RE: बाप बेटी की कहानी - पापा की हेल्पिंग बेटी
पापा का लंड पाकरे पाकरे मैं पापा के सीने के ऊपर हो कर अपने पापा को किस करने लगी. पापा आँखें बूँद किए लेते थे. मैं ने पापा के लिप्स अपनी लिप्स मिला कर खूब किस करने लगी. फिर पापा की आँखो, गालों और नेक पेर किस करती रही. पापा ने अपने एक हाथ बघल के नीचे डाल कर मुहज़े अपने साथ ज़ोर से चिमटा लिया. किस्सिंग करते करते मैं ने पापा से पूछा:
"पापा मैं कैसी लगती हूँ आप को?"
"बहुत पियरी, बहुत खूबसूरत" पापा ने जवाब दिया.
"आप कितना प्यार करते हैं मुझसे, पापा?"
"मेरी बेटी बहुत ही प्यारी हे और मैं अपनी बेटी से बहुत ज़ियादा प्यार कर्ता हूँ"
"पापा आप अब मुझे बेटी वाला प्यार ज़ियादा कराईं गे, या ये सेक्स वाला?"
"यह सूब तुम क्यूँ पूच रही हो जानू"
"बताएँ ना पापा…"
"मेरे और तुम्हारे डर्मायाण असल रिश्ता तो बाप बेटी का ही हे, जिस के नाते मैं अपनी बेटी को जान से भी ज़ियादा प्यार करता हूँ" पापा कहते जा रहे थे .. "तुम मेरी ज़िंदगी हो बेटी, बोहट ही प्यारी, और इतनो हसीन और मासूम के बता नही सकता. बाप बेटी होने की वजह से हमारे बीच जो कुत्छ भी हुआ, वो घालत हुआ. गुनाह हुआ. लेकिन जो कुछ भी सेक्षुयली हमारे बीच हुआ, वो सेक्स की भूक की वजह से हुआ. इंसान कमज़ोर होता है. मैं एक साल से सेक्स नही कर सका था. सेक्स की शिद्दत और डिमॅंड मेरे जिसम के अंदर आग लगा रही थी. मैं सेकेंड मॅरेज कर सकता था, मगर इस लिये नही काइया के उस की वजह से मेरी बेटी की लाइफ पेर बुरा असर होता." पापा तोरा साँस लेने को रुके, फिर कहने लगे ..
"बेटी जो कुछ भी हमारे बीच हुआ, वो बिल्कुल अचानक और आक्सिडेंट्ली हो गया. ना मैं नंगा हो के अपने लंड की मुथि लगा रहा होता, ना तुम डर कर अचानक पापा के बेडरूम मैं एंटर होतीं, ना मुझे इस हालत मैं देख कर तुम्हारी जज़्बात भरकते. खैर अब तो जो होना था वो हो गया … मैं अपनी जानू को बेटी और सेक्स लवर दोनो तरह प्यार करता हूँ. आस आ सेक्स लवर, तुम बे हुड मज़ेदार चीज़ हो. मेरी बेटी का जिसम बिल्कुल बटर जैसा चिकना और सॉफ्ट हे. तुम से ज़ियादा मज़ा मुझे छोड़ने का कभी नही आया – तुम्हारी मम्मी के साथ भी नही."
"पापा अब आप ऐसे ही करते रहें गे ना मेरे साथ? मैं आप से प्रॉमिस करती हूँ के कभी भी किसी को मेरे आप के इस रीलेशन के बारे मैं नही बताऊँगी. आप को एक आक्ची बेटी का प्यार भी दूँगी, और एक सेक्स-लविंग वाइफ का प्यार भी दूँगी." मैं कहती गई --- "पापा जब आप का दिल करे, मुझे छोदान. और जिस तरह भी आप का दिल करे, आप मुझे छोदान. मेरा पूरा जिसम आप के लिये हे पापा. मेरे मुँह मैं लंड डाल कर चोदे, या मेरी चूत को चोदे, या मेरे जिसम से खेलें. मैं आपको पूरा एंजाय करावाऊंगी."
यह कहते हुआी मैं ने पापा का लंड ज़ोर से अपनी मुथि मे भींच लिया. पापा की सिसकारी निकल गई. पापा का लॉरा काउ की नुल्ली की तरह सख़्त हो रहा था.
"पापा, बोहट सख़्त और मोटा लंड हे आप का, तभी तो मेरी चूत मैं जा कर फँस गया था. मैं तो दर गई थी के अब कभी बाहर निकले गा ही नही, और हमे इसी हालत मैं डॉक्टर के पास जाना परे गा."
पापा मेरी बात सुन कर हंस परे.
"पापा चूसूं आप का लंड?"
"जानू, पापा का लंड तुम्हारे हाथ मैं है, जो जी चाहे करो!"
पापा बिल्कु सीधे लेते हुआी थे और उनका लंड बिल्कुल स्ट्रेट सीलिंग की तरफ मुँह किये तना हुआ खरा था. मेरा दिल चाहा के पापा के इतने हसीन लंड पे, के जिस की पर्पल टोपी से चिकना चिकना पानी निकल रहा था, मैं अपनी चूत रख के बैठ जौन. लेकिन टाइयर्डनेस की वजह से हिम्मत नही हो रही थी. मैं ने लेते ही लेते पापा के ऊपेर आ कर अपनी टांगायन पापा के मुँह की तरफ करते हुआी पापा के लंड की टोपी को अपने मुँह मैं ले कर चूसना शुरू कर दिया. पापा के लंड का चिकना चिकना ट्रॅन्स्परेंट पानी मेरे मुँह के अंदर टपकने लगा.
पापा ने भी मेरी गांद को पाकर कर मेरी चूत मैं उंगली करनी श्रु करदी, और साथ ही साथ मेरी गांद पेर भी हाथ फेरते रहे. मुझे मस्ती छरहने लगी थी. लेकिन इस से पहले के मैं कुछ चोदने के बारे मैं सोचती, पापा एक दूं अपनी हिप्स को ऊपेर उठा कर लंड मेरे मुँह मैं देने लगे, और फ्यू सेकेंड्स मैं ही पापा के लंड से गरम गरम क्रीमिन जैसी टेस्टी मनी मेरे मुँह मैं जेट की तरह निकलने लगी. मैं जल्दी जल्दी अपने पापा की सारी मनी पीटी गई. एक ड्रॉप भी मैं ने बाहर नही निकलने दिया. पापा अपनी हिप्स को उठा उठा कर अपना लंड मेरे मुँह मैं डाल रहे थे.
पापा की मनी (स्पर्म) पी कर मैं फिर पापा के चिकने लंड के ऊपर ही सिर रख कर सो गई.
तो दोस्तो अब जान ही गये होगे आप सब की हम बाप बेटी का जब भी चुदाई का मन करता
हमजी भरकर चुदाई करते हैं
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी का यहीं एंड करता हूँ
ओर आशा करता हूँ की कहानी आपको पसंद आई होगी अपनी राय देना ना भूलना
....... राज शर्मा ...........
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