गर्लफ्रेंड और उसकी बहन को दोनों को चोदा
04-13-2017, 11:31 AM,
#1
गर्लफ्रेंड और उसकी बहन को दोनों को चोदा
हेलो दोस्तों, लाल जी मिश्रा आप सभी का स्वागत भारत की नम्बर १ सेक्स स्टोरी साईट नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम में स्वागत करता है. मैं आज पहली बार आपको अपनी कहानी सुना रहा हूँ. मैं इस समय स्नातक कर रहा हूँ. दोस्तों, मैं कई दिनों ने अपनी गर्लफ्रेंड आलिया की चूत मार रहा हूँ. उसको इतना चोद चूका हूँ की उसकी बुर बिलकुल ढीली हो चुकी है. अब तो उसे चोदने में जरा भी मजा नही आता है. धीरे धीरे मैं आलिया को इग्नोर करने लगा. मेरे कुछ दोस्त मुझे सलाह देने लगे की अब मुझे कोई और माल पटाना चाहिए और उसे चोदना चाहिए. इसलिए मैं अब कॉलेज में कोई नई माल ढूढने लगा.

एक दिन मेरी पुरानी माल आलिया अपनी बहन वैदेही के साथ कॉलेज आई. उसको देखा तो मैं देखता रह गया.

"हेलो लालू {प्यार से मेरे दोस्त मुझे लाल जी की जगह पर लालू कहकर बुलाते थे] "मीट माई सिस्टर वैदेही!!" आलिया बोली. वैदेही ने हाथ आगे बढाया. मैंने हाथ बढाया और हाथ मिलाया. वैदेही क्या गजब की माल थी. हवा में उसके कंधे तक बाल उड़ रहे थे. क्या हसीन चेहरा था उसका. हल्का लम्बा चेहरा था. खूबसूरत आँखे, सधी हुई नाक और २ प्यारे प्यारे होठ थे वैदेही के. मैंने तो उसको ताड़ता रह गया.

"इसने अभी बी एस सी में एडमिशन लिया है. इसकी मदद कर देना" आलिया बोली. दोस्तों, मैंने उसी समय सोच लिया की आलिया की बहन को कैसे भी पटाना है और इसे चोदना है. अब मैं वैदेही से समय समय पर मिलने लगा. उसकी क्लास खत्म होने से पहले मैं सीढियों पर खड़ा हो जाता. जैसे ही वैदेही निकलती, मैं उसके आगे पीछे किसी मक्खी की तरह मडराने लगता. मैंने उसकी हर तरह की हेल्प करने लगा. वो नये नये शेरो शायरी सुनाने लगा. फिर मैंने उसको पता लिया. धीरे धीरे मैंने उसकी चुम्मी भी लेने लगा. एक दिन मेरी पुरानी माल ने मुझे आलिया को कॉलेज की कैंटीन में किस करते देख लिया. जिस पर वो बहुत भड़क गयी. इसलिए अब मैं आलिया से सावधान रहता और उसने सामने कभी भी उनकी बहन को नही चूमता. एक दिन आलिया को चुदवाने की बड़ी जोर की तलब लगी. उसने मुझे काल किया.

"हाय लालू !! आज मेरे घर पर आओ ना..तुमसे चुदवाने का बड़ा मन है. प्लीस आओ ना जान !! घर पर भी कोई नही है!" आलिया बोली. मुझे उसको चोदने में कोई खास दिलचस्पी नही थी. पर कैसे भी करके मुहे उसकी बुर लेनी थी. इसलिए मैंने हाँ कर दी.

"ओके जानू !! सी यू इन २० मिनट्स!!" मैंने कहा. मैंने तैयार होकर आलिया के घर पहुच गया. वो नाईट ड्रेस पहने थी. ना चाहते हुए भी मुझे उसको चोदना पड़ा. वो मुझसे गले लग गयी. आलिया ने मेरा एक एक कपड़ा निकाल दिया. ये सब मेरे लिए कोई नई बात नही थी. क्यूंकि कई बाद मैं उसकी चूत की सीटी खोल चूका था. फिर आलिया मुझे अपने कमरे में ले गयी. जबकि उनकी फूल जैसी माल बहन दुसरे कमरे में पढ़ रही थी. उसकी चूत मारने तो मैं यहाँ आया था. आलिया ने मेरे बदन के सारे कपड़े निकाल दिए. मेरा निकर भी उसने निकाल दिया. किसी रंडी की तरह मेरे पास आकर वो मेरा लौड़ा चूसने लगी. दोस्तों, ये सब हम दोनों के लिए पुरानी बात हो गयी थी. शुरू शुरू में आलिया मेरा लौड़ा चूसने को जरा भी तैयार नही था. वो बार बार कहती थी की ये बहुत गन्दा होता है. फिर उसको लौड़ा चूसने की आदत हो गयी. अब तो वो किसी रंडी की तरह लौड़ा चूसती थी.

मैं बिस्तर पर लेट गया. अलिया मेरा लौड़ा मजे से चूसने लगी. फिर वो जोर जोर से किसी देसी कुतिया की तरह मेरा लंड चूसने लगी. मेरी दोनों गोलियों को भी चूसने लगी. कुछ देर बाद मेरा लंड उसको चोदने को रेडी था. मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया. उसकी चूत पीने लगा. बिलकुल बाल सफा बुर थी आलिया की. क्यूंकि वो जानती थी की झाटे मुझे बिलकुल नही पसंद है. इसलिए उसने अपनी चिकनी चमेली चूत को साफ करके रखा था. हमेशा की तरह मैंने इस बार भी आलिया की चूत पी. जीभ से उसे खूब चाटा. फिर उसकी बुर में ऊँगली करने लगा. कुछ देर चूत फेटने के बाद उसकी चूत अपना माल छोड़ने लगी. फिर मैं अपना लंड डालकर आलिया को चोदने लगा. आधे घटें तक तक मैं उसको चोदता रहा और उसकी जवान १६ साल की रापचिक माल वैदेही के बारे में सोच रहा था. कुछ देर बाद मैंने आलिया की उबलती चूत में अपना खौलता माल छोड़ दिया.

आलिया चुदवाकर चादर खींच कर सो गयी. मुझे वैदेही की याद बार बार आ रही थी. इसलिए मैं चुपके से वहाँ से खिसक गया और कमरे के बाहर निकल आया. मैंने वैदेही के दरवाजे पर नॉक दिया. दरवाजा खुला था. मैं वैदेही के पास जाकर बैठ गया. उसे मक्खन लागने लगा. वो मेरी एक एक जुमले पर हँसने लगी. मैंने धीरे से उसके गाल पर किस कर लिया. मैंने जानता था की वैदेही तो चोदने का इससे अच्छा मौका फिर नही मिलेगा. हम और वैदेही किस करने लगे. मेरा हाथ उसके टॉप पर चला गया. मैंने उसके नये नये दूध दबाने लगा.

"वैदेही !! चूत देगी ???' मैंने कहा. वो तो बिलकुल झेंप गयी. उसके मुँह से ना हा निकला ना ना निकला.

"वैदेही !! ये कोई बड़ी बात नही होती है. अभी अभी मेरी दीदी को चोदकर आया हूँ ..जाकर देख ले कैसे सुंदर सुंदर सपने देख रही है. मजे से छिनाल सो रही है अपने कमरे में !!! चुदने के बाद नींद बहुत मस्त आती है !!" मैंने वैदेही से कहा. वो कुछ नही सोच पा रही थी. मैं जान गया था की वैदेही को चोदने का इससे अच्छा मौका फिर कभी नही मिलेगा. मैंने धीरे धीरे वैदेही के दूध अपने हाथों से मीन्जने लगा. विदेसी के सेक्सी गुलाबी कुवारे होठ चूमने लगा. बिलकुल कच्ची कली थी वो. धीरे धीरे वैदेही भी चुदने को तैयार हो गयी. मैंने उसका टॉप निकाल दिया. उसने सफ़ेद जालीदार ब्रा पहन रखी थी. मेरी तो आँखों में चमक आ गयी.

मैंने वैदेही की ब्रा का हुक खोल दिया. जैसे ही ब्रा हटाई मेरी तो दोस्तों तकदीर की बदल गयी थी. बला के २ बेहद खूबसूरत रुई से सफ़ेद दूध मेरे सामने थे. निपल्स की चुचियाँ उपर की ओर काफी काली थी. कितने देर तक मैं वैदेही के दूध ताड़ता रहा, मुझे भी नही मालूम है. मैंने उसको उसकी बड़ी सी स्टडी टेबल पर ही लिटा दिया और उसके मुलायम दूध दबाने लगा. वैदेही आहे भरने लगी.

"लालू !! प्लीस धीरे धीरे करो !! लगता है !!" मेरी जान वैदेही बोली.

इसलिए मैं उसका ख्याल रखते हुए आराम आराम से वैदेही के कोरे कागज़ से कुवारे दूध दबाने लगा. वो गर्म गर्म आहे भरने लगी. मम्मी मम्मी पुकारने लगी. धीरे धीरे उसके पेट , और नंगी पीठ को मैं चूमने लगा. दोस्तों आलिया जहाँ लम्बी चौड़ी साढ़े ५ फुट की लड़की थी. वही वैदेही किसी नाजुक फूल से कम नही था. वैदेही सिर्फ साढ़े ४ फुट की माल थी. पर थी बहुत प्यारी. क्या हसीन सामान थी. इसलिए मैं आराम आराम से वैदेही के दूध दबाने लगा. धीरे धीरे उसके पुरे जिस्म को चूमने लगा. बिलकुल खरगोश जैसा मुलायम खूबसूरत बदन था. मैं जानता था की मुझे आराम आराम से उसको चोदना पड़ेगा. क्यूंकि उस जैसी फूल को जोर जोर से ठोकना बहुत नाइंसाफी होगी. धीरे धीरे मेरे हाथ वैदेही की जींस तक पहुच गये. मैंने उसके नाजुक रुई से मुलायम और सफ़ेद दूध पीते पीते उसकी नीली डेनिम जींस की बटन खोल दी. फिर जिप भी खोल दी. मेरे हाथ अंदर उसकी पैंट में घुस गये. वैदेही ने अंदर पेंटी पहन रखी थी. मैंने हाथ से छेड़ छाड़ करने लगा और वैदेही के छोटे छोटे दूध पीता रहा. उफफ्फ्फ्फ़ !! कितना मजा आ रहा था उसके कुवारे दूध पीकर. मुझे नही लगता था की किसी लड़के ने आज तक उसके दूध पिये थे. मैंने धीरे धीरे वैदेही की जींस निकालनी शुरू की. जींस उसके घुटनों के पास फंस गयी. बहुत टाइट जींस थी उसकी. मेरे हाथो को काफी मेहनत करनी पड़ी उसकी जींस निकलने के लिए.

आखिर मैंने वैदेही को नंगा कर लिया. पेंटी तो निकालकर किनारे रख दिया. मैंने देखा वैदेही की चूत पर एक प्यारी तितली बनी हुई थी. मुझे जानने की जिज्ञासा हुई.

"वैदेही !! तेरी बुर पर ये तितली किसने बनायीं???' मैंने पूछा

"मैंने खुद ही इसे बनाया है. मेरी सारी सहेलियों ने ऑनलाइन नयी नयी झांटों की डीजाईन सर्च करके अपनी अपनी चूत के उपर अलग अलग डीजाईन बनायीं है!" वैदेही बोली. मैं तो बिलकुल दंग रह गया. कितनी स्मार्ट लड़की है ये. मैं तो इसे लल्लू समझता था. मैंने सोचा. मैंने जीभ से वैदेही की झाटो पर अपनी खुदरी जीभ फिराने लगा. फिर अपनी जीभ से उसकी चूत चाटने लगा. दोस्तों, मैंने देखा की उसकी चूत बिलकुल सील बंद थी. कीसी ने उसे नही चोदा था. मुझे खुशी थी की जैसा मैं सोच रहा था वैदेही उसी तरह कुवारी निकली. अगर वो चुदी हुई होती तो सायद मैं उसकी चूत नही लेता. क्यूंकि आलिया जैसी माल तो मेरे पास पहले से ही थी. मैं जीभ से अच्छी तरह वैदेही की चूत चाटने लगा. ऊँगली से फैलाकर उसकी बुर पीने लगा. वो तड़पने लगी.

वो अपने छोटे आकार के बूब्स खुद अपने हाथों से दबा रही थी.

"लाल जी !! प्लीस आप मुझे चोद दीजिये. मैं पागल हो रही हूँ. अब आप मेरी चूत मत पीजिये. प्लीस मुझे चोदिये !! जिस तरह से आप मेरी दीदी को कसके रगड़के पेलते है, ठीक उसी तरह से मुझे पेलिए !!" वैदेही मुझसे विनती करने लगी. पर मैं तो उसकी चूत पीने में डूबा हुआ था. उधर बगल वाले कमरे में वैदेही की बहन आलिया चादर तानकर सो रही थी. क्यूंकि अभी आधे घंटे पहले ही उसने मुझसे चुदवाया था. इस समय आलिया को मस्त नींद आ रही थी. मैं तो बड़ी देर तक वैदेही की बुर पीता रहा. फिर मैंने हाथ से वैदेही की चूत पर चट चट हाथ मारा. उसकी बुर कांप गयी. मैंने लंड उसकी बुर पर रखा और पेलने लगा. वैदेही चुदने लगी.

मुझे उसपर बड़ा प्यार आ रहा था. क्यूंकि वो एक छोटी बच्ची लग रही थी. मैंने उसकी बड़ी बहन आलिया को तो खूब चोद लिया था, पर वैदेही अभी नया माल थी. मैं उसको खाने लगा. वैदेही मेरे सामने किसी खुली किताब की तरह पड़ी थी. मैंने उसके बूब्स पर हाथ रख दिए और दबाते दबाते उसे लेने लगा. वो सीधा मेरी आँखों में देखने लगी. उसकी नजरों में नजरे डालकर मैं उसे ठोंक रहा था. कुछ देर बाद मैं उसे जोर जोर के धक्के मारे और आउट हो गया. मैंने उसे पलट दिया. वैदेही की बड़ी बहन अलिया अभी भी तेज नींद में सो रही थी. अभी तो मैंने वैदेही जैसे माल को सिर्फ एक बार खाया था. अभी तो मुझे उसे कई बार बजाना था. मैं अच्छी तरह जानता था की अब कौन सी पोज में उसको चोदना है. मैंने वैदेही को फर्श पर खड़ा कर दिया. वो नीचे की तरह झुक गयी और उसने झुककर अपने दोनों हाथ अपने पैरों पर रख दिए. जैसे हम पीटी करते है. मैंने उसके पीछे चला गया और उनकी कमर को दोनों हाथों से मैंने पकड़ लिया.

कुछ देर मैं घुटनों के बल बैठकर पीछे से उनकी चूत का नमकीन पानी पीता रहा. फिर खड़े होकर अपनी नई माल वैदेही को चोदने लगा. दोस्तों, इस तरह के आसन को ऊंटासन कहते है. मैंने वैदेही को जोर जोर से खड़े होकर पीछे से चोद रहा था. जबकि वो पीटी करने वाली मुद्रा में नीचे झुकी हुई थी. इस तरह से वैदेही को चोदने में दुगुना मजा मिल रहा था. मैंने बड़ी देर तक उस कुतिया को चोदता रहा. फिर मैंने उसकी से लंड निकाल लिया और जोर जोर से ऊँगली करने लगा. कुछ सेकंड बाद वैदेही की चूत किसी रंडी की बुर की तरह पानी के झरने जोर जोर से छोड़ने लगा. सारा पानी मेरे मुँह पर पड़ रहा था, क्यूंकि मैं उस कीमती झरने के पानी को वेस्ट नही करना चाहता था. मैंने सारा वैदेही की चूत का पानी मुँह में भरके पी लिया. मेरा पूरा चेहरे उसके झरने के पानी से भीग गया था.

कुछ देर बाद मैंने फिर से उसको नीचे झुका दिया पीटी वाले पोज में और फिर से लंड अंदर डाल दिया. मैं फिरसे उसे चोदने लगा. वैदेही देसी रंडियों की तरह जोर जोर से चिल्लाने लगी. उसकी चीखे मुझे और जोर जोर उसे लेने को विवश कर रही थी. वैदेही ने झुके झुके ही मेरे दोनों पैर पकड़ लिए. जिससे उसकी चूत और जादा कसी होने लगी और मैं जोर जोर से उसे पेलकर जिन्दगी के सुख लेने लगा. कुछ देर बाद मैंने लौड़ा उसकी बुर से निकाल लिया और वैदेही की गांड में ऊँगली डाल दी. दोस्तों, वो सिसक गयी.

"लाला जी !! ये क्या कर रहे है???' वैदेही बोली

"तेरी गांड मारूंगा और क्या.." मैंने कहा

"नही.प्लीस ऐसा मत करिये. मैंने आपने इतना चुदवाया है. आपको इतना मजा दिया है. प्लीस लाल जी ऐसा मत करिए" वैदेही बोली.

"अरे पगली !! तू बड़ी नादान है. गांड मराने में तो और भी मजा मिलता है. तू बस देखती जा !!" मैंने कहा. दोस्तों, मैंने अपनी ऊँगली में थोडा थूक ले लिया और बैदेही की गांड में ऊँगली करने लगा. उसको इतना मजा मिलने लगा की वो कुछ अपनी चूत जल्दी जल्दी सहलाने लगी. फिर मैंने अपना मोटा खीरे जैसा लंड वैदेही की गांड में डाल दिया. माशाअल्ला, उस छिनाल की गांड तो बिलकुल कुवारी थी. मैंने उसे उसी तरह पीटी वाले पोस में झुकाए रखा और खड़े होकर उसकी बहनचोद गांड की गांड मारने लगा. कुछ देर बाद जब जल्दी जल्दी मैं लंड उनके अंदर चलाने लगा तो वैदेही पापा पापा करके चिललाने लगी.

पापा पापा नही !! लंड लंड करो मेरी कबूतरी !! मैंने उपहास किया. उसने मुझे बाद में बताया की ऊंटासन में उसे लंड ४ जगह महसूस हो रहा था. चूत में , पेट में, आँखों में और दिमाग में. तो दोस्तों इस तरह ने मैं अपनी पुरानी माल आलिया की बहन को लेने लगा. कुछ देर बाद मेरा माल उसकी गांड के कसे छेद में छूट गया. दोस्तों, आज भी मैं अपनी पुरानी माल आलिया को तो ठोकता ही हूँ छुप छुपकर उसकी फूल जैसी बहन वैदेही को भी लेता हूँ. आपको ये स्टोरी कैसी लगी, अपनी कमेंट्स नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर जरुर दें.

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