मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
08-01-2016, 01:11 AM,
#11
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
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जूली: हे हे सही से चल न, इसको अंदर क्यों नहीं करता, कितना मस्ती में हिलाता हुआ चल रहा है...

विजय: किसको अंदर करूँ भाभी.....

जूली: अरे अपने इस तनतनाते हुए पप्पू को जीन्स में कर न.... कितना अजीब लग रहा है....

विजय: नहीं जानेमन, ये अब जीन्स में कहाँ जा पायेगा ...ये अंदर ही जायेगा मगर अब तो आपकी इस गोलमटोल चिकनी गांड में......यहाँ....

जूली: ऊऊईईईईईईईईईई क्या करता है .......

विजय: अरे ऊँगली ही तो की है जान... लण्ड तो अभी तक बहार ही है ...ये देखो....

जूली: तुझे हो क्या गया है आज....कितना बेशरम हो रहा है.... एक ये छोटी से स्कर्ट ही मेरी लाज बचाये है. और इसको भी बार बार हटा देता है....

विजय: रुको भाभी..... ये जगह सही है... यहाँ आप आराम से मूत सकती हैं.... ये वहाँ उस पेड़ के पीछे कर लो.....

जूली: हम्म्म्म ठीक है... तू क्या करेगा....

विजय: हे हे मैं देखूंगा कि आप ने कितनी की ....

जूली: पागल है क्या..... चल तू उधर देख .... कि कोई आ न जाए....पहले मैं कर लेती हूँ फिर तू भी कर लेना..
...............................

..............

विजय: वाओ भाभी मूतते हुए पीछे से आपकी गांड कितनी प्यारी लग रही है.....

जूली: तू अब इसे ही देखता रहेगा या इधर-उधर का भी ध्यान रखेगा.....

विजय: आप तो फालतू में नाराज हो रही हो.... केवल अकेला मैं ही कौन सा देख रहा हूँ....

जूली: उउउफ्फ्फ्फ्फ़ तो और कौन देख रहा है....

विजय: हाहा वो देखो बेंच पर.....वो जो अंकल बैठे हैं इधर ही देख रहे हैं.....

जूली:देख कितना बेशरम है...लगातार घूर रहा है...

विजय: वाह भाभी....आपको करने में शर्म नहीं... मैं और वो देख रहे हैं तो बेशरम....

जूली: अब आज तो तू पक्का पिटने वाला है....
अब जल्दी से चल यहाँ से....

विजय: एक मिनट न भाभी जी....जरा मुझे भी तो फ्रेश होने दो........

जूली: हाँ हाँ जल्दी कर.....

......................

जूली: देख अब कैसे चला गया...जब मैंने उसको घूरा ... शर्म नहीं आती इन बुड्ढों को.... राख में भी चिंगारी ढूँढ़ते रहते हैं......

विजय: हा हा भाभी क्या बात की है... वैसे आज तो उसको मजा आ गया होगा..इतनी चिकनी गांड देखकर.....पता नहीं घर जाकर दादी का क्या हाल करेंगे.... हा हा 

जूली: हाहा तू भी ना.... 

विजय: भाभी...प्लीज जरा इसको सही तो कर दो ...देखो जीन्स में जा ही नहीं रहा....

जूली: यहाँ......हाए क्या कर रहा है.... कितना गरम हो रहा है ये.....

विजय: भाभी खुले में चुदाई करने का मजा ही अलग है....

जूली: नहीं यहाँ तो बिलकुल नहीं...... मैं ये रिस्क नहीं लेने वाली......तू इसको अंदर कर जल्दी....

विजय: अरे वही तो कर रहा हु भाभी... कोई नहीं है यहाँ बस इस पेड़ को पकड़ कर थोडा झुको ... केवल ५ मिनट लगेंगे....

जूली: आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआ क्या करता है .... मुझे दर्द हो रहा है ..... ओह मान जा ना प्लीज .... नहीईईईई आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मान जा नहीं न यहाँ कोई भी आ सकता है ........ 

विजय: श्ह्ह्ह्ह्ह्ह कोई नहीं आएगा ......... बस्स्स्स जरा सा ............. आज तो नहीं मानूंगा .....

जूली: अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह नहीं ना क्या करता है .... हट ना ...........ओह 

जूली: ओहूऊऊऊऊऊ 

विजय: ज्यादा आवाज मत करो ना .....वरना .....सबको पता चल जायेगा......

जूली: आआअह्हह्हह्हह्हह अह्ह्ह्हह्ह उउउउउ ओह्ह्ह्ह आह्हआ नहीईईईई तू पागल है ....आअह्ह्ह कितना ....... अंदर ......तक्क्क नहीईईईइ आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआआ 

कमीने दर्द हो रहा है ...................

अह्ह्ह्ह्ह्हाआआआआअ 

विजय: बास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स 


[b]...........
...................

जूली: ऊऊ औ ओ ओ ओ तू तो बहुत कमीना है.... आज के बाद मुझसे बात नहीं करना ......

विजय: क्यों क्या हुआ भाभी...... प्लीज ऐसा न बोलो... आई लव यू ....सो मच .....

जूली: लव होता तो इतना दुःख नहीं देता....न समय देखता है और न जगह .....

विजय: क्या भाभी आप भी, अब आपकी ये मस्त गांड देख पेरा पप्पू नहीं मन तो इसमें मेरी क्या गलती...

जूली: उन उउउउम जा भाग यहाँ से....

विजय: प्लीज मान जाओ न भाभी.....

जूली: चल अब जल्दी से घर चल देर हो रही है]

....................

.......................
विजय: भाभी प्लीज माफ़ कर दो न..... अच्छा अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा.....प्रोमिस...

जूली: अच्छा ठीक है ...पर कुछ समय दूर रह ...मेरा मूड बहुत ख़राब है....

विजय: ओके मेरी प्यारी भाभी ...पुचच च च च 

...........

विजय: भाभी में अभी आता हूँ............जरा कुछ सामान लेना है....बाजार से भूल गया था ....
....................
...........
....

काफी देर बाद ...........

टेलीफोन कि रिंग ........ट्रिन ट्रिन .......ट्रिन ट्रिन 

जूली: हेल्लो .......

मेरी किस्मत कि जूली ने फ़ोन स्पीकर पे कर लिया था ..

उसकी दोस्त नफीसा: हेलो मेरी जान,कहाँ हो आजकल 

जूली: यहीं हूँ यार तू सुना..कहाँ मस्ती मार रही है...

नफीसा: वाह, मस्ती खुद कर रही है और मेरे को बोल रही है....

जूली:ओह लगता है अहमद भाई नहीं हैं आजकल जो मुझसे लड़ने लगी...

नफीसा: उनको छोड़ तू ये बता आज बाजार में किसके साथ मटक रही थी, बिलकुल छम्मक छल्लो की तरह ..

जूली: अरे बो तो रवि का छोटा भाई है ..मैं तेरी तरह नहीं हूँ जो किसी के भी साथ यूँ ही घूमने लागूं...

नफीसा: हाँ हाँ मैं तो ऐसी वैसी हूँ.... और तू कैसे घूम रही थी वो सब देखा मैंने.....मेरी आवाज भी नहीं सुनी..और अपने चूतड़ मटकती हुई निकल गई...

जूली: अरे यार मैंने सही में नहीं देखा, कहाँ थी तू...

नफीसा: उसी बाजार में जहाँ तू बिना कच्छी के अपने नंगे चूतड़ सबको दिखा रही थी...

जूली: अरे यार वो जरा वैसे ही हे हे ...जरा मस्ती का मूड था तो .... और तू क्या कर रही थी वहाँ ....

नफीसा: मैं तो अहमद के साथ शॉपिंग करने गई थी ...

जूली: हाय तो क्या अहमद भाई ने भी कुछ देखा ..

नफीसा: कुछ ...अरे सब कुछ देखा ...उन्होंने ही तो मुझे बताया ....कि ये आज जूली को क्या हो गया है ... उन्होंने तो तेरे उस भाई को तेरे नंगे चूतड़ों पर हाथ से सहलाते भी देखा....तभी तो मैं तुजसे ख रही थी ...

जूली: ओ माय गॉड, क्या कह रही है तू ...

नफीसा: बिलकुल वही जो हुआ....अब सच सच बता क्या बात है]

जूली: यार अहमद भाई कहीं इनसे तो कुछ नहीं कहेंगे]

नफीसा: अरे नहीं यार वो ऐसे नहीं हैं ...लेकिन तू मुझे बता ये सब क्या है ....और क्या क्या हुआ ...

जूली: अरे कुछ नहीं यार, बस थोड़ी मस्ती का मन था. इसलिए बस और कुछ नहीं यार ....

नफीसा: हम्म्म वो तो दिख ही रहा था.. तू बताती है या मैं रोबिन भाई जी से पूछूं ....

जूली: जा उन्ही से पूछ लेना... साली ब्लॅकमेल करती है ...

नफीसा: प्लीज बता ना यार क्या क्या हुआ ... और वो हैंडसम कौन था ...

जूली: बताया तो यार मेरा देवर है और बस थोडा मस्ती का मूड था तो ऐसे ही बाहर निकल लिए बस और कुछ नहीं हुआ....और तुझे मस्ती लेनी है तो तू भी बिना चड्डी के जाना, देखना बहुत मजा आएगा..

.नफीसा: अरे वो तो सही है.. तू बता न क्या हुआ मेरी जान.. कितनो ने ऊँगली की तेरी में... बता न यार..

जूली: नहीं यार ऐसा कुछ नहीं हुआ.... बस जैसे तूने देखा ऐसे ही किसी न किसी देखा होगा बस और तो कुछ नहीं हुआ.... 

नफीसा: अच्छा और तुम्हारे देवर, वो कहाँ तक पहुंचे..

जूली: कहीं तक नहीं यार... बस ऐसे ही थोड़ी बहुत मस्ती बस... और क्या मैं .........

......
.....
..

सॉरी दोस्तों टेप ने धोखा दे दिया..... लगता है यहीं तक बेटरी थी .....मगर इतना कुछ सुनकर मुझे ये तो लग गया था कि जूली को अब रोकना मुस्किल है ..

मैं कुछ देर तक बस सोच ही रहा था कि अब आगे क्या और कैसे करना चाहिए... 

दोस्तों आप भी अपना मशवरा दें कि आप ऐसी परिस्थिति में क्या करते...

आपके सुझाव के इन्तजार में ...

आपका दोस्त ...

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08-01-2016, 01:12 AM,
#12
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
बहुत समय तक अनाप सनाप सोचने के बाद मैंने सब विचारों को बाहर निकाल फैंका ...फिर सोचा कि यार मैंने जूली को अब दिया ही क्या है ...

ये घर एस्वर्य या कुछ जरुरी सामान ...क्या ये सब ठीक था ...

आखिर उसकी भी अपनी ज़िंदगी है ....और सेक्स तो शारीर की जरूरत है... मगर मैंने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया

पर अब मुझे इस और ध्यान देना होगा...मैंने एक ही पल में सब सोच लिया कि मैं अब जूली का पूरा ध्यान रखूँगा... वो जो भी चाहती है जैसा भी चाहती है मैं उसमे उसका साथ दूंगा] आखिर मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ]

अब अगर उसने ये सब किया तो मैं नहीं समझता कि इसमें उसकी कोई गलती है....अगर उसको ये सब अच्छा लगता है तो उसको मिलना चाहिए...

और मैं भी कौन सा दूध का धुला हूँ] अपनी सेक्रेटरी से लेकर साली तक न जाने कितनी चूतों को मार चूका हूँ]

फिर अगर जूली मजे ले रही है तो ये उसका हक़ है]

अब ये सोचना था कि कैसे मैं उसको अपने विस्वास में लूँ]

ये सब सोचते हुए मैं घर पहुँच गया]

.......

ट्रिीिन्नन्नन्नन्नन्नन तृन्न्नन्न्न्न 


[b]जूली: कौन.....

मैं: खोल ना मैं हूँ]

दरवाजा खुलते ही....

जूली: क्या हुआ बड़ी देर लगा दी ....कहाँ रुक गए थे ..विजय का फोन आया कि वो तो २ घंटे पहले ही निकल गया .. वो और मैं दोनों कॉल कर रहे थे पर आपका फोन ही नहीं लग रहा था ... कहाँ थे ..कहीं कुछ हुआ तो नहीं..... कितना घबरा रही थी मैं ..... कुछ हुआ तो नहीं ......क्या तुम भी ......एक कॉल भी नहीं कर सकते थे.........

ओह माय गॉड, मुझे याद आया ...मैं अपना फोन कॉल ऑफ किया था ...जब रिकॉर्डिंग सुन रहा था ....और यहाँ ये सब कितने परेशान हो गए वेचारे...

मैं: ओह जरा ठहर मेरी जान ....ऐसा कुछ नहीं हुआ ... बस कोई मिल गया था ....और मेरा फोन गिरने से ऑफ हो गया था ...मुझे पता ही नहीं चला ....

जूली मेरे सीने से लग गई....मैंने कसकर उसे अपनी बाँहों मई जकड़ लिया...मुझे उसके कमसिन शरीर का अहसास होने लगा..जो पिछले १-२ साल से मैंने खो दिया था]

वाक़ई जूली एक बहुत खूबसूरत और कामी स्त्री थी] उसका अंग अंग रस से भरा था.... उसके उठे हुए नुकीले स्तन, चूची मेरे सीने में चुभ रहे थे..

उनके निप्पल तक का अहसास मुझे हो रहा था... मुझे पता था कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी....क्युकि उसकी गहरी लाल रंग की ब्रा, कच्छी हमारे बेड के कोने में लैंप के पास रखीं थी]

जूली अमूमन तो घर पर ब्रा कच्छी पहनती ही नहीं थी] और अगर पहनी हो तो रात को सोने से पहले वो उनको उतार वहीँ रख देती थी]

वो हमेशा मेरे सामने ही ये सब करती थी, मगर मेरा उसके प्रति बिलकुल रूचि ख़त्म हो गई थी] इसलिए कोई ध्यान नहीं देता था]

मगर आज की सारी घटनाओ ने मेरा नजरिया ही बदल दिया था] मुझे जूली संसार की सबसे प्यारी स्त्री लग रही थी]

यकीन मानना मेरा लण्ड उस टेप को सुनने के बाद से खड़ा था और बहुत दिनों बाद आज जूली के शरीर की गर्मी महसूस कर उसको छू रहा था]

इसका एहसास जूली को भी हो रहा होगा... 

मैंने अपना हाथ उसकी पीठ से लहराते हुए उसके गदराये चूतड़ों तक ले गया] 

कसम से इतने सेक्सी चूतड़ किसी के नहीं हो सकते... ऐसा मखमली अहसास जैसे मक्खन एक पर्वत को चूतड़ का आकर दे दिया गया हो....

जूली ने सफ़ेद मिडी जैसा गाउन पहना था, जो उसके चूतड़ से थोडा ही नीचे होगा...मेरा हाथ सरलता से उसके गाउन के अंदर उसके नग्न नितम्बों (चूतड़ों) के ऊपर पहुँच गया था]

मैं उस मखबली एहसास से सराबोर हो गया था....जूली और कसकर मेरे से लिपट गई...

उसकी इस अदा ने मेरे दिल मैं उसके प्रति और भी प्यार भर दिया ....ये सच है कि वो कभी मुझे किसी बात के लिए मना नहीं करती थी]

आज ना जाने उसकी कितनी मस्ती कि थी और कई बार सेक्स भी किया था.... चाहती तो इस समय वो गहरी नींद सो रही होती ...

उसका शरीर इस समय तृप्त होना चाहिए, पर मेरे लिए वो फिर तैयार थी...वो कुछ मना नहीं कर रही थी..

बल्कि मेरे बाहों में सिमटी आहें भर रही थी...उसको मेरी जरुरत का हर पल ख्याल रहता था...

मैंने अपने हाथ को उसके चूतड़ों के चारों ओर सहलाकर, उसके दोनों उभारों को अपनी मुट्ठी में भरने के बाद अपनी दो ऊँगली से उसकी दरार को प्यार से सहलाया फिर अपनी उँगलियों को उसके गुदाद्वार यानि चूतड़ों के छेद पैर ले गया जो एक गरम भाप छोड़ रहा था....फिर वहाँ से मेरी उँगलियों ने उसकी मखमली चूत तक का सफ़र बड़ी रंगीनी के साथ किया...

जूली: आअहाआ ह्ह्ह्हह 

बस उसके मुह से केवल आहें ही निकल रहीं थीं..

क्या बताऊँ कितना नरम अहसास था...मैं गांड और चूत के मुख को प्यार से ऐसे सहला रहा था कि इन दोनों बेचारो छेदों ने कितनी चोट सही हैं आज...

मगर गांड कि गर्मी और चूत के गीले पन ने मुझे ये बता दिया कि वो फिर चोट सहने के लिए तैयार हैं ...

मैंने अपने मुह से ही जूली के कन्धों पर बंधे स्ट्रैप खोल दिए....उसका गाउन नीचे गिर गया.... वो अब पूरी नग्न अवस्था में मेरी बाहों में थी...

मैंने उसको थोडा पीछे कर उसके गदराये मम्मो को देखा ...उन पर काफी सारे लाल लाल निसान थे ...जो शायद आज हमारे विजय साब बनाकर गए होंगे...

मगर जूली कभी कुछ छिपाने की कोशिश नहीं करती थी इसीलिए मुझे उस पर कभी कोई शक़ नहीं होता था ..
तभीइइइ 

जूली: सुनो आप कपडे बदली कर लो.... मैं दूध गर्म कर देती हूँ ....

मैं: हाँ मेरी जान कितने दिन विजय के कारण हम कुछ नहीं कर पाये.. आज बहुत मन हो रहा है...

जूली के मुख पर एक सेक्सी मुस्कराहट थी...वो एक नई नवेली दुल्हन की तरह शर्मा रही थी ... उसने किचन में जाते हुए अपनी आँखों को झुकाकर एक संस्कारी स्त्री की तरह स्वीकृति दी...

उसकी इस अदा को देखकर कोई सपने में भी विस्वास नहीं कर सकता था कि आज पुरे दिन उसने किस तरह अपना अंग प्रदर्शन किया और बुरी तरह से अपने पति के रहते किसी परपुरुष से चुदाई करवाई...

यही होती हैं नारी कि अदाएं जिसे कोई नहीं समझ सकता] समझदार पुरुष को इन सबसे तालमेल बनाना ही होता हैं... वरना होता तो वाही हैं जो नारी चाहती हैं ..
अब या तो आपकी ख़ुशी के साथ या फिर आपका जीवन वर्वाद करने के बाद....

फिलहाल मैं कपडे उतार हल्का सा शावर ले, एक रेसमी लुंगी पहन.... अपने शरीर को deo से महकाकर ....विस्तर पर आ बैठ गया... 

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08-01-2016, 01:12 AM,
#13
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
मुझे ध्यान आया जब मैंने जूली को छोड़ा था तब वो पूरी नंगी थी]

उसकी नाइटी अभी भी वहीँ पड़ी थी] इसका मतलब वो किचन में नंगी ही होगी]

बस मैं उठकर किचन की और जाने लगा]

ऐसा नहीं है कि ऐसा पहले नहीं होता था, मगर मैं कभी इस सब रोमांच के बारे में नहीं सोचता था]

पहले भी ना जाने कितनी बात जूली घर में नंगी ही और काम करती रहती थी मगर मैं उससे कोई रोमांस नहीं करता था और ना मुझे कोई अजीब लगता था] क्युकि हम दोनों यहाँ अकेले ही रहते थे] तो उस आज़ादी का फ़ायदा उठाते थे]

मैं भी ज्यादातर पूरा नंगा ही सोता हूँ और घर पर काफी कम कपडे ही पहनता हूँ]

मैं जब किचन में गया तो जूली नीचे झुकी हुई कोई सामान निकाल रही थी]

और आज वो ना जाने क्यों इस समय दुनिया की सबसे ज्यादा सेक्सी औरत लग रही थी]

एक पूरी नंगी, मस्त मस्त अंगो वाली नारी जब झुकी हो तो पीछे से उसके नंगे चूतड़ और उसके दोनों भाग से झांकती उसकी सबसे सुन्दर चूत] 

क्या बताओ दोस्तों कितना जबर्दस्त दृश्य था] मैंने अपनी लुंगी वहीँ खोली और पीछे से उसको जाकर लिया]

उसने बड़े आश्चर्य से पीछे घूमकर देखा, क्युकि ऐसी अवस्था में शायद ये सब काफी समय बाद हुआ था]

शादी के ६ महीने या १ साल तक तो मैं ये सब रोमांस करता भी था मगर तब जूली घर पर इस तरह नंगी भी नहीं रहती थी]

मगर जब बो इतना खुली रहने लगी तो मैं अपने बिज़नस में व्यस्त हो गया] 

इसीलिए उसने मुझे इस तरह देखा मगर वो इतनी ज्यादा प्यारी है कि उसने कुछ नहीं कहा]

वल्कि मेरे लण्ड पैर अपने सेक्सी चूतड़ को हिलाकर कहा, क्या हुआ आ तो रही हूँ...

मैं: क्या कर रही हो मेरी जान बहुत देर लगा दी]

जूली: बस आपके लिए केसर दूध और कुछ ड्राई फ्रूट तल रही थी]

मैं: वाओ जान मजा आ जायगा, क्या कुछ मीठा भी है घर पर...
मैंने साइड खिडकी को खोलते हुए कहा... हमारी किचन की एक तरफ एक छोटी खिडकी है जो वहार गैलरी में खुलती है]

वहाँ कॉलोनी के पीछे वाले रास्ते की सीढ़ी हैं तो दिन में ही वहाँ आना जाना होता है]

और वो भी बहुत कम गर्मी में वो खिडकी खुली ही रहती है] 

पहले मैं ही बंद कर देता था कि जूली किचन में कुछ कम कपड़ो में काम करती थी तो कोई देखे ना...

मगर आज ना जाने किस बात से प्रेरित हो मैंने ही वो खिडकी खोल दी थी]

और वो भी तब जब मैं और जूली दोनों ही किचन मैं पुरे नंगे थे.... दोनों के शरीर पर एक कपडा नहीं था..

मैं जूली से रोमांस भी कर रहा था... ऐसे में कोई हमको देख लेता तो शायद उसका पजामा गीला हो जाता]

यूरिन से नहीं बल्कि..........हा हा हा ....

मेरे खिडकी खोलने पर भी जूली ने कुछ नहीं कहा वल्कि हामी भरी...

जूली: अहा कितनी गर्मी हो गई है ना... अच्छा किया आपने... थोडा सर्फ़ोकेशन दूर होगा...

मैंने उसको अपनी और करके उसके लाल रसीला लवों को अपने होठों में दबा लिया...

जूली ने भी अपने होठो को खोलकर और उचककर मेरे चुम्बन का जबाब दिया....

जूली की पीठ खिडकी की ओर थी और वो आँखे बंद कर मेरे चुम्बन में व्यस्त थी....

मेरे हाथ उसकी नग्न चिकनी पीठ से फिसलते हुए उसके चूतड़ तक पहुँच गए....

तभी एक पल के लिए मेरी आँख खुली....वैसे तो वाहर पूरा अँधेरा था... मगर मुझे एक पल को लगा की जैसे कोई वहाँ खड़ा है....

क्युकि मुझे सिगरेट की चिंगारी जलती नजर आई...

??????? कौन है वो ..????..
[b]जूली मेरी बाहों में एक बेल की तरह लिपटी थी बिलकुल नंगी, उसका गोरा, संगमरमरी जिस्म किचिन की दूधिया रोशनी में चमक रहा था]

और ये सब हमारी किचिन की खिडकी से कोई वावला देख रहा था]

मुझे नहीं पता कि वो कौन है हाँ ये निश्चित था कि कोई तो है....मैंने दो तीन बार सिगरेट जलती, बुझती देखी..

इस समय उसने सिगरेट अपने हाथों के पीछे कि हुई थी.... और वो साइड में होकर ...झुककर देख रहा था]

जूली ने होने होंठ अब मेरे गर्दन पआर रगड़ते हुए मेरे कानो के निचले भाग पर पहुचने कि कोशिश की...

वाकई सेक्स के मामले में वो जबरदस्त थी उसकी इस कोशिश से मेरा लण्ड पूरा खड़ा होकर उसकी चूत पैर टकराने लगा]

बहुत गरम और मस्त अहसास था.....मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा तो नहीं, परन्तु ५.५ से ६ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा होगा] खड़ा होने पर उसकी स्किन खुद ऊपर हो जाती है और मोटा सुपाड़ा बाहर आ जाता था]

जो इस समय जूली की कसी हुई प्यारी चूत को छू रहा था]

तभी मेरे मन ने सोचा कि क्या जूली को इस आदमी के बारे में बताया जाये....

मेरे दिल ने कहा, अरे यही तो मौका है उसके दिल में खुद को सेक्स के मामले में बड़ा दिखाने का और आगे खुलकर मस्ती करने का....

बस मैंने जूली को और कसकर अपनी बाहों में जकरा और अपना सीधा हाथ से उसका सर और बाएं हाथ से चूतड़ सहलाते हुए ...

मैं बहुत धीरे से उसके कान में फुसफुसाया....

मैं: जान मुझे लग रहा है कि खिड़की से कोई हमको देख रहा है]

अचानक जूली ने कसमसाकर मेरी बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी...उसकी हरकतों से साफ़ लगा की वो अपने नग्न जिस्म को छुपाना चाह रही है..

मैं: (फिर फुसफुसाते हुए) शांत रहो जान, मुझे देखने दो कि वो कौन है.....

जूली:पर मैं नंगी हूँ ...

वो मुझसे भी धीमी आवाज में मेरे कान में बोली...

हाँ आश्चर्य रूप से उसका वदन शांत हो गया था अब उसमे खुद को छुपाने की जल्दबाजी नहीं थी]

मैंने वैसे ही उसको चिपकाये हुए उसको कहा...

मैं: तो क्या हुआ जान, उसने तो हमको देख ही लिया है.... अब जरा मैं भी तो देखु कि ये साला है कौन...
तुम ऐसा करो वैसे ही प्यार करते हुए थोडा खिड़की के पास को खिसको...

वो शायद थोडा साइड में है ....और ऐसे जाहिर करना कि हमको कुछ नहीं पता.....

मुझे कुछ अंदेसा सा था... मगर मेरी सारी आशाओं से विपरीत जूली पहले से भी ज्यादा कामुक तरीके से मेरे से लिपट गई...

और उसने मेरी गर्दन में दांतो को गड़ाते हुए अपनी चूत को और भी तेजी से मेरे लण्ड पैर लगड़ा और घसते हुए अपनी पतली सेक्सी कमर घुमाते हुए बहुत धीरे धीरे .......खिड़की की ओर बढ़ने लगी...

मैं भी उसके साथ लिपटा हुआ आगे हो रहा था.... उसकी इस अदा मैं कुर्वान हो गया था....

ओह माय गॉड ...ये क्या... मेरे लण्ड के टॉप ने जूली के चूत का गीलापन तो पहले ही पता चल रहा था मगर एक बार खिसकने में .... मेरा लण्ड उसकी चूत के गर्म छेद से टिक गया ....

और तभी उसके सुपाड़े पर जूली की चूत का ढेर सारा पानी गिर गया....

ये क्या जो मेरी जान कई धक्को के बाद और कभी कभी तो मेरे झड़ने के बाद भी अशांत रहती थी ..

आज मेरे लण्ड को घुसाये बिना...केवल लण्ड के छुअन से ही धरासाई हो गई थी....

ये उसका आज का विजय का प्यार...या मेरा ऐसा प्यार करने का तरीका तो नहीं हो सकता...

ये जरूर एक ऐसा एहसास था कि कोई उसको नंगी अवस्था में ऐसे चुदाई करते देख रहा है..... 

वाओ दोस्तों इस तरह के सेक्स ने यहाँ हमारे जीवन में अचानक ही एक अलग मोड़ ला दिया था...

जूली के चूत के पानी ने मेरे लण्ड को और भी जोश में ला दिया था...

मगर आश्चय ये था कि झड़ने के बाद भी जूली के जोश में रत्तीभर भी कमी नहीं आई थी.....

अब हम खिड़की के काफी निकट थे ....

अब हम कुछ नहीं बोल रहे थे क्युकि हमारी आवाज वो सुन सकता था....

जूली मेरी किसी हरकत का कोई विरोध नहीं कर रही थी......

मैंने उसको खिड़की कि पास वाली स्लैप को पर बैठा दिया......

पर वो अचानक उतर गई.......

जूली: नीचे ठंडा लग रहा है जान....

मैं: तो क्या हुआ जान, आओ अभी खूब गर्म कर दूंगा...

मैंने उसको खिड़की की ओर घुमाकर नीचे बैठ गया और उसके मखमली चूतड़ को अपनी लम्बी जीभ से चाटने लगा..

अब जूली पूरी नंगी खिड़की की ओर मुह करके कड़ी थी.... वो खिड़की के इतने निकट थी कि उसका एक एक अंग वाहर वाले आदमी को दिख रहा होगा...

मगर जूली को इस सब के एहसास ने और भी कामुक बना दिया था.... वो किसी बात को मना नहीं कर रही थी]...

मेरी जीभ जैसे ही उसकी चूत वाले भाग पर पहुची...वहाँ कि चिकनाई और गर्माहट देख मैं समझ गया जूली बहुत रोमांचित है...

मैंने पिछले ३ सालों में एक बार भी उसके इस भाग में इतना रस महसूस नहीं किया था.....

मैंने सोच लिया कि आज अपनी ये चुदाई मैं यहीं किचिन में ही पूरी करूँगा....और बाहर वाले अजनबी का कोई ख्याल नहीं करूँगा...

चाहे वो पूरा देखे ....या कुछ हो ...... 
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08-01-2016, 01:14 AM,
#14
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
मैं पीछे से जूली के चूतड़ों को चाटता हुआ उसके दोनों भागो को हाथ से खोल जूली की गुलाबी दरार पर अपनी जीभ फिराते हुए उसके सुरमई छेद को अपनी जीभ की नोक से कुरेदता हूँ]

आअह्ह्ह्हाआआआआआ ह्ह्ह्ह्हाआआआ 

जूली जोर से सिसकारी लेती है.....जूली का मुँह पूरी तरह खिड़की की तरफ था]

हम खिड़की से मात्र कुछ फिट की दूरी पर ही थे] 

जूली ने एक हाथ अपना किचिन की स्लेप पर रखा था और दूसरे हाथ से अपने मम्मो को मसल रही थी....

मैं अपनी जीभ को उसकी चूत की ओर ले जाते हुए केवल ये सोच रहा था कि उस बेचारे का क्या हाल होगा......

उसको जूली की चूची बो भी उसके द्वारा खुद मसलती हुई न जाने कैसी लग रही होंगी....

और इस समय तो उसको जूली की चूत भी साफ़ दिखाई दे रही होगी...वो भी मचलती हुई...क्युकि जूली लगातार अपनी कमर घुमा रही थी...

तभी मैंने अपनी जीभ उसकी रस से भरी हुई चूत में घुसेर दी.....

जूली: आआआऔऊऊऊऊऊऊ क्या करते हो डॉलिंग ..

मैं एक और काम करता हूँ....पता नहीं आज इस साले दिमाग में आईडिया भी कहाँ से आ रहे थे...

मैं जूली की दायीं पैर को उठा अपनी गोद में रख लेता हुआ...जिससे उसके दोनों पैरों में अच्छा खासा गेप बन जाता है....

उसकी चूत पीछे से तो खुल ही जाती है .... जिससे मेरी जीभ आसानी से उसको छोड़ने लगती है...

मगर मैं ये सोच रहा था की सामने से उसकी चूत कितनी खिली हुई दिख रही होगी....

कमाल तो ये था कि जूली को पता था वो अजनबी आदमी ठीक उसके सामने खड़ा है.... पर वो बिना किसी रूकावट के चूत चटवाते हुए सिस्कारियां निकाल रही थी.....

करीब १० मिनट तक उसकी चूत का सारा रस चाटने के बाद मै फिर से उठकर उसको चूमता हूँ और उसका मुँह नीचे पाने लण्ड कि और करता हूँ.... 

बस एक बार जूली अपनी आँखों के इशारे से मन सा करती हो और खिड़की ओर देखती है]

परन्तु जैसे ही मैं उसको फिर से नीचे करता हूँ वो अपने घुटनो पर पर बैठ जाती है और मेरे लण्ड को अपने हातों से पकड़, अपनी गीली जीभ बाहर निकाल चाटती है ....

और कुछ ही देर में लड़ को मुँह में ले चूसने लगती है ..

मैं: अह्ह्ह्हाआआआ आआअ ऊऊओ मजा लेते हुए उसकी ओर देखता हूँ कि वो तिरछी नजरों से खिड़की कि ओर देख रही थी.....

एक तो बला की खूबसूरत, पूरा नंगा जिस्म वो भी सेक्सी तरीके से लण्ड चूसते हुए .....तिरछी नजर से किसी अजनबी को ढूंढ़ते हुए वो क्या मस्तानी दिख रही थी...

मैं भी उसका अनुसरण करते हुए उधर बिना किसी प्रतिक्रिया के देखा हूँ]

अर्र्र्र्र्र्र्र्र्रीईईईए ये क्याआआआ वो महाशय तो बिलकुल खिड़की से निकट खड़े थे......वो अव खिड़की से बाहर जाती रोशनी की जद में थे.....

तो आसानी से दिख गए.... जरुर जूली को भी नजर आ गए होंगे...मगर उसने अपना कार्य (लण्ड चुसाई) में कोई रुकाबट नहीं की....

बल्कि मेरे लण्ड को अपने ही थूक से और भी गीला किया और भी मस्ती से चूसने लगी...सेक्स उसके सर चढ़कर बोल रहा था....

मैं खड़ा था तो मुझे उस आदमी का निचला भाग ही दिख रहा था....... उसने अपना पजामा नीचे खिसकाया हुआ था और हाथ से लण्ड को मसल रहा था या फिर मुठ मार रहा था]

माई गॉड आज एक अजनबी आदमी मेरे सामने मेरी ही नंगी बीवी को देख मुठ मार रहा है.....और उसको देख मेरे लण्ड भी लावा उगलने जैसा हो गया...

मैं जल्दी से उसके मुँह से अपना लण्ड बाहर खीच लेता हूँ ......और अब चुदाई के बारे में सोचने लगता हूँ की कैसे चोदुं की हम दोनों को भी मजा आये और उसको भी जो बेचारा हाथ से लगा है ....

ओह सॉरी और आपको भी ना जो मुझको को पता नहीं कैसे कर रहे होंगे...
हो सके तो अपने सुझाव भी देना..............

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08-01-2016, 06:46 PM,
#15
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
हमारी ये चुदाई शायद सबसे ज्यादा रोमांचित केर वाली और मेरी अब तक की बेस्ट चुदाई होने वाली थी]

छुपकर और छुपाकर ना जाने कैसे-कैसे चुदाई की थी मगर इस तरह की अपने ही घर पर अपनी ही सेक्सी बीवी को पूरा नंगा कर किचिन में एक अजनवी आदमी के सामने लाइव शो करते हुए इस तरह चोदना मेरे को बहुत ही उत्तेजित कर रहा था....

मैंने जंद न झरने के कारण गपपपपपप की आवाज के साथ अपना लण्ड उसके मुँह से निकल लिया....जूली बड़े ही सेक्सी आँखों से मुझे देखती हुई खड़ी हो गई..

उसके बाएं हाथ में मेरा लण्ड अभी भी खेल रहा था...

उसने मेरे को ऐसे देखा कि अब क्या....मैंने बाएं हाथ से उसकी चूत को दो ऊँगली से बड़े प्यार से सहलाते हुए चोदे का इशारा दिया...

उसने मेरे लण्ड को अपने मुलायम हाथ से आगे से पीछे तक पूरे लण्ड पर फिराते हुए, अपनी बड़ी-बड़ी झील जैसी आँखों को नचाया.....

जैसे पूछ रही हो कि कहाँ और कैसे.....

मैंने उसके होंठो पर एक जोर दार चुम्मा लेते हुए उसे कहा ...

मैं: जान आज एक नया रोमांच करते हैं क्यों ना यहीं किचिन में ही चुदाई करें....

जूली: नहीं जानू, चलो ना बेडरूम में चलते है वहीँ ....

मैंने फिर से उसके होंठो को अपने होंठों में दबा लिया...वो बराबर मेरे लण्ड को सहलाकर...चुदाई का इन्तजार कर रही थी.....

मैं: अरे नहीं जान यहीं....

जूली: अच्छा ठीक है फिर खिड़की बंद कर दो ....

तभी हम दोनों को लगा जो खिड़की के बॉट निकट खड़ा था... वो थोडा खिसक कर पीछे को हो गया..

मैंने जूली के चेहरे पर एक सेक्सी मुस्कराहट नजर आई...

अब मैंने उसको स्लेप कि और इशारा किया ...

वाओ जूली ने खुद चुदाई का तरीका ढूंढ लिया था ..ये वैसे भी उसका पसंदीदा तरीका था....

वो बिलकुल खिड़की के पास ही स्लेप पर दोनों हाथ टिकाकर....अपने सेक्सी चूतड़ों को उठाकर झुककर खड़ी हो हो गई...

उसका पिछला हिस्सा चीख-चीख कर कह रहा था कि आओ इसमें किसी भी छेद में अपना लण्ड डाल दो...

बस मैंने कुछ नहीं सोचा...और उसकी पतली कमर पर दोनों हाथ टिकाकर उसे दबाते हुए अपना तना हुआ लण्ड उसके पीछे से चिपका दिया...

और मैं खिड़की के बाहर उस शख्स को ढूंढ़ने की कोशिश करने लगा....जो शायद एक साइड में ही खड़ा था.....

तभी जूली ने खुद ही, वो अपने सीधे हाथ को नीचे अपनी जांघो के बीच ले गई.... और थोडा सा झुककर मेरे लण्ड को पकड़ अपने चूत के छेद के मुहाने पर रख अपनी ऊँगली के नाखून से लण्ड को कुरेदा...

जो मेरे लिए धक्का लगाने का संकेत था... तभी मुझे वो जनाव भी दिख गए...

वो बहुत मजे से बिलकुल कोने में बैठे ...खिड़की की जाली से पूरा मजा ले रहे थे...उसकी नजर हमारी ओर नहीं थी वो सीधे जूली की चूत को बदस्तूर घूर रहे थे...

बस यही वो समय था जब मैंने अपनी कमर को एक झटका दिया....

हाआप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प् की आवाज के साथ मेरे लण्ड का सुपाड़ा चूत में चला गया.....जूली ने हलकी सी सिसकी के साथ अपने चूतड़ और भी ज्यादा पीछे को उभार दिए....

मैंने इस बार थोडा और तेज धक्का लगाया और पूरा लण्ड उसकी चूत में समां गया.... 

जूली: अहा!

अब मैंने जूली की ओर देखा, साधारणतया वो बहुत तेज सिसकारी लेती है.....मगर आज केवल अहा! ..

ऐसा नहीं कि दर्द के कारण वो ऐसा करती हो....वल्कि उसको बेडरूम में चुदाई के समय सेक्सी आवाजें निकलने अच्छा लगता था...

और वो ये भी अच्छी तरह जानती थी कि इस तरह की आवाजों से उसका साथी ज्यादा उत्तेजित हो और भी तेज धक्के लगाकर चुदाई करता है ....

मगर आज हलकी आवाज का कारण वो आदमी था..

मैंने देखा जूली बिना पलक झपकाए उसको देख रही है जो ऐसा लग रहा था कि बिलकुल हमारे सामने बैठा हो ...

वो खिड़की के कोने में नीचे बैठा हुए...जाली से चिपका था...और कम्बख्क के नजर पूरी तरह जूली के चूत पर ही थी...

उसने उसकी चूत में मेरे लण्ड को घुसते हुए पूरा साफ़ देखा होगा....

पर मेरी नजर तो जूली पर थी..न जाने वो क्या सोच रही थी ...उसकी नजर उस शख्स पर ही थी...मगर वो अपना कोई अंग छुपाने कि कोई कोशिश नहीं कर रही थी .....वल्कि और भी ज्यादा दिखा रही थी....

ना जाने उसकी ये कैसी उत्तेजना थी...जो उसे ये सब करने को प्रेरित कर रही थी]

अब मैंने लयबद्ध तरीके से उसकी कमर को पकड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए....

अहहहआआ ओहूऊओ ओह अहा ह्ह्ह्ह ओह्ह ह्ह्ह्ह 

अह्ह्हा अह्ह्ह ओह्ह्ूओ हम दोनों ही आवाज के के साथ चुदाई कर रहे थे...... 

और वो अजनबी हमारे हर धक्के का मजा ले रहा था, मुझे पूरा यकीं था कि वो जिस जगह बैठा था उसको मेरा लण्ड चूत में अंदर बाहर जाता साफ़ दिख रहा होगा]....

ये सोचकर मेरे धक्को में और भी ज्यादा गति आ गई और जूली की सिस्कारियों में भी .....

अहहआआआआआआआआ ओह ह्ह्हह्हह्हह्हह्ह 

आआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह आआआअ 

ऊऊऊऊऊओ ओह्ह ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह 

हम पर तो इन आवाजों का पूरा असर हो रहा था पता नहीं उस पर हो रहा था या नहीं....

५ मिनट बाद जूली खुद पोजीशन बदलने को बोलती है और घूमकर ...स्लेप पर बैठ जाती है वो बड़े स्टाइल से अपने दोनों पर खोलकर अपनी चूत का मुँह मेरे लण्ड के लिए खोल देती है...

मैं उसकी रस टपकती चूत को हाथ से सहला एक बार जीभ से चाटता हूँ....

और इस बार सामने से उसकी चूत में अपना लण्ड एक ही झटके में डाल देता हूँ.....

आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआ आआआआ 

ओहो हो हो ह्ह्हह्हह्हह्हह्ह अह्हा अह्हा हां 

मगर इस तरह मुझे लगा की उस बेचारे को अब केवल एक साइड ही दिख रही थी.......

मैंने जूली की दोनों टांगो के नीचे हाथ डाल उसको अपनी गोद में ले लिया....

हाँ इस सब में मैंने लण्ड एक इंच भी बाहर नहीं आने दिया.... और अब जूली मेरी गोद में लण्ड पर बैठी थी ..

मैं उसको ऐसे ही पकडे हुए खिड़की की और घूम गया..

जूली मेरे से चिपकी थी और उसकी पीठ खिड़की की ओर थी .... 

अब बो शख्स आसानी से चूत में लुण्ड को आता जाता देख सकता था...

और मैंने फिर अपनी कमर हिलनी शुरू की..इस बार जूली भी मेरा साथ दे रही थी वो भी मेरे लण्ड पर कूदने लगी....

अह्हा ओह ह्ह्ह्ह आह आए ह्ह्ह्ह ओह ओह ह्ह्ह

दोनों तरफ से धक्के हम दोनों ही झेल नहीं पाये और जूली ने मुझे जकड़ लिया ...

मैं समझ गया कि उसका खेल ख़तम हो गया मेरा भी निकलने ही वाला था...

मैंने उसको फिर से स्लेप पर टिका दिया..... और अपना लण्ड बाहर निकाल सारा माल उसके पेट और चूची पर गिरा दिया......

हमने अभी सांस भी नहीं ली थी कि तभी बाहर से किसी महिला कि आवाज आई ....

कोई अनजान महिला : अजी सुनते हो कहाँ हो ....??????????????

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08-01-2016, 06:47 PM,
#16
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
[b]आवाज का असर तुरंत हुआ......वो अजनबी जल्दी से सामने वाले फ्लैट की ओर लपका और साथ ही...

श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ही कर रहा था जैसे उस महिला को चुप करा रहा हो.....

और जूली पूरी तरह खिड़की से चिपकी थी] उसको उस आदमी के बारे में जानने की कुछ ज्यादा ही उत्सुकता थी]

उसको इस बात का भी ख्याल नहीं था की हम रोशनी में हैं और बाहर वाले को अंदर का सब दिख रहा होगा..

जूली किस अवस्था में थी ये तो आप सभी को पता ही है.....

तभी जूली के मुख से आवाज निकली.....

जूली: अरे ये तो तिवारी आंटी थीं.......

मैं: क्याआआआआ 

जूली: जरूर ये तिवारी अंकल ही होंगे.....मैंने पहले भी उनको कई बार इस जगह घूमते और स्मोक करते देखा है....

वो पूरी तरह स्योर थी.....

तिवारी अंकल एक रिटायर्ड अफसर थे] वो ३ साल पहले सेल्स इंस्पेक्टर से रिटायर हुए थे] अंकल और आंटी दोनों ही यहाँ रहते थे]

अंकल तो ६५ साल के थे पर आंटी जिनको मैं और जूली भाभी ही कहकर बुलाते थे...शायद ४० की ही थीं..

तिवारी अंकल की वो दूसरी बीवी थीं ... पहली बीवी शायद बीमारी के कारण स्वर्ग सिधार गई थी....

उनकी दूसरी बीवी जिनका नाम शीला भाभी है, बहुत खूबसूरत थी, उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा था..... 

by chance मैंने और जूली दोनों है एक बार उनको बिना कपड़ो के भी देख लिया था....लेकिन वो किस्सा बाद में अगर आप लोगों ने कहा तो......

तिवारी अंकल के दो ही बेटियां थीं एक की शादी तो उन्होंने कनाडा की है और दूसरी अभी MBA कर रही है....

दोनों ही उनकी पहली पत्नी से हैं... और बहुत ही मॉडर्न एवं खूबसूरत.....

ये उनका थोड़ा सा परिचय था....चलिए यथार्थ में लौटते हैं..............

मैं जूली को गोद में उठाकर नीचे उतरता हूँ...वो मेरे सीने से चिपकी हंस रही थी.....

मैं: हँसते हुए.....चलो यार आज तुम्हारी वजह से तिवारी अंकल कुछ तो गर्म हुए होंगे.....
और शीला भाभी की सुलगती जवानी पर कुछ तो आराम मिलेगा...हाहाहा 

जूली: तुम भी ना ...मैं तो ये सोच रही हूँ ...कि कल मैं उनका सामना कैसे करुँगी.....

मैं: क्या जान तुम क्यों शरमा रही हो ...तुम तो पहले कि तरह ही बिंदास रहना....उनको पता ही नहीं होने देना कि हमने उनको देखा....

जूली: हाँ हाँ आप तो रहने ही दीजिये....आपको क्या पता ...पहले ही उनको नजर मेरे को चुभती रहती थी ...हमेशा मेरे कपड़ो में ही देखते रहते थे...

और आज तो उन्होंने सब कुछ देख लिया.... अब तो जब भी दिखेंगे ऐसा लगेगा जैसे कपड़ो के अंदर ही देख रहे हों....

मैं:हम्म्म जान, 
मुझे तो डर है कि कहीं इधर उधर कुछ गलत न कर दें ...ऐसे आदमियों का क्या भरोसा अब जरा ध्यान रखना....

जूली: अरे नहीं, वो तो आप रहने दो .... उतनी हिम्मत तो किसी की नहीं.....बस मुझे जरा सी शरम ही आएगी जब भी उनके सामने जाउंगी....

मैं: छोडो भी यार, अब किस बात की शर्म सब कुछ तो उन्होंने देख ही लिया ही... अब तो उनको टीस करना यार....

जूली: हाँ ये भी ठीक है...मैं तो उनकी शर्मिंदी का ही मजा लुंगी....जूली ने कास कर मुझे चूम लिया...
अच्छा आप फ्रेश हो लो मैं दूध और ड्राई फ्रूट्स लाती हूँ ..

मैं उसके चूची को मसलता हुआ ...

मैं : ये तो पहले से गरम हैं जान यही पिला दो...

जूली: मेरे बालों को नोचते हुए... ये सब तो आपका ही है जानू .... जितना चाहे पी लेना ...पर अब आप फ्रेश तो हो....

मैं उसकी चूत में ऊँगली करते हुए ...क्यों तुमको नहीं फ्रेश होना...

जूली: हाँ हाँ बस आप चलो, मैं ये निपटाकर आती हूँ...

मैं: जरा ध्यान से कहीं तिवारी अंकल न आ जाएँ...
हाहाहा 

जूली: हाँ बहुत दम है ना उनमें...उनको तो शीला भाभी ने ही निपटा दिया होगा...और क्या पता वहां भी ढेर हो गए हों ....मैं तो बेचारी उनके बारे में ही सोच रही हूँ.....

अच्छा अब आप जाओ न बहुत रात हो गई है...

और मैं अपनी अंगी बीवी को किचिन में छोड़ अपने बैडरूम में आ बाथरूम में घुस जाता हूँ...

वाकई बहुत मजेदार रात थी ...मेरे दिमाग में अब आगे के विचार चल रहे थे......
[/b]

[b][b]इस जबरदस्त चुदाई के बाद रात भर जूली मेरे से चिपकी रही, और बिस्तर पर नंगे चिपककर सोने का मजा ही अलग है]

सुबह जूली जल्दी उठ जाती है, वो सभी घरेलु कार्य बहुत दिल से करती है......

वो जब उठी तो आज पहली बार मेरी आँख भी जल्दी खुल गई...या यूँ कहिये कि मैं बहुत सोच रहा था कि कैसे अब सब कुछ किया जाये....

जूली ने धीरे से उठकर मेरे चेरे की ओर देखा फिर मेरे होंठों को चुम लिया....

उसने बहुत प्यार से मेरे लण्ड को सहलाया और झुककर उसपर भी एक गरम गरम चुम्बन दिया...

उसके झुकने के कारण पीछे से उसके मस्त नंगे चूतड़ और चूतड़ के बीच झलक रही गुलाबी, चिकनी चूत देख मेरा दिल भी वहां चूमने का किया....
पर मैंने अपनेआप पर कंट्रोल किया और सोने का बहाना किये लेटा रहा.....

मैं बंद अधखुली आँखों से जूली को देखते हुए अपनी रणनीति के बारे में सोच रहा था....कि मस्ती भी रहे और इज्जत भी बनी रहे....

जूली मेरे से खुल भी जाए....वो मेरे सामने मस्ती भी करे परन्तु उसको ये भी ना लगे कि मैं खुद चाहता हूँ कि बो दूसरे मर्दों से चुदवाये.....

पता नहीं मेरे ये कैसे विचार थे कि दिल मेरी प्यारी बीवी को दूसरे मर्दों की बाँहों में देखना भी चाहता था...
उसको सब कुछ करते देखना चाहता था...

पर ना जाने क्यों एक गहराई में एक जलन भी हो रही थी .... कि नहीं मेरी बीवी की नाजुक चूत और गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है...इस पर मैं कोई और लण्ड सहन नहीं कर सकता....

लेकिन इंसान की इच्छा का कोई अंत नहीं होता और वो उसको पूरी करने के लिए हर हद से गुजर जाता है...

जूली को भी दूसरी डिशेस अच्छी लगनी लगी थीं..उसने भी दूसरे लण्डों का स्वाद ले लिया था...

वो तो अब सुधर ही नहीं सकती थी...अब तो बस इस सबसे एक सामजस्य बनाना था....

ट्रिनन्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न्न ट्रीन्न्न्न्न्न्न्न्न 
तभी घंटी बजने की आवाज आई...

जूली बाथरूम में थी वो फ्रेश होने गई थी ,,, मैं उठने ही जा रहा था कि फ्लशह्ह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाज आई ...

मतलब जूली ने भी घंटी की आवाज सुन ली थी...

मैंने सोचा ना जाने कौन होगा? .....

जूली वैसे ही नंगी बाथरूम से बाहर आई ....मैं फिर से सोने का बहाना कर लेट गया ....और सोचने लगा..

क्या जूली ऐसे ही या कैसे दरवाजा खोलेगी...और इस समय कौन होगा.....

इतने समय में मैंने कभी घर के किसी कार्य से कोई मतलब नहीं रखा था....जूली ने सबकुछ बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित किया हुआ था.....

जूली नंगी ही बाहर की तरफ बड़ी .....

मैं आश्चर्यचकित था कि ये क्या ऐसे ही दरवाजा खोलेगी .....और सुबह सुबह आने वाला है कौन ..

कोई पुरुष या महिला ......मैं सब कुछ से अनजान था ...

मैं चुपके से उठकर बैडरूम से दरवाजे के पीछे से देखता हूँ....

जूली अपना रात वाला गाउन उठा कर पहन रही थी ...अरे भाई वो रात किचिन में ही रह गया था...

मगर गाउन तो उसका पूरा पारदर्शी ही था.....और उसने नीचे ब्रा या कच्छी नहीं पहनी थी....

उसके सभी कोमल अंग बड़े सेक्सी अंदाज में अपनी उपस्थिति बता रहे थे....

मैं उसकी हर अदा और हर हरकत पर नजर रखे था...

उसने दरवाजा खोला .....सामने एक लड़का था ...
ओह वो कॉलोनी कि दूकान में ही काम करता है...
अंडे और ब्रेड लेकर आया था....
[/b]
[/b]

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08-01-2016, 06:47 PM,
#17
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
मगर मैंने उस लड़के कि आँखों में भी जूली को देखने कि एक चमक देखी.....

कोई और समय होता तो शायद मैं जूली को ऐसे कपड़ों में दरवाजा खोलने पर डांटता.... पर अब स्थिति बदल गई थीं .....

मैंने देखा जूली ने बाहर किसी से मॉर्निंग भी कहा ...कौन था ये नहीं पता......

फिर बो अंदर आ फिर किचन में चली गई ....मेरे कुछ आवाज करने से उसको पता लग गया कि ...मैं जाग गया हूँ ...

मैंने देखा उसने सामान किचिन में रख मेरी लुंगी जो किचिन में ही थी... उठा अपने ऊपर कन्धों पर डाल ली...

इसका मतलब वो अब भी मेरे से घबरा रही थी..कि कहीं मैं उसको ऐसे कपड़ों के लिए डाँटूगा ....अब उसको क्या पता था कि मैं बहुत बदल गया हूँ...

मैंने सब विचारों का परित्याग कर केवल अब ये सोचा कि जूली को अपने लिए बहुत खोलूंगा..उसको इस सबमे अगर मजा आता है ....तो मैं भी उसका साथ दूंगा....

पर शायद चुदाई जैसी बात तक नहीं बढूंगा ... वरना बात बिगड़ भी सकती हैं.....

क्युकि मेरे अनुसार फिर शायद जूली बहुत खुलकर सबकुछ करने लगेगी और उसको मेरी बिलकुल परवाह नहीं रहेगी और हो सकता है फिर वो मेरी इज्जत भी ना करे....

तो यहाँ तक तो ठीक है ....मगर उसको इस सबके लिए खोलने में भी समय तो लगेगा ही ....और सब कुछ करने में जूली को तो बिलकुल बुरा नहीं लगने वाला ...ये पक्का था...

इसकी सुरुआत तो रात की चुदाई से हो ही गया था...पर अब इतना करना था ...कि जूली अपनी हर बात मुझसे करने लगे....

वो अपनी हर सेक्सी बात मुझे बताने लगे .....जिससे मेरे पीछे होने वाली घटनाएं भी मैं जान सकूँ....

अब मैं यही सब करना चाहता था... मैं नंगा ही फ्रेश हो किचिन में जूली की ओर बढ़ा.....


[b]मैंने किचिन में जाते ही जूली को पीछे से बाँहों में जकड़ लिया]

मैं: (जूली की गर्दन को चूमते हुए..) क्या कर रही हो जान...

मेरा लण्ड फिर खड़ा हो उसकी गांड में दस्तक देने लगा......

जूली: क्या बात है जानू, कल से कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो.....क्या बात है ....आज तक तो कभी किचिन में भी नहीं आये और अब हर समय यहीं ......जरूर कुछ तो बात है ....

मैं : हाँ जान .....मैंने अब अपने काम को बहुत हल्का कर लिया है ....और अपनी जो सेक्ट्रेटरी रखी थी ना ..
नीलू ...उसने बहुत काम संभाल लिया है .....

जूली: ओह तो ये बात है, लगता है उसने मेरे बुद्धू राजा को रोमांटिक भी बना दिया है ....

उसने आँखे घूमते हुए बोला ....

केवल ऑफिस का काम ही ना ....फिर लण्ड को पकड़ते हुए ....कुछ और तो नहीं ना ....

मैं [Image: frown.gif]अचानक मेरे दिमाग में विचार आया ...) और बोला ....क्या यार जूली ..तुम भी ना .....अब जब हर समय साथ है ...तो सभी काम ही करेगी ना ...

और वो तो मेरी पर्सनल सेक्ट्रेटरी है ... (उसकी चूत को मसलते हुए) तो पर्सनल काम भी ....हाहाहा ...

जूली ने मुझे धक्का देते हुए ....

जूली : अच्छा जी ...खबरदार ...जो मेरा हक़ किसी को दिया तो .....वैसे भी वो छम्मकछल्लो कितना चमक धमक कर आती है ....

मैं: क्या यार तुम भी ना ..कहाँ हक़ वक और पुरानी फैशन की बात करती हो ....अरे जान जरा बहुत मजा लेने में क्या जाता है ....कौन सा मेरा लण्ड घिस जायेगा या उसकी चूस ही पुरानी हो जाएगी ...

जूली: अब तो आप पागल हो गए हो ....लगता है आप पर भी नजर रखनी होगी ...कहीं बाहर कुछ गड़बड़ तो नहीं कर रहे ....

मैं: (उसके उखड़े मूड को देखते हुए ...मामले को थोड़ा रोकते हुए) अरे नहीं मेरी जान बस थोड़ा बहुत मजाक ...बाकि क्या तुमको लगता है कि मैं कुछ करूँगा..

जूली: (मेरे होंठो पर जोरदार चुम्बन लेते हुए) हाँ मेरे राजा ..मुझे पता है... मेरा राजा और उसका ये पप्पू केवल मेरा है ....मगर उस कमीनी पर तो मुझे कोई भरोसा नहीं...

मैं: अरे नहीं जानू क्यों उस बेचारी को गली दे रही हो .. कितना ख्याल रखती है वो मेरा ...

जूली: अरे तो मैं ख्याल रखने को कब मना कर रहीं हूँ ......लेकिन मेरा हक़ नहीं ....

मैंने जूली को कसकर अपनी बाँहों में ले लिया ...अरे मेरी जान मैं और मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे हैं ...किसी चूत में वो दम नहीं कि इ तुमसे छीन सकें...

जूली भी मुझसे चिपक गई ... हाँ जानू मुझे पता है ...थोड़ा बहुत तो सही है मगर (मेरे लण्ड को मुट्ठी में पकड़) ये मैं किसी के साथ नहीं बाँट सकती ...

जूली: अच्छा चलो अब जल्दी से तैयार तो हो जाओ...ये क्या ऐसे नंगु पंगु ...यहाँ खड़े हो ....अच्छा मैं ये खिड़की बंद कर देती हूँ..... वरना सब हमारी रासलीला देख देखकर मजा लेते रहेंगे...

मैंने उसके कन्धों से अपनी लुंगी उठा बांधते हुए ...क्या जान तुम भी ...फिर से .... अरे कोई देखता है तो इसमें हमारा क्या नुक्सान है ....देखने दो साले को ...

जूली: ओह क्या करते हो .... मैंने अभी पुरे कपडे नहीं पहने ...तो ....

मैं: अरे तो क्या हुआ जान, हम अपने घर पर ही तो हैं, कौन सा कोई बाजार में नंगे घूम रहे हैं .... अब इन छोटी छोटी बातों को ना सोचकर केवल मजे लिया करो]

जूली: अच्छा तो क्या अब खिड़की खुला छोड़कर नंगी घूमू ...एक तो पता नहीं कल तिवारी अंकल ने ना जाने क्या क्या देखा होगा ...मैं तो सोचकर ही शर्म से मरी जा रहीं हूँ...

मैं: क्या अदा है मेरी जान की, अरे कुछ नहीं होता मेरी जान तुम तो नार्मल व्यबहार करना .... देखना वो ही झेपंगे...हाहाहा .....
और तुम इतनी खूबसूरत हो मेरी जान. तुमको पता है खूबसूरत चीजें दिखाई जाती हैं ...ना की परदे में रखी जाती हैं....

जूली: हाँ हाँ, मुझे पता है ये सब नीलू को देखकर ही बोल रहे हो ..कितने छोटे कपडे पहनकर आती है वो ..

मैं: अरे यार फिर उसके पीछे...कपडे पहनने वाला नहीं ..वल्कि उसको गन्दी नजर से देखने वाला गन्दा होता है ...ये तो तुम खुद कहती हो ना ...

और मैंने कभी तुमको मना किया कुछ भी या किसी भी तरह पहनने को ....ये हमारा जीवन है चाहे जो खाएं ..या पहने ...हमको दूसरे से क्या मतलब ...

तुमको जो अच्छा लगे करो ना ...

जूली: आप दुनिया के सबसे प्यारे हस्बैंड हो ...पुछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह मुुु हुुुु आआआआ उसने एक लम्बा चुम्मा लिया ...

मैं: वो तो मैं हूँ, मगर मेरी रानी भी काम नहीं है ....मैंने भी उसको अपने से चिपका लिया ....तो जान अब इन खिड़की या दरवाजे से मत डरना ...

हमको किसी से मतलब नहीं, हम अपनी लाइफ मजे करेंगे .....और हाँ जो कुछ भी होगा वो एक दूसरे को भी बताएँगे ....चाहे जो हो ...

जूली: अरे तो मैं कहाँ कुछ छुपाती हूँ, सब कुछ तो ...फिर भी ...हाँ ऐसा वैसा कुछ मत करना ...नहीं तो ...तुको पता ही है ....

मैं: अच्छा धमकी...अरे भाई मैं जब तुमको आजादी दे रहा हूँ तो मुझे भी तो कुछ आजादी मिलनी चाहिए न ..

जूली: ह्म्म्म्म्म चलो थोड़ा बहुत करने की आजादी है ..मगर अपने पप्पू को संभाल कर रखना ....वरना इतने जोर से काटूंगी कि ...कभी मुह नहीं उठाएगा .. हे हे हे ....

मैं: अच्छा जी ....चलो काट लेना ....फिर मुह में तो लेना ही होगा .....हाहाहा 

जूली:मारूंगी अब हाँ .... अच्छा चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ ....

मैं: ठीक है जान ....अरे हाँ याद आया कल शायद अमित आएगा डिनर पर ...बता देना अगर कुछ चाहिए तो....

अमित मेरा पुराना दोस्त है वो डॉक्टर है, उसकी कुछ समय पहले ही शादी हुई है .. नेहा से ,.वो ऑस्ट्रेलिया में ही ज्यादा रही है ...इसलिए बहुत मॉडर्न है ....

जूली: अच्छा तो अब तो नेहा के साथ ही आएंगे ..

मैं: हाँ यार बहुत दिन से उसको बुला रहा था तो कल ही उसका फ़ोन आया ...आने के लिए ....

जूली: ठीक है जानू मैं सब तयारी कर लुंगी ....

मैं: और हाँ जरा मॉडर्न कपडे ही पहनना, मैं नहीं चाहता कि अमित के सामने मेरी बीवी ..जो नेहा कई गुना खूबसूरत है जरा भी फीकी लगे ...

जूली: मगर वो तो कितने छोटे कपडे पहनती है ..याद है शादी के चार दिन बाद ही उसने अपनी उस पार्टी में किता छोटा मिडी पहना था ...और सबको अपनी वो चमकीली पैंटी दिखाती घूम रही थी ....

मैं: क्या यार .....मगर मेरी जान उससे कहीं ज्यादा बोल्ड और खूबसूरत है...दरअसल मैं उस साले को दिखाना चाहता हूँ कि हमारे भारत की लड़की उन जैसी फॉरेन में पली भरी से कहीं अधिक खूबसूरत होती हैं बस ....

जूली: ओह ...ठीक है ....अब आप तैयार तो हो ना ...

उसने मुझे बाथरूम की ओर धकेल दिया .....

[/b]

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08-01-2016, 06:48 PM,
#18
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
मैं नहाकर बाहर आया ... जूली बेड पर झुकी हुई मेरे कपडे सही कर रही थी ....

उसका गाउन चूतड़ से आधा खिसक गया था....जो उसके गोल और मादक चूतड़ों की झलक दिखा रहा था ....

मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए ही कहा..जान आज या कल जब भी अमित आये तो उसको अपने इन जालिम चूतड़ों के दर्शन करा देना ...देखना पगला जायेगा शाळा ...

जूली: मुझे तो लगता है कि अभी तो आप ही पगला गए हैं....कैसी बातें कर रहे हैं.....

क्या उन लोगों के सामने बिना कच्छी के जाउंगी...
वैसे आप चिंता न करें ...मैंने कल कुछ अच्छे सेट का आर्डर दिया है .....आज कोशिश करुँगी ...शायद मिल जाएँ...

मैं: अच्छा तो क्या ब्रा, चड्डी भी आर्डर पर तैयार होने लगे...

जूली: जी हाँ जानू ...अब तो हर चीज फैशन पर आ गई है .....मगर कुछ रुपए दे जाना ...

मैं: ठीक है मेरी जान ....

मैं तैयार होते हुए सोचने लगा कि आज शायद ये फिर उसी दुकान पर जाएगी ....क्या करूँ कैसे करूँ ....

जूली: और हाँ आप ये मत समझो कि आपके दोस्त सीधे हैं वो तो आपके सामने सीधा होने का ढोंग करते हैं ....वरना हम लोगों को मर्दों की सब आदतों के बारे में पता होता है ....

मैं: अच्छा तो कौन शाळा तुमको छेड़ता है ....अभी बताओ ...कमीने को ठीक करता हूँ ...

जूली: बस तुम्हारी इसी आदत के कारण वो तुमसे डरते हैं .... वरना ....

मैं: अरे नहीं जान ... क्या मैं तुमको ऐसा लगता हूँ ...
वो तो थोड़ा काम में बिजी हो गया था ..बस ...

जूली: हाँ हाँ मैं सब समझ सकती हूँ ....जब आप उनसे जरा प्यार से बोलेंगे तो आप उन सबकी नजर को खुद समझ जाएंगे ....

मैं: अच्छा अमित भी ऐसा ही है क्या ....यार वो तो बहुत सीधा लगता है ....

जूली: हाँ मुझे पता है वो कितना सीधा है ....हेहे 

मैं: क्या यार पहेलियाँ क्यों बुझा रही हो ..सच बताओ ना ...हमने कल निर्णय लिया था ना कि हम सब कुछ एक दूसरे को बताएँगे ....

इससे हमारे रिस्ता और भी मजबूत होगा ...और अब से हम खुद खुले विचारों के साथ जिएंगे ....एक दूसरे को रोक टोक नहीं करेंगे....

जूली: (मुझे चूमते हुए) अरे जानू, आपको क्या लगता है कि क्या मैं आपसे कुछ छुपाती हूँ ...

मैं: तो बताओ न अमित ने कुछ किया क्या ...

जूली: अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं ...मगर उसकी आदतें भी बाकी सभी मर्दों की तरह ही हैं ....

वैसे भी मेरी मुलकात तो बस दो तीन बार ही तो हुई होगी .....

आपको याद है उसकी शादी के बाद पार्टी में ...उसने कितनी पी ली थी....बस जब वो मेरे साथ डांस कर रहा था, तब उसका व्यबहार उतना सभ्य नहीं था ...

मैं: क्या यार कितने भरी शब्दों का प्रयोग कर रही हो ...खुली भाषा में बताओ न..उसने तुमको क्या किया ..

जूली: ओह तुम भी न ....अरे ऐसा भी क्या बस जब वो मेरे साथ नाच रहा था ....तब ही उसने कुछ शरारत की थीं .....

मैं: अरे नहीं यार वो उस बेचारे ने बहुत पी ली थी ...इसीलिए ..थोड़ा बहुत हाथ लग गया होगा ...

जूली: अच्छा आपको तो बहुत पता है ना ....क्या आपको याद है उस दिन मैंने अपनी वो पतली वाली लाल जींस और सफ़ेद शार्ट टॉप पहना था ...जो कमर तक ही आता है ...

मैं: अरे हाँ जान मैं कैसे भूल सकता हूँ ....

जूली: बस वो नाचते - नाचते बार-बार मेरे कमर पर हाथ रख रहा था ....मैं हटाती तो फिर से टॉप के अंदर कर मेरी नंगी कमर को सहला देता ...

कई बार उसने अपने गाल मेरे गालों से चिपकाये और नाचते हुए चूम भी लेता था .... 

मैं: अरे यार ये सब तो नार्मल है न ...

जूली: अच्छा और उसके हाथों का कई बार सरककर मेरे चूतड़ों तक पहुँच जाना और ना केवल सहलाना वल्कि दबा भी देना ...

मैं: हम्म्म तब तो हो सकता है .... मगर ये भी तो हो सकता है की बाकई गलती से ही हुआ हो....

जूली: हाँ गलती से .....अगर गलती से हुआ होता तो आदमी का ये खड़ा नहीं होता ....
(उसने मेरे लण्ड को छूते हुए कहा)

मैं: क्या कहती हो यार ...क्या उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था ...क्या तुमने उसको छुआ भी था ....

मैंने अब उसके सामने खुले शब्दों का प्रयोग करने लगा जिससे वो और भी खुल जाये ...वैसे मैंने सुना तो था कि वो बहुत आसानी से सभी लण्ड, चूत जैसे शब्द बोलती है ....

जूली: हाँ जानू जब वो मुझे चिपकाता तो अपनी कमर भी मेरे से चिपका देता था ,,,तो मुझे उसका अहसास तो होगा ना ,,,,

मैं: अच्छा कहाँ लगा उसका लण्ड तुम्हारे ...

जूली: ओह अब ज्यादा क्यों परेसान कर रहे हो ...मेरी जांघ के ऊपर के भाग पर ...
पर मैं चरण दूर हो गई .... बस अब आप जल्दी तैयार हो मैं भी फटाफट तैयार हो आपका नास्ता लगाती हूँ ...

मैं: अच्छा जानू ......

उसके बाथरूम में जाते ही सबसे पहले मैंने अपना रिकॉर्डर पेन ओन कर उसके पर्स में डाला ...

और ये भी सोचने लगा कि यार कैसे आज इनकी उस शॉपिंग को देखा जाए ....

मैंने एक बार फिर बिल पर से उस दुकान का एड्रेस नोट किया और जूली से उसका जाने के समय के बारे में जानने कि सोचने लगा ....

तभी जूली भी बाथरूम से बिलकुल नंगी नहाकर बाहर आ गई ....

जूली में ये दो आदत थीं कि एक तो बो कपडे हमेशा कमरे में आकर ही पहनती थी ...इसलिए बाथरूम से हमेशा नंगी या केवल टॉवल लपेट कर ही बाहर आती थी ...

और रात को सोते हुए मेरे लण्ड पर अपना हाथ रखकर ही सोती थी.....

और ये दोनों आदतें मुझे बहुत पसंद थी....

उसने हल्का सा गाउन ही डाला और हम दोनों ने नास्ता किया ...फिर मैं उसको चूमकर ऑफिस के लिए निकल गया ....
[b]अपने मन में अच्छी तरह सब कुछ सोच विचार कर मैं घर से निकल गया ....

ऑफिस में भी मन नहीं लग रहा था.....दिल में कुछ अलग ही विचारों ने धर कर लिया था ...

मैं किसी भी तरह आज जूली की उस दूकानदार के साथ मुलाकात को देखना चाहता था ....जिसने मेरी सुंदरता की मूरत जूली को ना केवल नंगा ही नहीं देखा था .......वल्कि उसकी गद्देदार, गुलाबी और रसीली चूत एवं गांड को सहलाया था ...

उसकी चोटियों जैसी नुकीली चूचियों को दबाया और निप्पल तक को छुआ था ...

उस दिन तो वो विजय के साथ थी ....जो उस दुकानदार के लिए तो जूली का पति ही था ...

शायद इसलिए वो ज्यादा हिम्मत नहीं कर पाया होगा ...पर आज जब जूली उससे अकेले मिलने मिलेगी ...तो पता नहीं क्या-क्या करेगा ....

इसीलिए आज मैंने जूली के पर्स में वौइस् रिकॉर्डर तो रखा ...परन्तु पैसे नहीं रखे ...जिससे उसकी दुकान पर जाने का कार्यक्रम पता लग सके ...

करीब १२:०० बजे मुझे जूली का फोन आया .....

जूली: अरे सॉरी मैंने आपको परेसान किया ....वो आज आप शायद पैसे देना भूल गए ...वो क्या है कि मैं बाजार आई थी तो .....

मैं: ओह जान ...ये आज कैसे हो गया ....तुम चिंता ना करो ...बताओ तुम कहाँ हो ...मैं भिजवाता हूँ .....

जूली: मैं कश्मीरी मार्किट में हूँ ......

मैं: ठीक है .... १० मिनट रुको .....

................

.............................

मैं वहां पहुंच एक जानकार के हाथ उसको पैसे भिजवा देता हूँ .....

वो उस अंडरगार्मेंट्स की दुकान के बहुत पास थी .... 

और आज मेरी जान क्या लग रही थी ....मैंने देखा हर कोई केवल उसे ही घूर रहा था .....

उसने एक स्किन टाइट सफ़ेद कैप्री पहनी थी, जो उसके घुटनो से करीव ६ इंच नीचे थी....और पिंक टाइट सिल्की शर्ट पहनी थी .....

उसने अपने रेशमी बाल खुले छोड़ रखे थे .....और गोरे मुखड़े पर .... पिंक फ्रेम का फैशनेबल गोगल था ..जो उसके चेहरे को हीरोइन की तरह चमका रहा था ...

उसने हाई हील की सफ़ेद कई तनी वाली सैंडल पहनी थी ....कुल मिलाकर वो क़यामत लग रही थी .....

मैंने बहुत सावधानी से उसका पीछा किया .....उसने कुछ दुकानो पर इधर उधर कुछ-कुछ वस्तुओं को देखा .... 

मगर कुछ लिया नहीं .....हाँ इस दौरान कुछ मनचलों ने जरूर उसको छुआ ...... वो उसके पास से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए निकल गए ....

दरअसल उसकी सफ़ेद कैप्री कुछ पतले कपडे की थी ...जिससे कुछ पारदर्शी हो गई थी ....

उसकी कैप्री से जूली की गुलाबी त्वचा झांक रही थी ...जिससे उसका बदन गजब ढा रहा था ...

इसके ऊपर मेरी जान का क़यामत बदन ....जिसका एक-एक अंग संंचे में ढला था ....

मैं अब जूली के काफी निकट था ...मैंने ध्यान दिया कि उसकी कैप्री से उसकी पैंटी की किनारी का तो पता चल रहा था ....मगर रंग का नहीं ..इसका मतलब आज उसने सफ़ेद ही कच्छी पहनी थी ...

मगर उसकी शर्ट से कहीं भी ब्रा की किसी भी तनी का पता नहीं चल रहा था .....यानि वो बिना ब्रा के ही शर्ट पहने थी ....

तभी उसकी गोल मटोल चूची इतना हिल रही थी ...और जालिम ने अपना ऊपर का बटन भी खोल रजा था ....जिससे गोलाइयों का पूरा आकार पता चल रहा था ....

ज्यादातर लोग उससे टकराने का प्रयास कर रहे थे ...

मैंने आज तक जूली को इस तरह से वाच नहीं किया था .... ये एक अलग ही अनुभव था ....

उसके पीछे चलते हुए ....जूली के एक रिदम में हिलते डुलते चूतड़ को देख ..मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल आ रहा था कि .....

इस दृश्य को देख जब मेरा ये हाल था तो दूसरों के दिल का क्या होता होगा ....

कुछ देर में ही जूली उसी दुकाल में प्रवेश कर जाती है ....

दूकान काफी बड़ी थी ...मैं भी अंदर जा एक ओर खुद को छुपाते हुए .....जूली पर नजर रखे था ...

वो सीधे एक ओर जहाँ कोई मध्यम कद का एक लड़का खड़ा था ....उस ओर जाती है ..
[/b]

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08-01-2016, 06:48 PM,
#19
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
मैं इधर उधर देखता हुआ, जूली से छिपता छिपाता ...
उस पर नजर रखे था .....

उन दोनों की कोई आवाज तो मुझे सुनाई नहीं दे रही थी ..... मगर 

जूली उस लड़के से बहुत हंस हंस कर बात कर रही थी ...

लड़का भी बार बार जूली को छू रहा था ....और उसकी चूचिओं की और ही देख रहा था .....

जूली बार बार अपनी शर्ट सही करने का बहाना कर उसका ध्यान और भी ज्यादा अपनी चूचियों पर आकर्षित कर रही थी ....

इधर उधर नजर मारते हुए ही मैंने देखा कि एक लड़की बहुत कामुक ढंग से एक छोटी सी ...डोरी वाली कच्छी को अपनी जीन्स के ऊपर से ही बांधकर देख - परख रही थी ....

और दूसरी तरफ एक मोटी सी लड़की ...एक उम्रदराज अंकल को अपनी मोटी-मोटी छातियाँ उभारकर न जाने क्या बता रही थी ....

कुल मिलाकर बहुत सेक्सी दृश्य थे .....

तभी जूली एक और बने पर्दों के पीछे जाने लगी ....मेरे सामने ही उस लड़के ने जूली के चूतड़ों पर हाथ रख उसे आगे आने के लिए कहा ....

मैं अभी उस ओर जाने का जुगाड़ कर ही रहा था ...कि एक बहुत सेक्सी लड़की मेरे सामने आ पूछने लगी ...

लड़की: क्या चाहिए सर ....

मैं: व् वव वो .....

लड़की: अरे शर्माइये नहीं सर ....यहाँ हर तरह के अंडरगार्मेंट्स मिलते हैं .....आपको अपनी बीवी के लिए चाहिए या गर्लफ्रेंड के लिए ....

मैं: अररर्र रे नहीं व् व् वव वव वो क्या है कि ....

लड़की: अरे सर आप तो केवल साइज बताइये .... मैं आपको ऐसे डिज़ाइन दिखाउंगी कि आपकी गर्लफ्रेंड खुश हो जायगी ...और आपको भी .....हे हे ...

मैं: अरे वो क्या है कि मुझे बीवी के लिए ही चाहिए ....और वो अभी यहीं आने वाली है ...मैं उसी का इन्तजार कर रहा हूँ ,,,,

लड़की: ओह ...ठीक है सर ...मैं वहां हूँ ....आप कहें तो तब तक मैं आपको भी दिखा सकती हूँ ....

उसके खुले गले के टॉप से उसकी गदराई चूची का काफी भाग दिख रहा था ....

मैं: (उसकी चूची को ही देखते हुए) क्या?

लड़की: अपना टॉप सही करते हुए ....क्या सर आप भी ...अंडरगारमेंट और क्या .....

मैं: ठीक है अभी आता हूँ .....

उस लड़की के जाने के बाद मैंने पर्दों की ओर रुख किया ...तभी वो लड़का बाहर को आ गया ...

मैंने एक कोने के थोड़ा सा पर्दा हटा ...अपने लिए जगह बनाई ...

चारों ओर देखा किसी की नजर वहां नहीं थी ...ये जगह एक कोने में बनी थी .... 

और चारों ओर काफी परदे लगे थे .... मैं दो पर्दो के बीच खुद को छिपाकर ...नीचे को बैठ गया...

अब कोई आसानी से मुझे नहीं देख सकता था ....

मैंने अंदर की ओर देखा ... अंदर दो तीन जमीन पर गद्दे बिछे थे ...एक बड़ी सी मेज रखी थी ....

मेज पर कुछ ब्रा चड्डी से सेट रखे थे ...और दो कुर्सी भी थीं ,,,, बाकि चारों ओर सामान बिखरा था ...

जूली मेज के पास खड़ी थी ..उसके हाथ में एक बहुत नए स्टाइल की ब्रा थी ....जिसे वो चारों ओर से देख रही थी ...

फिर उसने ब्रा को मेज पर रखा ओर एक बार पर्दों को देखा ...फिर अचानक उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए ....

माय गॉड ,,,, उसको जरा भी नहीं लगा कि ये एक खुली दूकान है ...

और चारों ओर केवल पर्दों का ही पार्टीशन है ..... 

जूली बिना किसी डर और शर्म के अपनी शर्ट पूरी निकाल वहीँ मेज पर रख देती है ....

उसका दमकता शरीर अब केवल एक सफ़ेद कैप्री में ....मेरे सामने था .....

उसके पूरी तरह गोलाई लिए हुए चूचियाँ ..और उनपर कामुकता के रस से भरे उसके गुलाबी निप्पल ...ऊपर उठे हुए जो किसी को भी पागल करने के लिए काफी थे ...

इस समय पूरी तरह नग्न मेरे सामने थे .... उसने अपनी चूचियों को एक बार खुद अपने हाथों से मसलकर ठीक किया ....

जैसे टाइट शर्ट में कसी होने से उनको कष्ट हुआ हो और जूली उन दोनों को सहलाकर उनको पुचकार के मना रही हो ....

कुल मिलाकर बहुत सेक्सी दृश्य था....

फिर वो अपनी ब्रा को उठा उसे ...उलट पुलट कर पहनने के लिए देखने लगी ....

तभी वो लड़का बिना कोई आवाज लगाये अंदर आ गया ....

जूली[Image: frown.gif] शरमाते हुए...अपनी ब्रा को चूची पर रख उनको छुपाने का नाकामयाब प्रयास करते हुए ).... अररर रा एक मिनट ....ववव वो मैं पहन ही रही थी ...

लड़का: क्या मैडम जी आप भी अभी तक शरमा रही हो .... 

लाइए मैं सही कर देता हूँ ....

उसके हाथ में एक क्रीम का डब्बा था .... 

वो उसको खोल उसमें से क्रीम निकाल जूली की ओर बड़ा और बहुत अधिकार से उसके हाथ से ब्रा ले वापस मेज पर रख देता है ...

जूली बुरी तरह शरमा रही थी .....मगर उसकी आखों में लस्ट साफ़ दिख रहा था ....

लड़के ने अपने एक हाथ से जूली के हाथो को उसकी चूची से हटाते हुए ...अपना सीधे हाथ में लगी क्रीम उसकी चूची के ऊपरी भाग में मालनी शुरू कर दी ...

बहुत रोमांचित अनुभव था ....एक पब्लिक प्लेस में ..मेरे सामने ...मेरी सेक्सी बीवी टॉपलेस खड़ी थी ..

और एक अनजान लड़का उसकी नंगी चूचियों पर क्रीम लगा रहा था ....मेरी बीवी क्रीम लगवा भी रही थी और शरमा भी रही थी ....

जूली: अह्हाआ क्या कर रहे हो .... क्यों यो ओ ???

लड़का: अरे मैडम जी नई ब्रा है ..... और ये विदेशी कपडे की है ....आपकी इतनी मुलायम त्वचा को कोई नुक्सान ना हो इसीलिए ये लगा रहा हूँ ...

जूली: ओह ठीक है ....

बस इतना सुनते ही उस लड़के हाथ अब पूरी चूची पर चलने लगे ....

जूली: अहा धीरे धीरे .....

जूली ने अपने चूतड़ मेज पर टिकाकर अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया ...

इस अवस्था में जूली की दोनों चूची और भी ज्यादा ऊपर उठ गई ....

उस लड़के ने अब अपने दोनों हाथों में क्रीम ले ली ...
और जूली की दोनों चूची अपने हाथों में ले मलने के वहाने से मसलने लगा ....

जूली ने अपनी आँखे बंद कर ली थी ...और उसने मुह से हलकी सिसकारी भी निकल रही थी ...

साफ़ लग रहा था ...जूली को बहुत आनंद आ रहा है ...

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08-01-2016, 06:49 PM,
#20
RE: मेरी बेकरार वीवी और मैं वेचारा पति
मैं खुद को पूरी तरह से छुपाये हुए जूली की रासलीला देख रहा था ......

जूली को देखकर कतई ये नहीं लग रहा था कि वो परेशान हो रही हो या उसको किसी का डर हो ...

उसकी बंद आँखों और मुँह से निकलती हलकी आहों से यही प्रतीत हो रहा था कि उसको मजा आ रहा है .....

जूली : अहाआआ क्या कर रहे हो ..बस्स्स्स्स ना 

लड़का: हाँ मेडम जी बस हो ही गया ...आप ये वाली क्रीम ले लेना ...इससे बॉडी चमाचम हो जाती है और नए कपडे से को निसान भी नहीं पड़ता ...

उसने जूली के चारों ओर ब्रा वाले भाग पर क्रीम मलते हुए ही बोला .....

अब लड़के का हाथ उसकी चूची से फिसलता हुआ नीचे उसके समतल पेट पर था ....

उसने पूरे पेट पर मालिस करने के बाद उसकी सबसे खूबसूरत और गहरी टुंडी में अपनी ऊँगली दाल दी ...

जूली: अहाआआआआआआ इइइइइइइइइइइ 
जूली ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया....

लड़का: अर्र्र्र्र्रीईईए मैडमजी इसको चमका रहा हूँ ......

जूली: बस्स्स्स्स्स्स्स अब रहने दो ... मैं पहन कर बताती हूँ कि सही है या नहीं ....

लड़का ने जबरदस्ती अपना हाथ छुड़ाते हुए.... अपने बाएं हाथ से जूली का हाथ पकड़कर अपना सीधा हाथ आगे से उसकी कैप्री में डालने का प्रयास करने लगा ..

जूली: ओह नहीईईईईईईईई ये क्या कर रहे हो ...वहां नहीं ........

लड़का: अरे क्या मैडम जी आप ऐसा क्यों कर रही हो ..यहाँ कोई नहीं आएगा ....

उसने थोड़ा और जोर लगाकर अपना हाथ कुछ इंच और उसकी कैप्री में अंदर को सरका दिया ...

एक तो पहले से ही जूली ने अपनी कैप्री अपनी टुंडी से काफी नीचे पहनी थी ....और इस समय उस लड़के का हाथ करीब ५-६ इंच तो उसकी कैप्री में था ...

मेरे हिसाब से उसकी उँगलियों का अगला भाग जूली की चूत के ऊपरी हिस्से तक तो पहुंच ही गया था ...

और ये भी पक्का था कि बो नंगी चूत को ही छू रहा होगा ///क्युकि जब हम ऊपर से हाथ घुसाते हैं तो हाथ कैप्री एवं कच्छी के भी अंदर गया होगा ...

परन्तु आज शायद जूली पूरे मूड में नहीं थी ..उसने अपना दूसरे हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया और जोर लगाकर अपनी कैप्री से बाहर खीच लिया ...

जूली: मैंने मना किया न ..... मैं केवल ब्रा चेक करुँगी ...बस पैंटी घर जाकर चेक करके बता दूंगी ...यहां नहीं ..

लड़के का मुँह देख लग रहा था जैसे उसके हाथ से ना जाने कितनी कीमती चीज छीन ली गई हो ...

जूली: ओह ज़मील आज मुझे जल्दी जाना है .... फिर कभी तुम घर आकर आराम से चेक कर लेना .... 

और जूली ने झुककर उस लड़के के मुँह पर चूम लिया ..

बस अब तो जमील की प्रसन्नता का गुब्बारा फट पड़ा..

उसने जूली को कसकर अपनी बाँहों में भर लिया ... 

उसने अपनी कमर जूली के चूत वाले भाग पर घिसते हुए ही बोला ....

लड़का: मैडम जी कल से आपकी याद में मेरा लण्ड खड़ा ही है ...ये साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा ...

साफ़ लग रहा था कि वो अपना लण्ड जूली कि चूत पर रगर रहा था ...चाहे कैप्री के ऊपर से ही ...

लड़का: मैडमजी जब से आपकी इतनी प्यारी चूत देखी है .... मेरा लण्ड ने तो जिद्द पकड़ ली है कि एक बार तो वहां जरूर जाऊँगा ...

जूली: ओह छोडो ना 

लड़का[Image: frown.gif] उसको और कसकर चिपकते हुए ....) सच मेमशाब मैंने पूरी जिंदगी इतनी प्यारी और चिकनी चूत नहीं देखी ....

यहाँ बाहर मेरे यहाँ ६-७ लड़कियां काम करती हैं मैं सबको यहीं कई बार चोद चुका हूँ ...

मगर सबकी चूत आपकी चूत के सामने बिलकुल बेकार है ....

सच कहूँ कल एक बार आपकी चूत छूने से ही मेरा पानी निकल गया था ...

और आपके पति भी कितने अच्छे हैं उन्होंने खुद अपने हाथो से मेरे को मजा करवाया ...

जूली: ओह नहींंंंंंं 

लड़का: अहा हा ह्ह्ह्ह्ह्ह सही मैडम जी ...मैंने ३-४ शादीसुदा को भी चोदा है और मेरी दिली इच्छा थी कि काश मैं उनको ..उनके पति के सामने चोदूँ ....

पर वो सभी ना जाने क्यों डरती हैं ....सुसरी चुद्वाते हुए तो खूब आवाज करेंगी पर पति से कहने से भी डरती हैं ...

पर आप एक दम अलग हो आप तो अपने पति के सामने ही मजा करती हो ....

आपको तो भाई शाब के सामने ही चोदूंगा ....

तभी अचानक जूली ने उसको कसकर धक्का दिया ...वो पीछे को हो गया ...

जूली: बस बहुत हो गया ... अब मुझे जाने दो ...
और हाँ वो मेरे पति नहीं थे समझे ....
तुम अपना काम करो .... मैं ऐसी वैसी नहीं हूँ ...

लड़का: ओह सॉरी मैडम जी ....वो मैं समझा इसीलिए .. इसका मतलब ......

जूली ने जल्दी से अपनी शर्ट पहनी ओर ...जल्दी जल्दी वहां से वाहर निकल गई ....

मैं और वो लड़का भौचक्के से उसको जाता देखते रह गए ...

कि अचानक ये हुआ क्या ????????????


[b]मैं वहां खड़ा अभी जूली के बारे में सोच ही रहा था ,,,कि ये अचानक उसको क्या हुआ ....

वो चुदवाने को मना तो कर सकती थी ...मगर इस तरह ...अपने नए वाले कच्छी, ब्रा भी छोड़कर यूँ भाग जाना ....

जरूर कोई बात तो है ....

मैं वहां से निकल ...जूली के पीछे जाने की सोच ही रहा था ...और उस लड़के जमील के हटने का इन्तजार कर रहा था ....कि .........

लगता था कि जमील कुछ ज्यादा ही गर्म हो गया था ...उसने अपना लोअर नीचे कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया ....

उसका लण्ड कुछ बहुत ही अजीव सा था .... ६-७ इंच लम्बा और शायद २.५ से ३ इंच मोटा ...पर उसका सुपाड़ा बहुत खतरनाक था ...एक तो मुस्लिम लण्ड की तरह बिलकुल खुला और बहुत मोटा ...

मुझे लगा की इसके लण्ड का ये अगला भाग ...अच्छी अच्छी चूतों की चीख निकाल देता होगा ...

और खास बात ये थी कि लण्ड बहुत अजीव कर्व लिए था ...एक दम सीधा नहीं था ....

तो इस समय वो अपने लण्ड को सहलाते हुए ही बात भी कर रहा था ... जैसे उसको समझा रहा हो ...

लड़का: ओह मेरे यार मैं क्या करूँ ...साली, अच्छी खासी पट गई थी .... मगर ना जाने क्या हुआ ...पुछ मान जा ...फिर किसी दिन दिलाऊंगा ....

मैं अभी ये सोच ही रहा था ....कि क्या जूली को उसके इस भयंकर लण्ड का आभास हो गया था ... जो वो ऐसे भाग गई .....

कि तभी उस लड़के और मेरी नजर एक साथ ही सामने एक परदे पर पड़ी .....

वहां एक लड़की जो शायद उसी दूकान पर काम करती थी ...दिखी..जो छुपकर, जाने का प्रयास कर रही थी ...

लड़का: ऐ एएए शवाना...इधर आ .....तू क्या कर रही है ...यहाँ ......

मैं स्थिति को समझने का प्रयास कर ही रहा था .... और ये भी सोच रहा था .. कि उस लड़के के पास आ गई थी ...

मगर वो अभी भी लण्ड को अपने हाथ से पकडे उससे बात कर रहा था ...उसने अपना लण्ड अभी तक लोअर के अंदर नहीं किया था .....

शवाना: वो सर मैं तो आपको ये ढूंढ रही थी ये सामान दिखाना था ... उसके हाथ में दो ब्रा थीं .....

शवाना कोई ५ फुट छोटे कद की, पतली दुबली ...सांवले रंग की थी .... उसके पहनावे और मेकअप से लग रहा था कि वो एक गरीब परिवार की होगी ..

उसने एक सस्ती सी झीनी काले रंग की कुर्ती और सफ़ेद टाइट पजामी पहनी थी ... कुर्ती से उसकी ब्रा साफ़ दिख रही थी ...

उसने अपने कंधे तक के बालों को खुला छोड़ रखा था ...जो कुछ बिखरे हुए भी थे .....

उसकी चूचियाँ तो कुछ खास नहीं थीं ..कुर्ती से हलकी सी ही उभरी हुई दिख रही थीं ...

मगर हाँ उसकी गांड काफी उभरी हुई दिख रही थी ...जो उसके पूरे शरीर का सबसे आकर्षक भाग था ..

तभी ............

रिंग टोन $$$$$$$$$$$$$
वहां एक मोबाइल बजता है 

लड़का: रुक तू अभी ....ये तो उसी का फोन है ....

हाँ मैडमजी क्या हुआ आप इतना नाराज क्यों हो गई ...अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो माफ़ कर दो ... अपना सामान तो ले जाती ....

.............ओह ये तो जूली का ही फोन था ..... मैंने रात को अपने वॉयस रिकॉर्डर से जान लिया था ...कि जूली ने उससे क्या बात करी थी ...जो यहाँ बता रहा हूँ ...

जूली: अरे मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ .....वो वहां कोई खड़ा था ना ...इसलिए मैं आ गई .... मुझे बहुत शर्म आ रही थी ...वहां ...

लड़का: अरे मैडम जी ये कोई नहीं ...शवाना ही थी ..आप ही के कपडे लेकर आई थी ..... ये यहाँ सिलाई का काम करती है ...
इससे न डरो .... आप आ जाओ ...

जूली: अरे नहीं अब नहीं और वहां मुझे अच्छा नहीं लगा ...तुम्हारे यहाँ एक चेंज रूम भी होना चाहिए ना ..

लड़का: अब क्या करूँ मैडम जी ...वो हो ही नहीं पाया ..मगर आप डरो नहीं ..यहाँ कोई नहीं आता ..केवल यही सब ही आती हैं... बस ...

जूली: छोड़ो ये सब तुम ऐसा करना, मैं बता दूंगी ...मेरे घर ही भिजवा देना ...या खुद ही ले आना ..मैं वहीँ चेक करके बता दूंगी ....

लड़का: ठीक है मैडम जी बताओ .. कहाँ????.........मैं अभी आ जाता हूँ ....

जूली: अरे अभी तो नहीं ... मुझे अभी बाजार में ही काम है ... और फिर इनके ऑफिस जाना है ...
फिर १-२ दिन में बता दूंगी ....

लड़का: ओह मैडम जी ...ये तो बहुत बुरा हुआ ....इस शाली की वजह से ... वो शवाना को बालों से पकड़ अपने लण्ड पर झुका देता है .... जो फिर से तन गया था ...

और इस समय कहीं ज्यादा भयंकर हो गया था .... ये शायद जूली की सेक्सी आवाज के कारण हुआ था ...

शवाना भी उसके लण्ड को अपने हाथ से पकड़ झुक ....उसको पुचकारने लगती है ....

मैं उस लड़के की किस्मत पर रस्क करने लगता हूँ ...कि क्या किस्मत है साले की ...

अभी कुछ देर पहले मेरी बीवी के मम्मो को मसल रहा था ...और अब इस लड़की से अपना लण्ड चुसवा रहा है ....

शवाना कि पीठ मेरी ओर थी ...जब वो झुकी तो उसकी कुर्ती उसके मोटे चूतड़ों से ऊपर सरक गई ...

ओह माय गॉड ....उसके विशाल चूतड़ केवल सफ़ेद टाइट पजामी में मेरे सामने थे ....

उसके चूतड़ उसकी उस इलास्टिक वाली पजामी में नहीं समां रहे थे ... 

उसके झुकने से उसकी पजामी उसके चूतड़ों से काफी नीचे को फिसल रही थी जिससे उसके चूतड़ों का ऊपरी हिस्सा ...और चूतड़ों कि दरार तक साफ़-साफ़ दिख रही थी ...

उसने एक काली कच्छी भी पहनी थी ...जो पूरी साफ़ उसकी पजामी से दिख रही थी ...

लेकिन उसकी कच्छी बहुत पुरानी थी ...जिसकी इलास्टिक तक ढीली हो गई थी ...

जो उसकी पजामी के साथ ही नीचे को सिमट गई थी ...

इस सेक्सी दृश्य को देख मैं जूली को भूल गया .... सोचा उसको तो बाद में भी देख लेंगे ...पहले इसको ही देखा जाये ....

लड़का अपना लण्ड चुसवाते हुए ...जूली से अभी भी बात कर रहा था ....

लड़का: क्या मैडम जी आप तो मेरा खड़ा करके भाग गई ...अब मैं क्या करूँ....

जूली: तुम पागल हो क्या ? इसमें मैं क्या कर सकती हूँ ...वो तुम समझो ...

मुझे मेरे कपडे चाहिए बस ...बाकि अपना जो भी है वो तुम जानो ...हे हे हे हे हा हा 

लड़का: मैडम जी ऐसा ना करो .....

जूली: अच्छा ठीक है फिर बात करती हूँ ...अभी तुम अपना काम करो ...बाई बाई ...

लड़का: ओह नहीईईईईईई मैडम जी ...ये क्या ...

और वो गुस्से में ही ...उस बेचारी शवाना पर टूट पड़ता है ....

लड़का: चल सुसरी तेरी वजह से आज एक प्यारी चूत निकल गई ... चल अब तू ही इसे शांत कर ...

वो उसको उसी मेज पर झुकाकर ...उसकी पजामी एक दम से नीचे खीच देता है ....

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