मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:06 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
अब तक की कहानी में... मैंने अपनी की चुदाई की... अब मेरी माँ सुधा आंटी की चुदाई के लिए मेरी मदत कर रही है..... और उनकी इस हेल्प मिलने से मैंने निर्मला (सुधा आंटी की बेटी ) को अपना लण्ड चुसा दिया (जिसके बारे में मेरी माँ को भी नहीं पता )

अब आगे......

निर्मला की मुँह पेलाई के बाद मैंने कहा की तुम्हे आराम करने की जरूरत है।
तो निर्मला बोली " आराम बाद में कर लुंगी पहले कुछ पढ़ाई कर लू ।"
मैंने कहा "ओके" उसके बाद मैंने उसे साइंस पढ़ाया और फिर घर आ गया । मै पुरे २ घंटे बाद घर पंहुचा था और तब तक सुधा आंटी मम्मी से बाते कर रही थी ।
जब मै घर पंहुचा तो मैंने देखा सुधा आंटी का चेचरा पूरा लाल था । मै समझ गया की माँ ने पूरी जान लगा दी है मेरे प्लान को सफल बनाने में ।
मेरे जाते ही सुधा आंटी वहा से चली गयी । उनके जाते ही मैं माँ को पीछे से पकड़ कर चिपक गया और उनके चूचिया को दोनों हाथो से और गांड को लण्ड से दबाते हुवे पूछा " कब तक मिल जाएगी सुधा की गांड "

माँ अपने चूतडो को पीछे की और धकेलते हुवे (जिससे मेरे लण्ड का दबाव और उनकी गांड में और पड़ने लगा) " वाह बेटा, अब आंटी से सीधा सुधा पर आ गया "

मै " माँ एक बार उनके मोटे गांड में लण्ड घुसा दू तो सुधा से सीधा रंडी तक आ जाऊंगा " और हम दोनों हँसाने लगे ।
माँ " सुधा धीरे-धीरे बोतल में उतर रही है , दो- तीन दिन में वो तेरा लण्ड लेने को तैयार हो जाएगी "
मै " मेरा प्लान कामयाब हो रहा है " और मै मुस्कुराने लगा ।
और फिर ऐसे ही और बाते होती रही।
रात को माँ ने खाना बनाया हमने खाना खाया और रात को माँ की मैंने एक दमदार चुदाई की ।
दूसरे दिन दोपहर को मै सुधा आंटी के घर पहुंचकर बेल बजाया तो आंटी ने ही दरवाजा खोला। जब मैंने उन्हें देखा तो देखता ही रह गया ।
आज उन्होंने डिप गले वाला ब्लाउज पहना था और उन्होंने अपने साड़ी का पल्लू अपने क्लीवेज से हटा के रखा था । उनकी ब्लाउज इतनी डीप थी की उनके निप्पल की किनारे वाली बॉर्डर तक नजर आ रही थी । ये देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया जिससे मेरे लोअर में तम्बू बन गया ।आंटी की नजर ने मेरे लोअर के अंदर होने वाले बदलाव को देख रही थी

आंटी मुस्कुरा कर बोली " नीरज, अंदर आओ बेटा , मुहे तुम्हारी माँ के पास जाना है ।"
फिर उन्होंने निर्मला को आवाज लगाईं " निर्मला, नीरज आ गया है जल्दी आ जाओ बुक लेकर पढ़ने "
निर्मला के हाल में आते ही वो घर से निकल गयी ।
मै " कैसी हो निर्मला "
निर्मला " ठीक हु भैया , आप कैसे है "
मैंने कहा " मै ठीक हु"
निर्मला " भैया आज भी आप मेरे गले की मालिश करेंगे "
मुझे तो आज और भी बहुत कुछ करना था, जिसकी मैंने प्लानिंग पहले से ही बना ली थी ।
मैं" पहले पढ़ेंगे उसके बाद मालिश करेंगे"
निर्मला "ठीक है भैया, आज क्या पढ़ेंगे"
मैं "आज मैथ पढ़ेंगे"
निर्मला ने मैथ की बुक निकाली और मै उसे पढ़ाने लगा | मैंउसे कुछ फॉर्मूले शिखा कर कुछ आसान से प्रॉब्लम सॉल्व करवाएं.
उसे वह समझ में आ गया| फिर मैंने उसे 5 प्रॉब्लम दिए सॉल्व करने के लिए | मैंने जानबूझकर कठिन सवाल दिए थे जिसे वह सॉल्व ना कर पाए|
और हुआ भी यही वह एक भी प्रॉब्लम सॉल्व नहीं कर पाई|
मैं यह देख कर बनावटी गुस्से में निर्मला से कहा"कहां ध्यान है तुम्हारा लगता है तुम्हारी पिटाई फिर करनी पड़ेगी"
निर्मला मेरी पिटाई से तो डरती नहीं थी वह सिर्फ मुस्कुरा दी| मैं" लगता है तुम मुझसे डरती नहीं"
" आज मैं तुम्हारी ऐसी पिटाई करूँगा की तुम डरोगी"
निर्मला कुछ नहीं बोली| मैंने उसे कहा" जाओ किचन से शहद और नारियल का तेल लेकर आओ"
निर्मला मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखते हुए किचन में गई और वहां से शहद और नारियल तेल की बोतल ले आई|
आज मैंने लोअर निकाल दिया| और हां दोस्तों जब से मैंने मां की चुदाई की थी तब से मैंने अंडरवियर पहनना छोड़ दिया था| मेरा लण्ड पहले से ही सुधा के कारण खड़ा था जो मेरे लोअर के निकलते ही किसी नाग की तरह फन-फनाने लगा |
निर्मला बड़े ध्यान से मेरे खड़े लण्ड को देख रही थी|
मैंने निर्मला से कहा "देख क्या रही हो आओ और घुटने के बल बैठकर मुंह खोलो"
निर्मला ने ऐसा ही किया वह मेरे सामने आकर घुटनों के बल बैठ गई और अपना मुंह खोल दिया|
निर्मला को लगा कि मैं फिर से शहद लगाने वाला हूं| पर मैंने अपना लण्ड उसके मुंह के पास ले जाकर कहा" इसे पकड़ कर कुल्फी की तरह चुसो "
निर्मला बड़े आश्चर्य से मुझे देखने लगी |
मैंने कहा" इसे अच्छे से चूस कर नर्म बनाओ तभी यह गले की मालिश करेगा तो दर्द कम होगा"
और आपको तो पता ही है निर्मला का दिमाग कितना है| उसे लगा जो मैं कह रहा हूं वही सनातन सत्य है |
निर्मला दोनों हाथों से मेरे लण्ड को पकड़ कर लण्ड का टोपा मुंह में लेकर चूसने लगी|
फिर मैंने उसे कहा तुम्हें इसे पूरा चूसना और चाटना है| इतना सुनते ही उसने जीभ से मेरे लण्ड को नीचे से लेकर ऊपर तक चाटना शुरू कर दिया|
कुछ देर चाटने के बाद मैंने उसे कहा " मुंह में जितना अंदर ले सको ले कर चुसो " निर्मला वैसा ही करने लगी|
२० मिनट के ब्लोजॉब के बाद मुझे लगने लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है, तो मैंने कहा" शहद मालिश से पहले प्रैक्टिस कर लेते हैं"
और उसके सर पकड़ के लण्ड पूरा उसे गले में उतार दिया| और ऐसे ही अंदर बाहर करते हुए अपना पानी उसके मुंह में गिरा दिया| उसे कहा इसे पूरा पी जाओ|
आज उसे मेरे पानी का असली स्वाद मिला था क्योंकि कल उसने शहद का स्वाद मिक्स था|
पानी निकलने के बाद मेरा लण्ड मुरझा गया|
निर्मला यह देख कर बोली" यह तो छोटा हो गया अब शहद कैसे लगाओगे"
मैं" इसे बड़ा करने का बड़ा आसान तरीका है, तुम इसे फिर से मुंह में लेकर चुसो यह अपने आप बड़ा हो जाएगा"
निर्मला ने मेरी आज्ञा का पालन किया और मेरे लण्ड को चूसने लगी जो जल्दी खड़ा हो गया|
मैंने लण्ड को शहद में डूबा कर उसके मुंह में डाल डाल कर घुमाया और उसका सर पकड़ के लण्ड को एक बार उसके गले तक उतार दिया| फिर मैंने लण्ड बाहर निकाला|
वह फिर सवालिया नजरों से मेरी तरफ देखने लगी |
मैं उसे आश्वस्त करते हुए" मालिश तो पहले हो गई थी अभी शहद लगाया है, पर याद रहे अब तुम्हें कुछ कहना नहीं क्योंकि मुंह में शहद लग गया है"
उसने हा में सर हिला दिया |
मैंने उसे कहा " अब तुम्हारी पिटाई होने की बारी है, चलो डाइनिंग टेबल पकड़कर झुक जाओ"
वह किचन में जाकर टाइम टेबल को पकड़कर झुक गई| मैं उसके पीछे नारियल तेल लेकर आया|
मैंने पीछे से उसकी स्कर्ट उठाकर उसकी सफ़ेद कलर की पेंटिं को उसके घुटने तक सरका दिया|
फिर मैंने अपने लण्ड पर बहुत सारा तेल लगाया और फिर उसकी गांड की दरार को फैलाकर उसके गांड के छेद को निहारने लगा |
ब्राउन कलर की बहुत ही छोटा सा छेद था|
मुझसे रहा नहीं गया |
मैं जीभ निकालकर उसी गांड की छेद को चाट लिया|
एकदम से वह हिल गई और मेरी तरफ देखा मैं " कल मेरी पिटाई से तुम्हें दर्द नहीं हुआ ना, इसलिए आज दूसरी तरह से पिटाई करनी है"
इस जवाब से उसके शंका का समाधान नहीं हुआ| और वह अभी भी मेरी तरफ देख रही थी|
तब मैंने उसे समझाते हुवे कहा
" डॉक्टर सुई लगाता है तो दर्द होता है ना और तुम डरती हो उससे| जैसे डॉक्टर सुई लगाते हैं वैसे ही आज हम तुम्हें अपना सुई लगाएंगे| सुई लगाने वाली जगह को डॉक्टर गीला करते है ताकि सुई आराम से लग जाए|
"हम तुम्हारे इस छेद में अपना सुई लगाएंगे" मै उसके गांड के छेद को छूकर कहा|
"इसीलिए सुई लगाने वाली जगह को गिला किया |अभी और गीला करेंगे , ठीक है "
मेरे जवाब से वह आश्वस्त हो गई|
अब मुझे कोई रोक-टोक नहीं थी तो मैं उसकी गांड फैला फैला कर चाटने लगा |

फिर मैंने उसकी गांड में अपनी बीच वाली उंगली घुसाई | उंगली घुसते ही व कसमसा गई|
मैंने कहा "ऐसे ही रहो और अपनी गांड को ढीला करो, तुम्हारे छेद को चेक कर रहा हु अभी "
उसने ऐसा ही किया और मैं उंगली अंदर बाहर करने लगा पर उसमे दिक्कत हो रही थी तो मैंने बहुत सारा तेल उसकी गांड की छेद में डाल दिया | तेल की वजह से उंगली आराम से अंदर बाहर हो रही थी| मैं ज्यादा टाइम वेस्ट नहीं करना चाहता था|
मुझे पता था अगर मैं अपना मोटा लण्ड उसकी गांड में डालूंगा तो यह चिल्लाएगी |
मैंने उसे कहा" जब मैं सुई लगाऊंगा तो तुम्हें दर्द होगा और तुम्हें चिल्लाना नहीं है "
"मुंह से कुछ भी आवाज निकलने नहीं चाहिए क्योंकि तुमने मुंह में शहद लगाया है "
वह मेरी बात समझ कर अपने मुंह को जोर से बंद किया|

मैं उठा और अपना तेल से सना हुआ लण्ड उसकी गांड की छेद में रखकर दबा दिया| मेरे लण्ड का टोपा उसकी गांड में घुस गया उसकी गांड बहुत ही ज्यादा टाइट थी ऐसा लग रहा था कि मेरे लण्ड को किसी टाइट रबड़ ने जकड़ रखा हो|
मैं तो आनंद के सागर में गोते लगाने लगा पर उसे बहुत दर्द हुआ उसने पलट कर मेरी तरफ देखा और मुंह से आवाज नहीं निकाली|
मैं उसे उत्साहित करने के लिए कहा" शाबाश निर्मला, तुम तो दर्द सह सकती हो पर तुम्हें और सहना पड़ेगा जब तक सुई पूरा अंदर तक नहीं जाता|"

मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और हर एक धक्के में लण्ड को उसकी गांड के अंदर थोड़ा-थोड़ा घुसाने लगा | मेरे हर एक धक्के पर निर्मला मेरी तरफ देखती थी उसके चेहरे से दर्द साफ झलक रहा था |
पर वह सही में बहुत सहनशील लड़की थी| बिना आवाज किए मेरे झटको को सह रही थी|
इसलिए मैं बड़े प्यार से उसकी गांड मार रहा था| धीरे धीरे 10 मिनट के अंदर ही मेरा ७ इंच का लण्ड उसकी गांड की गहराई में उतर चुका था|
जब मेरा पूरा लण्ड उसकी गांड में घुस गया, तब मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई|
अब मैं उसकी गांड की बहुत तेजी से ठुकाई कर रहा था| इसका नतीजा यह निकला कि मेरे लण्ड ने 5 मिनट में ही उसकी गांड के अंदर पानी छोड़ दिया| जैसे ही मैंने लण्ड बाहर निकाला उसकी गांड से मेरा वीर्य बहने लगा और फर्श पर गिरने लगा|

मैंने उसे कहा" अपनी पेंटी से जमीन पर का और अपनी गांड का पानी साफ करो"
उसने वही किया जो मैंने कहा|
मुझे बहुत मजा आया निर्मला की गांड मारने में| आज का मिशन सक्सेस हो गया था| क्योंकि निर्मला की गांड का उद्घाटन हो चुका था| अब मुझे उसकी चुत का उद्घाटन करना था|
फिर मैं घर चला आया|

जब मैं घर आया तब सुधा आंटी मेरे घर से चली गई उनके जाते ही मां ने कहा "तेरे लिए गिफ्ट है"

मैंने कहा" क्या है दिखाओ"

उन्होंने मुझे 38 नंबर की पेंटिं दी। मैंने कहा" मैंने तो तुम्हें पैंटी पहन ने के लिए मना किया है, फिर यह क्यों"
मां" सुधा की है"
मैं" अपनी पैंटी छोड़ गई, उसमें तो की चुत की खुशबू आ रही होगी"
और मैं उसे सूंघने लगा।

मां"वह कल इसे ले जाएगी "

"मैंने उसे कहा था कि तू मेरी पेंटी में मुठ मारता है अगर वह अपनी दे दे तोतू कल उसमें मारेगा"

"उसने खुशी खुशी अपनी पेंटी मुझे दे दी। परसों तक तो तुझे अपनी चुत भी दे देगी"
मैंने मां को बाहों में भर के उठा लिया।
मैं "तुम इस दुनिया की सबसे अच्छी मां हो, आई लव यू मा"

मां"आई लव यू टू बेटा"

सीधे रात को मैंने मां की जमकर चुदाई की और अपना सारा मुठ आंटी की पेंटी में गिराया। यह मेरा आंटी के लिए रिटर्न गिफ्ट था।

अगले दिन भी फिर से आंटी ने ही दरवाजा खोला। आज भी उनका कल वाला ही रूप था। पर आज वह मेरे रूम नहीं कहीं बल्कि उन्होंने मुझे हॉल में बिठाया और मेरे सामने झुक कर टेबल साफ करने लगी उनके ऐसा करने से मुझे उनकी चूची पूरी तरह नजर आने लगी।

मैं पागल हो उठा। मन कर रहा था अभी को पटक कर चोद दूं। पर निर्मला भी घर पर थी। इसलिए मैंने कंट्रोल किया। आंटी लोअर में मेरे लण्ड के उभार को देख रही थी और मन ही मन खुश हो रही थी।

उसके बाद निर्मला आ गई। मैं तो फुल प्लानिंग के साथ आया था कि आज निर्मला की चुत का उद्घाटन कर देंगे। आंटी तो जा ही नहीं रही थी।

मैं" निर्मला, बुक निकालो पढ़ाई करते हैं"
तभी आंटी ने कहा" अच्छा बेटा, तुम पढ़ाओ मैं दीदी के पास जाती हूं"
मैं खुश हो गया" ओके आंटी"

जैसे ही आंटी गई निर्मला ने दरवाजा बंद किया। और वह हॉल में आई।

मैंने निर्मला से पूछा था " मेरे डंडे से डर लगता है ना"

निर्मला " डर नहीं.....दर्द...... बहुत दर्द हो रहा है मेरे पीछे........पर मजा भी आया भैया"
दर्द उसको होना ही था मेरे ७ इंच लम्बा और २.५ इंच मोटा लण्ड ने उसकी कुंवारी गांड की चुदाई की थी।

मैं" मजा तो आज आएगा तुम्हें"

निर्मला" और दर्द......कल मुझे बैठने में दिक्कत हो रही थी"

मैं" मजा तो दर्द के साथ ही आता है...... थोड़ा दर्द होगा......और तुम बहुत बहादुर हो.........सह लोगी"

मैंने उसका कॉन्फिडेंस बढ़ा दिया था।

मैं" आज पूरा मजा लेने के लिए अपने सारे कपड़े निकालने होंगे"

उसने तुरंत अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिया। और मैंने भी।

2 मिनट में हम दोनों पूरे नंगे हो गए । आज मैं उसके दोनों अनारो को देख कर खुश हुआ । मैं
बारी बारी उन्हें मसलने और चूसने लगा। निर्मला मदहोश होने लगी।

मैं" कैसा लग रहा है निर्मला"

निर्मला" बहुत अच्छा"

मैंने कहा "चलो तुम्हारे बेडरूम में वहां बहुत मजा करेंगे"
बेडरूम में ले जाकर मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और खुद उसके पैरों के बीच में बैठकर उसकी चुत को चूसने लगा।

उसके मुंह से सिर्फ सिसकारियां निकल रही थी।

वह पागल होने लगी वह मेरे सर को अपनी चुत में दबाया जा रही थी। मैंने करीब 15 मिनट तक उसकी चुत में जीभ डाल कर चुदाई की । वह नीचे से अपने चूतड़ को उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी। फिर उसका बदन ऐंठने लगा, मैं समझ गया कि अब यह झड़ने वाली है। मैंने अपनी जीभ की हरकत और तेज कर दी।

उसके मुंह से एक बड़ी सी आह निकली और फिर वो शांत हो गई।

मैं" मजा आया"

निर्मला" बहुत मजा आया भैया"

मैं" असली मजा तो बाकी है"

"चलो अब मेरे लण्ड को चुसो" अब मैं उससे खुलकर बात करना चाहता था और चाहता था कि वह भी चुत लण्ड चुदाई वाली शब्दों का इस्तेमाल करें।

निर्मला उठी और मेरे लण्ड को चूसने लगी। 2 दिन की ट्रेनिंग में ही निर्मला अच्छा ब्लोजॉब देने लगी थी। वह मेरे लण्ड को कई बार अपने गले तक ले जाती थी और बाहर निकालती थी।

अब मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया और उसकी कमर के निचे दो तकिये रख दिए । उसे कहा "शायद कल जैसा दर्द हो, या उससे थोड़ा जयादा। तुम सह लेना "

उसने कहा " ओके भैया "

फिर मैंने उसके चुत के मुँह पर अपने लण्ड का टोपा रखा और हल्का सा धक्का लगाया। उसकी चुत और मेरा लण्ड दोनों इतने गीले थे की आसानी से टोपा अंदर चला गया । और एक हल्की सी चीख भी निर्मला के मुँह से निकली ।

मै रुका और उसके निप्पल चूसने लगा और धीरे- धीरे टोपा ही अंदर बाहर करने लगा । मै नहीं चाहता था की उसकी चीख घर के बाहर तक जाए और आंटी आ जाये जिससे मेरा पूरा खेल बिगड़ जायेगा ।

वो अब सिर्फ सिसकारियां ले रही थी । अब मैंने उसके होठो को चूसना शुरू कर दिया । उसके लिप को पूरी तरह लॉक कर दिया, वो पूरी तरह मेरे किस में खो गयी तभी मैंने एक जोरदार का शॉट लगाया और ५ इंच तक लण्ड अंदर घुस गया।

उसके हलक से चीख निकल गयी पर मेरा मुँह उसके मुँह से लॉक था तो आवाज नहीं आ पायी ज्यादा ।

मैंने उसे समझाया " बस अब हो गया, थोड़ा और दर्द सह लो फिर मजा ही मजा है "

वो मान गयी पर अब उसके चहरे पर दर्द साफ़ नजर आ रहा था । मैंने उतना ही लण्ड अंदर बहार करने लगा । उसे अब धीरे धीरे दर्द काम और मजा आने लगा । वो अब अपने चुत्तड़ को ऊपर उठा कर मेरा साथ दे रही थी।

अब समय आ गया था की मै उसकी सील तोड़ दू । मैंने उसके मुँह पर प्यार से हाथ फिराया और फिर उसके मुँह को अपने हाथ से बंद करके जोरदार झटका मारा । ये बहुत ही करारा झटका था मेरा ७ इंच का लण्ड उसकी चुत में गहराई तक उतर गया था ।उसकी सील टूट चुकी थी और उसमे से खून भी बाह रहा था ।

वो छटपटा गयी। उसका मुँह मैंने पहले ही बंद कर दिया था ताकि उसकी चीख किसी को सुनाई ना दे । वो मुझे धकेल रही थी पर मै उसके ऊपर से हटा नहीं और उसे धक्के लगाने लगा । उसकी आँखों से आंसू तक आ गए थे।

करीब १० मिनट धक्के लगने के बाद उसे दर्द काम हुआ और उसे मजा आने लगा । जब उसकी गांड की हरकत शुरू हुई तो मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया । वो रोने लगी। बोली '"बहुत दर्द हुआ भैया "

मै " पहली बार में ज्यादा दर्द होता है जब सील टूटती है अब नहीं होगा "

मै " अब अच्छा लग रहा है ना "
निर्मला सिसकारियां लेते हुए "सिस्स्सस्स्स्स....... अब ममममजा.....आआआआआआ...सिस्स्सस्स्स्स.... रहा... है..... भैया "

निर्मला " आअह्हह्ह्ह्हह........और तेज.......आअह्हह्ह्ह्हह.......और तेज.....आअह्हह्ह्ह्हह..... धक्के लगाओ भैया .......आअह्हह्ह्ह्हह.......बहुत मजा आ रहा है.....आअह्हह्ह्ह्हह.........आअह्हह्ह्ह्हह......"

मैं समझ गया कि अब वह झड़ने वाली है. मैंने भी अपनी रफतार राजधानी की तरह तेज कर दी |मेरे झटको से निर्मला के साथ पूरा पलंग हिल रहा था| पलंग से चर्रर्रररर...चर्रर्रररर... की आवाज आ रही थी और पूरे कमरे में निर्मला की आहे गूंज रही थी| पक्का अगर घर के किसी भी कोने में कोई भी होता तो उसे पता चल जाता कि यहां पर गांड फाड़ चुदाई हो रही है|

निर्मला की आहे तेज होने लगी और निर्मला जोर की सिसकारी लेकर निढाल हो गई| वो झड़ गई थी पर मेरा पानी निकलना बाकी था|मैं उसकी चुत में नहीं झड़ना चाहता था नहीं तो मेरा भांडा फूट जाता अगर वह प्रेग्नेंट हो जाती तो|
उठा और उसके सर के पास जाकर अपने दोनों पैर उसके कंधों के पास रख के लण्ड उसके मुंह पर रखा| वह समझ गई कि उसे क्या करना है. उसने अपना मुंह खोल दिया मैंने उसके सर को पकड़ के एक ही झटके में पूरा लण्ड उसके गले में पहुंचा दिया फिर मैंने अपना पूरा लण्ड बाहर निकाला और दोबारा फिर से पेल दिया| अब मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिया| 5 मिनट के बाद मुझे लगा मेरा पानी निकल जाएगा तो मैंने उसका सर पकड़ कर जोर से अपने लण्ड पर दबा दिया और मेरा वीर्य उसके गले के नीचे उतार दिया|

जब मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला वीर्य उसके मुंह से निकल कर गाल पर बहने लगा| जिसे निर्मला ने वेस्ट नहीं होने दिया और तुरंत पोछकर चाट गई| हम दोनों लंबी सांसे ले रहे थे| मैंने घड़ी की तरफ देखा तो पता चला 1 घंटे हो गए थे हमें चुदाई करते हुए|

मैंने उससे पूछा" कैसी लगी मेरी चुदाई "

उसने कहा "कमरतोड़.... मेरी तो आपने यह सुजा दी" और अपनी चुत की तरफ इशारा किया|
मैंने देखा उसकी चुत पर पानी और खून का मिश्रण लगा हुआ था| मैंने उसकी पेंटी से उसका चुत साफ किया|

मैंने उसे कहा" नहा लो थोड़ा अच्छा लगेगा"

वह बिस्तर से उठी लड़खड़ा के चल रही थी. मैंने उसे सहारा दिया और बाथरूम तक ले गया|

मैंने उसे कहा " अपनी मां से कहना पैर में मोच आ गई है "

उसने कहा "ओके"

फिर मैंने उसे किस किया और कहा आज की पढ़ाई पूरी हुई|

तो नहाने चली गई जब नहा कर आई वह फ्रेश लग रही थी | फिर उसने अपने कपड़े पहने |

तभी मैंने कहा" जब भी मैं पढ़ाने हूं तब तुम ही नहीं पहनोगी"

उसने कहा "ठीक है भैया"

फिर मैं अपने घर चला आया|
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 12:06 PM

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