RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
वैभवी---- मै जा रही हू माँ .........और पारुल से कार की चाभी ले कर गाव की तरफ चल देती है ।
वैभवी जल्द ही गाँव के रास्ते अपनी कार चलते हुए एक दुकान पर रोकती है ......।
वैभवी----- काका ये सोनू का घर कहा पडेगा?
बस बेटी वो सफेद मकान उसी का है.......।
वैभवी--- thanks......काका ।
वैभवी की कार सोनू के घर के सामने रुकती है जिसे देख सुनीता कस्तुरी और अनीता खड़ी हो जाती है।
वैभवी घर में आते ही ..................
वैभवी------ नमस्ते aunty......।
सुनीता----- नमस्ते ।
वैभवी----- सोनू है घर में, मेरा नाम वैभवी है और मै आपके गाँव के डॉक्टर पारुल की बेटी हूँ ।
सुनीता----- अरे तुम पारुल जी की बेटी हो ....... बैठो ना बेटी खड़ी क्यूँ हो।
वैभवी खाट पर बैठ जाती है..........।
सुनीता----- कस्तूरी तू सोनू को बुला जरा ।
अनन्या पानी ले के आती है...... और वैभवी को देती है ।
वैभवी पानी का गिलास ले कर पानी पीती है ।
सुनीता----- और बताओ बेटी कैसे आना हुआ ।
वैभवी----- अरे आंटी वो मुझे ना थोड़ा पहाड़ी घुमना था ......और मैं यहा किसी को जानती नही सिर्फ सोनू को छोड़ कर तो सोचा वही मुझे घुमा देगा ।
सुनीता---- हा बेटी जरूर ।
तभी सोनू आ जाता है...... वो वैभवी को देख कर खुश हो जाता है लेकीन वो अपनी खुशी जाहिर नही करता ।
सोनू----- आप यहाँ हमारे घर पर ।
वैभवी---- क्यूँ मै नही आ सकती क्या aunty..... ?
सुनीता--- अरे कभी भी बेटी । सोनू बेटा इनको पहाड़ी घुमना है जा जरा घुमा दे .......।
सोनू----- ठीक है माँ ।
और फिर सोनू वैभवी के साथ घर से निकल देता है।
वैभवी की कार एक सुनसान जगह जो गांव के पहाड़ी के तरफ़ था वहां रुकती है ।
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