प्रतिमा भाभी
04-08-2017, 06:52 PM,
#1
प्रतिमा भाभी
जब मैं बिहार में मोतिहारी में रहता था तब कॉलेज़ में था तब मेरे मकान मालिक की बहु जो बांझ थी उसका नाम प्रतिमा ठाकुर था। वो थी तो पतली दुबली मगर थी मस्त भौजाई ! ऐसी भौजाई जिसका कोई जवाब नहीं है। यह तब की बात है जब मैंने अपने जीवन में सेक्स को महसूस किया था। मोतिहारी में स्कूल जाते वक्त मैं अक्सर बुकस्टाल पर रुकता था और वहां पर रखी किताबें देखता था। उसमें मुझे खासकर हिंदी में आज़ादलोक, अंगड़ाई, हवस की कहानियाँ, मस्तराम मौलाना, जैसी किताबें देखता था, कभी लेने की हिम्मत नहीं पड़ती थी।

मेरा एक दोस्त था संजय ! उसके साथ एक बार मैं उसके घर गया। वहाँ उसने मुझे वो किताब पढ़ने को दी। मैंने उसको घर में छिप कर पढ़ी, मुझे अच्छी लगी, मेरा लंड खड़ा हुआ, दर्द हुआ और बहुत कुछ। कुछ दिनों में मैंने किताबें पढ़नी चालू कर दी और खरीदी भी। तब मुझे लंड, बुर, चूची, मम्मे, गाण्ड जैसे चीज़ें पता चली और मेरा औरतों और लड़कियों को देखने का नज़रिया बदला, क्योंकि इसके पहले सब बहनें ही बनाता था। बस यहीं से कहानी शुरू होती है।

हमारे घर में वीसीआर था और हमारे मकान मालिक के बड़े बेटे से खूब दोस्ती थी और वो हमारे घर में पिक्चर देखते थे।

एक दिन मैं एक पिक्चर लाया। अंग्रेज़ी फ़िल्म थी 'स्पैस्म' ! उसमें तीन नग्न दृश्य थे। मुझे मालूम था कि अंग्रेज़ी फ़िल्म में सेक्स और चुम्बन तो होता ही है पर प्रतिमा भाभी को नहीं पता था। मैं घर आया तो मम्मी नहीं थी घर की चाभी भाभी के पास थी। मम्मी बाज़ार गई थी। मैंने खाना लिया और वीसीआर पर पिक्चर लगाने लगा।

तब भाभी बोली- क्या लगा रहे हो मिंटु ?

मैं- ईंगलिश पिक्चर है स्पैस्म ! साँपों की पिक्चर है।

भाभी- नागिन जैसी है क्या?

मैं- नहीं भाभी, इसमें एक नाग है जिसके तीन फन हैं जो सबको मारता है।

भाभी- मैं भी देख लूं?

मैंने कहा- नहीं आप मत देखो ! कहीं डर गई तो ? कभी कभी कुछ अनाप शनाप होता है।

भाभी बोली- जब तुम नहीं डरोगे तो मैं क्यों डरुंगी? चलो लगाओ।

मैंने फ़िल्म लगाई और खाना खाते हुए फ़िल्म देखने लगा। तभी फ़िल्म में एक बाथ सीन आया जिसमे एक लड़की नंगी नहा रही थी और साँप आता है और उसको मार देता है। उसमें सांप ने लड़की की चूची पर काटा है।

देख भाभी बोली- हटाओ गंदी फ़िल्म है !

मैंने कहा- नहीं भाभी ! आप जाओ यह एडवेंचर मूवी है !

भाभी बोली- यह कैसी फ़िल्म है, जिसमें लड़की नहा रही है और नंगी?

मैंने कहा- भाभी जाओ यार ! मुझे देखने दो !

भाभी गई नहीं और देखने लगी।

15 मिनट में फिर एक चुम्बन दृश्य आया, भाभी कुछ नहीं बोली और आधे घंटे में एक नग्न चुम्बन दृश्य आया। फिर भी भाभी ने पूरी फ़िल्म देखी।

अन्त में भाभी डर भी गई जब साँप को मारते हैं।

फ़िल्म देख के भाभी बोली- हाय मिंटु बाबु ! कितनी गंदी फ़िल्म थी, ऐसी फ़िल्म मत देखा करो !

पर भाभी आँखें नहीं मिला रही थी। बात आई गई हो गई।

कभी कभी भाभी मुझे पढ़ाती भी थी, एक दिन बायोलोजी याद कर रहा था और फ़्रोग सेक्स चैप्टर था। भाभी पढ़ा रही थी और जो ब्लाउज पहने थी वो सफ़ेद रंग का था, बिल्कुल भाभी की तरह सफ़ेद, गोरा, उजला। ब्लाऊज़ पर चिकन कढ़ाई थी जिसमें छेद छेद होते हैं। वो नीचे ब्रा नहीं पहने थी और मुझे उसमें से उनके चुचूक दिख रहे थे।

मैंने भाभी से पूछा- भाभी, सेक्स माने क्या होता है और इससे मेंढक बच्चे कैसे पैदा कर देते हैं?

भाभी घबरा गई और संभल कर बोली- यह एक क्रिया है जो वो करते हैं जिसके बाद मेंढक अंडे देता है।

मैंने पूछा- यह कैसे होता है?

भाभी बोली- किताब में पढ़ो, सब लिखा है।

मैंने पूछा- क्या आदमी भी सेक्स करके अंडे देता है?

भाभी हँसी- नहीं पागल, औरतें बच्चे पैदा करती हैं और मेरे गाल पर नौच लिया, बोली- बड़े बेवकूफ़ हो यार।

मैंने कहा- भाभी, बताइये ना कि कैसे आदमी सेक्स करता है।

भाभी बोली- धत्त ! यह भी पूछा जाता है ? जब तू बड़ा होगा तो तुझे पता चल जायेगा।

मैंने कहा- भाभी आप ने क्या सेक्स नहीं किया ? आपकी तो शादी हो चुकी है पर आपने बच्चा नहीं दिया है।

भाभी भौंचक्की रह गई और उनके चेहरे पर दुःख आ गया और वो नीचे चली गई।

मैंने उनको एक हफ़्ते नहीं देखा और जब पढ़ने गया तो उनके नौकर ने वापस कर दिया।

फिर एक दिन मैं एक फ़िल्म ' नाईटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट' लाया। मैंने भाई साहब को बुला लिया साथ में भाभी भी आई।

सर्दी के दिन थे हम सब बिस्तर में थे।

अलग पलंग पर सब थे, भाभी मेरे और भाईसाहब के बीच थी। हम सब फ़िल्म देख रहे थे और बीच में भाभी सो गई और रज़ाई में ही उनकी टांगों पर से साड़ी हट गई। मैं फ़िल्म देख रहा था, मैंने लेटे लेटे करवट ली तो देखा भाभी सो रही है। मैं नीचे हुआ, मेरा पैर भाभी के घुटने से लगा मुझे भाभी का नंगा शरीर का आभास हुआ। मैंने हिम्मत कर पैर ऊपर किया, जांघों तक साड़ी आ चुकी थी। मैं हाथ अंदर कर भाभी की जांघों को सहलाने लगा।

भाभी गहरी नींद में थी, उनको पता नहीं चला पर मैं उनकी रानें सहलाते सहलाते झड़ गया और उठ कर बाथरूम गया कि मैंने पेशाब कर दी है पर वहां मैंने कुछ और देखा। पर जब मुड़ा तो देखा भाभी खड़ी थी और मुझे घूर रही थी। मैं घबरा गया।

तब भाभी आगे आई और मुझसे बोली- क्यों क्या हो रहा था? क्या हो गया है?

मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी।

भाभी बोली- अभी मेरी टांगों पर सहला रहे थे, अभी तुम्हारी शिकायत करती हूं ! चलो।

मैं रोने लगा माफ़ी मांगने लगा तो भाभी बोली- ठीक है आगे से ऐसा नहीं होना चाहिये। क्या बात है जो डर गये हो कुछ गड़बड़ है क्या?

मैंने कहा- भाभी मेरी पेशाब निकल गई है पर पता नहीं कैसी चिप चिपी है।

भाभी बोली- लाओ दिखाओ।

मैंने कहा- आपको कैसे दिखाऊं ? मुझे शर्म आती है।

भाभी- जब टांगें सहला रहे थे तब शरमा नहीं रहे थे। अब शर्म आ रही है ? चल दिखा नहीं तो उनको बुलाऊं क्या?

मैंने तुरंत अपना अंडरवीयर उनको उतार कर दिखाया। भाभी ने हाथ लगाया और मेरा लंड पकड़ कर देखा, चिपचिपा था। तब भाभी ने उसको साफ़ किया और मेरा अंडरवीयर उतार कर धो दिया और मैं नीकर पहन कर वापस आ गया। थोड़ी देर बाद भाभी वापस आई। और मेरे पास लेट गई, पर अब जाग रही थी और मैंने उनको छुआ नहीं।

फ़िल्म खत्म हो गई और भाभी, भाई साहब चले गये।

अगले दिन भाभी ऊपर आई। मैं किताब पढ़ रहा था, भाभी ने देख लिया और पकड़ लिया और बोली- यह क्या पढ़ रहे हो भाई?

और मुझे डराने धमकाने लगी, मैं डर गया।

भाभी- बताओ और कितनी किताबें हैं कौन कौन सी हैं।

मैंने सब निकाल कर दिखा दी, भाभी ने सब ले ली और अपने कमरे में आ गई। फिर मैं डर के मारे सो गया कि अब मार पड़ने वाली है, भाभी मम्मी को बता देंगी और मेरी हड्डी तोड़ी जायेगी, मगर हुआ सब उल्टा, भाभी शाम को ऊपर आई और मुझे पास पढ़ने को बुलाया।

मैं डरते हुये नीचे गया, आज भाभी जरूरत से ज्यादा खुश थी और सुंदर लग रही थी। मैं गया और किताब खोल पढ़ने लगा, तो भाभी मेरे पास आई और बोली- क्या पढ़ रहे हो मिंटु।

मैंने कहा- साईंस।

भाभी बोली- और आज़ादलोक, अंगड़ाई कैसी लगती है?

मैं शरमा गया और बोला- अच्छी लगती है।

भाभी बोली- और जो मस्तराम है वो? और जिसमे फोटो हैं वो फोटो कैसी लगती है?

मैंने कहा- बहुत सुंदर और अच्छी लगती है खास कर वो जो पत्तों में फोटो है।

भाभी मुस्कुरा दी और बोली- बहुत आवाज़ निकल रही है साहब की ? कल बंद हो गई थी आज़ खुल गई?

मैंने कुछ नहीं कहा।

भाभी बोली- मैं कैसी लग रही हूँ।

यह बिल्कुल अज़ीब सवाल था पर मैं बोला- भाभी आप बहुत अच्छी लगती हो और प्यारी भी !

भाभी बोली- क्या मेरे पैर सहलाना अच्छा लगता है?

मैंने कहा- हाँ !

भाभी ने अपनी साड़ी उठा दी और बोली- लो मिंटु सहलाओ !

और मेरा हाथ पकड़ कर टांगों पर रख दिया। मैं सहलाने लगा, दोनों टांगों को सहलाते हुये काफ़ी देर हो गई। भाभी मुस्कुरा रही थी मुझे मजा आ रहा था और मेरी तेज़ी बढ़ गई थी।

भाभी ने पूछा- क्युं मिंटु बाबु ! कभी मन करता है कि अपनी भाभी को नंगी देखो।

मैंने जवाब दिया- भाभी करता तो है और कभी कभी आपको नहाते हुए जीने पर से झांक कर देखा है।

भाभी शरमा गई और बोली- हाय दैया ! तुमने मुझे नंगा देखा है और मुझे मालूम नहीं चला? यह कैसे हुआ?

मैंने कहा- अरे, कुछ दिखा ही नहीं था ! बस आप पेशाब के लिये बैठी और मैंने देख लिया ऊपर से कुछ नहीं दिखा था।

भाभी बोली- क्या तुम मुझे नंगी देखना चाहते हो सही में? तुम्हारी भाभी इतनी सुंदर है?

मैंने शरमाते हुये कहा- जी भाभी।

भाभी बोली- पहले मुझसे कहो तो कि भाभी आप मुझे अपना नंगा शरीर दिखा दो तो मैं दिखा देती तुम मेरा कुछ छीन थोड़े ही लोगे।

मैंने कहा- सच भाभी जी ! क्या आप मुझे नंगी हो कर दिखा सकती हो? क्या आप अपने कपड़े मेरे सामने उतार देंगी? सही में प्लीज़ भाभी ! मैं आपको नंगी देखना चाहता हूं, क्या मैं आपको नंगी कर सकता हूं ? प्लीज़ भाभी प्लीज़ ! मैं आपको नंगी करना चाहता हूँ।

भाभी खिलखिला का हँस दी और बोली- अरे मेरे भोले मिंटु देवर ! तुम कहो तो लो टांगें छोड़ो ! चलो करो अपनी प्रतिमा भाभी को नंगी।

बस इतना सुनना था कि मैं भाभी से लिपट गया और उनके सीने से चिपक गया। भाभी ने मुझे अपने सीने से चिपटा लिया और मेरा चेहरा अपने सीने में दबा कर बोली- जैसे चाहे भाभी को देखो और नंगा करो पर तुमको कसम है चोदना नहीं।

मैंने कहा- चोदना क्या होता है ?

भाभी बोली- वो भी सिखाऊंगी ! अभी सिर्फ़ नंगा करो और सहलाओ। बस और मज़ा लो।

मैंने भाभी की साड़ी उतार दी, भाभी ब्लाउज और पेटीकोट में थी। दूध सा सफ़ेद रंग और नीले पेटीकोट और ब्लाउज में भाभी मैचिंग में थी। फिर मैंने भाभी का ब्लाऊज का हुक खोला- एक, दो, तीन, चार, फिर आखरी पांचवां और मुझे बीच की लकीर दिखी। दो पहाड़ियों के बीच खाई मस्त लग रही थी। अंदर काली अंगिया नेट वाली थी जिसमें से चूचियाँ बाहर छलक रही थी। मस्त नज़ारा था ! और खूबसूरती लाजवाब थी।

भाभी घूम गई और बोली- चलो, जल्दी से ब्रा का हुक तो खोलो।

और मैंने हुक खोल दिया। भाभी ने बिना घूमे ब्रा उतारी और मुझे दे दी। मैंने ब्रा पकड़ी और उसको टटोलने लगा। भाभी ने मुड़ कर देखा तो हँस पड़ी बोली- मेरे भोले राजा, इसमें कुछ नहीं है जो भी है मेरे पास है ! लो देखो ! आओ देखने की चीज़ है।

और मेरे सामने दो गोल गोल लडडू जैसे मस्त सफ़ेद सुंदर गोरे प्यारी चूची दिख रहीं थी जो कसी हुई थी और एकदम अकड़ी हुई थी, जरा भी लोच नहीं था। 35 साल की भाभी पूरी मस्त थी।

मैंने उनकी तरफ़ हाथ बढ़ाया तो भाभी बोली- नहीं पहले पेटीकोट तो खोलो यार।

मैंने पेटीकोट का नाड़ा बाहर निकाला जिसमें कुछ बाल खिंचे, भाभी बोली- आराम से निकाल ! नहीं तो बाल टूट जायेंगे।

मैंने नाड़ा खोला और पेटीकोट नीचे फिसल गया और भाभी एकदम निर्वस्त्र मेरे सामने थी सामने से बाल ज्यादा थे और उनकी बुर नहीं दिख रही थी। भाभी एकदम दूध जैसी थी बस उनके चुचूक हल्के भूरे थे वरना बेदाग भाभी एकदम अंग्रेज़ी फ़िल्म की हीरोईन लग रही थी।

मेरा लंड एकदम तन चुका था, मैं अपना लंड कस के पकड़े था और दबा रहा था।

भाभी बोली- मेरे पास आओ।

मैं भाभी के पास गया तो भाभी ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे नंगा कर अपने से चिपका लिया और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। मैं लेटा था कि मेरा लंड ने धार मार दी जो भाभी की झांटों पर गिरी।

भाभी बोली- लो, तुम तो अभी ही निकल लिये और जगह भी देख कर मारी है।

और भाभी अपने ब्लाऊज से मेरा लंड और झांटें साफ़ करने लगी और साथ साथ मेरा लंड दबा रही थी। अभी मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि भाभी ने मेरा लौड़ा पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया।मेरा पारा चढ़ गया और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। भाभी मेरा लंड चूसती रही, 15 मिनट 20 मिनट लगातार चूसते चूसते मेरा लंड एक बार फिर उनके मुँह में झड़ गया।

भाभी बोली- थोड़ा रोका तो करो सब मेरे मुँह में कर दिया।

मैंने कहा- भाभी, आप ऐसा कर रही हो, मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा है ! क्या मैं आपका लंड चूस सकता हूँ।

भाभी बोली- धत्त ! औरतों के लंड नहीं बुर होती है ! और उसको चूसना है तो लो चूस लो ! पर पहले क्या मेरा दूध पियोगे?

मैंने शरमाते हुए कहा- हाँ।

फिर भाभी मेरे पास लेट गई और अपनी चूची मेरे मुँह में दे दी। मैं लगातार बड़ी बड़ी चूची चूसता रहा।

भाभी बोली- देवर जी, जरा मुझे सहलाओ तो !

और मैं उनके शरीर को अपने हाथों से रगड़ने लगा। मैं इतनी तेज़ी से दबा रहा था और सहला रहा था कि कभी कभी भाभी हिनहिनाने लगती- और तेज़ मिंटु और तेज़।

मैं लगातार उनकी चूची चूस रहा था कि भाभी ने मेरा हाथ अपनी बुर पर रखा और बोली- अब इसको रगड़ डालो !

मैं बुर रगड़ने लगा, भाभी मस्त होने लगी, आवाज़ें निकालने लगी आऽऽ आऽऽऽआ ऊऊऽऽऊऊ ईईईऽऽऽऽईईईइ ! मेरे उंगली करो ! मिंटु उंगली डालो बुर बुर में ! जल्दी करो ! कस के करो ईईऽऽ॥ ईईईईईआआआ आआआअ ईईईईईए ! कस के रगड़ो ! नोचो ना ! काट डालो।

मैं लगातार उंगली कर रहा था और 15 मिनट की उंगली चुदाई ने उनको झाड़ दिया और मेरा हाथ उनके झड़ने से गीला हो गया। भाभी ने मेरे होंठों पर चूमा और पूछा- मज़ा आया?

मैंने कहा- बहुत ज़्यादा, भाभी क्या मैं आपकी पप्पी ले सकता हूँ?

भाभी बोली- और क्या ले लो ! जितनी चाहे और जहाँ चाहे।

मैंने तुरंत भाभी के होंठों को चूमना शुरू किया लगातार उनको चूमता रहा। 15 मिनट में फिर एक बार झड़ गया और इस बार भाभी बोली- धत्त पगले ! तू जब-तब धार मार देता है ! तेरा इंतजाम करना पड़ेगा।

और भाभी बोली- जब भी किसी को किस करते हैं तो उसको चूस कर करते हैं !

और भाभी ने मेरे होंठों को दो मिनट चूसा और बोली- ऐसे !

तो मैंने कहा- मैं भी ऐसे पप्पी लूंगा !

और मैंने तुरंत भाभी के होंठों पर अधिकार किया और पूरा 5 मिनट चूसा। जब छोड़ा तो भाभी बोली- अबे, ऐसे नहीं किया करो, सांस रुक जायेगी !

मैंने कहा- पर भाभी मुझे अच्छा लगा है।

भाभी हँस दी और बोली- मज़ा आ गया। अब तो मुझे तंग नहीं करोगे ? जब प्यार करना हो, दिन में आ जाना और मुझे नंगा कर प्यार करना ! चलो अब पढ़ाई करते हैं।

मैंने कहा- भाभी यह तो बताइये कि चोदा कैसे जाता है ?

तो भाभी बोली- यह जो बुर है इसमें जो ये लंड तुम्हारे पास है, उसको धक्के से अंदर किया जाता है और फिर लगातार धक्के मार कर जो धार तुम मारते हो उसको अंदर गिरा देते हैं उसको चोदना या चुदाई कहते हैं।

मैंने कहा- क्या भाई साहब भी ऐसे ही चोदते हैं?

भाभी बोली- और क्या।

मैंने कहा- भाभी, मैं भी तुमको चोदूँगा प्लीज़ !

भाभी बोली- नहीं, अभी नहीं ! अभी ऐसे ही प्यार से काम चलाओ ! ऐसे मज़ा आता है या नहीं?

मैंने कहा- आता है !

तो भाभी बोली- बस लो बुर को चाटो और पढ़ो !

मैंने 5 मिनट बुर चाटी और फिर हमने कपड़े पहने और भाभी मुझको चूची चुसा चुसा के पढ़ाने लगी और मैं रोज़ उनसे ऐसे ही पढ़ने लगा। कभी चूची चूसते हुये, कभी सहलाते हुये, कभी बुर में उंगली करते हुये, कभी गांड़ में उंगली करते हुये कभी लंड चुसाते हुये, कभी किस करते हुये और मैंने एक दिन उनको चोदा भी ! पर उस चुदाई को अगली कहानी में !

अभी सिर्फ़ मेरी शुरुआत को पढ़िये !

मैं आंटी और लौंडियों का दीवाना हूँ पर मस्त मोटी भाभी और आंटी मेरी कमजोरी है। मुझे दूध पीना और गाण्ड मारना अच्छा लगता है।

Free Savita Bhabhi &Velamma Comics @
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,479,650 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,084 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,223,533 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 925,109 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,641,847 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,070,581 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,933,937 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,000,177 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,010,623 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,859 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)