दोस्त की विधवा लेकिन जवान बहन
05-13-2017, 12:51 PM,
#1
दोस्त की विधवा लेकिन जवान बहन
हाय दोस्तों, मैं मोहित Kamukta यादव आप सभी का नॉन वेज स्टोरी में स्वागत करता हूँ। मैं कानपूर जिले का रहने वाला हूँ और पिछले कई महीनो ने नॉन वेज स्टोरी का नियमित पाठक हूँ, मेरे सारे दोस्त भी यहाँ की मस्त मस्त कहानी पढ़ते है। लेकिन आज मैं यहाँ आप लोगो के बीच अपनी कहानी सुनाने आया हूँ। ये मेरी रियल कहानी है। दोस्तों, कुछ दिन पहले मेरे दोस्त चरनजीत के घर शादी थी। उसकी छोटी बहन की शादी थी। जब मेरी बहन की शादी हुई थी तो चरनजीत ने सारा काम करवाया था। चरनजीत बलरामपुर में रहता था। इसलिए ये मेरा फर्ज बनता था की मैं भी उसकी बहन की शादी में सारा काम करवाऊं। इसलिए मैंने अपने ऑफिस से ३ दिन की छुट्टी ले ली और चरनजीत के घर चला गया। दोस्तों उसके पापा तो गुजर ही चुके थे इसलिए मैंने और चरनजीत ने मोटरसाइकिल उठायी और सारा काम करवाने लगे। सबसे पहले हलवाई हम दोनों ने बुक करवाया, फिर शामियाना और टेंट वाला बुक करवाया ,फिर दहेज का सामान खरीदने चले गये। रोज मैं और चरनजीत मोटरसाइकिल से यहाँ से वहां दौड़ लगाते और काम करवाते। शादी बस ४ दिन बाद होनी थी, इसलिए हम भाग भागकर टीवी, फ्रिज, कूलर, और अन्य सामान खरीद रहे थे।

चरनजीत की बहन की शादी ठीक ठाक और राजी खुशी से निपट गयी। उसने कुछ दिन और रुकने को कहा। मैं कानपुर से बलरामपुर सिर्फ उसकी बहन की शादी अटेंड करने आया था, इसलिए मैं रुक कहा। फिर मेरी मुलाकात आरोही दीदी से हुई। मेरा दोस्त और बाकी सभी लड़के आरोही दीदी को सिर्फ 'दी' कहकर पुकारते थे तो मैं भी दी कहकर पुकारने लगा। एक दिन वो बाकी औरतों के साथ बैठी थी। उन्होंने सफ़ेद रंग की साडी पहन रखी थी। एक साड़ी वाले को औरतों ने घर में रुकवा लिया था और अपनी अपनी साड़ियाँ पसंद कर रही थी। मैंने एक गुलाबी रंग की साड़ी उठा ली।

"दी...देखिये, ये साड़ी आप पर बहुत खिलेगी!" मैंने कहा

तो बाकी औरते एकाएक चुप हो गयी।

"क्या तुम नही जानते ही आरोही विधवा है." एक औरत मुझसे बोली

मैं तो बिलकुल दंग रह गया। सारी औरतें आपस में खुसर फुसर करने लगी। दी [आरोही] मुझे लेकर एक दूसरे कमरे में आ गयी और कहने लगी कोई बात नही है। तुमको नही पता था की मैं विधवा हूँ। 'मोहित, कोई बात नही' दी बोली। कुछ देर बाद वो रोने लगी। आरोही दी बहुत गोरी और बहुत सुंदर थी। दोस्तों, वो बिलकुल देखने में करीना कपूर से कम नही थी। मैं उनको बार बार सोरी बोल रहा था की मेरी वजह से उनका सारी औरतों के सामने मजाक बन गया था। वो रो रही थी। आरोही दी की नीली बेहद खुबसुरत आँखों में आंसू बिलकुल अच्छे नही लग रहे थे। मैं उनकी आँख से आंसू पोछने लगा। वो कमजोर और दुखी महसूस कर रही थी।

अचानक आरोही दी ने मुझे सीने से लगा लिया। तो मैंने भी कुछ नही कहा। दोस्तों कुछ देर बाद वो मुझसे अलग हो गयी। मैं किसी काम से बाहर चला गया पर वो पल जब आरोही जैसी माल ने मुझे सीने से लगा लिया था, मैं बार बार ना जाने क्यों भूल नही पा रहा था। मुझे चरनजीत की सगी बड़ी बहन आरोही अच्छी लगने लगी थी। सायद मैं उसको चोदना भी चाहता था। धीरे धीरे मैं रोज आरोही जैसी चुदासी लड़की के लिए रोज सुबह सुबह काफी लेकर जाता और उसने बात करता। कुछ दिनों में मेरी आरोही से अच्छी जान पहचान हो गयी। एक शाम जब मैं अपने कमरे में था आरोही आ गयी। उस समय मेरा दोस्त और आरोही का भाई चरनजीत बाहर किसी काम से गया हुआ था।

"कैसी है दी???" मैंने आरोही से पूछा

"मैं...अच्छी हूँ!!" वो हँसकर बोली

फिर हम लोग आपस में बात करने लगे। कुछ देर में आरोही ने मुझे प्रपोज मार दिया। "मोहित, मैं तुमने प्यार करने लगी हूँ" आरोही बोली। तो मैंने भी कह दिया की मैने भी जबसे आपको देखा है मेरी नींद और चैन उड़ गया है। उसके बाद आरोही ने मेरा हाथ पकड़ लिया तो मैं भी उसका हाथ लेकर चूमने लगा। फिर हम दोनों आपस में किस करने लगे। दोस्तों, मुझे आरोही बिलकुल टंच माल थी। मुश्किल से उसकी उम्र 25 की रही होगी। मैंने उसे बाहों में भर लिया और किस करने लगा। बाप रे, वो बहुत जादा सुंदर थी। उसका चेहरा पान के आकार का था। चेहरा बिलकुल ताजे गुलाब जैसा फ्रेश और ताजा था। आरोही को देखकर यही लगता था की अभी वो एक बार भी चुदी नही होगी, पूरी तरह अनचुदी होगी। उसकी शादी होने के बस १ साल के अंदर ही उसका पति खत्म हो गया था।

आरोही के गालों में शाहरुख़ की तरह डिम्पल थे। जब वो हंसती थी तो बहुत सेक्सी लगती थी। मन यही करता था की बस अभी इसको गिराकर चोद डालूँ। फिर मैं बिना किसी शर्म और झिझक के आरोही के रसीले ओंठ पीने लगा। दोस्तों १ साल के छोटे से समय में चरनजीत की बड़ी बहन आरोही ना तो ठीक से चुदवा पायी थी और ना ही ठीक से किसी को अपने रसीले ओंठ पिला पायी थी। इसलिए आज मेरा ये फर्ज बनता था की मैं अपने दोस्त की चुदासी और बेहद सेक्सी बहन को रगड़कर चोदूँ और उसके रसीले ओंठ पियूँ। मैंने आरोही को बाहों में भर लिया और उसके रसीले संतरे जैसे होठ पीने लगा। हम दोनू एक दूसरे को आँखों ही आँखों में ताड़ रहे थे, जैसे एक दूसरे को आँखों ही आँखों में चोद लेंगे। मैं भी चरनजीत की विधवा भाभी को चोदना चाहता था, तो भी मुझसे चुदवाना चाहती थी।

"मोहित जी, क्या आपको पता है की मेरे पति के गुजरने के बाद से मुझे किसी से नही चोदा??" आरोही दी बोली

"दी, आप परेशान ना हो। आज मैं अपनी दोस्ती का फर्ज निभाऊंगा और आपको रगडकर चोदूंगा!" मैंने कहा

उसके बाद तो आरोही दी किसी छिनाल की तरह मुझसे प्यार करने लगी। और मेरे गाल, मुंह, चेहरे, गले को किस करने लगी। हम लोग कान को बड़ी सेक्सी अंदाज में हल्का हल्का अपने दांत से कुतर रही थी। आधे घंटे तक हम दोनों सोफे पर बैठकर इश्कबाजी करते रहे।

"मोहित भैया, समाने बिस्तर लगा है। इसी गर्म बिस्तर पर मेरी गरमा गर्म चुदाई कर डालो, तुम मेरे भाई के जिगरी दोस्त हो। कुछ तो करो अपनी इस बहनिया के लिए!!" दी बोली

"दी, आज मैं अपनी दोस्ती का फर्ज जरुर निभाऊंगा। आज मैं आपकी बंद चूत को चोद चोदकर खोल दूंगा और आपको जन्नत के मजे दूंगा" मैंने कहा

उसके बाद मैं आरोही दी को लेकर बिस्तर पर आ गया। वो लेट गयी। मैंने उनकी सफ़ेद साडी का पल्लू हटा दिया। सफ़ेद ब्लाउस के ३६ इंच के बड़े बड़े रसीले दूध का उभार मुझे साफ़ साफ़ दिख रहा था।

"आरोही दी, आज मैं आपको चोद चोदकर आपनी जिन्दगी से सारी बुरी यादों और बातों को मिटा दूंगा और आपकी जिन्दगी में सिर्फ रंग ही रंग मैं भर दूंगा" मैंने कहा

उसके बाद मैंने अपनी शर्ट पेंट निकाल दी और आरोही दी के पास बिस्तर में पहुच गया। धीरे धीरे मैंने खुद उनका कसा ब्लाउस खोल दिया और निकाल दिया। सफ़ेद सूती ब्रा ने उनके रसीले दूध को जैसे खुद में छुपा रखा था। मैंने दी को हल्का सा उपर उचकाया और उनकी पीठ में हाथ डालकर मैंने ब्रा खोल दी। दोस्तों मैंने जैसे ही वो सफ़ेद सूती ब्रा हटाई, मेरी तो जैसे दुनिया ही बदल गयी थी। सोने जैसे २ मधहोश कर देने वाले कलश मेरे सामने थे। मैंने तुरंत आरोही दी के दोनों मक्खन के गोलों पर अपने हाथ रख दिए और दबाने लगा। वो हल्का हल्का कराहने लगी। फिर उन्होंने खुद मुझे अपने उपर ही लिटा लिया।

"मोहित भाई.. आज मेरे दोनों दूध जी भरकर पी लो और मुझे कसकर चोदो!!" दी ने मुझे ऑर्डर दिया।

उसके बाद मैंने दी के ऑर्डर को मना ना कर पाया और उनकी ३६" की कसी कसी छातियों को मैं पीने लगा। लगा जैसे मैं जन्नत में पहुच गया था। वाकई, ये कहा जा सकता है की आरोही दी चोदने पेलने और खाने वाला मस्त सामान थी। मैंने उनको बाहों में भर लिया था और उनके बड़े बड़े दूध पी रहा था। उसकी कसी कसी छातियाँ इतनी सेक्सी थी की जी कर रहा था की उनकी बुर चोदने से पहले मैं उनके बूब्स ही चोद डालूँ। हम दोनों की आँखें आपस में ही बंद हो गयी। हम दोनों ने एक दूसरे को ऐसे पकड़ लिया जैसे एक नदी समुन्द्र में जाकर मिल जाती है। मैं बेतहाशा जोश और ताकत ने आरोही दी जैसी चुदासी लड़की के मम्मे पी रहा था। फिर कुछ देर बाद वो मेरे लौड़े को हाथ लागाने लगी और छूने लगी। फिर वो इतनी जादा चुदासी हो गयी की मेरा लौडा सहलाने लगी। मैं कोई १ घंटे तक उनके चिकने जिस्म से खेला। उनके दोनों दूध मैंने मजे से पिए। उनके बाद मैंने उनकी साड़ी निकाल दी और पेंटी भी उतार दी। आरोही दी ने मेरा अंडरविअर निकाल दिया। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो गये थे।

फिर मैं बिस्तर पर लेट गया और दी मेरा लंड चूसने लगी। वो लंड चूसने में बहुत एक्सपर्ट थी। और जोर जोर से मेरे ६" के मोटे लंड को फेट रही थी और मुंह में लेकर चूस रही थी। मैंने अपना हाथ उनकी बायीं जांघ के अंदर डाल दिया। अपने हाथ को मैं और अंदर ले गया तो आरोही दी की चूत की खोज मैंने कर ली। मैं चूत को सहलाने लगा और चूत में ऊँगली करने लगा। वो आआआआअह्हह्हह..ईईईईईईई.ओह्ह्ह्हह्ह.अई..अई..अई..अई.करने लगी। इस तरह हम दोनों एक दूसरे को बहुत मजा दे रहे थे। दी अब और जादा गर्म हुई जा रही थी और मैं भी इधर बहुत गरम हो गया था। फिर दी मेरे लंड से खेलने लगी और अपने मुंह पर मेरे ६" के मोटे लौड़े से प्यार वाली थपकी देने लगी।

"मोहित भैया...तुम मेरे सगे भाई चरनजीत के दोस्त हो, इसलिए तुम मेरे भी भैया लगे। मोहित भैया, अब मुझे और मत तड़पाओ और जल्दी से अपनी दी [दीदी] को चोद डालो" आरोही दी बोली दोस्तों, मैंने उनकी परेशानी और बेचैनी ना देख सका और मैंने दी को अपनी कमर पर बिठा लिया। दी ने खुद मेरा ६" मोटा लंड अपनी रसीली बुर में डाल लिया और उछल उछलकर मजे लेकर चुदवाने लगी। दीदी के हाथ की उँगलियाँ खुद मेरे हाथ की उँगलियों में फंस गयी थी। मैं उनको चोद रहा था। उनके सिल्की रेशमी बाल फिसल पर उनके बड़े बड़े दूध पर आ गए जिसमे वो बेहद सेक्सी लग रही थी, जैसे कोई मॉडल हो। मैं उनकी कमर को उछाल उछालकर चोद रहा था। मेरा लंड सीधा उनकी रसीली चूत के अंदर गहराई तक जाकर उनका भोसड़ा चोद रहा था।

मुझे आरोही दी को चोदने और पेलने में अभूतपूर्व आनंद और सुख की प्राप्ति हो रही थी। उनका चिकना मादक मधहोश कर देने वाला जिस्म मजे से मेरा लंड फट फट करके खा रही थी। कुछ देर बाद तो जैसे मेरे हाथ खजाना ही लग गया था। दी की कमर किसी सेक्सी रंडी [नचनिया] की तरह नाचने लगी और फट फट मेरे लौड़े से चुदवाने लगी। दी के रसीले आम उसी तरह हिल रहे थे जैसे आंधी में आम के पेड़ बड़ी तेज तेज हिलने लग जाते है। दी किसी मशीन की तरह मेरे लौड़े पर उठक बैठक लगा रही थी। कुछ देर बाद तो हम दोनों rythm [लय] में आ गये और चट चट और पट पट का मीठा शोर आरोही दी की चूत से निकलने लगा। वो स्वर, वो आवाज दी की चूत से निकल रहा था और उत्पन्न हो रहा था और बहुत मधुर स्वर था वो। अब तक दी को मेरे लंड पर बैठकर चुदते हुए आधे घंटे से जादा का वक़्त हो गया था।

सायद वो थोड़ी थकावट महसूस कर रही थी क्यूंकि लंड पर बैठकर चुदवाने में अच्छी खासी ताकत खर्च होती है। इसलिए वो मुझ पर झुक गयी। जिन मस्त मस्त आम को मैं अभी तक दोनों हाथ में लेकर किसी टमाटर की तरह जोर जोर से दबा रहा था, अब वो आम की डाली मेरे उपर ही झुक गयी थी। फिर आरोही दी, पूरी तरह मेरे सीने पर लेट गयी। उफफ्फ्फ्फ़.क्या बताऊँ दोस्तों किसी चुदासी और लंड की प्यासी लौंडिया को नंगे नंगे अपने सीने पर बिठाना कितना सुखद और सुकून पहुचाने वाला होता है। जैसी की नंगी चिकनी मक्खन जैसे जिस्म की मालकिन आरोही दी मेरे उपर लेट गयी मैं सीधा स्वर्ग में पहुच गया। उनकी बड़ी बड़ी चूचियां मेरे सीने से दबने लगी और मेरे मन में गुदगुदी करने लगी। मेरा लंड अभी भी चुदासी आरोही दी की योनी [उनकी चूत] में घुसा हुआ था। उनके जिस्म की भीनी भीनी खुशबू मेरी नाक में जाकर मेरे तन मन को बहका और महका रही थी।

उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथ आरोही दी के मस्त मस्त नर्म नर्म चुतर पर रख दिए और उनको अपने सीने पर आगे पीछे सरकाने लगी। दीदी टेक्निकली मेरे लौड़े पर ही सवार थी। कुछ ही देर में हम दोनों ने अच्छी रफ्तार पकड़ ली और दी मेरे लौड़े पर आगे पीछे फिसलने लगी। एक बार फिरसे वो चुदने लगी। मैं उनके जिस्म की भीनी भीनी खुसबू लेकर उनको अपने सीने पर सरकाने लगा। उसके बाद मैंने अपने जिगरी दोस्त चरनजीत की सगी विधवा बहन इसी पोज में सीने पर लिटाकर कोई १ घंटा चोदा। फिर मैंने अपना माल गिरा दिया दी के मस्त मस्त भोसड़े में ही। फिर हमने अपने अपने कपड़े पहन लिए।

कुछ देर में मेरा दोस्त चरणजीत आ गया।

"अरे आरोही दी!! .तुम यहाँ बैठी हो। मैंने तुमको सारे घर में ढूढ़ ढूढ़कर मर गया" मेरा जिगरी यार चरनजीत बोला

"चरनजीत, तुम्हारा दोस्त बहुत प्यारा है...इसका साथ कभी मत छोड़ना!! आज मैंने इससे बहुत सारी बाते की" दी बोली और मेरे सामने ही मेरी तारीफ़ करने लगी। मैं हंसने लगा। उसके बाद दोस्तों, मैं जब भी चरनजीत के घर बलरामपुर जाता था, उसकी चुदासी और सेक्सी आरोही दी को खूब रगड़कर चोदता और पेलता था।
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