पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
12-11-2022, 06:34 PM,
#78
RE: पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-31


सुपर संडे - रूपाली के साथ



रुपाली भाभी की बेरहमी से उछाल उछाल कर चुदाई करने के बाद हम ऐसे ही लिपट कर सो गए

सुबह चार बजे मेरी आँख खुली तो रुपाली भाभी मुझसे से चिपट कर सो रही थीं. वे मेरे सीने से लिपटी हुई सोते हुए बड़ी प्यारी और मासूम लग रही थीं, उसे देख मुझे उन पर प्यार आ गया और धीरे से मैंने उसके होंठो को चूमा . मेरे स्पर्श से वह जग गईं और बड़े प्यार से बोलीं- मेरी आँख लग गयी थी.

मैंने प्यार से उनके गुलाबी होंठों को चूमते हुए पूछा- क्या आपको अच्छा लगा? मजा आया ?

वे धीरे से बोलीं- अच्छा भी लगा ... मजा भी बहुत आया ... और मैंने कितने साल से सब्र किया हुआ था मेरे पति के साथ तो चुदाई करने का मौका ही नहीं मिलता था पर तुमने मेरी ऐसी चुदाई की है की मैं सोच रही हूँ तुमसे रोज चुदे बिना अब कैसे रह पाऊँगी

मैंने कहा- भाभी आप बहुत सुन्दर, गोरी और मेरे से बड़ी होने के बावजूद मस्त माल हो. दो बच्चो की माँ होकर भी कॉलेज जाने वाली लड़की जैसी दिखती हो और आपकी चूत भी अभी तक टाइट है और आपके स्तन भी गोल मटोल और बिलकुल ढलके हुए नहीं हैं आपको देखकर तो मैं पहली नज़र में ही आपका दीवाना हो गया था अब तो मेरा मन अब बेकाबू हो गया है

भाभी बोली काका अब आप मेरी जान हो आओl मुझे ऐसे ही प्यार करते रहना.



[Image: sr4.jpg]
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मैंने भाभी की बात सुन कर मस्ती में उनकी चूची मसल दी तो कराहते हुए उन्होंने मेरे होंठों को चूम लिया- आराम से करो मैं अब तुम्हारी ही हूँ.

मैंने फिर से चूची मसली तो शरमाते हुए उन्होंने कहा- आपने मुझे बड़ी बेरहमी से चोदा है, देखो मेरी कैसे सूज गयी है.

रुपाली भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चुत पर रख दिया. सच में भाभी की चुत एकदम सूजी हुई थी. मैंने प्यार से चुत को ऊपर से ही को सहलाया ... फिर मैं उनके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगीं. मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीं. मैंने भी उनकी जीभ को चूसा. मेरी जीभ जब उनकी जीभ से मिली, तो उनका शरीर सिहरने लगा और वे रिसने लगीं क्योंकि मेरे हाथों को उनकी चुत गीली गीली लगने लगी थी. उसके बाद मैं अपने हाथों से उनके मस्त मोमे दबाने लगा. एक पल बाद ही मुझे उनका निप्पल कड़ा होता सा महसूस हुआ.

अपनी उंगलियों से मैंने निप्पल को खींचा तो वो कराह उठीं- आआह धीरे मेरे राजा धीरे ... देखे कैसे सूज गए हैं और बहुत दुख रहे हैं.

मैंने निप्पल को किस किया और फिर उनके होंठों को चूमा. फिर मैंने उन्हें दबोच लिया और उनके रसीले होंठों को किस करने लगा.

जिसका उन्होंने बड़ी कामुक और मादक अंदाज में जवाब दिया. वह बोलीं- काका धीरे से करो घर में बच्चे और मानवी भाभी भी हैं और सुबह भी होने वाली हैं .

रुपाली भाभी की गोल गोल चूचियों से भरी उनकी छाती और भरे भरे गालों के साथ उनकी नशीली आंखें, मुझे नशे में कर रही थीं.

मैं उन पर चढ़ कर बेकरारी से उनको चूमने लगा. चूमते वक्त हमारे मुँह खुले हुए थे ... जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं ... और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था. मैं कम से कम 15 मिनट तक उनके होंठों का किस लेता रहा. साथ मेरे हाथ उनके मम्मों को दबाने में लगे हुए थे, वो भी मेरा साथ देने लगी थीं.

मैं उनकी चुचियों को बेरहमी से मसलने लगा और वो मादक आवाजें निकालने लगीं- उम्म्ह... अहह... हय... याह...

मादक आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं फिर मैंने उनके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया. उनके मम्मे कड़क हो गए थे और चूचियां कह रही थीं कि हमें जोर से चूसो.

कुछ देर तक अपनी होने वाली भाभी के स्तनों को चूस कर मजा लेने के बाद मैंने उनके स्तनों पर कमरे में रखी बोत्तल उठा कर बहुत सारा शहद डाल दिया. भाभी खुद अपने स्तनों पर शहद टपकते देख और ज्यादा उत्साहित हो गई थीं. फिर मैंने भाभी की आंखों में झांका, भाभी भी वासना से मेरी आंखों में झाँक रही थीं.



[Image: sr5.jpg]

मैं अपनी जीभ से रुपाली भाभी की चूची को चाट चाट कर मजा लेना शुरू कर दिया. मैंने उन्हें देखते हुए ही उनकी एक चूची को मुँह में ले लिया और भूखे जानवर की तरह भाभी के स्तन चूसने लगा. शहद में डूबी चूचियों को मैं खींच खींच कर चूसने लगा. भाभी जोर जोर से कामुक सिसकारियां ले रही थीं. मैं बोला भाभी ज्यादा आवाज मत करो कोई आ सकता है .

रुपाली भाभी कह रही थीं- आह चूसो न . मैंने फिर से उनके स्तन चाटने लगा. अब भाभी दबी हुई आवाज में गर्म सिसकारियां ले रही थीं.

मैंने अपना बांया हाथ उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत के छेद पर रख दीया और उसे मसलने लगा । रुपाली भाभी और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। सालो से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब भड़क गयी थी। थोड़ी देर में अपना मुंह रुपाली भाभी के कान के पास ले गया और धीरे से उसके कान में बोला " अब तुम्हे जीवनभर अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था रुपाली भाभी तुम्हारी चूत के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह तुम कितनी खूबसूरत हो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुम्हारा गदराया बदन तो कयामत है मेंरी रानी ।

चूचियों के बाद मैंने भाभी की गहरी नाभि. और चूत में शहद डाला और नाभि में जीभ घुसा कर चूसने लगा.

आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फिर मैंने अपना मुँह रुपाली भाभी की चिकनी चूत पर रख दिया. अब वो उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता है और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता है । रुपाली भाभी मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता है।

इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से रुपाली भाभी थरथराने लगी और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो गयी । वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगी , जिसने मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया और मैं और भी अधिक जोश से रुपाली भाभी की चूत को चूसने लग गया ।

चूत इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण रुपाली भाभी का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगा । मेरा लंड़ अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था, और यदि इसे जल्दी से रुपाली भाभी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।

फिर मैंने अपने लंड पर बहुत सारा शहद लगाकर जोर का धक्का दे मारा. मैं लंड पेलने के बाद कुछ देर के लिए उनके ऊपर ही पड़ा रहा. और मैं उनके स्तनों को चूसने लगा. अपने एक हाथ से उनके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था. फिर कुछ ही देर के बाद मैंने उनके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया. अब कुछ पल बाद वो फिर से गर्म हो गईं और उनकी कमर ने हिल कर मेरे लंड को इशारा दिया.

मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया ... तो पहले पहल वो चिल्लाईं, लेकिन फिर कुछ देर के बाद चुप होकर लंड को जज्ब करने लगीं. मैंने 10-15 जोर से धक्के मारे और साथ साथ भाभी को किस करने लगा. मैं लंड को पूरा अंदर जड़ तक घुसा कर भाभी की चूत चुदाई करने लगा. वो पूरी मस्ती में थीं ... मस्ती में सिसकारियां ले रही थीं- अआहह आआइईई ... काका और करो ... आह काका बहुत मजा आ रहा है.

फिर मैंने भाभी की चूत चुदाई करने की स्पीड और तेज कर दी. सच में भाभी की चूत टाईट थी मुझे चुदाई करने में मजा आ रहा था. कुछ देर तक चुदवाने के बाद भाभी बोलीं- काका और तेज करो आह आह.. काका मुझे कुछ हो रहा है और अपने चुतर ऊपर को उठा कर मेरे धक्को से ताल मिलाने लगी …. मैंने और जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मैंने कमर उठा आकार लम्बे लम्बे धक्के देना चालू कर दिए. मैं भाभी की चूत में जोर जोर से धक्के लगाता रहा करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद रुपाली भाभी आह… आह…. अहहहहह करते हुए झड़ गईं.

इसके बाद मैंने उनको घोड़ी बना दिया. अब मैंने उनकी चूत में पीछे से लंड को डालकर चोदना शुरू किया. .

रुपाली भाभी भी मस्ती में गांड आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगीं. मैं उन्हें लगातार धक्के देकर चोदता रहा. बीच बीच में पीछे से उनके मम्मों को पकड़ कर दबाता भी रहा. जब मैं उनके मोमे दबाता था, मैंने करीब दस मिनट तक लगातार उनको उसी पोज़िशन में चोदा, उनकी हालत बुरी हो गई थी ... वह झड़ चुकी थीं. और निढाल हो कर पेट के बल लेट गयी



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मैं भी नीचे लेटा उन्हें सीधा किया को बेकरारी से चूमने लगा. चूमते हुए हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं. मैंने रुपाली भाभी की फिर जम कर चुदाई की भाभी कई बार झड़ने के बाद निढाल हो रही थीं. आखिरी बार हम दोनों एक साथ झड़ गए.

सुबह हुई तो भाभी का चेहरा ख़ुशी से चमक रहा था. मैंने उसके गाल पर एक प्यार भरा चुम्बन दिया, तो उसने मुस्कुराते हुए मुझे किस किया और मुझे प्यार से अपनी बांहों में भर लिया. और हमने एक दुसरे के साथ ऐसे ही प्यार करते रहने का वादा किया .

उसके बाद वो मुझे बोली काका आप दुसरे कमरे में चले जाओ मैं कमरा साफ़ करके ठीक कर देती हूँ .. उसके बाद सुबह मैं पहले मंदिर गया और महर्षि द्वारा बातये गए पांच दाएं और पूजा पाठ किये वहां मुझे हेमा . ईशा और रीती मिली और मैंने उससे आगे के कार्यक्रम के बारे में चर्चा की .. चुकी अब मैं कुछ दिन छुट्टी पर जाने वाला था इसलिए फिर दिन में मैं थोड़ी देर ऑफिस गया और स्टाफ को जरूरी हिदायते दे आया और फिर मेरी माँ और पिताजी दिल्ली से आ गए और एयरपोर्ट पर हेमा ने उन्हें भाई महाराज हरमोहिंदर जी के पास ले जाने की सारी व्यवस्था की हुई थी ..

उस गर्म दोपहर में तीन घंटे में सड़क के मार्ग से हम हमारे पैतृक निवास स्थान में पहुंचे।

ये हम सबका अपने पैतृक स्थान का पहला दौरा था अपने पैतृक निवास स्थान के प्रवेश द्वार पर ही मेरे चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ हमारा स्वागत करने के लिए उपस्थित थे।


उन्होंने हमे दरवाजे पर गर्मजोशी से गले लगाया और उसकी सभी रानिया जो बेहद खूबसूरत थी जिनकी आयु 25-35 के बीच थी और सुन्दर साड़ी और आभूषण पहने हुई थी सबने हस्ते हुए हम सबका स्वागत किया और हम पर इत्र और फूल छिड़कते हुए शाही स्वागत किया ।

कुछ देर आराम और चाय नाश्ता करने के बाद मैं अपने चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी के साथ हमारा पूरा निवास स्थान देखने गया था। यह एक बड़ा और भव्य महल नुमा घर था। जिसे काफी अच्छी तरह से बनाए रखा गया था और पंजाब में हमारी हवेली, दिल्ली और लंदन में हमारे घर भी इसी तरह के डिजाइनों पर बनाए गए थे।

महाराज हरमोहिंदर जी ने मुझे सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एक विशेष और भव्य कमरा रहने के लिए सौंपा।


अध्याय 5 समाप्त

कहानी जारी रहेगी
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