अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ एक यादगार और मादक रात
07-03-2017, 01:14 PM,
#1
अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ एक यादगार और मादक रात
एक यादगार और मादक रात पार्ट --1 

मेरा नाम है कैलाश. में देहाती लड़की हूँ, हाइ स्कूल तक पढ़ी हुई. मेरी शादी दो साल पहले हुई है. मेरे पति गंगाधर किसान है. वो 22 साल के हैं और में 18 साल की. घर में हम दोनो ही हैं, उन के माता पिता कई सालों से गुजर गये थे. आज में आप को मेरी निजी कहानी सुनाने जा रही हूँ. 

छ्होटी उमर से ही मुझे सेक्स का भान था. हम देहाती बच्च्चे बचपन से ही गाय, भेंस, कुत्ते वगेरह प्राणिओ की चुदाई देख पाते हेँ. मेरे पिताजी के घर कई गाएँ थी. वो जब चुदवाने के लिए हीट में आती थी तब हमारा नौकर सांड़ ले आता था. बचपन से ही मेने सांड़ का पतला लंबा लंड गाय की चूत में जाता देखा था. दस साल की उम्र तक ऐसे सेक्स देखने से मुझे कुछ नहीं होता था. बढ़ती उम्र के साथ गाय की चुदाई देख में उत्तेजित होती जाती थी. 

बारह साल में मेरी माहवारी शुरू हुई तब मेरी बड़ी बहन ने मुझे वो कहा जो में जानती थी. उस ने कहा कि पति जो करे वो करने देना, पाँव लंबे रख कर सोते रहना. मेरे सीने पर बड़े बड़े स्तन उभर आए थे और नितंब भारी चौड़े हो गये थे. भोस पर काले घुंघराले बाल निकल आए थे. उसी साल मेरी मँगनी गंगाधर से हो गयी. पहली बार वो हमारे घर आए और हम मिले तब गंगा ने मेरी कच्ची चुचियाँ सहलाई थी, मेरा हाथ थाम कर अपना लंड पकड़ा दिया था. मुझे गुदगुदल हो गई थी. इतने में जीजी ना आ जाती तो उस दिन में अवश्य चुद जाती. 

खेर, 16 साल की उम्र में शादी कर के में ससुराल आई. पहली रात ही मेरे पति ने मुझे जिस तरह चोदा ये में कभी भूल ना पाउन्गि. आधा घंटे तक चूमा चाती और स्तन से खिलवाड़ किया, भोस सहलाई, मेरे हाथ से लंड सहलवाया बाद में चूत में डाला. योनि पटल टूटा तब दर्द तो हुआ लेकिन चुदवाने के आवेश में मालूम ना पड़ा. एक घंटे तक चली चुदाई के दौरान में दो बार झड़ी. आज भी वो मुझे ऐसे चोदते हेँ कि जैसे हमारी सुहाग रात हो. हम दोनो एक तुझ से खूब प्यार करते हेँ. हमारे बीच समझौता हुआ है कि वो मन चाहे वो लड़की को चोद सके और में कोई भी मर्द से चुदवा सकती हूँ . लेकिन ऐसा अब तक हुआ नहीं था. 

शादी के दो साल बाद मेरे पति के एक दूर के चाचा कई साल अफ्रीका रह कर वापस लौटे. उन के परिवार में एक लड़का था, परेश, मेरी उमर का और एक लड़की थी, माधवी जो दो साल छ्होटी थी. अफ्रीका में वो भाई बहन रेसिडेन्षियल स्कूल में पढ़े थे. चाचा नया घर बनवा रहे थे, उस दौरान वो सब हमारे मकान में ठहरे. 

परेश और माधवी बड़े प्यारे थे. उन के साथ मेरी अच्छि बन गयी थी. नये घर में जाने के बाद भी वे रोज मेरे घर आते थे और दुनिया भर की बातें करते थे. मेने देखा कि उन दोनो काफ़ी हुशियार थे लेकिन सेक्स के बारे में बिल्कुल अग्यात थे. परेश मानता था कि लड़की के मुँह से लड़के का मुँह लगने से बच्चा पैदा होता है. माधवी कुच्छ ज़्यादा जानती थी लेकिन उसे पता नहीं था कि चुदाई कैसे की जाती है. 

एक दिन गंगाधर को दूसरे गाँव जाना हुआ. इतने बड़े मकान में रात को अकेले रहने से मुझे डर लगता था. मेने परेश और माधवी को सोने के लिए बुला लिए, चाचा चाची की मंज़ूरी साथ. 

रात का खाना खा कर हम ताश खेलने लगे. परेश ने रानी डाली उस पर मेने राजा डाला. माधवी शरमाती हुई हसी और बोली, "रानी पर राजा चढ़ गया, अब बच्चा होगा." 
परेश : क्या बकवास करती हो ? 
माधवी : तू नहीं समझेगा. है ना भाभी ? 
में : ये तो ताश है. इस में बच्चा कच्चा कुच्छ नहीं होता. 

बाज़ी आगे चली. माधवी की रानी पर मेने गुलाम डाला. माधवी फिर बोली : भाभी, रानी पर गुलाम चढ़ने से तो राजा उसे मार डालेगा. 
परेश अब गुस्सा हो गया, पन्ने फैंक दिए और बोला : ये क्या चढ़ने उतरने की चला रक्खी है ? 
मेने उसे शांत किया. मुँह च्छुपाए माधवी हस रही थी. वो बोली : भैया, भाभी से कहो तो बच्चा कैसे पैदा हो ता है. 
परेश चुप रहा. मेने धीरे से पुचछा : कहो तो सही, में जानूँ तो. 
परेश ने माधवी से कहा : छिपकली, तू ही बता दे ना, हुशियार कहीं की 
माधवी की शर्म और हसी थमती ना थी, परेश का गुस्सा थमता ना था. 
मेने कहा : माधवी तू ही बता. 
सर झुका कर, दाँतों में उंगली डाल कर वो बोली : भीया कहते हैं कि लड़का लड़की का हाथ पकड़ कर मुँह से मुँह लगाता है तब बच्चा पैदा होता है. 
में : और तुम क्या कहती हो ? 
माधवी ने मुँह फेर लिया और बोली : नहीं बताती, मुझे शर्म आती है. 
अब परेश बोला : में कहूँ. वो कहती है कि जब लड़की पर लड़का चढ़ता है तब बच्चा होता है. क्या ये सच है भाभी ? 
में : सच तो है लेकिन पूरा नहीं. माधवी, जानती हो कि उपर चढ़ कर लड़का क्या करता है ? 
सर हिला कर माधवी ने हा कही और बोली : चोदता है. 
ये सुन कर परेश अवाक हो गया. फिर बोला : माधवी गंदा बोली. 
में समझ गयी कि दोनो में से किसी को पता नहीं था कि चोदना क्या है. 
में ; जानती हो चोदना क्या होता है ? 
माधवी : एक दूजे के मूह से मुँह मिलते हैं. 
परेश : वो तो में कब का कह रहा हूँ. 
में : रूको.मुँह से मुँह लगता है चुदाई में, लेकिन इस से ज़्यादा ओर कुच्छ भी होता है. 
माधवी : भाभी तुम बताओ ना.. बड़े भैया तुम्हे रोज...रोज..चोदते होंगे ना ? 
परेश : माधो , तुम बहुत गंदा बोलती हो. 
माधवी : तुम्हे क्या ? तुम भी बोलो. 
में : झगाडो मत. अब कौन बताएगा कि लड़का और लड़की में फ़र्क क्या है ? 
परेश : लड़के को दाढ़ी मुछ होते हेँ और लड़की के सीने पर चुचियाँ. 
में : सही. लेकिन मुख्य फ़र्क कौन सा है ? 
माधवी : जाँघो बीच लड़की की पिंकी होती है और लड़के की नुन्नि. 
में : बराबर. जब वो बड़े होतेहें तब उसे भोस और लॉडा कहते हेँ.
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07-03-2017, 01:14 PM,
#2
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इतनी बात होते होते हम तीनो उत्तेजित होते चले थे. माधवी बार बार अपनी निकर ठीक करने के बहाने अपनी भोस खुजला लेती थी. परेश के टॅटर लंड ने पाजामा का तंबू बना दिया था. 

मेने आगे कहा : जब चोदने का दिल होता है तब आदमी का लॉडा तन कर लंबा, मोटा और कड़ा हो जाता है. लड़की की भोस गीली हो जाती है. आदमी अपना कड़ा लॉडा जिसे लंड भी कहते हेँ उसे लड़की की चूत में डाल कर अंदर बाहर करता है. इसे चोदना कहते हेँ. 
माधवी : ऐसा क्यूँ करते हेँ ? 
में : ऐसा करने में बहुत मज़ा आता है और आदमी का वीर्य लड़की की चूत में गिरता है.वीर्य में पुरुष बीज होता है जो लड़की के स्त्री-बीज साथ मिल जाता है और नया बच्चा बन जाता है. 
माधवी : भाभी देखो, भैया का ....वो खड़ा हो गया है. 
परेश : तुझे क्या ? भाभी, एक बात बताउ ? मेरा तो रोज रात को खड़ा हो जाता है. उस में कुच्छ बुरा तो नहीं ना ? 
में : कुच्छ बुरा नहीं. खड़ा भी होता होगा और स्वप्न देख कर वीर्य भी निकलता होगा. 
परेश : भाभी, मधु के आगे क्यूँ....? 
में : अब उन की बारी है. मधु, तुझे महावरिशुरू हो गयी होगी. नीचे भोस पर बाल उगे हेँ ? 
माधवी ने सर हिला कर हा कही. 
में : तू उंगली से खेलती हो ना ? 
फिर सर हिला कर हा. 
में :तूने लंड देखा है कभी ? 
शरमा कर नीचे देख कर उस ने ना कही 
मेना : परेश, तूने कब्भी चुचियाँ देखी हैं ? 
उस ने ना कही. 
में : ऐसा करते हेँ, माधवी तू तेरे स्तन दिखा और परेश तू लंड दिखा. 
परेश : तू क्या दिखाएगी, भाभी ? 
में : में भोस दिखाउन्गि. परेश, पहले तुम. 
परेश ने पाजामा खोल कर नीचे सरकाया. लंड के पानी से उस की निक्केर गीली हो गई थी. वो ज़रा खिचकाया तो माधवी ने हाथ लंबा किया. परेश तुरंत हट गया और निक्केर उतार दी. 

क्या लंड था उस का ? सात इंच लंबा और दो इंच मोटा होगा. दांडी एक दम सीधी थी. मत्था बड़ा था और टोपी से ढका हुआ था. चिकाने पानी से लंड गीला था. माधवी आश्चर्य से देखती रही. परेश को मेने धकेल कर लेटा दिया और उस के हाथ हटा कर लंड पकड़ लिया. मेरे छूते ही लंड ने ठुमका लगाया. वेल्वेट में लिपटा लोहे का डंडा जैसा उस का लंड था, बड़ा प्यारा हा. 

में : माधु, ये लंड की टोपी चढ़ सकती है और मट्ठा खुला किया जा सकता है. देख. 
मेने टोपी चड़ाई तो लंड से समेग्मा की बदबू आई. मेने कहा : परेश, नहाते समय उस को सॉफ करते नहीं हो ? ऐसा गंदा लंड से कौन चुड़वाएगी ? जा, सॉफ कर आ. परेश बाथरूम में गया. 

में : माधवी, पसंद आया परेश का लंड ? अच्च्छा है ना ? 
माधवी : में उसे च्छू सकती हूँ ? 
में : क्यूँ नहीं ? लेकिन चुदवा नही सकोगी.. 
माधवी : क्यूँ नहीं ? मेरे पास भोस जो है ? 
में : सही,लेकिन भाई बहन आपस में चुदाई नहीं करते. 

इतने में परेश आ गया. ठंडा पानी से धोने से लंड ज़रा नर्म पड़ा था. मेने परेश को फिर लेटा दिया. लंड पकड़ कर टोपी चढ़ा दी. बड़ा मशरूम जैसा चिकना मत्था खुल गया. मेने हलके हाथ से मूठ मारी तो लंड फिर से तन गया. मेने पुचछा : मज़ा आता है ना ? 
परेश : खूब मज़ा आता है भाभी, रुकना मत. 
में होले होले मूठ मारती रही और बोली : माधवी, कुरती खोल और स्तन दिखा. माधवी खूब शरमाई, पलट कर खड़ी हो गयी. उस ने कुरती के हुक खोल दिए लेकिन खुले कपड़े से स्तन ढके रख सामने हुई. लंड छ्चोड़ मेने माधवी के हाथ हटाए और कुरती उतार दी. उस ने ब्रा पहनी नहीं थी, जवांन स्तन खुले हुए. 

उमर के हिसाब से माधवी के स्तन काफ़ी बड़े थे, संपूर्ण गोल और कड़े. पतली नाज़ुक चमड़ी के नीचे खून की नीली नसें दिखाई दे रही थी. एक इंच की अरेवला ज़रा सी उपज आई थी. बीच में किस्मीस के दाने जैसी छोटी सी निपल थी. एग्ज़ाइट्मेंट से उस वक्त निपल कड़ी हो गई थी जिस से स्तन नॉकदार लगता था. स्तन देख कर परेश का लंड ने ठुमका लिया और कुच्छ ज़्यादा तन गया. वो बोला : में च्छू सकता हूँ ? 
में : ना, बहन के स्तन भाई नहीं छुता. 
परेश : भाभी, तू तो मेरी बहन नहीं हो. तेरे स्तन दिखा और च्छू ने दे. 

में भी चाहती थी कि कोई मेरी चुचियाँ दबाए और मसले. मेने चोली उतार दी. वो दोनो देखते ही रह गये. मेरे स्तन भी सुंदर हेँ, लेकिन शादी के बाद ज़रा झुक गये हेँ. मेरी अरेवला बड़ी है पर निपल्स अभी छ्होटी है. मेरी निपल्स बहुत सेन्सिटिव है. गंगाधर उसे छूते है कि मेरी भोस पानी बहाना शुरू कर देती है. चोदते हुए वो जब मुँह में लिए चुसते हेँ तब मुझे झड़ने में देर नहीं लगती.
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07-03-2017, 01:14 PM,
#3
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बिना कुच्छ कहे परेश ने स्तन पर हाथ फिराया. तुरंत मेरी निपल कड़ी हो गयी. उस ने हथेली से निपल को रगड़ा. स्तन के नीचे हाथ रख कर उठाया जैसे वजन नापता हो. मेरे बदन में झुरझुरी फैल गयी. उस के हाथ पर हाथ रख कर मेने मेरे स्तन दबाए. आगे सीखना ना पड़ा, परेश ने बेदर्दी से स्तन मसल डाले. मेरी भोस पानी बहाने लगी. 

मेरे दिमाग़ में चुदवाने का ख़याल आया कि किसी ने दरवाजा खिटकहिटाया. फटा फट कपड़े पहन कर उन दोनो को सुला दिया और मेने जा कर दरवाजा खोला. सामने खड़े थे गंगाधर. 
में : आप ? अभी कैसे आ सके ? 
गंगा : एक गाड़ी आ रही थी, जगह मिल गयी. 
में : अच्च्छा हुआ, चलिए, खाना खा लीजिए. 

मुझे आगोश में लेते हुए वो बोले : खाना बाद में खाएँगे पहले ज़रा प्यार कर लें. में कुच्छ बोलूं इस से पहले उन्हों ने मेरे होटो से होट चिपका दिए. कपड़े उतारे बिना मुझे पलंग पर पटक दिया. किस करते करते घाघारी उपर उठाई और निकर खींच उतारी. में उन को कभी चुदाई की ना नहीं कहती हूँ. मेने जांघें पसारी और वो उपर आ गये. उन का लंड खड़ा ही था. घच्छ से चूत में घुसेड दिया. मुझे बोलने का मौका ही ना दिया, घचा घच्छ, घचा घच्छ ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे. पंद्रह बीस धक्के बाद वो धीरे पड़े और लंबे और गहरे धकके से चोदने लगे. स..र..र..र..र्ररर लंड अंदर, स...र...र...र.. बाहर. थोड़ी देर चुदाई का मज़ा ले कर में बोली : घर में मेहमान हेँ. 
चुदाई रुक गई. वो बोले : मेहमान ? कौन मेहमान ? 

मेने परेश और माधवी के बारे में बताया और कहा : वो शायद जागते होंगे. 

घबडा कर गंगा उतर ने लगे. मेने रोक दिया : उन दोनो को चुदाई दिखानी ज़रूरी है. में उन को बुला लेती हूँ. 
गंगा : अरे, वो तो अभी बच्चें हें, चाचा, चाची क्या कहेंगे ? 
में : तुम फिकर ना करो. दो दिन पहले चाची ने मुझ से कहा था कि उन दोनो को चुदाई के बारे में शिक्षा दूं. 
गंगा : क्यूँ ? 
में : बात ऐसी हुई कि चाची के मायके में एक नयी दुल्हन को उस के पति ने पहली रात ऐसे चोदा कि उस की चूत फट गयी. लड़की को हॉस्पिटल ले गये लेकिन बचा ना सके. खून बह जाने से लड़की मर गयी. ये सुन कर चाची घबडा गयी है कि कहीं माधवी को ऐसा ना हो. इस लिए वो चाहती है कि हम उन्हें चुदाई की सही शिक्षा दे. ज़रूरत लगे तो उस की झिल्ली भी तोड़ दे. वैसे भी वो दोनो कुच्छ नहीं जानते. 
गंगा : बुला लूँ उन को ? 

परेश और माधवी को बुलाने की ज़रूरत ना थी. वो दरवाजे में खड़े थे. गंगा को मेने उतर ने ना दिया. उन का लंड ज़रा नर्म पड़ा था, मेने चूत सिकोड कर दबाया तो फिर कड़ा हो गया. वो चोदने लगे. चुदाई के धक्के खाते खाते मेने कहा : मा..मया...माधवी...त...तुम....ऊओ, सीईइ, तुम और पा...पा...परेश यहाँ..आ...आ...कर, गंगा ज़रा धी..धीरे...उउउइई ...तुम देखो. 
वो पलंग के पास आ गये. गंगा हाथों के बल उपर उठे जिस से हमारे पेट के बीच से देखा जा सके कि लंड कैसे चूत में आता जाता है. माधवी खड़े खड़े एक हाथ से अपना स्तन मसल रही थी, दूसरा भोस पर लगा हुआ था. परेश होले होले मूठ मार रहा था. 
गंगा मेरे कान में बोले : देखा परेश का लंड ? ऐसा कर, तू उन से चुदवा ले. में माधवी साथ खेलता हूँ. 
में ; माधवी को चोदना नहीं. 
गंगा : ना, ना. चूत में लंड डाले बिना स्वाद चखाउन्गा. 
क्रमशः................
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07-03-2017, 01:14 PM,
#4
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एक यादगार और मादक रात--2

गंगा उतरे. उन का आठ इंच लंबा गीला लंड देख माधवी शरमाई. उस ने मुस्कुराते हुए मुँह फेर लिया. परेश का लंड पकड़ कर मेने पूछा : परेश, चोदना है ना ?
बिन बोले वो मेरी जाँघो के बीच आ गया. लंड पकड़ कर धक्के मार ने लगा.
वो इतना जल्दी में था कि लंड भोस पर इधर उधर टकराया लेकिन उसे चूत का मुँह ना मिला. बाहर ही भोस पर झाड़ जाय उस से पहले मेने लंड पकड़ कर चूत पर धर दिया. एक ही धक्के से पूरा लंड चूत में उतर गया. आगे सिखाने की ज़रूरत ना रही/ धना धन, घचा घच्छ धक्के से वो मुझे चोदने लगा.
उधर गंगा माधवी लो गोद में लिए बैठे थे. माधवी ने अपना मुँह उस के सीने में छुपा दिया था. गंगा का एक हाथ स्तन सहला रहा था और दूसरा निक्केर में घुसा हुआ था. बार बार माधवी छटपटा जाती थी और गंगा का निक्केर वाला हाथ पकड़ लेती. मेरे ख़याल से गंगा उस की क्लाइटॉरिस छेड़ रहे थे. इतने में गंगा ने माधवी का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया. पहले तो झटके से माधवी ने हाथ हटा लिया लेकिन जब गंगा ने फिर पकड़ाया तब मात्र उंगलियों से च्छुआ, पकड़ा नहीं. गंगा बोले : माधो, मुट्ठी में पकड़, मीठा लगेगा.
कुच्छ आनाकानी के बाद माधवी ने मुट्ठी मे लंड पकड़ लिया. गंगा के दिखाने मुताबिक वो होले होले मूठ मार ने लगी.
माधवी का चाहेरा उठा कर गंगा ने मुँह पर चुंबन किया. में देख सकती थी कि गंगा ने अपनी जीभ से माधवी के होठ चाते औट खोले. मेने परेश को ये नज़ारा दिखाया. अपनी बहन के स्तन पर गंगा का हाथ और बहन के हाथ में गंगा का लंड देख परेश की उत्तेजना बढ़ गयी. घच घच्छ, घचक घच्छ तेज धक्के से चोदने लगा. अचानक में झाड़ गयी.
गंगाधर का कम मुश्किल था लेकिन वो सब्र से काम लेते थे. माधवी अब शरमाये बिना लंड पकड़े मूठ मार रही थी. उस के मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ती थी और नितंब डोलने लगे थे.
इधर तेज रफ़्तार से धक्के दे कर परेश झाड़ा. थोड़ी देर तक वो मुझ पर पड़ा रहा और बाद में उतरा. उस का लंड अभी भी टाइट था. में माधवी के पास गयी. गंगा को हटा कर मेने माधवी को गोद में लिया. में पलंग की धार पर बैठी और मेने माधवी की जांघें चौड़ी पकड़ रखी. उस की गीली गीली भोस खुली हुई.
माधवी सोलह साल की थी लेकिन उस की भोस मेरी भोस जैसी बड़ी थी. उँची मोन्स पर और बड़े होठ के बाहरी हिस्से पर काले घुंघराले झाँत थे. बड़े होठ मोटे थे, बड़े संतरे की फाड़ जैसे और एक दूजे से सटे हुए. बीच की दरार चार इंच लंबी होगी. क्लाइटॉरिस एक इंच लंबी और मोटी थी. उस वक्त वो कड़ी हुई थी और बड़े होठ के अगले कोने में से बाहर निकल आई थी. गंगा फर्श पर बैठ गये. दोनो हाथ के अंगूठे से उस ने भोस के बड़े होठ चौड़े किए और भोस खोली. अंदर का कोमल गुलाबी हिस्सा नज़र अंदाज हुआ. छोटे होठ पतले थे लेकिन सूजे हुए थे. चूत का मुँह सिकुदा हुआ था और काम रस से गीला था. गंगा की उंगली जब क्लाइटॉरिस पर लगी तब माधवी कूद पड़ी. मेने पिछे से उस के स्तन थाम लिए और निपल्स मसल डाली. गंगा अब भोस चाटने लगे. भोस के होठ चौड़े पकड़े हुए उसने क्लाइटॉरिस को जीभ से रगड़ा. साथ साथ जा सके इतनी एक उंगली चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगे. माधवी को ऑर्गॅज़म होने में देर ना लगी. उस का सारा बदन अकड़ गया, रोएँ खड़े हो गये, आँखें मिच गई और मुँहसे और चूत से पानी निकल पड़ा. हलकी सी कंपन बदन में फैल गयी. ऑर्गॅज़म बीस सेकेंड चला. माधवी बेहोश सी हो गयी.
मेने उसे पलंग पर सुलाया. थोड़ी देर बाद वो होश में आई . वो बोली : भाभी, क्या हो गया मुझे ?
गंगाधर : बिटिया, जो हुआ इसे अँग्रेज़ी में ऑर्गॅज़म कहते हैं. मज़ा आया कि नहीं ?
माधवी : बहुत मज़ा आया, अभी भी आ रहा है. नीचे पिंकी में फट फट हो रहा है. क्या तुमने मुझे चोदा ?
गंगाधर : ना, चोदा नहीं है, तुम अभी कंवारी ही हो. अब में कुच्छ नहीं सुनना चाहता. तुम दोनो चुप चाप सो जाओ और आराम करो.
परेश : आप क्या करेंगे ?
में : हमारी बाकी रही चुदाई पूरी करेंगे.
परेश : में देखूँगा.ये मुझे सोने नहीं देगा.
परेश ने अपना लंड दिखाया जो वाकई पूरा तन गया था. माधवी लेटिरही और करवट बदल कर हमें देख ने लगी.
में फर्श पर चित लेट गयी. गंगा ने मेरी जंघें इतनी उठाई कि मेरे घुटने मेरे कानों से लग गये. घच्छ सा एक धक्के से उस ने पूरा लंड चूत में घुसेड दिया. हम दोनो काफ़ी उत्तेजित हो गये थे. घचा घच्छ, घचा घच्छ धक्के से वो चोदने लगे. चूत सिकोड कर में लंड को भींचती रही. बीस पचीस भकको के बाद गंगा उतरे और ज़्झट पट मुझे चारो हाथ पाँव के बल कर दिया, घोड़ी की तरह. वो पिछे से चढ़े. जैसे ही उस ने लंड चूत में डाला कि मुझे ऑर्गॅज़म हो गया. वो लेकिन रुके नहीं, धक्के मारते रहे. दस बारह धक्के के बाद मेरी कमर पकड़ कर उस ने लंड को चूत की गहराई में घुसेड दिया और पक्फ, पक्फ पिचकारियाँ लगा कर झाडे. मुझे दूसरा ऑर्गॅज़म हुआ. मेरी योनि उन के वीर्य से छलक गयी. में फर्श पर चपत हो गयी. थोड़ी देर तक हम पड़े रहे, बाद में जा कर सफाई कर आए.
माधवी बैठ गई थी वो बोली : भाभी, परेश ने मेरी पिंकी देख ली पर अपना लंड देखने नहीं देता.
गंगाधर : कोई बात नहीं,बेटा, मेरा देख ले. कैलाश, तू ही दिखा.
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07-03-2017, 01:14 PM,
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RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ एक यादगार और मादक रात
गंगा लेट गये. एक ओर में बैठी दूसरी ओर माधवी. परेश बगल में खड़ा देखने लगा.
एक हाथ में लॉडा पकड़ कर मेने कहा :ये है दंडी, ये है मत्था. यूँ तो मत्था टोपी से ढका रहता है. चूत में घुसते वक्त टोपी उपर चढ़ जाती है और नंगा मत्था चूत की दीवारों साथ घिस पाता है. ये जगह जहाँ टोपी मत्थे से चिपकी हुई है उस को फ्रेनम बोलते हैं. लड़की की क्लाइटॉरिस की तरह फ्रेनम भी बहुत सेन्सिटिव है. ये है लंड का मुँह जहाँ से पिसाब और वीर्य निकल पाता है.
लंड की टोपी उपर नीचे कर के में आगे बोली : मूठ मारते वक्त टोपी से काम लेते हैं. लंड मुँह में भी लिया जाता है. देख, ऐसे.....
मेने लंड का मत्था मुँह में लिया और चूसा. तुरंत वो अकड़ ने लगा.
माधवी : में पकडू ?
गंगाधर : ज़रूर पकडो. दिल चाहे तो मुँह में भी ले सकती हो.
आधा तना हुआ लंड माधवी ने हाथ में लिया कि वो पूरा तन गया. उस की अकड़ाई देख माधवी को हसी आ गयी. वो बोली : मेरे हाथ में गुदगुदी होती है.
मेने लंड मुँह से निकाला और कहा : मुँह में ले, मज़ा आएगा.
सर झुका कर डरते डरते माधवी ने लंड मुँह में लिया. मेने कहा : कुच्छ करना नहीं, जीभ और ताल्लू के बीच मत्था दबाए रक्ख. जब वो ठुमक लगाए तब चूसना शुरू कर देना.
माधवी स्थिर हो गयी.
परेश ये सब देख रहा था और मूठ मार रहा था. वो बोला : भाभी, में माधो की चुचियाँ पकडू ? मुझे बहुत अच्छि लगती है.
गंगाधर : हलके हाथ से पकड़ और धीरे से सहला, दाबना मत. स्तन अभी कच्चे हैं, दबाने से दर्द होगा.
माधवी गंगा का लंड मुँह में लिए आगे झुकी थी. परेश उस के पिछे खड़ा हो गया. हथेलिओं में दोनो स्तन भर के सहलाने लगा. वो बोला : भाभी, माधो के स्तन कड़े हैं और निपल्स भी छ्होटी छ्होटी है. तेरे स्तन इन से बड़े हैं और निपल्स भी बड़ी हैं.
में बगल में खड़ी थी. मेरा एक हाथ परेश का लंड पकड़े मूठ मार रहा था. दूसरा हाथ माधवी की क्लाइटॉरिस से खेल रहा था. क्लाइटॉरिस के स्पंदन से मुझे पता चला कि माधवी बहुत उत्तेजित हो गयी थी और दूसरे ऑर्गॅज़म के लिए तैयार थी अचानक मुँह से लन्ड़ निकाल कर वो खड़ी हो गयी. अपने हाथ से भोस रगड़ती हुई बोली : बड़े भैया, चोद डालो मुझे, वारना में मर जाउन्गि.
गंगा : पगली, तू अभी कम उमर की है.
माधवी : देखिए, में सोलह साल की हूँ लेकिन मेरी चूत पूरी विकसित है और लंड लेने के काबिल है. भाभी, तुम ने पहली बार चुदवाया तब तुम भी सोलह साल की ही थी ना ?
गंगा : फिर भी, तू मेरी छ्होटी बहन है
माधवी : सही, लेकिन आप चाहते हैं कि में किसी ऑर के पास जाउ और चुदवाउ ?
गंगा : बेटे, चाहे कुच्छ कहो, तेरे माई बाप क्या कहेंगे हमें ?
माधवी ने गुस्से में पाँव पतके और बोली : अच्च्छा, तो में चलती हूँ घर को. परेश, चल. घर जा के तू मुझे चोद लेना.
गंगा : अरी पगली, ज़रा सोच विचार कर आगे चल.
मुँह लटकाए वो बोली : भाभी ने परेश को चोदने दिया क्यूँ कि वो लड़का है. मेरा क्या कसूर ? मुझ से अब रहा नहीं जाता. परेश ना बोलेगा तो किसी नौकर से चुदवा लूँगी.
माधवी रोने लगी. मेने उसे शांत किया और कहा : घर जाने की ज़रूरत नहीं है इतनी रात को. तेरे भैया तुम्हे ज़रूर चोदेन्गे
इतने में फिर से दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आई. फटा फट ताश खेलते हों ऐसा महॉल बना दिया. मेने जा कर दरवाजा खोला. सामने चाची खड़ी थी. अंदर आ कर उस ने दरवाजा बंद किया और बोली : सब ठीक तो है ना ?
में : वो आ गये हैं. उन दोनो ने काफ़ी कुच्छ देख लिया है. एक मुसीबत है लेकिन.
चाची : क्या मुसीबत है ?
में : परेश से तो वो...वो...करवा लिया, समझ गयी ना ? अब माधवी भी माँग रही है.
चाची : तो परेशानी किस बात की है ? तुझे तो मालूम होगा कि गंगाधर झिल्ली तोड़ने में कैसा है.
में : उन की हुशियारी की बात ही ना करें. कौन जाने कहाँ से सीख आए है तकनीक.
चाची : बस तो में चलती हूँ. गंगाधर से कहना कि सब्र से काम ले.
चाची चली गयी. में अंदर आई तो देखा कि माधवी गंगा से लिपटी हुई लेटी थी. उस की एक जाँघ सीधी थी, दूसरी गंगा के पेट पर पड़ी थी. उस की भोस गंगा के लंड साथ सटी हुई थी. उन के मुँह फ्रेंच किस मे जुड़ गये थे. गंगा का हाथ माधवी की पीठ और नितंब सहला रहा था. कुर्सी में बैठा परेश देख रहा था और मूठ मार रहा था. अब निश्चित था कि क्या होनेवाला था. मेने इशारे से गंगा को आगे बढ़ने का संकेत दे दिया. में परेश के पास गयी. उस को उठा कर में कुर्सी में बैठ गयी और उस को गोद में ऐसे बिठाया कि हम गंगा और माधवी को देख सके. परेश का लंड मेने जंघें चौड़ी कर चूत में ले लिया.
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07-03-2017, 01:14 PM,
#6
RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ एक यादगार और मादक रात
उधर चित लेटे हुए गंगा पर माधवी सवार हो गयी थी, जैसे घोड़े पर. गंगा का लंड सीधा पेट पर पड़ा था. चौड़ी की हुई जांघों के बीच माधवी की भोस लंड के साथ सॅट गयी थी. चूत में पैठे बिना लंड भोस की दरार में फिट बैठ गया था. अपने नितंब आगे पिछे कर के माधवी अपनी भोस लंड से घिस रही थी. माधवी के हर धक्के पर उस की क्लाइटॉरिस लंड से रगड़ी जा रही थी और लंड की टोपी चढ़ उतर होती रहती थी. भोस और लंड काम रस से तर-ब-तर हो गये थे. वो गंगा के सीने पर बाहें टिका कर आगे झुकी हुई थी और आँखें बंद किए सिसकारियाँ ले रही थी. गंगा उस के स्तन सहला रहे थे और कड़ी निपल्स को मसल रहे थे.
थोड़ी देर में वो थक गयी. गंगा के सीने पर गिर पड़ी. अपनी बाहों में उसे जाकड़ कर गंगा पलटे और उपर आ गये. माधवी ने जांघें चौड़ी कर अपने पाँव गंगा की कमर से लिपटाए, बाहें गले से लिपताई. भोस की दरार में सीधा लंड रख कर गंगा धक्के देने लगे, चूत में लंड डाले बिना. माधवी की क्लाइटॉरिस अच्छि तरह रगड़ी गयी तब वो छटपटाने लगी.
गंगा बोले : माधवी बिटिया, ये आखरी घड़ी है. अभी भी समय है. ना कहे तो उतर जाउ.
माधवी बोली नहीं. गंगा को जोरों से जाकड़ लिया. वो समझ गये. गंगा अब बैठ गये. टोपी उतार कर लंड का मत्था धक दिया. एक हाथ से भोस के होठ चौड़े किए और दूसरे हाथ से लंड पकड़ कर चूत के मुँह पर रख दिया. एक हलका दबाव दिया तो मत्था सरकता हुआ चूत में घुसा और योनि पटल तक जा कर रुक गया. गंगा रुके. लंड पकड़ कर गोल गोल घुमाया, हो सके इतना अंदर बाहर किया. चूत का मुँह ज़रा खुला और लंड का मत्था आसानी से अंदर आने जाने लगा. अब लंड को चूत के मुँह में फसा कर गंगा ने लंड छ्चोड़ दिया और वो माधवी उपर लेट गये. उस ने महावी का मुँह फ्रेंच किस से सील कर दिया, दोनो हाथ से नितंब पकड़े और कमर का एक झटका ऐसा मारा कि झिल्ली तोड़ आधा लंड चूत में घुस गया. दर्द से माधवी छ्टपटाई और उस के मुँह से चीख निकल पड़ी जो गंगा ने अपने मुँह मे झेल ली. गंगा रुक गये.
गंगा को देख परेश भी धक्का लगा ने लगा. हम कुर्सी में थे इसी लिए आधा लंड ही चूत में जा सकता था. परेश को हटा कर में फर्श पर आ गयी और जांघें फैला कर उसे फिर मेरे उपर ले लिया. तेज रफ़्तार से परेश मुझे चोदने लगा.
उधर माधवी शांत हुई तब गंगा ने पुछा : कैसा है अब दर्द? माधवी ने गंगा के कान में कुच्छ कहा जो में सुन नहीं पाई. गंगा ने लेकिन अपनी कमर से उस के पाँव च्छुड़ाए और इतने उपर उठा लिए कि घुटनें कान तक जा पहुँचे. माधवी के नितंब अधर हुए. गंगा की चौड़ी जांघें बीच से माधवी की भोस और उस में फसा हुआ गंगा का लंड साफ दिखने लगे. आधा लंड अब तक बाहर था जो गंगा धीरे धीरे चूत में पेल ने लगे. थोड़ा अंदर थोड़ा बाहर ऐसे करते करते दो चार इंच ज़्यादा अंदर घुस पाया लेकिन पूरा नहीं. अब गंगा ने वो तकनीक आज़माई जो मेरे साथ सुहाग रात को आज़माई थी.
उस ने होल से लंड बाहर खींचा स..र..र..र..र कर के. अकेला मत्था जब अंदर रह गया तब वो रुके. लंड ने ठुमका लगाया तो मत्थे ने ऑर मोटा हो कर चूत का मुँह ज़्यादा चौड़ा कर रक्खा. माधवी को ज़रा दर्द हुआ और उस के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. इस बार गंगा रुके नहीं. स..र.र..र..र..र.र कर के उस ने लंड फिर से चूत में डाला. आखरी दो इंच तो बाकी ही रह गया, जा ना सका. बाद में गंगा ने बताया कि माधवी की चूत पूरा लंड ले सके इतनी गहरी नहीं थी. उस को ज़्यादा दर्द ना लग जाय इसीलिए सावधानी से चोदना ज़रूरी था. ये तो अच्छा हुआ कि माधवी की पहली चुदाई गंगा ने की, वरना चाची की दहशत हक़ीकत में बदल जाती.
यहाँ परेश और में झाड़ चुके थे, परेश का लंड नर्म होता चला था. गंगा हलके, धीर्रे और गहरे धक्के से माधवी को चोदने लगे. माधवी के नितंब डोल ने लगे थे. लंड चूत की पक्फ पुच्च आवाज़ के साथ माधवी की सिसकारियाँ और गंगा की आहें गूँज रही थी.
परेश : भाभी, देख, भोस के होठ कैसे लंड से चिपक गये हैं ? बड़े भैया का लंड मोटा है ना ?
में : देवर्जी, तुम्हारा भी कुच्छ कम नहीं है.
गंगा के धक्के अब अनियमित होते चले थे. स..र..र..र.र की आवाज़ के कभी कभी घच्छ से लंड घुसेड देते थे. लगता था कि गंगा झड़ने के नज़दीक आ गये थे. माधवी लेकिन इतनी तैयार नहीं थी. उस ने खुद रास्ता निकाल लिया. अपने ही हाथ से क्लाइटॉरिस रगड़ डाली और छ्टपटाती हुई झड़ी . गंगा स्थिर थे लेकिन माधवी के चूतड़ ऐसे हिलाते थे कि लंड चूत में आया जाया करता था. माधवी का ऑर्गॅज़म शांत हुआ इस के बाद तेज रफ़्तार से धक्के मार कर गंगा झड़े और उतरे. करवट बदल कर माधवी सो गई. सफाई के बाद हम सब सो गये.
दूसरे दिन जागे तब परेश ने एक ओर चुदाई मागी मूह से. गंगा ने भी अनुरोध किया. में क्या करती ? दस मिनिट की मस्त चुदाई हो गई. परेश की खुशी छुपाए नही छुपति थी . शर्म की मारी माधवी किसी से नज़र मिला नहीं पाती थी. फिर भी गंगा ने उसे बुलाया तो उस के पास चली गयी. गले में बाहें डाल गोद में बैठ गयी. गंगा ने चूम कर पुछा : कैसा है दर्द ? नींद आई बराबर ?
शरमा कर उस ने अपना मुँह छुपा दिया गंगा के सीने में. कान में कुच्छ बोली.
गंगा : ना, अभी नहीं. दो दिन तक कुच्छ नहीं. चूत का घाव ठीक हो जाय इस के बाद.
लेकिन माधवी जैसी हठीली लड़की कहाँ किसी का सुनती है ? वो गंगा का मुँह चूमती रही और लंड टटोलती रही. गंगा भी रहे जवान आदमी, क्या करे बेचारा ? उठा कर वो माधवी को अंदर ले गये और आधे घंटे तक चोदा.
उस रात के बाद वो भाई बहन अक्सर हमारे घर आते रहे और चुदाई का मज़ा लेते रहे. जब स्कूल खुले तब उन्हें शहर में जाना पड़ा. मैं और गंगाधर इंतेज़ार कर रहे हैं कि कब वाकेशन पड़े और वो दोनो घर आए. आख़िर नये नये लंड से चुदवाने में और नयी नयी चूत को चोदने में कोई अनोखा आनंद आता है. है ना ? तो दोस्तो ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
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