मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:08 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
सज्जू ने पाँव मिलाये हुए थे मैं उपर आया और एक हाथ से उसकी गर्दन पकड़ कर ताबड़तोड़ चुम्मिया लेने लगा खास तौर पर गर्दन और कंधे पर और बीच बीच में उसके मम्मे सहला और दबा देता निप्पल को खा लेता चूम लेता चाट लेता। सज्जू अब निचे से हिल रही थी उसकी गांड अपने आप ही उपर नीचे हो रही थी। मैंने एक हाथ नीचे किया और उसकी चूत के होठ खोल दिया। धीरे धीरे मैं उसकी क्लिटोरिस से खेलने लगा और बीच बीच में ऊँगली अन्दर छेद में सरकता रहा। उसकी चूत पनिया गयी थी और मेरी उंगलिया भीग चुकीं थीं। वो मेरी उंगलीओं के साथ साथ अपनी विशाल गांड को हिला रही थी।

अब मेरे हथिआर को सब्र नहीं हो रहा था। मैंने उसके पाव चौड़े किया और जांघें खोल दी। उसने अपने पाँव लंड की प्रतीक्षा में मोड़ लिए थे। अब देरी ठीक नहीं थी। मैंने अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया ताकि वो खुद ही उसको अन्दर डाले। सज्जू ने दोनों हाथ नीचे ले लिए एक हाथ से वो अपनी चूत के होंट खोलने लगी और दूसरे से मेरा लौड़ा पकड़ कर उसका टोपन चूत के द्वार पर रख दिया या यूँ कहूँ की लगभग पूरा सुपाडा ही अन्दर ले लिया था। मैंने अब थोडा एडजस्ट किया और लगभग आधा लंड उसकी गीली चूत में सरका दिया।

"सज्जू एक बात कहूँ?", मैं बोला। उसने सी सी करते हुए हाँ में सर हिला दिया।
"तुम्हारी चूत इतनी टाईट है की, ऐसा लगता है जैसे किसी सोलह साल की कुंवारी लड़की की चूत चोद रहा हूँ", मैं बोला।
"हठो धम्मु झूठ मत बोलो", वो बोलीं।
"नहीं सज्जू मेरे लंड की कसम इतनी टाईट चूत मैंने कोई बरसो बाद चोदी है। मैं झूठ नहीं बोल रहा तुम्हारी चूत बहुत टाईट है। ऐसा लग रहा है जैसे मेरे लौड़े को कस कर पकड़ रखा है इसने।", मैं बोला।
"जिस चीज़ का इस्तेमाल कम होता हो वो टाईट ही तो होगी", वो बोली।

"सज्जू अब इसको चोद चोद के मैं भोसड़ा बना दूंगा। पूरा लौड़ा अन्दर ले लो मेरी जान।", मैं बोला।
मैंने थोड़े घिस्से और लगाये और मेरा पूरा लंड उसकी फुद्दी में समां गया। सिर्फ आंड बाहर बचे जो भी अन्दर जाने को कसमसा रहे थे। मैंने अपने होट सज्जू के होटों से जोड़ रखे थे और दोनों हाथ नीचे ले लिए थे। और दोनों हाथों में उसकी मोटी गांड की फांकें पकड़ी हुई थीं। जिनके वज़न से मेरे हाथ दब से गए थे। मैं उसकी गांडों को मसल रहा था दबा रहा था और उनमे अपने नाख़ून चुभा रहा था। इतनी मोटी थी सज्जू की गांड की नाख़ून मोटी चमड़ी में कुछ असर नहीं कर रहे थे। इसी दौरान मैंने गांड को थोडा सा खोल कर अपनी एक ऊँगली उसकी गांड के छेद में तीन चौथाई सरका दी। सज्जू को कोई असर नहीं हुआ मुझे पता चल गया की गांड खुल जाये तो सज्जू उसको आसानी से मरवा भी लेगी। या शायद पहले भी मरवा चुकी हो।

अब सज्जू ने अपने दोनों पाँव आसमान में कर लिए थे और मेरा लवड़ा अब फचफच उसकी चूत की ठुकाई और सैर कर रहा था। सज्जू ने पैर थोड़े और उपर करके लगभग मेरे कंधे पर रख दिए दे अब उसकी चूत की फांकें पूरी तरह खुल चुकी थी और लौड़ा आसानी से आ जा रहा था। अब वो गांड को नीचे से और जोर से हिलाने लगीं और उनके मुह से सी सी की आवाजें और तेज़ हो गयीं। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और उसका एक हाथ मेरे बालों पर था। जिन्हें उसने कस कर पकड़ा हुआ था और उसकी साँसें अब मेरे कंधे को छू रही थीं। उसका दूसरा हाथ मेरी पीठ और कंधे को जकड कर उसको सहला रहा था।

"सज्जू कैसा लग रहा है मेरा लंड?", मैंने पुछा। वो अब गरम थी इसलिए शर्म की कोई संभावना नहीं थी।
"बहुत अच्छा।"
"अच्छा कैसे?", मैंने पूछा।
"अच्छा मतलब अच्छा", वो बोली।
"चूत को कैसा लग रहा है?" मैंने फिर पूछा।
"अच्छा", वो बोलीं। और फिर सी सी की आवाज़ आने लगी।
"अच्छा या बहुत अच्छा?", मैंने पूछा।
"बहुत अच्छा आह्ह" वोह बोलीं।
"रुको मत और जोर से करो रुको मत", सज्जू बोली।
"जोर से क्या करूँ?" मैंने पूछा।
"वही जो कर रहे हो"
"क्या कर रहा हूँ मैं?", मैंने पूछा।
"ओह्ह वही जो कर रहे हो", वो बोली।
"क्या सज्जू चुदाई बोलने में क्या शर्म। बोलो न चुदाई", मैंने कहा।
"हाँ चुदाई " वो बोली।

"कैसी है मेरी चुदाई सज्जू?"
"बहुत अच्छी है आही ऊऊऊऊऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआअह"
"अब कैसे चोदुं सज्जू?", मैंने पूछा।
"ऐसे ही बस थोडा जोर से।", वो बोलीं।
मुझे पता था सज्जू झड़ने वाली है इसलिए मैंने गति बढा दी। सज्जू ने अब अपने दोनों हाथों से मेरी गांड पकड़ ली थी और वे उसको गाइड कर रही थी। मैं अब पूरी स्पीड से घचाघच चोद रहा था मेरे मुह से भी अब ऊऊ ऊऊ आह्ह निकलने लगा था। सज्जू की चूत अब गीली झील बन चुकी थी मेरा वीर्य आने से पहले का रस भी खूब सारा उसकी चूत में डल चुका था और उसके खुद के रस भी थे। सज्जू की सांस एकदम से तेज़ हुई और उसने मेरी गांड कस कर पकड़ी खुद की गांड तेज़ी से हिलाई फिर वो शांत पड़ गयी। और उसकी सांस जो धोंकनी की तरह चल रही थी शांत पड़ने लगी।

"क्या हुआ सज्जू चूत का पानी निकल गया?", मैंने पूछा।
"हाँ", उसने आँखें बंद करके बोला।
"मैं मेरा वीर्य निकालूं या थोड़ी देर और चोदूं सज्जू रानी?"
"जैसी आपकी मर्ज़ी", वो बोली।
"नहीं सज्जू तुम बताओ, जो तुम कहोगी वही करेगा मेरा लंड।", मैंने कहा। "तो थोड़ी देर और करो।", सज्जू बोली।

मुझे लग गया सज्जू की चूत प्यासी है उसने शायद बहुत दिनों से चुदाई नहीं की थी। सज्जू का ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैंने अब धीरे धीरे फिर से उसकी चुदाई और घिसाई शुरू कर दी। मैंने सज्जू को बिस्तर पर ही टेढ़ा कर दिया और इसी मुद्रा में लंड अन्दर सरका दिया उसकी मोटी गांड के बीच से लंड चूत की खुदाई कर रहा था। उसने पाँव मोड़ कर खुद के सीने की तरफ कर दिया इससे उसकी गांड बाहर निकल गयी और चूत खुल गयी। मेरा लंड अब आसानी से अन्दर जा रहा था मैं पूरा लंड बाहर निकल कर अन्दर डाल रहा था। उसको चुदाई अच्छी लग रही थी। कोई २-४ मिनट ऐसे चोद कर मैंने सज्जू को बिलकुल उल्टा कर दिया और उसकी जांघों और चूत के आसपास तकिया रख दिया।

इससे उसकी मोटी गांड और उपर हो गयी और चूत भी थोड़ी उपर आ गयी। इस मुद्रा में मैं उसको चोदने लगा सज्जू का बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी गर्दन को काटना शुरू कर दिया। वो ऊओह्ह आह करने लगी मैंने स्पीड बढा दी थी और फचाफच चोदने लगा। सज्जू को भी मज़ा आ रहा था। अब मैंने सज्जू का पेट पकड़ा और उसके गांड उपर कर दी सज्जू ने अपना सर बिस्तर पर टिकाया हुआ था। इस पोजीशन में उसकी चूत पूरी खुली हुई थी और लंड को चूत के फूले और मोटे होंट साफ़ दिख रहे थे। नीचे हाथ कर के मैंने सज्जू का मोटा पेट पकड़ लिया और एक हाथ से उसके झूल रहे स्तन पकड़ लिए और उनको दबाने लगा।

उसकी चूत से अब चुदाई की आवाजें जोर जोर से आ रही थीं। मेरी गोटियाँ उसकी चूत के होटों से टकरा रही थीं। सज्जू इसी मुद्रा में शायद एक बार और झड़ने वाली थी।

"सज्जू मेरा लंड कैसा है? बताओ न..?",मैंने पूछा।
"बहुत अच्छा", वे बोलीं।
"अच्छा, ये बताओ ऐसे चोदते वक़्त मेरा लंड घोड़े का लग रहा है या कुत्ते का?"
"घोड़े का", सज्जू बोली।
"घोड़े का तो डेढ़ फूट का होता है सज्जू मेरा तो सिर्फ ८ इंच का ही है", मैं बोला।
"नहीं ये घोड़े जैसा है ऊऊ अह्ह्ह", वो बोली।
"ओह्ह सज्जू तेरा घोडा अपनी घोड़ी की मोटी फुद्दी चोद रहा है। आआआआआ मेरी रानी सज्जू तू बहुत प्यारी और चोदू है", मैं बोला।
"आप भी तो एक नंबर के चोदू घोड़े हो।"
"ओह्ह्ह आआआआआह अशूऊऊऊओ" कह कर उसने फिर अपनी विशाल गांड हव में लहरानी शुरू कर दी।

मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ मारने शुरू कर दिए। उनकी गांड थप्पड़ों से सूज रही थी। मैंने चुदाई और पिटाई दोनों चालू रखे फिर से ग्रर्र्रर्र्र घर्रर की की आवाजें आने लगी और सज्जू की चूत ने दूसरी धार छोड़ दी।
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 12:08 PM

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