नई का नशा
06-17-2017, 12:13 PM,
#1
नई का नशा
नई का नशा

दोस्तो आपके लिए एक और कहानी पेश है ये कहानी मैने नेट से ली है तो दोस्तो मज़ा लीजिए इस कहानी का 
यह सत्य कथा सूरत की है जहाँ मैं एक कम्पनी में प्रोडक्शन मैंनेजर बन कर हुआ था। यह दिसंबर 2010 की घटना है। मैं जिस कम्पनी में जाता हूँ, अपनी सचिव खुद ही चुनता हूँ और हमेशा लड़की ही चुनता हूँ और हमेशा उसे चोदता भी ज़रूर हूँ।
इस कम्पनी में मेरे चयन के लिये सात लड़कियाँ बुलाई गईं थीं। एक एक करके मैंने उनका इंटरव्यू लेना शुरू किया।
मैं अपने सेक्रेटरी के इंटरव्यू में बिल्कुल साफ साफ बात कर लेता हूँ कि मेरी सेक्रेटरी को मुझसे चुदने के लिये राज़ी तो होना पड़ेगा। बाद में कोई झमेला ना हो, इसलिये बेहतर है कि पहले ही खुल के बात कर ली जाये कि भई अगर चुदाई मंज़ूर है तो नौकरी मिलेगी वर्ना नहीं।
और मैं पगार भी तो दे रहा हूँ पच्चीस हज़ार रुपये जबकि और सब केवल बारह से बीस हज़ार ही देते हैं। मेरे पास इतना वक़्त नहीं है कि मैं लड़की पटाने के काम में लग जाऊँ।
पहली चार ने तो साफ मना कर दिया कि वह इसके लिये तैयार नहीं हैं। पांचवीं तैयार तो थी लेकिन जैसी मैं चाहता हूँ वैसी सुन्दर नहीं थी। छठी जो आई, वह बहुत खूबसूरत थी, मदमस्त, सांवली, सलोनी गदराई जवानी, बहुत खूबसूरत हाथ और पैर।
मर्दों को चुनौती देती हुई तीखी गोल चूचियाँ, रेशम जैसी चिकनी और मुलायम त्वचा। उसके अंग अंग से कामुकता टपकती थी। नाम था नीलम वघेरा।
मैं बोला- सुनो नीलम रानी… मैं तुम्हें इसी शर्त पर रख सकता हूँ कि मैं तुम्हारे साथ जब मेरा जी करेगा सम्भोग करूँगा या मुख मैथुन करूँगा। मैं जब भी सूरत से बाहर जाऊँगा, तुमको मेरे साथ सफर करना होगा और हम होटल में एक ही रूम में रहेंगे। तुम इसके लिये राज़ी हो तो आगे बात करें, वर्ना क्यों वक़्त बर्बाद करना !
नीलम ने कुछ देर सोचा, फिर मुस्करा के जवाब दिया- मैं तैयार हूँ… लेकिन सूरत से बाहर जाने के बारे में मुझे अपने पापा से पूछना पड़ेगा… दूसरे, मेरा नाम नीलम है नीलम रानी नहीं।
मैं बोला- जिस लड़की पे मेरा दिल आ जाता है, मैं उसे रानी कह कर ही बुलाता हूँ… नाम कुछ भी हो। तुम अभी बात करो अपने पापा से !
नीलम ने तुरंत अपना मोबाइल फोन पर्स में से निकाला और नंबर लगाया। लाइन मिलने के बाद वह बोली- हाँ पापा.. नौकरी तो मिल रही है… पच्चीस हज़ार तनख्वाह है… बहुत बड़े अफसर हैं सर… लेकिन एक प्रॉब्लम है… इनको अक्सर आउट ऑफ स्टेशन जाना पड़ता है और इनकी सेक्रेटरी होने के कारण मुझे भी साथ जाना पड़ेगा… हाँ…हाँ… बाहर जायेंगे तो होटल में ही ठहरना होगा… कम्पनी होटल बुक करवाएगी… यह तो अभी मालूम नहीं… पर सर तो शायद फाइव स्टार में ही रुकेंगे… आप क्यों चिन्ता करते हैं… कम्पनी करवाएगी ना अपने रूल के हिसाब से… क्या करूं… हाँ…हाँ… इतनी सेलरी तो कहीं नहीं मिलेगी… तो कर दूँ हाँ? ओ के पापा…बाकी बातें घर आकर बताऊँगी।
नीलम रानी ने मुस्करा के कहा- सर, पापा मान गये हैं, अब कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।
मैंने कहा- ठीक है अपना अपाइंटमेंट लेटर लेकर आओ और जाने से पहले मिलो।
नीलम- ठीक है सर, मुझे मंज़ूर है…लेकिन मेरी एक रिक्वेस्ट है कि कुछ भी करते हुए मेरी कोई फोटो या वीडियो ना लें !
मैं बोला- नो प्रॉब्लम… नीलम रानी… जो तुम नहीं चाहोगी वैसा कुछ तुम्हारे साथ नहीं होगा। अब तुम जाओ पर्सोनल डिपार्टमेंट में और अपना अप्पौइंटमेंट लेटर ले लो और फिर आकर मिलो मुझे !
नीलम रानी चली गई, करीब एक घंटे के बाद लौट के आई, बोली- सर लेटर मिल गया है… मैं पंद्रह दिन में जॉइन कर लूंगी… जिस स्कूल में पढ़ाती हूँ उनको नोटिस कम से कम दो हफ़्ते का तो देना पड़ेगा।
मैं बोला- ठीक है लेकिन जाने से पहले मुझे तेरा टेस्ट करना ज़रूरी है।
इतना कह कर मैंने उसे लिपटा लिया और उसके मुँह से मुँह चिपका कर उसके होंठ चूसने लगा। उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी जिससे उसका मुख़रस मेरे मुँह में आना शुरू हो गया।
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06-17-2017, 12:14 PM,
#2
RE: नई का नशा
उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और बड़े प्यार से चुम्मी देती रही। उसके मुँह की सुगंध कामाग्नि भड़काने वाली थी और उसके मुख रस का स्वाद बहुत मज़ेदार था तो लंड खड़ा हो गया और टनटनाने लगा।
फिर मैंने उसकी टॉप में हाथ डालकर ब्रा का हुक खोला और दोनों हाथ अंदर करके उसके चूचुक सहलाये। मदमस्त मम्मे थे, बड़े बड़े संतरों की भांति।
मैंने टॉप ऊपर सरका के एक निगाह मारी, देख कर मज़ा आ गया। बड़े बड़े दायरों वाली बड़ी बड़ी निप्पल।
गहरे काले रंग था निप्पल का और निप्पलों के दायरों का रंग हल्का काला था। दबाया तो बहुत ही आनन्दायक चूचुक लगे, नर्म नर्म लेकिन पिलपिले नहीं, इनको निचोड़ने और चूसने में बेतहाशा मज़ा आयेगा।
फिर मैंने उसकी जींस में हाथ घुसा के चूत में उंगली थोड़ी सी घुसाई। चूत गर्म और गीली थी। उंगली बाहर निकल के मैंने मुँह मे डाल के चूतरस का स्वाद चखा।
फिर मैंने उसके हाथों का मुआयना किया, बड़े सुन्दर, सलोने और सुडौल हाथ थे। मखमल सी मुलायम, लम्बी मांसल उंगलियाँ, सलीकेदार और लम्बे आयताकार सुन्दर नाखून जो बस ज़रा से ही उंगलियों से बढ़े हुए थे, त्वचा एकदम रेशम जैसी चिकनी !
मैंने कहा- अपने पैर सैंडल से निकाल कर टेबल पर रखो।
पैर भी बहुत खूबसूरत थे, अंगूठा साथ वाली उंगली से ज़रा सा छोटा। सभी उंगलियाँ ऐसा लगता था किसी मूर्तिकार ने तराश कर बनाईं हैं। नाखून साफ और सुन्दर, थोड़े थोड़े ही आगे निकले हुए। तलवे मुलायम जैसे किसी छोटी बालिका के हों।
मैंने झुककर एक एक करके अंगूठा और सब उंगलियाँ चूसीं, तलवे चूसे और एड़ी पर जीभ घुमाई। बहुत स्वादिष्ट ! मेरी पूरी तसल्ली हो चुकी थी। अब मैं सिर्फ उसके जॉइन करने की बाट जोह रहा था।
‘हूउऊऊऊऊँ… .हूउऊऊऊऊँ… ..हूउऊऊऊऊँ’ मैंने खुश होकर हुंकार भरी। सब कुछ बढ़िया और तसल्लीबख्श !
इसे चोद कर वाकयी में खूब मज़ा आयेगा।
बिल्कुल सही चुनाव हुआ था सेक्रेटरी का !
नीलम रानी की चूत लेने का फितूर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छा गया था। हालांकि मुझे कोई चुदाई की तकलीफ नहीं थी, रोज़ अपनी खूबसूरत, सेक्सी पत्नी की चुदाई करता ही था लेकिन नई चूत का मज़ा लेने का ख्याल एक नशा बनकर मुझ पर चढ़ गया था।

नीलम रानी की चूत लेने का फितूर मेरे दिल-ओ-दिमाग पर छा गया था। हालांकि मुझे कोई चुदाई की तकलीफ नहीं थी, रोज़ अपनी खूबसूरत, सेक्सी पत्नी की चुदाई करता ही था लेकिन नई चूत का मज़ा लेने का ख्याल एक नशा बनकर मुझ पर चढ़ गया था।
चौथे दिन मेरा सब्र जवाब दे गया, मैंने नीलम रानी के मोबाइल पे काल किया और कहा कि वो स्कूल से छुट्टी ले आधे दिन की और होटल गेटवे में आ जाये।
होटल में मैंने फोन किया और एक रूम बुक किया, अपनी बीवी को फोन किया और कहा कि मेरी होटल में एक मीटिंग है और मैं रात नौ बजे तक घर आऊँगा।
मैं होटल चला गया, रूम में चेक-इन करके नीलम रानी की बाट जोहने लगा। ठरक के मारे मेरा खून उबल रहा था और लण्ड था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
खैर बड़ी मुश्किल से वक्त गुज़रा। नीलम रानी डेढ घंटे के बाद पहुँची।
उसने जीन्स के ऊपर पीले रंग का टॉप पहना था, बड़ा गज़ब ढा रही थी नीलम रानी !
कंधे पर एक खूबसूरत सा बैग था और पैरों में हाई हील की चप्पल जिसमें उसके सुन्दर पैर और भी ज्यादा सुन्दर लग रहे थे।
मैंने आव देखा ना ताव, लपक के उसे अपनी बाँहों में जकड़ कर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।
काफी देर तक उसकी जीभ चूसी और उसका मुखरस पिया, फिर मैंने उसकी टॉप उतार के एक तरफ को फेंक दिया।
उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहन रखी थी।
उसके तने हुए चूचुक मानो न्योता दे रहे थे कि आओ और हमें चूसो।
माशाअल्लाह… क्या मम्मे थे ! भारी, लेकिन तने हुए।
मैंने दोनों चूचियों को दबाया।
नीलम रानी चिहुँक उठी, बोली- सर इन में हमेशा अकड़न सी रहती है, और ये गर्म भी हो जाती हैं अपने आप। जब गर्म होती हैं तो अकड़न कई गुना बढ़ जाती है।
‘चिन्ता ना कर रानी, अभी इनकी सारी गर्मी और अकड़न दूर कर दूँगा !’ मैं बोला और बड़े ज़ोर से दोनों चूचुक निचोड़े और निप्पलो को कस के उमेठा।
वो सी सी करने लगी तो मैंने लपक कर एक चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी और दूसरी चूची को पूरे ज़ोर से दबाता रहा। हाय राम, कितनी ज़ायकेदार चूचियाँ थी !
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06-17-2017, 12:14 PM,
#3
RE: नई का नशा
मैं हचक हचक कर बारी बारी से दोनों चूचियाँ चूसता गया, एक चूची चूसता तो दूसरी को दबा दबा कर निचोड़ता।
फिर पहली चूची दबाता और दूसरी को चूसता।
नीलम रानी मस्ती में चूर होकर आहें भर रही थी, उसकी कसमसाहट बढ़ती ही जा रही थी, उसके चूचुक और भी गर्म हो गए थे।
मेरे लण्ड का तो हाल पूछो ही मत, गुस्साये सर्प की तरह फुनकार रहा था, मेरे टट्टों में दबाब बहुत बढ़ चुका था, लगता था कि बस फटने ही वाले हैं।
जब मुझसे न रहा गया तो मैंने नीलम रानी की चूची छोड़कर जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार फेंके। कोई इधर गिरा कोई उधर जाके पड़ा।
‘हाय…हाय…अम्मा री…कितना लंबा और मोटा है सर आपका लिंग…यह तो मुझे फाड़ देगा नीचे… सर प्लीज़ ज़रा धीमे धीमे करियेगा !’
‘तेरी फाड़ूँगा बाद में, पहले इसे अच्छे से चूस… पूरा का पूरा अंदर जाना चाहिये !’ इतना कह कर मैं बिस्तर पर बैठ गया और नीलम रानी का सर पकड़ कर उसका मुँह एकदम लण्ड से सटा दिया।
नीलम रानी ने पहले तो पूरे लौड़े को नीचे से ऊपर तक चूमा, टट्टे सहलाये और फिर बड़े दुलार से खाल पीछे खींच के टोपे को नंगा किया।
टोपे को नीचे ऊपर से पहले तो सूंघा और फिर प्यार से उसने जीभ इसके सब तरफ फिरानी शुरू कर दी, चाट चाट के सुपारी को टुन्न कर डाला।
लण्ड फुदक फुदक के अपनी बेसबरी दिखा रहा था।
सुपारी को खूब चाटने के बाद नीलम रानी ने लण्ड मुँह में घुसा लिया और धीमे धीमे पूरा का पूरा जड़ तक लण्ड मुँह में ले लिया।
अब वो चटखारे ले ले कर चूसने लगी जैसे लोग आम चूसते हैं।

यह तो एक खूब खेली खाई चुदाई की खिलाड़ी थी। लण्ड का टोपा, जो फूल के कुप्पा हो गया था, नीलम रानी के मुँह के अन्दर गले से सटा हुआ था और वो मुखरस निकाल निकाल के दबादब चूसे जा रही थी।
जब वो मुँह आगे पीछे करती तो उसके महा उत्तेजक मम्मे भी फ़ड़क फ़ड़क कर इधर उधर हिलते डुलते और मेरे मज़े को सैंकड़ों गुणा बढ़ा देते।
यारो, मस्ती में मैं चूर हो गया था !
नीलम रानी लण्ड चूसने के साथ साथ मेरे अंडे भी बड़े हल्के हल्के हाथ से सहला रही थी।
मेरे मुँह से अब आहें निकल रही थीं, सी सी करता हुआ मैं झड़ने के क़रीब जाने लगा, उसका सिर पकड़ कर जो मैंने चार तगड़े धक्के मारे हैं तो लण्ड झड़ा, ऐसा लगा कि लण्ड एक पटाखे की तरह फट गया हो।
झर झर करके लण्ड तुनके मरता और हर तुनके के साथ एक बड़ी सी वीर्य की बूंद नीलम रानी के मुँह में डाल देता।
नीलम रानी ने अब लौड़ा थोड़ा बाहर कर लिया था, सिर्फ सुपारी मुँह में थी, वो सारा का सारा मक्खन पी गई।
जब लण्ड उसके मुँह में ही बैठ गया तो उसने बाहर निकाल दिया।
एक छोटी बूंद लौड़े के छेद पर बैठी हुई थी, नीलम रानी ने उसे भी अपनी जीभ से चाट लिया।
मैं भी लण्ड की तरह मुरझा के बिस्तर पर लेट गया। नीलम रानी मेरे बग़ल में लेट गई और बड़े प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ घुमाने लगी।
‘सर इसे मुँह में तो ले लिया जैसे तैसे लेकिन नीचे का छेद तो बहुत छोटा है। कैसे जायेगा ये मूसली जैसा भीतर?’
मैं उसके निप्पल उमेठता हुआ बोला- अरे रानी… बड़े मज़े से घुसेगा.. औरत की चूत जो है हाथी का लण्ड भी लील सकती है… यह तो इंसान का है.. अच्छा यह तो बता, लण्ड चूसने में मज़ा आया?
नीलम रानी ने करवट मेरी तरफ ली और बोली- हाँ सर..। मज़ा तो ख़ूब आया। आपकी क्रीम कितनी स्वाद है। पी कर आनन्द आ गया… यह तो मैं रोज़ पीना चाहूँगी।
‘हाँ हाँ रोज़ पीना… अब सुन… मुझे सर कहना बंद कर… सर सिर्फ दफ्तर में। मुझे चोदने वालियाँ मुझे राजा या राजे कह के पुकारती हैं… समझी !’ मैंने प्यार से उसकी चूचियाँ मसलीं।
‘आह…हाय राजा, क्या करते हो? तुम बहुत सताते हो। जब तुम इन्हें दबाते हो तो पता नहीं क्यों मेरे बदन में बिजली दौड़ने लगती है मेरा दिल करता है कि तुम मुझे जकड़ कर मेरी चटनी पीस दो। पूरा बदन ऐंठ जाता है, जी में आता है कि कोई मेरे शरीर को कुचल के रख दे। ऐसा क्यों होता है… बताओ ना राजे?’
‘यह निशानी है कि तुझे वासना ने जकड़ लिया है… अब जब तक तेरी जम कर चुदाई नहीं होगी एक मोटे तगड़े लण्ड से, यह अकड़न और यह गर्मी यूँ ही तुझे दुखाती करती रहेगी !’
और मैंने नीलम रानी को खींच कर अपने ऊपर लिटा दिया।
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06-17-2017, 12:14 PM,
#4
RE: नई का नशा
‘आ चल…आज तेरा कचूमर बना ही दूँ !’ उसका सुन्दर मुखड़ा अपने मुँह से चिपका कर मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये और साथ ही साथ उसकी चूचियाँ दबोच कर उन्हें पूरी ताक़त से मसलने लगा।
नीलम रानी ने भी बड़े मज़े ले ले के अपने होंठ चुसवाये।
फिर कुछ देर के बाद मैंने उसकी कमर पकड़ कर थोड़ा उसे ऊपर को घसीटा ताकि मम्मे मेरे मुँह के पास आ जाएँ। नीलम रानी के बड़े बड़े चुचुक जैसे ही मेरे मुँह के सामने आये, मेरे बदन में वासना की आग भड़क उठी, मैंने बड़े ज़ोर से एक चूची में दांत गाड़ दिये और दूसरी चूची को पूरी ताक़त से हाथों से ऐसे निचोड़ा जैसे धुलने के बाद तौलिये को निचोड़ते हैं। चूचुक वाकई मे बहुत सख्ताये हुए थे।
नीलम रानी गहरी गहरी साँसें लेने लगी। बदल बदल के मैंने चूचियों को चूसना, काटना और मसलना जारी रखा।
नीलम रानी अब तड़पने लगी थी, उस पर कामावेश पूरा चढ़ गया था। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली, चूत पूरी तरह रस से सराबोर थी।
उंगली घुसते ही वो एकदम से कंपकंपा उठी और हाय हाय करने लगी, उसने मेरे बाल कस के जकड़ लिये थे और वहशियों की तरह वो मेरा मुँह अपने चूचुकों में ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी जैसे कि मेरा मुँह चूचियों में घुसेड़ देना चाहती हो।
अब उसे एक तगड़े लण्ड से चुदवाने की गहरी इच्छा बावला बनाये जा रही थी।
मैंने करवट लेकर नीलम रानी को बेड पर पटक दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया, तुरंत उसने अपनी टांगें फैला लीं।
एक तकिया मैंने उसके चूतड़ों के नीचे टिका दिया और पहले उसकी झांटों पे हाथ फेरा। उसकी झांटें गहरे काले रंग की और बहुत घनी घुँघराली थीं, हाथ फेरा तो लगा किसी बढिया ग़लीचे को छू लिया।
फिर उंगली दुबारा चूत में दी।
जैसे ही उंगली थोड़ी सी अंदर घुसी, उसकी चूत का पर्दा रास्ते में आ गया, मैं भौंचक्क हो गया।
यह नीलम रानी तो अभी तक कुमारी थी।
उसकी बातों से या उसके लण्ड चूसने के ज़बरदस्त स्टाइल से तो लगता था कि वो घाट घाट का पानी पी चुकी है।
शायद वो मर्दों के साथ लण्ड चूसने के आगे न बढ़ती हो।
अब मुझे शक सा भी होने लगा था कि पता नहीं चुदवाएगी या नहीं !
एक तकिया मैंने उसके चूतड़ों के नीचे टिका दिया और पहले उसकी झांटों पे हाथ फेरा। उसकी झांटें गहरे काले रंग की और बहुत घनी घुँघराली थीं, हाथ फेरा
तो लगा किसी बढिया ग़लीचे को छू लिया।
फिर उंगली दुबारा चूत में दी।
जैसे ही उंगली थोड़ी सी अंदर घुसी, उसकी चूत का पर्दा रास्ते में आ गया, मैं भौंचक्क हो गया।
यह नीलम रानी तो अभी तक कुमारी थी।
उसकी बातों से या उसके लण्ड चूसने के ज़बरदस्त स्टाइल से तो लगता था कि वो घाट घाट का पानी पी चुकी है।
शायद वो मर्दों के साथ लण्ड चूसने के आगे न बढ़ती हो।
अब मुझे शक सा भी होने लगा था कि पता नहीं चुदवाएगी या नहीं !
पर यहाँ तो वो चुद जाने के लिये पूरी तत्पर होकर आई थी। शायद सोचा होगा कि एक ना एक दिन तो चुदना है ही, तो चलो आज क्यों नहीं।
मेरी तो ऐश लग गय कि एक कुमारी लड़की को चुदी हुई औरत बनाने का मौक़ा मिला। कुमारी को चोदने का मज़ा भी तो बेहिसाब आता है।
लण्ड चूत के मुहाने पे जमा के मैंने एक ज़ोर का धक्का दिया, मेरा लौड़ा उस बारीक सी झिल्ली को फाड़ता हुआ चूत में घुस गया।
चूत क्योंकि बहुत रसा रही थी, इसलिये लण्ड घुसने में बिल्कुल भी दिक्कत न हुई, हालांकि उसकी कुमारी बुर बहुत कसी थी जैसी अनचुदी चूतें होती हैं। फटे
हुए पर्दे से गर्म गर्म लहू निकलने लगा जिससे चूत में खूब पिच पिच मच गई जबकि लण्ड को तो बड़ा मज़ा आया उबलते उफनते खून की बौछार में भीग
के !
नीलम रानी कराहने लगी और रोते रोते बोली- सर मैंने कहा था इतना बड़ा मेरे छोटे से छेद में कैसे घुसेगा…हाय…हाय… बहुत दर्द हो रहा हे… उई
माँ…अब ना बचूंगी… आपने पूरा घुसेड़ के मुझे नीचे से फाड़ डाला… अब क्या होगा सर?…हाय…राम…आपने कंडोम भी नहीं पहना…बच्चा ठहर गया तो
मेरा क्या होगा?’
मैंने उसे बड़े प्यार से चूमा, उसके आँसू पौंछे और उसका पूरा मुँह पे बहुत सारी चुम्बन लिये।
मुझे पता था कुमारी लड़कियाँ चूत की झिल्ली फटने पर एक बार दहशत में आ जाती हैं, घबरा जाती हैं और उनको काफी प्यार से हिम्मत देने की ज़रूरत
होती है। अभी दस मिनट में ये भी मस्त होकर चूतड़ कुदा कुदा के चुदवायेगी और बार बार खुश होकर चूत मरवाएगी।
मैं- नीलम रानी… मेरी रानी… बिल्कुल फिकर न कर… अभी दर्द ठीक हो जायेगा… बस दो मिनट तसल्ली रख… हाँ मेरी रानी… बस दो मिनट… मैंने
नसबंदी करवा रखी है। इसलिये चिंता न कर !
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06-17-2017, 12:14 PM,
#5
RE: नई का नशा
इतना कह कर मैंने उस पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। मैंने होंठ गीले कर कर के उस बार बार पलकों पर, होंठों पर, गालों पर और माथे पर चुम्मियाँ लीं,
कान की लौ चूसी, दोनों गाल बारी बारी से चूसे, फिर मैंने उसके कंधों के ऊपरी भाग पे जीभ फिराई, उसके बाज़ू ऊंचे करके बगलें चाटीं।
इतना प्यार भरे मधुर चुम्बन पा के उसकी घबराहट फौरन कम हो गई और उसे भी मज़ा आने लगा।
इस दौरान मैंने लण्ड एकदम शांत रखा हुआ था, कोई धक्का नहीं मारा, बस थोड़ी थोड़ी देर में एक दो तुनके मार देता था।
नीलम रानी का, लगता था, दर्द खत्म हो गया था क्योंकि चूत दुबारा से रस बहाने लगी थी।
नीलम रानी भी मेरी चुम्मियों के जवाब में मुझे चूमने लगी थी।
अब मैंने हल्के हल्के धक्के भी देने शुरू कर दिये। नीलम रानी को दर्द न हुआ क्योंकि उसने भी मज़े लेते हुए अपने नितम्ब हिला कर धक्के के जवाब में
धक्के लगाये।
मैंने फिर उसके होंठों को चूसते चूसते धक्के थोड़ा तेज़ शुरू किये।
नीलम रानी में भी वासना का आवेश बढ़ता जा रहा था, वो बड़े उत्साह से मुँह उचका उचका के अपने होंठ चुसवा रही थी।
उसने अपनी बाहें कस के मेरे बदन से लिपटा ली थीं और उसने अपनी मुलायम मुलायम टांगें चौड़ा कर मेरी फैली हुई टांगों में लपेट रखी थीं, उसके पैर मेरे
टखनों में फंसे हुए थे।
नीलम रानी का रेशमी साटिन जैसा बदन मेरे बदन से चिपक के मेरी वासनाग्नि को अंधाधुंध भड़काए जा रहा था, मेरी सांस तेज़ हो चली थी, माथे पर
पसीने की बूंदें उभर आई थीं।
मैंने नीलम रानी के होंठ छोड़ कर उसकी तरफ देखा, वो भी अब गर्म हो चली थी, उसने आधी मुंदी हुई मस्त आँखों से मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा, दोनों
हाथों मेरा चेहरा पकड़ा और फिर अपनी तरफ खींच के मेरे होंठ चूसने लगी।
थोड़ी देर इसी प्रकार चूसने के बाद बोली- राजे… तुमने कितना मस्त कर दिया है… अब ज़रा भी दर्द नहीं हो रहा… बड़ा मज़ा आ रहा है… पता है राजे
मेरा बदन में फिर से अकड़न महसूस होने लगी है… ऐसा क्यों हो रहा है?
मैंने उसका एक चुम्बन लिया और कहा- रानी… तू चुदासी हो रही है… मैं सब अकड़न ठीक कर दूंगा… तुझे चोद चोद के… अब तो दर्द होने का काम भी
खत्म हो चुका… अब तो रानी बस मस्ती और बस मस्ती में डूबे रहना है।
इतना कह कर मैंने दोनों हाथों से नीलम रानी के उरोज पकड़ लिये और उन्हें भींचे भींचे ही धक्के पे धक्का लगाने लगा।
धक्के के साथ साथ चूचुक मर्दन भी खूब ज़ोरों से हो रहा था।
नीलम रानी अब मस्तानी होकर चुदाये जा रही थी और साथ में सीत्कार भी भरती जाती थी, कामुकता के नशे में चूर होकर उसकी आँखें मुंद गई थीं, मुँह
थोड़ा सा खुल गया था और चूत दबादब रस छोड़े जा रही थी।अचानक मैंने धक्कों की स्पीड कम कर दी और बहुत ही हौले हौले लण्ड पेलना शुरू किया।
मैं लौड़ा पूरा चूत के बाहर निकलता और फिर धीरे से जड़ तक बुर के अंदर घुसेड़ देता।
नीलम रानी तड़प उठी, कहने लगी- राजे… बड़ा मज़ा आ रहा है… मेरा एसा दिल कर रहा है कि तुम मेरा कचूमर निकल दो… तुम धीरे हो जाते हो तो ये
बदन काट खाने को हो रहा है… अब राजे पूरी ताक़त से धक्के ठोको। मुझे पता नहीं क्या हो रहा है…बस जी कर रहा है कि तुम मुझे दबोच कर मेरा
मलीदा बना दो…
फिर उसकी आवाज़ और ऊँची हो गई- राजे…तोड़ दो…पीस दो मेरा बदन… मैं दुखी आ गई इससे… हाय…हाय… अब मसलो ना… किस बात का इंतज़ार
कर रहे हो… मेरी जान निकली जा रही है !
उसे तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये जिससे उसका मुँह बंद हो गया।
अब वो आराम से होंठ चुसाये जा रही थी, चुदाई करवाये जा रही थी और मुँह बंद होने के कारण अपनी तड़पन दूर करने के लिये पूरा बदन कसमसाये जा
रही थी।
जब मैंने दस बारह खूब तगड़े धक्के ठोके, तो वो पागल सी होकर मुझ से पूरी ताक़त से लिपट गई, उसकी गर्म गर्म तेज़ तेज़ चलती सांस सीधे मेरे नथुनों
में आ रही थी, चूत से रस छूटे जा रहा था।
और फिर जैसे ही मैंने एक तगड़े धक्के के बाद लण्ड को रोक के तुनका मारा, नीलम रानी चरम सीमा पर पहुँच गई, उसने मेरा सिर कस के भींच लिया
और अपनी कमर उछालते हुए कुछ धक्के मारे।
वो झड़े जा रही थी। अब तक कई दफा चरम आनन्द पा चुकी थी, झड़ती, गरम होती और ज़ोर का धक्का खा के फिर झड़ जाती।
ऐसा कई मर्तबा हुआ।
अब तक मैं भी झड़ने को हो लिया था, मैंने नीलम रानी के उरोज जकड़े जकड़े ही कई ताक़तवर धक्के ठोके और स्खलित हो गया।
इस दौरान नीलम रानी भी कई बार फिर से झड़ी।
हमारी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। झड़ के मैं नीलम रानी के ऊपर ही पड़ा हुआ था। नीलम रानी आँखें मींचे चुप चाप पड़ी थी और अभी अभी हुई
विस्फोटक चुदाई का मज़ा भोग कर सुस्ता रही थी।
कुछ देर के बाद जब हमारी स्थिति सामान्य हुई तो मैंने नीलम रानी के मुँह को प्यार से चूमा, उसके चहरे पर बहुत संतुष्टि का भाव था जैसे कोई बच्चा
अपना मनपसंद खिलौना पाकर तृप्त दिखाई देता है।
चुदी हुई नीलम रानी बड़ी प्यारी सी गुड़िया सी लग रही थी।
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06-17-2017, 12:14 PM,
#6
RE: नई का नशा
इतना कह कर मैंने उस पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। मैंने होंठ गीले कर कर के उस बार बार पलकों पर, होंठों पर, गालों पर और माथे पर चुम्मियाँ लीं,
कान की लौ चूसी, दोनों गाल बारी बारी से चूसे, फिर मैंने उसके कंधों के ऊपरी भाग पे जीभ फिराई, उसके बाज़ू ऊंचे करके बगलें चाटीं।
इतना प्यार भरे मधुर चुम्बन पा के उसकी घबराहट फौरन कम हो गई और उसे भी मज़ा आने लगा।
इस दौरान मैंने लण्ड एकदम शांत रखा हुआ था, कोई धक्का नहीं मारा, बस थोड़ी थोड़ी देर में एक दो तुनके मार देता था।
नीलम रानी का, लगता था, दर्द खत्म हो गया था क्योंकि चूत दुबारा से रस बहाने लगी थी।
नीलम रानी भी मेरी चुम्मियों के जवाब में मुझे चूमने लगी थी।
अब मैंने हल्के हल्के धक्के भी देने शुरू कर दिये। नीलम रानी को दर्द न हुआ क्योंकि उसने भी मज़े लेते हुए अपने नितम्ब हिला कर धक्के के जवाब में
धक्के लगाये।
मैंने फिर उसके होंठों को चूसते चूसते धक्के थोड़ा तेज़ शुरू किये।
नीलम रानी में भी वासना का आवेश बढ़ता जा रहा था, वो बड़े उत्साह से मुँह उचका उचका के अपने होंठ चुसवा रही थी।
उसने अपनी बाहें कस के मेरे बदन से लिपटा ली थीं और उसने अपनी मुलायम मुलायम टांगें चौड़ा कर मेरी फैली हुई टांगों में लपेट रखी थीं, उसके पैर मेरे
टखनों में फंसे हुए थे।
नीलम रानी का रेशमी साटिन जैसा बदन मेरे बदन से चिपक के मेरी वासनाग्नि को अंधाधुंध भड़काए जा रहा था, मेरी सांस तेज़ हो चली थी, माथे पर
पसीने की बूंदें उभर आई थीं।
मैंने नीलम रानी के होंठ छोड़ कर उसकी तरफ देखा, वो भी अब गर्म हो चली थी, उसने आधी मुंदी हुई मस्त आँखों से मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा, दोनों
हाथों मेरा चेहरा पकड़ा और फिर अपनी तरफ खींच के मेरे होंठ चूसने लगी।
थोड़ी देर इसी प्रकार चूसने के बाद बोली- राजे… तुमने कितना मस्त कर दिया है… अब ज़रा भी दर्द नहीं हो रहा… बड़ा मज़ा आ रहा है… पता है राजे
मेरा बदन में फिर से अकड़न महसूस होने लगी है… ऐसा क्यों हो रहा है?
मैंने उसका एक चुम्बन लिया और कहा- रानी… तू चुदासी हो रही है… मैं सब अकड़न ठीक कर दूंगा… तुझे चोद चोद के… अब तो दर्द होने का काम भी
खत्म हो चुका… अब तो रानी बस मस्ती और बस मस्ती में डूबे रहना है।
इतना कह कर मैंने दोनों हाथों से नीलम रानी के उरोज पकड़ लिये और उन्हें भींचे भींचे ही धक्के पे धक्का लगाने लगा।
धक्के के साथ साथ चूचुक मर्दन भी खूब ज़ोरों से हो रहा था।
नीलम रानी अब मस्तानी होकर चुदाये जा रही थी और साथ में सीत्कार भी भरती जाती थी, कामुकता के नशे में चूर होकर उसकी आँखें मुंद गई थीं, मुँह
थोड़ा सा खुल गया था और चूत दबादब रस छोड़े जा रही थी।अचानक मैंने धक्कों की स्पीड कम कर दी और बहुत ही हौले हौले लण्ड पेलना शुरू किया।
मैं लौड़ा पूरा चूत के बाहर निकलता और फिर धीरे से जड़ तक बुर के अंदर घुसेड़ देता।
नीलम रानी तड़प उठी, कहने लगी- राजे… बड़ा मज़ा आ रहा है… मेरा एसा दिल कर रहा है कि तुम मेरा कचूमर निकल दो… तुम धीरे हो जाते हो तो ये
बदन काट खाने को हो रहा है… अब राजे पूरी ताक़त से धक्के ठोको। मुझे पता नहीं क्या हो रहा है…बस जी कर रहा है कि तुम मुझे दबोच कर मेरा
मलीदा बना दो…
फिर उसकी आवाज़ और ऊँची हो गई- राजे…तोड़ दो…पीस दो मेरा बदन… मैं दुखी आ गई इससे… हाय…हाय… अब मसलो ना… किस बात का इंतज़ार
कर रहे हो… मेरी जान निकली जा रही है !
उसे तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये जिससे उसका मुँह बंद हो गया।
अब वो आराम से होंठ चुसाये जा रही थी, चुदाई करवाये जा रही थी और मुँह बंद होने के कारण अपनी तड़पन दूर करने के लिये पूरा बदन कसमसाये जा
रही थी।
जब मैंने दस बारह खूब तगड़े धक्के ठोके, तो वो पागल सी होकर मुझ से पूरी ताक़त से लिपट गई, उसकी गर्म गर्म तेज़ तेज़ चलती सांस सीधे मेरे नथुनों
में आ रही थी, चूत से रस छूटे जा रहा था।
और फिर जैसे ही मैंने एक तगड़े धक्के के बाद लण्ड को रोक के तुनका मारा, नीलम रानी चरम सीमा पर पहुँच गई, उसने मेरा सिर कस के भींच लिया
और अपनी कमर उछालते हुए कुछ धक्के मारे।
वो झड़े जा रही थी। अब तक कई दफा चरम आनन्द पा चुकी थी, झड़ती, गरम होती और ज़ोर का धक्का खा के फिर झड़ जाती।
ऐसा कई मर्तबा हुआ।
अब तक मैं भी झड़ने को हो लिया था, मैंने नीलम रानी के उरोज जकड़े जकड़े ही कई ताक़तवर धक्के ठोके और स्खलित हो गया।
इस दौरान नीलम रानी भी कई बार फिर से झड़ी।
हमारी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। झड़ के मैं नीलम रानी के ऊपर ही पड़ा हुआ था। नीलम रानी आँखें मींचे चुप चाप पड़ी थी और अभी अभी हुई
विस्फोटक चुदाई का मज़ा भोग कर सुस्ता रही थी।
कुछ देर के बाद जब हमारी स्थिति सामान्य हुई तो मैंने नीलम रानी के मुँह को प्यार से चूमा, उसके चहरे पर बहुत संतुष्टि का भाव था जैसे कोई बच्चा
अपना मनपसंद खिलौना पाकर तृप्त दिखाई देता है।
चुदी हुई नीलम रानी बड़ी प्यारी सी गुड़िया सी लग रही थी।
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06-17-2017, 12:14 PM,
#7
RE: नई का नशा
शर्म के मारे मेरा बुरा हाल हो गया।
लेकिन अनु ना मानी, कहने लगी कि इस फिल्म का बनना उसके शादीशुदा जीवन के लिये बहुत ज़रूरी है… आखिर मैं मान गई।
फिर तो राजे… रोज़ मुझे अनु बुला कर ले जाती अपने बेडरूम में।
एक कैमरा स्टैण्ड के ऊपर सेट कर रखा था, मुझे कहा कि कैमरा को इस्तेमाल करना समझ लूँ।
फिर तो जीजाजी ने दनादन खुद के और अनु के कपड़े उतार डाले और दोनों नंगे होकर लिपट गये, उन्होंने सब सेक्स के काम किये।
अनु ने जीजाजी का लण्ड चूसा, उनका लण्ड भी तुम्हारे जैसा काफी लम्बा है पर इतना मोटा नहीं।
फिर जीजाजी ने अनु की चूत चूसी। उसके बाद दोनों ने हुमक हुमक कर दो बार चुदाई की।
पहली बार जीजाजी ने अनु को लेटा कर चोदा और उसके बाद फिर लण्ड चटवाया और फिर अनु को घोड़ी के पोज़ में पीछे से चोदा।
उसके बाद फिर दोनों ने एक दूसरे के गुप्त अंग चूमे चाटे और चाट चाट कर ही एक दूसरे को साफ किया।
उनका इतना गहरा प्यार देखकर मैंने भी सोचा चलो अगर मेरे फिल्म उतारने से ये खुश रहते हैं तो ठीक है।
जीजाजी किसी बाहर वाले से तो फिल्म बनवायेंगे नहीं। जितना वो पागल हैं अनु के पीछे, वो किसी बाहरी मर्द को तो ना देखने दें अनु को नंगी होकर चुदवाते हुए। मैं वहाँ दस दिन रही। दस दिनों में मैंने उनकी कम से कम चालीस ब्लू फिल्में बना डालीं, सभी अलग अलग स्टाइल में।
अनु मुँह से कहे ना कहे, मैंने ज़ान लिया है कि उसे भी बेहद मज़ा आता है चुदाई के सभी खेलों में।
इसी सब में मुझे सभी किस्म के शब्द और मर्द औरत के बीच क्या क्या होता है सब कुछ पता चल गया।
‘सच में महा चोदू है तेरा जीजा… साले ने दस दिन में चालीस बार चुदाई की। क्या कोई काम धंधा नहीं था उस माँ के लौड़े के पास?’ मैं रश्क की जलन में चिड़चड़ा कर बोला।
‘नहीं, नहीं, उनका बिज़नेस है। उनका टोयोटा कार का शोरूम है। सुबह उठके बाथरूम वगैरह निपटा के एक बार चोदते हैं… दोपहर में लंच के किये आते हैं दो घंटे के लिये। पहले चुदाई करते हैं उसके बाद लंच। आधा घंटा आराम करके चले जाते हैं। शाम सात बजे घर आ जाते हैं और आते ही शुरू हो जाते हैं। रात के ग्यारह बजे तक दो बार तो चोद ही लेते हैं। किसी किसी दिन तो उन्होने छह बार भी किया।’
‘अच्छा यह बता कि क्या क्या स्टाइल मारे उन्होंने इन चालीस चुदाइयों में?’ मैं बोला।
मुझे बड़ा ताव आ रहा था अपने ऊपर, मैंने तो कभी दस दिन में चालीस बार नहीं चोदा।
‘राजे…क्या बताऊँ ! कोई पोज़ बाकी छोड़ा हो तब ना… जैसे हमने अभी किया लेट कर, अनु ऊपर जीजाजी नीचे, अनु जीजाजी की ओर पीठ करके या कभी उनकी ओर मुँह करके, घोड़ी की तरह खड़े होकर, कभी बाज़ू में लेटकर, कभी जीजाजी की गोद में उनकी तरफ पीठ करके, कभी गोद में उनकी तरफ मुँह करके, कभी अनु को डाइनिंग टेबल पर लिटा कर जीजाजी ने खड़े खड़े चोदा, कभी सोफा पर, कभी बाथरूम में शॉवर चला कर, कभी बाल्कनी में, कभी घर की छत पर, कभी बैठ कर, इत्यादि इत्यादि। एक बार तो कार के अंदर भी चुदाई की।
और एक बार तो जीजाजी ने कार के गियर के डंडे को अनु की चूत में घुसवा डाला और फिर अनु ने पीछे की सीट पर बैठे जीजाजी का लण्ड चूसा।
अनु पता है मज़े से पागल हो गई उस दिन तो।
इतना पानी बहा है उसकी चूत से कि मैं बता नहीं सकती।
जब जीजाजी का अनु के मुँह में पूरा ख़लास हो गया, तो उन्होंने अनु को उछाल उछाल के गियर लीवर से चुदवाया।
जब वो झड़ के बेहोश जैसी हो गई, तो जीजाजी ने उसे खींच कर उठाया और अपनी गोद में बिठा कर चोदा। बाद में अनु की बुर के पानी से तर गियर लीवर को चाट चाट के अनु के चूतरस का स्वाद भी लूटा।
इतना लम्बा, मोटा और सख्त गियर लीवर चूत में लेकर कितना मज़ा आया होगा ना। तुम चाहे जो भी सेक्स का अंदाज़ सोच लो, जीजाजी ने वो इस्तेमाल किया।’
इसके बाद नीलम रानी चलने को तैयार हो गई, उसका घर पहुँचने का वक़्त हो चला था।
जाने से पहले नीलम रानी ने फिर एक बार मेरा लौड़ा चूस कर सारा मक्खन झाड़ के पिया और चली गई।
वादे के अनुसार नीलम रानी ने जॉयन कर लिया। इस बीच में दो बार उसे होटल में बुला कर चुदाई की।
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06-17-2017, 12:15 PM,
#8
RE: नई का नशा
मैंने गत अंक में बताया था कि कैसे मैंने नीलम रानी को होटल में चोद कर मैंने उसका कौमार्य भंग किया था।
अब आगे क्या क्या हुआ, वो पढ़िए और पढ़ कर मुठ मारिए या अपनी बीवी अथवा माशूका को ज़ोरों से कुचल मसल कर चोद डालिए।
नीलम रानी ने तय तारीख पर मेरी कम्पनी जॉइन कर ली। जॉइन करने पर कम्पनी की कार्यवाहियाँ पूरी करके जब वो मेरे ऑफ़िस में आई तो उसे देखकर मेरे दिल की धड़कन रुक सी गई।
क्या क़यामत ढा रही थी वो एक सादे से लेकिन खुशनुमा सलवार सूट में !
उसने ऊँची हील की बहुत ही बारीक तनियों वाली सैंडल पहन रखी थी जिसमें उसके लगभग पूरे पैर दीख रहे थे। वो जानती थी कि उसके पैर बहुत सुन्दर हैं और वो ऐसी ही चप्पल या सॅंडल पहनती थी जिसमें पैर छुपें नहीं, बल्कि दीखें। मैं कुर्सी से उठा और उसे बाहों में जकड कर दीवानों की तरह उसे चूमने लगा।
‘अरे राजा.. थोड़ी सी तसल्ली तो रखो, अभी तो मैं आई ही हूँ.. अभी चार दिन पहले ही तो तुमने तीन बार चोदा था.. हाय मेरे चोदू बॉस !’ नीलम रानी हंसते हुए बोली।
‘तसल्ली गई मां चुदाने… नीलम रानी… मेरा लण्ड अकड़ अकड़ के पागल हुआ जा रहा है… तू कहती है तसल्ली रखूँ?’ इतना कह कर उसे बाहों में उठा कर मैं ऑफिस से अटैच बाथरूम में ले गया, उसे दबोच के मैंने बेतहाशा उसके होंठ चूस डाले, पॉट का कवर नीचे डाल कर मैं पॉट पर बैठ गया और नीलम रानी की कमीज़ ऊपर सरका के बेसाख्ता उसके चूचुक चूसने और निचोड़ने लगा।
नीलम रानी भी मज़े ले ले कर सी सी करने लगी।
मैं बारी बारी से दोनों मम्‍मोँ को चूसने का स्वाद लेता रहा। खासकर जब मैं उसकी गहरे काले रंग की बड़ी बड़ी निपल चूसता तो मज़े से थर्रा उठता।
लण्ड अकड़ कर एक गुस्साए नाग की भांति फुंकारें मार रहा था।
मैंने नीलम रानी की सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार नीचे सरकाई और एक उंगली उसकी प्यारी सी गांड में घुसा दी।
नीलम रानी चिंहुक पड़ी और बोली, ‘हाय राजे… क्या करते हो?’
‘मज़ा आया या नहीं?’ मैंने मुँह चूची से एक दो पल के लिए हटा कर पूछा और साथ ही साथ उंगली गांड के अंदर पूरी घुसेड़ दी।
नीलम रानी ने मस्ता कर हल्की सी किलकारी भरी।
मैं बेहद गर्मा चुका था क्योंकि लौड़ा बहुत ज़्यादा सता रहा था, मैंने नीलम रानी को खींच कर नीचे घुटनों के बल बिठा दिया और लौड़े को पैंट से बाहर निकाल कर नीलम रानी के मुँह के सामने करके तुनके लगाने लगा।
नीलम रानी समझ गई कि मैं लण्ड चुसवाना चाहता हूँ, तुरंत उसने टट्टों को बड़े प्यार से सहलाया, लण्ड की कुछ प्यार भरी चुम्मियाँ लीं और सुपारी की खाल पूरा पीछे खींच कर सुपारी नंगी कर दी।
एक बूंद टोपे के छेद पर उभर आई थी जिसे नीलम रानी ने तुरंत जीभ से लपक लिया और खूब खुश होकर चहकी- हूंउउऊऊउउ… स्वाद आ गया !
उसने मुखरस से तर करके जीभ बाहर निकाली और धीरे धीरे सुपारी को चाटने लगी, उसने टोपा चारों तरफ चाट चाट के मुझे जन्नत दिखा दी।
हर थोड़ी देर बाद एक बूंद लौड़े के छेद पर आ जाती जिसे नीलम रानी फौरन में में ले लेती।
अब नीलम रानी ने लण्ड की खाल आगे पीछे करना आरंभ कर दिया।
वो लण्ड की सुपारी चूसे जा रही थी और दोनों हाथों से लण्ड को पंप कर रही थी।
बीच बीच में एक हाथ से मेरे अंडकोश भी सहलाती जाती।
मस्त चुसाई चल रही थी, लौड़ा चूसने की नीलम रानी एक्सपर्ट थी। कभी वो सिर्फ टोपा चाटती चारों ओर जीभ फिरा फिरा के, तो कभी वो पूरा लण्ड मुँह में घूसा लेती और मुँह के भीतर जीभ से लण्ड चाटती।
कई बार नीलम रानी लण्ड को ऐसे चूसती जैसे बच्चे लॉलीपॉप चूसते हैं।
लण्ड की उत्तेजना बढ़े चले जा रही थी, मेरा बदन अब तपने लगा था, गला घुटा घुटा सा लगने लगा था।
Reply
06-17-2017, 12:15 PM,
#9
RE: नई का नशा
नीलम रानी ने अब जीभ को मोड़ के सिरे की नोक सी बना कर सुपारे के सुराख में घुसेड़ दिया तो मेरे बदन मे एक ज़बरदस्त सनसनी दौड़ी, लण्ड में सुर सुरी होने लगी।
तब नीलम रानी ने जीभ घुसाए घुसाए अपने होंठ पूरी ताक़त से लण्ड पर जमा दिए और होटों से लण्ड को ज़ोर से दबाए दबाए चूसने लगी।
आनन्द की हद पार होने लगी थी, नीलम रानी ने मुझे सताना चालू कर दिया था।
जैसे ही उसे लगता कि मैं झड़ने वाला हो रहा हूँ, वो एकदम लण्ड पर से होंठों का दबाब कम कर लेती और थोड़ी सी जीभ भी छेद से बाहर कर लेती।
जैसे ही मैं काबू पा लेता, वो दुबारा अपने विशेष स्टाइल से चूसने लगती।
मेरा लाण्डिया चूस चूस कर नीलम लौण्डिया ने मेरा हाल बिगाड़ दिया।
मैं उत्तेजना के मारे कांप रहा था। मेरे मुँह से आह… आह… अय्या… आ… आ… आहा जैसी आवाज़ें आने लगीं।
लण्ड कबू से बहर हुए जा रहा था।
नीलम रानी जान गई कि मैं खलास होने के बहुत करीब हूँ, उसने पूरा लौडा मुँह में ठूंस लिया था और बडी तेज़ी से मुँह को आगे पीछे करके वो चूस रही थी।
उसका मुँह रस से भर गया था जिससे लौड़ा तर होकर चुसाई का मज़ा लूट रहा था। जब लण्ड मुँह में घुसता तो पिच पिच की आवाज़ निकलती।
अचानक एक तरंग मेरे सिर से तेज़ रफ्तार शुरू होकर मेरे बदन से गुज़री और लण्ड से होती हुई मेरे लौड़े के छेद से निकली और साथ ही मैं झड़ा।
नीलम रानी ने सारी मलाई निगल ली, एक बूंद भी उसने बर्बाद न होने दी।
जब मैं झड़ झड़ कर खाली हो गया तो नीलम रानी ने बैठे लौड़े को मुँह से निकाला जिसमें पुच की आवाज़ हुई।
लुल्ले को फिर नीलम रानी ने एक कागज़ का नॅपकिन लेकर अच्छे से पौंछ पौंछ कर साफ व सुखा दिया।
इसके बाद मैंने नीलम रानी की कमीज़ उतार कर खूंटी पर टांग दी और उसकी ब्रा भी उतार डाली।
मस्त, गर्म गर्म सख्ताई हुई दोनों मम्मे, तनी हुई निप्पलों सहित यूं लग रहे थे कि दो तोपें तैयार खड़ी हैं। मैंने ताबड़ तोड़ चूचियों को दांतों से काट काट के, मसल मसल कर, कुचल कुचल कर चूसना शुरू कर दिया।
नीलम रानी चिहुँक चिहुँक कर सीत्कार भरने लगी।
चुदास अब उस पर पूरी तरह सवार हो चुकी थी, अब वो मस्ती में मचल मचल के अपने थन चुसवाए जा रही थी।
जितना मैं उसे नोचता खसोचता था, उतना ही वो ज़्यादा गर्म हुए जाती थी।
नीलम रानी ने कहा- राजे… बस अब जल्दी से चोद दो… अब मैं इतनी गर्म हो गई कि उबल उबल कर फट जाऊँगी… आआआह… हाय… ऊऊऊऊँ… बस राजा बस… मैं हाथ जोड़ती हूँ… अब देर ना करो !
मैं बोला- थोड़ी देर और मुझे खेलने दे अपने मस्त बदन से… हरामज़ादी जब लण्ड चूसते हुए तू मुझे सता रही थी उसका कुछ नहीं… अब चूत गर्मा गई है तो ज़रा भी तसल्ली नहीं हो रही है। जब फटने को हो जाएगी तभी चोदूँगा, फटने नहीं दूँगा तुझे !
इतना कह कर मैंने चूत पर उंगली फिराई तो ढेर सारे चूत के रस से उंगली भीग गई। वो तो दबा के पनिया रही थी।
जैसे ही बुर में उंगली घुसाई, नीलम रानी की आहें और भी तेज़ हो गयीं, बुर से रसे का फव्वारा छूटने लगा, रस बह बह कर उसकी जाँघों से नीचे घुटने तक आ गया।
पहले तो मैंने सारा रस उसकी जाँघों से चाटा जिससे नीलम रानी और भी अधिक चुदासी हो गई।
चुदाई की प्यास से व्याकुल होकर नीलम रानी अब गिड़गिड़ा रही थी कि मैं उसका कीमा बना दूँ, बुर फाड़ कर कचूमर निकल दूँ।
मेरा लण्ड भी फिर से टनाटन हो चुका था।
चूत का रस तो अब टपकने लगा था। मैंने अपने हाथ को चूत के नीचे रखा तो ढेर सारा चूतामृत से हाथ भर गया। बहुत मज़ा आया वो चिकना, बहुत हलका सा नमकीन और बहुत ज़रा सी खटास लिए हुए रस को जब मैंने पिया।
लण्ड तो अब बुरी तरह मचलने लगा था। चूतरस पीकर तो मैं भी बहुत अधिक उत्तेजित हो गया था।
मेरी मर्ज़ी तो बहुत थी कि मैं नीलम रानी की चूत का रस तसल्ली से पियूं क्योंकि इतना अमृत बहा बहा के उसकी बुर को देख कर मेरे मुँह में पानी आ रहा था।
हाय राम, कितना स्वादिष्ट था नीलम रानी का चूतरस !!!
लेकिन बाथ रूम में उसकी चूत चूसना संभव नहीं था।
तो मैंने नीलम रानी से कहा कि वो आगे को दीवार के सहारे जितना झुक सकती है, झुक जाए और चूतड़ थ़ोडे से उठा ले, ताकि मैं घोड़ी की तरह उसे चोदूँ।
यह सुन कर तो वो बड़ी खुश हुई और फौरन ही बिल्कुल सही पोज़ीशन में आ गई। अब नीलम रानी के चिकने, सुन्दर और मुलायम मुलायम गोल गोल नितंब मेरे सामने थे।
उन्हें देख देख कर मैं मतवाला हुआ जा रहा था जबकि इधर नीलम रानी चुदाई के लिए बेकरार हुई जा रही थी।
मैंने उन चूतड़ों पर प्यार से हाथ फेरा और नीलम रानी की टांगें चौड़ा कर पीछे से अपना सुलगता हुआ लण्ड एक ही शॉट में बुर की अंदर घुसेड़ डाला। नीलम रानी ने मस्ता के एक किलकारी भरी और तेज़ तेज़ चूतड़ हिलाने लगी।
नीलम रानी हाँफते हुए हाय हाय करते हुए चुदवा रही थी।
बड़ी हैरत की बात थी कि यह लड़की जिसकी नथ मैंने सिर्फ तीन दिन पहले खोली थी, और जिसकी अब तक केवल एक दिन चुदाई हुई हो, अब ऐसे हुमक हुमक कर चुद रही थी।
मुझे भी मज़ा तो बेहद आ रहा था। इतनी टाइट बुर और उसमें से बहता हुआ ढेर सारा रस मेरी ठरक सातवें आसमान पर ले गया था।
लण्ड में एक हलचल मची हुई थी।
Reply
06-17-2017, 12:15 PM,
#10
RE: नई का नशा
अब तक तो मैं नीलम रानी के नितम्ब पकड़ कर धक्के मार रहा था। फिर मैंने उसकी चूचियाँ पीछे से कस के भींच लीं और उन्हें दबोचे दबोचे मैं बड़ी तेज़ी से तगड़े तगड़े धक्के पेलने लगा।
नीलम रानी मज़े से बेहाल हुई जा रही थी, जितना ज़ोरदार धक्का मैं ठोकता उतनी ही तेज़ उसकी सीत्कार निकलती।
नीलम रानी ने कहा- राजे… मदमस्त कर दिया तुमने… पूरी ताक़त लगा दो मेरे राजा… इतने ज़ोर से पेलो कि चूत के परखच्चे उड़ जाएँ ! हाँ… हाँ… हाँ… राजा… हाँ… हाँ… .और ज़ोर का धक्का ठोक ना मादरचोद… हाँ… राजा… .हाँ… हाँ… हाँ… हाँ… बड़ा मज़ा आ रहा है… ऐसे ही चोदते रहो… थोड़ा राजा मम्मे को और ज़ोर से मसलो… हाँ राजा हाँ… राजा सीट पर बैठ कर चोदो ना… थक गई मैं खड़े खड़े चूत मराते !
‘चुपचाप खड़ी खड़ी चुदे जा… सीट टूट जाएगी हम दो लोग के वज़न से… सीट चुदाई के लिए थोड़े ही डिज़ाइन की गई है !’ यह कहते हुए मैंने एक ज़बरदस्त धक्का रसीद किया।
नीलम रानी सारी थकान भूल के चूत में मची हलचल का मज़ा लेने लगी।
मैं झड़ने के बहुत क़रीब पहुँच गया था, मेरी साँसें तेज़ हो गई थीं और मेरा शरीर पसीना पसीना हो चुका था, मज़ा बेइंतिहा आ रहा था।
नीलम रानी तो बिल्कुल पगला गई थी धकाधक चूत में मचाई हुई लण्ड की धमाचौकड़ी से।
इधर मैं उसके चूचुक ज़ोर ज़ोर से मसल ही रहा था, चूत से रस लगातार बहे जा रहा था, मेरा लण्ड, झांटें और जाँघों का ऊपर का प्रदेश सब चूतामृत से भीग चुके थे।
मुँह से ‘हैं… हैं… हैं… हैं’ की सीत्कार भरते हुए मैंने दस बारह बड़े लम्बे धक्के मारे।
धक्के इतने ज़ोरदार थे कि हर धक्के पर जब लण्ड चूत में दनदनाता हुआ बच्चेदानी के मुहाने पर ठुकता तो मेरे सिर तक धमक महसूस होती।
फच फच फच फच की आवाज़ें हर धक्के पर आतीं।
अंत में मैं झड़ा और लण्ड के कई तुनके मारे और हर तुनके पर एक बड़ा सा वीर्य का लौंदा नीलम रानी की चूत में उगलता गया।
नीलम रानी तो तीसरे धक्के में ही ढेर हो गई। वो इतना अधिक बारम्बार झड़ी कि पूछो मत।
अगर मैंने उसे कस कर जकड़ा न होता तो शायद गिर ही पड़ती।
यही परेशानी है खड़े खड़े बाथ रूम में चोदने में, झड़ने के बाद लेटने को नहीं मिलता।
स्खलित होती बुर के रस की गर्म गर्म फुहार ने लण्ड को तरबतर कर दिया और इस चिकने रस से बैठा हुआ लौड़ा पिच्च्च से बाहर फिसल आया, साथ में ढेर सारा मेरे मक्खन से मिला जुला चूत का पानी भी रिस रिस कर बाहर निकलने लगा जिससे नीलम रानी की योनि के आस पास का बदन और घुटनों तक जाँघें भीग गईं।
नीलम रानी तो अर्धमूर्च्छा की हालत में थी इसलिए मैंने टॉइलेट पेपर से उसके बदन को साफ किया और सुखाया और फिर अपने आप को।
नीलम रानी को बाहों में लेकर कुछ देर तक मैं अपनी सांसों को काबू में करता रहा।
थोड़ी देर में नीलम रानी भी जागृत हो गई, मैंने पूछा, ‘क्यों रानी… मज़ा आया? कैसा लगा बाथ रूम में चुदाई करवा के?’
‘राजे… राजे… राजे… इतना मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती। तुम तो सच में बहुत शातिर चोदू हो। तुम्हारी पत्नी का तो जीवन सफल हो गया हर रोज़ तुम्हारा लौड़ा ले ले कर… मैं तो राजा तुम्हारी दासी हो गई ज़िंदगी भर के लिए… बस चोदते रहो, चाटते रहो और चूसते रहो मुझे… और कुछ भी ना चाहूँ मैं !’
मैं बोला- नीलम रानी, तू भी तो दिल खोल के मज़ा देती है… बता तो तेरे महा चोदराज जीजा के क्या हाल हैं? कोई नई ताज़ी चुदाई की दास्तान?’
‘अरे क्या बताउँ राजे… जीजाजी तो रोज़ चार चार बार अनु को चोद रहे ही हैं, अब उन पर एक नई नया फितूर सवार हो गया है, वो अनु के पीछे पड़े हैं कि वो अनु को किसी और मर्द से चुदाते हुए देखना चाहते है और फिल्म उतरना चाहते हैं, कहते हैं कि दो मर्द और एक औरत का खेल उन्होंने कभी नहीं खेला और उनका बड़ा अरमान है कि अनु को किसी अन्य मर्द के साथ मिल कर चोदें… साथ यह भी नहीं चाहते कि उनका कोई दोस्त इसमें भाग ले… अब कहाँ से लाए अनु एक दूसरे मर्द को?’
‘छोरा बग़ल में और ढिंढोरा शहर में?’ मैं बोला- जब तेरे जीजा को इतना चसका है पराए मर्द से अपनी बीवी चुदवाने का तो मेरे लण्ड में क्या कांटे उगे हैं कि मैं तेरी बहन तो नहीं चोद सकता… अगर मैं उसकी चूत लूं तो तेरे पेट में तो दर्द नहीं उठेगा?’
नीलम रानी ने मेरी चुम्मी ली और बोली- अरे राजे… मेरे पेट में कोई दर्द नहीं होगा… तुम कौनसा उसे चोद के मुझे छोड़ दोगे… बल्कि तुमने तो एक बड़ी समस्या सुलझा दी…
‘अरे मेरी जान नीलम रानी… मेरी बुलबुल… तुझे भला कैसे छोड़ सकता हूँ… तेरी बहन परेशान थी तो सोचा चलो मदद कर दूं… तेरे जैसी मलाई कौन छोड़ सकता है।’ मैंने उसे बाहुपाश में जकड़ कर एक गहरा चुम्बन लिया- चल अब फोन कर अपनी बहन को… कह कि यहाँ होटल गेटवे में दो कमरे बुक करवाए एक मेरे नाम पर और एक अपने। एक दिन, दो दिन, जितने भी दिन उसका दिल चाहे अपनी बीवी को पराए मर्द से चुदाने का उतने दिन का बुक कर ले।’
नीलम रानी ने फोन लगाकर अपनी बहन अनुजा से बात की।
अनुजा ने कहा कि वो अपने चोदू खसम से पूछ कर वापस फोन करेगी।
हमने अपने अपने कपड़े पहने और बाल ठीक करके बाथरूम से निकल कर ऑफिस में आ गए।
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