RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी उठती है और अंदर जाने लगती है। राम भी पीछे-पीछे चल पड़ता है। रूबी का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। घर के अंदर रूबी रामू को काम समझाने लगी। आज पहली बार था की घर की बहू को रामू इतनी पास से देख रहा था। क्या बला की खूबसूरत थी। गोरा रंग बदन का और सुडौल भरा-भरा जिश्म। रामू के अपने गाँव में तो इतनी खूबसूरत औरत तो थी ही नहीं। खूबसूरती के साथ-साथ मालेकिन के बोलने का अंदाज कितना प्यारा था। रूबी की बातें राम के एक कान से अंदर जाती और दूसरे से निकल जाती। वो तो बस रूबी को ही निहार रहा था।
इधर रूबी भी कोई बच्ची नहीं थी। उसे भी एहसास हुआ कि रामू की नजरें सिर्फ उसके चेहरे पे ही टिकी हैं, और उसे काम का कुछ भी समझ में नहीं आया होगा। खैर, कुछ देर समझाने के बाद रूबी और रामू घर के बाहर आए और रामू अपने कमरे की तरफ, और रूबी कमलजीत और प्रीति के पास आ गई।
इधर राम अपने कमरे में जाते-जाते रूबी के ख्याल में खोया था। उसकी आँखों के सामने तो बस हँस रूबी का मुश्कुराता चेहरा ही बार-बार दिखाई दे रहा था।
इधर रूबी भी सोच रही थी की पहले तो कभी उसे राम से बात करने की जरूरत नहीं पड़ी थी और ना ही मैंने रामू के बारे में सोचा था। अभी कुछ दिन पहले ही तो मैंने रामू को नहाते देखा और फिर चूत की आग ठंडी की थी, और अब कल से मैं रामू से काम करवाऊँगी। रामू के नहाते देखना, फिर चूत की आग को शांत करना, और प्रीति के साथ हमबिस्तर होना, यह सब चार-पाँच दिनों में ही घटित हो गया था। क्या किश्मत उसके साथ कोई खेल खेलना चाहती थी? रूबी कुछ भी समझ नहीं पा रही थी।
कुछ देर बाद प्रीति अपने ससुराल के लिए रवाना हो गई।
रूबी अपने डेली रूटीन में बिजी हो गई। रात को बेड पे लेटी-लेटी रूबी फिर से रामू के बारे में सोचने लगी। वो काफी कोशिश कर रही थी की रामू के बारे ना सोचे, पर फिर भी उसका ध्यान में रामू के उस दिन के नहाने के दृश्य को याद करने लगती थी। क्या रामू के बलिष्ठ जिश्म ने उस पे कोई जादू कर दिया था। उसे डर था कहीं वो बहक ना जाए। फिर उसने सोचा की वो अपनी भावनाओं पे काबू रखेगी और रामू को तो उसकी दिल की बात का पता ही नहीं है, तो फिर फिसलने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इस उलझन का जवाव ढूँढते-ढूँढ़ते कब उसकी आँख लगी उसे पता भी नहीं चला।
अगले दिन राम सुबह का खाना लेने आया। रूबी ने उसे खाना दिया। तभी राम बोला।
रामू- बीवीजी कब शुरू करना है काम?
रूबी- खाना खा लो। मैं भी खा लूंगी तब आ जाना।
राम- “ठीक है बीवीजी..." कहत राम वापिस जाने को पलट गया और सोचकर खुश हो रहा था की अपनी खूबसूरत मालेकिन के पास आने और बात करने का अच्छा मौका मिला है।
इधर रूबी अपने आपसे लड़ रही थी की वो राम के बारे में ना सोचे। उसे यह नहीं पता था की रामू खुद भी उसमें दिलचश्पी ले रहा है।
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