाद।

मालिनी समझ गयी कि ये अब बिना चोदे मानेगा नहीं तो वो भी मुस्कुराकर बोली: अच्छा आप फ़्रेश होकर आओ तब तक मैं भी नंगी होकर आपका इंतज़ार करती हूँ । कम से कम कपड़े उतारने का समय तो बचेगा।

शिवा हँसते हुए बाथरूम में घुस गया। वो बाहर आया तो मालिनी पूरी नंगी लेटी हुई थी और उसकी जाँघें जुड़ी हुई थीं जिसके कारण बुर नज़र नहीं आ रही थी। अब वो उसके ऊपर आया और दोनों के होंठ और बदन चिपक गए। क़रीब १० मिनट चूमने के बाद वो उसकी चूचियों पर भी करींब १० मिनट लगाया। अब मालिनी पूरी तरह गरम हो गयी थी।
वह अब उसके लौड़े को दबाकर बोली: आऽऽऽँहह डाऽऽऽऽऽऽऽऽल दोओओओओओ ना।

शिवा नीचे को होकर उसकी बुर में दो ऊँगली डाला और उसे पूरी गीला पाकर उसके अपना सुपाड़ा उसके बुर के छेद में रखा और एक झटके में लण्ड पेल दिया। फिर जो उसने पलंगतोड़ चुदाई की तो मालिनी को भी मानना पड़ा की जवान मर्द की चुदाई में कुछ और ही बात है। हर धक्के के साथ वो और ज़ोर से नीचे से गाँड़ उछालकर चुदवा रही थी। उसके हाथ शिवा के चूतरों पर थे और वो उनको नीचे की ओर दबाकर चुदवा रही थी। क़रीब २० मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनों चिल्ला कर झड़ने लगे। शिवा अब उसके बग़ल में लेट कर बोला: उफफफ क्या मज़ा देती हो जान। मस्त बुर है तुम्हारी। वो उसकी चूचियाँ दबाकर बोला।

मालिनी भी उसको चूमकर बोली: आप भी अब पक्के चुदक्कड हो गए हो। उफफफफ कितना मस्त चोदते हो।

शिवा बड़े भोलेपन से : कभी कभी पापा पर तरस आता है कि वो अभी भी कितने हट्टे कट्टे हैं और दूसरी शादी का सोच रहे हैं । बेचारे बहुत प्यासे हो जाते होंगे बुर के लिए?

मालिनी चौकी : ओह पता नहीं । मुझे तो ऐसा नहीं लगता।

शिवा: अरे क्या नहीं लगता। वो तुमको भी तो घूरते रहते हैं । मैंने देखा है कि वो तुम्हारी चूचियों को घूरते रहते है। बचकर रहना उनसे।

मालिनी: छि आप कुछ भी बोल रहे हो। वो आपके पापा हैं और मेरे ससुर। आप उनके बारे में ऐसा कैसा बोल सकते हो।

शिवा: अरे वो पहले एक मर्द हैं और बाद में पापा या ससुर। तुम्हारे जैसी जवानी को देखकर तो भगवान भी डोल जाए वो तो आदमी हैं।

मालिनी ने सोचा कि ये बात तो लम्बी ही खिंची जा रही है । वो बोली: चलिए अब नहा लीजिए वरना देर हो जाएगी।

शिवा ने भी सोचा कि आज के लिए काफ़ी हो गया है। वो नहाने चला गया । मालिनी नाश्ता बनाते हुए सोच रही थी कि क्या शिवा को शक हो गया है, वो ऐसी बातें क्यों कर रहा था।फिर वो अपने काम में लग गयी।

नाश्ता करते हुए शिवा बोला: मालिनी कल असलम का फ़ोन आया था। वो बोल रहा था कि आयशा तुमसे मिलना चाहती है।

मालिनी ने बुरा सा मुँह बनाया: मुझसे क्यों मिलना चाहती है वो?

शिवा: वो कोई घर से बिज़नेस करती है। anway वगेरह का। उसी सिलसिले में वो तुमसे मिलेगी।

राजीव: ये आयशा कौन है?

शिवा: पापा वो मेरे दोस्त असलम की बीवी है। अच्छा अब चलता हूँ।

शिवा के जाने के बाद राजीव बोला: तुमने आयशा का नाम सुनकर बुरा सा मुँह क्यों बनाया?

मालिनी: पापा वो अच्छे लोग नहीं हैं। शिवा बता रहे थे कि असलम इनको बताया है कि वो वाइफ़ स्वेपिंग़ यानी बिवीयों की अदला बदली में मज़ा लेता है।

राजीव: ओह कमाल है। यानी एक दूसरे की बीवी को चोदेंगे।

मालिनी: जी यही बताया था शिवा ने। अब वो पता नहीं उसको अपने घर क्यों बुलाया है?

राजीव: बेटा उसने नहीं बुलाया है। वो ख़ुद ही आ रही है। मिल लो ना। कौन तुमको उसके पति से चुदवाना है भला?

मालिनी: मैंने तो कभी उनको देखा ही नहीं है पापा।

राजीव: चलो जब आएगी तो देखा जाएगा। पर ये तो बताओ बेटा, आज बड़ी देर बाद शिवा को चाय देकर बाहर आयी। क्या कुछ बात हुई क्या?

मालिनी: वो पापा उनका मूड बन गया था तो ज़बरदस्त चुदाई किए।

राजीव: ओह आख़िर मेरा हो तो बेटा है ना। क्या बहुत मज़ा दिया?
सरला: पापा उनके साथ तो मज़ा आता ही है। आपको बतायी तो हूँ।
फिर वो राजीव से बोली: पापा लगता है कि शिवा को हम पर शक हो गया है। फिर वो पूरी बात बताई जो उसके शिवा के बीच हुई थी। राजीव: अरे कुछ नहीं ऐसा ही गेस मार रहा होगा। चलो जो होगा देखा जाएगा। तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो। पर आज मेरा क्या होगा? वो तो तुमको चोद कर चलता बना। अब मेरे लौड़े का क्या होगा?

मालिनी: ओह पापा आप भी ना, फिर क्या हुआ? अभी नहा लीजिए । मैं भी काम ख़त्म करके नहा लूँगी। फिर जी भर के मज़े लीजिएगा ना, मैं कौन आपका हाथ पकडूँगी।

राजीव मुस्कुराकर: ये हुई ना बात। चलो फिर ठीक है। मैं नहा लेता हूँ। वो उसके गाल चूमकर चला गया।

क़रीब ११ बजे बाई के जाने के बाद मालिनी राजीव के कमरे में आइ तो वो टी वी देख रहा था। वो सिर्फ़ लूँगी लपेटे हुए था। उसकी चौड़ी बालों से भरी छाती मालिनी को बहुत प्यारी लगी। वो उसे देखकर मुस्कुराया और बोला: बेटा बड़ी प्यारी लग रही हो इस सलवार कुर्ता में। फिर वो उसको खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। वो उसके शैम्पू हुए बालों को सूंघकर मस्त हुआ और बोला: उफफफ क्या ख़ुशबू मार रही हो।

मालिनी भी उसकी छाती के बालों से खेलकर बोली: पापा आपको मैं कपड़ों में अच्छी लगती हूँ या बिना कपड़ों के ?

राजीव हंस कर: बेटा तुम मुझे दोनों तरह से अच्छी लगती हो। वो अब उसकी गरदन और कंधों को चूमने लगा। उसके हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे। वो उनको हल्के से दबाए जा रहा था। मालिनी को अपनी गाँड़ पर पापा का खड़ा होता लण्ड महसूस होने लगा था। राजीव ने उसके कुर्ते को नीचे से ऊपर किया और उतार दिया। अब वो ब्रा में अपने ससुर की गोद में बैठी थी। राजीव ने उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाया और फिर हुक खोलकर उनको नंगी किया।

अब वो मज़े से उसकी मस्त ठोस चूचियों को दबाकर और निपल्ज़ को मसलकर मज़े से बोला: बेटा दूध पी लूँ?

मालिनी: मैं मना करूँगी तो नहीं पिएँगे क्या?

राजीव हंसा और उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके दूध पीने लगा। मालिनी भी मज़े से उसके सिर को अपनी छाती में दबाने लगी। बहुत देर तक वो उनको बारी बारी से चूसा और फिर नीचे जाकर उसकी सलवार उतारा और अपने मुँह को उसकी जाँघों के बीच डालकर उसकी बुर चूसने लगा। मालिनी भी अब आऽऽऽह करने लगी। फिर उसने उसकी टांगों को और ज़्यादा उठाया और उसकी गाँड़ पर ऊँगली फिरा कर बोला: अब तो इसे प्यार कर सकता हूँ?

वो हँसी: पापा आपकी जो मर्ज़ी है अब करो।

वो उसकी गाँड़ को चाटकर उसमें जीभ डालने लगा। मालिनी उइइइइइइइ कर उठी। अब वो उठा और लूँगी निकाला और अपने लौड़ेपर थूक लगाया और उसकी बुर में धीरे से डाल दिया। थोड़ी देर उसके ऊपर आकर वो उसके होंठ चूमकर और उसकी चूचियाँ दबाकर वो उसको चोदने लगा। मालिनी भी प्यार से उसके निपल दबाकर अपनी गाँड़ उछालकर चुदवाने लगी। उनकी चुदाई आराम से हो रही थी। कोई जल्दी नहीं थी। वो भी पूरे इत्मिनान से चोदे जा रहा था ।अब मालिनी को बहुत अच्छा लगने लगा, और वो बड़बड़ाने लगी: आऽऽऽऽह पाआऽऽऽऽऽपा जीइइइइइइ और जोओओओओओर से चोओओओओओओदो। बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽ लग रहा है। हाऽऽऽऽययय मरीइइइइइइइइ। उइइइइइइइ माआऽऽऽऽऽऽ मैं गईइइइइइइइइ। अब वो अपनी जाँघों को भींचकर अपने स्खलन का आनंद लेने लगी। राजीव भी अब रुक नहीं पाया और वो भी आऽऽह करके उसके अंदर गहराई में अपना वीर्य छोड़ने लगा।

थोड़ी देर बाद दोनों की सांसें सामान्य हुई और अब दोनों कपड़े पहनकर वापस सोफ़े मैं बैठ कर बातें करने लगे। तभी घंटी बजी। मालिनी ने दरवाज़ा खोला तो सामने एक बहुत बड़े वक्ष वाली गोरी सी लड़की खड़ी थी। उम्र में उससे वो ४/५ साल बड़ी दिख रही थी। मालिनी: आप आयशा हो?

आयशा: हाँ मैं ही आयशा हूँ। वो मुस्कुराकर हाथ बढ़ाई और दोनों ने हाथ मिलाया। वो दोनों अंदर आइ तो मालिनी ने राजीव का परिचय कराया और बोली: ये मेरे ससुर जी हैं । और पापा ये आयशा जी हैं ।

आयशा मुस्करायी और राजीव को नमस्ते की और बोली: मालिनी तुम मुझे आप तो बोलो ही नहीं। और अंकल जी आपको देख कर तो नहीं लगता कि आप इतने उम्र के हो कि शिवा के पापा हो। बहुत फ़िट हो अभी भी आप? वो उसके मर्दाने बदन को देखती हुई बोली। उसकी आँखें थोड़ी देर के लिए उसके लूँगी में से उभरे हुए उसके बड़े सोए हुए लंड और आँड पर भी रुकी और फिर वो राजीव से बोली: लगता है आप जिम भी जाते हैं?

राजीव: नहीं ऐसा कुछ नहीं है । पर हाँ अपने स्वास्थ्य का ध्यान तो रखता हूँ। वैसे बेटी फ़िगर तो तुम्हारा भी बहुत मस्त है। वो उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को बेशर्मी से घूरकर बोला। उसे याद था कि उसका पति उसको अपने दोस्तों से चुदवाता है, तो वो भी उसके साथ वैसे ही पेश आ रहा था।

मालिनी ने देखा कि राजीव उसमें ज़रा ज़्यादा ही इंट्रेस्ट ले रहा है। तो वो बोली: चलो बैठो आयशा और मुझे बिज़नेस के बारे में बताओ।

आयशा बैठी और मालिनी उसके बग़ल में बैठ गयी। राजीव अब अपने कमरे में चला गया।

आयशा अब उसे बिज़नेस के बारे में बताने लगी। मालिनी को कुछ ज़्यादा इंट्रेस्ट नहीं आया। आख़िर में मालिनी बोली: आयशा मुझे इसमें कोई इंट्रेस्ट नहीं है ।

आयशा: कोई बात नहीं। चलो इसी बहाने तुमसे मुलाक़ात तो हो ही गयी।

मालिनी : हाँ चलो चाय बनाती हूँ।

आयशा: चलो मैं भी किचन में आती हूँ।

किचन में मालिनी से नहीं रहा गया और वो बोली: शिवा बता रहा था कि असलम उसको बोला था कि क्या वो हम दोनों की अदला बदली करेगा? क्या ये सच है कि असलम और तुम इस तरह को अदला बदली का मज़ा लेते हो?

आयशा ने हिचकिचाने का नाटक किया और बोली: हाँ ये सच है कि हमने कुछ जोड़ों से अदला बदली की है। पर इसके पीछे एक लम्बी कहानी है।

मालिनी उत्सुकता से: ओह कैसी कहानी? मैं समझी नहीं।

तभी राजीव की आवाज़ आयी: अरे भई चाय बना रही हो तो हमें भी पिला देना।

आयशा: यहाँ सम्भव नहीं होगा सुनाना। तुम मेरे घर आ जाओ ना।

मालिनी: ना बाबा ना। पता नहीं तुम्हारा पति मुझे पकड़ लिया तो?

आयशा हँसकर: वो खाना खाके ३ बजे वापस काम पर चले जाते हैं। तुम कल ४ बजे आ जाना एक घण्टे के लिए।

मालिनी: ठीक है देखती हूँ।

फिर सब चाय पिए और आयशा अपने घर चली गयी।

राजीव: मस्त माल है। तुम मुझसे चुदवा दो ना।

मालिनी: बस जहाँ लड़की दीखी आपका लण्ड झटके मारने लगता है। कल मैं उसके घर जाऊँगी।

राजीव: क्यों क्या असलम से चुदवाओगी?

मालिनी: छी । मैं उससे कुछ बातें करने जा रही हूँ। बस और कुछ नहीं।

राजीव : अच्छा अब चलें तुम्हारी गाँड़ के छेद को बड़ा करने का अभियान शुरू करें?

मालिनी: पापा अभी?

राजीव: और क्या । आज सुबह मैं वॉक पर गया था तो मेडिकल स्टोर से वो लुब यानी KY jel ले आया था।

मालिनी: ओह ठीक है मैं बाथरूम से होकर आती हूँ। आपका कोई भरोसा नहीं है आप कहाँ कहाँ मुँह डाल दोगे क्या पता।

राजीव: बेटा, वो तो है । मैं तुम्हारी बुर और गाँड़ देखकर अपने आप को नहीं रोक पाता।

मालिनी बाथरूम जाकर अपनी बुर और गाँड़ को अच्छी तरह से धोकर बाहर आकर पापा के कमरे में गयी।

राजीव आलमारी से वो डिब्बा बाहर निकाल कर उसमें से सबसे पतला लण्ड निकाला और उसको लाकर बिस्तर पर जेल के साथ रख दिया। मालिनी आकर बिस्तर पर लेट गयी।

राजीव उसके सलवार का नाड़ा खोला और उसकी सलवार को उतार दिया। अब वो मालिनी की बुर सहलाया और बोला: बेटा पेट के बल हो जाओ। वो उलटी होकर लेटी और अपनी गाँड़ उठायी । अब उसके पेट के नीचे वो एक तकिया रखा जिससे उसकी गाँड़ ऊपर को उठ गयी। वो उसके चूतरों को दबाकर मस्ती से भर गया । वो उसके चूतरों को दबाया और उनको चूमने लगा। अब वो उसके चूतरों को फैलाया और उसकी गाँड़ के दरार को देखकर वो मस्ती से वहाँ ऊँगली से सहलाने लगा। उसके भूरे रंग के छेद को अब वो चूमने लगा और जीभ से चाटने लगा।

मालिनी: पापा इसीलिए मैं धो कर आयी हूँ। मुझे पता था कि आप वहाँ मुँह डाल ही दोगे। आऽऽऽऽह क्या कर रहे हो।

राजीव: ये देखकर कौन अपने आप को रोक सकता है। अब वो उसकी गाँड़ के छेद में जेल लगाकर एक ऊँगली अंदर डालने लगा। मालिनी आऽऽऽहहह कर उठी। थोड़ी देर वो जेल से सनी ऊँगली अंदर बाहर करता रहा। मालिनी आऽऽहहह करती रही। दस मिनट के बाद वो ऊँगली निकाला और उसकी गाँड़ थोड़ी खुल सी गयी थी। अब वो इस पतले नक़ली लण्ड को जेल लगाया और फिर धीरे से उसकी गाँड़ के छेद में वो डाला। अब मालिनी हाऽऽऽय्य कहकर मज़े से भर उठी थी। अब वो उस पतले लंड को बड़ी देर तक अंदर बाहर करते रहा।

मालिनी: आऽऽऽह पापा अच्छा लग रहा है ।

राजीव: तुम्हारी सास को भी ऐसा मज़ा मिलता था। वो भी बहुत मस्त हो जाती थी।

मालिनी: उफफफ सच में बहुत अच्छा लग रहा है।उइइइइइइ ।
उफफफ पापा मैं तो नीचे भी गीली हो गयी हूँ।
अब राजीव ने उसे पलटा और अब उसकी बुर की फाँकों को फैलाया और बोला: उफफफ क्या मस्त गुलाबी बुर है। चलो अब अपना लण्ड यहाँ डालकर तुमको मज़ा देता हूँ।
वो पतला सा नक़ली लण्ड अभी भी मालिनी की गाँड़ में घुसा हुआ था। अब राजीव ने उसकी टाँगे चौड़ी करके उसकी बुर में अपना लौड़ा पेल दिया ।फिर वह उसकी चुदाई में मस्त हो गया। मालिनी भी मस्ती से अपने चूतर उछालकर चुदवा रही थी। अब राजीव उसके होंठ चूस रहा था और क़ुर्ती के ऊपर से उसकी चूचि भी दबा रहा था।

मालिनी: उफफफफ पापा क़ुर्ती उतारो ना। आऽऽहहह ।

अब राजीव ने क़ुर्ती उतारी और ब्रा का हुक खोला। अब वो उसकी मस्त चूचियाँ दबाने लगा। वो भी मस्ती से चुदवाने लगी और अब राजीव ने अपना होंठ उसके होंठ पर रखा और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। वो उसकी जीभ वैसे ही चूसने लगी मानो उसका लौड़ा चूस रही है। राजीव के धक्के अब उसको मस्त कर रहे थे। चुदाई अपने पूरे यौवन पर थी। मालिनी की गाँड़ में वो नक़ली लंड अब भी घुसा हुआ था। तभी मालिनी चिल्ला कर आऽऽऽऽहहह कहकर झड़ने लगी।राजीव भी अब जल्दी जल्दी धक्के मारा और झड़ने लगा। राजीव: बेटा ये लण्ड अब गाँड़ से निकाल देता हूँ। वो उसको बाहर निकाला और साफ़ करके वापस डिब्बे में रख दिया। वो उसकी गाँड़ के छेद को देखकर बोला: बेटा ये तो अब काफ़ी खुल गयी है। हफ़्ते भर में ये गाँड़ का छेद मरवाने लायक हो जाएगा।

अब दोनों सफ़ाई किए और राजीव बोला: अच्छा ये बताओ कि आयशा से क्या बात हुई?

मालिनी: वो कल अपने घर शाम को बुलाई है । वह बताएगी कि वो दोनों सवेप्पिंग़ क्यों शुरू किए।

राजीव: यहीं बता देती इसके लिए अपने घर बुलाने की क्या ज़रूरत है।

मालिनी हँसकर: यहाँ आप जो हो ना। बात ही नहीं करने देते।

उस दिन और कुछ नहीं हुआ।

रात को सोने से पहले शिवा ने पूछा : आयशा से क्या बात हुई?

मालिनी: बस वो अपने बिज़नेस के बारे में बतायी है । मैं कल उसके घर जाऊँगी और ज़्यादा समझने।
वो उसको स्वेपिंग़ की बात नहीं बताई।

शिवा को पहले ही आयशा से बात हो चुकी थी। वो इसे बता चुकी थी कि कल मालिनी इसके घर उसकी कहानी सुनने आ रही है। वो ये सोचकर गरम हो गया कि मालिनी अब उससे झूठ भी बोलने लगी है। उसे शायद चुदाई का चस्का लग रहा है। देखो कितना समय लगता है और खुलने में इसको।

अब रात को दोनों ने एक राउंड चुदाई की और सो गए।

उधर रात को राकेश भी सरला के कमरे में ही सोया और दोनों ने बड़े प्यार से एक राउंड चुदाई की।

अगली सुबह पता नहीं उन सबकी ज़िंदगी में क्या बदलाव लाने वाली थी?

Free Savita Bhabhi &Velamma Comics @
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04-09-2017, 04:44 PM,
#87
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
सुबह मालिनी उठी और हमेशा की तरह चाय बनाकर राजीव को आवाज़ दी। चाय पीते हुए आज फिर राजीव पूछा: रात को चुदाई हुई क्या?

मालिनी: आपको बस यही जानना होता है ना। हाँ हुई और ज़ोरदार हुई।

राजीव:बेटा तुम कब मेरे साथ रात को सोओगी?

मालिनी: दिन भर तो चिपके रहते हैं और अब रात को भी चिपका कर रखना है क्या?

राजीव: अरे रात की चुदाई का अपना ही मज़ा है।

मालिनी: ठीक है ये कभी सामान ख़रीदने मुंबई जाएँगे तो रात को भी अपने साथ ही सुला लीजिएगा।

राजीव को उसकी बात सुनकर उस पर प्यार आया और वो उसको चूमा और उसकी चूचियों पर हाथ फेरकर बोला: बेटा वैसे ये अब बड़ी हो रहीं हैं ना?

मालिनी: बाप बेटा दोनों दबाएँगे और चूसेंगे तो बड़ी तो होना ही है। पर आयशा की तो ज़्यादा ही बड़ी हैं ना?

राजीव: अरे वो तो असलम के दोस्तों ने खींच कर बड़ी कर दी होंगी। हा हा ।

मालिनी खड़ी हुई और बोली: चलो आप तय्यार हो जाओ। मैं भी शिवा को उठाती हूँ।

शिवा के जाने के बाद जब बाई भी चली गयी तो राजीव बोला: बेटा गाँड़ में कब लण्ड डलवाओगी? आज सेकंड नम्बर का डालेंगे।

मालिनी: पापा अगर आप वहाँ मुँह नहीं डालने का वादा करो तो अभी डलवा लूँगी। वरना नहा कर आती हूँ और डलवाती हूँ।

राजीव: चलो वादा किया की वहाँ मुँह नहीं डालूँगा। चलो अब मेरे कमरे में।

मालनी पसीना पोंछकर उसके पीछे आयी और अपनी नायटी को पेट तक उठाकर पेट के बल लेट गयी। राजीव ने उसके पेट के नीचे तकिया रखा और उसकी गाँड़ ऊँची हो गयी। वो उसके चूतर सहलाया और बोला: उफफफफ बेटा क्या मस्त चूतर हैं और अब ये भी भर रहे है!। जितना चुदवाओगी उतना ही ये और कामुक हो जाएँगे। फिर वो उसके चूतरों को अलग किया और उसकी भूरि गाँड़ में ऊँगली फिराया और वहाँ नाक ले जाकर सूँघा और बोला: आऽऽऽह बेटा क्या मस्त मादक गंध है। जानती हो इसमे से तुम्हारे पसीने और सेक्स की मिली जुली गंध आ रही है। जब तुम उसे धोकर आती हो तो सिर्फ़ साबुन की गंध आती है।

मालिनी: अगर आप उसे चूमे तो मैं फिर कभी बिना धोए आपके पास नहीं आऊँगी।

राजीव: आऽऽह मन तो बहुत कर रहा है इसे चूमने का। पर चलो नहीं चूमते। तुमको नाराज़ भी तो नहीं कर सकते।

अब वो उसकी गाँड़ में जेल डाला और जेल लगाकर कल वाला लंड ही डाला। मालिनी : आऽऽऽऽह पापा अब भी थोड़ा सा जल रहा है।

राजीव: बस बेटा अभी अच्छा लगेगा। वो क़रीब १० मिनट तक उसको अंदर बाहर किया। फिर वो उसे निकाला और सेकंड नम्बर का थोड़ा मोटा लंड ख़ूब सारा जेल लगाकर अंदर डाला मालिनी: आऽऽऽह पापा । ये तो और मोटा है । उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

क़रीब १० मिनट तक वो इसको अब अंदर बाहर किया। अब मालिनी: आऽऽऽह पापा बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽऽ है। मेरी बुर गरम हो गयी है। उइइइइइइइइ पापा अब चोओओओओओओओदो।

राजीव ने उसकी गाँड़ उठाई और उसकी बुर में ३ उँगलियाँ डाली और देखा कि बुर पूरी तरह से पनियायी हुई है। वो अपने लौड़े पर भी जेल लगाया और उसकी बुर में अपना लौड़ा पीछे से पेलने लगा। नक़ली लण्ड अब भी उसकी गाँड़ में फंसा हुआ था। चुदाई शुरू होते ही मालिनी आऽऽऽऽह पपाऽऽऽऽऽऽ कहकर अपनी गाँड़ पीछे करके उसका पूरा लण्ड निगल कर चुदवाने लगी। वो भी अब मस्ती से भर कर उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और जोओओओओओर से चोओओओओओदो पाआऽऽऽऽऽऽऽऽपा चिल्लाने लगी। वह उसकी क़ुर्ती के ऊपर से ही उसके दूध दबा रहा था। क़रीब २० मिनट की रगड़ाई के बाद दोनों हाऽऽऽय्य कहकर झड़ने लगे।

अब मालिनी पेट के बल गिर गयी। राजीव भी उसकी गाँड़ से नक़ली लण्ड निकाला और देखा कि उसकी गाँड़ का छेद अब भी खुला हुआ था। वो समझ गया था कि जल्दी ही इसकी गाँड़ का उद्घाटन का समय आने वाला है। वो मुस्कुराया और बोला: बेटा अब तो तुम्हारी गाँड़ ढीली पड़ रही है। जल्दी ही इसे मारूँगा। ठीक है ना?

मालिनी: पापा जब चाहो मार लो। मैंने तो अपना बदन आपको सौंप दिया है।

राजीव उसकी बात से ख़ुश हो कर उसे चूमने लगा।

उधर शिवा को शाम होने का इंतज़ार था । वो आयशा को फ़ोन लगाया : हेलो क्या हाल है?

आयशा: मैं तो ठीक हूँ। आप बड़े बेचैन लग रहे हो?

शिवा: वो क्या है ना, आज मालिनी तुमसे मिलेगी तो तुम्हारी क्या बात होती है क्या मैं सुन सकता हूँ?

आयशा: हाँ सुन तो सकते हो पर फ़ीस लगेगी।

शिवा: बोलो क्या फ़ीस लोगी?

आयशा: मालिनी के जाने के बाद आकर मुझे चोद देना एक बार।

शिवा: इतनी हसीन फ़ीस? ज़रूर मेरी जाँ । पर तुम्हारी बातें कैसे सुनूँगा?

आयशा: बहुत पुरानी ट्रिक है। मैं मालिनी के आने से पहले अपना लैंड लाइन आपके मोबाइल से कनेक्ट कर दूँगी। और उसको ऐसी जगह छिपाऊँगी कि वो मालिनी को नहीं दिखेगी। मगर आप पूरी बात सुन पाओगे।

शिवा: wow ये तो बढ़िया हो जाएगा। ठीक है मैं तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार करूँगा।

आयशा: ठीक है। बाई।

राजीव को खाना खिलाकर मालिनी बोली: पापा मैं थोड़ा आराम करके आयशा के घर जाऊँगी।

राजीव: बेटा मैं तुमको छोड़ आऊँगा।

मालिनी: पापा मैं चली जाऊँगी। मैं ऑटो कर लूँगी।

राजीव ने भी ज़िद नहीं की।

मालिनी तय्यार होकर सलवार कुर्ते में आयशा के घर गयी। वहाँ उसने बेल बजायी। तभी आयशा ने सोफ़े के सामने एक गुलदस्ते के पीछे कॉर्ड्लेस फ़ोन को शिवा के फ़ोन से कनेक्ट की और बोली: वो आ गयी है। ठीक है?

शिवा : हाँ मैं सुन रहा हूँ। बाई ।

आयशा जाकर दरवाज़ा खोली और बोली: सॉरी मैं वाश रूम में थी। तुमको इंतज़ार करवाया।

मालिनी: अरे कोई बात नहीं। आयशा उसे लेकर गुलदस्ते के पास वाले सोफ़े पर बैठ गयी। दोनों कुछ देर इधर उधर की बातें कीं और आख़िरी में मालिनी बोली: वो तुम बोलीं थीं ना कि मुझे वो बताओगी कि तुमने स्वेपिंग़ कैसे और क्यों शुरू की?

आयशा: सॉरी यार मैंने अपना इरादा बदल लिया है। असल में वो बहुत व्यक्तिगत बात है। और मैं तुमको नहीं बताना चाहती। क्या है ना बात फैलते देर नहीं लगती।

मालिनी ने थोड़ा निराश होकर कहा: अरे मुझ पर तुम विश्वास कर सकती हो। मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी।

आयशा: शिवा से भी नहीं?

मालिनी: अगर तुम चाहोगी तो उससे भी नहीं। बस? अब बताओ।

आयशा : ठीक है मैं बताती हूँ, पर ये हमारे बीच ही रहेगा। उसने कहना शुरू किया-------------------

मैं एक मध्यम वर्ग परिवार से हूँ। घर में मेरे अब्बा अम्माँ और मेरा बड़ा भाई ही था । हमारे घर में रिश्तेदार बहुत आते जाते रहते थे । अब्बा की बहने , उनके पति और बच्चे और अम्मी के भी भाई और उनके भी परिवार के सदस्य ।उन सबमे मेरी बड़े मामू से बहुत पटती थी। वो मेरे लिए बहुत सी चोकलेट्स और ड्रेस लेकर आते थे ।एक फूफा भी मुझे बहुत लाड़ करते थे। ये दोनों मर्द क़रीब ४५ के आसपास थे। वो दोनों जब भी आते ( अलग अलग ) मुझे बहुत प्यार करते थे। मुझे भी अब अटेन्शन अच्छा लगता था मानो मैं कोई VIP हूँ। वो दोनों मुझे गोद में बिठाकर प्यार करते और मेरी बाहों को सहलाते। कभी कभी मेरे दूध भी सहला देते जैसे ग़लती से हाथ लग गया हो। जब भी मैं उनकी गोद में बैठा करती मुझे नीचे खूँटा सा गड़ने लगता। मैं अब सेक्स के बारे में समझने लगी थी।
अब मैं ११ वीं में पढ़ती थी, और जवान हो गयी थी। एक दिन अम्मी को नानी के घर जाना पड़ा क्योंकि नाना की तबियत ख़राब हो गयी थी। मेरा भाई भी उनके साथ चला गया। मैं उस समय सलवार कुर्ता में थी और मैं घर में चुन्नी नहीं लेती थी। सिर्फ़ बाहर वालों के सामने ही लेती थी।

(मालिनी सोचने लगी कि ये मुझे इतने विस्तार से कहानी क्यों सुना रही है। ये चाहती तो सिर्फ़ इतना कह सकती थी कि मेरे मामा या फूफा ने मेरी चूत ली थी। पर वो ये सब सुनकर उत्तेजित हो रही थी।

उधर शिवा जानता था कि आयशा का प्लान है उसे इन सब चीज़ों से उत्तेजित किया जाए ताकि वो इन सबमे इंट्रेस्ट ले। और हक़ीक़त तो ये है की वो ख़ुद भी आयशा की कहानी से उत्तेजित होकर अपना लंड दबा रहा था। )

आयशा ने बोलना जारी रखा-------





रात को अब्बा आए और बोले: नाना की कोई ख़बर आयी?

मैं: नहीं अब्बा कोई ख़बर नहीं आयी।

अब्बा: अच्छा चलो कोई बात नहीं। तू मेरे लिए एक गिलास पानी ला और बर्फ़ निकाल कर ला। थोड़ा सा नमकीन भी ला देना।
वो अपने कपड़े बदलने चले गए। वो थोड़ी देर बाद लूँगी और बनियान में आए।

मैं समझ गयी कि आज अब्बा दारू पिएँगे। वो कभी कभी पीते थे। मैंने सब इंतज़ाम कर दिया। अब वो टी वी देखते हुए पीने लगे। मैं भी वहीं बैठकर अपना होम वर्क करने लगी।

उस समय मैंने देखा कि बोतल का पानी ख़त्म हो गया था। मैंने पूछा: अब्बा और पानी लाऊँ क्या?

अब्बा की अब आँखें लाल हो रही थीं । वो बोले: हाँ बेटा लाओ।

मैं पानी लायी और उनके गिलास में डालने लगी। तभी मुझे अहसास हुआ कि वो मेरे बदन को घूर रहे हैं। उनकी नज़र मेरी जवान होती चूचियों पर थीं। मुझे बड़ा अजीब सा लगा।

अब अब्बा ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा: आओ बेटा मेरे पास बैठो। ये कहकर वो मुझे अपनी गोद में खींच लिए। मैं उनकी लाल आँखों से डर रही थी।

वो मुस्कुराकर बोले: अरे डर क्यों रही है? मैं तो तुमको प्यार करना चाहता हूँ। तुम तो अपने मामू और फूफा की गोद में भी बैठती हो ना? तो अब्बा की गोद में कैसा डर?

मैं: वो अब्बा ऐसा नहीं है । मैं भला आपसे क्यों डरूँगी।

तभी मैंने देखा कि वो मेरी कुर्ते के अंदर झाँक रहे थे। वो बोले: अरे बेटा, तुम तो ब्रा भी पहनती हो। मैं तो तुमको बच्ची समझता था। पर तुम तो जवान हो गयी हो। वो मेरी नंगी बाहों को सहलाकर बोले। तभी मैंने महसूस किया कि अब्बा का भी खूँटा मुझे वैसे ही चुभने लगा था जैसे मामू या फूफा का चुभता था।

मैं: अब्बा मैंने तो तीन साल से ब्रा पहनती हूँ।

अब्बा : बेटा मैंने कभी ध्यान ही नहीं दिया। पर अब तो तुम मस्त जवान हो गयी हो।
अब उनकी आँखें और ज़्यादा लाल हो गयीं थीं।

वो: बेटी मामू या फूफा ने कभी इनको सहलाया क्या? वो मेरी चूचियों पर हाथ रख कर बोले।

मैं सिहर उठी और बोली: जी अब्बा कभी कभी सहलाते थे जब कोई आस पास नहीं होता था।

वो: बेटी तुमको अच्छा लगता था ना?

मैं: जी लगता था। फिर वो दबाते हुए बोले: और अभी कैसा लग रहा है?

मैं: अब्बा आप ऐसे क्यों कर रहे हो? आप तो मेरे अब्बा हो ना?

वो: अरे बेटी पहला हक़ तो मेरा ही है। मामू और फूफा को तो बाद में करना चाहिए था । अच्छा ये बता कि वो तेरी चड्डी में भी हाथ डाले थे क्या?

मैं शर्मा कर: हाँ कभी कभी डालते थे। पर मैं उनको मना करती थी।
अब उनका खूँटा मेरी गाँड़ में बहुत चुभने लगा था।

वो: क्या उन्होंने तुमको अपना ये भी पकड़ाया था ? वो अपने लण्ड को मेरी गाँड़ में दबाकर बोले।

मैं: नहीं अब्बा ।

फिर वो मेरी चूचियाँ दबाकर बोले: तो अब तक तुम कुँवारी हो? किसी ने तुम्हारी चुदाई नहीं की है अब तक?

मैं: छी कैसी गंदी बात करते हैं । मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ ।

फिर अचानक मुझे प्यार करते हुए बोले: बेटा, तुम मुझसे स्कुटी माँग रही थी ना, स्कूल जाने के लिए।

मैं मुँह बिसूर कर: आप तो मना कर दिए थे।

अब्बा: अरे बेटा मैं तो समझा था कि तुम बच्ची हो। पर तुम तो जवान हो गयी हो। अब मैं तुमको कल ही स्कुटी ले दूँगा।

मैं ख़ुशी से उनसे चिपक गयी और उनका गाल चूमकर बोली: ओह अब्बा आप कितने अच्छे हो। थैंक यू ।

अब अब्बा अपने पर आए और मुझे अपने कड़े गठिले बदन से सटा लिए और मेरी बाँह सहलाकर बोले: बेटा लेकिन तुमको मेरा भी तो एक काम करना होगा।

मैं: हाँ हाँ बोलिए ना क्या करना होगा?

वो: बेटा मेरा पूरा बदन दुःख रहा है। अगर तुम्हारी अम्मी होती तो मेरी मालिश कर देती। अब तुम कर दोगी क्या।

मैं: हाँ हाँ अब्बा क्यों नहीं। हालाँकि मुझे आता नहीं है पर कोशिश पूरी करूँगी।

अब्बा खड़े हुए तो उनकी लूँगी में सामने से उभार साफ़ दिख रहा था । मैं भी जवान हो चुकी थी और मामू और फूफा ने मुझे ट्रेन भी किया हुआ था । मैं समझ गयी कि आज कुछ होने वाला है । मेरी बुर में भी थोड़ी सी खुजली होने लगी थी।

( इधर मालिनी की भी बुर खुजाने लगी थी, क्या मस्त तरीक़े से कहानी बता रही है- वो सोची। वो अब अपनी जाँघों को आपस में रगड़ने लगी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए थे। आयशा ने ये सब देखा और अपने प्लान की सफलता पर ख़ुश हुई ।उधर शिवा की भी हालत ख़राब हो रही थी और वो अपने कैबिन का दरवाज़ा बंद करके अपना लंड पैंट से निकाल कर हिला रहा था। )

आयशा बोले जा रही थी-------

अब्बा जाकर अपनी बनियान उतारे और लूँगी को समेट के बिस्तर पर सीधे लेट गए। अब उनका पूरा बदन सिर्फ़ जाँघों के जोड़ को छोड़कर पूरा नंगा था वहाँ भी एक तंबू तना हुआ साफ़ दिख रहा था।

अब्बा ने तेल की शीशी दिखाई और बोले: चलो पैर से शुरू करके मालिश करो। मैंने पैरों से मालिश शुरू की और ऊपर उनकी बालवाली जाँघों तक पहुँची और जैसे ही ऊपर को हुई मेरे सलवार में तेल लग गया।

अब्बा: बेटी, देखो तेल से तुम्हारे कपड़े ख़राब हो जाएँगे। इनको उतार दो।

मैं: छी अब्बा ऐसे कैसे उतार दूँ? मुझे शर्म आएगी।

वो: अरे मैं भी तो ऐसा ही पड़ा हूँ। चल उतार कुर्ता वरना अम्मी ग़ुस्सा होगी कि तेल लग गया और कपड़े ख़राब हो गए । वो मेरा हाथ पकड़े और मेरा कुर्ता उतारने लगे । अब मैंने भी चुप चाप उतार दिया । मेरी ब्रा को देखकर वो बोले: बेटी, ये इतनी टाइट ब्रा क्यों पहनी हो? उफफफ ये तो तुम्हारे साइज़ के हिसाब से बहुत छोटी है। देखो कैसे निशान पड़ गए हैं तुम्हारे दूध पर।

मैं: वो मैंने अम्मी से कहा था कि नई ले दें। पर वो डाँटकर बोली कि तेरे तो हर महीने बड़े हो जाते हैं। कितने पैसे ख़र्च करूँ इन पर?

अब्बा ने बड़े प्यार से मुझे अपने पास खिंचा और कहा: बेटा मैं तेरे लिए नयी ब्रा ला दूँगा । ज़रा साइज़ तो बता। ये कहकर वो मेरी ब्रा का हुक खोल दिए। मेरी ब्रा को हाथ में लेकर उनकी साइज़ चेक किया । मैंने शर्म से अपने हाथ से अपने दूध छिपा लिए थे । वो मुस्कुराकर बोले: बेटा ला दिखा क्या साइज़ होगा तुम्हारा? ये कहकर मेरे हाथ को वहाँ से हटाकर अपने हाथ में मेरा दूध पकड़कर जैसे साइज़ नापे और बोले: अभी तो तेरी अम्मी से काफ़ी छोटी है । तेरा साइज़ अब ३० तो हो गया है और कप साइज़ भी B तो है ही। ये ब्रा तो सच में बहुत छोटी है । देखी कैसे निशान बन ग़एँ हैं तुम्हारे दूध पर। वो मेरे दूध के निशान को सहलाकर बोले।

मैं अब बहुत गरम हो गयी थी। मेरे निपल्ज़ तन गए थे। मेरी बुर भी गीली होने लगी थी। अब अब्बा मेरी निपल्ज़ को मसलने लगे थे । मैं तो पगला सी गयी थी। तभी वो बोले: बेटा सलवार भी उतार दो वरना तेल लग जाएगा। मैं शर्म से कुछ नहीं की तो वो ख़ुद मेरे सलवार का नाड़ा खोलकर उसे निकाल दिए। अब मैं सिर्फ़ एक पुरानी सी पैंटी में थी।

वो: बेटी तुम्हारी पैंटी तो बड़ी पुरानी है और छोटी भी है। वो मेरी पैंटी को छू कर बोले। फिर वो पैंटी के ऊपर से मेरी बुर को दबाए और बोले: बेटा कल नयी पैंटी भी ला दूँगा।
अब वो मुझे अपने बग़ल में लिटाकर मुझे अपनी बाहों में लेकर चूमते हुए मेरी चूचियाँ दबाने लगे। अब वो मालिश का सब नाटक मानो भूल गए थे। वो मुझे नीचे करके मेरे ऊपर आ गए और मेरी चूचियाँ मुँह में लेकर चूसने लगे। अब मैं भी वासना से पागल हो गयी थी और उनको अपने से चिपका लिया और उनकी पीठ सहलाने लगी ।अब वो नीचे आकर मेरी पैंटी उतारकर मेरी जाँघें फैलाए। वो बोले: बेटा बाल कैंची से काटती हो क्या?

मैं: जी अब्बा । मैंने अम्मी से वीट क्रीम दिलाने को कहा तो कहने लगीं कि अभी छोटी हो कैंची से साफ़ करो ।

वो: बेटा तुम बिलकुल फ़िक्र मत करो , मैं लाऊँगा क्रीम और कल ही तुम्हारे बाल ख़ुद साफ़ करूँगा। ये कहकर वो मेरी बुर को सहलाए और फिर उसमें एक ऊँगली डाले और मैं चिल्ला उठी। वो ख़ुश होकर बोले: बेटा बिलकुल कोरी कुँवारी रखी हो। आऽऽहहह मज़ा आ जाएगा। कितने दिनों के बाद किसी की सील तोड़ूँगा। अब उनकी ऊँगली मेरी बुर को सहलाने लगी और मेरी खुजली भी बढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद वो मेरे ऊपर आ गए और मेरी चूचियाँ दबाके अपना मुँह मेरे मुँह पर रखकर चूसने लगे । पता नहीं कब उनका लंड मेरी बुर पर आ गया और उन्होंने लंड दबाना शुरू किया । अचानक मेरी चीख़ निकल गयी और वो अपना मूसल मेरे अंदर धँसाते चले गए। जब पूरा लण्ड अंदर गया तो ही रुके। मेरी आँखों से आँसू निकले जा रहे थे मारे दर्द के।

अब वो क़रीब १० मिनट तक ऐसे ही मेरे ऊपर थे और मेरी चूचियाँ दबाकर चूस रहे थे। अब मुझे भी अच्छा लगने लगा। मैं भी अब थोड़ा सामान्य हुई और अब उन्होंने पूछा: बेटी दर्द कम हुआ क्या?

मैं: आऽऽंह जी अब ठीक है।

वो: तो अब चोदूँ?

मैं: मतलब?

वो: अरे अब धक्का मारूँ क्या? नहीं समझी? अरे अभी तो सिर्फ़ लंड पेला है अब चुदाई होगी , ठीक है?

मैं: जी। अब वो ऊपर होकर आधा लंड निकाले और फिर ज़ोर से वापस डाले। फिर तो वो ऐसे ही चोदने लगे। अब मैं भी मस्त हो चुकी थी। मैंने भी अब जवानी का मज़ा लेना चालू किया । क़रीब दस मिनट की ज़बरदस्त चुदाई के बाद अब्बा और मैं एक साथ झड़ गए। उनका लंड स्खलन के समय बहुत मोटा महसूस हो रहा था। मैं भी उइइइइइइइ आऽऽऽऽऽह कहकर झड़ गयी।

अब वो मेरे पास लेटकर बोले: बेटी ये गोली खा लो। ये तुम्हारी अम्मी भी खाती है गर्भ ना हो इसलिए। मैंने चुपचाप गोली खा ली। फिर वो मेरी बुर का मुआयना किए और एक कपड़े से उसको पोंछकर बोले: थोड़ा सा ख़ून निकला है। बाक़ी सब ठीक है। मैंने भी अपना हाथ अपनी बुर पर फेरा और बोली: अभी भी जलन हो रही है।

अब वो बोले: बस जल्दी ठीक हो जाएगा। चलो बाथरूम में चलो।

मैंने उठने की कोशिश की और लँगड़ा कर चलने लगी दर्द के मारे। वो बोले: कोई बात नहीं बेटा कल तक सब ठीक हो जाएगा।

बाथरूम में उन्होंने मेरी बुर को पानी से धोया और सफ़ाई करके उसको चूम लिया । मैं भी मस्ती से भर गयी। वापस बिस्तर पर आकर वो मुझे लंड चूसना सिखाए। मैं जल्दी ही सीख गई और वो मेरे मुँह में झड़ गए और मुझे पूरा रस पीने को बोले जो मैंने पी लिया।

अगले दिन वो मेरे लिए कपड़े और मेरी स्कुटी भी ले आए।
अब तो मैं घर में अब्बा से जब मौक़ा मिलता चुदवा लेती। ऐसे ही चलता रहा और फिर एक दिन अम्मी ने हमको किचन में देख लिया। मैं आगे की कर झुकी हुई अब्बा से चुदवा रही थी। मेरी सलवार पैरों में गिरी हुई थी। वो पीछे से मुझे चोद रहे थे ।तभी मेरी नज़र अम्मी पर पड़ी जो कि अचानक बाज़ार से जल्दी वापस आ गई थीं। मेरे तो प्राण ही सुख गए। मैं जल्दी से अब्बा से अलग हुई और भाग गई।

पता नहीं क्यों मगर अम्मी ने कुछ भी ऐसा नहीं जताया जैसे वो मेरे से नाराज़ हैं । पर दो दिन बाद वो मुझे बस से पास के शहर में ले के गयीं। वहाँ मैंने पहली बार असलम को देखा और तब मुझे पता चला कि मेरी अम्मी के चचेरा भाई का लड़का था ।और वहीं तब मैंने अपने होने वाले ससुर को देखा। मैं उनको देखते ही समझ गयी कि वो बड़ा ठरकी है । वो बड़े हो वासना भरी नज़रों से मुझे घूर रहा था और मेरी चूचियाँ तो जैसे वो खाने के ही मूड में था।

अम्मी ने मेरे रिश्ते की बात की असलम के बारे में ,और उसके अब्बा एकदम से राज़ी हो गए। उसी दिन मेरी और असलम की बात पक्की हो गयी।

अब आयशा ने देखा कि मालिनी बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और अब अपनी बुर को खुजा रही थी। वो अपना हाथ उसके हाथ पर रखी और बोली: क्या बहुत खुजा रही है?

मालिनी: आह तुम्हारी कहानी है ही इतनी सेक्सी। कोई भी पागल हो जाए।

आयशा: थोड़ा आराम दे दूँ क्या इसको? वो उसकी बुर की तरफ़ इशारा करके बोली।

मालिनी हँसी और बोली: तुम्हारे पास कहाँ हथियार है?

आयशा: अरे ये तो है । ये कहकर उसने अपनी जीभ और एक ऊँगली दिखाई।

मालिनी: ओह बड़ा अजीब लगता है सोचकर ये सब।

आयशा: अरे मैं बहुत अच्छा चाटती हूँ । एकबार करवा के देखो। मुझे मेरी सास ने ट्रेनिंग दी है। सच में मैं बहुत अच्छा चूसूँगी तुम्हारी बुर, शिवा से भी अच्छा।

( शिवा बुरी तरह से चौंका ,ये सब फ़ोन पर सुनकर । वो हैरान था कि क्या मालिनी लेज़्बीयन सेक्स के लिए मान जाएगी ? और आयशा इस सबसे क्या हासिल करना चाहती है। वो अपना लंड और ज़ोर से हिलाने लगा ? )

मालिनी चौंकी: सास ने ?

आयशा: हाँ अगली बार ये सब बताऊँगी। अभी तो अपनी प्यास बुझा लो। ये कहकर वह मालिनी के कुर्ते को ऊपर की और सलवार के नाड़े को खोलने लगी। मालिनी चाह कर भी उसे मना नहीं कर पाई। और उसकी सलवार आयशा ने नीचे खिंची और मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर सलवार निकालने में उसकी मदद की।

आयशा ने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाया और बोली: उफफफ ये तो बिलकुल गीली हो गयी है।

मालिनी शर्म से लाल होकर बोली: आपको कहानी थी ही इतनी सेक्सी।

अब आयशा सोफ़े से उठी और नीचे बैठ कर उसकी पैंटी भी निकाल दी। मालिनी ने शर्मा कर अपनी जाँघें भींच ली।

आयशा उसकी जाँघों को सहलाकर बोली: दिखाओ ना अपनी मस्तानी बुर। और वो उनको फैलाई। अब उसकी पनियायी हुई बुर उसकी आँखों के सामने थी। वो वहाँ हाथ फेरी और फिर उसने उसको हल्के से मसला। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी ।
अब आयशा ने अपना मुँह उसकी जाँघों के बीच डाला और उसकी बुर को चूमने और फिर चूसने लगी।

मालिनी: आऽऽऽऽऽऽऽऽहहह उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ ।

आयशा ने अब अपनी जीभ उसकी बुर में डाली और उसकी क्लिट को भी छेड़ने लगी। अब मालिनी अपनी गाँड़ उछालकर और उसका सिर अपनी बुर में दबाकर मस्ती से चिल्लाने लगी: आऽऽऽह्ह्ह्ह्ह मैं मरीइइइइइइइइइइ। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ।

आयशा : बोलो शिवा के लंड से ज़्यादा मज़ा आता है या मेरी जीभ से ?

मालिनी: आऽऽहहह तुम्हारी जीभ तो पागल कर देगी हाय्य्य्य्य्य।

अब आयशा ने फिर से पूछा: अच्छा बताओ ससुर के लंड से ज़्यादा मज़ा आ रहा है ना मेरी जीभ से चुदाई में?

अब आयशा का मुँह उसकी पानी से पूरा गीला हो चला था । वह अब तीन ऊँगली उसकी बुर में अंदर बाहर करने लगी और जीभ से उसके क्लिट को सहलाने लगी।

अब मालिनी: आऽऽऽह क्या कह रही हो। उफफफफ।

आयशा : मैं बोली मुझसे ज़्यादा मज़ा देता है क्या ससुर का लंड ? अब वो जल्दी जल्दी ऊँगलियों से चोद रही थी और उसकी क्लिट के साथ जीभ भी उसकी बुर में चला रही थी।

मालिनी: आऽऽऽह सच में मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽऽ है।

आयशा: पापा के लंड से भी ज़्यादा ?

मालिनी: आऽऽऽह उइइइइइइ है पापा के लंड से भी ज्याआऽऽऽऽऽऽऽऽदा ।

( शिवा को झटका लगा किमालिनी ने मान लिया कि वो पापा का लंड ले रही है, उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ वो अपने लंड को हिलाकर झड़ने लगा। )



आयशा मुस्कुराई और अपनी स्पीड बढ़ा दी और मालिनी: आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह हाऽऽऽऽय्य मैं गयीइइइइइइइइ कहकर अपना पानी आयशा के मुँह में छोड़ दी और वो पूरा पानी पी गयी।

अब आयशा उठकर बाथरूम गयी और मुँह धोयी। तभी मालिनी भी आकर सीट पर बैठी और मूतने लगी। फिर सफ़ाई करके वो सलवार पहनी। आयशा उसके लिए पानी लायी और बोली: मज़ा आया मेरी जान? ये कहकर उसने उसकी चूचियाँ दबा दी।

मालिनी हँसकर: हाँ बहुत मज़ा आया। सच में मुझे पता नहीं था कि इसमें इतना मज़ा है।

आयशा: हाँ और तुमने माना भी तो की शिवा और उसके पापा के लण्ड से भी ज़्यादा मज़ा आया। है ना?

मालिनी हँसकर : तुम बहुत बदमाश हो । मेरे मुँह से सब सच निकलवा लिया। पर ये बात किसी को बताओगी तो नहीं।

आयशा : असलम को तो बता सकती हूँ ना ?

मालिनी: नहीं प्लीज़ किसी को नहीं बताना। मेरे मुँह से उत्तेजना में निकल गया । वरना मैं तुमको भी नहीं बताती।

आयशा: कब से चुदवा रही हो ससुर से ?

मालिनी: चक्कर तो हमारा पुराना है पर चुदाई अभी कुछ दिन पहले ही हुई है हमारे बीच।
( शिवा बड़े ध्यान से सुन रहा था। उसका लण्ड ये सुनकर फिर से तन गया था। )

आयशा: चलो ये बढ़िया है कि तुम दिन में ससुर से चुदवाती हो और रात में अपने पति से । शिवा को पता है कि तुम उसके पापा से चुदवाती हो ?

मालिनी: कैसी बात कर रही हो? ये मैं उसे कैसे बता सकती हूँ।

आयशा : अरे इसमें क्या बुराई है। मुझे तो असलम और उसके अब्बा साथ में चोदते हैं।

मालिनी: ओह सच? तुम्हें अजीब नहीं लगता?

आयशा: नहीं बल्कि बहुत मज़ा आता है।

मालिनी: मुझे आगे की कहानी भी सुनना है। पर आज नहीं। फिर आऊँगी सुनने।

आयशा: सिर्फ़ कहानी सुनोगी या इसका भी मज़ा लोगी? वो अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी बुर को सलवार के ऊपर से मसल दी।

मालिनी: उइइइइइइ । आऽऽऽह अब छोड़ो भी ।

आयशा: तुमने मुझे भी गरम कर दिया है। अब मुझे किसी से चुदाई करनी होगी। बुलाती हूँ किसी यार को। वो अपनी बुर खुजा कर बोली ।

मालिनी: सॉरी मैंने कभी चूसी नहीं इसलिए आज मैं तुमको प्यासी छोकर जा रही हूँ। शायद अगली बार मैं तुम्हारे साथ भी वही करूँ जो तुमने मेरे साथ किया है।

आयशा: कोई बात नहीं । फिर मिलेंगे। वह उसकी चूचियाँ दबाकर बोली।

मालिनी उससे लिपट गयी और आयशा ने इस बार फिर से उसे चकित कर दिया । उसने मालिनी के होंठ चूसने शुरू किए । मालिनी सिहर कर बोली: अच्छा अब देरी हो रही है। चलती हूँ। बाई ।

आयशा: बाई मेरी जान।

अब वो अपने घर के लिए ऑटो में निकल गयी।

आयशा ने फ़ोन उठाकर कहा: शिवा आ जाओ मेरी बहुत खुजा रही है।

शिवा: बस अभी आया।

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