ऐश्वर्या की सुहाग रात - 1 - Suhagraat Hindi Stories
04-30-2017, 01:21 PM,
#1
ऐश्वर्या की सुहाग रात - 1 - Suhagraat Hindi Stories
मेरा नाम है राहिल. में 22 साल का मेडिकल स्टूडेंट हूँ. छह महीने पहले मेरी शादी मेरे बाजुवाले अंकल (मेरी माताजी के छोटे भाई) की 18 साल की लड़की ऐष्वार्या से हुई है. शादी के वक्त ऐष्वार्या कच्ची कुंवारी थी और बहुत ही शर्मीली थी. उस का शर्मीलापन का सामना कर के कैसे में ने ऐश को पहली बार चोदा इस की ये कहानी है, कहानी हमारी सुहाग रात की.

बाजुवाले अंकल की लड़की होने से में उसे बचपन से जानता हूँ.

ऐश्वर्या 5' 8" लंबी है. इंतजार 110 ल्ब्ष. रंग गोरा. चहरा गोल, आँखें भूरी और बड़ी बड़ी. पतली सीधी नासिका और पतले होंठ. बॉल काले हिप्स से नीचे तक के लंबे. हाथ पाँव चिकनी और कोमल. बारे संतरे की साइज के दो स्तन सीने पे ऊपर की ओर लगे हुए हैं. गोल गोल और चिकनी स्तन की पतली चमड़ी के नीचे खून की नीली नीली नसें दिखाई देती है. स्तन के सेंटर में 1" की छोटी अरेवला है जो गुलाबी रंग की है. अरेवला के बीच छोटे किशमिश के दाने जैसी घुंडी है. अरेवला और निपल्स बहुत सेन्सिटिव है और चुदवाते वक्त कड़े हो जाते है. वैसे ही ऐश के स्तन कठिन है जो चोदने के समय ज्यादा कठोर हो जाते है.

केल के खंभे जैसी सुडौल जाँघ के बीच ऐश की गांड उलटे खड़े टीलों जैसी है. जब वो जांघें मिला के पाँव लंबे रखती है तब गांड की दरार का छोटा सा हिस्सा ही दिखाई देता है. जांघें चौड़ी कर के ऊपर उठाने से गांड ठीक से देखी जा सकती है. मन्स घनी है और काले घुंघराले झाट से ढकी हुई है. बारे होंठ भरपूर है. मन्स और बारे होंठ चोदते वक्त होते हुए प्रहार झेलने को काबिल है. छोटे होंठ यूँ दिखाई नहीं देते, इतने पतले और नाज़ुक है और बारे होंठ से ढके हुए रहते है. केवल चोदते वक्त फूल के वो बाहर निकल आते है. ऐश की कोलाइटिस 1" लंबी और मोटी है, छोटे से पेनिस जैसी दिखती है. कोलाइटिस का छोटा सा मट्ठा चेरी जैसा दिखता है. ऐश की कोलाइटिस बहुत सेंसीटीव है. कभी कभी ऐश मूंड़ में ना हो तो में उस की कोलाइटिस को सहला के गर्म कर लेता हूँ. ऐश की चुत यानि योनि छोटी और चुस्त है. चुच्चे महीने से हर रात में उसे चोदता हूँ फिर भी वो कुंवारी जैसी ही है. अभी भी लंड डालने में मुझे सावधानी रखनी पड़ती है चाहे वो कितनी भी गीली क्यों ना हो. एक बार लंड अंदर जाय उस के बाद कोई तकलीफ नहीं होती, में आराम से धक्के लगा के चोद सकता हूँ.

हमारी माँगनी तो दो साल से हुई थी लेकिन एक या दूसरे कारण से शादी मोकूफ़ होती चली थी. में मेडिकल कॉलेज में पढ़ता था और हॉस्टल में रहता था. वो अपने फॅमिली के साथ रहती थी और आर्ट्स कॉलेज में पढ़ती थी. हम दोनों अक्सर मिला करते थे लेकिन उस ने मेरे से वचन लिया था की शादी से पहले में "वो" की बात तक नहीं करूँगा. "वो" मायने चोदना. जब मौका मिले तब हम चुम्मा- चाटी करते थे. किस करते वक्त वो शर्म से आँखें मूंद लेती थी. कभी कभी वो मुझे स्तन सहलाने देती थी, कपड़े के आर पार लेकिन मेरे हाथों पर अपना हाथ रख के पकड़ रखती थी. उस ने मुझे गांड को छूने नहीं दिया था, ना तो उस ने मेरे लंड को छुआ था. हर वक्त उस के जाने के बाद में कम से कम तीन बार हस्त-मैथुन कर लेता था.

आख़िर हमारी शादी हो गयी और सुहाग रात आ पहुंची. ये कहानी है उस रात की जब हम ने पहली चुदाई की. वो तो कच्ची कुंवारी थी. में ने 19 साल की उमर में सब से पहले मेरी भाभी मंजुला और छोटी बहन नेहा को एक साथ चोदा था. हालाँकि में ने कॉलेज में और हॉस्पिटल में दो तीन नर्सों के साथ चुदाई की थी मगर मुझे काफी अनुभव नहीं था. ऐश की शर्म और योनि पटल में ने कसे थोड़ा इस की ये कहानी है.

लंड और चुत को जबान होती तो अपने आप अपनी कहानी सुनाते. लेकिन वो तो एक ही काम जानते हे - चोदना. इसी लिये आइये में ही आप को सुनाता हूँ कहानी उन दोनों के पहले मिलन की.

सुहाग रात आ पहुंची.

में नर्वस था ? थोड़ा सा. मुझे पता था की सोमी (हमारी सर्वेंट और ऐश की दोस्त जो चार साल से शादी शुदा है) ने ऐश को सेक्स के बारे में काफी जानकारी दी थी, लेकिन प्रत्यक्ष अनुभव तो आज होने वाला था. प्यारी ऐश को चोदने के लिए में आतुर था लेकिन मान में कई सवाल उठाते थे जैसे की, मेरा बदन उसे पसंद आएगा ? मेरा लंड वो ले सकेगी ? उस का योनि पटल कितना कड़ा होगा, टूटने पर उसे कितना दर्द होगा ? आख़िर "देखा जाएगा" एसा सोच कर में रात की राह देखने लगा.

सोमी और मंजुला भाभी ने मिल कर शयनकक्ष सजाया था. फूल, फूल और फूल. चारों ओर फूल ही फूल. पलंग पर केवल गुलाब की पत्तियाँ. बगल में टेबल पर पानी, दूध, मिठाई, कॉंडम के चुच्चे पॅकेट्स और लूब्रिकॅंट की ट्यूब. बाथरूम में हमारे नाइट ड्रेस, गरम पानी, टवल्ज़ और कुच्छ दवाइयाँ.

स्नान कर के में पहला जा कर पलंग पर बैठा. मेरे पास चोदने के आसनों की एक अच्छी किताब थी जो में देखता था की में ने सोमी की आवाज़ सुनी. झट से में ने किताब छुपा दी और बैठ गया. सोमी ऐश को लिए अंदर आई और कहने आ गयी, "जीजू, हमारे ऐश्वर्या बहुत शर्मीले हे और उन्होंने एक बार भी लंड लिया नहीं है. तो ज़रा संभाल के चोदीयेगा."

"इतनी फिक्र हो तो तू ही यहाँ रुक जा और हमें बताती रहना की की करना, कसे करना"

"ना बाबा, ना. आप जाने और वो जाने. आप दोनों को चोदते देख कर मुझे दिल हो जाय तो में क्या करूँ?" इतना कहे खिलखिला हंस कर वो भाग गयी. में ने उठ कर दरवाजा बंद किया.

में घुमा तो ऐश अचानक मेरे पाव पड़ी. में ने उसे कंधों से पकड़ कर उठाया और कहा, "अरे पगली, ऐसे पाव पड़ने की जरूरत नहीं है. तू तो मेरे हृदय की रानी हो, तेरा स्थान मेरे हृदय में है, पाव में नहीं." सुन कर वो मुझसे लिपट गयी. हलका सा आलिंगन दे के में ने कहा, "ऐसे करते हैं. ये सब कपड़े और शृंगार उतार के नाइट ड्रेस पहन लेते हैं जिस से हमें जो करना है वो आराम से कर सकें." मेरा मतलब चोदने से था ये वो समाज गयी और तुरंत शर्मा गयी.

बाथरूम में जा कर मैंने पहले कपड़े बदले, बाद में वो गयी. जब वो बाहर निकली तब में पलंग पर बैठा था. मेरे पास बुलाने पर वो मेरे नज़दीक आई. में ने उनकी कमर पकड़ कर पास खींची और मेरी चौड़ी की हुई जाँघ के बीच खड़ी कर दी. उसके हाथ पकड़ कर में ने कहा, "अरे वाह, अच्छी डिज़ाइन बनाई है मेंहदी की. हम हर साल शादी की साल गिरह पर मेंहदी रचाने का प्रोग्राम करेंगे. और हाँ, अकेले हाथ पर है या और कोई जगा पर ?"

"पाव पर भी है." उस ने कहा.

"उस के सिवा ?" में ने पूछा तो वो खूब शरमाई और टेढ़ा देखने लगी.

बात ये थी की सोमी ने मुझे बताया था की ऐश के स्तन पर भी मेंहदी रचाई है. में ने उस की हथेली पर चुंबन किया और हाथ मेरे गले से लिपटाए. कमर से खींच कर आलिंगन दिया तो मेरा सर उसके स्तन के साथ दब गया. उस ने मेरे बालों में उंगलियाँ फिराना शुरू कर दी. कुच्छ देर के बाद उस का चहरा पकड़ कर मुँह पर चुंबन करने का प्रयत्न किया लेकिन उस ने करने नहीं दिया.

उस को ज़रा हटा कर में ने जाँघ सिकुड़ी और उस को ऊपर बिठाया. मेरा दाहिना हाथ उस की कमर पकड़े हुआ था जब की बया हाथ जाँघ सहला रहा था. कोमल कोमल और चिकनी ऐश को अश्लेष में लेना मुझे बहुत अच्छा लगता था. उस के बदन की सुवास मुझे एक्साइड कर रही थी और मेरा लंड हिलने लगा था. धीरे धीरे मेरा हाथ उसकी पीठ पर रेंगने लगा.

ड्रेस के नीचे ब्रा की पट्टी को पा कर में ने पूछा, "अरे, तू ने तो ब्रा पहन रक्खी है. निकाल नहीं सकी क्या ? लाओ, में निकाल दम ?" मेरी उंगलियाँ ब्रा का हुक तक पहुंचे इस से पहले उस ने सर हिला के ना कही और खड़ी हो गयी. में ने भी खड़ा हो कर उस को मेरे बाहों पाश में जकड़ लिया. लेकिन अफ़सोस, उसने अपने हाथ छाती के आगे क्रॉस कर रखे थे इसी लिए उस के स्तन मुझे छू ना सके. थोड़ी पर उंगली रख कर में ने उसका चहरा उठाया और होंठ से होंठ का स्पर्श किया. उस के बदन में झूरझूरी फैल गयी. आँखें बंद रखते हुए उस ने मुझे फिर से चुंबन कर ने दिया. में ने कहा, "ऐश, प्यारी, आँखें खोल मेरा चहरा देखना तुझे पसंद नहीं है क्या ?"

धीरे से वो बोली, "पसंद है, बहुत पसंद है" उस ने आँखें खोली. मेरी आँख से आँख मिलते ही वो फिर से शर्मा गयी और दाँत से अपने होंठ काटने लगी. में ने झट से मुँह से मुँह चिपका के चुंबन किया. इस बार उस के होंठ मेरे मुँह में ले कर में ने चूसे

अभी तक ऐश ने मुँह खोला नहीं था. में ने कहा, "ऐश, मुँह खोल थोड़ा सा" और फिर से किस करने लगा. जब उसने अपने होंठ खोले नहीं तब में ने मेरी जीभ उस के होंठ पर फिराई और कड़क बना कर होंठ बीच डाली. मुझे एसा महसूस होने लगा की में उस की पीकी के होंठ खोल कर अपना लंड अंदर डाल रहा हूँ. उधर मेरा लंड भी टन गया था. मेरी जीभ अपने होंठ पर पाते ही ऐश ने मुँह खोला . मेरी जबान उसके मुँह में पैथी और चारों ओर घूम फिरी. मुझे बहुत स्वीट लगा ये चुंबन. उस के मुँह की सुवास, अंदर की कोमल त्वचा, उस के दाँत, होंठ सब पर में ने अपनी जीभ फिराई. फ्रेंच किस करते करते में ने उसे पलंग पर लेता दिया.

मेरे हाथ उस के स्तन पर जाने लगे. उस ने अभी भी अपनी छाती ढँक रक्खी थी. में ने उस के हाथ हटाने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुआ. में ने जबरदस्ती नहीं करनी थी इसी लिए में ने फिर से फ्रेंच किस शुरू की. अब में उस के मुँह पर से हाथ कर गाल पर, गाल से गले पर, गले से उस के कान पर ऐसे अलग अलग स्थान पर किस करने लगा. जब मेरे होठों ने कान को छुए तब उस को गुदगुदी होने लगी और वो हंस पड़ी. अब मुझे रास्ता मिल गया. मेरा एक हाथ जो कमर पे था उस से में ने उस की कमर कुरेदी. ज्यादा गुदगुदी होने से वो चाट पता गयी और छाती से उस के हाथ हाथ गये. तुरंत में ने उस का स्तन थाम लिया. मेरा हाथ हटाने का उस ने हलका सा प्रयत्न किया लेकिन में स्तन को सहलाने ये उस को भी पसंद था इसी लिए ज्यादा ज़ोर नहीं किया. भरे भरे, कठिन और गोल गोल स्तन में ने नाइटी के आरपार सहलाए लेकिन मान नहीं भरा. खुले हुए स्तन के साथ खेलने को में तरस रहा था.

मज़ेदार सेक्स कहानियाँ

- December 21, 2015- December 5, 2015- July 12, 2016- January 20, 2016- January 14, 2016

में ने कहा, "कितने सुंदर है तेरे स्तन ! कड़े कड़े और गोल. मेरी हथेली में समाते भी नहीं है. अभी अभी बारे हो गये लगते हैं. लेकिन ये क्या ? स्तन पर तो घुंडी होनी चाहिए वो कहाँ है ? में देखूं तो." एसा बोल कर में ने नाइटी के हुक्स खोलना शुरू किए. उस ने शर्म से मेरे हाथ पकड़ लिए. में ने थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो उस ने भी ज़ोर से हाथ पकड़ रखे. ऊंचे स्तन रूपी पर्वत बीच के मैदान में हमारे हाथों की लड़ाई हो गयी.

उस की मर्जी बिना कुच्छ नहीं करने का मेरा निश्चय था इसी लिए में ने आग्रह छोडा और हार कबूल कर ली. उधर मेरा लंड तुमक तुमक करने लगा था. किस करते हुए और एक हाथ से उसका पेट सहलाते हुए में ने कहा, "प्यारी, कब तक छुपे रखोगी अपने स्तन ? मुझे देखने तो दे. तेरी मंजूरी बिना में स्पर्श नहीं करूँगा."

वो ज़रा नर्म हुई. शरमाते शरमाते वो टेढ़ा देखने कागी और छाती से हाथ हटा कर अपनी आंखों पर रख दिए. में ने नाइटी के हुक्स खोले लेकिन जब नाइटी के फ्लॅप हटाने लगा तब फिर से उस ने मेरे हाथ पकड़ लिए. थोड़ा ज़ोर करके में ने नाइटी खोली और ब्रा में कैद स्तन खुले किए. गोरे गोरे स्तन का जो हिस्सा खुला हुआ उस पर में ने किस करनी शुरू कर दी. चुंबन की बौछार से वो एक्साइड हो ने लगी थी. उस का चहरा लाल हो गया था और सांसें तेजी से चलाने लगी थी. फिर भी वो पीठ के बाल सोई हुई होने से में उस की ब्रा निकाल नहीं सका क्यों की ब्रा का हुक पीठ पर था. वो करवट बदले ऐसा मुझे कुच्छ करना था.

मुँह पर किस करते हुए में ने नाइटी ज्यादा खोली और उस के सपाट पेट पर हाथ रेंगने लगा. उस को गुदगुदी होने लगी. में ने ज्यादा कुरेदी तो वो गुदगुदी से चाट पटाने लगी और थोड़ी घूमी . में इन उसे आगोश में लिया और मेरी उंगलियाँ ब्रा के हुक पर पहुंच गयी. आलिंगन से इस वक्त उस के स्तन मेरे सीने से चिपका गये और दब गये. मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूमने लगे. उसके बदन पर रोए खड़े हो गये. मेरी उंगलियों ने ब्रा का हुक खोल दिया.

अब वो मुझे ज्यादा सहकार देने लगी. अपने आप वो पीठ के बाल हो गयी. खुली हुई ब्रा में हाथ डाल कर जब में ने उस के नंगे स्तन को पकड़ा तो उस ने विरोध नहीं किया. वो शरमाती रही और में स्तन सहलाता रहा. छोटी छोटी निपल्स कड़ी होने लगी थी जिसे में ने छिपाती में ले कर मसाला. एक दो बार मेरे से ज़रा ज़ोर से स्तन दबाया गया. वो चीख उठी और मेरे हाथ पे अपन हाथ रख दिए लेकिन मेरे हाथ हटाए नहीं. कई दिनों के बाद उस ने मुझे बताया था की मेरा स्तन का सहलाना उसे बहुत प्यारा लगता था.

दोनों स्तनों पर मेंहदी लगी हुई थी. मोर की डिज़ाइन में घुंडीयो को मोर की चोंच बनाई थी. गोरे गोरे स्तन पर लाल रंग की डिज़ाइन देख कर में खुद को रोक ना सका. दोनों स्तन को मुट्ठी में ले कर दबोच लिए और किस की बरसात बरसा दी. मुँह खोल कर अरेवला के साथ घुंडी को मुँह में लिया, चूसा और दाँत से काटा. ऐश के मुँह से सी सी होने लगी. उस ने मेरा सर अपने स्तन पर दबाया. मेरे लंड में से निकलता कम रस से मेरी निक्कर गीली होती चली.

में बैठ गया और उस के पैर पर हाथ फिराने लगा. घुटनों से ले कर जैसे जैसे मेरा हाथ ऊपर तरफ सरक ने लगा वैसे वैसे उसकी नाइटी ऊपर खिसकती गयी और उस की चिकनी जांघें खुली होती चली. उस ने जाँघ चिपकाए हुए रक्खी थी, में ने चौड़ी करने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा. आहिस्ता आहिस्ता मेरे हाथ उस की पेंटी पर पहुँचे. पेंटी टाइट थी और काम रस से गीली हुई थी. पतले कपड़े की पेंटी उस की गांड के साथ चिपक गयी थी. में ने गांड के होंठ और बीच की दरार को उंगलियों से टटोला. ऐश के भारी हिप्स अब हिल ने लगे. में गांड सहलाता रहा, मुँह पर किस करता रहा और वो शर्म से आँखें बंद कर के मुस्कराती रही.

अब में ने पेंटी उतरने को ट्राइ किया. जैसे मेरी उंगलियाँ पेंटी की कमर पट्टी पर पहुँची उस ने मेरा हाथ पकड़ लिया. फिर एक बार हमारे हाथों बीच जंग हो गई उस के सपाट पेट के मैदान पर. में फिर हारा. हाथ हटा के पेट सहलाने लगा और स्तन की निपल्स चूसने लगा.

इतने प्रेमोपचार के बाद उस के स्तन काफी सेन्सिटिव हो गये थे. जैसे मेरी जीभ ने निप्पल का स्पर्श किया की वो चाट पता गयी और अचानक शिथिल हो गयी. उस के हाथ पाव नर्म पड़ गये. में पेंटी उतार ने लगा तो कोई विरोध नहीं किया, अपने चूतड़ उठा के पेंटी उतार ने में सहकार दिया. मुझे जाँघ चौड़ी करने दी. हारा हुआ सैनिक की तरह मानो उसने शरणागति स्वीकार ली. फर्क इतना था की वो आनंद ले रही थी और मंद मंद मुस्कराती रही थी

में ने खड़ा हो कर अपने कपड़े उतारे वो मेरा बदन देखती रही, खास कर के मेरे तातार और झूलते हुए लंड को. में ने कहा, "ऐश, देख में ने सब कपड़े उतार दिए है. अब तू भी उतार दे." कुच्छ बोले बिना मुझसे मुँह फिराए वो बैठ गयी. नाइटी उतार के वो मेरी तरह नंगी हो गयी और मेरी ओर पीठ कर के लेट गयी. में उस के पीछे लेता और उसे आलिंगन में ले कर स्तन सहलाने लगा. मेरा लंड फटा जा रहा था. ऐश को भी चुदाने की इच्छा हो गयी थी क्यों की अपने आप घूम कर वो मेरे सम्मुख हुई और मुझसे लिपट गयी. नंगे बदन का नंगे बदन से मिलने से हम दोनों की एग्ज़ाइट्मेंट काफी तरफ गयी.

वो मेरे बाए कंधे पर अपना सर रखे हुए थी. दाहिना हाथ से में ने उस का बया घुटन उठाया और पाव मेरी कमर पे लिपटाया. मेरा हाथ अब उस के चूतड़ पर रेंगने लगा और आहिस्ता आहिस्ता मेरी उंगलियाँ उस की पीकी की ओर जाने आ गयी. मेरा ताना हुआ लंड उस के पेट से सटा था. लंड में से निकलते काम रस से उस का पेट और मन्स गीले होते चले थे. मुँह से मुँह लगा के फ्रेंच किस तो चालू ही थी. मुझे चोदने का इतना दिल हो गया था की में चुंबन, स्तन मर्दन, गांड मटन सब एक साथ करने लगा था.

थोड़ी देर बाद में अलग हुआ. में ने कहा, "ऐश, देख तो सही, तेरा कितना असर पड़ रहा है मेरे लंड पर." दाँतों में नाखून चबाते हुए वो मुस्कराहट के साथ देखती रही. में ने उस ला हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया. थोड़ी सी हिचकिचाहट के बाद उस ने उंगलियों से लंड को छुआ. लंड ने झटका मारा. में ने उसे ठीक से लंड मुट्ठी में पकड़ाया. में स्तन से खेलता रहा और वो लंड से. लड़की के हाथ में लंड पकड़वा ने का मेरा पहला अनुभव था जब की किसी मर्द का लंड पकड़ ने का उस के लिए पहला अनुभव था. उस की कोमल उंगलियों का संपर्क मुझे इतना उत्तेजक लगा की उस की जांघें चौड़ी कर के, चुत में लंड घुसा के उस को चोद डालने की तीव्र इच्छा हो गयी मुझे. बड़ी मुश्किल से में ने अपने आप पर काबू पाया क्यों की मुझे ऐश को काफी गर्म करना था जिस से लंड का पहला प्रवेश कम कष्ट डाई हो.

लेकिन सब्र की भी कोई हद होती है. जब मुझे लगा की ज्यादा देर करूँगा तो उस के हाथ में ही में झड़ जाऊंगा तब में ने उसे पीठ के बाल लेटाया. उस की जांघें चौड़ी कर के में बीच में आ गया. ऐश की गांड और चुत पीछे की ओर होने से एक तकिया उस के चूतड़ के नीचे रखना पड़ा. अब उस की चुत मेरे लंड के लेवल में आई.

लंड लेने की घड़ी आ पहुंची थी. मगर ताज्जुब की बात ये थी की ऐश का डर और शर्म दोनों कहीं गायब हो गये थे. उस ने खुद ही अपने घुटनों को कंधे तक ऊपर उठाए. जाँघ चौड़ी कर के मुस्कराती हुई वो मेरे लंड को देखती ही रही. लंड लेने का दिल हो जाय तब बेशरम बन के लड़की क्या नहीं करती ?

एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से ऐश की पीकी सूज गयी थी. छोटे होंठ जो वैसे अंदर छुपे रहते है वे बाहर निकल आए थे. तातार बनी हुई कोलाइटिस का छोटा सा सर भी दिखाई दे रहा था. सारी गांड गीली गीली थी. एक हाथ में लंड पकड़ कर में ने बारे होंठ पर रगड़ा. आगे से पीछे और पीछे से आगे ऐसे पाँच सात बार रगड़ ने के बाद लंड का सर गांड की दरार में रगड़ा और कोलाइटिस के साथ टकराया. ऐश के हिप्स डोलने लगे. वो अब मेरे जैसी ही चोदने को तत्पर हो गयी थी. में ने कान में पूछा, " क्या ख्याल है, प्यारी ? लंड लेओगी ?"

बिना बोले उस ने मुस्कुराते हुए ज़ोर ज़ोर से सर हिला के हां कही. मैंने लंड की टोपी चड़ा के मस्तक को ढक दिया. एसा कर ने की वजह ये थी की टोपी से धक्का हुआ लंड का मट्ठा 'स्लाइड' हो के चुत में पेसटा है, खुला मट्ठा घिस के अंदर घुसता है. नयी नवेली चुत के वास्ते लंड 'स्लाइड ' हो के घुसे ये अच्छा है. में ने एक हाथ से गांड चौड़ी कर के दूसरे हाथ से लंड का मट्ठा चुत ले मुँह में रख दिया. लंड का मट्ठा मोटा था और चुत का मुँह छोटा, इसी लिए मुझे ज़रा ज़ोर करना पड़ा. पूरा मट्ठा चुत में गया की योनि पटल पर जा के रुक गया. में ने लंड थोड़ा वापस खींचा और फिर से डाला. ऐसे फकत एक इंच की लंबाई से में ने आठ दस धक्के लगाए. चुत में से और लंड में से भर पूर पानी झरने लगा था और चुत का मुँह अब आसानी से लंड का मट्ठा ले सकता था.

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