Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
01-29-2021, 11:54 AM,
#58
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
जैसे ही उस लड़के का हाथ जगरूप की चूत पर लगता है। तभी जगरूप मस्त होकर अपनी दोनों आँखें बंद कर लेती है, फिर जगरूप भी अपना एक हाथ उस लड़के की पैंट के ऊपर रखकर ऊपर से ही उसके लण्ड को रगड़ने लगती है।

सुखजीत ये सब देख रही थी, पर उसकी आँखें अब लड़के के लण्ड पर ही टिक गई थी।
पर अभी वो लड़का जगरूप की चूत को रगड़-रगड़कर उसे और भी गरम करने में लगा हुआ था। जगरूप से अब और बर्दाश्त नहीं होता, वो अपने एक हाथ से उस लड़के की पैंट की जिप खोल देती है। फिर वो अपना हाथ अंदर डालकर उसका लड़के का मोटा लंबा लण्ड पकड़कर बाहर निकल लेती है। जगरूप उसका लण्ड अपने हाथ में पकड़कर उसकी मूठ मारने लगती है।

जगरूप के हाथों में लण्ड देखकर सुखजीत का बुरा हाल हो जाता है। उसकी चूत में किसी झरने की तरह पानी निकलना शुरू हो जाता है। कुछ ही देर में सुखजीत का हाथ चूत पर चला जाता है। फिर वो कुर्ते को साइड में करके सलवार के ऊपर से ही अपनी चूत को मसलने लगती है।

फिर वो लड़का जगरूप की चूचियों को चूसने लगता है, जगरूप भी मस्त होकर उस लड़के का सिर अपनी चूचियों में दबा देती है।

ये देखकर सुखजीत का और भी बुरा हाल हो जाता है। सुखजीत के दिमाग में बस एक ही बात चल रही थी, की अब तो कोई मर्द उसे पकड़कर उसकी जवानी को अच्छे से मसलकर रखा दे बस। फिर सुखजीत के दिमाग में प्यारेलाल की तस्वीर आती है, और तभी एक आइडिया आता है। सुखजीत अपने मन में कहती है।

सुखजीत- "बेगाना हाथ तो एक बार मेरे पवित्र जिश्म पर पड़ ही चुका है। अब मैं एक पवित्र औरत नहीं रही, अब एक बार बेगाना हाथ पड़ ही गया है, तो एक हाथ और पड़ जाए..."

सुखजीत के दिमाग उस टाइम पर काम वासना चढ़ी हुई थी। बस वो ये सोचती है की कोई उसे पकड़कर मसल दे। फिर सुखजीत एक प्लान बनाती है और वहीं पर जाती है, जहाँ वो कहरत कर रही थी। शाम भी अब ज्यादा हो गई थी, जिससे अब अंधेरा भी हो गया था। पार्क भी लगभग खाली हो गया था।

सुखजीत देखती है की प्यारेलाल अभी भी वहीं पर बैठा हुआ था। जैसे ही सुखजीत को आते हुए देखता है, वो थोड़ा सा शर्मा जाता है। सुखजीत की शर्म भी अब खुल जाती है।

दोस्तों आपको पता ही है की जब एक औरत के ऊपर किसी दूसरे मर्द का हाथ पड़ जाता है, तो उसकी सारी शर्म टूट जाती है।

सुखजीत भी प्यारेलाल को देखकर थोड़ा मुश्कुरा पड़ती है। फिर सुखजीत कसरत करने लगती है। सुखजीत प्यारेलाल की तरफ अपनी गाण्ड करके खड़ी हो जाती है, और अपनी गाण्ड और बाहर निकल देती है। प्यारेलाल सुखजीत की गाण्ड को आँखें फाइ-फाड़कर देखने लगता है। फिर सुखजीत आगे झुक कर अपने दोनों हाथों से अपने पैरों को छूने की कोशिश करती है। जिससे उसकी बड़ी-बड़ी गाण्ड किसी पतीले की तरह खुल जाती है।

सुखजीत की गाण्ड देखकर प्यारेलाल अपना लण्ड मसलने लगता है। सुखजीत जैसे झुक कर प्यारेलाल को चोरी चोरी देख रही थी। सुखजीत देखती है, की प्यारेलाल उसकी गाण्ड को देखकर अपना लण्ड मसल रहा था। ये सब देखकर सुखजीत काफी खुश हो जाती है। फिर सुखजीत अपनी गाण्ड को हिला-हिलाकर कसरत करने लगती है। सुखजीत की भारी और मोटी गाण्ड प्यारेलाल के लण्ड को पूरे जोश में ले आती है।

फिर सुखजीत सीधी खड़ी हो जाती है, और अपनी गाण्ड को मटकाती हुई धीरे-धीरे दौड़ने लगती है, और प्यारेलाल के पास आ जाती है। सुखजीत जब प्यारेलाल के पास से धीरे-धीरे दौड़ते हए जाती है तो वो देखती है, की प्यारेलाल का लण्ड पूरा खड़ा हुआ होता है।

प्यारेलाल का खड़ा लण्ड देखकर सुखजीत ठरकी अंदाज में प्यारेलाल को स्माइल करती है, और अपनी गाण्ड को जोर-जोर से मटकाते हुए पार्क के दूसरे कोने में चली जाती है। सुखजीत की ठरक से भारी हुई स्माइल को देखकर प्यारेलाल समझ जाता है की आज उसकी सुखजीत भाभी उसके लिए अपनी जवानी का दरवाजा खोल रही है। फिर प्यारेलाल भी सुखजीत के पीछे दौड़ता हुआ उसके पीछे चला जाता है।

प्यारेलाल की नजर अभी भी सुखजीत की गाण्ड पर टिकी हुई थी, जो चलते हुए बड़े मस्त तरीके से इधर-उधर मटक कर उछल रही थी। कुछ सुखजीत जानबूझ कर अपनी गाण्ड बाहर निकालकर दौड़ रही थी। जिससे उसकी गाण्ड आगे-पीछे हो रही थी। सुखजीत साथ-साथ अपनी तिरछी नजरों से पीछे भी देख रही थी। जब उसने देखा की उसके पीछे उसका आशिक प्यारेलाल आ रहा है, तो वो खुश हो जाती है। क्योंकी प्यारेलाल अपना लण्ड उसके पीछे लगाकर उसके पीछे भागा हुआ आ रहा था।

फिर सुखजीत पार्क के कोने में पहुँच जाती है, जहां प्यारेलाल उसको कसकर पकड़ लेता है। फिर प्यारेलाल सुखजीत को पकड़कर उसे एक पेड़ के पीछे ले जाता है, जहाँ काफी अंधेरा होता होता है। वो सुखजीत की चूचियों को कसकर पकड़ लेता है, फिर सुखजीत को पेड़ के साथ लगा देता है।

सुखजीत का मुँह पेड़ की तरफ होता है, और उसकी गाण्ड प्यारेलाल की तरफ होती है। सुखजीत पहले थोड़ा सा नाटक करती है, जिससे पता चलता है की वो एक शरीफ औरत है। प्यारेलाल अपना हाथ उसकी चूचियों से हटाकर, उसका कुर्ता उठाकर उसकी गाण्ड को सलवार के ऊपर से ही पकड़ लेता है। सुखजीत को मजा आना शुरू हो जाता है। पर फिर भी वो नाटक करती हुई कहती है।

सुखजीत- "प्यारे जी ये आप क्या कर रहे हो? प्लीज़्ज... छोड़ो मुझे?”

प्यारेलाल सुखजीत की चूचियां कसकर दबाकर बोला- “मैं अपनी भाभी के साथ प्यार कर रहा हूँ.”

सुखजीत- “अगर ये सब मेरे सरदारजी को पता चल गया, तो उन्होंने आपको गोली मार देनी है.."

प्यारेलाल ने सुखजीत का एक चूतरों को अपने हाथ में भरा और कसकर मसल दिया। जिससे सुखजीत के मुँह से आअहह... आह्ह.. की मस्त आवाज आई, फिर प्यारेलाल बोला- “भाभीजी उन्हें कैसे पता चलेगा, और वैसे भी अब उनका कहां खड़ा होता होगा?”
सुखजीत- “प्लीज़्ज़... प्यारे जी आप रहने दो फिर भी..”
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RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा - by desiaks - 01-29-2021, 11:54 AM

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