बॉयफ्रेंड ने मुझे शादी का झांसा देकर चोदा
05-18-2017, 09:32 PM,
#1
बॉयफ्रेंड ने मुझे शादी का झांसा देकर चोदा
हेल्लो दोस्तों, मैं शेफाली कौल आप सभी का नॉन वेज स्टोरी में स्वागत करती हूँ। आज मैं आपको अपनी सुपर डुपर सेक्सी कहानी सुनाने जा रही हूँ। मैं ललितपुर (यू पी) की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र इस समय 26 साल की है। मैं बहुत खूबसूरत हूँ और मेरा जिस्म बिलकुल भरा हुआ है। मेरी फिगर ३०, ३६ २८ का है। मैं बहुत गोरी और सेक्सी लड़की हूँ। मेरी जवानी और खूबसूरती के चर्चे सब तरफ है। कई लड़के मुझे चोदने की इक्षा रखते है। मेरा कद ५ फिट ६ इंच है।

मैं एक एक्सपोर्ट हाउस में सिलाई का काम करती थी। यहाँ पर 300 से जादा लड़के लड़की सिलाई का काम करते थे। कपड़े को सीकर यहाँ से कपड़े विदेश निर्यात किये जाते थे। ये एक्सपोर्ट हाउस बहुत बड़ा था। यहाँ पर मैं कई सालो से काम कर रही थी। पिछले साल 2016 के मई महीने में मेरी मुलाकात धर्मराज से हो गई। वो भी ललितपुर से ही था और एक्सपोर्ट हॉउस में वो भी सिलाई का काम करता था। वो मेरे बगल वाली मशीन पर बैठकर काम करता था। धर्मराज देखने में भी काफी अच्छा था। धीरे धीरे मेरी उससे दोस्ती बढ़ने लगी और कब दोस्ती प्यार में बदल गयी, पता ही नही चला। एक दिन उसने मुझे एक्सपोर्ट हॉउस में स्टोररूम के पास पकड़ लिया और किस करने लगा।

मैं भी उससे प्यार करने लगी थी इसलिए मैंने भी धर्मराज को कुछ नही कहा। उसने काफी देर तक मुझे किस किया और मेरे ताजे ताजे गुलाब जैसे ओंठ उसने खूब चूसे। धर्मराज हमेशा कहता था की वो ललितपुर के किसी गाँव का रहने वाला है। वो एक्सपोर्ट हाउस के पास ही किराए पर कमरा लेकर रहता था। धीरे धीरे मैं धर्मराज के कमरे पर भी जाने लगी।

"शेफाली...आज मेरे कमरे पर चलेगी???" धर्मराज बोला

"नही...मुझे शर्म आती है। वहां पर तुम्हारे रूम पार्टनर भी होंगे!!" मैंने कहा

"पगली..आज कोई नही है..चल ना" धर्मराज बोला तो मैंने उसके साथ उसके कमरे पर चली गयी। उसका कमरा एक घनी बस्ती में था। धर्मराज ३००० रूपया महिना किराया देता था। उसके साथ में एक लड़का 'बब्लू' और था। पर आज वो नही था। कुछ देर तक मैं उसके कमरे में शांत होकर बैठी रही, फिर धीरे धीरे मेरा आशिक, मजनू और मेरा बॉयफ्रेंड धर्मराज मेरे पास आ गया और मुझे छूने लगा। मैं भी चुदवाने के मूड में थी और इसलिए मैं भी तैयार हो गई, पर पहले मैं अपने बॉयफ्रेंड धर्मराज को थोडा छेड़ना चाहती थी। धीरे धीरे उसने मुझे बाहों में भर लिया और किस करने लगा। उसने मेरे रसीले मम्मो पर हाथ रख दिया और जोर जोर से दबाने लगा।

धर्मराज का मुंह मेरे मुंह से पूरी तरह से सटा हुआ था, वो मेरे ताजे ताजे होठ मजे से पी रहा था। जब धर्मराज ने मेरे दोनों टमाटर जी भरकर चूस लिए तब चूत मांगने लगा।

"ऐ शेफाली ..चूत दे ना!!" धर्मराज बोला

'नहीं.." मैंने कहा

"बड़ा मन कर रहा है...दे ना चूत!!.देख कितना अच्छा मौसम है" धर्मराज बोला

"नही..शादी से पहले चूत नही मिलेगी" मैंने कहा

"मूड ख़राब मत कर जान...देख मेरा लंड कितने देर से खड़ा है" धर्मराज बोला और उसने मेरा हाथ खीचकर अपनी पेंट में लगा दिया। उसका ६" मोटा लंड किसी गुस्साए सांप की तरह सिर उठा रहा था। बार बार मेरा बॉयफ्रेंड मुझसे चूत मांग रहा था। मैंने उसे काफी देर टहलाया। इधर उधर के बहाने मारती रही, पर मैंने उसे चूत नही दी।

"पहले मुझसे शादी कर उसके बाद ही मैं तुमको चूत दूंगी!!" मैंने कहा

"शेफाली..क्या तुझे मुझ पर विश्वास नही है??..क्यों तू सोचती है की मैं तुझे चोद खा लूँगा और तुमसे शादी नही करूँगा!" धर्मराज बोला

"तेरे पर भरोसा है!" मैंने कहा

"तो फिर.चूत दे ना। मैं अपनी माँ की कसम खाकर कहता हूँ मैं तुमसे ही शादी करूँगा" धर्मराज बोला

कुछ देर बाद मैं भी तैयार हो गयी। क्यूंकि मैं २५ साल की हो चुकी थी, पर आज तक एक बार भी नही चुदी थी। मेरा भी चुदवाने का और रसीली चूत में लंड खाने का बहुत मन था। इसलिए मैं मान गयी। धीरे धीरे मुझे बड़े प्यार से चुमते हुए उसने मेरा सलवार सूट निकाल दिया, फिर मेरी ब्रा और पेंटी भी धर्मराज ने उतार दी। मुझे खटिया पर लिटा दिया। दोस्तों, आपको जानकर हैरत होगी की आजकल कुछ ही लोग खाट का इस्तेमाल करते है, और मेरा आशिक भी खाट पर ही सोता था। उसने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया और खुद भी नंगा होकर मेरे उपर लेट गया और मेरे ३६" के मम्मे पीने लगा। आह .दोस्तों, आज पहली बार कोई मेरे दूध और चुच्ची को पी रहा था।

धर्मराज बड़े मजे से चू चूं की आवाज करता हुआ मेरी बड़ी बड़ी छाती को मुंह में लेकर ऐसे चूस रहा था, जैसे मैं कोई उसकी बीबी हूँ। मेरे टमाटर काफी बड़े थे और बड़े मुलायम और बेहद खूबसूरत थे। एक हाथ से धर्मराज मेरे बूब्स को कसकसकर दबा रहा था, तो दूसरे बूब्स को मुंह में लेकर मजे से चूस रहा था। ऐसा लग रहा था की वो मेरा सारा दूध ही पी जाएगा। फिर वो मेरा पेट चाटने लगा। मेरा फिगर तो काफी सेक्सी और छरहरा था। एथलेटिक टाइप का बदन था मेरा। कुछ देर बाद मेरा आशिक और बॉयफ्रेंड धर्मराज मेरी सफ़ेद भरी हुई गोरी गोरी जांघो को चूमने लगा और हाथ से सहलाने लगा। कुछ देर बाद मेरी चूत पूरी तरह से सक्रिय हो गयी और गीली हो गयी।

मेरी गुलाबी चूत से उसका अमृत रस बहने लगा। मैं अब पूरी तरह से अपने आशिक ने चुदने को तैयार थी। वो मेरी रसीली चूत पर पहुच गया और मेरी बुर मजे से पीने लगा। धीरे धीरे मैं और..और जादा गर्म होने लगी। मैं बार बार अपनी कमर और गांड उठा रही थी। धर्मराज मजे से मेरी चूत की एक एक फांक मजे से पी रहा था। मुझे भी इस सबमे बहुत मजा मिल रहा था। आज पहली बार कोई लड़का मेरी चूत इतनी अच्छे तरह से पी रहा था। फिर धर्मराज ने अपना मोटा लंड मेरी बुर में डाल दिया और मजे से मुझे चोदने लगा। मैं अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह.. उ उ उ..करने लगा। मेरी पतली कमर को पकड़ कर धर्मराज मेरी रसीली बुर में जल्दी जल्दी लंड अन्दर बाहर करने लगा और मुझे चोदने लगा।

मैंने उसकी नंगी पीठ को दोनों हाथों से पकड़ लिया और कस कसके मजे लेकर चुदवाने लगी। वो मेरी भरी हुई बुर को अच्छे से चोद रहा था। अई.अई..अई..अई, इसस्स्स्स्स्स्स्स् उहह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह की तेज आवाजे मैं बार बार निकाल रही थी। मेरे कुवारे होठ धर्मराज बड़े कायदे से चूस रहा था और मेरी चूत में बार बार अपना लंड उतार रहा था और मुझे चोद रहा था। मैं चुद रही थी और बहुत जादा कामुकता महूसस कर रही थी। और धर्मपाल एक दुसरे की आँखों में एक दूसरे को देख कर कर सम्भोगरत थे और जवानी का मजा उठा रहे थे। मेरी रसीली योनी में बड़ा मीठा मीठा अहसास हो रहा था। कुछ देर बाद मेरे आशिक धर्मराज का माल गिरने वाला था। उसका बदन एठने लगा तो मैं जान गयी की उसका लौड़ा माल गिराने वाला है। धर्मराज बहुत जादा गर्म हो गया और जोश में आ गया। उसने मुझे कसकर दोनों कंधे से पकड़ लिया और किसी रंडी की तरह फट फट करके चोदने लगा। अचानक उसने अपनी चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी, और बड़ी जल्दी जल्दी मेरी बुर चोदने लगा। कुछ देर बाद वो स्खलित हो गया और अपना माल उसने मेरे गुलाबी भोसड़े में ही छोड़ दिया। उसके बाद हम दोनों किस करने लगे। मैं शाम तक धर्मराज के कमरे पर रुकी और ३ बार उसने मुझे चोदा।

धीरे धीरे मेरा उससे प्यार बढ़ने लगा। हर दिन हम हम दोनों एक्सपोर्ट हाउस में आते तो एक दूसरे को आँखों ही आँखों में हाय कहते। हम चुपके चुपके प्यार करते पर किसी से कहते नही थे। मैं नही चाहती थी की वहां के दूसरे लडको को पता चले की मैं धर्मराज से प्यार करती हूँ और उससे शादी करने वाली हूँ। एक दिन मेरी माँ ने मुझे धर्मराज के साथ मार्केट में घूमते देख लिया।

"बेटी शेफाली..तेरा उस लड़के से इतना मिलना जुलना सही नही!!" माँ बोली

"माँ..वो मुझसे प्यार करता है..मुझसे ही शादी करगा" मैं कहा

"बेटी..तुम लोग के बीच कुछ हुआ तो नही?" माँ ने पूछा

"नही..मैंने उसे खुद को नही छूने दिया" मैंने कहा

मैं अपनी माँ की बात अच्छे से समझ रही थी। माँ पूछ रही थी की कहीं मैं अपने प्रेमी और बॉयफ्रेड धर्मराज से चुदवा तो नही लेती हूँ। तो मैंने साफ़ साफ़ नही बोल दिया। पर असलियत में मेरा बॉयफ्रेंड कई बार मुझे अपने कमरे पर ले जाकर चोद चूका था। अगले दिन धर्मराज फिर मुझे अपने कमरे पर ले गया। इधर मेरा भी कई दिनों से चुदवाने का बड़ा दिल कर रहा था। एक बार चूत में लंड खाने के बाद तो मुझे धर्मराज और भी जादा अच्छा लगने लगा था। वो बहुत मस्त ठुकाई करता था। पिछली बार की चुदाई याद कर करके तो मुझे अंगडाई सी आ रही थी। हम दोनों से अपने अपने कपड़े निकाल दिए और नंगे हो गये।

इस बार धर्मराज मुझे पीछे से घोड़ी बनाकर चोदना पेलना चाहता था। उसने मुझे मेरे दोनों हाथो और घुटनों पर घोड़ी बना दिया और मैंने अपना सफ़ेद गोरा पिछवाडा पीछे किसी ऊंट की तरह उपर उठा दिया। धर्मराज मेरी चिकनी गांड और सफ़ेद गुलाबी चूतडों को देखकर मोहित हो गया और जीभ लगाकर मेरे चुतड चाटने लगा। वो बार बार मेरी गांड पर हाथ लगाकर बेहद कामुक अंदाज में सहला रहा था। फिर धर्मराज पीछे से सिर झुकाकर मेरी चूत पीने लगा। कुछ देर बाद उसने मेरा लंड एक बार फिरसे मेरी चूत में डाल दिया और बेहद नशीले धक्के मारने लगा। आज मैं घोड़ी बनकर अपने आशिक से चुदवा रही थी। हम दोनों की अभी शादी नही हुई थी, पर मैं उसके साथ सारे काण्ड कर चुकी थी और कई बार चुद चुकी थी।

शादी से पहले ही मैं अपने प्रेमी धर्मराज के साथ सुहागरात मना चुकी थी। उस दिन धर्मराज ने मुझे घोड़ी बनाकर ढेड़ घंटे तक बिलकुल नंगा करके चोदा। और मेरी दहकती बुर में लंड डालता रहा। फिर वो झड गयी। उसके बाद उसने मेरी गांड मारी। दोस्तों, आज तक मेरी गांड कुवारी थी, अनचुदी थी, पर आज तो मेरे बॉयफ्रेंड से मेरी कसी गांड को भी माफ़ नही किया। मैं दर्द से आआआआअह्हह्हह. अई.अई.. .ईईईईईईई..करती रही पर धर्मराज लगातार बिना रुके नॉन स्टॉप मेरी गांड चोदता रहा। मुझे बहुत दर्द भी हो रहा था, पर आधे घंटे बाद मेरी गांड का छेद बहुत बड़ा हो गया और मैं मजे से गांड चुदवाने लगी। उस दिन भी मेरे बॉयफ्रेंड से मुझे कई बार चोदा। अब तो मैं उससे और जादा प्यार करने लगी थी। मेरी सेक्स और वासना पूरी तरह से जाग गयी थी। बिना लंड के अब मेरा काम नही चलता था। साफ साफ कहूँ तो मुझे सेक्स की लत लग चुकी थी। मैं पूरी तरह से धर्मराज पर विश्वास करने लगी थी।

शाम को जब हमारी सिफ्ट खत्म होती तो मैं अपने बॉयफ्रेंड धर्मराज के साथ उसके कमरे पर चली जाती और रात भर खूब चुदवाती। कुछ दिन बाद तो मेरा उसके बिना काम ही नही चलता था। धर्मराज ने अपने रूमपार्टनर को हटा दिया और अब मैं उसके साथ ही लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगी। हम लोग पति पत्नी की तरह ही अब रहने लगे। हम लोग रात रात भर सिर्फ और सिर्फ चुदाई करने लगे। मेरा बॉयफ्रेंड धर्मराज भी 26 साल का था, इसलिए हम लोग हम उम्र थे और हम दोनों में बहुत गर्मी थी। सारी सारी रात वो मुझे नंगा ही रखता था और मेरी चूत मारता और घिसता रहता था। ६ महीनो में धर्मराज ने मुझे इतना चोद डाला की मेरी चूत पूरी तरह से फट चुकी थी और देखने में किसी रांड की चूत लगती थी। मैं सुबह उठकर अपने आशिक धर्मराज के लिए खाना बनाती थी और उसे अपने हाथों से खिलाती थी। इस तरह उसके साथ में लिव इन रिलेशनशिप में रहते रहते मुझे पूरा एक साल हो गया।

"धर्मराज..तुम कब मुझसे शादी करोगे???" मैंने एक दिन झल्लाकर पूछा

"शेफाली...बस कुछ दिनों में मेरी बहन की शादी होने वाली है, उसके बाद मैं तुरंत घर पर जाकर अपने घर वालो को तुम्हारे बारे में बता दूंगा और तुमसे शादी कर लूँगा। मेरे घर वाले बहुत अच्छे और बहुत सीधे है" धर्मराज बोला

मैंने उसकी बात का फिरसे विश्वास कर लिया। उस रात उसने मुझे पूरी तरह से नंगा कर लिया और अपने लंड पर बैठकर चुदवाने लगा। धीरे धीरे मैं भी इस तरह धर्मराज के लंड पर बैठकर चुदवाना सीख गयी। मैं उसके मोटे लौड़े को चूत में लेकर तेज तेज धक्के मारने लगी। आआआआआहहहह. इस तरह मैं पहली बार चुद रही थी। सच में बहुत मजा मिल रहा था। धर्मराज मेरी कड़क निपल्स को अपनी उँगलियों से मसल रहा था और मजे मार रहा था। उसने मेरे ३६" के भरे भरे दूध को अपने हाथ में ले रखा था और तेज तेज दबा रहा था, दूसरी तरफ मैं खुद ही अपनी कमर मटका मटकाकर धर्मराज के लौड़े पर उछल उछलकर चुदवा रही थी। इस तरह मेरे बॉयफ्रेड से मुझे सारी रात लंड पर बिठाकर चोदा।

कुछ दिन बाद उसने मुझे कहा की वो गाँव जा रहा है। उसकी बहन की शादी हो रही है। धर्मराज अपने गाँव चला गया। वहां से उसने फोन किया की उसकी बहन की शादी के लिए कुछ पैसे कम पढ़ गए है इसलिय मैं उसे १ लाख रूपए उसे बैंक में लगा दूँ। मैं सोचा की उसकी बहन तो मेरी होनी वाली नन्द लगी, मुझे धर्मराज की मदद करनी चाहिए, इसलिए मैंने अपनी सारी कमाई सारे पैसे जो मैंने सिलाई करके बड़ी। मेहनत से जमा किये थे, धर्मराज के बैंक एकाऊंट में लगा दिए। उसके बाद से आजतक वो मुझे नही मिला। उसने मुझे कई साल शादी का झांसा देकर चोदा भी और मेरी सारी जमा पूंजी लेकर गाजब हो गया। उसने एक्सपोर्ट हाउस की नौकरी भी छोड़ दी। मुझे पूरा विशवास है की अब वो किसी नयी फ्रेश माल को पटाकर चोदता होगा, उसे भी शादी का झांसा देता होगा, जैसा उसमे मेरे साथ किया। ये कहानी आप नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
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