मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-11-2021, 12:30 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे

इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. यह कहानी एक काल्पनिक कहानी है. आशा है की आप को यह नयी प्रस्तुति पसंद आएगी.

*****

कहानी के दो पात्र हैं, पराग और अनुपमा. पहला भाग अनुपमा की जुबानी है.

ये उस समय की बात हैं जब मैं सुरत शहर में रहने वाली १९ वर्षीय आकर्षक युवती थी. मेरे पिताजी का काफी बड़ा कारोबार हैं और मैं बचपन से ही अमीर परिवार में हूँ.

मैं सांवले रंग की पांच फ़ीट दस इंच लम्बी और मादक शरीर की मालकिन हूँ. मेरे सौंदर्य की विशेषता हैं मेरी भावविभोर आँखें. मेरे कई लड़के दोस्त हैं मगर किसी को भी मैंने ज्यादा भाव नहीं दिया था. मैं पढ़ाई से ज्यादा फ़िल्में देखना, मौज मस्ती करना और श्रृंगार प्रसाधन (मेकअप) में ज्यादा रूचि रखती थी. मेरे विद्यालय में कई शर्मीले लड़के मुझपर मरते रहते थे मगर मुझसे बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे.

मैंने बड़ी मुश्किल से बारहवीं की परीक्षा पास की, मगर मुझे मुंबई शहर के सब से बड़े कॉलेज में संगणक विज्ञान (कंप्यूटर सायन्स) पढ़ने की इच्छा थी. पिताजी ने उस कॉलेज को बड़ी राशि चंदे के रूप में दी और फिर मैंने उसी कॉलेज में दाखिला ले लिया. मुझे कंप्यूटर के बारे ज्यादा जानकारी नहीं थी, बस गर्मी की छुट्टियोंमें एक कोर्स किया हुआ था. पहले दिन की पहली क्लास होते ही मैं समझ गयी की ये कोर्स मेरे बस की बात नहीं हैं. तभी मेरी नज़र थोड़ी दूरी पर खड़े एक हसीन युवक पर गयी. उसका चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लग रहा था. शायद वो मेरे साथ सुरत के विद्यालय में पढता था. मैंने उसकी ओर हाथ हिलाकर हाय कहा. उसकी तो जैसे सांस रूक गयी हो. मेरी जैसी सुन्दर और हॉट लड़की पहचान दिखाते ही वो तो जैसे बावला हो गया.

मैंने आगे बढ़ कर उस से कहा, "हेलो, लगता है तुम भी मेरे स्कूल से ही हो."

"हाँ, अनुपमा, मेरा नाम पराग है," उसने कहा.

"ओह, तुम तो मेरा नाम भी जानते हो!"

"तुम पूरे स्कूल में सबसे लोकप्रिय लड़की थी, फिर मैं तुम्हारा नाम कैसे नहीं जानता."

मैं कहा, "चलो मुझे अच्छा लगा की कोई तो मेरी पहचान का हैं यहां पर. क्या तुमने भी डोनेशन देकर दाखिला लिया हैं?"

"अरे नहीं, मैं तो मेरिट में आया हूँ इसलिए इतने बड़े कॉलेज में मुझे एडमिशन मिला हैं," उसने मुस्कुराते हुए कहा.

उसी समय मुझे यह चार साल का कोर्स पास करने का रास्ता मिल गया. अब बस अपनी सुंदरता से इस होशियार लड़के को अपने जाल में फसाना था.

"ओह पराग, चलो आज से हम एक दुसरे के बेस्ट फ्रेंड्स (सबसे अच्छे दोस्त) बनके रहेंगे. मैं भी किसी और को यहाँ जानती नहीं हूँ."

फिर मैंने यहाँ वहाँ की बाते करते हुए पता लगाया की वो कॉलेज के छात्रावास (हॉस्टल) में ही रहता हैं. उसके पास कोई कंप्यूटर नहीं था, इसलिए उसे कॉलेज की सुविधा पर ही निर्भर रहना था और कई बार कॉलेज के लैब में घंटो प्रतीक्षा करनी पड़ती.

मुझे तो मेरे पिताजी ने कॉलेज के नजदीक ही एक आलिशान फ्लैट भाड़े पर लेकर दिया था. उसमे एक नया कंप्यूटर भी था. भोजन बनाने के लिए और घर का काम करने के लिए एक कामवाली भी थी. कमी थी बस पढ़ाई करने की. अब इस स्मार्ट और स्कॉलर लड़के को लुभाकर वो कमी भी पूरी करना था.

कुछ ही दिनोमें पराग नियमित रूप से मेरे किराये के घर पर आने लगा. मैं भी उससे मीठी मीठी बाते करती थी और वो मुझे पढ़ा दिया करता था. उसे भी कंप्यूटर के लिए कॉलेज के लैब में घंटो प्रतीक्षा नहीं करना पड़ता था. मेरे जैसी सुन्दर लड़की का साथ जैसे माने बोनस था. मुझे पढ़ाते पढ़ाते उसकी भी फिर से पढ़ाई (रिवीजन) हो जाती थी. वो जितना दिखने में अच्छा था, उससे भी ज्यादा दिमाग से तेज था. उसका स्वभाव बहुत सीधा और हंसमुख था. मुझे भी पराग अच्छा लगने लग गया था. अब वो शाम का खाना भी मेरे साथ ही खाया करता था, सिर्फ सोने के लिए हॉस्टल चला जाता था.

पराग अक्सर छुप छुप कर मेरी सुंदरता को निहारता रहता था. अमीर घर से होने के कारण मैं मिनी स्कर्ट, खुले गले के टॉप्स और छोटे छोटे फ्रॉक्स आम तौर पर पहनती थी. कभी कभी तो पराग मेरे सुडौल स्तनोंके बीच की दरार, मदमस्त गांड और अध नंगी मांसल टांगो को देखकर उत्तेजित भी हो जाता था. अपने पैंट में तने हुए लौड़े को छुपाने की चेष्टा करता रहता. मुझे भी अपने जवानी के जलवे बिखेरकर उसे तडपाने में बड़ा आनंद मिलता था. थोड़ा दिखाना और थोड़ा छुपाना, यही तो लड़कियों का सबसे बड़ा अस्त्र होता हैं!

दो तीन महीनों के बाद एक दिन मैंने देखा की पराग का चेहरा किसी समस्या में उलझा हुआ हैं. बार बार पूछने पर भी उसने कुछ नहीं बताया. फिर मैंने उसके करीबी दोस्त गौरव से पूछा, तब पता चला की उसे आर्थिक समस्या हो गयी थी. हॉस्टल में रहना और सुबह का नास्ता तथा भोजन के खर्चे के लिए दिक्कत हो रही थी. मैंने तुरंत अपने डैड को फ़ोन किया.

"डैड, मैंने आप को पराग के बारे मैं बताया था ना. वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त और मेरा प्राइवेट शिक्षक भी हैं."

"हाँ हाँ बेटी, मुझे याद हैं. क्या बात हैं, उसने कुछ.."

"नहीं डैड, वो तो बहोत ही अच्छा लड़का हैं मगर अभी मुसीबत मैं हैं और मैं उसकी मदद करना चाहती हूँ."
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-11-2021, 12:30 PM

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