अर्जुन ने मुझे पटक पटक कर चोदा और गर्भवती कर दिया
05-18-2017, 09:21 PM,
#1
अर्जुन ने मुझे पटक पटक कर चोदा और गर्भवती कर दिया
मैं सौम्या प्रसाद आप सभी का नॉन वेज स्टोरी पर स्वागत करती हूँ। मैं कई दिनों ने नॉन वेज स्टोरी की चुदाई वाली रसीली कहानियाँ पढ़ रही हूँ। आज मैं आपको अपनी चुदाई कहानी सुनाना चाहती हूँ। मैं अपने दोनों बेटो गौरव वैभव को करन अर्जुन कहकर बुलाती हूँ।

दोस्तों, पता नही क्यों मैं शुरू से ही बहुत सेक्सी और चुदासी टाइप की थी। जब मैं ८ साल की थी, तब पहली बार मैंने मम्मी को पापा का मोटा लौड़ा खाते हुए देखा था, माँ जोर जोर से आआआआअह्हह्हह. अई की आवाज निकालते हुए चुदवा रही थी। उस दिन मैं खिड़की के बाहर छुपी रही और १ घंटे तक अपनी माँ की चुदाई मैं मजे से देखती रही। उसी दिन मुझे पता चला था की लड़कियाँ लड़को से चुदवाने के लिए ही पैदा हुई है। फिर तो मैं चुप छुपकर अपनी माँ की चुदाई देखने लगी और मजा लेने लगी।

एक दिन मैंने अपने सगे भाई से चुदवा लिया। फिर कई बार चुदवा लिया। कुछ दिन बाद मेरी माँ को ये बात मालुम पड़ी तो उन्होंने मुझे बहुत डाटा।

"बेटी, कोई भी लड़की अपने भाई से नही चुदवा सकती। भाई बहन में खून का रिश्ता होता है ना..इसलिए ऐसा नही हो सकता" माँ बोली

उसके बाद जब मैं कॉलेज में पहुच गयी तो मैंने कई बॉयफ्रेंड्स बना लिए और चुदवाने लगी। एक लड़के बोबी के साथ मैं कुछ दिन के लिए शिमला भाग गयी और वहां मैंने बस चुदाई की चुदाई करवाई। २ महीने बाद मैं घर लौट कर आई। मेरी चूत पूरी तरह से फट चुकी थी। धीरे धीरे मेरे घर वाले जान गये की मैं बिना चुदवाए नही रह सकती हूँ। मेरी चूत में कुछ जादा ही खुजली होती है, इसलिए लौड़े के बिना मेरा काम नहीं चलेगा। इसलिए मेरे घर वालों ने मेरी शादी तुरंत कर दी। फिर मेरा पति रवि मुझे रोज चोदने लगा। मैंने १८ महीने लगातार चुदवाकर २ लड़कों को पैदा कर दिया। मेरे पति ओड़िसा में किसी माइनिंग कम्पनी में काम करते थे, इसलिए वो कम ही घर पर आते थे। वो ६ महीने में सिर्फ १० दिन के लिए ही घर आते थे। मेरा काम रुक गया, मुझे चोदने वाला अब कोई नही था। इसलिए मैंने पड़ोस के एक अंकल को पटा लिया और चुदवाने लगी।

दोस्तों, जब जादातर औरतों की गर्मी ३० के बाद कम हो जाती है, पर मेरे साथ बिलकुल उलटा हुआ। ३० साल पार करने के बाद मैं और जादा जवान और चुदासी महसूस करने लगी। मैं रोज पड़ोस वाले अंकल से चुदवाने लगी। धीरे धीरे मेरे दोनों बेटे गौरव , वैभव बड़े हो गये और १८ साल के हो गये। एक दिन पड़ोस वाले अंकल रात में मेरे कमरे में आ गये और मुझसे प्यार करने लगे। धीरे धीरे उन्होंने मुझे नंगा कर डाला और मेरी साडी उतार डाली। मुझे नंगा बिस्तर पर लिटा दिया और अपना मोटा ६" का लंड मेरे भोसड़े में डाल दिया और कूटने लगे। आफत तो तब आ गयी जब मेरे लड़कों ने मुझे अंकल से चुदवाते रंगे हाथ पकड़ लिया।

"माँ..ये सब क्या है???.क्या तुम अंकल से चुदवा रही हो???" मेरे दोनों जवान बेटे गौरव , वैभव उस कमरे में घुस आये

मैं पूरी तरह से नंगी थी, और मजे से अंकल से चुदवा रही थी। अपने बेटे को देखकर मैं बहुत डर गयी थी। पड़ोस वाले अंकल तो खिड़की से तुरंत बाहर कूद गये थे

"बेटा...वो वो वो" मैंने हकलाने लगी

मेरे मुंह से आवाज ही नही निकल रही थी।

"माँ...अपनी चोरी छुपाने की कोशिश मत करो। हम तुम्हारे काण्ड के बारे में जान गये है। तुम अंकल से चुदवा रही थी ना??" मेरे बेटे गौरव वैभव बोले

"माँ..पापा को आने दो। हम तुम्हारी काली करतूत के बारे में उनको सब बता देंगे" गौरव वैभव बोले

"नही..बेटे.ऐसा मत करना, वरना तुम्हारे पापा मुझे इस घर से निकाल देंगे" मैं अपने लड़कों से विनती करने लगी

"बेटे..मेरे पास बहुत पैसा है। तुम जितना चाहोगे मैंने तुमको पैसा दूंगी!!" मैंने अपने बेटों से कहा

"माँ...हमे पैसा नही चाहिए??" गौरव वैभव बोले

".फिर क्या चाहिए???" मैंने हैरान होकर पूछा

"माँ...अब हम १८ साल के हो चुके है। हम जवान हो चुके है..हमे तो बस तुम्हारी चूत चाहिए!!" मेरे दोनों बेटे एक साथ बोले

"मुझे मंजूर है..तुम दोनों मुझे जी भरकर चोद लो.पर अपने पापा से मत बताना" मैंने कहा

उसके बाद मेरे दोनों बेटों ने अपनी अपनी टीशर्ट जींस निकाल दिए। अपने अपने कच्छे निकाल दिए। आज पहली बार मैंने अपने बेटे के लम्बे लम्बे खीरे (लौड़े) देखे। जब दोनों छोटे थे तो उनके लंड किसी छोटी पेन्सिल की तरह दिखते थे, पर अब मेरे करन अर्जुन जवान हो चुके थे और उनके लौड़े अब किसी पेंसिल की तरह पतले और छोटे नही थे, बल्कि किसी मोटे खीरे की तरह लम्बे लम्बे हो चुके थे। दोनों मेरे बगल आकर लेट गये और मेरे एक एक दूध मुंह में लेकर पीने लगे। मेरे बेटे गौरव ने मेरे बाए मम्मे को मुंह में भर लिया तो मेरे दूसरे बेटे वैभव ने मेरे दाए दूध को मुंह में भर लिया और दोनों मजे से पीने लगे। अपने बेटे से चुदवाने वाली बात पर मैं बहुत जादा खुश थी। क्यूंकि मेरी जैसी चुदक्कड़ औरत को आज २ २ नये नये लौड़े खाने को मिलने वाले थे। मेरे बेटे मेरी चूत में अपना हाथ डालने लगे। मैंने सुबह की अपने झाटे अच्छे से बना ली थी। इसलिए मेरी गुलाबी चूत बहुत खूबसूरत लग रही थी। मेरे करन अर्जुन मेरे दोनों दूध को मजे से पी रहे थे। धीरे धीरे उसके ८ ८ इंच के लम्बे लम्बे लौड़े खड़े हो रहे थे। मैं दिल ही दिल में बेहद खुश थी की चलो आज २ नये लौड़े और खाने को मुझे मिलेंगे। गौरव वैभव अपने हाथों से मेरी रसीली चूत सहलाने लगे।

"माँ...तुम तो चोदने लायक बड़ी मस्त माल हो। आज तक तुमने कितने लौड़े खाए होंगे??" गौरव ने पूछा

"यही कोई ३०० लौड़े!!" मैंने कहा

"मादरचोद..इसका मतलब तुम ३०० मर्दों से चुदवा चुकी हो??" वैभव ने पूछा

"..और नही तो क्या" मैंने कहा

"माँ..मान गये हम तुमको। शायद तुम हिंदुस्तान की सबसे बड़ी रंडी हो" गौरव बोला

"बेटों..मैंने १० साल की कच्ची उम्र में ही चुदवाना शुरू कर दिया था। मुझे इतने लोगो से चोदा है की मुझे उनके नाम तक याद नही" मैंने कहा

ये सुनकर मेरे दोनों लड़के बहुत खुश हुए और मुझे प्यार करने लगे। मेरी चूचियां ४०" की बड़ी बड़ी चूचियां थी। गौरव वैभव ने अपनी अपनी चुचियां हाथ में ले ली और मुझसे किसी अल्टर छिनाल की तरह व्यवहार करने लगे। गौरव ने मेरी चूत में ऊँगली डाल दी और मेरी बुर फेटने लगा। मैं आआआआअह्हह्हह..ईईईईईईई.ओह्ह्ह्हह्ह.अई..अई..अई..अई..मम्मी करने लगी। मैं अपने सगे बेटों के सामने पूरी तरह से नंगी थी। मैं देखने से बिलकुल चुदक्कड़ रंडी लग रही थी। मेरे जिस्म पर एक कपड़ा भी नही था। गौरव मेरी चूत में ऊँगली डालकर फेट रहा था। उसे भी परम सुख मिल रहा था। दूसरी तरफ वैभव ने मेरी चूत पर अपना मुंह लगा दिया था और मेरी बुर चाटने लगा था। मैं बहुत गोरी और सेक्सी माल थी। मेरा जिस्म भरा हुआ था। मैं कई मर्दों से चुदवा चुकी थी, इसलिए मेरी खूबसूरती और जादा खिल गयी थी। मेरा हाथ, पांव, कमर, चूत सब कुछ बहुत गदराया हुआ था। मैंने एक मस्त चोदने खाने वाला माल थी।

"माँ...हम दोनों ने आज तक तुम्हारे जैसी चुदक्कड़ रंडी आज तक नही देखी। तुम कमाल की खूबसूरत हो माँ!" गौरव बोला

"हाँ..माँ, तुम सच में इतनी खूबसूरत हो की कोई भी मर्द तुमको देखकर पागल हो जाए और तुमको चोदने के बारे में सोचने लग जाए" वैभव बोला

उसके बाद मेरे दोनों दोनों मुझ पर लेट गये और मेरे दूध पीने लगे। ऐसा नही था की मेरे करन अर्जुन ( गौरव, वैभव) ने इससे पहले मेरे दूध नही पिए थे। पर उस समय वो छोटे २ साल के बच्चे थे पर अब तो १८ साल के जावन लकड़े हो चुके थे। बचपन में वो अपनी भूख मिटाने के लिए मेरे दूध पीते थे, पर अब वो मुझे चोदने के लिए मेरे दूध पी रहे थे। मेरे बेटे गौरव की ऊँगली मेरी चूत में घुसी हुई थी, वो जल्दी जल्दी मेरी चूत में ऊँगली कर रहा था।

"उफफ्फ्फ्फ़ ...माँ..तुम नंगी बिना कपड़ों के किसी मस्त, कितनी सुंदर और कितनी चुदक्कड़ आईटम लगती हो!!" गौरव बोला

"हाँ, माँ आज हम दोनों अपने मोटे मोटे लौड़े खिलाएंगे और तुमको इतना चोदेंगे की तुम पड़ोस वाले अंकल का लौड़ा भी भूल जाओगी, और सिर्फ अपने करन- अर्जुन से ही चुदवाया करोगी" मेरा दूसरा बेटा वैभव बोला

फिर गौरव बिस्तर पर लेट गया और मैंने बैठकर उसका मोटा ८ इंच का लंड मजे से चूसने लगी। मेरा दूसरा बेटा वैभव मेरी नंगी, चिकनी और बेहद सेक्सी पीठ पर हाथ रखकर सहलाने लगा और मेरे लपलपाते चुतड पर हाथ लगाने लगा। मैं गौरव का मोटा मूसल मुंह में लेकर चूस रही थी। उसका लौडा बहुत मोटा था, जैसे किसी विदेशी अमेरिकन का मोटा लौड़ा हो। मैं किसी रांड की तरह गौरव के लंड के मोटे और गुलाबी सुपाड़े को मुंह में लिए हुई थी और मजे से चूस रही थी। कुछ देर बाद गौरव ने मेरा सिर पकड़ लिया और जल्दी जल्दी अपने मोटे लौड़े को चुस्वाने लगा। मेरे गुलाबी ओंठ उपर नीचे उसके लंड पर फिसल रहे थे। उसे बहुत मजा मिल रहा था। उसका लौड़ा अब और जादा फूल चूका था और एक एक नस मैं साफ़ देख सकती सकती। "ओह्ह्ह्ह माँ. अहह्ह्ह्हह उहह्ह्ह्हह.. उ उ उ.चूसो चूसो...और चूसो.मेरे लौड़े को" गौरव बार बार चिल्ला रहा था।

मैं ये बात सुनकर और जोश में आ गयी और अपने सगे बेटे गौरव का मोटा मूसल और मेहनत से चूसने लगी। फिर वैभव आ गया और मेरे मुंह में लौड़ा डालकर चुस्वाने लगा। मैं बहुत जादा गर्म हो चुकी थी, अब बिना चुदवाए मेरा काम नही चलने वाला था।

"मेरे करन- अर्जुन (गौरव वैभव) ..बेटो जल्दी से अपने अपने मोटे मोटे लौड़े मेरी रसीली चूत में डाल दो और जल्दी मुझे चोदो बेटा..वरना मैं चुदास के कारण ही मर जाउंगी" मैंने कहा

मेरा दूसरा बेटा तुरंत मेरे उपर सवार हो गया। वो मुंह लगाकर मेरी रसीली और भरी हुई गुझिया(चूत) पीने लगा। मैंने अपने नाख़ून उसकी पीठ में गड़ा दिए क्यूंकि मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मेरा सगा बेटा ही मेरी चूत मजे लेकर पी रहा था। वैभव वही भोसड़ा पी रहा था जिससे वो पैदा हुआ था। कितनी अजीब और दिलचस्प बात थी ये। वो बड़ी अच्छी तरह से मेरा भोसड़ा पी रहा था। फिर उसने अपना मोटा ८" लौड़ा मेरी चूत में डाल दिया और मुझे चोदने लगा। मेरे बेटे वैभव ने मेरे दोनों मम्मो को हाथ में ले लिया था और फट फट मेरी गहरी चूत में अपना लौड़ा दे रहा था। अपने पति से मैं कई बार चुदी थी, तब जाकर वैभव पैदा हुआ था। आज वही लड़का मुझे चोद चोद रहा था, ये बहुत मस्त बात थी।

कुछ देर बाद वैभव पुरे जोश में आ गया और मेरी गहरी बुर में गहरे धक्के मारने लगा। मैं अपनी गांड उठा उठाकर चुदवाने लगी। "चोद बेटा चोद..अपनी माँ को अच्छे से चोद.. उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ..आज फाड़ दे अपनी माँ की रसीली चूत को" मैंने कहा तो वैभव बिलकुल हब्सी बन गया। मुझे वो किसी रंडी की तरह चोदने लगा। मैं गर्म गर्म सिसकारी लेने लगी, मैं चुदवा रही थी और जन्नत के मजे लूट रही थी। वैभव ने मेरी दोनों कलाई कसकर पकड़ ली और पक पक की आवाज करता हुआ मुझे चोदने लगा। ये मनमोहक आवाज मेरी चूत से आ रही थी। जब मेरे बेटे वैभव का लौड़ा तेज तेज मेरी चूत पर चोट कर रहा था तो ही ये पक पक की आवाज आ रही थी। मेरी दोनों चूचियां किसी गेंद की तरह बार बार इधर उधर उछल रही थी। मेरे बेटे वैभव ने मुझे आधे घंटे चोदा और माल मेरे मुंह पर गिरा दिया। उसका माल बहुत ही सफ़ेद और बहुत गाड़ा था। मेरे चेहरे पर उसका बहुत सारा माल आ गिरा, उसे मैं ऊँगली से उठाकर चाट गयी।

वैभव मुझे चोद चूका था, इसलिए वो मेरी चूत से हट गया । अब मुझे चोदने का नम्बर गौरव का था। गौरव मेरी चूत पर पहुच गया और मेरे उपर लेट गया। वो मेरे दूध पीने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। बहुत मजा मिल रहा था। फिर गौरव मेरे पेट पर बैठ गया और अपना लौड़ा उसने मेरे मुंह में दे दिया। मैं मजे लेकर उसका लौड़ा चूसने लगी। गौरव का लौड़ा भी खूब लम्बा ८" लम्बा था, मैं मजे से चूस रही थी। काफी देर तक मैं उसका लौड़ा चूसती रही। फिर वो मेरे दूध में लंड गड़ाने लगा। मुझे बहुत नशीली उतेज्जना हो रही थी। फिर गौरव ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ४०" के बूब्स के बीच में अपना लौड़ा रख दिया और मेरे दूध को कसकर पकड़कर मेरे मम्मे चोदने लगा। अई.अई..अई..अई,इसस्स्स्स्स्स्स्स् उहह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह मैं इस तरह की गर्म गर्म आवाज निकलने लगी। आजतक किसी भी मर्द ने मेरे दूध नही चोदे थे। पहली बार मेरा बेटा ही मेरे दूध को चोद रहा था।

""आह आह राजा बेटा!!..आजजजज..मुझे कसके चोद दोदोदोदोदो.." मैंने कहा तो गौरव भी फुल जोश में आ गया और मेरे दोनों दूध को कसके पकड़कर वो चोदने लगा। कुछ देर बाद वो मेरी बुर चाटने लगा। अपनी जीभ से मेरे चूत के दाने और होठों को चूसने लगा। फिर उसने मेरे भोसड़े में लंड की सपलाई कर दी और मुझे चोदने लगा। मेरे बेटे से पूरा सवा घंटे मुझे चोदा और चूत में ही झड गया। अब मैं उसके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ। 
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