कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
06-28-2017, 10:55 AM,
#1
कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
कौन सच्चा कौन झूठा 

प्यारा के डोर बेल बजाते ही इंदु(प्यारा की बीवी) ने दरवाजा खोला. आज प्यारा बहुत खुश था .उसके चेहरे पर एक अलग ही रौनक थी. सीडियो से उतरते हुए दोनो बच्चे नीचे आए प्यारा का बड़ा बेटा दीपक और बेटी निशा .. इंदु: प्यारा क्या बात है आज ऑफीस से जल्दी आ गये.
प्यारा: इंदु मे तुम्हे एक खुश खबरी देना चाहता हू . ये बात सुनते ही इंदु और बच्चो का चेहरा खिल सा गया .
इंदु: अब बता भी दो.
प्यारा : हाहाहा तुम आज भी नही बदली वही बच्पना है तुम मे.
दीपक : डॅड बता दो ना निशा अपने डॅड के बगल मे जा कर बैठ गयी.
प्यारा: अच्छा चलो चलते है. इंदु ने हैरानी से देखा बच्चे भी सोच मे पड़ गये .
प्यारा: अरे तुम लोग अमेरिका चलने के तैयारी करो मुझे हेड ऑफीस से प्रामोशन मिला हे .और अब 3महीने बाद हमे वही चलना है. ये बात सुनते ही तीनो खुश हो गये ..प्यारा ने दीपक से पूछा बेटा तुम्हारे एग्ज़ॅम कब ख़तम है .
दीपक: डॅड नेक्स्ट मोन्थ से स्टार्ट हे और 25 दिन के अंदर-2 ख़तम हो जाएँगे .
निशा : अगर तेरे एग्ज़ॅम ख़तम ना हुए तो हम तुझे यही पे छ्चोड़ जाएँगे ये बात सुनते ही सब हस पड़े इसी कहानी से............ जैल के दरवाज़े पर ज़ोर से डंडे की आवाज़ "ठक ठक ठक" तेज़ी से आती आवाज़ ने दीपक को नींद से जगाया और उसका सपना टूट गया"नवाब साब उठिए आज आपकी कोर्ट मे डेट है" "शम्भोनाथ जैल के मामूली से हवलदार दिखने मे एक भयानक रूप वाले लंबी लंबी मूच्छे मूह मे पान और मूह से आती आवाज़ "पच पच " . दीपक ने अपनी आँखें खोली और कमरे के रोशनदान से आती धीमी रोशनी ने सामने बैठे दो लोगो के दर्शन दिए . दीपक इन दोनो को करीब 20 दिन से जानता था पहला एक 55 साल का बुढ्ढा इंसान और दूसरा दीपक की उमर का "बिरजू" 23 साल की उमर मे 4 खून की सज़ा काट रहा है बिरजू .. बिरजू: आज तेरे डेट है
दीपक: हा .(दीपक एक दम गुम सूम था कम बोलने वाला)
बिरजू: कौशिश करना यहा वापस मत आना .और बिरजू ने आँखें घूमाते इधर उधर देखा और दीपक के हाथ मे कुछ थमा दिया आँख मारी और अपना बिडी पीने मे लग गया . एक दो तीन ...क़ैदियो की गिनती जारी थी वॅन मे .हर रोज़ यही होता था जिन कदियो को कोर्ट ले जाना होता था उनकी गिनती होती थी ..... सिर को झुकाए दीपक वॅन मे बैठा अपने पुराने दीनो को याद कर रहा था कैसे कुछ ही दिनो पहले उसका परिवार कितना खुश था उसको वो दिन भी याद है जब उसकी बेहन निशा ने उसको ये कहते हुए छेड़ा था के राखी आने वाली है क्या इस बार भी मुझ से ही पैसे लेकर मुझे ही गिफ्ट दोगे . चुर्र्र्र्र्ररर वॅन हाइह्कोर्ट के गेट के बाहर रुकती है . दीपक की मा(इंदु) अपने बेटे को देखने के लिए तड़प रही थी . पर पोलीस वालो ने मिलने नही दिया . आज डेपक की दूसरी पेशी थी हाइह्कोर्ट मे अगर आज भी दीपक को ज़मानत नही मिली तो क्या होगा. इंदु गेट के किनारे खड़ी थी वकिलो के दलील सुन रही थी दोनो तरफ के दलील सुन ने के बाद फ़ैसले के लिए आधे घंटे का टाइम लिया गया. पर आज दीपक के दिमाग़ मे कुछ और चल रहा था उसने कुछ फ़ैसला कर लिया था अगर आज उसे ज़मानत नही मिली तो वो कुछ भी कर सकता हे . ऑर्डर ऑर्डर जज ने अपना हधोड़ा पटकते हुए बोला "मुजरिम दीपक के बैल अपील कॅन्सल की जाती है" इंदु की आँखों से आँसू बह चले वो अपने आप पर काबू नही रख पा रही थी . दीपक ने हवलदार को बोला के उसे बाथरूम जाना हे . एक हवलदार उसके साथ मे चल दिया . हवलदार बाहर खड़ा था दीपक जैसे ही बाथरूम मे घुसा उसने अपने पाजामे के नाडे से बँधी चाबी को निकाला जो उसे बिरजू ने जैल मे निकलने से पहले दी थी . चाबी को दो चार घुमाने से दीपक ने हाथो की हतकड़ी खोल ली लेकिन हतकड़ी को उतारा नही वैसे ही हतकड़ी पहन के बाहर आ गया . वॅन के नज़दीक पहुचते ही उसने अपनी मा को दूर खड़ा देखा थोड़ा आगे बड़ा और अपने वॅन के साथी को धक्का मार के गिरा दिया जैसे दो हवलदार उसे उठा रहे थे दीपक ने मौका देख कर अपनी हतकड़ी उतारी जो पहले ही उसने खोल दी थी . और दीवार की तरफ भागा पोलीस वालो ने सिट्टी बजा दी और दीपक के पीछे भागने लगे पर दीपक आज किसी के हाथ नही आने वाला था दीवार के पास पहुचते ही एक छलाँग लगा कर चढ़ गया और दूसरी तरफ मैं रोड था .दीपक पागलो की तरहा भागे जा रहा था पोलीस वाले भी काफ़ी पीछे थे . एक सुनसान से गली मे जाकर दीपक एक अंधेरे कोने मे बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से रोने लगा ..... अपने आप पर काबू रखते हुए दीपक अपने आप से बाते करने लगा. मैं नही रोउँगा अपने आँसुओ को अंगार बना दूँगा जिसने भी मेरे परिवार के साथ ये सब किया है उसे मार दूँगा. दीपक वो मनहूस दिन याद करने लगा .."उठ बे उठ जा " दीपक ने आँखें खोली सामने इनस्पेक्टर राणे खड़ा था .दीपक ने कमरे मे नज़र घुमा के देखा तो उसके पिता की लाश पड़ी थी थोड़ी दूर ही इंदु ऐसे बैठे थी मानो वो भी मर चुकी हो ,पर दीपक कुछ सोचता उससे पहले ही राणे ने एक ज़ोरदार चांटा दीपक के मूह पर मारा "अब आया होश या और दू" दीपक अभी तक नशे मे था उससे अभी तक पूरा कुछ नही पता चला था पोलीस दीपक को पोलीस स्टेशन ले आई थी .राणे ने अपने सीनियर हवलदार को इशारा करते हुए बुलाया ये "नाइफ" फोरेन्सिक जाँच के लिए भेज दो और इस नवाब जादे के उंगलियो के निशान लो पता तो करे जनाब नशे मे इतना गिर गये थे क्या. दीपक के सिर मे बहुत तेज़ दर्द था उसने चीखते हुए पानी माँगा राणे ने हवलदार को इशारा किया और एक ग्लास पानी दीपक को दिया . दीपक जैसे पहली बार पानी पी रहा हो ऐसा उस हवलदार को लगा एक ही सास मे सारा पानी दीपक के गले मे . दीपक की छाती मे जलन महसूस हुए थोड़ी मुँह से आवाज़ निकली "कहा हू मैं" मुझे कोई बताओ आँखों मे आँसू दीपक फिर बेहोश हो गया . राणे अपने ही आंदाज मे बैठा था हवलदार को इशारा किया नवाब जादे को ज़रा रेमांड रूम मे तो लाओ खातिरदारी तो करे "हवलदार हँसने लगा साहेब बड़े दिन से हाथ नही उठाए है आज कुछ खुजली मिटा ही लीजिए" पछ्ह्ह्ह.... पानी दीपक के मुँह पर मारा दीपक को कुछ होश आने लगा था .दीपक एक लकड़ी की कुर्सी पर बैठा था बार बार पानी और कुछ खाने के लिए माँग रहा था .
राणे : हां हां लाड़ साहेब को दो दो खून करने के बाद तो बहुत भूख लगी होगी हहा .
दीपक: कौन , क्या बात कर रहे हैं आप (दीपक अभी भी कुछ नशे मे था ) राणे: आछा जी साहेब को तो कुछ पता भी नही हवलदार ज़रा साहेब को पानी दो.... हवलदार ने दीपक को पानी दिया फिर उसने जल्दी -2 मे पानी पिया .
राणे: दीपक जी आप अपना जुर्म कबूलेंगे या हम आपकी सेवा करे .
दीपक: सर क्या जुर्म .मेने किया क्या है सर( रोते हुए बोला)
राणे: वाह ! हर मुजरिम यही डायलॉग बोलता है .साले हरामी दो दो खून किए है तूने .
दीपक: सर खून मेने (सकपका सा गया दीपक) .
राणे: अपने बाप का और बेहन का खून किया है तूने हमारे पास सारे सबूत है(गुस्से मे राणे आगे बढ़ा) दीपक: क्या ( दीपक की आँखों मे आँसू आ गये पर छलके नही)
राणे: जिस चाकू से तेरे बाप का खून हुआ उस पर तेरे उंगलियो के निशान थे. तेरे बेहन का गला घोंटा तूने उस पर भी तेरे उंगलियो के निशान मिले है तू ड्रग्स कब से ले रहा हे( गुस्से मे राणे ने पूछा)
दीपक: आँखों में आँसू आ गयेअपने पिता और बेहन की मौत के खबर सुनकर दीपक टूट सा गया . सकपकाते हुए रोने लगा पूरे रूम मे दीपक के रोने के चीखे थी ऐसे रो रहा था जैसे उसका सब कुछ लूट गया हो (और हुआ भी ऐसा ही था )
दीपक: सर मेरी मा कहा है रोते हुए दीपक ने पूछा.
राणे: तेरे साथ नही है मतलब सेफ है . अब मुझे सब कुछ बता सच-2 वरना पोलीस वाले का असली रूप दिखाता हू तुझे बोल .
दीपक : सर मे क्यू अपने डॅड को मारूँगा वो तो मुझे इतना प्यार करते थे .सर एक बार प्ल्ज़्ज़ मेरी मा से मेरे बात करा दीजिए राणा: ये बता के तू ड्रग्स कब से ले रहा था. दीपक: ड्रग्स बड़ी हैरत से दीपक ने राणे की तरफ देखा .
राणे: आबे ऐसा क्या देख रहा हे . ड्रग्स लेता है और मुझ से ऐसे पूछ रहा हे जैसे कभी ड्रग्स देखी भी ना हो.
दीपक: (रोते हुए) सर मे ड्रग्स नही लेता.
राणे: हरामी झूठ बोलता हे तेरे खून की जाँच करवाई है हमने और 1000एमजी ड्रग्स तेरे खून मे पाई गयी हे इतनी ड्रग्स ले कर अपने बाप बेहन का खून कर दिया और अब बोलता हे मेने कुछ नही किया .
दीपक : सर मे सच बोल रहा हू मेने कुछ नही किया दरवाजे पर दस्तक हुई
राणे:कौन है
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06-28-2017, 10:56 AM,
#2
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
बाहर से हवलदार ने बोला साहेब इसकी मा आई है कोर्ट का ऑर्डर साथ मे लाई है इसको मिलने के लिए . जैसे ही इंदु ने दीपक को देखा दोनो की आँखों मे आँसू थे पोलीस के साइरन ने दीपक को नींद के आगोश से जगा दिया . सिर उठा के उपर आसमान की तरफ देखा तो सूरज बिल्कुल सिर के उपर था गली के पीछे भी उपर जाने का रास्ता था . जैसे ही दीपक सीडिया चढ़ा उपर बैठे कुत्ते ने भोकना शुरू कर दिया. दीपक जानता था के अगर ये कुत्ता चुप ना हुआ तो कोई ना कोई यहा देखने पहुच जाएगा .दीपक ने पास मे पड़े मोटे से पत्थर को उठाया और उपर सीडियो पर चल दिया .उपर पहुचते ही देखा कुत्ता चैन से बँधा हुआ था दीपक ने ज़ोर से पत्थर को कुत्ते के सिर पर मार दिया सब कुछ शांत हो चुका था. धीरे से दीपक ने रस्सी पर से कपड़े लिए और बदल लिए वो जानता था कि अगर वो जैल के कपड़ो मे रहेगा तो कोई ना कोई उसे पहचान लेगा . आगे बढ़ते ही दीपक को घर जाने का ख़याल आया पर वो जानता था कि उसके भागने की खबर सुनते ही पोलीस उसके घर की घेराबंदी कर चुकी होगी. ट्रिन्न्न ट्रिन्न हेलो इनस्पेक्टर राणे हियर क्या कब. तुम एक काम करो उसे वही ढुंढ़ो मे उसके घर जा कर दबिश देता हू. राणे ने अपनी टोपी पहनी गाड़ी मे चल दिए दीपक सोच रहा था कहाँ जाए उसे अपने पिता और बेहन के खूनी से बदला भी तो लेना था .घर जा नही सकता था पड़ोसियो मे शर्मा अंकल पर उसे भरोसा था मगर किसी ने पोलीस को बता दिया तो .दीपक के दिमाग़ मे कुछ सूझा वो आगे बढ़ गया . दीपक अपने घर की नौकरानी चंपा के घर पर जा रहा था घरवालो के बाद एक वही थी जो पिछले6साल से उनके घर मे काम कर रही थी उसे उस पर भरोसा था. जैसे ही दीपक चंपा के घर के बाहर पहुचा अंडर से आवाज़्ज़्ज़ आई "आह दीपक हैरान हुआ और छुप गया .चंपा की खोली बहुत छोटी थी दीपक ने अंदर झाँकने की कौशिश की उसको एक छेद मिला जो अंदर का नज़ारा बयान कर रहा था. दो जिस्म चिपके हुए थे एक के उपर एक. चंपा को तो दीपक ने पहचान लिया पर वो आदमी कौन था दीपक को नही पता था .
चंपा: डाल ना क्यू तड़पाता है जागया. दीपक को उस शक्स का नाम तो पता चल गया था. अंदर से फिर आवाज़ "आई आह " चंपा: साले हरामी तडपा मत डाल ना जागया: अभी नही तुझे तड़पाने मे मुझे बहुत मज़ा आता है. चंपा: आछा ! तुझे बताती हू अभी दीपक को बड़ी हैरानी हो रही थी के शरीफ से दिखने वाली चंपा बिस्तर पे ऐसा भी करती है. चंपा: ये ले .(चंपा ने नीचे हाथ ले जा कर ज़ोर से लंड को दबा दिया )
जागया : साआआअल्ल्ल्ल्ल्ल� �ईई आह !
चंपा: चिल्लाता क्यू है तड़पाने मे मज़ा आता हे ह्म्*म्म्म.... चंपा हस पड़ी. जागया गुस्से मे था अपने एक हाथ से चंपा के दोनो हाथो को पकड़ लिया .अपने लंड को चॅंप के पिंक चूत के मूह पर रखा .लंड के एहसास से ही चंपा आहे भरने लगी . एक हल्का सा दबाव लंड पर और चंपा की चूत के द्वार खुलते हुए .
चंपा: रहम कर आराम से डाल. आआहह.......साले चोद दे . जागया: साली आज तो तेरी फाड़ दूँगा जागया ने धक्को के स्पीड तेज कर दी .चंपा के मुम्मे उपर नीचे उछल रहे थे .जब जागया लंड और अंदर घुसा देता चंपा की सिसकी निकल जाती
चंपा: आज के बा आद तुउउउउझे घाररर मे आने नही दूँगी आआअहह .. जागया के धक्के जारी थे चंपा ठीक से बोल नही पा रही थी. जागया: ठीक है मत आने देना आहह. पर तेरी चूत के प्यास कौन मिटाएगा ह्म्म.. जागया धक्के बजा रहा था. आह...माआअ . जागया: मा तुझे बचाने नही आएगी हहा. चंपाने एक दम से जागया के कंधे ज़ोर से पकड़ लिए . जागया आगे पीछे नही हो पा रहा था . चंपा जागया के कान के पास अपना मून ले गयी और ज़ोर से उसका कान काट लिया
जागया : आआहह! क्या कर रही है इतना ज़ोर से . चंपा: आराम से कर मुझे भी दर्द हो रहा हे . जागया चंपा के मुँह के पास हुआ और अपनी जीब निकाल के चंपा के होंठो पर फिरा दी .
चंपा: आअहह ज़ालिम (मुस्कुरा दी) दोनो पूरे जोश मे आ चुके थे .जागया ने धक्के लगाने शुरू कर दिए बाहर दीपक ये सब नज़ारा देख गर्म था वो नही भी देखना चाहता था और देखना भी .
चंपा: मेरा निकलने वलाआआअ है.... जागया: हा (धक्को के स्पीड बढ़ा दी) चंपा शरीर की हवस मे पागल हो चुकी थी. चंपा ने अपनी टाँगो को थोड़ा फैलाया जागया के पीठ पर अपने नाख़ून गाढ दिए और झाड़ गयी...... जागया भी 5,6 धक्को के बाद चंपा की चूत मे ही पानी छोड़ दिया जागया खड़ा हुआ नीचे पड़े एक कपड़े अपना लंड सॉफ किया और कपड़े पहनने लगा.चंपा वही बिस्तर पर लेटी हुई उसे देख रही थी. अगया ने पॅंट के ज़िप्प बंद की तभी चंपा ने उसे अपनी तरफ खिचा जागया संभाल नही पाया सीधा चंपा के उपर गिरा . जागया की पॅंट की जेब से 1000 के नोटो के गद्दी गिरी . चंपा ने उठ के देखा तो जागया पैसे छुपा रहा था पर चंपा पहले ही नज़र मार चुकी थी.
चंपा: क्या रे तू क्या कर रहा है आज कल. जागया हड़बड़ा गया) कुछ नही वही जो पहले करता था.
चंपा: ज़यादा शान पॅंटी मत दिखा तेरे पास इतने पैसे कहा से आए.
जागया: एक सेठ का अपुन कुछ काम किया था उसी ने दिए थे.
चंपा: ऐसा कौन सा काम जो तुझे इतने पैसे मिले .कोई मर्डर किया क्या?
जागया: (घबरा गया) न ही नही तो .अरे तुझे पता है अपुन चोरी चाकरी वाले है अपुन लोग मर्डर कहा.
चंपा: पर चोरी के इतने पैसे.
जागया: ये अपुन के हाथ का कमाल है जिसके घर काम किए उसका ताला भी नही तोड़ा और काम हो गया. चंपा ने कपड़े पहन लिए थे जागया के पास आते ही उसने जागया का हाथ अपने हाथ मे लिया और बोली मेरे सिर की कसम खा के बोल तू कोई ऐसा काम नही करेगा जो हम दोनो को जुदा कर दे.
जागया: हां तेरे कसम. इनस्पेक्टर राणे दीपक के घर के बाहर खड़ा था मेन रोड से आने जाने वाले रास्ते पर नज़र डाल रहा था . हवलदार को इशारा करके बुलाया पूछा कुछ समझे .हवलदार असमंजस मे पड़ गया के साहेब किस बारे मे बात कर रहे है . राणे: अरे बताइए समझे कुछ.
हवलदार: गर्देन हिलाते हुए ना मे हामी भरी.
राणे: आप का समझेगे अगर समझते होते तो आप हमारे साहेब होते . जीप मे बैठा हवलदार हस पड़ा . राणे ने गर्देन घुमा के उसकी तरफ देखा जीप मे बैठे हवलदार की सिट्टी पिटी गुल हो गयी थी .
राणे: 4 स्पेशल ओफीसर को बुलाओ 24 घंटे घर के पास निगरानी रखनी पड़ेगी. टिग्टॉंग घर की बेल बजते ही इंदु ने दरवाज़ा खोला राणे गेट पे खड़ा था .
राणे: इंदु जी अंदर आने को नही पूछेंगी?
इंदु: हां आइये इनस्पेक्टर. राणे बहुत समझदार था उसे पता था के जिसके घर मे हाल ही मे दो मौत हुई हो वो बेचैन तो होगी.
राणे: (आराम से पूछा) आपको पता तो चल गया होगा इंदु जी .
इंदु: क्या? राणे: आपका बेटा दीपक कोर्ट से फ़र्रार हो गया हे.
इंदु: ह्म्*म्म. जी हां.
दोस्तो उधर दीपक की तरफ चलते है............ जागया के जाते ही दीपक ने अंदर झाँक के देखा चंपा चादर को ठीक कर रही थी जिस पर वो थोड़ी देर पहले कब्बड़ी खेल रहे थे.

दीपक: (धीरे से) चंपा तुम हो अंदर.
चंपा कमरे से बाहर झाँकते ही दंग रह गयी बोली "साहेब आप" चंपा: अंदर आइये साहेब . चंपा कुछ सोच मे पड़ गयी
दीपक: चंपा ज़यादा मत सोचो मैं जैल से भाग के आया हू. चंपा: क्या? दीपक: चंपा मुझे डॅड और दीदी के झूठे खून मे फँसाया गया हे .तुम तो मुझे जानती हो तुम बताओ क्या मे अपने ही पिता का खून कर सकता हू.
चंपा : नही साहेब मे आपको जानती हू मे उस घर मे कितने साल से हू सब बोलते है छोटे साब ने बड़े साहेब का नशे मे खून कर दिया पेर मेरा दिल कभी नही माना .
दीपक: चंपा मा केसी है. चंपा: साहेब मा जी तो ठीक नही हे टाइम से खाना नही खाती रात भर जागती रहती है उन को आपकी चिंता लगी हुई है . दीपक: चंपा मुझे मा से मिलना है लेकिन मे घर नही जा सकता तुम मा को कल मंदिर मे सुबा 11:00 ले कर आना मैं तुम्हे वही मिलूँगा. दीपक रुका कुछ बोलना चाहता था पर रुक गया . दीपक को कुछ अजीब सा लग रहा था वो जैसे ही चंपा के घर से बाहर निकला दो मिनिट बाद वापस चंपा के पास आया. चंपा: क्या हुआ साहेब आप मुझे परेशान लग रहे है. दीपक: चंपा वो. दीपक सोच रहा था के जिस औरत को हम पिछले 6साल से हर महीने पैसे देते थे उससे पैसे कैसे माँगे क्यूकी उसे आज रात कही तो गुज़ारनी थी. चंपा: कुछ चाहिए साहेब? दीपक: चंपा मुझे कुछ पैसे चाहिए. चंपा: ओह हां साहेब . चंपा ने अपने बेड के नीचे से 100 के 5नोट निकाल के दीपक की तरफ बड़ा दिए. दीपक: शुक्रिया चंपा. चंपा: साहेब शुक्रिया मत बोलिए आप ये सब आपलोगो की वजह से ही है ये खोली ले थी मेने .3साल पहले बड़े साहेब जी ने मुझे ये खोली ले कर दी थी अपनी बेटी समझते थे बड़े साहेब मुझे. और चंपा रो दी. दीपक: चंपा मेरे यहा आने की बात किसी से मत करना .और मा को लेकर सुभह आजाना मैं चलता हू मेरा कही भी ज़यादा देर रुकना ठीक नही है . चंपा: साहेब आप मुझ पर विश्वास रखे ज़बान कट जाएगी पर खुलेगी नही. दीपक तेज़ी से कमरे से बाहर हुआ और आगे बढ़ गया. दीपक गलियो के अंदर से गुज़रता हुआ आगे बढ़ने लगा. थोड़ा सा आगे पहुचा था कि दिव्या के घर पे नज़र पड़ी. दिव्या दीपक की गर्ल फ्रेंड थी.दीपक का मन तो हुआ मिलने का पर वो अपने आप को किसी मुश्किल मे डालना नही चाहता था . शाम ढल चुकी थी रहने के लिए कोई सेफ इंतज़ाम करना था .दीपक को याद आया के थोड़ी दूर मे एक धर्मशाला है वाहा जगह खाली होती हे और लोग भी यहा के नही बाहरी इलाक़े के होते है. धर्मशाला मे घुसते ही एक बुड्ढे से आदमी जो सामने काउंटर पे खड़ा था. दीपक: कोई कमरा मिलेगा एक रात के लिए. मॅनेजर: हां पूरी धर्मशाला ही खाली पड़ी है. दीपक ने 40रुपये मे कमरा बुक करा लिया और मॅनेजर के साथ कमरे की ओर चल दिया. थोड़ी देर बाद दीपक बाहर निकला और कमरे के आजू बाजू की खबर लेने लगा .अब दीपक एक प्रोफेसससिओनल जैल रिटर्न के तरह सोचने लगा था हर प्लान का बॅक अप प्लान अपने दिमाग़ मे सोच के रखता था . दीपक ने बाहर जा कर खाना खाया और अपने कमरे मे चल दिया . कमरे मे घुसते ही चटकनी लगाई और बेड पर लेट गया..... दीपक बेड पे लेटा था शाम को दिव्या के घर दिव्या को ना मिल पाने का दुख था उसे . पुराने दिन याद करने लगा .दोनो एक ही स्कूल मे थे 11थ स्ट्ड मे दीपक ने दिव्या को प्रपोज किया और दिव्या क्लास के सबसे हंडसम लड़के को केसे मना कर पाती वो भी दीपक को पसंद करती थी. 12थ स्ट्ड के बाद दोनो ने एक ही कॉलेज मे एक साथ अड्मिशन लिया . दीपक रोज़ दिव्या को अपनी बाइक पर कॉलेज ले जाना और शाम को ड्रॉप करना डेली रूटिन था. एक शनिवार के दिन दीपक ,दिव्या को कोलोज के जगह एक घने पार्क मे ले गया . दोनो एक पेड के झुंड के पीछे जा के बैठ गये .दीपक ने अपना सिर दिव्या की गोद मे रख उसके गालो पर गुलाब का फूल उपर नीचे कर रहा था.
दिव्या: आज तुमने फिर कॉलेज मिस करवा दिया.
दीपक: जानू तुम्हे कॉलेज पसंद है या मेरी ये बाहें .
दिव्या: (हुस्ते हुए) ह्म्*म्म्मम.. कॉलेज.
दीपक: अछा ! तो फिर यहा मेरे साथ क्या कर रही हो जाओ अपने कॉलेज.
दिव्या : चलो अपना सिर उठाओ मुझे जाने दो फिर मे तो चली कलाज .दिव्या खड़ी हुए और आगे जाने लगी. दीपक: सोच लो !!!! दिव्या: क्या मतलब? दीपक: अगर तुम चली गयी तो मे तुमसे कभी बात नही करूँगा .
दिव्या: पास आ गई और वही बैठे गयी . मे अब कभी कॉलेज ही नही जाउन्गी ठीक है.
दीपक: बुरा मान गयी.
दिव्या: बात ही तुमने ऐसी कही थी. मे सिर्फ़ मज़ाक कर रही थी . दीपक: मे भी तो मज़ाक कर रहा था .
दिव्या: दीपक के हाथ पर चुटकी काटते हुए बोली ऐसा मज़ाक होता है ना समझ. दीपक ने दिव्या को अपनी तरफ खींचा दोनो के सीने एक दूसरे से टकरा गये. दीपक उपर को हुआ अपने लब दिव्या के लब से मिला दिए . दोनो तरफ से एक मिनिट के लिए कोई हरकत नही हुई . दीपक ने अपने निचले होठ को बंद करते हुए दिव्या के लब को ज़ोर से चुस्स्स लिया...दिव्या ने अपनी आँखें और ज़ोर से बंद कर ली. दोनो की धड़कने दोनो सुन सकते थे . दीपक पीछे को हुआ दिव्या के आँखें अभी भी बंद थी .
दीपक: आइ लव यू . दिव्या ने अपनी आँखें खोली और सामने बैठे दीपक ने आँख मार दी .दिव्या शर्मा गयी.
दीपक ने अपने हाथ की उंगली दिव्या के चेहरे पर ले जा कर उसके होंठो पर रख दी.दिव्या ने अपने लबो से उंगली को चूम लिया दीपक: हा . दिव्या: क्याआअ . दीपक आगे हाथ बढ़ते हुए दिव्या के छाती पर रख दिया और दाए निपल को कपड़े के उपर से ही उंगकी के बीच पीस दिया.
दिव्या: आअहह ! नही दीपक.
दीपक: ओके. थोड़ी देर ऐसे हे बात करते -2 दीपक ने फिर अपना सिर दिव्या की गोद मे रख लिया उसके बालों मे उंगली करने लगा . धीरे से दीपक अपना बाया हाथ दिव्या की गर्देन के पीछे ले गया और दिव्या को अपने और खीचने लगा.
जैसे ही दिव्या के होंठ दीपक के करीब आए दीपक ने अपनी जीब निकाली और दिव्या के होंठो पर फिराने लगा .दिव्या गरम होने लगी .झट से दिव्या ने अपना मुँह खोला और दीपक के जीभ चूसने लगी आहह.. दो तीन मिनट. तक यही खेल चलता रहा . धीरे से दीपक दिव्या की कमर पर हाथ ले गया और उसके टॉप को उपेर करने लगा दिव्या ने जीभ चूसना बंद किया पर दीपक ने अपनी जीभ और अंदर कर दी. दीपक ने किस तोड़ी और उठ के बैठ गया अब दोनो आमने सामने बैठे थे. दीपक ने दिव्या के दोनो हाथ अपने हाथ मे लिए और जाकड़ लिया .
दिव्या: दीपक कोई देख लेगा.....
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06-28-2017, 10:56 AM,
#3
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दिव्या: कोई देख लेगा...
दीपक: कोई नही देखेगा .इतनी धूप हे कौन आएगा यहा .

दिव्या: चलो ना यहा से .

दीपक: अभी चलते है यार .धीरे से अपना हाथ दिव्या की चुचियो पर ले गया और
आराम से सहलाने लगा.

दिव्या : आहह इससस्स .

दीपक थोड़ा आगे हुआ और दिव्या के होंठो से होंठ मिला दिए. दिव्या भी उसका
पूरा साथ दे रही थी .ऐसा लगता था मानो वो भी आज ये सब करना चाहती थी.

दीपक ने खड़े होकर नज़र इधेर उधेर घुमाई दूर तक कोई नही दिखा दीपक नीचे
वापस पेड़ो के झुँढ मे हो लिया.

दीपक: आइ लव यू दिव्या .मैं तुम से बहुत प्यार करता हू. मेने मम्मी को भी
तुमहरे बारे मे बता दिया हे अब मे तुम्हारे बिना नही जी सकता.

ये बात सुनते ही दिव्या ,दीपक के गले लग गयी .

दिव्या: सच.

दीपक : हां यार . मम्मी तुझ से मिलना भी चाहती हे .सही टाइम देख के मे तुझे
मिलवा भी दूँगा.

दिव्या: ओह दीपक आइ लव यू ....दोनो एक दूसरे के बाहों मे थे .

दीपक बार-2 दिव्या के मम्मो को दबा रहा था .

दीपक: यार आज मुझे ये(चुचियो की तरफ इशारा करते हुए) दिखा दो ना ( बच्चे के
आंदाज मे बोला)

दिव्या: नही.

दीपक: यार बस एक बार तो दिखा दो .

दिव्या: नाह्ह्ही! तुम कपड़ो के उपर से ही देख लो ( हंसते हुए) हेहे.

दीपक अपना हाथ दिव्या की कमर पर ले गया और टॉप को उपेर करने लगा .दिव्या ने
उसके हाथ को पकड़ लिया. दीपक ने झट से अपने होंठ फिर उसके होंठो पे रख
दिए.

धीरे -2 टॉप को उपेर करने लगा दिव्या और गरम हो गयी थी उसे मज़ा आने लगा था
.उसने अब विरोध करना भी छ्चोड़ दिया था.

पूरा टॉप अब दिव्या के गर्देन पर था दीपक की आँखों के सामने ऐसा नज़ारा था
वो खुशी मे पागल हो रहा था.स्टाइलिश ब्लॅक ब्रा उपर से दोनो आध नंगे मम्मे
मदमस्त लग रहे थे.

धीरे धीरे दीपक हाथ को पीछे ले गया और ब्रा खोलने लगा .पर वो अनाड़ी था
ब्रा नही खुला.

दीपक: यार तुम खोल दो ना

दिव्या : नही मे क्यू खोलू तुमने सब कुछ किया है तुम ही खोलो और अगर ना खुल
पाए तो हम यहा से चलते हे( आँखों मे एक अजीब सा नशा था)

दीपक उठ के पीछे गया और ब्रा का स्टर्प खोलने लगा . ब्रा के खुलते ही दीपक
फट से आगे को आया .दोनो गोलाइयाँ साफ नज़र के सामने थी .

दीपक ने आगे हाथ बढ़ाया और ब्रा को नीचे की और धकेलने लगा.

दीपक: दिव्या तुम बहुत सुन्दर हो.

हाथ आगे बढ़ा दाए निपल पर जा लगा दिव्या के आहहें छूट रही थी . लब से लब
जुड़ चुके थे और नीचे दीपक के हाथ अपना काम कर रहे थे .प्यार से दोनो मम्मो
को सहलाता धीरे से दबा के अपनी उंगली और अंगूठे के बीच निपल को लेकर पीस
देता.

दिव्या: मत करो .

दीपक: मेरे तरफ तो देखो जानू ...दिव्या सिर झुकाए नीचे देख रही थी उसकी
साँसे तेज चल रही थी जिस वजह से उसकी चुचिया उपर नीचे हो रही थी .

दिव्या ने धीरे से अपना चेहरा उपर किया उसकी आँखों मे भी वासना सॉफ देखी जा
सकती थी . दोनो एक दूसरे के गले लग गये .

दीपक का सिर फिर से दिव्या के गोद मे हो लिया . सिर उसकी जाँघ पे रखते ही
दोनो गोलाइयाँ मुँह को छू रही थी बाए निपल पर जीभ का स्पर्श पाते ही दिव्या
थोड़ा हिल सा गयी . दीपक ने निपल मुँह मे लिया और चूसने लगा दूसरे निपल को
हाथ से सहला रहा था .


दिव्या बहुत गरम हो चुकी थी नीचे पानी बह रहा था अगर दीपक 2मिनट मे ना हटा
तो ......
दिव्या: आहह दीपक रूको

दीपक सुनने के मूड मे तो था नही .और ज़ोर से निपल को चूसे जा रहा था दिव्या
ने दीपक के बालो को ज़ोर से पकड़ा और अपनी छाती मे दीपक के सिर को ज़ोर से
दबा दिया .

दिव्या झाड़ चुकी थी सांसो की आवाज़ तेज़ी से आ रही आवाज़धीरे हो रही थी
.दीपक समझ चुका था के दिव्या ठंडी पड़ चुकी है .


दीपक एक बार फिर उठा और चारो तरफ देखा दूर तक फिर कोई नज़र नही आ रहा था .
दीपक खड़े खड़े ही पलटा तो नीचे बैठे दिव्या के सामने दीपक का लंड जीन्स की
अंदर ही खड़ा था . दीपक ने नीचे देखा दिव्या के नज़रे सामने ही थी.

दीपक नीचे बैठा दिव्या को ब्रा पहनाने मे मदद की पर अभी तक दीपक का तंबू
खड़ा ही था . दिव्या के जीन्स पे पानी का छोटा सा धब्बा बन चुका था .

दीपक नेअपने होंठ फिर दिव्या केहोंठो पर रखे इस बार दिव्या ने अपना हाथ
दीपक की गरम सल्लाख पर रख दिया था दीपक होंठो को चुस्से जा रहा था दिव्या
ने जीन्स की ज़िप नीचे करी .

लंड बाहर था दिव्या ने चुंबन जारी रखते हुए लंड पर नज़र डाली और उतेजेति हो
गयी ....

"ठक ठक" दरवाज़े पर दस्तक हुई बाहर खड़ा धर्मशाला का मॅनेजर ज़ोर ज़ोर से
दरवाज़ा खड़का रहा था . दीपक बेड से खड़ा हुआ गेट की चटकनी नीचे करी .

मॅनेजर: अरे बाबू कब से जगा रहा हू पर तुम तो घोड़े बेच के सो रहे हो.

दीपक: वो रात को नींद ठीक से नही आई सुबह आँख लगी तो उठना मुश्किल हो गया
माफ़ कीजिए.

मॅनेजर: आछा,बाबू तुम्हारा कमरा खाली करने का टाइम हुआ ,आगे कमरा रखना है .

दीपक: नही मे अभी खाली करता हू बस नहा लू.


दीपक ने घड़ी के तरफ देखा 9:30ए.एम बज रहे थे उसे आज अपनी मा से मंदिर मे
मिलना था .

धर्मशाला से बाहर निकलते ही दीपक मंदिर के रास्ते पे हो लिया पर उसको भूख
भी लगी थी. एक ठेले पे जा कर दीपक खड़ा हुआ .

दीपक: भैया दो पाव देना .

बगल मे गद्दी से नीचे उतरते दो लोग एक लड़का एक लड़की . दीपक को चेहरा चमका
वो थोड़ा छुपा .

लड़की उसकी गर्ल फ्रेंड दिव्या थी लड़का गाड़ी से दूसरी तरफ घूमते हुए
दिव्या के करीब आया कमर मे हाथ डाला और बोला "डार्लिंग" चलो अंदर चले सामने
एक रेस्टोरेंट था .दीपक की भूक मिट चुकी थी.

दीपक मंदिर मे खड़ा मा का इंतेज़ार कर रहा था . दूर से उसने अपनी मा और
चंपा को मंदिर की सीडिया चढ़ते देखा .दीपक ने अपनी मा को इतने दिन बाद देखा
था जैल मे भी मा को मिलने नही दिया था .

दीपक जैसे ही आगे बड़ा मंदिर की सीडियो के पास दो लोग सादी पॅंट शर्ट मे
बाइक से उतरे दीपक रुका .वो दोनो लोग शक्ल से ही पोलीस वाले लग रहे थे
.उसमे से एक ने दूसरे को उपेर जाने का इशारा किया दूसरा पोलीस वाला सीडिया
चढ़ते हुए मंदिर का मुआयना करने लगा .

चंपा हर तरफ देख रही थी पर दीपक का कोई पता नही था . इतने मे ही चंपा को
दीपक ने दीवार के पीछे की तरफ खींचा चंपा के मुँह पर अपना हाथ रख दिया
सस्स्शह.

चंपा चुप खड़ी हो गयी बड़ी हैरानी से देख रही थी.

दीपक: पोलीस भी है यहा .

चंपा: क्या. कहा पर .

चंपा पीछे मुड़ने लगी दीपक ने चंपा का हाथ खींचा और साइड मे ले गया ...वो
मुझे ढूंड रहे है .

चंपा: पर मा जी को कैसे मिलोगे .

दीपक: एक काम करो .

चंपा: क्या?

दीपक चंपा के कान मे कुछ बोला और चंपा चुपके से वाहा से चल दी.

चंपा उस लंबे कद के पोलीस वाले के पास जा कर खड़ी हो गयी . चंपा ने अपने
कुर्ते के उपर से चुन्नी को नीचे कर दिया ताकि पोलीस वाले को खाई दिख सके
और हुआ भी वही चंपा हाथ मे थाली लिए वही खड़ी थी और उपर से पोलीस वाला
आँखें फाड़ रहा था.

इंदु: भगवान मेने कौन से पाप किए थे जो तुम मुझे ये सज़ा दे रहे हो ( आँखों
मे आँसू छलक पड़े)

इंदु को एहसास हुआ के किसी ने उसके पैर को छुआ था . इंदु पीछे मूडी दीपक को
देखा मा बेटे अपने को रोक नही पाए दोनो एक दूसरे के गले लग के फुट पड़े.

दीपक इंदु को मंदिर के पीछे ले गया.

दीपक: मा तुम केसी हो.

इन्दुरोते हुए) दीपु बेटा तेरी मा बस तेरे लिए ज़िंदा हे अगेर तू नही होता
तो तेरी मया कब का ज़हेर खा के मर जाती.

दीपक: नही मा अब तुम्हारे सिवा मेरा कौन हे अगेर तुम ऐसा सोचोगी तो मैं तो
वैसे ही मर जाउन्गा .

इंदु: बेटा मेने ऐसे कौन से पाप किए थे जो हमारे साथ ऐसा हुआ .मेरा बच्चा
जैल मे वो भी अपने पिता और बेहन के खून के केस मे ( इंदु रोते जा रही थी
उसकी तबीयत ठीक नही थी )

इंदु ने अपने आँसू पोंछे और अपनी सारी का कोना पकड़ के दीपक के आँखों के
पानी को सॉफ किया
Reply
06-28-2017, 10:56 AM,
#4
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दीपक: ये सब हुआ कैसे.

इंदु: मे जब बाज़ार से घर आई किचन मे सामान रख कर नहाने के लिए बाथरूम जा
रही थी के निशा के रूम से म्यूज़िक की बहुत तेज़ आवाज़ आ रही थी . मैं बाहर
से ज़ोर से बोली "बेटे आवाज़ कम करो" .मे नहाने के लिए चली गयी . जब वापस
आई तो भी म्यूज़िक तेज़ ही था .

मेने निशा के कमरे का दरवाज़ा खोला तो निशा नीचे ज़मीन पर पड़ी थी तेरे डॅड
के सीने से खून निकल रहा और तू वही कोने मे बेहोश था .

मेने बगल से शर्मा जी को बुलाया जब वो आए तो उन्होने ही पोलीस को फोन किया .

दीपक: मा क्या हमारे घर से कोई समान चोरी हुआ था.

इंदु: नही कोई सामान चोरी नही हुआ ना ही कोई ताला या गेट को तोड़ा गया था
.जब मे मार्केट गयी थी तो लॉक कर के गयी थी .तेरे पापा के पास एक चाबी थी
उसी से वो अंदर आए होंगे ( रोने लगी)

दीपक: मेरे यहा ना होने पर पीछे घर पर कौन -2 आया था .

इंदु: तेरे पापा के बॉस उनकी वाइफ और केदार अंकल.

इंदु: बेटा वो.(रुक गयी)

दीपक: क्या मा?

इंदु: बेटा दिव्या की शादी किसी और से होने वाली है .5दिन पहले उसकी मँगनी
हो गयी .

दीपक: (सिर झुकाए) मा जब दुख आता है तो सब पीछे छूट जाते हैं .चलो ये तो
पता चला कि सच्चा प्यार करना मुश्किल होता है ( झूठी हॅसी चेहरे पर ले आया)

इंदु: अपने पर्स मे से कुछ निकाल रही थी... ये ले कुछ पैसे है तू अपना
ख़याल रखना .

दीपक: पैसे जेब मे रखते हुए ... अपनी मा से बोला मा तुम्हे मेरी कसम है
टाइम से खाना खा लिया करो और रात भर जागा मत करो . (गुस्से मे) मैं जब तक
सच्चाई का पता नही लगाता ना तो कोई मुझे पकड़ सकता ना है ना मुझ से बच सकता
है.

दीपक: मा वकील साहेब को बोलो के मुझे फोरेन्सिक रिपोर्ट और एफ.आइ.आर की एक
कॉपी चाहिए .

इंदु: बोल दूँगी बेटा . पर अब तू कहा पर रह रहा है.

दीपक: मा एक जगह रहना मुश्किल है . आप सारे केस के डॉक्युमेंट्स चंपा के घर
भेज देना मे वही से ले लूँगा

और हां वकील साहेब का फोन नंबर मुझे दो .मुझे उनसे मिलना है .इंदु ने पर्स
से वकील का कार्ड निकाल कर दीपक को थमा दिया .

एक दम से आवाज़ आई "रुक"

लंबा चौड़ा सा इंसान दीपक की ओर दौड़ा .इंदु एक दम से उस पोलीस वाले के
सामने आई .पोलीस वाला बिल्कुल इंदु से बचते हुए जैसे ही साइड हुआ दीवार से
टकरा गया और दीपक को भागने का मौका मिल चुका था.

दीपक जैसे ही मंदिर की सीढ़ियो पर पहुचा दूसरे पोलीस वाले ने उसे पहचान
लिया था वो दीपक पर लपका "रुक साले" पोलीस वाले का हाथ दीपक की गर्देन पर
.दीपक ने अपनी पेंट के जब से छोटा सा नाइफ निकाला और पोलीस वाले के हाथ मे
गाढ दिया .

पोलीस वाला ज़ोर से चीखा आआआआआ. दीपक अपनी पूरी फुर्ती से दौड़ा और उस
पोलीस वाले की आँखों से ओझल हो चुका था .

राणे की जीप हॉस्पिटल के बाहर रुकी .राणे अपने उसी अंदाज़ मे गाड़ी से नीचे
उतरा पॅंट को ज़रा सा उपेर किया और हॉस्पिटल के अंदर हो लिया.

राणे: वाह भाई वाह!.

हवलदार: साहेब अपने आदमी हैं ये वाह क्यू?

राणे: हवलदार की तरफ गुस्से से देखा और बोले बाबू राम हम तो ई सोचे थे के
जब वो ससुरा दीपक इनके हाथ लगेगा तो हम उसकी इतनी धुलाई करेंगे के उसको
हॉस्पिटल जाना पड़े .

पर भाई यहा तो उल्टा माजरा है अपने ही आदमी.

पीछे खड़ा हवलदार फिर हस पड़ा .

घायल पोलीस ऑफीसर: सर वो हाथ आ ही गया था पता नही कब जेब से चाकू निकाल के
चला दिया .

राणे: ह्म्म्म. तुम का कौन ऑफीसर ट्रैनिंग दिए थे.

ऑफीसर: चंदरकांत सर ने.

राणे: तो का उन्होने ये नही बताए के मुजरिम वार भी करता है मूरख.

पीछे खड़ा हवलदार फिर हंसा पर दबी ज़बान मे.

राणे: (दिमाग़ चल रहा था) साला ये कौन से खेत का मूली है दीपक . ऐसा पागल
तो सिर्फ़ दो लोग होते हे.

हवलदार: कौन साहेब.

राणे: एक तो दीवाना और दूसरा घायल शेर .तुमका ई दोनो मे से दीपक कौन लागत
है .

हवलदार: साहेब हमको तो दीवाना लागत है .ससुरे का कोई टांका होगा उसी छमिया
के पीछे होगा .

राणे: कर दी ना हवलदार वाली बात अगेर तुम सही सोचते तो हम आज तुम को साहेब
बोल रहे होते .


इस बार पीछे खड़े हवलदार से अपनी हसी रोकी नही गयी और ज़ोर से हस पड़ा .

राणे हॉस्पिटल से बाहर को हो लिया . राणे जैसे ही जीप मे बैठा उसने जीप के
ड्राइवर को बोला "आज कल बहुत खिल खिल्ला के हँसते हो " का बात है . हवलदार
की एक बार फिर सिट्टी पिटी गुल

आज दीपक को जैल से भागे दो दिन होने वाले थे . रात हो चुकी थी दीपक अपने
छुपने का ठिकाना खोज रहा था . उसको लगा के आज की रात उसे अपने इलाक़े से
दूर बितानी पड़ेगी क्यूकी आज ही दीपक मंदिर मे बॉल -2 बचा था.

दीपक अपने पिता के दोस्त केदार अंकल के घर जाने लगा उनका घर थोड़ी दूर था
दीपक बस स्टॅंड पे खड़ा था बस आई .

टिग्टॉंग. घर की बेल सुनते ही केदार साब गेट खोलने के लिए आए .39 साल के
केदार साब दीपक के पिता राज के ऑफीस मे राज के जूनियर थे और उनके फॅमिली
फ़्रेंड भी .


दरवाज़ा खुलते ही सामने दीपक को देख कर केदार सब थोड़ा घबरा गये .

दीपक: अंकल अंदर आने को नही बोलेंगे.

केदार: ओह! हा हा हां बेटा अंदर आओ .

केदार थोड़ा झल्ला सा गया था उसे डर ये था कि कही दीपक के पीछे पीछे पोलीस
भी उसके घर ना पहुच जाए कही वो खुद ना फस जाए दीपक को अपने घर मे रखने के
लिए.

दीपक: मे जैल से भाग के आया हू अंकल. मुझे अपने पिता और बेहन के केस मे
फँसाया गया है .अंकल आप तो मुझे जानते है क्या मे पापा और निशा का खून कर
सकता हू

केदार: नही बेटा मेने ये कभी नही माना के बेटा जो अपने बाप बेहन को प्यार
करता था वो उनका खून कर दे नामुमकिन है बेटे.

दीपक: अंकल बस मे यही साबित करने के लिए भागा हू जैल से और जिन लोगो ने
मेरी ज़िंदगी मे आग लगा दी है मैं उन्हें अपने हाथो से मार दूँगा.

केदार ने किचन से खाने का सामान ला कर डिन्निंग टेबल पर रखा .

केदार: चलो बेटा खाना खा लो तुम भूखे होगे.

दीपक ने खाना ऐसे खाया जैसे 50 साल बाद उसे खाना नसीब हुआ हो . पिछले एक
महीने मे जैल की जली रोटिया खा -2 कर वो वैसे ही बीमार दिखने लगा था .

केदार ने खाना ख़तम होने पर टेबल सॉफ कर दी .

दीपक: सिर्फ़ आज रात के लिए ही यहा हू अंकल कल सुबह होतेही चला जाउन्गा .
बस आप की मदद चाहिए होगी.

केदार: बेटा ये भी कोई बोलने के बात है तुम्हारे पिता मेरे बड़े भाई तो थे
तुम मुझसे जो मदद बोलो मैं करूँगा .

दीपक: थॅंक यू अंकल .

केदार : बेटा रात के 11:30 बज गये है तुम्हे अब थोड़ा आराम कर लेना चाहिए.

दीपक: जी अंकल.

दीपक को केदार उपेर वाले कमरे मे ले गया बेटे तुम सो जाओ.

दीपक कमरे मे बेड पर लेटा था नींद आँखो से बहुत दूर थी ..... दीपक बेड से
उठा बाथरूम गया . गेट बंद करते हुए वापस आया सामने एक छोटी सी अलमारी थी
दीपक ने हॅंडल को पकड़ के दरवाज़ा खोला वाहा केदार अंकल का सामान पड़ा था
कुछ मेडिसिन्स , दवा के बोतलो से पूरा शेल्फ भरा पड़ा था .दीपक सोचने लगा
अंकल को कितनी बीमारी है जो इतनी दवाई लेते है . दीपक बेड के किनारे आया और
बेड पे फिर सोने के कौशिश करने लगा
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06-28-2017, 10:56 AM,
#5
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
सुबह 6:00 बजे दीपक के आँख खुली. नहाने के लिए बाथरूम गया फिर बिना बताए घर
से निकल गया .

दीपक चंपा की खोली के बाहर खड़ा था .धीरे से चंपा को आवाज़ दी .

चंपा धीरे से) अंदर आ जाइए साहेब जी

दीपक: चंपा मे तुम्हे बहुत परेशान कर रहा हू पर ये कुछ दिन के लिए ही है .

चंपा: साहेब जी ऐसा ना बोले आप . बड़े साहेब ने मेरी मरती मया को जीवन दान
दिया था .ओपरेशन के सारे पैसे उन्होने ही दिए थे .

दीपक: मुझे तुम्हारी मदद चाहिए . हमारे घर मे जो भी उस दिन गया था वो बड़ा
शातिर था बिना लॉक तोडे घर मे घुसा था.

दीपक: ऐसा काम तो कोई पुराना चोर ही कर सकता हे. पर मुझे नही पता के मे उस
तक केसे पहुचूँगा.

चंपा: साहब जी मे एक आदमी को जानती हू जो छोटी मोटी चोरी चाकरी करता है .

दीपक: कौन?

चंपा: जागया नाम है उसका दो बार छोटे जुर्म मे अंदर भी जा चुका है . पर आज
कल 6महीने से बाहर ही है . अभी थोड़ी देर मे आने वाला होगा यहा .

दीपक थोड़ी देर वही बैठा रहा 3 घंटे बाद . चंपा के दरवाज़े पर दस्तक हुई .
चंपा ने दरवाज़ा खोला जागया बाहर खड़ा था .

चंपा: अंदर आ. खींचते हुए अंदर ले आई.

जागया ने सामने खड़े दीपक को देखा उसको ऐसा लगा मानो पहले उसने उसे कही
देखा हो.

चंपा: ये हमारे दीपक साहेब है इनको तुझ से कुछ पूछना हे .सॉफ -2 जवाब दे
दियो समझा .

जागया:गले मे पड़े रुमाल को हिलाते हुए बोला कोई पोलीस वाला है क्या .

दीपक: नही मे पोलीस वाला नही हू . मुझे तुम से कुछ जानकारी चाहिए .

जागया: बावा अपुन से इच तुमको क्या माँगता है अपुन कोई गूवरमेंट थोड़ी ना
है जो तुम को आज़ादी दिलवा देगा .

चंपा: सीधा -2 जवाब दे ( गुस्से मे )

जागया: पूछो

दीपक: क्या तुम किसी ऐसे आदमी को जानते हो जो सेक्यूरिटी सिस्टम का लॉक
बिना अलार्म बजे खोल देता हो.

जागया : बावा ये तो अपुन के बाए हाथ का खेल है .आज कल तो छोटा बच्चा भी ऐसे
ताले को चुटकी मे खोल दे.पर तुम अपुन से ये सब क्यू पूछ रहा है क्या कही
चोरी करवानी है?

चंपा: अरे ये अपने बगीचे के पीछे वाले बंगलोव वाले बड़े साहेब के बेटे है
जिनका कुछ दिन पहले किसे ने कतल कर दिया था .

जागया के ये बात सुन के पसीने छूटने लगे उसका खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा
था .

चंपा: ये सिर्फ़ तुझ से ये जान ना चाहते है के तूने कुछ सुना क्या पिछले
दीनो किसी ने ऐसा काम किया हो.

दो मिनट के लिए जागया के होश ही उड़ गये थे .

जागया: साहेब मैं तो छोटा मोटा चोर हू मे कहा इन खूनियो के बारे मे बता
पाउन्गा .

दीपक: अछा ठीक है पर अगर कुछ पता चले तो ज़रूर बताना.

जागया: जी साहेब ज़रूर बता दूँगा .चंपा मे चलता हू मुझ कुछ काम है .

जागया खोली से बाहर को हुआ . कुछ सेकेंड बाद ही ज़ोर की आवाज़ आई जैसे किसे
ने गोली चलाई हो . दीपक और चंपा दोनो खोली से बाहर आए ....

जैसे ही दोनो बाहर आए खोली से थोड़ी ही दूर जागया नीचे गिरा पड़ा था. दीपक
थोड़ा आगे को हुआ . एक गोली और चली पर दीपक के हाथ को छू कर निकल गयी.


दीपक: (ज़ोर से बोला) चंपा अंदर जाओ.

दीपक भी घबरा गया था .चंपा भागती हुई अंदर खोली मे गयी . दीपक ने सामने जीप
मे बैठे दो लोगो को दूर से देखा पर उसे उनकी शक्ल नही दिख पाई .


दीपक वाहा से भागा उसको पता था के ये लोग पोलीस से ज़यादा चालक है .उसको
मारने की कौशिश फिर करेंगे . करीब आधा घंटा दीपक उन गलियो मे घूमता रहा वो
जीप भी इधर उधर घूम रही थी.


अचानक से दीपक मेन रोड पर जीप को थोड़ी दूर खड़ा देखा दीपक ने इरादा पक्का
किया के इनको आज पकड़ के रहेगा वो गलियो से होता हुआ जीप के पास पहुचा जीप
बिल्कुल सामने खड़ी थी .जीप के काले शीशे उपर चढ़े हुए थे अंदर बैठे लोग
नज़र नही आ रहे थे .


दीपक आराम से आगे बड़ा तभी जीप मे बैठे आदमी ने दीपक को देखा और से बोला
"भगा गाड़ी" इंजन स्टार्ट हुआ जीप आगे बड़ी दीपक ज़ोर से भागा गाड़ी का
शीशा हल्का सा नीचे हुआ.

हल्का सा गाड़ी का सीसा नीचे हुआ दीपक गाड़ी के नज़दीक आ गया था के तभी
शीशे से बाहर हाथ आया जिसमे बंदूक थी दीपक नीचे ज़मीन पर झुका गोली चली
ठाआआआ दीपक का हाथ पहले ज़ख्मी हो चुका लॅकिन फिर भी वो हिमत करके खड़ा हुआ
जब तक गाड़ी थोड़ा आगे जा चुकी थी दीपक ने पास मे पड़ा पत्थर उठाया और लगा
दिया निशान गाड़ी पर .


गाडी काफ़ी आगे चली गयी थी पत्थर गाड़ी के पिछले शीशे पर लगा और कुछ ही देर
मे गाड़ी आँखों से ओझल हो चुकी थी .इस बार दीपक को ही नही बल्कि उन कातीलो
को भी डर लगा था कही वो पकड़े ना जाए .

दीपक चंपा के घर की तरफ हुआ . चंपा जागया की लाश के पास ही बैठी थी और
ज़ोर-2 से रो रही थी .दीपक ने पीछे से जाकर चंपा के कंधे पर हाथ रखा .

चंपा: साहेब ये जागया ने ही आपके घर का ताला तोड़ा था (रोते हुए बोली) .

दीपक: क्याआअ?

चंपा: (रोते हुए) हां साहेब जब आप यहा से गये तो वो गाड़ी भी चली गयी मैं
धीरे से इसके पास आई तो ये बेहोश था और इसके सीने से खून निकल रहा था मेने
इसका नाम लिया तो इसने आँखें खोली .

जागया: चॅम....पा चंपा .

चंपा: (बदहवासी मे) हां जागया .

जागया: चंपा मेने ही दीपक साहेब के घर का ताला खोला था .

चंपा: क्या .... वो लोग कौन थे जिसने तुझ पर गोली चलाई

जागया ने अपनी 3 उंगलिया उपर उठाई और बस यही बोल सका कि " वो ...वो तीन लोग
है " इतना कहते ही जागया की साँसे बंद हो चुकी थी ..

आसपास्स मे लोगो का झुंड इकठ्ठा हो चुका था किसी ने पोलीस को फोन कर दिया
था .

पोलीस की जीप का साइरन सुनते ही .

दीपक: चंपा अब मुझे जाना होगा .. पर तुम पोलीस को ये मत बोलना के मैं यहा
था और जागया ने तुम्हे कुछ भी नही बताया .

चंपा ने हां मे सिर हिलाया .

दीपक भागता हुआ काफ़ी दूर तक आ चुका था जहा उसे पोलीस से कोई ख़तरा नही था .
दुपहर के 4बज रहे थे और उसे भूक लगी थी .
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06-28-2017, 10:56 AM,
#6
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
बस्ती मे खून हुआ था तो थाने के इनस्पेक्टर का आना तो बनता था .

राणे जीप से उतरा आगे बढ़ा लाश के पास काफ़ी भीड़ थी.

राणे: का भाई कोई सपेरा खेल दिखा रहा हा का काहे भीड़ लगा रखी है चलो अपने
घर .

हवलदरो ने भीड़ को छाँटा और आस पास देखने लगे .

राणे: हवलदार को इशारा किया ये कौन को है पता करो .

राणे लाश के पास गया और जागया के सीने मे लगी गोली की तरफ देख रहा था हाथ
आगे बढ़ाया जहा गोली लगी थी वाहा के शर्ट के बटन खोले .

दूसरे हवलदार को बोलो इसके कपड़ो की जाँच तो कर . हवलदार ने पॅंट के जेब मे
हाथ डाला तो नोटो के गद्दी निकली .

हवलदार ने राणे को आवाज़ दी साहेब ये देखिए .

राणे: ह्म्*म्म्मम.... साले का कमीज़ तो 4 जगह से फटा है और जेबवा मे इतना
माल .का बात कोई बड़े घरहाने का तो नही ये .

इतने मे पहला हवलदर जो जागया का पता करने गया था वो चंपा को अपने साथ लाया .

हवलदार: साहब ये छोकरी इस के जान ने वाली है .

राणे मुड़ा और हवलदार को बोला बाबू राम तुम को पता है के हम कहा खड़े है .

हवलदार : जी साहब हम बस्ती मे है .

राणे: अरे जाओ ज़रा एक ठो पान लगवा के लाओ .

हवलदर मुड़ा और आगे चल दिया .

राणे: ह्म्*म्म्म. तुहार नाम का है (चंपा से बोला) .

चंपा .

राणे: ह्म्*म्म्मम एई कौन था तुम्हारा

चंपा: हम एक दूसरे से प्यार करते थे और हम शादी करने वाले थे.

राणे: लवर था ....

राणे: नोटो के गद्दी को चंपा को दिखाया ये क्या करता था.

चंपा: (एक मिनट तक तो कुछ बोल नही पाई फिर बोली) ये छोटा मोटा चोर था.

राणे: का तुहार लवर एक चोर............. का जमाना आ गया है . साला चोरो को
भी लव होता है .

राणे: ये इतने पैसे कहा से आए इसके पास .

चंपा: मुझे नही पता .

राणे: ह्म्*म्म्म. इसके साथ यहा और कोई आता था.

चंपा: नही साहेब बस ये ही आता था अकेला .

राणे: जब एई सब हुआ तुम कहा थी.

चंपा: खोली मे ,ये मुझ से मिलके बाहर को आया तो ज़ोर से आवाज़ आई जब मे
बाहर आई तो ये यहा गिरा पड़ा था.

राणे: इसने मरने से पहले कुछ बोला था .

चंपा: नही कुछ नही.

पीछे से हवलदार आया और राणे के हाथ मे कुछ दिया राणे ने अपने मुँह मे पान
डाला और हवलदार को बोला "आज दिमाग़ बहुत स्वाधीष्ट है" ससुरा एई हमारे
इलाक़े मे खून पे खून हो रहा है कही कोई हमारा डैमोशन तो नही करना चाहता .


दीपक केमिस्ट के शॉप पर पहुचा और कुछ सामान लिया . वाहा से वो कहा जाए यही
वो सोच रहा था . दीपक ने सामने से आते ऑटो को रोका और बैठ गया .

ऑटो एक सस्ते से होटेल के सामने रुका दीपक ने रात गुज़ारने के लिए कमरा
लिया .

इंदु अपने कमरे मे बैठे अपनी आल्रमारी मे कुछ ढूंड रही थी . डोरबेल बजी
इंदु ने दरवाज़ा खोला सामने मिस्टर.मयूर खड़े थे राज के बॉस जो अक्सर अपनी
बीवी वीना के साथ इंदु को मिलने आते थे राज उनका काफ़ी करीबी दोस्त था वैसे
तो राज कंपनी के शेर्होल्डर्स मे से एक था पर वो कंपनी के लिए कुछ करना
चाहता था इसलिए उसने माल्लिक नही नौकरी करना ही बेहतर समझा था.

मिस्टर. मयूर अंदर आए .

मयूर: भाभी मेने सुना है दीपक जैल से भाग गया .

इंदु: जी हां .

मयूर: क्या वो आप से मिला .

इंदु: हां मिला था .

बस थोड़ी देर बाद मयूर हाल चल पूछने के बाद वाहा से निकल गये .

...

दीपक होटेल के कमरे मे बैठा था उसके हाथ से जो गोली छू कर निकली थी वो कोई
ज़यादा गहरा ज़ख़्म तो नही पर उस की मलम पट्टी करना ज़रूरी था . अपने जखम
पर डेटोल डाली दीपक के मुँह से आहह निकली उसके बाद उसने पट्टी बंद बाँधी और
बिस्तर पर गिर पड़ा .

आज उसका शरीर बहुत दुख रहा था आँखें जल्दी ही बंद हुई.
दीपक: हेलो मिस्टर.कपूर.

कपूर: या स्पीकिंग.

दीपक: कपूर साहब बहुत सुना है आपके बारे मे बहुत अच्छे वकील है आप.

कपूर: थॅंक यू , आप कौन .

दीपक: मुझे अपना कस्टमर समझिए मे अपने एक केस के सिलसिले मे आप से मिलना
चाहता हू.

कपूर : हां ज़रूर .आप आज दुपहेर के बाद कभी भी मेरे घर आजाए .

दीपक: नही कही बाहर मिलते है .

कपूर: ओकके. आज मेरा कोर्ट हियरिंग है आप मुझे 12:00 पीयेम कोर्ट से थोड़ा
दूर सन्राइज़ केफे मे मिलिए .

दीपक: ओके ..


दीपक ने फोन रखा और एक गारमेंट शॉप मे घुसा उसकी शर्ट पॅंट दोनो काफ़ी जगह
से फट चुकी थी . कपड़े सेलेक्ट करने के बाद दीपक अपने होटेल की तरफ हुआ .

..
राणे: ह्म्*म्म....दीपक की कोई खबर (सामने खड़े ऑफीसर से पूछा जो दीपक के
घर के बाहर ड्यूटी पर था).

ऑफीसर: नही सर.

राणे: घर मे और कौन आ जा रहा है .

ऑफीसर : सर सुबह नौकरानी आती है ,उसके बाद दूध वाला और उसके रिश्ते दार .

राणे:ह्म्म. अरे बाबू राम अगर तुम दीपक की जगह होते तो का करते .

हवलदार: साहब अगर मैं इतने पैसे वाला होता तो भाग जाता यहा से.
राणे:कहा भागता .

हवलदार : साहब इतने बड़ी दुनिया है और जब पैसे की कमी नही तो कही ना कही
चला जाता और ऐश के ज़िंदगी बसर करता .

राणे को हवलदार के बात से कुछ लगा .

राणे: (फोन उठाया नंबर डाइयल किया) हेलो में इनस्पेक्टर राणे बोल रहा हू
मुझे इस इलाक़े मे जिस -2 के पास 9 एएम की पिस्टल है उन सब की रिपोर्ट कल
सुबह टेबल पर चाहिए.

.....
दीपक सन्राइज़ केफे के बाहर वेट कर रहा था थोड़ी देर बाद एक गाड़ी आकर रुकी
उसमे से एक ब्लॅक रंग का कोट पहना आदमी उतरा .दीपक आगे को बड़ा.

दीपक: मिस्टर कपूर.

कपूर: यस आंड यू?

दीपक: दीपक इंदु जी का बेटा .

कपूर थोड़ा हैरत मे हुआ .

केपर: तुमने मुझ से झूठ क्यू बोला .

दीपक: मुझे आप से मिलना था.

कपूर: तुम जानते के तुम एक जैल से भागे कैदी हो और अगर किसे ने मुझे यहा
तुम्हारे साथ बैठे देख लिया तो मेरे लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है .

दीपक : तभी तो आपको यहा बुलाया है ताकि आपको कोई प्राब्लम ना हो आपके घर पर
आपके लिए रिस्क था.

कपूर: तुम करना क्या चाहते हो.

दीपक: खून.


कपूर: क्याअ.?

दीपक: हां खून करना है मुझे जिनलोगो ने मेरे पिता और बहन को मारा है .

कपूर: पर कोर्ट ने तुम्हे मुजरिम ठहराया है समझे.

दीपक: वही तो मुझे जानना है के कैसे तभी मे आप से मिलने आया हू.

कपूर: देखो मे भी नही मानता के कोई बेटा अपने बाप और बेहन का खून कर सकता
हे पर तुम्हारे खिलाफ काफ़ी सबूत थे.

दीपक: सर मुझे फसाया गया था .आप ही सोचिए क्या मे खुद जैल से भाग के यहा आप
के पास आता .

कपूर: देखो मैं तुम्हारी खुले तौर पे तो मदद नही कर सकता हां पर केस से
रेलटीएड अगर तुम पूछना चाहो तो .

दीपक: मा ने आपसे कुछ बोला था.

कपूर: हां उन्होने फोरेन्सिक रिपोर्ट और एफ.आइ.आर. की कॉपी माँगी है. देखो
एफ.आइ.आर की कॉपी तो मे निकलवा चुका हू पर फोरेन्सिक रिपोर्ट वो राणे के
पास है .

दीपक: कौन?

कपूर: यहा का इनस्पेक्टर जो तुम्हे ढूंड रहा है इसी ने तुम्हारे घर से सबूत
इकट्ठे किए थे .

दीपक: क्या ये राणे भी उन लोगो के साथ मिला हो सकता है.

कपूर: क्या पता , लेकिन उसके बारे मे कभी ऐसा सुना नही वो तो रिश्वत भी नही
लेता फिर वो क्यू उनके साथ होगा.

दीपक और कपूर आपस मे बाते कर रहे थे बाहर मेनरोड से किसे ने उनकी कमरे से
"तस्वीर" खींची .

कपूर: तुम ड्रग्स कब से लेते हो.

दीपक: दृगस्स्स्स नही मेने तो आजतक कभी ड्रग्स नही ली और ना ही आज तक कभी
ड्रग्स देखी.

कपूर: तुम जानते हो तुम्हारे खून मे 1000एमजी ड्रग्स मिली थी ये कोई मामूली
बात नही है इस बात ने ही तुम्हे जैल पहुँचा दिया .

कपूर: सरकारी वकील ने ये साबित कर दिया था के तुमने ही नशे मे ये खून किए
थे.

दीपक: देखिए सर मे आप से झूठ नही बोलूँगा उस दिन जब मे घर मे था मेरी बहेन
अपने रूम मे थी मा बाहर घर का सामान लेने गयी थी डॅड को जल्द घर आना था और
हम सब ने बाहर घूमने का प्लान बना रखा था.

कपूर: तुम्हे कुछ तो याद होगा ?

दीपक: नही मुझे उसके बाद कुछ याद नही.

कपूर: जिस कमरे मे खून हुए वाहा तुम चारो के अलावा किसी की उंगलियो के
निशान भी नही मिले.

दीपक: हो सकता है उन लोगो ने ग्लाउब्स पहने हो.

कपूर: हाँ हो सकता हे... एक बता बताओ तुम्हारे परिवार का कोई दुश्मन .

दीपक: दुश्मनी तो कोई नही .

कपूर और दीपक मे थोड़ी देर और कुछ बात हुई . कपूर उठा और अपनी गाड़ी मे बैठ
के निकल गया .

दीपक वाहा से चंपा के घर की ओर हुआ
Reply
06-28-2017, 10:56 AM,
#7
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दीपक चंपा की खोली मे घुसा चंपा खोली के कोने मे बैठी खाना बनाने की तैयारी
कर रही थी ..चंपा दीपक को देख कर खड़ी हुई.

दीपक: घर गयी थी.

चंपा: हां साहेब अभी थोड़ी देर पहले ही आई हू .

दीपक: मा कैसी है .

चंपा: साहब मा जी अब पहले से ठीक है खाना भी टाइम से खा रही है.

दीपक: (ये सुन के दीपक को रिलीफ हुआ) चंपा दुबारा पोलीस तो नही आई थी.

चंपा: आज तो नही पर शाम को दो हवलदार आए थे कुछ सवाल किए और चले गये.

दीपक: तुमने मेरे बारे मे तो..

चंपा: नही साहेब अगर आपके बारे मे कुछ बोलू तो ज़बान कट जाए मेरी .

चंपा: साहेब मुझे बहुत दुख है कि जागया भी उनलोगो के साथ मिला हुआ था .

दीपक: चंपा तुम जागया के कोई करीबी दोस्त को जानती हो जो हर वक्त उसके साथ
रहता हो.

चंपा: साहेब यहा तो वो अकेला आता था पर एक लड़का है जिसका नाम वो बार-2
लेता था .

दीपक: कौन ?

चंपा: मदन .

दीपक: ह्म्म. तुम कुछ जानती हो इस मदन के बारे मे.

चंपा: साहेब ज़यादा तो नही पर यही इन गलियो मे जागया के साथ घूमते हुए देखा
है उसी ने मुझे बताया था के ये मदन है

दीपक: चंपा अब मुझे जाना है अगर तुम्हे मदन के बारे मे कुछ भी चले मुझे
ज़रूर बताना .

चंपा: जी साहेब .

दीपक चंपा की खोली से बाहर हुआ थोड़ा आगे बढ़ा मेन रोड पर दीपक कोने से जा
रहा था उसे ऐसा लगा मानो कोई उसका पीछा कर रहा है.


होटेल के रूम मे घुसा बाथरूम का दरवाज़ा खोला बाथरूम की खिड़की से नीचे
मैनरोड पर नज़र मारी दीपक ने बड़े ध्यान से नीचे खड़े एक एक इंसान पर नज़र
डाली .

बाथरूम से बाहर आया होटेल के रिसेप्षन पे फोन करके लंच का ऑर्डर दिया .

लंच ख़तम किया घड़ी पर नज़र डाली शाम के 5:00 बज चुके थे . फिर बाथरूम मे
घुसा खिड़की से नीचे नज़र मारी एक आदमी काली कमीज़ पहने काला चश्मा लगाए
अभी भी वही खड़ा था . दीपक ने सोचा ये आदमी 2घंटे से खड़ा हे पर गया नही
उसे लगा के कुछ तो गड़बड़ है.


रात की 9:00 बज चुके थे और आदमी वही खड़ा था

दीपक ने फिर से नीचे देखा वो अभी भी वही खड़ा था. दीपक ने सोचा अगर वो इस
आदमी को पकड़ ले तो शायद उसे कुछ पता चल सकता है

दीपक को ये तो पता था के ये पोलीस वाला नही है अगर ये पोलीस वाला होता तो
अब तक वो जैल मे होता

दीपक होटेल की पीछे वाली सीडियो से नीचे उतरा पीछे की गली से छिपते हुए आगे
को आया पर उसने दीवार के आड़ ली हुए थी ताकि वो उसे देख ना सके

सामने खड़े आदमी ने जेब से सिग्ग्रेट निकाली और पीने लगा .दीपक ने ध्यान से
उसकी पूरी जाँच की कही उसके पास कोई हथियार तो नही

वो आदमी पिशाब करने के लिए होटेल के पीछे आया जहा दीपक छुपा हुआ था .दीवार
पे पिशाब करने के बाद जैसे ही वो आदमी मुड़ा दीपक को सामने खड़ा देख कर
घबरा गया

दीपक ने अपने हाथ मे पहले ही पत्थर लिया था.दीपक ने पूछा कौन है तू वो आदमी
भागने लगा पर दीपक उसे आज कही भागने नही दे सकता था ज़ोर से पत्थर उसके
सिर पे मारा .वो आदमी नीचे गिरा दीपक उसके पास गया और ज़ोर से पेट मे लात
मारी बोला बता कौन है तू.

उस आदमी ने दीपक की लात पकड़ी और उसे गिरा दिया

जैसे ही दीपक नीचे गिरा वो आदमी भागने के लिए खड़ा हुआ दीपक ने पीछे उसकी
गर्देन पकड़ ली और गला दबाने लगा उस आदमी ने अपनी जेब से कुछ निकाला और
दीपक के आँखों मे स्प्रे कर दिया दीपक की आँखों मे जलन हुई और वो चीखने लगा
.

उस आदमी ने इस का फ़ायदा उठाया और दीपक को ज़ोर से धक्का दिया दीपक नीचे
ज़मीन पर गिरा जब तक हल्की सी आँखें खुलती सामने कोई नही था वो भागने मे
कामयाब हो चुका था.

दीपक जल्दी से अपने कमरे मे गया अपनी आँखें सॉफ की पर अभी तक उसको जलन हो
रही थी . होटेल के काउंटर पे आया पेमेंट की और रात मे ही होटल छ्चोड़ दिया
उसको पता था कि ये जो भी था उसे अब डर लग रहा होगा .

...
सुबह -2 राणे थाने पहुचा सामने टेबल पर 9एमेम पिस्टल के ओनर्स के रिपोर्ट
पड़ी थी राणे ने हवलदार को चाइ के लिए बोला ओर फाइल खोल के देखने लगा
.हवलदार 2 मिनट बाद चाइ ले कर आया .

राणे: बाबू राम तुम्हरे फॅमिली मे कोई ऐसा है जो तुम से जलता हो .

हवलदार: साहेब एक हो तो बताउ , मेरी बीवी इतने अछी है इतने प्यारी इतने
खूबसूरत ,इतनी न्यारी है..

राणे: बाबू राम हम समझ गये तुम जाओ .

हवलदार: जी साहेब.

राणे ने फोन उठाया और कमिशनर को फोन किया गुड मॉर्निंग सर इनस्पेक्टर राणे
स्पीकिंग सर.

कमिशनर: या राणे केसे हो .

राणे: सर एक दम फिट न्ड फाइन .

कमिशनर : पर मुझे नही लगता ,तुम्हारे इलाक़े मे 3 खून हो चुके हे पीछे 1
महीने मे कोई पकड़ा गया .

राणे: सर उसी केस के सिलसिले मे ही फोन किया है आपको ,कुछ क्लू मिले हैं पर
..

कमिशनर: पर क्या राणे आइ वॉंट रिज़ल्ट ,.

राणे: सर मुझे ये काम प्राइवेट लोगो से कराना पड़ेगा .

कमिशनर : ओके राणे जो करना है करो बट रिज़ल्ट जल्दी .

राणे ने फोन रखा दुबारा फोन उठाया और किसी को फोन करके पोलीस स्टेशन आने को
बोला .
.....

दीपक ने पिछली रात एक दूसरे होटल मे बिताई ,अब वो और ज़यादा चोकन्ना हो
चुका था हर किसी पर नज़र रखने लगा था .दीपक चंपा के घर की तरफ हुआ .

खोली के बाहर पहुचा दीपक अंदर जाने लगा चंपा नहा रही थी उसकी खोली मे ही एक
पर्दे के पीछे लेकिन परदा बड़ा बारीक था और चंपा का आध नंगा शरीर सॉफ देखा
जा सकता था ...

ये नज़ारा देखते ही दीपक खोली के बाहर आ गया उसको लगा के चंपा उसी की तरफ
देख रही थी .थोड़ी देर वही खड़ा रहा चंपा ने दीपक को अंदर बुलाया दीपक
थोड़ा झिझक रहा था

चंपा: साहेब आपने नाश्ता किया

दीपक: नही अभी नही किया

चंपा: मे बनाती हू आप बैईठये

दीपक को भूक तो बहुत तेज़ लगी थी 2 दिन पहले केदार अंकल के घर पे ही ठीक से
खाना खाया था. पिछली रात तो खाना ही नही खा पाया था

चंपा ने बेड के उपर नाश्ता रखा दीपक को इतने तेज़ भूक लगी थी के उसको स्वाद
का तो कुछ पता ही नही चला जल्दी से नाश्ता ख़तम करने के बाद दीपक ने हाथ
धोए

दीपक: चंपा मदन के बारे मे कुछ पता चला

चंपा: साहेब मेने कल यहा आस पास के लोगो को बोल दिया था जिसको भी उसके बारे
मे पता चलेगा वो मुझे बता देगा .

दीपक: आज घर गयी थी तुम

चंपा: आज मालकिन ने छुट्टी दी है आज घर पे कोई काम नही था इसलिए

चंपा ने अपने बालों से तोलिया खोला और वही कोने मे अपना बालों को सुखाने
लगी उसके हाथ से तोलिया छूटा और ज़मीन से तोलिया उठाने के लिए झुकी ....

चंपा जैसे ही झुकी उसने ब्रा नही पहना हुआ था दीपक की आँखों के सामने दोनो
गोलाइयाँ थी निपल्स सॉफ देखे जा सकते थे दीपक ने जल्दी से अपनी नज़र वाहा
से दूर की खड़ा हुआ और चंपा को बोला के वो शाम को भी आएगा कौशिश करना अगर
मदन का कुछ पता कर सको ये बोलता हुआ खोली से बाहर हो गया .


चंपा की खोली से थोड़ा दूर गया था के कोई छोटी सी गली से निकल कर आया और
दीपक को पकड़ लिया एक ने दीपक के हाथ उसकी कमर पर कर दिए दूसरे ने एक
ज़ोरर्र से घूँसा दीपक के मुँह पर मारा दीपक की आँखों के आगे अंधेरा हुआ वो
नीचे को गिरा .

दूसरा आदमी बड़े गुस्से मे बोला साले हरामजादे तेरे वजह से मेरा दोस्त मारा
गया ये बोलते ही उसने एक लात दीपक के पैट मे मेरीयी दीपक के मुँह से
घूटीघुतती आवाज़ निकली वो एक पल के लिए बेहोश हो चुका था वो दोनो उसको वही
छ्चोड़ कर वाहा से भागे .

5मिनट बाद दीपक केसे भी कर के खड़ा हुआ और मैन रोड पर पहुचा एक ऑटो को रोका
उसमे बैठा और अपने होटेल की तरफ चल दिया
Reply
06-28-2017, 10:57 AM,
#8
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
राणे: आओ आओ कैसे हो .

प्राइवेट डिटेक्टिव: जै हिंद सर, बिल्कुल ठीक हू सर.

राणे: बैठो यार , तुमने हमारे नीचे ट्रनिंग ली पर पोलीस फोर्स जाय्न नही की
,पता है एक ईमानदार पोलीस वाला कम हो गया .

डीटेक्टिव: सर जो कुछ मेरे साथ हुआ है वो आप जानते ही है ,इसलिए मेने
प्राइवेट जासूसी करना ही सही समझा .

राणे: ह्म्*म्म्म ... यार एई लो ( एक फाइल आगे बढ़ते हुए दी) दो लोगो के
जनम कुंडली चाहिए पूरी की पूरी और हां ज़रा होशियार बहुत तेज़ है ई लोग .

डिटेक्टिव: सर आपका का काम जल्दी हो जाएगा( ये कहते हुए खड़ा हुआ और चल
दिया)

राणे कुर्सी पर आराम से बैठे हुए कुछ सोच रहा था ,फोन की घंटी बाजी ,..हेलो
इनस्पेक्टर राणे , फोन पे जो भी था राणे एक बार हिल सा गया जल्दी से खड़ा
हुआ पोलीस स्टेशन से बाहर निकला और गाड़ी मे बैठ के ड्राइवर को बोला चलो
दीपक के घर पे .

राणे की जीप दीपक के घर के बाहर रुकी ,राणे जैसे ही घर मे घुसा आस पास के
पड़ोसी वही घर मे थे राणे को पोलीस की वर्दी मे देख के सब लोग थोड़ा पीछे
को हुए राणे सीडिया चढ़ ते हुए उपर पहुचा दरवाज़ा खोला.

सामने दीपक की मा इंदु अपने बेड पर बैठी थी , कमरे का सारा समान बिखरा हुआ
था .

अलमारी का लॉक भी टूटा पड़ा था राणे अलमारी के पास पहुचा लॉकर खोला पर सारी
ज्यूयलरी वही थी कुछ कॅश भी था राणे के दिमाग़ की घंटी बजी अगर चोर चोरी
करने आया था तो इतना बड़ा पागल था क्या जो सारा माल यहा छ्चोड़ गया .

राणे इंदु के पास गया .

राणे: इंदु जी क्या चोरी हुआ आप के घर से .

इंदु: डाइमंड्स.

राणे की दोनो आँखें फैली पर वो अभी भी कुछ समझा नही .

राणे: डाइमंड्स कहा से .

इंदु: सामने जो अलमारी का लॉक टूटा पड़ा है उसी मे से निकाले गये है.

राणे का दिमाग़ फिर भागा कैसा चोर था जिसको ये भी पता था के डाइमंड्स कहा
पड़े है पर साले ने बाकी सामान को हाथ भी नही लगाया .

राणे: कितने के हीरे थे इंदु जी.

इंदु: मुझे पूरा तो नही पता क्यूकी ये राज ने ही खरीदे थे लगभग 5 करोड़ के
होंगे.

राणे: राणे की आँखों की भुए उपर हुई .हवलदार को इशारा किया फोरेन्सिक वालो
को बुलाओ .

राणे ने नीचे आकर लोगो से कुछ पूछताछ की और गाड़ी मे बैठ के पोलीस स्टेशन
चल दिया

दीपक होटेल के बेड पर लेटा था उसके मूह मे बहुत दर्द हो रहा था कुछ देर
पहले ही उसे दो लोगो ने बड़ी बहरहमी से मारा था . दीपक को एहसास था के वो
लोग शायद जागया के दोस्त थे क्यूकी उन्होने उसे मारते वक्त ये बोला था के
उसकी वजह से उसके दोस्त की जान गयी है .

दीपक ने होटेल के एक आदमी को भेज कर केमिस्ट से पेन किल्लर मॅंगा ली थी
.उसको अब लग रहा था के कातिल उसकी पहुच से दूर नही हे .मेडिसिन का असर होने
लगा और दीपक नींद के आगोश मे सो चुका था .

शाम के 6:00पीयेम बज चुके थे दीपक की आँख खुली उसको याद आया के उसने चंपा
को मिलने जाना था .दीपक जल्दी से खड़ा हुआ मूह हाथ धोया और होटेल से बाहर
हुआ .

चंपा की खोली मे पहचते ही दीपक जल्दी से अंदर को हुआ वो चंपा को किसी
मुश्किल मे नही डालना चाहता था .चंपा अंदर चाइ बना रही थी.

चंपा: आई साहेब जी चाइ पेएँगे .

दीपक: हां.

चंपा: मदन की खबर मिली है वो आज रात को वो पीछे वाले खंदर मे अपने दोस्तो
के साथ आएगा.

दीपक: चलो अभी कहा हे जगह बताओ मुझे .

चंपा: साहेब अभी नही वो रात को आएगा 10: बजे के बाद पक्की खबर है साहेब जी.

दीपक: किसने बताया तुम्हे.

चंपा: पड़ोसी का बेटा उसका दोस्त हे और वो आज रात वाहा इकट्ठे हो कर दारू
पीने वाले है .

दीपक: ह्म्*म्म्म... आज कुछ भी हो मुझ से भाग नही पाएगा .

चंपा चाइ का कप दीपक के पास ले कर आई जैसे ही दीपक ने कप लिया उसका हाथ ने
चंपा के हाथ को छुआ दोनो ने एक दूसरे को देखा चंपा हल्का सा मुस्कुराइ और
पीछे हो गयी.

ऐसे ही थोड़ी देर वाहा वक्त बिताने पर दीपक ने घड़ी पर नज़र डाली 9:00 बज
चुके थे .

दीपक: चलो चंपा मुझे वो जगह बताओ जहा वो आने वाला है.

चंपा की खोली से निकलने से पहले दीपक ने चंपा की रसोई से एक चाकू अपने पास
रख लिया था.

दोनो गलियो से निकलते हुए खंदार के पास पहुचे .

चंपा: यही पे आने वाला है (चंपा ने इशारा करते हुए बताया )

दीपक: तुम यही रूको मे अंदर देख के आता हू कुछ भी हो अंदर मत आना .

चंपा: पर आप पहचानोगे कैसे मदन को.

दीपक: वो तुम मुझ पर छ्चोड़ो वो खुद बता देगा .

दीपक खंदार के अंदर गया चारो तरफ का मुआयना किया कोई भी नही था ,बाहर आया
और चंपा को घर भेज दिया ,वो सोच रहा था के कही चंपा को कुछ ना हो
जाए,क्यूकी यहा ख़तरा था.

जैसे चंपा गयी दीपक खंदार के अंदर पहुचा एक कोने मे दीवार थी जहा वो छुप के
खड़ा हो गया और इंतेज़ार करने लगा ,थोड़ी देर बाद घड़ी पर नज़र डाली 10:30
बज चुके थे पर अभी तक कोई आया क्यू नही .

5मिनट बाद कुछ आवाज़ आई दीपक चौकन्ना हुआ .

अरे यार आज तो मज़ा आगेया लंबा चौड़ा हाथ मारा है सब मिल के मज़े करेंगे
(दीपक ने आती हुई आवाज़ सुनी) .

दीपक ने दीवार से थोड़ा झाँक के देखा उसे कोई नज़र नही आया , आराम से दब्बे
पाँव दीपक बाहर आया थोड़ा आगे गया कुछ लोग उसे थोड़ी दूर बैठे नज़र आए ,
झट से दीपक ने फिर दीवार की ओट ली .

उसको पता था के अगर किसी ने उसे देखा तो वो लोग भाग खड़े होंगे ,या फिर
उसको मारने की कोशिश करेंगे .

अरे यार ये मदन क्यू नही आया अभी तक ,तूने उसको बोला था ना यहा मिलने को ,
हां यार मेने उसे बता दिया था के खंदार मे मिलेंगे .
दीपक समझ चुका था के मदन अभी तक आया नही है और ये लोग उसका इंतेज़ार कर रहे
है और वो खुद भी.

दीपक थोड़ा आगे हुआ छ्होटा सा पत्थर उठाया और दूसरी तरफ की झाड़ियो के तरफ
फैका थोड़ी से आवाज़ हुई.

आबे कौन है ,अरे तू देख तो सही कौन रात को यहा अपनी शादी करने आया है ,.
उसमे से एक आदमी खड़ा हुआ और झाड़ियो की तरफ गया ,,ज़ोर से बोला कौन है बे
साले मज़ा खराब कर रहा है ये बोल के वो जैसे ही पीछे मुड़ा दीपक ने उसका
सिर पकड़ कर दीवार पे ज़ोर से मारा वो आदमी नीचे गिरा .

दीपक ने उसे आराम से घसीट के दीवार के पीछे ला के डाल दिया .

अबे तू कहा मर गया साले मैं दारू खोल रहा हू जल्दी आ वरना सारी पी
जाउन्गा.ज़ोर से हस्ने की आवाज़ आई ,,अबे आता है या मे आओ , दूसरा आदमी भी
खड़ा हुआ और वही झाड़ियो की तरफ चला,,, अब कहा गया अपनी जीजा को छ्चोड़ कर
साला भोसड़ी का.

दीपक ने फिर एक छ्होटा पत्थर उठाया और जहा वो खड़ा था उसी दीवार पर मारा .

उस आदमी ने वो आवाज़ सुनी , साले रात को क्या आँख मिचोली खेल रहा है बाहर
निकल दारू पीने का टाइम है.

वो आदमी उस दीवार के पास आया जहा दीपक छुप के खड़ा था ,, साले बाहर निकल ना
मुझसे अब बर्दाश्त नही हो रहा पूरे दिन से दारू नही पी और अब तू कहा छुप
गया

ये बोलते ही वो आदमी थोड़ा आगे आया सामने उसे उसका दोस्त नीचे ज़मीन पे
गिरा दिखा ,भागते हुए वो उसके पास आया .. अबे उठ ,क्या हुआ तुझे उस आदमी को
पीछे से कुछ आवाज़ सुनाई दी जैसे ही उसने पीछे देखा दीपक ने ज़ोर से उसके
मूह और कंधे के बीच अपनी लात ज़ोर से मारी वो जैसे ही गिरा ,नीचे पड़ा
पत्थर उसके सिर पर लगा और वो भी बेहोश हो गया
Reply
06-28-2017, 10:57 AM,
#9
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
चंपा ने दीपक के सीने पे कान लगाया धड़कन चल रही थी.

चंपा: इनकी साँस चल रही है,चल इनको उठाने मे मदद कर .

दोनो ने मिल कर दीपक को उठाया और बस्ती की तरफ जाने लगे .

चंपा: अगर ऐसे जाएँगे तो ये बच नही पाएँगे एक काम कर सामने वो हाथ गाड़ी
पड़ीहै जा चुपके से उसे उठा ला .

वो लड़का भाग कर गया एक ठेली ले कर आया दोनो ने दीपक को उस पर लेटया और उस
लड़के ने धक्का लगाना शुरू किया चंपा पीछे भाग रही थी, वो लड़का तेज़ी से
तेली ले कर भाग रहा था .

बस्ती के पास पहुच कर चंपा ने बस्ती के एक घर पे दरवाज़े को खटखटाया ,अंदर
से खटपट की आवाज़ हुई दरवाज़ा खुला.
दीपक ज़मीन पर गिरा और ज़ोर ज़ोर से साँस लेने लगा गोली उसके पेट मे लगी थी
उसको पता था के मौत उसके करीब है उसकी आँखें बंद होने लगी ,उसे ऐसा लगा
सामने से कोई आ रहा हे , चंपा थी साथ मे एक लड़का भी था .





कॉमपाउंडर: क्या बात चंपा रात को भी तुझे चैन नही हे ,क्या चाहिए बोल.

चंपा: बचा ले इनको.(ईश्वर दीपक की तरफ था)

कॉमपाउंडर: किसे बचा लो (अपनी खोली से बाहर निकला सामने दीपक को थेली पर
खून मे लत पथ देख उसकी हालत पतली हो गयी) कौन है ये (ज़ोर से बोला,अंदर से
उसकी बीवी भी बाहर आगाई) .

चंपा: मेरे साहेब जी है बड़े उपकर है इनके हम पर इनको बचा ले.(रोते हुए)

कॉमपाउंडर: क्या हुआ इसे ,इतना खून केसे.(ये बोल कर वो दीपक के पास गया
,शर्ट पर खून था थोड़ा सा कपड़ा हटाया उसकी हवा फिर निकली) ले कर जा इसे
यहा से ,इसको गोली लगी है ,चली जा यहा से.

चंपा: इनको बचा ले ,ये बहुत शरिफ्फ आदमी है ,ये बस वाहा खंदर मे घूम रहे थे
किसे ने इन्हे गोली मार दी ,बचा ले मे तेरे पाँव पड़ती हू (रोते हुए).
कॉमपाउंडर: इसको हॉस्पिटल ले कर जा मे कुछ नही कर सकता ,और वैसे भी ये
पोलीस केस हे ,मे कुछ नही करूँगा ,पोलीस मुझे पकड़ लेगी चल भाग यहा से.

चंपा : हॉस्पिटल नही ले कर जा सकती ,वक्त बहुत कम हे अगर रास्ते मे कुछ हो
गया तो...(रोते हुए)

कॉमपाउंडर: क्या होगा मर जाएगा ,मरने दे ,पर मे क्यू इसको बचाने के चक्कर
मे जैल जाउ

चंपा: देख तू हमेशा से हमारी मदद करता आया है आज भी कर दे

कॉमपाउंडर: वो सब बस तेरी मा के लिया किया था क्यूकी उसने मुझे मेरे बुरे
वक्त मे मदद की थी ,पर मे ये काम नही कर सकता

चंपा उसकी बीवी के कदमो मे गिर पड़ी ,और मदद की गुहार करने लगी

उसकी बीवी ,बचा लो उसे अगर रास्ते मे ले जाते हुए उसे कुछ हो गया तो पाप हम
पर चढ़ेगा

कॉमपाउंडर: पाप पुन्य तब सोच लियो जब मे जैल जाउन्गा समझी अंदर जा

चंपा: किसी को कुछ पता ही नही चलेगा बस तू गोली निकाल दे मे यहा से इन्हे
उसी वक्त ले कर चली जाउन्गी

कॉमपाउंडर: मेरा घर है कोई हॉस्पिटल नही ,गोली निकालने के लिए डॉक्टोरी
समान चाहिए होता है हाथ से निकालु

उसकी बीवी ने ये सुनते ही बोला, समान है वो आप पिछली बार क्लिनिक से लाए थे
पर वापस लेकर नही गये

चंपा: तू गोली निकाल दे हम अभी चले जाएँगे

कॉंपौंदर: इसे अंदर ले कर आ ,देखता हू क्या कर सकता हू ,और अगर इसे कुछ हो
गया तो भी तू किसी को कुछ नही बोलेगी

चंपा और वो लड़का दीपक को उठा कर अंदर लेकर आए गदे पर लेटाया

कॉंपौंदर: ज़रा पीछे हट (चंपा को बोला ,और दीपक की नबाज़ चेक करने लगा)
इसके शरीर मे जान बहुत कम है मुझे डर है गोली निकालते वक्त ही कही ये मर
गया तो

चंपा: तू कौशिश तो कर , भगवान इसके साथ है ,इसे कुछ नही होगा

कॉमपाउंडर: जा समान ले के आअंदर से (अपनी बीवी को बोला) चंपा तू गॅस पर
पानी चढ़ा दे .हे भगवान कहा फसा दिया इंसान तो बनाया इंसानियत क्यू बनाई

उसकी बीवी अंदर से एक डब्बा ले कर आई जिस पे फर्स्ट एड का साइन बना हुआ था

कॉमपाउंडर ने एक कँची से उसकी शर्ट काटी,और ज़ख़्म पर हल्का सा हाथ लगाया
,दीपक की आहह निकल पड़ी मूह से .उसने जैसे ही उसके सिर पर हाथ लगाया सिर जल
रहा था

कॉमपाउंडर: अरे इसे तो भूखार भी बहुत तेज़ है इसका बचना बहुत मुश्किल है
(चंपा की तरफ देख कर बोला)

कॉमपाउंडर को बहुत डर भी लग रहा था , उसका खुद का ब्लड प्रेशर बढ़ गया था
जल्दी से दो ग्लास पानी पिया और दीपक के पास आया

चंपा को गरम पानी लाने को बोला ,
उसने अपना काम शुरू किया ,जैसे ही गोली बहार निकाली दीपक की आवाज़ नही हुई .
उसने पास आकर दीपक की छाती पर दवाब बनाया और बार बार छाती दबाने लगा

कॉमपाउंडर: इसे अपने मूह से साँस दे इसके शरीर मे कोई हरकत है जल्दी कर

चंपा अपने मूह से साँस दे रही थी कॉमपाउंडर उसकी छाती दबा रहा था और उस
लड़के ने ज़ख़्म को कॉटन से दबा रखा था ताकि खून ना निकल सके

उसने फिर उसकी नब्ज़ चेक की थोड़ी जान अगेयी थी

कॉमपाउंडर: तू साँस देती रह मे टाँकें लगा देता हू ,शायद बच जाए

निडल को गरम पानी डुबोया धाग्गा डाला जखम पर बिना इंजेक्षन दिए ही टाँकें
लगाने थे उसे पता था के दीपक शायद नही बच पाएगा

कॉमपाउंडर: मुझे बहुत डर लग रहा हे अगर ये मर गया तो

चंपा: तू डर मत तूने तो गोली भी निकाल दी ,अब मत डर भगवान हमारे साथ है
,इसे कुछ नही होगा

कॉमपाउंडर ने टाँकें लगाने शुरू किया दीपक को होश नही था पर मूह से हल्की
हल्की आवाज़ निकल रही थी . हर टाँकें के साथ उसके हाथ भी काँप रहे थे दूर
बैठी उसकी बीवी भी डर रही थी
जैसे ही टाँकें लगा कर कॉमपाउंडर वाहा से हटा,उसकी बीवी भागते हुए उसके पास
आई ,उसको उठाया और पूछी क्या हुआ आपको

कॉमपाउंडर: कुछ नही बस जैल का दरवाज़ा नज़र आ रहा था . मुझे लगा के मे शायद
जैल की सलाखें पकड़ के खड़ा हू

कुछ नही होगा, आप ने तो भला काम किया है,अगर ये ठीक हो गया तो हमे दुआए
देगा

कॉमपाउंडर: अरे तू चुप कर , चंपा तू इसे अब यहा से ले कर जा ,और किसी को ये
मत बोलना के मेने ये काम किया था

चंपा ने सर हाँ मे हिलाया

चंपा: आ इधर इन्हे उठा और बाहर ले कर चल

वो लड़का चंपा की मदद से दीपक को बाहर ले कर आया रात के 2:00 बज रहे थे
कुत्ता भी नज़र नही आ रहा था दोनो ने मिल के उसे ठेली पे डाला

चंपा: एक काम और कर दे

कॉंपौंदर: अब क्या चाहिए

चंपा: दवाई लिख दे , जखम का दर्द केसे जाएगा एक और उपकार कर दे.

कॉंपौंदर अंदर गया और एक पर्ची पर दवाई लिख के लाया

कॉंपौंदर: ये ले ,सब दवाई पीने वाली है ये अभी बेहोश है ना दवाई केसे
खाएगा,और एक काम कर इसके सिर पर पानी से पट्टी कर दियो बुखार उतर जाएगा

दोनो वाहा से चंपा की खोली के तरफ को चले ,चंपा ने अपनी खोली को खोला और
दोनोने दीपक को आराम से अंदर ले कर आए,बिस्तेर पर लिटाया.

चंपा: इधर आ ये ले पैसे और ये पर्ची ,वो हॉस्पिटल के पास जो दवाई की दुकान
है ना जा उससे ये दवाई ले कर आ और हाँ उससे पूछ लेना के दवाई केसे देनी है
समझा

लड़के ने सिर हां मे हिलाया और खोली से बाहर हुआ

चंपा ने पानी गॅस पर चढ़ाया ,और दीपक के पास आकर उसकी छाती पर कान लगाया और
सुनने लगी के साँसे तो चल रही हैं के नही

गरम पानी मे पट्टी डाल कर उसके सिर पर डाली और बारी बारी पट्टी बदलने लगी ,
थोड़ी देर बाद वो लड़का भी दवाइया ले कर आया और चंपा को समझाने लगा के कौन
सी दवाई कैसे देनी है
Reply
06-28-2017, 10:57 AM,
#10
RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
चंपा: चल अब तू जा ,नही तो तेरे मा सुबह मेरी जान खा जाएगी ,और सुन इस सब
के बारे मे किसी को मत बोलना ठीक है

लड़का गर्देन हां मे हिलाते हुए खोली से बाहर निकला ,चंपा ने खोली बंद की
और दीपक के पास आकर बैठी, दवाई की एक बोतल खोली चमच मे लेकर दीपक के मूह मे
डाल दी ,रात के 3:00 बज रहे थे

थोड़ी देर पट्टी करने के बाद चंपा भी ज़मीन पर ही सो गयी

सुबा 7:00 बजे दरवाज़े पर दूध वाले ने दस्तक दी तो चंपा की आँख खुली , दूध
लेने के बाद चंपा ने फिर दीपक की छाती पर कान लगाया धड़कन चल रही थी उसके
माथे पर हाथ लाया अभी भी बुखार था पर पहले से कम.

चंपा खोली से बाहर आई अपने सामने वाली खोली मे गयी ,सामने वाली खोली मे
उसकी तरहा ही लोगो के घरो मे काम करने वाली लड़की रहती थी जो चंपा की अछी
सहेली थी

चंपा ने उसे बोला के आज उसकी तबीयत ठीक नही है ,आज उसके घरो का काम वो कर
ले ये बात बोल कर चंपा वापस आई और घर का काम करने लगी.

...

पोलीस थाने मे राणे कुर्सी पर बैठा किसी का इंतेज़ार कर रहा था थोड़ी देर
बाद वो आदमी आया

प्राइवेट डिटेक्टिव: जै हिंद सर

राणे: आओ यार तुम्हारा फोन जब से आया है ,तुम्हारी राह देख रहा हू. क्या
लाए हो मेरे लिए

डिटेक्टिव ने दो काग़ज़ और कुछ फोटोस राणे को दिए

राणे: का बात यार तुम तो बहुत तेज हो यार का खाते हो , एक फाइल टेबल से
निकाली अरे ज़रा एई के बारे मे भी पता करो .

राणे: हम को एई का पूरा जनम कुंडली चाहिए ,जब से एई पैदा हुए है .

डिटेक्टिव: सर काम हो जाएगा .

राणे: बाबू राम अरे भाई यहा प्राइवेट बात हो रही है तुम लोग ज़रा बाहर जाओ.

सारे हवलदार पोलीस स्टेशन के बाहर आ कर खड़े हो गये.

राणे ने अपनी जेब से 5000रुपये निकाले और उस डिटेक्टिव को दिए .

डीटेक्टिव: अरे नही सर ,आप से कभी नही
राणे: अरे भैया तुम का सोचत हो एई हम किस लिए दे रहे है ,हम का तुम को
रिश्वत दे रहे है ,हम जानते है जिस लाइन मे तुम हो उहा पैसा खर्च होता है
एई तुम्हारे काम का इनाम है .

डिटेक्टिव: नही सर आप के नीचे ट्रैनिंग ली है ,आप से नही ले पाउन्गा ,सब
कुछ आपका ही सिखाया हुआ है.

राणे: अरे भाई एई हम नही दे रहे समझे ,एई तुहार काम का पैसा है ,रख लो

डिटेक्टिव ने राणे के हाथ से पैसे लिए और अपनी जेब मे डाल लिए.

डिटेक्टिव: सर आज तक आपको ऐसे किसी केस के लिए बेचैन होते नही देखा.

राणे : अरे भैया एई केस ने तो जान आफ़त मे डाल रखी है साला एक महीने मे
हमारे इलाक़े मे 4खून हो गये यार साला हमारा डैमोशन होने का चान्सस है .

डेटेटिव: सर आपको क्या लगता है जो आप सोच रहे है ,क्या वो सही है.

राणे: अरे यार हम का सोचत एई तो हम को भी नही पता ,साला कमिशनर बार बार फोन
कर के परेशान कर रहा है.

डीटेक्टिव: सर क्या ये केस उल्टा नही है

राणे: अरे केस उल्टा नही है ,हम पहले उल्टा सोचे अब उल्टे को सीधा करने का
टाइम है भाई

डीटेक्टिव: ओके सर मे चलता हू आप का काम जल्दी कर के आप को कॉल कर दूँगा.

राणे: सुनो पूरा जनम कुंडली चाहिए ,समझे एक भी पन्ना बाकी ना रह पाए नही तो
हमार डैमोशन और ट्रान्स्फर पक्का समझे का.

डीटेक्टिव: ओके सर समझ गया पूरी हिस्टरी दूँगा.

राणे: ओर जाते -2 ऊ बाहर चाइ वाले को चाइ बोल देना ससुरा का पता कल को
डैमोशन के बाद चाइ भी ना मिले.

डीटेक्टिव पोलीस स्टेशन से बाहर हुआ,सारे हवलदार अंदर आगाए,

राणे: बाबू राम का करत हो भैया .

हवलदार: कुछ नही सर.

राणे: अरे तो कुछ करो ना ,ज़रा देखो उओ फोरेन्सिक रिपोर्ट का क्या हुआ जो
उस घर मा चोरी हुआ था.

हवलदार थोड़ी देर बाद हाथ मे फोरेन्सिक रिपोर्ट ले कर पोलीस स्टेशन मे
घुसा,राणे के हाथ मे रिपोर्ट दी

राणे ने रिपोर्ट हाथ मे ली और पन्ने पलट ने लगा .

राणे: बाबू राम तुम एक ही बार दो ग़लती किए हो का.

हवलदार: हां सर किया हू.

राणे: का किए हो भाई.

हवलदार: सर मेने दो शादिया की है.

राणे: ह्म्*म्म. बाबू राम तुम पोलीस मे का कर रहे हो.

हवलदार: देश की सेवा सर.

राणे: बाबू राम एई सेवा नही मेवा है ,तीसरी भी कर लो ,तुहार और भला हो जाए
समझे का ,चलो अब निकालो गाड़ी थोड़ा घूम के आते हैं.

राणे गाड़ी मे बैठ कर सीधा दीपक के घर के बाहर रुका ,दरवाज़े की बेल
बजाई,इंदु ने दरवाज़ा खोला.

राणे: जिस रूम मे चोरी हुआ है ,उसका एक बार और छान बीन करना है हमे .

ये सुनते ही इंदु दरवाज़े से हटी राणे सीडिया चढ़ते हुए उपर कमरे मे पहुचा
सामने अलमारी के पास गया पूरे कमरे मे नज़र घुमाई,इधर उधर घूमने लगा नीचे
बेड के पास उसे कुछ गिरा नज़र आया,जो कुछ भी था राणे ने झट से उस चीज़ को
उठाया और अपनी जेब मे डाल लिया.

राणे ने बाहर खड़ी इंदु को आवाज़ दी) इंदु जी ज़रा एई अलमारी का दरवाज़ा तो
खोलिए हम चोर नही है.

ये सुनते ही इंदु ने चाबी लगा कर दरवाज़ा खोला
राणे ने पूरी अलमारी को गौर से देखा कोई निशान नही था , अलमारी मे कुछ फोटो
आलबम्स पड़ी थी.

राणे: इंदु जी चाइ पीला दीजिए बहुत दिन हुए आछे दूध का चाइ पिए.

इंदु नीचे किचन की तरफ हुई राणे ने आल्बम उठाई और देखने लगा ,सब घर के लोगो
की पिक्चर्स थी ,सब आल्बम देखने के बाद राणे नीचे आया ,उसके चेहरे पर कुछ
ऐसा भाव था के जैसे उसे कुछ समझ नही आया.

राणे: इंदु जी आप के घर मा कोई नौकरानी नही है का इतना बड़ा घर है

इंदु: है पर आज उसकी तबीयत ठीक नही है,वो नही आई ,दूसरी आई थी वो काम करके
जा चुकी है

राणे: आप का एई जो केस है ना वो बहुत उलझा हुआ है ,हमारा तो नौकरी पे बन
आया है

इंदु: आप क्या कहना चाहते है.

राणे: कुछ नही बस, एई जो चोर था बहुत चालू था.

इंदु: मतलब आप उसको पकड़ नही पाएँगे.

राणे: कुछ कह नही सकते ,आप चाइ बहुत आछा बनाते हो हम चलते है अगर आपका
ज़रूरत हुआ तो आप को थाने आना पड़ेगा.

इंदु: हां आप मुझे बुला लीजिएगा जब आप चाहे.

राणे उठा और दरवाज़े की तरफ को हुआ गाड़ी मे बैठा और थाने की तरफ हुआ
चंपा अपने घर का काम कर रही थी ,दीपक की हल्की सी आवाज़ हुई ,चंपा भागते
हुए उसके पास गयी

चंपा: आप लेटे रहो उठो मत

दीपक ने कुछ बोलने की कोशिश की पर उसके मूह से बॅस थुक्क निकली वो बोल नही
पा रहा था साँस लेते हुए भी उसे दर्द हो रहा था

चंपा समझ रही थी के दीपक को बहुत दर्द हो रहा था . वाहा से उठी और रसोई की
तरफ गयी ,एक प्लेट मे दलिया ले कर आई ,दीपक को खिलाने लगी ,दीपक जब मूह
खोलता या दलिया खाने की कोशिश करता दर्द की आहें निकल जाती,खाना ख़तम होने
के बाद ,चंपा ने दीपक को दवाई पिलाई

चंपा: उपर वाला भी चाहता है के आप उन लोगो को सज़ा दे , रात को आप की हालत
मुझ से देखी नही जा रही थी ,अगर मा जी पता चला तो

दीपक ने चंपा का हाथ पकड़ लिया और ना मे सिर हिलाया

चंपा: मैं नही बताउन्गी आप चिंता ना करे

दीपक ने सिर हिलाया और चंपा को अपने पास बुलाया चंपा अपना कान दीपक के पास
ले कर गयी

दीपक: मुझे या हा से निकालो पुलिस आ सक्त्ति है

चंपा: साहेब जी यहा कोई नही आएगा आप चिंता ना करे .दीपक ने फिर इशारा करके
चंपा को समझाया उसका यहा रहना ख़तरे से खाली नही है , चंपा भी ये समझती थी
,दरवाज़े पे दस्तक हुई चंदू अंदर आया
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