बहनो की अदला बदली - 2
04-30-2017, 01:21 PM,
#1
बहनो की अदला बदली - 2
उधर अलख अपनी गड्रई बहन रजनी के बुर् में ही घुसेड़ने के चक्कर में पर गया था. रजनी की घुंडी ने उसे दोस्ती के साथ विश्वासघात करने को मजबूर कर दिया था. यही हाल मस्त रानी का था. मस्ती के आलम में आज रानी पूरी तरह से सर्कस के मजे को लूटने के लिए अपने-आप में मचल रही थी. वासना से भारी 18 साल की ऊंची के मान में एक बड़ी ख्याल आया की अगर रजनी अलख के साथ आती तो मेरे भैया उसको चोद कर मजा लेते, वो भी तो रजनी के दीवाने है. इसी विचार से उसका प्यासा मान सगे भाई से अपने सीलबंद बुर् को खुलवाने को मचलने लग गयी. उसकी बदहवासी अब हर सांस के साथ बढ़ती जा रही थी. बुर् और चूची दोनों ही

सनसनाने लगी थी. इस बीच वो मूत कर बुर् को काबू में करने हेतु दो तीन बार बाथरूम में गयी. बाल साफ करने से रानी की बुर् और भी सलोनी सी दिखने लग गयी थी. अपनी बुर् की मस्ती को अब रानी संभाल नहीं पा रही थी और उसे जवान भाई विजय की याद बार-बार बेकरार कर रही थी. रजनी की अपेक्चा रानी चालू थी. उसे ख्याल आया की आज भैया का भी लंड रजनी की बुर् की याद में मस्ती से लाल होगा, उसका मान भी बुर् चोदने का कर रहा होगा. क्या? वो उसके बुर् में पेलकर जवानी के आनंद को लेना पसंद नहीं करेगा? उस रंगीन ख्याल से रानी के दोनों गेंद बुरी तरह से अपने-आप में उछलने लग गये. वो कसमसा-कसमसा कर एक-एक पल को बिताती अपने सगे भाई को अपना लुटेरा बना ने की रही खोजने लगी. बेकरारी तो विजय में भी था. प्लान खराब कर रजनी ने उसे खड़े लंड पर दॉखा दिया था. आज रानी को भोजन करने में भी मजा नहीं आया. रात 10 बज गये रानी को छटपटाते हुए. उसकी मस्ती इतनी तड़प रही थी की वो अपनी बुर् को बार-बार मसल रही थी. ख्यालों में जवान भाई बसा था. इस मस्ती में रानी को कोई भी प्रेम से नंगी करके अपनी प्यास को बुझा सकता था.वो एक दम से दबदबाई हुई थी. कब से उसकी चिकनी बनी बुर् के भीतर से चुदस की गरम-गरम साँसें बाहर निकल रही थी.

घर पर सन्नाटा छाया था. मम्मी- अंकल अपने बेडरूम में चले गये थे. विजय भी रंगीन ख्यालों में डूबता-उतरता अपने बेड पर करवटें बदलने लगा. उसका लंड धोखा देने वाली अलख की बहन रजनी की कुंवारी बुर् की याद में आँसू बहा रहा था. मस्ती जवानी का तो उसमें भी था पर वो बहन को ही अलख की तरह करने के गंदे ख्याल से प्री था. जब की रानी उसी से पेलवा कर कुंआरेपन की पहली बाहर को लूटने को उतावली हो गयी थी. कमरे में जाने के साथ रानी ने ड्रेसिंग टेबल के शीशे में जो अपनी मचल रही चुचियों को देखी तो और भी व्याकुल हो उठी. उसके पूरे शरीर में मीठा-मीठा सा दर्द उठ रहा था. वो हाथ को उप्पर उठाकर एक मादक अंगड़ाई ली, दोनों कसे-कसे जौवानो के उभर से आने का दिल दहल चला. उसकी दोनों टाँगे बुरी तरह गुदगुदा रही थी. ऐसे में दूधवाले का चूची मसलना बार-बार याद आ रहा था. बेकरारी की हालत में रानी को बस लंड ही लंड अपने चारों तरफ मचलता दिख रहा था. उसकी बुर् भान-भान कर रही थी. च्चटीओ के दोनों निप्पल समीज में टन कर भले की नोक की तरह आगे को उभर आए थे. मस्ती अंग-अंग से झाड़ रही थी.आज रानी को मर्द की जरूरत बेहद महसूस हो रही थी. एक पल के लिए कुच्छ सोनची उसके बाद दुबारा अपने बदन को ऐंठती सी अपने सलवार के जरबंद को खोल, नंगी हो बुर् से चिपके पैंटी को भी उतार दी. उसने अपनी चुदासी बुर् को रनो के बीच नज़र डाल कर देखा और फिर खाली सलवार को कमर से कसी.

अब उसके 18 साल के गड्रई और मस्त शरीर पर केवल दो कपड़े थे. पैंटी उतार ने से बुर् की चुनचुनी और तेज हुई. इसे विजय की गर्मी का अहसास दूर से हो रहा था. मस्ती में आँधी बनी रानी विजय से चुदवाने के लिए एक ड्रामा तैयार की और उसका अविनय करती हाथ से पेट को दबाए मुंह बनाए उसके कमरे में प्रवेश की. शायद मौसम भी उस मस्त बुर् वाली के फ़ीवर में था, आज उसकी किस्मत में चुड़कर मजे लेना लिखा ही था. दरवाजे पर ऐक्टिंग के साथ पहुँचते ही उसकी तबीयत बैग-बैग हो चली. विजय पलटकर तकिये को लंड के पास रखकर कमर उप्पर-नीचे कर रहा था. रानी को टार्ट देर ना लगी की उसका भैया मस्त है और तो को तकिये के सहारे मिटा रहा है.

तभी रानी के आने की आहट पकड़ अपने आप को ठीक करता पूछा."क्या बात है रानी". "हे भैया मर गयी" और ऐक्टिंग के साथ पेट में दर्द होने का बहाना बनती बेड के पास पहुँची और सीने के उभर को बिना किसी हिचक के दोनों अनरों को साँसों के साथ उच्छलती बोली-"मेरा पेट दबाओ, बड़ा दर्द हो रहा है"."कोई दवा कहा लो रानी". उसकी अनार सी गदर-गदर चूची को देख अपने फँफनाए लंड में हसीना लोंड़िया की कसमसा का अनुभव करता बोला. "दवा से नहीं..हें..भैया ज़रा सा पेट सहला दो ना" और मस्त रानी अपनी चूची को इस कदर उभरी हाथ से पेट को दबाते हुए ऐसा लगा की दोनों चूची समीज के कपड़ों को चरमरा के रख देगा. अब रानी का वॉर विजय पर भरपूर पड़ा था. दोनों तरफ के गेंदों को देख ऐसे में विजय का मान काबू से बाहर हुआ और उसकी चूची की तुलना अलख की कोरी बहन रजनी से करता एक मीठी दुनिया में पहुँच कर बोला-"तेज दर्द है"? "हे! ऐसा लग रहा है जैसे कोई चीज़ पेट से चुभती जा रही हो" पेट के नीचे यहाँ काफी दर्द है". कहते हुए चुदस रानी ने बिना किसी झिझक के एक हाथ को पेट से नीचे पेरू तक घिसका मुंह बना कर दर्द का अविनय की.

विजय एक पल के लिए उलझन में जरूर पड़ा पर दूसरे पल ही मस्त बहन के हरकतों से घायल हो कर बोला. "आओ पलंग पर लेट जाओ, लगता है तुम्हारी कोई नस चढ़ गयी है". "हां,लो ठीक कर दो". कहने के साथ वो भूखी लड़की रिश्ते पर थूक कर अल्हड़ता के साथ उसके बेड पर लेट थी बोली. "भैया, पहले कमरे का दरवाजा बंद करदो, हे". विजय की आँखों में उसे वासना पूरी तरह से तैरती हुई दिख पर गयी थी. वो अल्हड़ता के साथ बेड पर चित लेती और विजय से कमरे के दरवाजे को बंद करने को जो कही उससे विजय को बहन की नज़र का खो दिया. अचानक रानी के इस आदेश से उसके पापी मान में पाप भर गया और वो रानी के स्वागत के लिए अंदर से तैयार हो पूछा-"रात भर मेरे पास ही सोएंगे क्या?" "सो जाऊंगी" कहते हुए बेताबी से भारी चालक रानी विजय को दीवाना बना ने के लिए उसको दिखते हुए सलवार के उप्पर से अपने बुर् को खुजलाई. ये अदा सीधा चोदने का निमंत्रण था. अब उसे रानी के मान की अभिलाषा का पूरा पता लग गया था. उसका लंड लूँगी में कसमसा उठा. वो रानी को बुर् खुजलाते देख उस समय अपने को दुनिया का सबसे भाग्यशाली भाई समझा.

और कमरे के दरवाजे को भीतर से बंद कर पलंग पर वापस आ चित लेती बहन के हांफते अनरों को देख कर मान-ही-मान मौज की रंगीनियां से भर बोला- "बता ना कहाँ दर्द है." इस पर वो समीज को अपने हाथों से मस्ती के साथ पेट के उप्पर खींची. उसके गाल गुलाबी थे, आँखों में वासना की खुमारी थी, अब दोनों ही जवानी के उमंग से भरपूर थे. रानी को अपना तीर ठीक निशाने पर लगा दिख रहा था. उसे भाई की आँखों में वासना की शराब छलकता नज़र आया. वैसे रानी तो एक दम से बेताब थी. उसकी कुँवारी बुर् तो उड़ी ही चली जा रही थी. भाई को मस्त देख अपने आप में खुशी से झूमती पूछने पर मुंह बना कर पेट में दर्द हो ने का बहाना बनती इशारे से दुबारा जवान भाई से अपने मान की असली बेचैनी जाहिर करती बोली- "दरवाजा बंद कर दिए-" "हाँ, पगली बंद कर दिया." हसीना और 18 साल की ऊंची बहन के जौवानो को मीठी नज़र से देख टमाटर से गाल पर हथेली का मादक स्पर्श दे नहीं लौंडिया के शबाब से लंड को चुचाता बोला.

मज़ेदार सेक्स कहानियाँ

- December 15, 2015- February 12, 2016- December 14, 2015- August 14, 2016- July 8, 2016

गाल के स्पर्श से रानी का मान झूम उठा. उसे जवान भाई के स्पर्श से बड़ा ही मीठा मजा आया. गुदगुदा कर अपनी तंग पे तंग चड़ा, मस्ती के साथ पेट पर हाथ रख बोली- "यहाँ है भैया, हें." वैसे विजय अभी अपने बहन की मस्ती को तार नहीं सका था. वो उसके नाभी पर हाथ रखा तो रानी को बड़ा मजा आया. तभी रानी के चिकने पेट को सहला कर विजय भी लंड की मस्ती को अंकल उसके चेहरे की गुलाबी को देखने लगा. "कब से दर्द है रानी?" हें, एक घंटे से है भैया." "नीचे भी दर्द है?" आनंद से भर पाप को गले लगाने की नियत से विजय हथेली को सरका कर रानी के सलवार के जरबन के पास लेट हुए पूछा. भाई की इस हरकत से तो मस्टाई रानी में जान आ गयी. वो फौरन तंग को उतार कर बिना किसी हिचक के एक हाथ को सलवार के नीचे की चुनचुना रही बुर् पर रख मस्त आखों को विजय की वासना भारी आँखों में डालती दबे स्वर में कही- "नीचे ही तो दर्द है." अब तो विजय को बहन के बदन से अपने लिए बाहर ही बाहर का नज़ारा मिल रहा था. उसका लंड लूँगी के नीचे इतने में ही पूरी तरह से आकर गया. भरपूर तो में आते वो हथेली को जरबन के पास से दबाते हुए दोनों उछल रही चूची को कहा जाने की नज़र से देखते हुए कहा- "नीचे सुई सा चुभ रहा है?" हें, भैया हाँ सुई सा और नीचे." कहती हुई रानी की भूख सातवें आसमान पर पहुँच गयी. विजय की हरकत से उसे ऐसा मजा आ रहा था जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी.

उसकी बुर् अब दुख-दुख करने लगी. "पेडू में दर्द है." "पेडू के नीचे भी, है क्या बताएँ, शर्म आ रही है." और चुलबुलाती छोकरी बुर् को रनो के बीच काश कर यार बने भाई को हरी झंडी दिखाई. इस अदा पर तो विजय की जवानी छट पटा उठी. अलख की तरह अदला-बदली करने से पहले वो भी दोस्त के साथ दगाबाजी करके उसको बहन की चुदी बुर् को चोदने के लिए देने को आतुर हुआ. उससे अधिक खुला इशारा चोदने के लिए कोई लड़की किसी लड़के को क्या दे सकती थी. विजय इस इशारे को पकड़ तरपा. समझ गया की बहन की कोरी काली एक दम से मस्टाई हुई है. तभी उसने दूसरी हथेली को तड़प के साथ कसी रन पर रखते हुए कहा- " रानी नीचे का दर्द ठीक नहीं होता.मीठा-मीठा सा चुभन हो रहा है?" शर्म लग रही है भैया. पगली शर्म क्या.यहन कोई दूसरा थोड़े ही है. साफ-साफ बता तो दबा दम.

अब तू बच्ची नहीं. मानो की सयानी हो गयी हो. महीना तो नहीं आने लगा." वो बोला. विजय बुर् के उप्पर की हथेली को रनो के बीच करना चाहा तो रानी अपने मान की मुराद को दिल खोलकर पूरा करने के नियत से कसी रनो को खोली, जिससे सलवार के उप्पर से उसकी हथेली उसके कुंवारे मस्त बुर् पर जा लगी. इस मयखाने को छूते विजय पागल हो उगली से सलवार के साथ उसके बुर् के नाते दरार को कुरेदता भापुर जवानी के जम को अंकल पूछा- "इसमें चुभ रहा है?" विजय की उंगली बुर् के दरार को कुरेद कर रानी को तो जन्नत का द्वार दिखा गया. उसे बुर् खुदवाने में भरपूर मजा आया. बुर् खोड़वते हुए उसके होठों पे मस्ती आई और तड़प के साथ मस्त भाई से गाल पर हाथ लगवती बोली- "हें, भैया कोई देखे ना, हाँ मीठा-मीठा है महीना तो बहुत पहले बैठ गयी हूँ." चिकनी बनाई गयी बुर् तो कमाल किया.

दरार में उंगली करने के मजे से भरे विजय ने बुर् के दरार में सलवार के कपड़े के साथ बुर् में हलचल करते हुए कहा- "यहाँ कौन आएगा", ठीक कर दूँगा दर्द, जवानी का दर्द है रानी." जवानी का दर्द क्या होता है?" रानी पहली बार किसी आशिक से अपनी बुर् को खुदवा कर बुर् के स्वाद को चखती बोली. दूधवाले से तो केवल चूची घिसाई का थोड़ा बहुत ही मजा पे थी. उसे लगा की वो बुर् के दरार में भाई के उंगली को चलवा कर तीनों त्रिलोक का शायर करने लगी. उधर विजय का लोड्‍ा नयी जवानी के बुर् में उंगली का मजा पकड़ मुर्गे की तरह बंग देने लगा. अब उसमें भी दीवानगी आ गयी थी और बहन को चोद कर मजा लूट लेने के लिए कमर काश चुका था. तभी अदा के साथ मस्त रानी ने रनो को और फैलाया, नाभी पर उंगली रखती मस्ती के स्वेर में बोली- "भैया नाभी से नीचे ही तो दर्द है, सुनयी सा चुभ रहा है." "कह दिया ना बुर् मस्टाई है रानी." "धत्त" बुर् के नाम से मजे से भर रानी ने शर्माहट जाहिर किया और दोनों मस्त-मस्त अनरों पर हाथ चढ़कर टाँगों को टन दी. रानी की बुर् की प्यास अब उसे मूहबोली बहन को छोड़कर किसी भी कीमत पर बुझाना ही था. उसका लौंडा एक दम से लाल होकर उसे अँधा बना गया. अब तो उसे रानी की कुँवारी बुर् को चोदना ही था, चाहे जो हो. "शरारती है." "हे भैया? आप बारे वैसे है, उई उंगली निकालिए."

"हे कितनी मस्त बुर् है, कसम सलवार खोल दो, हम दर्द मिटा देंगे.""पहले हम ही तुमको मजा देंगे." कहते हुए जवानी के बुखार से तपते पागल हुए लौंडीबाज विजय ने बुर् से हाथ को झेयके से अलग किया और रानी के दोनों हाथों को दोनों चूची से हटा पूरे तो के साथ समीज के उभारों पर हाथ जमा कर रानी के संतरे का रस पीने लगा. रानी की चूची पर हाथ लगते विजय के अरमान मचलने लगे. वो काश-काश कर एक ही साथ दोनों चूची को मसलते कहा- "हायरी क्या फास्टक्लास माल है, क्या चूची है, एक दम संतरा है, हे..आज इसको मिस्कर गुब्बारा बना दूँगा." रानी भाई की तड़प को देखकर बेहद मस्त हुई. उसको लगा की अब हवा में और रही है. बारे समय से विजय उसकी जवानी को लूटने को तैयार हो गया. वो भाई को बेताबी के साथ पूरी चूची को गेंद की तरह खेलते देख निहाल हो गयी. विजय समीज के उप्पर से काश-काश कर चूची को तबातोड़ मसले चला जा रहा था. उसका चेहरा लाल था और अब लंड उसका तो से भरकर एक दम से टॉप की नल की तरह खड़ा हो गया था. मजा पा रही 18 साल की छोड़ककर रानी एक दम से लाल होकर बेड पर तंग फैलाए खामोश थी. चूची का मजा उसके बुर् को और आनंद दे रहा था. "रानी." जी भैया." "इधर-उधर मत करो अब बचकर जा नहीं पाएगी, क़ायदे से बात मानोगे तो बुर् की गर्मी निकल जाएगी, दर्द ठीक हो जाएगा, हे.तुम्हारी चूची तो रात भर मजा

लेने लायक है"."हें भैया चोदो समीज उतार दे फॅट जाएगी." एक तरह से मजा पकड़ रानी नंगी होने को उतावली हो बोली. वास्तव में रानी को इस समय जो मजा आ रहा था उसकी कल्पना भी नहीं की थी. इस पर विजय उसकी चुचियों को ऊपर की ओर हाथ से रगड़ कर छरहते कहा- "कसम से रानी, तुम्हीं और रजनी की चूची एक साइज की है, खूब मजा आ रहा है तुम्हारी चूची पाकरने में." "मजा हमको भी आ रहा है, हें फ़रो नहीं, रजनी बता रही थी की तुम उसकी छाती दबाते हो." "हमको भी पता है की तुम अलख से मजा लेती हो, पर आज हम छोड़ेंगे, फिर अलख छोड़ेगा."इतने तगड़े माल को जूता करके दूँगा, हें. क्या मस्त क्या मस्त खींची है रात भर लिए परे रहो तब भी जी ना भरे." बारे वैसे हो., चोदो..., फ़रो मत मैं उतार देती हूँ." "हें..अब इसमें दर्द हो रहा है." अपनी बुर् को अदा के साथ लेते-लेते सहलाती विजय की तड़प को और जवान करती बोली. "बिना चोदे दर्द जाएगा नहीं, हम आज छोड़ेंगे." मस्ती में विजय राक्षस सा दिख रहा था. वो तो अलख के साथ पहले कइयों को चोद कर और उसके गुलाबी फांकों का मजा ले ही चुका था.

आज की रात मस्ती से बेताब हुई कुँवारी स्यनी बहन को पकड़ और भी पागल सा हो गया. पुनः एक हाथ को मस्ती के साथ चूची से सरका कर पेट पर लाया और मस्ती से भारी रानी के टाँगों के बीच सलवार की ऊंची बुर् पर छपकते बोला- "रानी मजा पाएगी, क़ायदे से आज रात भर नंगी हो कर जवानी का आनंद तुम लेलो, अलख को मत बताना की हम चोदे है, फिर हम तुमको अलख के साथ मजा लेने की कह देंगे और तुम्हारी सहेली को हम किया करेंगे फिर अलख से मजा लेकर बताना की किसके साथ तुमको ज्यादा मजा आया, अब हमसे ज़रा भी मत घबरा, क़ायदे से करेंगे ज़रा भी परेशानी नहीं होगी, ये देख." और लूँगी को आगे से पलट कर अपने ताने लंड को रानी के सामने उघर दिया. रानी पहली बार अपने भाई के
फौलादी लंड को इतने करीब देख एक दम से तड़प उठी. लंड को देखकर रानी धीरे से पलंग पर उठी और और लंड को मीठी नज़र से देखते बोली- "मैं अलख भाई साहब को अपने आप को कुँवारी ही बताऊंगी, पर भैया...बड़ा मोटा है तुम्हारा." "पगली आराम से जाएगा देखना." "ठीक है तो कर लो.." रानी एक दम आंटी की तरह पिघल कर बोली. विजय के हथियार को देखकर तो उसका मान और भी प्यास से
बहनों की अदला बदली

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